Hindi Bible पवित्र बाइबिल [OV ed.]

Hindi Bible पवित्र बाइबिल...
Author: B
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उप 1 1 आद म परमे र ने आकाश और पृवी क सृ क। 2 और पृवी बेडौल और सुनसान प क यी; और गहरे जल के ऊपर अ'(ध कारनेा या: तया परमे र का आमा जल के ऊपर म+डलाता या। 3 तब परमे र ने कहा, उ'जयाला हो: तो उ'जयाला हो गया। 4 और परमे र ने उ'जयाले को दे खा क अ.छा है ; और परमे र ने उ'जयाले को अ'(ध कारने से अलग कया। 5 और परमे र ने उ'जयाले को दन और अ'(ध कारने को रात कहा। तया सांफ हुई फर भोर हुआ। इस ूकार पहला दन हो गया।। 6 फर परमे र ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अ(तर हो क जल दो भाग हो जाए। 7 तब परमे र ने एक अ(तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग कया; और वैसा ह: हो गया। 8 और परमे र ने उस अ(तर को आकाश कहा। तया सांफ हुई फर भोर हुआ। इस ूकार दस ू रा दन हो गया।। 9 फर परमे र ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक ःयान म इक=ठा हो जाए और सूखी भूिम दखाई दे ; और वैसा ह: हो गया। 10 और परमे र ने सूखी भूिम को पृवी कहा; तया जो जल इक=ठा हुआ उसको उस ने समुि कहा: और परमे र ने दे खा क अ.छा है । 11 फर परमे र ने कहा, पृवी से हर: घास, तया बीजवाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृझ भी 'जनके बीज उ(ह: म एक एक क जाित के अनुसार होते हE पृवी पर उग ; और वैसा ह: हो गया। 12 तो पृवी से हर: घास, और छोटे छोटे पेड़ 'जन म

अप क अप क जाित के अनुसार बीज होता है , और फलदाई वृझ 'जनके बीज एक एक क जाित के अनुसार उ(ह: म होते हE उगे; और परमे र ने दे खा क अ.छा है । 13 तया सांफ हुई फर भोर हुआ। इस ूकार तीसरा दन हो गया।। 14

फर परमे र ने कहा, दन को रात से अलग करने के िलथे आकाश के अ(तर म

Gयोितयां हH; और वे िच(हH, और िनयत समयH, और दनH, और वषJके कारण हH। 15 और वे Gयोितयां आकाश के अ(तर म पृवी पर ूकाश दे नेवाली भी ठहर ; और वैसा ह: हो गया। 16 तब परमे र ने दो बड़: Gयोितयां बनाL; उन म

से बड़: Gयोित को दन पर ूभुता करने के िलथे, और छोट: Gयोित को रात पर ूभुता करने के िलथे बनाया: और तारागण को भी बनाया। 17 परमे र ने उनको आकाश के अ(तर म इसिलथे रखा क वे पृवी पर ूकाश द , 18 तया दन और रात पर ूभुता कर और उ'जयाले को अ'(ध कारने से अलग कर : और परमे र ने दे खा क अ.छा है । 19 तया सांफ हुई फर भोर हुआ। इस ूकार चौया दन हो गया।। 20 फर परमे र ने कहा, जल जीवत ूा'णयHसे बहुत ह: भर जाए, और प क पृवी के ऊपर आकाश क अ(तर म उड़ । 21 इसिलथे परमे र ने जाित जाित के बड़े बड़े जल-ज(तुओं क, और उन सब जीवत ूा'णयHक भी सृ क जो चलते फरते हE 'जन से जल बहुत ह: भर गया और एक एक जाित के उड़नेवाले प'झयHक भी सृ क : और परमे र ने दे खा क अ.छा है । 22 और परमे र ने यह कहके उनको आशीष द:, क फूलो-फलो, और समुि के जल म

भर जाओ, और प क पृवी पर बढ़ । 23 तया सांफ हुई फर भोर हुआ। इस ूकार पांचवां दन हो गया। 24 फर परमे र ने कहा, पृवी से एक एक जाित के जीवत ूाणी, अयाOत ् घरे लू पशु, और र गनेवाले ज(तु, और पृवी के वनपशु, जाित जाित के अनुसार उप(न हH; और वैसा ह: हो गया। 25 सो परमे र ने पृवी के जाित जाित के वनपशुओं को, और जाित जाित के घरे लू पशुओं को, और जाित जाित के भूिम पर सब र गनेवाले ज(तुओं को बनाया : और परमे र

ने दे खा क अ.छा है । 26 फर परमे र ने कहा, हम मनुंय को अपके ःवRप के अनुसार अप क समानता म बनाएं; और वे समुि क मछिलयH, और आकाश के प'झयH, और घरे लू पशुओं, और सार: पृवी पर, और सब र गनेवाले ज(तुओं पर जो पृवी पर र गते हE , अिध कारने रख । 27 तब परमे र ने मनुंय को अपके ःवRप के अनुसार उप(न कया, अपके ह: ःवRप के अनुसार परमे र ने उसको उप(न कया, नर और नार: करके उस ने मनुंयHक सृ क। 28 और परमे र ने उनको आशीष द: : और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृवी म भर जाओ, और उसको अपके वश म कर लो; और समुि क मछिलयH, तया आकाश के प'झयH, और पृवी पर र गनेवाले सब ज(तुओ पर अिध कारने रखो। 29 फर परमे र ने उन से कहा, सुनो, 'जतने बीजवाले छोटे छोटे पेड़ सार: पृवी के ऊपर हE और 'जतने वृझHम बीजवाले फल होते हE , वे सब मE ने तुम को दए हE ; वे तुSहारे भोजन के िलथे हE : 30 और 'जतने पृवी के पशु, और आकाश के प क, और पृवी पर र गनेवाले ज(तु हE , 'जन म जीवन के ूाण हE , उन सब के खाने के िलथे मE ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दए हE ; और वैसा ह: हो गया। 31 तब परमे र ने जो कुछ बनाया या, सब को दे खा, तो या दे खा, क वह बहुत ह: अ.छा है । तया सांफ हुई फर भोर हुआ। इस ूकार छठवां दन हो गया।। उप 2 1 यHआकाश और पृवी और उनक सार: सेना का बनाना समाT हो गया। 2 और परमे र ने अपना काम 'जसे वह करता या सातव दन समाT कया। और उस ने अपके कए हुए सारे काम से सातव दन वौम कया। 3 और परमे र ने

सातव दन को आशीष द: और पवऽ ठहराया; यHक उस म उस ने अप क सृ क रचना के सारे काम से वौम िलया। 4 आकाश और पृवी क उप का वृा(त यह है क जब वे उप(न हुए अयाOत ् 'जस दन यहोवा परमे र ने पृवी और आकाश को बनाया: 5 तब मैदान का कोई पौधा भूिम पर न या, और न मैदान का कोई छोटा पेड़ उगा या, यHक यहोवा परमे र ने पृवी पर जल नह:ं बरसाया या, और भूिम पर खेती करने के िलथे मनुंय भी नह:ं या; 6 तौभी कुहरा पृवी से उठता या 'जस से सार: भूिम िसंच जाती यी 7 और यहोवा परमे र ने आदम को भूिम क िम=ट: से रचा और उसके नयनो म जीवन का ास फूंक दया; और आदम जीवता ूाणी बन गया। 8 और यहोवा परमे र ने पूवO क ओर अदन दे श म एक बाटका लगाई; और वहां आदम को 'जसे उस ने रचा या, रख दया। 9 और यहोवा परमे र ने भूिम से सब भांित के वृझ, जो दे खने म मनोहर और 'जनके फल खाने म अ.छे हE उगाए, और बाटका के बीच म जीवन के वृझ को और भले या बुरे के Wान के वृझ को भी लगाया। 10 और उस बाटका को सींचने के िलथे एक महानद: अदन से िनकली और वहां से आगे बहकर चार धारा म हो गई। 11 पहली धारा का नाम पीशोन ् है , यह वह: है जो हवीला नाम के सारे दे श को जहां सोना िमलता है घेरे हुए है । 12 उस दे श का सोना चोखा होता है , वहां मोती और सुलम ै ानी पयर भी िमलते हE । 13 और दस ू र: नद: का नाम गीहोन ् है , यह वह: है जो कूश के सारे दे श को घेरे हुए है । 14 और तीसर: नद: का नाम हXे केल ् है , यह वह: है जो अँशूर ् के पूवO क ओर बहती है । और चौयी नद: का नाम फरात है । 15 जब यहोवा परमे र ने आदम को लेकर अदन क बाटका म

रख दया, क वह उस म काम करे और उसक रझा करे , 16 तब यहोवा परमे र

ने आदम को यह आWा द:, क तू बाटका के सब वृझHका फल बना खटके खा सकता है : 17 पर भले या बुरे के Wान का जो वृझ है , उसका फल तू कभी न खाना : यHक 'जस दन तू उसका फल खाए उसी दन अवँय मर जाएगा।। 18 फर यहोवा परमे र ने कहा, आदम का अकेला रहना अ.छा नह:ं; मै उसके िलथे एक ऐसा सहाथक बनाऊंगा जो उस से मेल खाए। 19 और यहोवा परमे र भूिम म से सब जाित के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भँ◌ाित के प'झयHको रचकर आदम के पास ले आया क दे खे, क वह उनका या या नाम रखता है ; और 'जस 'जस जीवत ूाणी का जो जो नाम आदम ने रखा वह: उसका नाम हो गया। 20 सो आदम ने सब जाित के घरे लू पशुओं, और आकाश के प'झयH, और सब जाित के बनैले पशुओं के नाम रखे; पर(तु आदम के िलथे कोई ऐसा सहाथक न िमला जो उस से मेल खा सके। 21 तब यहोवा परमे र ने आदम को भार: नी(द म डाल दया, और जब वह सो गया तब उस ने उसक एक पसुली िनकालकर उसक स(ती मांस भर दया। 22 और यहोवा परमे र ने उस पसुली को जो उस ने आदम म से िनकाली यी, \ी बना दया; और उसको आदम के पास ले आया। 23 और आदम ने कहा अब यह मेर: ह']डयHम क ह]ड: और मेरे मांस म का मांस है : सो इसका नाम नार: होगा, यHक यह नर म से िनकाली गई है । 24 इस कारण पुRष अपके माता पता को छोड़कर अप क प^ी से िमला रहे गा और वे एक तन बन रह गे। 25 और आदम और उसक प^ी दोनHनंगे थे, पर लजाते न थे।। उप 3

1 यहोवा परमे र ने 'जतने बनैले पशु बनाए थे, उन सब म सपO धूतO या, और उस ने \ी से कहा, या सच है , क परमे र ने कहा, क तुम इस बाटका के कसी वृझ का फल न खाना ? 2 \ी ने सपO से कहा, इस बाटका के वृझHके फल हम खा सकते हE । 3 पर जो वृझ बाटका के बीच म है , उसके फल के वषय म

परमे र ने कहा है क न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नह:ं तो मर जाओगे । 4 तब सपO ने \ी से कहा, तुम िन_य न मरोगे , 5 वरन परमे र आप जानता है , क 'जस दन तुम उसका फल खाओगे उसी दन तुSहार: आंखे खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का Wान पाकर परमे र के तु`य हो जाओगे। 6 सो जब \ी ने दे खा क उस वृझ का फल खाने म अ.छा, और दे खने म मनभाऊ, और बुa दे ने के िलथे चाहने योbय भी है , तब उस ने उस म से तोड़कर खाया; और अपके पित को भी दया, और उस ने भी खाया। 7 तब उन दोनHक आंखे खुल गई, और उनको मालूम हुआ क वे नंगे है ; सो उ(हHने अंजीर के पे जोड़ जोड़ कर लंगोट बना िलथे। 8 तब यहोवा परमे र जो दन के ठं डे समय बाटका म फरता या उसका शcद उनको सुनाई दया। तब आदम और उसक प^ी बाटका के वृझHके बीच यहोवा परमे र से िछप गए। 9 तब यहोवा परमे र ने पुकारकर आदम से पूछा, तू कहां है ? 10 उस ने कहा, मE तेरा शcद बार: म सुनकर डर गया यHक मE नंगा या; इसिलथे िछप गया। 11 उस ने कहा, कस ने तुझे िचताया क तू नंगा है ? 'जस वृझ का फल खाने को मै ने तुझे बजाO या, या तू ने उसका फल खाया है ? 12 आदम ने कहा 'जस \ी को तू ने मेरे संग रहने को दया है उसी ने उस वृझ का फल मुझे दया, और मै ने खाया। 13 तब यहोवा परमे र ने \ी से कहा, तू ने यह या कया है ? \ी ने कहा, सपO ने मुझे बहका दया तब

मै ने खाया। 14 तब यहोवा परमे र ने सपO से कहा, तू ने जो यह कया है इसिलथे तू सब घरे लू पशुओं, और सब बनैले पशुओं से अिधक शापत है ; तू पेट के बल चला करे गा, और जीवन भर िम=ट: चाटता रहे गा : 15 और मै ते रे और इस \ी के बीच म , और ते रे वंश और इसके वंश के बीच म बैर उप(न कdं गा, वह तेरे िसर को कुचल डालेगा, और तू उसक एड़: को डसेगा। 16 फर \ी से उस ने कहा, मै तेर: पीड़ा और तेरे गभOवती होने के द:ु ख को बहुत बढ़ाऊंगा; तू पीड़त होकर बालक उप(न करे गी; और तेर: लालसा तेरे पित क ओर होगी, और वह तुझ पर ूभुता करे गा। 17 और आदम से उस ने कहा, तू ने जो अप क प^ी क बात सुनी, और 'जस वृझ के फल के वषय मै ने तुझे आWा द: यी क तू उसे न खाना उसको तू ने खाया है , इसिलथे भूिम तेरे कारण शापत है : तू उसक उपज जीवन भर द:ु ख के साय खाया करे गा : 18 और वह तेरे िलथे कांटे और ऊंटकटारे उगाएगी, और तू खे त क उपज खाएगा ; 19 और अपके माथे के प कने क रोट: खाया करे गा, और अ(त म िम=ट: म िमल जाएगा; यHक तू उसी म से िनकाला गया है , तू िम=ट: तो है और िम=ट: ह: म फर िमल जाएगा। 20 और आदम ने अप क प^ी का नाम हeवा रखा; यHक 'जतने मनुंय जीवत हE उन सब क आदमाता वह: हुई। 21 और यहोवा परमे र ने आदम और उसक प^ी के िलथे चमड़े के अंगरखे बनाकर उनको पहना दए। 22 फर यहोवा परमे र ने कहा, मनुंय भले बुरे का Wान पाकर हम म से एक के समान हो गया है : इसिलथे अब ऐसा न हो, क वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृझ का फल भी तोड़ के खा ले और सदा जीवत रहे । 23 तब यहोवा परमे र ने उसको अदन क बाटका म से िनकाल दया क वह उस भूिम पर खेती करे 'जस मे से वह बनाया गया या। 24

इसिलथे आदम को उस ने िनकाल दया और जीवन के वृझ के मागO का पहरा दे ने के िलथे अदन क बाटका के पूवO क ओर कdबHको, और चारHओर घूमनेवाली Gवालामय तलवार को भी िनयुf कर दया।। उप 4 1 जब आदम अप क प^ी हeवा के पास गया तब उस ने गभOवती होकर कैन को ज(म दया और कहा, मै ने यहोवा क सहाथता से एक पुRष पाया है । 2 फर वह उसके भाई हाबल को भी ज(मी, और हाबल तो भेड़-बकgरयHका चरवाहा बन गया, पर(तु कैन भूिम क खे ती करने वाला कसान बना। 3 कुछ दनHके प_ात ् कैन यहोवा के पास भूिम क उपज म से कुछ भ ट ले आया। 4 और हाबल भी अप क भेड़-बकgरयHके कई एक पहलौठे ब.चे भ ट चढ़ाने ले आया और उनक चबh भ ट चढ़ाई; तब यहोवा ने हाबल और उसक भ ट को तो महण कया, 5 पर(तु कैन और उसक भ ट को उस ने महण न कया। तब कैन अित बोिधत हुआ, और उसके मुह ं पर उदासी छा गई। 6 तब यहोवा ने कैन से कहा, तू यHबोिधत हुआ ? और तेरे मुह ं पर उदासी यHछा गई है ? 7 यद तू भला करे , तो या तेर: भ ट महण न क जाएगी ? और यद तू भला न करे , तो पाप kार पर िछपा रहता है , और उसक लालसा तेर: और होगी, और तू उस पर ूभुता करे गा। 8 तब कैन ने अपके भाई हाबल से कुछ कहा : और जब वे मैदान म थे, तब कैन ने अपके भाई हाबल पर चढ़कर उसे घात कया। 9 तब यहोवा ने कैन से पूछा, तेरा भाई हाबल कहां है ? उस ने कहा मालूम नह:ं : या मै अपके भाई का रखवाला हंू ? 10 उस ने कहा, तू ने या कया है ? तेरे भाई का लोहू भूिम म से

मेर: ओर िच`लाकर मेर: दोहाई दे रहा है ! 11 इसिलथे अब भूिम 'जस ने तेरे भाई का लोहू तेरे हाथ से पीने के िलथे अपना मुह ं खोला है , उसक ओर से तू शापत है । 12 चाहे तू भूिम पर खे ती करे , तौभी उसक पूर: उपज फर तुझे न िमलेगी, और तू पृवी पर बहे तू और भगोड़ा होगा। 13 तब कैन ने यहोवा से कहा, मेरा द+ड सहने से बाहर है । 14 दे ख, तू ने आज के दन मुझे भूिम पर से िनकाला है और मै तेर: l क आड़ मे रहूंगा और पृवी पर बहे तू और भगोड़ा रहूंगा; और जो कोई मुझे पाएगा, मुझे घात करे गा। 15 इस कारण यहोवा ने उस से कहा, जो कोई कैन को घात करे गा उस से सात गुणा पलटा िलया जाएगा। और यहोवा ने कैन के िलथे एक िच(ह ठहराया ऐसा ने हो क कोई उसे पाकर मार डाले।। 16 तब कैन यहोवा के सSमुख से िनकल गया, और नोm नाम दे श म , जो अदन के पूवO क ओर है , रहने लगा। 17 जब कैन अप क प^ी के पास गया जब वह गभOवती हुई और हनोक को ज(मी, फर कैन ने एक नगर बसाया और उस नगर का नाम अपके पुऽ के नाम पर हनोक रखा। 18 और हनोक से ईराद उप(न हुआ, और ईराद ने महूयाएल को ज(म दया, और महूयाएल ने मतूशाएल को, और मतूशाएल ने लेमेक को ज(म दया। 19 और लेमेक ने दो '\यां cयाह ली : 'जन म से एक का नाम आदा, और दस ू र: को िस`ला है । 20 और आदा ने याबाल को ज(म दया। वह तSबुओं म रहना और जानवरHका पालन इन दोनो र:ितयHका उपादक हुआ। 21 और उसके भाई का नाम यूबाल है : वह वीणा और बांसरु : आद बाजHके बजाने क सार: र:ित का उपादक हुआ। 22 और िस`ला ने भी तूब`कैन नाम एक पुऽ को ज(म दया : वह पीतल और लोहे के सब धारवाले हिययारHका गढ़नेवाला हुआ: और तूब`कैन क बहन नामा यी। 23 और लेमेक

ने अप क प'^यHसे कहा, हे आदा और हे िस`ला मेर: सुनो; हे लेमेक क प'^यH, मेर: बात पर कान लगाओ: मEने एक पुRष को जो मेरे चोट लगाता या, अयाOत ् एक जवान को जो मुझे घायल करता या, घात कया है । 24 जब कैन का पलटा सातगुणा िलया जाएगा। तो लेमेक का सतहरगुणा िलया जाएगा। 25 और आदम अप क प^ी के पास फर गया; और उस ने एक पुऽ को ज(म दया और उसका नाम यह कह के शेत रखा, क परमे र ने मेरे िलथे हाबल क स(ती, 'जसको कैन ने घात कया, एक और वंश ठहरा दया है । 26 और शेत के भी एक पुऽ उप(न हुआ; और उस ने उसका नाम एनोश रखा, उसी समय से लोग यहोवा से ूायOना करने लगे।। उप 5 1 आदम क वंशावली यह है । जब परमे र ने मनुंय क सृ क तब अपके ह: ःवRप म उसको बनाया; 2 उस ने नर और नार: करके मनुंयHक सृ क और उ(ह आशीष द:, और उनक सृ के दन उनका नाम आदम रखा। 3 जब आदम एक सौ तीस वषO का हुआ, तब उसके kारा उसक समानता म उस ह: के ःवRप के अनुसार एक पुऽ उप(न हुआ उसका नाम शेत रखा। 4 और शेत के ज(म के प_ात ् आदम आठ सौ वषO जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुL। 5 और आदम क कुल अवःया नौ सौ तीस वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 6 जब शेत एक सौ पांच वषO का हुआ, तब उस ने एनोश को ज(म दया। 7 और एनोश के ज(म के प_ात ् शेत आठ सौ सात वषO जीवत रहा, और उसके और भी बे टे बेटयां उप(न हुL। 8 और शेत क कुल अवःया नौ सौ बारह वषO

क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 9 जब एनोश नcबे वषO का हुआ, तब उस ने केनान को ज(म दया। 10 और केनान के ज(म के प_ात ् एनोश आठ सौ प(िह वषO जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बे टयां हुई। 11 और एनोश क कुल अवःया नौ सौ पांच वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 12 जब केनान सर वषO का हुआ, तब उस ने महललेल को ज(म दया। 13 और महललेल के ज(म के प_ात ् केनान आठ सौ चालीस वषO जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बे टयां उप(न हुई। 14 और केनान क कुल अवःया नौ सौ दस वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 15 जब महललेल पEसठ वषO का हुआ, तब उस ने थेरेद को ज(म दया। 16 और थेरेद के ज(म के प_ात ् महललेल आठ सौ तीस वषO जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई। 17 और महललेल क कुल अवःया आठ सौ पंचानवे वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 18 जब थेरेद एक सौ बासठ वषO का हुआ, जब उस ने हनोक को ज(म दया। 19 और हनोक के ज(म के प_ात ् थेरेद आठ सौ वषO जीवत रहा, और उसके और भी बे टे बे टयां उप(न हुई। 20 और थेरेद क कुल अवःया नौ सौ बासठ वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया। 21 जब हनोक पEसठ वषO का हुआ, तब उस ने मतूशेलह को ज(म दया। 22 और मतूशेलह के ज(म के प_ात ् हनोक तीन सौ वषO तक परमे र के साय साय चलता रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई। 23 और हनोक क कुल अवःया तीन सौ पEसठ वषO क हुई। 24 और हनोक परमे र के साय साय चलता या; फर वह लोप हो गया यHक परमे र ने उसे उठा िलया। 25 जब मतूशेलह एक सौ सासी वषO का हुआ, तब उस ने लेमेक को ज(म दया। 26 और लेमेक के ज(म के प_ात ् मतूशेलह सात सौ बयासी वषO

जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई। 27 और मतूशेलह क कुल अवःया नौ सौ उनहर वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 28 जब लेमेक एक सौ बयासी वषO का हुआ, तब उस ने एक पुऽ ज(म दया। 29 और यह कहकर उसका नाम नूह रखा, क यहोवा ने जो पृवी को शाप दया है , उसके वषय यह लड़का हमारे काम म , और उस कठन पgरnम म जो हम करते हE , हम को शा'(त दे गा। 30 और नूह के ज(म के प_ात ् लेमेक पांच सौ पंचानवे वषO जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई। 31 और लेमेक क कुल अवःया सात सौ सतहर वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 32 और नूह पांच सौ वषO का हुआ; और नूह ने शेम, और हाम और थेपेत को ज(म दया।। उप 6 1 फर जब मनुंय भूिम के ऊपर बहुत बढ़ने लगे, और उनके बेटयां उप(न हुई, 2 तब परमे र के पुऽHने मनुंय क पुऽयHको दे खा, क वे सु(दर हE ; सो उ(हHने 'जस 'जसको चाहा उन से cयाह कर िलया। 3 और यहोवा ने कहा, मेरा आमा मनुंय से सदा लHववाद करता न रहे गा, यHक मनुंय भी शर:र ह: है : उसक आयु एक सौ बीस वषO क होगी। 4 उन दनHम पृवी पर दानव रहते थे; और इसके प_ात ् जब परमे र के पुऽ मनुंय क पुऽयHके पास गए तब उनके kारा जो स(तान उप(न हुए, वे पुऽ शूरवीर होते थे, 'जनक कर ् ूाचीनकाल से ूचिलत है । 5 और यहोवा ने दे खा, क मनुंयHक बुराई पृवी पर बढ़ गई है , और उनके मन के वचार म जो कुछ उप(न होता है सो िनर(तर बुरा ह: होता है । 6 और यहोवा पृवी पर मनुंय को बनाने से पछताया, और वह मन म अित

खेदत हुआ। 7 तब यहोवा ने सोचा, क मै मनुंय को 'जसक मै ने सृ क है पृवी के ऊपर से िमटा दं ग ू ा यHक मE उनके बनाने से पछताता हूं। 8 पर(तु यहोवा के अनुमह क l नूह पर बनी रह:।। 9 नूह क वंशावली यह है । नूह धमh पुRष और अपके समय के लोगHम खरा या, और नूह परमे र ह: के साय साय चलता रहा। 10 और नूह से, शेम, और हाम, और थेपेत नाम, तीन पुऽ उप(न हुए। 11 उस समय पृवी परमे र क l म बगड़ गई यी, और उपिव से भर गई यी। 12 और परमे र ने पृवी पर जो l क तो या दे खा, क वह बगड़: हुई है ; यHक सब ूा'णयHने पृवी पर अप क अप क चाल चलन बगाड़ ली यी। 13 तब परमे र ने नूह से कहा, सब ूा'णयHके अ(त करने का ूo मेरे साSहने आ गया है ; यHक उनके कारण पृवी उपिव से भर गई है , इसिलथे मै उनको पृवी समेत नाश कर डालूग ं ा। 14 इसिलथे तू गोपेर वृझ क लकड़: का एक जहाज बना ले, उस म कोठgरयां बनाना, और भीतर बाहर उस पर राल लगाना। 15 और इस ढं ग से उसको बनाना : जहाज क लSबाई तीन सौ हाथ, चौड़ाई पचास हाथ, और ऊंचाई तीस हाथ क हो। 16 जहाज म एक 'खड़क बनाना, और इसके एक हाथ ऊपर से उसक छत बनाना, और जहाज क एक अलंग म एक kार रखना, और जहाज म पहला, दस ू रा, तीसरा ख+ड बनाना। 17 और सुन, मE आप पृवी पर जलूलय करके सब ूा'णयHको, 'जन म जीवन क आमा है , आकाश के नीचे से नाश करने पर हूं : और सब जो पृवी पर है मर जाएंगे। 18 पर(तु ते रे संग मै वाचा बा(धता हंू : इसिलथे तू अपके पुऽH, \ी, और बहुओं समेत जहाज म ूवेश करना। 19 और सब जीवत ूा'णयHम से, तू एक एक जाित के दो दो, अयाOत ् एक नर और एक मादा जहाज म ले जाकर, अपके

साय जीवत रखना। 20 एक एक जाित के प क, और एक एक जाित के पशु, और एक एक जाित के भूिम पर र गनेवाले, सब म से दो दो ते रे पास आएंगे, क तू उनको जीवत रखे । 21 और भांित भांित का भोGय पदायO जो खाया जाता है , उनको तू लेकर अपके पास इक=ठा कर रखना सो तेरे और उनके भोजन के िलथे होगा। 22 परमे र क इस आWा के अनुसार नूह ने कया। उप 7 1 और यहोवा ने नूह से कहा, तू अपके सारे घराने समेत जहाज म जा; यHक मै ने इस समय के लोगHम से केवल तुझी को अप क l म धमh दे खा है । 2 सब जाित के शुa पशुओं म से तो तू सात सात, अयाOत ् नर और मादा लेना : पर जो पशु शुa नह:ं है , उन म से दो दो लेना, अयाOत ् नर और मादा : 3 और आकाश के प'झयHम से भी, सात सात, अयाOत ् नर और मादा लेना : क उनका वंश बचकर सार: पृवी के ऊपर बना रहे । 4 यHक अब सात दन और बीतने पर मE पृवी पर चालीस दन और चालीस रात तक जल बरसाता रहंू गा; 'जतनी वःतुएं मE ने बनाL है सब को भूिम के ऊपर से िमटा दं ग ू ा। 5 यहोवा क इस आWा के अनुसार नूह ने कया। 6 नूह क अवःया छ: सौ वषO क यी, जब जलूलय पृवी पर आया। 7 नूह अपके पुऽH, प^ी और बहुओं समेत, जलूलय से बचने के िलथे जहाज म गया। 8 और शुa, और अशुa दोनो ूकार के पशुओं म से, प'झयH, 9 और भूिम पर र गनेवालHम से भी, दो दो, अयाOत ् नर और मादा, जहाज म नूह के पास गए, 'जस ूकार परमे र ने नूह को आWा द: यी। 10 सात दन के उपरा(त ूलय का जल पृवी पर आने लगा। 11 जब नूह क अवःया के छ: सौव वषO के

दस ू रे मह:ने का सरहवां दन आया; उसी दन बड़े गहरे समुि के सब सोते फूट िनकले और आकाश के फरोखे खुल गए। 12 और वषाO चालीस दन और चालीस रात िनर(तर पृवी पर होती रह:। 13 ठqक उसी दन नूह अपके पुऽ शेम, हाम, और थेपेत, और अप क प^ी, और तीनHबहुओं समेत, 14 और उनके संग एक एक जाित के सब बनैले पशु, और एक एक जाित के सब घरे लू पशु, और एक एक जाित के सब पृवी पर र गनेवाले, और एक एक जाित के सब उड़नेवाले प क, जहाज म गए। 15 'जतने ूा'णयHम जीवन क आमा यी उनक सब जाितयHम

से दो दो नूह के पास जहाज म गए। 16 और जो गए, वह परमे र क आWा के अनुसार सब जाित के ूा'णयHम से नर और मादा गए। तब यहोवा ने उसका kार ब(द कर दया। 17 और पृवी पर चालीस दन तक ूलय होता रहा; और पानी बहुत बढ़ता ह: गया 'जस से जहाज ऊपर को उठने लगा, और वह पृवी पर से ऊंचा उठ गया। 18 और जल बढ़ते बढ़ते पृवी पर बहुत ह: बढ़ गया, और जहाज जल के ऊपर ऊपर तैरता रहा। 19 और जल पृवी पर अय(त बढ़ गया, यहां तक क सार: धरती पर 'जतने बड़े बड़े पहाड़ थे, सब डू ब गए। 20 जल तो प(िह हाथ ऊपर बढ़ गया, और पहाड़ भी डू ब गए 21 और या प क, या घरे लू पशु, या बनैले पशु, और पृवी पर सब चलनेवाले ूाणी, और 'जतने ज(तु पृवी मे बहुतायत से भर गए थे, वे सब, और सब मनुंय मर गए। 22 जो जो ःयल पर थे उन म से 'जतनHके नयनHम जीवन का ास या, सब मर िमटे । 23 और या मनुंय, या पशु, या र गनेवाले ज(तु, या आकाश के प क, जो जो भूिम पर थे, सो सब पृवी पर से िमट गए; केवल नूह, और 'जतने उसके संग जहाज म थे, वे ह: बच गए। 24 और जल पृवी पर एक सौ पचास दन तक ूबल रहा।।

उप 8 1 और परमे र ने नूह क, और 'जतने बनैले पशु, और घरे लू पशु उसके संग जहाज म थे, उन सभHक सुिध ली : और परमे र ने पृवी पर पवन बहाई, और जल घटने लगा। 2 और गहरे समुि के सोते और आकाश के फरोखे बंद हो गए; और उस से जो वषाO होती यी सो भी यम गई। 3 और एक सौ पचास दन के पशचात ् जल पृवी पर से लगातार घटने लगा। 4 सातव मह:ने के सरहव दन को, जहाज अरारात नाम पहाड़ पर टक गया। 5 और जल दसव मह:ने तक घटता चला गया, और दसव मह:ने के पहले दन को, पहाड़Hक चोटयाँ दखलाई द:ं। 6 फर ऐसा हुआ क चालीस दन के प_ात ् नूह ने अपके बनाए हुए जहाज क 'खड़क को खोलकर, एक कौआ उड़ा दया : 7 जब तक जल पृवी पर से सूख न गया, तब तक कौआ इधर उधर फरता रहा। 8 फर उस ने अपके पास से एक कबूतर: को उड़ा दया, क दे ख क जल भूिम से घट गया क नह:ं। 9 उस कबूतर: को अपके पैर के तले टे कने के िलथे कोई आधार ने िमला, सो वह उसके पास जहाज म लौट आई : यHक सार: पृवी के ऊपर जल ह: जल छाया या तब उस ने हाथ बढ़ाकर उसे अपके पास जहाज म ले िलया। 10 तब और सात दन तक ठहरकर, उस ने उसी कबूतर: को जहाज म से फर उड़ा दया। 11 और कबूतर: सांफ के समय उसके पास आ गई, तो या दे खा क उसक चHच म

जलपाई का एक नया पा है ; इस से नूह ने जान िलया, क जल पृवी पर घट गया है । 12 फर उस ने सात दन और ठहरकर उसी कबूतर: को उड़ा दया; और वह उसके पास फर कभी लौटकर न आई। 13 फर ऐसा हुआ क छ: सौ एक वषO के पहले मह:ने के पहले दन जल पृवी पर से सूख गया। तब नूह ने जहाज क

छत खोलकर या दे खा क धरती सूख गई है । 14 और दस ू रे मह:ने के सताईसव

दन को पृवी पूर: र:ित से सूख गई।। 15 तब परमे र ने, नूह से कहा, 16 तू अपके पुऽH, प^ी, और बहुओं समेत जहाज म से िनकल आ। 17 या प क, या पशु, या सब भांित के र गनेवाले ज(तु जो पृवी पर र गते हE , 'जतने शर:रधार: जीवज(तु तेरे संग हE , उस सब को अपके साय िनकाल ले आ, क पृवी पर उन से बहुत ब.चे उप(न हH; और वे फूल -फल , और पृवी पर फैल जाएं। 18 तब नूह, और उसके पुऽ, और प^ी, और बहुएं, िनकल आL : 19 और सब चौपाए, र गनेवाले ज(तु, और प क, और 'जतने जीवज(तु पृवी पर चलते फरते हE , सो सब जाित जाित करके जहाज म से िनकल आए। 20 तब नूह ने यहोवा के िलथे एक वेद: बनाई; और सब शुa पशुओं, और सब शुa प'झयHम से, कुछ कुछ लेकर वे द: पर होमबिल चढ़ाया। 21 इस पर यहोवा ने सुखदायक सुग(ध पाकर सोचा, क मनुंय के कारण मE फर कभी भूिम को शाप न दं ग ू ा, यrप मनुंय के मन म बचपन से जो कुछ उप(न होता है सो बुरा ह: होता है ; तौभी जैसा मE ने सब जीवHको अब मारा है , वैसा उनको फर कभी न माRंगा। 22 अब से जब तक पृवी बनी रहे गी, तब तक बोने और काटने के समय, ठ+ड और तपन, धूपकाल और शीतकाल, दन और रात, िनर(तर होते चले जाएंगे।। उप 9 1 फर परमे र ने नूह और उसके पुऽHको आशीष द: और उन से कहा क फूलो-फलो, और बढ़ो, और पृवी म भर जाओ। 2 और तुSहारा डर और भय पृवी के सब पशुओं, और आकाश के सब प'झयH, और भूिम पर के सब

र गनेवाले ज(तुओं, और समुि क सब मछिलयHपर बना रहे गा : वे सब तुSहारे वश म कर दए जाते हE । 3 सब चलनेवाले ज(तु तुSहारा आहार हHगे; जैसा तुम को हरे हरे छोटे पेड़ दए थे, वैसा ह: अब सब कुछ दे ता हंू । 4 पर मांस को ूाण समेत अयाOत ् लोहू समेत तुम न खाना। 5 और िन_य मE तुSहारा लोहू अयाOत ् ूाण का पलटा लूग ं ा : सब पशुओं, और मनुंयH, दोनHसे मE उसे लूग ं ा : मनुंय के ूाण का पलटा मै एक एक के भाई ब(धु से लूग ं ा। 6 जो कोई मनुंय का लोहू बहाएगा उसका लोहू मनुंय ह: से बहाथा जाएगा यHक परमे र ने मनुंय को अपके ह: ःवRप के अनुसार बनाया है । 7 और तुम तो फूलो-फलो, और बढ़ो, और पृवी म बहुत ब.चे ज(मा के उस म भर जाओ।। 8 फर परमे र ने नूह और उसके पुऽHसे कहा, 9 सुनH, मE तुSहारे साय और तुSहारे प_ात ् जो तुSहारा वंश होगा, उसके साय भी वाचा बा(धता हंू । 10 और सब जीवत ूा'णयHसे भी जो तुSहारे संग है या प क या घरे लू पशु, या पृवी के सब बनैले पशु, पृवी के 'जतने जीवज(तु जहाज से िनकले हE ; सब के साय भी मेर: यह वाचा ब(धती है : 11 और मै तुSहारे साय अप क इस वाचा को पूरा कRंगा; क सब ूाणी फर जलूलय से नाश न हHगे : और पृवी के नाश करने के िलथे फर जलूलय न होगा। 12 फर परमे र ने कहा, जो वाचा मै तुSहारे साय, और 'जतने जीवत ूाणी तुSहारे संग हE उन सब के साय भी युग युग क पीढय़Hके िलथे बा(धता हंू ; उसका यह िच(ह है : 13 क मE ने बादल मे अपना धनुष रखा है वह मेरे और पृवी के बीच म वाचा का िच(ह होगा। 14 और जब मE पृवी पर बादल फैलाऊं जब बादल म धनुष दे ख पकेगा। 15 तब मेर: जो वाचा तुSहारे और सब जीवत शर:रधार: ूा'णयHके साय बा(धी है ; उसको मE ःमरण कRंगा, तब ऐसा

जलूलय फर न होगा 'जस से सब ूा'णयHका वनाश हो। 16 बादल म जो धनुष होगा मE उसे दे ख के यह सदा क वाचा ःमरण कRंगा जो परमे र के और पृवी पर के सब जीवत शर:रधार: ूा'णयHके बीच ब(धी है । 17 फर परमे र ने नूह से कहा जो वाचा मE ने पृवी भर के सब ूा'णयHके साय बा(धी है , उसका िच(ह यह: है ।। 18 नूह के जो पुऽ जहाज म से िनकले, वे शेम, हाम, और थेपेत थे : और हाम तो कनान का पता हुआ। 19 नूह के तीन पुऽ थे ह: हE , और इनका वंश सार: पृवी पर फैल गया। 20 और नूह कसानी करने लगा, और उस ने दाख क बार: लगाई। 21 और वह दाखमधु पीकर मतवाला हुआ; और अपके तSबू के भीतर नंगा हो गया। 22 तब कनान के पता हाम ने, अपके पता को नंगा दे खा, और बाहर आकर अपके दोनHभाइयHको बतला दया। 23 तब शेम और थेपेत दोनHने कपड़ा लेकर अपके क(धHपर रखा, और पीछे क ओर उलटा चलकर अपके पता के नंगे तन को ढ़ाप दया, और वे अपना मुख पीछे कए हुए थे इसिलथे उ(हHने अपके पता को नंगा न दे खा। 24 जब नूह का नशा उतर गया, तब उस ने जान िलया क उसके छोटे पुऽ ने उस से या कया है । 25 इसिलथे उस ने कहा, कनान शापत हो : वह अपके भाई ब(धुओं के दासHका दास हो। 26 फर उस ने कहा, शेम का परमे र यहोवा ध(य है , और कनान शेम का दास होवे। 27 परमे र थेपेत के वंश को फैलाए; और वह शेम के तSबुओं मे बसे, और कनान उसका दास होवे। 28 जलूलय के प_ात ् नूह साढ़े तीन सौ वषO जीवत रहा। 29 और नूह क कुल अवःया साढ़े नौ सौ वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया। उप 10

1 नूह के पुऽ जो शेम, हाम और थेपेत थे उनके पुऽ जलूलय के प_ात ् उप(न हुए : उनक वंशावली यह है ।। 2 थेपेत के पुऽ : गोमेर, मागोग, मादै , यावान, तूबल, मेशेक, और तीरास हुए। 3 और गोमेर के पुऽ : अशकनज, र:पत, और तोगमाO हुए। 4 और यावान के वंश म एलीशा, और तशhश, और की, और दोदानी लोग हुए। 5 इनके वंश अ(यजाितयHके k:पHके दे शHम ऐसे बंट गए, क वे िभ(न िभ(न भाषाओं, कुलH, और जाितयHके अनुसार अलग अलग हो गए।। 6 फर हाम के पुऽ : कूश, और िमॐ, और फूत और कनान हुए। 7 और कूश के पुऽ सबा, हवीला, सबता, रामा, और सबूतका हुए : और रामा के पुऽ शबा और ददान हुए। 8 और कूश के वंश म िनॆोद भी हुआ; पृवी पर पहला वीर वह: हुआ है । 9 वह: यहोवा क l म पराबमी िशकार खेलनेवाला ठहरा, इस से यह कहावत च क है ; क िनॆोद के समान यहोवा क l म पराबमी िशकार खे लनेवाला। 10 और उसके राGय का आरSभ िशनार दे श म बाबुल, अ कद, और कलने हुआ। 11 उस दे श से वह िनकलकर अँशूर ् को गया, और नीनवे, रहोबोतीर, और कालह को, 12 और नीनवे और कालह के बीच रे सेन है , उसे भी बसाया, बड़ा नगर यह: है । 13 और िमॐ के वंश म लूद:, अनामी, लहाबी, नTूह:, 14 और पऽुसी, कसलूह:, और कTोर: लोग हुए, कसलूहयHमे से तो पिलँती लोग िनकले।। 15 फर कनान के वंश म उसका Gथेv सीदोन, तब ह, 16 और यबूसी, एमोर:, िगगाOशी, 17 हeवी, अकw, सीनी, 18 अवOद:, समार:, और हमाती लोग भी हुए : फर कनािनयHके कुल भी फैल गए। 19 और कनािनयHका िसवाना सीदोन से लेकर गरार के मागO से होकर अGजा तक और फर सदोम और अमोरा और अदमा और सबोयीम के मागO से होकर लाशा तक हुआ। 20 हाम के वंश म थे ह:

हुए; और थे िभ(न िभ(न कुलH, भाषाओं, दे शH, और जाितयHके अनुसार अलग अलग हो गए।। 21 फर शेम, जो सब एबेरवंिशयHका मूलपुRष हुआ, और जो थेपेत का Gथेv भाई या, उसके भी पुऽ उप(न हुए। 22 शेम के पुऽ : एलाम, अँशूर,् अपOझm, लूद और आराम हुए। 23 और आराम के पुऽ : ऊस, हूल, गेतेर और मश हुए। 24 और अपOझm ने शेलह को, और शेलह ने एबेर को ज(म दया। 25 और एबेर के दो पुऽ उप(न हुए, एक का नाम पेलेग इस कारण रखा गया क उसके दनHम पृवी बंट गई, और उसके भाई का नाम योfान है । 26 और योfान ने अ`मोदाद, शेलेप, हसमाOवेत, थेरह, 27 यदोरवाम, ऊजाल, द ला, 28 ओबाल, अबीमाएल, शबा, 29 ओपीर, हवीला, और योबाब को ज(म दया : थे ह: सब योfान के पुऽ हुए। 30 इनके रहने का ःयान मेशा से लेकर सपारा जो पूवO म

एक पहाड़ है , उसके मागO तक हुआ। 31 शेम के पुऽ थे ह: हुए; और थे िभ(न िभ(न कुलH, भाषाओं, दे शHऔर जाितयHके अनुसार अलग अलग हो गए।। 32 नूह के पुऽHके घराने थे ह: हE : और उनक जाितयHके अनुसार उनक वंशाविलयां थे ह: हE ; और जलूलय के प_ात ् पृवी भर क जाितयां इ(ह:ं म से होकर बंट गई।। उप 11 1 सार: पृवी पर एक ह: भाषा, और एक ह: बोली यी। 2 उस समय लोग पूवO क और चलते चलते िशनार दे श म एक मैदान पाकर उस म बस गए। 3 तब वे आपस म कहने लगे , क आओ; हम Lट बना बना के भली भं◌ाित आग म

पकाएं, और उ(हHने पयर के ःयान म Lट से, और चूने के ःयान म िम=ट: के गारे से काम िलया। 4 फर उ(हHने कहा, आओ, हम एक नगर और एक गुSमट

बना ल , 'जसक चोट: आकाश से बात करे , इस ूकार से हम अपना नाम कर

ऐसा न हो क हम को सार: पृवी पर फैलना पके। 5 जब लोग नगर और गुSमट बनाने लगे; तब इ(ह दे खने के िलथे यहोवा उतर आया। 6 और यहोवा ने कहा, मE या दे खता हंू , क सब एक ह: दल के हE और भाषा भी उन सब क एक ह: है , और उ(हHने ऐसा ह: काम भी आरSभ कया; और अब 'जतना वे करने का य^ कर गे, उस म से कुछ उनके िलथे अनहोना न होगा। 7 इसिलथे आओ, हम उतर के उनक भाषा म बड़: गड़बड़: डाल , क वे एक दस ू रे क बोली को न समझ सक । 8 इस ूकार यहोवा ने उनको, वहां से सार: पृवी के ऊपर फैला दया; और उ(हHने उस नगर का बनाना छोड़ दया। 9 इस कारण उस नगर को नाम बाबुल पड़ा; यHक सार: पृवी क भाषा म जो गड़बड़: है , सो यहोवा ने वह:ं डाली, और वह:ं से यहोवा ने मनुंयHको सार: पृवी के ऊपर फैला दया।। 10 शेम क वंशावली यह है । जल ूलय के दो वषO प_ात ् जब शेम एक सौ वषO का हुआ, तब उस ने अपOझm को ज(म दया। 11 और अपOझm ने ज(म के प_ात ् शेम पांच सौ वषO जीवत रहा; और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई।। 12 जब अपOझm पEतीस वषO का हुआ, तब उस ने शेलह को ज(म दया। 13 और शेलह के ज(म के प_ात ् अपOझm चार सौ तीन वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बे टयां उप(न हुई।। 14 जब शेलह तीस वषO का हुआ, तब उसके kारा एबे र को ज(म हुआ। 15 और एबेर के ज(म के प_ात ् शेलह चार सौ तीन वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई।। 16 जब एबेर चxतीस वषO का हुआ, तब उसके kारा पे लेग का ज(म हुआ। 17 और पेलेग के ज(म के प_ात ् एबेर चार सौ तीस वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई।।

18 जब पेलेग तीस वषO को हुआ, तब उसके kारा R का ज(म हुआ। 19 और R के ज(म के प_ात ् पेलेग दो सौ नौ वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बे टे बे टयां उप(न हुई।। 20 जब R बीस वषO का हुआ, तब उसके kारा सRग का ज(म हुआ। 21 और सRग के ज(म के प_ात ् R दो सौ सात वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बे टयां उप(न हुई।। 22 जब सRग तीस वषO का हुआ, तब उसके kारा नाहोर का ज(म हुआ। 23 और नाहोर के ज(म के प_ात ् सRग दो सौ वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई।। 24 जब नाहोर उनतीस वषO का हुआ, तब उसके kारा तेरह का ज(म हुआ। 25 और ते रह के ज(म के प_ात ् नाहोर एक सौ उ(नीस वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बे टे बेटयां उप(न हुई।। 26 जब तक तेरह सर वषO का हुआ, तब तक उसके kारा अॄाम, और नाहोर, और हारान उप(न हुए।। 27 तेरह क यह वंशावली है । ते रह ने अॄाम, और नाहोर, और हारान को ज(म दया; और हारान ने लूत को ज(म दया। 28 और हारान अपके पता के साSहने ह:, कसदयHक ् े ऊर नाम नगर म , जो उसक ज(मभूिम यी, मर गया। 29 अॄाम और नाहोर ने '\यां cयाह लीं : अॄाम क प^ी का नाम तो सारै , और नाहोर क प^ी का नाम िम`का या, यह उस हारान क बेट: यी, जो िम`का और ियःका दोनHका पता या। 30 सारै तो बांफ यी; उसके संतान न हुई। 31 और तेरह अपना पुऽ अॄाम, और अपना पोता लूत जो हारान का पुऽ या, और अप क बहू सारै , जो उसके पुऽ अॄाम क प^ी यी इन सभHको लेकर कसदयHक ् े ऊर नगर से िनकल कनान दे श जाने को चला; पर हारान नाम दे श म पहुचकर वह:ं रहने लगा। 32 जब तेरह दो सौ पांच वषO का हुआ, तब वह हारान दे श म मर गया।।

उप 12 1 यहोवा ने अॄाम से कहा, अपके दे श, और अप क ज(मभूिम, और अपके पता के घर को छोड़कर उस दे श म चला जा जो मE तुझे दखाऊंगा। 2 और मE तुझ से एक बड़: जाित बनाऊंगा, और तुझे आशीष दं ग ू ा, और तेरा नाम बड़ा कRंगा, और तू आशीष का मूल होगा। 3 और जो तुझे आशीवाOद द , उ(ह मE आशीष दं ग ू ा; और जो तुझे कोसे, उसे मE शाप दं ग ू ा; और भूम+डल के सारे कुल ते रे kारा आशीष पाएंगे। 4 यहोवा के इस वचन के अनुसार अॄाम चला; और लूत भी उसके संग चला; और जब अॄाम हारान दे श से िनकला उस समय वह पचहर वषO का या। 5 सो अॄाम अप क प^ी सारै , और अपके भतीजे लूत को, और जो धन उ(हHने इक=ठा कया या, और जो ूाणी उ(हHने हारान म ूाT कए थे, सब को लेकर कनान दे श म जाने को िनकल चला; और वे कनान दे श म आ भी गए। 6 उस दे श के बीच से जाते हुए अॄाम शकेम म , जहां मोरे का बांज वृझ है , पंहुचा; उस समय उस दे श म कनानी लोग रहते थे। 7 तब यहोवा ने अॄाम को दशOन दे कर कहा, यह दे श मE तेरे वंश को दं ग ू ा : और उस ने वहां यहोवा के िलथे 'जस ने उसे दशOन दया या, एक वेद: बनाई। 8 फर वहां से कूच करके, वह उस पहाड़ पर आया, जो बेतेल के पूवO क ओर है ; और अपना तSबू उस ःयान म खड़ा कया 'जसक प'.छम क ओर तो बेतेल, और पूवO क ओर ऐ है ; और वहां भी उस ने यहोवा के िलथे एक वेद: बनाई : और यहोवा से ूायOना क 9 और अॄाम कूच करके द' खन दे श क ओर चला गया।। 10 और उस दे श म अकाल पड़ा : और अॄाम िमॐ दे श को चला गया क वहां परदे शी होकर रहे -- यHक दे श म

भयंकर अकाल पड़ा या। 11 फर ऐसा हुआ क िमॐ के िनकट पहंु चकर, उस ने

अप क प^ी सारै से कहा, सुन, मुझे मालूम है , क तू एक सु(दर \ी है : 12 इस कारण जब िमॐी तुझे दे ख गे, तब कह गे, यह उसक प^ी है , सो वे मुझ को तो मार डाल गे, पर तुझ को जीती रख ल गे। 13 सो यह कहना, क मE उसक बहन हंू ; 'जस से तेरे कारण मेरा क`याण हो और मेरा ूाण तेरे कारण बचे। 14 फर ऐसा हुआ क जब अॄाम िमॐ म आया, तब िमिॐयHने उसक प^ी को दे खा क यह अित सु(दर है । 15 और फरौन के हाकमHने उसको दे खकर फरौन के साSहने उसक ूशंसा क : सो वह \ी फरौन के घर म रखी गई। 16 और उस ने उसके कारण अॄाम क भलाई क; सो उसको भेड़-बकर:, गाय-बैल, दास-दािसयां, गदहे -गदहयां, और ऊंट िमले। 17 तब यहोवा ने फरौन और उसके घराने पर, अॄाम क प^ी सारै के कारण बड़: बड़: वपयां डालीं। 18 सो फरौन ने अॄाम को बुलवाकर कहा, तू ने मुझ से या कया है ? तू ने मुझे यHनह:ं बताया क वह तेर: प^ी है ? 19 तू ने यHकहा, क वह तेर: बहन है ? मE ने उसे अप क ह: प^ी बनाने के िलथे िलया; पर(तु अब अप क प^ी को लेकर यहां से चला जा। 20 और फरौन ने अपके आदिमयHको उसके वषय म

आWा द: और उ(हHने उसको और उसक प^ी को, सब सSप समेत जो उसका या, वदा कर दया।। उप 13 1 तब अॄाम अप क प^ी, और अप क सार: सSप लेकर, लूत को भी संग िलथे हुए, िमॐ को छोड़कर कनान के द' खन दे श म आया। 2 अॄाम भेड़-बकर:, गाय-बैल, और सोने-Rपे का बड़ा धनी या। 3 फर वह द' खन दे श से

चलकर, बे तेल के पास उसी ःयान को पहंु चा, जहां उसका तSबू पहले पड़ा या, जो बे तेल और ऐ के बीच म है । 4 यह ःयान उस वेद: का है , 'जसे उस ने पहले बनाई यी, और वहां अॄाम ने फर यहोवा से ूायOना क। 5 और लूत के पास भी, जो अॄाम के साय चलता या, भेड़-बकर:, गाय-बैल, और तSबू थे। 6 सो उस दे श म

उन दोनHक समाई न हो सक क वे इक=ठे रह : यHक उनके पास बहुत धन या इसिलथे वे इक=ठे न रह सके। 7 सो अॄाम, और लूत क भेड़-बकर:, और गाय-बैल के चरवाहHके बीच म फगड़ा हुआ : और उस समय कनानी, और पgरGजी लोग, उस दे श म रहते थे। 8 तब अॄाम लूत से कहने लगा, मेरे और तेरे बीच, और मेरे और तेरे चरवाहHके बीच म फगड़ा न होने पाए; यHक हम लोग भाई ब(धु हE । 9 या सारा दे श तेरे साSहने नह:ं? सो मुझ से अलग हो, यद तू बाL ओर जाए तो मE दहनी ओर जाऊंगा; और यद तू दहनी ओर जाए तो मE बाL ओर जाऊंगा। 10 तब लूत ने आंख उठाकर, यरदन नद: के पास वाली सार: तराई को दे खा, क वह सब िसंची हुई है । 11 जब तक यहोवा ने सदोम और अमोरा को नाश न कया या, तब तक सोअर के मागO तक वह तराई यहोवा क बाटका, और िमॐ दे श के समान उपजाऊ यी। 12 अॄाम तो कनान दे श म रहा, पर लूत उस तराई के नगरHम रहने लगा; और अपना तSबू सदोम के िनकट खड़ा कया। 13 सदोम के लोग यहोवा के लेखे म बड़े द ु और पापी थे। 14 जब लूत अॄाम से अलग हो गया तब उसके प_ात ् यहोवा ने अॄाम से कहा, आंख उठाकर 'जस ःयान पर तू है वहां से उर-द' खन, पूव-O प'_म, चारHओर l कर। 15 यHक 'जतनी भूिम तुझे दखाई दे ती है , उस सब को मE तुझे और तेरे वंश को युग युग के िलथे दं ग ू ा। 16 और मE ते रे वंश को पृवी क धूल के

कनकHक नाई बहुत कRंगा, यहां तक क जो कोई पृवी क धूल के कनकHको िगन सकेगा वह: ते रा वंश भी िगन सकेगा। 17 उठ, इस दे श क लSबाई और चौड़ाई म चल फर; यHक मE उसे तुझी को दं ग ू ा। 18 इसके पशचात ् अॄाम अपना तSबू उखाड़कर, मॆे के बांजHके बीच जो हे ॄोन म थे जाकर रहने लगा, और वहां भी यहोवा क एक वे द: बनाई।। उप 14 1 िशनार के राजा अॆापेल, और ए`लासार के राजा अयzक, और एलाम के राजा कदोलाOओमेर, और गोयीम के राजा ितदाल के दनHम ऐसा हुआ, 2 क उ(हHने सदोम के राजा बेरा, और अमोरा के राजा बशाO, और अदमा के राजा िशनाब, और सबोयीम के राजा शेमेबेर, और बेला जो सोअर भी कहलाता है , इन राजाओं के वRa युa कया। 3 इन पांचHने िसX:म नाम तराई म , जो खारे ताल के पास है , एका कया। 4 बारह वषO तक तो थे कदोलाOओमेर के अधीन रहे ; पर तेरहव वषO म

उसके वRa उठे । 5 सो चौदहव वषO म कदोलाOओमेर, और उसके संगी राजा आए, और अशतरोकनम म रपाइयHको, और हाम म जू'जयHको, और शबेकयाOतैम म

एिमयHको, 6 और सेईर नाम पहाड़ म होgरयHको, मारते मारते उस ए`पारान तक जो जंगल के पास है पहंु च गए। 7 वहां से वे लौटकर ए'(मशपात को आए, जो कादे श भी कहलाता है , और अमालेकयHके सारे दे श को, और उन एमोgरयHको भी जीत िलया, जो हससो(तामार म रहते थे। 8 तब सदोम, अमोरा, अदमा, सबोयीम, और बे ला, जो सोअर भी कहलाता है , इनके राजा िनकले, और िसX:म नाम तराई। म , उनके साय युa के िलथे पांित बा(धी। 9 अयाOत ् एलाम के राजा

कदोलाOओमेर, गोयीम के राजा ितदाल, िशनार के राजा अॆापे ल, और ए`लासार के राजा अयzक, इन चारHके वRa उन पांचHने पांित बा(धी। 10 िसX:म नाम तराई म जहां लसार िम=ट: के गड़हे ह: गड़हे थे; सदोम और अमोरा के राजा भागते भागते उन म िगर पके, और जो बचे वे पहाड़ पर भाग गए। 11 तब वे सदोम और अमोरा के सारे धन और भोजन वःतुओं को लूट लाट कर चले गए। 12 और अॄाम का भतीजा लूत, जो सदोम म रहता या; उसको भी धन समेत वे लेकर चले गए। 13 तब एक जन जो भागकर बच िनकला या उस ने जाकर इॄी अॄाम को समाचार दया; अॄाम तो एमोर: मॆे, जो एँकोल और आनेर का भाई या, उसके बांज वृझHके बीच म रहता या; और थे लोग अॄाम के संग वाचा बा(धे हुए थे। 14 यह सुनकर क उसका भतीजा ब(धुआई म गया है , अॄाम ने अपके तीन सौ अठारह िश'झत, युa कौशल म िनपुण दासHको लेकर जो उसके कुटु Sब म उप(न हुए थे, अ\ श\ धारण करके दान तक उनका पीछा कया। 15 और अपके दासHके अलग अलग दल बा(धकर रात को उन पर चढ़ाई करके उनको मार िलया और होबा तक, जो दिमँक क उर ओर है , उनका पीछा कया। 16 और सारे धन को, और अपके भतीजे लूत, और उसके धन को, और '\यHको, और सब ब(धुओं को, लौटा ले आया। 17 जब वह कदोलाOओमेर और उसके सायी राजाओं को जीतकर लौटा आता या तब सदोम का राजा शावे नाम तराई म , जो राजा क भी कहलाती है , उस से भ ट करने के िलथे आया। 18 जब शालेम का राजा मे`कसेदेक, जो परमूधान ई र का याजक या, रोट: और दाखमधु ले आया। 19 और उस ने अॄाम को यह आशीवाOद दया, क परमूधान ई र क ओर से, जो आकाश और पृवी का अिध कारनेी है , तू ध(य हो। 20 और ध(य है

परमूधान ई र, 'जस ने तेरे िोहयHको तेरे वश म कर दया है । तब अॄाम ने उसको सब का दशमांश दया। 21 जब सदोम के राजा ने अॄाम से कहा, ूा'णयHको तो मुझे दे , और धन को अपके पास रख। 22 अॄाम ने सदोम के राजा ने कहा, परमूधान ई र यहोवा, जो आकाश और पृवी का अिध कारनेी है , 23 उसक मE यह शपय खाता हंू , क जो कुछ तेरा है उस म से न तो मै एक सूत, और न जूती का ब(धन, न कोई और वःतु लूग ं ा; क तू ऐसा न कहने पाए, क अॄाम मेरे ह: कारण धनी हुआ। 24 पर जो कुछ इन जवानHने खा िलया है और उनका भाग जो मेरे साय गए थे; अयाOत ् आनेर, एँकोल, और मॆे मE नह:ं लौटाऊंगा वे तो अपना अपना भाग रख ल ।। उप 15 1 इन बातHके प_ात ् यहोवा को यह वचन दशOन म अॄाम के पास पहंु चा, क हे अॄाम, मत डर; तेर: ढाल और तेरा अय(त बड़ा फल मE हंू । 2 अॄाम ने कहा, हे ूभु यहोवा मE तो िनव{श हंू , और मेरे घर का वाgरस यह दिमँक एलीएजेर होगा, सो तू मुझे या दे गा ? 3 और अॄाम ने कहा, मुझे तो तू ने वंश नह:ं दया, और या दे खता हंू , क मेरे घर म उप(न हुआ एक जन मेरा वाgरस होगा। 4 तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहंु चा, क यह तेरा वाgरस न होगा, तेरा जो िनज पुऽ होगा, वह: तेरा वाgरस होगा। 5 और उस ने उसको बाहर ले जाके कहा, आकाश क ओर l करके तारागण को िगन, या तू उनको िगन सकता है ? फर उस ने उस से कहा, तेरा वंश ऐसा ह: होगा। 6 उस ने यहोवा पर व ास कया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे म धमO िगना। 7 और उस ने उस से

कहा मE वह: यहोवा हंू जो तुझे कसदयHक ् े ऊर नगर से बाहर ले आया, क तुझ को इस दे श का अिध कारने दं ।ू 8 उस ने कहा, हे ूभु यहोवा मE कैसे जानूं क मE इसका अिध कारनेी हंू गा ? 9 यहोवा ने उस से कहा, मेरे िलथे तीन वषO क एक कलोर, और तीन वषO क एक बकर:, और तीन वषO का एक म ढ़ा, और एक प+डु क और कबूतर का एक ब.चा ले। 10 और इन सभHको लेकर, उस ने बीच म

से दो टु कड़े कर दया, और टु कड़Hको आSहने-साSहने रखा : पर िचडय़ाओं को उस ने टु कड़े न कया। 11 और जब मांसाहार: प क लोयHपर फपके, तब अॄाम ने उ(ह उड़ा दया। 12 जब सूयO अःत होने लगा, तब अॄाम को भार: नींद आई; और दे खो, अय(त भय और अ(धकार ने उसे छा िलया। 13 तब यहोवा ने अॄाम से कहा, यह िन_य जान क तेरे वंश पराए दे श म परदे शी होकर रह गे, और उसके दे श के लोगHके दास हो जाएंगे; और वे उनको चार सौ वषO लHद:ु ख द गे; 14 फर 'जस दे श के वे दास हHगे उसको मE द+ड दं ग ू ा : और उसके प_ात ् वे बड़ा धन वहां से लेकर िनकल आएंगे। 15 तू तो अपके पतरHम कुशल के साय िमल जाएगा; तुझे पूरे बुढ़ापे म िम=ट: द: जाएगी। 16 पर वे चौयी पीढ़: म यहां फर आएंगे : यHक अब तक एमोgरयHका अधमO पूरा नह:ं हुआ। 17 और ऐसा हुआ क जब सूयO अःत हो गया और घोर अ(धकार छा गया, तब एक अंगेठq 'जस म

से धुआं उठता या और एक जलता हुआ प कता दे ख पड़ा जो उन टु कड़Hके बीच म से होकर िनकल गया। 18 उसी दन यहोवा ने अॄाम के साय यह वाचा बा(धी, क िमॐ के महानद से लेकर परात नाम बड़े नद तक 'जतना दे श है , 19 अयाOत,् केिनयH, किन'GजयH, क|क़ोिनयH, 20 हयH, प क'GजयH, रपाइयH, 21 एमोgरयH, कनािनयH, िगगाOिशयHऔर यबूिसयHका दे श मE ने तेरे वंश को दया है ।।

उप 16 1 अॄाम क प^ी सारै के कोई स(तान न यी : और उसके हा'जरा नाम क एक िमॐी लxड: यी। 2 सो सारै ने अॄाम से कहा, दे ख, यहोवा ने तो मेर: कोख ब(द कर रखी है सो मE तुझ से बनती करती हूं क तू मेर: लxड: के पास जा : सSभव है क मेरा घर उसके kारा बस जाए। 3 सो सारै क यह बात अॄाम ने मान ली। सो जब अॄाम को कनान दे श म रहते दस वषO बीत चुके तब उसक \ी सारै ने अप क िमॐी लxड: हा'जरा को लेकर अपके पित अॄाम को दया, क वह उसक प^ी हो। 4 और वह हा'जरा के पास गया, और वह गभOवती हुई और जब उस ने जाना क वह गभOवती है तब वह अप क ःवािमनी को अप क l म

तु.छ समझने लगी। 5 तब सारै ने अॄाम से कहा, जो मुझ पर उपिव हुआ सो तेरे ह: िसर पर हो : मE ने तो अप क लxड: को तेर: प^ी कर दया; पर जब उस ने जाना क वह गभOवती है , तब वह मुझे तु.छ समझने लगी, सो यहोवा मेरे और तेरे बीच म (याय करे । 6 अॄाम ने सारै से कहा, दे ख तेर: लxड: तेरे वश म है : जैसा तुझे भला लगे वैसा ह: उसके साय कर। सो सारै उसको द:ु ख दे ने लगी और वह उसके साSहने से भाग गई। 7 तब यहोवा के दत ू ने उसके जंगल म शूर के मागO पर जल के एक सोते के पास पाकर कहा, 8 हे सारै क लxड: हा'जरा, तू कहां से आती और कहां को जाती है ? उस ने कहा, मE अप क ःवािमनी सारै के साSहने से भग आई हंू । 9 यहोवा के दत ू ने उस से कहा, अप क ःवािमनी के पास लौट जा और उसके वश म रह। 10 और यहोवा के दत ू ने उस से कहा, मE तेरे वंश को बहुत बढ़ाऊंगा, यहां तक क बहुतायत के कारण उसक गणना न हो सकेगी। 11 और यहोवा के दत ू ने उस से कहा, दे ख तू गभOवती है , और पुऽ

जनेगी, सो उसका नाम इँमाएल रखना; यHक यहोवा ने ते रे द:ु ख का हाल सुन िलया है । 12 और वह मनुंय बनैले गदहे के समान होगा उसका हाथ सबके वRa उठे गा, और सब के हाथ उसके वRa उठ गे; और वह अपके सब भाई ब(धुओं के म~य म बसा रहे गा। 13 तब उस ने यहोवा का नाम 'जस ने उस से बात क यीं, अाएलरोई रखकर कहा क, कया मE यहां भी उसको जाते हुए दे खने पाई जो मेरा दे खनेहारा है ? 14 इस कारण उस कुएं का नाम लहै रोई कुआं पड़ा; वह तो कादे श और बेरेद के बीच म है । 15 सो हा'जरा अॄाम के kारा एक पुऽ जनी : और अॄाम ने अपके पुऽ का नाम, 'जसे हा'जरा जनी, इँमाएल रखा। 16 जब हा'जरा ने अॄाम के kारा इँमाएल को ज(म दया उस समय अॄाम िछयासी वषO का या। उप 17 1 जब अॄाम िन(नानवे वषO का हो गया, तब यहोवा ने उसको दशOन दे कर कहा मE सवOशfमान ई र हंू ; मेर: उप'ःयित म चल और िसa होता जा। 2 और मE तेरे साय वाचा बा(धूग ं ा, और तेरे वंश को अय(त ह: बढ़ाऊंगा, और तेरे वंश को अय(त ह: बढ़ाऊंगा। 3 तब अॄाम मुह ं के बल िगरा : और परमे र उस से यHबात कहता गया, 4 दे ख, मेर: वाचा तेरे साय ब(धी रहे गी, इसिलथे तू जाितयHके समूह का मूलपता हो जाएगा। 5 सो अब से तेरा नाम अॄाम न रहे गा पर(तु तेरा नाम इॄाह:म होगा यHक मE ने तुझे जाितयHके समूह का मूलपता ठहरा दया है । 6 और मE तुझे अय(त ह: फुलाऊं फलाऊंगा, और तुझ को जाित जाित का मूल बना दं ग ू ा, और तेरे वंश म राजा उप(न हHगे। 7 और मE तेरे साय,

और ते रे प_ात ् पीढ़: पीढ़: तक तेरे वंश के साय भी इस आशय क युग युग क वाचा बा(धता हूं, क मE तेरा और तेरे प_ात ् तेरे वंश का भी परमे र रहूंगा। 8 और मE तुझ को, और तेरे प_ात ् तेरे वंश को भी, यह सारा कनान दे श, 'जस म तू परदे शी होकर रहता है , इस र:ित दं ग ू ा क वह युग युग उनक िनज भूिम रहे गी, और मE उनका परमे र रहंू गा। 9 फर परमे र ने इॄाह:म से कहा, तू भी मेरे साय बा(धी हुई वाचा का पालन करना; तू और तेरे प_ात ् तेरा वंश भी अप क अप क पीढ़: म उसका पालन करे । 10 मेरे साय बा(धी हुई वाचा, जो तुझे और तेरे प_ात ् तेरे वंश को पालनी पकेगी, सो यह है , क तुम म से एक एक पुRष का खतना हो। 11 तुम अप क अप क खलड़: का खतना करा लेना; जो वाचा मेरे और तुSहारे बीच म है , उसका यह: िच(ह होगा। 12 पीढ़: पीढ़: म केवल तेरे वंश ह: के लोग नह:ं पर जो तेरे घर म उप(न हH, वा परदे िशयHको Rपा दे कर मोल िलथे जाएं, ऐसे सब पुRष भी जब आठ दन के हHजाएं, तब उनका खतना कया जाए। 13 जो तेरे घर म उप(न हो, अयवा तेरे Rपे से मोल िलया जाए, उसका खतना अवँय ह: कया जाए; सो मेर: वाचा 'जसका िच(ह तुSहार: दे ह म होगा वह युग युग रहे गी। 14 जो पुRष खतनारहत रहे , अयाOत ् 'जसक खलड़: का खतना न हो, वह ूाणी अपके लोगHमे से नाश कया जाए, यHक उस ने मेरे साय बा(धी हुई वाचा को तोड़ दया।। 15 फर परमे र ने इॄाह:म से कहा, तेर: जो प^ी सारै है , उसको तू अब सारै न कहना, उसका नाम सारा होगा। 16 और मE उसको आशीष दं ग ू ा, और तुझ को उसके kारा एक पुऽ दं ग ू ा; और मE उसको ऐसी आशीष दं ग ू ा, क वह जाित जाित क मूलमाता हो जाएगी; और उसके वंश म

राGय राGय के राजा उप(न हHगे। 17 तब इॄाह:म मुह ं के बल िगर पड़ा और

हं सा, और अपके मन ह: मन कहने लगा, या सौ वषO के पुRष के भी स(तान होगा और या सारा जो नcबे वषO क है पुऽ जनेगी ? 18 और इॄाह:म ने परमे र से कहा, इँमाएल तेर: l म बना रहे ! यह: बहुत है । 19 तब परमे र ने कहा, िन_य तेर: प^ी सारा के तुझ से एक पुऽ उप(न होगा; और तू उसका नाम इसहाक रखना : और मE उसके साय ऐसी वाचा बा(धूग ं ा जो उसके प_ात ् उसके वंश के िलथे युग युग क वाचा होगी। 20 और इँमाएल के वषय म भी मै ने तेर: सुनी है : मE उसको भी आशीष दं ग ू ा, और उसे फुलाऊं फलाऊंगा और अय(त ह: बढ़ा दं ग ू ा; उस से बारह ूधान उप(न हHगे, और मE उस से एक बड़: जाित बनाऊंगा। 21 पर(तु मE अप क वाचा इसहाक ह: के साय बा(धूग ं ा जो सारा से अगले वषO के इसी िनयुf समय म उप(न होगा। 22 तब परमे र ने इॄाह:म से बात करनी ब(द कं और उसके पास से ऊपर चढ़ गया। 23 तब इॄाह:म ने अपके पुऽ इँमाएल को, उसके घर म 'जतने उप(न हुए थे, और 'जतने उसके Rपके से मोल िलथे गए थे, िनदान उसके घर म 'जतने पुRष थे, उन सभHको लेके उसी दन परमे र के वचन के अनुसार उनक खलड़: का खतना कया। 24 जब इॄाह:म क खलड़: का खतना हुआ तब वह िन(नानवे वषO का या। 25 और जब उसके पुऽ इँमाएल क खलड़: का खतना हुआ तब वह तेरह वषO का या। 26 इॄाह:म और उसके पुऽ इँमाएल दोनHका खतना एक ह: दन हुआ। 27 और उसके घर म 'जतने पुRष थे जो घर म उप(न हुए, तया जो परदे िशयHके हाथ से मोल िलथे गए थे, सब का खतना उसके साय ह: हुआ।। उप 18

1 इॄाह:म मॆे के बांजो के बीच कड़: धूप के समय तSबू के kार पर बैठा हुआ या, तब यहोवा ने उसे दशOन दया : 2 और उस ने आंख उठाकर l क तो या दे खा, क तीन पुRष उसके साSहने खड़े हE : जब उस ने उ(हे दे खा तब वह उन से भ ट करने के िलथे तSबू के kार से दौड़ा, और भूिम पर िगरकर द+डवत ् क और कहने लगा, 3 हे ूभु, यद मुझ पर तेर: अनुमह क l है तो मE बनती करता हंू , क अपके दास के पास से चले न जाना। 4 मE योड़ा सा जल लाता हूं और आप अपके पांव धोकर इस वृझ के तले वौम कर । 5 फर मE एक टु कड़ा रोट: ले आऊं और उस से आप अपके जीव को तृT कर ; तब उसके प_ात ् आगे बढ : यHक आप अपके दास के पास इसी िलथे पधारे हE । उ(हHने कहा, जैसा तू कहता है वैसा ह: कर। 6 सो इॄाह:म ने तSबू म सारा के पास फुतh से जाकर कहा, तीन सआ मैदा फुतh से गू(ध, और फुलके बना। 7 फर इॄाह:म गाय बैल के फु+ड म दौड़ा, और एक कोमल और अ.छा बछड़ा लेकर अपके सेवक को दया, और उसने फुतh से उसको पकाया। 8 तब उस ने म खन, और दध ू , और वह बछड़ा, जो उस ने पकवाया या, लेकर उनके आगे परोस दया; और आप वृझ के तले उनके पास खड़ा रहा, और वे खाने लगे। 9 उ(हHने उस से पूछा, तेर: प^ी सारा कहां है ? उस ने कहा, वह तो तSबू म है । 10 उस ने कहा मE वस(त ऋतु म िन_य ते रे पास फर आऊंगा; और तब तेर: प^ी सारा के एक पुऽ उप(न होगा। और सारा तSबू के kार पर जो इॄाह:म के पीछे या सुन रह: यी। 11 इॄाह:म और सारा दोनो बहुत बूढ़े थे; और सारा का \ीधमO ब(द हो गया या 12 सो सारा मन म हं स कर कहने लगी, मE तो बूढ़: हंू , और मेरा पित भी बूढ़ा है , तो या मुझे यह सुख होगा? 13 तब यहोवा ने इॄाह:म से कहा, सारा यह कहकर कयHहं सी, क या मेरे, जो ऐसी

बुढय़ा हो गई हंू , सचमुच एक पुऽ उप(न होगा? 14 या यहोवा के िलथे कोई काम कठन है ? िनयत समय म , अयाOत ् वस(त ऋतु म , मE तेरे पास फर आऊंगा, और सारा के पुऽ उप(न होगा। 15 तब सारा डर के मारे यह कहकर मुकर गई, क मE नह:ं हं सी। उस ने कहा, नह:ं; तू हं सी तो यी।। 16 फर वे पुRष वहां से चलकर, सदोम क ओर ताकने लगे : और इॄाह:म उ(ह वदा करने के िलथे उनके संग संग चला। 17 तब यहोवा ने कहा, यह जो मE करता हूं सो या इॄाह:म से िछपा रखूं ? 18 इॄाह:म से तो िन_य एक बड़: और सामयh जाित उपकेगी, और पृवी क सार: जाितयां उसके kारा आशीष पाएंगी। 19 यHक मE जानता हंू , क वह अपके पुऽHऔर पgरवार को जो उसके पीछे रह जाएंगे आWा दे गा क वे यहोवा के मागO म अटल बने रह , और धमO और (याय करते रह , इसिलथे क जो कुछ यहोवा ने इॄाह:म के वषय म कहा है उसे पूरा करे । 20 यHक मE जानता हंू , क वह अपके पुऽHऔर पgरवार को जो उसके पीछे रह जाएंगे आWा दे गा क वे यहोवा के मागO म अटल बने रह , और धमO और (याय करते रह , इसिलथे क जो कुछ यहोवा ने इॄाह:म के वषय म कहा है उसे पूरा करे । 21 इसिलथे मE उतरकर दे खूंगा, क उसक जैसी िच`लाहट मेरे कान तक पहंु ची है , उ(हHने ठqक वैसा ह: काम कया है क नह:ं : और न कया हो तो मE उसे जान लूग ं ा। 22 सो वे पुRष वहां से मुड़ के सदोम क ओर जाने लगे : पर इॄाह:म यहोवा के आगे खड़ा रह गया। 23 तब इॄाह:म उसके समीप जाकर कहने लगा, या सचमुच द ु के संग धमh को भी नाश करे गा ? 24 कदािचत ् उस नगर म

पचास धमh हH: तो या तू सचमुच उस ःयान को नाश करे गा और उन पचास धिमयJके कारण जो उस म हो न छोड़े गा ? 25 इस ूकार का काम करना तुझ से

दरू रहे क द ु के संग धमh को भी मार डाले और धमh और द ु दोनHक एक ह: दशा हो। 26 यहोवा ने कहा यद मुझे सदोम म पचास धमh िमल , तो उनके कारण उस सारे ःयान को छोडू ं गा। 27 फर इॄाह:म ने कहा, हे ूभु, सुन मE तो िम=ट: और राख हंू ; तौभी मE ने इतनी ढठाई क क तुझ से बात कRं। 28 कदािचत ् उन पचास धिमयJमे पांच घट जाए : तो या तू पांच ह: के घटने के कारण उस सारे नगर का नाश करे गा ? उस ने कहा, यद मुझे उस म पEतालीस भी िमल , तौभी उसका नाश न कRंगा। 29 फर उस ने उस से यह भी कहा, कदािचत ् वहां चालीस िमल । उस ने कहा, तो मE चालीस के कारण भी ऐसा ने कRंगा। 30 फर उस ने कहा, हे ूभु, बोध न कर, तो मE कुछ और कहंू : कदािचत ् वहां तीस िमल । उस ने कहा यद मुझे वहां तीस भी िमल , तौभी ऐसा न कRंगा। 31 फर उस ने कहा, हे ूभु, सुन, मE ने इतनी ढठाई तो क है क तुझ से बात कRं : कदािचत ् उस म बीस िमल । उस ने कहा, मE बीस के कारण भी उसका नाश न कRंगा। 32 फर उस ने कहा, हे ूभु, बोध न कर, मE एक ह: बार और कहंू गा : कदािचत ् उस म दस िमल । उस ने कहा, तो मE दस के कारण भी उसका नाश न कRंगा। 33 जब यहोवा इॄाह:म से बात कर चुका, तब चला गया : और इॄाह:म अपके घर को लौट गया।। उप 19 1 सांफ को वे दो दत ू सदोम के पास आए : और लूत सदोम के फाटक के पास बैठा या : सो उनको दे खकर वह उन से भ ट करने के िलथे उठा; और मुह ं के बल फुककर द+डवत ् कर कहा; 2 हे मेरे ूभुओं, अपके दास के घर म पधाgरए, और

रात भर वौम क'जए, और अपके पांव धोइथे, फर भोर को उठकर अपके मागO पर जाइए। उ(हHने कहा, नह:ं; हम चौक ह: म रात बताएंगे। 3 और उस ने उन से बहुत बनती करके उ(ह मनाया; सो वे उसके साय चलकर उसके घर म आए; और उस ने उनके िलथे जे वनार तैयार क, और बना खमीर क रोटयां बनाकर उनको 'खलाई। 4 उनके सो जाने के पहले, उस सदोम नगर के पुRषHने, जवानHसे लेकर बूढ़Hतक, वरन चारHओर के सब लोगHने आकर उस घर को घेर िलया; 5 और लूत को पुकारकर कहने लगे, क जो पुRष आज रात को तेरे पास आए हE वे कहां हE ? उनको हमारे पास बाहर ले आ, क हम उन से भोग कर । 6 तब लूत उनके पास kार बाहर गया, और कवाड़ को अपके पीछे ब(द करके कहा, 7 हे मेरे भाइयH, ऐसी बुराई न करो। 8 सुनो, मेर: दो बेटयां हE 'ज(हHने अब तक पुRष का मुह ं नह:ं दे खा, इ.छा हो तो मE उ(ह तुSहारे पास बाहर ले आऊं, और तुम को जैसा अ.छा लगे वैसा eयवहार उन से करो : पर इन पुRषHसे कुछ न करो; यHक थे मेर: छत के तले आए हE । 9 उनहHने कहा, हट जा। फर वे कहने लगे, तू एक परदे शी होकर यहां रहने के िलथे आया पर अब (यायी भी बन बैठा है : सो अब हम उन से भी अिधक तेरे साय बुराई कर गे। और वे पुRष लूत को बहुत दबाने लगे, और कवाड़ तोड़ने के िलथे िनकट आए। 10 तब उन पाहुनHने हाथ बढ़ाकर, लूत को अपके पास घर म खींच िलया, और कवाड़ को ब(द कर दया। 11 और उ(हHने या छोटे , या बड़े , सब पुRषHको जो घर के kार पर थे अ(धा कर दया, सो वे kार को टटोलते टटोलते यक गए। 12 फर उन पाहुनHने लूत से पूछा, यहां तेरे और कौन कौन हE ? दामाद, बे टे, बेटयां, वा नगर म ते रा जो कोई हो, उन सभHको लेकर इस ःयान से िनकल जा। 13 यHक हम यह ःयान नाश करने पर

हE , इसिलथे क उसक िच`लाहट यहोवा के सSमुख बढ़ गई है ; और यहोवा ने हम इसका सयनाश करने के िलथे भेज दया है । 14 तब लूत ने िनकलकर अपके दामादHको, 'जनके साय उसक बे टयHक सगाई हो गई यी, समझा के कहा, उठो, इस ःयान से िनकल चलो : यHक यहोवा इस नगर को नाश कया चाहता है । पर वह अपके दामादHक l म ठ=ठा करनेहारा सा जान पड़ा। 15 जब पह फटने लगी, तब दत ू Hने लूत से फुतh कराई और कहा, क उठ, अप क प^ी और दोनो बेटयHको जो यहां हE ले जा : नह:ं तो तू भी इस नगर के अधमO म

भःम हो जाएगा। 16 पर वह वलSब करता रहा, इस से उन पुRषHने उसका और उसक प^ी, और दोनHबेटयHको हाथ पकड़ िलया; यHक यहोवा क दया उस पर यी : और उसको िनकालकर नगर के बाहर कर दया। 17 और ऐसा हुआ क जब उ(हHने उनको बाहर िनकाला, तब उस ने कहा अपना ूाण लेकर भाग जा; पीछे क और न ताकना, और तराई भर म न ठहरना; उस पहाड़ पर भाग जाना, नह:ं तो तू भी भःम हो जाएगा। 18 लूत ने उन से कहा, हे ूभु, ऐसा न कर : 19 दे ख, तेरे दास पर ते र: अनुमह क l हुई है , और तू ने इस म बड़: कृ पा दखाई, क मेरे ूाण को बचाया है ; पर मE पहाड़ पर भाग नह:ं सकता, कह:ं ऐसा न हो, क कोई वप मुझ पर आ पके, और मE मर जाऊं : 20 दे ख, वह नगर ऐसा िनकट है क मE वहां भाग सकता हंू , और वह छोटा भी है : मुझे वह:ं भाग जाने दे , या वह छोटा नह:ं हE ? और मेरा ूाण बच जाएगा। 21 उस ने उस से कहा, दे ख, मE ने इस वषय म भी तेर: बनती अंगीकार क है , क 'जस नगर क चचाO तू ने क है , उसको मE नाश न कRंगा। 22 फुतh से वहां भाग जा; यHक जब तक तू वहां न पहुचे तब तक मE कुछ न कर सकूंगा। इसी कारण उस नगर का नाम सोअर पड़ा।

23 लूत के सोअर के िनकट पहुचते ह: सूयO पृवी पर उदय हुआ। 24 तब यहोवा ने अप क ओर से सदोम और अमोरा पर आकाश से ग(धक और आग बरसाई; 25 और उन नगरHको और सSपूणO तराई को, और नगरHको और उस सSपूणO तराई को, और नगरHके सब िनवािस कH, भूिम क सार: उपज समेत नाश कर दया। 26 लूत क प^ी ने जो उसके पीछे यी l फेर के पीछे क ओर दे खा, और वह नमक का खSभा बन गई। 27 भोर को इॄाह:म उठकर उस ःयान को गया, जहां वह यहोवा के सSमुख खड़ा या; 28 और सदोम, और अमोरा, और उस तराई के सारे दे श क ओर आंख उठाकर या दे खा, क उस दे श म से धधकती हुई भ=ट: का सा धुआं उठ रहा है । 29 और ऐसा हुआ, क जब परमे र ने उस तराई के नगरHको, 'जन म लूत रहता या, उलट पुलट कर नाश कया, तब उस ने इॄाह:म को याद करके लूत को उस घटना से बचा िलया। 30 और लूत ने सोअर को छोड़ दया, और पहाड़ पर अप क दोनHबेटयHसमेत रहने लगा; यHक वह सोअर म रहने से डरता या : इसिलथे वह और उसक दोनHबे टयां वहां एक गुफा म रहने लगे। 31 तब बड़: बेट: ने छोट: से कहा, हमारा पता बूढ़ा है , और पृवी भर म कोई ऐसा पुRष नह:ं जो संसार क र:ित के अनुसार हमारे पास आए : 32 सो आ, हम अपके पता को दाखमधु पलाकर, उसके साय सोएं, 'जस से क हम अपके पता के वंश को बचाए रख । 33 सो उ(हHने उसी दन रात के समय अपके पता को दाखमधु पलाया, तब बड़: बेट: जाकर अपके पता के पास लेट गई; पर उस ने न जाना, क वह कब लेट:, और कब उठ गई। 34 और ऐसा हुआ क दस ू रे दन बड़: ने छोट: से कहा, दे ख, कल रात को मE अपके पता के साय सोई : सो आज भी रात को हम उसको दाखमधु पलाएं; तब तू जाकर उसके साय सोना क

हम अपके पता के kारा वंश उप(न कर । 35 सो उ(हHने उस दन भी रात के समय अपके पता को दाखमधु पलाया : और छोट: बेट: जाकर उसके पास लौट गई : पर उसको उसके भी सोने और उठने के समय का Wान न या। 36 इस ूकार से लूत क दोनो बेटयां अपके पता से गभOवती हुई। 37 और बड़: एक पुऽ जनी, और उसका नाम मोआब रखा : वह मोआब नाम जाित का जो आज तक है मूलपता हुआ। 38 और छोट: भी एक पुऽ जनी, और उसका नाम बेनSमी रखा; वह अSमोन ् वंिशयHका जो आज तक हE मूलपता हुआ।। उप 20 1 फर इॄाह:म वहां से कूच कर द' खन दे श म आकर कादे श और शूर के बीच म

ठहरा, और गरार म रहने लगा। 2 और इॄाह:म अप क प^ी सारा के वषय म

कहने लगा, क वह मेर: बहन है : सो गरार के राजा अबीमेलेक ने दत ू भेजकर सारा को बुलवा िलया। 3 रात को परमे र ने ःव€न म अबीमेलेक के पास आकर कहा, सुन, 'जस \ी को तू ने रख िलया है , उसके कारण तू मर जाएगा, यHक वह सुहािगन है । 4 पर(तु अबीमेलेक उसके पास न गया या : सो उस ने कहा, हे ूभु, या तू िनदzष जाित का भी घात करे गा ? 5 या उसी ने ःवयं मुझ से नह:ं कहा, क वह मेर: बहन है ? और उस \ी ने भी आप कहा, क वह मेरा भाई है : मE ने तो अपके मन क खराई और अपके eयवहार क स.चाई से यह काम कया। 6 परमे र ने उस से ःव€न म कहा, हां, मE भी जानता हूं क अपके मन क खराई से तू ने यह काम कया है और मE ने तुझे रोक भी रखा क तू मेरे वRa पाप न करे : इसी कारण मE ने तुझ को उसे छूने नह:ं दया। 7 सो अब उस पुRष

क प^ी को उसे फेर दे ; यHक वह नबी है , और ते रे िलथे ूायOना करे गा, और तू जीता रहे गा : पर यद तू उसको न फेर दे तो जान रख, क तू, और तेरे 'जतने लोग हE , सब िन_य मर जाएंगे। 8 बहान को अबीमेलेक ने तड़के उठकर अपके सब कमOचाgरयHको बुलवाकर थे सब बात सुनाई : और वे लोग बहुत डर गए। 9 तब अबीमेलेक ने इॄाह:म को बुलवाकर कहा, तू ने हम से यह या कया है ? और मE ने तेरा या बगाड़ा या, क तू ने मेरे और मेरे राGय के ऊपर ऐसा बड़ा पाप डाल दया है ? तू ने मुझ से वह काम कया है जो उिचत न या। 10 फर अबीमेलेक ने इॄाह:म से पूछा, तू ने या समझकर ऐसा काम कया ? 11 इॄाह:म ने कहा, मE ने यह सोचा या, क इस ःयान म परमे र का कुछ भी भय न होगा; सो थे लोग मेर: प^ी के कारण मेरा घात कर गे। 12 और फर भी सचमुच वह मेर: बहन है , वह मेरे पता क बेट: तो है पर मेर: माता क बेट: नह:ं; फर वह मेर: प^ी हो गई। 13 और ऐसा हुआ क जब परमे र ने मुझे अपके पता का घर छोड़कर िनकलने क आWा द:, तब मE ने उस से कहा, इतनी कृ पा तुझे मुझ पर करनी होगी : क हम दोनHजहां जहां जाएं वहां वहां तू मेरे वषय म कहना, क यह मेरा भाई है । 14 तब अबीमेलेक ने भेड़-बकर:, गाय-बैल, और दास-दािसयां लेकर इॄाह:म को द:ं, और उसक प^ी सारा को भी उसे फेर दया। 15 और अबीमेलेक ने कहा, दे ख, मेरा दे श तेरे साSहने है ; जहां तुझे भावे वहां रह। 16 और सारा से उस ने कहा, दे ख, मE ने तेरे भाई को Rपे के एक हजार टु कड़े दए हE : दे ख, तेरे सारे संिगयHके साSहने वह: तेर: आंखHका पदाO बनेगा, और सभHके साSहने तू ठqक होगी। 17 तब इॄाह:म ने यहोवा से ूायOना क, और यहोवा ने अबीमेलेक, और उसक प^ी, और दािस कH चंगा कया और वे जनने लगीं। 18

