Hindi Bible पवित्र बाइबिल [OV ed.]

Hindi Bible पवित्र बाइबिल...
Author: B
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उप 1 1 आद म परमे र ने आकाश और पृवी क सृ क। 2 और पृवी बेडौल और सुनसान प क यी; और गहरे जल के ऊपर अ'(ध कारनेा या: तया परमे र का आमा जल के ऊपर म+डलाता या। 3 तब परमे र ने कहा, उ'जयाला हो: तो उ'जयाला हो गया। 4 और परमे र ने उ'जयाले को दे खा क अ.छा है ; और परमे र ने उ'जयाले को अ'(ध कारने से अलग कया। 5 और परमे र ने उ'जयाले को दन और अ'(ध कारने को रात कहा। तया सांफ हुई फर भोर हुआ। इस ूकार पहला दन हो गया।। 6 फर परमे र ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अ(तर हो क जल दो भाग हो जाए। 7 तब परमे र ने एक अ(तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग कया; और वैसा ह: हो गया। 8 और परमे र ने उस अ(तर को आकाश कहा। तया सांफ हुई फर भोर हुआ। इस ूकार दस ू रा दन हो गया।। 9 फर परमे र ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक ःयान म इक=ठा हो जाए और सूखी भूिम दखाई दे ; और वैसा ह: हो गया। 10 और परमे र ने सूखी भूिम को पृवी कहा; तया जो जल इक=ठा हुआ उसको उस ने समुि कहा: और परमे र ने दे खा क अ.छा है । 11 फर परमे र ने कहा, पृवी से हर: घास, तया बीजवाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृझ भी 'जनके बीज उ(ह: म एक एक क जाित के अनुसार होते हE पृवी पर उग ; और वैसा ह: हो गया। 12 तो पृवी से हर: घास, और छोटे छोटे पेड़ 'जन म

अप क अप क जाित के अनुसार बीज होता है , और फलदाई वृझ 'जनके बीज एक एक क जाित के अनुसार उ(ह: म होते हE उगे; और परमे र ने दे खा क अ.छा है । 13 तया सांफ हुई फर भोर हुआ। इस ूकार तीसरा दन हो गया।। 14

फर परमे र ने कहा, दन को रात से अलग करने के िलथे आकाश के अ(तर म

Gयोितयां हH; और वे िच(हH, और िनयत समयH, और दनH, और वषJके कारण हH। 15 और वे Gयोितयां आकाश के अ(तर म पृवी पर ूकाश दे नेवाली भी ठहर ; और वैसा ह: हो गया। 16 तब परमे र ने दो बड़: Gयोितयां बनाL; उन म

से बड़: Gयोित को दन पर ूभुता करने के िलथे, और छोट: Gयोित को रात पर ूभुता करने के िलथे बनाया: और तारागण को भी बनाया। 17 परमे र ने उनको आकाश के अ(तर म इसिलथे रखा क वे पृवी पर ूकाश द , 18 तया दन और रात पर ूभुता कर और उ'जयाले को अ'(ध कारने से अलग कर : और परमे र ने दे खा क अ.छा है । 19 तया सांफ हुई फर भोर हुआ। इस ूकार चौया दन हो गया।। 20 फर परमे र ने कहा, जल जीवत ूा'णयHसे बहुत ह: भर जाए, और प क पृवी के ऊपर आकाश क अ(तर म उड़ । 21 इसिलथे परमे र ने जाित जाित के बड़े बड़े जल-ज(तुओं क, और उन सब जीवत ूा'णयHक भी सृ क जो चलते फरते हE 'जन से जल बहुत ह: भर गया और एक एक जाित के उड़नेवाले प'झयHक भी सृ क : और परमे र ने दे खा क अ.छा है । 22 और परमे र ने यह कहके उनको आशीष द:, क फूलो-फलो, और समुि के जल म

भर जाओ, और प क पृवी पर बढ़ । 23 तया सांफ हुई फर भोर हुआ। इस ूकार पांचवां दन हो गया। 24 फर परमे र ने कहा, पृवी से एक एक जाित के जीवत ूाणी, अयाOत ् घरे लू पशु, और र गनेवाले ज(तु, और पृवी के वनपशु, जाित जाित के अनुसार उप(न हH; और वैसा ह: हो गया। 25 सो परमे र ने पृवी के जाित जाित के वनपशुओं को, और जाित जाित के घरे लू पशुओं को, और जाित जाित के भूिम पर सब र गनेवाले ज(तुओं को बनाया : और परमे र

ने दे खा क अ.छा है । 26 फर परमे र ने कहा, हम मनुंय को अपके ःवRप के अनुसार अप क समानता म बनाएं; और वे समुि क मछिलयH, और आकाश के प'झयH, और घरे लू पशुओं, और सार: पृवी पर, और सब र गनेवाले ज(तुओं पर जो पृवी पर र गते हE , अिध कारने रख । 27 तब परमे र ने मनुंय को अपके ःवRप के अनुसार उप(न कया, अपके ह: ःवRप के अनुसार परमे र ने उसको उप(न कया, नर और नार: करके उस ने मनुंयHक सृ क। 28 और परमे र ने उनको आशीष द: : और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृवी म भर जाओ, और उसको अपके वश म कर लो; और समुि क मछिलयH, तया आकाश के प'झयH, और पृवी पर र गनेवाले सब ज(तुओ पर अिध कारने रखो। 29 फर परमे र ने उन से कहा, सुनो, 'जतने बीजवाले छोटे छोटे पेड़ सार: पृवी के ऊपर हE और 'जतने वृझHम बीजवाले फल होते हE , वे सब मE ने तुम को दए हE ; वे तुSहारे भोजन के िलथे हE : 30 और 'जतने पृवी के पशु, और आकाश के प क, और पृवी पर र गनेवाले ज(तु हE , 'जन म जीवन के ूाण हE , उन सब के खाने के िलथे मE ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दए हE ; और वैसा ह: हो गया। 31 तब परमे र ने जो कुछ बनाया या, सब को दे खा, तो या दे खा, क वह बहुत ह: अ.छा है । तया सांफ हुई फर भोर हुआ। इस ूकार छठवां दन हो गया।। उप 2 1 यHआकाश और पृवी और उनक सार: सेना का बनाना समाT हो गया। 2 और परमे र ने अपना काम 'जसे वह करता या सातव दन समाT कया। और उस ने अपके कए हुए सारे काम से सातव दन वौम कया। 3 और परमे र ने

सातव दन को आशीष द: और पवऽ ठहराया; यHक उस म उस ने अप क सृ क रचना के सारे काम से वौम िलया। 4 आकाश और पृवी क उप का वृा(त यह है क जब वे उप(न हुए अयाOत ् 'जस दन यहोवा परमे र ने पृवी और आकाश को बनाया: 5 तब मैदान का कोई पौधा भूिम पर न या, और न मैदान का कोई छोटा पेड़ उगा या, यHक यहोवा परमे र ने पृवी पर जल नह:ं बरसाया या, और भूिम पर खेती करने के िलथे मनुंय भी नह:ं या; 6 तौभी कुहरा पृवी से उठता या 'जस से सार: भूिम िसंच जाती यी 7 और यहोवा परमे र ने आदम को भूिम क िम=ट: से रचा और उसके नयनो म जीवन का ास फूंक दया; और आदम जीवता ूाणी बन गया। 8 और यहोवा परमे र ने पूवO क ओर अदन दे श म एक बाटका लगाई; और वहां आदम को 'जसे उस ने रचा या, रख दया। 9 और यहोवा परमे र ने भूिम से सब भांित के वृझ, जो दे खने म मनोहर और 'जनके फल खाने म अ.छे हE उगाए, और बाटका के बीच म जीवन के वृझ को और भले या बुरे के Wान के वृझ को भी लगाया। 10 और उस बाटका को सींचने के िलथे एक महानद: अदन से िनकली और वहां से आगे बहकर चार धारा म हो गई। 11 पहली धारा का नाम पीशोन ् है , यह वह: है जो हवीला नाम के सारे दे श को जहां सोना िमलता है घेरे हुए है । 12 उस दे श का सोना चोखा होता है , वहां मोती और सुलम ै ानी पयर भी िमलते हE । 13 और दस ू र: नद: का नाम गीहोन ् है , यह वह: है जो कूश के सारे दे श को घेरे हुए है । 14 और तीसर: नद: का नाम हXे केल ् है , यह वह: है जो अँशूर ् के पूवO क ओर बहती है । और चौयी नद: का नाम फरात है । 15 जब यहोवा परमे र ने आदम को लेकर अदन क बाटका म

रख दया, क वह उस म काम करे और उसक रझा करे , 16 तब यहोवा परमे र

ने आदम को यह आWा द:, क तू बाटका के सब वृझHका फल बना खटके खा सकता है : 17 पर भले या बुरे के Wान का जो वृझ है , उसका फल तू कभी न खाना : यHक 'जस दन तू उसका फल खाए उसी दन अवँय मर जाएगा।। 18 फर यहोवा परमे र ने कहा, आदम का अकेला रहना अ.छा नह:ं; मै उसके िलथे एक ऐसा सहाथक बनाऊंगा जो उस से मेल खाए। 19 और यहोवा परमे र भूिम म से सब जाित के बनैले पशुओं, और आकाश के सब भँ◌ाित के प'झयHको रचकर आदम के पास ले आया क दे खे, क वह उनका या या नाम रखता है ; और 'जस 'जस जीवत ूाणी का जो जो नाम आदम ने रखा वह: उसका नाम हो गया। 20 सो आदम ने सब जाित के घरे लू पशुओं, और आकाश के प'झयH, और सब जाित के बनैले पशुओं के नाम रखे; पर(तु आदम के िलथे कोई ऐसा सहाथक न िमला जो उस से मेल खा सके। 21 तब यहोवा परमे र ने आदम को भार: नी(द म डाल दया, और जब वह सो गया तब उस ने उसक एक पसुली िनकालकर उसक स(ती मांस भर दया। 22 और यहोवा परमे र ने उस पसुली को जो उस ने आदम म से िनकाली यी, \ी बना दया; और उसको आदम के पास ले आया। 23 और आदम ने कहा अब यह मेर: ह']डयHम क ह]ड: और मेरे मांस म का मांस है : सो इसका नाम नार: होगा, यHक यह नर म से िनकाली गई है । 24 इस कारण पुRष अपके माता पता को छोड़कर अप क प^ी से िमला रहे गा और वे एक तन बन रह गे। 25 और आदम और उसक प^ी दोनHनंगे थे, पर लजाते न थे।। उप 3

1 यहोवा परमे र ने 'जतने बनैले पशु बनाए थे, उन सब म सपO धूतO या, और उस ने \ी से कहा, या सच है , क परमे र ने कहा, क तुम इस बाटका के कसी वृझ का फल न खाना ? 2 \ी ने सपO से कहा, इस बाटका के वृझHके फल हम खा सकते हE । 3 पर जो वृझ बाटका के बीच म है , उसके फल के वषय म

परमे र ने कहा है क न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नह:ं तो मर जाओगे । 4 तब सपO ने \ी से कहा, तुम िन_य न मरोगे , 5 वरन परमे र आप जानता है , क 'जस दन तुम उसका फल खाओगे उसी दन तुSहार: आंखे खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का Wान पाकर परमे र के तु`य हो जाओगे। 6 सो जब \ी ने दे खा क उस वृझ का फल खाने म अ.छा, और दे खने म मनभाऊ, और बुa दे ने के िलथे चाहने योbय भी है , तब उस ने उस म से तोड़कर खाया; और अपके पित को भी दया, और उस ने भी खाया। 7 तब उन दोनHक आंखे खुल गई, और उनको मालूम हुआ क वे नंगे है ; सो उ(हHने अंजीर के पे जोड़ जोड़ कर लंगोट बना िलथे। 8 तब यहोवा परमे र जो दन के ठं डे समय बाटका म फरता या उसका शcद उनको सुनाई दया। तब आदम और उसक प^ी बाटका के वृझHके बीच यहोवा परमे र से िछप गए। 9 तब यहोवा परमे र ने पुकारकर आदम से पूछा, तू कहां है ? 10 उस ने कहा, मE तेरा शcद बार: म सुनकर डर गया यHक मE नंगा या; इसिलथे िछप गया। 11 उस ने कहा, कस ने तुझे िचताया क तू नंगा है ? 'जस वृझ का फल खाने को मै ने तुझे बजाO या, या तू ने उसका फल खाया है ? 12 आदम ने कहा 'जस \ी को तू ने मेरे संग रहने को दया है उसी ने उस वृझ का फल मुझे दया, और मै ने खाया। 13 तब यहोवा परमे र ने \ी से कहा, तू ने यह या कया है ? \ी ने कहा, सपO ने मुझे बहका दया तब

मै ने खाया। 14 तब यहोवा परमे र ने सपO से कहा, तू ने जो यह कया है इसिलथे तू सब घरे लू पशुओं, और सब बनैले पशुओं से अिधक शापत है ; तू पेट के बल चला करे गा, और जीवन भर िम=ट: चाटता रहे गा : 15 और मै ते रे और इस \ी के बीच म , और ते रे वंश और इसके वंश के बीच म बैर उप(न कdं गा, वह तेरे िसर को कुचल डालेगा, और तू उसक एड़: को डसेगा। 16 फर \ी से उस ने कहा, मै तेर: पीड़ा और तेरे गभOवती होने के द:ु ख को बहुत बढ़ाऊंगा; तू पीड़त होकर बालक उप(न करे गी; और तेर: लालसा तेरे पित क ओर होगी, और वह तुझ पर ूभुता करे गा। 17 और आदम से उस ने कहा, तू ने जो अप क प^ी क बात सुनी, और 'जस वृझ के फल के वषय मै ने तुझे आWा द: यी क तू उसे न खाना उसको तू ने खाया है , इसिलथे भूिम तेरे कारण शापत है : तू उसक उपज जीवन भर द:ु ख के साय खाया करे गा : 18 और वह तेरे िलथे कांटे और ऊंटकटारे उगाएगी, और तू खे त क उपज खाएगा ; 19 और अपके माथे के प कने क रोट: खाया करे गा, और अ(त म िम=ट: म िमल जाएगा; यHक तू उसी म से िनकाला गया है , तू िम=ट: तो है और िम=ट: ह: म फर िमल जाएगा। 20 और आदम ने अप क प^ी का नाम हeवा रखा; यHक 'जतने मनुंय जीवत हE उन सब क आदमाता वह: हुई। 21 और यहोवा परमे र ने आदम और उसक प^ी के िलथे चमड़े के अंगरखे बनाकर उनको पहना दए। 22 फर यहोवा परमे र ने कहा, मनुंय भले बुरे का Wान पाकर हम म से एक के समान हो गया है : इसिलथे अब ऐसा न हो, क वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृझ का फल भी तोड़ के खा ले और सदा जीवत रहे । 23 तब यहोवा परमे र ने उसको अदन क बाटका म से िनकाल दया क वह उस भूिम पर खेती करे 'जस मे से वह बनाया गया या। 24

इसिलथे आदम को उस ने िनकाल दया और जीवन के वृझ के मागO का पहरा दे ने के िलथे अदन क बाटका के पूवO क ओर कdबHको, और चारHओर घूमनेवाली Gवालामय तलवार को भी िनयुf कर दया।। उप 4 1 जब आदम अप क प^ी हeवा के पास गया तब उस ने गभOवती होकर कैन को ज(म दया और कहा, मै ने यहोवा क सहाथता से एक पुRष पाया है । 2 फर वह उसके भाई हाबल को भी ज(मी, और हाबल तो भेड़-बकgरयHका चरवाहा बन गया, पर(तु कैन भूिम क खे ती करने वाला कसान बना। 3 कुछ दनHके प_ात ् कैन यहोवा के पास भूिम क उपज म से कुछ भ ट ले आया। 4 और हाबल भी अप क भेड़-बकgरयHके कई एक पहलौठे ब.चे भ ट चढ़ाने ले आया और उनक चबh भ ट चढ़ाई; तब यहोवा ने हाबल और उसक भ ट को तो महण कया, 5 पर(तु कैन और उसक भ ट को उस ने महण न कया। तब कैन अित बोिधत हुआ, और उसके मुह ं पर उदासी छा गई। 6 तब यहोवा ने कैन से कहा, तू यHबोिधत हुआ ? और तेरे मुह ं पर उदासी यHछा गई है ? 7 यद तू भला करे , तो या तेर: भ ट महण न क जाएगी ? और यद तू भला न करे , तो पाप kार पर िछपा रहता है , और उसक लालसा तेर: और होगी, और तू उस पर ूभुता करे गा। 8 तब कैन ने अपके भाई हाबल से कुछ कहा : और जब वे मैदान म थे, तब कैन ने अपके भाई हाबल पर चढ़कर उसे घात कया। 9 तब यहोवा ने कैन से पूछा, तेरा भाई हाबल कहां है ? उस ने कहा मालूम नह:ं : या मै अपके भाई का रखवाला हंू ? 10 उस ने कहा, तू ने या कया है ? तेरे भाई का लोहू भूिम म से

मेर: ओर िच`लाकर मेर: दोहाई दे रहा है ! 11 इसिलथे अब भूिम 'जस ने तेरे भाई का लोहू तेरे हाथ से पीने के िलथे अपना मुह ं खोला है , उसक ओर से तू शापत है । 12 चाहे तू भूिम पर खे ती करे , तौभी उसक पूर: उपज फर तुझे न िमलेगी, और तू पृवी पर बहे तू और भगोड़ा होगा। 13 तब कैन ने यहोवा से कहा, मेरा द+ड सहने से बाहर है । 14 दे ख, तू ने आज के दन मुझे भूिम पर से िनकाला है और मै तेर: l क आड़ मे रहूंगा और पृवी पर बहे तू और भगोड़ा रहूंगा; और जो कोई मुझे पाएगा, मुझे घात करे गा। 15 इस कारण यहोवा ने उस से कहा, जो कोई कैन को घात करे गा उस से सात गुणा पलटा िलया जाएगा। और यहोवा ने कैन के िलथे एक िच(ह ठहराया ऐसा ने हो क कोई उसे पाकर मार डाले।। 16 तब कैन यहोवा के सSमुख से िनकल गया, और नोm नाम दे श म , जो अदन के पूवO क ओर है , रहने लगा। 17 जब कैन अप क प^ी के पास गया जब वह गभOवती हुई और हनोक को ज(मी, फर कैन ने एक नगर बसाया और उस नगर का नाम अपके पुऽ के नाम पर हनोक रखा। 18 और हनोक से ईराद उप(न हुआ, और ईराद ने महूयाएल को ज(म दया, और महूयाएल ने मतूशाएल को, और मतूशाएल ने लेमेक को ज(म दया। 19 और लेमेक ने दो '\यां cयाह ली : 'जन म से एक का नाम आदा, और दस ू र: को िस`ला है । 20 और आदा ने याबाल को ज(म दया। वह तSबुओं म रहना और जानवरHका पालन इन दोनो र:ितयHका उपादक हुआ। 21 और उसके भाई का नाम यूबाल है : वह वीणा और बांसरु : आद बाजHके बजाने क सार: र:ित का उपादक हुआ। 22 और िस`ला ने भी तूब`कैन नाम एक पुऽ को ज(म दया : वह पीतल और लोहे के सब धारवाले हिययारHका गढ़नेवाला हुआ: और तूब`कैन क बहन नामा यी। 23 और लेमेक

ने अप क प'^यHसे कहा, हे आदा और हे िस`ला मेर: सुनो; हे लेमेक क प'^यH, मेर: बात पर कान लगाओ: मEने एक पुRष को जो मेरे चोट लगाता या, अयाOत ् एक जवान को जो मुझे घायल करता या, घात कया है । 24 जब कैन का पलटा सातगुणा िलया जाएगा। तो लेमेक का सतहरगुणा िलया जाएगा। 25 और आदम अप क प^ी के पास फर गया; और उस ने एक पुऽ को ज(म दया और उसका नाम यह कह के शेत रखा, क परमे र ने मेरे िलथे हाबल क स(ती, 'जसको कैन ने घात कया, एक और वंश ठहरा दया है । 26 और शेत के भी एक पुऽ उप(न हुआ; और उस ने उसका नाम एनोश रखा, उसी समय से लोग यहोवा से ूायOना करने लगे।। उप 5 1 आदम क वंशावली यह है । जब परमे र ने मनुंय क सृ क तब अपके ह: ःवRप म उसको बनाया; 2 उस ने नर और नार: करके मनुंयHक सृ क और उ(ह आशीष द:, और उनक सृ के दन उनका नाम आदम रखा। 3 जब आदम एक सौ तीस वषO का हुआ, तब उसके kारा उसक समानता म उस ह: के ःवRप के अनुसार एक पुऽ उप(न हुआ उसका नाम शेत रखा। 4 और शेत के ज(म के प_ात ् आदम आठ सौ वषO जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुL। 5 और आदम क कुल अवःया नौ सौ तीस वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 6 जब शेत एक सौ पांच वषO का हुआ, तब उस ने एनोश को ज(म दया। 7 और एनोश के ज(म के प_ात ् शेत आठ सौ सात वषO जीवत रहा, और उसके और भी बे टे बेटयां उप(न हुL। 8 और शेत क कुल अवःया नौ सौ बारह वषO

क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 9 जब एनोश नcबे वषO का हुआ, तब उस ने केनान को ज(म दया। 10 और केनान के ज(म के प_ात ् एनोश आठ सौ प(िह वषO जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बे टयां हुई। 11 और एनोश क कुल अवःया नौ सौ पांच वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 12 जब केनान सर वषO का हुआ, तब उस ने महललेल को ज(म दया। 13 और महललेल के ज(म के प_ात ् केनान आठ सौ चालीस वषO जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बे टयां उप(न हुई। 14 और केनान क कुल अवःया नौ सौ दस वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 15 जब महललेल पEसठ वषO का हुआ, तब उस ने थेरेद को ज(म दया। 16 और थेरेद के ज(म के प_ात ् महललेल आठ सौ तीस वषO जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई। 17 और महललेल क कुल अवःया आठ सौ पंचानवे वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 18 जब थेरेद एक सौ बासठ वषO का हुआ, जब उस ने हनोक को ज(म दया। 19 और हनोक के ज(म के प_ात ् थेरेद आठ सौ वषO जीवत रहा, और उसके और भी बे टे बे टयां उप(न हुई। 20 और थेरेद क कुल अवःया नौ सौ बासठ वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया। 21 जब हनोक पEसठ वषO का हुआ, तब उस ने मतूशेलह को ज(म दया। 22 और मतूशेलह के ज(म के प_ात ् हनोक तीन सौ वषO तक परमे र के साय साय चलता रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई। 23 और हनोक क कुल अवःया तीन सौ पEसठ वषO क हुई। 24 और हनोक परमे र के साय साय चलता या; फर वह लोप हो गया यHक परमे र ने उसे उठा िलया। 25 जब मतूशेलह एक सौ सासी वषO का हुआ, तब उस ने लेमेक को ज(म दया। 26 और लेमेक के ज(म के प_ात ् मतूशेलह सात सौ बयासी वषO

जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई। 27 और मतूशेलह क कुल अवःया नौ सौ उनहर वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 28 जब लेमेक एक सौ बयासी वषO का हुआ, तब उस ने एक पुऽ ज(म दया। 29 और यह कहकर उसका नाम नूह रखा, क यहोवा ने जो पृवी को शाप दया है , उसके वषय यह लड़का हमारे काम म , और उस कठन पgरnम म जो हम करते हE , हम को शा'(त दे गा। 30 और नूह के ज(म के प_ात ् लेमेक पांच सौ पंचानवे वषO जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई। 31 और लेमेक क कुल अवःया सात सौ सतहर वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया।। 32 और नूह पांच सौ वषO का हुआ; और नूह ने शेम, और हाम और थेपेत को ज(म दया।। उप 6 1 फर जब मनुंय भूिम के ऊपर बहुत बढ़ने लगे, और उनके बेटयां उप(न हुई, 2 तब परमे र के पुऽHने मनुंय क पुऽयHको दे खा, क वे सु(दर हE ; सो उ(हHने 'जस 'जसको चाहा उन से cयाह कर िलया। 3 और यहोवा ने कहा, मेरा आमा मनुंय से सदा लHववाद करता न रहे गा, यHक मनुंय भी शर:र ह: है : उसक आयु एक सौ बीस वषO क होगी। 4 उन दनHम पृवी पर दानव रहते थे; और इसके प_ात ् जब परमे र के पुऽ मनुंय क पुऽयHके पास गए तब उनके kारा जो स(तान उप(न हुए, वे पुऽ शूरवीर होते थे, 'जनक कर ् ूाचीनकाल से ूचिलत है । 5 और यहोवा ने दे खा, क मनुंयHक बुराई पृवी पर बढ़ गई है , और उनके मन के वचार म जो कुछ उप(न होता है सो िनर(तर बुरा ह: होता है । 6 और यहोवा पृवी पर मनुंय को बनाने से पछताया, और वह मन म अित

खेदत हुआ। 7 तब यहोवा ने सोचा, क मै मनुंय को 'जसक मै ने सृ क है पृवी के ऊपर से िमटा दं ग ू ा यHक मE उनके बनाने से पछताता हूं। 8 पर(तु यहोवा के अनुमह क l नूह पर बनी रह:।। 9 नूह क वंशावली यह है । नूह धमh पुRष और अपके समय के लोगHम खरा या, और नूह परमे र ह: के साय साय चलता रहा। 10 और नूह से, शेम, और हाम, और थेपेत नाम, तीन पुऽ उप(न हुए। 11 उस समय पृवी परमे र क l म बगड़ गई यी, और उपिव से भर गई यी। 12 और परमे र ने पृवी पर जो l क तो या दे खा, क वह बगड़: हुई है ; यHक सब ूा'णयHने पृवी पर अप क अप क चाल चलन बगाड़ ली यी। 13 तब परमे र ने नूह से कहा, सब ूा'णयHके अ(त करने का ूo मेरे साSहने आ गया है ; यHक उनके कारण पृवी उपिव से भर गई है , इसिलथे मै उनको पृवी समेत नाश कर डालूग ं ा। 14 इसिलथे तू गोपेर वृझ क लकड़: का एक जहाज बना ले, उस म कोठgरयां बनाना, और भीतर बाहर उस पर राल लगाना। 15 और इस ढं ग से उसको बनाना : जहाज क लSबाई तीन सौ हाथ, चौड़ाई पचास हाथ, और ऊंचाई तीस हाथ क हो। 16 जहाज म एक 'खड़क बनाना, और इसके एक हाथ ऊपर से उसक छत बनाना, और जहाज क एक अलंग म एक kार रखना, और जहाज म पहला, दस ू रा, तीसरा ख+ड बनाना। 17 और सुन, मE आप पृवी पर जलूलय करके सब ूा'णयHको, 'जन म जीवन क आमा है , आकाश के नीचे से नाश करने पर हूं : और सब जो पृवी पर है मर जाएंगे। 18 पर(तु ते रे संग मै वाचा बा(धता हंू : इसिलथे तू अपके पुऽH, \ी, और बहुओं समेत जहाज म ूवेश करना। 19 और सब जीवत ूा'णयHम से, तू एक एक जाित के दो दो, अयाOत ् एक नर और एक मादा जहाज म ले जाकर, अपके

साय जीवत रखना। 20 एक एक जाित के प क, और एक एक जाित के पशु, और एक एक जाित के भूिम पर र गनेवाले, सब म से दो दो ते रे पास आएंगे, क तू उनको जीवत रखे । 21 और भांित भांित का भोGय पदायO जो खाया जाता है , उनको तू लेकर अपके पास इक=ठा कर रखना सो तेरे और उनके भोजन के िलथे होगा। 22 परमे र क इस आWा के अनुसार नूह ने कया। उप 7 1 और यहोवा ने नूह से कहा, तू अपके सारे घराने समेत जहाज म जा; यHक मै ने इस समय के लोगHम से केवल तुझी को अप क l म धमh दे खा है । 2 सब जाित के शुa पशुओं म से तो तू सात सात, अयाOत ् नर और मादा लेना : पर जो पशु शुa नह:ं है , उन म से दो दो लेना, अयाOत ् नर और मादा : 3 और आकाश के प'झयHम से भी, सात सात, अयाOत ् नर और मादा लेना : क उनका वंश बचकर सार: पृवी के ऊपर बना रहे । 4 यHक अब सात दन और बीतने पर मE पृवी पर चालीस दन और चालीस रात तक जल बरसाता रहंू गा; 'जतनी वःतुएं मE ने बनाL है सब को भूिम के ऊपर से िमटा दं ग ू ा। 5 यहोवा क इस आWा के अनुसार नूह ने कया। 6 नूह क अवःया छ: सौ वषO क यी, जब जलूलय पृवी पर आया। 7 नूह अपके पुऽH, प^ी और बहुओं समेत, जलूलय से बचने के िलथे जहाज म गया। 8 और शुa, और अशुa दोनो ूकार के पशुओं म से, प'झयH, 9 और भूिम पर र गनेवालHम से भी, दो दो, अयाOत ् नर और मादा, जहाज म नूह के पास गए, 'जस ूकार परमे र ने नूह को आWा द: यी। 10 सात दन के उपरा(त ूलय का जल पृवी पर आने लगा। 11 जब नूह क अवःया के छ: सौव वषO के

दस ू रे मह:ने का सरहवां दन आया; उसी दन बड़े गहरे समुि के सब सोते फूट िनकले और आकाश के फरोखे खुल गए। 12 और वषाO चालीस दन और चालीस रात िनर(तर पृवी पर होती रह:। 13 ठqक उसी दन नूह अपके पुऽ शेम, हाम, और थेपेत, और अप क प^ी, और तीनHबहुओं समेत, 14 और उनके संग एक एक जाित के सब बनैले पशु, और एक एक जाित के सब घरे लू पशु, और एक एक जाित के सब पृवी पर र गनेवाले, और एक एक जाित के सब उड़नेवाले प क, जहाज म गए। 15 'जतने ूा'णयHम जीवन क आमा यी उनक सब जाितयHम

से दो दो नूह के पास जहाज म गए। 16 और जो गए, वह परमे र क आWा के अनुसार सब जाित के ूा'णयHम से नर और मादा गए। तब यहोवा ने उसका kार ब(द कर दया। 17 और पृवी पर चालीस दन तक ूलय होता रहा; और पानी बहुत बढ़ता ह: गया 'जस से जहाज ऊपर को उठने लगा, और वह पृवी पर से ऊंचा उठ गया। 18 और जल बढ़ते बढ़ते पृवी पर बहुत ह: बढ़ गया, और जहाज जल के ऊपर ऊपर तैरता रहा। 19 और जल पृवी पर अय(त बढ़ गया, यहां तक क सार: धरती पर 'जतने बड़े बड़े पहाड़ थे, सब डू ब गए। 20 जल तो प(िह हाथ ऊपर बढ़ गया, और पहाड़ भी डू ब गए 21 और या प क, या घरे लू पशु, या बनैले पशु, और पृवी पर सब चलनेवाले ूाणी, और 'जतने ज(तु पृवी मे बहुतायत से भर गए थे, वे सब, और सब मनुंय मर गए। 22 जो जो ःयल पर थे उन म से 'जतनHके नयनHम जीवन का ास या, सब मर िमटे । 23 और या मनुंय, या पशु, या र गनेवाले ज(तु, या आकाश के प क, जो जो भूिम पर थे, सो सब पृवी पर से िमट गए; केवल नूह, और 'जतने उसके संग जहाज म थे, वे ह: बच गए। 24 और जल पृवी पर एक सौ पचास दन तक ूबल रहा।।

उप 8 1 और परमे र ने नूह क, और 'जतने बनैले पशु, और घरे लू पशु उसके संग जहाज म थे, उन सभHक सुिध ली : और परमे र ने पृवी पर पवन बहाई, और जल घटने लगा। 2 और गहरे समुि के सोते और आकाश के फरोखे बंद हो गए; और उस से जो वषाO होती यी सो भी यम गई। 3 और एक सौ पचास दन के पशचात ् जल पृवी पर से लगातार घटने लगा। 4 सातव मह:ने के सरहव दन को, जहाज अरारात नाम पहाड़ पर टक गया। 5 और जल दसव मह:ने तक घटता चला गया, और दसव मह:ने के पहले दन को, पहाड़Hक चोटयाँ दखलाई द:ं। 6 फर ऐसा हुआ क चालीस दन के प_ात ् नूह ने अपके बनाए हुए जहाज क 'खड़क को खोलकर, एक कौआ उड़ा दया : 7 जब तक जल पृवी पर से सूख न गया, तब तक कौआ इधर उधर फरता रहा। 8 फर उस ने अपके पास से एक कबूतर: को उड़ा दया, क दे ख क जल भूिम से घट गया क नह:ं। 9 उस कबूतर: को अपके पैर के तले टे कने के िलथे कोई आधार ने िमला, सो वह उसके पास जहाज म लौट आई : यHक सार: पृवी के ऊपर जल ह: जल छाया या तब उस ने हाथ बढ़ाकर उसे अपके पास जहाज म ले िलया। 10 तब और सात दन तक ठहरकर, उस ने उसी कबूतर: को जहाज म से फर उड़ा दया। 11 और कबूतर: सांफ के समय उसके पास आ गई, तो या दे खा क उसक चHच म

जलपाई का एक नया पा है ; इस से नूह ने जान िलया, क जल पृवी पर घट गया है । 12 फर उस ने सात दन और ठहरकर उसी कबूतर: को उड़ा दया; और वह उसके पास फर कभी लौटकर न आई। 13 फर ऐसा हुआ क छ: सौ एक वषO के पहले मह:ने के पहले दन जल पृवी पर से सूख गया। तब नूह ने जहाज क

छत खोलकर या दे खा क धरती सूख गई है । 14 और दस ू रे मह:ने के सताईसव

दन को पृवी पूर: र:ित से सूख गई।। 15 तब परमे र ने, नूह से कहा, 16 तू अपके पुऽH, प^ी, और बहुओं समेत जहाज म से िनकल आ। 17 या प क, या पशु, या सब भांित के र गनेवाले ज(तु जो पृवी पर र गते हE , 'जतने शर:रधार: जीवज(तु तेरे संग हE , उस सब को अपके साय िनकाल ले आ, क पृवी पर उन से बहुत ब.चे उप(न हH; और वे फूल -फल , और पृवी पर फैल जाएं। 18 तब नूह, और उसके पुऽ, और प^ी, और बहुएं, िनकल आL : 19 और सब चौपाए, र गनेवाले ज(तु, और प क, और 'जतने जीवज(तु पृवी पर चलते फरते हE , सो सब जाित जाित करके जहाज म से िनकल आए। 20 तब नूह ने यहोवा के िलथे एक वेद: बनाई; और सब शुa पशुओं, और सब शुa प'झयHम से, कुछ कुछ लेकर वे द: पर होमबिल चढ़ाया। 21 इस पर यहोवा ने सुखदायक सुग(ध पाकर सोचा, क मनुंय के कारण मE फर कभी भूिम को शाप न दं ग ू ा, यrप मनुंय के मन म बचपन से जो कुछ उप(न होता है सो बुरा ह: होता है ; तौभी जैसा मE ने सब जीवHको अब मारा है , वैसा उनको फर कभी न माRंगा। 22 अब से जब तक पृवी बनी रहे गी, तब तक बोने और काटने के समय, ठ+ड और तपन, धूपकाल और शीतकाल, दन और रात, िनर(तर होते चले जाएंगे।। उप 9 1 फर परमे र ने नूह और उसके पुऽHको आशीष द: और उन से कहा क फूलो-फलो, और बढ़ो, और पृवी म भर जाओ। 2 और तुSहारा डर और भय पृवी के सब पशुओं, और आकाश के सब प'झयH, और भूिम पर के सब

र गनेवाले ज(तुओं, और समुि क सब मछिलयHपर बना रहे गा : वे सब तुSहारे वश म कर दए जाते हE । 3 सब चलनेवाले ज(तु तुSहारा आहार हHगे; जैसा तुम को हरे हरे छोटे पेड़ दए थे, वैसा ह: अब सब कुछ दे ता हंू । 4 पर मांस को ूाण समेत अयाOत ् लोहू समेत तुम न खाना। 5 और िन_य मE तुSहारा लोहू अयाOत ् ूाण का पलटा लूग ं ा : सब पशुओं, और मनुंयH, दोनHसे मE उसे लूग ं ा : मनुंय के ूाण का पलटा मै एक एक के भाई ब(धु से लूग ं ा। 6 जो कोई मनुंय का लोहू बहाएगा उसका लोहू मनुंय ह: से बहाथा जाएगा यHक परमे र ने मनुंय को अपके ह: ःवRप के अनुसार बनाया है । 7 और तुम तो फूलो-फलो, और बढ़ो, और पृवी म बहुत ब.चे ज(मा के उस म भर जाओ।। 8 फर परमे र ने नूह और उसके पुऽHसे कहा, 9 सुनH, मE तुSहारे साय और तुSहारे प_ात ् जो तुSहारा वंश होगा, उसके साय भी वाचा बा(धता हंू । 10 और सब जीवत ूा'णयHसे भी जो तुSहारे संग है या प क या घरे लू पशु, या पृवी के सब बनैले पशु, पृवी के 'जतने जीवज(तु जहाज से िनकले हE ; सब के साय भी मेर: यह वाचा ब(धती है : 11 और मै तुSहारे साय अप क इस वाचा को पूरा कRंगा; क सब ूाणी फर जलूलय से नाश न हHगे : और पृवी के नाश करने के िलथे फर जलूलय न होगा। 12 फर परमे र ने कहा, जो वाचा मै तुSहारे साय, और 'जतने जीवत ूाणी तुSहारे संग हE उन सब के साय भी युग युग क पीढय़Hके िलथे बा(धता हंू ; उसका यह िच(ह है : 13 क मE ने बादल मे अपना धनुष रखा है वह मेरे और पृवी के बीच म वाचा का िच(ह होगा। 14 और जब मE पृवी पर बादल फैलाऊं जब बादल म धनुष दे ख पकेगा। 15 तब मेर: जो वाचा तुSहारे और सब जीवत शर:रधार: ूा'णयHके साय बा(धी है ; उसको मE ःमरण कRंगा, तब ऐसा

जलूलय फर न होगा 'जस से सब ूा'णयHका वनाश हो। 16 बादल म जो धनुष होगा मE उसे दे ख के यह सदा क वाचा ःमरण कRंगा जो परमे र के और पृवी पर के सब जीवत शर:रधार: ूा'णयHके बीच ब(धी है । 17 फर परमे र ने नूह से कहा जो वाचा मE ने पृवी भर के सब ूा'णयHके साय बा(धी है , उसका िच(ह यह: है ।। 18 नूह के जो पुऽ जहाज म से िनकले, वे शेम, हाम, और थेपेत थे : और हाम तो कनान का पता हुआ। 19 नूह के तीन पुऽ थे ह: हE , और इनका वंश सार: पृवी पर फैल गया। 20 और नूह कसानी करने लगा, और उस ने दाख क बार: लगाई। 21 और वह दाखमधु पीकर मतवाला हुआ; और अपके तSबू के भीतर नंगा हो गया। 22 तब कनान के पता हाम ने, अपके पता को नंगा दे खा, और बाहर आकर अपके दोनHभाइयHको बतला दया। 23 तब शेम और थेपेत दोनHने कपड़ा लेकर अपके क(धHपर रखा, और पीछे क ओर उलटा चलकर अपके पता के नंगे तन को ढ़ाप दया, और वे अपना मुख पीछे कए हुए थे इसिलथे उ(हHने अपके पता को नंगा न दे खा। 24 जब नूह का नशा उतर गया, तब उस ने जान िलया क उसके छोटे पुऽ ने उस से या कया है । 25 इसिलथे उस ने कहा, कनान शापत हो : वह अपके भाई ब(धुओं के दासHका दास हो। 26 फर उस ने कहा, शेम का परमे र यहोवा ध(य है , और कनान शेम का दास होवे। 27 परमे र थेपेत के वंश को फैलाए; और वह शेम के तSबुओं मे बसे, और कनान उसका दास होवे। 28 जलूलय के प_ात ् नूह साढ़े तीन सौ वषO जीवत रहा। 29 और नूह क कुल अवःया साढ़े नौ सौ वषO क हुई : तप_ात ् वह मर गया। उप 10

1 नूह के पुऽ जो शेम, हाम और थेपेत थे उनके पुऽ जलूलय के प_ात ् उप(न हुए : उनक वंशावली यह है ।। 2 थेपेत के पुऽ : गोमेर, मागोग, मादै , यावान, तूबल, मेशेक, और तीरास हुए। 3 और गोमेर के पुऽ : अशकनज, र:पत, और तोगमाO हुए। 4 और यावान के वंश म एलीशा, और तशhश, और की, और दोदानी लोग हुए। 5 इनके वंश अ(यजाितयHके k:पHके दे शHम ऐसे बंट गए, क वे िभ(न िभ(न भाषाओं, कुलH, और जाितयHके अनुसार अलग अलग हो गए।। 6 फर हाम के पुऽ : कूश, और िमॐ, और फूत और कनान हुए। 7 और कूश के पुऽ सबा, हवीला, सबता, रामा, और सबूतका हुए : और रामा के पुऽ शबा और ददान हुए। 8 और कूश के वंश म िनॆोद भी हुआ; पृवी पर पहला वीर वह: हुआ है । 9 वह: यहोवा क l म पराबमी िशकार खेलनेवाला ठहरा, इस से यह कहावत च क है ; क िनॆोद के समान यहोवा क l म पराबमी िशकार खे लनेवाला। 10 और उसके राGय का आरSभ िशनार दे श म बाबुल, अ कद, और कलने हुआ। 11 उस दे श से वह िनकलकर अँशूर ् को गया, और नीनवे, रहोबोतीर, और कालह को, 12 और नीनवे और कालह के बीच रे सेन है , उसे भी बसाया, बड़ा नगर यह: है । 13 और िमॐ के वंश म लूद:, अनामी, लहाबी, नTूह:, 14 और पऽुसी, कसलूह:, और कTोर: लोग हुए, कसलूहयHमे से तो पिलँती लोग िनकले।। 15 फर कनान के वंश म उसका Gथेv सीदोन, तब ह, 16 और यबूसी, एमोर:, िगगाOशी, 17 हeवी, अकw, सीनी, 18 अवOद:, समार:, और हमाती लोग भी हुए : फर कनािनयHके कुल भी फैल गए। 19 और कनािनयHका िसवाना सीदोन से लेकर गरार के मागO से होकर अGजा तक और फर सदोम और अमोरा और अदमा और सबोयीम के मागO से होकर लाशा तक हुआ। 20 हाम के वंश म थे ह:

हुए; और थे िभ(न िभ(न कुलH, भाषाओं, दे शH, और जाितयHके अनुसार अलग अलग हो गए।। 21 फर शेम, जो सब एबेरवंिशयHका मूलपुRष हुआ, और जो थेपेत का Gथेv भाई या, उसके भी पुऽ उप(न हुए। 22 शेम के पुऽ : एलाम, अँशूर,् अपOझm, लूद और आराम हुए। 23 और आराम के पुऽ : ऊस, हूल, गेतेर और मश हुए। 24 और अपOझm ने शेलह को, और शेलह ने एबेर को ज(म दया। 25 और एबेर के दो पुऽ उप(न हुए, एक का नाम पेलेग इस कारण रखा गया क उसके दनHम पृवी बंट गई, और उसके भाई का नाम योfान है । 26 और योfान ने अ`मोदाद, शेलेप, हसमाOवेत, थेरह, 27 यदोरवाम, ऊजाल, द ला, 28 ओबाल, अबीमाएल, शबा, 29 ओपीर, हवीला, और योबाब को ज(म दया : थे ह: सब योfान के पुऽ हुए। 30 इनके रहने का ःयान मेशा से लेकर सपारा जो पूवO म

एक पहाड़ है , उसके मागO तक हुआ। 31 शेम के पुऽ थे ह: हुए; और थे िभ(न िभ(न कुलH, भाषाओं, दे शHऔर जाितयHके अनुसार अलग अलग हो गए।। 32 नूह के पुऽHके घराने थे ह: हE : और उनक जाितयHके अनुसार उनक वंशाविलयां थे ह: हE ; और जलूलय के प_ात ् पृवी भर क जाितयां इ(ह:ं म से होकर बंट गई।। उप 11 1 सार: पृवी पर एक ह: भाषा, और एक ह: बोली यी। 2 उस समय लोग पूवO क और चलते चलते िशनार दे श म एक मैदान पाकर उस म बस गए। 3 तब वे आपस म कहने लगे , क आओ; हम Lट बना बना के भली भं◌ाित आग म

पकाएं, और उ(हHने पयर के ःयान म Lट से, और चूने के ःयान म िम=ट: के गारे से काम िलया। 4 फर उ(हHने कहा, आओ, हम एक नगर और एक गुSमट

बना ल , 'जसक चोट: आकाश से बात करे , इस ूकार से हम अपना नाम कर

ऐसा न हो क हम को सार: पृवी पर फैलना पके। 5 जब लोग नगर और गुSमट बनाने लगे; तब इ(ह दे खने के िलथे यहोवा उतर आया। 6 और यहोवा ने कहा, मE या दे खता हंू , क सब एक ह: दल के हE और भाषा भी उन सब क एक ह: है , और उ(हHने ऐसा ह: काम भी आरSभ कया; और अब 'जतना वे करने का य^ कर गे, उस म से कुछ उनके िलथे अनहोना न होगा। 7 इसिलथे आओ, हम उतर के उनक भाषा म बड़: गड़बड़: डाल , क वे एक दस ू रे क बोली को न समझ सक । 8 इस ूकार यहोवा ने उनको, वहां से सार: पृवी के ऊपर फैला दया; और उ(हHने उस नगर का बनाना छोड़ दया। 9 इस कारण उस नगर को नाम बाबुल पड़ा; यHक सार: पृवी क भाषा म जो गड़बड़: है , सो यहोवा ने वह:ं डाली, और वह:ं से यहोवा ने मनुंयHको सार: पृवी के ऊपर फैला दया।। 10 शेम क वंशावली यह है । जल ूलय के दो वषO प_ात ् जब शेम एक सौ वषO का हुआ, तब उस ने अपOझm को ज(म दया। 11 और अपOझm ने ज(म के प_ात ् शेम पांच सौ वषO जीवत रहा; और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई।। 12 जब अपOझm पEतीस वषO का हुआ, तब उस ने शेलह को ज(म दया। 13 और शेलह के ज(म के प_ात ् अपOझm चार सौ तीन वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बे टयां उप(न हुई।। 14 जब शेलह तीस वषO का हुआ, तब उसके kारा एबे र को ज(म हुआ। 15 और एबेर के ज(म के प_ात ् शेलह चार सौ तीन वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई।। 16 जब एबेर चxतीस वषO का हुआ, तब उसके kारा पे लेग का ज(म हुआ। 17 और पेलेग के ज(म के प_ात ् एबेर चार सौ तीस वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई।।

18 जब पेलेग तीस वषO को हुआ, तब उसके kारा R का ज(म हुआ। 19 और R के ज(म के प_ात ् पेलेग दो सौ नौ वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बे टे बे टयां उप(न हुई।। 20 जब R बीस वषO का हुआ, तब उसके kारा सRग का ज(म हुआ। 21 और सRग के ज(म के प_ात ् R दो सौ सात वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बे टयां उप(न हुई।। 22 जब सRग तीस वषO का हुआ, तब उसके kारा नाहोर का ज(म हुआ। 23 और नाहोर के ज(म के प_ात ् सRग दो सौ वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बेटे बेटयां उप(न हुई।। 24 जब नाहोर उनतीस वषO का हुआ, तब उसके kारा तेरह का ज(म हुआ। 25 और ते रह के ज(म के प_ात ् नाहोर एक सौ उ(नीस वषO और जीवत रहा, और उसके और भी बे टे बेटयां उप(न हुई।। 26 जब तक तेरह सर वषO का हुआ, तब तक उसके kारा अॄाम, और नाहोर, और हारान उप(न हुए।। 27 तेरह क यह वंशावली है । ते रह ने अॄाम, और नाहोर, और हारान को ज(म दया; और हारान ने लूत को ज(म दया। 28 और हारान अपके पता के साSहने ह:, कसदयHक ् े ऊर नाम नगर म , जो उसक ज(मभूिम यी, मर गया। 29 अॄाम और नाहोर ने '\यां cयाह लीं : अॄाम क प^ी का नाम तो सारै , और नाहोर क प^ी का नाम िम`का या, यह उस हारान क बेट: यी, जो िम`का और ियःका दोनHका पता या। 30 सारै तो बांफ यी; उसके संतान न हुई। 31 और तेरह अपना पुऽ अॄाम, और अपना पोता लूत जो हारान का पुऽ या, और अप क बहू सारै , जो उसके पुऽ अॄाम क प^ी यी इन सभHको लेकर कसदयHक ् े ऊर नगर से िनकल कनान दे श जाने को चला; पर हारान नाम दे श म पहुचकर वह:ं रहने लगा। 32 जब तेरह दो सौ पांच वषO का हुआ, तब वह हारान दे श म मर गया।।

उप 12 1 यहोवा ने अॄाम से कहा, अपके दे श, और अप क ज(मभूिम, और अपके पता के घर को छोड़कर उस दे श म चला जा जो मE तुझे दखाऊंगा। 2 और मE तुझ से एक बड़: जाित बनाऊंगा, और तुझे आशीष दं ग ू ा, और तेरा नाम बड़ा कRंगा, और तू आशीष का मूल होगा। 3 और जो तुझे आशीवाOद द , उ(ह मE आशीष दं ग ू ा; और जो तुझे कोसे, उसे मE शाप दं ग ू ा; और भूम+डल के सारे कुल ते रे kारा आशीष पाएंगे। 4 यहोवा के इस वचन के अनुसार अॄाम चला; और लूत भी उसके संग चला; और जब अॄाम हारान दे श से िनकला उस समय वह पचहर वषO का या। 5 सो अॄाम अप क प^ी सारै , और अपके भतीजे लूत को, और जो धन उ(हHने इक=ठा कया या, और जो ूाणी उ(हHने हारान म ूाT कए थे, सब को लेकर कनान दे श म जाने को िनकल चला; और वे कनान दे श म आ भी गए। 6 उस दे श के बीच से जाते हुए अॄाम शकेम म , जहां मोरे का बांज वृझ है , पंहुचा; उस समय उस दे श म कनानी लोग रहते थे। 7 तब यहोवा ने अॄाम को दशOन दे कर कहा, यह दे श मE तेरे वंश को दं ग ू ा : और उस ने वहां यहोवा के िलथे 'जस ने उसे दशOन दया या, एक वेद: बनाई। 8 फर वहां से कूच करके, वह उस पहाड़ पर आया, जो बेतेल के पूवO क ओर है ; और अपना तSबू उस ःयान म खड़ा कया 'जसक प'.छम क ओर तो बेतेल, और पूवO क ओर ऐ है ; और वहां भी उस ने यहोवा के िलथे एक वेद: बनाई : और यहोवा से ूायOना क 9 और अॄाम कूच करके द' खन दे श क ओर चला गया।। 10 और उस दे श म अकाल पड़ा : और अॄाम िमॐ दे श को चला गया क वहां परदे शी होकर रहे -- यHक दे श म

भयंकर अकाल पड़ा या। 11 फर ऐसा हुआ क िमॐ के िनकट पहंु चकर, उस ने

अप क प^ी सारै से कहा, सुन, मुझे मालूम है , क तू एक सु(दर \ी है : 12 इस कारण जब िमॐी तुझे दे ख गे, तब कह गे, यह उसक प^ी है , सो वे मुझ को तो मार डाल गे, पर तुझ को जीती रख ल गे। 13 सो यह कहना, क मE उसक बहन हंू ; 'जस से तेरे कारण मेरा क`याण हो और मेरा ूाण तेरे कारण बचे। 14 फर ऐसा हुआ क जब अॄाम िमॐ म आया, तब िमिॐयHने उसक प^ी को दे खा क यह अित सु(दर है । 15 और फरौन के हाकमHने उसको दे खकर फरौन के साSहने उसक ूशंसा क : सो वह \ी फरौन के घर म रखी गई। 16 और उस ने उसके कारण अॄाम क भलाई क; सो उसको भेड़-बकर:, गाय-बैल, दास-दािसयां, गदहे -गदहयां, और ऊंट िमले। 17 तब यहोवा ने फरौन और उसके घराने पर, अॄाम क प^ी सारै के कारण बड़: बड़: वपयां डालीं। 18 सो फरौन ने अॄाम को बुलवाकर कहा, तू ने मुझ से या कया है ? तू ने मुझे यHनह:ं बताया क वह तेर: प^ी है ? 19 तू ने यHकहा, क वह तेर: बहन है ? मE ने उसे अप क ह: प^ी बनाने के िलथे िलया; पर(तु अब अप क प^ी को लेकर यहां से चला जा। 20 और फरौन ने अपके आदिमयHको उसके वषय म

आWा द: और उ(हHने उसको और उसक प^ी को, सब सSप समेत जो उसका या, वदा कर दया।। उप 13 1 तब अॄाम अप क प^ी, और अप क सार: सSप लेकर, लूत को भी संग िलथे हुए, िमॐ को छोड़कर कनान के द' खन दे श म आया। 2 अॄाम भेड़-बकर:, गाय-बैल, और सोने-Rपे का बड़ा धनी या। 3 फर वह द' खन दे श से

चलकर, बे तेल के पास उसी ःयान को पहंु चा, जहां उसका तSबू पहले पड़ा या, जो बे तेल और ऐ के बीच म है । 4 यह ःयान उस वेद: का है , 'जसे उस ने पहले बनाई यी, और वहां अॄाम ने फर यहोवा से ूायOना क। 5 और लूत के पास भी, जो अॄाम के साय चलता या, भेड़-बकर:, गाय-बैल, और तSबू थे। 6 सो उस दे श म

उन दोनHक समाई न हो सक क वे इक=ठे रह : यHक उनके पास बहुत धन या इसिलथे वे इक=ठे न रह सके। 7 सो अॄाम, और लूत क भेड़-बकर:, और गाय-बैल के चरवाहHके बीच म फगड़ा हुआ : और उस समय कनानी, और पgरGजी लोग, उस दे श म रहते थे। 8 तब अॄाम लूत से कहने लगा, मेरे और तेरे बीच, और मेरे और तेरे चरवाहHके बीच म फगड़ा न होने पाए; यHक हम लोग भाई ब(धु हE । 9 या सारा दे श तेरे साSहने नह:ं? सो मुझ से अलग हो, यद तू बाL ओर जाए तो मE दहनी ओर जाऊंगा; और यद तू दहनी ओर जाए तो मE बाL ओर जाऊंगा। 10 तब लूत ने आंख उठाकर, यरदन नद: के पास वाली सार: तराई को दे खा, क वह सब िसंची हुई है । 11 जब तक यहोवा ने सदोम और अमोरा को नाश न कया या, तब तक सोअर के मागO तक वह तराई यहोवा क बाटका, और िमॐ दे श के समान उपजाऊ यी। 12 अॄाम तो कनान दे श म रहा, पर लूत उस तराई के नगरHम रहने लगा; और अपना तSबू सदोम के िनकट खड़ा कया। 13 सदोम के लोग यहोवा के लेखे म बड़े द ु और पापी थे। 14 जब लूत अॄाम से अलग हो गया तब उसके प_ात ् यहोवा ने अॄाम से कहा, आंख उठाकर 'जस ःयान पर तू है वहां से उर-द' खन, पूव-O प'_म, चारHओर l कर। 15 यHक 'जतनी भूिम तुझे दखाई दे ती है , उस सब को मE तुझे और तेरे वंश को युग युग के िलथे दं ग ू ा। 16 और मE ते रे वंश को पृवी क धूल के

कनकHक नाई बहुत कRंगा, यहां तक क जो कोई पृवी क धूल के कनकHको िगन सकेगा वह: ते रा वंश भी िगन सकेगा। 17 उठ, इस दे श क लSबाई और चौड़ाई म चल फर; यHक मE उसे तुझी को दं ग ू ा। 18 इसके पशचात ् अॄाम अपना तSबू उखाड़कर, मॆे के बांजHके बीच जो हे ॄोन म थे जाकर रहने लगा, और वहां भी यहोवा क एक वे द: बनाई।। उप 14 1 िशनार के राजा अॆापेल, और ए`लासार के राजा अयzक, और एलाम के राजा कदोलाOओमेर, और गोयीम के राजा ितदाल के दनHम ऐसा हुआ, 2 क उ(हHने सदोम के राजा बेरा, और अमोरा के राजा बशाO, और अदमा के राजा िशनाब, और सबोयीम के राजा शेमेबेर, और बेला जो सोअर भी कहलाता है , इन राजाओं के वRa युa कया। 3 इन पांचHने िसX:म नाम तराई म , जो खारे ताल के पास है , एका कया। 4 बारह वषO तक तो थे कदोलाOओमेर के अधीन रहे ; पर तेरहव वषO म

उसके वRa उठे । 5 सो चौदहव वषO म कदोलाOओमेर, और उसके संगी राजा आए, और अशतरोकनम म रपाइयHको, और हाम म जू'जयHको, और शबेकयाOतैम म

एिमयHको, 6 और सेईर नाम पहाड़ म होgरयHको, मारते मारते उस ए`पारान तक जो जंगल के पास है पहंु च गए। 7 वहां से वे लौटकर ए'(मशपात को आए, जो कादे श भी कहलाता है , और अमालेकयHके सारे दे श को, और उन एमोgरयHको भी जीत िलया, जो हससो(तामार म रहते थे। 8 तब सदोम, अमोरा, अदमा, सबोयीम, और बे ला, जो सोअर भी कहलाता है , इनके राजा िनकले, और िसX:म नाम तराई। म , उनके साय युa के िलथे पांित बा(धी। 9 अयाOत ् एलाम के राजा

कदोलाOओमेर, गोयीम के राजा ितदाल, िशनार के राजा अॆापे ल, और ए`लासार के राजा अयzक, इन चारHके वRa उन पांचHने पांित बा(धी। 10 िसX:म नाम तराई म जहां लसार िम=ट: के गड़हे ह: गड़हे थे; सदोम और अमोरा के राजा भागते भागते उन म िगर पके, और जो बचे वे पहाड़ पर भाग गए। 11 तब वे सदोम और अमोरा के सारे धन और भोजन वःतुओं को लूट लाट कर चले गए। 12 और अॄाम का भतीजा लूत, जो सदोम म रहता या; उसको भी धन समेत वे लेकर चले गए। 13 तब एक जन जो भागकर बच िनकला या उस ने जाकर इॄी अॄाम को समाचार दया; अॄाम तो एमोर: मॆे, जो एँकोल और आनेर का भाई या, उसके बांज वृझHके बीच म रहता या; और थे लोग अॄाम के संग वाचा बा(धे हुए थे। 14 यह सुनकर क उसका भतीजा ब(धुआई म गया है , अॄाम ने अपके तीन सौ अठारह िश'झत, युa कौशल म िनपुण दासHको लेकर जो उसके कुटु Sब म उप(न हुए थे, अ\ श\ धारण करके दान तक उनका पीछा कया। 15 और अपके दासHके अलग अलग दल बा(धकर रात को उन पर चढ़ाई करके उनको मार िलया और होबा तक, जो दिमँक क उर ओर है , उनका पीछा कया। 16 और सारे धन को, और अपके भतीजे लूत, और उसके धन को, और '\यHको, और सब ब(धुओं को, लौटा ले आया। 17 जब वह कदोलाOओमेर और उसके सायी राजाओं को जीतकर लौटा आता या तब सदोम का राजा शावे नाम तराई म , जो राजा क भी कहलाती है , उस से भ ट करने के िलथे आया। 18 जब शालेम का राजा मे`कसेदेक, जो परमूधान ई र का याजक या, रोट: और दाखमधु ले आया। 19 और उस ने अॄाम को यह आशीवाOद दया, क परमूधान ई र क ओर से, जो आकाश और पृवी का अिध कारनेी है , तू ध(य हो। 20 और ध(य है

परमूधान ई र, 'जस ने तेरे िोहयHको तेरे वश म कर दया है । तब अॄाम ने उसको सब का दशमांश दया। 21 जब सदोम के राजा ने अॄाम से कहा, ूा'णयHको तो मुझे दे , और धन को अपके पास रख। 22 अॄाम ने सदोम के राजा ने कहा, परमूधान ई र यहोवा, जो आकाश और पृवी का अिध कारनेी है , 23 उसक मE यह शपय खाता हंू , क जो कुछ तेरा है उस म से न तो मै एक सूत, और न जूती का ब(धन, न कोई और वःतु लूग ं ा; क तू ऐसा न कहने पाए, क अॄाम मेरे ह: कारण धनी हुआ। 24 पर जो कुछ इन जवानHने खा िलया है और उनका भाग जो मेरे साय गए थे; अयाOत ् आनेर, एँकोल, और मॆे मE नह:ं लौटाऊंगा वे तो अपना अपना भाग रख ल ।। उप 15 1 इन बातHके प_ात ् यहोवा को यह वचन दशOन म अॄाम के पास पहंु चा, क हे अॄाम, मत डर; तेर: ढाल और तेरा अय(त बड़ा फल मE हंू । 2 अॄाम ने कहा, हे ूभु यहोवा मE तो िनव{श हंू , और मेरे घर का वाgरस यह दिमँक एलीएजेर होगा, सो तू मुझे या दे गा ? 3 और अॄाम ने कहा, मुझे तो तू ने वंश नह:ं दया, और या दे खता हंू , क मेरे घर म उप(न हुआ एक जन मेरा वाgरस होगा। 4 तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहंु चा, क यह तेरा वाgरस न होगा, तेरा जो िनज पुऽ होगा, वह: तेरा वाgरस होगा। 5 और उस ने उसको बाहर ले जाके कहा, आकाश क ओर l करके तारागण को िगन, या तू उनको िगन सकता है ? फर उस ने उस से कहा, तेरा वंश ऐसा ह: होगा। 6 उस ने यहोवा पर व ास कया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे म धमO िगना। 7 और उस ने उस से

कहा मE वह: यहोवा हंू जो तुझे कसदयHक ् े ऊर नगर से बाहर ले आया, क तुझ को इस दे श का अिध कारने दं ।ू 8 उस ने कहा, हे ूभु यहोवा मE कैसे जानूं क मE इसका अिध कारनेी हंू गा ? 9 यहोवा ने उस से कहा, मेरे िलथे तीन वषO क एक कलोर, और तीन वषO क एक बकर:, और तीन वषO का एक म ढ़ा, और एक प+डु क और कबूतर का एक ब.चा ले। 10 और इन सभHको लेकर, उस ने बीच म

से दो टु कड़े कर दया, और टु कड़Hको आSहने-साSहने रखा : पर िचडय़ाओं को उस ने टु कड़े न कया। 11 और जब मांसाहार: प क लोयHपर फपके, तब अॄाम ने उ(ह उड़ा दया। 12 जब सूयO अःत होने लगा, तब अॄाम को भार: नींद आई; और दे खो, अय(त भय और अ(धकार ने उसे छा िलया। 13 तब यहोवा ने अॄाम से कहा, यह िन_य जान क तेरे वंश पराए दे श म परदे शी होकर रह गे, और उसके दे श के लोगHके दास हो जाएंगे; और वे उनको चार सौ वषO लHद:ु ख द गे; 14 फर 'जस दे श के वे दास हHगे उसको मE द+ड दं ग ू ा : और उसके प_ात ् वे बड़ा धन वहां से लेकर िनकल आएंगे। 15 तू तो अपके पतरHम कुशल के साय िमल जाएगा; तुझे पूरे बुढ़ापे म िम=ट: द: जाएगी। 16 पर वे चौयी पीढ़: म यहां फर आएंगे : यHक अब तक एमोgरयHका अधमO पूरा नह:ं हुआ। 17 और ऐसा हुआ क जब सूयO अःत हो गया और घोर अ(धकार छा गया, तब एक अंगेठq 'जस म

से धुआं उठता या और एक जलता हुआ प कता दे ख पड़ा जो उन टु कड़Hके बीच म से होकर िनकल गया। 18 उसी दन यहोवा ने अॄाम के साय यह वाचा बा(धी, क िमॐ के महानद से लेकर परात नाम बड़े नद तक 'जतना दे श है , 19 अयाOत,् केिनयH, किन'GजयH, क|क़ोिनयH, 20 हयH, प क'GजयH, रपाइयH, 21 एमोgरयH, कनािनयH, िगगाOिशयHऔर यबूिसयHका दे श मE ने तेरे वंश को दया है ।।

उप 16 1 अॄाम क प^ी सारै के कोई स(तान न यी : और उसके हा'जरा नाम क एक िमॐी लxड: यी। 2 सो सारै ने अॄाम से कहा, दे ख, यहोवा ने तो मेर: कोख ब(द कर रखी है सो मE तुझ से बनती करती हूं क तू मेर: लxड: के पास जा : सSभव है क मेरा घर उसके kारा बस जाए। 3 सो सारै क यह बात अॄाम ने मान ली। सो जब अॄाम को कनान दे श म रहते दस वषO बीत चुके तब उसक \ी सारै ने अप क िमॐी लxड: हा'जरा को लेकर अपके पित अॄाम को दया, क वह उसक प^ी हो। 4 और वह हा'जरा के पास गया, और वह गभOवती हुई और जब उस ने जाना क वह गभOवती है तब वह अप क ःवािमनी को अप क l म

तु.छ समझने लगी। 5 तब सारै ने अॄाम से कहा, जो मुझ पर उपिव हुआ सो तेरे ह: िसर पर हो : मE ने तो अप क लxड: को तेर: प^ी कर दया; पर जब उस ने जाना क वह गभOवती है , तब वह मुझे तु.छ समझने लगी, सो यहोवा मेरे और तेरे बीच म (याय करे । 6 अॄाम ने सारै से कहा, दे ख तेर: लxड: तेरे वश म है : जैसा तुझे भला लगे वैसा ह: उसके साय कर। सो सारै उसको द:ु ख दे ने लगी और वह उसके साSहने से भाग गई। 7 तब यहोवा के दत ू ने उसके जंगल म शूर के मागO पर जल के एक सोते के पास पाकर कहा, 8 हे सारै क लxड: हा'जरा, तू कहां से आती और कहां को जाती है ? उस ने कहा, मE अप क ःवािमनी सारै के साSहने से भग आई हंू । 9 यहोवा के दत ू ने उस से कहा, अप क ःवािमनी के पास लौट जा और उसके वश म रह। 10 और यहोवा के दत ू ने उस से कहा, मE तेरे वंश को बहुत बढ़ाऊंगा, यहां तक क बहुतायत के कारण उसक गणना न हो सकेगी। 11 और यहोवा के दत ू ने उस से कहा, दे ख तू गभOवती है , और पुऽ

जनेगी, सो उसका नाम इँमाएल रखना; यHक यहोवा ने ते रे द:ु ख का हाल सुन िलया है । 12 और वह मनुंय बनैले गदहे के समान होगा उसका हाथ सबके वRa उठे गा, और सब के हाथ उसके वRa उठ गे; और वह अपके सब भाई ब(धुओं के म~य म बसा रहे गा। 13 तब उस ने यहोवा का नाम 'जस ने उस से बात क यीं, अाएलरोई रखकर कहा क, कया मE यहां भी उसको जाते हुए दे खने पाई जो मेरा दे खनेहारा है ? 14 इस कारण उस कुएं का नाम लहै रोई कुआं पड़ा; वह तो कादे श और बेरेद के बीच म है । 15 सो हा'जरा अॄाम के kारा एक पुऽ जनी : और अॄाम ने अपके पुऽ का नाम, 'जसे हा'जरा जनी, इँमाएल रखा। 16 जब हा'जरा ने अॄाम के kारा इँमाएल को ज(म दया उस समय अॄाम िछयासी वषO का या। उप 17 1 जब अॄाम िन(नानवे वषO का हो गया, तब यहोवा ने उसको दशOन दे कर कहा मE सवOशfमान ई र हंू ; मेर: उप'ःयित म चल और िसa होता जा। 2 और मE तेरे साय वाचा बा(धूग ं ा, और तेरे वंश को अय(त ह: बढ़ाऊंगा, और तेरे वंश को अय(त ह: बढ़ाऊंगा। 3 तब अॄाम मुह ं के बल िगरा : और परमे र उस से यHबात कहता गया, 4 दे ख, मेर: वाचा तेरे साय ब(धी रहे गी, इसिलथे तू जाितयHके समूह का मूलपता हो जाएगा। 5 सो अब से तेरा नाम अॄाम न रहे गा पर(तु तेरा नाम इॄाह:म होगा यHक मE ने तुझे जाितयHके समूह का मूलपता ठहरा दया है । 6 और मE तुझे अय(त ह: फुलाऊं फलाऊंगा, और तुझ को जाित जाित का मूल बना दं ग ू ा, और तेरे वंश म राजा उप(न हHगे। 7 और मE तेरे साय,

और ते रे प_ात ् पीढ़: पीढ़: तक तेरे वंश के साय भी इस आशय क युग युग क वाचा बा(धता हूं, क मE तेरा और तेरे प_ात ् तेरे वंश का भी परमे र रहूंगा। 8 और मE तुझ को, और तेरे प_ात ् तेरे वंश को भी, यह सारा कनान दे श, 'जस म तू परदे शी होकर रहता है , इस र:ित दं ग ू ा क वह युग युग उनक िनज भूिम रहे गी, और मE उनका परमे र रहंू गा। 9 फर परमे र ने इॄाह:म से कहा, तू भी मेरे साय बा(धी हुई वाचा का पालन करना; तू और तेरे प_ात ् तेरा वंश भी अप क अप क पीढ़: म उसका पालन करे । 10 मेरे साय बा(धी हुई वाचा, जो तुझे और तेरे प_ात ् तेरे वंश को पालनी पकेगी, सो यह है , क तुम म से एक एक पुRष का खतना हो। 11 तुम अप क अप क खलड़: का खतना करा लेना; जो वाचा मेरे और तुSहारे बीच म है , उसका यह: िच(ह होगा। 12 पीढ़: पीढ़: म केवल तेरे वंश ह: के लोग नह:ं पर जो तेरे घर म उप(न हH, वा परदे िशयHको Rपा दे कर मोल िलथे जाएं, ऐसे सब पुRष भी जब आठ दन के हHजाएं, तब उनका खतना कया जाए। 13 जो तेरे घर म उप(न हो, अयवा तेरे Rपे से मोल िलया जाए, उसका खतना अवँय ह: कया जाए; सो मेर: वाचा 'जसका िच(ह तुSहार: दे ह म होगा वह युग युग रहे गी। 14 जो पुRष खतनारहत रहे , अयाOत ् 'जसक खलड़: का खतना न हो, वह ूाणी अपके लोगHमे से नाश कया जाए, यHक उस ने मेरे साय बा(धी हुई वाचा को तोड़ दया।। 15 फर परमे र ने इॄाह:म से कहा, तेर: जो प^ी सारै है , उसको तू अब सारै न कहना, उसका नाम सारा होगा। 16 और मE उसको आशीष दं ग ू ा, और तुझ को उसके kारा एक पुऽ दं ग ू ा; और मE उसको ऐसी आशीष दं ग ू ा, क वह जाित जाित क मूलमाता हो जाएगी; और उसके वंश म

राGय राGय के राजा उप(न हHगे। 17 तब इॄाह:म मुह ं के बल िगर पड़ा और

हं सा, और अपके मन ह: मन कहने लगा, या सौ वषO के पुRष के भी स(तान होगा और या सारा जो नcबे वषO क है पुऽ जनेगी ? 18 और इॄाह:म ने परमे र से कहा, इँमाएल तेर: l म बना रहे ! यह: बहुत है । 19 तब परमे र ने कहा, िन_य तेर: प^ी सारा के तुझ से एक पुऽ उप(न होगा; और तू उसका नाम इसहाक रखना : और मE उसके साय ऐसी वाचा बा(धूग ं ा जो उसके प_ात ् उसके वंश के िलथे युग युग क वाचा होगी। 20 और इँमाएल के वषय म भी मै ने तेर: सुनी है : मE उसको भी आशीष दं ग ू ा, और उसे फुलाऊं फलाऊंगा और अय(त ह: बढ़ा दं ग ू ा; उस से बारह ूधान उप(न हHगे, और मE उस से एक बड़: जाित बनाऊंगा। 21 पर(तु मE अप क वाचा इसहाक ह: के साय बा(धूग ं ा जो सारा से अगले वषO के इसी िनयुf समय म उप(न होगा। 22 तब परमे र ने इॄाह:म से बात करनी ब(द कं और उसके पास से ऊपर चढ़ गया। 23 तब इॄाह:म ने अपके पुऽ इँमाएल को, उसके घर म 'जतने उप(न हुए थे, और 'जतने उसके Rपके से मोल िलथे गए थे, िनदान उसके घर म 'जतने पुRष थे, उन सभHको लेके उसी दन परमे र के वचन के अनुसार उनक खलड़: का खतना कया। 24 जब इॄाह:म क खलड़: का खतना हुआ तब वह िन(नानवे वषO का या। 25 और जब उसके पुऽ इँमाएल क खलड़: का खतना हुआ तब वह तेरह वषO का या। 26 इॄाह:म और उसके पुऽ इँमाएल दोनHका खतना एक ह: दन हुआ। 27 और उसके घर म 'जतने पुRष थे जो घर म उप(न हुए, तया जो परदे िशयHके हाथ से मोल िलथे गए थे, सब का खतना उसके साय ह: हुआ।। उप 18

1 इॄाह:म मॆे के बांजो के बीच कड़: धूप के समय तSबू के kार पर बैठा हुआ या, तब यहोवा ने उसे दशOन दया : 2 और उस ने आंख उठाकर l क तो या दे खा, क तीन पुRष उसके साSहने खड़े हE : जब उस ने उ(हे दे खा तब वह उन से भ ट करने के िलथे तSबू के kार से दौड़ा, और भूिम पर िगरकर द+डवत ् क और कहने लगा, 3 हे ूभु, यद मुझ पर तेर: अनुमह क l है तो मE बनती करता हंू , क अपके दास के पास से चले न जाना। 4 मE योड़ा सा जल लाता हूं और आप अपके पांव धोकर इस वृझ के तले वौम कर । 5 फर मE एक टु कड़ा रोट: ले आऊं और उस से आप अपके जीव को तृT कर ; तब उसके प_ात ् आगे बढ : यHक आप अपके दास के पास इसी िलथे पधारे हE । उ(हHने कहा, जैसा तू कहता है वैसा ह: कर। 6 सो इॄाह:म ने तSबू म सारा के पास फुतh से जाकर कहा, तीन सआ मैदा फुतh से गू(ध, और फुलके बना। 7 फर इॄाह:म गाय बैल के फु+ड म दौड़ा, और एक कोमल और अ.छा बछड़ा लेकर अपके सेवक को दया, और उसने फुतh से उसको पकाया। 8 तब उस ने म खन, और दध ू , और वह बछड़ा, जो उस ने पकवाया या, लेकर उनके आगे परोस दया; और आप वृझ के तले उनके पास खड़ा रहा, और वे खाने लगे। 9 उ(हHने उस से पूछा, तेर: प^ी सारा कहां है ? उस ने कहा, वह तो तSबू म है । 10 उस ने कहा मE वस(त ऋतु म िन_य ते रे पास फर आऊंगा; और तब तेर: प^ी सारा के एक पुऽ उप(न होगा। और सारा तSबू के kार पर जो इॄाह:म के पीछे या सुन रह: यी। 11 इॄाह:म और सारा दोनो बहुत बूढ़े थे; और सारा का \ीधमO ब(द हो गया या 12 सो सारा मन म हं स कर कहने लगी, मE तो बूढ़: हंू , और मेरा पित भी बूढ़ा है , तो या मुझे यह सुख होगा? 13 तब यहोवा ने इॄाह:म से कहा, सारा यह कहकर कयHहं सी, क या मेरे, जो ऐसी

बुढय़ा हो गई हंू , सचमुच एक पुऽ उप(न होगा? 14 या यहोवा के िलथे कोई काम कठन है ? िनयत समय म , अयाOत ् वस(त ऋतु म , मE तेरे पास फर आऊंगा, और सारा के पुऽ उप(न होगा। 15 तब सारा डर के मारे यह कहकर मुकर गई, क मE नह:ं हं सी। उस ने कहा, नह:ं; तू हं सी तो यी।। 16 फर वे पुRष वहां से चलकर, सदोम क ओर ताकने लगे : और इॄाह:म उ(ह वदा करने के िलथे उनके संग संग चला। 17 तब यहोवा ने कहा, यह जो मE करता हूं सो या इॄाह:म से िछपा रखूं ? 18 इॄाह:म से तो िन_य एक बड़: और सामयh जाित उपकेगी, और पृवी क सार: जाितयां उसके kारा आशीष पाएंगी। 19 यHक मE जानता हंू , क वह अपके पुऽHऔर पgरवार को जो उसके पीछे रह जाएंगे आWा दे गा क वे यहोवा के मागO म अटल बने रह , और धमO और (याय करते रह , इसिलथे क जो कुछ यहोवा ने इॄाह:म के वषय म कहा है उसे पूरा करे । 20 यHक मE जानता हंू , क वह अपके पुऽHऔर पgरवार को जो उसके पीछे रह जाएंगे आWा दे गा क वे यहोवा के मागO म अटल बने रह , और धमO और (याय करते रह , इसिलथे क जो कुछ यहोवा ने इॄाह:म के वषय म कहा है उसे पूरा करे । 21 इसिलथे मE उतरकर दे खूंगा, क उसक जैसी िच`लाहट मेरे कान तक पहंु ची है , उ(हHने ठqक वैसा ह: काम कया है क नह:ं : और न कया हो तो मE उसे जान लूग ं ा। 22 सो वे पुRष वहां से मुड़ के सदोम क ओर जाने लगे : पर इॄाह:म यहोवा के आगे खड़ा रह गया। 23 तब इॄाह:म उसके समीप जाकर कहने लगा, या सचमुच द ु के संग धमh को भी नाश करे गा ? 24 कदािचत ् उस नगर म

पचास धमh हH: तो या तू सचमुच उस ःयान को नाश करे गा और उन पचास धिमयJके कारण जो उस म हो न छोड़े गा ? 25 इस ूकार का काम करना तुझ से

दरू रहे क द ु के संग धमh को भी मार डाले और धमh और द ु दोनHक एक ह: दशा हो। 26 यहोवा ने कहा यद मुझे सदोम म पचास धमh िमल , तो उनके कारण उस सारे ःयान को छोडू ं गा। 27 फर इॄाह:म ने कहा, हे ूभु, सुन मE तो िम=ट: और राख हंू ; तौभी मE ने इतनी ढठाई क क तुझ से बात कRं। 28 कदािचत ् उन पचास धिमयJमे पांच घट जाए : तो या तू पांच ह: के घटने के कारण उस सारे नगर का नाश करे गा ? उस ने कहा, यद मुझे उस म पEतालीस भी िमल , तौभी उसका नाश न कRंगा। 29 फर उस ने उस से यह भी कहा, कदािचत ् वहां चालीस िमल । उस ने कहा, तो मE चालीस के कारण भी ऐसा ने कRंगा। 30 फर उस ने कहा, हे ूभु, बोध न कर, तो मE कुछ और कहंू : कदािचत ् वहां तीस िमल । उस ने कहा यद मुझे वहां तीस भी िमल , तौभी ऐसा न कRंगा। 31 फर उस ने कहा, हे ूभु, सुन, मE ने इतनी ढठाई तो क है क तुझ से बात कRं : कदािचत ् उस म बीस िमल । उस ने कहा, मE बीस के कारण भी उसका नाश न कRंगा। 32 फर उस ने कहा, हे ूभु, बोध न कर, मE एक ह: बार और कहंू गा : कदािचत ् उस म दस िमल । उस ने कहा, तो मE दस के कारण भी उसका नाश न कRंगा। 33 जब यहोवा इॄाह:म से बात कर चुका, तब चला गया : और इॄाह:म अपके घर को लौट गया।। उप 19 1 सांफ को वे दो दत ू सदोम के पास आए : और लूत सदोम के फाटक के पास बैठा या : सो उनको दे खकर वह उन से भ ट करने के िलथे उठा; और मुह ं के बल फुककर द+डवत ् कर कहा; 2 हे मेरे ूभुओं, अपके दास के घर म पधाgरए, और

रात भर वौम क'जए, और अपके पांव धोइथे, फर भोर को उठकर अपके मागO पर जाइए। उ(हHने कहा, नह:ं; हम चौक ह: म रात बताएंगे। 3 और उस ने उन से बहुत बनती करके उ(ह मनाया; सो वे उसके साय चलकर उसके घर म आए; और उस ने उनके िलथे जे वनार तैयार क, और बना खमीर क रोटयां बनाकर उनको 'खलाई। 4 उनके सो जाने के पहले, उस सदोम नगर के पुRषHने, जवानHसे लेकर बूढ़Hतक, वरन चारHओर के सब लोगHने आकर उस घर को घेर िलया; 5 और लूत को पुकारकर कहने लगे, क जो पुRष आज रात को तेरे पास आए हE वे कहां हE ? उनको हमारे पास बाहर ले आ, क हम उन से भोग कर । 6 तब लूत उनके पास kार बाहर गया, और कवाड़ को अपके पीछे ब(द करके कहा, 7 हे मेरे भाइयH, ऐसी बुराई न करो। 8 सुनो, मेर: दो बेटयां हE 'ज(हHने अब तक पुRष का मुह ं नह:ं दे खा, इ.छा हो तो मE उ(ह तुSहारे पास बाहर ले आऊं, और तुम को जैसा अ.छा लगे वैसा eयवहार उन से करो : पर इन पुRषHसे कुछ न करो; यHक थे मेर: छत के तले आए हE । 9 उनहHने कहा, हट जा। फर वे कहने लगे, तू एक परदे शी होकर यहां रहने के िलथे आया पर अब (यायी भी बन बैठा है : सो अब हम उन से भी अिधक तेरे साय बुराई कर गे। और वे पुRष लूत को बहुत दबाने लगे, और कवाड़ तोड़ने के िलथे िनकट आए। 10 तब उन पाहुनHने हाथ बढ़ाकर, लूत को अपके पास घर म खींच िलया, और कवाड़ को ब(द कर दया। 11 और उ(हHने या छोटे , या बड़े , सब पुRषHको जो घर के kार पर थे अ(धा कर दया, सो वे kार को टटोलते टटोलते यक गए। 12 फर उन पाहुनHने लूत से पूछा, यहां तेरे और कौन कौन हE ? दामाद, बे टे, बेटयां, वा नगर म ते रा जो कोई हो, उन सभHको लेकर इस ःयान से िनकल जा। 13 यHक हम यह ःयान नाश करने पर

हE , इसिलथे क उसक िच`लाहट यहोवा के सSमुख बढ़ गई है ; और यहोवा ने हम इसका सयनाश करने के िलथे भेज दया है । 14 तब लूत ने िनकलकर अपके दामादHको, 'जनके साय उसक बे टयHक सगाई हो गई यी, समझा के कहा, उठो, इस ःयान से िनकल चलो : यHक यहोवा इस नगर को नाश कया चाहता है । पर वह अपके दामादHक l म ठ=ठा करनेहारा सा जान पड़ा। 15 जब पह फटने लगी, तब दत ू Hने लूत से फुतh कराई और कहा, क उठ, अप क प^ी और दोनो बेटयHको जो यहां हE ले जा : नह:ं तो तू भी इस नगर के अधमO म

भःम हो जाएगा। 16 पर वह वलSब करता रहा, इस से उन पुRषHने उसका और उसक प^ी, और दोनHबेटयHको हाथ पकड़ िलया; यHक यहोवा क दया उस पर यी : और उसको िनकालकर नगर के बाहर कर दया। 17 और ऐसा हुआ क जब उ(हHने उनको बाहर िनकाला, तब उस ने कहा अपना ूाण लेकर भाग जा; पीछे क और न ताकना, और तराई भर म न ठहरना; उस पहाड़ पर भाग जाना, नह:ं तो तू भी भःम हो जाएगा। 18 लूत ने उन से कहा, हे ूभु, ऐसा न कर : 19 दे ख, तेरे दास पर ते र: अनुमह क l हुई है , और तू ने इस म बड़: कृ पा दखाई, क मेरे ूाण को बचाया है ; पर मE पहाड़ पर भाग नह:ं सकता, कह:ं ऐसा न हो, क कोई वप मुझ पर आ पके, और मE मर जाऊं : 20 दे ख, वह नगर ऐसा िनकट है क मE वहां भाग सकता हंू , और वह छोटा भी है : मुझे वह:ं भाग जाने दे , या वह छोटा नह:ं हE ? और मेरा ूाण बच जाएगा। 21 उस ने उस से कहा, दे ख, मE ने इस वषय म भी तेर: बनती अंगीकार क है , क 'जस नगर क चचाO तू ने क है , उसको मE नाश न कRंगा। 22 फुतh से वहां भाग जा; यHक जब तक तू वहां न पहुचे तब तक मE कुछ न कर सकूंगा। इसी कारण उस नगर का नाम सोअर पड़ा।

23 लूत के सोअर के िनकट पहुचते ह: सूयO पृवी पर उदय हुआ। 24 तब यहोवा ने अप क ओर से सदोम और अमोरा पर आकाश से ग(धक और आग बरसाई; 25 और उन नगरHको और सSपूणO तराई को, और नगरHको और उस सSपूणO तराई को, और नगरHके सब िनवािस कH, भूिम क सार: उपज समेत नाश कर दया। 26 लूत क प^ी ने जो उसके पीछे यी l फेर के पीछे क ओर दे खा, और वह नमक का खSभा बन गई। 27 भोर को इॄाह:म उठकर उस ःयान को गया, जहां वह यहोवा के सSमुख खड़ा या; 28 और सदोम, और अमोरा, और उस तराई के सारे दे श क ओर आंख उठाकर या दे खा, क उस दे श म से धधकती हुई भ=ट: का सा धुआं उठ रहा है । 29 और ऐसा हुआ, क जब परमे र ने उस तराई के नगरHको, 'जन म लूत रहता या, उलट पुलट कर नाश कया, तब उस ने इॄाह:म को याद करके लूत को उस घटना से बचा िलया। 30 और लूत ने सोअर को छोड़ दया, और पहाड़ पर अप क दोनHबेटयHसमेत रहने लगा; यHक वह सोअर म रहने से डरता या : इसिलथे वह और उसक दोनHबे टयां वहां एक गुफा म रहने लगे। 31 तब बड़: बेट: ने छोट: से कहा, हमारा पता बूढ़ा है , और पृवी भर म कोई ऐसा पुRष नह:ं जो संसार क र:ित के अनुसार हमारे पास आए : 32 सो आ, हम अपके पता को दाखमधु पलाकर, उसके साय सोएं, 'जस से क हम अपके पता के वंश को बचाए रख । 33 सो उ(हHने उसी दन रात के समय अपके पता को दाखमधु पलाया, तब बड़: बेट: जाकर अपके पता के पास लेट गई; पर उस ने न जाना, क वह कब लेट:, और कब उठ गई। 34 और ऐसा हुआ क दस ू रे दन बड़: ने छोट: से कहा, दे ख, कल रात को मE अपके पता के साय सोई : सो आज भी रात को हम उसको दाखमधु पलाएं; तब तू जाकर उसके साय सोना क

हम अपके पता के kारा वंश उप(न कर । 35 सो उ(हHने उस दन भी रात के समय अपके पता को दाखमधु पलाया : और छोट: बेट: जाकर उसके पास लौट गई : पर उसको उसके भी सोने और उठने के समय का Wान न या। 36 इस ूकार से लूत क दोनो बेटयां अपके पता से गभOवती हुई। 37 और बड़: एक पुऽ जनी, और उसका नाम मोआब रखा : वह मोआब नाम जाित का जो आज तक है मूलपता हुआ। 38 और छोट: भी एक पुऽ जनी, और उसका नाम बेनSमी रखा; वह अSमोन ् वंिशयHका जो आज तक हE मूलपता हुआ।। उप 20 1 फर इॄाह:म वहां से कूच कर द' खन दे श म आकर कादे श और शूर के बीच म

ठहरा, और गरार म रहने लगा। 2 और इॄाह:म अप क प^ी सारा के वषय म

कहने लगा, क वह मेर: बहन है : सो गरार के राजा अबीमेलेक ने दत ू भेजकर सारा को बुलवा िलया। 3 रात को परमे र ने ःव€न म अबीमेलेक के पास आकर कहा, सुन, 'जस \ी को तू ने रख िलया है , उसके कारण तू मर जाएगा, यHक वह सुहािगन है । 4 पर(तु अबीमेलेक उसके पास न गया या : सो उस ने कहा, हे ूभु, या तू िनदzष जाित का भी घात करे गा ? 5 या उसी ने ःवयं मुझ से नह:ं कहा, क वह मेर: बहन है ? और उस \ी ने भी आप कहा, क वह मेरा भाई है : मE ने तो अपके मन क खराई और अपके eयवहार क स.चाई से यह काम कया। 6 परमे र ने उस से ःव€न म कहा, हां, मE भी जानता हूं क अपके मन क खराई से तू ने यह काम कया है और मE ने तुझे रोक भी रखा क तू मेरे वRa पाप न करे : इसी कारण मE ने तुझ को उसे छूने नह:ं दया। 7 सो अब उस पुRष

क प^ी को उसे फेर दे ; यHक वह नबी है , और ते रे िलथे ूायOना करे गा, और तू जीता रहे गा : पर यद तू उसको न फेर दे तो जान रख, क तू, और तेरे 'जतने लोग हE , सब िन_य मर जाएंगे। 8 बहान को अबीमेलेक ने तड़के उठकर अपके सब कमOचाgरयHको बुलवाकर थे सब बात सुनाई : और वे लोग बहुत डर गए। 9 तब अबीमेलेक ने इॄाह:म को बुलवाकर कहा, तू ने हम से यह या कया है ? और मE ने तेरा या बगाड़ा या, क तू ने मेरे और मेरे राGय के ऊपर ऐसा बड़ा पाप डाल दया है ? तू ने मुझ से वह काम कया है जो उिचत न या। 10 फर अबीमेलेक ने इॄाह:म से पूछा, तू ने या समझकर ऐसा काम कया ? 11 इॄाह:म ने कहा, मE ने यह सोचा या, क इस ःयान म परमे र का कुछ भी भय न होगा; सो थे लोग मेर: प^ी के कारण मेरा घात कर गे। 12 और फर भी सचमुच वह मेर: बहन है , वह मेरे पता क बेट: तो है पर मेर: माता क बेट: नह:ं; फर वह मेर: प^ी हो गई। 13 और ऐसा हुआ क जब परमे र ने मुझे अपके पता का घर छोड़कर िनकलने क आWा द:, तब मE ने उस से कहा, इतनी कृ पा तुझे मुझ पर करनी होगी : क हम दोनHजहां जहां जाएं वहां वहां तू मेरे वषय म कहना, क यह मेरा भाई है । 14 तब अबीमेलेक ने भेड़-बकर:, गाय-बैल, और दास-दािसयां लेकर इॄाह:म को द:ं, और उसक प^ी सारा को भी उसे फेर दया। 15 और अबीमेलेक ने कहा, दे ख, मेरा दे श तेरे साSहने है ; जहां तुझे भावे वहां रह। 16 और सारा से उस ने कहा, दे ख, मE ने तेरे भाई को Rपे के एक हजार टु कड़े दए हE : दे ख, तेरे सारे संिगयHके साSहने वह: तेर: आंखHका पदाO बनेगा, और सभHके साSहने तू ठqक होगी। 17 तब इॄाह:म ने यहोवा से ूायOना क, और यहोवा ने अबीमेलेक, और उसक प^ी, और दािस कH चंगा कया और वे जनने लगीं। 18

यHक यहोवा ने इॄाह:म क प^ी सारा के कारण अबीमेलेक के घर क सब '\यHक कोखHको पूर: र:ित से ब(द कर दया या।। उप 21 1 सो यहोवा ने जैसा कहा या वैसा ह: सारा क सुिध लेके उसके साय अपके वचन के अनुसार कया। 2 सो सारा को इॄाह:म से गभOवती होकर उसके बुढ़ापे म उसी िनयुf समय पर जो परमे र ने उस से ठहराया या एक पुऽ उप(न हुआ। 3 और इॄाह:म ने अपके पुऽ का नाम जो सारा से उप(न हुआ या इसहाक रखा। 4 और जब उसका पुऽ इसहाक आठ दन का हुआ, तब उस ने परमे र क आWा के अनुसार उसक खतना कया। 5 और जब इॄाह:म का पुऽ इसहाक उप(न हुआ तब वह एक सौ वषO का या। 6 और सारा ने कहा, परमे र ने मुझे ूफु'`लत कर दया है ; इसिलथे सब सुननेवाले भी मेरे साय ूफु'`लत हHगे। 7 फर उस ने यह भी कहा, क या कोई कभी इॄाह:म से कह सकता या, क सारा लड़कHको दध ू पलाएगी ? पर दे खो, मुझ से उसके बुढ़ापे म एक पुऽ उप(न हुआ। 8 और वह लड़का बढ़ा और उसका दध ू छुड़ाया गया : और इसहाक के दध ू छुड़ाने के दन इॄाह:म ने बड़: जेवनार क। 9 तब सारा को िमॐी हा'जरा का पुऽ, जो इॄाह:म से उप(न हुआ या, हं सी करता हुआ दे ख पड़ा। 10 सो इस कारण उस ने इॄाह:म से कहा, इस दासी को पुऽ सहत बरबस िनकाल दे : यHक इस दासी का पुऽ मेरे पुऽ इसहाक के साय भागी न होगा। 11 यह बात इॄाह:म को अपके पुऽ के कारण बुर: लगी। 12 तब परमे र ने इॄाह:म से कहा, उस लड़के और अप क दासी के कारण तुझे बुरा न लगे; जो बात सारा तुझ से कहे , उसे मान, यHक जो तेरा वंश

कहलाएगा सो इसहाक ह: से चलेगा। 13 दासी के पुऽ से भी मE एक जाित उप(न कRंगा इसिलथे क वह ते रा वंश है । 14 सो इॄाह:म ने बहान को तड़के उठकर रोट: और पानी से भर: चमड़े क यैली भी हा'जरा को द:, और उसके क(धे पर रखी, और उसके लड़के को भी उसे दे कर उसको वदा कया : सो वह च क गई, और बेशब  ा के जंगल म ॅमण करने लगी। 15 जब यैली का जल चुक गया, तब उस ने लड़के को एक फाड़: के नीचे छोड़ दया। 16 और आप उस से तीर भर के ट€पे पर दरू जाकर उसके साSहने यह सोचकर बैठ गई, क मुझ को लड़के क मृयु दे खनी न पके। तब वह उसके साSहने बैठq हुई िच`ला िच`ला के रोने लगी। 17 और परमे र ने उस लड़के क सुनी; और उसके दत ू ने ःवगO से हा'जरा को पुकार के कहा, हे हा'जरा तुझे या हुआ ? मत डर; यHक जहां तेरा लड़का है वहां से उसक आवाज परमे र को सुन प क है । 18 उठ, अपके लड़के को उठा और अपके हाथ से सSभाल यHक मE उसके kारा एक बड़: जाित बनाऊंगा। 19 परमे र ने उसक आंखे खोल द:, और उसको एक कुंआ दखाई पड़ा; सो उस ने जाकर यैली को जल से भरकर लड़के को पलाया। 20 और परमे र उस लड़के के साय रहा; और जब वह बड़ा हुआ, तब जंगल म रहते रहते धनुधाOर: बन गया। 21 वह तो पारान नाम जंगल म रहा करता या : और उसक माता ने उसके िलथे िमॐ दे श से एक \ी मंगवाई।। 22 उन दनHम ऐसा हुआ क अबीमेलेक अपके सेनापित पीकोल को संग लेकर इॄाह:म से कहने लगा, जो कुछ तू करता है उस म परमे र तेरे संग रहता है : 23 सो अब मुझ से यहां इस वषय म परमे र क कgरया खा, क तू न तो मुझ से छल करे गा, और न कभी मेरे वंश से करे गा, पर(तु जैसी कRणा मE ने तुझ पर क है , वैसी ह: तू मुझ पर और इस दे श पर भी

'जस म तू रहता है करे गा 24 इॄाह:म ने कहा, मE कgरया खाऊंगा। 25 और इॄाह:म ने अबीमेलेक को एक कुएं के वषय म , जो अबीमेलेक के दासHने बर:याई से ले िलया या, उलाहना दया। 26 तब अबीमेलेक ने कहा, मै नह:ं जानता क कस ने यह काम कया : और तू ने भी मुझे नह:ं बताया, और न मै ने आज से पहले इसके वषय म कुछ सुना। 27 तक इॄाह:म ने भेड़-बकर:, और गाय-बैल लेकर अबीमेलेक को दए; और उन दोनHने आपस म वाचा बा(धी। 28 और इॄाह:म ने भेड़ क सात ब.ची अलग कर रखीं। 29 तब अबीमेलेक ने इॄाह:म से पूछा, इन सात ब'.चयHका, जो तू ने अलग कर रखी हE , या ूयोजन है ? 30 उस ने कहा, तू इन सात ब'.चयHको इस बात क साझी जानकर मेरे हाथ से ले, क मै ने कुंआ खोदा है । 31 उन दोनHने जो उस ःयान म आपस म कgरया खाई, इसी कारण उसका नाम बेशब  ा पड़ा। 32 जब उ(हHने बेशब  ा म परःपर वाचा बा(धी, तब अबीमेलेक, और उसका सेनापित पीकोल उठकर पिल'ँतयHके दे श म लौट गए। 33 और इॄाह:म ने बेशब  ा म फाऊ का एक वृझ लगाया, और वहां यहोवा, जो सनातन ई र है , उस से ूायOना क। 34 और इॄाह:म पिल'ँतयHके दे श म बहुत दनHतक परदे शी होकर रहा।। उप 22 1 इन बातHके प_ात ् ऐसा हुआ क परमे र ने, इॄाह:म से यह कहकर उसक प कझा क, क हे इॄाह:म : उस ने कहा, दे ख, मE यहां हूं। 2 उस ने कहा, अपके पुऽ को अयाOत ् अपके एकलौते पुऽ इसहाक को, 'जस से तू ूेम रखता है , संग लेकर मोgरयाह दे श म चला जा, और वहां उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मE तुझे

बताऊंगा होमबिल करके चढ़ा। 3 सो इॄाह:म बहान को तड़के उठा और अपके गदहे पर काठq कसकर अपके दो सेवक, और अपके पुऽ इसहाक को संग िलया, और होमबिल के िलथे लकड़: चीर ली; तब कूच करके उस ःयान क ओर चला, 'जसक चचाO परमे र ने उस से क यी। 4 तीसरे दन इॄाह:म ने आंख उठाकर उस ःयान को दरू से दे खा। 5 और उस ने अपके सेवकHसे कहा गदहे के पास यह:ं ठहरे रहो; यह लड़का और मE वहां तक जाकर, और द+डवत ् करके, फर तुSहारे पास लौट आऊंगा। 6 सो इॄाह:म ने होमबिल क लकड़: ले अपके पुऽ इसहाक पर लाद:, और आग और छुर: को अपके हाथ म िलया; और वे दोनHएक साय चल पके। 7 इसहाक ने अपके पता इॄाह:म से कहा, हे मेरे पता; उस ने कहा, हे मेरे पुऽ, या बात है उस ने कहा, दे ख, आग और लकड़: तो हE ; पर होमबिल के िलथे भेड़ कहां है ? 8 इॄाह:म ने कहा, हे मेरे पुऽ, परमे र होमबिल क भेड़ का उपाय आप ह: करे गा। 9 सो वे दोनHसंग संग आगे चलते गए। और वे उस ःयान को 'जसे परमे र ने उसको बताया या पहंु चे; तब इॄाह:म ने वहां वेद: बनाकर लकड़: को चुन चुनकर रखा, और अपके पुऽ इसहाक को बा(ध के वेद: पर क लकड़: के ऊपर रख दया। 10 और इॄाह:म ने हाथ बढ़ाकर छुर: को ले िलया क अपके पुऽ को बिल करे । 11 तब यहोवा के दत ू ने ःवगO से उसको पुकार के कहा, हे इॄाह:म, हे इॄाह:म; उस ने कहा, दे ख, मE यहां हंू । 12 उस ने कहा, उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उस से कुछ कर : यHक तू ने जो मुझ से अपके पुऽ, वरन अपके एकलौते पुऽ को भी, नह:ं रख छोड़ा; इस से मै अब जान गया क तू परमे र का भय मानता है । 13 तब इॄाह:म ने आंखे उठाई, और या दे खा, क उसके पीछे एक मेढ़ा अपके सींगो से एक फाड़: म बफा हुआ है : सो इॄाह:म ने

जाके उस म ढ़े को िलया, और अपके पुऽ क स(ती होमबिल करके चढ़ाया। 14 और इॄाह:म ने उस ःयान का नाम यहोवा ियरे रखा : इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है , क यहोवा के पहाड़ पर उपाय कया जाएगा। 15 फर यहोवा के दत ू ने दस ू र: बार ःवगO से इॄाह:म को पुकार के कहा, 16 यहोवा क यह वाणी है , क मE अप क ह: यह शपय खाता हंू , क तू ने जो यह काम कया है क अपके पुऽ, वरन अपके एकलौते पुऽ को भी, नह:ं रख छोड़ा; 17 इस कारण मE िन_य तुझे आशीष दं ग ू ा; और िन_य तेरे वंश को आकाश के तारागण, और समुि के तीर क बालू के कनकHके समान अनिगिनत कRंगा, और तेरा वंश अपके शऽुओं के नगरHका अिध कारनेी होगा : 18 और पृवी क सार: जाितयां अपके को तेरे वंश के कारण ध(य मान गी : यHक तू ने मेर: बात मानी है । 19 तब इॄाह:म अपके सेवकHके पास लौट आया, और वे सब बेशब  ा को संग संग गए; और इॄाह:म बेशब  ा म रहता रहा।। 20 इन बातHके प_ात ् ऐसा हुआ क इॄाह:म को यह स(दे श िमला, क िम`का के तेरे भाई नाहोर से स(तान उप(न हुए हE । 21 िम`का के पुऽ तो थे हुए, अयाOत ् उसका जे ठा ऊस, और ऊस का भाई बूज, और कमूएल, जो अराम का पता हुआ। 22 फर केसेद, हज़ो, प`दाश, ियmलाप, और बतूएल। 23 इन आठHको िम`का इॄाह:म के भाई नाहोर के ज(माए जनी। और बतूएल ने gरबका को उप(न कया। 24 फर नाहोर के Rमा नाम एक रखेली भी यी; 'जस से ते बह, गहम, तहश, और माका, उप(न हुए।। उप 23 1 सारा तो एक सौ साईस बरस क अवःया को पहंु ची; और जब सारा क इतनी

अवःया हुई; 2 तब वह कयOतबाO म मर गई। यह तो कनान दे श म है , और हे ॄोन भी कहलाता है : सो इॄाह:म सारा के िलथे रोने पीटने को वंहा गया। 3 तब इॄाह:म अपके मुद के पास से उठकर हयHसे कहने लगा, 4 मE तुSहारे बीच पाहुन और परदे शी हंू : मुझे अपके म~य म कॄःतान के िलथे ऐसी भूिम दो जो मेर: िनज क हो जाए, क मE अपके मुद को गाड़के अपके आंख क ओट कRं। 5 हयHने इॄाह:म से कहा, 6 हे हमारे ूभु, हमार: सुन : तू तो हमारे बीच म बड़ा ूधान है : सो हमार: कॄHम से 'जसको तू चाहे उस म अपके मुद को गाड़; हम म

से कोई तुझे अप क कॄ के लेने से न रोकेगा, क तू अपके मुद को उस म गाड़ने न पाए। 7 तब इॄाह:म उठकर खड़ा हुआ, और हयHके सSमुख, जो उस दे श के िनवासी थे, द+डवत करके कहने लगा, 8 यद तुSहार: यह इ.छा हो क मE अपके मुद को गाड़के अप क आंख क ओट कRं, तो मेर: ूायOना है , क सोहर के पुऽ एूोन से मेरे िलथे बनती करो, 9 क वह अप क मकपे लावाली गुफा, जो उसक भूिम क सीमा पर है ; उसका पूरा दाम लेकर मुझे दे दे , क वह तुSहारे बीच कॄःतान के िलथे मेर: िनज भूिम हो जाए। 10 और एूोन तो हयHके बीच वहां बैठा हुआ या। सो 'जतने ही उसके नगर के फाटक से होकर भीतर जाते थे, उन सभHके साSहने उस ने इॄाह:म को उर दया, 11 क हे मेरे ूभु, ऐसा नह:ं, मेर: सुन; वह भूिम मE तुझे दे ता हंू , और उस म जो गुफा है , वह भी मE तुझे दे ता हूं; अपके जाितभाइयHके सSमुख मE उसे तुझ को दए दे ता हूं: सो अपके मुद को कॄ म रख। 12 तब इॄाह:म ने उस दे श के िनवािसयHके साSहने द+डवत क। 13 और उनके सुनते हुए एूोन से कहा, यद तू ऐसा चाहे , तो मेर: सुन : उस भूिम का जो दाम हो, वह मE दे ना चाहता हंू ; उसे मुझ से ले ले, तब मE अपके मुद

को वहां गाडू ं गा। 14 एूोन ने इॄाह:म को यह उर दया, 15 क, हे मेरे ूभु, मेर: बात सुन; एक भूिम का दाम तो चार सौ शेकेल Rपा है ; पर मेरे और ते रे बीच म

यह या है ? अपके मुद को कॄ मे रख। 16 इॄाह:म न एूोन क मानकर उसको उतना Rपा तौल दया, 'जतना उस ने हयHके सुनते हुए कहा या, अयाOत ् चार सौ ऐसे शेकेल जो eयापाgरयHम चलते थे। 17 सो एूोन क भूिम, जो मॆे के सSमुख क मकपेला म यी, वह गुफा समेत, और उन सब वृझHसमेत भी जो उस म और उसके चारHऔर सीमा पर थे, 18 'जतने ही उसके नगर के फाटक से होकर भीतर जाते थे, उन सभHके साSहने इॄाह:म के अिध कारने म प क र:ित से आ गई। 19 इसके प_ात ् इॄाह:म ने अप क प^ी सारा को, उस मकपेला वाली भूिम क गुफा म जो मॆे के अयाOत ् हे ॄोन के साSहने कनान दे श म है , िम=ट: द:। 20 और वह भूिम गुफा समेत, जो उस म यी, हयHक ओर से कॄःतान के िलथे इॄाह:म के अिध कारने म प क र:ित से आ गई। उप 24 1 इॄाह:म वृa या और उसक आयु बहुत भी और यहोवा ने सब बातHम उसको आशीष द: यी। 2 सो इॄाह:म ने अपके उस दास से, जो उसके घर म पुरिनया और उसक सार: सSप पर अिध कारनेी या, कहा, अपना हाथ मेर: जांघ के नीचे रख : 3 और मुझ से आकाश और पृवी के परमे र यहोवा क इस वषय म

शपय खा, क तू मेरे पुऽ के िलथे कनािनयHक लड़कयHम से 'जनके बीच मE रहता हंू , कसी को न ले आएगा। 4 पर(तु तू मेरे दे श म मेरे ह: कुटु 'SबयHके पास जाकर मेरे पुऽ इसहाक के िलथे एक प^ी ले आएगा। 5 दास ने उस से कहा,

कदािचत ् वह \ी इस दे श म मेरे साय आना न चाहे ; तो या मुझे तेरे पुऽ को उस दे श म जहां से तू आया है ले जाना पकेगा ? 6 इॄाह:म ने उस से कहा, चौकस रह, मेरे पुऽ को वहां कभी न ले जाना। 7 ःवगO का परमे र यहोवा, 'जस ने मुझे मेरे पता के घर से और मेर: ज(मभूिम से ले आकर मुझ से शपय खाकर कहा, क मE यह दे श तेरे वंश को दं ग ू ा; वह: अपना दत ू तेरे आगे आगे भेजेगा, क तू मेरे पुऽ के िलथे वहां से एक \ी ले आए। 8 और यद वह \ी तेरे साय आना न चाहे तब तो तू मेर: इस शपय से छूट जाएगा : पर मेरे पुऽ को वहां न ले जाना। 9 तब उस दास ने अपके ःवामी इॄाह:म क जांघ के नीचे अपना हाथ रखकर उस से इसी वषय क शपय खाई। 10 तब वह दास अपके ःवामी के ऊंटो म से दस ऊंट छं ◌ाटकर उसके सब उम उम पदायJम से कुछ कुछ लेकर चला : और मसोपोटािमया म नाहोर के नगर के पास पहंु चा। 11 और उस ने ऊंटHको नगर के बाहर एक कुएं के पास बैठाया, वह सं~या का समय या, 'जस समय '\यां जल भरने के िलथे िनकलती है । 12 सो वह कहने लगा, हे मेरे ःवामी इॄाह:म के परमे र, यहोवा, आज मेरे कायO को िसa कर, और मेरे ःवामी इॄाह:म पर कRणा कर। 13 दे ख मE जल के इस सोते के पास खड़ा हंू ; और नगरवािसयHक बे टयHजल भरने के िलथे िनकली आती हE : 14 सो ऐसा होने दे , क 'जस क(या से मE कहंू , क अपना घड़ा मेर: ओर फुका, क मE पीऊं; और वह कहे , क ले, पी ले, पीछे मE तेरे ऊंटो को भी पीलाऊंगी : सो वह: हो 'जसे तू ने अपके दास इसहाक के िलथे ठहराया हो; इसी र:ित मE जान लूग ं ा क तू ने मेरे ःवामी पर कRणा क है । 15 और ऐसा हुआ क जब वह कह ह: रहा या क gरबका, जो इॄाह:म के भाई नाहोर के ज(माथे िम`का के पुऽ, बतूएल क बेट: यी, वह क(धे पर घड़ा िलथे

हुए आई। 16 वह अित सु(दर, और कुमार: यी, और कसी पुRष का मुह ं न दे खा या : वह कुएं म सोते के पास उतर गई, और अपना घड़ा भर के फर ऊपर आई। 17 तब वह दास उस से भ ट करने को दौड़ा, और कहा, अपके घड़े मे से योड़ा पानी मुझे पला दे । 18 उस ने कहा, हे मेरे ूभु, ले, पी ले: और उस ने फुतh से घड़ा उतारकर हाथ म िलथे िलथे उसको पला दया। 19 जब वह उसको पला चुक, तक कहा, मE तेरे ऊंटHके िलथे भी तब तक पानी भर भर लाऊंगी, जब तक वे पी न चुक । 20 तब वह फुतh से अपके घड़े का जल हौदे म उ+डे लकर फर कुएं पर भरने को दौड़ गई; और उसके सब ऊंटHके िलथे पानी भर दया। 21 और वह पुRष उसक ओर चुपचाप अचSभे के साय ताकता हुआ यह सोचता या, क यहोवा ने मेर: याऽा को सुफल कया है क नह:ं। 22 जब ऊंट पी चुके, तब उस पुRष ने आध तोले सोने का एक नय िनकालकर उसको दया, और दस तोले सोने के कंगन उसके हाथHम पहना दए; 23 और पूछा, तू कस क बे ट: है ? यह मुझ को बता दे । या तेरे पता के घर म हमारे टकने के िलथे ःयान है ? 24 उस ने उर दया, मE तो नाहोर के ज(माए िम`का के पुऽ बतूएल क बेट: हूं। 25 फर उस ने उस से कहा, हमारे वहां पुआल और चारा बहुत है , और टकने के िलथे ःयान भी है । 26 तब उस पुRष ने िसर फुकाकर यहोवा को द+डवत ् करके कहा, 27 ध(य है मेरे ःवामी इॄाह:म का परमे र यहोवा, क उस ने अप क कRणा और स.चाई को मेरे ःवामी पर से हटा नह:ं िलया : यहोवा ने मुझ को ठqक मागO पर चलाकर मेरे ःवामी के भाई ब(धुओं के घर पर पहुचा दया है । 28 और उस (या ने दौड़कर अप क माता के घर म यह सारा वृा(त कह सुनाया। 29 तब लाबान जो gरबका का भाई या, सो बाहर कुएं के िनकट उस पुRष के पास दौड़ा गया। 30

और ऐसा हुआ क जब उस ने वह नय और अप क बहन gरबका के हाथHम वे कंगन भी दे खे, और उसक यह बात भी सुनी, क उस पुRष ने मुझ से ऐसी बात

कह:ं; तब वह उस पुRष के पास गया; और या दे खा, क वह सोते के िनकट ऊंटHके पास खड़ा है । 31 उस ने कहा, हे यहोवा क ओर से ध(य पुRष भीतर आ : तू यHबाहर खड़ा है ? मE ने घर को, और ऊंटो के िलथे भी ःयान तैयार कया है । 32 और वह पुRष घर म गया; और लाबान ने ऊंटHक काठयां खोलकर पुआल और चारा दया; और उसके, और उसके संगी जनो के पांव धोने को जल दया। 33 तब इॄाह:म के दास के आगे जलपान के िलथे कुछ रखा गया : पर उस ने कहा मE जब तक अपना ूयोजन न कह दं ,ू तब तक कुछ न खाऊंगा। लाबान ने कहा, कह दे । 34 तक उस ने कहा, मE तो इॄाह:म का दास हूं। 35 और यहोवा ने मेरे ःवामी को बड़: आशीष द: है ; सो वह महान पुRष हो गया है ; और उस ने उसको भेड़-बकर:, गाय-बैल, सोना-Rपा, दास-दािसयां, ऊंट और गदहे दए है । 36 और मेरे ःवामी क प^ी सारा के बुढ़ापे म उस से एक पुऽ उप(न हुआ है । और उस पुऽ को इॄाह:म ने अपना सब कुछ दे दया है । 37 और मेरे ःवामी ने मुझे यह शपय 'खलाई, क मE उसके पुऽ के िलथे कनािनयHक लड़कयHम से 'जन के दे श म वह रहता है , कोई \ी न ले आऊंगा। 38 मE उसके पता के घर, और कुल के लोगHके पास जाकर उसके पुऽ के िलथे एक \ी ले आऊंगा। 39 तब मE ने अपके ःवामी से कहा, कदािचत ् वह \ी मेरे पीछे न आए। 40 तब उस ने मुझ से कहा, यहोवा, 'जसके साSहने मE चलता आया हंू , वह ते रे संग अपके दत ू को भेजकर तेर: याऽा को सुफल करे गा; सो तू मेरे कुल, और मेरे पता के घराने म से मेरे पुऽ के िलथे एक \ी ले आ सकेगा। 41 तू तब ह: मेर: इस शपय से छूटे गा, जब तू मेरे

कुल के लोगHके पास पहंु चेगा; अयाOत ् यद वे मुझे कोई \ी न द , तो तू मेर: ँपय से छूटे गा। 42 सो मE आज उस कुएं के िनकट आकर कहने लगा, हे मेरे ःवामी इॄाह:म के परमे र यहोवा, यद तू मेर: इस याऽा को सुफल करता हो : 43 तो दे ख मE जल के इस कुएं के िनकट खड़ा हंू ; सो ऐसा हो, क जो कुमार: जल भरने के िलथे िनकल आए, और मE उस से कहंू , अपके घड़े म से मुझे योड़ा पानी पला; 44 और वह मुझ से कहे , पी ले और मै तेरे ऊंटो के पीने के िलथे भी पानी भर दं ग ू ी : वह वह: \ी हो 'जसको तू ने मेरे ःवामी के पुऽ के िलथे ठहराया हो। 45 मE मन ह: मन यह कह ह: रहा या, क दे ख gरबका क(धे पर घड़ा िलथे हुए िनकल आई; फर वह सोते के पास उतरके भरने लगी : और मै ने उस से कहा, मुझे पला दे । 46 और उस ने फुतh से अपके घड़े को क(धे पर से उतारके कहा, ले, पी ले, पीछे मE तेरे ऊंटHको भी पलाऊंगी : सो मE ने पी िलया, और उस ने ऊंटHको भी पला दया। 47 तब मE ने उस से पूछा, क तू कस क बेट: है ? और उस ने कहा, मE तो नाहोर के ज(माए िम`का के पुऽ बतूएल क बेट: हंू : तब मE ने उसक नाक म वह नय, और उसके हाथHम वे कंगन पहना दए। 48 फर मE ने िसर फुकाकर यहोवा को द+डवत ् कया, और अपके ःवामी इॄाह:म के परमे र यहोवा को ध(य कहा, यHक उस ने मुझे ठqक मागO से पहंु चाया क मै अपके ःवामी के पुऽ के िलथे उसक भतीजी को ले जाऊं। 49 सो अब, यद तू मेरे ःवामी के साय कृपा और स.चाई का eयवहार करना चाहते हो, तो मुझ से कहो : और यद नह:ं चाहते हो, तौभी मुझ से कह दो; ताक मE दाहनी ओर, वा बाL ओर फर जाऊं। 50 तब लाबान और बतूएल ने उर दया, यह बात यहोवा क ओर से हुई है : सो हम लोग तुझ से न तो भला कह सकते हE न बुरा। 51 दे ख, gरबका तेरे साSहने है ,

उसको ले जा, और वह यहोवा के वचन के अनुसार, तेरे ःवामी के पुऽ क प^ी हो जाए। 52 उनका यह वचन सुनकर, इॄाह:म के दास ने भूिम पर िगरके यहोवा को द+डवत ् कया। 53 फर उस दास ने सोने और Rपे के गहने, और व\ िनकालकर gरबका को दए : और उसके भाई और माता को भी उस ने अनमोल अनमोल वःतुएं द:। 54 तब उस ने अपके संगी जनHसमेत भोजन कया, और रात वह:ं बताई : और तड़के उठकर कहा, मुझ को अपके ःवामी के पास जाने के िलथे वदा करो। 55 gरबका के भाई और माता ने कहा, क(या को हमारे पास कुछ दन, अयाOत ् कम से कम दस दन रहने दे ; फर उसके प_ात ् वह च क जाएगी। 56 उस ने उन से कहा, यहोवा ने जो मेर: याऽा को सुफल कया है ; सो तुम मुझे मत रोको अब मुझे वदा कर दो, क मE अपके ःवामी के पास जाऊं। 57 उ(हHने कहा, हम क(या को बुलाकर पूछते हE , और दे ख गे, क वह या कहती है । 58 सो उ(हHने gरबका को बुलाकर उस से पूछा, या तू इस मनुंय के संग जाएगी? उस ने कहा, हां मE जाऊंगी। 59 तब उ(हHने अप क बहन gरबका, और उसक धाय और इॄाह:म के दास, और उसके सायी सभHको वदा कया। 60 और उ(हHने gरबका को आशीवाOद दे के कहा, हे हमार: बहन, तू हजारHलाखHक आदमाता हो, और ते रा वंश अपके बैgरयHके नगरHका अिध कारनेी हो। 61 इस पर gरबका अप क सहे िलयHसमेत च क; और ऊंट पर चढ़के उस पुRष के पीछे हो ली : सो वह दास gरबका को साय लेकर चल दया। 62 इसहाक जो द' खन दे श म रहता या, सो लहै रोई नाम कुएं से होकर चला आता या। 63 और सांफ के समय वह मैदान म ~यान करने के िलथे िनकला या : और उस ने आंखे उठाकर या दे खा, क ऊंट चले आ रहे हE । 64 और gरबका ने भी आंख उठाकर इसहाक को दे खा,

और दे खते ह: ऊंट पर से उतर प क 65 तब उस ने दास से पूछा, जो पुRष मैदान पर हम से िमलने को चला आता है , सो कौन है ? दास ने कहा, वह तो मेरा ःवामी है । तब gरबका ने घूघ ं ट लेकर अपके मुह ं को ढ़ाप िलया। 66 और दास ने इसहाक से अपना सारा वृा(त वणOन कया। 67 तब इसहाक gरबका को अप क माता सारा के तSबू म ले आया, और उसको cयाहकर उस से ूेम कया : और इसहाक को माता क मृयु के प_ात ् शा'(त हुई।। उप 25 1 तब इॄाह:म ने एक और प^ी cयाह ली 'जसका नाम कतूरा या। 2 और उस से 'जॆान, योझान, मदना, िमrान, ियशबाक, और शूह उप(न हुए। 3 और योझान से शबा और ददान उप(न हुए। और ददान के वंश म अँशूर:, लतूशी, और लुSमी लोग हुए। 4 और िमrान के पुऽ एपा, एपे र, हनोक, अबीदा, और ए`दा हुए, से सब कतूरा के स(तान हुए। 5 इसहाक को तो इॄाह:म ने अपना सब कुछ दया। 6 पर अप क रखेिलयHके पुऽHको, कुछ कुछ दे कर अपके जीते जी अपके पुऽ इसहाक के पास से पूरब दे श म भेज दया। 7 इॄाह:म क सार: अवःया एक सौ पचहर वषO क हुई। 8 और इॄाह:म का द:घाOयु होने के कारण अयाOत ् पूरे बुढ़ापे क अवःया म ूाण छूट गया। 9 और उसके पुऽ इसहाक और इँमाएल ने, ही सोहर के पुऽ एूोन क मॆे के सSमुखवाली भूिम म , जो मकपे ला क गुफा यी, उस म उसको िम=ट: द: गई। 10 अयाOत ् जो भूिम इॄाह:म ने हयHसे मोल ली यी : उसी म इॄाह:म, और उस क प^ी सारा, दोनHको िम=ट: द: गई। 11 इॄाह:म के मरने के प_ात ् परमे र ने उसके पुऽ इसहाक को

जो लहै रोई नाम कुएं के पास रहता या आशीष द:।। 12 इॄाह:म का पुऽ इँमाएल जो सारा क लxड: हा'जरा िमॐी से उप(न हुआ या, उसक यह वंशावली है । 13 इँमाएल के पुऽHके नाम और वंशावली यह है : अयाOत ् इँमाएल का जेठा पुऽ नबायोत, फर केदार, अmबेल, िमबसाम, 14 िमँमा, दम ू ा, मःसा, 15 हदर, ते मा, यतूर, नपीश, और केदमा। 16 इँमाएल के पुऽ थे ह: हुए, और इ(ह:ं के नामHके अनुसार इनके गांवH, और छाविनयHके नाम भी पके; और थे ह: बारह अपके अपके कुल के ूधान हुए। 17 इँमाएल क सार: अवःया एक सौ सEतीस वषO क हुई : तब उसके ूाण छूट गए, और वह अपके लोगHम जा िमला। 18 और उसके वंश हवीला से शूर तक, जो िमॐ के सSमुख अँशूर ् के मागO म है , बस गए। और उनका भाग उनके सब भाईब(धुओं के सSमुख पड़ा।। 19 इॄाह:म के पुऽ इसहाक क वंशावली यह है : इॄाह:म से इसहाक उप(न हुआ। 20 और इसहाक ने चालीस वषO का होकर gरबका को, जो पXनराम के वासी, अरामी बतूएल क बे ट:, और अरामी लाबान क बहन भी, cयाह िलया। 21 इसहाक क प^ी तो बांफ यी, सो उस ने उसके िनिम यहोवा से बनती क: और यहोवा ने उसक बनती सुनी, सो उसक प^ी gरबका गभOवती हुई। 22 और लड़के उसके गभO म

आपस म िलपटके एक दस ू रे को मारने लगे : तब उस ने कहा, मेर: जो ऐसी ह: दशा रहे गी तो मE यHकर जीवत रहंू गी? और वह यहोवा क इ.छा पूछने को गई। 23 तब यहोवा ने उस से कहा तेरे गभO म दो जाितयां हE , और तेर: कोख से िनकलते ह: दो राGय के लोग अलग अलग हHगे, और एक राGय के लोग दस ू रे से अिधक सामयh हHगे और बड़ा बेटा छोटे के अधीन होगा। 24 जब उसके पुऽ उप(न होने का समय आया, तब या ूगट हुआ, क उसके गभO म जुड़वे

बालक है । 25 और पहला जो उप(न हुआ सो लाल िनकला, और उसका सारा शर:र कSबल के समान रोममय या; सो उसका नाम एसाव रखा गया। 26 पीछे उसका भाई अपके हाथ से एसाव क एड़: पकडे हुए उप(न हुआ; और उसका नाम याकूब रखा गया। और जब gरबका ने उनको ज(म दया तब इसहाक साठ वषO का या। 27 फर वे लड़के बढ़ने लगे और एसाव तो वनवासी होकर चतुर िशकार खे लनेवाला हो गया, पर याकूब सीधा मनुंय या, और तSबुओं म रहा करता या। 28 और इसहाक तो एसाव के अहे र का मांस खाया करता या, इसिलथे वह उस से ूीित रखता या : पर gरबका याकूब से ूीित रखती यी।। 29 याकूब भोजन के िलथे कुछ दाल पका रहा या : और एसाव मैदान से यका हुआ आया। 30 तब एसाव ने याकूब से कहा, वह जो लाल वःतु है , उसी लाल वःतु म से मुझे कुछ 'खला, यHक मE यका हंू । इसी कारण उसका नाम एदोम भी पड़ा। 31 याकूब ने कहा, अपना पहलौठे का अिध कारने आज मेरे हाथ बे च दे । 32 एसाव ने कहा, दे ख, मै तो अभी मरने पर हंू : सो पहलौठे के अिध कारने से मेरा या लाभ होगा ? 33 याकूब ने कहा, मुझ से अभी शपय खा : सो उस ने उस से शपय खाई : और अपना पहलौठे का अिध कारने याकूब के हाथ बे च डाला। 34 इस पर याकूब ने एसाव को रोट: और पकाई हुई मसूर क दाल द:; और उस ने खाया पया, तब उठकर चला गया। यHएसाव ने अपना पहलौठे का अिध कारने तु.छ जाना।। उप 26 1 और उस दे श म अकाल पड़ा, वह उस पहले अकाल से अलग या जो इॄाह:म के

दनHम पड़ा या। सो इसहाक गरार को पिल'ँतयHके राजा अबीमेलेक के पास गया। 2 वहां यहोवा ने उसको दशOन दे कर कहा, िमॐ म मत जा; जो दे श मE तुझे बताऊं उसी म रह। 3 तू इसी दे श म रह, और मE तेरे संग रहंू गा, और तुझे आशीष दं ग ू ा; और थे सब दे श मE तुझ को, और तेरे वंश को दं ग ू ा; और जो शपय मE ने तेरे पता इॄाह:म से खाई यी, उसे मE पूर: कRंगा। 4 और मE तेरे वंश को आकाश के तारागण के समान कRंगा। और मE तेरे वंश को थे सब दे श दं ग ू ा, और पृवी क सार: जाितयां ते रे वंश के कारण अपके को ध(य मान गी। 5 यHक इॄाह:म ने मेर: मानी, और जो मE ने उसे सxपा या उसको और मेर: आWाओं विधयH, और eयवःया का पालन कया। 6 सो इसहाक गरार म रह गया। 7 जब उस ःयान के लोगHने उसक प^ी के वषय म पूछा, तब उस ने यह सोचकर क यद मE उसको अप क प^ी कहंू , तो यहां के लोग gरबका के कारण जो परम सु(दर: है मुझ को मार डाल गे, उर दया, वह तो मेर: बहन है । 8 जब उसको वहां रहते बहुत दन बीत गए, तब एक दन पिल'ँतयHके राजा अबीमेलेक ने 'खड़क म से फांकके या दे खा, क इसहाक अप क प^ी gरबका के साय बड़ा कर रहा है । 9 तब अबीमेलेक ने इसहाक को बुलवाकर कहा, वह तो िन_य तेर: प^ी है ; फर तू ने यHकर उसको अप क बहन कहा ? इसहाक ने उर दया, मE ने सोचा या, क ऐसा न हो क उसके कारण मेर: मृयु हो। 10 अबीमेलेक ने कहा, तू ने हम से यह या कया ? ऐसे तो ूजा म से कोई तेर: प^ी के साय सहज से कुकमO कर सकता, और तू हम को पाप म फंसाता। 11 और अबीमेलेक ने अप क सार: ूजा को आWा द:, क जो कोई उस पुRष को वा उस \ी को छूएगा, सो िन_य मार डाला जाएगा। 12 फर इसहाक ने उस दे श म जोता बोया, और उसी वषO म

सौ गुणा फल पाया : और यहोवा ने उसको आशीष द:। 13 और वह बढ़ा और उसक उ(नित होती च क गई, यहां तक क वह अित महान पुRष हो गया। 14 जब उसके भेड़-बकर:, गाय-बैल, और बहुत से दास-दािसयां हुई, तब पिलँती उस से डाह करने लगे। 15 सो 'जतने कुओं को उसके पता इॄाह:म के दासHने इॄाह:म के जीते जी खोदा या, उनको पिल'ँतयHने िम=ट: से भर दया। 16 तब अबीमेलेक ने इसहाक से कहा, हमारे पास से चला जा; यHक तू हम से बहुत सामयh हो गया है । 17 सो इसहाक वहां से चला गया, और गरार के नाले म तSबू खड़ा करके वहां रहने लगा। 18 तब जो कुएं उसके पता इॄाह:म के दनHम खोदे गए थे, और इॄाह:म के मरने के पीछे पिल'ँतयHने भर दए थे, उनको इसहाक ने फर से खुदवाया; और उनके वे ह: नाम रखे, जो उसके पता ने रखे थे। 19 फर इसहाक के दासHको नाले म खोदते खोदते बहते जल का एक सोता िमला। 20 तब गरार: चरवाहHने इसहाक के चरवाहHसे फगड़ा कया, और कहा, क यह जल हमारा है । सो उस ने उस कुएं का नाम एसेक रखा इसिलथे क वे उस से फगड़े थे। 21 फर उ(हHने दस ू रा कुआं खोदा; और उ(हHने उसके िलथे भी फगड़ा कया, सो उस ने उसका नाम िसऽा रखा। 22 तब उस ने वहां से कूच करके एक और कुआं खुदवाया; और उसके िलथे उ(हHने फगड़ा न कया; सो उस ने उसका नाम यह कहकर रहोबोत रखा, क अब तो यहोवा ने हमारे िलथे बहुत ःयान दया है , और हम इस दे श म फूल -फल गे। 23 वहां से वह बेशब  ा को गया। 24 और उसी दन यहोवा ने रात को उसे दशOन दे कर कहा, मE ते रे पता इॄाह:म का परमे र हंू ; मत डर, यHक मE तेरे साय हंू , और अपके दास इॄाह:म के कारण तुझे आशीष दं ग ू ा, और ते रा वंश बढ़ाऊंगा 25 तब उस ने वहां एक वेद: बनाई,

और यहोवा से ूायOना क, और अपना तSबू वह:ं खड़ा कया; और वहां इसहाक के दासHने एक कुआं खोदा। 26 तब अबीमेलेक अपके िमऽ अहुGजत, और अपके सेनापित पीकोल को संग लेकर, गरार से उसके पास गया। 27 इसहाक ने उन से कहा, तुम ने मुझ से बैर करके अपके बीच से िनकाल दया या; सो अब मेरे पास यHआए हो ? 28 उ(हHने कहा, हम ने तो ूयझ दे खा है , क यहोवा तेरे साय रहता है : सो हम ने सोचा, क तू तो यहोवा क ओर से ध(य है , सो हमारे ते रे बीच म शपय खाई जाए, और हम तुझ से इस वषय क वाचा ब(धाएं; 29 क जैसे हम ने तुझे नह:ं छूआ, वरन तेरे साय िनर: भलाई क है , और तुझ को कुशल झेम से वदा कया, उसके अनुसार तू भी हम से कोई बुराई न करे गा। 30 तब उस ने उनक जेवनार क, और उ(हHने खाया पया। 31 बहान को उन सभHने तड़के उठकर आपस म शपय खाई; तब इसहाक ने उनको वदा कया, और वे कुशल झेम से उसके पास से चले गए। 32 उसी दन इसहाक के दासHने आकर अपके उस खोदे हुए कुएं का वृा(त सुना के कहा, क हम को जल का एक सोता िमला है । 33 तब उस ने उसका नाम िशबा रखा : इसी कारण उस नगर का नाम आज तक बेशब  ा पड़ा है ।। 34 जब एसाव चालीस वषO का हुआ, तब उस ने ही बेर: क बे ट: यहूद:त, और ही एलोन क बेट: बाशमत को cयाह िलया। 35 और इन '\यHके कारण इसहाक और gरबका के मन को खेद हुआ।। उप 27 1 जब इसहाक बूढ़ा हो गया, और उसक आंख ऐसी धुध ं ली पड़ गई, क उसको सूफता न या, तब उस ने अपके जेठे पुऽ एसाव को बुलाकर कहा, हे मेरे पुऽ; उस

ने कहा, या आWा। 2 उस ने कहा, सुन, मE तो बूढ़ा हो गया हंू , और नह:ं जानता क मेर: मृयु का दन कब होगा : 3 सो अब तू अपना तरकश और धनुष आद हिययार लेकर मैदान म जा, और मेरे िलथे हरन का अहे र कर ले आ। 4 तब मेर: Rिच के अनुसार ःवाद भोजन बनाकर मेरे पास ले आना, क मै उसे खाकर मरने से पहले तुझे जी भर के आशीवाOद दं ।ू 5 तब एसाव अहे र करने को मैदान म

गया। जब इसहाक एसाव से यह बात कह रहा या, तब gरबका सुन रह: यी। 6 सो उस ने अपके पुऽ याकूब से कहा सुन, मE ने तेरे पता को तेरे भाई एसाव से यह कहते सुना, 7 क तू मेरे िलथे अहे र करके उसका ःवाद भोजन बना, क मE उसे खाकर तुझे यहोवा के आगे मरने से पहले आशीवाOद दं ू 8 सो अब, हे मेरे पुऽ, मेर: सुन, और यह आWा मान, 9 क बकgरयHके पास जाकर बकgरयHके दो अ.छे अ.छे ब.चे ले आ; और मE तेरे पता के िलथे उसक Rिच के अनुसार उन के मांस का ःवाद भोजन बनाऊंगी। 10 तब तू उसको अपके पता के पास ले जाना, क वह उसे खाकर मरने से पहले तुझ को आशीवाOद दे । 11 याकूब ने अप क माता gरबका से कहा, सुन, मेरा भाई एसाव तो रHआर पुRष है , और मE रोमह:न पुRष हंू । 12 कदािचत ् मेरा पता मुझे टटोलने लगे, तो मE उसक l म ठग ठहRंगा; और आशीष के बदले शाप ह: कमाऊंगा। 13 उसक माता ने उस से कहा, हे मेरे, पुऽ, शाप तुझ पर नह:ं मुझी पर पके, तू केवल मेर: सुन, और जाकर वे ब.चे मेरे पास ले आ। 14 तब याकूब जाकर उनको अप क माता के पास ले आया, और माता ने उसके पता क Rिच के अनुसार ःवाद भोजन बना दया। 15 तब gरबका ने अपके पहलौठे पुऽ एसाव के सु(दर व\, जो उसके पास घर म थे, लेकर अपके लहुरे पुऽ याकूब को पहना दए। 16 और बकgरयHके ब.चHक

खालHको उसके हाथHम और उसके िचकने गले म लपेट दया। 17 और वह ःवाद भोजन और अप क बनाई हुई रोट: भी अपके पुऽ याकूब के हाथ म दे द:। 18 सो वह अपके पता के पास गया, और कहा, हे मेरे पता : उस ने कहा या बात है ? हे मेरे पुऽ, तू कौन है ? 19 याकूब ने अपके पता से कहा, मE तेरा जे ठा पुऽ एसाव हंू । मE ने तेर: आWा मे अनुसार कया है ; सो उठ और बैठकर मेरे अहे र के मांस म से खा, क तू जी से मुझे आशीवाOद दे । 20 इसहाक ने अपके पुऽ से कहा, हे मेरे पुऽ, या कारण है क वह तुझे इतनी ज`द: िमल गया ? उस ने यह उर दया, क तेरे परमे र यहोवा ने उसको मेरे साSहने कर दया। 21 फर इसहाक ने याकूब से कहा, हे मेरे पुऽ, िनकट आ, मE तुझे टटोलकर जानू,ं क तू सचमुच मेरा पुऽ एसाव है वा नह:ं। 22 तब याकूब अपके पता इसहाक के िनकट गया, और उस ने उसको टटोलकर कहा, बोल तो याकूब का सा है , पर हाथ एसाव ह: के से जान पड़ते हE । 23 और उस ने उसको नह:ं ची(हा, यHक उसके हाथ उसके भाई के से रHआर थे। 24 और उस ने पूछा, या तू सचमुच मेरा पुऽ एसाव है ? उस ने कहा मE हूं। 25 तब उस ने कहा, भोजन को मेरे िनकट ले आ, क मE, अपके पुऽ के अहे र के मांस म से खाकर, तुझे जी से आशीवाOद दं ।ू तब वह उसको उसके िनकट ले आया, और उस ने खाया; और वह उसके पास दाखमधु भी लाया, और उस ने पया। 26 तब उसके पता इसहाक ने उस से कहा, हे मेरे पुऽ िनकट आकर मुझे चूम। 27 उस ने िनकट जाकर उसको चूमा। और उस ने उसके वHको सुग(ध पाकर उसको वह आशीवाOद दया, क दे ख, मेरे पुऽ का सुग(ध जो ऐसे खेत का सा है 'जस पर यहोवा ने आशीष द: हो : 28 सो परमे र तुझे आकाश से ओस, और भूिम क उम से उम उपज, और बहुत सा अनाज और नया

दाखमधु दे : 29 राGय राGय के लोग तेरे अधीन हH, और दे श दे श के लोग तुझे द+डवत ् कर : तू अपके भाइयHका ःवामी हो, और तेर: माता के पुऽ तुझे द+डवत ् कर : जो तुझे शाप द सो आप ह: ॐापत हH, और जो तुझे आशीवाOद द सो आशीष पाएं।। 30 यह आशीवाOद इसहाक याकूब को दे ह: चुका, और याकूब अपके पता इसहाक के साSहने से िनकला ह: या, क एसाव अहे र लेकर आ पहंु चा। 31 तब वह भी ःवाद भोजन बनाकर अपके पता के पास ले आया, और उस ने कहा, हे मेरे पता, उठकर अपके पुऽ के अहे र का मांस खा, ताक मुझे जी से आशीवाOद दे । 32 उसके पता इसहाक ने पूछा, तू कौन है ? उस ने कहा, मE तेरा जे ठा पुऽ एसाव हंू । 33 तब इसहाक ने अय(त यरयर कांपके हुए कहा, फर वह कौन या जो अहे र करके मेरे पास ले आया या, और मE ने तेरे आने से पहले सब म से कुछ कुछ खा िलया और उसको आशीवाOद दया ? वरन उसको आशीष लगी भी रहे गी। 34 अपके पता क यह बात सुनते ह: एसाव ने अय(त ऊंचे और द:ु ख भरे ःवर से िच`लाकर अपके पता से कहा, हे मेरे पता, मुझ को भी आशीवाOद दे । 35 उस ने कहा, तेरा भाई धूतOता से आया, और तेरे आशीवाOद को लेके चला गया। 36 उस ने कहा, या उसका नाम याकूब ययायO नह:ं रखा गया ? उस ने मुझे दो बार अड़ं गा मारा, मेरा पहलौठे का अिध कारने तो उस ने ले ह: िलया या : और अब दे ख, उस ने मेरा आशीवाOद भी ले िलया है : फर उस ने कहा, या तू ने मेरे िलथे भी कोई आशीवाOद नह:ं सोच रखा है ? 37 इसहाक ने एसाव को उर दे कर कहा, सुन, मE ने उसको तेरा ःवामी ठहराया, और उसके सब भाइयHको उसके अधीन कर दया, और अनाज और नया दाखमधु दे कर उसको पु कया है : सो अब, हे मेरे पुऽ, मE ते रे िलथे या कRं ? 38 एसाव ने अपके पता से कहा हे मेरे पता,

या तेरे मन म एक ह: आशीवाOद है ? हे मेरे पता, मुझ को भी आशीवाOद दे : यHकहकर एसाव फूट फूटके रोया। 39 उसके पता इसहाक ने उस से कहा, सुन, तेरा िनवास उपजाऊ भूिम पर हो, और ऊपर से आकाश क ओस उस पर पके।। 40 और तू अप क तलवार के बल से जीवत रहे , और अपके भाई के अधीन तो होए, पर जब तू ःवाधीन हो जाएगा, तब उसके जूए को अपके क(धे पर से तोड़ फ के। 41 एसाव ने तो याकूब से अपके पता के दए हुए आशीवाOद के कारण बैर रखा; सो उस ने सोचा, क मेरे पता के अ(तकाल का दन िनकट है , फर मE अपके भाई याकूब को घात कRंगा। 42 जब gरबका को अपके पहलौठे पुऽ एसाव क थे बात बताई गई, तब उस ने अपके लहुरे पुऽ याकूब को बुलाकर कहा, सुन, तेरा भाई एसाव तुझे घात करने के िलथे अपके मन को धीरज दे रहा है । 43 सो अब, हे मेरे पुऽ, मेर: सुन, और हारान को मेरे भाई लाबान के पास भाग जा ; 44 और योड़े दन तक, अयाOत ् जब तक तेरे भाई का बोध न उतरे तब तक उसी के पास रहना। 45 फर जब तेरे भाई का बोध ने उतरे , और जो काम तू ने उस से कया है उसको वह भूल जाए; तब मE तुझे वहां से बुलवा भेजूंगी : ऐसा यHहो क एक ह: दन म मुझे तुम दोनHसे रहत होना पके ? 46 फर gरबका ने इसहाक से कहा, ही लड़कयHके कारण मE अपके ूाण से िघन करती हंू ; सो यद ऐसी ही लड़कयHम से, जैसी इस दे श क लड़कयां हE , याकूब भी एक को कह:ं cयाह ले, तो मेरे जीवन म या लाभ होगा? उप 28 1 तब इसहाक ने याकूब को बुलाकर आशीवाOद दया, और आWा द:, क तू कसी

कनानी लड़क को न cयाह लेना। 2 पXनराम म अपके नाना बतूएल के घर जाकर वहां अपके मामा लाबान क एक बेट: को cयाह लेना। 3 और सवOशfमान ई र तुझे आशीष दे , और फुला-फलाकर बढ़ाए, और तू राGय राGय क म+डली का मूल हो। 4 और वह तुझे और तेरे वंश को भी इॄाह:म क सी आशीष दे , क तू यह दे श 'जस म तू परदे शी होकर रहता है , और 'जसे परमे र ने इॄाह:म को दया या, उसका अिध कारनेी हो जाए। 5 और इसहाक ने याकूब को वदा कया, और वह पXनराम को अरामी बतूएल के उस पुऽ लाबान के पास चला, जो याकूब और एसाव क माता gरबका का भाई या। 6 जब इसहाक ने याकूब को आशीवाOद दे कर पXनराम भेज दया, क वह वह:ं से प^ी cयाह लाए, और उसको आशीवाOद दे ने के समय यह आWा भी द:, क तू कसी कनानी लड़क को cयाह न लेना; 7 और याकूब माता पता क मानकर पXनराम को चल दया; 8 तब एसाव यह सब दे ख के और यह भी सोचकर, क कनानी लड़कयां मेरे पता इसहाक को बुर: लगती हE , 9 इॄाह:म के पुऽ इँमाएल के पास गया, और इँमाएल क बेट: महलत को, जो नबायोत क बहन भी, cयाहकर अप क प'^यHमे िमला िलया।। 10 सो याकूब बेशब  ा से िनकलकर हारान क ओर चला। 11 और उस ने कसी ःयान म पहंु चकर रात वह:ं बताने का वचार कया, यHक सूयO अःत हो गया या; सो उस ने उस ःयान के पयरHम से एक पयर ले अपना तकया बनाकर रखा, और उसी ःयान म सो गया। 12 तब उस ने ःव€न म या दे खा, क एक सीढ़: पृवी पर खड़: है , और उसका िसरा ःवगO तक पहंु चा है : और परमे र के दत ू उस पर से चढ़ते उतरते हE । 13 और यहोवा उसके ऊपर खड़ा होकर कहता है , क मE यहोवा, तेरे दादा इॄाह:म का परमे र, और इसहाक का

भी परमे र हंू : 'जस भूिम पर तू पड़ा है , उसे मE तुझ को और तेरे वंश को दं ग ू ा। 14 और तेरा वंश भूिम क धूल के कनकHके समान बहुत होगा, और प'.छम, पूरब, उर, द' खन, चारHओर फैलता जाएगा : और तेरे और तेरे वंश के kारा पृवी के सारे कुल आशीष पाएंगे। 15 और सुन, मE तेरे संग रहंू गा, और जहां कह:ं तू जाए वहां तेर: रझा कRंगा, और तुझे इस दे श म लौटा ले आऊंगा : मE अपके कहे हुए को जब तक पूरा न कर लूं तब तक तुझ को न छोडू ं गा। 16 तब याकूब जाग उठा, और कहने लगा; िन_य इस ःयान म यहोवा है ; और मE इस बात को न जानता या। 17 और भय खाकर उस ने कहा, यह ःयान या ह: भयानक है ! यह तो परमे र के भवन को छोड़ और कुछ नह:ं हो सकता; वरन यह ःवगO का फाटक ह: होगा। 18 भोर को याकूब तड़के उठा, और अपके तकए का पयर लेकर उसका खSभा खड़ा कया, और उसके िस के पर तेल डाल दया। 19 और उस ने उस ःयान का नाम बेतेल रखा; पर उस नगर का नाम पहले लूज या। 20 और याकूब ने यह म(नत मानी, क यद परमे र मेरे संग रहकर इस याऽा म

मेर: रझा करे , और मुझे खाने के िलथे रोट:, और पहनने के िलथे कपड़ा दे , 21 और मE अपके पता के घर म कुशल झे म से लौट आऊं : तो यहोवा मेरा परमे र ठहरे गा। 22 और यह पयर, 'जसका मE ने खSभा खड़ा कया है , परमे र का भवन ठहरे गा : और जो कुछ तू मुझे दे उसका दशमांश मE अवँय ह: तुझे दया कRंगा।। उप 29 1 फर याकूब ने अपना मागO िलया, और पू'eवयJके दे श म आया। 2 और उस ने

l करके या दे खा, क मैदान म एक कुंआ है , और उसके पास भेड़-बकgरयHके तीन फु+ड बैठे हुए हE ; यHक जो पयर उस कुएं के मुह ं पर धरा रहता या, 'जस म से फु+डHको जल पलाया जाता या, वह भार: या। 3 और जब सब फु+ड वहां इक=ठे हो जाते तब चरवाहे उस पयर को कुएं के मुह ं पर से लुढ़काकर भेड़-बकgरयHको पानी पलाते, और फर पयर को कुएं के मुह ं पर GयHका यHरख दे ते थे। 4 सो याकूब ने चरवाहHसे पूछा, हे मेरे भाइयो, तुम कहां के हो? उ(हHने कहा, हम हारान के हE । 5 तब उस ने उन से पूछा, या तुम नाहोर के पोते लाबान को जानते हो ? उ(हHने कहा, हां, हम उसे जानते हE । 6 फर उस ने उन से पूछा, या वह कुशल से है ? उ(हHने कहा, हां, कुशल से तो है और वह दे ख, उसक बेट: राहे ल भेड़-बकgरयHको िलथे हुए च क आती है । 7 उस ने कहा, दे खो, अभी तो दन बहुत है , पशुओं के इक=ठे होने का समय नह:ं : सो भेड़-बकgरयHको जल पलाकर फर ले जाकर चराओ। 8 उ(हHने कहा, हम अभी ऐसा नह:ं कर सकते, जब सब फु+ड इक=ठे होते हE तब पयर कुएं के मुह ं से लुढ़काया जाता है , और तब हम भेड़-बकgरयHको पानी पलाते हE । 9 उनक यह बातचीत हो रह: यी, क राहे ल जो पशु चराया करती यी, सो अपके पता क भेड़-बकgरयHको िलथे हुए आ गई। 10 अपके मामा लाबान क बेट: राहे ल को, और उसक भेड़-बकgरयHको भी दे खकर याकूब ने िनकट जाकर कुएं के मुह ं पर से पयर को लुढ़काकर अपके मामा लाबान क भेड़-बकgरयHको पानी पलाया। 11 तब याकूब ने राहे ल को चूमा, और ऊंचे ःवर से रोया। 12 और याकूब ने राहे ल को बता दया, क मE तेरा फुफेरा भाई हंू , अयाOत ् gरबका का पुऽ हंू : तब उस ने दौड़ के अपके पता से कह दया। 13 अपके भानजे याकूब को समाचार पाते ह: लाबान उस से भ ट करने को

दौड़ा, और उसको गले लगाकर चूमा, फर अपके घर ले आया। और याकूब ने लाबान से अपना सब वृा(त वणOन कया। 14 तब लाबान ने याकूब से कहा, तू तो सचमुच मेर: ह]ड: और मांस है । सो याकूब एक मह:ना भर उसके साय रहा। 15 तब लाबान ने याकूब से कहा, भाईब(धु होने के कारण तुझ से स तम त सेवा कराना मुझे उिचत नह:ं है , सो कह मE तुझे सेवा के बदले या दं ू ? 16 लाबान के दो बेटयां यी, 'जन म से बड़: का नाम िलआ : और छोट: का राहे ल या। 17 िलआ : के तो धु(धली आंखे यी, पर राहे ल Rपवती और सु(दर यी। 18 सो याकूब ने, जो राहे ल से ूीित रखता या, कहा, मE तेर: छोट: बे ट: राहे ल के िलथे सात बरस तेर: सेवा कRंगा। 19 लाबान ने कहा, उसे पराए पुRष को दे ने से तुझ को दे ना उम होगा; सो मेरे पास रह। 20 सो याकूब ने राहे ल के िलथे सात बरस सेवा क; और वे उसको राहे ल क ूीित के कारण योड़े ह: दनHके बराबर जान पके। 21 तब याकूब ने लाबान से कहा, मेर: प^ी मुझे दे , और मE उसके पास जाऊंगा, यHक मेरा समय पूरा हो गया है । 22 सो लाबान ने उस ःयान के सब मनुंयHको बुलाकर इक=ठा कया, और उनक जेवनार क। 23 सांफ के समय वह अप क बेट: िलआ : को याकूब के पास ले गया, और वह उसके पास गया। 24 और लाबान ने अप क बेट: िलआ : को उसक लxड: होने के िलथे अप क लxड: 'ज`पा द:। 25 भोर को मालूम हुआ क यह तो िलआ है , सो उस ने लाबान से कहा यह तू ने मुझ से या कया है ? मE ने तेरे साय रहकर जो तेर: सेवा क, सो या राहे ल के िलथे नह:ं क ? फर तू ने मुझ से यHऐसा छल कया है ? 26 लाबान ने कहा, हमारे यहां ऐसी र:ित नह:ं, क जेठq से पहले दस ू र: का ववाह कर द । 27 इसका सTाह तो पूरा कर; फर दस ू र: भी तुझे उस सेवा के िलथे िमलेगी जो तू मेरे साय रहकर

और सात वषO तक करे गा। 28 सो याकूब ने ऐसा ह: कया, और िलआ : के सTाह को पूरा कया; तब लाबान ने उसे अप क बेट: राहे ल को भी दया, क वह उसक प^ी हो। 29 और लाबान ने अप क बेट: राहे ल क लxड: होने के िलथे अप क लxड: ब`हा को दया। 30 तब याकूब राहे ल के पास भी गया, और उसक ूीित िलआ: से अिधक उसी पर हुई, और उस ने लाबान के साय रहकर सात वषO और उसक सेवा क।। 31 जब यहोवा ने दे खा, क िलआ: अूय हुई, तब उस ने उसक कोख खोली, पर राहे ल बांफ रह:। 32 सो िलआ: गभOवती हुई, और उसके एक पुऽ उप(न हुआ, और उस ने यह कहकर उसका नाम Rबे न रखा, क यहोवा ने मेरे द:ु ख पर l क है : सो अब मेरा पित मुझ से ूीित रखेगा। 33 फर वह गभOवती हुई और उसके एक पुऽ उप(न हुआ; और उस ने यह कहा क यह सुनके, क मै अूय हंू यहोवा ने मुझे यह भी पुऽ दया : इसिलथे उस ने उसका नाम िशमोन रखा। 34 फर वह गभOवती हुई और उसके एक पुऽ उप(न हुआ; और उस ने कहा, अब क बार तो मेरा पित मुझ से िमल जाएगा, यHक उस से मेरे तीन पुऽ उप(न हुए : इसिलथे उसका नाम लेवी रखा गया। 35 और फर वह गभOवती हुई और उसके एक और पुऽ उप(न हुआ; और उस ने कहा, अब क बार तो मE यहोवा का ध(यवाद कRंगी, इसिलथे उस ने उसका नाम यहूदा रखा; तब उसक कोख ब(द को गई।। उप 30 1 जब राहे ल ने दे खा, क याकूब के िलथे मुझ से कोई स(तान नह:ं होता, तब वह अप क बहन से डाह करने लगी : और याकूब से कहा, मुझे भी स(तान दे , नह:ं

तो मर जाऊंगी। 2 तब याकूब ने राहे ल से बोिधत होकर कहा, या मE परमे र हूं? तेर: कोख तो उसी ने ब(द कर रखी है । 3 राहे ल ने कहा, अ.छा, मेर: लxड: ब`हा हा'जर है : उसी के पास जा, वह मेरे घुटनHपर जनेगी, और उसके kारा मेरा भी घर बसेगा। 4 तो उस ने उसे अप क लxड: ब`हा को दया, क वह उसक प^ी हो; और याकूब उसके पास गया। 5 और ब`हा गभOवती हुई और याकूब से उसके एक पुऽ उप(न हुआ। 6 और राहे ल ने कहा, परमे र ने मेरा (याय चुकाया और मेर: सुनकर मुझे एक पुऽ दया : इसिलथे उस ने उसका नाम दान रखा। 7 और राहे ल क लxड: ब`हा फर गभOवती हुई और याकूब से एक पुऽ और उप(न हुआ। 8 तब राहे ल ने कहा, मE ने अप क बहन के साय बड़े बल से िलपटकर म`लयुa कया और अब जीत गई : सो उस ने उसका नाम नTाली रखा। 9 जब िलआ: ने दे खा क मE जनने से रहत हो गई हंू , तब उस ने अप क लxड: 'ज`पा को लेकर याकूब क प^ी होने के िलथे दे दया। 10 और िलआ: क लxड: 'ज`पा के भी याकूब से एक पुऽ उप(न हुआ। 11 तब िलआ: ने कहा, अहो भाbय! सो उस ने उसका नाम गाद रखा। 12 फर िलआ: क लxड: 'ज`पा के याकूब से एक और पुऽ उप(न हुआ। 13 तब िलआ: ने कहा, मै ध(य हंू ; िन_य '\यां मुझे ध(य कह गी : सो उस ने उसका नाम आशेर रखा। 14 गेहंू क कटनी के दनHम Rबेन को मैदान म दद ू ाफल िमले, और वह उनको अप क माता िलआ: के पास ले गया, तब राहे ल ने िलआ: से कहा, अपके पुऽ के दद ू ाफलHम से कुछ मुझे दे । 15 उस ने उस से कहा, तू ने जो मेरे पित को ले िलया है सो या छोट: बात है ? अब या तू मेरे पुऽ के दद ू ाफल भी लेने चाहती है ? राहे ल ने कहा, अ.छा, तेरे पुऽ के दद ू ाफलHके बदले वह आज रात को तेरे संग सोएगा। 16 सो

सांफ को जब याकूब मैदान से आ रहा या, तब िलआ: उस से भ ट करने को िनकली, और कहा, तुझे मेरे ह: पास आना होगा, यHक मै ने अपके पुऽ के दद ू ाफल दे कर तुझे सचमुच मोल िलया। तब वह उस रात को उसी के संग सोया। 17 तब परमे र ने िलआ: क सुनी, सो वह गभOवती हुई और याकूब से उसके पांचवां पुऽ उप(न हुआ। 18 तब िलआ: ने कहा, म ने जो अपके पित को अप क लxड: द:, इसिलथे परमे र ने मुझे मेर: मंजूर: द: है : सो उस ने उसका नाम इःसाकार रखा। 19 और िलआ: फर गभOवती हुई और याकूब से उसके छठवां पुऽ उप(न हुआ। 20 तब िलआ: ने कहा, परमे र ने मुझे अ.छा दान दया है ; अब क बार मेरा पित मेरे संग बना रहे गा, यHक मेरे उस से छ: पुऽ उप(न चुके हE : से उस ने उसका नाम जबूलन ू रखा। 21 तप_ात ् उसके एक बे ट: भी हुई, और उस ने उसका नाम द:ना रखा। 22 और परमे र ने राहे ल क भी सुिध ली, और उसक सुनकर उसक कोख खोली। 23 सो वह गभOवती हुई और उसके एक पुऽ उप(न हुआ; सो उस ने कहा, परमे र ने मेर: नामधराई को दरू कर दया है । 24 सो उस ने यह कहकर उसका नाम यूसफ ु रखा, क परमे र मुझे एक पुऽ और भी दे गा। 25 जब राहे ल से यूसफ ु उप(न हुआ, तब याकूब ने लाबान से कहा, मुझे वदा कर, क मE अपके दे श और ःयान को जाऊं। 26 मेर: '\यां और मेरे लड़के-बाले, 'जनके िलथे मE ने तेर: सेवा क है , उ(ह मुझे दे , क मE चला जाऊं; तू तो जानता है क मE ने ते र: कैसी सेवा क है । 27 लाबान ने उस से कहा, यद तेर: l म मE ने अनुमह पाया है , तो रह जा : यHक मE ने अनुभव से जान िलया है , क यहोवा ने तेरे कारण से मुझे आशीष द: है । 28 फर उस ने कहा, तू ठqक बता क मE तुझ को या दं ,ू और मE उसे दं ग ू ा। 29 उस ने उस से कहा तू

जानता है क मE ने तेर: कैसी सेवा क, और तेरे पशु मेरे पास कस ूकार से रहे । 30 मेरे अपके से पहले वे कतने थे, और अब कतने हो गए हE ; और यहोवा ने मेरे आने पर तुझे तो आशीष द: है : पर मE अपके घर का काम कब करने पाऊंगा? 31 उस ने फर कहा, मE तुझे या दं ?ू याकूब ने कहा, तू मुझे कुछ न दे ; यद तू मेरे िलथे एक काम करे , तो मै फर तेर: भेड़-बकgरयHको चराऊंगा, और उनक रझा कRंगा। 32 मE आज तेर: सब भेड़-बकgरयHके बीच होकर िनकलूग ं ा, और जो भेड़ वा बकर: िचीवाली वा िचकबर: हो, और जो भेड़ काली हो, और जो बकर: िचकबर: वा िचीवाली हो, उ(ह मE अलग कर रखूंगा : और मेर: मजदरू : म वे ह: ठहर गी। 33 और जब आगे को मेर: मजदरू : क चचाO तेरे साSहने चले, तब धमO क यह: साझी होगी; अयाOत ् बकgरयHम से जो कोई न िचीवाली न िचकबर: हो, और भेड़Hम से जो कोई काली न हो, सो यद मेरे पास िनकल , तो चोर: क ठहर गी। 34 तब लाबान ने कहा, तेरे कहने के अनुसार हो। 35 सो उस ने उसी दन सब धार:वाले और िचकबरे बकरH, और सब िचीवाली और िचकबर: बकgरयHको, अयाOत ् 'जन म कुछ उजलापन या, उनको और सब काली भेड़Hको भी अलग करके अपके पुऽHके हाथ सौप दया। 36 और उस ने अपके और याकूब के बीच म तीन दन के मागO का अ(तर ठहराया : सो याकूब लाबान क भेड़-बकgरयHको चराने लगा। 37 और याकूब ने चनार, और बादाम, और अमzन वृझHक हर: हर: छडय़ां लेकर, उनके िछलके कह:ं कह:ं छqलके, उ(ह धार:दार बना दया, ऐसी क उन छडय़Hक सफेद: दखाई दे ने लगी। 38 और तब छqली हुई छडय़Hको भेड़-बकgरयHके साSहने उनके पानी पीने के कठौतHम खड़ा कया; और जब वे पानी पीने के िलथे आई तब गािभन हो गई। 39 और छडय़Hके

साSहने गािभन होकर, भेड़-बकgरयां धार:वाले, िचीवाले और िचकबरे ब.चे जनीं। 40 तब याकूब ने भेड़Hके ब.चHको अलग अलग कया, और लाबान क भेड़-बकgरयHके मुह ं को िचीवाले और सब काले ब.चHक ओर कर दया; और अपके फु+ड़Hको उन से अलग रखा, और लाबान क भेड़-बकgरयHसे िमलने न दया। 41 और जब जब बलव(त भेड़-बकgरयां गािभन होती यी, तब तब याकूब उन छडय़Hको कठौतHमे उनके साSहने रख दे ता या; 'जस से वे छडय़Hको दे खती हुई गािभन हो जाएं। 42 पर जब िनबOल भेड़-बकgरयां गािभन होती यी, तब वह उ(ह उनके आगे नह:ं रखता या। इस से िनबOल िनबOल लाबान क रह:, और बलव(त बलव(त याकूब क हो गई। 43 सो वह पुRष अय(त धनाढय हो गया, और उसके बहुत सी भेड़-बकgरयां, और लxडयां और दास और ऊंट और गदहे हो गए।। उप 31 1 फर लाबान के पुऽHक थे बात याकूब के सुनने म आई, क याकूब ने हमारे पता का सब कुछ छqन िलया है , और हमारे पता के धन के कारण उसक यह ूितvा है । 2 और याकूब ने लाबान के मुखड़े पर l क और ताड़ िलया, क वह उसके ूित पहले के समान नह:ं है । 3 तब यहोवा ने याकूब से कहा, अपके पतरHके दे श और अप क ज(मभूिम को लौट जा, और मE तेरे संग रहंू गा। 4 तब याकूब ने राहे ल और िलआ: को, मैदान म अप क भेड़-बकgरयHके पास, बुलवाकर कहा, 5 तुSहारे पता के मुखड़े से मुझे समझ पड़ता है , क वह तो मुझे पहले क नाई अब नह:ं दे खता; पर मेरे पता का परमे र मेरे संग है । 6 और

तुम भी जानती हो, क मE ने तुSहारे पता क सेवा शf भर क है । 7 और तुSहारे पता ने मुझ से छल करके मेर: मजदरू : को दस बार बदल दया; पर(तु परमे र ने उसको मेर: हािन करने नह:ं दया। 8 जब उस ने कहा, क िचीवाले ब.चे तेर: मजदरू : ठहर गे, तब सब भेड़-बकgरयां िचीवाले ह: जनने लगीं, और जब उस ने कहा, क धार:वाले ब.चे तेर: मजदरू : ठहर गे, तब सब भेड़-बकgरयां धार:वाले जनने लगीं। 9 इस र:ित से परमे र ने तुSहारे पता के पशु लेकर मुझ को दे दए। 10 भेड़-बकgरयHके गािभन होने के समय मE ने ःव€न म या दे खा, क जो बकरे बकgरयHपर चढ़ रहे हE , सो धार:वाले, िचीवाले, और धcबेवाले है । 11 और परमे र के दत ू ने ःव€न म मुझ से कहा, हे याकूब : मE ने कहा, या आWा। 12 उस ने कहा, आंखे उठाकर उन सब बकरHको, जो बकgरयHपर चढ़ रहे हE , दे ख, क वे धार:वाले, िचीवाले, और धcबे वाले हE ; यHक जो कुछ लाबान तुझ से करता है , सो मE ने दे खा है । 13 मE उस बेतेल का ई र हंू , जहां तू ने एक खSभे पर ते ल डाल दया, और मेर: म(नत मानी यी : अब चल, इस दे श से िनकलकर अप क ज(मभूिम को लौट जा। 14 तब राहे ल और िलआ : ने उस से कहा, या हमारे पता के घर म अब भी हमारा कुछ भाग वा अंश बचा है ? 15 या हम उसक l म पराथे न ठहर:ं? दे ख, उस ने हम को तो बेच डाला, और हमारे Rपे को खा बैठा है । 16 सो परमे र ने हमारे पता का 'जतना धन ले िलया है , सो हमारा, और हमारे लड़केबालHको है : अब जो कुछ परमे र ने तुझ से कहा सो कर। 17 तब याकूब ने अपके लड़केबालHऔर '\यHको ऊंटHपर चढ़ाया; 18 और 'जतने पशुओं को वह पXनराम म इक=ठा करके धनाढय हो गया या, सब को कनान म अपके पता इसहाक के पास जाने क मनसा से, साय ले गया। 19 लाबान तो अप क

भेड़Hका ऊन कतरने के िलथे चला गया या। और राहे ल अपके पता के गृहदे वताओं को चुरा ले गई। 20 सो याकूब लाबान अरामी के पास से चोर: से चला गया, उसको न बताया क मE भागा जाता हंू । 21 वह अपना सब कुछ लेकर भागा : और महानद के पार उतरकर अपना मुह ं िगलाद के पहाड़: दे श क ओर कया।। 22 तीसरे दन लाबान को समाचार िमला, क याकूब भाग गया है । 23 सो उस ने अपके भाइयHको साय लेकर उसका सात दन तक पीछा कया, और िगलाद के पहाड़: दे श म उसको जा पकड़ा। 24 तब परमे र ने रात के ःव€न म

आरामी लाबान के पास आकर कहा, सावधान रह, तू याकूब से न तो भला कहना और न बुरा। 25 और लाबान याकूब के पास पहंु च गया, याकूब तो अपना तSबू िगलाद नाम पहाड़: दे श म खड़ा कए पड़ा या : और लाबान ने भी अपके भाइयHके साय अपना तSबू उसी पहाड़: दे श म खड़ा कया। 26 तब लाबान याकूब से कहने लगा, तू ने यह या कया, क मेरे पास से चोर: से चला आया, और मेर: बे टयHको ऐसा ले आया, जैसा कोई तलवार के बल से ब(द: बनाए गए? 27 तू यHचुपके से भाग आया, और मुझ से बना कुछ कहे मेरे पास से चोर: से चला आया; नह:ं तो मE तुझे आन(द के साय मृदंग और वीणा बजवाते, और गीत गवाते वदा करता ? 28 तू ने तो मुझे अपके बेटे बेटयHको चूमने तक न दया? तू ने मूखOता क है । 29 तुम लोगHक हािन करने क शf मेरे हाथ म तो है ; पर तुSहारे पता के परमे र ने मुझ से बीती हुई रात म कहा, सावधान रह, याकूब से न तो भला कहना और न बुरा। 30 भला अब तू अपके पता के घर का बड़ा अिभलाषी होकर चला आया तो चला आया, पर मेरे दे वताओं को तू यHचुरा ले आया है ? 31 याकूब ने लाबान को उर दया, मE यह सोचकर डर गया या : क

कह:ं तू अप क बेटयHको मुझ से छqन न ले। 32 'जस कसी के पास तू अपके दे वताओं को पाए, सो जीता न बचेगा। मेरे पास तेरा जो कुछ िनकले, सो भाई-ब(धुओं के साSहने पहचानकर ले ले। यHक याकूब न जानता या क राहे ल गृहदे वताओं को चुरा ले आई है । 33 यह सुनकर लाबान, याकूब और िलआ : और दोनHदािसयHके तSबुओं मे गया; और कुछ न िमला। तब िलआ: के तSबू म

से िनकलकर राहे ल के तSबू म गया। 34 राहे ल तो गृहदे वताओं को ऊंट क काठq म रखके उन पर बैठq यी। सो लाबान ने उसके सारे तSबू म टटोलने पर भी उ(ह

न पाया। 35 राहे ल ने अपके पता से कहा, हे मेरे ूभु; इस से अूस(न न हो, क मE तेरे साSहने नह:ं उठq; यHक मE \ीधमO से हंू । सो उसके ढू ं ढ़ ढांढ़ करने पर भी गृहदे वता उसको न िमले। 36 तब याकूब बोिधत होकर लाबान से फगड़ने लगा, और कहा, मेरा या अपराध है ? मेरा या पाप है , क तू ने इतना बोिधत होकर मेरा पीछा कया है ? 37 तू ने जो मेर: सार: साममी को टटोलकर दे खा, सो तुझ को सार: साममी म से या िमला? कुछ िमला हो तो उसको यहां अपके और मेरे भाइयHके सामहने रख दे , और वे हम दोनHके बीच (याय कर । 38 इन बीस वषJसे मै तेरे पास रहा; उन म न तो तेर: भेड़-बकgरयHके गभO िगरे , और न तेरे मेढ़Hका मांस मै ने कभी खाया। 39 'जसे बनैले ज(तुओं ने फाड़ डाला उसको मE तेरे पास न लाता या, उसक हािन मE ह: उठाता या; चाहे दन को चोर: जाता चाहे रात को, तू मुझ ह: से उसको ले लेता या। 40 मेर: तो यह दशा यी, क दन को तो घाम और रात को पाला मुझे खा गया; और नी(द मेर: आंखHसे भाग जाती यी। 41 बीस वषO तक मE तेरे घर म रहो; चौदह वषO तो मै ने तेर: दोनो बे टयHके िलथे, और छ: वषO तेर: भेड़-बकgरयHके िलथे सेवा क : और तू ने मेर: मजदरू : को दस बार

बदल डाला। 42 मेरे पता का परमे र अयाOत ् इॄाह:म का परमे र, 'जसका भय इसहाक भी मानता है , यद मेर: ओर न होता, तो िन_य तू अब मुझे छूछे हाथ जाने दे ता। मेरे द:ु ख और मेरे हाथHके पgरnम को दे खकर परमे र ने बीती हुई रात म तुझे दपटा। 43 लाबान ले याकूब से कहा, थे बेटयHतो मेर: ह: हE , और थे पुऽ भी मेरे ह: हE , और थे भेड़-बकgरयHभी मेर: ह: हE , और जो कुछ तुझे दे ख पड़ता है सो सब मेरा ह: है : और अब मE अप क इन बे टयHवा इनके स(तान से या कर सकता हंू ? 44 अब आ मE और तू दोनHआपस म वाचा बा(ध , और वह मेरे और ते रे बीच साझी ठहर: रहे । 45 तब याकूब ने एक पयर लेकर उसका खSभा खड़ा कया। 46 तब याकूब ने अपके भाई-ब(धुओं से कहा, पयर इक=ठा करो; यह सुनकर उ(हHने पयर इक=ठा करके एक ढे र लगाया और वह:ं ढे र के पास उ(हHने भोजन कया। 47 उस ढे र का नाम लाबान ने तो यळ सहादय ु ा, पर याकूब ने 'जिलयाद रखा। 48 लाबान ने कहा, क यह ढे र आज से मेरे और तेरे बीच साझी रहे गा। इस कारण उसका नाम 'जिलयाद रखा गया, 49 और िमजपा भी; यHक उस ने कहा, क जब हम उस दस ू रे से दरू रह तब यहोवा मेर: और तेर: दे खभाल करता रहे । 50 यद तू मेर: बेटयHको द:ु ख दे , वा उनके िसवाय और '\यां cयाह ले, तो हमारे साय कोई मनुंय तो न रहे गा; पर दे ख मेरे तेरे बीच म

परमे र साझी रहे गा। 51 फर लाबान ने याकूब से कहा, इस ढे र को दे ख और इस खSभे को भी दे ख, 'जनको मE ने अपके और ते रे बीच म खड़ा कया है । 52 यह ढे र और यह खSभा दोनHइस बात के साझी रह , क हािन करने क मनसा से न तो मE इस ढे र को लांघकर तेरे पास जाऊंगा, न तू इस ढे र और इस खSभे को लांघकर मेरे पास आएगा। 53 इॄाह:म और नाहोर और उनके पता; तीनHका जो

परमे र है , सो हम दोनो के बीच (याय करे । तब याकूब ने उसक शपय खाई 'जसका भय उसका पता इसहाक मानता या। 54 और याकूब ने उस पहाड़ पर मेलबिल चढ़ाया, और अपके भाई-ब(धुओं को भोजन करने के िलथे बुलाया, सो उ(हHने भोजन करके पहाड़ पर रात बताई। 55 बहान को लाबान तड़के उठा, और अपके बेटे बेटयHको चूमकर और आशीवाOद दे कर चल दया, और अपके ःयान को लौट गया। उप 32 1 और याकूब ने भी अपना मागO िलया और परमे र के दत ू उसे आ िमले। 2 उनको दे खते ह: याकूब ने कहा, यह तो परमे र का दल है सो उस ने उस ःयान का नाम महनैम रखा।। 3 तब याकूब ने सेईर दे श म , अयाOत ् एदोम दे श म , अपके भाई एसाव के पास अपके आगे दत ू भेज दए। 4 और उस ने उ(ह यह आWा द:, क मेरे ूभु एसाव से यHकहना; क ते रा दास याकूब तुझ से यHकहता है , क मE लाबान के यहां परदे शी होकर अब तक रहा; 5 और मेरे पास गाय-बैल, गदहे , भेड़-बकgरयां, और दास-दािसयां है : सो मE ने अपके ूभु के पास इसिलथे संदेशा भेजा है , क तेर: अनुमह क l मुझ पर हो। 6 वे दत ू याकूब के पास लौटके कहने लगे, हम तेरे भाई एसाव के पास गए थे, और वह भी तुझ से भ ट करने को चार सौ पुRष संग िलथे हुए चला आता है । 7 तब याकूब िनपट डर गया, और संकट म पड़ा : और यह सोचकर, अपके संगवालHके, और भेड़-बकgरयH, और गाय-बैलH, और ऊंटो के भी अलग अलग दो दल कर िलथे, 8 क यद एसाव आकर पहले दल को मारने लगे , तो दस ू रा दल भागकर बच जाएगा। 9 फर

याकूब ने कहा, हे यहोवा, हे मेरे दादा इॄाह:म के परमे र, तू ने तो मुझ से कहा, क अपके दे श और ज(मभूिम म लौट जा, और मE तेर: भलाई कRंगा : 10 तू ने जो जो काम अप क कRणा और स.चाई से अपके दास के साय कए हE , क मE जो अप क छड़: ह: लेकर इस यरदन नद: के पार उतर आया, सो अब मेरे दो दल हो गए हE , तेरे ऐसे ऐसे कामHम से मE एक के भी योbय तो नह:ं हंू । 11 मेर: बनती सुनकर मुझे मेरे भाई एसाव के हाथ से बचा : मE तो उस से डरता हूं, कह:ं ऐसा ने हो क वह आकर मुझे और मां समेत लड़कHको भी मार डाले। 12 तू ने तो कहा है , क मE िन_य तेर: भलाई कRंगा, और तेरे वंश को समुि क बालू के कनकHके समान बहुत कRंगा, जो बहुतायत के मारे िगने नह:ं जो सकते । 13 और उस ने उस दन क रात वह:ं बताई; और जो कुछ उसके पास या उस म से अपके भाई एसाव क भ ट के िलथे छांट छांटकर िनकाला; 14 अयाOत ् दो सौ बकgरयां, और बीस बकरे , और दो सौ भेड़ , और बीस मेढ़े, 15 और ब.चHसमेत दध ू दे नेवाली तीस ऊंटिनयां, और चालीस गाथ , और दस बैल, और बीस गदहयां और उनके दस ब.चे। 16 इनको उस ने फु+ड फु+ड करके, अपके दासHको सxपकर उन से कहा, मेरे आगे बढ़ जाओ; और फु+डHके बीच बीच म अ(तर रखो। 17 फर उस ने अगले फु+ड के रखवाले को यह आWा द:, क जब मेरा भाई एसाव तुझे िमले, और पूछने लगे, क तू कस का दास है , और कहां जाता है , और थे जो तेरे आगे आगे हE , सो कस के हE ? 18 तब कहना, क यह तेरे दास याकूब के हE । हे मेरे ूभु एसाव, थे भ ट के िलथे तेरे पास भेजे गए हE , और वह आप भी हमारे पीछे पीछे आ रहा है । 19 और उस ने दस ू रे और तीसरे रखवालHको भी, वरन उस सभHको जो फु+डHके पीछे पीछे थे ऐसी ह: आWा द:, क जब एसाव तुम को िमले

तब इसी ूकार उस से कहना। 20 और यह भी कहना, क तेरा दास याकूब हमारे पीछे पीछे आ रहा है । यHक उस ने यह सोचा, क यह भ ट जो मेरे आगे आगे जाती है , इसके kारा मE उसके बोध को शा(त करके तब उसका दशOन कRंगा; हो सकता है वह मुझ से ूस(न हो जाए। 21 सो वह भ ट याकूब से पहले पार उतर गई, और वह आप उस रात को छावनी म रहा।। 22 उसी रात को वह उठा और अप क दोनH'\यH, और दोनHलxडयH, और bयारहHलड़कHको संग लेकर घाट से यcबोक नद: के पार उतर गया। 23 और उस ने उ(ह उस नद: के पार उतार दया वरन अपना सब कुछ पार उतार दया। 24 और याकूब आप अकेला रह गया; तब कोई पुRष आकर पह फटने तक उस से म`लयुa करता रहा। 25 जब उस ने दे खा, क मE याकूब पर ूबल नह:ं होता, तब उसक जांघ क नस को छूआ; सो याकूब क जांघ क नस उस से म`लयुa करते ह: करते चढ़ गई। 26 तब उस ने कहा, मुझे जाने दे , यHक भोर हुआ चाहता है ; याकूब ने कहा जब तक तू मुझे आशीवाOद न दे , तब तक मE तुझे जाने न दं ग ू ा। 27 और उस ने याकूब से पूछा, तेरा नाम या है ? उस ने कहा याकूब। 28 उस ने कहा तेरा नाम अब याकूब नह:ं, पर(तु इॐाएल होगा, यHक तू परमे र से और मनुंयHसे भी युa करके ूबल हुआ है । 29 याकूब ने कहा, मE बनती करता हंू , मुझे अपना नाम बता। उस ने कहा, तू मेरा नाम यHपूछता है ? तब उस ने उसको वह:ं आशीवाOद दया। 30 तब याकूब ने यह कहकर उस ःयान का नाम प कएल रखा: क परमे र को आSहने साSहने दे खने पर भी मेरा ूाण बच गया है । 31 पनूएल के पास से चलते चलते सूयO उदय हो गया, और वह जांघ से लंगड़ाता या। 32 इॐाएली जो पशुओं क जांघ क जोड़वाले जंघानस को आज के दन तक नह:ं खाते , इसका कारण

यह: है , क उस पुRष ने याकूब क जांघ क जोड़ म जंघानस को छूआ या।। उप 33 1 और याकूब ने आंख उठाकर यह दे खा, क एसाव चार सौ पुRष संग िलथे हुए चला जाता है । तब उस ने लड़केबालHको अलग अलग बांटकर िलआ, और राहे ल, और दोनHलxडयHको सौप दया। 2 और उस ने सब के आगे लड़कHसमेत लxडयHको उसके पीछे लड़कHसमेत िलआ: को, और सब के पीछे राहे ल और यूसफ ु को रखा, 3 और आप उन सब के आगे बढ़ा, और सात बार भूिम पर िगरके द+डवत ् क, और अपके भाई के पास पहंु चा। 4 तब एसाव उस से भ ट करने को दौड़ा, और उसको ॑ृदय से लगाकर, गले से िलपटकर चूमा : फर वे दोनHरो पके। 5 तब उस ने आंखे उठाकर '\यHऔर लड़के बालHको दे खा; और पूछा, थे जो तेरे साय हE सो कौन हE ? उस ने कहा, थे तेरे दास के लड़के हE , 'ज(ह परमे र ने अनुमह करके मुझ को दया है । 6 तब लड़कHसमेत लxडयHने िनकट आकर द+डवत ् क। 7 फर लड़कHसमेत िलआ: िनकट आई, और उ(हHने भी द+डवत ् क: पीछे यूसफ ु और राहे ल ने भी िनकट आकर द+डवत ् क। 8 तब उस ने पूछा, तेरा यह बड़ा दल जो मुझ को िमला, उसका या ूयोजन है ? उस ने कहा, यह क मेरे ूभु क अनुमह क l मुझ पर हो। 9 एसाव ने कहा, हे मेरे भाई, मेरे पास तो बहुत है ; जो कुछ तेरा है सो तेरा ह: रहे । 10 याकूब ने कहा, नह:ं नह:ं, यद तेरा अनुमह मुझ पर हो, तो मेर: भ ट महण कर : यHक मE ने तेरा दशOन पाकर, मानो परमे र का दशOन पाया है , और तू मुझ से ूस(न हुआ है । 11 सो यह भ ट, जो तुझे भेजी गई है , महण कर : यHक परमे र ने मुझ पर अनुमह कया है , और

मेरे पास बहुत है । 12 फर एसाव ने कहा, आ, हम बढ़ चल : और मै ते रे आगे आगे चलूग ं ा। 13 याकूब ने कहा, हे मेरे ूभु, तू जानता ह: है क मेरे साय सुकुमार लड़के, और दध ू दे नेहार: भेड़-बकgरयां और गाथ है ; यद ऐसे पशु एक दन भी अिधक हांके जाएं, तो सब के सब मर जाएंगे। 14 सो मेरा ूभु अपके दास के आगे बढ़ जाए, और मE इन पशुओं क गित के अनुसार, जो मेरे आगे है , और लड़केबालHक गित के अनुसार धीरे धीरे चलकर सेईर म अपके ूभु के पास पहंु चग ूं ा। 15 एसाव ने कहा, तो अपके संगवालHम से मE कई एक तेरे साय छोड़ जाऊं। उस ने कहा, यह यH? इतना ह: बहुत है , क मेरे ूभु क अनुमह क l मुझ पर बनी रहे । 16 तब एसाव ने उसी दन सेईर जाने को अपना मागO िलया। 17 और याकूब वहां से कूच करके सु कोत को गया, और वहां अपके िलथे एक घर, और पशुओं के िलथे फHपके बनाए: इसी कारण उस ःयान का नाम सु कोत पड़ा।। 18 और याकूब जो पXनराम से आया या, सो कनान दे श के शकेम नगर के पास कुशल झेम से पहंु चकर नगर के साSहने डे रे खड़े कए। 19 और भूिम के 'जस ख+ड पर उस ने अपना तSबू खड़ा कया, उसको उस ने शकेम के पता हमोर के पुऽHके हाथ से एक सौ कसीतHम मोल िलया। 20 और वहां उस ने एक वे द: बनाकर उसका नाम एलेलोहे इॐाएल रखा।। उप 34 1 और िलआ: क बेट: द:ना, जो याकूब से उप(न हुई यी, उस दे श क लड़कयHसे भ ट करने को िनकली। 2 तब उस दे श के ूधान ही हमोर के पुऽ शकेम ने उसे दे खा, और उसे ले जाकर उसके साय कुकमO करके उसको ॅ कर

डाला। 3 तब उसका मन याकूब क बेट: द:ना से लग गया, और उस ने उस क(या से ूेम क बात क, और उस से ूेम करने लगा। 4 और शकेम ने अपके पता हमोर से कहा, मुझे इस लड़क को मेर: प^ी होने के िलथे दला दे । 5 और याकूब ने सुना, क शकेम ने मेर: बेट: द:ना को अशुa कर डाला है , पर उसके पुऽ उस समय पशुओं के संग मैदान म थे, सो वह उनके आने तक चुप रहा। 6 और शकेम का पता हमोर िनकलकर याकूब से बातचीत करने के िलथे उसके पास गया। 7 और याकूब के पुऽ सुनते ह: मैदान से बहुत उदास और बोिधत होकर आए: यHक शकेम ने याकूब क बेट: के साय कुकमO करके इॐाएल के घराने से मूखOता का ऐसा काम कया या, 'जसका करना अनुिचत या। 8 हमोर ने उन सब से कहा, मेरे पुऽ शकेम का मन तुSहार: बेट: पर बहुत लगा है , सो उसे उसक प^ी होने के िलथे उसको दे दो। 9 और हमारे साय cयाह कया करो; अप क बे टयां हम को दया करो, और हमार: बेटयHको आप िलया करो। 10 और हमारे संग बसे रहो: और यह दे श तुSहारे सामने पड़ा है ; इस म रहकर लेनदे न करो, और इसक भूिम को अपके िलथे ले लो। 11 और शकेम ने भी द:ना के पता और भाइयHसे कहा, यद मुझ पर तुम लोगHक अनुमह क l हो, तो जो कुछ तुम मुझ से कहा, सो मE दं ग ू ा। 12 तुम मुझ से कतना ह: मू`य वा बदला यHन मांगो, तौभी मE तुSहारे कहे के अनुसार दं ग ू ा : पर(तु उस क(या को प^ी होने के िलथे मुझे दो। 13 तब यह सोचकर, क शकेम ने हमार: बहन द:ना को अशुa कया है , याकूब के पुऽHने शकेम और उसके पता हमोर को छल के साय यह उर दया, 14 क हम ऐसा काम नह:ं कर सकते, क कसी खतनारहत पुRष को अप क बहन द ; यHक इस से हमार: नामधराई होगी : 15 इस बात पर तो हम तुSहार:

मान ल गे, क हमार: नाई तुम म से हर एक पुRष का खतना कया जाए। 16 तब हम अप क बे टयां तुSह cयाह द गे, और तुSहार: बेटयां cयाह ल गे, और तुSहारे संग बसे भी रह गे, और हम दोनHएक ह: समुदाय के मनुंय हो जाएंगे। 17 पर यद तुम हमार: बात न मानकर अपना खतना न कराओगे, तो हम अप क लड़क को लेके यहां से चले जाएंगे। 18 उसक इस बात पर हमोर और उसका पुऽ शकेम ूस(न हुए। 19 और वह जवान, जो याकूब क बेट: को बहुत चाहता या, इस काम को करने म उस ने वलSब न कया। वह तो अपके पता के सारे घराने म अिधक ूितvत या। 20 सो हमोर और उसका पुऽ शकेम अपके नगर के फाटक के िनकट जाकर नगरवािस कH यHसमझाने लगे; 21 क वे मनुंय तो हमारे संग मेल से रहना चाहते हE ; सो उ(ह इस दे श म रहके लेनदे न करने दो; दे खो, यह दे श उनके िलथे भी बहुत है ; फर हम लोग उनक बेटयHको cयाह ल , और अप क बेटयHको उ(ह दया कर । 22 वे लोग केवल इस बात पर हमारे संग रहने और एक ह: समुदाय के मनुंय हो जाने को ूस(न हE , क उनक नाई हमारे सब पुRषHका भी खतना कया जाए। 23 या उनक भेड़-बकgरयां, और गाय-बैल वरन उनके सारे पशु और धन सSप हमार: न हो जाएगी? इतना क कर क हम लोग उनक बात मान ल , तो वे हमारे संग रह गे। 24 सो 'जतने उस नगर के फाटक से िनकलते थे, उन सभHने हमोर क और उसके पुऽ शकेम क बात मानी; और हर एक पुRष का खतना कया गया, 'जतने उस नगर के फाटक से िनकलते थे। 25 तीसरे दन, जब वे लोग पीड़त पके थे, तब ऐसा हुआ क िशमोन और लेवी नाम याकूब के दो पुऽHने, जो द:ना के भाई थे, अप क अप क तलवार ले उस नगर म िनधड़क घुसकर सब पुRषHको घात कया। 26 और हमोर

और उसके पुऽ शकेम को उ(हHने तलवार से मार डाला, और द:ना को शकेम के घर से िनकाल ले गए। 27 और याकूब के पुऽHने घात कर डालने पर भी चढ़कर नगर को इसिलथे लूट िलया, क उस म उनक बहन अशुa क गई यी। 28 उ(हHने भेड़-बकर:, और गाय-बैल, और गदहे , और नगर और मैदान म 'जतना धन या ले िलया। 29 उस सब को, और उनके बाल-ब.चH, और '\यHको भी हर ले गए, वरन घर घर म जो कुछ या, उसको भी उ(हHने लूट िलया। 30 तब याकूब ने िशमोन और लेवी से कहा, तुम ने जो उस दे श के िनवासी कनािनयHऔर पgर'GजयHके मन म मेर: ओर घृणा उप(न कराई है , इस से तुम ने मुझे संकट म डाला है , यHक मेरे साय तो योड़े क लोग हE , सो अब वे इक=ठे होकर मुझ पर चढ़ गे, और मुझे मार डाल गे, सो मE अपके घराने समेत सयानाश हो जाऊंगा। 31 उ(हHने कहा, या वह हमार: बहन के साय वेँया क नाई बताOव करे ? उप 35 1 तब परमे र ने याकूब से कहा, यहां से कूच करके बे तेल को जा, और वह:ं रह: और वहां ई र के िलथे वेद: बना, 'जस ने तुझे उस समय दशOन दया, जब तू अपके भाई एसाव के डर से भागा जाता या। 2 तब याकूब ने अपके घराने से, और उन सब से भी जो उसके संग थे, कहा, तुSहारे बीच म जो पराए दे वता हE , उ(ह

िनकाल फ को; और अपके अपके को शुa करो, और अपके व\ बदल डालो; 3 और आओ, हम यहां से कूच करके बेतेल को जाएं; वहां मE ई र के िलथे एक वेद: बनाऊंगा, 'जस ने संकट के दन मेर: सुन ली, और 'जस मागO से मE चलता या, उस म मेरे संग रहा। 4 सो 'जतने पराए दे वता उनके पास थे, और 'जतने कु+डल

उनके कानHम थे, उन सभHको उ(हHने याकूब को दया; और उस ने उनको उस िस(दरू वृझ के नीचे, जो शकेम के पास है , गाड़ दया। 5 तब उ(हHने कूच कया: और उनके चारHओर के नगर िनवािसयHके मन म परमे र क ओर से ऐसा भय समा गया, क उ(हHने याकूब के पुऽHका पीछा न कया। 6 सो याकूब उन सब समेत, जो उसके संग थे, कनान दे श के लूज नगर को आया। वह नगर बेतेल भी कहलाता है । 7 वहां उस ने एक वेद: बनाई, और उस ःयान का नाम एलबेतेल रखा; यHक जब वह अपके भाई के डर से भागा जाता या तब परमे र उस पर वह:ं ूगट हुआ या। 8 और gरबका क दध ू पलानेहार: धाय दबोरा मर गई, और बे तेल के नीचे िस(दरू वृझ के तले उसको िम=ट: द: गई, और उस िस(दरू वृझ का नाम अ`लोनब कूत रखा गया।। 9 फर याकूब के पXनराम से आने के प_ात ् परमे र ने दस ू र: बार उसको दशOन दे कर आशीष द:। 10 और परमे र ने उस से कहा, अब तक तो ते रा नाम याकूब रहा है ; पर आगे को तेरा नाम याकूब न रहे गा, तू इॐाएल कहलाएगा : 11 फर परमे र ने उस से कहा, मE सवOशfमान ई र हूं: तू फूले-फले और बढ़े ; और तुझ से एक जाित वरन जाितयHक एक म+डली भी उप(न होगी, और तेरे वंश म राजा उप(न हHगे। 12 और जो दे श मE ने इॄाह:म और इसहाक को दया है , वह: दे श तुझे दे ता हंू , और ते रे पीछे तेरे वंश को भी दं ग ू ा। 13 तब परमे र उस ःयान म , जहां उस ने याकूब से बात क, उनके पास से ऊपर चढ़ गया। 14 और 'जस ःयान म परमे र ने याकूब से बात क, वहां याकूब ने पयर का एक खSबा खड़ा कया, और उस पर अघO दे कर तेल डाल दया। 15 और जहां परमे र ने याकूब से बात क, उस ःयान का नाम उस ने बे तेल रखा। 16 फर उ(हHने बेतेल से कूच कया; और एूाता योड़: ह: दरू रह

गया या, क राहे ल को ब.चा जनने क बड़: पीड़ा आने लगी। 17 जब उसको बड़: बड़: पीड़ा उठती यी तब धाय ने उस से कहा, मत डर; अब क भी तेरे बेटा ह: होगा। 18 तब ऐसा हुआ, क वह मर गई, और ूाण िनकलते िनकलते उस ने उस बे टे को नाम बेनोनी रखा: पर उसके पता ने उसका नाम ब(यामीन रखा। 19 यHराहे ल मर गई, और एूाता, अयाOत ् बेतलेहेम के मागO म , उसको िम=ट: द: गई। 20 और याकूब ने उसक कॄ पर एक खSभा खड़ा कया: राहे ल क कॄ का वह: खSभा आज तक बना है । 21 फर इॐाएल ने कूच कया, और एदे र नाम गुSमट के आगे बढ़कर अपना तSबू खड़ा कया। 22 जब इॐाएल उस दे श म

बसा या, तब एक दन ऐसा हुआ, क Rबेन ने जाकर अपके पता क रखेली ब`हा के साय कुकमO कया : और यह बात इॐाएल को मालूम हो गई।। 23 याकूब के बारह पुऽ हुए। उन म से िलआ: के पुऽ थे थे; अयाOत ् याकूब का जेठा, Rबेन, फर िशमोन, लेवी, यहूदा, इःसाकार, और जबूलन ू । 24 और राहे ल के पुऽ थे थे; अयाOत ् यूसफ ु , और ब(यामीन। 25 और राहे ल क लौ(ड: ब`हा के पुऽ थे थे; अयाOत ् दान, और नTाली। 26 और िलआ: क लौ(ड: 'ज`पा के पुऽ थे थे : अयाOत ् गाद, और आशेर; याकूब के थे ह: पुऽ हुए, जो उस से पXनराम म उप(न हुए।। 27 और याकूब मॆे म , जो कgरयतअबाO, अयाOत ् हॄोन है , जहां इॄाह:म और इसहाक परदे शी होकर रहे थे, अपके पता इसहाक के पास आया। 28 इसहाक क अवःया एक सौ अःसी बरस क हुई। 29 और इसहाक का ूाण छूट गया, और वह मर गया, और वह बूढ़ा और पूर: आयु का होकर अपके लोगHम जा िमला: और उसके पुऽ एसाव और याकूब ने उसको िम=ट: द:।। उप 36

1 एसाव जो एदोम भी कहलाता है , उसक यह वंशावली है । 2 एसाव ने तो कनानी लड़कयां cयाह लीं; अयाOत ् ही एलोन क बेट: आदा को, और अहोलीबामा को जो अना क बे ट:, और हeवी िसबोन क नितनी यी। 3 फर उस ने इँमाएल क बे ट: बासमत को भी, जो नबायोत क बहन यी, cयाह िलया। 4 आदा ने तो एसाव के ज(माए एलीपज को, और बासमत ने Rएल को उप(न कया। 5 और ओहोलीबामा ने यूश, और यालाम, और कोरह को उप(न कया, एसाव के थे ह: पुऽ कनान दे श म उप(न हुए। 6 और एसाव अप क प'^यH, और बे टे-बे टयH, और घर के सब ूा'णयH, और अप क भेड़-बकर:, और गाय-बैल आद सब पशुओं, िनदान अप क सार: सSप को, जो उस ने कनान दे श म संचय क यी, लेकर अपके भाई याकूब के पास से दस ू रे दे श को चला गया। 7 यHक उनक सSप इतनी हो गई यी, क वे इक=ठे न रह सके; और पशुओं क बहुतायत के मारे उस दे श म , जहां वे परदे शी होकर रहते थे, उनक समाई न रह:। 8 एसाव जो एदोम भी कहलाता है : सो सेईर नाम पहाड़: दे श म रहने लगा। 9 सेईर नाम पहाड़: दे श म रहनेहारे एदोिमयHके मूल पुRष एसाव क वंशावली यह है : 10 एसाव के पुऽHके नाम थे हE ; अयाOत ् एसाव क प^ी आदा का पुऽ एलीपज, और उसी एसाव क प^ी बासमत का पुऽ Rएल। 11 और एलीपज के थे पुऽ हुए; अयाOत ् ते मान, ओमार, सपो, गाताम, और कनज। 12 और एसाव के पुऽ एलीपज के ितSना नाम एक सुरैितन यी, 'जस ने एलीपज के ज(माए अमालेक को ज(म दया : एसाव क प^ी आदा के वंश म थे ह: हुए। 13 और Rएल के थे पुऽ हुए; अयाOत ् नहत, जे रह, शSमा, और िमGजा : एसाव क प^ी बासमत के वंश म थे ह: हुए। 14 और ओहोलीबामा जो एसाव क प^ी, और िसबोन क नितनी और

अना क बेट: यी, उसके थे पुऽ हुए : अयाOत ् उस ने एसाव के ज(माए यूश, यालाम और कोरह को ज(म दया। 15 एसाववंिशयHके अिधपित थे हुए : अयाOत ् एसाव के जेठे एलीपज के वंश म से तो तेमान अिधपित, ओमार अिधपित, सपो अिधपित, कनज अिधपित, 16 कोरह अिधपित, गाताम अिधपित, अमालेख अिधपित : एलीपज वंिशयHमे से, एदोम दे श म थे ह: अिधपित हुए : और थे ह: आदा के वंश म हुए। 17 और एसाव के पुऽ Rएल के वंश म थे हुए; अयाOत ् नहत अिधपित, जेरह अिधपित, शSमा अिधपित, िमGजा अिधपित: RएलवंिशयHम

से, एदोम दे श म थे ह: अिधपित हुए; और थे ह: एसाव क प^ी बासमत के वंश म

हुए। 18 और एसाव क प^ी ओहोलीबामा के वंश म थे हुए; अयाOत ् यूश अिधपित, यालाम अिधपित, कोरह अिधपित, अना क बेट: ओहोलीबामा जो एसाव क प^ी यी उसके वंश म थे ह: हुए। 19 एसाव जो एदोम भी कहलाता है , उसके वंश थे ह: हE , और उनके अिधपित भी थे ह: हुए।। 20 सेईर जो होर: नाम जाित का या उसके थे पुऽ उस दे श म पहले से रहते थे; अयाOत ् लोतान, शोबाल, िशबोन, अना, 21 द:शोन, एसेर, और द:शान; एदोम दे श म सेईर के थे ह: होर: जाितवाले अिधपित हुए। 22 और लोतान के पुऽ, होर:, और हे माम हुए; और लोतान क बहन ितSना यी। 23 और शोबाल के थे पुऽ हुए; अयाOत ् आ`वान, मानहत, एबाल, शपो, और ओनाम। 24 और िसदोन के थे पुऽ हुए; अयाOत ् अया, और अना; यह वह: अना है 'जस को जंगल म अपके पता िसबोन के गदहHको चराते चराते गरम पानी के फरने िमले। 25 और अना के द:शोन नाम पुऽ हुआ, और उसी अना के ओहोलीबामा नाम बेट: हुई। 26 और द:शोन के थे पुऽ हुए; अयाOत ् हे मदान, एँबान, ियऽान, और करान। 27 एसेर के थे पुऽ हुए; अयाOत ्

ब`हान, जावान, और अकान। 28 द:शान के थे पुऽ हुए; अयाOत ् ऊस, और अकान। 29 होgरयHके अिधपित थे हुए; अयाOत ् लोतान अिधपित, शोबाल अिधपित, िशबोन अिधपित, अना अिधपित, 30 द:शोन अिधपित, एसेर अिधपित, द:शान अिधपित, सेईर दे श म होर: जाितवाले थे ह: अिधपित हुए। 31 फर जब इॐाएिलयHपर कसी राजा ने राGय न कया या, तब भी एदोम के दे श म थे राजा हुए; 32 अयाOत ् बोर के पुऽ बे ला ने एदोम म राGय कया, और उसक राजधानी का नाम द(हाबा है । 33 बेला के मरने पर, बोॐािनवासी जेरह का पुऽ योबाब उसके ःयान पर राजा हुआ। 34 और योबाब के मरने पर, तेमािनयHके दे श का िनवासी हूशाम उसके ःयान पर राजा हुआ। 35 और हूशाम के मरने पर, बदद का पुऽ हदद उसके ःयान पर राजा हुआ : यह वह: है 'जस ने िमrािनयHको मोआब के दे श म मार िलया, और उसक राजधानी का नाम अबीत है । 36 और हदद के मरने पर, मॐेकावासी सSला उसके ःयान पर राजा हुआ। 37 फर सSला के मरने पर, शाऊल जो महानद के तटवाले रहोबोत नगर का या, सो उसके ःयान पर राजा हुआ। 38 और शाऊल के मरने पर, अकबोर का पुऽ बा`हानान उसके ःयान पर राजा हुआ। 39 और अकबोर के पुऽ बा`हानान के मरने पर, हदर उसके ःयान पर राजा हुआ : और उसक राजधानी का नाम पाऊ है ; और उसक प^ी का नाम महे तबेल है , जो मेजाहब क नितनी और मऽे द क बे ट: यी। 40 फर एसाववंिशयHके अिधपितयHके कुलH, और ःयानHके अनुसार उनके नाम थे हE ; अयाOत ् ितSना अिधपित, अ`बा अिधपित, यतेत अिधपित, 41 ओहोलीबामा अिधपित, एला अिधपित, पीनोन अिधपित, 42 कनज अिधपित, तेमान अिधपित, िमसबार अिधपित, 43 मbद:एल अिधपित, ईराम अिधपित:

एदोमवंिशयHने जो दे श अपना कर िलया या, उसके िनवासःयानHम उनके थे ह: अिधपित हुए। और एदोमी जाित का मूलपुRष एसाव है ।। उप 37 1 याकूब तो कनान दे श म रहता या, जहां उसका पता परदे शी होकर रहा या। 2 और याकूब के वंश का वृा(त यह है : क यूसफ ु सतरह वषO का होकर भाइयHके संग भेड़-बकgरयHको चराता या; और वह लड़का अपके पता क प^ी ब`हा, और 'ज`पा के पुऽHके संग रहा करता या : और उनक बुराईयHका समाचार अपके पता के पास पहंु चाया करता या : 3 और इॐाएल अपके सब पुऽHसे बढ़के यूसफ ु से ूीित रखता या, यHक वह उसके बुढ़ापे का पुऽ या : और उस ने उसके िलथे रं ग बरं गा अंगरखा बनवाया। 4 सो जब उसके भाईयHने दे खा, क हमारा पता हम सब भाइयHसे अिधक उसी से ूीित रखता है , तब वे उस से बैर करने लगे और उसके साय ठqक तौर से बात भी नह:ं करते थे। 5 और यूसफ ु ने एक ःव€न दे खा, और अपके भाइयHसे उसका वणOन कया : तब वे उस से और भी kे ष करने लगे। 6 और उस ने उन से कहा, जो ःव€न मE ने दे खा है , सो सुनो : 7 हम लोग खेत म

पूले बा(ध रहे हE , और या दे खता हंू क मेरा पूला उठकर सीधा खड़ा हो गया; तब तुSहारे पूलHने मेरे पूले को चारHतरफ से घेर िलया और उसे द+डवत ् कया। 8 तब उसके भाइयHने उस से कहा, या सचमुच तू हमारे ऊपर राGय करे गा ? वा सचमुच तू हम पर ूभुता करे गा ? सो वे उसके ःव€नHऔर उसक बातHके कारण उस से और भी अिधक बैर करने लगे। 9 फर उस ने एक और ःव€न दे खा, और अपके भाइयHसे उसका भी यHवणOन कया, क सुनो, मE ने एक और ःव€न दे खा

है , क सूयO और च(िमा, और bयारह तारे मुझे द+डवत ् कर रहे हE । 10 यह ःव€न उस ने अपके पता, और भाइयHसे वणOन कया : तब उसके पता ने उसको दपटके कहा, यह कैसा ःव€न है जो तू ने दे खा है ? या सचमुच मE और ते र: माता और ते रे भाई सब जाकर तेरे आगे भूिम पर िगरके द+डवत ् कर गे? 11 उसके भाई तो उससे डाह करते थे; पर उसके पता ने उसके उस वचन को ःमरण रखा। 12 और उसके भाई अपके पता क भेड़-बकgरयHको चराने के िलथे शकेम को गए। 13 तब इॐाएल ने यूसफ ु से कहा, ते रे भाई तो शकेम ह: म भेड़-बकर: चरा रह

हHगे, सो जा, मE तुझे उनके पास भेजता हंू । उस ने उस से कहा जो आWा मE हा'जर हंू । 14 उस ने उस से कहा, जा, अपके भाइयHऔर भेड़-बकgरयHका हाल दे ख आ क वे कुशल से तो हE , फर मेरे पास समाचार ले आ। सो उस ने उसको हे ॄोन क तराई म वदा कर दया, और वह शकेम म आया। 15 और कसी मनुंय ने उसको मैदान म इधर उधर भटकते हुए पाकर उस से पूछा, तू या ढू ं ढता है ? 16 उस ने कहा, मE तो अपके भाइयHको ढू ं ढता हंू : कृपा कर मुझे बता, क वे भेड़-बकgरयHको कहां चरा रहे हE ? 17 उस मनुंय ने कहा, वे तो यहां से चले गए हE : और मE ने उनको यह कहते सुना, क आओ, हम दोतान को चल । सो यूसफ ु अपके भाइयHके पास चला, और उ(ह दोतान म पाया। 18 और GयHह: उ(हHने उसे दरू से आते दे खा, तो उसके िनकट आने के पहले ह: उसे मार डालने क युf क। 19 और वे आपस म कहने लगे, दे खो, वह ःव€न दे खनेहारा आ रहा है । 20 सो आओ, हम उसको घात करके कसी गड़हे म डाल द , और यह कह द गे, क कोई द ु पशु उसको खा गया। फर हम दे ख गे क उसके ःव€नHका या फल होगा। 21 यह सुनके Rबेन ने उसको उनके हाथ से बचाने क मनसा से कहा, हम

उसको ूाण से तो न मार । 22 फर Rबेन ने उन से कहा, लोहू मत बहाओ, उसको जंगल के इस गड़हे म डाल दो, और उस पर हाथ मत उठाओ। वह उसको उनके हाथ से छुड़ाकर पता के पास फर पहंु चाना चाहता या। 23 सो ऐसा हुआ, क जब यूसफ ु अपके भाइयHके पास पहंु चा तब उ(हHने उसका रं गबरं गा अंगरखा, 'जसे वह पहने हुए या, उतार िलया। 24 और यूसफ ु को उठाकर गड़हे म डाल दया : वह गड़हा तो सूखा या और उस म कुछ जल न या। 25 तब वे रोट: खाने को बैठ गए : और आंखे उठाकर या दे खा, क इँमाएिलयHका एक दल ऊंटो पर सुग(धिeय, बलसान, और ग(धरस लादे हुए, िगलाद से िमॐ को चला जा रहा है । 26 तब यहूदा ने अपके भाइयHसे कहा, अपके भाई को घात करने और उसका खून िछपाने से या लाभ होगा ? 27 आओ, हम उसे इँमाएिलयHके हाथ बेच डाल , और अपना हाथ उस पर न उठाएं, यHक वह हमारा भाई और हमार: ह]ड: और मांस है , सो उसके भाइयHने उसक बात मान ली। तब िमrानी eयापार: उधर से होकर उनके पास पहंु चे : 28 सो यूसफ ु के भाइयHने उसको उस गड़हे म से खींचके बाहर िनकाला, और इँमाएिलयHके हाथ चांद: के बीस टु कड़Hम बेच दया : और वे यूसफ ु को िमॐ म ले गए। 29 और Rबेन ने गड़हे पर लौटकर या दे खा, क यूसफ ु गड़हे म नह:ं हE ; सो उस ने अपके व\ फाड़े । 30 और अपके भाइयHके पास लौटकर कहने लगा, क लड़का तो नह:ं हE ; अब मE कधर जाऊं ? 31 और तब उ(हHने यूसफ ु का अंगरखा िलया, और एक बकरे को मारके उसके लोहू म उसे डु बा दया। 32 और उ(हHने उस रं ग बरं गे अंगरखे को अपके पता के पास भेजकर कहला दया; क यह हम को िमला है , सो दे खकर पहचान ले, क यह तेरे पुऽ का अंगरखा है क नह:ं। 33 उस ने उसको पहचान िलया, और कहा, हां

यह मेरे ह: पुऽ का अंगरखा है ; कसी द ु पशु ने उसको खा िलया है ; िन:स(दे ह यूसफ ु फाड़ डाला गया है । 34 तब याकूब ने अपके व\ फाड़े और कमर म टाट लपेटा, और अपके पुऽ के िलथे बहुत दनHतक वलाप करता रहा। 35 और उसके सब बेटे-बेटयHने उसको शा'(त दे ने का य^ कया; पर उसको शा'(त न िमली; और वह यह: कहता रहा, मE तो वलाप करता हुआ अपके पुऽ के पास अधोलोक म उतर जाऊंगा। इस ूकार उसका पता उसके िलथे रोता ह: रहा। 36 और िमrािनयHने यूसफ ु को िमॐ म ले जाकर पोतीपर नाम, फरौन के एक हाकम, और ज`लादHके ूधान, के हाथ बेच डाला।। उप 38 1 उ(ह:ं दनHम ऐसा हुआ, क यहूदा अपके भाईयHके पास से चला गया, और ह:रा नाम एक अद` ु लामवासी पुRष के पास डे रा कया। 2 वहां यहूदा ने शूआ नाम एक कनानी पुRष क बेट: को दे खा; और उसको cयाहकर उसके पास गया। 3 वह गभOवती हुई, और उसके एक पुऽ उप(न हुआ; और यहूदा ने उसका नाम एर रखा। 4 और वह फर गभOवती हुई, और उसके एक पुऽ उप(न हुआ; और उसका नाम ओनान रखा गया। 5 फर उसके एक पुऽ और उप(न हुआ, और उसका नाम शेला रखा गया : और 'जस समय इसका ज(म हुआ उस समय यहूदा कजीब म रहता या। 6 और यहूदा ने तामार नाम एक \ी से अपके जेठे एर का ववाह कर दया। 7 पर(तु यहूदा का वह जे ठा एर यहोवा के लेखे म द ु या, इसिलथे यहोवा ने उसको मार डाला। 8 तब यहूदा ने ओनान से कहा, अप क भौजाई के पास जा, और उसके साय दे वर का धमO पूरा करके अपके भाई के िलथे

स(तान उप(न कर। 9 ओनान तो जानता या क स(तान तो मेर: न ठहरे गी: सो ऐसा हुआ, क जब वह अप क भौजाई के पास गया, तब उस ने भूिम पर वीयO िगराकर नाश कया, 'जस से ऐसा न हो क उसके भाई के नाम से वंश चले। 10 यह काम जो उस ने कया उसे यहोवा अूस(न हुआ: और उस ने उसको भी मार डाला। 11 तब यहूदा ने इस डर के मारे , क कह:ं ऐसा न हो क अपके भाइयHक नाई शेला भी मरे , अप क बहू तामार से कहा, जब तक मेरा पुऽ शेला िसयाना न हो तब तक अपके पता के घर म वधवा क बैठq रह, सो तामार अपके पता के घर म जाकर रहने लगी। 12 बहुत समय के बीतने पर यहूदा क प^ी जो शूआ क बेट: यी सो मर गई; फर यहूदा शोक से छूटकर अपके िमऽ ह:रा अद` ु लामवासी समेत अप क भेड़-बकgरयHका ऊन कतराने के िलथे ितSनाय को गया। 13 और तामार को यह समाचार िमला, क तेरा ससुर अप क भेड़-बकgरयHका ऊन कतराने के िलथे ितSनाय को जा रहा है । 14 तब उस ने यह सोचकर, क शेला िसयाना तो हो गया पर मE उसक \ी नह:ं होने पाई; अपना वधवापन का पहरावा उतारा, और घूघ ं ट डालकर अपके को ढांप िलया, और एनैम नगर के फाटक के पास, जो ितSनाय के मागO म है , जा बैठq: 15 जब यहूदा ने उसको दे खा, उस ने उस को वेँया समझा; यHक वह अपना मुह ं ढ़ापे हुए यी। 16 और वह मागO से उसक ओर फरा और उस से कहने लगा, मुझे अपके पास आने दे , ( यHक उसे यह मालूम न या क वह उसक बहू है )। और वह कहने लगी, क यद मE तुझे अपके पास आने दं ,ू तो तू मुझे या दे गा? 17 उस ने कहा, मE अप क बकgरयHम से बकर: का एक ब.चा ते रे पास भेज दं ग ू ा। 18 उस ने पूछा, मE ते रे पास या रे हन रख जाऊं? उस ने कहा, अप क मुहर, और

