इस्लाम और आतंकवाद दे श के कायर और नपुंसक राजनीतिक नेित्ृ व के कारण मुंगलवार का ददन एक बार पनः अमुंगलकारी ससद्ध हआ। राजस्थान की राजधानी जयपर में दहन्द ू धममस्थल िथा अन्य सावमजतनक स्थलों को तनशाना बनाकर आिुं कवादी अपने नापाक इरादों में सफल हो गये। एक सौ से ज्यादा तनदोष दहन्द ू श्रद्धाल िथा अन्य नागररक सदै व के सलए अपने घरपररवार से वबी
गये। इस बार ुी वही हआ जो -
हर बार होिा है । केन्क सरकार और रदे श सरकार ने ुी की श।दों में इस घबना की तनन्दा कर दी। सेकलर दलों के पास िो इस रकार की घबना
ुं के न्िलाफ
ठझ ू ेे ही सही तनन्दा के ुी श।द नहीुं हैं। सवाल फफर वही घम ू -फफर कर फक आन्िर हत्या
ुं का यह ससलससला जो इस धरिी से दहन्द
ुं का सफाया करने पर
िला है कब िक चलेगा? कौन हैं ये आिुं की? क्या ररश्िा है इनका इस माबी से ? ढे र सारे रश्न आज ुी अनत्िररि हैं। जब िक रोग को हम जानें गे नहीुं िो उसका उपचार ुी नहीुं कर पायेंगे। वैसा ही आिुं कवाद के सम्बन्ध में ुी है । जब हम आिुंकवाद को जानें गे नहीुं िो उसका मकाबला ुी नहीुं कर पायेंगे। क्या यह सच नहीुं फक इस राष्ट्र का कायर समाज अपने ही बन्ध-बाुंधवों की लाशों की अनदे िी कर रहा है ? एकएक उज िे- घर, ससन्दरू पोीिी माुंग को दे िने से इन्कार कर रहा है । यह कैसी कायरिा है फक अपने ही पववत्र धममस्थलों एवुं आराध्य दे वों के दशमन सेना के साये में ुी अपमातनि होकर होिे हैं। आन्िर कब िक मन्न्दर रक्ि-रुं न्जि होिे रहें गे? क्या है यह आिुंकवाद? इस दे श का एक वगम ऐसा ुी है जो आिुं कवाद के साथ इस्लाम श।द जो े जाने पर ववरोध करिा है । वे इसे इस्लाम को बदनाम करने की सान्जश बिािे हैं। पर क्या उन्हें नहीुं मालूम फक केवल ुारि ही नहीुं पूरी दतनयााँ में इस्लाम और अल्लाह के नाम पर मौिों की सुंख्या क्यों बढ़िी जा रही है ? ुारि की पववत्र माबी को तनदोषों के िून से क्यों रुं गा जा रहा है ? क्यों रोजरोज तनरपराध दहन्द
ुं की हत्या होिी है -? क्यों अफगातनस्िानपाफकस्िान से -
दहन्द
ुं का पूरी िरह सफाया हो गया? क्यों बाुंग्लादे श में दहन्द
ुं के सफाये का
अन्न्िम चरण चल रहा है ? क्यों पाक अधधकृि कश्मीर से दहन्द
ुं का सफाया हो
गया? क्यों कश्मीर घाबी मन्स्लम बहल होिे ही ुारि ववरोधी हो गयी और दहन्द
ुं
का वहााँ से सफाया हो गया? क्यों रूस के मन्स्लम बहल क्षेत्र रूस से अलग हो गये या शेष अलग होना चाहिे हैं ? क्यों यूगोस्लाववया िन्डिि हो गया? क्यों दतनयााँ ुर के मसलमान इजराइल का नामोतनशान समबा दे ना चाहिे हैं? क्यों दतनयााँ का हर मन्स्लम बहल क्षेत्र अपनी मािु ृ सू म का चीर हरण करने में कोई सुंकोच नहीुं करिा है ? आन्िर चेचेन्या, यूगोस्लाववया, कोसोवो, कश्मीर घाबी सबकी एक जैसी न्स्थति, एक ही कारण क्यों है ? क्यों इस्लाम दतनयााँ ुर में आिुंकवाद का पयामय बन गया है और क्यों आज दतनयााँ के लगुग सुी आिुंकवादी हमलों की ज ें मदरसों िक जािी हैं ? आईीवारा रायोन्जि आज न्जसे ससमी .आई.एस., हजी, अलकायदा, दीनदार अुंजमन, लश्कर-ए-िैयबा, जैशमोहम्मद आदद आिुंकवादी सुंगझन कहा जा रहा है -ए-, न्जसे इस दे श का कायर राजनीतिक नेित्ृ व गमराह एवुं बेरोजगार नौजवानों की करिूि कह रहा है , वह वास्िव में वैसा नहीुं है । यह िो दे श और दतनयााँ को नष्ट्ब करने की एक अन्िरामष्ट्रीय सान्जश है जो इस्लाम के बतनयादी ससद्धान्िों में एक है । रतिददन सबहशाम समाचारों के स-ेाथ हम सबके सामने तनदोष दहन्द
ुं की लाशों
के धचथ े उसी उद्देश्य की पूतिम के सलए ही परोसा जा रहा है । तनत्य तनरन्िर हो रहे आिुंकी हमले िो यही आुास करािे हैं फक जैसे हमारी धमतनयों में रक्ि नहीुं पानी बह रहा हो और दहन्द ू समाज इसे अपनी तनयति मान बैझा हो। अगर यह सच नहीुं िो क्यों रतिददन दे श के फकसी न फकसी कोने में हो रहे तनदोष दहन्द
ुं
से सम्बन्न्ध्ि हत्याकाडि हमें ववचसलि नहीुं करिे? क्या यह शासन सत्िा की कमजोरी बन चका है अथवा अपने तनदहि वोब बैंक की िातिर इस दे श का नेित्ृ व जान बठ ू कर उससे अुंजान बना है । समय आ गया है अगर हमें दहन्दस्िान में दहन्द ू सुंस्कृति और परम्परा को अक्षडण बनाये रिना है िो हमें आिुंकवाद से ल ने के सलए िैयार होना ही होगा। जब िक ‘जेहाद’ और ‘जन्नि’ का ववचार इस
धरिी पर रहे गा आिुं कवाद समाप्ि नहीुं हो सकिा। आ
सुंकल्प करें जेहाद और
जन्नि के ववचार का समल ू नाश करने का। िुी धमम और सुंस्कृति बचेगी और हमारी अन्स्मिा ुी सरक्षक्षि रहे गी।