यHक यहोवा ने इॄाह:म क प^ी सारा के कारण अबीमेलेक के घर क सब '\यHक कोखHको पूर: र:ित से ब(द कर दया या।। उप 21 1 सो यहोवा ने जैसा कहा या वैसा ह: सारा क सुिध लेके उसके साय अपके वचन के अनुसार कया। 2 सो सारा को इॄाह:म से गभOवती होकर उसके बुढ़ापे म उसी िनयुf समय पर जो परमे र ने उस से ठहराया या एक पुऽ उप(न हुआ। 3 और इॄाह:म ने अपके पुऽ का नाम जो सारा से उप(न हुआ या इसहाक रखा। 4 और जब उसका पुऽ इसहाक आठ दन का हुआ, तब उस ने परमे र क आWा के अनुसार उसक खतना कया। 5 और जब इॄाह:म का पुऽ इसहाक उप(न हुआ तब वह एक सौ वषO का या। 6 और सारा ने कहा, परमे र ने मुझे ूफु'`लत कर दया है ; इसिलथे सब सुननेवाले भी मेरे साय ूफु'`लत हHगे। 7 फर उस ने यह भी कहा, क या कोई कभी इॄाह:म से कह सकता या, क सारा लड़कHको दध ू पलाएगी ? पर दे खो, मुझ से उसके बुढ़ापे म एक पुऽ उप(न हुआ। 8 और वह लड़का बढ़ा और उसका दध ू छुड़ाया गया : और इसहाक के दध ू छुड़ाने के दन इॄाह:म ने बड़: जेवनार क। 9 तब सारा को िमॐी हा'जरा का पुऽ, जो इॄाह:म से उप(न हुआ या, हं सी करता हुआ दे ख पड़ा। 10 सो इस कारण उस ने इॄाह:म से कहा, इस दासी को पुऽ सहत बरबस िनकाल दे : यHक इस दासी का पुऽ मेरे पुऽ इसहाक के साय भागी न होगा। 11 यह बात इॄाह:म को अपके पुऽ के कारण बुर: लगी। 12 तब परमे र ने इॄाह:म से कहा, उस लड़के और अप क दासी के कारण तुझे बुरा न लगे; जो बात सारा तुझ से कहे , उसे मान, यHक जो तेरा वंश

कहलाएगा सो इसहाक ह: से चलेगा। 13 दासी के पुऽ से भी मE एक जाित उप(न कRंगा इसिलथे क वह ते रा वंश है । 14 सो इॄाह:म ने बहान को तड़के उठकर रोट: और पानी से भर: चमड़े क यैली भी हा'जरा को द:, और उसके क(धे पर रखी, और उसके लड़के को भी उसे दे कर उसको वदा कया : सो वह च क गई, और बेशब  ा के जंगल म ॅमण करने लगी। 15 जब यैली का जल चुक गया, तब उस ने लड़के को एक फाड़: के नीचे छोड़ दया। 16 और आप उस से तीर भर के ट€पे पर दरू जाकर उसके साSहने यह सोचकर बैठ गई, क मुझ को लड़के क मृयु दे खनी न पके। तब वह उसके साSहने बैठq हुई िच`ला िच`ला के रोने लगी। 17 और परमे र ने उस लड़के क सुनी; और उसके दत ू ने ःवगO से हा'जरा को पुकार के कहा, हे हा'जरा तुझे या हुआ ? मत डर; यHक जहां तेरा लड़का है वहां से उसक आवाज परमे र को सुन प क है । 18 उठ, अपके लड़के को उठा और अपके हाथ से सSभाल यHक मE उसके kारा एक बड़: जाित बनाऊंगा। 19 परमे र ने उसक आंखे खोल द:, और उसको एक कुंआ दखाई पड़ा; सो उस ने जाकर यैली को जल से भरकर लड़के को पलाया। 20 और परमे र उस लड़के के साय रहा; और जब वह बड़ा हुआ, तब जंगल म रहते रहते धनुधाOर: बन गया। 21 वह तो पारान नाम जंगल म रहा करता या : और उसक माता ने उसके िलथे िमॐ दे श से एक \ी मंगवाई।। 22 उन दनHम ऐसा हुआ क अबीमेलेक अपके सेनापित पीकोल को संग लेकर इॄाह:म से कहने लगा, जो कुछ तू करता है उस म परमे र तेरे संग रहता है : 23 सो अब मुझ से यहां इस वषय म परमे र क कgरया खा, क तू न तो मुझ से छल करे गा, और न कभी मेरे वंश से करे गा, पर(तु जैसी कRणा मE ने तुझ पर क है , वैसी ह: तू मुझ पर और इस दे श पर भी

'जस म तू रहता है करे गा 24 इॄाह:म ने कहा, मE कgरया खाऊंगा। 25 और इॄाह:म ने अबीमेलेक को एक कुएं के वषय म , जो अबीमेलेक के दासHने बर:याई से ले िलया या, उलाहना दया। 26 तब अबीमेलेक ने कहा, मै नह:ं जानता क कस ने यह काम कया : और तू ने भी मुझे नह:ं बताया, और न मै ने आज से पहले इसके वषय म कुछ सुना। 27 तक इॄाह:म ने भेड़-बकर:, और गाय-बैल लेकर अबीमेलेक को दए; और उन दोनHने आपस म वाचा बा(धी। 28 और इॄाह:म ने भेड़ क सात ब.ची अलग कर रखीं। 29 तब अबीमेलेक ने इॄाह:म से पूछा, इन सात ब'.चयHका, जो तू ने अलग कर रखी हE , या ूयोजन है ? 30 उस ने कहा, तू इन सात ब'.चयHको इस बात क साझी जानकर मेरे हाथ से ले, क मै ने कुंआ खोदा है । 31 उन दोनHने जो उस ःयान म आपस म कgरया खाई, इसी कारण उसका नाम बेशब  ा पड़ा। 32 जब उ(हHने बेशब  ा म परःपर वाचा बा(धी, तब अबीमेलेक, और उसका सेनापित पीकोल उठकर पिल'ँतयHके दे श म लौट गए। 33 और इॄाह:म ने बेशब  ा म फाऊ का एक वृझ लगाया, और वहां यहोवा, जो सनातन ई र है , उस से ूायOना क। 34 और इॄाह:म पिल'ँतयHके दे श म बहुत दनHतक परदे शी होकर रहा।। उप 22 1 इन बातHके प_ात ् ऐसा हुआ क परमे र ने, इॄाह:म से यह कहकर उसक प कझा क, क हे इॄाह:म : उस ने कहा, दे ख, मE यहां हूं। 2 उस ने कहा, अपके पुऽ को अयाOत ् अपके एकलौते पुऽ इसहाक को, 'जस से तू ूेम रखता है , संग लेकर मोgरयाह दे श म चला जा, और वहां उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मE तुझे

बताऊंगा होमबिल करके चढ़ा। 3 सो इॄाह:म बहान को तड़के उठा और अपके गदहे पर काठq कसकर अपके दो सेवक, और अपके पुऽ इसहाक को संग िलया, और होमबिल के िलथे लकड़: चीर ली; तब कूच करके उस ःयान क ओर चला, 'जसक चचाO परमे र ने उस से क यी। 4 तीसरे दन इॄाह:म ने आंख उठाकर उस ःयान को दरू से दे खा। 5 और उस ने अपके सेवकHसे कहा गदहे के पास यह:ं ठहरे रहो; यह लड़का और मE वहां तक जाकर, और द+डवत ् करके, फर तुSहारे पास लौट आऊंगा। 6 सो इॄाह:म ने होमबिल क लकड़: ले अपके पुऽ इसहाक पर लाद:, और आग और छुर: को अपके हाथ म िलया; और वे दोनHएक साय चल पके। 7 इसहाक ने अपके पता इॄाह:म से कहा, हे मेरे पता; उस ने कहा, हे मेरे पुऽ, या बात है उस ने कहा, दे ख, आग और लकड़: तो हE ; पर होमबिल के िलथे भेड़ कहां है ? 8 इॄाह:म ने कहा, हे मेरे पुऽ, परमे र होमबिल क भेड़ का उपाय आप ह: करे गा। 9 सो वे दोनHसंग संग आगे चलते गए। और वे उस ःयान को 'जसे परमे र ने उसको बताया या पहंु चे; तब इॄाह:म ने वहां वेद: बनाकर लकड़: को चुन चुनकर रखा, और अपके पुऽ इसहाक को बा(ध के वेद: पर क लकड़: के ऊपर रख दया। 10 और इॄाह:म ने हाथ बढ़ाकर छुर: को ले िलया क अपके पुऽ को बिल करे । 11 तब यहोवा के दत ू ने ःवगO से उसको पुकार के कहा, हे इॄाह:म, हे इॄाह:म; उस ने कहा, दे ख, मE यहां हंू । 12 उस ने कहा, उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उस से कुछ कर : यHक तू ने जो मुझ से अपके पुऽ, वरन अपके एकलौते पुऽ को भी, नह:ं रख छोड़ा; इस से मै अब जान गया क तू परमे र का भय मानता है । 13 तब इॄाह:म ने आंखे उठाई, और या दे खा, क उसके पीछे एक मेढ़ा अपके सींगो से एक फाड़: म बफा हुआ है : सो इॄाह:म ने

जाके उस म ढ़े को िलया, और अपके पुऽ क स(ती होमबिल करके चढ़ाया। 14 और इॄाह:म ने उस ःयान का नाम यहोवा ियरे रखा : इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है , क यहोवा के पहाड़ पर उपाय कया जाएगा। 15 फर यहोवा के दत ू ने दस ू र: बार ःवगO से इॄाह:म को पुकार के कहा, 16 यहोवा क यह वाणी है , क मE अप क ह: यह शपय खाता हंू , क तू ने जो यह काम कया है क अपके पुऽ, वरन अपके एकलौते पुऽ को भी, नह:ं रख छोड़ा; 17 इस कारण मE िन_य तुझे आशीष दं ग ू ा; और िन_य तेरे वंश को आकाश के तारागण, और समुि के तीर क बालू के कनकHके समान अनिगिनत कRंगा, और तेरा वंश अपके शऽुओं के नगरHका अिध कारनेी होगा : 18 और पृवी क सार: जाितयां अपके को तेरे वंश के कारण ध(य मान गी : यHक तू ने मेर: बात मानी है । 19 तब इॄाह:म अपके सेवकHके पास लौट आया, और वे सब बेशब  ा को संग संग गए; और इॄाह:म बेशब  ा म रहता रहा।। 20 इन बातHके प_ात ् ऐसा हुआ क इॄाह:म को यह स(दे श िमला, क िम`का के तेरे भाई नाहोर से स(तान उप(न हुए हE । 21 िम`का के पुऽ तो थे हुए, अयाOत ् उसका जे ठा ऊस, और ऊस का भाई बूज, और कमूएल, जो अराम का पता हुआ। 22 फर केसेद, हज़ो, प`दाश, ियmलाप, और बतूएल। 23 इन आठHको िम`का इॄाह:म के भाई नाहोर के ज(माए जनी। और बतूएल ने gरबका को उप(न कया। 24 फर नाहोर के Rमा नाम एक रखेली भी यी; 'जस से ते बह, गहम, तहश, और माका, उप(न हुए।। उप 23 1 सारा तो एक सौ साईस बरस क अवःया को पहंु ची; और जब सारा क इतनी

अवःया हुई; 2 तब वह कयOतबाO म मर गई। यह तो कनान दे श म है , और हे ॄोन भी कहलाता है : सो इॄाह:म सारा के िलथे रोने पीटने को वंहा गया। 3 तब इॄाह:म अपके मुद के पास से उठकर हयHसे कहने लगा, 4 मE तुSहारे बीच पाहुन और परदे शी हंू : मुझे अपके म~य म कॄःतान के िलथे ऐसी भूिम दो जो मेर: िनज क हो जाए, क मE अपके मुद को गाड़के अपके आंख क ओट कRं। 5 हयHने इॄाह:म से कहा, 6 हे हमारे ूभु, हमार: सुन : तू तो हमारे बीच म बड़ा ूधान है : सो हमार: कॄHम से 'जसको तू चाहे उस म अपके मुद को गाड़; हम म

से कोई तुझे अप क कॄ के लेने से न रोकेगा, क तू अपके मुद को उस म गाड़ने न पाए। 7 तब इॄाह:म उठकर खड़ा हुआ, और हयHके सSमुख, जो उस दे श के िनवासी थे, द+डवत करके कहने लगा, 8 यद तुSहार: यह इ.छा हो क मE अपके मुद को गाड़के अप क आंख क ओट कRं, तो मेर: ूायOना है , क सोहर के पुऽ एूोन से मेरे िलथे बनती करो, 9 क वह अप क मकपे लावाली गुफा, जो उसक भूिम क सीमा पर है ; उसका पूरा दाम लेकर मुझे दे दे , क वह तुSहारे बीच कॄःतान के िलथे मेर: िनज भूिम हो जाए। 10 और एूोन तो हयHके बीच वहां बैठा हुआ या। सो 'जतने ही उसके नगर के फाटक से होकर भीतर जाते थे, उन सभHके साSहने उस ने इॄाह:म को उर दया, 11 क हे मेरे ूभु, ऐसा नह:ं, मेर: सुन; वह भूिम मE तुझे दे ता हंू , और उस म जो गुफा है , वह भी मE तुझे दे ता हूं; अपके जाितभाइयHके सSमुख मE उसे तुझ को दए दे ता हूं: सो अपके मुद को कॄ म रख। 12 तब इॄाह:म ने उस दे श के िनवािसयHके साSहने द+डवत क। 13 और उनके सुनते हुए एूोन से कहा, यद तू ऐसा चाहे , तो मेर: सुन : उस भूिम का जो दाम हो, वह मE दे ना चाहता हंू ; उसे मुझ से ले ले, तब मE अपके मुद

को वहां गाडू ं गा। 14 एूोन ने इॄाह:म को यह उर दया, 15 क, हे मेरे ूभु, मेर: बात सुन; एक भूिम का दाम तो चार सौ शेकेल Rपा है ; पर मेरे और ते रे बीच म

यह या है ? अपके मुद को कॄ मे रख। 16 इॄाह:म न एूोन क मानकर उसको उतना Rपा तौल दया, 'जतना उस ने हयHके सुनते हुए कहा या, अयाOत ् चार सौ ऐसे शेकेल जो eयापाgरयHम चलते थे। 17 सो एूोन क भूिम, जो मॆे के सSमुख क मकपेला म यी, वह गुफा समेत, और उन सब वृझHसमेत भी जो उस म और उसके चारHऔर सीमा पर थे, 18 'जतने ही उसके नगर के फाटक से होकर भीतर जाते थे, उन सभHके साSहने इॄाह:म के अिध कारने म प क र:ित से आ गई। 19 इसके प_ात ् इॄाह:म ने अप क प^ी सारा को, उस मकपेला वाली भूिम क गुफा म जो मॆे के अयाOत ् हे ॄोन के साSहने कनान दे श म है , िम=ट: द:। 20 और वह भूिम गुफा समेत, जो उस म यी, हयHक ओर से कॄःतान के िलथे इॄाह:म के अिध कारने म प क र:ित से आ गई। उप 24 1 इॄाह:म वृa या और उसक आयु बहुत भी और यहोवा ने सब बातHम उसको आशीष द: यी। 2 सो इॄाह:म ने अपके उस दास से, जो उसके घर म पुरिनया और उसक सार: सSप पर अिध कारनेी या, कहा, अपना हाथ मेर: जांघ के नीचे रख : 3 और मुझ से आकाश और पृवी के परमे र यहोवा क इस वषय म

शपय खा, क तू मेरे पुऽ के िलथे कनािनयHक लड़कयHम से 'जनके बीच मE रहता हंू , कसी को न ले आएगा। 4 पर(तु तू मेरे दे श म मेरे ह: कुटु 'SबयHके पास जाकर मेरे पुऽ इसहाक के िलथे एक प^ी ले आएगा। 5 दास ने उस से कहा,

कदािचत ् वह \ी इस दे श म मेरे साय आना न चाहे ; तो या मुझे तेरे पुऽ को उस दे श म जहां से तू आया है ले जाना पकेगा ? 6 इॄाह:म ने उस से कहा, चौकस रह, मेरे पुऽ को वहां कभी न ले जाना। 7 ःवगO का परमे र यहोवा, 'जस ने मुझे मेरे पता के घर से और मेर: ज(मभूिम से ले आकर मुझ से शपय खाकर कहा, क मE यह दे श तेरे वंश को दं ग ू ा; वह: अपना दत ू तेरे आगे आगे भेजेगा, क तू मेरे पुऽ के िलथे वहां से एक \ी ले आए। 8 और यद वह \ी तेरे साय आना न चाहे तब तो तू मेर: इस शपय से छूट जाएगा : पर मेरे पुऽ को वहां न ले जाना। 9 तब उस दास ने अपके ःवामी इॄाह:म क जांघ के नीचे अपना हाथ रखकर उस से इसी वषय क शपय खाई। 10 तब वह दास अपके ःवामी के ऊंटो म से दस ऊंट छं ◌ाटकर उसके सब उम उम पदायJम से कुछ कुछ लेकर चला : और मसोपोटािमया म नाहोर के नगर के पास पहंु चा। 11 और उस ने ऊंटHको नगर के बाहर एक कुएं के पास बैठाया, वह सं~या का समय या, 'जस समय '\यां जल भरने के िलथे िनकलती है । 12 सो वह कहने लगा, हे मेरे ःवामी इॄाह:म के परमे र, यहोवा, आज मेरे कायO को िसa कर, और मेरे ःवामी इॄाह:म पर कRणा कर। 13 दे ख मE जल के इस सोते के पास खड़ा हंू ; और नगरवािसयHक बे टयHजल भरने के िलथे िनकली आती हE : 14 सो ऐसा होने दे , क 'जस क(या से मE कहंू , क अपना घड़ा मेर: ओर फुका, क मE पीऊं; और वह कहे , क ले, पी ले, पीछे मE तेरे ऊंटो को भी पीलाऊंगी : सो वह: हो 'जसे तू ने अपके दास इसहाक के िलथे ठहराया हो; इसी र:ित मE जान लूग ं ा क तू ने मेरे ःवामी पर कRणा क है । 15 और ऐसा हुआ क जब वह कह ह: रहा या क gरबका, जो इॄाह:म के भाई नाहोर के ज(माथे िम`का के पुऽ, बतूएल क बेट: यी, वह क(धे पर घड़ा िलथे

हुए आई। 16 वह अित सु(दर, और कुमार: यी, और कसी पुRष का मुह ं न दे खा या : वह कुएं म सोते के पास उतर गई, और अपना घड़ा भर के फर ऊपर आई। 17 तब वह दास उस से भ ट करने को दौड़ा, और कहा, अपके घड़े मे से योड़ा पानी मुझे पला दे । 18 उस ने कहा, हे मेरे ूभु, ले, पी ले: और उस ने फुतh से घड़ा उतारकर हाथ म िलथे िलथे उसको पला दया। 19 जब वह उसको पला चुक, तक कहा, मE तेरे ऊंटHके िलथे भी तब तक पानी भर भर लाऊंगी, जब तक वे पी न चुक । 20 तब वह फुतh से अपके घड़े का जल हौदे म उ+डे लकर फर कुएं पर भरने को दौड़ गई; और उसके सब ऊंटHके िलथे पानी भर दया। 21 और वह पुRष उसक ओर चुपचाप अचSभे के साय ताकता हुआ यह सोचता या, क यहोवा ने मेर: याऽा को सुफल कया है क नह:ं। 22 जब ऊंट पी चुके, तब उस पुRष ने आध तोले सोने का एक नय िनकालकर उसको दया, और दस तोले सोने के कंगन उसके हाथHम पहना दए; 23 और पूछा, तू कस क बे ट: है ? यह मुझ को बता दे । या तेरे पता के घर म हमारे टकने के िलथे ःयान है ? 24 उस ने उर दया, मE तो नाहोर के ज(माए िम`का के पुऽ बतूएल क बेट: हूं। 25 फर उस ने उस से कहा, हमारे वहां पुआल और चारा बहुत है , और टकने के िलथे ःयान भी है । 26 तब उस पुRष ने िसर फुकाकर यहोवा को द+डवत ् करके कहा, 27 ध(य है मेरे ःवामी इॄाह:म का परमे र यहोवा, क उस ने अप क कRणा और स.चाई को मेरे ःवामी पर से हटा नह:ं िलया : यहोवा ने मुझ को ठqक मागO पर चलाकर मेरे ःवामी के भाई ब(धुओं के घर पर पहुचा दया है । 28 और उस (या ने दौड़कर अप क माता के घर म यह सारा वृा(त कह सुनाया। 29 तब लाबान जो gरबका का भाई या, सो बाहर कुएं के िनकट उस पुRष के पास दौड़ा गया। 30

और ऐसा हुआ क जब उस ने वह नय और अप क बहन gरबका के हाथHम वे कंगन भी दे खे, और उसक यह बात भी सुनी, क उस पुRष ने मुझ से ऐसी बात

कह:ं; तब वह उस पुRष के पास गया; और या दे खा, क वह सोते के िनकट ऊंटHके पास खड़ा है । 31 उस ने कहा, हे यहोवा क ओर से ध(य पुRष भीतर आ : तू यHबाहर खड़ा है ? मE ने घर को, और ऊंटो के िलथे भी ःयान तैयार कया है । 32 और वह पुRष घर म गया; और लाबान ने ऊंटHक काठयां खोलकर पुआल और चारा दया; और उसके, और उसके संगी जनो के पांव धोने को जल दया। 33 तब इॄाह:म के दास के आगे जलपान के िलथे कुछ रखा गया : पर उस ने कहा मE जब तक अपना ूयोजन न कह दं ,ू तब तक कुछ न खाऊंगा। लाबान ने कहा, कह दे । 34 तक उस ने कहा, मE तो इॄाह:म का दास हूं। 35 और यहोवा ने मेरे ःवामी को बड़: आशीष द: है ; सो वह महान पुRष हो गया है ; और उस ने उसको भेड़-बकर:, गाय-बैल, सोना-Rपा, दास-दािसयां, ऊंट और गदहे दए है । 36 और मेरे ःवामी क प^ी सारा के बुढ़ापे म उस से एक पुऽ उप(न हुआ है । और उस पुऽ को इॄाह:म ने अपना सब कुछ दे दया है । 37 और मेरे ःवामी ने मुझे यह शपय 'खलाई, क मE उसके पुऽ के िलथे कनािनयHक लड़कयHम से 'जन के दे श म वह रहता है , कोई \ी न ले आऊंगा। 38 मE उसके पता के घर, और कुल के लोगHके पास जाकर उसके पुऽ के िलथे एक \ी ले आऊंगा। 39 तब मE ने अपके ःवामी से कहा, कदािचत ् वह \ी मेरे पीछे न आए। 40 तब उस ने मुझ से कहा, यहोवा, 'जसके साSहने मE चलता आया हंू , वह ते रे संग अपके दत ू को भेजकर तेर: याऽा को सुफल करे गा; सो तू मेरे कुल, और मेरे पता के घराने म से मेरे पुऽ के िलथे एक \ी ले आ सकेगा। 41 तू तब ह: मेर: इस शपय से छूटे गा, जब तू मेरे

कुल के लोगHके पास पहंु चेगा; अयाOत ् यद वे मुझे कोई \ी न द , तो तू मेर: ँपय से छूटे गा। 42 सो मE आज उस कुएं के िनकट आकर कहने लगा, हे मेरे ःवामी इॄाह:म के परमे र यहोवा, यद तू मेर: इस याऽा को सुफल करता हो : 43 तो दे ख मE जल के इस कुएं के िनकट खड़ा हंू ; सो ऐसा हो, क जो कुमार: जल भरने के िलथे िनकल आए, और मE उस से कहंू , अपके घड़े म से मुझे योड़ा पानी पला; 44 और वह मुझ से कहे , पी ले और मै तेरे ऊंटो के पीने के िलथे भी पानी भर दं ग ू ी : वह वह: \ी हो 'जसको तू ने मेरे ःवामी के पुऽ के िलथे ठहराया हो। 45 मE मन ह: मन यह कह ह: रहा या, क दे ख gरबका क(धे पर घड़ा िलथे हुए िनकल आई; फर वह सोते के पास उतरके भरने लगी : और मै ने उस से कहा, मुझे पला दे । 46 और उस ने फुतh से अपके घड़े को क(धे पर से उतारके कहा, ले, पी ले, पीछे मE तेरे ऊंटHको भी पलाऊंगी : सो मE ने पी िलया, और उस ने ऊंटHको भी पला दया। 47 तब मE ने उस से पूछा, क तू कस क बेट: है ? और उस ने कहा, मE तो नाहोर के ज(माए िम`का के पुऽ बतूएल क बेट: हंू : तब मE ने उसक नाक म वह नय, और उसके हाथHम वे कंगन पहना दए। 48 फर मE ने िसर फुकाकर यहोवा को द+डवत ् कया, और अपके ःवामी इॄाह:म के परमे र यहोवा को ध(य कहा, यHक उस ने मुझे ठqक मागO से पहंु चाया क मै अपके ःवामी के पुऽ के िलथे उसक भतीजी को ले जाऊं। 49 सो अब, यद तू मेरे ःवामी के साय कृपा और स.चाई का eयवहार करना चाहते हो, तो मुझ से कहो : और यद नह:ं चाहते हो, तौभी मुझ से कह दो; ताक मE दाहनी ओर, वा बाL ओर फर जाऊं। 50 तब लाबान और बतूएल ने उर दया, यह बात यहोवा क ओर से हुई है : सो हम लोग तुझ से न तो भला कह सकते हE न बुरा। 51 दे ख, gरबका तेरे साSहने है ,

उसको ले जा, और वह यहोवा के वचन के अनुसार, तेरे ःवामी के पुऽ क प^ी हो जाए। 52 उनका यह वचन सुनकर, इॄाह:म के दास ने भूिम पर िगरके यहोवा को द+डवत ् कया। 53 फर उस दास ने सोने और Rपे के गहने, और व\ िनकालकर gरबका को दए : और उसके भाई और माता को भी उस ने अनमोल अनमोल वःतुएं द:। 54 तब उस ने अपके संगी जनHसमेत भोजन कया, और रात वह:ं बताई : और तड़के उठकर कहा, मुझ को अपके ःवामी के पास जाने के िलथे वदा करो। 55 gरबका के भाई और माता ने कहा, क(या को हमारे पास कुछ दन, अयाOत ् कम से कम दस दन रहने दे ; फर उसके प_ात ् वह च क जाएगी। 56 उस ने उन से कहा, यहोवा ने जो मेर: याऽा को सुफल कया है ; सो तुम मुझे मत रोको अब मुझे वदा कर दो, क मE अपके ःवामी के पास जाऊं। 57 उ(हHने कहा, हम क(या को बुलाकर पूछते हE , और दे ख गे, क वह या कहती है । 58 सो उ(हHने gरबका को बुलाकर उस से पूछा, या तू इस मनुंय के संग जाएगी? उस ने कहा, हां मE जाऊंगी। 59 तब उ(हHने अप क बहन gरबका, और उसक धाय और इॄाह:म के दास, और उसके सायी सभHको वदा कया। 60 और उ(हHने gरबका को आशीवाOद दे के कहा, हे हमार: बहन, तू हजारHलाखHक आदमाता हो, और ते रा वंश अपके बैgरयHके नगरHका अिध कारनेी हो। 61 इस पर gरबका अप क सहे िलयHसमेत च क; और ऊंट पर चढ़के उस पुRष के पीछे हो ली : सो वह दास gरबका को साय लेकर चल दया। 62 इसहाक जो द' खन दे श म रहता या, सो लहै रोई नाम कुएं से होकर चला आता या। 63 और सांफ के समय वह मैदान म ~यान करने के िलथे िनकला या : और उस ने आंखे उठाकर या दे खा, क ऊंट चले आ रहे हE । 64 और gरबका ने भी आंख उठाकर इसहाक को दे खा,

और दे खते ह: ऊंट पर से उतर प क 65 तब उस ने दास से पूछा, जो पुRष मैदान पर हम से िमलने को चला आता है , सो कौन है ? दास ने कहा, वह तो मेरा ःवामी है । तब gरबका ने घूघ ं ट लेकर अपके मुह ं को ढ़ाप िलया। 66 और दास ने इसहाक से अपना सारा वृा(त वणOन कया। 67 तब इसहाक gरबका को अप क माता सारा के तSबू म ले आया, और उसको cयाहकर उस से ूेम कया : और इसहाक को माता क मृयु के प_ात ् शा'(त हुई।। उप 25 1 तब इॄाह:म ने एक और प^ी cयाह ली 'जसका नाम कतूरा या। 2 और उस से 'जॆान, योझान, मदना, िमrान, ियशबाक, और शूह उप(न हुए। 3 और योझान से शबा और ददान उप(न हुए। और ददान के वंश म अँशूर:, लतूशी, और लुSमी लोग हुए। 4 और िमrान के पुऽ एपा, एपे र, हनोक, अबीदा, और ए`दा हुए, से सब कतूरा के स(तान हुए। 5 इसहाक को तो इॄाह:म ने अपना सब कुछ दया। 6 पर अप क रखेिलयHके पुऽHको, कुछ कुछ दे कर अपके जीते जी अपके पुऽ इसहाक के पास से पूरब दे श म भेज दया। 7 इॄाह:म क सार: अवःया एक सौ पचहर वषO क हुई। 8 और इॄाह:म का द:घाOयु होने के कारण अयाOत ् पूरे बुढ़ापे क अवःया म ूाण छूट गया। 9 और उसके पुऽ इसहाक और इँमाएल ने, ही सोहर के पुऽ एूोन क मॆे के सSमुखवाली भूिम म , जो मकपे ला क गुफा यी, उस म उसको िम=ट: द: गई। 10 अयाOत ् जो भूिम इॄाह:म ने हयHसे मोल ली यी : उसी म इॄाह:म, और उस क प^ी सारा, दोनHको िम=ट: द: गई। 11 इॄाह:म के मरने के प_ात ् परमे र ने उसके पुऽ इसहाक को

जो लहै रोई नाम कुएं के पास रहता या आशीष द:।। 12 इॄाह:म का पुऽ इँमाएल जो सारा क लxड: हा'जरा िमॐी से उप(न हुआ या, उसक यह वंशावली है । 13 इँमाएल के पुऽHके नाम और वंशावली यह है : अयाOत ् इँमाएल का जेठा पुऽ नबायोत, फर केदार, अmबेल, िमबसाम, 14 िमँमा, दम ू ा, मःसा, 15 हदर, ते मा, यतूर, नपीश, और केदमा। 16 इँमाएल के पुऽ थे ह: हुए, और इ(ह:ं के नामHके अनुसार इनके गांवH, और छाविनयHके नाम भी पके; और थे ह: बारह अपके अपके कुल के ूधान हुए। 17 इँमाएल क सार: अवःया एक सौ सEतीस वषO क हुई : तब उसके ूाण छूट गए, और वह अपके लोगHम जा िमला। 18 और उसके वंश हवीला से शूर तक, जो िमॐ के सSमुख अँशूर ् के मागO म है , बस गए। और उनका भाग उनके सब भाईब(धुओं के सSमुख पड़ा।। 19 इॄाह:म के पुऽ इसहाक क वंशावली यह है : इॄाह:म से इसहाक उप(न हुआ। 20 और इसहाक ने चालीस वषO का होकर gरबका को, जो पXनराम के वासी, अरामी बतूएल क बे ट:, और अरामी लाबान क बहन भी, cयाह िलया। 21 इसहाक क प^ी तो बांफ यी, सो उस ने उसके िनिम यहोवा से बनती क: और यहोवा ने उसक बनती सुनी, सो उसक प^ी gरबका गभOवती हुई। 22 और लड़के उसके गभO म

आपस म िलपटके एक दस ू रे को मारने लगे : तब उस ने कहा, मेर: जो ऐसी ह: दशा रहे गी तो मE यHकर जीवत रहंू गी? और वह यहोवा क इ.छा पूछने को गई। 23 तब यहोवा ने उस से कहा तेरे गभO म दो जाितयां हE , और तेर: कोख से िनकलते ह: दो राGय के लोग अलग अलग हHगे, और एक राGय के लोग दस ू रे से अिधक सामयh हHगे और बड़ा बेटा छोटे के अधीन होगा। 24 जब उसके पुऽ उप(न होने का समय आया, तब या ूगट हुआ, क उसके गभO म जुड़वे

बालक है । 25 और पहला जो उप(न हुआ सो लाल िनकला, और उसका सारा शर:र कSबल के समान रोममय या; सो उसका नाम एसाव रखा गया। 26 पीछे उसका भाई अपके हाथ से एसाव क एड़: पकडे हुए उप(न हुआ; और उसका नाम याकूब रखा गया। और जब gरबका ने उनको ज(म दया तब इसहाक साठ वषO का या। 27 फर वे लड़के बढ़ने लगे और एसाव तो वनवासी होकर चतुर िशकार खे लनेवाला हो गया, पर याकूब सीधा मनुंय या, और तSबुओं म रहा करता या। 28 और इसहाक तो एसाव के अहे र का मांस खाया करता या, इसिलथे वह उस से ूीित रखता या : पर gरबका याकूब से ूीित रखती यी।। 29 याकूब भोजन के िलथे कुछ दाल पका रहा या : और एसाव मैदान से यका हुआ आया। 30 तब एसाव ने याकूब से कहा, वह जो लाल वःतु है , उसी लाल वःतु म से मुझे कुछ 'खला, यHक मE यका हंू । इसी कारण उसका नाम एदोम भी पड़ा। 31 याकूब ने कहा, अपना पहलौठे का अिध कारने आज मेरे हाथ बे च दे । 32 एसाव ने कहा, दे ख, मै तो अभी मरने पर हंू : सो पहलौठे के अिध कारने से मेरा या लाभ होगा ? 33 याकूब ने कहा, मुझ से अभी शपय खा : सो उस ने उस से शपय खाई : और अपना पहलौठे का अिध कारने याकूब के हाथ बे च डाला। 34 इस पर याकूब ने एसाव को रोट: और पकाई हुई मसूर क दाल द:; और उस ने खाया पया, तब उठकर चला गया। यHएसाव ने अपना पहलौठे का अिध कारने तु.छ जाना।। उप 26 1 और उस दे श म अकाल पड़ा, वह उस पहले अकाल से अलग या जो इॄाह:म के

दनHम पड़ा या। सो इसहाक गरार को पिल'ँतयHके राजा अबीमेलेक के पास गया। 2 वहां यहोवा ने उसको दशOन दे कर कहा, िमॐ म मत जा; जो दे श मE तुझे बताऊं उसी म रह। 3 तू इसी दे श म रह, और मE तेरे संग रहंू गा, और तुझे आशीष दं ग ू ा; और थे सब दे श मE तुझ को, और तेरे वंश को दं ग ू ा; और जो शपय मE ने तेरे पता इॄाह:म से खाई यी, उसे मE पूर: कRंगा। 4 और मE तेरे वंश को आकाश के तारागण के समान कRंगा। और मE तेरे वंश को थे सब दे श दं ग ू ा, और पृवी क सार: जाितयां ते रे वंश के कारण अपके को ध(य मान गी। 5 यHक इॄाह:म ने मेर: मानी, और जो मE ने उसे सxपा या उसको और मेर: आWाओं विधयH, और eयवःया का पालन कया। 6 सो इसहाक गरार म रह गया। 7 जब उस ःयान के लोगHने उसक प^ी के वषय म पूछा, तब उस ने यह सोचकर क यद मE उसको अप क प^ी कहंू , तो यहां के लोग gरबका के कारण जो परम सु(दर: है मुझ को मार डाल गे, उर दया, वह तो मेर: बहन है । 8 जब उसको वहां रहते बहुत दन बीत गए, तब एक दन पिल'ँतयHके राजा अबीमेलेक ने 'खड़क म से फांकके या दे खा, क इसहाक अप क प^ी gरबका के साय बड़ा कर रहा है । 9 तब अबीमेलेक ने इसहाक को बुलवाकर कहा, वह तो िन_य तेर: प^ी है ; फर तू ने यHकर उसको अप क बहन कहा ? इसहाक ने उर दया, मE ने सोचा या, क ऐसा न हो क उसके कारण मेर: मृयु हो। 10 अबीमेलेक ने कहा, तू ने हम से यह या कया ? ऐसे तो ूजा म से कोई तेर: प^ी के साय सहज से कुकमO कर सकता, और तू हम को पाप म फंसाता। 11 और अबीमेलेक ने अप क सार: ूजा को आWा द:, क जो कोई उस पुRष को वा उस \ी को छूएगा, सो िन_य मार डाला जाएगा। 12 फर इसहाक ने उस दे श म जोता बोया, और उसी वषO म

सौ गुणा फल पाया : और यहोवा ने उसको आशीष द:। 13 और वह बढ़ा और उसक उ(नित होती च क गई, यहां तक क वह अित महान पुRष हो गया। 14 जब उसके भेड़-बकर:, गाय-बैल, और बहुत से दास-दािसयां हुई, तब पिलँती उस से डाह करने लगे। 15 सो 'जतने कुओं को उसके पता इॄाह:म के दासHने इॄाह:म के जीते जी खोदा या, उनको पिल'ँतयHने िम=ट: से भर दया। 16 तब अबीमेलेक ने इसहाक से कहा, हमारे पास से चला जा; यHक तू हम से बहुत सामयh हो गया है । 17 सो इसहाक वहां से चला गया, और गरार के नाले म तSबू खड़ा करके वहां रहने लगा। 18 तब जो कुएं उसके पता इॄाह:म के दनHम खोदे गए थे, और इॄाह:म के मरने के पीछे पिल'ँतयHने भर दए थे, उनको इसहाक ने फर से खुदवाया; और उनके वे ह: नाम रखे, जो उसके पता ने रखे थे। 19 फर इसहाक के दासHको नाले म खोदते खोदते बहते जल का एक सोता िमला। 20 तब गरार: चरवाहHने इसहाक के चरवाहHसे फगड़ा कया, और कहा, क यह जल हमारा है । सो उस ने उस कुएं का नाम एसेक रखा इसिलथे क वे उस से फगड़े थे। 21 फर उ(हHने दस ू रा कुआं खोदा; और उ(हHने उसके िलथे भी फगड़ा कया, सो उस ने उसका नाम िसऽा रखा। 22 तब उस ने वहां से कूच करके एक और कुआं खुदवाया; और उसके िलथे उ(हHने फगड़ा न कया; सो उस ने उसका नाम यह कहकर रहोबोत रखा, क अब तो यहोवा ने हमारे िलथे बहुत ःयान दया है , और हम इस दे श म फूल -फल गे। 23 वहां से वह बेशब  ा को गया। 24 और उसी दन यहोवा ने रात को उसे दशOन दे कर कहा, मE ते रे पता इॄाह:म का परमे र हंू ; मत डर, यHक मE तेरे साय हंू , और अपके दास इॄाह:म के कारण तुझे आशीष दं ग ू ा, और ते रा वंश बढ़ाऊंगा 25 तब उस ने वहां एक वेद: बनाई,

और यहोवा से ूायOना क, और अपना तSबू वह:ं खड़ा कया; और वहां इसहाक के दासHने एक कुआं खोदा। 26 तब अबीमेलेक अपके िमऽ अहुGजत, और अपके सेनापित पीकोल को संग लेकर, गरार से उसके पास गया। 27 इसहाक ने उन से कहा, तुम ने मुझ से बैर करके अपके बीच से िनकाल दया या; सो अब मेरे पास यHआए हो ? 28 उ(हHने कहा, हम ने तो ूयझ दे खा है , क यहोवा तेरे साय रहता है : सो हम ने सोचा, क तू तो यहोवा क ओर से ध(य है , सो हमारे ते रे बीच म शपय खाई जाए, और हम तुझ से इस वषय क वाचा ब(धाएं; 29 क जैसे हम ने तुझे नह:ं छूआ, वरन तेरे साय िनर: भलाई क है , और तुझ को कुशल झेम से वदा कया, उसके अनुसार तू भी हम से कोई बुराई न करे गा। 30 तब उस ने उनक जेवनार क, और उ(हHने खाया पया। 31 बहान को उन सभHने तड़के उठकर आपस म शपय खाई; तब इसहाक ने उनको वदा कया, और वे कुशल झेम से उसके पास से चले गए। 32 उसी दन इसहाक के दासHने आकर अपके उस खोदे हुए कुएं का वृा(त सुना के कहा, क हम को जल का एक सोता िमला है । 33 तब उस ने उसका नाम िशबा रखा : इसी कारण उस नगर का नाम आज तक बेशब  ा पड़ा है ।। 34 जब एसाव चालीस वषO का हुआ, तब उस ने ही बेर: क बे ट: यहूद:त, और ही एलोन क बेट: बाशमत को cयाह िलया। 35 और इन '\यHके कारण इसहाक और gरबका के मन को खेद हुआ।। उप 27 1 जब इसहाक बूढ़ा हो गया, और उसक आंख ऐसी धुध ं ली पड़ गई, क उसको सूफता न या, तब उस ने अपके जेठे पुऽ एसाव को बुलाकर कहा, हे मेरे पुऽ; उस

ने कहा, या आWा। 2 उस ने कहा, सुन, मE तो बूढ़ा हो गया हंू , और नह:ं जानता क मेर: मृयु का दन कब होगा : 3 सो अब तू अपना तरकश और धनुष आद हिययार लेकर मैदान म जा, और मेरे िलथे हरन का अहे र कर ले आ। 4 तब मेर: Rिच के अनुसार ःवाद भोजन बनाकर मेरे पास ले आना, क मै उसे खाकर मरने से पहले तुझे जी भर के आशीवाOद दं ।ू 5 तब एसाव अहे र करने को मैदान म

गया। जब इसहाक एसाव से यह बात कह रहा या, तब gरबका सुन रह: यी। 6 सो उस ने अपके पुऽ याकूब से कहा सुन, मE ने तेरे पता को तेरे भाई एसाव से यह कहते सुना, 7 क तू मेरे िलथे अहे र करके उसका ःवाद भोजन बना, क मE उसे खाकर तुझे यहोवा के आगे मरने से पहले आशीवाOद दं ू 8 सो अब, हे मेरे पुऽ, मेर: सुन, और यह आWा मान, 9 क बकgरयHके पास जाकर बकgरयHके दो अ.छे अ.छे ब.चे ले आ; और मE तेरे पता के िलथे उसक Rिच के अनुसार उन के मांस का ःवाद भोजन बनाऊंगी। 10 तब तू उसको अपके पता के पास ले जाना, क वह उसे खाकर मरने से पहले तुझ को आशीवाOद दे । 11 याकूब ने अप क माता gरबका से कहा, सुन, मेरा भाई एसाव तो रHआर पुRष है , और मE रोमह:न पुRष हंू । 12 कदािचत ् मेरा पता मुझे टटोलने लगे, तो मE उसक l म ठग ठहRंगा; और आशीष के बदले शाप ह: कमाऊंगा। 13 उसक माता ने उस से कहा, हे मेरे, पुऽ, शाप तुझ पर नह:ं मुझी पर पके, तू केवल मेर: सुन, और जाकर वे ब.चे मेरे पास ले आ। 14 तब याकूब जाकर उनको अप क माता के पास ले आया, और माता ने उसके पता क Rिच के अनुसार ःवाद भोजन बना दया। 15 तब gरबका ने अपके पहलौठे पुऽ एसाव के सु(दर व\, जो उसके पास घर म थे, लेकर अपके लहुरे पुऽ याकूब को पहना दए। 16 और बकgरयHके ब.चHक

खालHको उसके हाथHम और उसके िचकने गले म लपेट दया। 17 और वह ःवाद भोजन और अप क बनाई हुई रोट: भी अपके पुऽ याकूब के हाथ म दे द:। 18 सो वह अपके पता के पास गया, और कहा, हे मेरे पता : उस ने कहा या बात है ? हे मेरे पुऽ, तू कौन है ? 19 याकूब ने अपके पता से कहा, मE तेरा जे ठा पुऽ एसाव हंू । मE ने तेर: आWा मे अनुसार कया है ; सो उठ और बैठकर मेरे अहे र के मांस म से खा, क तू जी से मुझे आशीवाOद दे । 20 इसहाक ने अपके पुऽ से कहा, हे मेरे पुऽ, या कारण है क वह तुझे इतनी ज`द: िमल गया ? उस ने यह उर दया, क तेरे परमे र यहोवा ने उसको मेरे साSहने कर दया। 21 फर इसहाक ने याकूब से कहा, हे मेरे पुऽ, िनकट आ, मE तुझे टटोलकर जानू,ं क तू सचमुच मेरा पुऽ एसाव है वा नह:ं। 22 तब याकूब अपके पता इसहाक के िनकट गया, और उस ने उसको टटोलकर कहा, बोल तो याकूब का सा है , पर हाथ एसाव ह: के से जान पड़ते हE । 23 और उस ने उसको नह:ं ची(हा, यHक उसके हाथ उसके भाई के से रHआर थे। 24 और उस ने पूछा, या तू सचमुच मेरा पुऽ एसाव है ? उस ने कहा मE हूं। 25 तब उस ने कहा, भोजन को मेरे िनकट ले आ, क मE, अपके पुऽ के अहे र के मांस म से खाकर, तुझे जी से आशीवाOद दं ।ू तब वह उसको उसके िनकट ले आया, और उस ने खाया; और वह उसके पास दाखमधु भी लाया, और उस ने पया। 26 तब उसके पता इसहाक ने उस से कहा, हे मेरे पुऽ िनकट आकर मुझे चूम। 27 उस ने िनकट जाकर उसको चूमा। और उस ने उसके वHको सुग(ध पाकर उसको वह आशीवाOद दया, क दे ख, मेरे पुऽ का सुग(ध जो ऐसे खेत का सा है 'जस पर यहोवा ने आशीष द: हो : 28 सो परमे र तुझे आकाश से ओस, और भूिम क उम से उम उपज, और बहुत सा अनाज और नया

दाखमधु दे : 29 राGय राGय के लोग तेरे अधीन हH, और दे श दे श के लोग तुझे द+डवत ् कर : तू अपके भाइयHका ःवामी हो, और तेर: माता के पुऽ तुझे द+डवत ् कर : जो तुझे शाप द सो आप ह: ॐापत हH, और जो तुझे आशीवाOद द सो आशीष पाएं।। 30 यह आशीवाOद इसहाक याकूब को दे ह: चुका, और याकूब अपके पता इसहाक के साSहने से िनकला ह: या, क एसाव अहे र लेकर आ पहंु चा। 31 तब वह भी ःवाद भोजन बनाकर अपके पता के पास ले आया, और उस ने कहा, हे मेरे पता, उठकर अपके पुऽ के अहे र का मांस खा, ताक मुझे जी से आशीवाOद दे । 32 उसके पता इसहाक ने पूछा, तू कौन है ? उस ने कहा, मE तेरा जे ठा पुऽ एसाव हंू । 33 तब इसहाक ने अय(त यरयर कांपके हुए कहा, फर वह कौन या जो अहे र करके मेरे पास ले आया या, और मE ने तेरे आने से पहले सब म से कुछ कुछ खा िलया और उसको आशीवाOद दया ? वरन उसको आशीष लगी भी रहे गी। 34 अपके पता क यह बात सुनते ह: एसाव ने अय(त ऊंचे और द:ु ख भरे ःवर से िच`लाकर अपके पता से कहा, हे मेरे पता, मुझ को भी आशीवाOद दे । 35 उस ने कहा, तेरा भाई धूतOता से आया, और तेरे आशीवाOद को लेके चला गया। 36 उस ने कहा, या उसका नाम याकूब ययायO नह:ं रखा गया ? उस ने मुझे दो बार अड़ं गा मारा, मेरा पहलौठे का अिध कारने तो उस ने ले ह: िलया या : और अब दे ख, उस ने मेरा आशीवाOद भी ले िलया है : फर उस ने कहा, या तू ने मेरे िलथे भी कोई आशीवाOद नह:ं सोच रखा है ? 37 इसहाक ने एसाव को उर दे कर कहा, सुन, मE ने उसको तेरा ःवामी ठहराया, और उसके सब भाइयHको उसके अधीन कर दया, और अनाज और नया दाखमधु दे कर उसको पु कया है : सो अब, हे मेरे पुऽ, मE ते रे िलथे या कRं ? 38 एसाव ने अपके पता से कहा हे मेरे पता,

या तेरे मन म एक ह: आशीवाOद है ? हे मेरे पता, मुझ को भी आशीवाOद दे : यHकहकर एसाव फूट फूटके रोया। 39 उसके पता इसहाक ने उस से कहा, सुन, तेरा िनवास उपजाऊ भूिम पर हो, और ऊपर से आकाश क ओस उस पर पके।। 40 और तू अप क तलवार के बल से जीवत रहे , और अपके भाई के अधीन तो होए, पर जब तू ःवाधीन हो जाएगा, तब उसके जूए को अपके क(धे पर से तोड़ फ के। 41 एसाव ने तो याकूब से अपके पता के दए हुए आशीवाOद के कारण बैर रखा; सो उस ने सोचा, क मेरे पता के अ(तकाल का दन िनकट है , फर मE अपके भाई याकूब को घात कRंगा। 42 जब gरबका को अपके पहलौठे पुऽ एसाव क थे बात बताई गई, तब उस ने अपके लहुरे पुऽ याकूब को बुलाकर कहा, सुन, तेरा भाई एसाव तुझे घात करने के िलथे अपके मन को धीरज दे रहा है । 43 सो अब, हे मेरे पुऽ, मेर: सुन, और हारान को मेरे भाई लाबान के पास भाग जा ; 44 और योड़े दन तक, अयाOत ् जब तक तेरे भाई का बोध न उतरे तब तक उसी के पास रहना। 45 फर जब तेरे भाई का बोध ने उतरे , और जो काम तू ने उस से कया है उसको वह भूल जाए; तब मE तुझे वहां से बुलवा भेजूंगी : ऐसा यHहो क एक ह: दन म मुझे तुम दोनHसे रहत होना पके ? 46 फर gरबका ने इसहाक से कहा, ही लड़कयHके कारण मE अपके ूाण से िघन करती हंू ; सो यद ऐसी ही लड़कयHम से, जैसी इस दे श क लड़कयां हE , याकूब भी एक को कह:ं cयाह ले, तो मेरे जीवन म या लाभ होगा? उप 28 1 तब इसहाक ने याकूब को बुलाकर आशीवाOद दया, और आWा द:, क तू कसी

कनानी लड़क को न cयाह लेना। 2 पXनराम म अपके नाना बतूएल के घर जाकर वहां अपके मामा लाबान क एक बेट: को cयाह लेना। 3 और सवOशfमान ई र तुझे आशीष दे , और फुला-फलाकर बढ़ाए, और तू राGय राGय क म+डली का मूल हो। 4 और वह तुझे और तेरे वंश को भी इॄाह:म क सी आशीष दे , क तू यह दे श 'जस म तू परदे शी होकर रहता है , और 'जसे परमे र ने इॄाह:म को दया या, उसका अिध कारनेी हो जाए। 5 और इसहाक ने याकूब को वदा कया, और वह पXनराम को अरामी बतूएल के उस पुऽ लाबान के पास चला, जो याकूब और एसाव क माता gरबका का भाई या। 6 जब इसहाक ने याकूब को आशीवाOद दे कर पXनराम भेज दया, क वह वह:ं से प^ी cयाह लाए, और उसको आशीवाOद दे ने के समय यह आWा भी द:, क तू कसी कनानी लड़क को cयाह न लेना; 7 और याकूब माता पता क मानकर पXनराम को चल दया; 8 तब एसाव यह सब दे ख के और यह भी सोचकर, क कनानी लड़कयां मेरे पता इसहाक को बुर: लगती हE , 9 इॄाह:म के पुऽ इँमाएल के पास गया, और इँमाएल क बेट: महलत को, जो नबायोत क बहन भी, cयाहकर अप क प'^यHमे िमला िलया।। 10 सो याकूब बेशब  ा से िनकलकर हारान क ओर चला। 11 और उस ने कसी ःयान म पहंु चकर रात वह:ं बताने का वचार कया, यHक सूयO अःत हो गया या; सो उस ने उस ःयान के पयरHम से एक पयर ले अपना तकया बनाकर रखा, और उसी ःयान म सो गया। 12 तब उस ने ःव€न म या दे खा, क एक सीढ़: पृवी पर खड़: है , और उसका िसरा ःवगO तक पहंु चा है : और परमे र के दत ू उस पर से चढ़ते उतरते हE । 13 और यहोवा उसके ऊपर खड़ा होकर कहता है , क मE यहोवा, तेरे दादा इॄाह:म का परमे र, और इसहाक का

भी परमे र हंू : 'जस भूिम पर तू पड़ा है , उसे मE तुझ को और तेरे वंश को दं ग ू ा। 14 और तेरा वंश भूिम क धूल के कनकHके समान बहुत होगा, और प'.छम, पूरब, उर, द' खन, चारHओर फैलता जाएगा : और तेरे और तेरे वंश के kारा पृवी के सारे कुल आशीष पाएंगे। 15 और सुन, मE तेरे संग रहंू गा, और जहां कह:ं तू जाए वहां तेर: रझा कRंगा, और तुझे इस दे श म लौटा ले आऊंगा : मE अपके कहे हुए को जब तक पूरा न कर लूं तब तक तुझ को न छोडू ं गा। 16 तब याकूब जाग उठा, और कहने लगा; िन_य इस ःयान म यहोवा है ; और मE इस बात को न जानता या। 17 और भय खाकर उस ने कहा, यह ःयान या ह: भयानक है ! यह तो परमे र के भवन को छोड़ और कुछ नह:ं हो सकता; वरन यह ःवगO का फाटक ह: होगा। 18 भोर को याकूब तड़के उठा, और अपके तकए का पयर लेकर उसका खSभा खड़ा कया, और उसके िस के पर तेल डाल दया। 19 और उस ने उस ःयान का नाम बेतेल रखा; पर उस नगर का नाम पहले लूज या। 20 और याकूब ने यह म(नत मानी, क यद परमे र मेरे संग रहकर इस याऽा म

मेर: रझा करे , और मुझे खाने के िलथे रोट:, और पहनने के िलथे कपड़ा दे , 21 और मE अपके पता के घर म कुशल झे म से लौट आऊं : तो यहोवा मेरा परमे र ठहरे गा। 22 और यह पयर, 'जसका मE ने खSभा खड़ा कया है , परमे र का भवन ठहरे गा : और जो कुछ तू मुझे दे उसका दशमांश मE अवँय ह: तुझे दया कRंगा।। उप 29 1 फर याकूब ने अपना मागO िलया, और पू'eवयJके दे श म आया। 2 और उस ने

l करके या दे खा, क मैदान म एक कुंआ है , और उसके पास भेड़-बकgरयHके तीन फु+ड बैठे हुए हE ; यHक जो पयर उस कुएं के मुह ं पर धरा रहता या, 'जस म से फु+डHको जल पलाया जाता या, वह भार: या। 3 और जब सब फु+ड वहां इक=ठे हो जाते तब चरवाहे उस पयर को कुएं के मुह ं पर से लुढ़काकर भेड़-बकgरयHको पानी पलाते, और फर पयर को कुएं के मुह ं पर GयHका यHरख दे ते थे। 4 सो याकूब ने चरवाहHसे पूछा, हे मेरे भाइयो, तुम कहां के हो? उ(हHने कहा, हम हारान के हE । 5 तब उस ने उन से पूछा, या तुम नाहोर के पोते लाबान को जानते हो ? उ(हHने कहा, हां, हम उसे जानते हE । 6 फर उस ने उन से पूछा, या वह कुशल से है ? उ(हHने कहा, हां, कुशल से तो है और वह दे ख, उसक बेट: राहे ल भेड़-बकgरयHको िलथे हुए च क आती है । 7 उस ने कहा, दे खो, अभी तो दन बहुत है , पशुओं के इक=ठे होने का समय नह:ं : सो भेड़-बकgरयHको जल पलाकर फर ले जाकर चराओ। 8 उ(हHने कहा, हम अभी ऐसा नह:ं कर सकते, जब सब फु+ड इक=ठे होते हE तब पयर कुएं के मुह ं से लुढ़काया जाता है , और तब हम भेड़-बकgरयHको पानी पलाते हE । 9 उनक यह बातचीत हो रह: यी, क राहे ल जो पशु चराया करती यी, सो अपके पता क भेड़-बकgरयHको िलथे हुए आ गई। 10 अपके मामा लाबान क बेट: राहे ल को, और उसक भेड़-बकgरयHको भी दे खकर याकूब ने िनकट जाकर कुएं के मुह ं पर से पयर को लुढ़काकर अपके मामा लाबान क भेड़-बकgरयHको पानी पलाया। 11 तब याकूब ने राहे ल को चूमा, और ऊंचे ःवर से रोया। 12 और याकूब ने राहे ल को बता दया, क मE तेरा फुफेरा भाई हंू , अयाOत ् gरबका का पुऽ हंू : तब उस ने दौड़ के अपके पता से कह दया। 13 अपके भानजे याकूब को समाचार पाते ह: लाबान उस से भ ट करने को

दौड़ा, और उसको गले लगाकर चूमा, फर अपके घर ले आया। और याकूब ने लाबान से अपना सब वृा(त वणOन कया। 14 तब लाबान ने याकूब से कहा, तू तो सचमुच मेर: ह]ड: और मांस है । सो याकूब एक मह:ना भर उसके साय रहा। 15 तब लाबान ने याकूब से कहा, भाईब(धु होने के कारण तुझ से स तम त सेवा कराना मुझे उिचत नह:ं है , सो कह मE तुझे सेवा के बदले या दं ू ? 16 लाबान के दो बेटयां यी, 'जन म से बड़: का नाम िलआ : और छोट: का राहे ल या। 17 िलआ : के तो धु(धली आंखे यी, पर राहे ल Rपवती और सु(दर यी। 18 सो याकूब ने, जो राहे ल से ूीित रखता या, कहा, मE तेर: छोट: बे ट: राहे ल के िलथे सात बरस तेर: सेवा कRंगा। 19 लाबान ने कहा, उसे पराए पुRष को दे ने से तुझ को दे ना उम होगा; सो मेरे पास रह। 20 सो याकूब ने राहे ल के िलथे सात बरस सेवा क; और वे उसको राहे ल क ूीित के कारण योड़े ह: दनHके बराबर जान पके। 21 तब याकूब ने लाबान से कहा, मेर: प^ी मुझे दे , और मE उसके पास जाऊंगा, यHक मेरा समय पूरा हो गया है । 22 सो लाबान ने उस ःयान के सब मनुंयHको बुलाकर इक=ठा कया, और उनक जेवनार क। 23 सांफ के समय वह अप क बेट: िलआ : को याकूब के पास ले गया, और वह उसके पास गया। 24 और लाबान ने अप क बेट: िलआ : को उसक लxड: होने के िलथे अप क लxड: 'ज`पा द:। 25 भोर को मालूम हुआ क यह तो िलआ है , सो उस ने लाबान से कहा यह तू ने मुझ से या कया है ? मE ने तेरे साय रहकर जो तेर: सेवा क, सो या राहे ल के िलथे नह:ं क ? फर तू ने मुझ से यHऐसा छल कया है ? 26 लाबान ने कहा, हमारे यहां ऐसी र:ित नह:ं, क जेठq से पहले दस ू र: का ववाह कर द । 27 इसका सTाह तो पूरा कर; फर दस ू र: भी तुझे उस सेवा के िलथे िमलेगी जो तू मेरे साय रहकर

और सात वषO तक करे गा। 28 सो याकूब ने ऐसा ह: कया, और िलआ : के सTाह को पूरा कया; तब लाबान ने उसे अप क बेट: राहे ल को भी दया, क वह उसक प^ी हो। 29 और लाबान ने अप क बेट: राहे ल क लxड: होने के िलथे अप क लxड: ब`हा को दया। 30 तब याकूब राहे ल के पास भी गया, और उसक ूीित िलआ: से अिधक उसी पर हुई, और उस ने लाबान के साय रहकर सात वषO और उसक सेवा क।। 31 जब यहोवा ने दे खा, क िलआ: अूय हुई, तब उस ने उसक कोख खोली, पर राहे ल बांफ रह:। 32 सो िलआ: गभOवती हुई, और उसके एक पुऽ उप(न हुआ, और उस ने यह कहकर उसका नाम Rबे न रखा, क यहोवा ने मेरे द:ु ख पर l क है : सो अब मेरा पित मुझ से ूीित रखेगा। 33 फर वह गभOवती हुई और उसके एक पुऽ उप(न हुआ; और उस ने यह कहा क यह सुनके, क मै अूय हंू यहोवा ने मुझे यह भी पुऽ दया : इसिलथे उस ने उसका नाम िशमोन रखा। 34 फर वह गभOवती हुई और उसके एक पुऽ उप(न हुआ; और उस ने कहा, अब क बार तो मेरा पित मुझ से िमल जाएगा, यHक उस से मेरे तीन पुऽ उप(न हुए : इसिलथे उसका नाम लेवी रखा गया। 35 और फर वह गभOवती हुई और उसके एक और पुऽ उप(न हुआ; और उस ने कहा, अब क बार तो मE यहोवा का ध(यवाद कRंगी, इसिलथे उस ने उसका नाम यहूदा रखा; तब उसक कोख ब(द को गई।। उप 30 1 जब राहे ल ने दे खा, क याकूब के िलथे मुझ से कोई स(तान नह:ं होता, तब वह अप क बहन से डाह करने लगी : और याकूब से कहा, मुझे भी स(तान दे , नह:ं

तो मर जाऊंगी। 2 तब याकूब ने राहे ल से बोिधत होकर कहा, या मE परमे र हूं? तेर: कोख तो उसी ने ब(द कर रखी है । 3 राहे ल ने कहा, अ.छा, मेर: लxड: ब`हा हा'जर है : उसी के पास जा, वह मेरे घुटनHपर जनेगी, और उसके kारा मेरा भी घर बसेगा। 4 तो उस ने उसे अप क लxड: ब`हा को दया, क वह उसक प^ी हो; और याकूब उसके पास गया। 5 और ब`हा गभOवती हुई और याकूब से उसके एक पुऽ उप(न हुआ। 6 और राहे ल ने कहा, परमे र ने मेरा (याय चुकाया और मेर: सुनकर मुझे एक पुऽ दया : इसिलथे उस ने उसका नाम दान रखा। 7 और राहे ल क लxड: ब`हा फर गभOवती हुई और याकूब से एक पुऽ और उप(न हुआ। 8 तब राहे ल ने कहा, मE ने अप क बहन के साय बड़े बल से िलपटकर म`लयुa कया और अब जीत गई : सो उस ने उसका नाम नTाली रखा। 9 जब िलआ: ने दे खा क मE जनने से रहत हो गई हंू , तब उस ने अप क लxड: 'ज`पा को लेकर याकूब क प^ी होने के िलथे दे दया। 10 और िलआ: क लxड: 'ज`पा के भी याकूब से एक पुऽ उप(न हुआ। 11 तब िलआ: ने कहा, अहो भाbय! सो उस ने उसका नाम गाद रखा। 12 फर िलआ: क लxड: 'ज`पा के याकूब से एक और पुऽ उप(न हुआ। 13 तब िलआ: ने कहा, मै ध(य हंू ; िन_य '\यां मुझे ध(य कह गी : सो उस ने उसका नाम आशेर रखा। 14 गेहंू क कटनी के दनHम Rबेन को मैदान म दद ू ाफल िमले, और वह उनको अप क माता िलआ: के पास ले गया, तब राहे ल ने िलआ: से कहा, अपके पुऽ के दद ू ाफलHम से कुछ मुझे दे । 15 उस ने उस से कहा, तू ने जो मेरे पित को ले िलया है सो या छोट: बात है ? अब या तू मेरे पुऽ के दद ू ाफल भी लेने चाहती है ? राहे ल ने कहा, अ.छा, तेरे पुऽ के दद ू ाफलHके बदले वह आज रात को तेरे संग सोएगा। 16 सो

सांफ को जब याकूब मैदान से आ रहा या, तब िलआ: उस से भ ट करने को िनकली, और कहा, तुझे मेरे ह: पास आना होगा, यHक मै ने अपके पुऽ के दद ू ाफल दे कर तुझे सचमुच मोल िलया। तब वह उस रात को उसी के संग सोया। 17 तब परमे र ने िलआ: क सुनी, सो वह गभOवती हुई और याकूब से उसके पांचवां पुऽ उप(न हुआ। 18 तब िलआ: ने कहा, म ने जो अपके पित को अप क लxड: द:, इसिलथे परमे र ने मुझे मेर: मंजूर: द: है : सो उस ने उसका नाम इःसाकार रखा। 19 और िलआ: फर गभOवती हुई और याकूब से उसके छठवां पुऽ उप(न हुआ। 20 तब िलआ: ने कहा, परमे र ने मुझे अ.छा दान दया है ; अब क बार मेरा पित मेरे संग बना रहे गा, यHक मेरे उस से छ: पुऽ उप(न चुके हE : से उस ने उसका नाम जबूलन ू रखा। 21 तप_ात ् उसके एक बे ट: भी हुई, और उस ने उसका नाम द:ना रखा। 22 और परमे र ने राहे ल क भी सुिध ली, और उसक सुनकर उसक कोख खोली। 23 सो वह गभOवती हुई और उसके एक पुऽ उप(न हुआ; सो उस ने कहा, परमे र ने मेर: नामधराई को दरू कर दया है । 24 सो उस ने यह कहकर उसका नाम यूसफ ु रखा, क परमे र मुझे एक पुऽ और भी दे गा। 25 जब राहे ल से यूसफ ु उप(न हुआ, तब याकूब ने लाबान से कहा, मुझे वदा कर, क मE अपके दे श और ःयान को जाऊं। 26 मेर: '\यां और मेरे लड़के-बाले, 'जनके िलथे मE ने तेर: सेवा क है , उ(ह मुझे दे , क मE चला जाऊं; तू तो जानता है क मE ने ते र: कैसी सेवा क है । 27 लाबान ने उस से कहा, यद तेर: l म मE ने अनुमह पाया है , तो रह जा : यHक मE ने अनुभव से जान िलया है , क यहोवा ने तेरे कारण से मुझे आशीष द: है । 28 फर उस ने कहा, तू ठqक बता क मE तुझ को या दं ,ू और मE उसे दं ग ू ा। 29 उस ने उस से कहा तू

जानता है क मE ने तेर: कैसी सेवा क, और तेरे पशु मेरे पास कस ूकार से रहे । 30 मेरे अपके से पहले वे कतने थे, और अब कतने हो गए हE ; और यहोवा ने मेरे आने पर तुझे तो आशीष द: है : पर मE अपके घर का काम कब करने पाऊंगा? 31 उस ने फर कहा, मE तुझे या दं ?ू याकूब ने कहा, तू मुझे कुछ न दे ; यद तू मेरे िलथे एक काम करे , तो मै फर तेर: भेड़-बकgरयHको चराऊंगा, और उनक रझा कRंगा। 32 मE आज तेर: सब भेड़-बकgरयHके बीच होकर िनकलूग ं ा, और जो भेड़ वा बकर: िचीवाली वा िचकबर: हो, और जो भेड़ काली हो, और जो बकर: िचकबर: वा िचीवाली हो, उ(ह मE अलग कर रखूंगा : और मेर: मजदरू : म वे ह: ठहर गी। 33 और जब आगे को मेर: मजदरू : क चचाO तेरे साSहने चले, तब धमO क यह: साझी होगी; अयाOत ् बकgरयHम से जो कोई न िचीवाली न िचकबर: हो, और भेड़Hम से जो कोई काली न हो, सो यद मेरे पास िनकल , तो चोर: क ठहर गी। 34 तब लाबान ने कहा, तेरे कहने के अनुसार हो। 35 सो उस ने उसी दन सब धार:वाले और िचकबरे बकरH, और सब िचीवाली और िचकबर: बकgरयHको, अयाOत ् 'जन म कुछ उजलापन या, उनको और सब काली भेड़Hको भी अलग करके अपके पुऽHके हाथ सौप दया। 36 और उस ने अपके और याकूब के बीच म तीन दन के मागO का अ(तर ठहराया : सो याकूब लाबान क भेड़-बकgरयHको चराने लगा। 37 और याकूब ने चनार, और बादाम, और अमzन वृझHक हर: हर: छडय़ां लेकर, उनके िछलके कह:ं कह:ं छqलके, उ(ह धार:दार बना दया, ऐसी क उन छडय़Hक सफेद: दखाई दे ने लगी। 38 और तब छqली हुई छडय़Hको भेड़-बकgरयHके साSहने उनके पानी पीने के कठौतHम खड़ा कया; और जब वे पानी पीने के िलथे आई तब गािभन हो गई। 39 और छडय़Hके

साSहने गािभन होकर, भेड़-बकgरयां धार:वाले, िचीवाले और िचकबरे ब.चे जनीं। 40 तब याकूब ने भेड़Hके ब.चHको अलग अलग कया, और लाबान क भेड़-बकgरयHके मुह ं को िचीवाले और सब काले ब.चHक ओर कर दया; और अपके फु+ड़Hको उन से अलग रखा, और लाबान क भेड़-बकgरयHसे िमलने न दया। 41 और जब जब बलव(त भेड़-बकgरयां गािभन होती यी, तब तब याकूब उन छडय़Hको कठौतHमे उनके साSहने रख दे ता या; 'जस से वे छडय़Hको दे खती हुई गािभन हो जाएं। 42 पर जब िनबOल भेड़-बकgरयां गािभन होती यी, तब वह उ(ह उनके आगे नह:ं रखता या। इस से िनबOल िनबOल लाबान क रह:, और बलव(त बलव(त याकूब क हो गई। 43 सो वह पुRष अय(त धनाढय हो गया, और उसके बहुत सी भेड़-बकgरयां, और लxडयां और दास और ऊंट और गदहे हो गए।। उप 31 1 फर लाबान के पुऽHक थे बात याकूब के सुनने म आई, क याकूब ने हमारे पता का सब कुछ छqन िलया है , और हमारे पता के धन के कारण उसक यह ूितvा है । 2 और याकूब ने लाबान के मुखड़े पर l क और ताड़ िलया, क वह उसके ूित पहले के समान नह:ं है । 3 तब यहोवा ने याकूब से कहा, अपके पतरHके दे श और अप क ज(मभूिम को लौट जा, और मE तेरे संग रहंू गा। 4 तब याकूब ने राहे ल और िलआ: को, मैदान म अप क भेड़-बकgरयHके पास, बुलवाकर कहा, 5 तुSहारे पता के मुखड़े से मुझे समझ पड़ता है , क वह तो मुझे पहले क नाई अब नह:ं दे खता; पर मेरे पता का परमे र मेरे संग है । 6 और

तुम भी जानती हो, क मE ने तुSहारे पता क सेवा शf भर क है । 7 और तुSहारे पता ने मुझ से छल करके मेर: मजदरू : को दस बार बदल दया; पर(तु परमे र ने उसको मेर: हािन करने नह:ं दया। 8 जब उस ने कहा, क िचीवाले ब.चे तेर: मजदरू : ठहर गे, तब सब भेड़-बकgरयां िचीवाले ह: जनने लगीं, और जब उस ने कहा, क धार:वाले ब.चे तेर: मजदरू : ठहर गे, तब सब भेड़-बकgरयां धार:वाले जनने लगीं। 9 इस र:ित से परमे र ने तुSहारे पता के पशु लेकर मुझ को दे दए। 10 भेड़-बकgरयHके गािभन होने के समय मE ने ःव€न म या दे खा, क जो बकरे बकgरयHपर चढ़ रहे हE , सो धार:वाले, िचीवाले, और धcबेवाले है । 11 और परमे र के दत ू ने ःव€न म मुझ से कहा, हे याकूब : मE ने कहा, या आWा। 12 उस ने कहा, आंखे उठाकर उन सब बकरHको, जो बकgरयHपर चढ़ रहे हE , दे ख, क वे धार:वाले, िचीवाले, और धcबे वाले हE ; यHक जो कुछ लाबान तुझ से करता है , सो मE ने दे खा है । 13 मE उस बेतेल का ई र हंू , जहां तू ने एक खSभे पर ते ल डाल दया, और मेर: म(नत मानी यी : अब चल, इस दे श से िनकलकर अप क ज(मभूिम को लौट जा। 14 तब राहे ल और िलआ : ने उस से कहा, या हमारे पता के घर म अब भी हमारा कुछ भाग वा अंश बचा है ? 15 या हम उसक l म पराथे न ठहर:ं? दे ख, उस ने हम को तो बेच डाला, और हमारे Rपे को खा बैठा है । 16 सो परमे र ने हमारे पता का 'जतना धन ले िलया है , सो हमारा, और हमारे लड़केबालHको है : अब जो कुछ परमे र ने तुझ से कहा सो कर। 17 तब याकूब ने अपके लड़केबालHऔर '\यHको ऊंटHपर चढ़ाया; 18 और 'जतने पशुओं को वह पXनराम म इक=ठा करके धनाढय हो गया या, सब को कनान म अपके पता इसहाक के पास जाने क मनसा से, साय ले गया। 19 लाबान तो अप क

भेड़Hका ऊन कतरने के िलथे चला गया या। और राहे ल अपके पता के गृहदे वताओं को चुरा ले गई। 20 सो याकूब लाबान अरामी के पास से चोर: से चला गया, उसको न बताया क मE भागा जाता हंू । 21 वह अपना सब कुछ लेकर भागा : और महानद के पार उतरकर अपना मुह ं िगलाद के पहाड़: दे श क ओर कया।। 22 तीसरे दन लाबान को समाचार िमला, क याकूब भाग गया है । 23 सो उस ने अपके भाइयHको साय लेकर उसका सात दन तक पीछा कया, और िगलाद के पहाड़: दे श म उसको जा पकड़ा। 24 तब परमे र ने रात के ःव€न म

आरामी लाबान के पास आकर कहा, सावधान रह, तू याकूब से न तो भला कहना और न बुरा। 25 और लाबान याकूब के पास पहंु च गया, याकूब तो अपना तSबू िगलाद नाम पहाड़: दे श म खड़ा कए पड़ा या : और लाबान ने भी अपके भाइयHके साय अपना तSबू उसी पहाड़: दे श म खड़ा कया। 26 तब लाबान याकूब से कहने लगा, तू ने यह या कया, क मेरे पास से चोर: से चला आया, और मेर: बे टयHको ऐसा ले आया, जैसा कोई तलवार के बल से ब(द: बनाए गए? 27 तू यHचुपके से भाग आया, और मुझ से बना कुछ कहे मेरे पास से चोर: से चला आया; नह:ं तो मE तुझे आन(द के साय मृदंग और वीणा बजवाते, और गीत गवाते वदा करता ? 28 तू ने तो मुझे अपके बेटे बेटयHको चूमने तक न दया? तू ने मूखOता क है । 29 तुम लोगHक हािन करने क शf मेरे हाथ म तो है ; पर तुSहारे पता के परमे र ने मुझ से बीती हुई रात म कहा, सावधान रह, याकूब से न तो भला कहना और न बुरा। 30 भला अब तू अपके पता के घर का बड़ा अिभलाषी होकर चला आया तो चला आया, पर मेरे दे वताओं को तू यHचुरा ले आया है ? 31 याकूब ने लाबान को उर दया, मE यह सोचकर डर गया या : क

कह:ं तू अप क बेटयHको मुझ से छqन न ले। 32 'जस कसी के पास तू अपके दे वताओं को पाए, सो जीता न बचेगा। मेरे पास तेरा जो कुछ िनकले, सो भाई-ब(धुओं के साSहने पहचानकर ले ले। यHक याकूब न जानता या क राहे ल गृहदे वताओं को चुरा ले आई है । 33 यह सुनकर लाबान, याकूब और िलआ : और दोनHदािसयHके तSबुओं मे गया; और कुछ न िमला। तब िलआ: के तSबू म

से िनकलकर राहे ल के तSबू म गया। 34 राहे ल तो गृहदे वताओं को ऊंट क काठq म रखके उन पर बैठq यी। सो लाबान ने उसके सारे तSबू म टटोलने पर भी उ(ह

न पाया। 35 राहे ल ने अपके पता से कहा, हे मेरे ूभु; इस से अूस(न न हो, क मE तेरे साSहने नह:ं उठq; यHक मE \ीधमO से हंू । सो उसके ढू ं ढ़ ढांढ़ करने पर भी गृहदे वता उसको न िमले। 36 तब याकूब बोिधत होकर लाबान से फगड़ने लगा, और कहा, मेरा या अपराध है ? मेरा या पाप है , क तू ने इतना बोिधत होकर मेरा पीछा कया है ? 37 तू ने जो मेर: सार: साममी को टटोलकर दे खा, सो तुझ को सार: साममी म से या िमला? कुछ िमला हो तो उसको यहां अपके और मेरे भाइयHके सामहने रख दे , और वे हम दोनHके बीच (याय कर । 38 इन बीस वषJसे मै तेरे पास रहा; उन म न तो तेर: भेड़-बकgरयHके गभO िगरे , और न तेरे मेढ़Hका मांस मै ने कभी खाया। 39 'जसे बनैले ज(तुओं ने फाड़ डाला उसको मE तेरे पास न लाता या, उसक हािन मE ह: उठाता या; चाहे दन को चोर: जाता चाहे रात को, तू मुझ ह: से उसको ले लेता या। 40 मेर: तो यह दशा यी, क दन को तो घाम और रात को पाला मुझे खा गया; और नी(द मेर: आंखHसे भाग जाती यी। 41 बीस वषO तक मE तेरे घर म रहो; चौदह वषO तो मै ने तेर: दोनो बे टयHके िलथे, और छ: वषO तेर: भेड़-बकgरयHके िलथे सेवा क : और तू ने मेर: मजदरू : को दस बार

बदल डाला। 42 मेरे पता का परमे र अयाOत ् इॄाह:म का परमे र, 'जसका भय इसहाक भी मानता है , यद मेर: ओर न होता, तो िन_य तू अब मुझे छूछे हाथ जाने दे ता। मेरे द:ु ख और मेरे हाथHके पgरnम को दे खकर परमे र ने बीती हुई रात म तुझे दपटा। 43 लाबान ले याकूब से कहा, थे बेटयHतो मेर: ह: हE , और थे पुऽ भी मेरे ह: हE , और थे भेड़-बकgरयHभी मेर: ह: हE , और जो कुछ तुझे दे ख पड़ता है सो सब मेरा ह: है : और अब मE अप क इन बे टयHवा इनके स(तान से या कर सकता हंू ? 44 अब आ मE और तू दोनHआपस म वाचा बा(ध , और वह मेरे और ते रे बीच साझी ठहर: रहे । 45 तब याकूब ने एक पयर लेकर उसका खSभा खड़ा कया। 46 तब याकूब ने अपके भाई-ब(धुओं से कहा, पयर इक=ठा करो; यह सुनकर उ(हHने पयर इक=ठा करके एक ढे र लगाया और वह:ं ढे र के पास उ(हHने भोजन कया। 47 उस ढे र का नाम लाबान ने तो यळ सहादय ु ा, पर याकूब ने 'जिलयाद रखा। 48 लाबान ने कहा, क यह ढे र आज से मेरे और तेरे बीच साझी रहे गा। इस कारण उसका नाम 'जिलयाद रखा गया, 49 और िमजपा भी; यHक उस ने कहा, क जब हम उस दस ू रे से दरू रह तब यहोवा मेर: और तेर: दे खभाल करता रहे । 50 यद तू मेर: बेटयHको द:ु ख दे , वा उनके िसवाय और '\यां cयाह ले, तो हमारे साय कोई मनुंय तो न रहे गा; पर दे ख मेरे तेरे बीच म

परमे र साझी रहे गा। 51 फर लाबान ने याकूब से कहा, इस ढे र को दे ख और इस खSभे को भी दे ख, 'जनको मE ने अपके और ते रे बीच म खड़ा कया है । 52 यह ढे र और यह खSभा दोनHइस बात के साझी रह , क हािन करने क मनसा से न तो मE इस ढे र को लांघकर तेरे पास जाऊंगा, न तू इस ढे र और इस खSभे को लांघकर मेरे पास आएगा। 53 इॄाह:म और नाहोर और उनके पता; तीनHका जो

परमे र है , सो हम दोनो के बीच (याय करे । तब याकूब ने उसक शपय खाई 'जसका भय उसका पता इसहाक मानता या। 54 और याकूब ने उस पहाड़ पर मेलबिल चढ़ाया, और अपके भाई-ब(धुओं को भोजन करने के िलथे बुलाया, सो उ(हHने भोजन करके पहाड़ पर रात बताई। 55 बहान को लाबान तड़के उठा, और अपके बेटे बेटयHको चूमकर और आशीवाOद दे कर चल दया, और अपके ःयान को लौट गया। उप 32 1 और याकूब ने भी अपना मागO िलया और परमे र के दत ू उसे आ िमले। 2 उनको दे खते ह: याकूब ने कहा, यह तो परमे र का दल है सो उस ने उस ःयान का नाम महनैम रखा।। 3 तब याकूब ने सेईर दे श म , अयाOत ् एदोम दे श म , अपके भाई एसाव के पास अपके आगे दत ू भेज दए। 4 और उस ने उ(ह यह आWा द:, क मेरे ूभु एसाव से यHकहना; क ते रा दास याकूब तुझ से यHकहता है , क मE लाबान के यहां परदे शी होकर अब तक रहा; 5 और मेरे पास गाय-बैल, गदहे , भेड़-बकgरयां, और दास-दािसयां है : सो मE ने अपके ूभु के पास इसिलथे संदेशा भेजा है , क तेर: अनुमह क l मुझ पर हो। 6 वे दत ू याकूब के पास लौटके कहने लगे, हम तेरे भाई एसाव के पास गए थे, और वह भी तुझ से भ ट करने को चार सौ पुRष संग िलथे हुए चला आता है । 7 तब याकूब िनपट डर गया, और संकट म पड़ा : और यह सोचकर, अपके संगवालHके, और भेड़-बकgरयH, और गाय-बैलH, और ऊंटो के भी अलग अलग दो दल कर िलथे, 8 क यद एसाव आकर पहले दल को मारने लगे , तो दस ू रा दल भागकर बच जाएगा। 9 फर

याकूब ने कहा, हे यहोवा, हे मेरे दादा इॄाह:म के परमे र, तू ने तो मुझ से कहा, क अपके दे श और ज(मभूिम म लौट जा, और मE तेर: भलाई कRंगा : 10 तू ने जो जो काम अप क कRणा और स.चाई से अपके दास के साय कए हE , क मE जो अप क छड़: ह: लेकर इस यरदन नद: के पार उतर आया, सो अब मेरे दो दल हो गए हE , तेरे ऐसे ऐसे कामHम से मE एक के भी योbय तो नह:ं हंू । 11 मेर: बनती सुनकर मुझे मेरे भाई एसाव के हाथ से बचा : मE तो उस से डरता हूं, कह:ं ऐसा ने हो क वह आकर मुझे और मां समेत लड़कHको भी मार डाले। 12 तू ने तो कहा है , क मE िन_य तेर: भलाई कRंगा, और तेरे वंश को समुि क बालू के कनकHके समान बहुत कRंगा, जो बहुतायत के मारे िगने नह:ं जो सकते । 13 और उस ने उस दन क रात वह:ं बताई; और जो कुछ उसके पास या उस म से अपके भाई एसाव क भ ट के िलथे छांट छांटकर िनकाला; 14 अयाOत ् दो सौ बकgरयां, और बीस बकरे , और दो सौ भेड़ , और बीस मेढ़े, 15 और ब.चHसमेत दध ू दे नेवाली तीस ऊंटिनयां, और चालीस गाथ , और दस बैल, और बीस गदहयां और उनके दस ब.चे। 16 इनको उस ने फु+ड फु+ड करके, अपके दासHको सxपकर उन से कहा, मेरे आगे बढ़ जाओ; और फु+डHके बीच बीच म अ(तर रखो। 17 फर उस ने अगले फु+ड के रखवाले को यह आWा द:, क जब मेरा भाई एसाव तुझे िमले, और पूछने लगे, क तू कस का दास है , और कहां जाता है , और थे जो तेरे आगे आगे हE , सो कस के हE ? 18 तब कहना, क यह तेरे दास याकूब के हE । हे मेरे ूभु एसाव, थे भ ट के िलथे तेरे पास भेजे गए हE , और वह आप भी हमारे पीछे पीछे आ रहा है । 19 और उस ने दस ू रे और तीसरे रखवालHको भी, वरन उस सभHको जो फु+डHके पीछे पीछे थे ऐसी ह: आWा द:, क जब एसाव तुम को िमले

तब इसी ूकार उस से कहना। 20 और यह भी कहना, क तेरा दास याकूब हमारे पीछे पीछे आ रहा है । यHक उस ने यह सोचा, क यह भ ट जो मेरे आगे आगे जाती है , इसके kारा मE उसके बोध को शा(त करके तब उसका दशOन कRंगा; हो सकता है वह मुझ से ूस(न हो जाए। 21 सो वह भ ट याकूब से पहले पार उतर गई, और वह आप उस रात को छावनी म रहा।। 22 उसी रात को वह उठा और अप क दोनH'\यH, और दोनHलxडयH, और bयारहHलड़कHको संग लेकर घाट से यcबोक नद: के पार उतर गया। 23 और उस ने उ(ह उस नद: के पार उतार दया वरन अपना सब कुछ पार उतार दया। 24 और याकूब आप अकेला रह गया; तब कोई पुRष आकर पह फटने तक उस से म`लयुa करता रहा। 25 जब उस ने दे खा, क मE याकूब पर ूबल नह:ं होता, तब उसक जांघ क नस को छूआ; सो याकूब क जांघ क नस उस से म`लयुa करते ह: करते चढ़ गई। 26 तब उस ने कहा, मुझे जाने दे , यHक भोर हुआ चाहता है ; याकूब ने कहा जब तक तू मुझे आशीवाOद न दे , तब तक मE तुझे जाने न दं ग ू ा। 27 और उस ने याकूब से पूछा, तेरा नाम या है ? उस ने कहा याकूब। 28 उस ने कहा तेरा नाम अब याकूब नह:ं, पर(तु इॐाएल होगा, यHक तू परमे र से और मनुंयHसे भी युa करके ूबल हुआ है । 29 याकूब ने कहा, मE बनती करता हंू , मुझे अपना नाम बता। उस ने कहा, तू मेरा नाम यHपूछता है ? तब उस ने उसको वह:ं आशीवाOद दया। 30 तब याकूब ने यह कहकर उस ःयान का नाम प कएल रखा: क परमे र को आSहने साSहने दे खने पर भी मेरा ूाण बच गया है । 31 पनूएल के पास से चलते चलते सूयO उदय हो गया, और वह जांघ से लंगड़ाता या। 32 इॐाएली जो पशुओं क जांघ क जोड़वाले जंघानस को आज के दन तक नह:ं खाते , इसका कारण

यह: है , क उस पुRष ने याकूब क जांघ क जोड़ म जंघानस को छूआ या।। उप 33 1 और याकूब ने आंख उठाकर यह दे खा, क एसाव चार सौ पुRष संग िलथे हुए चला जाता है । तब उस ने लड़केबालHको अलग अलग बांटकर िलआ, और राहे ल, और दोनHलxडयHको सौप दया। 2 और उस ने सब के आगे लड़कHसमेत लxडयHको उसके पीछे लड़कHसमेत िलआ: को, और सब के पीछे राहे ल और यूसफ ु को रखा, 3 और आप उन सब के आगे बढ़ा, और सात बार भूिम पर िगरके द+डवत ् क, और अपके भाई के पास पहंु चा। 4 तब एसाव उस से भ ट करने को दौड़ा, और उसको ॑ृदय से लगाकर, गले से िलपटकर चूमा : फर वे दोनHरो पके। 5 तब उस ने आंखे उठाकर '\यHऔर लड़के बालHको दे खा; और पूछा, थे जो तेरे साय हE सो कौन हE ? उस ने कहा, थे तेरे दास के लड़के हE , 'ज(ह परमे र ने अनुमह करके मुझ को दया है । 6 तब लड़कHसमेत लxडयHने िनकट आकर द+डवत ् क। 7 फर लड़कHसमेत िलआ: िनकट आई, और उ(हHने भी द+डवत ् क: पीछे यूसफ ु और राहे ल ने भी िनकट आकर द+डवत ् क। 8 तब उस ने पूछा, तेरा यह बड़ा दल जो मुझ को िमला, उसका या ूयोजन है ? उस ने कहा, यह क मेरे ूभु क अनुमह क l मुझ पर हो। 9 एसाव ने कहा, हे मेरे भाई, मेरे पास तो बहुत है ; जो कुछ तेरा है सो तेरा ह: रहे । 10 याकूब ने कहा, नह:ं नह:ं, यद तेरा अनुमह मुझ पर हो, तो मेर: भ ट महण कर : यHक मE ने तेरा दशOन पाकर, मानो परमे र का दशOन पाया है , और तू मुझ से ूस(न हुआ है । 11 सो यह भ ट, जो तुझे भेजी गई है , महण कर : यHक परमे र ने मुझ पर अनुमह कया है , और

मेरे पास बहुत है । 12 फर एसाव ने कहा, आ, हम बढ़ चल : और मै ते रे आगे आगे चलूग ं ा। 13 याकूब ने कहा, हे मेरे ूभु, तू जानता ह: है क मेरे साय सुकुमार लड़के, और दध ू दे नेहार: भेड़-बकgरयां और गाथ है ; यद ऐसे पशु एक दन भी अिधक हांके जाएं, तो सब के सब मर जाएंगे। 14 सो मेरा ूभु अपके दास के आगे बढ़ जाए, और मE इन पशुओं क गित के अनुसार, जो मेरे आगे है , और लड़केबालHक गित के अनुसार धीरे धीरे चलकर सेईर म अपके ूभु के पास पहंु चग ूं ा। 15 एसाव ने कहा, तो अपके संगवालHम से मE कई एक तेरे साय छोड़ जाऊं। उस ने कहा, यह यH? इतना ह: बहुत है , क मेरे ूभु क अनुमह क l मुझ पर बनी रहे । 16 तब एसाव ने उसी दन सेईर जाने को अपना मागO िलया। 17 और याकूब वहां से कूच करके सु कोत को गया, और वहां अपके िलथे एक घर, और पशुओं के िलथे फHपके बनाए: इसी कारण उस ःयान का नाम सु कोत पड़ा।। 18 और याकूब जो पXनराम से आया या, सो कनान दे श के शकेम नगर के पास कुशल झेम से पहंु चकर नगर के साSहने डे रे खड़े कए। 19 और भूिम के 'जस ख+ड पर उस ने अपना तSबू खड़ा कया, उसको उस ने शकेम के पता हमोर के पुऽHके हाथ से एक सौ कसीतHम मोल िलया। 20 और वहां उस ने एक वे द: बनाकर उसका नाम एलेलोहे इॐाएल रखा।। उप 34 1 और िलआ: क बेट: द:ना, जो याकूब से उप(न हुई यी, उस दे श क लड़कयHसे भ ट करने को िनकली। 2 तब उस दे श के ूधान ही हमोर के पुऽ शकेम ने उसे दे खा, और उसे ले जाकर उसके साय कुकमO करके उसको ॅ कर