बाजूब(द, और अपके हाथ क छड़:। तब उस ने उसको वे वसतुएं दे द:ं, और उसके पास गया, और वह उस से गभOवती हुई। 19 तब वह उठकर च क गई, और अपना घूघ ं ट उतारके अपना वधवापन का पहरावा फर पहन िलया। 20 तब यहूदा ने बकर: का ब.चा अपके िमऽ उस अद` ु लामवासी के हाथ भेज दया, क वह रे हन रखी हुई वःतुएं उस \ी के हाथ से छुड़ा ले आए; पर वह \ी उसको न िमली। 21 तब उस ने वहां के लोगHसे पूछा, क वह दे वदासी जो एनैम म मागO क एक और बैठq यी, कहां है ? उ(हHने कहा, यहां तो कोई दे वदासी न यी। 22 सो उस ने यहूदा के पास लौटके कहा, मुझे वह नह:ं िमली; और उस ःयान के लोगHने कहा, क यहां तो कोई दे वदासी न यी। 23 तब यहूदा ने कहा, अ.छा, वह ब(धक उस के पास रहने दे , नह:ं तो हम लोग तु.छ िगने जाएंगे: दे ख, मE ने बकर: का यह ब.चा भेज दया, पर वह तुझे नह:ं िमली। 24 और तीन मह:ने के पीछे यहूदा को यह समाचार िमला, क ते र: बहू तामार ने eयिभचार कया है ; वरन वह eयिभचार से गभOवती भी हो गई है । तब यहूदा ने कहा, उसको बाहर ले आओ, क वह जलाई जाए। 25 जब उसे बाहर िनकाल रहे थे, तब उस ने, अपके ससुर के पास यह कहला भेजा, क 'जस पुRष क थे वःतुएं हE , उसी से मE गभOवती हंू ; फर उस ने यह भी कहलाया, क पहचान तो सह:, क यह मुहर, और वाजूब(द, और छड़: कस क है । 26 यहूदा ने उ(ह पहचानकर कहा, वह तो मुझ से कम दोषी है ; यHक मE ने उसे अपके पुऽ शेला को न cयाह दया। और उस ने उस से फर कभी ूसंग न कया। 27 जब उसके जनने का समय आया, तब यह जान पड़ा क उसके गभO म जुड़वे ब.चे हE । 28 और जब वह जनने लगी तब एक बालक ने अपना हाथ बढ़ाया: और धाय ने लाल सूत लेकर उसके हाथ म यह कहते हुथे

बा(ध दया, क पहले यह: उप(न हुआ। 29 जब उस ने हाथ समेट िलया, तब उसका भाई उप(न हो गया: तब उस धाय ने कहा, तू यHबरबस िनकल आया है ? इसिलथे उसका नाम पेरेस रखा गया। 30 पीछे उसका भाई 'जसके हाथ म लाल सूत ब(धा या उप(न हुआ, और उसका नाम जेरह रखा गया।। उप 39 1 जब यूसफ ु िमॐ म पहुंचाया गया, तब पोतीपर नाम एक िमॐी, जो फरौन का हाकम, और ज`लादHका ूधान या, उस ने उसको इँमाएिलयHके हाथ, से जो उसे वहां ले गए थे, मोल िलया। 2 और यूसफ ु अपके िमॐी ःवामी के घर म रहता या, और यहोवा उसके संग या; सो वह भाbयवान ् पुRष हो गया। 3 और यूसफ ु के ःवामी ने दे खा, क यहोवा उसके संग रहता है , और जो काम वह करता है उसको यहोवा उसके हाथ से सुफल कर दे ता है । 4 तब उसक अनुमह क l उस पर हुई, और वह उसक सेवा टहल करने के िलथे िनयुf कया गया : फर उस ने उसको अपके घर का अिध कारनेी बनाके अपना सब कुछ उसके हाथ म सौप दया। 5 और जब से उस ने उसको अपके घर का और अप क सार: सSप का अिध कारनेी बनाया, तब से यहोवा यूसफ ु के कारण उस िमॐी के घर पर आशीष दे ने लगा; और या घर म , या मैदान म , उसका जो कुछ या, सब पर यहोवा क आशीष होने लगी। 6 सो उस ने अपना सब कुछ यूसफ ु के हाथ म यहां तक छोड़ दया: क अपके खाने क रोट: को छोड़, वह अप क सSप का हाल कुछ न जानता या। और यूसफ ु सु(दर और Rपवान ् या। 7 इन बातHके प_ात ् ऐसा हुआ, क उसके ःवामी क प^ी ने यूसफ ु क ओर आंख लगाई; और कहा, मेरे साय सो।

8 पर उस ने अःवीकार करते हुए अपके ःवामी क प^ी से कहा, सुन, जो कुछ इस घर म है मेरे हाथ म है ; उसे मेरा ःवामी कुछ नह:ं जानता, और उस ने अपना सब कुछ मेरे हाथ म सौप दया है । 9 इस घर म मुझ से बड़ा कोई नह:ं; और उस ने तुझे छोड़, जो उसक प^ी है ; मुझ से कुछ नह:ं रख छोड़ा; सो भला, मE ऐसी बड़: द ु ता करके परमे र का अपराधी यHकर बनूं ? 10 और ऐसा हुआ, क वह ूित दन यूसफ ु से बात करती रह:, पर उस ने उसक न मानी, क उसके पास लेटे वा उसके संग रहे । 11 एक दन या हुआ, क यूसफ ु अपना काम काज करने के िलथे घर म गया, और घर के सेवकHम से कोई भी घर के अ(दर न या। 12 तब उस \ी ने उसका व\ पकड़कर कहा, मेरे साय सो, पर वह अपना व\ उसके हाथ म छोड़कर भागा, और बाहर िनकल गया। 13 यह दे खकर, क वह अपना व\ मेरे हाथ म छोड़कर बाहर भाग गया, 14 उस \ी ने अपके घर के सेवकHको बुलाकर कहा, दे खो, वह एक इॄी मनुंय को हमारा ितरःकार करने के िलथे हमारे पास ले आया है । वह तो मेरे साय सोने के मतलब से मेरे पास अ(दर आया या और मE ऊंचे ःवर से िच`ला उठq। 15 और मेर: बड़: िच`लाहट सुनकर वह अपना व\ मेरे पास छोड़कर भागा, और बाहर िनकल गया। 16 और वह उसका व\ उसके ःवामी के घर आने तक अपके पास रखे रह:। 17 तब उस ने उस से इस ूकार क बात कह:ं, क वह इॄी दास 'जसको तू हमारे पास ले आया है , सो मुझ से हं सी करने के िलथे मेरे पास आया या। 18 और जब मE ऊंचे ःवर से िच`ला उठq, तब वह अपना व\ मेरे पास छोड़कर बाहर भाग गया। 19 अप क प^ी क थे बात सुनकर, क तेरे दास ने मुझ से ऐसा ऐसा काम कया, यूसफ ु के ःवामी का कोप भड़का। 20 और यूसफ ु के ःवामी ने उसको पकड़कर ब(द:गृह म ,

जहां राजा के कैद: ब(द थे, डलवा दया : सो वह उस ब(द:गृह म रहने लगा। 21 पर यहोवा यूसफ ु के संग संग रहा, और उस पर कRणा क, और ब(द:गृह के दरोगा के अनुमह क l उस पर हुई। 22 सो ब(द:गृह के दरोगा ने उन सब ब(धुओं को, जो कारागार म थे, यूसफ ु के हाथ म सौप दया; और जो जो काम वे वहां करते थे, वह उसी क आWा से होता या। 23 ब(द:गृह के दरोगा के वश म जो कुछ या; यHक उस म से उसको कोई भी वःतु दे खनी न पड़ती यी; इसिलथे क यहोवा यूसफ ु के साय या; और जो कुछ वह करता या, यहोवा उसको उस म

सफलता दे ता या। उप 40 1 इन बातHके प_ात ् ऐसा हुआ, क िमॐ के राजा के पलानेहारे और पकानेहारे ने अपके ःवामी का कुछ अपराध कया। 2 तब फरौन ने अपके उन दोनHहाकमHपर, अयाOत ् पलानेहारे के ूधान, और पकानेहारHके ूधान पर बोिधत होकर 3 उ(ह कैद कराके, ज`लादHके ूधान के घर के उसी ब(द:गृह म , जहां यूसफ ु ब(धुआ या, डलवा दया। 4 तब ज`लादHके ूधान ने उनको यूसफ ु के हाथ सौपा, और वह उनक सेवा टहल करने लगा: सो वे कुछ दन तक ब(द:गृह म रहे । 5 और िमॐ के राजा का पलानेहारा और पकानेहारा, जो ब(द:गृह म

ब(द थे, उन दोनHने एक ह: रात म , अपके अपके होनहार के अनुसार, ःव€न दे खा। 6 बहान को जब यूसफ ु उनके पास अ(दर गया, तब उन पर उस ने जो l क, तो या दे खता है , क वे उदास हE । 7 सो उस ने फरौन के उन हाकमHसे, जो उसके साय उसके ःवामी के घर के ब(द:गृह म थे, पूछा, क आज तुSहारे मुह ं

यHउदास हE ? 8 उ(हHने उस से कहा, हम दोनो ने ःव€न दे खा है , और उनके फल का बतानेवाला कोई भी नह:ं। यूसफ ु ने उन से कहा, या ःव€नHका फल कहना परमे र का काम नह:ं है ? मुझे अपना अपना ःव€न बताओ। 9 तब पलानेहारHका ूधान अपना ःव€न यूसफ ु को यHबताने लगा: क मE ने ःव€न म

दे खा, क मेरे साSहने एक दाखलता है ; 10 और उस दाखलता म तीन डािलयां हE : और उस म मानो किलयां लगीं हE , और वे फूलीं और उसके गु.छHम दाख लगकर पक गई। 11 और फरौन का कटोरा मेरे हाथ म या: सो मै ने उन दाखHको लेकर फरौन के कटोरे म िनचोड़ा और कटोरे को फरौन के हाथ म दया। 12 यूसफ ु ने उस से कहा, इसका फल यह है ; क तीन डािलयHका अयO तीन दन है : 13 सो अब से तीन दन के भीतर फरौन तेरा िसर ऊंचा करे गा, और फर से ते रे पद पर तुझे िनयुf करे गा, और तू पहले क नाई फरौन का पलानेहारा होकर उसका कटोरा उसके हाथ म फर दया करे गा। 14 सो जब तेरा भला हो जाए तब मुझे ःमरण करना, और मुझ पर कृ पा करके, फरौन से मेर: चचाO चलाना, और इस घर से मुझे छुड़वा दे ना। 15 यHक सचमुच इॄािनयHके दे श से मुझे चुरा कर ले आए हE , और यहां भी मै ने कोई ऐसा काम नह:ं कया, 'जसके कारण मE इस कारागार म

डाला जाऊं। 16 यह दे खकर, क उसके ःव€न का फल अ.छा िनकला, पकानेहारHके ूधान ने यूसफ ु से कहा, मE ने भी ःव€न दे खा है , वह यह है : मै ने दे खा, क मेरे िसर पर सफेद रोट: क तीन टोकgरयां है : 17 और ऊपर क टोकर: म फरौन के िलथे सब ूकार क प क पकाई वःतुएं हE ; और प क मेरे िसर पर क टोकर: म से उन वःतुओं को खा रहे हE । 18 यूसफ ु ने कहा, इसका फल यह है ; क तीन टोकgरयHका अयO तीन दन है । 19 सो अब से तीन दन के भीतर फरौन

तेरा िसर कटवाकर तुझे एक वृझ पर टं गवा दे गा, और प क तेरे मांस को नोच नोच कर खाएंगे। 20 और तीसरे दन फरौन का ज(मदन या, उस ने अपके सब कमOचाgरयHक जेवनार क, और उन म से पलानेहारHके ूधान, और पकानेहारHके ूधान दोनHको ब(द:गृह से िनकलवाया। 21 और पलानेहारHके ूधान को तो पलानेहारे के पद पर फर से िनयुf कया, और वह फरौन के हाथ म कटोरा दे ने लगा। 22 पर पकानेहारHके ूधान को उस ने टं गवा दया, जैसा क यूसफ ु ने उनके ःव€नHका फल उन से कहा या। 23 फर भी पलानेहारHके ूधान ने यूसफ ु को ःमरण न रखा; पर(तु उसे भूल गया।। उप 41 1 पूरे दो बरस के बीतने पर फरौन ने यह ःव€न दे खा, क वह नील नद: के कनारे पर खड़ा है । 2 और उस नद: म से सात सु(दर और मोट: मोट: गाथ

िनकलकर कछार क घास चरने लगीं। 3 और, या दे खा, क उनके पीछे और सात गाथ , जो कुRप और दब ु Oल हE , नद: से िनकली; और दस ू र: गायHके िनकट नद: के तट पर जा खड़: हुई। 4 तब थे कुRप और दब ु Oल गाथ उन सात सु(दर और मोट: मोट: गायHको खा गई। तब फरौन जाग उठा। 5 और वह फर सो गया और दस ू रा ःव€न दे खा, क एक डं ठq म से सात मोट: और अ.छq अ.छq बाल

िनकलीं। 6 और, या दे खा, क उनके पीछे सात बाल पतली और पुरवाई से मुरफाई हुई िनकलीं। 7 और इन पतली बालHने उन सातHमोट: और अ(न से भर: हुई बालHको िनगल िलया। तब फरौन जागा, और उसे मालूम हुआ क यह ःव€न ह: या। 8 भोर को फरौन का मन eयाकुल हुआ; और उस ने िमॐ के सब

GयोितषयH, और प'+डतHको बुलवा भेजा; और उनको अपके ःव€न बताएं; पर उन म से कोई भी उनका फल फरौन से न कह सहा। 9 तब पलानेहारHका ूधान फरौन से बोल उठा, क मेरे अपराध आज मुझे ःमरण आए: 10 जब फरौन अपके दासHसे बोिधत हुआ या, और मुझे और पकानेहारHके ूधान को कैद कराके ज`लादHके ूधान के घर के ब(द:गृह म डाल दया या; 11 तब हम दोनHने, एक ह: रात म , अपके अपके होनहार के अनुसार ःव€न दे खा; 12 और वहां हमारे साय एक इॄी जवान या, जो ज`लादHके ूधान का दास या; सो हम ने उसको बताया, और उस ने हमारे ःव€नHका फल हम से कहा, हम म से एक एक के ःव€न का फल उस ने बता दया। 13 और जैसा जैसा फल उस ने हम से कहा या, वैसा क हुआ भी, अयाOत ् मुझ को तो मेरा पद फर िमला, पर वह फांसी पर लटकाया गया। 14 तब फरौन ने यूसफ ु को बुलवा भेजा। और वह फटपट ब(द:गृह से बाहर िनकाला गया, और बाल बनवाकर, और व\ बदलकर फरौन के साSहने आया। 15 फरौन ने यूसफ ु से कहा, मE ने एक ःव€न दे खा है , और उसके फल का बतानेवाला कोई भी नह:ं; और मE ने तेरे वषय म सुना है , क तू ःव€न सुनते ह: उसका फल बता सकता है । 16 यूसफ ु ने फरौन से कहा, मै तो कुछ नह:ं जानता : परमे र ह: फरौन के िलथे शुभ वचन दे गा। 17 फर फरौन यूसफ ु से कहने लगा, मै ने अपके ःव€न म दे खा, क मE नील नद: के कनारे पर खड़ा हंू 18 फर, या दे खा, क नद: म से सात मोट: और सु(दर सु(दर गाथ िनकलकर कछार क घास चरने लगी। 19 फर, या दे खा, क उनके पीछे सात और गाथ िनकली, जो दब ु ली, और बहुत कुRप, और दब ु Oल हE ; मै ने तो सारे िमॐ दे श म ऐसी कुडौल गाथ कभी नह:ं दे खीं। 20 और इन दब ु Oल और कुडौल गायHने उन पहली सातHमोट:

मोट: गायHको खा िलया। 21 और जब वे उनको खा गई तब यह मालूम नह:ं होता या क वे उनको खा गई हE , यHक वे पहले क नाई जैसी क तैसी कुडौल रह:ं। तब मE जाग उठा। 22 फर मE ने दस ू रा ःव€न दे खा, क एक ह: डं ठq म सात अ.छq अ.छq और अ(न से भर: हुई बाल िनकलीं। 23 फर, या दे खता हंू , क उनके पीछे और सात बाल छूछq छूछq और पतली और पुरवाई से मुरफाई हुई िनकलीं। 24 और इन पतली बालHने उन सात अ.छq अ.छq बालHको िनगल िलया। इसे मE ने GयोितषयHको बताया, पर इस का समझनेहारा कोई नह:ं िमला। 25 तब यूसफ ु ने फरौन से कहा, फरौन का ःव€न एक ह: है , परमे र जो काम कया चाहता है , उसको उस ने फरौन को जताया है । 26 वे सात अ.छq अ.छq गाथ सात वषO हE ; और वे सात अ.छq अ.छq बाल भी सात वषO हE ; ःव€न एक ह: है । 27 फर उनके पीछे जो दब ु Oल और कुडौल गाथ िनकलीं, और जो सात छूछq और पुरवाई से मुरफाई हुई बाल िनकाली, वे अकाल के सात वषO हHगे । 28 यह वह: बात है , जो मE फरौन से कह चुका हंू , क परमे र जो काम कया चाहता है , उसे उस ने फरौन को दखाया है । 29 सुन, सारे िमॐ दे श म सात वषO तो बहुतायत क उपज के हHगे। 30 उनके प_ात ् सात वषO अकाल के आथ गे, और सारे िमॐ दे श म लोग इस सार: उपज को भूल जाथ गे; और अकाल से दे श का नाश होगा। 31 और सुकाल (बहुतायत क उपज) दे श म फर ःमरण न रहे गा यHक अकाल अय(त भयंकर होगा। 32 और फरौन ने जो यह ःव€न दो बार दे खा है इसका भेद यह: है , क यह बात परमे र क ओर से िनयुf हो चुक है , और परमे र इसे शीय ह: पूरा करे गा। 33 इसिलथे अब फरौन कसी समझदार और बुaमान ् पुRष को ढू ं ढ़ करके उसे िमॐ दे श पर ूधानमंऽी ठहराए। 34

फरौन यह करे , क दे श पर अिध कारने'◌यHको िनयुf करे , और जब तक सुकाल के सात वषO रह तब तक वह िमॐ दे श क उपज का पंचमांश िलया करे । 35 और वे इन अ.छे वषJम सब ूकार क भोजनवःतु इक=ठा कर , और नगर नगर म भ+डार घर भोजन के िलथे फरौन के वश म करके उसक रझा कर । 36 और वह भोजनवःतु अकाल के उन सात वषJके िलथे, जो िमॐ दे श म आएंगे, दे श के भोजन के िनिम रखी रहे , 'जस से दे श उस अकाल से ःयानाश न हो जाए। 37 यह बात फरौन और उसके सारे कमOचाgरयHको अ.छq लगी। 38 सो फरौन ने अपके कमOचाgरयHसे कहा, क या हम को ऐसा पुRष जैसा यह है , 'जस म परमे र का आमा रहता है , िमल सकता है ? 39 फर फरौन ने यूसफ ु से कहा, परमे र ने जो तुझे इतना Wान दया है , क तेरे तु`य कोई समझदार और बुaमान ् नह:ं; 40 इस कारण तू मेरे घर का अिध कारनेी होगा, और तेर: आWा के अनुसार मेर: सार: ूजा चलेगी, केवल राजगX: के वषय मE तुझ से बड़ा ठहRंगा। 41 फर फरौन ने यूसफ ु से कहा, सुन, मE तुझ को िमॐ के सारे दे श के ऊपर अिध कारनेी ठहरा दे ता हूं 42 तब फरौन ने अपके हाथ से अंगूठq िनकालके यूसफ ु के हाथ म पहना द:; और उसको बढय़ा मलमल के व\ पहनवा दए, और उसके गले म सोने क जंजीर डाल द:; 43 और उसको अपके दस ू रे रय पर चढ़वाया; और लोग उसके आगे आगे यह ूचार करते चले, क घुटने टे ककर द+डवत करो और उस ने उसको िमॐ के सारे दे श के ऊपर ूधान मंऽी ठहराया। 44 फर फरौन ने यूसफ ु से कहा, फरौन तो मE हंू , और सारे िमॐ दे श म कोई भी तेर: आWा के बना हाथ पांव न हलाएगा। 45 और फरौन ने यूसफ ु का नाम सापन तपाने ् ह रखा। और ओन नगर के याजक पोतीपे रा क बेट:

आसनत से उसका cयाह करा दया। और यूसफ ु िमॐ के सारे दे श म दौरा करने लगा। 46 जब यूसफ ु िमॐ के राजा फरौन के सSमुख खड़ा हुआ, तब वह तीस वषO का या। सो वह फरौन के सSमुख से िनकलकर िमॐ के सारे दे श म दौरा करने लगा। 47 सुकाल के सातHवषJम भूिम बहुतायत से अ(न उपजाती रह:। 48 और यूसफ ु उन सातHवषJम सब ूकार क भोजनवःतुएं, जो िमॐ दे श म होती यीं, जमा करके नगरHम रखता गया, और हर एक नगर के चारHओर के खे तHक भोजनवःतुओं को वह उसी नगर म इक=ठा करता गया। 49 सो यूसफ ु ने अ(न को समुि क बालू के समान अय(त बहुतायत से रािश रािश करके रखा, यहां तक क उस ने उनका िगनना छोड़ दया; यHक वे असं‡य हो गई। 50 अकाल के ूयम वषO के आने से पहले यूसफ ु के दो पुऽ, ओन के याजक पोतीपेरा क बेट: आसनत से ज(मे। 51 और यूसफ ु ने अपके जेठे का नाम यह कहके मनँशे रखा, क परमे र ने मुझ से सारा लेश, और मेरे पता का सारा घराना भुला दया है । 52 और दस ू रे का नाम उस ने यह कहकर एूैम रखा, क मुझे द:ु ख भोगने के दे श म परमे र ने फुलाया फलाया है । 53 और िमॐ दे श के सुकाल के वे सात वषO समाT हो गए। 54 और यूसफ ु के कहने के अनुसार सात वषJके िलथे अकाल आरSभ हो गया। और सब दे शHम अकाल पड़ने लगा; पर(तु सारे िमॐ दे श म

अ(न या। 55 जब िमॐ का सारा दे श भूखHमरने लगा; तब ूजा फरोन से िच`ला िच`लाकर रोट: मांगने लगी : और वह सब िमिॐयHसे कहा करता या, यूसफ ु के पास जाओ: और जो कुछ वह तुम से कहे , वह: करो। 56 सो जब अकाल सार: पृवी पर फैल गया, और िमॐ दे श म काल का भयंकर Rप हो गया, तब यूसफ ु सब भ+डारHको खोल खोलके िमिॐयHके हाथ अ(न बे चने लगा। 57 सो सार:

पृवी के लोग िमॐ म अ(न मोल लेने के िलथे यूसफ ु के पास आने लगे, यHक सार: पृवी पर भयंकर अकाल या। उप 42 1 जब याकूब ने सुना क िमॐ म अ(न है , तब उस ने अपके पुऽHसे कहा, तुम एक दस ं यHदे ख रहे हो। 2 फर उस ने कहा, मE ने सुना है क िमॐ म अ(न ू रे का मुह है ; इसिलथे तुम लोग वहां जाकर हमारे िलथे अ(न मोल ले आओ, 'जस से हम न मर , वरन जीवत रह । 3 सो यूसफ ु के दस भाई अ(न मोल लेने के िलथे िमॐ को गए। 4 पर यूसफ ु के भाई ब(यामीन को याकूब ने यह सोचकर भाइयHके साय न भेजा, क कह:ं ऐसा न हो क उस पर कोई वप आ पके। 5 सो जो लोग अ(न मोल लेने आए उनके साय इॐाएल के पुऽ भी आए; यHक कनान दे श म भी भार: अकाल या। 6 यूसफ ु तो िमॐ दे श का अिध कारनेी या, और उस दे श के सब लोगHके हाथ वह: अ(न बेचता या; इसिलथे जब यूसफ ु के भाई आए तब भूिम पर मुह ं के बल िगरके द+डवत ् कया। 7 उनको दे खकर यूसफ ु ने पहचान तो िलया, पर(तु उनके साSहने भोला बनके कठोरता के साय उन से पूछा, तुम कहां से आते हो? उ(हHने कहा, हम तो कनान दे श से अ(न मोल लेने के िलथे आए हE । 8 यूसफ ु ने तो अपके भाइयHको पहचान िलया, पर(तु उ(हHने उसको न पहचाना। 9 तब यूसफ ु अपके उन ःव€नHको ःमरण करके जो उस ने उनके वषय म दे खे थे, उन से कहने लगा, तुम भेदए हो; इस दे श क दद ु O शा को दे खने के िलथे आए हो। 10 उ(हHने उस से कहा, नह:ं, नह:ं, हे ूभु, तेरे दास भोजनवःतु मोल लेने के िलथे आए हE । 11 हम सब एक ह: पता के पुऽ हE , हम सीधे मनुंय हE , तेरे दास भेदए

नह:ं। 12 उस ने उन से कहा, नह:ं नह:ं, तुम इस दे श क दद ु O शा दे खने ह: को आए हो। 13 उ(हHने कहा, हम तेरे दास बारह भाई हE , और कनान दे शवासी एक ह: पुRष के पुऽ हE , और छोटा इस समय हमारे पता के पास है , और एक जाता रहा। 14 तब यूसफ ु ने उन से कहा, मE ने तो तुम से कह दया, क तुम भेदए हो; 15 सो इसी र:ित से तुम परखे जाओगे , फरौन के जीवन क शपय, जब तक तुSहारा छोटा भाई यहां न आए तब तक तुम यहां से न िनकलने पाओगे। 16 सो अपके म

से एक को भेज दो, क वह तुSहारे भाई को ले आए, और तुम लोग ब(धुवाई म

रहोगे; इस ूकार तुSहार: बात परखी जाएंगी, क तुम म स.चाई है क नह:ं। यद स.चे न ठहरे तब तो फरौन के जीवन क शपय तुम िन_य ह: भेदए समझे जाओगे। 17 तब उस ने उनको तीन दन तक ब(द:गृह म रखा। 18 तीसरे दन यूसफ ु ने उन से कहा, एक काम करो तब जीवत रहोगे ; यHक मE परमे र का भय मानता हंू ; 19 यद तुम सीधे मनुंय हो, तो तुम सब भाइयHम से एक जन इस ब(द:गृह म ब(धुआ रहे ; और तुम अपके घरवालHक भूख बुफाने के िलथे अ(न ले जाओ। 20 और अपके छोटे भाई को मेरे पास ले आओ; इस ूकार तुSहार: बात स.ची ठहर गी, और तुम मार डाले न जाओगे। तब उ(हHने वैसा ह: कया। 21 उ(हHने आपस म कहा, िनः(दे ह हम अपके भाई के वषय म दोषी हE , यHक जब उस ने हम से िगड़िगड़ाके बनती क, तौभी हम ने यह दे खकर, क उसका जीवन केसे संकट म पड़ा है , उसक न सुनी; इसी कारण हम भी अब इस संकट म पके हE । 22 Rबेन ने उन से कहा, या मE ने तुम से न कहा या, क लड़के के अपराधी मत बनो? पर(तु तुम ने न सुना : दे खो, अब उसके लोहू का पलटा दया जाता है । 23 यूसफ ु क और उनक बातचीत जो एक दभ ु ाषया के kारा होती

यी; इस से उनको मालूम न हुआ क वह उनक बोली समझता है । 24 तब वह उनके पास से हटकर रोने लगा; फर उनके पास लौटकर और उन से बातचीत करके उन म से िशमोन को छांट िनकाला और उसके साSहने ब(धुआ रखा। 25 तब यूसफ ु ने आWा द:, क उनके बोरे अ(न से भरो और एक एक जन के बोरे म

उसके Rपके को भी रख दो, फर उनको मागO के िलथे सीधा दो : सो उनके साय ऐसा ह: कया गया। 26 तब वे अपना अ(न अपके गदहHपर लादकर वहां से चल दए। 27 सराय म जब एक ने अपके गदहे को चारा दे ने के िलथे अपना बोरा खोला, तब उसका Rपया बोरे के मोहड़े पर रखा हुआ दखलाई पड़ा। 28 तब उस ने अपके भाइयHसे कहा, मेरा Rपया तो फेर दया गया है , दे खो, वह मेरे बोरे म है ; तब उनके जी म जी न रहा, और वे एक दस ू रे क और भय से ताकने लगे, और बोले, परमे र ने यह हम से या कया है ? 29 और वे कनान दे श म अपके पता याकूब के पास आए, और अपना सारा वृा(त उस से इस ूकार वणOन कया : 30 क जो पुRष उस दे श का ःवामी है , उस ने हम से कठोरता के साय बात कं, और हम को दे श के भेदए कहा। 31 तब हम ने उस से कहा, हम सीधे लोग हE , भेदए नह:ं। 32 हम बारह भाई एक ह: पता के पुऽ है , एक तो जाता रहा, पर(तु छोटा इस समय कनान दे श म हमारे पता के पास है । 33 तब उस पुRष ने, जो उस दे श का ःवामी है , हम से कहा, इस से मालूम हो जाएगा क तुम सीधे मनुंय हो; तुम अपके म से एक को मेरे पास छोड़के अपके घरवालHक भूख बुफाने के िलथे कुछ ले जाओ। 34 और अपके छोटे भाई को मेरे पास ले आओ। तब मुझे व ास हो जाएगा क तुम भेदए नह:ं, सीधे लोग हो। फर मE तुSहारे भाई को तुSह सxप दं ग ू ा, और तुम इस दे श म लेन दे न कर सकोगे। 35 यह कहकर वे अपके अपके

बोरे से अ(न िनकालने लगे, तब, या दे खा, क एक एक जन के Rपके क यैली उसी के बोरे म रखी है : तब Rपके क यैिलयHको दे खकर वे और उनका पता बहुत डर गए। 36 तब उनके पता याकूब ने उन से कहा, मुझ को तुम ने िनव{श कर दया, दे खो, यूसफ ु नह:ं रहा, और िशमोन भी नह:ं आया, और अब तुम ब(यामीन को भी ले जाना चाहते हो : थे सब वपयां मेरे ऊपर आ प क हE । 37 Rबेन ने अपके पता से कहा, यद मE उसको तेरे पास न लाऊं, तो मेरे दोनHपुऽHको मार डालना; तू उसको मेरे हाथ म सxप दे , मE उसे तेरे पास फर पहंु चा दं ग ू ा। 38 उस ने कहा, मेरा पुऽ तुSहारे संग न जाएगा; यHक उसका भाई मर गया है , और वह अब अकेला रह गया : इसिलथे 'जस मागO से तुम जाओगे, उस म यद उस पर कोई वप आ पके, तब तो तुSहारे कारण मE इस बुढ़ापे क अवःया म शोक के साय अधोलोक म उतर जाऊंगा।। उप 43 1 और अकाल दे श म और भी भयंकर होता गया। 2 जब वह अ(न जो वे िमॐ से ले आए थे समाT हो गया तब उनके पता ने उन से कहा, फर जाकर हमारे िलथे योड़: सी भोजनवःतु मोल ले आओ। 3 तब यहूदा ने उस से कहा, उस पुRष ने हम को िचतावनी दे कर कहा, क यद तुSहारा भाई तुSहारे संग न आए, तो तुम मेरे सSमुख न आने पाओगे। 4 इसिलथे यद तू हमारे भाई को हमारे संग भेजे, तब तो हम जाकर तेरे िलथे भोजनवःतु मोल ले आएंगे; 5 पर(तु यद तू उसको न भेजे, तो हम न जाएंगे : यHक उस पुRष ने हम से कहा, क यद तुSहारा भाई तुSहारे संग न हो, तो तुम मेरे सSमुख न आने पाओगे। 6 तब इॐाएल ने

कहा, तुम ने उस पुRष को यह बताकर क हमारा एक और भाई है , यHमुझ से बुरा बताOव कया ? 7 उ(हHने कहा, जब उस पुRष ने हमार: और हमारे कुटु 'SबयHक दशा को इस र:ित पूछा, क या तुSहारा पता अब तक जीवत है ? या तुSहारे कोई और भाई भी है ? तब हम ने इन ूoHके अनुसार उस से वणOन कया; फर हम या जानते थे क वह कहे गा, क अपके भाई को यहां ले आओ। 8 फर यहूदा ने अपके पता इॐाएल से कहा, उस लड़के को मेरे संग भेज दे , क हम चले जाएं; इस से हम, और तू, और हमारे बालब.चे मरने न पाएंगे, वरन जीवत रह गे। 9 मE उसका जािमन होता हंू ; मेरे ह: हाथ से तू उसको फेर लेना: यद मE उसको तेरे पास पहंु चाकर साSहने न खड़ाकर दं ,ू तब तो मE सदा के िलथे तेरा अपराधी ठहRंगा। 10 यद हम लोग वलSब न करते, तो अब तब दस ू र: बार लौट आते। 11 तब उनके पता इॐाएल ने उन से कहा, यद सचमुच ऐसी ह: बात है , तो यह करो; इस दे श क उम उम वःतुओं म से कुछ कुछ अपके बोरHम

उस पुRष के िलथे भ ट ले जाओ : जैसे योड़ा सा बलसान, और योड़ा सा मधु, और कुछ सुग(ध िeय, और ग(धरस, पःते , और बादाम। 12 फर अपके अपके साय दन ं पर रखकर फेर दया ू ा Rपया ले जाओ; और जो Rपया तुSहारे बोरHके मुह गया या, उसको भी लेते जाओ; कदािचत ् यह भूल से हुआ हो। 13 और अपके भाई को भी संग लेकर उस पुRष के पास फर जाओ, 14 और सवOशfमान ई र उस पुRष को तुम पर दयालु करे गा, 'जस से क वह तुSहारे दस ू रे भाई को और ब(यामीन को भी आने दे : और यद मE िनव{श हुआ तो होने दो। 15 तब उन मनुंयHने वह भ ट, और दन ू ा Rपया, और ब(यामीन को भी संग िलया, और चल दए और िमॐ म पहंु चकर यूसफ ु के साSहने खड़े हुए। 16 उनके साय ब(यामीन

को दे खकर यूसफ ु ने अपके घर के अिध कारनेी से कहा, उन मनुंयHको घर म

पहुंचा दो, और पशु मारके भोजन तैयार करो; यHक वे लोग दोपहर को मेरे संग भोजन कर गे। 17 तब वह अिध कारनेी पुRष यूसफ ु के कहने के अनुसार उन पुRषHको यूसफ ु के घर म ले गया। 18 जब वे यूसफ ु के घर को पहंु चाए गए तब वे आपस म डरकर कहने लगे, क जो Rपया पहली बार हमारे बोरHम फेर दया गया या, उसी के कारण हम भीतर पहुंचाए गए हE ; 'जस से क वह पुRष हम पर टू ट पके, और हम वंश म करके अपके दास बनाए, और हमारे गदहHको भी छqन ले। 19 तब वे यूसफ ु के घर के अिध कारनेी के िनकट जाकर घर के kार पर इस ूकार कहने लगे, 20 क हे हमारे ूभु, जब हम पहली बार अ(न मोल लेने को आए थे, 21 तब हम ने सराय म पहुंचकर अपके बोरHको खोला, तो या दे खा, क एक एक जन का पूरा पूरा Rपया उसके बोरे के मुह ं म रखा है ; इसिलथे हम उसको अपके साय फर लेते आए हE । 22 और दस ू रा Rपया भी भोजनवःतु मोल लेने के िलथे लाए हE ; हम नह:ं जानते क हमारा Rपया हमारे बोरHम कस ने रख दया या। 23 उस ने कहा, तुSहारा कुशल हो, मत डरो: तुSहारा परमे र, जो तुSहारे पता का भी परमे र है , उसी ने तुम को तुSहारे बोरHम धन दया होगा, तुSहारा Rपया तो मुझ को िमल गया या: फर उस ने िशमोन को िनकालकर उनके संग कर दया। 24 तब उस जन ने उन मनुंयHको यूसफ ु के घर म ले जाकर जल दया, तब उ(हHने अपके पांवHको धोया; फर उस ने उनके गदहHके िलथे चारा दया। 25 तब यह सुनकर, क आज हम को यह:ं भोजन करना होगा, उ(हHने यूसफ ु के आने के समय तक, अयाOत ् दोपहर तक, उस भ ट को इक=ठा कर रखा। 26 जब यूसफ ु घर आया तब वे उस भ ट को , जो उनके हाथ म यी, उसके सSमुख

घर म ले गए, और भूिम पर िगरकर उसको द+डवत ् कया। 27 उस ने उनका कुशल पूछा, और कहा, या तुSहारा बूढ़ा पता, 'जसक तुम ने चचाO क यी, कुशल से है ? या वह अब तक जीवत है ? 28 उ(हHने कहा, हां तेरा दास हमारा पता कुशल से है और अब तक जीवत है ; तब उ(हHने िसर फुकाकर फर द+डवत ् कया। 29 तब उस ने आंखे उठाकर और अपके सगे भाई ब(यामीन को दे खकर पूछा, या तुSहारा वह छोटा भाई, 'जसक चचाO तुम ने मुझ से क यी, यह: है ? फर उस ने कहा, हे मेरे पुऽ, परमे र तुझ पर अनुमह करे । 30 तब अपके भाई के ःनेह से मन भर आने के कारण और यह सोचकर, क मE कहां जाकर रोऊं, यूसफ ु फुतh से अप क कोठर: म गया, और वहां रो पड़ा। 31 फर अपना मुह ं धोकर िनकल आया, और अपके को शांत कर कहा, भोजन परोसो। 32 तब उ(हHने उसके िलथे तो अलग, और भाइयHके िलथे भी अलग, और जो िमॐी उसके संग खाते थे, उनके िलथे भी अलग, भोजन परोसा; इसिलथे क िमॐी इॄयHके साय भोजन नह:ं कर सकते, वरन िमॐी ऐसा करना घृणा समझते थे। 33 सो यूसफ ु के भाई उसके साSहने, बड़े बड़े पहले, और छोटे छोटे पीछे , अप क अप क अवःया के अनुसार, बम से बैठाए गए: यह दे ख वे व'ःमत ् होकर एक दस ु अपके साSहने से ू रे क ओर दे खने लगे । 34 तब यूसफ भोजन-वःतुएं उठा उठाके उनके पास भेजने लगा, और ब(यामीन को अपके भाइयHसे पचगुणी अिधक भोजनवःतु िमली। और उ(हHने उसके संग मनमाना खाया पया। उप 44

1 तब उस ने अपके घर के अिध कारनेी को आWा द:, क इन मनुंयHके बोरHम

'जतनी भोजनवःतु समा सके उतनी भर दे , और एक एक जन के Rपके को उसके बोरे के मुह ं पर रख दे । 2 और मेरा चांद: का कटोरा छोटे के बोरे के मुह ं पर उसके अ(न के Rपके के साय रख दे । यूसफ ु क इस आWा के अनुसार उस ने कया। 3 बहान को भोर होते ह: वे मनुंय अपके गदहHसमेत वदा कए गए। 4 वे नगर से िनकले ह: थे, और दरू न जाने पाए थे, क यूसफ ु ने अपके घर के अिध कारनेी से कहा, उन मनुंयHका पीछा कर, और उनको पाकर उन से कह, क तुम ने भलाई क स(ती बुराई यHक है ? 5 या यह वह वःतु नह:ं 'जस म

मेरा ःवामी पीता है , और 'जस से वह शकुन भी वचारा करता है ? तुम ने यह जो कया है सो बुरा कया। 6 तब उस ने उ(ह जा िलया, और ऐसी ह: बात उन से कह:ं। 7 उ(हHने उस से कहा, हे हमारे ूभु, तू ऐसी बात यHकहता है ? ऐसा काम करना तेरे दासHसे दरू रहे । 8 दे ख जो Rपया हमारे बोरHके मुह ं पर िनकला या, जब हम ने उसको कनान दे श से ले आकर तुझे फेर दया, तब, भला, तेरे ःवामी के घर म से हम कोई चांद: वा सोने क वःतु यHकर चुरा सकते हE ? 9 तेरे दासHम

से 'जस कसी के पास वह िनकले, वह मार डाला जाए, और हम भी अपके उस ूभु के दास जो जाएं। 10 उस ने कहा तुSहारा ह: कहना सह:, 'जसके पास वह िनकले सो मेरा दास होगा; और तुम लोग िनरपराध ठहरोगे। 11 इस पर वे फुतh से अपके अपके बोरे को उतार भूिम पर रखकर उ(ह खोलने लगे। 12 तब वह ढू ं ढ़ने लगा, और बड़े के बोरे से लेकर छोटे के बोरे तक खोज क : और कटोरा ब(यामीन के बोरे म िमला। 13 तब उ(हHने अपके अपके व\ फाड़े , और अपना अपना गदहा लादकर नगर को लौट गए। 14 जब यहूदा और उसके भाई यूसफ ु

के घर पर पहंु चे, और यूसफ ु वह:ं या, तब वे उसके साSहने भूिम पर िगरे । 15 यूसफ ु ने उन से कहा, तुम लोगHने यह कैसा काम कया है ? या तुम न जानते थे, क मुझ सा मनुंय शकुन वचार सकता है ? 16 यहूदा ने कहा, हम लोग अपके ूभु से या कह ? हम या कहकर अपके को िनदzषी ठहराएं ? परमे र ने तेरे दासHके अधमO को पकड़ िलया है : हम, और 'जसके पास कटोरा िनकला वह भी, हम सब के सब अपके ूभु के दास ह: हE । 17 उस ने कहा, ऐसा करना मुझ से दरू रहे : 'जस जन के पास कटोरा िनकला है , वह: मेरा दास होगा; और तुम लोग अपके पता के पास कुशल झेम से चले जाओ। 18 तब यहूदा उसके पास जाकर कहने लगा, हे मेरे ूभु, तेरे दास को अपके ूभु से एक बात कहने क आWा हो, और ते रा कोप तेरे दास पर न भड़के; तू तो फरौन के तु`य है । 19 मेरे ूभु ने अपके दासHसे पूछा या, क या तुSहारे पता वा भाई हE ? 20 और हम ने अपके ूभु से कहा, हां, हमारा बूढ़ा पता तो है , और उसके बुढ़ापे का एक छोटा सा बालक भी है , पर(तु उसका भाई मर गया है , इसिलथे वह अब अप क माता का अकेला ह: रह गया है , और उसका पता उस से ःनेह रखता है । 21 तब तू ने अपके दासHसे कहा या, क उसको मेरे पास ले आओ, 'जस से मE उसको दे खूं। 22 तब हम ने अपके ूभु से कहा या, क वह लड़का अपके पता को नह:ं छोड़ सकता; नह:ं तो उसका पता मर जाएगा। 23 और तू ने अपके दासHसे कहा, यद तुSहारा छोटा भाई तुSहारे संग न आए, तो तुम मेरे सSमुख फर न आने पाओगे । 24 सो जब हम अपके पता तेरे दास के पास गए, तब हम ने उस से अपके ूभु क बात कह:ं। 25 तब हमारे पता ने कहा, फर जाकर हमारे िलथे योड़: सी भोजनवःतु मोल ले आओ। 26 हम ने कहा, हम नह:ं जा सकते, हां, यद

हमारा छोटा भाई हमारे संग रहे , तब हम जाएंगे : यHक यद हमारा छोटा भाई हमारे संग न रहे , तो उस पुRष के सSमुख न जाने पाएंगे। 27 तब तेरे दास मेरे पता ने हम से कहा, तुम तो जानते हो क मेर: \ी से दो पुऽ उप(न हुए। 28 और उन म से एक तो मुझे छोड़ ह: गया, और मE ने िन_य कर िलया, क वह फाड़ डाला गया होगा ; और तब से मE उसका मुह ं न दे ख पाया 29 सो यद तुम इसको भी मेर: आंख क आड़ म ले जाओ, और कोई वप इस पर पके, तो तुSहारे कारण मE इस प के बाल क अवःया म द:ु ख के साय अधोलोक म उतर जाऊंगा। 30 सो जब मE अपके पता ते रे दास के पास पहंु च,ूं और यह लड़का संग न रहे , तब, उसका ूाण जो इसी पर अटका रहता है , 31 इस कारण, यह दे खके क लड़का नह:ं है , वह तुर(त ह: मर जाएगा। तब ते रे दासHके कारण तेरा दास हमारा पता, जो प के बालHक अवःया का है , शोक के साय अधोलोक म उतर जाएगा। 32 फर तेरा दास अपके पता के यहां यह कहके इस लड़के का जािमन हुआ है , क यद मE इसको तेरे पास न पहंु चा दं ,ू तब तो मE सदा के िलथे तेरा अपराधी ठहRंगा। 33 सो अब तेरा दास इस लड़के क स(ती अपके ूभु का दास होकर रहने क आWा पाए, और यह लड़का अपके भाइयHके संग जाने दया जाए। 34 यHक लड़के के बना संग रहे मE कयHकर अपके पता के पास जा सकूंगा; ऐसा न हो क मेरे पता पर जो द:ु ख पकेगा वह मुझे दे खना पके।। उप 45 1 तब यूसफ ु उन सब के साSहने, जो उसके आस पास खड़े थे, अपके को और रोक न सका; और पुकार के कहा, मेरे आस पास से सब लोगHको बाहर कर दो।

भाइयHके साSहने अपके को ूगट करने के समय यूसफ ु के संग और कोई न रहा। 2 तब वह िच`ला िच`लाकर रोने लगा : और िमिॐयHने सुना, और फरौन के घर के लोगHको भी इसका समाचार िमला। 3 तब यूसफ ु अपके भाइयHसे कहने लगा, मE यूसफ ु हंू , या मेरा पता अब तब जीवत है ? इसका उर उसके भाई न दे सके; यHक वे उसके साSहने घबरा गए थे। 4 फर यूसफ ु ने अपके भाइयHसे कहा, मेरे िनकट आओ। यह सुनकर वे िनकट गए। फर उस ने कहा, मE तुSहारा भाई यूसफ ु हंू , 'जसको तुम ने िमॐ आनेहारHके हाथ बेच डाला या। 5 अब तुम लोग मत पछताओ, और तुम ने जो मुझे यहां बेच डाला, इस से उदास मत हो; यHक परमे र ने तुSहारे ूाणHको बचाने के िलथे मुझे आगे से भेज दया है । 6 यHक अब दो वषO से इस दे श म अकाल है ; और अब पांच वषO और ऐसे ह: हHगे, क उन म न तो हल चलेगा और न अ(न काटा जाएगा। 7 सो परमे र ने मुझे तुSहारे आगे इसी िलथे भेजा, क तुम पृवी पर जीवत रहो, और तुSहारे ूाणHके बचने से तुSहारा वंश बढ़े । 8 इस र:ित अब मुझ को यहां पर भेजनेवाले तुम नह:ं, परमे र ह: ठहरा: और उसी ने मुझे फरौन का पता सा, और उसके सारे घर का ःवामी, और सारे िमॐ दे श का ूभु ठहरा दया है । 9 सो शीय मेरे पता के पास जाकर कहो, ते रा पुऽ यूसफ ु इस ूकार कहता है , क परमे र ने मुझे सारे िमॐ का ःवामी ठहराया है ; इसिलथे तू मेरे पास बना वलSब कए चला आ। 10 और तेरा िनवास गोशेन दे श म होगा, और तू, बेटे, पोतH, भेड़-बकgरयH, गाय-बैलH, और अपके सब कुछ समेत मेरे िनकट रहे गा। 11 और अकाल के जो पांच वषO और हHगे , उन म मै वह:ं तेरा पालन पोषण कRंगा; ऐसा न हो क तू, और तेरा घराना, वरन 'जतने तेरे हE , सो भूखHमर । 12 और तुम अप क आंखHसे दे खते हो,

और मेरा भाई ब(यामीन भी अप क आंखHसे दे खता है , क जो हम से बात कर रहा है सो यूसफ ु है । 13 और तुम मेरे सब वभव का, जो िमॐ म है और जो कुछ तुम ने दे खा है , उस सब को मेरे पता से वणOन करना; और तुर(त मेरे पता को यहां ले आना। 14 और वह अपके भाई ब(यामीन के गले से िलपटकर रोया; और ब(यामीन भी उसके गले से िलपटकर रोया। 15 तब वह अपके सब भाइयHको चूमकर उन से िमलकर रोया : और इसके प_ात ् उसके भाई उस से बात करने लगे।। 16 इस बात क चचाO, क यूसफ ु के भाई आए हE , फरौन के भवन तब पंहुच गई, और इस से फरौन और उसके कमOचार: ूस(न हुए। 17 सो फरौन ने यूसफ ु से कहा, अपके भाइयHसे कह, क एक काम करो, अपके पशुओं को लादकर कनान दे श म चले जाओ। 18 और अपके पता और अपके अपके घर के लोगHको लेकर मेरे पास आओ; और िमॐ दे श म जो कुछ अ.छे से अ.छा है वह मE तुSह

दं ग ू ा, और तुSह दे श के उम से उम पदायO खाने को िमल गे। 19 और तुझे आWा िमली है , तुम एक काम करो, क िमॐ दे श से अपके बालब.चHऔर '\यHके िलथे गाडय़Hले जाओ, और अपके पता को ले आओ। 20 और अप क साममी का मोह न करना; यHक सारे िमॐ दे श म जो कुछ अ.छे से अ.छा है सो तुSहारा है । 21 और इॐाएल के पुऽHने वैसा ह: कया। और यूसफ ु ने फरौन क मानके उ(ह गाडय़Hद:, और मागO के िलथे सीधा भी दया। 22 उन म से एक एक जन को तो उस ने एक एक जोड़ा व\ भी दया; और ब(यामीन को तीन सौ Rपे के टु कड़े और पांच जोड़े व\ दए। 23 और अपके पता के पास उस ने जो भेजा वह यह है , अयाOत ् िमॐ क अ.छq वःतुओं से लदे हुए दस गदहे , और अ(न और रोट: और उसके पता के मागO के िलथे भोजनवःतु से लद: हुई दस

गदहयां। 24 और उस ने अपके भाइयHको वदा कया, और वे चल दए; और उस ने उन से कहा, मागO म कह:ं फगड़ा न करना। 25 िमॐ से चलकर वे कनान दे श म अपके पता याकूब के पास पहुचे। 26 और उस से यह वणOन कया, क यूसफ ु अब तक जीवत है , और सारे िमॐ दे श पर ूभुता वह: करता है । पर उस ने उनक ूतीित न क, और वह अपके आपे म न रहा। 27 तब उ(हHने अपके पता याकूब से यूसफ ु क सार: बात , जो उस ने उन से कह:ं यी, कह द:ं; जब उस ने उन गाडय़Hको दे खा, जो यूसफ ु ने उसके ले आने के िलथे भेजीं यीं, तब उसका िच 'ःयर हो गया। 28 और इॐाएल ने कहा, बस, मेरा पुऽ यूसफ ु अब तक जीवत है : मE अप क मृयु से पहले जाकर उसको दे खं◌ूगा।। उप 46 1 तब इॐाएल अपना सब कुछ लेकर कूच करके बेशब  ा को गया, और वहां अपके पता इसहाक के परमे र को बिलदान चढ़ाए। 2 तब परमे र ने इॐाएल से रात को दशOन म कहा, हे याकूब हे याकूब। उस ने कहा, या आWा। 3 उस ने कहा, मE ई र तेरे पता का परमे र हूं, तू िमॐ म जाने से मत डर; यHक मE तुझ से वहां एक बड़: जाित बनाऊंगा। 4 मE तेरे संग संग िमॐ को चलता हंू ; और मE तुझे वहां से फर िन_य ले आऊंगा; और यूसफ ु अपना हाथ तेर: आंखHपर लगाएगा। 5 तब याकूब बेशब  ा से चला: और इॐाएल के पुऽ अपके पता याकूब, और अपके बाल-ब.चH, और '\यHको उन गाडय़Hपर, जो फरौन ने उनके ले आने को भेजी यी, चढ़ाकर चल पके। 6 और वे अप क भेड़-बकर:, गाय-बैल, और कनान दे श म अपके इक=ठा कए हुए सारे धन को लेकर िमॐ म आए। 7 और याकूब अपके

बे टे-बे टयH, पोते -पोितयH, िनदान अपके वंश भर को अपके संग िमॐ म ले आया।। 8 याकूब के साय जो इॐाएली, अयाOत ् उसके बेटे, पोते, आद िमॐ म

आए, उनके नाम थे हE : याकूब का जेठा तो Rबेन या। 9 और Rबेन के पुऽ, हनोक, पललू, हे ॐोन, और कSमh थे। 10 और िशमोन के पुऽ, यमूएल, यामीन, ओहद, याकन, सोहर, और एक कनानी \ी से ज(मा हुआ शाऊल भी या। 11 और लेवी के पुऽ, गेशzन, कहात, और मरार: थे। 12 और यहूदा के एर, ओनान, शेला, पेरेस, और जेरह नाम पुऽ हुए तो थे; पर एर और ओनान कनान दे श म मर गए थे। 13 और इःसाकार के पुऽ, तोला, पुcबा, योब और िशॆोन थे। 14 और जबूलन ू के पुऽ, सेरेद, एलोन, और यहलेल थे। 15 िलआ: के पुऽ, जो याकूब से पXनराम म

उप(न हुए थे, उनके बेटे पोते थे ह: थे, और इन से अिधक उस ने उसके साय एक बेट: द:ना को भी ज(म दया : यहां तक तो याकूब के सब वंशवाले तEतीस ूाणी हुए। 16 फर गाद के पुऽ, िसयोन, हाbगी, शूनी, एसबोन, एर:, अरोद:, और अरे ली थे। 17 और आशेर के पुऽ, ियSना, िय ा, िय\ी, और बर:आ थे, और उनक बहन सेरह यी। और बर:आ के पुऽ, हे बेर और म`कएल थे। 18 'ज`पा, 'जसे लाबान ने अप क बेट: िलआ� को दया या, उसके बेटे पोते आद थे ह: थे; सो उसके kारा याकूब के सोलह ूाणी उप(न हुए।। 19 फर याकूब क प^ी राहे ल के पुऽ यूसफ ु और ब(यामीन थे। 20 और िमॐ दे श म ओन के याजक पोतीपेरा क बेट: आसनत से यूसफ ु के थे पुऽ उप(न हुए, अयाOत ् मनँशे और एूैम। 21 और ब(यामीन के पुऽ, बेला, बेकेर, अँबेल, गेरा, नामान, एह:, रोश, मु€पीम, हु€पीम, और आदO थे। 22 राहे ल के पुऽ जो याकूब से उप(न हुए उनके थे ह: पुऽ थे; उसके थे सब बे टे पोते चौदह ूाणी हुए। 23 फर दान का पुऽ हुशीम

या। 24 और नTाली के पुऽ, यहसेल, गूनी, सेसेर, और िश`लेम थे। 25 ब`हा, 'जसे लाबान ने अप क बेट: राहे ल को दया, उस के बेटे पोते थे ह: हE ; उसके kारा याकूब के वंश म सात ूाणी हुए। 26 याकूब के िनज वंश के जो ूाणी िमॐ म

आए, वे उसक बहुओं को छोड़ सब िमलकर िछयासठ ूाणी हुए। 27 और यूसफ ु के पुऽ, जो िमॐ म उस से उप(न हुए, वे दो ूाणी थे : इस ूकार याकूब के घराने के जो ूाणी िमॐ म आए सो सब िमलकर सर हुए।। 28 फर उस ने यहूदा को अपके आगे यूसफ ु के पास भेज दया, क वह उसको गोशेन का मागO दखाए; और वे गोशेन दे श म आए। 29 तब यूसफ ु अपना रय जुतवाकर अपके पता इॐाएल से भ ट करने के िलथे गोशेन दे श को गया, और उस से भ ट करके उसके गले से िलपटा हुआ रोता रहा। 30 तब इॐाएल ने यूसफ ु से कहा, मै अब मरने से भी ूस(न हंू , यHक तुझे जीवत पाया और ते रा मुह ं दे ख िलया। 31 तब यूसफ ु ने अपके भाइयHसे और अपके पता के घराने से कहा, मE जाकर फरौन को यह समाचार दं ग ू ा, क मेरे भाई और मेरे पता के सारे घराने के लोग, जो कनान दे श म रहते थे, वे मेरे पास आ गए हE । 32 और वे लोग चरवाहे हE , यHक वे पशुओं को पालते आए हE ; इसिलथे वे अप क भेड़-बकर:, गाय-बैल, और जो कुछ उनका है , सब ले आए हE । 33 जब फरौन तुम को बुलाके पूछे, क तुSहारा उrम या है ? 34 तब यह कहना क तेरे दास लड़कपन से लेकर आज तक पशुओं को पालते आए हE , वरन हमारे पुरखा भी ऐसा ह: करते थे। इस से तुम गोशेन दे श म रहने पाओगे; यHक सब चरवाहHसे िमॐी लोग घृणा करते हE ।। उप 47

1 तब यूसफ ु ने फरौन के पास जाकर यह समाचार दया, क मेरा पता और मेरे भाई, और उनक भेड़-बकgरयां, गाय-बैल और जो कुछ उनका है , सब कनान दे श से आ गया है ; और अभी तो वे गोशेन दे श म हE । 2 फर उस ने अपके भाइयHम से पांच जन लेकर फरौन के साSहने खड़े कर दए। 3 फरौन ने उसके भाइयHसे पूछा, तुSहारा उrम या है ? उ(हHने फरौन से कहा, ते रे दास चरवाहे हE , और हमारे पुरखा भी ऐसे ह: रहे । 4 फर उ(हHने फरौन से कहा, हम इस दे श म

परदे शी क भांित रहने के िलथे आए हE ; यHक कनान दे श म भार: अकाल होने के कारण तेरे दासHको भेड़-बकgरयHके िलथे चारा न रहा : सो अपके दासHको गोशेन दे श म रहने क आWा दे । 5 तब फरौन ने यूसफ ु से कहा, तेरा पता और तेरे भाई तेरे पास आ गए हE , 6 और िमॐ दे श तेरे साSहने पड़ा है ; इस दे श का जो सब से अ.छा भाग हो, उस म अपके पता और भाइयHको बसा दे ; अयाOत ् वे गोशेन ह: दे श म रह : और यद तू जानता हो, क उन म से पgरnमी पुRष हE , तो उ(ह मेरे पशुओं के अिध कारनेी ठहरा दे । 7 तब यूसफ ु ने अपके पता याकूब को ले आकर फरौन के सSमुख खड़ा कया : और याकूब ने फरौन को आशीवाOद दया। 8 तब फरौन ने याकूब से पूछा, तेर: अवःया कतने दन क हुई है ? 9 याकूब ने फरौन से कहा, मE तो एक सौ तीस वषO परदे शी होकर अपना जीवन बीता चुका हंू ; मेरे जीवन के दन योड़े और द:ु ख से भरे हुए भी थे, और मेरे बापदादे परदे शी होकर 'जतने दन तक जीवत रहे उतने दन का मE अभी नह:ं हुआ। 10 और याकूब फरौन को आशीवाOद दे कर उसके सSमुख से चला गया। 11 तब यूसफ ु ने अपके पता और भाइयHको बसा दया, और फरौन क आWा के अनुसार िमॐ दे श के अ.छे से अ.छे भाग म , अयाOत ् रामसेस नाम दे श म , भूिम

दे कर उनको सxप दया। 12 और यूसफ ु अपके पता का, और अपके भाइयHका, और पता के सारे घराने का, एक एक के बालब.चHके घराने क िगनती के अनुसार, भोजन दला दलाकर उनका पालन पोषण करने लगा।। 13 और उस सारे दे श म खाने को कुछ न रहा; यHक अकाल बहुत भार: या, और अकाल के कारण िमॐ और कनान दोनHदे श नाश हो गए। 14 और 'जतना Rपया िमॐ और कनान दे श म या, सब को यूसफ ु ने उस अ(न क स(ती जो उनके िनवासी मोल लेते थे इक=ठा करके फरौन के भवन म पहंु चा दया। 15 जब िमॐ और कनान दे श का Rपया चुक गया, तब सब िमॐी यूसफ ु के पास आ आकर कहने लगे, हम को भोजनवःतु दे , या हम Rपके के न रहने से तेरे रहते हुए मर जाएं ? 16 यूसफ ु ने कहा, यद Rपके न हHतो अपके पशु दे दो, और मE उनक स(ती तुSह

खाने को दं ग ु के पास ले आए; और यूसफ ु उनको ू ा। 17 तब वे अपके पशु यूसफ घोड़H, भेड़-बकgरयH, गाय-बैलHऔर गदहHक स(ती खाने को दे ने लगा: उस वषO म

वह सब जाित के पशुओं क स(ती भोजन दे कर उनका पालन पोषण करता रहा। 18 वह वषO तो यHकट गया; तब अगले वषO म उ(हHने उसके पास आकर कहा, हम अपके ूभु से यह बात िछपा न रख गे क हमारा Rपया चुक गया है , और हमारे सब ूकार के पशु हमारे ूभु के पास आ चुके हE ; इसिलथे अब हमारे ूभु के साSहने हमारे शर:र और भूिम छोड़कर और कुछ नह:ं रहा। 19 हम तेरे दे खते यHमर , और हमार: भूिम को भोजन वःतु क स(ती मोल ले, क हम अप क भूिम समेत फरौन के दास हH: और हमको बीज दे , क हम मरने न पाएं, वरन जीवत रह , और भूिम न उजड़े । 20 तब यूसफ ु ने िमॐ क सार: भूिम को फरौन के िलथे मोल िलया; यHक उस कठन अकाल के पड़ने से िमिॐयHको अपना

अपना खेत बेच डालना पड़ा : इस ूकार सार: भूिम फरौन क हो गई। 21 और एक छोर से लेकर दस ू रे छोर तक सारे िमॐ दे श म जो ूजा रहती यी, उसको उस ने नगरHम लाकर बसा दया। 22 पर याजकHक भूिम तो उस ने न मोल ली : यHक याजकHके िलथे फरौन क ओर से िनय भोजन का ब(दोबःत या, और िनय जो भोजन फरौन उनको दे ता या वह: वे खाते थे; इस कारण उनको अप क भूिम बेच क न प क। 23 तब यूसफ ु ने ूजा के लोगHसे कहा, सुनो, मE ने आज के दन तुम को और तुSहार: भूिम को भी फरौन के िलथे मोल िलया है ; दे खो, तुSहारे िलथे यहां बीज है , इसे भूिम म बोओ। 24 और जो कुछ उपके उसका पंचमांश फरौन को दे ना, बाक चार अंश तुSहारे रह गे, क तुम उसे अपके खेतHमं◌े बोओ, और अपके अपके बालब.चHऔर घर के और लोगHसमेत खाया करो। 25 उ(हHने कहा, तू ने हमको बचा िलया है : हमारे ूभु के अनुमह क l हम पर बनी रहे , और हम फरौन के दास होकर रह गे। 26 सो यूसफ ु ने िमॐ क भूिम के वषय म ऐसा िनयम ठहराया, जो आज के दन तक चला आता है , क पंचमांश फरौन को िमला करे ; केवल याजकHह: क भूिम फरौन क नह:ं हुई। 27 और इॐाएली िमॐ के गोशेन दे श म रहने लगे; और वहां क भूिम को अपके वश म कर िलया, और फूले-फले, और अय(त बढ़ गए।। 28 िमॐ दे श म याकूब सतरह वषO जीवत रहा : इस ूकार याकूब क सार: आयु एक सौ सEतालीस वषO क हुई। 29 जब इॐाएल के मरने का दन िनकट आ गया, तब उस ने अपके पुऽ यूसफ ु को बुलवाकर कहा, यद ते रा अनुमह मुझ पर हो, तो अपना हाथ मेर: जांघ के तले रखकर शपय खा, क मE ते रे साय कृ पा और स.चाई का यह काम कRंगा, क तुझे िमॐ म िम=ट: न दं ग ू ा। 30 जब तू अपके बापदादHके संग सो जाएगा,

तब मE तुझे िमॐ से उठा ले जाकर उ(ह:ं के कबgरःतान म रखूंगा; तब यूसफ ु ने कहा, मE तेरे वचन के अनुसार कRंगा। 31 फर उस ने कहा, मुझ से शपय खा : सो उस ने उस से शपय खाई। तब इॐाएल ने खाट के िसरहाने क ओर िसर फुकाया।। उप 48 1 इन बातHके प_ात ् कसी ने यूसफ ु से कहा, सुन, तेरा पता बीमार है ; तब वह मनँशे और एूैम नाम अपके दोनHपुऽHको संग लेकर उसके पास चला। 2 और कसी ने याकूब को बता दया, क तेरा पुऽ यूसफ ु तेरे पास आ रहा है ; तब इॐाएल अपके को सSभालकर खाट पर बैठ गया। 3 और याकूब ने यूसफ ु से कहा, सवOशfमान ई र ने कनान दे श के लूज नगर के पास मुझे दशOन दे कर आशीष द:, 4 और कहा, सुन, मE तुझे फुला-फलाकर बढ़ाऊंगा, और तुझे राGय राGय क म+डली का मूल बनाऊंगा, और तेरे प_ात ् तेरे वंश को यह दे श दे दं ग ू ा, 'जस से क वह सदा तक उनक िनज भूिम बनी रहे । 5 और अब ते रे दोनHपुऽ, जो िमॐ म मेरे आने से पहले उप(न हुए हE , वे मेरे ह: ठहर गे; अयाOत ् 'जस र:ित से Rबेन और िशमोन मेरे हE , उसी र:ित से एूैम और मनँशे भी मेरे ठहर गे। 6 और उनके प_ात ् जो स(तान उप(न हो, वह ते रे तो ठहर गे; पर(तु बंटवारे के समय वे अपके भाइयHह: के वंश म िगने जाएंगे। 7 जब मE पXान से आता या, तब एूाता पहुंचने से योड़: ह: दरू पहले राहे ल कनान दे श म , मागO म , मेरे साSहने मर गई : और मE ने उसे वह:ं, अयाOत ् एूाता जो बेतलेहम भी कहलाता है , उसी के मागO म िम=ट: द:। 8 तब इॐाएल को यूसफ ु के पुऽ दे ख पके, और उस ने पूछा, थे

कौन हE ? 9 यूसफ ु ने अपके पता से कहा, थे मेरे पुऽ हE , जो परमे र ने मुझे यहां दए हE : उस ने कहा, उनको मेरे पास ले आ क मE उ(ह आशीवाOद दं ।ू 10 इॐाएल क आंखे बुढ़ापे के कारण धु(धली हो गई यीं, यहां तक क उसे कम सूफता या। तब यूसफ ु उ(ह उनके पास ले गया ; और उस ने उ(ह चूमकर गले लगा िलया। 11 तब इॐाएल ने यूसफ ु से कहा, मुझे आशा न यी, क मE तेरा मुख फर दे खने पाऊंगा : पर(तु दे ख, परमे र ने मुझे ते रा वंश भी दखाया है । 12 तब यूसफ ु ने उ(ह अपके घुटनHके बीच से हटाकर और अपके मुह ं के बल भूिम पर िगरके द+डवत ् क। 13 तब यूसफ ु ने उन दोनHको लेकर, अयाOत ् एूैम को अपके दहने हाथ से, क वह इॐाएल के बाएं हाथ पके, और मनँशे को अपके बाएं हाथ से, क इॐाएल के दहने हाथ पके, उ(ह उसके पास ले गया। 14 तब इॐाएल ने अपना दहना हाथ बढ़ाकर एूैम के िसर पर जो छोटा या, और अपना बायां हाथ बढ़ाकर मनँशे के िसर पर रख दया; उस ने तो जान बूफकर ऐसा कया; नह:ं तो जे ठा मनँशे ह: या। 15 फर उस ने यूसफ ु को आशीवाOद दे कर कहा, परमे र 'जसके सSमुख मेरे बापदादे इॄाह:म और इसहाक (अपके को जानकर ) चलते थे वह: परमे र मेरे ज(म से लेकर आज के दन तक मेरा चरवाहा बना है ; 16 और वह: दत ू मुझे सार: बुराई से छुड़ाता आया है , वह: अब इन लड़कHको आशीष दे ; और थे मेरे और मेरे बापदादे इॄाह:म और इसहाक के कहलाएं; और पृवी म बहुतायत से बढ़ । 17 जब यूसफ ु ने दे खा, क मेरे पता ने अपना दहना हाथ एूैम के िसर पर रखा है , तब यह बात उसको बुर: लगी : सो उस ने अपके पता का हाथ इस मनसा से पकड़ िलया, क एूैम के िसर पर से उठाकर मनँशे के िसर पर रख दे । 18 और यूसफ ु ने अपके पता से कहा, हे पता, ऐसा नह:ं: यHक जेठा यह: है ;

अपना दहना हाथ इसके िसर पर रख। 19 उसके पता ने कहा, नह:ं, सुन, हे मेरे पुऽ, मE इस बात को भली भांित जानता हूं : यrप इस से भी मनुंयHक एक म+डली उप(न होगी, और यह भी महान ् हो जाएगा, तौभी इसका छोटा भाई इस से अिधक महान हो जाएगा, और उसके वंश से बहुत सी जाितयां िनकल गी। 20 फर उस ने उसी दन यह कहकर उनको आशीवाOद दया, क इॐाएली लोग तेरा नाम ले लेकर ऐसा आशीवाOद दया कर गे, क परमे र तुझे एूैम और मनँशे के समान बना दे : और उस ने मनँशे से पहले एूैम का नाम िलया। 21 तब इॐाएल ने यूसफ ु से कहा, दे ख, मE तो मरने पर हंू : पर(तु परमे र तुम लोगHके संग रहे गा, और तुम को तुSहारे पतरHके दे श म फर पहंु चा दे गा। 22 और मE तुझ को ते रे भाइयHसे अिधक भूिम का एक भाग दे ता हूं, 'जसको मE ने एमोgरयHके हाथ से अप क तलवार और धनुष के बल से ले िलया है । उप 49 1 फर याकूब ने अपके पुऽHको यह कहकर बुलाया, क इक=ठे हो जाओ, मE तुम को बताऊंगा, क अ(त के दनHम तुम पर या या बीते गा। 2 हे याकूब के पुऽH, इक=ठे होकर सुनो, अपके पता इॐाएल क ओर कान लगाओ। 3 हे Rबेन, तू मेरा जेठा, मेरा बल, और मेरे पौRष का पहला फल है ; ूितvा का उम भाग, और शf का भी उम भाग तू ह: है । 4 तू जो जल क नाL उबलनेवाला है , इसिलथे औरHसे ौे न ठहरे गा; यHक तू अपके पता क खाट पर चढ़ा, तब तू ने उसको अशुa कया; वह मेरे बछौने पर चढ़ गया।। 5 िशमोन और लेवी तो भाई भाई हE , उनक तलवार उपिव के हिययार हE । 6 हे मेरे जीव, उनके ममO म न

पड़, हे मेर: महमा, उनक सभा म मत िमल; यHक उ(हHने कोप से मनुंयHको घात कया, और अप क ह: इ.छा पर चलकर बैलHक पूंछ काट: हE ।। 7 िध कार उनके कोप को, जो ूच+ड या; और उनके रोष को, जो िनदO य या; मE उ(ह याकूब म अलग अलग और इॐाएल म ितर बर कर दं ग ू ा।। 8 हे यहूदा, तेरे भाई तेरा ध(यवाद कर गे, तेरा हाथ तेरे शऽुओं क गदO न पर पकेगा; तेरे पता के पुऽ तुझे द+डवत ् कर गे।। 9 यहूदा िसंह का डांवR है । हे मेरे पुऽ, तू अहे र करके गुफा म

गया है : वह िसंह वा िसंहनी क नाई दबकर बैठ गया; फर कौन उसको छे ड़े गा।। 10 जब तक शीलो न आए तब तक न तो यहूदा से राजद+ड छूटे गा, न उसके वंश से eयवःया दे नेवाला अलग होगा; और राGय राGय के लोग उसके अधीन हो जाएंगे।। 11 वह अपके जवान गदहे को दाखलता म , और अप क गदह: के ब.चे को उम जाित क दाखलता म बा(धा करे गा ; उस ने अपके व\ दाखमधु म , और अपना पहरावा दाखHके रस म धोया है ।। 12 उसक आंखे दाखमधु से चमकली और उसके दांत दध ू समुि के तीर पर ू से ेत हHगे।। 13 जबूलन िनवास करे गा, वह जहाजHके िलथे ब(दरगाह का काम दे गा, और उसका परला भाग सीदोन के िनकट पहंु चेगा 14 इःसाकार एक बड़ा और बलव(त गदहा है , जो पशुओं के बाड़Hके बीच म दबका रहता है ।। 15 उस ने एक वौमःयान दे खकर, क अ.छा है , और एक दे श, क मनोहर है , अपके क(धे को बोफ उठाने के िलथे फुकाया, और बे गार: म दास का सा काम करने लगा।। 16 दान इॐाएल का एक गोऽ होकर अपके जाितभाइयHका (याय करे गा।। 17 दान मागO म का एक सांप, और राःते म का एक नाग होगा, जो घोड़े क नली को डं सता है , 'जस से उसका सवार पछाड़ खाकर िगर पड़ता है ।। 18 हे यहोवा, मE तुझी से उaार पाने क बाट

जोहता आया हंू ।। 19 गाद पर एक दल चढ़ाई तो करे गा; पर वह उसी दल के पछले भाग पर छापा मारे गा।। 20 आशेर से जो अ(न उप(न होगा वह उम होगा, और वह राजा के योbय ःवाद भोजन दया करे गा।। 21 नTाली एक छूट: हुई हgरणी है ; वह सु(दर बात बोलता है ।। 22 यूसफ ु बलव(त लता क एक शाखा है , वह सोते के पास लगी हुई फलव(त लता क एक शाखा है ; उसक डािलयां भीत पर से चढ़कर फैल जाती हE ।। 23 धनुधाOgरयHने उसको खेदत कया, और उस पर तीर मारे , और उसके पीछे पके हE ।। 24 पर उसका धनुष lढ़ रहा, और उसक बांह और हाथ याकूब के उसी शfमान ई र के हाथHके kारा फुतhले हुए, 'जसके पास से वह चरवाहा आएगा, जो इॐाएल का पयर भी ठहरे गा।। 25 यह तेरे पता के उस ई र का काम है , जो तेर: सहाथता करे गा, उस सवOशfमान को जो तुझे ऊपर से आकाश म क आशीष , और नीचे से गहरे जल म क आशीष , और ःतनH, और गभO क आशीष दे गा।। 26 तेरे पता के आशीवाOद मेरे पतरHके आशीवाOद से अिधक बढ़ गए हE और सनातन पहाडय़Hक मन- चाह: वःतुओं क नाई बने रह गे : वे यूसफ ु के िसर पर, जो अपके भाइयHम से (यारा हुआ, उसी के िसर के मुकुट पर फूले फल गे।। 27 ब(यामीन फाड़नेहारा हु+डार है , सवेरे तो वह अहे र भझण करे गा, और सांफ को लूट बांट लेगा।। 28 इॐाएल के बारहHगोऽ थे ह: हE : और उनके पता ने 'जस 'जस वचन से उनको आशीवाOद दया, सो थे ह: हE ; एक एक को उसके आशीवाOद के अनुसार उस ने आशीवाOद दया। 29 तब उस ने यह कहकर उनको आWा द:, क मE अपके लोगHके साय िमलने पर हंू : इसिलथे मुझे ही एूोन क भूिमवाली गुफा म मेरे बापदादHके साय िम=ट: दे ना, 30 अयाOत ् उसी गुफा म जो कनान दे श म मॆे के साSहनेवाली मकपेला क भूिम म

है ; उस भूिम को तो इॄाह:म ने ही एूोन के हाथ से इसी िनिम मोल िलया या, क वह कबgरःतान के िलथे उसक िनज भूिम हो। 31 वहां इॄाह:म और उसक प^ी सारा को िम=ट: द: गई; और वह:ं इसहाक और उसक प^ी gरबका को भी िम=ट: द: गई; और वह:ं मE ने िलआ: को भी िम=ट: द:। 32 वह भूिम और उस म

क गुफा हयHके हाथ से मोल ली गई। 33 यह आWा जब याकूब अपके पुऽHको दे चुका, तब अपके पांव खाट पर समेट ूाण छोड़े , और अपके लोगHम जा िमला। उप 50 1 तब यूसफ ु अपके पता के मुह ं पर िगरकर रोया और उसे चूमा। 2 और यूसफ ु ने उन वैrHको, जो उसके सेवक थे, आWा द:, क मेरे पता क लोय म सुग(धिeय भरो; तब वैrHने इॐाएल क लोय म सुग(धिeय भर दए। 3 और उसके चालीस दन पूरे हुए। यHक 'जनक लोय म सुग(धिeय भरे जाते हE , उनको इतने ह: दन पूरे लगते हE : और िमॐी लोग उसके िलथे सर दन तक वलाप करते रहे ।। 4 जब उसके वलाप के दन बीत गए, तब यूसफ ु फरौन के घराने के लोगHसे कहने लगा, यद तुSहार: अनुमह क l मुझ पर हो तो मेर: यह बनती फरौन को सुनाओ, 5 क मेरे पता ने यह कहकर, क दे ख मE मरने पर हंू , मुझे यह शपय 'खलाई, क जो कबर तू ने अपके िलथे कनान दे श म खुदवाई है उसी म मE तुझे िम=ट: दं ग ू ा इसिलथे अब मुझे वहां जाकर अपके पता को िम=ट: दे ने क आWा दे , तप_ात ् मE लौट आऊंगा। 6 तब फरौन ने कहा, जाकर अपके पता क 'खलाई हुई शपय के अनुसार उनको िम=ट: दे । 7 सो यूसफ ु अपके पता को िम=ट: दे ने के िलथे चला, और फरौन के सब कमOचार:, अयाOत ् उसके भवन

के पुरिनथे, और िमॐ दे श के सब पुरिनथे उसके संग चले। 8 और यूसफ ु के घर के सब लोग, और उसके भाई, और उसके पता के घर के सब लोग भी संग गए; पर वे अपके बालब.चH, और भेड़-बकgरयH, और गाय-बैलHको गोशेन दे श म छोड़ गए। 9 और उसके संग रय और सवार गए, सो भीड़ बहुत भार: हो गई। 10 जब वे आताद के खिलहान तक, जो यरदन नद: के पार है पहंु चे, तब वहां अय(त भार: वलाप कया, और यूसफ ु ने अपके पता के सात दन का वलाप कराया। 11 आताद के खिलहान म के वलाप को दे खकर उस दे श के िनवासी कनािनयHने कहा, यह तो िमिॐयHका कोई भार: वलाप होगा, इसी कारण उस ःयान का नाम आबेलिमॐैम पड़ा, और वह यरदन के पार है । 12 और इॐाएल के पुऽHने उस से वह: काम कया 'जसक उस ने उनको आWा द: यी: 13 अयाOत ् उ(हHने उसको कनान दे श म ले जाकर मकपेला क उस भूिमवाली गुफा म , जो मॆे के साSहने हE , िम=ट: द:; 'जसको इॄाह:म ने ही एूोन के हाथ से इस िनिम मोल िलया या, क वह कबgरःतान के िलथे उसक िनज भूिम हो।। 14 अपके पता को िम=ट: दे कर यूसफ ु अपके भाइयHऔर उन सब समेत, जो उसके पता को िम=ट: दे ने के िलथे उसके संग गए थे, िमॐ म लौट आया। 15 जब यूसफ ु के भाइयHने दे खा क हमारा पता मर गया है , तब कहने लगे, कदािचत ् यूसफ ु अब हमारे पीछे पके, और 'जतनी बुराई हम ने उस से क यी सब का पूरा पलटा हम से ले। 16 इसिलथे उ(हHने यूसफ ु के पास यह कहला भेजा, क तेरे पता ने मरने से पहले हम यह आWा द: यी, 17 क तुम लोग यूसफ ु से इस ूकार कहना, क हम बनती करते हE , क तू अपके भाइयHके अपराध और पाप को झमा कर; हम ने तुझ से बुराई तो क यी, पर अब अपके पता के परमे र के दासHका अपराध

झमा कर। उनक थे बात सुनकर यूसफ ु रो पड़ा। 18 और उसके भाई आप भी जाकर उसके साSहने िगर पके, और कहा, दे ख, हम तेरे दास हE । 19 यूसफ ु ने उन से कहा, मत डरो, या मE परमे र क जगह पर हंू ? 20 यrप तुम लोगHने मेरे िलथे बुराई का वचार कया या; पर(तु परमे र ने उसी बात म भलाई का वचार कया, 'जस से वह ऐसा करे , जैसा आज के दन ूगट है , क बहुत से लोगHके ूाण बचे हE । 21 सो अब मत डरो : मE तुSहारा और तुSहारे बाल-ब.चHका पालन पोषण करता रहंू गा; इस ूकार उस ने उनको समझा बुफाकर शा'(त द:।। 22 और यूसफ ु अपके पता के घराने समेत िमॐ म रहता रहा, और यूसफ ु एक सौ दस वषO जीवत रहा। 23 और यूसफ ु एूैम के परपोतHतक दे खने पाया : और मनँशे के पोते, जो माकर के पुऽ थे, वे उप(न होकर यूसफ ु से गोद म िलए गए। 24 और यूसफ ु ने अपके भाइयHसे कहा मE तो मरने पर हंू ; पर(तु परमे र िन_य तुSहार: सुिध लेगा, और तुSह इस दे श से िनकालकर उस दे श म पहंु चा दे गा, 'जसके दे ने क उस ने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब से शपय खाई यी। 25 फर यूसफ ु ने इॐाएिलयHसे यह कहकर, क परमे र िन_य तुSहार: सुिध लेगा, उनको इस वषय क शपय 'खलाई, क हम तेर: ह']डयHको वहां से उस दे श म ले जाएंगे। 26 िनदान यूसफ ु एक सौ दस वषO का होकर मर गया : और उसक लोय म सुग(धिeय भरे गए, और वह लोय िमॐ म एक स(दक ू म रखी गई।। िनगOमन 1 1 इॐाएल के पुऽHके नाम, जो अपके अपके घराने को लेकर याकूब के साय िमॐ दे श म आए, थे हE : 2 अयाOत ् Rबेन, िशमोन, लेवी, यहूदा, 3 इःसाकार, जबूलन ू ,

ब(यामीन, 4 दान, नTाली, गाद और आशेर। 5 और यूसफ ु तो िमॐ म पहले ह: आ चुका या। याकूब के िनज वंश म जो उप(न हुए वे सब सर ूाणी थे। 6 और यूसफ ु , और उसके सब भाई , और उस पीढ़: के सब लोग मर िमटे । 7 और इॐाएल क स(तान फूलने फलने लगी; और वे अय(त सामयh बनते चले गए; और इतना बढ़ गए क कुल दे श उन से भर गया।। 8 िमॐ म एक नया राजा गX: पर बैठा जो यूसफ ु को नह:ं जानता या। 9 और उस ने अप क ूजा से कहा, दे खो, इॐाएली हम से िगनती और सामयO म अिधक बढ़ गए हE । 10 इसिलथे आओ, हम उनके साय बुaमानी से बताOव कर , कह:ं ऐसा न हो क जब वे बहुत बढ़ जाएं, और यद संमाम का समय आ पके, तो हमारे बैgरयHसे िमलकर हम से लड़ और इस दे श से िनकल जाएं। 11 इसिलथे उ(हHने उन पर बेगार: करानेवालHको िनयुf कया क वे उन पर भार डाल डालकर उनको द:ु ख दया कर ; तब उ(हHने फरौन के िलथे पतोम और रामसेस नाम भ+डारवाले नगरHको बनाया। 12 पर GयHGयHवे उनको द:ु ख दे ते गए यHयHवे बढ़ते और फैलते चले गए; इसिलथे वे इॐाएिलयHसे अय(त डर गए। 13 तौभी िमिॐयHने इॐाएिलयHसे कठोरता के साय सेवकाई करवाई। 14 और उनके जीवन को गारे , Lट और खेती के भांित भांित के काम क कठन सेवा से द:ु खी कर डाला; 'जस कसी काम म वे उन से सेवा करवाते थे उस म वे कठोरता का eयवहार करते थे। 15 िशूा और पूआ नाम दो इॄी धाइयHको िमॐ के राजा ने आWा द:, 16 क जब तुम इॄी '\यHको ब.चा उप(न होने के समय ज(मने के पयरHपर बैठq दे खो, तब यद बे टा हो, तो उसे मार डालना; और बेट: हो, तो जीवत रहने दे ना। 17 पर(तु वे धाइयां परमे र का भय मानती यीं, इसिलथे िमॐ के राजा क आWा न

मानकर लड़कHको भी जीवत छोड़ दे ती यीं। 18 तब िमॐ के राजा ने उनको बुलवाकर पूछा, तुम जो लड़कHको जीवत छोड़ दे ती हो, तो ऐसा यHकरती हो? 19 धाइयHने फरौन को उतर दया, क इॄी '\यHिमॐी '\यHके समान नह:ं हE ; वे ऐसी फुतhली हE क धाइयHके पहंु चने से पहले ह: उनको ब.चा उप(न हो जाता है । 20 इसिलथे परमे र ने धाइयHके साय भलाई क; और वे लोग बढ़कर बहुत सामयh हो गए। 21 और धाइयां इसिलथे क वे परमे र का भय मानती यीं उस ने उनके घर बसाए। 22 तब फरौन ने अप क सार: ूजा के लोगHको आWा द:, क इॄयHके 'जतने बेटे उप(न हHउन सभHको तुम नील नद: म डाल दे ना, और सब बेटयHको जीवत रख छोड़ना।। िनगOमन 2 1 लेवी के घराने के एक पुRष ने एक लेवी वंश क \ी को cयाह िलया। 2 और वह \ी गभOवती हुई और उसके एक पुऽ उप(न हुआ; और यह दे खकर क यह बालक सु(दर है , उसे तीन मह:ने तक िछपा रखा। 3 और जब वह उसे और िछपा न सक तब उसके िलथे सरकंड़Hक एक टोकर: लेकर, उस म बालक को रखकर नील नद: के तीर पर कांसHके बीच छोड़ आई। 4 उस बालक क बहन दरू खड़: रह:, क दे खे इसका या हाल होगा। 5 तब फरौन क बेट: नहाने के िलथे नद: के तीर आई; उसक स'खयां नद: के तीर तीर टहलने लगीं; तब उस ने कांसHके बीच टोकर: को दे खकर अप क दासी को उसे ले आने के िलथे भेजा। 6 तब उस ने उसे खोलकर दे खा, क एक रोता हुआ बालक है ; तब उसे तरस आया और उस ने कहा, यह तो कसी इॄी का बालक होगा। 7 तब बालक क बहन ने फरौन क

बे ट: से कहा, या मE जाकर इॄी '\यHम से कसी धाई को तेरे पास बुला ले आऊं जो ते रे िलथे बालक को दध ू पलाया करे ? 8 फरौन क बेट: ने कहा, जा। तब लड़क जाकर बालक क माता को बुला ले आई। 9 फरौन क बेट: ने उस से कहा, तू इस बालक को ले जाकर मेरे िलथे दध ू पलाया कर, और मE तुझे मजदरू : दं ग ू ी। तब वह \ी बालक को ले जाकर दध ू पलाने लगी। 10 जब बालक कुछ बड़ा हुआ तब वह उसे फरौन क बे ट: के पास ले गई, और वह उसका बेटा ठहरा; और उस ने यह कहकर उसका नाम मूसा रखा, क मE ने इसको जल से िनकाल िलया।। 11 उन दनHम ऐसा हुआ क जब मूसा जवान हुआ, और बाहर अपके भाई ब(धुओं के पास जाकर उनके द:ु खHपर l करने लगा; तब उस ने दे खा, क कोई िमॐी जन मेरे एक इॄी भाई को मार रहा है । 12 जब उस ने इधर उधर दे खा क कोई नह:ं है , तब उस िमॐी को मार डाला और बालू म िछपा दया।। 13 फर दस ू रे दन बाहर जाकर उस ने दे खा क दो इॄी पुRष आपस म मारपीट कर रहे हE ; उस ने अपराधी से कहा, तू अपके भाई को यHमारता है ? 14 उस ने कहा, कस ने तुझे हम लोगHपर हाकम और (यायी ठहराया ? 'जस भांित तू ने िमॐी को घात कया या उसी भांित तू मुझे भी घात करना चाहता है ? तब मूसा यह सोचकर डर गया, क िन_य वह बात खुल गई है । 15 जब फरौन ने यह बात सुनी तब मूसा को घात करने क युf क। तब मूसा फरौन के साSहने से भागा, और िमrान दे श म जाकर रहने लगा; और वह वहां एक कुएं के पास बैठ गया। 16 िमrान के याजक क सात बेटयां यी; और वे वहां आकर जल भरने लगीं, क कठौतHम भरके अपके पता क भेड़बकgरयHको पलाएं। 17 तब चरवाहे आकर उनको हटाने लगे; इस पर मूसा ने खड़ा होकर उनक सहाथता क, और

भेड़-बकgरयHको पानी पलाया। 18 जब वे अपके पता Rएल के पास फर आई, तब उस ने उन से पूछा, या कारण है क आज तुम ऐसी फुतh से आई हो ? 19 उ(हHने कहा, एक िमॐी पुRष ने हम को चरवाहHके हाथ से छुड़ाया, और हमारे िलथे बहुत जल भरके भेड़-बकgरयHको पलाया। 20 तब उस ने अप क बे टयHसे कहा, वह पुRष कहां है ? तुम उसको यHछोड़ आई हो ? उसको बुला ले आओ क वह भोजन करे । 21 और मूसा उस पुRष के साय रहने को ूस(न हुआ; उस ने उसे अप क बेट: िस€पोरा को cयाह दया। 22 और उसके एक पुऽ उप(न हुआ, तब मूसा ने यह कहकर, क मE अ(य दे श म परदे शी हंू , उसका नाम गे शzम रखा।। 23 बहुत दनHके बीतने पर िमॐ का राजा मर गया। और इॐाएली कठन सेवा के कारण लSबी लSबी सांस लेकर आह भरने लगे, और पुकार उठे , और उनक दोहाई जो कठन सेवा के कारण हुई वह परमे र तक पहंु ची। 24 और परमे र ने उनका कराहना सुनकर अप क वाचा को, जो उस ने इॄाह:म, और इसहाक, और याकूब के साय बा(धी यी, ःमरण कया। 25 और परमे र ने इॐाएिलयHपर l करके उन पर िच लगाया।। िनगOमन 3 1 मूसा अपके ससुर ियऽो नाम िमrान के याजक क भेड़-बकgरयHको चराता या; और वह उ(ह जंगल क परली ओर होरे ब नाम परमे र के पवOत के पास ले गया। 2 और परमे र के दत ू ने एक कट:ली फाड़: के बीच आग क लौ म उसको दशOन दया; और उस ने l उठाकर दे खा क फाड़: जल रह: है , पर भःम नह:ं होती। 3 तब मूसा ने सोचा, क मE उधर फरके इस बड़े अचSभे को दे खूंगा, क वह फाड़:

यHनह:ं जल जाती। 4 जब यहोवा ने दे खा क मूसा दे खने को मुड़ा चला आता है , तब परमे र ने फाड़: के बीच से उसको पुकारा, क हे मूसा, हे मूसा। मूसा ने कहा, या आWा। 5 उस ने कहा इधर पास मत आ, और अपके पांवHसे जूितयHको उतार दे , यHक 'जस ःयान पर तू खड़ा है वह पवऽ भूिम है । 6 फर उस ने कहा, मE तेरे पता का परमे र, और इॄाह:म का परमे र, इसहाक का परमे र, और याकूब का परमे र हूं। तब मूसा ने जो परमे र क ओर िनहारने से डरता या अपना मुह ं ढ़ाप िलया। 7 फर यहोवा ने कहा, मE ने अप क ूजा के लोग जो िमॐ म हE उनके द:ु ख को िन_य दे खा है , और उनक जो िच`लाहट पgरnम करानेवालHके कारण होती है उसको भी मE ने सुना है , और उनक पीड़ा पर मE ने िच लगाया है ; 8 इसिलथे अब मE उतर आया हूं क उ(ह िमिॐयHके वश से छुड़ाऊं, और उस दे श से िनकालकर एक अ.छे और बड़े दे श म 'जस म दध ू और मधु क धारा बहती है , अयाOत ् कनानी, ही, एमोर:, पgरGजी, हeवी, और यबूसी लोगHके ःयान म पहंु चाऊं। 9 सो अब सुन, इॐाएिलयHक िच`लाहट मुझे सुनाई प क है , और िमिॐयHका उन पर अ(धेर करना भी मुझे दखाई पड़ा है , 10 इसिलथे आ, मE तुझे फरौन के पास भेजता हंू क तू मेर: इॐाएली ूजा को िमॐ से िनकाल ले आए। 11 तब मूसा ने परमे र से कहा, मै कौन हंू जो फरौन के पास जाऊं, और इॐाएिलयHको िमॐ से िनकाल ले आऊं ? 12 उस ने कहा, िन_य मE तेरे संग रहूंगा; और इस बात का क तेरा भेजनेवाला मE हूं, ते रे िलथे यह िच(ह होगा क जब तू उन लोगHको िमॐ से िनकाल चुके तब तुम इसी पहाड़ पर परमे र क उपासना करोगे। 13 मूसा ने परमे र से कहा, जब मE इॐाएिलयHके पास जाकर उन से यह कहंू , क तुSहारे पतरHके परमे र ने मुझे तुSहारे पास

भेजा है , तब यद वे मुझ से पूछ , क उसका या नाम है ? तब मE उनको या बताऊं? 14 परमे र ने मूसा से कहा, मE जो हूं सो हूं। फर उस ने कहा, तू इॐाएिलयHसे यह कहना, क 'जसका नाम मE हंू है उसी ने मुझे तुSहारे पास भेजा है । 15 फर परमे र ने मूसा से यह भी कहा, क तू इॐाएिलयHसे यह कहना, क तुSहारे पतरHका परमे र, अयाOत ् इॄाह:म का परमे र, इसहाक का परमे र और याकूब का परमे र, यहोवा उसी ने मुझ को तुSहारे पास भेजा है । दे ख सदा तक मेरा नाम यह: रहे गा, और पीढ़: पीढ़: म मेरा ःमरण इसी से हुआ करे गा। 16 इसिलथे अब जाकर इॐाएली पुरिनयHको इक=ठा कर, और उन से कह, क तुSहारे पतर इॄाह:म, इसहाक, और याकूब के परमे र, यहोवा ने मुझे दशOन दे कर यह कहा है , क मE ने तुम पर और तुम से जो बताOव िमॐ म कया जाता है उस पर भी िचत लगाया है ; 17 और मE ने ठान िलया है क तुम को िमॐ के दख ु Hम

से िनकालकर कनानी, ही, एमोर:, पgरGजी हcबी, और यबूसी लोगHके दे श म

ले चलूग ं ा, जो ऐसा दे श है क 'जस म दध ू और मधु क धारा बहती है । 18 तब वे तेर: मान गे; और तू इॐाएली पुरिनयHको संग लेकर िमॐ के राजा के पास जाकर उस से यHकहना, क इॄयHके परमे र, यहोवा से हम लोगHक भ ट हुई है ; इसिलथे अब हम को तीन दन के मागO पर जंगल म जाने दे , क अपके परमे र यहोवा को बिलदान चढ़ाएं। 19 मE जानता हंू क िमॐ का राजा तुम को जाने न दे गा वरन बड़े बल से दबाए जाने पर भी जाने न दे गा। 20 इसिलथे मE हाथ बढ़ाकर उन सब आ_यOकमJसे जो िमॐ के बीच कRंगा उस दे श को माRंगा; और उसके प_ात ् वह तुम को जाने दे गा। 21 तब मE िमिॐयHसे अप क इस ूजा पर अनुमह करवाऊंगा; और जब तुम िनकलोगे तब छूछे हाथ न िनकलोगे। 22 वरन

तुSहार: एक एक \ी अप क अप क पड़ोिसन, और अपके अपके घर क पाहुनी से सोने चांद: के गहने, और व\ मांग लेगी, और तुम उ(ह अपके बेटHऔर बे टयHको पहराना; इस ूकार तुम िमिॐयHको लूटोगे।। िनगOमन 4 1 तब मूसा ने उतर दया, क वे मेर: ूतीित न कर गे और न मेर: सुन गे, वरन कह गे, क यहोवा ने तुझ को दशOन नह:ं दया। 2 यहोवा ने उस से कहा, तेरे हाथ म वह या है ? वह बोला, लाठq। 3 उस ने कहा, उसे भूिम पर डाल दे ; जब उस ने उसे भूिम पर डाला तब वह सपO बन गई, और मूसा उसके साSहने से भागा। 4 तब यहोवा ने मूसा से कहा, हाथ बढ़ाकर उसक पूंछ पकड़ ले क वे लोग ूतीित कर क तुSहारे पतरHके परमे र अयाOत ् इॄाह:म के परमे र, इसहाक के परमे र, और याकूब के परमे र, यहोवा ने तुझ को दशOन दया है । 5 तब उस ने हाथ बढ़ाकर उसको पकड़ा तब वह उसके हाथ म फर लाठq बन गई। 6 फर यहोवा ने उस से यह भी कहा, क अपना हाथ छाती पर रखकर ढांप। सो उस ने अपना हाथ छाती पर रखकर ढांप िलया; फर जब उसे िनकाला तब या दे खा, क उसका हाथ कोढ़ के कारण हम के समान ेत हो गया है । 7 तब उस ने कहा, अपना हाथ छाती पर फर रखकर ढांप। और उस ने अपना हाथ छाती पर रखकर ढांप िलया; और जब उस ने उसको छाती पर से िनकाला तब या दे खता है , क वह फर सार: दे ह के समान हो गया। 8 तब यहोवा ने कहा, यद वे तेर: बात क ूतीित न कर , और पहले िच(ह को न मान , तो दस ू रे िच(ह क ूतीित कर गे। 9 और यद वे इन दोनHिच(हHक ूतीित न कर और तेर: बात को न मान , तब तू

नील नद: से कुछ जल लेकर सूखी भूिम पर डालना; और जो जल तू नद: से िनकालेगा वह सूखी भूिम पर लोहू बन जाथेगा। 10 मूसा ने यहोवा से कहा, हे मेरे ूभु, मE बोलने म िनपुण नह:ं, न तो पहले या, और न जब से तू अपके दास से बात करने लगा; मE तो मुह ं और जीभ का भXा हंू । 11 यहोवा ने उस से कहा, मनुंय का मुह ं कस ने बनाया है ? और मनुंय को गूंगा, वा बहरा, वा दे खनेवाला, वा अ(धा, मुझ यहोवा को छोड़ कौन बनाता है ? 12 अब जा, मE ते रे मुख के संग होकर जो तुझे कहना होगा वह तुझे िसखलाता जाऊंगा। 13 उस ने कहा, हे मेरे ूभु, 'जसको तू चाहे उसी के हाथ से भेज। 14 तब यहोवा का कोप मूसा पर भड़का और उस ने कहा, या तेरा भाई लेवीय हाRन नह:ं है ? मुझे तो िन_य है क वह बोलने म िनपुण है , और वह तेर: भ ट के िलथे िनकला भी आता है , और तुझे दे खकर मन म आन'(दत होगा। 15 इसिलथे तू उसे थे बात

िसखाना; और मE उसके मुख के संग और तेरे मुख के संग होकर जो कुछ तुSहे करना होगा वह तुम को िसखलाता जाऊंगा। 16 और वह तेर: ओर से लोगHसे बात कया करे गा; वह तेरे िलथे मुह ं और तू उसके िलथे परमे र ठहरे गा। 17 और तू इस लाठq को हाथ म िलए जा, और इसी से इन िच(हHको दखाना।। 18 तब मूसा अपके ससुर ियऽो के पास लौटा और उस से कहा, मुझे वदा कर, क मE िमॐ म रहनेवाले अपके भाइयHके पास जाकर दे खूं क वे अब तक जीवत हE वा नह:ं। ियऽो ने कहा, कुशल से जा। 19 और यहोवा ने िमrान दे श म मूसा से कहा, िमॐ को लौट जा; यHक जो मनुंय तेरे ूाण के €यासे थे वे सब मर गए हE 20 तब मूसा अप क प^ी और बेटHको गदहे पर चढ़ाकर िमॐ दे श क ओर परमे र क उस लाठq को हाथ म िलथे हुए लौटा। 21 और यहोवा ने मूसा से कहा, जब तू

िमॐ म पहंु चे तब सावधान हो जाना, और जो चमकार मE ने तेरे वश म कए हE उन सभHको फरौन को दखलाना; पर(तु मै उसके मन को हठqला कRंगा, और वह मेर: ूजा को जाने न दे गा। 22 और तू फरौन से कहना, क यहोवा यHकहता है , क इॐाएल मेरा पुऽ वरन मेरा जे ठा है , 23 और मE जो तुझ से कह चुका हंू , क मेरे पुऽ को जाने दे क वह मेर: सेवा करे ; और तू ने अब तक उसे जाने नह:ं दया, इस कारण मE अब तेरे पुऽ वरन तेरे जेठे को घात कRंगा। 24 और ऐसा हुआ क मागO पर सराय म यहोवा ने मूसा से भ ट करके उसे मार डालना चाहा। 25 तब िस€पोरा ने एक तेज चकमक पयर लेकर अपके बेटे क खलड़: को काट डाला, और मूसा के पावHपर यह कहकर फ क दया, क िन_य तू लोहू बहानेवाला मेरा पित है । 26 तब उस ने उसको छोड़ दया। और उसी समय खतने के कारण वह बोली, तू लोहू बहानेवाला पित है । 27 तब यहोवा ने हाRन से कहा, मूसा से भ ट करने को जंगल म जा। और वह गया, और परमे र के पवOत पर उस से िमला और उसको चूमा। 28 तब मूसा ने हाRन को यह बतलाया क यहोवा ने या या बात कहकर उसको भेजा है , और कौन कौन से िच(ह दखलाने क आWा उसे द: है । 29 तब मूसा और हाRन ने जाकर इॐाएिलयHके सब पुरिनयHको इक=ठा कया। 30 और 'जतनी बात यहोवा ने मूसा से कह: यी वह सब हाRन ने उ(ह

सुनाई, और लोगHके साSहने वे िच(ह भी दखलाए। 31 और लोगHने उनक ूतीित क; और यह सुनकर, क यहोवा ने इॐाएिलयHक सुिध ली और उनके द:ु खHपर l क है , उ(हHने िसर फुकाकर द+डवत क।। िनगOमन 5

1 इसके प_ात ् मूसा और हाRन ने जाकर फरौन से कहा, इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , क मेर: ूजा के लोगHको जाने दे , क वे जंगल म मेरे िलथे पeवO कर । 2 फरौन ने कहा, यहोवा कौन है , क मE उसका वचन मानकर इॐाएिलयHको जाने दं ू ? मE यहोवा को नह:ं जानता, और मE इॐाएिलयHको नह:ं जाने दं ग ू ा। 3 उ(हHने कहा, इॄयHके परमे र ने हम से भ ट क है ; सो हम जंगल म तीन दन के मागO पर जाने दे , क अपके परमे र यहोवा के िलथे बिलदान कर , ऐसा न हो क वह हम म मर: फैलाए वा तलवार चलवाए। 4 िमॐ के राजा ने उन से कहा, हे मूसा, हे हाRन, तुम यHलोगHसे काम छुड़वाने चाहते हो? तुम जाकर अपके अपके बोफ को उठाओ। 5 और फरोन ने कहा, सुनो, इस दे श म वे लोग बहुत हो गए हE , फर तुम उनको पgरnम से वौम दलाना चाहते हो ! 6 और फरौन ने उसी दन उन पgरnम करवानेवालHको जो उन लोगHके ऊपर थे, और उनके सरदारHको यह आWा द:, 7 क तुम जो अब तक ईट बनाने के िलथे लोगHको पुआल दया करते थे सो आगे को न दे ना; वे आप ह: जाकर अपके िलथे पुआल इक=ठा कर । 8 तौभी 'जतनी Lट अब तक उ(ह बनानी पड़ती यीं उतनी ह: आगे को भी उन से बनवाना, LटHक िगनती कुछ भी न घटाना; यHक वे आलसी हE ; इस कारण यह कहकर िच`लाते हE , क हम जाकर अपके परमे र के िलथे बिलदान कर । 9 उन मनुंयHसे और भी कठन सेवा करवाई जाए क वे उस म पgरnम करते रह और फूठq बातHपर ~यान न लगाएं। 10 तब लोगHके पgरnम करानेवालHने और सरदारHने बाहर जाकर उन से कहा, फरौन इस ूकार कहता है , क मE तुSह पुआल नह:ं दं ग ू ा। 11 तुम ह: जाकर जहां कह:ं पुआल िमले वहां से उसको बटोर कर ले आओ; पर(तु तुSहारा काम कुछ भी नह:ं घटाया जाएगा। 12

सो वे लोग सारे िमॐ दे श म ितर-बर हुए क पुआल क स(ती खूंट: बटोर । 13 और पgरnम करनेवाले यह कह कहकर उन से ज`द: करते रहे , क 'जस ूकार तुम पुआल पाकर कया करते थे उसी ूकार अपना ूितदन का काम अब भी पूरा करो। 14 और इॐाएिलयHम से 'जन सरदारHको फरौन के पgरnम करानेवालHने उनका अिध कारनेी ठहराया या, उ(हHने मार खाई, और उन से पूछा गया, क या कारण है क तुम ने अप क ठहराई हुई LटHक िगनती के अनुसार पहले क नाई कल और आज पूर: नह:ं कराई ? 15 तब इॐाएिलयHके सरदारHने जाकर फरौन क दोहाई यह कहकर द:, क तू अपके दासHसे ऐसा बताOव यHकरता है ? 16 तेरे दासHको पुआल तो दया ह: नह:ं जाता और वे हम से कहते रहते हE , Lटे बनाओ, Lट बनाओ, और तेरे दासHने भी मार खाई हE ; पर(तु दोष तेरे ह: लोगHका है । 17 फरौन ने कहा, तुम आलसी हो, आलसी; इसी कारण कहते हो क हमे यहोवा के िलथे बिलदान करने को जाने दे । 18 और जब आकर अपना काम करो; और पुआल तुम को नह:ं दया जाएगा, पर(तु ईटHक िगनती पूर: करनी पकेगी। 19 जब इॐाएिलयHके सरदारHने यह बात सुनी क उनक LटHक िगनती न घटे गी, और ूितदन उतना ह: काम पूरा करना पकेगा, तब वे जान गए क उनके दभ ु ाObय के दन आ गए हE । 20 जब वे फरौन के सSमुख से बाहर िनकल आए तब मूसा और हाRन, जो उन से भ ट करने के िलथे खड़े थे, उ(ह िमले। 21 और उ(हHने मूसा और हाRन से कहा, यहोवा तुम पर l करके (याय करे , यHक तुम ने हम को फरौन और उसके कमOचाgरयHक l म

घृ'णत ठहरवाकर हम घात करने के िलथे उनके हाथ म तलवार दे द: है । 22 तब मूसा ने यहोवा के पास लौट कर कहा, हे ूभु, तू ने इस ूजा के साय ऐसी बुराई

यHक? और तू ने मुझे यहां यHभेजा ? 23 जब से मE ते रे नाम से फरौन के पास बात करने के िलथे गया तब से उसने इस ूजा के साय बुरा ह: eयवहार कया है , और तू ने अप क ूजा का कुछ भी छुटकारा नह:ं कया। िनगOमन 6 1 तब यहोवा ने मूसा से कहा, अब तू दे खेगा क मE फरौन ने या कRंगा; 'जस से वह उनको बरबस िनकालेगा, वह तो उ(ह अपके दे श से बरबस िनकाल दे गा।। 2 और परमे र ने मूसा से कहा, क मE यहोवा हंू । 3 मE सवOशfमान ई र के नाम से इॄाह:म, इसहाक, और याकूब को दशOन दे ता या, पर(तु यहोवा के नाम से मE उन पर ूगट न हुआ। 4 और मE ने उनके साय अप क वाचा lढ़ क है , अयाOत ् कनान दे श 'जस म वे परदे शी होकर रहते थे, उसे उ(ह दे दं ।ू 5 और इॐाएली 'ज(ह िमॐी लोग दासव म रखते हE उनका कराहना भी सुनकर मE ने अप क वाचा को ःमरण कया है । 6 इस कारण तू इॐाएिलयHसे कह, क मE यहोवा हंू , और तुम को िमिॐयHके बोफHके नीचे से िनकालूग ं ा, और उनके दासव से तुम को छुड़ाऊंगा, और अप क भुजा बढ़ाकर और भार: द+ड दे कर तुSह छुड़ा लूग ं ा, 7 और मE तुम को अप क ूजा बनाने के िलथे अपना लूग ं ा, और मE तुSहारा परमे र ठहRंगा; और तुम जान लोगे क मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू जो तुSह

िमिॐयHके बोफHके नीचे से िनकाल ले आया। 8 और 'जस दे श के दे ने क शपय मE ने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब से खाई यी उसी म मE तुSह पहुंचाकर उसे तुSहारा भाग कर दं ग ू ा। मE तो यहोवा हंू । 9 और थे बात मूसा ने इॐाएिलयHको सुनाई; पर(तु उ(हHने मन क बेचन ै ी और दासव क बूरता के कारण उसक न

सुनी।। 10 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 11 तू जाकर िमॐ के राजा फरौन से कह, क इॐाएिलयHको अपके दे श म से िनकल जाने दे । 12 और मूसा ने यहोवा से कहा, दे ख, इॐाएिलयHने मेर: नह:ं सुनी; फर फरौन मुझ भXे बोलनेवाले क यHकर सुनेगा ? 13 और यहोवा ने मूसा और हाRन को इॐाएिलयHऔर िमॐ के राजा फरौन के िलथे आWा इस अिभूाय से द: क वे इॐाएिलयHको िमॐ दे श से िनकाल ले जाएं। 14 उनके पतरHके घरानHके मु‡य पुRष थे हE : इॐाएल के जेठा Rबेन के पुऽ : हनोक, प`लू, हे ॐोन और कSमh थे; 15 और िशमोन के पुऽ : यमूएल, यामीन, ओहद, याकन, और सोहर थे, और एक कनानी \ी का बे टा शाउल भी या; इ(ह:ं से िशमोन के कुल िनकले। 16 और लेवी के पुऽ 'जन से उनक वंशावली च क है , उनके नाम थे हE : अयाOत ् गेशzन, कहात और मरार:, और लेवी को पूर: अवःया एक सौ सEतीस वषO क हुई। 17 गेशzन के पुऽ 'जन से उनका कुल चला : िलबनी और िशमी थे। 18 और कहात के पुऽ : अॆाम, ियसहार, हे ॄोन और उGजीएल थे, और कहात क पूर: अवःया एक सौ सEतीस वषO क हुई। 19 और मरार: के पुऽ : महली और मूशी थे। लेवयHके कुल 'जन से उनक वंशावली च क थे ह: हE । 20 अॆाम ने अप क फूफ योकेबेद को cयाह िलया और उस से हाRन और मूसा उप(न हुए, और अॆाम क पूर: अवःया एक सौ सEतीस वषO क हुई। 21 और ियसहार के पुऽ कोरह, नेपेग और 'जब थे। 22 और उGजीएल के पुऽ: मीशाएल, एलसापन और िसऽी थे। 23 और हाRन ने अSमीनादाब क बेट:, और नहशोन क बहन एलीशेबा को cयाह िलया; और उस से नादाब, अबीहू, ऐलाजार और ईतामार उप(न हुए। 24 और कोरह के पुऽ : अःसीर, एलकाना और अबीआसाप थे; और इ(ह:ं से कोरहयHके कुल िनकले।

25 और हाRन के पुऽ एलाजार ने पूतीएल क एक बेट: को cयाह िलया; और उस से पीनहास उप(न हुआ 'जन से उनका कुल चला। लेवयHके पतरHके घरानHके मु‡य पुRष थे ह: हE । 26 हाRन और मूसा वे ह: हE 'जनको यहोवा ने यह आWा द:, क इॐाएिलयHको दल दल करके उनके जयHके अनुसार िमॐ दे श से िनकाल ले आओ। 27 थे वह: मूसा और हाRन हE 'ज(हHने िमॐ के राजा फरौन से कहा, क हम इॐाएिलयHको िमॐ से िनकाल ले जाएंगे।। 28 जब यहोवा ने िमॐ दे श म

मूसा से यह बात कह:, 29 क मE तो यहोवा हंू ; इसिलथे जो कुछ मE तुम से कहंू गा वह सब िमॐ के राजा फरौन से कहना। 30 और मूसा ने यहोवा को उर दया, क मE तो बोलने म भXा हंू ; और फरोन यHकर मेर: सुनेगा ? िनगOमन 7 1 तब यहोवा ने मूसा से कहा, सुन, मE तुझे फरौन के िलथे परमे र सा ठहराता हंू ; और तेरा भाई हाRन ते रा नबी ठहरे गा। 2 जो जो आWा मE तुझे दं ू वह: तू कहना, और हाRन उसे फरौन से कहे गा 'जस से वह इॐाएिलयHको अपके दे श से िनकल जाने दे । 3 और मE फरौन के मन को कठोर कर दं ग ू ा, और अपके िच(ह और चमकार िमॐ दे श म बहुत से दखलाऊंगा। 4 तौभी फरौन तुSहार: न सुनेगा; और मE िमॐ दे श पर अपना हाथ बढ़ाकर िमिॐयHको भार: द+ड दे कर अप क सेना अयाOत ् अप क इॐाएली ूजा को िमॐ दे श से िनकाल लूग ं ा। 5 और जब मE िमॐ पर हाथ बढ़ा कर इॐाएिलयHको उनके बीच से िनकालूग ं ा तब िमॐी जान ल गे, क मE यहोवा हंू । 6 तब मूसा और हाRन ने यहोवा क आWा के अनुसार ह: कया। 7 और जब मूसा और हाRन फरौन से बात करने लगे तब

मूसा तो अःसी वषO का या, और हाRन ितरासी वषO का या।। 8 फर यहोवा ने, मूसा और हाRन से इस ूकार कहा, 9 क जब फरौन तुम से कहे , क अपके ूमाण का कोई चमकार दखाओ, तब तू हाRन से कहना, क अप क लाठq को लेकर फरौन के साSहने डाल दे , क वह अजगर बन जाए। 10 तब मूसा और हाRन ने फरौन के पास जाकर यहोवा क आWा के अनुसार कया; और जब हाRन ने अप क लाठq को फरौन और उसके कमOचाgरयHके साSहने डाल दया, तब वह अजगर बन गया। 11 तब फरौन ने प'+डतHऔर टोनहा करनेवालHको बुलवाया; और िमॐ के जादग ू रHने आकर अपके अपके तंऽ मंऽ से वैसा ह: कया। 12 उ(हHने भी अप क अप क लाठq को डाल दया, और वे भी अजगर बन गए। पर हाRन क लाठq उनक लाठयHको िनगल गई। 13 पर(तु फरौन का मन और हठqला हो गया, और यहोवा के वचन के अनुसार उस ने मूसा और हाRन क बातHको नह:ं माना।। 14 तब यहोवा ने मूसा से कहा, फरोन का मन कठोर हो गया है और वह इस ूजा को जाने नह:ं दे ता। 15 इसिलथे बहान को फरौन के पास जा, वह तो जल क ओर बाहर आएगा; और जो लाठq सपO बन गई यी, उसको हाथ म िलए हुए नील नद: के तट पर उस से भ ट करने के िलथे खड़ा रहना। 16 और उस से इस ूकार कहना, क इॄयHके परमे र यहोवा ने मुझे यह कहने के िलथे तेरे पास भेजा है , क मेर: ूजा के लोगHको जाने दे क 'जस से वे जंगल म मेर: उपासना कर ; और अब तक तू ने मेरा कहना नह:ं माना। 17 यहोवा यHकहता है , इस से तू जान लेगा क मE ह: परमे र हंू ; दे ख, मै अपके हाथ क लाठq को नील नद: के जल पर माRंगा, और जल लोहू बन जाएगा, 18 और जो मछिलयां नील नद: म हE वे मर जाएंगी, और नील नद: बसाने लगे गी, और

नद: का पानी पीने के िलथे िमिॐयHका जी न चाहे गा। 19 फर यहोवा ने मूसा से कहा, हाRन से कह, क अप क लाठq लेकर िमॐ दे श म 'जतना जल है , अयाOत ् उसक नदयां, नहर , फल , और पोखरे , सब के ऊपर अपना हाथ बढ़ा क उनका जल लोहू बन जाए; और सारे िमॐ दे श म काठ और पयर दोनHभांित के जलपाऽHम लोहू ह: लोहू हो जाएगा। 20 तब मूसा और हाRन ने यहोवा क आWा ह: के अनुसार कया, अयाOत ् उस ने लाठq को उठाकर फरौन और उसके कमOचाgरयHके दे खते नील नद: के जल पर मारा, और नद: का सब जल लोहू बन गया। 21 और नील नद: म जो मछिलयां यीं वे मर गई; और नद: से दग ु O(ध आने लगी, और िमॐी लोग नद: का पानी न पी सके; और सारे िमॐ दे श म लोहू हो गया। 22 तब िमॐ के जादग ू रHने भी अपके तंऽ-मंऽो से वैसा ह: कया; तौभी फरौन का मन हठqला हो गया, और यहोवा के कहने के अनुसार उस ने मूसा और हाRन क न मानी। 23 फरौन ने इस पर भी ~यान नह:ं दया, और मुह ं फेर के अपके घर म चला गया। 24 और सब िमॐी लोग पीने के जल के िलथे नील नद: के आस पास खोदने लगे, यHक वे नद: का जल नह:ं पी सकते थे। 25 और जब यहोवा ने नील नद: को मारा या तब से सात दन हो चुके थे।। िनगOमन 8 1 और तब यहोवा ने फर मूसा से कहा, फरौन के पास जाकर कह, यहोवा तुझ से इस ूकार कहता है , क मेर: ूजा के लोगHको जाने दे 'जस से वे मेर: उपासना कर । 2 और यद उ(ह जाने न दे गा तो सुन, मE म ढ़क भेजकर तेरे सारे दे श को हािन पहंु चानेवाला हंू । 3 और नील नद: म ढ़कHसे भर जाएगी, और वे तेरे भवन

म , और तेरे बछौने पर, और ते रे कमOचाgरयHके घरHम , और तेर: ूजा पर, वरन तेरे त(दरू Hऔर कठौितयHम भी चढ़ जाएंगे। 4 और तुझ पर, और तेर: ूजा, और तेरे कमOचाgरयH, सभHपर म ढ़क चढ़ जाएंगे। 5 फर यहोवा ने मूसा को आWा द:, क हाRन से कह दे , क नदयH, नहरH, और फलHके ऊपर लाठq के साय अपना हाथ बढ़ाकर म ढकHको िमॐ दे श पर चढ़ा ले आए। 6 तब हाRन ने िमॐ के जलाशयHके ऊपर अपना हाथ बढ़ाया; और म ढ़कHने िमॐ दे श पर चढ़कर उसे छा िलया। 7 और जादग ू र भी अपके तंऽ-मंऽHसे उसी ूकार िमॐ दे श पर म ढक चढ़ा ले आए। 8 तक फरौन ने मूसा और हाRन को बुलवाकर कहा, यहोवा से बनती करो क वह म ढ़कHको मुझ से और मेर: ूजा से दरू करे ; और मE इॐाएली लोगHको जाने दं ग ू ा 'जस से वे यहोवा के िलथे बिलदान कर । 9 तब मूसा ने फरौन से कहा, इतनी बात पर तो मुझ पर तेरा घमंड रहे , अब मE ते रे, और तेरे कमOचाgरयH, और ूजा के िनिम कब बनती कRं, क यहोवा तेरे पास से और तेरे घरHम से म ढकHको दरू करे , और वे केवल नील नद: म पाए जाएं ? 10 उस ने कहा, कल। उस ने कहा, तेरे वचन के अनुसार होगा, 'जस से तुझे यह Wात हो जाए क हमारे परमे र यहोवा के तु`य कोई दस ू रा नह:ं है । 11 और म ढक तेरे पास से, और तेरे घरHम से, और तेरे कमOचाgरयHऔर ूजा के पास से दरू होकर केवल नील नद: म

रह गे। 12 तब मूसा और हाRन फरौन के पास से िनकल गए; और मूसा ने उन म ढकHके वषय यहोवा क दोहाई द: जो उस ने फरौन पर भेजे थे। 13 और यहोवा ने मूसा के कहने के अनुसार कया; और म ढक घरH, आंगनH, और खेतHम

मर गए। 14 और लोगHने इक=ठे करके उनके ढे र लगा दए, और सारा दे श दग ु O(ध से भर गया। 15 पर(तु जब फरोन ने दे खा क अब आराम िमला है तक

यहोवा के कहने के अनुसार उस ने फर अपके मन को कठोर कया, और उनक न सुनी।। 16 फर यहोवा ने मूसा से कहा, हाRन को आWा दे , क तू अप क लाठq बढ़ाकर भूिम क धूल पर मार, 'जस से वह िमॐ दे श भर म कुटकयां बन जाएं। 17 और उ(हHने वैसा ह: कया; अयाOत ् हाRन ने लाठq को ले हाथ बढ़ाकर भूिम क धूल पर मारा, तब मनुंय और पशु दोनHपर कुटकयां हो गई वरन सारे िमॐ दे श म भूिम क धूल कुटकयां बन गई। 18 तब जादग ू रHने चाहा क अपके तंऽ मंऽHके बल से हम भी कुटकयां ले आएं, पर(तु यह उन से न हो सका। और मनुंयHऔर पशुओं दोनHपर कुटकयां बनी ह: रह:ं। 19 तब जादग ू रHने फरौन से कहा, यह तो परमे र के हाथ का काम है । तौभी यहोवा के कहने के अनुसार फरौन का मन कठोर होता गया, और उस ने मूसा और हाRन क बात न मानी।। 20 फर यहोवा ने मूसा से कहा, बहान को तड़के उठकर फरौन के साSहने खड़ा होना, वह तो जल क ओर आएगा, और उस से कहना, क यहोवा तुझ से यह कहता है , क मेर: ूजा के लोगHको जाने दे , क वे मेर: उपासना कर । 21 यद तू मेर: ूजा को न जाने दे गा तो सुन, मE तुझ पर, और तेरे कमOचाgरयHऔर ते र: ूजा पर, और तेरे घरHम फुंड के फुंड डांस भेजूंगा; और िमिॐयHके घर और उनके रहने क भूिम भी डांसHसे भर जाएगी। 22 उस दन मE गोशेन दे श को 'जस म मेर: ूजा रहती है अलग कRंगा, और उस म डांसHके फुंड न हHगे; 'जस से तू जान ले क पृवी के बीच मE ह: यहोवा हूं। 23 और मE अप क ूजा और तेर: ूजा म अ(तर ठहराऊंगा। यह िच(ह कल होगा। 24 और यहोवा ने वैसा ह: कया, और फरौन के भवन, और उसके कमOचाgरयHके घरHम , और सारे िमॐ दे श म डांसHके फुंड के फुंड भर गए, और डांसHके मारे वह दे श नाश हुआ। 25 तब फरौन ने मूसा और

हाRन को बुलवाकर कहा, तुम जाकर अपके परमे र के िलथे इसी दे श म

बिलदान करो। 26 मूसा ने कहा, ऐसा करना उिचत नह:ं; यHक हम अपके परमे र यहोवा के िलथे िमिॐयHक घृ'णत वःतु बिलदान कर ग ; और यद हम िमिॐयHके दे खते उनक घृ'णत वःतु बिलदान कर तो या वे हम को पयरवाह न कर गे ? 27 हम जंगल म तीन दन के मागO पर जाकर अपके परमे र यहोवा के िलथे जैसा वह हम से कहे गा वैसा ह: बिलदान कर गे। 28 फरौन ने कहा, मE तुम को जंगल म जाने दं ग ू ा क तुम अपके परमे र यहोवा के िलथे जंगल म

बिलदान करो; केवल बहुत दरू न जाना, और मेरे िलथे बनती करो। 29 तब मूसा ने कहा, सुन, मE तेरे पास से बाहर जाकर यहोवा से बनती कRंगा क डांसHके फुंड तेरे, और तेरे कमOचाgरयH, और ूजा के पास से कल ह: दरू हH; पर फरौन आगे को कपट करके हम यहोवा के िलथे बिलदान करने को जाने दे ने के िलथे नाह:ं न करे । 30 सो मूसा ने फरौन के पास से बाहर जाकर यहोवा से बनती क। 31 और यहोवा ने मूसा के कहे के अनुसार डांसHके फु+डHको फरौन, और उसके कमOचाgरयH, और उसक ूजा से दरू कया; यहां तक क एक भी न रहा। 32 तक फरौन ने इस बार भी अपके मन को सु(न कया, और उन लोगHको जाने न दया।। िनगOमन 9 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, फरोन के पास जाकर कह, क इॄयHका परमे र यहोवा तुझ से इस ूकार कहता है , क मेर: ूजा के लोगHको जाने दे , क मेर: उपासना कर । 2 और यद तू उ(ह जाने न दे और अब भी पकड़े रहे , 3 तो सुन,

तेरे जो घोड़े , गदहे , ऊंट, गाय-बैल, भेड़-बकर: आद पशु मैदान म हE , उन पर यहोवा का हाथ ऐसा पकेगा क बहुत भार: मर: होगी। 4 और यहोवा इॐाएिलयHके पशुओं म और िमिॐयHके पशुओं म ऐसा अ(तर करे गा, क जो इॐाएिलयHके हE उन म से कोई भी न मरे गा। 5 फर यहोवा ने यह कहकर एक समय ठहराया, क मE यह काम इस दे श म कल कRंगा। 6 दस ू रे दन यहोवा ने ऐसा ह: कया; और िमॐ के तो सब पशु मर गए, पर(तु इॐाएिलयHका एक भी पशु न मरा। 7 और फरौन ने लोगHको भेजा, पर इॐाएिलयHके पशुओं म से एक भी नह:ं मरा या। तौभी फरौन का मन सु(न हो गया, और उस ने उन लोगHको जाने न दया। 8 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, क तुम दोनHभ=ट: म से एक एक मु=ठq राख ले लो, और मूसा उसे फरौन के साSहने आकाश क ओर उड़ा दे । 9 तब वह सूˆम धूल होकर सारे िमॐ दे श म मनुंयHऔर पशुओं दोनHपर फफोले और फोड़े बन जाएगी। 10 सो वे भ=ट: म क राख लेकर फरौन के साSहने खड़े हुए, और मूसा ने उसे आकाश क ओर उड़ा दया, और वह मनुंयHऔर पशुओं दोनHपर फफोले और फोड़े बन गई। 11 और उन फोड़Hके कारण जादग ू र मूसा के साSहने खड़े न रह सके, यHक वे फोड़े जैसे सब िमिॐयHके वैसे ह: जादग ू रHके भी िनकले थे। 12 तब यहोवा ने फरौन के मन को कठोर कर दया, और जैसा यहोवा ने मूसा से कहा या, उस ने उसक न सुनी।। 13 फर यहोवा ने मूसा से कहा, बहान को तड़के उठकर फरौन के साSहने खड़ा हो, और उस से कह इॄयHका परमे र यहोवा इस ूकार कहता है , क मेर: ूजा के लोगHको जाने दे , क वे मेर: उपासना कर । 14 नह:ं तो अब क बार मE तुझ पर, और ते रे कमOचाgरयHऔर तेर: ूजा पर सब ूकार क वपयां डालूग ं ा, 'जससे तू

जान ले क सार: पृवी पर मेरे तु`य कोई दस ू रा नह:ं है । 15 मE ने तो अभी हाथ बढ़ाकर तुझे और तेर: ूजा को मर: से मारा होता, और तू पृवी पर से सयनाश हो गया होता; 16 पर(तु सचमुच मE ने इसी कारण तुझे बनाए रखा है , क तुझे अपना सामयO दखाऊं, और अपना नाम सार: पृवी पर ूिसa कRं। 17 या तू अब भी मेर: ूजा के साSहने अपके आप को बड़ा समझता है , और उ(ह जाने नह:ं दे ता ? 18 सुन, कल मE इसी समय ऐसे भार: भार: ओले बरसाऊंगा, क 'जन के तु`य िमॐ क नेव पड़ने के दन से लेकर अब तक कभी नह:ं पके। 19 सो अब लोगHको भेजकर अपके पशुओं को अपके मैदान म जो कुछ तेरा है सब को फुतh से आड़ म िछपा ले; नह:ं तो 'जतने मनुंय वा पशु मैदान म रह और घर म

इक=ठे न कए जाएं उन पर ओले िगर गे, और वे मर जाएंगे। 20 इसिलथे फरौन के कमOचाgरयHम से जो लोग यहोवा के वचन का भय मानते थे उ(हHने तो अपके अपके सेवकHऔर पशुओं को घर म हाँक दया। 21 पर 'ज(हHने यहोवा के वचन पर मन न लगाया उ(हHने अपके सेवकHऔर पशुओं को मैदान म रहने दया।। 22 तक यहोवा ने मूसा से कहा, अपना हाथ आकाश क ओर बढ़ा, क सारे िमॐ दे श के मनुंयHपशुओं और खेतHक सार: उपज पर ओले िगर । 23 तब मूसा ने अप क लाठq को आकाश क ओर उठाया; और यहोवा मेघ गरजाने और ओले बरसाने लगा, और आग पृवी तक आती रह:। इस ूकार यहोवा ने िमॐ दे श पर ओले बरसाए। 24 जो ओले िगरते थे उनके साय आग भी िमली हुई यी, और वे ओले इतने भार: थे क जब से िमॐ दे श बसा या तब से िमॐ भर म ऐसे ओले कभी न िगरे थे। 25 इसिलथे िमॐ भर के खेतHम या मनुंय, या पशु, 'जतने थे सब ओलHसे मारे गए, और ओलHसे खेत क सार: उपज न हो गई, और मैदान

के सब वृझ टू ट गए। 26 केवल गोशेन दे श म जहां इॐाएली बसते थे ओले नह:ं िगरे । 27 तब फरौन ने मूसा और हाRन को बुलवा भेजा और उन से कहा, क इस बार मE ने पाप कया है ; यहोवा धमh है , और मE और मेर: ूजा अधमh हE । 28 मेघHका गरजना और ओलHका बरसना तो बहुत हो गया; अब भवंय म यहोवा से बनती करो; तब मE तुम लोगHको जाने दं ग ू ा, और तुम न रोके जाओगे। 29 मूसा ने उस से कहा, नगर से िनकलते ह: मE यहोवा क ओर हाथ फैलाऊंगा, तब बादल का गरजना ब(द हो जाएगा, और ओले फर न िगर गे, इस से तू जान लेगा क पृवी यहोवा ह: क है । 30 तौभी मE जानता हंू , क न तो तू और न तेरे कमOचार: यहोवा परमे र का भय मान गे। 31 सन और जव तो ओलHसे मारे गए, यHक जव क बाल िनकल चुक यीं और सन म फूल लगे हुए थे। 32 पर गेहूं और कठया गेहंू जो बढ़े न थे, इस कारण वे मारे न गए। 33 जब मूसा ने फरौन के पास से नगर के बाहर िनकलकर यहोवा क ओर हाथ फैलाए, तब बादल का गरजना और ओलHका बरसना ब(द हुआ, और फर बहुत म ह भूिम पर न पड़ा। 34 यह दे खकर क म ह और ओलHऔर बादल का गरजना ब(द हो गया फरौन ने अपके कमOचाgरयHसमेत फर अपके मन को कठोर करके पाप कया। 35 और फरौन का मन हठqला होता गया, और उस ने इॐाएिलयHको जाने न दया; जैसा क यहोवा ने मूसा के kारा कहलवाया या।। िनगOमन 10 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, फरोन के पास जा; यHक मE ह: ने उसके और उसके कमOचाgरयHके मन को इसिलथे कठोर कर दया है , क अपके िच(ह उनके

बीच म दखलाऊं। 2 और तुम लोग अपके बेटHऔर पोतHसे इसका वणOन करो क यहोवा ने िमिॐयHको कैसे ठ=ठHम उड़ाया और अपके या या िच(ह उनके बीच ूगट कए हE ; 'जस से तुम यह जान लोगे क मE यहोवा हंू । 3 तब मूसा और हाRन ने फरौन के पास जाकर कहा, क इॄयHका परमे र यहोवा तुझ से इस ूकार कहता है , क तू कब तक मेरे साSहने द:न होने से संकोच करता रहे गा ? मेर: ूजा के लोगHको जाने दे , क वे मेर: उपासना कर । 4 यद तू मेर: ूजा को जाने न दे तो सुन, कल मE तेरे दे श म ट']डयां ले आऊंगा। 5 और वे धरती को ऐसा छा ल गी, क वह दे ख न पकेगी; और तुSहारा जो कुछ ओलHसे बच रहा है उसको वे चट कर जाएंगी, और तुSहारे 'जतने वृझ मैदान म लगे हE उनको भी वे चट कर जाएंगी, 6 और वे तेरे और तेरे सारे कमOचाgरयH, िनदान सारे िमिॐयHके घरHम भर जाएंगी; इतनी ट']डयां तेरे बापदादHने वा उनके पुरखाओं ने जब से पृवी पर ज(मे तब से आज तक कभी न दे खीं। और वह मुह ं फेरकर फरौन के पास से बाहर गया। 7 तब फरौन के कमOचार: उस से कहने लगे, वह जन कब तक हमारे िलथे फ(दा बना रहे गा ? उन मनुंयHको जाने दे , क वे अपके परमे र यहोवा क उपासना कर ; या तू अब तक नह:ं जानता, क सारा िमॐ नाश हो गया है ? 8 तब मूसा और हाRन फरौन के पास फर बुलवाए गए, और उस ने उन से कहा, चले जाओ, अपके परमे र यहोवा क उपासना करो; पर(तु वे जो जानेवाले हE , कौन कौन हE ? 9 मूसा ने कहा, हम तो बे टHबेटयH, भेड़-बकgरयH, गाय-बैलHसमेत वरन ब.चHसे बूढ़Hतक सब के सब जाएंगे, यHक हम यहोवा के िलथे पcबO करना है । 10 उस ने इस ूकार उन से कहा, यहोवा तुSहारे संग रहे जब क मE तुSह ब.चHसमेत जाने दे ता हंू ; दे खो, तुSहारे आगे को बुराई है । 11

नह:ं, ऐसा नह:ं होने पाएगा; तुम पुRष ह: जाकर यहोवा क उपासना करो, तुम यह: तो चाहते थे। और वे फरौन के सSमुख से िनकाल दए गए।। 12 तब यहोवा ने मूसा से कहा, िमॐ दे श के ऊपर अपना हाथ बढ़ा, क ट']डयां िमॐ दे श पर चढ़के भूिम का 'जतना अ(न आद ओलHसे बचा है सब को चट कर जाएं। 13 और मूसा ने अप क ला=ठq को िमॐ दे श के ऊपर बढ़ाया, तब यहोवा ने दन भर और रात भर दे श पर पुरवाई बहाई; और जब भोर हुआ तब उस पुरवाई म ट']डयां आL। 14 और ट‰डयHने चढ़के िमॐ दे श के सारे ःयानHमे बसेरा कया, उनका दल बहुत भार: या, वरन न तो उनसे पहले ऐसी ट']डयां आई यी, और न उनके पीछे ऐसी फर आएंगी। 15 वे तो सार: धरती पर छा गई, यहां तक क दे श अ(धेरा हो गया, और उसका सारा अ(न आद और वृझHके सब फल, िनदान जो कुछ ओलHसे बचा या, सब को उ(हHने चट कर िलया; यहां तक क िमॐ दे श भर म न तो कसी वृझ पर कुछ हgरयाली रह गई और न खेत म

अनाज रह गया। 16 तब फरौन ने फुतh से मूसा और हाRन को बुलवाके कहा, मE ने तो तुSहारे परमे र यहोवा का और तुSहारा भी अपराध कया है । 17 इसिलथे अब क बार मेरा अपराध झमा करो, और अपके परमे र यहोवा से बनती करो, क वह केवल मेरे ऊपर से इस मृयु को दरू करे । 18 तब मूसा ने फरोन के पास से िनकल कर यहोवा से बनती क। 19 तब यहोवा ने बहुत ूच+ड पछुवा बहाकर ट']डयHको उड़ाकर लाल समु(ि म डाल दया, और िमॐ के कसी ःयान म एक भी ट]ड: न रह गई। 20 तौभी यहोवा ने फरौन के मन को कठोर कर दया, 'जस से उस ने इॐाएिलयHको जाने न दया। 21 फर यहोवा ने मूसा से कहा, अपना हाथ आकाश क ओर बढ़ा क िमॐ दे श के ऊपर अ(धकार छा जाए,

ऐसा अ(धकार क टटोला जा सके। 22 तब मूसा ने अपना हाथ आकाश क ओर बढ़ाया, और सारे िमॐ दे श म तीन दन तक घोर अ(धकार छाया रहा। 23 तीन दन तक न तो कसी ने कसी को दे खा, और न कोई अपके ःयान से उठा; पर(तु सारे इॐाएिलयHके घरHम उ'जयाला रहा। 24 तब फरौन ने मूसा को बुलवाकर कहा, तुम लोग जाओ, यहोवा क उपासना करो; अपके बालकHको भी संग ले जाओ; केवल अप क भेड़-बकर: और गाय-बैल को छोड़ जाओ। 25 मूसा ने कहा, तुझ को हमारे हाथ मेलबिल और होमबिल के पशु भी दे ने पक गे, 'ज(ह हम अपके परमे र यहोवा के िलथे चढ़ाएं। 26 इसिलथे हमारे पशु भी हमारे संग जाएंगे, उनका एक खुर तक न रह जाएगा, यHक उ(ह:ं म से हम को अपके परमे र यहोवा क उपासना का सामान लेना होगा, और हम जब तक वहां न पहंु च तब तक नह:ं जानते क या या लेकर यहोवा क उपासना करनी होगी। 27 पर यहोवा ने फरौन का मन हठqला कर दया, 'जस से उस ने उ(ह जाने न दया। 28 तब फरौन ने उस से कहा, मेरे साSहने से चला जा; और सचेत रह; मुझे अपना मुख फर न दखाना; यHक 'जस दन तू मुझे मुह ं दखलाए उसी दन तू मारा जाएगा। 29 मूसा ने कहा, क तू ने ठqक कहा है ; मE तेरे मुह ं को फर कभी न दे खूंगा।। िनगOमन 11 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, एक और वप मE फरौन और िमॐ दे श पर डालता हंू , उसके प_ात ् वह तुम लोगHको वहां से जाने दे गा; और जब वह जाने दे गा तब तुम सभHको िन_य िनकाल दे गा। 2 मेर: ूजा को मेर: यह आWा सुना,

क एक एक पुRष अपके अपके पड़ोसी, और एक एक \ी अप क अप क पड़ोिसन से सोने चांद: के गहने मांग ले। 3 तब यहोवा ने िमिॐयHको अप क ूजा पर दयालु कया। और इससे अिधक वह पुRष मूसा िमॐ दे श म फरौन के कमOचाgरयHऔर साधारण लोगHक l म अित महान या।। 4 फर मूसा ने कहा, यहोवा इस ूकार कहता है , क आधी रात के लगभग मE िमॐ दे श के बीच म

होकर चलूग ं ा। 5 तब िमॐ म िसंहासन पर वराजने वाले फरौन से लेकर च क पीसनेवाली दासी तक के पहलौठे ; वरन पशुओं तक के सब पहलौठे मर जाएंगे। 6 और सारे िमॐ दे श म बड़ा हाहाकार मचेगा, यहां तक क उसके समान न तो कभी हुआ और न होगा। 7 पर इॐाएिलयHके वRa, या मनुंय या पशु, कसी पर कोई कुा भी न भHकेगा; 'जस से तुम जान लो क िमिॐयHऔर इॐाएिलयHम

मE यहोवा अ(तर करता हंू । 8 तब तेरे थे सब कमOचार: मेरे पास आ मुझे द+डवत ् करके यह कह गे, क अपके सब अनुचरHसमेत िनकल जा। और उसके प_ात ् मE िनकल जाऊंगा। यह कह कर मूसा बड़े बोध म फरौन के पास से िनकल गया।। 9 यहोवा ने मूसा से कह दया या, क फरौन तुSहार: न सुनेगा; यHक मेर: इ.छा है क िमॐ दे श म बहुत से चमकार कRं। 10 मूसा और हाRन ने फरौन के साSहने थे सब चमकार कए; पर यहोवा ने फरौन का मन और कठोर कर दया, सो उसने इॐाएिलयHको अपके दे श से जाने न दया।। िनगOमन 12 1 फर यहोवा ने िमॐ दे श म मूसा और हाRन से कहा, 2 क यह मह:ना तुम लोगHके िलथे आरSभ का ठहरे ; अयाOत ् वषO का पहला मह:ना यह: ठहरे । 3

इॐाएल क सार: म+डली से इस ूकार कहो, क इसी मह:ने के दसव दन को तुम अपके अपके पतरHके घरानHके अनुसार, घराने पीछे एक एक मेSना ले रखो। 4 और यद कसी के घराने म एक मेSने के खाने के िलथे मनुंय कम हH, तो वह अपके सब से िनकट रहनेवाले पड़ोसी के साय ूा'णयHक िगनती के अनुसार एक मेSना ले रखे; और तुम हर एक के खाने के अनुसार मेSने का हसाब करना। 5 तुSहारा मेSना िनदŠष और पहले वषO का नर हो, और उसे चाहे भेड़Hम से लेना चाहे बकgरयHम से। 6 और इस मह:ने के चौदहव दन तक उसे रख छोड़ना, और उस दन गोधूिल के समय इॐाएल क सार: म+डली के लोग उसे बिल कर । 7 तब वे उसके लोहू म से कुछ लेकर 'जन घरHम मेSने को खाएंगे उनके kार के दोनHअलंगHऔर चौखट के िस के पर लगाएं। 8 और वे उसके मांस को उसी रात आग म भूज ं कर अखमीर: रोट: और कड़वे सागपात के साय खाएं। 9 उसको िसर, पैर, और अतडय़Hसमेत आग म भूज ं कर खाना, क.चा वा जल म

कुछ भी पकाकर न खाना। 10 और उस म से कुछ बहान तक न रहने दे ना, और यद कुछ बहान तक रह भी जाए, तो उसे आग म जला दे ना। 11 और उसके खाने क यह विध है ; क कमर बा(धे, पांव म जूती पहने, और हाथ म लाठq िलए हुए उसे फुतh से खाना; वह तो यहोवा का पcबO होगा। 12 यHक उस रात को मE िमॐ दे श के बीच म से होकर जाऊंगा, और िमॐ दे श के या मनुंय या पशु, सब के पहलौठHको माRंगा; और िमॐ के सारे दे वताओं को भी मE द+ड दं ग ू ा; मE तो यहोवा हंू । 13 और 'जन घरHम तुम रहोगे उन पर वह लोहू तुSहारे िनिम िच(ह ठहरे गा; अयाOत ् मE उस लोहू को दे खकर तुम को छोड़ जाऊंगा, और जब मE िमॐ दे श के लोगHको माRंगा, तब वह वप तुम पर न पकेगी और तुम नाश न

होगे। 14 और वह दन तुम को ःमरण दलानेवाला ठहरे गा, और तुम उसको यहोवा के िलथे पcबO करके मानना; वह दन तुSहार: पीढय़Hम सदा क विध जानकर पcबO माना जाए। 15 सात दन तक अखमीर: रोट: खाया करना, उन म

से पहले ह: दन अपके अपके घर म से खमीर उठा डालना, वरन जो पहले दन से लेकर सातव दन तक कोई खमीर: वःतु खाए, वह ूाणी इॐाएिलयHम से नाश कया जाए। 16 और पहले दन एक पवऽ सभा, और सातव दन भी एक पवऽ सभा करना; उन दोनHदनHमे कोई काम न कया जाए; केवल 'जस ूाणी का जो खाना हो उसके काम करने क आWा है । 17 इसिलथे तुम बना खमीर क रोट: का पcबO मानना, यHक उसी दन मानो मE ने तुम को दल दल करके िमॐ दे श से िनकाला है ; इस कारण वह दन तुSहार: पीढय़Hम सदा क विध जानकर माना जाए। 18 पहले मह:ने के चौदहव दन क सांफ से लेकर इ कसव दन क सांफ तक तुम अखमीर: रोट: खाया करना। 19 सात दन तक तुSहारे घरHम

कुछ भी खमीर न रहे , वरन जो कोई कसी खमीर: वःतु को खाए, चाहे वह दे शी हो चाहे परदे शी, वह ूाणी इॐाएिलयHक म+डली से नाश कया जाए। 20 कोई खमीर: वःतु न खाना; अपके सब घरHम बना खमीर क रोट: खाया करना।। 21 तब मूसा ने इॐाएल के सब पुरिनयHको बुलाकर कहा, तुम अपके अपके कुल के अनुसार एक एक मेSना अलग कर रखो, और फसह का पशु बिल करना। 22 और उसका लोहू जो तसले म होगा उस म जूफा का एक गु.छा डु बाकर उसी तसले म

के लोहू से kार के चौखट के िस के और दोनHअलंगHपर कुछ लगाना; और भोर तक तुम म से कोई घर से बाहर न िनकले। 23 यHक यहोवा दे श के बीच होकर िमिॐयHको मारता जाएगा; इसिलथे जहां जहां वह चौखट के िस के, और

दोनHअलंगHपर उस लोहू को दे खेगा, वहां वहां वह उस kार को छोड़ जाएगा, और नाश करनेवाले को तुSहारे घरHम मारने के िलथे न जाने दे गा। 24 फर तुम इस विध को अपके और अपके वंश के िलथे सदा क विध जानकर माना करो। 25 जब तुम उस दे श म 'जसे यहोवा अपके कहने के अनुसार तुम को दे गा ूवेश करो, तब वह काम कया करना। 26 और जब तुSहारे लड़केबाले तुम से पूछ , क इस काम से तुSहारा या मतलब है ? 27 तब तुम उनको यह उर दे ना, क यहोवा ने जो िमिॐयHके मारने के समय िमॐ म रहने वाले हम इॐाएिलयHके घरHको छोड़कर हमारे घरHको बचाया, इसी कारण उसके फसह का यह बिलदान कया जाता है । तब लोगHने िसर फुकाकर द+डवत ् क। 28 और इॐाएिलयHने जाकर, जो आWा यहोवा ने मूसा और हाRन को द: यी, उसी के अनुसार कया।। 29 और ऐसा हुआ क आधी रात को यहोवा ने िमॐ दे श म िसंहासन पर वराजनेवाले फरौन से लेकर गड़हे म पके हुए ब(धुए तक सब के पहलौठHको, वरन पशुओं तक के सब पहलौठHको मार डाला। 30 और फरौन रात ह: को उठ बैठा, और उसके सब कमOचार:, वरन सारे िमॐी उठे ; और िमॐ म बड़ा हाहाकार मचा, यHक एक भी ऐसा घर न या 'जसम कोई मरा न हो। 31 तब फरौन ने रात ह: रात म मूसा और हाRन को बुलवाकर कहा, तुम इॐाएिलयHसमेत मेर: ूजा के बीच से िनकल जाओ; और अपके कहने के अनुसार जाकर यहोवा क उपासना करो। 32 अपके कहने के अनुसार अप क भेड़-बकgरयHऔर गाय-बैलHको साय ले जाओ; और मुझे आशीवाOद दे जाओ। 33 और िमॐी जो कहते थे, क हम तो सब मर िमटे हE , उ(हHने इॐाएली लोगHपर दबाव डालकर कहा, क दे श से फटपट िनकल जाओ। 34 तब उ(हHने अपके गू(धे गु(धाए आटे

को बना खमीर दए ह: कठौितयHसमेत कपड़Hम बा(धके अपके अपके क(धे पर डाल िलया। 35 और इॐाएिलयHने मूसा के कहने के अनुसार िमिॐयHसे सोने चांद: के गहने और व\ मांग िलथे। 36 और यहोवा ने िमिॐयHको अप क ूजा के लोगHपर ऐसा दयालु कया, क उ(हHने जो जो मांगा वह सब उनको दया। इस ूकार इॐाएिलयHने िमिॐयHको लूट िलया।। 37 तब इॐाएली रामसेस से कूच करके सु कोत को चले, और बालब.चHको छोड़ वे कोई छ: लाख पुRष €यादे थे। 38 और उनके साय िमली जुली हुई एक भीड़ गई, और भेड़-बकर:, गाय-बैल, बहुत से पशु भी साय गए। 39 और जो गू(धा आटा वे िमॐ से साय ले गए उसक उ(हHने बना खमीर दए रोटयां बनाई; यHक वे िमॐ से ऐसे बरबस िनकाले गए, क उ(ह अवसर भी न िमला क मागO म खाने के िलथे कुछ पका सक , इसी कारण वह गू(धा हुआ आटा बना खमीर का या। 40 िमॐ म बसे हुए इॐाएिलयHको चार सौ तीस वषO बीत गए थे। 41 और उन चार सौ तीस वषJके बीतने पर, ठqक उसी दन, यहोवा क सार: सेना िमॐ दे श से िनकल गई। 42 यहोवा इॐाएिलयHको िमॐ दे श से िनकाल लाया, इस कारण वह रात उसके िनिम मानने के अित योbय है ; यह यहोवा क वह: रात है 'जसका पीढ़: पीढ़: म

मानना इॐाएिलयHके िलथे अित अवँय है ।। 43 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, पcबO क विध यह है ; क कोई परदे शी उस म से न खाए; 44 पर जो कसी का मोल िलया हुआ दास हो, और तुम लोगHने उसका खतना कया हो, वह तो उस म से खा सकेगा। 45 पर परदे शी और मजदरू उस म से न खाएं। 46 उसका खाना एक ह: घर म हो; अयाOत ् तुम उसके मांस म से कुछ घर से बाहर न ले जाना; और बिलपशु क कोई ह]ड: न तोड़ना। 47 पcबO को मानना इॐाएल क

सार: म+डली का कतOeय कमO है । 48 और यद कोई परदे शी तुम लोगHके संग रहकर यहोवा के िलथे पcबO को मानना चाहे , तो वह अपके यहां के सब पुRषHका खतना कराए, तब वह समीप आकर उसको माने; और वह दे शी मनुंय के तु`य ठहरे गा। पर कोई खतनारहत पुRष उस म से न खाने पाए। 49 उसक eयवःया दे शी और तुSहारे बीच म रहनेवाले परदे शी दोनHके िलथे एक ह: हो। 50 यह आWा जो यहोवा ने मूसा और हाRन को द: उसके अनुसार सारे इॐाएिलयHने कया। 51 और ठqक उसी दन यहोवा इॐाएिलयHको िमॐ दे श से दल दल करके िनकाल ले गया।। िनगOमन 13 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 क या मनुंय के या पशु के, इॐाएिलयHम

'जतने अप क अप क मां के जेठे हH, उ(ह मेरे िलथे पवऽ मानना; वह तो मेरा ह: है ।। 3 फर मूसा ने लोगHसे कहा, इस दन को ःमरण रखो, 'जस म तुम लोग दासव के घर, अयाOत ् िमॐ से िनकल आए हो; यहोवा तो तुम को वहां से अपके हाथ के बल से िनकाल लाया; इस म खमीर: रोट: न खाई जाए। 4 आबीब के मह:ने म आज के दन तुम िनकले हो। 5 इसिलथे जब यहोवा तुम को कनानी, ही, एमोर:, हcबी, और यबूसी लोगHके दे श म पहुचाएगा, 'जसे दे ने क उस ने तुSहारे पुरखाओं से शपय खाई यी, और 'जस म दध ू और मधु क धारा बहती है , तब तुम इसी मह:ने म पcबO करना। 6 सात दन तक अखमीर: रोट: खाया करना, और सातव दन यहोवा के िलथे पcबO मानना। 7 इन सातHदनHम अखमीर: रोट: खाई जाए; वरन तुSहारे दे श भर म न खमीर: रोट:, न खमीर तुSहारे पास दे खने

म आए। 8 और उस दन तुम अपके अपके पुऽHको यह कहके समझा दे ना, क यह तो हम उसी काम के कारण करते हE , जो यहोवा ने हमारे िमॐ से िनकल आने के समय हमारे िलथे कया या। 9 फर यह तुSहारे िलथे तुSहारे हाथ म एक िच(ह होगा, और तुSहार: आंखHके साSहने ःमरण करानेवाली वःतु ठहरे ; 'जस से यहोवा क eयवःया तुSहारे मुह ं पर रहे : यHक यहोवा ने तुSह अपके बलव(त हाथHसे िमॐ से िनकाला है । 10 इस कारण तुम इस विध को ूित वषO िनयत समय पर माना करना।। 11 फर जब यहोवा उस शपय के अनुसार, जो उस ने तुSहारे पुरखाओं से और तुम से भी खाई है , तुSहे कनािनयHके दे श म

पहंु चाकर उसको तुSह दे दे गा, 12 तब तुम म से 'जतने अप क अप क मां के जे ठे हHउनको, और तुSहारे पशुओं म जो ऐसे हHउनको भी यहोवा के िलथे अपOण करना; सब नर ब.चे तो यहोवा के हE । 13 और गदह: के हर एक पहलौठे क स(ती मेSना दे कर उसको छुड़ा लेना, और यद तुम उसे छुड़ाना न चाहो तो उसका गला तोड़ दे ना। पर अपके सब पहलौठे पुऽHको बदला दे कर छुड़ा लेना। 14 और आगे के दनHम जब तुSहारे पुऽ तुम से पूछ , क यह या है ? तो उन से कहना, क यहोवा हम लोगHको दासव के घर से, अयाOत ् िमॐ दे श से अपके हाथHके बल से िनकाल लाया है । 15 उस समय जब फरौन ने कठोर होकर हम को जाने दे ना न चाहा, तब यहोवा ने िमॐ दे श म मनुंय से लेकर पशु तक सब के पहलौठHको मार डाला। इसी कारण पशुओं म से तो 'जतने अप क अप क मां के पहलौठे नर हE , उ(ह हम यहोवा के िलथे बिल करते हE ; पर अपके सब जेठे पुऽHको हम बदला दे कर छुड़ा लेते हE । 16 और यह तुSहारे हाथHपर एक िच(ह सा और तुSहार: भौहHके बीच ट:का सा ठहरे ; यHक यहोवा हम लोगHको िमॐ से

अपके हाथHके बल से िनकाल लाया है ।। 17 जब फरौन ने लोगHको जाने क आWा दे द:, तब यrप पिल'ँतयHके दे श म होकर जो मागO जाता है वह छोटा या; तौभी परमे र यह सोच कर उनको उस मागO से नह:ं ले गया, क कह:ं ऐसा न हो क जब थे लोग लड़ाई दे ख तब पछताकर िमॐ को लौट आएं। 18 इसिलथे परमे र उनको च कर 'खलाकर लाल समुि के जंगल के मागO से ले चला। और इॐाएली पांित बा(धे हुए िमॐ से िनकल गए। 19 और मूसा यूसफ ु क ह']डयHको साय लेता गया; यHक यूसफ ु ने इॐाएिलयHसे यह कहके, क परमे र िन_य तुSहार: सुिध लेगा, उनको इस वषय क lढ़ शपय 'खलाई यी, क वे उसक ह']डयHको अपके साय यहां से ले जाएंगे। 20 फर उ(हHने सु कोत से कूच करके जंगल क छोर पर एताम म डे रा कया। 21 और यहोवा उ(ह दन को मागO दखाने के िलथे मेघ के खSभे म , और रात को उ'जयाला दे ने के िलथे आग के खSभे म होकर उनके आगे आगे चला करता या, 'जससे वे रात और दन दोनHम चल सक । 22 उस ने न तो बादल के खSभे को दन म और न आग के खSभे को रात म लोगHके आगे से हटाया।। िनगOमन 14 1 यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इॐाएिलयHको आWा दे , क वे लौटकर िमगदोल और समुि के बीच पीहह:रोत के सSमुख, बालसपोन के साSहने अपके डे रे खड़े कर , उसी के साSहने समुि के तट पर डे रे खड़े कर । 3 तब फरौन इॐाएिलयHके वषय म सोचेगा, क वे दे श के उलफनHम बफे हE और जंगल म िघर गए हE । 4 तब मE फरौन के मन को कठोर कर दं ग ू ा, और वह उनका पीछा करे गा, तब फरौन और

उसक सार: सेना के kारा मेर: महमा होगी; और िमॐी जान ल गे क मE यहोवा हूं। और उ(हHने वैसा ह: कया। 5 जब िमॐ के राजा को यह समाचार िमला क वे लोग भाग गए, तब फरौन और उसके कमOचाgरयHका मन उनके वRa पलट गया, और वे कहने लगे, हम ने यह या कया, क इॐाएिलयHको अप क सेवकाई से छुटकारा दे कर जाने दया ? 6 तब उस ने अपना रय जुतवाया और अप क सेना को संग िलया। 7 उस ने छ: सौ अ.दे से अ.छे रय वरन िमॐ के सब रय िलए और उन सभHपर सरदार बैठाए। 8 और यहोवा ने िमॐ के राजा फरौन के मन को कठोर कर दया। सो उस ने इॐाएिलयHका पीछा कया; पर(तु इॐाएली तो बेखटके िनकले चले जाते थे। 9 पर फरौन के सब घोड़H, और रयH, और सवारHसमेत िमॐी सेना ने उनका पीछा करके उ(ह , जो पीहह:रोत के पास, बालसपोन के साSहने, समुि के तीर पर डे रे डाले पके थे, जा िलया।। 10 जब फरौन िनकट आया, तब इॐाएिलयHने आंखे उठाकर या दे खा, क िमॐी हमारा पीछा कए चले आ रहे हE ; और इॐाएली अय(त डर गए, और िच`लाकर यहोवा क दोहाई द:। 11 और वे मूसा से कहने लगे, या िमॐ म कबर न यीं जो तू हम को वहां से मरने के िलथे जंगल म ले आया है ? तू ने हम से यह या कया, क हम को िमॐ से िनकाल लाया ? 12 या हम तुझ से िमॐ म यह: बात न कहते रहे , क हम रहने दे क हम िमिॐयHक सेवा कर ? हमारे िलथे जंगल म मरने से िमिॐयHक सेवा करनी अ.छq यी। 13 मूसा ने लोगHसे कहा, डरो मत, खड़े खड़े वह उaार का काम दे खो, जो यहोवा आज तुSहारे िलथे करे गा; यHक 'जन िमिॐयHको तुम आज दे खते हो, उनको फर कभी न दे खोगे। 14 यहोवा आप ह: तुSहारे िलथे लड़े गा, इसिलथे तुम चुपचाप रहो।। 15 तब यहोवा ने मूसा से कहा,

तू यHमेर: दोहाई दे रहा है ? इॐाएिलयHको आWा दे क यहां से कूच कर । 16 और तू अप क लाठq उठाकर अपना हाथ समुि के ऊपर बढ़ा, और वह दो भाग हो जाएगा; तब इॐाएली समुि के बीच होकर ःयल ह: ःयल पर चले जाएंगे। 17 और सुन, मE आप िमिॐयHके मन को कठोर करता हंू , और वे उनका पीछा करके समुि म घुस पक गे, तब फरौन और उसक सेना, और रयH, और सवारHके kारा मेर: महमा होगी, तब िमॐी जान ल गे क मE यहोवा हूं। 18 और जब फरौन, और उसके रयH, और सवारHके kारा मेर: महमा होगी, तब िमॐी जान ल गे क मE यहोवा हंू । 19 तब परमे र का दत ू जो इॐाएली सेना के आगे आगे चला करता या जाकर उनके पीछे हो गया; और बादल का खSभा उनके आगे से हटकर उनके पीछे जा ठहरा। 20 इस ूकार वह िमिॐयHक सेना और इॐाएिलयHक सेना के बीच म आ गया; और बादल और अ(धकार तो हुआ, तौभी उससे रात को उ(ह

ूकाश िमलता रहा; और वे रात भर एक दस ू रे के पास न आए। 21 और मूसा ने अपना हाथ समुि के ऊपर बढ़ाया; और यहोवा ने रात भर ूच+ड पुरवाई चलाई, और समुि को दो भाग करके जल ऐसा हटा दया, 'जससे क उसके बीच सूखी भूिम हो गई। 22 तब इॐाएली समुि के बीच ःयल ह: ःयल पर होकर चले, और जल उनक दाहनी और बाL ओर द:वार का काम दे ता या। 23 तब िमॐी, अयाOत ् फरौन के सब घोड़े , रय, और सवार उनका पीछा कए हुए समुि के बीच म चले गए। 24 और रात के पछले पहर म यहोवा ने बादल और आग के खSभे म से िमिॐयHक सेना पर l करके उ(ह घबरा दया। 25 और उस ने उनके रयHके पहयHको िनकाल डाला, 'जससे उनका चलना कठन हो गया; तब िमॐी आपस म कहने लगे, आओ, हम इॐाएिलयHके साSहने से भाग ; यHक यहोवा उनक

ओर से िमिॐयHके वRa युa कर रहा है ।। 26 फर यहोवा ने मूसा से कहा, अपना हाथ समुि के ऊपर बढ़ा, क जल िमिॐयH, और उनके रयH, और सवारHपर फर बहने लगे। 27 तब मूसा ने अपना हाथ समुि के ऊपर बढ़ाया, और भोर होते होते या हुआ, क समुि फर GयHका यHअपके बल पर आ गया; और िमॐी उलटे भागने लगे, पर(तु यहोवा ने उनको समुि के बीच ह: म फटक दया। 28 और जल के पलटने से, 'जतने रय और सवार इॐाएिलयHके पीछे समुि म आए थे, सो सब वरन फरौन क सार: सेना उस म डू ब गई, और उस म से एक भी न बचा। 29 पर(तु इॐाएली समुि के बीच ःयल ह: ःयल पर होकर चले गए, और जल उनक दाहनी और बाL दोनHओर द:वार का काम दे ता या। 30 और यहोवा ने उस दन इॐाएिलयHको िमिॐयHके वश से इस ूकार छुड़ाया; और इॐाएिलयHने िमिॐयHको समुि के तट पर मरे पके हुए दे खा। 31 और यहोवा ने िमिॐयHपर जो अपना पराबम दखलाता या, उसको दे खकर इॐाएिलयHने यहोवा का भय माना और यहोवा क और उसके दास मूसा क भी ूतीित क।। िनगOमन 15 1 तब मूसा और इॐाएिलयHने यहोवा के िलथे यह गीत गाया। उ(हHने कहा, मE यहोवा का गीत गाऊंगा, यHक वह महाूतापी ठहरा है ; घोड़Hसमेत सवारHको उस ने समुि म डाल दया है ।। 2 यहोवा मेरा बल और भजन का वषय है , और वह: मेरा उaार भी ठहरा है ; मेरा ई र वह: है , मE उसी क ःतुित कRंगा, (मE उसके िलथे िनवासःयान बनाऊंगा ), मेरे पूवOजHका परमे र वह: है , मE उसको सराहंू गा।। 3 यहोवा योaा है ; उसका नाम यहोवा है ।। 4 फरौन के रयHऔर सेना

को उस ने समुि म डाल दया; और उसके उम से उम रयी लाल समुि म डू ब गए।। 5 गहरे जल ने उ(ह ढांप िलया; वे पयर क नाL गहरे ःयानHम डू ब गए।। 6 हे यहोवा, ते रा दहना हाथ शf म महाूतापी हुआ हे यहोवा, तेरा दहना हाथ शऽु को चकनाचूर कर दे ता है ।। 7 और तू अपके वरोिधयHको अपके महाूताप से िगरा दे ता है ; तू अपना कोप भड़काता, और वे भूसे क नाL भःम हो जाते हE ।। 8 और ते रे नयनHक सांस से जल एकऽ हो गया, धाराएं ढे र क नाL यम गL; समुि के म~य म गहरा जल जम गया।। 9 शऽु ने कहा या, मE पीछा कRंगा, मE जा पकडू ं गा, मE लूट के माल को बांट लूग ं ा, उन से मेरा जी भर जाएगा। मै अप क तलवार खींचते ह: अपके हाथ से उनको नाश कर डालूग ं ा।। 10 तू ने अपके ास का पवन चलाया, तब समुि ने उनको ढांप िलया; वे महाजलरािश म

सीसे क नाई डू ब गए।। 11 हे यहोवा, दे वताओं म तेरे तु`य कौन है ? तू तो पवऽता के कारण महाूतापी, और अप क ःतुित करने वालHके भय के योbय, और आ_यO कमO का काO है ।। 12 तू ने अपना दहना हाथ बढ़ाया, और पृवी ने उनको िनगल िलया है ।। 13 अप क कRणा से तू ने अप क छुड़ाई हुई ूजा क अगुवाई क है , अपके बल से तू उसे अपके पवऽ िनवासःयान को ले चला है ।। 14 दे श दे श के लोग सुनकर कांप उठ गे; पिल'ँतयHके ूाण के लाले पड़ जाएंगे।। 15 एदोम के अिधपित eयाकुल हHगे; मोआब के पहलवान यरयरा उठ गे; सब कनान िनवािसयHके मन पघल जाएंग ।। 16 उन म डर और घबराहट समा जाएगा; तेर: बांह के ूताप से वे पयर क नाई अबोल हHगे, जब तक, हे यहोवा, तेर: ूजा के लोग िनकल न जाएं, जब तक तेर: ूजा के लोग 'जनको तू ने मोल िलया है पार न िनकल जाएं।। 17 तू उ(ह पहुचाकर अपके िनज भागवाले पहाड़

पर बसाएगा, यह वह: ःयान है , हे यहोवा 'जसे तू ने अपके िनवास के िलथे बनाया, और वह: पवऽःयान है 'जसे, हे ूभु, तू ने आप 'ःयर कया है ।। 18 यहोवा सदा सवOदा राGय करता रहे गा।। 19 यह गीत गाने का कारण यह है , क फरौन के घोड़े रयHऔर सवारHसमेत समुि के बीच म चले गए, और यहोवा उनके ऊपर समुि का जल लौटा ले आया; पर(तु इॐाएली समुि के बीच ःयल ह: ःयल पर होकर चले गए। 20 और हाRन क बहन मgरयम नाम नबया ने हाथ म डफ िलया; और सब '\यां डफ िलए नाच क हुई उसके पीछे हो लीं। 21 और मgरयम उनके साय यह टे क गाती गई क :- यहोवा का गीत गाओ, यHक वह महाूतापी ठहरा है ; घोड़Hसमेत सवारHको उस ने समुि म डाल दया है ।। 22 तब मूसा इॐाएिलयHको लाल समुि से आगे ले गया, और वे शूर नाम जंगल म आए; और जंगल म जाते हुए तीन दन तक पानी का सोता न िमला। 23 फर मारा नाम एक ःयान पर पहंु चे, वहां का पानी खारा या, उसे वे न पी सके; इस कारण उस ःयान का नाम मारा पड़ा। 24 तब वे यह कहकर मूसा के वRa बकफक करने लगे, क हम या पीएं ? 25 तब मूसा ने यहोवा क दोहाई द:, और यहोवा ने उसे एक पौधा बतला दया, 'जसे जब उस ने पानी म डाला, तब वह पानी मीठा हो गया। वह:ं यहोवा ने उनके िलथे एक विध और िनयम बनाया, और वह:ं उस ने यह कहकर उनक प कझा क, 26 क यद तू अपके परमे र यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसक l म ठqक है वह: करे , और उसक सब विधयHको माने, तो 'जतने रोग मE ने िमिॐयHपर भेजा है उन म से एक भी तुझ पर न भेजूंगा; यHक मE तुSहारा चंगा करनेवाला यहोवा हंू ।। 27 तब वे एलीम को आए, जहां पानी के बारह सोते और सर खजूर के पेड़ थे; और वहां उ(हHने

जल के पास डे रे खड़े कए।। िनगOमन 16 1 फर एलीम से कूच करके इॐाएिलयHक सार: म+डली, िमॐ दे श से िनकलने के मह:ने के दस ू रे मह:ने के पंिहवे दन को, सीन नाम जंगल म , जो एलीम और सीनै पवOत के बीच म है , आ पहंु ची। 2 जंगल म इॐाएिलयHक सार: म+डली मूसा और हाRन के वRa बकफक करने लगी। 3 और इॐाएली उन से कहने लगे, क जब हम िमॐ दे श म मांस क हांडयHके पास बैठकर मनमाना भोजन खाते थे, तब यद हम यहोवा के हाथ से मार डाले भी जाते तो उम वह: या; पर तुम हम को इस जंगल म इसिलथे िनकाल ले आए हो क इस सारे समाज को भूखHमार डालो। 4 तब यहोवा ने मूसा से कहा, दे खो, मE तुम लोगHके िलथे आकाश से भोजन वःतु बरसाऊंगा; और थे लोग ूितदन बाहर जाकर ूितदन का भोजन इक=ठा कर गे, इस से मE उनक प कझा कRंगा, क थे मेर: eयवःया पर चल गे क नह:ं। 5 और ऐसा होगा क छठव दन वह भोजन और दनHसे दन ू ा होगा, इसिलथे जो कुछ वे उस दन बटोर उसे तैयार कर रख । 6 तब मूसा और हाRन ने सारे इॐाएिलयHसे कहा, सांफ को तुम जान लोगे क जो तुम को िमॐ दे श से िनकाल ले आया है वह यहोवा है । 7 और भोर को तुSह यहोवा का ते ज दे ख पकेगा, यHक तुम जो यहोवा पर बुड़बुड़ाते हो उसे वह सुनता है । और हम या हE , क तुम हम पर बुड़बुड़ाते हो ? 8 फर मूसा ने कहा, यह तब होगा जब यहोवा सांफ को तुSह खाने के िलथे मांस और भोर को रोट: मनमाने दे गा; यHक तुम जो उस पर बुड़बुड़ाते हो उसे वह सुनता है । और हम या हE ? तुSहारा बुड़बुड़ाना

हम पर नह:ं यहोवा ह: पर होता है । 9 फर मूसा ने हाRन से कहा, इॐाएिलयHक सार: म+डली को आWा दे , क यहोवा के साSहने वरन उसके समीप आवे, यHक उस ने उनका बुड़बुड़ाना सुना है । 10 और ऐसा हुआ क जब हाRन इॐाएिलयHक सार: म+डली से ऐसी ह: बात कर रहा या, क उ(हHने जंगल क ओर l करके दे खा, और उनको यहोवा का तेज बादल म दखलाई दया। 11 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 12 इॐाएिलयHका बुड़बुड़ाना मE ने सुना है ; उन से कह दे , क गोधूिल के समय तुम मांस खाओगे और भोर को तुम रोट: से तृT हो जाओगे ; और तुम यह जान लोगे क मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 13 और ऐसा हुआ क सांफ को बटे र आकर सार: छावनी पर बैठ गL; और भोर को छावनी के चारHओर ओस प क। 14 और जब ओस सूख गई तो वे या दे खते हE , क जंगल क भूिम पर छोटे छोटे िछलके छोटाई म पाले के कनकHके समान पके हE । 15 यह दे खकर इॐाएली, जो न जानते थे क यह या वःतु है , सो आपस म कहने लगे यह तो म(ना है । तब मूसा ने उन से कहा, यह तो वह: भोजन वःतु है 'जसे यहोवा तुSह खाने के िलथे दे ता है । 16 जो आWा यहोवा ने द: है वह यह है , क तुम उस म से अपके अपके खाने के योbय बटोरा करना, अयाOत ् अपके अपके ूा'णयHक िगनती के अनुसार, ूित मनुंय के पीछे एक एक ओमेर बटोरना; 'जसके डे रे म 'जतने हHवह उ(ह:ं भर के िलथे बटोरा करे । 17 और इॐाएिलयHने वैसा ह: कया; और कसी ने अिधक, और कसी ने योड़ा बटोर िलया। 18 और जब उ(हHने उसको ओमेर से नापा, तब 'जसके पास अिधक या उसके कुछ अिधक न रह गया, ओर 'जसके पास योड़ा या उसको कुछ घट: न हुई; यHक एक एक मनुंय ने अपके खाने के योbय ह: बटोर िलया या। 19 फर मूसा ने उन

से कहा, कोई इस म से कुछ बहान तक न रख छोड़े । 20 तौभी उ(हHने मूसा क बात न मानी; इसिलथे जब कसी कसी मनुंय ने उस म से कुछ बहान तक रख छोड़ा, तो उस म कड़े पड़ गए और वह बसाने लगा; तब मूसा उन पर बोिधत हुआ। 21 और वे भोर को ूितदन अपके अपके खाने के योbय बटोर लेते थे, ओर जब धूप कड़: होती यी, तब वह गल जाता या। 22 और ऐसा हुआ क छठव दन उ(हHने दन ू ा, अयाOत ् ूित मनुंय के पीछे दो दो ओमेर बटोर िलया, और म+डली के सब ूधानHने आकर मूसा को बता दया। 23 उस ने उन से कहा, यह तो वह: बात है जो यहोवा ने कह:, यां◌ेक कल परमवौम, अयाOत ् यहोवा के िलथे पवऽ वौम होगा; इसिलथे तुSह जो त(दरू म पकाना हो उसे पकाओ, और जो िसफाना हो उसे िसफाओ, और इस म से 'जतना बचे उसे बहान के िलथे रख छोड़ो। 24 जब उ(हHने उसको मूसा क इस आWा के अनुसार बहान तक रख छोड़ा, तब न तो वह बसाया, और न उस म कड़े पके। 25 तब मूसा ने कहा, आज उसी को खाओ, यHक आज यहोवा का वौमदन है ; इसिलथे आज तुम को मैदान म न िमलेगा। 26 छ: दन तो तुम उसे बटोरा करोगे; पर(तु सातवां दन तो वौम का दन है , उस म वह न िमलेगा। 27 तौभी लोगHम से कोई कोई सातव

दन भी बटोरने के िलथे बाहर गए, पर(तु उनको कुछ न िमला। 28 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तुम लोग मेर: आWाओं और eयवःया को कब तक नह:ं मानोगे ? 29 दे खो, यहोवा ने जो तुम को वौम का दन दया है , इसी कारण वह छठव

दन को दो दन का भोजन तुSह दे ता है ; इसिलथे तुम अपके अपके यहां बैठे रहना, सातव दन कोई अपके ःयान से बाहर न जाना। 30 लोगHने सातव दन वौम कया। 31 और इॐाएल के घरानेवालHने उस वःतु का नाम म(ना रखा;

और वह धिनया के समान ेत या, और उसका ःवाद मधु के बने हुए पुए का सा या। 32 फर मूसा ने कहा, यहोवा ने जो आWा द: वह यह है , क इस म से ओमेर भर अपके वंश क पीढ़: पीढ़: के िलथे रख छोड़ो, 'जससे वे जान क यहोवा हमको िमॐ दे श से िनकालकर जंगल म कैसी रोट: 'खलाता या। 33 तब मूसा ने हाRन से कहा, एक पाऽ लेकर उस म ओमेर भर लेकर उसे यहोवा के आगे धर दे , क वह तुSहार: पीढय़Hके िलथे रखा रहे । 34 जैसी आWा यहोवा ने मूसा को द: यी, उसी के अनुसार हाRन ने उसको साझी के स(दक ू के आगे धर दया, क वह वह:ं रखा रहे । 35 इॐाएली जब तक बसे हुए दे श म न पहंु चे तब तक, अयाOत ् चालीस वषO तक म(ना को खाते रहे ; वे जब तक कनान दे श के िसवाने पर नह:ं पहंु चे तब तक म(ना को खाते रहे । 36 एक ओमेर तो एपा का दसवां भाग है । िनगOमन 17 1 फर इॐाएिलयHक सार: म+डली सीन नाम जंगल से िनकल च क, और यहोवा के आWानुसार कूच करके रपीद:म म अपके डे रे खड़े कए; और वहां उन लोगHको पीने का पानी न िमला। 2 इसिलथे वे मूसा से वादववाद करके कहने लगे, क हम पीने का पानी दे । मूसा ने उन से कहा, तुम मुझ से यHवादववाद करते हो? और यहोवा क प कझा यHकरते हो? 3 फर वहां लोगHको पानी क €यास लगी तब वे यह कहकर मूसा पर बुड़बुड़ाने लगे, क तू हम लड़केबालHऔर पशुओं समेत €यासHमार डालने के िलथे िमॐ से यHले आया है ? 4 तब मूसा ने यहोवा क दोहाई द:, और कहा, इन लोगHसे मE या कRं? थे सब मुझे पयरवाह करने को तैयार हE । 5 यहोवा ने मूसा से कहा, इॐाएल के वृa लोगHम से कुछ को

अपके साय ले ले; और 'जस लाठq से तू ने नील नद: पर मारा या, उसे अपके हाथ म लेकर लोगHके आगे बढ़ चल। 6 दे ख मE तेरे आगे चलकर होरे ब पहाड़ क एक च=टान पर खड़ा रहंू गा; और तू उस च=टान पर मारना, तब उस म से पानी िनकलेगा 'जससे थे लोग पीएं। तब मूसा ने इॐाएल के वृa लोगHके दे खते वैसा ह: कया। 7 और मूसा ने उस ःयान का नाम मःसा और मर:बा रखा, कयHक इॐाएिलयHने वहां वादववाद कया या, और यहोवा क प कझा यह कहकर क, क या यहोवा हमारे बीच है वा नह:ं ? 8 तब अमालेक आकर रपीद:म म

इॐाएिलयHसे लड़ने लगे। 9 तब मूसा ने यहोशू से कहा, हमारे िलथे कई एक पुRषHको चुनकर छांट ले, ओर बाहर जाकर अमालेकयHसे लड़; और मE कल परमे र क लाठq हाथ म िलथे हुए पहाड़: क चोट: पर खड़ा रहूंगा। 10 मूसा क इस आWा के अनुसार यहोशू अमालेकयHसे लड़ने लगा; और मूसा, हाRन, और हूर पहाड़: क चोट: पर चढ़ गए। 11 और जब तक मूसा अपना हाथ उठाए रहता या तब तक तो इॐाएल ूबल होता या; पर(तु जब जब वह उसे नीचे करता तब तब अमालेक ूबल होता या। 12 और जब मूसा के हाथ भर गए, तब उ(हHने एक पयर लेकर मूसा के नीचे रख दया, और वह उस पर बैठ गया, और हाRन और हूर एक एक अलंग म उसके हाथHको सSभाले रह ; और उसके हाथ सूयाOःत तक 'ःयर रहे । 13 और यहोशू ने अनुचरHसमेत अमालेकयHको तलवार के बल से हरा दया। 14 तब यहोवा ने मूसा से कहा, ःमरणायO इस बात को पुःतक म िलख ले और यहोशू को सुना दे , क मE आकाश के नीचे से अमालेक का ःमरण भी पूर: र:ित से िमटा डालूग ं ा। 15 तब मूसा ने एक वेद: बनाकर उसका नाम यहोवािनःसी रखा ; 16 और कहा, यहोवा ने शपय खाई है , क यहोवा

अमालेकयHसे पीढय़Hतक लड़ाई करता रहे गा।। िनगOमन 18 1 और मूसा के ससुर िमXान के याजक ियऽो ने यह सुना, क परमे र ने मूसा और अप क ूजा इ\ाएल के िलथे या या कया है , अयाOत ् यह क कस र:ित से यहोवा इ\ाएिलयHको िमॐ से िनकाल ले आया। 2 तब मूसा के ससुर ियऽो मूसा क प^ी िस€पोरा को, जो पहले नैहर भेज द: गई यी, 3 और उसके दोनHबेटHको भी ले आया; इन म से एक का नाम मूसा ने यह कहकर गेशzम रखा या, क मै अ(य दे श म परदे शी हुआ हंू । 4 और दस ू रे का नाम उस ने यह कहकर एलीएजेर रखा, क मेरे पता के परमे र ने मेरा सहाथक होकर मुझे फरौन क तलवार से बचाया। 5 मूसा क प^ी और पुऽHको उसका ससुर ियऽो संग िलए मूसा के पास जंगल के उस ःथान म आया, जहां परमे र के पवOत के पास उसका डे रा पड़ा या। 6 और आकर उस ने मूसा के पास यह कहला भेजा, क मE तेरा ससुर ियऽो हंू , और दोनो बेटHसमेत तेर: प^ी को ते रे पास ले आया हंू । 7 तब मूसा अपके ससुर से भ ट करने के िलथे िनकला, और उसको द+डवत ् करके चूमा; और वे परःपर कुशल झेम पूछते हुए डे रे पर आ गए। 8 वहां मूसा ने अपके ससुर से वणOन कया, क यहोवा ने इ\ाएिलयHके िनिम फरौन और िमिॐयHसे या या कया, और इ\ाएिलयHने मागO म या या क उठाया, फर यहोवा उ(ह

कैसे कैसे छुड़ाता आया है । 9 तब ियऽो ने उस समःत भलाई के कारण जो यहोवा ने इ\ाएिलयHके साय क यी, क उ(ह िमिॐयHके वश से छुड़ाया या, मbन होकर कहा, 10 ध(य है यहोवा, 'जस ने तुम को फरौन और िमिॐयHके वश से छुड़ाया,

'जस ने तुम लोगHको िमिॐयHक मु=ठq म से छुड़ाया है । 11 अब मE ने जान िलया है क यहोवा सब दे वताओं से बड़ा है ; वरन उस वषय म भी 'जस म उ(हHने इ\ाएिलयHसे अिभमान कया या। 12 तब मूसा के ससुर ियऽो ने परमे र के िलथे होमबिल और मेलबिल चढ़ाए, और हाRन इ\ाएिलयHके सब पुरिनयHसमेत मूसा के ससुर ियऽो के संग परमे र के आगे भोजन करने को आया। 13 दस ू रे दन मूसा लोगHका (याय करने को बैठा, और भोर से सांफ तक लोग मूसा के आसपास खड़े रहे । 14 यह दे खकर क मूसा लोगHके िलथे या या करता है , उसके ससुर ने कहा, यह या काम है जो तू लोगHके िलथे करता है ? या कारण है क तू अकेला बैठा रहता है , और लोग भोर से सांफ तक तेरे आसपास खड़े रहते हE ? 15 मूसा ने अपके ससुर से कहा, इसका कारण यह है क लोग मेरे पास परमे र से पूछने आते है । 16 जब जब उनका कोई मुकXमा होता है तब तब वे मेरे पास आते हE और मE उनके बीच (याय करता, और परमे र क विध और eयवःया उ(ह जताता हंू । 17 मूसा के ससुर ने उस से कहा, जो काम तू करता है वह अ.छा नह:ं। 18 और इस से तू या, वरन थे लोग भी जो तेरे संग हE िन_य हार जाएंगे, यHक यह काम तेरे िलथे बहुत भार: है ; तू इसे अकेला नह:ं कर सकता। 19 इसिलथे अब मेर: सुन ले, मE तुझ को सSमित दे ता हंू , और परमे र तेरे संग रहे । तू तो इन लोगHके िलथे परमे र के सSमुख जाया कर, और इनके मुकXमHको परमे र के पास तू पहुंचा दया कर। 20 इ(ह विध और eयवःया ूगट कर करके, 'जस मागO पर इ(ह चलना, और जो जो काम इ(ह करना हो, वह इनको जता दया कर। 21 फर तू इन सब लोगHम से ऐसे पुRषHको छांट ले, जो गुणी, और परमे र का भय मानने वाले, स.चे, और अ(याय के लाभ से घृणा

करने वाले हH; और उनको हजारफार, सौ-सौ, पचास-पचास, और दस-दस मनुंयHपर ूधान िनयुf कर दे । 22 और वे सब समय इन लोगHका (याय कया कर ; और सब बड़े बड़े मुकXमHको तो ते रे पास ले आया कर , और छोटे छोटे मुकXमHका (याय आप ह: कया कर ; तब तेरा बोफ हलका होगा, यHक इस बोफ को वे भी तेरे साय उठाएंगे। 23 यद तू यह उपाय करे , और परमे र तुझ को ऐसी आWा दे , तो तू ठहर सकेगा, और थे सब लोग अपके ःयान को कुशल से पहंु च सक ग । 24 अपके ससुर क यह बात मान कर मूसा ने उसके सब वचनHके अनुसार कया। 25 सो उस ने सब इ\ाएिलयHम से गुणी-गुणी पुRष चुनकर उ(ह

हजारफार, सौ-सौ, पचास-पचास, दस-दस, लोगHके ऊपर ूधान ठहराया। 26 और वे सब लोगHका (याय करने लगे; जो मुकXमा कठन होता उसे तो वे मूसा के पास ले आते थे, और सब छोटे मुकXमHका (याय वे आप ह: कया करते थे। 27 और मूसा ने अपके ससुर को वदा कया, और उस ने अपके दे श का मागO िलया।। िनगOमन 19 1 इ\ाएिलयHको िमॐ दे श से िनकले हुए 'जस दन तीन मह:ने बीत चुके, उसी दन वे सीनै के जंगल म आए। 2 और जब वे रपीद:म से कूच करके सीनै के जंगल म आए, तब उ(हHने जंगल म डे रे खड़े कए; और वह:ं पवOत के आगे इ\ाएिलयHने छावनी डाली। 3 तब मूसा पवOत पर परमे र के पास चढ़ गया, और यहोवा ने पवOत पर से उसको पुकारकर कहा, याकूब के घराने से ऐसा कह, और इ\ाएिलयHको मेरा यह वचन सुना, 4 क तुम ने दे खा है क मै ने िमिॐयHसे या या कया; तुम को मानो उकाब प क के पंखHपर चढ़ाकर अपके पास ले

आया हंू । 5 इसिलथे अब यद तुम िन_य मेर: मानोगे, और मेर: वाचा का पालन करोगे, तो सब लोगHम से तुम ह: मेरा िनज धन ठहरोगे; समःत पृवी तो मेर: है । 6 और तुम मेर: l म याजकHका राGय और पवऽ जाित ठहरोगे। जो बात

तुझे इ\ाएिलयHसे कहनी हE वे थे ह: है । 7 तब मूसा ने आकर लोगHके पुरिनयHको बुलवाया, और थे सब बात , 'जनके कहने क आWा यहोवा ने उसे द: यी, उनको समझा द:ं। 8 और सब लोग िमलकर बोल उठे , जो कुछ यहोवा ने कहा है वह सब हम िनत कर गे। लोगHक यह बात मूसा ने यहोवा को सुनाL। 9 तब यहोवा ने मूसा से कहा, सुन, मE बादल के अंिध कारने म होकर तेरे पास आता हंू , इसिलथे क जब मE तुझ से बात कRं तब वे लोग सुन , और सदा तेर: ूतीित कर । और मूसा ने यहोवा से लोगHक बातHका वणOन कया। 10 तब यहोवा ने मूसा से कहा, लोगHके पास जा और उ(ह आज और कल पवऽ करना, और वे अपके व\ धो ल , 11 और वे तीसरे दन तक तैयार हो रह ; यHक तीसरे दन यहोवा सब लोगHके दे खते सीनै पवOत पर उतर आएगा। 12 और तू लोगHके िलथे चारHओर बाड़ा बा(ध दे ना, और उन से कहना, क तुम सचेत रहHक पवOत पर न चढ़ो और उसके िसवाने को भी न छूओ; और जो कोई पहाड़ को छूए वह िन_य मार डाला जाए। 13 उसको कोई हाथ से तो न छूए, पर(तु वह िन_य पयरवाह कया जाए, वा तीर से छे दा जाए; चाहे पशु हो चाहे मनुंय, वह जीवत न बचे। जब महाशcद वाले नरिसंगे का शcद दे र तक सुनाई दे , तब लोग पवOत के पास आएं। 14 तब मूसा ने पवOत पर से उतरकर लोगHके पास आकर उनको पवऽ कराया; और उ(हHने अपके व\ धो िलए। 15 और उस ने लोगHसे कहा, तीसरे दन तक तैयार हो रहो; \ी के पास न जाना। 16 जब तीसरा दन आया तब भोर होते

बादल गरजने और बजली चमकने लगी, और पवOत पर काली घटा छा गई, फर नरिसंगे का शcद बड़ा भर: हुआ, और छावनी म 'जतने लोग थे सब कांप उठे । 17 तब मूसा लोगHको परमे र से भ ट करने के िलथे छावनी से िनकाल ले गया; और वे पवOत के नीचे खड़े हुए। 18 और यहोवा जो आग म होकर सीनै पवOत पर उतरा या, इस कारण समःत पवOत धुएं से भर गया; और उसका धुआं भ=टे का सा उठ रहा या, और समःत पवOत बहुत कांप रहा या 19 फर जब नरिसंगे का शcद बढ़ता और बहुत भार: होता गया, तब मूसा बोला, और परमे र ने वाणी सुनाकर उसको उर दया। 20 और यहोवा सीनै पवOत क चोट: पर उतरा; और मूसा को पवOत क चोट: पर बुलाया और मूसा ऊपर चढ़ गया। 21 तब यहोवा ने मूसा से कहा, नीचे उतरके लोगHको िचतावनी दे , कह:ं ऐसा न हो क वे बाड़ा तोड़के यहोवा के पास दे खने को घुस , और उन म से बहुत नाश हHजाएं। 22 और याजक जो यहोवा के समीप आया करते हE वे भी अपके को पवऽ कर , कह:ं ऐसा न हो क यहोवा उन पर टू ट पके। 23 मूसा ने यहोवा से कहा, वे लोग सीनै पवOत पर नह:ं चढ़ सकते; तू ने तो आप हम को यह कहकर िचताया, क पवOत के चारHऔर बाड़ा बा(धकर उसे पवऽ रखो। 24 यहोवा ने उस से कहा, उतर तो जा, और हाRन समेत ऊपर आ; पर(तु याजक और साधारण लोग कह:ं यहोवा के पास बाड़ा तोड़के न चढ़ आएं, कह:ं ऐसा न हो क वह उन पर टू ट पके। 25 थे ह: बात मूसा ने लोगHके पास उतरके उनको सुनाL।। िनगOमन 20 1 तब परमे र ने थे सब वचन कहे , 2 क मै तेरा परमे र यहोवा हंू , जो तुझे

दासव के घर अयाOत ् िमॐ दे श से िनकाल लाया है ।। 3 तू मुझे छोड़ दस ू रHको ई र करके न मानना।। 4 तू अपके िलथे कोई मूितर ् खोदकर न बनाना, न कसी क ूितमा बनाना, जो आकाश म , वा पृवी पर, वा पृवी के जल म है । 5 तू उनको द+डवत ् न करना, और न उनक उपासना करना; यHक मै तेरा परमे र यहोवा जलन रखने वाला ई र हंू , और जो मुझ से बैर रखते है , उनके बे टH, पोतH, और परपोतHको भी पतरHका द+ड दया करता हूं, 6 और जो मुझ से ूेम रखते और मेर: आWाओं को मानते हE , उन हजारHपर कRणा कया करता हंू ।। 7 तू अपके परमे र का नाम eययO न लेना; यHक जो यहोवा का नाम eययO ले वह उसको िनदzष न ठहराएगा।। 8 तू वौमदन को पवऽ मानने के िलथे ःमरण रखना। 9 छ: दन तो तू पgरnम करके अपना सब काम काज करना; 10 पर(तु सातवां दन तेरे परमे र यहोवा के िलथे वौमदन है । उस म न तो तू कसी भांित का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेर: बेट:, न तेरा दास, न तेर: दासी, न तेरे पशु, न कोई परदे शी जो तेरे फाटकHके भीतर हो। 11 यHक छ: दन म यहोवा ने आकाश, और पृवी, और समुि, और जो कुछ उन म है , सब को बनाया, और सातव दन वौम कया; इस कारण यहोवा ने वौमदन को आशीष द: और उसको पवऽ ठहराया।। 12 तू अपके पता और अप क माता का आदर करना, 'जस से जो दे श तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है उस म तू बहुत दन तक रहने पाए।। 13 तू खून न करना।। 14 तू eयिभचार न करना।। 15 तू चोर: न करना।। 16 तू कसी के वRa फूठq साझी न दे ना।। 17 तू कसी के घर का लालच न करना; न तो कसी क \ी का लालच करना, और न कसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न कसी क कसी वःतु का लालच करना।। 18 और

सब लोग गरजने और बजली और नरिसंगे के शcद सुनते, और धुआं उठते हुए पवOत को दे खते रहे , और दे खके, कांपकर दरू खड़े हो गए; 19 और वे मूसा से कहने लगे, तू ह: हम से बात कर, तब तो हम सुन सक गे; पर(तु परमे र हम से बात न करे , ऐसा न हो क हम मर जाएं। 20 मूसा ने लोगHसे कहा, डरो मत; यHक परमे र इस िनिम आया है क तुSहार: प कझा करे , और उसका भय तुSहारे मन म बना रहे , क तुम पाप न करो। 21 और वे लोग तो दरू ह: खड़े रहे , पर(तु मूसा उस घोर अ(धकार के समीप गया जहां परमे र या।। 22 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तू इ\ाएिलयHको मेरे थे वचन सुना, क तुम लोगHने तो आप ह: दे खा है क मै ने तुSहारे साय आकाश से बात क हE । 23 तुम मेरे साय कसी को स'Sमिलत न करना, अयाOत ् अपके िलथे चा(द: वा सोने से दे वताओं को न गढ़ लेना। 24 मेरे िलथे िम=ट: क एक वेद: बनाना, और अप क भेड़-बकgरयHऔर गाय-बैलHके होमबिल और मेलबिल को उस पर चढ़ाना; जहां जहां मE अपके नाम का ःमरण कराऊं वहां वहां मE आकर तुSह आशीष दं ग ू ा। 25 और यद तुम मेरे िलथे पयरHक वेद: बनाओ, तो तराशे हुए पयरHसे न बनाना; यHक जहां तुम ने उस पर अपना हिययार लगाया वहां तू उसे अशुa कर दे गा। 26 और मेर: वे द: पर सीढ़: से कभी न चढ़ना, कह:ं ऐसा न हो क ते रा तन उस पर नंगा दे ख पके।। िनगOमन 21 1 फर जो िनयम तुझे उनको समझाने हE वे थे हE ।। 2 जब तुम कोई इॄी दास मोल लो, तब वह छ: वषO तक सेवा करता रहे , और सातव वषO ःवतंऽ होकर स तम त चला जाए। 3 यद वह अकेला आया हो, तो अकेला ह: चला जाए; और

यद प^ी सहत आया हो, तो उसके साय उसक प^ी भी च क जाए। 4 यद उसके ःवामी ने उसको प^ी द: हो और उस से उसके बेटे वा बे टयां उप(न हुई हH, तो उसक प^ी और बालक उसके ःवामी के ह: रह , और वह अकेला चला जाए। 5 पर(तु यद वह दास lढ़ता से कहे , क मE अपके ःवामी, और अप क प^ी, और बालकHसे ूेम रखता हंू ; इसिलथे मE ःवतंऽ होकर न चला जाऊंगा; 6 तो उसका ःवामी उसको परमे र के पास ले चले; फर उसको kार के कवाड़ वा बाजू के पास ले जाकर उसके कान म सुतार: से छे द कर ; तब वह सदा उसक सेवा करता रहे ।। 7 यद कोई अप क बेट: को दासी होने के िलथे बेच डाले, तो वह दासी क नाई बाहर न जाए। 8 यद उसका ःवामी उसको अप क प^ी बनाए, और फर उस से ूस(न न रहे , तो वह उसे दाम से छुड़ाई जाने दे ; उसका व ासघात करने के बाद उसे ऊप क लोगHके हाथ बेचने का उसको अिध कारने न होगा। 9 और यद उस ने उसे अपके बेटे को cयाह दया हो, तो उस से बेट: का सा eयवहार करे । 10 चाहे वह दस ू र: प^ी कर ले, तौभी वह उसका भोजन, व\, और संगित न घटाए। 11 और यद वह इन तीन बातHम घट: करे , तो वह \ी स तम त बना दाम चुकाए ह: च क जाए।। 12 जो कसी मनुंय को ऐसा मारे क वह मर जाए, तो वह भी िन_य मार डाला जाए। 13 यद वह उसक घात म न बैठा हो, और परमे र क इ.छा ह: से वह उसके हाथ म पड़ गया हो, तो ऐसे मारनेवाले के भागने के िनिम मE एक ःयान ठहराऊंगा जहां वह भाग जाए। 14 पर(तु यद कोई ढठाई से कसी पर चढ़ाई करके उसे छल से घात करे , तो उसको मार ढालने के िलथे मेर: वेद: के पास से भी अलग ले जाना।। 15 जो अपके पता वा माता को मारे -पीटे वह िन_य मार डाला जाए।। 16 जो कसी

मनुंय को चुराए, चाहे उसे ले जाकर बेच डाले, चाहे वह उसके पास पाया जाए, तो वह भी िन_य मार डाला जाए।। 17 जो अपके पता वा माता को ौप दे वह भी िन_य मार डाला जाए।। 18 यद मनुंय फगड़ते हH, और एक दस ू रे को पयर वा मु के से ऐसा मारे क वह मरे नह:ं पर(तु बछौने पर पड़ा रहे , 19 तो जब वह उठकर लाठq के सहारे से बाहर चलने फरने लगे , तब वह मारनेवाला िनदzष ठहरे ; उस दशा म वह उसके पके रहने के समय क हािन तो भर दे , ओर उसको भला चंगा भी करा दे ।। 20 यद कोई अपके दास वा दासी को सHटे से ऐसा मारे क वह उसके मारने से मर जाए, तब तो उसको िन_य द+ड दया जाए। 21 पर(तु यद वह दो एक दन जीवत रहे , तो उसके ःवामी को द+ड न दया जाए; यHक वह दास उसका धन है ।। 22 यद मनुंय आपस म मारपीट करके कसी गिभणh \ी को ऐसी चोट पहुचाए, क उसका गभO िगर जाए, पर(तु और कुछ हािन न हो, तो मारनेवाले से उतना द+ड िलया जाए 'जतना उस \ी का पित पंच क सSमित से ठहराए। 23 पर(तु यद उसको और कुछ हािन पहंु चे, तो ूाण क स(ती ूाण का, 24 और आंख क स(ती आंख का, और दांत क स(ती दांत का, और हाथ क स(ती हाथ का, और पांव क स(ती पांव का, 25 और दाग क स(ती दाग का, और घाव क स(ती घाव का, और मार क स(ती मार का द+ड हो।। 26 जब कोई अपके दास वा दासी क आंख पर ऐसा मारे क फूट जाए, तो वह उसक आंख क स(ती उसे ःवतंऽ करके जाने दे । 27 और यद वह अपके दास वा दासी को मारके उसका दांत तोड़ डाले, तो वह उसके दांत क स(ती उसे ःवतंऽ करके जाने दे ।। 28 यद बैल कसी पुRष वा \ी को ऐसा सींग मारे क वह मर जाए, तो वह बैल तो िन_य पयरवाह करके मार डाला जाए, और उसका मांस खाया न

जाए; पर(तु बैल का ःवामी िनदzष ठहरे । 29 पर(तु यद उस बैल क पहले से सींग मारने क बान प क हो, और उसके ःवामी ने जताए जाने पर भी उसको न बा(ध रखा हो, और वह कसी पुRष वा \ी को मार डाले, तब तो वह बैल पयरवाह कया जाए, और उसका ःवामी भी मार डाला जाए। 30 यद उस पर छुड़ौती ठहराई जाए, तो ूाण छुड़ाने को जो कुछ उसके िलथे ठहराया जाए उसे उतना ह: दे ना पकेगा। 31 चाहे बैल ने कसी बेटे को, चाहे बेट: को मारा हो, तौभी इसी िनयम के अनुसार उसके ःवामी के साय eयवहार कया जाए। 32 यद बैल ने कसी दास वा दासी को सींग मारा हो, तो बैल का ःवामी उस दास के ःवामी को तीस शेकेल Rपा दे , और वह बैल पयरवाह कया जाए।। 33 यद कोई मनुंय गड़हा खोलकर वा खोदकर उसको न ढांपे, और उस म कसी का बैल वा गदहा िगर पके 34 तो 'जसका वह गड़हा हो वह उस हािन को भर दे ; वह पशु के ःवामी को उसका मोल दे , और लोय गड़हे वाले क ठहरे ।। 35 यद कसी का बैल कसी दस ू रे के बैल को ऐसी चोट लगाए, क वह मर जाए, तो वे दोनो मनुंय जीते बैल को बेचकर उसका मोल आपस म आधा आधा बांट ले; और लोय को भी वैसा ह: बांट । 36 यद यह ूगट हो क उस बैल क पहले से सींग मारने क बान प क यी, पर उसके ःवामी ने उसे बा(ध नह:ं रखा, तो िन_य यह बैल क स(ती बैल भर दे , पर लोय उसी क ठहरे ।। िनगOमन 22 1 यद कोई मनुंय बैल, वा भेड़, वा बकर: चुराकर उसका घात करे वा बेच डाले, तो वह बैल क स(ती पाँच बैल, और भेड़-बकर: क स(ती चार भेड़-बकर: भर दे ।

2 यद चोर स ध लगाते हुए पकड़ा जाए, और उस पर ऐसी मार पके क वह मर जाए, तो उसके खून का दोष न लगे; 3 यद सूयO िनकल चुके, तो उसके खून का दोष लगे ; अवँय है क वह हािन को भर दे , और यद उसके पास कुछ न हो, तो वह चोर: के कारण बेच दया जाए। 4 यद चुराया हुआ बैल, वा गदहा, वा भेड़ वा बकर: उसके हाथ म जीवत पाई जाए, तो वह उसका दन ू ा भर दे ।। 5 यद कोई अपके पशु से कसी का खेत वा दाख क बार: चराए, अयाOत ् अपके पशु को ऐसा छोड़ दे क वह पराए खे त को चर ले, तो वह अपके खे त क और अप क दाख क बार: क उम से उम उपज म से उस हािन को भर दे ।। 6 यद कोई आग जलाए, और वह कांटHम लग जाए और फूलHके ढे र वा अनाज वा खड़ा खेत जल जाए, तो 'जस ने आग जलाई हो वह हािन को िन_य भर दे ।। 7 यद कोई दस ू रे को Rपए वा साममी क धरोहर धरे , और वह उसके घर से चुराई जाए, तो यद चोर पकड़ा जाए, तो दन ू ा उसी को भर दे ना पकेगा। 8 और यद चोर न पकड़ा जाए, तो घर का ःवामी परमे र के पास लाया जाए, क िन_य हो जाय क उस ने अपके भाई ब(धु क सSप पर हाथ लगाया है वा नह:ं। 9 चाहे बैल, चाहे गदहे , चाहे भेड़ वा बकर:, चाहे व\, चाहे कसी ूकार क ऐसी खोई हुई वःतु के वषय अपराध यHन लगाया जाय, 'जसे दो जन अप क अप क कहते हH, तो दोनHका मुकXमा परमे र के पास आए; और 'जसको परमे र दोषी ठहराए वह दस ू रे को दन ू ा भर दे ।। 10 यद कोई दस ू रे को गदहा वा बैल वा भेड़-बकर: वा कोई और पशु रखने के िलथे सौप , और कसी के बना दे खे वह मर जाए, वा चोट खाए, वा हांक दया जाए, 11 तो उन दोनो के बीच यहोवा क शपय 'खलाई जाए क मE ने इसक सSप पर हाथ नह:ं लगाया; तब सSप का ःवामी इसको सच

माने, और दस ू रे को उसे कुछ भी भर दे ना न होगा। 12 यद वह सचमुच उसके यहां से चुराया गया हो, तो वह उसके ःवामी को उसे भर दे । 13 और यद वह फाड़ डाला गया हो, तो वह फाड़े हुए को ूमाण के िलथे ले आए, तब उसे उसको भी भर दे ना न पकेगा।। 14 फर यद कोई दस ू रे से पशु मांग लाए, और उसके ःवामी के संग न रहते उसको चोट लगे वा वह मर जाए, तो वह िन_य उसक हािन भर दे । 15 यद उसका ःवामी संग हो, तो दस ू रे को उसक हािन भरना न पके; और यद वह भाड़े का हो तो उसक हािन उसके भाड़े म आ गई।। 16 यद कोई पुRष कसी क(या को 'जसके cयाह क बात न लगी हो फुसलाकर उसके संग कुकमO करे , तो वह िन_य उसका मोल दे के उसे cयाह ले। 17 पर(तु यद उसका पता उसे दे ने को ब`कुल इनकार करे , तो कुकमO करनेवाला क(याओं के मोल क र:ित के अनुसार Rपके तौल दे ।। 18 तू डाइन को जीवत रहने न दे ना।। 19 जो कोई पशुगमन करे वह िन_य मार डाला जाए।। 20 जो कोई यहोवा को छोड़ कसी और दे वता के िलथे बिल करे वह सयनाश कया जाए। 21 और परदे शी को न सताना और न उस पर अ(धेर करना यHक िमॐ दे श म तुम भी परदे शी थे। 22 कसी वधवा वा अनाय बालक को द:ु ख न दे ना। 23 यद तुम ऐसHको कसी ूकार का द:ु ख दो, और वे कुछ भी मेर: दोहाई द , तो मE िन_य उनक दोहाई सुनग ूं ा; 24 तब मेरा बोध भड़केगा, और मE तुम को तलवार से मरवाऊंगा, और तुSहार: प'^यां वधवा और तुSहारे बालक अनाय हो जाएंगे।। 25 यद तू मेर: ूजा म से कसी द:न को जो ते रे पास रहता हो Rपए का ऋण दे , तो उस से महाजन क नाई cयाज न लेना। 26 यद तू कभी अपके भाईब(धु के व\ को ब(धक करके रख भी ले, तो सूयO के अःत होने तक उसको लौटा दे ना;

27 यHक वह उसका एक ह: ओढ़ना है , उसक दे ह का वह: अकेला व\ होगा फर वह कसे ओढ़कर सोएगा? तोभी जब वह मेर: दोहाई दे गा तब मE उसक सुनग ूं ा, यHक मE तो कRणामय हंू ।। 28 परमे र को ौप न दे ना, और न अपके लोगHके ूधान को ौप दे ना। 29 अपके खेतHक उपज और फलHके रस म से कुछ मुझे दे ने म वलSब न करना। अपके बेटHम से पहलौठे को मुझे दे ना। 30 वैसे ह: अप क गायHऔर भेड़-बकgरयHके पहलौठे भी दे ना; सात दन तक तो ब.चा अप क माता के संग रहे , और आठव दन तू उसे मुझे दे दे ना। 31 और तुम मेरे िलथे पवऽ मनुंय बनना; इस कारण जो पशु मैदान म फाड़ा हुआ पड़ा िमले उसका मांस न खाना, उसको कुHके आगे फ क दे ना।। िनगOमन 23 1 फूठq बात न फैलाना। अ(यायी साझी होकर द ु का साय न दे ना। 2 बुराई करने के िलथे न तो बहुतHके पीछे हो लेना; और न उनके पीछे फरके मुकXम म (याय बगाड़ने को साझी दे ना; 3 और कंगाल के मुकXम म उसका भी पझ न करना।। 4 यद तेरे शऽु का बैल वा गदहा भटकता हुआ तुझे िमले, तो उसे उसके पास अवँय फेर ले आना। 5 फर यद तू अपके बैर: के गदहे को बोफ के मारे दबा हुआ दे खे, तो चाहे उसको उसके ःवामी के िलथे छुड़ाने के िलथे ते रा मन न चाहे , तौभी अवँय ःवामी का साय दे कर उसे छुड़ा लेना।। 6 तेरे लोगHम से जो दgरि हHउसके मुकXमे म (याय न बगाड़ना। 7 फूठे मुकXमे से दरू रहना, और िनदzष और धमh को घात न करना, यHक मE द ु को िनदzष न ठहराऊंगा। 8 घूस न लेना, यHक घूस दे खने वालHको भी अ(धा कर दे ता, और धिमयJक बात पलट

दे ता है । 9 परदे शी पर अ(धेर न करना; तुम तो परदे शी के मन क बात जानते हो, यHक तुम भी िमॐ दे श म परदे शी थे।। 10 छ: वषO तो अप क भूिम म बोना और उसक उपज इक=ठq करना; 11 पर(तु सातव वषO म उसको पड़ती रहने दे ना और वैसा ह: छोड़ दे ना, तो तेरे भाई ब(धुओं म के दgरि लोग उस से खाने पाएं, और जो कुछ उन से भी बचे वह बनैले पशुओं के खाने के काम म आए। और अप क दाख और जलपाई क बाgरयHको भी ऐसे ह: करना। 12 छ: दन तक तो अपना काम काज करना, और सातव दन वौम करना; क ते रे बैल और गदहे सुःताएं, और ते र: दािसयHके बेटे और परदे शी भी अपना जी ठं डा कर सक । 13 और जो कुछ मE ने तुम से कहा है उस म सावधान रहना; और दस ू रे दे वताओं के नाम क चचाO न करना, वरन वे तुSहारे मुह ं से सुनाई भी न द । 14 ूित वषO तीन बार मेरे िलथे पcबO मानना। 15 अखमीर: रोट: का पcबO मानना; उस म मेर: आWा के अनुसार अबीब मह:ने के िनयत समय पर सात दन तक अखमीर: रोट: खाया करना, यHक उसी मह:ने म तुम िमॐ से िनकल आए। और मुझ को कोई छूछे हाथ अपना मुह ं न दखाए। 16 और जब तेर: बोई हुई खेती क पहली उपज तैयार हो, तब कटनी का पcबO मानना। और वषO के अ(त म जब तू पgरnम के फल बटोर के ढे र लगाए, तब बटोरन का पcबO मानना। 17 ूित वषO तीनHबार ते रे सब पुRष ूभु यहोवा को अपना मुह ं दखाएं।। 18 मेरे बिलपशु का लोहू खमीर: रोट: के संग न चढ़ाना, और न मेरे पcबO के उम बिलदान म से कुछ बहान तक रहने दे ना। 19 अप क भूिम क पहली उपज का पहला भाग अपके परमे र यहोवा के भवन म ले आना। बकर: का ब.चा उसक माता के दध ू म न पकाना।। 20 सुन, मE एक दत ू तेरे आगे आगे भेजता हंू जो मागO म ते र: रझा करे गा, और

'जस ःयान को मै ने तैयार कया है उस म तुझे पहंु चाएगा। 21 उसके साSहने सावधान रहना, और उसक मानना, उसका वरोध न करना, यHक वह तुSहारा अपराध झमा न करे गा; इसिलथे क उस म मेरा नाम रहता है । 22 और यद तू सचमुच उसक माने और जो कुछ मE कहंू वह करे , तो मै ते रे शऽुओं का शऽु और तेरे िोहयHका िोह: बनूग ं ा। 23 इस र:ित मेरा दत ू तेरे आगे आगे चलकर तुझे एमोर:, ही, परGजी, कनानी, हcबी, और यबूसी लोगHके यहां पहुंचाएगा, और मE उनको सयनाश कर डालूग ं ा। 24 उनके दे वताओं को द+डवत ् न करना, और न उनक उपासना करना, और न उनके से काम करना, वरन उन मूरतHको पूर: र:ित से सयानाश कर डालना, और उन लोगHक लाटHके टु कड़े टु कड़े कर दे ना। 25 और तुम अपके परमे र यहोवा क उपासना करना, तब वह तेरे अ(न जल पर आशीष दे गा, और तेरे बीच म से रोग दरू करे गा। 26 तेरे दे श म न तो कसी का गभO िगरे गा और न कोई बांफ होगी; और तेर: आयु मE पूर: कRंगा। 27 'जतने लोगHके बीच तू जाथेगा उन सभHके मन म मै अपना भय पहले से ऐसा समवा दं ग ू ा क उनको eयाकुल कर दं ग ू ा, और मE तुझे सब शऽुओं क पीठ दखाऊंगा। 28 और मE तुझ से पहले बरJको भेजूंगा जो हcबी, कनानी, और ही लोगHको तेरे साSहने से भगा के दरू कर द गी। 29 मE उनको तेरे आगे से एक ह: वषO म तो न िनकाल दं ग ू ा, ऐसा न हो क दे श उजाड़ हो जाए, और बनैले पशु बढ़कर तुझे द:ु ख दे ने लग । 30 जब तक तू फूल फलकर दे श को अपके अिध कारने म न कर ले तब तक मE उ(ह ते रे आगे से योड़ा योड़ा करके िनकालता रहंू गा। 31 मE लाल समुि से लेकर पिल'ँतयHके समुि तक और जंगल से लेकर महानद तक के दे श को ते रे वश म कर दं ग ू ा; मE उस दे श के िनवािस कH भी तेरे वश म कर दं ग ू ा, और