डाला। 3 तब उसका मन याकूब क बेट: द:ना से लग गया, और उस ने उस क(या से ूेम क बात क, और उस से ूेम करने लगा। 4 और शकेम ने अपके पता हमोर से कहा, मुझे इस लड़क को मेर: प^ी होने के िलथे दला दे । 5 और याकूब ने सुना, क शकेम ने मेर: बेट: द:ना को अशुa कर डाला है , पर उसके पुऽ उस समय पशुओं के संग मैदान म थे, सो वह उनके आने तक चुप रहा। 6 और शकेम का पता हमोर िनकलकर याकूब से बातचीत करने के िलथे उसके पास गया। 7 और याकूब के पुऽ सुनते ह: मैदान से बहुत उदास और बोिधत होकर आए: यHक शकेम ने याकूब क बेट: के साय कुकमO करके इॐाएल के घराने से मूखOता का ऐसा काम कया या, 'जसका करना अनुिचत या। 8 हमोर ने उन सब से कहा, मेरे पुऽ शकेम का मन तुSहार: बेट: पर बहुत लगा है , सो उसे उसक प^ी होने के िलथे उसको दे दो। 9 और हमारे साय cयाह कया करो; अप क बे टयां हम को दया करो, और हमार: बेटयHको आप िलया करो। 10 और हमारे संग बसे रहो: और यह दे श तुSहारे सामने पड़ा है ; इस म रहकर लेनदे न करो, और इसक भूिम को अपके िलथे ले लो। 11 और शकेम ने भी द:ना के पता और भाइयHसे कहा, यद मुझ पर तुम लोगHक अनुमह क l हो, तो जो कुछ तुम मुझ से कहा, सो मE दं ग ू ा। 12 तुम मुझ से कतना ह: मू`य वा बदला यHन मांगो, तौभी मE तुSहारे कहे के अनुसार दं ग ू ा : पर(तु उस क(या को प^ी होने के िलथे मुझे दो। 13 तब यह सोचकर, क शकेम ने हमार: बहन द:ना को अशुa कया है , याकूब के पुऽHने शकेम और उसके पता हमोर को छल के साय यह उर दया, 14 क हम ऐसा काम नह:ं कर सकते, क कसी खतनारहत पुRष को अप क बहन द ; यHक इस से हमार: नामधराई होगी : 15 इस बात पर तो हम तुSहार:

मान ल गे, क हमार: नाई तुम म से हर एक पुRष का खतना कया जाए। 16 तब हम अप क बे टयां तुSह cयाह द गे, और तुSहार: बेटयां cयाह ल गे, और तुSहारे संग बसे भी रह गे, और हम दोनHएक ह: समुदाय के मनुंय हो जाएंगे। 17 पर यद तुम हमार: बात न मानकर अपना खतना न कराओगे, तो हम अप क लड़क को लेके यहां से चले जाएंगे। 18 उसक इस बात पर हमोर और उसका पुऽ शकेम ूस(न हुए। 19 और वह जवान, जो याकूब क बेट: को बहुत चाहता या, इस काम को करने म उस ने वलSब न कया। वह तो अपके पता के सारे घराने म अिधक ूितvत या। 20 सो हमोर और उसका पुऽ शकेम अपके नगर के फाटक के िनकट जाकर नगरवािस कH यHसमझाने लगे; 21 क वे मनुंय तो हमारे संग मेल से रहना चाहते हE ; सो उ(ह इस दे श म रहके लेनदे न करने दो; दे खो, यह दे श उनके िलथे भी बहुत है ; फर हम लोग उनक बेटयHको cयाह ल , और अप क बेटयHको उ(ह दया कर । 22 वे लोग केवल इस बात पर हमारे संग रहने और एक ह: समुदाय के मनुंय हो जाने को ूस(न हE , क उनक नाई हमारे सब पुRषHका भी खतना कया जाए। 23 या उनक भेड़-बकgरयां, और गाय-बैल वरन उनके सारे पशु और धन सSप हमार: न हो जाएगी? इतना क कर क हम लोग उनक बात मान ल , तो वे हमारे संग रह गे। 24 सो 'जतने उस नगर के फाटक से िनकलते थे, उन सभHने हमोर क और उसके पुऽ शकेम क बात मानी; और हर एक पुRष का खतना कया गया, 'जतने उस नगर के फाटक से िनकलते थे। 25 तीसरे दन, जब वे लोग पीड़त पके थे, तब ऐसा हुआ क िशमोन और लेवी नाम याकूब के दो पुऽHने, जो द:ना के भाई थे, अप क अप क तलवार ले उस नगर म िनधड़क घुसकर सब पुRषHको घात कया। 26 और हमोर

और उसके पुऽ शकेम को उ(हHने तलवार से मार डाला, और द:ना को शकेम के घर से िनकाल ले गए। 27 और याकूब के पुऽHने घात कर डालने पर भी चढ़कर नगर को इसिलथे लूट िलया, क उस म उनक बहन अशुa क गई यी। 28 उ(हHने भेड़-बकर:, और गाय-बैल, और गदहे , और नगर और मैदान म 'जतना धन या ले िलया। 29 उस सब को, और उनके बाल-ब.चH, और '\यHको भी हर ले गए, वरन घर घर म जो कुछ या, उसको भी उ(हHने लूट िलया। 30 तब याकूब ने िशमोन और लेवी से कहा, तुम ने जो उस दे श के िनवासी कनािनयHऔर पgर'GजयHके मन म मेर: ओर घृणा उप(न कराई है , इस से तुम ने मुझे संकट म डाला है , यHक मेरे साय तो योड़े क लोग हE , सो अब वे इक=ठे होकर मुझ पर चढ़ गे, और मुझे मार डाल गे, सो मE अपके घराने समेत सयानाश हो जाऊंगा। 31 उ(हHने कहा, या वह हमार: बहन के साय वेँया क नाई बताOव करे ? उप 35 1 तब परमे र ने याकूब से कहा, यहां से कूच करके बे तेल को जा, और वह:ं रह: और वहां ई र के िलथे वेद: बना, 'जस ने तुझे उस समय दशOन दया, जब तू अपके भाई एसाव के डर से भागा जाता या। 2 तब याकूब ने अपके घराने से, और उन सब से भी जो उसके संग थे, कहा, तुSहारे बीच म जो पराए दे वता हE , उ(ह

िनकाल फ को; और अपके अपके को शुa करो, और अपके व\ बदल डालो; 3 और आओ, हम यहां से कूच करके बेतेल को जाएं; वहां मE ई र के िलथे एक वेद: बनाऊंगा, 'जस ने संकट के दन मेर: सुन ली, और 'जस मागO से मE चलता या, उस म मेरे संग रहा। 4 सो 'जतने पराए दे वता उनके पास थे, और 'जतने कु+डल

उनके कानHम थे, उन सभHको उ(हHने याकूब को दया; और उस ने उनको उस िस(दरू वृझ के नीचे, जो शकेम के पास है , गाड़ दया। 5 तब उ(हHने कूच कया: और उनके चारHओर के नगर िनवािसयHके मन म परमे र क ओर से ऐसा भय समा गया, क उ(हHने याकूब के पुऽHका पीछा न कया। 6 सो याकूब उन सब समेत, जो उसके संग थे, कनान दे श के लूज नगर को आया। वह नगर बेतेल भी कहलाता है । 7 वहां उस ने एक वेद: बनाई, और उस ःयान का नाम एलबेतेल रखा; यHक जब वह अपके भाई के डर से भागा जाता या तब परमे र उस पर वह:ं ूगट हुआ या। 8 और gरबका क दध ू पलानेहार: धाय दबोरा मर गई, और बे तेल के नीचे िस(दरू वृझ के तले उसको िम=ट: द: गई, और उस िस(दरू वृझ का नाम अ`लोनब कूत रखा गया।। 9 फर याकूब के पXनराम से आने के प_ात ् परमे र ने दस ू र: बार उसको दशOन दे कर आशीष द:। 10 और परमे र ने उस से कहा, अब तक तो ते रा नाम याकूब रहा है ; पर आगे को तेरा नाम याकूब न रहे गा, तू इॐाएल कहलाएगा : 11 फर परमे र ने उस से कहा, मE सवOशfमान ई र हूं: तू फूले-फले और बढ़े ; और तुझ से एक जाित वरन जाितयHक एक म+डली भी उप(न होगी, और तेरे वंश म राजा उप(न हHगे। 12 और जो दे श मE ने इॄाह:म और इसहाक को दया है , वह: दे श तुझे दे ता हंू , और ते रे पीछे तेरे वंश को भी दं ग ू ा। 13 तब परमे र उस ःयान म , जहां उस ने याकूब से बात क, उनके पास से ऊपर चढ़ गया। 14 और 'जस ःयान म परमे र ने याकूब से बात क, वहां याकूब ने पयर का एक खSबा खड़ा कया, और उस पर अघO दे कर तेल डाल दया। 15 और जहां परमे र ने याकूब से बात क, उस ःयान का नाम उस ने बे तेल रखा। 16 फर उ(हHने बेतेल से कूच कया; और एूाता योड़: ह: दरू रह

गया या, क राहे ल को ब.चा जनने क बड़: पीड़ा आने लगी। 17 जब उसको बड़: बड़: पीड़ा उठती यी तब धाय ने उस से कहा, मत डर; अब क भी तेरे बेटा ह: होगा। 18 तब ऐसा हुआ, क वह मर गई, और ूाण िनकलते िनकलते उस ने उस बे टे को नाम बेनोनी रखा: पर उसके पता ने उसका नाम ब(यामीन रखा। 19 यHराहे ल मर गई, और एूाता, अयाOत ् बेतलेहेम के मागO म , उसको िम=ट: द: गई। 20 और याकूब ने उसक कॄ पर एक खSभा खड़ा कया: राहे ल क कॄ का वह: खSभा आज तक बना है । 21 फर इॐाएल ने कूच कया, और एदे र नाम गुSमट के आगे बढ़कर अपना तSबू खड़ा कया। 22 जब इॐाएल उस दे श म

बसा या, तब एक दन ऐसा हुआ, क Rबेन ने जाकर अपके पता क रखेली ब`हा के साय कुकमO कया : और यह बात इॐाएल को मालूम हो गई।। 23 याकूब के बारह पुऽ हुए। उन म से िलआ: के पुऽ थे थे; अयाOत ् याकूब का जेठा, Rबेन, फर िशमोन, लेवी, यहूदा, इःसाकार, और जबूलन ू । 24 और राहे ल के पुऽ थे थे; अयाOत ् यूसफ ु , और ब(यामीन। 25 और राहे ल क लौ(ड: ब`हा के पुऽ थे थे; अयाOत ् दान, और नTाली। 26 और िलआ: क लौ(ड: 'ज`पा के पुऽ थे थे : अयाOत ् गाद, और आशेर; याकूब के थे ह: पुऽ हुए, जो उस से पXनराम म उप(न हुए।। 27 और याकूब मॆे म , जो कgरयतअबाO, अयाOत ् हॄोन है , जहां इॄाह:म और इसहाक परदे शी होकर रहे थे, अपके पता इसहाक के पास आया। 28 इसहाक क अवःया एक सौ अःसी बरस क हुई। 29 और इसहाक का ूाण छूट गया, और वह मर गया, और वह बूढ़ा और पूर: आयु का होकर अपके लोगHम जा िमला: और उसके पुऽ एसाव और याकूब ने उसको िम=ट: द:।। उप 36

1 एसाव जो एदोम भी कहलाता है , उसक यह वंशावली है । 2 एसाव ने तो कनानी लड़कयां cयाह लीं; अयाOत ् ही एलोन क बेट: आदा को, और अहोलीबामा को जो अना क बे ट:, और हeवी िसबोन क नितनी यी। 3 फर उस ने इँमाएल क बे ट: बासमत को भी, जो नबायोत क बहन यी, cयाह िलया। 4 आदा ने तो एसाव के ज(माए एलीपज को, और बासमत ने Rएल को उप(न कया। 5 और ओहोलीबामा ने यूश, और यालाम, और कोरह को उप(न कया, एसाव के थे ह: पुऽ कनान दे श म उप(न हुए। 6 और एसाव अप क प'^यH, और बे टे-बे टयH, और घर के सब ूा'णयH, और अप क भेड़-बकर:, और गाय-बैल आद सब पशुओं, िनदान अप क सार: सSप को, जो उस ने कनान दे श म संचय क यी, लेकर अपके भाई याकूब के पास से दस ू रे दे श को चला गया। 7 यHक उनक सSप इतनी हो गई यी, क वे इक=ठे न रह सके; और पशुओं क बहुतायत के मारे उस दे श म , जहां वे परदे शी होकर रहते थे, उनक समाई न रह:। 8 एसाव जो एदोम भी कहलाता है : सो सेईर नाम पहाड़: दे श म रहने लगा। 9 सेईर नाम पहाड़: दे श म रहनेहारे एदोिमयHके मूल पुRष एसाव क वंशावली यह है : 10 एसाव के पुऽHके नाम थे हE ; अयाOत ् एसाव क प^ी आदा का पुऽ एलीपज, और उसी एसाव क प^ी बासमत का पुऽ Rएल। 11 और एलीपज के थे पुऽ हुए; अयाOत ् ते मान, ओमार, सपो, गाताम, और कनज। 12 और एसाव के पुऽ एलीपज के ितSना नाम एक सुरैितन यी, 'जस ने एलीपज के ज(माए अमालेक को ज(म दया : एसाव क प^ी आदा के वंश म थे ह: हुए। 13 और Rएल के थे पुऽ हुए; अयाOत ् नहत, जे रह, शSमा, और िमGजा : एसाव क प^ी बासमत के वंश म थे ह: हुए। 14 और ओहोलीबामा जो एसाव क प^ी, और िसबोन क नितनी और

अना क बेट: यी, उसके थे पुऽ हुए : अयाOत ् उस ने एसाव के ज(माए यूश, यालाम और कोरह को ज(म दया। 15 एसाववंिशयHके अिधपित थे हुए : अयाOत ् एसाव के जेठे एलीपज के वंश म से तो तेमान अिधपित, ओमार अिधपित, सपो अिधपित, कनज अिधपित, 16 कोरह अिधपित, गाताम अिधपित, अमालेख अिधपित : एलीपज वंिशयHमे से, एदोम दे श म थे ह: अिधपित हुए : और थे ह: आदा के वंश म हुए। 17 और एसाव के पुऽ Rएल के वंश म थे हुए; अयाOत ् नहत अिधपित, जेरह अिधपित, शSमा अिधपित, िमGजा अिधपित: RएलवंिशयHम

से, एदोम दे श म थे ह: अिधपित हुए; और थे ह: एसाव क प^ी बासमत के वंश म

हुए। 18 और एसाव क प^ी ओहोलीबामा के वंश म थे हुए; अयाOत ् यूश अिधपित, यालाम अिधपित, कोरह अिधपित, अना क बेट: ओहोलीबामा जो एसाव क प^ी यी उसके वंश म थे ह: हुए। 19 एसाव जो एदोम भी कहलाता है , उसके वंश थे ह: हE , और उनके अिधपित भी थे ह: हुए।। 20 सेईर जो होर: नाम जाित का या उसके थे पुऽ उस दे श म पहले से रहते थे; अयाOत ् लोतान, शोबाल, िशबोन, अना, 21 द:शोन, एसेर, और द:शान; एदोम दे श म सेईर के थे ह: होर: जाितवाले अिधपित हुए। 22 और लोतान के पुऽ, होर:, और हे माम हुए; और लोतान क बहन ितSना यी। 23 और शोबाल के थे पुऽ हुए; अयाOत ् आ`वान, मानहत, एबाल, शपो, और ओनाम। 24 और िसदोन के थे पुऽ हुए; अयाOत ् अया, और अना; यह वह: अना है 'जस को जंगल म अपके पता िसबोन के गदहHको चराते चराते गरम पानी के फरने िमले। 25 और अना के द:शोन नाम पुऽ हुआ, और उसी अना के ओहोलीबामा नाम बेट: हुई। 26 और द:शोन के थे पुऽ हुए; अयाOत ् हे मदान, एँबान, ियऽान, और करान। 27 एसेर के थे पुऽ हुए; अयाOत ्

ब`हान, जावान, और अकान। 28 द:शान के थे पुऽ हुए; अयाOत ् ऊस, और अकान। 29 होgरयHके अिधपित थे हुए; अयाOत ् लोतान अिधपित, शोबाल अिधपित, िशबोन अिधपित, अना अिधपित, 30 द:शोन अिधपित, एसेर अिधपित, द:शान अिधपित, सेईर दे श म होर: जाितवाले थे ह: अिधपित हुए। 31 फर जब इॐाएिलयHपर कसी राजा ने राGय न कया या, तब भी एदोम के दे श म थे राजा हुए; 32 अयाOत ् बोर के पुऽ बे ला ने एदोम म राGय कया, और उसक राजधानी का नाम द(हाबा है । 33 बेला के मरने पर, बोॐािनवासी जेरह का पुऽ योबाब उसके ःयान पर राजा हुआ। 34 और योबाब के मरने पर, तेमािनयHके दे श का िनवासी हूशाम उसके ःयान पर राजा हुआ। 35 और हूशाम के मरने पर, बदद का पुऽ हदद उसके ःयान पर राजा हुआ : यह वह: है 'जस ने िमrािनयHको मोआब के दे श म मार िलया, और उसक राजधानी का नाम अबीत है । 36 और हदद के मरने पर, मॐेकावासी सSला उसके ःयान पर राजा हुआ। 37 फर सSला के मरने पर, शाऊल जो महानद के तटवाले रहोबोत नगर का या, सो उसके ःयान पर राजा हुआ। 38 और शाऊल के मरने पर, अकबोर का पुऽ बा`हानान उसके ःयान पर राजा हुआ। 39 और अकबोर के पुऽ बा`हानान के मरने पर, हदर उसके ःयान पर राजा हुआ : और उसक राजधानी का नाम पाऊ है ; और उसक प^ी का नाम महे तबेल है , जो मेजाहब क नितनी और मऽे द क बे ट: यी। 40 फर एसाववंिशयHके अिधपितयHके कुलH, और ःयानHके अनुसार उनके नाम थे हE ; अयाOत ् ितSना अिधपित, अ`बा अिधपित, यतेत अिधपित, 41 ओहोलीबामा अिधपित, एला अिधपित, पीनोन अिधपित, 42 कनज अिधपित, तेमान अिधपित, िमसबार अिधपित, 43 मbद:एल अिधपित, ईराम अिधपित:

एदोमवंिशयHने जो दे श अपना कर िलया या, उसके िनवासःयानHम उनके थे ह: अिधपित हुए। और एदोमी जाित का मूलपुRष एसाव है ।। उप 37 1 याकूब तो कनान दे श म रहता या, जहां उसका पता परदे शी होकर रहा या। 2 और याकूब के वंश का वृा(त यह है : क यूसफ ु सतरह वषO का होकर भाइयHके संग भेड़-बकgरयHको चराता या; और वह लड़का अपके पता क प^ी ब`हा, और 'ज`पा के पुऽHके संग रहा करता या : और उनक बुराईयHका समाचार अपके पता के पास पहंु चाया करता या : 3 और इॐाएल अपके सब पुऽHसे बढ़के यूसफ ु से ूीित रखता या, यHक वह उसके बुढ़ापे का पुऽ या : और उस ने उसके िलथे रं ग बरं गा अंगरखा बनवाया। 4 सो जब उसके भाईयHने दे खा, क हमारा पता हम सब भाइयHसे अिधक उसी से ूीित रखता है , तब वे उस से बैर करने लगे और उसके साय ठqक तौर से बात भी नह:ं करते थे। 5 और यूसफ ु ने एक ःव€न दे खा, और अपके भाइयHसे उसका वणOन कया : तब वे उस से और भी kे ष करने लगे। 6 और उस ने उन से कहा, जो ःव€न मE ने दे खा है , सो सुनो : 7 हम लोग खेत म

पूले बा(ध रहे हE , और या दे खता हंू क मेरा पूला उठकर सीधा खड़ा हो गया; तब तुSहारे पूलHने मेरे पूले को चारHतरफ से घेर िलया और उसे द+डवत ् कया। 8 तब उसके भाइयHने उस से कहा, या सचमुच तू हमारे ऊपर राGय करे गा ? वा सचमुच तू हम पर ूभुता करे गा ? सो वे उसके ःव€नHऔर उसक बातHके कारण उस से और भी अिधक बैर करने लगे। 9 फर उस ने एक और ःव€न दे खा, और अपके भाइयHसे उसका भी यHवणOन कया, क सुनो, मE ने एक और ःव€न दे खा

है , क सूयO और च(िमा, और bयारह तारे मुझे द+डवत ् कर रहे हE । 10 यह ःव€न उस ने अपके पता, और भाइयHसे वणOन कया : तब उसके पता ने उसको दपटके कहा, यह कैसा ःव€न है जो तू ने दे खा है ? या सचमुच मE और ते र: माता और ते रे भाई सब जाकर तेरे आगे भूिम पर िगरके द+डवत ् कर गे? 11 उसके भाई तो उससे डाह करते थे; पर उसके पता ने उसके उस वचन को ःमरण रखा। 12 और उसके भाई अपके पता क भेड़-बकgरयHको चराने के िलथे शकेम को गए। 13 तब इॐाएल ने यूसफ ु से कहा, ते रे भाई तो शकेम ह: म भेड़-बकर: चरा रह

हHगे, सो जा, मE तुझे उनके पास भेजता हंू । उस ने उस से कहा जो आWा मE हा'जर हंू । 14 उस ने उस से कहा, जा, अपके भाइयHऔर भेड़-बकgरयHका हाल दे ख आ क वे कुशल से तो हE , फर मेरे पास समाचार ले आ। सो उस ने उसको हे ॄोन क तराई म वदा कर दया, और वह शकेम म आया। 15 और कसी मनुंय ने उसको मैदान म इधर उधर भटकते हुए पाकर उस से पूछा, तू या ढू ं ढता है ? 16 उस ने कहा, मE तो अपके भाइयHको ढू ं ढता हंू : कृपा कर मुझे बता, क वे भेड़-बकgरयHको कहां चरा रहे हE ? 17 उस मनुंय ने कहा, वे तो यहां से चले गए हE : और मE ने उनको यह कहते सुना, क आओ, हम दोतान को चल । सो यूसफ ु अपके भाइयHके पास चला, और उ(ह दोतान म पाया। 18 और GयHह: उ(हHने उसे दरू से आते दे खा, तो उसके िनकट आने के पहले ह: उसे मार डालने क युf क। 19 और वे आपस म कहने लगे, दे खो, वह ःव€न दे खनेहारा आ रहा है । 20 सो आओ, हम उसको घात करके कसी गड़हे म डाल द , और यह कह द गे, क कोई द ु पशु उसको खा गया। फर हम दे ख गे क उसके ःव€नHका या फल होगा। 21 यह सुनके Rबेन ने उसको उनके हाथ से बचाने क मनसा से कहा, हम

उसको ूाण से तो न मार । 22 फर Rबेन ने उन से कहा, लोहू मत बहाओ, उसको जंगल के इस गड़हे म डाल दो, और उस पर हाथ मत उठाओ। वह उसको उनके हाथ से छुड़ाकर पता के पास फर पहंु चाना चाहता या। 23 सो ऐसा हुआ, क जब यूसफ ु अपके भाइयHके पास पहंु चा तब उ(हHने उसका रं गबरं गा अंगरखा, 'जसे वह पहने हुए या, उतार िलया। 24 और यूसफ ु को उठाकर गड़हे म डाल दया : वह गड़हा तो सूखा या और उस म कुछ जल न या। 25 तब वे रोट: खाने को बैठ गए : और आंखे उठाकर या दे खा, क इँमाएिलयHका एक दल ऊंटो पर सुग(धिeय, बलसान, और ग(धरस लादे हुए, िगलाद से िमॐ को चला जा रहा है । 26 तब यहूदा ने अपके भाइयHसे कहा, अपके भाई को घात करने और उसका खून िछपाने से या लाभ होगा ? 27 आओ, हम उसे इँमाएिलयHके हाथ बेच डाल , और अपना हाथ उस पर न उठाएं, यHक वह हमारा भाई और हमार: ह]ड: और मांस है , सो उसके भाइयHने उसक बात मान ली। तब िमrानी eयापार: उधर से होकर उनके पास पहंु चे : 28 सो यूसफ ु के भाइयHने उसको उस गड़हे म से खींचके बाहर िनकाला, और इँमाएिलयHके हाथ चांद: के बीस टु कड़Hम बेच दया : और वे यूसफ ु को िमॐ म ले गए। 29 और Rबेन ने गड़हे पर लौटकर या दे खा, क यूसफ ु गड़हे म नह:ं हE ; सो उस ने अपके व\ फाड़े । 30 और अपके भाइयHके पास लौटकर कहने लगा, क लड़का तो नह:ं हE ; अब मE कधर जाऊं ? 31 और तब उ(हHने यूसफ ु का अंगरखा िलया, और एक बकरे को मारके उसके लोहू म उसे डु बा दया। 32 और उ(हHने उस रं ग बरं गे अंगरखे को अपके पता के पास भेजकर कहला दया; क यह हम को िमला है , सो दे खकर पहचान ले, क यह तेरे पुऽ का अंगरखा है क नह:ं। 33 उस ने उसको पहचान िलया, और कहा, हां

यह मेरे ह: पुऽ का अंगरखा है ; कसी द ु पशु ने उसको खा िलया है ; िन:स(दे ह यूसफ ु फाड़ डाला गया है । 34 तब याकूब ने अपके व\ फाड़े और कमर म टाट लपेटा, और अपके पुऽ के िलथे बहुत दनHतक वलाप करता रहा। 35 और उसके सब बेटे-बेटयHने उसको शा'(त दे ने का य^ कया; पर उसको शा'(त न िमली; और वह यह: कहता रहा, मE तो वलाप करता हुआ अपके पुऽ के पास अधोलोक म उतर जाऊंगा। इस ूकार उसका पता उसके िलथे रोता ह: रहा। 36 और िमrािनयHने यूसफ ु को िमॐ म ले जाकर पोतीपर नाम, फरौन के एक हाकम, और ज`लादHके ूधान, के हाथ बेच डाला।। उप 38 1 उ(ह:ं दनHम ऐसा हुआ, क यहूदा अपके भाईयHके पास से चला गया, और ह:रा नाम एक अद` ु लामवासी पुRष के पास डे रा कया। 2 वहां यहूदा ने शूआ नाम एक कनानी पुRष क बेट: को दे खा; और उसको cयाहकर उसके पास गया। 3 वह गभOवती हुई, और उसके एक पुऽ उप(न हुआ; और यहूदा ने उसका नाम एर रखा। 4 और वह फर गभOवती हुई, और उसके एक पुऽ उप(न हुआ; और उसका नाम ओनान रखा गया। 5 फर उसके एक पुऽ और उप(न हुआ, और उसका नाम शेला रखा गया : और 'जस समय इसका ज(म हुआ उस समय यहूदा कजीब म रहता या। 6 और यहूदा ने तामार नाम एक \ी से अपके जेठे एर का ववाह कर दया। 7 पर(तु यहूदा का वह जे ठा एर यहोवा के लेखे म द ु या, इसिलथे यहोवा ने उसको मार डाला। 8 तब यहूदा ने ओनान से कहा, अप क भौजाई के पास जा, और उसके साय दे वर का धमO पूरा करके अपके भाई के िलथे

स(तान उप(न कर। 9 ओनान तो जानता या क स(तान तो मेर: न ठहरे गी: सो ऐसा हुआ, क जब वह अप क भौजाई के पास गया, तब उस ने भूिम पर वीयO िगराकर नाश कया, 'जस से ऐसा न हो क उसके भाई के नाम से वंश चले। 10 यह काम जो उस ने कया उसे यहोवा अूस(न हुआ: और उस ने उसको भी मार डाला। 11 तब यहूदा ने इस डर के मारे , क कह:ं ऐसा न हो क अपके भाइयHक नाई शेला भी मरे , अप क बहू तामार से कहा, जब तक मेरा पुऽ शेला िसयाना न हो तब तक अपके पता के घर म वधवा क बैठq रह, सो तामार अपके पता के घर म जाकर रहने लगी। 12 बहुत समय के बीतने पर यहूदा क प^ी जो शूआ क बेट: यी सो मर गई; फर यहूदा शोक से छूटकर अपके िमऽ ह:रा अद` ु लामवासी समेत अप क भेड़-बकgरयHका ऊन कतराने के िलथे ितSनाय को गया। 13 और तामार को यह समाचार िमला, क तेरा ससुर अप क भेड़-बकgरयHका ऊन कतराने के िलथे ितSनाय को जा रहा है । 14 तब उस ने यह सोचकर, क शेला िसयाना तो हो गया पर मE उसक \ी नह:ं होने पाई; अपना वधवापन का पहरावा उतारा, और घूघ ं ट डालकर अपके को ढांप िलया, और एनैम नगर के फाटक के पास, जो ितSनाय के मागO म है , जा बैठq: 15 जब यहूदा ने उसको दे खा, उस ने उस को वेँया समझा; यHक वह अपना मुह ं ढ़ापे हुए यी। 16 और वह मागO से उसक ओर फरा और उस से कहने लगा, मुझे अपके पास आने दे , ( यHक उसे यह मालूम न या क वह उसक बहू है )। और वह कहने लगी, क यद मE तुझे अपके पास आने दं ,ू तो तू मुझे या दे गा? 17 उस ने कहा, मE अप क बकgरयHम से बकर: का एक ब.चा ते रे पास भेज दं ग ू ा। 18 उस ने पूछा, मE ते रे पास या रे हन रख जाऊं? उस ने कहा, अप क मुहर, और

बाजूब(द, और अपके हाथ क छड़:। तब उस ने उसको वे वसतुएं दे द:ं, और उसके पास गया, और वह उस से गभOवती हुई। 19 तब वह उठकर च क गई, और अपना घूघ ं ट उतारके अपना वधवापन का पहरावा फर पहन िलया। 20 तब यहूदा ने बकर: का ब.चा अपके िमऽ उस अद` ु लामवासी के हाथ भेज दया, क वह रे हन रखी हुई वःतुएं उस \ी के हाथ से छुड़ा ले आए; पर वह \ी उसको न िमली। 21 तब उस ने वहां के लोगHसे पूछा, क वह दे वदासी जो एनैम म मागO क एक और बैठq यी, कहां है ? उ(हHने कहा, यहां तो कोई दे वदासी न यी। 22 सो उस ने यहूदा के पास लौटके कहा, मुझे वह नह:ं िमली; और उस ःयान के लोगHने कहा, क यहां तो कोई दे वदासी न यी। 23 तब यहूदा ने कहा, अ.छा, वह ब(धक उस के पास रहने दे , नह:ं तो हम लोग तु.छ िगने जाएंगे: दे ख, मE ने बकर: का यह ब.चा भेज दया, पर वह तुझे नह:ं िमली। 24 और तीन मह:ने के पीछे यहूदा को यह समाचार िमला, क ते र: बहू तामार ने eयिभचार कया है ; वरन वह eयिभचार से गभOवती भी हो गई है । तब यहूदा ने कहा, उसको बाहर ले आओ, क वह जलाई जाए। 25 जब उसे बाहर िनकाल रहे थे, तब उस ने, अपके ससुर के पास यह कहला भेजा, क 'जस पुRष क थे वःतुएं हE , उसी से मE गभOवती हंू ; फर उस ने यह भी कहलाया, क पहचान तो सह:, क यह मुहर, और वाजूब(द, और छड़: कस क है । 26 यहूदा ने उ(ह पहचानकर कहा, वह तो मुझ से कम दोषी है ; यHक मE ने उसे अपके पुऽ शेला को न cयाह दया। और उस ने उस से फर कभी ूसंग न कया। 27 जब उसके जनने का समय आया, तब यह जान पड़ा क उसके गभO म जुड़वे ब.चे हE । 28 और जब वह जनने लगी तब एक बालक ने अपना हाथ बढ़ाया: और धाय ने लाल सूत लेकर उसके हाथ म यह कहते हुथे

बा(ध दया, क पहले यह: उप(न हुआ। 29 जब उस ने हाथ समेट िलया, तब उसका भाई उप(न हो गया: तब उस धाय ने कहा, तू यHबरबस िनकल आया है ? इसिलथे उसका नाम पेरेस रखा गया। 30 पीछे उसका भाई 'जसके हाथ म लाल सूत ब(धा या उप(न हुआ, और उसका नाम जेरह रखा गया।। उप 39 1 जब यूसफ ु िमॐ म पहुंचाया गया, तब पोतीपर नाम एक िमॐी, जो फरौन का हाकम, और ज`लादHका ूधान या, उस ने उसको इँमाएिलयHके हाथ, से जो उसे वहां ले गए थे, मोल िलया। 2 और यूसफ ु अपके िमॐी ःवामी के घर म रहता या, और यहोवा उसके संग या; सो वह भाbयवान ् पुRष हो गया। 3 और यूसफ ु के ःवामी ने दे खा, क यहोवा उसके संग रहता है , और जो काम वह करता है उसको यहोवा उसके हाथ से सुफल कर दे ता है । 4 तब उसक अनुमह क l उस पर हुई, और वह उसक सेवा टहल करने के िलथे िनयुf कया गया : फर उस ने उसको अपके घर का अिध कारनेी बनाके अपना सब कुछ उसके हाथ म सौप दया। 5 और जब से उस ने उसको अपके घर का और अप क सार: सSप का अिध कारनेी बनाया, तब से यहोवा यूसफ ु के कारण उस िमॐी के घर पर आशीष दे ने लगा; और या घर म , या मैदान म , उसका जो कुछ या, सब पर यहोवा क आशीष होने लगी। 6 सो उस ने अपना सब कुछ यूसफ ु के हाथ म यहां तक छोड़ दया: क अपके खाने क रोट: को छोड़, वह अप क सSप का हाल कुछ न जानता या। और यूसफ ु सु(दर और Rपवान ् या। 7 इन बातHके प_ात ् ऐसा हुआ, क उसके ःवामी क प^ी ने यूसफ ु क ओर आंख लगाई; और कहा, मेरे साय सो।

8 पर उस ने अःवीकार करते हुए अपके ःवामी क प^ी से कहा, सुन, जो कुछ इस घर म है मेरे हाथ म है ; उसे मेरा ःवामी कुछ नह:ं जानता, और उस ने अपना सब कुछ मेरे हाथ म सौप दया है । 9 इस घर म मुझ से बड़ा कोई नह:ं; और उस ने तुझे छोड़, जो उसक प^ी है ; मुझ से कुछ नह:ं रख छोड़ा; सो भला, मE ऐसी बड़: द ु ता करके परमे र का अपराधी यHकर बनूं ? 10 और ऐसा हुआ, क वह ूित दन यूसफ ु से बात करती रह:, पर उस ने उसक न मानी, क उसके पास लेटे वा उसके संग रहे । 11 एक दन या हुआ, क यूसफ ु अपना काम काज करने के िलथे घर म गया, और घर के सेवकHम से कोई भी घर के अ(दर न या। 12 तब उस \ी ने उसका व\ पकड़कर कहा, मेरे साय सो, पर वह अपना व\ उसके हाथ म छोड़कर भागा, और बाहर िनकल गया। 13 यह दे खकर, क वह अपना व\ मेरे हाथ म छोड़कर बाहर भाग गया, 14 उस \ी ने अपके घर के सेवकHको बुलाकर कहा, दे खो, वह एक इॄी मनुंय को हमारा ितरःकार करने के िलथे हमारे पास ले आया है । वह तो मेरे साय सोने के मतलब से मेरे पास अ(दर आया या और मE ऊंचे ःवर से िच`ला उठq। 15 और मेर: बड़: िच`लाहट सुनकर वह अपना व\ मेरे पास छोड़कर भागा, और बाहर िनकल गया। 16 और वह उसका व\ उसके ःवामी के घर आने तक अपके पास रखे रह:। 17 तब उस ने उस से इस ूकार क बात कह:ं, क वह इॄी दास 'जसको तू हमारे पास ले आया है , सो मुझ से हं सी करने के िलथे मेरे पास आया या। 18 और जब मE ऊंचे ःवर से िच`ला उठq, तब वह अपना व\ मेरे पास छोड़कर बाहर भाग गया। 19 अप क प^ी क थे बात सुनकर, क तेरे दास ने मुझ से ऐसा ऐसा काम कया, यूसफ ु के ःवामी का कोप भड़का। 20 और यूसफ ु के ःवामी ने उसको पकड़कर ब(द:गृह म ,

जहां राजा के कैद: ब(द थे, डलवा दया : सो वह उस ब(द:गृह म रहने लगा। 21 पर यहोवा यूसफ ु के संग संग रहा, और उस पर कRणा क, और ब(द:गृह के दरोगा के अनुमह क l उस पर हुई। 22 सो ब(द:गृह के दरोगा ने उन सब ब(धुओं को, जो कारागार म थे, यूसफ ु के हाथ म सौप दया; और जो जो काम वे वहां करते थे, वह उसी क आWा से होता या। 23 ब(द:गृह के दरोगा के वश म जो कुछ या; यHक उस म से उसको कोई भी वःतु दे खनी न पड़ती यी; इसिलथे क यहोवा यूसफ ु के साय या; और जो कुछ वह करता या, यहोवा उसको उस म

सफलता दे ता या। उप 40 1 इन बातHके प_ात ् ऐसा हुआ, क िमॐ के राजा के पलानेहारे और पकानेहारे ने अपके ःवामी का कुछ अपराध कया। 2 तब फरौन ने अपके उन दोनHहाकमHपर, अयाOत ् पलानेहारे के ूधान, और पकानेहारHके ूधान पर बोिधत होकर 3 उ(ह कैद कराके, ज`लादHके ूधान के घर के उसी ब(द:गृह म , जहां यूसफ ु ब(धुआ या, डलवा दया। 4 तब ज`लादHके ूधान ने उनको यूसफ ु के हाथ सौपा, और वह उनक सेवा टहल करने लगा: सो वे कुछ दन तक ब(द:गृह म रहे । 5 और िमॐ के राजा का पलानेहारा और पकानेहारा, जो ब(द:गृह म

ब(द थे, उन दोनHने एक ह: रात म , अपके अपके होनहार के अनुसार, ःव€न दे खा। 6 बहान को जब यूसफ ु उनके पास अ(दर गया, तब उन पर उस ने जो l क, तो या दे खता है , क वे उदास हE । 7 सो उस ने फरौन के उन हाकमHसे, जो उसके साय उसके ःवामी के घर के ब(द:गृह म थे, पूछा, क आज तुSहारे मुह ं

यHउदास हE ? 8 उ(हHने उस से कहा, हम दोनो ने ःव€न दे खा है , और उनके फल का बतानेवाला कोई भी नह:ं। यूसफ ु ने उन से कहा, या ःव€नHका फल कहना परमे र का काम नह:ं है ? मुझे अपना अपना ःव€न बताओ। 9 तब पलानेहारHका ूधान अपना ःव€न यूसफ ु को यHबताने लगा: क मE ने ःव€न म

दे खा, क मेरे साSहने एक दाखलता है ; 10 और उस दाखलता म तीन डािलयां हE : और उस म मानो किलयां लगीं हE , और वे फूलीं और उसके गु.छHम दाख लगकर पक गई। 11 और फरौन का कटोरा मेरे हाथ म या: सो मै ने उन दाखHको लेकर फरौन के कटोरे म िनचोड़ा और कटोरे को फरौन के हाथ म दया। 12 यूसफ ु ने उस से कहा, इसका फल यह है ; क तीन डािलयHका अयO तीन दन है : 13 सो अब से तीन दन के भीतर फरौन तेरा िसर ऊंचा करे गा, और फर से ते रे पद पर तुझे िनयुf करे गा, और तू पहले क नाई फरौन का पलानेहारा होकर उसका कटोरा उसके हाथ म फर दया करे गा। 14 सो जब तेरा भला हो जाए तब मुझे ःमरण करना, और मुझ पर कृ पा करके, फरौन से मेर: चचाO चलाना, और इस घर से मुझे छुड़वा दे ना। 15 यHक सचमुच इॄािनयHके दे श से मुझे चुरा कर ले आए हE , और यहां भी मै ने कोई ऐसा काम नह:ं कया, 'जसके कारण मE इस कारागार म

डाला जाऊं। 16 यह दे खकर, क उसके ःव€न का फल अ.छा िनकला, पकानेहारHके ूधान ने यूसफ ु से कहा, मE ने भी ःव€न दे खा है , वह यह है : मै ने दे खा, क मेरे िसर पर सफेद रोट: क तीन टोकgरयां है : 17 और ऊपर क टोकर: म फरौन के िलथे सब ूकार क प क पकाई वःतुएं हE ; और प क मेरे िसर पर क टोकर: म से उन वःतुओं को खा रहे हE । 18 यूसफ ु ने कहा, इसका फल यह है ; क तीन टोकgरयHका अयO तीन दन है । 19 सो अब से तीन दन के भीतर फरौन

तेरा िसर कटवाकर तुझे एक वृझ पर टं गवा दे गा, और प क तेरे मांस को नोच नोच कर खाएंगे। 20 और तीसरे दन फरौन का ज(मदन या, उस ने अपके सब कमOचाgरयHक जेवनार क, और उन म से पलानेहारHके ूधान, और पकानेहारHके ूधान दोनHको ब(द:गृह से िनकलवाया। 21 और पलानेहारHके ूधान को तो पलानेहारे के पद पर फर से िनयुf कया, और वह फरौन के हाथ म कटोरा दे ने लगा। 22 पर पकानेहारHके ूधान को उस ने टं गवा दया, जैसा क यूसफ ु ने उनके ःव€नHका फल उन से कहा या। 23 फर भी पलानेहारHके ूधान ने यूसफ ु को ःमरण न रखा; पर(तु उसे भूल गया।। उप 41 1 पूरे दो बरस के बीतने पर फरौन ने यह ःव€न दे खा, क वह नील नद: के कनारे पर खड़ा है । 2 और उस नद: म से सात सु(दर और मोट: मोट: गाथ

िनकलकर कछार क घास चरने लगीं। 3 और, या दे खा, क उनके पीछे और सात गाथ , जो कुRप और दब ु Oल हE , नद: से िनकली; और दस ू र: गायHके िनकट नद: के तट पर जा खड़: हुई। 4 तब थे कुRप और दब ु Oल गाथ उन सात सु(दर और मोट: मोट: गायHको खा गई। तब फरौन जाग उठा। 5 और वह फर सो गया और दस ू रा ःव€न दे खा, क एक डं ठq म से सात मोट: और अ.छq अ.छq बाल

िनकलीं। 6 और, या दे खा, क उनके पीछे सात बाल पतली और पुरवाई से मुरफाई हुई िनकलीं। 7 और इन पतली बालHने उन सातHमोट: और अ(न से भर: हुई बालHको िनगल िलया। तब फरौन जागा, और उसे मालूम हुआ क यह ःव€न ह: या। 8 भोर को फरौन का मन eयाकुल हुआ; और उस ने िमॐ के सब

GयोितषयH, और प'+डतHको बुलवा भेजा; और उनको अपके ःव€न बताएं; पर उन म से कोई भी उनका फल फरौन से न कह सहा। 9 तब पलानेहारHका ूधान फरौन से बोल उठा, क मेरे अपराध आज मुझे ःमरण आए: 10 जब फरौन अपके दासHसे बोिधत हुआ या, और मुझे और पकानेहारHके ूधान को कैद कराके ज`लादHके ूधान के घर के ब(द:गृह म डाल दया या; 11 तब हम दोनHने, एक ह: रात म , अपके अपके होनहार के अनुसार ःव€न दे खा; 12 और वहां हमारे साय एक इॄी जवान या, जो ज`लादHके ूधान का दास या; सो हम ने उसको बताया, और उस ने हमारे ःव€नHका फल हम से कहा, हम म से एक एक के ःव€न का फल उस ने बता दया। 13 और जैसा जैसा फल उस ने हम से कहा या, वैसा क हुआ भी, अयाOत ् मुझ को तो मेरा पद फर िमला, पर वह फांसी पर लटकाया गया। 14 तब फरौन ने यूसफ ु को बुलवा भेजा। और वह फटपट ब(द:गृह से बाहर िनकाला गया, और बाल बनवाकर, और व\ बदलकर फरौन के साSहने आया। 15 फरौन ने यूसफ ु से कहा, मE ने एक ःव€न दे खा है , और उसके फल का बतानेवाला कोई भी नह:ं; और मE ने तेरे वषय म सुना है , क तू ःव€न सुनते ह: उसका फल बता सकता है । 16 यूसफ ु ने फरौन से कहा, मै तो कुछ नह:ं जानता : परमे र ह: फरौन के िलथे शुभ वचन दे गा। 17 फर फरौन यूसफ ु से कहने लगा, मै ने अपके ःव€न म दे खा, क मE नील नद: के कनारे पर खड़ा हंू 18 फर, या दे खा, क नद: म से सात मोट: और सु(दर सु(दर गाथ िनकलकर कछार क घास चरने लगी। 19 फर, या दे खा, क उनके पीछे सात और गाथ िनकली, जो दब ु ली, और बहुत कुRप, और दब ु Oल हE ; मै ने तो सारे िमॐ दे श म ऐसी कुडौल गाथ कभी नह:ं दे खीं। 20 और इन दब ु Oल और कुडौल गायHने उन पहली सातHमोट:

मोट: गायHको खा िलया। 21 और जब वे उनको खा गई तब यह मालूम नह:ं होता या क वे उनको खा गई हE , यHक वे पहले क नाई जैसी क तैसी कुडौल रह:ं। तब मE जाग उठा। 22 फर मE ने दस ू रा ःव€न दे खा, क एक ह: डं ठq म सात अ.छq अ.छq और अ(न से भर: हुई बाल िनकलीं। 23 फर, या दे खता हंू , क उनके पीछे और सात बाल छूछq छूछq और पतली और पुरवाई से मुरफाई हुई िनकलीं। 24 और इन पतली बालHने उन सात अ.छq अ.छq बालHको िनगल िलया। इसे मE ने GयोितषयHको बताया, पर इस का समझनेहारा कोई नह:ं िमला। 25 तब यूसफ ु ने फरौन से कहा, फरौन का ःव€न एक ह: है , परमे र जो काम कया चाहता है , उसको उस ने फरौन को जताया है । 26 वे सात अ.छq अ.छq गाथ सात वषO हE ; और वे सात अ.छq अ.छq बाल भी सात वषO हE ; ःव€न एक ह: है । 27 फर उनके पीछे जो दब ु Oल और कुडौल गाथ िनकलीं, और जो सात छूछq और पुरवाई से मुरफाई हुई बाल िनकाली, वे अकाल के सात वषO हHगे । 28 यह वह: बात है , जो मE फरौन से कह चुका हंू , क परमे र जो काम कया चाहता है , उसे उस ने फरौन को दखाया है । 29 सुन, सारे िमॐ दे श म सात वषO तो बहुतायत क उपज के हHगे। 30 उनके प_ात ् सात वषO अकाल के आथ गे, और सारे िमॐ दे श म लोग इस सार: उपज को भूल जाथ गे; और अकाल से दे श का नाश होगा। 31 और सुकाल (बहुतायत क उपज) दे श म फर ःमरण न रहे गा यHक अकाल अय(त भयंकर होगा। 32 और फरौन ने जो यह ःव€न दो बार दे खा है इसका भेद यह: है , क यह बात परमे र क ओर से िनयुf हो चुक है , और परमे र इसे शीय ह: पूरा करे गा। 33 इसिलथे अब फरौन कसी समझदार और बुaमान ् पुRष को ढू ं ढ़ करके उसे िमॐ दे श पर ूधानमंऽी ठहराए। 34

फरौन यह करे , क दे श पर अिध कारने'◌यHको िनयुf करे , और जब तक सुकाल के सात वषO रह तब तक वह िमॐ दे श क उपज का पंचमांश िलया करे । 35 और वे इन अ.छे वषJम सब ूकार क भोजनवःतु इक=ठा कर , और नगर नगर म भ+डार घर भोजन के िलथे फरौन के वश म करके उसक रझा कर । 36 और वह भोजनवःतु अकाल के उन सात वषJके िलथे, जो िमॐ दे श म आएंगे, दे श के भोजन के िनिम रखी रहे , 'जस से दे श उस अकाल से ःयानाश न हो जाए। 37 यह बात फरौन और उसके सारे कमOचाgरयHको अ.छq लगी। 38 सो फरौन ने अपके कमOचाgरयHसे कहा, क या हम को ऐसा पुRष जैसा यह है , 'जस म परमे र का आमा रहता है , िमल सकता है ? 39 फर फरौन ने यूसफ ु से कहा, परमे र ने जो तुझे इतना Wान दया है , क तेरे तु`य कोई समझदार और बुaमान ् नह:ं; 40 इस कारण तू मेरे घर का अिध कारनेी होगा, और तेर: आWा के अनुसार मेर: सार: ूजा चलेगी, केवल राजगX: के वषय मE तुझ से बड़ा ठहRंगा। 41 फर फरौन ने यूसफ ु से कहा, सुन, मE तुझ को िमॐ के सारे दे श के ऊपर अिध कारनेी ठहरा दे ता हूं 42 तब फरौन ने अपके हाथ से अंगूठq िनकालके यूसफ ु के हाथ म पहना द:; और उसको बढय़ा मलमल के व\ पहनवा दए, और उसके गले म सोने क जंजीर डाल द:; 43 और उसको अपके दस ू रे रय पर चढ़वाया; और लोग उसके आगे आगे यह ूचार करते चले, क घुटने टे ककर द+डवत करो और उस ने उसको िमॐ के सारे दे श के ऊपर ूधान मंऽी ठहराया। 44 फर फरौन ने यूसफ ु से कहा, फरौन तो मE हंू , और सारे िमॐ दे श म कोई भी तेर: आWा के बना हाथ पांव न हलाएगा। 45 और फरौन ने यूसफ ु का नाम सापन तपाने ् ह रखा। और ओन नगर के याजक पोतीपे रा क बेट:

आसनत से उसका cयाह करा दया। और यूसफ ु िमॐ के सारे दे श म दौरा करने लगा। 46 जब यूसफ ु िमॐ के राजा फरौन के सSमुख खड़ा हुआ, तब वह तीस वषO का या। सो वह फरौन के सSमुख से िनकलकर िमॐ के सारे दे श म दौरा करने लगा। 47 सुकाल के सातHवषJम भूिम बहुतायत से अ(न उपजाती रह:। 48 और यूसफ ु उन सातHवषJम सब ूकार क भोजनवःतुएं, जो िमॐ दे श म होती यीं, जमा करके नगरHम रखता गया, और हर एक नगर के चारHओर के खे तHक भोजनवःतुओं को वह उसी नगर म इक=ठा करता गया। 49 सो यूसफ ु ने अ(न को समुि क बालू के समान अय(त बहुतायत से रािश रािश करके रखा, यहां तक क उस ने उनका िगनना छोड़ दया; यHक वे असं‡य हो गई। 50 अकाल के ूयम वषO के आने से पहले यूसफ ु के दो पुऽ, ओन के याजक पोतीपेरा क बेट: आसनत से ज(मे। 51 और यूसफ ु ने अपके जेठे का नाम यह कहके मनँशे रखा, क परमे र ने मुझ से सारा लेश, और मेरे पता का सारा घराना भुला दया है । 52 और दस ू रे का नाम उस ने यह कहकर एूैम रखा, क मुझे द:ु ख भोगने के दे श म परमे र ने फुलाया फलाया है । 53 और िमॐ दे श के सुकाल के वे सात वषO समाT हो गए। 54 और यूसफ ु के कहने के अनुसार सात वषJके िलथे अकाल आरSभ हो गया। और सब दे शHम अकाल पड़ने लगा; पर(तु सारे िमॐ दे श म

अ(न या। 55 जब िमॐ का सारा दे श भूखHमरने लगा; तब ूजा फरोन से िच`ला िच`लाकर रोट: मांगने लगी : और वह सब िमिॐयHसे कहा करता या, यूसफ ु के पास जाओ: और जो कुछ वह तुम से कहे , वह: करो। 56 सो जब अकाल सार: पृवी पर फैल गया, और िमॐ दे श म काल का भयंकर Rप हो गया, तब यूसफ ु सब भ+डारHको खोल खोलके िमिॐयHके हाथ अ(न बे चने लगा। 57 सो सार:

पृवी के लोग िमॐ म अ(न मोल लेने के िलथे यूसफ ु के पास आने लगे, यHक सार: पृवी पर भयंकर अकाल या। उप 42 1 जब याकूब ने सुना क िमॐ म अ(न है , तब उस ने अपके पुऽHसे कहा, तुम एक दस ं यHदे ख रहे हो। 2 फर उस ने कहा, मE ने सुना है क िमॐ म अ(न ू रे का मुह है ; इसिलथे तुम लोग वहां जाकर हमारे िलथे अ(न मोल ले आओ, 'जस से हम न मर , वरन जीवत रह । 3 सो यूसफ ु के दस भाई अ(न मोल लेने के िलथे िमॐ को गए। 4 पर यूसफ ु के भाई ब(यामीन को याकूब ने यह सोचकर भाइयHके साय न भेजा, क कह:ं ऐसा न हो क उस पर कोई वप आ पके। 5 सो जो लोग अ(न मोल लेने आए उनके साय इॐाएल के पुऽ भी आए; यHक कनान दे श म भी भार: अकाल या। 6 यूसफ ु तो िमॐ दे श का अिध कारनेी या, और उस दे श के सब लोगHके हाथ वह: अ(न बेचता या; इसिलथे जब यूसफ ु के भाई आए तब भूिम पर मुह ं के बल िगरके द+डवत ् कया। 7 उनको दे खकर यूसफ ु ने पहचान तो िलया, पर(तु उनके साSहने भोला बनके कठोरता के साय उन से पूछा, तुम कहां से आते हो? उ(हHने कहा, हम तो कनान दे श से अ(न मोल लेने के िलथे आए हE । 8 यूसफ ु ने तो अपके भाइयHको पहचान िलया, पर(तु उ(हHने उसको न पहचाना। 9 तब यूसफ ु अपके उन ःव€नHको ःमरण करके जो उस ने उनके वषय म दे खे थे, उन से कहने लगा, तुम भेदए हो; इस दे श क दद ु O शा को दे खने के िलथे आए हो। 10 उ(हHने उस से कहा, नह:ं, नह:ं, हे ूभु, तेरे दास भोजनवःतु मोल लेने के िलथे आए हE । 11 हम सब एक ह: पता के पुऽ हE , हम सीधे मनुंय हE , तेरे दास भेदए

नह:ं। 12 उस ने उन से कहा, नह:ं नह:ं, तुम इस दे श क दद ु O शा दे खने ह: को आए हो। 13 उ(हHने कहा, हम तेरे दास बारह भाई हE , और कनान दे शवासी एक ह: पुRष के पुऽ हE , और छोटा इस समय हमारे पता के पास है , और एक जाता रहा। 14 तब यूसफ ु ने उन से कहा, मE ने तो तुम से कह दया, क तुम भेदए हो; 15 सो इसी र:ित से तुम परखे जाओगे , फरौन के जीवन क शपय, जब तक तुSहारा छोटा भाई यहां न आए तब तक तुम यहां से न िनकलने पाओगे। 16 सो अपके म

से एक को भेज दो, क वह तुSहारे भाई को ले आए, और तुम लोग ब(धुवाई म

रहोगे; इस ूकार तुSहार: बात परखी जाएंगी, क तुम म स.चाई है क नह:ं। यद स.चे न ठहरे तब तो फरौन के जीवन क शपय तुम िन_य ह: भेदए समझे जाओगे। 17 तब उस ने उनको तीन दन तक ब(द:गृह म रखा। 18 तीसरे दन यूसफ ु ने उन से कहा, एक काम करो तब जीवत रहोगे ; यHक मE परमे र का भय मानता हंू ; 19 यद तुम सीधे मनुंय हो, तो तुम सब भाइयHम से एक जन इस ब(द:गृह म ब(धुआ रहे ; और तुम अपके घरवालHक भूख बुफाने के िलथे अ(न ले जाओ। 20 और अपके छोटे भाई को मेरे पास ले आओ; इस ूकार तुSहार: बात स.ची ठहर गी, और तुम मार डाले न जाओगे। तब उ(हHने वैसा ह: कया। 21 उ(हHने आपस म कहा, िनः(दे ह हम अपके भाई के वषय म दोषी हE , यHक जब उस ने हम से िगड़िगड़ाके बनती क, तौभी हम ने यह दे खकर, क उसका जीवन केसे संकट म पड़ा है , उसक न सुनी; इसी कारण हम भी अब इस संकट म पके हE । 22 Rबेन ने उन से कहा, या मE ने तुम से न कहा या, क लड़के के अपराधी मत बनो? पर(तु तुम ने न सुना : दे खो, अब उसके लोहू का पलटा दया जाता है । 23 यूसफ ु क और उनक बातचीत जो एक दभ ु ाषया के kारा होती

यी; इस से उनको मालूम न हुआ क वह उनक बोली समझता है । 24 तब वह उनके पास से हटकर रोने लगा; फर उनके पास लौटकर और उन से बातचीत करके उन म से िशमोन को छांट िनकाला और उसके साSहने ब(धुआ रखा। 25 तब यूसफ ु ने आWा द:, क उनके बोरे अ(न से भरो और एक एक जन के बोरे म

उसके Rपके को भी रख दो, फर उनको मागO के िलथे सीधा दो : सो उनके साय ऐसा ह: कया गया। 26 तब वे अपना अ(न अपके गदहHपर लादकर वहां से चल दए। 27 सराय म जब एक ने अपके गदहे को चारा दे ने के िलथे अपना बोरा खोला, तब उसका Rपया बोरे के मोहड़े पर रखा हुआ दखलाई पड़ा। 28 तब उस ने अपके भाइयHसे कहा, मेरा Rपया तो फेर दया गया है , दे खो, वह मेरे बोरे म है ; तब उनके जी म जी न रहा, और वे एक दस ू रे क और भय से ताकने लगे, और बोले, परमे र ने यह हम से या कया है ? 29 और वे कनान दे श म अपके पता याकूब के पास आए, और अपना सारा वृा(त उस से इस ूकार वणOन कया : 30 क जो पुRष उस दे श का ःवामी है , उस ने हम से कठोरता के साय बात कं, और हम को दे श के भेदए कहा। 31 तब हम ने उस से कहा, हम सीधे लोग हE , भेदए नह:ं। 32 हम बारह भाई एक ह: पता के पुऽ है , एक तो जाता रहा, पर(तु छोटा इस समय कनान दे श म हमारे पता के पास है । 33 तब उस पुRष ने, जो उस दे श का ःवामी है , हम से कहा, इस से मालूम हो जाएगा क तुम सीधे मनुंय हो; तुम अपके म से एक को मेरे पास छोड़के अपके घरवालHक भूख बुफाने के िलथे कुछ ले जाओ। 34 और अपके छोटे भाई को मेरे पास ले आओ। तब मुझे व ास हो जाएगा क तुम भेदए नह:ं, सीधे लोग हो। फर मE तुSहारे भाई को तुSह सxप दं ग ू ा, और तुम इस दे श म लेन दे न कर सकोगे। 35 यह कहकर वे अपके अपके

बोरे से अ(न िनकालने लगे, तब, या दे खा, क एक एक जन के Rपके क यैली उसी के बोरे म रखी है : तब Rपके क यैिलयHको दे खकर वे और उनका पता बहुत डर गए। 36 तब उनके पता याकूब ने उन से कहा, मुझ को तुम ने िनव{श कर दया, दे खो, यूसफ ु नह:ं रहा, और िशमोन भी नह:ं आया, और अब तुम ब(यामीन को भी ले जाना चाहते हो : थे सब वपयां मेरे ऊपर आ प क हE । 37 Rबेन ने अपके पता से कहा, यद मE उसको तेरे पास न लाऊं, तो मेरे दोनHपुऽHको मार डालना; तू उसको मेरे हाथ म सxप दे , मE उसे तेरे पास फर पहंु चा दं ग ू ा। 38 उस ने कहा, मेरा पुऽ तुSहारे संग न जाएगा; यHक उसका भाई मर गया है , और वह अब अकेला रह गया : इसिलथे 'जस मागO से तुम जाओगे, उस म यद उस पर कोई वप आ पके, तब तो तुSहारे कारण मE इस बुढ़ापे क अवःया म शोक के साय अधोलोक म उतर जाऊंगा।। उप 43 1 और अकाल दे श म और भी भयंकर होता गया। 2 जब वह अ(न जो वे िमॐ से ले आए थे समाT हो गया तब उनके पता ने उन से कहा, फर जाकर हमारे िलथे योड़: सी भोजनवःतु मोल ले आओ। 3 तब यहूदा ने उस से कहा, उस पुRष ने हम को िचतावनी दे कर कहा, क यद तुSहारा भाई तुSहारे संग न आए, तो तुम मेरे सSमुख न आने पाओगे। 4 इसिलथे यद तू हमारे भाई को हमारे संग भेजे, तब तो हम जाकर तेरे िलथे भोजनवःतु मोल ले आएंगे; 5 पर(तु यद तू उसको न भेजे, तो हम न जाएंगे : यHक उस पुRष ने हम से कहा, क यद तुSहारा भाई तुSहारे संग न हो, तो तुम मेरे सSमुख न आने पाओगे। 6 तब इॐाएल ने

कहा, तुम ने उस पुRष को यह बताकर क हमारा एक और भाई है , यHमुझ से बुरा बताOव कया ? 7 उ(हHने कहा, जब उस पुRष ने हमार: और हमारे कुटु 'SबयHक दशा को इस र:ित पूछा, क या तुSहारा पता अब तक जीवत है ? या तुSहारे कोई और भाई भी है ? तब हम ने इन ूoHके अनुसार उस से वणOन कया; फर हम या जानते थे क वह कहे गा, क अपके भाई को यहां ले आओ। 8 फर यहूदा ने अपके पता इॐाएल से कहा, उस लड़के को मेरे संग भेज दे , क हम चले जाएं; इस से हम, और तू, और हमारे बालब.चे मरने न पाएंगे, वरन जीवत रह गे। 9 मE उसका जािमन होता हंू ; मेरे ह: हाथ से तू उसको फेर लेना: यद मE उसको तेरे पास पहंु चाकर साSहने न खड़ाकर दं ,ू तब तो मE सदा के िलथे तेरा अपराधी ठहRंगा। 10 यद हम लोग वलSब न करते, तो अब तब दस ू र: बार लौट आते। 11 तब उनके पता इॐाएल ने उन से कहा, यद सचमुच ऐसी ह: बात है , तो यह करो; इस दे श क उम उम वःतुओं म से कुछ कुछ अपके बोरHम

उस पुRष के िलथे भ ट ले जाओ : जैसे योड़ा सा बलसान, और योड़ा सा मधु, और कुछ सुग(ध िeय, और ग(धरस, पःते , और बादाम। 12 फर अपके अपके साय दन ं पर रखकर फेर दया ू ा Rपया ले जाओ; और जो Rपया तुSहारे बोरHके मुह गया या, उसको भी लेते जाओ; कदािचत ् यह भूल से हुआ हो। 13 और अपके भाई को भी संग लेकर उस पुRष के पास फर जाओ, 14 और सवOशfमान ई र उस पुRष को तुम पर दयालु करे गा, 'जस से क वह तुSहारे दस ू रे भाई को और ब(यामीन को भी आने दे : और यद मE िनव{श हुआ तो होने दो। 15 तब उन मनुंयHने वह भ ट, और दन ू ा Rपया, और ब(यामीन को भी संग िलया, और चल दए और िमॐ म पहंु चकर यूसफ ु के साSहने खड़े हुए। 16 उनके साय ब(यामीन

को दे खकर यूसफ ु ने अपके घर के अिध कारनेी से कहा, उन मनुंयHको घर म

पहुंचा दो, और पशु मारके भोजन तैयार करो; यHक वे लोग दोपहर को मेरे संग भोजन कर गे। 17 तब वह अिध कारनेी पुRष यूसफ ु के कहने के अनुसार उन पुRषHको यूसफ ु के घर म ले गया। 18 जब वे यूसफ ु के घर को पहंु चाए गए तब वे आपस म डरकर कहने लगे, क जो Rपया पहली बार हमारे बोरHम फेर दया गया या, उसी के कारण हम भीतर पहुंचाए गए हE ; 'जस से क वह पुRष हम पर टू ट पके, और हम वंश म करके अपके दास बनाए, और हमारे गदहHको भी छqन ले। 19 तब वे यूसफ ु के घर के अिध कारनेी के िनकट जाकर घर के kार पर इस ूकार कहने लगे, 20 क हे हमारे ूभु, जब हम पहली बार अ(न मोल लेने को आए थे, 21 तब हम ने सराय म पहुंचकर अपके बोरHको खोला, तो या दे खा, क एक एक जन का पूरा पूरा Rपया उसके बोरे के मुह ं म रखा है ; इसिलथे हम उसको अपके साय फर लेते आए हE । 22 और दस ू रा Rपया भी भोजनवःतु मोल लेने के िलथे लाए हE ; हम नह:ं जानते क हमारा Rपया हमारे बोरHम कस ने रख दया या। 23 उस ने कहा, तुSहारा कुशल हो, मत डरो: तुSहारा परमे र, जो तुSहारे पता का भी परमे र है , उसी ने तुम को तुSहारे बोरHम धन दया होगा, तुSहारा Rपया तो मुझ को िमल गया या: फर उस ने िशमोन को िनकालकर उनके संग कर दया। 24 तब उस जन ने उन मनुंयHको यूसफ ु के घर म ले जाकर जल दया, तब उ(हHने अपके पांवHको धोया; फर उस ने उनके गदहHके िलथे चारा दया। 25 तब यह सुनकर, क आज हम को यह:ं भोजन करना होगा, उ(हHने यूसफ ु के आने के समय तक, अयाOत ् दोपहर तक, उस भ ट को इक=ठा कर रखा। 26 जब यूसफ ु घर आया तब वे उस भ ट को , जो उनके हाथ म यी, उसके सSमुख

घर म ले गए, और भूिम पर िगरकर उसको द+डवत ् कया। 27 उस ने उनका कुशल पूछा, और कहा, या तुSहारा बूढ़ा पता, 'जसक तुम ने चचाO क यी, कुशल से है ? या वह अब तक जीवत है ? 28 उ(हHने कहा, हां तेरा दास हमारा पता कुशल से है और अब तक जीवत है ; तब उ(हHने िसर फुकाकर फर द+डवत ् कया। 29 तब उस ने आंखे उठाकर और अपके सगे भाई ब(यामीन को दे खकर पूछा, या तुSहारा वह छोटा भाई, 'जसक चचाO तुम ने मुझ से क यी, यह: है ? फर उस ने कहा, हे मेरे पुऽ, परमे र तुझ पर अनुमह करे । 30 तब अपके भाई के ःनेह से मन भर आने के कारण और यह सोचकर, क मE कहां जाकर रोऊं, यूसफ ु फुतh से अप क कोठर: म गया, और वहां रो पड़ा। 31 फर अपना मुह ं धोकर िनकल आया, और अपके को शांत कर कहा, भोजन परोसो। 32 तब उ(हHने उसके िलथे तो अलग, और भाइयHके िलथे भी अलग, और जो िमॐी उसके संग खाते थे, उनके िलथे भी अलग, भोजन परोसा; इसिलथे क िमॐी इॄयHके साय भोजन नह:ं कर सकते, वरन िमॐी ऐसा करना घृणा समझते थे। 33 सो यूसफ ु के भाई उसके साSहने, बड़े बड़े पहले, और छोटे छोटे पीछे , अप क अप क अवःया के अनुसार, बम से बैठाए गए: यह दे ख वे व'ःमत ् होकर एक दस ु अपके साSहने से ू रे क ओर दे खने लगे । 34 तब यूसफ भोजन-वःतुएं उठा उठाके उनके पास भेजने लगा, और ब(यामीन को अपके भाइयHसे पचगुणी अिधक भोजनवःतु िमली। और उ(हHने उसके संग मनमाना खाया पया। उप 44

1 तब उस ने अपके घर के अिध कारनेी को आWा द:, क इन मनुंयHके बोरHम

'जतनी भोजनवःतु समा सके उतनी भर दे , और एक एक जन के Rपके को उसके बोरे के मुह ं पर रख दे । 2 और मेरा चांद: का कटोरा छोटे के बोरे के मुह ं पर उसके अ(न के Rपके के साय रख दे । यूसफ ु क इस आWा के अनुसार उस ने कया। 3 बहान को भोर होते ह: वे मनुंय अपके गदहHसमेत वदा कए गए। 4 वे नगर से िनकले ह: थे, और दरू न जाने पाए थे, क यूसफ ु ने अपके घर के अिध कारनेी से कहा, उन मनुंयHका पीछा कर, और उनको पाकर उन से कह, क तुम ने भलाई क स(ती बुराई यHक है ? 5 या यह वह वःतु नह:ं 'जस म

मेरा ःवामी पीता है , और 'जस से वह शकुन भी वचारा करता है ? तुम ने यह जो कया है सो बुरा कया। 6 तब उस ने उ(ह जा िलया, और ऐसी ह: बात उन से कह:ं। 7 उ(हHने उस से कहा, हे हमारे ूभु, तू ऐसी बात यHकहता है ? ऐसा काम करना तेरे दासHसे दरू रहे । 8 दे ख जो Rपया हमारे बोरHके मुह ं पर िनकला या, जब हम ने उसको कनान दे श से ले आकर तुझे फेर दया, तब, भला, तेरे ःवामी के घर म से हम कोई चांद: वा सोने क वःतु यHकर चुरा सकते हE ? 9 तेरे दासHम

से 'जस कसी के पास वह िनकले, वह मार डाला जाए, और हम भी अपके उस ूभु के दास जो जाएं। 10 उस ने कहा तुSहारा ह: कहना सह:, 'जसके पास वह िनकले सो मेरा दास होगा; और तुम लोग िनरपराध ठहरोगे। 11 इस पर वे फुतh से अपके अपके बोरे को उतार भूिम पर रखकर उ(ह खोलने लगे। 12 तब वह ढू ं ढ़ने लगा, और बड़े के बोरे से लेकर छोटे के बोरे तक खोज क : और कटोरा ब(यामीन के बोरे म िमला। 13 तब उ(हHने अपके अपके व\ फाड़े , और अपना अपना गदहा लादकर नगर को लौट गए। 14 जब यहूदा और उसके भाई यूसफ ु

के घर पर पहंु चे, और यूसफ ु वह:ं या, तब वे उसके साSहने भूिम पर िगरे । 15 यूसफ ु ने उन से कहा, तुम लोगHने यह कैसा काम कया है ? या तुम न जानते थे, क मुझ सा मनुंय शकुन वचार सकता है ? 16 यहूदा ने कहा, हम लोग अपके ूभु से या कह ? हम या कहकर अपके को िनदzषी ठहराएं ? परमे र ने तेरे दासHके अधमO को पकड़ िलया है : हम, और 'जसके पास कटोरा िनकला वह भी, हम सब के सब अपके ूभु के दास ह: हE । 17 उस ने कहा, ऐसा करना मुझ से दरू रहे : 'जस जन के पास कटोरा िनकला है , वह: मेरा दास होगा; और तुम लोग अपके पता के पास कुशल झेम से चले जाओ। 18 तब यहूदा उसके पास जाकर कहने लगा, हे मेरे ूभु, तेरे दास को अपके ूभु से एक बात कहने क आWा हो, और ते रा कोप तेरे दास पर न भड़के; तू तो फरौन के तु`य है । 19 मेरे ूभु ने अपके दासHसे पूछा या, क या तुSहारे पता वा भाई हE ? 20 और हम ने अपके ूभु से कहा, हां, हमारा बूढ़ा पता तो है , और उसके बुढ़ापे का एक छोटा सा बालक भी है , पर(तु उसका भाई मर गया है , इसिलथे वह अब अप क माता का अकेला ह: रह गया है , और उसका पता उस से ःनेह रखता है । 21 तब तू ने अपके दासHसे कहा या, क उसको मेरे पास ले आओ, 'जस से मE उसको दे खूं। 22 तब हम ने अपके ूभु से कहा या, क वह लड़का अपके पता को नह:ं छोड़ सकता; नह:ं तो उसका पता मर जाएगा। 23 और तू ने अपके दासHसे कहा, यद तुSहारा छोटा भाई तुSहारे संग न आए, तो तुम मेरे सSमुख फर न आने पाओगे । 24 सो जब हम अपके पता तेरे दास के पास गए, तब हम ने उस से अपके ूभु क बात कह:ं। 25 तब हमारे पता ने कहा, फर जाकर हमारे िलथे योड़: सी भोजनवःतु मोल ले आओ। 26 हम ने कहा, हम नह:ं जा सकते, हां, यद

हमारा छोटा भाई हमारे संग रहे , तब हम जाएंगे : यHक यद हमारा छोटा भाई हमारे संग न रहे , तो उस पुRष के सSमुख न जाने पाएंगे। 27 तब तेरे दास मेरे पता ने हम से कहा, तुम तो जानते हो क मेर: \ी से दो पुऽ उप(न हुए। 28 और उन म से एक तो मुझे छोड़ ह: गया, और मE ने िन_य कर िलया, क वह फाड़ डाला गया होगा ; और तब से मE उसका मुह ं न दे ख पाया 29 सो यद तुम इसको भी मेर: आंख क आड़ म ले जाओ, और कोई वप इस पर पके, तो तुSहारे कारण मE इस प के बाल क अवःया म द:ु ख के साय अधोलोक म उतर जाऊंगा। 30 सो जब मE अपके पता ते रे दास के पास पहंु च,ूं और यह लड़का संग न रहे , तब, उसका ूाण जो इसी पर अटका रहता है , 31 इस कारण, यह दे खके क लड़का नह:ं है , वह तुर(त ह: मर जाएगा। तब ते रे दासHके कारण तेरा दास हमारा पता, जो प के बालHक अवःया का है , शोक के साय अधोलोक म उतर जाएगा। 32 फर तेरा दास अपके पता के यहां यह कहके इस लड़के का जािमन हुआ है , क यद मE इसको तेरे पास न पहंु चा दं ,ू तब तो मE सदा के िलथे तेरा अपराधी ठहRंगा। 33 सो अब तेरा दास इस लड़के क स(ती अपके ूभु का दास होकर रहने क आWा पाए, और यह लड़का अपके भाइयHके संग जाने दया जाए। 34 यHक लड़के के बना संग रहे मE कयHकर अपके पता के पास जा सकूंगा; ऐसा न हो क मेरे पता पर जो द:ु ख पकेगा वह मुझे दे खना पके।। उप 45 1 तब यूसफ ु उन सब के साSहने, जो उसके आस पास खड़े थे, अपके को और रोक न सका; और पुकार के कहा, मेरे आस पास से सब लोगHको बाहर कर दो।

भाइयHके साSहने अपके को ूगट करने के समय यूसफ ु के संग और कोई न रहा। 2 तब वह िच`ला िच`लाकर रोने लगा : और िमिॐयHने सुना, और फरौन के घर के लोगHको भी इसका समाचार िमला। 3 तब यूसफ ु अपके भाइयHसे कहने लगा, मE यूसफ ु हंू , या मेरा पता अब तब जीवत है ? इसका उर उसके भाई न दे सके; यHक वे उसके साSहने घबरा गए थे। 4 फर यूसफ ु ने अपके भाइयHसे कहा, मेरे िनकट आओ। यह सुनकर वे िनकट गए। फर उस ने कहा, मE तुSहारा भाई यूसफ ु हंू , 'जसको तुम ने िमॐ आनेहारHके हाथ बेच डाला या। 5 अब तुम लोग मत पछताओ, और तुम ने जो मुझे यहां बेच डाला, इस से उदास मत हो; यHक परमे र ने तुSहारे ूाणHको बचाने के िलथे मुझे आगे से भेज दया है । 6 यHक अब दो वषO से इस दे श म अकाल है ; और अब पांच वषO और ऐसे ह: हHगे, क उन म न तो हल चलेगा और न अ(न काटा जाएगा। 7 सो परमे र ने मुझे तुSहारे आगे इसी िलथे भेजा, क तुम पृवी पर जीवत रहो, और तुSहारे ूाणHके बचने से तुSहारा वंश बढ़े । 8 इस र:ित अब मुझ को यहां पर भेजनेवाले तुम नह:ं, परमे र ह: ठहरा: और उसी ने मुझे फरौन का पता सा, और उसके सारे घर का ःवामी, और सारे िमॐ दे श का ूभु ठहरा दया है । 9 सो शीय मेरे पता के पास जाकर कहो, ते रा पुऽ यूसफ ु इस ूकार कहता है , क परमे र ने मुझे सारे िमॐ का ःवामी ठहराया है ; इसिलथे तू मेरे पास बना वलSब कए चला आ। 10 और तेरा िनवास गोशेन दे श म होगा, और तू, बेटे, पोतH, भेड़-बकgरयH, गाय-बैलH, और अपके सब कुछ समेत मेरे िनकट रहे गा। 11 और अकाल के जो पांच वषO और हHगे , उन म मै वह:ं तेरा पालन पोषण कRंगा; ऐसा न हो क तू, और तेरा घराना, वरन 'जतने तेरे हE , सो भूखHमर । 12 और तुम अप क आंखHसे दे खते हो,

और मेरा भाई ब(यामीन भी अप क आंखHसे दे खता है , क जो हम से बात कर रहा है सो यूसफ ु है । 13 और तुम मेरे सब वभव का, जो िमॐ म है और जो कुछ तुम ने दे खा है , उस सब को मेरे पता से वणOन करना; और तुर(त मेरे पता को यहां ले आना। 14 और वह अपके भाई ब(यामीन के गले से िलपटकर रोया; और ब(यामीन भी उसके गले से िलपटकर रोया। 15 तब वह अपके सब भाइयHको चूमकर उन से िमलकर रोया : और इसके प_ात ् उसके भाई उस से बात करने लगे।। 16 इस बात क चचाO, क यूसफ ु के भाई आए हE , फरौन के भवन तब पंहुच गई, और इस से फरौन और उसके कमOचार: ूस(न हुए। 17 सो फरौन ने यूसफ ु से कहा, अपके भाइयHसे कह, क एक काम करो, अपके पशुओं को लादकर कनान दे श म चले जाओ। 18 और अपके पता और अपके अपके घर के लोगHको लेकर मेरे पास आओ; और िमॐ दे श म जो कुछ अ.छे से अ.छा है वह मE तुSह

दं ग ू ा, और तुSह दे श के उम से उम पदायO खाने को िमल गे। 19 और तुझे आWा िमली है , तुम एक काम करो, क िमॐ दे श से अपके बालब.चHऔर '\यHके िलथे गाडय़Hले जाओ, और अपके पता को ले आओ। 20 और अप क साममी का मोह न करना; यHक सारे िमॐ दे श म जो कुछ अ.छे से अ.छा है सो तुSहारा है । 21 और इॐाएल के पुऽHने वैसा ह: कया। और यूसफ ु ने फरौन क मानके उ(ह गाडय़Hद:, और मागO के िलथे सीधा भी दया। 22 उन म से एक एक जन को तो उस ने एक एक जोड़ा व\ भी दया; और ब(यामीन को तीन सौ Rपे के टु कड़े और पांच जोड़े व\ दए। 23 और अपके पता के पास उस ने जो भेजा वह यह है , अयाOत ् िमॐ क अ.छq वःतुओं से लदे हुए दस गदहे , और अ(न और रोट: और उसके पता के मागO के िलथे भोजनवःतु से लद: हुई दस

गदहयां। 24 और उस ने अपके भाइयHको वदा कया, और वे चल दए; और उस ने उन से कहा, मागO म कह:ं फगड़ा न करना। 25 िमॐ से चलकर वे कनान दे श म अपके पता याकूब के पास पहुचे। 26 और उस से यह वणOन कया, क यूसफ ु अब तक जीवत है , और सारे िमॐ दे श पर ूभुता वह: करता है । पर उस ने उनक ूतीित न क, और वह अपके आपे म न रहा। 27 तब उ(हHने अपके पता याकूब से यूसफ ु क सार: बात , जो उस ने उन से कह:ं यी, कह द:ं; जब उस ने उन गाडय़Hको दे खा, जो यूसफ ु ने उसके ले आने के िलथे भेजीं यीं, तब उसका िच 'ःयर हो गया। 28 और इॐाएल ने कहा, बस, मेरा पुऽ यूसफ ु अब तक जीवत है : मE अप क मृयु से पहले जाकर उसको दे खं◌ूगा।। उप 46 1 तब इॐाएल अपना सब कुछ लेकर कूच करके बेशब  ा को गया, और वहां अपके पता इसहाक के परमे र को बिलदान चढ़ाए। 2 तब परमे र ने इॐाएल से रात को दशOन म कहा, हे याकूब हे याकूब। उस ने कहा, या आWा। 3 उस ने कहा, मE ई र तेरे पता का परमे र हूं, तू िमॐ म जाने से मत डर; यHक मE तुझ से वहां एक बड़: जाित बनाऊंगा। 4 मE तेरे संग संग िमॐ को चलता हंू ; और मE तुझे वहां से फर िन_य ले आऊंगा; और यूसफ ु अपना हाथ तेर: आंखHपर लगाएगा। 5 तब याकूब बेशब  ा से चला: और इॐाएल के पुऽ अपके पता याकूब, और अपके बाल-ब.चH, और '\यHको उन गाडय़Hपर, जो फरौन ने उनके ले आने को भेजी यी, चढ़ाकर चल पके। 6 और वे अप क भेड़-बकर:, गाय-बैल, और कनान दे श म अपके इक=ठा कए हुए सारे धन को लेकर िमॐ म आए। 7 और याकूब अपके

बे टे-बे टयH, पोते -पोितयH, िनदान अपके वंश भर को अपके संग िमॐ म ले आया।। 8 याकूब के साय जो इॐाएली, अयाOत ् उसके बेटे, पोते, आद िमॐ म

आए, उनके नाम थे हE : याकूब का जेठा तो Rबेन या। 9 और Rबेन के पुऽ, हनोक, पललू, हे ॐोन, और कSमh थे। 10 और िशमोन के पुऽ, यमूएल, यामीन, ओहद, याकन, सोहर, और एक कनानी \ी से ज(मा हुआ शाऊल भी या। 11 और लेवी के पुऽ, गेशzन, कहात, और मरार: थे। 12 और यहूदा के एर, ओनान, शेला, पेरेस, और जेरह नाम पुऽ हुए तो थे; पर एर और ओनान कनान दे श म मर गए थे। 13 और इःसाकार के पुऽ, तोला, पुcबा, योब और िशॆोन थे। 14 और जबूलन ू के पुऽ, सेरेद, एलोन, और यहलेल थे। 15 िलआ: के पुऽ, जो याकूब से पXनराम म

उप(न हुए थे, उनके बेटे पोते थे ह: थे, और इन से अिधक उस ने उसके साय एक बेट: द:ना को भी ज(म दया : यहां तक तो याकूब के सब वंशवाले तEतीस ूाणी हुए। 16 फर गाद के पुऽ, िसयोन, हाbगी, शूनी, एसबोन, एर:, अरोद:, और अरे ली थे। 17 और आशेर के पुऽ, ियSना, िय ा, िय\ी, और बर:आ थे, और उनक बहन सेरह यी। और बर:आ के पुऽ, हे बेर और म`कएल थे। 18 'ज`पा, 'जसे लाबान ने अप क बेट: िलआ� को दया या, उसके बेटे पोते आद थे ह: थे; सो उसके kारा याकूब के सोलह ूाणी उप(न हुए।। 19 फर याकूब क प^ी राहे ल के पुऽ यूसफ ु और ब(यामीन थे। 20 और िमॐ दे श म ओन के याजक पोतीपेरा क बेट: आसनत से यूसफ ु के थे पुऽ उप(न हुए, अयाOत ् मनँशे और एूैम। 21 और ब(यामीन के पुऽ, बेला, बेकेर, अँबेल, गेरा, नामान, एह:, रोश, मु€पीम, हु€पीम, और आदO थे। 22 राहे ल के पुऽ जो याकूब से उप(न हुए उनके थे ह: पुऽ थे; उसके थे सब बे टे पोते चौदह ूाणी हुए। 23 फर दान का पुऽ हुशीम

या। 24 और नTाली के पुऽ, यहसेल, गूनी, सेसेर, और िश`लेम थे। 25 ब`हा, 'जसे लाबान ने अप क बेट: राहे ल को दया, उस के बेटे पोते थे ह: हE ; उसके kारा याकूब के वंश म सात ूाणी हुए। 26 याकूब के िनज वंश के जो ूाणी िमॐ म

आए, वे उसक बहुओं को छोड़ सब िमलकर िछयासठ ूाणी हुए। 27 और यूसफ ु के पुऽ, जो िमॐ म उस से उप(न हुए, वे दो ूाणी थे : इस ूकार याकूब के घराने के जो ूाणी िमॐ म आए सो सब िमलकर सर हुए।। 28 फर उस ने यहूदा को अपके आगे यूसफ ु के पास भेज दया, क वह उसको गोशेन का मागO दखाए; और वे गोशेन दे श म आए। 29 तब यूसफ ु अपना रय जुतवाकर अपके पता इॐाएल से भ ट करने के िलथे गोशेन दे श को गया, और उस से भ ट करके उसके गले से िलपटा हुआ रोता रहा। 30 तब इॐाएल ने यूसफ ु से कहा, मै अब मरने से भी ूस(न हंू , यHक तुझे जीवत पाया और ते रा मुह ं दे ख िलया। 31 तब यूसफ ु ने अपके भाइयHसे और अपके पता के घराने से कहा, मE जाकर फरौन को यह समाचार दं ग ू ा, क मेरे भाई और मेरे पता के सारे घराने के लोग, जो कनान दे श म रहते थे, वे मेरे पास आ गए हE । 32 और वे लोग चरवाहे हE , यHक वे पशुओं को पालते आए हE ; इसिलथे वे अप क भेड़-बकर:, गाय-बैल, और जो कुछ उनका है , सब ले आए हE । 33 जब फरौन तुम को बुलाके पूछे, क तुSहारा उrम या है ? 34 तब यह कहना क तेरे दास लड़कपन से लेकर आज तक पशुओं को पालते आए हE , वरन हमारे पुरखा भी ऐसा ह: करते थे। इस से तुम गोशेन दे श म रहने पाओगे; यHक सब चरवाहHसे िमॐी लोग घृणा करते हE ।। उप 47

1 तब यूसफ ु ने फरौन के पास जाकर यह समाचार दया, क मेरा पता और मेरे भाई, और उनक भेड़-बकgरयां, गाय-बैल और जो कुछ उनका है , सब कनान दे श से आ गया है ; और अभी तो वे गोशेन दे श म हE । 2 फर उस ने अपके भाइयHम से पांच जन लेकर फरौन के साSहने खड़े कर दए। 3 फरौन ने उसके भाइयHसे पूछा, तुSहारा उrम या है ? उ(हHने फरौन से कहा, ते रे दास चरवाहे हE , और हमारे पुरखा भी ऐसे ह: रहे । 4 फर उ(हHने फरौन से कहा, हम इस दे श म

परदे शी क भांित रहने के िलथे आए हE ; यHक कनान दे श म भार: अकाल होने के कारण तेरे दासHको भेड़-बकgरयHके िलथे चारा न रहा : सो अपके दासHको गोशेन दे श म रहने क आWा दे । 5 तब फरौन ने यूसफ ु से कहा, तेरा पता और तेरे भाई तेरे पास आ गए हE , 6 और िमॐ दे श तेरे साSहने पड़ा है ; इस दे श का जो सब से अ.छा भाग हो, उस म अपके पता और भाइयHको बसा दे ; अयाOत ् वे गोशेन ह: दे श म रह : और यद तू जानता हो, क उन म से पgरnमी पुRष हE , तो उ(ह मेरे पशुओं के अिध कारनेी ठहरा दे । 7 तब यूसफ ु ने अपके पता याकूब को ले आकर फरौन के सSमुख खड़ा कया : और याकूब ने फरौन को आशीवाOद दया। 8 तब फरौन ने याकूब से पूछा, तेर: अवःया कतने दन क हुई है ? 9 याकूब ने फरौन से कहा, मE तो एक सौ तीस वषO परदे शी होकर अपना जीवन बीता चुका हंू ; मेरे जीवन के दन योड़े और द:ु ख से भरे हुए भी थे, और मेरे बापदादे परदे शी होकर 'जतने दन तक जीवत रहे उतने दन का मE अभी नह:ं हुआ। 10 और याकूब फरौन को आशीवाOद दे कर उसके सSमुख से चला गया। 11 तब यूसफ ु ने अपके पता और भाइयHको बसा दया, और फरौन क आWा के अनुसार िमॐ दे श के अ.छे से अ.छे भाग म , अयाOत ् रामसेस नाम दे श म , भूिम

दे कर उनको सxप दया। 12 और यूसफ ु अपके पता का, और अपके भाइयHका, और पता के सारे घराने का, एक एक के बालब.चHके घराने क िगनती के अनुसार, भोजन दला दलाकर उनका पालन पोषण करने लगा।। 13 और उस सारे दे श म खाने को कुछ न रहा; यHक अकाल बहुत भार: या, और अकाल के कारण िमॐ और कनान दोनHदे श नाश हो गए। 14 और 'जतना Rपया िमॐ और कनान दे श म या, सब को यूसफ ु ने उस अ(न क स(ती जो उनके िनवासी मोल लेते थे इक=ठा करके फरौन के भवन म पहंु चा दया। 15 जब िमॐ और कनान दे श का Rपया चुक गया, तब सब िमॐी यूसफ ु के पास आ आकर कहने लगे, हम को भोजनवःतु दे , या हम Rपके के न रहने से तेरे रहते हुए मर जाएं ? 16 यूसफ ु ने कहा, यद Rपके न हHतो अपके पशु दे दो, और मE उनक स(ती तुSह

खाने को दं ग ु के पास ले आए; और यूसफ ु उनको ू ा। 17 तब वे अपके पशु यूसफ घोड़H, भेड़-बकgरयH, गाय-बैलHऔर गदहHक स(ती खाने को दे ने लगा: उस वषO म

वह सब जाित के पशुओं क स(ती भोजन दे कर उनका पालन पोषण करता रहा। 18 वह वषO तो यHकट गया; तब अगले वषO म उ(हHने उसके पास आकर कहा, हम अपके ूभु से यह बात िछपा न रख गे क हमारा Rपया चुक गया है , और हमारे सब ूकार के पशु हमारे ूभु के पास आ चुके हE ; इसिलथे अब हमारे ूभु के साSहने हमारे शर:र और भूिम छोड़कर और कुछ नह:ं रहा। 19 हम तेरे दे खते यHमर , और हमार: भूिम को भोजन वःतु क स(ती मोल ले, क हम अप क भूिम समेत फरौन के दास हH: और हमको बीज दे , क हम मरने न पाएं, वरन जीवत रह , और भूिम न उजड़े । 20 तब यूसफ ु ने िमॐ क सार: भूिम को फरौन के िलथे मोल िलया; यHक उस कठन अकाल के पड़ने से िमिॐयHको अपना

अपना खेत बेच डालना पड़ा : इस ूकार सार: भूिम फरौन क हो गई। 21 और एक छोर से लेकर दस ू रे छोर तक सारे िमॐ दे श म जो ूजा रहती यी, उसको उस ने नगरHम लाकर बसा दया। 22 पर याजकHक भूिम तो उस ने न मोल ली : यHक याजकHके िलथे फरौन क ओर से िनय भोजन का ब(दोबःत या, और िनय जो भोजन फरौन उनको दे ता या वह: वे खाते थे; इस कारण उनको अप क भूिम बेच क न प क। 23 तब यूसफ ु ने ूजा के लोगHसे कहा, सुनो, मE ने आज के दन तुम को और तुSहार: भूिम को भी फरौन के िलथे मोल िलया है ; दे खो, तुSहारे िलथे यहां बीज है , इसे भूिम म बोओ। 24 और जो कुछ उपके उसका पंचमांश फरौन को दे ना, बाक चार अंश तुSहारे रह गे, क तुम उसे अपके खेतHमं◌े बोओ, और अपके अपके बालब.चHऔर घर के और लोगHसमेत खाया करो। 25 उ(हHने कहा, तू ने हमको बचा िलया है : हमारे ूभु के अनुमह क l हम पर बनी रहे , और हम फरौन के दास होकर रह गे। 26 सो यूसफ ु ने िमॐ क भूिम के वषय म ऐसा िनयम ठहराया, जो आज के दन तक चला आता है , क पंचमांश फरौन को िमला करे ; केवल याजकHह: क भूिम फरौन क नह:ं हुई। 27 और इॐाएली िमॐ के गोशेन दे श म रहने लगे; और वहां क भूिम को अपके वश म कर िलया, और फूले-फले, और अय(त बढ़ गए।। 28 िमॐ दे श म याकूब सतरह वषO जीवत रहा : इस ूकार याकूब क सार: आयु एक सौ सEतालीस वषO क हुई। 29 जब इॐाएल के मरने का दन िनकट आ गया, तब उस ने अपके पुऽ यूसफ ु को बुलवाकर कहा, यद ते रा अनुमह मुझ पर हो, तो अपना हाथ मेर: जांघ के तले रखकर शपय खा, क मE ते रे साय कृ पा और स.चाई का यह काम कRंगा, क तुझे िमॐ म िम=ट: न दं ग ू ा। 30 जब तू अपके बापदादHके संग सो जाएगा,

तब मE तुझे िमॐ से उठा ले जाकर उ(ह:ं के कबgरःतान म रखूंगा; तब यूसफ ु ने कहा, मE तेरे वचन के अनुसार कRंगा। 31 फर उस ने कहा, मुझ से शपय खा : सो उस ने उस से शपय खाई। तब इॐाएल ने खाट के िसरहाने क ओर िसर फुकाया।। उप 48 1 इन बातHके प_ात ् कसी ने यूसफ ु से कहा, सुन, तेरा पता बीमार है ; तब वह मनँशे और एूैम नाम अपके दोनHपुऽHको संग लेकर उसके पास चला। 2 और कसी ने याकूब को बता दया, क तेरा पुऽ यूसफ ु तेरे पास आ रहा है ; तब इॐाएल अपके को सSभालकर खाट पर बैठ गया। 3 और याकूब ने यूसफ ु से कहा, सवOशfमान ई र ने कनान दे श के लूज नगर के पास मुझे दशOन दे कर आशीष द:, 4 और कहा, सुन, मE तुझे फुला-फलाकर बढ़ाऊंगा, और तुझे राGय राGय क म+डली का मूल बनाऊंगा, और तेरे प_ात ् तेरे वंश को यह दे श दे दं ग ू ा, 'जस से क वह सदा तक उनक िनज भूिम बनी रहे । 5 और अब ते रे दोनHपुऽ, जो िमॐ म मेरे आने से पहले उप(न हुए हE , वे मेरे ह: ठहर गे; अयाOत ् 'जस र:ित से Rबेन और िशमोन मेरे हE , उसी र:ित से एूैम और मनँशे भी मेरे ठहर गे। 6 और उनके प_ात ् जो स(तान उप(न हो, वह ते रे तो ठहर गे; पर(तु बंटवारे के समय वे अपके भाइयHह: के वंश म िगने जाएंगे। 7 जब मE पXान से आता या, तब एूाता पहुंचने से योड़: ह: दरू पहले राहे ल कनान दे श म , मागO म , मेरे साSहने मर गई : और मE ने उसे वह:ं, अयाOत ् एूाता जो बेतलेहम भी कहलाता है , उसी के मागO म िम=ट: द:। 8 तब इॐाएल को यूसफ ु के पुऽ दे ख पके, और उस ने पूछा, थे

कौन हE ? 9 यूसफ ु ने अपके पता से कहा, थे मेरे पुऽ हE , जो परमे र ने मुझे यहां दए हE : उस ने कहा, उनको मेरे पास ले आ क मE उ(ह आशीवाOद दं ।ू 10 इॐाएल क आंखे बुढ़ापे के कारण धु(धली हो गई यीं, यहां तक क उसे कम सूफता या। तब यूसफ ु उ(ह उनके पास ले गया ; और उस ने उ(ह चूमकर गले लगा िलया। 11 तब इॐाएल ने यूसफ ु से कहा, मुझे आशा न यी, क मE तेरा मुख फर दे खने पाऊंगा : पर(तु दे ख, परमे र ने मुझे ते रा वंश भी दखाया है । 12 तब यूसफ ु ने उ(ह अपके घुटनHके बीच से हटाकर और अपके मुह ं के बल भूिम पर िगरके द+डवत ् क। 13 तब यूसफ ु ने उन दोनHको लेकर, अयाOत ् एूैम को अपके दहने हाथ से, क वह इॐाएल के बाएं हाथ पके, और मनँशे को अपके बाएं हाथ से, क इॐाएल के दहने हाथ पके, उ(ह उसके पास ले गया। 14 तब इॐाएल ने अपना दहना हाथ बढ़ाकर एूैम के िसर पर जो छोटा या, और अपना बायां हाथ बढ़ाकर मनँशे के िसर पर रख दया; उस ने तो जान बूफकर ऐसा कया; नह:ं तो जे ठा मनँशे ह: या। 15 फर उस ने यूसफ ु को आशीवाOद दे कर कहा, परमे र 'जसके सSमुख मेरे बापदादे इॄाह:म और इसहाक (अपके को जानकर ) चलते थे वह: परमे र मेरे ज(म से लेकर आज के दन तक मेरा चरवाहा बना है ; 16 और वह: दत ू मुझे सार: बुराई से छुड़ाता आया है , वह: अब इन लड़कHको आशीष दे ; और थे मेरे और मेरे बापदादे इॄाह:म और इसहाक के कहलाएं; और पृवी म बहुतायत से बढ़ । 17 जब यूसफ ु ने दे खा, क मेरे पता ने अपना दहना हाथ एूैम के िसर पर रखा है , तब यह बात उसको बुर: लगी : सो उस ने अपके पता का हाथ इस मनसा से पकड़ िलया, क एूैम के िसर पर से उठाकर मनँशे के िसर पर रख दे । 18 और यूसफ ु ने अपके पता से कहा, हे पता, ऐसा नह:ं: यHक जेठा यह: है ;

अपना दहना हाथ इसके िसर पर रख। 19 उसके पता ने कहा, नह:ं, सुन, हे मेरे पुऽ, मE इस बात को भली भांित जानता हूं : यrप इस से भी मनुंयHक एक म+डली उप(न होगी, और यह भी महान ् हो जाएगा, तौभी इसका छोटा भाई इस से अिधक महान हो जाएगा, और उसके वंश से बहुत सी जाितयां िनकल गी। 20 फर उस ने उसी दन यह कहकर उनको आशीवाOद दया, क इॐाएली लोग तेरा नाम ले लेकर ऐसा आशीवाOद दया कर गे, क परमे र तुझे एूैम और मनँशे के समान बना दे : और उस ने मनँशे से पहले एूैम का नाम िलया। 21 तब इॐाएल ने यूसफ ु से कहा, दे ख, मE तो मरने पर हंू : पर(तु परमे र तुम लोगHके संग रहे गा, और तुम को तुSहारे पतरHके दे श म फर पहंु चा दे गा। 22 और मE तुझ को ते रे भाइयHसे अिधक भूिम का एक भाग दे ता हूं, 'जसको मE ने एमोgरयHके हाथ से अप क तलवार और धनुष के बल से ले िलया है । उप 49 1 फर याकूब ने अपके पुऽHको यह कहकर बुलाया, क इक=ठे हो जाओ, मE तुम को बताऊंगा, क अ(त के दनHम तुम पर या या बीते गा। 2 हे याकूब के पुऽH, इक=ठे होकर सुनो, अपके पता इॐाएल क ओर कान लगाओ। 3 हे Rबेन, तू मेरा जेठा, मेरा बल, और मेरे पौRष का पहला फल है ; ूितvा का उम भाग, और शf का भी उम भाग तू ह: है । 4 तू जो जल क नाL उबलनेवाला है , इसिलथे औरHसे ौे न ठहरे गा; यHक तू अपके पता क खाट पर चढ़ा, तब तू ने उसको अशुa कया; वह मेरे बछौने पर चढ़ गया।। 5 िशमोन और लेवी तो भाई भाई हE , उनक तलवार उपिव के हिययार हE । 6 हे मेरे जीव, उनके ममO म न

पड़, हे मेर: महमा, उनक सभा म मत िमल; यHक उ(हHने कोप से मनुंयHको घात कया, और अप क ह: इ.छा पर चलकर बैलHक पूंछ काट: हE ।। 7 िध कार उनके कोप को, जो ूच+ड या; और उनके रोष को, जो िनदO य या; मE उ(ह याकूब म अलग अलग और इॐाएल म ितर बर कर दं ग ू ा।। 8 हे यहूदा, तेरे भाई तेरा ध(यवाद कर गे, तेरा हाथ तेरे शऽुओं क गदO न पर पकेगा; तेरे पता के पुऽ तुझे द+डवत ् कर गे।। 9 यहूदा िसंह का डांवR है । हे मेरे पुऽ, तू अहे र करके गुफा म

गया है : वह िसंह वा िसंहनी क नाई दबकर बैठ गया; फर कौन उसको छे ड़े गा।। 10 जब तक शीलो न आए तब तक न तो यहूदा से राजद+ड छूटे गा, न उसके वंश से eयवःया दे नेवाला अलग होगा; और राGय राGय के लोग उसके अधीन हो जाएंगे।। 11 वह अपके जवान गदहे को दाखलता म , और अप क गदह: के ब.चे को उम जाित क दाखलता म बा(धा करे गा ; उस ने अपके व\ दाखमधु म , और अपना पहरावा दाखHके रस म धोया है ।। 12 उसक आंखे दाखमधु से चमकली और उसके दांत दध ू समुि के तीर पर ू से ेत हHगे।। 13 जबूलन िनवास करे गा, वह जहाजHके िलथे ब(दरगाह का काम दे गा, और उसका परला भाग सीदोन के िनकट पहंु चेगा 14 इःसाकार एक बड़ा और बलव(त गदहा है , जो पशुओं के बाड़Hके बीच म दबका रहता है ।। 15 उस ने एक वौमःयान दे खकर, क अ.छा है , और एक दे श, क मनोहर है , अपके क(धे को बोफ उठाने के िलथे फुकाया, और बे गार: म दास का सा काम करने लगा।। 16 दान इॐाएल का एक गोऽ होकर अपके जाितभाइयHका (याय करे गा।। 17 दान मागO म का एक सांप, और राःते म का एक नाग होगा, जो घोड़े क नली को डं सता है , 'जस से उसका सवार पछाड़ खाकर िगर पड़ता है ।। 18 हे यहोवा, मE तुझी से उaार पाने क बाट

जोहता आया हंू ।। 19 गाद पर एक दल चढ़ाई तो करे गा; पर वह उसी दल के पछले भाग पर छापा मारे गा।। 20 आशेर से जो अ(न उप(न होगा वह उम होगा, और वह राजा के योbय ःवाद भोजन दया करे गा।। 21 नTाली एक छूट: हुई हgरणी है ; वह सु(दर बात बोलता है ।। 22 यूसफ ु बलव(त लता क एक शाखा है , वह सोते के पास लगी हुई फलव(त लता क एक शाखा है ; उसक डािलयां भीत पर से चढ़कर फैल जाती हE ।। 23 धनुधाOgरयHने उसको खेदत कया, और उस पर तीर मारे , और उसके पीछे पके हE ।। 24 पर उसका धनुष lढ़ रहा, और उसक बांह और हाथ याकूब के उसी शfमान ई र के हाथHके kारा फुतhले हुए, 'जसके पास से वह चरवाहा आएगा, जो इॐाएल का पयर भी ठहरे गा।। 25 यह तेरे पता के उस ई र का काम है , जो तेर: सहाथता करे गा, उस सवOशfमान को जो तुझे ऊपर से आकाश म क आशीष , और नीचे से गहरे जल म क आशीष , और ःतनH, और गभO क आशीष दे गा।। 26 तेरे पता के आशीवाOद मेरे पतरHके आशीवाOद से अिधक बढ़ गए हE और सनातन पहाडय़Hक मन- चाह: वःतुओं क नाई बने रह गे : वे यूसफ ु के िसर पर, जो अपके भाइयHम से (यारा हुआ, उसी के िसर के मुकुट पर फूले फल गे।। 27 ब(यामीन फाड़नेहारा हु+डार है , सवेरे तो वह अहे र भझण करे गा, और सांफ को लूट बांट लेगा।। 28 इॐाएल के बारहHगोऽ थे ह: हE : और उनके पता ने 'जस 'जस वचन से उनको आशीवाOद दया, सो थे ह: हE ; एक एक को उसके आशीवाOद के अनुसार उस ने आशीवाOद दया। 29 तब उस ने यह कहकर उनको आWा द:, क मE अपके लोगHके साय िमलने पर हंू : इसिलथे मुझे ही एूोन क भूिमवाली गुफा म मेरे बापदादHके साय िम=ट: दे ना, 30 अयाOत ् उसी गुफा म जो कनान दे श म मॆे के साSहनेवाली मकपेला क भूिम म

है ; उस भूिम को तो इॄाह:म ने ही एूोन के हाथ से इसी िनिम मोल िलया या, क वह कबgरःतान के िलथे उसक िनज भूिम हो। 31 वहां इॄाह:म और उसक प^ी सारा को िम=ट: द: गई; और वह:ं इसहाक और उसक प^ी gरबका को भी िम=ट: द: गई; और वह:ं मE ने िलआ: को भी िम=ट: द:। 32 वह भूिम और उस म

क गुफा हयHके हाथ से मोल ली गई। 33 यह आWा जब याकूब अपके पुऽHको दे चुका, तब अपके पांव खाट पर समेट ूाण छोड़े , और अपके लोगHम जा िमला। उप 50 1 तब यूसफ ु अपके पता के मुह ं पर िगरकर रोया और उसे चूमा। 2 और यूसफ ु ने उन वैrHको, जो उसके सेवक थे, आWा द:, क मेरे पता क लोय म सुग(धिeय भरो; तब वैrHने इॐाएल क लोय म सुग(धिeय भर दए। 3 और उसके चालीस दन पूरे हुए। यHक 'जनक लोय म सुग(धिeय भरे जाते हE , उनको इतने ह: दन पूरे लगते हE : और िमॐी लोग उसके िलथे सर दन तक वलाप करते रहे ।। 4 जब उसके वलाप के दन बीत गए, तब यूसफ ु फरौन के घराने के लोगHसे कहने लगा, यद तुSहार: अनुमह क l मुझ पर हो तो मेर: यह बनती फरौन को सुनाओ, 5 क मेरे पता ने यह कहकर, क दे ख मE मरने पर हंू , मुझे यह शपय 'खलाई, क जो कबर तू ने अपके िलथे कनान दे श म खुदवाई है उसी म मE तुझे िम=ट: दं ग ू ा इसिलथे अब मुझे वहां जाकर अपके पता को िम=ट: दे ने क आWा दे , तप_ात ् मE लौट आऊंगा। 6 तब फरौन ने कहा, जाकर अपके पता क 'खलाई हुई शपय के अनुसार उनको िम=ट: दे । 7 सो यूसफ ु अपके पता को िम=ट: दे ने के िलथे चला, और फरौन के सब कमOचार:, अयाOत ् उसके भवन

के पुरिनथे, और िमॐ दे श के सब पुरिनथे उसके संग चले। 8 और यूसफ ु के घर के सब लोग, और उसके भाई, और उसके पता के घर के सब लोग भी संग गए; पर वे अपके बालब.चH, और भेड़-बकgरयH, और गाय-बैलHको गोशेन दे श म छोड़ गए। 9 और उसके संग रय और सवार गए, सो भीड़ बहुत भार: हो गई। 10 जब वे आताद के खिलहान तक, जो यरदन नद: के पार है पहंु चे, तब वहां अय(त भार: वलाप कया, और यूसफ ु ने अपके पता के सात दन का वलाप कराया। 11 आताद के खिलहान म के वलाप को दे खकर उस दे श के िनवासी कनािनयHने कहा, यह तो िमिॐयHका कोई भार: वलाप होगा, इसी कारण उस ःयान का नाम आबेलिमॐैम पड़ा, और वह यरदन के पार है । 12 और इॐाएल के पुऽHने उस से वह: काम कया 'जसक उस ने उनको आWा द: यी: 13 अयाOत ् उ(हHने उसको कनान दे श म ले जाकर मकपेला क उस भूिमवाली गुफा म , जो मॆे के साSहने हE , िम=ट: द:; 'जसको इॄाह:म ने ही एूोन के हाथ से इस िनिम मोल िलया या, क वह कबgरःतान के िलथे उसक िनज भूिम हो।। 14 अपके पता को िम=ट: दे कर यूसफ ु अपके भाइयHऔर उन सब समेत, जो उसके पता को िम=ट: दे ने के िलथे उसके संग गए थे, िमॐ म लौट आया। 15 जब यूसफ ु के भाइयHने दे खा क हमारा पता मर गया है , तब कहने लगे, कदािचत ् यूसफ ु अब हमारे पीछे पके, और 'जतनी बुराई हम ने उस से क यी सब का पूरा पलटा हम से ले। 16 इसिलथे उ(हHने यूसफ ु के पास यह कहला भेजा, क तेरे पता ने मरने से पहले हम यह आWा द: यी, 17 क तुम लोग यूसफ ु से इस ूकार कहना, क हम बनती करते हE , क तू अपके भाइयHके अपराध और पाप को झमा कर; हम ने तुझ से बुराई तो क यी, पर अब अपके पता के परमे र के दासHका अपराध

झमा कर। उनक थे बात सुनकर यूसफ ु रो पड़ा। 18 और उसके भाई आप भी जाकर उसके साSहने िगर पके, और कहा, दे ख, हम तेरे दास हE । 19 यूसफ ु ने उन से कहा, मत डरो, या मE परमे र क जगह पर हंू ? 20 यrप तुम लोगHने मेरे िलथे बुराई का वचार कया या; पर(तु परमे र ने उसी बात म भलाई का वचार कया, 'जस से वह ऐसा करे , जैसा आज के दन ूगट है , क बहुत से लोगHके ूाण बचे हE । 21 सो अब मत डरो : मE तुSहारा और तुSहारे बाल-ब.चHका पालन पोषण करता रहंू गा; इस ूकार उस ने उनको समझा बुफाकर शा'(त द:।। 22 और यूसफ ु अपके पता के घराने समेत िमॐ म रहता रहा, और यूसफ ु एक सौ दस वषO जीवत रहा। 23 और यूसफ ु एूैम के परपोतHतक दे खने पाया : और मनँशे के पोते, जो माकर के पुऽ थे, वे उप(न होकर यूसफ ु से गोद म िलए गए। 24 और यूसफ ु ने अपके भाइयHसे कहा मE तो मरने पर हंू ; पर(तु परमे र िन_य तुSहार: सुिध लेगा, और तुSह इस दे श से िनकालकर उस दे श म पहंु चा दे गा, 'जसके दे ने क उस ने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब से शपय खाई यी। 25 फर यूसफ ु ने इॐाएिलयHसे यह कहकर, क परमे र िन_य तुSहार: सुिध लेगा, उनको इस वषय क शपय 'खलाई, क हम तेर: ह']डयHको वहां से उस दे श म ले जाएंगे। 26 िनदान यूसफ ु एक सौ दस वषO का होकर मर गया : और उसक लोय म सुग(धिeय भरे गए, और वह लोय िमॐ म एक स(दक ू म रखी गई।। िनगOमन 1 1 इॐाएल के पुऽHके नाम, जो अपके अपके घराने को लेकर याकूब के साय िमॐ दे श म आए, थे हE : 2 अयाOत ् Rबेन, िशमोन, लेवी, यहूदा, 3 इःसाकार, जबूलन ू ,

ब(यामीन, 4 दान, नTाली, गाद और आशेर। 5 और यूसफ ु तो िमॐ म पहले ह: आ चुका या। याकूब के िनज वंश म जो उप(न हुए वे सब सर ूाणी थे। 6 और यूसफ ु , और उसके सब भाई , और उस पीढ़: के सब लोग मर िमटे । 7 और इॐाएल क स(तान फूलने फलने लगी; और वे अय(त सामयh बनते चले गए; और इतना बढ़ गए क कुल दे श उन से भर गया।। 8 िमॐ म एक नया राजा गX: पर बैठा जो यूसफ ु को नह:ं जानता या। 9 और उस ने अप क ूजा से कहा, दे खो, इॐाएली हम से िगनती और सामयO म अिधक बढ़ गए हE । 10 इसिलथे आओ, हम उनके साय बुaमानी से बताOव कर , कह:ं ऐसा न हो क जब वे बहुत बढ़ जाएं, और यद संमाम का समय आ पके, तो हमारे बैgरयHसे िमलकर हम से लड़ और इस दे श से िनकल जाएं। 11 इसिलथे उ(हHने उन पर बेगार: करानेवालHको िनयुf कया क वे उन पर भार डाल डालकर उनको द:ु ख दया कर ; तब उ(हHने फरौन के िलथे पतोम और रामसेस नाम भ+डारवाले नगरHको बनाया। 12 पर GयHGयHवे उनको द:ु ख दे ते गए यHयHवे बढ़ते और फैलते चले गए; इसिलथे वे इॐाएिलयHसे अय(त डर गए। 13 तौभी िमिॐयHने इॐाएिलयHसे कठोरता के साय सेवकाई करवाई। 14 और उनके जीवन को गारे , Lट और खेती के भांित भांित के काम क कठन सेवा से द:ु खी कर डाला; 'जस कसी काम म वे उन से सेवा करवाते थे उस म वे कठोरता का eयवहार करते थे। 15 िशूा और पूआ नाम दो इॄी धाइयHको िमॐ के राजा ने आWा द:, 16 क जब तुम इॄी '\यHको ब.चा उप(न होने के समय ज(मने के पयरHपर बैठq दे खो, तब यद बे टा हो, तो उसे मार डालना; और बेट: हो, तो जीवत रहने दे ना। 17 पर(तु वे धाइयां परमे र का भय मानती यीं, इसिलथे िमॐ के राजा क आWा न

मानकर लड़कHको भी जीवत छोड़ दे ती यीं। 18 तब िमॐ के राजा ने उनको बुलवाकर पूछा, तुम जो लड़कHको जीवत छोड़ दे ती हो, तो ऐसा यHकरती हो? 19 धाइयHने फरौन को उतर दया, क इॄी '\यHिमॐी '\यHके समान नह:ं हE ; वे ऐसी फुतhली हE क धाइयHके पहंु चने से पहले ह: उनको ब.चा उप(न हो जाता है । 20 इसिलथे परमे र ने धाइयHके साय भलाई क; और वे लोग बढ़कर बहुत सामयh हो गए। 21 और धाइयां इसिलथे क वे परमे र का भय मानती यीं उस ने उनके घर बसाए। 22 तब फरौन ने अप क सार: ूजा के लोगHको आWा द:, क इॄयHके 'जतने बेटे उप(न हHउन सभHको तुम नील नद: म डाल दे ना, और सब बेटयHको जीवत रख छोड़ना।। िनगOमन 2 1 लेवी के घराने के एक पुRष ने एक लेवी वंश क \ी को cयाह िलया। 2 और वह \ी गभOवती हुई और उसके एक पुऽ उप(न हुआ; और यह दे खकर क यह बालक सु(दर है , उसे तीन मह:ने तक िछपा रखा। 3 और जब वह उसे और िछपा न सक तब उसके िलथे सरकंड़Hक एक टोकर: लेकर, उस म बालक को रखकर नील नद: के तीर पर कांसHके बीच छोड़ आई। 4 उस बालक क बहन दरू खड़: रह:, क दे खे इसका या हाल होगा। 5 तब फरौन क बेट: नहाने के िलथे नद: के तीर आई; उसक स'खयां नद: के तीर तीर टहलने लगीं; तब उस ने कांसHके बीच टोकर: को दे खकर अप क दासी को उसे ले आने के िलथे भेजा। 6 तब उस ने उसे खोलकर दे खा, क एक रोता हुआ बालक है ; तब उसे तरस आया और उस ने कहा, यह तो कसी इॄी का बालक होगा। 7 तब बालक क बहन ने फरौन क

बे ट: से कहा, या मE जाकर इॄी '\यHम से कसी धाई को तेरे पास बुला ले आऊं जो ते रे िलथे बालक को दध ू पलाया करे ? 8 फरौन क बेट: ने कहा, जा। तब लड़क जाकर बालक क माता को बुला ले आई। 9 फरौन क बेट: ने उस से कहा, तू इस बालक को ले जाकर मेरे िलथे दध ू पलाया कर, और मE तुझे मजदरू : दं ग ू ी। तब वह \ी बालक को ले जाकर दध ू पलाने लगी। 10 जब बालक कुछ बड़ा हुआ तब वह उसे फरौन क बे ट: के पास ले गई, और वह उसका बेटा ठहरा; और उस ने यह कहकर उसका नाम मूसा रखा, क मE ने इसको जल से िनकाल िलया।। 11 उन दनHम ऐसा हुआ क जब मूसा जवान हुआ, और बाहर अपके भाई ब(धुओं के पास जाकर उनके द:ु खHपर l करने लगा; तब उस ने दे खा, क कोई िमॐी जन मेरे एक इॄी भाई को मार रहा है । 12 जब उस ने इधर उधर दे खा क कोई नह:ं है , तब उस िमॐी को मार डाला और बालू म िछपा दया।। 13 फर दस ू रे दन बाहर जाकर उस ने दे खा क दो इॄी पुRष आपस म मारपीट कर रहे हE ; उस ने अपराधी से कहा, तू अपके भाई को यHमारता है ? 14 उस ने कहा, कस ने तुझे हम लोगHपर हाकम और (यायी ठहराया ? 'जस भांित तू ने िमॐी को घात कया या उसी भांित तू मुझे भी घात करना चाहता है ? तब मूसा यह सोचकर डर गया, क िन_य वह बात खुल गई है । 15 जब फरौन ने यह बात सुनी तब मूसा को घात करने क युf क। तब मूसा फरौन के साSहने से भागा, और िमrान दे श म जाकर रहने लगा; और वह वहां एक कुएं के पास बैठ गया। 16 िमrान के याजक क सात बेटयां यी; और वे वहां आकर जल भरने लगीं, क कठौतHम भरके अपके पता क भेड़बकgरयHको पलाएं। 17 तब चरवाहे आकर उनको हटाने लगे; इस पर मूसा ने खड़ा होकर उनक सहाथता क, और

भेड़-बकgरयHको पानी पलाया। 18 जब वे अपके पता Rएल के पास फर आई, तब उस ने उन से पूछा, या कारण है क आज तुम ऐसी फुतh से आई हो ? 19 उ(हHने कहा, एक िमॐी पुRष ने हम को चरवाहHके हाथ से छुड़ाया, और हमारे िलथे बहुत जल भरके भेड़-बकgरयHको पलाया। 20 तब उस ने अप क बे टयHसे कहा, वह पुRष कहां है ? तुम उसको यHछोड़ आई हो ? उसको बुला ले आओ क वह भोजन करे । 21 और मूसा उस पुRष के साय रहने को ूस(न हुआ; उस ने उसे अप क बेट: िस€पोरा को cयाह दया। 22 और उसके एक पुऽ उप(न हुआ, तब मूसा ने यह कहकर, क मE अ(य दे श म परदे शी हंू , उसका नाम गे शzम रखा।। 23 बहुत दनHके बीतने पर िमॐ का राजा मर गया। और इॐाएली कठन सेवा के कारण लSबी लSबी सांस लेकर आह भरने लगे, और पुकार उठे , और उनक दोहाई जो कठन सेवा के कारण हुई वह परमे र तक पहंु ची। 24 और परमे र ने उनका कराहना सुनकर अप क वाचा को, जो उस ने इॄाह:म, और इसहाक, और याकूब के साय बा(धी यी, ःमरण कया। 25 और परमे र ने इॐाएिलयHपर l करके उन पर िच लगाया।। िनगOमन 3 1 मूसा अपके ससुर ियऽो नाम िमrान के याजक क भेड़-बकgरयHको चराता या; और वह उ(ह जंगल क परली ओर होरे ब नाम परमे र के पवOत के पास ले गया। 2 और परमे र के दत ू ने एक कट:ली फाड़: के बीच आग क लौ म उसको दशOन दया; और उस ने l उठाकर दे खा क फाड़: जल रह: है , पर भःम नह:ं होती। 3 तब मूसा ने सोचा, क मE उधर फरके इस बड़े अचSभे को दे खूंगा, क वह फाड़:

यHनह:ं जल जाती। 4 जब यहोवा ने दे खा क मूसा दे खने को मुड़ा चला आता है , तब परमे र ने फाड़: के बीच से उसको पुकारा, क हे मूसा, हे मूसा। मूसा ने कहा, या आWा। 5 उस ने कहा इधर पास मत आ, और अपके पांवHसे जूितयHको उतार दे , यHक 'जस ःयान पर तू खड़ा है वह पवऽ भूिम है । 6 फर उस ने कहा, मE तेरे पता का परमे र, और इॄाह:म का परमे र, इसहाक का परमे र, और याकूब का परमे र हूं। तब मूसा ने जो परमे र क ओर िनहारने से डरता या अपना मुह ं ढ़ाप िलया। 7 फर यहोवा ने कहा, मE ने अप क ूजा के लोग जो िमॐ म हE उनके द:ु ख को िन_य दे खा है , और उनक जो िच`लाहट पgरnम करानेवालHके कारण होती है उसको भी मE ने सुना है , और उनक पीड़ा पर मE ने िच लगाया है ; 8 इसिलथे अब मE उतर आया हूं क उ(ह िमिॐयHके वश से छुड़ाऊं, और उस दे श से िनकालकर एक अ.छे और बड़े दे श म 'जस म दध ू और मधु क धारा बहती है , अयाOत ् कनानी, ही, एमोर:, पgरGजी, हeवी, और यबूसी लोगHके ःयान म पहंु चाऊं। 9 सो अब सुन, इॐाएिलयHक िच`लाहट मुझे सुनाई प क है , और िमिॐयHका उन पर अ(धेर करना भी मुझे दखाई पड़ा है , 10 इसिलथे आ, मE तुझे फरौन के पास भेजता हंू क तू मेर: इॐाएली ूजा को िमॐ से िनकाल ले आए। 11 तब मूसा ने परमे र से कहा, मै कौन हंू जो फरौन के पास जाऊं, और इॐाएिलयHको िमॐ से िनकाल ले आऊं ? 12 उस ने कहा, िन_य मE तेरे संग रहूंगा; और इस बात का क तेरा भेजनेवाला मE हूं, ते रे िलथे यह िच(ह होगा क जब तू उन लोगHको िमॐ से िनकाल चुके तब तुम इसी पहाड़ पर परमे र क उपासना करोगे। 13 मूसा ने परमे र से कहा, जब मE इॐाएिलयHके पास जाकर उन से यह कहंू , क तुSहारे पतरHके परमे र ने मुझे तुSहारे पास

भेजा है , तब यद वे मुझ से पूछ , क उसका या नाम है ? तब मE उनको या बताऊं? 14 परमे र ने मूसा से कहा, मE जो हूं सो हूं। फर उस ने कहा, तू इॐाएिलयHसे यह कहना, क 'जसका नाम मE हंू है उसी ने मुझे तुSहारे पास भेजा है । 15 फर परमे र ने मूसा से यह भी कहा, क तू इॐाएिलयHसे यह कहना, क तुSहारे पतरHका परमे र, अयाOत ् इॄाह:म का परमे र, इसहाक का परमे र और याकूब का परमे र, यहोवा उसी ने मुझ को तुSहारे पास भेजा है । दे ख सदा तक मेरा नाम यह: रहे गा, और पीढ़: पीढ़: म मेरा ःमरण इसी से हुआ करे गा। 16 इसिलथे अब जाकर इॐाएली पुरिनयHको इक=ठा कर, और उन से कह, क तुSहारे पतर इॄाह:म, इसहाक, और याकूब के परमे र, यहोवा ने मुझे दशOन दे कर यह कहा है , क मE ने तुम पर और तुम से जो बताOव िमॐ म कया जाता है उस पर भी िचत लगाया है ; 17 और मE ने ठान िलया है क तुम को िमॐ के दख ु Hम

से िनकालकर कनानी, ही, एमोर:, पgरGजी हcबी, और यबूसी लोगHके दे श म

ले चलूग ं ा, जो ऐसा दे श है क 'जस म दध ू और मधु क धारा बहती है । 18 तब वे तेर: मान गे; और तू इॐाएली पुरिनयHको संग लेकर िमॐ के राजा के पास जाकर उस से यHकहना, क इॄयHके परमे र, यहोवा से हम लोगHक भ ट हुई है ; इसिलथे अब हम को तीन दन के मागO पर जंगल म जाने दे , क अपके परमे र यहोवा को बिलदान चढ़ाएं। 19 मE जानता हंू क िमॐ का राजा तुम को जाने न दे गा वरन बड़े बल से दबाए जाने पर भी जाने न दे गा। 20 इसिलथे मE हाथ बढ़ाकर उन सब आ_यOकमJसे जो िमॐ के बीच कRंगा उस दे श को माRंगा; और उसके प_ात ् वह तुम को जाने दे गा। 21 तब मE िमिॐयHसे अप क इस ूजा पर अनुमह करवाऊंगा; और जब तुम िनकलोगे तब छूछे हाथ न िनकलोगे। 22 वरन

तुSहार: एक एक \ी अप क अप क पड़ोिसन, और अपके अपके घर क पाहुनी से सोने चांद: के गहने, और व\ मांग लेगी, और तुम उ(ह अपके बेटHऔर बे टयHको पहराना; इस ूकार तुम िमिॐयHको लूटोगे।। िनगOमन 4 1 तब मूसा ने उतर दया, क वे मेर: ूतीित न कर गे और न मेर: सुन गे, वरन कह गे, क यहोवा ने तुझ को दशOन नह:ं दया। 2 यहोवा ने उस से कहा, तेरे हाथ म वह या है ? वह बोला, लाठq। 3 उस ने कहा, उसे भूिम पर डाल दे ; जब उस ने उसे भूिम पर डाला तब वह सपO बन गई, और मूसा उसके साSहने से भागा। 4 तब यहोवा ने मूसा से कहा, हाथ बढ़ाकर उसक पूंछ पकड़ ले क वे लोग ूतीित कर क तुSहारे पतरHके परमे र अयाOत ् इॄाह:म के परमे र, इसहाक के परमे र, और याकूब के परमे र, यहोवा ने तुझ को दशOन दया है । 5 तब उस ने हाथ बढ़ाकर उसको पकड़ा तब वह उसके हाथ म फर लाठq बन गई। 6 फर यहोवा ने उस से यह भी कहा, क अपना हाथ छाती पर रखकर ढांप। सो उस ने अपना हाथ छाती पर रखकर ढांप िलया; फर जब उसे िनकाला तब या दे खा, क उसका हाथ कोढ़ के कारण हम के समान ेत हो गया है । 7 तब उस ने कहा, अपना हाथ छाती पर फर रखकर ढांप। और उस ने अपना हाथ छाती पर रखकर ढांप िलया; और जब उस ने उसको छाती पर से िनकाला तब या दे खता है , क वह फर सार: दे ह के समान हो गया। 8 तब यहोवा ने कहा, यद वे तेर: बात क ूतीित न कर , और पहले िच(ह को न मान , तो दस ू रे िच(ह क ूतीित कर गे। 9 और यद वे इन दोनHिच(हHक ूतीित न कर और तेर: बात को न मान , तब तू

नील नद: से कुछ जल लेकर सूखी भूिम पर डालना; और जो जल तू नद: से िनकालेगा वह सूखी भूिम पर लोहू बन जाथेगा। 10 मूसा ने यहोवा से कहा, हे मेरे ूभु, मE बोलने म िनपुण नह:ं, न तो पहले या, और न जब से तू अपके दास से बात करने लगा; मE तो मुह ं और जीभ का भXा हंू । 11 यहोवा ने उस से कहा, मनुंय का मुह ं कस ने बनाया है ? और मनुंय को गूंगा, वा बहरा, वा दे खनेवाला, वा अ(धा, मुझ यहोवा को छोड़ कौन बनाता है ? 12 अब जा, मE ते रे मुख के संग होकर जो तुझे कहना होगा वह तुझे िसखलाता जाऊंगा। 13 उस ने कहा, हे मेरे ूभु, 'जसको तू चाहे उसी के हाथ से भेज। 14 तब यहोवा का कोप मूसा पर भड़का और उस ने कहा, या तेरा भाई लेवीय हाRन नह:ं है ? मुझे तो िन_य है क वह बोलने म िनपुण है , और वह तेर: भ ट के िलथे िनकला भी आता है , और तुझे दे खकर मन म आन'(दत होगा। 15 इसिलथे तू उसे थे बात

िसखाना; और मE उसके मुख के संग और तेरे मुख के संग होकर जो कुछ तुSहे करना होगा वह तुम को िसखलाता जाऊंगा। 16 और वह तेर: ओर से लोगHसे बात कया करे गा; वह तेरे िलथे मुह ं और तू उसके िलथे परमे र ठहरे गा। 17 और तू इस लाठq को हाथ म िलए जा, और इसी से इन िच(हHको दखाना।। 18 तब मूसा अपके ससुर ियऽो के पास लौटा और उस से कहा, मुझे वदा कर, क मE िमॐ म रहनेवाले अपके भाइयHके पास जाकर दे खूं क वे अब तक जीवत हE वा नह:ं। ियऽो ने कहा, कुशल से जा। 19 और यहोवा ने िमrान दे श म मूसा से कहा, िमॐ को लौट जा; यHक जो मनुंय तेरे ूाण के €यासे थे वे सब मर गए हE 20 तब मूसा अप क प^ी और बेटHको गदहे पर चढ़ाकर िमॐ दे श क ओर परमे र क उस लाठq को हाथ म िलथे हुए लौटा। 21 और यहोवा ने मूसा से कहा, जब तू

िमॐ म पहंु चे तब सावधान हो जाना, और जो चमकार मE ने तेरे वश म कए हE उन सभHको फरौन को दखलाना; पर(तु मै उसके मन को हठqला कRंगा, और वह मेर: ूजा को जाने न दे गा। 22 और तू फरौन से कहना, क यहोवा यHकहता है , क इॐाएल मेरा पुऽ वरन मेरा जे ठा है , 23 और मE जो तुझ से कह चुका हंू , क मेरे पुऽ को जाने दे क वह मेर: सेवा करे ; और तू ने अब तक उसे जाने नह:ं दया, इस कारण मE अब तेरे पुऽ वरन तेरे जेठे को घात कRंगा। 24 और ऐसा हुआ क मागO पर सराय म यहोवा ने मूसा से भ ट करके उसे मार डालना चाहा। 25 तब िस€पोरा ने एक तेज चकमक पयर लेकर अपके बेटे क खलड़: को काट डाला, और मूसा के पावHपर यह कहकर फ क दया, क िन_य तू लोहू बहानेवाला मेरा पित है । 26 तब उस ने उसको छोड़ दया। और उसी समय खतने के कारण वह बोली, तू लोहू बहानेवाला पित है । 27 तब यहोवा ने हाRन से कहा, मूसा से भ ट करने को जंगल म जा। और वह गया, और परमे र के पवOत पर उस से िमला और उसको चूमा। 28 तब मूसा ने हाRन को यह बतलाया क यहोवा ने या या बात कहकर उसको भेजा है , और कौन कौन से िच(ह दखलाने क आWा उसे द: है । 29 तब मूसा और हाRन ने जाकर इॐाएिलयHके सब पुरिनयHको इक=ठा कया। 30 और 'जतनी बात यहोवा ने मूसा से कह: यी वह सब हाRन ने उ(ह

सुनाई, और लोगHके साSहने वे िच(ह भी दखलाए। 31 और लोगHने उनक ूतीित क; और यह सुनकर, क यहोवा ने इॐाएिलयHक सुिध ली और उनके द:ु खHपर l क है , उ(हHने िसर फुकाकर द+डवत क।। िनगOमन 5

1 इसके प_ात ् मूसा और हाRन ने जाकर फरौन से कहा, इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , क मेर: ूजा के लोगHको जाने दे , क वे जंगल म मेरे िलथे पeवO कर । 2 फरौन ने कहा, यहोवा कौन है , क मE उसका वचन मानकर इॐाएिलयHको जाने दं ू ? मE यहोवा को नह:ं जानता, और मE इॐाएिलयHको नह:ं जाने दं ग ू ा। 3 उ(हHने कहा, इॄयHके परमे र ने हम से भ ट क है ; सो हम जंगल म तीन दन के मागO पर जाने दे , क अपके परमे र यहोवा के िलथे बिलदान कर , ऐसा न हो क वह हम म मर: फैलाए वा तलवार चलवाए। 4 िमॐ के राजा ने उन से कहा, हे मूसा, हे हाRन, तुम यHलोगHसे काम छुड़वाने चाहते हो? तुम जाकर अपके अपके बोफ को उठाओ। 5 और फरोन ने कहा, सुनो, इस दे श म वे लोग बहुत हो गए हE , फर तुम उनको पgरnम से वौम दलाना चाहते हो ! 6 और फरौन ने उसी दन उन पgरnम करवानेवालHको जो उन लोगHके ऊपर थे, और उनके सरदारHको यह आWा द:, 7 क तुम जो अब तक ईट बनाने के िलथे लोगHको पुआल दया करते थे सो आगे को न दे ना; वे आप ह: जाकर अपके िलथे पुआल इक=ठा कर । 8 तौभी 'जतनी Lट अब तक उ(ह बनानी पड़ती यीं उतनी ह: आगे को भी उन से बनवाना, LटHक िगनती कुछ भी न घटाना; यHक वे आलसी हE ; इस कारण यह कहकर िच`लाते हE , क हम जाकर अपके परमे र के िलथे बिलदान कर । 9 उन मनुंयHसे और भी कठन सेवा करवाई जाए क वे उस म पgरnम करते रह और फूठq बातHपर ~यान न लगाएं। 10 तब लोगHके पgरnम करानेवालHने और सरदारHने बाहर जाकर उन से कहा, फरौन इस ूकार कहता है , क मE तुSह पुआल नह:ं दं ग ू ा। 11 तुम ह: जाकर जहां कह:ं पुआल िमले वहां से उसको बटोर कर ले आओ; पर(तु तुSहारा काम कुछ भी नह:ं घटाया जाएगा। 12

सो वे लोग सारे िमॐ दे श म ितर-बर हुए क पुआल क स(ती खूंट: बटोर । 13 और पgरnम करनेवाले यह कह कहकर उन से ज`द: करते रहे , क 'जस ूकार तुम पुआल पाकर कया करते थे उसी ूकार अपना ूितदन का काम अब भी पूरा करो। 14 और इॐाएिलयHम से 'जन सरदारHको फरौन के पgरnम करानेवालHने उनका अिध कारनेी ठहराया या, उ(हHने मार खाई, और उन से पूछा गया, क या कारण है क तुम ने अप क ठहराई हुई LटHक िगनती के अनुसार पहले क नाई कल और आज पूर: नह:ं कराई ? 15 तब इॐाएिलयHके सरदारHने जाकर फरौन क दोहाई यह कहकर द:, क तू अपके दासHसे ऐसा बताOव यHकरता है ? 16 तेरे दासHको पुआल तो दया ह: नह:ं जाता और वे हम से कहते रहते हE , Lटे बनाओ, Lट बनाओ, और तेरे दासHने भी मार खाई हE ; पर(तु दोष तेरे ह: लोगHका है । 17 फरौन ने कहा, तुम आलसी हो, आलसी; इसी कारण कहते हो क हमे यहोवा के िलथे बिलदान करने को जाने दे । 18 और जब आकर अपना काम करो; और पुआल तुम को नह:ं दया जाएगा, पर(तु ईटHक िगनती पूर: करनी पकेगी। 19 जब इॐाएिलयHके सरदारHने यह बात सुनी क उनक LटHक िगनती न घटे गी, और ूितदन उतना ह: काम पूरा करना पकेगा, तब वे जान गए क उनके दभ ु ाObय के दन आ गए हE । 20 जब वे फरौन के सSमुख से बाहर िनकल आए तब मूसा और हाRन, जो उन से भ ट करने के िलथे खड़े थे, उ(ह िमले। 21 और उ(हHने मूसा और हाRन से कहा, यहोवा तुम पर l करके (याय करे , यHक तुम ने हम को फरौन और उसके कमOचाgरयHक l म

घृ'णत ठहरवाकर हम घात करने के िलथे उनके हाथ म तलवार दे द: है । 22 तब मूसा ने यहोवा के पास लौट कर कहा, हे ूभु, तू ने इस ूजा के साय ऐसी बुराई

यHक? और तू ने मुझे यहां यHभेजा ? 23 जब से मE ते रे नाम से फरौन के पास बात करने के िलथे गया तब से उसने इस ूजा के साय बुरा ह: eयवहार कया है , और तू ने अप क ूजा का कुछ भी छुटकारा नह:ं कया। िनगOमन 6 1 तब यहोवा ने मूसा से कहा, अब तू दे खेगा क मE फरौन ने या कRंगा; 'जस से वह उनको बरबस िनकालेगा, वह तो उ(ह अपके दे श से बरबस िनकाल दे गा।। 2 और परमे र ने मूसा से कहा, क मE यहोवा हंू । 3 मE सवOशfमान ई र के नाम से इॄाह:म, इसहाक, और याकूब को दशOन दे ता या, पर(तु यहोवा के नाम से मE उन पर ूगट न हुआ। 4 और मE ने उनके साय अप क वाचा lढ़ क है , अयाOत ् कनान दे श 'जस म वे परदे शी होकर रहते थे, उसे उ(ह दे दं ।ू 5 और इॐाएली 'ज(ह िमॐी लोग दासव म रखते हE उनका कराहना भी सुनकर मE ने अप क वाचा को ःमरण कया है । 6 इस कारण तू इॐाएिलयHसे कह, क मE यहोवा हंू , और तुम को िमिॐयHके बोफHके नीचे से िनकालूग ं ा, और उनके दासव से तुम को छुड़ाऊंगा, और अप क भुजा बढ़ाकर और भार: द+ड दे कर तुSह छुड़ा लूग ं ा, 7 और मE तुम को अप क ूजा बनाने के िलथे अपना लूग ं ा, और मE तुSहारा परमे र ठहRंगा; और तुम जान लोगे क मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू जो तुSह

िमिॐयHके बोफHके नीचे से िनकाल ले आया। 8 और 'जस दे श के दे ने क शपय मE ने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब से खाई यी उसी म मE तुSह पहुंचाकर उसे तुSहारा भाग कर दं ग ू ा। मE तो यहोवा हंू । 9 और थे बात मूसा ने इॐाएिलयHको सुनाई; पर(तु उ(हHने मन क बेचन ै ी और दासव क बूरता के कारण उसक न

सुनी।। 10 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 11 तू जाकर िमॐ के राजा फरौन से कह, क इॐाएिलयHको अपके दे श म से िनकल जाने दे । 12 और मूसा ने यहोवा से कहा, दे ख, इॐाएिलयHने मेर: नह:ं सुनी; फर फरौन मुझ भXे बोलनेवाले क यHकर सुनेगा ? 13 और यहोवा ने मूसा और हाRन को इॐाएिलयHऔर िमॐ के राजा फरौन के िलथे आWा इस अिभूाय से द: क वे इॐाएिलयHको िमॐ दे श से िनकाल ले जाएं। 14 उनके पतरHके घरानHके मु‡य पुRष थे हE : इॐाएल के जेठा Rबेन के पुऽ : हनोक, प`लू, हे ॐोन और कSमh थे; 15 और िशमोन के पुऽ : यमूएल, यामीन, ओहद, याकन, और सोहर थे, और एक कनानी \ी का बे टा शाउल भी या; इ(ह:ं से िशमोन के कुल िनकले। 16 और लेवी के पुऽ 'जन से उनक वंशावली च क है , उनके नाम थे हE : अयाOत ् गेशzन, कहात और मरार:, और लेवी को पूर: अवःया एक सौ सEतीस वषO क हुई। 17 गेशzन के पुऽ 'जन से उनका कुल चला : िलबनी और िशमी थे। 18 और कहात के पुऽ : अॆाम, ियसहार, हे ॄोन और उGजीएल थे, और कहात क पूर: अवःया एक सौ सEतीस वषO क हुई। 19 और मरार: के पुऽ : महली और मूशी थे। लेवयHके कुल 'जन से उनक वंशावली च क थे ह: हE । 20 अॆाम ने अप क फूफ योकेबेद को cयाह िलया और उस से हाRन और मूसा उप(न हुए, और अॆाम क पूर: अवःया एक सौ सEतीस वषO क हुई। 21 और ियसहार के पुऽ कोरह, नेपेग और 'जब थे। 22 और उGजीएल के पुऽ: मीशाएल, एलसापन और िसऽी थे। 23 और हाRन ने अSमीनादाब क बेट:, और नहशोन क बहन एलीशेबा को cयाह िलया; और उस से नादाब, अबीहू, ऐलाजार और ईतामार उप(न हुए। 24 और कोरह के पुऽ : अःसीर, एलकाना और अबीआसाप थे; और इ(ह:ं से कोरहयHके कुल िनकले।

25 और हाRन के पुऽ एलाजार ने पूतीएल क एक बेट: को cयाह िलया; और उस से पीनहास उप(न हुआ 'जन से उनका कुल चला। लेवयHके पतरHके घरानHके मु‡य पुRष थे ह: हE । 26 हाRन और मूसा वे ह: हE 'जनको यहोवा ने यह आWा द:, क इॐाएिलयHको दल दल करके उनके जयHके अनुसार िमॐ दे श से िनकाल ले आओ। 27 थे वह: मूसा और हाRन हE 'ज(हHने िमॐ के राजा फरौन से कहा, क हम इॐाएिलयHको िमॐ से िनकाल ले जाएंगे।। 28 जब यहोवा ने िमॐ दे श म

मूसा से यह बात कह:, 29 क मE तो यहोवा हंू ; इसिलथे जो कुछ मE तुम से कहंू गा वह सब िमॐ के राजा फरौन से कहना। 30 और मूसा ने यहोवा को उर दया, क मE तो बोलने म भXा हंू ; और फरोन यHकर मेर: सुनेगा ? िनगOमन 7 1 तब यहोवा ने मूसा से कहा, सुन, मE तुझे फरौन के िलथे परमे र सा ठहराता हंू ; और तेरा भाई हाRन ते रा नबी ठहरे गा। 2 जो जो आWा मE तुझे दं ू वह: तू कहना, और हाRन उसे फरौन से कहे गा 'जस से वह इॐाएिलयHको अपके दे श से िनकल जाने दे । 3 और मE फरौन के मन को कठोर कर दं ग ू ा, और अपके िच(ह और चमकार िमॐ दे श म बहुत से दखलाऊंगा। 4 तौभी फरौन तुSहार: न सुनेगा; और मE िमॐ दे श पर अपना हाथ बढ़ाकर िमिॐयHको भार: द+ड दे कर अप क सेना अयाOत ् अप क इॐाएली ूजा को िमॐ दे श से िनकाल लूग ं ा। 5 और जब मE िमॐ पर हाथ बढ़ा कर इॐाएिलयHको उनके बीच से िनकालूग ं ा तब िमॐी जान ल गे, क मE यहोवा हंू । 6 तब मूसा और हाRन ने यहोवा क आWा के अनुसार ह: कया। 7 और जब मूसा और हाRन फरौन से बात करने लगे तब

मूसा तो अःसी वषO का या, और हाRन ितरासी वषO का या।। 8 फर यहोवा ने, मूसा और हाRन से इस ूकार कहा, 9 क जब फरौन तुम से कहे , क अपके ूमाण का कोई चमकार दखाओ, तब तू हाRन से कहना, क अप क लाठq को लेकर फरौन के साSहने डाल दे , क वह अजगर बन जाए। 10 तब मूसा और हाRन ने फरौन के पास जाकर यहोवा क आWा के अनुसार कया; और जब हाRन ने अप क लाठq को फरौन और उसके कमOचाgरयHके साSहने डाल दया, तब वह अजगर बन गया। 11 तब फरौन ने प'+डतHऔर टोनहा करनेवालHको बुलवाया; और िमॐ के जादग ू रHने आकर अपके अपके तंऽ मंऽ से वैसा ह: कया। 12 उ(हHने भी अप क अप क लाठq को डाल दया, और वे भी अजगर बन गए। पर हाRन क लाठq उनक लाठयHको िनगल गई। 13 पर(तु फरौन का मन और हठqला हो गया, और यहोवा के वचन के अनुसार उस ने मूसा और हाRन क बातHको नह:ं माना।। 14 तब यहोवा ने मूसा से कहा, फरोन का मन कठोर हो गया है और वह इस ूजा को जाने नह:ं दे ता। 15 इसिलथे बहान को फरौन के पास जा, वह तो जल क ओर बाहर आएगा; और जो लाठq सपO बन गई यी, उसको हाथ म िलए हुए नील नद: के तट पर उस से भ ट करने के िलथे खड़ा रहना। 16 और उस से इस ूकार कहना, क इॄयHके परमे र यहोवा ने मुझे यह कहने के िलथे तेरे पास भेजा है , क मेर: ूजा के लोगHको जाने दे क 'जस से वे जंगल म मेर: उपासना कर ; और अब तक तू ने मेरा कहना नह:ं माना। 17 यहोवा यHकहता है , इस से तू जान लेगा क मE ह: परमे र हंू ; दे ख, मै अपके हाथ क लाठq को नील नद: के जल पर माRंगा, और जल लोहू बन जाएगा, 18 और जो मछिलयां नील नद: म हE वे मर जाएंगी, और नील नद: बसाने लगे गी, और

नद: का पानी पीने के िलथे िमिॐयHका जी न चाहे गा। 19 फर यहोवा ने मूसा से कहा, हाRन से कह, क अप क लाठq लेकर िमॐ दे श म 'जतना जल है , अयाOत ् उसक नदयां, नहर , फल , और पोखरे , सब के ऊपर अपना हाथ बढ़ा क उनका जल लोहू बन जाए; और सारे िमॐ दे श म काठ और पयर दोनHभांित के जलपाऽHम लोहू ह: लोहू हो जाएगा। 20 तब मूसा और हाRन ने यहोवा क आWा ह: के अनुसार कया, अयाOत ् उस ने लाठq को उठाकर फरौन और उसके कमOचाgरयHके दे खते नील नद: के जल पर मारा, और नद: का सब जल लोहू बन गया। 21 और नील नद: म जो मछिलयां यीं वे मर गई; और नद: से दग ु O(ध आने लगी, और िमॐी लोग नद: का पानी न पी सके; और सारे िमॐ दे श म लोहू हो गया। 22 तब िमॐ के जादग ू रHने भी अपके तंऽ-मंऽो से वैसा ह: कया; तौभी फरौन का मन हठqला हो गया, और यहोवा के कहने के अनुसार उस ने मूसा और हाRन क न मानी। 23 फरौन ने इस पर भी ~यान नह:ं दया, और मुह ं फेर के अपके घर म चला गया। 24 और सब िमॐी लोग पीने के जल के िलथे नील नद: के आस पास खोदने लगे, यHक वे नद: का जल नह:ं पी सकते थे। 25 और जब यहोवा ने नील नद: को मारा या तब से सात दन हो चुके थे।। िनगOमन 8 1 और तब यहोवा ने फर मूसा से कहा, फरौन के पास जाकर कह, यहोवा तुझ से इस ूकार कहता है , क मेर: ूजा के लोगHको जाने दे 'जस से वे मेर: उपासना कर । 2 और यद उ(ह जाने न दे गा तो सुन, मE म ढ़क भेजकर तेरे सारे दे श को हािन पहंु चानेवाला हंू । 3 और नील नद: म ढ़कHसे भर जाएगी, और वे तेरे भवन

म , और तेरे बछौने पर, और ते रे कमOचाgरयHके घरHम , और तेर: ूजा पर, वरन तेरे त(दरू Hऔर कठौितयHम भी चढ़ जाएंगे। 4 और तुझ पर, और तेर: ूजा, और तेरे कमOचाgरयH, सभHपर म ढ़क चढ़ जाएंगे। 5 फर यहोवा ने मूसा को आWा द:, क हाRन से कह दे , क नदयH, नहरH, और फलHके ऊपर लाठq के साय अपना हाथ बढ़ाकर म ढकHको िमॐ दे श पर चढ़ा ले आए। 6 तब हाRन ने िमॐ के जलाशयHके ऊपर अपना हाथ बढ़ाया; और म ढ़कHने िमॐ दे श पर चढ़कर उसे छा िलया। 7 और जादग ू र भी अपके तंऽ-मंऽHसे उसी ूकार िमॐ दे श पर म ढक चढ़ा ले आए। 8 तक फरौन ने मूसा और हाRन को बुलवाकर कहा, यहोवा से बनती करो क वह म ढ़कHको मुझ से और मेर: ूजा से दरू करे ; और मE इॐाएली लोगHको जाने दं ग ू ा 'जस से वे यहोवा के िलथे बिलदान कर । 9 तब मूसा ने फरौन से कहा, इतनी बात पर तो मुझ पर तेरा घमंड रहे , अब मE ते रे, और तेरे कमOचाgरयH, और ूजा के िनिम कब बनती कRं, क यहोवा तेरे पास से और तेरे घरHम से म ढकHको दरू करे , और वे केवल नील नद: म पाए जाएं ? 10 उस ने कहा, कल। उस ने कहा, तेरे वचन के अनुसार होगा, 'जस से तुझे यह Wात हो जाए क हमारे परमे र यहोवा के तु`य कोई दस ू रा नह:ं है । 11 और म ढक तेरे पास से, और तेरे घरHम से, और तेरे कमOचाgरयHऔर ूजा के पास से दरू होकर केवल नील नद: म

रह गे। 12 तब मूसा और हाRन फरौन के पास से िनकल गए; और मूसा ने उन म ढकHके वषय यहोवा क दोहाई द: जो उस ने फरौन पर भेजे थे। 13 और यहोवा ने मूसा के कहने के अनुसार कया; और म ढक घरH, आंगनH, और खेतHम

मर गए। 14 और लोगHने इक=ठे करके उनके ढे र लगा दए, और सारा दे श दग ु O(ध से भर गया। 15 पर(तु जब फरोन ने दे खा क अब आराम िमला है तक

यहोवा के कहने के अनुसार उस ने फर अपके मन को कठोर कया, और उनक न सुनी।। 16 फर यहोवा ने मूसा से कहा, हाRन को आWा दे , क तू अप क लाठq बढ़ाकर भूिम क धूल पर मार, 'जस से वह िमॐ दे श भर म कुटकयां बन जाएं। 17 और उ(हHने वैसा ह: कया; अयाOत ् हाRन ने लाठq को ले हाथ बढ़ाकर भूिम क धूल पर मारा, तब मनुंय और पशु दोनHपर कुटकयां हो गई वरन सारे िमॐ दे श म भूिम क धूल कुटकयां बन गई। 18 तब जादग ू रHने चाहा क अपके तंऽ मंऽHके बल से हम भी कुटकयां ले आएं, पर(तु यह उन से न हो सका। और मनुंयHऔर पशुओं दोनHपर कुटकयां बनी ह: रह:ं। 19 तब जादग ू रHने फरौन से कहा, यह तो परमे र के हाथ का काम है । तौभी यहोवा के कहने के अनुसार फरौन का मन कठोर होता गया, और उस ने मूसा और हाRन क बात न मानी।। 20 फर यहोवा ने मूसा से कहा, बहान को तड़के उठकर फरौन के साSहने खड़ा होना, वह तो जल क ओर आएगा, और उस से कहना, क यहोवा तुझ से यह कहता है , क मेर: ूजा के लोगHको जाने दे , क वे मेर: उपासना कर । 21 यद तू मेर: ूजा को न जाने दे गा तो सुन, मE तुझ पर, और तेरे कमOचाgरयHऔर ते र: ूजा पर, और तेरे घरHम फुंड के फुंड डांस भेजूंगा; और िमिॐयHके घर और उनके रहने क भूिम भी डांसHसे भर जाएगी। 22 उस दन मE गोशेन दे श को 'जस म मेर: ूजा रहती है अलग कRंगा, और उस म डांसHके फुंड न हHगे; 'जस से तू जान ले क पृवी के बीच मE ह: यहोवा हूं। 23 और मE अप क ूजा और तेर: ूजा म अ(तर ठहराऊंगा। यह िच(ह कल होगा। 24 और यहोवा ने वैसा ह: कया, और फरौन के भवन, और उसके कमOचाgरयHके घरHम , और सारे िमॐ दे श म डांसHके फुंड के फुंड भर गए, और डांसHके मारे वह दे श नाश हुआ। 25 तब फरौन ने मूसा और

हाRन को बुलवाकर कहा, तुम जाकर अपके परमे र के िलथे इसी दे श म

बिलदान करो। 26 मूसा ने कहा, ऐसा करना उिचत नह:ं; यHक हम अपके परमे र यहोवा के िलथे िमिॐयHक घृ'णत वःतु बिलदान कर ग ; और यद हम िमिॐयHके दे खते उनक घृ'णत वःतु बिलदान कर तो या वे हम को पयरवाह न कर गे ? 27 हम जंगल म तीन दन के मागO पर जाकर अपके परमे र यहोवा के िलथे जैसा वह हम से कहे गा वैसा ह: बिलदान कर गे। 28 फरौन ने कहा, मE तुम को जंगल म जाने दं ग ू ा क तुम अपके परमे र यहोवा के िलथे जंगल म

बिलदान करो; केवल बहुत दरू न जाना, और मेरे िलथे बनती करो। 29 तब मूसा ने कहा, सुन, मE तेरे पास से बाहर जाकर यहोवा से बनती कRंगा क डांसHके फुंड तेरे, और तेरे कमOचाgरयH, और ूजा के पास से कल ह: दरू हH; पर फरौन आगे को कपट करके हम यहोवा के िलथे बिलदान करने को जाने दे ने के िलथे नाह:ं न करे । 30 सो मूसा ने फरौन के पास से बाहर जाकर यहोवा से बनती क। 31 और यहोवा ने मूसा के कहे के अनुसार डांसHके फु+डHको फरौन, और उसके कमOचाgरयH, और उसक ूजा से दरू कया; यहां तक क एक भी न रहा। 32 तक फरौन ने इस बार भी अपके मन को सु(न कया, और उन लोगHको जाने न दया।। िनगOमन 9 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, फरोन के पास जाकर कह, क इॄयHका परमे र यहोवा तुझ से इस ूकार कहता है , क मेर: ूजा के लोगHको जाने दे , क मेर: उपासना कर । 2 और यद तू उ(ह जाने न दे और अब भी पकड़े रहे , 3 तो सुन,

तेरे जो घोड़े , गदहे , ऊंट, गाय-बैल, भेड़-बकर: आद पशु मैदान म हE , उन पर यहोवा का हाथ ऐसा पकेगा क बहुत भार: मर: होगी। 4 और यहोवा इॐाएिलयHके पशुओं म और िमिॐयHके पशुओं म ऐसा अ(तर करे गा, क जो इॐाएिलयHके हE उन म से कोई भी न मरे गा। 5 फर यहोवा ने यह कहकर एक समय ठहराया, क मE यह काम इस दे श म कल कRंगा। 6 दस ू रे दन यहोवा ने ऐसा ह: कया; और िमॐ के तो सब पशु मर गए, पर(तु इॐाएिलयHका एक भी पशु न मरा। 7 और फरौन ने लोगHको भेजा, पर इॐाएिलयHके पशुओं म से एक भी नह:ं मरा या। तौभी फरौन का मन सु(न हो गया, और उस ने उन लोगHको जाने न दया। 8 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, क तुम दोनHभ=ट: म से एक एक मु=ठq राख ले लो, और मूसा उसे फरौन के साSहने आकाश क ओर उड़ा दे । 9 तब वह सूˆम धूल होकर सारे िमॐ दे श म मनुंयHऔर पशुओं दोनHपर फफोले और फोड़े बन जाएगी। 10 सो वे भ=ट: म क राख लेकर फरौन के साSहने खड़े हुए, और मूसा ने उसे आकाश क ओर उड़ा दया, और वह मनुंयHऔर पशुओं दोनHपर फफोले और फोड़े बन गई। 11 और उन फोड़Hके कारण जादग ू र मूसा के साSहने खड़े न रह सके, यHक वे फोड़े जैसे सब िमिॐयHके वैसे ह: जादग ू रHके भी िनकले थे। 12 तब यहोवा ने फरौन के मन को कठोर कर दया, और जैसा यहोवा ने मूसा से कहा या, उस ने उसक न सुनी।। 13 फर यहोवा ने मूसा से कहा, बहान को तड़के उठकर फरौन के साSहने खड़ा हो, और उस से कह इॄयHका परमे र यहोवा इस ूकार कहता है , क मेर: ूजा के लोगHको जाने दे , क वे मेर: उपासना कर । 14 नह:ं तो अब क बार मE तुझ पर, और ते रे कमOचाgरयHऔर तेर: ूजा पर सब ूकार क वपयां डालूग ं ा, 'जससे तू

जान ले क सार: पृवी पर मेरे तु`य कोई दस ू रा नह:ं है । 15 मE ने तो अभी हाथ बढ़ाकर तुझे और तेर: ूजा को मर: से मारा होता, और तू पृवी पर से सयनाश हो गया होता; 16 पर(तु सचमुच मE ने इसी कारण तुझे बनाए रखा है , क तुझे अपना सामयO दखाऊं, और अपना नाम सार: पृवी पर ूिसa कRं। 17 या तू अब भी मेर: ूजा के साSहने अपके आप को बड़ा समझता है , और उ(ह जाने नह:ं दे ता ? 18 सुन, कल मE इसी समय ऐसे भार: भार: ओले बरसाऊंगा, क 'जन के तु`य िमॐ क नेव पड़ने के दन से लेकर अब तक कभी नह:ं पके। 19 सो अब लोगHको भेजकर अपके पशुओं को अपके मैदान म जो कुछ तेरा है सब को फुतh से आड़ म िछपा ले; नह:ं तो 'जतने मनुंय वा पशु मैदान म रह और घर म

इक=ठे न कए जाएं उन पर ओले िगर गे, और वे मर जाएंगे। 20 इसिलथे फरौन के कमOचाgरयHम से जो लोग यहोवा के वचन का भय मानते थे उ(हHने तो अपके अपके सेवकHऔर पशुओं को घर म हाँक दया। 21 पर 'ज(हHने यहोवा के वचन पर मन न लगाया उ(हHने अपके सेवकHऔर पशुओं को मैदान म रहने दया।। 22 तक यहोवा ने मूसा से कहा, अपना हाथ आकाश क ओर बढ़ा, क सारे िमॐ दे श के मनुंयHपशुओं और खेतHक सार: उपज पर ओले िगर । 23 तब मूसा ने अप क लाठq को आकाश क ओर उठाया; और यहोवा मेघ गरजाने और ओले बरसाने लगा, और आग पृवी तक आती रह:। इस ूकार यहोवा ने िमॐ दे श पर ओले बरसाए। 24 जो ओले िगरते थे उनके साय आग भी िमली हुई यी, और वे ओले इतने भार: थे क जब से िमॐ दे श बसा या तब से िमॐ भर म ऐसे ओले कभी न िगरे थे। 25 इसिलथे िमॐ भर के खेतHम या मनुंय, या पशु, 'जतने थे सब ओलHसे मारे गए, और ओलHसे खेत क सार: उपज न हो गई, और मैदान

के सब वृझ टू ट गए। 26 केवल गोशेन दे श म जहां इॐाएली बसते थे ओले नह:ं िगरे । 27 तब फरौन ने मूसा और हाRन को बुलवा भेजा और उन से कहा, क इस बार मE ने पाप कया है ; यहोवा धमh है , और मE और मेर: ूजा अधमh हE । 28 मेघHका गरजना और ओलHका बरसना तो बहुत हो गया; अब भवंय म यहोवा से बनती करो; तब मE तुम लोगHको जाने दं ग ू ा, और तुम न रोके जाओगे। 29 मूसा ने उस से कहा, नगर से िनकलते ह: मE यहोवा क ओर हाथ फैलाऊंगा, तब बादल का गरजना ब(द हो जाएगा, और ओले फर न िगर गे, इस से तू जान लेगा क पृवी यहोवा ह: क है । 30 तौभी मE जानता हंू , क न तो तू और न तेरे कमOचार: यहोवा परमे र का भय मान गे। 31 सन और जव तो ओलHसे मारे गए, यHक जव क बाल िनकल चुक यीं और सन म फूल लगे हुए थे। 32 पर गेहूं और कठया गेहंू जो बढ़े न थे, इस कारण वे मारे न गए। 33 जब मूसा ने फरौन के पास से नगर के बाहर िनकलकर यहोवा क ओर हाथ फैलाए, तब बादल का गरजना और ओलHका बरसना ब(द हुआ, और फर बहुत म ह भूिम पर न पड़ा। 34 यह दे खकर क म ह और ओलHऔर बादल का गरजना ब(द हो गया फरौन ने अपके कमOचाgरयHसमेत फर अपके मन को कठोर करके पाप कया। 35 और फरौन का मन हठqला होता गया, और उस ने इॐाएिलयHको जाने न दया; जैसा क यहोवा ने मूसा के kारा कहलवाया या।। िनगOमन 10 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, फरोन के पास जा; यHक मE ह: ने उसके और उसके कमOचाgरयHके मन को इसिलथे कठोर कर दया है , क अपके िच(ह उनके

बीच म दखलाऊं। 2 और तुम लोग अपके बेटHऔर पोतHसे इसका वणOन करो क यहोवा ने िमिॐयHको कैसे ठ=ठHम उड़ाया और अपके या या िच(ह उनके बीच ूगट कए हE ; 'जस से तुम यह जान लोगे क मE यहोवा हंू । 3 तब मूसा और हाRन ने फरौन के पास जाकर कहा, क इॄयHका परमे र यहोवा तुझ से इस ूकार कहता है , क तू कब तक मेरे साSहने द:न होने से संकोच करता रहे गा ? मेर: ूजा के लोगHको जाने दे , क वे मेर: उपासना कर । 4 यद तू मेर: ूजा को जाने न दे तो सुन, कल मE तेरे दे श म ट']डयां ले आऊंगा। 5 और वे धरती को ऐसा छा ल गी, क वह दे ख न पकेगी; और तुSहारा जो कुछ ओलHसे बच रहा है उसको वे चट कर जाएंगी, और तुSहारे 'जतने वृझ मैदान म लगे हE उनको भी वे चट कर जाएंगी, 6 और वे तेरे और तेरे सारे कमOचाgरयH, िनदान सारे िमिॐयHके घरHम भर जाएंगी; इतनी ट']डयां तेरे बापदादHने वा उनके पुरखाओं ने जब से पृवी पर ज(मे तब से आज तक कभी न दे खीं। और वह मुह ं फेरकर फरौन के पास से बाहर गया। 7 तब फरौन के कमOचार: उस से कहने लगे, वह जन कब तक हमारे िलथे फ(दा बना रहे गा ? उन मनुंयHको जाने दे , क वे अपके परमे र यहोवा क उपासना कर ; या तू अब तक नह:ं जानता, क सारा िमॐ नाश हो गया है ? 8 तब मूसा और हाRन फरौन के पास फर बुलवाए गए, और उस ने उन से कहा, चले जाओ, अपके परमे र यहोवा क उपासना करो; पर(तु वे जो जानेवाले हE , कौन कौन हE ? 9 मूसा ने कहा, हम तो बे टHबेटयH, भेड़-बकgरयH, गाय-बैलHसमेत वरन ब.चHसे बूढ़Hतक सब के सब जाएंगे, यHक हम यहोवा के िलथे पcबO करना है । 10 उस ने इस ूकार उन से कहा, यहोवा तुSहारे संग रहे जब क मE तुSह ब.चHसमेत जाने दे ता हंू ; दे खो, तुSहारे आगे को बुराई है । 11

नह:ं, ऐसा नह:ं होने पाएगा; तुम पुRष ह: जाकर यहोवा क उपासना करो, तुम यह: तो चाहते थे। और वे फरौन के सSमुख से िनकाल दए गए।। 12 तब यहोवा ने मूसा से कहा, िमॐ दे श के ऊपर अपना हाथ बढ़ा, क ट']डयां िमॐ दे श पर चढ़के भूिम का 'जतना अ(न आद ओलHसे बचा है सब को चट कर जाएं। 13 और मूसा ने अप क ला=ठq को िमॐ दे श के ऊपर बढ़ाया, तब यहोवा ने दन भर और रात भर दे श पर पुरवाई बहाई; और जब भोर हुआ तब उस पुरवाई म ट']डयां आL। 14 और ट‰डयHने चढ़के िमॐ दे श के सारे ःयानHमे बसेरा कया, उनका दल बहुत भार: या, वरन न तो उनसे पहले ऐसी ट']डयां आई यी, और न उनके पीछे ऐसी फर आएंगी। 15 वे तो सार: धरती पर छा गई, यहां तक क दे श अ(धेरा हो गया, और उसका सारा अ(न आद और वृझHके सब फल, िनदान जो कुछ ओलHसे बचा या, सब को उ(हHने चट कर िलया; यहां तक क िमॐ दे श भर म न तो कसी वृझ पर कुछ हgरयाली रह गई और न खेत म

अनाज रह गया। 16 तब फरौन ने फुतh से मूसा और हाRन को बुलवाके कहा, मE ने तो तुSहारे परमे र यहोवा का और तुSहारा भी अपराध कया है । 17 इसिलथे अब क बार मेरा अपराध झमा करो, और अपके परमे र यहोवा से बनती करो, क वह केवल मेरे ऊपर से इस मृयु को दरू करे । 18 तब मूसा ने फरोन के पास से िनकल कर यहोवा से बनती क। 19 तब यहोवा ने बहुत ूच+ड पछुवा बहाकर ट']डयHको उड़ाकर लाल समु(ि म डाल दया, और िमॐ के कसी ःयान म एक भी ट]ड: न रह गई। 20 तौभी यहोवा ने फरौन के मन को कठोर कर दया, 'जस से उस ने इॐाएिलयHको जाने न दया। 21 फर यहोवा ने मूसा से कहा, अपना हाथ आकाश क ओर बढ़ा क िमॐ दे श के ऊपर अ(धकार छा जाए,

ऐसा अ(धकार क टटोला जा सके। 22 तब मूसा ने अपना हाथ आकाश क ओर बढ़ाया, और सारे िमॐ दे श म तीन दन तक घोर अ(धकार छाया रहा। 23 तीन दन तक न तो कसी ने कसी को दे खा, और न कोई अपके ःयान से उठा; पर(तु सारे इॐाएिलयHके घरHम उ'जयाला रहा। 24 तब फरौन ने मूसा को बुलवाकर कहा, तुम लोग जाओ, यहोवा क उपासना करो; अपके बालकHको भी संग ले जाओ; केवल अप क भेड़-बकर: और गाय-बैल को छोड़ जाओ। 25 मूसा ने कहा, तुझ को हमारे हाथ मेलबिल और होमबिल के पशु भी दे ने पक गे, 'ज(ह हम अपके परमे र यहोवा के िलथे चढ़ाएं। 26 इसिलथे हमारे पशु भी हमारे संग जाएंगे, उनका एक खुर तक न रह जाएगा, यHक उ(ह:ं म से हम को अपके परमे र यहोवा क उपासना का सामान लेना होगा, और हम जब तक वहां न पहंु च तब तक नह:ं जानते क या या लेकर यहोवा क उपासना करनी होगी। 27 पर यहोवा ने फरौन का मन हठqला कर दया, 'जस से उस ने उ(ह जाने न दया। 28 तब फरौन ने उस से कहा, मेरे साSहने से चला जा; और सचेत रह; मुझे अपना मुख फर न दखाना; यHक 'जस दन तू मुझे मुह ं दखलाए उसी दन तू मारा जाएगा। 29 मूसा ने कहा, क तू ने ठqक कहा है ; मE तेरे मुह ं को फर कभी न दे खूंगा।। िनगOमन 11 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, एक और वप मE फरौन और िमॐ दे श पर डालता हंू , उसके प_ात ् वह तुम लोगHको वहां से जाने दे गा; और जब वह जाने दे गा तब तुम सभHको िन_य िनकाल दे गा। 2 मेर: ूजा को मेर: यह आWा सुना,

क एक एक पुRष अपके अपके पड़ोसी, और एक एक \ी अप क अप क पड़ोिसन से सोने चांद: के गहने मांग ले। 3 तब यहोवा ने िमिॐयHको अप क ूजा पर दयालु कया। और इससे अिधक वह पुRष मूसा िमॐ दे श म फरौन के कमOचाgरयHऔर साधारण लोगHक l म अित महान या।। 4 फर मूसा ने कहा, यहोवा इस ूकार कहता है , क आधी रात के लगभग मE िमॐ दे श के बीच म

होकर चलूग ं ा। 5 तब िमॐ म िसंहासन पर वराजने वाले फरौन से लेकर च क पीसनेवाली दासी तक के पहलौठे ; वरन पशुओं तक के सब पहलौठे मर जाएंगे। 6 और सारे िमॐ दे श म बड़ा हाहाकार मचेगा, यहां तक क उसके समान न तो कभी हुआ और न होगा। 7 पर इॐाएिलयHके वRa, या मनुंय या पशु, कसी पर कोई कुा भी न भHकेगा; 'जस से तुम जान लो क िमिॐयHऔर इॐाएिलयHम

मE यहोवा अ(तर करता हंू । 8 तब तेरे थे सब कमOचार: मेरे पास आ मुझे द+डवत ् करके यह कह गे, क अपके सब अनुचरHसमेत िनकल जा। और उसके प_ात ् मE िनकल जाऊंगा। यह कह कर मूसा बड़े बोध म फरौन के पास से िनकल गया।। 9 यहोवा ने मूसा से कह दया या, क फरौन तुSहार: न सुनेगा; यHक मेर: इ.छा है क िमॐ दे श म बहुत से चमकार कRं। 10 मूसा और हाRन ने फरौन के साSहने थे सब चमकार कए; पर यहोवा ने फरौन का मन और कठोर कर दया, सो उसने इॐाएिलयHको अपके दे श से जाने न दया।। िनगOमन 12 1 फर यहोवा ने िमॐ दे श म मूसा और हाRन से कहा, 2 क यह मह:ना तुम लोगHके िलथे आरSभ का ठहरे ; अयाOत ् वषO का पहला मह:ना यह: ठहरे । 3

इॐाएल क सार: म+डली से इस ूकार कहो, क इसी मह:ने के दसव दन को तुम अपके अपके पतरHके घरानHके अनुसार, घराने पीछे एक एक मेSना ले रखो। 4 और यद कसी के घराने म एक मेSने के खाने के िलथे मनुंय कम हH, तो वह अपके सब से िनकट रहनेवाले पड़ोसी के साय ूा'णयHक िगनती के अनुसार एक मेSना ले रखे; और तुम हर एक के खाने के अनुसार मेSने का हसाब करना। 5 तुSहारा मेSना िनदŠष और पहले वषO का नर हो, और उसे चाहे भेड़Hम से लेना चाहे बकgरयHम से। 6 और इस मह:ने के चौदहव दन तक उसे रख छोड़ना, और उस दन गोधूिल के समय इॐाएल क सार: म+डली के लोग उसे बिल कर । 7 तब वे उसके लोहू म से कुछ लेकर 'जन घरHम मेSने को खाएंगे उनके kार के दोनHअलंगHऔर चौखट के िस के पर लगाएं। 8 और वे उसके मांस को उसी रात आग म भूज ं कर अखमीर: रोट: और कड़वे सागपात के साय खाएं। 9 उसको िसर, पैर, और अतडय़Hसमेत आग म भूज ं कर खाना, क.चा वा जल म

कुछ भी पकाकर न खाना। 10 और उस म से कुछ बहान तक न रहने दे ना, और यद कुछ बहान तक रह भी जाए, तो उसे आग म जला दे ना। 11 और उसके खाने क यह विध है ; क कमर बा(धे, पांव म जूती पहने, और हाथ म लाठq िलए हुए उसे फुतh से खाना; वह तो यहोवा का पcबO होगा। 12 यHक उस रात को मE िमॐ दे श के बीच म से होकर जाऊंगा, और िमॐ दे श के या मनुंय या पशु, सब के पहलौठHको माRंगा; और िमॐ के सारे दे वताओं को भी मE द+ड दं ग ू ा; मE तो यहोवा हंू । 13 और 'जन घरHम तुम रहोगे उन पर वह लोहू तुSहारे िनिम िच(ह ठहरे गा; अयाOत ् मE उस लोहू को दे खकर तुम को छोड़ जाऊंगा, और जब मE िमॐ दे श के लोगHको माRंगा, तब वह वप तुम पर न पकेगी और तुम नाश न

होगे। 14 और वह दन तुम को ःमरण दलानेवाला ठहरे गा, और तुम उसको यहोवा के िलथे पcबO करके मानना; वह दन तुSहार: पीढय़Hम सदा क विध जानकर पcबO माना जाए। 15 सात दन तक अखमीर: रोट: खाया करना, उन म

से पहले ह: दन अपके अपके घर म से खमीर उठा डालना, वरन जो पहले दन से लेकर सातव दन तक कोई खमीर: वःतु खाए, वह ूाणी इॐाएिलयHम से नाश कया जाए। 16 और पहले दन एक पवऽ सभा, और सातव दन भी एक पवऽ सभा करना; उन दोनHदनHमे कोई काम न कया जाए; केवल 'जस ूाणी का जो खाना हो उसके काम करने क आWा है । 17 इसिलथे तुम बना खमीर क रोट: का पcबO मानना, यHक उसी दन मानो मE ने तुम को दल दल करके िमॐ दे श से िनकाला है ; इस कारण वह दन तुSहार: पीढय़Hम सदा क विध जानकर माना जाए। 18 पहले मह:ने के चौदहव दन क सांफ से लेकर इ कसव दन क सांफ तक तुम अखमीर: रोट: खाया करना। 19 सात दन तक तुSहारे घरHम

कुछ भी खमीर न रहे , वरन जो कोई कसी खमीर: वःतु को खाए, चाहे वह दे शी हो चाहे परदे शी, वह ूाणी इॐाएिलयHक म+डली से नाश कया जाए। 20 कोई खमीर: वःतु न खाना; अपके सब घरHम बना खमीर क रोट: खाया करना।। 21 तब मूसा ने इॐाएल के सब पुरिनयHको बुलाकर कहा, तुम अपके अपके कुल के अनुसार एक एक मेSना अलग कर रखो, और फसह का पशु बिल करना। 22 और उसका लोहू जो तसले म होगा उस म जूफा का एक गु.छा डु बाकर उसी तसले म

के लोहू से kार के चौखट के िस के और दोनHअलंगHपर कुछ लगाना; और भोर तक तुम म से कोई घर से बाहर न िनकले। 23 यHक यहोवा दे श के बीच होकर िमिॐयHको मारता जाएगा; इसिलथे जहां जहां वह चौखट के िस के, और

दोनHअलंगHपर उस लोहू को दे खेगा, वहां वहां वह उस kार को छोड़ जाएगा, और नाश करनेवाले को तुSहारे घरHम मारने के िलथे न जाने दे गा। 24 फर तुम इस विध को अपके और अपके वंश के िलथे सदा क विध जानकर माना करो। 25 जब तुम उस दे श म 'जसे यहोवा अपके कहने के अनुसार तुम को दे गा ूवेश करो, तब वह काम कया करना। 26 और जब तुSहारे लड़केबाले तुम से पूछ , क इस काम से तुSहारा या मतलब है ? 27 तब तुम उनको यह उर दे ना, क यहोवा ने जो िमिॐयHके मारने के समय िमॐ म रहने वाले हम इॐाएिलयHके घरHको छोड़कर हमारे घरHको बचाया, इसी कारण उसके फसह का यह बिलदान कया जाता है । तब लोगHने िसर फुकाकर द+डवत ् क। 28 और इॐाएिलयHने जाकर, जो आWा यहोवा ने मूसा और हाRन को द: यी, उसी के अनुसार कया।। 29 और ऐसा हुआ क आधी रात को यहोवा ने िमॐ दे श म िसंहासन पर वराजनेवाले फरौन से लेकर गड़हे म पके हुए ब(धुए तक सब के पहलौठHको, वरन पशुओं तक के सब पहलौठHको मार डाला। 30 और फरौन रात ह: को उठ बैठा, और उसके सब कमOचार:, वरन सारे िमॐी उठे ; और िमॐ म बड़ा हाहाकार मचा, यHक एक भी ऐसा घर न या 'जसम कोई मरा न हो। 31 तब फरौन ने रात ह: रात म मूसा और हाRन को बुलवाकर कहा, तुम इॐाएिलयHसमेत मेर: ूजा के बीच से िनकल जाओ; और अपके कहने के अनुसार जाकर यहोवा क उपासना करो। 32 अपके कहने के अनुसार अप क भेड़-बकgरयHऔर गाय-बैलHको साय ले जाओ; और मुझे आशीवाOद दे जाओ। 33 और िमॐी जो कहते थे, क हम तो सब मर िमटे हE , उ(हHने इॐाएली लोगHपर दबाव डालकर कहा, क दे श से फटपट िनकल जाओ। 34 तब उ(हHने अपके गू(धे गु(धाए आटे

को बना खमीर दए ह: कठौितयHसमेत कपड़Hम बा(धके अपके अपके क(धे पर डाल िलया। 35 और इॐाएिलयHने मूसा के कहने के अनुसार िमिॐयHसे सोने चांद: के गहने और व\ मांग िलथे। 36 और यहोवा ने िमिॐयHको अप क ूजा के लोगHपर ऐसा दयालु कया, क उ(हHने जो जो मांगा वह सब उनको दया। इस ूकार इॐाएिलयHने िमिॐयHको लूट िलया।। 37 तब इॐाएली रामसेस से कूच करके सु कोत को चले, और बालब.चHको छोड़ वे कोई छ: लाख पुRष €यादे थे। 38 और उनके साय िमली जुली हुई एक भीड़ गई, और भेड़-बकर:, गाय-बैल, बहुत से पशु भी साय गए। 39 और जो गू(धा आटा वे िमॐ से साय ले गए उसक उ(हHने बना खमीर दए रोटयां बनाई; यHक वे िमॐ से ऐसे बरबस िनकाले गए, क उ(ह अवसर भी न िमला क मागO म खाने के िलथे कुछ पका सक , इसी कारण वह गू(धा हुआ आटा बना खमीर का या। 40 िमॐ म बसे हुए इॐाएिलयHको चार सौ तीस वषO बीत गए थे। 41 और उन चार सौ तीस वषJके बीतने पर, ठqक उसी दन, यहोवा क सार: सेना िमॐ दे श से िनकल गई। 42 यहोवा इॐाएिलयHको िमॐ दे श से िनकाल लाया, इस कारण वह रात उसके िनिम मानने के अित योbय है ; यह यहोवा क वह: रात है 'जसका पीढ़: पीढ़: म

मानना इॐाएिलयHके िलथे अित अवँय है ।। 43 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, पcबO क विध यह है ; क कोई परदे शी उस म से न खाए; 44 पर जो कसी का मोल िलया हुआ दास हो, और तुम लोगHने उसका खतना कया हो, वह तो उस म से खा सकेगा। 45 पर परदे शी और मजदरू उस म से न खाएं। 46 उसका खाना एक ह: घर म हो; अयाOत ् तुम उसके मांस म से कुछ घर से बाहर न ले जाना; और बिलपशु क कोई ह]ड: न तोड़ना। 47 पcबO को मानना इॐाएल क

सार: म+डली का कतOeय कमO है । 48 और यद कोई परदे शी तुम लोगHके संग रहकर यहोवा के िलथे पcबO को मानना चाहे , तो वह अपके यहां के सब पुRषHका खतना कराए, तब वह समीप आकर उसको माने; और वह दे शी मनुंय के तु`य ठहरे गा। पर कोई खतनारहत पुRष उस म से न खाने पाए। 49 उसक eयवःया दे शी और तुSहारे बीच म रहनेवाले परदे शी दोनHके िलथे एक ह: हो। 50 यह आWा जो यहोवा ने मूसा और हाRन को द: उसके अनुसार सारे इॐाएिलयHने कया। 51 और ठqक उसी दन यहोवा इॐाएिलयHको िमॐ दे श से दल दल करके िनकाल ले गया।। िनगOमन 13 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 क या मनुंय के या पशु के, इॐाएिलयHम

'जतने अप क अप क मां के जेठे हH, उ(ह मेरे िलथे पवऽ मानना; वह तो मेरा ह: है ।। 3 फर मूसा ने लोगHसे कहा, इस दन को ःमरण रखो, 'जस म तुम लोग दासव के घर, अयाOत ् िमॐ से िनकल आए हो; यहोवा तो तुम को वहां से अपके हाथ के बल से िनकाल लाया; इस म खमीर: रोट: न खाई जाए। 4 आबीब के मह:ने म आज के दन तुम िनकले हो। 5 इसिलथे जब यहोवा तुम को कनानी, ही, एमोर:, हcबी, और यबूसी लोगHके दे श म पहुचाएगा, 'जसे दे ने क उस ने तुSहारे पुरखाओं से शपय खाई यी, और 'जस म दध ू और मधु क धारा बहती है , तब तुम इसी मह:ने म पcबO करना। 6 सात दन तक अखमीर: रोट: खाया करना, और सातव दन यहोवा के िलथे पcबO मानना। 7 इन सातHदनHम अखमीर: रोट: खाई जाए; वरन तुSहारे दे श भर म न खमीर: रोट:, न खमीर तुSहारे पास दे खने