तू उ(ह अपके साSहने से बरबस िनकालेगा। 32 तू न तो उन से वाचा बा(धना और न उनके दे वताओं से। 33 वे तेरे दे श म रहने न पाएं, ऐसा न हो क वे तुझ से मेरे वRa पाप कराएं; यHक यद तू उनके दे वताओं क उपासना करे , तो यह तेरे िलथे फंदा बनेगा।। िनगOमन 24 1 फर उस ने मूसा से कहा, तू, हाRन, नादाब, अबीहू, और इ\ाएिलयHके सर पुरिनयHसमेत यहोवा के पास ऊपर आकर दरू से द+डवत ् करना। 2 और केवल मूसा यहोवा के समीप आए; पर(तु वे समीप न आएं, और दस ू रे लोग उसके संग ऊपर न आएं। 3 तब मूसा ने लोगHके पास जाकर यहोवा क सब बात और सब िनयम सुना दए; तब सब लोग एक ःवर से बोल उठे , क 'जतनी बात यहोवा ने कह: हE उन सब बातHको हम मान गे। 4 तब मूसा ने यहोवा के सब वचन िलख दए। और बहान को सवेरे उठकर पवOत के नीचे एक वेद: और इ\ाएल के बारहHगोऽHके अनुसार बारह खSभे भी बनवाए। 5 तब उस ने कई इ\ाएली जवानHको भेजा, 'ज(हHने यहोवा के िलथे होमबिल और बैलHके मेलबिल चढ़ाए। 6 और मूसा ने आधा लोहू तो लेकर कटारHम रखा, और आधा वेद: पर िछड़क दया। 7 तब वाचा क पुःतक को लेकर लोगHको पढ़ सुनाया; उसे सुनकर उ(हHने कहा, जो कुछ यहोवा ने कहा है उस सब को हम कर गे, और उसक आWा मान गे। 8 तब मूसा ने लोहू को लेकर लोगHपर िछड़क दया, और उन से कहा, दे खो, यह उस वाचा का लोहू है 'जसे यहोवा ने इन सब वचनHपर तुSहारे साय बा(धी है । 9 तब मूसा, हाRन, नादाब, अबीहू और इ\ाएिलयHके सर पुरिनए ऊपर गए, 10

और इ\ाएल के परमे र का दशOन कया; और उसके चरणHके तले नीलम'ण का चबूतरा सा कुछ या, जो आकाश के तु`य ह: ःव.छ या। 11 और उस ने इ\ाएिलयHके ूधानHपर हाथ न बढ़ाया; तब उ(हHने परमे र का दशOन कया, और खाया पया।। 12 तब यहोवा ने मूसा से कहा, पहाड़ पर मेरे पास चढ़, और वहां रह; और मै तुझे पयर क पटयाएं, और अप क िलखी हुई eयवःया और आWा दं ग ू ा, क तू उनको िसखाए। 13 तब मूसा यहोशू नाम अपके टहलुए समेत परमे र के पवOत पर चढ़ गया। 14 क जब तक हम तुSहारे पास फर न आएं तब तक तुम यह:ं हमार: बाट जोहते रहो; और सुनो, हाRन और हूर तुSहारे संग हE ; तो यद कसी का मुकXमा हो तो उ(ह:ं के पास जाए। 15 तब मूसा पवOत पर चढ़ गया, और बादल ने पवOत को छा िलया। 16 तब यहोवा के ते ज ने सीनै पवOत पर िनवास कया, और वह बादल उस पर छ: दन तक छाया रहा; और सातव

दन उस ने मूसा को बादल के बीच म से पुकारा। 17 और इ\ाएिलयHक l म

यहोवा का तेज पवOत क चोट: पर ूच+ड आग सा दे ख पड़ता या। 18 तब मूसा बादल के बीच म ूवे श करके पवOत पर चढ़ गया। और मूसा पवOत पर चालीस दन और चालीस रात रहा।। िनगOमन 25 1 यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे यह कहना, क मेरे िलथे भ ट लाएं; 'जतने अप क इ.छा से दे ना चाह उ(ह:ं सभHसे मेर: भ ट लेना। 3 और 'जन वःतुओं क भ ट उन से लेनी हE वे थे हE ; अयाOत ् सोना, चांद:, पीतल, 4 नीले, बEजनी और लाल रं ग का कपड़ा, सूˆम सनी का कपड़ा, बकर: का बाल, 5 लाल रं ग से

रं गी हुई मेढ़Hक खाल , सुइसHक खाल , बबूल क लकड़:, 6 उ'जयाले के िलथे तेल, अिभषेक के तेल के िलथे और सुग'(धत धूप के िलथे सुग(ध िeय, 7 एपोद और चपरास के िलथे सुलम ै ानी पयर, और जड़ने के िलथे म'ण। 8 और वे मेरे िलथे एक पवऽःयान बनाए, क मE उनके बीच िनवास कRं। 9 जो कुछ मE तुझे दखाता हंू , अयाOत ् िनवासःयान और उसके सब सामान का नमूना, उसी के अनुसार तुम लोग उसे बनाना।। 10 बबूल क लकड़: का एक स(दक ू बनाया जाए; उसक लSबाई अढ़ाई हाथ, और चौड़ाई और ऊंचाई डे ढ़ डे ढ़ हाथ क हH। 11 और उसको चोखे सोने से भीतर और बाहर मढ़वाना, और स(दक ू के ऊपर चारHओर सोने क बाड़ बनवाना। 12 और सोने के चार कड़े ढलवाकर उसके चारHपायHपर, एक अलंग दो कड़े और दस ू र: अलंग भी दो कड़े लगवाना। 13 फर बबूल क लकड़: के ड+डे बनवाना, और उ(हे भी सोने से मढ़वाना। 14 और ड+डHको स(दक ू क दोनHअलंगHके कड़Hम डालना 'जस से उनके बल स(दक ू उठाया जाए। 15 वे ड+डे स(दक ू के कड़Hम लगे रह ; और उस से अलग न कए जाएं। 16 और जो साझीपऽ मE तुझे दं ग ू ा उसे उसी स(दक ू म रखना। 17 फर चोखे सोने का एक ूाय'_ का ढकना बनवाना; उसक लSबाई अढ़ाई हाथ, और चौड़ाई डे ढ़ हाथ क हो। 18 और सोना ढालकर दो कRब बनवाकर ूाय'_ के ढकने के दोनHिसरHपर लगवाना। 19 एक कRब तो एक िस के पर और दस ू रा कRब दस ू रे िस के पर लगवाना; और कRबHको और ूाय'_ के ढकने को उसके ह: टु कड़े से बनाकर उसके दोनो िसरHपर लगवाना। 20 और उन कRबHके पंख ऊपर से ऐसे फैले हुए बन क ूाय'_ का ढकना उन से ढं पा रहे , और उनके मुख आSहने-साSहने और ूाय'_ के ढकने क ओर रह । 21 और ूाय'_ के

ढकने को स(दक ू के ऊपर लगवाना; और जो साझीपऽ मE तुझे दं ग ू ा उसे स(दक ू के भीतर रखना। 22 और मE उसके ऊपर रहकर तुझ से िमला कRंगा; और इ\ाएिलयHके िलथे 'जतनी आWाएं मुझ को तुझे दे नी हHगी, उन सभHके वषय मE ूाय'_ के ढकने के ऊपर से और उन कRबHके बीच म से, जो साझीपऽ के स(दक ू पर हHगे, तुझ से वाताOलाप कया कRंगा।। 23 फर बबूल क लकड़: क एक मेज बनवाना; उसक लSबाई दो हाथ, चौड़ाई एक हाथ, और ऊंचाई डे ढ़ हाथ क हो। 24 उसे चोखे सोने से मढ़वाना, और उसके चारHओर सोने क एक बाड़ बनवाना। 25 और उसके चारHओर चार अंगुल चौड़: एक पटर: बनवाना, और इस पटर: के चारHओर सोने क एक बाड़ बनवाना। 26 और सोने के चार कड़े बनवाकर मेज के उन चारHकोनHम लगवाना जो उसके चारHपायHम हHगे। 27 वे कड़े पटर: के पास ह: हH, और ड+डHके घरHका काम द क मेज़ उ(ह:ं के बल उठाई जाए। 28 और ड+डHको बबूल क लकड़: के बनवाकर सोने से मढ़वाना, और मेज़ उ(ह:ं से उठाई जाए। 29 और उसके परात और धूपदान, और चमचे और उं डे लने के कटोरे , सब चोखे सोने के बनवाना। 30 और मेज़ पर मेरे आगे भ ट क रोटयां िनय रखा करना।। 31 फर चोखे सोने क एक द:वट बनवाना। सोना ढलवाकर वह द:वट, पाथे और ड+ड: सहत बनाया जाए; उसके पुंपकोष, गांठ और फूल, सब एक ह: टु कड़े के बन ; 32 और उसक अलंगHसे छ: डािलयां िनकल , तीन डािलयां तो द:वट क एक अलंग से और तीन डािलयां उसक दस ू र: अलंग से िनकली हुई हH; 33 एक एक डाली म बादाम के फूल के समान तीन तीन पुंपकोष, एक एक गांठ, और एक एक फूल हH; द:वट से िनकली हुई छहHडािलयHका यह: आकार या Rप हो; 34 और द:वट क ड+ड: म बादाम के फूल

के समान चार पुंपकोष अप क अप क गांठ और फूल समेत हH; 35 और द:वट से िनकली हुई छहHडािलयHम से दो दो डािलयHके नीचे एक एक गांठ हो, वे द:वट समेत एक ह: टु कड़े के बने हुए हH। 36 उनक गांठे और डािलयां, सब द:वट समेत एक ह: टु कड़े क हH, चोखा सोना ढलवाकर पूरा द:वट एक ह: टु कड़े का बनवाना। 37 और सात द:पक बनवाना; और द:पक जलाए जाएं क वे द:वट के साSहने ूकाश द । 38 और उसके गुलतराश और गुलदान सब चोखे सोने के हH। 39 वह सब इन समःत सामान समेत क कार भर चोखे सोने का बने। 40 और सावधान रहकर इन सब वःतुओं को उस नमूने के समान बनवाना, जो तुझे इस पवOत पर दखाया गया है ।। िनगOमन 26 1 फर िनवासःयान के िलथे दस परदे बनवाना; इनको बट: हुई सनीवाले और नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का कढ़ाई के काम कए हुए कRबHके साय बनवाना। 2 एक एक परदे क लSबाई अ=ठाईस हाथ और चौड़ाई चार हाथ क हो; सब परदे एक ह: नाप के हH। 3 पांच परदे एक दस ू रे से जुड़े हुए हH; और फर जो पांच परदे रह गे वे भी एक दस ू रे से जुड़े हुए हH। 4 और जहां थे दोनHपरदे जोड़े जाएं वहां क दोनHछोरHपर नीली नीली फिलयां लगवाना। 5 दोनHछोरHम पचास पचास फिलयां ऐसे लगवाना क वे आSहने साSहने हH। 6 और सोने के पचास अंकड़े बनवाना; और परदHके पंचो को अंकड़Hके kारा एक दस ू रे से ऐसा जुड़वाना क िनवासःयान िमलकर एक ह: हो जाए। 7 फर िनवास के ऊपर तSबू का काम दे ने के िलथे बकर: के बाल के bयारह परदे बनवाना। 8 एक एक परदे क लSबाई

तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ क हो; bयारहHपरदे एक ह: नाप के हH। 9 और पांच परदे अलग और फर छ: परदे अलग जुड़वाना, और छटव परदे को तSबू के साSहने मोड़ कर दहु रा कर दे ना। 10 और तू पचास अंकड़े उस परदे क छोर म

जो बाहर से िमलाया जाएगा और पचास ह: अंकड़े दस ू र: ओर के परदे क छोर म

जो बाहर से िमलाया जाएगा बनवाना। 11 और पीतल के पचास अंकड़े बनाना, और अंकड़Hको फिलयHम लगाकर तSबू को ऐसा जुड़वाना क वह िमलकर एक ह: हो जाए। 12 और तSबू के परदHका लटका हुआ भाग, अयाOत ् जो आधा पट रहे गा, वह िनवास क पछली ओर लटका रहे । 13 और तSबू के परदHक लSबाई मे से हाथ भर इधर, और हाथ भर उधर िनवास के ढांकने के िलथे उसक दोनHअलंगHपर लटका हुआ रहे । 14 फर तSबू के िलथे लाल रं ग से रं गी हुई मेढHक खालHका एक ओढ़ना और उसके ऊपर सूइसHक खालHका भी एक ओढ़ना बनवाना।। 15 फर िनवास को खड़ा करने के िलथे बबूल क लकड़: के त‡ते बनवाना। 16 एक एक त‡ते क लSबाई दस हाथ और चौड़ाई डे ढ़ हाथ क हो। 17 एक एक त‡ते म एक दस ू रे से जोड़: हुई दो दो चूल हH; िनवास के सब त‡तHको इसी भांित से बनवाना। 18 और िनवास के िलथे जो त‡ते तू बनवाएगा उन म से बीस त‡ते तो द' खन क ओर के िलथे हH; 19 और बीसHत‡तHके नीचे चांद: क चालीस कुिसया{ बनवाना, अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे उसके चूलHके िलथे दो दो कुिसया{। 20 और िनवास क दस ू र: अलंग, अयाOत ् उर क ओर बीस त‡ते बनवाना। 21 और उनके िलथे चांद: क चालीस कुिसया{ बनवाना, अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे दो दो कुिसया{ हH। 22 और िनवास क पछली अलंग, अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे दो दो कुिसया{ हH। 23 और पछले अलंग म िनवास के

कोनHके िलथे दो त‡ते बनवाना; 24 और थे नीचे से दो दो भाग के हHऔर दोनHभाग ऊपर के िस के तक एक एक कड़े म िमलाथे जाएं; दोनHत‡तHका यह: Rप हो; थे तो दोनHकोनHके िलथे हH। 25 और आठ त‡त हH, और उनक चांद: क सोलह कुिसया{ हH; अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे दो दो कुिसया{ हH। 26 फर बबूल क लकड़: के ब ड़े बनवाना, अयाOत ् िनवास क एक अलंग के त‡तHके िलथे पांच, 27 और िनवास क दस ू र: अलंग के त‡तHके िलथे पांच ब डे, और िनवास क जो अलंग प'_म क ओर पछले भाग म होगी, उसके िलथे पांच ब ड़े बनवाना। 28 और बीचवाला ब ड़ा जो त‡तHके म~य म होगा वह तSबू के एक िस के से दस ू रे िस के तक पहंु चे। 29 फर त‡तHको सोने से मढ़वाना, और उनके कड़े जो ब ड़Hके घरHका काम द गे उ(ह भी सोने के बनवाना; और बेड़Hको भी सोने से मढ़वाना। 30 और िनवास को इस र:ित खड़ा करना जैसा इस पवOत पर तुझे दखाया गया है ।। 31 फर नीले, बैजनी और लाल रं ग के और बट: हुई सूˆम सनीवाले कपके का एक बीचवाला पदाO बनवाना; वह कढ़ाई के काम कथे हुए कRबHके साय बने। 32 और उसको सोने से मढ़े हुए बबूल के चार ‡SभHपर लटकाना, इनक अंकडय़ां सोने क हH, और थे चांद: क चार कुिसयJपर खड़: रह । 33 और बीचवाले पद को अंकडय़Hके नीचे लटकाकर, उसक आड़ म

साझीपऽ का स(दक ू भीतर िलवा ले जाना; सो वह बीचवाला पदाO तुSहारे िलथे पवऽःयान को परमपवऽःयान से अलग कथे रहे । 34 फर परमपवऽ ःयान म साझीपऽ के स(दक ू के ऊपर ूाय'_ के ढकने को रखना। 35 और उस पद के बाहर िनवास क उर अलग मेज़ रखना; और उसक द' खन अलंग मेज़ के साSहने द:वट को रखना। 36 फर तSबू के kार के िलथे नीले, बEजनी और लाल

रं ग के और बट: हुई सूˆम सनीवाले कपके का कढ़ाई का काम कया हुआ एक पदाO बनवाना। 37 और इस पद के िलथे बबूल के पांच खSभे बनवाना, और उनको सोने से मढ़वाना; उनक कडयां सोने क हो, और उनके िलथे पीतल क पांच कुिसया{ ढलवा कर बनवाना।। िनगOमन 27 1 फर वेद: को बबूल क लकड़: क, पांच हाथ लSबी और पांच हाथ चौड़: बनवाना; वेद: चौकोर हो, और उसक ऊंचाई तीन हाथ क हो। 2 और उसके चारHकोनHपर चार सींग बनवाना; वे उस समेत एक ह: टु कड़े के हH, और उसे पीतल से मढ़वाना। 3 और उसक राख उठाने के पाऽ, और फावडय़ां, और कटोरे , और कांटे, और अंगीठयां बनवाना; उसका कुल सामान पीतल का बनवाना। 4 और उसके पीतल क जाली एक फंफर: बनवाना; और उसके चारHिसरHम पीतल के चार कड़े लगवाना। 5 और उस फंफर: को वेद: के चारHओर क कंगनी के नीचे ऐसे लगवाना, क वह वेद: क ऊंचाई के म~य तक पहंु चे। 6 और वेद: के िलथे बबूल क लकड़: के ड+डे बनवाना, और उ(ह पीतल से मढ़वाना। 7 और डं डे कड़Hम डाले जाएं, क जब जब वेद: उठाई जाए तब वे उसक दोनHअलंगHपर रह । 8 वेद: को त‡तHसे खोखली बनवाना; जैसी वह इस पवOत पर तुझे दखाई गई है वैसी ह: बनाई जाए।। 9 फर िनवास के आंगन को बनवाना। उसक द' खन अलंग के िलथे तो बट: हुई सूˆम सनी के कपके के सब पदJको िमलाए क उसक लSबाई सौ हाथ क हो; एक अलंग पर तो इतना ह: हो। 10 और उनके बीस खSभे बन , और इनके िलथे पीतल क बीस कुिसया{ बन , और खSभHके कु(डे और

उनक प'=टयां चांद: क हH। 11 और उसी भांित आंगन क उर अलंग क लSबाई म भी सौ हाथ लSबे पद हH, और उनके भी बीस खSभे और इनके िलथे भी पीतल के बीस खाने हH; और उन खSभHके कु(डे और प'=टयां चांद: क हH। 12 फर आंगन क चौड़ाई म प'.छम क ओर पचास हाथ के पद हH, उनके खSभे दस और खाने भी दस हH। 13 और पूरब अलंग पर आंगन क चौड़ाई पचास हाथ क हो। 14 और आंगन के kार क एक ओर प(िह हाथ के पद हH, और उनके खSभे तीन और खाने तीन हH। 15 और दस ू र: ओर भी प(िह हाथ के पद हH, उनके भी खSभे तीन और खाने तीन हH। 16 और आंगन के kार के िलथे एक पदाO बनवाना, जो नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके और बट: हुई सूˆम सनी के कपके का कामदार बना हुआ बीस हाथ का हो, उसके खSभे चार और खाने भी चार हH। 17 आंगन क चारHओर के सब खSभे चांद: क प'=टयHसे जुड़े हुए हH, उनके कु(डे चांद: के और खाने पीतल के हH। 18 आंगन क लSबाई सौ हाथ क, और उसक चौड़ाई बराबर पचास हाथ क और उसक कनात क ऊंचाई पांच हाथ क हो, उसक कनात बट: हुई सुˆम सनी के कपके क बने, और खSभHके खाने पीतल के हH। 19 िनवास के भांित भांित के बतOन और सब सामान और उसके सब खूंट और आंगन के भी सब खूंटे पीतल ह: के हH।। 20 फर तू इ\ाएिलयHको आWा दे ना, क मेरे पास द:वट के िलथे कूट के िनकाला हुआ जलपाई का िनमOल तेल ले आना, 'जस से द:पक िनय जलता रहे । 21 िमलाप के तSबू म , उस बीचवाले पद से बाहर जो साझीपऽ के आगे होगा, हाRन और उसके पुऽ द:वट सांफ से भोर तक यहोवा के साSहने सजा कर रख । यह विध इ\ाएिलयHक पीढय़Hके िलथे सदै व बनी रहे गी।।

िनगOमन 28 1 फर तू इ\ाएिलयHम से अपके भाई हाRन, और नादाब, अबीहू, एलीआज़ार और ईतामार नाम उसके पुऽHको अपके समीप ले आना क वे मेरे िलथे याजक का काम कर । 2 और तू अपके भाई हाRन के िलथे वभव और शोभा के िनिम पवऽ व\ बनवाना। 3 और 'जतनHके ॑ृदय म बुa है , 'जनको मE ने बुa दे नेवाली आमा से पgरपूणO कया है , उनको तू हाRन के व\ बनाने क आWा दे क वह मेरे िनिम याजक का काम करने के िलथे पवऽ बन । 4 और जो व\ उ(ह बनाने हHगे वे थे हE , अयाOत ् सीनाब(द; और एपोद, और जामा, चार खाने का अंगरखा, पुरोहत का टोप, और कमरब(द; थे ह: पवऽ व\ तेरे भाई हाRन और उसके पुऽHके िलथे बनाए जाएं क वे मेरे िलथे याजक का काम कर । 5 और वे सोने और नीले और बEजनी और लाल रं ग का और सूˆम सनी का कपड़ा ल ।। 6 और वे एपोद को सोने, और नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का और बट: हुई सूˆम सनी के कपके का बनाएं, जो क िनपुण कढ़ाई के काम करनेवाले के हाथ का काम हो। 7 और वह इस तरह से जोड़ा जाए क उसके दोनो क(धHके िस के आपस म िमले रह । 8 और एपोद पर जो काढ़ा हुआ पटु का होगा उसक बनावट उसी के समान हो, और वे दोनHबना जोड़ के हH, और सोने और नीले, बEजनी और लाल रं गवाले और बट: हुई सूˆम सनीवाले कपके के हH। 9 फर दो सुलम ै ानी म'ण लेकर उन पर इ\ाएल के पुऽHके नाम खुदवाना, 10 उनके नामHम से छ: तो एक म'ण पर, और शेष छ: नाम दस ू रे म'ण पर, इ\ाएल के पुऽHक उप के अनुसार खुदवाना। 11 म'ण खोदनेवाले के काम से जैसे छापा खोदा जाता है , वैसे ह: उन दो म'णयHपर इ\ाएल के पुऽHके नाम खुदवाना; और उनको सोने के

खानHम जड़वा दे ना। 12 और दोनHम'णयHको एपोद के क(धHपर लगवाना, वे इ\ाएिलयHके िनिम ःमरण दलवाने वाले म'ण ठहर गे; अयाOत ् हाRन उनके नाम यहोवा के आगे अपके दोनHक(धHपर ःमरण के िलथे लगाए रहे ।। 13 फर सोने के खाने बनवाना, 14 और डोgरयHक नाL गूंथे हुए दो जंजीर चोखे सोने के बनवाना; और गूंथे हुए जंजीरHको उन खानHम जड़वाना। 15 फर (याय क चपरास को भी कढ़ाई के काम का बनवाना; एपोद क नाL सोने, और नीले, बEजनी और लाल रं ग के और बट: हुई सूˆम सनी के कपके क उसे बनवाना। 16 वह चौकोर और दोहर: हो, और उसक लSबाई और चौड़ाई एक एक बे क हH। 17 और उस म चार पांित म'ण जड़ाना। पहली पांित म तो मा'ण य, प|क़राग और लालड़: हH; 18 दस ू र: पांित म मरकत, नीलम'ण और ह:रा; 19 तीसर: पांित म लशम, सूयक O ांत और नीलम; 20 और चौयी पांित म फरोजा, सुलम ै ानी म'ण और यशब हH; थे सब सोने के खानHम जड़े जाएं। 21 और इ\ाएल के पुऽHके 'जतने नाम हE उतने म'ण हH, अयाOत ् उनके नामHक िगनती के अनुसार बारह नाम खुद , बारहHगोऽHम से एक एक का नाम एक एक म'ण पर ऐसे खुदे जेसे छापा खोदा जाता है । 22 फर चपरास पर डोgरयHक नाई। गूंथे हुए चोखे सोने क जंजीर लगवाना; 23 और चपरास म सोने क दो कडय़ां लगवाना, और दोनHकडय़Hको चपरास के दोनो िसरHपर लगवाना। 24 और सोने के दोनHगूंथे जंजीरHको उन दोनHकडय़Hम जो चपरास के िसरHपर हHगी लगवाना; 25 और गूंथे हुए दोनो जंजीरHके दोनHबाक िस कH दोनHखानHम जड़वा के एपोद के दोनHक(धHके बंधनHपर उसके साSहने लगवाना। 26 फर सोने क दो और कडय़ां बनवाकर चपरास के दोनHिसरHपर, उसक उस कोर पर जो एपोद क

भीतर क ओर होगी लगवाना। 27 फर उनके िसवाय सोने क दो और कडय़ां बनवाकर एपोद के दोनHक(धHके बंधनHपर, नीचे से उनके साSहने और उसके जोड़ के पास एपोद के काढ़े हुए पटु के के ऊपर लगवाना। 28 और चपरास अप क कडय़Hके kारा एपोद क कडय़Hम नीले फते से बांधी जाए, इस र:ित वह एपोद के काढ़े हुए पटु के पर बनी रहे , और चपरास एपोद पर से अलग न होने पाए। 29 और जब जब हाRन पवऽःयान म ूवेश करे , तब तब वह (याय क चपरास पर अपके ॑ृदय के ऊपर इ\ाएिलयHके नामHको लगाए रहे , 'जस से यहोवा के साSहने उनका ःमरण िनय रहे । 30 और तू (याय क चपरास म

ऊर:म और तुSमीम को रखना, और जब जब हाRन यहोवा के साSहने ूवेश करे , तब तब वे उसके ॑ृदय के ऊपर हH; इस ूकार हाRन इ\ाएिलयHके (याय पदायO को अपके ॑ृदय के ऊपर यहोवा के साSहने िनय लगाए रहे ।। 31 फर एपोद के बागे को सSपूणO नीले रं ग का बनवाना। 32 और उसक बनावट ऐसी हो क उसके बीच म िसर डालने के िलथे छे द हो, और उस छे द क चारHओर बखतर के छे द क सी एक बुनी हुई कोर हो, क वह फटने न पाए। 33 और उसके नीचेवाले घेरे म

चारHओर नी◌ेले, बEजनी और लाल रं ग के कपके के अनार बनवाना, और उनके बीच बीच चारHओर सोने क घंट:यां लगवाना, 34 अयाOत ् एक सोने क घंट: और एक अनार, फर एक सोने क घंट: और एक अनार, इसी र:ित बागे के नीचेवाले घेरे म चारHओर ऐसा ह: हो। 35 और हाRन एक बागे को सेवा टहल करने के समय पहना करे , क जब जब वह पवऽःयान के भीतर यहोवा के साSहने जाए, वा बाहर िनकले, तब तब उसका शcद सुनाई दे , नह:ं तो वह मर जाएगा। 36 फर चोखे सोने का एक ट:का बनवाना, और जैसे छापे म वैसे ह: उस म थे अझर खोद

जाएं, अयाOत ् यहोवा के िलथे पवऽ। 37 और उसे नीले फते से बांधना; और वह पगड़: के साSहने के हःसे पर रहे । 38 और हाRन के माथे पर रहे , इसिलथे क इ\ाएली जो कुछ पवऽ ठहराएं, अयाOत ् 'जतनी पवऽ वःतुएं भ ट म चढ़ाव उन पवऽ वःतुओं का दोष हाRन उठाए रहे , और वह िनय उसके माथे पर रहे , 'जस से यहोवा उन से ूस(न रहे ।। 39 और अंगरखे को सूˆम सनी के कपके का चारखाना बुनवाना, और एक पगड़: भी सूˆम सनी के कपके क बनवाना, और कारचोबी काम कया हुआ एक कमरब(द भी बनवाना।। 40 फर हाRन के पुऽHके िलथे भी अंगरखे और कमरब(द और टोपयां बनवाना; थे व\ भी वभव और शोभा के िलथे बन । 41 अपके भाई हाRन और उसके पुऽHको थे ह: सब व\ पहनाकर उनका अिभषेक और संःकार करना, और उ(ह पवऽ करना, क वे मेरे िलथे याजक का काम कर । 42 और उनके िलथे सनी के कपके क जांिघया बनवाना 'जन से उनका तन ढपा रहे ; वे कमर से जांघ तक क हH; 43 और जब जब हाRन वा उसके पुऽ िमलापवाले तSबू म ूवेश कर , वा पवऽ ःयान म सेवा टहल करने को वेद: के पास जाएं तब तब वे उन जांिघयHको पहने रह , न हो क वे पापी ठहर और मर जाएं। यह हाRन के िलथे और उसके बाद उसके वंश के िलथे भी सदा क विध ठहर ।। िनगOमन 29 1 और उ(ह पवऽ करने को जो काम तुझे उन से करना है , क वे मेरे िलथे याजक का काम कर वह यह है । एक िनदzष बछड़ा और दो िनदzष म ढ़े लेना, 2 और अखमीर: रोट:, और तेल से सने हुए मैदे के अखमीर: फुलके, और तेल से चुप क

हुई अखमीर: पपडय़ां भी लेना। थे सब गेहंू के मैदे के बनवाना। 3 इनको एक टोकर: म रखकर उस टोकर: को उस बछड़े और उन दोनHम ढ़ो समेत समीप ले आना। 4 फर हाRन और उसके पुऽHको िमलापवाले तSबू के kार के समीप ले आकर जल से नहलाना। 5 तब उन वHको लेकर हाRन को अंगरखा ओर एपोद का बागा पहनाना, और एपोद और चपरास बा(धना, और एपोद का काढ़ा हुआ पटु का भी बा(धना; 6 और उसके िसर पर पगड़: को रखना, और पगड़: पर पवऽ मुकुट को रखना। 7 तब अिभषेक का तेल ले उसके िसर पर डालकर उसका अिभषेक करना। 8 फर उसके पुऽHको समीप ले आकर उनको अंगरखे पहनाना, 9 और उसके अयाOत ् हाRन और उसके पुऽHके कमर बा(धना और उनके िसर पर टोपयां रखना; 'जस से याजक के पद पर सदा उनका हक रहे । इसी ूकार हाRन और उसके पुऽHका संःकार करना। 10 और बछड़े को िमलापवाले तSबू के साSहने समीप ले आना। और हाRन और उसके पुऽ बछड़े के िसर पर अपके अपके हाथ रख , 11 तब उस बछड़े को यहोवा के सSमुख िमलापवाले तSबू के kार पर बिलदान करना, 12 और बछड़े के लोहू म से कुछ लेकर अप क उं गली से वेद: के सींगHपर लगाना, और शेष सब लोहू को वेद: के पाए पर उं डे ल दे ना 13 और 'जस चरबी से अंतडय़ां ढपी रहती हE , और जो फ`ली कलेजे के ऊपर होती है , उनको और दोनो गुदJको उनके ऊपर क चरबी समेत लेकर सब को वे द: पर जलाना। 14 और बछड़े का मांस, और खाल, और गोबर, छावनी से बाहर आग म

जला दे ना; यHक यह पापबिल होगा। 15 फर एक मेढ़ा लेना, और हाRन और उसके पुऽ उसके िसर पर अपके अपके हाथ रख , 16 तब उस मेढ़ को बिल करना, और उसका लोहू लेकर वेद: पर चारHओर िछड़कना। 17 और उस मेढ़े को टु कड़े

टु कड़े काटना, और उसक अंतडय़Hऔर पैरHको धोकर उसके टु कड़Hऔर िसर के ऊपर रखना, 18 तब उस पूरे मेढ़े को वेद: पर जलाना; वह तो यहोवा के िलथे होमबिल होगा; वह सुखदायक सुग(ध और यहोवा के िलथे हवन होगा। 19 फर दस ू रे मेढ़े को लेना; और हाRन और उसके पुऽ उसके िसर पर अपके अपके हाथ रख , 20 तब उस म ड़े को बिल करना, और उसके लोहू म से कुछ लेकर हाRन और उसके पुऽHके दहने कान के िस के पर, और उनके दहने हाथ और दहने पांव के अंगूठHपर लगाना, और लोहू को वेद: पर चारHओर िछड़क दे ना। 21 फर वेद: पर के लोहू, और अिभषेक के तेल, इन दोनो म से कुछ कुछ लेकर हाRन और उसके वHपर, और उसके पुऽHऔर उनके वHपर भी िछड़क दे ना; तब वह अपके वHसमेत और उसके पुऽ भी अपके अपके वHसमेत पवऽ हो जाएंगे। 22 तब मेढ़े को संःकारवाला जानकर उस म से चरबी और मोट: पूंछ को, और 'जस चरबी से अंतडय़ां ढपी रहती हE उसको, और कलेजे पर क फ`ली को, और चरबी समेत दोनHगुदJको, और दहने पु=ठे को लेना, 23 और अखमीर: रोट: क टोकर: जो यहोवा के आगे धर: होगी उस म से भी एक रोट:, और तेल से सने हुए मैदे का एक फुलका, और एक पप क लेकर, 24 इन सब को हाRन और उसके पुऽHके हाथHम रखकर हलाए जाने क भ ट ठहराके यहोवा के आगे हलाया जाए। 25 तब उन वःतुओं को उनके हाथHसे लेकर होमबिल क वेद: पर जला दे ना, 'जस से वह यहोवा के साSहने सुखदायक सुग(ध ठहरे ; वह तो यहोवा के िलथे हवन होगा। 26 फर हाRन के संःकार को जो म ढ़ा होगा उसक छाती को लेकर हलाए जाने क भ ट के िलथे यहोवा के आगे हलाना; और वह तेरा भाग ठहरे गा। 27 और हाRन और उसके पुऽHके संःकार का जो मेढ़ा होगा, उस म से हलाए जाने

क भ टवाली छाती जो हलाई जाएगी, और उठाए जाने का भ टवाला पु=ठा जो उठाया जाएगा, इन दोनHको पवऽ ठहराना। 28 और थे सदा क विध क र:ित पर इ\ाएिलयHक ओर से उसका और उसके पुऽHका भाग ठहरे , कयHक थे उठाए जाने क भ ट ठहर: हE ; और यह इ\ाएिलयHक ओर से उनके मेलबिलयHम से यहोवा के िलथे उठाऐ जाने क भ ट होगी। 29 और हाRन के जो पवऽ व\ हHगे वह उसके बाद उसके बेटे पोते आद को िमलते रह , 'जस से उ(ह:ं को पहने हुए उनका अिभषे क और संःकार कया जाए। 30 उसके पुऽHके जो उसके ःयान पर याजक होगा, वह जब पवऽःयान म सेवा टहल करने को िमलाप वाले तSबू म

पहले आए, तब उन वHको सात दन तक पहने रह । 31 फर याजक के संःकार का जो मेढ़ा होगा उसे लेकर उसका मांस कसी पवऽ ःयान म पकाना; 32 तब हाRन अपके पुऽHसमेत उस मेढे का मांस और टोकर: क रोट:, दोनHको िमलापवाले तSबू के kार पर खाए। 33 और 'जन पदायJसे उनका संःकार और उ(ह पवऽ करने के िलथे ूाय'_ कया जाएगा उनको तो वे खाएं, पर(तु पराए कुल का कोई उ(ह न खाने पाए, यHक वे पवऽ हHगे । 34 और यद संःकारवाले मांस वा रोट: म से कुछ बहान तक बचा रहे , तो उस बचे हुए को आग म जलाना, वह खाया न जाए; यHक वह पवऽ होगा। 35 और मE ने तुझे जो जो आWा द: हE , उन सभHके अनुसार तू हाRन और उसके पुऽHसे करना; और सात दन तक उनका संःकार करते रहना, 36 अयाOत ् पापबिल का एक बछड़ा ूाय'_ के िलथे ूितदन चढ़ाना। और वेद: को भी ूाय'_ करने के समय शुa करना, और उसे पवऽ करने के िलथे उसका अिभषेक करना। 37 सात दन तक वेद: के िलथे ूाय'_ करके उसे पवऽ करना, और वेद: परम पवऽ ठहरे गी; और जो कुछ

उस से छू जाएगा वह भी पवऽ हो जाएगा।। 38 जो तुझे वेद: पर िनय चढ़ाना होगा वह यह है ; अयाOत ् ूितदन एक एक वषO के दो भेड़: के ब.चे। 39 एक भेड़ के ब.चे को तो भोर के समय, और दस ू रे भेड़ के ब.चे को गोधूिल के समय चढ़ाना। 40 और एक भेड़ के ब.चे के संग ह:न क चौयाई कूटके िनकाले हुए तेल से सना हुआ एपा का दसवां भाग मैदा, और अघO के िलथे ह: क चौयाई दाखमधु दे ना। 41 और दस ू रे भेड़ के ब.चे को गोधूिल के समय चढ़ाना, और उसके साय भोर क र:ित अनुसार अ(नबिल और अघO दोनHदे ना, 'जस से वह सुखदायक सुग(ध और यहोवा के िलथे हवन ठहरे । 42 तुSहार: पीढ़: पीढ़: म यहोवा के आगे िमलापवाले तSबू के kार पर िनय ऐसा ह: होमबिल हुआ करे ; यह वह ःयान है 'जस म मE तुम लोगHसे इसिलथे िमला कRंगा, क तुझ से बात कRं। 43 और मE इ\ाएिलयHसे वह:ं िमला कRंगा, और वह तSबू मेरे ते ज से पवऽ कया जाएगा। 44 और मE िमलापवाले तSबू और वे द: को पवऽ कRंगा, और हाRन और उसके पुऽHको भी पवऽ कRंगा, क वे मेरे िलथे याजक का काम कर । 45 और मE इ\ाएिलयHके म~य िनवास कRंगा, और उनका परमे र ठहRंगा। 46 तब वे जान ल गे क मE यहोवा उनका परमे र हंू , जो उनको िमॐ दे श से इसिलथे िनकाल ले आया, क उनके म~य िनवास कRं; मE ह: उनका परमे र यहोवा हंू ।। िनगOमन 30 1 फर धूप जलाने के िलथे बबूल क लकड़: क वेद: बनाना। 2 उसक लSबाई एक हाथ और चौड़ाई एक हाथ क हो, वह चौकोर हो, और उसक ऊंचाई दो हाथ क हो, और उसके सींग उसी टु कड़े से बनाए जाएं। 3 और वेद: के ऊपरवाले प`ले

और चारHओर क अलंगHऔर सींगHको चोखे सोने से मढ़ना, और इसक चारHओर सोने क एक बाड़ बनाना। 4 और इसक बाड़ के नीचे इसके दानHप`ले पर सोने के दो दो कड़े बनाकर इसके दोनHओर लगाना, वे इसके उठाने के ड+डHके खानHका काम द गे। 5 और ड+डHको बबूल क लकड़: के बनाकर उनको सोने से मढ़ना। 6 और तू उसको उस पद के आगे रखना जो साझीपऽ के स(दक ू के साSहने है , अयाOत ् ूाय'_ वाले ढकने के आगे जो साझीपऽ के ऊपर है , वह:ं मE तुझ से िमला कRंगा। 7 और उसी वेद: पर हाRन सुग'(धत धूप जलाया करे ; ूितदन भोर को जब वह द:पक को ठqक करे तब वह धूप को जलाए, 8 तब गोधूिल के समय जब हाRन द:पकHको जलाए तब धूप जलाया करे , यह धूप यहोवा के साSहने तुSहार: पीढ़: पीढ़: म िनय जलाया जाए। 9 और उस वेद: पर तुम और ूकार का धूप न जलाना, और न उस पर होमबिल और न अ(नबिल चढ़ाना; और न इस पर अघO दे ना। 10 और हाRन वषO म एक बार इसके सींगHपर ूाय'_ करे ; और तुSहार: पीढ़: पीढ़: म वषO म एक बार ूाय'_ िलया जाए; यह यहोवा के िलथे परमपवऽ है ।। 11 और तब यहोवा ने मूसा से कहा, 12 जब तू इ\ाएिलयHक िगनती लेने लगे, तब वे िगनने के समय 'जनक िगनती हुई हो अपके अपके ूाणHके िलथे यहोवा को ूाय'_ द , 'जस से जब तू उनक िगनती कर रहा हो उस समय कोई वप उन पर न आ पके। 13 'जतने लोग िगने जाएं वे पवऽःयान के शेकेल के िलथे आधा शेकेल द , यह शेकेल बीस गेरा का होता है , यहोवा क भ ट आधा शेकेल हो। 14 बीस वषO के वा उस से अिधक अवःया के 'जतने िगने जाएं उन म से एक एक जन यहोवा क भ ट दे । 15 जब तुSहारे ूाणHके ूाय'_ के िनिम यहोवा क भ ट द: जाए, तब न तो धनी लोग आधे

शेकेल से अिधक द , और न कंगाल लोग उस से कम द । 16 और तू इ\ाएिलयHसे ूाय'_ का Rपया लेकर िमलापवाले तSबू के काम म लगाना; 'जस से वह यहोवा के सSमुख इ\ाएिलयHके ःमरणायO िच(ह ठहरे , और उनके ूाणHका ूाय'_ भी हो।। 17 और यहोवा ने मूसा से कहा, 18 धोने के िलथे पीतल क एक हौद: और उसका पाया पीतल का बनाना। और उसके िमलापवाले तSबू और वे द: के बीच म रखकर उस म जल भर दे ना; 19 और उस म हाRन और उसके पुऽ अपके अपके हाथ पांव धोया कर । 20 जब जब वे िमलापवाले तSबू म ूवेश कर

तब तब वे हाथ पांव जल से धोएं, नह:ं तो मर जाएंगे; और जब जब वे वेद: के पास सेवा टहल करने, अयाOत ् यहोवा के िलथे हeय जलाने को आएं तब तब वे हाथ पांव धोएं, न हो क मर जाएं। 21 यह हाRन और उसके पीढ़: पीढ़: के वंश के िलथे सदा क विध ठहरे ।। 22 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 23 तू मु‡य मु‡य सुग(ध िeय, अयाOत ् पवऽःयान के शेकेल के अनुसार पांच सौ शेकेल अपके आप िनकला हुआ ग(धरस, और उसका आधा, अयाOत ् अढ़ाई सौ शेकेल सुग'(धत अगर, 24 और पांच सौ शेकेल तज, और एक ह:न जलपाई का तेल लेकर 25 उन से अिभषेक का पवऽ तेल, अयाOत ् ग(धी क र:ित से तैयार कया हुआ सुग'(धत तेल बनवाना; यह अिभषेक का पवऽ तेल ठहरे । 26 और उस से िमलापवाले तSबू का, और साझीपऽ के स(दक ू का, 27 और सारे सामान समेत मेज़ का, और सामान समेत द:वट का, और धूपकेद: का, 28 और सारे सामान समेत होमवेद: का, और पाए समेत हौद: का अिभषेक करना। 29 और उनको पवऽ करना, 'जस से वे परमपवऽ ठहर ; और जो कुछ उन से छू जाएगा वह पवऽ हो जाएगा। 30 फर हाRन का उसके पुऽHके साय अिभषेक करना, और इस

ूकार उ(ह मेरे िलथे याजक का काम करने के िलथे पवऽ करना। 31 और इ\ाएिलयHको मेर: यह आWा सुनाना, क वह तेल तुSहार: पीढ़: पीढ़: म मेरे िलथे पवऽ अिभषेक का तेल होगा। 32 वह कसी मनुंय क दे ह पर न डाला जाए, और िमलावट म उसके समान और कुछ न बनाना; वह तो पवऽ होगा, वह तुSहारे िलथे पवऽ होगा। 33 जो कोई उसके समान कुछ बनाए, वा जो कोई उस म से कुछ पराए कुलवाले पर लगाए, वह अपके लोगHम से नाश कया जाए।। 34 फर यहोवा ने मूसा से कहा, बोल, नखी और कु(दR, थे सुग(ध िeय िनमOल लोबान समेत ले लेना, थे सब एक तौल के हH, 35 और इनका धूप अयाOत ् लोन िमलाकर ग(धी क र:ित के अनुसार चोखा और पवऽ सुग(ध िeय बनवाना; 36 फर उस म से कुछ पीसकर बुकनी कर डालना, तब उस म से कुछ िमलापवाले तSबू म साझीपऽ के आगे, जहां पर मE तुझ से िमला कRंगा वहां रखना; वह तुSहारे िलथे परमपवऽ होगा। 37 और जो धूप तू बनवाएगा, िमलावट म उसके समान तुम लोग अपके िलथे और कुछ न बनवाना; वह तुSहारे आगे यहोवा के िलथे पवऽ होगा। 38 जो कोई सूघ ं ने के िलथे उसके समान कुछ बनाए वह अपके लोगHम से नाश कया जाए।। िनगOमन 31 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 सुन, मE ऊर: के पुऽ बसलेल को, जो हूर का पोता और यहूदा के गोऽ का है , नाम लेकर बुलाता हूं। 3 और मE उसको परमे र क आमा से जो बुa, ूवीणता, Wान, और सब ूकार के कायJक समझ दे नेवाली आमा है पgरपूणO करता हंू , 4 'जस से वह कार:गर: के कायO बुa से िनकाल

िनकालकर सब भांित क बनावट म , अयाOत ् सोने, चांद:, और पीतल म , 5 और जड़ने के िलथे म'ण काटने म , और लकड़: के खोदने म काम करे । 6 और सुन, मE दान के गोऽवाले अह:सामाक के पुऽ ओहोलीआब को उसके संग कर दे ता हंू ; वरन 'जतने बुaमान है उन सभHके ॑ृदय म मE बुa दे ता हंू , 'जस से 'जतनी वःतुओं क आWा मE ने तुझे द: है उन सभHको वे बनाएं; 7 अयाOत ् िमलापवाला तSबू, और साझीपऽ का स(दक ू , और उस पर का ूाय'_वाला ढकना, और तSबू का सारा सामान, 8 और सामान सहत मेज़, और सारे सामान समेत चोखे सोने क द:वट, और धूपकेद:, 9 और सारे सामान सहत होमवेद:, और पाए समेत हौद:, 10 और काढ़े हुए व\, और हाRन याजक के याजकवाले काम के पवऽ व\, और उसके पुऽHके व\, 11 और अिभषे क का तेल, और पवऽ ःयान के िलथे सुग'(धत धूप, इन सभHको वे उन सब आWाओं के अनुसार बनाएं जो मE ने तुझे द: हE ।। 12 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 13 तू इ\ाएिलयHसे यह भी कहना, क िन_य तुम मेरे वौमदनHको मानना, यHक तुSहार: पीढ़: पीढ़: म मेरे और तुम लोगHके बीच यह एक िच(ह ठहरा है , 'जस से तुम यह बात जान रखो क यहोवा हमारा पवऽ करनेहारा है । 14 इस कारण तुम वौमदन को मानना, यHक वह तुSहारे िलथे पवऽ ठहरा है ; जो उसको अपवऽ करे वह िन_य मार डाला जाए; जो कोई उस दन म से कुछ कामकाज करे वह ूाणी अपके लोगHके बीच से नाश कया जाए। 15 छ: दन तो काम काज कया जाए, पर सातवां दन परमवौम का दन और यहोवा के िलथे पवऽ है ; इसिलथे जो कोई वौम के दन म कुछ काम काज करे वह िन_य मार डाला जाए। 16 सो इ\ाएली वौमदन को माना कर , वरन पीढ़: पीढ़: म उसको सदा क वाचा का वषय जानकर माना कर । 17 वह मेरे और

इ\ाएिलयHके बीच सदा एक िच(ह रहे गा, यHक छ: दन म यहोवा ने आकाश और पृवी को बनाया, और सातव दन वौम करके अपना जी ठ+डा कया।। 18 जब परमे र मूसा से सीनै पवOत पर ऐसी बात कर चुका, तब उस ने उसको अप क उं गली से िलखी हुई साझी दे नेवाली पयर क दोनHत'‡तयां द:।। िनगOमन 32 1 जब लोगHने दे खा क मूसा को पवOत से उतरने म वलSब हो रहा है , तब वे हाRन के पास इक=ठे होकर कहने लगे, अब हमारे िलथे दे वता बना, जो हमारे आगे आगे चले; यHक उस पुRष मूसा को जो हम िमॐ दे श से िनकाल ले आया है , हम नह:ं जानते क उसे या हुआ? 2 हाRन ने उन से कहा, तुSहार: '\यHऔर बे टे बेटयHके कानHम सोने क जो बािलयां है उ(ह तोड़कर उतारो, और मेरे पास ले आओ। 3 तब सब लोगHने उनके कानHसे सोने क बािलयHको तोड़कर उतारा, और हाRन के पास ले आए। 4 और हाRन ने उ(ह उनके हाथ से िलया, और एक बछड़ा ढालकर बनाया, और टांक से गढ़ा; तब वे कहने लगे, क हे इ\ाएल तेरा परमे र जो तुझे िमॐ दे श से छुड़ा लाया है वह यह: है । 5 यह दे खके हाRन ने उसके आगे एक वेद: बनवाई; और यह ूचार कया, क कल यहोवा के िलथे पcबO होगा। 6 और दस ू रे दन लोगHने तड़के उठकर होमबिल चढ़ाए, और मेलबिल ले आए; फर बैठकर खाया पया, और उठकर खेलने लगे।। 7 तब यहोवा ने मूसा से कहा, नीचे उतर जा, यHक तेर: ूजा के लोग, 'ज(ह तू िमॐ दे श से िनकाल ले आया है , सो बगड़ गए हE ; 8 और 'जस मागO पर चलने क आWा मE ने उनको द: यी उसको फटपट छोड़कर उ(हHने एक बछड़ा ढालकर बना िलया, फर उसको

द+डवत ् कया, और उसके िलथे बिलदान भी चढ़ाया, और यह कहा है , क हे इ\ाएिलयHतुSहारा परमे र जो तुSह िमॐ दे श से छुड़ा ले आया है वह यह: है । 9 फर यहोवा ने मूसा से कहा, मE ने इन लोगHको दे खा, और सुन, वे हठqले हE । 10 अब मुझे मत रोक, मेरा कोप उन पर भड़क उठा है 'जस से मE उ(ह भःम कRं; पर(तु तुझ से एक बड़: जाित उपजाऊंगा। 11 तब मूसा अपके परमे र यहोवा को यह कहके मनाने लगा, क हे यहोवा, तेरा कोप अप क ूजा पर यHभड़का है , 'जसे तू बड़े सामयO और बलव(त हाथ के kारा िमॐ दे श से िनकाल लाया है ? 12 िमॐी लोग यह यHकहने पाए, क वह उनको बुरे अिभूाय से, अयाOत ् पहाड़Hम घात करके धरती पर से िमटा डालने क मनसा से िनकाल ले गया? तू अपके भड़के हुए कोप को शांत कर, और अप क ूजा को ऐसी हािन पहुचाने से फर जा। 13 अपके दास इॄाह:म, इसहाक, और याकूब को ःमरण कर, 'जन से तू ने अप क ह: कgरया खाकर यह कहा या, क मै तुSहारे वंश को आकाश के तारHके तु`य बहुत कRंगा, और यह सारा दे श 'जसक मE ने चचाO क है तुSहारे वंश को दं ग ू ा, क वह उसके अिध कारनेी सदै व बने रह । 14 तब यहोवा अप क ूजा क हािन करने से जो उन ने कहा या पछताया।। 15 तब मूसा फरकर साझी क दानHत'‡तयHको हाथ म िलथे हुए पहाड़ से उतर गया, उन त'‡तयHके तो इधर और उधर दोनHअलंगHपर कुछ िलखा हुआ या। 16 और वे त'‡तयां परमे र क बनाई हुई यीं, और उन पर जो खोदकर िलखा हुआ या वह परमे र का िलखा हुआ या।। 17 जब यहोशू को लोगHके कोलाहल का शcद सुनाई पड़ा, तब उस ने मूसा से कहा, छावनी से लड़ाई का सा शcद सुनाई दे ता है । 18 उस ने कहा, वह जो शcद है वह न तो जीतनेवालHका है , और न हारनेवालHका, मुझे तो गाने का शcद

सुन पड़ता है । 19 छावनी के पास आते ह: मूसा को वह बछड़ा और नाचना दे ख पड़ा, तब मूसा का कोप भड़क उठा, और उस ने त'‡तयHको अपके हाथHसे पवOत के नीचे पटककर तोड़ डाला। 20 तब उस ने उनके बनाए हुए बछड़े को लेकर आग म डालके फूंक दया। और पीसकर चूर चूर कर डाला, और जल के ऊपर फ क दया, और इ\ाएिलयHको उसे पलवा दया। 21 तब मूसा हाRन से कहने लगा, उन लोगHने तुझ से या कया क तू ने उनको इतने बड़े पाप म फंसाया? 22 हाRन ने उर दया, मेरे ूभु का कोप न भड़के; तू तो उन लोगHको जानता ह: है क वे बुराई म मन लगाए रहते हE । 23 और उ(हHने मुझ से कहा, क हमारे िलथे दे वता बनवा जो हमारे आगे आगे चले; यHक उस पुRष मूसा को, जो हम िमॐ दे श से छुड़ा लाया है , हम नह:ं जानते क उसे या हुआ? 24 तब मE ने उन से कहा, 'जस 'जसके पास सोने के गहन हH, वे उनको तोड़कर उतार लाएं; और जब उ(हHने मुझ को दया, मE ने उ(ह आग म डाल दया, तब यह बछड़ा िनकल पड़ा 25 हाRन ने उन लोगHको ऐसा िनरं कुश कर दया या क वे अपके वरोिधयHके बीच उपहास के योbय हुए, 26 उनको िनरं कुश दे खकर मूसा ने छावनी के िनकास पर खड़े होकर कहा, जो कोई यहोवा क ओर का हो वह मेरे पास आए; तब सारे लेवीय उस के पास इक=ठे हुए। 27 उस ने उन से कहा, इ\ाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , क अप क अप क जांघ पर तलवार लटका कर छावनी से एक िनकास से दस ू रे िनकास तक घूम घूमकर अपके अपके भाइयH, संिगयH, और पड़ोिस कH घात करो। 28 मूसा के इस वचन के अनुसार लेवयHने कया और उस दन तीन हजार के अटकल लोग मारे गए। 29 फर मूसा ने कहा, आज के दन यहोवा के िलथे अपना याजकपद का संःकार करो, वरन अपके अपके बेटHऔर

भाइयHके भी वRa होकर ऐसा करो 'जस से वह आज तुम को आशीष दे । 30 दस ू रे दन मूसा ने लोगHसे कहा, तुम ने बड़ा ह: पाप कया है । अब मE यहोवा के पास चढ़ जाऊंगा; सSभव है क मE तुSहारे पाप का ूाय'_ कर सकूं। 31 तब मूसा यहोवा के पास जाकर कहने लगा, क हाथ, हाथ, उन लोगHने सोने का दे वता बनवाकर बड़ा ह: पाप कया है । 32 तौभी अब तू उनका पाप झमा कर नह:ं तो अप क िलखी हुई पुःतक म से मेरे नाम को काट दे । 33 यहोवा ने मूसा से कहा, 'जस ने मेरे वRa पाप कया है उसी का नाम मE अप क पुःतक म से काट दं ग ू ा। 34 अब तो तू जाकर उन लोगHको उस ःयान म ले चल 'जसक चचाO मE ने तुझ से क यी; दे ख मेरा दत ू ते रे आगे आगे चलेगा। पर(तु 'जस दन मE द+ड दे ने लगूंगा उस दन उनको इस पाप का भी द+ड दं ग ू ा। 35 और यहोवा ने उन लोगHपर वप डाली, यHक हाRन के बनाए हुए बछड़े को उ(ह:ं ने बनवाया या। िनगOमन 33 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, तू उन लोगHको 'ज(ह िमॐ दे श से छुड़ा लाया है संग लेकर उस दे श को जा, 'जसके वषय मE ने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब से शपय खाकर कहा या, क मE उसे तुSहारे वंश को दं ग ू ा। 2 और मE ते रे आगे आगे एक दत ू को भेजूंगा, और कनानी, एमोर:, ही, पgरGजी, हcबी, और यबूसी लोगHको बरबस िनकाल दं ग ू ा। 3 तुम लोग उस दे श को जाओ 'जस म दध ू और मधु क धारा बहती है ; पर(तु तुम हठqले हो, इस कारण मE तुSहारे बीच म होके न चलूग ं ा, ऐसा न हो क मE मागO म तुSहारा अ(त कर डालू।ं 4 यह बुरा समाचार

सुनकर वे लोग वलाप करने लगे; और कोई अपके गहने पहने हुए न रहा। 5 यHक यहोवा ने मूसा से कह दया या, क इ\ाएिलयHको मेरा यह वचन सुना, क तुम लोग तो हठqले हो; जो मै पल भर के िलथे तुSहारे बीच होकर चलू,ं तो तुSहारा अ(त कर डालूग ं ा। इसिलथे अब अपके अपके गहने अपके अंगHसे उतार दो, क मE जानूं क तुSहारे साय या करना चाहए। 6 तब इ\ाएली होरे ब पवOत से लेकर आगे को अपके गहने उतारे रहे ।। 7 मूसा तSबू को छावनी से बाहर वरन दरू खड़ा कराया करता या, और उसको िमलापवाला तSबू कहता या। और जो कोई यहोवा को ढू ं ढ़ता वह उस िमलापवाले तSबू के पास जो छावनी के बाहर या िनकल जाता या। 8 और जब जब मूसा तSबू के पास जाता, तब तब सब लोग उठकर अपके अपके डे रे के kार पर खड़े हो जाते, और जब तक मूसा उस तSबू म

ूवेश न करता या तब तक उसक ओर ताकते रहते थे। 9 और जब मूसा उस तSबू म ूवेश करता या, तब बादल का खSभा उतर के तSबू के kार पर ठहर जाता या, और यहोवा मूसा से बात करने लगता या। 10 और सब लोग जब बादल के खSभे को तSबू के kार पर ठहरा दे खते थे, तब उठकर अपके अपके डे रे के kार पर से द+डवत ् करते थे। 11 और यहोवा मूसा से इस ूकार आSहने-साSहने बात

करता या, 'जस ूकार कोई अपके भाई से बात करे । और मूसा तो छावनी म फर आता या, पर यहोशू नाम एक जवान, जो नून का पुऽ और मूसा का टहलुआ या, वह तSबू म से न िनकलता या।। 12 और मूसा ने यहोवा से कहा, सुन तू मुझ से कहता है , क इन लोगHको ले चल; पर(तु यह नह:ं बताया क तू मेरे संग कसको भेजेगा। तौभी तू ने कहा है , क तेरा नाम मेरे िच म बसा है , और तुझ पर मेरे अनुमह क l है । 13 और अब यद मुझ पर तेरे अनुमह क l हो, तो मुझे

अप क गित समझा दे , 'जस से जब मE तेरा Wान पाऊं तब तेरे अनुमह क l मुझ पर बनी रहे । फर इसक भी सुिध कर क यह जाित तेर: ूजा है । 14 यहोवा ने कहा, मE आप चलूग ं ा और तुझे वौम दं ग ू ा। 15 उस ने उस से कहा, यद तू आप न चले, तो हम यहां से आगे न ले जा। 16 यह कैसे जाना जाए क ते रे अनुमह क l मुझ पर और अप क ूजा पर है ? या इस से नह:ं क तू हमारे संग संग चले, 'जस से मE और तेर: ूजा के लोग पृवी भर के सब लोगHसे अलग ठहर ? 17 यहोवा ने मूसा से कहा, मE यह काम भी 'जसक चचाO तू ने क है कRंगा; कयHक मेरे अनुमह क l तुझ पर है , और तेरा नाम मेरे िच म बसा है । 18 उस ने कहा मुझे अपना तेज दखा दे । 19 उस ने कहा, मE ते रे सSमुख होकर चलते हुए तुझे अप क सार: भलाई दखाऊंगा, और तेरे सSमुख यहोवा नाम का ूचार कRंगा, और 'जस पर मE अनुमह करना चाहंू उसी पर अनुमह कRंगा, और 'जस पर दया करना चांहू उसी पर दया कRंगा। 20 फर उस ने कहा, तू मेरे मुख का दशOन नह:ं कर सकता; यHक मनुंय मेरे मुख का दशOन करके जीवत नह:ं रह सकता। 21 फर यहोवा ने कहा, सुन, मेरे पास एक ःयान है , तू उस च=टान पर खड़ा हो; 22 और जब तक मेरा तेज ते रे साSहने होके चलता रहे तब तक मै तुझे च=टान के दरार म रखूंगा, और जब तक मE तेरे साSहने होकर न िनकल जाऊं तब तक अपके हाथ से तुझे ढांपे रहंू गा; 23 फर मE अपना हाथ उठा लूग ं ा, तब तू मेर: पीठ का तो दशOन पाएगा, पर(तु मेरे मुख का दशOन नह:ं िमलेगा।। िनगOमन 34 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, पहली त'‡तयHके समान पयर क दो और

त'‡तयां गढ़ ले; तब जो वचन उन पहली त'‡तयHपर िलखे थे, 'ज(ह तू ने तोड़ डाला, वे ह: वचन मE उन त'‡तयHपर भी िलखूंगा। 2 और बहान को तैयार रहना, और भोर को सीनै पवOत पर चढ़कर उसक चोट: पर मेरे साSहने खड़ा होना। 3 और ते रे संग कोई न चढ़ पाए, वरन पवOत भर पर कोई मनुंय कह:ं दखाई न दे ; और न भेड़-बकर: और गाय-बैल भी पवOत के आगे चरते पाएं। 4 तब मूसा ने पहली त'‡तयHके समान दो और त'‡तयां गढ़:; और बहान को सवे रे उठकर अपके हाथ म पयर क वे दोनHत'‡तयां लेकर यहोवा क आWा के अनुसार पवOत पर चढ़ गया। 5 तब यहोवा ने बादल म उतरके उसके संग वहां खड़ा होकर यहोवा नाम का ूचार कया। 6 और यहोवा उसके साSहने होकर यHूचार करता हुआ चला, क यहोवा, यहोवा, ई र दयालु और अनुमहकार:, कोप करने म

धीरजव(त, और अित कRणामय और सय, 7 हजारHपीढय़Hतब िनर(तर कRणा करनेवाला, अधमO और अपराध और पाप का झमा करनेवाला है , पर(तु दोषी को वह कसी ूकार िनदzष न ठहराएगा, वह पतरHके अधमO का द+ड उनके बे टHवरन पोतHऔर परपोतHको भी दे नेवाला है । 8 तब मूसा ने फुतh कर पृवी क ओर फुककर द+डवत ् क। 9 और उस ने कहा, हे ूभु, यद तेरे अनुमह क l मुझ पर हो तो ूभु, हम लोगHके बीच म होकर चले, थे लोग हठqले तो हE , तौभी हमारे अधमO और पाप को झमा कर, और हम अपना िनज भाग मानके महण कर। 10 उस ने कहा, सुन, मE एक वाचा बा(धता हूं। तेरे सब लोगHके साSहने मE ऐसे आ_यO कमO कRंगा जैसा पृवी पर और सब जाितयHम कभी नह:ं हुए; और वे सारे लोग 'जनके बीच तू रहता है यहोवा के कायO को दे ख गे; यHक जो मE तुम लोगHसे करने पर हंू वह भय योbय काम है । 11 जो आWा मE आज तुSह दे ता हंू

उसे तुम लोग मानना। दे खो, मE तुSहारे आगे से एमोर:, कनानी, ही, पgरGजी, हcबी, और यबूसी लोगHको िनकालता हूं। 12 इसिलथे सावधान रहना क 'जस दे श म तू जानेवाला है उसके िनवािस कH वाचा न बा(धना; कह:ं ऐसा न हो क वह तेरे िलथे फंदा ठहरे । 13 वरन उनक वेदयHको िगरा दे ना, उनक लाठHको तोड़ डालना, और उनक अशेरा नाम मूितयJको काट डालना; 14 यHक तुSह

कसी दस ू रे को ई र करके द+डवत ् करने क आWा नह:ं, यHक यहोवा 'जसका नाम जलनशील है , वह जल उठनेवाला ई र है ह:, 15 ऐसा न हो क तू उस दे श के िनवािस कH वाचा बा(धे, और वे अपके दे वताओं के पीछे होने का eयिभचार कर , और उनके िलथे बिलदान भी कर , और कोई तुझे नेवता दे और तू भी उसके बिलपशु का ूसाद खाए, 16 और तू उनक बेटयHको अपके बेटHके िलथे लावे, और उनक बेटयां जो आप अपके दे वताओं के पीछे होने का eयिभचार करती है तेरे बेटHसे भी अपके दे वताओं के पीछे होने को eयिभचार करवाएं। 17 तुम दे वताओं क मूयां ढालकर न बना लेना। 18 अखमीर: रोट: का पcबO मानना। उस म मेर: आWा के अनुसार आबीब मह:ने के िनयत समय पर सात दन तक अखमीर: रोट: खाया करना; यHक तू िमॐ से आबीब मह:ने म िनकल आया। 19 हर एक पहलौठा मेरा है ; और या बछड़ा, या मेSना, तेरे पशुओं म से जो नर पहलौठे हHवे सब मेरे ह: हE । 20 और गदह: के पहलौठे क स(ती मेSना दे कर उसको छुड़ाना, यद तू उसे छुड़ाना न चाहे तो उसक गदO न तोड़ दे ना। पर(तु अपके सब पहलौठे बेटHको बदला दे कर छुड़ाना। मुझे कोई छूछे हाथ अपना मुह ं न दखाए। 21 छ: दन तो पgरnम करना, पर(तु सातव दन वौम करना; वरन हल जोतने और लवने के समय म भी वौम करना। 22 और तू

अठवारHका पcबO मानना जो पहले लवे हुए गेहंू का पcबO कहलाता है , और वषO के अ(त म बटोरन का भी पcबO मानना। 23 वषO म तीन बार ते रे सब पुRष इ\ाएल के परमे र ूभु यहोवा को अपके मुह ं दखाएं। 24 मE तो अ(यजाितयHको तेरे आगे से िनकालकर तेरे िसवानHको बढ़ाऊंगा; और जब तू अपके परमे र यहोवा को अपना मुह ं दखाने के िलथे वषO म तीन बार आया करे , तब कोई ते र: भूिम का लालच न करे गा। 25 मेरे बिलदान के लोहू को खमीर सहत न चढ़ाना, और न फसह के पcबO के बिलदान म से कुछ बहान तक रहने दे ना। 26 अप क भूिम क पहली उपज का पहला भाग अपके परमे र यहोवा के भवन म ले आना। बकर: के ब.चे को उसक मां के दध ू म ने िसफाना। 27 और यहोवा ने मूसा से कहा, थे वचन िलख ले; यHक इ(ह:ं वचनHके अनुसार मE तेरे और इ\ाएल के साय वाचा बा(धता हंू । 28 मूसा तो वहां यहोवा के संग चालीस दन और रात रहा; और तब तक न तो उस ने रोट: खाई और न पानी पया। और उस ने उन त'‡तयHपर वाचा के वचन अयाOत ् दस आWाएं िलख द:ं।। 29 जब मूसा साझी क दोनHत'‡तयां हाथ म िलथे हुए सीनै पवOत से उतरा आता या तब यहोवा के साय बात करने के कारण उसके चेहरे से करण िनकल रह: यी।, पर(तु वह यह नह:ं जानता या क उसके चेहरे से करण िनकल रह: हE । 30 जब हाRन और सब इ\ाएिलयHने मूसा को दे खा क उसके चेहरे से करण िनकलती हE , तब वे उसके पास जाने से डर गए। 31 तब मूसा ने उनको बुलाया; और हाRन म+डली के सारे ूधानHसमेत उसके पास आया, और मूसा उन से बात करने लगा। 32 इसके बाद सब इ\ाएली पास आए, और 'जतनी आWाएं यहोवा ने सीनै पवOत पर उसके साय बात करने के समय द: यीं, वे सब उस ने उ(ह बताL। 33 जब तक मूसा उन

से बात न कर चुका तब तक अपके मुह ं पर ओढ़ना डाले रहा। 34 और जब जब मूसा भीतर यहोवा से बात करने को उसके साSहने जाता तब तब वह उस ओढ़नी को िनकलते समय तक उतारे हुए रहता या; फर बाहर आकर जो जो आWा उसे िमलती उ(ह इ\ाएिलयHसे कह दे ता या। 35 सो इ\ाएली मूसा का चेहरा दे खते थे क उस से करण िनकलती हE ; और जब तक वह यहोवा से बात करने को भीतर न जाता तब तक वह उस ओढ़नी को डाले रहता या।। िनगOमन 35 1 मूसा ने इ\ाएिलयHक सार: म+डली इक=ठq करके उन से कहा, 'जन कामHके करने क आWा यहोवा ने द: है वे थे हE । 2 छ: दन तो काम काज कया जाए, पर(तु सातवां दन तुSहारे िलथे पवऽ और यहोवा के िलथे परमवौम का दन ठहरे ; उस म जो कोई काम काज करे वह मार डाला जाए; 3 वरन वौम के दन तुम अपके अपके घरHम आग तक न जलाना।। 4 फर मूसा ने इ\ाएिलयHक सार: म+डली से कहा, 'जस बात क आWा यहोवा ने द: है वह यह है । 5 तुSहारे पास से यहोवा के िलथे भ ट ली जाए, अयाOत ् 'जतने अप क इ.छा से दे ना चाह

वे यहोवा क भ ट करके थे वःतुएं ले आएं; अयाOत ् सोना, Rपा, पीतल; 6 नीले, बEजनी और लाल रं ग का कपड़ा, सूˆम सनी का कपड़ा; बकर: का बाल, 7 लाल रं ग से रं गी हुई मेढ़Hक खाल , सुइसHक खाल ; बबूल क लकड़:, 8 उ'जयाला दे ने के िलथे तेल, अिभषेक का ते ल, और धूप के िलथे सुग(धिeय, 9 फर एपोद और चपरास के िलथे सुलम ै ानी म'ण और जड़ने के िलथे म'ण। 10 और तुम म से 'जतनHके ॑ृदय म बुa का ूकाश है वे सब आकर 'जस 'जस वःतु क आWा

यहोवा ने द: है वे सब बनाएं। 11 अयाOत ् तSबू, और ओहार समेत िनवास, और उसक घुड ं :, त‡ते, ब ड़े, खSभे और कुिसया{; 12 फर ड+डHसमेत स(दक ू , और ूाय'_ का ढकना, और बीचवाला पदाO; 13 ड+डHऔर सब सामान समेत मेज़, और भ ट क रोटयां; 14 सामान और द:पकHसमेत उ'जयाला दे नेवाला द:वट, और उ'जयाला दे ने के िलथे तेल; 15 ड+डHसमेत धूपकेद:, अिभषेक का ते ल, सुग'(धत धूप, और िनवास के kार का पदाO; 16 पीतल क फंफर:, ड+डHआद सारे सामान समेत होमवेद:, पाए समेत होद:; 17 खSभHऔर उनक कुिसयJसमेत आंगन के पद , और आंगन के kार के पद ; 18 िनवास और आंगन दोनHके खूंटे, और डोgरयां; 19 पवऽःयान म सेवा टहल करने के िलथे काढ़े हुए व\, और याजक का काम करने के िलथे हाRन याजक के पवऽ व\, और उसके पुऽHके व\ भी।। 20 तब इ\ाएिलयHक सार: म+डली मूसा के साSहने से लौट गई। 21 और 'जतनHको उसाह हुआ, और 'जतनHके मन म ऐसी इ.छा उप(न हुई यी, वे िमलापवाले तSबू के काम करने और उसक सार: सेवकाई और पवऽ वHके बनाने के िलथे यहोवा क भ ट ले आने लगे । 22 या \ी, या पुRष, 'जतनHके मन म ऐसी इ.छा उप(न हुई भी वे सब जुगनू, नयुनी, मुद ं र:, और कंगन आद सोने के गहने ले आने लगे, इस भं◌ाित 'जतने मनुंय यहोवा के िलथे सोने क भ ट के दे नेवाले थे वे सब उनको ले आए। 23 और 'जस 'जस पुRष के पास नीले, बEजनी वा लाल रं ग का कपड़ा वा सूˆम सनी का कपड़ा, वा बकर: का बाल, वा लाल रं ग से रं गी हुई मेढ़Hक खाल , वा सूइसHक खाल यी वे उ(ह ले आए। 24 फर 'जतने चांद:, वा पीतल क भ ट के दे नेवाले थे वे यहोवा के िलथे वैसी भ ट ले आए; और 'जस 'जसके पास सेवकाई के कसी काम के िलथे बबूल

क लकड़: यी वे उसे ले आए। 25 और 'जतनी '\यHके ॑ृदय म बुa का ूकाश या वे अपके हाथHसे सूत कात कातकर नीले, बEजनी और लाल रं ग के, और सूˆम सनी के काते हुए सूत को ले आई। 26 और 'जतनी '\यHके मन म ऐसी बुa का ूकाश या उ(हो ने बकर: के बाल भी काते। 27 और ूधान लोग एपोद और चपरास के िलथे सुलम ै ानी म'ण, और जड़ने के िलथे म'ण, 28 और उ'जयाला दे ने और अिभषेक और धूप के सुग(धिeय और ते ल ले आथे। 29 'जस 'जस वःतु के बनाने क आWा यहोवा ने मूसा के kारा द: यी उसके िलथे जो कुछ आवँयक या, उसे वे सब पुRष और '\यां ले आई, 'जनके ॑ृदय म ऐसी इ.छा उप(न हुई यी। इस ूकार इ\ाएली यहोवा के िलथे अप क ह: इ.छा से भ ट ले आए।। 30 तब मूसा ने इ\ाएिलयHसे कहा सुनो, यहोवा ने यहूदा के गोऽवाले बसलेल को, जो ऊर: का पुऽ और हूर का पोता है , नाम लेकर बुलाया है । 31 और उस ने उसको परमे र के आमा से ऐसा पgरपूणO कया हे क सब ूकार क बनावट के िलथे उसको ऐसी बुa, समझ, और Wान िमला है , 32 क वह कार:गर: क युfयां िनकालकर सोने, चांद:, और पीतल म , 33 और जड़ने के िलथे म'ण काटने म और लकड़: के खोदने म , वरन बुa से सब भांित क िनकाली हुई बनावट म काम कर सके। 34 फर यहोवा ने उसके मन म और दान के गोऽवाले अह:सामाक के पुऽ ओहोलीआब के मन म भी िशझा दे ने क शf द: है । 35 इन दोनHके ॑ृदय को यहोवा ने ऐसी बुa से पgरपूणO कया है , क वे खोदने और गढ़ने और नीले, बैजनी और लाल रं ग के कपके, और सूˆम सनी के कपके म काढ़ने और बुनने, वरन सब ूकार क बनावट म , और बुa से काम िनकालने म सब भांित के काम कर ।।

िनगOमन 36 1 और बसलेल और ओहोलीआब और सब बुaमान 'जनको यहोवा ने ऐसी बुa और समझ द: हो, क वे यहोवा क सार: आWाओं के अनुसार पवऽःयान क सेवकाई के िलथे सब ूकार का काम करना जान , वे सब यह काम कर ।। 2 तब मूसा ने बसलेल और ओहोलीआब और सब बुaमानHको 'जनके ॑ृदय म यहोवा ने बुa का ूकाश दया या, अयाOत ् 'जस 'जसको पास आकर काम करने का उसाह हुआ या उन सभHको बुलवाया। 3 और इ\ाएली जो जो भ ट पवऽःयान क सेवकाई के काम और उसके बनाने के िलथे ले आए थे, उ(ह उन पुRषHने मूसा के हाथ से ले िलया। तब भी लोग ूित भोर को उसके पास भ ट अप क इ.छा से लाते रह ; 4 और 'जतने बुaमान पवऽःयान का काम करते थे वे सब अपना अपना काम छोड़कर मूसा के पास आए, 5 और कहने लगे, 'जस काम के करने क आWा यहोवा ने द: है उसके िलथे 'जतना चाहथे उससे अिधक वे ले आए हE । 6 तब मूसा ने सार: छावनी म इस आWा का ूचार करवाया, क या पुRष, या \ी, कोई पवऽःयान के िलथे और भ ट न लाए, इस ूकार लोग और भ ट लाने से रोके गए। 7 यHक सब काम बनाने के िलथे 'जतना सामान आवँयक या उतना वरन उससे अिधक बनाने वालHके पास आ चुका या।। 8 और काम करनेवाले 'जतने बुaमान थे उ(हHने िनवास के िलथे बट: हुई सूˆम सनी के कपके के, और नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके के दस पटHको काढ़े हुए कRबHसहत बनाया। 9 एक एक पट क लSबाई अ=ठाईस हाथ और चौड़ाई चार हाथ क हुई; सब पट एक ह: नाप के बने। 10 उस ने पांच पट एक दस ू रे से जोड़ दए, और फर दस ू रे पांच पट भी एक दस ू रे से जोड़ दए। 11 और जहां थे पट जोड़े गए वहां क

दोनHछोरHपर उस ने पीली नीली फिलयां लगाL। 12 उस ने दोनHछोरHम पचास पचास फिलयां इस ूकार लगाई क वे आSहने-साSहने हुई। 13 और उस ने सोने क पचास घुं डयां बनाई, और उनके kारा पटHको एक दस ू रे से ऐसा जोड़ा क िनवास िमलकर एक हो गया। 14 फर िनवास के ऊपर के तSबू के िलथे उस ने बकर: के बाल के bयारह पट बनाए। 15 एक एक पट क लSबाई तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ क हुई; और bयारहHपट एक ह: नाप के थे। 16 इन म से उस ने पांच पट अलग और छ: पट अलग जोड़ दए। 17 और जहां दोनHजोड़े गए वहां क छोरHम उस ने पचास पचास फिलयां लगाL। 18 और उस ने तSबू के जोड़ने के िलथे पीतल क पचास घुं डयां भी बनाई 'जस से वह एक हो जाए। 19 और उस ने तSबू के िलथे लाल रं ग से रं गी हुई म ढ़Hक खालHका एक ओढ़ना और उसके ऊपर के िलथे सूइसHक खालHका भी एक ओढ़ना बनाया। 20 फर उस ने िनवास के िलथे बबूल क लकड़: के त‡तHको खड़े रहने के िलथे बनाया। 21 एक एक त‡ते क लSबाई दस हाथ और चौड़ाई डे ढ़ हाथ क हुई। 22 एक एक त‡ते म एक दस ू र: से जोड़: हुई दो दो चूल बनीं, िनवास के सब त‡तHके िलथ उस ने इसी भं◌ाित बनाL। 23 और उस ने िनवास के िलथे त‡तHको इस र:ित से बनाया, क द' खन क ओर बीस त‡ते लगे। 24 और इन बीसHत‡तHके नीचे चांद: क चालीस कुिसया{, अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे उसक दो चूलHके िलथे उस ने दो कुिसया{ बनाL। 25 और िनवास क दस ू र: अलंग, अयाOत ् उर क ओर के िलथे भी उस ने बीस त‡ते बनाए। 26 और इनके िलथे भी उस ने चांद: क चालीस कुिसया{, अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे दो दो कुिसया{ बनाL। 27 और िनवास क पछली अलंग, अयाOत ् प'_म ओर के िलथे उस ने छ: त‡ते बनाए। 28 और

पछली अलंग म िनवास के कोनHके िलथे उस ने दो त‡ते बनाए। 29 और वे नीचे से दो दो भाग के बने, और दोनHभाग ऊपर से िस के तक उन दोनHत‡तHका ढब ऐसा ह: बनाया। 30 इस ूकार आठ त‡ते हुए, और उनक चांद: क सोलह कुिसया{ हुL, अयाOत ् एक एक त‡ते के नीचे दो दो कुिसया{ हुL। 31 फर उस ने बबूल क लकड़: के ब ड़े बनाए, अयाOत ् िनवास क एक अलंग के त‡तHके िलथे पांच ब ड़े, 32 और िनवास क दस ू र: अलंग के त‡तHके िलथे पांच ब ड़े, और िनवास क जो अलंग प'_म ओर पछले भाग म यी उसके िलथे भी पांच ब ड़े, बनाए। 33 और उस ने बीचवाले ब ड़े को त‡तHके म~य म तSबू के एक िस के से दस ू रे िस के तक पहंु चने के िलथे बनाया। 34 और त‡तHको उस ने सोने से मढ़ा, और ब ड़Hके घर को काम दे नेवाले कड़Hको सोने के बनाया, और ब ड़Hको भी सोने से मढ़ा।। 35 फर उस ने नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का, और बट: हुई सूˆम सनीवाले कपके का बीचवाला पदाO बनाया; वह कढ़ाई के काम कथे हुए कRबHके साय बना। 36 और उस ने उसके िलथे बबूल के चार खSभे बनाए, और उनको सोने से मढ़ा; उनक घुं डयां सोने क बनी, और उस ने उनके िलथे चांद: क चार कुिसया{ ढालीं। 37 और उस ने तSबू के kार के िलथे नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का, और बट: हुई सूˆम सनी के कपके का कढ़ाई का काम कया हुआ पदाO बनाया। 38 और उस ने घुं डयHसमेत उसके पांच खSभे भी बनाए, और उनके िसरHऔर जोड़ने क छड़Hको सोने से मढ़ा, और उनक पांच कुिसया{ पीतल क बनाL।। िनगOमन 37

1 फर बसलेल ने बबूल क लकड़: का स(दक ू बनाया; उसक लSबाई अढ़ाई हाथ, चौड़ाई डे ढ़ हाथ, और ऊंचाई डे ढ़ हाथ क यी। 2 और उस ने उसको भीतर बाहर चोखे सोने से मढ़ा, और उसके चारHओर सोने क बाड़ बनाई। 3 और उसके चारHपायHपर लगाने को उस ने सोने के चार कड़े ढ़ाले, दो कड़े एक अलंग और दो कड़े दस ू र: अलंग पर लगे। 4 फर उस ने बबूल के ड+डे बनाए, और उ(ह सोने से मढ़ा, 5 और उनको स(दक ू क दोनो अलंगHके कड़Hम डाला क उनके बल स(दक ू उठाया जाए। 6 फर उस ने चोखे सोने के ूाय'_वाले ढकने को बनाया; उसक लSबाई अढ़ाई हाथ और चौड़ाई डे ढ़ हाथ क यी। 7 और उस ने सोना गढ़कर दो कRब ूाय'_ के ढकने के दानHिसरHपर बनाए; 8 एक कRब तो एक िस के पर, और दस ू रा कRब दस ू रे िस के पर बना; उस ने उनको ूाय'_ के ढकने के साय एक ह: टु कड़े के दोनHिसरHपर बनाया। 9 और कRबHके पंख ऊपर से फैले हुए बने, और उन पंखHसे ूाय'_ का ढकना ढपा हुआ बना, और उनके मुख आSहनेसाSहने और ूाय'_ के ढकने क ओर कए हुए बने।। 10 फर उस ने बबूल क लकड़: क मेज़ को बनाया; उसक लSबाई दो हाथ, चौड़ाई एक हाथ, और ऊंचाई डे ढ़ हाथ क यी; 11 और उस ने उसको चोखे सोने से मढ़ा, और उस म चारHओर सोने क एक बाड़ बनाई। 12 और उस ने उसके िलथे चार अंगुल चौड़: एक पटर:, और इस पटर: के िलथे चारHओर सोने क एक बाड़ बनाई। 13 और उस ने मेज़ के िलथे सोने के चार कड़े ढालकर उन चारHकोनHम लगाया, जो उसके चारHपायHपर थे। 14 वे कड़े पटर: के पास मेज़ उठाने के ड+डHके खानHका काम दे ने को बने। 15 और उस ने मेज़ उठाने के िलथे ड+डHको बबूल क लकड़: के बनाया, और सोने से मढ़ा। 16 और उस ने मेज़ पर का सामान अयाOत ् परात, धूपदान, कटोरे , और

उं डे लने के बतOन सब चोखे सोने के बनाए।। 17 फर उस ने चोखा सोना गढ़के पाए और ड+ड: समेत द:वट को बनाया; उसके पुंपकोष, गांठ, और फूल सब एक ह: टु कड़े के बने। 18 और द:वट से िनकली हुई छ: डािलयां बनीं; तीन डािलयां तो उसक एक अलंग से और तीन डािलयां उसक दस ू र: अलंग से िनकली हुई बनीं। 19 एक एक डाली म बादाम के फूल के सर:खे तीन तीन पुंपकोष, एक एक गांठ, और एक एक फूल बना; द:वट से िनकली हुई, उन छहHडािलयHका यह: ढब हुआ। 20 और द:वट क ड+ड: म बादाम के फूल के सामान अप क अप क गांठ और फूल समेत चार पुंपकोष बने। 21 और द:वट से िनकली हुई छहHडािलयHम से दो दो डािलयHके नीचे एक एक गांठ द:वट के साय एक ह: टु कड़े क बनी। 22 गांठे और डािलयां सब द:वट के साय एक ह: टु कड़े क बनीं; सारा द:वट गढ़े हुए चोखे सोने का और एक ह: टु कड़े का बना। 23 और उस ने द:वट के सातHद:पक, और गुलतराश, और गुलदान, चोखे सोने के बनाए। 24 उस ने सारे सामान समेत द:वट को क कार भर सोने का बनाया।। 25 फर उस ने बबूल क लकड़: क धूपकेद: भी बनाई; उसक लSबाई एक हाथ और चौड़ाई एक हाथ ह: यी; वह चौकोर बनी, और उसक ऊंचाई एक हाथ क यी; वह चौकोर बनी, और उसक ऊंचाई दो हाथ क यी; और उसके सींग उसके साय बना जोड़ के बने थे 26 और ऊपरवाले प`लH, और चारHओर क अलंगH, और सींगो समेत उस ने उस वेद: को चोखे सोने से मढ़ा; और उसक चारHओर सोने क एक बाड़ बनाई, 27 और उस बाड़ के नीचे उसके दोनHप`लHपर उस ने सोने के दो कड़े बनाए, जो उसके उठाने के ड+डHके खानHका काम द । 28 और ड+डHको उस ने बबूल क लकड़: का बनाया, और सोने से मढ़ा। 29 और उस ने अिभषे क का पवऽ ते ल, और सुग(धिeय का

धूप, ग(धी क र:ित के अनुसार बनाया।। िनगOमन 38 1 फर उस ने बबूल क लकड़: क होमबिल भी बनाई; उसक लSबाई पांच हाथ और चौड़ाई पांच हाथ क यी; इस ूकार से वह चौकोर बनी, और ऊंचाई तीन हाथ क यी। 2 और उस ने उसके चारHकोनHपर उसके चार सींग बनाए, वे उसके साय बना जोड़ के बने; और उस ने उसको पीतल से मढ़ा। 3 और उस ने वेद: का सारा सामान, अयाOत ् उसक हांडय़H, फावडय़H, कटोरH, कांटH, और करछHको बनाया। उसका सारा सामान उस ने पीतल का बनाया। 4 और वेद: के िलथे उसके चारHओर क कंगनी के तले उस ने पीतल क जाली क एक फंफर: बनाई, वह नीचे से वे द: क ऊंचाई के म~य तक पहुंची। 5 और उस ने पीतल क फंफर: के चारHकोनHके िलथे चार कड़े ढाले, जो ड+डHके खानHका काम द । 6 फर उस ने ड+डHको बबूल क लकड़: का बनाया, और पीतल से मढ़ा। 7 तब उस ने ड+डHको वे द: क अलंगHके कड़Hम वे द: के उठाने के िलथे डाल दया। वेद: को उस ने त‡तHसे खोखली बनाया।। 8 और उसे ने हौद: और उसका पाया दोनHपीतल के बनाए, यह िमलापवाले तSबू के kार पर सेवा करनेवाली महलाओं के दपOणHके िलथे पीतल के बनाए गए।। 9 फर उस ने आंगन बनाया; और द' खन अलंग के िलथे आंगन के पद बट: हुई सूˆम सनी के कपके के थे, और सब िमलाकर सौ हाथ लSबे थे; 10 उनके िलथे बीस खSभे, और इनक पीतल क बीस कुिसया{ बनी; और खSभHक घुं डयां और जोड़ने क छड़ चांद: क बनीं। 11 और उर अलग के िलथे बीस खSभे, और इनक पीतल क बीस ह: कुिसया{ बनीं, और

खSभHक घुं डयां और जोड़ने क छड़ चांद: क बनी। 12 और प'_म अलंग के िलथे सब पद िमलाकर पचास हाथ के थे; उनके िलथे दस खSभे, और दस ह: उनक कुिसया{ यीं, और खSभHक घं◌ुडयां और जोड़ने क छड़ चांद: क यीं। 13 और पूरब अलंग म भी वह पचास हाथ के थे। 14 आंगन के kार के एक ओर के िलथे पंिह हाथ के पद बने; और उनके िलथे तीन खSभे और तीन कुिसया{ यी। 15 और आंगन के kार क दस ू र: ओर भी वैसा ह: बना या; और आंगन के दरवाजे के इधर और उधर पंिह पंिह हाथ के पद बने थे; और उनके िलथे तीन ह:◌े खSभे, और तीन ह: तीन इनक कुिसया{ भी यीं। 16 आंगन क चारHओर सब पद सूˆम बट: हुई सनी के कपके के बने हुए थे। 17 और खSभHक कुिसया{ पीतल क, और घुं डयां और छड़े चांद: क बनी, और उनके िस के चांद: से मढ़े गए, और आंगन के सब खSभे चांद: के छड़Hसे जोड़े गए थे। 18 आंगन के kार के पद पर बे ल बूटे का काम कया हुआ या, और वह नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का; और सूˆम बट: हुई सनी के कपके के बने थे; और उसक लSबाई बीस हाथ क यी, और उसक ऊंचाई आंगन क कनात क चौड़ाई के सामान पांच हाथ क बनी। 19 और उनके िलथे चार खSभे, और खSभHक चार ह: कुिसया{ पीतल क बनीं, उनक घुं डयां चांद: क बनीं, और उनके िस के चांद: से मढ़े गए, और उनक छड़ चांद: क बनीं। 20 और िनवास और आंगन क चारHओर के सब खूंटे पीतल के बने थे।। 21 साझीपऽ के िनवास का सामान जो लेवयHक सेवकाई के िलथे बना; और 'जसक िगनती हाRन याजक के पुऽ ईतामार के kारा मूसा के कहने से हुई यी, उसका वणOन यह है । 22 'जस 'जस वःतु के बनाने क आWा यहोवा ने मूसा को द: यी उसको यहूदा के गोऽवाले बसलेल ने, जो हूर का पोता

और ऊर: का पुऽ या, बना दया। 23 और उसके संग दान के गोऽवाले, अह:सामाक के पुऽ, ओहोलीआब या, जो खोदने और काढ़नेवाला और नीले, बEजनी और लाल रं ग के और सूˆम सनी के कपके म कारचोब करनेवाला िनपुण कार:गर या।। 24 पवऽःयान के सारे काम म जो भ ट का सोना लगा वह उनतीस क कार, और पवऽःयान के शेकेल के हसाब से सात सौ तीन शेकेल या। 25 और म+डली के िगने हुए लोगHक भ ट क चांद: सौ क कार, और पवऽःयान के शेकेल के हसाब से सरह सौ पचहर शेकेल यी। 26 अयाOत ् 'जतने बीस बरस के और उससे अिधक अवःया के िगने गए थे, वे छ: लाख तीन हज़ार साढ़े पांच सौ पुRष थे, और एक एक जन क ओर से पवऽःयान के शेकेल के अनुसार आधा शेकेल, जो एक बेका होता है िमला। 27 और वह सौ क कार चांद: पवऽःयान और बीचवाले पद दोनHक कुिसयJके ढालने म लग गई; सौ क कार से सौ कुिसया{ बनीं, एक एक कुसh एक क कार क बनी। 28 और सरह सौ पचहर शेकेल जो बच गए उन से खSभHक चोटयां मढ़: गL, और उनक छड़

भी बनाई गई। 29 और भ ट का पीतल सर क कार और दो हज़ार चार सौ शेकेल या; 30 उससे िमलापवाले तSबू के kार क कुिसया{, और पीतल क वेद:, पीतल क फंफर:, और वे द: का सारा सामान; 31 और आंगन के चारHओर क कुिसया{, और आंगन क चारHओर के खूंटे भी बनाए गए।। िनगOमन 39 1 फर उ(हHने नीले, बEजनी और लाल रं ग के काढ़े हुए कपके पवऽ ःयान क सेवकाई के िलथे, और हाRन के िलथे भी पवऽ व\ बनाए; 'जस ूकार यहोवा ने

मूसा को आWा द: यी।। 2 और उस ने एपोद को सोने, और नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का और सूˆम बट: हुई सनी के कपके का बनाया। 3 और उ(हHने सोना पीट-पीटकर उसके पर बनाए, फर परHको काट-काटकर तार बनाए, और तारHको नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके म , और सूˆम सनी के कपके म कढ़ाई क बनावट से िमला दया। 4 एपोद के जोड़ने को उ(हHने उसके क(धHपर के ब(धन बनाए, वह तो अपके दोनHिस कH जोड़ा गया। 5 और उसके कसने के िलथे जो काढ़ा हुआ पटु का उस पर बना, वह उसके साय बना जोड़ का, और उसी क बनावट के अनुसार, अयाOत ् सोने और नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके का, और सूˆम बट: हुई सनी के कपके का बना; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी।। 6 और उ(हHने सुलम ै ानी म'ण काटकर उनम इ\ाएल के पुऽHके नाम जैसा छापा खोदा जाता है वैसे ह: खोदे , और सोने के खानHम जड़ दए। 7 और उस ने उनको एपोद के क(धे के ब(धनHपर लगाया, 'जस से इ\ाएिलयHके िलथे ःमरण कराने वाले म'ण ठहर ; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी।। 8 और उस ने चपरास को एपोद क नाई सोने क, और नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके क, और सूˆम बट: हुई सनी के कपके म बे ल बूटे का काम कया हुआ बनाया। 9 चपरास तो चौकोर बनी; और उ(हो ने उसको दोहरा बनाया, और वह दोहरा होकर एक बा लSबा और एक बा चौड़ा बना। 10 और उ(हHने उस म चार पांित म'ण जड़े । पहली पांित म तो मा'ण य, प|क़राग, और लालड़: जडे गए; 11 और दस ू र: पांित म मरकत, नीलम'ण, और ह:रा, 12 और तीसर: पांित म लशम, सूयक O ा(त, और नीलम; 13 और चौयी पांित म फरोजा, सुलम ै ानी म'ण, और यशब जड़े ; थे सब अलग अलग सोने के खानHम

जड़े गए। 14 और थे म'ण इ\ाएल के पुऽHके नाम क िगनती के अनुसार बारह थे; बारहHगोऽHम से एक एक का नाम जैसा छापा खोदा जाता है वैसा ह: खोदा गया। 15 और उ(हHने चपरास पर डोgरयHक नाई गूंथे हुए चोखे सोने क जंजीर बनाकर लगाई; 16 फर उ(हHने सोने के दो खाने, और सोने क दो कडय़ां बनाकर दोनHकडय़Hको चपरास के दोनHिसरHपर लगाया; 17 तब उ(हHने सोने क दोनHगूंयी हुई जंजीरो को चपरास के िसरHपर क दोनHकडय़Hम लगाया। 18 और गूंयी हुई दोनHजंजीरHके दोनHबाक िस कH उ(हHने दोनHखानHम जड़के, एपोद के साSहने दोनHक(धHके ब(धनHपर लगाया। 19 और उ(हHने सोने क और दो कडय़ां बनाकर चपरास के दोनHिसरHपर उसक उस कोर पर, जो एपोद क भीतर: भाग म यी, लगाL। 20 और उ(हHने सोने क दो और कडय़ां भी बनाकर एपोद के दोनHक(धHके ब(धनHपर नीचे से उसके साSहने, और जोड़ के पास, एपोद के काढ़े हुए पटु के के ऊपर लगाL। 21 तब उ(हHने चपरास को उसक कडय़Hके kारा एपोद क कडय़Hम नीले फते से ऐसा बा(धा, क वह एपोद के काढ़े हुए पटु के के ऊपर रहे , और चपरास एपोद से अलग न होने पाए; जैसे यहोवा ने मूसा को आWा द: यी।। 22 फर एपोद का बागा सSपूणO नीले रं ग का बनाया गया। 23 और उसक बनावट ऐसी हुई क उसके बीच बखतर के छे द के समान एक छे द बना, और छे द के चारHओर एक कोर बनी, क वह फटने न पाए। 24 और उ(हHने उसके नीचेवाले घेरे म नीले, बEजनी और लाल रं ग के कपके के अनार बनाए। 25 और उ(हHने चोखे सोने क घंटयां भी बनाकर बागे के नीचे वाले घेरे के चारHओर अनारHके बीचHबीच लगाL; 26 अयाOत ् बागे के नीचेवाले घेरे क चारHओर एक सोने क घंट:, और एक अनार लगाया गया क उ(ह पहने हुए

सेवा टहल कर ; जैसे यहोवा ने मूसा को आWा द: यी।। 27 फर उ(हHने हाRन, और उसके पुऽHके िलथे बुनी हुई सूˆम सनी के कपके के अंगरखे, 28 और सूˆम सनी के कपके क पगड़:, और सूˆम सनी के कपके क सु(दर टोपयां, और सूˆम बट: हुई सनी के कपके क जांिघया, 29 और सूˆम बट: हुई सनी के कपके क और नीले, बEजनी और लाल रं ग क कारचोबी काम क हुई पगड़:; इन सभHको 'जस तरह यहोवा ने मूसा को आWा द: यी वैसा ह: बनाया।। 30 फर उ(हHने पवऽ मुकुट क पटर: चोखे सोने क बनाई; और जैसे छापे म वैसे ह: उस म थे अझर खोदे गए, अयाOत ् यहोवा के िलथे पवऽ। 31 और उ(हHने उस म नीला फता लगाया, 'जस से वह ऊपर पगड़: पर रहे , 'जस तरह यहोवा ने मूसा को आWा द: यी।। 32 इस ूकार िमलापवाले तSबू के िनवास का सब काम समाT हुआ, और 'जस 'जस काम क आWा यहोवा ने मूसा को द: यी, इ\ाएिलयHने उसी के अनुसार कया।। 33 तब वे िनवास को मूसा के पास ले आए, अयाOत ् घं◌ुडयां, त‡ते, ब ड़े, खSभे, कुिसया{ आद सारे सामान समेत तSबू; 34 और लाल रं ग से रं गी हुई मेढ़Hक खालHका ओढ़ना, और सूइसHक खालHका ओढ़ना, और बीच का पदाO; 35 ड+डHसहत साझीपऽ का स(दक ू , और ूाय'_ का ढकना; 36 सारे सामान समेत मेज़, और भ ट क रोट:; 37 सारे सामान सहत द:वट, और उसक सजावट के द:पक और उ'जयाला दे ने के िलथे तेल; 38 सोने क वेद:, और अिभषेक का तेल, और सुग'(धत धूप, और तSबू के kार का पदाO; 39 पीतल क फंफर:, ड+डH, और सारे सामान समेत पीतल क वे द:; और पाए समेत हौद:; 40 खSभH, और कुिसयJसमेत आंगन के पद , और आंगन के kार का पदाO, और डोgरयां, और खूंटे, और िमलापवाले तSबू के िनवास क सेवकाई का

सारा सामान; 41 पवऽःयान म सेवा टहल करने के िलथे बेल बूटा काढ़े हुए व\, और हाRन याजक के पवऽ व\, और उसके पुऽHके व\ 'ज(ह पहनकर उ(ह

याजक का काम करना या। 42 अयाOत ् जो जो आWा यहोवा ने मूसा को द: यीं उ(ह:ं के अनुसार इ\ाएिलयHने सब काम कया। 43 तब मूसा ने सारे काम का िनर:झण करके दे खा, क उ(हHने यहोवा क आWा के अनुसार सब कुछ कया है । और मूसा ने उनको आशीवाOद दया।। िनगOमन 40 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 पहले मह:ने के पहले दन को तू िमलापवाले तSबू के िनवास को खड़ा करा दे ना। 3 और उस म साझीपऽ के स(दक ू को रखकर बीचवाले पद क ओट म करा दे ना। 4 और मेज़ को भीतर ले जाकर जो कुछ उस पर सजाना है उसे सजवा दे ना; 5 और साझीपऽ के स(दक ू के साSहने सोने क वे द: को जो धूप के िलथे है उसे रखना, और िनवास के kार के पद को लगा दे ना। 6 और िमलापवाले तSबू के िनवास के kार के साSहने होमवेद: को रखना। 7 और िमलापवाले तSबू और वे द: के बीच होद: को रखके उस म जल भरना। 8 और चारHओर के आंगन क कनात को खड़ा करना, और उस आंगन के kार पर पद को लटका दे ना। 9 और अिभषेक का तेल लेकर िनवास को और जो कुछ उस म होगा सब कुछ का अिभषेक करना, और सारे सामान समेत उसको पवऽ करना; तब वह पवऽ ठहरे गा। 10 और सब सामान समेत होमवेद: का अिभषेक करके उसको पवऽ करना; तब वह परमपवऽ ठहरे गी। 11 और पाए समेत हौद: का भी अिभषेक करके उसे पवऽ करना। 12 और हाRन और उसके पुऽHको िमलापवाले

तSबू के kार पर ले जाकर जल से नहलाना, 13 और हाRन को पवऽ व\ पहनाना, और उसका अिभषेक करके उसको पवऽ करना, क वह मेरे िलथे याजक का काम करे । 14 और उसके पुऽHको ले जाकर अंगरखे पहनाना, 15 और जैसे तू उनके पता का अिभषेक करे वैसे ह: उनका भी अिभषेक करना, क वे मेरे िलथे याजक का काम कर ; और उनका अिभषे क उनक पीढ़: पीढ़: के िलथे उनके सदा के याजकपद का िच(ह ठहरे गा। 16 और मूसा ने जो जो आWा यहोवा ने उसको द: यी उसी के अनुसार कया।। 17 और दस ू रे बरस के पहले मह:ने के पहले दन को िनवास खड़ा कया गया। 18 और मूसा ने िनवास को खड़ा करवाया, और उसक कुिसया{ धर उसके त‡ते लगाके उन म ब ड़े डाले, और उसके खSभHको खड़ा कया; 19 और उस ने िनवास के ऊपर तSबू को फैलाया, और तSबू के ऊपर उस ने ओढ़ने को लगाया; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 20 और उस ने साझीपऽ को लेकर स(दक ू म रखा, और स(दक ू म ड+डHको लगाके उसके ऊपर ूाय'_ के ढकने को धर दया; 21 और उस ने स(दक ू को िनवास म पहुंचवाया, और बीचवाले पद को लटकवाके साझीपऽ के स(दक ू को उसके अ(दर कया; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 22 और उस ने िमलापवाले तSबू म िनवास क उर अलंग पर बीच के पद से बाहर मेज़ को लगवाया, 23 और उस पर उन ने यहोवा के सSमुख रोट: सजाकर रखी; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 24 और उस ने िमलापवाले तSबू म मेज़ के साSहने िनवास क द' खन अलंग पर द:वट को रखा, 25 और उस ने द:पकHको यहोवा के सSमुख जला दया; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 26 और उस ने िमलापवाले तSबू म बीच के पद के साSहने सोने क वेद: को

रखा, 27 और उस ने उस पर सुग'(धत धूप जलाया; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 28 और उस ने िनवास के kार पर पद को लगाया। 29 और िमलापवाले तSबू के िनवास के kार पर होमबिल और अ(नबिल को चढ़ाया; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 30 और उस ने िमलापवाले तSबू और वेद: के बीच हौद: को रखकर उस म धोने के िलथे जल डाला, 31 और मूसा और हाRन और उसके पुऽHने उस म अपके अपके हाथ पांव धोए; 32 और जब जब वे िमलापवाले तSबू म वा वेद: के पास जाते थे तब तब वे हाथ पांव धोते थे; 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 33 और उस ने िनवास क चारHओर और वेद: के आसपास आंगन क कनात को खड़ा करवाया, और आंगन के kार के पद को लटका दया। इस ूकार मूसा ने सब काम को पूरा कर समाT कया।। 34 तब बादल िमलापवाले तSबू पर छा गया, और यहोवा का तेज िनवासःयान म

भर गया। 35 और बादल जो िमलापवाले तSबू पर ठहर गया, और यहोवा का तेज जो िनवासःयान म भर गया, इस कारण मूसा उस मे ूवेश न कर सका। 36 और इ\ाएिलयHक सार: याऽा म ऐसा होता या, क जब जब वह बादल िनवास के ऊपर उठ जाता तब तब वे कूच करते थे। 37 और यद वह न उठता, तो 'जस दन तक वह न उठता या उस दन तक वे कूच नह:ं करते थे। 38 इ\ाएल के घराने क सार: याऽा म दन को तो यहोवा का बादल िनवास पर, और रात को उसी बादल म आग उन सभHको दखाई दया करती यी।। लैeयवःथा 1 1 यहोवा ने िमलापवाले तSबू म से मूसा को बुलाकर उस से कहा, 2

इ\ाएिलयHसे कह, क तुम म से यद कोई मनुंय यहोवा के िलथे पशु का चढ़ावा चढ़ाए, तो उसका बिलपशु गाय-बैलHवा भेड़-बकgरयHम से एक का हो। 3 यद वह गाय बैलHम से होमबिल करे , तो िनदzष नर िमलापवाले तSबू के kार पर चढ़ाए, क यहोवा उसे महण करे । 4 और वह अपना हाथ होमबिलपशु के िसर पर रखे , और वह उनके िलथे ूाय'_ करने को महण कया जाएगा। 5 तब वह उस बछड़े को यहोवा के साSहने बिल करे ; और हाRन के पुऽ जो याजक हE वे लोहू को समीप ले जाकर उस वेद: क चारHअलंगHपर िछड़के जो िमलापवाले तSबू के kार पर है । 6 फर वह होमबिलपशु क खाल िनकालकर उस पशु को टु कड़े टु कड़े करे ; 7 तब हाRन याजक के पुऽ वे द: पर आग रख , और आग पर लकड़: सजाकर धर ; 8 और हाRन के पुऽ जो याजक हE वे िसर और चरबी समेत पशु के टु कड़Hको उस लकड़: पर जो वे द: क आग पर होगी सजाकर धर ; 9 और वह उसक अंतडय़Hऔर पैरHको जल से धोए। तब याजक सब को वे द: पर जलाए, क वह होमबिल यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(धवाला हवन ठहरे ।। 10 और यद वह भेड़Hवा बकरHका होमबिल चढ़ाए, तो िनदzष नर को चढ़ाए। 11 और वह उसको यहोवा के आगे वेद: क उरवाली अलंग पर बिल करे ; और हाRन के पुऽ जो याजक हE वे उसके लोहू को वेद: क चारHअलंगHपर िछड़क । 12 और वह उसको टु कड़े टु कड़े करे , और िसर और चरबी को अलग करे , और याजक इन सब को उस लकड़: पर सजाकर धरे जो वे द: क आग पर होगी; 13 और वह उसक अंतडय़Hऔर पैरHको जल से धोए। और याजक सब को समीप ले जाकर वेद: पर जलाए, क वह होमबिल और यहोवा के िलथे सुग(धदायक सुग(धवाला हवन ठहरे ।। 14 और यद वह यहोवा के िलथे प'झयHका होमबिल चढ़ाए, तो पंडुको वा

कबूतरHको चढ़ावा चढ़ाए। 15 याजक उसको वेद: के समीप ले जाकर उसका गला मरोड़ के िसर को धड़ से अलग करे , और वेद: पर जलाए; और उसका सारा लोहू उस वेद: क अलंग पर िगराया जाए; 16 और वह उसका ओफर मल सहत िनकालकर वेद: क पूरब क ओर से राख डालने के ःयान पर फ क दे ; 17 और वह उसको पंखHके बीच से फाड़े , पर अलग अलग न करे । तब याजक उसको वेद: पर उस लकड़: के ऊपर रखकर जो आग पर होगी जलाए, क वह होमबिल और यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(धवाला हवन ठहरे ।। लैeयवःथा 2 1 और जब कोई यहोवा के िलथे अ(नबिल का चढ़ावा चढ़ाना चाहे , तो वह मैदा चढ़ाए; और उस पर तेल डालकर उसके ऊपर लोबान रखे; 2 और वह उसको हाRन के पुऽHके पास जो याजक हE लाए। और अ(नबिल के तेल िमले हुए मैदे म

से इस तरह अप क मु=ठq भरकर िनकाले क सब लोबान उस म आ जाए; और याजक उ(ह ःमरण दलानेवाले भाग के िलथे वेद: पर जलाए, क यह यहोवा के िलथे सुखदायक सुग'(धत हवन ठहरे । 3 और अ(नबिल म से जो बचा रहे सो हाRन और उसके पुऽHका ठहरे ; यह यहोवा के हवनHम से परमपवऽ वःतु होगी।। 4 और जब तू अ(नबिल के िलथे त(दरू म पकाया हुआ चढ़ावा चढ़ाए, तो वह ते ल से सने हुए अखमीर: मैदे के फुलकH, वा तेल से चुप क हुई अखमीर: चपाितयHका हो। 5 और यद तेरा चढ़ावा तवे पर पकाया हुआ अ(नबिल हो, तो वह तेल से सने हुए अखमीर: मैदे का हो; 6 उसको टु कड़े टु कड़े करके उस पर ते ल डालना, तब वह अ(नबिल हो जाएगा। 7 और यद तेरा चढ़ावा कढ़ाह: म तला

हुआ अ(नबिल हो, तो वह मैदे से तेल म बनाया जाए। 8 और जो अ(नबिल इन वःतुओं म से कसी का बना हो उसे यहोवा के समीप ले जाना; और जब वह याजक के पास लाया जाए, तब याजक उसे वे द: के समीप ले जाए। 9 और याजक अ(नबिल म से ःमरण दलानेवाला भाग िनकालकर वेद: पर जलाए, क वह यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(धवाला हवन ठहरे ; 10 और अ(नबिल म से जो बचा रहे वह हाRन और उसके पुऽHका ठहरे ; वह यहोवा के हवनHम परमपवऽ वःतु होगी। 11 कोई अ(नबिल 'जसे तुम यहोवा के िलथे चढ़ाओ खमीर िमलाकर बनाया न जाए; तुम कभी हवन म यहोवा के िलथे खमीर और मधु न जलाना। 12 तुम इनको पहली उपज का चढ़ावा करके यहोवा के िलथे चढ़ाना, पर वे सुखदायक सुग(ध के िलथे वे द: पर चढ़ाए न जाएं। 13 फर अपके सब अ(नबिलयHको नमकन बनाना; और अपना कोई अ(नबिल अपके परमे र के साय ब(धी हुई वाचा के नमक से रहत होने न दे ना; अपके सब चढ़ावHके साय नमक भी चढ़ाना।। 14 और यद तू यहोवा के िलथे पहली उपज का अ(नबिल चढ़ाए, तो अप क पहली उपज के अ(नबिल के िलथे आग से फुलसाई हुई हर: हर: बाल , अयाOत ् हर: हर: बालHको मींजके िनकाल लेना, तब अ(न को चढ़ाना। 15 और उस म तेल डालना, और उसके ऊपर लोबान रखना; तब वह अ(नबिल हो जाएगा। 16 और याजक सींजकर िनकाले हुए अ(न को, और तेल को, और सारे लोबान को ःमरण दलानेवाला भाग करके जला दे ; वह यहोवा के िलथे हवन ठहरे ।। लैeयवःथा 3

1 और यद उसका चढ़ावा म लबिल का हो, और यद वह गाय-बैलHमे से कसी को चढ़ाए, तो चाहे वह पशु नर हो या मादा, पर जो िनदzष हो उसी को वह यहोवा के आगे चढ़ाए। 2 और वह अपना हाथ अपके चढ़ावे के पशु के िसर पर रखे और उसको िमलापवाले तSबू के kार पर बिल करे ; और हाRन के पुऽ जो याजक है वे उसके लोहू को वेद: क चारHअलंगHपर िछड़क । 3 और वह मेलबिल म से यहोवा के िलथे हवन करे , अयाOत ् 'जस चरबी से अंतडय़ां ढपी रहती हE , और जो चरबी उन म िलप क रहती है वह भी, 4 और दोनHगुद और उनके ऊपर क चरबी जो कमर के पास रहती है , और गुदJसमेत कलेजे के ऊपर क फ`ली, इन सभHको वह अलग करे । 5 और हाRन के पुऽ इनको वेद: पर उस होमबिल के ऊपर जलाएं, जो उन लकडय़Hपर होगी जो आग के ऊपर हE , क यह यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(धवाला हवन ठहरे ।। 6 और यद यहोवा के मेलबिल के िलथे उसका चढ़ावा भेड़-बकgरयHम से हो, तो चाहे वह नर हो या मादा, पर जो िनदzष हो उसी को वह चढ़ाए। 7 यद वह भेड़ का ब.चा चढ़ाता हो, तो उसको यहोवा के साSहने चढ़ाए, 8 और वह अपके चढ़ावे के पशु के िसर पर हाथ रखे और उसको िमलापवाले तSबू के आगे बिल करे ; और हाRन के पुऽ उसके लोहू को वेद: क चारHअलंगHपर िछड़क । 9 और मेलबिल म से चरबी को यहोवा के िलथे हवन करे , अयाOत ् उसक चरबी भर: मोट: पूंछ को वह र:ढ़ के पास से अलग करे , और जो चरबी उन म

िलप क रहती है , 10 और दोनHगुद, और जो चरबी उनके ऊपर कमर के पास रहती है , और गुदJसमेत कलेजे के ऊपर क फ`ली, इन सभHको वह अलग करे । 11 और याजक इ(ह वेद: पर जलाए; यह यहोवा के िलथे हवन Rपी भोजन ठहरे ।। 12 और यद वह बकरा वा बकर: चढ़ाए, तो उसे यहोवा के साSहने

चढ़ाए। 13 और वह अपना हाथ उसके िसर पर रखे , और उसको िमलापवाले तSबू के आगे बिल करे ; और हाRन के पुऽ उसके लोहू को वेद: क चारHअलंगHपर िछड़के। 14 और वह उस म से अपना चढ़ावा यहोवा के िलथे हवन करके चढ़ाए, अयाOत ् 'जस चरबी से अंतडय़ां ढपी रहती हE , और जो चरबी उन म िलप क रहती है वह भी, 15 और दोनHगुद और जो चरबी उनके ऊपर कमर के पास रहती है , और गुदJसमेत कलेजे के ऊपर क फ`ली, इन सभHको वह अलग करे । 16 और याजक इ(ह वेद: पर जलाए; यह तो हवन Rपी भोजन है जो सुखदायक सुग(ध के िलथे होता है ; यHक सार: चरबी यहोवा क हE । 17 यह तुSहारे िनवासHम तुSहार: पीढ़: पीढ़: के िलथे सदा क विध ठहरे गी क तुम चरबी और लोहू कभी न खाओ।। लैeयवःथा 4 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा 2 क इ\ाएिलयHसे यह कह, क यद कोई मनुंय उन कामHम से 'जनको यहोवा ने मना कया है कसी काम को भूल से करके पापी हो जाए; 3 और यद अिभषf याजक ऐसा पाप करे , 'जस से ूजा दोषी ठहरे , तो अपके पाप के कारण वह एक िनदzष बछड़ा यहोवा को पापबिल करके चढ़ाए। 4 और वह उस बछड़े को िमलापवाले तSबू के kार पर यहोवा के आगे ले जाकर उसके िसर पर हाथ रखे, और उस बछड़े को यहोवा के साSहने बिल करे । 5 और अिभषf याजक बछड़े के लोहू म से कुछ लेकर िमलापवाले तSबू म ले जाए; 6 और याजक अप क उं गली लोहू मे डु बो डु बोकर और उस म से कुछ लेकर पवऽःयान के बीचवाले पद के आगे यहोवा के साSहने सात बार िछड़के। 7 और

याजक उस लोहू म से कुछ और लेकर सुग'(धत धूप क वे द: के सींगो पर जो िमलापवाले तSबू म है यहोवा के साSहने लगाए; फर बछड़े के सब लोहू को वेद: के पाए पर जो िमलापवाले तSबू के kार पर है उं डे ल दे । 8 फर वह पापबिल के बछड़े क सब चरबी को उस से अलग करे , अयाOत ् 'जस चरबी से अंतडय़ां ढपी रहती हE , और 'जतनी चरबी उन म िलप क रहती है , 9 और दोनHगुद और उनके ऊपर क चरबी जो कमर के पास रहती है , और गुदJसमेत कलेजे के ऊपर क फ`ली, इन सभHको वह ऐसे अलग करे , 10 जैसे मेलबिलवाले चढ़ावे के बछड़े से अलग कए जाते हE , और याजक इनको होमबिल क वेद: पर जलाए। 11 और उस बछड़े क खाल, पांव, िसर, अंतडय़ां, गोबर, 12 और सारा मांस, िनदान समूचा बछड़ा छावनी से बाहर शुa ःयान म , जहां राख डाली जाएगी, ले जाकर लकड़: पर रखकर आग से जलाए; जहां राख डाली जाती है वह वह:ं जलाया जाए।। 13 और इन बातHम से कसी भी बात के वषय म जो कोई पाप करे , याजक उसका ूाय'_ करे , और तब वह पाप झमा कया जाएगा। और इस पापबिल का शेष अ(नबिल के शेष क नाई याजक का ठहरे गा।। 14 तो जब उनका कया हुआ पाप ूगट हो जाए तब म+डली एक बछड़े को पापबिल करके चढ़ाए। वह उसे िमलापवाले तSबू के आगे ले जाए, 15 और म+डली के वृa लोग अपके अपके हाथHको यहोवा के आगे बछड़े के िसर पर रख , और वह बछड़ा यहोवा के साSहने बिल कया जाए। 16 और अिभषf याजक बछड़े के लोहू म से कुछ िमलापवाले तSबू म ले जाए; 17 और याजक अप क उं गली लोहू म डु बो डु बोकर उसे बीचवाले पद के आगे सात बार यहोवा के साSहने िछड़के। 18 और उसी लोहू म से वेद: के सींगHपर जो यहोवा के आगे िमलापवाले तSबू म है लगाए;

और बचा हुआ सब लोहू होमबिल क वे द: के पाए पर जो िमलापवाले तSबू के kार पर है उं डे ल दे । 19 और वह बछड़े क कुल चरबी िनकालकर वेद: पर जलाए। 20 और जैसे पापबिल के बछड़े से कया या वैसे ह: इस से भी करे ; इस भांित याजक इ\ाएिलयHके िलथे ूाय'_ करे , तब उनका पाप झमा कया जाएगा। 21 और वह बछड़े को छावनी से बाहर ले जाकर उसी भांित जलाए जैसे पहले बछड़े को जलाया या; यह तो म+डली के िनिम पापबिल ठहरे गा।। 22 जब कोई ूधान पुRष पाप करके, अयाOत ् अपके परमे र यहोवा क कसी आWा के वRa भूल से कुछ करके दोषी हो जाए, 23 और उसका पाप उस पर ूगट हो जाए, तो वह एक िनदzष बकरा बिलदान करने के िलथे ले आए; 24 और बकरे के िसर पर अपना हाथ धरे , और बकरे को उस ःयान पर बिल करे जहां होमबिल पशु यहोवा के आगे बिल कथे जाते हE ; यह तो पापबिल ठहरे गा। 25 और याजक अप क उं गली से पापबिल पशु के लोहू म से कुछ लेकर होमबिल क वेद: के सींगHपर लगाए, और उसका लोहू होमबिल क वेद: के पाए पर उं डे ल दे । 26 और वह उसक कुल चरबी को मेलबिल क चरबी क नाई वेद: पर जलाए; और याजक उसके पाप के वषय म ूाय'_ करे , तब वह झमा कया जाएगा।। 27 और यद साधारण लोगHम से कोई अWानता से पाप करे , अयाOत ् कोई ऐसा काम 'जसे यहोवा ने माना कया हो करके दोषी हो, और उसका वह पाप उस पर ूगट हो जाए, 28 तो वह उस पाप के कारण एक िनदzष बकर: बिलदान के िलथे ले आए; 29 और वह अपना हाथ पापबिल पशु के िसर पर रखे , और होमबिल के ःयान पर पापबिल पशु का बिलदान करे । 30 और याजक उसके लोहू म से अप क उं गली से कुछ लेकर होमबिल क वेद: के सींगHपर लगाए, और उसके सब लोहू को उसी

वे द: के पाए पर उं डे ल दे । 31 और वह उसक सब चरबी को मेलबिलपशु क चरबी क नाL अलग करे , तब याजक उसको वेद: पर यहोवा के िनिम सुखदायक सुग(ध के िलथे जलाए; और इस ूकार याजक उसके िलथे ूाय'_ करे , तब उसे झमा िमलेगी।। 32 और यद वह पापबिल के िलथे एक भेड़: का ब.चा ले आए, तो वह िनदzष मादा हो, 33 और वह अपना हाथ पापबिल पशु के िसर पर रखे, और उसको पापबिल के िलथे वह:ं बिलदान करे जहां होमबिलपशु बिल कया जाता है । 34 और याजक अप क उं गली से पापबिल के लोहू म से कुछ लेकर होमबिल क वेद: के सींगHपर लगाए, और उसके सब लोहू को वेद: के पाए पर उं डे ल दे । 35 और वह उसक सब चरबी को मेलबिलवाले भेड़ के ब.चे क चरबी क नाई अलग करे , और याजक उसे वेद: पर यहोवा के हवनHके ऊपर जलाए; और इस ूकार याजक उसके पाप के िलथे ूाय'_ करे , और वह झमा कया जाएगा।। लैeयवःथा 5 1 और यद कोई साझी होकर ऐसा पाप करे क शपय 'खलाकर पूछने पर भी, क या तू ने यह सुना अयवा जानता है , और वह बात ूगट न करे , तो उसको अपके अधमO का भार उठाना पकेगा। 2 और यद कोई कसी अशुa वःतु को अWानता से छू ले, तो चाहे वह अशुa बनैले पशु क, चाहे अशुa र गनेवाले जीव-ज(तु क लोय हो, तो वह अशुa होकर दोषी ठहरे गा। 3 और यद कोई मनुंय कसी अशुa वःतु को अWानता से छू ले, चाहे वह अशुa वःतु कसी भी ूकार क यHन हो 'जस से लोग अशुa हो जाते हE तो जब वह उस बात को जान लेगा तब वह दोषी

ठहरे गा। 4 और यद कोई बुरा वा भला करने को बना सोचे समझे शपय खाए, चाहे कसी ूकार क बात वह बना सोचे वचारे शपय खाकर कहे , तो ऐसी बात म वह दोषी उस समय ठहरे गा जब उसे मालूम हो जाएगा। 5 और जब वह इन बातHम से कसी भी बात म दोषी हो, तब 'जस वषय म उस ने पाप कया हो वह उसको मान ले, 6 और वह यहोवा के साSहने अपना दोषबिल ले आए, अयाOत ् उस पाप के कारण वह एक भेड़ वा बकर: पापबिल करने के िलथे ले आए; तब याजक उस पाप के वषय उसके िलथे ूाय'_ करे । 7 और यद उसे भेड़ वा बकर: दे ने क सामयO न हो, तो अपके पाप के कारण दो पंडुक वा कबूतर: के दो ब.चे दोषबिल चढ़ाने के िलथे यहोवा के पास ले आए, उन म से एक तो पापबिल के िलथे और दस ू रा होमबिल के िलथे। 8 और वह उनको याजक के पास ले आए, और याजक पापबिलवाले को पहले चढ़ाए, और उसका िसर गले से मरोड़ डाले, पर अलग न करे , 9 और वह पापबिलपशु के लोहू म से कुछ वेद: क अलंग पर िछड़के, और जो लोहू शेष रहे वह वेद: के पाए पर िगराया जाए; वह तो पापबिल ठहरे गा। 10 और दस ू रे प क को वह वधी के अनुसार होमबिल करे , और याजक उसके पाप का ूाय'_ करे , और तब वह झमा कया जाएगा।। 11 और यद वह दो पंडुक वा कबूतर: के दो ब.चे भी न दे सके, तो वह अपके पाप के कारण अपना चढ़ावा एपा का दसवां भाग मैदा पापबिल करके ले आए; 12 वह उसको याजक के पास ले जाए, और याजक उस म से अप क मु=ठq भर ःमरण दलानेवाला भाग जानकर वेद: पर यहोवा के हवनHके ऊपर जलाए; वह तो पापबिल ठहरे गा। 13 और इन बातHम से कसी भी बात के वषय म जो कोई पाप करे , याजक उसका ूाय'_ करे , और तब वह पाप झमा कया जाएगा। और

इस पापबिल का शेष अ(नबिल के शेष क नाई याजक का ठहरे गा।। 14 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 15 यद कोई यहोवा क पवऽ क हुई वःतुओं के वषय म भूल से व ासघात करे और पापी ठहरे , तो वह यहोवा के पास एक िनदzष मेढ़ा दोषबिल के िलथे ले आए; उसका दाम पवऽःयान के शेकेल के अनुसार उतने ह: शेकेल Rपके का हो 'जतना याजक ठहराए। 16 और 'जस पवऽ वःतु के वषय उस ने पाप कया हो, उस म वह पांचवां भाग और बढ़ाकर याजक को दे ; और याजक दोषबिल का मेढ़ा चढ़ाकर उसके िलथे ूाय'_ करे , तब उसका पाप झमा कया जाएगा।। 17 और यद कोई ऐसा पाप करे , क उन कामHम से 'ज(ह

यहोवा ने मना कया है कसी काम को करे , तो चाहे वह उसके अनजाने म हुआ हो, तौभी वह दोषी ठहरे गा, और उसको अपके अधमO का भार उठाना पकेगा। 18 इसिलथे वह एक िनदzष मेढ़ा दोषबिल करके याजक के पास ले आए, वह उतने दाम का हो 'जतना याजक ठहराए, और याजक उसके िलथे उसक उस भूल का जो उस ने अनजाने म क हो ूाय'_ करे , और वह झमा कया जाएगा। 19 यह दोषबिल ठहरे ; यHक वह मनुंय िन:स(दे ह यहोवा के सSमुख दोषी ठहरे गा।। लैeयवःथा 6 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 यद कोई यहोवा का व ासघात करके पापी ठहरे , जैसा क धरोहर, वा लेनदे न, वा लूट के वषय म अपके भाई से छल करे , वा उस पर अ(धेर करे , 3 वा प क हुई वःतु को पाकर उसके वषय फूठ बोले और फूठq शपय भी खाए; ऐसी कोई भी बात यHन हो 'जसे करके मनुंय पापी ठहरते हE , 4 तो जब वह ऐसा काम करके दोषी हो जाए, तब जो भी वःतु उस ने लूट, वा

अ(धेर करके, वा धरोहर, वा प क पाई हो; 5 चाहे कोई वःतु यHन हो 'जसके वषय म उस ने फूठq शपय खाई हो; तो वह उसको पूरा पूरा लौटा दे , और पांचवां भाग भी बढ़ाकर भर दे , 'जस दन यह मालूम हो क वह दोषी है , उसी दन वह उस वःतु को उसके ःवामी को लौटा दे । 6 और वह यहोवा के सSमुख अपना दोषबिल भी ले आए, अयाOत ् एक िनदzष मेढ़ा दोषबिल के िलथे याजक के पास ले आए, वह उतने ह: दाम का हो 'जतना याजक ठहराए। 7 इस ूकार याजक उसके िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करे , और 'जस काम को करके वह दोषी हो गया है उसक झमा उसे िमलेगी।। 8 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 9 हाRन और उसके पुऽHको आWा दे कर यह कह, क होमबिल क eयवःया यह है ; अयाOत ् होमबिल ईधन के ऊपर रात भर भोर तब वेद: पर पड़ा रहे , और वेद: क अ'bन वे द: पर जलती रहे । 10 और याजक अपके सनी के व\ और अपके तन पर अप क सनी क जांिघया पहनकर होमबिल क राख, जो आग के भःम करने से वेद: पर रह जाए, उसे उठाकर वे द: के पास रखे। 11 तब वह अपके व\ उतारकर दस ू रे व\ पहनकर राख को छावनी से बाहर कसी शुa ःयान पर ले जाए। 12 और वेद: पर अ'bन जलती रहे , और कभी बुफने न पाए; और याजक भोर भोर उस पर लकडय़ां जलाकर होमबिल के टु कड़Hको उसके ऊपर सजाकर धर दे , और उसके ऊपर मेलबिलयHक चरबी को जलाया करे । 13 वेद: पर आग लगातार जलती रहे ; वह कभी बुफने न पाए।। 14 अ(नबिल क eयवःया इस ूकार है , क हाRन के पुऽ उसको वेद: के आगे यहोवा के समीप ले आएं। 15 और वह अ(नबिल के तेल िमले हुए मैदे म से मु=ठq भर और उस पर का सब लोबान उठाकर अ(नबिल के ःमरणायO के इस भाग को यहोवा के सSमुख सुखदायक सुग(ध के िलथे वेद: पर

जलाए। 16 और उस म से जो शेष रह जाए उसे हाRन और उसके पुऽ खा जाएं; वह बना खमीर पवऽ ःयान म खाया जाए, अयाOत ् वे िमलापवाले तSबू के आंगन म उसे खाएं। 17 वह खमीर के साय पकाया न जाए; यHक मE ने अपके हeय म से उसको उनका िनज भाग होने के िलथे उ(ह दया है ; इसिलथे जैसा पापबिल और दोषबिल परमपवऽ है वैसा ह: वह भी है । 18 हाRन के वंश के सब पुRष उस म से खा सकते हE तुSहार: पीढ़:-पीढ़: म यहोवा के हवनHम से यह उनका भाग सदै व बना रहे गा; जो कोई उन हवनHको छूए वह पवऽ ठहरे गा।। 19 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 20 'जस दन हाRन का अिभषेक हो उस दन वह अपके पुऽHके साय यहोवा को यह चढ़ावा चढ़ाए; अयाOत ् एपा का दसवां भाग मैदा िनय अ(नबिल म चढ़ाए, उस म से आधा भोर को और आधा स(~या के समय चढ़ाए। 21 वह तवे पर तेल के साय पकाया जाए; जब वह तेल से तर हो जाए तब उसे ले आना, इस अ(नबिल के पके हुए टु कड़े यहोवा के सुखदायक सुग(ध के िलथे चढ़ाना। 22 और उसके पुऽHम से जो भी उस याजकपद पर अिभषf होगा, वह भी उसी ूकार का चढ़ावा चढ़ाया करे ; यह वधी सदा के िलथे है , क यहोवा के सSमुख वह सSपूणO चढ़ावा जलाया जाथे। 23 याजक के सSपूणO अ(नबिल भी सब जलाए जाएं; वह कभी न खाया जाए।। 24 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 25 हाRन और उसके पुऽHसे यह कह, क पापबिल क eयवःया यह है ; अयाOत ् 'जस ःयान म होमबिलपशु वध कया जाता है उसी म पापबिलपशु भी यहोवा के सSमुख बिल कया जाए; वह परमपवऽ है । 26 और जो याजक पापबिल चढ़ावे वह उसे खाए; वह पवऽ ःयान म , अयाOत ् िमलापवाले तSबू के आँगन म खाया जाए। 27 जो कुछ उसके मांस से छू जाए, वह पवऽ ठहरे गा; और यद उसके

लोहू के छqंटे कसी व\ पर पड़ जाएं, तो उसे कसी पवऽःयान म धो दे ना। 28 और वह िम=ट: का पाऽ 'जस म वह पकाया गया हो तोड़ दया जाए; यद वह पीतल के पाऽ म िसफाया गया हो, तो वह मांजा जाए, और जल से धो िलया जाए। 29 और याजकHम से सब पुRष उसे खा सकते हE ; 30 पर 'जस पापबिलपशु के लोहू म से कुछ भी खून िमलापवाले तSबू के भीतर पवऽःयान म ूाय'_ करने को पहुंचाया जाए तब तो उसका मांस कभी न खाया जाए; वह आग म जला दया जाए।। लैeयवःथा 7 1 फर दोषबिल क eयवःया यह है । वह परमपवऽ है ; 2 'जस ःयान पर होमबिलपशु का वध करते हE उसी ःयान पर दोषबिलपशु का भी बिल कर , और उसके लोहू को याजक वेद: पर चारHओर िछड़के। 3 और वह उस म क सब चरबी को चढ़ाए, अयाOत ् उसक मोट: पूंछ को, और 'जस चरबी से अंतडय़ां ढपी रहती हE वह भी, 4 और दोनHगुद और जो चरबी उनके ऊपर और कमर के पास रहती है , और गुदJसमेत कलेजे के ऊपर क फ`ली; इन सभHको वह अलग करे ; 5 और याजक इ(ह वेद: पर यहोवा के िलथे हवन करे ; तब वह दोषबिल होगा। 6 याजकHम के सब पुRष उस म से खा सकते हE ; वह कसी पवऽःयान म खाया जाए; यHक वह परमपवऽ है । 7 जैसा पापबिल है वैसा ह: दोषबिल भी है , उन दोनHक एक ह: eयवःया है ; जो याजक उन बिलयHको चढ़ा के ूाय'_ करे वह: उन वःतुओं को ले ले। 8 और जो याजक कसी के िलथे होमबिल को चढ़ाए उस होमबिलपशु क खाल को वह: याजक ले ले। 9 और तंदरू म , वा कढ़ाह: म , वा तवे

पर पके हुए सब अ(नबिल उसी याजक क हHगी जो उ(ह चढ़ाता है । 10 और सब अ(नबिल, जो चाहे तेल से सने हुए हHचाहे Rखे हH, वे हाRन के सब पुऽHको एक समान िमले।। 11 और मेलबिल क 'जसे कोई यहोवा के िलथे चढ़ाए eयवःया यह है । 12 यद वह उसे ध(यवाद के िलथे चढ़ाए, तो ध(यवाद-बिल के साय तेल से सने हुए अखमीर: फुलके, और तेल से चुप क हुई अखमीर: फुलके, और ते ल से चुप क हुई अखमीर: रोटयां, और तेल से सने हुए मैदे के फुलके तेल से तर चढ़ाए। 13 और वह अपके ध(यवादवाले मेलबिल के साय अखमीर: रोटयां, और तेल से सने हुए मैदे के फुलके ते ल से तर चढ़ाए। 14 और ऐसे एक एक चढ़ावे म

से वह एक एक रोट: यहोवा को उठाने क भ ट करके चढ़ाए; वह मेलबिल के लोहू के िछड़कनेवाले याजक क होगी। 15 और उस ध(यवादवाले मेलबिल का मांस बिलदान चढ़ाने के दन ह: खाया जाए; उस म से कुछ भी भोर तक शेष न रह जाए। 16 पर यद उसके बिलदान का चढ़ावा म(नत का वा ःवे.छा का हो, तो उस बिलदान को 'जस दन वह चढ़ाया जाए उसी दन वह खाया जाए, और उस म से जो शेष रह जाए वह दस ू रे दन भी खाया जाए। 17 पर(तु जो कुछ बिलदान के मांस म से तीसरे दन तक रह जाए वह आग म जला दया जाए। 18 और उसके मेलबिल के मांस म से यद कुछ भी तीसरे दन खाया जाए, तो वह महण न कया जाएगा, और न पुन म िगना जाएगा; वह घृ'णत कमO समझा जाएगा, और जो कोई उस म से खाए उसका अधमO उसी के िसर पर पकेगा। 19 फर जो मांस कसी अशुa वःतु से छू जाए वह न खाया जाए; वह आग म जला दया जाए। फर मेलबिल का मांस 'जतने शुa हHवे ह: खाएं, 20 पर(तु जो अशुa होकर यहोवा के मेलबिल के मांस म से कुछ खाए वह अपके लोगHम से नाश

कया जाए। 21 और यद कोई कसी अशुa वःतु को छूकर यहोवा के मेलबिलपशु के मांस म से खाए, तो वह भी अपके लोगHम से नाश कया जाए, चाहे वह मनुंय क कोई अशुa वःतु वा अशुa पशु वा कोई भी अशुa और घृ'णत वःतु हो।। 22 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 23 इ\ाएिलयHसे इस ूकार कह, क तुम लोग न तो बैल क कुछ चरबी खाना और न भेड़ वा बकर: क। 24 और जो पशु ःवयं मर जाए, और जो दस ू रे पशु से फाड़ा जाए, उसक चरबी और और काम म लाना, पर(तु उसे कसी ूकार से खाना नह:ं। 25 जो कोई ऐसे पशु क चरबी खाएगा 'जस म से लोग कुछ यहोवा के िलथे हवन करके चढ़ाया करते हE वह खानेवाला अपके लोगHम से नाश कया जाएगा। 26 ओर तुम अपके घर म

कसी भांित का लोहू, चाहे प क का चाहे पशु का हो, न खाना। 27 हर एक ूाणी जो कसी भांित का लोहू खाएगा वह अपके लोगHम से नाश कया जाएगा।। 28 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 29 इ\ाएिलयHसे इस ूकार कह, क जो यहोवा के िलथे मेलबिल चढ़ाए वह उसी मेलबिल म से यहोवा के पास भ ट ले आए; 30 वह अपके ह: हाथHसे यहोवा के हeय को, अयाOत ् छाती हलाने क भ ट करके यहोवा के साSहने हलाई जाए। 31 और याजक चरबी को तो वेद: पर जलाए, पर(तु छाती हाRन और उसके पुऽHक होगी। 32 फर तुम अपके मेलबिलयHम से दहनी जांघ को भी उठाने क भ ट करके याजक को दे ना; 33 हाRन के पुऽHम से जो मेलबिल के लोहू और चरबी को चढ़ाए दहनी जांघ उसी को भाग होगा। 34 यHक इ\ाएिलयHके मेलबिलयHम से हलाने क भ ट क छाती और उठाने क भ ट क जांघ को लेकर मE ने याजक हाRन और उसके पुऽHको दया है , क यह सवOदा इ\ाएिलयHक ओर से उनका हक बना रहे ।। 35 'जस दन हाRन और उसके पुऽ

यहोवा के समीप याजक पद के िलथे आए गए उसी दन यहोवा के हeयHम से उनका यह: अिभषf भाग ठहराया गया; 36 अयाOत ् 'जस दन यहोवा ने उसका अिभषेक कया उसी दन उस ने आWा द: क उनको इ\ाएिलयHक ओर से थे ह: भाग िनत िमला कर ; उनक पीढ़: पीढ़: के िलथे उनका यह: हक ठहराया गया। 37 होमबिल, अ(नबिल, पापबिल, दोषबिल, याजकHके संःकार बिल, और मेलबिल क eयवःया यह: है ; 38 जब यहोवा ने सीनै पवOत के पास के जंगल म

मूसा को आWा द: क इ\ाएली मेरे िलथे या या चढ़ावे चढ़ाएं, तब उस ने उनको यह: eयवःया द: यी।। लैeयवःथा 8 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 तू हाRन और उसके पुऽHके वH, और अिभषेक के तेल, और पापबिल के बछड़े , और दोनHमेढ़H, और अखमीर: रोट: क टोकर: को 3 िमलापवाले तSबू के kार पर ले आ, और वह:ं सार: म+डली को इक=ठा कर। 4 यहोवा क इस आWा के अनुसार मूसा ने कया; और म+डली िमलापवाले तSबू के kार पर इक=ठq हुई। 5 तब मूसा ने म+डली से कहा, जो काम करने क आWा यहोवा ने द: है वह यह है । 6 फर मूसा ने हाRन और उसके पुऽHको समीप ले जाकर जल से नहलाया। 7 तब उस ने उनको अंगरखा पहनाया, और कटब(द लपेटकर बागा पहना दया, और एपोद लगाकर एपोद के काढ़े हुए पटु के से एपोद को बा(धकर कस दया। 8 और उस ने उनके चपरास लगाकर चमरास म

ऊर:म और तुSमीम रख दए। 9 तब उस ने उसके िसर पर पगड़: बा(धकर पगड़: के साSहने पर सोने के ट:के को, अयाOत ् पवऽ मुकुट को लगाया, 'जस ूकार

यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 10 तब मूसा ने अिभषेक का ते ल लेकर िनवास का और जो कुछ उस म या उन सब को भी अिभषेक करके उ(ह पवऽ कया। 11 और उस तेल म से कुछ उस ने वेद: पर सात बार िछड़का, और कुल सामान समेत वेद: का और पाए समेत हौद: का अिभषे क करके उ(ह पवऽ कया। 12 और उस ने अिभषेक के तेल म से कुछ हाRन के िसर पर डालकर उसका अिभषेक करके उसे पवऽ कया। 13 फर मूसा ने हाRन के पुऽHको समीप ले आकर, अंगरखे पहनाकर, फेटे बा(ध के उनके िसर पर टोपी रख द:, 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 14 तब वह पापबिल के बछड़े को समीप ले गया; और हाRन और उसके पुऽHने अपके अपके हाथ पापबिल के बछड़े के िसर पर रख

15 तब वह बिल कया गया, और मूसा ने लोहू को लेकर उं गली से वे द: के चारHसींगHपर लगाकर पवऽ कया, और लोहू को वेद: के पाए पर उं डे ल दया, और उसके िलथे ूाय'_ करके उसको पवऽ कया। 16 और मूसा ने अंतडय़Hपर क सब चरबी, और कलेजे पर क फ`ली, और चरबी समेत दोनHगुदJको लेकर वेद: पर जलाया। 17 ओर बछड़े म से जो कुछ शेष रह गया उसको, अयाOत ् गोबर समेत उसक खाल और मांस को उस ने छावनी से बाहर आग म जलाया, 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 18 फर वह होमबिल के मेढ़े को समीप ले गया, और हाRन और उसके पुऽHने अपके अपके हाथ म ढ़े के िसर पर रखे। 19 तब वह बिल कया गया, और मूसा ने उसका लोहू वे द: पर चारHओर िछड़का। 20 कया गया, और मूसा ने िसर ओर चरबी समेत टु कड़Hको जलाया। 21 तब अंतडय़ां और पांव जल से धोथे गए, और मूसा ने पूरे मेढ़े को वे द: पर जलाया, और वह सुखदायक सुग(ध दे ने के िलथे होमबिल और

यहोवा के िलथे हeय हो गया, 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 22 फर वह दस ू रे मेढ़े को जो संःकार का मेढ़ा या समीप ले गया, और हाRन और उसके पुऽHने अपके अपके हाथ मेढ़े के िसर पर रखे। 23 तब वह बिल कया गया, और मूसा ने उसके लोहू म से कुछ लेकर हाRन के दहने कान के िस के पर और उसके दहने हाथ और दहने पांव के अंगूठHपर लगाया। 24 और वह हाRन के पुऽHको समीप ले गया, और लोहू म से कुछ एक एक के दहने कान के िस के पर और दहने हाथ ओर दहने पांव के अंगूठHपर लगाया; और मूसा ने लोहू को वेद: पर चारHओर िछड़का। 25 और उस ने चरबी, और मोट: पूंछ, ओर अंतडय़Hपर क सब चरबी, और कलेजे पर क फ`ली समेत दोनHगुद, और दहनी जांघ, थे सब लेकर अलग रखे; 26 ओर अखमीर: रोट: क टोकर: जो यहोवा के आगे रखी गई यी उस म से एक रोट:, और तेल से सने हुए मैदे का एक फुलका, और एक रोट: लेकर चरबी और दहनी जांघ पर रख द:; 27 और थे सब वःतुएं हाRन और उसके पुऽHके हाथHपर धर द: गई, और हलाने क भ ट के िलथे यहोवा के साSहने हलाई गई। 28 और मूसा ने उ(ह फर उनके हाथHपर से लेकर उ(ह वेद: पर होमबिल के ऊपर जलाया, यह सुखदायक सुग(ध दे ने के िलथे संःकार क भ ट और यहोवा के िलथे हeय या। 29 तब मूसा ने छाती को लेकर हलाने क भ ट के िलथे यहोवा के आगे हलाया; और संःकार के मेढ़ म से मूसा का भाग यह: हुआ जैसा यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 30 और मूसा ने अिभषेक के ते ल ओर वेद: पर के लोहू, दोनHम से कुछ लेकर हाRन और उसके वHपर, और उसके पुऽHऔर उनके वHपर भी िछड़का; और उस ने वHसमेत हाRन को ओर वHसमेत उसके पुऽHको भी पवऽ कया। 31 और मूसा ने हाRन और उसके पुऽHसे कहा, मांस को

िमलापवाले तSबू के kार पर पकाओ, और उस रोट: को जो संःकार क टोकर: म

है वह:ं खाओ, जैसा मE ने आWा द: है , क हाRन और उसके पुऽ उसे खाएं। 32 और मांस और रोट: म से जो शेष रह जाए उसे आग म जला दे ना। 33 और जब तक तुSहारे संःकार के दन पूरे न हHतब तक, अयाOत ् सात दन तक िमलापवाले तSबू के kार के बाहर न जाना, यHक वह सात दन तक तुSहारा संःकार करता रहे गा। 34 'जस ूकार आज कया गया है वैसा ह: करने क आWा यहोवा ने द: है , 'जस से तुSहारा ूाय'_ कया जाए। 35 इसिलथे तुम िमलापवाले तSबू के kार पर सात दन तक दन रात ठहरे रहना, और यहोवा क आWा को मानना, ताक तुम मर न जाओ; यHक ऐसी क आWा मुझे द: गई है । 36 तब यहोवा क इ(ह:ं सब आWाओं के अनुसार जो उस ने मूसा के kारा द: यीं हाRन ओर उसके पुऽHने उनका पालन कया।। लैeयवःथा 9 1 आठव दन मूसा ने हाRन और उसके पुऽHको और इ\ाएली पुरिनयHको बुलवाकर हाRन से कहा, 2 पापबिल के िलथे एक िनदzष बछड़ा, और होमबिल के िलथे एक िनदzष मेढ़ा लेकर यहोवा के साSहने भ ट चढ़ा। 3 और इ\ाएिलयHसे यह कह, क तुम पापबिल के िलथे एक बकरा, और होमबिल के िलथे एक बछड़ा और एक भेड़ को ब.चा लो, जो एक वषO के हHऔर िनदzष हH, 4 और मेलबिल के िलथे यहोवा के सSमुख चढ़ाने के िलथे एक बैल और एक मेढ़ा, और ते ल से सने हुए मैदे का एक अ(नबिल भी ले लो; यHक आज यहोवा तुम को दशOन दे गा। 5 और 'जस 'जस वःतु क आWा मूसा ने द: उन सब को वे िमलापवाले तSबू के

आगे ले आए; और सार: म+डली समीप जाकर यहोवा के साSहने खड़: हुई। 6 तब मूसा ने कहा, यह वह काम है 'जसके करने के िलथे यहोवा ने आWा द: है क तुम उसे करो; और यहोवा क महमा का ते ज तुम को दखाई पकेगा। 7 और मूसा ने हाRन से कहा, यहोवा क आWा के अनुसार वेद: के समीप जाकर अपके पापबिल और होमबिल को चढ़ाकर उनके िलथे ूाय'_ कर। 8 इसिलथे हाRन ने वे द: के समीप जाकर अपके पापबिल के बछड़े को बिलदान कया। 9 और हाRन के पुऽ लोहू को उसके पास ले गए, तब उस ने अप क उं गली को लोहू म डु बाकर वेद: के सींगHपर लोहू को लगाया, और शेष लोहू को वेद: के पाए पर उं डे ल दया; 10 और पापबिल म क चरबी और गुदJऔर कलेजे पर क फ`ली को उस ने वेद: पर जलाया, जैसा यहोवा ने मूसा को आWा द: यी। 11 और मांस और खाल को उस ने छावनी से बाहर आग म जलाया। 12 तब होमबिलपशु को बिलदान कया; और हाRन के पुऽHने लोहू को उसके हाथ म दया, और उस ने उसको वे द: पर चारHओर िछड़क दया। 13 तब उ(हHने होमबिलपशु का टु कड़ा टु कड़ा करके िसर सहत उसके हाथ म दे दया और उस ने उनको वेद: पर जला दया। 14 और उस ने अंतडय़Hऔर पांवHको धोकर वेद: पर होमबिल के ऊपर जलाया। 15 और उस ने लोगHके चढ़ावे को आगे लेकर और उस पापबिल के बकरे को जो उनके िलथे या लेकर उसका बिलदान कया, और पहले के समान उसे भी पापबिल करके चढ़ाया। 16 और उस ने होमबिल को भी समीप ले जाकर विध के अनुसार चढ़ाया। 17 और अ(नबिल को भी समीप ले जाकर उस म से मु=ठq भर वेद: पर जलाया, यह भोर के होमबिल के अलावा चढ़ाया गया। 18 और बैल और मेढ़ा, अयाOत ् जो मेलबिलपशु जनता के िलथे थे वे भी बिल कथे गए; और हाRन के

पुऽHने लोहू को उसके हाथ म दया, और उस ने उसको वेद: पर चारHओर िछड़क दया; 19 और उ(हHने बैल क चरबी को, और मेढ़े म से मोट: पूंछ को, और 'जस चरबी से अतडय़ां ढपी रहती हE उसको, ओर गुदJसहत कलेजे पर क फ`ली को भी उसके हाथ म दया; 20 और उ(हHने चरबी को छाितयHपर रखा; और उस ने वह चरबी वेद: पर जलाई, 21 पर(तु छाितयHऔर दहनी जांघ को हाRन ने मूसा क आWा के अनुसार हलाने क भ ट के िलथे यहोवा के साSहने हलाया। 22 तब हाRन ने लोगHक ओर हाथ बढ़ाकर उनह आशीवाOद दया; और पापबिल, होमबिल, और मेलबिलयHको चढ़ाकर वह नीचे उतर आया। 23 तब मूसा और हाRन िमलापवाले तSबू म गए, और िनकलकर लोगHको आशीवाOद दया; तब यहोवा का तेज सार: जनता को दखाई दया। 24 और यहोवा के साSहने से आग िनकलकर चरबी सहत होमबिल को वेद: पर भःम कर दया; इसे दे खकर जनता ने जय जयकार का नारा मारा, और अपके अपके मुह ं के बल िगरकर द+डवत कया।। लैeयवःथा 10 1 तब नादाब और अबीहू नामक हाRन के दो पुऽHने अपना अपना धूपदान िलया, और उन म आग भर:, और उस म धूप डालकर उस ऊप क आग क 'जसक आWा यहोवा ने नह:ं द: यी यहोवा के सSमुख आरती द:। 2 तब यहोवा के सSमुख से आग िनकलकर उन दोनHको भःम कर दया, और वे यहोवा के साSहने मर गए। 3 तब मूसा ने हाRन से कहा, यह वह: बात है 'जसे यहोवा ने कहा या, क जो मेरे समीप आए अवँय है क वह मुझे पवऽ जाने, और सार:

जनता के साSहने मेर: महमा करे । और हाRन चुप रहा। 4 तब मूसा ने मीशाएल और एलसाफान को जो हाRन के चाचा उGजीएल के पुऽ थे बुलाकर कहा, िनकट आओ, और अपके भतीजHको पवऽःयान के आगे से उठाकर छावनी के बाहर ले जाओ। 5 मूसा क इस आWा के अनुसार वे िनकट जाकर उनको अंगरखHसहत उठाकर छावनी के बाहर ले गए। 6 तब मूसा ने हाRन से और उसके पुऽ एलीआजर और ईतामार से कहा, तुम लोग अपके िसरHके बाल मत बखराओ, और न अपके वHको फाड़ो, ऐसा न हो क तुम भी मर जाओ, और सार: म+डली पर उसका बोध भड़क उठे ; पर(तु वह इ\ाएल के कुल घराने के लोग जो तुSहारे भाईब(धु हE यहोवा क लगाई हुई आग पर वलाप कर । 7 और तुम लोग िमलापवाले तSबू के kार के बाहर न जाना, ऐसा न हो क तुम मर जाओ; यHक यहोवा के अिभषेक का तेल तुम पर लगा हुआ है । मूसा के इस वचन के अनुसार उ(हHने कया।। 8 फर यहोवा ने हाRन से कहा, 9 क जब जब तू वा ते रे पुऽ िमलापवाले तSबू म आएं तब तब तुम म से कोई न तो दाखमधु पए हो न और कसी ूकार का मr, कह:ं ऐसा न हो क तुम मर जाओ; तुSहार: पीढ़: पीढ़: म

यह विध ूचिलत रहे , 10 'जस से तुम पवऽ और अपवऽ म , और शुa और अशुa म अ(तर कर सको; 11 और इ\ाएिलयHको उन सब विधयHको िसखा सको 'जसे यहोवा ने मूसा के kारा उनको सुनवा द: हE ।। 12 फर मूसा ने हाRन से और उसके बचे हुए दोनHपुऽ ईतामार और एलीआजर से भी कहा, यहोवा के हeय म से जो अ(नबिल बचा है उसे लेकर वेद: के पास बना खमीर खाओ, यHक वह परमपवऽ है ; 13 और तुम उसे कसी पवऽःयान म खाओ, वह तो यहोवा के हeय म से तेरा और ते रे पुऽHका हक है ; यHक मै ने ऐसी ह: आWा पाई है । 14

और हलाई हुई भ ट क छाती और उठाई हुई भ ट क जांघ को तुम लोग, अयाOत ् तू और बेटे-बेटयां सब कसी शुa ःयान म खाओ; यHक वे इ\ाएिलयHके मेलबिलयHम से तुझे और तेरे लड़केबालHक हक ठहरा द: गई हE । 15 चरबी के हeयHसमेत जो उठाई हुई जांघ और हलाई हुई छाती यहोवा के साSहने हलाने के िलथे आया कर गी, थे भाग यहोवा क आWा के अनुसार सवOदा क वधी क eयवःया से ते रे और ते रे लड़केबालHके िलथे हE ।। 16 फर मूसा ने पापबिल के बकरे क जो ढू ं ढ़-ढांढ़ क, तो या पाया, क वह जलाया गया है , सो एलीआज़र और ईतामार जो हाRन के पुऽ बचे थे उन से वह बोध म आकर करने लगा, 17 क पापबिल जो परमपवऽ है और 'जसे यहोवा ने तुSहे इसिलथे दया है क तुम म+डली के अधमO का भार अपके पर उठाकर उनके िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करो, तुम ने उसका मांस पवऽःयान म यHनह:ं खाया? 18 दे खो, उसका लोहू पवऽःयान के भीतर तो लाया ह: नह:ं गया, िन:स(दे ह उिचत या क तुम मेर: आWा के अनुसार उसके मांस को पवऽःयान म खाते। 19 इसका उर हाRन ने मूसा को इस ूकार दया, क दे ख, आज ह: उ(हHने अपके पापबिल और होमबिल को यहोवा के साSहने चढ़ाया; फर मुझ पर ऐसी वपयां आ प क हE ! इसिलथे यद मE आज पापबिल का मांस खाता तो या यह बात यहोवा के सSमुख भली होती? 20 जब मूसा ने यह सुना तब उसे संतोष हुआ।। लैeयवःथा 11 1 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कहो, क 'जतने पशु पृवी पर हE उन सभHम से तुम इन जीवधाgरयHका मांस खा सकते हो। 3 पशुओं

म से 'जतने िचरे वा फटे खुर के होते हE और पागुर करते हE उ(ह खा सकते हो। 4 पर(तु पागुर करनेवाले वा फटे खुरवालHम से इन पशुओं को न खाना, अयाOत ् ऊंट, जो पागुर तो करता है पर(तु िचरे खुर का नह:ं होता, इसिलथे वह तुSहारे िलथे अशुa ठहरा है । 5 और शापान, जो पागुर तो करता है पर(तु िचरे खुर का नह:ं होता, वह भी तुSहारे िलथे अशुa है । 6 और खरहा, जो पागुर तो करता है पर(तु िचरे खुर का नह:ं होता, इसिलथे वह भी तुSहारे िलथे अशुa है । 7 और सूअर, जो िचरे अयाOत ् फटे खुर का होता तो है पर(तु पागुर नह:ं करता, इसिलथे वह तुSहारे िलथे अशुa है । 8 इनके मांस म से कुछ न खाना, और इनक लोय को छूना भी नह:ं; थे तो तुSहारे िलथे अशुa है ।। 9 फर 'जतने जलज(तु हE उन म से तुम इ(ह खा सकते हH, अयाOत ् समुि वा नदयHके जलज(तुओं म से 'जतनHके पंख और चHथेटे होते हE उ(ह खा सकते हो। 10 और जलच क ूा'णयHम से 'जतने जीवधार: बना पंख और चHथेटे के समुि वा नदयHम रहते हE वे सब तुSहारे िलथे घृ'णत हE । 11 वे तुSहारे िलथे घृ'णत ठहर ; तुम उनके मांस म से कुछ न खाना, और उनक लोयHको अशुa जानना। 12 जल म 'जस कसी ज(तु के पंख और चHथेटे नह:ं होते वह तुSहारे िलथे अशुa है ।। 13 फर प'झयHम से इनको अशुa जानना, थे अशुa होने के कारण खाए न जाएं, अयाOत ् उकाब, हड़फोड़, कुरर, 14 शाह:, और भांित भांित क चील, 15 और भांित भांित के सब काग, 16 शुतुमग ुO O, तखमास, जलकु कुट, और भांित भांित के बाज, 17 हवािसल, हाड़गील, उ`लू, 18 राजहँ स, धनेश, िगa, 19 लगलग, भांित भांित के बगुले, टट:हर: और चमगीदड़।। 20 'जतने पंखवाले चार पांवHके बल चरते हE वे सब तुSहारे िलथे अशुa हE । 21 पर र गनेवाले और पंखवाले जो चार पांवHके बल चलते हE , 'जनके

भूिम पर कूदने फांदने को टांगे होती हE उनको तो खा सकते हो। 22 वे थे हE , अयाOत ् भांित भांित क ट]ड:, भांित भांित के फनगे, भांित भांित के हगzल, और भांित भांित के हागाब। 23 पर(तु और सब र गनेवाले पंखवाले जो चार पांववाले होते हE वे तुSहारे िलथे अशुa हE ।। 24 और इनके कारण तुम अशुa ठहरोगे; 'जस कसी से इनक लोय छू जाए वह सांफ तक अशुa ठहरे । 25 और जो कोई इनक लोय म का कुछ भी उठाए वह अपके व\ धोए और सांफ तक अशुa रहे । 26 फर 'जतने पशु िचरे खुर के होते है । पर(तु न तो बलकुल फटे खुर और पागुर करनेवाले हE वे तुSहारे िलथे अशुa हE ; जो कोई उ(ह छूए वह अशुa हE ; जो कोई उ(ह छूए वह अशुa ठहरे गा। 27 और चार पांव के बल चलनेवालHम से 'जतने पंजHके बल चलते हE वे सब तुSहारे िलथे अशुa हE ; जो कोई उनक लोय छूए वह सांफ तक अशुa रहे । 28 और जो कोई उनक लोय उठाए वह अपके व\ धोए और सांफ तक अशुa रहे ; यHक वे तुSहारे िलथे अशुa हE ।। 29 और जो पृवी पर र गते हE उन म से थे र गनेवाले तुSहारे िलथे अशुa हE , अयाOत ् नेवला, चूहा, और भांित भांित के गोह, 30 और िछपकली, मगर, टकटक, सांडा, और िगरिगटान। 31 सब र गनेवालHम से थे ह: तुSहारे िलथे अशुa हE ; जो कोई इनक लोय छूए वह सांफ तक अशुa रहे । 32 और इन म से कसी क लोय 'जस कसी वःतु पर पड़ जाए वह भी अशुa ठहरे , चाहे वह काठ का कोई पाऽ हो, चाहे व\, चाहे खाल, चाहे बोरा, चाहे कसी काम का कैसा ह: पाऽाद यHन हो; वह जल म

डाला जाए, और सांफ तक अशुa रहे , तब शुa समझा जाए। 33 और यद िम=ट: का कोई पाऽ हो 'जस म इन ज(तुओं म से कोई पके, तो उस पाऽ म जो कुछ हो वह अशुa ठहरे , और पाऽ को तुम तोड़ डालना। 34 उस म जो खाने के योbय

भोजन हो, 'जस म पानी का छुआव हHवह सब अशुa ठहरे ; फर यद ऐसे पाऽ म

पीने के िलथे कुछ हो तो वह भी अशुa ठहरे । 35 और यद इनक लोय म का कुछ तंदरू वा चू`हे पर पके तो वह भी अशुa ठहरे , और तोड़ डाला जाए; यHक वह अशुa हो जाएगा, वह तुSहारे िलथे भी अशुa ठहरे । 36 पर(तु सोता वा तालाब 'जस म जल इक=ठा हो वह तो शुa ह: रहे ; पर(तु जो कोई इनक लोय को छूए वह अशुa ठहरे । 37 और यद इनक लोय म का कुछ कसी ूकार के बीज पर जो बोने के िलथे हो पके, तो वह बीज शुa रहे ; 38 पर यद बीज पर जल डाला गया हो और पीछे लोय म का कुछ उस पर पड़ जाए, तो वह तुSहारे िलथे अशुa ठहरे ।। 39 फर 'जन पशुओं के खाने क आWा तुम को द: गई है यद उन म से कोई पशु मरे , तो जो कोई उसक लोय छूए वह सांफ तक अशुa रहे । 40 और उसक लोय म से जो कोई कुछ खाए वह अपके व\ धोए और सांफ तक अशुa रहे ; और जो कोई उसक लोय उठाए वह भी अपके व\ धोए और सांफ तक अशुa रहे । 41 और सब ूकार के पृवी पर र गनेवाले ज(तु िघनौने हE ; वे खाए न जाएं। 42 पृवी पर सब र गनेवालHम से 'जतने पे ट वा चार पांवHके बल चलते हE , वा अिधक पांववाले होते हE , उ(ह तुम न खाना; यHक वे िघनौने हE । 43 तुम कसी ूकार के र गनेवाले ज(तु के kारा अपके आप को िघनौना न करना; और न उनके kारा अपके को अशुa करके अपवऽ ठहराना। 44 यHक मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं; इस ूकार के र गनेवाले ज(तु के kारा जो पृवी पर चलता है अपके आप को अशुa न करना। 45 यHक मE वह यहोवा हंू जो तुSह िमॐ दे श से इसिलथे िनकाल ले आया हंू क तुSहारा परमे र ठहRं; इसिलथे तुम पवऽ बनो, यHक मE पवऽ हंू ।। 46 पशुओं, प'झयH, और सब जलच क ूा'णयH, और

पृवी पर सब र गनेवाले ूा'णयHके वषय म यह: eयवःया है , 47 क शुa अशुa और भझय और अभझय जीवधाgरयHम भेद कया जाए।। लैeयवःथा 12 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कह, क जो \ी गिभणh हो और उसके लड़का हो, तो वह सात दन तक अशुa रहे गी; 'जस ूकार वह ऋतुमती होकर अशुa रहा करती। 3 और आठव दन लड़के का खतना कया जाए। 4 फर वह \ी अपके शुa करनेवाले Rिधर म त तीस दन रहे ; और जब तक उसके शुa हो जाने के दन पूरे न हHतब तक वह न तो कसी पवऽ वःतु को छुए, और न पवऽःयान म ूवेश करे । 5 और यद उसके लड़क पैदा हो, तो उसको ऋतुमती क सी अशुaता चौदह दन क लगे; और फर िछयासठ दन तक अपके शुa करनेवाले Rिधर म रहे । 6 और जब उसके शुa हो जाने के दन पूरे हH, तब चाहे उसके बे टा हुआ हो चाहे बेट:, वह होमबिल के िलथे एक वषO का भेड़: का ब.चा, और पापबिल के िलथे कबूतर: का एक ब.चा वा पंडुक िमलापवाले तSबू के kार पर याजक के पास लाए। 7 तब याजक उसको यहोवा के साSहने भ ट चढ़ाके उसके िलथे ूाय'_ करे ; और वह अपके Rिधर के बहने क अशुaता से छूटकर शुa ठहरे गी। 'जस \ी के लड़का वा लड़क उप(न हो उसके िलथे यह: eयवःया है । 8 और यद उसके पास भेड़ वा बकर: दे ने क पूंजी न हो, तो दो पंडुक वा कबूतर: के दो ब.चे, एक तो होमबिल और दस ू रा पापबिल के िलथे दे ; और याजक उसके िलथे ूाय'_ करे , तब वह शुa ठहरे गी।। लैeयवःथा 13

1 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 2 जब कसी मनुंय के शर:र के चमO म

सूजन वा पप क वा फूल हो, और इस से उसके चमO म कोढ़ क eयािध सा कुछ दे ख पके, तो उसे हाRन याजक के पास या उसके पुऽ जो याजक हE उन म से कसी के पास ले जाएं। 3 जब याजक उसके चमO क eयािध को दे खे, और यद उस eयािध के ःयान के रोएं उजले हो गए हHऔर eयािध चमO से गहर: दे ख पके, तो वह जान ले क कोढ़ क eयािध है ; और याजक उस मनुंय को दे खकर उसको अशुa ठहराए। 4 और यद वह फूल उसके चमO म उजला तो हो, पर(तु चमO से गहरा न दे ख पके, और न वहां के रोएं उजले हो गए हH, तो याजक उनको सात दन तक ब(दकर रखे; 5 और सातव दन याजक उसको दे खे, और यद वह eयािध जैसी क तैसी बनी रहे और उसके चमO म न फैली हो, तो याजक उसको और भी सात दन तक ब(दकर रखे; 6 और सातव दन याजक उसको फर दे खे, और यद दे ख पके क eयािध क चमक कम है और eयािध चमO पर फैली न हो, तो याजक उसको शुa ठहराए; यHक उसके तो चमO म पप क है ; और वह अपके व\ धोकर शुa हो जाए। 7 और यद याजक क उस जांच के प_ात ् 'जस म वह शुa ठहराया गया या, वह पप क उसके चमO पर बहुत फैल जाए, तो वह फर याजक को दखाया जाए; 8 और यद याजक को दे ख पके क पप क चमO म फैल गई है , तो वह उसको अशुa ठहराए; यHक वह कोढ़ ह: है ।। 9 यद कोढ़ क सी eयािध कसी मनुंय के हो, तो वह याजक के पास पहुचाया जाए; 10 और याजक उसको दे खे, और यद वह सूजन उसके चमO म उजली हो, और उसके कारण रोएं भी उजले हो गए हH, और उस सूजन म बना चमO का मांस हो, 11 तो याजक जाने क उसके चमO म पुराना कोढ़ है , इसिलथे वह उसको अशुa ठहराए;

और ब(द न रखे, यHक वह तो अशुa है । 12 और यद कोढ़ कसी के चमO म

फूटकर यहां तक फैल जाए, क जहां कह:ं याजक दे ख eयािधत के िसर से पैर के तलवे तक कोढ़ ने सारे चमO को छा िलया हो, 13 जो याजक ~यान से दे खे, और यद कोढ़ ने उसके सारे शर:र को छा िलया हो, तो वह उस eयािधत को शुa ठहराए; और उसका शर:र जो बलकुल उजला हो गया है वह शुa ह: ठहरे । 14 पर जब उस म चमOह:न मांस दे ख पके, तब तो वह अशुa ठहरे । 15 और याजक चमOह:न मांस को दे खकर उसको अशुa ठहराए; कयHक वैसा चमOह:न मांस अशुa ह: होता है ; वह कोढ़ है । 16 पर यद वह चमOह:न मांस फर उजला हो जाए, तो वह मनुंय याजक के पास जाए, 17 और याजक उसको दे खे, और यद वह eयािध फर से उजली हो गई हो, तो याजक eयािधत को शुa जाने; वह शुa है ।। 18 फर यद कसी के चमO म फोड़ा होकर चंगा हो गया हो, 19 और फोड़े के ःयान म उजली सी सूजन वा लाली िलथे हुए उजला फूल हो, तो वह याजक को दखाया जाए। 20 और याजक उस सूजन को दे खे, और यद वह चमO से गहरा दे ख पके, और उसके रोएं भी उजले हो गए हH, तो याजक यह जानकर उस मनुंय को अशुa ठहराए; यHक वह कोढ़ क eयािध है जो फोड़े म से फूटकर िनकली है । 21 और यद याजक दे खे क उस म उजले रोएं नह:ं हE , और वह चमO से गहर: नह:ं, और उसक चमक कम हुई है , तो याजक उस मनुंय को सात दन तक ब(द कर रखे । 22 और यद वह eयािध उस समय तक चमO म सचमुच फैल जाए, तो याजक उस मनुंय को अशुa ठहराए; यHक वह कोढ़ क eयािध है । 23 पर(तु यद वह फूल न फैले और अपके ःयान ह: पर बना रहे , तो वह फोड़े को दाग है ; याजक उस मनुंय को शुa ठहराए।। 24 फर यद कसी के चमO म

जलने का घाव हो, और उस जलने के घाव म चमOह:न फूल लाली िलथे हुए उजला वा उजला ह: हो जाए, 25 तो याजक उसको दे खे, और यद उस फूल म के रोएं उजले हो गए हHऔर वह चमO से गहरा दे ख पके, तो वह कोढ़ है ; जो उस जलने के दाग म से फूट िनकला है ; याजक उस मनुंय को अशुa ठहराए; यHक उस म

कोढ़ क eयािध है । 26 और यद याजक दे खे, क फूल म उजले रोएं नह:ं और न वह चमO से कुछ गहरा है , और उसक चमक कम हुई है , तो वह उसको सात दन तक ब(द कर रखे, 27 और सातव दन याजक उसको दे खे, और यद वह चमO म

फैल गई हो, तो वह उस मनुंय को अशुa ठहराए; यHक उसको कोढ़ क eयािध है । 28 पर(तु यद वह फूल चमO म नह:ं फैला और अपके ःयान ह: पर जहां का तहां ह: बना हो, और उसक चमक कम हुई हो, तो वह जल जाने के कारण सूजा हुआ है , याजक उस मनुंय को शुa ठहराए; यHक वह दाग जल जाने के कारण से है ।। 29 फर यद कसी पुRष वा \ी के िसर पर, वा पुRष क डाढ़: म eयािध हो, 30 तो याजक eयािध को दे खे, और यद वह चमO से गहर: दे ख पके, और उस म भूरे भूरे पतले बाल हH, तो याजक उस मनुंय को अशुa ठहराए; वह eयािध स हुआं, अयाOत ् िसर वा डाढ़: का कोढ़ है । 31 और यद याजक स हुएं क eयािध को दे खे, क वह चमO से गहर: नह:ं है और उस म काले काले बाल नह:ं हE , तो वह स हुएं के eयािधत को सात दन तक ब(द कर रखे, 32 और सातव दन याजक eयािध को दे खे, तब यद वह स हुआं फैला न हो, और उस म भूरे भूरे बाल न हH, और स हुआं चमO से गहरा न दे ख पके, 33 तो यह मनुंय मूड़ ं ा जाए, पर(तु जहां स हुआं हो वहां न मूड़ ं ा जाए; और याजक उस स हुएंवाले को और भी सात दन तक ब(द करे ; 34 और सातव दन याजक सेहुएं को दे खे, और यद वह स हुआं चमO म

फैला न हो और चमO से गहरा न दे ख पके, तो याजक उस मनुंय को शुa ठहराए; और वह अपके व\ धोके शुa ठहरे । 35 और यद उसके शुa ठहरने के प_ात ् स हुआं चमO म कुछ भी फैले, 36 तो याजक उसको दे खे, और यद वह चमO म फैला हो, तो याजक यह भूरे बाल न ढू ं ढ़े, यHक मनुंय अशुa है । 37 पर(तु यद उसक l म वह स हुआं जैसे का तैसा बना हो, और उस म काले काले बाल जमे हH, तो वह जाने क स हुआं चंगा हो गया है , और वह मनुंय शुa है ; याजक उसको शुa ह: ठहराए।। 38 फर यद कसी पुRष वा \ी के चमO म उजले फूल हH, 39 तो याजक दे खे, और यद उसके चमO म वे फूल कम उजले हH, तो वह जाने क उसको चमO म िनकली हुई चाL ह: है ; वह मनुंय शुa ठहरे ।। 40 फर 'जसके िसर के बाल फड़ गए हH, तो जानना क वह च(दल ु ा तो है पर(तु शुa है । 41 और 'जसके िसर के आगे के बाल फड़ गए हH, तो वह माथे का च(दल ु ा तो है पर(तु शुa है । 42 पर(तु यद च(दल ु े िसर पर वा च(दल ु े माथे पर लाली िलथे हुए उजली eयािध हो, तो जानना क वह उसके च(दल ु े िसर पर वा च(दल ु े माथे पर िनकला हुआ कोढ़ है । 43 इसिलथे याजक उसको दे खे, और यद eयािध क सूजन उसके च(दल ु े िसर वा च(दल ु े माथे पर ऐसी लाली िलथे हुए उजली हो जैसा चमO के कोढ़ म होता है , 44 तो वह मनुंय कोढ़: है और अशुa है ; और याजक उसको अवँय अशुa ठहराए; यHक वह eयािध उसके िसर पर है ।। 45 और 'जस म

वह eयािध हो उस कोढ़: के व\ फटे और िसर के बाल बखरे रह , और वह अपके ऊपरवाले हHठ को ढांपे हुए अशुa, अशुa पुकारा करे । 46 'जतने दन तक वह eयािध उस म रहे उतने दन तक वह तो अशुa रहे गा; और वह अशुa ठहरा रहे ; इसिलथे वह अकेला रहा करे , उसका िनवास ःयान छावनी के बाहर हो।। 47 फर

'जस व\ म कोढ़ क eयािध हो, चाहे वह व\ ऊन का हो चाहे सनी का, 48 वह eयािध चाहे उस सनी वा ऊन के व\ के ताने म हो चाहे बाने म , वा वह eयािध चमड़े म वा चमड़े क कसी वःतु म हो, 49 यद वह eयािध कसी व\ के चाहे ताने म चाहे बाने म , वा चमड़े म वा चमड़े क कसी वःतु म हर: हो वा लाल सी हो, तो जानना क वह कोढ़ क eयािध है और वह याजक को दखाई जाए। 50 और याजक eयािध को दे खे, और eयािधवाली वःतु को सात दन के िलथे ब(द करे ; 51 और सातव दन वह उस eयािध को दे खे, और यद वह व\ के चाहे ताने म चाहे बाने म , वा चमड़े म वा चमड़े क बनी हुई कसी वःतु म फैल गई हो, तो जानना क eयािध गिलत कोढ़ है , इसिलथे वह वःतु, चाहे कैसे ह: काम म यHन आती हो, तौभी अशुa ठहरे गी। 52 वह उस व\ को 'जसके ताने वा बाने म वह eयािध हो, चाहे वह ऊन का हो चाहे सनी का, वा चमड़े क वःतु हो, उसको जला दे , वह eयािध गिलत कोढ़ क है ; वह वःतु आग म जलाई जाए। 53 और यद याजक दे खे क वह eयािध उस व\ के ताने वा बाने म , वा चमड़े क उस वःतु म

नह:ं फैली, 54 तो 'जस वःतु म eयािध हो उसके धोने क आWा दे , तक उसे और भी सात दन तक ब(द कर रखे; 55 और उसके धोने के बाद याजक उसको दे खे, और यद eयािध का न तो रं ग बदला हो, और न eयािध फैली हो, तो जानना क वह अशुa है ; उसे आग म जलाना, यHक चाहे वह eयािध भीतर चाहे ऊप क हो तौभी वह खा जाने वाली eयािध है । 56 और यद याजक दे खे, क उसके धोने के प_ात ् eयािध क चमक कम हो गई, तो वह उसको व\ के चाहे ताने चाहे बाने म से, वा चमड़े म से फाड़के िनकाले; 57 और यद वह eयािध तब भी उस व\ के ताने वा बाने म , वा चमड़े क उस वःतु म दे ख पके, तो जानना क वह

फूट के िनकली हुई eयािध है ; और 'जस म वह eयािध हो उसे आग म जलाना। 58 और यद उस व\ से 'जसके ताने वा बाने म eयािध हो, वा चमड़े क जो वःतु हो उस से जब धोई जाए और eयािध जाती रह:, तो वह दस ू र: बार धुल कर शुa ठहरे । 59 ऊन वा सनी के व\ म के ताने वा बाने म , वा चमड़े क कसी वःतु म

जो कोढ़ क eयािध हो उसके शुa और अशुa ठहराने क यह: eयवःया है ।। लैeयवःथा 14 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 कोढ़: के शुa ठहराने क eयवःया यह है , क वह याजक के पास पहंु चाया जाए। 3 और याजक छावनी के बाहर जाए, और याजक उस कोढ़: को दे खे, और यद उसके कोढ़ क eयािध चंगी हुई हो, 4 तो याजक आWा दे क शुa ठहराने वाले के िलथे दो शुa और जीवत प क, दे वदाR क लकड़:, और लाल रं ग का कपड़ा और जूफा थे सब िलथे जाएं; 5 और याजक आWा दे क एक प क बहते हुए जल के ऊपर िम=ट: के पाऽ म बिल कया जाए। 6 तब वह जीवत प क को दे वदाR क लकड़: और लाल रं ग के कपके और जूफा इन सभHको लेकर एक संग उस प क के लोहू म जो बहते हुए जल के ऊपर बिल कया गया है डु बा दे ; 7 और कोढ़ से शुa ठहरनेवाले पर सात बार िछड़ककर उसको शुa ठहराए, तब उस जीवत प क को मैदान म छोड़ दे । 8 और शुa ठहरनेवाला अपके वHको धोए, और सब बाल मुड़ ं वाकर जल से ःनान करे , तब वह शुa ठहरे गा; और उसके बाद वह छावनी म आने पाए, पर(तु सात दन तक अपके डे रे से बाहर ह: रहे । 9 और सातव दन वह िसर, डाढ़: और भौहHके सब बाल मुड़ ं ाए, और सब अंग मु+डन कराए, और अपके वHको धोए, और

जल से ःनान करे , तब वह शुa ठहरे गा। 10 और आठव दन वह दो िनदzष भेड़ के ब.चे, और अ(नबिल के िलथे तेल से सना हुआ एपा का तीन दहाई अंश मैदा, और लोज भर तेल लाए। 11 और शुa ठहरानेवाला याजक इन वःतुओं समेत उस शुa होनेवाले मनुंय को यहोवा के सSमुख िमलापवाले तSबू के kार पर खड़ा करे । 12 तब याजक एक भेड़ का ब.चा लेकर दोषबिल के िलथे उसे और उस लोज भर ते ल को समीप लाए, और इन दोनो को हलाने क भ ट के िलथे यहोवा के साSहने हलाए; 13 तब याजक एक भेड़ के ब.चे को उसी ःयान म जहां वह पापबिल और होमबिल पशुओं का बिलदान कया करे गा, अयाOत ् पवऽःयान म

बिलदान करे ; यHक जैसा पापबिल याजक का िनज भाग होगा वैसा ह: दोषबिल भी उसी का िनज भाग ठहरे गा; वह परमपवऽ है । 14 तब याजक दोषबिल के लोहू म से कुछ लेकर शुa ठहरनेवाले के दहने कान के िस के पर, और उसके दहने हाथ और दहने पांव के अंगूठHपर लगाए। 15 और याजक उस लोज भर तेल म से कुछ लेकर अपके बाएं हाथ क हथेली पर डाले, 16 और याजक अपके दहने हाथ क उं गली को अपके बाL हथेली पर के तेल म डु बाकर उस तेल म से कुछ अप क उं गली से यहोवा के सSमुख सात बार िछड़के। 17 और जो तेल उसक हथेली पर रह जाएगा याजक उस म से कुछ शुa होनेवाले के दहने कान के िस के पर, और उसके दहने हाथ और दहने पांव के अंगूठHपर दोषबिल के लोहू के ऊपर लगाएं; 18 और जो ते ल याजक क हथेली पर रह जाए उसको वह शुa होनेवाले के िसर पर डाल दे । और याजक उसके िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करे । 19 और याजक पापबिल को भी चढ़ाकर उसके िलथे जो अप क अशुaता से शुa होनेवाला हो ूाय'_ करे ; और उसके बाद होमबिल पशु का

बिलदान करके: 20 अ(नबिल समेत वेद: पर चढ़ाए: और याजक उसके िलथे ूाय'_ करे , और वह शुa ठहरे गा।। 21 पर(तु यद वह दgरि हो और इतना लाने के िलथे उसके पास पूंजी न हो, तो वह अपना ूाय'_ करवाने के िनिम, हलाने के िलथे भेड़ का ब.चा दोषबिल के िलथे, और ते ल से सना हुआ एपा का दसवां अंश मैदा अ(नबिल करके, और लोज भर तेल लाए; 22 और दो पंडुक, वा कबूतर: के दो ब.चे लाए, जो वह ला सके; और इन म से एक तो पापबिल के िलथे और दस ू रा होमबिल के िलथे हो। 23 और आठव दन वह इन सभHको अपके शुa ठहरने के िलथे िमलापवाले तSबू के kार पर, यहोवा के सSमुख, याजक के पास ले आए; 24 तब याजक उस लोज भर तेल और दोष बिलवाले भेड़ के ब.चे को लेकर हलाने क भ ट के िलथे यहोवा के साSहने हलाए। 25 फर दोषबिल के भेड़ के ब.चे का बिलदान कया जाए; और याजक उसके लोहू म से कुछ लेकर शुa ठहरनेवाले के दहने कान के िस के पर, और उसके दहने हाथ और दहने पांव के अंगूठHपर लगाए। 26 फर याजक उस तेल म से कुछ अपके बाएं हाथ क हथेली पर डालकर, 27 अपके दहने हाथ क उं गली से अप क बाL हथेली पर के तेल म से कुछ यहोवा के सSमुख सात बार िछड़के; 28 फर याजक अप क हथेली पर के तेल म से कुछ शुa ठहरनेवाले के दहने कान के िस के पर, और उसके दहने हाथ और दहने पांव के अंगूठHपर दोषबिल के लोहू के ःयान पर, लगाए। 29 और जो तेल याजक क हथेली पर रह जाए उसे वह शुa ठहरनेवाले के िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करने को उसके िसर पर डाल दे । 30 तब वह पंडुकHवा कबूतर: के ब.चHम से जो वह ला सका हो एक को चढ़ाए, 31 अयाOत ् जो प क वह ला सका हो, उन म से वह एक को पापबिल के िलथे और अ(नबिल

समेत दस ू रे को होमबिल के िलथे चढ़ाए; इस र:ित से याजक शुa ठहरनेवाले के िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करे । 32 'जसे कोढ़ क eयािध हुई हो, और उसके इतनी पूंजी न हो क वह शुa ठहरने क साममी को ला सके, तो उसके िलथे यह: eयवःया है ।। 33 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 34 जब तुम लोग कनान दे श म पहंु चो, 'जसे मE तुSहार: िनज भूिम होने के िलथे तुSह दे ता हंू , उस समय यद मE कोढ़ क eयािध तुSहारे अिध कारने के कसी घर म दखाऊं, 35 तो 'जसका वह घर हो वह आकर याजक को बता दे , क मुझे ऐसा दे ख पड़ता है क घर म मानHकोई eयािध है । 36 तब याजक आWा दे , क उस घर म eयािध दे खने के िलथे मेरे जाने से पहले उसे खाली करो, कह:ं ऐसा न हो क जो कुछ घर म हो वह सब अशुa ठहरे ; और पीछे याजक घर दे खने को भीतर जाए। 37 तब वह उस eयािध को दे खे; और यद वह eयािध घर क द:वारHपर हर: हर: वा लाल लाल मानHखुद: हुई लकरHके Rप म हो, और थे लकर द:वार म गहर: दे ख पड़ती हH, 38 तो याजक घर से बाहर kार पर जाकर घर को सात दन तक ब(द कर रखे। 39 और सातव दन याजक आकर दे खे; और यद वह eयािध घर क द:वारHपर फैल गई हो, 40 तो याजक आWा दे , क 'जन पयरHको eयािध है उ(ह

िनकाल कर नगर से बाहर कसी अशुa ःयान म फ क द ; 41 और वह घर के भीतर ह: भीतर चारHओर खुरचवाए, और वह खुरचन क िम=ट: नगर से बाहर कसी अशुa ःयान म डाली जाए; 42 और उन पयरHके ःयान म और दस ू रे पयर लेकर लगाएं और याजक ताजा गारा लेकर घर क जुड़ाई करे । 43 और यद पयरHके िनकाले जाने और घर के खुरचे और लेसे जाने के बाद वह eयािध फर घर म फूट िनकले, 44 तो याजक आकर दे खे; और यद वह eयािध घर म

फैल गई हो, तो वह जान ले क घर म गिलत कोढ़ है ; वह अशुa है । 45 और वह सब गारे समेत पयर, लकड़: और घर को खुदवाकर िगरा दे ; और उन सब वःतुओं को उठवाकर नगर से बाहर कसी अशुa ःयान पर फंकवा दे । 46 और जब तक वह घर ब(द रहे तब तक यद कोई उस म जाए तो वह सांफ तक अशुa रहे ; 47 और जो कोई उस घर म सोए वह अपके वHको धोए; और जो कोई उस घर म खाना खाए वह भी अपके वHको धोए। 48 और यद याजक आकर दे खे क जब से घर लेसा गया है तब से उस म eयािध नह:ं फैली है , तो यह जानकर क वह eयािध दरू हो गई है , घर को शुa ठहराए। 49 और उस घर को पवऽ करने के िलथे दो प क, दे वदाR क लकड़:, लाल रं ग का कपड़ा और जूफा िलवा लाए, 50 और एक प क बहते हुए जल के ऊपर िम=ट: के पाऽ म बिलदान करे , 51 तब वह दे वदाR क लकड़: लाल रं ग के कपके और जूफा और जीवत प क इन सभHको लेकर बिलदान कए हुए प क के लोहू म और बहते हुए जल म डू बा दे , और उस घर पर सात बार िछड़के। 52 और वह प क के लोहू, और बहते हुए जल, और जूफा और लाल रं ग के कपके के kारा घर को पवऽ करे ; 53 तब वह जीवत प क को नगर से बाहर मैदान म छोड़ दे ; इसी र:ित से वह घर के िलथे ूाय'_ करे , तब वह शुa ठहरे गा। 54 सब भांित के कोढ़ क eयािध, और सेहुएं, 55 और व\, और घर के कोढ़, 56 और सूजन, और पप क, और फूल के वषय म , 57 शुa और अशुa ठहराने क िशझा क eयवःया यह: है । सब ूकार के कोढ़ क eयवःया यह: है ।। लैeयवःथा 15

1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 क इ\ाएिलयHसे कहो, क 'जस 'जस पुRष के ूमेह हो, तो वह ूमेह के कारण से अशुa ठहरे । 3 और चाहे बहता रहे , चाहे बहना ब(द भी हो, तौभी उसक अशुaता बनी रहे गी। 4 'जसके ूमेह हो वह 'जस 'जस बछौने पर लेटे वह अशुa ठहरे , और 'जस 'जस वःतु पर वह बैठे वह भी अशुa ठहरे । 5 और जो कोई उसके बछौने को छूए वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa ठहरा रहे । 6 और 'जसके ूमेह हो और वह 'जस वःतु पर बैठा हो, उस पर जो कोई बैठे वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa ठहरा रहे । 7 और 'जसके ूमेह हो उस से जो कोई छू जाए वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे और सांफ तक अशुa रहे । 8 और 'जसके ूमेह हो यद वह कसी शुa मनुंय पर यूके, तो वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 9 और 'जसके ूमेह हो वह सवार: क 'जस वःतु पर बैठे वह अशुa ठहरे । 10 और जो कोई कसी वःतु को जो उसके नीचे रह: हो छूए वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 11 और 'जसके ूमेह हो वह 'जस कसी को बना हाथ धोए छूए वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 12 और 'जसके ूमेह हो वह िम=ट: के 'जस कसी पाऽ को छूए वह तोड़ डाला जाए, और काठ के सब ूकार के पाऽ जल से धोए जाएं। 13 फर 'जसके ूमेह हो वह जब अपके रोग से चंगा हो जाए, तब से शुa ठहरने के सात दन िगन ले, और उनके बीतने पर अपके वHको धोकर बहते हुए जल से ःनान करे ; तब वह शुa ठहरे गा। 14 और आठव दन वह दो पंडुक वा कबूतर: के दो ब.चे लेकर िमलापवाले तSबू के kार पर यहोवा के सSमुख जाकर उ(ह याजक को दे । 15 तब याजक उन म से

एक को पापबिल; और दस ू रे को होमबिल के िलथे भ ट चढ़ाए; और याजक उसके िलथे उसके ूमेह के कारण यहोवा के साSहने ूाय'_ करे ।। 16 फर यद कसी पुRष का वीयO ःखिलत हो जाए, तो वह अपके सारे शर:र को जल से धोए, और सांफ तक अशुa रहे । 17 और 'जस कसी व\ वा चमड़े पर वह वीयO पके वह जल से धोया जाए, और सांफ तक अशुa रहे । 18 और जब कोई पुRष \ी से ूसंग करे , तो वे दोनो जल से ःनान कर , और सांफ तक अशुa रह ।। 19 फर जब कोई \ी ऋतुमती रहे , तो वह सात दन तक अशुa ठहर: रहे , और जो कोई उसको छूए वह सांफ तक अशुa रहे । 20 और जब तक वह अशुa रहे तब तक 'जस 'जस वःतु पर वह लेटे, और 'जस 'जस वःतु पर वह बैठे वे सब अशुa ठहर । 21 और जो कोई उसके बछौने को छूए वह अपके व\ धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 22 और जो कोई कसी वःतु को छूए 'जस पर वह बैठq हो वह अपके व\ धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 23 और यद बछौने वा और कसी वःतु पर 'जस पर वह बैठq हो छूने के समय उसका Rिधर लगा हो, तो छूनेहारा सांफ तक अशुa रहे । 24 और यद कोई पुRष उस से ूसंग करे , और उसका Rिधर उसके लग जाए, तो वह पुRष सात दन तक अशुa रहे , और 'जस 'जस बछौने पर वह लेटे वे सब अशुa ठहर ।। 25 फर यद कसी \ी के अपके मािसक धमO के िनयुf समय से अिधक दन तक Rिधर बहता रहे , वा उस िनयुf समय से अिधक समय तक ऋतुमती रहे , तो जब तक वह ऐसी दशा म रहे तब तक वह अशुa ठहर: रहे । 26 उसके ऋतुमती रहने के सब दनHम 'जस 'जस बछौने पर वह लेटे वे सब उसके मािसक धमO के बछौने के समान ठहर ; और 'जस 'जस वःतु पर वह बैठे वे भी उसके ऋतुमती

रहे के दनHक नाई अशुa ठहर । 27 और जो कोई उन वःतुओं को छुए वह अशुa ठहरे , इसिलथे वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 28 और जब वह \ी अपके ऋतुमती से शुa हो जाए, तब से वह सात दन िगन ले, और उन दनHके बीतने पर वह शुa ठहरे । 29 फर आठव दन वह दो पंडुक या कबूतर: के दो ब.चे लेकर िमलापवाले तSबू के kार पर याजक के पास जाए। 30 तब याजक एक को पापबिल और दस ू रे को होमबिल के िलथे चढ़ाए; और याजक उसके िलथे उसके मािसक धमO क अशुaता के कारण यहोवा के साSहने ूाय'_ करे ।। 31 इस ूकार से तुम इ\ाएिलयHको उनक अशुaता से (यारे रखा करो, कह:ं ऐसा न हो क वे यहोवा के िनवास को जो उनके बीच म है अशुa करके अप क अशुaता म फंसे हुए मर जाएं।। 32 'जसके ूमेह हो और जो पुRष वीयO ःखिलत होने से अशुa हो; 33 और जो \ी ऋतुमती हो; और या पुRष या \ी, 'जस कसी के धातुरोग हो, और जो पुRष अशुa \ी के ूसंग करे , इन सभHके िलथे यह: eयवःया है ।। लैeयवःथा 16 1 जब हाRन के दो पुऽ यहोवा के साSहने समीप जाकर मर गए, उसके बाद यहोवा ने मूसा से बात क; 2 और यहोवा ने मूसा से कहा, अपके भाई हाRन से कह, क स(दक ू के ऊपर के ूाय'_वाले ढ़कने के आगे, बीचवाले पद के अ(दर, पवऽःयान म हर समय न ूवे श करे , नह:ं तो मर जाएगा; यHक मE ूाय'_वाले ढ़कने के ऊपर बादल म दखाई दं ग ू ा। 3 और जब हाRन पवऽःयान म ूवेश करे तब इस र:ित से ूवेश करे , अयाOत ् पापबिल के िलथे

एक बछड़े को और होमबिल के िलथे एक मेढ़े को लेकर आए। 4 वह सनी के कपके का पवऽ अंगरखा, और अपके तन पर सनी के कपके क जांिघया पहने हुए, और सनी के कपके का कटब(द, और सनी के कपके क पगड़: बांधे हुए ूवेश करे ; थे पवऽ ःयान हE , और वह जल से ःनान करके इ(ह पहने। 5 फर वह इ\ाएिलयHक म+डली के पास से पापबिल के िलथे दो बकरे और होमबिल के िलथे एक मेढ़ा ले। 6 और हाRन उस पापबिल के बछड़े को जो उसी के िलथे होगा चढ़ाकर अपके और अपके घराने के िलथे ूाय'_ करे । 7 और उन दोनHबकरHको लेकर िमलापवाले तSबू के kार पर यहोवा के साSहने खड़ा करे ; 8 और हाRन दोनHबकरHपर िच'=ठयां डाले, एक िच=ठq यहोवा के िलथे और दस ू र: अजाजेल के िलथे हो। 9 और 'जस बकरे पर यहोवा के नाम क िच=ठq िनकले उसको हाRन पापबिल के िलथे चढ़ाए; 10 पर(तु 'जस बकरे पर अजाजेल के िलथे िच=ठq िनकले वह यहोवा के साSहने जीवता खड़ा कया जाए क उस से ूाय'_ कया जाए, और वह अजाजेल के िलथे जंगल म छोड़ा जाए। 11 और हाRन उस पापबिल के बछड़े को जो उसी के िलथे होगा समीप ले आए, और उसको बिलदान करके अपके और अपके घराने के िलथे ूाय'_ करे । 12 और जो वेद: यहोवा के सSमुख है उस पर के जलते हुए कोयलHसे भरे हुए धूपदान को लेकर, और अप क दोनHमु'=ठयHको फूटे हुए सुग'(धत धूप से भरकर, बीचवाले पद के भीतर ले आकर 13 उस धूप को यहोवा के सSमुख आग म डाले, 'जस से धूप का धुआं साझीपऽ के ऊपर के ूाय'_ के ढकने के ऊपर छा जाए, नह:ं तो वह मर जाएगा; 14 तब वह बछड़े के लोहू म से कुछ लेकर पूरब क ओर ूाय'_ के ढकने के ऊपर अप क उं गली से िछड़के, और फर उस लोहू म से

कुछ उं गली के kारा उस ढकने के साSहने भी सात बार िछड़क दे । 15 फर वह उस पापबिल के बकरे को जो साधारण जनता के िलथे होगा बिलदान करके उसके लोहू को बीचवाले पद के भीतर ले आए, और 'जस ूकार बछड़े के लोहू से उस ने कया या ठqक वैसा ह: वह बकरे के लोहू से भी करे , अयाOत ् उसको ूाय'_ के ढकने के ऊपर और उसके साSहने िछड़के। 16 और वह इ\ाएिलयHक भांित भांित क अशुaता, और अपराधH, और उनके सब पापHके कारण पवऽःयान के िलथे ूाय'_ करे ; और िमलापवाला तSबू जो उनके संग उनक भांित भांित क अशुaता के बीच रहता है उसके िलथे भी वह वैसा ह: करे । 17 और जब हाRन ूाय'_ करने के िलथे पवऽःयान म ूवेश करे , तब से जब तक वह अपके और अपके घराने और इ\ाएल क सार: म+डली के िलथे ूाय'_ करके बाहर न िनकले तब तक कोई मनुंय िमलापवाले तSबू म न रहे । 18 फर वह िनकलकर उस वे द: के पास जो यहोवा के साSहने है जाए और उसके िलथे ूाय'_ करे , अयाOत ् बछड़े के लोहू और बकरे के लोहू दोनHम से कुछ लेकर उस वेद: के चारHकोनHके सींगो पर लगाए। 19 और उस लोहू म से कुछ अप क उं गली के kारा सात बार उस पर िछड़ककर उसे इ\ाएिलयHक भांित भांित क अशुaता छुड़ाकर शुa और पवऽ करे । 20 और जब वह पवऽःयान और िमलापवाले तSबू और वे द: के िलथे ूाय'_ कर चुके, तब जीवत बकरे को आगे ले आए; 21 और हाRन अपके दोनHहाथHको जीवत बकरे पर रखकर इ\ाएिलयHके सब अधमO के कामH, और उनके सब अपराधH, िनदान उनके सारे पापHको अंगीकार करे , और उनको बकरे के िसर पर धरकर उसको कसी मनुंय के हाथ जो इस काम के िलथे तैयार हो जंगल म भेजके छुड़वा दे । 22 और वह

बकरा उनके सब अधमO के कामHको अपके ऊपर लादे हुए कसी िनराले दे श म

उठा ले जाएगा; इसिलथे वह मनुंय उस बकरे को जंगल म छोड़े दे । 23 तब हाRन िमलापवाले तSबू म आए, और 'जस सनी के वHको पहने हुए उस ने पवऽःयान म ूवेश कया या उ(ह उतारकर वह:ं पर रख दे । 24 फर वह कसी पवऽ ःयान म जल से ःनान कर अपके िनज व\ पहन ले, और बाहर जाकर अपके होमबिल और साधारण जनता के होमबिल को चढ़ाकर अपके और जनता के िलथे ूाय'_ करे । 25 और पापबिल क चरबी को वह वेद: पर जलाए। 26 और जो मनुंय बकरे को अजाजे ल के िलथे छोड़कर आए वह भी अपके वHको धोए, और जल से ःनान करे , और तब वह छावनी म ूवे श करे । 27 और पापबिल का बछड़ा और पापबिल का बकरा भी 'जनका लोहू पवऽःयान म

ूाय'_ करने के िलथे पहंु चाया जाए वे दोनHछावनी से बाहर पहंु चाए जाएं; और उनका चमड़ा, मांस, और गोबर आग म जला दया जाए। 28 और जो उनको जलाए वह अपके वHको धोए, और जल से ःनान करे , और इसके बाद वह छावनी म ूवेश करने पाए।। 29 और तुम लोगHके िलथे यह सदा क विध होगी क सातव मह:ने के दसव दन को तुम अपके अपके जीव को द:ु ख दे ना, और उस दन कोई, चाहे वह तुSहारे िनज दे श को हो चाहे तुSहारे बीच रहने वाला कोई परदे शी हो, कोई भी कसी ूकार का काम काज न करे ; 30 यHक उस दन तुSह

शुa करने के िलथे तुSहारे िनिम ूाय'_ कया जाएगा; और तुम अपके सब पापHसे यहोवा के सSमुख पवऽ ठहरोगे। 31 यह तुSहारे िलथे परमवौम का दन ठहरे , और तुम उस दन अपके अपके जीव को द:ु ख दे ना; यह सदा क विध है । 32 और 'जसका अपके पता के ःयान पर याजक पद के िलथे अिभषेक और

संःकार कया जाए वह याजक ूाय'_ कया करे , अयाOत ् वह सनी के पवऽ वHको पहनकर, 33 पवऽःयान, और िमलापवाले तSबू, और वेद: के िलथे ूाय'_ करे ; और याजकHके और म+डली के सब लोगHके िलथे भी ूाय'_ करे । 34 और यह तुSहारे िलथे सदा क विध होगी, क इ\ाएिलयHके िलथे ूितवषO एक बार तुSहारे सारे पापHके िलथे ूाय'_ कया जाए। यहोवा क इस आWा के अनुसार जो उस ने मूसा को द: यी हाRन ने कया।। लैeयवःथा 17 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 हाRन और उसके पुऽHसे और कुल इ\ाएिलयHसे कह, क यहोवा ने यह आWा द: है , 3 क इ\ाएल के घराने म से कोई मनुंय हो जो बैल वा भेड़ के ब.चे, वा बकर: को, चाहे छावनी म चाहे छावनी से बाहर घात करके 4 िमलापवाले तSबू के kार पर, यहोवा के िनवास के साSहने यहोवा को चढ़ाने के िनिम न ले जाए, तो उस मनुंय को लोहू बहाने का दोष लगेगा; और वह मनुंय जो लोहू बहाने वाला ठहरे गा, वह अपके लोगHके बीच से नाश कया जाए। 5 इस विध का यह कारण है क इ\ाएली अपके बिलदान 'जनको वह खुले मैदान म वध करते हE , वे उ(ह िमलापवाले तSबू के kार पर याजक के पास, यहोवा के िलथे ले जाकर उसी के िलथे मेलबिल करके बिलदान कया कर ; 6 और याजक लोहू को िमलापवाले तSबू के kार पर यहोवा क वेद: के ऊपर िछड़के, और चरबी को उसके सुखदायक सुग(ध के िलथे जलाए। 7 और वे जो बकरHके पूजक होकर eयिभचार करते हE , वे फर अपके बिलपशुओं को उनके िलथे बिलदान न कर । तुSहार: पीढय़Hके िलथे यह सदा क विध होगी।। 8 और तू उन से कह, क

इ\ाएल के घराने के लोगHम से वा उनके बीच रहनेहारे परदे िशयHम से कोई मनुंय यHन हो जो होमबिल वा मेलबिल चढ़ाए, 9 और उसको िमलापवाले तSबू के kार पर यहोवा के िलथे चढ़ाने को न ले आए; वह मनुंय अपके लोगHम

से नाश कया जाए।। 10 फर इ\ाएल के घराने के लोगHम से वा उनके बीच रहनेवाले परदे िशयHम से कोई मनुंय यHन हो जो कसी ूकार का लोहू खाए, मE उस लोहू खानेवाले के वमुख होकर उसको उसके लोगHके बीच म से नाश कर डालूग ं ा। 11 यHक शर:र का ूाण लोहू म रहता है ; और उसको मE ने तुम लोगHको वेद: पर चढ़ाने के िलथे दया है , क तुSहारे ूाणHके िलथे ूाय'_ कया जाए; यHक ूाण के कारण लोहू ह: से ूाय'_ होता है । 12 इस कारण मE इ\ाएिलयHसे कहता हूं, क तुम म से कोई ूाणी लोहू न खाए, और जो परदे शी तुSहारे बीच रहता हो वह भी लोहू कभी न खाए।। 13 और इ\ाएिलयHम से वा उनके बीच रहनेवाले परदे िशयHम से कोई मनुंय यHन हो जो अहे र करके खाने के योbय पशु वा प क को पकड़े , वह उसके लोहू को उं डे लकर धूिल से ढं ◌ाप दे । 14 यHक शर:र का ूाण जो है वह उसका लोहू ह: है जो उसके ूाण के साय एक है ; इसी िलथे मE इ\ाएिलयHसे कहता हंू , क कसी ूकार के ूाणी के लोहू को तुम न खाना, यHक सब ूा'णयHका ूाण उनका लोहू ह: है ; जो कोई उसको खाए वह नाश कया जाएगा। 15 और चाहे वह दे शी हो वा परदे शी हो, जो कोई कसी लोय वा फाड़े हुए पशु का मांस खाए वह अपके वHको धोकर जल से ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे ; तब वह शुa होगा। 16 और यद वह उनको न धोए और न ःनान करे , तो उसको अपके अधमO का भार ःवयं उठाना पकेगा।। लैeयवःथा 18

1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कह, क मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं। 3 तुम िमॐ दे श के कामHके अनुसार 'जस म तुम रहते थे न करना; और कनान दे श के कामHके अनुसार भी जहां मE तुSह ले चलता हंू न करना; और न उन दे शHक विधयHपर चलना। 4 मेरे ह: िनयमHको मानना, और मेर: ह: विधयHको मानते हुए उन पर चलना। मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 5 इसिलथे तुम मेरे िनयमHऔर मेर: विधयHको िनर(तर मानना; जो मनुंय उनको माने वह उनके कारण जीवत रहे गा। मE यहोवा हंू । 6 तुम म से कोई अप क कसी िनकट कुटु 'Sबन का तन उघाड़ने को उसके पास न जाए। मE यहोवा हंू । 7 अप क माता का तन जो तुSहारे पता का तन है न उघाड़ना; वह तो तुSहार: माता है , इसिलथे तुम उसका तन न उघाड़ना। 8 अप क सौतेली माता का भी तन न उघाड़ना; वह तो तुSहारे पता ह: का तन है । 9 अप क बहन चाहे सगी हो चाहे सौतेली हो, चाहे वह घर म उप(न हुई हो चाहे बाहर, उसका तन न उघाड़ना। 10 अप क पोती वा अप क नितनी का तन न उघाड़ना, उनक दे ह तो मानो तुSहार: ह: है । 11 तुSहार: सोतेली बहन जो तुSहारे पता से उप(न हुई, वह तुSहार: बहन है , इस कारण उसका तन न उघाड़ना। 12 अप क फूफ का तन न उघाड़ना; वह तो तुSहारे पता क िनकट कुटु 'Sबन है । 13 अप क मौसी का तन न उघाड़ना; यHक वह तुSहार: माता क िनकट कुटु 'Sबन है । 14 अपके चाचा का तन न उघाड़ना, अयाOत ् उसक \ी के पास न जाना; वह तो तुSहार: चाची है । 15 अप क बहू का तन न उघाड़ना वह तो तुSहारे बेटे क \ी है , इस कारण तुम उसका तन न उघाड़ना। 16 अप क भौजी का तन न उघाड़ना; वह तो तुSहारे भाई ह: का तन है । 17 कसी \ी और उसक बेट: दोनHका तन न उघाड़ना, और

उसक पोती को वा उसक नितनी को अप क \ी करके उसका तन न उघाड़ना; वे तो िनकट कुटु 'Sबन है ; ऐसा करना महापाप है । 18 और अप क \ी क बहन को भी अप क \ी करके उसक सौत न करना, क पहली के जीवत रहते हुए उसका तन भी उघाड़े । 19 फर जब तक कोई \ी अपके ऋतु के कारण अशुa रहे तब तक उसके पास उसका तन उघाड़ने को न जाना। 20 फर अपके भाई ब(धु क \ी से कुकमO करके अशुa न हो जाना। 21 और अपके स(तान म से कसी को मोलेक के िलथे होम करके न चढ़ाना, और न अपके परमे र के नाम को अपवऽ ठहराना; मE यहोवा हंू । 22 \ीगमन क र:ित पुRषगमन न करना; वह तो िघनौना काम है । 23 कसी जाित के पशु के साय पशुगमन करके अशुa न हो जाना, और न कोई \ी पशु के साSहने इसिलथे खड़: हो क उसके संग कुकमO करे ; यह तो उ`ट: बात है ।। 24 ऐसा ऐसा कोई भी काम करके अशुa न हो जाना, यHक 'जन जाितयHको मE तुSहारे आगे से िनकालने पर हंू वे ऐसे ऐसे काम करके अशुa हो गई है ; 25 और उनका दे श भी अशुa हो गया है , इस कारण मE उस पर उसके अधमO का द+ड दे ता हूं, और वह दे श अपके िनवािस कH उगल दे ता है । 26 इस कारण तुम लोग मेर: विधयHऔर िनयमHको िनर(तर मानना, और चाहे दे शी चाहे तुSहारे बीच रहनेवाला परदे शी हो तुम म से कोई भी ऐसा िघनौना काम न करे ; 27 यHक ऐसे सब िघनौने कामHको उस दे श के मनुंय तो तुम से पहले उस म रहते थे वे करते आए हE , इसी से वह दे श अशुa हो गया है । 28 अब ऐसा न हो क 'जस र:ित से जो जाित तुम से पहले उस दे श म रहती यी उसको उस ने उगल दया, उसी र:ित जब तुम उसको अशुa करो, तो वह तुम को भी उगल दे । 29 'जतने ऐसा कोई िघनौना काम कर वे सब ूाणी अपके लोगHम से नाश कए

जाएं। 30 यह आWा जो मE ने तुSहारे मानने को द: है उसे तुम मानना, और जो िघनौनी र:ितयां तुम से पहले ूचिलत हE उन म से कसी पर न चलना, और न उनके कारण अशुa हो जाना। मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू ।। लैeयवःथा 19 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHक सार: म+डली से कह, क तुम पवऽ बने रहो; यHक मE तुSहारा परमे र यहोवा पवऽ हूं। 3 तुम अप क अप क माता और अपके अपके पता का भय मानना, और मेरे वौम दनHको मानना; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 4 तुम मूरतHक ओर न फरना, और दे वताओं क ूितमाएं ढालकर न बना लेना; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 5 जब तुम यहोवा के िलथे मेलबिल करो, तब ऐसा बिलदान करना 'जससे मE तुम से ूस(न हो जाऊं। 6 उसका मांस बिलदान के दन और दस ू रे दन खाया जाए, पर(तु तीसरे दन तक जो रह जाए वह आग म जला दया जाए। 7 और यद उस म से कुछ भी तीसरे दन खाया जाए, तो यह घृ'णत ठहरे गा, और महण न कया जाएगा। 8 और उसका खानेवाला यहोवा के पवऽ पदायO को अपवऽ ठहराता है , इसिलथे उसको अपके अधमO का भार ःवयं उठाना पकेगा; और वह ूाणी अपके लोगHम से नाश कया जाएगा।। 9 फर जब तुम अपके दे श के खेत काटो तब अपके खेत के कोने कोने तक पूरा न काटना, और काटे हुए खेत क िगर: प क बालHको न चुनना। 10 और अप क दाख क बार: का दाना दाना न तोड़ लेना, और अप क दाख क बार: के फंड़े हुए अंगूरHको न बटोरना; उ(ह द:न और परदे शी लोगHके िलथे छोड़ दे ना; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 11 तुम चोर: न

करना, और एक दस ू रे से न तो कपट करना, और न फूठ बोलना। 12 तुम मेरे नाम क फूठq शपय खाके अपके परमे र का नाम अपवऽ न ठहराना; मE यहोवा हंू । 13 एक दस ू रे पर अ(धेर न करना, और न एक दस ू रे को लूट लेना। और मजदरू क मजदरू : तेरे पास सार: रात बहान तक न रहने पाएं। 14 बहरे को शाप न दे ना, और न अ(धे के आगे ठोकर रखना; और अपके परमे र का भय मानना; मE यहोवा हूं। 15 (याय म कुटलता न करना; और न तो कंगाल का पझ करना और न बड़े मनुंयHका मुह ं दे खा वचार करना; उस दस ू रे का (याय धमO से करना। 16 लूतरा बनके अपके लोगHम न फरा करना, और एक दस ू रे के लोहू बहाने क युfयां न बा(धना; मE यहोवा हंू । 17 अपके मन म एक दस ू रे के ूित बैर न रखना; अपके पड़ोसी को अवँय डांटना नह:ं, तो उसके पाप का भार तुझ को उठाना पकेगा। 18 पलटा न लेना, और न अपके जाित भाइयHसे बैर रखना, पर(तु एक दस ू रे से अपके समान ूेम रखना; मE यहोवा हंू । 19 तुम मेर: विधयHको िनर(तर मानना। अपके पशुओं को िभ(न जाित के पशुओं से मेल न खाने दे ना; अपके खेत म दो ूकार के बीज इक=ठे न बोना; और सनी और ऊन क िमलावट से बना हुआ व\ न पहनना। 20 फर कोई \ी दासी हो, और उसक मंगनी कसी पुRष से हुई हो, पर(तु वह न तो दास से और न स तम त ःवाधीन क गई हो; उस से यद कोई कुकमO करे , तो उन दोनHको द+ड तो िमले, पर उस \ी के ःवाधीन न होने के कारण वे दोनHमार न डाले जाएं। 21 पर वह पुRष िमलापवाले तSबू के kार पर यहोवा के पास एक मेढ़ा दोषबिल के िलथे ले आए। 22 और याजक उसके कथे हुए पाप के कारण दोषबिल के मेढ़े के kारा उसके िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करे ; तब उसका कया हुआ पाप झमा

कया जाएगा। 23 फर जब तुम कनान दे श म पंहुचकर कसी ूकार के फल के वृझ लगाओ, तो उनके फल तीन वषO तक तुSहारे िलथे मानHखतनारहत ठहर