म आए। 8 और उस दन तुम अपके अपके पुऽHको यह कहके समझा दे ना, क यह तो हम उसी काम के कारण करते हE , जो यहोवा ने हमारे िमॐ से िनकल आने के समय हमारे िलथे कया या। 9 फर यह तुSहारे िलथे तुSहारे हाथ म एक िच(ह होगा, और तुSहार: आंखHके साSहने ःमरण करानेवाली वःतु ठहरे ; 'जस से यहोवा क eयवःया तुSहारे मुह ं पर रहे : यHक यहोवा ने तुSह अपके बलव(त हाथHसे िमॐ से िनकाला है । 10 इस कारण तुम इस विध को ूित वषO िनयत समय पर माना करना।। 11 फर जब यहोवा उस शपय के अनुसार, जो उस ने तुSहारे पुरखाओं से और तुम से भी खाई है , तुSहे कनािनयHके दे श म

पहंु चाकर उसको तुSह दे दे गा, 12 तब तुम म से 'जतने अप क अप क मां के जे ठे हHउनको, और तुSहारे पशुओं म जो ऐसे हHउनको भी यहोवा के िलथे अपOण करना; सब नर ब.चे तो यहोवा के हE । 13 और गदह: के हर एक पहलौठे क स(ती मेSना दे कर उसको छुड़ा लेना, और यद तुम उसे छुड़ाना न चाहो तो उसका गला तोड़ दे ना। पर अपके सब पहलौठे पुऽHको बदला दे कर छुड़ा लेना। 14 और आगे के दनHम जब तुSहारे पुऽ तुम से पूछ , क यह या है ? तो उन से कहना, क यहोवा हम लोगHको दासव के घर से, अयाOत ् िमॐ दे श से अपके हाथHके बल से िनकाल लाया है । 15 उस समय जब फरौन ने कठोर होकर हम को जाने दे ना न चाहा, तब यहोवा ने िमॐ दे श म मनुंय से लेकर पशु तक सब के पहलौठHको मार डाला। इसी कारण पशुओं म से तो 'जतने अप क अप क मां के पहलौठे नर हE , उ(ह हम यहोवा के िलथे बिल करते हE ; पर अपके सब जेठे पुऽHको हम बदला दे कर छुड़ा लेते हE । 16 और यह तुSहारे हाथHपर एक िच(ह सा और तुSहार: भौहHके बीच ट:का सा ठहरे ; यHक यहोवा हम लोगHको िमॐ से

अपके हाथHके बल से िनकाल लाया है ।। 17 जब फरौन ने लोगHको जाने क आWा दे द:, तब यrप पिल'ँतयHके दे श म होकर जो मागO जाता है वह छोटा या; तौभी परमे र यह सोच कर उनको उस मागO से नह:ं ले गया, क कह:ं ऐसा न हो क जब थे लोग लड़ाई दे ख तब पछताकर िमॐ को लौट आएं। 18 इसिलथे परमे र उनको च कर 'खलाकर लाल समुि के जंगल के मागO से ले चला। और इॐाएली पांित बा(धे हुए िमॐ से िनकल गए। 19 और मूसा यूसफ ु क ह']डयHको साय लेता गया; यHक यूसफ ु ने इॐाएिलयHसे यह कहके, क परमे र िन_य तुSहार: सुिध लेगा, उनको इस वषय क lढ़ शपय 'खलाई यी, क वे उसक ह']डयHको अपके साय यहां से ले जाएंगे। 20 फर उ(हHने सु कोत से कूच करके जंगल क छोर पर एताम म डे रा कया। 21 और यहोवा उ(ह दन को मागO दखाने के िलथे मेघ के खSभे म , और रात को उ'जयाला दे ने के िलथे आग के खSभे म होकर उनके आगे आगे चला करता या, 'जससे वे रात और दन दोनHम चल सक । 22 उस ने न तो बादल के खSभे को दन म और न आग के खSभे को रात म लोगHके आगे से हटाया।। िनगOमन 14 1 यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इॐाएिलयHको आWा दे , क वे लौटकर िमगदोल और समुि के बीच पीहह:रोत के सSमुख, बालसपोन के साSहने अपके डे रे खड़े कर , उसी के साSहने समुि के तट पर डे रे खड़े कर । 3 तब फरौन इॐाएिलयHके वषय म सोचेगा, क वे दे श के उलफनHम बफे हE और जंगल म िघर गए हE । 4 तब मE फरौन के मन को कठोर कर दं ग ू ा, और वह उनका पीछा करे गा, तब फरौन और

उसक सार: सेना के kारा मेर: महमा होगी; और िमॐी जान ल गे क मE यहोवा हूं। और उ(हHने वैसा ह: कया। 5 जब िमॐ के राजा को यह समाचार िमला क वे लोग भाग गए, तब फरौन और उसके कमOचाgरयHका मन उनके वRa पलट गया, और वे कहने लगे, हम ने यह या कया, क इॐाएिलयHको अप क सेवकाई से छुटकारा दे कर जाने दया ? 6 तब उस ने अपना रय जुतवाया और अप क सेना को संग िलया। 7 उस ने छ: सौ अ.दे से अ.छे रय वरन िमॐ के सब रय िलए और उन सभHपर सरदार बैठाए। 8 और यहोवा ने िमॐ के राजा फरौन के मन को कठोर कर दया। सो उस ने इॐाएिलयHका पीछा कया; पर(तु इॐाएली तो बेखटके िनकले चले जाते थे। 9 पर फरौन के सब घोड़H, और रयH, और सवारHसमेत िमॐी सेना ने उनका पीछा करके उ(ह , जो पीहह:रोत के पास, बालसपोन के साSहने, समुि के तीर पर डे रे डाले पके थे, जा िलया।। 10 जब फरौन िनकट आया, तब इॐाएिलयHने आंखे उठाकर या दे खा, क िमॐी हमारा पीछा कए चले आ रहे हE ; और इॐाएली अय(त डर गए, और िच`लाकर यहोवा क दोहाई द:। 11 और वे मूसा से कहने लगे, या िमॐ म कबर न यीं जो तू हम को वहां से मरने के िलथे जंगल म ले आया है ? तू ने हम से यह या कया, क हम को िमॐ से िनकाल लाया ? 12 या हम तुझ से िमॐ म यह: बात न कहते रहे , क हम रहने दे क हम िमिॐयHक सेवा कर ? हमारे िलथे जंगल म मरने से िमिॐयHक सेवा करनी अ.छq यी। 13 मूसा ने लोगHसे कहा, डरो मत, खड़े खड़े वह उaार का काम दे खो, जो यहोवा आज तुSहारे िलथे करे गा; यHक 'जन िमिॐयHको तुम आज दे खते हो, उनको फर कभी न दे खोगे। 14 यहोवा आप ह: तुSहारे िलथे लड़े गा, इसिलथे तुम चुपचाप रहो।। 15 तब यहोवा ने मूसा से कहा,

तू यHमेर: दोहाई दे रहा है ? इॐाएिलयHको आWा दे क यहां से कूच कर । 16 और तू अप क लाठq उठाकर अपना हाथ समुि के ऊपर बढ़ा, और वह दो भाग हो जाएगा; तब इॐाएली समुि के बीच होकर ःयल ह: ःयल पर चले जाएंगे। 17 और सुन, मE आप िमिॐयHके मन को कठोर करता हंू , और वे उनका पीछा करके समुि म घुस पक गे, तब फरौन और उसक सेना, और रयH, और सवारHके kारा मेर: महमा होगी, तब िमॐी जान ल गे क मE यहोवा हूं। 18 और जब फरौन, और उसके रयH, और सवारHके kारा मेर: महमा होगी, तब िमॐी जान ल गे क मE यहोवा हंू । 19 तब परमे र का दत ू जो इॐाएली सेना के आगे आगे चला करता या जाकर उनके पीछे हो गया; और बादल का खSभा उनके आगे से हटकर उनके पीछे जा ठहरा। 20 इस ूकार वह िमिॐयHक सेना और इॐाएिलयHक सेना के बीच म आ गया; और बादल और अ(धकार तो हुआ, तौभी उससे रात को उ(ह

ूकाश िमलता रहा; और वे रात भर एक दस ू रे के पास न आए। 21 और मूसा ने अपना हाथ समुि के ऊपर बढ़ाया; और यहोवा ने रात भर ूच+ड पुरवाई चलाई, और समुि को दो भाग करके जल ऐसा हटा दया, 'जससे क उसके बीच सूखी भूिम हो गई। 22 तब इॐाएली समुि के बीच ःयल ह: ःयल पर होकर चले, और जल उनक दाहनी और बाL ओर द:वार का काम दे ता या। 23 तब िमॐी, अयाOत ् फरौन के सब घोड़े , रय, और सवार उनका पीछा कए हुए समुि के बीच म चले गए। 24 और रात के पछले पहर म यहोवा ने बादल और आग के खSभे म से िमिॐयHक सेना पर l करके उ(ह घबरा दया। 25 और उस ने उनके रयHके पहयHको िनकाल डाला, 'जससे उनका चलना कठन हो गया; तब िमॐी आपस म कहने लगे, आओ, हम इॐाएिलयHके साSहने से भाग ; यHक यहोवा उनक

ओर से िमिॐयHके वRa युa कर रहा है ।। 26 फर यहोवा ने मूसा से कहा, अपना हाथ समुि के ऊपर बढ़ा, क जल िमिॐयH, और उनके रयH, और सवारHपर फर बहने लगे। 27 तब मूसा ने अपना हाथ समुि के ऊपर बढ़ाया, और भोर होते होते या हुआ, क समुि फर GयHका यHअपके बल पर आ गया; और िमॐी उलटे भागने लगे, पर(तु यहोवा ने उनको समुि के बीच ह: म फटक दया। 28 और जल के पलटने से, 'जतने रय और सवार इॐाएिलयHके पीछे समुि म आए थे, सो सब वरन फरौन क सार: सेना उस म डू ब गई, और उस म से एक भी न बचा। 29 पर(तु इॐाएली समुि के बीच ःयल ह: ःयल पर होकर चले गए, और जल उनक दाहनी और बाL दोनHओर द:वार का काम दे ता या। 30 और यहोवा ने उस दन इॐाएिलयHको िमिॐयHके वश से इस ूकार छुड़ाया; और इॐाएिलयHने िमिॐयHको समुि के तट पर मरे पके हुए दे खा। 31 और यहोवा ने िमिॐयHपर जो अपना पराबम दखलाता या, उसको दे खकर इॐाएिलयHने यहोवा का भय माना और यहोवा क और उसके दास मूसा क भी ूतीित क।। िनगOमन 15 1 तब मूसा और इॐाएिलयHने यहोवा के िलथे यह गीत गाया। उ(हHने कहा, मE यहोवा का गीत गाऊंगा, यHक वह महाूतापी ठहरा है ; घोड़Hसमेत सवारHको उस ने समुि म डाल दया है ।। 2 यहोवा मेरा बल और भजन का वषय है , और वह: मेरा उaार भी ठहरा है ; मेरा ई र वह: है , मE उसी क ःतुित कRंगा, (मE उसके िलथे िनवासःयान बनाऊंगा ), मेरे पूवOजHका परमे र वह: है , मE उसको सराहंू गा।। 3 यहोवा योaा है ; उसका नाम यहोवा है ।। 4 फरौन के रयHऔर सेना

को उस ने समुि म डाल दया; और उसके उम से उम रयी लाल समुि म डू ब गए।। 5 गहरे जल ने उ(ह ढांप िलया; वे पयर क नाL गहरे ःयानHम डू ब गए।। 6 हे यहोवा, ते रा दहना हाथ शf म महाूतापी हुआ हे यहोवा, तेरा दहना हाथ शऽु को चकनाचूर कर दे ता है ।। 7 और तू अपके वरोिधयHको अपके महाूताप से िगरा दे ता है ; तू अपना कोप भड़काता, और वे भूसे क नाL भःम हो जाते हE ।। 8 और ते रे नयनHक सांस से जल एकऽ हो गया, धाराएं ढे र क नाL यम गL; समुि के म~य म गहरा जल जम गया।। 9 शऽु ने कहा या, मE पीछा कRंगा, मE जा पकडू ं गा, मE लूट के माल को बांट लूग ं ा, उन से मेरा जी भर जाएगा। मै अप क तलवार खींचते ह: अपके हाथ से उनको नाश कर डालूग ं ा।। 10 तू ने अपके ास का पवन चलाया, तब समुि ने उनको ढांप िलया; वे महाजलरािश म

सीसे क नाई डू ब गए।। 11 हे यहोवा, दे वताओं म तेरे तु`य कौन है ? तू तो पवऽता के कारण महाूतापी, और अप क ःतुित करने वालHके भय के योbय, और आ_यO कमO का काO है ।। 12 तू ने अपना दहना हाथ बढ़ाया, और पृवी ने उनको िनगल िलया है ।। 13 अप क कRणा से तू ने अप क छुड़ाई हुई ूजा क अगुवाई क है , अपके बल से तू उसे अपके पवऽ िनवासःयान को ले चला है ।। 14 दे श दे श के लोग सुनकर कांप उठ गे; पिल'ँतयHके ूाण के लाले पड़ जाएंगे।। 15 एदोम के अिधपित eयाकुल हHगे; मोआब के पहलवान यरयरा उठ गे; सब कनान िनवािसयHके मन पघल जाएंग ।। 16 उन म डर और घबराहट समा जाएगा; तेर: बांह के ूताप से वे पयर क नाई अबोल हHगे, जब तक, हे यहोवा, तेर: ूजा के लोग िनकल न जाएं, जब तक तेर: ूजा के लोग 'जनको तू ने मोल िलया है पार न िनकल जाएं।। 17 तू उ(ह पहुचाकर अपके िनज भागवाले पहाड़

पर बसाएगा, यह वह: ःयान है , हे यहोवा 'जसे तू ने अपके िनवास के िलथे बनाया, और वह: पवऽःयान है 'जसे, हे ूभु, तू ने आप 'ःयर कया है ।। 18 यहोवा सदा सवOदा राGय करता रहे गा।। 19 यह गीत गाने का कारण यह है , क फरौन के घोड़े रयHऔर सवारHसमेत समुि के बीच म चले गए, और यहोवा उनके ऊपर समुि का जल लौटा ले आया; पर(तु इॐाएली समुि के बीच ःयल ह: ःयल पर होकर चले गए। 20 और हाRन क बहन मgरयम नाम नबया ने हाथ म डफ िलया; और सब '\यां डफ िलए नाच क हुई उसके पीछे हो लीं। 21 और मgरयम उनके साय यह टे क गाती गई क :- यहोवा का गीत गाओ, यHक वह महाूतापी ठहरा है ; घोड़Hसमेत सवारHको उस ने समुि म डाल दया है ।। 22 तब मूसा इॐाएिलयHको लाल समुि से आगे ले गया, और वे शूर नाम जंगल म आए; और जंगल म जाते हुए तीन दन तक पानी का सोता न िमला। 23 फर मारा नाम एक ःयान पर पहंु चे, वहां का पानी खारा या, उसे वे न पी सके; इस कारण उस ःयान का नाम मारा पड़ा। 24 तब वे यह कहकर मूसा के वRa बकफक करने लगे, क हम या पीएं ? 25 तब मूसा ने यहोवा क दोहाई द:, और यहोवा ने उसे एक पौधा बतला दया, 'जसे जब उस ने पानी म डाला, तब वह पानी मीठा हो गया। वह:ं यहोवा ने उनके िलथे एक विध और िनयम बनाया, और वह:ं उस ने यह कहकर उनक प कझा क, 26 क यद तू अपके परमे र यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसक l म ठqक है वह: करे , और उसक सब विधयHको माने, तो 'जतने रोग मE ने िमिॐयHपर भेजा है उन म से एक भी तुझ पर न भेजूंगा; यHक मE तुSहारा चंगा करनेवाला यहोवा हंू ।। 27 तब वे एलीम को आए, जहां पानी के बारह सोते और सर खजूर के पेड़ थे; और वहां उ(हHने

जल के पास डे रे खड़े कए।। िनगOमन 16 1 फर एलीम से कूच करके इॐाएिलयHक सार: म+डली, िमॐ दे श से िनकलने के मह:ने के दस ू रे मह:ने के पंिहवे दन को, सीन नाम जंगल म , जो एलीम और सीनै पवOत के बीच म है , आ पहंु ची। 2 जंगल म इॐाएिलयHक सार: म+डली मूसा और हाRन के वRa बकफक करने लगी। 3 और इॐाएली उन से कहने लगे, क जब हम िमॐ दे श म मांस क हांडयHके पास बैठकर मनमाना भोजन खाते थे, तब यद हम यहोवा के हाथ से मार डाले भी जाते तो उम वह: या; पर तुम हम को इस जंगल म इसिलथे िनकाल ले आए हो क इस सारे समाज को भूखHमार डालो। 4 तब यहोवा ने मूसा से कहा, दे खो, मE तुम लोगHके िलथे आकाश से भोजन वःतु बरसाऊंगा; और थे लोग ूितदन बाहर जाकर ूितदन का भोजन इक=ठा कर गे, इस से मE उनक प कझा कRंगा, क थे मेर: eयवःया पर चल गे क नह:ं। 5 और ऐसा होगा क छठव दन वह भोजन और दनHसे दन ू ा होगा, इसिलथे जो कुछ वे उस दन बटोर उसे तैयार कर रख । 6 तब मूसा और हाRन ने सारे इॐाएिलयHसे कहा, सांफ को तुम जान लोगे क जो तुम को िमॐ दे श से िनकाल ले आया है वह यहोवा है । 7 और भोर को तुSह यहोवा का ते ज दे ख पकेगा, यHक तुम जो यहोवा पर बुड़बुड़ाते हो उसे वह सुनता है । और हम या हE , क तुम हम पर बुड़बुड़ाते हो ? 8 फर मूसा ने कहा, यह तब होगा जब यहोवा सांफ को तुSह खाने के िलथे मांस और भोर को रोट: मनमाने दे गा; यHक तुम जो उस पर बुड़बुड़ाते हो उसे वह सुनता है । और हम या हE ? तुSहारा बुड़बुड़ाना

हम पर नह:ं यहोवा ह: पर होता है । 9 फर मूसा ने हाRन से कहा, इॐाएिलयHक सार: म+डली को आWा दे , क यहोवा के साSहने वरन उसके समीप आवे, यHक उस ने उनका बुड़बुड़ाना सुना है । 10 और ऐसा हुआ क जब हाRन इॐाएिलयHक सार: म+डली से ऐसी ह: बात कर रहा या, क उ(हHने जंगल क ओर l करके दे खा, और उनको यहोवा का तेज बादल म दखलाई दया। 11 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 12 इॐाएिलयHका बुड़बुड़ाना मE ने सुना है ; उन से कह दे , क गोधूिल के समय तुम मांस खाओगे और भोर को तुम रोट: से तृT हो जाओगे ; और तुम यह जान लोगे क मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 13 और ऐसा हुआ क सांफ को बटे र आकर सार: छावनी पर बैठ गL; और भोर को छावनी के चारHओर ओस प क। 14 और जब ओस सूख गई तो वे या दे खते हE , क जंगल क भूिम पर छोटे छोटे िछलके छोटाई म पाले के कनकHके समान पके हE । 15 यह दे खकर इॐाएली, जो न जानते थे क यह या वःतु है , सो आपस म कहने लगे यह तो म(ना है । तब मूसा ने उन से कहा, यह तो वह: भोजन वःतु है 'जसे यहोवा तुSह खाने के िलथे दे ता है । 16 जो आWा यहोवा ने द: है वह यह है , क तुम उस म से अपके अपके खाने के योbय बटोरा करना, अयाOत ् अपके अपके ूा'णयHक िगनती के अनुसार, ूित मनुंय के पीछे एक एक ओमेर बटोरना; 'जसके डे रे म 'जतने हHवह उ(ह:ं भर के िलथे बटोरा करे । 17 और इॐाएिलयHने वैसा ह: कया; और कसी ने अिधक, और कसी ने योड़ा बटोर िलया। 18 और जब उ(हHने उसको ओमेर से नापा, तब 'जसके पास अिधक या उसके कुछ अिधक न रह गया, ओर 'जसके पास योड़ा या उसको कुछ घट: न हुई; यHक एक एक मनुंय ने अपके खाने के योbय ह: बटोर िलया या। 19 फर मूसा ने उन

से कहा, कोई इस म से कुछ बहान तक न रख छोड़े । 20 तौभी उ(हHने मूसा क बात न मानी; इसिलथे जब कसी कसी मनुंय ने उस म से कुछ बहान तक रख छोड़ा, तो उस म कड़े पड़ गए और वह बसाने लगा; तब मूसा उन पर बोिधत हुआ। 21 और वे भोर को ूितदन अपके अपके खाने के योbय बटोर लेते थे, ओर जब धूप कड़: होती यी, तब वह गल जाता या। 22 और ऐसा हुआ क छठव दन उ(हHने दन ू ा, अयाOत ् ूित मनुंय के पीछे दो दो ओमेर बटोर िलया, और म+डली के सब ूधानHने आकर मूसा को बता दया। 23 उस ने उन से कहा, यह तो वह: बात है जो यहोवा ने कह:, यां◌ेक कल परमवौम, अयाOत ् यहोवा के िलथे पवऽ वौम होगा; इसिलथे तुSह जो त(दरू म पकाना हो उसे पकाओ, और जो िसफाना हो उसे िसफाओ, और इस म से 'जतना बचे उसे बहान के िलथे रख छोड़ो। 24 जब उ(हHने उसको मूसा क इस आWा के अनुसार बहान तक रख छोड़ा, तब न तो वह बसाया, और न उस म कड़े पके। 25 तब मूसा ने कहा, आज उसी को खाओ, यHक आज यहोवा का वौमदन है ; इसिलथे आज तुम को मैदान म न िमलेगा। 26 छ: दन तो तुम उसे बटोरा करोगे; पर(तु सातवां दन तो वौम का दन है , उस म वह न िमलेगा। 27 तौभी लोगHम से कोई कोई सातव

दन भी बटोरने के िलथे बाहर गए, पर(तु उनको कुछ न िमला। 28 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तुम लोग मेर: आWाओं और eयवःया को कब तक नह:ं मानोगे ? 29 दे खो, यहोवा ने जो तुम को वौम का दन दया है , इसी कारण वह छठव

दन को दो दन का भोजन तुSह दे ता है ; इसिलथे तुम अपके अपके यहां बैठे रहना, सातव दन कोई अपके ःयान से बाहर न जाना। 30 लोगHने सातव दन वौम कया। 31 और इॐाएल के घरानेवालHने उस वःतु का नाम म(ना रखा;

और वह धिनया के समान ेत या, और उसका ःवाद मधु के बने हुए पुए का सा या। 32 फर मूसा ने कहा, यहोवा ने जो आWा द: वह यह है , क इस म से ओमेर भर अपके वंश क पीढ़: पीढ़: के िलथे रख छोड़ो, 'जससे वे जान क यहोवा हमको िमॐ दे श से िनकालकर जंगल म कैसी रोट: 'खलाता या। 33 तब मूसा ने हाRन से कहा, एक पाऽ लेकर उस म ओमेर भर लेकर उसे यहोवा के आगे धर दे , क वह तुSहार: पीढय़Hके िलथे रखा रहे । 34 जैसी आWा यहोवा ने मूसा को द: यी, उसी के अनुसार हाRन ने उसको साझी के स(दक ू के आगे धर दया, क वह वह:ं रखा रहे । 35 इॐाएली जब तक बसे हुए दे श म न पहंु चे तब तक, अयाOत ् चालीस वषO तक म(ना को खाते रहे ; वे जब तक कनान दे श के िसवाने पर नह:ं पहंु चे तब तक म(ना को खाते रहे । 36 एक ओमेर तो एपा का दसवां भाग है । िनगOमन 17 1 फर इॐाएिलयHक सार: म+डली सीन नाम जंगल से िनकल च क, और यहोवा के आWानुसार कूच करके रपीद:म म अपके डे रे खड़े कए; और वहां उन लोगHको पीने का पानी न िमला। 2 इसिलथे वे मूसा से वादववाद करके कहने लगे, क हम पीने का पानी दे । मूसा ने उन से कहा, तुम मुझ से यHवादववाद करते हो? और यहोवा क प कझा यHकरते हो? 3 फर वहां लोगHको पानी क €यास लगी तब वे यह कहकर मूसा पर बुड़बुड़ाने लगे, क तू हम लड़केबालHऔर पशुओं समेत €यासHमार डालने के िलथे िमॐ से यHले आया है ? 4 तब मूसा ने यहोवा क दोहाई द:, और कहा, इन लोगHसे मE या कRं? थे सब मुझे पयरवाह करने को तैयार हE । 5 यहोवा ने मूसा से कहा, इॐाएल के वृa लोगHम से कुछ को

अपके साय ले ले; और 'जस लाठq से तू ने नील नद: पर मारा या, उसे अपके हाथ म लेकर लोगHके आगे बढ़ चल। 6 दे ख मE तेरे आगे चलकर होरे ब पहाड़ क एक च=टान पर खड़ा रहंू गा; और तू उस च=टान पर मारना, तब उस म से पानी िनकलेगा 'जससे थे लोग पीएं। तब मूसा ने इॐाएल के वृa लोगHके दे खते वैसा ह: कया। 7 और मूसा ने उस ःयान का नाम मःसा और मर:बा रखा, कयHक इॐाएिलयHने वहां वादववाद कया या, और यहोवा क प कझा यह कहकर क, क या यहोवा हमारे बीच है वा नह:ं ? 8 तब अमालेक आकर रपीद:म म

इॐाएिलयHसे लड़ने लगे। 9 तब मूसा ने यहोशू से कहा, हमारे िलथे कई एक पुRषHको चुनकर छांट ले, ओर बाहर जाकर अमालेकयHसे लड़; और मE कल परमे र क लाठq हाथ म िलथे हुए पहाड़: क चोट: पर खड़ा रहूंगा। 10 मूसा क इस आWा के अनुसार यहोशू अमालेकयHसे लड़ने लगा; और मूसा, हाRन, और हूर पहाड़: क चोट: पर चढ़ गए। 11 और जब तक मूसा अपना हाथ उठाए रहता या तब तक तो इॐाएल ूबल होता या; पर(तु जब जब वह उसे नीचे करता तब तब अमालेक ूबल होता या। 12 और जब मूसा के हाथ भर गए, तब उ(हHने एक पयर लेकर मूसा के नीचे रख दया, और वह उस पर बैठ गया, और हाRन और हूर एक एक अलंग म उसके हाथHको सSभाले रह ; और उसके हाथ सूयाOःत तक 'ःयर रहे । 13 और यहोशू ने अनुचरHसमेत अमालेकयHको तलवार के बल से हरा दया। 14 तब यहोवा ने मूसा से कहा, ःमरणायO इस बात को पुःतक म िलख ले और यहोशू को सुना दे , क मE आकाश के नीचे से अमालेक का ःमरण भी पूर: र:ित से िमटा डालूग ं ा। 15 तब मूसा ने एक वेद: बनाकर उसका नाम यहोवािनःसी रखा ; 16 और कहा, यहोवा ने शपय खाई है , क यहोवा

अमालेकयHसे पीढय़Hतक लड़ाई करता रहे गा।। िनगOमन 18 1 और मूसा के ससुर िमXान के याजक ियऽो ने यह सुना, क परमे र ने मूसा और अप क ूजा इ\ाएल के िलथे या या कया है , अयाOत ् यह क कस र:ित से यहोवा इ\ाएिलयHको िमॐ से िनकाल ले आया। 2 तब मूसा के ससुर ियऽो मूसा क प^ी िस€पोरा को, जो पहले नैहर भेज द: गई यी, 3 और उसके दोनHबेटHको भी ले आया; इन म से एक का नाम मूसा ने यह कहकर गेशzम रखा या, क मै अ(य दे श म परदे शी हुआ हंू । 4 और दस ू रे का नाम उस ने यह कहकर एलीएजेर रखा, क मेरे पता के परमे र ने मेरा सहाथक होकर मुझे फरौन क तलवार से बचाया। 5 मूसा क प^ी और पुऽHको उसका ससुर ियऽो संग िलए मूसा के पास जंगल के उस ःथान म आया, जहां परमे र के पवOत के पास उसका डे रा पड़ा या। 6 और आकर उस ने मूसा के पास यह कहला भेजा, क मE तेरा ससुर ियऽो हंू , और दोनो बेटHसमेत तेर: प^ी को ते रे पास ले आया हंू । 7 तब मूसा अपके ससुर से भ ट करने के िलथे िनकला, और उसको द+डवत ् करके चूमा; और वे परःपर कुशल झेम पूछते हुए डे रे पर आ गए। 8 वहां मूसा ने अपके ससुर से वणOन कया, क यहोवा ने इ\ाएिलयHके िनिम फरौन और िमिॐयHसे या या कया, और इ\ाएिलयHने मागO म या या क उठाया, फर यहोवा उ(ह

कैसे कैसे छुड़ाता आया है । 9 तब ियऽो ने उस समःत भलाई के कारण जो यहोवा ने इ\ाएिलयHके साय क यी, क उ(ह िमिॐयHके वश से छुड़ाया या, मbन होकर कहा, 10 ध(य है यहोवा, 'जस ने तुम को फरौन और िमिॐयHके वश से छुड़ाया,

'जस ने तुम लोगHको िमिॐयHक मु=ठq म से छुड़ाया है । 11 अब मE ने जान िलया है क यहोवा सब दे वताओं से बड़ा है ; वरन उस वषय म भी 'जस म उ(हHने इ\ाएिलयHसे अिभमान कया या। 12 तब मूसा के ससुर ियऽो ने परमे र के िलथे होमबिल और मेलबिल चढ़ाए, और हाRन इ\ाएिलयHके सब पुरिनयHसमेत मूसा के ससुर ियऽो के संग परमे र के आगे भोजन करने को आया। 13 दस ू रे दन मूसा लोगHका (याय करने को बैठा, और भोर से सांफ तक लोग मूसा के आसपास खड़े रहे । 14 यह दे खकर क मूसा लोगHके िलथे या या करता है , उसके ससुर ने कहा, यह या काम है जो तू लोगHके िलथे करता है ? या कारण है क तू अकेला बैठा रहता है , और लोग भोर से सांफ तक तेरे आसपास खड़े रहते हE ? 15 मूसा ने अपके ससुर से कहा, इसका कारण यह है क लोग मेरे पास परमे र से पूछने आते है । 16 जब जब उनका कोई मुकXमा होता है तब तब वे मेरे पास आते हE और मE उनके बीच (याय करता, और परमे र क विध और eयवःया उ(ह जताता हंू । 17 मूसा के ससुर ने उस से कहा, जो काम तू करता है वह अ.छा नह:ं। 18 और इस से तू या, वरन थे लोग भी जो तेरे संग हE िन_य हार जाएंगे, यHक यह काम तेरे िलथे बहुत भार: है ; तू इसे अकेला नह:ं कर सकता। 19 इसिलथे अब मेर: सुन ले, मE तुझ को सSमित दे ता हंू , और परमे र तेरे संग रहे । तू तो इन लोगHके िलथे परमे र के सSमुख जाया कर, और इनके मुकXमHको परमे र के पास तू पहुंचा दया कर। 20 इ(ह विध और eयवःया ूगट कर करके, 'जस मागO पर इ(ह चलना, और जो जो काम इ(ह करना हो, वह इनको जता दया कर। 21 फर तू इन सब लोगHम से ऐसे पुRषHको छांट ले, जो गुणी, और परमे र का भय मानने वाले, स.चे, और अ(याय के लाभ से घृणा

करने वाले हH; और उनको हजारफार, सौ-सौ, पचास-पचास, और दस-दस मनुंयHपर ूधान िनयुf कर दे । 22 और वे सब समय इन लोगHका (याय कया कर ; और सब बड़े बड़े मुकXमHको तो ते रे पास ले आया कर , और छोटे छोटे मुकXमHका (याय आप ह: कया कर ; तब तेरा बोफ हलका होगा, यHक इस बोफ को वे भी तेरे साय उठाएंगे। 23 यद तू यह उपाय करे , और परमे र तुझ को ऐसी आWा दे , तो तू ठहर सकेगा, और थे सब लोग अपके ःयान को कुशल से पहंु च सक ग । 24 अपके ससुर क यह बात मान कर मूसा ने उसके सब वचनHके अनुसार कया। 25 सो उस ने सब इ\ाएिलयHम से गुणी-गुणी पुRष चुनकर उ(ह

हजारफार, सौ-सौ, पचास-पचास, दस-दस, लोगHके ऊपर ूधान ठहराया। 26 और वे सब लोगHका (याय करने लगे; जो मुकXमा कठन होता उसे तो वे मूसा के पास ले आते थे, और सब छोटे मुकXमHका (याय वे आप ह: कया करते थे। 27 और मूसा ने अपके ससुर को वदा कया, और उस ने अपके दे श का मागO िलया।। िनगOमन 19 1 इ\ाएिलयHको िमॐ दे श से िनकले हुए 'जस दन तीन मह:ने बीत चुके, उसी दन वे सीनै के जंगल म आए। 2 और जब वे रपीद:म से कूच करके सीनै के जंगल म आए, तब उ(हHने जंगल म डे रे खड़े कए; और वह:ं पवOत के आगे इ\ाएिलयHने छावनी डाली। 3 तब मूसा पवOत पर परमे र के पास चढ़ गया, और यहोवा ने पवOत पर से उसको पुकारकर कहा, याकूब के घराने से ऐसा कह, और इ\ाएिलयHको मेरा यह वचन सुना, 4 क तुम ने दे खा है क मै ने िमिॐयHसे या या कया; तुम को मानो उकाब प क के पंखHपर चढ़ाकर अपके पास ले

आया हंू । 5 इसिलथे अब यद तुम िन_य मेर: मानोगे, और मेर: वाचा का पालन करोगे, तो सब लोगHम से तुम ह: मेरा िनज धन ठहरोगे; समःत पृवी तो मेर: है । 6 और तुम मेर: l म याजकHका राGय और पवऽ जाित ठहरोगे। जो बात

तुझे इ\ाएिलयHसे कहनी हE वे थे ह: है । 7 तब मूसा ने आकर लोगHके पुरिनयHको बुलवाया, और थे सब बात , 'जनके कहने क आWा यहोवा ने उसे द: यी, उनको समझा द:ं। 8 और सब लोग िमलकर बोल उठे , जो कुछ यहोवा ने कहा है वह सब हम िनत कर गे। लोगHक यह बात मूसा ने यहोवा को सुनाL। 9 तब यहोवा ने मूसा से कहा, सुन, मE बादल के अंिध कारने म होकर तेरे पास आता हंू , इसिलथे क जब मE तुझ से बात कRं तब वे लोग सुन , और सदा तेर: ूतीित कर । और मूसा ने यहोवा से लोगHक बातHका वणOन कया। 10 तब यहोवा ने मूसा से कहा, लोगHके पास जा और उ(ह आज और कल पवऽ करना, और वे अपके व\ धो ल , 11 और वे तीसरे दन तक तैयार हो रह ; यHक तीसरे दन यहोवा सब लोगHके दे खते सीनै पवOत पर उतर आएगा। 12 और तू लोगHके िलथे चारHओर बाड़ा बा(ध दे ना, और उन से कहना, क तुम सचेत रहHक पवOत पर न चढ़ो और उसके िसवाने को भी न छूओ; और जो कोई पहाड़ को छूए वह िन_य मार डाला जाए। 13 उसको कोई हाथ से तो न छूए, पर(तु वह िन_य पयरवाह कया जाए, वा तीर से छे दा जाए; चाहे पशु हो चाहे मनुंय, वह जीवत न बचे। जब महाशcद वाले नरिसंगे का शcद दे र तक सुनाई दे , तब लोग पवOत के पास आएं। 14 तब मूसा ने पवOत पर से उतरकर लोगHके पास आकर उनको पवऽ कराया; और उ(हHने अपके व\ धो िलए। 15 और उस ने लोगHसे कहा, तीसरे दन तक तैयार हो रहो; \ी के पास न जाना। 16 जब तीसरा दन आया तब भोर होते

बादल गरजने और बजली चमकने लगी, और पवOत पर काली घटा छा गई, फर नरिसंगे का शcद बड़ा भर: हुआ, और छावनी म 'जतने लोग थे सब कांप उठे । 17 तब मूसा लोगHको परमे र से भ ट करने के िलथे छावनी से िनकाल ले गया; और वे पवOत के नीचे खड़े हुए। 18 और यहोवा जो आग म होकर सीनै पवOत पर उतरा या, इस कारण समःत पवOत धुएं से भर गया; और उसका धुआं भ=टे का सा उठ रहा या, और समःत पवOत बहुत कांप रहा या 19 फर जब नरिसंगे का शcद बढ़ता और बहुत भार: होता गया, तब मूसा बोला, और परमे र ने वाणी सुनाकर उसको उर दया। 20 और यहोवा सीनै पवOत क चोट: पर उतरा; और मूसा को पवOत क चोट: पर बुलाया और मूसा ऊपर चढ़ गया। 21 तब यहोवा ने मूसा से कहा, नीचे उतरके लोगHको िचतावनी दे , कह:ं ऐसा न हो क वे बाड़ा तोड़के यहोवा के पास दे खने को घुस , और उन म से बहुत नाश हHजाएं। 22 और याजक जो यहोवा के समीप आया करते हE वे भी अपके को पवऽ कर , कह:ं ऐसा न हो क यहोवा उन पर टू ट पके। 23 मूसा ने यहोवा से कहा, वे लोग सीनै पवOत पर नह:ं चढ़ सकते; तू ने तो आप हम को यह कहकर िचताया, क पवOत के चारHऔर बाड़ा बा(धकर उसे पवऽ रखो। 24 यहोवा ने उस से कहा, उतर तो जा, और हाRन समेत ऊपर आ; पर(तु याजक और साधारण लोग कह:ं यहोवा के पास बाड़ा तोड़के न चढ़ आएं, कह:ं ऐसा न हो क वह उन पर टू ट पके। 25 थे ह: बात मूसा ने लोगHके पास उतरके उनको सुनाL।। िनगOमन 20 1 तब परमे र ने थे सब वचन कहे , 2 क मै तेरा परमे र यहोवा हंू , जो तुझे

दासव के घर अयाOत ् िमॐ दे श से िनकाल लाया है ।। 3 तू मुझे छोड़ दस ू रHको ई र करके न मानना।। 4 तू अपके िलथे कोई मूितर ् खोदकर न बनाना, न कसी क ूितमा बनाना, जो आकाश म , वा पृवी पर, वा पृवी के जल म है । 5 तू उनको द+डवत ् न करना, और न उनक उपासना करना; यHक मै तेरा परमे र यहोवा जलन रखने वाला ई र हंू , और जो मुझ से बैर रखते है , उनके बे टH, पोतH, और परपोतHको भी पतरHका द+ड दया करता हूं, 6 और जो मुझ से ूेम रखते और मेर: आWाओं को मानते हE , उन हजारHपर कRणा कया करता हंू ।। 7 तू अपके परमे र का नाम eययO न लेना; यHक जो यहोवा का नाम eययO ले वह उसको िनदzष न ठहराएगा।। 8 तू वौमदन को पवऽ मानने के िलथे ःमरण रखना। 9 छ: दन तो तू पgरnम करके अपना सब काम काज करना; 10 पर(तु सातवां दन तेरे परमे र यहोवा के िलथे वौमदन है । उस म न तो तू कसी भांित का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेर: बेट:, न तेरा दास, न तेर: दासी, न तेरे पशु, न कोई परदे शी जो तेरे फाटकHके भीतर हो। 11 यHक छ: दन म यहोवा ने आकाश, और पृवी, और समुि, और जो कुछ उन म है , सब को बनाया, और सातव दन वौम कया; इस कारण यहोवा ने वौमदन को आशीष द: और उसको पवऽ ठहराया।। 12 तू अपके पता और अप क माता का आदर करना, 'जस से जो दे श तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है उस म तू बहुत दन तक रहने पाए।। 13 तू खून न करना।। 14 तू eयिभचार न करना।। 15 तू चोर: न करना।। 16 तू कसी के वRa फूठq साझी न दे ना।। 17 तू कसी के घर का लालच न करना; न तो कसी क \ी का लालच करना, और न कसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न कसी क कसी वःतु का लालच करना।। 18 और

सब लोग गरजने और बजली और नरिसंगे के शcद सुनते, और धुआं उठते हुए पवOत को दे खते रहे , और दे खके, कांपकर दरू खड़े हो गए; 19 और वे मूसा से कहने लगे, तू ह: हम से बात कर, तब तो हम सुन सक गे; पर(तु परमे र हम से बात न करे , ऐसा न हो क हम मर जाएं। 20 मूसा ने लोगHसे कहा, डरो मत; यHक परमे र इस िनिम आया है क तुSहार: प कझा करे , और उसका भय तुSहारे मन म बना रहे , क तुम पाप न करो। 21 और वे लोग तो दरू ह: खड़े रहे , पर(तु मूसा उस घोर अ(धकार के समीप गया जहां परमे र या।। 22 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तू इ\ाएिलयHको मेरे थे वचन सुना, क तुम लोगHने तो आप ह: दे खा है क मै ने तुSहारे साय आकाश से बात क हE । 23 तुम मेरे साय कसी को स'Sमिलत न करना, अयाOत ् अपके िलथे चा(द: वा सोने से दे वताओं को न गढ़ लेना। 24 मेरे िलथे िम=ट: क एक वेद: बनाना, और अप क भेड़-बकgरयHऔर गाय-बैलHके होमबिल और मेलबिल को उस पर चढ़ाना; जहां जहां मE अपके नाम का ःमरण कराऊं वहां वहां मE आकर तुSह आशीष दं ग ू ा। 25 और यद तुम मेरे िलथे पयरHक वेद: बनाओ, तो तराशे हुए पयरHसे न बनाना; यHक जहां तुम ने उस पर अपना हिययार लगाया वहां तू उसे अशुa कर दे गा। 26 और मेर: वे द: पर सीढ़: से कभी न चढ़ना, कह:ं ऐसा न हो क ते रा तन उस पर नंगा दे ख पके।। िनगOमन 21 1 फर जो िनयम तुझे उनको समझाने हE वे थे हE ।। 2 जब तुम कोई इॄी दास मोल लो, तब वह छ: वषO तक सेवा करता रहे , और सातव वषO ःवतंऽ होकर स तम त चला जाए। 3 यद वह अकेला आया हो, तो अकेला ह: चला जाए; और

यद प^ी सहत आया हो, तो उसके साय उसक प^ी भी च क जाए। 4 यद उसके ःवामी ने उसको प^ी द: हो और उस से उसके बेटे वा बे टयां उप(न हुई हH, तो उसक प^ी और बालक उसके ःवामी के ह: रह , और वह अकेला चला जाए। 5 पर(तु यद वह दास lढ़ता से कहे , क मE अपके ःवामी, और अप क प^ी, और बालकHसे ूेम रखता हंू ; इसिलथे मE ःवतंऽ होकर न चला जाऊंगा; 6 तो उसका ःवामी उसको परमे र के पास ले चले; फर उसको kार के कवाड़ वा बाजू के पास ले जाकर उसके कान म सुतार: से छे द कर ; तब वह सदा उसक सेवा करता रहे ।। 7 यद कोई अप क बेट: को दासी होने के िलथे बेच डाले, तो वह दासी क नाई बाहर न जाए। 8 यद उसका ःवामी उसको अप क प^ी बनाए, और फर उस से ूस(न न रहे , तो वह उसे दाम से छुड़ाई जाने दे ; उसका व ासघात करने के बाद उसे ऊप क लोगHके हाथ बेचने का उसको अिध कारने न होगा। 9 और यद उस ने उसे अपके बेटे को cयाह दया हो, तो उस से बेट: का सा eयवहार करे । 10 चाहे वह दस ू र: प^ी कर ले, तौभी वह उसका भोजन, व\, और संगित न घटाए। 11 और यद वह इन तीन बातHम घट: करे , तो वह \ी स तम त बना दाम चुकाए ह: च क जाए।। 12 जो कसी मनुंय को ऐसा मारे क वह मर जाए, तो वह भी िन_य मार डाला जाए। 13 यद वह उसक घात म न बैठा हो, और परमे र क इ.छा ह: से वह उसके हाथ म पड़ गया हो, तो ऐसे मारनेवाले के भागने के िनिम मE एक ःयान ठहराऊंगा जहां वह भाग जाए। 14 पर(तु यद कोई ढठाई से कसी पर चढ़ाई करके उसे छल से घात करे , तो उसको मार ढालने के िलथे मेर: वेद: के पास से भी अलग ले जाना।। 15 जो अपके पता वा माता को मारे -पीटे वह िन_य मार डाला जाए।। 16 जो कसी

मनुंय को चुराए, चाहे उसे ले जाकर बेच डाले, चाहे वह उसके पास पाया जाए, तो वह भी िन_य मार डाला जाए।। 17 जो अपके पता वा माता को ौप दे वह भी िन_य मार डाला जाए।। 18 यद मनुंय फगड़ते हH, और एक दस ू रे को पयर वा मु के से ऐसा मारे क वह मरे नह:ं पर(तु बछौने पर पड़ा रहे , 19 तो जब वह उठकर लाठq के सहारे से बाहर चलने फरने लगे , तब वह मारनेवाला िनदzष ठहरे ; उस दशा म वह उसके पके रहने के समय क हािन तो भर दे , ओर उसको भला चंगा भी करा दे ।। 20 यद कोई अपके दास वा दासी को सHटे से ऐसा मारे क वह उसके मारने से मर जाए, तब तो उसको िन_य द+ड दया जाए। 21 पर(तु यद वह दो एक दन जीवत रहे , तो उसके ःवामी को द+ड न दया जाए; यHक वह दास उसका धन है ।। 22 यद मनुंय आपस म मारपीट करके कसी गिभणh \ी को ऐसी चोट पहुचाए, क उसका गभO िगर जाए, पर(तु और कुछ हािन न हो, तो मारनेवाले से उतना द+ड िलया जाए 'जतना उस \ी का पित पंच क सSमित से ठहराए। 23 पर(तु यद उसको और कुछ हािन पहंु चे, तो ूाण क स(ती ूाण का, 24 और आंख क स(ती आंख का, और दांत क स(ती दांत का, और हाथ क स(ती हाथ का, और पांव क स(ती पांव का, 25 और दाग क स(ती दाग का, और घाव क स(ती घाव का, और मार क स(ती मार का द+ड हो।। 26 जब कोई अपके दास वा दासी क आंख पर ऐसा मारे क फूट जाए, तो वह उसक आंख क स(ती उसे ःवतंऽ करके जाने दे । 27 और यद वह अपके दास वा दासी को मारके उसका दांत तोड़ डाले, तो वह उसके दांत क स(ती उसे ःवतंऽ करके जाने दे ।। 28 यद बैल कसी पुRष वा \ी को ऐसा सींग मारे क वह मर जाए, तो वह बैल तो िन_य पयरवाह करके मार डाला जाए, और उसका मांस खाया न

जाए; पर(तु बैल का ःवामी िनदzष ठहरे । 29 पर(तु यद उस बैल क पहले से सींग मारने क बान प क हो, और उसके ःवामी ने जताए जाने पर भी उसको न बा(ध रखा हो, और वह कसी पुRष वा \ी को मार डाले, तब तो वह बैल पयरवाह कया जाए, और उसका ःवामी भी मार डाला जाए। 30 यद उस पर छुड़ौती ठहराई जाए, तो ूाण छुड़ाने को जो कुछ उसके िलथे ठहराया जाए उसे उतना ह: दे ना पकेगा। 31 चाहे बैल ने कसी बेटे को, चाहे बेट: को मारा हो, तौभी इसी िनयम के अनुसार उसके ःवामी के साय eयवहार कया जाए। 32 यद बैल ने कसी दास वा दासी को सींग मारा हो, तो बैल का ःवामी उस दास के ःवामी को तीस शेकेल Rपा दे , और वह बैल पयरवाह कया जाए।। 33 यद कोई मनुंय गड़हा खोलकर वा खोदकर उसको न ढांपे, और उस म कसी का बैल वा गदहा िगर पके 34 तो 'जसका वह गड़हा हो वह उस हािन को भर दे ; वह पशु के ःवामी को उसका मोल दे , और लोय गड़हे वाले क ठहरे ।। 35 यद कसी का बैल कसी दस ू रे के बैल को ऐसी चोट लगाए, क वह मर जाए, तो वे दोनो मनुंय जीते बैल को बेचकर उसका मोल आपस म आधा आधा बांट ले; और लोय को भी वैसा ह: बांट । 36 यद यह ूगट हो क उस बैल क पहले से सींग मारने क बान प क यी, पर उसके ःवामी ने उसे बा(ध नह:ं रखा, तो िन_य यह बैल क स(ती बैल भर दे , पर लोय उसी क ठहरे ।। िनगOमन 22 1 यद कोई मनुंय बैल, वा भेड़, वा बकर: चुराकर उसका घात करे वा बेच डाले, तो वह बैल क स(ती पाँच बैल, और भेड़-बकर: क स(ती चार भेड़-बकर: भर दे ।

2 यद चोर स ध लगाते हुए पकड़ा जाए, और उस पर ऐसी मार पके क वह मर जाए, तो उसके खून का दोष न लगे; 3 यद सूयO िनकल चुके, तो उसके खून का दोष लगे ; अवँय है क वह हािन को भर दे , और यद उसके पास कुछ न हो, तो वह चोर: के कारण बेच दया जाए। 4 यद चुराया हुआ बैल, वा गदहा, वा भेड़ वा बकर: उसके हाथ म जीवत पाई जाए, तो वह उसका दन ू ा भर दे ।। 5 यद कोई अपके पशु से कसी का खेत वा दाख क बार: चराए, अयाOत ् अपके पशु को ऐसा छोड़ दे क वह पराए खे त को चर ले, तो वह अपके खे त क और अप क दाख क बार: क उम से उम उपज म से उस हािन को भर दे ।। 6 यद कोई आग जलाए, और वह कांटHम लग जाए और फूलHके ढे र वा अनाज वा खड़ा खेत जल जाए, तो 'जस ने आग जलाई हो वह हािन को िन_य भर दे ।। 7 यद कोई दस ू रे को Rपए वा साममी क धरोहर धरे , और वह उसके घर से चुराई जाए, तो यद चोर पकड़ा जाए, तो दन ू ा उसी को भर दे ना पकेगा। 8 और यद चोर न पकड़ा जाए, तो घर का ःवामी परमे र के पास लाया जाए, क िन_य हो जाय क उस ने अपके भाई ब(धु क सSप पर हाथ लगाया है वा नह:ं। 9 चाहे बैल, चाहे गदहे , चाहे भेड़ वा बकर:, चाहे व\, चाहे कसी ूकार क ऐसी खोई हुई वःतु के वषय अपराध यHन लगाया जाय, 'जसे दो जन अप क अप क कहते हH, तो दोनHका मुकXमा परमे र के पास आए; और 'जसको परमे र दोषी ठहराए वह दस ू रे को दन ू ा भर दे ।। 10 यद कोई दस ू रे को गदहा वा बैल वा भेड़-बकर: वा कोई और पशु रखने के िलथे सौप , और कसी के बना दे खे वह मर जाए, वा चोट खाए, वा हांक दया जाए, 11 तो उन दोनो के बीच यहोवा क शपय 'खलाई जाए क मE ने इसक सSप पर हाथ नह:ं लगाया; तब सSप का ःवामी इसको सच

माने, और दस ू रे को उसे कुछ भी भर दे ना न होगा। 12 यद वह सचमुच उसके यहां से चुराया गया हो, तो वह उसके ःवामी को उसे भर दे । 13 और यद वह फाड़ डाला गया हो, तो वह फाड़े हुए को ूमाण के िलथे ले आए, तब उसे उसको भी भर दे ना न पकेगा।। 14 फर यद कोई दस ू रे से पशु मांग लाए, और उसके ःवामी के संग न रहते उसको चोट लगे वा वह मर जाए, तो वह िन_य उसक हािन भर दे । 15 यद उसका ःवामी संग हो, तो दस ू रे को उसक हािन भरना न पके; और यद वह भाड़े का हो तो उसक हािन उसके भाड़े म आ गई।। 16 यद कोई पुRष कसी क(या को 'जसके cयाह क बात न लगी हो फुसलाकर उसके संग कुकमO करे , तो वह िन_य उसका मोल दे के उसे cयाह ले। 17 पर(तु यद उसका पता उसे दे ने को ब`कुल इनकार करे , तो कुकमO करनेवाला क(याओं के मोल क र:ित के अनुसार Rपके तौल दे ।। 18 तू डाइन को जीवत रहने न दे ना।। 19 जो कोई पशुगमन करे वह िन_य मार डाला जाए।। 20 जो कोई यहोवा को छोड़ कसी और दे वता के िलथे बिल करे वह सयनाश कया जाए। 21 और परदे शी को न सताना और न उस पर अ(धेर करना यHक िमॐ दे श म तुम भी परदे शी थे। 22 कसी वधवा वा अनाय बालक को द:ु ख न दे ना। 23 यद तुम ऐसHको कसी ूकार का द:ु ख दो, और वे कुछ भी मेर: दोहाई द , तो मE िन_य उनक दोहाई सुनग ूं ा; 24 तब मेरा बोध भड़केगा, और मE तुम को तलवार से मरवाऊंगा, और तुSहार: प'^यां वधवा और तुSहारे बालक अनाय हो जाएंगे।। 25 यद तू मेर: ूजा म से कसी द:न को जो ते रे पास रहता हो Rपए का ऋण दे , तो उस से महाजन क नाई cयाज न लेना। 26 यद तू कभी अपके भाईब(धु के व\ को ब(धक करके रख भी ले, तो सूयO के अःत होने तक उसको लौटा दे ना;

27 यHक वह उसका एक ह: ओढ़ना है , उसक दे ह का वह: अकेला व\ होगा फर वह कसे ओढ़कर सोएगा? तोभी जब वह मेर: दोहाई दे गा तब मE उसक सुनग ूं ा, यHक मE तो कRणामय हंू ।। 28 परमे र को ौप न दे ना, और न अपके लोगHके ूधान को ौप दे ना। 29 अपके खेतHक उपज और फलHके रस म से कुछ मुझे दे ने म वलSब न करना। अपके बेटHम से पहलौठे को मुझे दे ना। 30 वैसे ह: अप क गायHऔर भेड़-बकgरयHके पहलौठे भी दे ना; सात दन तक तो ब.चा अप क माता के संग रहे , और आठव दन तू उसे मुझे दे दे ना। 31 और तुम मेरे िलथे पवऽ मनुंय बनना; इस कारण जो पशु मैदान म फाड़ा हुआ पड़ा िमले उसका मांस न खाना, उसको कुHके आगे फ क दे ना।। िनगOमन 23 1 फूठq बात न फैलाना। अ(यायी साझी होकर द ु का साय न दे ना। 2 बुराई करने के िलथे न तो बहुतHके पीछे हो लेना; और न उनके पीछे फरके मुकXम म (याय बगाड़ने को साझी दे ना; 3 और कंगाल के मुकXम म उसका भी पझ न करना।। 4 यद तेरे शऽु का बैल वा गदहा भटकता हुआ तुझे िमले, तो उसे उसके पास अवँय फेर ले आना। 5 फर यद तू अपके बैर: के गदहे को बोफ के मारे दबा हुआ दे खे, तो चाहे उसको उसके ःवामी के िलथे छुड़ाने के िलथे ते रा मन न चाहे , तौभी अवँय ःवामी का साय दे कर उसे छुड़ा लेना।। 6 तेरे लोगHम से जो दgरि हHउसके मुकXमे म (याय न बगाड़ना। 7 फूठे मुकXमे से दरू रहना, और िनदzष और धमh को घात न करना, यHक मE द ु को िनदzष न ठहराऊंगा। 8 घूस न लेना, यHक घूस दे खने वालHको भी अ(धा कर दे ता, और धिमयJक बात पलट

दे ता है । 9 परदे शी पर अ(धेर न करना; तुम तो परदे शी के मन क बात जानते हो, यHक तुम भी िमॐ दे श म परदे शी थे।। 10 छ: वषO तो अप क भूिम म बोना और उसक उपज इक=ठq करना; 11 पर(तु सातव वषO म उसको पड़ती रहने दे ना और वैसा ह: छोड़ दे ना, तो तेरे भाई ब(धुओं म के दgरि लोग उस से खाने पाएं, और जो कुछ उन से भी बचे वह बनैले पशुओं के खाने के काम म आए। और अप क दाख और जलपाई क बाgरयHको भी ऐसे ह: करना। 12 छ: दन तक तो अपना काम काज करना, और सातव दन वौम करना; क ते रे बैल और गदहे सुःताएं, और ते र: दािसयHके बेटे और परदे शी भी अपना जी ठं डा कर सक । 13 और जो कुछ मE ने तुम से कहा है उस म सावधान रहना; और दस ू रे दे वताओं के नाम क चचाO न करना, वरन वे तुSहारे मुह ं से सुनाई भी न द । 14 ूित वषO तीन बार मेरे िलथे पcबO मानना। 15 अखमीर: रोट: का पcबO मानना; उस म मेर: आWा के अनुसार अबीब मह:ने के िनयत समय पर सात दन तक अखमीर: रोट: खाया करना, यHक उसी मह:ने म तुम िमॐ से िनकल आए। और मुझ को कोई छूछे हाथ अपना मुह ं न दखाए। 16 और जब तेर: बोई हुई खेती क पहली उपज तैयार हो, तब कटनी का पcबO मानना। और वषO के अ(त म जब तू पgरnम के फल बटोर के ढे र लगाए, तब बटोरन का पcबO मानना। 17 ूित वषO तीनHबार ते रे सब पुRष ूभु यहोवा को अपना मुह ं दखाएं।। 18 मेरे बिलपशु का लोहू खमीर: रोट: के संग न चढ़ाना, और न मेरे पcबO के उम बिलदान म से कुछ बहान तक रहने दे ना। 19 अप क भूिम क पहली उपज का पहला भाग अपके परमे र यहोवा के भवन म ले आना। बकर: का ब.चा उसक माता के दध ू म न पकाना।। 20 सुन, मE एक दत ू तेरे आगे आगे भेजता हंू जो मागO म ते र: रझा करे गा, और

'जस ःयान को मै ने तैयार कया है उस म तुझे पहंु चाएगा। 21 उसके साSहने सावधान रहना, और उसक मानना, उसका वरोध न करना, यHक वह तुSहारा अपराध झमा न करे गा; इसिलथे क उस म मेरा नाम रहता है । 22 और यद तू सचमुच उसक माने और जो कुछ मE कहंू वह करे , तो मै ते रे शऽुओं का शऽु और तेरे िोहयHका िोह: बनूग ं ा। 23 इस र:ित मेरा दत ू तेरे आगे आगे चलकर तुझे एमोर:, ही, परGजी, कनानी, हcबी, और यबूसी लोगHके यहां पहुंचाएगा, और मE उनको सयनाश कर डालूग ं ा। 24 उनके दे वताओं को द+डवत ् न करना, और न उनक उपासना करना, और न उनके से काम करना, वरन उन मूरतHको पूर: र:ित से सयानाश कर डालना, और उन लोगHक लाटHके टु कड़े टु कड़े कर दे ना। 25 और तुम अपके परमे र यहोवा क उपासना करना, तब वह तेरे अ(न जल पर आशीष दे गा, और तेरे बीच म से रोग दरू करे गा। 26 तेरे दे श म न तो कसी का गभO िगरे गा और न कोई बांफ होगी; और तेर: आयु मE पूर: कRंगा। 27 'जतने लोगHके बीच तू जाथेगा उन सभHके मन म मै अपना भय पहले से ऐसा समवा दं ग ू ा क उनको eयाकुल कर दं ग ू ा, और मE तुझे सब शऽुओं क पीठ दखाऊंगा। 28 और मE तुझ से पहले बरJको भेजूंगा जो हcबी, कनानी, और ही लोगHको तेरे साSहने से भगा के दरू कर द गी। 29 मE उनको तेरे आगे से एक ह: वषO म तो न िनकाल दं ग ू ा, ऐसा न हो क दे श उजाड़ हो जाए, और बनैले पशु बढ़कर तुझे द:ु ख दे ने लग । 30 जब तक तू फूल फलकर दे श को अपके अिध कारने म न कर ले तब तक मE उ(ह ते रे आगे से योड़ा योड़ा करके िनकालता रहंू गा। 31 मE लाल समुि से लेकर पिल'ँतयHके समुि तक और जंगल से लेकर महानद तक के दे श को ते रे वश म कर दं ग ू ा; मE उस दे श के िनवािस कH भी तेरे वश म कर दं ग ू ा, और

तू उ(ह अपके साSहने से बरबस िनकालेगा। 32 तू न तो उन से वाचा बा(धना और न उनके दे वताओं से। 33 वे तेरे दे श म रहने न पाएं, ऐसा न हो क वे तुझ से मेरे वRa पाप कराएं; यHक यद तू उनके दे वताओं क उपासना करे , तो यह तेरे िलथे फंदा बनेगा।। िनगOमन 24 1 फर उस ने मूसा से कहा, तू, हाRन, नादाब, अबीहू, और इ\ाएिलयHके सर पुरिनयHसमेत यहोवा के पास ऊपर आकर दरू से द+डवत ् करना। 2 और केवल मूसा यहोवा के समीप आए; पर(तु वे समीप न आएं, और दस ू रे लोग उसके संग ऊपर न आएं। 3 तब मूसा ने लोगHके पास जाकर यहोवा क सब बात और सब िनयम सुना दए; तब सब लोग एक ःवर से बोल उठे , क 'जतनी बात यहोवा ने कह: हE उन सब बातHको हम मान गे। 4 तब मूसा ने यहोवा के सब वचन िलख दए। और बहान को सवेरे उठकर पवOत के नीचे एक वेद: और इ\ाएल के बारहHगोऽHके अनुसार बारह खSभे भी बनवाए। 5 तब उस ने कई इ\ाएली जवानHको भेजा, 'ज(हHने यहोवा के िलथे होमबिल और बैलHके मेलबिल चढ़ाए। 6 और मूसा ने आधा लोहू तो लेकर कटारHम रखा, और आधा वेद: पर िछड़क दया। 7 तब वाचा क पुःतक को लेकर लोगHको पढ़ सुनाया; उसे सुनकर उ(हHने कहा, जो कुछ यहोवा ने कहा है उस सब को हम कर गे, और उसक आWा मान गे। 8 तब मूसा ने लोहू को लेकर लोगHपर िछड़क दया, और उन से कहा, दे खो, यह उस वाचा का लोहू है 'जसे यहोवा ने इन सब वचनHपर तुSहारे साय बा(धी है । 9 तब मूसा, हाRन, नादाब, अबीहू और इ\ाएिलयHके सर पुरिनए ऊपर गए, 10

और इ\ाएल के परमे र का दशOन कया; और उसके चरणHके तले नीलम'ण का चबूतरा सा कुछ या, जो आकाश के तु`य ह: ःव.छ या। 11 और उस ने इ\ाएिलयHके ूधानHपर हाथ न बढ़ाया; तब उ(हHने परमे र का दशOन कया, और खाया पया।। 12 तब यहोवा ने मूसा से कहा, पहाड़ पर मेरे पास चढ़, और वहां रह; और मै तुझे पयर क पटयाएं, और अप क िलखी हुई eयवःया और आWा दं ग ू ा, क तू उनको िसखाए। 13 तब मूसा यहोशू नाम अपके टहलुए समेत परमे र के पवOत पर चढ़ गया। 14 क जब तक हम तुSहारे पास फर न आएं तब तक तुम यह:ं हमार: बाट जोहते रहो; और सुनो, हाRन और हूर तुSहारे संग हE ; तो यद कसी का मुकXमा हो तो उ(ह:ं के पास जाए। 15 तब मूसा पवOत पर चढ़ गया, और बादल ने पवOत को छा िलया। 16 तब यहोवा के ते ज ने सीनै पवOत पर िनवास कया, और वह बादल उस पर छ: दन तक छाया रहा; और सातव

दन उस ने मूसा को बादल के बीच म से पुकारा। 17 और इ\ाएिलयHक l म

यहोवा का तेज पवOत क चोट: पर ूच+ड आग सा दे ख पड़ता या। 18 तब मूसा बादल के बीच म ूवे श करके पवOत पर चढ़ गया। और मूसा पवOत पर चालीस दन और चालीस रात रहा।। िनगOमन 25 1 यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे यह कहना, क मेरे िलथे भ ट लाएं; 'जतने अप क इ.छा से दे ना चाह उ(ह:ं सभHसे मेर: भ ट लेना। 3 और 'जन वःतुओं क भ ट उन से लेनी हE वे थे हE ; अयाOत ् सोना, चांद:, पीतल, 4 नीले, बEजनी और लाल रं ग का कपड़ा, सूˆम सनी का कपड़ा, बकर: का बाल, 5 लाल रं ग से

रं गी हुई मेढ़Hक खाल , सुइसHक खाल , बबूल क लकड़:, 6 उ'जयाले के िलथे तेल, अिभषेक के तेल के िलथे और सुग'(धत धूप के िलथे सुग(ध िeय, 7 एपोद और चपरास के िलथे सुलम ै ानी पयर, और जड़ने के िलथे म'ण। 8 और वे मेरे िलथे एक पवऽःयान बनाए, क मE उनके बीच िनवास कRं। 9 जो कुछ मE तुझे दखाता हंू , अयाOत ् िनवासःयान और उसके सब सामान का नमूना, उसी के अनुसार तुम लोग उसे बनाना।। 10 बबूल क लकड़: का एक स(दक ू बनाया जाए; उसक लSबाई अढ़ाई हाथ, और चौड़ाई और ऊंचाई डे ढ़ डे ढ़ हाथ क हH। 11 और उसको चोखे सोने से भीतर और बाहर मढ़वाना, और स(दक ू के ऊपर चारHओर सोने क बाड़ बनवाना। 12 और सोने के चार कड़े ढलवाकर उसके चारHपायHपर, एक अलंग दो कड़े और दस ू र: अलंग भी दो कड़े लगवाना। 13 फर बबूल क लकड़: के ड+डे बनवाना, और उ(हे भी सोने से मढ़वाना। 14 और ड+डHको स(दक ू क दोनHअलंगHके कड़Hम डालना 'जस से उनके बल स(दक ू उठाया जाए। 15 वे ड+डे स(दक ू के कड़Hम लगे रह ; और उस से अलग न कए जाएं। 16 और जो साझीपऽ मE तुझे दं ग ू ा उसे उसी स(दक ू म रखना। 17 फर चोखे सोने का एक ूाय'_ का ढकना बनवाना; उसक लSबाई अढ़ाई हाथ, और चौड़ाई डे ढ़ हाथ क हो। 18 और सोना ढालकर दो कRब बनवाकर ूाय'_ के ढकने के दोनHिसरHपर लगवाना। 19 एक कRब तो एक िस के पर और दस ू रा कRब दस ू रे िस के पर लगवाना; और कRबHको और ूाय'_ के ढकने को उसके ह: टु कड़े से बनाकर उसके दोनो िसरHपर लगवाना। 20 और उन कRबHके पंख ऊपर से ऐसे फैले हुए बन क ूाय'_ का ढकना उन से ढं पा रहे , और उनके मुख आSहने-साSहने और ूाय'_ के ढकने क ओर रह । 21 और ूाय'_ के

ढकने को स(दक ू के ऊपर लगवाना; और जो साझीपऽ मE तुझे दं ग ू ा उसे स(दक ू के भीतर रखना। 22 और मE उसके ऊपर रहकर तुझ से िमला कRंगा; और इ\ाएिलयHके िलथे 'जतनी आWाएं मुझ को तुझे दे नी हHगी, उन सभHके वषय मE ूाय'_ के ढकने के ऊपर से और उन कRबHके बीच म से, जो साझीपऽ के स(दक ू पर हHगे, तुझ से वाताOलाप कया कRंगा।। 23 फर बबूल क लकड़: क एक मेज बनवाना; उसक लSबाई दो हाथ, चौड़ाई एक हाथ, और ऊंचाई डे ढ़ हाथ क हो। 24 उसे चोखे सोने से मढ़वाना, और उसके चारHओर सोने क एक बाड़ बनवाना। 25 और उसके चारHओर चार अंगुल चौड़: एक पटर: बनवाना, और इस पटर: के चारHओर सोने क एक बाड़ बनवाना। 26 और सोने के चार कड़े बनवाकर मेज के उन चारHकोनHम लगवाना जो उसके चारHपायHम हHगे। 27 वे कड़े पटर: के पास ह: हH, और ड+डHके घरHका काम द क मेज़ उ(ह:ं के बल उठाई जाए। 28 और ड+डHको बबूल क लकड़: के बनवाकर सोने से मढ़वाना, और मेज़ उ(ह:ं से उठाई जाए। 29 और उसके परात और धूपदान, और चमचे और उं डे लने के कटोरे , सब चोखे सोने के बनवाना। 30 और मेज़ पर मेरे आगे भ ट क रोटयां िनय रखा करना।। 31 फर चोखे सोने क एक द:वट बनवाना। सोना ढलवाकर वह द:वट, पाथे और ड+ड: सहत बनाया जाए; उसके पुंपकोष, गांठ और फूल, सब एक ह: टु कड़े के बन ; 32 और उसक अलंगHसे छ: डािलयां िनकल , तीन डािलयां तो द:वट क एक अलंग से और तीन डािलयां उसक दस ू र: अलंग से िनकली हुई हH; 33 एक एक डाली म बादाम के फूल के समान तीन तीन पुंपकोष, एक एक गांठ, और एक एक फूल हH; द:वट से िनकली हुई छहHडािलयHका यह: आकार या Rप हो; 34 और द:वट क ड+ड: म बादाम के फूल

के समान चार पुंपकोष अप क अप क गांठ और फूल समेत हH; 35 और द:वट से िनकली हुई छहHडािलयHम से दो दो डािलयHके नीचे एक एक गांठ हो, वे द:वट समेत एक ह: टु कड़े के बने हुए हH। 36 उनक गांठे और डािलयां, सब द:वट समेत एक ह: टु कड़े क हH, चोखा सोना ढलवाकर पूरा द:वट एक ह: टु कड़े का बनवाना। 37 और सात द:पक बनवाना; और द:पक जलाए जाएं क वे द:वट के साSहने ूकाश द । 38 और उसके गुलतराश और गुलदान सब चोखे सोने के हH। 39 वह सब इन समःत सामान समेत क कार भर चोखे सोने का बने। 40 और सावधान रहकर इन सब वःतुओं को उस नमूने के समान बनवाना, जो तुझे इस पवOत पर दखाया गया है ।। िनगOमन 26 1 फर िनवासःयान के िलथे दस परदे बनवाना; इनको बट: हुई सनीवाले और नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का कढ़ाई के काम कए हुए कRबHके साय बनवाना। 2 एक एक परदे क लSबाई अ=ठाईस हाथ और चौड़ाई चार हाथ क हो; सब परदे एक ह: नाप के हH। 3 पांच परदे एक दस ू रे से जुड़े हुए हH; और फर जो पांच परदे रह गे वे भी एक दस ू रे से जुड़े हुए हH। 4 और जहां थे दोनHपरदे जोड़े जाएं वहां क दोनHछोरHपर नीली नीली फिलयां लगवाना। 5 दोनHछोरHम पचास पचास फिलयां ऐसे लगवाना क वे आSहने साSहने हH। 6 और सोने के पचास अंकड़े बनवाना; और परदHके पंचो को अंकड़Hके kारा एक दस ू रे से ऐसा जुड़वाना क िनवासःयान िमलकर एक ह: हो जाए। 7 फर िनवास के ऊपर तSबू का काम दे ने के िलथे बकर: के बाल के bयारह परदे बनवाना। 8 एक एक परदे क लSबाई

तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ क हो; bयारहHपरदे एक ह: नाप के हH। 9 और पांच परदे अलग और फर छ: परदे अलग जुड़वाना, और छटव परदे को तSबू के साSहने मोड़ कर दहु रा कर दे ना। 10 और तू पचास अंकड़े उस परदे क छोर म

जो बाहर से िमलाया जाएगा और पचास ह: अंकड़े दस ू र: ओर के परदे क छोर म

जो बाहर से िमलाया जाएगा बनवाना। 11 और पीतल के पचास अंकड़े बनाना, और अंकड़Hको फिलयHम लगाकर तSबू को ऐसा जुड़वाना क वह िमलकर एक ह: हो जाए। 12 और तSबू के परदHका लटका हुआ भाग, अयाOत ् जो आधा पट रहे गा, वह िनवास क पछली ओर लटका रहे । 13 और तSबू के परदHक लSबाई मे से हाथ भर इधर, और हाथ भर उधर िनवास के ढांकने के िलथे उसक दोनHअलंगHपर लटका हुआ रहे । 14 फर तSबू के िलथे लाल रं ग से रं गी हुई मेढHक खालHका एक ओढ़ना और उसके ऊपर सूइसHक खालHका भी एक ओढ़ना बनवाना।। 15 फर िनवास को खड़ा करने के िलथे बबूल क लकड़: के त‡ते बनवाना। 16 एक एक त‡ते क लSबाई दस हाथ और चौड़ाई डे ढ़ हाथ क हो। 17 एक एक त‡ते म एक दस ू रे से जोड़: हुई दो दो चूल हH; िनवास के सब त‡तHको इसी भांित से बनवाना। 18 और िनवास के िलथे जो त‡ते तू बनवाएगा उन म से बीस त‡ते तो द' खन क ओर के िलथे हH; 19 और बीसHत‡तHके नीचे चांद: क चालीस कुिसया{ बनवाना, अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे उसके चूलHके िलथे दो दो कुिसया{। 20 और िनवास क दस ू र: अलंग, अयाOत ् उर क ओर बीस त‡ते बनवाना। 21 और उनके िलथे चांद: क चालीस कुिसया{ बनवाना, अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे दो दो कुिसया{ हH। 22 और िनवास क पछली अलंग, अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे दो दो कुिसया{ हH। 23 और पछले अलंग म िनवास के

कोनHके िलथे दो त‡ते बनवाना; 24 और थे नीचे से दो दो भाग के हHऔर दोनHभाग ऊपर के िस के तक एक एक कड़े म िमलाथे जाएं; दोनHत‡तHका यह: Rप हो; थे तो दोनHकोनHके िलथे हH। 25 और आठ त‡त हH, और उनक चांद: क सोलह कुिसया{ हH; अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे दो दो कुिसया{ हH। 26 फर बबूल क लकड़: के ब ड़े बनवाना, अयाOत ् िनवास क एक अलंग के त‡तHके िलथे पांच, 27 और िनवास क दस ू र: अलंग के त‡तHके िलथे पांच ब डे, और िनवास क जो अलंग प'_म क ओर पछले भाग म होगी, उसके िलथे पांच ब ड़े बनवाना। 28 और बीचवाला ब ड़ा जो त‡तHके म~य म होगा वह तSबू के एक िस के से दस ू रे िस के तक पहंु चे। 29 फर त‡तHको सोने से मढ़वाना, और उनके कड़े जो ब ड़Hके घरHका काम द गे उ(ह भी सोने के बनवाना; और बेड़Hको भी सोने से मढ़वाना। 30 और िनवास को इस र:ित खड़ा करना जैसा इस पवOत पर तुझे दखाया गया है ।। 31 फर नीले, बैजनी और लाल रं ग के और बट: हुई सूˆम सनीवाले कपके का एक बीचवाला पदाO बनवाना; वह कढ़ाई के काम कथे हुए कRबHके साय बने। 32 और उसको सोने से मढ़े हुए बबूल के चार ‡SभHपर लटकाना, इनक अंकडय़ां सोने क हH, और थे चांद: क चार कुिसयJपर खड़: रह । 33 और बीचवाले पद को अंकडय़Hके नीचे लटकाकर, उसक आड़ म

साझीपऽ का स(दक ू भीतर िलवा ले जाना; सो वह बीचवाला पदाO तुSहारे िलथे पवऽःयान को परमपवऽःयान से अलग कथे रहे । 34 फर परमपवऽ ःयान म साझीपऽ के स(दक ू के ऊपर ूाय'_ के ढकने को रखना। 35 और उस पद के बाहर िनवास क उर अलग मेज़ रखना; और उसक द' खन अलंग मेज़ के साSहने द:वट को रखना। 36 फर तSबू के kार के िलथे नीले, बEजनी और लाल

रं ग के और बट: हुई सूˆम सनीवाले कपके का कढ़ाई का काम कया हुआ एक पदाO बनवाना। 37 और इस पद के िलथे बबूल के पांच खSभे बनवाना, और उनको सोने से मढ़वाना; उनक कडयां सोने क हो, और उनके िलथे पीतल क पांच कुिसया{ ढलवा कर बनवाना।। िनगOमन 27 1 फर वेद: को बबूल क लकड़: क, पांच हाथ लSबी और पांच हाथ चौड़: बनवाना; वेद: चौकोर हो, और उसक ऊंचाई तीन हाथ क हो। 2 और उसके चारHकोनHपर चार सींग बनवाना; वे उस समेत एक ह: टु कड़े के हH, और उसे पीतल से मढ़वाना। 3 और उसक राख उठाने के पाऽ, और फावडय़ां, और कटोरे , और कांटे, और अंगीठयां बनवाना; उसका कुल सामान पीतल का बनवाना। 4 और उसके पीतल क जाली एक फंफर: बनवाना; और उसके चारHिसरHम पीतल के चार कड़े लगवाना। 5 और उस फंफर: को वेद: के चारHओर क कंगनी के नीचे ऐसे लगवाना, क वह वेद: क ऊंचाई के म~य तक पहंु चे। 6 और वेद: के िलथे बबूल क लकड़: के ड+डे बनवाना, और उ(ह पीतल से मढ़वाना। 7 और डं डे कड़Hम डाले जाएं, क जब जब वेद: उठाई जाए तब वे उसक दोनHअलंगHपर रह । 8 वेद: को त‡तHसे खोखली बनवाना; जैसी वह इस पवOत पर तुझे दखाई गई है वैसी ह: बनाई जाए।। 9 फर िनवास के आंगन को बनवाना। उसक द' खन अलंग के िलथे तो बट: हुई सूˆम सनी के कपके के सब पदJको िमलाए क उसक लSबाई सौ हाथ क हो; एक अलंग पर तो इतना ह: हो। 10 और उनके बीस खSभे बन , और इनके िलथे पीतल क बीस कुिसया{ बन , और खSभHके कु(डे और

उनक प'=टयां चांद: क हH। 11 और उसी भांित आंगन क उर अलंग क लSबाई म भी सौ हाथ लSबे पद हH, और उनके भी बीस खSभे और इनके िलथे भी पीतल के बीस खाने हH; और उन खSभHके कु(डे और प'=टयां चांद: क हH। 12 फर आंगन क चौड़ाई म प'.छम क ओर पचास हाथ के पद हH, उनके खSभे दस और खाने भी दस हH। 13 और पूरब अलंग पर आंगन क चौड़ाई पचास हाथ क हो। 14 और आंगन के kार क एक ओर प(िह हाथ के पद हH, और उनके खSभे तीन और खाने तीन हH। 15 और दस ू र: ओर भी प(िह हाथ के पद हH, उनके भी खSभे तीन और खाने तीन हH। 16 और आंगन के kार के िलथे एक पदाO बनवाना, जो नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके और बट: हुई सूˆम सनी के कपके का कामदार बना हुआ बीस हाथ का हो, उसके खSभे चार और खाने भी चार हH। 17 आंगन क चारHओर के सब खSभे चांद: क प'=टयHसे जुड़े हुए हH, उनके कु(डे चांद: के और खाने पीतल के हH। 18 आंगन क लSबाई सौ हाथ क, और उसक चौड़ाई बराबर पचास हाथ क और उसक कनात क ऊंचाई पांच हाथ क हो, उसक कनात बट: हुई सुˆम सनी के कपके क बने, और खSभHके खाने पीतल के हH। 19 िनवास के भांित भांित के बतOन और सब सामान और उसके सब खूंट और आंगन के भी सब खूंटे पीतल ह: के हH।। 20 फर तू इ\ाएिलयHको आWा दे ना, क मेरे पास द:वट के िलथे कूट के िनकाला हुआ जलपाई का िनमOल तेल ले आना, 'जस से द:पक िनय जलता रहे । 21 िमलाप के तSबू म , उस बीचवाले पद से बाहर जो साझीपऽ के आगे होगा, हाRन और उसके पुऽ द:वट सांफ से भोर तक यहोवा के साSहने सजा कर रख । यह विध इ\ाएिलयHक पीढय़Hके िलथे सदै व बनी रहे गी।।

िनगOमन 28 1 फर तू इ\ाएिलयHम से अपके भाई हाRन, और नादाब, अबीहू, एलीआज़ार और ईतामार नाम उसके पुऽHको अपके समीप ले आना क वे मेरे िलथे याजक का काम कर । 2 और तू अपके भाई हाRन के िलथे वभव और शोभा के िनिम पवऽ व\ बनवाना। 3 और 'जतनHके ॑ृदय म बुa है , 'जनको मE ने बुa दे नेवाली आमा से पgरपूणO कया है , उनको तू हाRन के व\ बनाने क आWा दे क वह मेरे िनिम याजक का काम करने के िलथे पवऽ बन । 4 और जो व\ उ(ह बनाने हHगे वे थे हE , अयाOत ् सीनाब(द; और एपोद, और जामा, चार खाने का अंगरखा, पुरोहत का टोप, और कमरब(द; थे ह: पवऽ व\ तेरे भाई हाRन और उसके पुऽHके िलथे बनाए जाएं क वे मेरे िलथे याजक का काम कर । 5 और वे सोने और नीले और बEजनी और लाल रं ग का और सूˆम सनी का कपड़ा ल ।। 6 और वे एपोद को सोने, और नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का और बट: हुई सूˆम सनी के कपके का बनाएं, जो क िनपुण कढ़ाई के काम करनेवाले के हाथ का काम हो। 7 और वह इस तरह से जोड़ा जाए क उसके दोनो क(धHके िस के आपस म िमले रह । 8 और एपोद पर जो काढ़ा हुआ पटु का होगा उसक बनावट उसी के समान हो, और वे दोनHबना जोड़ के हH, और सोने और नीले, बEजनी और लाल रं गवाले और बट: हुई सूˆम सनीवाले कपके के हH। 9 फर दो सुलम ै ानी म'ण लेकर उन पर इ\ाएल के पुऽHके नाम खुदवाना, 10 उनके नामHम से छ: तो एक म'ण पर, और शेष छ: नाम दस ू रे म'ण पर, इ\ाएल के पुऽHक उप के अनुसार खुदवाना। 11 म'ण खोदनेवाले के काम से जैसे छापा खोदा जाता है , वैसे ह: उन दो म'णयHपर इ\ाएल के पुऽHके नाम खुदवाना; और उनको सोने के

खानHम जड़वा दे ना। 12 और दोनHम'णयHको एपोद के क(धHपर लगवाना, वे इ\ाएिलयHके िनिम ःमरण दलवाने वाले म'ण ठहर गे; अयाOत ् हाRन उनके नाम यहोवा के आगे अपके दोनHक(धHपर ःमरण के िलथे लगाए रहे ।। 13 फर सोने के खाने बनवाना, 14 और डोgरयHक नाL गूंथे हुए दो जंजीर चोखे सोने के बनवाना; और गूंथे हुए जंजीरHको उन खानHम जड़वाना। 15 फर (याय क चपरास को भी कढ़ाई के काम का बनवाना; एपोद क नाL सोने, और नीले, बEजनी और लाल रं ग के और बट: हुई सूˆम सनी के कपके क उसे बनवाना। 16 वह चौकोर और दोहर: हो, और उसक लSबाई और चौड़ाई एक एक बे क हH। 17 और उस म चार पांित म'ण जड़ाना। पहली पांित म तो मा'ण य, प|क़राग और लालड़: हH; 18 दस ू र: पांित म मरकत, नीलम'ण और ह:रा; 19 तीसर: पांित म लशम, सूयक O ांत और नीलम; 20 और चौयी पांित म फरोजा, सुलम ै ानी म'ण और यशब हH; थे सब सोने के खानHम जड़े जाएं। 21 और इ\ाएल के पुऽHके 'जतने नाम हE उतने म'ण हH, अयाOत ् उनके नामHक िगनती के अनुसार बारह नाम खुद , बारहHगोऽHम से एक एक का नाम एक एक म'ण पर ऐसे खुदे जेसे छापा खोदा जाता है । 22 फर चपरास पर डोgरयHक नाई। गूंथे हुए चोखे सोने क जंजीर लगवाना; 23 और चपरास म सोने क दो कडय़ां लगवाना, और दोनHकडय़Hको चपरास के दोनो िसरHपर लगवाना। 24 और सोने के दोनHगूंथे जंजीरHको उन दोनHकडय़Hम जो चपरास के िसरHपर हHगी लगवाना; 25 और गूंथे हुए दोनो जंजीरHके दोनHबाक िस कH दोनHखानHम जड़वा के एपोद के दोनHक(धHके बंधनHपर उसके साSहने लगवाना। 26 फर सोने क दो और कडय़ां बनवाकर चपरास के दोनHिसरHपर, उसक उस कोर पर जो एपोद क

भीतर क ओर होगी लगवाना। 27 फर उनके िसवाय सोने क दो और कडय़ां बनवाकर एपोद के दोनHक(धHके बंधनHपर, नीचे से उनके साSहने और उसके जोड़ के पास एपोद के काढ़े हुए पटु के के ऊपर लगवाना। 28 और चपरास अप क कडय़Hके kारा एपोद क कडय़Hम नीले फते से बांधी जाए, इस र:ित वह एपोद के काढ़े हुए पटु के पर बनी रहे , और चपरास एपोद पर से अलग न होने पाए। 29 और जब जब हाRन पवऽःयान म ूवेश करे , तब तब वह (याय क चपरास पर अपके ॑ृदय के ऊपर इ\ाएिलयHके नामHको लगाए रहे , 'जस से यहोवा के साSहने उनका ःमरण िनय रहे । 30 और तू (याय क चपरास म

ऊर:म और तुSमीम को रखना, और जब जब हाRन यहोवा के साSहने ूवेश करे , तब तब वे उसके ॑ृदय के ऊपर हH; इस ूकार हाRन इ\ाएिलयHके (याय पदायO को अपके ॑ृदय के ऊपर यहोवा के साSहने िनय लगाए रहे ।। 31 फर एपोद के बागे को सSपूणO नीले रं ग का बनवाना। 32 और उसक बनावट ऐसी हो क उसके बीच म िसर डालने के िलथे छे द हो, और उस छे द क चारHओर बखतर के छे द क सी एक बुनी हुई कोर हो, क वह फटने न पाए। 33 और उसके नीचेवाले घेरे म

चारHओर नी◌ेले, बEजनी और लाल रं ग के कपके के अनार बनवाना, और उनके बीच बीच चारHओर सोने क घंट:यां लगवाना, 34 अयाOत ् एक सोने क घंट: और एक अनार, फर एक सोने क घंट: और एक अनार, इसी र:ित बागे के नीचेवाले घेरे म चारHओर ऐसा ह: हो। 35 और हाRन एक बागे को सेवा टहल करने के समय पहना करे , क जब जब वह पवऽःयान के भीतर यहोवा के साSहने जाए, वा बाहर िनकले, तब तब उसका शcद सुनाई दे , नह:ं तो वह मर जाएगा। 36 फर चोखे सोने का एक ट:का बनवाना, और जैसे छापे म वैसे ह: उस म थे अझर खोद

जाएं, अयाOत ् यहोवा के िलथे पवऽ। 37 और उसे नीले फते से बांधना; और वह पगड़: के साSहने के हःसे पर रहे । 38 और हाRन के माथे पर रहे , इसिलथे क इ\ाएली जो कुछ पवऽ ठहराएं, अयाOत ् 'जतनी पवऽ वःतुएं भ ट म चढ़ाव उन पवऽ वःतुओं का दोष हाRन उठाए रहे , और वह िनय उसके माथे पर रहे , 'जस से यहोवा उन से ूस(न रहे ।। 39 और अंगरखे को सूˆम सनी के कपके का चारखाना बुनवाना, और एक पगड़: भी सूˆम सनी के कपके क बनवाना, और कारचोबी काम कया हुआ एक कमरब(द भी बनवाना।। 40 फर हाRन के पुऽHके िलथे भी अंगरखे और कमरब(द और टोपयां बनवाना; थे व\ भी वभव और शोभा के िलथे बन । 41 अपके भाई हाRन और उसके पुऽHको थे ह: सब व\ पहनाकर उनका अिभषेक और संःकार करना, और उ(ह पवऽ करना, क वे मेरे िलथे याजक का काम कर । 42 और उनके िलथे सनी के कपके क जांिघया बनवाना 'जन से उनका तन ढपा रहे ; वे कमर से जांघ तक क हH; 43 और जब जब हाRन वा उसके पुऽ िमलापवाले तSबू म ूवेश कर , वा पवऽ ःयान म सेवा टहल करने को वेद: के पास जाएं तब तब वे उन जांिघयHको पहने रह , न हो क वे पापी ठहर और मर जाएं। यह हाRन के िलथे और उसके बाद उसके वंश के िलथे भी सदा क विध ठहर ।। िनगOमन 29 1 और उ(ह पवऽ करने को जो काम तुझे उन से करना है , क वे मेरे िलथे याजक का काम कर वह यह है । एक िनदzष बछड़ा और दो िनदzष म ढ़े लेना, 2 और अखमीर: रोट:, और तेल से सने हुए मैदे के अखमीर: फुलके, और तेल से चुप क

हुई अखमीर: पपडय़ां भी लेना। थे सब गेहंू के मैदे के बनवाना। 3 इनको एक टोकर: म रखकर उस टोकर: को उस बछड़े और उन दोनHम ढ़ो समेत समीप ले आना। 4 फर हाRन और उसके पुऽHको िमलापवाले तSबू के kार के समीप ले आकर जल से नहलाना। 5 तब उन वHको लेकर हाRन को अंगरखा ओर एपोद का बागा पहनाना, और एपोद और चपरास बा(धना, और एपोद का काढ़ा हुआ पटु का भी बा(धना; 6 और उसके िसर पर पगड़: को रखना, और पगड़: पर पवऽ मुकुट को रखना। 7 तब अिभषेक का तेल ले उसके िसर पर डालकर उसका अिभषेक करना। 8 फर उसके पुऽHको समीप ले आकर उनको अंगरखे पहनाना, 9 और उसके अयाOत ् हाRन और उसके पुऽHके कमर बा(धना और उनके िसर पर टोपयां रखना; 'जस से याजक के पद पर सदा उनका हक रहे । इसी ूकार हाRन और उसके पुऽHका संःकार करना। 10 और बछड़े को िमलापवाले तSबू के साSहने समीप ले आना। और हाRन और उसके पुऽ बछड़े के िसर पर अपके अपके हाथ रख , 11 तब उस बछड़े को यहोवा के सSमुख िमलापवाले तSबू के kार पर बिलदान करना, 12 और बछड़े के लोहू म से कुछ लेकर अप क उं गली से वेद: के सींगHपर लगाना, और शेष सब लोहू को वेद: के पाए पर उं डे ल दे ना 13 और 'जस चरबी से अंतडय़ां ढपी रहती हE , और जो फ`ली कलेजे के ऊपर होती है , उनको और दोनो गुदJको उनके ऊपर क चरबी समेत लेकर सब को वे द: पर जलाना। 14 और बछड़े का मांस, और खाल, और गोबर, छावनी से बाहर आग म

जला दे ना; यHक यह पापबिल होगा। 15 फर एक मेढ़ा लेना, और हाRन और उसके पुऽ उसके िसर पर अपके अपके हाथ रख , 16 तब उस मेढ़ को बिल करना, और उसका लोहू लेकर वेद: पर चारHओर िछड़कना। 17 और उस मेढ़े को टु कड़े

टु कड़े काटना, और उसक अंतडय़Hऔर पैरHको धोकर उसके टु कड़Hऔर िसर के ऊपर रखना, 18 तब उस पूरे मेढ़े को वेद: पर जलाना; वह तो यहोवा के िलथे होमबिल होगा; वह सुखदायक सुग(ध और यहोवा के िलथे हवन होगा। 19 फर दस ू रे मेढ़े को लेना; और हाRन और उसके पुऽ उसके िसर पर अपके अपके हाथ रख , 20 तब उस म ड़े को बिल करना, और उसके लोहू म से कुछ लेकर हाRन और उसके पुऽHके दहने कान के िस के पर, और उनके दहने हाथ और दहने पांव के अंगूठHपर लगाना, और लोहू को वेद: पर चारHओर िछड़क दे ना। 21 फर वेद: पर के लोहू, और अिभषेक के तेल, इन दोनो म से कुछ कुछ लेकर हाRन और उसके वHपर, और उसके पुऽHऔर उनके वHपर भी िछड़क दे ना; तब वह अपके वHसमेत और उसके पुऽ भी अपके अपके वHसमेत पवऽ हो जाएंगे। 22 तब मेढ़े को संःकारवाला जानकर उस म से चरबी और मोट: पूंछ को, और 'जस चरबी से अंतडय़ां ढपी रहती हE उसको, और कलेजे पर क फ`ली को, और चरबी समेत दोनHगुदJको, और दहने पु=ठे को लेना, 23 और अखमीर: रोट: क टोकर: जो यहोवा के आगे धर: होगी उस म से भी एक रोट:, और तेल से सने हुए मैदे का एक फुलका, और एक पप क लेकर, 24 इन सब को हाRन और उसके पुऽHके हाथHम रखकर हलाए जाने क भ ट ठहराके यहोवा के आगे हलाया जाए। 25 तब उन वःतुओं को उनके हाथHसे लेकर होमबिल क वेद: पर जला दे ना, 'जस से वह यहोवा के साSहने सुखदायक सुग(ध ठहरे ; वह तो यहोवा के िलथे हवन होगा। 26 फर हाRन के संःकार को जो म ढ़ा होगा उसक छाती को लेकर हलाए जाने क भ ट के िलथे यहोवा के आगे हलाना; और वह तेरा भाग ठहरे गा। 27 और हाRन और उसके पुऽHके संःकार का जो मेढ़ा होगा, उस म से हलाए जाने

क भ टवाली छाती जो हलाई जाएगी, और उठाए जाने का भ टवाला पु=ठा जो उठाया जाएगा, इन दोनHको पवऽ ठहराना। 28 और थे सदा क विध क र:ित पर इ\ाएिलयHक ओर से उसका और उसके पुऽHका भाग ठहरे , कयHक थे उठाए जाने क भ ट ठहर: हE ; और यह इ\ाएिलयHक ओर से उनके मेलबिलयHम से यहोवा के िलथे उठाऐ जाने क भ ट होगी। 29 और हाRन के जो पवऽ व\ हHगे वह उसके बाद उसके बेटे पोते आद को िमलते रह , 'जस से उ(ह:ं को पहने हुए उनका अिभषे क और संःकार कया जाए। 30 उसके पुऽHके जो उसके ःयान पर याजक होगा, वह जब पवऽःयान म सेवा टहल करने को िमलाप वाले तSबू म

पहले आए, तब उन वHको सात दन तक पहने रह । 31 फर याजक के संःकार का जो मेढ़ा होगा उसे लेकर उसका मांस कसी पवऽ ःयान म पकाना; 32 तब हाRन अपके पुऽHसमेत उस मेढे का मांस और टोकर: क रोट:, दोनHको िमलापवाले तSबू के kार पर खाए। 33 और 'जन पदायJसे उनका संःकार और उ(ह पवऽ करने के िलथे ूाय'_ कया जाएगा उनको तो वे खाएं, पर(तु पराए कुल का कोई उ(ह न खाने पाए, यHक वे पवऽ हHगे । 34 और यद संःकारवाले मांस वा रोट: म से कुछ बहान तक बचा रहे , तो उस बचे हुए को आग म जलाना, वह खाया न जाए; यHक वह पवऽ होगा। 35 और मE ने तुझे जो जो आWा द: हE , उन सभHके अनुसार तू हाRन और उसके पुऽHसे करना; और सात दन तक उनका संःकार करते रहना, 36 अयाOत ् पापबिल का एक बछड़ा ूाय'_ के िलथे ूितदन चढ़ाना। और वेद: को भी ूाय'_ करने के समय शुa करना, और उसे पवऽ करने के िलथे उसका अिभषेक करना। 37 सात दन तक वेद: के िलथे ूाय'_ करके उसे पवऽ करना, और वेद: परम पवऽ ठहरे गी; और जो कुछ

उस से छू जाएगा वह भी पवऽ हो जाएगा।। 38 जो तुझे वेद: पर िनय चढ़ाना होगा वह यह है ; अयाOत ् ूितदन एक एक वषO के दो भेड़: के ब.चे। 39 एक भेड़ के ब.चे को तो भोर के समय, और दस ू रे भेड़ के ब.चे को गोधूिल के समय चढ़ाना। 40 और एक भेड़ के ब.चे के संग ह:न क चौयाई कूटके िनकाले हुए तेल से सना हुआ एपा का दसवां भाग मैदा, और अघO के िलथे ह: क चौयाई दाखमधु दे ना। 41 और दस ू रे भेड़ के ब.चे को गोधूिल के समय चढ़ाना, और उसके साय भोर क र:ित अनुसार अ(नबिल और अघO दोनHदे ना, 'जस से वह सुखदायक सुग(ध और यहोवा के िलथे हवन ठहरे । 42 तुSहार: पीढ़: पीढ़: म यहोवा के आगे िमलापवाले तSबू के kार पर िनय ऐसा ह: होमबिल हुआ करे ; यह वह ःयान है 'जस म मE तुम लोगHसे इसिलथे िमला कRंगा, क तुझ से बात कRं। 43 और मE इ\ाएिलयHसे वह:ं िमला कRंगा, और वह तSबू मेरे ते ज से पवऽ कया जाएगा। 44 और मE िमलापवाले तSबू और वे द: को पवऽ कRंगा, और हाRन और उसके पुऽHको भी पवऽ कRंगा, क वे मेरे िलथे याजक का काम कर । 45 और मE इ\ाएिलयHके म~य िनवास कRंगा, और उनका परमे र ठहRंगा। 46 तब वे जान ल गे क मE यहोवा उनका परमे र हंू , जो उनको िमॐ दे श से इसिलथे िनकाल ले आया, क उनके म~य िनवास कRं; मE ह: उनका परमे र यहोवा हंू ।। िनगOमन 30 1 फर धूप जलाने के िलथे बबूल क लकड़: क वेद: बनाना। 2 उसक लSबाई एक हाथ और चौड़ाई एक हाथ क हो, वह चौकोर हो, और उसक ऊंचाई दो हाथ क हो, और उसके सींग उसी टु कड़े से बनाए जाएं। 3 और वेद: के ऊपरवाले प`ले

और चारHओर क अलंगHऔर सींगHको चोखे सोने से मढ़ना, और इसक चारHओर सोने क एक बाड़ बनाना। 4 और इसक बाड़ के नीचे इसके दानHप`ले पर सोने के दो दो कड़े बनाकर इसके दोनHओर लगाना, वे इसके उठाने के ड+डHके खानHका काम द गे। 5 और ड+डHको बबूल क लकड़: के बनाकर उनको सोने से मढ़ना। 6 और तू उसको उस पद के आगे रखना जो साझीपऽ के स(दक ू के साSहने है , अयाOत ् ूाय'_ वाले ढकने के आगे जो साझीपऽ के ऊपर है , वह:ं मE तुझ से िमला कRंगा। 7 और उसी वेद: पर हाRन सुग'(धत धूप जलाया करे ; ूितदन भोर को जब वह द:पक को ठqक करे तब वह धूप को जलाए, 8 तब गोधूिल के समय जब हाRन द:पकHको जलाए तब धूप जलाया करे , यह धूप यहोवा के साSहने तुSहार: पीढ़: पीढ़: म िनय जलाया जाए। 9 और उस वेद: पर तुम और ूकार का धूप न जलाना, और न उस पर होमबिल और न अ(नबिल चढ़ाना; और न इस पर अघO दे ना। 10 और हाRन वषO म एक बार इसके सींगHपर ूाय'_ करे ; और तुSहार: पीढ़: पीढ़: म वषO म एक बार ूाय'_ िलया जाए; यह यहोवा के िलथे परमपवऽ है ।। 11 और तब यहोवा ने मूसा से कहा, 12 जब तू इ\ाएिलयHक िगनती लेने लगे, तब वे िगनने के समय 'जनक िगनती हुई हो अपके अपके ूाणHके िलथे यहोवा को ूाय'_ द , 'जस से जब तू उनक िगनती कर रहा हो उस समय कोई वप उन पर न आ पके। 13 'जतने लोग िगने जाएं वे पवऽःयान के शेकेल के िलथे आधा शेकेल द , यह शेकेल बीस गेरा का होता है , यहोवा क भ ट आधा शेकेल हो। 14 बीस वषO के वा उस से अिधक अवःया के 'जतने िगने जाएं उन म से एक एक जन यहोवा क भ ट दे । 15 जब तुSहारे ूाणHके ूाय'_ के िनिम यहोवा क भ ट द: जाए, तब न तो धनी लोग आधे

शेकेल से अिधक द , और न कंगाल लोग उस से कम द । 16 और तू इ\ाएिलयHसे ूाय'_ का Rपया लेकर िमलापवाले तSबू के काम म लगाना; 'जस से वह यहोवा के सSमुख इ\ाएिलयHके ःमरणायO िच(ह ठहरे , और उनके ूाणHका ूाय'_ भी हो।। 17 और यहोवा ने मूसा से कहा, 18 धोने के िलथे पीतल क एक हौद: और उसका पाया पीतल का बनाना। और उसके िमलापवाले तSबू और वे द: के बीच म रखकर उस म जल भर दे ना; 19 और उस म हाRन और उसके पुऽ अपके अपके हाथ पांव धोया कर । 20 जब जब वे िमलापवाले तSबू म ूवेश कर

तब तब वे हाथ पांव जल से धोएं, नह:ं तो मर जाएंगे; और जब जब वे वेद: के पास सेवा टहल करने, अयाOत ् यहोवा के िलथे हeय जलाने को आएं तब तब वे हाथ पांव धोएं, न हो क मर जाएं। 21 यह हाRन और उसके पीढ़: पीढ़: के वंश के िलथे सदा क विध ठहरे ।। 22 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 23 तू मु‡य मु‡य सुग(ध िeय, अयाOत ् पवऽःयान के शेकेल के अनुसार पांच सौ शेकेल अपके आप िनकला हुआ ग(धरस, और उसका आधा, अयाOत ् अढ़ाई सौ शेकेल सुग'(धत अगर, 24 और पांच सौ शेकेल तज, और एक ह:न जलपाई का तेल लेकर 25 उन से अिभषेक का पवऽ तेल, अयाOत ् ग(धी क र:ित से तैयार कया हुआ सुग'(धत तेल बनवाना; यह अिभषेक का पवऽ तेल ठहरे । 26 और उस से िमलापवाले तSबू का, और साझीपऽ के स(दक ू का, 27 और सारे सामान समेत मेज़ का, और सामान समेत द:वट का, और धूपकेद: का, 28 और सारे सामान समेत होमवेद: का, और पाए समेत हौद: का अिभषेक करना। 29 और उनको पवऽ करना, 'जस से वे परमपवऽ ठहर ; और जो कुछ उन से छू जाएगा वह पवऽ हो जाएगा। 30 फर हाRन का उसके पुऽHके साय अिभषेक करना, और इस

ूकार उ(ह मेरे िलथे याजक का काम करने के िलथे पवऽ करना। 31 और इ\ाएिलयHको मेर: यह आWा सुनाना, क वह तेल तुSहार: पीढ़: पीढ़: म मेरे िलथे पवऽ अिभषेक का तेल होगा। 32 वह कसी मनुंय क दे ह पर न डाला जाए, और िमलावट म उसके समान और कुछ न बनाना; वह तो पवऽ होगा, वह तुSहारे िलथे पवऽ होगा। 33 जो कोई उसके समान कुछ बनाए, वा जो कोई उस म से कुछ पराए कुलवाले पर लगाए, वह अपके लोगHम से नाश कया जाए।। 34 फर यहोवा ने मूसा से कहा, बोल, नखी और कु(दR, थे सुग(ध िeय िनमOल लोबान समेत ले लेना, थे सब एक तौल के हH, 35 और इनका धूप अयाOत ् लोन िमलाकर ग(धी क र:ित के अनुसार चोखा और पवऽ सुग(ध िeय बनवाना; 36 फर उस म से कुछ पीसकर बुकनी कर डालना, तब उस म से कुछ िमलापवाले तSबू म साझीपऽ के आगे, जहां पर मE तुझ से िमला कRंगा वहां रखना; वह तुSहारे िलथे परमपवऽ होगा। 37 और जो धूप तू बनवाएगा, िमलावट म उसके समान तुम लोग अपके िलथे और कुछ न बनवाना; वह तुSहारे आगे यहोवा के िलथे पवऽ होगा। 38 जो कोई सूघ ं ने के िलथे उसके समान कुछ बनाए वह अपके लोगHम से नाश कया जाए।। िनगOमन 31 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 सुन, मE ऊर: के पुऽ बसलेल को, जो हूर का पोता और यहूदा के गोऽ का है , नाम लेकर बुलाता हूं। 3 और मE उसको परमे र क आमा से जो बुa, ूवीणता, Wान, और सब ूकार के कायJक समझ दे नेवाली आमा है पgरपूणO करता हंू , 4 'जस से वह कार:गर: के कायO बुa से िनकाल

िनकालकर सब भांित क बनावट म , अयाOत ् सोने, चांद:, और पीतल म , 5 और जड़ने के िलथे म'ण काटने म , और लकड़: के खोदने म काम करे । 6 और सुन, मE दान के गोऽवाले अह:सामाक के पुऽ ओहोलीआब को उसके संग कर दे ता हंू ; वरन 'जतने बुaमान है उन सभHके ॑ृदय म मE बुa दे ता हंू , 'जस से 'जतनी वःतुओं क आWा मE ने तुझे द: है उन सभHको वे बनाएं; 7 अयाOत ् िमलापवाला तSबू, और साझीपऽ का स(दक ू , और उस पर का ूाय'_वाला ढकना, और तSबू का सारा सामान, 8 और सामान सहत मेज़, और सारे सामान समेत चोखे सोने क द:वट, और धूपकेद:, 9 और सारे सामान सहत होमवेद:, और पाए समेत हौद:, 10 और काढ़े हुए व\, और हाRन याजक के याजकवाले काम के पवऽ व\, और उसके पुऽHके व\, 11 और अिभषे क का तेल, और पवऽ ःयान के िलथे सुग'(धत धूप, इन सभHको वे उन सब आWाओं के अनुसार बनाएं जो मE ने तुझे द: हE ।। 12 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 13 तू इ\ाएिलयHसे यह भी कहना, क िन_य तुम मेरे वौमदनHको मानना, यHक तुSहार: पीढ़: पीढ़: म मेरे और तुम लोगHके बीच यह एक िच(ह ठहरा है , 'जस से तुम यह बात जान रखो क यहोवा हमारा पवऽ करनेहारा है । 14 इस कारण तुम वौमदन को मानना, यHक वह तुSहारे िलथे पवऽ ठहरा है ; जो उसको अपवऽ करे वह िन_य मार डाला जाए; जो कोई उस दन म से कुछ कामकाज करे वह ूाणी अपके लोगHके बीच से नाश कया जाए। 15 छ: दन तो काम काज कया जाए, पर सातवां दन परमवौम का दन और यहोवा के िलथे पवऽ है ; इसिलथे जो कोई वौम के दन म कुछ काम काज करे वह िन_य मार डाला जाए। 16 सो इ\ाएली वौमदन को माना कर , वरन पीढ़: पीढ़: म उसको सदा क वाचा का वषय जानकर माना कर । 17 वह मेरे और

इ\ाएिलयHके बीच सदा एक िच(ह रहे गा, यHक छ: दन म यहोवा ने आकाश और पृवी को बनाया, और सातव दन वौम करके अपना जी ठ+डा कया।। 18 जब परमे र मूसा से सीनै पवOत पर ऐसी बात कर चुका, तब उस ने उसको अप क उं गली से िलखी हुई साझी दे नेवाली पयर क दोनHत'‡तयां द:।। िनगOमन 32 1 जब लोगHने दे खा क मूसा को पवOत से उतरने म वलSब हो रहा है , तब वे हाRन के पास इक=ठे होकर कहने लगे, अब हमारे िलथे दे वता बना, जो हमारे आगे आगे चले; यHक उस पुRष मूसा को जो हम िमॐ दे श से िनकाल ले आया है , हम नह:ं जानते क उसे या हुआ? 2 हाRन ने उन से कहा, तुSहार: '\यHऔर बे टे बेटयHके कानHम सोने क जो बािलयां है उ(ह तोड़कर उतारो, और मेरे पास ले आओ। 3 तब सब लोगHने उनके कानHसे सोने क बािलयHको तोड़कर उतारा, और हाRन के पास ले आए। 4 और हाRन ने उ(ह उनके हाथ से िलया, और एक बछड़ा ढालकर बनाया, और टांक से गढ़ा; तब वे कहने लगे, क हे इ\ाएल तेरा परमे र जो तुझे िमॐ दे श से छुड़ा लाया है वह यह: है । 5 यह दे खके हाRन ने उसके आगे एक वेद: बनवाई; और यह ूचार कया, क कल यहोवा के िलथे पcबO होगा। 6 और दस ू रे दन लोगHने तड़के उठकर होमबिल चढ़ाए, और मेलबिल ले आए; फर बैठकर खाया पया, और उठकर खेलने लगे।। 7 तब यहोवा ने मूसा से कहा, नीचे उतर जा, यHक तेर: ूजा के लोग, 'ज(ह तू िमॐ दे श से िनकाल ले आया है , सो बगड़ गए हE ; 8 और 'जस मागO पर चलने क आWा मE ने उनको द: यी उसको फटपट छोड़कर उ(हHने एक बछड़ा ढालकर बना िलया, फर उसको

द+डवत ् कया, और उसके िलथे बिलदान भी चढ़ाया, और यह कहा है , क हे इ\ाएिलयHतुSहारा परमे र जो तुSह िमॐ दे श से छुड़ा ले आया है वह यह: है । 9 फर यहोवा ने मूसा से कहा, मE ने इन लोगHको दे खा, और सुन, वे हठqले हE । 10 अब मुझे मत रोक, मेरा कोप उन पर भड़क उठा है 'जस से मE उ(ह भःम कRं; पर(तु तुझ से एक बड़: जाित उपजाऊंगा। 11 तब मूसा अपके परमे र यहोवा को यह कहके मनाने लगा, क हे यहोवा, तेरा कोप अप क ूजा पर यHभड़का है , 'जसे तू बड़े सामयO और बलव(त हाथ के kारा िमॐ दे श से िनकाल लाया है ? 12 िमॐी लोग यह यHकहने पाए, क वह उनको बुरे अिभूाय से, अयाOत ् पहाड़Hम घात करके धरती पर से िमटा डालने क मनसा से िनकाल ले गया? तू अपके भड़के हुए कोप को शांत कर, और अप क ूजा को ऐसी हािन पहुचाने से फर जा। 13 अपके दास इॄाह:म, इसहाक, और याकूब को ःमरण कर, 'जन से तू ने अप क ह: कgरया खाकर यह कहा या, क मै तुSहारे वंश को आकाश के तारHके तु`य बहुत कRंगा, और यह सारा दे श 'जसक मE ने चचाO क है तुSहारे वंश को दं ग ू ा, क वह उसके अिध कारनेी सदै व बने रह । 14 तब यहोवा अप क ूजा क हािन करने से जो उन ने कहा या पछताया।। 15 तब मूसा फरकर साझी क दानHत'‡तयHको हाथ म िलथे हुए पहाड़ से उतर गया, उन त'‡तयHके तो इधर और उधर दोनHअलंगHपर कुछ िलखा हुआ या। 16 और वे त'‡तयां परमे र क बनाई हुई यीं, और उन पर जो खोदकर िलखा हुआ या वह परमे र का िलखा हुआ या।। 17 जब यहोशू को लोगHके कोलाहल का शcद सुनाई पड़ा, तब उस ने मूसा से कहा, छावनी से लड़ाई का सा शcद सुनाई दे ता है । 18 उस ने कहा, वह जो शcद है वह न तो जीतनेवालHका है , और न हारनेवालHका, मुझे तो गाने का शcद

सुन पड़ता है । 19 छावनी के पास आते ह: मूसा को वह बछड़ा और नाचना दे ख पड़ा, तब मूसा का कोप भड़क उठा, और उस ने त'‡तयHको अपके हाथHसे पवOत के नीचे पटककर तोड़ डाला। 20 तब उस ने उनके बनाए हुए बछड़े को लेकर आग म डालके फूंक दया। और पीसकर चूर चूर कर डाला, और जल के ऊपर फ क दया, और इ\ाएिलयHको उसे पलवा दया। 21 तब मूसा हाRन से कहने लगा, उन लोगHने तुझ से या कया क तू ने उनको इतने बड़े पाप म फंसाया? 22 हाRन ने उर दया, मेरे ूभु का कोप न भड़के; तू तो उन लोगHको जानता ह: है क वे बुराई म मन लगाए रहते हE । 23 और उ(हHने मुझ से कहा, क हमारे िलथे दे वता बनवा जो हमारे आगे आगे चले; यHक उस पुRष मूसा को, जो हम िमॐ दे श से छुड़ा लाया है , हम नह:ं जानते क उसे या हुआ? 24 तब मE ने उन से कहा, 'जस 'जसके पास सोने के गहन हH, वे उनको तोड़कर उतार लाएं; और जब उ(हHने मुझ को दया, मE ने उ(ह आग म डाल दया, तब यह बछड़ा िनकल पड़ा 25 हाRन ने उन लोगHको ऐसा िनरं कुश कर दया या क वे अपके वरोिधयHके बीच उपहास के योbय हुए, 26 उनको िनरं कुश दे खकर मूसा ने छावनी के िनकास पर खड़े होकर कहा, जो कोई यहोवा क ओर का हो वह मेरे पास आए; तब सारे लेवीय उस के पास इक=ठे हुए। 27 उस ने उन से कहा, इ\ाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , क अप क अप क जांघ पर तलवार लटका कर छावनी से एक िनकास से दस ू रे िनकास तक घूम घूमकर अपके अपके भाइयH, संिगयH, और पड़ोिस कH घात करो। 28 मूसा के इस वचन के अनुसार लेवयHने कया और उस दन तीन हजार के अटकल लोग मारे गए। 29 फर मूसा ने कहा, आज के दन यहोवा के िलथे अपना याजकपद का संःकार करो, वरन अपके अपके बेटHऔर

भाइयHके भी वRa होकर ऐसा करो 'जस से वह आज तुम को आशीष दे । 30 दस ू रे दन मूसा ने लोगHसे कहा, तुम ने बड़ा ह: पाप कया है । अब मE यहोवा के पास चढ़ जाऊंगा; सSभव है क मE तुSहारे पाप का ूाय'_ कर सकूं। 31 तब मूसा यहोवा के पास जाकर कहने लगा, क हाथ, हाथ, उन लोगHने सोने का दे वता बनवाकर बड़ा ह: पाप कया है । 32 तौभी अब तू उनका पाप झमा कर नह:ं तो अप क िलखी हुई पुःतक म से मेरे नाम को काट दे । 33 यहोवा ने मूसा से कहा, 'जस ने मेरे वRa पाप कया है उसी का नाम मE अप क पुःतक म से काट दं ग ू ा। 34 अब तो तू जाकर उन लोगHको उस ःयान म ले चल 'जसक चचाO मE ने तुझ से क यी; दे ख मेरा दत ू ते रे आगे आगे चलेगा। पर(तु 'जस दन मE द+ड दे ने लगूंगा उस दन उनको इस पाप का भी द+ड दं ग ू ा। 35 और यहोवा ने उन लोगHपर वप डाली, यHक हाRन के बनाए हुए बछड़े को उ(ह:ं ने बनवाया या। िनगOमन 33 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, तू उन लोगHको 'ज(ह िमॐ दे श से छुड़ा लाया है संग लेकर उस दे श को जा, 'जसके वषय मE ने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब से शपय खाकर कहा या, क मE उसे तुSहारे वंश को दं ग ू ा। 2 और मE ते रे आगे आगे एक दत ू को भेजूंगा, और कनानी, एमोर:, ही, पgरGजी, हcबी, और यबूसी लोगHको बरबस िनकाल दं ग ू ा। 3 तुम लोग उस दे श को जाओ 'जस म दध ू और मधु क धारा बहती है ; पर(तु तुम हठqले हो, इस कारण मE तुSहारे बीच म होके न चलूग ं ा, ऐसा न हो क मE मागO म तुSहारा अ(त कर डालू।ं 4 यह बुरा समाचार

सुनकर वे लोग वलाप करने लगे; और कोई अपके गहने पहने हुए न रहा। 5 यHक यहोवा ने मूसा से कह दया या, क इ\ाएिलयHको मेरा यह वचन सुना, क तुम लोग तो हठqले हो; जो मै पल भर के िलथे तुSहारे बीच होकर चलू,ं तो तुSहारा अ(त कर डालूग ं ा। इसिलथे अब अपके अपके गहने अपके अंगHसे उतार दो, क मE जानूं क तुSहारे साय या करना चाहए। 6 तब इ\ाएली होरे ब पवOत से लेकर आगे को अपके गहने उतारे रहे ।। 7 मूसा तSबू को छावनी से बाहर वरन दरू खड़ा कराया करता या, और उसको िमलापवाला तSबू कहता या। और जो कोई यहोवा को ढू ं ढ़ता वह उस िमलापवाले तSबू के पास जो छावनी के बाहर या िनकल जाता या। 8 और जब जब मूसा तSबू के पास जाता, तब तब सब लोग उठकर अपके अपके डे रे के kार पर खड़े हो जाते, और जब तक मूसा उस तSबू म

ूवेश न करता या तब तक उसक ओर ताकते रहते थे। 9 और जब मूसा उस तSबू म ूवेश करता या, तब बादल का खSभा उतर के तSबू के kार पर ठहर जाता या, और यहोवा मूसा से बात करने लगता या। 10 और सब लोग जब बादल के खSभे को तSबू के kार पर ठहरा दे खते थे, तब उठकर अपके अपके डे रे के kार पर से द+डवत ् करते थे। 11 और यहोवा मूसा से इस ूकार आSहने-साSहने बात

करता या, 'जस ूकार कोई अपके भाई से बात करे । और मूसा तो छावनी म फर आता या, पर यहोशू नाम एक जवान, जो नून का पुऽ और मूसा का टहलुआ या, वह तSबू म से न िनकलता या।। 12 और मूसा ने यहोवा से कहा, सुन तू मुझ से कहता है , क इन लोगHको ले चल; पर(तु यह नह:ं बताया क तू मेरे संग कसको भेजेगा। तौभी तू ने कहा है , क तेरा नाम मेरे िच म बसा है , और तुझ पर मेरे अनुमह क l है । 13 और अब यद मुझ पर तेरे अनुमह क l हो, तो मुझे

अप क गित समझा दे , 'जस से जब मE तेरा Wान पाऊं तब तेरे अनुमह क l मुझ पर बनी रहे । फर इसक भी सुिध कर क यह जाित तेर: ूजा है । 14 यहोवा ने कहा, मE आप चलूग ं ा और तुझे वौम दं ग ू ा। 15 उस ने उस से कहा, यद तू आप न चले, तो हम यहां से आगे न ले जा। 16 यह कैसे जाना जाए क ते रे अनुमह क l मुझ पर और अप क ूजा पर है ? या इस से नह:ं क तू हमारे संग संग चले, 'जस से मE और तेर: ूजा के लोग पृवी भर के सब लोगHसे अलग ठहर ? 17 यहोवा ने मूसा से कहा, मE यह काम भी 'जसक चचाO तू ने क है कRंगा; कयHक मेरे अनुमह क l तुझ पर है , और तेरा नाम मेरे िच म बसा है । 18 उस ने कहा मुझे अपना तेज दखा दे । 19 उस ने कहा, मE ते रे सSमुख होकर चलते हुए तुझे अप क सार: भलाई दखाऊंगा, और तेरे सSमुख यहोवा नाम का ूचार कRंगा, और 'जस पर मE अनुमह करना चाहंू उसी पर अनुमह कRंगा, और 'जस पर दया करना चांहू उसी पर दया कRंगा। 20 फर उस ने कहा, तू मेरे मुख का दशOन नह:ं कर सकता; यHक मनुंय मेरे मुख का दशOन करके जीवत नह:ं रह सकता। 21 फर यहोवा ने कहा, सुन, मेरे पास एक ःयान है , तू उस च=टान पर खड़ा हो; 22 और जब तक मेरा तेज ते रे साSहने होके चलता रहे तब तक मै तुझे च=टान के दरार म रखूंगा, और जब तक मE तेरे साSहने होकर न िनकल जाऊं तब तक अपके हाथ से तुझे ढांपे रहंू गा; 23 फर मE अपना हाथ उठा लूग ं ा, तब तू मेर: पीठ का तो दशOन पाएगा, पर(तु मेरे मुख का दशOन नह:ं िमलेगा।। िनगOमन 34 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, पहली त'‡तयHके समान पयर क दो और

त'‡तयां गढ़ ले; तब जो वचन उन पहली त'‡तयHपर िलखे थे, 'ज(ह तू ने तोड़ डाला, वे ह: वचन मE उन त'‡तयHपर भी िलखूंगा। 2 और बहान को तैयार रहना, और भोर को सीनै पवOत पर चढ़कर उसक चोट: पर मेरे साSहने खड़ा होना। 3 और ते रे संग कोई न चढ़ पाए, वरन पवOत भर पर कोई मनुंय कह:ं दखाई न दे ; और न भेड़-बकर: और गाय-बैल भी पवOत के आगे चरते पाएं। 4 तब मूसा ने पहली त'‡तयHके समान दो और त'‡तयां गढ़:; और बहान को सवे रे उठकर अपके हाथ म पयर क वे दोनHत'‡तयां लेकर यहोवा क आWा के अनुसार पवOत पर चढ़ गया। 5 तब यहोवा ने बादल म उतरके उसके संग वहां खड़ा होकर यहोवा नाम का ूचार कया। 6 और यहोवा उसके साSहने होकर यHूचार करता हुआ चला, क यहोवा, यहोवा, ई र दयालु और अनुमहकार:, कोप करने म

धीरजव(त, और अित कRणामय और सय, 7 हजारHपीढय़Hतब िनर(तर कRणा करनेवाला, अधमO और अपराध और पाप का झमा करनेवाला है , पर(तु दोषी को वह कसी ूकार िनदzष न ठहराएगा, वह पतरHके अधमO का द+ड उनके बे टHवरन पोतHऔर परपोतHको भी दे नेवाला है । 8 तब मूसा ने फुतh कर पृवी क ओर फुककर द+डवत ् क। 9 और उस ने कहा, हे ूभु, यद तेरे अनुमह क l मुझ पर हो तो ूभु, हम लोगHके बीच म होकर चले, थे लोग हठqले तो हE , तौभी हमारे अधमO और पाप को झमा कर, और हम अपना िनज भाग मानके महण कर। 10 उस ने कहा, सुन, मE एक वाचा बा(धता हूं। तेरे सब लोगHके साSहने मE ऐसे आ_यO कमO कRंगा जैसा पृवी पर और सब जाितयHम कभी नह:ं हुए; और वे सारे लोग 'जनके बीच तू रहता है यहोवा के कायO को दे ख गे; यHक जो मE तुम लोगHसे करने पर हंू वह भय योbय काम है । 11 जो आWा मE आज तुSह दे ता हंू

उसे तुम लोग मानना। दे खो, मE तुSहारे आगे से एमोर:, कनानी, ही, पgरGजी, हcबी, और यबूसी लोगHको िनकालता हूं। 12 इसिलथे सावधान रहना क 'जस दे श म तू जानेवाला है उसके िनवािस कH वाचा न बा(धना; कह:ं ऐसा न हो क वह तेरे िलथे फंदा ठहरे । 13 वरन उनक वेदयHको िगरा दे ना, उनक लाठHको तोड़ डालना, और उनक अशेरा नाम मूितयJको काट डालना; 14 यHक तुSह

कसी दस ू रे को ई र करके द+डवत ् करने क आWा नह:ं, यHक यहोवा 'जसका नाम जलनशील है , वह जल उठनेवाला ई र है ह:, 15 ऐसा न हो क तू उस दे श के िनवािस कH वाचा बा(धे, और वे अपके दे वताओं के पीछे होने का eयिभचार कर , और उनके िलथे बिलदान भी कर , और कोई तुझे नेवता दे और तू भी उसके बिलपशु का ूसाद खाए, 16 और तू उनक बेटयHको अपके बेटHके िलथे लावे, और उनक बेटयां जो आप अपके दे वताओं के पीछे होने का eयिभचार करती है तेरे बेटHसे भी अपके दे वताओं के पीछे होने को eयिभचार करवाएं। 17 तुम दे वताओं क मूयां ढालकर न बना लेना। 18 अखमीर: रोट: का पcबO मानना। उस म मेर: आWा के अनुसार आबीब मह:ने के िनयत समय पर सात दन तक अखमीर: रोट: खाया करना; यHक तू िमॐ से आबीब मह:ने म िनकल आया। 19 हर एक पहलौठा मेरा है ; और या बछड़ा, या मेSना, तेरे पशुओं म से जो नर पहलौठे हHवे सब मेरे ह: हE । 20 और गदह: के पहलौठे क स(ती मेSना दे कर उसको छुड़ाना, यद तू उसे छुड़ाना न चाहे तो उसक गदO न तोड़ दे ना। पर(तु अपके सब पहलौठे बेटHको बदला दे कर छुड़ाना। मुझे कोई छूछे हाथ अपना मुह ं न दखाए। 21 छ: दन तो पgरnम करना, पर(तु सातव दन वौम करना; वरन हल जोतने और लवने के समय म भी वौम करना। 22 और तू

अठवारHका पcबO मानना जो पहले लवे हुए गेहंू का पcबO कहलाता है , और वषO के अ(त म बटोरन का भी पcबO मानना। 23 वषO म तीन बार ते रे सब पुRष इ\ाएल के परमे र ूभु यहोवा को अपके मुह ं दखाएं। 24 मE तो अ(यजाितयHको तेरे आगे से िनकालकर तेरे िसवानHको बढ़ाऊंगा; और जब तू अपके परमे र यहोवा को अपना मुह ं दखाने के िलथे वषO म तीन बार आया करे , तब कोई ते र: भूिम का लालच न करे गा। 25 मेरे बिलदान के लोहू को खमीर सहत न चढ़ाना, और न फसह के पcबO के बिलदान म से कुछ बहान तक रहने दे ना। 26 अप क भूिम क पहली उपज का पहला भाग अपके परमे र यहोवा के भवन म ले आना। बकर: के ब.चे को उसक मां के दध ू म ने िसफाना। 27 और यहोवा ने मूसा से कहा, थे वचन िलख ले; यHक इ(ह:ं वचनHके अनुसार मE तेरे और इ\ाएल के साय वाचा बा(धता हंू । 28 मूसा तो वहां यहोवा के संग चालीस दन और रात रहा; और तब तक न तो उस ने रोट: खाई और न पानी पया। और उस ने उन त'‡तयHपर वाचा के वचन अयाOत ् दस आWाएं िलख द:ं।। 29 जब मूसा साझी क दोनHत'‡तयां हाथ म िलथे हुए सीनै पवOत से उतरा आता या तब यहोवा के साय बात करने के कारण उसके चेहरे से करण िनकल रह: यी।, पर(तु वह यह नह:ं जानता या क उसके चेहरे से करण िनकल रह: हE । 30 जब हाRन और सब इ\ाएिलयHने मूसा को दे खा क उसके चेहरे से करण िनकलती हE , तब वे उसके पास जाने से डर गए। 31 तब मूसा ने उनको बुलाया; और हाRन म+डली के सारे ूधानHसमेत उसके पास आया, और मूसा उन से बात करने लगा। 32 इसके बाद सब इ\ाएली पास आए, और 'जतनी आWाएं यहोवा ने सीनै पवOत पर उसके साय बात करने के समय द: यीं, वे सब उस ने उ(ह बताL। 33 जब तक मूसा उन

से बात न कर चुका तब तक अपके मुह ं पर ओढ़ना डाले रहा। 34 और जब जब मूसा भीतर यहोवा से बात करने को उसके साSहने जाता तब तब वह उस ओढ़नी को िनकलते समय तक उतारे हुए रहता या; फर बाहर आकर जो जो आWा उसे िमलती उ(ह इ\ाएिलयHसे कह दे ता या। 35 सो इ\ाएली मूसा का चेहरा दे खते थे क उस से करण िनकलती हE ; और जब तक वह यहोवा से बात करने को भीतर न जाता तब तक वह उस ओढ़नी को डाले रहता या।। िनगOमन 35 1 मूसा ने इ\ाएिलयHक सार: म+डली इक=ठq करके उन से कहा, 'जन कामHके करने क आWा यहोवा ने द: है वे थे हE । 2 छ: दन तो काम काज कया जाए, पर(तु सातवां दन तुSहारे िलथे पवऽ और यहोवा के िलथे परमवौम का दन ठहरे ; उस म जो कोई काम काज करे वह मार डाला जाए; 3 वरन वौम के दन तुम अपके अपके घरHम आग तक न जलाना।। 4 फर मूसा ने इ\ाएिलयHक सार: म+डली से कहा, 'जस बात क आWा यहोवा ने द: है वह यह है । 5 तुSहारे पास से यहोवा के िलथे भ ट ली जाए, अयाOत ् 'जतने अप क इ.छा से दे ना चाह

वे यहोवा क भ ट करके थे वःतुएं ले आएं; अयाOत ् सोना, Rपा, पीतल; 6 नीले, बEजनी और लाल रं ग का कपड़ा, सूˆम सनी का कपड़ा; बकर: का बाल, 7 लाल रं ग से रं गी हुई मेढ़Hक खाल , सुइसHक खाल ; बबूल क लकड़:, 8 उ'जयाला दे ने के िलथे तेल, अिभषेक का ते ल, और धूप के िलथे सुग(धिeय, 9 फर एपोद और चपरास के िलथे सुलम ै ानी म'ण और जड़ने के िलथे म'ण। 10 और तुम म से 'जतनHके ॑ृदय म बुa का ूकाश है वे सब आकर 'जस 'जस वःतु क आWा

यहोवा ने द: है वे सब बनाएं। 11 अयाOत ् तSबू, और ओहार समेत िनवास, और उसक घुड ं :, त‡ते, ब ड़े, खSभे और कुिसया{; 12 फर ड+डHसमेत स(दक ू , और ूाय'_ का ढकना, और बीचवाला पदाO; 13 ड+डHऔर सब सामान समेत मेज़, और भ ट क रोटयां; 14 सामान और द:पकHसमेत उ'जयाला दे नेवाला द:वट, और उ'जयाला दे ने के िलथे तेल; 15 ड+डHसमेत धूपकेद:, अिभषेक का ते ल, सुग'(धत धूप, और िनवास के kार का पदाO; 16 पीतल क फंफर:, ड+डHआद सारे सामान समेत होमवेद:, पाए समेत होद:; 17 खSभHऔर उनक कुिसयJसमेत आंगन के पद , और आंगन के kार के पद ; 18 िनवास और आंगन दोनHके खूंटे, और डोgरयां; 19 पवऽःयान म सेवा टहल करने के िलथे काढ़े हुए व\, और याजक का काम करने के िलथे हाRन याजक के पवऽ व\, और उसके पुऽHके व\ भी।। 20 तब इ\ाएिलयHक सार: म+डली मूसा के साSहने से लौट गई। 21 और 'जतनHको उसाह हुआ, और 'जतनHके मन म ऐसी इ.छा उप(न हुई यी, वे िमलापवाले तSबू के काम करने और उसक सार: सेवकाई और पवऽ वHके बनाने के िलथे यहोवा क भ ट ले आने लगे । 22 या \ी, या पुRष, 'जतनHके मन म ऐसी इ.छा उप(न हुई भी वे सब जुगनू, नयुनी, मुद ं र:, और कंगन आद सोने के गहने ले आने लगे, इस भं◌ाित 'जतने मनुंय यहोवा के िलथे सोने क भ ट के दे नेवाले थे वे सब उनको ले आए। 23 और 'जस 'जस पुRष के पास नीले, बEजनी वा लाल रं ग का कपड़ा वा सूˆम सनी का कपड़ा, वा बकर: का बाल, वा लाल रं ग से रं गी हुई मेढ़Hक खाल , वा सूइसHक खाल यी वे उ(ह ले आए। 24 फर 'जतने चांद:, वा पीतल क भ ट के दे नेवाले थे वे यहोवा के िलथे वैसी भ ट ले आए; और 'जस 'जसके पास सेवकाई के कसी काम के िलथे बबूल

क लकड़: यी वे उसे ले आए। 25 और 'जतनी '\यHके ॑ृदय म बुa का ूकाश या वे अपके हाथHसे सूत कात कातकर नीले, बEजनी और लाल रं ग के, और सूˆम सनी के काते हुए सूत को ले आई। 26 और 'जतनी '\यHके मन म ऐसी बुa का ूकाश या उ(हो ने बकर: के बाल भी काते। 27 और ूधान लोग एपोद और चपरास के िलथे सुलम ै ानी म'ण, और जड़ने के िलथे म'ण, 28 और उ'जयाला दे ने और अिभषेक और धूप के सुग(धिeय और ते ल ले आथे। 29 'जस 'जस वःतु के बनाने क आWा यहोवा ने मूसा के kारा द: यी उसके िलथे जो कुछ आवँयक या, उसे वे सब पुRष और '\यां ले आई, 'जनके ॑ृदय म ऐसी इ.छा उप(न हुई यी। इस ूकार इ\ाएली यहोवा के िलथे अप क ह: इ.छा से भ ट ले आए।। 30 तब मूसा ने इ\ाएिलयHसे कहा सुनो, यहोवा ने यहूदा के गोऽवाले बसलेल को, जो ऊर: का पुऽ और हूर का पोता है , नाम लेकर बुलाया है । 31 और उस ने उसको परमे र के आमा से ऐसा पgरपूणO कया हे क सब ूकार क बनावट के िलथे उसको ऐसी बुa, समझ, और Wान िमला है , 32 क वह कार:गर: क युfयां िनकालकर सोने, चांद:, और पीतल म , 33 और जड़ने के िलथे म'ण काटने म और लकड़: के खोदने म , वरन बुa से सब भांित क िनकाली हुई बनावट म काम कर सके। 34 फर यहोवा ने उसके मन म और दान के गोऽवाले अह:सामाक के पुऽ ओहोलीआब के मन म भी िशझा दे ने क शf द: है । 35 इन दोनHके ॑ृदय को यहोवा ने ऐसी बुa से पgरपूणO कया है , क वे खोदने और गढ़ने और नीले, बैजनी और लाल रं ग के कपके, और सूˆम सनी के कपके म काढ़ने और बुनने, वरन सब ूकार क बनावट म , और बुa से काम िनकालने म सब भांित के काम कर ।।

िनगOमन 36 1 और बसलेल और ओहोलीआब और सब बुaमान 'जनको यहोवा ने ऐसी बुa और समझ द: हो, क वे यहोवा क सार: आWाओं के अनुसार पवऽःयान क सेवकाई के िलथे सब ूकार का काम करना जान , वे सब यह काम कर ।। 2 तब मूसा ने बसलेल और ओहोलीआब और सब बुaमानHको 'जनके ॑ृदय म यहोवा ने बुa का ूकाश दया या, अयाOत ् 'जस 'जसको पास आकर काम करने का उसाह हुआ या उन सभHको बुलवाया। 3 और इ\ाएली जो जो भ ट पवऽःयान क सेवकाई के काम और उसके बनाने के िलथे ले आए थे, उ(ह उन पुRषHने मूसा के हाथ से ले िलया। तब भी लोग ूित भोर को उसके पास भ ट अप क इ.छा से लाते रह ; 4 और 'जतने बुaमान पवऽःयान का काम करते थे वे सब अपना अपना काम छोड़कर मूसा के पास आए, 5 और कहने लगे, 'जस काम के करने क आWा यहोवा ने द: है उसके िलथे 'जतना चाहथे उससे अिधक वे ले आए हE । 6 तब मूसा ने सार: छावनी म इस आWा का ूचार करवाया, क या पुRष, या \ी, कोई पवऽःयान के िलथे और भ ट न लाए, इस ूकार लोग और भ ट लाने से रोके गए। 7 यHक सब काम बनाने के िलथे 'जतना सामान आवँयक या उतना वरन उससे अिधक बनाने वालHके पास आ चुका या।। 8 और काम करनेवाले 'जतने बुaमान थे उ(हHने िनवास के िलथे बट: हुई सूˆम सनी के कपके के, और नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके के दस पटHको काढ़े हुए कRबHसहत बनाया। 9 एक एक पट क लSबाई अ=ठाईस हाथ और चौड़ाई चार हाथ क हुई; सब पट एक ह: नाप के बने। 10 उस ने पांच पट एक दस ू रे से जोड़ दए, और फर दस ू रे पांच पट भी एक दस ू रे से जोड़ दए। 11 और जहां थे पट जोड़े गए वहां क

दोनHछोरHपर उस ने पीली नीली फिलयां लगाL। 12 उस ने दोनHछोरHम पचास पचास फिलयां इस ूकार लगाई क वे आSहने-साSहने हुई। 13 और उस ने सोने क पचास घुं डयां बनाई, और उनके kारा पटHको एक दस ू रे से ऐसा जोड़ा क िनवास िमलकर एक हो गया। 14 फर िनवास के ऊपर के तSबू के िलथे उस ने बकर: के बाल के bयारह पट बनाए। 15 एक एक पट क लSबाई तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ क हुई; और bयारहHपट एक ह: नाप के थे। 16 इन म से उस ने पांच पट अलग और छ: पट अलग जोड़ दए। 17 और जहां दोनHजोड़े गए वहां क छोरHम उस ने पचास पचास फिलयां लगाL। 18 और उस ने तSबू के जोड़ने के िलथे पीतल क पचास घुं डयां भी बनाई 'जस से वह एक हो जाए। 19 और उस ने तSबू के िलथे लाल रं ग से रं गी हुई म ढ़Hक खालHका एक ओढ़ना और उसके ऊपर के िलथे सूइसHक खालHका भी एक ओढ़ना बनाया। 20 फर उस ने िनवास के िलथे बबूल क लकड़: के त‡तHको खड़े रहने के िलथे बनाया। 21 एक एक त‡ते क लSबाई दस हाथ और चौड़ाई डे ढ़ हाथ क हुई। 22 एक एक त‡ते म एक दस ू र: से जोड़: हुई दो दो चूल बनीं, िनवास के सब त‡तHके िलथ उस ने इसी भं◌ाित बनाL। 23 और उस ने िनवास के िलथे त‡तHको इस र:ित से बनाया, क द' खन क ओर बीस त‡ते लगे। 24 और इन बीसHत‡तHके नीचे चांद: क चालीस कुिसया{, अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे उसक दो चूलHके िलथे उस ने दो कुिसया{ बनाL। 25 और िनवास क दस ू र: अलंग, अयाOत ् उर क ओर के िलथे भी उस ने बीस त‡ते बनाए। 26 और इनके िलथे भी उस ने चांद: क चालीस कुिसया{, अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे दो दो कुिसया{ बनाL। 27 और िनवास क पछली अलंग, अयाOत ् प'_म ओर के िलथे उस ने छ: त‡ते बनाए। 28 और

पछली अलंग म िनवास के कोनHके िलथे उस ने दो त‡ते बनाए। 29 और वे नीचे से दो दो भाग के बने, और दोनHभाग ऊपर से िस के तक उन दोनHत‡तHका ढब ऐसा ह: बनाया। 30 इस ूकार आठ त‡ते हुए, और उनक चांद: क सोलह कुिसया{ हुL, अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे दो दो कुिसया{ हुL। 31 फर उस ने बबूल क लकड़: के ब ड़े बनाए, अयाOत ् िनवास क एक अलंग के त‡तHके िलथे पांच ब ड़े, 32 और िनवास क दस ू र: अलंग के त‡तHके िलथे पांच ब ड़े, और िनवास क जो अलंग प'_म ओर पछले भाग म यी उसके िलथे भी पांच ब ड़े, बनाए। 33 और उस ने बीचवाले ब ड़े को त‡तHके म~य म तSबू के एक िस के से दस ू रे िस के तक पहंु चने के िलथे बनाया। 34 और त‡तHको उस ने सोने से मढ़ा, और ब ड़Hके घर को काम दे नेवाले कड़Hको सोने के बनाया, और ब ड़Hको भी सोने से मढ़ा।। 35 फर उस ने नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का, और बट: हुई सूˆम सनीवाले कपके का बीचवाला पदाO बनाया; वह कढ़ाई के काम कथे हुए कRबHके साय बना। 36 और उस ने उसके िलथे बबूल के चार खSभे बनाए, और उनको सोने से मढ़ा; उनक घुं डयां सोने क बनी, और उस ने उनके िलथे चांद: क चार कुिसया{ ढालीं। 37 और उस ने तSबू के kार के िलथे नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का, और बट: हुई सूˆम सनी के कपके का कढ़ाई का काम कया हुआ पदाO बनाया। 38 और उस ने घुं डयHसमेत उसके पांच खSभे भी बनाए, और उनके िसरHऔर जोड़ने क छड़Hको सोने से मढ़ा, और उनक पांच कुिसया{ पीतल क बनाL।। िनगOमन 37

1 फर बसलेल ने बबूल क लकड़: का स(दक ू बनाया; उसक लSबाई अढ़ाई हाथ, चौड़ाई डे ढ़ हाथ, और ऊंचाई डे ढ़ हाथ क यी। 2 और उस ने उसको भीतर बाहर चोखे सोने से मढ़ा, और उसके चारHओर सोने क बाड़ बनाई। 3 और उसके चारHपायHपर लगाने को उस ने सोने के चार कड़े ढ़ाले, दो कड़े एक अलंग और दो कड़े दस ू र: अलंग पर लगे। 4 फर उस ने बबूल के ड+डे बनाए, और उ(ह सोने से मढ़ा, 5 और उनको स(दक ू क दोनो अलंगHके कड़Hम डाला क उनके बल स(दक ू उठाया जाए। 6 फर उस ने चोखे सोने के ूाय'_वाले ढकने को बनाया; उसक लSबाई अढ़ाई हाथ और चौड़ाई डे ढ़ हाथ क यी। 7 और उस ने सोना गढ़कर दो कRब ूाय'_ के ढकने के दानHिसरHपर बनाए; 8 एक कRब तो एक िस के पर, और दस ू रा कRब दस ू रे िस के पर बना; उस ने उनको ूाय'_ के ढकने के साय एक ह: टु कड़े के दोनHिसरHपर बनाया। 9 और कRबHके पंख ऊपर से फैले हुए बने, और उन पंखHसे ूाय'_ का ढकना ढपा हुआ बना, और उनके मुख आSहनेसाSहने और ूाय'_ के ढकने क ओर कए हुए बने।। 10 फर उस ने बबूल क लकड़: क मेज़ को बनाया; उसक लSबाई दो हाथ, चौड़ाई एक हाथ, और ऊंचाई डे ढ़ हाथ क यी; 11 और उस ने उसको चोखे सोने से मढ़ा, और उस म चारHओर सोने क एक बाड़ बनाई। 12 और उस ने उसके िलथे चार अंगुल चौड़: एक पटर:, और इस पटर: के िलथे चारHओर सोने क एक बाड़ बनाई। 13 और उस ने मेज़ के िलथे सोने के चार कड़े ढालकर उन चारHकोनHम लगाया, जो उसके चारHपायHपर थे। 14 वे कड़े पटर: के पास मेज़ उठाने के ड+डHके खानHका काम दे ने को बने। 15 और उस ने मेज़ उठाने के िलथे ड+डHको बबूल क लकड़: के बनाया, और सोने से मढ़ा। 16 और उस ने मेज़ पर का सामान अयाOत ् परात, धूपदान, कटोरे , और

उं डे लने के बतOन सब चोखे सोने के बनाए।। 17 फर उस ने चोखा सोना गढ़के पाए और ड+ड: समेत द:वट को बनाया; उसके पुंपकोष, गांठ, और फूल सब एक ह: टु कड़े के बने। 18 और द:वट से िनकली हुई छ: डािलयां बनीं; तीन डािलयां तो उसक एक अलंग से और तीन डािलयां उसक दस ू र: अलंग से िनकली हुई बनीं। 19 एक एक डाली म बादाम के फूल के सर:खे तीन तीन पुंपकोष, एक एक गांठ, और एक एक फूल बना; द:वट से िनकली हुई, उन छहHडािलयHका यह: ढब हुआ। 20 और द:वट क ड+ड: म बादाम के फूल के सामान अप क अप क गांठ और फूल समेत चार पुंपकोष बने। 21 और द:वट से िनकली हुई छहHडािलयHम से दो दो डािलयHके नीचे एक एक गांठ द:वट के साय एक ह: टु कड़े क बनी। 22 गांठे और डािलयां सब द:वट के साय एक ह: टु कड़े क बनीं; सारा द:वट गढ़े हुए चोखे सोने का और एक ह: टु कड़े का बना। 23 और उस ने द:वट के सातHद:पक, और गुलतराश, और गुलदान, चोखे सोने के बनाए। 24 उस ने सारे सामान समेत द:वट को क कार भर सोने का बनाया।। 25 फर उस ने बबूल क लकड़: क धूपकेद: भी बनाई; उसक लSबाई एक हाथ और चौड़ाई एक हाथ ह: यी; वह चौकोर बनी, और उसक ऊंचाई एक हाथ क यी; वह चौकोर बनी, और उसक ऊंचाई दो हाथ क यी; और उसके सींग उसके साय बना जोड़ के बने थे 26 और ऊपरवाले प`लH, और चारHओर क अलंगH, और सींगो समेत उस ने उस वेद: को चोखे सोने से मढ़ा; और उसक चारHओर सोने क एक बाड़ बनाई, 27 और उस बाड़ के नीचे उसके दोनHप`लHपर उस ने सोने के दो कड़े बनाए, जो उसके उठाने के ड+डHके खानHका काम द । 28 और ड+डHको उस ने बबूल क लकड़: का बनाया, और सोने से मढ़ा। 29 और उस ने अिभषे क का पवऽ ते ल, और सुग(धिeय का

धूप, ग(धी क र:ित के अनुसार बनाया।। िनगOमन 38 1 फर उस ने बबूल क लकड़: क होमबिल भी बनाई; उसक लSबाई पांच हाथ और चौड़ाई पांच हाथ क यी; इस ूकार से वह चौकोर बनी, और ऊंचाई तीन हाथ क यी। 2 और उस ने उसके चारHकोनHपर उसके चार सींग बनाए, वे उसके साय बना जोड़ के बने; और उस ने उसको पीतल से मढ़ा। 3 और उस ने वेद: का सारा सामान, अयाOत ् उसक हांडय़H, फावडय़H, कटोरH, कांटH, और करछHको बनाया। उसका सारा सामान उस ने पीतल का बनाया। 4 और वेद: के िलथे उसके चारHओर क कंगनी के तले उस ने पीतल क जाली क एक फंफर: बनाई, वह नीचे से वे द: क ऊंचाई के म~य तक पहुंची। 5 और उस ने पीतल क फंफर: के चारHकोनHके िलथे चार कड़े ढाले, जो ड+डHके खानHका काम द । 6 फर उस ने ड+डHको बबूल क लकड़: का बनाया, और पीतल से मढ़ा। 7 तब उस ने ड+डHको वे द: क अलंगHके कड़Hम वे द: के उठाने के िलथे डाल दया। वेद: को उस ने त‡तHसे खोखली बनाया।। 8 और उसे ने हौद: और उसका पाया दोनHपीतल के बनाए, यह िमलापवाले तSबू के kार पर सेवा करनेवाली महलाओं के दपOणHके िलथे पीतल के बनाए गए।। 9 फर उस ने आंगन बनाया; और द' खन अलंग के िलथे आंगन के पद बट: हुई सूˆम सनी के कपके के थे, और सब िमलाकर सौ हाथ लSबे थे; 10 उनके िलथे बीस खSभे, और इनक पीतल क बीस कुिसया{ बनी; और खSभHक घुं डयां और जोड़ने क छड़ चांद: क बनीं। 11 और उर अलग के िलथे बीस खSभे, और इनक पीतल क बीस ह: कुिसया{ बनीं, और

खSभHक घुं डयां और जोड़ने क छड़ चांद: क बनी। 12 और प'_म अलंग के िलथे सब पद िमलाकर पचास हाथ के थे; उनके िलथे दस खSभे, और दस ह: उनक कुिसया{ यीं, और खSभHक घं◌ुडयां और जोड़ने क छड़ चांद: क यीं। 13 और पूरब अलंग म भी वह पचास हाथ के थे। 14 आंगन के kार के एक ओर के िलथे पंिह हाथ के पद बने; और उनके िलथे तीन खSभे और तीन कुिसया{ यी। 15 और आंगन के kार क दस ू र: ओर भी वैसा ह: बना या; और आंगन के दरवाजे के इधर और उधर पंिह पंिह हाथ के पद बने थे; और उनके िलथे तीन ह:◌े खSभे, और तीन ह: तीन इनक कुिसया{ भी यीं। 16 आंगन क चारHओर सब पद सूˆम बट: हुई सनी के कपके के बने हुए थे। 17 और खSभHक कुिसया{ पीतल क, और घुं डयां और छड़े चांद: क बनी, और उनके िस के चांद: से मढ़े गए, और आंगन के सब खSभे चांद: के छड़Hसे जोड़े गए थे। 18 आंगन के kार के पद पर बे ल बूटे का काम कया हुआ या, और वह नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का; और सूˆम बट: हुई सनी के कपके के बने थे; और उसक लSबाई बीस हाथ क यी, और उसक ऊंचाई आंगन क कनात क चौड़ाई के सामान पांच हाथ क बनी। 19 और उनके िलथे चार खSभे, और खSभHक चार ह: कुिसया{ पीतल क बनीं, उनक घुं डयां चांद: क बनीं, और उनके िस के चांद: से मढ़े गए, और उनक छड़ चांद: क बनीं। 20 और िनवास और आंगन क चारHओर के सब खूंटे पीतल के बने थे।। 21 साझीपऽ के िनवास का सामान जो लेवयHक सेवकाई के िलथे बना; और 'जसक िगनती हाRन याजक के पुऽ ईतामार के kारा मूसा के कहने से हुई यी, उसका वणOन यह है । 22 'जस 'जस वःतु के बनाने क आWा यहोवा ने मूसा को द: यी उसको यहूदा के गोऽवाले बसलेल ने, जो हूर का पोता

और ऊर: का पुऽ या, बना दया। 23 और उसके संग दान के गोऽवाले, अह:सामाक के पुऽ, ओहोलीआब या, जो खोदने और काढ़नेवाला और नीले, बEजनी और लाल रं ग के और सूˆम सनी के कपके म कारचोब करनेवाला िनपुण कार:गर या।। 24 पवऽःयान के सारे काम म जो भ ट का सोना लगा वह उनतीस क कार, और पवऽःयान के शेकेल के हसाब से सात सौ तीन शेकेल या। 25 और म+डली के िगने हुए लोगHक भ ट क चांद: सौ क कार, और पवऽःयान के शेकेल के हसाब से सरह सौ पचहर शेकेल यी। 26 अयाOत ् 'जतने बीस बरस के और उससे अिधक अवःया के िगने गए थे, वे छ: लाख तीन हज़ार साढ़े पांच सौ पुRष थे, और एक एक जन क ओर से पवऽःयान के शेकेल के अनुसार आधा शेकेल, जो एक बेका होता है िमला। 27 और वह सौ क कार चांद: पवऽःयान और बीचवाले पद दोनHक कुिसयJके ढालने म लग गई; सौ क कार से सौ कुिसया{ बनीं, एक एक कुसh एक क कार क बनी। 28 और सरह सौ पचहर शेकेल जो बच गए उन से खSभHक चोटयां मढ़: गL, और उनक छड़

भी बनाई गई। 29 और भ ट का पीतल सर क कार और दो हज़ार चार सौ शेकेल या; 30 उससे िमलापवाले तSबू के kार क कुिसया{, और पीतल क वेद:, पीतल क फंफर:, और वे द: का सारा सामान; 31 और आंगन के चारHओर क कुिसया{, और आंगन क चारHओर के खूंटे भी बनाए गए।। िनगOमन 39 1 फर उ(हHने नीले, बEजनी और लाल रं ग के काढ़े हुए कपके पवऽ ःयान क सेवकाई के िलथे, और हाRन के िलथे भी पवऽ व\ बनाए; 'जस ूकार यहोवा ने

मूसा को आWा द: यी।। 2 और उस ने एपोद को सोने, और नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का और सूˆम बट: हुई सनी के कपके का बनाया। 3 और उ(हHने सोना पीट-पीटकर उसके पर बनाए, फर परHको काट-काटकर तार बनाए, और तारHको नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके म , और सूˆम सनी के कपके म कढ़ाई क बनावट से िमला दया। 4 एपोद के जोड़ने को उ(हHने उसके क(धHपर के ब(धन बनाए, वह तो अपके दोनHिस कH जोड़ा गया। 5 और उसके कसने के िलथे जो काढ़ा हुआ पटु का उस पर बना, वह उसके साय बना जोड़ का, और उसी क बनावट के अनुसार, अयाOत ् सोने और नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का, और सूˆम बट: हुई सनी के कपके का बना; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी।। 6 और उ(हHने सुलम ै ानी म'ण काटकर उनम इ\ाएल के पुऽHके नाम जैसा छापा खोदा जाता है वैसे ह: खोदे , और सोने के खानHम जड़ दए। 7 और उस ने उनको एपोद के क(धे के ब(धनHपर लगाया, 'जस से इ\ाएिलयHके िलथे ःमरण कराने वाले म'ण ठहर ; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी।। 8 और उस ने चपरास को एपोद क नाई सोने क, और नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके क, और सूˆम बट: हुई सनी के कपके म बे ल बूटे का काम कया हुआ बनाया। 9 चपरास तो चौकोर बनी; और उ(हो ने उसको दोहरा बनाया, और वह दोहरा होकर एक बा लSबा और एक बा चौड़ा बना। 10 और उ(हHने उस म चार पांित म'ण जड़े । पहली पांित म तो मा'ण य, प|क़राग, और लालड़: जडे गए; 11 और दस ू र: पांित म मरकत, नीलम'ण, और ह:रा, 12 और तीसर: पांित म लशम, सूयक O ा(त, और नीलम; 13 और चौयी पांित म फरोजा, सुलम ै ानी म'ण, और यशब जड़े ; थे सब अलग अलग सोने के खानHम

जड़े गए। 14 और थे म'ण इ\ाएल के पुऽHके नाम क िगनती के अनुसार बारह थे; बारहHगोऽHम से एक एक का नाम जैसा छापा खोदा जाता है वैसा ह: खोदा गया। 15 और उ(हHने चपरास पर डोgरयHक नाई गूंथे हुए चोखे सोने क जंजीर बनाकर लगाई; 16 फर उ(हHने सोने के दो खाने, और सोने क दो कडय़ां बनाकर दोनHकडय़Hको चपरास के दोनHिसरHपर लगाया; 17 तब उ(हHने सोने क दोनHगूंयी हुई जंजीरो को चपरास के िसरHपर क दोनHकडय़Hम लगाया। 18 और गूंयी हुई दोनHजंजीरHके दोनHबाक िस कH उ(हHने दोनHखानHम जड़के, एपोद के साSहने दोनHक(धHके ब(धनHपर लगाया। 19 और उ(हHने सोने क और दो कडय़ां बनाकर चपरास के दोनHिसरHपर उसक उस कोर पर, जो एपोद क भीतर: भाग म यी, लगाL। 20 और उ(हHने सोने क दो और कडय़ां भी बनाकर एपोद के दोनHक(धHके ब(धनHपर नीचे से उसके साSहने, और जोड़ के पास, एपोद के काढ़े हुए पटु के के ऊपर लगाL। 21 तब उ(हHने चपरास को उसक कडय़Hके kारा एपोद क कडय़Hम नीले फते से ऐसा बा(धा, क वह एपोद के काढ़े हुए पटु के के ऊपर रहे , और चपरास एपोद से अलग न होने पाए; जैसे यहोवा ने मूसा को आWा द: यी।। 22 फर एपोद का बागा सSपूणO नीले रं ग का बनाया गया। 23 और उसक बनावट ऐसी हुई क उसके बीच बखतर के छे द के समान एक छे द बना, और छे द के चारHओर एक कोर बनी, क वह फटने न पाए। 24 और उ(हHने उसके नीचेवाले घेरे म नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके के अनार बनाए। 25 और उ(हHने चोखे सोने क घंटयां भी बनाकर बागे के नीचे वाले घेरे के चारHओर अनारHके बीचHबीच लगाL; 26 अयाOत ् बागे के नीचेवाले घेरे क चारHओर एक सोने क घंट:, और एक अनार लगाया गया क उ(ह पहने हुए

सेवा टहल कर ; जैसे यहोवा ने मूसा को आWा द: यी।। 27 फर उ(हHने हाRन, और उसके पुऽHके िलथे बुनी हुई सूˆम सनी के कपके के अंगरखे, 28 और सूˆम सनी के कपके क पगड़:, और सूˆम सनी के कपके क सु(दर टोपयां, और सूˆम बट: हुई सनी के कपके क जांिघया, 29 और सूˆम बट: हुई सनी के कपके क और नीले, बEजनी और लाल रं ग क कारचोबी काम क हुई पगड़:; इन सभHको 'जस तरह यहोवा ने मूसा को आWा द: यी वैसा ह: बनाया।। 30 फर उ(हHने पवऽ मुकुट क पटर: चोखे सोने क बनाई; और जैसे छापे म वैसे ह: उस म थे अझर खोदे गए, अयाOत ् यहोवा के िलथे पवऽ। 31 और उ(हHने उस म नीला फता लगाया, 'जस से वह ऊपर पगड़: पर रहे , 'जस तरह यहोवा ने मूसा को आWा द: यी।। 32 इस ूकार िमलापवाले तSबू के िनवास का सब काम समाT हुआ, और 'जस 'जस काम क आWा यहोवा ने मूसा को द: यी, इ\ाएिलयHने उसी के अनुसार कया।। 33 तब वे िनवास को मूसा के पास ले आए, अयाOत ् घं◌ुडयां, त‡ते, ब ड़े, खSभे, कुिसया{ आद सारे सामान समेत तSबू; 34 और लाल रं ग से रं गी हुई मेढ़Hक खालHका ओढ़ना, और सूइसHक खालHका ओढ़ना, और बीच का पदाO; 35 ड+डHसहत साझीपऽ का स(दक ू , और ूाय'_ का ढकना; 36 सारे सामान समेत मेज़, और भ ट क रोट:; 37 सारे सामान सहत द:वट, और उसक सजावट के द:पक और उ'जयाला दे ने के िलथे तेल; 38 सोने क वेद:, और अिभषेक का तेल, और सुग'(धत धूप, और तSबू के kार का पदाO; 39 पीतल क फंफर:, ड+डH, और सारे सामान समेत पीतल क वे द:; और पाए समेत हौद:; 40 खSभH, और कुिसयJसमेत आंगन के पद , और आंगन के kार का पदाO, और डोgरयां, और खूंटे, और िमलापवाले तSबू के िनवास क सेवकाई का

सारा सामान; 41 पवऽःयान म सेवा टहल करने के िलथे बेल बूटा काढ़े हुए व\, और हाRन याजक के पवऽ व\, और उसके पुऽHके व\ 'ज(ह पहनकर उ(ह

याजक का काम करना या। 42 अयाOत ् जो जो आWा यहोवा ने मूसा को द: यीं उ(ह:ं के अनुसार इ\ाएिलयHने सब काम कया। 43 तब मूसा ने सारे काम का िनर:झण करके दे खा, क उ(हHने यहोवा क आWा के अनुसार सब कुछ कया है । और मूसा ने उनको आशीवाOद दया।। िनगOमन 40 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 पहले मह:ने के पहले दन को तू िमलापवाले तSबू के िनवास को खड़ा करा दे ना। 3 और उस म साझीपऽ के स(दक ू को रखकर बीचवाले पद क ओट म करा दे ना। 4 और मेज़ को भीतर ले जाकर जो कुछ उस पर सजाना है उसे सजवा दे ना; 5 और साझीपऽ के स(दक ू के साSहने सोने क वे द: को जो धूप के िलथे है उसे रखना, और िनवास के kार के पद को लगा दे ना। 6 और िमलापवाले तSबू के िनवास के kार के साSहने होमवेद: को रखना। 7 और िमलापवाले तSबू और वे द: के बीच होद: को रखके उस म जल भरना। 8 और चारHओर के आंगन क कनात को खड़ा करना, और उस आंगन के kार पर पद को लटका दे ना। 9 और अिभषेक का तेल लेकर िनवास को और जो कुछ उस म होगा सब कुछ का अिभषेक करना, और सारे सामान समेत उसको पवऽ करना; तब वह पवऽ ठहरे गा। 10 और सब सामान समेत होमवेद: का अिभषेक करके उसको पवऽ करना; तब वह परमपवऽ ठहरे गी। 11 और पाए समेत हौद: का भी अिभषेक करके उसे पवऽ करना। 12 और हाRन और उसके पुऽHको िमलापवाले

तSबू के kार पर ले जाकर जल से नहलाना, 13 और हाRन को पवऽ व\ पहनाना, और उसका अिभषेक करके उसको पवऽ करना, क वह मेरे िलथे याजक का काम करे । 14 और उसके पुऽHको ले जाकर अंगरखे पहनाना, 15 और जैसे तू उनके पता का अिभषेक करे वैसे ह: उनका भी अिभषेक करना, क वे मेरे िलथे याजक का काम कर ; और उनका अिभषे क उनक पीढ़: पीढ़: के िलथे उनके सदा के याजकपद का िच(ह ठहरे गा। 16 और मूसा ने जो जो आWा यहोवा ने उसको द: यी उसी के अनुसार कया।। 17 और दस ू रे बरस के पहले मह:ने के पहले दन को िनवास खड़ा कया गया। 18 और मूसा ने िनवास को खड़ा करवाया, और उसक कुिसया{ धर उसके त‡ते लगाके उन म ब ड़े डाले, और उसके खSभHको खड़ा कया; 19 और उस ने िनवास के ऊपर तSबू को फैलाया, और तSबू के ऊपर उस ने ओढ़ने को लगाया; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 20 और उस ने साझीपऽ को लेकर स(दक ू म रखा, और स(दक ू म ड+डHको लगाके उसके ऊपर ूाय'_ के ढकने को धर दया; 21 और उस ने स(दक ू को िनवास म पहुंचवाया, और बीचवाले पद को लटकवाके साझीपऽ के स(दक ू को उसके अ(दर कया; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 22 और उस ने िमलापवाले तSबू म िनवास क उर अलंग पर बीच के पद से बाहर मेज़ को लगवाया, 23 और उस पर उन ने यहोवा के सSमुख रोट: सजाकर रखी; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 24 और उस ने िमलापवाले तSबू म मेज़ के साSहने िनवास क द' खन अलंग पर द:वट को रखा, 25 और उस ने द:पकHको यहोवा के सSमुख जला दया; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 26 और उस ने िमलापवाले तSबू म बीच के पद के साSहने सोने क वेद: को

रखा, 27 और उस ने उस पर सुग'(धत धूप जलाया; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 28 और उस ने िनवास के kार पर पद को लगाया। 29 और िमलापवाले तSबू के िनवास के kार पर होमबिल और अ(नबिल को चढ़ाया; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 30 और उस ने िमलापवाले तSबू और वेद: के बीच हौद: को रखकर उस म धोने के िलथे जल डाला, 31 और मूसा और हाRन और उसके पुऽHने उस म अपके अपके हाथ पांव धोए; 32 और जब जब वे िमलापवाले तSबू म वा वेद: के पास जाते थे तब तब वे हाथ पांव धोते थे; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 33 और उस ने िनवास क चारHओर और वेद: के आसपास आंगन क कनात को खड़ा करवाया, और आंगन के kार के पद को लटका दया। इस ूकार मूसा ने सब काम को पूरा कर समाT कया।। 34 तब बादल िमलापवाले तSबू पर छा गया, और यहोवा का तेज िनवासःयान म

भर गया। 35 और बादल जो िमलापवाले तSबू पर ठहर गया, और यहोवा का तेज जो िनवासःयान म भर गया, इस कारण मूसा उस मे ूवेश न कर सका। 36 और इ\ाएिलयHक सार: याऽा म ऐसा होता या, क जब जब वह बादल िनवास के ऊपर उठ जाता तब तब वे कूच करते थे। 37 और यद वह न उठता, तो 'जस दन तक वह न उठता या उस दन तक वे कूच नह:ं करते थे। 38 इ\ाएल के घराने क सार: याऽा म दन को तो यहोवा का बादल िनवास पर, और रात को उसी बादल म आग उन सभHको दखाई दया करती यी।। लैeयवःथा 1 1 यहोवा ने िमलापवाले तSबू म से मूसा को बुलाकर उस से कहा, 2

इ\ाएिलयHसे कह, क तुम म से यद कोई मनुंय यहोवा के िलथे पशु का चढ़ावा चढ़ाए, तो उसका बिलपशु गाय-बैलHवा भेड़-बकgरयHम से एक का हो। 3 यद वह गाय बैलHम से होमबिल करे , तो िनदzष नर िमलापवाले तSबू के kार पर चढ़ाए, क यहोवा उसे महण करे । 4 और वह अपना हाथ होमबिलपशु के िसर पर रखे , और वह उनके िलथे ूाय'_ करने को महण कया जाएगा। 5 तब वह उस बछड़े को यहोवा के साSहने बिल करे ; और हाRन के पुऽ जो याजक हE वे लोहू को समीप ले जाकर उस वेद: क चारHअलंगHपर िछड़के जो िमलापवाले तSबू के kार पर है । 6 फर वह होमबिलपशु क खाल िनकालकर उस पशु को टु कड़े टु कड़े करे ; 7 तब हाRन याजक के पुऽ वे द: पर आग रख , और आग पर लकड़: सजाकर धर ; 8 और हाRन के पुऽ जो याजक हE वे िसर और चरबी समेत पशु के टु कड़Hको उस लकड़: पर जो वे द: क आग पर होगी सजाकर धर ; 9 और वह उसक अंतडय़Hऔर पैरHको जल से धोए। तब याजक सब को वे द: पर जलाए, क वह होमबिल यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(धवाला हवन ठहरे ।। 10 और यद वह भेड़Hवा बकरHका होमबिल चढ़ाए, तो िनदzष नर को चढ़ाए। 11 और वह उसको यहोवा के आगे वेद: क उरवाली अलंग पर बिल करे ; और हाRन के पुऽ जो याजक हE वे उसके लोहू को वेद: क चारHअलंगHपर िछड़क । 12 और वह उसको टु कड़े टु कड़े करे , और िसर और चरबी को अलग करे , और याजक इन सब को उस लकड़: पर सजाकर धरे जो वे द: क आग पर होगी; 13 और वह उसक अंतडय़Hऔर पैरHको जल से धोए। और याजक सब को समीप ले जाकर वेद: पर जलाए, क वह होमबिल और यहोवा के िलथे सुग(धदायक सुग(धवाला हवन ठहरे ।। 14 और यद वह यहोवा के िलथे प'झयHका होमबिल चढ़ाए, तो पंडुको वा

कबूतरHको चढ़ावा चढ़ाए। 15 याजक उसको वेद: के समीप ले जाकर उसका गला मरोड़ के िसर को धड़ से अलग करे , और वेद: पर जलाए; और उसका सारा लोहू उस वेद: क अलंग पर िगराया जाए; 16 और वह उसका ओफर मल सहत िनकालकर वेद: क पूरब क ओर से राख डालने के ःयान पर फ क दे ; 17 और वह उसको पंखHके बीच से फाड़े , पर अलग अलग न करे । तब याजक उसको वेद: पर उस लकड़: के ऊपर रखकर जो आग पर होगी जलाए, क वह होमबिल और यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(धवाला हवन ठहरे ।। लैeयवःथा 2 1 और जब कोई यहोवा के िलथे अ(नबिल का चढ़ावा चढ़ाना चाहे , तो वह मैदा चढ़ाए; और उस पर तेल डालकर उसके ऊपर लोबान रखे; 2 और वह उसको हाRन के पुऽHके पास जो याजक हE लाए। और अ(नबिल के तेल िमले हुए मैदे म

से इस तरह अप क मु=ठq भरकर िनकाले क सब लोबान उस म आ जाए; और याजक उ(ह ःमरण दलानेवाले भाग के िलथे वेद: पर जलाए, क यह यहोवा के िलथे सुखदायक सुग'(धत हवन ठहरे । 3 और अ(नबिल म से जो बचा रहे सो हाRन और उसके पुऽHका ठहरे ; यह यहोवा के हवनHम से परमपवऽ वःतु होगी।। 4 और जब तू अ(नबिल के िलथे त(दरू म पकाया हुआ चढ़ावा चढ़ाए, तो वह ते ल से सने हुए अखमीर: मैदे के फुलकH, वा तेल से चुप क हुई अखमीर: चपाितयHका हो। 5 और यद तेरा चढ़ावा तवे पर पकाया हुआ अ(नबिल हो, तो वह तेल से सने हुए अखमीर: मैदे का हो; 6 उसको टु कड़े टु कड़े करके उस पर ते ल डालना, तब वह अ(नबिल हो जाएगा। 7 और यद तेरा चढ़ावा कढ़ाह: म तला

हुआ अ(नबिल हो, तो वह मैदे से तेल म बनाया जाए। 8 और जो अ(नबिल इन वःतुओं म से कसी का बना हो उसे यहोवा के समीप ले जाना; और जब वह याजक के पास लाया जाए, तब याजक उसे वे द: के समीप ले जाए। 9 और याजक अ(नबिल म से ःमरण दलानेवाला भाग िनकालकर वेद: पर जलाए, क वह यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(धवाला हवन ठहरे ; 10 और अ(नबिल म से जो बचा रहे वह हाRन और उसके पुऽHका ठहरे ; वह यहोवा के हवनHम परमपवऽ वःतु होगी। 11 कोई अ(नबिल 'जसे तुम यहोवा के िलथे चढ़ाओ खमीर िमलाकर बनाया न जाए; तुम कभी हवन म यहोवा के िलथे खमीर और मधु न जलाना। 12 तुम इनको पहली उपज का चढ़ावा करके यहोवा के िलथे चढ़ाना, पर वे सुखदायक सुग(ध के िलथे वे द: पर चढ़ाए न जाएं। 13 फर अपके सब अ(नबिलयHको नमकन बनाना; और अपना कोई अ(नबिल अपके परमे र के साय ब(धी हुई वाचा के नमक से रहत होने न दे ना; अपके सब चढ़ावHके साय नमक भी चढ़ाना।। 14 और यद तू यहोवा के िलथे पहली उपज का अ(नबिल चढ़ाए, तो अप क पहली उपज के अ(नबिल के िलथे आग से फुलसाई हुई हर: हर: बाल , अयाOत ् हर: हर: बालHको मींजके िनकाल लेना, तब अ(न को चढ़ाना। 15 और उस म तेल डालना, और उसके ऊपर लोबान रखना; तब वह अ(नबिल हो जाएगा। 16 और याजक सींजकर िनकाले हुए अ(न को, और तेल को, और सारे लोबान को ःमरण दलानेवाला भाग करके जला दे ; वह यहोवा के िलथे हवन ठहरे ।। लैeयवःथा 3

1 और यद उसका चढ़ावा म लबिल का हो, और यद वह गाय-बैलHमे से कसी को चढ़ाए, तो चाहे वह पशु नर हो या मादा, पर जो िनदzष हो उसी को वह यहोवा के आगे चढ़ाए। 2 और वह अपना हाथ अपके चढ़ावे के पशु के िसर पर रखे और उसको िमलापवाले तSबू के kार पर बिल करे ; और हाRन के पुऽ जो याजक है वे उसके लोहू को वेद: क चारHअलंगHपर िछड़क । 3 और वह मेलबिल म से यहोवा के िलथे हवन करे , अयाOत ् 'जस चरबी से अंतडय़ां ढपी रहती हE , और जो चरबी उन म िलप क रहती है वह भी, 4 और दोनHगुद और उनके ऊपर क चरबी जो कमर के पास रहती है , और गुदJसमेत कलेजे के ऊपर क फ`ली, इन सभHको वह अलग करे । 5 और हाRन के पुऽ इनको वेद: पर उस होमबिल के ऊपर जलाएं, जो उन लकडय़Hपर होगी जो आग के ऊपर हE , क यह यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(धवाला हवन ठहरे ।। 6 और यद यहोवा के मेलबिल के िलथे उसका चढ़ावा भेड़-बकgरयHम से हो, तो चाहे वह नर हो या मादा, पर जो िनदzष हो उसी को वह चढ़ाए। 7 यद वह भेड़ का ब.चा चढ़ाता हो, तो उसको यहोवा के साSहने चढ़ाए, 8 और वह अपके चढ़ावे के पशु के िसर पर हाथ रखे और उसको िमलापवाले तSबू के आगे बिल करे ; और हाRन के पुऽ उसके लोहू को वेद: क चारHअलंगHपर िछड़क । 9 और मेलबिल म से चरबी को यहोवा के िलथे हवन करे , अयाOत ् उसक चरबी भर: मोट: पूंछ को वह र:ढ़ के पास से अलग करे , और जो चरबी उन म

िलप क रहती है , 10 और दोनHगुद, और जो चरबी उनके ऊपर कमर के पास रहती है , और गुदJसमेत कलेजे के ऊपर क फ`ली, इन सभHको वह अलग करे । 11 और याजक इ(ह वेद: पर जलाए; यह यहोवा के िलथे हवन Rपी भोजन ठहरे ।। 12 और यद वह बकरा वा बकर: चढ़ाए, तो उसे यहोवा के साSहने

चढ़ाए। 13 और वह अपना हाथ उसके िसर पर रखे , और उसको िमलापवाले तSबू के आगे बिल करे ; और हाRन के पुऽ उसके लोहू को वेद: क चारHअलंगHपर िछड़के। 14 और वह उस म से अपना चढ़ावा यहोवा के िलथे हवन करके चढ़ाए, अयाOत ् 'जस चरबी से अंतडय़ां ढपी रहती हE , और जो चरबी उन म िलप क रहती है वह भी, 15 और दोनHगुद और जो चरबी उनके ऊपर कमर के पास रहती है , और गुदJसमेत कलेजे के ऊपर क फ`ली, इन सभHको वह अलग करे । 16 और याजक इ(ह वेद: पर जलाए; यह तो हवन Rपी भोजन है जो सुखदायक सुग(ध के िलथे होता है ; यHक सार: चरबी यहोवा क हE । 17 यह तुSहारे िनवासHम तुSहार: पीढ़: पीढ़: के िलथे सदा क विध ठहरे गी क तुम चरबी और लोहू कभी न खाओ।। लैeयवःथा 4 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा 2 क इ\ाएिलयHसे यह कह, क यद कोई मनुंय उन कामHम से 'जनको यहोवा ने मना कया है कसी काम को भूल से करके पापी हो जाए; 3 और यद अिभषf याजक ऐसा पाप करे , 'जस से ूजा दोषी ठहरे , तो अपके पाप के कारण वह एक िनदzष बछड़ा यहोवा को पापबिल करके चढ़ाए। 4 और वह उस बछड़े को िमलापवाले तSबू के kार पर यहोवा के आगे ले जाकर उसके िसर पर हाथ रखे, और उस बछड़े को यहोवा के साSहने बिल करे । 5 और अिभषf याजक बछड़े के लोहू म से कुछ लेकर िमलापवाले तSबू म ले जाए; 6 और याजक अप क उं गली लोहू मे डु बो डु बोकर और उस म से कुछ लेकर पवऽःयान के बीचवाले पद के आगे यहोवा के साSहने सात बार िछड़के। 7 और

याजक उस लोहू म से कुछ और लेकर सुग'(धत धूप क वे द: के सींगो पर जो िमलापवाले तSबू म है यहोवा के साSहने लगाए; फर बछड़े के सब लोहू को वेद: के पाए पर जो िमलापवाले तSबू के kार पर है उं डे ल दे । 8 फर वह पापबिल के बछड़े क सब चरबी को उस से अलग करे , अयाOत ् 'जस चरबी से अंतडय़ां ढपी रहती हE , और 'जतनी चरबी उन म िलप क रहती है , 9 और दोनHगुद और उनके ऊपर क चरबी जो कमर के पास रहती है , और गुदJसमेत कलेजे के ऊपर क फ`ली, इन सभHको वह ऐसे अलग करे , 10 जैसे मेलबिलवाले चढ़ावे के बछड़े से अलग कए जाते हE , और याजक इनको होमबिल क वेद: पर जलाए। 11 और उस बछड़े क खाल, पांव, िसर, अंतडय़ां, गोबर, 12 और सारा मांस, िनदान समूचा बछड़ा छावनी से बाहर शुa ःयान म , जहां राख डाली जाएगी, ले जाकर लकड़: पर रखकर आग से जलाए; जहां राख डाली जाती है वह वह:ं जलाया जाए।। 13 और इन बातHम से कसी भी बात के वषय म जो कोई पाप करे , याजक उसका ूाय'_ करे , और तब वह पाप झमा कया जाएगा। और इस पापबिल का शेष अ(नबिल के शेष क नाई याजक का ठहरे गा।। 14 तो जब उनका कया हुआ पाप ूगट हो जाए तब म+डली एक बछड़े को पापबिल करके चढ़ाए। वह उसे िमलापवाले तSबू के आगे ले जाए, 15 और म+डली के वृa लोग अपके अपके हाथHको यहोवा के आगे बछड़े के िसर पर रख , और वह बछड़ा यहोवा के साSहने बिल कया जाए। 16 और अिभषf याजक बछड़े के लोहू म से कुछ िमलापवाले तSबू म ले जाए; 17 और याजक अप क उं गली लोहू म डु बो डु बोकर उसे बीचवाले पद के आगे सात बार यहोवा के साSहने िछड़के। 18 और उसी लोहू म से वेद: के सींगHपर जो यहोवा के आगे िमलापवाले तSबू म है लगाए;

और बचा हुआ सब लोहू होमबिल क वे द: के पाए पर जो िमलापवाले तSबू के kार पर है उं डे ल दे । 19 और वह बछड़े क कुल चरबी िनकालकर वेद: पर जलाए। 20 और जैसे पापबिल के बछड़े से कया या वैसे ह: इस से भी करे ; इस भांित याजक इ\ाएिलयHके िलथे ूाय'_ करे , तब उनका पाप झमा कया जाएगा। 21 और वह बछड़े को छावनी से बाहर ले जाकर उसी भांित जलाए जैसे पहले बछड़े को जलाया या; यह तो म+डली के िनिम पापबिल ठहरे गा।। 22 जब कोई ूधान पुRष पाप करके, अयाOत ् अपके परमे र यहोवा क कसी आWा के वRa भूल से कुछ करके दोषी हो जाए, 23 और उसका पाप उस पर ूगट हो जाए, तो वह एक िनदzष बकरा बिलदान करने के िलथे ले आए; 24 और बकरे के िसर पर अपना हाथ धरे , और बकरे को उस ःयान पर बिल करे जहां होमबिल पशु यहोवा के आगे बिल कथे जाते हE ; यह तो पापबिल ठहरे गा। 25 और याजक अप क उं गली से पापबिल पशु के लोहू म से कुछ लेकर होमबिल क वेद: के सींगHपर लगाए, और उसका लोहू होमबिल क वेद: के पाए पर उं डे ल दे । 26 और वह उसक कुल चरबी को मेलबिल क चरबी क नाई वेद: पर जलाए; और याजक उसके पाप के वषय म ूाय'_ करे , तब वह झमा कया जाएगा।। 27 और यद साधारण लोगHम से कोई अWानता से पाप करे , अयाOत ् कोई ऐसा काम 'जसे यहोवा ने माना कया हो करके दोषी हो, और उसका वह पाप उस पर ूगट हो जाए, 28 तो वह उस पाप के कारण एक िनदzष बकर: बिलदान के िलथे ले आए; 29 और वह अपना हाथ पापबिल पशु के िसर पर रखे , और होमबिल के ःयान पर पापबिल पशु का बिलदान करे । 30 और याजक उसके लोहू म से अप क उं गली से कुछ लेकर होमबिल क वेद: के सींगHपर लगाए, और उसके सब लोहू को उसी

वे द: के पाए पर उं डे ल दे । 31 और वह उसक सब चरबी को मेलबिलपशु क चरबी क नाL अलग करे , तब याजक उसको वेद: पर यहोवा के िनिम सुखदायक सुग(ध के िलथे जलाए; और इस ूकार याजक उसके िलथे ूाय'_ करे , तब उसे झमा िमलेगी।। 32 और यद वह पापबिल के िलथे एक भेड़: का ब.चा ले आए, तो वह िनदzष मादा हो, 33 और वह अपना हाथ पापबिल पशु के िसर पर रखे, और उसको पापबिल के िलथे वह:ं बिलदान करे जहां होमबिलपशु बिल कया जाता है । 34 और याजक अप क उं गली से पापबिल के लोहू म से कुछ लेकर होमबिल क वेद: के सींगHपर लगाए, और उसके सब लोहू को वेद: के पाए पर उं डे ल दे । 35 और वह उसक सब चरबी को मेलबिलवाले भेड़ के ब.चे क चरबी क नाई अलग करे , और याजक उसे वेद: पर यहोवा के हवनHके ऊपर जलाए; और इस ूकार याजक उसके पाप के िलथे ूाय'_ करे , और वह झमा कया जाएगा।। लैeयवःथा 5 1 और यद कोई साझी होकर ऐसा पाप करे क शपय 'खलाकर पूछने पर भी, क या तू ने यह सुना अयवा जानता है , और वह बात ूगट न करे , तो उसको अपके अधमO का भार उठाना पकेगा। 2 और यद कोई कसी अशुa वःतु को अWानता से छू ले, तो चाहे वह अशुa बनैले पशु क, चाहे अशुa र गनेवाले जीव-ज(तु क लोय हो, तो वह अशुa होकर दोषी ठहरे गा। 3 और यद कोई मनुंय कसी अशुa वःतु को अWानता से छू ले, चाहे वह अशुa वःतु कसी भी ूकार क यHन हो 'जस से लोग अशुa हो जाते हE तो जब वह उस बात को जान लेगा तब वह दोषी