रह ; इसिलथे उन म से कुछ न खाया जाए। 24 और चौथे वषO म उनके सब फल यहोवा क ःतुित करने के िलथे पवऽ ठहर । 25 तब पांचव वषO म तुम उनके फल खाना, इसिलथे क उन से तुम को बहुत फल िमल ; मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं। 26 तुम लोहू लगा हुआ कुछ मांस न खाना। और न टोना करना, और न शुभ वा अशुभ मुहूतJको मानना। 27 अपके िसर म घेरा रखकर न मुड़ ं ाना, और न अपके गाल के बालHको मुड़ ं ाना। 28 मुदJके कारण अपके शर:र को बलकुल न चीरना, और न उस म छाप लगाना; मE यहोवा हंू । 29 अप क बेटयHको वेँया बनाकर अपवऽ न करना, ऐसा न हो क दे श वेँयागमन के कारण महापाप से भर जाए। 30 मेरे वौमदन को माना करना, और मेरे पवऽःयान का भय िनर(तर मानना; मE यहोवा हंू । 31 ओफाओं और भूत साधने वालHक ओर न फरना, और ऐसHको खोज करके उनके कारण अशुa न हो जाना; मै तुSहारा परमे र यहोवा हूं। 32 प के बालवाले के साSहने उठ खड़े होना, और बूढ़े का आदरमान करना, और अपके परमे र का भय िनर(तर मानना; मE यहोवा हंू । 33 और यद कोई परदे शी तुSहारे दे श म तुSहारे संग रहे , तो उसको द:ु ख न दे ना। 34 जो परदे शी तुSहारे संग रहे वह तुSहारे िलथे दे शी के समान हो, और उस से अपके ह: समान ूे म रखना; यHक तुम भी िमॐ दे श म परदे शी थे; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 35 तुम (याय म , और पgरमाण म , और तौल म , और नाप म

कुटलता न करना। 36 स.चा तराजू, धमO के बटखरे , स.चा एपा, और धमO का ह:न तुSहारे पास रह ; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू जो तुम को िमॐ दे श से

िनकाल ले आया। 37 इसिलथे तुम मेर: सब विधयHऔर सब िनयमHको मानते हुए िनर(तर पालन करो; मE यहोवा हूं।। लैeयवःथा 20 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कह, क इ\ाएिलयHम से, वा इ\ाएिलयHके बीच रहनेवाले परदे िशयHम से, कोई यHन हो जो अप क कोई स(तान मोलेक को बिलदान करे वह िन_य मार डाला जाए; और जनता उसको पयरवाह करे । 3 और मE भी उस मनुंय के वRa होकर उसको उसके लोगHम से इस कारण नाश कRंगा, क उस ने अप क स(तान मोलेक को दे कर मेरे पवऽःयान को अशुa कया, और मेरे पवऽ नाम को अपवऽ ठहराया। 4 और यद कोई अप क स(तान मोलेक को बिलदान करे , और जनता उसके वषय म

आनाकानी करे , और उसको मार न डाले, 5 तब तो मE ःवयं उस मनुंय और उसके घराने के वRa होकर उसको और 'जतने उसके पीछे होकर मोलेक के साय eयिभचार कर उन सभHको भी उनके लोगHके बीच म से नाश कRंगा। 6 फर जो ूाणी ओफाओं वा भूतसाधनेवालHक ओर फरके, और उनके पीछे होकर eयिभचार: बने, तब मE उस ूाणी के वRa होकर उसको उसके लोगHके बीच म से नाश कर दं ग ू ा। 7 इसिलथे तुम अपके आप को पवऽ करो; और पवऽ बने रहो; यHक मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 8 और तुम मेर: विधयHको मानना, और उनका पालन भी करना; यHक मE तुSहारा पवऽ करनेवाला यहोवा हूं। 9 कोई यHन हो जो अपके पता वा माता को शाप दे वह िन_य मार डाला जाए; उस ने अपके पता वा माता को शाप दया है , इस कारण उसका खून उसी के िसर पर

पकेगा। 10 फर यद कोई पराई \ी के साय eयिभचार करे , तो 'जस ने कसी दस ू रे क \ी के साय eयिभचार कया हो तो वह eयिभचार: और वह eयिभचाgरणी दोनHिन_य मार डाले जाएं। 11 और यद कोई अप क सौतेली माता के साय सोए, वह जो अपके पता ह: का तन उघाड़नेवाला ठहरे गा; सो इसिलथे वे दोनHिन_य मार डाले जाएं, उनका खून उ(ह:ं के िसर पर पकेगा। 12 और यद कोई अप क पतोहू के साय सोए, तो वे दोनHिन_य मार डाले जाएं; यHक वे उलटा काम करनेवाले ठहर गे, और उनका खून उ(ह:ं के िसर पर पकेगा। 13 और यद कोई 'जस र:ित \ी से उसी र:ित पुRष से ूसंग करे , तो वे दोनHिघनौना काम करनेवाले ठहर गे; इस कारण वे िन_य मार डाले जाएं, उनका खून उ(ह:ं के िसर पर पकेगा। 14 और यद कोई अप क प^ी और अप क सांस दोनHको रखे , तो यह महापाप है ; इसिलथे वह पुRष और वे '\यां तीनHके तीनHआग म जलाए जाएं, 'जस से तुSहारे बीच महापाप न हो। 15 फर यद कोई पुRष पशुगामी हो, तो पुRष और पशु दोनHिन_य मार डाले जाएं। 16 और यद कोई \ी पशु के पास जाकर उसके संग कुकमO करे , तो तू उस \ी और पशु दोनHको घात करना; वे िन_य मार डाले जाएं, उनका खून उ(ह:ं के िसर पर पकेगा। 17 और यद कोई अप क बहन का, चाहे उसक संगी बहन हो चाहे सौतेली, उसका नbन तन दे खे, तो वह िन'(दत बात है , वे दोनHअपके जाित भाइयHक आंखHके साSहने नाश कए जाएं; यHक जो अप क बहन का तन उघाड़नेवाला ठहरे गा उसे अपके अधमO का भार ःवयं उठाना पकेगा। 18 फर यद कोई पुRष कसी ऋतुमती \ी के संग सोकर उसका तन उघाड़े , तो वह पुRष उसके Rिधर के सोते का उघाड़नेवाला ठहरे गा, और वह \ी अपके Rिधर के सोते

क उघाड़नेवाली ठहरे गी; इस कारण दोनHअपके लोगHके बीच से नाश कए जाएं। 19 और अप क मौसी वा फूफ का तन न उघाड़ना, यHक जो उसे उघाड़े वह अप क िनकट कुटु 'Sबन को नंगा करता है ; इसिलथे इन दोनHको अपके अधमO का भार उठाना पकेगा। 20 और यद कोई अप क चाची के संग सोए, तो वह अपके चाचा का तन उघाड़ने वाला ठहरे गा; इसिलथे वे दोनHअपके पाप का भार को उठाए हुए िनव{श मर जाएंगे। 21 और यद कोई भौजी वा भयाहू को अप क प^ी बनाए, तो इसे िघनौना काम जानना; और वह अपके भाई का तन उघाड़नेवाला ठहरे गा, इस कारण वे दोनHिनव{श रह गे। 22 तुम मेर: सब विधयHऔर मेरे सब िनयमHको समझ के साय मानना; 'जससे यह न हो क 'जस दे श म मE तुSह िलथे जा रहा हूं वह तुम को उगल दे वे। 23 और 'जस जाित के लोगHको मE तुSहारे आगे से िनकालता हंू उनक र:ित रःम पर न चलना; यHक उन लोगHने जो थे सब कुकमO कए हE , इसी कारण मुझे उन से घृणा हो गई है । 24 और मE तुम लोगHसे कहता हंू , क तुम तो उनक भूिम के अिध कारनेी होगे, और मE इस दे श को 'जस म दध ू और मधु क धाराएं बहती हE तुSहारे अिध कारने म कर दं ग ू ा; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू 'जस ने तुम को दे शHके लोगHसे अलग कया है । 25 इस कारण तुम शुa और अशुa पशुओं म , और शुa और अशुa प'झयHम भेद करना; और कोई पशु वा प क वा कसी ूकार का भूिम पर र गनेवाला जीवज(तु यHन हो, 'जसको मE ने तुSहारे िलथे अशुa ठहराकर व'जतO कया है , उस से अपके आप को अशुa न करना। 26 और तुम मेरे िलथे पवऽ बने रहना; यHक मE यहोवा ःवयं पवऽ हंू , और मE ने तुम को और दे शHके लोगHसे इसिलथे अलग कया है क तुम िनर(तर मेरे ह: बने रहो।।

27 यद कोई पुRष वा \ी ओफाई वा भूत क साधना करे , तो वह िन_य मार डाला जाए; ऐसHका पयरवाह कया जाए, उनका खून उ(ह:ं के िसर पर पकेगा।। लैeयवःथा 21 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, हाRन के पुऽ जो याजक है उन से कह, क तुSहारे लोगHम से कोई भी मरे , तो उसके कारण तुम म से कोई अपके को अशुa न करे ; 2 अपके िनकट कुटु 'SबयH, अयाOत ् अप क माता, वा पता, वा बेटे, वा बेट:, वा भाई के िलथे, 3 वा अप क कुंवार: बहन 'जसका ववाह न हुआ हो 'जनका समीपी सSब(ध है ; उनके िलथे वह अपके को अशुa कर सकता है । 4 पर याजक होने के नाते से वह अपके लोगHम ूधान है , इसिलथे वह अपके को ऐसा अशुa न करे क अपवऽ हो जाए। 5 वे न तो अपके िसर मुड़ ं ाएं, और न अपके गाल के बालHको मुड़ ं ाएं, और न अपके शर:र चीर । 6 वे अपके परमे र के िलथे पवऽ बने रह , और अपके परमे र का नाम अपवऽ न कर ; यHक वे यहोवा के हeय को जो उनके परमे र का भोजन है चढ़ाया करते हE ; इस कारण वे पवऽ बने रह । 7 वे वेँया वा ॅा को cयाह न ल ; और न यागी हुई को cयाह ल ; यHक याजक अपके परमे र के िलथे पवऽ होता है । 8 इसिलथे तू याजक को पवऽ जानना, यHक वह तुSहारे परमे र का भोजन चढ़ाया करता है ; इसिलथे वह तेर: l म

पवऽ ठहरे ; यHक मE यहोवा, जो तुम को पवऽ करता हंू , पवऽ हंू । 9 और यद याजक क बे ट: वेँया बनकर अपके आप को अपवऽ करे , तो वह अपके पता को अपवऽ ठहराती है ; वह आग म जलाई जाए।। 10 और जो अपके भाइयHम

महाथाजक हो, 'जसके िसर पर अिभषेक का तेल डाला गया हो, और 'जसका

पवऽ वHको पहनने के िलथे संःकार हुआ हो, वह अपके िसर के बाल बखरने न दे , और अपके व\ फाड़े ; 11 और न वह कसी लोय के पास जाए, और न अपके पता वा माता के कारण अपके को अशुa करे ; 12 और वह पवऽःयान से बाहर भी न िनकले, और न अपके परमे र के पवऽःयान को अपवऽ ठहराए; यHक वह अपके परमे र के अिभषे क का तेलRपी मुकुट धारण कए हुए है ; मE यहोवा हूं। 13 और वह कुंवार: ह: \ी को cयाहे । 14 जो वधवा, वा यागी हुई, वा ॅ, वा वे ँया हो, ऐसी कसी को वह न cयाहे , वह अपके ह: लोगHके बीच म क कसी कुंवार: क(या को cयाहे ; 15 और वह अपके वीयO को अपके लोगHम अपवऽ न करे ; यHक मE उसका पवऽ करनेवाला यहोवा हंू । 16 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 17 हाRन से कह, क तेरे वंश क पीढ़: पीढ़: म 'जस कसी के कोई भी दोष हHवह अपके परमे र का भोजन चढ़ाने के िलथे समीप न आए। 18 कोई यHन हो 'जस म दोष हो वह समीप न आए, चाहे वह अ(धा हो, चाहे लंगड़ा, चाहे नकचपटा हो, चाहे उसके कुछ अिधक अंग हो, 19 वा उसका पांव, वा हाथ टू टा हो, 20 वा वह कुबड़ा, वा बौना हो, वा उसक आंख म दोष हो, वा उस मनुंय के चाL वा खजुली हो, वा उसके अंड पचके हH; 21 हाRन याजक के वंश म से 'जस कसी म कोई भी दोष हो वह यहोवा के हeय चढ़ाने के िलथे समीप न आए; वह जो दोषयुf है कभी भी अपके परमे र का भोजन चढ़ाने के िलथे समीप न आए। 22 वह अपके परमे र के पवऽ और परमपवऽ दोनHूकार के भोजन को खाए, 23 पर(तु उसके दोष के कारण वह न तो बीचवाले पद के भीतर आए और न वेद: के समीप, 'जस से ऐसा न हो क वह मेरे पवऽःयानHको अपवऽ करे ; यHक मE उनका पवऽ करनेवाला यहोवा हंू । 24 इसिलथे मूसा ने हाRन और उसके पुऽHको

तया कुल इ\ाएिलयHको यह बात कह सुनाL।। लैeयवःथा 22 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 हाRन और उसके पुऽHसे कह, क इ\ाएिलयHक पवऽ क हुई वःतुओं से 'जनको वे मेरे िलथे पवऽ करते हE (यारे रह , और मेरे पवऽ नाम को अपवऽ न कर , मE यहोवा हंू । 3 और उन से कह, क तुSहार: पीढ़:-पीढ़: म तुSहारे सारे वंश म से जो कोई अप क अशुaता क दशा म उन पवऽ क हुई वःतुओं के पास जाए, 'ज(ह इ\ाएली यहोवा के िलथे पवऽ करते हE , वह ूाणी मेरे साSहने से नाश कया जाएगा; मE यहोवा हंू । 4 हाRन के वंश म

से कोई यHन हो जो कोढ़: हो, वा उसके ूमेह हो, वह मनुंय जब तक शुa न हो जाए तब तक पवऽ क हुई वःतुओं म से कुछ न खाए। और जो लोय के कारण अशुa हुआ हो, वा वीयO ःखिलत हुआ हो, ऐसे मनुंय को जो कोई छूए, 5 और जो कोई कसी ऐसे र गनेहारे ज(तु को छूए 'जस से लोग अशुa हो सकते हE , वा कसी ऐसे मनुंय को छूए 'जस म कसी ूकार क अशुaता हो जो उसको भी लग सकती है । 6 तो वह ूाणी जो इन म से कसी को छूए सांफ तक अशुa ठहरा रहे , और जब तक जल से ःनान न कर ले तब तक पवऽ वःतुओं म से कुछ न खाए। 7 तब सूयO अःत होने पर वह शुa ठहरे गा; और तब वह पवऽ वःतुओं म

से खा सकेगा, यHक उसका भोजन वह: है । 8 जो जानवर आप से मरा हो वा पशु से फाड़ा गया हो उसे खाकर वह अपके आप को अशुa न करे ; मE यहोवा हूं। 9 इसिलथे याजक लोग मेर: सौपी हुई वःतुओं क रझा कर , ऐसा न हो क वे उनको अपवऽ करके पाप का भार उठाएं, और इसके कारण मर भी जाएं; मE उनका

पवऽ करनेवाला यहोवा हंू । 10 पराए कुल का जन कसी पवऽ वःतु को न खाने पाए, चाहे वह याजक का पाहुन हो वा मजदरू हो, तौभी वह कोई पवऽ वःतु न खाए। 11 यद याजक कसी ूाणी को Rपया दे कर मोल ले, तो वह ूाणी उस म

से खा सकता है ; और जो याजक के घर म उप(न हुए हHवे भी उसके भोजन म से खाएं। 12 और यद याजक क बेट: पराए कुल के कसी पुRष से cयाह: गई हो, तो वह भ ट क हुई पवऽ वःतुओं म से न खाए। 13 यद याजक क बेट: वधवा वा यागी हुई हो, और उसक स(तान न हो, और वह अप क बा`यावःया क र:ित के अनुसार अपके पता के घर म रहती हो, तो वह अपके पता के भोजन म

से खाए; पर पराए कुल का कोई उस म से न खाने पाए। 14 और यद कोई मनुंय कसी पवऽ वःतु म से कुछ भूल से खा जाए, तो वह उसका पांचवां भाग बढ़ाकर उसे याजक को भर दे । 15 और वे इ\ाएिलयHक पवऽ क हुई वःतुओं को, 'ज(ह वे यहोवा के िलथे चढ़ाएं, अपवऽ न कर । 16 वे उनको अप क पवऽ वःतुओं म से 'खलाकर उन से अपराध का दोष न उठवाएं; मE उनका पवऽ करनेवाला यहोवा हूं।। 17 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 18 हाRन और उसके पुऽHसे और इ\ाएल के घराने वा इ\ाएिलयHम रहनेवाले परदे िशयHम से कोई यHन हो जो म(नत वा ःवे .छाबिल करने के िलथे यहोवा को कोई होमबिल चढ़ाए, 19 तो अपके िनिम महणयोbय ठहरने के िलथे बैलHवा भेड़Hवा बकgरयHम से िनदzष नर चढ़ाया जाए। 20 'जस म कोई भी दोष हो उसे न चढ़ाना; यHक वह तुSहारे िनिम महणयोbय न ठहरे गा। 21 और जो कोई बैलHवा भेड़-बकgरयHम से वशेष वःतु संक`प करने के िलथे वा ःवे.छाबिल के िलथे यहोवा को मेलबिल चढ़ाए, तो महण होने के िलथे अवँय है क वह िनदzष हो,

उस म कोई भी दोष न हो। 22 जो अ(धा वा अंग का टू टा वा लूला हो, वा उस म

रसौली वा खौरा वा खुजली हो, ऐसHको यहोवा के िलथे न चढ़ाना, उनको वेद: पर यहोवा के िलथे हeय न चढ़ाना। 23 'जस कसी बैल वा भेड़ वा बकरे का कोई अंग अिधक वा कम हो उसको ःवे.छाबिल क िलथे चढ़ा सकते हो, पर(तु म(नत पूर: करने के िलथे वह महण न होगा। 24 'जसके अंड दबे वा कुचले वा टू टे वा कट गए हHउसको यहोवा के िलथे न चढ़ाना, और अपके दे श म भी ऐसा काम न करना। 25 फर इन म से कसी को तुम अपके परमे र का भोजन जानकर कसी परदे शी से लेकर न चढ़ाओ; यHक उन म उनका बगाड़ वतOमान है , उन म दोष है , इसिलथे वे तुSहारे िनिम महण न हHगे।। 26 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 27 जब बछड़ा वा भेड़ वा बकर: का ब.चा उप(न हो, तो वह सात दन तक अप क मां के साय रहे ; फर आठव दन से आगे को वह यहोवा के हeयवाह चढ़ावे के िलथे महणयोbय ठहरे गा। 28 चाहे गाय, चाहे भेड़: वा बकर: हो, उसको और उसके ब.चे को एक ह: दन म बिल न करना। 29 और जब तुम यहोवा के िलथे ध(यवाद का मेलबिल चढ़ाओ, तो उसे इसी ूकार से करना 'जस से वह महणयोbय ठहरे ।। 30 वह उसी दन खाया जाए, उस म से कुछ भी बहान तक रहने न पाए; मE यहोवा हंू । 31 और तुम मेर: आWाओं को मानना और उनका पालन करना; मE यहोवा हंू । 32 और मेरे पवऽ नाम को अपवऽ न ठहराना, यHक मE इ\ाएिलयHके बीच अवँय ह: पवऽ माना जाऊंगा; मE तुSहारा पवऽ करनेवाला यहोवा हंू । 33 जो तुम को िमॐ दे श से िनकाल लाया हंू 'जस से तुSहारा परमे र बना रहंू ; मE यहोवा हंू ।। लैeयवःथा 23

1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कह, क यहोवा के पcबO 'जनका तुम को पवऽ सभा एकऽत करने के िलथे िनयत समय पर ूचार करना होगा, मेरे वे पcबO थे हE । 3 छ: दन कामकाज कया जाए, पर सातवां दन परमवौम का और पवऽ सभा का दन है ; उस म कसी ूकार का कामकाज न कया जाए; वह तुSहारे सब घरHम यहोवा का वौम दन ठहरे ।। 4 फर यहोवा के पcबO 'जन म से एक एक के ठहराथे हुए समय म तुSह पवऽ सभा करने के िलथे ूचार करना होगा वे थे हE । 5 पहले मह:ने के चौदहव दन को गोधूिल के समय यहोवा का फसह हुआ करे । 6 और उसी मह:ने के पंिहव दन को यहोवा के िलथे अखमीर: रोट: का पcबO हुआ करे ; उस म तुम सात दन तक अखमीर: रोट: खाया करना। 7 उन म से पहले दन तुSहार: पवऽ सभा हो; और उस दन पgरnम का कोई काम न करना। 8 और सातHदन तुम यहोवा को हeय चढ़ाया करना; और सातव दन पवऽ सभा हो; उस दन पgरnम का कोई काम न करना।। 9 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 10 इ\ाएिलयHसे कह, क जब तुम उस दे श म ूवेश करो 'जसे यहोवा तुSह दे ता है और उस म के खेत काटो, तब अपके अपके प के खेत क पहली उपज का पूला याजक के पास ले आया करना; 11 और वह उस पूले को यहोवा के साSहने हलाए, क वह तुSहारे िनिम महण कया जाए; वह उसे वौमदन के दस ू रे दन हलाए। 12 और 'जस दन तुम पूले को हलवाओ उसी दन एक वषO का िनदzष भेड़ का ब.चा यहोवा के िलथे होमबिल चढ़ाना। 13 और उसके साय का अ(नबिल एपा के दो दसव अंश ते ल से सने हुए मैदे का हो वह सुखदायक सुग(ध के िलथे यहोवा का हeय हो; और उसके साय का अधO ह:न भर क चौयाई दाखमधु हो। 14 और जब तक तुम इस चढ़ावे को अपके परमे र के

पास न ले जाओ, उस दन तक नथे खेत म से न तो रोट: खाना और न भुना हुआ अ(न और न हर: बाल ; यह तुSहार: पीढ़: पीढ़: म तुSहारे सारे घरानHम सदा क विध ठहरे ।। 15 फर उस वौमदन के दस ू रे दन से, अयाOत ् 'जस दन तुम हलाई जानेवाली भ ट के पूले को लाओगे, उस दन से पूरे सात वौमदन िगन लेना; 16 सातव वौमदन के दस ू रे दन तक पचास दन िगनना, और पचासव

दन यहोवा के िलथे नया अ(नबिल चढ़ाना। 17 तुम अपके घरHम से एपा के दो दसव अंश मैदे क दो रोटयां हलाने क भ ट के िलथे ले आना; वे खमीर के साय पकाई जाएं, और यहोवा के िलथे पहली उपज ठहर । 18 और उस रोट: के संग एक एक वषO के सात िनदzष भेड़ के ब.चे, और एक बछड़ा, और दो मेढ़े चढ़ाना; वे अपके अपके साय के अ(नबिल और अधO समेत यहोवा के िलथे होमबिल के समान चढ़ाए जाएं, अयाOत ् वे यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(ध दे नेवाला हeय ठहर । 19 फर पापबिल के िलथे एक बकरा, और मेलबिल के िलथे एक एक वषO के दो भेड़ के ब.चे चढ़ाना। 20 तब याजक उनको पहली उपज क रोट: समेत यहोवा के साSहने हलाने क भ ट के िलथे हलाए, और इन रोटयHके संग वे दो भेड़ के ब.चे भी हलाए जाएं; वे यहोवा के िलथे पवऽ, और याजक का भाग ठहर । 21 और तुम उस दन यह ूचार करना, क आज हमार: एक पवऽ सभा होगी; और पgरnम का कोई काम न करना; यह तुSहारे सारे घरानHम तुSहार: पीढ़: पीढ़: म सदा क विध ठहरे ।। 22 जब तुम अपके दे श म के खेत काटो, तब अपके खेत के कोनHको पूर: र:ित से न काटना, और खेत म िगर: हुई बालHको न इक=ठा करना; उसे द:नह:न और परदे शी के िलथे छोड़ दे ना; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू ।। 23 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 24 इ\ाएिलयHसे कह, क सातव

मह:ने के पहले दन को तुSहारे िलथे परमवौम हो; उस म ःमरण दलाने के िलथे नरिसंगे फूंके जाएं, और एक पवऽ सभा इक=ठq हो। 25 उस दन तुम पgरnम का कोई काम न करना, और यहोवा के िलथे एक हeय चढ़ाना।। 26 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 27 उसी सातव मह:ने का दसवां दन ूाय'_ का दन माना जाए; वह तुSहार: पवऽ सभा का दन होगा, और उस म तुम अपके अपके जीव को द:ु ख दे ना और यहोवा का हeय चढ़ाना। 28 उस दन तुम कसी ूकार का कामकाज न करना; यHक वह ूाय'_ का दन िनयुf कया गया है 'जस म तुSहारे परमे र यहोवा के साSहने तुSहारे िलथे ूाय'_ कया जाएगा। 29 इसिलथे जो ूाणी उस दन द:ु ख न सहे वह अपके लोगHम से नाश कया जाएगा। 30 और जो ूाणी उस दन कसी ूकार का कामकाज करे उस ूाणी को मE उसके लोगHके बीच म से नाश कर डालूग ं ा। 31 तुम कसी ूकार का कामकाज न करना; यह तुSहार: पीढ़: पीढ़: म तुSहारे घराने म सदा क वधी ठहरे । 32 वह दन तुSहारे िलथे परमवौम का हो, उस म तुम अपके अपके जीव को द:ु ख दे ना; और उस मह:ने के नव दन क सांफ से लेकर दस ू र: सांफ तक अपना वौमदन माना करना।। 33 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 34 इ\ाएिलयHसे कह, क उसी सातव मह:ने के प(िहव दन से सात दन तक यहोवा के िलथे फHपडय़Hका पcबO रहा करे । 35 पहले दन पवऽ सभा हो; उस म पgरnम का कोई काम न करना। 36 सातHदन यहोवा के िलथे हeय चढ़ाया करना, फर आठव दन तुSहार: पवऽ सभा हो, और यहोवा के िलथे हeय चढ़ाना; वह महासभा का दन है , और उस म

पgरnम का कोई काम न करना।। 37 यहोवा के िनयत पcबO थे ह: हE , इन म तुम यहोवा को हeय चढ़ाना, अयाOत ् होमबिल, अ(नबिल, मेलबिल, और अघO, ूथेक

अपके अपके िनयत समय पर चढ़ाया जाए और पवऽ सभा का ूचार करना। 38 इन सभHसे अिधक यहोवा के वौमदनHको मानना, और अप क भ टH, और सब म(नतH, और ःवे.छाबिलयHको जो यहोवा को अपOण करोगे चढ़ाया करना।। 39 फर सातव मह:ने के प(िहव दन को, जब तुम दे श क उपज को इक=ठा कर चुको, तब सात दन तक यहोवा का पcबO मानना; पहले दन परमवौम हो, और आठव दन परमवौम हो। 40 और पहले दन तुम अ.छे अ.छे वृझHक उपज, और खजूर के पे, और घने वृझHक डािलयां, और नालHम के मजनू को लेकर अपके परमे र यहोवा के साSहने सात दन तक आन(द करना। 41 और ूितवषO सात दन तक यहोवा के िलथे पcबO माना करना; यह तुSहार: पीढ़: पीढ़: म सदा क विध ठहरे , क सातव मह:ने म यह पcबO माना जाए। 42 सात दन तक तुम फHपडय़Hम रहा करना, अयाOत ् 'जतने ज(म के इ\ाएली हE वे सब के सब फHपडय़Hम रह , 43 इसिलथे क तुSहार: पीढ़: पीढ़: के लोग जान रख , क जब यहोवा हम इ\ाएिलयHको िमॐ दे श से िनकाल कर ला रहा या तब उस ने उनको फHपडय़Hम टकाया या; मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं। 44 और मूसा ने इ\ाएिलयHको यहोवा के पcबO के िनयत समय कह सुनाए।। लैeयवःथा 24 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHको यह आWा दे , क मेरे पास उ'जयाला दे ने के िलथे कूट के िनकाला हुआ जलपाई का िनमOल तेल ले आना, क द:पक िनय जलता रहे । 3 हाRन उसको, बीचवाले तSबू म , साझीपऽ के बीचवाले पद से बाहर, यहोवा के साSहने िनय सांफ से भोर तक सजाकर रखे;

यह तुSहार: पीढ़: पीढ़: के िलथे सदा क विध ठहरे । 4 वह द:पकHके ःव.छ द:वट पर यहोवा के साSहने िनय सजाया करे ।। 5 और तू मैदा लेकर बारह रोटयां पकवाना, ूथेक रोट: म एपा का दो दसवां अंश मैदा हो। 6 तब उनक दो पांित करके, एक एक पांित म छ: छ: रोटयां, ःव.छ मेज पर यहोवा के साSहने धरना। 7 और एक एक पांित पर चोखा लोबान रखना, क वह रोट: पर ःमरण दलानेवाला वःतु और यहोवा के िलथे हeय हो। 8 ूित वौमदन को वह उसे िनय यहोवा के सSमुख बम से रखा करे , यह सदा क वाचा क र:ित इ\ाएिलयHक ओर से हुआ करे । 9 और वह हाRन और उसके पुऽHक हHगी, और वे उसको कसी पवऽ ःयान म खाएं, यHक वह यहोवा के हeयHम से सदा क विध के अनुसार हाRन के िलथे परमपवऽ वःतु ठहर: है ।। 10 उन दनHम

कसी इ\ाएली \ी का बेटा, 'जसका पता िमॐी पुRष या, इ\ाएिलयHके बीच चला गया; और वह इ\ाएली \ी का बेटा और एक इ\ाएली पुRष छावनी के बीच आपस म मारपीट करने लगे, 11 और वह इ\ाएली \ी का बे टा यहोवा के नाम क िन(दा करके शाप दे ने लगा। यह सुनकर लोग उसको मूसा के पास ले गए। उसक माता का नाम शलोमीत या, जो दान के गोऽ के दॄी क बे ट: यी। 12 उ(हHने उसको हवालात म ब(द कया, 'जस से यहोवा क आWा से इस बात पर वचार कया जाए।। 13 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 14 तुम लोग उस शाप दे ने वाले को छावनी से बाहर िलवा ले जाओ; और 'जतनHने वह िन(दा सुनी हो वे सब अपके अपके हाथ उसके िसर पर टे क , तब सार: म+डली के लोग उसको पयरवाह कर । 15 और तू इ\ाएिलयHसे कह, क कोई यHन हो जो अपके परमे र को शाप दे उसे अपके पाप का भार उठाना पकेगा। 16 यहोवा के नाम

क िन(दा करनेवाला िन_य मार डाला जाए; सार: म+डली के लोग िन_य उसको पयरवाह कर ; चाहे दे शी हो चाहे परदे शी, यद कोई उस नाम क िन(दा कर तो वह मार डाला जाए। 17 फर जो कोई कसी मनुंय को ूाण से मारे वह िन_य मार डाला जाए। 18 और जो कोई कसी घरे लू पशु को ूाण से मारे वह उसे भर दे , अयाOत ् ूाणी क स(ती ूाणी दे । 19 फर यद कोई कसी दस ू रे को चोट पहुंचाए, तो जैसा उस ने कया हो वैसा ह: उसके साय भी कया जाए, 20 अयाOत ् अंग भंग करने क स(ती अंग भंग कया जाए, आंख क स(ती आंख, दांत क स(ती दांत, जैसी चोट 'जस ने कसी को पहंु चाई हो वैसी ह: उसको भी पहंु चाई जाए। 21 और पशु का मार डालनेवाला उसको भर दे , पर(तु मनुंय का मार डालनेवाला मार डाला जाए। 22 तुSहारा िनयम एक ह: हो, जैसा दे शी के िलथे वैसा ह: परदे शी के िलथे भी हो; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 23 और मूसा ने इ\ाएिलयHको यह: समझाया; तब उ(हHने उस शाप दे नेवाले को छावनी से बाहर ले जाकर उसको पयरवाह कया। और इ\ाएिलयHने वैसा ह: कया जैसा यहोवा ने मूसा को आWा द: यी।। लैeयवःथा 25 1 फर यहोवा ने सीनै पवOत के पास मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कह, क जब तुम उस दे श म ूवे श करो जो मE तुSह दे ता हंू , तब भूिम को यहोवा के िलथे वौम िमला करे । 3 छ: वषO तो अपना अपना खेत बोया करना, और छहHवषO अप क अप क दाख क बार: छांट छांटकर दे श क उपज इक=ठq कया करना; 4 पर(तु सातव वषO भूिम को यहोवा के िलथे परमवौमकाल िमला करे ;

उस म न तो अपना खेत बोना और न अप क दाख क बार: छांटना। 5 जो कुछ काटे हुए खे त म अपके आप से उगे उसे न काटना, और अप क बन छांट: हुई दाखलता क दाखHको न तोड़ना; यHक वह भूिम के िलथे परमवौम का वषO होगा। 6 और भूिम के वौमकाल ह: क उपज से तुम को, और तुSहारे दास-दासी को, और तुSहारे साय रहनेवाले मजदरू Hऔर परदे िशयHको भी भोजन िमलेगा; 7 और तुSहारे पशुओं का और दे श म 'जतने जीवज(तु हHउनका भी भोजन भूिम क सब उपज से होगा।। 8 और सात वौमवषO, अयाOत ् सातगुना सात वषO िगन लेना, सातHवौमवषJका यह समय उनचास वषO होगा। 9 तब सातव मह:ने के दसव दन को, अयाOत ् ूाय'_ के दन, जय जयकार के महाशcद का नरिसंगा अपके सारे दे श म सब कह:ं फुंकवाना। 10 और उस पचासव वषO को पवऽ करके मानना, और दे श के सारे िनवािसयHके िलथे छुटकारे का ूचार करना; वह वषO तुSहारे यहां जुबली कहलाए; उस म तुम अप क अप क िनज भूिम और अपके अपके घराने म लौटने पाओगे । 11 तुSहारे यहां वह पचासवां वषO जुबली का वषO कहलाए; उस म तुम न बोना, और जो अपके आप ऊगे उसे भी न काटना, और न बन छांट: हुई दाखलता क दाखHको तोड़ना। 12 यHक वह जो जुबली का वषO होगा; वह तुSहारे िलथे पवऽ होगा; तुम उसक उपज खेत ह: म से ले लेके खाना। 13 इस जुबली के वषO म तुम अप क अप क िनज भूिम को लौटने पाओगे । 14 और यद तुम अपके भाईब(धु के हाथ कुछ बेचो वा अपके भाईब(धु से कुछ मोल लो, तो तुम एक दस ू रे पर अ(धेर न करना। 15 जुबली के पीछे 'जतने वषO बीते हHउनक िगनती के अनुसार दाम ठहराके एक दस ू रे से मोल लेना, और शेष वषJक उपज के अनुसार वह तेरे हाथ बेचे। 16 'जतने वषO और

रह उतना ह: दाम बढ़ाना, और 'जतने वषO कम रह उतना ह: दाम घटाना, यHक वषO क उपज 'जतनी हHउतनी ह: वह तेरे हाथ बेचेगा। 17 और तुम अपके अपके भाईब(धु पर अ(धेर न करना; अपके परमे र का भय मानना; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू । 18 इसिलथे तुम मेर: विधयHको मानना, और मेरे िनयमHपर समझ बूफकर चलना; यHक ऐसा करने से तुम उस दे श म िनडर बसे रहोगे। 19 और भूिम अप क उपज उपजाया करे गी, और तुम पेट भर खाया करोगे, और उस दे श म िनडर बसे रहोगे। 20 और यद तुम कहो, क सातव वषO म हम या खाएंगे, न तो हम बोएंगे न अपके खेत क उपज इक=ठq कर गे? 21 तो जानो क मE तुम को छठव वषO म ऐसी आशीष दं ग ू ा, क भूिम क उपज तीन वषO तक काम आएगी। 22 तुम आठव वषO म बोओगे , और पुरानी उपज म से खाते रहोगे, और नव वषO क उपज म से खाते रहोगे। 23 भूिम सदा के िलथे तो बेची न जाए, यHक भूिम मेर: है ; और उस म तुम परदे शी और बाहर: होगे। 24 लेकन तुम अपके भाग के सारे दे श म भूिम को छुड़ा लेने दे ना।। 25 यद तेरा कोई भाईब(धु कंगाल होकर अप क िनज भूिम म से कुछ बेच डाले, तो उसके कुटु 'SबयHम से जो सब से िनकट हो वह आकर अपके भाईब(धु के बे चे हुए भाग को छुड़ा ले। 26 और यद कसी मनुंय के िलथे कोई छुड़ानेवाला न हो, और उसके पास इतना धन हो क आप ह: अपके भाग को छुड़ा ले सके, 27 तो वह उसके बकने के समय से वषJक िगनती करके शेष वषJक उपज का दाम उसको 'जस ने उसे मोल िलया हो फेर दे ; तब वह अप क िनज भूिम का अिध कारनेी हो जाए। 28 पर(तु यद उसके इतनी पूंजी न हो क उसे फर अप क कर सके, तो उसक बेची हुई भूिम जुबली के वषO तक मोल लेनेवालHके हाथ म रहे ; और जुबली के वषO म छूट

जाए तब वह मनुंय अप क िनज भूिम का फर अिध कारनेी हो जाए।। 29 फर यद कोई मनुंय शहरपनाह वाले नगर म बसने का घर बेचे, तो वह बेचने के बाद वषO भर के अ(दर उसे छुड़ा सकेगा, अयाOत ् पूरे वषO भर उस मनुंय को छुड़ाने का अिध कारने रहे गा। 30 पर(तु यद वह वषO भर म न छुड़ाए, तो वह घर पर शहरपनाहवाले नगर म हो मोल लेनेवाले का बना रहे , और पीढ़:-पीढ़: म

उसी मे वंश का बना रहे ; और जुबली के वषO म भी न छूटे । 31 पर(तु बना शहरपनाह के गांवHके घर तो दे श के खेतHके समान िगने जाएं; उनका छुड़ाना भी हो सकेगा, और वे जुबली के वषO म छूट जाएं। 32 और लेवयHके िनज भाग के नगरHके जो घर हHउनको लेवीय जब चाह तब छुड़ाएं। 33 और यद कोई लेवीय अपना भाग न छुड़ाए, तो वह बे चा हुआ घर जो उसके भाग के नगर म हो जुबली के वषO म छूट जाए; यHक इ\ाएिलयHके बीच लेवयHका भाग उनके नगरHम वे घर ह: हE । 34 और उनके नगरHक चारHओर क चराई क भूिम बेची न जाए; यHक वह उनका सदा का भाग होगा।। 35 फर यद तेरा कोई भाईब(धु कंगाल हो जाए, और उसक दशा तेरे साSहने तरस योbय हो जाए, तो तू उसको संभालना; वह परदे शी वा याऽी क नाई तेरे संग रहे । 36 उस से cयाज वा बढ़ती न लेना; अपके परमे र का भय मानना; 'जस से तेरा भाईब(धु तेरे संग जीवन िनवाOह कर सके। 37 उसको cयाज पर Rपया न दे ना, और न उसको भोजनवःतु लाभ के लालच से दे ना। 38 मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं; मE तुSह कनान दे श दे ने के िलथे और तुSहारा परमे र ठहरने क मनसा से तुम को िमॐ दे श से िनकाल लाया हंू ।। 39 फर यद ते रा कोई भाईब(धु तेरे साSहने कंगाल होकर अपके आप को ते रे हाथ बेच डाले, तो उस से दास के समान सेवा न करवाना। 40

वह तेरे संग मजदरू वा याऽी क नाई रहे , और जुबली के वषO तक तेरे संग रहकर सेवा करता रहे ; 41 तब वह बालब.चHसमेत तेरे पास से िनकल जाए, और अपके कुटु Sब म और अपके पतरHक िनज भूिम म लौट जाए। 42 यHक वे मेरे ह: दास हE , 'जनको मE िमॐ दे श से िनकाल लाया हंू ; इसिलथे वे दास क र:ित से न बे चे जाएं। 43 उस पर कठोरता से अिध कारने न करना; अपके परमे र का भय मानते रहना। 44 तेरे जो दास-दािसयां हHवे तुSहार: चारHओर क जाितयHम से हH, और दास और दािसयां उ(ह:ं म से मोल लेना। 45 और जो याऽी लोग तुSहारे बीच म परदे शी होकर रह गे, उन म से और उनके घरानHम से भी जो तुमहारे आस पास हH, और जो तुSहारे दे श म उप(न हुए हH, उन म से तुम दास और दासी मोल लो; और वे तुSहारा भाग ठहर । 46 और तुम अपके पुऽHको भी जो तुSहारे बाद हHगे उनके अिध कारनेी कर सकोगे, और वे उनका भाग ठहर ; उन म से तुम सदा अपके िलथे दास िलया करना, पर(तु तुSहारे भाईब(धु जो इ\ाएली हHउन पर अपना अिध कारने कठोरता से न जताना।। 47 फर यद तेरे साSहने कोई परदे शी वा याऽी धनी हो जाए, और उसके साSहने तेरा भाई कंगाल होकर अपके आप को तेरे साSहने उस परदे शी वा याऽी वा उसके वंश के हाथ बेच डाले, 48 तो उसके बक जाने के बाद वह फर छुड़ाया जा सकता है ; उसके भाइयHम से कोई उसको छुड़ा सकता है , 49 वा उसका चाचा, वा चचेरा भाई, तया उसके कुल का कोई भी िनकट कुटु Sबी उसको छुड़ा सकता है ; वा यद वह धनी हो जाए, तो वह आप ह: अपके को छुड़ा सकता है । 50 वह अपके मोल लेनेवाले के साय अपके बकने के वषO से जुबली के वषO तक हसाब करे , और उसके बकने का दाम वषJक िगनती के अनुसार हो, अयाOत ् वह दाम मजदरू के दवसHके समान उसके

साय होगा। 51 यद जुबली के बहुत वषO रह जाएं, तो 'जतने RपयHसे वह मोल िलया गया हो उन म से वह अपके छुड़ाने का दाम उतने वषJके अनुसार फेर दे । 52 और यद जुबली के वषO के योड़े वषO रह गए हH, तौभी वह अपके ःवामी के साय हसाब करके अपके छुड़ाने का दाम उतने ह: वषार◌ ् े◌ं के अनुसार फेर दे । 53 वह अपके ःवामी के संग उस मजदरू के सामान रहे 'जसक वाषकO मजदरू : ठहराई जाती हो; और उसका ःवामी उस पर तेरे साSहने कठोरता से अिध कारने न जताने पाए। 54 और यद वह इन र:ितयHसे छुड़ाया न जाए, तो वह जुबली के वषO म अपके बाल-ब.चHसमेत छूट जाए। 55 यHक इ\ाएली मेरे ह: दास हE ; वे िमॐ दे श से मेरे ह: िनकाले हुए दास हE ; मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं।। लैeयवःथा 26 1 तुम अपके िलथे मूरत न बनाना, और न कोई खुद: हुई मूितर ् वा लाट अपके िलथे खड़: करना, और न अपके दे श म द+डवत ् करने के िलथे न काशीदार पयर ःयापन करना; यHक मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं। 2 तुम मेरे वौमदनHका पालन करना और मेरे पवऽःयान का भय मानना; मE यहोवा हंू ।। 3 यद तुम मेर: विधयHपर चलो और मेर: आWाओं को मानकर उनका पालन करो, 4 तो मE तुSहारे िलथे समय समय पर म ह बरसाऊंगा, तया भूिम अप क उपज उपजाएगी, और मैदान के वृझ अपके अपके फल दया कर गे; 5 यहां तक क तुम दाख तोड़ने के समय भी दावनी करते रहोगे, और बोने के समय भी भर पे ट दाख तोड़ते रहोगे, और तुम मनमानी रोट: खाया करोगे, और अपके दे श म

िन'_(त बसे रहोगे । 6 और मE तुSहारे दे श म सुख चैन दं ग ू ा, और तुम सोओगे और तुSहारा कोई डरानेवाला न हो; और मE उस दे श म द ु ज(तुओं को न रहने दं ग ू ा, और तलवार तुSहारे दे श म न चलेगी। 7 और तुम अपके शऽुओं को मार भगा दोगे , और वे तुSहार: तलवार से मारे जाएंगे। 8 और तुम म से पांच मनुंय सौ को और सौ मनुंय दस हजार को खदे ड़ गे; और तुSहारे शऽु तलवार से तुSहारे आगे आगे मारे जाएंगे; 9 और मE तुSहार: ओर कृपा l रखूंगा और तुम को फलव(त कRंगा और बढ़ाऊंगा, और तुSहारे संग अप क वाचा को पूणO कRंगा। 10 और तुम रखे हुए पुराने अनाज को खाओगे, और नथे के रहते भी पुराने को िनकालोगे। 11 और मE तुSहारे बीच अपना िनवासःयान बनाए रखूंगा, और मेरा जी तुम से घृणा नह:ं करे गा। 12 और मE तुSहारे म~य चला फरा कRंगा, और तुSहारा परमे र बना रहंू गा, और तुम मेर: ूजा बने रहोगे । 13 मE तो तुSहारा वह परमे र यहोवा हंू , जो तुम को िमॐ दे श से इसिलथे िनकाल ले आया क तुम िमिॐयHके दास न बने रहो; और मE ने तुSहारे जूए को तोड़ डाला है , और तुम को सीधा खड़ा करके चलाया है ।। 14 यद तुम मेर: न सुनोगे , और इन सब आWाओं को न मानोगे , 15 और मेर: विधयHको िनकSमा जानोगे, और तुSहार: आमा मेरे िनणOयHसे घृणा करे , और तुम मेर: सब आWाओं का पालन न करोगे, वरन मेर: वाचा को तोड़ोगे , 16 तो मE तुम से यह कRंगा; अयाOत ् मE तुम को बेचन ै कRंगा, और झयरोग और Gवर से पीड़त कRंगा, और इनके कारण तुSहार: आंखे धुध ं ली हो जाएंगी, और तुSहारा मन अित उदास होगा। और तुSहारा बीच बोना eययO होगा, यHक तुSहारे शऽु उसक उपज खा ल गे; 17 और मE भी तुSहारे वRa हो जाऊंगा, और तुम अपके शऽुओं से हार जाओगे ; और तुSहारे बैर:

तुSहारे ऊपर अिध कारने कर गे, और जब कोई तुम को खदे ड़ता भी न होगा तब भी तुम भागोगे। 18 और यद तुम इन बातHके उपरा(त भी मेर: न सुनो, तो मE तुSहारे पापHके कारण तुSह सातगुणी ताड़ना और दं ग ू ा, 19 और मE तुSहारे बल का घम+ड तोड़ डालूग ं ा, और तुSहारे िलथे आकाश को मानो लोहे का और भूिम को मानो पीतल क बना दं ग ू ा; 20 और तुSहारा बल अकारय गंवाया जाएगा, यHक तुSहार: भूिम अप क उपज न उपजाएगी, और मैदान के वृझ अपके फल न द गे। 21 और यद तुम मेरे वRa चलते ह: रहो, और मेरा कहना न मानH, तो मE तुSहारे पापHके अनुसार तुSहारे ऊपर और सातगुणा संकट डालूग ं ा। 22 और मE तुSहारे बीच बन पशु भेजूंगा, जो तुम को िनव{श कर गे, और तुSहारे घरे लू पशुओं को नाशकर डाल गे, और तुSहार: िगनती घटाएंगे, 'जस से तुSहार: सड़के सूनी पड़ जाएंगी। 23 फर यद तुम इन बातHपर भी मेर: ताड़ना से न सुधरो, और मेरे वRa चलते ह: रहो, 24 तो मE भी तुSहारे वRa चलूग ं ा, और तुSहारे पापHके कारण मE आप ह: तुम को सातगुणा माRंगा। 25 तो मE तुम पर एक ऐसी तलवार चलवाऊंगा, जो वाचा तोड़ने का पूरा पूरा पलटा लेगी; और जब तुम अपके नगरHम जा जाकर इक=ठे होगे तब मE तुSहारे बीच मर: फैलाऊंगा, और तुम अपके शऽुओं के वश म सxप दए जाओगे। 26 और जब मE तुSहारे िलथे अ(न के आधार को दरू कर डालूग ं ा, तब दस '\यां तुSहार: रोट: एक ह: तंदरू म पकाकर तौल तौलकर बांट द गी; और तुम खाकर भी तृT न होगे ।। 27 फर यद तुम इसके उपरा(त भी मेर: न सुनोगे, और मेरे वRa चलते ह: रहोगे, 28 तो मE अपके (याय म तुSहारे वRa चलूग ं ा, और तुSहारे पापHके कारण तुम को सातगुणी ताड़ना और भी दं ग ू ा। 29 और तुम को अपके बे टHऔर बेटयHका मांस

खाना पकेगा। 30 और मE तुSहारे पूजा के ऊंचे ःयानHको ढा दं ग ू ा, और तुSहारे सूयO क ूितमाएं तोड़ डालूग ं ा, और तुSहार: लोयHको तुSहार: तोड़: हुई मूरतHपर फूंक दं ग ू ा; और मेर: आमा को तुम से घृणा हो जाएगी। 31 और मE तुSहारे नगरHको उजाड़ दं ग ू ा, और तुSहारे पवऽ ःयानHको उजाड़ दं ग ू ा, और तुSहारा सुखदायक सुग(ध महण न कRंगा। 32 और मE तुSहारे दे श को सूना कर दं ग ू ा, और तुSहारे शऽु जो उस म रहते हE वे इन बातHके कारण चकत हHगे। 33 और मE तुम को जाित जाित के बीच ितर-बर कRंगा, और तुSहारे पीछे पीछे तलवार खीच रहंू गा; और तुSहारा दे श सुना हो जाएगा, और तुSहारे नगर उजाड़ हो जाएंगे। 34 तब 'जतने दन वह दे श सूना पड़ा रहे गा और तुम अपके शऽुओं के दे श म रहोगे उतने दन वह अपके वौमकालHको मानता रहे गा। 35 और 'जतने दन वह सूना पड़ा रहे गा उतने दन उसको वौम रहे गा, अयाOत ् जो वौम उसको तुSहारे वहां बसे रहने के समय तुSहारे वौमकालHम न िमला होगा वह उसको तब िमलेगा। 36 और तुम म से जो बच रह गे और अपके शऽुओं के दे श म

हHगे उनके ॑ृदय म मै कायरता उपजाऊंगा; और वे पे के खड़कने से भी भाग जाएंगे, और वे ऐसे भाग गे जैसे कोई तलवार से भागे, और कसी के बना पीछा कए भी वे िगर िगर पक गे। 37 और जब कोई पीछा करनेवाला न हो तब भी मानHतलवार के भय से वे एक दस ू रे से ठोकर खाकर िगरते जाएंगे, और तुम को अपके शऽुओं के साSहने ठहरने क कुछ शf न होगी। 38 तब तुम जाित जाित के बीच पहंु चकर नाश हो जाओगे, और तुSहारे शऽुओं क भूिम तुम को खा जाएगी। 39 और तुम म से जो बचे रह गे वे अपके शऽुओं के दे शHम अपके अधमO के कारण गल जाएंगे; और अपके पुरखाओं के अधमO के कामHके कारण भी वे

उ(ह:ं क नाई गल जाएंगे। 40 तब वे अपके और अपके पतरHके अधमO को मान ल गे, अयाOत ् उस व ासघात को जो वे मेरा कर गे, और यह भी मान ल गे, क हम यहोवा के वRa चले थे, 41 इसी कारण वह हमारे वRa होकर हम शऽुओं के दे श म ले आया है । यद उस समय उनका खतनारहत ॑ृदय दब जाएगा और वे उस समय अपके अधमO के द+ड को अंगीकार करे ग ; 42 तब जो वाचा मE ने याकूब के संग बा(धी यी उसको मE ःमरण कRंगा, और जो वाचा मE ने इसहाक से और जो वाचा मE ने इॄाह:म से बा(धी यी उनको भी ःमरण कRंगा, और इस दे श को भी मE ःमरण कRंगा। 43 और वह दे श उन से रहत होकर सूना पड़ा रहे गा, और उनके बना सूना रहकर भी अपके वौमकालHको मानता रहे गा; और वे लोग अपके अधमO के द+ड को अंगीकार करे ग , इसी कारण से क उ(हHने मेर: आWाओं का उलंघन कया या, और उनक आमाओं को मेर: विधयHसे घृणा यी। 44 इतने पर भी जब वे अपके शऽुओं के दे श म हHगे , तब मE उनको इस ूकार नह:ं छोडू ं गा, और न उन से ऐसी घृणा कRंगा क उनका सवOनाश कर डालूं और अप क उस वाचा को तोड़ दं ू जो मE ने उन से बा(धी है ; यHक मE उनका परमे र यहोवा हंू ; 45 पर(तु मE उनके भलाई के िलथे उनके पतरHसे बा(धी हुई वाचा को ःमरण कRंगा, 'ज(ह मै अ(यजाितयHक आंखHके साSहने िमॐ दे श से िनकालकर लाया क मE उनका परमे र ठहRं; मE यहोवा हंू ।। 46 जो जो विधयां और िनयम और eयवःया यहोवा ने अप क ओर से इ\ाएिलयHके िलथे सीनै पवOत पर मूसा के kारा ठहराई यीं वे थे ह: हE ।। लैeयवःथा 27

1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे यह कह, क जब कोई वशेष संक`प माने, तो संक`प कए हुए ूाणी तेरे ठहराने के अनुसार यहोवा के हHगे; 3 इसिलथे यद वह बीस वषO वा उस से अिधक और साठ वषO से कम अवःया का पुRष हो, तो उसके िलथे पवऽःयान के शेकेल के अनुसार पचास शेकेल का Rपया ठहरे । 4 और यद वह \ी हो, तो तीस शेकेल ठहरे । 5 फर यद उसक अवःया पांच वषO वा उससे अिधक और बीस वषO से कम क हो, तो लड़के के िलथे तो बीस शेकेल, और लड़क के िलथे दस शेकेल ठहरे । 6 और यद उसक अवःया एक मह:ने वा उस से अिधक और पांच वषO से कम क हो, तो लड़के के िलथे तो पांच, और लड़क के िलथे तीन शेकेल ठहर । 7 फर यद उसक अवःया साठ वषO क वा उस से अिधक हो, और वह पुRष हो तो उसके िलथे पंिह शेकेल, और \ी हो तो दस शेकेल ठहरे । 8 पर(तु यद कोई इतना कंगाल हो क याजक का ठहराया हुआ दाम न दे सके, तो वह याजक के साSहने खड़ा कया जाए, और याजक उसक पूंजी ठहराए, अयाOत ् 'जतना संक`प करनेवाले से हो सके, याजक उसी के अनुसार ठहराए।। 9 फर 'जन पशुओं म से लोग यहोवा को चढ़ावा चढ़ाते है , यद ऐसHम से कोई संक`प कया जाए, तो जो पशु कोई यहोवा को दे वह पवऽ ठहरे गा। 10 वह उसे कसी ूकार से न बदले, न तो वह बुरे क स(ती अ.छा, और न अ.छे क स(ती बुरा दे ; और यद वह उस पशु क स(ती दस ू रा पशु दे , तो वह और उसका बदला दोनHपवऽ ठहर गे। 11 और 'जन पशुओं म से लोग यहोवा के िलथे चढ़ावा नह:ं चढ़ाते ऐसHम से यद वह हो, तो वह उसको याजक के साSहने खड़ा कर दे , 12 तक याजक पशु के गुण अवगुण दोनHवचारकर उसका मोल ठहराए; और 'जतना याजक ठहराए उसका मोल

उतना ह: ठहरे । 13 और यद संक`प करनेवाला उसे कसी ूकार से छुड़ाना चाहे , तो जो मोल याजक ने ठहराया हो उस म उसका पांचवां भाग और बढ़ाकर दे ।। 14 फर यद कोई अपना घर यहोवा के िलथे पवऽ ठहराकर संक`प करे , तो याजक उसके गुण-अवगुण दोनHवचारकर उसका मोल ठहराए; और 'जतना याजक ठहराए उसका मोल उतना ह: ठहरे । 15 और यद घर का पवऽ करनेवाला उसे छुड़ाना चाहे , तो 'जतना Rपया याजक ने उसका मोल ठहराया हो उस म वह पांचवां भाग और बढ़ाकर दे , तब वह घर उसी का रहे गा।। 16 फर यद कोई अप क िनज भूिम का कोई भाग यहोवा के िलथे पवऽ ठहराना चाहे , तो उसका मोल इसके अनुसार ठहरे , क उस म कतना बीज पकेगा; 'जतना भूिम म होमेर भर जौ पके उतनी का मोल पचास शेकेल ठहरे । 17 यद वह अपना खेत जुबली के वषO ह: म पवऽ ठहराए, तो उसका दाम तेरे ठहराने के अनुसार ठहरे ; 18 और यद वह अपना खे त जुबली के वषO के बाद पवऽ ठहराए, तो 'जतने वषO दस ू रे जुबली के वषO के बाक रह उ(ह:ं के अनुसार याजक उसके िलथे Rपके का हसाब करे , तब 'जतना हसाब म आए उतना याजक के ठहराने से कम हो। 19 और यद खेत को पवऽ ठहरानेवाला उसे छुड़ाना चाहे , तो जो दाम याजक ने ठहराया हो उस म वह पांचवां भाग और बढ़ाकर दे , तब खेत उसी का रहे गा। 20 और यद वह खेत को छुड़ाना न चाहे , वा उस ने उसको दस ू रे के हाथ बेचा हो, तो खेत आगे को कभी न छुड़ाया जाए; 21 पर(तु जब वह खेत जुबली के वषO म छूटे , तब पूर: र:ित से अपOण कए हुए खेत क नाई यहोवा के िलथे पवऽ ठहरे , अयाOत ् वह याजक ह: क िनज भूिम हो जाए। 22 फर यद कोई अपना मोल िलया हुआ खेत, जो उसक िनज भूिम के खेतHम का न हो, यहोवा के िलथे पवऽ ठहराए, 23

तो याजक जुबली के वषO तक का हसाब करके उस मनुंय के िलथे 'जतना ठहराए उतना ह: वह यहोवा के िलथे पवऽ जानकर उसी दन दे दे । 24 और जुबली के वषO म वह खेत उसी के अिध कारने म 'जस से वह मोल िलया गया हो फर आ जाए, अयाOत ् 'जसक वह िनज भूिम हो उसी क फर हो जाए। 25 और 'जस 'जस वःतु का मोल याजक ठहराए उसका मोल पवऽःयान ह: के शेकेल के हसाब से ठहरे : शेकेल बीस गेरा का ठहरे ।। 26 पर घरे लू पशुओं का पहलौठा, जो यहोवा का पहलौठा ठहरा है , उसको तो कोई पवऽ न ठहराए; चाहे वह बछड़ा हो, चाहे भेड़ वा बकर: का ब.चा, वह यहोवा ह: का है । 27 पर(तु यद वह अशुa पशु का हो, तो उसका पवऽ ठहरानेवाला उसको याजक के ठहराए हुए मोल के अनुसार उसका पांचवां भाग और बढ़ाकर छुड़ा सकता है ; और यद वह न छुड़ाया जाए, तो याजक के ठहराए हुए मोल पर बेच दया जाए।। 28 पर(तु अप क सार: वःतुओं म से जो कुछ कोई यहोवा के िलथे अपOण करे , चाहे मनुंय हो चाहे पशु, चाहे उसक िनज भूिम का खे त हो, ऐसी कोई अपOण क हुई वःतु न तो बेची जाए और न छुड़ाई जाए; जो कुछ अपOण कया जाए वह यहोवा के िलथे परमपवऽ ठहरे । 29 मनुंयHम से जो कोई अपOण कया जाए, वह छुड़ाया न जाए; िन_य वह मार डाला जाए।। 30 फर भूिम क उपज का सारा दशमांश, चाहे वह भूिम का बीज हो चाहे वृझ का फल, वह यहोवा ह: का है ; वह यहोवा के िलथे पवऽ ठहरे । 31 यद कोई अपके दशमांश म से कुछ छुड़ाना चाहे , तो पांचवां भाग बढ़ाकर उसको छुड़ाए। 32 और गाय-बैल और भेड़-बकgरयां, िनदान जो जो पशु िगनने के िलथे लाठq के तले िनकल जानेवाले हE उनका दशमांश, अयाOत ् दस दस पीछे एक एक पशु यहोवा के िलथे पवऽ ठहरे । 33 कोई उसके गुण अवगुण

न वचारे , और न उसको बदले; और यद कोई उसको बदल भी ले, तो वह और उसका बदला दोनHपवऽ ठहर ; और वह कभी छुड़ाया न जाए।। 34 जो आWाएं यहोवा ने इ\ाएिलयHके िलथे सीनै पवOत पर मूसा को द: यी वे थे ह: हE ।। िगनती 1 1 इ\ाएिलयHके िमॐ दे श से िनकल जाने के दस ू रे वषO के दस ू रे मह:ने के पहले दन को, यहोवा ने सीनै के जंगल म िमलापवाले तSबू म , मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHक सार: म+डली के कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार, एक एक पुRष क िगनती नाम ले लेकर करना; 3 'जतने इ\ाएली बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के हH, और जो युa करने के योbय हH, उन सभHको उनके दलHके अनुसार तू और हाRन िगन ले। 4 और तुSहारे साय एक एक गोऽ का एक एक पुRष भी हो जो अपके पतरHके घराने का मु‡य पुRष हो। 5 तुSहारे उन सािययHके नाम थे हE , अयाOत ् Rबेन के गोऽ म से शदे ऊर का पुऽ एलीसूर; 6 िशमोन के गोऽ म से सूर:शXै का पुऽ शलूमीएल; 7 यहूदा के गोऽ म से अSमीनादाब का पुऽ नहशोन; 8 इःसाकार के गोऽ म से सूआ का पुऽ नतनेल; 9 जबूलन ू के गोऽ म से हे लोन का पुऽ एलीआब; 10 यूसफ ु वंिशयHम से थे हE , अयाOत ् एप‹म के गोऽ म से अSमीहूद का पुऽ एलीशामा, ओर मनँशे के गोऽ म से पदासूर का पुऽ गSलीएल; 11 ब(यामीन के गोऽ म से िगदोनी का पुऽ अबीदान; 12 दान के गोऽ म से अSमीशXै का पुऽ अह:ऐजेर; 13 आशेर के गोऽ म से ओबान का पुऽ प कएल; 14 गाद के गोऽ म से दए ू ल का पुऽ ए`यासाप; 15 नTाली के गोऽ म से एनाम का पुऽ अह:रा। 16 म+डली म से जो पुRष अपके

अपके पतरHके गोऽHके ूधान होकर बुलाए गए वे थे ह: हE , और थे इ\ाएिलयHके हजारHम मु‡य पुRष थे। 17 और 'जन पुRषHके नाम ऊपर िलखे हE उनको साय लेकर, 18 मूसा और हाRन ने दस ू रे मह:ने के पहले दन सार: म+डली इक=ठq क, तब इ\ाएिलयHने अपके अपके कुल और अपके अपके पतरHके घराने के अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःयावालHके नामHक िगनती करवा के अप क अप क वंशावली िलखवाई; 19 'जस ूकार यहोवा ने मूसा को जो आWा द: यी उसी के अनुसार उस ने सीनै के जंगल म उनक गणना क।। 20 और इ\ाएल के पहलौठे Rबेन के वंश ने 'जतने पुRष अपके कुल और अपके पतरHके घराने के अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 21 और Rबेन के गोऽ के िगने हुए पुRष साढ़े िछयालीस हजार थे।। 22 और िशमोन के वंश के लोग 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे, और जो युa करने के योbय थे वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 23 और िशमोन के गोऽ के िगने हुए पुRष उनसठ हजार तीन सौ थे।। 24 और गाद के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 25 और गाद के गोऽ के िगने हुए पुRष पEतालीस हजार साढ़े छ: सौ थे।। 26 और यहूदा के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 27 और यहूदा के गोऽ के िगने हुए पुRष चौहर हजार छ: सौ थे।। 28 और

इःसाकार के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 29 और इःसाकार के गोऽ के िगने हुए पुRष चौवन हजार चार सौ थे।। 30 और जबूलन ू वे वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 31 और जबूलन ू के गोऽ के िगने हुए पुRष सावन हजार चार सौ थे।। 32 और यूसफ ु के वंश म से एूैम के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 33 और एूैम गोऽ के िगने हुए पुRष साढ़े चालीस हजार थे।। 34 और मनँशे के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 35 और मनँशे के गोऽ के िगने हुए पुRष बीस हजार दो सौ थे।। 36 और ब(यामीन के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 37 और ब(यामीन के गोऽ के िगने हुए पुRष पEतीस हजार चार सौ थे।। 38 और दान के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे अपके अपके नाम से िगने गए: 39 और दान के गोऽ के िगने हुए पुRष बासठ हजार सात सौ थे।। 40 और आशेर के वंश

के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उससे अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 41 और आशेर के गोऽ के िगने हुए पुRष साढ़े एकतालीस हजार थे।। 42 और नTाली के वंश के 'जतने पुRष अपके कुलHऔर अपके पतरHके घरानHके अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के थे और जो युa करने के योbय थे, वे सब अपके अपके नाम से िगने गए: 43 और नTाली के गोऽ के िगने हुए पुRष ितरपन हजार चार सौ थे।। 44 इस ूकार मूसा और हाRन और इ\ाएल के बारह ूधानHने, जो अपके अपके पतरHके घराने के ूधान थे, उन सभHको िगन िलया और उनक िगनती यह: यी। 45 सो 'जतने इ\ाएली बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के होने के कारण युa करने के योbय थे वे अपके पतरHके घरानHके अनुसार िगने गए, 46 और वे सब िगने हुए पुRष िमलाकर छ: लाख तीन हजार साढ़े पांच सौ थे।। 47 इन म लेवीय अपके पतरHके गोऽ के अनुसार नह:ं िगने गए। 48 यHक यहोवा ने मूसा से कहा या, 49 क लेवीय गोऽ क िगनती इ\ाएिलयHके संग न करना; 50 पर(तु तू लेवयHको साझी के तSबू पर, और उसके कुल सामान पर, िनदान जो कुछ उस से सSब(ध रखता है उस पर अिध कारनेी िनयुf करना; और कुल सामान सहत िनवास को वे ह: उठाया कर , और वे ह: उस म सेवा टहल भी कया कर , और तSबू के आसपास वे ह: अपके डे रे डाला कर । 51 और जब जब िनवास का कूच हो तब तब लेवीय उसको िगरा द , और जब जब िनवास को खड़ा करना हो तब तब लेवीय उसको खड़ा कया कर ; और यद कोई दस ू रा समीप आए तो वह मार डाला जाए। 52 और इ\ाएली अपना अपना डे रा अप क अप क छावनी म और अपके अपके फ+डे

के पास खड़ा कया कर ; 53 पर लेवीय अपके डे रे साझी के तSबू ह: क चारHओर खड़े कया कर , कह:ं ऐसा न हो क इ\ाएिलयHक म+डली पर कोप भड़के; और लेवीय साझी के तSबू क रझा कया कर । 54 जो आWाएं यहोवा ने मूसा को द: यीं इ\ाएिलयHने उ(ह:ं के अनुसार कया।। िगनती 2 1 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 2 इ\ाएली िमलापवाले तSबू क चारHओर और उसके साSहने अपके अपके फ+डे और अपके अपके पतरHके घराने के िनशान के समीप अपके डे रे खड़े कर । 3 और जो अपके पूवO दशा क ओर जहां सूयzदय होता है अपके अपके दलHके अनुसार डे रे खड़े कया कर वे ह: यहूदा क छावनीवाले फण ्उे के लोग हHगे, और उनका ूधान अSमीनादाब का पुऽ नहशोन होगा, 4 और उनके दल के िगने हुए पुRष चौहर हजार छ: सौ हE । 5 उनके समीप जो डे रे खड़े कया कर वे इःसाकार के गोऽ के हH, और उनका ूधान सूआर का पुऽ नतनेल होगा, 6 और उनके दल के िगने हुए पुRष चौवन हजार चार सौ हE । 7 इनके पास जबूलन ू के गोऽवाले रह गे, और उनका ूधान हे लोन का पुऽ एलीआब होगा, 8 और उनके दल के िगने हुए पुRष सावन हजार चार सौ हE । 9 इस र:ित से यहूदा क छावनी म 'जतने अपके अपके दलHके अनुसार िगने गए वे सब िमलकर एक लाख िछयासी हजार चार सौ हE । पहले थे ह: कूच कया कर ।। 10 द' खन अलंग पर Rबेन क छावनी के फ+डे के लोग अपके अपके दलHके अनुसार रह , और उनका ूधान शदे ऊर का पुऽ एलीसूर होगा, 11 और उनके दल के िगने हुए पुRष साढ़े िछयालीस हजार हE । 12 उनके पास जो डे रे खड़े

कया कर वे िशमोन के गोऽ के हHगे, और उनका ूधान सूर:शXै का पुऽ शलूमीएल होगा, 13 और उनके दल के िगने हुए पुRष उनसठ हजार तीन सौ हE । 14 फर गाद के गोऽ के रह , और उनका ूधान Rएल का पुऽ ए`यासाप होगा, 15 और उनके दल के िगने हुए पुRष पEतालीस हजार साढ़े छ: सौ हE । 16 Rबेन क छावनी म 'जतने अपके अपके दलHके अनुसार िगने गए वे सब िमलकर डे ढ़ लाख एक हजार साढ़े चार सौ हE । दस ू रा कूच इनका हो। 17 उनके पीछे और सब छाविनयHके बीचHबीच लेवयHक छावनी समेत िमलापवाले तSबू का कूच हुआ करे ; 'जस बम से वे डे रे खड़े कर उसी बम से वे अपके अपके ःयान पर अपके अपके फ+डे के पास पास चल ।। 18 प'.छम अलंग पर एूैम क छावनी के फ+डे के लोग अपके अपके दलHके अनुसार रह , और उनका ूधान अSमीहूद का पुऽ एलीशामा होगा, 19 और उनके दल के िगने हुए पुRष साढ़े चालीस हजार हE । 20 उनके समीप मनँशे के गोऽ के रह , और उनका ूधान पदासूर का पुऽ गSलीएल होगा, 21 और उनके दल के िगने हुए पुRष बीस हजार दो सौ हE । 22 फर ब(यामीन के गोऽ म रह , और उनका ूधान िगदोनी का पुऽ अबीदान होगा, 23 और उनके दल के िगने हुए पुRष पEतीस हजार चार सौ हE । 24 एूैम क छावनी म

'जतने अपके अपके दलHके अनुसार िगने गए वे सब िमलकर एक लाख आठ हजार एक सौ पुRष हE । तीसरा कूच इनका हो। 25 उर अलंग पर दान क छावनी के फ+डे के लोग अपके अपके दलHके अनुसार रह , और उनका ूधान अSमीशXै का पुऽ अह:ऐजेर होगा, 26 और उनके दल के िगने हुए पुRष बासठ हजार सात सौ हE । 27 और उनके पास जो डे रे खड़े कर वे आशेर के गोऽ के रह , और उनका ूधान ओबान का पुऽ प कएल होगा, 28 और उनके दल के िगने

हुए पुRष साढ़े इकतालीस हजार हE । 29 फर नTाली के गोऽ के रह , और उनका ूधान एनान का पुऽ अह:रा होगा, 30 और उनके दल के िगने हुए पुRष ितरपन हजार चार सौ हE । 31 और दान क छावनी म 'जतने िगने गए वे सब िमलकर डे ढ़ लाख सात हजार छ: सौ हE । थे अपके अपके फ+डे के पास पास होकर सब से पीछे कूच कर । 32 इ\ाएिलयHम से जो अपके अपके पतरHके घराने के अनुसार िगने गए वे थे ह: हE ; और सब छाविनयHके 'जतने पुRष अपके अपके दलHके अनुसार िगने गए वे सब िमलकर छ: लाख तीन हजार साढ़े पांच सौ थे। 33 पर(तु यहोवा ने मूसा को जो आWा द: भी उसके अनुसार लेवीय तो इ\ाएिलयHम िगने नह:ं गए। 34 और जो जो आWा यहोवा ने मूसा को द: यी इ\ाएली उन आWाओं के अनुसार अपके अपके कुल और अपके अपके पतरHके घरानHके अनुसार, अपके अपके फ+डे के पास डे रे खड़े करते और कूच भी करते थे।। िगनती 3 1 'जस समय यहोवा ने सीनै पवOत के पास मूसा से बात क उस समय हाRन और मूसा क यह वंशावली यी। 2 हाRन के पुऽHके नाम थे हE : नादाब जो उसका जे ठा या, और अबीहू, एलीआजार और ईतामार; 3 हाRन के पुऽ, जो अिभषf याजक थे, और उनका संःकार याजक का काम करने के िलथे हुआ या उनके नाम थे ह: हE । 4 नादाब और अबीहू 'जस समय सीनै के जंगल म यहोवा के सSमुख ऊप क आग ले गए उसी समय यहोवा के साSहने मर गए थे; और वे पुऽह:न भी थे। एलीआजर और ईतामार अपके पता हाRन के साSहने याजक का काम करते रहे ।। 5 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 6 लेवी गोऽवालHको समीप ले आकर हाRन

याजक के साSहने खड़ा कर, क वे उसक सेवा टहल कर । 7 और जो कुछ उसक ओर से और सार: म+डली क ओर से उ(ह सxपा जाए उसक रझा वे िमलापवाले तSबू के सामहने कर , इस ूकार वे तSबू क सेवा कर ; 8 वे िमलापवाले तSबू के कुल सामान क और इ\ाएिलयHक सxपी हुई वःतुओं क भी रझा कर , इस ूकार वे तSबू क सेवा कर । 9 और तू लेवयHको हाRन और उसके पुऽHको सxप दे ; और वे इ\ाएिलयHक ओर से हाRन को सSपूणO र:ित से अपOण कए हुए हH। 10 और हाRन और उसके पुऽHको याजक के पद पर िनयुf कर, और वे अपके याजकपद क रझा कया कर ; और यद अ(य मनुंय समीप आए, तो वह मार डाला जाए।। 11 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 12 सुन इ\ाएली '\यHके सब पहलौठHक स(ती मE इ\ाएिलयHम से लेवयHको ले लेता हूं; सो लेवीय मेरे ह: हH। 13 सब पहलौठे मेरे हE ; यHक 'जस दन मE ने िमॐ दे श म के सब पहलौठHको मारा, उसी दन मE ने या मनुंय या पशु इ\ाएिलयHके सब पहलौठHको अपके िलथे पवऽ ठहराया; इसिलथे वे मेरे ह: ठहर गे; मE यहोवा हंू ।। 14 फर यहोवा ने सीनै के जंगल म मूसा से कहा, 15 लेवयHम से 'जतने पुRष एक मह:ने वा उस से अिधक अवःया के हHउनको उनके पतरHके घरानHऔर उनके कुलHके अनुसार िगन ले। 16 यह आWा पाकर मूसा ने यहोवा के कहे के अनुसार उनको िगन िलया। 17 लेवी के पुऽHके नाम थे हE , अयाOत ् गेशzन, कहात, और मरार:। 18 और गेशzन के पुऽ 'जन से उसके कुल चले उनके नाम थे हE , अयाOत ् िलcनी और िशमी। 19 कहात के पुऽ 'जन से उसके कुल चले उनके नाम थे हE , अयाOत ् अॆाम, ियसहार, हे ॄोन, और उGजीएल। 20 और मरार: के पुऽ 'जन से उसके कुल चले उनके नाम थे हE , अयाOत ् महली और मूशी। थे लेवयHके कुल

अपके पतरHके घरानHके अनुसार हE ।। 21 गेशzन से िल'cनयHऔर िशिमयHके कुल चले; गे शzनवंिशयHके कुल थे ह: हE । 22 इन म से 'जतने पुRषHक अवःया एक मह:ने क वा उस से अिधक यी, उन सभHक िगनती साढ़े सात हजार यी। 23 गेशzनवाले कुल िनवास के पीछे प'.छम क ओर अपके डे रे डाला कर ; 24 और गेशzिनयHके मूलपुRष से घराने का ूधान लाएल का पुऽ ए`यासाप हो। 25 और िमलापवाले तSबू क जो वःतुएं गेशzनवंिशयHको सxपी जाएं वे थे हH, अयाOत ् िनवास और तSबू, और उसका ओहार, और िमलापवाले तSबू से kार का पदाO, 26 और जो आंगन िनवास और वेद: क चारHओर है उसके पद , और उसके kार का पदाO, और सब डोgरयां जो उस म काम आती हE ।। 27 फर कहात से अॆािमयH, ियसहाgरयH, हे ॄोिनयH, और उGजीएिलयHके कुल चले; कहाितयHके कुल थे ह: हE । 28 उन म से 'जतने पुRषHक अवःया एक मह:ने क वा उस से अिधक यी उनक िगनती आठ हजार छ: सौ यी। वे पवऽ ःयान क रझा के उरदायी थे। 29 कहाितयHके कुल िनवास क उस अलंग पर अपके डे रे डाला कर जो द' खन क ओर है ; 30 और कहातवाले कुलHसे मूलपुRष के घराने का ूधान उGजीएल का पुऽ एलीसापान हो। 31 और जो वःतुएं उनको सxपी जाएं वे स(दक ू , मेज़, द:वट, वे दयां, और पवऽःयान का वह सामान 'जस से सेवा टहल होती है , और पदाO; िनदान पवऽःयान म काम म आनेवाला सारा सामान हो। 32 और लेवयHके ूधानHका ूधान हाRन याजक का पुऽ एलीआजार हो, और जो लोग पवऽःयान क सxपी हुई वःतुओं क रझा कर गे उन पर वह: मु'खया ठहरे ।। 33 फर मरार: से महिलयHऔर मूिशयHके कुल चले; मरार: के कुल थे ह: हE । 34 इन म से 'जतने पुRषHक अवःया एक मह:ने क वा उस से अिधक यी उन सभHक िगनती छ:

हजार दो सौ यी। 35 और मरार: के कुलHके मूलपुRष के घराने का ूधान अबीहै ल का पुऽ सूर:एल हो; थे लोग िनवास के उर क ओर अपके डे रे खड़े कर । 36 और जो वःतुएं मरार:वंिशयHको सxपी जाएं क वे उनक रझा कर , वे िनवास के त‡ते , ब ड़े, खSभे, कुिसया{, और सारा सामान; िनदान जो कुछ उसके बरतने म काम आए; 37 और चारHओर के आंगन के खSभे, और उनक कुिसया{, खूंटे और डोgरयां हH। 38 और जो िमलापवाले तSबू के साSहने, अयाOत ् िनवास के साSहने, पूरब क ओर जहां से सूयzदय होता है , अपके डे रे डाला कर , वे मूसा और हाRन और उसके पुऽHके डे रे हH, और पवऽःयान क रखवाली इ\ाएिलयHके बदले वे ह: कया कर , और दस ू रा जो कोई उसके समीप आए वह मार डाला जाए। 39 यहोवा क इस आWा को पाकर एक मह:ने क वा उस से अिधक अवःयावाले 'जतने लेवीय पुRषHको मूसा और हाRन ने उनके कुलHके अनुसार िगन िलया, वे सब के सब बाईस हजार थे।। 40 फर यहोवा ने मूसा से कहा, इ\ाएिलयHके 'जतने पहलौठे पुRषHक अवःया एक मह:ने क वा उस से अिधक है , उन सभHको नाम ले लेकर िगन ले। 41 और मेरे िलथे इ\ाएिलयHके सब पहलौठHक स(ती लेवयHको, और इ\ाएिलयHके पशुओं के सब पहलौठHक स(ती लेवयHके पशुओं को ले; मE यहोवा हंू । 42 यहोवा क इस आWा के अनुसार मूसा ने इ\ाएिलयHके सब पहलौठHको िगन िलया। 43 और सब पहलौठे पुRष 'जनक अवःया एक मह:ने क वा उस से अिधक यी, उनके नामHक िगनती बाईस हजार दो सौ ितहर यी।। 44 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 45 इ\ाएिलयHके सब पहलौठHक स(ती लेवयHको, और उनके पशुओं क स(ती लेवयHके पशुओं को ले; और लेवीय मेरे ह: हH; मE यहोवा हंू । 46 और इ\ाएिलयHके पहलौठHमे से जो

दो सौ ितहर िगनती म लेवयHसे अिधक हE , उनके छुड़ाने के िलथे, 47 पुRष पीछे पांच शेकेल ले; वे पवऽःयान के शेकेल के हसाब से हH, अयाOत ् बीस गेरा का शेकेल हो। 48 और जो Rपया उन अिधक पहलौठHक छुडौती का होगा उसे हाRन और उसके पुऽHको दे दे ना। 49 और जो इ\ाएली पहलौठे लेवयHके kारा छुड़ाए हुओं से अिधक थे उनके हाथ से मूसा ने छुड़ौती का Rपया िलया। 50 और एक हजार तीन सौ पEसठ शैकेल Rपया पवऽःयान के शेकेल के हसाब से वसूल हुआ। 51 और यहोवा क आWा के अनुसार मूसा ने छुड़ाए हुओं का Rपया हाRन और उसके पुऽHको दे दया।। िगनती 4 1 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 2 लेवयHम से कहाितयHक, उनके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार, िगनती करो, 3 अयाOत ् तीस वषO से लेकर पचास वषO तक क अवःयावालHक सेना म , 'जतने िमलापवाले तSबू म

कामकाज करने को भरती हE । 4 और िमलापवाले तSबू म परमपवऽ वःतुओं के वषय कहाितयHका यह काम होगा, 5 अयाOत ् जब जब छावनी का कूच हो तब तब हाRन और उसके पुऽ भीतर आकर, बीचवाले पद को उतार के उस से साझीपऽ के स(दक ू को ढं ◌ाप द ; 6 तब वे उस पर सूइसHक खालHका ओहार डाल , और उसके ऊपर सSपूणO नीले रं ग का कपड़ा डाल , और स(दक ू म ड+डHको लगाएं। 7 फर भ टवाली रोट: क मेज़ पर नीला कपड़ा बछाकर उस पर परातH, धूपदानH, करवH, और उं डे लने के कटोरHको रख ; और िनय क रोट: भी उस पर हो; 8 तब वे उन पर लाल रं ग का कपड़ा बछाकर उसको सुइसHक खालHके ओहार से ढ़ापे, और

मेज़ के ड+डHको लगा द । 9 फर वे नीले रं ग का कपड़ा लेकर द:पकH, गलतराशH, और गुलदानHसमेत उ'जयाला दे नेवाले द:वट को, और उसके सब तेल के पाऽHको 'जन से उसक सेवा टहल होती है ढांपे; 10 तब वे सारे सामान समेत द:वट को सूइसHक खालHके ओहार के भीतर रखकर ड+डे पर धर द । 11 फर वे सोने क वे द: पर एक नीला कपड़ा बछाकर उसको सूइसHक खालHके ओहार के भीतर रखकर ड+डे पर धर द । 12 तब वे सेवा टहल के सारे सामान को लेकर, 'जस से पवऽःयान म सेवा टहल होली है , नीले कपके के भीतर रखकर सूइसHक खालHके ओहार से ढांपे, और ड+डे पर धर द । 13 फर वे वे द: पर से सब राख उठाकर वेद: पर बEजनी रं ग का कपड़ा बछाएं; 14 तब 'जस सामान से वेद: पर क सेवा टहल होती है वह सब, अयाOत ् उसके करछे , कांटे, फावडय़ां, और कटोरे आद, वेद: का सारा सामान उस पर रख ; और उसके ऊपर सूइसHक खालHका ओहार बछाकर वेद: म ड+डHको लगाएं। 15 और जब हाRन और उसके पुऽ छावनी के कूच के समय पवऽःयान और उसके सारे सामान को ढं ◌ाप चुक , तब उसके बाद कहाती उसके उठाने के िलथे आएं, पर कसी पवऽ वःतु को न छुएं, कह:ं ऐसा न हो क मर जाएं। कहाितयHके उठाने के िलथे िमलापवाले तSबू क थे ह: वःतुएं हE । 16 और जो वःतुएं हाRन याजक के पुऽ एलीजार को रझा के िलथे सxपी जाएं वे थे हE , अयाOत ् उ'जयाला दे ने के िलथे तेल, और सुग'(धत धूप, और िनय अ(नबिल, और अिभषेक का तेल, और सारे िनवास, और उस म क सब वःतुए,ं और पवऽःयान और उसके कुल समान।। 17 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 18 कहाितयHके कुलHके गोऽयHको लेवयHम से नाश न होने दे ना; 19 उसके साय ऐसा करो, क जब वे परमपवऽ वःतुओं के समीप आएं तब न

मर पर(तु जीवत रह ; अयाOत ् हाRन और उसके पुऽ भीतर आकर एक एक के िलथे उसक सेवकाई और उसका भार ठहरा द , 20 और वे पवऽ वःतुओं के दे खने को झण भर के िलथे भी भीतर आने न पाएं, कह:ं ऐसा न हो क मर जाएं।। 21 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 22 गेशzिनयHक भी िगनती उनके पतरHके घरानHऔर कुलHके अनुसार कर; 23 तीस वषO से लेकर पचास वषO तक क अवःयावाले, 'जतने िमलापवाले तSबू म सेवा करने को सेना म भरती हHउन सभHको िगन ले। 24 सेवा करने और भार उठाने म गेशzिनयHके कुलवालHक यह सेवकाई हो; 25 अयाOत ् वे िनवास के पटH, और िमलापवाले तSबू और उसके ओहार, और इसके ऊपरवाले सूइसHक खालHके ओहार, और िमलापवाले तSबू के kार के पद , 26 और िनवास, और वेद: क चारHओर के आंगन के पदJ, और आंगन के kार के पद , और उनक डोgरयH, और उन म बरतने के सारे सामान, इन सभHको वे उठाया कर ; और इन वःतुओं से 'जतना काम होता है वह सब भी उनक सेवकाई म आए। 27 और गेशzिनयHके वंश क सार: सेवकाई हाRन और उसके पुऽHके कहने से हुआ करे , अयाOत ् जो कुछ उनको उठाना, और जो जो सेवकाई उनको करनी हो, उनका सारा भार तुम ह: उ(ह सौपा करो। 28 िमलापवाले तSबू म गेशzिनयHके कुलHक यह: सेवकाई ठहरे ; और उन पर हाRन याजक का पुऽ ईतामार अिध कारने रखे।। 29 फर मराgरयHको भी तू उनके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार िगन ल ; 30 तीस वषO से लेकर पचास वषO तक क अवःयावाले, 'जतने िमलापवाले तSबू क सेवा करने को सेना म भरती हH, उन सभHको िगन ले। 31 और िमलापवाले तSबू म क 'जन वःतुओं के उठाने क सेवकाई उनको िमले वे थे हH, अयाOत ् िनवास के त‡ते, बेड़े, खSभे, और

कुिसया{, 32 और चारHओर आंगन के खSभे, और इनक कुिसया{, खूंटे, डोgरयां, और भांित भांित के बरतने का सारा सामान; और जो जो सामान ढ़ोने के िलथे उनको सौपा जाए उस म से एक एक वःतु का नाम लेकर तुम िगन दो। 33 मराgरयHके कुलHक सार: सेवकाई जो उ(ह िमलापवाले तSबू के वषय करनी होगी वह यह: है ; वह हाRन याजक के पुऽ ईतामार के अिध कारने म रहे ।। 34 तब मूसा और हाRन और म+डली के ूधानHने कहाितयHके वंश को, उनके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार, 35 तीस वषO से लेकर पचास वषO क अवःया के, 'जतने िमलापवाले तSबू क सेवकाई करने को सेना म भरती हुए थे, उन सभHको िगन िलया; 36 और जो अपके अपके कुल के अनुसार िगने गए वे दो हजार साढ़े सात सौ थे। 37 कहाितयHके कुलHम से 'जतने िमलापवाले तSबू म

सेवा करने वाले िगने गए वे इतने ह: थे; जो आWा यहोवा ने मूसा के kारा द: यी उसी के अनुसार मूसा और हाRन ने इनको िगन िलया।। 38 और गेशzिनयHम से जो अपके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार िगने गए, 39 अयाOत ् तीस वषO से लेकर पचास वषO तक क अवःया के, जो िमलापवाले तSबू क सेवकाई करने को सेना म भरती हुए थे, 40 उनक िगनती उनके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार दो हजार छ: सौ तीस यी। 41 गे शzिनयHके कुलHम से 'जतने िमलापवाले तSबू म सेवा करनेवाले िगने गए वे इतने ह: थे; यहोवा क आWा के अनुसार मूसा और हाRन ने इनको िगन िलया।। 42 फर मराgरयHके कुलHम से जो अपके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार िगने गए, 43 अयाOत ् तीस वषO से लेकर पचास वषO तक क अवःया के, जो िमलापवाले तSबू क सेवकाई करने को सेना म भरती हुए थे, 44 उनक िगनती उनके कुलHके अनुसार तीन हजार दो सौ यी।

45 मराgरयHके कुलHम से 'जनको मूसा और हाRन ने, यहोवा क उस आWा के अनुसार जो मूसा के kारा िमली यी, िगन िलया वे इतने ह: थे।। 46 लेवयHम से 'जनको मूसा और हाRन और इ\ाएली ूधानHने उनके कुलHऔर पतरHके घरानHके अनुसार िगन िलया, 47 अयाOत ् तीस वषO से लेकर पचास वषO तक क अवःयावाले, 'जतने िमलापवाले तSबू क सेवकाई करने का बोफ उठाने का काम करने को हा'जर होने वाले थे, 48 उन सभHक िगनती आठ हजार पांच सौ अःसी यी। 49 थे अप क अप क सेवा और बोफ ढ़ोने के अनुसार यहोवा के कहने पर गए। जो आWा यहोवा ने मूसा को द: यी उसी के अनुसार वे िगने गए।। िगनती 5 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHको आWा दे , क वे सब कोढय़Hको, और 'जतनHके ूमेह हो, और 'जतने लोय के कारण अशुa हH, उन सभHको छावनी से िनकाल द ; 3 ऐसHको चाहे पुRष हHचाहे \ी छावनी से िनकालकर बाहर कर द ; कह:ं ऐसा न हो क तुSहार: छावनी, 'जसके बीच मE िनवास करता हंू , उनके कारण अशुa हो जाए। 4 और इ\ाएिलयHने वैसा ह: कया, अयाOत ् ऐसे लोगHको छावनी से िनकालकर बाहर कर दया; जैसा यहोवा ने मूसा से कहा या इ\ाएिलयHने वैसा ह: कया।। 5 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 6 इ\ाएिलयHसे कह, क जब कोई पुRष वा \ी ऐसा कोई पाप करके जो लोग कया करते हE यहोवा को व ासघात करे , और वह ूाणी दोषी हो, 7 तब वह अपना कया हुआ पाप मान ले; और पूरे मूल म पांचवां अंश बढ़ाकर अपके दोष के बदले म उसी को दे , 'जसके वषय दोषी हुआ हो। 8 पर(तु यद उस मनुंय का कोई कुटु Sबी न हो

'जसे दोष का बदला भर दया जाए, तो उस दोष का जो बदला यहोवा को भर दया जाए वह याजक का हो, और वह उस ूाय'_वाले मेढ़े से अिधक हो 'जस से उसके िलथे ूाय'_ कया जाए। 9 और 'जतनी पवऽ क हुई वःतुएं इ\ाएली उठाई हुई भ ट करके याजक के पास लाएं, वे उसी क हH; 10 सब मनुंयHक पवऽ क हुई वःतुएं उसी क ठहर ; कोई जो कुछ याजक को दे वह उसका ठहरे ।। 11 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 12 इ\ाएिलयHसे कह, क यद कसी मनुंय क \ी कुचाल चलकर उसका व ासघात करे , 13 और कोई पुRष उसके साय कुकमO करे , पर(तु यह बात उसके पित से िछपी हो और खुली न हो, और वह अशुa हो गई, पर(तु न तो उसके वRa कोई साझी हो, और न कुकमO करते पकड़: गई हो; 14 और उसके पित के मन म जलन उप(न हो, अयाOत ् वह अपके \ी पर जलने लगे और वह अशुa हुई हो; वा उसके मन म जलन उप(न हो, अयाOत ् वह अप क \ी पर जलने लगे पर(तु वह अशुa न हुई हो; 15 तो वह पुRष अप क \ी को याजक के पास ले जाए, और उसके िलथे एपा का दसवां अंश जव का मैदा चढ़ावा करके ले आए; पर(तु उस पर ते ल न डाले, न लोबान रखे, यHक वह जलनवाला और ःमरण दलानेवाला, अयाOत ् अधमO का ःमरण करानेवाला अ(नबिल होगा। 16 तब याजक उस \ी को समीप ले जाकर यहोवा के साSहने खड़: करे ; 17 और याजक िम=ट: के पाऽ म पवऽ जल ले, और िनवासःयान क भूिम पर क धूिल म से कुछ लेकर उस जल म डाल दे । 18 तब याजक उस \ी को यहोवा के साSहने खड़: करके उसके िसर के बाल बखराए, और ःमरण दलानेवाले अ(नबिल को जो जलनवाला है उसके हाथHपर धर दे । और अपके हाथ म याजक कडु वा जल िलथे रहे जो शाप लगाने का कारण होगा।

19 तब याजक \ी को शपय धरवाकर कहे , क यद कसी पुRष ने तुझ से कुकमO न कया हो, और तू पित को छोड़ दस ू रे क ओर फरके अशुa न हो गई हो, तो तू इस कडु वे जल के गुण से जो शाप का कारण होता है बची रहे । 20 पर यद तू अपके पित को छोड़ दस ू रे क ओर फरके अशुa हुई हो, और तेरे पित को छोड़ कसी दस ू रे पुRष ने तुझ से ूसंग कया हो, 21 (और याजक उसे शाप दे नेवाली शपय धराकर कहे ,) यहोवा तेर: जांघ सड़ाए और तेरा पेट फुलाए, और लोग तेरा नाम लेकर शाप और िध कार दया कर ; 22 अयाOत ् वह जल जो शाप का कारण होता है ते र: अंतडय़Hम जाकर तेरे पेट को फुलाए, और तेर: जांघ को सड़ा दे । तब वह \ी कहे , आमीन, आमीन। 23 तब याजक शाप के थे शcद पुःतक म

िलखकर उस कडु वे जल से िमटाके, 24 उस \ी को वह कडु वा जल पलाए जो शाप का कारण होगा उस \ी के पे ट म जाकर कडु वा हो जाएगा। 25 और याजक \ी के हाथ म से जलनवाले अ(नबिल को लेकर यहोवा के आगे हलाकर वेद: के समीप पहंु चाए; 26 और याजक उस अ(नबिल म से उसका ःमरण दलानेवाला भाग, अयाOत ् मु=ठq भर लेकर वेद: पर जलाए, और उसके बाद \ी को वह जल पलाए। 27 और जब वह उसे वह जल पला चुके, तब यद वह अशुa हुई हो और अपके पित का व ासघात कया हो, तो वह जल जो शाप का कारण होता है उस \ी के पेट म जाकर कडु वा हो जाएगा, और उसका पे ट फूलेगा, और उसक जांघ सड़ जाएगी, और उस \ी का नाम उसके लोगHके बीच ॐापत होगा। 28 पर यद वह \ी अशुa न हुई हो और शुa ह: हो, तो वह िनदzष ठहरे गी और गिभणh हो सकेगी। 29 जलन क eयवःया यह: है , चाहे कोई \ी अपके पित को छोड़ दस ू रे क ओर फरके अशुa हो, 30 चाहे पुRष के मन म जलन उप(न हो और वह

अप क \ी पर जलने लगे; तो वह उसको यहोवा के सSमुख खड़: कर दे , और याजक उस पर यह सार: eयवःया पूर: करे । 31 तब पुRष अधमO से बचा रहे गा, और \ी अपके अधमO का बोफ आप उठाएगी।। िगनती 6 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कह, क जब कोई पुRष वा \ी नाज़ीर क म(नत, अयाOत ् अपके को यहोवा के िलथे (यारा करने क वशेष म(नत माने, 3 तब वह दाखमधु आद मदरा से (यारा रहे ; वह न दाखमधु का, न और मदरा का िसरका पीए, और न दाख का कुछ रस भी पीए, वरन दाख न खाए, चाहे हर: हो चाहे सूखी। 4 'जतने दन यह (यारा रहे उतने दन तक वह बीज से ले िछलके तक, जो कुछ दाखलता से उप(न होता है , उस म से कुछ न खाए। 5 फर 'जतने दन उस ने (यारे रहने क म(नत मानी हो उतने दन तक वह अपके िसर पर छुरा न फराए; और जब तक वे दन पूरे न हH'जन म वह यहोवा के िलथे (यारा रहे तब तक वह पवऽ ठहरे गा, और अपके िसर के बालHको बढ़ाए रहे । 6 'जतने दन वह यहोवा के िलथे (यारा रहे उतने दन तक कसी लोय के पास न जाए। 7 चाहे उसका पता, वा माता, वा भाई, वा बहन भी मरे , तौभी वह उनके कारण अशुa न हो; यHक अपके परमे र के िलथे (यारा रहने का िच(ह उसके िसर पर होगा। 8 अपके (यारे रहने के सारे दनHम वह यहोवा के िलथे पवऽ ठहरा रहे । 9 और यद कोई उसके पास अचानक मर जाए, और उसके (यारे रहने का जो िच(ह उसके िसर पर होगा वह अशुa हो जाए, तो वह शुa होने के दन, अयाOत ् सातव दन अपके िसर मुड़ ं ाए। 10 और आठव दन वह

दो पंडुक वा कबूतर: के दो ब.चे िमलापवाले तSबू के kार पर याजक के पास ले जाए, 11 और याजक एक को पापबिल, और दस ू रे को होमबिल करके उसके िलथे ूाय'_ करे , यHक वह लोय के कारण पापी ठहरा है । और याजक उसी दन उसका िसर फर पवऽ करे , 12 और वह अपके (यारे रहने के दनHको फर यहोवा के िलथे (यारे ठहराए, और एक वषO का एक भेड़ का ब.चा दोषबिल करके ले आए; और जो दन इस से पहले बीत गए हHवे eययO िगने जाए, यHक उसके (यारे रहने का िच(ह अशुa हो गया।। 13 फर जब नाज़ीर के (यारे रहने के दन पूरे हH, उस समय के िलथे उसक यह eयवःया है ; अयाOत ् वह िमलापवाले तSबू के kार पर पहंु चाया जाए, 14 और वह यहोवा के िलथे होमबिल करके एक वषO का एक िनदzष भेड़ का ब.चा पापबिल करके, और एक वषO क एक िनदzष भेड़ क ब.ची, और मेलबिल के िलथे एक िनदzष मेढ़ा, 15 और अखमीर: रोटयHक एक टोकर:, अयाOत ् ते ल से सने हुए मैदे के फुलके, और तेल से चुप क हुई अखमीर: पपडय़ां, और उन बिलयHके अ(नबिल और अघO; थे सब चढ़ावे समीप ले जाए। 16 इन सब को याजक यहोवा के साSहने पहुंचाकर उसके पापबिल और होमबिल को चढ़ाए, 17 और अखमीर: रोट: क टोकर: समेत मेढ़े को यहोवा के िलथे मेलबिल करके, और उस मेलबिल के अ(नबिल और अघO को भी चढ़ाए। 18 तब नाज़ीर अपके (यारे रहने के िच(हवाले िसर को िमलापवाले तSबू के kार पर मु+डाकर अपके बालHको उस आग पर डाल दे जो मेलबिल के नीचे होगी। 19 फर जब नाज़ीर अपके (यारे रहने के िच(हवाले िसर को मु+डा चुके तब याजक मेढ़े को पकाया हुआ क(धा, और टोकर: म से एक अखमीर: रोट:, और एक अखमीर: पप क लेकर नाज़ीर के हाथHपर धर दे , 20 और याजक इनको हलाने क भ ट

करके यहोवा के साSहने हलाए; हलाई हुई छाती और उठाई हुई जांघ समेत थे भी याजक के िलथे पवऽ ठहर ; इसके बाद वह नाज़ीर दाखमधु पी सकेगा। 21 नाज़ीर क म(नत क, और जो चढ़ावा उसको अपके (यारे होने के कारण यहोवा के िलथे चढ़ाना होगा उसक भी यह: eयवःया है । जो चढ़ावा वह अप क पूंजी के अनुसार चढ़ा सके, उस से अिधक जैसी म(नत उस ने मानी हो, वैसे ह: अपके (यारे रहने क eयवःया के अनुसार उसे करना होगा।। 22 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 23 हाRन और उसके पुऽHसे कह, क तुम इ\ाएिलयHको इन वचनHसे आशीवाOद दया करना क, 24 यहोवा तुझे आशीष दे और तेर: रझा करे : 25 यहोवा तुझ पर अपके मुख का ूकाश चमकाए, और तुझ पर अनुमह करे : 26 यहोवा अपना मुख ते र: ओर करे , और तुझे शांित दे । 27 इस र:ित से मेरे नाम को इ\ाएिलयHपर रख , और मE उ(ह आशीष दया कRंगा।। िगनती 7 1 फर जब मूसा ने िनवास को खड़ा कया, और सारे सामान समेत उसका अिभषेक करके उसको पवऽ कया, और सारे सामान समेत वेद: का भी अिभषेक करके उसे पवऽ कया, 2 तब इ\ाएल के ूधान जो अपके अपके पतरHके घरानHके मु‡य पुRष, और गोऽHके भी ूधान होकर िगनती लेने के काम पर िनयुf थे, 3 वे यहोवा के साSहने भ ट ले आए, और उनक भ ट छ: छाई हुई गाडय़ां और बारह बैल थे, अयाOत ् दो दो ूधान क ओर से एक एक गाड़:, और एक एक ूधान क ओर से एक एक बैल; इ(ह वे िनवास के साSहने यहोवा के समीप ले गए। 4 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 5 उन वःतुओं को तू उन से ले ले,

क िमलापवाले तSबू के बरतन म काम आएं, सो तू उ(ह लेवयHके एक एक कुल क वशेष सेवकाई के अनुसार उनको बांट दे । 6 सो मूसा ने वे सब गाडय़ां और बैल लेकर लेवयHको दे दथे। 7 गेशzिनयHको उनक सेवकाई के अनुसार उस ने दो गाडय़ां और चार बैल दए; 8 और मराgरयHको उनक सेवकाई के अनुसार उस ने चार गाडय़ां और आठ बैल दए; थे सब हाRन याजक के पुऽ ईतामार के अिध कारने म कए गए। 9 और कहाितयHको उस ने कुछ न दया, यHक उनके िलथे पवऽ वःतुओं क यह सेवकाई यी क वह उसे अपके क(धHपर उठा िलया कर ।। 10 फर जब वेद: का अिभषे क हुआ तब ूधान उसके संःकार क भ ट वेद: के आगे समीप ले जाने लगे। 11 तब यहोवा ने मूसा से कहा, वेद: के संःकार के िलथे ूधान लोग अप क अप क भ ट अपके अपके िनयत दन पर चढ़ाएं।। 12 सो जो पुRष पहले दन अप क भ ट ले गया वह यहूदा गोऽवाले अSमीनादाब का पुऽ महशोन या; 13 उसक भ ट यह यी, अयाOत ् पवऽःयानवाले शेकेल के हसाब से एक सौ तीस शेकेल चांद: का एक परात, और सर शेकेल चांद: का एक कटोरा, थे दोनHअ(नबिल के िलथे तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे; 14 फर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान; 15 होमबिल के िलथे एक बछड़ा, एक मेढ़ा, और एक वषO का एक भेड़: का ब.चा; 16 पापबिल के िलथे एक बकरा; 17 और मेलबिल के िलथे दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे , और एक एक वषO के पांच बकरे , और एक एक वषO के पांच भेड़: के ब.चे। अSमीनादाब के पुऽ महशोन क यह: भ ट यी।। 18 और दस ू रे दन इःसाकार का ूधान सूआर का पुऽ नतनेल भ ट ले आया; 19 वह यह यी, अयाOत ् पवऽःयानवाले शेकेल के हसाब से एक सौ तीस शेकेल चांद: का एक परात,

और सर शेकेल चांद: का एक कटोरा, थे दोनHअ(नबिल के िलथे तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे; 20 फर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान; 21 होमबिल के िलथे एक बछड़ा, एक मेढ़ा, और एक वषO का एक भेड़: का ब.चा; 22 पापबिल के िलथे एक बकरा; 23 और मेलबिल के िलथे दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे , और एक एक वषO के पांच भेड़: के ब.चे। सूआर के पुऽ नतनेल क यह:ं भ ट यी।। 24 और तीसरे दन जबूलिू नयHका ूधान हे लोन का पुऽ एलीआब यह भ ट ले आया, 25 अयाOत ् पवऽःयानवाले शेकेल के हसाब से एक सौ तीस शेकेल चांद: का एक परात, और सर शेकेल चांद: का एक कटोरा, थे दोनHअ(नबिल के िलथे तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे; 26 फर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान; 27 होमबिल के िलथे एक बछड़ा, एक मेढ़ा, और एक वषO का एक भेड़: का ब.चा; 28 पापबिल के िलथे एक बकरा; 29 और मेलबिल के िलथे दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे , और एक एक वषO के पांच भेड़: के ब.चे। हे लोन के पुऽ एलीआब क यह:ं भ ट यी।। 30 और चौथे दन RबेिनयHका ूधान शदे ऊर का पुऽ एलीसूर यह भ ट ले आया, 31 अयाOत ् पवऽःयानवाले शेकेल के हसाब से एक सौ तीस शेकेल चांद: का एक परात, और सर शेकेल चांद: का एक कटोरा, थे दोनHअ(नबिल के िलथे तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे; 32 फर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान; 33 होमबिल के िलथे एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वषO का एक भेड़: का ब.चा; 34 पापबिल के िलथे एक बकरा; 35 और मेलबिल के िलथे दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे , और एक एक वषO के पांच भेड़: के ब.चे। शदे ऊर के पुऽ एलीसूर क यह:ं भ ट यी।। 36 और पांचव दन िशमोिनयHका

ूधान सूर:शXै का पुऽ शलूमीएल यह भ ट ले आया, 37 अयाOत ् पवऽःयानवाले शेकेल के हसाब से एक सौ तीस शेकेल चांद: का एक परात, और सर शेकेल चांद: का एक कटोरा, थे दोनHअ(नबिल के िलथे तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे; 38 फर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान; 39 होमबिल के िलथे एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वषO का एक भेड़: का ब.चा; 40 पापबिल के िलथे एक बकरा; 41 और मेलबिल के िलथे दो बैल, और पांच मेढ़े, और पं◌ाच बकरे , और एक एक वषO के पांच भेड़: के ब.चे। सूर:शXै के पुऽ शलूमीएल क यह: भ ट यी।। 42 और छठव दन गादयHका ूधान दए ू ल का पुऽ ए`यासाप यह भ ट ले आया, 43 अयाOत ् पवऽःयानवाले शेकेल के हसाब से एक सौ तीस शेकेल चांद: का एक परात, और सर शेकेल चांद: का एक कटोरा थे दोनHअ(नबिल के िलथे ते ल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे; 44 फर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान; 45 होमबिल के िलथे एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वषO का एक भेड़: का ब.चा; 46 पापबिल के िलथे एक बकरा; 47 और मेलबिल के िलथे दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे , और एक एक वषO के पांच भेड़: के ब.चे। दए ू ल के पुऽ ए`यासाप क यह:ं भ ट यी।। 48 और सातव दन एूैिमयHका ूधान अSमीहूद का पुऽ एलीशामा यह भ ट ले आया, 49 अयाOत ् पवऽःयानवाले शेकेल के हसाब से एक सौ तीस शेकेल चांद: का एक कटोरा, थे दोनHअ(नबिल के िलथे तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे; 50 फर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान; 51 होमबिल के िलथे एक बछड़ा, एक मेढ़ा, और एक वषO का एक भेड़: का ब.चा; 52 पापबिल के िलथे एक बकरा; 53 और मेलबिल के िलथे दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे , और

एक एक वषO के पांच भेड़: के ब.चे। अSमीहूद के पुऽ एलीशामा क यह:ं भ ट यी।। 54 और आठव दन मनँशेइयHका ूधान पदासूर का पुऽ गSलीएल यह भ ट ले आया, 55 अयाOत ् पवऽःयान के शेकेल के हसाब से एक सो तीस शेकेल चांद: का एक परात, और सर शेकेल चांद: का एक कटोरा, थे दोनHअ(नबिल के िलथे तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे; 56 फर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान; 57 होमबिल के िलथे एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वषO का एक भेड़: का ब.चा; 58 पापबिल के िलथे एक बकरा; 59 और मेलबिल के िलथे दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे , और एक एक वषO के पांच भेड: के ब.चे। पदासूर के पुऽ गSलीएल क यह:ं भ ट यी।। 60 और नव दन ब(यामीिनयHका ूधान िगदोनी का पुऽ अबीदान यह भ ट ले आया, 61 अयाOत ् पवऽःयान के शेकेल के हसाब से एक सौ तीस शेकेल चांद: का एक परात, और सर शेकेल चांद: का एक कटोरा, थे दोनHअ(नबिल के िलथे तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे; 62 फर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान; 63 होमबिल के िलथे एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वषO का एक भेड़: का ब.चा; 64 पापबिल के िलथे एक बकरा; 65 और मेलबिल के िलथे दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे , और एक एक वषO के पांच भेड़: के ब.चे। िगदोनी के पुऽ अबीदान क यह: भ ट यी।। 66 और दसव दन दािनयHका ूधान अSमीशXै का पुऽ अह:एजेर यह भ ट ले आया, 67 अयाOत ् पवऽःयान के शेकेल के हसाब से एक सौ तीस शेकेल चांद: का एक परात, और सर शेकेल चांद: का एक कटोरा, थे दोनHअ(नबिल के िलथे ते ल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे; 68 फर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान; 69 होमबिल के िलथे बछड़ा, और एक

मेढ़ा, और एक वषO का एक भेड़: का ब.चा; 70 पापबिल के िलथे एक बकरा; 71 और मेलबिल के िलथे दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे , और एक एक वषO के पांच भेड़: के ब.चे। अSमीशXै के पुऽ अह:एजेर क यह: भ ट यी।। 72 और bयारहव दन आशेgरयHका ूधान ओबान का पुऽ प कएल यह भ ट ले आया। 73 अयाOत ् पवऽःयान के शेकेल के हसाब से एक सौ तीस शेकेल चांद: का एक परात, और सर शेकेल चांद: का एक कटोरा, थे दोनHअ(नबिल के िलथे तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे; 74 फर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का धूपदान; 75 होमबिल के िलथे एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वषO का एक भेड़: का ब.चा; 76 पापबिल के िलथे एक बकरा; 77 और मेलबिल के िलथे दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे , और एक एक वषO के पांच भेड़: के ब.चे। ओबान के पुऽ प कएल क यह:ं भ ट यी।। 78 और बारहव दन नTािलयHका ूधान एनान का पुऽ अह:रा यह भ ट ले आया, 79 अयाOत ् पवऽःयान के शेकेल के हसाब से एक सौ तीस शेकेल चांद: का एक परात, और सर शेकेल चांद: का एक कटोरा, थे दोनHअ(नबिल के िलथे तेल से सने हुए और मैदे से भरे हुए थे; 80 फर धूप से भरा हुआ दस शेकेल सोने का एक धूपदान; 81 होमबिल के िलथे एक बछड़ा, और एक मेढ़ा, और एक वषO का एक भेड़: का ब.चा; 82 पापबिल के िलथे एक बकरा; 83 और मेलबिल के िलथे दो बैल, और पांच मेढ़े, और पांच बकरे , और एक एक वषO के पांच भेड़: के ब.चे। एनान के पुऽ अह:रा क यह: भ ट यी।। 84 वेद: के अिभषेक के समय इ\ाएल के ूधानHक ओर से उसके संःकार क भ ट यह: हुई, अयाOत ् चांद: के बारह परात, चांद: के बारह कटोरे , और सोने के बारह धूपदान। 85 एक एक चांद: का परात एक सौ तीस शेकेल का, और एक एक

चांद: का कटोरा सर शेकेल का या; और पवऽःयान के शेकेल के हसाब से थे सब चांद: के पाऽ दो हजार चार सौ शेकेल के थे। 86 फर धूप से भरे हुए सोने के बारह धूपदान जो पवऽःयान के शेकेल के हसाब से दस दस शेकेल के थे, वे सब धूपदान एक सौ बीस शेकेल सोने के थे। 87 फर होमबिल के िलथे सब िमलाकर बारह बछड़े , बारह मेढ़े, और एक एक वषO के बारह भेड़: के ब.चे, अपके अपके अ(नबिल सहत थे; फर पापबिल के सब बकरे बारह थे; 88 और मेलबिल के िलथे सब िमला कर चौबीस बैल, और साठ मेढ़े, और साठ बकरे , और एक एक वषO के साठ भेड़: के ब.चे थे। वेद: के अिभषे क होने के बाद उसके संःकार क भ ट यह: हुई। 89 और जब मूसा यहोवा से बात करने को िमलापवाले तSबू म गया, तब उस ने ूाय'_ के ढकने पर से, जो साझीपऽ के स(दक ू के ऊपर या, दोनHकRबHके म~य म से उसक आवाज सुनी जो उस से बात कर रहा या; और उस ने ( यहोवा ) उस से बात क।। िगनती 8 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 हाRन को समझाकर यह कह, क जब जब तू द:पकHको बारे तब तब सातHद:पक का ूकाश द:वट के साSहने हो। 3 िनदान हाRन ने वैसा ह: कया, अयाOत ् जो आWा यहोवा ने मूसा को द: यी उसी के अनुसार उस ने द:पकHको बारा, क वे द:वट के साSहने उ'जयाला दे । 4 और द:वट क बनावट यह यी, अयाOत ् यह पाए से लेकर फूलHतक गढ़े हुए सोने का बनाया गया या; जो नमूना यहोवा ने मूसा को दखलाया या उसी के अनुसार उस ने द:वट को बनाया।। 5 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 6 इ\ाएिलयHके म~य म से

लेवयHको अलग लेकर शुa कर। 7 उ(ह शुa करने के िलथे तू ऐसा कर, क पावन करने वाला जल उन पर िछड़क दे , फर वे सवा{ग मु+डन कराएं, और व\ धोएं, और वे अपके को ःवचछ कर । 8 तब वे तेल से सने हुए मैदे के अ(नबिल समेत एक बछड़ा ले ल , और तू पापबिल के िलथे एक दस ू रा बछड़ा लेना। 9 और तू लेवयHको िमलापवाले तSबू के साSहने समीप पहंु चाना, और इ\ाएिलयHक सार: म+डली को इक=ठा करना। 10 तब तू लेवयHको यहोवा के आगे समीप ले आना, और इ\ाएली अपके अपके हाथ उन पर रख , 11 तब हाRन लेवयHको यहोवा के साSहने इ\ाएिलयHक ओर से हलाई हुई भ ट करके अपOण करे , क वे यहोवा क सेवा करनेवाले ठहर । 12 और लेवीय अपके अपके हाथ उन बछड़Hके िसरHपर रख ; तब तू लेवयHके िलथे ूाय'_ करने को एक बछड़ा पापबिल और दस ू रा होमबिल करके यहोवा के िलथे चढ़ाना। 13 और लेवयHको हाRन और उसके पुऽHके सSमुख खड़ा करना, और उनको हलाने क भ ट के िलथे यहोवा को अपणO करना। 14 और उ(ह इ\ाएिलयHम से अलग करना, सो वे मेरे ह: ठहर गे। 15 और जब तू लेवयHको शुa करके हलाई हुई भ ट के िलथे अपOण कर चुके, उसके बाद वे िमलापवाले तSबू सSब(धी सेवा टहल करने के िलथे अ(दर आया कर । 16 यHक वे इ\ाएिलयHमे से मुझे पूर: र:ित से अपOण कए हुए हE ; मै ने उनको सब इ\ाएिलयHम से एक एक \ी के पहलौठे क स(ती अपना कर िलया है । 17 इ\ाएिलयHके पहलौठे , चाहे मनुंय के हHचाहे पशु के, सब मेरे हE ; यHक मE ने उ(ह उस समय अपके िलथे पवऽ ठहराया जब मE ने िमॐ दे श के सब पहलौठHको मार डाला। 18 और मE ने इ\ाएिलयHके सब पहलौठHके बदले लेवयHको िलया है । 19 उ(हे लेकर मै ने हाRन और उसके पुऽHको इ\ाएिलयHम

से दान करके दे दया है , क वे िमलापवाले तSबू म इ\ाएिलयHके िनिम सेवकाई और ूाय'_ कया कर , कह:ं ऐसा न हो क जब इ\ाएली पवऽःयान के समीप आएं तब उन पर कोई महावप आ पके। 20 लेवयHके वषय यहोवा क यह आWा पाकर मूसा और हाRन और इ\ाएिलयHक सार: म+डली ने उनके साय ठqक वैसा ह: कया। 21 लेवयHने तो अपके को पाप से पावन कया, और अपके वHको धो डाला; और हाRन ने उ(ह यहोवा के साSहने हलाई हुई भ ट के िनिम अपOण कया, और उ(ह शुa करने को उनके िलथे ूाय'_ भी कया। 22 और उसके बाद लेवीय हाRन और उसके पुऽHके साSहने िमलापवाले तSबू म

अप क अप क सेवकाई करने को गए; और जो आWा यहोवा ने मूसा को लेवयHके वषय म द: यी उसी के अनुसार वे उन से eयवहार करने लगे।। 23 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 24 जो लेवयHको करना है वह यह है , क प.च कस वषO क अवःया से लेकर उस से अिधक आयु म वे िमलापवाले तSबू सSब(धी काम करने के िलथे भीतर उप'ःयत हुआ कर ; 25 और जब पचास वषO के हHतो फर उस सेवा के िलथे न आए और न काम कर ; 26 पर(तु वे अपके भाई ब(धुओं के साय िमलापवाले तSबू के पास रझा का काम कया कर , और कसी ूकार क सेवकाई न कर । लेवयHको जो जो काम सxपे जाएं उनके वषय तू उन से ऐसा ह: करना।। िगनती 9 1 इ\ाएिलयHके िमॐ दे श से िनकलने के दस ू रे वषO के पहले मह:ने म यहोवा ने सीनै के जंगल म मूसा से कहा, 2 इ\ाएली फसह नाम पcबO को उसके िनयत

समय पर माना कर । 3 अयाOत ् इसी मह:ने के चौदहव दन को गोधूिल के समय तुम लोग उसे सब विधयHऔर िनयमHके अनुसार मानना। 4 तब मूसा ने इ\ाएिलयHसे फसह मानने के िलथे कह दया। 5 और उ(हHने पहले मह:ने के चौदहव दन को गोधूिल के समय सीनै के जंगल म फसह को माना; और जो जो आWाएं यहोवा ने मूसा को द: यीं उ(ह:ं के अनुसार इ\ाएिलयHने कया। 6 पर(तु कतने लोग कसी मनुंय क लोय के kारा अशुa होने के कारण उस दन फसह को न मान सके; वे उसी दन मूसा और हाRन के समीप जाकर मूसा से कहने लगे, 7 हम लोग एक मनुंय क लोय के कारण अशुa हE ; पर(तु हम यHRके रह , और इ\ाएिलयHके संग यहोवा का चढ़ावा िनयत समय पर यHन चढ़ाएं? 8 मूसा ने उन से कहा, ठहरे रहो, मै सुन लूं क यहोवा तुSहारे वषय म या आWा दे ता है । 9 यहोवा ने मूसा से कहा, 10 इ\ाएिलयHसे कह, क चाहे तुम लोग चाहे तुSहारे वंश म से कोई भी कसी लोय के कारण अशुa हो, वा दरू क याऽा पर हो, तौभी वह यहोवा के िलथे फसह को माने। 11 वे उसे दस ू रे मह:ने के चौदहव दन को गोधूिल के समय मान ; और फसह के बिलपशु के मांस को अखमीर: रोट: और कडु ए सागपात के साय खाएं। 12 और उस म से कुछ भी बहान तक न रख छोड़े , और न उसक कोई ह]ड: तोड़े ; वे उस पcबO को फसह क सार: विधयHके अनुसार मान । 13 पर(तु जो मनुंय शुa हो और याऽा पर न हो, पर(तु फसह के पcबO को न माने, वह ूाणी अपके लोगHम से नाश कया जाए, उस मनुंय को यहोवा का चढ़ावा िनयत समय पर न ले आने के कारण अपके पाप का बोफ उठाना पकेगा। 14 और यद कोई परदे शी तुSहारे साय रहकर चाहे क यहोवा के िलथे फसह माने, तो वह उसी विध और िनयम के अनुसार उसको माने; दे शी और परदे शी

दोनHके िलथे तुSहार: एक ह: विध हो।। 15 'जस दन िनवास जो साझी का तSबू भी कहलाता है खड़ा कया गया, उस दन बादल उस पर छा गया; और स(~या को वह िनवास पर आग सा दखाई दया और भोर तक दखाई दे ता रहा। 16 और िनय ऐसा ह: हुआ करता या; अयाOत ् दन को बादल छाया रहता, और रात को आग दखाई दे ती यी। 17 और जब जब वह बादल तSबू पर से उठ जाता तब इ\ाएली ूःयान करते थे; और 'जस ःयान पर बादल ठहर जाता वह:ं इ\ाएली अपके डे रे खड़े करते थे। 18 यहोवा क आWा से इ\ाएली कूच करते थे, और यहोवा ह: क आWा से वे डे रे खड़े भी करते थे; और 'जतने दन तक वह बादल िनवास पर ठहरा रहता उतने दन तक वे डे रे डाले पके रहते थे। 19 और जब जब बादल बहुत दन िनवास पर छाया रहता तब इ\ाएली यहोवा क आWा मानते , और ूःयान नह:ं करते थे। 20 और कभी कभी वह बादल योड़े ह: दन तक िनवास पर रहता, और तब भी वे यहोवा क आWा से डे रे डाले पके रहते थे और फर यहोवा क आWा ह: से ूःयान करते थे। 21 और कभी कभी बादल केवल स(~या से भोर तक रहता; और जब वह भोर को उठ जाता या तब वे ूःयान करते थे, और यद वह रात दन बराबर रहता तो जब बादल उठ जाता तब ह: वे ूःयान करते थे। 22 वह बादल चाहे दो दन, चाहे एक मह:ना, चाहे वषO भर, जब तक िनवास पर ठहरा रहता तब तक इ\ाएली अपके डे रHम रहते और ूःयान नह:ं करते थे; पर(तु जब वह उठ जाता तब वे ूःयान करते थे। 23 यहोवा क आWा से वे अपके डे र खड़े करते , और यहोवा ह: क आWा से वे ूःयान करते थे; जो आWा यहोवा मूसा के kारा दे ता या उसको वे माना करते थे।। िगनती 10

1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 चांद: क दो तुरहयां गढ़के बनाई जाएं; तू उनको म+डली के बुलाने, और छाविनयHके ूःयान करने म काम म लाना। 3 और जब वे दोनHफं◌ूक जाएं, तब सार: म+डली िमलापवाले तSबू के kार पर तेरे पास इक=ठq हो जाए। 4 और यद एक ह: तुरह: फूंक जाए, तो ूधान लोग जो इ\ाएल के हजारHके मु‡य पुRष हE तेरे पास इक=ठे हो जाएं। 5 जब तुम लोग सांस बा(धकर फूंको, तो पूरब दशा क छाविनयHका ूःयान हो। 6 और जब तुम दस ू र: बेर सांस बा(धकर फूंको, तब द' खन दशा क छाविनयHका ूःयान हो। उनके ूःयान करने के िलथे वे सांस बा(धकर फूंक । 7 और जब लोगHको इक=ठा करके सभा करनी हो तब भी फूंकना पर(तु सांस बा(धकर नह:ं। 8 और हाRन के पुऽ जो याजक हE वे उन तुरहयHको फूंका कर । यह बात तुSहार: पीढ़:-पीढ़: के िलथे सवOदा क विध रहे । 9 और जब तुम अपके दे श म कसी सतानेवाले बैर: से लड़ने को िनकलो, तब तुरहयHको सांस बा(धकर फूंकना, तब तुSहारे परमे र यहोवा को तुSहारा ःमरण आएगा, और तुम अपके शऽुओं से बचाए जाओगे । 10 और अपके आन(द के दन म , और अपके िनयत पcबJम , और मह:नHके आद म , अपके होमबिलयHऔर मेलबिलयHके साय उन तुरहयHको फूंकना; इस से तुSहारे परमे र को तुSहारा ःमरण आएगा; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू ।। 11 और दस ू रे वषO के दस ू रे मह:ने के बीसव दन को बादल साझी के िनवास पर से उठ गया, 12 तब इ\ाएली सीनै के जंगल म से िनकलकर ूःयान करके िनकले; और बादल पारान नाम जंगल म ठहर गया। 13 उनका ूःयान यहोवा क उस आWा के अनुसार जो उस ने मूसा को द: यी आरSभ हुआ। 14 और सब से पहले तो यहूदयHक छावनी के फंडे का ूःयान हुआ, और वे दल बा(धकर चले; और

उन का सेनापित अSमीनादाब का पुऽ नहशोन या। 15 और इःसाकाgरयHके गोऽ का सेनापित सूआर का पुऽ नतनेल या। 16 और जबूलिू नयHके गोऽ का सेनापित हे लोन का पुऽ एलीआब या। 17 तब िनवास उतारा गया, और गेशzिनयHऔर मराgरयHने जो िनवास को उठाते थे ूःयान कया। 18 फर Rबेन क छावनी फंडे का कूच हुआ, और वे भी दल बनाकर चले; और उनका सेनापित शदे ऊर का पुऽ एलीशूर या। 19 और िशमोिनयHके गोऽ का सेनापित सूर:शXै का पुऽ शलूमीएल या। 20 और गादयHके गोऽ का सेनापित दए ू ल का पुऽ ए`यासाप या। 21 तब कहाितयHने पवऽ वःतुओं को उठाए हुए ूःयान कया, और उनके पहंु चने तक गेशzिनयHऔर मराgरयHने िनवास को खड़ा कर दया। 22 फर एूैिमयHक छावनी के फंडे का कूच हुआ, और वे भी दल बनाकर चले; और उनका सेनापित अSमीहूद का पुऽ एलीशामा या। 23 और मनँशेइयHके गोऽ को सेनापित पदासूर का पुऽ गSलीएल या। 24 और ब(यामीिनयHके गोऽ का सेनापित िगदोनी का पुऽ अबीदान या। 25 फर दािनयHक छावनी जो सब छाविनयHके पीछे यी, उसके फंडे का ूःयान हुआ, और वे भी दल बना कर चले; और उनका सेनापित अSमीशXै का पुऽ अह:एजेर या। 26 और आशेgरयHके गोऽ का सेनापित ओबान का पुऽ प कएल या। 27 और नTािलयHके गोऽ का सेनापित एनान का पुऽ अह:रा या। 28 इ\ाएली इसी ूकार अपके अपके दलHके अनुसार ूःयान करते, और आगे बढ़ा करते थे। 29 और मूसा ने अपके ससुर Rएल िमrानी के पुऽ होबाब से कहा, हम लोग उस ःयान क याऽा करते हE 'जसके वषय म यहोवा ने कहा है , क मE उसे तुम को दं ग ू ा; सो तू भी हमारे संग चल, और हम तेर: भलाई कर गे; यHक यहोवा ने इ\ाएल के वषय म भला ह: कहा है । 30 होबाब ने उसे

उर दया, क मE नह:ं जाऊंगा; मE अपके दे श और कुटु 'SबयHम लौट जाऊंगा। 31 फर मूसा ने कहा, हम को न छोड़, यHक जंगल म कहां कहां डे रा खड़ा करना चाहथे, यह तुझे ह: मालूम है , तू हमारे िलथे आंखHका काम दे ना। 32 और यद तू हमारे संग चले, तो िन_य जो भलाई यहोवा हम से करे गा उसी के अनुसार हम भी तुझ से वैसा ह: कर गे।। 33 फर इ\ाएिलयHने यहोवा के पवOत से ूःयान करके तीन दन क याऽा क; और उन तीनHदनHके मागO म यहोवा क वाचा का स(दक ू उनके िलथे वौम का ःयान ढू ं ढ़ता हुआ उनके आगे आगे चलता रहा। 34 और जब वे छावनी के ःयान से ूःयान करते थे तब दन भर यहोवा का बादल उनके ऊपर छाया रहता या। 35 और जब जब स(दक ू का ूःयान होता या तब तब मूसा यह कहा करता या, क हे यहोवा, उठ, और ते रे शऽु ितर बर हो जाएं, और तेरे बैर: तेरे साSहने से भाग जाएं। 36 और जब जब वह ठहर जाता या तब तब मूसा कहा करता या, क हे यहोवा, हजारHफार इ\ाएिलयHम लौटकर आ जा।। िगनती 11 1 फर वे लोग बुड़बुड़ाने और यहोवा के सुनते बुरा कहने लगे ; िनदान यहोवा ने सुना, और उसका कोप भड़क उठा, और यहोवा क आग उनके म~य जल उठq, और छावनी के एक कनारे से भःम करने लगी। 2 तब मूसा के पास आकर िच`लाए; और मूसा ने यहोवा से ूायOना क, तब वह आग बुफ गई, 3 और उस ःयान का नाम तबेरा पड़ा, यHक यहोवा क आग उन म जल उठq यी।। 4 फर जो िमली-जुली भीड़ उनके साय यी वह कामुकता करने लगी; और इ\ाएली भी

फर रोने और कहने लगे, क हम मांस खाने को कौन दे गा। 5 हम वे मछिलयां ःमरण हE जो हम िमॐ म स तम त खाया करते थे, और वे खीरे , और खरबूजे, और ग(दने, और €याज, और लहसुन भी; 6 पर(तु अब हमारा जी घबरा गया है , यहां पर इस म(ना को छोड़ और कुछ भी दे ख नह:ं पड़ता। 7 म(ना तो धिनथे के समान या, और उसका रं ग Rप मोती का सा या। 8 लोग इधर उधर जाकर उसे बटोरते, और च क म पीसते वा ओखली म कूटते थे, फर तसले म पकाते, और उसके फुलके बनाते थे; और उसका ःवाद तेल म बने हुए पुए का सा या। 9 और रात को छावनी म ओस पड़ती यी तब उसके साय म(ना भी िगरता या। 10 और मूसा ने सब घरानHके आदिमयHको अपके अपके डे रे के kार पर रोते सुना; और यहोवा का कोप अय(त भड़का, और मूसा को भी बुरा मालूम हुआ। 11 तब मूसा ने यहोवा से कहा, तू अपके दास से यह बुरा eयवहार यHकरता है ? और या कारण है क मE ने तेर: l म अनुमह नह:ं पाया, क तू ने इन सब लोगHका भार मुझ पर डाला है ? 12 या थे सब लोग मेरे ह: कोख म पके थे? या मE ह: ने उनको उप(न कया, जो तू मुझ से कहता है , क जैसे पता दध ू पीते बालक को अप क गोद म उठाए उठाए फरता है , वैसे ह: मE इन लोगHको अप क गोद म

उठाकर उस दे श म ले जाऊं, 'जसके दे ने क शपय तू ने उनके पूवOजHसे खाई है ? 13 मुझे इतना मांस कहां से िमले क इन सब लोगHको दं ?ू थे तो यह कह कहकर मेरे पास रो रहे हE , क तू हमे मांस खाने को दे । 14 मE अकेला इन सब लोगHका भार नह:ं सSभाल सकता, कयHक यह मेर: शf के बाहर है । 15 और जो तुझे मेरे साय यह: eयवहार करना है , तो मुझ पर तेरा इतना अनुमह हो, क तू मेरे ूाण एकदम ले ले, 'जस से मE अप क दद ु O शा न दे खने पाऊं।। 16 यहोवा ने मूसा

से कहा, इ\ाएली पुरिनयHम से सर ऐसे पुRष मेरे पास इक=ठे कर, 'जनको तू जानता है क वे ूजा के पुरिनथे और उनके सरदार है क वे ूजा के पुरिनथे और उनके सरदार हE ; और िमलापवाले तSबू के पास ले आ, क वे तेरे साय यहां खड़े हH। 17 तब मE उतरकर तुझ से वहां बात कRंगा; और जो आमा तुझ म है उस म

से कुछ लेकर उन म समवाऊंगा; और वे इन लोगHका भार ते रे संग उठाए रह गे, और तुझे उसको अकेले उठाना न पकेगा। 18 और लोगHसे कह, कल के िलथे अपके को पवऽ करो, तब तुSह मांस खाने को िमलेगा; यHक तुम यहोवा के सुनते हुए यह कह कहकर रोए हो, क हम मांस खाने को कौन दे गा? हम िमॐ ह: म भले थे। सो यहोवा तुम को मांस खाने को दे गा, और तुम खाना। 19 फर तुम एक दन, वा दो, वा पांच, वा दस, वा बीस दन ह: नह:ं, 20 पर(तु मह:ने भर उसे खाते रहोगे, जब तक वह तुSहारे नयनHसे िनकलने न लगे और तुम को उस से घृणा न हो जाए, कयHक तुम लोगHने यहोवा को जो तुSहारे म~य म है तु.छ जाना है , और उसके साSहने यह कहकर रोए हो, क हम िमॐ से यHिनकल आए? 21 फर मूसा ने कहा, 'जन लोगHके बीच मE हूं उन म से छ: लाख तो €यादे ह: हE ; और तू ने कहा है , क मE उ(ह इतना मांस दं ग ू ा, क वे मह:ने भर उसे खाते ह: रह गे। 22 या वे सब भेड़-बकर: गाय-बैल उनके िलथे मारे जाए, क उनको मांस िमले? वा या समुि क सब मछिलयां उनके िलथे इक=ठq क जाएं, क उनको मांस िमले? 23 यहोवा ने मूसा से कहा, या यहोवा का हाथ छोटा हो गया है ? अब तू दे खेगा, क मेरा वचन जो मE ने तुझ से कहा है वह पूरा होता है क नह:ं। 24 तब मूसा ने बाहर जाकर ूजा के लोगHको यहोवा क बात कह सुनाई; और उनके पुरिनयHम से सर पुRष इक=ठे करके तSबू के चारHओर खड़े कए।

25 तब यहोवा बादल म होकर उतरा और उस ने मूसा से बात क, और जो आमा उस म यी उस म से लेकर उन सर पुरिनयHम समवा दया; और जब वह आमा उन म आई तब वे नबूवत करने लगे । पर(तु फर और कभी न क। 26 पर(तु दो मनुंय छावनी म रह गए थे, 'जस म से एक का नाम एलदाद और दस ू रे का मेदाद या, उन म भी आमा आई; थे भी उ(ह:ं म से थे 'जनके नाम िलख िलथे गथे थे, पर तSबू के पास न गए थे, और वे छावनी ह: म नबूवत करने लगे। 27 तब कसी जवान ने दौड़ कर मूसा को बतलाया, क एलदाद और मेदाद छावनी म नबूवत कर रहे हE । 28 तब नून का पुऽ यहोशू, जो मूसा का टहलुआ और उसके चुने हुए वीरHम से या, उस ने मूसा से कहा, हे मेरे ःवामी मूसा, उनको रोक दे । 29 मूसा ने उन से कहा, या तू मेरे कारण जलता है ? भला होता क यहोवा क सार: ूजा के लोग नबी होते, और यहोवा अपना आमा उन सभHम समवा दे ता! 30 तब फर मूसा इ\ाएल के पुरिनयHसमेत छावनी म चला गया। 31 तब यहोवा क ओर से एक बड़: आंधी आई, और वह समुि से बटे र उड़ाके छावनी पर और उसके चारHओर इतनी ले आL, क वे इधर उधर एक दन के मागO तक भूिम पर दो हाथ के लगभग ऊंचे तक छा गए। 32 और लोगHने उठकर उस दन भर और रात भर, और दस ू रे दन भी दन भर बटे रHको बटोरते रहे ; 'जस ने कम से कम बटोरा उस ने दस होमेर बटोरा; और उ(हHने उ(ह छावनी के चारHओर फैला दया। 33 मांस उनके मुह ं ह: म या, और वे उसे खाने न पाए थे, क यहोवा का कोप उन पर भड़क उठा, और उस ने उनको बहुत बड़: मार से मारा। 34 और उस ःयान का नाम कॄोयावा पड़ा, यHक 'जन लोगHने कामुकता क यी उनको वहां िम=ट: द: गई। 35 फर इ\ाएली कॄोयावा से ूःयान करके हसेरोत म पहंु चे, और वह:ं

रहे ।। िगनती 12 1 मूसा ने तो एक कूशी \ी के साय cयाह कर िलया या। सो मgरयम और हाRन उसक उस cयाहता कूशी \ी के कारण उसक िन(दा करने लगे ; 2 उ(हHने कहा, या यहोवा ने केवल मूसा ह: के साय बात क हE ? या उस ने हम से भी बात नह:ं कं? उनक यह बात यहोवा ने सुनी। 3 मूसा तो पृवी भर के रहने वाले मनुंयHसे बहुत अिधक नॆ ःवभाव का या। 4 सो यहोवा ने एकाएक मूसा और हाRन और मgरयम से कहा, तुम तीनHिमलापवाले तSबू के पास िनकल आओ। तब वे तीनHिनकल आए। 5 तब यहोवा ने बादल के खSभे म उतरकर तSबू के kार पर खड़ा होकर हाRन और मgरयम को बुलाया; सो वे दोनHउसके पास िनकल आए। 6 तब यहोवा ने कहा, मेर: बात सुनो: यद तुम म कोई नबी हो, तो उस पर मE यहोवा दशOन के kारा अपके आप को ूगट कRंगा, वा ःव€न म उस से बात

कRंगा। 7 पर(तु मेरा दास मूसा ऐसा नह:ं है ; वह तो मेरे सब घरानHमे व ास योbय है । 8 उस से मE गुT र:ित से नह:ं, पर(तु आSहने साSहने और ूयझ होकर बात करता हंू ; और वह यहोवा का ःवRप िनहारने पाता है । सो तुम मेरे दास मूसा क िन(दा करते हुए यHनह:ं डरे ? 9 तब यहोवा का कोप उन पर भड़का, और वह चला गया; 10 तब वह बादल तSबू के ऊपर से उठ गया, और मgरयम कोढ़ से हम के समान ेत हो गई। और हाRन ने मgरयम क ओर l क, और दे खा, क वह कोढ़न हो गई है । 11 तब हाRन मूसा से कहने लगा, हे मेरे ूभु, हम दोनHने जो मूखOता क वरन पाप भी कया, यह पाप हम पर न लगने दे ।

12 और मgरयम को उस मरे हुए के समान न रहने दे , 'जसक दे ह अप क मां के पे ट से िनकलते ह: अधगली हो। 13 सो मूसा ने यह कहकर यहोवा क दोहाई द:, हे ई र, कृपा कर, और उसको चंगा कर। 14 यहोवा ने मूसा से कहा, यद उसका पता उसके मुह ं पर यूका ह: होता, तो या सात दन तक वह ल'Gजत न रहती? सो वह सात दन तक छावनी से बाहर ब(द रहे , उसके बाद वह फर भीतर आने पाए। 15 सो मgरयम सात दन तक छावनी से बाहर ब(द रह:, और जब तक मgरयम फर आने न पाई तब तक लोगHने ूःयान न कया। 16 उसके बाद उ(हHने हसेरोत से ूःयान करके पारान नाम जंगल म अपके डे रे खड़े कए।। िगनती 13 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 कनान दे श 'जसे मE इ\ाएिलयHको दे ता हूं उसका भेद लेने के िलथे पुRषHको भेज; वे उनके पतरHके ूित गोऽ का एक ूधान पुRष हH। 3 यहोवा से यह आWा पाकर मूसा ने ऐसे पुRषHको पारान जंगल से भेज दया, जो सब के सब इ\ाएिलयHके ूधान थे। 4 उनके नाम थे हE , अयाOत ् Rबेन के गोऽ म से जककूर का पुऽ शSमू; 5 िशमोन के गोऽ म से होर: का पुऽ शापात; 6 यहूदा के गोऽ म से यपु(ने का पुऽ कालेब; 7 इःसाकार के गोऽ म से योसेप का पुऽ ियगाल; 8 एूैम के गोऽ म से नून का पुऽ होशे; 9 ब(यामीन के गोऽ म से रापू का पुऽ पलती; 10 जबूलन ू के गोऽ म से सोद: का पुऽ गX:एल; 11 यूसफ ु वंिशयHम , मनँशे के गोऽ म से सूसी का पुऽ गX:; 12 दान के गोऽ म से गम`ली का पुऽ अSमीएल; 13 आशेर के गोऽ म से मीकाएल का पुऽ सतूर; 14 नTाली के गोऽ म से वो€सी का पुऽ नहूबी; 15 गाद के गोऽ म से माक का पुऽ

गूएल। 16 'जन पुRषHको मूसा ने दे श का भेद लेने के िलथे भेजा या उनके नाम थे ह: हE । और नून के पुऽ होशे का नाम उस ने यहोशू रखा। 17 उन को कनान दे श के भेद लेने को भेजते समय मूसा ने कहा, इधर से, अयाOत ् द'झण दे श होकर जाओ, 18 और पहाड़: दे श म जाकर उस दे श को दे ख लो क कैसा है , और उस म बसे हुए लोगHको भी दे खो क वे बलवान ् हE वा िनबOल, योड़े हE वा बहुत, 19 और 'जस दे श म वे बसे हुए हE सो कैसा है , अ.छा वा बुरा, और वे कैसी कैसी ब'ःतयHम बसे हुए हE , और तSबुओं म रहते हE वा गढ़ वा कलHम रहते हE , 20 और वह दे श कैसा है , उपजाऊ है वा बंजर है , और उस म वृझ हE वा नह:ं। और तुम हयाव बा(धे चलो, और उस दे श क उपज म से कुछ लेते भी आना। वह समय पहली प क दाखHका या। 21 सो वे चल दए, और सीन नाम जंगल से ले रहोब तक, जो हमात के मागO म है , सारे दे श को दे खभालकर उसका भेद िलया। 22 सो वे द'झण दे श होकर चले, और हे ॄोन तक गए; वहां अह:मन, शेश,ै और त`मै नाम अनाकवंशी रहते थे। हे ॄोन तो िमॐ के सोअन से सात वषO पहले बसाया गया या। 23 तब वे एशकोल नाम नाले तक गए, और वहां से एक डाली दाखHके गु.छे समेत तोड़ ली, और दो मनुंय उस एक लाठq पर लटकाए हुए उठा ले चले गए; और वे अनारHऔर अंजीरHम से भी कुछ कुछ ले आए। 24 इ\ाएली वहां से जो दाखHका गु.छा तोड़ ले आए थे, इस कारण उस ःयान का नाम एशकोल नाला रखा गया। 25 चालीस दन के बाद वे उस दे श का भेद लेकर लौट आए। 26 और पारान जंगल के कादे श नाम ःयान म मूसा और हाRन और इ\ाएिलयHक सार: म+डली के पास पहंु चे; और उनको और सार: म+डली को संदेशा दया, और उस दे श के फल उनको दखाए। 27 उ(हHने मूसा से यह कहकर वणOन कया, क

'जस दे श म तू ने हम को भेजा या उस म हम गए; उस म सचमुच दध ू और मधु क धाराएं बहती हE , और उसक उपज म से यह: है । 28 पर(तु उस दे श के िनवासी बलवान ् हE , और उसके नगर गढ़वाले हE और बहुत बड़े हE ; और फर हम ने वहां अनाकवंिशयHको भी दे खा। 29 द'झण दे श म तो अमालेक बसे हुए हE ; और पहाड़: दे श म ही, यबूसी, और एमोर: रहते हE ; और समुि के कनारे कनारे और यरदन नद: के तट पर कनानी बसे हुए हE । 30 पर कालेब ने मूसा के साSहने ूजा के लोगHको चुप कराने क मनसा से कहा, हम अभी चढ़के उस दे श को अपना कर ल ; यHक िन:स(दे ह हम म ऐसा करने क शf है । 31 पर जो पुRष उसके संग गए थे उ(हHने कहा, उन लोगHपर चढ़ने क शf हम म नह:ं है ; यHक वे हम से बलवान ् हE । 32 और उ(हHने इ\ाएिलयHके साSहने उस दे श क 'जसका भेद उ(हHने िलया या यह कहकर िन(दा भी क, क वह दे श 'जसका भेद लेने को हम गथे थे ऐसा है , जो अपके िनवािस कH िनगल जाता है ; और 'जतने पुRष हम ने उस म दे खे वे सब के सब बड़े ड:ल डौल के हE । 33 फर हम ने वहां नपीलHको, अयाOत ् नपीली जाितवाले अनाकवंिशयHको दे खा; और हम अप क l म तो उनके साSहने ट]डे के सामान दखाई पड़ते थे, और ऐसे ह: उनक l म मालूम पड़ते थे।। िगनती 14 1 तब सार: म+डली िच`ला उठq; और रात भर वे लोग रोते ह: रहे । 2 और सब इ\ाएली मूसा और हाRन पर बुड़बुड़ाने लगे; और सार: म+डली उस ने कहने लगी, क भला होता क हम िमॐ ह: म मर जाते ! वा इस जंगल ह: म मर जाते! 3

और यहोवा हम को उस दे श म ले जाकर यHतलवार से मरवाना चाहता है ? हमार: '\यां और बालब.चे तो लूट म चल जाएंगे; या हमारे िलथे अ.छा नह:ं क हम िमॐ दे श को लौट जाएं? 4 फर वे आपस म कहने लगे, आओ, हम कसी को अपना ूधान बना ल , और िमॐ को लौट चल । 5 तब मूसा और हाRन इ\ाएिलयHक सार: म+डली के साSहने मुह ं के बल िगरे । 6 और नून का पुऽ यहोशू और यपु(ने का पुऽ कािलब, जो दे श के भेद लेनेवालHम से थे, अपके अपके व\ फाड़कर, 7 इ\ाएिलयHक सार: म+डली से कहने लगे, क 'जस दे श का भेद लेने को हम इधर उधर घूम कर आए हE , वह अय(त उम दे श है । 8 यद यहोवा हम से ूस(न हो, तो हम को उस दे श म , 'जस म दध ू और मधु क धाराएं बहती हE , पहुंचाकर उसे हमे दे दे गा। 9 केवल इतना करो क तुम यहोवा के वRa बलवा न करो; और न तो उस दे श के लोगHसे डरो, यHक वे हमार: रोट: ठहर गे; छाया उनके ऊपर से हट गई है , और यहोवा हमारे संग है ; उन से न डरो। 10 तब सार: म+डली िच`ला उठq, क इनको पयरवाह करो। तब यहोवा का ते ज सब इ\ाएिलयHपर ूकाशमान हुआ।। 11 तब यहोवा ने मूसा से कहा, वे लोग कब तक मेरा ितरःकार करते रह गे? और मेरे सब आ_यOकमO दे खने पर भी कब तक मुझ पर व ास न कर गे? 12 मE उ(ह मर: से माRंगा, और उनके िनज भाग से उ(ह िनकाल दं ग ू ा, और तुझ से एक जाित उपजाऊंगा जो उन से बड़: और बलव(त होगी। 13 मूसा ने यहोवा से कहा, तब तो िमॐी 'जनके म~य म से तू अप क सामयO दखाकर उन लोगHको िनकाल ले आया है यह सुन गे, 14 और इस दे श के िनवािस कH कह गे। उ(हHने तो यह सुना है , क तू जो यहोवा है इन लोगHके म~य म रहता है ; और ूयझ दखाई दे ता है , और तेरा बादल उनके

ऊपर ठहरा रहता है , और तू दन को बादल के खSभे म , और रात को अ'bन के खSभे म होकर इनके आगे आगे चला करता है । 15 इसिलथे यद तू इन लोगHको एक ह: बार म मार डाले, तो 'जन जाितयHने तेर: कर ् सुनी है वे कह गी, 16 क यहोवा उन लोगHको उस दे श म 'जसे उस ने उ(ह दे ने क शपय खाई यी पहंु चा न सका, इस कारण उस ने उ(ह जंगल म घात कर डाला है । 17 सो अब ूभु क सामयO क महमा तेरे इस कहने के अनुसार हो, 18 क यहोवा कोप करने म

धीरजव(त और अित कRणामय है , और अधमO और अपराध का झमा करनेवाला है , पर(तु वह दोषी को कसी ूकार से िनदzष न ठहराएगा, और पूवOजHके अधमO का द+ड उनके बेटH, और पोतH, और परपोतHको दे ता है । 19 अब इन लोगHके अधमO को अप क बड़: कRणा के अनुसार, और जैसे तू िमॐ से लेकर यहां तक झमा करता रहा है वैसे ह: अब भी झमा कर दे । 20 यहोवा ने कहा, ते र: बनती के अनुसार मE झमा करता हंू ; 21 पर(तु मेरे जीवन क शपय सचमुच सार: पृवी यहोवा क महमा से पgरपूणO हो जाएगी; 22 उन सब लोगHने 'ज(हHने मेर: महमा िमॐ दे श म और जंगल म दे खी, और मेरे कए हुए आ_यOकमJको दे खने पर भी दस बार मेर: प कझा क, और मेर: बात नह:ं मानी, 23 इसिलथे 'जस दे श के वषय मE ने उनके पूवOजHसे शपय खाई, उसको वे कभी दे खने न पाएंगे; अयाOत ् 'जतनHने मेरा अपमान कया है उन म से कोई भी उसे दे खने न पाएगा। 24 पर(तु इस कारण से क मेरे दास कािलब के साय और ह: आमा है , और उस ने पूर: र:ित से मेरा अनुकरण कया है , मE उसको उस दे श म 'जस म वह हो आया है पहंु चाऊंगा, और उसका वंश उस दे श का अिध कारनेी होगा। 25 अमालेक और कनानी लोग तराई म रहते हE , सो कल तुम घूमकर ूःयान करो, और लाल

समुि के मागO से जंगल म जाओ।। 26 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 27 यह बुर: म+डली मुझ पर बुड़बुड़ाती रहती है , उसको मE कब तक सहता रहूं? इ\ाएली जो मुझ पर बुड़बुड़ाते रहते हE , उनका यह बुड़बुड़ाना मE ने तो सुना है । 28 सो उन से कह, क यहोवा क यह वाणी है , क मेरे जीवन क शपय जो बात

तुम ने मेरे सुनते कह: हE , िन:स(दे ह मE उसी के अनुसार तुSहारे साय eयवहार कRंगा। 29 तुSहार: लोथ इसी जंगल म प क रह गी; और तुम सब म से बीस वषO क वा उस से अिधक अवःया के 'जतने िगने गए थे, और मुझ पर बुड़बुड़ाते थे, 30 उस म से यपु(ने के पुऽ कािलब और नून के पुऽ यहोशू को छोड़ कोई भी उस दे श म न जाने पाएगा, 'जसके वषय मE ने शपय खाई है क तुम को उस म

बसाऊंगा। 31 पर(तु तुSहारे बालब.चे 'जनके वषय तुम ने कहा है , क थे लूट म चले जाएंगे, उनको मE उस दे श म पहंु चा दं ग ू ा; और वे उस दे श को जान ल गे 'जस को तुम ने तु.छ जाना है । 32 पर(तु तुम लोगHक लोथ इसी जंगल म

प क रह गी। 33 और जब तक तुSहार: लोथ जंगल म न गल जाएं तक तक, अयाOत ् चालीस वषO तक, तुSहारे बालब.चे जंगल म तुSहारे eयिभचार का फल भोगते हुए चरवाह: करते रह गे। 34 'जतने दन तुम उस दे श का भेद लेते रहे , अयाOत ् चालीस दन उनक िगनती के अनुसार, दन पीछे उस वषO, अयाOत ् चालीस वषO तक तुम अपके अधमO का द+ड उठाए रहोगे, तब तुम जान लोगे क मेरा वरोध या है । 35 मE यहोवा यह कह चुका हूं, क इस बुर: म+डली के लोग जो मेरे वRa इक=ठे हुए हE उसी जंगल म मर िमट गे; और िन:स(दे ह ऐसा ह: कRंगा भी। 36 तब 'जन पुRषHको मूसा ने उस दे श के भेद लेने के िलथे भेजा या, और उ(हHने लौटकर उस दे श क नामधराई करके सार: म+डली को कुड़कुड़ाने के िलथे

उभारा या, 37 उस दे श क वे नामधराई करनेवाले पुRष यहोवा के मारने से उसके साSहने मर गथे। 38 पर(तु दे श के भेद लेनेवाले पुRषHम से नून का पुऽ यहोशू और यपु(ने का पुऽ कािलब दोनHजीवत रहे । 39 तब मूसा ने थे बात सब इ\ाएिलयHको कह सुनाई और वे बहुत वलाप करने लगे। 40 और वे बहान को सवेरे उठकर यह कहते हुए पहाड़ क चोट: पर चढ़ने लगे, क हम ने पाप कया है ; पर(तु अब तैयार हE , और उस ःयान को जाएंगे 'जसके वषय यहोवा ने वचन दया या। 41 तब मूसा ने कहा, तुम यहोवा क आWा का उ`लंघन यHकरते हो? यह सुफल न होगा। 42 यहोवा तुSहारे म~य म नह:ं है , मत चढ़ो, नह:ं तो शऽुओं से हार जाओगे । 43 वहां तुSहारे आगे अमालेक और कनानी लोग हE , सो तुम तलवार से मारे जाओगे; तुम यहोवा को छोड़कर फर गए हो, इसिलथे वह तुSहारे संग नह:ं रहे गा। 44 पर(तु वे ढठाई करके पहाड़ क चोट: पर चढ़ गए, पर(तु यहोवा क वाचा का स(दक ू , और मूसा, छावनी से न हटे । 45 अब अमालेक और कनानी जो उस पहाड़ पर रहते थे उन पर चढ़ आए, और होमाO तक उनको मारते चले आए।। िगनती 15 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे कह, क जब तुम अपके िनवास के दे श म पहंु चH, जो मE तुSहे दे ता हंू , 3 और यहोवा के िलथे या होमबिल, या मेलबिल, कोई हeय चढ़ावो, चाहे वह वशेष म(नत पूर: करने का हो चाहे ःवे.छाबिल का हो, चाहे तुSहारे िनयत समयHम का हो, या वह चाहे गाय-बैल चाहे भेड़-बकgरयHम का हो, 'जस से यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(ध हो; 4 तब

उस होमबिल वा मेलबिल के संग भेड़ के ब.चे पीछे यहोवा के िलथे चौयाई हन तेल से सना हुआ एपा का दसवां अंश मैदा अ(नबिल करके चढ़ाना, 5 और चौयाई हन दाखमधु अघO करके दे ना। 6 और मेढ़े पीछे ितहाई हन तेल से सना हुआ एपा का दो दसवां अंश मैदा अ(नबिल करके चढ़ाना; 7 और उसका अघO यहोवा को सुखदायक सुग(ध दे नेवाला ितहाई दन दाखमधु दे ना। 8 और जब तू यहोवा को होमबिल वा कसी वशेष म(नत पूर: करने के िलथे बिल वा मेलबिल करके बछड़ा चढ़ाए, 9 तब बछड़े का चढ़ानेवाला उसके संग आध हन तेल से सना हुआ एपा का तीन दसवां अंश मैदा अ(नबिल करके चढ़ाए। 10 और उसका अघO आध हन दाखमधु चढ़ाए, वह यहोवा को सुखदायक सुग(ध दे नेवाला हeय होगा। 11 एक एक बछड़े , वा मेढ़े, वा भेड़ के ब.चे, वा बकर: के ब.चे के साय इसी र:ित चढ़ावा चढ़ाया जाए। 12 तुSहारे बिलपशुओं क 'जतनी िगनती हो, उसी िगनती के अनुसार एक एक के साय ऐसा ह: कया करना। 13 'जतने दे शी हHवे यहोवा को सुखदायक सुग(ध दे नेवाला हeय चढ़ाते समय थे काम इसी र:ित से कया कर । 14 और यद कोई परदे शी तुSहारे संग रहता हो, वा तुSहार: कसी पीढ़: म तुSहारे बीच कोई रहनेवाला हो, और वह यहोवा को सुखदायक सुग(ध दे नेवाला हeय चढ़ाना चाहे , तो 'जस ूकार तुम करोगे उसी ूकार वह भी करे । 15 म+डली के िलथे, अयाOत ् तुSहारे और तुSहारे संग रहनेवाले परदे शी दोनHके िलथे एक ह: विध हो; तुSहार: पीढ़: पीढ़: म यह सदा क विध ठहरे , क जैसे तुम हो वैसे ह: परदे शी भी यहोवा के िलथे ठहरता है । 16 तुSहारे और तुSहारे संग रहनेवाले परदे िशयHके िलथे एक ह: eयवःया और एक ह: िनयम है ।। 17 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 18 इ\ाएिलयHको मेरा यह वचन सुना, क जब तुम उस

दे श म पहंु चो जहां मE तुम को िलथे जाता हंू , 19 और उस दे श क उपज का अ(न खाओ, तब यहोवा के िलथे उठाई हुई भ ट चढ़ाया करो। 20 अपके पहले गूंधे हुए आटे क एक पप क उठाई हुई भ ट करके यहोवा के िलथे चढ़ाना; जैसे तुम खिलहान म से उठाई हुई भ ट चढ़ाओगे वैसे ह: उसको भी उठाया करना। 21 अप क पीढ़: पीढ़: म अपके पहले गूंधे हुए आटे म से यहोवा को उठाई हुई भ ट दया करना।। 22 फर जब तुम इन सब आWाओं म से 'ज(ह यहोवा ने मूसा को दया है कसी का उ`लंघन भूल से करो, 23 अयाOत ् 'जस दन से यहोवा आWा दे ने लगा, और आगे क तुSहार: पीढ़: पीढ़: म उस दन से उस ने 'जतनी आWाएं मूसा के kारा द: हE , 24 उस म यद भूल से कया हुआ पाप म+डली के बना जाने हुआ हो, तो सार: म+डली यहोवा को सुखदायक सुग(ध दे नेवाला होमबिल करके एक बछड़ा, और उसके संग िनयम के अनुसार उसका अ(नबिल और अघO चढ़ाए, और पापबिल करके एक बकरा चढ़ाए। 25 जब याजक इ\ाएिलयHक सार: म+डली के िलथे ूाय'_ करे , और उनक झमा क जाएगी; यHक उनका पाप भूल से हुआ, और उ(हHने अप क भूल के िलथे अपना चढ़ावा, अयाOत ् यहोवा के िलथे हeय और अपना पापबिल उसके साSहने चढ़ाया। 26 सो इ\ाएिलयHक सार: म+डली का, और उसके बीच रहनेवाले परदे शी का भी, वह पाप झमा कया जाएगा, यHक वह सब लोगHके अनजान म हुआ। 27 फर यद कोई ूाणी भूल से पाप करे , तो वह एक वषO क एक बकर: पापबिल करके चढ़ाए। 28 और याजक भूल से पाप करनेवाले ूाणी के िलथे यहोवा के साSहने ूाय'_ करे ; सो इस ूाय'_ के कारण उसका वह पाप झमा कया जाएगा। 29 जो कोई भूल से कुछ करे , चाहे वह परदे शी होकर रहता हो, सब के िलथे तुSहार: एक ह: eयवःया

हो। 30 पर(तु या दे शी या परदे शी, जो ूाणी ढठाई से कुछ करे , वह यहोवा का अनादर करनेवाला ठहरे गा, और वह ूाणी अपके लोगHम से नाश कया जाए। 31 वह जो यहोवा का वचन तु.छ जानता है , और उसक आWा का टालनेवाला है , इसिलथे वह ूाणी िन_य नाश कया जाए; उसका अधमO उसी के िसर पकेगा।। 32 जब इ\ाएली जंगल म रहते थे, उन दनHएक मनुंय वौम के दन लकड़: बीनता हुआ िमला। 33 और 'जनको वह लकड़: बीनता हुआ िमला, वे उसको मूसा और हाRन, और सार: म+डली के पास ले गए। 34 उ(हHने उसको हवालात म रखा, यHक ऐसे मनुंय से या करना चाहथे वह ूकट नह:ं कया गया या। 35 तब यहोवा ने मूसा से कहा, वह मनुंय िन_य मार डाला जाए; सार: म+डली के लोग छावनी के बाहर उस पर पयरवाह कर । 36 सो जैसा यहोवा ने मूसा को आWा द: यी उसी के अनुसार सार: म+डली के लोगHने उसको छावनी से बाहर ले जाकर पयरवाह कया, और वह मर गया। 37 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 38 इ\ाएिलयHसे कह, क अप क पीढ़: पीढ़: म अपके वHके कोर पर फालर लगाया करना, और एक एक कोर क फालर पर एक नीला फता लगाया करना; 39 और वह तुSहारे िलथे ऐसी फालर ठहरे , 'जस से जब जब तुम उसे दे खो तब तब यहोवा क सार: आWाएं तुम हो ःमरण आ जाएं; और तुम उनका पालन करो, और तुम अपके अपके मन और अप क अप क l के वश म होकर eयिभचार न करते फरो जैसे करते आए हो। 40 पर(तु तुम यहोवा क सब आWाओं को ःमरण करके उनका पालन करो, और अपके परमे र के िलथे पवऽ बनो। 41 मE यहोवा तुSहारा परमे र हंू , जो तुSहे िमॐ दे श से िनकाल ले आया क तुSहारा परमे र ठहRं; मE तुSहारा परमे र यहोवा हंू ।।

िगनती 16 1 कोरह जो लेवी का परपोता, कहात का पोता, और ियसहार का पुऽ या, वह एलीआब के पुऽ दातान और अबीराम, और पेलेत के पुऽ ओन, 2 इन तीनHRबेिनयHसे िमलकर म+डली के अढ़ाई सौ ूधान, जो सभासद और नामी थे, उनको संग िलया; 3 और वे मूसा और हाRन के वRa उठ खड़े हुए, और उन से कहने लगे, तुम ने बहुत कया, अब बस करो; यHक सार: म+डली का एक एक मनुंय पवऽ है , और यहोवा उनके म~य म रहता है ; इसिलथे तुम यहोवा क म+डली म ऊंचे पदवाले यHबन बैठे हो? 4 यह सुनकर मूसा अपके मुह ं के बल िगरा; 5 फर उस ने कोरह और उसक सार: म+डली से कहा, क बहान को यहोवा दखला दे गा क उसका कौन है , और पवऽ कौन है , और उसको अपके समीप बुला लेगा; 'जसको वह आप चुन लेगा उसी को अपके समीप बुला भी लेगा। 6 इसिलथे, हे कोरह, तुम अप क सार: म+डली समेत यह करो, अयाOत ् अपना अपना धूपदान ठqक करो; 7 और कल उन म आग रखकर यहोवा के साSहने धूप दे ना, तब 'जसको यहोवा चुन ले वह: पवऽ ठहरे गा। हे लेवयH, तुम भी बड़: बड़: बात करते हो, अब बस करो। 8 फर मूसा ने कोरह से कहा, हे लेवयH, सुनो, 9 या यह तुSह छोट: बात जान पड़ती है , क इ\ाएल के परमे र ने तुम को इ\ाएल क म+डली से अलग करके अपके िनवास क सेवकाई करने, और म+डली के साSहने खड़े होकर उसक भी सेवा टहल करने के िलथे अपके समीप बुला िलया है ; 10 और तुझे और तेरे सब लेवी भाइयHको भी अपके समीप बुला िलया है ? फर भी तुम याजक पद के भी खोजी हो? 11 और इसी कारण तू ने अप क सार: म+डली को यहोवा के वRa इक=ठq कया है ; हाRन कौन है क

तुम उस पर बुड़बुड़ाते हो? 12 फर मूसा ने एलीआब के पुऽ दातान और अबीराम को बुलवा भेजा; और उ(हHने कहा, हम तेरे पास नह:ं आएंगे। 13 या यह एक छोट: बात है , क तू हम को ऐसे दे श से 'जस म दध ू और मधु क धाराएं बहती है इसिलथे िनकाल लाया है , क हम जंगल म मार डाले, फर या तू हमारे ऊपर ूधान भी बनकर अिध कारने जताता है ? 14 फर तू हम ऐसे दे श म जहां दध ू और मधु क धाराएं बहती हE नह:ं पहुंचाया, और न हम खेतHऔर दाख क बाgरयHके अिध कारनेी कया। या तू इन लोगHक आंखHम धूिल डालेगा? हम तो नह:ं आएंगे। 15 तब मूसा का कोप बहुत भड़क उठा, और उस ने यहोवा से कहा, उन लोगHक भ ट क ओर l न कर। मE ने तो उन से एक गदहा भी नह:ं िलया, और न उन म से कसी क हािन क है । 16 तब मूसा ने कोरह से कहा, कल तू अप क सार: म+डली को साय लेकर हाRन के साय यहोवा के साSहने हा'जर होना; 17 और तुम सब अपना अपना धूपदान लेकर उन म धूप दे ना, फर अपना अपना धूपदान जो सब समेत अढ़ाई सौ हHगे यहोवा के साSहने ले जाना; वशेष करके तू और हाRन अपना अपना धूपदान ले जाना। 18 सो उ(हHने अपना अपना धूपदान लेकर और उन म आग रखकर उन पर धूप डाला; और मूसा और हाRन के साय िमलापवाले तSबू के kार पर खड़े हुए। 19 और कोरह ने सार: म+डली को उनके वRa िमलापवाले तSबू के kार पर इक=ठा कर िलया। तब यहोवा का ते ज सार: म+डली को दखाई दया।। 20 तब यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 21 उस म+डली के बीच म से अलग हो जाओ। क मE उ(ह पल भर म भःम कर डालू।ं 22 तब वे मुह ं के बल िगरके कहने लगे, हे ई र, हे सब ूा'णयHके आमाओं के परमे र, या एक पुRष के पाप के कारण तेरा बोध सार: म+डली

पर होगा? 23 यहोवा ने मूसा से कहा, 24 म+डली के लोगHसे कह, क कोरह, दातान, और अबीराम के तSबुओं के आसपास से हट जाओ। 25 तब मूसा उठकर दातान और अबीराम के पास गया; और इ\ाएिलयHके वृa लोग उसके पीछे पीछे गए। 26 और उस ने म+डली के लोगHसे कहा, तुम उन द ु मनुंयHके डे रHके पास से हट जाओ, और उनक कोई वःतु न छूओ, कह:ं ऐसा न हो क तुम भी उनके सब पापHम फंसकर िमट जाओ। 27 यह सुन वे कोरह, दातान, और अबीराम के तSबुओं के आसपास से हट गए; पर(तु दातान और अबीराम िनकलकर अप क प'^यH, ब टH, और बालब.चHसमेत अपके अपके डे रे के kार पर खड़े हुए। 28 तब मूसा ने कहा, इस से तुम जान लोगे क यहोवा ने मुझे भेजा है क यह सब काम कRं, यHक मE ने अप क इ.छा से कुछ नह:ं कया। 29 यद उन मनुंयHक मृयु और सब मनुंयHके समान हो, और उनका द+ड सब मनुंयHके समान हो, तब जानHक मE यहोवा का भेजा हुआ नह:ं हंू । 30 पर(तु यद यहोवा अप क अनोखी शf ूकट करे , और पृवी अपना मुह ं पसारकर उनको, और उनका सब कुछ िनगल जाए, और वे जीते जी अधोलोक म जा पक , तो तुम समझ लो क इन मनुंयHने यहोवा का अपमान कया है । 31 वह थे सब बात कह ह: चुका या, क भूिम उन लोगHके पांव के नीचे फट गई; 32 और पृवी ने अपना मुह ं खोल दया और उनका और उनका घरkार का सामान, और कोरह के सब मनुंयHऔर उनक सार: सSप को भी िनगल िलया। 33 और वे और उनका सारा घरबार जीवत ह: अधोलोक म जा पके; और पृवी ने उनको ढं ◌ाप िलया, और वे म+डली के बीच म से न हो गए। 34 और 'जतने इ\ाएली उनके चारHओर थे वे उनका िच`लाना सुन यह कहते हुए भागे, क कह:ं पृवी हम को भी िनगल न ले!

35 तब यहोवा के पास से आग िनकली, और उन अढ़ाई सौ धूप चढ़ानेवालHको भःम कर डाला।। 36 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 37 हाRन याजक के पुऽ एलीआजार से कह, क उन धूपदानHको आग म से उठा ले; और आग के अंगारHको उधर ह: िछतरा दे , यHक वे पवऽ हE । 38 'ज(हHने पाप करके अपके ह: ूाणHक हािन क है , उनके धूपदानHके पर पीट पीटकर बनाए जाएं 'जस से क वह वेद: के मढ़ने के काम आवे; यHक उ(हHने यहोवा के साSहने रखा या; इस से वे पवऽ हE । इस ूकार वह इ\ाएिलयHके िलथे एक िनशान ठहरे गा। 39 सो एलीआजर याजक ने उन पीतल के धूपदानHको, 'जन म उन जले हुए मनुंयHने धूप चढ़ाया या, लेकर उनके पर पीटकर वेद: के मढ़ने के िलथे बनवा दए, 40 क इ\ाएिलयHको इस बात का ःमरण रहे क कोई दस ू रा, जो हाRन के वंश का न हो, यहोवा के साSहने धूप चढ़ाने को समीप न जाए, ऐसा न हो क वह भी कोरह और उसक म+डली के समान न हो जाए, जैसे क यहोवा ने मूसा के kारा उसको आWा द: यी।। 41 दस ू रे दन इ\ाएिलयHक सार: म+डली यह कहकर मूसा और हाRन पर बुड़बुड़ाने लगी, क यहोवा क ूजा को तुम ने मार डाला है । 42 और जब म+डली के लोग मूसा और हाRन के वRa इक=ठे हो रहे थे, तब उ(हHने िमलापवाले तSबू क ओर l क; और दे खा, क बादल ने उसे छा िलया है , और यहोवा का तेज दखाई दे रहा है । 43 तब मूसा और हाRन िमलापवाले तSबू के साSहने आए, 44 तब यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 45 तुम उस म+डली के लोगHके बीच से हट जाओ, क मE उ(ह पल भर म भःम कर डालू।ं तब वे मुह ं के बल िगरे । 46 और मूसा ने हाRन से कहा, धूपदान को लेकर उस म वेद: पर से आग रखकर उस पर धूप डाल, म+डली के पास फुरती से

जाकर उसके िलथे ूाय'_ कर; यHक यहोवा का कोप अय(त भड़का है , और मर: फैलने लगी है । 47 मूसा क आWा के अनुसार हाRन धूपदान लेकर म+डली के बीच म दौड़ा गया; और यह दे खकर क लोगHम मर: फैलने लगी है , उस ने धूप जलाकर लोगHके िलथे ूाय'_ कया। 48 और वह मुदJऔर जीवत के म~य म

खड़ा हुआ; तब मर: यम गई। 49 और जो कोरह के संग भागी होकर मर गए थे, उ(ह छोड़ जो लोग इस मर: से मर गए वे चौदह हजार सात सौ थे। 50 तब हाRन िमलापवाले तSबू के kार पर मूसा के पास लौट गया, और मर: यम गई।। िगनती 17 1 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHसे बात करके उन के पूवOजHके घरानHके अनुसार, उनके सब ूधानHके पास से एक एक छड़: ले; और उन बारह छडय़Hम से एक एक पर एक एक के मूल पुRष का नाम िलख, 3 और लेवयHक छड़: पर हाRन का नाम िलख। यHक इ\ाएिलयHके पूवOजHके घरानHके एक एक मु‡य पुRष क एक एक छड़: होगी। 4 और उन छडय़Hको िमलापवाले तSबू म

साझीपऽ के आगे , जहां मE तुम लोगHसे िमला करता हूं, रख दे । 5 और 'जस पुRष को मE चुनग ूं ा उसक छड़: म किलयां फूट िनकल गी; और इ\ाएली जो तुम पर बुड़बुड़ाते रहते हE , वह बुड़बुड़ाना मE अपके ऊपर से दरू कRंगा। 6 सो मूसा ने इ\ाएिलयHसे यह बात कह:; और उनके सब ूधानHने अपके अपके िलथे, अपके अपके पूवOजHके घरानHके अनुसार, एक एक छड़: उसे द:, सो बारह छडय़ां हुई; और उन क छडय़Hम हाRन क भी छड़: यी। 7 उन छडय़Hको मूसा ने साझीपऽ के तSबू म यहोवा के साSहने रख दया। 8 दस ू रे दन मूसा साझीपऽ के तSबू म

गया; तो या दे खा, क हाRन क छड़: जो लेवी के घराने के िलथे यी उस म

किलयां फूट िनकली, अयाOत ् उस म किलयां लगीं, और फूल भी फूले, और पके बादाम भी लगे हE । 9 सो मूसा उन सब छडय़Hको यहोवा के साSहने से िनकालकर सब इ\ाएिलयHके पास ले गया; और उ(हHने अप क अप क छड़: पहचानकर ले ली। 10 फर यहोवा ने मूसा से कहा, हाRन क छड़: को साझीपऽ के साSहने फर धर दे , क यह उन दं गा करनेवालो के िलथे एक िनशान बनकर रखी रहे , क तू उनका बुड़बुड़ाना जो मेरे वRa होता रहता है भवंय म रोक रखे, ऐसा न हो क वे मर जाएं। 11 और मूसा ने यहोवा क इस आWा के अनुसार ह: कया।। 12 तब इ\ाएली मूसा से कहने लगे, दे ख, हमारे ूाण िनकला चाहते हE , हम न हुए, हम सब के सब न हुए जाते हE । 13 जो कोई यहोवा के िनवास के समीप जाता है वह मारा जाता है । तो या हम सब के सब मर ह: जाएंगे।। िगनती 18 1 फर यहोवा ने हाRन से कहा, क पवऽःयान के अधमO का भार तुझ पर, और तेरे पुऽHऔर ते रे पता के घराने पर होगा; और तुSहारा याजक कमO के अधमO का भार भी तेरे पुऽHपर होगा। 2 और लेवी का गोऽ, अयाOत ् ते रे मूलपुRष के गोऽवाले जो ते रे भाई हE , उनको भी अपके साय ले आया कर, और वे तुझ से िमल जाएं, और ते र: सेवा टहल कया कर , पर(तु साझीपऽ के तSबू के साSहने तू और ते रे पुऽ ह: आया कर । 3 जो तुझे सxपा गया है उसक और सारे तSबू क भी वे रझा कया कर ; पर(तु पवऽःयान के पाऽHके और वेद: के समीप न आएं, ऐसा न हो क वे और तुम लोग भी मर जाओ। 4 सो वे तुझ से िमल जाएं, और िमलापवाले

तSबू क सार: सेवकाई क वःतुओं क रझा कया कर ; पर(तु जो तेरे कुल का न हो वह तुम लोगHके समीप न आने पाए। 5 और पवऽःयान और वेद: क रखवाली तुम ह: कया करो, 'जस से इ\ाएिलयHपर फर कोप न भड़के। 6 पर(तु मE ने आप तुSहारे लेवी भाइयHको इ\ाएिलयHके बीच से अलग कर िलया है , और वे िमलापवाले तSबू क सेवा करने के िलथे तुम को और यहोवा को सxप दथे गए हE । 7 पर वेद: क और बीचवाले पद के भीतर क बातHक सेवकाई के िलथे तू और तेरे पुऽ अपके याजकपद क रझा करना, और तुम ह: सेवा कया करना; यHक मE तुSह याजकपद क सेवकाई दान करता हंू ; और जो तेरे कुल का न हो वह यद समीप आए तो मार डाला जाए।। 8 फर यहोवा ने हाRन से कहा, सुन, मै आप तुझ को उठाई हुई भ ट सxप दे ता हूं, अयाOत ् इ\ाएिलयHक पवऽ क हुई वःतुए;ं 'जतनी हHउ(ह मE ते रा अिभषेक वाला भाग ठहराकर तुझे और तेरे पुऽHको सदा का हक करके दे दे ता हंू । 9 जो परमपवऽ वःतुएं आग म होम न ह: जाएंगी वे तेर: ह: ठहर , अयाOत ् इ\ाएिलयHके सब चढ़ावHम से उनके सब अ(नबिल, सब पापबिल, और सब दोषबिल, जो वे मुझ को द , वह ते रे और ते रे पुऽHके िलथे परमपवऽ ठहर । 10 उनको परमपवऽ वःतु जानकर खाया करना; उनको हर एक पुRष खा सकता है ; वे तेरे िलथे पवऽ हE । 11 फर थे वःतुएं भी तेर: ठहर , अयाOत ् 'जतनी भ ट इ\ाएली हलाने के िलथे द , उनको मE तुझे और तेरे बे टे-बे टयHको सदा का हक करके दे दे ता हूं; ते रे घराने म 'जतने शुa हHवह उ(ह

खा सक गे। 12 फर उम से उम नया दाखमधु, और गेहंू , अयाOत ् इनक पहली उपज जो वे यहोवा को द , वह मE तुझ को दे ता हंू । 13 उनके दे श के सब ूकार क पहली उपज, जो वे यहोवा के िलथे ले आएं, वह तेर: ह: ठहरे ; तेरे घराने म 'जतने

शुa हHवे उ(ह खा सक ग । 14 इ\ाएिलयHम जो कुछ अपOण कया जाए वह भी तेरा ह: ठहरे । 15 सब ूा'णयHम से 'जतने अप क अप क मां के पहलौठे हH, 'ज(ह लोग यहोवा के िलथे चढ़ाएं, चाहे मनुंय के चाहे पशु के पहलौठे हH, वे सब तेरे ह: ठहर ; पर(तु मनुंयHऔर अशुa पशुओं के पहलौठHको दाम लेकर छोड़ दे ना। 16 और 'ज(ह छुड़ाना हो, जब वे मह:ने भर के हHतब उनके िलथे अपके ठहराए हुए मोल के अनुसार, अयाOत ् पवऽःयान के बीस गेरा के शेकेल के हसाब से पांच शेकेल लेके उ(ह छोड़ना। 17 पर गाय, वा भेड़:, वा बकर: के पहलौठे को न छोड़ना; वे तो पवऽ हE । उनके लोहू को वेद: पर िछड़क दे ना, और उनक चरबी को हeय करके जलाना, 'जस से यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(ध हो; 18 पर(तु उनका मांस तेरा ठहरे , और हलाई हुई छाती, और दहनी जांघ भी तेरा ह: ठहरे । 19 पवऽ वःतुओं क 'जतनी भ ट इ\ाएली यहोवा को द , उन सभHको मE तुझे और ते रे बे टे-बे टयHको सदा का हक करके दे दे ता हंू : यह तो तेरे और तेरे वंश के िलथे यहोवा क सदा के िलथे नमक क अटल वाचा है । 20 फर यहोवा ने हाRन से कहा, इ\ाएिलयHके दे श म तेरा कोई भाग न होगा, और न उनके बीच तेरा कोई अंश होगा; उनके बीच तेरा भाग और तेरा अंश मE ह: हंू ।। 21 फर िमलापवाले तSबू क जो सेवा लेवी करते हE उसके बदले मE उनको इ\ाएिलयHका सब दशमांश उनका िनज भाग कर दे ता हंू । 22 और भवंय म इ\ाएली िमलापवाले तSबू के समीप न आएं, ऐसा न हो क उनके िसर पर पाप लगे, और वे मर जाएं। 23 पर(तु लेवी िमलापवाले तSबू क सेवा कया कर , और उनके अधमO का भार वे ह: उठाया कर ; यह तुSहार: पीढ़:यHम सदा क विध ठहरे ; और इ\ाएिलयHके बीच उनका कोई िनज भाग न होगा। 24 यHक इ\ाएली जो

दशमांश यहोवा को उठाई हुई भ ट करके द गे, उसे मE लेवयHको िनज भाग करके दे ता हूं, इसीिलथे मE ने उनके वषय म कहा है , क इ\ाएिलयHके बीच कोई भाग उनको न िमले। 25 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 26 तू लेवयHसे कह, क जब जब तुम इ\ाएिलयHके हाथ से वह दशमांश लो 'जसे यहोवा तुम को तुSहारा िनज भाग करके उन से दलाता है , तब तब उस म से यहोवा के िलथे एक उठाई हुई भ ट करके दशमांश का दशमांश दे ना। 27 और तुSहार: उठाई हुई भ ट तुSहारे हत के िलथे ऐसी िगनी जाएगी जैसा खिलहान म का अ(न, वा रसकु+ड म का दाखरस िगना जाता है । 28 इस र:ित तुम भी अपके सब दशमांशHम से, जो इ\ाएिलयHक ओर से पाओगे, यहोवा को एक उठाई हुई भ ट दे ना; और यहोवा क यह उठाई हुई भ ट हाRन याजक को दया करना। 29 'जतने दान तुम पाओ उन म से हर एक का उम से उम भाग, जो पवऽ ठहरा है , सो उसे यहोवा के िलथे उठाई हुई भ ट करके पूर: पूर: दे ना। 30 इसिलथे तू लेवयHसे कह, क जब तुम उस म का उम से उम भाग उठाकर दो, तब यह तुSहारे िलथे खिलहान म

के अ(न, और रसकु+ड के रस के तु`य िगना जाएगा; 31 और उसको तुम अपके घरानHसमेत सब ःयानHम खा सकते हो, यHक िमलापवाले तSबू क जो सेवा तुम करोगे उसका बदला यह: ठहरा है । 32 और जब तुम उसका उम से उम भाग उठाकर दो तब उसके कारण तुम को पाप न लगेगा। पर(तु इ\ाएिलयHक पवऽ क हुई वःतुओं को अपवऽ न करना, ऐसा न हो क तुम मर जाओ।। िगनती 19 1 फर यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 2 eयवःया क 'जस विध क आWा

यहोवा दे ता है वह यह है ; क तू इ\ाएिलयHसे कह, क मेरे पास एक लाल िनदzष बिछया ले आओ, 'जस म कोई भी दोष न हो, और 'जस पर जूआ कभी न रखा गया हो। 3 तब एलीआजर याजक को दो, और वह उसे छावनी से बाहर ले जाए, और कोई उसको उसके सSहने बिलदान करे ; 4 तब एलीआजर याजक अप क उं गली से उसका कुछ लोहू लेकर िमलापवाले तSबू के साSहने क ओर सात बार िछड़क दे । 5 तब कोई उस बिछया को खाल, मांस, लोहू, और गोबर समेत उसके साSहने जलाए; 6 और याजक दे वदाR क लकड़:, जूफा, और लाल रं ग का कपड़ा लेकर उस आग म 'जस म बिछया जलती हो डाल दे । 7 तब वह अपके व\ धोए और ःनान करे , इसके बाद छावनी म तो आए, पर(तु सांफ तक अशुa रहे । 8 और जो मनुंय उसको जलाए वह भी जल से अपके व\ धोए और ःनान करे , और सांफ तक अशुa रहे । 9 फर कोई शुa पुRष उस बिछया क राख बटोरकर छावनी के बाहर कसी शुa ःयान म रख छोड़े ; और वह राख इ\ाएिलयHक म+डली के िलथे अशुaता से छुड़ानेवाले जल के िलथे रखी रहे ; वह तो पापबिल है । 10 और जो मनुंय बिछया क राख बटोरे वह अपके व\ धोए, और सांफ तक अशुa रहे । और यह इ\ाएिलयHके िलथे, और उनके बीच रहनेवाले परदे िशयHके िलथे भी सदा क विध ठहरे । 11 जो कसी मनुंय क लोय छूए वह सात दन तक अशुa रहे ; 12 ऐसा मनुंय तीसरे दन उस जल से पाप छुड़ाकर अपके को पावन करे , और सातव दन शुa ठहरे ; पर(तु यद वह तीसरे दन आप को पाप छुड़ाकर पावन न करे , तो सातव दन शुa ठहरे गा। 13 जो कोई कसी मनुंय क लोय छूकर पाप छुड़ाकर अपके को पावन न करे , वह यहोवा के िनवासःयान का अशुa करनेवाला ठहरे गा, और वह ूाणी इ\ाएल म से नाश कया जाए;

अशुaता से छुड़ानेवाला जल उस पर न िछड़का गया, इस कारण वह अशुa ठहरे गा, उसक अशुaता उस म बची रहे गी। 14 यद कोई मनुंय डे रे म मर जाए तो eयवःया यह यह है , क 'जतने उस डे रे म रह , वा उस म जाएं, वे सब सात दन तक अशुa रह । 15 और हर एक खुला हुआ पाऽ, 'जस पर कोई ढकना लगा न हो, वह अशुa ठहरे । 16 और जो कोई मैदान म तलवार से मारे हुए को, वा अप क मृयु से मरे हुए को, वा मनुंय क ह]ड: को, वा कसी कॄ को छूए, तो सात दन तक अशुa रहे । 17 अशुa मनुंय के िलथे जलाए हुए पापबिल क राख म से कुछ लेकर पाऽ म डालकर उस पर सोते का जल डाला जाए; 18 तब कोई शुa मनुंय जूफा लेकर उस जल म डु बाकर जल को उस डे रे पर, और 'जतने पाऽ और मनुंय उस म हH, उन पर िछड़के, और ह]ड: के, वा मारे हुए के, वा अप क मृयु से मरे हुए के, वा कॄ के छूनेवाले पर िछड़क दे ; 19 वह शुa पुRष तीसरे दन और सातव दन उस अशुa मनुंय पर िछड़के; और सातव दन वह उसके पाप छुड़ाकर उसको पावन करे , तब वह अपके वHको धोकर और जल से ःनान करके सांफ को शुa ठहरे । 20 और जो कोई अशुa होकर अपके पाप छुड़ाकर अपके को पावन न कराए, वह ूाणी यहोवा के पवऽ ःयान का अशुa करनेवाला ठहरे गा, इस कारण वह म+डली के बीच म से नाश कया जाए; अशुaता से छुड़ानेवाला जल उस पर न िछड़का गया, इस कारण से वह अशुa ठहरे गा। 21 और यह उनके िलथे सदा क विध ठहरे । जो अशुaता से छुड़ानेवाला जल िछड़के वह अपके वHको धोए; और 'जस जन से अशुaता से छुड़ानेवाला जल छू जाए वह भी सांफ तक अशुa रहे । 22 और जो कुछ वह अशुa मनुंय छूए वह भी अशुa ठहरे ; और जो ूाणी उस वःतु को छूए वह भी सांफ तक अशुa रहे ।।

िगनती 20 1 पहले मह:ने म सार: इ\ाएली म+डली के लोग सीनै नाम जंगल म आ गए, और कादे श म रहने लगे; और वहां मgरयम मर गई, और वह:ं उसको िम=ट: द: गई। 2 वहां म+डली के लोगHके िलथे पानी न िमला; सो वे मूसा और हाRन के वRa इक=ठे हुए। 3 और लोग यह कहकर मूसा से फगड़ने लगे, क भला होता क हम उस समय ह: मर गए होते जब हमारे भाई यहोवा के साSहने मर गए! 4 और तुम यहोवा क म+डली को इस जंगल म यHले आए हो, क हम अपके पशुओं समेत यहां मर जाए? 5 और तुम ने हम को िमॐ से यHिनकालकर इस बुरे ःयान म पहंु चाया है ? यहां तो बीच, वा अंजीर, वा दाखलता, वा अनार, कुछ नह:ं है , यहां तक क पीने को कुछ पानी भी नह:ं है । 6 तब मूसा और हाRन म+डली के साSहने से िमलापवाले तSबू के kार पर जाकर अपके मुह ं के बल िगरे । और यहोवा का ते ज उनको दखाई दया। 7 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 8 उस लाठq को ले, और तू अपके भाई हाRन समेत म+डली को इक=ठा करके उनके दे खते उस च=टान से बात कर, तब वह अपना जल दे गी; इस ूकार से तू च=टान म से उनके िलथे जल िनकाल कर म+डली के लोगHऔर उनके पशुओं को पला। 9 यहोवा क इस आWा के अनुसार मूसा ने उसके साSहने से लाठq को ले िलया। 10 और मूसा और हाRन ने म+डली को उस च=टान के साSहने इक=ठा कया, तब मूसा ने उस से कह, हे दं गा करनेवालो, सुनो; या हम को इस च=टान म से तुSहारे िलथे जल िनकालना होगा? 11 तब मूसा ने हाथ उठाकर लाठq च=टान पर दो बार मार:; और उस म से बहुत पानी फूट िनकला, और म+डली के लोग अपके पशुओं समेत पीने लगे। 12 पर(तु मूसा और हाRन से यहोवा ने

कहा, तुम ने जो मुझ पर व ास नह:ं कया, और मुझे इ\ाएिलयHक l म

पवऽ नह:ं ठहराया, इसिलथे तुम इस म+डली को उस दे श म पहुंचाने न पाओगे 'जसे मE ने उ(ह दया है । 13 उस सोते का नाम मर:बा पड़ा, यHक इ\ाएिलयHने यहोवा से फगड़ा कया या, और वह उनके बीच पवऽ ठहराया गया।। 14 फर मूसा ने कादे श से एदोम के राजा के पास दत ू भेजे, क तेरा भाई इ\ाएल यHकहता है , क हम पर जो जो लेश पके हE वह तू जानता होगा; 15 अयाOत ् यह क हमारे पुरखा िमॐ म गए थे, और हम िमॐ म बहुत दन रहे ; और िम\ ्'◌यHने हमारे पुरखाओं के साय और हमारे साय भी बुरा बताOव कया; 16 पर(तु जब हम ने यहोवा क दोहाई द: तब उस ने हमार: सुनी, और एक दत ू को भेजकर हम िमॐ से िनकाल ले आया है ; सो अब हम कादे श नगर म हE जो तेरे िसवाने ह: पर है । 17 सो हम अपके दे श म से होकर जाने दे । हम कसी खेत वा दाख क बार: से होकर न चल गे, और कूओं का पानी न पीएंगे; सड़क-सड़क होकर चले जाएंगे, और जब तक ते रे दे श से बाहर न हो जाएं, तब तक न दहने न बाएं मुड़ गे। 18 पर(तु एदोिमयHने उसके पास कहला भेजा, क तू मेरे दे श म से होकर मत जा, नह:ं तो मE तलवार िलथे हुए तेरा साSहना करने को िनकलूग ं ा। 19 इ\ाएिलयHने उसके पास फर कहला भेजा, क हम सड़क ह: सड़क चल गे, और यद हम और हमारे पशु ते रा पानी पीएं, तो उसका दाम द गे, हम को और कुछ नह:ं, केवल पांव पांव चलकर िनकल जाने दे । 20 पर(तु उस ने कहा, तू आने न पाएगा। और एदोम बड़: सेना लेकर भुजबल से उसका साSहना करने को िनकल आया। 21 इस ूकार एदोम ने इ\ाएल को अपके दे श के भीतर से होकर जाने दे ने से इ(कार कया; इसिलथे इ\ाएल उसक ओर से मुड़ गए।। 22 तब

इ\ाएिलयHक सार: म+डली कादे श से कूच करके होर नाम पहाड़ के पास आ गई। 23 और एदोम दे श के िसवाने पर होर पहाड़ म यहोवा ने मूसा और हाRन से कहा, 24 हाRन अपके लोगHम जा िमलेगा; यHक तुम दोनो ने जो मर:बा नाम सोते पर मेरा कहना छोड़कर मुझ से बलवा कया है , इस कारण वह उस दे श म

जाने न पाएगा 'जसे मE ने इ\ाएिलयHको दया है । 25 सो तू हाRन और उसके पुऽ एलीआजर को होर पहाड़ पर ले चल; 26 और हाRन के व\ उतारके उसके पुऽ एलीआजर को पहना; तब हाRन वह:ं मरकर अपके लोगHमे जा िमलेगा। 27 यहोवा क इस आWा के अनुसार मूसा ने कया; वे सार: म+डली के दे खते होर पहाड़ पर चढ़ गए। 28 तब मूसा ने हाRन के व\ उतारके उसके पुऽ एलीआजर को पहनाए और हाRन वह:ं पहाड़ क चोट: पर मर गया। तब मूसा और एलीआजर पहाड़ पर से उतर आए। 29 और जब इ\ाएल क सार: म+डली ने दे खा क हाRन का ूाण छूट गया है , तब इ\ाएल के सब घराने के लोग उसके िलथे तीस दन तक रोते रहे ।। िगनती 21 1 तब अराद का कनानी राजा, जो द' खन दे श म रहता या, यह सुनकर, क 'जस मागO से वे भेदथे आए थे उसी मागO से अब इ\ाएली आ रहे हE , इ\ाएल से लड़ा, और उन म से कतनHको ब(धुआ कर िलया। 2 तब इ\ाएिलयHने यहोवा से यह कहकर म(नत मानी, क यद तू सचमुच उन लोगHको हमारे वश म कर दे , तो हम उनके नगरHको सयनाश कर द गे। 3 इ\ाएल क यह बात सुनकर यहोवा ने कनािनयHको उनके वश म कर दया; सो उ(हHने उनके नगरHसमेत

उनको भी सयानाश कया; इस से उस ःयान का नाम होमाO रखा गया।। 4 फर उ(हHने होर पहाड़ से कूच करके लाल समुि का मागO िलया, क एदोम दे श से बाहर बाहर घूमकर जाएं; और लोगHका मन मागO के कारण बहुत eयाकुल हो गया। 5 सो वे परमे र के वRa बात करने लगे, और मूसा से कहा, तुम लोग हम को िमॐ से जंगल म मरने के िलथे यHले आए हो? यहां न तो रोट: है , और न पानी, और हमारे ूाण इस िनकSमी रोट: से द'ु खत हE । 6 सो यहोवा ने उन लोगHम तेज वषवाले सांप भेजे, जो उनको डसने लगे, और बहुत से इ\ाएली मर गए। 7 तब लोग मूसा के पास जाकर कहने लगे, हम ने पाप कया है , क हम ने यहोवा के और तेरे वRa बात क हE ; यहोवा से ूायOना कर, क वह सांपHको हम से दरू करे । तब मूसा ने उनके िलथे ूायOना क। 8 यहोवा ने मूसा से कहा एक तेज वषवाले सांप क ूितमा बनवाकर खSभे पर लटका; तब जो सांप से डसा हुआ उसको दे ख ले वह जीवत बचेगा। 9 सो मूसा ने पीतल को एक सांप बनवाकर खSभे पर लटकाया; तब सांप के डसे हुओं म से 'जस 'जस ने उस पीतल के सांप को दे खा वह जीवत बच गया। 10 फर इ\ाएिलयHने कूच करके ओबोत म डे रे डाले। 11 और ओबोत से कूच करके अबार:म नाम ड:हHम डे रे डाले, जो पूरब क ओर मोआब के साSहने के जंगल म है । 12 वंहा से कूच करके उ(हHने जेरेद नाम नाले म डे रे डाले। 13 वहां से कूच करके उ(हHने अनzन नद:, जो जंगल म बहती और एमोgरयHके दे श से िनकलती है , उसक परली ओर डे रे खड़े कए; यHक अनzन मोआबयHऔर एमोgरयHके बीच होकर मोआब दे श का िसवाना ठहरा है । 14 इस कारण यहोवा के संमाम नाम पुःतक म इस ूकार िलखा है , क सूपा म

बाहे ब, और अनzन के नाले, 15 और उन नालHक ढलान जो आर नाम नगर क

ओर है , और जो मोआब के िसवाने पर है । 16 फर वहां से कूच करके वे बैर तक गए; वहां वह: कूआं है 'जसके वषय म यहोवा ने मूसा से कहा या, क उन लोगHको इक=ठा कर, और मE उ(हे पानी दं ग ू ा।। 17 उस समय इ\ाएल ने यह गीत गया, क हे कूएं, उबल आ, उस कूएं के वषय म गाओ! 18 'जसको हाकमHने खोदा, और इ\ाएल के रईसHने अपके सHटHऔर लाठयHसे खोद िलया।। 19 फर वे जंगल से माना को, और माना से नहलीएल को, और नहलीएल से बामोत को, 20 और बामोत से कूच करके उस तराई तक जो मोआब के मैदान म है , और पसगा के उस िस के तक भी जो यशीमोन क ओर फुका है पहंु च गए।। 21 तब इ\ाएल ने एमोgरयHके राजा सीहोन के पास दत ू Hसे यह कहला भेजा, 22 क हम अपके दे श म होकर जाने दे ; हम मुड़कर कसी खेत वा दाख क बार: म तो न जाएंगे; न कसी कूएं का पानी पीएंगे; और जब तक तेरे दे श से बाहर न हो जाएं तब तक सड़क ह: से चले जाएंगे। 23 तौभी सीहोन ने इ\ाएल को अपके दे श से होकर जाने न दया; वरन अप क सार: सेना को इक=ठा करके इ\ाएल का साSहना करने को जंगल म िनकल आया, और यहस को आकर उन से लड़ा। 24 तब इ\ाएिलयHने उस को तलवार से मार िलया, और अनzन से यcबोक नद: तक, जो अSमोिनयHका िसवाना या, उसके दे श के अिध कारनेी हो गए; अSमोिनयHका िसवाना तो lढ़ या। 25 सो इ\ाएल ने एमोgरयHके सब नगरHको ले िलया, और उन म , अयाOत ् हे शबोन और उसके आस पास के नगरHम रहने लगे । 26 हे शबोन एमोgरयHके राजा सीहोन का नगर या; उस ने मोआब के अगले राजा से लड़के उसका सारा दे श अनzन तक उसके हाथ से छqन िलया या। 27 इस कारण गूढ़ बात के कहनेवाले कहते हE , क हे शबोन म

आओ, सीहोन का नगर बसे, और lढ़ कया जाए। 28 यHक हे शबोन से आग, अयाOत ् सीहोन के नगर से लौ िनकली; 'जस से मोआब दे श का आर नगर, और अनzन के ऊंचे ःयानHके ःवामी भःम हुए। 29 हे मोआब, तुझ पर हाथ! कमोश दे वता क ूजा नाश हुई, उस ने अपके बेटHको भगेडू, और अप क बेटयHको एमोर: राजा सीहोन क दासी कर दया। 30 हम ने उ(ह िगरा दया है , हे शबोन द:बोन तक न हो गया है , और हम ने नोपह और मेदबा तक भी उजाड़ दया है ।। 31 सो इ\ाएल एमोgरयHके दे श म रहने लगा। 32 तब मूसा ने याजेर नगर का भेद लेने को भेजा; और उ(हHने उसके गांवHको िलया, और वहां के एमोgरयHको उस दे श से िनकाल दया। 33 तब वे मुड़के बाशान के मागO से जाने लगे; और बाशान के राजा ओग न उनका साSहना कया, अयाOत ् लड़ने को अप क सार: सेना समेत एिे ई म िनकल आया। 34 तब यहोवा ने मूसा से कहा, उस से मत डर; यHक मE उसको सार: सेना और दे श समेत तेरे हाथ म कर दे ता हंू ; और जैसा तू ने एमोgरयHके राजा हे शबोनवासी सीहोन के साय कया है , वैसा ह: उसके साय भी करना। 35 तब उ(हHने उसको, और उसके पुऽHऔर सार: ूजा को यहां तक मारा क उसका कोई भी न बचा; और वे उसके दे श के अिध कारनेी को गए। िगनती 22 1 तब इ\ाएिलयHने कूच करके यर:हो के पास यरदन नद: के इस पार मोआब के अराबा म डे रे खड़े कए।। 2 और िस€पोर के पुऽ बालाक ने दे खा क इ\ाएल ने एमोgरयHसे या या कया है । 3 इसिलथे मोआब यह जानकर, क इ\ाएली बहुत हE , उन लोगHसे अय(त डर गया; यहां तक क मोआब इ\ाएिलयHके

कारण अय(त eयाकुल हुआ। 4 तब मोआबयHने िमrानी पुरिनयHसे कहा, अब वह दल हमारे चारHओर के सब लोगHको चट कर जाएगा, 'जस तरह बैल खेत क हर: घास को चट कर जाता है । उस समय िस€पोर का पुऽ बालाक मोआब का राजा या; 5 और इस ने पतोर नगर को, जो महानद के तट पर बोर के पुऽ बलाम के जाितभाइयHक भूिम यी, वहां बलाम के पास दत ू भेजे, क वे यह कहकर उसे बुला लाएं, क सुन एक दल िमॐ से िनकल आया है , और भूिम उन से ढक गई है , और अब वे मेरे साSहने ह: आकर बस गए हE । 6 इसिलथे आ, और उन लोगHको मेरे िनिम शाप दे , यHक वे मुझ से अिधक बलव(त हE , तब सSभव है क हम उन पर जयव(त हH, और हम सब इनको अपके दे श से मारकर िनकाल द ; यHक यह तो मE जानता हूं क 'जसको तू आशीवाOद दे ता है वह ध(य होता है , और 'जसको तू शाप दे ता है वह ॐापत होता है । 7 तब मोआबी और िमrानी पुरिनथे भावी कहने क द'झणा लेकर चले, और बलाम के पास पहंु चकर बालाक क बात कह सुनाL। 8 उस ने उन से कहा, आज रात को यहां टको, और जो बात यहोवा मुझ से कहे गा, उसी के अनुसार मE तुम को उर दं ग ू ा; तब मोआब के हाकम बलाम के यहां ठहर गए। 9 तब परमे र ने बलाम के पास आकर पूछा, क तेरे यहां थे पुRष कौन हE ? 10 बलाम ने परमे र से कहा िस€पोर के पुऽ मोआब के राजा बालाक ने मेरे पास यह कहला भेजा है , 11 क सुन, जो दल िमॐ से िनकल आया है उस से भूिम ढं प गई है ; इसिलथे आकर मेरे िलथे उ(ह शाप दे ; सSभव है क मE उनसे लड़कर उनको बरबस िनकाल सकूंगा। 12 परमे र ने बलाम से कहा, तू इनके संग मत जा; उन लोगHको शाप मत दे , यHक वे आशीष के भागी हो चुके हE । 13 भोर को बलाम ने उठकर बालाक के हाकमHसे

कहा, तुम अपके दे श को चले जाओ; यHक यहोवा मुझे तुSहारे साय जाने क आWा नह:ं दे ता। 14 तब मोआबी हाकम चले गए और बालाक के पास जाकर कहा, क बलाम ने हमारे साय आने से नाह कया है । 15 इस पर बालाक ने फर और हाकम भेजे, जो पहलHसे ूितvत और िगनती म भी अिधक थे। 16 उ(हHने बलाम के पास आकर कहा, क िस€पोर का पुऽ बालाक यHकहता है , क मेरे पास आने से कसी कारण नाह न कर; 17 यHक मE िन_य तेर: बड़: ूितvा कRंगा, और जो कुछ तू मुझ से कहे वह: मE कRंगा; इसिलथे आ, और उन लोगHको मेरे िनिम शाप दे । 18 बलाम ने बालाक के कमOचाgरयHको उर दया, क चाहे बालाक अपके घर को सोने चांद: से भरकर मुझे दे दे , तौभी मE अपके परमे र यहोवा क आWा को पलट नह:ं सकता, क उसे घटाकर वा बढ़ाकर मानू।ं 19 इसिलथे अब तुम लोग आज रात को यह:ं टके रहो, ताक मE जान लू,ं क यहोवा मुझ से और या कहता है । 20 और परमे र ने रात को बलाम के पास आकर कहा, यद वे पुRष तुझे बुलाने आए हE , तो तू उठकर उनके संग जा; पर(तु जो बात मE तुझ से कहूं उसी के अनुसार करना। 21 तब बलाम भोर को उठा, और अप क गदह: पर काठq बा(धकर मोआबी हाकमHके संग चल पड़ा। 22 और उसके जाने के कारण परमे र का कोप भड़क उठा, और यहोवा का दत ू उसका वरोध करने के िलथे मागO रोककर खड़ा हो गया। वह तो अप क गदह: पर सवार होकर जा रहा या, और उसके संग उसके दो सेवक भी थे। 23 और उस गदह: को यहोवा का दत ू हाथ म नंगी तलवार िलथे हुए मागO म खड़ा दखाई पड़ा; तब गदह: मागO छोड़कर खेत म च क गई; तब बलाम ने गदह: को मारा, क वह मागO पर फर आ जाए। 24 तब यहोवा का दत ू दाख क बाgरयHके बीच क

गली म , 'जसके दोनHओर बार: क द:वार यी, खड़ा हुआ। 25 यहोवा के दत ू को दे खकर गदह: द:वार से ऐसी सट गई, क बलाम का पांव द:वार से दब गया; तब उस ने उसको फर मारा। 26 तब यहोवा का दत ू आगे बढ़कर एक सकेत ःयान पर खड़ा हुआ, जहां न तो दहनी ओर हटने क जगह यी और न बाL ओर। 27 वहां यहोवा के दत ू को दे खकर गदह: बलाम को िलथे दथे बैठ गई; फर तो बलाम का कोप भड़क उठा, और उस ने गदह: को लाठq से मारा। 28 तब यहोवा ने गदह: का मुह ं खोल दया, और वह बलाम से कहने लगी, मE ने तेरा या कया है , क तू ने मुझे तीन बार मारा? 29 बलाम ने गदह: से कहा, यह क तू ने मुझ से नटखट: क। यद मेरे हाथ म तलवार होती तो मE तुझे अभी मार डालता। 30 गदह: ने बलाम से कहा या मE तेर: वह: गदह: नह:ं 'जस पर तू ज(म से आज तक चढ़ता आया है ? या मE तुझ से कभी ऐसा करती यी? वह बोला, नह:ं। 31 तब यहोवा ने बलाम क आंखे खोलीं, और उसको यहोवा का दत ू हाथ म नंगी तलवार िलथे हुए मागO म खड़ा दखाई पड़ा; तब वह फुक गया, और मुह ं के बल िगरके द+डवत क। 32 यहोवा के दत ू ने उस से कहा, तू ने अप क गदह: को तीन बार यHमारा? सुन, तेरा वरोध करने को मE ह: आया हंू , इसिलथे क तू मेरे साSहने उलट: चाल चलता है ; 33 और यह गदह: मुझे दे खकर मेरे साSहने से तीन बार हट गई। जो वह मेरे साSहने से हट न जाती, तो िन:स(दे ह मE अब तक तुझ को मार ह: डालता, पर(तु उसको जीवत छोड़ दे ता। 34 तब बलाम ने यहोवा के दत ू से कहा, मE ने पाप कया है ; मE नह:ं जानता या क तू मेरा साSहना करने को मागO म खड़ा है । इसिलथे अब यद तुझे बुरा लगता है , तो मE लौट जाता हंू । 35 यहोवा के दत ू ने बलाम से कहा, इन पुRषHके संग तू चला जा; पर(तु

केवल वह: बात कहना जो मE तुझ से कहंू गा। तब बलाम बालाक के हाकमHके संग चला गया। 36 यह सुनकर, क बलाम आ रहा है , बालाक उस से भ ट करने के िलथे मोआब के उस नगर तक जो उस दे श के अनzनवाले िसवाने पर है गया। 37 बालाक ने बलाम से कहा, या मE ने बड़: आशा से तुझे नह:ं बुलवा भेजा या? फर तू मेरे पास यHनह:ं चला आया? या मE इस योbय नह:ं क सचमुच तेर: उिचत ूितvा कर सकता? 38 बलाम ने बालाक से कहा, दे ख मE तेरे पास आया तो हंू ! पर(तु अब या मE कुछ कर सकता हंू ? जो बात परमे र मेरे मुह ं म डालेगा वह: बात मE कहंू गा। 39 तब बलाम बालाक के संग संग चला, और वे कयOयस ू ोत तक आए। 40 और बालाक ने बैल और भेड़-बकgरयHको बिल कया, और बलाम और उसके साय के हाकमHके पास भेजा। 41 बहान को बालाक बलाम को बालू के ऊंचे ःयानHपर चढ़ा ले गया, और वहां से उसको सब इ\ाएली लोग दखाई पके।। िगनती 23 1 तब बलाम ने बालाक से कहा, यहां पर मेरे िलथे सात वे दयां बनवा, और इसी ःयान पर सात बछड़े और सात मेढ़े तैयार कर। 2 तब बालाक ने बलाम के कहने के अनुसार कया; और बालाक और बलाम ने िमलकर ूथेक वेद: पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया। 3 फर बलाम ने बालाक से कहा, तू अपके होमबिल के पास खड़ा रह, और मE जाता हूं; सSभव है क यहोवा मुझ से भ ट करने को आए; और जो कुछ वह मुझ पर ूकाश करे गा वह: मE तुझ को बताऊंगा। तब वह एक मु+डे पहाड़ पर गया। 4 और परमे र बलाम से िमला;

और बलाम ने उस से कहा, मE ने सात वेदयां तैयार क हE , और ूथेक वेद: पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया है । 5 यहोवा ने बलाम के मुह ं म एक बाल डालीं, और कहा, बालाक के पास लौट जो, और यHकहना। 6 और वह उसके पास लौटकर आ गया, और या दे खता है , क वह सारे मोआबी हाकमHसमेत अपके होमबिल के पास खड़ा है । 7 तब बलाम ने अप क गूढ़ बात आरSभ क, और कहने लगा, बालाक ने मुझे आराम से, अयाOत ् मोआब के राजा ने मुझे पूरब के पहाड़Hसे बुलवा भेजा: आ, मेरे िलथे याकूब को शाप दे , आ, इ\ाएल को धमक दे ! 8 पर(तु 'ज(ह ई र ने नह:ं शाप दया उ(ह मE यHशाप दं ?ू और 'ज(ह यहोवा ने धमक नह:ं द: उ(ह मE कैसे धमक दं ?ू 9 च=टानHक चोट: पर से वे मुझे दखाई पड़ते हE , पहाडय़Hपर से मE उनको दे खता हूं; वह ऐसी जाित है जो अकेली बसी रहे गी, और अ(यजाितयHसे अलग िगनी जाएगी! 10 याकूब के धूिल के कनके को कौन िगन सकता है , वा इ\ाएल क चौयाई क िगनती कौन ले सकता है ? सौभाbय यद मेर: मृयु धिमयJक सी, और मेरा अ(त भी उ(ह:ं के समान हो! 11 तब बालाक ने बलाम से कहा, तू ने मुझ से या कया है ? 12 उस ने कहा, जो बात यहोवा ने मुझे िसखलाई या मुझे उसी को सावधानी से बोलना न चाहथे? 13 बालाक ने उस से कहा, मेरे संग दस ू रे ःयान पर चल, जहां से वे तुझे दखाई द गे; तू उन सभHको तो नह:ं, केवल बाहरवालHको दे ख सकेगा; वहां से उ(ह मेरे िलथे शाप दे । 14 तब वह उसको सोपीम नाम मैदान म पसगा के िस के पर ले गया, और वहां सात वेदयां बनवाकर ूथेक पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया। 15 तब बलाम ने बालाक से कहा, अपके होमबिल के पास यह:ं खड़ा रह, और मE उधर जाकर यहोवा से भ ट कRं। 16 और यहोवा ने बलाम से भ ट क,

और उस ने उसके मुह ं म एक बात डाली, और कहा, क बालाक के पास लौट जा, और यHकहना। 17 और वह उसके पास गया, और या दे खता है , क वह मोआबी हाकमHसमेत अपके होमबिल के पास खड़ा है । और बालाक ने पूछा, क यहोवा ने या कहा है ? 18 तब बलाम ने अप क गूढ़ बात आरSभ क, और कहने लगा, हे बालाक, मन लगाकर सुन, हे िस€पोर के पुऽ, मेर: बात पर कान लगा: 19 ई र मनुंय नह:ं, क फूठ बोले, और न वह आदमी है , क अप क इ.छा बदले। या जो कुछ उस ने कहा उसे न करे ? या वह वचन दे कर उस पूरा न करे ? 20 दे ख, आशीवाOद ह: दे ने क आWा मE ने पाई है : वह आशीष दे चुका है , और मE उसे नह:ं पलट सकता। 21 उस ने याकूब म अनयO नह:ं पाया; और न इ\ाएल म अ(याय दे खा है । उसका परमे र यहोवा उसके संग है , और उन म राजा क सी ललकार होती है । 22 उनको िमॐ म से ई र ह: िनकाले िलथे आ रहा है , वह तो बैनेले सांड के समान बल रखता है । 23 िन_य कोई मंऽ याकूब पर नह:ं चल सकता, और इ\ाएल पर भावी कहना कोई अयO नह:ं रखता; पर(तु याकूब और इ\ाएल के वषय अब यह कहा जाएगा, क ई र ने या ह: विचऽ काम कया है ! 24 सुन, वह दल िसंहनी क नाई उठे गा, और िसंह क नाई खड़ा होगा; वह जब तक अहे र को न खा ले, और मरे हुओं के लोहू को न पी ले, तब तक न लेटेगा।। 25 तब बालाक ने बलाम से कहा, उनको न तो शाप दे ना, और न आशीष दे ना। 26 बलाम ने बालाक से कहा, या मE ने तुझ से नह:ं कहा, क जो कुछ यहोवा मुझ से कहे गा, वह: मुझे करना पकेगा? 27 बालाक ने बलाम से कहा चल, मE तुझ को एक और ःयान पर ले चलता हंू ; सSभव है क परमे र क इ.छा हो क तू वहां से उ(ह मेरे िलथे शाप दे । 28 तब बालाक बलाम को पोर के िस के पर, जहां से

यशीमोन दे श दखाई दे ता है , ले गया। 29 और बलाम ने बालाक से कहा, यहां पर मेरे िलथे सात वेदयां बनवा, और यहां सात बछड़े और सात मेढ़े तैयार कर। 30 बलाम के कहने के अनुसार बालाक ने ूथेक वे द: पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया।। िगनती 24 1 यह दे खकर, क यहोवा इ\ाएल को आशीष ह: दलाना चाहता है , बलाम पहले क नाई शकुन दे खने को न गया, पर(तु अपना मुह ं जंगल क ओर कर िलया। 2 और बलाम ने आंखे उठाई, और इ\ाएिलयHको अपके गोऽ गोऽ के अनुसार बसे हुए दे खा। और परमे र का आमा उस पर उतरा। 3 तब उसने अप क गूढ़ बात आरSभ क, और कहने लगा, क बोर के पुऽ बलाम क यह वाणी है , 'जस पुRष क आंख ब(द यीं उसी क यह वाणी है , 4 ई र के वचनHका सुननेवाला, जो द+डवत म पड़ा हुआ खुली हुई आंखHसे सवOशfमान का दशOन पाता है , उसी क यह वाणी है : क 5 हे याकूब, तेरे डे रे, और हे इ\ाएल, ते रे िनवासःयान या ह: मनभावने हE ! 6 वे तो नालHवा घाटयHक नाई, और नद: के तट क वाटकाओं के समान ऐसे फैले हुए हE , जैसे क यहोवा के लगाए हुए अगर के वृझ, और जल के िनकट के दे वदाR। 7 और उसके डोलHसे जल उम+डा करे गा, और उसका बीच बहुतेरे जलभरे खेतHम पकेगा, और उसका राजा अगाग से भी महान होगा, और उसका राGय बढ़ता ह: जाएगा। 8 उसको िमॐ म से ई र क िनकाले िलथे आ रहा है ; वह तो बनैले सांड़ के सामान बल रखता है , जाित जाित के लोग जो उसके िोह: है उनको वह खा जाथेगा, और उनक ह']डयHको टु कड़े

टु कड़े करे गा, और अपके तीरHसे उनको बेधेगा। 9 वह दबका बैठा है , वह िसंह वा िसंहनी क नाई लेट गया है ; अब उसको कौन छे ड़े ? जो कोई तुझे आशीवाOद दे सो आशीष पाए, और जो कोई तुझे शाप दे वह ॐापत हो।। 10 तब बालाक का कोप बलाम पर भड़क उठा; और उस ने हाथ पर हाथ पटककर बलाम से कहा, मE ने तुझे अपके शऽुओं के शाप दे ने के िलथे बुलवाया, पर(तु तू ने तीन बार उ(ह

आशीवाOद ह: आशीवाOद दया है । 11 इसिलथे अब तू अपके ःयान पर भाग जा; मE ने तो सोचा या क तेर: बड़: ूितvा कRंगा, पर(तु अब यहोवा ने तुझे ूितvा पाने से रोक रखा है । 12 बलाम ने बालाक से कहा, जो दत ू तू ने मेरे पास भेजे थे, या मE ने उन से भी न कहा या, 13 क चाहे बालाक अपके घर को सोने चांद: से भरकर मुझे दे , तौभी मE यहोवा क आWा तोड़कर अपके मन से न तो भला कर सकता हंू और न बुरा; जो कुछ यहोवा कहे गा वह: मE कहंू गा? 14 अब सुन, मE अपके लोगHके पास लौट कर जाता हंू ; पर(तु पहले मE तुझे िचता दे ता हंू क अ(त के दनHम वे लोग तेर: ूजा से या या कर गे। 15 फर वह अप क गूढ़ बात आरSभ करके कहने लगा, क बोर के पुऽ बलाम क यह वाणी है , 'जस पुRष क आंखे ब(द यी उसी क यह वाणी है , 16 ई र के वचनHका सुननेवाला, और परमूधान के Wान का जाननेवाला, जो द+डवत ् म पड़ा हुआ खुली हुई आंखHसे सवOशfमान का दशOन पाता है , उसी क यह वाणी है : क 17 मै उसको दे खूंगा तो सह:, पर(तु अभी नह:ं; मE उसको िनहाRंगा तो सह:, पर(तु समीप होके नह:ं: याकूब म से एक तारा उदय होगा, और इ\ाएल म से एक राज द+ड उठे गा; जो मोआब क अलंगHको चूर कर दे गा, जो सब दं गा करनेवालHको िगरा दे गा। 18 तब एदोम और सेईर भी, जो उसके शऽु हE , दोनHउसके वश म पक गे, और

इ\ाएल वीरता दखाता जाएगा। 19 और याकूब ह: म से एक अिधपित आवेगा जो ूभुता करे गा, और नगर म से बचे हुओं को भी सयानाश करे गा।। 20 फर उस ने अमालेक पर l करके अप क गूढ़ बात आरSभ क, और कहने लगा, अमालेक अ(यजाितयHम ौे तो या, पर(तु उसका अ(त वनाश ह: है ।। 21 फर उस ने केिनयHपर l करके अप क गूढ़ बात आरSभ क, और कहने लगा, तेरा िनवासःयान अित lढ़ तो है , और तेरा बसेरा च=टान पर तो है ; 22 तौभी केन उजड़ जाएगा। और अ(त म अँशूर ् तुझे ब(धुआई म ले आएगा।। 23 फर उस ने अप क गूढ़ बात आरSभ क, और कहने लगा, हाथ जब ई र यह करे गा तब कौन जीवत बचेगा? 24 तौभी कयHके पास से जहाजवाले आकर अँशूर ् को और एबेर को भी द:ु ख द गे; और अ(त म उसका भी वनाश हो जाएगा।। 25 तब बलाम चल दया, और अपके ःयान पर लौट गया; और बालाक ने भी अपना मागO िलया।। िगनती 25 1 इ\ाएली िशीम म रहते थे, और लोग मोआबी लड़कयHके संग कुकमO करने लगे। 2 और जब उन \ीयHने उन लोगHको अपके दे वताओं के यWHम नेवता दया, तब वे लोग खाकर उनके दे वताओं को द+डवत ् करने लगे । 3 यHइ\ाएली बालपोर दे वता को पूजने लगे। तब यहोवा का कोप इ\ाएल पर भड़क उठा; 4 और यहोवा ने मूसा से कहा, ूजा के सब ूधानHको पकड़कर यहोवा के िलथे धूप म लटका दे , 'जस से मेरा भड़का हुआ कोप इ\ाएल के ऊपर से दरू हो जाए। 5 तब मूसा ने इ\ाएली (यािययHसे कहा, तुSहारे जो जो आदमी बालपोर के संग

िमल गए हE उ(ह घात करो।। 6 और जब इ\ाएिलयHक सार: म+डली िमलापवाले तSबू के kार पर रो रह: यी, तो एक इ\ाएली पुRष मूसा और सब लोगHक आंखHके सामने एक िमrानी \ी को अपके साय अपके भाइयHके पास ले आया। 7 इसे दे खकर एलीआजर का पुऽ पीनहास, जो हाRन याजक का पोता या, उस ने म+डली म से उठकर हाथ म एक बरछq ली, 8 और उस इ\ाएली पुRष के डे रे म जाने के बाद वह भी भीतर गया, और उस पुRष और उस \ी दोनHके पे ट म

बरछq बेध द:। इस पर इ\ाएिलयHम जो मर: फैल गई यी वह यम गई। 9 और मर: से चौबीस हजार मनुंय मर गए।। 10 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 11 हाRन याजक का पोता एलीआजर का पुऽ पीनहास, 'जसे इ\ाएिलयHके बीच मेर: सी जलन उठq, उस ने मेर: जलजलाहट को उन पर से यहां तक दरू कया है , क मE ने जलकर उनका अ(त नह:ं कर डाला। 12 इसिलथे तू कह दे , क मE उस से शांित क वाचा बा(धता हंू ; 13 और वह उसके िलथे, और उसके बाद उसके वंश के िलथे, सदा के याजकपद क वाचा होगी, यHक उसे अपके परमे र के िलथे जलन उठq, और उस ने इ\ाएिलयHके िलथे ूाय'_ कया। 14 जो इ\ाएली पुRष िमrानी \ी के संग मारा गया, उसका नाम 'जॆी या, वह साल का पुऽ और िशमोिनयHम से अपके पतरHके घराने का ूधान या। 15 और जो िमrानी \ी मार: गई उसका नाम कोजबी या, वह सूर क बेट: यी, जो िमrानी पतरHके एक घराने के लोगHका ूधान या।। 16 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 17 िमrािनयHको सता, और उ(ह मार; 18 यHक पोर के वषय और कोजबी के वषय वे तुम को छल करके सताते हE । कोजबी तो एक िमrानी ूधान क बेट: और िमrािनयHक जाित बहन यी, और मर: के दन म पोर के मामले म मार: गई।।

िगनती 26 1 फर यहोवा ने मूसा और एलीआजर नाम हाRन याजक के पुऽ से कहा, 2 इ\ाएिलयHक सार: म+डली म 'जतने बीस वषO के, वा उस से अिधक अवःया के होने से इ\ाएिलयHके बीच युa करने के योbय हE , उनके पतरHके घरानHके अनुसार उन सभHक िगनती करो। 3 सो मूसा और एलीआजर याजक ने यर:हो के पास यरदन नद: के तीर पर मोआब के अराबा म उन से समझाके कहा, 4 बीस वषO के और उस से अिधक अवःया के लोगHक िगनती लो, जैसे क यहोवा ने मूसा और इ\ाएिलयHको िमॐ दे श से िनकले आने के समय आWा द: यी।। 5 Rबेन जो इ\ाएल का जेठा या; उसके थे पुऽ थे; अयाOत ् हनोक, 'जस से हनोकयHका कुल चला; और प`लू, 'जस से प`लूइयHका कुल चला; 6 हे ॐोन, 'जस से हे ॐोिनयHका कुल चला; और कमh, 'जस से किमयJका कुल चला। 7 Rबेनवाले कुल थे ह: थे; और इन म से जो िगने गए वे तैतालीस हजार सात सौ तीस पुRष थे। 8 और प`लू का पुऽ एलीआब या। 9 और प`लू का पुऽ नमूएल, दातान, और अबीराम थे। थे वह: दातान और अबीराम हE जो सभासद थे; और 'जस समय कोरह क म+डली ने यहोवा से फगड़ा कया या, उस समय उस म+डली म िमलकर वे भी मूसा और हाRन से फगड़े थे; 10 और जब उन अढ़ाई सौ मनुंयHके आग म भःम हो जाने से वह म+डली िमट गई, उसी समय पृवी ने मुह ं खोलकर कोरह समेत इनको भी िनगल िलया; और वे एक lा(त ठहरे । 11 पर(तु कोरह के पुऽ तो नह:ं मरे थे। 12 िशमोन के पुऽ 'जन से उनके कुल िनकले वे थे थे; अयाOत ् नमूएल, 'जस से नमूएिलयHका कुल चला; और यामीन, 'जस से यामीिनयHका कुल चला; 13 और जेरह, 'जस से जेरहयHका कुल चला;

और शाऊल, 'जस से शाऊिलयHका कुल चला। 14 िशमोनवाले कुल थे ह: थे; इन म से बाईस हजार दो सौ पुRष िगने गए।। 15 और गाद के पुऽ 'जस से उनके कुल िनकले वे थे थे; अयाOत ् सपोन, 'जस से सपोिनयHका कुल चला; और हाbगी, 'जस से हा'bगयHका कुल चला; और शूनी, 'जस से शूिनयHका कुल चला; और ओजनी, 'जस से ओजिनयHका कुल चला; 16 और एर:, 'जस से एgरयHका कुल चला; और अरोद, 'जस से अरोदयHका कुल चला; 17 और अरे ली, 'जस से अरे िलयHका कुल चला। 18 गाद के वंश के कुल थे ह: थे; इन म से साढ़े चालीस हजार पुRष िगने गए।। 19 और यहूदा के एक और ओनान नाम पुऽ तो हुए, पर(तु वे कनान दे श म मर गए। 20 और यहूदा के 'जन पुऽHसे उनके कुल िनकले वे थे थे; अयाOत ् शेला, 'जस से शेिलयHका कुल चला; और पेरेस 'जस से पे रेिसयHका कुल चला; और जे रह, 'जस से जे रहयHका कुल चला। 21 और पेरेस के पुऽ थे थे; अयाOत ् हे ॐोन, 'जस से हे ॐोिनयHका कुल चला; और हामूल, 'जस से हामूिलयHका कुल चला। 22 यहूदयHके कुल थे ह: थे; इन म से साढ़े िछहर हजार पुRष िगने गए।। 23 और इःसाकार के पुऽ 'जन से उनके कुल िनकले वे थे थे; अयाOत ् तोला, 'जस से तोिलयHका कुल चला; और पुeवा, 'जस से पु'eवयHका कुल चला; 24 और याशूब, 'जस से याशूबयHका कुल चला; और िशॆोन, 'जस से िशॆोिनयHका कुल चला। 25 इःसाकाgरयHके कुल थे ह: थे; इन म से चौसठ हजार तीन सौ पुRष िगने गए।। 26 और जबूलन ू के पुऽ 'जन से उनके कुल िनकले वे थे थे; अयाOत ् सेरेद 'जस से सेरेदयHका कुल चला; और एलोन, 'जस से एलोिनयHका कुल चला; और यहलेल, 'जस से यहलेिलयHका कुल चला। 27 जबूलिू नयHके कुल थे ह: थे; इन म से साढ़े साठ हजार पुRष िगने गए।।

28 और यूसफ ु के पुऽ 'जस से उनके कुल िनकले वे मनँशे और एूैम थे। 29 मनँशे के पुऽ थे थे; अयाOत ् माकर, 'जस से माकgरयHका कुल चला; और माकर से िगलाद उप(न हुआ; और िगलाद से िगलादयHका कुल चला। 30 िगलाद के तो पुऽ थे थे; अयाOत ् ईएजेर, 'जस से ईएजेgरयHका कुल चला; 31 और हे लेक, 'जस से हे लेकयHका कुल चला और अ\ीएल, 'जस से अ\ीएिलयHका कुल चला; और शेकेम, 'जस से शेकेिमयHका कुल चला; और शमीदा, 'जस से शमीदयHका कुल चला; 32 और हे पेर, 'जस से हे पेgरयHका कुल चला; 33 और हे पेर के पुऽ सलोफाद के बेटे नह:ं, केवल बेटयां हुई; इन बेटयHके नाम महला, नोआ, होbला, िम`का, और ितसाO हE । 34 मनँशेवाले कुल थे ह: थे; और इन म से जो िगने गए वे बावन हजार सात सौ पुRष थे।। 35 और एूैम के पुऽ 'जन से उनके कुल िनकले वे थे थे; अयाOत ् शूतेलह, 'जस से शूतेलहयHका कुल चला; और बेकेर, 'जस से बेकेgरयHका कुल चला; और तहन 'जस से तहिनयHका कुल चला। 36 और शूतेलह के यह पुऽ हुआ; अयाOत ् एरान, 'जस से एरािनयHका कुल चला। 37 एूैिमयHके कुल थे ह: थे; इन म से साढ़े बीस हजार पुRष िगने गए। अपके कुलHके अनुसार यूसफ ु के वंश के लोग थे ह: थे।। 38 और ब(यामीन के पुऽ 'जन से उनके कुल िनकले वे थे थे; अयाOत ् बे ला 'जस से लेवयHका कुल चला; और अशबे ल, 'जस से अशबेिलयHका कुल चला; और अह:राम, 'जस से अह:रािमयHका कुल चला; 39 और शपूपास, 'जस से शपूपािमयHका कुल चला; और हूपाम, 'जस से हूपािमयHका कुल चला। 40 और बेला के पुऽ अदO और नामान थे; और अदO से तो अदयJको कुल, और नामान से नामािनयHका कुल चला। 41 अपके कुलHके अनुसार ब(यामीनी थे ह: थे; और इन म से जो िगने गए वे पEतालीस हजार छ:

सौ पुRष थे।। 42 और दान का पुऽ 'जस से उनका कुल िनकला यह या; अयाOत ् शूहाम, 'जस से शूहािमयHका कुल चला। और दान का कुल यह: या। 43 और शूहािमयHम से जो िगने गए उनके कुल म चौसठ हजार चार सौ पुRष थे।। 44 और आशेर के पुऽ 'जस से उनके कुल िनकले वे थे थे; अयाOत ् ियSना, 'जस से िय'SनयHका कुल चला; ियौ ्◌ी, 'जस से ियौ ्'◌यHका कुल चला; और बर:आ, 'जस से बर:इयHका कुल चला। 45 फर बर:आ के थे पुऽ हुए; अयाOत ् हे बेर, 'जस से हे बेgरयHका कुल चला; और म`कएल, 'जस से म`कएिलयHका कुल चला। 46 और आशेर क बेट: का नाम सेरह है । 47 आशेgरयHके कुल थे ह: थे; इन म से ितपOन हजार चार सौ पुRष िगने गए।। 48 और नTाली के पुऽ 'जस से उनके कुल िनकले वे थे थे; अयाOत ् यहसेल, 'जस से यहसेिलयHका कुल चला; और गूनी, 'जस से गूिनयHका कुल चला; 49 थेसेर, 'जस से थेसेgरयHका कुल चला; और िश`लेम, 'जस से िश`लेिमयHका कुल चला। 50 अपके कुलHके अनुसार नTाली के कुल थे ह: थे; और इन म से जो िगने गए वे पEतालीस हजार चार सौ पुRष थे।। 51 सब इ\ाएिलयHम से जो िगने गए थे वे थे ह: थे; अयाOत ् छ: लाख एक हजार सात सौ तीस पुRष थे।। 52 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 53 इनको, इनक िगनती के अनुसार, वह भूिम इनका भाग होने के िलथे बांट द: जाए। 54 अयाOत ् 'जस कुल से अिधक हHउनको अिधक भाग, और 'जस म कम हHउनको कम भाग दे ना; ूथेक गोऽ को उसका भाग उसके िगने हुए लोगHके अनुसार दया जाए। 55 तौभी दे श िच=ठq डालकर बांटा जाए; इ\ाएिलयHके पतरHके एक एक गोऽ का नाम, जैसे जैसे िनकले वैसे वैसे वे अपना अपना भाग पाएं। 56 चाहे बहुतHका भाग हो चाहे योड़Hका हो, जो जो भाग बांटे जाएं वह िच=ठq डालकर बांटे जाए।।

57 फर लेवयHम से जो अपके कुलHके अनुसार िगने गए वे थे हE ; अयाOत ् गेशzिनयHसे िनकला हुआ गेशzिनयHका कुल; कहात से िनकला हुआ कहाितयHका कुल; और मरार: से िनकला हुआ मराgरयHका कुल। 58 लेवयHके कुल थे हE ; अयाOत ् िल'cनयHका, हे ॄािनयHका, महिलयHका, मूिशयHका, और कोरहयHका कुल। और कहात से अॆाम उप(न हुआ। 59 और अॆाम क प^ी का नाम योकेबेद है , वह लेवी के वंश क यी जो लेवी के वंश म िमॐ दे श म उप(न हुई यी; और वह अॆाम से हाRन और मूसा और उनक बहन मgरयम को भी जनी। 60 और हाRन से नादाब, अबीहू, एलीआजर, और ईतामार उप(न हुए। 61 नादाब और अबीहू तो उस समय मर गए थे, जब वे यहोवा के साSहने ऊप क आग ले गए थे। 62 सब लेवयHम से जो िगने गथे, अयाOत ् 'जतने पुRष एक मह:ने के वा उस से अिधक अवःया के थे, वे तेईस हजार थे; वे इ\ाएिलयHके बीच इसिलथे नह:ं िगने गए, यHक उनको दे श का कोई भाग नह:ं दया गया या।। 63 मूसा और एलीआजर याजक 'ज(हHने मोआब के अराबा म यर:हो के पास क यरदन नद: के तट पर इ\ाएिलयHको िगन िलया, उनके िगने हुए लोग इतने ह: थे। 64 पर(तु 'जन इ\ाएिलयHको मूसा और हाRन याजक ने सीनै के जंगल म िगना या, उन म से एक पुRष इस समय के िगने हुओं म न या। 65 यHक यहोवा ने उनके वषय कहा या, क वे िन_य जंगल म मर जाएंगे, इसिलथे यपु(ने के पुऽ कालेब और नून के पुऽ यहोशू को छोड़, उन म से एक भी पुRष नह:ं बचा।। िगनती 27

1 तब यूसफ ु के पुऽ मनँशे के वंश के कुलHम से सलोफाद, जो हे पेर का पुऽ, और िगलाद का पोता, और मनँशे के पुऽ माकर का परपोता या, उसक बेटयां 'जनके नाम महला, नोवा, होbला, िमलका, और ितसाO हE वे पास आL। 2 और वे मूसा और एलीआजर याजक और ूधानHऔर सार: म+डली के साSहने िमलापवाले तSबू के kार पर खड़: होकर कहने लगीं, 3 हमारा पता जंगल म मर गया; पर(तु वह उस म+डली म का न या जो कोरह क म+डली के संग होकर यहोवा के वRa इक=ठq हुई यी, वह अपके ह: पाप के कारण मरा; और उसके कोई पुऽ न या। 4 तो हमारे पता का नाम उसके कुल म से पुऽ न होने के कारण यHिमट जाए? हमारे चाचाओं के बीच हम भी कुछ भूिम िनज भाग करके दे । 5 उनक यह बनती मूसा ने यहोवा को सुनाई। 6 यहोवा ने मूसा से कहा, 7 सलोफाद क बे टयां ठqक कहती हE ; इसिलथे तू उनके चाचाओं के बीच उनको भी अवँय ह: कुछ भूिम िनज भाग करके दे , अयाOत ् उनके पता का भाग उनके हाथ सxप दे । 8 और इ\ाएिलयHसे यह कह, क यद कोई मनुंय िनपुऽ मर जाए, तो उसका भाग उसक बेट: के हाथ सxपना। 9 और यद उसके कोई बेट: भी न हो, तो उसका भाग उसके भाइयHको दे ना। 10 और यद उसके भाई भी न हH, तो उसका भाग चाचाओं को दे ना। 11 और यद उसके चाचा भी न हH, तो उसके कुल म से उसका जो कुटु Sबी सब से समीप हो उसको उसका भाग दे ना, क वह उसका अिध कारनेी हो। इ\ाएिलयHके िलथे यह (याय क विध ठहरे गी, जैसे क यहोवा ने मूसा को आWा द:।। 12 फर यहोवा ने मूसा से कहा, इस अबार:म नाम पवOत के ऊपर चढ़के उस दे श को दे ख ले 'जसे मE ने इ\ाएिलयHको दया है । 13 और जब तू उसको दे ख लेगा, तब अपके भाई हाRन क नाई तू भी अपके लोगHमे

जा िमलेगा, 14 यHक सीन नाम जंगल म तुम दोनHने म+डली के फगड़ने के समय मेर: आWा को तोड़कर मुझ से बलवा कया, और मुझे सोते के पास उनक l म पवऽ नह:ं ठहराया। ( यह मर:बा नाम सोता है जो सीन नाम जंगल के कादे श म है ) 15 मूसा ने यहोवा से कहा, 16 यहोवा, जो सारे ूा'णयHक आमाओं का परमे र है , वह इस म+डली के लोगHके ऊपर कसी पुRष को िनयुf कर दे , 17 जो उसके साSहने आया जाया करे , और उनका िनकालने और पैठानेवाला हो; 'जस से यहोवा क म+डली बना चरवाहे क भेड़ बकgरयHके समान न रहे । 18 यहोवा ने मूसा से कहा, तू नून के पुऽ यहोशू को लेकर उस पर हाथ रख; वह तो ऐसा पुRष है 'जस म मेरा आमा बसा है ; 19 और उसको एलीआजर याजक के और सार: म+डली के साSहने खड़ा करके उनके साSहने उसे आWा दे । 20 और अप क महमा म से कुछ उसे दे , 'जस से इ\ाएिलयHक सार: म+डली उसक माना करे । 21 और वह एलीआजर याजक के साSहने खड़ा हुआ करे , और एलीआजर उसके िलथे यहोवा से ऊर:म क आWा पूछा करे ; और वह इ\ाएिलयHक सार: म+डली समेत उसके कहने से जाया करे , और उसी के कहने से लौट भी आया करे । 22 यहोवा क इस आWा के अनुसार मूसा ने यहोशू को लेकर, एलीआजर याजक और सार: म+डली के साSहने खड़ा करके, 23 उस पर हाथ रखे, और उसको आWा द: जैसे क यहोवा ने मूसा के kारा कहा या।। िगनती 28 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHको यह आWा सुना क मेरा चढ़ावा, अयाOत ् मुझे सुखदायक सुग(ध दे नेवाला मेरा हeयRपी भोजन, तुम लोग मेरे

िलथे उनके िनयत समयHपर चढ़ाने के िलथे ःमरण रखना। 3 और तू उन से कह, क जो जो तुSह यहोवा के िलथे चढ़ाना होगा वे थे हE ; अयाOत ् िनय होमबिल के िलथे एक एक वषO के दो िनदzष भेड़: के ब.चे ूितदन चढ़ाया करे । 4 एक ब.चे को भोर को और दस ू रे को गोधूिल के समय चढ़ाना; 5 और भेड़ के ब.चे के पीछे एक चौयाई ह:न कूटके िनकाले हुए तेल से सने हुए एपा के दसव अंश मैदे का अ(नबिल चढ़ाना। 6 यह िनय होमबिल है , जो सीनै पवOत पर यहोवा का सुखदायक सुग(धवाला हeय होने के िलथे ठहराया गया। 7 और उसका अघO ूित एक भेड़ के ब.चे के संग एक चौयाई ह:न हो; मदरा का यह अघO यहोवा के िलथे पवऽःयान म दे ना। 8 और दस ू रे ब.चे को गोधूिल के समय चढ़ाना; अ(नबिल और अघO समेत भोर के होमबिल क नाई उसे यहोवा को सुखदायक सुग(ध दे नेवाला हeय करके चढ़ाना।। 9 फर वौमदन को दो िनदzष भेड़ के एक साल के नर ब.चे, और अ(नबिल के िलथे तेल से सना हुआ एपा का दो दसवां अंश मैदा अघO समेत चढ़ाना। 10 िनय होमबिल और उसके अघO के अलावा ूथेक वौमदन का यह: होमबिल ठहरा है ।। 11 फर अपके मह:नHके आरSभ म

ूितमास यहोवा के िलथे होमबिल चढ़ाना; अयाOत ् दो बछड़े , एक मेढ़ा, और एक एक वषO के िनदzष भेड़ के सात ब.चे; 12 और बछड़े पीछे तेल से सना हुआ एपा का तीन दसवां अंश मैदा, और उस एक मेढ़े के साय ते ल से सना हुआ एपा का दो दसवां अंश मैदा; 13 और ूथेक भेड़ के ब.चे के पीछे तेल से सना हुआ एपा का दसवां अंश मैदा, उन सभHको अ(नबिल करके चढ़ाना; वह सुखदायक सुग(ध दे ने के िलथे होमबिल और यहोवा के िलथे हeय ठहरे गा। 14 और उनके साय थे अघO हH; अयाOत ् बछड़े पीछे आध ह:न, मेढ़े के साय ितहाई ह:न, और भेड़ के ब.चे

पीछे चौयाई ह:न दाखमधु दया जाए; वषO के सब मह:नHम से ूित एक मह:ने का यह: होमबिल ठहरे । 15 और एक बकरा पापबिल करके यहोवा के िलथे चढ़ाया जाए; यह िनय होमबिल और उसके अघO के अलावा चढ़ाया जाए।। 16 फर पहले मह:ने के चौदहव दन को यहोवा का फसह हुआ करे । 17 और उसी मह:ने के प(िहव दन को पcबO लगा करे ; सात दन तक अखमीर: रोट: खाई जाए। 18 पहले दन पवऽ सभा हो; और उस दन पgरnम का कोई काम न कया जाए; 19 उस म तुम यहोवा के िलथे हeय, अयाOत ् होमबिल चढ़ाना; सो दो बछड़े , एक मेढ़ा, और एक एक वषO के सात भेड़ के ब.चे हH; थे सब िनदzष हH; 20 और उनका अ(नबिल तेल से सने हुए मैदे का हो; बछड़े पीछे एपा का तीन दसवां अंश और मेढ़े के सात एपा का दो दसवां अंश मैदा हो। 21 और सातHभेड़ के ब.चHम से ूित एक ब.चे पीछे एपा का दसवां अंश चढ़ाना। 22 और एक बकरा भी पापबिल करके चढ़ाना, 'जस से तुSहारे िलथे ूाय'_ हो। 23 भोर का होमबिल जो िनय होमबिल ठहरा है , उसके अलावा इनको चढ़ाना। 24 इस र:ित से तुम उन सातHदनHम भी हeय का भोजन चढ़ाना, जो यहोवा को सुखदायक सुग(ध दे ने के िलथे हो; यह िनय होमबिल और उसके अघO के अलावा चढ़ाया जाए। 25 और सातव दन भी तुSहार: पवऽ सभा हो; और उस दन पgरnम का कोई काम न करना।। 26 फर पहली उपज के दन म , जब तुम अपके अठवारे नाम पcबO म

यहोवा के िलथे नया अ(नबिल चढ़ाओगे, तब भी तुSहार: पवऽ सभा हो; और पgरnम का कोई काम न करना। 27 और एक होमबिल चढ़ाना, 'जस से यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(ध हो; अयाOत ् दो बछड़े , एक मेढ़ा, और एक एक वषO के सात भेड़ के ब.चे; 28 और उनका अ(नबिल तेल से सने हुए मैदे का हो; अयाOत ् बछड़े

पीछे एपा का तीन दसवां अंश, और मेढ़े के संग एपा का दो दसवां अंश, 29 और सातHभेड़ के ब.चHम से एक एक ब.चे के पीछे एपा का दसवां अंश मैदा चढ़ाना। 30 और एक बकरा भी चढ़ाना, 'जस से तुSहारे िलथे ूाय'_ हो। 31 थे सब िनदzष हH; और िनय होमबिल और उसके अ(नबिल और अघO के अलावा इसको भी चढ़ाना।। िगनती 29 1 फर सातव मह:ने के पहले दन को तुSहार: पवऽ सभा हो; उस म पgरnम का कोई काम न करना। वह तुSहारे िलथे जयजयकार का नरिसंगा फूंकने का दन ठहरा है ; 2 तुम होमबिल चढ़ाना, 'जस से यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(ध हो; अयाOत ् बछड़ा, एक मेढ़ा, और एक एक वषO के सात िनदzष भेड़ के ब.चे; 3 और उनका अ(नबिल तेल से सने हुए मैदे का हो; अयाOत ् बछड़े के साय एपा का दो दसवां अंश, 4 और सातHभेड़ के ब.चHम से एक एक ब.चे पीछे एपा का दसवां अंश मैदा चढ़ाना। 5 और एक बकरा भी पापबिल करके चढ़ाना, 'जस से तुSहारे िलथे ूाय'_ हो। 6 इन सभHसे अिधक नए चांद का होमबिल और उसका अ(नबिल, और िनय होमबिल और उसका अ(नबिल, और उन सभHके अघO भी उनके िनयम के अनुसार सुखदायक सुग(ध दे ने के िलथे यहोवा के हeय करके चढ़ाना।। 7 फर उसी सातव मह:ने के दसव दन को तुSहार: पवऽ सभा हो; तुम अपके अपके ूाण को द:ु ख दे ना, और कसी ूकार का कामकाज न करना; 8 और यहोवा के िलथे सुखदायक सुग(ध दे ने को होमबिल; अयाOत ् एक बछड़ा, एक मेढ़ा, और एक एक वषO के सात भेड़ के ब.चे चढ़ाना; फर थे सब िनदzष हH; 9

और उनका अ(नबिल तेल से सने हुए मैदे का हो; अयाOत ् बछड़े के साय एपा का तीन दसवां अंश, और मेढ़े के साय एपा का दो दसवां अंश, 10 और सातHभेड़ के ब.चHम से एक एक ब.चे के पीछे एपा का दसवां अंश मैदा चढ़ाना। 11 और पापबिल के िलथे एक बकरा भी चढ़ाना; थे सब ूाय'_ के पापबिल और िनय होमबिल और उसके अ(नबिल के, और उन सभHके अधz के अलावा चढ़ाया जाए।। 12 फर सातव मह:ने के प(िहव दन को तुSहार: पवऽ सभा हो; और उस म पgरnम का कोई काम न करना, और सात दन तक यहोवा के िलथे पcबO मानना; 13 तुम होमबिल यहोवा को सुखदायक सुग(ध दे ने के िलथे हeय करके चढ़ाना; अयाOत ् तेरह बछड़े , और दो मेढ़े, और एक एक वषO के चौदह भेड़ के ब.चे; थे सब िनदzष हH; 14 और उनका अ(नबिल तेल से सने हुए मैदे का हो; अयाOत ् तेरहHबछड़Hम से एक एक बछड़े के पीछे एपा का तीन दसवां अंश, और दोनHमेढ़Hम से एक एक मेढ़े के पीछे एपा का दो दसवां अंश, 15 और चौदहHभेड़ के ब.चHम से एक एक ब.चे के पीछे एपा का दसवां अंश मैदा चढ़ाना। 16 और पापबिल के िलथे एक बकरा चढ़ाना; थे िनय होमबिल और उसके अ(नबिल और अघO के अलावा चढ़ाए जाएं।। 17 फर दस ू रे दन बारह बछड़े , और दो मेढ़े, और एक एक वषO के चौदह िनदzष भेड़ के ब.चे चढ़ाना; 18 और बछड़H, और मेढ़H, और भेड़ के ब.चHके साय उनके अ(नबिल और अघO, उनक िगनती के अनुसार, और िनयम के अनुसार चढ़ाना।। 19 और पापबिल के िलथे एक बकरा भी चढ़ाना; थे िनय होमबिल और उसके अ(नबिल और अघO के अलावा चढ़ाए जाएं।। 20 फर तीसरे दन bयारह बछड़े , और दो मेढ़े, और एक एक वषO के चौदह िनदzष भेड़ के ब.चे चढ़ाना; 21 और बछड़H, और मेढ़H, और भेड़ के

ब.चHके साय उनके अ(नबिल और अघO, उनक िगनती के अनुसार, और िनयम के अनुसार चढ़ाना। 22 और पापबिल के िलथे एक बकरा भी चढ़ाना; थे िनय होमबिल और उसके अ(नबिल और अघO के अलावा चढ़ाए जाएं।। 23 और फर चौथे दन दस बछड़े , और दो मेढ़े, और एक एक वषO के चौदह िनदzष भेड़ के ब.चे चढ़ाना; 24 बछड़H, और मेढ़H, और भेड़ के ब.चHके साय उनके अ(नबिल और अघO, उनक िगनती के अनुसार, और िनयम के अनुसार चढ़ाना। 25 और पापबिल के िलथे एक बकरा भी चढ़ाना; थे िनय होमबिल और उसके अ(नबिल और अघO के अलावा चढ़ाए जाएं।। 26 फर पांचव दन नौ बछड़े , दो मेढ़े, और एक एक वषO के चौदह िनदzष भेड़ के ब.चे चढ़ाना; 27 और बछड़H, मेढ़H, और भेड़ के ब.चHके साय उनके अ(नबिल और अघO, उनक िगनती के अनुसार, और िनयम के अनुसार चढ़ाना। 28 और पापबिल के िलथे एक बकरा भी चढ़ाना; थे िनय होमबिल और उसके अ(नबिल और अघO के अलावा चढ़ाए जाएं।। 29 फर छठव दन आठ बछड़े , और दो मेढ़े, और एक एक वषO के चौदह िनदzष भेड़ के ब.चे चढ़ाना; 30 और बछड़H, और मेढ़H, और भेड़ के ब.चHके साय उनके अ(नबिल और अघO, उनक िगनती के अनुसार चढ़ाना। 31 और पापबिल के िलथे एक बकरा भी चढ़ाना; थे िनय होमबिल और उसके अ(नबिल और अघO के अलावा चढ़ाए जाएं।। 32 फर सातव दन सात बछड़े , और दो मेढ़े, और एक एक वषO के चौदह िनदzष भेड़ के ब.चे चढ़ाना। 33 और बछड़Hऔर मेढ़H, और भेड़ के ब.चHके साय उनके अ(नबिल और अघO, उनक िगनती के अनुसार चढ़ाना। 34 और पापबिल के िलथे एक बकरा भी चढ़ाना; थे िनय होमबिल और उसके अ(नबिल और अघO के अलावा चढ़ाए जाएं।। 35 फर आठव दन तुSहार: एक

महासभा हो; उस म पgरnम का कोई काम न करना, 36 और उस म होमबिल यहोवा को सुखदायक सुग(ध दे ने के िलथे हeय करके चढ़ाना; वह एक बछड़े , और एक मेढ़े, और एक एक वषO के सात िनदJष भेड़ के ब.चHका हो; 37 बछड़े , और मेढ़े, और भेड़ के ब.चHके साय उनके अ(नबिल और अघO, उनक िगनती के अनुसार, और िनयम के अनुसार चढ़ाना। 38 और पापबिल के िलथे एक बकरा भी चढ़ाना; थे िनय होमबिल और उसके अ(नबिल और अघO के अलावा चढ़ाए जाएं।। 39 अप क म(नतHऔर ःवे.छाबिलयHके अलावा, अपके अपके िनयत समयHम , थे ह: होमबिल, अ(नबिल, अघO, और मेलबिल, यहोवा के िलथे चढ़ाना। 40 यह सार: आWा यहोवा ने मूसा को द: जो उस ने इ\ाएिलयHको सुनाई।। िगनती 30 1 फर मूसा ने इ\ाएली गोऽHके मु‡य मु‡य पुRषHसे कहा, यहोवा ने यह आWा द: है , 2 क जब कोई पुRष यहोवा क म(नत माने, वा अपके आप को वाचा से बा(धने के िलथे शपय खाए, तो वह अपना वचन न टाले; जो कुछ उसके मुह ं से िनकला हो उसके अनुसार वह करे । 3 और जब कोई \ी अप क कुंवार: अवःया म , अपके पता के घर से रहते हुए, यहोवा क म(नत माने, वा अपके को वाचा से बा(धे, 4 तो यद उसका पता उसक म(नत वा उसका वह वचन सुनकर, 'जस से उसने अपके आप को बा(धा हो, उस से कुछ न कहे ; तब तो उसक सब म(नत

'ःयर बनी रह , और कोई ब(धन यHन हो, 'जस से उस ने अपके आप को बा(धा हो, वह भी 'ःयर रहे । 5 पर(तु यद उसका पता उसक सुनकर उसी दन उसको बरजे, तो उसक म(नत वा और ूकार के ब(धन, 'जन से उस ने अपके आप को

बा(धा हो, उन म से एक भी 'ःयर न रहे , और यहोवा यह जान कर, क उस \ी के पता ने उसे मना कर दया है , उसका यह पाप झमा करे गा। 6 फर यद वह पित के अधीन हो और म(नत माने, वा बना सोच वचार कए ऐसा कुछ कहे 'जस से वह ब(धन म पके, 7 और यद उसका पित सुनकर उस दन उससे कुछ न कहे ; तब तो उसक म(नत 'ःयर रह , और 'जन ब(धनHसे उस ने अपके आप को बा(धा हो वह भी 'ःयर रह । 8 पर(तु यद उसका पित सुनकर उसी दन उसे मना कर दे , तो जो म(नत उस ने मानी है , और जो बात बना सोच वचार कए कहने से उस ने अपके आप को वाचा से बा(धा हो, वह टू ट जाएगी; और यहोवा उस \ी का पाप झमा करे गा। 9 फर वधवा वा यागी हुई \ी क म(नत, वा कसी ूकार क वाचा का ब(धन यHन हो, 'जस से उस ने अपके आप को बा(धा हो, तो वह 'ःयर ह: रहे । 10 फर यद कोई \ी अपके पित के घर म रहते म(नत माने, वा शपय खाकर अपके आप को बा(धे, 11 और उसका पित सुनकर कुछ न कहे , और न उसे मना करे ; तब तो उसक सब म(नत 'ःयर बनी रह , और हर एक ब(धन यHन हो, 'जस से उस ने अपके आप को बा(धा हो, वह 'ःयर रहे । 12 पर(तु यद उसका पित उसक म(नत आद सुनकर उसी दन पूर: र:ित से तोड़ दे , तो उसक म(नत आद, जो कुछ उसके मुह ं से अपके ब(धन के वषय िनकला हो, उस म से एक बात भी 'ःयर न रहे ; उसके पित ने सब तोड़ दया है ; इसिलथे यहोवा उस \ी का वह पाप झमा करे गा। 13 कोई भी म(नत वा शपय यHन हो, 'जस से उस \ी ने अपके जीव को द:ु ख दे ने क वाचा बा(धी हो, उसको उसका पित चाहे तो lढ़ करे , और चाहे तो तोड़े ; 14 अयाOत ् यद उसका पित दन ूित दन उस से कुछ भी न कहे , तो वह उसको सब म(नत आद ब(धनHको

'जस से वह ब(धी हो lढ़ कर दे ता है ; उस ने उनको lढ़ कया है , यHक सुनने के दन उस ने कुछ नह:ं कहा। 15 और यद वह उ(ह सुनकर पीछे तोड़ दे , तो अप क \ी के अधमO का भार वह: उठाएगा। 16 पित प^ी के बीच, और पता और उसके घर मे रहती हुई कुंवार: बेट: के बीच, 'जन विधयHक आWा यहोवा ने मूसा को द: वे थे ह: हE ।। िगनती 31 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 िमrािनयHसे इ\ाएिलयHका पलटा ले; बाद को तू अपके लोगHम जा िमलेगा। 3 तब मूसा ने लोगHसे कहा, अपके म से पुRषHको युa के िलथे हिययार ब(धाओ, क वे िमrािनयHपर चढ़के उन से यहोवा का पलटा ले। 4 इ\ाएल के सब गोऽHम से ूथेक गोऽ के एक एक हजार पुRषHको युa करने के िलथे भेजो। 5 तब इ\ाएल के सब गोऽHम से ूथेक गोऽ के एक एक हजार पुRष चुने गथे, अयाOत ् युa के िलथे हिययार-ब(द बारह हजार पुRष। 6 ूथेक गोऽ म से उन हजार हजार पुRषHको, और एलीआजर याजक के पुऽ पीनहास को, मूसा ने युa करने के िलथे भेजा, और उसके हाथ म पवऽःयान के पाऽ और वे तुरहयां यीं जो सांस बा(ध बा(ध कर फूंक जाती यीं। 7 और जो आWा यहोवा ने मूसा को द: यी, उसके अनुसार उ(हHने िमrािनयHसे युa करके सब पुRषHको घात कया। 8 और दस ू रे जूफे हुओं को छोड़ उ(हHने एवी, रे केम, सूर, हूर, और रे बा नाम िमrान के पांचHराजाओं को घात कया; और बोर के पुऽ बलाम को भी उ(हHने तलवार से घात कया। 9 और इ\ाएिलयHने िमrानी '\यHको बालब.चHसमेत ब(धुआई म कर िलया; और उनके गाय-बैल,

भेड़-बकर:, और उनक सार: सSप को लूट िलया। 10 और उनके िनवास के सब नगरH, और सब छाविनयHको फूंक दया; 11 तब वे, या मनुंय या पशु, सब ब(धुओं और सार: लूट-पाट को लेकर 12 यर:हो के पास क यरदन नद: के तीर पर, मोआब के अराबा म , छावनी के िनकट, मूसा और एलीआजर याजक और इ\ाएिलयHक म+डली के पास आए।। 13 तब मूसा और एलीआजर याजक और म+डली के सब ूधान छावनी के बाहर उनका ःवागत करने को िनकले। 14 और मूसा सह\पित-शतपित आद, सेनापितयHसे, जो युa करके लौटे आते थे बोिधत होकर कहने लगा, 15 या तुम ने सब '\यHको जीवत छोड़ दया? 16 दे खे, बलाम क सSमित से, पोर के वषय म इ\ाएिलयHसे यहोवा का व ासघात इ(ह:ं ने कराया, और यहोवा क म+डली म मर: फैली। 17 सो अब बालब.चHम से हर एक लड़के को, और 'जतनी '\यHने पुRष का मुह ं दे खा हो उन सभHको घात करो। 18 पर(तु 'जतनी लड़कयHने पुRष का मुह ं न दे खा हो उन सभHको तुम अपके िलथे जीवत रखो। 19 और तुम लोग सात दन तक छावनी के बाहर रहो, और तुम म से 'जतनHने कसी ूाणी को घात कया, और 'जतनHने कसी मरे हुए को छूआ हो, वे सब अपके अपके ब(धुओं समेत तीसरे और सातव

दनHम अपके अपके को पाप छुड़ाकर पावन कर । 20 और सब वH, और चमड़े क बनी हुई सब वःतुओं, और बकर: के बालHक और लकड़: क बनी हुई सब वःतुओं को पावन कर लो। 21 तब एलीआजर याजक ने सेना के उन पुRषHसे जो युa करने गए थे कहा, eयवःया क 'जस विध क आWा यहोवा ने मूसा को द: है वह यह है , 22 क सोना, चांद:, पीतल, लोहा, रांगा, और सीसा, 23 जो कुछ आग म ठहर सके उसको आग म डालो, तब वह शुa ठहरे गा; तौभी वह अशुaता

छुड़ानेवाले जल के kारा पावन कया जाए; पर(तु जो कुछ आग म न ठहर सके उसे जल म डु बाओ। 24 और सातव दन अपके व\Hको धोना, तब तुम शुa ठहरोगे ; और तब छावनी म आना।। 25 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 26 एलीआजर याजक और म+डली के पतरHके घरानHके मु‡य मु‡य पुRषHको साय लेकर तू लूट के मनुंयHऔर पशुओं क िगनती कर; 27 तब उनको आधा आधा करके एक भाग उन िसपाहयHको जो युa करने को गए थे, और दस ू रा भाग म+डली को दे । 28 फर जो िसपाह: युa करने को गए थे, उनके आधे म से यहोवा के िलथे, या मनुंय, या गाय-बैल, या गदहे , या भेड़-बकgरयां 29 पांच सौ के पीछे एक को मानकर ले ले; और यहोवा क भ ट करके एलीआजर याजक को दे दे । 30 फर इ\ाएिलयHके आधे म से, या मनुंय, या गाय-बैल, या गदहे , या भेड़-बकgरयां, या कसी ूकार का पशु हो, पचास के पीछे एक लेकर यहोवा के िनवास क रखवाली करनेवाले लेवयHको दे । 31 यहोवा क इस आWा के अनुसार जो उस ने मूसा को द: मूसा और एलीआजर याजक ने कया। 32 और जो वःतुएं सेना के पुRषHने अपके अपके िलथे लूट ली यीं उन से अिधक क लूट यह यी; अयाOत ् छ: लाख पचहर हजार भेड़-बकgरयां, 33 बहर हजार गाय बैल, 34 इकसठ हजार गदहे , 35 और मनुंयHम से 'जन '\यHने पुRष का मुह ं नह:ं दे खा या वह सब बीस हजार यीं। 36 और इसका आधा, अयाOत ् उनका भाग जो युa करने को गए थे, उस म भेड़बकgरयां तीन लाख साढ़े सEतीस हजार, 37 'जस म से पौने सात सौ भेड़-बकgरयां यहोवा का कर ठहर:ं। 38 और गाय-बैल छीस हजार, 'जन म से बहर यहोवा का कर ठहरे । 39 और गदहे साढ़े तीस हजार, 'जन म से इकसठ यहोवा का कर ठहरे । 40 और मनुंय सोलह हजार 'जन म से

बीस ूाणी यहोवा का कर ठहरे । 41 इस कर को जो यहोवा क भ ट यी मूसा ने यहोवा क आWा के अनुसार एलीआजर याजक को दया। 42 और इ\ाएिलयHक म+डली का आधा 43 तीन लाख साढ़े सEितस हजार भेड़-बकgरयां 44 छीस हजार गाय-बैल, 45 साढ़े तीस हजार गदहे , 46 और सोलह हजार मनुंय हुए। 47 इस आधे म से, 'जसे मूसा ने युa करनेवाले पुRषHके पास से अलग कया या, यहोवा क आWा के अनुसार मूसा ने, या मनुंय या पशु, पचास पीछे एक लेकर यहोवा के िनवास क रखवाली करनेवाले लेवयHको दया। 48 तब सह\पित-शतपित आद, जो सरदार सेना के हजारHके ऊपर िनयुf थे, वे मूसा के पास आकर कहने लगे, 49 जो िसपाह: हमारे अधीन थे उनक तेरे दासHने िगनती ली, और उन म से एक भी नह:ं घटा। 50 इसिलथे पायजेब, कड़े , मुद ं gरयां, बािलयां, बाजूब(द, सोने के जो गहने, 'जस ने पाया है , उनको हम यहोवा के साSहने अपके ूाणHके िनिम ूाय'_ करने को यहोवा क भ ट करके ले आए हE । 51 तब मूसा और एलीआजर याजक ने उन से वे सब सोने के न काशीदार गहने ले िलए। 52 और सह\पितयHऔर शतपितयHने जो भ ट का सोना यहोवा क भ ट करके दया वह सब का सब सोलह हजार साढ़े सात सौ शेकेल का या। 53 ( योaाओं ने तो अपके अपके िलथे लूट ले ली यी। ) 54 यह सोना मूसा और एलीआजर याजक ने सह\पितयHऔर शतपितयHसे लेकर िमलापवाले तSबू म

पहुंचा दया, क इ\ाएिलयHके िलथे यहोवा के साSहने ःॆण दलानेवाली वःतु ठहरे ।। िगनती 32

1 RबेिनयHऔर गादयHके पास बहुत जानवर थे। जब उ(हHने याजेर और िगलाद दे शHको दे खकर वचार कया, क वह ढ़ोरHके योbय दे श है , 2 तब मूसा और एलीआजर याजक और म+डली के ूधानHके पास जाकर कहने लगे, 3 अतारोत, द:बोन, याजेर, िनॆा, हे शबोन, एलाले, सबाम, नबो, और बोन नगरHका दे श 4 'जस पर यहोवा ने इ\ाएल क म+डली को वजय दलवाई है , वह ढोरHके योbय है ; और तेरे दासHके पास ढोर हE । 5 फर उ(हHने कहा, यद ते रा अनुमह तेरे दासHपर हो, तो यह दे श तेरे दासHको िमले क उनक िनज भूिम हो; हम यरदन पार न ले चल। 6 मूसा ने गादयHऔर Rबे िनयHसे कहा, जब तुSहारे भाई युa करने को जाएंगे तब या तुम यहां बैठे रहोगे? 7 और इ\ाएिलयHसे भी उस पार के दे श जाने के वषय जो यहोवा ने उ(ह दया है तुम यHअःवीकार करवाते हो? 8 जब मE ने तुSहारे बापदादHको कादे शबन से कनान दे श दे खने के िलथे भेजा, तब उ(हHने भी ऐसा ह: कया या। 9 अयाOत ् जब उ(हHने एशकोल नाम नाले तक पहंु चकर दे श को दे खा, तब इ\ाएिलयHसे उस दे श के वषय जो यहोवा ने उ(ह

दया या अःवीकार करा दया। 10 इसिलथे उस समय यहोवा ने कोप करके यह शपय खाई क, 11 िन:स(दे ह जो मनुंय िमॐ से िनकल आए हE उन म से, 'जतने बीस वषO के वा उस से अिधक अवःया के हE , वे उस दे श को दे खने न पाएंगे, 'जसके दे ने क शपय मE ने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब से खाई है , यHक वे मेरे पीछे पूर: र:ित से नह:ं हो िलथे; 12 पर(तु यपु(ने कनजी का पुऽ कालेब, और नून का पुऽ यहोशू, थे दोनHजो मेरे पीछे पूर: र:ित से हो िलथे हE थे तो उसे दे खने पाएंगे। 13 सो यहोवा का कोप इ\ाएिलयHपर भड़का, और जब तक उस पीढ़: के सब लोगHका अ(त न हुआ, 'ज(हHने यहोवा के ूित बुरा कया या,

तब तक अयाOत ् चालीस वषO तक वह जंगल म मारे मारे फराता रहा। 14 और सुनो, तुम लोग उन पापयHके ब.चे होकर इसी िलथे अपके बाप-दादHके ःयान पर ूकट हुए हो, क इ\ाएल के वRa यहोवा से भड़के हुए कोप को और भड़काओ! 15 यद तुम उसके पीछे चलने से फर जाओ, तो वह फर हम सभHको जंगल म छोड़ दे गा; इस ूकार तुम इन सारे लोगHका नाश कराओगे। 16 तब उ(हHने मूसा के और िनकट आकर कहा, हम अपके ढ़ोरHके िलथे यह:ं भेड़शाले बनाएंगे, और अपके बालब.चHके िलथे यह:ं नगर बसाएंगे, 17 पर(तु आप इ\ाएिलयHके आगे आगे हिययार ब(द तब तक चल गे, जब तक उनको उनके ःयान म न पहंु चा दे ; पर(तु हमारे बालब.चे इस दे श के िनवािसयHके डर से गढ़वाले नगरHम रह गे। 18 पर(तु जब तक इ\ाएली अपके अपके भाग के अिध कारनेी न हHतब तक हम अपके घरHको न लौट गे। 19 हम उनके साय यरदन पार वा कह:ं आगे अपना भाग न ल गे, यHक हमारा भाग यरदन के इसी पार पूरब क ओर िमला है । 20 तब मूसा ने उन से कहा, यद तुम ऐसा करो, अयाOत ् यद तुम यहोवा के आगे आगे युa करने को हिययार बा(धो। 21 और हर एक हिययार-ब(द यरदन के पार तब तक चले, जब तक यहोवा अपके आगे से अपके शऽुओं को न िनकाले 22 और दे श यहोवा के वश म न आए; तो उसके पीछे तुम यहां लौटोगे, और यहोवा के और इ\ाएल के वषय िनदzष ठहरोगे; और यह दे श यहोवा के ूित तुSहार: िनज भूिम ठहरे गा। 23 और यद तुम ऐसा न करो, तो यहोवा के वRa पापी ठहरोगे; और जान रखो क तुम को तुSहारा पाप लगेगा। 24 तुम अपके बालब.चHके िलथे नगर बसाओ, और अप क भेड़-बकgरयHके िलथे भेड़शाले बनाओ; और जो तुSहारे मुह ं से िनकला है वह:

करो। 25 तब गादयHऔर RबेिनयHने मूसा से कहा, अपके ूभु क आWा के अनुसार तेरे दास कर गे। 26 हमारे बालब.चे, '\यां, भेड़-बकर: आद, सब पशु तो यह:ं िगलाद के नगरHम रह गे; 27 पर(तु अपके ूभु के कहे के अनुसार तेरे दास सब के सब युa के िलथे हिययार-ब(द यहोवा के आगे आगे लड़ने को पार जाएंगे। 28 तब मूसा ने उनके वषय म एलीआजर याजक, और नून के पुऽ यहोशू, और इ\ाएिलयHके गोऽHके पतरHके घरानHके मु‡य मु‡य पुRषHको यह आWा द:, 29 क यद सब गाद: और Rबेनी पुRष युa के िलथे हिययार-ब(द तुSहारे संग यरदन पार जाएं, और दे श तुSहारे वश म आ जाए, तो िगलाद दे श उनक िनज भूिम होने को उ(ह दे ना। 30 पर(तु यद वे तुSहारे संग हिययार-ब(द पार न जाएं, तो उनक िनज भूिम तुSहारे बीच कनान दे श म ठहरे । 31 तब गाद: और Rबेनी बोल उठे , यहोवा ने जैसा तेरे दासHसे कहलाया है वैसा ह: हम कर गे। 32 हम हिययार-ब(द यहोवा के आगे आगे उस पार कनान दे श म

जाएंगे, पर(तु हमार: िनज भूिम यरदन के इसी पार रहे ।। 33 तब मूसा ने गादयHऔर Rबे िनयHको, और यूसफ ु के पुऽ मनँशे के आधे गोऽयHको एमोgरयHके राजा सीहोन और बाशान के राजा ओग, दोनHके राGयHका दे श, नगरH, और उनके आसपास क भूिम समेत दे दया। 34 तब गादयHने द:बोन, अतारोत, अरोएर, 35 अऽौत, शोपान, याजेर, योगबहा, 36 बेतिनॆा, और बेयारान नाम नगरHको lढ़ कया, और उन म भेड़-बकgरयHके िलथे भेड़शाले बनाए। 37 और RबेिनयHने हे शबोन, एलाले, और कयाOतैम को, 38 फर नबो और बालमोन के नाम बदलकर उनको, और िसबमा को lढ़ कया; और उ(हHने अपके lढ़ कए हुए नगरHके और और नाम रखे । 39 और मनँशे के पुऽ माकर के वंशवालHने

िगलाद दे श म जाकर उसे ले िलया, और जो एमोर: उस म रहते थे उनको िनकाल दया। 40 तब मूसा ने मनँशे के पुऽ माकर के वंश को िगलाद दे दया, और वे उस म रहने लगे। 41 और मनँशेई याईर ने जाकर िगलाद क कतनी ब'ःतयां ले लीं, और उनके नाम हeवोयाईर रखे। 42 और नोबह ने जाकर गांवHसमेत कनात को ले िलया, और उसका नाम अपके नाम पर नोबह रखा।। िगनती 33 1 जब से इ\ाएली मूसा और हाRन क अगुवाई से दल बा(धकर िमॐ दे श से िनकले, तब से उनके थे पड़ाव हुए। 2 मूसा ने यहोवा से आWा पाकर उनके कूच उनके पड़ावHके अनुसार िलख दए; और वे थे हE । 3 पहले मह:ने के प(िहव दन को उ(हHने रामसेस से कूच कया; फसह के दस ू रे दन इ\ाएली सब िमिॐयHके दे खते बे खटके िनकल गए, 4 जब क िमॐी अपके सब पहलौठHको िम=ट: दे रहे थे 'ज(ह यहोवा ने मारा या; और उस ने उनके दे वताओं को भी द+ड दया या। 5 इ\ाएिलयHने रामसेस से कूच करे सु कोत म डे रे डाले। 6 और सु कोत से कूच करके एताम म , जो जंगल के छोर पर हE , डे रे डाले। 7 और एताम से कूच करके वे पीहह:रोत को मुड़ गए, जो बालसपोन के साSहने है ; और िमगदोल के साSहने डे रे खड़े कए। 8 तब वे पीहह:रोत के साSहने से कूच कर समुि के बीच होकर जंगल म गए, और एताम नाम जंगल म तीन दन का मागO चलकर मारा म डे रे डाले। 9 फर मारा से कूच करके वे एलीम को गए, और एलीम म जल के बारह सोते और सर खजूर के वृझ िमले, और उ(हHने वहां डे रे खड़े कए। 10 तब उ(हHने एलीम से कूच करे लाल समुि के तीर पर डे रे खड़े कए। 11 और लाल समुि से कूच

करके सीन नाम जंगल म डे रे खड़े कए। 12 फर सीन नाम जंगल से कूच करके उ(हHने दोपका म डे रा कया। 13 और दोपका से कूच करके आलूश म डे रा कया। 14 और आलूश से कूच करके रपीद:म म डे रा कया, और वहां उन लोगHको पीने का पानी न िमला। 15 फर उ(हHने रपीद:म से कूच करके सीनै के जंगल म डे रे डाले। 16 और सीनै के जंगल से कूच करके कॄोयावा म डे रा कया। 17 और कॄोयावा से कूच करे हसेरोत म डे रे डाले। 18 और हसेरोत से कूच करके gरमा म डे रे डाले। 19 फर उ(हHने gरमा से कूच करके gरSमोनपेरेस म डे रे खड़े कए। 20 और gरSमोनपेरेस से कूच करके िलcना म डे रे खड़े कए। 21 और िलcना से कूच करके gरःसा म डे रे खड़े कए। 22 और gरःसा से कूच करके कहे लाता म डे रा कया। 23 और कहे लाता से कूच करके शेपेर पवOत के पास डे रा कया। 24 फर उ(हHने शेपेर पवOत से कूच करके हरादा म डे रा कया। 25 और हरादा से कूच करके मखेलोत म डे रा कया। 26 और मखेलोत से कूच करके तहत म डे रे खड़े कए। 27 और तहत से कूच करके तेरह म डे रे डाले। 28 और तेरह से कूच करके िमका म डे रे डाले। 29 फर िमका से कूच करके उ(हHने हशमोना म डे रे डाले। 30 और हशमोना से कूच करके मोसेरोत मे डे रे खड़े कए। 31 और मोसेरोत से कूच करके याकािनयHके बीच डे रा कया। 32 और याकािनयHके बीच से कूच करके होहO 'bगदगाद म डे रा कया। 33 और होहO 'bगदगाद से कूच करके योतबाता म

डे रा कया। 34 और योतबाता से कूच करके अॄोना म डे रे खड़े कए। 35 और अॄोना से कूच करके एःयोनगेबेर म डे रे खड़े कए। 36 और एःयोनगेबेर के कूच करके उ(हHने सीन नाम जंगल के कादे श म डे रा कया। 37 फर कादे श से कूच करके होर पवOत के पास, जो एदोम दे श के िसवाने पर है , डे रे डाले। 38 वहां

इ\ाएिलयHके िमॐ दे श से िनकलने के चालीसव वषO के पांचव मह:ने के पहले दन को हाRन याजक यहोवा क आWा पाकर होर पवOत पर चढ़ा, और वहां मर गया। 39 और जब हाRन होर पवOत पर मर गया तब वह एक सौ तेईस वषO का या। 40 और अरात का कनानी राजा, जो कनान दे श के द' खन भाग म रहता या, उस ने इ\ाएिलयHके आने का समाचार पाया। 41 तब इ\ाएिलयHने होर पवOत से कूच करके सलमोना म डे रे डाले। 42 और सलमोना से कूच करके पूनोन म डे रे डाले। 43 और पूनोन से कूच करके ओबोस म डे रे डाले। 44 और ओबोस से कूच करके अबार:म नाम ड:हHम जो मोआब के िसवाने पर हE , डे रे डाले। 45 तब उन ड:हHसे कूच करके उ(हHने द:बोनगाद म डे रा कया। 46 और द:बोनगाद से कूच करके अ`मोनदबलातैम से कूच करके उ(हHने अबार:म नाम पहाड़Hम नबो के साSहने डे रा कया। 47 और अ`मोनदबलातैम से कूच करके उ(हHने अबार:म नाम पहाड़Hम नबो के साSहने डे रा कया। 48 फर अबार:म पहाड़Hसे कूच करके मोआब के अराबा म , यर:हो के पास यरदन नद: के तट पर डे रा कया। 49 और वे मोआब के अराबा म वे यशीमोत से लेकर आबेलिशीम तक यरदन के तीर तीर डे रे डाले।। 50 फर मोआब के अराबा म , यर:हो के पास क यरदन नद: के तट पर, यहोवा ने मूसा से कहा, 51 इ\ाएिलयHको समझाकर कह, जब तुम यरदन पार होकर कनान दे श म पहंु चो 52 तब उस दे श के िनवािस कH उनके दे श से िनकाल दे ना; और उनके सब न काशे पयरHको और ढली हुई मूितयJको नाश करना, और उनके सब पूजा के ऊंचे ःयानHको ढा दे ना। 53 और उस दे श को अपके अिध कारने म लेकर उस म िनवास करना, यHक मE ने वह दे श तुSह:ं को दया है क तुम उसके अिध कारनेी हो। 54 और तुम उस दे श को िच=ठq

डालकर अपके कुलHके अनुसार बांट लेना; अयाOत ् जो कुल अिधकवाले हE उ(ह

अिधक, और जो योड़े वाले हE उनको योड़ा भाग दे ना; 'जस कुल क िच=ठq 'जस ःयान के िलथे िनकले वह: उसका भाग ठहरे ; अपके पतरHके गोऽHके अनुसार अपना अपना भाग लेना। 55 पर(तु यद तुम उस दे श के िनवािस कH अपके आगे से न िनकालोगे, तो उन म से 'जनको तुम उस म रहने दोगे वे मानो तुSहार: आंखHम कांटे और तुSहारे पांजरHम कल ठहर गे, और वे उस दे श म जहां तुम बसोगे तुSह संकट म डाल गे। 56 और उन से जैसा बताOव करने क मनसा मE ने क है वैसा ह: तुम से कRंगा। िगनती 34 1 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHको यह आWा दे , क जो दे श तुSहारा भाग होगा वह तो चारHओर से िसवाने तक का कनान दे श है , इसिलथे जब तुम कनान दे श मे पहंु चH, 3 तब तुSहारा द' खनी ूा(त सीन नाम जंगल से ले एदोम दे श के कनारे कनारे होता हुआ चला जाए, और तुSहारा द' खनी िसवाना खारे ताल के िस के पर आरSभ होकर प'_म क ओर चले; 4 वहां से तुSहारा िसवाना अबcबीम नाम चढ़ाई क द' खन क ओर पहंु चकर मुड़े, और सीन तक आए, और कादे शबन क द' खन क ओर िनकले, और हसरXार तक बढ़के अःमोन तक पहंु चे; 5 फर वह िसवाना अःमोन से घूमकर िमॐ के नाले तक पहंु चे, और उसका अ(त समुि का तट ठहरे । 6 फर प'.छमी िसवाना महासमुि हो; तुSहारा प'.छमी िसवाना यह: ठहरे । 7 और तुSहारा उर:य िसवाना यह हो, अयाOत ् तुम महासमुि से ले होर पवOत तक िसवाना ब(धाना; 8 और होर पवOत से हामात क

घाट: तक िसवाना बा(धना, और वह सदाद पर िनकले; 9 फर वह िसवाना 'जूोन तक पहुंचे, और हसरे नान पर िनकले; तुSहारा उर:य िसवाना यह: ठहरे । 10 फर अपना पूरबी िसवाना हसरे नान से शपाम तक बा(धना; 11 और वह िसवाना शपाम से gरबला तक, जो ऐन क पूवO क ओर है , नीचे को उतरते उतरते क(नेरेत नाम ताल के पूवO से लग जाए; 12 और वह िसवाना यरदन तक उतरके खारे ताल के तट पर िनकले। तुSहारे दे श के चारHिसवाने थे ह: ठहर । 13 तब मूसा ने इ\ाएिलयHसे फर कहा, 'जस दे श के तुम िच=ठq डालकर अिध कारनेी होगे, और यहोवा ने उसे साढ़े नौ गोऽ के लोगHको दे ने क आWा द: है , वह यह: है ; 14 पर(तु Rबे िनयHऔर गादयHके गोऽ तो अपके अपके पतरHके कुलHके अनुसार अपना अपना भाग पा चुके हE , और मनँशे के आधे गोऽ के लोग भी अपना भाग पा चुके हE ; 15 अयाOत ् उन अढ़ाई गोऽHके लोग यर:हो के पास क यरदन के पार पूवO दशा म , जहां सूयzदय होता है , अपना अपना भाग पा चुके हE ।। 16 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 17 क जो पुRष तुम लोगHके िलथे उस दे श को बांट गे उनके नाम थे हE ; अयाOत ् एलीआजर याजक और नून का पुऽ यहोशू। 18 और दे श को बांटने के िलथे एक एक गोऽ का एक एक ूधान ठहराना। 19 और इन पुRषHके नाम थे हE ; अयाOत ् यहूदागोऽी यपु(ने का पुऽ कालेब, 20 िशमोनगोऽी अSमीहूद का पुऽ शमुएल, 21 ब(यामीनगोऽी कसलोन का पुऽ एलीदाद, 22 दािनयHके गोऽ का ूधान योbली का पुऽ बु क, 23 यूसु फयHम से मनँशेइयHके गोऽ का ूधान एपोद का पुऽ ह(नीएल, 24 और एूैिमयHके गोऽ का ूधान िशSतान का पुऽ कमूएल, 25 जबूलिू नयHके गोऽ का ूधान पनाOक का पुऽ एलीसापान, 26 इःसाकाgरयHके गोऽ का ूधान अGजान का पुऽ पलतीएल, 27

आशेgरयHके गोऽ का ूधान शलोमी का पुऽ अह:हूद, 28 और नTािलयHके गोऽ का ूधान अSमीहूद का पुऽ पदहे ल। 29 'जन पुRषHको यहोवा ने कनान दे श को इ\ाएिलयHके िलथे बांटने क आWा द: वे थे ह: हE ।। िगनती 35 1 फर यहोवा ने, मोआब के अराबा म , यर:हो के पास क यरदन नद: के तट पर मूसा से कहा, 2 इ\ाएिलयHको आWा दे , क तुम अपके अपके िनज भाग क भूिम म से लेवयHको रहने के िलथे नगर दे ना; और नगरHके चारHओर क चराइयां भी उनको दे ना। 3 नगर तो उनके रहने के िलथे, और चराइयां उनके गाय-बैल और भेड़-बकर: आद, उनके सब पशुओं के िलथे हHगी। 4 और नगरHक चराइयां, 'ज(ह तुम लेवयHको दोगे, वह एक एक नगर क शहरपनाह से बाहर चारHओर एक एक हजार हाथ तक क हH। 5 और नगर के बाहर पूव,O द' खन, प'.छम, और उर अलंग, दो दो हजार हाथ इस र:ित से नापना क नगर बीचHबीच हो; लेवयHके एक एक नगर क चराई इतनी ह: भूिम क हो। 6 और जो नगर तुम लेवयHको दोगे उन म से छ: शरणनगर हH, 'ज(ह तुम को खूनी के भागने के िलथे ठहराना होगा, और उन से अिधक बयालीस नगर और भी दे ना। 7 'जतने नगर तुम लेवयHको दोगे वे सब अड़तालीस हH, और उनके साय चराइयां दे ना। 8 और जो नगर तुम इ\ाएिलयHक िनज भूिम म से दो, वे 'जनके बहुत नगर हHउन से योड़े लेकर दे ना; सब अपके अपके नगरHम से लेवयHको अपके ह: अपके भाग के अनुसार द ।। 9 फर यहोवा ने मूसा से कहा, 10 इ\ाएिलयHसे कह, क जब तुम यरदन पार होकर कनान दे श म पहंु चो, 11 तक ऐसे नगर ठहराना जो

तुSहारे िलथे शरणनगर हH, क जो कोई कसी को भूल से मारके खूनी ठहरा हो वह वहां भाग जाए। 12 वे नगर तुSहारे िनिम पलटा लेनेवाले से शरण लेने के काम आएंगे, क जब तक खूनी (याय के िलथे म+डली के साSहने खड़ा न हो तब तक वह न मार डाला जाए। 13 और शरण के जो नगर तुम दोगे वे छ: हH। 14 तीन नगर तो यरदन के इस पार, और तीन कनान दे श म दे ना; शरणनगर इतने ह: रह । 15 थे छहHनगर इ\ाएिलयHके और उनके बीच रहनेवाले परदे िशयHके िलथे भी शरणःयान ठहर , क जो कोई कसी को भूल से मार डाले वह वह:ं भाग जाए। 16 पर(तु यद कोई कसी को लोहे के कसी हिययार से ऐसा मारे क वह मर जाए, तो वह खूनी ठहरे गा; और वह खूनी अवँय मार डाला जाए। 17 और यद कोई ऐसा पयर हाथ म लेकर, 'जस से कोई मर सकता है , कसी को मारे , और वह मर जाए, तो वह भी खूनी ठहरे गा; और वह खूनी अवँय मार डाला जाए। 18 वा कोई हाथ म ऐसी लकड़: लेकर, 'जस से कोई मर सकता है , कसी को मारे , और वह मर जाए, तो वह भी खूनी ठहरे गा; और वह खूनी अवँय मार डाला जाए। 19 लोहू का पलटा लेनेवाला आप क उस खूनी को मार डाले; जब भी वह िमले तब ह: वह उसे मार डाले। 20 और यद कोई कसी को बैर से ढकेल दे , वा घात लगाकर कुछ उस पर ऐसे फ क दे क वह मर जाए, 21 वा शऽुता से उसको अपके हाथ से ऐसा मारे क वह मर जाए, तो 'जस ने मारा हो वह अवँय मार डाला जाए; वह खूनी ठहरे गा; लोहू का पलटा लेनेवाला जब भी वह खूनी उसे िमल जाए तब ह: उसको मार डाले। 22 पर(तु यद कोई कसी को बना सोचे, और बना शऽुता रखे ढकेल दे , वा बना घात लगाए उस पर कुछ फ क दे , 23 वा ऐसा कोई पयर लेकर, 'जस से कोई मर सकता है , दस ू रे को बना दे खे उस पर

फ क दे , और वह मर जाए, पर(तु वह न उसका शऽु हो, और न उसक हािन का खोजी रहा हो; 24 तो म+डली मारनेवाले और लोहू का पलटा लेनेवाले के बीच इन िनयमHके अनुसार (याय करे ; 25 और म+डली उस खूनी को लोहू के पलटा लेनेवाले के हाथ से बचाकर उस शरणनगर म जहां वह पहले भाग गया हो लौटा दे , और जब तक पवऽ तेल से अिभषेक कया हुआ महाथाजक न मर जाए तब तक वह वह:ं रहे । 26 पर(तु यद वह खूनी उस शरणःयान के िसवाने से 'जस म

वह भाग गया हो बाहर िनकलकर और कह:ं जाए, 27 और लोहू का पलटा लेनेवाला उसको शरणःयान के िसवाने के बाहर कह:ं पाकर मार डाले, तो वह लोहू बहाने का दोषी न ठहरे । 28 यHक खूनी को महाथाजक क मृयु तक शरणःयान म रहना चाहथे; और महाथाजक के मरने के प_ात ् वह अप क िनज भूिम को लौट सकेगा। 29 तुSहार: पीढ़: पीढ़: म तुSहारे सब रहने के ःयानHम (याय क यह विध होगी। 30 और जो कोई कसी मनुंय को मार डाले वह सा'झयHके कहने पर मार डाला जाए, पर(तु एक ह: साझी क साझी से कोई न मार डाला जाए। 31 और जो खूनी ूाणद+ड के योbय ठहरे उस से ूाणद+ड के बदले म जुरमाना न लेना; वह अवँय मार डाला जाए। 32 और जो कसी शरणःयान म भागा हो उसके िलथे भी इस मतलब से जुरमाना न लेना, क वह याजक के मरने से पहले फर अपके दे श मे रहने को लौटने पाएं। 33 इसिलथे 'जस दे श म तुम रहोगे उसको अशुa न करना; खून से तो दे श अशुa हो जाता है , और 'जस दे श म जब खून कया जाए तब केवल खूनी के लोहू बहाने ह: से उस दे श का ूाय'_ हो सकता है । 34 'जस दे श म तुम िनवास करोगे उसके बीच मै रहंू गा, उसको अशुa न करना; मE यहोवा तो इ\ाएिलयHके बीच रहता हंू ।।

िगनती 36 1 फर यूसु फयHके कुलHम से िगलाद, जो माकर का पुऽ और मनँशे का पोता या, उसके वंश के कुल के पतरHके घरानHके मु‡य मु‡य पुRष मूसा के समीप जाकर उस ूधानHके साSहने, जो इ\ाएिलयHके पतरHके घरानHके मु‡य पुRष थे, कहने लगे, 2 यहोवा ने हमारे ूभु को आWा द: यी, क इ\ाएिलयHको िच=ठq डालकर दे श बांट दे ना; और फर यहोवा क यह भी आWा हमारे ूभु को िमली, क हमारे सगोऽी सलोफाद का भाग उसक बे टयHको दे ना। 3 तो यद वे इ\ाएिलयHके और कसी गोऽ के पुRषHसे cयाह: जाएं, तो उनका भाग हमारे पतरHके भाग से छूट जाएगा, और 'जस गोऽ म से cयाह: जाएं उसी गोऽ के भाग म िमल जाएगा; तब हमारा भाग घट जाएगा। 4 और जब इ\ाएिलयHक जुबली होगी, तब 'जस गोऽ म वे cयाह: जाएं उसके भाग म उनका भाग प क र:ित से िमल जाएगा; और वह हमारे पतरHके गोऽ के भाग से सदा के िलथे छूट जाएगा। 5 तब यहोवा से आWा पाकर मूसा ने इ\ाएिलयHसे कहा, यूसु फयHके गोऽी ठqक कहते हE । 6 सलोफाद क बेटयHके वषय म यहोवा ने यह आWा द: है , क जो वर 'जसक l म अ.छा लगे वह उसी से cयाह: जाए; पर(तु वे अपके मूलपुRष ह: के गोऽ के कुल म cयाह: जाएं। 7 और इ\ाएिलयHके कसी गोऽ का भाग दस ू रे के गोऽ के भाग म ने िमलने पाए; इ\ाएली अपके अपके मूलपुRष के गोऽ के भाग पर बने रह । 8 और इ\ाएिलयHके कसी गोऽ म कसी क बेट: हो जो भाग पानेवाली हो, वह अपके ह: मूलपुRष के गोऽ के कसी पुRष से cयाह: जाए, इसिलथे क इ\ाएली अपके अपके मूलपुRष के भाग के अिध कारनेी रह । 9 कसी गोऽ का भाग दस ू रे गोऽ के भाग म िमलने न पाएं; इ\ाएिलयHके एक एक

गोऽ के लोग अपके अपके भाग पर बने रह । 10 यहोवा क आWा के अनुसार जो उस ने मूसा को द: सलोफाद क बेटयHने कया। 11 अयाOत ् महला, ितसाO, होbला, िमलका, और नोआ, जो सलोफाद क बेटयां यी, उ(हHने अपके चचेरे भाइयHसे cयाह कया। 12 वे यूसफ ु के पुऽ मनँशे के वंश के कुलHम cयाह: गई, और उनका भाग उनके मूलपुRष के कुल के गोऽ के अिध कारने म बना रहा।। 13 जो आWाएं और िनयम यहोवा ने मोआब के अराबा म यर:हो के पास क यरदन नद: के तीर पर मूसा के kारा इ\ाएिलयHको दए वे थे ह: हE ।। eयवःथाववरण 1 1 जो बात मूसा ने यरदन के पार जंगल म , अयाOत ् सूप के सामने के अराबा म , और पारान और तोपेल के बीच, और लाबान हसरोत और द:जाहाब म , सारे इ\ाएिलयHसे कह:ं वे थे हE । 2 होरे ब से कादे शबन तक सेइर पहाड़ का मागO bयारह दन का हE । 3 चालीसव वषO के bयारहव मह:ने के पहले दन को जो कुछ यहोवा ने मूसा को इ\ाएिलयHसे कहने क आWा द: यी, उसके अनुसार मूसा उन से थे बात कहने लगा। 4 अयाOत ् जब मूसा ने ऐमोgरयHके राजा हे शबोनवासी सीहोन और बाशान के राजा अशतारोतवासी ओग को एिे ई म मार डाला, 5 उसके बाद यरदन के पार मोआब दे श म वह eयवःया का ववरण यHकरने लगा, 6 क हमारे परमे र यहोवा ने होरे ब के पास हम से कहा या, क तुम लोगHको इस पहाड़ के पास रहते हुए बहुत दन हो गए हE ; 7 इसिलथे अब यहॉ से कूच करो, और एमोgरयHके पहाड़: दे श को, और या अराबा म , या पहाड़Hम , या नीचे के दे श म , या द' खन दे श म , या समुि के तीर पर, 'जतने लोग एमोgरयHके

पास रहते हE उनके दे श को, अयाOत ् लबानोन पवOत तक और परात नाम महानद तक रहनेवाले कनािनयHके दे श को भी चले जाओ। 8 सुनो, मE उस दे श को तुSहारे साSहने कऐ दे ता हॅू ; 'जस दे श के वषय यहोवा ने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब, तुSहारे पतरHसे शपय खाकर कहा या, क मE इसे तुम को और तुSहारे बाद तुSहारे वंश को दं ग ू ा, उसको अब जाकर अपके अिध कारने म कर लो। 9 फर उसी समय मE ने तुम से कहा, क मE तुSहारा भार अकेला नह:ं सह सकता; 10 यHक तुSहारे परमे र यहोवा ने तुम को यहॉ तक बढ़ाया है , क तुम िगनती म आज आकाश के तारHके समान हो गथे हो। 11 तुSहारे पतरHका परमे र तुम को हजारगुणा और भी बढ़ाए, और अपके वचन के अनुसार तुम को आशीष भी दे ता रहे । 12 पर(तु तुSहारे जंजाल, और भार, और फगड़े रगड़े को मE अकेला कहॉ तक सह सकता हॅू । 13 सो तुम अपके एक एक गोऽ म से बुaमान और समझदार और ूिसa पुRष चुन लो, और मE उ(ह तुम पर मु'खया ठहराऊॅगा। 14 इसके उर म तुम ने मुझ से कहा, जो कुछ तू हम से कहता है उसका करना अ.छा है । 15 इसिलथे मE ने तुSहारे गोऽHके मु‡य पुRषHको जो बुaमान और ूिसa पुRष थे चुनकर तुम पर मु'खया िनयुf कया, अयाOत ् हजार-हजार, सौ-सौ, पचास-पचास, और दस-दस के ऊपर ूधान और तुSहारे गोऽHके सरदार भी िनयुf कए। 16 और उस समय मE ने तुSहारे (यािययHको आWा द:, क तुम अपके भाइयHके मुकXमे सुना करो, और उनके बीच और उनके पड़ोिसयHऔर परदे िशयHके बीच भी धमO से (याय कया करो। 17 (याय करते समय कसी का पझ न करना; जैसे बड़े क वैसे ह: छोटे मनुंय क भी सुनना; कसी का मु◌ॅह दे खकर न डरना, यHक (याय परमे र का काम है ; और जो मुकXमा तुSहारे

िलथे कठन हो, वह मेरे पास ले आना, और मE उसे सुनग ूं ा। 18 और मE ने उसी समय तुSहारे सारे कOeय कमO तुम को बता दए।। 19 और हम होरे ब से कूच करके अपके परमे र यहोवा क आWा के अनुसार उस सारे बड़े और भयानक जंगल म होकर चले, 'जसे तुम ने एमोgरयHके पहाड़: दे श के मागO म दे खा, और हम कादे शबन तक आए। 20 वहाँ मE ने तुम से कहा, तुम एमोgरयHके पहाड़: दे श तक आ गए हो 'जसको हमारा परमे र यहोवा हम दे ता है । 21 दे खो, उस दे श को तुSहारा परमे र यहोवा तुSहारे साSहने कए दे ता है , इसिलऐ अपके पतरHके परमे र यहोवा के वचन के अनुसार उस पर चढ़ो, और उसे अपके अिध कारने म ले लो; न तो तुम डरो और न तुSहारा मन क.चा हो। 22 और तुम सब मेरे पास आकर कहने लगे, हम अपके आगे पुRषHको भेज द गे, जो उस दे श का पता लगाकर हम को यह स(दे श द , क कौन सा मागO होकर चलना होगा और कस कस नगर म ूवेश करना पकेगा? 23 इस बात से ूस(न होकर मE ने तुम म से बारह पुRष, अयाOत ् गोऽ पीछे एक पुRष चुन िलया; 24 और वे पहाड़ पर चढ़ गए, और एशकोल नाम नाले को पहुँचकर उस दे श का भेद िलया। 25 और उस दे श के फलHम से कुछ हाथ म लेकर हमारे पास आए, और हम को यह स(दे श दया, क जो दे श हमारा परमे र यहोवा हम दे ता है वह अ.छा है । 26 तौभी तुम ने वहाँ जाने से नाह कया, क(तु अपके परमे र यहोवा क आWा के वRa होकर 27 अपके अपके डे रे म यह कहकर कुड़कुड़ाने लगे, क यहोवा हम से बैर रखता है , इस कारण हम को िमॐ दे श से िनकाल ले आया है , क हम को एमोgरयHके वश म करके सयनाश कर डाले। 28 हम कधर जाएँ? हमारे भाइयHने यह कहके हमारे मन को क.चा कर दया है , क वहाँ के लोग हम से बड़े और लSबे हE ; और

वहाँ के नगर बड़े बड़े हE , और उनक शहरपनाह आकाश से बात करती हE ; और हम ने वहाँ अनाकवंिशयHको भी दे खा है । 29 मE ने तुम से कहा, उनके कारण ऽास मत खाओ और न डरो। 30 तुSहारा परमे र यहोवा जो तुSहारे आगे आगे चलता है वह आप तुSहार: ओर से लड़े गा, जैसे क उस ने िमॐ म तुSहारे दे खते तुSहारे िलथे कया; 31 फर तुम ने जंगल म भी दे खा, क 'जस र:ित कोई पुRष अपके लड़के को उठाए चलता है , उसी र:ित हमारा परमे र यहोवा हम को इस ःयान पर पहँु चने तक, उस सारे मागO म 'जस से हम आए हE , उठाथे रहा। 32 इस बात पर भी तुम ने अपके उस परमे र यहोवा पर व ास नह:ं कया, 33 जो तुSहारे आगे आगे इसिलथे चलता रहा, क डे रे डालने का ःयान तुSहारे िलथे ढू ं ढ़े, और रात को आग म और दन को बादल म ूगट होकर चला, ताक तुम को वह मागO दखाए 'जस से तुम चलो। 34 पर(तु तुSहार: वे बात सुनकर यहोवा का कोप भड़क उठा, और उस ने यह शपय खाई, 35 क िन_य इस बुर: पीढ़: के मनुंयHम

से एक भी उस अ.छे दे श को दे खने न पाऐगा, 'जसे मE ने उनके पतरHको दे ने क शपय खाई यी। 36 यपु(ने का पुऽ कालेब ह: उसे दे खने पाऐगा, और 'जस भूिम पर उसके पाँव पके हE उसे मE उसको और उसके वंश को भी दं ग ू ा; यHक वह मेरे पीछे पूर: र:ित से हो िलया है । 37 और मुझ पर भी यहोवा तुSहारे कारण बोिधत हुआ, और यह कहा, क तू भी वहाँ जाने न पाएगा; 38 नून का पुऽ यहोशू जो तेरे साSहने खड़ा रहता है , वह तो वहाँ जाने पाएगा; सो तू उसको हयाव दे , यHक उस दे श को इॐाएिलयHके अिध कारने म वह: कर दे गा। 39 फर तुSहारे बालब.चे 'जनके वषय म तुम कहते हो, क थे लूट म चले जाएंगे, और तुSहारे जो लड़केबाले अभी भले बुरे का भेद नह:ं जानते , वे वहाँ ूवेश कर गे, और उनको

मE वह दे श दँ ग ू ा, और वे उसके अिध कारनेी हHगे। 40 पर(तु तुम लोग घूमकर कूच करो, और लाल समुि के मागO से जंगल क ओर जाओ। 41 तब तुम ने मुझ से कहा, हम ने यहोवा के वRk पाप कया हE ; अब हम अपके परमे र यहोवा क आWा के अनुसार चढ़ाई कर गे और लड़ गे। तब तुम अपके अपके हिययार बा(धकर पहाड़ पर बना सोचे समझे चढ़ने को तैयार हो गए। 42 तब यहोवा ने मुझ से कहा, उन से कह दे , क तुम मत चढ़ो, और न लड़ो; यHक मE तुSहारे म~य म नह:ं हँ ◌ू; कह:ं ऐसा न हो क तुम अपके शऽुओं से हार जाओ। 43 यह बात मE ने तुम से कह द:, पर(तु तुम ने न मानी; क(तु ढठाई से यहोवा क आWा का उ`लंघन करके पहाड़ पर चढ़ गए। 44 तब उस पहाड़ के िनवासी एमोgरयHने तुSहारा साSहना करने को िनकलकर मधुम' खयHक नाई तुSहारा पीछा कया, और सेईर दे श के होमाO तक तुSह मारते मारते चले आए। 45 तब तुम लौटकर यहोवा के साSहने रोने लगे; पर(तु यहोवा ने तुSहार: न सुनी, न तुSहार: बातHपर कान लगाया। 46 और तुम कादे श म बहुत दनHतक पके रहे , यहाँ तक क एक जुग हो गया।। eयवःथाववरण 2 1 तब उस आWा के अनुसार, जो यहोवा ने मुझ को द: यी, हम ने घूमकर कूच कया, और लाल समुि के मागO के जंगल क ओर चले; और बहुत दन तक सेईर पहाड़ के बाहर बाहर चलते रहे । 2 तब यहोवा ने मुझ से कहा, 3 तुम लोगHको इस पहाड़ के बाहर बाहर चलते हुए बहुत दन बीत गए, अब घूमकर उर क ओर चलो। 4 और तू ूजा के लोगHको मेर: यह आWा सुना, क तुम सेईर के िनवासी

अपके भाई एसावयHके िसवाने के पास होकर जाने पर हो; और वे तुम से डर जाएँगे। इसिलथे तुम बहुत चौकस रहो; 5 उ(ह न छे ड़ना; यHक उनके दे श म से मE तुSह पाँव धरने का ठौर तक न दँ ग ू ा, इस कारण क मE ने सेईर पवOत एसावयHके अिध कारने म कर दया हE । 6 तुम उन से भोजन Rपके से मोल लेकर खा सकोगे, और Rपया दे कर कुंओं से पानी भरके पी सकोगे। 7 यHक तुSहारा परमे र यहोवा तुSहारे हाथHके सब कामHके वषय तुSह आशीष दे ता आया है ; इस भार: जंगल म तुSहारा चलना फरना वह जानता हE ; इन चालीस वषz म तुSहारा परमे र यहोवा तुSहारे संग संग रहा है ; और तुम को कुछ घट: नह:ं हुई। 8 यHहम सेईर िनवासी और अपके भाई एसावयHके पास से होकर, अराबा के मागO, और एलत और एःयोनगेबेर को पीछे छोड़कर चल ।। फर हम मुड़कर मोआब के जंगल के मागO से होकर चले। 9 और यहोवा ने मुझ से कहा, मोआबयHको न सताना और न लड़ाई छे ड़ना, यHक मE उनके दे श म से कुछ भी तेरे अिध कारने म न कर दँ ग ू ा यHक मE ने आर को लूितयHके अिध कारने म

कया है । 10 (अगले दनHम वहाँ एमी लोग बसे हुए थे, जो अनाकयHके समान बलव(त और लSबे लSबे और िगनती म बहुत थे; 11 और अनाकयHक नाई वे भी रपाई िगने जाते थे, पर(तु मोआबी उ(ह एमी कहते हE । 12 और अगले दनHम

सेईर म होर: लोग बसे हुए थे, पर(तु एसावयHने उनको उस दे श से िनकाल दया, और अपके साSहने से नाश करके उनके ःयान पर आप बस गए; जैसे क इॐाएिलयHने यहोवा के दथे हुए अपके अिध कारने के दे श म कया।) 13 अब तुम लोग कूच करके जेरेद नद: के पार जाओ; तब हम जेरेद नद: के पार आए। 14 और हमारे कादे शबन को छोड़ने से लेकर जेरेद नद:◌े पार होने तक अड़तीस

वषO बीत गए, उस बीच म यहोवा क शपय के अनुसार उस पीढ़: के सब योaा छावनी म से नाश हो गए। 15 और जब तक वे नाश न हुए तब तक यहोवा का हाथ उ(ह छावनी म से िमटा डालने के िलथे उनके वRa बढ़ा ह: रहा 16 जब सब योaा मरते मरते लोगHके बीच म से नाश हो गए, 17 तब यहोवा ने मुझ से कहा, 18 अब मोआब के िसवाने, अयाOत आर को पार कर; 19 और जब तू अSमोिनयHके साSहने जाकर उनके िनकट पहुँचे, तब उनको न सताना और न छे ड़ना, यHक मE अSमोिनयHके दे श म से कुछ भी तेरे अिध कारने म न कRँगा, यHक मE ने उसे लूिसयHके अिध कारने म कर दया है । 20 (वह दे श भी रपाइयHका िगना जाता या, यHक अगले दनHम रपाई, 'ज(ह अSमोनी जमजुSमी कहते थे, वे वहाँ रहते थे; 21 वे भी अनाकयHके समान बलवान और लSबे लSबे और िगनती म बहुत थे; पर(तु यहोवा ने उनको अSमोिनयHके साSहने से नाश कर डाला, और उ(हHने उनको उस दे श से िनकाल दया, और उनके ःयान पर आप रहने लगे; 22 जैसे क उस ने सेईर के िनवासी एसावयHके साSहने से होgरयHको नाश कया, और उ(हHने उनको उस दे श से िनकाल दया, और आज तक उनके ःयान पर वे आप िनवास करते हE । 23 वैसा ह: अ'eवयHको, जो अGजा नगर तक गाँवHम बसे हुए थे, उनको कTोgरयHने जो कTोर से िनकले थे नाश कया, और उनके ःयान पर आप रहने लगे।) 24 अब तुम लोग उठकर कूच करो, और अनzन के नाले के पार चलो; सुन, मE दे श समेत हे शबोन के राजा एमोर: सीहोन को तेरे हाथ म कर दे ता हँू ; इसिलथे उस दे श को अपके अिध कारने म लेना आरSभ करो, और उस राजा से युa छे ड़ दो। 25 और 'जतने लोग धरती पर रहते हE उन सभHके मन म मE आज ह: के दन से तेरे कारण डर

और यरयराहट समवाने लगूंगा; वे तेरा समाचार पाकर तेरे डर के मारे कांप गे और पीड़त हHगे।। 26 और मE ने कदे मोत नाम जंगल से हे शबोन के राजा सीहोन के पास मेल क थे बात कहने को दत ू भेजे, 27 क मुझे अपके दे श म से होकर जाने दे ; मE राजपय पर चला जाऊँगा, और दहने और बांए हाथ न मुड़ूँगा। 28 तू Rपया लेकर मेरे हाथ भोजनवःतु दे ना क मE खाऊं, और पानी भी Rपया लेकर मुझ को दे ना क मE पीऊं; केवल मुझे पांव पांव चले जाने दे , 29 जैसा सेईर के िनवासी एसावयHने और आर के िनवासी मोआबयHने मुझ से कया, वैसा ह: तू भी मुझ से कर, इस र:ित मE यरदन पार होकर उस दे श म पहंु चग ूं ा जो हमारा परमे र यहोवा हम दे ता है । 30 पर(तु हे शबोन के राजा सीहोन ने हम को अपके दे श म से होकर चलने न दया; यHक तुSहारे परमे र यहोवा ने उसका िच कठोर और उसका मन हठqला कर दया या, इसिलथे क उसको तुSहारे हाथ म

कर दे , जैसा क आज ूकट है । 31 और यहोवा ने मुझ से कहा, सुन, मE दे श समेत सीहोन को तेरे वश म कर दे ने पर हँू ; उस दे श को अपके अिध कारने म

लेना आरSभ कर। 32 तब सीहोन अप क सार: सेना समेत िनकल आया, और हमारा साSहना करके युa करने को यहस तक चढ़ा आया। 33 और हमारे परमे र यहोवा ने उसको हमारे kारा हरा दया, और हम ने उसको पुऽHऔर सार: सेना समेत मार डाला। 34 और उसी समय हम ने उसके सारे नगर ले िलए, और एक एक बसे हुए नगर का '\यHऔर बालब.चHसमेत यहाँ तक सयनाश कया क कोई न छूटा; 35 पर(तु पशुओं को हम ने अपना कर िलया, और उन नगरHक लूट भी हम ने ले ली 'जनको हम ने जीत िलया या। 36 अनzन के नाले के छोरवाले अरोएर नगर से लेकर, िगलाद तक कोई नगर ऐसा ऊँचा न रहा जो

हमारे साSहने ठहर सकता या; यHक हमारे परमे र यहोवा ने सभHको हमारे वश म कर दया। 37 पर(तु हम अSमोिनयHके दे श के िनकट, वरन यcबोक नद: के उस पार 'जतना दे श है , और पहाड़: दे श के नगर जहाँ जहाँ जाने से हमारे परमे र यहोवा ने हम को मना कया या, वहाँ हम नह:ं गए। eयवःथाववरण 3 1 तब हम मुड़कर बाशान के मागO से चढ़ चले; और बाशान का ओग नाम राजा अप क सार: सेना समेत हमारा साSहना करने को िनकल आया, क एिे ई म

युa करे । 2 तब यहोवा ने मुझ से कहा, उस से मत डर; यHक मE उसको सार: सेना और दे श समेत तेरे हाथ म कए दे ता हँू ; और जैसा तू ने हे शबोन के िनवासी एमोgरयHके राजा सीहोन से कया है वैसा ह: उस से भी करना। 3 सो इस ूकार हमारे परमे र यहोवा ने सार: सेना समेत बाशान के राजा ओग को भी हमारे हाथ म कर दया; और हम उसको यहाँ तक मारते रहे क उन म से कोई भी न बच पाया। 4 उसी समय हम ने उनके सारे नगरHको ले िलया, कोई ऐसा नगर न रह गया 'जसे हम ने उस से न ले िलया हो, इस र:ित अगzब का सारा दे श, जो बाशान म ओग के राGय म या और उस म साठ नगर थे, वह हमारे वश म आ गया। 5 थे सब नगर गढ़वाले थे, और उनके ऊंची ऊंची शहरपनाह, और फाटक, और बेड़े थे, और इनको छोड़ बना शहरपनाह के भी बहुत से नगर थे। 6 और जैसा हम ने हे शबोन के राजा सीहोन के नगरHसे कया या वैसा ह: हम ने इन नगरHसे भी कया, अयाOत सब बसे हुए नगरHको '\यHऔर बालब.चHसमेत सयानाश कर डाला। 7 पर(तु सब घरे लू पशु और नगरHक लूट हम ने अप क कर ली। 8

यHहम ने उस समय यरदन के इस पार रहनेवाले एमोgरयHके दोनHराजाओं के हाथ से अनzन के नाले से लेकर हे मzन पवOत तक का दे श ले िलया। 9 (हे मzन को सीदोनी लोग िसयzन, और एमोर: लोग सनीर कहते हE ।) 10 समयर दे श के सब नगर, और सारा िगलाद, और स`का, और एद ई तक जो ओग के राGय के नगर थे, सारा बाशान हमारे वश म आ गया। 11 जो रपाई रह गए थे, उन म से केवल बाशान का राजा ओग रह गया या, उसक चारपाई जो लोहे क है वह तो अSमोिनयHके रcबा नगर म प क है , साधारण पुRष के हाथ के हसाब से उसक लSबाई नौ हाथ क और चौड़ाई चार हाथ क है । 12 जो दे श हम ने उस समय अपके अिध कारने म ले िलया वह यह है , अयाOत अनzन के नाले के कनारे वाले अरोएर नगर से ले सब नगरHसमेत िगलाद के पहाड़: दे श का आधा भाग, 'जसे मE ने RबेिनयHऔर गादयHको दे दया, 13 और िगलाद का बचा हुआ भाग, और सारा बाशान, अयाOत अगzब का सारा दे श जो ओग के राGय म या, इ(ह मE ने मनँशे के आधे गोऽ को दे दया। (सारा बाशान तो रपाइयHका दे श कहलाता है । 14 और मनँशेई याईर ने गशूgरयHऔर माकावािसयHके िसवानHतक अगzब का सारा दे श ले िलया, और बाशान के नगरHका नाम अपके नाम पर हcबोयाईर रखा, और वह: नाम आज तक बना है ।) 15 और मE ने िगलाद दे श माकर को दे दया, 16 और RबेिनयHऔर गादयHको मE ने िगलाद से ले अनzन के नाले तक का दे श दे दया, अयाOत उस नाले का बीच उनका िसवाना ठहराया, और यcबोक नद: तक जो अSमोिनयHका िसवाना है ; 17 और क(नेरेत से ले पसगा क सलामी के नीचे के अराबा के ताल तक, जो खारा ताल भी कहलाता है , अराबा और यरदन क पूवO क ओर का सारा दे श भी मE ने उ(ह:ं को दे दया।। 18 और उस समय मE

ने तुSह यह आWा द:, क तुSहारे परमे र यहोवा ने तुSह यह दे श दया है क उसे अपके अिध कारने म रखो; तुम सब योaा हिययारब(द होकर अपके भाई इॐाएिलयHके आगे आगे पार चलो। 19 पर(तु तुSहार: '\याँ, और बालब.चे, और पशु, 'ज(ह मE जानता हँू क बहुत से हE , वह सब तुSहारे नगरHम जो मE ने तुSह दए हE रह जाएँ। 20 और जब यहोवा तुSहारे भाइयHको वैसा वौम दे जैसा क उस ने तुम को दया है , और वे उस दे श के अिध कारनेी हो जाएँ जो तुSहारा परमे र यहोवा उ(ह यरदन पार दे ता है ; तब तुम भी अपके अपके अिध कारने क भूिम पर जो मE ने तुSह द: है लौटोगे। 21 फर मE ने उसी समय यहोशू से िचताकर कहा, तू ने अप क आँखो से दे खा है क तेरे परमे र यहोवा ने इन दोनHराजाओं से या या कया है ; वैसा ह: यहोवा उन सब राGयHसे करे गा 'जन म तू पार होकर जाएगा। 22 उन से न डरना; यHक जो तुSहार: ओर से लड़नेवाला है वह तुSहारा परमे र यहोवा है ।। 23 उसी समय मE ने यहोवा से िगड़िगड़ाकर बनती क, क हे ूभु यहोवा, 24 तू अपके दास को अप क महमा और बलव(त हाथ दखाने लगा है ; ःवगO म और पृवी पर ऐसा कौन दे वता है जो तेरे से काम और पराबम के कमO कर सके? 25 इसिलथे मुझे पार जाने दे क यरदन पारके उस उम दे श को, अयाOत उस उम पहाड़ और लबानोन को भी दे खने पाऊँ। 26 पर(तु यहोवा तुSहारे कारण मुझ से R हो गया, और मेर: न सुनी; क(तु यहोवा ने मुझ से कहा, बस कर; इस वषय म फर कभी मुझ से बात न करना। 27 पसगा पहाड़ क चोट: पर चढ़ जा, और पूव,O प'.छम, उर, द' खन, चारHओर l करके उस दे श को दे ख ले; यHक तू इस यरदन के पार जाने न पाएगा। 28 और यहोशू को आWा दे , और उसे ढाढ़स दे कर lढ़ कर;

यHक इन लोगHके आगे आगे वह: पार जाऐगा, और जो दे श तू दे खेगा उसको वह: उनका िनज भाग करा दे गा। 29 तब हम बेतपोर के साSहने क तराई म

ठहरे रहे ।। eयवःथाववरण 4 1 अब, हे इॐाएल, जो जो विध और िनयम मE तुSह िसखाना चाहता हंू उ(ह सुन लो, और उन पर चलो; 'जस से तुम जीवत रहो, और जो दे श तुSहारे पतरHका परमे र यहोवा तुSह दे ता है उस म जाकर उसके अिध कारनेी हो जाओ। 2 जो आWा मE तुम को सुनाता हंू उस म न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना; तुSहारे परमे र यहोवा क जो जो आWा मE तुSह सुनाता हंू उ(ह तुम मानना। 3 तुम ने तो अप क आंखHसे दे खा है क बालपोर के कारण यहोवा ने या या कया; अयाOत ् 'जतने मनुंय बालपोर के पीछे हो िलथे थे उन सभHको तुSहारे परमे र यहोवा ने तुSहारे बीच म से सयानाश कर डाला; 4 पर(तु तुम जो अपके परमे र यहोवा के साय िलपके रहे हो सब के सब आज तक जीवत हो। 5 सुनो, मE ने तो अपके परमे र यहोवा क आWा के अनुसार तुSह विध और िनयम िसखाए हE , क 'जस दे श के अिध कारनेी होने जाते हो उस म तुम उनके अनुसार चलो। 6 सो तुम उनको धारण करना और मानना; यHक और दे शHके लोगHके साSहने तुSहार: बुa और समझ इसी से ूगट होगी, अयाOत ् वे इन सब विधयHको सुनकर कह गे, क िन_य यह बड़: जाित बुaमान और समझदार है । 7 दे खो, कौन ऐसी बड़: जाित है 'जसका दे वता उसके ऐसे समीप रहता हो जैसा हमारा परमे र यहोवा, जब क हम उस को पुकारते हE ? 8 फर कौन ऐसी बड़:

जाित है 'जसके पास ऐसी धमOमय विध और िनयम हH, जैसी क यह सार: eयवःया 'जसे मE आज तुSहारे साSहने रखता हूं? 9 यह अय(त आवँयक है क तुम अपके वषय म सचेत रहो, और अपके मन क बड़: चौकसी करो, कह:ं ऐसा न हो क जो जो बात तुम ने अप क आंखHसे दे खीं उनको भूल जाओ, और वह जीवन भर के िलथे तुSहारे मन से जाती रहे ; क(तु तुम उ(ह अपके बे टHपोतHको िसखाना। 10 वशेष करके उस दन क बात 'जस म तुम होरे ब के पास अपके परमे र यहोवा के साSहने खड़े थे, जब यहोवा ने मुझ से कहा या, क उन लोगHको मेरे पास इक=ठा कर क मE उ(ह अपके वचन सुनाऊं, 'जस से वे सीख , ताक 'जतने दन वे पृवी पर जीवत रह उतने दन मेरा भय मानते रह , और अपके लड़के बालHको भी यह: िसखाएं। 11 तब तुम समीप जाकर उस पवOत के नीचे खड़े हुए, और वह पहाड़ आग से धधक रहा या, और उसक लौ आकाश तक पहंु च क यी, और उसके चारHओर अ'(ध कारनेा, और बादल, और घोर अ(धकार छाया हुआ या। 12 तक यहोवा ने उस आग के बीच म से तुम से बात

क; बातHका शcद तो तुम को सुनाई पड़ा, पर(तु कोई Rप न दे खा; केवल शcद ह: शcद सुन पड़ा। 13 और उस ने तुम को अप क वाचा के दसHवचन बताकर उनके मानने क आWा द:; और उ(ह पयर क दो पटयाओं पर िलख दया। 14 और मुझ को यहोवा ने उसी समय तुSह विध और िनयम िसखाने क आWा द:, इसिलथे क 'जस दे श के अिध कारनेी होने को तुम पार जाने पर हो उस म तुम उनको माना करो। 15 इसिलथे तुम अपके वषय म बहुत सावधान रहना। यHक जब यहोवा ने तुम से होरे ब पवOत पर आग के बीच म से बात क तब तुम को कोई Rप न दे ख पड़ा, 16 कह:ं ऐसा न हो क तुम बगड़कर चाहे पुRष चाहे

\ी के, 17 चाहे पृवी पर चलनेवाले कसी पशु, चाहे आकाश म उड़नेवाले कसी प क के, 18 चाहे भूिम पर र गनेवाले कसी ज(तु, चाहे पृवी के जल म

रहनेवाली कसी मछली के Rप क कोई मूर ् खोदकर बना लो, 19 वा जब तुम आकाश क ओर आंखे उठाकर, सूय,O चंिमा, और तारHको, अयाOत ् आकाश का सारा तारागण दे खो, तब बहककर उ(ह द+डवत ् करके उनक सेवा करने लगो 'जनको तुSहारे परमे र यहोवा ने धरती पर के सब दे शवालHके िलथे रखा है । 20 और तुम को यहोवा लोहे के भ=ठे के सर:खे िमॐ दे श से िनकाल ले आया है , इसिलथे क तुम उसक ूजाRपी िनज भाग ठहरो, जैसा आज ूगट है । 21 फर तुSहारे कारण यहोवा ने मुझ से बोध करके यह शपय खाई, क तू यरदन पार जाने न पाएगा, और जो उम दे श इॐाएिलयHका परमे र यहोवा उ(ह उनका िनज भाग करके दे ता है उस म तू ूवेश करने न पाएगा। 22 क(तु मुझे इसी दे श म मरना है , मE तो यरदन पार नह:ं जा सकता; पर(तु तुम पार जाकर उस उम दे श के अिध कारनेी हो जाओगे। 23 इसिलथे अपके वषय म तुम सावधान रहो, कह:ं ऐसा न हो क तुम उस वाचा को भूलकर, जो तुSहारे परमे र यहोवा ने तुम से बा(धी है , कसी और वःतु क मूर ् खोदकर बनाओ, 'जसे तुSहारे परमे र यहोवा ने तुम को मना कया है । 24 यHक तुSहारा परमे र यहोवा भःम करनेवाली आग है ; वह जल उठनेवाला परमे र है ।। 25 यद उस दे श म रहते रहते बहुत दन बीत जाने पर, और अपके बे टे-पोते उप(न होने पर, तुम बगड़कर कसी वःतु के Rप क मूितर ् खोदकर बनाओ, और इस र:ित से अपके परमे र यहोवा के ूित बुराई करके उसे अूस(न कर दो, 26 तो मE आज आकाश और पृवी को तुSहारे वRa साझी करके कहता हंू , क 'जस दे श के

अिध कारनेी होने के िलथे तुम यरदन पार जाने पर हो उस म तुम ज`द: ब`कुल नाश हो जाओगे; और बहुत दन रहने न पाओगे , क(तु पूर: र:ित से न हो जाओगे। 27 और यहोवा तुम को दे श दे श के लोगHम िततर बतर करे गा, और 'जन जाितयHके बीच यहोवा तुम को पहंु चाएगा उन म तुम योड़े ह: से रह जाओगे । 28 और वहां तुम मनुंय के बनाए हुए लकड़: और पयर के दे वताओं क सेवा करोगे, जो न दे खते, और न सुनते, और न खाते , और न सूघ ं ते हE । 29 पर(तु वहां भी यद तुम अपके परमे र यहोवा को ढू ं ढ़ोगे, तो वह तुम को िमल जाएगा, शतO यह है क तुम अपके पूरे मन से और अपके सारे ूाण से उसे ढू ं ढ़ो। 30 अ(त के दनHम जब तुम संकट म पड़ो, और थे सब वपयां तुम पर आ पक गी, तब तुम अपके परमे र यहोवा क ओर फरो और उसक मानना; 31 यHक तेरा परमे र यहोवा दयालु ई र है , वह तुम को न तो छोड़े गा और न न करे गा, और जो वाचा उस ने ते रे पतरHसे शपय खाकर बा(धी है उसको नह:ं भूलेगा। 32 और जब से परमे र ने मनुंय हो उप(न करके पृवी पर रखा तब से लेकर तू अपके उप(न होने के दन तक क बात पूछ, और आकाश के एक छोर से दस ू रे छोर तक क बात पूछ, या ऐसा◌ी बड़: बात कभी हुई वा सुनने म

आई है ? 33 या कोई जाित कभी परमे र क वाणी आग के बीच म से आती हुई सुनकर जीवत रह:, जैसे क तू ने सुनी है ? 34 फर या परमे र ने और कसी जाित को दस ू र: जाित के बीच म िनकालने को कमर बा(धकर प कझा, और िच(ह, और चमकार, और युa, और बली हाथ, और बढ़ाई हुई भुजा से ऐसे बड़े भयानक काम कए, जैसे तुSहारे परमे र यहोवा ने िमॐ म तुSहारे दे खते कए? 35 यह सब तुझ को दखाया गया, इसिलथे क तू जान रखे क यहोवा ह:

परमे र है ; उसको छोड़ और कोई है ह: नह:ं। 36 आकाश म से उस ने तुझे अप क वाणी सुनाई क तुझे िशझा दे ; और पृवी पर उस ने तुझे अप क बड़: आग दखाई, और उसके वचन आग के बीच म से आते हुए तुझे सुन पके। 37 और उस ने जो तेरे पतरHसे ूेम रखा, इस कारण उनके पीछे उनके वंश को चुन िलया, और ूयझ होकर तुझे अपके बड़े सामयO के kारा िमॐ से इसिलथे िनकाल लाया, 38 क तुझ से बड़: और सामयh जाितयHको तेरे आगे से िनकालकर तुझे उनके दे श म पहंु चाए, और उसे तेरा िनज भाग कर दे , जैसा आज के दन दखाई पड़ता है ; 39 सो आज जान ले, और अपके मन म सोच भी रख, क ऊपर आकाश म और नीचे पृवी पर यहोवा ह: परमे र है ; और कोई दस ू रा नह:ं। 40 और तू उसक विधयHऔर आWाओं को जो मE आज तुझे सुनाता हूं मानना, इसिलथे क तेरा और तेरे पीछे तेरे वंश का भी भला हो, और जो दे श तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है उस म तेरे दन बहुत वरन सदा के िलथे हH। 41 तब मूसा ने यरदन के पार पूवO क ओर तीन नगर अलग कए, 42 इसिलथे क जो कोई बना जाने और बना पहले से बैर रखे अपके कसी भाई को मार डाले, वह उन म से कसी नगर म भाग जाए, और भागकर जीवत रहे : 43 अयाOत ् RबेिनयHका बेसेर नगर जो जंगल के समयर दे श म है , और गादयHके िगलाद का रामोत, और मनँशेइयHके बाशान का गोलान। 44 फर जो eयवःया मूसा ने इॐाएिलयHको द: वह यह है ; 45 थे ह: वे िचतौिनयां और िनयम हE 'ज(ह मूसा ने इॐाएिलयHको उस समय कह सुनाया जब वे िमॐ से िनकले थे, 46 अयाOत ् यरदन के पार बेतपोर के साSहने क तराई म , एमोgरयHके राजा हे शबोनवासी सीहोन के दे श म , 'जस राजा को उ(हHने िमॐ से िनकलने के पीछे मारा। 47 और उ(हHने

उसके दे श को, और बाशान के राजा ओग के दे श को, अपके वश म कर िलया; यरदन के पार सूयzदय क ओर रहनेवाले एमोgरयHके राजाओं के थे दे श थे। 48 यह दे श अनzन के नाले के छोरवाले अरोएर से लेकर सीओन, जो हे मzन भी कहलाता है , 49 उस पवOत तक का सारा दे श, और पसगा क सलामी के नीचे के अराबा के ताल तक, यरदन पार पूवO क ओर का सारा अराबा है । eयवःथाववरण 5 1 मूसा ने सारे इॐाएिलयHको बुलवाकर कहा, हे इॐाएिलयH, जो जो विध और िनयम मE आज तुSह सुनाता हंू वे सुनो, इसिलथे क उ(ह सीखकर मानने म

चौकसी करो। 2 हमारे परमे र याहोवा ने तो होरे ब पर हम से वाचा बा(धी। 3 इस वाचा को यहोवा ने हमारे पतरHसे नह:ं, हम ह: से बा(धा, जो यहां आज के दन जीवत हE । 4 यहोवा ने उस पवOत पर आग के बीच म से तुम लोगHसे आSहने साSहने बात क; 5 उस आग के डर के मारे तुम पवOत पर न चढ़े , इसिलथे मE यहोवा के और तुSहारे बीच उसका वचन तुSह बताने को खड़ा रहा। तब उस ने कहा, 6 तेरा परमे र यहोवा, जो तुझे दासव के घर आयाOत ् िमॐ दे श म से िनकाल लाया है , वह मE हंू । 7 मुझे छोड़ दस ू रHको परमे र करके न मानना।। 8 तु अपके िलथे कोई मूितर ् खोदकर न बनाना, न कसी क ूितमा बनाना जो आकाश म , वा पृवी के जल म है ; 9 तू उनको द+डवत ् न करना और न उनक उपासना करना; यHक मE तेरा परमे र यहोवा जलन रखनेवाला ई र हूं, और जो मुझ से बैर रखते हE उनके बेटH, पोतH, और परपोतHको पतरHका द+ड दया करता हंू , 10 और जो मुझ से ूेम रखते और मेर: आWाओं को मानते हE उन

हजारHपर कRणा कया करता हंू । 11 तू अपके परमे र यहोवा का नाम eययO न लेना; यHक जो यहोवा का नाम eययO ले वह उनको िनदzष न ठहराएगा।। 12 तू वौमदन को मानकर पवऽ रखना, जैसे तेरे परमे र यहोवा ने तुझे आWा द:। 13 छ: दन तो पgरnम करके अपना सारा कामकाज करना; 14 पर(तु सातवां दन तेरे परमे र यहोवा के िलथे वौमदन है ; उस म न तू कसी भांित का कामकाज करना, न तेरा बेटा, न तेर: बेट:, न तेरा दास, न तेर: दासी, न तेरा बैल, न तेरा गदहा, न तेरा कोई पशु, न कोई परदे शी भी जो तेरे फाटकHके भीतर हो; 'जस से तेरा दास और तेर: दासी भी तेर: नाई वौम करे । 15 और इस बात को ःमरण रखना क िमॐ दे श म तू आप दास या, और वहां से तेरा परमे र यहोवा तुझे बलव(त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के kारा िनकाल लाया; इस कारण तेरा परमे र यहोवा तुझे वौमदन मानने क आWा दे ता है ।। 16 अपके पता और अप क माता का आदर करना, जैसे क तेरे परमे र यहोवा ने तुझे आWा द: है ; 'जस से जो दे श तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है उस म तू बहुत दन तक रहते पाए, और तेरा भला हो।। 17 तू हया न करना।। 18 तू eयिभचार न करना।। 19 तू चोर: न करना।। 20 तू कसी के वRa फूठq साझी न दे ना।। 21 तू न कसी क प^ी का लालच करना, और न कसी के घर का लालच करना, न उसके खेत का, न उसके दास का, न उसक दासी का, न उसके बैल वा गदहे का, न उसक कसी और वःतु का लालच करना।। 22 यह: वचन यहोवा ने उस पवOत पर आग, और बादल, और घोर अ(धकार के बीच म से तुSहार: सार: म+डली से पुकारकर कहा; और इस से अिधक और कुछ न कहा। और उ(ह उस ने पयर क दो पटयाओं पर िलखकर मुझे दे दया। 23 जब पवOत आग से दहक रहा या, और तुम ने उस

शcद को अ'(ध कारने के बीच म से आते सुना, तब तुम और तुSहारे गोऽHके सब मु‡य मु‡य पुRष और तुSहारे पुरिनए मेरे पास आए; 24 और तुम कहने लगे, क हमारे परमे र यहोवा ने हम को अपना तेज और मह:मा दखाई है , और हम ने उसका शcद आग के बीच म से आते हुए सुना; आज हम ने दे ख िलया क यrप परमे र मनुंय से बात करता है तौभी मनुंय जीवत रहता है । 25 अब हम यHमर जाएं? यHक ऐसी बड़: आग से हम भःम हो जाएंगे; और यद हम अपके परमे र यहोवा का शcद फर सुन , तब तो मर ह: जाएंगे। 26 यHक सारे ूा'णयHम से कौन ऐसा है जो हमार: नाई जीवत और अ'bन के बीच म से बोलते हुए परमे र का शcद सुनकर जीवत बचा रहे ? 27 इसिलथे तू समीप जा, और जो कुछ हमारा परमे र यहोवा कहे उसे सुन ले; फर जो कुछ हमारा परमे र यहोवा कहे उसे हम से कहना; और हम उसे सुन गे और उसे मान गे। 28 जब तुम मुझ से थे बात कह रहे थे तब यहोवा ने तुSहार: बात सुनीं; तब उस ने मुझ से कहा, क इन लोगHने जो जो बात तुझ से कह: हE मE ने सुनी हE ; इ(हHने जो कुछ कहा वह ठqक ह: कहा। 29 भला होता क उनका मन सदै व ऐसा ह: बना रहे , क वे मेरा भय मानते हुए मेर: सब आWाओं पर चलते रह , 'जस से उनक और उनके वंश क सदै व भलाई होती रहे ! 30 इसिलथे तू जाकर उन से कह दे , क अपके अपके डे रHको लौट जाओ। 31 पर(तु तू यह:ं मेरे पास खड़ा रह, और मE वे सार: आWाएं और विधयां और िनयम 'ज(ह तुझे उनको िसखाना होगा तुझ से कहंू गा, 'जस से वे उ(ह उस दे श म 'जसका अिध कारने मE उ(ह दे ने पर हंू मान । 32 इसिलथे तुम अपके परमे र यहोवा क आWा के अनुसार करने म चौकसी करना; न तो दहने मुड़ना और न बांए। 33 'जस मागO म चलने क आWा तुSहारे

परमे र यहोवा ने तुम को द: है उस सारे मागO पर चलते रहो, क तुम जीवत रहो, और तुSहारा भला हो, और 'जस दे श के तुम अिध कारनेी होगे उस म तुम बहुत दनHके िलथे बने रहो।। eयवःथाववरण 6 1 यह वह आWा, और वे विधयां और िनयम हE जो तुSह िसखाने क तुSहारे परमे र यहोवा ने आWा द: है , क तुम उ(ह उस दे श म मानो 'जसके अिध कारनेी होने को पार जाने पर हो; 2 और तू और तेरा बेटा और तेरा पोता यहोवा का भय मानते हुए उसक उन सब विधयHऔर आWाओं पर, जो मE तुझे सुनाता हंू , अपके जीवन भर चलते रह , 'जस से तू बहुत दन तक बना रहे । 3 हे इॐाएल, सुन, और ऐसा ह: करने क चौकसी कर; इसिलथे क तेरा भला हो, और तेरे पतरHके परमे र यहोवा के वचन के अनुसार उस दे श म जहां दध ू और मधु क धाराएं बहती हE तुम बहुत हो जाओ। 4 हे इॐाएल, सुन, यहोवा हमारा परमे र है , यहोवा एक ह: है ; 5 तू अपके परमे र यहोवा से अपके सारे मन, और सारे जीव, और सार: शf के साय ूेम रखना। 6 और थे आWाएं जो मE आज तुझ को सुनाता हंू वे तेरे मन म बनी रह ; 7 और तू इ(ह अपके बालब.चHको समझाकर िसखाया करना, और घर म बैठे, मागO पर चलते, लेटते, उठते, इनक चचाO कया करना। 8 और इ(ह अपके हाथ पर िच(हानी करके बा(धना, और थे तेर: आंखHके बीच ट:के का काम द । 9 और इ(ह अपके अपके घर के चौखट क बाजुओं और अपके फाटकHपर िलखना।। 10 और जब तेरा परमे र यहोवा तुझे उस दे श म पहंु चाए 'जसके वषय म उस ने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब नाम,

तेरे पूवOजHसे तुझे दे ने क शपय खाई, और जब वह तुझ को बड़े बड़े और अ.छे नगर, जो तू ने नह:ं बनाए, 11 और अ.छे अ.छे पदायJसे भरे हुए घर, जो तू ने नह:ं भरे , और खुदे हुए कुंए, जो तू ने नह:ं खोदे , और दाख क बाgरयां और जलपाई के वझृ, जो तू ने नह:ं लगाए, थे सब वःतुएं जब वह दे , और तू खाके तृT हो, 12 तब सावधान रहना, कह:ं ऐसा न हो क तू यहोवा को भूल जाए, जो तुझे दासव के घर अयाOत ् िमॐ दे श से िनकाल लाया है । 13 अपके परमे र यहोवा का भय मानना; उसी क सेवा करना, और उसी के नाम क शपय खाना। 14 तुम पराए दे वताओं के, अयाOत ् अपके चारHओर के दे शHके लोगHके दे वताओं के पीछे न हो लेना; 15 यHक तेरा परमे र यहोवा जो तेरे बीच म है वह जल उठनेवाला ई र है ; कह:ं ऐसा न हो क ते रे परमे र यहोवा का कोप तुझ पर भड़के, और वह तुझ को पृवी पर से न कर डाले।। 16 तुम अपके परमे र यहोवा क प कझा न करना, जैसे क तुम ने मःसा म उसक प कझा क यी। 17 अपके परमे र यहोवा क आWाओं, िचतौिनयH, और विधयHको, जो उस ने तुझ को द: हE , सावधानी से मानना। 18 और जो काम यहोवा क l म ठqक और सुहावना है वह: कया करना, 'जस से क ते रा भला हो, और 'जस उम दे श के वषय म

यहोवा ने तेरे पूवOजHसे शपय खाई उस म तू ूवेश करके उसका अिध कारनेी हो जाए, 19 क तेरे सब शऽु तेरे साSहने से दरू कर दए जाएं, जैसा क यहोवा ने कहा या।। 20 फर आगे को जब तेरा लड़का तुझ से पूछे, क थे िचतौिनयां और विध और िनयम, 'जनके मानने क आWा हमारे परमे र यहोवा ने तुम को द: है , इनका ूयोजन या है ? 21 तब अपके लड़के से कहना, क जब हम िमॐ म

फरौन के दास थे, तब यहोवा बलव(त हाथ से हम को िमॐ म से िनकाल ले

आया; 22 और यहोवा ने हमारे दे खते िमॐ म फरौन और उसके सारे घराने को द:ु ख दे नेवाले बड़े बड़े िच(ह और चमकार दखाए; 23 और हम को वह वहां से िनकाल लाया, इसिलथे क हम इस दे श म पहंु चाकर, 'जसके वषय म उस ने हमारे पूवOजHसे शपय खाई यी, इसको हम सxप दे । 24 और यहोवा ने हम थे सब विधयां पालने क आWा द:, इसिलथे क हम अपके परमे र यहोवा का भय मान , और इस र:ित सदै व हमारा भला हो, और वह हम को जीवत रखे, जैसा क आज के दन है । 25 और यद हम अपके परमे र यहोवा क l म उसक आWा के अनुसार इन सारे िनयमHको मानने म चौकसी कर , तो वह हमारे िलथे धमO ठहरे गा।। eयवःथाववरण 7 1 फर जब तेरा परमे र यहोवा तुझे उस दे श म 'जसके अिध कारनेी होने को तू जाने पर है पहंु चाए, और तेरे साSहने से ही, िगगाOशी, एमोर:, कनानी, पgरGजी, हeवी, और यबूसी नाम, बहुत सी जाितयHको अयाOत ् तुम से बड़: और सामयh सातHजाितयHको िनकाल दे , 2 और तेरा परमे र यहोवा उ(ह तेरे kारा हरा दे , और तू उन पर जय ूाT कर ले; तब उ(ह पूर: र:ित से न कर डालना; उन से न वाचा बा(धना, और न उन पर दया करना। 3 और न उन से cयाह शाद: करना, न तो उनक बेट: को अपके बे टे के िलथे cयाह लेना। 4 यHक वे तेरे बेटे को मेरे पीछे चलने से बहकाएंगी, और दस ू रे दे वताओं क उपासना करवाएंगी; और इस कारण यहोवा का कोप तुम पर भड़क उठे गा, और वह तुझ को शीय सयानाश कर डालेगा। 5 उन लोगHसे ऐसा बताOव करना, क उनक वेदयHको ढा

दे ना, उनक लाठHको तोड़ डालना, उनक अशेरा नाम मूयJको काट काटकर िगरा दे ना, और उनक खुद: हुई मूयHको आग म जला दे ना। 6 यHक तू अपके परमे र यहोवा क पवऽ ूजा है ; यहोवा ने पृवी भर के सब दे शHके लोगHम से तुझ को चुन िलया है क तू उसक ूजा और िनज धन ठहरे । 7 यहोवा ने जो तुम से ःनेह करके तुम को चुन िलया, इसका कारण यह नह:ं या क तुम िगनती म

और सब दे शHके लोगHसे अिधक थे, क(तु तुम तो सब दे शHके लोगHसे िगनती म

योड़े थे; 8 यहोवा ने जो तुम को बलव(त हाथ के kारा दासव के घर म से, और िमॐ के राजा फरौन के हाथ से छुड़ाकर िनकाल लाया, इसका यह: करण है क वह तुम से ूेम रखता है , और उस शपय को भी पूर: करना चाहता है जो उस ने तुSहारे पूवOजHसे खाई यी। 9 इसिलथे जान रख क तेरा परमे र यहोवा ह: परमे र है , वह व ासयोbय ई र है ; और जो उस से ूेम रखते और उसक आWाएं मानते हE उनके साय वह हजार पीढ़: तक अप क वाचा पालता, और उन पर कRणा करता रहता है ; 10 और जो उस से बैर रखते हE वह उनके दे खते उन से बदला लेकर न कर डालता है ; अपके बैर: के वषय म वलSब न करे गा, उसके दे खते ह: उस से बदला लेगा। 11 इसिलथे इन आWाओं, विधयH, और िनयमHको, जो मE आज तुझे िचताता हंू , मानने म चौकसी करना।। 12 और तुम जो इन िनयमHको सुनकर मानोगे और इन पर चलोगे, तो तेरा परमेौ यहोवा भी कRणामय वाचा को पालेगा 'जसे उस ने तेरे पूवOजHसे शपय खाकर बा(धी यी; 13 और वह तुझ से ूेम रखेगा, और तुझे आशीष दे गा, और िगनती म बढ़ाएगा; और जो दे श उस ने तेरे पूवOजHसे शपय खाकर तुझे दे ने को कहा है उस म वह तेर: स(तान पर, और अ(न, नथे दाखमधु, और टटके तेल आद, भूिम क उपज पर

आशीष दया करे गा, और तेर: गाय-बैल और भेड़-बकgरयHक बढ़ती करे गा। 14 तू सब दे शHके लोगHसे अिधक ध(य होगा; तेरे बीच म न पुRष न \ी िनव{श होगी, और ते रे पशुओं म भी ऐसा कोई न होगा। 15 और यहोवा तुझ से सब ूकार के रोग दरू करे गा; और िमॐ क बुर: बुर: eयािधयां 'ज(ह तू जानता है उन म से कसी को भी तुझे लगने न दे गा, थे सब तेरे बैgरयHह: को लग गे। 16 और दे श दे श के 'जतने लोगHको तेरा परमे र यहोवा ते रे वश म कर दे गा, तू उन सभHको सयानाश करना; उन पर तरस क l न करना, और न उनके दे वताओं क उपासना करना, नह:ं तो तू फ(दे म फंस जाएगा। 17 यद तू अपके मन म सोचे, क वे जाितयां जो मुझ से अिधक हE ; तो मE उनको यHकर दे श से िनकाल सकूंगा? 18 तौभी उन से न डरना, जो कुछ तेरे परमे र यहोवा ने फरौन से और सारे िमॐ से कया उसे भली भांित ःमरण रखना। 19 जो बड़े बड़े प कझा के काम तू ने अप क आंखHसे दे खे, और 'जन िच(हH, और चमकारH, और 'जस बलव(त हाथ, और बढ़ाई हुई भुजा के kारा ते रा परमे र यहोवा तुझ को िनकाल लाया, उनके अनुसार तेरा परमे र यहोवा उन सब लोगHसे भी 'जन से तू डरता है करे गा। 20 इस से अिधक तेरा परमे र यहोवा उनके बीच बर भी भेजेगा, यहां तक क उन म से जो बचकर िछप जाएंगे वे भी तेरे साSहने से नाश हो जाएंगे। 21 उस से भय न खाना; यHक तेरा परमे र यहोवा ते रे बीच म है , और वह महान ् और भय योbय ई र है । 22 तेरा परमे र यहोवा उन जाितयHको तेरे आगे से धीरे धीरे िनकाल दे गा; तो तू एक दम से उनका अ(त न कर सकेगा, नह:ं तो बनैले पशु बढ़कर तेर: हािन कर गे। 23 तौभी तेरा परमे र यहोवा उनको तुझ से हरवा दे गा, और जब तक वे सयानाश न हो जाएं तब तक उनको अित eयाकुल

करता रहे गा। 24 और वह उनके राजाओं को ते रे हाथ म करे गा, और तू उनका भी नाम धरती पर से िमटा डालेगा; उन म से कोई भी ते रे साSहने खड़ा न रह सकेगा, और अ(त म तू उ(ह सयानाश कर डालेगा। 25 उनके दे वताओं क खुद: हुई मूया{ तुम आग म जला दे ना; जो चांद: वा सोना उन पर मढ़ा हो उसका लालच करके न ले लेना, नह:ं तो तू उसके कारण फ(दे म फंसेगा; यHक ऐसी वःतुएं तुSहारे परमे र यहोवा क l म घृ'णत हE । 26 और कोई घृ'णत वःतु अपके घर म न ले आना, नह:ं तो तू भी उसके समान न हो जाने क वःतु ठहरे गा; उसे सयानाश क वःतु जानकर उस से घृणा करना और उसे कदाप न चाहना; यHक वह अशुa वःतु है । eयवःथाववरण 8 1 जो जो आWा मE आज तुझे सुनाता हंू उन सभHपर चलने क चौकसी करना, इसिलथे क तुम जीवत रहो और बढ़ते रहो, और 'जस दे श के वषय म यहोवा ने तुSहारे पूवOजHसे शपय खाई है उस म जाकर उसके अिध कारनेी हो जाओ। 2 और ःमरण रख क तेरा परमे र यहोवा उन चालीस वषJम तुझे सारे जंगल के मागO म से इसिलथे ले आया है , क वह तुझे नॆ बनाए, और तेर: प कझा करके यह जान ले क तेरे मन म या या है , और क तू उसक आWाओं का पालन करे गा वा नह:ं। 3 उस ने तुझ को नॆ बनाया, और भूखा भी होने दया, फर वह म(ना, 'जसे न तू और न तेरे पुरखा ह: जानते थे, वह: तुझ को 'खलाया; इसिलथे क वह तुझ को िसखाए क मनुंय केवल रोट: ह: से नह:ं जीवत रहता, पर(तु जो जो वचन यहोवा के मुह ं से िनकलते हE उन ह: से वह जीवत रहता है । 4 इन

चालीस वषJम तेरे व\ पुराने न हुए, और ते रे तन से भी नह:ं िगरे , और न तेरे पांव फूले। 5 फर अपके मन म यह तो वचार कर, क जैसा कोई अपके बेटे को ताड़ना दे ता है वैसे ह: तेरा परमे र यहोवा तुझ को ताड़ना दे ता है । 6 इसिलथे अपके परमे र यहोवा क आWाओं का पालन करते हुए उसके मागार◌ ् े◌ं पर चलना, और उसका भय मानते रहना। 7 यHक तेरा परमे र यहोवा तुझे एक उम दे श म िलथे जा रहा है , जो जल क नदयHका, और तराइयHऔर पहाड़Hसे िनकले हुए गहरे गहरे सोतHका दे श है । 8 फर वह गेहंू , जौ, दाखलताओं, अंजीरH, और अनरHका दे श है ; और तेलवाली जलपाई और मधु का भी दे श है । 9 उस दे श म अ(न क महं गी न होगी, और न उस म तुझे कसी पदायO क घट: होगी; वहां के पयर लोहे के हE , और वहां के पहाड़Hम से तू तांबा खोदकर िनकाल सकेगा। 10 और तू पेट भर खाएगा, और उस उम दे श के कारण जो तेरा परमे र यहोवा तुझे दे गा उसका ध(य मानेगा। 11 इसिलथे सावधान रहना, कह:ं ऐसा न हो क अपके परमे र यहोवा को भूलकर उसक जो जो आWा, िनयम, और विध, मE आज तुझे सुनाता हूं उनका मानना छोड़ दे ; 12 ऐसा न हो क जब तू खाकर तृT हो, और अ.छे अ.छे घर बनाकर उन म रहने लगे, 13 और ते र: गाय-बैलHऔर भेड़-बकgरयHक बढ़ती हो, और तेरा सोना, चांद:, और तेरा सब ूकार का धन बढ़ जाए, 14 तब तेरे मन म अहं कार समा जाए, और तू अपके परमे र यहोवा को भूल जाए, जो तुझ को दासव के घर अयाOत ् िमॐ दे श से िनकाल लाया है , 15 और उस बड़े और भयानक जंगल म से ले आया है , जहां तेज वषवाले सपO और ब.छू हE , और जलरहत सूखे दे श म उस ने तेरे िलथे चकमक क च=ठान से जल िनकाला, 16 और तुझे जंगल म म(ना 'खलाया,

'जसे तुSहारे पुरखा जानते भी न थे, इसिलथे क वह तुझे नॆ बनाए, और तेर: प कझा करके अ(त म तेरा भला ह: करे । 17 और कह:ं ऐसा न हो क तू सोचने लगे, क यह सSप मेरे ह: सामयO और मेरे ह: भुजबल से मुझे ूाT हुई। 18 पर(तु तू अपके परमे र यहोवा को ःमरण रखना, यHक वह: है जो तुझे सSपित ूाT करने का सामयO इसिलथे दे ता है , क जो वाचा उस ने तेरे पूवOजHसे शपय खाकर बा(धी यी उसको पूरा करे , जैसा आज ूगट है । 19 यद तू अपके परमे र यहोवा को भूलकर दस ू रे दे वताओं के पीछे हो लेगा, और उसक उपासना और उनको द+डवत ् करे गा, तो मE आज तुम को िचता दे ता हंू क तुम िन:स(दे ह न हो जाओगे। 20 'जन जाितयHको यहोवा तुSहारे सSमुख से न करने पर है , उ(ह: क नाई तुम भी अपके परमे र यहोवा का वचन न मानने के कारण न हो जाओगे । eयवःथाववरण 9 1 हे इॐाएल, सुन, आज तू यरदन पार इसिलथे जानेवाला है , क ऐसी जाितयHको जो तुझ से बड़: और सामयh हE , और ऐसे बड़े नगरHको 'जनक ँहरपनाह आकाश से बात करती हE , अपके अिध कारने म ले ले। 2 उन म बड़े बड़े और लSबे लSबे लोग, अयाOत ् अनाकवंशी रहते हE , 'जनका हाल तू जानता है , और उनके वषय म

तू ने यह सुना है , क अनाकविशयHके साSहने कौन ठहर सकता है ? 3 इसिलथे आज तू यह जान ले, क जो तेरे आगे भःम करनेवाली आग क नाई पार जानेवाला है वह तेरा परमे र यहोवा है ; और वह उनका सयानाश करे गा, और वह उनको ते रे साSहने दबा दे गा; और तू यहोवा के वचन के अनुसार उनको उस

दे श से िनकालकर शीय ह: न कर डालेगा। 4 जब तेरा परमे र यहोवा उ(ह तेरे साSहने से िनकाल चुके तब यह न सोचना, क यहोवा ते रे धमO के कारण तुझे इस दे श का अिध कारनेी होने को ले आया है , क(तु उन जाितयHक द ु ता ह: के कारण यहोवा उनको तेरे साSहने से िनकालता है । 5 तू जो उनके दे श का अिध कारनेी होने के िलथे जा रहा है , इसका कारण ते रा धमO वा मन क सीधाई नह:ं है ; ते रा परमे र यहोवा जो उन जाितयHको तेरे साSहने से िनकालता है , उसका कारण उनक द ु ता है , और यह भी क जो वचन उस ने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब, ते रे पूवOजHको शपय खाकर दया या, उसको वह पूरा करना चाहता है । 6 इसिलथे यह जान ले क ते रा परमे र यहोवा, जो तुझे वह अ.छा दे श दे ता है क तू उसका अिध कारनेी हो, उसे वह तेरे धमO के कारण नह:ं दे रहा है ; यHक तू तो एक हठqली जाित है । 7 इस बात का ःमरण रख और कभी भी न भूलना, क जंगल म तू ने कस कस र:ित से अपके परमे र यहोवा को बोिधत कया; और 'जस दे श से तू िमॐ दे श से िनकला है जब तक तुम इस ःयान पर न पहं ◌ुचे तब तक तुम यहोवा से बलवा ह: बलवा करते आए हो। 8 फर होरे ब के पास भी तुम ने यहोवा को बोिधत कया, और वह बोिधत होकर तुSह न करना चाहता या। 9 जब मE उस वाचा के पयर क पटयाओं को जो यहोवा ने तुम से बा(धी यी लेने के िलथे पवOत के ऊपर चढ़ गया, तब चालीस दन और चालीस रात पवOत ह: के ऊपर रहा; और मE ने न तो रोट: खाई न पानी पया। 10 और यहोवा ने मुझे अपके ह: हाथ क िलखी हुई पयर क दोनHपटयाओं को सxप दया, और वे ह: वचन 'ज(ह यहोवा ने पवOत के ऊपर आग के म~य म से सभा के दन तुम से कहे थे वे सब उन पर िलखे हुए थे। 11 और चालीस दन और चालीस

रात के बीत जाने पर यहोवा ने पयर क वे दो वाचा क पटयाएं मुझे दे द:ं। 12 और यहोवा ने मुझ से कहा, उठ, यहां से फटपट नीचे जा; योकं तेर: ूजा के लोग 'जनको तू िमॐ से िनकालकर ले आया है वे बगड़ गए हE ; 'जस मागO पर चलने क आWा मE ने उ(ह द: यी उसको उ(हHने फटपट छोड़ दया है ; अयाOत ् उ(हHने तुर(त अपके िलथे एक मूर ् ढालकर बना ली है । 13 फर यहोवा ने मुझ से यह भी कहा, क मE ने उन लोगो को दे ख िलया, वे हठqली जाित के लोग हE ; 14 इसिलथे अब मुझे तू मत रोक, ताक मE उ(ह न कर डालू,ं और धरती के ऊपर से उनका नाम वा िच(ह तक िमटा डालू,ं और मE उन से बढ़कर एक बड़: और सामयh जाित तुझी से उप(न कRंगा। 15 तब मE उलटे पैर पवOत से नीचे उतर चला, और मेरे दोनHहाथHम वाचा क दोनHपटयाएं यीं। 16 और मE ने दे खा क तुम ने अपके परमे र यहोवा के वRa महापाप कया; और अपके िलथे एक बछड़ा ढालकर बना िलया है , और तुर(त उस मागO से 'जस पर चलने क आWा यहोवा ने तुम को द: यी उसको तुम ने तज दया। 17 तब मE ने उन दोनHपटयाओं को अपके दोनो हाथHसे लेकर फ क दया, और तुSहार: आंखHके साSहने उनको तोड़ डाला। 18 तब तुSहारे उस महापाप के कारण 'जसे करके तुम ने यहोवा क l म बुराई क, और उसे र:स दलाई यी, मE यहोवा के साSहने मुह ं के बल िगर पड़ा, और पहले क नाई, अयाOत ् चालीस दन और चालीस रात तक, न तो रोट: खाई और न पानी पया। 19 मE तो यहोवा के उस कोप और जल-जलाहट से डर रहा या, यHक वह तुम से अूस(न होकर तुSह सयानाश करने को या। पर(तु यहोवा ने उस बार भी मेर: सुन ली। 20 और यहोवा हाRन से इतना बोिधत हुआ क उसे भी सयानाश करना चाहा; पर(तु उसी समय मE ने

हाRन के िलथे भी ूायOना क। 21 और मE ने वह बछड़ा 'जसे बनाकर तुम पापी हो गए थे लेकर, आग म डालकर फूंक दया; और फर उसे पीस पीसकर ऐसा चूर चूरकर डाला क वह धूल क नाई जीणO हो गया; और उसक उस राख को उस नद: म फ क दया जो पवOत से िनकलकर नीचे बहती यी। 22 फर तबेरा, और मःसा, और कॄोतहावा म भी तुम ने यहोवा को र:स दलाई यी। 23 फर जब यहोवा ने तुम को कोदशबन से यह कहकर भेजा, क जाकर उस दे श के 'जसे मE ने तुSह दया है अिध कारनेी हो जाओ, तब भी तुम ने अपके परमे र यहोवा क आWा के वRa बलवा कया, और न तो उसका व ास कया, और न उसक बात मानी। 24 'जस दन से मE तुSह जानता हंू उस दन से तुम यहोवा से बलवा ह: करते आए हो। 25 मE यहोवा के साSहने चालीस दन और चालीस रात मुह ं के बल पड़ा रहा, यHक यहोवा ने कह दया या, क वह तुम को सयानाश करे गा। 26 और मE ने यहोवा से यह ूायOना क, क हे ूभु यहोवा, अपना ूजाRपी िनज भाग, 'जनको तू ने अपके महान ् ूताप से छुड़ा िलया है , और 'जनको तू ने अपके बलव(त हाथ से िमॐ से िनकाल िलया है , उ(ह न न कर। 27 अपके दास इॄाह:म, इसहाक, और याकूब को ःमरण कर; और इन लोगHक कठोरता, और द ु ता, और पाप पर l न कर, 28 'जस से ऐसा न हो क 'जस दे श से तू हम को िनकालकर ले आया है , वहां से लोग कहने लग , क यहोवा उ(ह उस दे श म

'जसके दे श का वचन उनको दया या नह:ं पहुंचा सका, और उन से बैर भी रखता या, इसी कारण उस ने उ(ह जंगल म िनकालकर मार डाला है । 29 थे लोग तेर: ूजा और िनज भाग हE , 'जनको तू ने अपके बड़े सामयO और बलव(त भुजा के kारा िनकाल ले आया है ।।

eयवःथाववरण 10 1 उस समय यहोवा ने मुझ से कहा, पहली पटयाओं के समान पयर क दो और पटयाएं गढ़ ले, और उ(ह लेकर मेरे पास पवOत के ऊपर आ जा, और लकड़: का एक स(दक ू भी बनवा ले। 2 और मE उन पटयाओं पर वे ह: वचन िलखूंगा, जो उन पहली पटयाओं पर थे, 'ज(ह तू ने तोड़ डाला, और तू उ(ह उस स(दक ू म

रखना। 3 तब मE ने बबूल क लकड़: का एक स(दक ू बनवाया, और पहली पटयाओं के समान पयर क दो और पटयाएं गढ़:ं, तब उ(ह हाथHम िलथे हुए पवOत पर चढ़ गया। 4 और जो दस वचन यहोवा ने सभा के दन पवOत पर अ'bन के म~य म से तुम से कहे थे, वे ह: उस ने पहलHके समान उन पटयाओं पर िलखे; और उनको मुझे सxप दया। 5 तब मै पवOत से नीचे उतर आया, और पटयाओं को अपके बनवाए हुए स(दक ू म धर दया; और यहोवा क आWा के अनुसार वे वह:ं रखीं हुई हE । 6 तब इॐाएली याकािनयHके कुओं से कूच करके मोसेरा तक आए। वहां हाRन मर गया, और उसको वह:ं िम=ट: द: गई; और उसका पुऽ एलीआजर उसके ःयान पर याजक का काम करने लगा। 7 वे वहां से कूच करके गुदगोदा को, और गुदगोदा से योतबाता को चले, इस दे श म जल क नदयां हE । 8 उस समय यहोवा ने लेवी गोऽ को इसिलथे अलग कया क वे यहोवा क वाचा का स(दक ू उठाया कर , और यहोवा के सSमुख खड़े होकर उसक सेवाटहल कया कर , और उसके नाम से आशीवाOद दया कर , 'जस ूकार क आज के दन तक होता आ रहा है । 9 इस कारण लेवयHको अपके भाईयHके साय कोई िनज अंश वा भाग नह:ं िमला; यहोवा ह: उनका िनज भाग है , जैसे क तेरे परमे र यहोवा ने उन से कहा या। 10 मE तो पहले क नाई उस पवOत पर चालीस

दन और चालीस रात ठहरा रहा, और उस बार भी यहोवा ने मेर: सुनी, और तुझे नाश करने क मनसा छोड़ द:। 11 फर यहोवा ने मुझ से कहा, उठ, और तू इन लोगHक अगुवाई कर, ताक 'जस दे श के दे ने को मE ने उनके पूवOजHसे शपय खाकर कहा या उस म वे जाकर उसको अपके अिध कारने म कर ल ।। 12 और अब, हे इॐाएल, तेरा परमे र यहोवा तुझ से इसके िसवाय और या चाहता है , क तू अपके परमे र यहोवा का भय मान , और उसके सारे मागJपर चले, उस से ूे म रखे, और अपके पूरे मन और अपके सारे ूाण से उसक सेवा करे , 13 और यहोवा क जो जो आWा और विध मE आज तुझे सुनाता हंू उनको महण करे , 'जस से तेरा भला हो? 14 सुन, ःवगO और सब से ऊंचा ःवगO भी, और पृवी और उस म जो कुछ है , वह सब तेरे परमे र यहोवा ह: का है ; 15 तौभी यहोवा ने तेरे पूवOजHसे ःनेह और ूेम रखा, और उनके बाद तुम लोगHको जो उनक स(तान हो सवO दे शHके लोगHके म~य म से चुन िलया, जैसा क आज के दन ूगट है । 16 इसिलथे अपके अपके ॑ृदय का खतना करो, और आगे को हठqले न रहो। 17 यHक तुSहारा परमे र यहोवा वह: ई रHका परमे र और ूभुओं का ूभु है , वह महान ् पराबमी और भय योbय ई र है , जो कसी का पझ नह:ं करता और न घूस लेता है । 18 वह अनायHऔर वधवा का (याय चुकाता, और परदे िशयHसे ऐसा ूे म करता है क उ(ह भोजन और व\ दे ता है । 19 इसिलथे तुम भी परदे िशयHसे ूे म भाव रखना; यHक तुम भी िमॐ दे श म पकेदशी थे। 20 अपके परमे र यहोवा का भय मानना; उसी क सेवा करना और उसी से िलपके रहना, और उसी के नाम क शपय खाना। 21 वह: तुSहार: ःतुित के योbय है ; और वह: तेरा परमे र है , 'जस ने तेरे साय वे बड़े महव के और भयानक काम कए हE , 'ज(ह

तू ने अप क आंखHसे दे खा है । 22 तेरे पुरखा जब िमॐ म गए तब सर ह: मनुंय थे; पर(तु अब ते रे परमे र यहोवा ने तेर: िगनती आकाश के तारHके समान बहुत कर दया है ।। eयवःथाववरण 11 1 इसिलथे तू अपके परमे र यहोवा से अय(त ूेम रखना, और जो कुछ उस ने तुझे सxपा है उसका, अयाOत ् उसी विधयH, िनयमH, और आWाओं का िनय पालन करना। 2 और तुम आज यह सोच समझ लो ( यHक मE तो तुSहारे बाल-ब.चHसे नह:ं कहता,) 'ज(हHने न तो कुछ दे खा और न जाना है क तुSहारे परमे र यहोवा ने या या ताड़ना क, और कैसी महमा, और बलव(त हाथ, और बढ़ाई हुई भुजा दखाई, 3 और िमॐ म वहां के राजा फरौन को कैसे कैसे िच(ह दखाए, और उसके सारे दे श म कैसे कैसे चमकार के काम कए; 4 और उस ने िमॐ क सेना के घोड़Hऔर रयHसे या कया, अयाOत ् जब वे तुSहारा पीछा कर रहे थे तब उस ने उनको लाल समुि म डु बोकर कस ूकार न कर डाला, क आज तक उनका पता नह:ं; 5 और तुSहारे इस ःयान म पहुंचने तक उस ने जंगल म तुम से या या कया; 6 औैर उस ने Rबेनी एलीआब के पुऽ दातान और अबीराम से या या कया; अयाOत ् पृवी ने अपना मुह ं पसारके उनको घरानH, और डे रH, और सब अनुचरHसमेत सब इॐाएिलयHके दे खते दे खते कैसे िनगल िलया; 7 पर(तु यहोवा के इन सब बड़े बड़े कामHको तुम ने अप क आंखHसे दे खा है । 8 इस कारण 'जतनी आWाएं मE आज तुSह सुनाता हंू उन सभHको माना करना, इसिलथे क तुम सामयh होकर उस दे श म 'जसके

अिध कारनेी होने के िलथे तुम पार जा रहे हो ूवेश करके उसके अिध कारनेी हो जाओ, 9 और उस दे श म बहुत दन रहने पाओ, 'जसे तुSह और तुSहारे वंश को दे ने क शपय यहोवा ने तुSहारे पूवOजHसे खाL यी, और उस म दध ू और मधु क धाराएं बहती हE । 10 दे खो, 'जस दे श के अिध कारनेी होने को तुम जा रहे हो वह िमॐ दे श के समान नह:ं है , जहां से िनकलकर आए हो, जहां तुम बीज बोते थे और हरे साग के खेत क र:ित के अनुसार अपके पांव क निलयां बनाकर सींचते थे; 11 पर(तु 'जस दे श के अिध कारनेी होने को तुम पार जाने पर हो वह पहाड़Hऔर तराईयHका दे श है , और आकाश क वषाO के जल से िसंचता है ; 12 वह ऐसा दे श है 'जसक ते रे परमे र यहोवा को सुिध रहती है ; और वषO के आद से लेकर अ(त तक तेरे परमे र यहोवा क l उस पर िनर(तर लगी रहती है ।। 13 और यद तुम मेर: आWाओं को जो आज मE तुSह सुनाता हंू ~यान से सुनकर, अपके सSपूणO मन और सारे ूाण के साय, अपके परमे र यहोवा से ूेम रखो और उसक सेवा करते रहो, 14 तो मE तुSहारे दे श म बरसात के आद और अ(त दोनHसमयHक वषाO को अपके अपके समय पर बरसाऊंगा, 'जस से तू अपना अ(न, नया दाखमधु, और टटका ते ल संचय कर सकेगा। 15 और मै तेरे पशुओं के िलथे तेरे मैदान म घास उपजाऊंगा, और तू पेट भर खाएगा और स(तु रहे गा। 16 इसिलथे अपके वषय म सावधान रहो, ऐसा न हो क तुSहारे मन धोखा खाएं, और तुम बहककर दस ू रे दे वताओं क पूजा करने लगो और उनको द+डवत ् करने लगो, 17 और यहोवा का कोप तुम पर भड़के, और वह आकाश क वषाO ब(द कर दे , और भूिम अप क उपज न दे , और तुम उस उम दे श म से जो यहोवा तुSह दे ता है शीय न हो जाओ। 18 इसिलथे तुम मेरे थे वचन अपके

अपके मन और ूाण म धारण कए रहना, और िच(हानी के िलथे अपके हाथHपर बा(धना, और वे तुSहार: आंखHके म~य म ट:के का काम द । 19 और तुम घर म

बैठे, मागO पर चलते, लेटते-उठते इनक चचाO करके अपके लड़केबालHको िसखाया करना। 20 और इ(ह अपके अपके घर के चौखट के बाजुओं और अपके फाटकHके ऊपर िलखना; 21 इसिलथे क 'जस दे श के वषय म यहोवा ने तेरे पूवOजHसे शपय खाकर कहा या, क मE उसे तुSह दं ग ू ा, उस म तुSहारे और तुSहारे लड़केबालHक द:घाOयु हो, और जब तक पृवी के ऊपर का आकाश बना रहे तब तक वे भी बने रह । 22 इसिलथे यद तुम इन सब आWाओं के मानने म जो मE तुSह सुनाता हंू पूर: चौकसी करके अपके परमे र यहोवा से ूेम रखो, और उसके सब मागJपर चलो, और उस से िलपके रहो, 23 तो यहोवा उन सब जाितयHको तुSहारे आगे से िनकाल डालेगा, और तुम अपके से बड़: और सामयh जाितयHके अिध कारनेी हो जाओगे । 24 'जस 'जस ःयान पर तुSहारे पांव के तलवे पक वे सब तुSहारे ह: हो जाएंगे, अयाOत ् जंगल से लबानोन तक, और परात नाम महानद से लेकर प'_म के समुि तक तुSहारा िसवाना होगा। 25 तुSहारे साSहने कोई भी खड़ा न रह सकेगा; यHक 'जतनी भूिम पर तुSहारे पांव पक गे उस सब पर रहनेवालHके मन म तुSहारा परमे र यहोवा अपके वचन के अनुसार तुSहारे कारण उन म डर और यरयराहट उप(न कर दे गा। 26 सुनो, मE आज के दन तुSहारे आगे आशीष और शाप दोनHरख दे ता हूं। 27 अयाOत ् यद तुम अपके परमे र यहोवा क इन आWाओं को जो मE आज तुSहे सुनाता हंू मानो, तो तुम पर आशीष होगी, 28 और यद तुम अपके परमे र यहोवा क आWाओं को नह:ं मानोगे, और 'जस मागO क आWा मE आज सुनाता हंू उसे तजकर दस ू रे दे वताओं के पीछे हो लोगे 'ज(ह तुम

नह:ं जानते हो, तो तुम पर शाप पकेगा। 29 और जब ते रा परमे र यहोवा तुझ को उस दे श म पहुंचाए 'जसके अिध कारनेी होने को तू जाने पर है , तब आशीष गर:Gजीम पवOत पर से और शाप एबाल पवOत पर से सुनाना। 30 या वे यरदन के पार, सूयO के अःत होने क ओर, अराबा के िनवासी कनािनयHके दे श म , िग`गाल के साSहने, मोरे के बांज वृझHके पास नह:ं है ? 31 तुम तो यरदन पार इसी िलथे जाने पर हो, क जो दे श तुSहारा परमे र यहोवा तुSह दे ता है उसके अिध कारनेी होकर उस म िनवास करोगे; 32 इसिलथे 'जतनी विधयां और िनयम मE आज तुम को सुनाता हंू उन सभHके मानने म चौकसी करना।। eयवःथाववरण 12 1 जो दे श तुSहारे पूवOजHके परमे र यहोवा ने तुSह अिध कारने म लेने को दया है , उस म जब तक तुम भूिम पर जीवत रहो तब तक इन विधयHऔर िनयमHके मानने म चौकसी करना। 2 'जन जाितयHके तुम अिध कारनेी होगे उनके लोग ऊंचे ऊंचे पहाड़Hवा ट:लHपर, वा कसी भांित के हरे वृझ के तले, 'जतने ःयानHम

अपके दे वताओं क उपासना करते हE , उन सभHको तुम पूर: र:ित से न कर डालना; 3 उनक वेदयHको ढा दे ना, उनक लाठHको तोड़ डालना, उनक अशेरा नाम मूयJको आग म जला दे ना, और उनके दे वताओं क खुद: हुई मूयJको काटकर िगरा दे ना, क उस दे श म से उनके नाम तक िमट जाएं। 4 फर जैसा वे करते हE , तुम अपके परमे र यहोवा के िलथे वैसा न करना। 5 क(तु जो ःयान तुSहारा परमे र यहोवा तुSहारे सब गोऽHम से चुन लेगा, क वहां अपना नाम बनाए रखे, उसके उसी िनवासःयान के पास जाया करना; 6 और वह:ं तुम अपके

होमबिल, और मेलबिल, और दं शमांश, और उठाई हुई भ ट, और म(नत क वःतुए,ं और ःवे .छाबिल, और गाय-बैलHऔर भेड़-बकgरयHके पहलौठे ले जाया करना; 7 और वह:ं तुम अपके परमे र यहोवा के साSहने भोजन करना, और अपके अपके घराने समेत उन सब कामHपर, 'जन म तुम ने हाथ लगाया हो, और 'जन पर तुSहारे परमे र यहोवा क आशीष िमली हो, आन(द करना। 8 जैसे हम आजकल यहां जो काम 'जसको भाता है वह: करते हE वैसा तुम न करना; 9 जो वौमःयान तुSहारा परमे र यहोवा तुSहारे भाग म दे ता है वहां तुम अब तक तो नह:ं पहंु चे। 10 पर(तु जब तुम यरदन पार जाकर उस दे श म 'जसके भागी तुSहारा परमे र यहोवा तुSह करता है बस जाओ, और वह तुSहारे चारHओर के सब शऽुओं से तुSह वौम दे , 11 और तुम िनडर रहने पाओ, तब जो ःयान तुSहारा परमे र यहोवा अपके नाम का िनवास ठहराने के िलथे चुन ले उसी म तुम अपके होमबिल, और मेलबिल, और दशमांश, और उठाई हुL भ ट , और म(नतHक सब उम उम वःतुएं जो तुम यहोवा के िलथे संक`प करोगे, िनदान 'जतनी वःतुओं क आWा मE तुम को सुनाता हूं उन सभHको वह:ं ले जाया करना। 12 और वहां तुम अपके अपके बे टे बेटयHऔर दास दािसयHसहत अपके परमे र यहोवा के साSहने आन(द करना, और जो लेवीय तुSहारे फाटकHम रहे वह भी आन(द करे , यHक उसका तुSहारे संग कोई िनज भाग वा अंश न होगा। 13 और सावधान रहना क तू अपके होमबिलयHको हर एक ःयान पर जो दे खने म आए न चढ़ाना; 14 पर(तु जो ःयान तेरे कसी गोऽ म यहोवा चुन ले वह:ं अपके होमबिलयHको चढ़ाया करना, और 'जस 'जस काम क आWा मE तुझ को सुनाता हंू उसको वह:ं करना। 15 पर(तु तू अपके सब फाटकHके भीतर अपके जी

क इ.छा और अपके परमे र यहोवा क द: हुई आशीष के अनुसार पशु मारके खा सकेगा, शुk और अशुk मनुंय दोनHखा सक गे, जैसे क िचकारे और हgरण का मांस। 16 पर(तु उसका लोहू न खाना; उसे जल क नाई भूिम पर उं डे ल दे ना। 17 फर अपके अ(न, वा नथे दाखमधु, वा टटके तेल का दशमांश, और अपके गाय-बैलHवा भेड़-बकgरयHके पहलौठे , और अप क म(नतHक कोई वःतु, और अपके ःवे .छाबिल, और उठाई हुई भ ट अपके सब फाटकHके भीतर न खाना; 18 उ(ह अपके परमे र यहोवा के साSहने उसी ःयान पर 'जसको वह चुने अपके बे टे बेटयHऔर दास दािसयHके, और जो लेवीय तेरे फाटकHके भीतर रह गे उनके साय खाना, और तू अपके परमे र यहोवा के साSहने अपके सब कामHपर 'जन म हाथ लगाया हो आन(द करना। 19 और सावधान रह क जब तक तू भूिम पर जीवत रहे तब तक लेवयHको न छोड़ना।। 20 जब तेरा परमे र यहोवा अपके वचन के अनुसार तेरा दे श बढ़ाए, और तेरा जी मांस खाना चाहे , और तू सोचने लगे, क मE मांस खाऊंगा, तब जो मांस तेरा जी चाहे वह: खा सकेगा। 21 जो ःयान तेरा परमे र यहोवा अपना नाम बनाए रखने के िलथे चुन ले वह यद तुझ से बहुत दरू हो, तो जो गाय-बैल भेड़-बकर: यहोवा ने तुझे द: हH, उन म से जो कुछ तेरा जी चाहे , उसे मेर: आWा के अनुसार मारके अपके फाटकHके भीतर खा सकेगा। 22 जैसे िचकारे और हgरण का मांस खाया जाता है वैसे ह: उनको भी खा सकेगा, शुk और अशुk दोनो ूकार के मनुंय उनका मांस खा सक गे। 23 पर(तु उनका लोहू कसी भांित न खाना; यHक लोहू जो है वह ूाण ह: है , और तू मांस के साय ूाण कभी भी न खाना। 24 उसको न खाना; उसे जल क नाL भूिम पर उं डे ल दे ना। 25 तू उसे न खाना; इसिलथे क वह काम करने से जो यहोवा क l

म ठqक हE तेरा और ते रे बाद तेरे वंश का भी भला हो। 26 पर(तु जब तू कोई वःतु पवऽ करे , वा म(नत माने, तो ऐसी वःतुएं लेकर उस ःयान को जाना 'जसको यहोवा चुन लेगा, 27 और वहां अपके होमबिलयHके मांस और लोहू दोनHको अपके परमे र यहोवा क वेद: पर चढ़ाना, और मेलबिलयHका लोहू उसक वेद: पर उं डे लकर उनका मांस खाना। 28 इन बातHको 'जनक आWा मE तुझे सुनाता हंू िच लगाकर सुन, क जब तू वह काम करे जो तेरे परमे र यहोवा क l म

भला और ठqक है , तब तेरा और तेरे बाद तेरे वंश का भी सदा भला होता रहे । 29 जब तेरा परमे र यहोवा उन जाितयHको 'जनका अिध कारनेी होने को तू जा रहा है तेरे आगे से न करे , और तू उनका अिध कारनेी होकर उनके दे श म बस जाए, 30 तब सावधान रहना, कह:ं ऐसा न हो क उनके सयनाश होने के बाद तू भी उनक नाई फंस जाए, अयाOत ् यह कहकर उनके दे वताओं के सSब(ध म यह पूछपाछ न करना, क उन जाितयHके लोग अपके दे वताओं क उपासना कस र:ित करते थे? मE भी वैसी ह: कRंगा। 31 तू अपके परमे र यहोवा से ऐसा eयवहार न करना; यHक 'जतने ूकार के कामHसे यहोवा घृणा करता है और बैर-भाव रखता है , उन सभHको उ(हHने अपके दे वताओं के िलथे कया है , यहां तक क अपके बेटे बेटयHको भी वे अपके दे वताओं के िलथे अ'bन म डालकर जला दे ते हE ।। 32 'जतनी बातHक मE तुम को आWा दे ता हंू उनको चौकस होकर माना करना; और न तो कुछ उन म बढ़ाना और न उन म से कुछ घटाना।। eयवःथाववरण 13 1 यद तेरे बीच कोई भवंयkfा वा ःव€न दे खनेवाला ूगट होकर तुझे कोई

िच(ह वा चमकार दखाए, 2 और 'जस िच(ह वा चमकार को ूमाण ठहराकर वह तुझ से कहे , क आओ हम पराए दे वताओं के अनुयायी होकर, 'जनसे तुम अब तक अनजान रहे , उनक पूजा कर , 3 तब तुम उस भवंयkfा वा ःव€न दे खने वाले के वचन पर कभी कान न धरना; यHक तुSहारा परमे र यहोवा तुSहार: प कझा लेगा, 'जस से यह जान ले, क थे मुझ से अपके सारे मन और सारे ूाण के साय ूेम रखते हE वा नह:ं? 4 तुम अपके परमे र यहोवा के पीछे चलना, और उसका भय मानना, और उसक आWाओं पर चलना, और उसका वचन मानना, और उसक सेवा करना, और उसी से िलपके रहना। 5 और ऐसा भवंयkfा वा ःव€न दे खनेवाला जो तुम को तुSहारे परमे र यहोवा से फेरके, 'जस ने तुम को िमॐ दे श से िनकाला और दासव के घर से छुड़ाया है , तेरे उसी परमे र यहोवा के मागO से बहकाने क बात कहनेवाला ठहरे गा, इस कारण वह मार डाला जाए। इस र:ित से तू अपके बीच म से ऐसी बुराई को दरू कर दे ना।। 6 यद तेरा सगा भाई, वा बे टा, वा बेट:, वा ते र: अaा{िगन, वा ूाण ूय तेरा कोई िमऽ िनराले म तुझ को यह कहकर फुसलाने लगे, क आओ हम दस ू रे दे वताओं क उपासना वा पूजा कर , 'ज(ह न तो तू न तेरे पुरखा जानते थे, 7 चाहे वे तुSहारे िनकट रहनेवाले आस पास के लोगHके, चाहे पृवी के एक छोर से लेके दस ू रे छोर तक दरू दरू के रहनेवालHके दे वता हH, 8 तो तू उसक न मानना, और न तो उसक बात सुनना, और न उस पर तरस खाना, और न कोमलता दखाना, और न उसको िछपा रखना; 9 उसको अवँय घात करना; उसके घात करने म पहले तेरा हाथ उठे , पीछे सब लोगHके हाथ उठे । 10 उस पर ऐसा पयरवाह करना क वह मर जाए, यHक उस ने तुझ को तेरे उस परमे र यहोवा से, जो तुझ को दासव

के घर अयाOत ् िमॐ दे श से िनकाल लाया है , बहकाने का य^ कया है । 11 और सब इॐाएली सुनकर भय खाएंगे, और ऐसा बुरा काम फर तेरे बीच न कर गे।। 12 यद तेरे कसी नगर के वषय म , 'जसे तेरा परमे र यहोवा तुझे रहने के िलथे दे ता है , ऐसी बात तेरे सुनने म आए, 13 क कतने अधम पुRषHने ते रे ह: बीच म से िनकलकर अपके नगर के िनवािस कH यह कहकर बहका दया है , क आओ हम और दे वताओं क 'जन से अब तक अनजान रहे उपासना कर , 14 तो पूछपाछ करना, और खोजना, और भलीं भांित पता लगाना; और यद यह बात सच हो, और कुछ भी स(दे ह न रहे क ते रे बीच ऐसा िघनौना काम कया जाता है , 15 तो अवँय उस नगर के िनवािस कH तलवार से मान डालना, और पशु आद उस सब समेत जो उस म हो उसको तलवार से सयानाश करना। 16 और उस म

क सार: लूट चौक के बीच इक=ठq करके उस नगर को लूट समेत अपके परमे र यहोवा के िलथे मानो सeवा{ग होम करके जलाना; और वह सदा के िलथे ड:ह रहे , वह फर बसाया न जाए। 17 और कोई सयानाश क वःतु तेरे हाथ न लगने पाए; 'जस से यहोवा अपके भड़के हुए कोप से शा(त होकर जैसा उस ने ते रे पूवOजHसे शपय खाई यी वैसा ह: तुझ से दया का eयवहार करे , और दया करके तुझ को िगनती म बढ़ाए। 18 यह तब होगा जब तू अपके परमे र यहोवा क 'जतनी आWाएं मE आज तुझे सुनाता हंू उन सभHको मानेगा, और जो तेरा परमे र यहोवा क l म ठqक है वह: करे गा।। eयवःथाववरण 14 1 तुम अपके परमे र यहोवा के पुऽ हो; इसिलथे मरे हुओं के कारण न तो अपना

शर:र चीरना, और न भौहHके बाल मुड ं ाना। 2 यHक तू अपके परमे र यहोवा के िलथे एक पवऽ समाज है , और यहोवा ने तुझ को पृवी भर के समःत दे शHके लोगHम से अप क िनज सSपित होने के िलथे चुन िलया है । 3 तू कोई िघनौनी वःतु न खाना। 4 जो पशु तुम खा सकते हो वे थे हE , अयाOत ् गाय-बैल, भेड़-बकर:, 5 हgरण, िचकारा, यखमूर, बनैली बकर:, साबर, नीलगाय, और बैनेली भेड़। 6 िनदान पशुओं म से 'जतने पशु िचरे वा फटे खुरवाले और पागुर करनेवाले होते हE उनका मांस तुम खा सकते हो। 7 पर(तु पागुर करनेवाले वा िचरे खुरवालHम से इन पशुओं को, अयाOत ् ऊंट, खरहा, और शापान को न खाना, यHक थे पागुर तो करते हE पर(तु िचरे खुर के नह: होते, इस कारण वे तुSहारे िलथे अशुa हE । 8 फर सूअर, जो िचरे खुर का होता है पर(तु पागुर नह:ं करता, इस कारण वह तुSहारे िलथे अशुa है । तुम न तो इनका मांस खाना, और न इनक लोय छूना।। 9 फर 'जतने जलज(तु हE उन म से तुम इ(ह खा सकते हो, अयाOत ् 'जतनHके पंख और िछलके होते हE । 10 पर(तु 'जतने बना पंख और िछलके के होते हE उ(ह तुम न खाना; यHक वे तुSहारे िलथे अशुa हE ।। 11 सब शुa प'झयHका मांस तो तुम खा सकते हो। 12 पर(तु इनका मांस न खाना, अयाOत ् उकाब, हड़फोड़, कुरर; 13 गRड़, चील और भांित भांित के शाह:; 14 और भांित भांित के सब काग; 15 शुतमुग O O, तहमास, जलकु कट, और भांित भांित के बाज; 16 छोटा और बड़ा दोनHजाित का उ`लू, और घुbघू; 17 धनेश, िगa, हाड़गील; 18 सारस, भांित भांित के बगुले, नौवा, और चमगीदड़। 19 और 'जतने र गनेवाले पकेR हE वे सब तुSहारे िलथे अशुa हE ; वे खाए न जाएं। 20 पर(तु सब शुa पंखवालHका मांस तुम खा सकते हो।। 21 जो अप क मृयु से मर जाए उसे तुम न खाना; उसे अपके

फाटकHके भीतर कसी पकेदशी को खाने के िलथे दे सकते हो, वा कसी पराए के हाथ बेच सकते हो; पर(तु तू तो अपके परमे र यहोवा के िलथे पवऽ समाज है । बकर: का ब.चा उसक माता के दध ू म न पकाना।। 22 बीज क सार: उपज म से जो ूितवषO खेत म उपके उसका दं शमांश अवँय अलग करके रखना। 23 और 'जस ःयान को तेरा परमे र यहोवा अपके नाम का िनवास ठहराने के िलथे चुन ले उस म अपके अ(न, और नथे दाखमधु, और टटके तेल का दशमांश, और अपके गाय-बैलHऔर भेड़-बकgरयHके पहलौठे अपके परमे र यहोवा के साSहने खाया करना; 'जस से तुम उसका भय िनय मानना सीखोगे। 24 पर(तु यद वह ःयान 'जस को तेरा परमे र यहोवा अपना नाम बानाए रखने के िलथे चुन लेगा बहुत दरू हो, और इस कारण वहां क याऽा तेरे िलथे इतनी लSबी हो क तू अपके परमे र यहोवा क आशीष से िमली हुई वःतुएं वहां न ले जा सके, 25 तो उसे बे चके, Rपके को बा(ध, हाथ म िलथे हुए उस ःयान पर जाना जो ते रा परमे र यहोवा चुन लेगा, 26 और वहां गाय-बैल, वा भेड़-बकर:, वा दाखमधु, वा मदरा, वा कसी भांित क वःतु यHन हो, जो तेरा जी चाहे , उसे उसी Rपके से मोल लेकर अपके घराने समेत अपके परमे र यहोवा के साSहने खाकर आन(द करना। 27 और अपके फाटकHके भीतर के लेवीय को न छोड़ना, यHक तेरे साय उसका कोई भाग वा अंश न होगा।। 28 तीन तीन वषO के बीतने पर तीसरे वषO क उपज का सारा दशंमांश िनकालकर अपके फाटकHके भीतर इक=ठा कर रखना; 29 तब लेवीय 'जसका तेरे संग कोई िनज भाग वा अंश न होगा वह, और जो परदे शी, और अनाय, और वधवांए तेरे फाटकHके भीतर हH, वे भी आकर पेट भर खाएं; 'जस से तेरा परमे र यहोवा ते रे सब कामHम तुझे आशीष दे ।।

eयवःथाववरण 15 1 सात सात वषO बीतने पर तुम छुटकारा दया करना, 2 अयाOत ् 'जस कसी ऋण दे नेवाले ने अपके पड़ोसी को कुछ उधार दया हो, तो वह उसे छोड़ दे ; और अपके पड़ोसी वा भाई से उसको बरबस न भरवा ले, यHक यहोवा के नाम से इस छुटकारे का ूचार हुआ है । 3 परदे शी मनुंय से तू उसे बरबस भरवा सकता है , पर(तु जो कुछ ते रे भाई के पास तेरा हो उसको तू बना भरवाए छोड़ दे ना। 4 तेरे बीच कोई दgरि न रहे गा, यHक 'जस दे श को तेरा परमे र यहोवा तेरा भाग करके तुझे दे ता है , क तू उसका अिध कारनेी हो, उस म वह तुझे बहुत ह: आशीष दे गा। 5 इतना अवँय है क तू अपके परमे र यहोवा क बात िच लगाकर सुने, और इन सार: आWाओं के मानने म जो मE आज तुझे सुनाता हंू चौकसी करे । 6 तब तेरा परमे र यहोवा अपके वचन के अनुसार तुझे आशीष दे गा, पर(तु तुझे उधार लेना न पकेगा; और तू बहुत जाितयHपर ूभुता करे गा, पर(तु वे तेरे ऊपर ूभुता न करने पाएंगी।। 7 जो दे श तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है उसके कसी फाटक के भीतर यद तेरे भाइयHम से कोई तेरे पास िgरि हो, तो अपके उस दgरि भाई के िलथे न तो अपना ॑ृदय कठोर करना, और न अप क मु=ठq कड़: करना; 8 'जस वःतु क घट: उसको हो, उसका 'जतना ूयोजन हो उतना अवँय अपना हाथ ढ:ला करके उसको उधार दे ना। 9 सचेत रह क तेरे मन म ऐसी अधम िच(ता न समाए, क सातवां वषO जो छुटकारे का वषO है वह िनकट है , और अप क l तू अपके उस दgरि भाई क ओर से बूर करके उसे कुछ न दे , तो यह तेरे िलथे पाप ठहरे गा। 10 तू उसको अवँय दे ना, और उसे दे ते समय तेरे मन को बुरा न लगे; योक इसी बात के कारण ते रा परमे र

यहोवा तेरे सब कामHम 'जन म तू अपना हाथ लगाएगा तुझे आशीष दे गा। 11 तेरे दे श म दgरि तो सदा पाए जाएंगे, इसिलथे मE तुझे यह आWा दे ता हूं क तू अपके दे श म अपके द:न-दgरि भाइयHको अपना हाथ ढ:ला करके अवँय दान दे ना।। 12 यद तेरा कोई भाईब(धु, अयाOत ् कोई इॄी वा इॄन, तेरे हाथ बके, और वह छ: वषO ते र: सेवा कर चुके, तो सातवे वषO उसको अपके पास से ःवतंऽ करके जाने दे ना। 13 और जब तू उसको ःवतंऽ करके अपके पास से जाने दे तब उसे छूछे हाथ न जाने दे ना; 14 वरन अप क भेड़-बकgरयH, और खिलहान, और दाखमधु के कु+ड म से बहुतायत से दे ना; तेरे परमे र यहोवा ने तुझे जैसी आशीष द: हो उसी के अनुसार उसे दे ना। 15 और इस बात को ःमरण रखना क तू भी िमॐ दे श म दास या, और तेरे परमे र यहोवा ने तुझे छुड़ा िलया; इस कारण मE आज तुझे यह आWा सुनाता हंू । 16 और यद वह तुझ से ओर तेरे घराने से ूेम रखता है , और तेरे संग आन(द से रहता हो, और इस कारण तुझ से कहने लगे, क मE तेरे पास से न जाऊंगा; 17 तो सुतार: लेकर उसका कान कवाड़ पर लगाकर छे दना, तब वह सदा तेरा दास बना रहे गा। और अप क दासी से भी ऐसा ह: करना। 18 जब तू उसको अपके पास से ःवतंऽ करके जाने दे , तब उसे छोड़ दे ना तुझ को कठन न जान पके; यHक उस ने छ: वषO दो मजदरू Hके बराबर तेर: सेवा क है । और तेरा परमे र यहोवा तेरे सारे कामHम तुझ को आशीष दे गा।। 19 तेर: गायHऔर भेड़-बकgरयHके 'जतने पहलौठे नर हHउन सभHको अपके परमे र यहोवा के िलथे पवऽ रखना; अप क गायHके पहलौठHसे कोई काम न लेना, और न अप क भेड़-बकgरयHके पहलौठHका ऊन कतरना। 20 उस ःयान पर जो तेरा परमे र यहोवा चुन लेगा तू यहोवा के

साSहने अपके अपके धराने समेत ूित वषO उसका मांस खाना। 21 पर(तु यद उस म कसी ूकार का दोष हो, अयाOत ् वह लंगड़ा वा अ(धा हो, वा उस म कसी और ह: ूकार क बुराई का दोष हो, तो उसे अपके परमे र यहोवा के िलथे बिल न करना। 22 उसको अपके फाटकHके भीतर खाना; शुa और अशुa दोनHूकार के मनुंय जैसे िचकारे और हgरण का मांस खाते हE वैसे ह: उसका भी खा सक गे। 23 पर(तु उसका लोहू न खाना; उसे जल क नाई भूिम पर उं डे ल दे ना।। eयवःथाववरण 16 1 आबीब के मह:ने को ःमरण करके अपके परमे र यहोवा के िलय फसह का पeवO मानना; योकं आबीब मह:ने म तेरा परमे र यहोवा रात को तुझे िमॐ से िनकाल लाया। 2 इसिलथे जो ःयान यहोवा अपके नाम का िनवास ठहराने को चुन लेगा, वह: अपके परमे र यहोवा के िलथे भेड़-बकgरयHऔर गाय-बैल फसह करके बिल करना। 3 उसके संग कोई खमीर: वःतु न खाना; सात दन तक अखमीर: रोट: जो द:ु ख क रोट: है खाया करना; यHक तू िमॐ दे श से उतावली करके िनकला या; इसी र:ित से तुझ को िमॐ दे श से िनकलने का दन जीवन भर ःमरण रहे गा। 4 सात दन तक ते रे सारे दे श म तेरे पास कह:ं खमीर दे खने म भी न आए; और जो पशु तू पहले दन क सं~या को बिल करे उसके मांस म से कुछ बहान तक रहने न पाए। 5 फसह को अपके कसी फाटक के भीतर, 'जसे तेरा परमे र यहोवा तुझे दे बिल न करना। 6 जो ःयान तेरा परमे र यहोवा अपके नाम का िनवास करने के िलथे चुन ले केवल वह:ं, वषO के उसी समय 'जस म तू िमॐ से िनकला या, अयाOत ् सूरज डू बने पर सं~याकाल को, फसह का पशुबिल

करना। 7 तब उसका मांस उसी ःयान म 'जसे तेरा परमे र यहोवा चुन ले भूज ं कर खाना; फर बहान को उठकर अपके अपके डे रे को लौट जाना। 8 छ: दन तक अखीमीर: रोट: खाया करना; और सातव दन तेरे परमे र यहोवा के िलथे महासभा हो; उस दन कसी ूकार का कामकाज न कया जाए।। 9 फर जब तू खेत म हं सआ ु लगाने लगे, तब से आरSभ करके सात अठवारे िगनना। 10 तब अपके परमे र यहोवा क आशीष के अनुसार उसके िलथे ःवे.छा बिल दे कर अठवारHनाम पeवO मानना; 11 और उस ःयान म जो ते रा परमे र यहोवा अपके नाम का िनवास करने को चुन ले अपके अपके बे टे-बे टयH, दास-दािसयHसमेत तू और ते रे फाटकHके भीतर जो लेवीय हH, और जो जो परदे शी, और अनाय, और वधवाएं तेरे बीच म हH, वे सब के सब अपके परमे र यहोवा के साSहने आन(द कर । 12 और ःमरण रखना क तू भी िमॐ म दास या; इसिलथे इन विधयHके पालन करने म चौकसी करना।। 13 तू जब अपके खिलहान और दाखमधु के कु+ड म से सब कुछ इक=ठा कर चुके, तब फोपडय़Hका पeवO सात दन मानते रहना; 14 और अपके इस पeवO म अपके अपके बेटे बेटयH, दास-दािसयHसमेत तू और जो लेवीय, और परदे शी, और अनाय, और वधवाएं तेरे फाटकHके भीतर हHवे भी आन(द कर । 15 जो ःयान यहोवा चुन ले उस म तु अपके परमे र यहोवा के िलथे सात दन तक पeवO मानते रहना; यHक तेरा परमे र यहोवा तेर: सार: बढ़ती म और ते रे सब कामHम तुझ को आशीष दे गा; तू आन(द ह: करना। 16 ◌ुवषO म तीन बार, अयाOत ् अखमीर: रोट: के पeवO, और अठवारHके पeवO, और फोपडय़Hके पeवO, इन तीनHपeवO म तुSहारे सब पुRष अपके परमे र यहोवा के साSहने उस ःयान म जो वह चुन लेगा जाएं। और दे खो, छूछे हाथ यहोवा के

साSहने कोई न जाए; 17 सब पुRष अप क अप क पूंजी, और उस आशीष के अनुसार जो तेरे परमे र यहोवा ने तुझ को द: हो, दया कर ।। 18 तू अपके एक एक गोऽ म से, अपके सब फाटकHके भीतर 'ज(ह तेरा परमे र यहोवा तुझ को दे ता है (यायी और सरदार िनयुf कर लेना, जो लोगHका (याय धमO से कया कर । 19 तुम (याय न बगाड़ना; तू न तो पझपात करना; और न तो घूस लेना, यHक घूस बुaमान क आंख अ(धी कर दे ती है , और धिमयJक बात पलट दे ती है । 20 जो कुछ िनता(त ठqक है उसी का पीछा पकड़े रहना, 'जस से तू जीवत रहे , और जो दे श तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है उसका अिध कारनेी बना रहे ।। 21 तू अपके परमे र यहोवा क जो वेद: बनाऐगा उसके पास कसी ूकार क लकड़: क बनी हुई अशेरा का ःयापन न करना। 22 और न कोई लाठ खड़: करना, यHक उस से तेरा परमे र यहोवा घृणा करता है ।। eयवःथाववरण 17 1 तू अपके परमे र यहोवा के िलथे कोई बैल वा भेड़-बकर: बिल न करना 'जस म दोष वा कसी ूकार क खोट हो; यHक ऐसा करना तेरे परमे र यहोवा के समीप घृ'णत है ।। 2 जो ब'ःतयां तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है , यद उन म

से कसी म कोई पुRष वा \ी ऐसी पाई जाए, 'जस ने तेरे परमे र यहोवा क वाचा तोड़कर ऐसा काम कया हो, जो उसक l म बुरा है , 3 अयाOत ् मेर: आWा का उ`लंघन करके पराए दे वताओं क, वा सूय,O वा चंिमा, वा आकाश के गण म

से कसी क उपासना क हो, वा उसको द+डवत कया हो, 4 और यह बात तुझे बतलाई जाए और तेरे सुनने म आए; तब भली भांित पूछपाछ करना, और यद

यह बात सच ठहरे क इॐाएल म ऐसा घृ'णत कमO कया गया है , 5 तो 'जस पुRष वा \ी ने ऐसा बुरा काम कया हो, उस पुRष वा \ी को बाहर अपके फाटकHपर ले जाकर ऐसा पयरवाह करना क वह मर जाए। 6 जो ूाणद+ड के योbय ठहरे वह एक ह: क साझी से न मार डाला जाए, क(तु दो वा तीन मनुंयHक साझी से मार डाला जाए। 7 उसके मार डालने के िलथे सब से पहले सा'झयHके हाथ, और उनके बाद और सब लोगHके हाथ उस पर उठ । इसी र:ित से ऐसी बुराई को अपके म~य से दरू करना।। 8 यद ते र: ब'ःतयHके भीतर कोई फगड़े क बात हो, अयाOत ् आपस के खून, वा ववाद, वा मारपीट का कोई मुकXमा उठे , और उसका (याय करना तेरे िलथे कठन जान पके, तो उस ःयान को जाकर जो तेरा परमे र यहोवा चुन लेगा; 9 लेवीय याजकHके पास और उन दनो के (यािययHके पास जाकर पूछताछ करना, क वे तुम को (याय क बात

बतलाएं। 10 और (याय क जैसी बात उस ःयान के लोग जो यहोवा चुन लेगा तुझे बता द , उसी के अनुसार करना; और जो eयवःया वे तुझे द उसी के अनुसार चलने म चौकसी करना; 11 eयवःया क जो बात वे तुझे बताएं, और (याय क जो बात वे तुझ से कह , उसी के अनुसार करना; जो बात वे तुझ को बाताएं उस से दहने वा बाएं न मुड़ना। 12 और जो मनुंय अिभमान करके उस याजक क, जो वहां तेरे परमे र यहोवा क सेवा टहल करने को उप'ःयत रहे गा, न माने, वा उस (यायी क न सुने, तो वह मनुंय मार डाला जाए; इस ूकार तू इॐाएल म से ऐसी बुराई को दरू कर दे ना। 13 इस से सब लोग सुनकर डर जाएंगे, और फर अिभमान नह:ं कर गे।। 14 जब तू उस दे श म पहंु चे 'जसे तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है , और उसका अिध कारनेी हो, और उन म बसकर कहने लगे, क

चारHओर क सब जाितयHक नाई मE भी अपके ऊपर राजा ठहराऊंगा; 15 तब 'जसको तेरा परमे र यहोवा चुन ले अवँय उसी को राजा ठहराना। अपके भाइयHह: म से कसी को अपके ऊपर राजा ठहराना; कसी परदे शी को जो तेरा भाई न हो तू अपके ऊपर अिध कारनेी नह:ं ठहरा सकता। 16 और वह बहुत घोड़े न रखे, और न इस मनसा से अप क ूजा के लोगHको िमॐ म भेजे क उसके पास बहुत से घोड़े हो जाएं, यHक यहोवा ने तुम से कहा है , क तुम उस मागO से फर कभी न लौटना। 17 और वह बहुत '\यां भी न रखे, ऐसा न हो क उसका मन यहोवा क ओर से पलट जाए; और न वह अपना सोना Rपा बहुत बढ़ाए। 18 और जब वह राजगX: पर वराजमान हो, तब इसी eयवःया क पुःतक, जो लेवीय याजकHके पास रहे गी, उसक एक नकल अपके िलथे कर ले। 19 और वह उसे अपके पास रखे , और अपके जीवन भर उसको पढ़ा करे , 'जस से वह अपके परमे र यहोवा का भय मानना, और इस eयवःया और इन विधयHक सार: बातHके मानने म चौकसी करना सीखे; 20 'जस से वह अपके मन म घम+ड करके अपके भाइयHको तु.छ न जाने, और इन आWाओं से न तो दहने मुड़े और न बाएं; 'जस से क वह और उसके वंश के लोग इॐाएिलयHके म~य बहुत दनHतक राGय करते रह ।। eयवःथाववरण 18 1 लेवीय याजकHका, वरन सारे लेवीय गोऽयHका, इॐाएिलयHके संग कोई भाग वा अंश न हो; उनका भोजन हeय और यहोवा का दया हुआ भाग हो। 2 उनका अपके भाइयHके बीच कोई भाग न हो; यHक अपके वचन के अनुसार यहोवा

उनका िनज भाग ठहरा है । 3 और चाहे गाय-बैल चाहे भेड़-बकर: का मेलबिल हो, उसके करनेवाले लोगHक ओर से याजकHका हक यह हो, क वे उसका क(धा और दोनHगाल और फोफ याजक को द । 4 तू उसका अप क पहली उपज का अ(न, नया दाखमधु, और टटका तेल, और अप क भ ड़Hका वह ऊन दे ना जो पहली बार कतरा गया हो। 5 यHक तेरे परमे र यहोवा ने तेरे सब गोऽयHम से उसी को चुन िलया है , क वह और उसके वंश सदा उसके नाम से सेवा टहल करने को उप'ःयत हुआ कर ।। 6 फर यद कोई लेवीय इॐाएल क ब'ःतयHम से कसी से, जहां वह परदे शी क नाई रहता हो, अपके मन क बड़: अिभलाषा से उस ःयान पर जाए 'जसे यहोवा चुन लेगा, 7 तो अपके सब लेवीय भाइयHक नाL, जो वहां अपके परमे र यहोवा के साSहने उप'ःयत हHगे, वह भी उसके नाम से सेवा टहल करे । 8 और अपके पूवOजHके भाग क मोल को छोड़ उसको भोजन का भाग भी उनके समान िमला करे ।। 9 जब तू उस दे श म पहंु चे जो तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है , तब वहां क जाितयHके अनुसार िघनौना काम करने को न सीखना। 10 तुझ म कोई ऐसा न हो जो अपके बेटे वा बेट: को आग म होम करके चढ़ानेवाला, वा भावी कहनेवाला, वा शुभ अशुभ मुहूतJका माननेवाला, वा टो(हा, वा ता'(ऽक, 11 वा बाजीगर, वा ओफHसे पूछनेवाला, वा भूत साधनेवाला, वा भूतHका जगानेवाला हो। 12 यHक 'जतने ऐसे ऐसे काम करते हE वे सब यहोवा के सSमुख घृ'णत हE ; और इ(ह:ं घृ'णत कामHके कारण तेरा परमे र यहोवा उनको तेरे साSहने से िनकालने पर है । 13 तू अपके परमे र यहोवा के सSमुख िसa बना रहना। 14 वे जाितयां 'जनका अिध कारनेी तू होने पर है शुभ-अशुभ मुहूतJके माननेवालHऔर भावी कहनेवालHक सुना करती है ; पर(तु तुझ को तेरे

परमे र यहोवा ने ऐसा करने नह:ं दया। 15 ते रा परमे र यहोवा तेरे म~य से, अयाOत ् ते रे भाइयHम से मेरे समान एक नबी को उप(न करे गा; तू उसी क सुनना; 16 यह तेर: उस बनती के अनुसार होगा, जो तू ने होरे ब पहाड़ के पास सभा के दन अपके परमे र यहोवा से क यी, क मुझे न तो अपके परमे र यहोवा का शcद फर सुनना, और न वह बड़: आग फर दे खनी पके, कह:ं ऐसा न हो क मर जाऊं। 17 तब यहोवा ने मुझ से कहा, क वे जो कुछ कहते हE सो ठqक कहते हE । 18 सो मE उनके िलथे उनके भाइयHके बीच म से तेरे समान एक नबी को उप(न कRंगा; और अपना वचन उसके मुह ं म डालूग ं ा; और 'जस 'जस बात क मE उसे आWा दं ग ू ा वह: वह उनको कह सुनाएगा। 19 और जो मनुंय मेरे वह वचन जो वह मेरे नाम से कहे गा महण न करे गा, तो मE उसका हसाब उस से लूग ं ा। 20 पर(तु जो नबी अिभमान करके मेरे नाम से कोई ऐसा वचन कहे 'जसक आWा मE ने उसे न द: हो, वा पराए दे वताओं के नाम से कुछ कहे , वह नबी मार डाला जाए। 21 और यद तू अपके मन म कहे , क जो वचन यहोवा ने नह:ं कहा उसको हम कस र:ित से पहचान ? 22 तो पहचान यह है क जब कोई नबी यहोवा के नाम से कुछ कहे ; तब यद वह वचन न घटे और पूरा न हो जाए, तो वह वचन यहोवा का कहा हुआ नह:ं; पर(तु उस नबी ने वह बात अिभयान करके कह: है , तू उस से भय न खाना।। eयवःथाववरण 19 1 जब तेरा परमे र यहोवा उन जाितयHको नाश करे 'जनका दे श वह तुझे दे ता है , और तू उनके दे श का अिध कारनेी हो के उनके नगरHऔर घरHम रहने लगे, 2

तब अपके दे श के बीच 'जसका अिध कारनेी तेरा परमे र यहोवा तुझे कर दे ता है तीन नगर अपके िलथे अलग कर दे ना। 3 और तू अपके िलथे मागO भी तैयार करना, और अपके दे श के जो तेरा परमे र यहोवा तुझे सxप दे ता है तीन भाग करना, ताक हर एक खूनी वह:ं भाग जाए। 4 और जो खूनी वहां भागकर अपके ूाण को बचाए, वह इस ूकार का हो; अयाOत ् वह कसी से बना पहले बैर रखे वा उसको बना जाने बूफे मार डाला हो 5 जैसे कोई कसी के संग लकड़: काटने को जंगल म जाए, और वृझ काटने को कु`हाड़: हाथ से उठाए, और कु`हाड़: ब ट से िनकलकर उस भाई को ऐसी लगे क वह मर जाए तो वह उस नगरHम से कसी म भागकर जीवत रहे ; 6 ऐसा न हो क मागO क लSबाई के कारण खून का पलटा लेनेवाला अपके बोध के Gवलन म उसका पीछा करके उसको जा पकड़े , और मार डाले, यrप वह ूाणद+ड के योbय नह:ं, यHक उस से बैर नह:ं रखता या। 7 इसिलथे मE तुझे यह आWा दे ता हंू , क अपके िलथे तीन नगर अलग कर रखना। 8 और यद तेरा परमे र यहोवा उस शपय के अनुसार जो उस ने तेरे पूवOजHसे खाई यी ते रे िसवानHको बढ़ाकर वह सारा दे श तुझे दे , 'जसके दे ने का वचन उस ने तेरे पूवOजHको दया या 9 यद तू इन सब आWाओं के मानने म

'ज(ह मE आज तुझ को सुनाता हंू चौकसी करे , और अपके परमे र यहोवा से ूेम रखे और सदा उसके मागJपर चलता रहे तो इन तीन नगरHसे अिधक और भी तीन नगर अलग कर दे ना, 10 इसिलथे क तेरे उस दे श म जो ते रा परमे र यहोवा तेरा िनज भाग करके दे ता है कसी िनदzष का खून न बहाथा जाए, और उसका दोष तुझ पर न लगे। 11 पर(तु यद कोई कसी से बैर रखकर उसक घात म लगे, और उस पर लपककर उसे ऐसा मारे क वह मर जाए, और फर उन

नगरHम से कसी म भाग जाए, 12 तो उसके नगर के पुरिनथे कसी को भेजकर उसको वहां से मंगाकर खून के पलटा लेनेवाले के हाथ म सxप दे , क वह मार डाला जाए। 13 उस पर तरस न खाना, पर(तु िनदzष के खून का दोष इॐाएल से दरू करना, 'जस से तुSहारा भला हH।। 14 जो दे श ते रा परमे र यहोवा तुझ को दे ता है , उसका जो भाग तुझे िमलेगा, उस म कसी का िसवाना 'जसे अगले लोगHने ठहराया हो न हटाना।। 15 कसी मनुंय के वRa कसी ूकार के अधमO वा पाप के वषय म , चाहे उसका पाप कैसा ह: यो न हो, एक ह: जन क साझी न सुनना, पर(तु दो वा तीन साझीयHके कहने से बात प क ठहरे । 16 यद कोई फूठq साझी दे नेवाला कसी के वRa याहोवा से फर जाने क साझी दे ने को खड़ा हो, 17 तो वे दोनHमनुंय, 'जनके बीच ऐसा मुकXमा उठा हो, यहोवा के सSमुख, अयाOत ् उन दनHके याजकHऔर (यािययHके साSहने खड़े कए जाएं; 18 तब (यायी भली भांित पूछपाछ कर , और यद यह िनणOय पाए क वह फूठा साझी है , और अपके भाई के वRa फूठq साझी द: है 19 तो अपके भाई क जैसी भी हािन करवाने क युf उस ने क हो वैसी ह: तुम भी उसक करना; इसी र:ित से अपके बीच म से ऐसी बुराई को दरू करना। 20 और दस ू रे लोग सुनकर डर गे, और आगे को ते रे बीच फर ऐसा बुरा काम नह:ं कर गे। 21 और तू बलकुल तरस न खाना; ूाण क स(ती ूाण का, आंख क स(ती आंख का, दांत क स(ती दांत का, हाथ क स(ती हाथ का, पांव क स(ती पांव का द+ड दे ना।। eयवःथाववरण 20 1 जब तू अपके शऽुओं से युa करने को जाए, और घोड़े , रय, और अपके से

अिधक सेना को दे खे, तब उन से न डरना; तेरा परमे र यहोवा जो तुझ को िमॐ दे श से िनकाल ले आया है वह तेरे संग है । 2 और जब तुम युa करने को शऽुओं के िनकट जाओ, तब याजक सेना के पास आकर कहे , 3 हे इॐाएिलयHसुनो, आज तुम अपके शऽुओं से युa करने को िनकट आए हो; तुSहारा मन क.चा न हो; तुम मत डरो, और न यरयराओ, और न उनके साSहने भय खाओ; 4 यHक तुSहारा परमे र यहोवा तुSहारे शऽुओं से युa करने और तुSह बचाने के िलथे तुSहारे संग चलता है । 5 फर सरदार िसपाहयHसे यह कह , क तुम म से कौन है 'जस ने नया घर बनाया हो और उसका समपOण न कया हो? तो वह अपके घर को लौट जाए और दस ू रा मनुंय उसका समपOण करे । 6 और कौन है 'जस ने दाख क बार: लगाई हो, पर(तु उसके फल न खाए हH? वह भी अपके घर को लौट जाए, ऐसा न हो क वह संमाम म मारा जाए, और दस ू रा मनुंय उसके फल खाए। 7 फर कौन है 'जस ने कसी \ी से cयाह क बात लगाई हो, पर(तु उसको cयाह न लाया हो? वह भी अपके घर को लौट जाए, ऐसा न हो क वह युa म मारा जाए, और दस ू रा मनुंय उस से cयाह कर ले। 8 इसके अलावा सरदार िसपाहयHसे यह भी कह , क कौन कौन मनुंय है जो डरपोक और क.चे मन का है , वह भी अपके घर को लौट जाए, ऐसा न हो क उसक दे खा दे खी उसके भाइयHका भी हयाव टू ट जाए। 9 और जब ूधान िसपाहयHसे यह कह चुक , तब उन पर ूधानता करने के िलथे सेनापितयHको िनयुf कर ।। 10 जब तू कसी नगर से युa करने को उनके िनकट जाए, तब पहले उस से स'(ध करने का समाचार दे । 11 और यद वह स'(ध करना अंगीकार करे और तेरे िलथे अपके फाटक खोल दे , तब 'जतने उस म हHवे सब तेरे अधीन होकर तेरे िलथे बेगार करनेवाले ठहर । 12 पर(तु यद वे तुझ से

स'(ध न कर , पर(तु तुझ से लड़ना चाह , तो तू उस नगर को घेर लेना; 13 और जब तेरा परमे र यहोवा उसे तेरे हाथ म सxप दे तब उस म के सब पुRषHको तलवार से मार डालना। 14 पर(तु '\यां और बालब.चे, और पशु आद 'जतनी लूट उस नगर म हो उसे अपके िलथे रख लेना; और तेरे शऽुओं क लूट जो तेरा परमे र यहोवा तुझे दे उसे काम म लाना। 15 इस ूकार उन नगरHसे करना जो तुझ से बहुत दरू हE , और इन जाितयHके नगर नह:ं हE । 16 पर(तु जो नगर इन लोगHके हE , 'जनका अिध कारनेी ते रा परमे र यहोवा तुझ को ठहराने पर है , उन म से कसी ूाणी को जीवत न रख छोड़ना, 17 पर(तु उनको अवँय सयानाश करना, अयाOत ् हयH, एमोgरयH, कनािनयH, पgर'GजयH, ह'eवयH, और यबूिस कH, जैसे क तेरे परमे र यहोवा ने तुझे आWा द: है ; 18 ऐसा न हो क 'जतने िघनौने काम वे अपके दे वताओं क सेवा म करते आए हE वैसा ह: करना तुSह भी िसखाएं, और तुम अपके परमे र यहोवा के वRa पाप करने लगो।। 19 जब तू युa करते हुए कसी नगर को जीतने के िलथे उसे बहुत दनHतक घेरे रहे , तब उसके वृझHपर कु`हाड़: चलाकर उ(ह नाश न करना, यHक उनके फल तेरे खाने के काम आएंगे, इसिलथे उ(ह न काटना। या मैदान के वृझ भी मनुंय हE क तू उनको भी घेर रखे? 20 पर(तु 'जन वृझHके वषय म तू यह जान ले क इनके फल खाने के नह:ं हE , तो उनको काटकर नाश करना, और उस नगर के वRa उस समय तक कोट बा(धे रहना जब तक वह तेरे वश म न आ जाए।। eयवःथाववरण 21 1 यद उस दे श के मैदान म जो तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है कसी मारे हुए

क लोय प क हुई िमले, और उसको कस ने मार डाला है यह जान न पके, 2 तो तेरे िसयाने लोग और (यायी िनकलकर उस लोय के चारHओर के एक एक नगर क दरू : को नाप ; 3 तब जो नगर उस लोय के सब से िनकट ठहरे , उसके िसयाने लोग एक ऐसी कलोर ले रख , 'जस से कुछ काम न िलया गया हो, और 'जस पर जूआ कभी न रखा गया हो। 4 तब उस नगर के िसयाने लोग उस कलोर को एक बारहमासी नद: क ऐसी तराई म जो न जोती और न बोई गई हो ले जाएं, और उसी तराई म उस कलोर का गला तोड़ द । 5 और लेवीय याजक भी िनकट आएं, यHक तेरे परमे र यहोवा ने उनको चुन िलया है क उसक सेवा टहल कर और उसके नाम से आशीवाOद दया कर , और उनके कहने के अनुसार हर एक फगड़े और मारपीट के मुकXमे का िनणOय हो। 6 फर जो नगर उस लोय के सब से िनकट ठहरे , उसके सब िसयाने लोग उस कलोर के ऊपर 'जसका गला तराई म

तोड़ा गया हो अपके अपके हाथ धोकर कह , 7 यह खून हम से नह:ं कया गया, और न यह हमार: आंखHका दे खा हुआ काम है । 8 इसिलथे, हे यहोवा, अप क छुड़ाई हुई इॐाएली ूजा का पाप ढांपकर िनदzष खून का पाप अप क इॐाएल ूजा के िसर पर से उतार। तब उस खून का दोष उनको झमा कर दया जाएगा। 9 यHवह काम करके जो यहोवा क l म ठqक है तू िनदzष के खून का दोष अपके म~य म से दरू करना।। 10 जब तू अपके शऽुओं से युa करने को जाए, और ते रा परमे र यहोवा उ(ह तेरे हाथ म कर दे , और तू उ(ह ब(धुआ कर ले, 11 तब यद तू ब(धुओं म कसी सु(दर \ी को दे खकर उस पर मोहत हो जाए, और उस से cयाह कर लेना चाहे , 12 तो उसे अपके घर के भीतर ले आना, और वह अपना िसर मुड़ ं ाए, नाखून कटाए, 13 और अपके ब(धुआई के व\ उतारके तेरे घर म

मह:ने भर रहकर अपके माता पता के िलथे वलाप करती रहे ; उसके बाद तू उसके पास जाना, और तू उसका पित और वह तेर: प^ी बने। 14 फर यद वह तुझ को अ.छq न लगे, तो जहां वह जाना चाहे वहां उसे जाने दे ना; उसको Rपया लेकर कह:ं न बेचना, और तू ने जो उसक पत-पानी ली, इस कारण उस से दासी का सा cयवहार न करना।। 15 यद कसी पुRष क दो प'^यां हH, और उसे एक ूय और दस ू र: अूय हो, और ूया और अूया दोनH'\यां बेटे जने, पर(तु जे ठा अूया का हो, 16 तो जब वह अपके पुऽHको सSप का बटवारा करे , तब यद अूया का बेटा जो सचमुच जे ठा है यद जीवत हो, तो वह ूया के बेटे को जे ठांस न दे सकेगा; 17 वह यह जानकर क अूया का बेटा मेरे पौRष का पहला फल है , और जेठे का अिध कारने उसी का है , उसी को अप क सार: सSप म से दो भाग दे कर जेठांसी माने।। 18 यद कसी के हठqला और दं गैत बे टा हो, जो अपके माता-पता क बात न माने, क(तु ताड़ना दे ने पर भी उनक न सुने, 19 तो उसके माता-पता उसे पकड़कर अपके नगर से बाहर फाटक के िनकट नगर के िसयानHके पास ले जाएं, 20 और वे नगर के िसयानHसे कह , क हमारा यह बेटा हठqला और दं गैत है , यह हमार: नह:ं सुनता; यह उड़ाऊ और पय कड़ है । 21 तब उस नगर के सब पुRष उसको पयरवाह करके मार डाले, यHतू अपके म~य म से ऐसी बुराई को दरू करना, तब सारे इॐाएली सुनकर भय खाएंगे। 22 फर यद कसी से ूाणद+ड के योbय कोई पाप हुआ हो 'जस से वह मार डाला जाए, और तू उसक लोय को वृझ पर लटका दे , 23 तो वह लोय रात को वृझ पर टं गी न रहे , अवँय उसी दन उसे िम=ट: दे ना, यHक जो लटकाया गया हो वह परमे र क ओर से शापत ठहरता है ; इसिलथे जो दे श तेरा परमे र

यहोवा तेरा भाग करके दे ता है उसक भूिम को अशुa न करना।। eयवःथाववरण 22 1 तू अपके भाई के गाय-बैल वा भेड़-बकर: को भटक हुई दे खकर अनदे खी न करना, उसको अवँय उसके पास पहंु चा दे ना। 2 पर(तु यद तेरा वह भाई िनकट न रहता हो, वा तू उसे न जानता हो, तो उस पशु को अपके घर के भीतर ले आना, और जब तक ते रा वह भाई उसको न ढू ं ढ़े तब तक वह तेरे पास रहे ; और जब वह उसे ढू ं ढ़े तब उसको दे दे ना। 3 और उसके गदहे वा व\ के वषय, वरन उसक कोई वःतु यHन हो, जो उस से खो गई हो और तुझ को िमले, उसके वषय म भी ऐसा ह: करना; तू दे खी-अनदे खी न करना।। 4 तू अपके भाई के गदहे वा बैल को मागO पर िगरा हुआ दे खकर अनदे खी न करना; उसके उठाने म अवँय उसक सहाथता करना।। 5 कोई \ी पुRष का पहरावा न पहने, और न कोई पुRष \ी का पहरावा पहने; यHक ऐसे कामHके सब करनेवाले तेरे परमे र यहोवा क l म घृ'णत हE ।। 6 यद वृझ वा भूिम पर तेरे साSहने मागO म कसी िचडय़ा का घHसला िमले, चाहे उस म ब.चे हHचाहे अ+डे , और उन ब.चHवा अ+डHपर उनक मां बैठq हुई हो, तो ब.चHसमेत मां को न लेना; 7 ब.चHको अपके िलथे ले तो ले, पर(तु मां को अवँय छोड़ दे ना; इसिलथे क ते रा भला हो, और ते र: आयु के दन बहुत हH।। 8 जब तू नया घर बनाए तब उसक छत पर आड़ के िलथे मु+डे र बनाना, ऐसा न हो क कोई छत पर से िगर पके, और तू अपके घराने पर खून का दोष लगाए। 9 अप क दाख क बार: म दो ूकार के बीज न बोना, ऐसा न हो क उसक सार: उपज, अयाOत ् तेरा बोया हुआ बीज और दाख क बार: क

उपज दोनHअपवऽ ठहर । 10 बैल और गदहा दोनHसंग जोतकर हल न चलाना। 11 ऊन और सनी क िमलावट से बना हुआ व\ न पहनना।। 12 अपके ओढ़ने के चारHओर क कोर पर फालर लगाया करना।। 13 यद कोई पुRष कसी \ी को cयाहे , और उसके पास जाने के समय वह उसको अूय लगे, 14 और वह उस \ी क नामधराई करे , और यह कहकर उस पर कुकमO का दोष लगाए, क इस \ी को मE ने cयाहा, और जब उस से संगित क तब उस म कुंवार: अवःया के लझण न पाए, 15 तो उस क(या के माता-पता उसके कुंवार:पन के िच(ह लेकर नगर के वृa लोगHके पास फाटक के बाहर जाएं; 16 और उस क(या का पता वृa लोगHसे कहे , मE ने अप क बेट: इस पुRष को cयाह द:, और वह उसको अूय लगती है ; 17 और वह तो यह कहकर उस पर कुकमO का दोष लगाता है , क मE ने तेर: बेट: म कुंवार:पन के लझण नह:ं पाए। पर(तु मेर: बेट: के कुंवार:पन के िच(ह थे हE । तब उसके माता-पता नगर के वृa लोगHके साSहने उस चXर को फैलाएं। 18 तब नगर के िसयाने लोग उस पुRष को पकड़कर ताड़ना द ; 19 और उस पर सौ शेकेल Rपे का द+ड भी लगाकर उस क(या के पता को द , इसिलथे क उस ने एक इॐाएली क(या क नामधराई क है ; और वह उसी क प^ी बनी रहे , और वह जीवन भर उस \ी को यागने न पाए। 20 पर(तु यद उस क(या के कुंवार:पन के िच(ह पाए न जाएं, और उस पुRष क बात सच ठहरे , 21 तो वे उस क(या को उसके पता के घर के kार पर ले जाएं, और उस नगर के पुRष उसको पयरवाह करके मार डाल ; उस ने तो अपके पता के घर म वेँया का काम करके बुराई क है ; यHतू अपके म~य म से ऐसी बुराई को दरू करना।। 22 यद कोई पुRष दस ू रे पुRष क cयाह: हुई \ी के संग सोता हुआ पकड़ा जाए, तो जो

पुRष उस \ी के संग सोया हो वह और वह \ी दोनHमार डाल जाएं; इस ूकार तू ऐसी बुराई को इॐाएल म से दरू करना।। 23 यद कसी कुंवार: क(या के cयाह क बात लगी हो, और कोई दस ू रा पुRष उसे नगर म पाकर उस से कुकमO करे , 24 तो तुम उन दोनHको उस नगर के फाटक के बाहर ले जाकर उनको पयरवाह करके मार डालना, उस क(या को तो इसिलथे क वह नगर म रहते हुए भी नह:ं िच`लाई, और उस पुRष को इस कारण क उस ने पड़ोसी क \ी क पत-पानी ली है ; इस ूकार तू अपके म~य म से ऐसी बुराई को दरू करना।। 25 पर(तु यद कोई पुRष कसी क(या को 'जसके cयाह क बात लगी हो मैदान म पाकर बरबस उस से कुकमO करे , तो केवल वह पुRष मार डाला जाए, 'जस ने उस से कुकमO कया हो। 26 और उस क(या से कुछ न करना; उस क(या का पाप ूाणद+ड के योbय नह:ं, यHक जैसे कोई अपके पड़ोसी पर चढ़ाई करके उसे मार डाले, वैसी ह: यह बात भी ठहरे गी; 27 क उस पुRष ने उस क(या को मैदान म पाया, और वह िच`लाई को सह:, पर(तु उसको कोई बचानेवाला न िमला। 28 यद कसी पुRष को कोई कुंवार: क(या िमले 'जसके cयाह क बात न लगी हो, और वह उसे पकड़कर उसके साय कुकमO करे , और वे पकड़े जाएं, 29 तो 'जस पुRष ने उस से कुकमO कया हो वह उस क(या के पता को पचास शेकेल Rपा दे , और वह उसी क प^ी हो, उस ने उस क पत-पानी ली; इस कारण वह जीवन भर उसे न यागने पाए।। 30 कोई अप क सौते ली माता को अप क \ी न बनाए, वह अपके पता का ओढ़ना न उघारे ।। eयवःथाववरण 23