ठहरे गा। 4 और यद कोई बुरा वा भला करने को बना सोचे समझे शपय खाए, चाहे कसी ूकार क बात वह बना सोचे वचारे शपय खाकर कहे , तो ऐसी बात म वह दोषी उस समय ठहरे गा जब उसे मालूम हो जाएगा। 5 और जब वह इन बातHम से कसी भी बात म दोषी हो, तब 'जस वषय म उस ने पाप कया हो वह उसको मान ले, 6 और वह यहोवा के साSहने अपना दोषबिल ले आए, अयाOत ् उस पाप के कारण वह एक भेड़ वा बकर: पापबिल करने के िलथे ले आए; तब याजक उस पाप के वषय उसके िलथे ूाय'_ करे । 7 और यद उसे भेड़ वा बकर: दे ने क सामयO न हो, तो अपके पाप के कारण दो पंडुक वा कबूतर: के दो ब.चे दोषबिल चढ़ाने के िलथे यहोवा के पास ले आए, उन म से एक तो पापबिल के िलथे और दस ू रा होमबिल के िलथे। 8 और वह उनको याजक के पास ले आए, और याजक पापबिलवाले को पहले चढ़ाए, और उसका िसर गले से मरोड़ डाले, पर अलग न करे , 9 और वह पापबिलपशु के लोहू म से कुछ वेद: क अलंग पर िछड़के, और जो लोहू शेष रहे वह वेद: के पाए पर िगराया जाए; वह तो पापबिल ठहरे गा। 10 और दस ू रे प क को वह वधी के अनुसार होमबिल करे , और याजक उसके पाप का ूाय'_ करे , और तब वह झमा कया जाएगा।। 11 और यद वह दो पंडुक वा कबूतर: के दो ब.चे भी न दे सके, तो वह अपके पाप के कारण अपना चढ़ावा एपा का दसवां भाग मैदा पापबिल करके ले आए; 12 वह उसको याजक के पास ले जाए, और याजक उस म से अप क मु=ठq भर ःमरण दलानेवाला भाग जानकर वेद: पर यहोवा के हवनHके ऊपर जलाए; वह तो पापबिल ठहरे गा। 13 और इन बातHम से कसी भी बात के वषय म जो कोई पाप करे , याजक उसका ूाय'_ करे , और तब वह पाप झमा कया जाएगा। और

इस पापबिल का शेष अ(नबिल के शेष क नाई याजक का ठहरे गा।। 14 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 15 यद कोई यहोवा क पवऽ क हुई वःतुओं के वषय म भूल से व ासघात करे और पापी ठहरे , तो वह यहोवा के पास एक िनदzष मेढ़ा दोषबिल के िलथे ले आए; उसका दाम पवऽःयान के शेकेल के अनुसार उतने ह: शेकेल Rपके का हो 'जतना याजक ठहराए। 16 और 'जस पवऽ वःतु के वषय उस ने पाप कया हो, उस म वह पांचवां भाग और बढ़ाकर याजक को दे ; और याजक दोषबिल का मेढ़ा चढ़ाकर उसके िलथे ूाय'_ करे , तब उसका पाप झमा कया जाएगा।। 17 और यद कोई ऐसा पाप करे , क उन कामHम से 'ज(ह

यहोवा ने मना कया है कसी काम को करे , तो चाहे वह उसके अनजाने म हुआ हो, तौभी वह दोषी ठहरे गा, और उसको अपके अधमO का भार उठाना पकेगा। 18 इसिलथे वह एक िनदzष मेढ़ा दोषबिल करके याजक के पास ले आए, वह उतने दाम का हो 'जतना याजक ठहराए, और याजक उसके िलथे उसक उस भूल का जो उस ने अनजाने म क हो ूाय'_ करे , और वह झमा कया जाएगा। 19 यह दोषबिल ठहरे ; यHक वह मनुंय िन:स(दे ह यहोवा के सSमुख दोषी ठहरे गा।। लैeयवःथा 6 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 यद कोई यहोवा का व ासघात करके पापी ठहरे , जैसा क धरोहर, वा लेनदे न, वा लूट के वषय म अपके भाई से छल करे , वा उस पर अ(धेर करे , 3 वा प क हुई वःतु को पाकर उसके वषय फूठ बोले और फूठq शपय भी खाए; ऐसी कोई भी बात यHन हो 'जसे करके मनुंय पापी ठहरते हE , 4 तो जब वह ऐसा काम करके दोषी हो जाए, तब जो भी वःतु उस ने लूट, वा

अ(धेर करके, वा धरोहर, वा प क पाई हो; 5 चाहे कोई वःतु यHन हो 'जसके वषय म उस ने फूठq शपय खाई हो; तो वह उसको पूरा पूरा लौटा दे , और पांचवां भाग भी बढ़ाकर भर दे , 'जस दन यह मालूम हो क वह दोषी है , उसी दन वह उस वःतु को उसके ःवामी को लौटा दे । 6 और वह यहोवा के सSमुख अपना दोषबिल भी ले आए, अयाOत ् एक िनदzष मेढ़ा दोषबिल के िलथे याजक के पास ले आए, वह उतने ह: दाम का हो 'जतना याजक ठहराए। 7 इस ूकार याजक उसके िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करे , और 'जस काम को करके वह दोषी हो गया है उसक झमा उसे िमलेगी।। 8 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 9 हाRन और उसके पुऽHको आWा दे कर यह कह, क होमबिल क eयवःया यह है ; अयाOत ् होमबिल ईधन के ऊपर रात भर भोर तब वेद: पर पड़ा रहे , और वेद: क अ'bन वे द: पर जलती रहे । 10 और याजक अपके सनी के व\ और अपके तन पर अप क सनी क जांिघया पहनकर होमबिल क राख, जो आग के भःम करने से वेद: पर रह जाए, उसे उठाकर वे द: के पास रखे। 11 तब वह अपके व\ उतारकर दस ू रे व\ पहनकर राख को छावनी से बाहर कसी शुa ःयान पर ले जाए। 12 और वेद: पर अ'bन जलती रहे , और कभी बुफने न पाए; और याजक भोर भोर उस पर लकडय़ां जलाकर होमबिल के टु कड़Hको उसके ऊपर सजाकर धर दे , और उसके ऊपर मेलबिलयHक चरबी को जलाया करे । 13 वेद: पर आग लगातार जलती रहे ; वह कभी बुफने न पाए।। 14 अ(नबिल क eयवःया इस ूकार है , क हाRन के पुऽ उसको वेद: के आगे यहोवा के समीप ले आएं। 15 और वह अ(नबिल के तेल िमले हुए मैदे म से मु=ठq भर और उस पर का सब लोबान उठाकर अ(नबिल के ःमरणायO के इस भाग को यहोवा के सSमुख सुखदायक सुग(ध के िलथे वेद: पर

जलाए। 16 और उस म से जो शेष रह जाए उसे हाRन और उसके पुऽ खा जाएं; वह बना खमीर पवऽ ःयान म खाया जाए, अयाOत ् वे िमलापवाले तSबू के आंगन म उसे खाएं। 17 वह खमीर के साय पकाया न जाए; यHक मE ने अपके हeय म से उसको उनका िनज भाग होने के िलथे उ(ह दया है ; इसिलथे जैसा पापबिल और दोषबिल परमपवऽ है वैसा ह: वह भी है । 18 हाRन के वंश के सब पुRष उस म से खा सकते हE तुSहार: पीढ़:-पीढ़: म यहोवा के हवनHम से यह उनका भाग सदै व बना रहे गा; जो कोई उन हवनHको छूए वह पवऽ ठहरे गा।। 19 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 20 'जस दन हाRन का अिभषेक हो उस दन वह अपके पुऽHके साय यहोवा को यह चढ़ावा चढ़ाए; अयाOत ् एपा का दसवां भाग मैदा िनय अ(नबिल म चढ़ाए, उस म से आधा भोर को और आधा स(~या के समय चढ़ाए। 21 वह तवे पर तेल के साय पकाया जाए; जब वह तेल से तर हो जाए तब उसे ले आना, इस अ(नबिल के पके हुए टु कड़े यहोवा के सुखदायक सुग(ध के िलथे चढ़ाना। 22 और उसके पुऽHम से जो भी उस याजकपद पर अिभषf होगा, वह भी उसी ूकार का चढ़ावा चढ़ाया करे ; यह वधी सदा के िलथे है , क यहोवा के सSमुख वह सSपूणO चढ़ावा जलाया जाथे। 23 याजक के सSपूणO अ(नबिल भी सब जलाए जाएं; वह कभी न खाया जाए।। 24 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 25 हाRन और उसके पुऽHसे यह कह, क पापबिल क eयवःया यह है ; अयाOत ् 'जस ःयान म होमबिलपशु वध कया जाता है उसी म पापबिलपशु भी यहोवा के सSमुख बिल कया जाए; वह परमपवऽ है । 26 और जो याजक पापबिल चढ़ावे वह उसे खाए; वह पवऽ ःयान म , अयाOत ् िमलापवाले तSबू के आँगन म खाया जाए। 27 जो कुछ उसके मांस से छू जाए, वह पवऽ ठहरे गा; और यद उसके

लोहू के छqंटे कसी व\ पर पड़ जाएं, तो उसे कसी पवऽःयान म धो दे ना। 28 और वह िम=ट: का पाऽ 'जस म वह पकाया गया हो तोड़ दया जाए; यद वह पीतल के पाऽ म िसफाया गया हो, तो वह मांजा जाए, और जल से धो िलया जाए। 29 और याजकHम से सब पुRष उसे खा सकते हE ; 30 पर 'जस पापबिलपशु के लोहू म से कुछ भी खून िमलापवाले तSबू के भीतर पवऽःयान म ूाय'_ करने को पहुंचाया जाए तब तो उसका मांस कभी न खाया जाए; वह आग म जला दया जाए।। लैeयवःथा 7 1 फर दोषबिल क eयवःया यह है । वह परमपवऽ है ; 2 'जस ःयान पर होमबिलपशु का वध करते हE उसी ःयान पर दोषबिलपशु का भी बिल कर , और उसके लोहू को याजक वेद: पर चारHओर िछड़के। 3 और वह उस म क सब चरबी को चढ़ाए, अयाOत ् उसक मोट: पूंछ को, और 'जस चरबी से अंतडय़ां ढपी रहती हE वह भी, 4 और दोनHगुद और जो चरबी उनके ऊपर और कमर के पास रहती है , और गुदJसमेत कलेजे के ऊपर क फ`ली; इन सभHको वह अलग करे ; 5 और याजक इ(ह वेद: पर यहोवा के िलथे हवन करे ; तब वह दोषबिल होगा। 6 याजकHम के सब पुRष उस म से खा सकते हE ; वह कसी पवऽःयान म खाया जाए; यHक वह परमपवऽ है । 7 जैसा पापबिल है वैसा ह: दोषबिल भी है , उन दोनHक एक ह: eयवःया है ; जो याजक उन बिलयHको चढ़ा के ूाय'_ करे वह: उन वःतुओं को ले ले। 8 और जो याजक कसी के िलथे होमबिल को चढ़ाए उस होमबिलपशु क खाल को वह: याजक ले ले। 9 और तंदरू म , वा कढ़ाह: म , वा तवे

पर पके हुए सब अ(नबिल उसी याजक क हHगी जो उ(ह चढ़ाता है । 10 और सब अ(नबिल, जो चाहे तेल से सने हुए हHचाहे Rखे हH, वे हाRन के सब पुऽHको एक समान िमले।। 11 और मेलबिल क 'जसे कोई यहोवा के िलथे चढ़ाए eयवःया यह है । 12 यद वह उसे ध(यवाद के िलथे चढ़ाए, तो ध(यवाद-बिल के साय तेल से सने हुए अखमीर: फुलके, और तेल से चुप क हुई अखमीर: फुलके, और ते ल से चुप क हुई अखमीर: रोटयां, और तेल से सने हुए मैदे के फुलके तेल से तर चढ़ाए। 13 और वह अपके ध(यवादवाले मेलबिल के साय अखमीर: रोटयां, और तेल से सने हुए मैदे के फुलके ते ल से तर चढ़ाए। 14 और ऐसे एक एक चढ़ावे म

से वह एक एक रोट: यहोवा को उठाने क भ ट करके चढ़ाए; वह मेलबिल के लोहू के िछड़कनेवाले याजक क होगी। 15 और उस ध(यवादवाले मेलबिल का मांस बिलदान चढ़ाने के दन ह: खाया जाए; उस म से कुछ भी भोर तक शेष न रह जाए। 16 पर यद उसके बिलदान का चढ़ावा म(नत का वा ःवे.छा का हो, तो उस बिलदान को 'जस दन वह चढ़ाया जाए उसी दन वह खाया जाए, और उस म से जो शेष रह जाए वह दस ू रे दन भी खाया जाए। 17 पर(तु जो कुछ बिलदान के मांस म से तीसरे दन तक रह जाए वह आग म जला दया जाए। 18 और उसके मेलबिल के मांस म से यद कुछ भी तीसरे दन खाया जाए, तो वह महण न कया जाएगा, और न पुन म िगना जाएगा; वह घृ'णत कमO समझा जाएगा, और जो कोई उस म से खाए उसका अधमO उसी के िसर पर पकेगा। 19 फर जो मांस कसी अशुa वःतु से छू जाए वह न खाया जाए; वह आग म जला दया जाए। फर मेलबिल का मांस 'जतने शुa हHवे ह: खाएं, 20 पर(तु जो अशुa होकर यहोवा के मेलबिल के मांस म से कुछ खाए वह अपके लोगHम से नाश

कया जाए। 21 और यद कोई कसी अशुa वःतु को छूकर यहोवा के मेलबिलपशु के मांस म से खाए, तो वह भी अपके लोगHम से नाश कया जाए, चाहे वह मनुंय क कोई अशुa वःतु वा अशुa पशु वा कोई भी अशुa और घृ'णत वःतु हो।। 22 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 23 इ\ाएिलयHसे इस ूकार कह, क तुम लोग न तो बैल क कुछ चरबी खाना और न भेड़ वा बकर: क। 24 और जो पशु ःवयं मर जाए, और जो दस ू रे पशु से फाड़ा जाए, उसक चरबी और और काम म लाना, पर(तु उसे कसी ूकार से खाना नह:ं। 25 जो कोई ऐसे पशु क चरबी खाएगा 'जस म से लोग कुछ यहोवा के िलथे हवन करके चढ़ाया करते हE वह खानेवाला अपके लोगHम से नाश कया जाएगा। 26 ओर तुम अपके घर म

कसी भांित का लोहू, चाहे प क का चाहे पशु का हो, न खाना। 27 हर एक ूाणी जो कसी भांित का लोहू खाएगा वह अपके लोगHम से नाश कया जाएगा।। 28 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 29 इ\ाएिलयHसे इस ूकार कह, क जो यहोवा के िलथे मेलबिल चढ़ाए वह उसी मेलबिल म से यहोवा के पास भ ट ले आए; 30 वह अपके ह: हाथHसे यहोवा के हeय को, अयाOत ् छाती हलाने क भ ट करके यहोवा के साSहने हलाई जाए। 31 और याजक चरबी को तो वेद: पर जलाए, पर(तु छाती हाRन और उसके पुऽHक होगी। 32 फर तुम अपके मेलबिलयHम से दहनी जांघ को भी उठाने क भ ट करके याजक को दे ना; 33 हाRन के पुऽHम से जो मेलबिल के लोहू और चरबी को चढ़ाए दहनी जांघ उसी को भाग होगा। 34 यHक इ\ाएिलयHके मेलबिलयHम से हलाने क भ ट क छाती और उठाने क भ ट क जांघ को लेकर मE ने याजक हाRन और उसके पुऽHको दया है , क यह सवOदा इ\ाएिलयHक ओर से उनका हक बना रहे ।। 35 'जस दन हाRन और उसके पुऽ

यहोवा के समीप याजक पद के िलथे आए गए उसी दन यहोवा के हeयHम से उनका यह: अिभषf भाग ठहराया गया; 36 अयाOत ् 'जस दन यहोवा ने उसका अिभषेक कया उसी दन उस ने आWा द: क उनको इ\ाएिलयHक ओर से थे ह: भाग िनत िमला कर ; उनक पीढ़: पीढ़: के िलथे उनका यह: हक ठहराया गया। 37 होमबिल, अ(नबिल, पापबिल, दोषबिल, याजकHके संःकार बिल, और मेलबिल क eयवःया यह: है ; 38 जब यहोवा ने सीनै पवOत के पास के जंगल म

मूसा को आWा द: क इ\ाएली मेरे िलथे या या चढ़ावे चढ़ाएं, तब उस ने उनको यह: eयवःया द: यी।। लैeयवःथा 8 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 तू हाRन और उसके पुऽHके वH, और अिभषेक के तेल, और पापबिल के बछड़े , और दोनHमेढ़H, और अखमीर: रोट: क टोकर: को 3 िमलापवाले तSबू के kार पर ले आ, और वह:ं सार: म+डली को इक=ठा कर। 4 यहोवा क इस आWा के अनुसार मूसा ने कया; और म+डली िमलापवाले तSबू के kार पर इक=ठq हुई। 5 तब मूसा ने म+डली से कहा, जो काम करने क आWा यहोवा ने द: है वह यह है । 6 फर मूसा ने हाRन और उसके पुऽHको समीप ले जाकर जल से नहलाया। 7 तब उस ने उनको अंगरखा पहनाया, और कटब(द लपेटकर बागा पहना दया, और एपोद लगाकर एपोद के काढ़े हुए पटु के से एपोद को बा(धकर कस दया। 8 और उस ने उनके चपरास लगाकर चमरास म

ऊर:म और तुSमीम रख दए। 9 तब उस ने उसके िसर पर पगड़: बा(धकर पगड़: के साSहने पर सोने के ट:के को, अयाOत ् पवऽ मुकुट को लगाया, 'जस ूकार

यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 10 तब मूसा ने अिभषेक का ते ल लेकर िनवास का और जो कुछ उस म या उन सब को भी अिभषेक करके उ(ह पवऽ कया। 11 और उस तेल म से कुछ उस ने वेद: पर सात बार िछड़का, और कुल सामान समेत वेद: का और पाए समेत हौद: का अिभषे क करके उ(ह पवऽ कया। 12 और उस ने अिभषेक के तेल म से कुछ हाRन के िसर पर डालकर उसका अिभषेक करके उसे पवऽ कया। 13 फर मूसा ने हाRन के पुऽHको समीप ले आकर, अंगरखे पहनाकर, फेटे बा(ध के उनके िसर पर टोपी रख द:, 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 14 तब वह पापबिल के बछड़े को समीप ले गया; और हाRन और उसके पुऽHने अपके अपके हाथ पापबिल के बछड़े के िसर पर रख

15 तब वह बिल कया गया, और मूसा ने लोहू को लेकर उं गली से वे द: के चारHसींगHपर लगाकर पवऽ कया, और लोहू को वेद: के पाए पर उं डे ल दया, और उसके िलथे ूाय'_ करके उसको पवऽ कया। 16 और मूसा ने अंतडय़Hपर क सब चरबी, और कलेजे पर क फ`ली, और चरबी समेत दोनHगुदJको लेकर वेद: पर जलाया। 17 ओर बछड़े म से जो कुछ शेष रह गया उसको, अयाOत ् गोबर समेत उसक खाल और मांस को उस ने छावनी से बाहर आग म जलाया, 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 18 फर वह होमबिल के मेढ़े को समीप ले गया, और हाRन और उसके पुऽHने अपके अपके हाथ म ढ़े के िसर पर रखे। 19 तब वह बिल कया गया, और मूसा ने उसका लोहू वे द: पर चारHओर िछड़का। 20 कया गया, और मूसा ने िसर ओर चरबी समेत टु कड़Hको जलाया। 21 तब अंतडय़ां और पांव जल से धोथे गए, और मूसा ने पूरे मेढ़े को वे द: पर जलाया, और वह सुखदायक सुग(ध दे ने के िलथे होमबिल और

यहोवा के िलथे हeय हो गया, 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 22 फर वह दस ू रे मेढ़े को जो संःकार का मेढ़ा या समीप ले गया, और हाRन और उसके पुऽHने अपके अपके हाथ मेढ़े के िसर पर रखे। 23 तब वह बिल कया गया, और मूसा ने उसके लोहू म से कुछ लेकर हाRन के दहने कान के िस के पर और उसके दहने हाथ और दहने पांव के अंगूठHपर लगाया। 24 और वह हाRन के पुऽHको समीप ले गया, और लोहू म से कुछ एक एक के दहने कान के िस के पर और दहने हाथ ओर दहने पांव के अंगूठHपर लगाया; और मूसा ने लोहू को वेद: पर चारHओर िछड़का। 25 और उस ने चरबी, और मोट: पूंछ, ओर अंतडय़Hपर क सब चरबी, और कलेजे पर क फ`ली समेत दोनHगुद, और दहनी जांघ, थे सब लेकर अलग रखे; 26 ओर अखमीर: रोट: क टोकर: जो यहोवा के आगे रखी गई यी उस म से एक रोट:, और तेल से सने हुए मैदे का एक फुलका, और एक रोट: लेकर चरबी और दहनी जांघ पर रख द:; 27 और थे सब वःतुएं हाRन और उसके पुऽHके हाथHपर धर द: गई, और हलाने क भ ट के िलथे यहोवा के साSहने हलाई गई। 28 और मूसा ने उ(ह फर उनके हाथHपर से लेकर उ(ह वेद: पर होमबिल के ऊपर जलाया, यह सुखदायक सुग(ध दे ने के िलथे संःकार क भ ट और यहोवा के िलथे हeय या। 29 तब मूसा ने छाती को लेकर हलाने क भ ट के िलथे यहोवा के आगे हलाया; और संःकार के मेढ़ म से मूसा का भाग यह: हुआ जैसा यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 30 और मूसा ने अिभषेक के ते ल ओर वेद: पर के लोहू, दोनHम से कुछ लेकर हाRन और उसके वHपर, और उसके पुऽHऔर उनके वHपर भी िछड़का; और उस ने वHसमेत हाRन को ओर वHसमेत उसके पुऽHको भी पवऽ कया। 31 और मूसा ने हाRन और उसके पुऽHसे कहा, मांस को

िमलापवाले तSबू के kार पर पकाओ, और उस रोट: को जो संःकार क टोकर: म

है वह:ं खाओ, जैसा मE ने आWा द: है , क हाRन और उसके पुऽ उसे खाएं। 32 और मांस और रोट: म से जो शेष रह जाए उसे आग म जला दे ना। 33 और जब तक तुSहारे संःकार के दन पूरे न हHतब तक, अयाOत ् सात दन तक िमलापवाले तSबू के kार के बाहर न जाना, यHक वह सात दन तक तुSहारा संःकार करता रहे गा। 34 'जस ूकार आज कया गया है वैसा ह: करने क आWा यहोवा ने द: है , 'जस से तुSहारा ूाय'_ कया जाए। 35 इसिलथे तुम िमलापवाले तSबू के kार पर सात दन तक दन रात ठहरे रहना, और यहोवा क आWा को मानना, ताक तुम मर न जाओ; यHक ऐसी क आWा मुझे द: गई है । 36 तब यहोवा क इ(ह:ं सब आWाओं के अनुसार जो उस ने मूसा के kारा द: यीं हाRन ओर उसके पुऽHने उनका पालन कया।। लैeयवःथा 9 1 आठव दन मूसा ने हाRन और उसके पुऽHको और इ\ाएली पुरिनयHको बुलवाकर हाRन से कहा, 2 पापबिल के िलथे एक िनदzष बछड़ा, और होमबिल के िलथे एक िनदzष मेढ़ा लेकर यहोवा के साSहने भ ट चढ़ा। 3 और इ\ाएिलयHसे यह कह, क तुम पापबिल के िलथे एक बकरा, और होमबिल के िलथे एक बछड़ा और एक भेड़ को ब.चा लो, जो एक वषO के हHऔर िनदzष हH, 4 और मेलबिल के िलथे यहोवा के सSमुख चढ़ाने के िलथे एक बैल और एक मेढ़ा, और ते ल से सने हुए मैदे का एक अ(नबिल भी ले लो; यHक आज यहोवा तुम को दशOन दे गा। 5 और 'जस 'जस वःतु क आWा मूसा ने द: उन सब को वे िमलापवाले तSबू के

आगे ले आए; और सार: म+डली समीप जाकर यहोवा के साSहने खड़: हुई। 6 तब मूसा ने कहा, यह वह काम है 'जसके करने के िलथे यहोवा ने आWा द: है क तुम उसे करो; और यहोवा क महमा का ते ज तुम को दखाई पकेगा। 7 और मूसा ने हाRन से कहा, यहोवा क आWा के अनुसार वेद: के समीप जाकर अपके पापबिल और होमबिल को चढ़ाकर उनके िलथे ूाय'_ कर। 8 इसिलथे हाRन ने वे द: के समीप जाकर अपके पापबिल के बछड़े को बिलदान कया। 9 और हाRन के पुऽ लोहू को उसके पास ले गए, तब उस ने अप क उं गली को लोहू म डु बाकर वेद: के सींगHपर लोहू को लगाया, और शेष लोहू को वेद: के पाए पर उं डे ल दया; 10 और पापबिल म क चरबी और गुदJऔर कलेजे पर क फ`ली को उस ने वेद: पर जलाया, जैसा यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 11 और मांस और खाल को उस ने छावनी से बाहर आग म जलाया। 12 तब होमबिलपशु को बिलदान कया; और हाRन के पुऽHने लोहू को उसके हाथ म दया, और उस ने उसको वे द: पर चारHओर िछड़क दया। 13 तब उ(हHने होमबिलपशु का टु कड़ा टु कड़ा करके िसर सहत उसके हाथ म दे दया और उस ने उनको वेद: पर जला दया। 14 और उस ने अंतडय़Hऔर पांवHको धोकर वेद: पर होमबिल के ऊपर जलाया। 15 और उस ने लोगHके चढ़ावे को आगे लेकर और उस पापबिल के बकरे को जो उनके िलथे या लेकर उसका बिलदान कया, और पहले के समान उसे भी पापबिल करके चढ़ाया। 16 और उस ने होमबिल को भी समीप ले जाकर विध के अनुसार चढ़ाया। 17 और अ(नबिल को भी समीप ले जाकर उस म से मु=ठq भर वेद: पर जलाया, यह भोर के होमबिल के अलावा चढ़ाया गया। 18 और बैल और मेढ़ा, अयाOत ् जो मेलबिलपशु जनता के िलथे थे वे भी बिल कथे गए; और हाRन के

पुऽHने लोहू को उसके हाथ म दया, और उस ने उसको वेद: पर चारHओर िछड़क दया; 19 और उ(हHने बैल क चरबी को, और मेढ़े म से मोट: पूंछ को, और 'जस चरबी से अतडय़ां ढपी रहती हE उसको, ओर गुदJसहत कलेजे पर क फ`ली को भी उसके हाथ म दया; 20 और उ(हHने चरबी को छाितयHपर रखा; और उस ने वह चरबी वेद: पर जलाई, 21 पर(तु छाितयHऔर दहनी जांघ को हाRन ने मूसा क आWा के अनुसार हलाने क भ ट के िलथे यहोवा के साSहने हलाया। 22 तब हाRन ने लोगHक ओर हाथ बढ़ाकर उनह आशीवाOद दया; और पापबिल, होमबिल, और मेलबिलयHको चढ़ाकर वह नीचे उतर आया। 23 तब मूसा और हाRन िमलापवाले तSबू म गए, और िनकलकर लोगHको आशीवाOद दया; तब यहोवा का तेज सार: जनता को दखाई दया। 24 और यहोवा के साSहने से आग िनकलकर चरबी सहत होमबिल को वेद: पर भःम कर दया; इसे दे खकर जनता ने जय जयकार का नारा मारा, और अपके अपके मुह ं के बल िगरकर द+डवत कया।। लैeयवःथा 10 1 तब नादाब और अबीहू नामक हाRन के दो पुऽHने अपना अपना धूपदान िलया, और उन म आग भर:, और उस म धूप डालकर उस ऊप क आग क 'जसक आWा यहोवा ने नह:ं द: यी यहोवा के सSमुख आरती द:। 2 तब यहोवा के सSमुख से आग िनकलकर उन दोनHको भःम कर दया, और वे यहोवा के साSहने मर गए। 3 तब मूसा ने हाRन से कहा, यह वह: बात है 'जसे यहोवा ने कहा या, क जो मेरे समीप आए अवँय है क वह मुझे पवऽ जाने, और सार:

जनता के साSहने मेर: महमा करे । और हाRन चुप रहा। 4 तब मूसा ने मीशाएल और एलसाफान को जो हाRन के चाचा उGजीएल के पुऽ थे बुलाकर कहा, िनकट आओ, और अपके भतीजHको पवऽःयान के आगे से उठाकर छावनी के बाहर ले जाओ। 5 मूसा क इस आWा के अनुसार वे िनकट जाकर उनको अंगरखHसहत उठाकर छावनी के बाहर ले गए। 6 तब मूसा ने हाRन से और उसके पुऽ एलीआजर और ईतामार से कहा, तुम लोग अपके िसरHके बाल मत बखराओ, और न अपके वHको फाड़ो, ऐसा न हो क तुम भी मर जाओ, और सार: म+डली पर उसका बोध भड़क उठे ; पर(तु वह इ\ाएल के कुल घराने के लोग जो तुSहारे भाईब(धु हE यहोवा क लगाई हुई आग पर वलाप कर । 7 और तुम लोग िमलापवाले तSबू के kार के बाहर न जाना, ऐसा न हो क तुम मर जाओ; यHक यहोवा के अिभषेक का तेल तुम पर लगा हुआ है । मूसा के इस वचन के अनुसार उ(हHने कया।। 8 फर यहोवा ने हाRन से कहा, 9 क जब जब तू वा ते रे पुऽ िमलापवाले तSबू म आएं तब तब तुम म से कोई न तो दाखमधु पए हो न और कसी ूकार का मr, कह:ं ऐसा न हो क तुम मर जाओ; तुSहार: पीढ़: पीढ़: म

यह विध ूचिलत रहे , 10 'जस से तुम पवऽ और अपवऽ म , और शुa और अशुa म अ(तर कर सको; 11 और इ\ाएिलयHको उन सब विधयHको िसखा सको 'जसे यहोवा ने मूसा के kारा उनको सुनवा द: हE ।। 12 फर मूसा ने हाRन से और उसके बचे हुए दोनHपुऽ ईतामार और एलीआजर से भी कहा, यहोवा के हeय म से जो अ(नबिल बचा है उसे लेकर वेद: के पास बना खमीर खाओ, यHक वह परमपवऽ है ; 13 और तुम उसे कसी पवऽःयान म खाओ, वह तो यहोवा के हeय म से तेरा और ते रे पुऽHका हक है ; यHक मै ने ऐसी ह: आWा पाई है । 14

और हलाई हुई भ ट क छाती और उठाई हुई भ ट क जांघ को तुम लोग, अयाOत ् तू और बेटे-बेटयां सब कसी शुa ःयान म खाओ; यHक वे इ\ाएिलयHके मेलबिलयHम से तुझे और तेरे लड़केबालHक हक ठहरा द: गई हE । 15 चरबी के हeयHसमेत जो उठाई हुई जांघ और हलाई हुई छाती यहोवा के साSहने हलाने के िलथे आया कर गी, थे भाग यहोवा क आWा के अनुसार सवOदा क वधी क eयवःया से ते रे और ते रे लड़केबालHके िलथे हE ।। 16 फर मूसा ने पापबिल के बकरे क जो ढू ं ढ़-ढांढ़ क, तो या पाया, क वह जलाया गया है , सो एलीआज़र और ईतामार जो हाRन के पुऽ बचे थे उन से वह बोध म आकर करने लगा, 17 क पापबिल जो परमपवऽ है और 'जसे यहोवा ने तुSहे इसिलथे दया है क तुम म+डली के अधमO का भार अपके पर उठाकर उनके िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करो, तुम ने उसका मांस पवऽःयान म यHनह:ं खाया? 18 दे खो, उसका लोहू पवऽःयान के भीतर तो लाया ह: नह:ं गया, िन:स(दे ह उिचत या क तुम मेर: आWा के अनुसार उसके मांस को पवऽःयान म खाते। 19 इसका उर हाRन ने मूसा को इस ूकार दया, क दे ख, आज ह: उ(हHने अपके पापबिल और होमबिल को यहोवा के साSहने चढ़ाया; फर मुझ पर ऐसी वपयां आ प क हE ! इसिलथे यद मE आज पापबिल का मांस खाता तो या यह बात यहोवा के सSमुख भली होती? 20 जब मूसा ने यह सुना तब उसे संतोष हुआ।। लैeयवःथा 11 1 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कहो, क 'जतने पशु पृवी पर हE उन सभHम से तुम इन जीवधाgरयHका मांस खा सकते हो। 3 पशुओं

म से 'जतने िचरे वा फटे खुर के होते हE और पागुर करते हE उ(ह खा सकते हो। 4 पर(तु पागुर करनेवाले वा फटे खुरवालHम से इन पशुओं को न खाना, अयाOत ् ऊंट, जो पागुर तो करता है पर(तु िचरे खुर का नह:ं होता, इसिलथे वह तुSहारे िलथे अशुa ठहरा है । 5 और शापान, जो पागुर तो करता है पर(तु िचरे खुर का नह:ं होता, वह भी तुSहारे िलथे अशुa है । 6 और खरहा, जो पागुर तो करता है पर(तु िचरे खुर का नह:ं होता, इसिलथे वह भी तुSहारे िलथे अशुa है । 7 और सूअर, जो िचरे अयाOत ् फटे खुर का होता तो है पर(तु पागुर नह:ं करता, इसिलथे वह तुSहारे िलथे अशुa है । 8 इनके मांस म से कुछ न खाना, और इनक लोय को छूना भी नह:ं; थे तो तुSहारे िलथे अशुa है ।। 9 फर 'जतने जलज(तु हE उन म से तुम इ(ह खा सकते हH, अयाOत ् समुि वा नदयHके जलज(तुओं म से 'जतनHके पंख और चHथेटे होते हE उ(ह खा सकते हो। 10 और जलच क ूा'णयHम से 'जतने जीवधार: बना पंख और चHथेटे के समुि वा नदयHम रहते हE वे सब तुSहारे िलथे घृ'णत हE । 11 वे तुSहारे िलथे घृ'णत ठहर ; तुम उनके मांस म से कुछ न खाना, और उनक लोयHको अशुa जानना। 12 जल म 'जस कसी ज(तु के पंख और चHथेटे नह:ं होते वह तुSहारे िलथे अशुa है ।। 13 फर प'झयHम से इनको अशुa जानना, थे अशुa होने के कारण खाए न जाएं, अयाOत ् उकाब, हड़फोड़, कुरर, 14 शाह:, और भांित भांित क चील, 15 और भांित भांित के सब काग, 16 शुतुमग ुO O, तखमास, जलकु कुट, और भांित भांित के बाज, 17 हवािसल, हाड़गील, उ`लू, 18 राजहँ स, धनेश, िगa, 19 लगलग, भांित भांित के बगुले, टट:हर: और चमगीदड़।। 20 'जतने पंखवाले चार पांवHके बल चरते हE वे सब तुSहारे िलथे अशुa हE । 21 पर र गनेवाले और पंखवाले जो चार पांवHके बल चलते हE , 'जनके

भूिम पर कूदने फांदने को टांगे होती हE उनको तो खा सकते हो। 22 वे थे हE , अयाOत ् भांित भांित क ट]ड:, भांित भांित के फनगे, भांित भांित के हगzल, और भांित भांित के हागाब। 23 पर(तु और सब र गनेवाले पंखवाले जो चार पांववाले होते हE वे तुSहारे िलथे अशुa हE ।। 24 और इनके कारण तुम अशुa ठहरोगे; 'जस कसी से इनक लोय छू जाए वह सांफ तक अशुa ठहरे । 25 और जो कोई इनक लोय म का कुछ भी उठाए वह अपके व\ धोए और सांफ तक अशुa रहे । 26 फर 'जतने पशु िचरे खुर के होते है । पर(तु न तो बलकुल फटे खुर और पागुर करनेवाले हE वे तुSहारे िलथे अशुa हE ; जो कोई उ(ह छूए वह अशुa हE ; जो कोई उ(ह छूए वह अशुa ठहरे गा। 27 और चार पांव के बल चलनेवालHम से 'जतने पंजHके बल चलते हE वे सब तुSहारे िलथे अशुa हE ; जो कोई उनक लोय छूए वह सांफ तक अशुa रहे । 28 और जो कोई उनक लोय उठाए वह अपके व\ धोए और सांफ तक अशुa रहे ; यHक वे तुSहारे िलथे अशुa हE ।। 29 और जो पृवी पर र गते हE उन म से थे र गनेवाले तुSहारे िलथे अशुa हE , अयाOत ् नेवला, चूहा, और भांित भांित के गोह, 30 और िछपकली, मगर, टकटक, सांडा, और िगरिगटान। 31 सब र गनेवालHम से थे ह: तुSहारे िलथे अशुa हE ; जो कोई इनक लोय छूए वह सांफ तक अशुa रहे । 32 और इन म से कसी क लोय 'जस कसी वःतु पर पड़ जाए वह भी अशुa ठहरे , चाहे वह काठ का कोई पाऽ हो, चाहे व\, चाहे खाल, चाहे बोरा, चाहे कसी काम का कैसा ह: पाऽाद यHन हो; वह जल म

डाला जाए, और सांफ तक अशुa रहे , तब शुa समझा जाए। 33 और यद िम=ट: का कोई पाऽ हो 'जस म इन ज(तुओं म से कोई पके, तो उस पाऽ म जो कुछ हो वह अशुa ठहरे , और पाऽ को तुम तोड़ डालना। 34 उस म जो खाने के योbय

भोजन हो, 'जस म पानी का छुआव हHवह सब अशुa ठहरे ; फर यद ऐसे पाऽ म

पीने के िलथे कुछ हो तो वह भी अशुa ठहरे । 35 और यद इनक लोय म का कुछ तंदरू वा चू`हे पर पके तो वह भी अशुa ठहरे , और तोड़ डाला जाए; यHक वह अशुa हो जाएगा, वह तुSहारे िलथे भी अशुa ठहरे । 36 पर(तु सोता वा तालाब 'जस म जल इक=ठा हो वह तो शुa ह: रहे ; पर(तु जो कोई इनक लोय को छूए वह अशुa ठहरे । 37 और यद इनक लोय म का कुछ कसी ूकार के बीज पर जो बोने के िलथे हो पके, तो वह बीज शुa रहे ; 38 पर यद बीज पर जल डाला गया हो और पीछे लोय म का कुछ उस पर पड़ जाए, तो वह तुSहारे िलथे अशुa ठहरे ।। 39 फर 'जन पशुओं के खाने क आWा तुम को द: गई है यद उन म से कोई पशु मरे , तो जो कोई उसक लोय छूए वह सांफ तक अशुa रहे । 40 और उसक लोय म से जो कोई कुछ खाए वह अपके व\ धोए और सांफ तक अशुa रहे ; और जो कोई उसक लोय उठाए वह भी अपके व\ धोए और सांफ तक अशुa रहे । 41 और सब ूकार के पृवी पर र गनेवाले ज(तु िघनौने हE ; वे खाए न जाएं। 42 पृवी पर सब र गनेवालHम से 'जतने पे ट वा चार पांवHके बल चलते हE , वा अिधक पांववाले होते हE , उ(ह तुम न खाना; यHक वे िघनौने हE । 43 तुम कसी ूकार के र गनेवाले ज(तु के kारा अपके आप को िघनौना न करना; और न उनके kारा अपके को अशुa करके अपवऽ ठहराना। 44 यHक मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं; इस ूकार के र गनेवाले ज(तु के kारा जो पृवी पर चलता है अपके आप को अशुa न करना। 45 यHक मE वह यहोवा हंू जो तुSह िमॐ दे श से इसिलथे िनकाल ले आया हंू क तुSहारा परमे र ठहRं; इसिलथे तुम पवऽ बनो, यHक मE पवऽ हंू ।। 46 पशुओं, प'झयH, और सब जलच क ूा'णयH, और

पृवी पर सब र गनेवाले ूा'णयHके वषय म यह: eयवःया है , 47 क शुa अशुa और भझय और अभझय जीवधाgरयHम भेद कया जाए।। लैeयवःथा 12 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कह, क जो \ी गिभणh हो और उसके लड़का हो, तो वह सात दन तक अशुa रहे गी; 'जस ूकार वह ऋतुमती होकर अशुa रहा करती। 3 और आठव दन लड़के का खतना कया जाए। 4 फर वह \ी अपके शुa करनेवाले Rिधर म त तीस दन रहे ; और जब तक उसके शुa हो जाने के दन पूरे न हHतब तक वह न तो कसी पवऽ वःतु को छुए, और न पवऽःयान म ूवेश करे । 5 और यद उसके लड़क पैदा हो, तो उसको ऋतुमती क सी अशुaता चौदह दन क लगे; और फर िछयासठ दन तक अपके शुa करनेवाले Rिधर म रहे । 6 और जब उसके शुa हो जाने के दन पूरे हH, तब चाहे उसके बे टा हुआ हो चाहे बेट:, वह होमबिल के िलथे एक वषO का भेड़: का ब.चा, और पापबिल के िलथे कबूतर: का एक ब.चा वा पंडुक िमलापवाले तSबू के kार पर याजक के पास लाए। 7 तब याजक उसको यहोवा के साSहने भ ट चढ़ाके उसके िलथे ूाय'_ करे ; और वह अपके Rिधर के बहने क अशुaता से छूटकर शुa ठहरे गी। 'जस \ी के लड़का वा लड़क उप(न हो उसके िलथे यह: eयवःया है । 8 और यद उसके पास भेड़ वा बकर: दे ने क पूंजी न हो, तो दो पंडुक वा कबूतर: के दो ब.चे, एक तो होमबिल और दस ू रा पापबिल के िलथे दे ; और याजक उसके िलथे ूाय'_ करे , तब वह शुa ठहरे गी।। लैeयवःथा 13

1 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 2 जब कसी मनुंय के शर:र के चमO म

सूजन वा पप क वा फूल हो, और इस से उसके चमO म कोढ़ क eयािध सा कुछ दे ख पके, तो उसे हाRन याजक के पास या उसके पुऽ जो याजक हE उन म से कसी के पास ले जाएं। 3 जब याजक उसके चमO क eयािध को दे खे, और यद उस eयािध के ःयान के रोएं उजले हो गए हHऔर eयािध चमO से गहर: दे ख पके, तो वह जान ले क कोढ़ क eयािध है ; और याजक उस मनुंय को दे खकर उसको अशुa ठहराए। 4 और यद वह फूल उसके चमO म उजला तो हो, पर(तु चमO से गहरा न दे ख पके, और न वहां के रोएं उजले हो गए हH, तो याजक उनको सात दन तक ब(दकर रखे; 5 और सातव दन याजक उसको दे खे, और यद वह eयािध जैसी क तैसी बनी रहे और उसके चमO म न फैली हो, तो याजक उसको और भी सात दन तक ब(दकर रखे; 6 और सातव दन याजक उसको फर दे खे, और यद दे ख पके क eयािध क चमक कम है और eयािध चमO पर फैली न हो, तो याजक उसको शुa ठहराए; यHक उसके तो चमO म पप क है ; और वह अपके व\ धोकर शुa हो जाए। 7 और यद याजक क उस जांच के प_ात ् 'जस म वह शुa ठहराया गया या, वह पप क उसके चमO पर बहुत फैल जाए, तो वह फर याजक को दखाया जाए; 8 और यद याजक को दे ख पके क पप क चमO म फैल गई है , तो वह उसको अशुa ठहराए; यHक वह कोढ़ ह: है ।। 9 यद कोढ़ क सी eयािध कसी मनुंय के हो, तो वह याजक के पास पहुचाया जाए; 10 और याजक उसको दे खे, और यद वह सूजन उसके चमO म उजली हो, और उसके कारण रोएं भी उजले हो गए हH, और उस सूजन म बना चमO का मांस हो, 11 तो याजक जाने क उसके चमO म पुराना कोढ़ है , इसिलथे वह उसको अशुa ठहराए;

और ब(द न रखे, यHक वह तो अशुa है । 12 और यद कोढ़ कसी के चमO म

फूटकर यहां तक फैल जाए, क जहां कह:ं याजक दे ख eयािधत के िसर से पैर के तलवे तक कोढ़ ने सारे चमO को छा िलया हो, 13 जो याजक ~यान से दे खे, और यद कोढ़ ने उसके सारे शर:र को छा िलया हो, तो वह उस eयािधत को शुa ठहराए; और उसका शर:र जो बलकुल उजला हो गया है वह शुa ह: ठहरे । 14 पर जब उस म चमOह:न मांस दे ख पके, तब तो वह अशुa ठहरे । 15 और याजक चमOह:न मांस को दे खकर उसको अशुa ठहराए; कयHक वैसा चमOह:न मांस अशुa ह: होता है ; वह कोढ़ है । 16 पर यद वह चमOह:न मांस फर उजला हो जाए, तो वह मनुंय याजक के पास जाए, 17 और याजक उसको दे खे, और यद वह eयािध फर से उजली हो गई हो, तो याजक eयािधत को शुa जाने; वह शुa है ।। 18 फर यद कसी के चमO म फोड़ा होकर चंगा हो गया हो, 19 और फोड़े के ःयान म उजली सी सूजन वा लाली िलथे हुए उजला फूल हो, तो वह याजक को दखाया जाए। 20 और याजक उस सूजन को दे खे, और यद वह चमO से गहरा दे ख पके, और उसके रोएं भी उजले हो गए हH, तो याजक यह जानकर उस मनुंय को अशुa ठहराए; यHक वह कोढ़ क eयािध है जो फोड़े म से फूटकर िनकली है । 21 और यद याजक दे खे क उस म उजले रोएं नह:ं हE , और वह चमO से गहर: नह:ं, और उसक चमक कम हुई है , तो याजक उस मनुंय को सात दन तक ब(द कर रखे । 22 और यद वह eयािध उस समय तक चमO म सचमुच फैल जाए, तो याजक उस मनुंय को अशुa ठहराए; यHक वह कोढ़ क eयािध है । 23 पर(तु यद वह फूल न फैले और अपके ःयान ह: पर बना रहे , तो वह फोड़े को दाग है ; याजक उस मनुंय को शुa ठहराए।। 24 फर यद कसी के चमO म

जलने का घाव हो, और उस जलने के घाव म चमOह:न फूल लाली िलथे हुए उजला वा उजला ह: हो जाए, 25 तो याजक उसको दे खे, और यद उस फूल म के रोएं उजले हो गए हHऔर वह चमO से गहरा दे ख पके, तो वह कोढ़ है ; जो उस जलने के दाग म से फूट िनकला है ; याजक उस मनुंय को अशुa ठहराए; यHक उस म

कोढ़ क eयािध है । 26 और यद याजक दे खे, क फूल म उजले रोएं नह:ं और न वह चमO से कुछ गहरा है , और उसक चमक कम हुई है , तो वह उसको सात दन तक ब(द कर रखे, 27 और सातव दन याजक उसको दे खे, और यद वह चमO म

फैल गई हो, तो वह उस मनुंय को अशुa ठहराए; यHक उसको कोढ़ क eयािध है । 28 पर(तु यद वह फूल चमO म नह:ं फैला और अपके ःयान ह: पर जहां का तहां ह: बना हो, और उसक चमक कम हुई हो, तो वह जल जाने के कारण सूजा हुआ है , याजक उस मनुंय को शुa ठहराए; यHक वह दाग जल जाने के कारण से है ।। 29 फर यद कसी पुRष वा \ी के िसर पर, वा पुRष क डाढ़: म eयािध हो, 30 तो याजक eयािध को दे खे, और यद वह चमO से गहर: दे ख पके, और उस म भूरे भूरे पतले बाल हH, तो याजक उस मनुंय को अशुa ठहराए; वह eयािध स हुआं, अयाOत ् िसर वा डाढ़: का कोढ़ है । 31 और यद याजक स हुएं क eयािध को दे खे, क वह चमO से गहर: नह:ं है और उस म काले काले बाल नह:ं हE , तो वह स हुएं के eयािधत को सात दन तक ब(द कर रखे, 32 और सातव दन याजक eयािध को दे खे, तब यद वह स हुआं फैला न हो, और उस म भूरे भूरे बाल न हH, और स हुआं चमO से गहरा न दे ख पके, 33 तो यह मनुंय मूड़ ं ा जाए, पर(तु जहां स हुआं हो वहां न मूड़ ं ा जाए; और याजक उस स हुएंवाले को और भी सात दन तक ब(द करे ; 34 और सातव दन याजक सेहुएं को दे खे, और यद वह स हुआं चमO म

फैला न हो और चमO से गहरा न दे ख पके, तो याजक उस मनुंय को शुa ठहराए; और वह अपके व\ धोके शुa ठहरे । 35 और यद उसके शुa ठहरने के प_ात ् स हुआं चमO म कुछ भी फैले, 36 तो याजक उसको दे खे, और यद वह चमO म फैला हो, तो याजक यह भूरे बाल न ढू ं ढ़े, यHक मनुंय अशुa है । 37 पर(तु यद उसक l म वह स हुआं जैसे का तैसा बना हो, और उस म काले काले बाल जमे हH, तो वह जाने क स हुआं चंगा हो गया है , और वह मनुंय शुa है ; याजक उसको शुa ह: ठहराए।। 38 फर यद कसी पुRष वा \ी के चमO म उजले फूल हH, 39 तो याजक दे खे, और यद उसके चमO म वे फूल कम उजले हH, तो वह जाने क उसको चमO म िनकली हुई चाL ह: है ; वह मनुंय शुa ठहरे ।। 40 फर 'जसके िसर के बाल फड़ गए हH, तो जानना क वह च(दल ु ा तो है पर(तु शुa है । 41 और 'जसके िसर के आगे के बाल फड़ गए हH, तो वह माथे का च(दल ु ा तो है पर(तु शुa है । 42 पर(तु यद च(दल ु े िसर पर वा च(दल ु े माथे पर लाली िलथे हुए उजली eयािध हो, तो जानना क वह उसके च(दल ु े िसर पर वा च(दल ु े माथे पर िनकला हुआ कोढ़ है । 43 इसिलथे याजक उसको दे खे, और यद eयािध क सूजन उसके च(दल ु े िसर वा च(दल ु े माथे पर ऐसी लाली िलथे हुए उजली हो जैसा चमO के कोढ़ म होता है , 44 तो वह मनुंय कोढ़: है और अशुa है ; और याजक उसको अवँय अशुa ठहराए; यHक वह eयािध उसके िसर पर है ।। 45 और 'जस म

वह eयािध हो उस कोढ़: के व\ फटे और िसर के बाल बखरे रह , और वह अपके ऊपरवाले हHठ को ढांपे हुए अशुa, अशुa पुकारा करे । 46 'जतने दन तक वह eयािध उस म रहे उतने दन तक वह तो अशुa रहे गा; और वह अशुa ठहरा रहे ; इसिलथे वह अकेला रहा करे , उसका िनवास ःयान छावनी के बाहर हो।। 47 फर

'जस व\ म कोढ़ क eयािध हो, चाहे वह व\ ऊन का हो चाहे सनी का, 48 वह eयािध चाहे उस सनी वा ऊन के व\ के ताने म हो चाहे बाने म , वा वह eयािध चमड़े म वा चमड़े क कसी वःतु म हो, 49 यद वह eयािध कसी व\ के चाहे ताने म चाहे बाने म , वा चमड़े म वा चमड़े क कसी वःतु म हर: हो वा लाल सी हो, तो जानना क वह कोढ़ क eयािध है और वह याजक को दखाई जाए। 50 और याजक eयािध को दे खे, और eयािधवाली वःतु को सात दन के िलथे ब(द करे ; 51 और सातव दन वह उस eयािध को दे खे, और यद वह व\ के चाहे ताने म चाहे बाने म , वा चमड़े म वा चमड़े क बनी हुई कसी वःतु म फैल गई हो, तो जानना क eयािध गिलत कोढ़ है , इसिलथे वह वःतु, चाहे कैसे ह: काम म यHन आती हो, तौभी अशुa ठहरे गी। 52 वह उस व\ को 'जसके ताने वा बाने म वह eयािध हो, चाहे वह ऊन का हो चाहे सनी का, वा चमड़े क वःतु हो, उसको जला दे , वह eयािध गिलत कोढ़ क है ; वह वःतु आग म जलाई जाए। 53 और यद याजक दे खे क वह eयािध उस व\ के ताने वा बाने म , वा चमड़े क उस वःतु म

नह:ं फैली, 54 तो 'जस वःतु म eयािध हो उसके धोने क आWा दे , तक उसे और भी सात दन तक ब(द कर रखे; 55 और उसके धोने के बाद याजक उसको दे खे, और यद eयािध का न तो रं ग बदला हो, और न eयािध फैली हो, तो जानना क वह अशुa है ; उसे आग म जलाना, यHक चाहे वह eयािध भीतर चाहे ऊप क हो तौभी वह खा जाने वाली eयािध है । 56 और यद याजक दे खे, क उसके धोने के प_ात ् eयािध क चमक कम हो गई, तो वह उसको व\ के चाहे ताने चाहे बाने म से, वा चमड़े म से फाड़के िनकाले; 57 और यद वह eयािध तब भी उस व\ के ताने वा बाने म , वा चमड़े क उस वःतु म दे ख पके, तो जानना क वह

फूट के िनकली हुई eयािध है ; और 'जस म वह eयािध हो उसे आग म जलाना। 58 और यद उस व\ से 'जसके ताने वा बाने म eयािध हो, वा चमड़े क जो वःतु हो उस से जब धोई जाए और eयािध जाती रह:, तो वह दस ू र: बार धुल कर शुa ठहरे । 59 ऊन वा सनी के व\ म के ताने वा बाने म , वा चमड़े क कसी वःतु म

जो कोढ़ क eयािध हो उसके शुa और अशुa ठहराने क यह: eयवःया है ।। लैeयवःथा 14 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 कोढ़: के शुa ठहराने क eयवःया यह है , क वह याजक के पास पहंु चाया जाए। 3 और याजक छावनी के बाहर जाए, और याजक उस कोढ़: को दे खे, और यद उसके कोढ़ क eयािध चंगी हुई हो, 4 तो याजक आWा दे क शुa ठहराने वाले के िलथे दो शुa और जीवत प क, दे वदाR क लकड़:, और लाल रं ग का कपड़ा और जूफा थे सब िलथे जाएं; 5 और याजक आWा दे क एक प क बहते हुए जल के ऊपर िम=ट: के पाऽ म बिल कया जाए। 6 तब वह जीवत प क को दे वदाR क लकड़: और लाल रं ग के कपके और जूफा इन सभHको लेकर एक संग उस प क के लोहू म जो बहते हुए जल के ऊपर बिल कया गया है डु बा दे ; 7 और कोढ़ से शुa ठहरनेवाले पर सात बार िछड़ककर उसको शुa ठहराए, तब उस जीवत प क को मैदान म छोड़ दे । 8 और शुa ठहरनेवाला अपके वHको धोए, और सब बाल मुड़ ं वाकर जल से ःनान करे , तब वह शुa ठहरे गा; और उसके बाद वह छावनी म आने पाए, पर(तु सात दन तक अपके डे रे से बाहर ह: रहे । 9 और सातव दन वह िसर, डाढ़: और भौहHके सब बाल मुड़ ं ाए, और सब अंग मु+डन कराए, और अपके वHको धोए, और

जल से ःनान करे , तब वह शुa ठहरे गा। 10 और आठव दन वह दो िनदzष भेड़ के ब.चे, और अ(नबिल के िलथे तेल से सना हुआ एपा का तीन दहाई अंश मैदा, और लोज भर तेल लाए। 11 और शुa ठहरानेवाला याजक इन वःतुओं समेत उस शुa होनेवाले मनुंय को यहोवा के सSमुख िमलापवाले तSबू के kार पर खड़ा करे । 12 तब याजक एक भेड़ का ब.चा लेकर दोषबिल के िलथे उसे और उस लोज भर ते ल को समीप लाए, और इन दोनो को हलाने क भ ट के िलथे यहोवा के साSहने हलाए; 13 तब याजक एक भेड़ के ब.चे को उसी ःयान म जहां वह पापबिल और होमबिल पशुओं का बिलदान कया करे गा, अयाOत ् पवऽःयान म

बिलदान करे ; यHक जैसा पापबिल याजक का िनज भाग होगा वैसा ह: दोषबिल भी उसी का िनज भाग ठहरे गा; वह परमपवऽ है । 14 तब याजक दोषबिल के लोहू म से कुछ लेकर शुa ठहरनेवाले के दहने कान के िस के पर, और उसके दहने हाथ और दहने पांव के अंगूठHपर लगाए। 15 और याजक उस लोज भर तेल म से कुछ लेकर अपके बाएं हाथ क हथेली पर डाले, 16 और याजक अपके दहने हाथ क उं गली को अपके बाL हथेली पर के तेल म डु बाकर उस तेल म से कुछ अप क उं गली से यहोवा के सSमुख सात बार िछड़के। 17 और जो तेल उसक हथेली पर रह जाएगा याजक उस म से कुछ शुa होनेवाले के दहने कान के िस के पर, और उसके दहने हाथ और दहने पांव के अंगूठHपर दोषबिल के लोहू के ऊपर लगाएं; 18 और जो ते ल याजक क हथेली पर रह जाए उसको वह शुa होनेवाले के िसर पर डाल दे । और याजक उसके िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करे । 19 और याजक पापबिल को भी चढ़ाकर उसके िलथे जो अप क अशुaता से शुa होनेवाला हो ूाय'_ करे ; और उसके बाद होमबिल पशु का

बिलदान करके: 20 अ(नबिल समेत वेद: पर चढ़ाए: और याजक उसके िलथे ूाय'_ करे , और वह शुa ठहरे गा।। 21 पर(तु यद वह दgरि हो और इतना लाने के िलथे उसके पास पूंजी न हो, तो वह अपना ूाय'_ करवाने के िनिम, हलाने के िलथे भेड़ का ब.चा दोषबिल के िलथे, और ते ल से सना हुआ एपा का दसवां अंश मैदा अ(नबिल करके, और लोज भर तेल लाए; 22 और दो पंडुक, वा कबूतर: के दो ब.चे लाए, जो वह ला सके; और इन म से एक तो पापबिल के िलथे और दस ू रा होमबिल के िलथे हो। 23 और आठव दन वह इन सभHको अपके शुa ठहरने के िलथे िमलापवाले तSबू के kार पर, यहोवा के सSमुख, याजक के पास ले आए; 24 तब याजक उस लोज भर तेल और दोष बिलवाले भेड़ के ब.चे को लेकर हलाने क भ ट के िलथे यहोवा के साSहने हलाए। 25 फर दोषबिल के भेड़ के ब.चे का बिलदान कया जाए; और याजक उसके लोहू म से कुछ लेकर शुa ठहरनेवाले के दहने कान के िस के पर, और उसके दहने हाथ और दहने पांव के अंगूठHपर लगाए। 26 फर याजक उस तेल म से कुछ अपके बाएं हाथ क हथेली पर डालकर, 27 अपके दहने हाथ क उं गली से अप क बाL हथेली पर के तेल म से कुछ यहोवा के सSमुख सात बार िछड़के; 28 फर याजक अप क हथेली पर के तेल म से कुछ शुa ठहरनेवाले के दहने कान के िस के पर, और उसके दहने हाथ और दहने पांव के अंगूठHपर दोषबिल के लोहू के ःयान पर, लगाए। 29 और जो तेल याजक क हथेली पर रह जाए उसे वह शुa ठहरनेवाले के िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करने को उसके िसर पर डाल दे । 30 तब वह पंडुकHवा कबूतर: के ब.चHम से जो वह ला सका हो एक को चढ़ाए, 31 अयाOत ् जो प क वह ला सका हो, उन म से वह एक को पापबिल के िलथे और अ(नबिल

समेत दस ू रे को होमबिल के िलथे चढ़ाए; इस र:ित से याजक शुa ठहरनेवाले के िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करे । 32 'जसे कोढ़ क eयािध हुई हो, और उसके इतनी पूंजी न हो क वह शुa ठहरने क साममी को ला सके, तो उसके िलथे यह: eयवःया है ।। 33 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 34 जब तुम लोग कनान दे श म पहंु चो, 'जसे मE तुSहार: िनज भूिम होने के िलथे तुSह दे ता हंू , उस समय यद मE कोढ़ क eयािध तुSहारे अिध कारने के कसी घर म दखाऊं, 35 तो 'जसका वह घर हो वह आकर याजक को बता दे , क मुझे ऐसा दे ख पड़ता है क घर म मानHकोई eयािध है । 36 तब याजक आWा दे , क उस घर म eयािध दे खने के िलथे मेरे जाने से पहले उसे खाली करो, कह:ं ऐसा न हो क जो कुछ घर म हो वह सब अशुa ठहरे ; और पीछे याजक घर दे खने को भीतर जाए। 37 तब वह उस eयािध को दे खे; और यद वह eयािध घर क द:वारHपर हर: हर: वा लाल लाल मानHखुद: हुई लकरHके Rप म हो, और थे लकर द:वार म गहर: दे ख पड़ती हH, 38 तो याजक घर से बाहर kार पर जाकर घर को सात दन तक ब(द कर रखे। 39 और सातव दन याजक आकर दे खे; और यद वह eयािध घर क द:वारHपर फैल गई हो, 40 तो याजक आWा दे , क 'जन पयरHको eयािध है उ(ह

िनकाल कर नगर से बाहर कसी अशुa ःयान म फ क द ; 41 और वह घर के भीतर ह: भीतर चारHओर खुरचवाए, और वह खुरचन क िम=ट: नगर से बाहर कसी अशुa ःयान म डाली जाए; 42 और उन पयरHके ःयान म और दस ू रे पयर लेकर लगाएं और याजक ताजा गारा लेकर घर क जुड़ाई करे । 43 और यद पयरHके िनकाले जाने और घर के खुरचे और लेसे जाने के बाद वह eयािध फर घर म फूट िनकले, 44 तो याजक आकर दे खे; और यद वह eयािध घर म

फैल गई हो, तो वह जान ले क घर म गिलत कोढ़ है ; वह अशुa है । 45 और वह सब गारे समेत पयर, लकड़: और घर को खुदवाकर िगरा दे ; और उन सब वःतुओं को उठवाकर नगर से बाहर कसी अशुa ःयान पर फंकवा दे । 46 और जब तक वह घर ब(द रहे तब तक यद कोई उस म जाए तो वह सांफ तक अशुa रहे ; 47 और जो कोई उस घर म सोए वह अपके वHको धोए; और जो कोई उस घर म खाना खाए वह भी अपके वHको धोए। 48 और यद याजक आकर दे खे क जब से घर लेसा गया है तब से उस म eयािध नह:ं फैली है , तो यह जानकर क वह eयािध दरू हो गई है , घर को शुa ठहराए। 49 और उस घर को पवऽ करने के िलथे दो प क, दे वदाR क लकड़:, लाल रं ग का कपड़ा और जूफा िलवा लाए, 50 और एक प क बहते हुए जल के ऊपर िम=ट: के पाऽ म बिलदान करे , 51 तब वह दे वदाR क लकड़: लाल रं ग के कपके और जूफा और जीवत प क इन सभHको लेकर बिलदान कए हुए प क के लोहू म और बहते हुए जल म डू बा दे , और उस घर पर सात बार िछड़के। 52 और वह प क के लोहू, और बहते हुए जल, और जूफा और लाल रं ग के कपके के kारा घर को पवऽ करे ; 53 तब वह जीवत प क को नगर से बाहर मैदान म छोड़ दे ; इसी र:ित से वह घर के िलथे ूाय'_ करे , तब वह शुa ठहरे गा। 54 सब भांित के कोढ़ क eयािध, और सेहुएं, 55 और व\, और घर के कोढ़, 56 और सूजन, और पप क, और फूल के वषय म , 57 शुa और अशुa ठहराने क िशझा क eयवःया यह: है । सब ूकार के कोढ़ क eयवःया यह: है ।। लैeयवःथा 15

1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 क इ\ाएिलयHसे कहो, क 'जस 'जस पुRष के ूमेह हो, तो वह ूमेह के कारण से अशुa ठहरे । 3 और चाहे बहता रहे , चाहे बहना ब(द भी हो, तौभी उसक अशुaता बनी रहे गी। 4 'जसके ूमेह हो वह 'जस 'जस बछौने पर लेटे वह अशुa ठहरे , और 'जस 'जस वःतु पर वह बैठे वह भी अशुa ठहरे । 5 और जो कोई उसके बछौने को छूए वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa ठहरा रहे । 6 और 'जसके ूमेह हो और वह 'जस वःतु पर बैठा हो, उस पर जो कोई बैठे वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa ठहरा रहे । 7 और 'जसके ूमेह हो उस से जो कोई छू जाए वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे और सांफ तक अशुa रहे । 8 और 'जसके ूमेह हो यद वह कसी शुa मनुंय पर यूके, तो वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 9 और 'जसके ूमेह हो वह सवार: क 'जस वःतु पर बैठे वह अशुa ठहरे । 10 और जो कोई कसी वःतु को जो उसके नीचे रह: हो छूए वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 11 और 'जसके ूमेह हो वह 'जस कसी को बना हाथ धोए छूए वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 12 और 'जसके ूमेह हो वह िम=ट: के 'जस कसी पाऽ को छूए वह तोड़ डाला जाए, और काठ के सब ूकार के पाऽ जल से धोए जाएं। 13 फर 'जसके ूमेह हो वह जब अपके रोग से चंगा हो जाए, तब से शुa ठहरने के सात दन िगन ले, और उनके बीतने पर अपके वHको धोकर बहते हुए जल से ःनान करे ; तब वह शुa ठहरे गा। 14 और आठव दन वह दो पंडुक वा कबूतर: के दो ब.चे लेकर िमलापवाले तSबू के kार पर यहोवा के सSमुख जाकर उ(ह याजक को दे । 15 तब याजक उन म से

एक को पापबिल; और दस ू रे को होमबिल के िलथे भ ट चढ़ाए; और याजक उसके िलथे उसके ूमेह के कारण यहोवा के साSहने ूाय'_ करे ।। 16 फर यद कसी पुRष का वीयO ःखिलत हो जाए, तो वह अपके सारे शर:र को जल से धोए, और सांफ तक अशुa रहे । 17 और 'जस कसी व\ वा चमड़े पर वह वीयO पके वह जल से धोया जाए, और सांफ तक अशुa रहे । 18 और जब कोई पुRष \ी से ूसंग करे , तो वे दोनो जल से ःनान कर , और सांफ तक अशुa रह ।। 19 फर जब कोई \ी ऋतुमती रहे , तो वह सात दन तक अशुa ठहर: रहे , और जो कोई उसको छूए वह सांफ तक अशुa रहे । 20 और जब तक वह अशुa रहे तब तक 'जस 'जस वःतु पर वह लेटे, और 'जस 'जस वःतु पर वह बैठे वे सब अशुa ठहर । 21 और जो कोई उसके बछौने को छूए वह अपके व\ धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 22 और जो कोई कसी वःतु को छूए 'जस पर वह बैठq हो वह अपके व\ धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 23 और यद बछौने वा और कसी वःतु पर 'जस पर वह बैठq हो छूने के समय उसका Rिधर लगा हो, तो छूनेहारा सांफ तक अशुa रहे । 24 और यद कोई पुRष उस से ूसंग करे , और उसका Rिधर उसके लग जाए, तो वह पुRष सात दन तक अशुa रहे , और 'जस 'जस बछौने पर वह लेटे वे सब अशुa ठहर ।। 25 फर यद कसी \ी के अपके मािसक धमO के िनयुf समय से अिधक दन तक Rिधर बहता रहे , वा उस िनयुf समय से अिधक समय तक ऋतुमती रहे , तो जब तक वह ऐसी दशा म रहे तब तक वह अशुa ठहर: रहे । 26 उसके ऋतुमती रहने के सब दनHम 'जस 'जस बछौने पर वह लेटे वे सब उसके मािसक धमO के बछौने के समान ठहर ; और 'जस 'जस वःतु पर वह बैठे वे भी उसके ऋतुमती

रहे के दनHक नाई अशुa ठहर । 27 और जो कोई उन वःतुओं को छुए वह अशुa ठहरे , इसिलथे वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 28 और जब वह \ी अपके ऋतुमती से शुa हो जाए, तब से वह सात दन िगन ले, और उन दनHके बीतने पर वह शुa ठहरे । 29 फर आठव दन वह दो पंडुक या कबूतर: के दो ब.चे लेकर िमलापवाले तSबू के kार पर याजक के पास जाए। 30 तब याजक एक को पापबिल और दस ू रे को होमबिल के िलथे चढ़ाए; और याजक उसके िलथे उसके मािसक धमO क अशुaता के कारण यहोवा के साSहने ूाय'_ करे ।। 31 इस ूकार से तुम इ\ाएिलयHको उनक अशुaता से (यारे रखा करो, कह:ं ऐसा न हो क वे यहोवा के िनवास को जो उनके बीच म है अशुa करके अप क अशुaता म फंसे हुए मर जाएं।। 32 'जसके ूमेह हो और जो पुRष वीयO ःखिलत होने से अशुa हो; 33 और जो \ी ऋतुमती हो; और या पुRष या \ी, 'जस कसी के धातुरोग हो, और जो पुRष अशुa \ी के ूसंग करे , इन सभHके िलथे यह: eयवःया है ।। लैeयवःथा 16 1 जब हाRन के दो पुऽ यहोवा के साSहने समीप जाकर मर गए, उसके बाद यहोवा ने मूसा से बात क; 2 और यहोवा ने मूसा से कहा, अपके भाई हाRन से कह, क स(दक ू के ऊपर के ूाय'_वाले ढ़कने के आगे, बीचवाले पद के अ(दर, पवऽःयान म हर समय न ूवे श करे , नह:ं तो मर जाएगा; यHक मE ूाय'_वाले ढ़कने के ऊपर बादल म दखाई दं ग ू ा। 3 और जब हाRन पवऽःयान म ूवेश करे तब इस र:ित से ूवेश करे , अयाOत ् पापबिल के िलथे

एक बछड़े को और होमबिल के िलथे एक मेढ़े को लेकर आए। 4 वह सनी के कपके का पवऽ अंगरखा, और अपके तन पर सनी के कपके क जांिघया पहने हुए, और सनी के कपके का कटब(द, और सनी के कपके क पगड़: बांधे हुए ूवेश करे ; थे पवऽ ःयान हE , और वह जल से ःनान करके इ(ह पहने। 5 फर वह इ\ाएिलयHक म+डली के पास से पापबिल के िलथे दो बकरे और होमबिल के िलथे एक मेढ़ा ले। 6 और हाRन उस पापबिल के बछड़े को जो उसी के िलथे होगा चढ़ाकर अपके और अपके घराने के िलथे ूाय'_ करे । 7 और उन दोनHबकरHको लेकर िमलापवाले तSबू के kार पर यहोवा के साSहने खड़ा करे ; 8 और हाRन दोनHबकरHपर िच'=ठयां डाले, एक िच=ठq यहोवा के िलथे और दस ू र: अजाजेल के िलथे हो। 9 और 'जस बकरे पर यहोवा के नाम क िच=ठq िनकले उसको हाRन पापबिल के िलथे चढ़ाए; 10 पर(तु 'जस बकरे पर अजाजेल के िलथे िच=ठq िनकले वह यहोवा के साSहने जीवता खड़ा कया जाए क उस से ूाय'_ कया जाए, और वह अजाजेल के िलथे जंगल म छोड़ा जाए। 11 और हाRन उस पापबिल के बछड़े को जो उसी के िलथे होगा समीप ले आए, और उसको बिलदान करके अपके और अपके घराने के िलथे ूाय'_ करे । 12 और जो वेद: यहोवा के सSमुख है उस पर के जलते हुए कोयलHसे भरे हुए धूपदान को लेकर, और अप क दोनHमु'=ठयHको फूटे हुए सुग'(धत धूप से भरकर, बीचवाले पद के भीतर ले आकर 13 उस धूप को यहोवा के सSमुख आग म डाले, 'जस से धूप का धुआं साझीपऽ के ऊपर के ूाय'_ के ढकने के ऊपर छा जाए, नह:ं तो वह मर जाएगा; 14 तब वह बछड़े के लोहू म से कुछ लेकर पूरब क ओर ूाय'_ के ढकने के ऊपर अप क उं गली से िछड़के, और फर उस लोहू म से

कुछ उं गली के kारा उस ढकने के साSहने भी सात बार िछड़क दे । 15 फर वह उस पापबिल के बकरे को जो साधारण जनता के िलथे होगा बिलदान करके उसके लोहू को बीचवाले पद के भीतर ले आए, और 'जस ूकार बछड़े के लोहू से उस ने कया या ठqक वैसा ह: वह बकरे के लोहू से भी करे , अयाOत ् उसको ूाय'_ के ढकने के ऊपर और उसके साSहने िछड़के। 16 और वह इ\ाएिलयHक भांित भांित क अशुaता, और अपराधH, और उनके सब पापHके कारण पवऽःयान के िलथे ूाय'_ करे ; और िमलापवाला तSबू जो उनके संग उनक भांित भांित क अशुaता के बीच रहता है उसके िलथे भी वह वैसा ह: करे । 17 और जब हाRन ूाय'_ करने के िलथे पवऽःयान म ूवेश करे , तब से जब तक वह अपके और अपके घराने और इ\ाएल क सार: म+डली के िलथे ूाय'_ करके बाहर न िनकले तब तक कोई मनुंय िमलापवाले तSबू म न रहे । 18 फर वह िनकलकर उस वे द: के पास जो यहोवा के साSहने है जाए और उसके िलथे ूाय'_ करे , अयाOत ् बछड़े के लोहू और बकरे के लोहू दोनHम से कुछ लेकर उस वेद: के चारHकोनHके सींगो पर लगाए। 19 और उस लोहू म से कुछ अप क उं गली के kारा सात बार उस पर िछड़ककर उसे इ\ाएिलयHक भांित भांित क अशुaता छुड़ाकर शुa और पवऽ करे । 20 और जब वह पवऽःयान और िमलापवाले तSबू और वे द: के िलथे ूाय'_ कर चुके, तब जीवत बकरे को आगे ले आए; 21 और हाRन अपके दोनHहाथHको जीवत बकरे पर रखकर इ\ाएिलयHके सब अधमO के कामH, और उनके सब अपराधH, िनदान उनके सारे पापHको अंगीकार करे , और उनको बकरे के िसर पर धरकर उसको कसी मनुंय के हाथ जो इस काम के िलथे तैयार हो जंगल म भेजके छुड़वा दे । 22 और वह

बकरा उनके सब अधमO के कामHको अपके ऊपर लादे हुए कसी िनराले दे श म

उठा ले जाएगा; इसिलथे वह मनुंय उस बकरे को जंगल म छोड़े दे । 23 तब हाRन िमलापवाले तSबू म आए, और 'जस सनी के वHको पहने हुए उस ने पवऽःयान म ूवेश कया या उ(ह उतारकर वह:ं पर रख दे । 24 फर वह कसी पवऽ ःयान म जल से ःनान कर अपके िनज व\ पहन ले, और बाहर जाकर अपके होमबिल और साधारण जनता के होमबिल को चढ़ाकर अपके और जनता के िलथे ूाय'_ करे । 25 और पापबिल क चरबी को वह वेद: पर जलाए। 26 और जो मनुंय बकरे को अजाजे ल के िलथे छोड़कर आए वह भी अपके वHको धोए, और जल से ःनान करे , और तब वह छावनी म ूवे श करे । 27 और पापबिल का बछड़ा और पापबिल का बकरा भी 'जनका लोहू पवऽःयान म

ूाय'_ करने के िलथे पहंु चाया जाए वे दोनHछावनी से बाहर पहंु चाए जाएं; और उनका चमड़ा, मांस, और गोबर आग म जला दया जाए। 28 और जो उनको जलाए वह अपके वHको धोए, और जल से ःनान करे , और इसके बाद वह छावनी म ूवेश करने पाए।। 29 और तुम लोगHके िलथे यह सदा क विध होगी क सातव मह:ने के दसव दन को तुम अपके अपके जीव को द:ु ख दे ना, और उस दन कोई, चाहे वह तुSहारे िनज दे श को हो चाहे तुSहारे बीच रहने वाला कोई परदे शी हो, कोई भी कसी ूकार का काम काज न करे ; 30 यHक उस दन तुSह

शुa करने के िलथे तुSहारे िनिम ूाय'_ कया जाएगा; और तुम अपके सब पापHसे यहोवा के सSमुख पवऽ ठहरोगे। 31 यह तुSहारे िलथे परमवौम का दन ठहरे , और तुम उस दन अपके अपके जीव को द:ु ख दे ना; यह सदा क विध है । 32 और 'जसका अपके पता के ःयान पर याजक पद के िलथे अिभषेक और

संःकार कया जाए वह याजक ूाय'_ कया करे , अयाOत ् वह सनी के पवऽ वHको पहनकर, 33 पवऽःयान, और िमलापवाले तSबू, और वेद: के िलथे ूाय'_ करे ; और याजकHके और म+डली के सब लोगHके िलथे भी ूाय'_ करे । 34 और यह तुSहारे िलथे सदा क विध होगी, क इ\ाएिलयHके िलथे ूितवषO एक बार तुSहारे सारे पापHके िलथे ूाय'_ कया जाए। यहोवा क इस आWा के अनुसार जो उस ने मूसा को द: यी हाRन ने कया।। लैeयवःथा 17 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 हाRन और उसके पुऽHसे और कुल इ\ाएिलयHसे कह, क यहोवा ने यह आWा द: है , 3 क इ\ाएल के घराने म से कोई मनुंय हो जो बैल वा भेड़ के ब.चे, वा बकर: को, चाहे छावनी म चाहे छावनी से बाहर घात करके 4 िमलापवाले तSबू के kार पर, यहोवा के िनवास के साSहने यहोवा को चढ़ाने के िनिम न ले जाए, तो उस मनुंय को लोहू बहाने का दोष लगेगा; और वह मनुंय जो लोहू बहाने वाला ठहरे गा, वह अपके लोगHके बीच से नाश कया जाए। 5 इस विध का यह कारण है क इ\ाएली अपके बिलदान 'जनको वह खुले मैदान म वध करते हE , वे उ(ह िमलापवाले तSबू के kार पर याजक के पास, यहोवा के िलथे ले जाकर उसी के िलथे मेलबिल करके बिलदान कया कर ; 6 और याजक लोहू को िमलापवाले तSबू के kार पर यहोवा क वेद: के ऊपर िछड़के, और चरबी को उसके सुखदायक सुग(ध के िलथे जलाए। 7 और वे जो बकरHके पूजक होकर eयिभचार करते हE , वे फर अपके बिलपशुओं को उनके िलथे बिलदान न कर । तुSहार: पीढय़Hके िलथे यह सदा क विध होगी।। 8 और तू उन से कह, क

इ\ाएल के घराने के लोगHम से वा उनके बीच रहनेहारे परदे िशयHम से कोई मनुंय यHन हो जो होमबिल वा मेलबिल चढ़ाए, 9 और उसको िमलापवाले तSबू के kार पर यहोवा के िलथे चढ़ाने को न ले आए; वह मनुंय अपके लोगHम

से नाश कया जाए।। 10 फर इ\ाएल के घराने के लोगHम से वा उनके बीच रहनेवाले परदे िशयHम से कोई मनुंय यHन हो जो कसी ूकार का लोहू खाए, मE उस लोहू खानेवाले के वमुख होकर उसको उसके लोगHके बीच म से नाश कर डालूग ं ा। 11 यHक शर:र का ूाण लोहू म रहता है ; और उसको मE ने तुम लोगHको वेद: पर चढ़ाने के िलथे दया है , क तुSहारे ूाणHके िलथे ूाय'_ कया जाए; यHक ूाण के कारण लोहू ह: से ूाय'_ होता है । 12 इस कारण मE इ\ाएिलयHसे कहता हूं, क तुम म से कोई ूाणी लोहू न खाए, और जो परदे शी तुSहारे बीच रहता हो वह भी लोहू कभी न खाए।। 13 और इ\ाएिलयHम से वा उनके बीच रहनेवाले परदे िशयHम से कोई मनुंय यHन हो जो अहे र करके खाने के योbय पशु वा प क को पकड़े , वह उसके लोहू को उं डे लकर धूिल से ढं ◌ाप दे । 14 यHक शर:र का ूाण जो है वह उसका लोहू ह: है जो उसके ूाण के साय एक है ; इसी िलथे मE इ\ाएिलयHसे कहता हंू , क कसी ूकार के ूाणी के लोहू को तुम न खाना, यHक सब ूा'णयHका ूाण उनका लोहू ह: है ; जो कोई उसको खाए वह नाश कया जाएगा। 15 और चाहे वह दे शी हो वा परदे शी हो, जो कोई कसी लोय वा फाड़े हुए पशु का मांस खाए वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे ; तब वह शुa होगा। 16 और यद वह उनको न धोए और न ःनान करे , तो उसको अपके अधमO का भार ःवयं उठाना पकेगा।। लैeयवःथा 18

1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कह, क मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं। 3 तुम िमॐ दे श के कामHके अनुसार 'जस म तुम रहते थे न करना; और कनान दे श के कामHके अनुसार भी जहां मE तुSह ले चलता हंू न करना; और न उन दे शHक विधयHपर चलना। 4 मेरे ह: िनयमHको मानना, और मेर: ह: विधयHको मानते हुए उन पर चलना। मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 5 इसिलथे तुम मेरे िनयमHऔर मेर: विधयHको िनर(तर मानना; जो मनुंय उनको माने वह उनके कारण जीवत रहे गा। मE यहोवा हंू । 6 तुम म से कोई अप क कसी िनकट कुटु 'Sबन का तन उघाड़ने को उसके पास न जाए। मE यहोवा हंू । 7 अप क माता का तन जो तुSहारे पता का तन है न उघाड़ना; वह तो तुSहार: माता है , इसिलथे तुम उसका तन न उघाड़ना। 8 अप क सौतेली माता का भी तन न उघाड़ना; वह तो तुSहारे पता ह: का तन है । 9 अप क बहन चाहे सगी हो चाहे सौतेली हो, चाहे वह घर म उप(न हुई हो चाहे बाहर, उसका तन न उघाड़ना। 10 अप क पोती वा अप क नितनी का तन न उघाड़ना, उनक दे ह तो मानो तुSहार: ह: है । 11 तुSहार: सोतेली बहन जो तुSहारे पता से उप(न हुई, वह तुSहार: बहन है , इस कारण उसका तन न उघाड़ना। 12 अप क फूफ का तन न उघाड़ना; वह तो तुSहारे पता क िनकट कुटु 'Sबन है । 13 अप क मौसी का तन न उघाड़ना; यHक वह तुSहार: माता क िनकट कुटु 'Sबन है । 14 अपके चाचा का तन न उघाड़ना, अयाOत ् उसक \ी के पास न जाना; वह तो तुSहार: चाची है । 15 अप क बहू का तन न उघाड़ना वह तो तुSहारे बेटे क \ी है , इस कारण तुम उसका तन न उघाड़ना। 16 अप क भौजी का तन न उघाड़ना; वह तो तुSहारे भाई ह: का तन है । 17 कसी \ी और उसक बेट: दोनHका तन न उघाड़ना, और

उसक पोती को वा उसक नितनी को अप क \ी करके उसका तन न उघाड़ना; वे तो िनकट कुटु 'Sबन है ; ऐसा करना महापाप है । 18 और अप क \ी क बहन को भी अप क \ी करके उसक सौत न करना, क पहली के जीवत रहते हुए उसका तन भी उघाड़े । 19 फर जब तक कोई \ी अपके ऋतु के कारण अशुa रहे तब तक उसके पास उसका तन उघाड़ने को न जाना। 20 फर अपके भाई ब(धु क \ी से कुकमO करके अशुa न हो जाना। 21 और अपके स(तान म से कसी को मोलेक के िलथे होम करके न चढ़ाना, और न अपके परमे र के नाम को अपवऽ ठहराना; मE यहोवा हंू । 22 \ीगमन क र:ित पुRषगमन न करना; वह तो िघनौना काम है । 23 कसी जाित के पशु के साय पशुगमन करके अशुa न हो जाना, और न कोई \ी पशु के साSहने इसिलथे खड़: हो क उसके संग कुकमO करे ; यह तो उ`ट: बात है ।। 24 ऐसा ऐसा कोई भी काम करके अशुa न हो जाना, यHक 'जन जाितयHको मE तुSहारे आगे से िनकालने पर हंू वे ऐसे ऐसे काम करके अशुa हो गई है ; 25 और उनका दे श भी अशुa हो गया है , इस कारण मE उस पर उसके अधमO का द+ड दे ता हूं, और वह दे श अपके िनवािस कH उगल दे ता है । 26 इस कारण तुम लोग मेर: विधयHऔर िनयमHको िनर(तर मानना, और चाहे दे शी चाहे तुSहारे बीच रहनेवाला परदे शी हो तुम म से कोई भी ऐसा िघनौना काम न करे ; 27 यHक ऐसे सब िघनौने कामHको उस दे श के मनुंय तो तुम से पहले उस म रहते थे वे करते आए हE , इसी से वह दे श अशुa हो गया है । 28 अब ऐसा न हो क 'जस र:ित से जो जाित तुम से पहले उस दे श म रहती यी उसको उस ने उगल दया, उसी र:ित जब तुम उसको अशुa करो, तो वह तुम को भी उगल दे । 29 'जतने ऐसा कोई िघनौना काम कर वे सब ूाणी अपके लोगHम से नाश कए

जाएं। 30 यह आWा जो मE ने तुSहारे मानने को द: है उसे तुम मानना, और जो िघनौनी र:ितयां तुम से पहले ूचिलत हE उन म से कसी पर न चलना, और न उनके कारण अशुa हो जाना। मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू ।। लैeयवःथा 19 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHक सार: म+डली से कह, क तुम पवऽ बने रहो; यHक मE तुSहारा परमे र यहोवा पवऽ हूं। 3 तुम अप क अप क माता और अपके अपके पता का भय मानना, और मेरे वौम दनHको मानना; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 4 तुम मूरतHक ओर न फरना, और दे वताओं क ूितमाएं ढालकर न बना लेना; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 5 जब तुम यहोवा के िलथे मेलबिल करो, तब ऐसा बिलदान करना 'जससे मE तुम से ूस(न हो जाऊं। 6 उसका मांस बिलदान के दन और दस ू रे दन खाया जाए, पर(तु तीसरे दन तक जो रह जाए वह आग म जला दया जाए। 7 और यद उस म से कुछ भी तीसरे दन खाया जाए, तो यह घृ'णत ठहरे गा, और महण न कया जाएगा। 8 और उसका खानेवाला यहोवा के पवऽ पदायO को अपवऽ ठहराता है , इसिलथे उसको अपके अधमO का भार ःवयं उठाना पकेगा; और वह ूाणी अपके लोगHम से नाश कया जाएगा।। 9 फर जब तुम अपके दे श के खेत काटो तब अपके खेत के कोने कोने तक पूरा न काटना, और काटे हुए खेत क िगर: प क बालHको न चुनना। 10 और अप क दाख क बार: का दाना दाना न तोड़ लेना, और अप क दाख क बार: के फंड़े हुए अंगूरHको न बटोरना; उ(ह द:न और परदे शी लोगHके िलथे छोड़ दे ना; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 11 तुम चोर: न

करना, और एक दस ू रे से न तो कपट करना, और न फूठ बोलना। 12 तुम मेरे नाम क फूठq शपय खाके अपके परमे र का नाम अपवऽ न ठहराना; मE यहोवा हंू । 13 एक दस ू रे पर अ(धेर न करना, और न एक दस ू रे को लूट लेना। और मजदरू क मजदरू : तेरे पास सार: रात बहान तक न रहने पाएं। 14 बहरे को शाप न दे ना, और न अ(धे के आगे ठोकर रखना; और अपके परमे र का भय मानना; मE यहोवा हूं। 15 (याय म कुटलता न करना; और न तो कंगाल का पझ करना और न बड़े मनुंयHका मुह ं दे खा वचार करना; उस दस ू रे का (याय धमO से करना। 16 लूतरा बनके अपके लोगHम न फरा करना, और एक दस ू रे के लोहू बहाने क युfयां न बा(धना; मE यहोवा हंू । 17 अपके मन म एक दस ू रे के ूित बैर न रखना; अपके पड़ोसी को अवँय डांटना नह:ं, तो उसके पाप का भार तुझ को उठाना पकेगा। 18 पलटा न लेना, और न अपके जाित भाइयHसे बैर रखना, पर(तु एक दस ू रे से अपके समान ूेम रखना; मE यहोवा हंू । 19 तुम मेर: विधयHको िनर(तर मानना। अपके पशुओं को िभ(न जाित के पशुओं से मेल न खाने दे ना; अपके खेत म दो ूकार के बीज इक=ठे न बोना; और सनी और ऊन क िमलावट से बना हुआ व\ न पहनना। 20 फर कोई \ी दासी हो, और उसक मंगनी कसी पुRष से हुई हो, पर(तु वह न तो दास से और न स तम त ःवाधीन क गई हो; उस से यद कोई कुकमO करे , तो उन दोनHको द+ड तो िमले, पर उस \ी के ःवाधीन न होने के कारण वे दोनHमार न डाले जाएं। 21 पर वह पुRष िमलापवाले तSबू के kार पर यहोवा के पास एक मेढ़ा दोषबिल के िलथे ले आए। 22 और याजक उसके कथे हुए पाप के कारण दोषबिल के मेढ़े के kारा उसके िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करे ; तब उसका कया हुआ पाप झमा

कया जाएगा। 23 फर जब तुम कनान दे श म पंहुचकर कसी ूकार के फल के वृझ लगाओ, तो उनके फल तीन वषO तक तुSहारे िलथे मानHखतनारहत ठहर