1 'जसके अ+ड कुचले गए वा िलंग काट डाला गया हो वह यहोवा क सभा म न आने पाए।। 2 कोई कुकमO से ज(मा हुआ यहोवा क सभा म न आने पाए; क(तु दस पीढ़: तक उसके वंश का कोई यहोवा क सभा म न आने पाए।। 3 कोई अSमोनी वा मोआबी यहोवा क सभा म न आने पाए; उनक दसवीं पीढ़: तक का कोई यहोवा क सभा म कभी न आने पाए; 4 इस कारण से क जब तुम िमॐ से िनकलकर आते थे तब उ(हHने अ(न जल लेकर मागO म तुम से भ ट नह:ं क, और यह भी क उ(हHने अरSनहरै म दे श के पतोर नगरवाले बोर के पुऽ बलाम को तुझे शाप दे ने के िलथे द'झणा द:। 5 पर(तु तेरे परमे र यहोवा ने ते रे िनिम उसके शाप को आशीष से पलट दया, इसिलथे क तेरा परमे र यहोवा तुझ से ूे म रखता या। 6 तू जीवन भर उनका कुशल और भलाई कभी न चाहना। 7 कसी एदोमी से घृणा न करना, यHक वह तेरा भाई है ; कसी िमॐी से भी घृणा न करना, यHक उसके दे श म तू परदे शी होकर रहा या। 8 उनके जो परपोते उप(न हHवे यहोवा क सभा म न आने पाएं। 9 जब तू शऽुओं से लड़ने को जाकर छावनी डाले, तब सब ूकार क बुर: बातHसे बचा रहना। 10 यद तेरे बीच कोई पुRष उस अशुaता से जो राऽ को आप से आप हुआ करती है अशुa हुआ हो, तो वह छावनी से बाहर जाए, और छावनी के भीतर न आए; 11 पर(तु सं~या से कुछ पहले वह ःनान करे , और जब सूयO डू ब जाए तब छावनी म आए। 12 छावनी के बाहर तेरे दशा फरने का एक ःयान हुआ करे , और वह:ं दशा फरने को जाया करना; 13 और तेरे पास के हिययारHम एक खनती भी रहे ; और जब तू दशा फरने को बैठे, तब उस से खोदकर अपके मल को ढांप दे ना। 14 यHक ते रा परमे र यहोवा तुझ को बचाने और तेरे शऽुओं को तुझ से हरवाने को ते र:

छावनी के म~य घूमता रहे गा, इसिलथे तेर: छावनी पवऽ रहनी चाहथे, ऐसा न हो क वह तेरे म~य म कोई अशुa वःतु दे खकर तुझ से फर जाए।। 15 जो दास अपके ःवामी के पास से भागकर तेर: शरण ले उसको उसके ःवामी के हाथ न पकड़ा दे ना; 16 वह ते रे बीच जो नगर उसे अ.छा लगे उसी म ते रे संग रहने पाए; और तू उस पर अ(धेर न करना।। 17 इॐाएली '\यHम से कोई दे वदासी न हो, और न इॐाएिलयHम से कोई पुRष ऐसा बुरा काम करनेवाला हो। 18 तू वेँयापन क कमाई वा कुे क कमाई कसी म(नत को पूर: करने के िलथे अपके परमे र यहोवा के घर म न लाना; यHक तेरे परमे र यहोवा के समीप थे दोनHक दोनHकमाई घृ'णत कमO है ।। 19 अपके कसी भाई को cयाज पर ऋण न दे ना, चाहे Rपया हो, चाहे भोजन-वःतु हो, चाहे कोई वःतु हो जो cयाज पर द: जाित है , उसे cयाज न दे ना। 20 तू परदे शी को cयाज पर ऋण तो दे , पर(तु अपके कसी भाई से ऐसा न करना, ताक 'जस दे श का अिध कारनेी होने को तू जा रहा है , वहां 'जस 'जस काम म अपना हाथ लगाए, उन सभHको तेरा परमे र यहोवा तुझे आशीष दे ।। 21 जब तू अपके परमे र यहोवा के िलथे म(नत माने, तो उसके पूर: करने म वलSब न करना; यHक ते रा परमे र यहोवा उसे िन_य तुझ से ले लेगा, और वलSब करने से तू पापी ठहरे गा। 22 पर(तु यद तू म(नत न माने, तो तेरा कोई पाप नह:ं। 23 जो कुछ तेरे मुह ं से िनकले उसके पूरा करने म

चौकसी करना; तू अपके मुह ं से वचन दे कर अप क इ.छा से अपके परमे र यहोवा क जैसी म(नत माने, वैसा ह: ःवतंऽता पूवOक उसे पूरा करना। 24 जब तू कसी दस ू रे क दाख क बार: म जाए, तब पेट भर मनमाने दाख खा तो खा, पर(तु अपके पाऽ म कुछ न रखना। 25 और जब तू कसी दस ू रे के खड़े खेत म

जाए, तब तू हाथ से बाल तोड़ सकता है , पर(तु कसी दस ू रे के खड़े खे त पर हं सआ ु न लगाना।। eयवःथाववरण 24 1 यद कोई पुRष कसी \ी को cयाह ले, और उसके बाद उसम लGजा क बात पाकर उस से अूस(न हो, तो वह उसके िलथे यागपऽ िलखकर और उसके हाथ म दे कर उसको अपके घर से िनकाल दे । 2 और जब वह उसके घर से िनकल जाए, तब दस ू रे पुRष क हो सकती है । 3 पर(तु यद वह उस दस ू रे पुRष को भी अूय लगे, और वह उसके िलथे यागपऽ िलखकर उसके हाथ म दे कर उसे अपके घर से िनकाल दे , वा वह दस ू रा पुRष 'जस ने उसको अप क \ी कर िलया हो मर जाए, 4 तो उसका पहला पित, 'जस ने उसको िनकाल दया हो, उसके अशुa होने के बाद उसे अप क प^ी न बनाने पाए यHक यह यहोवा के सSमुख घृ'णत बात है । इस ूकार तू उस दे श को 'जसे तेरा परमे र यहोवा ते रा भाग करके तुझे दे ता है पापी न बनाना।। 5 जो पुRष हाल का cयाहा हुआ हो, वह सेना के साय न जाए और न कसी काम का भार उस पर डाला जाए; वह वषO भर अपके घर म ःवतंऽता से रहकर अप क cयाह: हुई \ी को ूस(न करता रहे । 6 कोई मनुंय च क को वा उसके ऊपर के पाट को ब(धक न रखे; यHक वह तो मानHूाण ह: को ब(धक रखना है ।। 7 यद कोई अपके कसी इॐाएली भाई को दास बनाने वा बेच डालने क मनसा से चुराता हुआ पकड़ा जाए, तो ऐसा चोर मार डाला जाए; ऐसी बुराई को अपके म~य म से दरू करना।। 8 कोढ़ क cयािध के वषय म चौकस रहना, और जो कुछ लेवीय याजक तुSह िसखाएं उसी के

अनुसार य^ से करने म चौकसी करना; जैसी आWा मE ने उनको द: है वैसा करने म चौकसी करना। 9 ःमरण रख क तेरे परमे र यहोवा ने, जब तुम िमॐ से िनकलकर आ रहे थे, तब मागO म मgरयम से या कया। 10 जब तू अपके कसी भाई को कुछ उधार दे , तब ब(धक क वःतु लेने के िलथे उसके घर के भीतर न घुसना। 11 तू बाहर खड़ा रहना, और 'जसको तू उधार दे वह: ब(धक क वःतु को ते रे पास बाहर ले आए। 12 और यद वह मनुंय कंगाल हो, तो उसका ब(धक अपके पास रखे हुए न सोना; 13 सूयO अःत होते होते उसे वह ब(धक अवँय फेर दे ना, इसिलथे क वह अपना ओढ़ना ओढ़कर सो सके और तुझे आशीवाOद दे ; और यह तेरे परमे र यहोवा क l म धमO का काम ठहरे गा।। 14 कोई मजदरू जो द:न और कंगाल हो, चाहे वह तेरे भाइयHम से हो चाहे ते रे दे श के फाटकHके भीतर रहनेवाले परदे िशयHम से हो, उस पर अ(धेर न करना; 15 यह जानकर, क वह द:न है और उसका मन मजदरू : म लगा रहता है , मजदरू : करने ह: के दन सूयाOःत से पहले तू उसक मजदरू : दे ना; ऐसा न हो क वह तेरे कारण यहोवा क दोहाई दे , और तू पापी ठहरे ।। 16 पुऽ के कारण पता न मार डाला जाए, और न पता के कारण पुऽ मार डाला जाए; 'जस ने पाप कया हो वह: उस पाप के कारण मार डाला जाए।। 17 कसी पकेदशी मनुंय वा अनाय बालक का (याय न बगाड़ना, और न कसी वधवा के कपके को ब(धक रखना; 18 और इस को ःमरण रखना क तू िमॐ म दास या, और तेरा परमे र यहोवा तुझे वहां से छुड़ा लाया है ; इस कारण मE तुझे यह आWा दे ता हंू ।। 19 जब तू अपके प के खेत को काटे , और एक पूला खेत म भूल से छूट जाए, तो उसे लेने को फर न लौट जाना; वह परदे शी, अनाय, और वधवा के िलथे पड़ा रहे ; इसिलथे क परमे र यहोवा

तेरे सब कामHम तुझ को आशीष दे । 20 जब तू अपके जलपाई के वृझ को फाड़े , तब डािलयHको दस ू र: बार न फाड़ना; वह परदे शी, अनाय, और वधवा के िलथे रह जाए। 21 जब तू अप क दाख क बार: के फल तोड़े , तो उसका दाना दाना न तोड़ लेना; वह परदे शी, अनाय और वधवा के िलथे रह जाए। 22 और इसको ःमरण रखना क तू िमॐ दे श म दास या; इस कारण मE तुझे यह आWा दे ता हंू ।। eयवःथाववरण 25 1 यद मनुंयHके बीच कोई फगड़ा हो, और वे (याय करवाने के िलथे (यािययHके पास जाएं, और वे उनका (याय कर , तो िनदzष को िनदzष और दोषी को दोषी ठहराएं। 2 और यद दोषी मार खाने के योbय ठहरे , तो (यायी उसको िगरवाकर अपके साSहने जैसा उसका दोष हो उसके अनुसार कोड़े िगनकर लगवाए। 3 वह उसे चालीस कोड़े तक लगवा सकता है , इस से अिधक नह:ं लगवा सकता; ऐसा न हो क इस से अिधक बहुत मार 'खलवाने से तेरा भाई तेर: l म तु.छ ठहरे ।। 4 दांवते समय चलते हुए बैल का मुह ं न बा(धना। 5 जब कोई भाई संग रहते हH, और उन म से एक िनपुऽ मर जाए, तो उसक \ी का cयाह परगोऽी से न कया जाए; उसके पित का भाई उसके पास जाकर उसे अप क प^ी कर ले, और उस से पित के भाई का धमO पालन करे । 6 और जो पहला बेटा उस \ी से उप(न हो वह उस मरे हुए भाई के नाम का ठहरे , 'जस से क उसका नाम इॐाएल म से िमट न जाए। 7 यद उस \ी के पित के भाई को उसे cयाहना न भाए, तो वह \ी नगर के फाटक पर वृa लोगHके पास जाकर कहे , क मेरे पित के भाई ने अपके भाई का नाम इ\ाएल म बनाए रखने से नकार दया है , और मुझ से पित के भाई

का धमO पालन करना नह:ं चाहता। 8 तब उस नगर के वृa उस पुRष को बुलवाकर उसे समझाएं; और यद वह अप क बात पर अड़ा रहे , और कहे , क मुझे इसको cयाहना नह:ं भावता, 9 तो उसके भाई क प^ी उन वृa लोगHके साSहने उसके पास जाकर उसके पांव से जूती उतारे , और उसके मूह ं पर यूक दे ; और कहे , जो पुRष अपके भाई के वंश को चलाना न चाहे उस से इसी ूकार eयवहार कया जाएगा। 10 तब इॐाएल म उस पुRष का यह नाम पकेगा, अयाOत ् जूती उतारे हुए पुRष का घराना।। 11 यद दो पुRष आपस म मारपीट करते हH, और उन म से एक क प^ी अपके पित को मारनेवाले के हाथ से छुड़ाने के िलथे पास जाए, और अपना हाथ बढ़ाकर उसके गुT अंग को पकड़े , 12 तो उस \ी का हाथ काट डालना; उस पर तरस न खाना।। 13 अप क यैली म भांित भांित के अयाOत ् घटती-बढ़ती बटखरे न रखना। 14 अपके घर म भांित भांित के, अयाOत ् घटती-बढती नपुए न रखना। 15 तेरे बटखरे और नपुए पूरे पूरे और धमO के हH; इसिलथे क जो दे श तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है उस म तेर: आयु बहुत हो। 16 यHक ऐसे कामHम 'जतने कुटलता करते हE वे सब तेरे परमे र यहोवा क l म घृ'णत हE ।। 17 ःमरण रख क जब तू िमॐ से िनकलकर आ रहा या तब अमालेक ने तुझ से मागO म या कया, 18 अयाOत ् उनको परमे र का भय न या; इस कारण उस ने जब तू मागO म यका मांदा या, तब तुझ पर चढ़ाई करके 'जतने िनबOल होने के कारण सब से पीछे थे उन सभHको मारा। 19 इसिलथे जब तेरा परमे र यहोवा उस दे श म , जो वह ते रा भाग करके ते रे अिध कारने म कर दे ता है , तुझे चारHओर के सब शऽुओं से वौम दे , तब अमालेक का नाम धरती पर से िमटा डालना; और तुम इस बात को न भूलना।।

eयवःथाववरण 26 1 फर जब तू उस दे श म 'जसे तेरा परमे र यहोवा तेरा िनज भाग करके तुझे दे ता है पहंु चे, और उसका अिध कारनेी होकर उन म बस जाए, 2 तब जो दे श तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है , उसक भूिम क भांित भांित क जो पहली उपज तू अपके घर लाएगा, उस म से कुछ टोकर: म लेकर उस ःयान पर जाना, 'जसे तेरा परमे र यहोवा अपके नाम का िनवास करने को चुन ले। 3 और उन दनHके याजक के पास जाकर यह कहना, क मE आज तेरे परमे र यहोवा के साSहने िनवे दन करता हूं, क यहोवा ने हम लोगHको 'जस दे श के दे ने क हमारे पूवOजHसे शपय खाई यी उस म मE आ गया हंू । 4 तब याजक तेरे हाथ से वह टोकर: लेकर तेरे परमे र यहोवा क वेद: के साSहने धर दे । 5 तब तू अपके परमे र यहोवा से इस ूकार कहना, क मेरा मूलपुRष एक अरामी मनुंय या जो मरने पर या; और वह अपके छोटे से पgरवार समेत िमॐ को गया, और वहां परदे शी होकर रहा; और वहं ◌ा उस से एक बड़:, और सामयh, और बहुत मनुंयHसे भर: हुई जाित उप(न हुई। 6 और िमिॐयHने हम लोगHसे बुरा बताOव कया, और हम

द:ु ख दया, और हम से कठन सेवा लीं। 7 पर(तु हम ने अपके पूवOजHके परमे र यहोवा क दोहाई द:, और यहोवा ने हमार: सुनकर हमारे दख ु -nम और अ(धेर पर l क; 8 और यहोवा ने बलव(त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से अित भयानक िच(ह और चमकार दखलाकर हम को िमॐ से िनकाल लाया; 9 और हम इस ःयान पर पहंु चाकर यह दे श 'जस म दध ू और मधु क धाराएं बहती हE हम दे दया है । 10 अब हे यहोवा, दे ख, जो भूिम तू ने मुझे द: है उसक पहली उपज मE तेरे पास ले आया हंू । 11 तब तू उसे अपके परमे र यहोवा के साSहने रखना;

और यहोवा को द+डवत करना; 12 और 'जतने अ.छे पदायO तेरा परमे र यहोवा तुझे और तेरे घराने को दे , उनके कारण तू लेवीयHऔर अपके म~य म रहनेवाले परदे िशयHसहत आन(द करना।। 13 और तू अपके परमे र यहोवा से कहना, क मE ने तेर: सब आWाओं के अनुसार पवऽ ठहराई हुई वःतुओं को अपके घर से िनकाला, और लेवीय, परदे शी, अनाय, और वधवा को दे दया है ; तेर: कसी आWा को मE ने न तो टाला है , और न भूला है । 14 उन वःतुओं म से मE ने शोक के समय नह:ं खाया, और न उन म से कोई वःतु अशुaता क दशा म घर से िनकाली, और न कुछ शोक करनेवालHको दया; मE ने अपके परमे र यहोवा क सुन ली, मE ने तेर: सब आWाओं के अनुसार कया है । 15 तू ःवगO म से जो तेरा पवऽ धाम है l करके अप क ूजा इॐाएल को आशीष दे , और इस दध ू और मधु क धाराओं के दे श क भूिम पर आशीष दे , 'जसे तू ने हमारे पूवOजHसे खाई हुई शपय के अनुसार हम दया है । 16 आज के दन तेरा परमे र यहोवा तुझ को इ(ह:ं विधयHऔर िनयमHके मानने क आWा दे ता है ; इसिलथे अपके सारे मन और सारे ूाण से इनके मानने म चौकसी करना। 17 तू ने तो आज यहोवा को अपना परमे र मानकर यह वचन दया है , क मE तेरे बनाए हुए मागार◌ ् े◌ं पर चलूग ं ा, और तेर: विधयH, आWाओं, और िनयमHको माना कRंगा, और तेर: सुना कRंगा। 18 और यहोवा ने भी आज तुझ को अपके वचन के अनुसार अपना ूजाRपी िनज धन सSप माना है , क तू उसक सब आWाओं को माना करे , 19 और क वह अप क बनाई हुई सब जाितयHसे अिधक ूशंसा, नाम, और शोभा के वषय म तुझ को ूितvत करे , और तू उसके वचन के अनुसार अपके परमे र यहोवा क पवऽ ूजा बना रहे ।

eयवःथाववरण 27 1 फर इॐाएल के वृa लोगHसमेत मूसा ने ूजा के लोगHको यह आWा द:, क 'जतनी आWाएं मE आज तुSह सुनाता हंू उन सब को मानना। 2 और जब तुम यरदन पार होके उस दे श म पहुंचो, जो तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है , तब बड़े बड़े पयर खड़े कर लेना, और उन पर चूना पोतना; 3 और पार होने के बाद उन पर इस eयवःया के सारे वचनHको िलखना, इसिलथे क जो दे श तेरे पूवOजHका परमे र यहोवा अपके वचन के अनुसार तुझे दे ता है , और 'जस म दध ू और मधु क धाराएं बहती हE , उस दे श म तू जाने पाए। 4 फर 'जन पयरHके वषय म मE ने आज आWा द: है , उ(ह तुम यरदन के पार होकर एबाल पहाड़ पर खड़ा करना, और उन पर चूना पोतना। 5 और वह:ं अपके परमे र यहोवा के िलथे पयरHक एक वेद: बनाना, उन पर कोई औजार न चलाना। 6 अपके परमे र यहोवा क वे द: अनगढ़े पयरHक बनाकर उन पर उसके िलथे होमबिल चढ़ाना; 7 और वह:ं मेलबिल भी चढ़ाकर भोजन करना, और अपके परमे र यहोवा के सSमुख आन(द करना। 8 और उन पयरHपर इस eयवःया के सब वचनHको शुa र:ित से िलख दे ना।। 9 फर मूसा और लेवीय याजकHने सब इॐाएिलयHसे यह भी कहा, क हे इॐाएल, चुप रहकर सुन; आज के दन तू अपके परमे र यहोवा क ूजा हो गया है । 10 इसिलथे अपके परमे र यहोवा क बात मानना, और उसक जो जो आWा और विध मE आज तुझे सुनाता हंू उनका पालन करना। 11 फर उसी दन मूसा ने ूजा के लोगHको यह आWा द:, 12 क जब तुम यरदन पार हो जाओ तब िशमौन, लेवी, यहूदा, इःसाकार, युसफ ु , और ब(यामीन, थे िगgरGजीम पहाड़ पर खडे होकर आशीवाOद सुनाएं। 13 और Rबेन, गाद, आशेर, जबूलन ू ,

दान, और नTाली, थे एबाल पहाड़ पर खड़े होके शाप सुनाएं। 14 तब लेवीय लोग सब इॐाएली पुRषHसे पुकारके कह , 15 क शापत हो वह मनुंय जो कोई मूर ् कार:गर से खुदवाकर वा ढलवाकर िनराले ःयान म ःयापन करे , यHक इस से यहोवा को घृणा लगती है । तब सब लोग कह , आमीन।। 16 शापत हो वह जो अपके पता वा माता को तु.छ जाने। तब सब लोग कह , आमीन।। 17 शापत हो वह जो कसी दस ू रे के िसवाने को हटाए। तब सब लोग कह , आमीन।। 18 शापत हो वह जो अ(धे को मागO से भटका दे । तब सब लोग कह , आमीन।। 19 शापत हो वह जो पकेदशी, अनाय, वा वधवा का (याय बगाड़े । तब सब लोग कह

आमीन।। 20 शापत हो वह जो अप क सौतेली माता से कुकमO करे , योकं वह अपके पता का ओढ़ना उघारता है । तब सब लोग कह , आमीन।। 21 शापत हो वह जो कसी ूकार के पशु से कुकमO करे । तब सब लोग कह , आमीन।। 22 शापत हो वह जो अप क बहन, चाहे सगी हो चाहे सौते ली, उस से कुकमO करे । तब सब लोग कह , आमीन।। 23 शापत हो वह जो अप क सास के संग कुकमO करे । तब सब लोग कह , आमीन।। 24 शापत हो वह जो कसी को िछपकर मारे । तब सब लोग कह , आमीन।। 25 शापत हो वह जो िनदzष जन के मार डालने के िलथे धन ले। तब सब लोग कह , आमीन।। 26 शापत हो वह जो इस eयवःया के वचनHको मानकर पूरा न करे । तब सब लोग कह , आमीन।। eयवःथाववरण 28 1 यद तू अपके परमे र यहोवा क सब आWाएं, जो मE आज तुझे सुनाता हंू , चौकसी से पूर: करने का िच लगाकर उसक सुने, तो वह तुझे पृवी क सब

जाितयHम ौे करे गा। 2 फर अपके परमे र यहोवा क सुनने के कारण थे सब आशhवाद तुझ पर पूरे हHगे। 3 ध(य हो तू नगर म , ध(य हो तू खेत म । 4 ध(य हो तेर: स(तान, और तेर: भूिम क उपज, और गाय और भेड़-बकर: आद पशुओं के ब.चे। 5 ध(य हो तेर: टोकर: और तेर: कठौती। 6 ध(य हो तू भीतर आते समय, और ध(य हो तू बाहर जाते समय। 7 यहोवा ऐसा करे गा क तेरे शऽु जो तुझ पर चढ़ाई कर गे वे तुझ से हार जाएंगे; वे एक मागO से तुझ पर चढ़ाई कर गे, पर(तु तेरे साSहने से सात मागO से होकर भाग जाएंगे। 8 तेरे खHपर और 'जतने कामHम तू हाथ लगाएगा उन सभHपर यहोवा आशीष दे गा; इसिलथे जो दे श तेरा परमे र यहोवा तुझे दे ता है उस म वह तुझे आशीष दे गा। 9 यद तू अपके परमे र यहोवा क आWाओं को मानते हुए उसके मागJपर चले, तो वह अप क शपय के अनुसार तुझै अप क पवऽ ूजा करके 'ःयर रखेगा। 10 और पृवी के दे श दे श के सब लोग यह दे खकर, क तू यहोवा का कहलाता है , तुझ से डर जाएंगे। 11 और 'जस दे श के वषय यहोवा ने ते रे पूवOजHसे शपय खाकर तुझे दे ने को कहा, या उस म वह तेर: स(तान क, और भूिम क उपज क, और पशुओं क बढ़ती करके तेर: भलाई करे गा। 12 यहोवा तेरे िलथे अपके आकाशRपी उम भ+डार को खोलकर तेर: भूिम पर समय पर म ह बरसाया करे गा, और तेरे सारे कामHपर आशीष दे गा; और तू बहुतेर: जाितयHको उधार दे गा, पर(तु कसी से तुझे उधार लेना न पकेगा। 13 और यहोवा तुझ को पुंछ नह:ं, क(तु िसर ह: ठहराएगा, और तू नीचे नह:ं, पर(तु ऊपर ह: रहे गा; यद परमे र यहोवा क आWाएं जो मE आज तुझ को सुनाता हंू , तू उनके मानने म मन लगाकर चौकसी करे ; 14 और 'जन वचनHक मE आज तुझे आWा दे ता हंू उन म से कसी से दहने

वा बाएं मुड़के पराथे दे वताओं के पीछे न हो ले, और न उनक सेवा करे ।। 15 पर(तु यद तू अपके परमे र यहोवा क बात न सुने, और उसक सार: आWाओं और विधयHके पालने म जो मE आज सुनाता हंू चौकसी नह:ं करे गा, तो थे सब शाप तुझ पर आ पक गे। 16 अयाOत ् शापत हो तू नगर म , शापत हो तू खेत म । 17 शापत हो ते र: टोकर: और ते र: कठौती। 18 शापत हो ते र: स(तान, और भूिम क उपज, और गायHऔर भेड़-बकgरयHके ब.चे। 19 शापत हो तू भीतर आते समय, और शापत हो तू बाहर जाते समय। 20 फर 'जस 'जस काम म तू हाथ लगाए, उस म यहोवा तब तक तुझ को शाप दे ता, और भयातुरं करता, और धमक दे ता रहे गा, जब तक तू िमट न जाए, और शीय न न हो जाए; यह इस कारण होगा क तू यहोवा को यागकर द ु काम करे गा। 21 और यहोवा ऐसा करे गा क मर: तुझ म फैलकर उस समय तक लगी रहे गी, जब तक 'जस भूिम के अिध कारनेी होने के िलथे तू जा रहा है उस से तेरा अ(त न हो जाए। 22 यहोवा तुझ को झयरोग से, और Gवर, और दाह, और बड़: जलन से, और तलवार से, और फुलस, और गेRई से मारे गा; और थे उस समय तक तेरा पीछा कथे रह गे, तब तक तू सयानाश न हो जाए। 23 और तेरे िसर के ऊपर आकाश पीतल का, और तेरे पांव के तले भूिम लोहे क हो जाएगी। 24 यहोवा ते रे दे श म पानी के बदले बालू और धूिल बरसाएगा; वह आकाश से तुझ पर यहां तक बरसेगी क तू सयानाश हो जाएगा। 25 यहोवा तुझ को शऽुओं से हरवाएगा; और तू एक मागO से उनका साSहना करने को जाएगा, पर(तु सात मागO से होकर उनके साSहने से भाग जाएगा; और पृवी के सब राGयHम मारा मारा फरे गा। 26 और तेर: लोय आकाश के भांित भांित के प'झयH, और धरती के पशुओं का आहार होगी; और

उनका कोई हाँकनेवाला न होगा। 27 यहोवा तुझ को िमॐ के से फोड़े , और बवासीर, और दाद, और खुजली से ऐसा पीड़त करे गा, क तू चंगा न हो सकेगा। 28 यहोवा तुझे पागल और अ(धा कर दे गा, और तेरे मन को अय(त घबरा दे गा; 29 और जैसे अ(धा अ'(ध कारने म टटोलता है वैसे ह: तू दन दप ु हर: म

टटोलता फरे गा, और तेरे काम काज सुफल न हHगे; और तू सदै व केवल अ(धेर सहता और लुटता ह: रहे गा, और तेरा कोई छुड़ानेवाला न होगा। 30 तू \ी से cयाह क बात लगाएगा, पर(तु दस ू रा पुRष उसको ॅ करे गा; घर तू बनाएगा, पर(तु उस म बसने न पाएगा; दाख क बार: तू लगाएगा, पर(तु उसके फल खाने न पाएगा। 31 तेरा बैल तेर: आंखHके साSहने मारा जाएगा, और तू उसका मांस खाने न पाएगा; तेरा गदहा तेर: आंख के साSहने लूट म चला जाएगा, और तुझे फर न िमलेगा; तेर: भेड़-बकgरयां तेरे शऽुओं के हाथ लग जाएंगी, और ते र: ओर से उनका कोई छुड़ानेवाला न होगा। 32 तेरे बेटे-बेटयां दस ू रे दे श के लोगHके हाथ लग जाएंगे, और उनके िलथे चाव से दे खते दे खते तेर: आंखे रह जाएंगी; और तेरा कुछ बस न चलेगा। 33 तेर: भूिम क उपज और तेर: सार: कमाई एक अनजाने दे श के लोगे खा जाएंगे; और सवOदा तू केवल अ(धेर सहता और पीसा जाता रहे गा; 34 यहां तक क तू उन बातHके कारण जो अप क आंखHसे दे खेगा पागल हो जाएगा। 35 यहोवा तेरे घुटनHऔर टांगHम , वरन नख से िशख तक भी असा~य फोड़े िनकालकर तुझ को पीड़त करे गा। 36 यहोवा तुझ को उस राजा समेत, 'जस को तू अपके ऊपर ठहराएगा, तेर: और ते रे पूवOजHसे अनजानी एक जाित के बीच पहंु चाएगा; और उसके म~य म रहकर तू काठ और पयर के दस ू रे दे वताओं क उपासना और पूजा करे गा। 37 और उन सब जाितयHम 'जनके म~य म

यहोवा तुझ को पहंु चाएगा, वहां के लोगHके िलथे तू चकत होने का, और lा(त और शाप का कारण समझा जाएगा। 38 तू खेत म बीज तो बहुत सा ले जाएगा, पर(तु उपज योड़: ह: बटोरे गा; यHक ट']डयां उसे खा जाएंगी। 39 तू दाख क बाgरयां लगाकर उन मे काम तो करे गा, पर(तु उनक दाख का मधु पीने न पाएगा, वरन फल भी तोड़ने न पाएगा; यHक कड़े उनको खा जाएंगे। 40 ते रे सारे दे श म जलपाई के वृझ तो हHगे , पर(तु उनका तेल तू अपके शर:र म लगाने न पाएगा; यHक वे फड़ जाएंगे। 41 तेरे बेटे-बेटयां तो उप(न हHगे , पर(तु तेरे रह गे नह:ं; यHक वे ब(धुवाई म चले जाएंगे। 42 तेरे सब वृझ और तेर: भूिम क उपज ट']डयां खा जाएंगी। 43 जो परदे शी तेरे म~य म रहे गा वह तुझ से बढ़ता जाएगा; और तू आप घटता चला जाएगा। 44 वह तुझ को उधार दे गा, पर(तु तू उसको उधार न दे सकेगा; वह तो िसर और तू पूंछ ठहरे गा। 45 तू जो अपके परमे र यहोवा क द: हुई आWाओं और विधयHके मानने को उसक न सुनेगा, इस कारण थे सब शाप तुझ पर आ पक गे, और तेरे पीछे पके रह गे, और तुझ को पकड़ गे, और अ(त म तू न हो जाएगा। 46 और वे तुझ पर और ते रे वंश पर सदा के िलथे बने रहकर िच(ह और चमकार ठहर गे; 47 तू जो सब पदायO क बहुतायत होने पर भी आन(द और ूस(नता के साय अपके परमे र यहोवा क सेवा नह:ं करे गा, 48 इस कारण तुझ को भूखा, €यासा, नंगा, और सब पदायJसे रहत होकर अपके उन शऽुओं क सेवा करनी पकेगी 'ज(ह यहोवा तेरे वRa भेजेगा; और जब तक तू न न हो जाए तब तक वह तेर: गदO न पर लेहे का जूआ डाल रखेगा। 49 यहोवा तेरे वRa दरू से, वरन पृवी के छोर से वेग उड़नेवाले उकाब सी एक जाित को चढ़ा लाएगा 'जसक भाषा को तू न समझेगा; 50 उस

जाित के लोगHका eयवहार बूर होगा, वे न तो बूढ़Hका मुह ं दे खकर आदर कर गे, और न बालकHपर दया कर गे; 51 और वे तेरे पशुओं के ब.चे और भूिम क उपज यहां तक खा जांएगे क तू न हो जाएगा; और वे तेरे िलथे न अ(न, और न नया दाखमधु, और न टटका तेल, और न बछड़े , न मेSने छोड़ गे, यहां तक क तू नाश हो जाएगा। 52 और वे तेरे परमे र यहोवा के दथे हुए सारे दे श के सब फाटकHके भीतर तुझे घेर रख गे; वे तेरे सब फाटकHके भीतर तुझे उस समय तक घेर गे, जब तक तेरे सारे दे श म तेर: ऊंची ऊंची और lढ़ शहरपनाह 'जन पर तू भरोसा करे गा िगर न जाएं। 53 तब िघर जाने और उस सकेती के समय 'जस म ते रे शऽु तुझ को डाल गे, तू अपके िनज ज(माए बेटे-बेटयHका मांस 'ज(ह तेरा परमे र यहोवा तुझ को दे गा खाएगा। 54 और तुझ म जो पुRष कोमल और अित सुकुमार हो वह भी अपके भाई, और अप क ूाण€यार:, और अपके बचे हुए बालकHको बूर l से दे खेगा; 55 और वह उन म से कसी को भी अपके बालकHके मांस म से जो वह आप खाएगा कुछ न दे गा, यHक िघर जाने और उस सकेती म , 'जस म तेरे शऽु तेरे सारे फाटकHके भीतर तुझे घेर डाल गे, उसके पास कुछ न रहे गा। 56 और तुझ म जो \ी यहां तक कोमल और सुकुमार हो क सुकुमारपन के और कोमलता के मारे भूिम पर पांव धरते भी डरती हो, वह भी अपके ूाणूय पित, और बेटे, और बे ट: को, 57 अप क खे र:, वरन अपके जने हुए ब.चHको बूर l से दे खेगी, यHक िघर जाने और सकेती के समय 'जस म तेरे शऽु तुझे तेरे फाटकHके भीतर घेरकर रख गे, वह सब वःतुओं क घट: के मारे उ(ह िछप के खाएगी। 58 यद तू इन eयवःया के सारे वचनHके पालने म , जो इस पुःतक म िलख है , चौकसी करके उस आदरनीय और भययोbय नाम का, जो यहोवा तेरे परमे र का है भय

न माने, 59 तो यहोवा तुझ को और तेरे वंश को अनोखे अनोखे द+ड दे गा, वे द ु और बहुत दन रहनेवाले रोग और भार: भार: द+ड हHगे । 60 और वह िमॐ के उन सब रोगHको फर तेरे ऊपर लगा दे गा, 'जन से तू भय खाता या; और वे तुझ म

लगे रह गे। 61 और 'जतने रोग आद द+ड इस eयवःया क पुःतक म नह:ं िलखे हE , उन सभHको भी यहोवा तुझ को यहां तक लगा दे गा, क तू सयानाश हो जाएगा। 62 और तू जो अपके परमे र यहोवा क न मानेगा, इस कारण आकाश के तारHके समान अनिगिनत होने क स(ती तुझ म से योड़े ह: मनुंय रह जाएंगे। 63 और जैसे अब यहोवा क तुSहार: भलाई और बढ़ती करने से हषO होता है , वैसे ह: तब उसको तुSह नाश वरन सयानाश करने से हषO होगा; और 'जस भूिम के अिध कारनेी होने को तुम जा रहे हो उस पर से तुम उखाड़े जाओगे। 64 और यहोवा तुझ को पृवी के इस छोर से लेकर उस छोर तक के सब दे शHके लोगHम

ितर बर करे गा; और वहां रहकर तू अपके और अपके पुरखाओं के अनजाने काठ और पयर के दस ू रे दे वताओं क उपासना करे गा। 65 और उन जाितयHम तू कभी चैन न पाएगा, और न तेरे पांव को ठकाना िमलेगा; यHक वहां यहोवा ऐसा करे गा क ते रा ॑ृदय कांपता रहे गा, और तेर: आंखे धुध ं ली पड़ जाएगीं, और तेरा मन कलपता रहे गा; 66 और तुझ को जीवन का िनय स(दे ह रहे गा; और तू दन रात यरयराता रहे गा, और तेरे जीवन का कुछ भरोसा न रहे गा। 67 तेरे मन म जो भय बना रहे गा, उसके कारण तू भोर को आह मारके कहे गा, क सांफ कब होगी! और सांफ को आह मारके कहे गा, क भोर कब होगा। 68 और यहोवा तुझ को नावHपर चढ़ाकर िमॐ म उस मागO से लौटा दे गा, 'जसके वषय म मE ने तुझ से कहा या, क वह फर ते रे दे खने म न आएगा; और वहं ◌ा तुम अपके शऽुओं के

हाथ दास-दासी होने के िलथे बकाऊ तो रहोगे , पर(तु तुSहारा कोई माहक न होगा।। eयवःथाववरण 29 1 इ\ाएिलयHसे 'जस वाचा के बा(धने क आWा यहोवा ने मूसा को मोआब के दे श म द: उसके थे ह: वचन हE , और जो वाचा उस ने उन से होरे ब पहाड़ पर बा(धी यी यह उस से अलग है । 2 फर मूसा ने सब इ\ाएिलयHको बुलाकर कहा, जो कुछ यहोवा ने िमॐ दे श म तुSहारे दे खते फरौन और उसके सब कमOचाgरयH, और उसके सारे दे श से कया वह तुम ने दे खा है ; 3 वे बड़े बड़े प कझा के काम, और िच(ह, और बड़े बड़े चमकार तेर: आंखHके साSहने हुए; 4 पर(तु यहोवा ने आज तक तुम को न तो समझने क बुa, और न दे खने क आंख , और न सुनने के कान दए हE । 5 मE तो तुम को जंगल म चालीस वषO िलए फरा; और न तुSहारे तन पर व\ पुराने हुए, और न तेर: जूितयां तेरे पैरHम पुरानी हुई; 6 रोट: जो तुम नह:ं खाने पाए, और दाखमधु और मदरा जो तुम नह:ं पीने पाए, वह इसिलथे हुआ क तुम जानो क मE यहोवा तुSहारा परमे र हूं। 7 और जब तुम इस ःयान पर आए, तब हे शबोन का राजा सीहोन और बाशान का राजा ओग, थे दोनो युa के िलथे हमारा साSहना करने को िनकल आए, और हम ने उनको जीतकर उनका दे श ले िलया; 8 और RबेिनयH, गादयH, और मनँशे के आधे गोऽ के लोगHको िनज भाग करके दे दया। 9 इसिलथे इस वाचा क बातHका पालन करो, ताक जो कुछ करो वह सुफल हो।। 10 आज या वृa लोग, या सरदार, तुSहारे मु‡य मु‡य पुRष, या गोऽ गोऽ के तुम सब इॐाएली पुRष, 11 या तुSहारे बालब.चे

और '\यां, या लकड़हारे , या पनभरे , या तेर: छावनी म रहनेवाले परदे शी, तुम सब के सब अपके परमे र यहोवा के साSहने इसिलथे खड़े हुए हो, 12 क जो वाचा तेरा परमे र यहोवा आज तुझ से बा(धता है , और जो शपय वह आज तुझ को 'खलाता है , उस म तू साफ हो जाए; 13 इसिलथे क उस वचन के अनुसार जो उसने तुझ को दया, और उस शपय के अनुसार जो उसने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब, ते रे पूवOजHसे खाई यी, वह आज तुझ को अप क ूजा ठहराए, और आप तेरा परमे र ठहरे । 14 फर मE इस वाचा और इस शपय म

केवल तुम को नह:ं, 15 पर(तु उनको भी, जो आज हमारे संग यहां हमारे परमे र यहोवा के साSहने खड़े हE , और जो आज यहां हमारे संग नह:ं हE , साफ करता हूं। 16 तुम जानते हो क जब हम िमॐ दे श म रहते थे, और जब मागO म

क जाितयHके बीचHबीच होकर आ रहे थे, 17 तब तुम ने उनक कैसी कैसी िघनौनी वःतुए,ं और काठ, पयर, चांद:, सोने क कैसी मूरत दे खीं। 18 इसिलथे ऐसा न हो, क तुम लोगHम ऐसा कोई पुRष, वा \ी, वा कुल, वा गोऽ के लोग हH'जनका मन आज हमारे परमे र यहोवा से फर जाए, और वे जाकर उन जाितयHके दे वताओं क उपासना कर ; फर ऐसा न हो क तुSहारे म~य ऐसी कोई जड़ हो, 'जस से वष वा कडु आ बीज उगा हो, 19 और ऐसा मनुंय इस शाप के वचन सुनकर अपके को आशीवाOद के योbय माने, और यह सोचे क चाहे मE अपके मन के हठ पर चलू,ं और तृT होकर €यास को िमटा डालू,ं तौभी मेरा कुशल होगा। 20 यहोवा उसका पाप झमा नह:ं करे गा, वरन यहोवा के कोप और जलन का धुआ ं उसको छा लेगा, और 'जतने शाप इस पुःतक म िलख हE वे सब उस पर आ पक गे, और यहोवा उसका नाम धरती पर से िमटा दे गा। 21 और eयवःया क

इस पुःतक म 'जस वाचा क चचाO है उसके सब शापHके अनुसार यहोवा उसको इॐाएल के सब गोऽHम से हािन के िलथे अलग करे गा। 22 और आनेवाली पीढय़Hम तुSहारे वंश के लोग जो तुSहारे बाद उप(न हHगे, और पकेदे शी मनुंय भी जो दरू दे श से आएंगे, वे उस दे श क वपयHऔर उस म यहोवा के फैलाए हुए रोग दे खकर, 23 और यह भी दे खकर क इसक सब भूिम ग(धक और लोन से भर गई है , और यहां तक जल गई है क इस म न कुछ बोया जाता, और न कुछ जम सकता, और न घास उगती है , वरन सदोम और अमोरा, अदमा और सबोयीम के समान हो गया है 'ज(ह यहोवा ने अपके कोप और जलजलाहट म

उलट दया या; 24 और सब जाितयHके लोग पूछ गे, क यहोवा ने इस दे श से ऐसा यHकया? और इस बड़े कोप के भड़कने का या कारण है ? 25 तब लोग यह उर द गे, क उनके पूवOजHके परमे र यहोवा ने जो वाचा उनके साय िमॐ दे श से िनकालने के समय बा(धी यी उसको उ(हHने तोड़ा है । 26 और पराए दे वताओं क उपासना क है 'ज(ह वे पहले नह:ं जानते थे, और यहोवा ने उनको नह:ं दया या; 27 इसिलथे यहोवा का कोप इस दे श पर भड़क उठा है , क पुःतक मे िलखे हुए सब शाप इस पर आ पक ; 28 और यहोवा ने कोप, और जलजलाहट, और बड़ा ह: बोध करके उ(ह उनके दे श म से उखाड़ कर दस ू रे दे श म फ क दया, जैसा क आज ूगट है ।। 29 गुT बात हमारे परमे र यहोवा के वश म हE ; पर(तु जो ूगट क गई हE वे सदा के िलथे हमारे और हमारे वंश म रह गी, इसिलथे क इस eयवःया क सब बात पूर: ह: जाएं।। eयवःथाववरण 30

1 फर जब आशीष और शाप क थे सब बात जो मE ने तुझ को कह सुनाई हE तुझ पर घट , और तू उन सब जाितयHके म~य म रहकर, जहां तेरा परमे र यहोवा तुझ को बरबस पहंु चाएगा, इन बातHको ःमरण करे , 2 और अप क स(तान सहत अपके सारे मन और सारे ूाण से अपके परमे र यहोवा क ओर फरकर उसके पास लौट आए, और इन सब आWाओं के अनुसार जो मE आज तुझे सुनाता हूं उसक बात माने; 3 तब तेरा परमे र यहोवा तुझ को ब(धुआई से लौटा ले आएगा, और तुझ पर दया करके उन सब दे शHके लोगHम से 'जनके म~य म वह तुझ को ितर बर कर दे गा फर इक=ठा करे गा। 4 चाहे धरती के छोर तक ते रा बरबस पहंु चाया जाना हो, तौभी तेरा परमे र यहोवा तुझ को वहां से ले आकर इक=ठा करे गा। 5 और ते रा परमे र यहोवा तुझे उसी दे श म पहुंचाएगा 'जसके तेरे पुरखा अिध कारनेी हुए थे, और तू फर उसका अिध कारनेी होगा; और वह तेर: भलाई करे गा, और तुझ को तेरे पुरखाओं से भी िगनती म अिधक बढ़ाएगा। 6 और तेरा परमे र यहोवा तेरे और तेरे वंश के मन का खतना करे गा, क तू अपके परमे र यहोवा से अपके सारे मन और सारे ूाण के साय ूेम करे , 'जस से तू जीवत रहे । 7 और तेरा परमे र यहोवा थे सब शाप क बात ते रे शऽुओं पर जो तुझ से बैर करके ते रे पीछे पक गे भेजेगा। 8 और तू फरे गा और यहोवा क सुनेगा, और इन सब आWाओं को मानेगा जो मE आज तुझ को सुनाता हंू । 9 और यहोवा तेर: भलाई के िलथे तेरे सब कामHम , और तेर: स(तान, और पशुओं के ब.चH, और भूिम क उपज म तेर: बढ़ती करे गा; यHक यहोवा फर तेरे ऊपर भलाई के िलथे वैसा ह: आन(द करे गा, जैसा उस ने तेरे पूवOजHके ऊपर कया या; 10 यHक तू अपके परमे र यहोवा क सुनकर उसक आWाओं और विधयHको

जो इस eयवःया क पुःतक म िलखी हE माना करे गा, और अपके परमे र यहोवा क ओर अपके सारे मन और सारे ूाण से मन फराएगा।। 11 दे खो, यह जो आWा मE आज तुझे सुनाता हंू , वह न तो तेरे िलथे अनोखी, और न दरू है । 12 और न तो यह आकाश म है , क तू कहे , क कौन हमारे िलथे आकाश म चढ़कर उसे हमारे पास ले आए, और हम को सुनाए क हम उसे मान ? 13 और न यह समुि पार है , क तू कहे , कौन हमारे िलथे समुि पार जाए, और उसे हमारे पास ले आए, और हम को सुनाए क हम उसे मान ? 14 पर(तु यह वचन ते रे बहुत िनकट, वरन तेरे मुह ं और मन ह: म है ताक तू इस पर चले।। 15 सुन, आज मE ने तुझ को जीवन और मरण, हािन और लाभ दखाया है । 16 यHक मE आज तुझे आWा दे ता हूं, क अपके परमे र यहोवा से ूेम करना, और उसके मागार◌ ् े◌ं पर चलना, और उसक आWाओं, विधयH, और िनयमHको मानना, 'जस से तू जीवत रहे , और बढ़ता जाए, और ते रा परमे र यहोवा उस दे श म 'जसका अिध कारनेी होने को तू जा रहा है , तुझे आशीष दे । 17 पर(तु यद तेरा मन भटक जाए, और तू न सुने, और भटककर पराए दे वताओं को द+डवत करे और उनक उपासना करने लगे , 18 तो मE तुSह आज यह िचतौनी दए दे ता हंू क तुम िन:स(दे ह न हो जाओगे; और 'जस दे श का अिध कारनेी होने के िलथे तू यरदन पार जा रहा है , उस दे श म तुम बहुत दनHके िलथे रहने न पाओगे। 19 मE आज आकाश और पृवी दोनHको तुSहारे साSहने इस बात क साझी बनाता हूं, क मE ने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुSहारे आगे रखा है ; इसिलथे तू जीवन ह: को अपना ले, क तू और ते रा वंश दोनHजीवत रह ; 20 इसिलथे अपके परमे र यहोवा से ूेम करो, और उसक बात मानH, और उस से िलपके

रहो; यHक तेरा जीवन और द:घO जीवन यह: है , और ऐसा करने से 'जस दे श को यहोवा ने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब, तेरे पूवOजHको दे ने क शपय खाई यी उस दे श म तू बसा रहे गा।। eयवःथाववरण 31 1 और मूसा ने जाकर यह बात सब इॐएिलयHको सुनाL। 2 और उस ने उन से यह भी कहा, क आज मE एक सौ बीच वषO का हूं; और अब मE चल फर नह:ं सकता; यHक यहोवा ने मुझ से कहा है , क तू इस यरदन पार नह:ं जाने पाएगा। 3 तेरे आगे पार जानेवाला तेरा परमे र यहोवा ह: है ; वह उन जाितयHको तेरे साSहने से न करे गा, और तू उनके दे श का अिध कारनेी होगा; और यहोवा के वचन के अनुसार यहोशू तेरे आगे आगे पार जाएगा। 4 और 'जस ूकार यहोवा ने एमोgरयHके राजा सीहोन और ओग और उनके दे श को न कया है , उसी ूकार वह उन सब जाितयHसे भी करे गा। 5 और जब यहोवा उनको तुम से हरवा दे गा, तब तुम उन सार: आWाओं के अनुसार उन से करना जो मE ने तुम को सुनाई हE । 6 तू हयाव बा(ध और lढ़ हो, उन से न डर और न भयभीत हो; यHक तेरे संग चलनेवाला ते रा परमे र यहोवा है ; वह तुझ को धोखा न दे गा और न छोड़े गा। 7 तब मूसा ने यहोशू को बुलाकर सब इॐाएिलयHके सSमुख कहा, क तू हयाव बा(ध और lढ़ हो जा; यHक इन लोगHके संग उस दे श म

'जसे यहोवा ने इनके पूवOजHसे शपय खाकर दे ने को कहा या तू जाएगा; और तू इनको उसका अिध कारनेी कर दे गा। 8 और तेरे आगे आगे चलनेवाला यहोवा है ; वह तेरे संग रहे गा, और न तो तुझे धोखा दे गा और न छोड़ दे गा; इसिलथे मत डर

और ते रा मन क.चा न हो।। 9 फर मूसा ने यह: eयवःया िलखकर लेवीय याजकHको, जो यहोवा क वाचा के स(दक ू उठानेवाले थे, और इॐाएल के सब वृa लोगHको सxप द:। 10 तब मूसा ने उनको आWा द:, क सात सात वषO के बीतने पर, अयाOत ् उगाह: न होने के वषO के फोप कवाले पeवO म , 11 जब सब इॐाएली तेरे परमे र यहोवा के उस ःयान पर 'जसे वह चुन लेगा आकर इक=ठे हH, तब यह eयवःया सब इॐाएिलयHको पढ़कर सुनाना। 12 या पुRष, या \ी, या बालक, या तुSहारे फाटकHके भीतर के परदे शी, सब लोगHको इक=ठा करना क वे सुनकर सीख , और तुSहारे परमे र यहोवा का भय मानकर, इस eयवःया के सारे वचनHके पालन करने म चौकसी कर , 13 और उनके लड़केबाले 'ज(हHने थे बात नह:ं सुनीं वे भी सुनकर सींख , क तुSहारे परमे र यहोवा का भय उस समय तक मानते रह , जब तक तुम उस दे श म जीवत रहो 'जसके अिध कारनेी होने को तुम यरदन पार जा रहे हो।। 14 फर यहोवा ने मूसा से कहा, तेरे मरने का दन िनकट है ; तू यहोशू को बुलवा, और तुम दोनHिमलापवाले तSबू म आकर उप'ःयत हो क मE उसको आWा दं ।ू तब मूसा और यहोशू जाकर िमलापवाले तSबू म उप'ःयत हुए। 15 तब यहोवा ने उस तSबू म बादल के खSभे म होकर दशOन दया; और बादल का खSभा तSबू के kार पर ठहर गया। 16 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तू तो अपके पुरखाओं के संग सो जाने पर है ; और थे लागे उठकर उस दे श के पराथे दे वताओं के पीछे 'जनके म~य वे जाकर रह गे eयिभचार: हो जाएंगे, और मुझे यागकर उस वाचा को जो मE ने उन से बा(धी है तोड गे। 17 उस समय मेरा कोप इन पर भड़केगा, और मE भी इ(ह यागकर इन से अपना मुह ं िछपा लूग ं ा, और थे आहार हो जाएंगे; और बहुत सी वपयां और लेश इन पर

आ पक गे, यहां तक क थे उस समय कह गे, या थे वपयां हम पर इस कारण तो नह:ं आ प कं, यHक हमारा परमे र हमारे म~य म नह:ं रहा? 18 उस समय मE उन सब बुराइयHके कारण जो थे पराथे दे वताओं क ओर फरकर कर गे िन:स(दे ह उन से अपना मुह ं िछपा लूग ं ा। 19 सो अब तुम यह गीत िलख लो, और तू उसे इॐाएिलयHको िसखाकर कंठ करा दे ना, इसिलथे क यह गीत उनके वRa मेरा साझी ठहरे । 20 जब मE इनको उस दे श म पहुंचाऊंगा 'जसे दे ने क मE ने इनके पूवOजHसे शपय खाL यी, और 'जस म दध ू और मधु क धाराएं बहती हE , और खाते-खाते इनका पे ट भर जाए, और थे ॑ृ-पु हो जाएंगे; तब थे पराथे दे वताओं क ओर फरकर उनक उपासना करने लग गे, और मेरा ितरःकार करके मेर: वाचा को तोड़ द गे। 21 वरन अभी भी जब मE इ(ह इस दे श म 'जसके वषय मE ने शपय खाई है पहंु चा नह:ं चुका, मुझे मालूम है , क थे या या क`पना कर रहे हE ; इसिलथे जब बहुत सी वपयां और लेश इन पर आ पक गे, तब यह गीत इन पर साझी दे गा, यHक इनक स(तान इसको कभी भी नह:ं भूलेगी। 22 तब मूसा ने उसी दन यह गीत िलखकर इॐाएिलयHको िसखाया। 23 और उस ने नून के पुऽ यहोशू को यह आWा द:, क हयाव बा(ध और lढ़ हो; यHक इॐाएिलयHको उस दे श म 'जसे उ(ह दे ने को मE ने उन से शपय खाई है तू पहंु चाएगा; और मE आप तेरे संग रहंू गा।। 24 जब मूसा इस eयवःया के वचन को आद से अ(त तक पुःतक म िलख चुका, 25 तब उस ने यहोवा के स(दक ू उठानेवाले लेवयHको आWा द:, 26 क eयवःया क इस पुःतक को लेकर अपके परमे र यहोवा क वाचा के स(दक ू के पास रख दो, क यह वहां तुझ पर साझी दे ती रहे । 27 यHक ते रा बलवा और हठ मुझे मालूम है ;

दे खो, मेरे जीवत और संग रहते हुए भी तुम यहोवा से बलवा करते आए हो; फर मेरे मरने के बाद भी यHन करोगे! 28 तुम अपके गोऽHके सब वृa लोगHको और अपके सरदारHको मेरे पास इक=ठा करो, क मE उनको थे वचन सुनाकर उनके वda आकाश और पृवी दोनHको साझी बनाऊं। 29 यHक मुझे मालूम है क मेर: मृयु के बाद तुम बलकुल बगड़ जाओगे , और 'जस मागO म चलने क आWा मE ने तुम को सुनाई है उसको भी तुम छोड़ दोगे; और अ(त के दनHम जब तुम वह काम करके जो यहोवा क l म बुरा है , अप क बनाई हुई वःतुओं क पूजा करके उसको gरस दलाओगे , तब तुम पर वप आ पकेगी।। 30 तब मूसा ने इॐाएल क सार: सभा को इस गीत के वचन आद से अ(त तक कह सुनाए: eयवःथाववरण 32 1 हे आकाश, कान लगा, क मE बोलू;ं और हे पृवी, मेरे मुह ं क बात सुन।। 2 मेरा उपकेश म ह क नाL बरसेगा और मेर: बात ओस क नाL टपक गी, जैसे क हर: घास पर फसी, और पौधHपर फडय़ां।। 3 मE तो याहोवा नाम का ूचार कRंगा। तुम अपके परमे र क महमा को मानो! 4 वह च=टान है , उसका काम खरा है ; और उसक सार: गित (याय क है । वह स.चा ई र है , उस म कुटलता नह:ं, वह धमh और सीधा है ।। 5 पर(तु इसी जाित के लोग टे ढ़े और ितछ हE ; थे बगड़ गए, थे उसके पुऽ नह:ं; यह उनका कलंक है ।। 6 हे मूढ़ और िनबुOa लोगH, या तुम यहोवा को यह बदला दे ते हो? या वह ते रा पता नह:ं है , 'जस ने तुम को मोल िलया है ? उस ने तुम को बनाया और 'ःयर भी कया है ।। 7 ूाचीनकाल के दनHको ःमरण करो, पीढ़: पीढ़: के वषJको वचारो; अपके बाप से पूछो, और वह

तुम को बताएगा; अपके वृa लोगHसे ूo करो, और वे तुझ से कह द गे।। 8 जब परमूधान ने एक एक जाित को िनज िनज भाग बांट दया, और आदिमयHको अलग अलग बसाया, तब उस ने दे श दे श के लोगHके िसवाने इॐाएिलयHक िगनती के अनुसार ठहराए।। 9 यHक यहोवा का अंश उसक ूजा है ; याकूब उसका नपा हुआ िनज भाग है ।। 10 उस ने उसको जंगल म , और सुनसान और गरजनेवालHसे भर: हुई मRभूिम म पाया; उस ने उसके चंहु ओर रहकर उसक रझा क, और अप क आंख क पुतली क नाई उसक सुिध रखी।। 11 जैसे उकाब अपके घHसले को हला हलाकर अपके ब.चHके ऊपर ऊपर म+डलाता है , वैसे ह: उस ने अपके पंख फैलाकर उसको अपके परHपर उठा िलया।। 12 यहोवा अकेला ह: उसक अगुवाई करता रहा, और उसके संग कोई पराया दे वता न या।। 13 उस ने उसको पृवी के ऊंचे ऊंचे ःयानHपर सवार कराया, और उसको खेतHक उपज 'खलाई; उस ने उसे च=टान म से मधु और चकमक क च=ठान म से तेल चुसाया।। 14 गायHका दह:, और भेड़-बकgरयHका दध ू , मेSनHक चबh, बकरे और बाशान क जाित के मेढ़े, और गेहूं का उम से उम आटा भी; और तू दाखरस का मधु पया करता या।। 15 पर(तु यशूRन मोटा होकर लात मारने लगा; तू मोटा और ॑ृ-पु हो गया, और चबh से छा गया है ; तब उस ने अपके सृजनहार ई र को तज दया, और अपके उaारमूल च=टान को तु.छ जाना।। 16 उ(हHने पराए दे वताओं को मानकर उस म जलन उपजाई; और घृ'णत कमO करके उसको gरस दलाई ।। 17 उ(हHने पशाचHके िलथे जो ई र न थे बिल चढ़ाए, और उनके िलथे वे अनजाने दे वता थे, वे तो नथे नथे दे वता थे जो योड़े ह: दन से ूकट हुए थे, और 'जन से उनके पुरखा कभी डरे नह:ं। 18 'जस च=टान से तू उप(न हुआ

उसको तू भूल गया, और ई र 'जस से तेर: उप हुई उसको भी तू भूल गया है ।। 19 इन बातHको दे खकर यहोवा ने उ(ह तु.छ जाना, यHक उसके बे टे-बे टयHने उसे gरस दलाई यी।। 20 तब उस ने कहा, मE उन से अपना मुख िछपा लूग ं ा, और दे खूंगा क उनका अ(त कैसा होगा, यHक इस जाित के लोग बहुत टे ढ़े हE और धोखा दे नेवाले पुऽ हE । 21 उ(हHने ऐसी वःतु मानकर जो ई र नह:ं हE , मुझ म जलन उप(न क; और अप क eययO वःतुओं के kारा मुझे gरस दलाई। इसिलथे मE भी उनके kारा जो मेर: ूजा नह:ं हE उनके मन म जलन उप(न कRंगा; और एक मूढ़ जाित के kारा उ(ह gरस दलाऊंगा।। 22 यHक मेरे कोप क आग भड़क उठq है , जो पाताल क तह तक जलती जाएगी, और पृवी अप क उपज समेत भःम हो जाएगी, और पहाड़Hक नेवHम भी आग लगा दे गी।। 23 मE उन पर वप पर वप भेजूंगा; और उन पर मE अपके सब तीरHको छोडू ं गा।। 24 वे भूख से दब ु ले हो जाएंगे, और अंगारHसे और कठन महारोगHसे मिसत हो जाएंगे; और मE उन पर पशुओं के दांत लगवाऊंगा, और धूिल पर र गनेवाले सपJका वष छोड़ दं ग ू ा।। 25 बाहर वे तलवार से मर गे, और कोठgरयHके भीतर भय से; या कुंवारे और कुंवाgरयां, या दध ू पीता हुआ ब.चा या प के बालवाले, सब इसी ूकार बरबाद हHगे। 26 मE ने कहा या, क मE उनको दरू दरू से ितर-बर कRंगा, और मनुंयHम से उनका ःमरण तक िमटा डालूग ं ा; 27 पर(तु मुझे शऽुओं क छे ड़ छाड़ का डर या, ऐसा न हो क िोह: इसको उलटा समझकर यह कहने लग , क हम अपके ह: बाहुबल से ूबल हुए, और यह सब यहोवा से नह:ं हुआ।। 28 यह जाित युfह:न तो है , और इन म समझ है ह: नह:ं।। 29 भला होता क थे बुaमान होते , क इसको समझ लेते, और अपके

अ(त का वचार करते! 30 यद उनक च=टान ह: उनको न बे च दे ती, और यहोवा उनको औरHके हाथ म न कर दे ता; तो यह यHकर हो सकता क उनके हजार का पीछा एक मनुंय करता, और उनके दस हजार को दो मनुंय भगा दे ते? 31 यHक जैसी हमार: च=टान है वैसी उनक च=टान नह:ं है , चाहे हमारे शऽु ह: यHन (यायी हH।। 32 यHक उनक दाखलता सदोम क दाखलता से िनकली, और अमोरा क दाख क बाgरयHम क है ; उनक दाख वषभर: और उनके गु.छे कड़वे हE ; 33 उनका दाखमधु सांपHका सा वष और काले नागHका सा हलाहल है ।। 34 या यह बात मेरे मन म संिचत, और मेरे भ+डारHम मुहरब(द नह:ं है ? 35 पलटा लेना और बदला दे ना मेरा ह: काम है , यह उनके पांव फसलने के समय ूगट होगा; यHक उनक वप का दन िनकट है , और जो दख ु उन पर पड़नेवाले है वे शीय आ रहे हE ।। 36 यHक जब यहोवा दे खेगा क मेर: ूजा क शf जाती रह:, और या ब(धुआ और या ःवाधीन, उन म कोई बचा नह:ं रहा, तब यहोवा अपके लोगHका (याय करे गा, और अपके दासHके वषय म तरस खाएगा।। 37 तब वह कहे गा, उनके दे वता कहां हE , अयाOत वह च=टान कहां 'जस पर उनका भरोसा या, 38 जो उनके बिलदानHक चबh खाते, और उनके तपावनHका दाखमधु पीते थे? वे ह: उठकर तुSहार: सहाथता कर , और तुSहार: आड़ हH! 39 इसिलथे अब तुम दे ख लो क मE ह: वह हंू , और मेरे संग कोई दे वता नह:ं; मE ह: मार डालता, और मE 'जलाता भी हूं; मE ह: घायल करता, और मE ह: चंगा भी करता हंू ; और मेरे हाथ से कोई नह:ं छुड़ा सकता।। 40 यHकं मE अपना हाथ ःवगO क ओर उठाकर कहता हंू , यHक मE अन(त काल के िलथे जीवत हंू , 41 सो यद मE बजली क तलवार पर सान धरकर फलकाऊं, और (याय को

अपके हाथ म ले लू,ं तो अपके िोहयHसे बदला लूग ं ा, और अपके बैgरयHको बदला दं ग ू ा।। 42 मE अपके तीरHको लोहू से मतवाला कRंगा, और मेर: तलवार मांस खाएगी वह लोहू, मारे हुओं और ब(धुओं का, और वह मांस, शऽुओं के ूधानHके शीश का होगा।। 43 हे अ(यजाितयH, उसक ूजा के साय आन(द मनाओ; यHक वह अपके दासHके लोहू का पलटा लेगा, और अपके िोहयHको बदला दे गा, और अपके दे श और अप क ूजा के पाप के िलथे ूाय'_त दे गा। 44 इस गीत के सब वचन मूसा ने नून के पुऽ होशे समेत आकर लोगHको सुनाए। 45 जब मूसा थे सब वचन सब इॐाएिलयHसे कह चुका, 46 तब उस ने उन से कहा क 'जतनी बात मE आज तुम से िचताकर कहता हंू उन सब पर अपना अपाना मन लगाओ, और उनके अयाOत ् इस eयवःया क सार: बातHके मानने म चौकसी करने क आWा अपके लड़केबालHको दो। 47 यHक यह तुSहारे िलथे eययO काम नह:ं, पर(तु तुSहारा जीवन ह: है , और ऐसा करने से उस दे श म तुSहार: आयु के दन बहुत हHगे, 'जसके अिध कारनेी होने को तुम यरदन पार जा रहे हो।। 48 फर उसी दन यहोवा ने मूसा से कहा, 49 उस अबार:म पहाड़ क नबो नाम चोट: पर, जो मोआब दे श म यर:हो के साSहने है , चढ़कर कनान दे श 'जसे मE इॐाएिलयHक िनज भूिम कर दे ता हंू उसको दे ख ले। 50 तब जैसा तेरा भाई हाRन होर पहाड़ पर मरकर अपके लोगHम िमल गया, वैसा ह: तू इस पहाड़ पर चढ़कर मर जाएगा, और अपके लोगHम िमल जाएगा। 51 इसका कारण यह है , क सीन जंगल म , कादे श के मर:बा नाम सोते पर, तुम दोनHने मेरा अपराध कया, यHक तुम ने इॐाएिलयHके म~य म मुझे पवऽ न ठहराया। 52 इसिलथे वह दे श जो मE इॐाएिलयHको दे ता हंू , तू अपके साSहने दे ख लेगा, पर(तु वहां जाने न पाएगा।।

eयवःथाववरण 33 1 जो आशीवाOद परमे र के जन मूसा ने अप क मृयु से पहले इॐाएिलयHको दया वह यह है ।। 2 उस ने कहा, यहोवा सीनै से आया, और सेईर से उनके िलथे उदय हुआ; उस ने पारान पवOत पर से अपना तेज दखाया, और लाखHपवऽHके म~य म से आया, उसके दहने हाथ से उनके िलथे Gवालामय विधयां िनकलीं।। 3 वह िन_य दे श दे श के लोगHसे ूेम करता है ; उसके सब पवऽ लोग तेरे हाथ म

हE : वे तेरे पांवHके पास बैठे रहते हE , 4 मूसा ने हम eयवःया द:, और याकूब क म+डली का िनज भाग ठहर:।। 5 जब ूजा के मु‡य मु‡य पुRष, और इॐाएल के गोऽी एक संग होकर एकऽत हुए, तब वह यशूRन म राजा ठहरा।। 6 Rबेन न मरे , वरन जीवत रहे , तौभी उसके यहां के मनुंय योड़े हH।। 7 और यहूदा पर यह आशीवाOद हुआ जो मूसा ने कहा, हे यहोवा तू यहूदा क सुन, और उसे उसके लोगHके पास पहुंचा। वह अपके िलथे आप अपके हाथHसे लड़ा, और तू ह: उसके िोहयHके वRa उसका सहाथक हो।। 8 फर लेवी के वषय म उस ने कहा, तेरे तुSमीम और ऊर:म तेरे भf के पास हE , 'जसको तू ने मःसा म परख िलया, और 'जसके साय मर:बा नाम सोते पर तेरा वादववाद हुआ; 9 उस ने तो अपके माता पता के वषय म कहा, क मE उनको नह:ं जानता; और न तो उस ने अपके भाइयHको अपना माना, और न अपके पुऽHको पहचाना। यHक उ(हHने तेर: बात मानी, और वे तेर: वाचा का पालन करते हE ।। 10 वे याकूब को तेरे िनयम, और इॐाएल को तेर: eयवःया िसखाएंगे; और तेरे आगे धूप और तेर: वे द: पर सवा{ग पशु को होमबिल कर गे।। 11 हे यहोवा, उसक सSप पर आशीष दे , और उसके हाथHक सेवा को महण कर; उसके वरोिधयHऔर बैgरयHक कमर पर ऐसा

मार, क वे फर न उठ सक ।। 12 फर उस ने ब(यामीन के वषय म कहा, यहोवा का वह ूय जन, उसके पास िनडर वास करे गा; और वह दन भर उस पर छाया करे गा, और वह उसके क(धHके बीच रहा करता है ।। 13 फर यूसफ ु के वषय म उस ने कहा; इसका दे श यहोवा से आशीष पाए अयाOत ् आकाश के अनमोल पदायO और ओस, और वह गहरा जल जो नीचे है , 14 और सूयO के पकाए हुए अनमोल फल, और जो अनमोल पदायO चंिमा के उगाए उगते हE , 15 और ूाचीन पहाड़Hके उम पदायO, और सनातन पहाडय़Hके अनमोल पदायO, 16 और पृवी और जो अनमोल पदायO उस म भरे हE , और जो फाड़: म रहता या उसक ूस(नता। इन सभHके वषय म यूसफ ु के िसर पर, अयाOत ् उसी के िसर के चांद पर जो अपके भाइयHसे (यारा हुआ या आशीष ह: आशीष फले।। 17 वह ूतापी है , मानो गया का पहलौठा है , और उसके सींग बनैले बैल के से हE ; उन से वह दे श दे श के लोगHको, वरन पृवी के छोर तक के सब मनुंयHको ढकेलेगा; वे एूैम के लाखHलाख, और मनँशे के हजारHहजार हE ।। 18 फर जबूलन ू के वषय म उस ने कहा, हे जबूलन ू , तू बाहर िनकलते समय, और हे इःसाकार, तू अपके डे रHम आन(द करे ।। 19 वे दे श दे श के लोगHको पहाड़ पर बुलाएंगे; वे वहां धमOयW कर गे; यHक वे समुि का धन, और बालू के िछपे हुए अनमोल पदायO से लाभ उठाएंगे।। 20 फर गाद के वषय म उस ने कहा, ध(य वह है जो गाद को बढ़ाता है ! गाद तो िसंहनी के समान रहता है , और बांह को, वरन िसर के चांद तक को फाड़ डालता है ।। 21 और उस ने पहला अंश तो अपके िलथे चुन िलया, यHक वहां रईस के योbय भाग रखा हुआ या; तब उस ने ूजा के मु‡य मु‡य पुRषHके संग आकर यहोवा का ठहराया हुआ धमO, और इॐाएल के साय होकर

उसके िनयम का ूितपालन कया।। 22 फर दान के वषय म उस ने कहा, दान तो बाशान से कूदनेवाला िसंह का ब.चा है ।। 23 फर नTाली के वषय म उस ने कहा, हे नTाली, तू जो यहोवा क ूस(नता से तृT, और उसक आशीष से भरपूर है , तू प'.छम और द' खन के दे श का अिध कारनेी हो।। 24 फर आशेर के वषय म उस ने कहा, आशेर पुऽHके वषय म आशीष पाए; वह अपके भाइयHम

ूय रहे , और अपना पांव तेल म डु बोए।। 25 तेरे जूते लोहे और पीतल के हHगे, और जैसे तेरे दन वैसी ह: ते र: शf हो।। 26 हे यशूRन, ई र के तु`य और कोई नह:ं है , वह तेर: सहाथता करने को आकाश पर, और अपना ूताप दखाता हुआ आकाशम+डल पर सवार होकर चलता है ।। 27 अनाद परमे र तेरा गृहधाम है , और नीचे सनातन भुजाएं हE । वह शऽुओं को तेरे साSहने से िनकाल दे ता, और कहता है , उनको सयानाश कर दे ।। 28 और इॐाएल िनडर बसा रहता है , अ(न और नथे दाखमधु के दे श म याकूब का सोता अकेला ह: रहता है ; और उसके ऊपर के आकाश से ओस पड़ा करती है ।। 29 हे इॐाएल, तू या ह: ध(य है ! हे यहोवा से उaार पाई हुई ूजा, तेरे तु`य कौन है ? वह तो तेर: सहाथता के िलथे ढाल, और तेरे ूताप के िलथे तलवार है ; तेरे शऽु तुझे सराह गे, और तू उनके ऊंचे ःयानHको रxदे गा।। eयवःथाववरण 34 1 फर मूसा मोआब के अराबा से नबो पहाड़ पर, जो पसगा क एक चोट: और यर:हो के साSहने है , चढ़ गया; और यहोवा ने उसको दान तक का िगलाद नाम सारा दे श, 2 और नTाली का सारा दे श, और एूैम और मनँशे का दे श, और

प'.छम के समुि तक का यहूदा का सारा दे श, 3 और द' खन दे श, और सोअर तक क यर:हो नाम खजूरवाले नगर क तराई, यह सब दखाया। 4 तब याहोवा ने उस से कहा, 'जस दे श के वषय म मE ने इॄाह:म, इसहाक, और याकूब से शपय खाकर कहा या, क मE इसे तेरे वंश को दं ग ू ा वह यह: है । मE ने इसको तुझे साझात दखला दया है , पर(तु तू पार होकर वहां जाने न पाएगा। 5 तब यहोवा के कहने के अनुसार उसका दास मूसा वह:ं मोआब दे श म मर गया, 6 और उस ने उसे मोआब के दे श म बे तपोर के साSहने एक तराई म िम=ट: द:; और आज के दन तक कोई नह:ं जानता क उसक कॄ कहां है । 7 मूसा अप क मृयु के समय एक सौ बीस वषO का या; पर(तु न तो उसक आंख धुध ं ली प कं, और न उसका पौRष घटा या। 8 और इॐाएली मोआब के अराबा म मूसा के िलथे तीस दन तक रोते रहे ; तक मूसा के िलथे रोने और वलाप करने के दन पूरे हुए। 9 और नून का पुऽ यहोशू बुaमानी क आमा से पgरपूणO या, यHक मूसा ने अपके हाथ उस पर रखे थे; और इॐाएली उस आWा के अनुसार जो याहोवा ने मूसा को द: यी उसक मानते रहे । 10 और मूसा के तु`य इॐाएल म ऐसा कोई नबी नह:ं उठा, 'जस से यहोवा ने आSहने-साSहने बात कं, 11 और उसको यहोवा ने फरौन और उसके सब कमOचाgरयHके साSहने, और उसके सारे दे श म , सब िच(ह और चमकार करने को भेजा या, 12 और उस ने सारे इॐाएिलयHक l म बलव(त हाथ और बड़े भय के काम कर दखाए।। यहोशू 1 1 यहोवा के दास मूसा क मृयु के बाद यहोवा ने उसके सेवक यहोशू से जो नून

का पुऽ या कहा, 2 मेरा दास मूसा मर गया है ; सो अब तू उठ, कमर बा(ध, और इस सार: ूजा समेत यरदन पार होकर उस दे श को जा 'जसे मE उनको अयाOत ् इॐाएिलयHको दे ता हंू । 3 उस वचन के अनुसार जो मE ने मूसा से कहा, अयाOत ् 'जस 'जस ःयान पर तुम पांव धरोगे वह सब मE तुSहे दे दे ता हंू । 4 जंगल और उस लबानोन से लेकर परात महानद तक, और सूयाOःत क ओर महासमुि तक हयHका सारा दे श तुSहारा भाग ठहरे गा। 5 तेरे जीवन भर कोई तेरे साSहने ठहर न सकेगा; जैसे मE मूसा के संग रहा वैसे ह: तेरे संग भी रहंू गा; और न तो मE तुझे धोखा दं ग ू ा, और न तुझ को छोडू ं गा। 6 इसिलथे हयाव बा(धकर lढ़ हो जा; यHक 'जस दे श के दे ने क शपय मE ने इन लोगHके पूवOजHसे खाई यी उसका अिध कारनेी तू इ(ह करे गा। 7 इतना हो क तू हयाव बा(धकर और बहुत lढ़ होकर जो eयवःया मेरे दास मूसा ने तुझे द: है उन सब के अनुसार करने म

चौकसी करना; और उस से न तो दहने मुड़ना और न बांए, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सुफल होगा। 8 eयवःया क यह पुःतक तेरे िच से कभी न उतरने पाए, इसी म दन रात ~यान दए रहना, इसिलथे क जो कुछ उस म िलखा है उसके अनुसार करने क तू चौकसी करे ; यHक ऐसा ह: करने से तेरे सब काम सुफल हHगे, और तू ूभावशाली होगा। 9 या मE ने तुझे आWा नह:ं द:? हयाव बा(धकर lढ़ हो जा; भय न खा, और तेरा मन क.चा न हो; यHक जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा परमे र यहोवा तेरे संग रहे गा।। 10 तब यहोशू ने ूजा के सरदारHको यह आWा द:, 11 क छावनी म इधर उधर जाकर ूजा के लोगHको यह आWा दो, क अपके अपके िलथे भोजन तैयार कर रखो; यHक तीन दन के भीतर तुम को इस यरदन के पार उतरकर उस दे श को अपके

अिध कारने म लेने के िलथे जाना है 'जसे तुSहारा परमे र यहोवा तुSहारे अिध कारने म दे नेवाला है ।। 12 फर यहोशू ने Rबे िनयH, गादयH, और मनँशे के आधे गोऽ के लोगHसे कहा, 13 जो बात यहोवा के दास मूसा ने तुम से कह: यीं, क तुSहारा परमे र यहोवा तुSह वौम दे ता है , और यह: दे श तुSह दे गा, उसक सुिध करो। 14 तुSहार: '\यां, बालब.चे, और पशु तो इस दे श म रह जो मूसा ने तुSह यरदन के इसी पार दया, पर(तु तुम जो शूरवीर हो पांित बा(धे हुए अपके भांइयHके आगे आगे पार उतर चलो, और उनक सहाथता करो; 15 और जब यहोवा उनको ऐसा वौम दे गा जैसा वह तुSह दे चुका है , और वे भी तुSहारे परमश ्◌ेवर यहोवा के दए हुए दे श के अिध कारनेी हो जाएंगे; तब तुम अपके अिध कारने के दे श म , जो यहोवा के दास मूसा ने यरदन के इस पार सूयzदय क ओर तुSह दया है , लौटकर इसके अिध कारनेी होगे। 16 तब उ(हHने यहोशू को उर दया, क जो कुछ तू ने हम करने क आWा द: है वह हम कर गे, और जहां कह:ं तू हम भेजे वहां हम जाएंगे। 17 जैसे हम सब बातHम मूसा क मानते थे वैसे ह: तेर: भी माना कर गे; इतना हो क ते रा परमे र यहोवा जैसा मूसा के संग रहता या वैसे ह: तेरे संग भी रहे । 18 कोई यHन हो जो तेरे वRa बलवा करे , और 'जतनी आWाएं तू दे उनको न माने, तो वह मार डाला जाएगा। पर(तु तू lढ़ और हयाव बा(धे रह।। यहोशू 2 1 तब नून के पुऽ यहोशू ने दो भेदयHको िशीम से चुपके से भेज दया, और उन से कहा, जाकर उस दे श और यर:हो को दे खो। तुर(त वे चल दए, और राहाब

नाम कसी वेँया के घर म जाकर सो गए। 2 तब कसी ने यर:हो के राजा से कहा, क आज क रात कई एक इॐाएली हमारे दे श का भेद लेने को यहां आए हुए हE । 3 तब यर:हो के राजा ने राहाब के पास यHकहला भेजा, क जो पुRष ते रे यहां आए हE उ(ह बाहर ले आ; यHक वे सारे दे श का भेद लेने को आए हE । 4 उस \ी ने दोनHपुRषHको िछपा रखा; और इस ूकार कहा, क मेरे पास कई पुRष आए तो थे, पर(तु मE नह:ं जानती क वे कहां के थे; 5 और जब अ(धेरा हुआ, और फाटक ब(द होने लगा, तब वे िनकल गए; मुझे मालूम नह:ं क वे कहां गए; तुम फुतh करके उनका पीछा करो तो उ(ह जा पकड़ोगे । 6 उस ने उनको घर क छत पर चढ़ाकर सनई क लकडय़Hके नीचे िछपा दया या जो उस ने छत पर सजा कर रखी यी। 7 वे पुRष तो यरदन का मागO ले उनक खोज म घाट तक चले गए; और GयHह: उनको खोजनेवाले फाटक से िनकले यHह: फाटक ब(द कया गया। 8 और थे लेटने न पाए थे क वह \ी छत पर इनके पास जाकर 9 इन पुRषHसे कहने लगी, मुझे तो िन_य है क यहोवा ने तुम लोगHको यह दे श दया है , और तुSहारा भय हम लोगHके मन म समाया है , और इस दे श के सब िनवासी तुSहारे कारण घबरा रहे हE । 10 यHक हम ने सुना है क यहोवा ने तुSहारे िमॐ से िनकलने के समय तुSहारे साSहने लाल समुि का जल सुखा दया। और तुम लोगHने सीहोन और ओग नाम यरदन पार रहनेवाले एमोgरयHके दोनHराजाओं को सयानाश कर डाला है । 11 और यह सुनते ह: हमारा मन पघल गया, और तुSहारे कारण कसी के जी म जी न रहा; यHक तुSहारा परमे र यहोवा ऊपर के आकाश का और नीचे क पृवी का परमे र है । 12 अब मE ने जो तुम पर दया क है , इसिलथे मुझ से यहोवा क शपय खाओ क तुम भी मेरे पता के घराने पर

दया करोगे , और इसक स.ची िच(हानी मुझे दो, 13 क तुम मेरे माता-पता, भाइयHऔर बहनHको, और जो कुछ उनका है उन सभHको भी जीवत रख छोड़ो, और हम सभHका ूाण मरने से बचाओगे। 14 तब उन पुRषHने उस से कहा, यद तू हमार: यह बात कसी पर ूगट न करे , तो तुSहारे ूाण के बदले हमारा ूाण जाए; और जब यहोवा हम को यह दे श दे गा, तब हम तेरे साय कृपा और स.चाई से बताOव कर गे। 15 तब राहाब 'जसका घर शहरपनाह पर बना या, और वह वह:ं रहती यीं, उस ने उनको 'खड़क से रःसी के बल उतारके नगर के बाहर कर दया। 16 और उस ने उन से कहा, पहाड़ को चले जाओ, ऐसा न हो क खोजनेवाले तुम को पाएं; इसिलथे जब तक तुSहारे खोजनेवाले लौट न आएं तब तक, अयाOत ् तीन दन वह:ं िछपे रहता, उसके बाद अपना मागO लेना। 17 उ(हHने उस से कहा, जो शपय तू ने हम को 'खलाई है उसके वषय म हम तो िनदzष रह गे। 18 तुम, जब हम लोग इस दे श म आएंगे, तब 'जस 'खड़क से तू ने हम को उतारा है उस म यह: लाल रं ग के सूत क डोर: बा(ध दे ना; और अपके माता पता, भाइयH, वरन अपके पता के घराने को इसी घर म अपके पास इक=ठा कर रखना। 19 तब जो कोई ते रे घर के kार से बाहर िनकले, उसके खून का दोष उसी के िसर पकेगा, और हम िनदzष ठहर गे: पर(तु यद ते रे संग घर म रहते हुए कसी पर कसी का हाथ पके, तो उसके खून का दोष हमारे िसर पर पकेगा। 20 फर यद तू हमार: यह बात कसी पर ूगट करे , तो जो शपय तू ने हम को 'खलाई है उस से हम िनबO(ध ठहर गे। 21 उस ने कहा, तुSहारे वचनHके अनुसार हो। तब उस ने उनको वदा कया, और वे चले गए; और उस ने लाल रं ग क डोर: को 'खड़क म बा(ध दया। 22 और वे जाकर पहाड़ तक पहंु चे, और वहां

खोजनेवालHके लौटने तक, अयाOत ् तीन दन तक रहे ; और खोजनेवाले उनको सारे मागO म ढू ं ढ़ते रहे और कह:ं न पाया। 23 तब वे दोनHपुRष पहाड़ से उतरे , और पार जाकर नून के पुऽ यहोशू के पास पहंु चकर जो कुछ उन पर बीता या उसका वणOन कया। 24 और उ(हHने यहोशू से कहा, िनस(दे ह यहोवा ने वह सारा दे श हमारे हाथ म कर दया है ; फर इसके िसवाय उसके सारे िनवासी हमारे कारण घबरा रहे हE ।। यहोशू 3 1 बहान को यहोशू सबे रे उठा, और सब इॐाएिलयHको साय ले िशीम से कूच कर यरदन के कनारे आया; और वे पार उतरने से पहले वह:ं टक गए। 2 और तीन दन के बाद सरदारHने छावनी के बीच जाकर 3 ूजा के लोगHको यह आWा द:, क जब तुम को अपके परमे र यहोवा क वाचा का स(दक ू और उसे उठाए हुए लेवीय याजक भी दे ख पक , तब अपके ःयान से कूच करके उसके पीछे पीछे चलना, 4 पर(तु उसके और तुSहारे बीच म दो हजार हाथ के अटकल अ(तर रहे ; तुम स(दक ू के िनकट न जाना। ताक तुम दे ख सको, क कस मागO से तुम को चलना है , यHक अब तक तुम इस मागO पर होकर नह:ं चले। 5 फर यहोशू ने ूजा के लोगHसे कहा, तुम अपके आप को पवऽ करो; यHक कल के दन यहोवा तुSहारे म~य म आ_यOकमO करे गा। 6 तब यहोशू ने याजकHसे कहा, वाचा का स(दक ू उठाकर ूजा के आगे आगे चलो। तब वे वाचा का स(दक ू उठाकर आगे आगे चले। 7 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, आज के दन से मE सब इॐाएिलयHके सSमुख ते र: ूशंसा करना आरSभ कRंगा, 'जस से वे जान ल क जैसे मE मूसा के

संग रहता या वैसे ह: मE तेरे संग भी हंू । 8 और तू वाचा के स(दक ू के उठानेवाले याजकHको यह आWा दे , क जब तुम यरदन के जल के कनारे पहुंचो, तब यरदन म खड़े रहना।। 9 तब यहोशू ने इॐाएिलयHसे कहा, क पास आकर अपके परमे र यहोवा के वचन सुनो। 10 और यहोशू कहने लगा, क इस से तुम जान लोगे क जीवत ई र तुSहारे म~य म है , और वह तुSहारे सामहने से िन:स(दे ह कनािनयH, हयH, ह'eवयH, पgर'GजयH, िगगाOिशयH, एमोgरयH, और यबूिस कH उनके दे श म से िनकाल दे गा। 11 सुनो, पृवी भर के ूभु क वाचा का स(दक ू तुSहारे आगे आगे यरदन म जाने पर है । 12 इसिलथे अब इॐाएल के गाऽHम से बारह पुRषHको चुन लो, वे एक एक गोऽ म से एक पुRष हो। 13 और 'जस समय पृवी भर के ूभु यहोवा क वाचा का स(दक ू उठानेवाले याजकHके पांव यरदन के जल म पक गे, उस समय यरदन का ऊपर से बहता हुआ जल यम जाएगा, और ढे र होकर ठहरा रहे गा। 14 सो जब ूजा के लोगHने अपके डे रHसे यरदन पार जाने को कूच कया, और याजक वाचा का स(दक ू उठाए हुए ूजा के आगे आगे चले, 15 और स(दक ू के उठानेवाले यरदन पर पहुंचे, और स(दक ू के उठानेवाले याजकHके पांव यरदन के तीर के जल म डू ब गए (यरदन का जल तो कटनी के समय के सब दन कड़ारHके ऊपर ऊपर बहा करता है ), 16 तब जो जल ऊपर क ओर से बहा आता या वह बहुत दरू , अयाOत ् आदाम नगर के पास जो सारतान के िनकट है Rककर एक ढे र हो गया, और द:वार सा उठा रहा, और जो जल अराबा का ताल, जो खारा ताल भी कहलाता है , उसक ओर बहा जाता या, वह पूर: र:ित से सूख गया; और ूजा के लाग यर:हो के साSहने पार उतर गए। 17 और याजक यहोवा क वाचा का स(दक ू उठाए हुए यरदन के बीचHबीच

पहंु चकर ःयल पर 'ःयर खड़े रहे , और सब इॐाएली ःयल ह: ःयल पार उतरते रहे , िनदान उस सार: जाित के लोग यरदन पार हो गए।। यहोशू 4 1 जब उस सार: जाित के लोग यरदन के पार उतर चुके, तब यहोवा ने यहोशू से कहा, 2 ूजा म से बारह पुRष, अयाOतगोऽ ् पीछे एक एक पुRष को चुनकर यह आWा दे , 3 क तुम यरदन के बीच म , जहां याजकHने पांव धरे थे वहां से बारह पयर उठाकर अपके साय पाल ले चलो, और जहां आज क रात पड़ाव होगा वह:ं उनको रख दे ना। 4 तब यहोशू ने उन बारह पुRषHको, 'ज(ह उस ने इॐाएिलयHके ूथेक गोऽ म से छांटकर ठहरा रखा या, 5 बुलवाकर कहा, तुम अपके परमे र यहोवा के स(दक ू के आगे यरदन के बीच म जाकर इॐाएिलयHके गोऽHक िगनती के अनुसार एक एक पयर उठाकर अपके अपके क(धे पर रखो, 6 'जस से यह तुम लोगHके बीच िच(हानी ठहरे , और आगे को जब तुSहारे बेटे यह पूछ , क इन पयरHका या मतलब है ? 7 तब तुम उ(ह उर दो, क यरदन का जल यहोवा क वाचा के स(दक ू के साSहने से दो भाग हो गया या; यHक जब वह यरदन पार आ रहा या, तब यरदन का जल दो भाग हो गया। सो वे पयर इॐाएल को सदा के िलथे ःमरण दलानेवाले ठहर गे। 8 यहोशू क इस आWा क अनुसार इॐएिलयHने कया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा या वैसा ह: उ(हHने इॐाएिलयHने कया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा या वैसा ह: उ(हHने इॐाएली गोऽHक िगनती के अनुसार बारह पयर यरदन के बीच म से उठा िलए; और उनको अपके साय ले जाकर पड़ाव म रख दया। 9 और यरदन के बीच जहां

याजक वाचा के स(दक ू को उठाए हुए अपके पांव धरे थे वहां यहोशू ने बारह पयर खड़े कराए; वे आज तक वह:ं पाए जाते हE । 10 और याजक स(दक ू उठाए हुए उस समय तक यरदन के बीच खड़े रहे जब तक वे सब बात पूर: न हो चुकं, 'ज(ह यहोवा ने यहोशू को लोगHसे कहने क आWा द: यी। तब सब लोग फुतh से पार उतर गए; 11 और जब सब लोग पार उतर चुके, तब याजक और यहोवा का स(दक ू भी उनके दे खते पार हुए। 12 और Rबेनी, गाद:, और मनँशे के आधे गोऽ के लोग मूसा के कहने के अनुसार इॐाएिलयHके आगे पांित बा(धे हुए पार गए; 13 अयाOत ् कोई चालीस हजार पुRष युa के हिययार बा(धे हुए संमाम करने के िलथे यहोवा के साSहने पार उतरकर यर:हो के पास के अराबा म पहंु चे। 14 उस दन यहोवा ने सब इॐाएिलयHके साSहने यहोशू क महमा बढ़ाई; और जैसे वे मूसा का भय मानते थे वैसे ह: यहोशू का भी भय उसके जीवन भर मानते रहे ।। 15 और यहोवा ने यहोशू से कहा, 16 क साझी का स(दक ू उठानेवाले याजकHको आWा दे क यरदन म से िनकल आएं। 17 तो यहोशू ने याजकHको आWा द:, क यरदन म से िनकल आओ। 18 और GयHह: यहोवा क वाचा का स(दक ू उठानेवाले याजक यरदन के बीच म से िनकल आए, और उनके पांव ःयल पर पके, यHह: यरदन का जल अपके ःयान पर आया, और पहले क नाL कड़ारो के ऊपर फर बहने लगा। 19 पहले महने के दसव दन को ूजा के लोगHने यरदन म से िनकलकर यर:हो के पूवh िसवाने पर िगलगाल म अपके डे रे डाले। 20 और जो बारह पयर यरदन म से िनकाले गए थे, उनको यहोशू ने िगलगाल म खड़े कए। 21 तब उस ने इॐाएिलयHसे कहा, आगे को जब तुSहारे लड़केबाले अपके अपके पता से यह पूछ , क इन पयरHका या मतलब है ? 22 तब तुम यह

कहकर उनको बताना, क इॐाएली यरदन के पार ःयल ह: ःयल चले आए थे। 23 यHक जैसे तुSहारे परमे र यहोवा ने लाल समुि को हमारे पार हो जाने तक हमारे साSहने से हटाकर सुखा रखा या, वैसे ह: उस ने यरदन का भी जल तुSहारे पार हो जाने तक तुSहारे साSहने से हटाकर सुखा रखा; 24 इसिलथे क पृवी के सब दे शHके लोग जान ल क यहोवा का हाथ बलव(त है ; और तुम सवOदा अपके परमे र यहोवा का भय मानते रहो।। यहोशू 5 1 जब यरदन के प'.छम क ओर रहनेवाले एमोgरयHके सब राजाओं ने, और समुि के पास रहनेवाले कनािनयHके सब राजाओं ने यह सुना, क यहोवा ने इॐाएिलयHके पार होने तक उनके साSहने से यरदन का जल हटाकर सुखा रखा है , तब इॐाएिलयHके डर के मारे उनका मन घबरा गया, और उनके जी म जी न रहा।। 2 उस समय यहोवा ने यहोशू से कहा, चकमक क छुgरयां बनवाकर दस ू र: बार इॐाएिलयHका खतना करा द । 3 तब यहोशू ने चकमक क छुgरयां बनवाकर खलडय़ां नाम ट:ले पर इॐाएिलयHका खतना कराया। 4 और यहोशू ने जो खतना कराया, इसका कारण यह है , क 'जतने युa के योbय पुRष िमॐ से िनकले थे वे सब िमॐ से िनकलने पर जंगल के मागO म मर गए थे। 5 जो पुRष िमॐ से िनकले थे उन सब का तो खतना हो चुका या, पर(तु 'जतने उनके िमॐ से िनकलने पर जंगल के मागO म उप(न हुए उन म से कसी का खतना न हुआ या। 6 यHक इॐाएली तो चालीस वषO तक जंगल म फरते रहे , जब तक उस सार: जाित के लोग, अयाOत ् 'जतने युa के योbय लोग िमॐ से िनकले थे वे नाश

न हो गए, यHक उ(हHने यहोवा क न मानी यी; सो यहोवा ने शपय खाकर उन से कहा या, क जो दे श मE ने तुSहारे पूवOजHसे शपय खाकर तुSह दे ने को कहा या, और उस म दध ू और मधु क धाराएं बहती हE , वह दे श मE तुम को नह:ं दखाने का। 7 तो उन लोगHके पुऽ 'जन को यहोवा ने उनके ःयान पर उप(न कया या, उनका खतना यहोशू से कराया, यHक मागO म उनके खतना न होने के कारण वे खतनारहत थे। 8 और जब उस सार: जाित के लोगHका खतना हो चुका, तब वे चंगे हो जाने तक अपके अपके ःयान पर छावनी म रहे । 9 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, तुSहार: नामधराई जो िमिॐयHम हुई है उसे मE ने आज दरू क है । इस कारण उस ःयान का नाम आज के दन तक िगलगाल पड़ा है ।। 10 सो इॐाएली िगलगाल म डे रे डाले हुए रहे , और उ(हHने यर:हो के पास के अराबा म पूणOमासी क स(~या के समय फसह माना। 11 और फसह के दस ू रे दन वे उस दे श क उपज म से अखमीर: रोट: और उसी दन से भुना हुआ दाना भी खाने लगे । 12 और 'जस दन वे उस दे श क उपज म से खाने लगे, उसी दन बहान को म(ना ब(द हो गया; और इॐाएिलयHको आगे फर कभी म(ना न िमला, पर(तु उस वषO उ(हHने कनान दे श क उपज म से खाई।। 13 जब यहोशू यर:हो के पास या तब उस ने अप क आंख उठाई, और या दे खा, क हाथ म नंगी तलवार िलथे हुए एक पुRष साSहने खड़ा है ; और यहोशू ने उसके पास जाकर पूछा, या तू हमार: ओर का है , वा हमारे बैgरयHक ओर का? 14 उस ने उर दया, क नह:ं; मE यहोवा क सेना का ूधान होकर अभी आया हंू । तब यहोशू ने पृवी पर मुह ं के बल िगरकर द+डवत ् कया, और उस से कहा, अपके दास के िलथे मेरे ूभु क या आWा है ? 15 यहोवा क सेना के ूधान ने यहोशू से कहा, अप क जूती पांव से

उतार डाल, यHक 'जस ःयान पर तू खड़ा है वह पवऽ है । तब यहोशू ने वैसा ह: कया।। यहोशू 6 1 और यर:हो के सब फाटक इॐाएिलयHके डर के मारे लगातार ब(द रहे , और कोई बाहर भीतर आने जाने नह:ं पाता या। 2 फर यहोवा ने यहोशू से कहा, सुन, मE यर:हो को उसके राजा और शूरवीरHसमेत ते रे वश म कर दे ता हूं। 3 सो तुम म

'जतने योaा हE नगर को घेर ल , और उस नगर के चारHओर एक बार घूम आएं। 4 और छ: दन तक ऐसा ह: कया करना। 5 और जब वे जुबली के नरिसंगे दे र तक फूंकते रह , तब सब लोग नरिसंगे का शcद सुनते ह: बड़: ~विन से जयजयकार कर ; तब नगर क शहरपनाह नेव से िगर जाएगी, और सब लोग अपके अपके साSहने चढ़ जाएं। 6 सो नून के पुऽ यहोशू ने याजकHको बुलवाकर कहा, वाचा के स(दक ू को उठा लो, और सात याजक यहोवा के स(दक ू के आगे आगे जुबली के सात नरिसंगे िलए चल । 7 फर उस ने लोगHसे कहा, आगे बढ़कर नगर के चारHऔर घूम आओ; और हिययारब(द पुRष यहोवा के स(दक ू के आगे आगे चल । 8 और जब यहोशू थे बात लोगHसे कह चुका, तो वे सात याजक जो यहोवा के साSहने सात नरिसंगे िलथे हुए थे नरिसंगे फूंकते हुए चले, और यहोवा क वाचा का स(दक ू उनके पीछे पीछे चला। 9 और हिययारब(द पुRष नरिसंगे फूंकनेवाले याजकHके आगे आगे चले, और पीछे वाले स(दक ू के पीछे पीछे चले, और याजक नरिसंगे फूंकते हुए चले। 10 और यहोशू ने लोगHको आWा द:, क जब तक मE तुSह जयजयकार करने क आWा न दं ,ू तब तक जयजयकार न करो,

और न तुSहारा कोई शcद सुनने म आए, न कोई बात तुSहारे मुह ं से िनकलने पाए; आWा पाते ह: जयजयकार करना। 11 उस ने यहोवा के स(दक ू को एक बार नगर के चारHओर घुमवाया; तब वे छावनी म आए, और रात वह:ं काट:।। 12 बहान को यहोशू सबेरे उठा, और याजकHने यहोवा का स(दक ू उठा िलया। 13 और उन सात याजकHने जुबली के सात नरिसंगे िलए और यहोवा के स(दक ू के आगे आगे फूंकते हुए चले; और उनके आगे हिययारब(द पुRष चले, और पीछे वाले यहोवा के स(दक ू के पीछे पीछे चले, और याजक नरिसंगे फूंकते चले गए। 14 इस ूकार वे दस ू रे दन भी एक बार नगर के चारHओर घूमकर छावनी म

लौट आए। और इसी ूकार उ(हHने छ: दन तक कया। 15 फर सातव दन वे भोर को बड़े तड़के उठकर उसी र:ित से नगर के चारHओर सात बार घूम आए; केवल उसी दन वे सात बार घूमे। 16 तब सातवीं बार जब याजक नरिसंगे फूंकते थे, तब यहोशू ने लोगHसे कहा, जयजयकार करो; यHक यहोवा ने यह नगर तुSह दे दया है । 17 और नगर और जो कुछ उस म है यहोवा के िलथे अपOण क वःतु ठहरे गी; केवल राहाब वेँया और 'जतने उसके घर म हHवे जीवत छोड़े जाएंगे, यHक उस ने हमारे भेजे हुए दत ू Hको िछपा रखा या। 18 और तुम अपOण क हुई वःतुओं से सावधानी से अपके आप को अलग रखो, ऐसा न हो क अपOण क वःतु ठहराकर पीछे उसी अपOण क वःतु म से कुछ ले लो, और इस ूकार इॐाएली छावनी को ॅ करके उसे क म डाल दो। 19 सब चांद:, सोना, और जो पाऽ पीतल और लोहे के हE , वे यहोवा के िलथे पवऽ हE , और उसी के भ+डार म

रखे जाएं। 20 तब लोगHने जयजयकार कया, और याजक नरिसंगे फूंकते रहे । और जब लोगHने नरिसंगे का शcद सुना तो फर बड़: ह: ~विन से उ(हHने

जयजयकार कया, तब शहरपनाह नवे से िगर प क, और लोग अपके अपके साSहने से उस नगर म चढ़ गए, और नगर को ले िलया। 21 और या पुRष, या \ी, या जवान, या बूढ़े, वरन बैल, भेड़-बकर:, गदहे , और 'जतने नगर म

थे, उन सभHको उ(हHने अपOण क वःतु जानकर तलवार से मार डाला। 22 तब यहोशू ने उन दोनHपुRषHसे जो उस दे श का भेद लेने गए थे कहा, अप क शपय के अनुसार उस वेँया के घर म जाकर उसको और जो उसके पास हHउ(ह भी िनकाल ले आओ। 23 तब वे दोनHजवान भेदए भीतर जाकर राहाब को, और उसके माता-पता, भाइयH, और सब को जो उसके यहां रहते थे, वरन उसके सब कुटु 'SबयHको िनकाल लाए, और इॐाएल क छावनी से बाहर बैठा दया। 24 तब उ(हHने नगर को, और जो कुछ उस म या, सब को आग लगाकर फूंक दया; केवल चांद:, सोना, और जो पाऽ पीतल और लोहे के थे, उनको उ(हHने यहोवा के भवन के भ+डार म रख दया। 25 और यहोशू ने राहाब वे ँया और उसके पता के घराने को, वरन उसके सब लोगHको जीवत छोड़ दया; और आज तक उसका वंश इॐाएिलयHके बीच म रहता है , यHक जो दत ू यहोशू ने यर:हो के भेद लेने को भेजे थे उनको उस ने िछपा रखा या। 26 फर उसी समय यहोशू ने इॐाएिलयHके सSमुख शपय रखी, और कहा, क जो मनुंय उठकर इस नगर यर:हो को फर से बनाए वह यहोवा क ओर से शापत हो। जब वह उसक नेव डालेगा तब तो उसका जे ठा पुऽ मरे गा, और जब वह उसके फाटक लगावाएगा तब उसका छोटा पुऽ मर जाएगा। 27 और यहोवा यहोशू के संग रहा; और यहोशू क कितर ् उस सारे दे श म फैल गई।। यहोशू 7

1 पर(तु इॐाएिलयHने अपOण क वःतु के वषय म व ासघात कया; अयाOत ् यहूदा के गोऽ का आकान, जो जेरहवंशी जcद: का पोता और कSमh का पुऽ या, उस ने अपOण क वःतुओं म से कुछ ले िलया; इस कारण यहोवा का कोप इॐाएिलयHपर भड़क उठा।। 2 और यहोशू ने यर:हो से ऐ नाम नगर के पास, जो बे तावेन से लगा हुआ बेतेल क पूवO क ओर है , कतने पुRषHको यह कहकर भेजा, क जाकर दे श का भेद ले आओ। और उन पुRषHने जाकर ऐ का भेद िलया। 3 और उ(हHने यहोशू के पास लौटकर कहा, सब लोग वहां न जाएं, कोई दो वा तीन हजार पुRष जाकर ऐ को जीत सकते हE ; सब लोगHको वहां जाने का क न दे , यHक वे लोग योड़े ह: हE । 4 इसिलथे कोई तीन हजार पुRष वहां गए; पर(तु ऐ के रहनेवालHके साSहने से भाग आए, 5 तब ऐ के रहनेवालHने उन म से कोई छीस पुRष मार डाले, और अपके फाटक से शबार:म तक उनका पीछा करके उतराई म उनको मारते गए। तब लोगHका मन पघलकर जल सा बन गया। 6 तब यहोशू ने अपके व\ फाड़े , और वह और इॐाएली वृa लोग यहोवा के स(दक ू के साSहने मुह ं के बल िगरकर पृवी पर सांफ तक पके रहे ; और उ(हHने अपके अपके िसर पर धूल डाली। 7 और यहोशू ने कहा, हाथ, ूभु यहोवा, तू अप क इस ूजा को यरदन पार यHले आया? या हम एमोgरयHके वश म करके न करने के िलथे ले आया है ? भला होता क हम संतोष करके यरदन के उस पार रह जाते। 8 हाथ, ूभु मE या कहूं, जब इॐाएिलयHने अपके शऽुओं को पीठ दखाई है ! 9 यHक कनानी वरन इस दे श के सब िनवासी यह सुनकर हम को घेर ल गे, और हमारा नाम पृवी पर से िमटा डाल गे; फर तू अपके बड़े नाम के िलथे या करे गा? 10 यहोवा ने यहोशू से कहा, उठ, खड़ा हो जा, तू यHइस भांित मुह ं के

बल पृवी पर पड़ा है ? 11 इॐाएिलयHने पाप कया है ; और जो वाचा मE ने उन से अपके साय ब(धाई यी उसको उ(हHने तोड़ दया है , उ(हHने अपOण क वःतुओं म

से ले िलया, वरन चोर: भी क, और छल करके उसको अपके सामान म रख िलया है । 12 इस कारण इॐाएली अपके शऽुओं के साSहने खड़े नह:ं रह सकते; वे अपके शऽुओं को पीठ दखाते हE , इसिलथे क वे आप अपOण क वःतु बन गए हE । और यद तुम अपके म~य म से अपOण क वःतु को सयानाश न कर डालोगे, तो मE आगे को तुSहारे संग नह:ं रहंू गा। 13 उठ, ूजा के लोगHको पवऽ कर, उन से कह; क बहान तक अपके अपके को पवऽ कर रखो; यHक इॐाएल का परमे र यहोवा यह कहता है , क हे इॐाएल, ते रे म~य म अपOण क वःतु है ; इसिलथे जब तक तू अपOण क वःतु को अपके म~य म से दरू न करे तब तक तू अपके शऽुओं के साSहने खड़ा न रह सकेगा। 14 इसिलथे बहान को तुम गोऽ गोऽ के अनुसार समीप खड़े कए जाओगे; और 'जस गोऽ को यहोवा पकड़े वह एक एक कुल करके पास आए; और 'जस कुल को यहोवा पकड़े सो घराना घराना करके पास आए; फर 'जस घराने को यहोवा पकड़े वह एक एक पुRष करके पास आए। 15 तब जो पुRष अपOण क वःतु रखे हुए पकड़ा जाएगा, वह और जो कुछ उसका हो सब आग म डालकर जला दया जाए; यHक उस ने यहोवा क वाचा को तोड़ा है , और इॐाएल म अनुिचत कमO कया है ।। 16 बहान को यहोशू सवेरे उठकर इॐाएिलयHको गोऽ गोऽ करके समीप िलवा ले गया, और यहूदा का गोऽ पकड़ा गया; 17 तब उस ने यहूदा के पgरवार को समीप कया, और जेरहवंिशयHका कुल पकड़ा गया; फर जेरहवंिशयHके घराने के एक एक पुRष को समीप लाया, और जcद: पकडा गया; 18 तब उस ने उसके घराने के एक एक पुRष को समीप खड़ा

कया, और यहूदा गोऽ का आकान, जो जे रहवंशी जcद: का पोता और कSमh का पुऽ या, पकड़ा गया। 19 तब यहोशू आकान से कहने लगा, हे मेरे बेटे, इॐाएल के परमे र यहोवा का आदर कर, और उसके आगे अंगीकार कर; और जो कुछ तू ने कया है वह मुझ को बता दे , और मुझ से कुछ मत िछपा। 20 और आकान ने यहोशू को उर दया, क सचमुच मE ने इॐाएल के परमे र यहोवा के वRa पाप कया है , और इस ूकार मE ने कया है , 21 क जब मुझे लूट म िशनार दे श का एक सु(दर ओढ़ना, और दो सौ शेकेल चांद:, और पचास शेकेल सोने क एक ईट दे ख प क, तब मE ने उनका लालच करके उ(ह रख िलया; वे मेरे डे रे के भीतर भूिम म गड़े हE , और सब के नीचे चांद: है । 22 तब यहोशू ने दत ू भेजे, और वे उस डे रे म दौड़े गए; और या दे खा, क वे वःतुएं उसके डे रे म गड़: हE , और सब के नीचे चांद: है । 23 उनको उ(हHने डे रे म से िनकालकर यहोशू और सब इॐाएिलयHके पास लाकर यहोवा के साSहने रख दया। 24 तब सब इॐाएिलयHसमेत यहोशू जेरहवंशी आकान को, और उस चांद: और ओढ़ने और सोने क Lट को, और उसके बेटे-बेटयHको, और उसके बैलH, गदहHऔर भेड़-बकgरयHको, और उसके डे रे को, िनदान जो कुछ उसका या उन सब को आकोर नाम तराई म ले गया। 25 तब यहोशू ने उस से कहा, तू ने हम यHक दया है ? आज के दन यहोवा तुझी को क दे गा। तब सब इॐाएिलयHने उसको पयरवाह कया; और उनको आग म डालकर जलाया, और उनके ऊपर पयर डाल दए। 26 और उ(हHने उसके ऊपर पयरHका बड़ा ढे र लगा दया जो आज तक बना है ; तब यहोवा का भड़का हुआ कोप शा(त हो गया। इस कारण उस ःयान का नाम आज तक आकोर तराई पड़ा है ।।

यहोशू 8 1 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, मत डर, और तेरा मन क.चा न हो; कमर बा(धकर सब योaाओं को साय ले, और ऐ पर चढ़ाई कर; सुन, मE ने ऐ के राजा को उसक ूजा और उसके नगर और दे श समेत तेरे वश म कया है । 2 और जैसा तू ने यर:हो और उसके राजा से कया वैसा ह: ऐ और उसके राजा के साय भी करना; केवल तुम पशुओं समेत उसक लूट तो अपके िलथे ले सकोगे ; इसिलथे उस नगर के पीछे क ओर अपके पुRष घात म लगा दो। 3 सो यहोशू ने सब योaाओं समेत ऐ पर चढ़ाई करने क तैयार: क; और यहोशू ने तीस हजार पुRषHको जो शूरवीर थे चुनकर रात ह: को आWा दे कर भेजा। 4 और उनको यह आWा द:, क सुनो, तुम उस नगर के पीछे क ओर घात लगाए बैठे रहना; नगर से बहुत दरू न जाना, और सब के सब तैयार रहना; 5 और मE अपके सब सािययHसमेत उस नगर के िनकट जाऊंगा। और जब वे पहले क नाL हमारा साSहना करने को िनकल , तब हम उनके आगे से भाग गे; 6 तब वे यह सोचकर, क वे पहले क भांित हमारे साSहने से भागे जाते हE , हमारा पीछा कर गे; इस ूकार हम उनके साSहने से भागकर उ(ह नगर से दरू िनकाल ले जाएंगे; 7 तब तुम घात म से उठकर नगर को अपना कर लेना; यHक तुSहारा परमे र यहोवा उसको तुSहारे हाथ म कर दे गा। 8 और जब नगर को ले लो, तब उस म आग लगाकर फूंक दे ना, यहोवा क आWा के अनुसार ह: काम करना; सुनो, मE ने तुSह

आWा द: है । 9 तब यहोशू ने उनको भेज दया; और वे घात म बैठने को चले गए, और बेतेल और ऐ के म~य म और ऐ क प'_म क ओर बैठे रहे ; पर(तु यहोशू उस रात को लोगHके बीच टका रहा।। 10 बहान को यहोशू सवेरे उठा, ओर

लोगHक िगनती लेकर इॐाएली वृa लोगHसमेत लोगHके आगे आगे ऐ क ओर चला। 11 और उसके संग के सब योaा चढ़ गए, और ऐ नगर के िनकट पहुंचकर उसके साSहने उर क ओर डे रे डाल दए, और उनके और ऐ के बीच एक तराई यी। 12 तब उस ने कोई पांच हजार पुRष चुनकर बेतेल और ऐ के म~यःत नगर क प'_म क ओर उनको घात म बैठा दया। 13 और जब लोगHने नगर क उर ओर क सार: सेना को और उसक प'_म ओर घात म बैठे हुओं को भी ठकाने पर कर दया, तब यहोशू उसी रात तराई के बीच गया। 14 जब ऐ के राजा ने यह दे खा, तब वे फुतh करके सवे रे उठे , और राजा अप क सार: ूजा को लेकर इॐाएिलयHके साSहने उन से लड़ने को िनकलकर ठहराए हुए ःयान पर जो अराबा के साSहने है पहुंचा; और वह नह:ं जानता या क नगर क पछली और लोग घात लगाए बैठे हE । 15 तब यहोशू और सब इॐाएली उन से मानो हार मानकर जंगल का मागO लेकर भाग िनकले। 16 तब नगर के सब लोग इॐाएिलयHका पीछा करने को पुकार पुकार के बुलाए गए; और वे यहोशू का पीछा करते हुए नगर से दरू िनकल गए। 17 और न ऐ म और ने बेतेल म कोई पुRष रह गया, जो इॐाएिलयHका पीछा करने को न गया हो; और उ(हHने नगर को खुला हुआ छोड़कर इॐाएिलयHका पीछा कया। 18 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, अपके हाथ का बछाO ऐ क ओर बढ़ा; यHक मE उसे तेरे हाथ म दे दं ग ू ा। और यहोशू ने अपके हाथ के बछ को नगर क ओर बढ़ाया। 19 उसके हाथ बढ़ाते ह: जो लोग घात म बैठे थे वे फटपट अपके ःयान से उठे , और दौड़कर नगर म ूवेश कया और उसको ले िलया; और फटपट उस म आग लगा द:। 20 जब ऐ के पुRषHने पीछे क ओर फरकर l क, तो या दे खा, क नगर का धूआं आकाश क ओर

उठ रहा है ; और उन म न तो इधर भागने क शf रह:, और न उधर, और जो लोग जंगल क ओर भागे जाते थे वे फरकर अपके खदे ड़नेवालHपर टू ट पके। 21 जब यहोशू और सब इॐाएिलयHने दे खा क घाितयHने नगर को ले िलया, और उसका धूआ ं उठ रहा है , तब घूमकर ऐ के पुRषHको मारने लगे । 22 और उनका साSहना करने को दस ू रे भी नगर से िनकल आए; सो वे इॐाएिलयHके बीच म पड़ गए, कुछ इॐाएली तो उनके आगे, और कुछ उनके पीछे थे; सो उ(हHने उनको यहां तक मार डाला क उन म से न तो कोई बचने और न भागने पाया। 23 और ऐ के राजा को वे जीवत पकड़कर यहोशू के पास ले आए। 24 और जब इॐाएली ऐ के सब िनवािस कH मैदान म , अयाOत ् उस जंगल म जहां उ(हHने उनका पीछा कया या घात कर चुके, और वे सब के सब तलवार से मारे गए यहां तक क उनका अ(त ह: हो गया, तब सब इॐाएिलयHने ऐ को लौटकर उसे भी तलवार से मारा। 25 और \ी पुRष, सब िमलाकर जो उस दन मारे गए वे बारह हजार थे, और ऐ के सब पुRष इतने ह: थे। 26 यHक जब तक यहोशू ने ऐ के सब िनवािस कH सयानाश न कर डाला तब तब उस ने अपना हाथ, 'जस से बछाO बढ़ाया या, फर न खींचा। 27 यहोवा क उस आWा के अनुसार जो उस ने यहोशू को द: यी इॐाएिलयHने पशु आद नगर क लूट अप क कर ली। 28 तब यहोशू ने ऐ को फूंकवा दया, और उसे सदा के िलथे खंडहर कर दया : वह आज तक उजाड़ पड़ा है । 29 और ऐ के राजा को उस ने सांफ तक वृझ पर लटका रखा; और सूयO डू बते डू बते यहोशू क आWा से उसक लोय वृष पर से उतारकर नगर के फाटक के साSहने डाल द: गई, और उस पर पयरHका बढ़ा ढे र लगा दया, जो आज तक बना है ।। 30 तब यहोशू ने इॐाएल के परमे र यहोवा के िलथे एबाल

पवOत पर एक वेद: बनवाई, 31 जैसा यहोवा के दास मूसा ने इॐाएिलयHको आWा द: यी, और जैसा मूसा क eयवःया क पुःतक म िलखा है , उस ने समूचे पयरHक एक वेद: बनवाई 'जस पर औजार नह:ं चलाया गया या। और उस पर उ(हHने यहोवा के िलथे होम-बिल चढ़ाए, और मेलबिल कए। 32 उसी ःयान पर यहोशू ने इॐाएिलयHके साSहने उन पयरHके ऊपर मूसा क eयवःया, जो उस ने िलखी यी, उसक नकल कराई। 33 और वे, या दे शी या परदे शी, सारे इॐाएली अपके वृa लोगH, सरदारH, और (यािययHसमेत यहोवा क वाचा का स(दक ू उठानेवाले लेवीय याजकHके साSहने उस स(दक ू के इधर उधर खड़े हुए, अयाOत ् आधे लोग तो िगgरGजीम पवOत के, और आधे एबाल पवOत के साSहने खड़े हुए, जैसा क यहोवा के दास मूसा ने पहले आWा द: यी, क इॐाएली ूजा को आशhवाद दए जाएं। 34 उसके बाद उस ने आशीष और शाप क eयवःया के सारे वचन, जैसे जैसे eयवःया क पुःतक म िलखे हुए हE , वैसे वैसे पढ़ पढ़कर सुना दए। 35 'जतनी बातHक मूसा ने आWा द: यी, उन म से कोई ऐसी बात नह:ं रह गई जो यहोशू ने इॐाएली क सार: सभा, और '\यH, और बाल-ब.चH, और उनके साय रहनेवाले परदे शी लोगHके साSहने भी पढ़कर न सुनाई।। यहोशू 9 1 यह सुनकर ही, एमोर:, कनानी, पgरGजी, हeवी, और यबूसी, 'जतने राजा यरदन के इस पार पहाड़: दे श म और नीचे के दे श म , और लबानोन के साSहने के महानगर के तट पर रहते थे, 2 वे एक मन होकर यहोशू और इॐाएिलयHसे लड़ने को इक=ठे हुए।। 3 जब िगबोन के िनवािसयHने सुना क यहोशू ने यर:हो और ऐ

से या या कया है , 4 तब उ(हHने छल कया, और राजदत ू Hका भेष बनाकर अपके गदहHपर पुराने बोरे , और पुराने फटे , और जोड़े हुए मदरा के कु€पे लादकर 5 अपके पांवHम पुरानी गांठq हुई जूितयां, और तन पर पुराने व\ पहने, और अपके भोजन के िलथे सूखी और फफूंद: लगी हुई रोट: ले ली। 6 तब वे िगलगाल क छावनी म यहोशू के पास जाकर उस से और इॐाएली पुRषHसे कहने लगे, हम दरू दे श स आए हE ; इसिलथे अब तुम हम से वाचा बा(धो। 7 इॐाएली पुRषHने उन ह'eवयHसे कहा, या जाने तुम हमारे म~य म ह: रहते हो; फर हम तुम से वाचा कैसे बा(धे? 8 उ(हHने यहोशू से कहा, हम ते रे दास हE । तब यहोशू ने उन से कहा, तुम कौन हो? और कहां से आए हो? 9 उ(हHने उस से कहा, तेरे दास बहुत दरू के दे श से तेरे परमे र यहोवा का नाम सुनकर आए हE ; यHक हम ने यह सब सुना है , अयाOत ् उसक कितर ् और जो कुछ उस ने िमॐ म कया, 10 और जो कुछ उस ने एमोgरयHके दोनHराजाओं से कया जो यरदन के उस पार रहते थे, अयाOत ् हे ँबोन के राजा सीहोन से, और बाशान के राजा ओग से जो अँतारोत म या। 11 इसिलथे हमारे यहां के वृaलोगHने और हमारे दे श के सब िनवािसयHने हम से कहा, क मागO के िलथे अपके साय भोजनवःतु लेकर उन से िमलने को जाओ, और उन से कहना, क हम तुSहारे दास हE ; इसिलथे अब तुम हम से वाचा बा(धो। 12 'जस दन हम तुSहारे पास चलने को िनकले उस दन तो हम ने अपके अपके घर से यह रोट: गरम और ताजी ली यी; पर(तु अब दे खो, यह सूख गई है और इस म फफूंद: लग गई है । 13 फर थे जो मदरा के कु€पे हम ने भर िलथे थे, तब तो नथे थे, पर(तु दे खो अब थे फट गए हE ; और हमारे थे व\ और जूितयां बड़: लSबी याऽा के कारण पुरानी हो गई हE । 14 तब उन पुRषHने यहोवा से बना

सलाह िलथे उनके भोजन म से कुछ महण कया। 15 तब यहोशू ने उन से मेल करके उन से यह वाचा बा(धी, क तुम को जीवत छोड़ गे; और म+डली के ूधानHने उन से शपय खाई। 16 और उनके साय वाचा बा(धने के तीन दन के बाद उनको यह समाचार िमला; क वे हमारे पड़ोस के रहनेवाले लोग हE , और हमारे ह: म~य म बसे हE । 17 तब इॐाएली कूच करके तीसरे दन उनके नगरHको 'जनके नाम िगबोन, कपीरा, बेरोत, और कयOयार:म है पहुंच गए, 18 और इॐाएिलयHने उनको न मारा, यHक म+डली के ूधानHने उनके संग इॐाएल के परमे र यहोवा क शपय खाई यी। तब सार: म+डली के लोग ूधानHके वRa कुड़कुड़ाने लगे। 19 तब सब ूधानHने सार: म+डली से कहा, हम ने उन से इॐाएल के परमे र यहोवा क शपय खाई है , इसिलथे अब उनको छू नह:ं सकते। 20 हम उन से यह: कर गे, क उस शपय के अनुसार हम उनको जीवत छोड़ द गे, नह:ं तो हमार: खाई हुई शपय के कारण हम पर बोध पकेगां 21 फर ूधानHने उन से कहा, वे जीवत छोड़े जाएं। सो ूधानHके इस वचन के अनुसार वे सार: म+डली के िलथे लकड़हारे और पानी भरनेवाले बने। 22 फर यहोशू ने उनको बुलवाकर कहा, तुम तो हमारे ह: बीच म रहते हो, फर तुम ने हम से यह कहकर यHछल कया है , क हम तुम से बहुत दरू रहते हE ? 23 इसिलथे अब तुम शापत हो, और तुम म से ऐसा कोई न रहे गा जो दास, अयाOत ् मेरे परमे र के भवन के िलथे लकड़हारा और पानी भरनेवाला न हो। 24 उ(हHने यहोशू को उर दया, तेरे दासHको यह िन_य बतलाया गया या, क तेरे परमे र यहोवा ने अपके दास मूसा को आWा द: यी क तुम को वह सारा दे श दे , और उसके सारे िनवािस कH तुSहारे साSहने से सवOनाश करे ; इसिलथे हम लोगHको तुSहारे कारण से अपके

ूाणHके लाले पड़ गए, इसिलथे हम ने ऐसा काम कया । 25 और अब हम तेरे वश म हE , जैसा बताOव तुझे भला लगे और ठqक जान पके, वैसा ह: eयवहार हमारे साय कर। 26 तब उस ने उन से वैसा ह: कया, और उ(ह इॐाएिलयHके हाथ से ऐसा बचाया, क वे उ(ह घात करने न पाए। 27 पर(तु यहोशू ने उसी दन उनको म+डली के िलथे, और जो ःयान यहोवा चुन ले उसम उसक वेद: के िलथे, लकड़हारे और पानी भरनेवाले िनयुf कर दया, जैसा आज तक है ।। यहोशू 10 1 जब यRशलेम के राजा अदोनीसेदेक ने सुना क यहोशू ने ऐ को ले िलया, और उसको सयानाश कर डाला है , और जैसा उस ने यर:हो और उसके राजा से कया है , और यह भी सुना क िगबोन के िनवािसयHने इॐाएिलयHसे मेल कया, और उनके बीच रहने लगे हE , 2 तब वे िनपट डर गए, यHक िगबोन बड़ा नगर वरन राजनगर के तु`य और ऐ से बड़ा या, और उसके सब िनवासी शूरवीर थे। 3 इसिलथे यRशलेम के राजा अदोनीसेदेक ने हे ॄोन के राजा होहाम, यमूत O के राजा पराम, लाकश के राजा यापी, और एbलोन के राजा दबीर के पास यह कहला भेजा, 4 क मेरे पास आकर मेर: सहाथता करो, और चलो हम िगबोन को मार ; यHक उस ने यहोशू और इॐाएिलयHसे मेल कर िलया है । 5 इसिलथे यRशलेम, हे ॄोन, यमूत O , लाकश, और एbलोन के पांचHएमोर: राजाओं ने अप क अप क सार: सेना इक=ठq करके चढ़ाई कर द:, और िगबोन के साSहने डे रे डालकर उस से युa छे ड़ दया। 6 तक िगबोन के िनवािसयHने िगलगाल क छावनी म यहोशू के पास यHकहला भेजा, क अपके दासHक ओर से तू अपना हाथ न हटाना; शीय

हमारे पास आकर हम बचा ले, और हमार: सहाथता कर; यHक पहाड़ पर रहनेवाले एमोgरयHके सब राजा हमारे वRa इक=ठे हए हE । 7 तब यहोशू सारे योaाओं और सब शूरवीरHको संग लेकर िगलगाल से चल पड़ा। 8 और यहोवा ने यहोशू से कहा, उन से मत डर, यHक मE ने उनको ते रे हाथ म कर दया है ; उन म से एक पुRष भी तेरे साSहने टक न सकेगा। 9 तब यहोशू रातोरात िगलगाल से जाकर एकाएक उन पर टू ट पड़ा। 10 तब यहोवा ने ऐसा कया क वे इॐाएिलयHसे घबरा गए, और इॐाएिलयHने िगबोन के पास उनका बड़ा संहार कया, और बेयोरान के चढ़ाव पर उनका पीछा करके अजेका और म केदा तक उनको मारते गए। 11 फर जब वे इॐाएिलयHके साSहने से भागकर बेयोरोन क उतराई पर आए, तब अजेका पहुंचने तक यहोवा ने आकाश से बड़े बड़े पयर उन पर बरसाए, और वे मर गए; जो ओलHसे मारे गए उनक िगनती इॐाएिलयHक तलवार से मारे हुओं से अिधक यी।। 12 और उस समय, अयाOत ् 'जस दन यहोवा ने एमोgरयHको इॐाएिलयHके वश म कर दया, उस दन यहोशू ने यहोवा से इॐाएिलयHके दे खते इस ूकार कहा, हे सूय,O तू िगबोन पर, और हे च(िमा, तू अयालोन क तराई के ऊपर यमा रह।। 13 और सूयO उस समय तक यमा रहा; और च(िमा उस समय तक ठहरा रहा, जब तक उस जाित के लोगHने अपके शऽुओं से पलटा न िलया।। या यह बात याशार नाम पुःतक म नह:ं िलखी है क सूयO आकाशम+डल के बीचोबीच ठहरा रहा, और लगभग चार पहर तक न डू बा? 14 न तो उस से पहले कोई ऐसा दन हुआ और न उसके बाद, 'जस म यहोवा ने कसी पुRष क सुनी हो; यHक यहोवा तो इॐाएल क ओर से लड़ता या।। 15 तब यहोशू सारे इॐाएिलयHसमेत िगलगाल क छावनी को लौट गया।। 16 और वे

पांचHराजा भागकर म केदा के पास क गुफा म जा िछपे। 17 तब यहोशू को यह समाचार िमला, क पांचHराजा म केदा के पास क गुफा म िछपे हुए हम िमले हE । 18 यहोशू ने कहा, गुफा के मुह ं पर बड़े बड़े पयर लुढ़काकर उनक दे ख भाल के िलथे मनुंयHको उसके पास बैठा दो; 19 पर(तु तुम मत ठहरो, अपके शऽुओं का पीछा करके उन म से जो जो पछड़ गए हE उनको मार डालो, उ(ह अपके अपके नगर म ूवे श करने का अवसर न दो; योक तुSहारे परमे र यहोवा ने उनको तुSहारे हाथ म कर दया है । 20 जब यहोशू और इॐाएली उनका संहार करके नाश कर चुके, और उन म से जो बच गए वे अपके अपके गढ़वाले नगर म घुस गए, 21 तब सब लोग म केदा क छावनी को यहोशू के पास कुशल-झेम से लौट आए; और इॐाएिलयHके वRa कसी ने जीभ तक न हलाई। 22 तब यहोशू ने आWा द:, क गुफा का मुह ं खोलकर उन पांचHराजाओं को मेरे पास िनकाल ले आओ। 23 उ(हHने ऐसा ह: कया, और यRशलेम, हे ॄोन, यमूत O , लाकश, और एbलोन के उन पांचHराजओं को गुफा म से उसके पास िनकाल ले आए। 24 जब वे उन राजाओं को यहोशू के पास िनकाल ले आए, तब यहोशू ने इॐाएल के सब पुRषHको बुलाकर अपके साय चलनेवाले योaाओं के ूधानHसे कहा, िनकट आकर अपके अपके पांव इन राजाओं क गदO नHपर रखो। और उ(हHने िनकट जाकर अपके अपके पांव उनक गदO नHपर रखे। 25 तब यहोशू ने उन से कहा, डरो मत, और न तुSहारा मन क.चा हो; हयाव बा(धकर lढ़ हो; यHक यहोवा तुSहारे सब शऽुओं से 'जन से तुम लड़नेवाले हो ऐसा ह: करे गा। 26 इस के बाद यहोशू ने उनको मरवा डाला, और पांच वृझHपर लटका दया। और वे सांफ तक उन वृझHपर लटके रहे । 27 सूयO डू बते डू बते यहोशू से आWा पाकर लोगHने उ(ह उन

वृझHपर से उतारके उसी गुफा म जहां वे िछप गए थे डाल दया, और उस गुफा के मुह ं पर बड़े बड़े पयर धर दए, वे आज तक वह:ं धरे हुए हE ।। 28 उसी दन यहोशू ने म केदा को ले िलया, और उसको तलवार से मारा, और उसके राजा को सयानाश कया; और 'जतने ूाणी उस म थे उन सभHम से कसी को जीवत न छोड़ा; और जैसा उस ने यर:हो के राजा के साय कया या वैसा ह: म केदा के राजा से भी कया।। 29 तब यहोशू सब इॐाएिलयHसमेत म केदा से चलकर िलcना को गया, और िलcना से लड़ा। 30 और यहोवा ने उस को भी राजा समेत इॐाएिलयHके हाथ मे कर दया; और यहोशू ने उसको और उस म के सब ूा'णयHको तलवार से मारा; और उस म से कसी को भी जीवत न छोड़ा; और उसके राजा से वैसा ह: कया जैसा उस ने यर:हो के राजा के साय कया या।। 31 फर यहोशू सब इॐाएिलयHसमेत िलcना से चलकर लाकश को गया, और उसके वRa छावनी डालकर लड़ा; 32 और यहोवा ने लाकश को इॐाएल के हाथ म कर दया, और दस ू रे दन उस ने उसको जीत िलया; और जैसा उस ने िलcना के सब ूा'णयHको तलवार से मारा या वैसा ह: उस ने लाकश से भी कया। 33 तब गेजेर का राजा होराम लाकश क सहाथता करने को चढ़ आया; और यहोशू ने ूजा समेत उसको भी ऐसा मारा क उसके िलथे कसी को जीवत न छोड़ा।। 34 फर यहोशू ने सब इॐाएिलयHसमेत लाकश से चलकर एbलोन को गया; और उसके वRa छावनी डालकर युa करने लगा; 35 और उसी दन उ(हHने उसको ले िलया, और उसको तलवार से मारा; और उसी दन जैसा उस ने लाकश के सब ूा'णयHको सयानाश कर डाला या वैसा ह: उस ने एbलोन से भी कया।। 36 फर यहोशू सब इॐाएिलयHसमेत एbलोन से चलकर हे ॄोन को गया, और उस से लड़ने

लगा; 37 और उ(हHने उसे ले िलया, और उसको और उसके राजा और सब गावHको और उन म के सब ूा'णयHको तलवार से मारा; जैसा यहोशू ने एbलोन से कया या वैसा ह: उस ने हे ॄोन म भी कसी को जीवत न छोड़ा; उस ने उसको और उस म के सब ूा'णयHको सयानाश कर डाला।। 38 तब यहोशू सब इॐाएिलयHसमेत घूमकर दबीर को गया, और उस से लड़ने लगा; 39 और राजा समेत उसे और उसके सब गांवHको ले िलया; और उ(हHने उनको तलवार से घात कया, और 'जतने ूाणी उन म थे सब को सयानाश कर डाला; कसी को जीवत न छोड़ा, जैसा यहोशू ने हे ॄोन और िलcना और उसके राजा से कया या वैसा ह: उस ने दबीर और उसके राजा से भी कया।। 40 इसी ूकार यहोशू ने उस सारे दे श को, अयाOतपहाड़: ् दे श, द' खन दे श, नीचे के दे श, और ढालू दे श को, उनके सब राजाओं समेत मारा; और इॐाएल के परमे र यहोवा क आWा के अनुसार कसी को जीवत न छोड़ा, वरन 'जतने ूाणी थे सभHको सयानाश कर डाला। 41 और यहोशू ने कादे शबन से ले अGजा तक, और िगबोन तक के सारे गोशेन दे श के लोगHको मारा। 42 इन सब राजाओं को उनके दे शHसमेत यहोशू ने एक ह: समय म ले िलया, यHक इॐाएल का परमे र यहोवा इॐाएिलयHक ओर से लड़ता या। 43 तब यहोशू सब इॐाएिलयHसमेत िगलगाल क छावनी म

लौट आया।। यहोशू 11 1 यह सुनकर हासोर के राजा याबीन ने मादोन के राजा योबाब, और िशॆोन और अझाप के राजाओं को, 2 और जो जो राजा उर क ओर पहाड़: दे श म , और

क(नेरेत क द' खन के अराबा म , और नीचे के दे श म , और प'.छम क ओर दोर के ऊंचे दे श म रहते थे, उनको, 3 और पूरब प'.छम दोनHओर के रहनेवाले कनािनयH, और एमोgरयH, हयH, पgर'GजयH, और पहाड़: यबूिसयH, और िमःपा दे श म हे मzन पहाड़ के नीचे रहनेवाले ह'eवयHको बुलवा भेजा। 4 और वे अप क अप क सेना समेत, जो समुि के कनारे बालू के कनकHके समान बहुत यीं, िमलकर िनकल आए, और उनके साय बहुत ह: घोड़े और रय भी थे। 5 तब थे सब राजा सSमित करके इक=ठे हुए, और इॐाएिलयHसे लड़ने को मेरोम नाम ताल के पास आकर एक संग छावनी डाली। 6 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, उन से मत डर, यHक कल इसी समय मE उन सभHको इॐाएिलयHके वश करके मरवा डालूग ं ा; तब तू उनके घोड़Hके सुम क नस कटवाना, और उनके रय भःम कर दे ना। 7 और यहोशू सब योaाओं समेत मेरोम नाम ताल के पास अचानक पहंु चकर उन पर टू ट पड़ा। 8 और यहोवा ने उनको इॐाएिलयHके हाथ म कर दया, इसिलथे उ(हHने उ(ह मार िलया, और बड़े नगर सीदोन और िमॐपोतमैत तक, और पूवO क ओर िमःपे के मैदान तक उनका पीछा कया; और उनको मारा, और उन म से कसी को जीवत न छोड़ा। 9 तब यहोशू ने यहोवा क आWा के अनुसार उन से कया, अयाOत ् उनके घोड़Hके सुम क नस कटवाई, और उनके रय आग म जलाकर भःम कर दए।। 10 उस समय यहोशू ने घूमकर हासोर को जो पहले उन सब राGयHम मु‡य नगर या ले िलया, और उसके राजा को तलवार से मार डाला। 11 और 'जतने ूाणी उस म थे उन सभHको उ(हHने तलवार से मारकर सयानाश कया; और कसी ूाणी को जीवत न छोड़ा, और हासोर को यहोशू ने आग लगाकर फुंकवा दया। 12 और उन सब नगरHको उनके सब

राजाओं समेत यहोशू ने ले िलया, और यहोवा के दास मूसा क आWा के अनुसार उनको तलवार से घात करके सयानाश कया। 13 पर(तु हासोर को छोड़कर, 'जसे यहोशू ने फुंकवा दया, इॐाएल ने और कसी नगर को जो अपके ट:ले पर बसा या नह:ं जलायां 14 और इन नगरHके पशु और इनक सार: लूट को इॐाएिलयHने अपना कर िलया; पर(तु मनुंयHको उ(हHने तलवार से मार डाला, यहां तक उनको सयानाश कर डाला क एक भी ूाणी को जीवत नह:ं छोड़ा गया। 15 जो आWा यहोवा ने अपके दास मूसा को द: यी उसी के अनुसार मूसा ने यहोशू को आWा द: यी, और ठqक वैसा ह: यहोशू ने कया भी; जो जो आWा यहोवा ने मूसा को द: यी उन म से यहोशू ने कोई भी पूर: कए बना न छोड़:।। 16 तब यहोशू ने उस सारे दे श को, अयाOत ् पहाड़: दे श, और सारे द' खनी दे श, और कुल गोशेन दे श, और नीचे के दे श, अराबा, और इॐाएल के पहाड़: दे श, और उसके नीचे वाले दे श को, 17 हालाक नाम पहाड़ से ले, जो सेईर क चढ़ाई पर है , बालगाद तक, जो लबानोन के मैदान म हे मzन पवOत के नीचे है , 'जतने दे श हE उन सब को जीत िलया और उन दे शHके सारे राजाओं को पकड़कर मार डाला। 18 उन सब राजाओं से युa करते करते यहोशू को बहुत दन लग गए। 19 िगबोन के िनवासी ह'eवयHको छोड़ और कसी नगर के लोगHने इॐाएिलयHसे मेल न कया; और सब नगरHको उ(हHने लड़ लड़कर जीत िलया। 20 यHक यहोवा क जो मनसा यी, क अप क उस आWा के अनुसार जो उस ने मूसा को द: यी उन पर कुछ भी दया न करे ; वरन सयानाश कर डाले, इस कारण उस ने उनके मन ऐसे कठोर कर दए, क उ(हHने इॐाएिलयHका साSहना करके उन से युa कया।। 21 उस समय यहोशू ने पहाड़: दे श म आकर हे ॄोन, दबीर, अनाब, वरन यहूदा और

इॐाएल दोनHके सारे पहाड़: दे श म रहनेवाले अनाकयHको नाश कया; यहोशू ने नगरHसमेत उ(ह सयानाश कर डाला। 22 इॐाएिलयHके दे श म कोई अनाक न रह गया; केवल अGजा, गत, और अशदोद म कोई कोई रह गए। 23 जैसा यहोवा ने मूसा से कहा या, वैसा ह: यहोशू ने वह सारा दे श ले िलया; और उसे इॐाएल के गोऽHऔर कुलHके अनुसार बांट करके उ(ह दे दया। और दे श को लड़ाई से शा'(त िमली।। यहोशू 12 1 यरदन पार सूयzदय क ओर, अयाOत ् अनzन नाले से लेकर हे मzन पवOत तक के दे श, और सारे पूवh अराबा के 'जन राजाओं को इॐाएिलयHने मारकर उनके दे श को अपके अिध कारने म कर िलया या थे हE ; 2 एमोgरयHका हे शबोनवासी राजा सीहोन, जो अनzन नाले के कनारे के अरोएर से लेकर, और उसी नाले के बीच के नगर को छोड़कर यcबोक नद: तक, जो अSमोिनयHका िसवाना है , आधे िगलाद पर, 3 और क(नेरेत नाम ताल से लेकर बेयशीमोत से होकर अराबा के ताल तक, जो खारा ताल भी कहलाता है , पूवO क ओर के अराबा, और द' खन क ओर पसगा क सलामी के नीचे नीचे के दे श पर ूभुता रखता या। 4 फर बचे हुए रपाइयHम से बाशान के राजा ओग का दे श या, जो अशतारोत और ऐंदर◌ ् ्रई म

रहा करता या, 5 और हे मzन पवOत सलका, और गशूgरयH, और माकयHके िसवाने तक कुल बाशान म , और हे शबोन के राजा सीहोन के िसवाने तक आधे िगलाद म

भी ूभुता करता या। 6 इॐाएिलयHऔर यहोवा के दास मूसा ने इनको मार िलया; और यहोवा के दास मूसा ने उनका दे श RबेिनयHऔर गादयHऔर मनँशे के आधे

गोऽ के लोगHको दे दया।। 7 और यरदन के प'_म क ओर, लबानोन के मैदान म के बालगात से लेकर सेईर क चढ़ाई के हालाक पहाड़ तक के दे श के 'जन राजाओं को यहोशू और इॐाएिलयHने मारकर उनका दे श इॐाएिलयHके गोऽHऔर कुलHके अनुसार भाग करके दे दया या वे थे हE , 8 ही, और एमोर:, और कनानी, और पgरGजी, और हeवी, और यबूसी, जो पहाड़: दे श म , और नीचे के दे श म , और अराबा म , और ढालू दे श म और जंगल म , और द' खनी दे श म रहते थे। 9 एक, यर:हो का राजा; एक, बेतेल के पास के ऐ का राजा; 10 एक, यRशलेम का राजा; एक, हे ॄोन का राजा; 11 एक, यमूत O का राजा; एक, लाकश का राजा; 12 एक, एbलोन का राजा; एक, गेजेर का राजा; 13 एक, दबीर का राजा; एक, गेदेर का राजा; 14 एक, होमाO का राजा; एक, अराद का राजा; 15 एक, िलcना का राजा; एक, अद` ु लाम का राजा; 16 एक, म केदा का राजा; एक, बेतेल का राजा; 17 एक, त€पूह का राजा; एक, हे पेर का राजा; 18 एक, अपे क का राजा; एक, लँशारोन का राजा; 19 एक, मदोन का राजा; एक, हासोर का राजा; 20 एक, िशॆो(मरोन का राजा; एक, अझाप का राजा; 21 एक, तानाक का राजा; एक, मिगXो का राजा; 22 एक, केदे श का राजा; एक, कम‹ल म के योकनाम का राजा; 23 एक, दोर नाम ऊंचे दे श म के दोर का राजा; एक, िगलगाल म के गोयीम का राजा; 24 और एक, ितसाO का राजा; इस ूकार सब राजा इकतीस हुए।। यहोशू 13 1 यहोशू बूढ़ा और बहुत उॆ का हो गया; और यहोवा ने उस से कहा, तू बूढ़ा और बहुत उॆ का हो गया है , और बहुत दे श रह गए हE , जो इॐाएल के अिध कारने म

अभी तक नह:ं आए। 2 थे दे श रह गए हE , अयाOत ् पिल'ँतयHका सारा ूा(त, और सारे गशूर: 3 (िमॐ के आगे शीहोर से लेकर उर क ओर एबोन के िसवाने तक जो कनािनयHका भाग िगना जाता है ; और पिलश ्'◌'◌तयHके पांचHसरदार, अयाOत ् अGजा, अशदोद, अशकलोन, गत, और एबोन के लोग), और द' खनी ओर अeवी भी, 4 फर अपेक और एमोgरयHके िसवाने तक कनािनयो का सारा दे श और सीदोिनयHका मारा नाम दे श, 5 फर गवािलयHका दे श, और सूयzदय क ओर हे मzन पवOत के नीचे के बालगाद से लेकर हमात क घाट: तक सारा लबानोन, 6 फर लबानोन से लेकर िमॐपोतमैम तक सीदोिनयHके पहाड़: दे श के िनवासी। इनको मE इॐाएिलयHके साSहने से िनकाल दं ग ू ा; इतना हो क तू मेर: आWा के अनुसार िच=ठq डाल डालकर उनका दे श इॐाएल को बांट दे । 7 इसिलथे तू अब इस दे श को नवHगोऽHऔर मनँशे के आधे गोऽ को उनका भाग होने के िलथे बांट दे ।। 8 इसके साय RबेिनयHऔर गादयHको तो वह भाग िमल चुका या, 'जसे मूसा ने उ(ह यरदन के पूवO क ओर दया या, यHक यहोवा के दास मूसा ने उ(ह:ं को दया या, 9 अयाOत ् अनzन नाम नाले के कनारे के अरोएक से लेकर, और उसी नाले के बीच के नगर को छोड़कर द:बोन तक मेदवा के पास का सारा चौरस दे श; 10 और अSमोिनयHके िसवाने तक हे शबोत म वराजनेवाले एमोgरयHके राजा सीहोन के सारे नगर; 11 और िगलाद दे श, और गशूgरयHऔर माकावािसयHका िसवाना, और सारा हे मzन पवOत, और स`का तक कुल बाशान, 12 फर आशतारोत और एिे ई म वराजनेवाले उस ओग का सारा राGय जो रपइश म से अकेला बच गया या; यHक इ(ह: को मूसा ने मारकर उनक ूजा को उस दे श से िनकाल दया या। 13 पर(तु इॐाएिलयHने गशूgरयHऔर माकयHको उनके दे श से

न िनकाला; इसिलथे गशूर: और माक इॐाएिलयHके म~य म आज तक रहते हE । 14 और लेवी के गोऽयHको उस ने कोई भाग न दया; यHक इॐाएल के परमे र यहोवा के वचन के अनुसार उसी के हeय उनके िलथे भाग ठहरे हE । 15 मूसा ने Rबे न के गोऽ को उनके कुलHके अनुसार दया, 16 अयाOत ् अनzन नाम नाले के कनारे के अरोएर से लेकर और उसी नाले के बीच के नगर को छोड़कर मेदबा के पास का सारा चौरस दे श; 17 फर चौरस दे श म का हे शबोन और उसके सब गांव; फर द:बोन, बामोतबाल, बेतबा`मोन, 18 यहसा, कदे मोत, मेपात, 19 कयाOतैम, िसबमा, और तराई म के पहाड़ पर बसा हुआ सेरेयँशहर, 20 ब तपोर, पसगा क सलामी और बेयशीमोत, 21 िनदान चौरस दे श म बसे हुए हे शबोन म वराजनेवाले एमोgरयHके उस राजा सीहोन के राGय के कुल नगर 'ज(ह मूसा ने मार िलया या। मूसा ने एवी, रे केम, सूर, हूर, और रे बा नाम िमXान के ूधानHको भी मार डाला या जो सीहोन के ठहराए हुए हाकम और उसी दे श के िनवासी थे। 22 और इॐाएिलयHने उनके और मारे हुओं के साय बोर के पुऽ भावी कहनेवाले बलाम को भी तलवार से मार डाला। 23 और RबेिनयHका िसवाना यरदन का तीर ठहरा। RबेिनयHका भाग उनके कुलHके अनुसार नगरHऔर गांवHसमेत यह: ठहरा।। 24 फर मूसा ने गाद के गोऽयHको भी कुलHके अनुसार उनका िनज भाग करके बांट दया। 25 तब यह ठहरा, अयाOत ् याजेर आद िगलाद के सारे नगर, और रcबा के साSहने के अरोएर तक अSमोिनयHका आधा दे श, 26 और हे शबोन से रामतिमःपे और बतोनीम तक, और महनैम से दबीर के िसवाने तक, 27 और तराई म बेयारम, बेिनॆा, सु कोत, और सापोन, और हे ँबोन के राजा सीहोन के राGय के बचे हुए भाग, और क(नेरेत नाम ताल के िस के तक,

यरदन के पूवO क ओर का वह दे श 'जसका िसवाना यरदन है । 28 गादयHका भाग उनके कुलHके अनुसार नगरHऔर गांवHसमेत यह: ठहरा।। 29 फर मूसा ने मनँशे के आधे गोऽयHको भी उनका िनज भाग कर दया; वह मनँशेइयHके आधे गोऽ का िनज भाग उनके कुलHके अनुसार ठहरा। 30 वह यह है , अयाOत ् महनैम से लेकर बाशान के राजा ओग के राGय का सब दे श, और बाशान म बसी हुई याईर क साठHब'ःतयां, 31 और िगलाद का आधा भाग, और अँतारोत, और एिे ई, जो बाशान म ओग के राGय के नगर थे, थे मनँशे के पुऽ माकर के वंश का, अयाOत ् माकर के आधे वंश का िनज भाग कुलHके अनुसार ठहरे ।। 32 जो भाग मूसा ने मोआब के अराबा म यर:हो के पास के यरदन के पूवO क ओर बांट दए वे थे ह: हE । 33 पर(तु लेवी के गोऽ को मूसा ने कोई भाग न दया; इॐाएल का परमे र यहोवा ह: अपके वचन के अनुसार उनका भाग ठहरा।। यहोशू 14 1 जो जो भाग इॐाएिलयHने कनान दे श म पाए, उ(ह एलीआजर याजक, और नून के पुऽ यहोशू, और इॐाएली गोऽHके पूवOजHके घरानHके मु‡य मु‡य पुRषHने उनको दया वे थे हE । 2 जो आWा यहोवा ने मूसा के kारा साढ़े नौ गोऽHके िलथे द: यी, उसके अनुसार उनके भाग िच=ठq डाल डालकर दए गए। 3 मूसा ने तो अढ़ाई गोऽHके भाग यरदन पार दए थे; पर(तु लेवयHको उसने उनके बीच कोई भाग न दया या। 4 यूसफ ु के वंश के तो दो गोऽ हो गए थे, अयाOत ् मनँशे और एूैम; और उस दे श म लेवयHको कुछ भाग न दया गया, केवल रहने के नगर, और पशु आद धन रखने को और चराइयां उनको िमलीं। 5 जो आWा यहोवा ने मूसा को

द: यी उसके अनुसार इॐाएिलयHने कया; और उ(हHने दे श को बांट िलया।। 6 तब यहूद: यहोशू के पास िगलगाल म आए; और कनजी यपु(ने के पुऽ कालेब ने उस से कहा, तू जानता होगा क यहोवा ने कादे शबन म परमे र के जन मूसा से मेरे और तेरे वषय म या कहा या। 7 जब यहोवा के दास मूसा ने मुझे इस दे श का भेद लेने के िलथे कादे शबन से भेजा या तब मE चालीस वषO का या; और मE स.चे मन से उसके पास स(दे श ले आया। 8 और मेरे सायी जो मेरे संग गए थे उ(हHने तो ूजा के लोगHको िनराश कर दया, पर(तु मE ने अपके परमे र यहोवा क पूर: र:ित से बात मानी। 9 तब उस दन मूसा ने शपय खाकर मुझ से कहा, तू ने पूर: र:ित से मेरे परमे र यहोवा क बातHका अनुकरण कया है , इस कारण िन:स(दे ह 'जस भूिम पर तू अपके पांव धर आया है वह सदा के िलथे तेरा और तेरे वंश का भाग होगी। 10 और अब दे ख, जब से यहोवा ने मूसा से यह वचन कहा या तब से पैतालीस वषO हो चुके हE , 'जन म इॐाएली जंगल म घूमते फरते रहे ; उन म यहोवा ने अपके कहने के अनुसार मुझे जीवत रखा है ; और अब मE पचासी वषO का हूं। 11 'जतना बल मूसा के भेजने के दन मुझ म या उतना बल अभी तक मुझ म है ; युa करने, वा भीतर बाहर आने जाने के िलथे 'जतनी उस समय मुझ मे सामयO यी उतनी ह: अब भी मुझ म सामयO है । 12 इसिलथे अब वह पहाड़: मुझे दे 'जसक चचाO यहोवा ने उस दन क यी; तू ने तो उस दन सुना होगा क उस म अनाकवंशी रहते हE , और बड़े बड़े गढ़वाले नगर भी हE ; पर(तु या जाने सSभव है क यहोवा मेरे संग रहे , और उसके कहने के अनुसार मE उ(ह

उनके दे श से िनकाल दं ।ू 13 तब यहोशू ने उसको आशीवाOद दया; और हे ॄोन को यपु(ने के पुऽ कालेब का भाग कर दया। 14 इस कारण हे ॄोन कनजी यपु(ने के

पुऽ कालेब का भाग आज तक बना है , यHक वह इॐाएल के परमे र यहोवा का पूर: र:ित से अनुगामी या। 15 पहले समय म तो हे ॄोन का नाम कयOतबाO या; वह अबाO अनाकयHम सब से बड़ा पुRष या। और उस दे श को लड़ाई से शा'(त िमली।। यहोशू 15 1 यहूदयHके गोऽ का भाग उनके कुलHके अनुसार िच=ठq डालने से एदोम के िसवाने तक, और द' खन क ओर सीन के जंगल तक जो द' खनी िसवाने पर है ठहरा। 2 उनके भाग का द' खनी िसवाना खारे ताल के उस िस केवाले कोल से आरSभ हुआ जो द' खन क ओर बढ़ा है ; 3 और वह अबcबीम नाम चढ़ाई क द' खनी ओर से िनकलकर सीन होते हुए कादे शबन के द' खन क ओर को चढ़ गया, फर हे ॐोन के पास हो अXार को चढ़कर ककाOआ क ओर मुड़ गया, 4 वहां से अSमोन होते हुए वह िमॐ के नाले पर िनकला, और उस िसवाने का अ(त समुि हुआ। तुSहारा द' खनी िसवाना यह: होगा। 5 फर पूवh िसवाना यरदन के मुहाने तक खारा ताल ह: ठहरा, और उर दशा का िसवाना यरदन के मुहाने के पास के ताल के कोल से आरSभ करके, 6 बेयोbला को चढ़ते हुए बेतराबा क उर क ओर होकर Rबे नी बोहनवाले नाम पयर तक चढ़ गया; 7 और वह: िसवाना आकोर नाम तराई से दबीर क ओर चढ़ गया, और उर होते हुए िगलगाल क ओर फुका जो नाले क द' खन ओर क अदS ु मीम क चढ़ाई के साSहने है ; वहां से वह एनशेमेश नाम सोते के पास पहंु चकर एनरोगे ल पर िनकला; 8 फर वह: िसवाना ह(नोम के पुऽ क तराई से होकर यबूस (जो यRशलेम कहलाता है )

उसक द' खन अलंग से बढ़ते हुए उस पहाड़ क चोट: पर पहंु चा, जो प'_म क ओर ह(नोम क तराई के साSहने और रपाईम क तराई के उरवाले िस के पर है ; 9 फर वह: िसवाना उस पहाड़ क चोट: से नेTोह नाम सोते को चला गया, और एूोन पहाड़ के नगरHपर िनकला; फर वहां से बाला को ( जो कयOयार:म भी कहलाता है ) पहंु चा; 10 फर वह बाला से प'_म क ओर मुड़कर सेईर पहाड़ तक पहुंचा, और यार:म पहाड़ (जो कसालोन भी कहलाता है ) उस क उरवाली अलंग से होकर बेतशेमेश को उतर गया, और वहां से ितSना पर िनकला; 11 वहां से वह िसवाना एबोन क उर: अलंग के पास होते हुए िश करोन गया, और बाला पहाड़ होकर यcनेल पर िनकला; और उस िसवाने का अ(त समुि का तट हुआ। 12 और प'_म का िसवाना महासमुि का तीर ठहरा। यहूदयHको जो भाग उनके कुलHके अनुसार िमला उसक चारHओर का िसवाना यह: हुआ।। 13 और यपु(ने के पुऽ कालेब को उसने यहोवा क आWा के अनुसार यहूदयHके बीच भाग दया, अयाOत ् कयOतबाO जो हे ॄोन भी कहलाता है (वह अबाO अनाक का पता या)। 14 और कालेब ने वहां से शेश,ै अह:मन, और त`मै नाम, अनाक के तीनHपुऽHको िनकाल दया। 15 फर वहां से वह दबीर के िनवािसयHपर चढ़ गया; पूवOकाल म

तो दबीर का नाम कयOसेपेर या। 16 और कालेब ने कहा, जो कयOसेपेर को मारकर ले ले उसे मE अप क बेट: अकसा को cयाह दं ग ू ा। 17 तब कालेब के भाई ओ^ीएल कनजी ने उसे ले िलया; और उस ने उसे अप क बे ट: अकसा को cयाह दया। 18 और जब वह उसके पास आई, तब उस ने उसको पता से कुछ भूिम मांगने को उभारा, फर वह अपके गदहे पर से उतर प क, और कालेब ने उस से पूछा, तू या चाहती है ? 19 वह बोली, मुझे आशीवाOद दे ; तू ने मुझे द' खन दे श

म क कुछ भूिम तो द: है , मुझे जल के सोते भी दे । तब उस ने ऊपर के सोते, नीचे के सोते, दोनHउसे दए।। 20 यहूदयHके गोऽ का भाग तो उनके कुलHके अनुसार यह: ठहरा।। 21 और यहूदयHके गोऽ के कनारे -वाले नगर द' खन दे श म एदोम के िसवाने क ओर थे हE , अयाOत ् कबसेल, एदे र, यागूर, 22 कना, द:मोना, अदादा, 23 केदे श, हासोर, िय^ान, 24 जीप, तेलेम, बालोत, 25 हासोहO दा, कgरयोथेॐोन, (जो हासोर भी कहलाता है ), 26 और अमाम, शमा, मोलादा, 27 हसगOXा, हे शमोन, बेपालेत, 28 हसशूआ O ल, बेशब  ा, बGयोया, 29 बाला, इयीम, एसेम, 30 एलतोलद, कसील, होमाO, 31 िसकलग, मदम(ना, सनस(ना, 32 लबाओत, िश`ह:म, ऐन, और gरSमोन; थे सब नगर उ(तीस हE , और इनके गांव भी हE ।। 33 और नीचे के दे श म थे हE ; अयाOत ् एशताओल सोरा, अशना, 34 जानोह, एनग(नीम, त€पूह, एनाम, 35 यमूत O , अद` ु लाम, सोको, अजेका, 36 शारै म, अद:तैम, गदे रा, और गदे रोतैम; थे सब चौदह नगर हE , और इनके गांव भी हE ।। 37 फर सनान, हदाशा, िमगदलगाद, 38 दलान, िमःपे, योfेल, 39 लाकश, बोःकत, एbलोन, 40 कcबोन, लहमास, कतलीश, 41 गदे रोत, बे तदागोन, नामा, और म केदा; थे सोलह नगर हE , और इनके गांव भी हE ।। 42 फर िलcना, ऐतेर, आशान, 43 ियTाह, अशना, नसीब, 44 कला, अकजीब और मारे शा; थे नौ नगर हE , और इनके गांव भी हE । 45 फर नगरHऔर गांवHसमेत एबोन, 46 और एबोन से लेकर समुि तक, अपके अपके गांवHसमेत 'जतने नगर अशदोद क अलंग पर हE ।। 47 फर अपके अपके नगरHऔर गावHसमेत अशदोद, और अGजा, वरन िमॐ के नाले तक और महासमुि के तीर तक 'जतने नगर हE ।। 48 और पहाड़: दे श म थे हE ; अयाOत ् शामीर, यीर, सोको, 49 द(ना,

कयOस(ना (जो दबीर भी कहलाता है ), 50 अनाब, एशतमो, आनीम, 51 गोशेन, होलोन, और गीलो; थे bयारह नगर हE , और इनके गांव भी हE ।। 52 फर अराब, दम ू ा, एशान, 53 यानीम, बे€पूह, अपेका, 54 हुमता, कयOतबाO (जो हे ॄोन भी कहलाता है , और सीओर;) थे नौ नगर हE , और इनके गांव भी हE ।। 55 फर माओन, कमल, जीप, यूता, 56 िमळेल, योकदाम, जानोह, 57 कैन, िगबा, और ितSना; थे दस नगर हE , और इनके गांव भी हE ।। 58 फर हलहूल, बेतसूर, गदोर, 59 मरात, बेतनोत, और एलतकोन; थे छ: नगर हE , और इनके गांव भी हE ।। 60 फर कयOतबाल (जो कयOबार:म भी कहलाता है ), और रcबा; थे दो नगर हE , और इनके गांव भी हE ।। 61 और जंगल म थे नगर हE , अयाOत ् बेतराबा, िमX:न, सकाका; 62 िनबशान, लोनवाला नगर, और एनगद:, थे छ: नगर हE , और इनके गांव भी हE ।। 63 यRशलेम के िनवासी यबूिस कH यहूद: न िनकाल सके; इसिलथे आज के दन तक यबूसी यहूदयHके संग यRशलेम म रहते हE ।। यहोशू 16 1 फर यूसफ ु क स(तान का भाग िच=ठq डालने से ठहराया गया, उनका िसवाना यर:हो के पास क यरदन नद: से, अयाOत ् पूबO क ओर यर:हो के जल से आरSभ होकर उस पहाड़: दे श से होते हुए, जो जंगल म हE , बे तेल को पहंु चा; 2 वहां से वह लूज तक पहंु चा, और एरे कयHके िसवाने होते हुए अतारोत पर जा िनकला; 3 और प'_म क ओर यपकेितयHके िसवाने से उतरकर फर नीचेवाले बे योरोन के िसवाने से होकर गे जेर को पहंु चा, और समुि पर िनकला। 4 तब मनँशे और एूैम नाम यूसफ ु के दोनHपुऽHक स(तान ने अपना अपना भाग िलया। 5

एूैिमयHका िसवाना उनके कुलHके अनुसार यह ठहरा; अयाOत ् उनके भाग का िसवाना पूवO से आरSभ होकर अऽोतदार से होते हुए ऊपर वाले बेयोरोन तक पहंु चा; 6 और उर: िसवाना प'_म क ओर के िमकमतात से आरSभ होकर पूवO क ओर मुड़कर तानतशीलो को पहंु चा, और उसके पास से होते हुए यानोह तक पहंु चा; 7 फर यानोह से वह अतारोत और नारा को उतरता हुआ यर:हो के पास होकर यरदन पर िनकला। 8 फर वह: िसवाना त€पूह से िनकलकर, और प'_म क ओर जाकर, काना के नाले तक होकर समुि पर िनकला। एूैिमयHके गोऽ का भाग उनके कुलHके अनुसार यह: ठहरा। 9 और मनँशेइयHके भाग के बीच भी कई एक नगर अपके अपके गांवHसमेत एूैिमयHके िलथे अलग कथे गए। 10 पर(तु जो कनानी गेजेर म बसे थे उनको एूैिमयHने वहां से नह:ं िनकाला; इसिलथे वे कनानी उनके बीच आज के दन तक बसे हE , और बेगार: म दास के समान काम करते हE ।। यहोशू 17 1 फर यूसफ ु के जे ठे मनँशे के गोऽ का भाग िच=ठq डालने से यह ठहरा। मनँशे का जेठा पुऽ िगलाद का पता माकर योaा या, इस कारण उसके वंश को िगलाद और बाशान िमला। 2 इसिलथे यह भाग दस ू रे मनँशेइश के िलथे उनके कुलHके अनुसार ठहरा, अयाOत ् अबीएजेर, हे लेक, असीएल, शेकेम, हे पेर, और शमीदा; जो अपके अपके कुलHके अनुसार यूसफ ु के पुऽ मनँशे के वंश म के पुRष थे, उनके अलग अलग वंशHके िलथे ठहरा। 3 पर(तु हे पेर जो िगलाद का पुऽ, माकर का पोता, और मनँशे का परपोता या, उसके पुऽ सलोफाद के बेटे नह:ं, बेटयां ह:

हुL; और उनके नाम महला, नोआ, होbला, िमलका, और ितसाO हE । 4 तब वे एलीआज़र याजक, नून के पुऽ यहोशू, और ूधानHके पास जाकर कहने लगीं, यहोवा ने मूसा को आWा द: यी, क वह हम को हमारे भाइयHके बीच भाग दे । तो यहोशू ने यहोवा क आWा के अनुसार उ(ह उनके चाचाओं के बीच भाग दया। 5 तब मनँशे को, यरदन पार िगलाद दे श और बाशान को छोड़, दस भाग िमले; 6 यHक मनँशेइयHके बीच म मनँशेई '\यHको भी भाग िमला। और दस ू रे मनँशेइयHको िगलाद दे श िमला। 7 और मनँशे का िसवाना आशेर से लेकर िमकमतात तक पहंु चा, जो शकेम के साSहने है ; फर वह द' खन क ओर बढ़कर एनत€पूह के िनवािसयHतक पहंु चा। 8 त€पूह क भूिम तो मनँशे को िमली, पर(तु त€पूह नगर जो मनँशे के िसवाने पर बसा है वह एूैिमयHका ठहरा। 9 फर वहां से वह िसवाना काना के नाले तक उतरके उसके द' खन क ओर तक पहंु च गया; थे नगर यXप मनँशे के िसवाने पर बसा है वह एूैिमयHका ठहरा। 10 द' खन क ओर का दे श तो एूैम को और उर क ओर का मनँशे को िमला, और उसका िसवाना समुि ठहरा; और वे उर क ओर आशेर से और पूवO क ओर इःसाकर से जा िमले। 11 और मनँशे क, इःसाकार और आशेर अपके अपके नगरHसमेत बेतशान, ियबलाम, और अपके नगरHसमेत तानाक क िनवासी, और अपके नगरHसमेत मिगXो के िनवासी, थे तीनHजो ऊंचे ःयानHपर बसे हE िमले। 12 पर(तु मनँशेई उन नगरHके िनवािस कH उन म से नह:ं िनकाल सके; इसिलथे वे कनानी उस दे श म बgरयाई से बसे ह: रहे । 13 तौभी जब इॐाएली सामयh हो गए, तब कनािनयHसे बेगार: तो कराने लगे, पर(तु उनको पूर: र:ित से िनकाल बाहर न कया।। 14 यूसफ ु क स(तान यहोशू से

कहने लगी, हम तो िगनती म बहुत हE , यHक अब तक यहोवा हम आशीष ह: दे ता आया है , फर तू ने हमारे भाग के िलथे िच=ठq डालकर यHएक ह: अंश दया है ? 15 यहोशू ने उन से कहा, यद तुम िगनती म बहुत हो, और एूैम का पहाड़: दे श तुSहारे िलथे छोटा हो, तो पgरGजयHऔर रपाइयHका दे श जो जंगल है उसम जाकर पेड़Hको काट डालो। 16 यूसफ ु क स(तान ने कहा, वह पहाड़: दे श हमारे िलथे छोटा है ; और या बेतसान और उसके नगरHम रहनेवाले, या ियळेल क तराई म रहे नवाले, 'जतने कनानी नीचे के दे श म रहते हE , उन सभHके पास लोहे के रय हE । 17 फर यहोशू ने, या एूैमी या मनँशेई, अयाOत ् यूसफ ु के सारे घराने से कहा, हां तुम लोग तो िगनती म बहुत हो, और तुSहार: बड़: सामयO भी है , इसिलथे तुम को केवल एक ह: भाग न िमलेगा; 18 पहाड़: दे श भी तुSहारा हो जाएगा; यHक वह जंगल तो है , पर(तु उसके पे ड़ काट डालो, तब उसके आस पास का दे श भी तुSहारा हो जाएगा; यHक चाहे कनानी सामयh हH, और उनके पास लोहे के रय भी हH, तौभी तुम उ(ह वहां से िनकाल सकोगे।। यहोशू 18 1 फर इॐाएिलयHको सार: म+डली ने शीलो म इक=ठq होकर वहां िमलापवाले तSबू को खड़ा कया; यHक दे श उनके वश म आ गया या। 2 और इॐाएिलयHम

से सात गोऽHके लोग अपना अपना भाग बना पाथे रह गए थे। 3 तब यहोशू ने इॐाएिलयHसे कहा, जो दे श तुSहारे पूवOजHके परमे र यहोवा ने तुSह दया है , उसे अपके अिध कारने म कर लेने म तुम कब तक ढलाई करते रहोगे ? 4 अब ूित गोऽ के पीछे तीन मनुंय ठहरा लो, और मE उ(ह इसिलथे भेजूंगा क वे चलकर

दे श म घूम फर , और अपके अपके गोऽ के भाग के ूयोजन के अनुसार उसका हाल िलख िलखकर मेरे पास लौट आएं। 5 और वे दे श के सात भाग िलख , यहूद: तो द' खन क ओर अपके भाग म , और यूसफ ु के घराने के लोग उर क ओर अपके भाग म रह । 6 और तुम दे श के सात भाग िलखकर मेरे पास ले आओ; और मE यहां तुSहारे िलथे अपके परमे र यहोवा के साSहने िच=ठq डालूग ं ा। 7 और लेवयHका तुSहारे म~य म कोई भाग न होगा, यHक यहोवा का दया हुआ याजकपद ह: उनका भाग है ; और गाद, Rबेन, और मनँशे के आधे गोऽ के लोग यरदन के पूवO क ओर यहोवा के दास मूसा का दया हुआ अपना अपना भाग पा चुके हE । 8 तो वे पुRष उठकर चल दए; और जो उस दे श का हाल िलखने को चले उ(ह यहोशू ने यह आWा द:, क जाकर दे श म घूमो फरो, और उसका हाल िलखकर मेरे पास लौट आओ; और मE यहां िशलHम यहोवा के साSहने तुSहारे िलथे िच=ठq डालूग ं ा। 9 तब वे पुRष चल दए, और उस दे श म घूम , और उसके नगरHके सात भाग करके उनका हाल पुःतक म िलखकर शीलो क छावनी म

यहोशू के पास आए। 10 तब यहोशू ने शीलHम यहोवा के साSहने उनके िलथे िच'=ठयां डालीं; और वह:ं यहोशू ने इॐाएिलयHको उनके भागHके अनुसार दे श बांट दया।। 11 और ब(यामीिनयHके गोऽ क िच=ठq उनके कुलHके अनुसार िनकली, और उनका भाग यहूदयHऔर यूसु फयHके बीच म पड़ा। 12 और उनका उर: िसवाना यरदन से आरSभ हुआ, और यर:हो क उर अलंग से चढ़ते हुए प'_म क ओर पहाड़: दे श म होकर बेतावेन के जंगल म िनकला; 13 वहां से वह लूज को पहंु चा (जो बे तेल भी कहलाता है ), और लूज क द' खन अलंग से होते हुए िनचले बेयोरोन क द' खन ओर के पहाड़ के पास हो अऽोतXार को उतर

गया। 14 फर प'_मी िसवाना मुड़के बे योरोन के साSहने और उसक द' खन ओर के पहाड़ से होते हुए कयOतबाल नाम यहूदयHके एक नगर पर िनकला (जो कयOयार:म भी कहलाता है ); प'_म का िसवाना यह: ठहरा। 15 फर द' खन अलंग का िसवाना प'_म से आरSभ होकर कयOयार:म के िस के से िनकलकर नेTोह के सोते पर पहंु चा; 16 और उस पहाड़ के िस के पर उतरा, जो ह(नोम के पुऽ क तराई के साSहने और रपाईम नाम तराई क उर ओर है ; वहां से वह ह(नोम क तराई म , अयाOत ् यबूस क द' खन अलंग होकर एनरोगेल को उतरा; 17 वहां से वह उर क ओर मुड़कर एनशेमेश को िनकलकर उस गलीलोत क ओर गया, जो अदS ु मीम क चढ़ाई के साSहने है , फर वहां से वह Rबेन के पुऽ बोहन के पयर तक उतर गया; 18 वहां से वह उर क ओर जाकर अराबा के साSहने के पहाड़ क अलंग से होते हुए अराबा को उतरा; 19 वहां से वह िसवाना बे योbला क उर अलंग से जाकर खारे ताल क उर ओर के कोल म यरदन के मुहाने पर िनकला; द' खन का िसवाना यह: ठहरा। 20 और पूवO क ओर का िसवाना यरदन ह: ठहरा। ब(यामीिनयHका भाग, चारHओर के िसवानHसहत, उनके कुलHके अनुसार, यह: ठहरा। 21 और ब(यामीिनयHके गोऽ को उनके कुलHके अनुसार थे नगर िमले, अयाOत ् यर:हो, बे योbला, एमे कसीस, 22 बे तराबा, समारै म, बेतेल, 23 अeवीम, पारा, ओूा, 24 कपरSमोनी, ओ€नी और गेबा; थे बारह नगर और इनके गांव िमले। 25 फर िगबोन, रामा, बेरोत, 26 िमःपे, कपीरा, मोसा, 27 रे केम, ियपल, तरला, 28 सेला, एलेप, यबूस (जो यRशलेम भी कहलाता है ), िगबल और कयOत; थे चौदह नगर और इनके गांव उ(ह िमले। ब(यामीिनयHका भाग उनके कुलHके अनुसार यह: ठहरा।।

यहोशू 19 1 दस ू र: िच=ठq शमौन के नाम पर, अयाOत ् िशमोिनयHके कुलHके अनुसार उनके गोऽ के नाम पर िनकली; और उनका भाग यहूदयHके भाग के बीच म ठहरा। 2 उनके भाग म थे नगर हE , अयाOत ् बेशब  ा, शेबा, मोलादा, 3 हसशूआ O ल, बाला, एसेम, 4 एलतोलद, बतूल, होमाO, 5 बेतलबाओत, और शाRहे न; थे तेरह नगर और इनके गांव उ(ह िमले। 6 बेतलबाओत, और शाRहे न; थे तेरह नगर और इनके गांव उ(ह िमले। 7 फर ऐन, gरSमोन, ऐतेर, और आशान, थे चार नगर गांवHसमेत; 8 और बालबेर जो द खन दे श का रामा भी कहलाता है , वहां तक इन नगरHके चारHओर के सब गांव भी उ(ह िमले। िशमािनयHके गोऽ का भाग उनके कुलHके अनुसार यह: ठहरा। 9 िशमोिनयHका भाग तो यहूदयHके अंश म से दया गया; यHक यहूदयHका भाग उनके िलथे बहुत या, इस कारण िशमोिनयHका भाग उ(ह:ं के भाग के बीच ठहरा।। 10 तीसर: िच=ठq जबूलिू नयHके कुलHके अनुसार उनके नाम पर िनकली। और उनके भाग का िसवाना सार:द तक पहंु चा; 11 और उनका िसवाना प'_म क ओर मरला को चढ़कर दcबेशेत को पहंु चा; और योकनाम के साSहने के नाले तक पहंु च गया; 12 फर सार:द से वह सूयzदय क ओर मुड़कर कसलोाबोर के िसवाने तक पंहुचा, और वहां से बढ़ते बढ़ते दाबरत म िनकला, और यापी क ओर जा िनकला; 13 वहां से वह पूवO क ओर आगे बढ़कर गथेपेर और इकासीन को गया, और उस gरSमोन म िनकला जो नेआ तक फैला हुआ है ; 14 वहां से वह िसवाना उसके उर क ओर से मुड़कर ह(नातोन पर पहुंचा, और ियTहे ल क तराई म जा िनकला; 15 कात, नहलाल, िशॅोन, ियदला, और बेतलेहम; थे बारह नगर

उनके गांवHसमेत उसी भाग के ठहरे । 16 जबूलिू नयHका भाग उनके कुलHके अनुसार यह: ठहरा; और उस म अपके अपके गांवHसमेत थे ह: नगर हE ।। 17 चौयी िच=ठq इःसाकाgरयHके कुलHके अनुसार उनके नाम पर िनकली। 18 और उनका िसवाना ियळेल, कसु`लोत, शूनेम 19 हपारै म, शीओन, अनाहरत, 20 रcबीत, कँयोत, एबेस, 21 रे मेत, एनग(नीम, एनहXा, और बेपःसेस तक पहुंचा। 22 फर वह िसवाना ताबोर-शहसूमा और बेतशेमेश तक पहुंचा, और उनका िसवाना यरदन नद: पर जा िनकला; इस ूकार उनको सोलह नगर अपके अपके गांवHसमेत िमले। 23 कुलHके अनुसार इःसाकाgरयHके गोऽ का भाग नगरHऔर गांवHसमेत यह: ठहरा।। 24 पांच कं िच=ठq आशेgरयHके गोऽ के कुलHके अनुसार उनके नाम पर िनकली। 25 उनके िसवाने म हे `कत, हली, बे तेन, अझाप, 26 अलाSमे`लेक, अमाद, और िमशाल थे; और वह प'_म क ओर काSमल तक और शाहोिलcनाOत तक पहंु चा; 27 फर वह सूयzदय क ओर मुड़कर बेतदागोन को गया, और जबलून के भाग तक, और ियTहे ल क तराई म

उर क ओर होकर बेतेमेक और नीएल तक पहुंचा और उर क ओर जाकर काबूल पर िनकला, 28 और वह एॄोन, रहोब, हSमोन, और काना से होकर बड़े सीदोन को पहंु चा; 29 वहां से वह िसवाना मुड़कर रामा से होते हुए सोन नाम गढ़वाले नगर तक चला गया; फर िसवाना होसा क ओर मुड़कर और अकजीब के पास के दे श म होकर समुि पर िनकला, 30 उSमा, अपेक, और रहोब भी उनके भाग म ठहरे ; इस ूकार बाईस नगर अपके अपके गांवHसमेत उनको िमले। 31 कुलHके अनुसार आशेgरयHके गोऽ का भाग नगरHऔर गांवHसमेत यह: ठहरा।। 32 छठवीं िच=ठq नTािलयHके कुलHके अनुसार उनके नाम पर िनकली। 33 और

उनका िसवाना हे लेप से, और सान(नीम म के बांज वृझ से, अदामीनेकेब और यcनेल से होकर, और ल कूम को जाकर यरदन पर िनकला; 34 वहां से वह िसवाना प'_म क ओर मुड़कर अजनोाबोर को गया, और वहां से हु कोक को गया, और द' खन, और जबूलन ू के भाग तक, और प'_म क ओर आशेर के भाग तक, और सूयzदय क ओर यहूदा के भाग के पास क यरदन नद: पर पहुंचा। 35 और उनके गढ़वाले नगर थे हE , अयाOत ् िसX:म, सेर, हSमत, र कत, क(नेरेत, 36 अदामा, रामा, हासोर, 37 केदे श, एिे ई, ए(हासेर, 38 ियरोन, िमगदलेल, होरे म, बेतनात, और बेतशेमेश; थे उ(नीस नगर गांवHसमेत उनको िमले। 39 कुलHके अुनसार नTािलयHके गोऽ का भाग नगरHऔर उनके गांवHसमेत यह: ठहरा।। 40 सातवीं िच=ठq कुलHके अनुसार दािनयHके गोऽ के नाम पर िनकली। 41 और उनके भाग के िसवाने म सोरा, एशताओल, ईरशमेश, 42 शालcबीन, अयालोन, ियतला, 43 एलोन, ितSना, एबोन, 44 एलतके, िगcबतोन, बालात, 45 यहूद, बनेबराक, गऽSमोन, 46 मेयकzन, और र कोन ठहरे , और यापो के साSहने का िसवाना भी उनका या। 47 और दािनयHका भाग इस से अिधक हो गया, अयाOत ् दानी लेशेम पर चढ़कर उस से लड़े , और उसे लेकर तलवार से मार डाला, और उसको अपके अिध कारने म करके उस म बस गए, और अपके मूलपुRष के नाम पर लेशेम का नाम दान रखा। 48 कुलHके अुनसार दािनयHके गोऽ का भाग नगरHऔर गांवHसमेत यह: ठहरा।। 49 जब दे श का बांटा जाना िसवानHके अनुसार िनपट गया, तब इॐाएिलयHने नून के पुऽ यहोशू को भी अपके बीच म एक भाग दया। 50 यहोवा के कहने के अनुसार उ(हHने उसको उसका मांगा हुआ नगर दया, यह एूैम के पहाड़: दे श म का वSनसेरह है ; और

वह उस नगर को बसाकर उस म रहने लगा।। 51 जो जो भाग एलीआजर याजक, और नून के पुऽ यहोशू, और इॐाएिलयHके गोऽHके घरानHके पूवOजHके मु‡य मु‡य पुRषHने शीलो म , िमलापवाले तSबू के kार पर, यहोवा के साSहने िच=ठq डाल डालके बांट दए वे थे ह: हE । िनदान उ(हHने दे श वभाजन का काम िनपटा दया।। यहोशू 20 1 फर यहोवा ने यहोशू से कहा, 2 इॐाएिलयHसे यह कह, क मE ने मूसा के kारा तुम से शरण नगरHक जो चचाO क यी उसके अनुसार उनको ठहरा लो, 3 'जस से जो कोई भूल से बना जाने कसी को मार डाले, वह उन म से कसी म भाग जाए; इसिलथे वे नगर खून के पलटा लेनेवाले से बचने के िलथे तुSहारे शरणःयान ठहर । 4 वह उन नगरHम से कसी को भाग जाए, और उस नगर के फाटक म से खड़ा होकर उसके पुरिनयHको अपना मुकXमा कह सुनाए; और वे उसको अपके नगर म अपके पास टका ल , और उसे कोई ःयान द , 'जस म वह उनके साय रहे । 5 और यद खून का पलटा लेनेवाला उसका पीछा करे , तो वे यह जानकर क उस ने अपके पड़ोसी को बना जाने, और पहले उस से बना बैर रखे मारा, उस खूनी को उसके हाथ म न द । 6 और जब तक वह म+डली के साSहने (याय के िलथे खड़ा न हो, और जब तक उन दनHका महाथाजक न मर जाए, तब तक वह उसी नगर म रहे ; उसके बाद वह खूनी अपके नगर को लौटकर 'जस से वह भाग आया हो अपके घर म फर रहने पाए। 7 और उ(हHने नTाली के पहाड़: दे श म

गलील के केदे श को, और एूैम के पहाड़: दे श म शकेम को, और यहूदा के पहाड़:

दे श म कयOतबाO को, (जो हे ॄोन भी कहलाता है ) पवऽ ठहराया। 8 और यर:हो के पास के यरदन के पूवO क ओर उ(हHने Rबेन के गोऽ के भाग म बसेरे को, जो जंगल म चौरस भूिम पर बसा हुआ है , और गाद के गोऽ के भाग म िगलाद के रमोत को, और मनँशे के गोऽ के भाग म बाशान के गालान को ठहराया। 9 सारे इॐाएिलयHके िलथे, और उन के बीच रहनेवाले परदे िशयHके िलथे भी, जो नगर इस मनसा से ठहराए गए क जो कोई कसी ूाणी को भूल से मार डाले वह उन म से कसी म भाग जाए, और जब तक (याय के िलथे म+डली के साSहने खड़ा न हो, तब तक खून का पलटा लेनेवाला उसे मार डालने न पाए, वे यह ह: हE ।। यहोशू 21 1 तब लेवयHके पूवOजHके घरानHके मु‡य मु‡य पुRष एलीआज़र याजक, और नून के पुऽ यहोशू, और इॐाएली गोऽHके पूवOजHके घरानHके मु‡य मु‡य पुRषHके पास आकर 2 कनान दे श के शीलो नगर म कहने लगे, यहोवा ने मूसा से हम

बसने के िलथे नगर, और हमारे पशुओं के िलथे उ(ह:ं नगरHक चराईयां भी दे ने क आWा दलाई यी। 3 तब इॐाएिलयHने यहोवा के कहने के अनुसार अपके अपके भाग म से लेवयHको चराईयHसमेत थे नगर दए।। 4 और कहितयHके कुलHके नाम पर िच=ठq िनकली। इसिलथे लेवयHम से हाRन याजक के वंश को यहूद:, िशमोन, और ब(यामीन के गोऽHके भागHम से ते रह नगर िमले।। 5 और बाक कहाितयHको एूैम के गोऽ के कुलH, और दान के गोऽ, और मनँशे के आधे गोऽ के भागHम से िच=ठq डाल डालकर दस नगर दए गए।। 6 और गेशzिनयHको इःसाकार के गोऽ के कुलH, और आशेर, और नTाली के गोऽHके भागHम से, और

मनँशे के उस आधे गोऽ के भागHम से भी जो बाशान म या िच=ठq डाल डालकर तेरह नगर दए गए।। 7 और कुलHके अनुसार मराgरयHको Rबे न, गाद, और जबूलन ू के गोऽHके भागHम से बारह नगर दए गए।। 8 जो आWा यहोवा ने मूसा से दलाई भी उसके अनुसार इॐाएिलयHने लेवयHको चराइयHसमेत थे नगर िच=ठq डाल डालकर दए। 9 उ(हHने यहूदयHऔर िशमोिनयHके गोऽHके भागHम

से थे नगर 'जनके नाम िलखे हE दए; 10 थे नगर लेवीय कहाती कुलHम से हाRन के वंश के िलथे थे; यHक पहली िच=ठq उ(ह:ं के नाम पर िनकली यी। 11 अयाOत ् उ(हHने उन को यहूदा के पहाड़: दे श म चारHओर क चराइयHसमेत कयOतबाO नगर दे दया, जो अनाक के पता अबाO के नाम पर कहलाया और हे ॄोन भी कहलाता है । 12 पर(तु उस नगर के खेत और उसके गांव उ(हHने यपु(ने के पुऽ कालेब को उसक िनज भूिम करके दे दए।। 13 तब उ(हHने हाRन याजक के वंश को चराइयHसमेत खूनी के शरण नगर हे ॄोन, और अप क अप क चराइयHसमेत िलcना, 14 यीर, एशतमो, 15 होलोन, दबीर, ऐन, 16 युा और बे तशेमेश दए; इस ूकार उन दोनHगोऽHके भागHम से नौ नगर दए गए। 17 और ब(यामीन के गोऽ के भाग म से अप क अप क चराइयHसमेत थे चार नगर दए गए, अयाOतिगबोन, ् गेबा, 18 अनातोत और अ`मोन 19 इस ूकार हाRनवंशी याजकHको ते रह नगर और उनक चराईयां िमली।। 20 फर बाक कहाती लेवयHके कुलHके भाग के नगर िच=ठq डाल डालकर एूैम के गोऽ के भाग म से दए गए। 21 अयाOत ् उनको चराइयHसमेत एूैम के पहाड़: दे श म खूनी शरण लेने का शकेम नगर दया गया, फर अप क अप क चराइयHसमेत गेजेर, 22 कबसैम, और बेयोरोन; थे चार नगर दए गए। 23 और दान के गोऽ के

भाग म से अप क अप क चराइयHसमेत, एलतके, िगcबतोन, 24 अयालोन, और गऽSमोन; थे चार नगर दए गए। 25 और मनँशे के आधे गोऽ के भाग म

से अप क अप क चराइयHसमेत तानाक और गऽSमोन; थे दो नगर दए गए। 26 इस ूकार बाक कहाितयHके कुलHके सब नगर चराइयHसमेत दस ठहरे ।। 27 फर लेवयHके कुलHम के गेशzिनयHको मनँशे के आधे गोऽ के भाग म

से अप क अप क चराइयHसमेत खूनी के शरण नगर बाशान का गोलान और बे शतरा; थे दो नगर दए गए। 28 और इःसाकार के गोऽ के भाग म से अप क अप क चराइयHसमेत कँयोन, दाबरत, 29 यमूत O , और एनग(नीम; थे चार नगर दए गए। 30 और आशेर के गोऽ के भाग म से अप क अप क चराइयHसमेत िमशाल, अcदोन, 31 हे `कात, और रहोब; थे चार नगर दए गए। 32 और नTाली के गोऽ के भाग म से अप क अप क चराइयHसमेत खूनी के शरण नगर गलील का केदे श, फर हSमोतदोर, और कताOन; थे तीन नगर दए गए। 33 गेशzिनयHके कुलHके अनुसार उनके सब नगर अप क अप क चराइयHसमेत तेरह ठहरे ।। 34 फर बाक लेवयH, अयाOत ् मराgरयHके कुलHको जबूलन ू के गोऽ के भाग म से अप क अप क चराइयHसमेत यो नाम, कताO, 35 दSना, और नहलाल; थे चार नगर दए गए। 36 और Rबेन के गोऽ के भाग म से अप क अप क चराइयHसमेत बेसेर, यहसा, 37 केदे मोत, और मेपात; थे चार नगर दए गए। 38 और गाद के गोऽ के भाग म से अप क अप क चराइयHसमेत खूनी के शरण नगर िगलाद म का रामोत, फर महनैम, 39 हे शबोन, और याजे र, जो सब िमलाकर चार नगर हE दए गए। 40 लेवयHके बाक कुलHअयाOत ् मराgरयHके कुलHके अनुसार उनके सब नगर थे ह: ठहरे , इस ूकार

उनको बारह नगर िच=ठq डाल डालकर दए गए।। 41 इॐाएिलयHक िनज भूिम के बीच लेवयHके सब नगर अप क अप क चराइयHसमेत अड़तालीस ठहरे । 42 थे सब नगर अपके अपके चारHओर क चराइयHके साय ठहरे ; इन सब नगरHक यह: दशा यी।। 43 इस ूकार यहोवा ने इॐाएिलयHको वह सारा दे श दया, 'जसे उस ने उनके पूवOजHसे शपय खाकर दे ने को कहा या; और वे उसके अिध कारनेी होकर उस म बस गए। 44 और यहोवा ने उन सब बातHके अनुसार, जो उस ने उनके पूवOजHसे शपय खाकर कह: यीं, उ(ह चारHओर से वौम दया; और उनके शऽुओं म से कोई भी उनके साSहने टक न सका; यहोवा ने उन सभHको उनके वश म कर दया। 45 'जतनी भलाई क बात यहोवा ने इॐाएल के घराने से कह: यीं उन म से कोई भी न छूट:; सब क सब पूर: हुई।। यहोशू 22 1 उस समय यहोशू ने Rबे िनयH, गादयH, और मनँशे के आधे गोऽयHको बुलवाकर कहा, 2 जो जो आWा यहोवा के दास मूसा ने तुSह द: यीं वे सब तुम ने मानी हE , और जो जो आWा मE ने तुSह द: हE उन सभHको भी तुम ने माना है ; 3 तुम ने अपके भाइयHको इस मुXत म आज के दन तक नह:ं छोड़ा, पर(तु अपके परमे र यहोवा क आWा तुम ने चौकसी से मानी है । 4 और अब तुSहारे परमे र यहोवा ने तुSहारे भाइयHको अपके वचन के अनुसार वौम दया है ; इसिलथे अब तुम लौटकर अपके अपके डे रHको, और अप क अप क िनज भूिम म , 'जसे यहोवा के दास मूसा ने यरदन पार तुSह दया है चले जाओ। 5 केवल इस बात क पूर: चौकसी करना क जो जो आWा और eयवःया यहोवा के

दास मूसा ने तुम को द: है उसको मानकर अपके परमे र यहोवा से ूे म रखो, उसके सारे मागJपर चलो, उसक आWाएं मानH, उसक भंf मे लौलीन रहो, और अपके सारे मन और सारे ूाण से उसक सेवा करो। 6 तब यहोशू ने उ(ह

आशीवाOद दे कर वदा कया; और वे अपके अपके डे रे को चले गए।। 7 मनँशे के आधे गोऽयHको मूसा ने बासान म भाग दया या; पर(तु दस ू रे आधे गोऽ को यहोशू ने उनके भाइयHके बीच यरदन के प'_म क ओर भाग दया। उनको जब यहोशू ने वदा कया क अपके अपके डे रे को जाएं, 8 तब उनको भी आशीवाOद दे कर कहा, बहुत से पशु, और चांद:, सोना, पीतल, लोहा, और बहुत से व\ और बहुत धन-स'Sपत िलए हुए अपके अपके डे रे को लौट आओ; और अपके शऽुओं क लूट क सSप को अपके भाइयHके संग बांट लेना।। 9 तब Rबेनी, गाद:, और मनँशे के आधे गोऽी इॐाएिलयHके पास से, अयाOत ् कनान दे श के शीलो नगर से, अप क िगलाद नाम िनज भूिम म , जो मूसा से दलाई हुई, यहोवा क आWा के अनुसार उनक िनज भूिम हो गई यी, जाने क मनसा से लौट गए। 10 और जब Rबेनी, गाद:, और मनँशे के आधे गोऽी यरदन क उस तराई म पहुंचे जो कनान दे श म है , तब उ(हHने वहां दे खने के योbय एक बड़: वेद: बनाई। 11 और इसका समाचार इॐाएिलयHके सुनने म आया, क RबेिनयH, गादयH, और मनँशे के आधे गोऽयHने कनान दे श के साSहने यरदन क तराई म , अयाOत ् उसके उस पार जो इॐाएिलयHका है , एक वे द: बनाई है । 12 जब इॐाएिलयHने यह सुना, तब इॐाएिलयHक सार: म+डली उन से लड़ने के िलथे चढ़ाई करने को शीलो म

इक=ठq हुई।। 13 तब इॐाएिलयHने Rबे िनयH, गादयH, और मनँशे के आधे गोऽयHके पास िगलाद दे श म एलीआज़र याजक के पुऽ पीनहास को, 14 और

उसके संग दस ूधानHको, अयाOत ् इॐाएल के एक एक गोऽ म से पूवOजHके घरानHके एक एक ूधान को भेजा, और वे इॐाएल के हजारHम अपके अपके पूवOजHके घरानHके मु‡य पुRष थे। 15 वे िगलाद दे श म RबेिनयH, गादयH, और मनँशे के आधे गोऽयHके पास जाकर कहने लगे, 16 यहोवा क सार: म+डली यह कहती है , क तुम ने इॐाएल के परमे र यहोवा का यह कैसा व ासघात कया; आज जो तुम ने एक वेद: बना ली है , इस म तुम ने उसके पीछे चलना छोड़कर उसके वRa आज बलवा कया है ? 17 सुनो, पोर के वषय का अधमO हमारे िलथे कुछ कम या, यXप यहोवा क म+डली को भार: द+ड िमला तौभी आज के दन तक हम उस अधमO से शुa नह:ं हुए; या वह तुSहार: l म एक छोट: बात है , 18 क आज तुम यहोवा को यागकर उसके पीछे चलना छोड़ दे ते हो? या तुम यहोवा से फर जाते हो, और कल वह इॐाएल क सार: म+डली पर बोिधत होगा। 19 पर(तु यद तुSहार: िनज भूिम अशुa हो, तो पार आकर यहोवा क िनज भूिम म , जहां यहोवा का िनवास रहता है , हम लोगHके बीच म अप क अप क िनज भूिम कर लो; पर(तु हमारे परमे र यहोवा क बेद: को छोड़ और कोई वे द: बनाकर न तो यहोवा से बलवा करो, और न हम से। 20 दे खो, जब जेरह के पुऽ आकान ने अपOण क हुई वःतु के वषय म व ासघात कया, तब या यहोवा का कोप इॐाएल क पूर: म+डली पर न भड़का? और उस पुRष के अधमO का ूाणद+ड अकेले उसी को न िमला।। 21 तब RबेिनयH, गादयH, और मनँशे के आधे गोऽयHने इॐाएल के हजारHके मु‡य पुRषHको यह उर दया, 22 क यहोवा जो ई रHका परमे र है , ई रHका परमे र यहोवा इसको जानता है , और इॐाएली भी इसे जान ल गे, क यद यहोवा से फरके वा उसका व ासघात

करके हम ने यह काम कया हो, तो तू आज हम को जीवत न छोड़, 23 यद आज के दन हम ने वेद: को इसिलथे बनाया हो क यहोवा के पीछे चलना छोड़ द , वा इसिलथे क उस पर होमबिल, अ(नबिल, वा मेलबिल चढ़ाएं, तो यहोवा आप इसका हसाब ले; 24 पर(तु हम ने इसी वचार और मनसा से यह कया है क कह:ं भवंय म तुSहार: स(तान हमार: स(तान से यह न कहने लगे, क तुम को इॐाएल के परमे र यहोवा से या काम? 25 यHक, हे RबेिनयH, हे गादयH, यहोवा ने जो हमारे और तुSहारे बीच म यरदन को हX ठहरा दया है , इसिलथे यहोवा म तुSहारा कोई भाग नह:ं है । ऐसा कहकर तुSहार: स(तान हमार: स(तान म से यहोवा का भय छुड़ा दे गी। 26 इसीिलथे हम ने कहा, आओ, हम अपके िलथे एक वेद: बना ल , वह होमबिल वा मेलबिल के िलथे नह:ं, 27 पर(तु इसिलथे क हमारे और तुSहारे , और हमारे बाद हमारे और तुSहारे वंश के बीच म

साझी का काम दे ; इसिलथे क हम होमबिल, मेलबिल, और बिलदान चढ़ाकर यहोवा के सSमुख उसक उपासना कर ; और भवंय म तुSहार: स(तान हमार: स(तान से यह न कहने पाए, क यहोवा म तुSहारा कोई भाग नह:ं। 28 इसिलथे हम ने कहा, क जब वे लोग भवंय म हम से वा हमारे वंश से यHकहने लेग , तब हम उन से कह गे, क यहोवा के वेद: के नमूने पर बनी हुई इस वे द: को दे खो, 'जसे हमारे पुरखाओं ने होमबिल वा मेलबिल के िलथे नह:ं बनाया; पर(तु इसिलथे बनाया या क हमारे और तुSहारे बीच म साझी का काम दे । 29 यह हम से दरू रहे क यहोवा से फरकर आज उसके पीछे चलना छोड़ द , और अपके परमे र यहोवा क उस वेद: को छोड़कर जो उसके िनवास के साSहने है होमबिल, और अ(नबिल, वा मेलबिल के िलथे दस ू र: वेद: बनाएं।। 30 RबेिनयH,

गादयH, और मनँशे के आधे गोऽयHक इन बातHको सुनकर पीनहास याजक और उसके संग म+डली के ूधान, जो इॐाएल के हजारHके मु‡य पुRष थे, वे अित ूस(न हुए। 31 और एलीआजर याजक के पुऽ पीनहास ने Rबे िनयH, गादयH, और मनँशेइयHसे कहा, तुम ने जो यहोवा का ऐसा व ासघात नह:ं कया, इस से आज हम ने यह जान िलया क यहोवा हमारे बीच म है : और तुम लोगHने इॐाएिलयHको यहोवा के हाथ से बचाया है । 32 तब एलीआज़र याजक का पुऽ पीनहास ूधानHसमेत RबेिनयHऔर गादयHके पास से िगलाद होते हुए कनान दे श म इॐाएिलयHके पास लौट गया: और यह वृता(त उनको कह सुनाया। 33 तब इॐाएली ूस(न हुए; और परमे र को ध(य कहा, और RबेिनयHऔर गादयHसे लड़ने और उनके रहने का दे श उजाड़ने के िलथे चढ़ाई करने क चचाO फर न क। 34 और RबेिनयHऔर गादयHने यह कहकर, क यह वेद: हमारे और उनके म~य म इस बात का साझी ठहर: है , क यहोवा ह: परमे र है : उस वेद: का नाम एद रखा।। यहोशू 23 1 इसके बहुत दनHके बाद, जब यहोवा ने इॐाएिलयHको उनके चारHओर के शऽुओं से वौम दया, और यहोशू बूढ़ा और बहुत आयु का हो गया, 2 तब यहोशू सब इॐाएिलयHको, अयाOत ् पुरिनयH, मु‡य पुRषH, (यािययH, और सरदारHको बुलवाकर कहने लगा, मE तो अब बूढ़ा और बहुत आयु का हो गया हूं; 3 और तुम ने दे खा क तुSहारे परमे र यहोवा ने तुSहारे िनिम इन सब जाितयHसे या या कया है , यHक जो तुSहार: ओर लड़ता आया है वह तुSहारा परमे र

यहोवा है । 4 दे खो, मE ने इन बची हुई जाितयHको िच=ठq डाल डालकर तुSहारे गोऽHका भाग कर दया है ; और यरदन से लेकर सूयाOःत क ओर के बड़े समुि तक रहनेवाली उन सब जाितयHको भी ऐसा ह: दया है , 'जनको मE ने काट डाला है । 5 और तुSहारा परमे र यहोवा उनको तुSहारे साSहने से उनके दे श से िनकाल दे गा; और तुम अपके परमे र यहोवा के वचन के अनुसार उनके दे श के अिध कारनेी हो जाओगे। 6 इसिलथे बहुत हयाव बा(धकर, जो कुछ मूसा क eयवःया क पुःतक म िलखा है उसके पूरा करने म चौकसी करना, उस से न तो दाहने मुड़ना और न बाएं। 7 थे जो जाितयां तुSहारे बीच रह गई हE इनके बीच न जाना, और न इनके दे वताओं के नामHक चचाO करना, और न उनक शपय 'खलाना, और न उनक उपासना करना, और न उनको द+डवत ् करना, 8 पर(तु जैसे आज के दन तक तुम अपके परमे र यहोवा क भf म लवलीन रहते हो, वैसे ह: रहा करना। 9 यहोवा ने तुSहारे साSहने से बड़: बड़: और बलव(त जितयां िनकाली हE ; और तुSहारे साSहने आज के दन तक कोई ठहर नह:ं सका। 10 तुम म से एक मनुंय हजार मनुंयHको भगाएगा, यHक तुSहारा परमे र यहोवा अपके वचन के अनुसार तुSहार: ओर से लड़ता है । 11 इसिलथे अपके परमे र यहोवा से ूेम रखने क पूर: चौकसी करना। 12 यHक यद तुम कसी र:ित यहोवा से फरकर इन जाितयHके बाक लोगHसे िमलने लगो जो तुSहारे बीच बचे हुए रहते थ , और इन से cयाह शाद: करके इनके साय समिधयाना gरँता जोड़ो, 13 तो िन_य जान लो क आगे को तुSहारा परमे र यहोवा इन जाितयHको तुSहारे सामहने से नह:ं िनकालेगा; और थे तुSहारे िलथे जाल और फंदे , और तुSहारे पांजरHके िलथे कोड़े , और तुSहार: आंखHम कांटे ठहरे गी, और अ(त म

तुम इस अ.छq भूिम पर से जो तुSहारे परमे र यहोवा ने तुSह द: है न हो जाओगे । 14 सुनो, मE तो अब सब संसाgरयHक गित पर जानेवाला हूं, और तुम सब अपके अपके ॑ृदय और मन म जानते हो, क 'जतनी भलाई क बात हमारे परमे र यहोवा ने हमारे वषय म कह:ं उन म से एक भी बना पूर: हुए नह:ं रह:। 15 तो जैसे तुSहारे परमे र यहोवा क कह: हुई सब भलाई क बात तुम पर घट: है , वैसे ह: यहोवा वप क सब बात भी तुम पर घटाते घटाते तुम को इस अ.छq भूिम के ऊपर से, 'जसे तुSहारे परमे र यहोवा ने तुSह दया है , सयानाश कर डालेगा। 16 जब तुम उस वाचा को, 'जसे तुSहारे परमे र यहोवा ने तुम को आWा दे कर अपके साय ब(घाया है , उ`लंघन करके पराथे दे वताओं क उपासना और उनको द+डवत ् करने लगो, तब यहोवा का कोप तुम पर भड़केगा, और तुम इस अ.छे दे श म से 'जसे उस ने तुम को दया है शीय नाश जो जाओगे ।। यहोशू 24 1 फर यहोशू ने इॐाएल के सब गोऽHको शकेम म इक=ठा कया, और इॐाएल के वृa लोगH, और मु‡य पुRषH, और (यािययH, और सरदारHको बुलवाया; और वे परमे र के साSहने उप'ःयत हुए। 2 तब यहोशू ने उन सब लोगHसे कहा, इॐाएल का परमे र यहोवा इस ूकार कहता है , क ूाचीन काल म इॄाह:म और नाहोर का पता तेरह आद, तुSहारे पुरखा परात महानद के उस पार रहते हुए दस ू रे दे वताओं क उपासना करते थे। 3 और मE ने तुSहारे मूलपुRष इॄाह:म को महानद के उस पार से ले आकर कनान दे श के सब ःयानHम फराया, और

उसका वंश बढ़ाया। और उसे इसहाक को दया; 4 फर मE ने इसहाक को याकूब और एसाव दया। और एसाव को मE ने सेईर नाम पहाड़: दे श दया क वह उसका अिध कारनेी हो, पर(तु याकूब बेटH-पोतHसमेत िमॐ को गया। 5 फर मE ने मूसा और हाRन को भेजकर उन सब कामHके kारा जो मE ने िमॐ म कए उस दे श को मारा; और उसके बाद तुम को िनकाल लाया। 6 और मE तुSहारे पुरखाओं को िमॐ म से िनकाल लाया, और तुम समुि के पास पहुंचे; और िमिॐयHने रय और सवारHको संग लेकर लाल समुि तक तुSहारा पीछा कया। 7 और जब तुम ने यहोवा क दोहाई द: तब उस ने तुSहारे और िमिॐयHके बीच म अ'(ध कारनेा कर दया, और उन पर समुि को बहाकर उनको डु बा दया; और जो कुछ मE ने िमॐ म कया उसे तुम लोगHने अप क आंखHसे दे खा; फर तुम बहुत दन तक जंगल म रहे । 8 तब मE तुम को उन एमोgरयHके दे श म ले आया, जो यरदन के उस पार बसे थे; और वे तुम से लड़े और मE ने उ(ह तुSहारे वश म कर दया, और तुम उनके दे श के अिध कारनेी हो गए, और मE ने उनको तुSहारे साSहने से सयानाश कर डाला। 9 फर मोआब के राजा िस€पोर का पुऽ बालाक उठकर इॐाएल से लड़ा; और तुSह शाप दे ने के िलथे बोर के पुऽ बलाम को बुलवा भेजा, 10 पर(तु मE ने बलाम क सुनने के िलथे नाह:ं क; वह तुम को आशीष ह: आशीष दे ता गया; इस ूकार मE ने तुम को उसके हाथ से बचाया। 11 तब तुम यरदन पार होकर यर:हो के पास आए, और जब यर:हो के लोग, और एमोर:, पgरGजी, कनानी, ही, िगगाOशी, हcबी, और यबूसी तुम से लड़े , तब मE ने उ(ह

तुSहारे वश म कर दया। 12 और मE ने तुSहारे आगे बरJको भेजा, और उ(हHने एमोgरयHके दोनHराजाओं को तुSहारे साSहने से भगा दया; दे खो, यह तुSहार:

तलवार वा धनुष का काम नह:ं हुआ। 13 फर मE ने तुSह ऐसा दे श दया 'जस म

तुम ने पgरnम न कया या, और ऐसे नगर भी दए हE 'ज(ह तुम ने न बसाया या, और तुम उन म बसे हो; और 'जन दाख और जलपाई के बगीचHके फल तुम खाते हो उ(ह तुम ने नह:ं लगाया या। 14 इसिलथे अब यहोवा का भय मानकर उसक सेवा खराई और स.चाई से करो; और 'जन दे वताओं क सेवा तुSहारे पुरखा महानद के उस पार और िमॐ म करते थे, उ(ह दरू करके यहोवा क सेवा करो। 15 और यद यहोवा क सेवा करनी तुSह बुर: लगे, तो आज चुन लो क तुम कस क सेवा करोगे, चाहे उन दे वताओं क 'जनक सेवा तुSहारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोgरयHके दे वताओं क सेवा करो 'जनके दे श म

तुम रहते हो; पर(तु मE तो अपके घराने समेत यहोवा क सेवा िनत कRंगा। 16 तब लोगHने उर दया, यहोवा को यागकर दस ू रे दे वताओं क सेवा करनी हम से दरू रहे ; 17 यHक हमारा परमे र यहोवा वह: है जो हम को और हमारे पुरखाओं को दासव के घर, अयाOत ् िमॐ दे श से िनकाल ले आया, और हमारे दे खते बड़े बड़े आ_यO कमO कए, और 'जस मागO पर और 'जतनी जाितयHके म~य म से हम चले आते थे उन म हमार: रझा क; 18 और हमारे साSहने से इस दे श म

रहनेवाली एमोर: आद सब जाितयHको िनकाल दया है ; इसिलथे हम भी यहोवा क सेवा कर गे, यHक हमारा परमे र वह: है । 19 यहोशू ने लोगHसे कहा, तुम से यहोवा क सेवा नह:ं हो सकती; यHक वह पवऽ परमे र है ; वह जलन रखनेवाला ई र है ; वह तुSहारे अपराध और पाप झमा न करे गा। 20 यद तुम यहोवा को यागकर पराए दे वताओं क सेवा करने लगोगे, तो यXप वह तुSहारा भला करता आया है तौभी वह फरकर तुSहार: हािन करे गा और तुSहारा अ(त

भी कर डालेगा। 21 लोगHने यहोशू से कहा, नह:ं; हम यहोवा ह: क सेवा कर गे। 22 यहोशू ने लोगHसे कहा, तुम आप ह: अपके साझी हो क तुम ने यहोवा क सेवा करनी अंगीकार कर ली है । उ(हHने कहा, हां, हम साझी हE । 23 यहोशू ने कहा, अपके बीच पराए दे वताओं को दरू करके अपना अपना मन इॐाएल के परमे र क ओर लगाओ। 24 लोगHने यहोशू से कहा, हम तो अपके परमे र यहोवा ह: क सेवा कर गे, और उसी क बात मान गे। 25 तब यहोशू ने उसी दन उन लोगHसे वाचा ब(धाई, और शकेम म उनके िलथे विध और िनयम ठहराया।। 26 यह सारा वृा(त यहोशू ने परमे र क eयवःया क पुःतक म िलख दया; और एक बड़ा पयर चुनकर वहां उस बांजवृझ के तले खड़ा कया, जो यहोवा के पवऽ ःयान म या। 27 तब यहोशू ने सब लोगHसे कहा, सुनो, यह पयर हम लोगHका साझी रहे गा, यHक 'जतने वचन यहोवा ने हम से कह हE उ(ह इस ने सुना है ; इसिलथे यह तुSहारा साझी रहे गा, ऐसा न हो क तुम अपके परमे र से मुकर जाओ। 28 तब यहोशू ने लोगHको अपके अपके िनज भाग पर जाने के िलथे वदा कया।। 29 इन बातHके बाद यहोवा का दास, नून का पुऽ यहोशू, एक सौ दस वषO का होकर मर गया। 30 और उसको ितSनसेरह म , जो एूैम के पहाड़: दे श म

गाश नाम पहाड़ क उर अलंग पर है , उसी के भाग म िम=ट: द: गई। 31 और यहोशू के जीवन भर, और जो वृa लोग यहोशू के मरने के बाद जीवत रहे और जानते थे क यहोवा ने इॐाएल के िलथे कैसे कैसे काम कए थे, उनके भी जीवन भर इॐाएली यहोवा ह: क सेवा करते रहे । 32 फर यूसफ ु क ह']डयां 'ज(ह

इॐाएली िमॐ से ले आए थे वे शकेम क भूिम के उस भाग म गाड़: गL, 'जसे याकूब ने शकेम के पता हामोर से एक सौ चांद: के िस कHम मोल िलया या;

इसिलथे वह यूसफ ु क स(तान का िनज भाग हो गया। 33 और हाRन का पुऽ एलीआज़र भी मर गया; और उसको एूैम के पहाड़: दे श म उस पहाड़: पर िम=ट: द: गई, जो उसके पुऽ पीनहास के नाम पर िगबपीनहास कहलाती है और उसको दे द: गई यी।। (यािययH 1 1 यहोशू के मरने के बाद इॐाएिलयHने यहोवा से पूछा, क कनािनयHके वRa लड़ने को हमार: ओर से पहले कौन चढ़ाई करे गा? 2 यहोवा ने उर दया, यहूदा चढ़ाई करे गा; सुनो, मE ने इस दे श को उसके हाथ म दे दया है । 3 तब यहूदा ने अपके भाई िशमोन से कहा, मेरे संग मेरे भाग म आ, क हम कनािनयHसे लड़ ; और मE भी तेरे भाग म जाऊंगा। सो िशमोन उसके संग चला। 4 और यहूदा ने चढ़ाई क, और यहोवा ने कनािनयHऔर पgर'GजयHको उसके हाथ म कर दया; तब उ(हHने बेजेक म उन म से दस हजार पुRष मार डाले। 5 और बेजेक म

अदोनीबेजेक को पाकर वे उस से लड़े , और कनािनयHऔर पgर'GजयHको मार डाला। 6 पर(तु अदोनीबेजेक भागा; तब उ(हHने उसका पीछा करके उसे पकड़ िलया, और उसके हाथ पांव के अंगूठे काट डाले। 7 तब अदोनीबेजेक ने कहा, हाथ पांव के अंगूठे काटे हुए सर राजा मेर: मेज के नीचे टु कड़े बीनते थे; जैसा मE ने कया या, वैसा ह: बदला परमे र ने मुझे दया है । तब वे उसे यRशलेम को ले गए और वहां वह मर गया।। 8 और यहूदयHने यRशलेम से लड़कर उसे ले िलया, और तलवार से उसके िनवािस कH मार डाला, और नगर को फूंक दया। 9 और तब यहूद: पहाड़: दे श और द' खन दे श, और नीचे के दे श म रहनेवाले

कनािनयHसे लड़ने को गए। 10 और यहूदा ने उन कनािनयHपर चढ़ाई क जो हे ॄोन म रहते थे (हे ॄोन का नाम तो पूवOकाल म कयOतबाO या); और उ(हHने शेश,ै अह:मन, और त`मै को मार डाला। 11 वहां से उस ने जाकर दबीर के िनवािसयHपर चढ़ाई क। (दबीर का नाम तो पूवOकाल म कयOसेपेर या।) 12 तब कालेब ने कहा, जो कयOसेपेर को मारके ले ले उसे मE अप क बेट: अकसा को cयाह दं ग ू ा। 13 इस पर कालेब के छोटे भाई कनजी ओ^ीएल ने उसे ले िलया; और उस ने उसे अप क बेट: अकसा को cयाह दया। 14 और जब वह ओ^ीएल के पास आई, तब उस ने उसको अपके पता से कुछ भूिम मांगने को उभारा; फर वह अपके गदहे पर से उतर:, तब कालेब ने उस से पूछा, तू या चाहती है ? 15 वह उस से बोली मुझे आशीवाOद दे ; तू ने मुझे द' खन दे श तो दया है , तो जल के सोते भी दे । इस ूकार कालेब ने उसको ऊपर और नीचे के दोनHसोते दे दए।। 16 और मूसा के साले, एक केनी मनुंय के स(तान, यहूद: के संग खजूर वाले नगर से यहूदा के जंगल म गए जो अराद के द' खन क ओर है , और जाकर इॐाएल लोगHके साय रहने लगे। 17 फर यहूदा ने अपके भाई िशमोन के संग जाकर सपत म रहनेवाले कनािनयHको मार िलया, और उस नगर को सयानाश कर डाला। इसिलथे उस नगर का नाम होमाO पड़ा। 18 और यहूदा ने चारHओर क भूिम समेत अGजा, अशकलोन, और एबोन को ले िलया। 19 और यहोवा यहूदा के साय रहा, इसिलथे उस ने पहाड़: दे श के िनवािस कH िनकाल दया; पर(तु तराई के िनवािसयHके पास लोहे के रय थे, इसिलथे वह उ(ह न िनकाल सका। 20 और उ(हHने मूसा के कहने के अनुसार हे ॄोन कालेब को दे दया: और उस ने वहां से अनाक के तीनHपुऽHको िनकाल दया। 21 और यRशलेम म रहनेवाले यबूिस कH

ब(यामीिनयHने न िनकाला; इसिलथे यबूसी आज के दन तक यRशलेम म

ब(यामीिनयHके संग रहते हE ।। 22 फर यूसफ ु के घराने ने बेतेल पर चढ़ाई क; और यहोवा उनके संग या। 23 और यूसफ ु के घराने ने बेतेल का भेद लेने को लोग भेजे। (और उस नगर का नाम पूवOकाल म लूज या।) 24 और पहRओं ने एक मनुंय को उस नगर से िनकलते हुए दे खा, और उस से कहा, नगर म जाने का मागO हम दखा, और हम तुझ पर दया कर गे। 25 जब उस ने उ(ह नगर म जाने का मागO दखाया, तब उ(हHने नगर को तो तलवार से मारा, पर(तु उस मनुंय को सारे घराने समेत छोड़ दया। 26 उस मनुंय ने हयHके दे श म जाकर एक नगर बसाया, और उसका नाम लूज रखा; और आज के दन तक उसका नाम वह: है ।। 27 मनँशे ने अपके अपके गांवHसमेत बेतशान, तानाक, दोर, ियबलाम, और मिगXHके िनवािस कH न िनकाला; इस ूकार कनानी उस दे श म बसे ह: रहे । 28 पर(तु जब इॐाएली सामयh हुए, तब उ(हHने कनािनयHसे बेगार: ली, पर(तु उ(ह पूर: र:ित से न िनकाला।। 29 और एूैम ने गेजेर म रहनेवाले कनािनयHको न िनकाला; इसिलथे कनानी गेजेर म उनके बीच म बसे रहे ।। 30 जबलून ने कऽोन और नहलोल के िनवािस कH न िनकाला; इसिलथे कनानी उनके बीच म बसे रहे , और उनके वश म हो गए।। 31 आशेर ने अ को, सीदोन, अहलाब, अकजीब, हे लवा, अपीक, और रहोब के िनवािसयHके बीच म बस गए; यHक उ(हHने उनको न िनकाला या।। 32 इसिलथे आशेर: लोग दे श के िनवासी कनािनयHके बीच म बस गए; यHक उ(हHने उनको न िनकाला या।। 33 नTाली ने बेतशेमेश और बेतनात के िनवािस कH न िनकाला, पर(तु दे श के िनवासी कनािनयHके बीच म बस गए; तौभी बेतशेमेश और बेतनात के लोग उनके वश म

हो गए।। 34 और एमोgरयHने दािनयHको पहाड़: दे श म भगा दया, और तराई म

आने न दया; 35 इसिलथे एमोर: हे रेस नाम पहाड़, अयलोन और शालबीम म

बसे ह: रहे , तौभी यूसफ ु का घराना यहां तक ूबल हो गया क वे उनके वश म हो गए। 36 और एमोgरयHके दे श का िसवाना अबcबीम नाम पवOत क चढ़ाई से आरSभ करके ऊपर क ओर या।। (यािययH 2 1 और यहोवा का दत ू िगलगाल से बोकम को जाकर कहने लगा, क मE ने तुम को िमॐ से ले आकर इस दे श म पहंु चाया है , 'जसके वषय म मE ने तुSहारे पुरखाओं से शपय खाई यी। और मE ने कहा या, क जो वाचा मE ने तुम से बा(धी है , उसे मE कभी न तोडू ं गा; 2 इसिलथे तुम इस दे श के िनवािस कH वाचा न बा(धना; तुम उनक वे दयHको ढा दे ना। पर(तु तुम ने मेर: बात नह:ं मानी। तुम ने ऐसा यHकया है ? 3 इसिलथे मE कहता हंू , क मE उन लोगHको तुSहारे साSहने से न िनकालूग ं ा; और वे तुSहारे पांजर म कांटे, और उनके दे वता तुSहारे िलथे फंदे ठहर गे। 4 जब यहोवा के दत ू ने सारे इॐाएिलयHसे थे बात कह:ं, तब वे लोग िच`ला िच`लाकर रोने लगे। 5 और उ(हHने उस ःयान का नाम बोकम रखा। और वहां उ(हHने यहोवा के िलथे बिल चढ़ाया।। 6 जब यहोशू ने लोगHको वदा कया या, तब इॐाएली दे श को अपके अिध कारने म कर लेने के िलथे अपके अपके िनज भाग पर गए। 7 और यहोशू के जीवन भर, और उन वृa लोगHके जीवन भर जो यहोशू के मरने के बाद जीवत रहे और दे ख चुके थे क यहोवा ने इॐाएल के िलथे कैसे कैसे बड़े काम कए हE , इॐाएली लोग यहोवा क सेवा करते

रहे । 8 िनदान यहोवा का दास नून का पुऽ यहोशू एक सौ दस वषO का होकर मर गया। 9 और उसको ितSनथेरेस म जो एूैम के पहाड़: दे श म गाश नाम पहाड़ क उर अलंग पर है , उसी के भाग म िम=ट: द: गई। 10 और उस पीढ़: के सब लोग भी अपके अपके पतरHम िमल गए; तब उसके बाद जो दस ू र: पीढ़: हुई उसके लोग न तो यहोवा को जानते थे और न उस काम को जो उस ने इॐाएल के िलथे कया या।। 11 इसिलथे इॐाएली वह करने लगे जो यहोवा क l म बुरा है , और बाल नाम दे वताओं क उपासना करने लगे ; 12 वे अपके पूवOजHके परमे र यहोवा को, जो उ(ह िमॐ दे श से िनकाल लाया या, यागकर पराथे दे वताओं क उपासना करने लगे, और उ(ह द+डवत ् कया; और यहोवा को gरस दलाई। 13 वे यहोवा को याग कर के बाल दे वताओं और अशतोरे त दे वयHक उपासना करने लगे। 14 इसिलथे यहोवा का कोप इॐाएिलयHपर भड़क उठा, और उस ने उनको लुटेरHके हाथ म कर दया जो उ(ह लूटने लगे; और उस ने उनको चारHओर के शऽुओं के आधीन कर दया; और वे फर अपके शऽुओं के साSहने ठहर न सके। 15 जहां कह:ं वे बाहर जाते वहां यहोवा का हाथ उनक बुराई म लगा रहता या, जैसे यहोवा ने उन से कहा या, वरन यहोवा ने शपय खाई यी; इस ूकार से बड़े संकट म पड़ गए। 16 तौभी यहोवा उनके िलथे (यायी ठहराता या जो उ(ह

लूटनेवाले के हाथ से छुड़ाते थे। 17 पर(तु वे अपके (यािययHक भी नह:ं मानते थे; वरन eयिभचाgरन क नाL पराथे दे वताओं के पीछे चलते और उ(ह द+डवत ् करते थे; उनके पूवOज जो यहोवा क आWाएं मानते थे, उनक उस लीक को उ(हHने शीय ह: छोड़ दया? और उनके अनुसार न कया। 18 और जब जब यहोवा उनके िलथे (यायी को ठहराता तब तब वह उस (यायी के संग रहकर

उसके जीवन भर उ(ह शऽुओं के हाथ से छुड़ाता या; यHक यहोवा उनका कराहना जो अ(धेर और उपिव करनेवालHके कारण होता या सुनकर द:ु खी या। 19 पर(तु जब (यायी मर जाता, तब वे फर पराथे दे वताओं के पीछे चलकर उनक उपासना करते , और उ(ह द+डवत ् करके अपके पुरखाओं से अिधक बगड़ जाते थे; और अपके बुरे कामHऔर हठqली चाल को नह:ं छोड़ते थे। 20 इसिलथे यहोवा का कोप इॐाएल पर भड़क उठा; और उस ने कहा, इस जाित ने उस वाचा को जो मE ने उनके पूवOजHसे बा(धी यी तोड़ दया, और मेर: बात नह:ं मानी, 21 इस कारण 'जन जाितयHको यहोशू मरते समय छोड़ गया है उन म से मE अब कसी को उनके साSहने से न िनकालूग ं ा; 22 'जस से उनके kारा मE इॐाएिलयHक प कझा कRं, क जैसे उनके पूवOज मेरे मागO पर चलते थे वैसे ह: थे भी चल गे क नह:ं। 23 इसिलथे यहोवा ने उन जाितयHको एकाएक न िनकाला, वरन रहने दया, और उस ने उ(ह यहोशू के हाथ म भी उनको न सxपा या।। (यािययH 3 1 इॐाएिलयHम से 'जतने कनान म क लड़ाईयHम भागी न हुए थे, उ(ह परखने के िलथे यहोवा ने इन जाितयHको दे श म इसिलथे रहने दया; 2 क पीढ़: पीढ़: के इॐाएिलयHम से जो लड़ाई को पहले न जानते थे वे सीख , और जान ल , 3 अयाOत ् पांचो सरदारHसमेत पिल'ँतयH, और सब कनािनयH, और सीदोिनयH, और बालहे मzन नाम पहाड़ से लेकर हमात क तराई तक लबानोन पवOत म रहनेवाले ह'eवयHको। 4 थे इसिलथे रहने पाए क उनके kारा इॐाएिलयHक बात म

प कझा हो, क जो आWाएं यहोवा ने मूसा के kारा उनके पूवOजHको दलाई यीं,

उ(ह वे मान गे वा नह:ं। 5 इसिलथे इॐाएली कनािनयH, हयH, एमोgरयH, पgर'GजयH, ह'eवयH, और यबूिसयHके बीच म बस गए; 6 तब वे उनक बेटयां cयाह म लेने लगे, और अप क बेटयां उनके बेटHको cयाह मे दे ने लगे; और उनके दे वताओं क भी उपासना करने लगे ।। 7 इस ूकार इॐाएिलयHने यहोवा क l म बुरा कया, और अपके परमे र यहोवा को भूलकर बाल नाम दे वताओं और अशेरा नाम दे वयHक उपासना करने लग गए। 8 तब यहोवा का बोध इॐाएिलयHपर भड़का, और उस ने उनको अरSनहरै म के राजा कूशऽशातैम के अधीन कर दया; सो इॐाएली आठ वषO तक कूशऽशातैम के अधीन म रहे । 9 तब इॐाएिलयHने यहोवा क दोहाई द:, और उसने इॐाएिलयHके िलथे कालेब के छोटे भाई ओ^ीएल नाम एक कनजी छुड़ानेवाले को ठहराया, और उस ने उनको छुड़ाया। 10 उस म यहोवा का आमा समाया, और वह इॐाएिलयHका (यायी बन गया, और लड़ने को िनकला, और यहोवा ने अराम के राजा कूशऽशातैम को उसके हाथ म कर दया; और वह कूशऽशातैम पर जयव(त हुआ। 11 तब चालीस वषO तक दे श म शा'(त बनी रह:। और उ(ह:ं दनHम क(जी ओ^ीएल मर गया।। 12 तब इॐाएिलयHने फर यहोवा क l म बुरा कया; और यहोवा ने मोआब के राजा एbलोन को इॐाएल पर ूबल कया, यHक उ(हHने यहोवा क l म बुरा कया या। 13 इसिलथे उस ने अSमोिनयHऔर अमालेकयHको अपके पास इक=ठा कया, और जाकर इॐाएल को मार िलया; और खजूरवाले नगर को अपके वश म कर िलया। 14 तब इॐाएली अठारह वषO तक मोआब के राजा एbलोन के अधीन म रहे । 15 फर इॐाएिलयHने यहोवा क दोहाई द:, और उस ने गेरा के पुऽ एहूद नाम एक ब(यामीनी को उनका छुड़ानेवाला ठहराया; वह

बैहया या। इॐाएिलयHने उसी के हाथ से मोआब के राजा एbलोन के पास कुछ भ ट भेजी। 16 एहूद ने हाथ भर लSबी एक दोधार: तलवार बनवाई यी, और उसको अपके व\ के नीचे दाहनी जांघ पर लटका िलया। 17 तब वह उस भ ट को मोआब के राजा एbलोन के पास जो बड़ा मोटा पुRष या ले गया। 18 जब वह भ ट को दे चुका, तब भ ट के लानेवाले को वदा कया। 19 पर(तु वह आप िगलगाल के िनकट क खुद: हुई मूरतHके पास लौट गया, और एbलोन के पास कहला भेजा, क हे राजा, मुझे तुझ से एक भेद क बात कहनी है । तब राजा ने कहा, योड़: दे र के िलथे बाहर जाओ। तब 'जतने लोग उसके पास उप'ःयत थे वे सब बाहर चले गए। 20 तब एहूद उसके पास गया; वह तो अप क एक हवादार अटार: म

अकेला बैठा या। एहूद ने कहा, परमे र क ओर से मुझे तुझ से एक बात कहनी है । तब वह गX: पर से उठ खड़ा हुआ। 21 इतने म एहूद ने अपना बायां हाथ बढ़ाकर अप क दाहनी जांघ पर से तलवार खींचकर उसक तHद म घुसेड़ द:; 22 और फल के पीछे मूठ भी पैठ गई, ओर फल चबh म धंसा रहा, यHक उस ने तलवार को उसक तHद म से न िनकाला; वरन वह उसके आरपार िनकल गई। 23 तब एहूद छGजे से िनकलकर बाहर गया, और अटार: के कवाड़ खींचकर उसको ब(द करके ताला लगा दया। 24 उसके िनकल जाते ह: राजा के दास आए, तो या दे खते हE , क अटार: के कवाड़Hम ताला लगा है ; इस कारण वे बोले, क िन_य वह हवादार कोठर: म लघुशक ं ा करता होगा। 25 वे बाट जोहते जोहते ल'Gजत हो गए; तब यह दे खकर क वह अटार: के कवाड़ नह:ं खोलता, उ(हHने कुंजी लेकर कवाड़ खोले तो या दे खा, क उनका ःवामी भूिम पर मरा पड़ा है । 26 जब तक वे सोच वचार कर ह: रहे थे तब तक एहूद भाग िनकला, और खूद:

हुई मूरतHक परली ओर होकर सेइरे म जाकर शरण ली। 27 वहां पहंु चकर उस ने एूैम के पहाड़: दे श म नरिसंगा फूंका; तब इॐाएली उसके संग होकर पहाड़: दे श से उसके पीछे पीछे नीचे गए। 28 और उस ने उन से कहा, मेरे पीछे पीछे चले आओ; यHक यहोवा ने तुSहारे मोआबी शऽुओं को तुSहारे हाथ म कर दया है । तब उ(हHने उसके पीछे पीछे जाके यरदन के घाटHको जो मोआब दे श क ओर है ले िलया, और कसी को उतरने न दया। 29 उस समय उ(हHने कोई दस हजार मोआबयHको मार डाला; वे सब के सब ॑ृ पु और शूरवीर थे, पर(तु उन म से एक भी न बचा। 30 इस ूकार उस समय मोआब इॐाएल के हाथ के तले दब गया। तब अःसी वषO तक दे श म शा'(त बनी रह:।। 31 उसके बाद अनात का पुऽ शमगर हुआ, उस ने छ: सौ पिलँती पुRषHको बैल के पैने से मार डाला; इस कारण वह भी इॐाएल का छुड़ानेवाला हुआ।। (यािययH 4 1 जब एहूद मर गया तब इॐाएिलयHने फर यहोवा क l म बुरा कया। 2 इसिलथे यहोवा ने उनको हासोर म वराजनेवाले कनान के राजा याबीन के अधीन म कर दया, 'जसका सेनापित सीसरा या, जो अ(यजाितयHक हरोशेत का िनवासी या। 3 तब इॐाएिलयHने यहोवा क दोहाई द:; यHक सीसरा के पास लोहे के नौ सौ रय थे, और वह इॐाएिलयHपर बीस वषO तक बड़ा अ(धेर करता रहा। 4 उस समय ल€पीदोत क \ी दबोरा जो नबया यी इॐाएिलयHका (याय करती यी। 5 वह एूैम के पहाड़: दे श म रामा और बेतेल के बीच म दबोरा के खजूर के तले बैठा करती यी, और इॐाएली उसके पास (याय के िलथे जाया

करते थे। 6 उस ने अबीनोअम के पुऽ बाराक को केदे श नTाली म से बुलाकर कहा, या इॐाएल के परमे र यहोवा ने यह आWा नह:ं द:, क तू जाकर ताबोर पहाड़ पर चढ़ और नTािलयHऔर जबूलिू नयHम के दस हजार पुRषHको संग ले जा? 7 तब मE याबीन के सेनापित सीसरा के रयHऔर भीड़भाड़ समेत कशोन नद: तक तेर: ओर खींच ले आऊंगा; और उसको तेरे हाथ म कर दं ग ू ा। 8 बाराक ने उस से कहा, यद तू मेरे संग चलेगी तो मE जाऊंगा, नह:ं तो न जाऊंगा। 9 उस ने कहा, िन:स(दे ह मE तेरे संग चलूग ं ी; तौभी यह याऽा से तेर: तो कुछ बढ़ाई न होगी, यHक यहोवा सीसरा को एक \ी के अधीन कर दे गा। तब दबोरा उठकर बाराक के संग केदे श को गई। 10 तब बाराक ने जबूलन ू और नTाली के लोगHको केदे श म बुलवा िलया; और उसके पीछे दस हजार पुRष चढ़ गए; और दबोरा उसके संग चढ़ गई। 11 हे बेर नाम केनी ने उन केिनयHम से, जो मूसा के साले होबाब के वंश के थे, अपके को अलग करके केदे श के पास के सान(नीम के बांजवृझ तक जाकर अपना डे रा वह:ं डाला य। 12 जब सीसरा को यह समाचार िमला क अबीनोअम का पुऽ बाराक ताबोर पहाड़ पर चढ़ गया है , 13 तब सीसरा ने अपके सब रय, जो लोहे के नौ सौ रय थे, और अपके संग क सार: सेना को अ(यजाितयHके हरोशेत के कशोन नद: पर बुलवाया। 14 तब दबोरा ने बाराक से कहा, उठ! यHक आज वह दन है 'जस म यहोवा सीसरा को तेरे हाथ म कर दे गा। या यहोवा ते रे आगे नह:ं िनकला है ? इस पर बाराक और उसके पीछे पीछे दस हजार पुRष ताबोर पहाड़ से उतर पके। 15 तब यहोवा ने सारे रयHवरन सार: सेना समेत सीसरा को तलवार से बाराक के साSहने घबरा दया; और सीसरा रय पर से उतरके पांव पांव भाग चला। 16 और बाराक ने अ(यजाितयHके हरोशेत तक रयHऔर सेना का

पीछा कया, और तलवार से सीसरा क सार: सेना न क गई; और एक भी मनुंय न बचा।। 17 पर(तु सीसरा पांव पांव हे बेर केनी क \ी याएल के डे रे को भाग गया; यHक हासोर के राजा याबीन और हे बेर केनी म मेल या। 18 तब याएल सीसरा क भ ट के िलथे िनकलकर उस से कहने लगी, हे मेरे ूभु, आ, मेरे पास आ, और न डर। तब वह उसके पास डे रे म गया, और उस ने उसके ऊपर कSबल डाल दया। 19 तब सीसरा ने उस से कहा, मुझे €यास लगी है , मुझे योड़ा पानी पला। तब उस ने दध ू क कु€पी खोलकर उसे दध ू पलाया, और उसको ओढ़ा दया। 20 तब उस ने उस से कहा, डे रे के kार पर खड़: रह, और यद कोई आकर तुझ से पूछे, क यहां कोई पुRष है ? तब कहना, कोई भी नह:ं। 21 इसके बाद हे बेर क \ी याएल ने डे रे क एक खूंट: ली, और अपके हाथ म एक हयौड़ा भी िलया, और दबे पांव उसके पास जाकर खूंट: को उसक कलप क म ऐसा ठोक दया क खूंट: पार होकर भूिम म धंस गई; वह तो यका या ह: इसिलथे गहर: नींद म सो रहा या। सो वह मर गया। 22 जब बाराक सीसरा का पीछा करता हुआ आया, तब याएल उस से भ ट करने के िलथे िनकली, और कहा, इधर आ, 'जसका तू खोजी है उसको मE तुझे दखाऊंगी। तब उस ने उसके साय जाकर या दे खा; क सीसरा मरा पड़ा है , और वह खूंट: उसक कनप क म गड़: है । 23 इस ूकार परमे र ने उस दन कनान के राजा याबीन को इॐाएिलयHके साSहने नीचा दखाया। 24 और इॐाएली कनान के राजा याबीन पर ूबल होते गए, यहां तक क उ(हHने कनान के राजा याबीन को न कर डाला।। (यािययH 5

1 उसी दन दबोरा और अबीनोअम के पुऽ बाराक ने यह गीत गाया, 2 क इॐाएल के अगुवHने जो अगुवाई क और ूजा जो अप क ह: इ.छा से भरती हुई, इसके िलथे यहोवा को ध(य कहो! 3 हे राजाओ, सुनो; हे अिधपितयHकान लगाओ, मE आप यहोवा के िलथे गीत गाऊंगी; इॐाएल के परमे र यहोवा का मE भजन कRंगी।। 4 हे यहोवा, जब तू सेईर से िनकल चला, जब तू ने एदोम के दे श से ूःयान कया, तब पृवी डोल उठq, और आकाश टू ट पड़ा, बादल से भी जल बरसने लगा।। 5 यहोवा के ूताप से पहाड़, इॐाएल के परमे र यहोवा के ूताप से वह सीनै पघलकर बहने लगा। 6 अनात के पुऽ शमगर के दनHम , और याएल के दनHम सड़क सूनी प क यीं, और बटोह: पगदं डयHसे चलते थे।। 7 जब तक मE दबोरा न उठq, जब तक मE इॐाएल म माता होकर न उठq, तब तक गांव सूने पके थे।। 8 नथे नथे दे वता माने गए, उस समय फाटकHम लड़ाई होती यी। या चालीस हजार इॐाएिलयHम भी ढ़ाल वा बछŽ कह:ं दे खने म आती यी? 9 मेरा मन इॐाएल के हाकमHक ओर लगा है , जो ूजा के बीच म अप क ह: इ.छा से भरती हुए। यहोवा को ध(य कहो।। 10 हे उजली गदहयHपर चढ़नेवालो, हे फशJपर वराजनेवालो, ~यान रखो।। 11 परघटHके आस पास धनुधाOgरयHक बात के कारण, वहां वे यहोवा के धमOमय कामHका, इॐाएल के िलथे उसके धमOमय कामHका बखान कर गे। उस समय यहोवा क ूजा के लोग फाटकHके पस गए।। 12 जाग, जाग, हे दबोरा! जाग, जाग, गीत सुना! हे बाराक, उठ, हे अबीनोअम के पुऽ, अपके ब(धुओं को ब(धुआई म ले चल। 13 उस समय योड़े से रईस ूजा समेत उतर पके; यहोवा शूरवीरHके वRa मेरे हत उतर आया। 14 एूैम म से वे आए 'जसक जड़ अमालेक म है ; हे ब(यामीन, तेरे पीछे तेरे दलHम , माकर म से

हाकम, और जबूलन ू म से सेनापित द+ड िलए हुए उतरे ; 15 और इःसाकार के हाकम दबोरा के संग हुए, जैसा इःसाकार वैसा ह: बाराक भी या; उसके पीछे लगे हुए वे तराई म फपटकर गए। Rबेन क नदयHके पास बड़े बड़े काम मन म ठाने गए।। 16 तू चरवाहHका सीट: बजाना सुनने को भेड़शालHके बीच यHबैठा रहा? Rबेन क नदयHके पास बड़े बड़े काम सोचे गए।। 17 िगलाद यरदन पार रह गया; और दान यHजहाजHम रह गया? आशेर समुि के तीर पर बैठा रहा, और उसक खाडय़Hके पास रह गया।। 18 जबलून अपके ूाण पर खेलनेवाले लोग ठहरे ; नTाली भी दे श के ऊंचे ऊंचे ःयानHपर वैसा ह: ठहरा। 19 राजा आकर लड़े , उस समय कनान के राजा मिगXो के सोतHके पास तानाक म लड़े ; पर RपयHका कुछ लाभ न पाया।। 20 आकाश क ओर से भी लड़ाई हुई; वरन ताराओं ने अपके अपके म+डल से सीसरा से लड़ाई क।। 21 कशोन नद: ने उनको बहा दया, अयाOत ् वह: ूाचीन नद: जो कशोन नद: है । हे मन, हयाव बा(धे आगे बढ़।। 22 उस समय घोड़े के खुरHसे टाप का शcद होने लगा, उनके बिल घोड़Hके कूदने से यह हूआ।। 23 यहोवा का दत ू कहता है , क मेरोज को शाप दो, उसके िनवािस कH भार: शाप दो, यHक वे यहोवा क सहाथता करने को, शूरवीरHके वRa यहोवा क सहाथता करने को न आए।। 24 सब '\यHम से केनी हे बेर क \ी याएल ध(य ठहरे गी; डे रHम से रहनेवाली सब '\यHम वह ध(य ठहरे गी।। 25 सीसरा ने पानी मांगा, उस ने दध ू दया, रईसHके योbय बतOन म वह म खन ले आई।। 26 उस ने अपना हाथ खूंट: क ओर अपना दहना हाथ बढ़ई के हयौड़े क ओर बढ़ाया; और हयौड़े से सीसरा को मारा, उसके िसर को फोड़ डाला, और उसक कनप क को आरपार छे द दया।। 27 उस \ी के पांवो पर वह फुका, वह

िगरा, वह पड़ा रहा; उस \ी के पांवो पर वह फुका, वह िगरा; जहां फुका, वह:ं मरा पड़ा रहा।। 28 'खड़क म से एक \ी फांककर िच`लाई, सीसरा क माता ने फलिमली क ओट से पुकारा, क उसके रय के आने म इतनी दे र यHलगी? उसके रयHके पहयHको अबेर यHहुई है ? 29 उसी बुaमान ूितvत '\यHने उसे उर दया, वरन उस ने अपके आप को इस ूकार उर दया, 30 क या उ(हHने लूट पाकर बांट नह:ं ली? या एक एक पुRष को एक एक वरन दो दो कुंवाgरयां; और सीसरा को रं गे हुए व\ क लूट, वरन बूटे काढ़े हुए रं गीले व\ क लूट, और लूटे हुओं के गले म दोनHओर बूटे काढ़े हुए रं गीले व\ नह:ं िमले? 31 हे यहोवा, तेरे सब शऽु ऐसे ह: नाश हो जाएं! पर(तु उसके ूे मी लोग ूताप के साय उदय होते हुए सूयO के समान तेजोमय हH।। फर दे श म चालीस वषO तक शा'(त रह:।। (यािययH 6 1 तब इॐाएिलयHने यहोवा क l म बुरा कया, इसिलथे यहोवा ने उ(ह

िमrािनयHके वश म सात वषO कर रखा। 2 और िमrानी इॐाएिलयHपर ूबल हो गए। िमrािनयHके डर के मारे इॐाएिलयHने पहाड़Hके गहरे ख]डH, और गुफाओं, और कलHको अपके िनवास बना िलए। 3 और जब जब इॐाएली बीज बोते तब तब िमrानी और अमालेक और पूवh लोग उनके वRa चढ़ाई करके 4 अGजा तक छावनी डाल डालकर भूिम क उपज नाश कर डालते थे, और इॐाएिलयHके िलथे न तो कुछ भोजनवःतु, और न भेड़-बकर:, और न गाय-बैल, और न गदहा छोड़ते थे। 5 यHक वे अपके पशुओं और डोरHको िलए हुए चढ़ाई करते, और

ट']डयHके दल के समान बहुत आते थे; और उनके ऊंट भी अनिगनत होते थे; और वे दे श को उजाड़ने के िलथे उस म आया करते थे। 6 और िमrािनयHके कारण इॐाएली बड़: दद ु O शा म पड़ गए; तब इॐाएिलयHने यहोवा क दोहाई द:।। 7 जब इॐाएिलयHने िमrािनयHके कारण यहोवा क दोहाई द:, 8 तब यहोवा ने इॐाएिलयHके पास एक नबी को भेजा, 'जस ने उन से कहा, इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , क मE तुम को िमॐ म से ले आया, और दासव के घर से िनकाल ले आया; 9 और मE ने तुम को िमिॐयHके हाथ से, वरन 'जतने तुम पर अ(धेर करते थे उन सभHके हाथ से छुड़ाया, और उनको तुSहारे साSहने से बरबस िनकालकर उनका दे श तुSह दे दया; 10 और मE ने तुम से कहा, क मE तुSहारा परमे र यहोवा हूं; एमोर: लोग 'जनके दे श म तुम रहते हो उनके दे वताओं का भय न मानना। पर(तु तुम ने मेरा कहना नह:ं माना।। 11 फर यहोवा का दत ू आकर उस बांजवृझ के तले बैठ गया, जो ओूा म अबीएजेर: योआश का या, और उसका पुऽ िगदोन एक दाखरस के कु+ड म गेहंू इसिलथे फाड़ रहा या क उसे िमrािनयHसे िछपा रखे। 12 उसको यहोवा के दत ू ने दशOन दे कर कहा, हे शूरवीर सूरमा, यहोवा तेरे संग है । 13 िगदोन ने उस से कहा, हे मेरे ूभु, बनती सुन, यद यहोवा हमारे संग होता, तो हम पर यह सब वप यHपड़ती? और 'जतने आ_यOकमJका वणOन हमारे पुरखा यह कहकर करते थे, क या यहोवा हम को िमॐ से छुड़ा नह:ं लाया, वे कहां रहे ? अब तो यहोवा ने हम को याग दया, और िमrािनयHके हाथ कर दया है । 14 तब यहोवा ने उस पर l करके कहा, अप क इसी शf पर जा और तू इॐाएिलयHको िमrािनयHके हाथ से छुड़ाएगा; या मE ने तुझे नह:ं भेजा? 15 उस ने कहा, हे मेरे ूभु, बनती सुन, मE इॐाएल को

यHकर छुड़ाऊ? दे ख, मेरा कुल मनँशे म सब से कंगाल है , फर मE अपके पता के घराने म सब से छोटा हूं। 16 यहोवा ने उस से कहा, िन_य मE तेरे संग रहूंगा; सो तू िमrािनयHको ऐसा मार लेगा जैसा एक मनुंय को। 17 िगदोन ने उस से कहा, यद तेरा अनुमह मुझ पर हो, तो मुझे इसका कोई िच(ह दखा क तू ह: मुझ से बात कर रहा है । 18 जब तक मE तेरे पास फर आकर अप क भ ट िनकालकर तेरे साSहने न रखूं, तब तक तू यहां से न जा। उस ने कहा, मE तेरे लौटने तक ठहरा रहंू गा। 19 तब िगदोन ने जाकर बकर: का एक ब.चा और एक एपा मैदे क अखमीर: रोटयां तैयार कं; तब मांस को टोकर: म , और जूस को तसले म रखकर बांजवृझ के तले उसके पास ले जाकर दया। 20 परमे र के दत ू ने उस से कहा, मांस और अखमीर: रोटयHको लेकर इस च=टान पर रख दे , और जूस को उ+डे ल दे । उस ने ऐसा ह: कया। 21 तब यहोवा के दत ू ने अपके हाथ क लाठq को बढ़ाकर मांस और अखमीर: रोटयHको छूआ; और च=टान से आग िनकली 'जस से मांस और अखमीर: रोटयां भःम हो गई; तब यहोवा का दत ू उसक l से अ(तर~यान हो गया। 22 जब िगदोन ने जान िलया क वह यहोवा का दत ू या, तब िगदोन कहने लगा, हाथ, ूभु यहोवा! मE ने तो यहोवा के दत ू को साझात दे खा है । 23 यहोवा ने उस से कहा, तुझे शा'(त िमले; मत डर, तू न मरे गा। 24 तब िगदोन ने वहां यहोवा क एक वेद: बनाकर उसका नाम यहोवा शालोम रखा। वह आज के दन तक अबीएजेgरयHके ओूा म बनी है । 25 फर उसी रात को यहोवा ने िगदोन से कहा, अपके पता का जवान बैल, अयाOत ् दस ू रा सात वषO का बैल ले, और बाल क जो वेद: तेरे पता क है उसे िगरा दे , और जो अशेरा दे वी उसके पास है उसे काट डाल; 26 और उस lढ़ ःयान क चोट: पर

ठहराई हुई र:ित से अपके परमे र यहोवा क एक वेद: बना; तब उस दस ू रे बैल को ले, और उस अशेरा क लकड़: जो तू काट डालेगा जलाकर होमबिल चढ़ा। 27 तब िगदोन ने अपके संग दस दासHको लेकर यहोवा के वचन के अनुसार कया; पर(तु अपके पता के घराने और नगर के लोगHके डर के मारे वह काम दन को न कर सका, इसिलथे रात म कया। 28 बहान को नगर के लोग सवेरे उठकर या दे खते हE , क बाल क वेद: िगर: प क है , और उसके पास क अशेरा कट: प क है , और दस ू रा बैल बनाई हुई वेद: पर चढ़ाया हुआ है । 29 तब वे आपस म

कहने लगे, यह काम कस ने कया? और पूछपाछ और ढू ं ढ़-ढांढ़ करके वे कहने लगे, क यह योआश के पुऽ िगदोन का काम है । 30 तब नगर के मनुंयHने योआश से कहा, अपके पुऽ को बाहर ले आ, क मार डाला जाए, यHक उस ने बाल क वेद: को िगरा दया है , और उसके पास क अशेरा को भी काट डाला है । 31 योआश ने उन सभHसे जो उसके साSहने खड़े हुए थे कहा, या तुम बाल के िलथे वाद ववाद करोगे? या तुम उसे बचाओगे ? जो कोई उसके िलथे वाद ववाद करे वह मार डाला जाएगा। बहान तक ठहरे रहो; तब तक यद वह परमे र हो, तो 'जस ने उसक वेद: िगराई है उस से वह आप ह: अपना वाद ववाद करे । 32 इसिलथे उस दन िगदोन का नाम यह कहकर यRcबाल रखा गया, क इस ने जो बाल क वेद: िगराई है तो इस पर बाल आप वाद ववाद कर ले।। 33 इसके बाद सब िमrानी और अमालेक और पूवh इक=ठे हुए, और पार आकर ियळेल क तराई म डे रे डाले। 34 तब यहोवा का आमा िगदोन म समाया; और उस ने नरिसंगा फूंका, तब अबीएजेर: उसक सुनने के िलथे इक=ठे हुए। 35 फर उस ने कुल मनँशे के पास अपके दत ू भेजे; और वे भी उसके समीप इक=ठे

हुए। और उस ने आशेर, जबूलन ू , और नTाली के पास भी दत ू भेजे; तब वे भी उस से िमलने को चले आए। 36 तब िगदोन ने परमे र से कहा, यद तू अपके वचन के अनुसार इॐाएल को मेरे kारा छुड़ाएगा, 37 तो सुन, मE एक भेड़: क ऊन खिलहान म रखूंगा, और यद ओस केवल उस ऊन पर पके, और उसे छोड़ सार: भूिम सूखी रह जाए, तो मE जान लूग ं ा क तू अपके वचन के अनुसार इॐाएल को मेरे kारा छुड़ाएगा। 38 और ऐसा ह: हुआ। इसिलथे जब उस ने बहान को सबेरे उठकर उस ऊन को दबाकर उस म से ओस िनचोड़:, तब एक कटोरा भर गया। 39 फर िगदोन ने परमे र से कहा, यद मE एक बार फर कहंू , तो तेरा बोध मुझ पर न भड़के; मE इस ऊन से एक बार और भी तेर: प कझा कRं, अयाOत ् केवल ऊन ह: सूखी रहे , और सार: भूिम पर ओस पके। 40 इस रात को परमश ्◌ेवर ने ऐसा ह: कया; अयाOत ् केवल ऊन ह: सूखी रह गई, और सार: भूिम पर ओस प क।। (यािययH 7 1 तब िगदोन जो यRcबाल भी कहलाता है और सब लोग जो उसके संग थे सवेरे उठे , और हरोद नाम सोते के पास अपके डे रे खड़े कए; और िमrािनयHक छावनी उनक उर: ओर मोरे नाम पहाड़: के पास तराई म प क यी।। 2 तब यहोवा ने िगदोन से कहा, जो लोग तेरे संग हE वे इतने हE क मE िमrािनयHको उनके हाथ नह:ं कर सकता, नह:ं तो इॐाएल यह कहकर मेरे वRa अप क बड़ाई मारने लगे, क हम अपके ह: भुजबल के kारा बचे हE । 3 इसिलथे तू जाकर लोगHम यह ूचार करके सुना दे , क जो कोई डर के मारे यरयराता हो, वह िगलाद पहाड़ से

लौटकर चला जाए। तब बाईस हजार लोग लौट गए, और केवल दस हजार रह गए। 4 फर यहोवा ने िगदोन से कहा, अब भी लोग अिधक हE ; उ(ह सोते के पास नीचे ले चल, वहां मE उ(ह तेरे िलथे परखूंगा; और 'जस 'जसके वषय म मE तुझ से कहंू , क यह ते रे संग चले, वह तो तेरे संग चले; और 'जस 'जसके वषय मे मE कहंू , क यह तेरे संग न जाए, वह न जाए। 5 तब वह उनको सोते के पास नीचे ले गया; वहां यहोवा ने िगदोन से कहा, 'जतने कुे क नाई जीभ से पानी चपड़ चपड़ करके पीएं उनको अलग रख; और वैसा ह: उ(ह भी जो घुटने टे ककर पीएं। 6 'ज(हHने मुह ं म हाथ लगा चपड़ चपड़ करके पानी पया उनक तो िगनती तीन सौ ठहर:; और बाक सब लोगHने घुटने टे ककर पानी पया। 7 तब यहोवा ने िगदोन से कहा, इन तीन सौ चपड़ चपड़ करके पीनेवालHके kारा मE तुम को छुड़ाऊंगा, और िमrािनयHको तेरे हाथ म कर दं ग ू ा; और सब लोग अपके अपके ःयान को लौट जाए। 8 तब उन लोगHने हाथ म सीधा और अपके अपके नरिसंगे िलए; और उस ने इॐाएल के सब पुRषHको अपके अपके डे रे क ओर भेज दया, पर(तु उन तीन सौ पुRषHको अपके पास रख छोड़ा; और िमrान क छावनी उसके नीचे तराई म प क यी।। 9 उसी रात को यहोवा ने उस से कहा, उठ, छावनी पर चढ़ाई कर; यHक मE उसे तेरे हाथ कर दे ता हंू । 10 पर(तु यद तू चढ़ाई करते डरता हो, तो अपके सेवक फूरा को संग लेकर छावनी के पास जाकर सुन, 11 क वे या कह रहे है ; उसके बाद तुझे उस छावनी पर चढ़ाई करने का हयाव होगा। तब वह अपके सेवक फूरा को संग ले उन हिययार-ब(दHके पास जो छावनी क छोर पर थे उतर गया। 12 िमrानी और अमालेक और सब पूवh लोग तो ट']डयHके समान बहुत से तराई म फैले पके थे; और उनके ऊंट समुितीर के

बालू के कनकHके समान िगनती से बाहर थे। 13 जब िगदोन वहां आया, तब एक जन अपके कसी संगी से अपना ःव€न यHकह रहा या, क सुन, मE ने ःव€न म

या दे खा है क जौ क एक रोट: लुढ़कते लुढ़कते िमrान क छावनी म आई, और डे रे को ऐसा ट कर मारा क वह िगर गया, और उसको ऐसा उलट दया, क डे रा िगरा पड़ा रहा। 14 उसके संगी ने उर दया, यह योआश के पुऽ िगदोन नाम एक इॐाएली पुRष क तलवार को छोड़ कुछ नह:ं है ; उसी के हाथ म परमे र ने िमrान को सार: छावनी समेत कर दया है ।। 15 उस ःव€न का वणOन और फल सुनकर िगदोन ने द+डवत ् क; और इॐाएल क छावनी म लौटकर कहा, उठो, यहोवा ने िमrानी सेना को तुSहारे वश म कर दया है । 16 तब उस ने उन तीन सौ पुRषHके तीन फु+ड कए, और एक एक पुRष के हाथ म एक नरिसंगा और खाली घड़ा दया, और घड़Hके भीतर एक मशाल यी। 17 फर उस ने उन से कहा, मुझे दे खो, और वैसा ह: करो; सुनो, जब मE उस छावनी क छोर पर पहंु च,ूं तब जैसा मE कRं वैसा ह: तुम भी करना। 18 अयाOत ् जब मE और मेरे सब संगी नरिसंगा फूंक तब तुम भी छावनी क चारHओर नरिसंगे फूंकना, और ललकारना, क यहोवा क और िगदोन क तलवार।। 19 बीचवाले पहर के आद म GयHह: पहRओं क बदली हो गई यी योह:ं िगदोन अपके संग के सौ पुRषHसमेत छावनी क छोर पर गया; और नरिसंगे को फूंक दया और अपके हाथ के घड़Hको तोड़ डाला। 20 तब तीनHफु+डHने नरिसंगHको फूंका और घड़Hको तोड़ डाला; और अपके अपके बाएं हाथ म मशाल और दहने हाथ म फूंकने को नरिसंगा िलए हुए िच`ला उठे , यहोवा क तलवार और िगदोन क तलवार। 21 तब वे छावनी के चारHओर अपके अपके ःयान पर खड़े रहे , और सब सेना के लोग दौड़ने लगे ; और

उ(हHने िच`ला िच`लाकर उ(ह भगा दया। 22 और उ(हHने तीन सौ नरिसंगHको फूंका, और यहोवा ने एक एक पुRष क तलवार उसके संगी पर और सब सेना पर चलवाई; तो सेना के लोग सरे रा क ओर बेतिशा तब और तcबात के पास के आबेलमहोला तक भाग गए। 23 तब इॐाएली पुRष नTाली और आशेर और मनँशे के सारे दे श से इक=ठे होकर िमrािनयHके पीछे पके। 24 और िगदोन ने एूैम के सब पहाड़: दे श म यह कहने को दत ू भेज दए, क िमrािनयHसे मुठभेड़ करने को चले आओ, और यरदन नद: के घाटHको बेतबारा तक उन से पहले अपके वश म कर लो। तब सब एूैमी पुRषHने इक=ठे होकर यरदन नद: को बे तबारा तक अपके वश म कर िलया। 25 और उ(हHने ओरे ब और जेब नाम िमrान के दो हाकमHको पकड़ा; और ओरे ब को ओरे ब नाम च=टान पर, और जेब को जेब नाम दाखरस के कु+ड पर घात कया; और वे िमrािनयHके पीछे पके; और ओरे ब और जेब के िसर यरदन के पार िगदोन के पास ले गए।। (यािययH 8 1 तब एूैमी पुRषHने िगदाने से कहा, तू ने हमारे साय ऐसा बताOव यHकया है , क जब तू िमrान से लड़ने को चला तब हम को नह:ं बुलवाया? सो उ(हHने उस से बड़ा फगड़ा कया। 2 उस ने उन से कहा, मE ने तुSहारे समान भला अब कया ह: या है ? या एूैम क छोड़: हुई दाख भी अबीएजेर क सब फसल से अ.छq नह:ं है ? 3 तुSहारे ह: हाथHम परमे र ने ओरब और जेब नाम िमrान के हाकमHको कर दया; तब तुSहारे बराबर मE कर ह: या सका? जब उस ने यह बात कह:, तब उनका जी उसक ओर से ठं ड़ा हो गया।। 4 तब िगदोन और उसके संग तीनHसौ

पुRष, जो यके मा(दे थे तौभी खदे ड़ते ह: रहे थे, यरदन के तीर आकर पार हो गए। 5 तब उस ने सु कोत के लोगHसे कहा, मेरे पीछे इन आनेवालHको रोटयां दो, यHक थे यके मा(दे हE ; और मE िमrान के जेबह और स`मु(ना नाम राजाओं का पीछा कर रहा हंू । 6 सु कोत के हाकमHने उर दया, या जेबह और स`मु(ना तेरे हाथ म पड़ चुके हE , क हम तेर: सेना को रोट: दे ? 7 िगदोन ने कहा, जब यहोवा जेबह और स`मु(ना को मेरे हाथ म कर दे गा, तब मE इस बात के कारण तुम को जंगल के कट:ले और ब.छू पेड़Hसे नुचवाऊंगा। 8 वहां से वह पनूएल को गया, और वहां के लोगHसे ऐसी ह: बात कह:; और पनूएल के लोगHने सु कोत के लोगHका सा उर दया। 9 उस ने पनूएल के लोगHसे कहा, जब मE कुशल से लौट आऊंगा, तब इस गुSमट को ढा दं ग ू ा।। 10 जेबह और स`मु(ना तो ककzर म थे, और उनके साय कोई प(िह हजार पुRषHक सेना यी, यHक पूवयJक सार: सेना म से उतने ह: रह गए थे; जो मारे गए थे वे एक लाख बीस हजार हिययारब(द थे। 11 तब िगदोन ने नोबह और योbबहा के पूवO क ओर डे रHम रहनेवालHके मागO म चढ़कर उस सेना को जो िनडर प क यी मार िलया। 12 और जब जे बह और स`मु(ना को पकड़ िलया, और सार: सेना को भगा दया। 13 और योआश का पुऽ िगदोन हे रेस नाम चढ़ाई पर से लड़ाई से लौटा। 14 और सु कोत के एक जवान पुRष को पकड़कर उस से पूछा, और उस ने सु कोत के सतहरHहाकमHऔर वृa लोगHके पके िलखवाथे। 15 तब वह सु कोत के मनुंयHके पास जाकर कहने लगा, जेबह और स`मु(ना को दे खा, 'जनके वषय म तुम ने यह कहकर मुझे िचढ़ाया या, क या जेबह और स`मु(ना अभी तेरे हाथ म हE , क हम तेरे यके मा(दे जनHको रोट: द ? 16 तब उस ने उस नगर के वृa

लोगHको पकड़ा, और जंगल के कट:ले और ब.छू पे ड़ लेकर सु कोत के पुRषHको कुछ िसखाया। 17 और उस ने पनूएल के गुSमट को ढा दया, और उस नगर के मनुंयHको घात कया। 18 फर उस ने जेबह और स`मु(ना से पूछा, जो मनुंय तुम ने ताबोर पर घात कए थे वे कैसे थे? उ(हHने उर दया, जैसा तू वैसे ह: वे भी थे अयाOत ् एक एक का Rप राजकुमार का सा या। 19 उस ने कहा, वे तो मेरे भाई, वरन मेरे सहोदर भाई थे; यहोवा के जीवन क शपय, यद तुम ने उनको जीवत छोड़ा होता, तो मE तुम को घान न करता। 20 तब उस ने अपके जेठे पुऽ यतेरे से कहा, उठकर इ(ह घात कर। पर(तु जवान ने अप क तलवार न खींची, यHक वह उस समय तक लड़का ह: या, इसिलथे वह डर गया। 21 तब जेबह और स`मु(ना ने कहा, तू उठकर हम पर ूहार कर; यHक जैसा पुRष हो, वैसा ह: उसका पौRष भी होगा। तब िगदोन ने उठकर जेबह और स`मु(ना को घात कया; और उनके ऊंटHके गलHके च(िहारHको ले िलया।। 22 तब इॐाएल के पुRषHने िगदोन से कहा, तू हमारे ऊपर ूभुता कर, तू और तेरा पुऽ और पोता भी ूभुता करे ; यHक तू ने हम को िमrान के हाथ से छुड़ाया है । 23 िगदोन ने उन से कहा, मE तुSहारे ऊपर ूभुता न कRंगा, और न मेरा पुऽ तुSहारे ऊपर ूभुता करे गा; यहोवा ह: तुम पर ूभुता करे गा। 24 फर िगदोन ने उन से कहा, मE तुम से कुछ मांगता हंू ; अयाOत ् तुम मुझ को अप क अप क लूट म क बािलयां दो। (वे तो इशमाएली थे, इस कारण उनक बािलयां सोने क यीं।) उ(हHने कहा, िन_य हम द गे। 25 तब उ(हHने कपड़ा बछाकर उस म अप क अप क लूट म से िनकालकर बािलयां डाल द:ं। 26 जो सोने क बािलयां उस ने मांग लीं उनका तौल एक हजार सात सौ शेकेल हुआ; और उनको छोड़ च(िहार, फुमके, और बEगनी

रं ग के व\ जो िमrािनयHके राजा पहने थे, और उनके ऊंटHके गलHक जंजीर। 27 उनका िगदोन ने एक एपोद बनवाकर अपके ओूा नाम नगर म रखा; और सब इॐाएल वहां eयिभचाgरणी क नाL उसके पीछे हो िलया, और वह िगदोन और उसके घराने के िलथे फ(दा ठहरा। 28 इस ूकार िमrान इॐािलयHसे दब गया, और फर िसर न उठाया। और िगदोन के जीवन भर अयाOत ् चालीस वषO तक दे श चैन से रहा। 29 योआश का पुऽ यRcबाल तो जाकर अपके घर म रहने लगा। 30 और िगदोन के सर बेटे उप(न हुए, यHक उसके बहुत '\यां यीं। 31 और उसक जो एक रखेली शकेम म रहती यी उसके एक पुऽ उप(न हुआ, और िगदोन ने उसका नाम अबीमेलेक रखा। 32 िनदान योआश का पुऽ िगदोन पूरे बुढ़ापे म मर गया, और अबीएजेgरयHके ओूा नाम गांव म उसके पता योआश क कबर म उसको िम=ट: द: गई।। 33 िगदोन के मरते ह: इॐाएली फर गए, और eयिभचाgरणी क नाL बाल दे वताओं के पीछे हो िलए, और बालबर:त को अपना दे वता मान िलया। 34 और इॐाएिलयHने अपके परमे र यहोवा को, 'जस ने उनको चारHओर के सब शऽुओं के हाथ से छुड़ाया या, ःमरण न रखा; 35 और न उ(हHने यRcबाल अयाOत ् िगदोन क उस सार: भलाई के अनुसार जो उस ने इॐाएिलयHके साय क यी उसके घराने को ूीित दखाई।। (यािययH 9 1 यRcबाल का पुऽ अबीमेलेक शकेम को अपके मामाओं के पास जाकर उन से और अपके नाना के सब घराने से यHकहने लगा, 2 शकेम के सब मनुंयHसे यह पूछो, क तुSहारे िलथे या भला है ? या यह क यRcबाल के सर पुऽ तुम पर

ूभुता कर ? वा यह क एक ह: पुRष तुम पर ूभुता करे ? और यह भी ःमरण रखो क मE तुSहारा हाड़ मांस हूं। 3 तब उसके मामाओं ने शकेम के सब मनुंयHसे ऐसी ह: बात कह:ं; और उ(हHने यह सोचकर क अबीमेलेक तो हमारा भाई है अपना मन उसके पीछे लगा दया। 4 तब उ(हHने बालबर:त के म'(दर म से सर टु कड़े Rपे उसको दए, और उ(ह लगाकर अबीमेलेक ने नीच और लु.चे जन रख िलए, जो उसके पीछे हो िलए। 5 तब उस ने ओूा म अपके पता के घर जाके अपके भाइयHको जो यRcबाल के सर पुऽ थे एक ह: पयर पर घात कया; पर(तु यRcबाल का योताम नाम लहुरा पुऽ िछपकर बच गया।। 6 तब शकेम के सब मनुंयHऔर बेतिम`लो के सब लोगHने इक=ठे होकर शकेम के खSभे से पासवाले बांजवृझ के पास अबीमेलेक को राजा बनाया। 7 इसका समाचार सुनकर योताम गgरGजीम पहाड़ क चोट: पर जाकर खड़ा हुआ, और ऊंचे ःवर से पुकारा के कहने लगा, हे शकेम के मनुंयH, मेर: सुनो, इसिलथे क परमे र तुSहार: सुन । 8 कसी युग म वृझ कसी का अिभषेक करके अपके ऊपर राजा ठहराने को चले; तब उ(हHने जलपाई के वृझ से कहा, तू हम पर राGय कर। 9 तब जलपाई के वृझ ने कहा, या मE अप क उस िचकनाहट को छोड़कर, 'जस से लोग परमे र और मनुंय दोनHका आदर मान करते हE , वृझHका अिध कारनेी होकर इधर उधर डोलने को चलू?ं 10 तब वृझHने अंजीर के वृझ से कहा, तू आकर हम पर राGय कर। 11 अंजीर के वृझ ने उन से कहा, या मE अपके मीठे पन और अपके अ.छे अ.छे फलHको छोड़ वृझHका अिध कारनेी होकर इधर उधर डोलने को चलू?ं 12 फर वृझHने दाखलता से कहा, तू आकर हम पर राGय कर। 13 दाखलता ने उन से कहा, या मE अपके नथे मधु को छोड़, 'जस से परमे र और

मनुंय दोनHको आन(द होता है , वृझHक अिध कारने'◌णी होकर इधर उधर डोलने को चलू?ं 14 तब सब वृझHने फड़बेर: से कहा, तू आकर हम पर राGय कर। 15 फड़बेर: ने उन वृझHसे कहा, यद तुम अपके ऊपर राजा होने को मेरा अिभषेक स.चाई से करते हो, तो आकर मेर: छांह म शरण लो; और नह:ं तो, फड़बे र: से आग िनकलेगी 'जस से लबानोन के दे वदाR भी भःम हो जाएंगे। 16 इसिलथे अब यद तुम ने स.चाई और खराई से अबीमेलेक को राजा बनाया है , और यRcबाल और उसके घराने से भलाई क, और उस ने उसके काम के योbय बताOव कया हो, तो भला। 17 (मेरा पता तो तुSहारे िनिम लड़ा, और अपके ूाण पर खेलकर तुम को िमrािनयHके हाथ से छुड़ाया; 18 पर(तु तुम ने आज मेरे पता के घराने के वRa उठकर बलवा कया, और उसके सर पुऽ एक ह: पयर पर घात कए, और उसक लxड़: के पुऽ अबीमेलेक को इसिलथे शकेम के मनुंयHके ऊपर राजा बनाया है क वह तुSहारा भाई है ); 19 इसिलथे यद तुम लोगHने आज के दन यRcबाल और उसके घराने से स.चाई और खराई से बताOव कया हो, तो अबीमेलेक के कारण आन(द करो, और वह भी तुSहारे कारण आन(द करे ; 20 और नह:ं, तो अबीमेलेक से ऐसी आग िनकले 'जस से शकेम के मनुंय और बे तिम`लो भःम हो जाएं: शकेम के मनुंयHऔर बेतिम`लो से ऐसी आग िनकले 'जस से अबीमेलेक भःम हो जाए। 21 तब योताम भागा, और अपके भाई अबीमेलेक के डर के मारे बेर को जाकर वहां रहने लगा।। 22 और अबीमेलेक इॐाएल के ऊपर तीन वषO हाकम रहा। 23 तब परमे र ने अबीमेलेक और शकेम के मनुंयHके बीच एक बुर: आमा भेज द:; सो शकेम के मनुंय अबीमेलेक का व ासघात करने लगे; 24 'जस से यRcबाल के सर पुऽHपर

कए हुए उपिव का फल भोगा जाए, और उनका कुल उनके घात करनेवाले उनके भाई अबीमेलेक के िसर पर, और उसके अपके भाइयHके घात करने म उसक सहाथता करनेवाले शकेम के मनुंयHके िसर पर भी हो। 25 तब शकेम के मनुंयHने पहाड़Hक चोटयHपर उसके िलथे घातकHको बैठाया, जो उस मागO से सब आने जानेवालHको लूटते थे; और इसका समाचार अबीमेलेक को िमला।। 26 तब एबेद का पुऽ गाल अपके भाइयHसमेत शकेम म आया; और शकेम के मनुंयHने उसका भरोसा कया। 27 और उ(हHने मैदान म जाकर अप क अप क दाख क बाgरयHके फल तोड़े और उनका रस रौ(दा, और ःतुित का बिलदान कर अपके दे वता के म'(दर म जाकर खाने पीने और अबीमेलेक को कोसने लगे। 28 तब एबेद के पुऽ गाल ने कहा, अबीमेलेक कौन है ? शकेम कौन है क हम उसके अधीन रह ? या वह यRcबाल का पुऽ नह:ं? शकेम के पता हमोर के लोगHके तो अधीन हो, पर(तु हमे उसके अधीन यHरह ? 29 और यह ूजा मेरे वश म होती हो या ह: भला होता! तब तो मE अबीमेलेक को दरू करता। फर उस ने अबीमेलेक से कहा, अप क सेना क िगनती बढ़ाकर िनकल आ। 30 एबेद के पुऽ गाल क वे बात सुनकर नगर के हाकम जबूल का बोध भड़क उठा। 31 और उस ने अबीमेलेक के पास िछपके दत ू Hसे कहला भेजा, क एबेद का पुऽ गाल और उसके भाई शकेम म आके नगरवालHको तेरा वरोध करने को उसका रहे हE । 32 इसिलथे तू अपके संगवालHसमेत रात को उठकर मैदान म घात लगा। 33 फर बहान को सवेरे सूयO के िनकलते ह: उठकर इस नगर पर चढ़ाई करना; और जब वह अपके संगवालHसमेत ते रा साSहना करने को िनकले तब जो तुझ से बन पके वह: उस से करना।। 34 तब अबीमेलेक और उसके संग के सब लोग रात को उठ

चार फु+ड बा(धकर शकेम के वRa घात म बैठ गए। 35 और एबेद का पुऽ गाल बाहर जाकर नगर के फाटक म खड़ा हुआ; तब अबीमेलेक और उसके संगी घात छोड़कर उठ खड़े हुए। 36 उन लोगHको दे खकर गाल जबूल से कहने लगा, दे ख, पहाड़Hक चोटयHपर से लोग उतरे आते हE ! जबूल ने उस से कहा, वह तो पहाड़Hह: छाया है जो तुझे मनुंयHके समान दे ख पड़ती है । 37 गाल ने फर कहा, दे ख, लोग दे श के बीचHबीच होकर उतरे आते हE , और एक फु+ड मोननीम नाम बांज वृझ के मागO से चला आता है । 38 जबूल ने उस से कहा, तेर: यह बात कहां रह:, क अबीमेलेक कौन है क हम उसके अधीन रह ? थे तो वे ह: लोग हE 'जनको तू ने िनकSमा जाना या; इसिलथे अब िनकलकर उन से लड़। 39 तब गाल शकेम के पुRषHका अगुवा हो बाहर िनकलकर अबीमेलेक से लड़ा। 40 और अबीमेलेक ने उसको खदे ड़ा, और अबीमेलेक के साSहने से भागा; और नगर के फाटक तक पहंु चते पहंु चते बहुतेरे घायल होकर िगर पके। 41 तब अबीमेलेक अRमा म रहने लगा; और जबूल ने गाल और उसके भाइयHको िनकाल दया, और शकेम म रहने न दया। 42 दस ू रे दन लोग मैदान म िनकल गए; और यह अबीमेलेक को बताया गया। 43 और उस ने अप क सेना के तीन दल बा(धकर मैदान म घात लगाई; और जब दे खा क लोग नगर से िनकले आते हE तब उन पर चढ़ाई करके उ(ह मार िलया। 44 अबीमेलेक अपके संग के दलHसमेत आगे दौड़कर नगर के फाटक पर खड़ा हो गया, और दो दलHने उन सब लोगHपर धावा करके जो मैदान म थे उ(ह मार डाला। 45 उसी दन अबीमेलेक ने नगर से दन भर लड़कर उसको ले दया, और उसके लोगHको घात करके नगर को ढा दया, और उस पर नमक िछड़कवा दया।। 46 यह सुनकर शकेम के गुSमट के सब रहनेवाले एलबर:त के

म'(दर के गढ़ म जा घुसे। 47 जब अबीमेलेक को यह समाचार िमला क शकेम के गुSमट के सब मनुंय इक=ठे हुए हE , 48 तब वह अपके सब संिगयHसमेत सलमोन नाम पहाड़ पर चढ़ गया; और हाथ म कु`हाड़: ले पेड़Hम से एक डाली काट:, ओर उसे उठाकर अपके क(धे पर रख ली। और अपके संगवालHसे कहा क जैसा तुम ने मुझे करते दे खा वैसा ह: तुम भी फटपट करो। 49 तब उन सब लोगHने भी एक एक डाली काट ली, और अबीमेलेक के पीछे हो उनको गढ़ पर डालकर गढ़ म आग लगाई; तब शकेम के गुSमट के सब \ी पुRष जो अटकल एक हजार थे मर गए।। 50 तब अबीमेलेक ने तेबेस को जाकर उसके साSहने डे रे खड़े करके उस को ले िलया। 51 पर(तु एक नगर के बीच एक lढ़ गुSमट या, सो या \ी पुRष, नगर के सब लोग भागकर उस म घुसे; और उसे ब(द करके गुSमट क छत पर चढ़ गए। 52 तब अबीमेलेक गुSमट के िनकट जाकर उसके वRa लड़ने लगा, और गुSमट के kार तक गया क उस म आग लगाए। 53 तब कसी \ी ने च क के ऊपर का पाट अबीमेलेक के िसर पर डाल दया, और उसक खोप क फट गई। 54 तब उस ने फट अपके हिययारHके ढोनेवाले जवान को बुलाकर कहा, अप क तलवार खींचकर मुझे मार डाल, ऐसा न हो क लोग मेरे वषय म कहने पाएं, क उसको एक \ी ने घात कया। तब उसके जवान ने तलवार भHक द:, और वह मर गया। 55 यह दे खकर क अबीमेलेक मर गया है इॐाएली अपके अपके ःयान को चले गए। 56 इस ूकार जो द ु काम अबीमेलेक ने अपके सर भाइयHको घात करके अपके पता के साय कया या, उसको परमे र ने उसके िसर पर लौटा दया; 57 और शकेम के पुRषHके भी सब द ु काम परमे र ने उनके िसर पर लौटा दए, और यRcबाल के पुऽ योताम का शाप

उन पर घट गया।। (यािययH 10 1 अबीमेलेक के बाद इॐाएल के छुड़ाने के िलथे तोला नाम एक इःसाकार: उठा, वह दोदो का पोता और पूआ का पुऽ या; और एूैम के पहाड़: दे श के शामीर नगर म रहता या। 2 वह तेईस वषO तक इॐाएल का (याय करता रहा। तब मर गया, और उसको शामीर म िम=ट: द: गई।। 3 उसके बाद िगलाद: याईर उठा, वह बाईस वषO तक इॐाएल का (याय करता रहा। 4 और उसके तीस पुऽ थे जो गदहयHके तीस ब.चHपर सवार हुआ करते थे; और उनके तीस नगर भी थे जो िगलाद दे श म हE , और आज तक हcबोयाईर कहलाते हE । 5 और याईर मर गया, और उसको कामोन म िम=ट: द: गई।। 6 तब इॐाएिलयHने फर यहोवा क l म बुरा कया, अयाOत ् बाल दे वताओं और अँतोरे त दे वयHऔर आराम, सीदोन, मोआब, अSमोिनयH, और पिल'ँतयHके दे वताओं क उपासना करने लगे ; और यहोवा को याग दया, और उसक उपासना न क। 7 तब यहोवा का बोध इॐाएल पर भड़का, और उस ने उ(ह पिल'ँतयHऔर अSमोिनयHके अधीन कर दया, 8 और उस वषO थे इॐाएिलयHको सताते और पीसते रहे । वरन यरदन पार एमोgरयHके दे श िगलाद म रहनेवाले सब इॐाएिलयHपर अठारह वषO तक अ(धेर करते रहे । 9 अSमोनी यहूदा और ब(यामीन से और एूैम के घराने से लड़ने को यरदन पार जाते थे, यहां तक क इॐाएल बड़े संकट म पड़ गया। 10 तब इॐाएिलयHने यह कहकर यहोवा क दोहाई द:, क हम ने जो अपके परमे र को यागकर बाल दे वताओं क उपासना क है , यह हम ने तेरे वRa महा पाप कया

है । 11 यहोवा ने इॐाएिलयHसे कहा, या मE ने तुम को िमिॐयH, एमोgरयH, अSमोिनयH, और पिल'ँतयHके हाथ से न छुड़ाया या? 12 फर जब सीदोनी, और अमालेक, और माओनी लोगHने तुम पर अ(धेर कया; और तुम ने मेर: दोहाई द:, तब मE ने तुम को उनके हाथ से भी न छुड़ाया? 13 तौभी तुम ने मुझे यागकर पराथे दे वताओं क उपासना क है ; इसिलथे मE फर तुम को न छुड़ाऊंगा। 14 जाओ, अपके माने हुए दे वताओं क दोहाई दो; तुSहारे संकट के समय वे ह: तुSह

छुड़ाएं। 15 इॐाएिलयHने यहोवा से कहा, हम ने पाप कया है ; इसिलथे जो कुछ तेर: l म भला हो वह: हम से कर; पर(तु अभी हम छुड़ा। 16 तब वे पराए दे वताओं को अपके म~य म से दरू करके यहोवा क उपासना करने लगे ; और वह इॐाएिलयHके क के कारण खेदत हुआ।। 17 तब अSमोिनयHने इक=ठे होकर िगलाद म अपके डे रे डाले; और इॐाएिलयHने भी इक=ठे होकर िमःपा म अपके डे रे डाले। 18 तब िगलाद के हाकम एक दस ू रे से कहने लगे, कौन पुRष अSमोिनयHसे संमाम आरSभ करे गा? वह: िगलाद के सब िनवािसयHका ूधान ठहरे गा।। (यािययH 11 1 ियTह नाम िगलाद: बड़ा शूरवीर या, और वह वे ँया का बेटा या; और िगलाद से ियTह उप(न हुआ या। 2 िगलाद क \ी के भी बे टे उप(न हुए; और जब वे बड़े हो गए तब ियTह को यह कहकर िनकाल दया, क तू तो पराई \ी का बे टा है ; इस कारण हमारे पता के घराने म कोई भाग न पाएगा। 3 तब ियTह अपके भाइयHके पास से भागकर तोब दे श म रहने लगा; और ियTह के पास लु.चे

मनुंय इक=ठे हो गए; और उसके संग फरने लगे।। 4 और कुछ दनHके बाद अSमोनी इॐाएल से लड़ने लगे। 5 जब अSमोनी इॐाएल से लड़ते थे, तब िगलाद के वृa लोग ियTह को तोब दे श से ले आने को गए; 6 और ियTह से कहा, चलकर हमारा ूधान हो जा, क हम अSमोिनयHसे लड़ सक । 7 ियTह ने िगलाद के वृa लोगHसे कहा, या तुम ने मुझ से बैर करके मुझे मेरे पता के घर से िनकाल न दया या? फर अब संकट म पड़कर मेरे पास यHआए हो? 8 िगलाद के वृa लोगHने ियTह से कहा, इस कारण हम अब तेर: ओर फरे हE , क तू हमारे संग चलकर अSमोिनयHसे लड़े ; तब तू हमार: ओर से िगलाद के सब िनवािसयHका ूधान ठहरे गा। 9 ियTह ने िगलाद के वृa लोगHसे पूछा, यद तुम मुझे अSमोिनयHसे लड़ने को फर मेरे घर ले चलो, और यहोवा उ(ह मेरे हाथ कर दे , तो या मE तुSहारा ूधान ठहRंगा? 10 िगलाद के वृa लोगHने ियTह से कहा, िन_य हम तेर: इस बाते के अनुसार कर गे; यहोवा हमारे और तेरे बीच म इन वचनHका सुननेवाला है । 11 तब ियTह िगलाद के वृa लोगHके संग चला, और लोगHने उसको अपके ऊपर मु'खया और ूधान ठहराया; और ियTह ने अप क सब बात िमःपा म यहोवा के सSमुख कह सुनाई।। 12 तब ियTह ने अSमोिनयHके राजा के पास दत ू Hसे यह कहला भेजा, क तुझे मुझ से या काम, क तू मेरे दे श म लड़ने को आया है ? 13 अSमोिनयHके राजा ने ियTह के दत ू Hसे कहा, कारण यह है , क जब इॐाएली िमॐ से आए, तब अनzन से यcबोक और यरदन तक जो मेरा दे श या उसको उ(हHने छqन िलया; इसिलथे अब उसको बना फगड़ा कए फेर दे । 14 तब ियTह ने फर अSमोिनयHके राजा के पास यह कहने को दत ू भेजे, 15 क ियTह तुझ से यHकहता है , क इॐाएल ने न तो मोआब का

दे श ले िलया और न अSमोिनयHका, 16 वरन जब वे िमॐ से िनकले, और इॐाएली जंगल म होते हुए लाल समुि तक चले, और कादे श को आए, 17 तब इॐाएल ने एदोम के राजा के पास दत ू Hसे यह कहला भेजा, क मुझे अपके दे श म

होकर जाने दे ; और एदोम के राजा ने उनक न मानी। इसी र:ित उस ने मोआब के राजा से भी कहला भेजा, और उस ने भी न माना। इसिलथे इॐाएल कादे श म रह गया। 18 तब उस ने जंगल म चलते चलते एदोम और मोआब दोनHदे शHके बाहर बाहर घूमकर मोआब दे श क पूवO ओर से आकर अनzन के इसी पार अपके डे रे डाले; और मोआब के िसवाने के भीतर न गया, यHक मोआब का िसवाना अनzन या। 19 फर इॐाएल ने एमोgरयHके राजा सीहोन के पास जो हे ँबोन का राजा या दत ू Hसे यह कहला भेजा, क हम अपके दे श म से होकर हमारे ःयान को जाने दे । 20 पर(तु सीहोन ने इॐाएल का इतना व ास न कया क उसे अपके दे श म से होकर जाने दे ता; वरन अप क सार: ूजा को इक=ठq कर अपके डे रे यहस म खड़े करके इॐाएल से लड़ा। 21 और इॐाएल के परमे र यहोवा ने सीहोन को सार: ूजा समेत इॐाएल के हाथ म कर दया, और उ(हHने उनको मार िलया; इसिलथे इॐाएल उस दे श के िनवासी एमोgरयHके सारे दे श का अिध कारनेी हो गया। 22 अयाOत ् वह अनौन से यcबोक तक और जंगल से ले यरदन तक एमोgरयHके सारे दे श का अिध कारनेी हो गया। 23 इसिलथे अब इॐाएल के परमे र यहोवा ने अप क इॐाएली ूजा के साSहने से एमोgरयHको उनके दे श से िनकाल दया है ; फर या तू उसका अिध कारनेी होने पाएगा? 24 या तू उसका अिध कारनेी न होगा, 'जसका तेरा कमोश दे वता तुझे अिध कारनेी कर दे ? इसी ूकार से 'जन लोगHको हमारा परमे र यहोवा हमारे

साSहने से िनकाले, उनके दे श के अिध कारनेी हम हHगे। 25 फर या तू मोआब के राजा िस€पोर के पुऽ बालाक से कुछ अ.छा है ? या उस ने कभी इॐाएिलयHसे कुछ भी फगड़ा कया? या वह उन से कभी लड़ा? 26 जब क इॐाएल हे ँबोन और उसके गावHम , और अरोएल और उसके गावHम , और अनzन के कनारे के सब नगरHम तीन सौ वषO से बसा है , तो इतने दनHम तुम लोगHने उसको यHनह:ं छुड़ा िलया? 27 मE ने तेरा अपराध नह:ं कया; तू ह: मुझ से युa छे ड़कर बुरा eयवहार करता है ; इसिलथे यहोवा जो (यायी है , वह इॐाएिलयHऔर अSमोिनयHके बीच म आज (याय करे । 28 तौभी अSमोिनयHके राजा ने ियTह क थे बात न मानीं 'जनको उस ने कहला भेजा या।। 29 तब यहोवा का आमा ियTह म समा गया, और वह िगलाद और मनँशे से होकर िगलाद के िमःपे म

आया, और िगलाद के िमःपे से होकर अSमोिनयHक ओर चला। 30 और ियTह ने यह कहकर यहोवा क म(नत मानी, क यद तू िन:स(दे ह अSमोिनयHको मेरे हाथ म कर दे , 31 तो जब मE कुशल के साय अSमोिनयHके पास से लौट आऊं तब जो कोई मेरे भ ट के िलथे मेरे घर के kार से िनकले वह यहोवा का ठहरे गा, और मE उसे होमबिल करके चढ़ाऊंगा। 32 तब ियTह अSमोिनयHसे लड़ने को उनक ओर गया; और यहोवा ने उनको उसके हाथ म कर दया। 33 और वह अरोएर से ले िम(नीत तक, जो बीस नगर हE , वरन आबेलकरामीम तक जीतते जीतते उ(ह

बहुत बड़: मार से मारता गया। और अSमोनी इॐाएिलयHसे हार गए।। 34 जब ियTह िमःपा को अपके घर आया, तब उसक बेट: डफ बजाती और नाच क हुई उसक भ ट के िलथे िनकल आई; वह उसक एकलौती यी; उसको छोड़ उसके न तो कोई बे टा या और कोई न बेट:। 35 उसको दे खते ह: उस ने अपके कपके

फाड़कर कहा, हाथ, मेर: बेट:! तू ने कमर तोड़ द:, और तू भी मेरे क दे नेवालHम

हो गई है ; यHक मE ◌ेने यहोवा को वचन दया है , और उसे टाल नह:ं सकता। 36 उस ने उस से कहा, हे मेरे पता, तू ने जो यहोवा को वचन दया है , तो जो बात तेरे मुह ं से िनकली है उसी के अनुसार मुझ से बताOव कर, यHक यहोवा ने तेरे अSमोनी शऽुओं से तेरा पलटा िलया है । 37 फर उस ने अपके पता से कहा, मेरे िलथे यह कया जाए, क दो मह:ने तक मुझे छोड़े रह, क मE अप क सहे िलयHसहत जाकर पहाड़Hपर फरती हुई अप क कुंवार:पन पर रोती रहंू । 38 उस ने कहा, जा। तब उस ने उसे दो महने क छु=ट: द:; इसिलथे वह अप क सहे िलयHसहत च क गई, और पहाड़Hपर अप क कुंवार:पन पर रोती रह:। 39 दो मह:ने के बीतने पर वह अपके पता के पास लौट आई, और उस ने उसके वषय म अप क मानी हुइ म(नत को पूर: कया। और उस क(या ने पुRष का मुह ं कभी न दे खा या। इसिलथे इॐाएिलयHम यह र:ित च क 40 क इॐाएली '\यां ूितवषO ियTह िगलाद: क बेट: का यश गाने को वषO म चार दन तक जाया करती यीं।। (यािययH 12 1 तब एूैमी पुRष इक=ठे होकर सापोन को जाकर ियTह से कहने लगे, क जब तू अSमोिनयHसे लड़ने को गया तब हम संग चलने को यHनह:ं बुलवाया? हम तेरा घर तुझ समेत जला द गे। 2 ियTह ने उन से कहा, मेरा और मेरे लोगHका अSमोिनयHसे बड़ा फगड़ा हुआ या; और जब मE ने तुम से सहाथता मांगी, तब तुम ने मुझे उनके हाथ से नह:ं बचाया। 3 तब यह दे खकर क तुम मुझे नह:ं बचाते मE

अपके ूाणHको हथेली पर रखकर अSमोिनयHके वRa चला, और यहोवा ने उनको मेरे हाथ म कर दया; फर तुम अब मुझ से लड़ने को यHचढ़ आए हो? 4 तब ियTह िगलाद के सब पुRषHको इक=ठा करके एूैम से लड़ा और एूैम जो कहता या, क हे िगलादयो, तुम तो एूैम और मनँशे के बीच रहनेवाले एूैिमयHके भगोड़े हो, और िगलादयHने उनको मार िलया। 5 और िगलादयHने यरदन का घाट उन से पहले अपके वश म कर िलया। और जब कोई एूैमी भगोड़ा कहता, क मुझे पार जाने दो, तब िगलाद के पुRष उस से पूछते थे, या तू एूैमी है ? और यद वह कहता नह:ं, 6 तो वह उस से कहते, अ.छा, िशcबोलेत कह, और वह कहता िसcबोलेत, यHक उस से वह ठqक बोला नह:ं जाता य; तब वे उसको पकड़कर यरदन के घाट पर मार डालते थे। इस ूाकर उस समय बयालीस हजार एूैमी मारे गए।। 7 ियTह छ: वषO तक इॐाएल का (याय करता रहा। तब ियTह िगलाद: मर गया, और उसको िगलाद के कसी नगर म िम=ट: द: गई।। 8 उसके बाद बेतलेहेम का िनवासी इबसान इॐाएल का (याय करने लगा। 9 और उसके तीस बेटे हुए; और उस ने अप क तीस बेटयां बाहर cयाह द:ं, और बाहर से अपके बेटHका cयाह करके तीस बहू ले आया। और वह इॐाएल का (याय सात वषO तक करता रहा। 10 तब इबसान मर गया, और उसको बे तलेहेम म िम=ट: द: गई।। 11 उसके बाद जबूलन ू ी एलोन इॐाएल का (याय करने लगा; और वह इॐाएल का (याय दस वषO तक करता रहा। 12 तब एलोन जबूलन ू ी मर गया, और उसको जबूलन ू के दे श के अयालोन म िम=ट: द: गई।। 13 उसके बाद ह`लेल का पुऽ परातोनी अcदोन इॐाएल का (याय करने लगा। 14 और उसके चालीस बेटे और तीस पोते हुए, जो गदहयHके सर ब.चHपर

सवार हुआ करते थे। वह आठ वषO तक इॐाएल का (याय करता रहा। 15 तब ह`लेल का पुऽ परातोनी अcदोन मर गया, और उसको एूैम के दे श के परातोन म , जो अमालेकयHके पहाड़: दे श म है , िम=ट: द: गई।। (यािययH 13 1 और इॐाएिलयHने फर यहोवा क l म बुरा कया; इसिलथे यहोवा ने उनको पिल'ँतयHके वश म चालीस वषO के िलथे रखा।। 2 दािनयHके कुल का सोरावासी मानोह नाम एक पुRष या, 'जसक प^ी के बांफ होने के कारण कोई पुऽ न या। 3 इस \ी को यहोवा के दत ू ने दशOन दे कर कहा, सुन, बांफ होने के कारण तेरे ब.चा नह:ं; पर(तु अब तू गभOवती होगी और तेरे बेटा होगा। 4 इसिलथे अब सावधान रह, क न तो तू दाखमधु वा और कसी भांित क मदरा पीए, और न कोई अशुa वःतु खाए, 5 यHक तू गभOवती होगी और तेरे एक बेटा उप(न होगा। और उसके िसर पर छूरा न फरे , यHक वह ज(म ह: से परमे र का नाजीर रहे गा; और इॐाएिलयHको पिल'ँतयHके हाथ से छुड़ाने म वह:ं हाथ लगाएगा। 6 उस \ी ने अपके पित के पास जाकर कहा, परमे र का एक जन मेरे पास आया या 'जसका Rप परमे र के दत ू का सा अित भययोbय या; और मE ने उस से न पूछा क तू कहां का है ? और न उस ने मुझे अपना नाम बताया; 7 पर(तु उस ने मुझ से कहा, सुन तू गभOवती होगी और ते रे एक बेटा होगा; इसिलथे अब न तो दाखमधु वा और कसी भांित क मदरा पीना, और न कोई अशुa वःतु खाना, यHक वह लड़का ज(म से मरण के दन तक परमे र का नाजीर रहे गा। 8 तब मानोह ने यहोवा से यह बनती क, क हे ूभु, बनती सुन, परमे र का वह जन 'जसे तू ने

भेजा या फर हमारे पास आए, और हम िसखलाए क जो बालक उप(न होनेवाला है उस से हम या या कर । 9 मानोह क यह बात परमे र ने सुन ली, इसिलथे जब वह \ी मैदान म बैठq यी, और उसका पित मानोह उसके संग न या, तब परमे र का वह: दत ू उसके पास आया। 10 तब उस \ी ने फट दौड़कर अपके पित को यह समाचार दया, क जो पुRष उस दन मेरे पास आया या उसी ने मुझे दशOन दया है । 11 यह सुनते ह: मानोह उठकर अप क प^ी के पीछे चला, और उस पुRष के पास आकर पूछा, क या तू वह: पुRष है 'जसने इस \ी से बात क यीं? उस ने कहा, मE वह: हंू । 12 मानोह ने कहा, जब ते रे वचन पूरे हो जाएं तो, उस बालक का कैसा ढं ग और उसका या काम होगा? 13 यहोवा के दत ू ने मानोह से कहा, 'जतनी वःतुओं क चचाO मE ने इस \ी से क यी उन सब से यह पके रहे । 14 यह कोई वःतु जो दाखलता से उप(न होती है न खाए, और न दाखमधु वा और कसी भं◌ाित क मदरा पीए, और न कोई अशुa वःतु खाए; जो जो आWा मE ने इसको द: यी उसी को माने। 15 मानोह ने यहोवा के दत ू से कहा, हम तुझ को रोक ल , क ते रे िलथे बकर: का एक ब.चा पकाकर तैयार कर । 16 यहोवा के दत ू ने मानोह से कहा, चाहे तू मुझे रोक रखे, पर(तु मE तेरे भोजन म

से कुछ न खाऊंगा; और यद तू होमबिल करना चाहे तो यहोवा ह: के िलथे कर। (मानोह तो न जानता या, क यह यहोवा का दत ू है ।) 17 मानोह ने यहोवा के दत ू से कहा, अपना नाम बता, इसिलथे क जब तेर: बात पूर: हHतब हम ते रा आदरमान कर सक । 18 यहोवा के दत ू ने उस से कहा, मेरा नाम तो अmभुत है , इसिलथे तू उसे यHपूछता है ? 19 तब मानोह ने अ(नबिल समेत बकर: का एक ब.चा लेकर च=टान पर यहोवा के िलथे चढ़ाया तब उस दत ू ने मानोह और

उसक प^ी के दे खते दे खते एक अmभुत काम कया। 20 अयाOत ् जब लौ उस वेद: पर से आकाश क ओर उठ रह: यी, तब यहोवा का दत ू उस वेद: क लौ म होकर मानोह और उसक प^ी के दे खते दे खते चढ़ गया; तब वे भूिम पर मुह ं के बल िगरे । 21 पर(तु यहोवा के दत ू ने मानोह और उसक प^ी को फर कभी दशOन न दया। तब मानोह ने जान िलया क वह यहोवा का दत ू या। 22 तब मानोह ने अप क प^ी से कहा, हम िन_य मर जाएंगे, यHक हम ने परमे र का दशOन पाया है । 23 उसक प^ी ने उस से कहा, यद यहोवा हम मार डालना चाहता, तो हमारे हाथ से होमबिल और अ(नबिल महण न करता, और न वह ऐसी सब बात

हम को दखाता, और न वह इस समय हम ऐसी बात सुनाता। 24 और उस \ी के एक बेटा उप(न हुआ, और उसका नाम िशमशोन रखा; और वह बालक बढ़ता गया, और यहोवा उसको आशीष दे ता रहा। 25 और यहोवा का आमा सोरा और एशताओल के बीच महनदान म उसको उभारने लगा।। (यािययH 14 1 िशमशोन ितSना को गया, और ितSना म एक पिल'ँती \ी को दे खा। 2 तब उस ने जाकर अपके माता पता से कहा, ितSना म मE ने एक पिल'ँती \ी को दे खा है , सो अब तुम उस से मेरा cयाह करा दो। 3 उसके माता पता ने उस से कहा, या तेरे धाइयHक बेटयHम , वा हमारे सब लोगHम कोई \ी नह:ं है , क तू खतनाह:न पिल'ँतयHम से \ी cयाहने चाहता है ? िशमशोन ने अपके पता से कहा, उसी से मेरा cयाह करा दे ; यHक मुझे वह: अ.छq लगती है । 4 उसके माता पता न जानते थे क यह बात यहोवा क ओर से होती है , क वह पिल'ँतयHके

वRa दांव ढू ं ढता है । उस समय तो पिलँती इॐाएल पर ूभुता करते थे।। 5 तब िशमशोन अपके माता पता को संग ले ितSना को चलकर ितSना क दाख क बार: के पास पहंु चा, वहां उसके साSहने एक जवान िसंह गरजने लगा। 6 तब यहोवा का आमा उस पर बल से उतरा, और यrप उसके हाथ म कुछ न या, तौभी उस ने उसको ऐसा फाड़ डाला जैसा कोई बकर: का ब.चा फाड़े । अपना यह काम उसने अपके पता वा माता को न बतलाया। 7 तब उस ने जाकर उस \ी से बातचीत क; और वह िशमशोन को अ.छq लगी। 8 कुछ दनHके बीतने पर वह उसे लाने को लौट चला; और उस िसंह क लोय दे खने के िलथे मागO से मुड़ गया? तो या दे खा क िसंह क लोय म मधुम' खयHका एक फु+ड और मधु भी है । 9 तब वह उस म से कुछ हाथ म लेकर खाते खाते अपके माता पता के पास गया, और उनको यह बना बताए, क मE ने इसको िसंह क लोय म से िनकाला है , कुछ दया, और उ(हHने भी उसे खाया। 10 तब उसका पता उस \ी के यहां गया, और िशमशोन न जवानHक र:ित के अनुसार वहां जे वनार क। 11 उसको दे खकर वे उसके संग रहने के िलथे तीस संिगयHको ले आए। 12 िशमशोन ने उस ने कहा, मE तुम से एक पकेली कहता हंू ; यद तुम इस जेवनार के सातHदनHके भीतर उसे बूफकर अयO बता दो, तो मE तुम को तीस कुरते और तीस जोड़े कपके दं ग ू ा; 13 और यद तुम उसे न बता सको, तो तुम को मुझे तीस कुत और तीस जोड़े कपके दे ने पक गे। उ(हHने उस से कहा, अप क पकेली कह, क हम उसे सुन । 14 उस ने उन से कहा, खानेवाले म से खाना, और बलव(त म से मीठq वःतु िनकली। इस पकेली का अयO वे तीन दन के भीतर न बता सके। 15 सातव दन उ(हHने िशमशोन क प^ी से कहा, अपके पित को फुसला क वह हम पकेली का अयO

बताए, नह:ं तो हम तुझे तेरे पता के घर समेत आग म जलाएंगे। या तुम लोगHने हमारा धन लेने के िलथे हमारा नेवता कया है ? या यह: बात नह:ं है ? 16 तब िशमशोन क प^ी यह कहकर उसके साSहने रोने लगी, क तू तो मुझ से ूेम नह:ं, बैर ह: रखता है ; क तू ने एक पकेली मेर: जाित के लोगHसे तो कह: है , पर(तु मुझ को उसका अयO भी नह:ं बताया। उस ने कहा, मE ने उसे अप क माता वा पता को भी नह:ं बताया, फर या मE तुझ को बता दं ?ू 17 और जेवनार के सातHदनHम वह \ी उसके साSहने रोती रह:; और सातव दन जब उस ने उसको बहुत तंग कया; तब उस ने उसको पकेली का अयO बता दया। तब उस ने उसे अप क जाित के लोगHको बता दया। 18 तब सातव दन सूयO डू बने न पाया क उस नगर के मनुंयHने िशमशोन से कहा, मधु से अिधक या मीठा? और िसंह से अिधक या बलव(त है ? उस ने उन से कहा, यद तुम मेर: कलोर को हल म न जोतते, तो मेर: पकेली को कभी न बूफते।। 19 तब यहोवा का आमा उस पर बल से उतरा, और उस ने अँकलोन को जाकर वहां के तीस पूRषHको मार डाला, और उनका धन लूटकर तीस जोड़े कपड़Hको पकेली के बतानेवालHको दे दया। तब उसका बोध भड़का, और वह अपके पता के घर गया। 20 और िशमशोन क प^ी उसके एक संगी को 'जस से उस ने िमऽ का सा बताOव कया या cयाह द: गई।। (यािययH 15 1 पर(तु कुछ दनHबाद, गेहूं क कटनी के दनHम , िशमशोन ने बकर: का एक ब.चा लेकर अप क ससुराल म जाकर कहा, मE अप क प^ी के पास कोठर: म

जाऊंगा। पर(तु उसके ससुर ने उसे भीतर जाने से रोका। 2 और उसके ससुर ने

कहा, मE सचमुच यह जानता या क तू उस से बैर ह: रखता है , इसिलथे मE ने उसे तेरे संगी को cयाह दया। या उसक छोट: बहन उस से सु(दर नह:ं है ? उसके बदले उसी को cयाह ले। 3 िशमशोन ने उन लोगHसे कहा, अब चाहे मE पिल'ँतयHक हािन भी कRं, तौभी उनके वषय म िनदzष ह: ठहRंगा। 4 तब िशमशोन ने जाकर तीन सौ लोमडय़ां पकड़:ं, और मशाल लेकर दो दो लोमडय़Hक पूंछ एक साय बा(धी, और उनके बीच एक एक मशाल बा(धा। 5 तब मशालHम आग लगाकर उस ने लोमडय़Hको पिल'ँतयHके खड़े खेतHम छोड़ दया; और पूिलयHके ढे र वरन खड़े खे त और जलपाई क बाgरयां भी जल गL। 6 तब पिलँती पूछने लगे, यह कस ने कया है ? लोगHने कहा, उस ितSनी के दामाद िशमशोन ने यह इसिलथे कया, क उसके ससुर ने उसक प^ी उसे संगी को cयाह द:। तब पिल'ँतयHने जाकर उस प^ी और उसके पता दोनHको आग म

जला दया। 7 िशमशोन ने उन से कहा, तुम जो ऐसा काम करते हो, इसिलथे मE तुम से पलटा लेकर ह: चुप रहंू गा। 8 तब उस ने उनको अित िनठु रता के साय बड़: मार से मार डाला; तब जाकर एताम नाम च=टान क एक दरार म रहने लगा।। 9 तब पिल'ँतयHने चढ़ाई करके यहूदा दे श म डे रे खड़े कए, और लह: म

फैल गए। 10 तब यहूद: मनुंयHने उन से पूछा, तुम हम पर यHचढ़ाई करते हो? उ(हHने उर दया, िशमशोन को बा(धने के िलथे चढ़ाई करते हE , क जैसे उस ने हम से कया वैसे ह: हम भी उस से कर । 11 तब तीन हजार यहूद: पुRष ऐताम नाम च=टान क दरार म जाकर िशमशोन से कहने लगे, या तू नह:ं जानता क पिलँती हम पर ूभुता करते हE ? फर तू ने हम से ऐसा यHकया है ? उस ने उन से कहा, जैसा उ(हHने मुझ से कया या, वैसा ह: मE ने भी उन से कया है । 12

उ(हHने उस से कहा, हम तुझे बा(धकर पिल'ँतयHके हाथ म कर दे ने के िलथे आए हE । िशमशोन ने उन से कहा, मुझ से यह शपय खाओ क तुम मुझ पर ूहार न करोगे । 13 उ(हHने कहा, ऐसा न होगा; हम तुझे कसकर उनके हाथ म कर द गे; पर(तु तुझे कसी र:ित मान न डाल गे। तब वे उसको दो नई र'ःस कH बा(धकर उस च=टान पर ले गए। 14 वह लह: तक आ गया या, क पिलँती उसको दे खकर ललकारने लगे; तब यहोवा का आमा उस पर बल से उतरा, और उसक बांहHक र'ःसयां आग म जले हुए सन के समान हो गL, और उसके हाथHके ब(धन मानHगलकर टू ट पके। 15 तब उसको गदहे के जबड़े क एक नई ह]ड: िमली, और उस ने हाथ बढ़ा उसे लेकर एक हजार पुRषHको मार डाला। 16 तब िशमशोन ने कहा, गदहे के जबड़े क ह]ड: से ढे र के ढे र लग गए, गदहे के जबड़े क ह]ड: ह: से मE ने हजार पुRषHको मार डाला।। 17 जब वह ऐसा कह चुका, तब उस ने जबड़े क ह]ड: फ क द: और उस ःयान का नाम रामत-लह: रखा गया। 18 तब उसको बड़: €यास लगी, और उस ने यहोवा को पुकार के कहा तू ने अपके दास से यह बड़ा छुटकारा कराया है ; फर या मE अब €यासHमरके उन खतनाह:न लोगHके हाथ म पडू ं ? 19 तब परमे र ने लह: म ओखली सा गढ़हा कर दया, और उस म से पानी िनकलने लगा; और जब िशमशोन ने पीया, तब उसके जी म जी आया, और वह फर ताजा दम हो गया। इस कारण उस सोते का नाम एनह कोरे रखा गया, वह आज के दन तक लह: म हE । 20 िशमशोन तो पिल'ँतयHके दनHम बीस वषO तक इॐाएल का (याय करता रहा।। (यािययH 16

1 तब िशमशोन अGजा को गया, और वहां एक वेँया को दे खकर उसके पास गया। 2 जब अ'GजयHको इसका समाचार िमला क िशमशोन यहां आया है , तब उ(हHने उसको घेर िलया, और रात भर नगर के फाटक पर उसक घात म लगे रहे ; और यह कहकर रात भर चुपचाप रहे , क बहान को भोर होते ह: हम उसको घात कर गे। 3 पर(तु िशमशोन आधी रात तक पड़ा रह कर, आधी रात को उठकर, उस ने नगर के फाटक के दोनHप`लHऔर दोनो बाजुओं को पकड़कर ब ड़Hसमेत उखाड़ िलया, और अपके क(घHपर रखकर उ(ह उस पहाड़ क चोट: पर ले गया, जो हे ॄोन के साSहने है ।। 4 इसके बाद वह सोरे क नाम नाले म रहनेवाली दलीला नाम एक \ी से ूीित करने लगा। 5 तब पिल'ँतयHके सरदारHने उस \ी के पास जाके कहा, तू उसको फुसलाकर बूफ ले क उसके महाबल का भेद या है , और कौन उपाय करके हम उस पर ऐसे ूबल हH, क उसे बा(धकर दबा रख ; तब हम तुझे bयारह bयारह सौ टु कड़े चा(द: द गे। 6 तब दलीला ने िशमशोन से कहा, मुझे बता दे क तेरे बड़े बल का भेद या है , और कसी र:ित से कोई तुझे बा(धकर दबा रख सके। 7 िशमशोन ने उस से कहा, यद मE सात ऐसी नई नई तातHसे बा(धा जाऊं जो सुखाई न गई हH, तो मेरा बल घट जाथेगा, और मE साधारण मनुंय सा हो जाऊंगा। 8 तब पिल'ँतयHके सरदार दलीला के पास ऐसी नई नई सात तात ले गए जो सुखाई न गई यीं, और उन से उस ने िशमशोन को बा(धा। 9 उसके पास तो कुछ मनुंय कोठर: म घात लगाए बैठे थे। तब उस ने उस से कहा, हे िशमशोन, पिलँती तेर: घात म हE ! तब उस ने तांतHको ऐसा तोड़ा जैसा सन का सूत आग म छूते ह: टू ट जाता है । और उसके बल का भेद न खुला। 10 तब दलीला ने िशमशोन से कहा, सुन, तू ने तो मुझ से छल कया, और फूठ

कहा है ; अब मुझे बता दे क तू कस वःतु से ब(ध सकता है । 11 उस ने उस से कहा, यद मE ऐसी नई नई र'ःस कH जो कसी काम म न आई हHकसकर बा(धा जाऊं, तो मेरा बल घट जाएगा, और मE साधारण मनुंय के समान हो जाऊंगा। 12 तब दलीला ने नई नई र'ःसयां लेकर और उसको बा(धकर कहा, हे िशमशोन, पिलँती ते र: घात म हE ! कतने मनुंय तो उस कोठर: म धात लगाए हुए थे। तब उस ने उनको सूत क नाL अप क भुजाओं पर से तोड़ डाला। 13 तब दलीला ने िशमशोन से कहा, अब तक तू मुझ से छल करता, और फूठ बोलता आया है ; अब मुझे बता दे क तू काहे से ब(ध सकता है ? उस ने कहा यद तू मेरे िसर क सातHलट ताने म बुने तो ब(ध सकूंगा। 14 सो उस ने उसे खूंट: से जकड़ा। तब उस से कहा, हे िशमशोन, पिलँती तेर: घात म हE ! तब वह नींद से चxक उठा, और खूंट: को धरन म से उखाड़कर उसे ताने समेत ले गया। 15 तब दलीला ने उस से कहा, तेरा मन तो मुझ से नह:ं लगा, फर तू यHकहता है , क मE तुझ से ूीित रखता हंू ? तू ने थे तीनHबार मुझ से छल कया, और मुझे नह:ं बताया क तेरे बड़े बल का भेद या है । 16 सो जब उस ने हर दन बात करते करते उसको तंग कया, और यहां तक हठ कया, क उसके नाकHम दम आ गया, 17 तब उस ने अपके मन का सारा भेद खोलकर उस से कहा, मेरे िसर पर छुरा कभी नह:ं फरा, यHक मE मां के पेट ह: से परमे र का नाजीर हंू , यद मE मूड़ा जाऊं, तो मेरा बल इतना घट जाएगा, क मE साधारण मनुंय सा हो जाऊंगा। 18 यह दे खकर, क उस ने अपके मन का सारा भेद मुझ से कह दया है , दलीला ने पिल'ँतयHके सरदारHके पास कहला भेजा, क अब क बार फर आओ, यHक उस ने अपके मन का सब भेद मुझे बता दया है । तब पिल'ँतयHके सरदार हाथ म Rपया िलए

हुए उसके पास गए। 19 तब उस ने उसको अपके घुटनHपर सुला रखा; और एक मनुंय बुलवाकर उसके िसर क सातHलट मु+डवा डालीं। और वह उसको दबाने लगी, और वह िनबOल हो गया। 20 तब उस ने कहा, हे िशमशोन, पिलँती तेर: घात म हE ! तब वह चxककर सोचने लगा, क मE पहले क नाL बाहर जाकर फटकूंगा। वह तो न जानता या, क यहोवा उसके पास से चला गया है । 21 तब पिल'ँतयHने उसको पकड़कर उसक आंख फोड़ डालीं, और उसे अGजा को ले जाके पीतल क बे डय़Hसे जकड़ दया; और वह ब(द:गृह म च क पीसने लगा। 22 उसके िसर के बाल मु+ड जाने के बाद फर बढ़ने लगे।। 23 तब पिल'ँतयHके सरदार अपके दागोन नाम दे वता के िलथे बड़ा यW, और आन(द करने को यह कहकर इक=ठे हुए, क हमारे दे वता ने हमारे शऽु िशमशोन को हमारे हाथ म कर दया है । 24 और जब लोगHने उसे दे खा, तब यह कहकर अपके दे वता क ःतुित क, क हमारे दे वता ने हमारे शऽु और हमारे दे श के नाश करनेवाले को, 'जस ने हम म से बहुतHको मार भी डाला, हमारे हाथ म कर दया है । 25 जब उनका मन मगन हो गया, तब उ(हHने कहा, िशमशोन को बुलवा लो, क वह हमारे िलथे तमाशा करे । इसिलथे िशमशोन ब(द:गृह म से बुलवाया गया, और उनके िलथे तमाशा करने लगा, और खSभHके बीच खड़ा कर दया गया। 26 तब िशमशोन ने उस लड़के से जो उसका हाथ पकड़े या कहा, मुझे उन खSभHको 'जन से घर सSभला हुआ है छूने दे , क मE उस पर टे क लगाऊं। 27 वह घर तो \ी पुRषHसे भरा हुआ या; पिल'ँतयHके सब सरदार भी वहां थे, और छत पर कोई तीन हजार सऽी पुRष थे, जो िशमशोन को तमाशा करते हुए दे ख रहे थे। 28 तब िशमशोन ने यह कहकर यहोवा क दोहाई द:, क हे ूभु यहोवा, मेर: सुिध ले; हे परमे र, अब

क बार मुझे बल दे , क मE पिल'ँतयHसे अप क दोनHआंखHका एक ह: पलटा लू।ं 29 तब िशमशोन ने उन दोनHबीचवाले खSभHको 'जन से घर सSभला हुआ या पकड़कर एक पर तो दाहने हाथ से और दस ू रे पर बाएं हाथ से बल लगा दया। 30 और िशमशोन ने कहा, पिल'ँतयHके संग मेरा ूाण भी जाए। और वह अपना सारा बल लगाकर फुका; तब वह घर सब सरदारHऔर उस म से सारे लोगHपर िगर पड़ा। सो 'जनको उस ने मरते समय मार डाला वे उन से भी अिधक थे 'ज(ह

उस ने अपके जीवन म मार डाला या। 31 तब उसके भाई और उसके पता के सारे घराने के लोग आए, और उसे उठाकर ले गए, और सोरा और एशताओल के म~य अपके पता मानोह क कबर म िम=ट: द:। उसने इॐाएल का (याय बीस वषO तक कया या। (यािययH 17 1 एूैम के पहाड़: दे श म मीका नाम एक पुRष या। 2 उस ने अप क माता से कहा, जो bयारह सौ टु कड़े चा(द: तुझ से ले िलए गए थे, 'जनके वषय म तू ने मेरे सुनते भी शाप दया या, वे मेरे पास हE ; मE ने ह: उनको ले िलया या। उसक माता ने कहा, मेरे बेटे पर यहोवा क ओर से आशीष होए। 3 जब उस ने वे bयारह सौ टु कड़े चा(द: अप क माता को फेर दए; तब माता ने कहा, मE अप क ओर से अपके बेटे के िलथे यह Rपया यहोवा को िन_य अपOण करती हंू ताक उस से एक मूरत खोदकर, और दस ू र: ढालकर बनाई जाए, सो अब मE उसे तुझ को फेर दे ती हंू । 4 जब उस ने वह Rपया अप क माता को फेर दया, तब माता ने दो सौ टु कड़े ढलवैयHको दए, और उस ने उन से एक मूर ् खोदकर, और दस ू र: ढालकर

बनाई; और वे मीका के घर म रह:ं। 5 मीका के पास एक दे वःयान या, तब उस ने एक एपोद, और कई एक गृहदे वता बनवाए; और अपके एक बेटे का संःकार करके उसे अपना पुरोहत ठहरा िलयां 6 उन दनHम इॐाएिलयHका कोई राजा न या; 'जसको जो ठqक सूफ पड़ता या वह: वह करता या।। 7 यहूदा के कुल का एक जवान लेवीय यहूदा के बेतलेहेम म परदे शी होकर रहता या। 8 वह यहूदा के बे तलेहेम नगर से इिसिलथे िनकला, क जहां कह:ं ःयान िमले वहां जा रहे । चलते चलते वह एूैम के पहाड़: दे श म मीका के घर पर आ िनकला। 9 मीका ने उस से पूछा, तू कहां से आता है ? उस ने कहा, मE तो यहूदा के बेतलेहेम से आया हुआ एक लेवीय हंू , और इसिलथे चला जाता हंू , क जहां कह:ं ठकाना मुझे िमले वह:ं रहूं। 10 मीका ने उस से कहा, मेरे संग रहकर मेरे िलथे पता और पुरोहत बन, और मE तुझे ूित वषO दस टु कड़े Rपे, और एक जोडा कपड़ा, और भोजनवःतु दया कRंगा; तब वह लेवीय भीतर गया। 11 और वह लेवीय उस पुRष के संग रहने को ूस(न हुआ; और वह जवान उसके साय बेटा सा बना रहा। 12 तब मीका ने उस लेवीय का संःकार कया, और वह जवान उसका पुरोहत होकर मीका के घर म रहने लगा। 13 और मीका सोचता या, क अब मE जानता हंू क यहोवा मेरा भला करे गा, यHक मE ने एक लेवीय को अपना पुरोहत कर रखा है ।। (यािययH 18 1 उन दनHम इॐाएिलयHका कोई राजा न या। और उ(ह:ं दनHम दािनयHके गोऽ के लोग रहने के िलथे कोई भाग ढू ं ढ़ रहे थे; यHक इॐाएली गोऽHके बीच उनका

भाग उस समय तक न िमला या। 2 तब दािनयHने अपके सब कुल म से पांच शूरवीरHको सोरा और एशताओल से दे श का भेद लेने और उस म दे ख भाल करने के िलथे यह कहकर भेज दया, क जाकर दे श म दे ख भाल करो। इसिलथे वे एूैम के पहाड़: दे श म मीका के घर तक जाकर वहां टक गए। 3 जब वे मीका के घर के पास आए, तब उस जवान लेवीय का बोल पहचाना; इसिलथे वहां मुड़कर उस से पूछा, तुझे यहां कौन ले आया? और तू यहां या करता है ? और यहां तेरे पास या है ? 4 उस ने उन से कहा, मीका ने मुझ से ऐसा ऐसा eयवहार कया है , और मुझे नौकर रखा है , और मE उसका पुरोहत हो गया हंू । 5 उ(हHने उस से कहा, परमे र से सलाह ले, क हम जान ल क जो याऽा हम करते हE वह सफल होगी वा नह:ं। 6 पुरोहत ने उन से कहा, कुशल से चले जाओ। जो याऽा तुम करते हो वह ठqक यहोवा के साSहने है । 7 तब वे पांच मनुंय चल िनकले, और लैश को जाकर वहां के लोगHको दे खा क सीदोिनयHक नाL िनडर, बेखटके, और शा'(त से रहते हE ; और इस दे श का कोई अिध कारनेी नह:ं है , जो उ(ह कसी काम म

रोके, और थे सीदोिनयHसे दरू रहते हE , और दस ू रे मनुंयHसे कुछ eयवहार नह:ं रखते। 8 तब वे सोरा और एँताओल को अपके भाइयHके पास गए, और उनके भाइयHने उन से पूछा, तुम या समाचार ले आए हो? 9 उ(हHने कहा, आओ, हम उन लोगHपर चढ़ाई कर ; यHक हम ने उस दे श को दे खा क वह बहुत अ.छा है । तुम यHचुपचाप रहते हो? वहां चलकर उस दे श को अपके वंश म कर लेने म

आलस न करो। 10 वहां पहंु चकर तुम िनडर रहते हुए लोगHको, और लSबा चौड़ा दे श पाओगे; और परमे र ने उसे तुSहारे हाथ म दे दया है । वह ऐसा ःयान है 'जस म पृवी भर के कसी पदायO क घट: नह:ं है ।। 11 तब वहां से अयाOत ् सोरा

और एशताओल से दािनयHके कुल के छ: सौ पुRषHने युa के हिययार बा(धकर ूःयान कया। 12 उ(हHने जाकर यहूदा दे श के कयOयार:म नगर म डे रे खड़े कए। इस कारण उस ःयान का नाम महनेदान आज तक पड़ा है , वह तो कयOयार:म के प'_म क ओर है । 13 वहां से वे आगे बढ़कर एूैम के पहाड़: दे श म मीका के घर के पास आए। 14 तब जो पांच मनुंय लैश के दे श का भेद लेने गए थे, वे अपके भाइयHसे कहने लगे, या तुम जानते हो क इन घरHम एक एपोद, कई एक गृहदे वता, एक खुद: और एक ढली हुई मूरत है ? इसिलथे अब सोचो, क या करना चाहथे। 15 वे उधर मुड़कर उस जवान लेवीय के घर गए, जो मीका का घर या, और उसका कुशल झे म पूछा। 16 और वे छ: सौ दानी पुRष फाटक म हिययार बा(धे हुए खड़े रहे । 17 और जो पांच मनुंय दे श का भेद लेने गए थे, उ(हHने वहां घुसकर उस खुद: हुई मूरत, और एपोद, और गृहदे वताओं, और ढली हुई मूरत को ले िलया, और वह पुरोहत फाटक म उन हिययार बा(धे हुए छ: सौ पुRषHके संग खड़ा या। 18 जब वे पांच मनुंय मीका के घर म घुसकर खुद: हुई मूरत, एपोद, गृहदे वता, और ढली हुई मूरत को ले आए थे, तब पुरोहत ने उन से पूछा, यह तुम या करते हो? 19 उ(हHने उस से कहा, चुप रह, अपके मुह ं को हाथ से ब(दकर, और हम लोगHके संग चलकर, हमारे िलथे पता और पुरोहत बन। तेरे िलथे या अ.छा है ? यह, क एक ह: मनुंय के घराने का पुरोहत हो, वा यह, क इॐाएिलयHके एक गोऽ और कुल का पुरोहत हो? 20 तब पुरोहत ूस(न हुआ, सो वह एपोद, गृहदे वता, और खुद: हुई मूरत को लेकर उन लोगHके संग चला गया। 21 तब वे मुड़े, और बालब.चH, पशुओं, और सामान को अपके आगे करके चल दए। 22 जब वे मीका के घर से दरू िनकल गए थे, तब जो

मनुंय मीका के घर के पासवाले घरHम रहते थे उ(हHने इक=ठे होकर दािनयHको जा िलया। 23 और दािनयHको पुकारा, तब उ(हHने मुह ं फेर के मीका से कहा, तुझे या हुआ क तू इतना बड़ा दल िलए आता है ? 24 उस ने कहा, तुम तो मेरे बनवाए हुए दे वताओं और पुरोहत को ले चले हो; फर मेरे पास या रह गया? तो तुम मुझ से यHपूछते हो? क तुझे या हुआ है ? 25 दािनयHने उस से कहा, तेरा बोल हम लोगHम सुनाई न दे , कह:ं ऐसा न हो क बोधी जन तुम लोगHपर ूहार कर ? और तू अपना और अपके घर के लोगHके भी ूाण को खो दे । 26 तब दािनयHने अपना मागO िलया; और मीका यह दे खकर क वे मुझ से अिधक बलव(त हE फरके अपके घर लौट गया। 27 और वे मीका के बनवाए हुए पदायJऔर उसके पुरोहत को साय ले लैश के पास आए, 'जसके लोग शा'(त से और बना खटके रहते थे, और उ(हHने उनको तलवार से मार डाला, और नगर को आग लगाकर फूंक दया। 28 और कोई बचानेवाला न या, यHक वह सीदोन से दरू या, और वे और मनुंयHसे कुछ eयवहार न रखते थे। और वह बेऽहोब क तराई म या। तब उ(हHने नगर को lढ़ कया, और उस म रहने लगे। 29 और उ(हHने उस नगर का नाम इॐाएल के एक पुऽ अपके मूलपुRष दान के नाम पर दान रखा; पर(तु पहले तो उस नगर का नाम लैश या। 30 तब दािनयHने उस खुद: हुई मूरत को खड़ा कर िलया; और दे श क ब(धुआई के समय वह योनातान जो गेशzम का पुऽ और मूसा का पोता या, वह और उसके वंश के लोग दान गोऽ के पुरोहत बने रहे । 31 और जब तक परमे र का भवन शीलो म बना रहा, तब तक वे मीका क खुदवाई हुई मूरत को ःयापत कए रहे ।। (यािययH 19

1 उन दनHम जब इॐाएिलयHका कोई राजा न या, तब एक लेवीय पुRष एूैम के पहाड़: दे श क परली ओर परदे शी होकर रहता या, 'जस ने यहूदा के बे तलेहेम म

क एक सुरैितन रख ली यी। 2 उसक सुरैितन eयिभचार करके यहूदा के बे तलेहेम को अपके पता के घर च क गई, और चार मह:ने वह:ं रह:। 3 तब उसका पित अपके साय एक सेवक और दो गदहे लेकर चला, और उसके यहां गया, क उसे समझा बुफाकर ले आए। वह उसे अपके पता के घर ले गई, और उस जवान \ी का पता उसे दे खकर उसक भ ट से आन'(दत हुआ। 4 तब उसके ससुर अयाOत ् उस \ी के पता ने बनती करके उसे रोक िलया, और वह तीन दन तक उसके पास रहा; सो वे वहां खाते पते टके रहे । 5 चौथे दन जब वे भोर को सबेरे उठे , और वह चलने को हुआ; तब \ी के पता ने अपके दामाद से कहा, एक टु कड़ा रोट: खाकर अपना जी ठ+डा कर, तब तुम लोग चले जाना। 6 तब उन दोनHने बैठकर संग संग खाया पया; फर \ी के पता ने उस पुRष से कहा, और एक रात टके रहने को ूस(न हो और आन(द कर। 7 वह पुRष वदा होने को उठा, पर(तु उसके सुसर ने बनती करके उसे दबाया, इसिलथे उस ने फर उसके यहां रात बताई। 8 पांचव दन भोर को वह तो वदा होने को सवे रे उठा; पर(तु \ी के पता ने कहा, अपना जी ठ+डा कर, और तुम दोनHदन ढलने तक Rके रहो। तब उन दोनHने रोट: खाई। 9 जब वह पुRष अप क सुरैितन और सेवक समेत वदा होने को उठा, तब उसके ससुर अयाOत ् \ी के पता ने उस से कहा, दे ख दन तो ढला चला है , और सांफ होने पर है ; इसिलथे तुम लोग रात भर टके रहो। दे ख, दन तो डू बने पर है ; सो यह:ं आन(द करता हुआ रात बता, और बहान को सवेरे उठकर अपना मागO लेना, और अपके डे रे को चले जाना। 10

पर(तु उस पुRष ने उस रात को टकना न चाहा, इसिलथे वह उठकर वदा हुआ, और काठq बा(धे हुए दो गदहे और अप क सुरैितन संग िलए हुए यबूस के साSहने तक (जो यRशलेम कहलाता है ) पहंु चा। 11 वे यबूस के पास थे, और दन बहुत ढल गया या, क सेवक ने अपके ःवामी से कहा, आ, हम यबूिसयHके इस नगर म मुड़कर टक । 12 उसके ःवामी ने उस से कहा, हम पराए नगर म जहां कोई इॐाएली नह:ं रहता, न उतर गे; िगबा तक बढ़ जाएंगे। 13 फर उस ने अपके सेवक से कहा, आ, हम उधर के ःयानHम से कसी के पास जाएं, हम िगबा वा रामा म रात बताएं। 14 और वे आगे क ओर चले; और उनके ब(यामीन के िगबा के िनकट पहंु चते पहंु चते सूयO अःत हो गया, 15 इसिलथे वे िगबा म टकने के िलथे उसक ओर मुड़ गए। और वह भीतर जाकर उस नगर के चौक म बैठ गया, यHक कसी ने उनको अपके घर म न टकाया। 16 तब एक बूढ़ा अपके खेत के काम को िनपटाकर सांफ को चला आया; वह तो एूैम के पहाड़: दे श का या, और िगबा म परदे शी होकर रहता या; पर(तु उस ःयान के लोग ब(यामीनी थे। 17 उस ने आंख उठाकर उस याऽी को नगर के चौक म बैठे दे खा; और उस बूढ़े ने पूछा, तू कधर जाता, और कहां से आता है ? 18 उस ने उस से कहा, हम लोग तो यहूदा के बे तलेहम से आकर एूैम के पहाड़: दे श क परली ओर जाते हE , मE तो वह:ं का हंू ; और यहूदा के बेतलेहेम तक गया या, और यहोवा के भवन को जाता हूं, पर(तु कोई मुझे अपके घर म नह:ं टकाता। 19 हमारे पास तो गदहHके िलथे पुआल और चारा भी है , और मेरे और ते र: इस दासी और इस जवान के िलथे भी जो ते रे दासHके संग है रोट: और दाखमधु भी है ; हम कसी वःतु क घट: नह:ं है । 20 बूढ़े ने कहा, तेरा क`याण हो; तेरे ूयोजन क सब वःतुएं मेरे िसर हH; पर(तु

रात को चौक म न बता। 21 तब वह उसको अपके घर ले चला, और गदहHको चारा दया; तब वे पांव धोकर खाने पीने लगे। 22 वे आन(द कर रहे थे, क नगर के लु.चHने घर को घेर िलया, और kार को खटखटा-खटखटाकर घर के उस बूढ़े ःवामी से कहने लगे, जो पुRष तेरे घर म आया, उसे बाहर ले आ, क हम उस से भोग कर । 23 घर का ःवामी उनके पास बाहर जाकर उन से कहने लगा, नह:ं, नह:ं, हे मेरे भाइयH, ऐसी बुराई न करो; यह पुRष जो मेरे घर पर आया है , इस से ऐसी मूढ़ता का काम मत करो। 24 दे खा, यहां मेर: कुंवार: बे ट: है , और इस पुRष क सुरैितन भी है ; उनको मE बाहर ले आऊंगा। और उनका पत-पानी लो तो लो, और उन से तो जो चाहो सो करो; पर(तु इस पुRष से ऐसी मूढ़ता का काम मत करो। 25 पर(तु उन मनुंयHने उसक न मानी। तब उस पुRष ने अप क सुरैितन को पकड़कर उनके पास बाहर कर दया; और उ(हHने उस से कुकमO कया, और रात भर या भोर तक उस से लीला बड़ा करते रहे । और पह फटते ह: उसे छोड़ दया। 26 तब वह \ी पह फटते हुए जाके उस मनुंय के घर के kार पर 'जस म उसका पित या िगर गई, और उ'जयाले के होने तक वह:ं प क रह:। 27 सवेरे जब उसका पित उठ, घर का kार खोल, अपना मागO लेने को बाहर गया, तो या दे खा, क मेर: सुरैितन घर के kार के पास डे वढ़: पर हाथ फैलाए हुए प क है । 28 उस ने उस से कहा, उठ हम चल । जब कोई न बोला, तब वह उसको गदहे पर लादकर अपके ःयान को गया। 29 जब वह अपके घर पहुंचा, तब छूर: ले सुरैितन को अंग अंग करके काटा; और उसे बारह टु कड़े करके इॐाएल के दे श म भेज दया। 30 'जतनHने उसे दे खा, वे सब आपस म कहने लगे, इॐाएिलयHके िमॐ दे श मे चले आने के समय से लेकर आज के दन तक ऐसा कुछ कभी नह:ं

हुआ, और न दे खा गया; सो इसको सोचकर सSमित करो, और बताओ।। (यािययH 20 1 तब दान से लेकर बशबा तक के सब इॐाएली और िगलाद के लोग भी िनकले, और उनक म+डली एक मत होकर िमःपा म यहोवा के पास इक=ठq हुई। 2 और सार: ूजा के ूधान लोग, वरन सब इॐाएली गोऽHके लोग जो चार लाख तलवार चलाने वाले €यादे थे, परमे र क ूजा क सभा म उप'ःयत हुए। 3 (ब(यामीिनयHने तो सुना क इॐाएली िमःमा को आए हE ।) और इॐाएली पूछने लगे, हम से कहो, यह बुराई कैसे हुई? 4 उस मार डाली हुई \ी के लेवीय पित ने उर दया, मE अप क सुरैितन समेत ब(यामीन के िगबा म टकने को गया या। 5 तब िगबा के पुRषHने मुझ पर चढ़ाई क, और रात के समय घर को घेरके मुझे घात करना चाहा; और मेर: सुरैितन से इतना कुकमO कया क वह मर गई। 6 तब मE ने अप क सुरैितन को लेकर टु कड़े टु कड़े कया, और इॐाएिलयHके भाग के सारे दे श म भेज दया, उ(हHने तो इॐाएल म महापाप और मूढ़ता का काम कया है । 7 सुनो, हे इॐाएिलयH, सब के सब दे खो, और यह:ं अप क सSमित दो। 8 तब सब लोग एक मन हो, उठकर कहने लगे, न तो हम म से कोई अपके डे रे जाएगा, और न कोई अपके घर क ओर मुड़ेगा। 9 पर(तु अब हम िगबा से यह कर गे, अयाOत ् हम िच=ठq डाल डालकर उस पर चढ़ाई कर गे, 10 और हम सब इॐाएली गोऽHम सौ पुRषHम से दस, और हजार पुRषHम से एक सौ, और दस हजार म से एक हजार पुRषHको ठहराएं, क वे सेना के िलथे भोजनवःतु पहंु चाएं; इसिलथे क हम ब(यामीन के िगबा म पहंु चकर उसको उस मूढ़ता का

पूरा फल भुगता सक जो उ(हHने इॐाएल म क है । 11 तब सब इॐाएली पुRष उस नगर के वRa एक पुRष क नाL जुटे हुए इक=ठे हो गए।। 12 और इॐाएली गोऽयHम कतने मनुंय यह पूछने को भेजे, क यह या बुराई है जो तुम लोगHम

क गई है ? 13 अब उन िगबावासी लु.चHको हमारे हाथ कर दो, क हम उनको जान से मार के इॐाएल म से बुराई नाश कर । पर(तु ब(यामीिनयHने अपके भाई इॐाएिलयHक मानने से इ(कार कया। 14 और ब(यामीनी अपके अपके नगर म से आकर िगबा म इसिलथे इक=ठे हुए, क इॐाएिलयHसे लड़ने को िनकल । 15 और उसी दन िगबावासी पुRषHको छोड़, 'जनक िगनती सात सौ चुने हुए पुRष ठहर:, और और नगरHसे आए हुए तलवार चलानेवाले ब(यामीिनयHक िगनती छcबीस हजार पुRष ठहर:। 16 इन सब लोगHम से सात सौ बEहथे चुने हुए पुRष थे, जो सब के सब ऐसे थे क गोफन से पयर मारने म बाल भर भी न चूकते थे। 17 और ब(यामीिनयHको छोड़ इॐाएली पुRष चार लाख तलवार चलानेवाले थे; थे सब के सब योaा थे।। 18 सब इॐाएली उठकर बेतेल को गए, और यह कहकर परमे र से सलाह ली, और इॐाएिलयHने पूछा, क हम म से कौन ब(यामीिनयHसे लड़ने को पहले चढ़ाई करे ? यहोवा ने कहा, यहूदा पहले चढ़ाई करे । 19 तब इॐाएिलयHने बहान को उठकर िगबा के साSहने डे रे डाले। 20 और इॐाएली पुRष ब(यामीिनयHसे लड़ने को िनकल गए; और इॐाएली पुRषHने उस से लड़ने को िगबा के वRa पांित बा(धी। 21 तब ब(यामीिनयHने िगबा से िनकल उसी दन बाईस हजार इॐाएली पुRषHको मारके िम=ट: म िमला दया। 22 तौभी इॐाएली पुRष लोगHने हयाव बा(धकर उसी ःयान म जहां उ(हHने पहले दन पांित बा(धी यी, फर पांती बा(धी। 23 और इॐाएली जाकर सांफ

तक यहोवा के साSहने राते रहे ; और यह कहकर यहोवा से पूछा, क या हम अपके भाई ब(यामीिनयHसे लड़ने को फर पास जाएं? यहोवा ने कहा, हां, उन पर चढ़ाई करो। 24 तब दस ू रे दन इॐाएली ब(यामीिनयHके िनकट पहंु चे। 25 तब ब(यामीिनयHने दस ू रे दन उनका साSहना करने को िगबा से िनकलकर फर अठारह हजार इॐाएली पुRषHको मारके, जो सब के सब तलवार चलानेवाले थे, िम=ट: म िमला दया। 26 तब सब इॐाएली, वरन सब लोग बेतेल को गए; और रोते हुए यहोवा के साSहने बैठे रहे , और उस दन सांफ तक उपवास कए रहे , और यहोवा को होमबिल और मेलबिल चढ़ाए। 27 और इॐाएिलयHने यहोवा से सलाह ली (उस समय तो परमे र का वाचा का स(दक ू वह:ं या, 28 और पीनहास, जो हाRन का पोता, और एलीआजर का पुऽ या उन दनHम उसके साSहने हा'जर रहा करता या।) उ(हHने पूछा, या मE एक और बार अपके भाई ब(यामीिनयHसे लड़ने को िनकल जाऊं, वा उनको छोड़ू ं ? यहोवा ने कहा, चढ़ाई कर; यHक कल मE उनको तेरे हाथ म कर दं ग ू ा। 29 तब इॐाएिलयHने िगबा के चारHओर लोगHको धात म बैठाया। 30 तीसरे दन इॐाएिलयHने ब(यामीिनयHपर फर चढ़ाई क, और पहले क नाL िगबा के वRa पांित बा(धी। 31 तब ब(यामीनी उन लोगHका साSहना करने को िनकले, और नगर के पास से खींचे गए; और जो दो सड़क, एक बेतेल को और दस ू र: िगबा को गई है , उन म लोगHको पहले क नाL मारने लगे, और मैदान म कोई तीस इॐाएली मारे गए। 32 ब(यामीनी कहने लगे, वे पहले क नाL हम से मारे जाते हE । पर(तु इॐाएिलयHने कहा, हम भागकर उनको नगर म से सड़कHम खींच ले आएं। 33 तब सब इॐाएली पुRषHने अपके ःयान म उठकर बालतामार म पांित बा(धी;

और घात म बैठे हुए इॐाएली अपके ःयान से, अयाOत ् मारे गेवा से अचानक िनकले। 34 तब सब इॐाएिलयHम से छांटे हुए दास हजार पुRष िगबा के साSहने आए, और घोर लड़ाई होने लगी; पर(तु वे न जानते थे क हम पर वप अभी पड़ा चाहती है । 35 तब यहोवा ने ब(यामीिनयHको इॐाएल से हरवा दया, और उस दन इॐाएिलयHने प कस हजार एक सौ ब(यामीनी पुRषHको नाश कया, जो सब के सब तलवार चलानेवाले थे।। 36 तब ब(यामीिनयHने दे खा क हम हार गए। और इॐाएली पुRष उन घातकHपर भरोसा करके 'ज(ह उ(हHने िगबा के साय बैठाया या ब(यामीिनयHके साSहने से चले गए। 37 पर(तु घातक लोग फुतh करके िगबा पर फपट गए; और घातकHने आगे बढ़कर कुल नगर को तलवार से मारा। 38 इॐाएली पुRषHऔर घातकHके बीच तो यह िच(ह ठहराया गया या, क वे नगर म से बहुत बड़ा धूएं का खSभा उठाएं। 39 इॐाएली पुRष तो लड़ाई म हटने लगे , और ब(यामीिनयHने यह कहकर क िन_य वे पहली लड़ाई क नाई हम से हारे जाते हE , इॐाएिलयHको मार डालने लगे , और तीस एक पुRषHको घात कया। 40 पर(तु जब वह धूएं का खSभा नगर म से उठने लगा, तब ब(यामीिनयHने अपके पीछे जो l क तो या दे खा, क नगर का नगर धूआ ं होकर आकाश क ओर उड़ रहा है । 41 तब इॐाएली पुRष घूमे, और ब(यामीनी पुRष यह दे खकर घबरा गए, क हम पर वप आ प क है । 42 इसिलथे उ(हHने इॐाएली पुRषHको पीठ दखाकर जंगल का मागO िलया; पर(तु लड़ाई उन से होती ह: रह, और जो और नगरHम से आए थे उनको इॐाएली राःते म नाश करते गए। 43 उ(हHने ब(यामीिनयHको घेर िलया, और उ(ह खदे ड़ा, वे मनूहा म वरन िगबा के पूवO क ओर तक उ(ह लताड़ते गए। 44 और

ब(यामीिनयHम से अठारह हजार पुRष जो सब के सब शूरवीर थे मारे गए। 45 तब वे घूमकर जंगल म क gरSमोन नाम च=टान क ओर तो भाग गए; पर(तु इॐाएिलयHने उन से पांच हजार को बीनकर सड़कHम मार डाला; फर िगदोम तक उनके पीछे पड़के उन म से दो हजार पुRष मार डाले। 46 तब ब(यामीिनयHम से जो उस दन मारे गए वे प कस हजार तलवार चलानेवाले पुRष थे, और थे सब शूरवीर थे। 47 पर(तु छ: सौ पुRष घूमकर जंगल क ओर भागे, और gरSमोन नाम च=टान म पहंु च गए, और चार मह:ने वह:ं रहे । 48 तब इॐाएली पुRष लौटकर ब(यािमिनयHपर लपके और नगरHम या मनुंय, या पशु, या जो कुछ िमला, सब को तलवार से नाश कर डाला। और 'जतने नगर उ(ह िमले उन सभHको आग लगाकर फूंक दया।। (यािययH 21 1 इॐाएली पुRषHने तो िमःपा म शपय खाकर कहा या, क हम म कोई अप क बे ट: कसी ब(यामीनी को न cयाह दे गा। 2 वे बे तेल को जाकर सांफ तक परमे र के साSहने बैठे रहे , और फूट फूटकर बहुत रोते रहे । 3 और कहते थे, हे इॐाएल के परमे र यहोवा, इॐाएल म ऐसा यHहोने पाया, क आज इॐाएल म

एक गोऽ क घट: हुई है ? 4 फर दस ू रे दन उ(हHने सवेरे उठ वहां वेद: बनाकर होमबिल और मेलबिल चढ़ाए। 5 तब इॐाएली पूछने लगे, इॐाएल के सारे गोऽHम से कौन है जो यहोवा के पास सभा म न आया या? उ(हHने तो भार: शपय खाकर कहा या, क जो कोई िमःपा को यहोवा के पास न आए वह िन_य मार डाला जाएगा। 6 तब इॐाएली अपके भाई ब(यामीन के वषय म यह कहकर

पछताने लगे, क आज इॐाएल म से एक गोऽ कट गया है । 7 हम ने जो यहोवा क शपय खाकर कहा है , क हम उ(ह अप क कसी बेट: को न cयाह द गे, इसिलथे बचे हुओं को '\यां िमलने के िलथे या कर ? 8 जब उ(हHने यह पूछा, क इॐाएल के गोऽHम से कौन है जो िमःपा को यहोवा के पास न आया या? तब यह मालूम हुआ, क िगलाद: यावेश से कोई छावनी म सभा को न आया या। 9 अयाOत ् जब लोगHक िगनती क गई, तब यह जाना गया क िगलाद: यावे श के िनवािसयHम से कोई यहां नह:ं है । 10 इसिलथे म+डली ने बारह हजार शूरवीरHको वहां यह आWा दे कर भेज दया, क तुम जाकर '\यHऔर बालब.चHसमेत िगलाद: यावेश को तलवार से नाश करो। 11 और तुSह जो करना होगा वह यह है , क सब पुRषHको और 'जतनी \ ्'◌यHने पुRष का मुह ं दे खा हो उनको सयानाश कर डालना। 12 और उ(ह िगलाद: यावेश के िनवािसयHम से चार सौ जवान कुमाgरयां िमलीं 'ज(हHने पुRष का मुह ं नह:ं दे खा या; और उ(ह वे शीलो को जो कनान दे श म है छावनी म ले आए।। 13 तब सार: म+डली ने उन ब(यामीिनयHके पास जो gरSमोन नाम च=टान पर थे कहला भेजा, और उन से संिध का ूचार कराया। 14 तब ब(यामीन उसी समय लौट गए; और उनको वे '\यां द: गL जो िगलाद: यावेश क '\यHम से जीवत छोड़: गL यीं; तौभी वे उनके िलथे योड़: यीं। 15 तब लोग ब(यामीन के वषय फर यह कहके पछताथे, क यहोवा ने इॐाएल के गोऽHम घट: क है । 16 तब म+डली के वृa गोऽHने कहा, क ब(यामीनी '\यां जो नाश हुई हE , तो बचे हुए पुRषHके िलथे \ी पाने का हम या उपाय कर ? 17 फर उ(हHने कहा, बचे हुए ब(यामीिनयHके िलथे कोई भाग चाहथे, ऐसा न हो क इॐाएल म से एक गोऽ िमट जाए। 18 पर(तु हम तो

अप क कसी बेट: को उ(ह cयाह नह:ं दे सकते, यHक इॐाएिलयHने यह कहकर शपय खाई है क शापत हो वह जो कसी ब(यामीनी को अप क लड़क cयाह दे । 19 फर उ(हHने कहा, सुनो, शीलो जो बेतेल क उर ओर, और उस सड़क क पूवO ओर है जो बेतेल से शकेन को च क गई है , और लाबोना क द' खन ओर है , उस म ूित वषO यहोवा का एक पवO माना जाता है । 20 इसिलथे उ(हHने ब(यामीिनयHको यह आWा द:, क तुम जाकर दाख क बाgरयHके बीच घात लगाए बैठे रहो, 21 और दे खते रहो; और यद शीलो क लड़कयां नाचने को िनकल , तो तुम दाख क बाgरयHसे िनकलकर शीलो क लड़कयHम से अप क अप क \ी को पकड़कर ब(यामीन के दे श को चले जाना। 22 और जब उनके पता वा भाई हमारे पास फगड़ने को आएंगे, तब हम उन से कह गे, क अनुमह करके उनको हम दे दो, यHक लड़ाई के समय हम ने उन म से एक एक के िलथे \ी नह:ं बचाई; और तुम लोगHने तो उनको cयाह नह:ं दया, नह:ं तो तुम अब दोषी ठहरते । 23 तब ब(यामीिनयHने ऐसा ह: कया, अयाOत ् उ(हHने अप क िगनती के अनुसार उन नाचनेवािलयHम से पकड़कर '\यां ले लीं; तब अपके भाग को लौट गए, और नगरHको बसाकर उन म रहने लगे। 24 उसी समय इॐाएली वहां से चलकर अपके अपके गोऽ और अपके अपके घराने को गए, और वहां से वे अपके अपके िनज भाग को गए। 25 उन दनHम इॐाएिलयHका कोई राजा न या; 'जसको जो ठqक सूफ पड़ता या वह: वह करता या।। Rत 1 1 'जन दनHम (यायी लोग (याय करते थे उन दनHम दे श म अकाल पड़ा, तब

यहूदा के बे तलेहेम का एक पुRष अप क \ी और दोनो पुऽHको संग लेकर मोआब के दे श म परदे शी होकर रहने के िलथे चला। 2 उस पुRष का नाम एलीमेलेक, और उसक प'^ का नाम नाओमी, और उसके दो बेटHके नाम महलोन और क`योन थे; थे एूाती अयाOत ् यहूदा के बे तलेहेम के रहनेवाले थे। और मोआब के दे श म आकर वहां रहे । 3 और नाओमी का पित एलीमेलेक मर गया, और नाओमी और उसके दोनो पुऽ रह गए। 4 और इ(हHने एक एक मोआबन cयाह ली; एक \ी का नाम ओपाO और दस ू र: का नाम Rत या। फर वे वहां कोई दस वषO रहे । 5 जब महलोन और क`योन दोनHमर गए, तब नाआमी अपके दोनHपुऽHऔर पित से रहत हो गई। 6 तब वह मोआब के दे श म यह सुनकर, क यहोवा ने अप क ूजा के लोगHक सुिध लेके उ(ह भोजनवःतु द: है , उस दे श से अप क दोनHबहुओं समेत लौट जाने को च क। 7 तब वह अप क दोनHबहुओं समेत उस ःयान से जहां रहती यीं िनकलीं, और उ(होने यहूदा दे श को लौट जाने का मागO िलया। 8 तब नाओमी ने अप क दोनो बहुओं से कहा, तुम अपके अपके मैके लौट जाओ। और जैसे तुम ने उन से जो मर गए हE और मुझ से भी ूीित क है , वैसे ह: यहोवा तुSहारे ऊपर कृ पा करे । 9 यहोवा ऐसा करे क तुम फर पित करके उनके घरHम वौम पाओ। तब उस ने उन को चूमा, और वे िच`ला िच`लाकर रोने लगीं, 10 और उस से कहा, िन_य हम तेरे संग तेरे लोगHके पास चल गी। 11 नाओमी ने कहा, हे मेर: बेटयH, लौट जाओ, तुम यHमेरे संग चलोगी? या मेर: कोख म और पुऽ हE जो तुSहारे पित हH? 12 हे मेर: बेटयH, लौटकर च क जाओ, यHक मE पित करने को बूढ़: हंू । और चाहे मE कहती भी, क मुझे आशा है , और आज क रात मेरे पित होता भी, और मेरे पुऽ

भी होते, 13 तौभी या तुम उनके सयाने होने तक आशा लगाए ठहर: रहतीं? और उनके िनिम पित करने से Rक रहतीं? हे मेर: बेटयH, ऐसा न हो, यHक मेरा द:ु ख तुSहारे द:ु ख से बहुत बढ़कर है ; दे खो, यहोवा का हाथ मेरे वRa उठा है । 14 तब वे फर से उठqं; और ओपाO ने तो अप क सास को चूमा, पर(तु Rत उस से अलग न हुई। 15 तब उस ने कहा, दे ख, तेर: 'जठानी तो अपके लोगHऔर अपके दे वता के पास लौट गई है ; इसिलए तू अप क 'जठानी के पीछे लौट जा। 16 Rत बोली, तू मुझ से यह बनती न कर, क मुझे याग वा छोड़कर लौट जा; यHक 'जधर तू जाए उधर मE भी जाऊंगी; जहां तू टके वहां मE भी टकूंगी; तेरे लोग मेरे लोग हHगे , और तेरा परमे र मेरा परमे र होगा; 17 जहां तू मरे गी वहां मE भी मRंगी, और वह:ं मुझे िम=ट: द: जाएगी। यद मृयु छोड़ और कसी कारण मE तुझ से अलग होऊं, तो यहोवा मुझ से वैसा ह: वरन उस से भी अिधक करे । 18 जब उस ने यह दे खा क वह मेरे संग चलने को 'ःयर है , तब उस ने उस से और बात न कह:। 19 सो वे दोनHचल िनकलीं और बेतलेहेम को पहंु ची। और उनके बेतलेहेम म पहुंचने पर कुल नगर म उनके कारण धूम मची; और '\यां कहने लगीं, या यह नाओमी है ? 20 उस ने उन से कहा, मुझे नाओमी न कहो, मुझे मारा कहो, यHक सवOशfमान ् ने मुझ को बड़ा द:ु ख दया है । 21 मE भर: पूर: च क गई यी, पर(तु यहोवा ने मुझे छूछq करके लौटाया है । सो जब क यहोवा ह: ने मेरे वRa साझी द:, और सवOशfमान ने मुझे द:ु ख दया है , फर तुम मुझे यHनाओमी कहती हो? 22 इस ूकार नाओमी अप क मोआबन बहू Rत के साय लौट:, जो मोआब के दे श से आई यी। और वे जो कटने के आरSभ के समय बेतलेहेम म पहंु ची।।

Rत 2 1 नाओमी के पित एलीमेलेक के कुल म उसका एक बड़ा धनी कुटु Sबी या, 'जसका नाम बोअज या। 2 और मोआबन Rत ने नाओमी से कहा, मुझे कसी खेत म जाने दे , क जो मुझ पर अनुमह क l करे , उसके पीछे पीछे मE िसला बीनती जाऊं। उस ने कहा, च क जा, बेट:। 3 सो वह जाकर एक खेत म

लवनेवालHके पीछे बीनने लगी, और 'जस खेत म वह संयोग से गई यी वह एलीमेलेक के कुटु Sबी बोअज का या। 4 और बोअज बेतलेहेम से आकर लवनेवालHसे कहने लगा, यहोवा तुSहारे संग रहे , और वे उस से बोले, यहोवा तुझे आशीष दे । 5 तब बोअज ने अपके उस सेवक से जो लवनेवालHके ऊपर ठहराया गया या पूछा, वह कस क क(या है । 6 जो सेवक लवनेवालHके ऊपर ठहराया गया या उस ने उर दया, वह मोआबन क(या है , जो नाओमी के संग मोआब दे श से लौट आई है । 7 उस ने कहा या, मुझे लवनेवालHके पीछे पीछे पूलHके बीच बीनने और बाल बटोरने दे । तो वह आई, और भोर से अब तक यह:ं है , केवल योड़: दे र तक घर म रह: यी। 8 तब बोअज ने Rत से कहा, हे मेर: बेट:, या तू सुनती है ? कसी दस ू रे के खेत म बीनने को न जाना, मेर: ह: दािसयHके संग यह:ं रहना। 9 'जस खेत को वे लवतीं हHउसी पर तेरा ~यान ब(धा रहे , और उ(ह:ं के पीछे पीछे चला करना। या मE ने जवानHको आWा नह:ं द:, क तुझ से न बोल ? और जब जब तुझे €यास लगे, तब तब तू बरतनHके पास जाकर जवानHका भरा हुआ पानी पीना। 10 तब वह भूिम तक फुककर मुह ं के बल िगर:, और उस से कहने लगी, या कारण है क तू ने मुझ परदे िशन पर अनुमह क l करके मेर: सुिध ली है ? 11 बोअज ने उर दया, जो कुछ तू ने पित मरने के पीछे अप क

सास से कया है , और तू कस र:ित अपके माता पता और ज(मभूिम को छोड़कर ऐसे लोगHम आई है 'जनको पहले तू ने जानती यी, यह सब मुझे वःतार के साय बताया गया है । 12 यहोवा तेर: करनी का फल दे , और इॐाएल का परमे र यहोवा 'जसके पंखHके तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला द

13 उस ने कहा, हे मेरे ूभु, तेरे अनुमह क l मुझ पर बनी रहे , यHक यrप मE तेर: दािसयHम से कसी के भी बराबर नह:ं हूं, तौभी तू ने अप क दासी के मन म पैठनेवाली बात कहकर मुझे शा'(त द: है । 14 फर खाने के समय बोअज ने उस से कहा, यह:ं आकर रोट: खा, और अपना कौर िसरके म बोर। तो वह लवनेवालHके पास बैठ गई; और उस ने उसको भुनी हुई बाल द:; और वह खाकर तृT हुई, वरन कुछ बचा भी रखा। 15 जब वह बीनने को उठq, तब बोअज ने अपके जवानHको आWा द:, क उसको पूलHके बीच बीच म भी बीनने दो, और दोष मत लगाओ। 16 वरन मु=ठq भर जाने पर कुछ कुछ िनकाल कर िगरा भी दया करो, और उसके बीनने के िलथे छोड़ दो, और उसे घुड़को मत। 17 सो वह सांफ तक खेत म बीनती रह:; तब जो कुछ बीन चुक उसे फटका, और वह कोई एपा भर जौ िनकला। 18 तब वह उसे उठाकर नगर म गई, और उसक सास ने उसका बीना हुआ दे खा, और जो कुछ उस ने तृT होकर बचाया या उसको उस ने िनकालकर अप क सास को दया। 19 उसक सास ने उस से पूछा, आज तू कहां बीनती, और कहां काम करती यी? ध(य वह हो 'जस ने तेर: सुिध ली है । तब उस ने अप क सास को बता दया, क मE ने कस के पास काम कया, और कहा, क 'जस पुRष के पास मE ने आज काम कया उसका नाम बोअज है । 20 नाओमी ने अप क बहू से कहा, वह यहोवा क ओर से आशीष पाए, यHक उस ने न तो

जीवत पर से और न मरे हुओं पर से अप क कRणा हटाई! फर नाओमी ने उस से कहा, वह पुRष तो हमारा कुटु Sबी है , वरन उन म से है 'जनको हमार: भूिम छुड़ाने का अिध कारने है । 21 फर Rत मोआबन बोली, उस ने मुझ से यह भी कहा, क जब तक मेरे सेवक मेर: कटनी पूर: न कर चुक तब तक उ(ह:ं के संग संग लगी रह। 22 नाओमी ने अप क बहु Rत से कहा, मेर: बे ट: यह अ.छा भी है , क तू उसी क दािसयHके साय साय जाया करे , और वे तुझ को दस ू रे के खेत म

न िमल । 23 इसिलथे Rत जौ और गेहंू दोनHक कटनी के अ(त तक बीनने के िलथे बोअज क दािसयHके साय साय लगी रह:; और अप क सास के यहां रहती यी।। Rत 3 1 उसक सास नाओमी ने उस से कहा, हे मेर: बे ट:, या मE तेरे िलथे ठांव न ढू ं ढूं क तेरा भला हो? 2 अब 'जसक दािसयHके पास तू यी, या वह बोअज हमारा कुटु Sबी नह:ं है ? वह तो आज रात को खिलहान म जौ फटकेगा। 3 तू ःनान कर तेल लगा, व\ पहनकर खिलहान को जा; पर(तु जब तक वह पुRष खा पी न चुके तब तक अपके को उस पर ूगट न करना। 4 और जब वह लेट जाए, तब तू उस के लेटने के ःयान को दे ख लेना; फर भीतर जा उसके पांव उघारके लेट जाना; तब वह: तुझे बताएगा क तुझे या करना चाहथे। 5 उस ने उस से कहा, जो कुछ तू कहती है वह सब मE कRंगी। 6 तब वह खिलहान को गई और अप क सास क आWा के अनुसार ह: कया। 7 जब बोअज खा पी चुका, और उसका मन आन'(दत हुआ, तब जाकर रािश के एक िस के पर लेट गया। तब वह चुपचाप

गई, और उसके पांव उघार के लेट गई। 8 आधी रात को वह पुRष चxक पड़ा, और आगे क ओर फुककर या पाया, क मेरे पांवHके पास कोई \ी लेट: है । 9 उस ने पूछा, तू कौन है ? तब वह बोली, मE तो तेर: दासी Rत हंू ; तू अप क दासी को अप क चXर ओढ़ा दे , यHक तू हमार: भूिम छुड़ानेवाला कुटु Sबी है । 10 उस ने कहा, हे बेट:, यहोवा क ओर से तुझ पर आशीष हो; यHक तू ने अप क पछली ूीित पहली से अिधक दखाई, यHक तू, या धनी, या कंगाल, कसी जवान के पीछे नह:ं लगी। 11 इसिलथे अब, हे मेर: बेट:, मत डर, जो कुछ तू कहे गी मE तुझ से कRंगा; यHक मेरे नगर के सब लोग जानते हE क तू भली \ी है । 12 और अब सच तो है क मE छुड़ानेवाला कुटु Sबी हंू , तौभी एक और है 'जसे मुझ से पहले ह: छुड़ाने का अिध कारने है । 13 सो रात भर ठहर: रह, और सबेरे यद वह तेरे िलथे छुड़ानेवाले का काम करना चाहे ; तो अ.छा, वह: ऐसा करे ; पर(तु यद वह तेरे िलथे छुड़ानेवाले का काम करने को ूस(न न हो, तो यहोवा के जीवन क शपय मE ह: वह काम कRंगा। भोर तक लेट: रह। 14 तब वह उसके पांवHके पास भोर तक लेट: रह:, और उस से पहले क कोई दस ू रे को ची(ह सके वह उठq; और बोअज ने कहा, कोई जानने न पाए क खिलहान म कोई \ी आई यी। 15 तब बोअज ने कहा, जो चXर तू ओढ़े है उसे फैलाकर याSभ ले। और जब उस ने उसे याSभा तब उस ने छ: नपुए जौ नापकर उसको उठा दया; फर वह नगर म च क गई। 16 जब Rत अप क सास के पास आई तब उस ने पूछा, हे बे ट:, या हुआ? तब जो कुछ उस पुRष ने उस से कया या वह सब उस ने उसे कह सुनाया। 17 फर उस ने कहा, यह छ: नपुए जौ उस ने यह कहकर मुझे दया, क अप क सास के पास छूछे हाथ मत जा। 18 उस ने कहा, हे मेर: बेट:, जब

तक तू न जाने क इस बात का कैसा फल िनकलेगा, तब तक चुपचाप बैठq रह, यHक आज उस पुRष को यह काम बना िनपटाए चैन न पकेगा।। Rत 4 1 तब बोअज फाटक के पास जाकर बैठ गया; और 'जस छुड़ानेवाले कुटु Sबी क चचाO बोअज ने क यी, वह भी आ गया। तब बोअज ने कहा, हे फुलाने, इघर आकर यह:ं बैठ जा; तो वह उधर जाकर बैठ गया। 2 तब उस ने नगर के दस वृa लोगHको बुलाकर कहा, यह:ं बैठ जाओ; वे भी बैठ गए। 3 तब वह छुड़ानेवाले कुटु Sबी से कहने लगा, नाओमी जो मोआब दे श से लौट आई है वह हमारे भाई एलीमेलेक क एक टु कड़ा भूिम बेचना चाहती है । 4 इसिलथे मE ने सोचा क यह बात तुझ को जताकर कहूंगा, क तू उसको इन बैठे हुओं के साSहने और मेरे लोगHके इन वृa लोगHके साSहने मोल ले। और यद तू उसको छुड़ाना चाहे , तो छुड़ा; और यद तू छुड़ाना न चाहे , तो मुझे ऐसा ह: बता दे , क मE समझ लू;ं यHक तुझे छोड़ उसके छुड़ाने का अिध कारने और कसी को नह:ं है , और तेरे बाद मE हूं। उस ने कहा, मE उसे छुड़ाऊंगा। 5 फर बोअज ने कहा, जब तू उस भूिम को नाओमी के हाथ से मोल ले, तब उसे Rत मोआबन के हाथ से भी जो मरे हुए क \ी है इस मनसा से मोल लेना पकेगा, क मरे हुए का नाम उसके भाग म

'ःयर कर दे । 6 उस छुड़ानेवाले कुटु Sबी ने कहा, मE उसको छुड़ा नह:ं सकता, ऐसा न हो क मेरा िनज भाग बगड़ जाए। इसिलथे मेरा छुड़ाने का अिध कारने तू ले ले, यHक मुझ से वह छुड़ाया नह:ं जाता। 7 अगले समय म इॐाएल म छुड़ाने के बदलने के वषय म सब प का करने के िलथे यह eयवहार या, क मनुंय

अप क जूती उतार के दस ू रे को दे ता या। इॐाएल म गवाह: इसी र:ित होती यी। 8 इसिलथे उस छुड़ानेवाले कुटु Sबी ने बोअज से यह कहकर; क तू उसे मोल ले, अप क जूती उतार:। 9 तब बोअज ने वृa लोगHऔर सब लोगHसे कहा, तुम आज इस बात के साझी हो क जो कुछ एलीमेलेक का और जो कुछ क`योन और महलोन का या, वह सब मE नाओमी के हाथ से मोल लेता हंू । 10 फर महलोन क \ी Rत मोआबन को भी मE अप क प^ी करने के िलथे इस मनसा से मोल लेता हंू , क मरे हुए का नाम उसके िनज भाग पर 'ःयर कRं, कह:ं ऐसा न हो क मरे हुए का नाम उसके भाइयHम से और उसके ःयान के फाटक से िमट जाए; तुम लोग आज साझी ठहरे हो। 11 तब फाटक के पास 'जतने लोग थे उ(हHने और वृa लोगHने कहा, हम साझी हE । यह जो \ी तेरे घर म आती है उसको यहोवा इॐाएल के घराने क दो उपजानेवाली राहे ल और िलआ: के समान करे । और तू एूाता म वीरता करे , और बेतलेहेम म तेरा बड़ा नाम हो; 12 और जो स(तान यहोवा इस जवान \ी के kारा तुझे दे उसके कारण से तेरा घराना पेरेस का सा हो जाए, जो तामार से यहूदा के kारा उप(न हुआ। 13 तब बोअज ने Rत को cयाह िलया, और वह उसक प^ी हो गई; और जब वह उसके पास गया तब यहोवा क दया से उस को गभO रहा, और उसके एक बेटा उप(न हुआ। 14 तब '\यHने नाओमी से कहा, यहोवा ध(य है , 'जस ने तुझे आज छुड़ानेवाले कुटु Sबी के बना नह:ं छोड़ा; इॐाएल म इसका बड़ा नाम हो। 15 और यह तेरे जी म जी ले आनेवाला और तेरा बुढ़ापे म पालनेवाला हो, यHक तेर: बहू जो तुझ से ूेम रखती और सात बेटHसे भी ते रे िलथे ौे है उसी का यह बेटा है । 16 फर नाओमी उस ब.चे को अप क गोद म रखकर उसक धाई का काम करने लगी। 17 और

उसक पड़ोिसनHने यह कहकर, क नाओमी के एक बेटा उप(न हुआ है , लड़के का नाम ओबेद रखा। ियशै का पता और दाऊद का दादा वह: हुआ।। 18 पे रेस क यह वंशावली है , अयाOत ् पेरेस से हे ॄोन, 19 और हे ॄोन से राम, और राम से अSमीनादाब, 20 और अSमीनादाब से नहशोन, और नहशोन से स`मोन 21 और स`मोन से बोअज, और बोअज से ओबेद, 22 और ओबे द से ियशै, और ियशै से दाऊद उप(न हुआ।। 1 शमूए ल 1 1 एूैम के पहाड़: दे श के रामतैम सोपीम नाम नगर का िनवासी ए`काना नाम पुRष या, वह एूेमी या, और सूप के पुऽ तोहू का परपोता, एलीहू का पोता, और यरोहाम का पुऽ या। 2 और उसके दो प'^यां यीं; एक का तो नाम ह(ना और दस ू र: का पिन(ना या। और पिन(ना के तो बालक हुए, पर(तु ह(ना के कोई बालक न हुआ। 3 वह पुRष ूित वषO अपके नगर से सेनाओं के यहोवा को द+डवत ् करने और मेलबिल चढ़ाने के िलथे शीलो म जाता या; और वहां हो€नी और पीनहास नाम एली के दोनHपुऽ रहते थे, जो यहोवा के याजक थे। 4 और जब जब ए`काना मेलबिल चढ़ाता या तब तब वह अप क प^ी पिन(ना को और उसके सब बेटे-बेटयHको दान दया करता या; 5 पर(तु ह(ना को वह दन ू ा दान दया करता या, यHक वह ह(ना से ूीित रखता या; तौभी यहोवा ने उसक कोख ब(द कर रखी यी। 6 पर(तु उसक सौत इस कारण से, क यहोवा ने उसक कोख ब(द कर रखी यी, उसे अय(त िचढ़ाकर कुढ़ाती रहती यीं। 7 और वह तो ूित वषO ऐसा ह: करता या; और जब ह(ना यहोवा के भवन को जाती यी तब

पिन(ना उसको िचढ़ाती यी। इसिलथे वह रोती और खाना न खाती यी। 8 इसिलथे उसके पित ए`काना ने उस से कहा, हे ह(ना, तू यHरोती है ? और खाना यHनह:ं खाती? और मेरा मन यHउदास है ? या तेरे िलथे मE दस बेटHसे भी अ.छा नह:ं हंू ? 9 तब शीलो म खाने और पीने के बाद ह(ना उठq। और यहोवा के म'(दर के चौखट के एक अलंग के पास एली याजक कुसh पर बैठा हुआ या। 10 और यह मन म eयाकुल होकर यहोवा से ूायOना करने और बलख बलखकर रोने लगी। 11 और उस ने यह म(नत मानी, क हे सेनाओं के यहोवा, यद तू अप क दासी के द:ु ख पर सचमुच l करे , और मेर: सुिध ले, और अप क दासी को भूल न जाए, और अप क दासी को पुऽ दे , तो मE उसे उसके जीवन भर के िलथे यहोवा को अपOण कRंगी, और उसके िसर पर छुरा फरने न पाएगा। 12 जब वह यहोवा के साSहने ऐसी ूायOना कर रह: यी, तब एली उसके मुह ं क ओर ताक रहा या। 13 ह(ना मन ह: मन कह रह: यी; उसके हHठ तो हलते थे पर(तु उसका शcद न सुन पड़ता या; इसिलथे एली ने समझा क वह नशे म है । 14 तब एली ने उस से कहा, तू कब तक नशे म रहे गी? अपना नशा उतार। 15 ह(ना ने कहा, नह:ं, हे मेरे ूभु, मE तो द:ु 'खया हंू ; मE ने न तो दाखमधु पया है और न मदरा, मE ने अपके मन क बात खोलकर यहोवा से कह: है । 16 अप क दासी को ओछq \ी न जान जो कुछ मE ने अब तक कहा है , वह बहुत ह: शोकत होने और िचढ़ाई जाने के कारण कहा है । 17 एली ने कहा, कुशल से च क जा; इॐाएल का परमे र तुझे मन चाहा वर दे । 18 उसे ने कहा, तेर: दासी तेर: l म

अनुमह पाए। तब वह \ी च क गई और खाना खाया, और उसका मुह ं फर उदास न रहा। 19 बहान को वे सवे रे उठ यहोवा को द+डवत ् करके रामा म अपके

घर लौट गए। और एलकाना अप क \ी ह(ना के पास गया, और यहोवा ने उसक सुिध ली; 20 तब ह(ना गभOवती हुई और समय पर उसके एक पुऽ हुआ, और उसका नाम शमूएल रखा, यHक वह कहने लगी, मE ने यहोवा से मांगकर इसे पाया है । 21 फर ए`काना अपके पूरे घराने समेत यहोवा के साSहने ूित वषO क मेलबिल चढ़ाने और अप क म(नत पूर: करने के िलथे गया। 22 पर(तु ह(ना अपके पित से यह कहकर घर म रह गई, क जब बालक का दध ू छूट जाएगा तब मE उसको ले जाऊंगी, क वह यहोवा को मुह ं दखाए, और वहां सदा बना रहे । 23 उसके पित एलकाना ने उस से कहा, जो तुझे भला लगे वह: कर, जब तक तू उसका दध ू न छुड़ाए तब तक यह:ं ठहर: रह; केवल इतना हो क यहोवा अपना वचन पूरा करे । इसिलथे वह \ी वह:ं घर पर रह गई और अपके पुऽ के दध ू छुटने के समय तक उसको पलाती रह:। 24 जब उस ने उसका दध ू छुड़ाया तब वह उसको संग ले गई, और तीन बछड़े , और एपा भर आटा, और कु€पी भर दाखमधु भी ले गई, और उस लड़के को शीलो म यहोवा के भवन म

पहुंचा दया; उस समय वह लड़का ह: या। 25 और उ(हHने बछड़ा बिल करके बालक को एली के पास पहंु चा दया। 26 तब ह(ना ने कहा, हे मेरे ूभु, तेरे जीवन क शपय, हे मेरे ूभु, मE वह: \ी हंू जो तेरे पास यह:ं खड़: होकर यहोवा से ूायOना करती यी। 27 यह वह: बालक है 'जसके िलथे मE ने ूायOना क यी; और यहोवा ने मुझे मुह ं मांगा वर दया है । 28 इसी िलथे मE भी उसे यहोवा को अपOण कर दे ती हूं; क यह अपके जीवन भर यहोवा ह: का बना रहे । तब उस ने वह:ं यहोवा को द+डवत ् कया।। 1 शमूए ल 2

1 और ह(ना ने ूायOना करके कहा, मेरा मन यहोवा के कारण मगन है ; मेरा सींग यहोवा के कारण ऊंचा, हुआ है । मेरा मुह ं मेरे शऽुओं के वRa खुल गया, यHक मE तेरे कए हुए उaार से आन'(दत हंू । 2 यहोवा के तु`य कोई पवऽ नह:ं, यHक तुझ को छोड़ और कोई है ह: नह:ं; और हमारे परमे र के समान कोई च=टान नह:ं है ।। 3 फूलकर अहं कार क ओर बात मत करो, और अ(धेर क बात

तुSहारे मुह ं से न िनकल ; यHक यहोवा Wानी ई र है , और कामHको तौलनेवाला है ।। 4 शूरवीरHके धनुष टू ट गए, और ठोकर खानेवालHक कट म बल का फ टा कसा गया।। 5 जो पेट भरते थे उ(ह रोट: के िलथे मजदरू : करनी प क, जो भूखे थे वे फर ऐसे न रहे । वरन जो बांफ यी उसके सात हुए, और अनेक बालकHक माता घुलती जाती है । 6 यहोवा मारता है और 'जलाता भी है ; वह: अधोलोक म

उतारता और उस से िनकालता भी है ।। 7 यहोवा िनधOन करता है और धनी भी बनाता है , वह: नीचा करता और ऊंचा भी करता है । 8 वह कंगाल को धूिल म से उठाता; और दgरि को घूरे म से िनकाल खड़ा करता है , ताक उनको अिधपितयHके संग बठाए, और महमायुf िसंहासन के अिध कारनेी बनाए। यHक पृवी के खSभे यहोवा के हE , और उस ने उन पर जगत को धरा है । 9 वह अपके भfHके पावHको सSभाले रहे गा, पर(तु द ु अ'(ध कारने म चुपचाप पके रह गे; यHक कोई मनुंय अपके बल के कारण ूबल न होगा।। 10 जो यहोवा से फगड़ते हE वे चकनाचूर हHगे; वह उनके वRa आकाश म गरजेगा। यहोवा पृवी क छोर तक (याय करे गा; और अपके राजा को बल दे गा, और अपके अिभषf के सींग को ऊंचा करे गा।। 11 तब ए`काना रामा को अपके घर चला गया। और वह बालक एली याजक के साSहने यहोवा क सेवा टहल करने लगा।। 12 एली के

पुऽ तो लु.चे थे; उ(हHने यहोवा को न पहचाना। 13 और याजकHक र:ित लोगHके साय यह यी, क जब कोई मनुंय मेलबिल चढ़ाता या तब याजक का सेवक मांस पकाने के समय एक ऽशूली कांटा हाथ म िलथे हुए आकर, 14 उसे कड़ाह:, वा हांड:, वा हं डे, वा तसले के भीतर डालता या; और 'जतना मांस कांटे म लग जाता या उतना याजक आप लेता या। यHह: वे शीलो म सारे इॐाएिलयHसे कया करते थे जो वहां आते थे। 15 और चबh जलाने से पहले भी याजक का सेवक आकर मेलबिल चढ़ानेवाले से कहता या, क कबाब के िलथे याजक को मांस दे ; वह तुझ से पका हुआ नह:ं, क.चा ह: मांस लेगा। 16 और जब कोई उस से कहता, क िन_य चबh अभी जलाई जाएगी, तब 'जतना ते रा जी चाहे उतना ले लेना, तब वह कहता या, नह:ं, अभी दे ; नह:ं तो मE छqन लूग ं ा। 17 इसिलथे उन जवानHका पाप यहोवा क l म बहुत भार: हुआ; यHक वे मनुंय यहोवा क भ ट का ितरःकार करते थे।। 18 पर(तु शमूएल जो बालक या सनी का एपोद पहने हुए यहोवा के साSहने सेवा टहल कया करता या। 19 और उसक माता ूित वषO उसके िलथे एक छोटा सा बागा बनाकर जब अपके पित के संग ूित वषO क मेलबिल चढ़ाने आती यी तब बागे को उसके पास लाया करती यी। 20 और एली ने ए`काना और उसक प^ी को आशीवाOद दे कर कहा, यहोवा इस अपOण कए हुए बालक क स(ती जो उसको अपOण कया गया है तुझ को इस प^ी के वंश दे ; तब वे अपके यहां चले गए। 21 और यहोवा ने ह(ना क सुिध ली, और वह गभOवती हुई ओर उसके तीन बेटे और दो बेटयां उप(न हुई। और शमूएल बालक यहोवा के संग रहता हुआ बढ़ता गया। 22 और एली तो अित बूढ़ा हो गया या, और उस ने सुना क मेरे पुऽ सारे इॐाएल से कैसा कैसा eयवहार करते हE , वरन

िमलापवाले तSबू के kार पर सेवा करनेवाली '\यHके संग कुकमO भी करते हE । 23 तब उस ने उन से कहा, तुम ऐसे ऐसे काम यHकरते हो? मE तो इन सब लोगHसे तुSहारे कुकमJक चचाO सुना करता हंू । 24 हे मेरे बे टH, ऐसा न करो, यHक जो समाचार मेरे सुनने म आता है वह अ.छा नह:ं; तुम तो यहोवा क ूजा से अपराध कराते हो। 25 यद एक मनुंय दस ू रे मनुंय का अपराध करे , तब तो परमे र उसका (याय करे गा; पर(तु यद कोई मनुंय यहोवा के वRa पाप करे , तो उसके िलथे कौन बनती करे गा? तौभी उ(हHने अपके पता क बात न मानी; यHक यहोवा क इ.छा उ(ह मार डालने क यी। 26 पर(तु शमूएल बालक बढ़ता गया और यहोवा और मनुंय दोनो उस से ूस(न रहते थे।। 27 और परमे र का एक जन एली के पास जाकर उस से कहने लगा, यहोवा यHकहता है , क जब तेरे मूलपुRष का घराना िमॐ म फरौन के घराने के वश म या, तब या मE उस पर िन_य ूगट न हुआ या? 28 और या मE ने उसे इॐाएल के सब गोऽHम से इसिलथे चुन नह:ं िलया या, क मेरा याजक होकर मेर: वे द: के ऊपर चढ़ावे चढ़ाए, और धूप जलाए, और मेरे साSहने एपोद पहना करे ? और या मE ने तेरे मूलपुRष के घराने को इॐाएिलयHके कुल हeय न दए थे? 29 इसिलथे मेरे मेलबिल और अ(नबिल 'जनको मE ने अपके धाम म चढ़ाने क आWा द: है , उ(ह

तुम लोग यHपांव तले रxदते हो? और तू यHअपके पुऽHका आदर मेरे आदर से अिधक करता है , क तुम लोग मेर: इॐाएली ूजा क अ.छq से अ.छq भ ट खा खाके मोटे हो जाओ? 30 इसिलथे इॐाएल के परमे र यहोवा क यह वाणी है , क मE ने कहा तो या, क तेरा घराना और ते रे मूलपुRष का घराना मेरे साSहने सदै व चला करे गा; पर(तु अब यहोवा क वाणी यह है , क यह बात मुझ से दरू हो;

यHक जो मेरा आदर कर मE उनका आदर कRंगा, और जो मुझे तु.छ जान वे छोटे समझे जाएंगे। 31 सुन, वे दन आते हE , क मE तेरा भुजबल और तेरे मूलपुRष के घराने का भुजबल ऐसा तोड़ डालूग ं ा, क ते रे घराने म कोई बूढ़ा होने न पाएगा। 32 इॐाएल का कतना ह: क`याण यHन हो, तौभी तुझे मेरे धाम का द:ु ख दे ख पकेगा, और तेरे घराने म कोई कभी बूढ़ा न होने पाएगा। 33 मE तेरे कुल के सब कसी से तो अप क वेद: क सेवा न छqनूग ं ा, पर(तु तौभी तेर: आंख

दे खती रह जाएंगी, और तेरा मन शोकत होगा, और तेरे घर क बढ़ती सब अप क पूर: जवानी ह: म मर िमट ग । 34 और मेर: इस बात का िच(ह वह वप होगी जो हो€नी और पीनहास नाम तेरे दोनHपुऽHपर पकेगी; अयाOत ् वे दोनो के दोनHएक ह: दन मर जाएंगे। 35 और मE अपके िलथे एक व ासयोbय याजक ठहराऊंगा, जो मेरे ॑ृदय और मन क इ.छा के अनुसार कया करे गा, और मE उसका घर बसाऊंगा और 'ःयर कRंगा, और वह मेरे अिभषf के आगे सब दन चला फरा करे गा। 36 और ऐसा होगा क जो कोई ते रे घराने म बचा रहे गा वह उसी के पास जाकर एक छोटे से टु कड़े चा(द: के वा एक रोट: के िलथे द+डवत ् करके कहे गा, याजक के कसी काम म मुझे लगा, 'जस से मुझे एक टु कड़ा रोट: िमले।। 1 शमूए ल 3 1 और वह बालक शमूएल एली के साSहने यहोवा क सेवा टहल करता या। और उन दनHम यहोवा का वचन दल O या; और दशOन कम िमलता या। 2 और उस ु भ समय ऐसा हुआ क (एली क आंखे तो धुघ ं ली होने लगी यीं और उसे न सूफ

पड़ता या) जब वह अपके ःयान म लेटा हुआ या, 3 और परमे र का द:पक अब तक बुफा नह:ं या, और शमूएल यहे वा के म'(दर म जंहा परमे र का स(दक ू या लेटा या; 4 तब यहोवा ने शमूएल को पुकारा; और उस ने कहा, या आWा! 5 तब उस ने एली के पास दौड़कर कहा, या आWा, तू ने तो मुझे पुकारा है । वह बोला, मE ने नह:ं पुकारा; फर जा लेट रह। तो वह जाकर लेट गया। 6 तब यहोवा ने फर पुकार के कहा, हे शमूएल! शमूएल उठकर एली के पास गया, और कहा, या आWा, तू ने तो मुझे पुकारा है । उस ने कहा, हे मेरे बेटे, मE ने नह:ं पुकारा; फर जा लेट रह। 7 उस समय तक तो शमूएल यहोवा को नह:ं पहचानता या, और न तो यहोवा का वचन ह: उस पर ूगट हुआ या। 8 फर तीसर: बार यहोवा ने शमूएल को पुकारा। और वह उठके एली के पास गया, और कहा, या आWा, तू ने तो मुझे पुकारा है । तब एली ने समझ िलया क इस बालक को यहोवा ने पुकारा है । 9 इसिलथे एली ने शमूएल से कहा, जा लेट रहे ; और यद वह तुझे फर पुकारे , तो तू कहना, क हे यहोवा, कह, यHक तेरा दास सुन रहा है तब शमूएल अपके ःयान पर जाकर लेट गया। 10 तब यहोवा आ खड़ा हुआ, और पहले क नाL पुकारा, शमूएल! शमूएल! शमूएल ने कहा, कह, यHक ते रा दास सुन रहा है । 11 यहोवा ने शमूएल से कहा, सुन, मE इॐाएल म एक काम करने पर हंू , 'जससे सब सुननेवालHपर बड़ा स(नाटा छा जाएगा। 12 उस दन मE एली के वRa वह सब कुछ पूरा कRंगा जो मE ने उसके घराने के वषय म कहा, उसे आरSभ से अ(त तक पूरा कRंगा। 13 यHक मE तो उसको यह कहकर जता चुका हंू , क मE उस अधमO का द+ड 'जसे वह जानता है सदा के िलथे उसके घर का (याय कRंगा, यHक उसके पुऽ आप शापत हुए हE , और उस ने उ(ह नह:ं रोका। 14 इस कारण

मE ने एली के घराने के वषय यह शपय खाई, क एली के घराने के अधमO का ूाय'_त न तो मेलबिल से कभी होगा, और न अ(नबिल से। 15 और शमूएल भोर तक लेटा रहा; तब उस ने यहोवा के भवन के कवाड़Hको खोला। और शमूएल एली को उस दशOन क बात बतान से डरा। 16 तब एली ने शमूएल को पुकारकर कहा, हे मेरे बे टे, शमूएल! वह बोला, या आWा। 17 तब उस ने पूछा, वह कौन सी बात है जो यहोवा ने तुझ से कह: है ? उसे मुझ से न िछपा। जो कुछ उस ने तुझ से कहा हो यद तू उस म से कुछ भी मुझ से िछपाए, तो परमे र तुझ से वैसा ह: वरन उस से भी अिधक करे । 18 तब शमूएल ने उसको री री बात कह सुनाL, और कुछ भी न िछपा रखा। वह बोला, वह तो यहोवा है ; जो कुछ वह भला जाने वह: कर । 19 और शमूएल बड़ा होता गया, और यहोवा उसके संग रहा, और उस ने उसक कोई भी बात िनंफल होने नह:ं द:। 20 और दान से बेशब  ा तक के रहनेवाले सारे इॐाएिलयHने जान िलया क शमूएल यहोवा का नबी होने के िलथे िनयुf कया गया है । 21 और यहोवा ने शीलो म फर दशOन दया, यHक यहोवा ने अपके आप को शीलो म शमूएल पर अपके वचन के kारा ूगट कया।। 1 शमूए ल 4 1 और शमूएल का वचन सारे इॐाएल के पास पहंु चा। और इॐाएली पिल'ँतयHसे युa करने को िनकले; और उ(हHने तो एबेनेजेर के आस-पास छावनी डाली, और पिल'ँतयHने अपेक म छावनी डाली। 2 तब पिल'ँतयHने इॐाएल के वRa पांित बा(धी, और जब घमासान युa होने लगा तब इॐाएली पिल'ँतयHसे हार एग, और उ(हHने कोई चार हजार इॐाएली सेना के पुRषHको

मैदान ह: म मार डाला। 3 और जब वे लोग छावनी म लौट आए, तब इॐाएल के वृa लोग कहने लगे , क यहोवा ने आज हम पिल'ँतयHसे यHहरवा दया है ? आओ, हम यहोवा क वाचा का स(दक ू शीलो से मांग ले आएं, क वह हमारे बीच म आकर हम शऽुओं के हाथ से बचाए। 4 तब उन लोगHने शीलHम भेजकर वहां से कRबHके ऊपर वराजनेवाले सेनाओं के यहोवा क वाचा का स(दक ू मंगा िलया; और परमे र क वाचा के स(दक ू के साय एली के दोनHपुऽ, हो€नी और पनहास भी वहां थे। 5 जब यहोवा क वाचा का स(दक ू छावनी म पहंु चा, तब सारे इॐाएली इतने बल से ललकार उठे , क भूिम गूंज उठq। 6 इस ललकार का शcद सुनकर पिल'ँतयHने पूछा, इॄयHक छावनी म ऐसी बड़: ललकार का या कारण है ? तब उ(हHने जान िलया, क यहोवा का स(दक ू छावनी म आया है । 7 तब पिलँती डरकर कहने लगे, उस छावनी म परमे र आ गया है । फर उ(हHने कहा, हाथ! हम पर ऐसी बात पहले नह:ं हुई यी। 8 हाथ! ऐसे महाूतापी दे वताओं के हाथ से हम को कौन बचाएगा? थे तो वे ह: दे वता हE 'ज(हHने िमिॐयHपर जंगल म सब ूकार क वपयां डाली यीं। 9 हे पिल'ँतयH, तुम हयाव बा(धो, और पुRषायO जगाओ, कह:ं ऐसा न हो क जैसे इॄी तुSहारे अधीन हो गए वैसे तुम भी उनके अधीन हो जाओ; पुRषायO करके संमाम करो। 10 तब पिलँती लड़ाई के मैदान म टू ट पके, और इॐाएली हारकर अपके अपके डे रे को भागने लगे; और ऐसा अय(त संहार हुआ, क तीस हजार इॐाएली पैदल खेत आए। 11 और परमे र का स(दक ू छqन िलया गया; और एली के दोनो पुऽ, हो€नी और पीनहास, भी मारे गए। 12 तब एक ब(यामीनी मनुंय ने सेना म से दौड़कर उसी दन अपके व\ फाड़े और िसर पर िम=ट: डाले हुए शीलो म पहंु चा।

13 वह जब पहंु चा उस समय एली, 'जसका मन परमे र के स(दक ू क िच(ता से यरयरा रहा या, वह मागO के कनारे कुसh पर बैठा बाट जोह रहा या। और GयHह: उस मनुंय ने नगर म पहंु चकर वह समाचार दया यHह: सारा नगर िच`ला उठा। 14 िच`लाने का शcद सुनकर एली ने पूछा, ऐसे हु`लड़ और हाहाकार मचने का या कारण है ? और उस मनुंय ने फट जाकर एली को पूरा हाल सुनाया। 15 एल तो अ=ठानवे वषO का या, और उसक आंख धु(धली पड़ गई यीं, और उसे कुछ सूफता न या। 16 उस मनुंय ने एली से कहा, मE वह: हंू जो सेना म

से आया हंू ; और मE सेना से आज ह: भाग आया। वह बोला, हे मेरे बेटे, या समाचार है ? 17 उस समाचार दे नेवाले ने उर दया, क इॐाएली पिल'ँतयHके साSहने से भाग गए हE , और लोगHका बड़ा भयानक संहार भी हुआ है , और तेरे दोनHपुऽ हो€नी और पीनहास भी मारे गए, और परमे र का स(दक ू भी छqन िलया गया है । 18 GयHह: उस ने परमे र के स(दक ू का नाम िलया यHह: एली फाटक के पास कुसh पर से पछाड़ खाकर िगर पड़ा; और बूढ़े और भार: होने के कारण उसक गदO न टू ट गई, और वह मर गया। उस ने तो इॐाएिलयHका (याय चालीस वषO तक कया या। 19 उसक बहू पीनहास क \ी गभOवती यी, और उसका समय समीप या। और जब उस ने परमे र के स(दक ू के छqन िलए जाने, और अपके ससुर और पित के मरने का समाचार सुना, तब उसको ज.चा का ददO उठा, और वह दहु र गई, और उसके एक पुऽ उप(न हुआ। 20 उसके मरते मरते उन '\यHने जो उसके आस पास खड़: यीं उस से कहा, मत डर, यHक तेरे ूऽ उप(न हुआ है । पर(तु उस ने कुद उर न दया, और न कुछ ~यान दया। 21 और परमे र के स(दक ू के छqन िलए जाने और अपके ससुर और पित के कारण

उस ने यह कहकर उस बालक का नाम ईकाबोद रखा, क इॐाएल म से महमा उठ गई! 22 फर उस ने कहा, इॐाएल म से महमा उठ गई है , यHक परमे र का स(दक ू छqन िलया गया है ।। 1 शमूए ल 5 1 और पिल'ँतयHने परमे र का स(दक ू एबनेजेर से उठाकर अशदोद म पहंु चा दया; 2 फर पिल'ँतयHने परमे र के स(दक ू को उठाकर दागोन के म'(दर म

पहंु चाकर दागोन के पास धर दया। 3 बहान को अशदोदयHने तड़के उठकर या दे खा, क दागोन यहोवा के स(दक ं भूिम पर िगरा पड़ा है । ू के साSहने औ ंधे मूह तब उ(हHने दागोन को उठाकर उसी के ःयान पर फर खड़ा कया। 4 फर बहान को जब वे तड़के उठे , तब या दे खा, क दागोन यहोवा के स(दक ू के साSहने औ ंधे मुह ं भूिम पर िगरा पड़ा है ; और दागोन का िसर और दोनो हथेिलयां डे वढ़: पर कट: हुई प क हE ; िनदान दागोन का केवल धड़ समूचा रह गया। 5 इस कारण आज के दन तक भी दागोन के पुजार: और 'जतने दागोन के म'(दर म

जाते हE , वे अशदोद म दागोन क◌े डे वढ़: पर पांव नह:ं धरते।। 6 तब यहोवा का हाथ अशदोदयHके ऊपर भार: पड़ा, और वह उ(ह नाश करने लगा; और उस ने अशदोद और उसके आस पास के लोगHके िगलटयां िनकालीं। 7 यह हाल दे खकर अशदोद के लोगHने कहा, इॐाएल के दे वता का स(दक ू हमारे म~य रहने नह:ं पाएगा; यHक उसका हाथ हम पर और हमारे दे वता दागोन पर कठोरता के साय पड़ा है । 8 तब उ(हHने पिल'ँतयHके सब सरदारHको बुलवा भेजा, और उन से पूछा, हम इॐाएल के दे वता के स(दक ू से या कर ? वे बोले, इॐाएल के परमे र

के स(दक ू को घूमाकर गत म पहंु चाया जाए। तो उ(हHने इॐाएल के परमे र के स(दक ू को घुमाकर गत म पहुंचा दया। 9 जब वे उसको घुमाकर वहां पहुंचे, तो यूं हुआ क यहोवा का हाथ उस नगर के वRa ऐसा उठा क उस म अय(त हलचल मच गई; ओर उस ने छोटे से बड़े तब उस नगर के सब लोगHको मारा, और उनके िगलटयां िनकलने लगीं। 10 तब उ(हHने परमे र का स(दक ू एबोन को भेजा और GयHह: परमे र का स(दक ू एबोन म पहुंचा यHह: एबोनी यह कहकर िच`लाने लगे, क इॐाएल के दे वता का स(दक ू घुमाकर हमारे पास इसिलथे पहंु चाया गया है , क हम और हमारे लोगHको मरवा डाले। 11 तब उ(हHने पिल'ँतयHके सब सरदारHको इक=ठा कया, और उन से कहा, इॐाएल के दे वता के स(दक ू को िनकाल दो, क वह अपेन ःयान पर लौट जाए, और हम को और हमारे लोगHको मार डालने न पाए। उस समःत नगर म तो मृयु के भय क हलचल मच रह: यी, और परमे र का हाथ वहां बहुत भार: पड़ा या। 12 और जो मनुंय न मरे वे भी िगलटयHके मारे पके रहे ; और नगर क िच`लाहट आकाश तक पहुंची।। 1 शमूए ल 6 1 यहोवा का स(दक ू पिल'ँतयHके दे श म सात मह:ने तक रहा। 2 तब पिल'ँतयHने याजकHऔर भावी करनेवालHको बुलाकर पूछा, क यहोवा के स(दक ू से हम या कर ? हम बताओं क या ूाय'_त दे कर हम उसे उसके ःयान पर भेज ? 3 वे बोले, यद तुम इॐाएल के दे वता का स(दक ू वहां भेजा, जो उसे वैसे ह: न भेजना; उसक हािन भरने के िलथे अवँय ह: दोषबिल दे ना। तब तुम चंगे हो

जाओगे , और तुम जान लोगHक उसका हाथ तुम पर से यHनह:ं उठाया गया। 4 उ(हHने पूछा, हम उसक हािन भरने के िलथे कोन सा दोषबिल द ? वे बोले, पिलँती सरदारHक िगनती के अनुसार सोने क पांच िगलटयां, और सोने के पांच चूहे; यHक तुम सब और तुSहारे सरदार दोनHएक ह: रोग से मिसत हो। 5 तो तुम अप क िगलटयHऔर अपके दे श के नाश करनेवाले चूहHक भी मूरत

बनाकर इॐाएल के दे वता क महमा मानो; सSभव है वह अपना हाथ तुम पर से और तुSहारे दे वताओं और दे श पर से उठा ले। 6 तुम अपके मन यHऐसे हठqले करते हो जैसे िमिॐयHऔर फरौन ने अपके मन हठqले कर दए थे? जब उस ने उनके म~य म अच'Sभत काम कए, तब या उ(हHने उन लोगHको जाने न दया, और या वे चले न गए? 7 सो अब तुम एक नई गाड़: बनाओ, और ऐसी दो दध ु ार गाथ लो जो सुए तले न आई हH, और उन गायHको उस गाड़: म जोतकर उनके ब.चHको उनके पास से लेकर घर को लौटा दो। 8 तब यहोवा का स(दक ू लेकर उस गाड़: पर धर दो, और साने क जो वःतुएं तुम उसक हाित भरने के िलथे दोषबिल क र:ित से दोगे उ(ह दस ू रे स(दक ू म घर के उसके पास रख दो। फर उसे रवाना कर दो क च क जाए। 9 और दे खते रहना; यद वह अपके दे श के मागO से होकर बेतशेमेश को चले, तो जानो क हमार: यह बड़: हािन उसी क ओर से हुई: और यद नह:ं, तो हम को िन_य होगा क यह मार हम पर उसक ओर से नह:ं, पर(तु संयोग ह: से हुई। 10 उन मनुंयHने वैसा ह: कया; अयाOत ् दो दध ु ार गाथ लेकर उस गाड़: म जोतीं, और उनके ब.चHको घर म ब(द कर दया। 11 और यहोवा का स(दक ू , और दस ू रा स(दक ू , और सोने के चूहHऔर अप क िगलटयHक मूरतHको गाड़: पर रख दया। 12 तब गायHने बेतशमेश को सीधा

मागO िलया; वे सड़क ह: सड़क बSबाती हुई च क गई, और न दहने मुड़: और न बाथ ; और पिल'ँतयHके सरदार उनके पीछे पीछे बे तशेमेश के िसवाने तक गए। 13 और बेतशेमेश के लोग तराई म गेहंू काट रहे थे; और जब उ(हHने आंख

उठाकर स(दक ू को दे खा, तब उसके दे खने से आन'(दत हुए। 14 और गाड़: यहोशू नाम एक बेतशेमेशी के खे त म जाकर वहां ठहर गई, जहां एक बड़ा पयर या। तब उ(हHने गाड़: क लकड़: को चीरा और गायHको होमबिल करके यहोवा के िलथे चढ़ाया। 15 और लेवीयHने यहोवा के स(दक ू को उस स(दक ू के समेत जो साय या, 'जस म सोने क वःतुएं यी, उतारके उस बड़े पयर पर धर दया; और बे तशेमेश के लोगHने उसी दन यहोवा के िलथे होमबिल और मेलबिल चढ़ाए। 16 यह दे खकर पिल'ँतयHके पांचHसरदार उसी दन एबोन को लौट गए।। 17 सोने क िगलटयां जो पिल'ँतयHने यहोवा क हाित भरने के िलथे दोषबिल करके दे द: यी उन म से एक तो अशदोद क ओर से, एक अGजा, एक अँकलोन, एक गत, और एक एबोन क ओर से द: गई यी। 18 और वह सोने के चूहे, या शहरपनाहवाले नगर, या बना शहरपनाह के गांव, वरन 'जस बड़े पयर पर यहोवा का स(दक ू धरा गया या वहां पिल'ँतयHके पांचHसरदारHके अिध कारने तक क सब ब'ःतयHक िगनती के अनुसार दए गए। वह पयर तो आज तक बे तशेमेशी यहोशू के खेत म है । 19 फर इस कारण से क बेतशेमेश के लोगHने यहोवा के स(दक ू के भीतर फांका या उस ने उन म से सर मनुंय, और फर पचास हजार मनुंय मार डाले; और वहां के लोगHने इसिलथे वलाप कया क यहोवा ने लोगHका बड़ा ह: संहार कया या। 20 तब बेतशेमेश के लोग कहने लगे, इस पवऽ परमे र यहोवा के साSहने कौन खड़ा रह सकता है ? और वह हमारे

पास से कस के पास चला जाए? 21 तब उ(हHने कयOयार:म के िनवािसयHके पास यHकहने को दत ू भेजे, क पिल'ँतयHने यहोवा का स(दक ू लौटा दया है ; इसिलथे तुम आकर उसे अपके यहां ले जाओ।। 1 शमूए ल 7 1 तब कयOयार:म के लोगHने जाकर यहोवा के स(दक ू को उठाया, और अबीनादाब के घर म जो ट:ले पर बना या रखा, और यहोवा के स(दक ू क रझा करने के िलथे अबीनादाब के पुऽ एलीआजार को पवऽ कया।। 2 कयOयार:म म

रहते रहते स(दक ू को बहुत दन हुए, अयाOत ् बीस वषO बीत गए, और इॐाएल का सारा घराना वलाप करता हुआ यहोवा के पीछे चलने लगा। 3 तब शमूएल ने इॐाएल के सारे घराने से कहा, यद तुम अपके पूणO मन से यहोवा क ओर फरे हो, तो पराए दे वताओं और अँतोरे त दे वयHको अपके बीच म से दरू करो, और यहोवा क ओर अपना मन लगाकर केवल उसी क उपासना करो, तब वह तुSह

पिल'ँतयHके हाथ से छुड़ाएगा। 4 तब इॐाएिलयHने बाल दे वताओं और अशतोरे त दे वयHको दरू कया, और केवल यहोवा ह: क उपासना करने लगे ।। 5 फर शमूएल ने कहा, सब इॐाएिलयHको िमःपा म इक=ठा करो, और मE तुSहारे िलथे यहोवा से ूायOना कRंगा। 6 तब वे िमःपा म इक=ठे हुए, और जल भरके यहोवा के साSहने उं डे ल दया, और उस दन उपवास कया, और वहां कहने लगे, क हम ने यहोवा के वRa पाप कया है । और शमूएल ने िमःपा म

इॐाएिलयHका (याय कया। 7 जब पिल'ँतयHने सुना क इॐाएली िमःपा म

इक=ठे हुए हE , तब उनके सरदारHने इॐाएिलयHपर चढ़ाई क। यह सुनकर

इॐाएली पिल'ँतयHसे भयभीत हुए। 8 और इॐाएिलयHने शमूएल से कहा, हमारे िलथे हमारे परमे र यहोवा क दोहाई दे ना न छोड़, 'जस से वह हम को पिल'ँतयHके हाथ से बचाए। 9 तब शमूएल ने एक दध ू पउवा मेSना ले सवा{ग होमबिल करके यहोवा को चढ़ाया; और शमूएल ने इॐाएिलयHके िलथे यहोवा क दोहाई द:, और यहोवा ने उसक सुन ली। 10 और 'जस समय शमूएल होमबिल हो चढ़ा रहा या उस समय पिलँती इॐाएिलयHके संग युa करने के िलथे िनकट आ गए, तब उसी दन यहोवा ने पिल'ँतयHके ऊपर बादल को बड़े कड़क के साय गरजाकर उ(ह घबरा दया; और वे इॐाएिलयHसे हार गए। 11 तब इॐाएली पुRषHने िमःपा से िनकलकर पिल'ँतयHको खदे ड़ा, और उ(ह बेतकर के नीचे तक मारते चले गए। 12 तब शमूएल ने एक पयर लेकर िमःपा और शेन के बीच म खड़ा कया, और यह कहकर उसका नाम एबे नेजेर रखा, क यहां तक यहोवा ने हमार: सहाथता क है । 13 तब पिलँती दब गए, और इॐाएिलयHके दे श म फर न आए, और शमूएल के जीवन भर यहोवा का हाथ पिल'ँतयHके वRa बना रहा। 14 और एबोन और गत तक 'जतने नगर पिल'ँतयHने इॐाएिलयHके हाथ से छqन िलए थे, वे फर इॐाएिलयHके वश म आ गए; और उनका दे श भी इॐाएिलयHने पिल'ँतयHके हाथ से छुड़ाया। और इॐाएिलयHऔर एमोgरयHके बीच भी स'(ध हो गई। 15 और शमूएल जीवन भर इॐाएिलयHका (याय करता रहा। 16 वह ूित वषO बेतेल और िगलगाल और िमःपा म

घूम-घूमकर उन सब ःयानHम इॐाएिलयHका (याय करता या। 17 तब वह रामा म जहां उसका घर या लौट आया, और वहां भी इॐाएिलयHका (याय करता या, और वहां उस ने यहोवा के िलथे एक वेद: बनाई।।

1 शमूए ल 8 1 जब शमूएल बूढ़ा हुआ, तब उस ने अपके पुऽHको इॐाएिलयHपर (यायी ठहराया। 2 उसके जेठे पुऽ का नाम योएल, और दस ू रे का नाम अबयाह या; थे बे शब  ा म (याय करते थे। 3 पर(तु उसके पुऽ उसक राह पर न चले, अयाOत ् लालच म आकर घूस लेते और (याय बगाड़ते थे।। 4 तब सब इॐाएली वृa लोग इक=ठे होकर रामा म शमूएल के पास जाकर 5 उस से कहने लगे, सुन, तू तो अब बूढ़ा हो गया, और तेरे पुऽ तेर: राह पर नह:ं चलते ; अब हम पर (याय करने के िलथे सब जाितयHक र:ित के अनुसार हमारे िलथे एक राजा िनयुf कर दे । 6 पर(तु जो बात उ(हHने कह:, क हम पर (याय करने के िलथे हमारे ऊपर राजा िनयुf कर दे , यह बात शमूएल को बुर: लगी। और शमूएल ने यहोवा से ूायOना क। 7 और यहोवा ने शमूएल से कहा, वे लोग जो कुछ तुझ से कह उसे मान ले; यHक उ(हHने तुझ को नह:ं पर(तु मुझी को िनकSमा जाना है , क मE उनका राजा न रहंू । 8 जैसे जैसे काम वे उस दन से, जब से मE उ(ह िमॐ से िनकाल लाया, आज के दन तक करते आए हE , क मुझ को यागकर पराए, दे वताओं क उपासना करते आए हE , वैसे ह: वे तुझ से भी करते हE । 9 इसिलथे अब तू उनक बात मान; तौभी तू गSभीरता से उनको भली भांित समझा दे , और उनको बतला भी दे क जो राजा उन पर राGय करे गा उसका eयवहार कस ूकार होगा।। 10 और शमूएल ने उन लोगHको जो उस से राजा चाहते थे यहोवा क सब बात कह सुनाL। 11 और उस ने कहा जो राजा तुम पर राGय करे गा उसक यह चाल होगी, अयाOत ् वह तुSहारे पुऽHको लेकर अपके रयHऔर घोड़Hके काम पर नौकर रखेगा, और वे उसके रयHके आगे आगे दौड़ा कर गे; 12 फर वह उनको हजार हजार और

पचास पचास के ऊपर ूधान बनाएगा, और कतनHसे वह अपके हल जुतवाएगा, और अपके खेत कटवाएगा, और अपके िलथे युa के हिययार और रयHके साज बनवाएगा। 13 फर वह तुSहार: बेटयHको लेकर उन से सुग(धिeय और रसोई और रोटयां बनवाएगा। 14 फर वह तुSहारे खेतHऔर दाख और जलपाई क बाgरयHम से जो अ.छq से अ.छq हHगे उ(ह ले लेकर अपके कमOचाgरयHको दे गा। 15 फर वह तुSहारे बीच और दाख क बाgरयHको दसवां अंश ले लेकर अपके हाकमHऔर कमOचाgरयHको दे गा। 16 फर वह तुSहारे दास-दािस कH, और तुSहारे अ.छे से अ.छे जवानHको, और तुSहारे गदहHको भी लेकर अपके काम म

लगाएगा। 17 वह तुSहार: भेड़-बकgरयHका भी दसवां अंश लेगा; िनदान तुम लोग उस के दास बन जाओगे। 18 और उस दन तुम अपके उस चुने हुए राजा के कारण दोहाई दोगे, पर(तु यहोवा उस समय तुSहार: न सुनेगा। 19 तौभी उन लोगHने शमूएल क बात न सुनी; और कहने लगे, नह:ं! हम िन_य अपके िलथे राजा चाहते हE , 20 'जस से हम भी और सब जाितयHके समान हो जाएं, और हमारा राजा हमारा (याय करे , और हमारे आगे आगे चलकर हमार: ओर से युa कया करे । 21 लोगHक थे सब बात सुनकर शमूएल ने यहोवा के कानHतक पहंु चाया। 22 यहोवा ने शमूएल से कहा, उनक बात मानकर उनके िलथे राजा ठहरा दे । तब शमूएल ने इॐाएली मनुंयHसे कहा, तुम अब अपके अपके नगर को चले जाओ।। 1 शमूए ल 9 1 ब(यामीन के गोऽ म कश नाम का एक पुRष या, जो अपीह के पुऽ बकोरत

का परपोता, और सरोर का पोता, और अबीएल का पुऽ या; वह एक ब(यामीनी पुRष का पुऽ और बड़ा शfशाली सूरमा या। 2 उसके शाऊल नाम एक जवान पुऽ या, जो सु(दर या, और इॐाएिलयHम कोई उस से बढ़कर सु(दर न या; वह इतना लSबा या क दस ू रे लोग उसके का(धे ह: तक आते थे। 3 जब शाऊल के पता कश क गदहयां खो गL, तब कश ने अपके पुऽ शाऊल से कहा, एक सेवक को अपके साय ले जा और गदहयHको ढू ं ढ ला। 4 तब वह एूैम के पहाड़: दे श और शलीशा दे श होते हुए गया, पर(तु उ(ह न पाया। तब वे शालीम नाम दे श भी होकर गए, और वहां भी न पाया। फर ब(यामीन के दे श म गए, पर(तु गदहयां न िमलीं। 5 जब वे सूफ नाम दे श म आए, तब शाऊल ने अपके साय के सेवक से कहा, आ, हम लौट चल , ऐसा न हो क मेरा पता गदहयHक िच(ता छोड़कर हमार: िच(ता करने लगे । 6 उस ने उस से कहा, सुन, इस नगर म परमे र का एक जन है 'जसका बड़ा आदरमान होता है ; और जो कुछ वह कहता है वह बना पूरा हुए नह:ं रहता। अब हम उधर चल , सSभव है वह हम को हमार मागO बताए क कधर जाएं। 7 शाऊल ने अपके सेवक से कहा, सुन, यद हम उस पुRष के पास चल तो उसके िलथे या ले चल ? दे ख, हमार: यैिलयHम क रोट: चुक गई है और भ ट के योbय कोई वःतु है ह: नह:ं, जो हम परमे र के उस जन को द । हमारे पास या है ? 8 सेवक ने फर शाऊल से कहा, क मेरे पास तो एके शेकेल चा(द: क चौयाई है , वह: मE परमे र के जन को दं ग ू ा, क वह हम को बताए क कधर जाएं। 9 पूवOकाल म तो इॐाएल म जब कोई ऐसा कहता या, क चलो, हम दशh के पास चल ; यHक जो आज कल नबी कहलाता है वह पूवOकाल म दशh कहलाता या। 10 तब शाऊल ने अपके सेवक से कहा, तू ने भला कहा है ; हम चल ।

सो वे उस नगर को चले जहां परमे र का जन या। 11 उस नगर क चढ़ाई पर चढ़ते समय उ(ह कई एक लड़कयां िमलीं जो पानी भरने को िनकली यीं; उ(हHने उन से पूछा, या दशh यहां है ? 12 उ(हHने उर दया, क है ; दे खो, वह तुSहारे आगे है । अब फुतh करो; आज ऊंचे ःयान पर लोगHका यW है , इसिलथे वह आज नगर म आया हुआ है । 13 GयHह: तुम नगर म पहंु चो यHह: वह तुम को ऊंचे ःयान पर खाना खाने को जाने से पहले िमलेगा; यHक जब तक वह न पहुंचे तब तक लोग भोजन कर गे, इसिलथे क यW के वषय म वह: ध(यवाद करता; तब उसके पीछे ह: (योतहर: भोजन करते हE । इसिलथे तुम अभी चढ़ जाओ, इसी समय वह तुSह िमलेगा। 14 वे नगर म चढ़ गए और GयHह: नगर के भीतर पहंु चे यHह: शमूएल ऊंचे ःयान पर चढ़ने क मनसा से उनके साSहने आ रहा या।। 15 शाऊल के आने से एक दन पहले यहोवा ने शमूएल को यह िचता रखा या, 16 क कल इसी समय मE तेरे पास ब(यामीन के दे श से एक पुRश को भेजूंगा, उसी को तू मेर: इॐाएली ूजा के ऊपर ूधान होने के िलथे अिभषेक करता। और वह मेर: ूजा को पिल'ँतयHके हाथ से छुड़ाएगा; यHक मE ने अप क ूजा पर कृ पा l क है , इसिलथे क उनक िच`लाहट मेरे पास पंहुची है । 17 फर जब शमूएल को शाऊल दे ख पड़ा, तब यहोवा ने उस से कहा, 'जस पुRष क चचाO मE ने तु से क यी वह यह: है ; मेर: ूजा पर यह: अिध कारने करे गा। 18 तब शाऊल फाटक म शमूएल के िनकट जाकर कहने लगा, मुझे बता क दशh का घर कहां है ? 19 उस ने कहा, दशh तो मE हंू ; मेरे आगे आगे ऊंचे ःयान पर चढ़ जा, यHक आज के दन तुम मेरे साय भोरन खाओगे, और बहान को जो कुछ तेरे मन म हो सब कुछ मE तुझे बताकर वदा कRंगा। 20 और तेर: गदहयां जो तीन दन तुए

खो गई यीं उनक कुछ भी िच(ता न कर, यHक वे िमल गL। और इॐाएल म

जो कुछ मनभाऊ है वह कस का है ? या वह तेरा और तेरे पता के सारे घराने का नह:ं है ? 21 शाऊल ने उर दे कर कहा, या मE ब(यामीनी, अयाOत ् सब इॐाएली गोऽHम से छोटे गोऽ का नह:ं हंू ? और या मेरा कुल ब(यामीनी के गोऽ के सारे कुलHम से छोटा नह:ं है ? इसिलथे तू मुझ से ऐसी बात यHकहता है ? 22 तब शमूएल ने शाऊल और उसके सेवक को कोठर: म पहुंचाकर (योताहार:, जो लगभग तीस जन थे, उनके साय मु‡य ःयान पर बैठा दया। 23 फर शमूएल ने रसोइथे से कहा, जो टु कड़ा मE ने तुझे दे कर, अपके पास रख छोड़ने को कहा या, उसे ले आ। 24 तो रसोइथे ने जांघ को मांस समेत उठाकर शाऊल के आगे धर दया; तब शमूएल ने कहा, जो रखा गया या उसे दे ख, और अपके साSहने धरके खा; यHक वह तेरे िलथे इसी िनयत समय तक, 'जसक चचाO करके मE ने लोगHको (योता दया, रखा हुआ है । और शाऊल ने उस दन शमूएल के साय भोजन कया। 25 तब वे ऊंचे ःयान से उतरकर नगर म आए, और उस ने घर क छत पर शाऊल से बात कं। 26 बहान को वे तड़के उठे , और पह फटते फटते शमूएल ने शाऊल को छत पर बुलाकर कहा, उठ, मE तुम को वदा कRंगा। तब शाऊल उठा, और वह और शमूएल दोनHबाहर िनकल गए। 27 और नगर के िस के क उतराई पर चलते चलते शमूएल ने शाऊल से कहा, अपके सेवक को हम से आगे बढ़ने क आWा दे , (वह आगे बढ़ गया,) पर(तु तू अभी खड़ा रह क मE तुझे परमे र का वचन सुनाऊं।। 1 शमूए ल 10

1 तब शमूएल ने एक कु€पी तेल लेकर उसके िसर पर उं डे ला, और उसे चूमकर कहा, या इसका कारण यह नह:ं क यहोवा ने अपके िनज भाग के ऊपर ूधान होने को तेरा अिभषेक कया है ? 2 आज जब तू मेरे पास से चला जाएगा, तब राहे ल क कॄ के पास जो ब(यामीन के दे श के िसवाने पर सेलसह म है दो जन तुझे िमल गे, और कह गे, क 'जन गदहयHको तू ढू ं ढने गया या वे िमल हE ; और सुन, तेरा पता गदहयHक िच(ता छोड़कर तुSहारे कारण कुढ़ता हुआ कहता है , क मE अपके पुऽ के िलथे या कRं? 3 फर वहां से आगे बढ़कर जब तू ताबोर के बांजवृझ के पास पहंु चेगा, तब वहां तीन जन परमे र के पास बेतेल को जाते हुए तुझे िमल गे, 'जन म से एक तो बकर: के तीन ब.चे, और दस ू रा तीन रोट:, और तीसरा एक कु€पी दाखमधु िलए हुए होगा। 4 और वे तेरा कुशल पूछ गे, और तुझे दो रोट: द गे, और तू उ(ह उनके हाथ से ले लेना। 5 तब तू परमे र के पहाड़ पर पहंु चेगा जहां पिल'ँतयHक चौक है ; और जब तू वहां नगर म ूवेश करे , तब नबयHका एक दल ऊंचे ःयान से उतरता हुआ तुझे िमलेगा; और उनके आगे िसतार, डफ, बांसल ु ी, और वीणा हHगे; और वे नबूवत करते हHगे। 6 तब यहोवा का आमा तुझ पर बल से उतरे गा, और तू उनके साय होकर नबूवत करने लगेगा, और तू पgरविततO होकर और ह: मनुंय हो जाएगा। 7 और जब थे िच(ह तुझे दे ख पक गे, तब जो काम करने का अवसर तुझे िमले उस म लग जाना; यHक परमे र तेरे संग रहे गा। 8 और तू मुझ से पहले िगलगाल को जाना; और मE होमबिल और मेलबिल चढ़ाने के िलथे तेरे पास आऊंगा। तू सात दन तक मेर: बाट जोहते रहना, तब मE तेरे पास पहंु चकर तुझे बताऊंगा क तुझ को या या करना है । 9 GयHह: उस ने शमूएल के पास से जाने को पीठ फेर: यHह:

परमे र ने उसके मन को पgरवतOन कया; और वे सब िच(ह उसी दन ूगट हुए।। 10 जब वे उधर उस पहाड़ के पास आए, तब नबयHका एक दल उसको िमला; और परमे र का आमा उस पर बल से उतरा, और वह उसके बीच म

नबूवत करने लगा। 11 जब उन सभHने जो उसे पहले से जानते थे यह दे खा क वह नबयHके बीच म नबूवत कर रहा है , तब आपस म कहने लगे, क कश के पुऽ को यह या हुआ? या शाऊल भी नबयHम का है ? 12 वहां के एक मनुंय ने उर दया, भला, उनका बाप कौन है ? इस पर यह कहावत चलने लगी, क या शाऊल भी नबयHम का है ? 13 जब वह नबूवत कर चुका, तब ऊंचे ःयान पर चढ़ गया।। 14 तब शाऊल के चचा ने उस से और उसके सेवक से पूछा, क तुम कहां गए थे? उस ने कहा, हम तो गदहयHको ढू ं ढ़ने गए थे; और जब हम ने दे खा क वे कह:ं नह:ं िमलतीं, तब शमूएल के पास गए। 15 शाऊल के चचा ने कहा, मुझे बतला दे क शमूएल ने तुम से या कहा। 16 शाऊल ने अपके चचा से कहा, क उस ने हम िन_य करके बतया क गदहयां िमल गL। पर(तु जो बात शमूएल ने राGय के वषय म कह: यी वह उस ने उसको न बताई।। 17 तब शमूएल ने ूजा के लोगHको िमःपा म यहोवा के पास बुलवाया; 18 तब उस ने इॐाएिलयHसे कहा, इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , क मE तो इॐाएल को िमॐ दे श से िनकाल लाया, और तुम को िमिॐयHके हाथ से, और न सब राGयHके हाथ से जो तुम पर अ(धेर करते थे छुड़ाया है । 19 पर(तु तुम ने आज अपके परमे र को जो सब वपयHऔर कHसे तुSहारा छुड़ानेवाला है तु.छ जाना; और उस से कहा है , क हम पर राजा िनयुf कर दे । इसिलथे अब तुम गोऽ गोऽ और हजार हजार करके यहोवा के साSहने खड़े हो जाओ। 20 तब शमूएल सारे इॐाएली गोऽयHको

समीप लाया, और िच=ठq ब(यामीन के नाम पर िनकली। 21 तब वह ब(यामीन के गोऽ के कुल कुल करके समीप लाया, और िच=ठq मऽी के कुल के नाम पर िनकली; फर िच=ठq कश के पुऽ शाऊल के नाम पर िनकली। और जब वह ढू ं ढ़ा गया, तब न िमला। 22 तब उ(हHने फर यहोवा से पूछा, या यहां कोई और आनेवाला है ? यहोवा ने कहा, हां, सुनो, वह सामान के बीच म िछपा हुआ है । 23 तब वे दौड़कर उसे वहां से लाए; और वह लोगHके बीच म खड़ा हुआ, और वह का(धे से िसर तक सब लोगHसे लSबा या। 24 शमूएल ने सब लोगHसे कहा, या तुम ने यहोवा के चुने हुए को दे खा है क सारे लोगHम कोई उसके बराबर नह:ं? तब सक लोग ललकारके बोल उठे , राजा िचरं जीव रहे ।। 25 तब शमूएल ने लोगHसे राजनीित का वणOन कया, और उसे पुःतक म िलखकर यहोवा के आगे रख दया। और शमूएल ने सब लोगHको अपके अपके घर जान को वदा कया। 26 और शाऊल िगबा को अपके घर चला गया, और उसके साय एक दल भी गया 'जनके मन को परमे र ने उभारा या। 27 पर(तु कई लु.चे लोगHने कहा, यह जन हमारा या उaार करे गा? और उ(हHने उसको तु.छ जाना, और उसके पास भ ट न लाए। तौभी वह सुनी अनसुनी करके चुप रहा।। 1 शमूए ल 11 1 तब अSमोनी नाहाश ने चढ़ाई करके िगलाद के याबेस के वRa छावनी डाली; और याबेश के सब पुRषHने नाहाश से कहा, हम से वाचा बा(ध, और हम ते र: अधीनता मना ल गे। 2 अSमोनी नाहाश ने उन से कहा, मE तुम से वाचा इस शतO पर बा(धूग ं ा, क मE तुम सभHक दाहनी आंख फोड़कर इसे सारे इॐाएल क

नामधराई का कारण कर दं ।ू 3 याबेश के वृa लोगHने उस से कहा, हम सात दन का अवकाश दे तब तक हम इॐाएल के सारे दे श म दत ू भेज गे। और यद हम को कोई बचाने वाला न िमलेगा, तो हम तेरे ह: पास िनकल आऐंगे। 4 दत ू Hने शाऊलवाले िगबा म आकर लोगHको यह स(दे श सुनाया, और सब लोग िच`ला िच`लाकर रोने लगे । 5 और शाऊल बैलHके पीछे पीछे मैदान से चला आता या; और शाऊल ने पूछा, लोगHको या हुआ क वे रोते हE ? उ(हHने याबे श के लोगHका स(दे श उसे सुनाया। 6 यह स(दे श सुनते ह: शाऊल पर परमे र का आमा बल से उतरा, और उसका कोप बहुत भड़क उठा। 7 और उस ने एक जोड़: बैल लेकर उसके टु कड़े टु कड़े काटे , और यह कहकर दत ू Hके हाथ से इॐाएल के सारे दे श म

कहला भेजा, क जो कोई आकर शाऊल और शमूएल के पीछे न हो लेगा उसके बैलHसे ऐसा ह: कया जाएगा। तब यहोवा का भय लोगHम ऐसा समाया क वे एक मन होकर िनकल आए। 8 तब उस ने उ(ह बे जेक म िगन िलया, और इॐाएिलयHके तीन लाख, और यहूदयHके तीस हजार ठहरे । 9 और उ(हHने उन दत ू Hसे जो आए थे कहा, तुम िगलाद म के याबेश के लोगHसे यHकहो, क कल धूप तेज होने क घड़: तक तुम छुटकारा पाओगे। तब दत ू Hने जाकर याबेश के लोगHको स(दे श दया, और वे आन'(दत हुए। 10 तब याबे श के लोगHने कहा, कल हम तुSहारे पास िनकल आएंगे, और जो कुछ तुम को अ.छा लगे वह: हम से करना। 11 दस ू रे दन शाऊल ने लोगHके तीन दल कए; और उ(हHने रात के पछले पहर म छावनी के बीच म आकर अSमोिनयHको मारा; और घाम के कड़े होने के समय तक ऐसे मारते रहे क जो बच िनकले वह यहां तक िततर बतर हुए क दो जन भी एक संग कह:ं न रहे । 12 तब लोग शमूएल से कहने लगे, 'जन मनुंयHने कहा