रह ; इसिलथे उन म से कुछ न खाया जाए। 24 और चौथे वषO म उनके सब फल यहोवा क ःतुित करने के िलथे पवऽ ठहर । 25 तब पांचव वषO म तुम उनके फल खाना, इसिलथे क उन से तुम को बहुत फल िमल ; मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं। 26 तुम लोहू लगा हुआ कुछ मांस न खाना। और न टोना करना, और न शुभ वा अशुभ मुहूतJको मानना। 27 अपके िसर म घेरा रखकर न मुड़ ं ाना, और न अपके गाल के बालHको मुड़ ं ाना। 28 मुदJके कारण अपके शर:र को बलकुल न चीरना, और न उस म छाप लगाना; मE यहोवा हंू । 29 अप क बेटयHको वेँया बनाकर अपवऽ न करना, ऐसा न हो क दे श वेँयागमन के कारण महापाप से भर जाए। 30 मेरे वौमदन को माना करना, और मेरे पवऽःयान का भय िनर(तर मानना; मE यहोवा हंू । 31 ओफाओं और भूत साधने वालHक ओर न फरना, और ऐसHको खोज करके उनके कारण अशुa न हो जाना; मै तुSहारा परमे र यहोवा हूं। 32 प के बालवाले के साSहने उठ खड़े होना, और बूढ़े का आदरमान करना, और अपके परमे र का भय िनर(तर मानना; मE यहोवा हंू । 33 और यद कोई परदे शी तुSहारे दे श म तुSहारे संग रहे , तो उसको द:ु ख न दे ना। 34 जो परदे शी तुSहारे संग रहे वह तुSहारे िलथे दे शी के समान हो, और उस से अपके ह: समान ूे म रखना; यHक तुम भी िमॐ दे श म परदे शी थे; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 35 तुम (याय म , और पgरमाण म , और तौल म , और नाप म

कुटलता न करना। 36 स.चा तराजू, धमO के बटखरे , स.चा एपा, और धमO का ह:न तुSहारे पास रह ; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू जो तुम को िमॐ दे श से

िनकाल ले आया। 37 इसिलथे तुम मेर: सब विधयHऔर सब िनयमHको मानते हुए िनर(तर पालन करो; मE यहोवा हूं।। लैeयवःथा 20 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कह, क इ\ाएिलयHम से, वा इ\ाएिलयHके बीच रहनेवाले परदे िशयHम से, कोई यHन हो जो अप क कोई स(तान मोलेक को बिलदान करे वह िन_य मार डाला जाए; और जनता उसको पयरवाह करे । 3 और मE भी उस मनुंय के वRa होकर उसको उसके लोगHम से इस कारण नाश कRंगा, क उस ने अप क स(तान मोलेक को दे कर मेरे पवऽःयान को अशुa कया, और मेरे पवऽ नाम को अपवऽ ठहराया। 4 और यद कोई अप क स(तान मोलेक को बिलदान करे , और जनता उसके वषय म

आनाकानी करे , और उसको मार न डाले, 5 तब तो मE ःवयं उस मनुंय और उसके घराने के वRa होकर उसको और 'जतने उसके पीछे होकर मोलेक के साय eयिभचार कर उन सभHको भी उनके लोगHके बीच म से नाश कRंगा। 6 फर जो ूाणी ओफाओं वा भूतसाधनेवालHक ओर फरके, और उनके पीछे होकर eयिभचार: बने, तब मE उस ूाणी के वRa होकर उसको उसके लोगHके बीच म से नाश कर दं ग ू ा। 7 इसिलथे तुम अपके आप को पवऽ करो; और पवऽ बने रहो; यHक मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 8 और तुम मेर: विधयHको मानना, और उनका पालन भी करना; यHक मE तुSहारा पवऽ करनेवाला यहोवा हूं। 9 कोई यHन हो जो अपके पता वा माता को शाप दे वह िन_य मार डाला जाए; उस ने अपके पता वा माता को शाप दया है , इस कारण उसका खून उसी के िसर पर

पकेगा। 10 फर यद कोई पराई \ी के साय eयिभचार करे , तो 'जस ने कसी दस ू रे क \ी के साय eयिभचार कया हो तो वह eयिभचार: और वह eयिभचाgरणी दोनHिन_य मार डाले जाएं। 11 और यद कोई अप क सौतेली माता के साय सोए, वह जो अपके पता ह: का तन उघाड़नेवाला ठहरे गा; सो इसिलथे वे दोनHिन_य मार डाले जाएं, उनका खून उ(ह:ं के िसर पर पकेगा। 12 और यद कोई अप क पतोहू के साय सोए, तो वे दोनHिन_य मार डाले जाएं; यHक वे उलटा काम करनेवाले ठहर गे, और उनका खून उ(ह:ं के िसर पर पकेगा। 13 और यद कोई 'जस र:ित \ी से उसी र:ित पुRष से ूसंग करे , तो वे दोनHिघनौना काम करनेवाले ठहर गे; इस कारण वे िन_य मार डाले जाएं, उनका खून उ(ह:ं के िसर पर पकेगा। 14 और यद कोई अप क प^ी और अप क सांस दोनHको रखे , तो यह महापाप है ; इसिलथे वह पुRष और वे '\यां तीनHके तीनHआग म जलाए जाएं, 'जस से तुSहारे बीच महापाप न हो। 15 फर यद कोई पुRष पशुगामी हो, तो पुRष और पशु दोनHिन_य मार डाले जाएं। 16 और यद कोई \ी पशु के पास जाकर उसके संग कुकमO करे , तो तू उस \ी और पशु दोनHको घात करना; वे िन_य मार डाले जाएं, उनका खून उ(ह:ं के िसर पर पकेगा। 17 और यद कोई अप क बहन का, चाहे उसक संगी बहन हो चाहे सौतेली, उसका नbन तन दे खे, तो वह िन'(दत बात है , वे दोनHअपके जाित भाइयHक आंखHके साSहने नाश कए जाएं; यHक जो अप क बहन का तन उघाड़नेवाला ठहरे गा उसे अपके अधमO का भार ःवयं उठाना पकेगा। 18 फर यद कोई पुRष कसी ऋतुमती \ी के संग सोकर उसका तन उघाड़े , तो वह पुRष उसके Rिधर के सोते का उघाड़नेवाला ठहरे गा, और वह \ी अपके Rिधर के सोते

क उघाड़नेवाली ठहरे गी; इस कारण दोनHअपके लोगHके बीच से नाश कए जाएं। 19 और अप क मौसी वा फूफ का तन न उघाड़ना, यHक जो उसे उघाड़े वह अप क िनकट कुटु 'Sबन को नंगा करता है ; इसिलथे इन दोनHको अपके अधमO का भार उठाना पकेगा। 20 और यद कोई अप क चाची के संग सोए, तो वह अपके चाचा का तन उघाड़ने वाला ठहरे गा; इसिलथे वे दोनHअपके पाप का भार को उठाए हुए िनव{श मर जाएंगे। 21 और यद कोई भौजी वा भयाहू को अप क प^ी बनाए, तो इसे िघनौना काम जानना; और वह अपके भाई का तन उघाड़नेवाला ठहरे गा, इस कारण वे दोनHिनव{श रह गे। 22 तुम मेर: सब विधयHऔर मेरे सब िनयमHको समझ के साय मानना; 'जससे यह न हो क 'जस दे श म मE तुSह िलथे जा रहा हूं वह तुम को उगल दे वे। 23 और 'जस जाित के लोगHको मE तुSहारे आगे से िनकालता हंू उनक र:ित रःम पर न चलना; यHक उन लोगHने जो थे सब कुकमO कए हE , इसी कारण मुझे उन से घृणा हो गई है । 24 और मE तुम लोगHसे कहता हंू , क तुम तो उनक भूिम के अिध कारनेी होगे, और मE इस दे श को 'जस म दध ू और मधु क धाराएं बहती हE तुSहारे अिध कारने म कर दं ग ू ा; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू 'जस ने तुम को दे शHके लोगHसे अलग कया है । 25 इस कारण तुम शुa और अशुa पशुओं म , और शुa और अशुa प'झयHम भेद करना; और कोई पशु वा प क वा कसी ूकार का भूिम पर र गनेवाला जीवज(तु यHन हो, 'जसको मE ने तुSहारे िलथे अशुa ठहराकर व'जतO कया है , उस से अपके आप को अशुa न करना। 26 और तुम मेरे िलथे पवऽ बने रहना; यHक मE यहोवा ःवयं पवऽ हंू , और मE ने तुम को और दे शHके लोगHसे इसिलथे अलग कया है क तुम िनर(तर मेरे ह: बने रहो।।

27 यद कोई पुRष वा \ी ओफाई वा भूत क साधना करे , तो वह िन_य मार डाला जाए; ऐसHका पयरवाह कया जाए, उनका खून उ(ह:ं के िसर पर पकेगा।। लैeयवःथा 21 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, हाRन के पुऽ जो याजक है उन से कह, क तुSहारे लोगHम से कोई भी मरे , तो उसके कारण तुम म से कोई अपके को अशुa न करे ; 2 अपके िनकट कुटु 'SबयH, अयाOत ् अप क माता, वा पता, वा बेटे, वा बेट:, वा भाई के िलथे, 3 वा अप क कुंवार: बहन 'जसका ववाह न हुआ हो 'जनका समीपी सSब(ध है ; उनके िलथे वह अपके को अशुa कर सकता है । 4 पर याजक होने के नाते से वह अपके लोगHम ूधान है , इसिलथे वह अपके को ऐसा अशुa न करे क अपवऽ हो जाए। 5 वे न तो अपके िसर मुड़ ं ाएं, और न अपके गाल के बालHको मुड़ ं ाएं, और न अपके शर:र चीर । 6 वे अपके परमे र के िलथे पवऽ बने रह , और अपके परमे र का नाम अपवऽ न कर ; यHक वे यहोवा के हeय को जो उनके परमे र का भोजन है चढ़ाया करते हE ; इस कारण वे पवऽ बने रह । 7 वे वेँया वा ॅा को cयाह न ल ; और न यागी हुई को cयाह ल ; यHक याजक अपके परमे र के िलथे पवऽ होता है । 8 इसिलथे तू याजक को पवऽ जानना, यHक वह तुSहारे परमे र का भोजन चढ़ाया करता है ; इसिलथे वह तेर: l म

पवऽ ठहरे ; यHक मE यहोवा, जो तुम को पवऽ करता हंू , पवऽ हंू । 9 और यद याजक क बे ट: वेँया बनकर अपके आप को अपवऽ करे , तो वह अपके पता को अपवऽ ठहराती है ; वह आग म जलाई जाए।। 10 और जो अपके भाइयHम

महाथाजक हो, 'जसके िसर पर अिभषेक का तेल डाला गया हो, और 'जसका

पवऽ वHको पहनने के िलथे संःकार हुआ हो, वह अपके िसर के बाल बखरने न दे , और अपके व\ फाड़े ; 11 और न वह कसी लोय के पास जाए, और न अपके पता वा माता के कारण अपके को अशुa करे ; 12 और वह पवऽःयान से बाहर भी न िनकले, और न अपके परमे र के पवऽःयान को अपवऽ ठहराए; यHक वह अपके परमे र के अिभषे क का तेलRपी मुकुट धारण कए हुए है ; मE यहोवा हूं। 13 और वह कुंवार: ह: \ी को cयाहे । 14 जो वधवा, वा यागी हुई, वा ॅ, वा वे ँया हो, ऐसी कसी को वह न cयाहे , वह अपके ह: लोगHके बीच म क कसी कुंवार: क(या को cयाहे ; 15 और वह अपके वीयO को अपके लोगHम अपवऽ न करे ; यHक मE उसका पवऽ करनेवाला यहोवा हंू । 16 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 17 हाRन से कह, क तेरे वंश क पीढ़: पीढ़: म 'जस कसी के कोई भी दोष हHवह अपके परमे र का भोजन चढ़ाने के िलथे समीप न आए। 18 कोई यHन हो 'जस म दोष हो वह समीप न आए, चाहे वह अ(धा हो, चाहे लंगड़ा, चाहे नकचपटा हो, चाहे उसके कुछ अिधक अंग हो, 19 वा उसका पांव, वा हाथ टू टा हो, 20 वा वह कुबड़ा, वा बौना हो, वा उसक आंख म दोष हो, वा उस मनुंय के चाL वा खजुली हो, वा उसके अंड पचके हH; 21 हाRन याजक के वंश म से 'जस कसी म कोई भी दोष हो वह यहोवा के हeय चढ़ाने के िलथे समीप न आए; वह जो दोषयुf है कभी भी अपके परमे र का भोजन चढ़ाने के िलथे समीप न आए। 22 वह अपके परमे र के पवऽ और परमपवऽ दोनHूकार के भोजन को खाए, 23 पर(तु उसके दोष के कारण वह न तो बीचवाले पद के भीतर आए और न वेद: के समीप, 'जस से ऐसा न हो क वह मेरे पवऽःयानHको अपवऽ करे ; यHक मE उनका पवऽ करनेवाला यहोवा हंू । 24 इसिलथे मूसा ने हाRन और उसके पुऽHको

तया कुल इ\ाएिलयHको यह बात कह सुनाL।। लैeयवःथा 22 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 हाRन और उसके पुऽHसे कह, क इ\ाएिलयHक पवऽ क हुई वःतुओं से 'जनको वे मेरे िलथे पवऽ करते हE (यारे रह , और मेरे पवऽ नाम को अपवऽ न कर , मE यहोवा हंू । 3 और उन से कह, क तुSहार: पीढ़:-पीढ़: म तुSहारे सारे वंश म से जो कोई अप क अशुaता क दशा म उन पवऽ क हुई वःतुओं के पास जाए, 'ज(ह इ\ाएली यहोवा के िलथे पवऽ करते हE , वह ूाणी मेरे साSहने से नाश कया जाएगा; मE यहोवा हंू । 4 हाRन के वंश म

से कोई यHन हो जो कोढ़: हो, वा उसके ूमेह हो, वह मनुंय जब तक शुa न हो जाए तब तक पवऽ क हुई वःतुओं म से कुछ न खाए। और जो लोय के कारण अशुa हुआ हो, वा वीयO ःखिलत हुआ हो, ऐसे मनुंय को जो कोई छूए, 5 और जो कोई कसी ऐसे र गनेहारे ज(तु को छूए 'जस से लोग अशुa हो सकते हE , वा कसी ऐसे मनुंय को छूए 'जस म कसी ूकार क अशुaता हो जो उसको भी लग सकती है । 6 तो वह ूाणी जो इन म से कसी को छूए सांफ तक अशुa ठहरा रहे , और जब तक जल से ःनान न कर ले तब तक पवऽ वःतुओं म से कुछ न खाए। 7 तब सूयO अःत होने पर वह शुa ठहरे गा; और तब वह पवऽ वःतुओं म

से खा सकेगा, यHक उसका भोजन वह: है । 8 जो जानवर आप से मरा हो वा पशु से फाड़ा गया हो उसे खाकर वह अपके आप को अशुa न करे ; मE यहोवा हूं। 9 इसिलथे याजक लोग मेर: सौपी हुई वःतुओं क रझा कर , ऐसा न हो क वे उनको अपवऽ करके पाप का भार उठाएं, और इसके कारण मर भी जाएं; मE उनका

पवऽ करनेवाला यहोवा हंू । 10 पराए कुल का जन कसी पवऽ वःतु को न खाने पाए, चाहे वह याजक का पाहुन हो वा मजदरू हो, तौभी वह कोई पवऽ वःतु न खाए। 11 यद याजक कसी ूाणी को Rपया दे कर मोल ले, तो वह ूाणी उस म

से खा सकता है ; और जो याजक के घर म उप(न हुए हHवे भी उसके भोजन म से खाएं। 12 और यद याजक क बेट: पराए कुल के कसी पुRष से cयाह: गई हो, तो वह भ ट क हुई पवऽ वःतुओं म से न खाए। 13 यद याजक क बेट: वधवा वा यागी हुई हो, और उसक स(तान न हो, और वह अप क बा`यावःया क र:ित के अनुसार अपके पता के घर म रहती हो, तो वह अपके पता के भोजन म

से खाए; पर पराए कुल का कोई उस म से न खाने पाए। 14 और यद कोई मनुंय कसी पवऽ वःतु म से कुछ भूल से खा जाए, तो वह उसका पांचवां भाग बढ़ाकर उसे याजक को भर दे । 15 और वे इ\ाएिलयHक पवऽ क हुई वःतुओं को, 'ज(ह वे यहोवा के िलथे चढ़ाएं, अपवऽ न कर । 16 वे उनको अप क पवऽ वःतुओं म से 'खलाकर उन से अपराध का दोष न उठवाएं; मE उनका पवऽ करनेवाला यहोवा हूं।। 17 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 18 हाRन और उसके पुऽHसे और इ\ाएल के घराने वा इ\ाएिलयHम रहनेवाले परदे िशयHम से कोई यHन हो जो म(नत वा ःवे .छाबिल करने के िलथे यहोवा को कोई होमबिल चढ़ाए, 19 तो अपके िनिम महणयोbय ठहरने के िलथे बैलHवा भेड़Hवा बकgरयHम से िनदzष नर चढ़ाया जाए। 20 'जस म कोई भी दोष हो उसे न चढ़ाना; यHक वह तुSहारे िनिम महणयोbय न ठहरे गा। 21 और जो कोई बैलHवा भेड़-बकgरयHम से वशेष वःतु संक`प करने के िलथे वा ःवे.छाबिल के िलथे यहोवा को मेलबिल चढ़ाए, तो महण होने के िलथे अवँय है क वह िनदzष हो,

उस म कोई भी दोष न हो। 22 जो अ(धा वा अंग का टू टा वा लूला हो, वा उस म

रसौली वा खौरा वा खुजली हो, ऐसHको यहोवा के िलथे न चढ़ाना, उनको वेद: पर यहोवा के िलथे हeय न चढ़ाना। 23 'जस कसी बैल वा भेड़ वा बकरे का कोई अंग अिधक वा कम हो उसको ःवे.छाबिल क िलथे चढ़ा सकते हो, पर(तु म(नत पूर: करने के िलथे वह महण न होगा। 24 'जसके अंड दबे वा कुचले वा टू टे वा कट गए हHउसको यहोवा के िलथे न चढ़ाना, और अपके दे श म भी ऐसा काम न करना। 25 फर इन म से कसी को तुम अपके परमे र का भोजन जानकर कसी परदे शी से लेकर न चढ़ाओ; यHक उन म उनका बगाड़ वतOमान है , उन म दोष है , इसिलथे वे तुSहारे िनिम महण न हHगे।। 26 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 27 जब बछड़ा वा भेड़ वा बकर: का ब.चा उप(न हो, तो वह सात दन तक अप क मां के साय रहे ; फर आठव दन से आगे को वह यहोवा के हeयवाह चढ़ावे के िलथे महणयोbय ठहरे गा। 28 चाहे गाय, चाहे भेड़: वा बकर: हो, उसको और उसके ब.चे को एक ह: दन म बिल न करना। 29 और जब तुम यहोवा के िलथे ध(यवाद का मेलबिल चढ़ाओ, तो उसे इसी ूकार से करना 'जस से वह महणयोbय ठहरे ।। 30 वह उसी दन खाया जाए, उस म से कुछ भी बहान तक रहने न पाए; मE यहोवा हंू । 31 और तुम मेर: आWाओं को मानना और उनका पालन करना; मE यहोवा हंू । 32 और मेरे पवऽ नाम को अपवऽ न ठहराना, यHक मE इ\ाएिलयHके बीच अवँय ह: पवऽ माना जाऊंगा; मE तुSहारा पवऽ करनेवाला यहोवा हंू । 33 जो तुम को िमॐ दे श से िनकाल लाया हंू 'जस से तुSहारा परमे र बना रहंू ; मE यहोवा हंू ।। लैeयवःथा 23

1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कह, क यहोवा के पcबO 'जनका तुम को पवऽ सभा एकऽत करने के िलथे िनयत समय पर ूचार करना होगा, मेरे वे पcबO थे हE । 3 छ: दन कामकाज कया जाए, पर सातवां दन परमवौम का और पवऽ सभा का दन है ; उस म कसी ूकार का कामकाज न कया जाए; वह तुSहारे सब घरHम यहोवा का वौम दन ठहरे ।। 4 फर यहोवा के पcबO 'जन म से एक एक के ठहराथे हुए समय म तुSह पवऽ सभा करने के िलथे ूचार करना होगा वे थे हE । 5 पहले मह:ने के चौदहव दन को गोधूिल के समय यहोवा का फसह हुआ करे । 6 और उसी मह:ने के पंिहव दन को यहोवा के िलथे अखमीर: रोट: का पcबO हुआ करे ; उस म तुम सात दन तक अखमीर: रोट: खाया करना। 7 उन म से पहले दन तुSहार: पवऽ सभा हो; और उस दन पgरnम का कोई काम न करना। 8 और सातHदन तुम यहोवा को हeय चढ़ाया करना; और सातव दन पवऽ सभा हो; उस दन पgरnम का कोई काम न करना।। 9 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 10 इ\ाएिलयHसे कह, क जब तुम उस दे श म ूवेश करो 'जसे यहोवा तुSह दे ता है और उस म के खेत काटो, तब अपके अपके प के खेत क पहली उपज का पूला याजक के पास ले आया करना; 11 और वह उस पूले को यहोवा के साSहने हलाए, क वह तुSहारे िनिम महण कया जाए; वह उसे वौमदन के दस ू रे दन हलाए। 12 और 'जस दन तुम पूले को हलवाओ उसी दन एक वषO का िनदzष भेड़ का ब.चा यहोवा के िलथे होमबिल चढ़ाना। 13 और उसके साय का अ(नबिल एपा के दो दसव अंश ते ल से सने हुए मैदे का हो वह सुखदायक सुग(ध के िलथे यहोवा का हeय हो; और उसके साय का अधO ह:न भर क चौयाई दाखमधु हो। 14 और जब तक तुम इस चढ़ावे को अपके परमे र के

पास न ले जाओ, उस दन तक नथे खेत म से न तो रोट: खाना और न भुना हुआ अ(न और न हर: बाल ; यह तुSहार: पीढ़: पीढ़: म तुSहारे सारे घरानHम सदा क विध ठहरे ।। 15 फर उस वौमदन के दस ू रे दन से, अयाOत ् 'जस दन तुम हलाई जानेवाली भ ट के पूले को लाओगे, उस दन से पूरे सात वौमदन िगन लेना; 16 सातव वौमदन के दस ू रे दन तक पचास दन िगनना, और पचासव

दन यहोवा के िलथे नया अ(नबिल चढ़ाना। 17 तुम अपके घरHम से एपा के दो दसव अंश मैदे क दो रोटयां हलाने क भ ट के िलथे ले आना; वे खमीर के साय पकाई जाएं, और यहोवा के िलथे पहली उपज ठहर । 18 और उस रोट: के संग एक एक वषO के सात िनदzष भेड़ के ब.चे, और एक बछड़ा, और दो मेढ़े चढ़ाना; वे अपके अपके साय के अ(नबिल और अधO समेत यहोवा के िलथे होमबिल के समान चढ़ाए जाएं, अयाOत ् वे यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(ध दे नेवाला हeय ठहर । 19 फर पापबिल के िलथे एक बकरा, और मेलबिल के िलथे एक एक वषO के दो भेड़ के ब.चे चढ़ाना। 20 तब याजक उनको पहली उपज क रोट: समेत यहोवा के साSहने हलाने क भ ट के िलथे हलाए, और इन रोटयHके संग वे दो भेड़ के ब.चे भी हलाए जाएं; वे यहोवा के िलथे पवऽ, और याजक का भाग ठहर । 21 और तुम उस दन यह ूचार करना, क आज हमार: एक पवऽ सभा होगी; और पgरnम का कोई काम न करना; यह तुSहारे सारे घरानHम तुSहार: पीढ़: पीढ़: म सदा क विध ठहरे ।। 22 जब तुम अपके दे श म के खेत काटो, तब अपके खेत के कोनHको पूर: र:ित से न काटना, और खेत म िगर: हुई बालHको न इक=ठा करना; उसे द:नह:न और परदे शी के िलथे छोड़ दे ना; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू ।। 23 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 24 इ\ाएिलयHसे कह, क सातव

मह:ने के पहले दन को तुSहारे िलथे परमवौम हो; उस म ःमरण दलाने के िलथे नरिसंगे फूंके जाएं, और एक पवऽ सभा इक=ठq हो। 25 उस दन तुम पgरnम का कोई काम न करना, और यहोवा के िलथे एक हeय चढ़ाना।। 26 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 27 उसी सातव मह:ने का दसवां दन ूाय'_ का दन माना जाए; वह तुSहार: पवऽ सभा का दन होगा, और उस म तुम अपके अपके जीव को द:ु ख दे ना और यहोवा का हeय चढ़ाना। 28 उस दन तुम कसी ूकार का कामकाज न करना; यHक वह ूाय'_ का दन िनयुf कया गया है 'जस म तुSहारे परमे र यहोवा के साSहने तुSहारे िलथे ूाय'_ कया जाएगा। 29 इसिलथे जो ूाणी उस दन द:ु ख न सहे वह अपके लोगHम से नाश कया जाएगा। 30 और जो ूाणी उस दन कसी ूकार का कामकाज करे उस ूाणी को मE उसके लोगHके बीच म से नाश कर डालूग ं ा। 31 तुम कसी ूकार का कामकाज न करना; यह तुSहार: पीढ़: पीढ़: म तुSहारे घराने म सदा क वधी ठहरे । 32 वह दन तुSहारे िलथे परमवौम का हो, उस म तुम अपके अपके जीव को द:ु ख दे ना; और उस मह:ने के नव दन क सांफ से लेकर दस ू र: सांफ तक अपना वौमदन माना करना।। 33 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 34 इ\ाएिलयHसे कह, क उसी सातव मह:ने के प(िहव दन से सात दन तक यहोवा के िलथे फHपडय़Hका पcबO रहा करे । 35 पहले दन पवऽ सभा हो; उस म पgरnम का कोई काम न करना। 36 सातHदन यहोवा के िलथे हeय चढ़ाया करना, फर आठव दन तुSहार: पवऽ सभा हो, और यहोवा के िलथे हeय चढ़ाना; वह महासभा का दन है , और उस म

पgरnम का कोई काम न करना।। 37 यहोवा के िनयत पcबO थे ह: हE , इन म तुम यहोवा को हeय चढ़ाना, अयाOत ् होमबिल, अ(नबिल, मेलबिल, और अघO, ूथेक

अपके अपके िनयत समय पर चढ़ाया जाए और पवऽ सभा का ूचार करना। 38 इन सभHसे अिधक यहोवा के वौमदनHको मानना, और अप क भ टH, और सब म(नतH, और ःवे.छाबिलयHको जो यहोवा को अपOण करोगे चढ़ाया करना।। 39 फर सातव मह:ने के प(िहव दन को, जब तुम दे श क उपज को इक=ठा कर चुको, तब सात दन तक यहोवा का पcबO मानना; पहले दन परमवौम हो, और आठव दन परमवौम हो। 40 और पहले दन तुम अ.छे अ.छे वृझHक उपज, और खजूर के पे, और घने वृझHक डािलयां, और नालHम के मजनू को लेकर अपके परमे र यहोवा के साSहने सात दन तक आन(द करना। 41 और ूितवषO सात दन तक यहोवा के िलथे पcबO माना करना; यह तुSहार: पीढ़: पीढ़: म सदा क विध ठहरे , क सातव मह:ने म यह पcबO माना जाए। 42 सात दन तक तुम फHपडय़Hम रहा करना, अयाOत ् 'जतने ज(म के इ\ाएली हE वे सब के सब फHपडय़Hम रह , 43 इसिलथे क तुSहार: पीढ़: पीढ़: के लोग जान रख , क जब यहोवा हम इ\ाएिलयHको िमॐ दे श से िनकाल कर ला रहा या तब उस ने उनको फHपडय़Hम टकाया या; मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं। 44 और मूसा ने इ\ाएिलयHको यहोवा के पcबO के िनयत समय कह सुनाए।। लैeयवःथा 24 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHको यह आWा दे , क मेरे पास उ'जयाला दे ने के िलथे कूट के िनकाला हुआ जलपाई का िनमOल तेल ले आना, क द:पक िनय जलता रहे । 3 हाRन उसको, बीचवाले तSबू म , साझीपऽ के बीचवाले पद से बाहर, यहोवा के साSहने िनय सांफ से भोर तक सजाकर रखे;

यह तुSहार: पीढ़: पीढ़: के िलथे सदा क विध ठहरे । 4 वह द:पकHके ःव.छ द:वट पर यहोवा के साSहने िनय सजाया करे ।। 5 और तू मैदा लेकर बारह रोटयां पकवाना, ूथेक रोट: म एपा का दो दसवां अंश मैदा हो। 6 तब उनक दो पांित करके, एक एक पांित म छ: छ: रोटयां, ःव.छ मेज पर यहोवा के साSहने धरना। 7 और एक एक पांित पर चोखा लोबान रखना, क वह रोट: पर ःमरण दलानेवाला वःतु और यहोवा के िलथे हeय हो। 8 ूित वौमदन को वह उसे िनय यहोवा के सSमुख बम से रखा करे , यह सदा क वाचा क र:ित इ\ाएिलयHक ओर से हुआ करे । 9 और वह हाRन और उसके पुऽHक हHगी, और वे उसको कसी पवऽ ःयान म खाएं, यHक वह यहोवा के हeयHम से सदा क विध के अनुसार हाRन के िलथे परमपवऽ वःतु ठहर: है ।। 10 उन दनHम

कसी इ\ाएली \ी का बेटा, 'जसका पता िमॐी पुRष या, इ\ाएिलयHके बीच चला गया; और वह इ\ाएली \ी का बेटा और एक इ\ाएली पुRष छावनी के बीच आपस म मारपीट करने लगे, 11 और वह इ\ाएली \ी का बे टा यहोवा के नाम क िन(दा करके शाप दे ने लगा। यह सुनकर लोग उसको मूसा के पास ले गए। उसक माता का नाम शलोमीत या, जो दान के गोऽ के दॄी क बे ट: यी। 12 उ(हHने उसको हवालात म ब(द कया, 'जस से यहोवा क आWा से इस बात पर वचार कया जाए।। 13 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 14 तुम लोग उस शाप दे ने वाले को छावनी से बाहर िलवा ले जाओ; और 'जतनHने वह िन(दा सुनी हो वे सब अपके अपके हाथ उसके िसर पर टे क , तब सार: म+डली के लोग उसको पयरवाह कर । 15 और तू इ\ाएिलयHसे कह, क कोई यHन हो जो अपके परमे र को शाप दे उसे अपके पाप का भार उठाना पकेगा। 16 यहोवा के नाम

क िन(दा करनेवाला िन_य मार डाला जाए; सार: म+डली के लोग िन_य उसको पयरवाह कर ; चाहे दे शी हो चाहे परदे शी, यद कोई उस नाम क िन(दा कर तो वह मार डाला जाए। 17 फर जो कोई कसी मनुंय को ूाण से मारे वह िन_य मार डाला जाए। 18 और जो कोई कसी घरे लू पशु को ूाण से मारे वह उसे भर दे , अयाOत ् ूाणी क स(ती ूाणी दे । 19 फर यद कोई कसी दस ू रे को चोट पहुंचाए, तो जैसा उस ने कया हो वैसा ह: उसके साय भी कया जाए, 20 अयाOत ् अंग भंग करने क स(ती अंग भंग कया जाए, आंख क स(ती आंख, दांत क स(ती दांत, जैसी चोट 'जस ने कसी को पहंु चाई हो वैसी ह: उसको भी पहंु चाई जाए। 21 और पशु का मार डालनेवाला उसको भर दे , पर(तु मनुंय का मार डालनेवाला मार डाला जाए। 22 तुSहारा िनयम एक ह: हो, जैसा दे शी के िलथे वैसा ह: परदे शी के िलथे भी हो; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 23 और मूसा ने इ\ाएिलयHको यह: समझाया; तब उ(हHने उस शाप दे नेवाले को छावनी से बाहर ले जाकर उसको पयरवाह कया। और इ\ाएिलयHने वैसा ह: कया जैसा यहोवा ने मूसा को आWा द: यी।। लैeयवःथा 25 1 फर यहोवा ने सीनै पवOत के पास मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कह, क जब तुम उस दे श म ूवे श करो जो मE तुSह दे ता हंू , तब भूिम को यहोवा के िलथे वौम िमला करे । 3 छ: वषO तो अपना अपना खेत बोया करना, और छहHवषO अप क अप क दाख क बार: छांट छांटकर दे श क उपज इक=ठq कया करना; 4 पर(तु सातव वषO भूिम को यहोवा के िलथे परमवौमकाल िमला करे ;

उस म न तो अपना खेत बोना और न अप क दाख क बार: छांटना। 5 जो कुछ काटे हुए खे त म अपके आप से उगे उसे न काटना, और अप क बन छांट: हुई दाखलता क दाखHको न तोड़ना; यHक वह भूिम के िलथे परमवौम का वषO होगा। 6 और भूिम के वौमकाल ह: क उपज से तुम को, और तुSहारे दास-दासी को, और तुSहारे साय रहनेवाले मजदरू Hऔर परदे िशयHको भी भोजन िमलेगा; 7 और तुSहारे पशुओं का और दे श म 'जतने जीवज(तु हHउनका भी भोजन भूिम क सब उपज से होगा।। 8 और सात वौमवषO, अयाOत ् सातगुना सात वषO िगन लेना, सातHवौमवषJका यह समय उनचास वषO होगा। 9 तब सातव मह:ने के दसव दन को, अयाOत ् ूाय'_ के दन, जय जयकार के महाशcद का नरिसंगा अपके सारे दे श म सब कह:ं फुंकवाना। 10 और उस पचासव वषO को पवऽ करके मानना, और दे श के सारे िनवािसयHके िलथे छुटकारे का ूचार करना; वह वषO तुSहारे यहां जुबली कहलाए; उस म तुम अप क अप क िनज भूिम और अपके अपके घराने म लौटने पाओगे । 11 तुSहारे यहां वह पचासवां वषO जुबली का वषO कहलाए; उस म तुम न बोना, और जो अपके आप ऊगे उसे भी न काटना, और न बन छांट: हुई दाखलता क दाखHको तोड़ना। 12 यHक वह जो जुबली का वषO होगा; वह तुSहारे िलथे पवऽ होगा; तुम उसक उपज खेत ह: म से ले लेके खाना। 13 इस जुबली के वषO म तुम अप क अप क िनज भूिम को लौटने पाओगे । 14 और यद तुम अपके भाईब(धु के हाथ कुछ बेचो वा अपके भाईब(धु से कुछ मोल लो, तो तुम एक दस ू रे पर अ(धेर न करना। 15 जुबली के पीछे 'जतने वषO बीते हHउनक िगनती के अनुसार दाम ठहराके एक दस ू रे से मोल लेना, और शेष वषJक उपज के अनुसार वह तेरे हाथ बेचे। 16 'जतने वषO और

रह उतना ह: दाम बढ़ाना, और 'जतने वषO कम रह उतना ह: दाम घटाना, यHक वषO क उपज 'जतनी हHउतनी ह: वह तेरे हाथ बेचेगा। 17 और तुम अपके अपके भाईब(धु पर अ(धेर न करना; अपके परमे र का भय मानना; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 18 इसिलथे तुम मेर: विधयHको मानना, और मेरे िनयमHपर समझ बूफकर चलना; यHक ऐसा करने से तुम उस दे श म िनडर बसे रहोगे। 19 और भूिम अप क उपज उपजाया करे गी, और तुम पेट भर खाया करोगे, और उस दे श म िनडर बसे रहोगे। 20 और यद तुम कहो, क सातव वषO म हम या खाएंगे, न तो हम बोएंगे न अपके खेत क उपज इक=ठq कर गे? 21 तो जानो क मE तुम को छठव वषO म ऐसी आशीष दं ग ू ा, क भूिम क उपज तीन वषO तक काम आएगी। 22 तुम आठव वषO म बोओगे , और पुरानी उपज म से खाते रहोगे, और नव वषO क उपज म से खाते रहोगे। 23 भूिम सदा के िलथे तो बेची न जाए, यHक भूिम मेर: है ; और उस म तुम परदे शी और बाहर: होगे। 24 लेकन तुम अपके भाग के सारे दे श म भूिम को छुड़ा लेने दे ना।। 25 यद तेरा कोई भाईब(धु कंगाल होकर अप क िनज भूिम म से कुछ बेच डाले, तो उसके कुटु 'SबयHम से जो सब से िनकट हो वह आकर अपके भाईब(धु के बे चे हुए भाग को छुड़ा ले। 26 और यद कसी मनुंय के िलथे कोई छुड़ानेवाला न हो, और उसके पास इतना धन हो क आप ह: अपके भाग को छुड़ा ले सके, 27 तो वह उसके बकने के समय से वषJक िगनती करके शेष वषJक उपज का दाम उसको 'जस ने उसे मोल िलया हो फेर दे ; तब वह अप क िनज भूिम का अिध कारनेी हो जाए। 28 पर(तु यद उसके इतनी पूंजी न हो क उसे फर अप क कर सके, तो उसक बेची हुई भूिम जुबली के वषO तक मोल लेनेवालHके हाथ म रहे ; और जुबली के वषO म छूट

जाए तब वह मनुंय अप क िनज भूिम का फर अिध कारनेी हो जाए।। 29 फर यद कोई मनुंय शहरपनाह वाले नगर म बसने का घर बेचे, तो वह बेचने के बाद वषO भर के अ(दर उसे छुड़ा सकेगा, अयाOत ् पूरे वषO भर उस मनुंय को छुड़ाने का अिध कारने रहे गा। 30 पर(तु यद वह वषO भर म न छुड़ाए, तो वह घर पर शहरपनाहवाले नगर म हो मोल लेनेवाले का बना रहे , और पीढ़:-पीढ़: म

उसी मे वंश का बना रहे ; और जुबली के वषO म भी न छूटे । 31 पर(तु बना शहरपनाह के गांवHके घर तो दे श के खेतHके समान िगने जाएं; उनका छुड़ाना भी हो सकेगा, और वे जुबली के वषO म छूट जाएं। 32 और लेवयHके िनज भाग के नगरHके जो घर हHउनको लेवीय जब चाह तब छुड़ाएं। 33 और यद कोई लेवीय अपना भाग न छुड़ाए, तो वह बे चा हुआ घर जो उसके भाग के नगर म हो जुबली के वषO म छूट जाए; यHक इ\ाएिलयHके बीच लेवयHका भाग उनके नगरHम वे घर ह: हE । 34 और उनके नगरHक चारHओर क चराई क भूिम बेची न जाए; यHक वह उनका सदा का भाग होगा।। 35 फर यद तेरा कोई भाईब(धु कंगाल हो जाए, और उसक दशा तेरे साSहने तरस योbय हो जाए, तो तू उसको संभालना; वह परदे शी वा याऽी क नाई तेरे संग रहे । 36 उस से cयाज वा बढ़ती न लेना; अपके परमे र का भय मानना; 'जस से तेरा भाईब(धु तेरे संग जीवन िनवाOह कर सके। 37 उसको cयाज पर Rपया न दे ना, और न उसको भोजनवःतु लाभ के लालच से दे ना। 38 मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं; मE तुSह कनान दे श दे ने के िलथे और तुSहारा परमे र ठहरने क मनसा से तुम को िमॐ दे श से िनकाल लाया हंू ।। 39 फर यद ते रा कोई भाईब(धु तेरे साSहने कंगाल होकर अपके आप को ते रे हाथ बेच डाले, तो उस से दास के समान सेवा न करवाना। 40

वह तेरे संग मजदरू वा याऽी क नाई रहे , और जुबली के वषO तक तेरे संग रहकर सेवा करता रहे ; 41 तब वह बालब.चHसमेत तेरे पास से िनकल जाए, और अपके कुटु Sब म और अपके पतरHक िनज भूिम म लौट जाए। 42 यHक वे मेरे ह: दास हE , 'जनको मE िमॐ दे श से िनकाल लाया हंू ; इसिलथे वे दास क र:ित से न बे चे जाएं। 43 उस पर कठोरता से अिध कारने न करना; अपके परमे र का भय मानते रहना। 44 तेरे जो दास-दािसयां हHवे तुSहार: चारHओर क जाितयHम से हH, और दास और दािसयां उ(ह:ं म से मोल लेना। 45 और जो याऽी लोग तुSहारे बीच म परदे शी होकर रह गे, उन म से और उनके घरानHम से भी जो तुमहारे आस पास हH, और जो तुSहारे दे श म उप(न हुए हH, उन म से तुम दास और दासी मोल लो; और वे तुSहारा भाग ठहर । 46 और तुम अपके पुऽHको भी जो तुSहारे बाद हHगे उनके अिध कारनेी कर सकोगे, और वे उनका भाग ठहर ; उन म से तुम सदा अपके िलथे दास िलया करना, पर(तु तुSहारे भाईब(धु जो इ\ाएली हHउन पर अपना अिध कारने कठोरता से न जताना।। 47 फर यद तेरे साSहने कोई परदे शी वा याऽी धनी हो जाए, और उसके साSहने तेरा भाई कंगाल होकर अपके आप को तेरे साSहने उस परदे शी वा याऽी वा उसके वंश के हाथ बेच डाले, 48 तो उसके बक जाने के बाद वह फर छुड़ाया जा सकता है ; उसके भाइयHम से कोई उसको छुड़ा सकता है , 49 वा उसका चाचा, वा चचेरा भाई, तया उसके कुल का कोई भी िनकट कुटु Sबी उसको छुड़ा सकता है ; वा यद वह धनी हो जाए, तो वह आप ह: अपके को छुड़ा सकता है । 50 वह अपके मोल लेनेवाले के साय अपके बकने के वषO से जुबली के वषO तक हसाब करे , और उसके बकने का दाम वषJक िगनती के अनुसार हो, अयाOत ् वह दाम मजदरू के दवसHके समान उसके

साय होगा। 51 यद जुबली के बहुत वषO रह जाएं, तो 'जतने RपयHसे वह मोल िलया गया हो उन म से वह अपके छुड़ाने का दाम उतने वषJके अनुसार फेर दे । 52 और यद जुबली के वषO के योड़े वषO रह गए हH, तौभी वह अपके ःवामी के साय हसाब करके अपके छुड़ाने का दाम उतने ह: वषार◌ ् े◌ं के अनुसार फेर दे । 53 वह अपके ःवामी के संग उस मजदरू के सामान रहे 'जसक वाषकO मजदरू : ठहराई जाती हो; और उसका ःवामी उस पर तेरे साSहने कठोरता से अिध कारने न जताने पाए। 54 और यद वह इन र:ितयHसे छुड़ाया न जाए, तो वह जुबली के वषO म अपके बाल-ब.चHसमेत छूट जाए। 55 यHक इ\ाएली मेरे ह: दास हE ; वे िमॐ दे श से मेरे ह: िनकाले हुए दास हE ; मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं।। लैeयवःथा 26 1 तुम अपके िलथे मूरत न बनाना, और न कोई खुद: हुई मूितर ् वा लाट अपके िलथे खड़: करना, और न अपके दे श म द+डवत ् करने के िलथे न काशीदार पयर ःयापन करना; यHक मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं। 2 तुम मेरे वौमदनHका पालन करना और मेरे पवऽःयान का भय मानना; मE यहोवा हंू ।। 3 यद तुम मेर: विधयHपर चलो और मेर: आWाओं को मानकर उनका पालन करो, 4 तो मE तुSहारे िलथे समय समय पर म ह बरसाऊंगा, तया भूिम अप क उपज उपजाएगी, और मैदान के वृझ अपके अपके फल दया कर गे; 5 यहां तक क तुम दाख तोड़ने के समय भी दावनी करते रहोगे, और बोने के समय भी भर पे ट दाख तोड़ते रहोगे, और तुम मनमानी रोट: खाया करोगे, और अपके दे श म

िन'_(त बसे रहोगे । 6 और मE तुSहारे दे श म सुख चैन दं ग ू ा, और तुम सोओगे और तुSहारा कोई डरानेवाला न हो; और मE उस दे श म द ु ज(तुओं को न रहने दं ग ू ा, और तलवार तुSहारे दे श म न चलेगी। 7 और तुम अपके शऽुओं को मार भगा दोगे , और वे तुSहार: तलवार से मारे जाएंगे। 8 और तुम म से पांच मनुंय सौ को और सौ मनुंय दस हजार को खदे ड़ गे; और तुSहारे शऽु तलवार से तुSहारे आगे आगे मारे जाएंगे; 9 और मE तुSहार: ओर कृपा l रखूंगा और तुम को फलव(त कRंगा और बढ़ाऊंगा, और तुSहारे संग अप क वाचा को पूणO कRंगा। 10 और तुम रखे हुए पुराने अनाज को खाओगे, और नथे के रहते भी पुराने को िनकालोगे। 11 और मE तुSहारे बीच अपना िनवासःयान बनाए रखूंगा, और मेरा जी तुम से घृणा नह:ं करे गा। 12 और मE तुSहारे म~य चला फरा कRंगा, और तुSहारा परमे र बना रहंू गा, और तुम मेर: ूजा बने रहोगे । 13 मE तो तुSहारा वह परमे र यहोवा हंू , जो तुम को िमॐ दे श से इसिलथे िनकाल ले आया क तुम िमिॐयHके दास न बने रहो; और मE ने तुSहारे जूए को तोड़ डाला है , और तुम को सीधा खड़ा करके चलाया है ।। 14 यद तुम मेर: न सुनोगे , और इन सब आWाओं को न मानोगे , 15 और मेर: विधयHको िनकSमा जानोगे, और तुSहार: आमा मेरे िनणOयHसे घृणा करे , और तुम मेर: सब आWाओं का पालन न करोगे, वरन मेर: वाचा को तोड़ोगे , 16 तो मE तुम से यह कRंगा; अयाOत ् मE तुम को बेचन ै कRंगा, और झयरोग और Gवर से पीड़त कRंगा, और इनके कारण तुSहार: आंखे धुध ं ली हो जाएंगी, और तुSहारा मन अित उदास होगा। और तुSहारा बीच बोना eययO होगा, यHक तुSहारे शऽु उसक उपज खा ल गे; 17 और मE भी तुSहारे वRa हो जाऊंगा, और तुम अपके शऽुओं से हार जाओगे ; और तुSहारे बैर:

तुSहारे ऊपर अिध कारने कर गे, और जब कोई तुम को खदे ड़ता भी न होगा तब भी तुम भागोगे। 18 और यद तुम इन बातHके उपरा(त भी मेर: न सुनो, तो मE तुSहारे पापHके कारण तुSह सातगुणी ताड़ना और दं ग ू ा, 19 और मE तुSहारे बल का घम+ड तोड़ डालूग ं ा, और तुSहारे िलथे आकाश को मानो लोहे का और भूिम को मानो पीतल क बना दं ग ू ा; 20 और तुSहारा बल अकारय गंवाया जाएगा, यHक तुSहार: भूिम अप क उपज न उपजाएगी, और मैदान के वृझ अपके फल न द गे। 21 और यद तुम मेरे वRa चलते ह: रहो, और मेरा कहना न मानH, तो मE तुSहारे पापHके अनुसार तुSहारे ऊपर और सातगुणा संकट डालूग ं ा। 22 और मE तुSहारे बीच बन पशु भेजूंगा, जो तुम को िनव{श कर गे, और तुSहारे घरे लू पशुओं को नाशकर डाल गे, और तुSहार: िगनती घटाएंगे, 'जस से तुSहार: सड़के सूनी पड़ जाएंगी। 23 फर यद तुम इन बातHपर भी मेर: ताड़ना से न सुधरो, और मेरे वRa चलते ह: रहो, 24 तो मE भी तुSहारे वRa चलूग ं ा, और तुSहारे पापHके कारण मE आप ह: तुम को सातगुणा माRंगा। 25 तो मE तुम पर एक ऐसी तलवार चलवाऊंगा, जो वाचा तोड़ने का पूरा पूरा पलटा लेगी; और जब तुम अपके नगरHम जा जाकर इक=ठे होगे तब मE तुSहारे बीच मर: फैलाऊंगा, और तुम अपके शऽुओं के वश म सxप दए जाओगे। 26 और जब मE तुSहारे िलथे अ(न के आधार को दरू कर डालूग ं ा, तब दस '\यां तुSहार: रोट: एक ह: तंदरू म पकाकर तौल तौलकर बांट द गी; और तुम खाकर भी तृT न होगे ।। 27 फर यद तुम इसके उपरा(त भी मेर: न सुनोगे, और मेरे वRa चलते ह: रहोगे, 28 तो मE अपके (याय म तुSहारे वRa चलूग ं ा, और तुSहारे पापHके कारण तुम को सातगुणी ताड़ना और भी दं ग ू ा। 29 और तुम को अपके बे टHऔर बेटयHका मांस

खाना पकेगा। 30 और मE तुSहारे पूजा के ऊंचे ःयानHको ढा दं ग ू ा, और तुSहारे सूयO क ूितमाएं तोड़ डालूग ं ा, और तुSहार: लोयHको तुSहार: तोड़: हुई मूरतHपर फूंक दं ग ू ा; और मेर: आमा को तुम से घृणा हो जाएगी। 31 और मE तुSहारे नगरHको उजाड़ दं ग ू ा, और तुSहारे पवऽ ःयानHको उजाड़ दं ग ू ा, और तुSहारा सुखदायक सुग(ध महण न कRंगा। 32 और मE तुSहारे दे श को सूना कर दं ग ू ा, और तुSहारे शऽु जो उस म रहते हE वे इन बातHके कारण चकत हHगे। 33 और मE तुम को जाित जाित के बीच ितर-बर कRंगा, और तुSहारे पीछे पीछे तलवार खीच रहंू गा; और तुSहारा दे श सुना हो जाएगा, और तुSहारे नगर उजाड़ हो जाएंगे। 34 तब 'जतने दन वह दे श सूना पड़ा रहे गा और तुम अपके शऽुओं के दे श म रहोगे उतने दन वह अपके वौमकालHको मानता रहे गा। 35 और 'जतने दन वह सूना पड़ा रहे गा उतने दन उसको वौम रहे गा, अयाOत ् जो वौम उसको तुSहारे वहां बसे रहने के समय तुSहारे वौमकालHम न िमला होगा वह उसको तब िमलेगा। 36 और तुम म से जो बच रह गे और अपके शऽुओं के दे श म

हHगे उनके ॑ृदय म मै कायरता उपजाऊंगा; और वे पे के खड़कने से भी भाग जाएंगे, और वे ऐसे भाग गे जैसे कोई तलवार से भागे, और कसी के बना पीछा कए भी वे िगर िगर पक गे। 37 और जब कोई पीछा करनेवाला न हो तब भी मानHतलवार के भय से वे एक दस ू रे से ठोकर खाकर िगरते जाएंगे, और तुम को अपके शऽुओं के साSहने ठहरने क कुछ शf न होगी। 38 तब तुम जाित जाित के बीच पहंु चकर नाश हो जाओगे, और तुSहारे शऽुओं क भूिम तुम को खा जाएगी। 39 और तुम म से जो बचे रह गे वे अपके शऽुओं के दे शHम अपके अधमO के कारण गल जाएंगे; और अपके पुरखाओं के अधमO के कामHके कारण भी वे

उ(ह:ं क नाई गल जाएंगे। 40 तब वे अपके और अपके पतरHके अधमO को मान ल गे, अयाOत ् उस व ासघात को जो वे मेरा कर गे, और यह भी मान ल गे, क हम यहोवा के वRa चले थे, 41 इसी कारण वह हमारे वRa होकर हम शऽुओं के दे श म ले आया है । यद उस समय उनका खतनारहत ॑ृदय दब जाएगा और वे उस समय अपके अधमO के द+ड को अंगीकार करे ग ; 42 तब जो वाचा मE ने याकूब के संग बा(धी यी उसको मE ःमरण कRंगा, और जो वाचा मE ने इसहाक से और जो वाचा मE ने इॄाह:म से बा(धी यी उनको भी ःमरण कRंगा, और इस दे श को भी मE ःमरण कRंगा। 43 और वह दे श उन से रहत होकर सूना पड़ा रहे गा, और उनके बना सूना रहकर भी अपके वौमकालHको मानता रहे गा; और वे लोग अपके अधमO के द+ड को अंगीकार करे ग , इसी कारण से क उ(हHने मेर: आWाओं का उलंघन कया या, और उनक आमाओं को मेर: विधयHसे घृणा यी। 44 इतने पर भी जब वे अपके शऽुओं के दे श म हHगे , तब मE उनको इस ूकार नह:ं छोडू ं गा, और न उन से ऐसी घृणा कRंगा क उनका सवOनाश कर डालूं और अप क उस वाचा को तोड़ दं ू जो मE ने उन से बा(धी है ; यHक मE उनका परमे र यहोवा हंू ; 45 पर(तु मE उनके भलाई के िलथे उनके पतरHसे बा(धी हुई वाचा को ःमरण कRंगा, 'ज(ह मै अ(यजाितयHक आंखHके साSहने िमॐ दे श से िनकालकर लाया क मE उनका परमे र ठहRं; मE यहोवा हंू ।। 46 जो जो विधयां और िनयम और eयवःया यहोवा ने अप क ओर से इ\ाएिलयHके िलथे सीनै पवOत पर मूसा के kारा ठहराई यीं वे थे ह: हE ।। लैeयवःथा 27

1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे यह कह, क जब कोई वशेष संक`प माने, तो संक`प कए हुए ूाणी तेरे ठहराने के अनुसार यहोवा के हHगे; 3 इसिलथे यद वह बीस वषO वा उस से अिधक और साठ वषO से कम अवःया का पुRष हो, तो उसके िलथे पवऽःयान के शेकेल के अनुसार पचास शेकेल का Rपया ठहरे । 4 और यद वह \ी हो, तो तीस शेकेल ठहरे । 5 फर यद उसक अवःया पांच वषO वा उससे अिधक और बीस वषO से कम क हो, तो लड़के के िलथे तो बीस शेकेल, और लड़क के िलथे दस शेकेल ठहरे । 6 और यद उसक अवःया एक मह:ने वा उस से अिधक और पांच वषO से कम क हो, तो लड़के के िलथे तो पांच, और लड़क के िलथे तीन शेकेल ठहर । 7 फर यद उसक अवःया साठ वषO क वा उस से अिधक हो, और वह पुRष हो तो उसके िलथे पंिह शेकेल, और \ी हो तो दस शेकेल ठहरे । 8 पर(तु यद कोई इतना कंगाल हो क याजक का ठहराया हुआ दाम न दे सके, तो वह याजक के साSहने खड़ा कया जाए, और याजक उसक पूंजी ठहराए, अयाOत ् 'जतना संक`प करनेवाले से हो सके, याजक उसी के अनुसार ठहराए।। 9 फर 'जन पशुओं म से लोग यहोवा को चढ़ावा चढ़ाते है , यद ऐसHम से कोई संक`प कया जाए, तो जो पशु कोई यहोवा को दे वह पवऽ ठहरे गा। 10 वह उसे कसी ूकार से न बदले, न तो वह बुरे क स(ती अ.छा, और न अ.छे क स(ती बुरा दे ; और यद वह उस पशु क स(ती दस ू रा पशु दे , तो वह और उसका बदला दोनHपवऽ ठहर गे। 11 और 'जन पशुओं म से लोग यहोवा के िलथे चढ़ावा नह:ं चढ़ाते ऐसHम से यद वह हो, तो वह उसको याजक के साSहने खड़ा कर दे , 12 तक याजक पशु के गुण अवगुण दोनHवचारकर उसका मोल ठहराए; और 'जतना याजक ठहराए उसका मोल

उतना ह: ठहरे । 13 और यद संक`प करनेवाला उसे कसी ूकार से छुड़ाना चाहे , तो जो मोल याजक ने ठहराया हो उस म उसका पांचवां भाग और बढ़ाकर दे ।। 14 फर यद कोई अपना घर यहोवा के िलथे पवऽ ठहराकर संक`प करे , तो याजक उसके गुण-अवगुण दोनHवचारकर उसका मोल ठहराए; और 'जतना याजक ठहराए उसका मोल उतना ह: ठहरे । 15 और यद घर का पवऽ करनेवाला उसे छुड़ाना चाहे , तो 'जतना Rपया याजक ने उसका मोल ठहराया हो उस म वह पांचवां भाग और बढ़ाकर दे , तब वह घर उसी का रहे गा।। 16 फर यद कोई अप क िनज भूिम का कोई भाग यहोवा के िलथे पवऽ ठहराना चाहे , तो उसका मोल इसके अनुसार ठहरे , क उस म कतना बीज पकेगा; 'जतना भूिम म होमेर भर जौ पके उतनी का मोल पचास शेकेल ठहरे । 17 यद वह अपना खेत जुबली के वषO ह: म पवऽ ठहराए, तो उसका दाम तेरे ठहराने के अनुसार ठहरे ; 18 और यद वह अपना खे त जुबली के वषO के बाद पवऽ ठहराए, तो 'जतने वषO दस ू रे जुबली के वषO के बाक रह उ(ह:ं के अनुसार याजक उसके िलथे Rपके का हसाब करे , तब 'जतना हसाब म आए उतना याजक के ठहराने से कम हो। 19 और यद खेत को पवऽ ठहरानेवाला उसे छुड़ाना चाहे , तो जो दाम याजक ने ठहराया हो उस म वह पांचवां भाग और बढ़ाकर दे , तब खेत उसी का रहे गा। 20 और यद वह खेत को छुड़ाना न चाहे , वा उस ने उसको दस ू रे के हाथ बेचा हो, तो खेत आगे को कभी न छुड़ाया जाए; 21 पर(तु जब वह खेत जुबली के वषO म छूटे , तब पूर: र:ित से अपOण कए हुए खेत क नाई यहोवा के िलथे पवऽ ठहरे , अयाOत ् वह याजक ह: क िनज भूिम हो जाए। 22 फर यद कोई अपना मोल िलया हुआ खेत, जो उसक िनज भूिम के खेतHम का न हो, यहोवा के िलथे पवऽ ठहराए, 23

तो याजक जुबली के वषO तक का हसाब करके उस मनुंय के िलथे 'जतना ठहराए उतना ह: वह यहोवा के िलथे पवऽ जानकर उसी दन दे दे । 24 और जुबली के वषO म वह खेत उसी के अिध कारने म 'जस से वह मोल िलया गया हो फर आ जाए, अयाOत ् 'जसक वह िनज भूिम हो उसी क फर हो जाए। 25 और 'जस 'जस वःतु का मोल याजक ठहराए उसका मोल पवऽःयान ह: के शेकेल के हसाब से ठहरे : शेकेल बीस गेरा का ठहरे ।। 26 पर घरे लू पशुओं का पहलौठा, जो यहोवा का पहलौठा ठहरा है , उसको तो कोई पवऽ न ठहराए; चाहे वह बछड़ा हो, चाहे भेड़ वा बकर: का ब.चा, वह यहोवा ह: का है । 27 पर(तु यद वह अशुa पशु का हो, तो उसका पवऽ ठहरानेवाला उसको याजक के ठहराए हुए मोल के अनुसार उसका पांचवां भाग और बढ़ाकर छुड़ा सकता है ; और यद वह न छुड़ाया जाए, तो याजक के ठहराए हुए मोल पर बेच दया जाए।। 28 पर(तु अप क सार: वःतुओं म से जो कुछ कोई यहोवा के िलथे अपOण करे , चाहे मनुंय हो चाहे पशु, चाहे उसक िनज भूिम का खे त हो, ऐसी कोई अपOण क हुई वःतु न तो बेची जाए और न छुड़ाई जाए; जो कुछ अपOण कया जाए वह यहोवा के िलथे परमपवऽ ठहरे । 29 मनुंयHम से जो कोई अपOण कया जाए, वह छुड़ाया न जाए; िन_य वह मार डाला जाए।। 30 फर भूिम क उपज का सारा दशमांश, चाहे वह भूिम का बीज हो चाहे वृझ का फल, वह यहोवा ह: का है ; वह यहोवा के िलथे पवऽ ठहरे । 31 यद कोई अपके दशमांश म से कुछ छुड़ाना चाहे , तो पांचवां भाग बढ़ाकर उसको छुड़ाए। 32 और गाय-बैल और भेड़-बकgरयां, िनदान जो जो पशु िगनने के िलथे लाठq के तले िनकल जानेवाले हE उनका दशमांश, अयाOत ् दस दस पीछे एक एक पशु यहोवा के िलथे पवऽ ठहरे । 33 कोई उसके गुण अवगुण

न वचारे , और न उसको बदले; और यद कोई उसको बदल भी ले, तो वह और उसका बदला दोनHपवऽ ठहर ; और वह कभी छुड़ाया न जाए।। 34 जो आWाएं यहोवा ने इ\ाएिलयHके िलथे सीनै पवOत पर मूसा को द: यी वे थे ह: हE ।। िगनती 1 1 इ\ाएिलयHके िमॐ दे श से िनकल जाने के दस ू रे वषO के दस ू रे मह:ने के पहले दन को, यहोवा ने सीनै के जंगल म िमलापवाले तSबू म , मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHक सार: म+डली के कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार, एक एक पुRष क िगनती नाम ले लेकर करना; 3 'जतने इ\ाएली बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के हH, और जो युa करने के योbय हH, उन सभHको उनके दलHके अनुसार तू और हाRन िगन ले। 4 और तुSहारे साय एक एक गोऽ का एक एक पुRष भी हो जो अपके पतरHके घराने का मु‡य पुRष हो। 5 तुSहारे उन सािययHके नाम थे हE , अयाOत ् Rबेन के गोऽ म से शदे ऊर का पुऽ एलीसूर; 6 िशमोन के गोऽ म से सूर:शXै का पुऽ शलूमीएल; 7 यहूदा के गोऽ म से अSमीनादाब का पुऽ नहशोन; 8 इःसाकार के गोऽ म से सूआ का पुऽ नतनेल; 9 जबूलन ू के गोऽ म से हे लोन का पुऽ एलीआब; 10 यूसफ ु वंिशयHम से थे हE , अयाOत ् एप‹म के गोऽ म से अSमीहूद का पुऽ एलीशामा, ओर मनँशे के गोऽ म से पदासूर का पुऽ गSलीएल; 11 ब(यामीन के गोऽ म से िगदोनी का पुऽ अबीदान; 12 दान के गोऽ म से अSमीशXै का पुऽ अह:ऐजेर; 13 आशेर के गोऽ म से ओबान का पुऽ प कएल; 14 गाद के गोऽ म से दए ू ल का पुऽ ए`यासाप; 15 नTाली के गोऽ म से एनाम का पुऽ अह:रा। 16 म+डली म से जो पुRष अपके

अपके पतरHके गोऽHके ूधान होकर बुलाए गए वे थे ह: हE , और थे इ\ाएिलयHके हजारHम मु‡य पुRष थे। 17 और 'जन पुRषHके नाम ऊपर िलखे हE उनको साय लेकर, 18 मूसा और हाRन ने दस ू रे मह:ने के पहले दन सार: म+डली इक=ठq क, तब इ\ाएिलयHने अपके अपके कुल और अपके अपके पतरHके घराने के अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःयावालHके नामHक िगनती करवा के अप क अप क वंशावली िलखवाई; 19 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को जो आWा द: यी उसी के अनुसार उस ने सीनै के जंगल म उनक गणना क।। 20 और इ\ाएल के पहलौठे Rबेन के वंश ने 'जतने पुRष अपके कुल और अपके पतरHके घराने के अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 21 और Rबेन के गोऽ के िगने हुए पुRष साढ़े िछयालीस हजार थे।। 22 और िशमोन के वंश के लोग 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे, और जो युa करने के योbय थे वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 23 और िशमोन के गोऽ के िगने हुए पुRष उनसठ हजार तीन सौ थे।। 24 और गाद के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 25 और गाद के गोऽ के िगने हुए पुRष पEतालीस हजार साढ़े छ: सौ थे।। 26 और यहूदा के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 27 और यहूदा के गोऽ के िगने हुए पुRष चौहर हजार छ: सौ थे।। 28 और

इःसाकार के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 29 और इःसाकार के गोऽ के िगने हुए पुRष चौवन हजार चार सौ थे।। 30 और जबूलन ू वे वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 31 और जबूलन ू के गोऽ के िगने हुए पुRष सावन हजार चार सौ थे।। 32 और यूसफ ु के वंश म से एूैम के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 33 और एूैम गोऽ के िगने हुए पुRष साढ़े चालीस हजार थे।। 34 और मनँशे के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 35 और मनँशे के गोऽ के िगने हुए पुRष बीस हजार दो सौ थे।। 36 और ब(यामीन के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 37 और ब(यामीन के गोऽ के िगने हुए पुRष पEतीस हजार चार सौ थे।। 38 और दान के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे अपके अपके नाम से िगने गए: 39 और दान के गोऽ के िगने हुए पुRष बासठ हजार सात सौ थे।। 40 और आशेर के वंश

के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उससे अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 41 और आशेर के गोऽ के िगने हुए पुRष साढ़े एकतालीस हजार थे।। 42 और नTाली के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 43 और नTाली के गोऽ के िगने हुए पुRष ितरपन हजार चार सौ थे।। 44 इस ूकार मूसा और हाRन और इ\ाएल के बारह ूधानHने, जो अपके अपके पतरHके घराने के ूधान थे, उन सभHको िगन िलया और उनक िगनती यह: यी। 45 सो 'जतने इ\ाएली बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के होने के कारण युa करने के योbय थे वे अपके पतरHके घरानHके अनुसार िगने गए, 46 और वे सब िगने हुए पुRष िमलाकर छ: लाख तीन हजार साढ़े पांच सौ थे।। 47 इन म लेवीय अपके पतरHके गोऽ के अनुसार नह:ं िगने गए। 48 यHक यहोवा ने मूसा से कहा या, 49 क लेवीय गोऽ क िगनती इ\ाएिलयHके संग न करना; 50 पर(तु तू लेवयHको साझी के तSबू पर, और उसके कुल सामान पर, िनदान जो कुछ उस से सSब(ध रखता है उस पर अिध कारनेी िनयुf करना; और कुल सामान सहत िनवास को वे ह: उठाया कर , और वे ह: उस म सेवा टहल भी कया कर , और तSबू के आसपास वे ह: अपके डे रे डाला कर । 51 और जब जब िनवास का कूच हो तब तब लेवीय उसको िगरा द , और जब जब िनवास को खड़ा करना हो तब तब लेवीय उसको खड़ा कया कर ; और यद कोई दस ू रा समीप आए तो वह मार डाला जाए। 52 और इ\ाएली अपना अपना डे रा अप क अप क छावनी म और अपके अपके फ+डे

के पास खड़ा कया कर ; 53 पर लेवीय अपके डे रे साझी के तSबू ह: क चारHओर खड़े कया कर , कह:ं ऐसा न हो क इ\ाएिलयHक म+डली पर कोप भड़के; और लेवीय साझी के तSबू क रझा कया कर । 54 जो आWाएं यहोवा ने मूसा को द: यीं इ\ाएिलयHने उ(ह:ं के अनुसार कया।। िगनती 2 1 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 2 इ\ाएली िमलापवाले तSबू क चारHओर और उसके साSहने अपके अपके फ+डे और अपके अपके पतरHके घराने के िनशान के समीप अपके डे रे खड़े कर । 3 और जो अपके पूवO दशा क ओर जहां सूयzदय होता है अपके अपके दलHके अनुसार डे रे खड़े कया कर वे ह: यहूदा क छावनीवाले फण ्उे के लोग हHगे, और उनका ूधान अSमीनादाब का पुऽ नहशोन होगा, 4 और उनके दल के िगने हुए पुRष चौहर हजार छ: सौ हE । 5 उनके समीप जो डे रे खड़े कया कर वे इःसाकार के गोऽ के हH, और उनका ूधान सूआर का पुऽ नतनेल होगा, 6 और उनके दल के िगने हुए पुRष चौवन हजार चार सौ हE । 7 इनके पास जबूलन ू के गोऽवाले रह गे, और उनका ूधान हे लोन का पुऽ एलीआब होगा, 8 और उनके दल के िगने हुए पुRष सावन हजार चार सौ हE । 9 इस र:ित से यहूदा क छावनी म 'जतने अपके अपके दलHके अनुसार िगने गए वे सब िमलकर एक लाख िछयासी हजार चार सौ हE । पहले थे ह: कूच कया कर ।। 10 द' खन अलंग पर Rबेन क छावनी के फ+डे के लोग अपके अपके दलHके अनुसार रह , और उनका ूधान शदे ऊर का पुऽ एलीसूर होगा, 11 और उनके दल के िगने हुए पुRष साढ़े िछयालीस हजार हE । 12 उनके पास जो डे रे खड़े

कया कर वे िशमोन के गोऽ के हHगे, और उनका ूधान सूर:शXै का पुऽ शलूमीएल होगा, 13 और उनके दल के िगने हुए पुRष उनसठ हजार तीन सौ हE । 14 फर गाद के गोऽ के रह , और उनका ूधान Rएल का पुऽ ए`यासाप होगा, 15 और उनके दल के िगने हुए पुRष पEतालीस हजार साढ़े छ: सौ हE । 16 Rबेन क छावनी म 'जतने अपके अपके दलHके अनुसार िगने गए वे सब िमलकर डे ढ़ लाख एक हजार साढ़े चार सौ हE । दस ू रा कूच इनका हो। 17 उनके पीछे और सब छाविनयHके बीचHबीच लेवयHक छावनी समेत िमलापवाले तSबू का कूच हुआ करे ; 'जस बम से वे डे रे खड़े कर उसी बम से वे अपके अपके ःयान पर अपके अपके फ+डे के पास पास चल ।। 18 प'.छम अलंग पर एूैम क छावनी के फ+डे के लोग अपके अपके दलHके अनुसार रह , और उनका ूधान अSमीहूद का पुऽ एलीशामा होगा, 19 और उनके दल के िगने हुए पुRष साढ़े चालीस हजार हE । 20 उनके समीप मनँशे के गोऽ के रह , और उनका ूधान पदासूर का पुऽ गSलीएल होगा, 21 और उनके दल के िगने हुए पुRष बीस हजार दो सौ हE । 22 फर ब(यामीन के गोऽ म रह , और उनका ूधान िगदोनी का पुऽ अबीदान होगा, 23 और उनके दल के िगने हुए पुRष पEतीस हजार चार सौ हE । 24 एूैम क छावनी म

'जतने अपके अपके दलHके अनुसार िगने गए वे सब िमलकर एक लाख आठ हजार एक सौ पुRष हE । तीसरा कूच इनका हो। 25 उर अलंग पर दान क छावनी के फ+डे के लोग अपके अपके दलHके अनुसार रह , और उनका ूधान अSमीशXै का पुऽ अह:ऐजेर होगा, 26 और उनके दल के िगने हुए पुRष बासठ हजार सात सौ हE । 27 और उनके पास जो डे रे खड़े कर वे आशेर के गोऽ के रह , और उनका ूधान ओबान का पुऽ प कएल होगा, 28 और उनके दल के िगने

हुए पुRष साढ़े इकतालीस हजार हE । 29 फर नTाली के गोऽ के रह , और उनका ूधान एनान का पुऽ अह:रा होगा, 30 और उनके दल के िगने हुए पुRष ितरपन हजार चार सौ हE । 31 और दान क छावनी म 'जतने िगने गए वे सब िमलकर डे ढ़ लाख सात हजार छ: सौ हE । थे अपके अपके फ+डे के पास पास होकर सब से पीछे कूच कर । 32 इ\ाएिलयHम से जो अपके अपके पतरHके घराने के अनुसार िगने गए वे थे ह: हE ; और सब छाविनयHके 'जतने पुRष अपके अपके दलHके अनुसार िगने गए वे सब िमलकर छ: लाख तीन हजार साढ़े पांच सौ थे। 33 पर(तु यहोवा ने मूसा को जो आWा द: भी उसके अनुसार लेवीय तो इ\ाएिलयHम िगने नह:ं गए। 34 और जो जो आWा यहोवा ने मूसा को द: यी इ\ाएली उन आWाओं के अनुसार अपके अपके कुल और अपके अपके पतरHके घरानHके अनुसार, अपके अपके फ+डे के पास डे रे खड़े करते और कूच भी करते थे।। िगनती 3 1 'जस समय यहोवा ने सीनै पवOत के पास मूसा से बात क उस समय हाRन और मूसा क यह वंशावली यी। 2 हाRन के पुऽHके नाम थे हE : नादाब जो उसका जे ठा या, और अबीहू, एलीआजार और ईतामार; 3 हाRन के पुऽ, जो अिभषf याजक थे, और उनका संःकार याजक का काम करने के िलथे हुआ या उनके नाम थे ह: हE । 4 नादाब और अबीहू 'जस समय सीनै के जंगल म यहोवा के सSमुख ऊप क आग ले गए उसी समय यहोवा के साSहने मर गए थे; और वे पुऽह:न भी थे। एलीआजर और ईतामार अपके पता हाRन के साSहने याजक का काम करते रहे ।। 5 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 6 लेवी गोऽवालHको समीप ले आकर हाRन

याजक के साSहने खड़ा कर, क वे उसक सेवा टहल कर । 7 और जो कुछ उसक ओर से और सार: म+डली क ओर से उ(ह सxपा जाए उसक रझा वे िमलापवाले तSबू के सामहने कर , इस ूकार वे तSबू क सेवा कर ; 8 वे िमलापवाले तSबू के कुल सामान क और इ\ाएिलयHक सxपी हुई वःतुओं क भी रझा कर , इस ूकार वे तSबू क सेवा कर । 9 और तू लेवयHको हाRन और उसके पुऽHको सxप दे ; और वे इ\ाएिलयHक ओर से हाRन को सSपूणO र:ित से अपOण कए हुए हH। 10 और हाRन और उसके पुऽHको याजक के पद पर िनयुf कर, और वे अपके याजकपद क रझा कया कर ; और यद अ(य मनुंय समीप आए, तो वह मार डाला जाए।। 11 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 12 सुन इ\ाएली '\यHके सब पहलौठHक स(ती मE इ\ाएिलयHम से लेवयHको ले लेता हूं; सो लेवीय मेरे ह: हH। 13 सब पहलौठे मेरे हE ; यHक 'जस दन मE ने िमॐ दे श म के सब पहलौठHको मारा, उसी दन मE ने या मनुंय या पशु इ\ाएिलयHके सब पहलौठHको अपके िलथे पवऽ ठहराया; इसिलथे वे मेरे ह: ठहर गे; मE यहोवा हंू ।। 14 फर यहोवा ने सीनै के जंगल म मूसा से कहा, 15 लेवयHम से 'जतने पुRष एक मह:ने वा उस से अिधक अवःया के हHउनको उनके पतरHके घरानHऔर उनके कुलHके अनुसार िगन ले। 16 यह आWा पाकर मूसा ने यहोवा के कहे के अनुसार उनको िगन िलया। 17 लेवी के पुऽHके नाम थे हE , अयाOत ् गेशzन, कहात, और मरार:। 18 और गेशzन के पुऽ 'जन से उसके कुल चले उनके नाम थे हE , अयाOत ् िलcनी और िशमी। 19 कहात के पुऽ 'जन से उसके कुल चले उनके नाम थे हE , अयाOत ् अॆाम, ियसहार, हे ॄोन, और उGजीएल। 20 और मरार: के पुऽ 'जन से उसके कुल चले उनके नाम थे हE , अयाOत ् महली और मूशी। थे लेवयHके कुल

अपके पतरHके घरानHके अनुसार हE ।। 21 गेशzन से िल'cनयHऔर िशिमयHके कुल चले; गे शzनवंिशयHके कुल थे ह: हE । 22 इन म से 'जतने पुRषHक अवःया एक मह:ने क वा उस से अिधक यी, उन सभHक िगनती साढ़े सात हजार यी। 23 गेशzनवाले कुल िनवास के पीछे प'.छम क ओर अपके डे रे डाला कर ; 24 और गेशzिनयHके मूलपुRष से घराने का ूधान लाएल का पुऽ ए`यासाप हो। 25 और िमलापवाले तSबू क जो वःतुएं गेशzनवंिशयHको सxपी जाएं वे थे हH, अयाOत ् िनवास और तSबू, और उसका ओहार, और िमलापवाले तSबू से kार का पदाO, 26 और जो आंगन िनवास और वेद: क चारHओर है उसके पद , और उसके kार का पदाO, और सब डोgरयां जो उस म काम आती हE ।। 27 फर कहात से अॆािमयH, ियसहाgरयH, हे ॄोिनयH, और उGजीएिलयHके कुल चले; कहाितयHके कुल थे ह: हE । 28 उन म से 'जतने पुRषHक अवःया एक मह:ने क वा उस से अिधक यी उनक िगनती आठ हजार छ: सौ यी। वे पवऽ ःयान क रझा के उरदायी थे। 29 कहाितयHके कुल िनवास क उस अलंग पर अपके डे रे डाला कर जो द' खन क ओर है ; 30 और कहातवाले कुलHसे मूलपुRष के घराने का ूधान उGजीएल का पुऽ एलीसापान हो। 31 और जो वःतुएं उनको सxपी जाएं वे स(दक ू , मेज़, द:वट, वे दयां, और पवऽःयान का वह सामान 'जस से सेवा टहल होती है , और पदाO; िनदान पवऽःयान म काम म आनेवाला सारा सामान हो। 32 और लेवयHके ूधानHका ूधान हाRन याजक का पुऽ एलीआजार हो, और जो लोग पवऽःयान क सxपी हुई वःतुओं क रझा कर गे उन पर वह: मु'खया ठहरे ।। 33 फर मरार: से महिलयHऔर मूिशयHके कुल चले; मरार: के कुल थे ह: हE । 34 इन म से 'जतने पुRषHक अवःया एक मह:ने क वा उस से अिधक यी उन सभHक िगनती छ:

हजार दो सौ यी। 35 और मरार: के कुलHके मूलपुRष के घराने का ूधान अबीहै ल का पुऽ सूर:एल हो; थे लोग िनवास के उर क ओर अपके डे रे खड़े कर । 36 और जो वःतुएं मरार:वंिशयHको सxपी जाएं क वे उनक रझा कर , वे िनवास के त‡ते , ब ड़े, खSभे, कुिसया{, और सारा सामान; िनदान जो कुछ उसके बरतने म काम आए; 37 और चारHओर के आंगन के खSभे, और उनक कुिसया{, खूंटे और डोgरयां हH। 38 और जो िमलापवाले तSबू के साSहने, अयाOत ् िनवास के साSहने, पूरब क ओर जहां से सूयzदय होता है , अपके डे रे डाला कर , वे मूसा और हाRन और उसके पुऽHके डे रे हH, और पवऽःयान क रखवाली इ\ाएिलयHके बदले वे ह: कया कर , और दस ू रा जो कोई उसके समीप आए वह मार डाला जाए। 39 यहोवा क इस आWा को पाकर एक मह:ने क वा उस से अिधक अवःयावाले 'जतने लेवीय पुRषHको मूसा और हाRन ने उनके कुलHके अनुसार िगन िलया, वे सब के सब बाईस हजार थे।। 40 फर यहोवा ने मूसा से कहा, इ\ाएिलयHके 'जतने पहलौठे पुRषHक अवःया एक मह:ने क वा उस से अिधक है , उन सभHको नाम ले लेकर िगन ले। 41 और मेरे िलथे इ\ाएिलयHके सब पहलौठHक स(ती लेवयHको, और इ\ाएिलयHके पशुओं के सब पहलौठHक स(ती लेवयHके पशुओं को ले; मE यहोवा हंू । 42 यहोवा क इस आWा के अनुसार मूसा ने इ\ाएिलयHके सब पहलौठHको िगन िलया। 43 और सब पहलौठे पुRष 'जनक अवःया एक मह:ने क वा उस से अिधक यी, उनके नामHक िगनती बाईस हजार दो सौ ितहर यी।। 44 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 45 इ\ाएिलयHके सब पहलौठHक स(ती लेवयHको, और उनके पशुओं क स(ती लेवयHके पशुओं को ले; और लेवीय मेरे ह: हH; मE यहोवा हंू । 46 और इ\ाएिलयHके पहलौठHमे से जो

दो सौ ितहर िगनती म लेवयHसे अिधक हE , उनके छुड़ाने के िलथे, 47 पुRष पीछे पांच शेकेल ले; वे पवऽःयान के शेकेल के हसाब से हH, अयाOत ् बीस गेरा का शेकेल हो। 48 और जो Rपया उन अिधक पहलौठHक छुडौती का होगा उसे हाRन और उसके पुऽHको दे दे ना। 49 और जो इ\ाएली पहलौठे लेवयHके kारा छुड़ाए हुओं से अिधक थे उनके हाथ से मूसा ने छुड़ौती का Rपया िलया। 50 और एक हजार तीन सौ पEसठ शैकेल Rपया पवऽःयान के शेकेल के हसाब से वसूल हुआ। 51 और यहोवा क आWा के अनुसार मूसा ने छुड़ाए हुओं का Rपया हाRन और उसके पुऽHको दे दया।। िगनती 4 1 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 2 लेवयHम से कहाितयHक, उनके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार, िगनती करो, 3 अयाOत ् तीस वषO से लेकर पचास वषO तक क अवःयावालHक सेना म , 'जतने िमलापवाले तSबू म

कामकाज करने को भरती हE । 4 और िमलापवाले तSबू म परमपवऽ वःतुओं के वषय कहाितयHका यह काम होगा, 5 अयाOत ् जब जब छावनी का कूच हो तब तब हाRन और उसके पुऽ भीतर आकर, बीचवाले पद को उतार के उस से साझीपऽ के स(दक ू को ढं ◌ाप द ; 6 तब वे उस पर सूइसHक खालHका ओहार डाल , और उसके ऊपर सSपूणO नीले रं ग का कपड़ा डाल , और स(दक ू म ड+डHको लगाएं। 7 फर भ टवाली रोट: क मेज़ पर नीला कपड़ा बछाकर उस पर परातH, धूपदानH, करवH, और उं डे लने के कटोरHको रख ; और िनय क रोट: भी उस पर हो; 8 तब वे उन पर लाल रं ग का कपड़ा बछाकर उसको सुइसHक खालHके ओहार से ढ़ापे, और

मेज़ के ड+डHको लगा द । 9 फर वे नीले रं ग का कपड़ा लेकर द:पकH, गलतराशH, और गुलदानHसमेत उ'जयाला दे नेवाले द:वट को, और उसके सब तेल के पाऽHको 'जन से उसक सेवा टहल होती है ढांपे; 10 तब वे सारे सामान समेत द:वट को सूइसHक खालHके ओहार के भीतर रखकर ड+डे पर धर द । 11 फर वे सोने क वे द: पर एक नीला कपड़ा बछाकर उसको सूइसHक खालHके ओहार के भीतर रखकर ड+डे पर धर द । 12 तब वे सेवा टहल के सारे सामान को लेकर, 'जस से पवऽःयान म सेवा टहल होली है , नीले कपके के भीतर रखकर सूइसHक खालHके ओहार से ढांपे, और ड+डे पर धर द । 13 फर वे वे द: पर से सब राख उठाकर वेद: पर बEजनी रं ग का कपड़ा बछाएं; 14 तब 'जस सामान से वेद: पर क सेवा टहल होती है वह सब, अयाOत ् उसके करछे , कांटे, फावडय़ां, और कटोरे आद, वेद: का सारा सामान उस पर रख ; और उसके ऊपर सूइसHक खालHका ओहार बछाकर वेद: म ड+डHको लगाएं। 15 और जब हाRन और उसके पुऽ छावनी के कूच के समय पवऽःयान और उसके सारे सामान को ढं ◌ाप चुक , तब उसके बाद कहाती उसके उठाने के िलथे आएं, पर कसी पवऽ वःतु को न छुएं, कह:ं ऐसा न हो क मर जाएं। कहाितयHके उठाने के िलथे िमलापवाले तSबू क थे ह: वःतुएं हE । 16 और जो वःतुएं हाRन याजक के पुऽ एलीजार को रझा के िलथे सxपी जाएं वे थे हE , अयाOत ् उ'जयाला दे ने के िलथे तेल, और सुग'(धत धूप, और िनय अ(नबिल, और अिभषेक का तेल, और सारे िनवास, और उस म क सब वःतुए,ं और पवऽःयान और उसके कुल समान।। 17 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 18 कहाितयHके कुलHके गोऽयHको लेवयHम से नाश न होने दे ना; 19 उसके साय ऐसा करो, क जब वे परमपवऽ वःतुओं के समीप आएं तब न

मर पर(तु जीवत रह ; अयाOत ् हाRन और उसके पुऽ भीतर आकर एक एक के िलथे उसक सेवकाई और उसका भार ठहरा द , 20 और वे पवऽ वःतुओं के दे खने को झण भर के िलथे भी भीतर आने न पाएं, कह:ं ऐसा न हो क मर जाएं।। 21 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 22 गेशzिनयHक भी िगनती उनके पतरHके घरानHऔर कुलHके अनुसार कर; 23 तीस वषO से लेकर पचास वषO तक क अवःयावाले, 'जतने िमलापवाले तSबू म सेवा करने को सेना म भरती हHउन सभHको िगन ले। 24 सेवा करने और भार उठाने म गेशzिनयHके कुलवालHक यह सेवकाई हो; 25 अयाOत ् वे िनवास के पटH, और िमलापवाले तSबू और उसके ओहार, और इसके ऊपरवाले सूइसHक खालHके ओहार, और िमलापवाले तSबू के kार के पद , 26 और िनवास, और वेद: क चारHओर के आंगन के पदJ, और आंगन के kार के पद , और उनक डोgरयH, और उन म बरतने के सारे सामान, इन सभHको वे उठाया कर ; और इन वःतुओं से 'जतना काम होता है वह सब भी उनक सेवकाई म आए। 27 और गेशzिनयHके वंश क सार: सेवकाई हाRन और उसके पुऽHके कहने से हुआ करे , अयाOत ् जो कुछ उनको उठाना, और जो जो सेवकाई उनको करनी हो, उनका सारा भार तुम ह: उ(ह सौपा करो। 28 िमलापवाले तSबू म गेशzिनयHके कुलHक यह: सेवकाई ठहरे ; और उन पर हाRन याजक का पुऽ ईतामार अिध कारने रखे।। 29 फर मराgरयHको भी तू उनके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार िगन ल ; 30 तीस वषO से लेकर पचास वषO तक क अवःयावाले, 'जतने िमलापवाले तSबू क सेवा करने को सेना म भरती हH, उन सभHको िगन ले। 31 और िमलापवाले तSबू म क 'जन वःतुओं के उठाने क सेवकाई उनको िमले वे थे हH, अयाOत ् िनवास के त‡ते, बेड़े, खSभे, और

कुिसया{, 32 और चारHओर आंगन के खSभे, और इनक कुिसया{, खूंटे, डोgरयां, और भांित भांित के बरतने का सारा सामान; और जो जो सामान ढ़ोने के िलथे उनको सौपा जाए उस म से एक एक वःतु का नाम लेकर तुम िगन दो। 33 मराgरयHके कुलHक सार: सेवकाई जो उ(ह िमलापवाले तSबू के वषय करनी होगी वह यह: है ; वह हाRन याजक के पुऽ ईतामार के अिध कारने म रहे ।। 34 तब मूसा और हाRन और म+डली के ूधानHने कहाितयHके वंश को, उनके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार, 35 तीस वषO से लेकर पचास वषO क अवःया के, 'जतने िमलापवाले तSबू क सेवकाई करने को सेना म भरती हुए थे, उन सभHको िगन िलया; 36 और जो अपके अपके कुल के अनुसार िगने गए वे दो हजार साढ़े सात सौ थे। 37 कहाितयHके कुलHम से 'जतने िमलापवाले तSबू म

सेवा करने वाले िगने गए वे इतने ह: थे; जो आWा यहोवा ने मूसा के kारा द: यी उसी के अनुसार मूसा और हाRन ने इनको िगन िलया।। 38 और गेशzिनयHम से जो अपके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार िगने गए, 39 अयाOत ् तीस वषO से लेकर पचास वषO तक क अवःया के, जो िमलापवाले तSबू क सेवकाई करने को सेना म भरती हुए थे, 40 उनक िगनती उनके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार दो हजार छ: सौ तीस यी। 41 गे शzिनयHके कुलHम से 'जतने िमलापवाले तSबू म सेवा करनेवाले िगने गए वे इतने ह: थे; यहोवा क आWा के अनुसार मूसा और हाRन ने इनको िगन िलया।। 42 फर मराgरयHके कुलHम से जो अपके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार िगने गए, 43 अयाOत ् तीस वषO से लेकर पचास वषO तक क अवःया के, जो िमलापवाले तSबू क सेवकाई करने को सेना म भरती हुए थे, 44 उनक िगनती उनके कुलHके अनुसार तीन हजार दो सौ यी।

45 मराgरयHके कुलHम से 'जनको मूसा और हाRन ने, यहोवा क उस आWा के अनुसार जो मूसा के kारा िमली यी, िगन िलया वे इतने ह: थे।। 46 लेवयHम से 'जनको मूसा और हाRन और इ\ाएली ूधानHने उनके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार िगन िलया, 47 अयाOत ् तीस वषO से लेकर पचास वषO तक क अवःयावाले, 'जतने िमलापवाले तSबू क सेवकाई करने का बोफ उठाने का काम करने को हा'जर होने वाले थे, 48 उन सभHक िगनती आठ हजार पांच सौ अःसी यी। 49 थे अप क अप क सेवा और बोफ ढ़ोने के अनुसार यहोवा के कहने पर गए। जो आWा यहोवा ने मूसा को द: यी उसी के अनुसार वे िगने गए।। िगनती 5 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHको आWा दे , क वे सब कोढय़Hको, और 'जतनHके ूमेह हो, और 'जतने लोय के कारण अशुa हH, उन सभHको छावनी से िनकाल द ; 3 ऐसHको चाहे पुRष हHचाहे \ी छावनी से िनकालकर बाहर कर द ; कह:ं ऐसा न हो क तुSहार: छावनी, 'जसके बीच मE िनवास करता हंू , उनके कारण अशुa हो जाए। 4 और इ\ाएिलयHने वैसा ह: कया, अयाOत ् ऐसे लोगHको छावनी से िनकालकर बाहर कर दया; जैसा यहोवा ने मूसा से कहा या इ\ाएिलयHने वैसा ह: कया।। 5 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 6 इ\ाएिलयHसे कह, क जब कोई पुRष वा \ी ऐसा कोई पाप करके जो लोग कया करते हE यहोवा को व ासघात करे , और वह ूाणी दोषी हो, 7 तब वह अपना कया हुआ पाप मान ले; और पूरे मूल म पांचवां अंश बढ़ाकर अपके दोष के बदले म उसी को दे , 'जसके वषय दोषी हुआ हो। 8 पर(तु यद उस मनुंय का कोई कुटु Sबी न हो

'जसे दोष का बदला भर दया जाए, तो उस दोष का जो बदला यहोवा को भर दया जाए वह याजक का हो, और वह उस ूाय'_वाले मेढ़े से अिधक हो 'जस से उसके िलथे ूाय'_ कया जाए। 9 और 'जतनी पवऽ क हुई वःतुएं इ\ाएली उठाई हुई भ ट करके याजक के पास लाएं, वे उसी क हH; 10 सब मनुंयHक पवऽ क हुई वःतुएं उसी क ठहर ; कोई जो कुछ याजक को दे वह उसका ठहरे ।। 11 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 12 इ\ाएिलयHसे कह, क यद कसी मनुंय क \ी कुचाल चलकर उसका व ासघात करे , 13 और कोई पुRष उसके साय कुकमO करे , पर(तु यह बात उसके पित से िछपी हो और खुली न हो, और वह अशुa हो गई, पर(तु न तो उसके वRa कोई साझी हो, और न