या, क या शाऊल हम पर राGय करे गा? उनको लाओ क हम उ(ह मार डाल । 13 शाऊल ने कहा, आज के दन कोई मार डाला न जाएगा; यHक आज यहोवा ने इॐाएिलयHको छुटकारा दया है ।। 14 तब शमूएल ने इॐाएिलयHसे कहा, आओ, हम िगलगाल को चल , और वहां राGय को नथे िस के से ःयापत कर । 15 तब सब लोग िगलगाल को चले, और वहां उ(हHने िगलगाल म यहोवा के साSहने शाऊल को राजा बनाया; और वह:ं उ(हHने यहोवा को मेलबिल चढ़ाए; और वह:ं शाऊल और सब इॐाएली लोगHने अय(त आन(द मनाया।। 1 शमूए ल 12 1 तब शमूएल ने सारे इॐाएिलयHसे कहा, सुनो, जो कुछ तुम ने मुझ से कहा या उसे मानकर मE ने एक राजा तुSहारे ऊपर ठहराया है । 2 और अब दे खो, वह राजा तुSहारे आगे आगे चलता है ; और अब मE बूढ़ा हंू , और मेरे बाल उजले हो गए हE , और मेरे पुऽ तुSहारे पास हE ; और मE लड़कपन से लेकर आज तक तुSहारे साSहने काम करता रहा हंू । 3 मE उप'ःयत हंू ; इसिलथे तुम यहोवा के साSहने, और उसके अिभषf के सामने मुझ पर साझी दो, क मE ने कस का बैल ले िलया? वा कस का गदहा ले िलयो? वा कस पर अ(धेर कया? वा कस को पीसा? वा कस के हाथ से अप क आंख ब(द करने के िलथे घूस िलया? बताओ, और मE वह तुम को फेर दं ग ू ा? 4 वे बोले, तू ने न तो हम पर अ(धेर कया, न हम पीसा, और न कसी के हाथ से कुछ िलया है । 5 उस ने उन से कहा, आज के दन यहोवा तुSहारा साझी, और उसका अिभषf इस बात का साझी है , क मेरे यहां कुद नह:ं िनकला। वे बोले, हां, वह साझी है । 6 फर शमूएल लोगHसे कहने लगा, जो मूसा

और हाRन को ठहराकर तुSहारे पूवOजHको िमॐ दे श से िनकाल लाया वह यहोवा ह: है । 7 इसिलथे अब तुम खड़े रहो, और मE यहोवा के साSहने उसके सब धमO के कामHके वषय म , 'ज(ह उस ने तुSहारे साय और तुSहारे पूवOजHके साय कया है , तुSहारे साय वचार कRंगा। 8 याकूब िमॐ म गया, और तुSहारे पूवOजHने यहोवा क दोहाई द:; तब यहोवा ने मूसा और हाRन को भेजा, और उ(हHने तुSहारे पूवOजHको िमॐ से िनकाला, और इस ःयान म बसाया। 9 फर जब वे अपके परमे र यहोवा को भूल गए, तब उस ने उ(ह हासोर के सेनापित सीसरा, और पिल'ँतयHऔर मोआब के राजा के अधीन कर दया; और वे उन से लड़े । 10 तब उ(हHने यहोवा क दोहाई दे कर कहा, हम ने यहोवा को यागकर और बाल दे वताओं और अशतोरे त दे वयHक उपासना करके महा पाप कया है ; पर(तु अब तू हम को हमारे शऽुओं के हाथ से छुड़ा तो हम तेर: उपासना कर गे। 11 इसिलथे यहोवा ने यRcबाल, बदान, ियTह, और शमूएल को भेजकर तुम को तुSहारे चारHओर के शऽुओं के हाथ से छुड़ाया; और तुम िनडर रहने लगे। 12 और जब तुम ने दे खा क अSमोिनयHका राजा नाहाश हम पर चढ़ाई करता है , तब यrप तुSहारा परमे र यहोवा तुSहारा राजा या तौभी तुम ने मुझ से कहा, नह:ं, हम पर एक राजा राGय करे गा। 13 अब उस राजा को दे खो 'जसे तुम ने चुन िलया, और 'जसके िलथे तुम ने ूायOना क यी; दे खो, यहोवा ने ऐ राजा तुSहारे ऊपर िनयुf कर दया है । 14 यद तुम यहोवा का भय मानते , उसक उपासना करते , और उसक बात सुनते रहो, और यहोवा क आWा को टालकर उस से बलवा न करो, और तुम और वह जो तुम पर राजा हुआ है दोनो अपके परमे र यहोवा के पीछे पीछे चलनेवाले बने रहो, तब तो भला होगा; 15 पर(तु यद तुम यहोवा क बात

न मानो, और यहोवा क आWा को टालकर उस से बलवा करो, तो यहोवा का हाथ जैसे तुSहारे पुरखाओं के वRa हुआ वैसे ह: तुSहारे भी वRa उठे गा। 16 इसिलथे अब तुम खड़े रहो, और इस बड़े काम को दे खो 'जसे यहोवा तुSहारे आंखHके साSहने करने पर है । 17 आज या गेहंू क कटनी नह:ं हो रह:? मE यहोवा को पुकाRंगा, और वह मेघ गरजाएगा और म ह बरसाएगा; तब तुम जान लोगे, और दे ख भी लोगे, क तुम ने राजा मांगकर यहोवा क l म बहुत बड़: बुराई क है । 18 तब शमूएल ने यहोवा का पुकारा, और यहोवा ने उसी दन मेघ गरजाया और म ह बरसाया; और सब लोग यहोवा से और शमूएल से अय(त डर गए। 19 और सब लोगHने शमूएल से कहा, अपके दासHके िनिम अपके परमे र यहोवा से ूायOना कर, क हम मर न जाएं; यHक हम ने अपके सारे पापHसे बढ़कर यह बुराई क है क राजा मांगा है । 20 शमूएल ने लोगHसे कहा, डरो मत; तुम ने यह सब बुराई तो क है , पर(तु अब यहोवा के पीछे चलने से फर मत मुड़ना; पर(तु अपके सSपूणO मन से उस क उपासना करना; 21 और मत मुड़ना; नह:ं तो ऐसी eययO वःतुओं के पीछे चलने लगोगे 'जन से न कुछ लाभ पहुंचेगा, और न कुछ छुटकारा हो सकता है , यHक वे सब eययO ह: हE । 22 यहोवा तो अपके बड़े नाम के कारण अप क ूजा को न तजेगा, यHक यहोवा ने तुSहे अप क ह: इ.छा से अप क ूजा बनाया है । 23 फर यह मुझ से दरू हो क मE तुSहारे िलथे ूायOना करना छोड़कर यहोवा के वRa पापी ठहRं; मE तो तुSह

अ.छा और सीधा मागO दखाता रहंू गा। 24 केवल इतना हो क तुम लोग यहोवा का भय मानो, और स.चाई से अपके सSपूणO मान के साय उसक उपासना करो; यHक यह तो सोचो क उस ने तुSहारे िलथे कैसे बड़े बड़े काम कए हE । 25

पर(तु यद तुम बुराई करते ह: रहोगे, तो तुम और तुSहारा राजा दोनHके दोनHिमट जाओगे। 1 शमूए ल 13 1 शाऊल तीस वषO का होकर राGय करने लगा, और उस ने इॐाएिलयHपर दो वषO तक राGय कया। 2 फर शाऊल ने इॐाएिलयHम से तीन हजार पुRषHको अपके िलथे चुन िलया; और उन म से दो हजार शाऊल के साय िमकमाश म और बेतेल के पहाड़ पर रहे , और एक हजार योनातान के साय ब(यामीन के िगबा म रहे ; और दस ू रे सब लोगHको उस ने अपके अपके डे रे म जाने को वदा कया। 3 तब योनातान ने पिल'ँतयHक उस चौक को जो िगबा म भी मार िलया; और इसका समाचार पिल'ँतयHके कानHम पड़ा। तब शाऊल ने सारे दे श म नरिसंगा फुंकवाकर यह कहला भेजा, क इॄी लोग सुन । 4 और सब इॐाएिलयHने यह समाचार सुना क शाऊल ने पिल'ँतयHक चौक को मारा है , और यह भी क पिलँती इॐाएल से घृणा करने लगे हE । तब लोग शाऊल के पीछे चलकर िगलगाल म इक=ठे हो गए।। 5 और पिलँती इॐाएल से युa करने के िलथे इक=ठे हो गए, अयाOत ् तीस हजार रय, और छ: हजार सवार, और समुि के तीर क बालू के कनकHके समान बहुत से लोग इक=ठे हुए; और बेतावेन के पूवO क ओर जाकर िमकमाश म छावनी डाली। 6 जब इॐाएली पुRषHने दे खा क हम सकेती म पके हE (और सचमुच लोग संकट म पके थे), तब वे लोग गुफाओं, फाडय़H, च=टानH, गढय़H, और गढ़हHम जा िछपे। 7 और कतने इॄी यरदन पार होकर गाद और िगलाद के दे शHम चले गए; पर(तु शाऊल िगलगाल ह: म रहा,

और सब लोग यरयराते हुए उसके पीछे हो िलए।। 8 वह शमूएल के ठहराए हुए समय, अयाOत ् सात दन तक बाट जोहता रहा; पर(तु शमूएल िगलगाल म न आया, और लोग उसके पास से इधर उधर होने लगे। 9 तब शाऊल ने कहा, होमबिल और मेलबिल मेरे पास लाओ। तब उस ने होमबिल को चढ़ाया। 10 GयHह: वह होमबिल को चढ़ा चुका, तो ँया दे खता है क शमूएल आ पहंु चा; और शाऊल उस से िमलने और नमःकार करने को िनकला। 11 शमूएल ने पूछा, तू ने या कया? शाऊल ने कहा, जब मE ने दे खा क लोग मेरे पास से इधर उधर हो चले हE , और तू ठहराए हुए ◌ेदनHके भीतर नह:ं आया, और पिलँती िमकपाश म इक=ठे हुए हE , 12 तब मE ने सोचा क पिलँती िगलगाल म मुझ पर अभी आ पक गे, और मE ने यहोवा से बनती भी नह:ं क है ; सो मE ने अप क इ.छा न रहते भी होमबिल चढ़ाया। 13 शमूएल ने शाऊल से कहा, तू ने मूखOता का काम कया है ; तू ने अपके परमे र यहोवा क आWा को नह:ं माना; नह:ं तो यहोवा तेरा राGय इॐाएिलयHके ऊपर सदा 'ःयर रखता। 14 पर(तु अब तेरा राGय बना न रहे गा; यहोवा ने अपके िलथे एक ऐसे पुRष को ढू ं ढ़ िलया है जो उसके मन के अनुसार है ; और यहोवा ने उसी को अप क ूजा पर ूधान होने को ठहराया है , यHक तू ने यहोवा क आWा को नह:ं माना।। 15 तब शमूएल चल िनकला, और िगलगाल से ब(यामीन के िगबा को गया। और शाऊल ने अपके साय के लोगHको िगनकर कोई छ: सौ पाए। 16 और शाऊल और उसका पुऽ योनातान और जो लोग उनके साय थे वे ब(यामीन के िगबा म रहे ; और पिलँती िमकमाश म डे रे डाले पके रहे । 17 और पिल'ँतयHक छावनी से नाश करनेवाले तीन दल बा(धकर िनकल; एक दल ने शूआल नाम दे श क ओर फर के ओूा का मागO

िलया, 18 एक और दल ने मुझकर बेयोरोन का मागO िलया, और एक और दल ने मुड़कर उस दे श का मागO िलया जो सबोईम नाम तराई क ओर जंगल क तरफ है ।। 19 और इॐाएल के पूरे दे श म लोहार कह:ं नह:ं िमलता या, यHक पिल'ँतयHने कहा या, क इॄी तलवार वा भाला बनाने न पांए; 20 इसिलथे सब इॐाएली अपके अपके हल क फली, और भाले, और कु`हाड़:, और हं सआ ु तेज करने के िलथे पिल'ँतयHके पास जाते थे; 21 पर(तु उनके हं सओ ु ं, फालH, खेती के ऽशूलH, और कु`हाडय़Hक धार , और पैनHक नोक ठqक करने के िलथे वे रे ती रखते थे। 22 सो युa के दन शाऊल और योनातान के सािययHम से कसी के पास न तो तलवार यी और न भाला, वे केवल शाऊल और उसके पुऽ योनातान के पास रहे । 23 और पिल'ँतयHक चौक के िसपाह: िनकलकर िमकमाश क घाट: को गए।। 1 शमूए ल 14 1 एक दन शाऊल के पुऽ योनातान ने अपके पता से बना कुछ कहे अपके हिययार ढोनेवाले जवान से कहा, आ, हम उधर पिल'ँतयHक चौक के पास चल । 2 शाऊल तो िगबा के िस के पर िममोन म के अनार के पे ड़ के तले टका हुआ या, और उसके संग के लोग कोई छ: सौ थे; 3 और एली जो शीलHम यहोवा का याजक या, उसके पुऽ पनहास का पोता, और ईकाबोद के भाई, अह:तूब का पुऽ अहयाह भी एपोद पहने हुए संग या। पर(तु उन लोगHको मालूम न या क योनातान चला गया है । 4 उन घाटयHके बीच म , 'जन से होकर योनातान पिल'ँतयHक चौक को जाना चाहता या, दोनHअलंगHपर एक एक नोकली

च=टान यी; एक च=टान का नाम तो बोसेस, और दस ू र: का नाम सेने या। 5 एक च=टान तो उर क ओर िमकमाश के साSहने, और दस ू र: द' खन क ओर गेबा के साSहने खड़: है । 6 तब योनातान ने अपके हिययार ढोनेवाले जवान से कहा, आ, हम उन खतनारहत लोगHक चौक के पास जाएं; या जाने यहोवा हमार: सहाथता करे ; यHक यहोवा को कुछ रोक नह:ं, क चाहे तो बहुत लोगHके kारा चाहे योड़े लोगHके kारा छुटकारा दे । 7 उसके हिययार ढोनेवाले ने उस से कहा, जो कुछ तेरे मन म हो वह: कर; उधर चल, मE तेर: इ.छा के अनुसार तेरे संग रहंू गा। 8 योनातान ने कहा, सुन, हम उन मनुंयHके पास जाकर अपके को उ(ह दखाएं। 9 यद वे हम से यHकह , हमारे आने तक ठहरे रहो, तब तो हम उसी ःयान पर खड़े रह , और उनके पास न चढ़ । 10 पर(तु यद वे यह कह , क हमारे पास चढ़ आओ, तो हम यह जानकर चढ़ , क यहोवा उ(ह हमारे साय कर दे गा। हमारे िलथे यह: िच(ह हो। 11 तब उन दोनHने अपके को पिल'ँतयHक चौक पर ूगट कया, तब पिलँती कहने लगे, दे खो, इॄी लोग उन बलHम से जहां वे िछप रहे थे िनकले आते हE । 12 फर चौक के लोगHने योनातान और उसके हिययार ढोनवाले से पुकार के कहा, हमारे पास चढ़ आओ, तब हम तुम को कुछ िसखाएंगे। तब योनातान ने अपके हिययार ढोनवाले से कहा मेरे पीछे पीछे चढ़ आ; यHक यहोवा उ(ह इॐाएिलयHके हाथ म कर दे गा। 13 और योनातान अपके हाथHऔर पावHके बल चढ़ गया, और उसका हिययार ढोनेवाला भी उसके पीछे पीछे चढ़ गया। और पिलँती योनातान के साSहने िगरते गए, और उसका हिययार ढोनेवाला उसके पीछे पीछे उ(ह मारता गया। 14 यह पहला संहार जो योनातान और उसके हिययार ढोनेवाल से हुआ, उस म आधे बीघे भूिम म बीस एक पुRष

मारे गए। 15 और छावनी म , और मैदान पर, और उन सब लोगHम यरयराहट हुई; और चौकवाले और नाश करनेवाले भी यरयराने लगे; और भुLडोल भी हुआ; और अय(त बड़: यरयराहट हुई। 16 और ब(यामीन के िगबा म शाऊल के पहRओं ने l करके दे खा क वह भीड़ घटती जाती है , और वे लोग इधर उधर चले जाते हE ।। 17 तब शाऊल ने अपके साय के लोगHसे कहा, अप क िगनती करके दे खो क हमारे पास से कौन चला गया है । उ(हHने िगनकर दे खा, क योनातान और उसका हिययार ढोनेवाला यहां नह:ं है । 18 तब शाऊल ने अहयाह से कहा, परमे र का स(दक ू इॐाएिलयHके साय या। 19 शाऊल याजक से बात कर रहा या, क पिल'ँतयHक छावनी म हु`लड़ अिधक होता गया; तब शाऊल ने याजक से कहा, अपना हाथ खींच। 20 तब शाऊल और उसके संग के सब लोग इक=ठे होकर लड़ाई म गए; वहां उ(हHने या दे खा, क एक एक पुRष क तलवार अपके अपके सायी पर चल रह: है , और बहुत कोलाहल मच रहा है । 21 और जो इॄी पहले क नाL पिल'ँतयHक ओर के थे, और उनके साय चारHओर से छावनी म गए थे, वे भी शाऊल और योनातान के संग के इॐाएिलयHम िमल गए। 22 और 'जतने इॐाएली पुRष एूैम के पहाड़: दे श म

िछप गए थे, वे भी यह सुनकर क पिलँती भागे जाते हE , लड़ाई म आ उनका पीछा करने म लग गए। 23 तब यहोवा ने उस दन इॐाएिलयHको छुटकार दया; और लड़नेवाले बेतावेन क परली ओर तक चले गए। 24 पर(तु इॐाएली पुRष उस दन तंग हुए, यHक शाऊल ने उन लोगHको शपय धराकर कहा, शापत हो वह, जो सांफ से पहले कुछ खाए; इसी र:ित मE अपके शऽुओं से पलटा ले सकूंगा। तब उन लोगHम से कसी ने कुछ भी भोजन न कया। 25 और सब लोग कसी

वन म पहंु चे, जहां भूिम पर मधु पड़ा हुआ या। 26 जब लोग वन म आए तब या दे खा, क मधु टपक रहा है , तौभी शपय के डर के मारे कोई अपना हाथ अपके मुह ं तक न ले गया। 27 पर(तु योनातान ने अपके पता को लोगHको शपय धराते न सुना या, इसिलथे उस ने अपके हाथ क छड़: क नोक बढ़ाकर मधु के छे म

डु बाया, और अपना हाथ अपके मुह ं तक लगाया; तब उसक आंखHम Gयोित आई। 28 तब लोगHम से एक मनुंय ने कहा, तेरे पता ने लोगHको lढ़ता से शपय धरा के कहा, शापत हो वह, जो आज कुछ खाए। और लोग यके मांदे थे। 29 योनातान ने कहा, मेरे पता ने लोगHको क दया है ; दे खो, मE ने इस मधु को योड़ा सा चखा, और मुझे आंखHसे कैसा सूफने लगा। 30 यद आज लोग अपके शऽुओं क लूट से 'जसे उ(हHने पाया मनमाना खाते, तो कतना अ.छा होता; अभी तो बहुत पिलँती मारे नह:ं गए। 31 उस दन वे िमकमाश से लेकर अयालोन तक पिल'ँतयHको मारते गए; और लोग बहुत ह: यक गए। 32 सो वे लूट पर टू टे , और भेड़-बकर:, और गाय-बैल, और बछड़े लेकर भूिम पर मारके उनका मांस लोहू समेत खाने लगे। 33 जब इसका समाचार शाऊल को िमला, क लोग लोहू समेत मांस खाकर यहोवा के वRa पाप करते हE । तब उस ने उन से कहा; तुम ने तो व ासघात कया है ; अभी एक बड़ा पयर मेरे पास लुढ़का दो। 34 फर शाऊल ने कहा, लोगHके बीच म इधर उधर फरके उन से कहो, क अपना अपना बैल और भेड़ शाऊल के पास ले जाओ, और वह:ं बिल करके खाओ; और लोहू समेत खाकर यहोवा के वRa पाप न करो। तब सब लोगHने उसी रात अपना अपना बैल ले जाकर वह:ं बिल कया। 35 तब शाऊल ने यहोवा के िलथे एक वेद: बनवाई; वह तो पहली वेद: है जो उस ने यहोवा के िलथे बनवाई।। 36 फर

शाऊल ने कहा, हम इसी राज को पिल'ँतयHका पीछा करके उ(ह भोर तक लूटते रह ; और उन म से एक मनुंय को भी जीवत न छोड़ । उ(हHने कहा, जो कुछ तुझे अ.छा लगे वह: कर। पर(तु याजक ने कहा, हम इधर परमे र के समीप आएं। 37 तब शाऊल ने परमे र से पुछवाया, क या मE पिल'ँतयHका पीछा कRं? या तू उ(ह इॐाएल के हाथ म कर दे गा? पर(तु उसे उस दन कुछ उर न िमला। 38 तब शाऊल ने कहा, हे ूजा के मु‡य लोगH, इधर आकर बूफो; और दे खो क आज पाप कस ूकार से हुआ है । 39 यHक इॐाएल के छुड़ानेवाले यहोवा के जीवन क शपय, यद वह पाप मेरे पुऽ योनातान से हुआ हो, तौभी िन_य वह मार डाला जाएगा। पर(तु लोगHम से कसी ने उसे उर न दया। 40 तब उस ने सारे इॐाएिलयHसे कहा, तुम एक ओर हो, और मE और मेरा पुऽ योनातान दस ू र: और हHगे। लोगHने शाऊल से कहा, जो कुछ तुझे अ.छा लगे वह: कर। 41 तब शाऊल ने यहोवा से कहा, हे इॐाएल के परमे र, सय बात बता। तब िच=ठq योनातान और शाऊल के नाम पर िनकली, और ूजा बच गई। 42 फर शाऊल ने कहा, मेरे और मेरे पुऽ योनातान के नाम पर िच=ठq डालो। तब िच=ठq योनातान के नाम पर िनकली। 43 तब शाऊल ने योनातान से कहा, मुझे बता, क तू ने या कया है । योनातान ने बताया, और उस से कहा, मE ने अपके हाथ क छड़: क नोक से योड़ा सा मधु चख तो िलया है ; और दे ख, मुझे मरना है । 44 शाऊल ने कहा, परमे र ऐसा ह: करे , वरन इस से भी अिधक करे ; हे योनातान, तू िन_य मारा जाएगा। 45 पर(तु लोगHने शाऊल से कहा, या योनातान मारा जाए, 'जस ने इॐाएिलयHका ऐसा बड़ा छुटकारा कया है ? ऐसा न होगा! यहोवा के जीवन क शपय, उसके िसर का एक बाल भी भूिम पर िगरने न

पाएगा; यHक आज के दन उस ने परमे र के साय होकर काम कया है । तब ूजा के लोगHने योनातान को बचा िलया, और वह मारा न गया। 46 तब शाऊल पिल'ँतयHका पीछा छोड़कर लौट गया; और पिलँती भी अपके ःयान को चले गए।। 47 जब शाऊल इॐाएिलयHके राGय म 'ःयर हो गया, तब वह मोआबी, अSमोनी, एदोमी, और पिलँती, अपके चारHओर के सब शऽुओं से, और सोबा के राजाओं से लड़ा; और जहां जहां वह जाता वहां जय पाता या। 48 फर उस ने वीरता करके अमालेकयHको जीता, और इॐाएिलयHको लूटनेवालHके हाथ से छुड़ाया।। 49 शाऊल के पुऽ योनातान, ियशबी, और मलकश थे; और उसक दो बे टयHके नाम थे थे, बड़: का नाम तो मेरब और छोट: का नाम मीकल या। 50 और शाऊल क \ी का नाम अह:नोअम या जो अह:मास क बेट: यी। और उसके ूधान सेनापित का नाम अcनेर या जो शाऊल के चचा नेर का पुऽ या। 51 और शाऊल का पता कश या, और अcनेर का पता नेर अबीएल का पुऽ या। 52 और शाऊल जीवन भर पिल'ँतयHसे संमाम करता रहा; जब जब शाऊल को कोई वीर वा अ.छा योaा दखाई पड़ा तब तब उस ने उसे अपके पास रख िलया।। 1 शमूए ल 15 1 शमूएल ने शाऊल से कहा, यहोवा ने अप क ूजा इॐाएल पर राGय करने के िलथे तेरा अिभषेक करने को मुझे भेजा या; इसिलथे अब यहोवा क बात सुन ले। 2 सेनाओं का यहोवा यHकहता है , क मुझे चेत आता है क अमालेकयHने इॐाएिलयHसे या कया; और जब इॐाएली िमॐ से आ रहे थे, तब उ(हHने मागO म उनका साSहना कया। 3 इसिलथे अब तू जाकर अमालेकयHको मार, और जो

कुछ उनका है उसे बना कोमलता कए सयानाश कर; या पुRष, या \ी, या ब.चा, या दध ू पउवा, या गाय-बैल, या भेड़-बकर:, या ऊंट, या गदहा, सब को मार डाल।। 4 तब शाऊल ने लोगHको बुलाकर इक=ठा कया, और उ(ह

तलाईम म िगना, और वे दो लाख €यादे , और दस हजार यहूद: पुRष भी थे। 5 तब शाऊल ने अमालेक नगर के पास जाकर एक नाले म घातकHको बठाया। 6 और शाऊल ने केिनयHसे कहा, क वहां से हटो, अमालेकयHके म~य म से िनकल जाओ कह:ं ऐसा न हो क मE उनके साय तुSहारा भी अ(त कर डालू;ं यHक तुम ने सब इॐाएिलयHपर उनके िमॐ से आते समय ूीित दखाई यी। और केनी अमालेकयHके म~य म से िनकल गए। 7 तब शाऊल ने हवीला से लेकर शूर तक जो िमॐ के साSहने है अमालेकयHको मारा। 8 और उनके राजा अगाग को जीवत पकड़ा, और उसक सब ूजा को तलवार से सयानाश कर डाला। 9 पर(तु अगाग पर, और अ.छq से अ.छq भेड़-बकgरयH, गाय-बैलH, मोटे पशुओं, और मेSनH, और जो कुछ अ.छा या, उन पर शाऊल और उसक ूजा ने कोमलता क, और उ(ह सयानाश करना न चाहा; पर(तु जो कुछ तु.छ और िनकSमा या उसको उ(हHने सयानाश कया।। 10 तब यहोवा का यह वचन शमूएल के पास पहंु चा, 11 क मE शाऊल को राजा बना के पछताता हंू ; यHक उस ने मेरे पीछे चलना छोड़ दया, और मेर: आWाओं का पालन नह:ं कया। तब शमूएल का बोध भड़का; और वह रात भर यहोवा क दोहाई दे ता रहा। 12 बहान को जब शमूएल शाऊल से भ ट करने के िलथे सवेरे उठा; तब शमूएल को यह बताया गया, क शाऊल कSमल को आया या, और अपके िलथे एक िनशानी खड़: क, और घूमकर िगलगाल को चला गया है । 13 तब शमूएल शाऊल के पास गया,

और शाऊल ने उस से कहा, तुझे यहोवा क ओर से आशीष िमले; मE ने यहोवा क आWा पूर: क है । 14 शमूएल ने कहा, फर भेड़-बकgरयHका यह िमिमयाना, और गय-बैलHका यह बंबाना जो मुझे सुनाई दे ता है , यह यHहो रहा है ? 15 शाऊल ने कहा, वे तो अमालेकयHके यहां से आए हE ; अयाOत ् ूजा के लोगHने अ.छq से अ.छq भेड़-बकgरयHऔर गाय-बैलHको तेरे परमे र यहोवा के िलथे बिल करने को छोड़ दया है ; और बाक सब को तो हम ने सयानाश कर दया है । 16 तब शमूएल ने शाऊल से कहा, ठहर जा! और जो बात यहोवा ने आज रात को मुझ से कह: है वह मE तुझ को बताता हंू । उस ने कहा, कह दे । 17 शमूएल ने कहा, जब तू अप क l म छोटा या, तब या तू इॐाएली गोऽयHका ूधान न हो गया, और या यहोवा ने इॐाएल पर राGय करने को तेरा अिभषेक नह:ं कया? 18 और यहोवा ने तुझे याऽा करने क आWा द:, और कहा, जाकर उन पापी अमालेकयHको सयानाश कर, और जब तक वे िमट न जाएं, तब तक उन से लड़ता रह। 19 फर तू ने कस िलथे यहोवा क वह बात टालकर लूट पर टू ट के वह काम कया जो यहोवा क l म बुरा है ? 20 शाऊल ने शमूएल से कहा, िन:स(दे ह मE ने यहोवा क बात मानकर 'जधर यहोवा ने मुझे भेजा उधर चला, और अमालेकयHको सयानाश कया है । 21 पर(तु ूजा के लोग लूट म से भेड़-बकgरयH, और गाय-बैलH, अयाOत ् सयानाश होने क उम उम वःतुओं को िगलगाल म ते रे परमे र यहोवा के िलथे बिल चढ़ाने को ले आए हE । 22 शमूएल ने कहा, या यहोवा होमबिलयH, और मेलबिलयHसे उतना ूस(न होता है , 'जतना क अप क बात के माने जाने से ूस(न होता है ? सुन मानना तो बिल चढ़ाने और कान लगाना मेढ़Hक चबh से उम है । 23 दे ख बलवा करना और

भावी कहनेवालHसे पूछना एक ह: समान पाप है , और हठ करना मूरतHऔर गृहदे वताओं क पूजा के तु`य है । तू ने जो यहोवा क बात को तु.छ जाना, इसिलथे उस ने तुझे राजा होने के िलथे तु.छ जाना है । 24 शाऊल ने शमूएल से कहा, मE ने पाप कया है ; मE ने तो अप क ूजा के लोगHका भय मानकर और उनक बात सुनकर यहोवा क आWा और तेर: बातHका उ`लंघन कया है । 25 पर(तु अब मेरे पाप को झमा कर, और मेरे साय लौट आ, क मE यहोवा को द+डवत ् कRं। 26 शमूएल ने शाऊल से कहा, मE तेरे साय न लौटू ं गा; यHक तू ने यहोवा क बात को तु.छ जाना है , और यहोवा ने तुझे इॐाएल का राजा होने के िलथे तु.छ जाना है । 27 तब शमूएल जाने के िलथे घूमा, और शाऊल ने उसके बागे क छोर को पकड़ा, और वह फट गया। 28 तब शमूएल ने उस से कहा आज यहोवा ने इॐाएल के राGय को फाड़कर तुझ से छqन िलया, और तेरे एक पड़ोसी को जो तुझ से अ.छा है दे दया है । 29 और जो इॐाएल का बलमूल है वह न तो फूठ बोलता और न पछताता है ; यHक वह मनुंय नह:ं है , क पछताए। 30 उस ने कहा, मE ने पाप तो कया है ; तौभी मेर: ूजा के पुरिनयHऔर इॐाएल के साSहने मेरा आदर कर, और मेरे साय लौट, क मE तेरे परमे र यहोवा को द+डवत कRं। 31 तब शमूएल लौटकर शाऊल के पीछे गया; और शाऊल ने यहोवा का द+डवत ् क। 32 तब शमूएल ने कहा, अमालेकयHके राजा आगाग को मेरे पास ले आओ। तब आगाग आन(द के साय यह कहता हुआ उसके पास गया, क िन_य मृयु का द:ु ख जाता रहा। 33 शमूएल ने कहा, जैसे '\यां तेर: तलवार से िनव{श हुई हE , वैसे ह: तेर: माता '\यHम िनव{श होगी। तब शमूएल ने आगाग को िगलगाल म यहोवा के साSहने टु कड़े टु कड़े कया।। 34 तब शमूएल

रामा को चला गया; और शाऊल अपके नगर िगबा को अपके घर गया। 35 और शमूएल ने अपके जीवन भर शाऊल से फर भ ट न क, यHक शमूएल शाऊल के िलथे वलाप करता रहा। और यहोवा शाऊल को इॐाएल का राजा बनाकर पछताता या।। 1 शमूए ल 16 1 और यहोवा ने शमूएल से कहा, मE ने शाऊल को इॐाएल पर राGय करने के िलथे तु.छ जाना है , तू कब तक उसके वषय वलाप करता रहे गा? अपके सींग म तेल भर के चल; मE तुझ को बे तलेहेमी ियशै के पास भेजता हंू , यHक मE ने उसके पुऽHम से एक को राजा होने के िलथे चुना है । 2 शमूएल बोला, मE यHकर जा सकता हूं? यद शाऊल सुन लेगा, तो मुझे घात करे गा। यहोवा ने कहा, एक बिछया साय ले जाकर कहना, क मE यहोवा के िलथे यW करने को आया हंू । 3 और यW पर ियशै को (योता दे ता, तब मE तुझे जता दं ग ू ा क तुझ को या करना है ; और 'जसको मE तुझे बताऊं उसी को मेर: ओर से अिभषेक करना। 4 तब शमूएल ने यहोवा के कहने के अनुसार कया, और बेतलहे म को गया। उस नगर के पुरिनथे यरयराते हुए उस से िमलने को गए, और कहने लगे , या तू िमऽभाव से आया है क नह:ं? 5 उस ने कहा, हां, िमऽभाव से आया हंू ; म ्◌े◌ं यहोवा के िलथे यW करने को आया हंू ; तुम अपके अपके को पवऽ करके मेरे साय यW म

आओ। तब उस ने ियशै और उसके पुऽHको पवऽ करके यW म आने का (योता दया। 6 जब वे आए, तब उस ने एलीआब पर l करके सोचा, क िन_य जो यहोवा के साSहने है वह: उसका अिभषf होगा। 7 पर(तु यहोवा ने शमूएल से

कहा, न तो उसके Rप पर l कर, और न उसके ड:ल क ऊंचाई पर, यHक मE ने उसे अयोbय जाना है ; यHक यहोवा का दे खना मनुंय का सा नह:ं है ; मनुंय तो बाहर का Rप दे खता है , पर(तु यहोवा क l मन पर रहती है । 8 तब ियशै ने अबीनादाब को बुलाकर शमूएल के साSहने भेजा। और उस से कहा, यहोवा ने इसको भी नह:ं चुना। 9 फर ियशै ने शSमा को साSहने भेजा। और उस ने कहा, यहोवा ने इसको भी नह:ं चुना। 10 यHह: ियशै ने अपके सात पुऽHको शमूएल के साSहने भेजा। और शमूएल ियशै से कहता गया, यहोवा ने इ(ह नह:ं चुना। 11 तब शमूएल ने ियशै से कहा, या सब लड़के आ गए? वह बोला, नह:ं, लहुरा तो रह गया, और वह भेड़-बकgरयHको चरा रहा है । शमूएल ने ियशै से कहा, उसे बुलवा भेज; यHक जब तक वह यहां न आए तब तक हम खाने को न बैठ गे। 12 तब वह उसे बुलाकर भीतर ले आया। उसके तो लाली फलकती यी, और उसक आंख सु(दर, और उसका Rप सुडौल या। तब यहोवा ने कहा, उठकर इस का अिभषेक कर: यह: है । 13 तब शमूएल ने अपना तेल का सींग लेकर उसके भाइयHके म~य म उसका अिभषेक कया; और उस दन से लेकर भवंय को यहोवा का आमा दाऊद पर बल से उतरता रहा। तब शमूएल उठकर रामा को चला गया।। 14 और यहोवा का आमा शाऊल पर से उठ गया, और यहोवा क ओर से एक द ु आमा उसे घबराने लगा। 15 और शाऊल के कमOचाgरयHने उस से कहा, सुन, परमे र क ओर से एक द ु आमा तुझे घबराता है । 16 हमारा ूभु अपके कमOचाgरयHको जो उप'ःयत हE आWा दे , क वे कसी अ.छे वीणा बजानेवाले को ढू ं ढ़ ले आएं; और जब जब परमे र क ओर से द ु आमा तुझ पर चढ़े , तब तब वह अपके हाथ से बजाए, और तू अ.छा हो जाए। 17 शाऊल ने

अपके कमOचाgरयHसे कहा, अ.छा, एक उम बजवैया दे खो, और उसे मेरे पास लाओ। 18 तब एक जवान ने उर दे के कहा, सुन, मE ने बे तलहमी ियशै के एक पुऽ को दे खा जो वीणा बजाना जानता है , और वह वीर योaा भी है , और बात करने म बुaमान और Rपवान भी है ; और यहोवा उसके साय रहता है । 19 तब शाऊल ने दत ू Hके हाथ ियशै के पास कहला भेजा, क अपके पुऽ दाऊद को जो भेड़-बकgरयHके साय रहता है मेरे पास भेज दे । 20 तब ियशै ने रोट: से लदा हुआ एक गदहा, और कु€पा भर दाखमधु, और बकर: का एक ब.चा लेकर अपके पुऽ दाऊद के हाथ से शाऊल के पास भेज दया। 21 और दाऊद शाऊल के पास जाकर उसके साSहने उप'ःयत रहने लगा। और शाऊल उस से बहुत ूीित करने लगा, और वह उसका हिययार ढोनेवाला हो गया। 22 तब शाऊल ने ियशै के पास कहला भेजा, क दाऊद को मेरे साSहने उप'ःयत रहने दे , यHक मE उस से बहुत ूस(न हंू । 23 और जब जब परमे र क ओर से वह आमा शाऊल पर चढ़ता या, तब तब दाऊद वीणा लेकर बजाता; और शाऊल चैन पाकर अ.छा हो जाता या, और वह द ु आमा उस म से हट जाता या।। 1 शमूए ल 17 1 अब पिल'ँतयHने युa के िलथे अप क सेनाओं को इक=ठा कया; और यहूदा दे श के सोको म एक साय होकर सोको और अजेका के बीच एपेसदSमीम म डे रे डाले। 2 और शाऊल और इॐाएली पुRषHने भी इक=ठे होकर एला नाम तराई म

डे रे डाले, और युa के िलथे पिल'ँतयHके वRa पांती बा(धी। 3 पिलँती तो एक ओर के पहाड़ पर और इॐाएली दस ू र: ओर के पहाड़ पर और इॐाएली दस ू र: ओर

के पहाड़ पर खड़े रहे ; और दोनHके बीच तराई यी। 4 तब पिल'ँतयHक छावनी म

से एक वीर गोिलयत नाम िनकला, जो गत नगर का या, और उसके ड:ल क लSबाई छ: हाथ एक बा यी। 5 उसके िसर पर पीतल का टोप या; और वह एक पर का फलम पहने हुए या, 'जसका तौल पांच हजार शेकेल पीतल का या। 6 उसक टांगHपर पीतल के कवच थे, और उस से क(धHके बीच बरछq ब(धी यी। 7 उसके भाले क छड़ जुलाहे के डHगी के समान यी, और उस भाले का फल छ: सौ शेकेल लोहे का या, और बड़: ढाल िलए हुए एक जन उसके आगे आगे चलता या 8 वह खड़ा होकर इॐाएली पांितयHको ललकार के बोला, तुम ने यहां आकर लड़ाई के िलथे यHपांित बा(धी है ? या मE पिलँती नह:ं हंू , और तुम शाऊल के अधीन नह:ं हो? अपके म से एक पुRष चुना, क वह मेरे पास उर आए। 9 यद वह मुझ से लड़कर मुझे मार सके, तब तो हम तुSहारे अधीन हो जाएंगे; पर(तु यद मE उस पर ूबल होकर मांR, तो तुम को हमारे अधीन होकर हमार: सेवा करनी पकेगी। 10 फर वह पिलँती बोला, मE आज के दन इॐाएली पांितयHको ललकारता हूं, कसी पुRष को मेरे पास भेजो, क हम एक दस ू रे से लड़ । 11 उस पिलँती क इन बातHको सुनकर शाऊल और समःत इॐाएिलयHका मन क.च हो गया, और वे अय(त डर गए।। 12 दाऊद तो यहूदा के बे तलेहेम के उस एूाती पुRष को पुऽ या, 'जसका नाम ियशै या, और उसके आठ पुऽ थे और वह पुRष शाऊल के दनHम बूढ़ा और िनबOल हो गया या। 13 ियशै के तीन बड़े पुऽ शाऊल के पीछे होकर लड़ने को गए थे; और उसके तीन पुऽHके नाम जो लड़ने को गए थे थे थे, अयाOत ् Gथेँठ का नाम एलीआब, दस ू रे का अबीनादाब, और तीसरे का शSमा या। 14 और सब से छोटा दाऊद या; और तीनHबड़े पुऽ शाऊल के पीछे

होकर गए थे, 15 और दाऊद बेतलहे म म अपके पता क भेड़ बकgरयां चराने को शाऊल के पास से आया जाया करता या।। 16 वह पिलँती तो चालीस दन तक सवेरे और सांफ को िनकट आकर खड़ा हुआ करता या। 17 और ियशै ने अपके पुऽ दाऊद से कहा, यह एपा भर चबैना, और थे दस रोटयां लेकर छावनी म

अपके भाइयHके पास दौड़ जा; 18 और प कर क थे दस टकयां उनके सहॐपित के िलथे ले जा। और अपके भाइयHका कुशल दे खकर उन क कोई िच(हानी ले आना। 19 शाऊल, और वे भाई, और समःत इॐाएली पुRष एला नाम तराई म पिल'ँतयHसे लड़ रहे थे। 20 और दाऊद बहान को सबेरे उठ, भेड़ बकgरयHको कसी रखवाले के हाथ म छोड़कर, उन वःतुओं को लेकर चला; और जब सेना रणभूिम को जा रह:, और संमाम के िलथे ललकार रह: यी, उसी समय वह गाडय़Hके पड़ाव पर पहंु चा। 21 तब इॐाएिलयHऔर पिल'ँतयHने अप क अप क सेना आSहने साSहने करके पांित बां(धी। 22 औ दाऊद अप क सममी सामान के रखवाले के हाथ म छोड़कर रणभूिम को दौड़ा, और अपके भाइयHके पास जाकर उनका कुशल झेम पूछा। 23 वह उनके साय बात कर ह: रहा या, क पिल'ँतयHक पांितयHम से वह वीर, अयाOत ् गतवासी गािलयत नाम वह पिलँती योaा चढ़ आया, और पहले क सी बात कहने लगा। और दाऊद ने उ(ह सुना। 24 उस पुRष को दे खकर सब इॐाएली अय(त भय खाकर उसके साSहने से भागे। 25 फर इॐाएली पुRष कहने लगे, या तुम ने उस पुRष को दे खा है जो चढ़ा आ रहा है ? िन_य वह इॐाएिलयHको ललकारने को चढ़ा आता है ; और जो कोई उसे मार डालेगा उसको राजा बहुत धन दे गा, और अप क बेट: cयाह दे गा, और उसके पता के घराने को इॐाएल म ःवत(ऽ कर दे गा। 26 तब दाऊद ने उन

पुRषHसे जो उसके आस पास खड़े थे पूछा, क जो उस पिलँती को मारके इॐाएिलयHक नामधराई दरू करे गा उसके िलथे या कया जाएगा? वह खतनारहत पिलँती तो या है क जीवत परमे र क सेना को ललकारे ? 27 तब लोगHने उस से वह: बात कह:ं, अयाOत ् यह, क जो कोई उसे मारे गा उस से ऐसा ऐसा कया जाएगा। 28 जब दाऊद उन मनुंयHसे बात कर रहा या, तब उसका बड़ा भाई एलीआब सुन रहा या; और एलीआब दाऊद से बहुत बोिधत होकर कहने लगा, तू यहां या आया है ? और जंगल म उन योड़: सी भेड़ बकgरयHको तू कस के पास छोड़ आया है ? तेरा अिभमान और तेरे मन क बुराई मुझे मालूम है ; तू तो लड़ाई दे खने के िलथे यहां आया है । 29 दाऊद ने कहा, मE ने अब या कया है , वह तो िनर: बात यी? 30 तब उस ने उसके पास से मुह ं फेरके दस ू रे के सSमुख होकर वैसी ह: बात कह:; और लोगHने उसे पहले क नाई उर दया। 31 जब दाऊद क बातHक चचाO हुई, तब शाऊल को भी सुनाई गई; औौ ् उस ने उसे बुलवा भेजा। 32 तब दाऊद ने शाऊल से कहा, कसी मनुंय का मन उसके कारण क.चा न हो; तेरा दास जाकर उस पिलँती से लड़े गा। 33 शाऊल ने दाऊद से कहा, तू जाकर उस पिलँती के वRa नह:ं युa कर सकता; यHक तू तो लड़का ह: है , और वह लड़कपन ह: से योaा है । 34 दाऊद ने शाऊल से कहा, तेरा दास अपके पता क भेड़ बकgरयां चराता या; और जब कोई िसंह वा भालू फुंड म से मेSना उठा ले गया, 35 तब मE ने उसका पीछा करके उसे मारा, और मेSने को उसके मुह ं से छुड़ाया; और जब उस ने मुझ पर चढ़ाई क, तब मE ने उसके केश को पकड़कर उसे मार डाला। 36 तेरे दास ने िसंह और भालू दोनHको मार डाला; और वह खतनारहत पिलँती उनके समान हो जाएगा, यHक उस ने

जीवत परमे र क सेना को ललकारा है । 37 फर दाऊद ने कहा, यहोवा 'जस ने मुझ िसंह और भालू दोनHके पंजे से बचाया है , वह मुझे उस पिलँती के हाथ से भी बचाएगा। शाऊल ने दाऊद से कहा, जा, यहोवा तेरे साय रहे । 38 तब शाऊल ने अपके व\ दाऊद को पहनाए, और पीतल का टोप उसके िसर पर रख दया, और फलम उसको पहनाया। 39 और दाऊद ने उसक तलवार व\ के ऊपर कसी, और चलने का य^ कया; उस ने तो उनको न परखा या। इसिलथे दाऊद ने शाऊल से कहा, इ(ह पहने हुए मुझ से चला नह:ं जाता, यHक मE ने नह:ं परखा। और दाऊद ने उ(ह उतार दया। 40 तब उस ने अप क लाठq हाथ म ले नाले म से पांच िचकने पयर छांटकर अप क चरवाह: क यैली, अयाOत ् अपके फोले म रखे ; और अपना गोफन हाथ म लेकर पिलँती के िनकट चला। 41 और पिलँती चलते चलते दाऊद के िनकट पहंु चने लगा, और जो जन उसक बड़: ढाल िलए या वह उसके आगे आगे चला। 42 जब पिलँती ने l करके दाऊद को दे खा, तब उसे तु.छ जाना; यHक वह लड़का ह: या, और उसके मुख पर लाली फलकती यी, औौ ् वह सु(दर या। 43 तब पिलँती ने दाऊद से कहा, या मE कुा हंू , क तू लाठq लेकर मेरे पास आता है ? तब पिलँती अपके दे वताओं के नाम लेकर दाऊद को कोसने लगा। 44 फर पिलँती ने दाऊद से कहा, मेरे पास आ, मE तेरा मांस आकाश के प'झयHऔर बनपशुओं को दे दं ग ू ा। 45 दाऊद ने पिलँती से कहा, तू तो तलवार और भाला और सांग िलए हुए मेरे पास आता है ; पर(तु मE सेनाओं के यहोवा के नाम से ते रे पास आता हंू , जो इॐाएली सेना का परमे र है , और उसी को तू ने ललकारा है । 46 आज के दन यहोवा तुझ को मेरे हाथ म कर दे गा, और मE तुझ को माRंगा, और तेरा िसर तेरे धड़ से अलग कRंगा;

और मE आज के दन पिलँती सेना क लोथ आकाश के प'झयHऔर पृवी के जीव ज(तुओं को दे दं ग ू ा; तब समःत पृवी के लोग जान ल गे क इॐाएल म

एक परमे र है । 47 और यह समःत म+डली जान लेगी क यहोवा तलवार वा भाले के kारा जयव(त नह:ं करता, इसिलथे क संमाम तो यहोवा का है , और वह: तुSह हमारे हाथ म कर दे गा। 48 जब पिलँती उठकर दाऊद का साSहना करने के िलथे िनकट आया, तब दाऊद सना क ओर पिलँती का साSहना करने के िलथे फुतh से दौड़ा। 49 फर दाऊद ने अप क यैली म हाथ डालकर उस म से एक पयर िनकाला, और उसे गोफन म रखकर पिलँती के माथे पर ऐसा मारा क पयर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूिम पर मुह ं के बल िगर पड़ा। 50 यHदाऊद ने पिलँती पर गोफन और एक ह: पयर के kारा ूबल होकर उसे मार डाला; पर(तु दाऊद के हाथ म तलवार न यी। 51 तब दाऊद दौड़कर पिलँती के ऊपर खड़ा हुआ, और उसक तलवार पकड़कर िमयान से खींची, और उसको घात कया, और उसका िसर उसी तलवार से काट डाला। यह दे खकर क हमारा वीर मर गया पिलँती भाग गए। 52 इस पर इॐाएली और यहूद पुRष ललकार उठे , और गत और एबोन से फाटकHतक पिल'ँतयHका पीछा करते गए, और घायल पिलँती शारै म के मागO म और गत और एबोन तक िगरते गए। 53 तब इॐाएली पिल'ँतयHका पीछा छोड़कर लौट आए, और उनके डे रHको लूट िलया। 54 और दाऊद पिलँती का िसर यRशलेम म ले गया; और उसके हिययार अपके डे रे म धर िलए।। 55 जब शाऊल ने दाऊद को उस पिलँती का साSहना करने के िलथे जाते दे खा, तब उस ने अपके सेनापित अcनेर से पूछा, हे अcनेर, वह जवान कस का पुऽ है ? अcनेर ने कहा, हे राजा, तेरे जीवन क शपय, मE नह:ं

जानता। 56 राजा ने कहा, तू पूछ ले क वह जवान कस का पुऽ है । 57 जब दाऊद पिलँती को मारकर लौटा, तब अcनेर ने उसे पिलँती का िसर हाथ म

िलए हुए शाऊल के साSहने पहंु चाया। 58 शाऊल ने उस से पूछा, हे जवान, तू कस का पुऽ है ? दाऊद ने कहा, मE तो तेरे दास बेतलेहेमी ियशै का पुऽ हंू ।। 1 शमूए ल 18 1 जब वह शाऊल से बात कर चुका, तब योनातान का मन दाऊद पर ऐसा लग गया, क योनातान उसे अपके ूाण के बराबर €यार करने लगा। 2 और उस दन से शाऊल ने उसे अपके पास रखा, और पता के घर को फर लौटने न दया। 3 ब योनातान ने दाऊद से वाचा बा(धी, यHक वह उसको अपके ूाण के बराबर €यार करता या। 4 और योनातान ने अपना बागा जो वह ःवयं पहने या उतारकर अपके व\ समेत दाऊद को दे दया, वरन अप क तलवार और धनुष और कटब(ध भी उसको दे दए। 5 और जहां कह:ं शाऊल दाऊद को भेजता या वहां वह जाकर बुaमानी के साय काम करता या; और शाऊल ने उसे योaाओं का ूधान िनयुf कया। और समःत ूजा के लोग और शाऊल के कमOचार: उस से ूस(न थे।। 6 जब दाऊद उस पिलँती को मारकर लौटा आता या, और वे सब लोग भी आ रहे थे, तब सब इॐाएली नगरHसे '\यHने िनकलकर डफ और ितकोने बाजे िलए हुए, आन(द के साय गाती और नाच क हुई, शाऊल राजा के ःवागत म िनकलीं। 7 और वे '\यां नाच क हुइ एक दस ू र: के साय यह गाती गL, क शाऊल ने तो हजारHको, पर(तु दाऊद ने लाखHको मारा है ।। 8 तब शाऊल अित बोिधत हुआ, और यह बात उसको बुर: लगी; और वह कहने लगा, उ(हHने

दाऊद के िलथे तो लाखHऔर मेरे िलथे हजारHको ठहराया; इसिलथे अब राGय को छोड़ उसको अब या िमलना बाक है ? 9 तब उस दन से भवंय म शाऊल दाऊद क ताक म लगा रहा।। 10 दस ू रे दन परमे र क ओर से ऐ l आमा शाऊल पर बल से उतरा, और वह अपके घर के भीतर नबूवत करने लगा; दाऊद ूित दवस क नाL अपके हाथ से बजा रहा या। और शाऊल अपके हाथ म अपना भाला िलए हुए या; 11 तब शाऊल ने यह सोचकर, क मE ऐसा माRंगा क भाला दाऊद को बे धकर भीत म धंस जाए, भाले को चलाया, पर(तु दाऊद उसके साSहने से दो बार हट गया। 12 और शाऊल दाऊद से डरा करता या, यHक यहोवा दाऊद के साय या और शाऊल के पास से अलग हो गया या। 13 शाऊल ने उसको अपके पास से अलग करके सहॐपित कया, और वह ूजा के साSहने आया जाया करता या। 14 और दाऊद अप क समःत चाल म बुaमानी दखाता या; और यहोवा उसके साय साय या। 15 और जब शाऊल ने दे खा क वह बहुत बुaमान है , तब वह उस से डर गया। 16 पर(तु इॐाएल और यहूदा के समःत लोग दाऊद से ूेम रखते थे; यHक वह उनके दे खते आया जाया करता या।। 17 और शाऊल ने यह सोचकर, क मेरा हाथ नह:ं, वरन पिल'ँतयHह: का हाथ दाऊद पर पके, उस से कहा, सुन, मE अप क बड़: बेट: मेरब को तुझे cयाह दं ग ू ा; इतना कर, क तू मेरे िलथे वीरता के साय यहोवा क ओर से युa कर। 18 दाऊद ने शाऊल से कहा, मE या हूं, और मेरा जीवन या है , और इॐाएल म मेरे पता का कुल या है , क मE राजा का दामाद हो जाऊं? 19 जब समय आ गया क शाऊल क बेट: मेरब दाऊद से cयाह: जाए, तब वह महोलाई अि:एल से cयाह: गई। 20 और शाऊल क बेट: मीकल दाऊद से ूीित रखने लगी; और जब इस

बात का समाचार शाऊल को िमला, तब वह ूस(न हुआ। 21 शाऊल तो सोचता या, क वह उसके िलथे फ(दा हो, और पिल'ँतयHका हाथ उस पर पके। और शाऊल ने दाऊद से कहा, अब क बार तो तू अवँय ह: मेरा दामाद हो जाएगा। 22 फर शाऊल ने अपके कमOचाgरयHको आWा द:, क दाऊद से िछपकर ऐसी बात

करो, क सुन, राजा तुझ से ूस(न है , और उसके सब कमOचार: भी तुझ से ूे म रखते हE ; इसिलथे अब तू राजा का दामाद हो जा। 23 तब शाऊल के कमOचाgरयHने दाऊद से ऐसी ह: बात कह:ं। पर(तु दाऊद ने कहा, मE तो िनधOन और तु.छ मनुंय हंू , फर या तुSहार: l म राजा का दामाद होना छोट: बात है ? 24 जब शाऊल के कमOचाgरयHने उसे बताया, क दाऊद ने ऐसी ऐसी बात कह:ं। 25 तब शाऊल ने कहा, तुम दाऊद से यHकहो, क राजा क(या का मोल तो कुछ नह:ं चाहता, केवल पिल'ँतयHक एक सौ खलडय़ां चाहता है , क वह अपके शऽुओं से पलटा ले। शाऊल क मनसा यह यी, क पिल'ँतयHसे दाऊद को मरवा डाले। 26 जब उसके कमOचाgरयHने दाऊद से यह बात बताL, तब वह राजा का दामाद होने को ूस(न हुआ। जब cयाह के दन कुछ रह गए, 27 तब दाऊद अपके जनHको संग लेकर चला, और पिल'ँतयHके दो सौ पुRषHको मारा; तब दाऊद उनक खलडय़Hको ले आया, और वे राजा को िगन िगन कर द: गL, इसिलथे क वह राजा का दामाद हो जाए। और शाऊल ने अप क बेट: मीकल को उसे cयाह दया। 28 जब शाऊल ने दे खा, और िन_य कया क यहोवा दाऊद के साय है , और मेर: बेट: मीकल उस से ूेम रखती है , 29 तब शाऊल दाऊद से और भी डर गया। और शाऊल सदा के िलथे दाऊद का बैर: बन गया।। 30 फर पिल'ँतयHके ूधान िनकल आए, और जब जब वे िनकल आए तब तब दाऊद ने शाऊल के

और सब कमOचाgरयHसे अिधक बुaमानी दखाई; इस से उसका नाम बहुत बड़ा हो गया।। 1 शमूए ल 19 1 और शाऊल ने अपके पुऽ योनातन और अपके सब कमOचाgरयHसे दाऊद को मार डालने क चचाO क। पर(तु शाऊल का पुऽ योनातन दाऊद से बहुत ूस(न या। 2 और योनातन ने दाऊद को बताया, क मेरा पता तुझे मरवा डालना चाहता है ; इसिलथे तू बहान को सावधान रहना, और कसी गुT ःयान म बैठा हुआ िछपा रहना; 3 और मE मैदान म जहां तू होगा वहां जाकर अपके पता के पास खड़ा होकर उस से तेर: चचाO कRंगा; और यद मुझे कुछ मालूम हो तो तुझे बताऊंगा। 4 और योनातन ने अपके पता शाऊल से दाऊद क ूशंसा करके उस से कहा, क हे राजा, अपके दास दाऊद का अपराधी न हो; यHक उस ने तेरा कुछ अपराध नह:ं कया, वरन उसके सब काम तेरे बहुत हत के हE ; 5 उस ने अपके ूाण पर खेलकर उस पिलँती को मार डाला, और यहोवा ने समःत इॐाएिलयHक बड़: जय कराई। इसे दे खकर तू आन'(दत हुआ या; और तू दाऊद को अकारण मारकर िनदzष के खून का पापी यHबने? 6 तब शाऊल ने योनातन क बात मानकर यह शपय खाई, क यहोवा के जीवन क शपय, दाऊद मार डाला न जाएगा। 7 तब योनातन ने दाऊद को बुलाकर थे समःत बात उसको बताई। फर योनातन दाऊद को शाऊल के पास ले गया, और वह पहले क नाL उसके साSहने रहने लगा।। 8 तब फर लड़ाई होने लगी; और दाऊद जाकर पिल'ँतयHसे लड़ा, और उ(ह बड़: मार से मारा, और वे उसके साSहने से भाग

गए। 9 और जब शाऊल हाथ म भाला िलए हुए घर म बैठा या; और दाऊद हाथ से बजा रहा ◌ा◌ा'◌, तब यहोवा क ओर से एक द ु आमा शाऊल पर चढ़ा। 10 और शाऊल ने चाहा, क दाऊद को ऐसा मारे क भाला उसे बेधते हुए भीत म धंस जाए; पर(तु दाऊद शाऊल के साSहने से ऐसा हट गया क भाला जाकर भीत ह: म धंस गया। और दाऊद भागा, और उस रात को बच गया। 11 और शाऊल ने दाऊद के घर पर दत ू इसिलथे भेजे क वे उसक घात म रह , और बहान को उसे मार डाल , तब दाऊद क \ी मीकल ने उसे यह कहकर जताया, क यद तू इस रात को अपना ूाण न बचाए, तो बहान को मारा जाएगा। 12 तब मीकल ने दाऊद को 'खड़क से उतार दया; और वह भाग कर बच िनकला। 13 तब मीकल ने गृहदे वताओं को ले चारपाई पर िलटाया, और बकgरयHके रोएं क तकया उसके िसरहाने पर रखकर उन को व\ ओढ़ा दए। 14 जब शाऊल ने दाऊद को पकड़ लाने के िलथे दत ू भेजे, तब वह बोली, वह तो बीमार है । 15 तब शाऊल ने दत ू Hको दाऊद के दे खने के िलथे भेजा, और कहा, उसे चारपाई समेत मेरे पास लाओ क मE उसे मार डालू।ं 16 जब दत ू भीतर गए, तब या दे खते हE क चारपाई पर गृहदे वता पके हE , और िसरहाने पर बकgरयHके रोएं क तकया है । 17 सो शाऊल ने मीकल से कहा, तू ने मुझे ऐसा धोखा यHदया? तू ने मेरे शऽु को ऐसा यHजाने दया क वह बच िनकला है ? मीकल ने शाऊल से कहा, उस ने मुझ से कहा, क मुझे जाने दे ; मE तुझे यHमार डालू।ं । 18 और दाऊद भागकर बच िनकला, और रामा म शमूएल के पास पहंु चकर जो कुछ शाऊल ने उस से कया या सब उसे कह सुनाया। तब वह और शमूएल जाकर नबायोत म रहने लगे। 19 जब शाऊल ने दाऊद के पकड़ लाने के िलथे दत ू भेजे; और जब शाऊल के दत ू Hने

नबयHके दल को नबूवत करते हुए दे खा, तब परमे र का आमा उन पर चढ़ा, और वे भी नबूवत करने लगे। 20 तब शाऊल ने दाऊद के पकड़ लाने के िलथे दत ू भेजे; और जब शाऊल के दत ू Hने नबयHके दल को नबूवत करते हुए, और शमूएल को उनक ूधानता करते हुए दे खा, तब परमे र का आमा उन पर चढ़ा, और वे भी नबूवत करने लगे । 21 इसका समाचार पाकर शाऊल ने और दत ू भेजे, और वे भी नबूवत करने लगे । फर शाऊल ने तीसर: बार दत ू भेजे, और वे भी नबूवत करने लगे। 22 तब वह आप ह: राता को चला, और उस बड़े गड़हे पर जो सेकू म

है पहंु चकर पूछने लगा, क शमूएल और दाऊद कहां है ? कसी ने कहा, वे तो रामा के नबायोत म हE । 23 तब वह उधर, अयाOत ् रामा के नबायोत को चला; और परमे र का आमा उस पर भी चढ़ा, और वह रामा के नबायोत को पहुंचने तक नबूवत करता हुआ चला गया। 24 और उस ने भी अपके व\ उतारे , और शमूएल के साSहने नबूवत करने लगा, और भूिम पर िगरकर दन और रात नंगा पड़ा रहा। इस कारण से यह कहावत च क, क या शाऊल भी नबयHम से है ? 1 शमूए ल 20 1 फर दाऊद रामा के नबायोत से भागा, और योनातन के पास जाकर कहने लगा, मE ने या कया है ? मुझ से या पाप हुआ? मE ने तेरे पता क l म ऐसा कौन सा अपराध कया है , क वह मेरे ूाण क खोज म रहता है ? 2 उस ने उस से कहा, ऐसी बात नह:ं है ; तू मारा न जाएगा। सुन, मेरा पता मुझ को बना जताए न तो कोई बड़ा काम करता है और न कोई छोटा; फर वह ऐसी बात को मुझ से यHिछपाएगा? ऐसी कोई बात नह:ं है । 3 फर दाऊद ने शपय खाकर कहा, तेरा

पता िन_य जानता है क तेरे अनुमह क l मुझ पर है ; और वह सोचता होगा, क योनातन इस बात को न जानने पाए, ऐसा न हो क वह खेदत हो जाए। पर(तु यहोवा के जीवन क शपय और तेरे जीवन क शपय, िन:स(दे ह, मेरे और मृयु के बीच डग ह: भर का अ(तर है । 4 योनातान ने दाऊद से कहा, जो कुछ तेरा जी चाहे वह: मE ते रे िलथे कRंगा। 5 दाऊद ने योनातान से कहा, सुन कल नया चाँद होगा, और मुझे उिचत है क राजा के साय बैठकर भोजन कRं; पर(तु तू मुझे वदा कर, और मE परसHसांफ तक मैदान म िछपा रहंू गा। 6 यद तेरा पता मेर: कुछ िच(ता करे , तो कहना, क दाऊद ने अपके नगर बेतलेहेम को शीय जाने के िलथे मुझ से बनती करके छु=ट: मांगी है ; यHक वहां उसके समःत कुल के िलथे वाषकO यW है । 7 यद वह यHकहे , क अ.छा! तब तो ते रे दास के िलथे कुशल होगा; पर(तु यद उसका कोप बहुत भड़क उठे , तो जान लेना क उस ने बुराई ठानी है । 8 और तू अपके दास से कृ पा का eयवहार करना, यHक तू ने यहोवा क शपय 'खलाकर अपके दास को अपके साय वाचा ब(धाई है । पर(तु यद मुझ से कुछ अपराध हुआ हो, तो तू आप मुझे मार डाल; तू मुझे अपके पता के पास यHपहंु चाए? 9 योनातन ने कहा, ऐसी बात कभी न होगी! यद मE िन_य जानता क मेरे पता ने तुझ से बुराई करनी ठानी है , तो या मE तुझ को न बताता? 10 दाऊद ने योनातन से कहा, यद तेरा पता तुझ को कठोर उर दे , तो कौन मुझे बताएगा? 11 योनातन ने दाऊद से कहा, चल हम मैदान को िनकल जाएं। और वे दोनो मैदान क ओर चले गए।। 12 तब योनातन दाऊद से कहने लगा; इॐाएल के परमे र यहोवा क शपय, जब मE कल वा परसHइसी समय अपके पता का भेद पांऊ, तब यद दाऊद क भलाई दे खूं, तो या मE उसी

समय तेरे पास दत ू भेजकर तुझे न बताऊंगा? 13 यद मेरे पता का मन ते र: बुराई करने का हो, और मE तुझ पर यह ूगट करके तुझे वदा न कRँ क तू कुशल के साय चला जाए, तो यहोवा योनातन से ऐसा ह: वरन इस से भी अिधक करे । और यहोवा ते रे साय वैसा ह: रहे जैसा वह मेरे पता के साय रहा। 14 और न केवल जब तक मE जीवत रहंू , तब तक मुझ पर यहोवा क सी कृपा ऐसा करना, क मE न मRं; 15 पर(तु मेरे घराने पर से भी अप क कृपाl कभी न हटाना! वरन जब यहोवा दाऊद के हर एक शऽु को पृवी पर से नाश कर चुकेगा, तब भी ऐसा न करना। 16 इस ूकार योनातन ने दाऊद के घराने से यह कहकर वाचा ब(धाई, क यहोवा दाऊद के शऽुओं से पलटा ले। 17 और योनातन दाऊद से ूे म रखता या, और उस ने उसको फर शपय 'खलाई; यHक वह उस ने अपके ूाण के बारबर ूेम रखता या। 18 तब योनातन ने उस से कहा, कल नया चाँद होगा; और ते र: िच(ता क जाएगी, यHक तेर: कुसh खाली रहे गी। 19 और तू तीन दन के बीतने पर तुर(त आना, और उस ःयान पर जाकर जहां तू उस काम के दन िछपा या, अयाOत ् एजे ल नाम पयर के पास रहना। 20 तब मE उसक अलंग, मानो अपके कसी ठहराए हुए िच(ह पर तीन तीर चलाऊंगा। 21 फर मE अपके टहलुए छोकरे को यह कहकर भेजूंगा, क जाकर तीरHको ढू ं ढ ले आ। यद मE उस छोकरे से साफ साफ कहंू , क दे ख तीर इधर ते र: इस अलंग पर हE , तो तू उसे ले आ, यHक यहोवा के जीवन क शपय, तेरे िलथे कुशल को छोड़ और कुछ न होगा। 22 पर(तु यद मE छोकरे से यHकहंू , क सुन, तीर उधर तेरे उस अलंग पर है , तो तू चला जाना, यHक यहोवा ने तुझे वदा कया है । 23 और उस बात के वषय 'जसक चचाO मE ने और तू ने आपस म क है , यहोवा मेरे और तेरे म~य म

सदा रहे ।। 24 इसिलथे दाऊद मैदान म जा िछपा; और जब नया चाँद हुआ, तक राजा भोजन करने को बैठा। 25 राजा तो पहले क नाL अपके उस आसन पर बैठा जो भीत के पास या; और योनातन खड़ा हुआ, और अcनेर शाऊल के िनकट बैठा, पर(तु दाऊद का ःयान खाली रहा। 26 उस दन तो शाऊल यह सोचकर चुप रहा, क इसका कोई न कोई कारण होगा; वह अशुa होगा, िन:स(दे ह शुa न होगा। 27 फर नथे चाँद के दस ू रे दन को दाऊद का ःयान खाली रहा। और शाऊल ने अपके पुऽ योनातन से पूछा, या कारण है क ियशै का पुऽ न तो कल भोजन पर आया या, और न आज ह: आया है ? 28 योनातन ने शाऊल से कहा, दाऊद ने बेतलेहेम जाने के िलथे मुझ से बनती करके छु=ट: मांगी; 29 और कहा, मुझे जाने दे ; यHक उस नगर म हमारे कुल का यW है , और मेरे भाई ने मुझ को वहां उप'ःयत होने क आWा द: है । और अब यद मुझ पर तेरे अनुमह क l हो, तो मुझे जाने दे क मE अपके भाइयHसे भ ट कर आऊं। इसी कारण वह राजा क मेज पर नह:ं आया। 30 तब शाऊल का कोप योनातन पर भड़क उठा, और उस ने उस से कहा, हे कुटला राजिोह: के पुऽ, या मE नह:ं जानता क तेरा मन तो ियशै के पुऽ पर लगा है ? इसी से तेर: आशा का टू टना और ते र: माता का अनादर ह: होगा। 31 यHक जब तक ियशै का पुऽ भूिम पर जीवत रहे गा, तब तक न तो तू और न तेरा राGय 'ःयर रहे गा। इसिलथे अभी भेजकर उसे मेरे पास ला, यHक िन_य वह मार डाला जाएगा। 32 योनातन ने अपके पता शाऊल को उर दे कर उस से कहा, वह यHमारा जाए? उस ने या कया है ? 33 तब शाऊल ने उसको मारने के िलथे उस पर भाला चलाया; इससे योनातन ने जान िलया, क मेरे पता ने दाऊद को मार डालना ठान िलया है । 34 तब योनातन बोध से जलता

हुआ मेज पर से उठ गया, और मह:ने के दस ू रे दन को भोजन न कया, यHक वह बहुत खेदत या, इसिलथे क उसके पता ने दाऊद का अनादर कया या।। 35 बहान को योनातन एक छोटा लड़का संग िलए हुए मैदान म दाऊद के साय ठहराए हुए ःयान को गया। 36 तब उस ने अपके छोकरे से कहा, दौड़कर जो जो तीर मE चलाऊं उ(ह ढू ं ढ़ ले आ। छोकरा दौड़ता ह: या, क उस ने एक तीर उसके पके चलाया। 37 जब छोकरा योनातन के चलाए तीर के ःयान पर पहुंचा, तब योनातन ने उसके पीछे से पुकारके कहा, तीर तो तेर: परली ओर है । 38 फर योनातन ने छोकरे के पीछे से पुकारकर कहा, बड़: फुतh कर, ठहर मत। और योनातन ने छोकरे के पीछे से पुकारके कहा, बड़: फुतh कर, ठहर मत! और योनातन का छोकरा तीरHको बटोरके अपके ःवामी के पास ल आया। 39 इसका भेद छोकरा तो कुछ न जानता या; केवल योनातन और दाऊद इस बात को जानते थे। 40 और योनातन ने अपके हिययार अपके छोकरे को दे कर कहा, जा, इ(ह नगर को पहंु चा। 41 GयHह: छोकरा चला गया, यHह: दाऊद द' खन दशा क अलंग से िनकला, और भूिम पर औ ंधे मुह ं िगरके तीन बार द+डवत ् क; तब उ(हHने एक दस ू रे को चूमा, और एक दस ू रे के साय रोए, पर(तु दाऊद को रोना अिधक या। 42 तब योनातन ने दाऊद से कहा, कुशल से चला जा; यHक हम दोनHने एक दस ू रे से यह कहके यहोवा के नाम क शपय खाई है , क यहोवा मेरे और ते रे म~य, और मेरे और ते रे वंश के म~य म सदा रहे । तब वह उठकर चला गया; और योनातन नगर म गया।। 1 शमूए ल 21

1 और दाऊद नोब को अह:मेलेक याजक के पास आया; और अह:मेलेक दाऊद से भ ट करने को यरयराता हुआ िनकला, और उस से पूछा, या कारण है क तू अकेला है , और ते रे साय कोई नह:ं? 2 दाऊद ने अह:मेलेक याजक से कहा, राजा ने मुझे एक काम करने क आWा दे कर मुझ से कहा, 'जस काम को मE तुझे भेजता, और जो आWा मE तुझे दे ता हंू , वह कसी पर ूकट न होने पाए; और मE ने जवानHको फलाने ःयान पर जाने को समझाया है । 3 अब ते रे हाथ म या है ? पांच रोट:, वा जो कुछ िमले उसे मेरे हाथ म दे । 4 याजक ने दाऊद से कहा, मेरे पास साधारण रोट: तो कुछ नह:ं है , केवल पवऽ रोट: है ; इतना हो क वे जवान '\यHसे अलग रहे हH। 5 दाऊद ने याजक को उर दे कर उस से कहा, सच है क हम तीन दन से '\यHसे अलग हE ; फर जब मE िनकल आया, तब तो जवानHके बतOन पवऽ थे; यrप याऽा साधारण है तो आज उनके बतOन अवँय ह: पवऽ हHगे। 6 तब याजक ने उसको पवऽ रोट: द:; यHक दस ू र: रोट: वहां न यी, केवल भ ट क रोट: यी जो यहोवा के सSमुख से उठाई गई यी, क उसके उठा लेने के दन गरम रोट: रखी जाए। 7 उसी दन वहां दोएग नाम शाऊल का एक कमOचार: यहोवा के आगे Rका हुआ या; वह एदोमी और शाऊल के चरवाहHका मु'खया या। 8 फर दाऊद ने अह:मेलेक से पूछा, या यहां तेरे पास कोई भाला व तलवार नह:ं है ? यHक मुझे राजा के काम क ऐसी ज`द: यी क मE न तो तलवार साय लाया हूं, और न अपना कोई हिययार ह: लाया। 9 याजक ने कहा, हां, पिलँती गोिलयत 'जसे तू ने एला तराई म घात कया उसक तलवार कपके म लपेअी हुई एपोद के पीदे धर: है ; यद तू उसे लेना चाहे , तो ले ले, उसे छोड़ और कोई यहां नह:ं है । दाऊद बोला, उसके तु`य कोई नह:ं; वह: मुझे दे ।। 10 तब दाऊद चला, और उसी

दन शाऊल के डर के मारे भागकर गत के राजा आकश के पास गया। 11 और आकश के कमOचाgरयHने आकश से कहा, या वह उस दे श का राजा दाऊद नह:ं है ? या लोगHने उसी के वषय नाचते नाचते एक दस ू रे के साय यह गाना न गया या, क शाऊल ने हजारHको, और दाऊद ने लाखHको मारा है ? 12 दाऊद ने थे बात

अपके मन म रखीं, और गत के राजा आकश से अय(त डर गया। 13 तब वह उनके साSहने दस ू र: चाल च क, और उनके हाथ म पड़कर बौड़हा, अयाOत पागल बन गया; और फाटक के कवाडHपर लकर खींचते , और अप क लार अप क दाढ़: पर बहाने लगा। 14 तब आकश ने अपके कमOचाgरयHसे कहा, दे खो, वह जन तो बावला है ; तुम उसे मेरे पास यHलाए हो? 15 या मेरे पास बावलHक कुछ घट: है , क तुम उसको मेरे साSहने बावलापन करने के िलथे लाए हो? या ऐसा जन मेरे भवन म आने पाएगा? 1 शमूए ल 22 1 और दाऊद वहां से चला, और अद` ु लाम क गुफा म पहंु चकर बच गया; और यह सुनकर उसके भाL, वरन उसके पता का समःत घराना वहां उसके पास गया। 2 और 'जतने संकट म पके थे, और 'जतने ऋणी थे, और 'जतने उदास थे, वे एक उसके पास इक=ठे हुए; और हव उनका ूधान हुआ। और कोई चार सौ पुRष उसके साय हो गए।। 3 वहां से दाऊद ने मोआब के िमसपे को जाकर मोआब के राजा से कहा, मेरे पता को अपके पास तब तक आकर रहने दो, जब तक क मE न जानूं क परमे र मेरे िलथे या करे गा। 4 और वह उनको मोआब के राजा के सSमुख ले गया, और जब तक दाऊद उस गढ़ म रहा, तब तक वे

उसके पास रहे । 5 फर गाद नाम एक नबी ने दाऊद से कहा, इस गढ़ म मत रह; चल, यहूदा के दे श म जा। और दाऊद चलकर हे रेत के बन म गया।। 6 तब शाऊल ने सुना क दाऊद और उसके संिगयHका पता लग गया हE उस समय शाऊल िगबा के ऊंचे ःयान पर, एक फाऊ के पेड़ के तले, हाथ म अपना भाला िलए हुए बैठा या, और उसके कमOचार: उसके आसपास खड़े थे। 7 तब शाऊल अपके कमOचाgरयHसे जो उसके आसपास खड़े थे कहने लगा, हे ब(यामीिनयH, सुनो; या ियशै का पुऽ तुम सभHको खेत और दाख क बाgरयां दे गा? या वह तुम सभHको सहॐपित और शतपित करे गा? 8 तुम सभHने मेरे वRa यHराजिोह क गोvी क है ? और जब मेरे पुऽ ने ियशै के पुऽ से वाचा बा(धी, तब कसी ने मुझ पर ूगट नह:ं कया; और तुम म से कसी ने मेरे िलथे शोकत होकर मुझ पर ूगट नह:ं कया, क मेरे पुऽ ने मेरे कमOचार: को मेरे वRa ऐसा घात लगाने को उभारा है , जैसा आज के दन है । 9 तब एदोमी दोएग ने, जो शाऊल के सेवकHके ऊपर ठहराया गया या, उर दे कर कहा, मE ने तो ियशै के पुऽ को नोब म अह:तूब के पुऽ अह:मेलेक के पास आते दे खा, 10 और उस ने उसके िलथे यहोवा से पूछा, और उसे भोजन वःतु द:, और पिलँती गोिलयत क तलवार भी द:। 11 और राजा ने अह:तूब के पुऽ अह:मेलेक याजक को और उसके पता के समःत घराने को, बुलवा भेजा; और जब वे सब के सब शाऊल राज के पास आए, 12 तब शाऊल ने कहा, हे अह:तूब के पुऽ, सुन, वह बोला, हे ूभु, या आWा? 13 शाऊल ने उस से पुछा, या कारण है क तू और ियशै के पुऽ दोनHने मेरे वRa राजिोह क गोvी क है ? तू ने उसे रोट: और तलवार द:, और उसके िलथे परमे र से पूछा भी, 'जस से वह मेरे वRa उठे , और ऐसा घात लगाए

जैसा आज के दन है ? 14 अह:मेलेक ने राजा को उर दे कर कहा, तेरे समःत कमOचाgरयHम दाऊद के तु`य व ासयोbय कौन है ? वह तो राजा का दामाद है , और ते र: राजसभा म उप'ःयत हुआ करत, और तेरे पgरवार म ूितvत है । 15 या मE ने आज ह: उसके िलथे परमे र से पूछना आरSभ कया है ? वह मुझ से दरू रहे ! राजा न तो अपके दास पर ऐसा कोई दोष लगाए, न मेरे पता के समःत घराने पर, यHक ते रा दास इन सब बखेड़Hके वषय कुछ भी नह:ं जानता। 16 राजा ने कहा, हे अह:मेलेक, तू और तेरे पता का समःत घराना िन_य मार डाला जाएगा। 17 फर राजा ने उन पहRओं से जो उसके आसपास खड़े थे आWा द:, क मुड़ो और यहोवा के याजकHको मार डालो; यHक उ(हHने भी दाऊद क सहाथता क है , और उसका भागना जानने पर भी मुझ पर ूगट नह:ं कया। पर(तु राजा के सेवक यहोवा के याजकHको मारने के िलथे हाथ बढ़ाना न चाहते थे। 18 तब राजा ने दोएग से कहा, तू मुड़कर याजकHको मार डाल। तब एदोमी दोएग ने मुड़कर याजकHको मारा, और उस दन सनीवाला एपोद पहने हुए पचासी पुRषHको घात कया। 19 और याजकHके नगर नोब को उस ने '\यHपुRषH, और बालब.चH, और दध ू पउवH, और बैलH, गदहH, और भेड़-बकgरयHसमेत तलवार से मारा। 20 पर(तु अह:तूब के पुऽ अह:मेलेक का एcयातार नाम एक पुऽ बच िनकला, और दाऊद के पास भाग गया। 21 तब एcयातार ने दाऊद को बताया, क शाऊल ने यहोवा के याजकHको बध कया है । 22 और दाऊद ने एcयातार से कहा, 'जस दन एदोमी दोएग वहां या, उसी दन मE ने जान िलया, क वह िन_य शाऊल को बताएगा। तेरे पता के समःत घराने के मारे जाने का कारण मE ह: हुआ। 23 इसिलथे तू मेरे साय िनडर रह; जो मेरे ूाण

का माहक है वह: ते रे ूाण का भी माहक है ; पर(तु मेरे साय रहने से ते र: रझा होगी।। 1 शमूए ल 23 1 और दाऊद को यह समाचार िमला क पिलँती लोग कला नगर से युa कर रहे हE , और खिलहानHको लूट रहे हE । 2 तब दाऊद ने यहोवा से पूछा, क या मE जाकर पिल'ँतयHको माRं? यहोवा ने दाऊद से कहा, जा, और पिल'ँतयHको मार के कला को बचा। 3 पर(तु दाऊद के जनHने उस से कहा, हम तो इस यहूदा दे श म भी डरते रहते हE , यद हम कला जाकर पिल'ँतयHक सेना का साSहना कर , तो या बहुत अिधक डर म न पक गे ? 4 तब दाऊद ने यहोवा से फर पूछा, और यहोवा ने उसे उर दे कर कहा, कमर बा(धकर कला को जा; यHक मE पिल'ँतयHको ते रे हाथ म कर दं ग ू ा। 5 इसिलथे दाऊद अपके जनHको संग लेकर कला को गया, और पिल'ँतयHसे लड़कर उनके पशुओं को हांक लाया, और उ(ह

बड़: मार से मारा। यHदाऊद ने कला के िनवािस कH बचाया। 6 जब अह:मेलेक का पुऽ एcयातार दाऊद के पास कला को भाग गया या, तब हाथ म एपोद िलए हुए गया या।। 7 तब शाऊल को यह समाचार िमला क दाऊद कला को गया है । और शाऊल ने कहा, परमे र ने उसे मेरे हाथ म कर दया है ; वह तो फाटक और ब ड़ेवले नगर म घुसकर ब(द हो गया है । 8 तब शाऊल ने अप क सार: सेना को लड़ाई के िलथे बुलवाया, क कला को जाकर दाऊद और उसके जनHको घेर ले। 9 तब दाऊद ने जान िलया क शाऊल मेर: हािन क युf कर रहा है ; इसिलथे उस ने एcयातार याजक से कहा, एपोद को िनकट ले आ। 10 तब दाऊद ने कहा, हे

इॐाएल के परमे र यहोवा, तेरे दास ने िन_य सुना है क शाऊल मेरे कारण कला नगर नाश करने को आना चाहता है । 11 या कला के लोग मुझे उसके वश म कर द गे? या जैसे तेरे दास ने सुना है , वैसे ह: शाऊल आएगा? हे इॐाएल के परमे र यहोवा, अपके दास को यह बता। यहोवा ने कहा, हां, वह आएगा। 12 फर दाऊद ने पूछा, या कला के लोग मुझे और मेरे जनHको शाऊल के वश म

कर द गे? यहोवा ने कहा, हां, वे कर द गे। 13 तब दाऊद और उसके जन जो कोई छ: सौ थे कला से िनकल गए, और इधर उधर जहां कह:ं जा सके वहां गए। और जब शाऊल को यह बताया गया क दाऊद कला से िनकला भाग है , तब उस ने वहां जाने क मनसा छोड़ द:।। 14 जब दाऊद जो जंगल के गढ़Hम रहने लगा, और पहाड़: दे श के जीप नाम जंगल म रहा। और शाऊल उसे ूित दन ढू ं ढ़ता रहा, पर(तु परमे र ने उसे उसके हाथ म न पड़ने दया। 15 और दाऊद ने जान िलया क शाऊल मेरे ूाण क खोज म िनकला है । और दाऊद जीप नाम जंगल के होरे श नाम ःयान म या; 16 क शाऊल का पुऽ योनातन उठकर उसके पास होरे श म गया, और परमे र क चचाO करके उसको ढाढ़स दलाया। 17 उस ने उस से कहा, मत डर; यHक तू मेरे पता शाऊल के हाथ म न पकेगा; और तू ह: इॐाएल का राजा होगा, और मE तेरे नीचे हंू गा; और इस बात को मेरा पता शाऊल भी जानता है । 18 तब उन दोनHने यहोवा क शपय खाकर आपस म वाचा बा(धी; तब दाऊद होरे श म रह गया, और योनातन अपके घर चला गया। 19 तब जीपी लोग िगबा म शाऊल के पास जाकर कहने लगे, दाऊद तो हमारे पास होरे श के गढ़Hम , अयाOत ् उस हकला नाम पहाड़: पर िछपा रहता है , जो यशीमोन के द' खन क ओर है । 20 इसिलथे अब, हे राजा, तेर: जो इ.छा आने क है , तो आ;

और उसको राजा के हाथ म पकड़वा दे ना हमारा काम होगा। 21 शाऊल ने कहा, यहोवा क आशीष तुम पर हो, यHक तुम ने मुझ पर दया क है । 22 तुम चलकर और भी िन_य कर लो; और दे ख भालकर जान लो, और उसके अ]डे का पता लगा लो, और बूफो क उसको वहां कसने दे खा है ; यHक कसी ने मुझ से कहा है , क वह बड़: चतुराई से काम करता है । 23 इसिलथे जहां कह:ं वह िछपा करता है उन सब ःयानHको दे ख दे खकर पहचानो, तब िन_य करके मेरे पास लौट आना। और मE तुSहारे साय चलूग ं ा, और यद वह उस दे श म कह:ं भी हो, तो मE उसे यहूदा के हजारHम से ढू ं ढ़ िनकालूग ं ा। 24 तब वे चलकर शाऊल से पहले जीप को गए। पर(तु दाऊद अपके जनHसमेत माओन नाम जंगल म चला गया या, जो अराबा म यशीमोन के द' खन क ओर है । 25 तब शाऊल अपके जनHको साय लेकर उसक खोज म गया। इसका समाचार पाकर दाऊद पवOत पर से उतरके माओन जंगल म रहने लगा। यह सुन शाऊल ने माओन जंगल म दाऊद का पीछा कया। 26 शाऊल तो पहाड़ क एक ओर, और दाऊद अपेन जनHसमेत पहाड़ क दस ू र: ओर जा रहा या; और दाऊद शाऊल के डर के मारे ज`द: जा रहा या, और शाऊल अपके जनHसमेत दाऊद और उसके जनHको पकड़ने के िलथे घेरा बनाना चाहता या, 27 क एक दत ू ने शाऊल के पास आकर कहा, फुतh से चला आ; यHक पिल'ँतयHने दे श पर चढ़ाई क है । 28 यह सुन शाऊल दाऊद का पीछा छोड़कर पिल'ँतयHका साSहना करने को चला; इस कारण उस ःयान का नाम सेलाहSमहलकोत पड़ा। 29 वहां से दाऊद चढ़कर एनगद: के गढ़Hम रहने लगा।। 1 शमूए ल 24

1 जब शाऊल पिल'ँतयHका पीछा करके लौटा, तब उसको यह समाचार िमला, क दाऊद एनगद: के जंगल म है । 2 तब शाऊल समःत इॐाएिलयHम से तीन हजार को छांटकर दाऊद और उसके जनHको बनैले बकरHक च=टानHपर खोजने गया। 3 जब वह मागO पर के भेड़शालHके पास पहंु चा जहां एक गुफा यी, तब शाऊल दशा फरने को उसके भीतर गया। और उसी गुफा के कोनHम दाऊद और उसके जन बैठे हुए थे। 4 तब दाऊद के जनHने उस से कहा, सुन, आज वह: दन है 'जसके वषय यहोवा ने तुझ से कहा या, क मE तेरे शऽु को ते रे हाथ म सxप दं ग ू ा, क तू उस से मनमाना बताOव कर ले। तब दाऊद ने उठकर शाऊल के बागे क छोर को िछपकर काट िलया। 5 इसके पीछे दाऊद शाऊल के बागे क छोर काटने से पछताया। 6 और अपके जनHसे कहने लगा, यहोवा न करे क मE अपके ूभु से जो यहोवा का अिभषf है ऐसा काम कRं, क उस पर हाथ चलाऊं, यHक वह यहोवा का अिभषf है । 7 ऐसी बात कहकर दाऊद ने अपके जनHको घुड़क लगाई और उ(ह शाऊल क हािन करने को उठने न दया। फर शाऊल उठकर गुफा से िनकला और अपना मागO िलया। 8 उसके पीछे दाऊद भी उठकर गुफा से िनकला और शाऊल को पीछे से पुकार के बोला, हे मेरे ूभु, हे राजा। जब शाऊल ने फर के दे खा, तब दाऊद ने भूिम क ओर िसर फुकाकर द+डवत ् क। 9 और दाऊद ने शाऊल से कहा, जो मनुंय कहते हE , क दाऊद तेर: हािन चाहता है उनक तू यHसुनता है ? 10 दे ख, आज तू ने अप क आंखHसे दे खा है क यहोवा ने आज गुफा म तुझे मेरे हाथ सxप दया या; और कसी कसी ने तो मुझ से तुझे मारने को कहा या, पर(तु मुझे तुझ पर तरस आया; और मE ने कहा, मE अपके ूभु पर हाथ न चलाऊंगा; यHक वह यहोवा का अिभषf है । 11 फर, हे मेरे

पता, दे ख, अपके बागे क छोर मेरे हाथ म दे ख; मE ने तेरे बागे क छोर तो काट ली, पर(तु तुझे घात न कया; इस से िन_य करके जान ले, क मेरे मन म कोई बुराई वा अपराध का सोच नह:ं है । और मE ने ते रा कुछ अपराध नह:ं कया, पर(तु तू मेरे ूाण लेने को मानो उसका अहे र करता रहता है । 12 यहोवा मेरा और ते रा (याय करे , और यहोवा तुझ से मेरा पलटा ले; पर(तु मेरा हाथ तुझ पर न उठे गा। 13 ूाचीनHके नीित वचन के अनुसार द ु ता द ु Hसे होती है ; पर(तु मेरा हाथ तुझ पर न उठे गा। 14 इॐाएल का राजा कस का पीछा करने को िनकला है ? और कस के पीछे पड़ा है ? एक मरे कुे के पीछे ! एक पःसू के पीछे ! 15 इसिलथे यहोवा (यायी होकर मेरा तेरा वचार करे , और वचार करके मेरा मुकXमा लड़े , और (याय करके मुझे तेरे हाथ से बचाए। 16 दाऊद शाऊल से थे बात कह: चुका या, क शाऊल ने कहा, हे मेरे बे टे दाऊद, या यह तेरा बोल है ? तब शाऊल िच`लाकर रोने लगा। 17 फर उस ने दाऊद से कहा, तू मुझ से अिधक धमh है ; तू ने तो मेरे साय भलाई क है , पर(तु मE ने तेरे साय बुराई क। 18 और तू ने आज यह ूगट कया है , क तू ने मेरे साय भलाई क है , क जब यहोवा ने मुझे तेरे हाथ म कर दया, तब तू ने मुझे घात न कया। 19 भला! या कोई मनुंय अपके शऽु को पाकर कुशल से जाने दे ता है ? इसिलथे जो तू ने आज मेरे साय कया है , इसका अ.छा बदला यहोवा तुझे दे । 20 और अब, मुझे मालूम हुआ है क तू िन_य राजा को जाएगा, और इॐाएल का राGय तेरे हाथ म 'ःयर होगा। 21 अब मुझ से यहोवा क शपय खा, क मE ते रे वंश को तेरे पीछे नाश न कRंगा, और तेरे पता के घराने म से तेरा नाम िमटा न डालूग ं ा। 22 तब दाऊद ने शाऊल से ऐसी ह: शपय खाई। तब शाऊल अपके घर चला गया; और दाऊद अपके जनHसमेत

गढ़Hम चला गया। 1 शमूए ल 25 1 और शमूएल मर गया; और समःत इॐाएिलयHने इक=ठे होकर उसके िलथे छाती पीट:, और उसके घर ह: म जो रामा म या उसको िम=ट: द:। तब दाऊद उठकर पारान जंगल को चला गया।। 2 माओन म एक पुRष रहता या 'जसका माल कमल म या। और वह पुRष बहुत बड़ा या, और उसके तीन हजार भेड़ , और एक हजार बकgरयHयीं; और वह अप क भेड़Hका ऊन कतर रहा या। 3 उस पुRष का नाम नाबाल, और उसक प^ी का नाम अबीगैल या। \ी तो बुaमान और Rपवती यी, पर(तु पुRष कठोर, और बुरे बुरे काम करनेवाला या; वह तो कालेबवंशी या। 4 जब दाऊद ने जंगल म समाचार पाया, क नाबाल अप क भेड़Hका ऊन कतर रहा है ; 5 तब दाऊद ने दस जवानHको वहां भेज दया, ओर दाऊद ने उन जवानHसे कहा, क कमल म नाबाल के पास जाकर मेर: ओर से उसका कुशलझेम पूछो। 6 और उस से यHकहो, क तू िचरं जीव रहे , ते रा क`याण हो, और तेरा घराना क`याण से रहे , और जो कुछ तेरा है वह क`याण से रहे । 7 मE ने सुना है , क जो तू ऊन कतर रहा है ; ते रे चरवाहे हम लोगHके पास रहे , और न तो हम ने उनक कुछ हािन क, और न उनका कुछ खोया गया। 8 अपके जवानHसे यह बात पूछ ले, और वे तुझ का बताएंगे। सो इन जवानHपर तेरे अनुमह क l हो; हम तो आन(द के समय म आए हE , इसिलथे जो कुछ तेरे हाथ लगे वह अपके दासHऔर अपके बेटे दाऊद को दे । 9 ऐसी ऐसी बात दाऊद के जवान जाकर उसके नाम से नाबाल को सुनाकर चुप रहे । 10 नाबाल ने दाऊद के

जनHको उर दे कर उन से कहा, दाऊद कौन है ? ियशै का पुऽ कौन है ? आज कल बहुत से दास अपके अपके ःवामी के पास से भाग जाते हE । 11 या मE अप क रोट:-पानी और जो पशु मE ने अपके कतरनेवालHके िलथे मारे हE लेकर ऐसे लोगHको दे दं ,ू 'जनको मE नह:ं जानता क कहां के हE ? 12 तब दाऊद के जवानHने लौटकर अपना मागO िलया, और लौटकर उसको से सब बात GयHक यHसुना द:ं। 13 तब दाऊद ने अपके जनHसे कहा, अप क अप क तलवार बा(ध लो। तब उ(हHने अप क अप क तलवार बा(ध ली; और दाऊद ने भी अप क तलवार बा(घ ली; और कोई चार सौ पुRष दाऊद के पीछे पीछे चले, और दो सौ समान के पास रह गए। 14 पर(तु एक सेवक ने नाबाल क प^ी अबीगैल को बताया, क दाऊद ने जंगल से हमारे ःवामी को आशीवाOद दे ने के िलथे दत ू भेजे थे; और उस ने उ(ह ललकारा दया। 15 पर(तु वे मनुंय हम से बहुत अ.छा बताOव रखते थे, और जब तक हम मैदान म रहते हुए उनके पास आया जाया करते थे, तब तक न तो हमार: कुछ हािन हुई, और न हमारा कुछ खोया गया; 16 जब तक हम उन के साय भेड़-बकgरयां चराते रहे , तब तक वे रात दन हमार: आड़ बने रहे । 17 इसिलथे अब सोच वचार कर क या करना चाहए; यHक उ(हHने हमारे ःवामी क ओर उसके समःत घराने क हािन ठानी होगी, वह तो ऐसा द ु है क उस से कोई बोल भी नह:ं सकता। 18 अब अबीगैल ने फुतh से दो सौ रोट:, और दो कु€पी दाखमधु, और पांच भेडय़Hका मांस, और पांच सआ भूना हुआ अनाज, और एक सौ गु.छे कशिमश, और अंजीरHक दो सौ टकयां लेकर गदहHपर लदवाई। 19 और उस ने अपके जवानHसे कहा, तुम मेरे आगे आगे चलो, मE तुSहारे पीछे पीछे आती हंू ; परनतु उस ने अपके पित नाबाल से कुछ न कहा। 20 वह गदहे पर

च क हुई पहाड़ क आड़ म उतर: जाती यी, और दाऊद अपके जनHसमेत उसके सामहने उतरा आता या; और वह उनको िमली। 21 दाऊद ने तो सोचा या, क मE ने जो जंगल म उसके सब माल क ऐसी रझा क क उसका कुछ भी न खोया, यह िन:स(दे ह eययO हुआ; यHक उस ने भलाई के बदले मुझ से बुराई ह: क है । 22 यद बहान को उ'जयाला होने तक उस जन के समःत लोगHम से एक लड़के को भी मE जीवत छोड़ू ं , तो परमे र मेरे सब शऽुओं से ऐसा ह:, वरन इस से भी अिधक करे । 23 दाऊद को दे ख अबीगैल फुतh करके गदहे पर से उतर प क, और दाऊद के सSमुख मुह ं के बल भूिम पर िगरकर द+डवत ् क। 24 फर वह उसके पांव पर िगरके कहने लगी, हे मेरे ूभु, यह अपराण मेरे ह: िसर पर हो; तेर: दासी तुझ से कुछ कहना चाहती है , और तू अप क दासी क बातHको सुन ले। 25 मेरा ूभु उस द ु नाबाल पर िच न लगाए; यHक जैसा उसका नाम है वैसा ह: वह आप है ; उसका नाम तो नाबाल है , और सचमुच उस म मूढ़ता पाई जाती है ; पर(तु मुझ तेर: दासी ने अपके ूभु के जवानHको 'ज(ह तू ने भेजा या न दे खा या। 26 और अब, हे मेरे ूभु, यहोवा के जीवन क शपय और तेरे जीवन क शपय, क यहोवा ने जो तुझे खून से और अपके हाथ के kारा अपना पलटा लेने से रोक रखा है , इसिलथे अब तेरे शऽु और मेरे ूभु क हाित के चाहनेवाले नाबाल ह: के समान ठहर । 27 और अब यह भ ट जो ते र: दासी अपके ूभु के पास लाई है , उन जवानHको द: जाए जो मेरे ूभु के साय चालते हE । 28 अप क दासी का अपराध झमा कर; यHक यहोवा िन_य मेरे ूभु का घर बसाएगा और 'ःयर करे गा, इसिलथे क मेरा ूभु यहोवा क ओर से लड़ता है ; और ज(म भर तुझ म

कोई बुराई नह:ं पाई जाएगी। 29 और यrप एक मनुंय तेरा पीछा करनेऔर तेरे

ूाण का माहक होने को उठा है , तौभी मेरे ूभु का ूाण तेरे परमे र यहोवा क जीवनRपी गठर: म ब(धा रहे गा, और तेरे शऽुओं के ूाणHको वह मानो गोफन म

रखकर फ क दे गा। 30 इसिलथे जब यहोवा मेरे ूभु के िलथे यह समःत भलाई करे गा जो उस ने तेरे वषय म कह: है , और तुझे इॐाएल पर ूधान करके ठहराएगा, 31 तब तुझे इस कारण पछताना न होगा, वा मेरे ूभु का ॑ृदय पीड़त न होगा क तू ने अकारण खून कया, और मेरे ूभु ने अपना पलटा आप िलया है । फर जब यहोवा मेरे ूभु से भलाई करे तब अप क दासी को ःमरण करना। 32 दाऊद ने अबीगैल से कहा, इॐाएल का परमे र यहोवा ध(य है , 'जस ने आज के दन मुझ से भ ट करने केिलथे तुझे भेजा है । 33 और तेरा ववेक ध(य है , और तू आप भी ध(य है , क तू ने मुझे आज के दन खून करने और अपना पलटा आप लेने से रोक िलया है । 34 यHक सचमुच इॐाएल का परमे र यहोवा, 'जस ने मुझे तेर: हािन करने से रोका है , उसके जीवन क शपय, यद तू फुतh करके मुफ ं से भ ट करने को न आती, तो िन:स(दे ह बहान को उ'जयाला होने तक नाबाल का कोई लड़का भी न बचता। 35 तब दाऊद ने उसे महण कया जो वह उसके िलथे लाई यी; फर उस से उस ने कहा, अपके घर कुशल से जा; सुन, मE ने तेर: बात मानी है और तेर: बनती महण कर ली है । 36 तब अबीगैल नाबाल के पास लौट गई; और या दे खती है , क वह घर म राजा क सी जेवनार कर रहा है । और नाबाल का मन मगन है , और वह नशे म अित चूर हो गया है ; इसिलथेउस ने भोर के उ'जयालेहाने से पहले उस से कुछ भी न कहा। 37 बहान को जब नाबाल का नशा उतर गया, तब उसक प^ी ने उसे कुल हाल सुना दया, तब उसके मन का हयाव जाता रहा, और वह पयर सा सु(न हो गया। 38 और दस दन के

प_ात ् यहोवा ने नाबाल को ऐसा मारा, क वह मर गया। 39 नाबाल के मरने का हाल सुनकर दाऊद ने कहा, ध(य है यहोवा 'जस ने नाबाल के साय मेर: नामधराई का मुकXमा लड़कर अपके दास को बुराई से रोक रखा; और यहोवा ने नाबाल क बुराईको उसी के िसर पर लाद दया है । तब दाऊद ने लोगHको अबीगैल के पास इसिलथे भेजा क वे उस से उसक प^ी होने क बातचीत कर । 40 तो जब दाऊद के सेवक कमल को अबीगैल के पास पहुंचे, तब उस से कहने लगे, क दाऊद ने हम तेरे पास इसिलथे भेजा है क तू उसक प^ी बने। 41 तब वह उठq, और मुह ं के बल भूिम पर िगर द+डवत ् करके कहा, तेर: दासी अपके ूभु के सेवकHके चरण धोने के िलथे लxड: बने। 42 तब अबीगैल फुतh से उठq, और गदहे पर च क, और उसक पांच सहे िलयां उसके पीछे पीछे हो ली; और वह दाऊद के दत ू Hके पीछे पीछे गई; और उसक प^ी हो गई। 43 और दाऊद ने िचळैल नगर क अहनोअम को भी cयाह िलया, तो वे दोनHउसक प'^यां हुई। 44 पर(तुशाऊल ने अप क बे ट: दाऊद क प^ी मीकल को लैश के पुऽ ग`लीमवासी पलती को दे दया या।। 1 शमूए ल 26 1 फर जीपी लोग िगबा म शाऊल के पास जाकर कहने लगे, या दाऊद उस हकला नाम पहाड़: पर जो यशीमोन के साSहने है िछपा नह:ं रहता? 2 तब शाऊल उठकर इॐाएल केतीन हजार छांटे हुए योaा संग िलए हुए गया क दाऊद को जीप के जंगल म खोजे। 3 और शाऊल ने अप क छावनी मागO के पास हकला नाम पहाड़: पर जो यशीमोन के साSहने है डाली। पर(तु दाऊद जंगल म

रहा; और उस ने जान िलया, क शाऊल मेरा पीछा करने को जंगल म आया है ; 4 तब दाऊद ने भेदयHको भेजकर िन_य कर िलया क शाऊल सचमुच आ गया है । 5 तब शाऊल उठकर उस ःयान पर गया जहां शाऊल पड़ा या; और दाऊद ने उस ःयान को दे खा जहां शाऊल अपके सेनापित नेर के पुऽ अcनेर समेत पड़ा या, और उसके लोग उसके चारHओर डे रे डाले हुए थे। 6 तब दाऊद ने ही अह:मेलेक और जRयाह के पुऽ योआब के भाई अबीशै से कहा, मेरे साय उस छावनी म

शाऊल के पास कौन चलेगा? अबीशै ने कहा, ते रे साय मE चलूग ं ा। 7 सो दाऊद और अबीशै रातHरात उन लोगHके पास गए, और या दे चाते हE , क शाऊल गाडय़Hक आड़ म पड़ा सो रहा है , और उसका भाला उसके िसरहाने भूिम म गड़ा है ; और अcनेर और योaा लोग उसके चारHओर पके हुए हE । 8 तब अबीशै ने दाऊद से कहा, परमे र ने आज तेरे शऽु को तेरे हाथ म कर दया है ; इसिलथे अब मE उसको एक बार ऐसा माRं क भाला उसे बेधता हुआ भूिम म धंस जाए, और मुझ को उसे दस ू र: बार मारना न पकेगा। 9 दाऊद ने अबीशै से कहा, उसे नाश न कर; यHक यहोवा के अिभषf पर हाथ चलाकर कौन िनदzष ठहर सकता है । 10 फर दाऊद ने कहा, यहोवा के जीवन क शपय यहोवा ह: उसको मारे गा; वा वह अप क मृयु से मरे गा; वा वह लड़ाई म जाकर मर जाएगा। 11 यहावो न करे क मE अपना हाथ यहोवा के अिभषf पर बढ़ाऊ; अब उसके िसरहाने से भाला और पानी क फार: उठा ले, और हम यहां से चले जाएं। 12 तब दाऊद ने भाले और पानी क फार: को शाऊल के िसरहाने से उठा िलया; और वे चले गए। और कसी ने इसे न दे खा, और न जाना, और न कोई जागा; यHक वे सब इस कारण सोए हुए थे, क यहोवा क ओर से उन म भार: नींद समा गई यी। 13 तब दाऊइ

परली ओर जाकर दरू के पहाड़ क चोट: पर खड़ा हुआ, और दोनHकेबीच बड़ा अ(तर या; 14 और दाऊद ने उन लोगHको, और नेर के पुऽ अcनेर कोपुकार के कहा, हे अcनेरए या तू नह:ं सुनता? अcनेर ने उर दे कर कहा, तू कौन है जो राजा को पुकारता है ? 15 दाऊद ने अcनेर से कहा, या तू पुRष नह:ं है ? इॐाएल म तेरे तु`य कौन है ? तू ने अपके ःवामी राजा क चौकसी यHनह:ं क? एक जन तो तेरे ःवामी राजा को नाश करने घुसा या 16 जो काम तू ने कया है वह अ.छा नह:ं। यहोवा के जीवन क शपय तुम लोग मारे जाने के योbय हो, यHक तुम ने अपके ःवामी, यहोवा के अिभषf क चौकसी नह:ं क। और अब दे ख, राजा का भाला और पानी क घर: जो उसके िसरहान यी वे कहां हE , 17 तब शाऊल ने दाऊद का बोल पहचानकर कहा, हे मेरे बेटे दाऊद, या यह तेरा बोल है , दाऊद ने कहा, हां, मेरे ूभु राजा, मेरा ह: बोल है । 18 फर उस ने कहा, मेरा ूभु अपके दास का पीछा यHकरता है ? मE ने या कया है ? और मुझ से कौन सी बुराई हुई है ? 19 अब मेरा ूभु राजा, अपके दास क बात सुन ले। यद यहोवा नेतुझे मेरे वRa उसकाया हो, तब तो वह भ ट महण करे ; पर(तु यद आदिमयHने ऐसा कया हो, तो वे यहोवा क ओर से शापत हH, यHक उ(हHने अब मुझे िनकाल दया है क मE यहोवा के िनज भाग म न रहंू , और उ(हHने कहा है , क जा पराए दे वताओं क उपासना कर। 20 इसिलथे अब मेरा लोहू यहोवा क आखHक ओट म भूिम पर न बहने पाए; इॐाएल का राजा तो एक पःसू ढू ं ढ़ने आया है , जैसा क कोई पहाड़Hपर तीतर का अहे र करे । 21 शाऊल ने कहा, मE ने पाप कया है , हे मेरे बेटे दाऊद लौट आ; मेरा ूाण आज के दन ते र: l म अनमोल ठहरा, इस कारण मE फर तेर: कुछ हािन न कRंगा; सुन, मE ने मूखOता क, और मुझ से बड़: भूल हुई है ।

22 दाऊद ने उर दे कर कहा, हे राजा, भाले को दे ख, कोई जवान इधर आकर इसे ले जाए। 23 यहोवा एक एक को अपके अपके धमO और स.चाई का फल दे गा; दे ख, आज यहोवा ने तुझ को मेरे हाथ म कर दया या, पर(तु मE ने यहोवा के अिभषf पर अपना हाथ बढ़ाना उिचत न समझा। 24 इसिलथे जैसे तेरे ूाण आज मेर: l म ूय ठहरे , वैसे ह: मेरे ूाण भी यहोवा क l म ूय ठहरे , और वह मुझे समःत वपयHसे छुड़ाए। 25 शाऊल ने दाऊद से कहा, हे मेरे बेटे दाऊद तू ध(य है ! तू बड़े बड़े काम करे गा और तेरे काम सुफल हHगे। तब दाऊद ने अपना मागO िलया, और शाऊल भी अपके ःयान को लौट गया।। 1 शमूए ल 27 1 और दाऊद सोचने लगा, अब मE कसी न कसी दन शाऊल के हाथ से नाश हो जाऊंगा; अब मेरे िलथे उम यह है क मE पिल'ँतयHके दे श म भाग जाऊं; तब शाऊल मेरे वषय िनराश होगा, और मुझे इॐाएल के दे श के कसी भाग म फर न ढू ढ़े गा, यHमE उसके हाथ से बच िनकलूग ं ा। 2 तब दाऊद अपके छ: सौ संगी पुRषHको लेकर चला गया, और गत के राजा माओक के पुऽ आकश के पास गया। 3 और दाऊद और उसके जन अपके अपके पgरवार समेत गत म आकश के पास रहने लगे। दाऊद तो अप क दो '\यHके साय, अयाOत ् ियळेली अह:नोअब, और नाबाल क \ी कमली अबीगैल के साय रहा। 4 जब शाऊल को यह समाचार िमला क दाऊद गत को भाग गया है , तब उस ने उसे फर कभी न ढू ं ढ़ा 5 दाऊद ने आकश से कहा, यद मुझ पर ते रे अनुमह क l हो, तो दे श क कसी बःती म मुझे ःयान दला दे जहां मE रहंू ; तेरा दास तेरे साय राजधनी म

यHरहे ? 6 जब आकश ने उसे उसी दन िसकलग बःती द:; इस कारण से िसकलग आज के दन तक यहूदा के राजाओं का बना है ।। 7 पिल'ँतयHके दे श म

रहते रहते दाऊद को एक वषO चार मह:ने बीत गए। 8 और दाऊद ने अपके जनHसमेत जाकर गशूgरयH, िग'जयJ, और अमालेकयHपर चढ़ाई क; थे जाितयां तो ूाचीन काल से उस दे श म रहती यीं जो शूर के मागO म िमॐ दे श तक है । 9 दाऊद ने उस दे श को नाश कया, और \ी पुRष कसी को जीवत न छोड़ा, और भेड़-बकर:, गाय-बैल, गदहे , ऊंट, और व\ लेकर लौटा, और आकश के पास गया। 10 आकश ने पूछा, आज तुम ने चढ़ाई तोनह:ं क? दाऊद ने कहा, हां, यहूदा यरहमेिलयHऔर केिनयHक द' खन दशा म । 11 दाऊद ने \ी पुRष कसी को जीवत न छोड़ा क उ(ह गत म पहुंचाए; उस ने सोचा या, क ऐसा न हो क वे हमारा काम बताकर यह कह , क दाऊद ने ऐसा ऐसा कया है । वरन जब से वह पिल'ँतयHके दे श म रहता है , तब से उसका काम ऐसा ह: है । 12 तब आकश ने दाऊद क बात सच मानकर कहा, यह अपके इॐाएली लागHक l म अित घृ'णत हुआ है ; इसिलथे यह सदा के िलथे मेरा दास बना रहे गा।। 1 शमूए ल 28 1 उन दनHम पिल'ँतयHने इॐाएल से लड़ने के िलथे अप क सेना इक=ठq क। और आकश ने दाऊद से कहा, िन_य जान क तुझे अपके जनHसमेत मेरे साय सेना म जाना होगा। 2 दाऊद ने आकश से कहा, इस कारण तू जान लेगा क तेरा दास या करे गा। आकश ने दाऊद से कहा, इस कारण मE तुझे अपके िसर का रझक सदा के िलथे ठहराऊंगा।। 3 शमूएल तो मर गया या, और समःत

इॐाएिलयHने उसके वषय छाती पीट:, और उसको उसके नगर रामा म िम=ट: द: यी। और शाऊल ने ओफHऔर भूतिसa करनेवालHको दे श से िनकाल दया या।। 4 जब पिलँती इक=ठे हुए और शूनेम म छावनी डाली, तो शाऊल ने सब इॐाएिलयHको इक=ठा कया, और उ(हHने िगलबो म छावनी डाली। 5 पिल'ँतयHक सेना को दे खकर शाऊल डर गया, और उसका मन अय(त भयभीत हो कांप उठा। 6 और जब शाऊल ने यहोवा से पूछा, तब यहोवा ने न तो ःव€न के kारा उस उर दया, और न ऊर:म के kारा, और न भवंयkfाओं के kारा। 7 तब शाऊल ने अपके कमOचाgरयHसे कहा, मेरे िलथे कसी भूतिसa करनेवाली को ढू ं ढो, क मE उसके पास जाकर उस से पूछूं। उसके कमOचाgरयHने उस से कहा, ए(दोर म एक भूतिसa करनेवाली रहती है । 8 तब शाऊल ने अपना भेष बदला, और दस ू रे कपके पहनकर, दो मनुंय संग लेकर, रातHरात चलकर उस \ी के पास गया; और कहा, अपके िसa भूत से मेरे िलथे भावी कहलवा, और 'जसका नाम मE लूग ं ा उसे बुलवा दे । 9 \ी ने उस से कहा, तू जानता है क शाऊल ने या कया है , क उस ने ओफHऔर भूतिसa करनेवालHको दे श से नाश कया है । फर तू मेरे ूाण के िलथे यHफंदा लगाता है क मुझे मरवा डाले। 10 शाऊल ने यहोवा क शपय खाकर उस से कहा, यहोवा के जीवन क शपय, इस बात के कारण तुझे द+ड न िमलेगा। 11 \ी ने पूछा, मE तेरे िलथे कस को बुलाऊ? उस ने कहा, शमूएल को मेरे िलथे बुला। 12 जब \ी ने शमूएल को दे खा, तब ऊंचे शcद से िच`लाई; और शाऊल से कहा, तू ने मुझे यHधोखा दया? तू तो शाऊल है । 13 राजा ने उस सेकहा, मत डर; तुझे या दे ख पड़ता है ? \ी ने शाऊल से कहा, मुझे एक दे वता पृवी म से चढ़ता हुआ दखाई पड़ता है । 14 उस ने उस

से पूछा उस का कैसा Rप ह? उस ने कहा, एक बूढ़ा पुRष बागा ओढ़े हुए चढ़ा आता है । तब शाऊल ने िन_य जानकर क वह शमूएल है , औ ंधे मुह ं भूिम पर िगरके द+डवत ् कया। 15 शमूएल ने शाऊल से पूछा, तू ने मुझे ऊपर बुलवाकर यHसताया है ? शाऊल ने कहा, मE बड़े संकट म पड़ा हंू ; यHक पिलँती मेरे साय लड़ रहे हE और परमे र ने मुझे छोड़ दया, और अब मुझे न तो भवंयkfाओं के kारा उर दे ता है , और न ःवपनHके; इसिलथे मE ने तुझे बुलाया क तू मुझे जता दे क मE या कRं। 16 शमूएल ने कहा, जब यहोवा तुझे छोड़कर तेरा शऽु बन गया, तब तू मुझ से यHपूछता है ? 17 यहोवा ने तो जैसे मुझ से कहलावाया या वैसा ह: उस ने eयवहार कया है ; अयाOत ् उस ने तेरे हाथ से राGय छqनकर तेरे पड़ोसी दाऊद को दे दया है । 18 तू ने जो यहोवा क बात न मानी, और न अमालेकयHको उसके भड़के हुए कोप के अनुसा द+ड दया या, इस कारण यहोवा ने तुझ से आज ऐसा बताOव कया। 19 फर यहोवा तुझ समेत इॐाएिलयHको पिल'ँतयHके हाथ म कर दे गा; और तू अपके बेटHसमेत कल मेरे साय होगा; और इॐाएली सेना को भी यहोवा पिल'ँतयHके हाथ म कर दे गा। 20 तब शाऊल तुर(त मुह ं के बल भूिम पर िगर पड़ा, और शमूएल क बातHके कारण अय(त डर गया; उस ने पूरे दन और रात भोजन न कया या, इस से उस म बल कुछ भी न रहा। 21 तब वह \ी शाऊल के पास गई, और उसको अित eयाकुल दे खकर उस से कहा, सुन, तेर: दासी ने तो ते र: बात मानी; और मE ने अपके ूाण पर खेलकर तेरे वचनHको सुन िलया जो तू ने मुझ से कहा। 22 तोअब तू भी अप क दासी क बात मान; और मE तेरे साSहने एक टु कड़ा रोट: रखूं; तू उसे खा, क जब तू अपना मागO ले तब तुझे बल आ जाए। 23 उस ने इनकार करके कहा, मE न

खाऊंगा। पर(तु उसके सेवकHऔर \ी ने िमलकर यहां तक उसे दबाया क वह उनक बात मानकर, भूिम पर से उठकर खाट पर बैठ गया। 24 \ी के घर म तो एक तैयार कया हुआ बछड़ा या, उस ने फुतh करके उसे मारा, फर आटा लेकर गूंधा, और अखमीर: रोट: बनाकर 25 शाऊल और उसके सेवकHके आगे लाई; और उ(हHने खाया। तब वे उठकर उसी रात चले गए।। 1 शमूए ल 29 1 पिल'ँतयHने अप क समःत सेना को अपेक म इक=ठा कया; और इॐाएली ियळेल के िनकट के सोते के पास डे रे डाले हुए थे। 2 तब पिल'ँतयHके सरदार अपके अपके सैकड़Hऔर हजारHसमेत आगे बढ़ गए, और सेना के पीछे पीछे आकश के साय दाऊद भी अपके जनHसमेत बढ़ गया। 3 तब पिलँती हाकमHने पूछा, इन इॄयHका यहां या काम है ? आकश ने पिलँती सरदारHसे कहा, या वह इॐाएल के राजा शाऊल का कमOचार: दाऊद नह:ं है , जो या जाने कतने दनHसे वरन वषz से मेरे साय रहता है , और जब से वह भाग आया, तब से आज तक मैने उस म कोई दोष नह:ं पाया। 4 तब पिलँती हाकम उस से बोिधत हुए; और उस से कहा, उस पुRष को लौटा दे , क वह उस ःयान पर जाए जो तू ने उसके िलथे ठहराया है ; वह हमारे संग लड़ाई म न आने पाएगा, कह:ं ऐसा न हो क वह लड़ाई म हमारा वराधी बन जाए। फर वह अपके ःवामी से कस र:ित से मेल करे ? या लोगHके िसर कटवाकर न करे गा? 5 या यह वह: दाऊद नह:ं है , 'जसके वषय म लोग नाचते और गाते हुए एक दस ू रे से कहते थे, क शाऊल ने हजारHको , पर दाऊद ने लाखHको मारा है ? 6 तब आकश ने दाऊद को बुलाकर

उस से कहा, यहोवा के जीवन क शपय तू तो सीधा है , और सेना म तेरा मेरे संग आना जाना भी मुझे भावता है ; यHक जब से तू मेरे पास आया तब से लेकर आज तक मE ने तो तुझ म कोई बुराई नह:ं पाई। तौभी सरदार लोग तुझे नह:ं चाहते। 7 इसिलथे अब तू कुशल से लौट जा; ऐसा न हो क पिलँती सरदार तुझ से अूस(न हH। 8 दाऊद ने आकश से कहा, मE ने या कया है ? और जब से मE तेरे साSहने आया तब से आज तक तू ने अपके दास म या पाया है क अपके ूभु राजा के शऽुओं से लड़ने न पाऊं? 9 आकश ने दाऊद को उर दे कर कहा, हां, यह मुझे मालूम है , तू मेर: l म तो परमे र के दत ू के समान अ.छा लगता है ; तौभी पिलँती हाकमHने कहा है , क वह हमारे संग लड़ाई म ने जाने पाएगा। 10 इसिलथे अब तू अपके ूभु के सेवकHको लेकर जो तेरे साय आए हE बहान को तड़के उठना; और तुम बहान को लड़के उठकर उ'जयाला होते ह: चले जाना। 11 इसिलथे बहान को दाऊद अपके जनHसमेत तड़के उठकर पिल'ँतयHके दे श को लौअ गया। और पिलँती ियळेल को चढ़ गए।। 1 शमूए ल 30 1 तीसरे दन जब दाऊद अपके जनHसमेत िसकलग पहंु चा, तब उ(हHने या दे खा, क अमालेकयHने द' खन दे श और िसकलग पर चढ़ाई क। और िसकलग को मार के फूंक दया, 2 और उस म क \ी आद छोटे बड़े 'जतने थे, सब को ब(धुआई म ले गए; उ(हHने कसी को मार तो नह:ं डाला, पर(तु सभHको लेकर अपना मागO िलया। 3 इसिलथे जब दाऊद अपके जनHसमेत उस नगर म पहंु चा, तब नगर तो जला पड़ा या, और '\यां और बेटे-बेिछयां ब(धुआई म च क गई

यीं। 4 तब दाऊद और वे लोग जो उसके साय थे िच`लाकर इतना रोए, क फर उन म रोने क शf न रह:। 5 और दाऊद क दो '\यां, ियळेली अह:नोअम, और कम‹ली नाबाल क \ी अबीगैल, ब(धुआई म गई यीं। 6 और दाऊद बड़े संकट म

पड़ा; यHक लोग अपके बेटे-बेटयHके कारण बहुत शोकत होकर उस पर पयरवाह करने क चचाO कर रहे थे। पर(तु दाऊद ने अपके परमे र यहोवा को ःमरण करके हयाव बा(धा।। 7 तब दाऊद ने अह:मेलेक के पुऽ एcयातार याजक से कहा, एपोद को मेरे पास ला। तब एcयातार एपोद को दाऊद के पास ले आया। 8 और दाऊद ने यहोवा से पूछा, या मE इस दल का पीछा कRं? या उसको जा पकडू ं गा? उस ने उस से कहा, पीछा कर; यHक तू िन_य उसको पकड़े गा, और िनस(दे ह सब कुछ छुड़ा लाएगा; 9 तब दाऊद अपकेछ: सौ सायी जनHको लेकर बसोर नाम नाले तक पहंु चा; वहां कुछ लोग छोड़े जाकर रह गए। 10 दाऊद तो चार सौ पुRषHसमेत पीछा कए चला गया; पर(तु दौसौ जो ऐसे यक गए थे, क बसोर नाले के पार न जा सके वह:ं रहे । 11 उनको एक िमॐी पुRष मैदान म िमला, उ(हHने उसे दाऊद के पास ले जाकर रोट: द:; और उस ने उसे खाया, तब उसे पानी पलाया, 12 फर उ(हHने उसको अंजीर क टकया का एक टु कड़ा और दो गु.छे कशिमश दए। और जब उस ने खाया, तब उसके जी म जी आया; उस ने तीन दन और तीन रात से न तो रोट: खाई यी और न पानी पया या। 13 तब दाऊद ने उस से पूछा, तू कस का जन है ? और कहां का है ? उस ने कहा, मE तो िमॐी जवान अ◌ौर एक अमालेक मनुंय का दास हँू ; अ◌ौर तीन दन हुए क मE बीमार पड़ा, अ◌ौर मेरा ःवामी मुझे छोड़ गया। 14 हम लोगHने करे ितयHक द' खन दशा म , और यहूदा के दे श म , और कालेब क द' खन

दशा म चढाई क; और िसकलग को आग लगाकर फूंक दया या। 15 दाऊद ने उस से पूछा, या तू मुझे उस दल के पास पहुंचा दे गा? उस ने कहा, मुझ से परमे र क यह शपय खा, क मE तुझे न तो ूाण से माRंगा, और न तेरे ःवामी के हाथ कर दं ग ू ा, तब मE तुझे उस दल के पास पहंु चा दं ग ू ा। 16 जब उस ने उसे पहंु चाया, तब दे खने म आया क वे सब भूिम पर िछटके हुए खाते पीते, और उस बड: लूट के कारण, जो वे पिल'ँतयHके दे श और यहूदा दे श से लाए थे, नाच रहे हE । 17 इसिलथे दाऊद उ(ह रात के पहले पहर से लेकर दस ू रे दन क सांफ तक मारता रहा; यहां तक क चार सौ जवान को छोड़, जो ऊंटHपर चढ़कर भाग गए, उन म से एक भी मनुंय न बचा। 18 और जो कुछ अमालेक ले गए थे वह सब दाऊद ने छुड़ाया; और दाऊद ने आप क दोनH'\यHको भी छुड़ा िलया। 19 वरन उनके या छोटे , या बड़े , या बेटे, या बेटयां, या लूट का माल, सब कुछ जो अमालेक ले गए थे, उस म से कोई वःतु न रह: जो उनको न िमली हो; यHक दाऊद सब का सब लौटा लाया। 20 और दाऊद ने सब भेड़-बकgरयां, और गाय-बैल भी लूट िलए; और इ(ह लोग यह कहते हुए अपके जानवरHके आगे हांकते गए, क यह दाऊद क लूट है । 21 तब दाऊद उन दो सौ पुdषHके पास आया, जो ऐसे यक गए थे क दाऊद के पीछे पीछे न जा सके थे, और बसोर नाले के पास छोड़ दए गए थे; और वे दाऊद से और उसके संग के लोगHसे िमलने को चले; और दाऊद ने उनके पास पहुंचकर उनका कुशल झेम पूछा। 22 तब उन लोगHम से जो दाऊद के संग गए थे सब द ु और ओछे लोगHने कहा, थे लोग हमारे साय नह: चले थे, इस कारण हम उ(ह अपके छुड़ाए हुए लूट के माल म से कुछ न द गे, केवल एक एक मनुंय को उसक \ी और बाल ब.चे द गे, क वे

उ(ह लेकर चले जाएं। 23 पर(तु दाऊद ने कहा, हे मेरे भाइयो, तुम उस माल के साय एसा न करने पाओगे 'जसे यहोवा ने हम दया है ; और उसने हमार: रझा क, और उस दल को 'जस ने हमारे ऊपर चढाई क यी हमारे हाथ म कर दया है । 24 और इस वषय म तुSहार: कौन सुनेगा? लड़ाई म जानेवाले का जैसा भाग हो, सामान के पास बैठे हए का भी वैसा ह: भाग होगा; दोनHएक ह: समान भाग पाएंगे। 25 और दाऊद ने इॐाएिलयHके िलथे ऐसी ह: विध और िनयम ठहराया, और वह उस दन से लेकर आगे को वरन आज लHबना है । 26 िसकलग म

पहंु चकर दाऊद ने यहूद: पुरिनयHके पास जो उसके िमऽ थे लूट के माल म से कुछ कुछ भेजा, और यह कहलाया, क यहोवा के शऽुओं से ली हुई लूट म से तुSहारे िलथे यह भ ट है । 27 अयाOतबे् तेल के द' खन दे श के रामोत,यीर, 28 अरोएर, िसपमोत, एँतमो, 29 राकाल, यरहमेिलयHके नगरH, केिनयHके नगरH, 30 होमाO, कोराशान, अताक, 31 हे ॄोन आद 'जतने ःयानHम दाऊद अपके जनHसमेत फरा करता या, उन सब के पुरिनयHके पास उसने कुछ कुछ भेजा। 1 शमूए ल 31 1 पिलँती तो इॐाएिलयHसे लड़े ; और इॐाएली पुdष पिल'ँतयHके साSहने से भागे, और िगलबो नाम पहाड़ पर मारे गए। 2 और पिलँती शाऊल और उसके पुऽHके पीछे लगे रहे ; और पिल'ँतयHने शाऊल के पुऽ योनातन, अबीनादाब, और म`कश को मार डाला। 3 और शाऊल के साय धमासान युa हो रहा या, और धनुधाOgरयHने उसे जा िलया, और वह उनके कारण अय(त eयाकुल हो गया। 4 तब शाऊल ने अपके हिययार ढोनेवाले से कहा, अप क तलवार खींचकर मुझे

फHक दे , एसा न हो क वे खतनारहत लोग आकर मुझे फHक द , और मेर: ठ=टा कर । पर(तु उाके हिययार ढोनेवाले ने अय(त भय खाकर ऐसा करने से इ(कार कया। तब शाऊल अप क तलवार खड़: करके उस पर िगर पड़ा। 5 यह दे खकर क शाऊल मर गया, उसका हिययार ढोनेवाला भी अप क तलवार पर आप िगरकर उसके साय मर गया। 6 यHशाऊल, और उसके तीनHपुऽ, और उसका हिययार ढोनेवाला, और उसके समःत जन उसी दन एक संग मर गए। 7 यह दे खकर क इॐाएली पुdष भाग गए, और शाऊल और उसके पुऽ मर गए, उस तराई क परली ओर वाले औ यरदन के पार रहनेवाले भी इॐाएली मनुंय अपके अपके नगरHको छोड़कर भाग गए; और पिलँती आकर उन म रहने लगे। 8 दस ू रे दन जब पिलँती मारे हुओं के माल को लूटने आए, तब उनको शाऊल और उसके तीनHपुऽ िगलबो पहाड़ पर पके हाए िमले। 9 तब उ(हHने शाऊल का िसर काटा, और हिययार लूट िलए, और पिल'ँतयHके दे श के सब ःयानHम दत ू Hको इसिलथे भेजा, क उनके दे वालयHऔर साघारण लोगHम यह शुभ समाचार दे ते जाएं। 10 तब उ(हHने उसके हिययार तो आँतोरे त नाम दे वयHके म'(दर म रखे, और उसक लोय बेतशान क शहरपनाह म जड़द:। 11 जब िगलादवाले याबेश के िनवािसयHने सुना क पिल'ँतयHने शाऊल से या या कया है , 12 तब सब शूरवीर चले, और रातHरात जाकर शाऊल और उसके पुऽHक लोथ बेतशान क शहरपनाह पर से याबेश म ले आए, और वहHफूंक द:ं 13 तब उ(हHने उनक ह']डयां लेकर याबेश के फाऊ के पेड़ के नीचे गाड़ द:ं, और सात दन तक उपवास कया। 2 शमूए ल 1

1 शाऊल के मरने के बाद, जब दाऊद अमालेकयHको मारकर लौटा, और दाऊद को िसकलग म रहते हुए दो दन हो गए, 2 तब तीसरे दन ऐसा हुआ क छावनी म से शाऊल के पास से एक पुdष कपके फाड़े िसर पर धूली डाले हुए आया। और जब वह दाऊद के पास पहंु चा, तब भूिम पर िगरा और दणडवत ् कया। 3 दाऊद ने उस से पूछा, तू कहां से आया है ? उस ने उस से कहा, मE इॐाएली छावनी म से बचकर आया हूं। 4 दाऊद ने उस से पूछा, वहां या बात हुई? मुझे बता। उस ने कहा, यह, क लोग रणभूिम छोड़कर भाग गए, और बहुत लोग मारे गए; और शाऊल और उसका पुऽ योनातन भी मारे गए हE । 5 दाऊद ने उस समाचार दे नेवाले जवान से पूछा, क तू कैसे जानता है क शाऊल और उसका पुऽ योनातन मर गए? 6 समाचार दे नेवाले जवान ने कहा, संयोग से मE िगलबो पहाड़ पर या; तो या दे खा, क शाऊल अपके भाले क टे क लगाए हुए है ; फर मE ने यह भी दे खा क उसका पीछा कए हुए रय और सवार बड़े वेग से दौड़े आ रहे हE । 7 उस ने पीछे फरकर मुझे दे खा, और मुझे पुकारा। मE ने कहा, या आWा? 8 उस ने मुझ से पूछा, तू कौन है ? मE ने उस से कहा, मE तो अमालेक हूँ। 9 उस ने मुझ से कहा, मेरे पास खड़ा होकर मुझे मार डाल; यHक मेरा िसर तो घुमा जाता है , पर(तु ूाण नह: िनकलता। 10 तब मE ने यह िन_य जान िलया, क वह िगर जाने के पहचात ् नह:ं बच सकता, उसके पास खड़े होकर उसे मार डाला; और मE उसके िसर का मुकुट और उसके हाथ का कंगन लेकर यहां अपके ूभु के पास आया हँू । 11 तब दाऊद ने अपके कपके पकड़कर फाड़े ; और 'जतने पुdष उसके संग थे उ(हHने भी वैसा ह: कया; 12 और वे शाऊल, और उसके पुऽ योनातन, और यहोवा क ूजा, और इॐाएल के घराने के िलथे छाती पीटने और रोने लगे,

और सांफ तक कुछ न खाया, इस कारण क वे तलवार से मारे गए थे। 13 फर दाऊद ने उस समाचार दे नेवाले जवान से पूछा, तू कहां का है ? उस ने कहा, मE तो परदे शी का बे टा अयाOत ् अमालेक हँू । 14 दाऊद ने उस से कहा, तू यहोवा के अिभषf को नाश करने के िलथे हाथ बढ़ाने से यHनह:ं डरा? 15 तब दाऊद ने एक जवान को बुलाकर कहा, िनकट जाकर उस पर ूहार कर। तब उस ने उसे ऐसा मारा क वह मर गया। 16 और दाऊद ने उस से कहा, तेरा खून तेरे ह: िसर पर पके; यHक तू ने यह कहकर क मE ह: ने यहोवा के अिभषf को मार डाला, अपके मुह ं से अपके ह: वda साझी द: है । 17 (शाऊल और योनातन के िलथे दाऊद का बनाया हुआ वलाप कत ) तब दाऊद ने शाऊल और उसके पुऽ योनातन के वषय यह वलाप कत बनाया, 18 और यहूदयHको यह धनुष नाम गीत िसखाने क आWा द:; यह याशार नाम पुःतक म िलखा हुआ है ; 19 हे इॐाएल, तेरा िशरोम'ण तेरे ऊंचे ःयान पर मारा गया। हाथ, शूरवीर यHकर िगर पके हE ! 20 गत म यह न बताओ, और न अँकलोन क सड़कHम ूचार करना; न हो क पिलँती '\याँ आन'(दत हH, न हो क खतनारहत लोगHक बेटयां गवO करने लग । 21 हे िगलबो पहाड़ो, तुम पर न ओस पके, और न वषाO हो, और न भ ट के योbय उपजवाले खेत पाए जाएं! यHक वहां शूरवीरHक ढाल अशुa हो गई। और शाऊल क ढाल बना तेल लगाए रह गई। 22 जूफे हुओं के लोहू बहाने से, और शूरवीरHक चबh खाने से, योनातन का धनुष लौट न जाता या, और न शाऊल क तलवार छूछq फर आती यी। 23 शाऊल और योनातन जीवनकाल म

तो ूय और मनभाऊ थे, और अप क मृयु के समय अलग न हुए; वे उकाब से भी वेग चलनेवाले, और िसंह से भी अिधक पराबमी थे। 24 हे इॐाएली '\यो,

शाऊल के िलथे रोओ, वह तो तुSह लाल रं ग के व\ पहनाकर सुख दे ता, और तुSहारे व\H के ऊपर सोने के गहने पहनाता या। 25 हाथ, युa के बीच शूरवीर कैसे काम आए ! हे योनातन, हे ऊंचे ःयानHपर जूफे हुए, 26 हे मेरे भाई योनातन, मE तेरे कारण द:ु 'खत हँू ; तू मुझे बहुत मनभाऊ जान पड़ता या; तेरा ूे म मुझ पर अmभुत, वरन '\यH के ूे म से भी बढ़कर या। 27 हाथ, शूरवीर यHकर िगर गए, और युa के हिययार कैसे नाश हो गए हE ! 2 शमूए ल 2 1 इसके बाद दाऊद ने यहोवा से पूछा, क या मE यहूदा के कसी नगर म जाऊं? यहोवा ने उस से कहा, हां, जा। दाऊद ने फर पूछा, कस नगर म जाऊं? उस ने कहा, हे ॄोन म । 2 तब दाऊद ियळेली अह:नोअम, और कम ली नाबाल क \ी अबीगैल नाम, अप क दोनHप'^यHसमेत वहाँ गया। 3 और दाऊद अपके सािययHको भी एक एक के घराने समेत वहां ले गया; और वे हे ॄोन के गांवHम

रहने लगे। 4 और यहूद: लोग गए, और वहां दाऊद का अिभषे क कया क वह यहूदा के घराने का राजा हो। 5 और दाऊद को यह समाचार िमला, क 'ज(हHने शाऊल को िम=ट: द: वे िगलाद के याबे श नगर के लोग हE । तब दाऊद ने दत ू Hसे िगलाद के याबेश के लोगHके पास यह कहला भेजा, क यहोवा क आिशष तुम पर हो, यHक तुम ने अपके ूभु शाऊल पर यह कृ पा करके उसको िम=ट: द:। 6 इसिलथे अब यहोवा तुम से कृ पा और स.चाई का बऽ ्◌ा◌ाव करे ; और मE भी तुSहार: इस भलाई का बदला तुम को दं ग ू ा, यHक तुम ने यह काम कया है । 7 और अब हयाव बा(धो, और पुdषायO करो; यHक तुSहारा ूभु शाऊल मर गया,

और यहूदा के घराने ने अपके ऊपर राजा होने को मेरा अिभष ्◌ोक कया है । 8 पर(तु नेर का पुऽ अcनेर जो शाऊल का ूधान सेनापित या, उस ने शाऊल के पुऽ ईशबोशेत को संग ले पार जाकर महनैम म पहंु चाया; 9 और उसे िगलाद अशूgरयHके दे श ियळेल, एूैम, ब(यामीन, वरन समःत इॐाएल के दे श पर राजा िनयुf कया। 10 शाऊल का पुऽ ईशबोशेत चालीस वषO का या जब वह इॐाएल पर राGय करने लगा, और दो वषO तक राGय करता रहा। पर(तु यहूदा का घराना दाऊद के पझ म रहा। 11 और दाऊद के हे ॄोन म यहूदा के घराने पर राGय करने का समय साढ़े सात वषO या। 12 और नेर का पुऽ अcनेर, और शाऊल के पुऽ ईशबोशेत के जन, महनैम से िगबोन को आए। 13 तब सdयाह का पुऽ योआब, और दाऊद के जन, हे ॄोन से िनकलकर उन से िगबोन के पोखरे के पास िमले; और दोनHदल उस पोखरे क एक एक ओर बैठ गए। 14 तब अcनेर ने योआब से कहा, जवान लोग उठकर हमारे साSहने खेल । योआब ने कहा, वे उठ । 15 तब वे उठे , और ब(यामीन, अयाO◌ात ् शाऊल के पुऽ ईशबोशेत के पझ के िलथे बारह जन िगनकर िनकले, और दाऊद के जनHम से भी बारह िनकले। 16 और उ(हHने एक दस ू रे का िसर पकड़कर अप क अप क तलवार एक दस ू रे के पांजर म भHक द:; और वे एक ह: संग मरे । इस से उस ःयान का नाम हे `कयःसूर:म पड़ा, वह िगबोन म है । 17 और उस दन बड़ा घोर से युa हुआ; और अcनेर और इॐाएल के पुdष दाऊद के जनHसे हार गए। 18 वहां तो योआब, अबीशै, और असाहे ल नाम सdयाह के तीनHपुऽ थे। और असाहे ल बनैले िचकारे के समान वेग दौड़नेवाला या। 19 तब असाहे ल अcनेर का पीछा करने लगा, और उसका पीछा करते हुए न तो दाहनी ओर मुड़ा न बाई ओर। 20 अcनेर ने पीछे

फरके पूछा, या तू असाहे ल है ? उस ने कहा, हां मE वह: हँू । 21 अcनेर ने उस से कहा, चाहे दाहनी, चाहे बाई ओर मुड़, कसी जवान को पकड़कर उसका बकतर ले ले। पर(तु असाहे ल ने उसका पीछा न छोड़ा। 22 अcनेर ने असाहे ल से फर कहा, मेरा पीछा छोड़ दे ; मुझ को यHतुझे मारके िम=ट: म िमला दे ना पके? ऐसा करके मE तेरे भाई योआब को अपना मुख कैसे दखाऊंगा? 23 तौभी उस ने हट जाने को नकारा; तब अcनेर ने अपके भाले क पछाड़: उसके पे ट म ऐसे मार:, क भाला आरपार होकर पीछे िनकला; और वह वह:ं िगरके मर गया। और 'जतने लोग उस ःयान पर आए जहां असाहे ल िगरके मर गया, वहां वे सब खढ़े रहे । 24 पर(तु योआब और अबीशै अcनेर का पीछा करते रहे ; और सूयO डू बते डू बते वे अSमा नाम उस पहाड़: तक पहुंचे, जो िगबोन के जंगल के मागO म गीह के साSहने है । 25 और ब(यामीनी अबcनेर के पीछे होकर एक दल हो गए, और एक पहाड़: क चोट: पर खड़े हुए। 26 तब अcनेर योआब को पुकारके कहने लगा, या तलवार सदा मारती रहे ? या तू नह:ं जानता क इसका फल द:ु खदाई होगा? तू कब तक अपके लोगHको आWा न दे गा, क अपके भाइयHका पीछा छोड़कर लौटो? 27 योआब ने कहा, परमे र के जीवन क शपय, क यद तू न बोला होता, तो िन:स(दे ह लोग सवे रे ह: चले जाते, और अपके अपके भाई का पीछा न करते। 28 तब योआब ने नरिसंगा फूंका; और सब लोग ठहर गए, और फर इॐाएिलयHका पीछा न कया, और लड़ाई फर न क। 29 और अcनेर अपके जनHसमेत उसी दन रातHरात अराबा से होकर गया; और यरदन के पार हो समःत बऽोन दे श म होकर महनैम म पहंु चा। 30 और योआब अcनेर का पीछा छोड़कर लौटा; और जब उस ने सब लोगHको इक=टा कया, तब या दे खा, क

दाऊद के जनHम से उ(नीस पुdष और असाहे ल भी नह:ं हE । 31 पर(तु दाऊद के जनHने ब(यामीिनयHऔर अcनेर के जनHको ऐसा मारा क उन म से तीन सौ साठ जन मर गए। 32 और उ(हHने असाहे ल को उठाकर उसके पता के क़ॄःतान म , जो बेतलेहेम म या, िम=ट: द:। तब योआब अपके जनHसमेत रात भर चलकर पह फटते हे ॄोन म पहंु चा। 2 शमूए ल 3 1 शाऊल के घराने और दाऊद के घराने के म~य बहुत दन तक लड़ाई होती रह:; पर(तु दाऊद ूबल होता गया, और शाऊल का घराना िनबOल पड़ता गया। 2 और हे ॄोन म दाऊद के पुऽ उप(न हुए; उसका जेठा बेटा अSनोन या, जो ियळेली अह:नोअम से उप(न हुआ या; 3 और उसका दस ू रा कलाव या, 'जसक मां कमली नाबाल क \ी अबीगैल यी; तीसरा अबशालोम, जो गशूर के राजा त`मै क बेट: माका से उप(न हुआ या; 4 चौया अदोिनयाह, जो हbगीत से उप(न हुआ या; पांचवां शपयाह, 'जसक मां अबीतल यी; 5 छठवां ियऽाम, जो ऐbला नाम दाऊद क \ी से उप(न हुआ। हे ॄोन म दाऊद से थे ह: स(तान उप(न हुए। 6 जब शाऊल और दाऊद दोनHके घरानHके म~य लड़ाई हो रह: यी, तब अcनेर शाऊल के घराने क सहाथता म बल बढ़ाता गया। 7 शाऊल क एक रखेली यी 'जसका नाम gरःपा या, वह अया क बेट: थी; और ईशबोशेत ने अcनेर से पूछा, तू मेरे पता क रखेली के पास यHगया? 8 ईशबोशेत क बातHके कारण अcनेर अित बोिधत होकर कहने लगा, या मE यहूदा के कुे का िसर हँू ? आज तक मE तेरे पता शाऊल के घराने और उसके भाइयHऔर िमऽHको ूीित दखाता

आया हँू , और तुझे दाऊद के हाथ पड़ने नह:ं दया; फर तू अब मुझ पर उस \ी के वषय म दोष लगाता है ? 9 यद मE दाऊद के साय ई र क शपय के अनुसार बताOव न कdं , तो परमेशवर अcनेर से वैसा ह:, वरन उस से भी अिधक करे ; 10 अयाOत ् मE राGय को शाऊल के घराने से छqनूग ं ा, और दाऊद क राजगX: दान से लेकर बेशब  ा तक इॐाएल और यहूदा के ऊपर 'ःयर कdं गा। 11 और वह अcनेर को कोई उर न दे सका, इसिलथे क वह उस से डरता या। 12 तब अcनेर ने उसके नाम से दाऊद के पास दत ू Hसे कहला भेजा, क दे श कस का है ? और यह भी कहला भेजा, क तू मेरे साध वाचा बा(ध, और मE तेर: सहाथता कdं गा क समःत इॐाएल के मन तेर: ओर फेर दं ।ू 13 दाऊद ने कहा, भला, मE तेरे साय वाचा तो बा(धूग ं ा पर(तु एक बात मE तुझ से चाहता हूँ; क जब तू मुझ से भ ट करने आए, तब यद तू पहले शाऊल क बेट: मीकल को न ले आए, तो मुझ से भ ट न होगी। 14 फर दाऊद ने शाऊल के पुऽ ईशबोशेत के पास दत ू Hसे यह कहला भेजा, क मेर: प^ी मीकल, 'जसे मE ने एक सौ पिल'ँतयHक खलडय़ां दे कर अप क कर िलया या, उसको मुझे दे दे । 15 तब ईशबोशेत ने लोगHको भेजकर उसे लैश के पुऽ पलतीएल के पास से छqन िलया। 16 और उसका पित उसके साय चला, और बहूर:म तक उसके पीछे रोता हुआ चला गया। तब अcनेर ने उस से कहा, लौट जा; और वह लौट गया। 17 और अcनेर ने इॐाएल के पुरिनयHके संग इस ूकार क बातचीत क, क पहले तो तुम लोग चाहते थे क दाऊद हमारे ऊपर राजा हो। 18 अब वैसा करो; यHक यहोवा ने दाऊद के वषय म यह कहा है , क अपके दास दाऊद के kारा मE अप क ूजा इॐाएल को पिल'ँतयH, वरन उनके सब शऽुओं के हाथ से छुड़ाऊंगा। 19 फर अcनेर ने ब(यामीन से भी बात

कं; तब अcनेर हे ॄोन को चला गया, क इॐाएल और ब(यामीन के समःत घराने को जो कुछ अ.छा लगा, वह दाऊद को सुनाए। 20 तब अcनेर बीस पुdष संग लेकर हे ॄोन म आया, और दाऊद ने उसके और उसके संगी पुdषHके िलथे जे वनार क। 21 तब अcनेर ने दाऊद से कहा, मE उठकर जाऊंगा, और अपके ूभु राजा के पास सब इॐाएल को इक=ठा कdं गा, क वे तेरे साय वाचा बा(ध , और तू अप क इ.छा के अनुसार राGय कर सके। तब दाऊद ने अcनेर को वदा कया, और वह कुशल से चला गया। 22 तब दाऊद के कई एक जन योआब समेत कह:ं चढ़ाई करके बहुत सी लूट िलथे हुए आ गए। और अcनेर दाऊद के पास हे ॄोन म

न या, यHक उस ने उसको वदा कर दया या, और वह कुशल से चला गया या। 23 जब योआब और उसके साय क समःत सेना आई, तब लागHने योबाब को बताया, क नेर का पुऽ अcनेर राजा के पास आया या, और उस ने उसको बदा कर दया, और वह कुशल से चला गया। 24 तब योआब ने राजा के पास जाकर कहा, तू ने यह या कया है ? अcनेर जो तेरे पास आया या, तो या कारण है क तू ने उसको जाने दया, और वह चला गया है ? 25 तू नेर के पुऽ अcनेर को जानता होगा क वह तुझे धोखा दे ने, और तेरे आने जाने, और कुल काम का भेद लेने आया या। 26 योआब ने दाऊद के पास से िनकलकर दाऊद के अनजाने अcनेर के पीछे दत ू भेजे, और वे उसको सीरा नाम कु+ड से लौटा ले आए। 27 जब अcनेर हे ॄोन को लौट आया, तब योआब उस से एका(त म बात करने के िलथे उसको फाटक के भीतर अलग ले गया, और वहां अपके भाई असाहे ल के खून के पलटे म उसके पेट म ऐसा मारा क वह मर गया। 28 इसके बाद जब दाऊद ने यह सुना, तो कहा, नेर के पुऽ अcनेर के खून के वषय म अप क ूजा समेत

यहोवा क l म सदै व िनदzष रहंू गा। 29 वह योआब और उसके पता के समःत घराने को लगे ; और योआब के वंश म कोई न कोई ूमेह का रोगी, और कोढ़:, और बैसाखी का लगानेवाला, और तलवार से खेत आनेवाला, और भूख

मरनेवाला सदा होता रहे । 30 योआब और उसके भाई अबीशै ने अcनेर को इस कारण घात कया, क उस ने उनके भाई असाहे ल को िगबोन म लड़ाई के समय मार डाला या। 31 तब दाऊद ने योआब और अपके सब संगी लागHसे कहा, अपके व\ फाड़ो, और कमर म टाट बा(धकर अcनेर के आगे आगे चलो। और दाऊद राजा ःवयं अयीं के पीछे पीछे चला। 32 अcनेर को हे ॄोन म िम=ट: द: गई; और राजा अcनेर क कॄ के पास फूट फूटकर रोया; और सब लोग भी रोए। 33 तब दाऊद ने अcनेर के वषय यह वलाप कत बनाया क, या उिचत या क अcनेर मू◌ूढ़ क नाई मरे ? 34 न तो तेरे हाथ बा(धे गए, और न तेरे पांवHम

बे डय़ां डाली गई; जैसे कोई कुटल मनुंयHसे मारा जाए, वैसे ह: तू मारा गया। 35 तब सब लोग उसके वषय फर रो उठे । तब सब लोग कुछ दन रहते दाऊद को रोट: 'खलाने आए; पर(तु दाऊद ने शपय खाकर कहा, यद मE सूयO के अःत होने से पहले रोट: वा और कोई वःतु खाऊं, तो परमे र मुझ से ऐसा ह:, वरन इस से भी अिधक करे । 36 और सब लोगHने इस पर वचार कया और इस से ूस(न हुए, वैसे ह: जो कुछ राजा करता या उस से सब लोग ूस(न होते थे। 37 तब उन सब लोगHने, वरन समःत इॐाएल ने भी, उसी दन जान िलया क नेर के पुऽ अcनेर का घात कया जाना राजा क और से नह: हुआ। 38 और राजा ने अपके कमOचाgरयHसे कहा, या तुम लोग नह:ं जानते क इॐाएल म आज के दन एक ूधान और ूतापी मनुंय मरा है ? 39 और यrप मE अिभषf राजा हँू तौभी

आज िनबOल हँू ; और वे सRयाह के पुऽ मुझ से अिधक ूच+ड हE । पर(तु यहोवा बुराई करनेवाले को उसक बुराई के अनुसार ह: पलटा दे । 2 शमूए ल 4 1 जब शाऊल के पुऽ ने सुना, क अcनेर हे ॄोन म मारा गया, तब उसके हाथ ढ:ले पड़ गए, और सब इॐाएली भी घबरा गए। 2 शाऊल के पुऽ के दो जन थे जो दलHके ूधान थे; एक का नाम बाना, और दस ू रे का नाम रे काब या, थे दोनHबेरोतवासी ब(यामीनी gरSमोन के पुऽ थे, ( यHक बेरोत भी ब(यामीन के भाग म िगना जाता है ; 3 और बे रोती लोग िगतैम को भाग गए, और आज के दन तक वह:ं परदे शी होकर रहते हE ।) 4 शाऊल के पुऽ योनातन के एक लगड़ा बे टा या। जब ियळेल से शाऊल और योनातन का समाचार आया तब वह पांच वषO का या; उस समय उसक धाई उसे उठाकर भागी; और उसके उतावली से भागने के कारण वह िगरके लंगड़ा हो गया। और उसका नाम मपीबोशेत या। 5 उस बे रोती gरSमोन के पुऽ रे काब और बाना कड़े घाम के समय ईशबोशेत के घर म जब वह दोपहर को वौम कर रहा या आए। 6 और गेहूं ले जाने के बहाने मे घर म घुस गए; और उसके पेट म मारा; तब रे काब और उसका भाई बाना भाग िनकले। 7 जब वे घर म घुसे, और वह सोने क कोठर: म चारपाई पर सोता या, तब अ(हHने उसे मार डाला, और उसका िसर काट िलया, और उसका िसर लेकर रातHरात अराबा के मागO से चले। 8 और वे ईशबोशेत का िसर हे ॄोन म दाऊद के पास ले जाकर राजा से कहने लगे, दे ख, शाऊल जो तेरा शऽु और तेरे ूाणHका माहक या, उसके पुऽ ईशबोशेत का यह िसर है ; तो आज के दन यहोवा ने शाऊल और उसके

वंश से मेरे ूभु राजा का पलटा िलया है । 9 दाऊद ने बेरोती gरSमोन के पुऽ रे काब और उसके भाई बाना को उर दे कर उन से कहा, यहोवा जो मेरे ूाण को सब वपयHसे छुड़ाता आया है , उसके जीवन क शपय, 10 जब कसी ने यह जानकर, क मE शुभ समाचार दे ता हंू , िसकलग म मुझ को शाऊल के मरने का समाचार दया, तब मE ने उसको पकड़कर घात कराया; अयाOत ् उसको समाचार का यह: बदला िमला। 11 फर जब द ु मनुंयHने एक िनदzष मनुंय को उसी के घर म , वरन उसक चारपाई ह: पर घात कया, तो मE अब अवँय ह: उसके खून का पलटा तुम से लूग ं ा, और तुSह धरती पर से न कर डालूग ं ा। 12 तब दाऊद ने जवानHको आWा द:, और उ(हHने उनको घात करके उनके हाथ पांव काट दए, और उनक लोयHको हे ॄोन के पोखरे के पास टांग दया। तब ईशबोशेत के िसर को उठाकर हे ॄोन म अcनेर क कॄ म गाड़ दया। 2 शमूए ल 5 1 ( दाऊद के यRशलेम म राGय करने का आरSभ ) तब इॐाएल के सब गोऽ दाऊद के पास हे ॄोन म आकर कहने लगे , सुन, हम लोग और तू एक ह: हाड़ मांस हE । 2 फर भूतकाल म जब शाऊल हमारा राजा या, तब भी इॐाएल का अगुवा तू ह: या; और यहोवा ने तुझ से कहा, क मेर: ूजा इॐाएल का चरवाहा, और इॐाएल का ूधान तू ह: होगा। 3 सो सब इॐाएली पुरिनथे हे ॄोन म राजा के पास आए; और दाऊद राजा ने उनके साय हे ॄोन म यहोवा के साSहने वाचा बा(धी, और उ(हHने इॐाएल का राजा होने के िलथे दाऊद का अिभषेक कया। 4 दाऊद तीस वषO का होकर राGय करने लगा, और चालीस वषO तक राGय करता रहा। 5

साढ़े सात वषO तक तो उस ने हे ॄोन म यहूदा पर राGय कया, और तEतीस वषO तक यRशलेम म समःत इॐाएल और यहूदा पर राGय कया। 6 तब राजा ने अपके जनHको साय िलए हुए यRशलेम को जाकर यबूिसयHपर चढ़ाई क, जो उस दे श के िनवासी थे। उ(हHने यह समझकर, क दाऊद यहां पैठ न सकेगा, उस से कहा, जब तक तू अ(ध और लंगड़Hको दरू न करे , तब तक यहां पैठने न पाएगा। 7 तौभी दाऊद ने िसयोन नाम गढ़ को ले िलया, वह: दाऊदपुर भी कहलाता है । 8 उस दन दाऊद ने कहा, जो कोई यबूिस कH मारना चाहे , उसे चाहथे क नाले से होकर चढ़े , और अ(धे और लंगड़े 'जन से दाऊद मन से िघन करता है उ(ह मारे । इस से यह कहावत च क, क अ(धे और लगड़े भवन म आने न पाएंगे। 9 और दाऊद उस गढ़ म रहने लगा, और उसका नाम दाऊदपुर रखा। और दाऊद ने चारHओर िम`लो से लेकर भीतर क ओर शहरपनाह बनवाई। 10 और दाऊद क बड़ाई अिधक होती गई, और सेनाओं का परमे र यहोवा उसके संग रहता या। 11 और सोर के राजा ह:राम ने दाऊद के पास दत ू , और दे वदाR क लकड़:, और बढ़ई, और राजिम\ी भेजे, और उ(हHने दाऊद के िलथे एक भवन बनाया। 12 और दाऊद को िन_य हो गया क यहोवा ने मुझे इॐाएल का राजा करके 'ःयर कया, और अप क इॐाएली ूजा के िनिम मेरा राGय बढ़ाया है । 13 जब दाऊद हे ॄोन से आया तब उसके बाद उस ने यRशलेम क और और रखेिलयां रख लीं, और प'^यां बना लीं; और उसके और बेटे बेटयां उप(न हुई। 14 उसके जो स(तान यRशलेम म उप(न हुए, उनके थे नाम हE , अयाOत ् शSमू, शोबाब, नातान, सुलम ै ान, 15 ियभार, एलोशू, नेपेग, यापी, 16 एलीशामा, ए`यादा, और एलोपेलेत। 17 जब पिल'ँतयHने यह सुना क इॐाएल का राजा होने के िलथे

दाऊद का अिभषेक हुआ, तब सब पिलँती दाऊद क खोज म िनकले; यह सुनकर दाऊद गढ़ म चला गया। 18 तब पिलँती आकर रपाईम नाम तराई म

फैल गए। 19 तब दाऊद ने यहावा से पूछा, या मE पिल'ँतयHपर चढ़ाई कRं? या तू उ(ह मेरे हाथ कर दे गा? यहोवा ने दाऊद से कहा, चढ़ाई कर; यHक मE िन_य पिल'ँतयHको तेरे हाथ कर दं ग ू ा। 20 तब दाऊद बालपरासीम को गया, और दाऊद ने उ(ह वह:ं मारा; तब उस ने कहा, यहोवा मेरे साSहने होकर मेरे शऽुओं पर जल क धारा क नाई टू ट पड़ा है । 21 वहां उ(हHने अप क मूरतHको छोड़ दया, और दाऊद और उसके जन उ(ह उठा ले गए। 22 फर दस ू र: बार पिलँती चढ़ाई करके रपाईम नाम तराई म फैल गए। 23 जब दाऊद ने यहोवा से पूछा, तब उस ने कहा, चढ़ाई न कर; उनके पीछे से घूमकर तूत वृझHके साSहने से उन पर छापा मार। 24 और जब तूत वृझHक फुनिगयHम से सेना के चलने क सी आहट तुझे सुनाई पके, तब यह जानकर फुतh करना, क यहोवा पिल'ँतयHक सेना को मारने को मेरे आगे अभी पधारा है । 25 यहोवा क इस आWा के अनुसार दाऊद गेबा से लेकर गेजेर तक पिल'ँतयHको मारता गया। 2 शमूए ल 6 1 ( पवऽ स(दक ू का यRशलेम म पहंु चाया जाना ) फर दाऊद ने एक और बार इॐाएल म से सब बड़े वीरHको, जो तीस हजार थे, इक=ठा कया। 2 तब दाऊद और 'जतने लोग उसके संग थे, वे सब उठकर यहूदा के बाले नाम ःयान से चले, क परमे र का वह स(दक ू ले आएं, जो कRबHपर वराजनेवाले सेनाओं के यहोवा का कहलाता है । 3 तब उ(हHने परमे र का स(दक ू एक नई गाड़: पर

चढ़ाकर ट:ले पर रहनेवाले अबीनादाब के घर से िनकाला; और अबीनादाब के उGजा और अहो नाम दो पुऽ उस नई गाड़: को हांकने लगे। 4 और उ(हHने उसको परमे र के स(दक ू समेत ट:ले पर रहनेवाले अबीनादाब के घर से बाहर िनकाला; और अहो स(दक ू के आगे आगे चला। 5 और दाऊद और इॐाएल का समःत घराना यहोवा के आगे सनौवर क लकड़: के बने हुए सब ूकार के बाजे और वीणा, सारं िगयां, डफ, डमR, फांफ बजाते रहे । 6 जब वे नाकोन के खिलहान तक आए, तब उGजा ने अपना हाथ परमे र के स(दक ू क ओर बढ़ाकर उसे याम िलया, यHक बैलHने ठोकर खाई। 7 तब यहोवा का कोप उGजा पर भड़क उठा; और परमे र ने उसके दोष के कारण उसको वहां ऐसा मारा, क वह वहां परमे र के स(दक ू के पास मर गया। 8 तब दाऊद अूस(न हुआ, इसिलथे क यहोवा उGजा पर टू ट पड़ा या; और उस ने उस ःयान का नाम पेरेसG ु जा रखा, यह नाम आज के दन तक वतOमान है । 9 और उस दन दाऊद यहोवा से डरकर कहने लगा, यहोवा का स(दक ू मेरे यहां यHकर आए? 10 इसिलथे दाऊद ने यहोवा के स(दक ू को अपके यहां दाऊदपुर म पहुंचाना न चाहा; पर(तु गतवासी ओबेदेदोम के यहां पहंु चाया। 11 और यहोवा का स(दक ू गती ओबेदेदोम के घर म तीन मह:ने रहा; और यहोवा ने ओबेदेदोम और उसके समःत घराने को आिशष द:। 12 तब दाऊद राजा को यह बताया गया, क यहोवा ने ओबेदेदोम के घराने पर, और जो कुछ उसका है , उस पर भी परमे र के स(दक ू के कारण आिशष द: है । तब दाऊद ने जाकर परमे र के स(दक ू को ओबेदेदोम के घर से दाऊदपुर म

आन(द के साय पहंू चा दया। 13 जब यहोवा के स(दक ू के उठानेवाले छ: कदम चल चुके, तब दाऊद ने एक बैल और एक पाला पोसा हुआ बछड़ा बिल कराया।

14 और दाऊद सनी का एपोद कमर म कसे हुए यहोवा के सSमुख तन मन से नाचता रहा। 15 यHदाऊद और इॐाएल का समःत घराना यहोवा के स(दक ू को जय जयकार करते और नरिसंगा फूंकते हुए ले चला। 16 जब यहोवा का स(दक ू दाऊदपुर म आ रहा या, तब शाऊल क बे ट: मीकल ने 'खड़क म से फांककर दाऊद राजा को यहोवा के सSमुख नाचते कूदते दे खा, और उसे मन ह: मन तु.छ जाना। 17 और लोग यहोवा का स(दक ू भीतर ले आए, और उसके ःयान म , अयाOत ् उस तSबू म रखा, जो दाऊद ने उसके िलथे खड़ा कराया या; और दाऊद ने यहोवा के सSमुख होमबिल और मेलबिल चढ़ाए। 18 जब दाऊद होमबिल और मेलबिल चढ़ा चुका, तब उस ने सेनाओं के यहोवा के नाम से ूजा को आशीवाOद दया। 19 तब उस ने समःत ूजा को, अयाOत,् या \ी या पुdष, समःत इॐाएली भीड़ के लोगHको एक एक रोट:, और एक एक टु कड़ा मांस, और कशिमश क एक एक टकया बंटवा द:। तब ूजा के सब लोग अपके अपके घर चले गए। 20 तब दाऊद अपके घराने को आशीवाOद दे ने के िलथे लौटा। और शाऊल क बेट: मीकल दाऊद से िमलने को िनकली, और कहने लगी, आज इॐाएल का राजा जब अपना शर:र अपके कमOचाgरयHक लxडयHके साSहने ऐसा उघाड़े हुए या, जैसा कोई िनकSमा अपना तन उघाढ़े रहता है , तब या ह: ूतापी दे ख पड़ता या ! 21 दाऊद ने मीकल से कहा, यहोवा, 'जस ने तेरे पता और उसके समःत घराने क स(ती मुझ को चुनकर अप क ूजा इॐाएल का ूधान होने को ठहरा दया है , उसके सSमुख मE ने ऐसा खेला--और मE यहोवा के सSमुख इसी ूकार खेला कRंगा। 22 और इस से भी मE अिधक तु.छ बनूग ं ा, और अपके लेखे नीच ठहRंगा; और 'जन लxडयHक तू ने चचाO क वे भी मेरा आदरमान कर गी।

23 और शाऊल क बेट: मीकल के मरने के दन तक उसके कोई स(तान न हुआ। 2 शमूए ल 7 1 जब राजा अपके भवन म रहता या, और यहोवा ने उसको उसके चारHओर के सब शऽुऔ ं से वौम दया या, 2 तब राजा नातान नाम भवंयkfा से कहने लगा, दे ख, मE तो दे वदाd के बने हुए घर म रहता हँू , पर(तु परमे र का स(दक ू तSबू म रहता है । 3 नातान ने राजा से कहा, जो कुछ तेरे मन म हो उसे कर; यHक यहोवा तेरे संग है । 4 उसी दन रात को यहोवा का यह वचन नातान के पास पहंु चा, 5 क जाकर मेरे दास दाऊद से कह, यहोवा सHकहता है , क या तू मेरे िनवास के िलथे घर बनवाएगा? 6 'जस दन से मE इॐािलएयHको िमॐ से िनकाल लाया आज के दन तक मE कभी घर म नह:ं रहा, तSबू के िनवास म

आया जाया करता हँू । 7 जहां जहां मE समःत इॐाएिलयHके बीच फरता िय, या मE ने कह:ं इॐाएल के कसी गोऽ से, 'जसे मE ने अप क ूजा इॐाएल क चरवाह: करने को ठहराया हो, ऐसी बात कभी कह:, क तुम ने मेरे िलऐ दे वदाd का घर यHनह:ं बनवाया? 8 इसिलथे अब तू मेरे दास दाऊद से ऐसा कह, क सेनाओं का यहोवा यHकहता है , क मE ने तो तुझे भेड़शाला से, और भ ्◌ोड़-बकgरसHके पीछे पीछे फरने से, इस मनसा से बुला िलया क तू मेर: ूजा इॐाएल का ूधान हो जाए। 9 और जहां कह:ं तू आया गया, वहां वहां मE तेरे संग रहा, और तेरे समःत शऽुओं को ते रे साSहने से नाश कया है ; फर मE तेरे नाम को पृवी पर के बड़े बड़े लोगHके नामHके समान महान कर दं ग ू ा। 10 और मE अप क ूजा इॐाएल के िलथे एक ःयान ठहराऊंगा, और उसको 'ःयर कRंगा,

क वह अपके ह: ःयान म बसी रहे गी, और कभी चलायमान न होगी; और कुटल लोग उसे फर द:ु ख न दे ने पाएंगे, जैसे क पहले दनHम करते थे, 11 वरन उस समय से भी जब मE अप क ूजा इॐाएल के ऊपर (यायी ठहराता या; और मE तुझे तेरे समःत शऽुओं से वौम दं ग ू ा। और यहोवा तुझे यह भी बताता है क यहोवा तेरा घर बनाए रखेगा। 12 जब तेर: आयु पूर: हो जाएगी, और तू अपके पुरखाओं के संग सो जाएगा, तब मE तेरे िनज वंश को तेरे पीछे खड़ा करं के उसके राGय को 'ःयर कRंगा। 13 मेरे नाम का घर वह: बनवाएगा, और मE उसक राजगX: को सदै व 'ःयर रखूंगा। 14 मE उसका पता ठहRंगा, और वह मेरा पुऽ ठहरे गा। यद वह अधमO करे , तो मE उसे मनुंयHके योbय द+ड से, और आदिमयHके योbय मार से ताड़ना दं ग ू ा। 15 पर(तु मेर: कdणा उस पर से ऐसे न हटे गी, जैसे मE ने शाऊल पर से हटाकर उसको तेरे आगे से दरू कया। 16 वरन तेरा घराना और तेरा राGय मेरे साSहने सदा अटल बना रहे गा; तेर: गX: सदै व बनी रहे गी। 17 इन सब बातHऔर इस दशOन के अनुसार नातान ने दाऊद को समझा दया। 18 तब दाऊद राजा भीतर जाकर यहोवा के सSमुख बैठा, और कहने लगा, हे ूभु यहोवा, या कहंू , और मेरा घराना या है , क तू ने मुझे यहां तक पहंु चा दया है ? 19 पर(तु तौभी, हे ूभु यहोवा, यह तेर: lी म छोट: सी बात हुई; यHक तु ने अपके दास के घराने के वषय आगे के बहुत दनHतक क चचाO क है , और हे ूभु यहोवा, यह तो मनुंय का िनयम है ! 20 दाऊद तुझ से और या कह सकता है ? हे ूभु यहावा, तू तो अपके दास को जानता है ! 21 तू ने अपके वचन के िनिम, और अपके ह: मन के अनुसार, यह सब बड़ा काम कया है , क तेरा दास उसको जान ले। 22 इस कारण, हे यहोवा परमे र, तू महान ् है ;

यHक जो कुछ हम ने अपके कानHसे सुना है , उसके अनुसार तेरे तु`य कोई नह:ं, और न तुझे छोड़ कोई और परमे र है । 23 फर तेर: ूजा इॐाएल के भी तु`य कौन है ? यह तो पृवी भर म एक ह: जाित है 'जसे परमे र ने जाकर अप क िनज ूजा करने को छुड़ाया, इसिलथे क वह अपना नाम करे , ( और तुSहारे िलथे बड़े बड़े काम करे ) और तू अप क ूजा के साSहने, 'जसे तू ने िमॐी आद जाित जाित के लोगHऔर उनके दे वताओं से छूड़ा िलया, अपके दे श के िलथे भयानक काम करे । 24 और तू ने अप क ूजा इॐाएल को अप क सदा क ूजा होने के िलथे ठहराया; और हे यहोवा, तू आप उसका परमे र है । 25 अब हे यहोवा परमे र, तू ने जो वचन अपके दास के और उसके घराने के वषय दया है , उसे सदा के िलथे 'ःयर कर, और अपके कहने के अनूसार ह: कर; 26 और यह कर क लोग तेरे नाम क महमा सदा कया कर , क सेनाओं का यहोवा इॐाएल के ऊपर परमे र है ; और तेरे दास दाऊद का घराना तेरे साSहने अटल रहे । 27 यHक, हे सेनाओं के यहोवा, हे इॐाएल के परमे र, तू ने यह कहकर अपके दास पर ूगट कया है , क मE तेरा घर बनाए रखूंगा; इस कारण तेरे दास को तुझ से यह ूायOना करने का हयाव हुआ है । 28 और अब हे ूभु यहोवा, तू ह: परमे र है , और तेरे वचन सय हE , और तू ने अपके दास को यह भलाई करने का वचन दया है ; 29 तो अब ूस(न होकर अपके दास के घराने पर ऐसी आशीष दे , क वह तेरे सSमुख सदै व बना रहे ; यHक, हे ूभु यहोवा, तू ने ऐसा ह: कहा है , और तेरे दास का घराना तुझ से आशीष पाकर सदै व ध(य रहे । 2 शमूए ल 8

1 इसके बाद दाऊद ने पिल'ँतयHको जीतकर अपके अधीन कर िलया, और दाऊद ने पिल'ँतयHक राजधानी क ूभुता उनके हाथ से छqन ली। 2 फर उस ने मोआबयHको भी जीता, और इनको भूिम पर िलटाकर डोर: से मापा; तब दो डोर: से लोगHको मापकर घात कया, और डोर: भर के लोगHको जीवत छोड़ दया। तब मोआबी दाऊद के अधीन होकर भ ट ले आने लगे। 3 फर जब सोबा का राजा रहोब का पुऽ हददे जेर महानद के पास अपना राGय फर GयHका यHकरने को जा रहा या, तब दाऊद ने उसको जीत िलया। 4 और दाऊद ने उस से एक हजार सात सौ सवार, और बीस हजार €यादे छ\ीन िलए; और सब रयवाले घोड़Hके सुम क नस कटवाई, पर(तु एक सौ रयवाले घोड़े बचा रखे । 5 और जब दिमँक के अरामी सोबा के राजा हददे जेर क सहाथता करने को आए, तब दाऊद ने आरािमयHम से बाईस हज़ार पुdष मारे । 6 तब दाऊद ने दिमँक म अराम के िसपाहयHक चौकयां बैठाई; इस ूकार अरामी दाऊद के अधीन होकर भ ट ले आने लगे। और जहां जहां दाऊद जाता या वहां वहां यहोवा उसको जयव(त करता या। 7 और हददे जेर के कमOचाgरयHके पास सोने क जो ढाल यीं उ(ह दाऊद लेकर यRशलेम को आया। 8 और बेतह और बरौतै नाम हददे जेर के नगरHसे दाऊद राजा बहुत सा पीतल ले आया। 9 और जब हमात के राजा तोई ने सुना क दाऊद ने हददे जेर क समःत सेना को जीत िलया है , 10 तब तोई ने योराम नाम अपके पुऽ को दाऊद राजा के पास उसका कुशल झे म पूछने, और उसे इसिलथे बधाई दे ने को भेजा, क उस ने हददे जेर से लड़ कर उसको जीत िलया या; यHक हददे जेर तोई से लड़ा करता या। और योराम चांद:, सोने और पीतल के पाऽ िलए हुए आया। 11 इनको दाऊद राजा ने यहोवा के िलथे पवऽ करके रखा; और वैसा

ह: अपके जीती हुई सब जाितयHके सोने चांद: से भी कया, 12 अयाOत ् अरािमयH, मोआबयH, अSमािनयH, पिल'ँतयH, और अमालेकयHके सोने चांद: को, और रहोब के पुऽ सोबा के राजा हददे जेर क लूट को भी रखा। 13 और जब दाऊद लोमवाली तराई म अठारह हजार अरािमयHको मारके लौट आया, तब उसका बड़ा नाम हो गया। 14 फर उस ने एदोम म िसपाहयHक चौकयां बैठाई; पूरे एदोम म

उस ने िसपाहयHक चौकयां। बैठाई, और सब एदोमी दाऊद के अधीन हो गए। और दाऊद जहां जहां जाता या वहां वहां यहोवा उसको जयव(त करता या। 15 ( दाऊद के कमOचाgरयHक नामावली ) दाऊद तो समःत इॐाएल पर राGय करता या, और दाऊद अप क समःत ूजा के साय (याय और धमO के काम करता या। 16 और ूधान सेनापित सRयाह का पुऽ योआब या; इितहास का िलखनेवाला अह:लूद का पुऽ यहोशापात या; 17 ूधान याजक अह:तूब का पुऽ सादोक और एcयातर का पुऽ अह:मेलेक थे; मंऽी सरायाह या; 18 करे ितयो और पकेितयHका ूधान यहोयादा का पुऽ बनायाह या; और दाऊद के पुऽ भी मंऽी थे। 2 शमूए ल 9 1 दाऊद ने पूछा, या शाऊल के घराने म से कोई अब तक बचा है , 'जसको मE योनातन के कारण ूीित दखाऊं? 2 शाऊल के घराने का सीबा नाम एक कमOचार: या, वह दाऊद के पास बुलाया गया; और जब राजा ने उस से पूछा, या तू सीबा है ? तब उस ने कहा, हां, ते रा दास वह: है । 3 राजा ने पूछा, या शाऊल के घराने म

से कोई अब तक बचा है , 'जसको मE परमे र क सी ूीित दखाऊं? सीबा ने राजा से कहा, हां, योनातन का एक बेटा तो है , जो लंगड़ा है । 4 राजा ने उस से पूछा, वह

कहां है ? सीबा ने राजा से कहा, वह तो लोदबार नगर म , अSमीएल के पुऽ माकर के घर म रहता है । 5 तब राजा दाऊद ने दत ू भेजकर उसको लोदबार से, अSमीएल के पुऽ माकर के घर से बुलवा िलया। 6 जब मपीबोशेत, जो योनातन का पुऽ और शाऊल का पोता या, दाऊद के पास आया, तब मुह के बल िगरके दणडवत ् कया। दाऊद ने कहा, हे मपीबोशेत ! उस ने कहा, तेरे दास को या आWा? 7 दाऊद ने उस से कहा, मत डर; ते रे पता योनातन के कारण मE िन_य तुझ को ूीित दखाऊंगा, और तेरे दादा शाऊल क सार: भू◌ूिम तुझे फेर दं ग ू ा; और तू मेर: मेज पर िनय भोजन कया कर। 8 उस ने दणडवत ् करके कहा, तेरा दास या है , क तू मुझे ऐसे मरे कुे क ओर l करे ? 9 तब राजा ने शाऊल के कमOचार: सीबा को बुलवाकर उस से कहा, जो कुछ शाऊल और उसके समःत घराने का या वह मE ने तेरे ःवामी के पोते को दे दया है । 10 अब से तू अपके बे टHऔर सेवकHसमेत उसक भूिम पर खेती करके उसक उपज ले आया करना, क तेरे ःवामी के पोते को भोजन िमला करे ; पर(तु तेरे ःवामी का पोता मपीबोशेत मेर: मेज पर िनय भोजन कया करे गा। और सीबा के तो प(िह पुऽ और बीस सेवक थे। 11 सीबा ने राजा से कहा, मेरा ूभु राजा अपके दास को जो जो आWा दे , उन सभHके अनुसार तेरा दास करे गा। दाऊद ने कहा, मपीबोशेत राजकुमारHक नाई मेर: मेज पर भोजन कया करे । 12 मपीबोशेत के भी मीका नाम एक छोटा बेटा या। और सीबा के घर म 'जतने रहते थे वे सब मपीबोशेत क सेवा करते थे। 13 और मपीबोशेत यRशलेम म रहता या; यHक वह राजा क मेज पर िनय भोजन कया करता या। और वह दोनHपांवHका पंगुला या। 2 शमूए ल 10

1 इसके बाद अSमोिनयHका राजा मर गया, और उसका हानून नाम पुऽ उसके ःयान पर राजा हुआ। 2 तब दाऊद ने यह सोचा, क जैसे हानून के पता नाहाश ने मुझ को ूीित दखाई यी, वैसे ह: मE भी हानून को ूीित दखाऊंगा। तब दाऊद ने अपके कई कमOचाgरयHको उसके पास उसके पता के वषय शा'(त दे ने के िलथे भ ्◌ेज दया। और दाऊद के कमOचार: अSमोिनयHके दे श म आए। 3 पर(तु अSमोिनयHके हाकम अपके ःवामी हानून से कहने लगे, दाऊद ने जो तेरे पास शा'(त दे नेवाले भेजे हE , वह या तेर: समझ म तेरे पता का आदर करने क मनसा मे भेजे हE ? या दाऊद ने अपके कमOचाgरयHको तेरे पास इसी मनसा मे नह:ं भेजा क इस नगर म ढू ं ढ़ ढांढ़ करके और इसका भेद लेकर इसको उलट द ? 4 इसिलथे हानून ने दाऊद के कमOचाgरयHको पकडा, और उनक आधी-आधी डाढ़: मुड़वाकर और आधे व\, अयाOत ् िनतSब तक कटवाकर, उनको जाने दया। 5 इसका समाचार पाकर दाऊद ने लोगHको उन से िमलने के िलथे भेजा, यHक वे बहुत लजाते थे। और राजा ने यह कहा, क जब तक तुSहार: डाढय़ां बढ़ न जाएं तब तक यर:हो म ठहरे रहो, तब लौट आना। 6 जब अSमािनयHने दे खा क हम से दाऊद अूस(न हE , तब अSमोिनयHने बे ऽहोब और सोबा के बीस हजार अरामी €यादHको, और हजार पुdषHसमेत माका के राजा को, और बारह हज़ार तोबी पुdषHको, वेतन पर बुलवाया। 7 यह सुनकर दाऊद ने योआब और शूरवीरHक समःत सेना को भेजा। 8 तब अSमोनी िनकले और फाटक ह: के पास पांती बा(धी; और सोबा और रहोब के अरामी और तोब और माका के पूdष उन से (यारे मैदान म थे। 9 यह दे खकर क आगे पीछे दोनHओर हमारे वdk पांित ब(धी है , योआब ने सब बड़े बढ़े इॐाएली वीरHम से बहुतHको छांटकर अरािमयHके

साSहने उनक पांित ब(धाई, 10 और और लोगHको अपके भाई अबीशै के हाथ सxप दया, और उस ने अSमोिनयHके साSहने उनक पांित ब(धाई। 11 फर उस ने कहा, यद अरामी मुझ पर ूबल होने लग , तो तू मेर: सहाथता करना; और यद अSमोनी तुझ पर ूबल होने लगHगे, तो मE आकर तेर: सहाथता कRंगा। 12 तू हयाब बा(ध, और हम अपके लोगHऔर अपके परमे र के नगरHके िनिम पुdषायO कर ; और यहोवा जैसा उसको अ.छा लगे वैसा करे । 13 तब योआब और जो लोग उसके साय थे अरािमयHसे युk करने को िनकट गए; और वे उसके साSहने से भागे। 14 यह दे खकर क अरामी भाग गए हE अSमोनी भी अबीशै के साSहने से भागकर नगर के भीतर घुसे। तब योआब अSमोिनयHके पास से लौटकर यRशलेम को आया। 15 फर यह दे खकर क हम इॐाएिलयHसे हार गए अरामी इक=ठे हुए। 16 और हददे जेर ने दत ू भेजकर महानद के पार के अरािमयHको बुलवाया; और वे हददे जेर के सेनापित शोवक को अपना ूधान बनाकर हे लाम को आए। 17 इसका समाचार पाकर दाऊद ने समःत इॐाएिलयHको इक=ठा कया, और यरदन के पार होकर हे लाम म पहुंचा। तब अराम दाऊद के वda पांित बा(धकर उस से लड़ा। 18 पर(तु अरामी इॐाएिलयHसे भागे, और दाऊद ने अरािमयHम से सात सौ रिययHऔर चालीय हजार सवारHको मार डाला, और उनके सेनापित हा◌ोबक को ऐसा घायल कया क वह वह:ं मर गया। 19 यह दे खकर क हम इॐाएल से हार गए हE , 'जतने राजा हददे जेर के अधीन थे उन सभHने इॐाएल के साय संिध क, और उसके अधीन हो गए। और अरामी अSमोिनयHक और सहाथता करने से डर गए। 2 शमूए ल 11

1 फर 'जस समय राजा लोग युa करने को िनकला करते हE , उस समय, अयाOत ् वषO के आरSभ म दाऊद ने योआब को, और उसके संग अपके सेवकHऔर समःत इॐाएिलयHको भेजा; और उ(हHने अSमोिनयHको नाश कया, और रcबा नगर को घेर िलया। पर(तु दाऊद सRशलेम म रह गया। 2 सांफ के समय दाऊद पलंग पर से उठकर राजभवन क छत पर टहल रहा या, और छत पर से उसको एक \ी, जो अित सु(दर यी, नहाती हुई दे ख प क। 3 जब दाऊद ने भेजकर उस \ी को पुछवाया, तब कसी ने कहा, या यह एलीआम क बे ट:, और ह ्◌ी'◌ ऊgरयाह क प^ी बतशेबा नह:ं है ? 4 तब दाऊद ने दत ू भेजकर उसे बुलवा िलया; और वह दाऊद के पास आई, और वह उसके साय सोया। ( वह तो ऋतु से शुa हो गई यी ) तब वह अपके घर लौट गई। 5 और वह \ी गभOवती हुई, तब दाऊद के पास कहला भेजा, क मुझे गभO है । 6 तब दाऊद ने योआब के पास कहला भेजा, क ही ऊgरयाह को मेरे पास भेज, तब योआब ने ऊgरयाह को दाऊद के पास भेज दया। 7 जब ऊgरयाह उसके पास आया, तब दाऊद ने उस से योआब और सेना का कुशल झेम और युa का हाल पूछा। 8 तब दाऊद ने ऊgरयाह से कहा, अपके घर जाकर अपके पांव धो। और ऊgरयाह राजभवन से िनकला, और उसके पीछे राजा के पास से कुछ इनाम भेजा गया। 9 पर(तु ऊgरयाह अपके ःवामी के सब सेवकHके संग राजभवन के kार म लेट गया, और अपके घर न गया। 10 जब दाऊद को यह समाचार िमला, क ऊgरयाह अपके घर नह:ं गया, तब दाऊद ने ऊgरयाह से कहा, या तू याऽा करके नह:ं आया? तो अपके घर यHनह:ं गया? 11 ऊgरयाह ने दाऊद से कहा, जब सनदक ू और इॐाएल और यहूदा फोपडय़Hम रहते हE , और मेरा ःवामी योआब और मेरे ःवामी के सेवक

खुले मैदान पर डे रे डाले हुए हE , तो या मE घर जाकर खाऊं, पीऊं, और अप क प^ी के साय सोऊं? ते रे जीवन क शपय, और ते रे ूाण क शपय, क मE ऐसा काम नह:ं करने का। 12 दाऊद ने ऊgरयाह से कहा, आज यह:ं रह, और कल मE तुझे वदा कRंगा। इसिलथे ऊgरयाह उस दन और दस ू रे दन भी यRशलेम म

रहा। 13 तब दाऊद ने उसे नेवता दया, और उस ने उसके साSहने खाया पया, और उसी ने उसे मतवाला कया; और सांफ का◌ो वह अपके ःवामी के सेवकHके संग अप क चारपाई पर सोने को िनकला, पर(तु अपके घर न गया। 14 बहान को दाऊद ने योआब के नाम पर एक िच=ठq िलखकर ऊgरयाह के हाथ से भेजद:। 15 उस िच=ठq म यह िलखा या, क सब से घोर युa के साSहने ऊgरयाह को रखना, तब उसे छोडकर लौट आबो, क वह घायल हो कर मर जाए। 16 और योआब ने नगर को अ.छq र:ित से दे ख भालकर 'जस ःयान म

वह जानता या क वीर हE , उसी म ऊgरयाह को ठहरा दया। 17 तब नगर के पुdषHने िनकलकर योआब से युa कया, और लागHम से, अयाOत ् दाऊद के सेवकHम से कतने खेत आए; और उन म ही ऊgरयह भी मर गया। 18 तब योआब ने भेजकर दाऊद को युa का पूरा हाल बताया; 19 और दत ू को आWा द:, क जब तू युaका पूरा हाल राजा को बता चुके, 20 तब यद राजा जलकर कहने लगे, क तुम लाग लड़ने को नगर के ऐसे िनकट यHगए? या तुम न जानते थे क वे शहरपनाह पर से तीर छोड़ गे? 21 यdcबेशेत के पुऽ अबीमेलेक को कसने मार डाला? या एक \ी ने शहरपनाह पर से च क का उपरला पाट उस पर ऐसा न डाला क वह तेबेस म मर गया? फर तुम हाहरपनाह के एसे िनकट यHगए? तो तू यHकहना, क तेरा दास ऊgरयाह ही भी मर गया। 22 तब दत ू चल दया,

और जाकर दाऊद से योआब क सब बात चणOन कं। 23 दत ू ने दाऊद से कहा, क वे लोग हम पर ूबल होकर मैदान म हमारे पास िनकल आए, फर हम ने उ(ह फाटक तक खदे ड़ा। 24 तब धनुधाOgरयHने शहरपनाह पर से तेरे जनHपर तीर छोड़े ; और राजा के कतने जन मर गए, और ते रा दास ऊgरयाह ही भी मर गया। 25 दाऊद ने दत ू से कहा, योआब से यHकहना, क इस बात के कारण उदास न हो, यHक तलवार जैसे इसको वैसे उसको नाश करती है ; तो तू नगर के वda अिधक lढ़ता से लड़कर उसे उलट दे । और तू उसे हयाव ब(धा। 26 जब ऊgरयाह क \ी ने सुना क मेरा पित मर गया, तब वह अपके पित के िलथे रोने पीटते लगी। 27 और जब उसके वलाप के दन बीत चुके, तब दाऊद ने उसे बुलवाकर अपके घर म रख िलया, और वह उसक प^ी हो गई, और उसके पुऽ उप(न हुआ। पर(तु उस काम से जो दाऊद ने कया या यहोवा बोिधत हुआ। 2 शमूए ल 12 1 तब यहोवा ने दाऊद के पास नातान को भेजा, और वह उसके पास जाकर कहने लगा, एक नगर म दो मनुंय रहते थे, 'जन म से एक धनी और एक िनधOन या। 2 धनी के पास तो बहुत सी भेड़-बकgरयां और गाय बैल थे; 3 पर(तु िनधOन के पास भेड़ क एक छोट: ब.ची को छोड़ और कुछ भी न या, और उसको उस ने मोल लेकर 'जलाया या। और वह उसके यहां उसके बालब.चHके साय ह: बढ़: यी; वह उसके टु कड़े म से खाती, और उसके कटोरे म से पीती, और उसक गोद मे सोती यी, और वह उसक बे ट: के समान यी। 4 और धनी के पास एक बटोह: आया, और उस ने उस बटोह: के िलथे, जो उसके पास आया या, भोजत बनवाने

को अप क भेड़-बकgरयHवा गाय बैलHम से कुछ न िलया, पर(तु उस िनधOन मनुंय क भेड़ क ब.ची लेकर उस जन के िलथे, जो उसके पास आया या, भोजन बनवाया। 5 तब दाऊद का कोप उस मनुंय पर बहुत भड़का; और उस ने नातान से कहा, यहोवा के जीवन क शपय, 'जस मनुंय ने ऐसा काम कया वह ूाण दणड के योbय है ; 6 और उसको वह भेड़ क ब.ची का औगुणा भर दे ना होगा, यHक उस ने ऐसा काम कया, और कुछ दया नह:ं क। 7 तब नातान ने दाऊद से कहा, तू ह: वह मनुंय है । इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , क मE ने तेरा अिभशेक कराके तुझे इॐाएल का राजा ठहराया, और मE ते तुझे शाऊल के हाथ से बचाया; 8 फर मE ने तेरे ःवामी का भवन तुझे दया, और तेरे ःवामी क प'^यां तेरे भाग के िलथे द:ं; और मE ने इॐाएल और सहूदा का घराना तुझे दया या; और यद यह योड़ा या, तो मE तुझे और भी बहुत कुछ दे नेवाला या। 9 तू ने यहोवा क आWा तु.छ जानकर यHवह काम कया, जो उसक l म बुरा है ? ही ऊgरयाह को तू ने तलवार से घात कया, और उसक प^ी को अप क कर िलया है , और ऊgरयाह को अSमोिनयHक तलवार से मरवा डाला है । 10 इसिलथे अब तलवार ते रे घर से कभी दरू न होगी, यHक तू ने मुझे तु.छ जानकर ही ऊgरयाह क प^ी को अप क प^ी कर िलया है । 11 यहोवा यHकहता है , क सुन, मE तेरे घर म से वप उठाकर तुझ पर डालूग ं ा; और ते र: प'^यHको तेरे साSहने लेकर दस ू रे को दं ग ू ा, और वह दन दप ु हर: म ते र: प'^यHसे कुकमO करे गा। 12 तू ने तो वह काम िछपाकर कया; पर मE यह काम सब इॐाएिलयHके साSहने दन दप ु हर: कराऊंगा। 13 तब दाऊद ने नातान से कहा, मE ने यहोवा के वda पाप कया है । नातान ने दाऊद से कहा, यहोवा ने तेरे पाप को दरू कया

है ।; तू न मरे गा। 14 तौभी तू ने जो इस काम के kारा यहोवा के शऽुओं को ितरःकार करने का बड़ा अवसर दया है , इस कारण तेरा जो बे टा उप(न हुआ है वह अवँय ह: मरे गा। 15 तब नातान अपके घर चला गया। और जो ब.चा ऊgरयाह क प^ी से दाऊद के kारा उप(न या, वह यहोवा का मारा बहुत रोगी हो गया। 16 और दाऊद उस लड़के के िलथे परमे र से बनती करने लगा; और उपवास कया, और भीतर जाकर रात भर भूिम पर पड़ा रहा। 17 तब उसके घराने के पुरिनथे उठकर उसे भूिम पर से उठाने के िलथे उसके पास गए; पर(तु उस ने न चाहा, और उनके संग रोठq न खाई। 18 सातव दन ब.चा मर गया, और दाऊद के कमOचार: उसको ब.चे के मरने का समाचार दे ने से डरे ; उ(हHने तो कहा या, क जब तक ब.चा जीवत रहा, तब तक उस ने हमारे बमफाने पर मन न लगाया; यद हम उसको ब.चे के मर जाने का हाल सुनाएं तो वह बहुत ह: अिधक द:ु खी होगा। 19 अपके कमOचाgरयHको आपस म फुसफुसाते दे खकर दाऊद ने जान िलया क ब.चा मर गया; तो दाऊद ने अपके कमOचाgरयHसे पूछा, या ब.चा मर गया? उ(हHने कहा, हां, मर गया है । 20 तब दाऊद भूिम पर से उठा, और नहाकर तेल लगाया, और व\ बदला; तब यहोवा के भवन म जाकर दणडवत ् क; फर अपके भवन म आया; और उसक आWा पर रोट: उसको परोसी गई, और उस ने भोजन कया। 21 तब उसके कमOचाgरयHने उस से पूछा, तू ने यह या काम कया है ? जब तक ब.चा जीवत रहा, तब तक तू उपवास करता हुआ रोता रहा; पर(तु GयHह: ब.चा मर गया, यHह: तू उठकर भोजन करने लगा। 22 उस ने उर दया, क जब तक ब.चा जीवत रहा तब तक तो मE यह सोचकर उपवास करता और रोता रहा, क या जाने यहोवा मा◌ुफ पर ऐसा

अनुमह करे क ब.चा जीवत रहे । 23 पर(तु अब वह मर गया, फर मE उपवास यHकRं? या मE उसे लौटा ला सकता हूं? मE तो उसके पास जाऊंगा, पर(तु वह मेरे पास लौट न आएगा। 24 तब दाऊद ने अप क प^ी बतशेबा को शा'(त द:, और वह उसके पास गया; और असके एक पुऽ उप(न हुआ, और उस ने उसका नाम सुलम ै ान रखा। और वह सहोवा का ूय हुआ। 25 और उस ने नातान भवंयkfा के kारा स(दे श भेज दया; और उस ने यहोवा के कारण उसका नाम यद:rाह रखा। 26 और योआब ने अSमोिनयHके रcबा नगर से लड़कर राजनगर को ले िलया। 27 तब योआब ने दत ू Hसे दाऊद के पास यह कहला भेजा, क मE रcबा से लड़ा और जलवाले नगर को ले िलया है । 28 सो अब रहे हुए लोगHको इक=ठा करके नगर के वda छावनी डालकर उसे भी ले ले; ऐसा न हो क मE उसे ले लू,ं और वह मेरे नाम पर कहलाए। 29 तब दाऊद सब लोगHको इक=ठा करके रcबा को गया, और उस से युa करके उसे ले िलया। 30 तब उस ने उनके राजा का मुकुट, जो तौल म क कार भर सोने का या, और उस म म'ण जड़े थे, उसको उसके िसर पर से उतारा, और वह दाऊद के िसर पर रखा गया। फर उस ने उस नगर क बहुत ह: लूट पाई। 31 और उस ने उसके रहनेवालHको िनकालकर आरो से दो दो टु कड़े कराया, और लोहे के ह गे उन पर फरवाए, और लोहे क कु`हाडय़Hसे उ(ह कटवाया, और ईट के पजावे म से चलवाया; और अSमोिनयHके सब नगरHसे भी उस ने ऐसा ह: कया। तब दाऊद समःत लोगHसमेत यRशलेम को लौट आया। 2 शमूए ल 13

1 इसके बाद तामार नाम एक सु(दर: जो दाऊद के पुऽ अबशालोम क बहन यी, उस पर दाऊद का पुऽ अSनोन मोहत हुआ। 2 और अSनोन अप क बहन तामार के कारण ऐसा वकल हो गया क बीमार पड़ गया; यHक वह कुमार: यी, और उसके साय कुछ करना अSनोन को कठन जान पड़ता या। 3 अSनोन के योनादाब नाम एक िमऽ या, जो दाऊद के भाई िशमा का बे टा या; और वह बड़ा चतुर या। 4 और उस ने अSनोन से कहा, हे राजकुमार, या कारण है क तू ूित दन ऐसा दब ु ला होता जाता है या तू मुझे न बताएगा? अSनोन ने उस से कहा, मE तो अपके भाई अबशालोम क बहन तामार पर मोहत हंू । 5 योनादाब ने उस से कहा, अपके पलंग पर लेटकर बीमार बन जा; और जब तेरा पता तुझे दे खने को आए, तब उस से कहना, मेर: बहन तामार आकर मुझे रोट: 'खलाए, और भोजन को मेरे साSहने बनाए, क मE उसको दे खकर उसके हाथ से खाऊं। 6 और अSनोन लेटकर बीमार बना; और जब राजा उसे दे खने आया, तब अSनोन ने राजा से कहा, मेर: बहन तामार आकर मेरे दे खते दो पूर: बनाए, क मE उसके हाथ से खाऊं। 7 और दाऊद ने अपके घर तामार के पास यह कहला भेजा, क अपके भाई अSनोन के घर जाकर उसके िलथे भोजन बना। 8 तब तामार अपके भाई अSनोन के घर गई, और वह पड़ा हुआ या। तब उस ने आटा लेकर गूंधा, और उसके दे खते पूgरयां। पकाई। 9 तब उस ने याल लेकर उनको उसके िलथे परोसा, पर(तु उस ने खाने से इनकार कया। तब अSनोन ने कहा, मेरे आस पास से सब लोगHको िनकाल दो, तब सब लोग उसके पास से िनकल गए। 10 तब अSनोन ने तामार से कहा, भोजत को कोठर: म ले आ, क मE तेरे हाथ से खाऊं। तो तामार अप क बनाई हुई पूgरयHको उठाकर अपके भाई अSनोन के पास

कोठर: म ले गई। 11 जब वह उनको उसके खाने के िलथे िनकट ले गई, तब उस ने उसे पकड़कर कहा, हे मेर: बहन, आ, मुझ से िमल। 12 उस ने कहा, हे मेरे भाई, ऐसा नह:ं, मुझे ॅ न कर; यHक इॐाएल म ऐसा काम होना नह:ं चाहथे; ऐसी मूढ़ता का काम न कर। 13 और फर मE अप क नामधराई िलथे हुए कहां जाऊंगी? और तू इॐाएिलयHम एक मूढ़ िगना जाएगा। तू राजा से बातचीत कर, वह मुझ को तुझे cयाह दे ने के िलथे मना न करे गा। 14 पर(तु उस ने उसक न सुनी; और उस से बलवान होने के कारण उसके साय कुकमO करके उसे ॅ कया। 15 तब अSनोन उस से अय(त बैर रखने लगा; यहां तक क यह बैर उसके पहले मोह से बढ़कर हुआ। तब अSनोन ने उस से कहा, उठकर च क जा। 16 उस ने कहा, ऐसा नह:ं, यHक यह बढ़ा उपिव, अयाOत ् मुझे िनकाल दे ना उस पहले से बढ़कर है जो तू ने मुझ से कया है । पर(तु उस ने उसक न सुनी। 17 तब उस ने अपके टहलुए जवान को बुलाकर कहा, इस \ी को मेरे पास से बाहर िनकाल दे , और उसके पीछे कवाड़ म िचटकनी लगा दे । 18 वह तो रं गबरं गी कुतीं पहने यी; यHक जो राजकुमाgरयां कुंवार: रहती यीं वे ऐसे ह: व\ पहनती यीं। सो अSनोन के टहलुए ने उसे बाहर िनकालकर उसके पीछे कवाड़ म िचटकनी लगा द:। 19 तब तामार ने अपके िसर पर राख डाली, और अप क रं गबरं गी कुतीं को फाढ़ डाला; और िसर पर हाथ रखे िच`लाती हुई च क गई। 20 उसके भाई अबशालोम ने उस से पूछा, या तेरा भाई अSनोन तेरे साय रहा है ? पर(तु अब, हे मेर: बहन, चुप रह, वह तो तेरा भाई है ; इस बात क िच(ता न कर। तब तामार अपके भाई अबशालोम के घर म मन मारे बैठq रह:। 21 जब थे सब बात दाऊद राजा के कान म प कं, तब वह बहुत फुंफला उठा। 22

और अबशालोम ने अSनोन से भला-बुरा कुछ न कहा, यHक अSनोन ने उसक बहन तामार को ॅ कया या, इस कारण अबशालोम उस से घृणा रखता या। 23 दो पषO के बाद अबशालोम ने एूैम के िनकट के बा`हासोर म अप क भेड़Hका ऊन कतरवाया और अबशालोम ने सब राजकुमारHको नेवता दया। 24 वह राजा के पास जाकर कहनलगा, बनती यह है , क तेरे दास क भेड़Hका ऊन कतरा जाता है , इसिलथे राजा अपके कमOचाgरयो समेत अपके दास के संग चले। 25 राजा ने अबशालोम से कहा, हे मेरे बेटे, ऐसा नह:ं; हम सब न चल गे, ऐसा न हो क तुझे अिधक क हो। तब अबशालोम ने उसे बनती करके दबाया, पर(तु उस ने जाने से इनकार कया, तौभी उसे आशीवाOद दया। 26 तब अबशालोम ने कहा, यद तू नह:ं तो मेरे भाई अSनोन को हमारे संग जाने दे । राजा ने उस से पूछा, वह तेरे संग यHचले? 27 पर(तु अबशालोम ने उसे ऐसा दबाया क उस ने अSनोन और सब राजकुमारHको उसके साय जाने दया। 28 औा अबशालोम ने अपके सेवको को आWा द:, क सावधान रहो और जब अSनोन दाखमधु पीकर नशे म आ जाए, और मE तुम से कहूं, अSनोन को मार डालना। या इस आWा का दे नेवाला मE नह:ं हंू ? हयाव बा(धकर पुdषायO करना। 29 तो अबशालोम के सेवकHने अSनोन के साय अबशालोम क आWा के अनुसार कया। तब सब राजकुमार उठ खड़े हुए, और अपके अपके ख.चर पर चढ़कर भाग गए। 30 वे मागO ह: म थे, क दाऊद को यह समाचार िमला क अबशालोम ने सब राजकुमारHको मार डाला, और उन म से एक भी नह:ं बचा। 31 तब दाऊद ने उठकर अपके व\ फाड़े , और भूिम पर िगर पड़ा, और उसके सब कमOचार: व\ फाड़े हुए उसके पास खड़े रहे । 32 तब दाऊद के भाई िशमा के पुऽ यानादाब ने

कहा, मेरा ूभु यह न समझे क सब जवान, अयाOत ् राजकुमार मार डाले गए हE , केवल अSनोन मारा गया है ; यHक 'जस दन उस ने अबशालोम क बहन तामार को ॅ कया, उसी दन से अबशालोम क आWा से ऐसी ह: बात ठनी यी। 33 इसिलथे अब मेरा ूभु राजा अपके मन म यह समझकर क सब राजकुमार मर गए उदास न हो; यHक केवल अSनोन ह: मर गया है । 34 इतने म

अबशालोम भाग गया। और जो जवान पहरा दे ता य उस ने आंख उठाकर दे खा, क पीछे क ओर से पहाड़ के पास के मागO से बहुत लोग चले आ रहे हE । 35 तब योनादाब ने राजा से कहा, दे ख, राजकुमार तो आ गए हE ; जैसा तेरे दास ने कहा या वैसा ह: हुआ। 36 वह कह ह: चुका या, क राजकुमार पहंु च गए, और िच`ला िच`लाकर रोने लगे ; और राजा भी अपके सब कमOचाgरयHसमेत बलख बलख कर रोने लगा। 37 अबशालोम तो भागकर गशूर के राजा अSमीहूर के पुऽ त`मै के पास गया। और दाऊद अपके पुऽ के िलथे दन दन वलाप करता रहा। 38 जब अबशालोम भागकर गशूर को गया, तब पहां तीन पषO तक रहा। 39 और दाऊद के मन म अबशालोम के पास जाने क बड़: लालसा रह:; यHक अSनोन जो मर गया या, इस कारण उस ने उसके वषय म शा'(त पाई। 2 शमूए ल 14 1 और सRयाह का पुऽ योआब ताड़ गया क राजा का मन अबशालोम क ओर लगा है । 2 इसिलथे योआब ने तको नगर म दत ू भेजकर वहां से एक बुaमान \ी को बुलवाया, और उस से कहा, शोक करनेवाली बन, अयाOत ् शोक का पहरावा पहन, और तेल न लगा; पर(तु ऐसी \ी बन जो बहुत दन से मुए के िलथे

वलाप करती रह: हो। 3 तब राजा के पास जाकर ऐसी ऐसी बात कहना। और योआब ने उसको जो कुछ कहना या वह िसखा दया। 4 जब वह तकोइन राजा से बात करने लगी, तब मुह ं के बल भूिम पर िगर दणडवत ् करके कहने लगी, राजा क दोहाई 5 राजा ने उस से पूछा, तुझे या चाहथे? उस ने कहा, सचमुच मेरा पित मर गया, और मE वधवा हो गई। 6 और तेर: दासी के दो बे टे थे, और उन दोनHने मैदान म मार पीट क; और उनको छुड़ानेवाला कोई न या, इसिलए एक ने दस ू रे को ऐसा मारा क वह मर गया। 7 और यह सुन सब कुल के लोग तेर: दासी के वda उठकर यह कहते हE , क 'जस ने अपके भाई को घात कया उसको हम

सxप दे , क उसके मारे हुए भाई के ूाण के पलटे म उसको ूाण दणड दे ; और वाgरस को भी नाश कर । इस तरह वे मेरे अंगारे को जो बच गया है बुफाएंगे, और मेरे पित का ताम और स(तान धरती पर से िमटा डाल गे। 8 राजा ने \ी से कहा, अपके घर जा, और मE तेरे वषय आWा दं ग ू ा। 9 तकोइन ने राजा से कहा, हे मेरे ूभु, हे राजा, दोष मुझी को और मेरे पता के घराने ह: को लगे; और राजा अप क गX: समेत िनदॉष ठहरे । 10 राजा ने कहा, जो कोई तुझ से कुछ बोले उसको मेरे पास ला, तब वह फर तुझे छूने न पाएगा। 11 उस ने कहा, राजा अपके परमे र यहोवा को ःमरण करे , क खून का पलटा लेनेवाला औैर नाश करने न पाए, और मेरे बेटे का नाश न होने पाए। उस ने कहा, यहोवा के जीवन क शपय, ते रे बे टे का एक बाल भी भूिम पर िगरने न पाएगा। 12 \ी बोली, तेर: दासी अपके ूभु राजा से एक बात कहने पाए। 13 उस ने कहा, कहे जा। \ी कहने लगी, फर तू ने परमे र क ूजा क हािन के िलथे ऐसी ह: युf यHक है ? राजा ने जो यह वचन कहा है , इस से वह दोषी सा ठहरता है , यHक राजा अपके

िनकाले हुए को लौटा नह:ं लाता। 14 हम को तो मरना ह: है , और भूिम पर िगरे हुए जल के समान ठहर गे, जो फर उठाया नह:ं जाता; तौभी परमे र ूाण नह:ं लेता, वरन ऐसी युकत करता है क िनकाला हुआ उसके पास से िनकाला हुआ न रहे । 15 और अब मE जो अपके ूभु राजा से यह बात कहने को आई हंू , इसका कारण यह है , क लोगHने मुझे डरा दया या; इसिलथे तेर: दासी ने सोचा, क मE राजा से बोलूग ं ी, कदािचत राजा अप क दासी क बनती को पूर: करे । 16 िन:स(दे ह राजा सुनकर अवँय अप क दासी को उस मनुंय के हाथ से बचाएगा जो पाफे और मेरे बेटे दोनHको परमे र के भाग म से नाश करना चाहता है । 17 सो तेर: दासी ने सोचा, क मेरे ूभु राजा के वचन से शा'(त िमले; यHक मेरा ूभु राजा परमे र के कसी दत ू क नाई भले-बुरे म भेद कर सकता है ; इसिलथे तेरा परमे र यहोवा तेरे संग रहे । 18 राजा ने उर दे कर उस \ी से कहा, जो बात मE तुझ से पूछता हंू उसे मुझ से न िछपा। \ी ने कहा, मेरा ूभु राजा कहे जाए। 19 राजा ने पूछा, इस बात म या योआब तेरा संगी है ? \ी ने उर दे कर कहा, हे मेरे ूभु◌ु, हे राजा, तेरे ूाण क शपय, जो कुछ मेरे ूभु राजा ने कहा है , उस से कोई न दाहनी ओर मुड़ सकता है और न बाई। तेरे दास योआब ह: ने मुझे आWा द:, और थे सब बात उसी ने तेर: दासी को िसखाई है । 20 तेरे दास योआब ने यह काम इसिलथे कया क बात का रं ग बदले। और मेरा ूभु परमे र के एक दत ू के तु`य बुaमान है , यहां तक क धरती पर जो कुछ होता है उन सब को वह जानता है । 21 तब राजा ने योआब से कहा, सुन, मE ने यह बात मानी है ; तू जाकर अबशालोम जवान को लौटा ला। 22 तब योआब ने भूिम पर मुह ं के बल िगर दणडवत ् कर राजा को आशीवाOद दया; और योआब कहने लगा, हे मेरे ूभु, हे

राजा, आज तेरा दास जान गया क मुझ पर तेर: अनमह क l है , यHक राजा ने अपके दास क बनती सुनी है । 23 और योआब उठकर गशूर को गया, और अबशालोम को यRशलेम ले आया। 24 तब राजा ने कहा, वह अपके घर जाकर रहे ; और मेरा दशOन न पाए। तब अबशालोम अपके घर जा रहा, और राजा का दशOन न पाया। 25 समःत इॐाएल म सु(दरता के कारण बहुत ूशंसा योbय अबशालोम के तु`य और कोई न या; वरन उस म नख से िसख तक कुछ दोष न या। 26 और वह वषO के अ(त म अपना िसर मुढ़ ं वाता या ( उसके बाल उसको भार: जान पड़ते थे, इस कारण वह उसे मुड़ ं ाता या ); और जब जब वह उसे मुड़ ं ाता तब तब अपके िसर के बाल तौलकर राजा के तौल के अनुसार दो सौ शेकेल भर पाता या। 27 और अबशालोम के तीन बेटे, और तामार नाम एक बे ट: उप(न हुई यी; और यह Rपवती \ी यी। 28 और अबशालोम राजा का दशOन बना पाए यRशलेम म दो वषO रहा। 29 तब अबशालोम ने योआब को बुलवा भेजा क उसे राजा के पास भेजे; पर(तु योआब ने उसके पास आने से इनकार कया। और उस ने उसे दस ू र: बार बुलवा भेजा, पर(तु तब भी उस ने आने से इनकार कया। 30 तब उस ने अपके सेवकHसे कहा, सुनो, योआब का एक खेत मेर: भूिम के िनकट है , और उस म उसका जव खड़ा है ; तुम जाकर उस म आग लगाओ। और अबशालोम के सेवकHने उस खे त म आग लगा द:। 31 तब योआब उठा, और अबशालोम के घर म उसके पास जाकर उस से पूछने लगा, तेरे सेवकHने मेरे खेत म यHआग लगाई है ? 32 अबशालोम ने योआब से कहा, मE ने तो तेरे पास यह कहला भेजा या, क यहां आना क मE तुझे राजा के पास यह कहने को भेजूं, क मE गशूर से यHआया? मE अब तक वहां रहता तो अ.छा होता। इसिलथे अब राजा

मुझे दशOन दे ; और यद मE दोषी हंू , तो वह मुझे मार डाले। 33 तो योआब ने राजा के पास जाकर उसको यह बात सुनाई; और राजा ने अबशालोम को बुलवाया। और वह उसके पास गया, और उसके सSमुख भूिम पर मुह ं के बल िगरके दणडवत ् क; और राजा ने अबशालोम को चूमा। 2 शमूए ल 15 1 इसके बाद अबशालोम ने रय और घोड़े , और अपके आगे आगे दौड़नेवाले पचास मनुंय रख िलए। 2 और अबशालोम सवेरे उठकर फाटक के मागO के पास ‡ड़ा हाआ करता या; और जब जब कोई मुXई राजा के पास (याय के िलथे आता, तब तब अबशालोम उसको पुकारके पूछता या, तू कय नगर से आता है ? 3 और वह कहता या, क तेरा दास इॐाएल के फुलाने गोऽ का है । तब अबशालोम उस से कहता या, क सुन, तेरा पझ तो ठqक और (याय का है ; पर(तु राजा क ओर से तेर: युननेवाला कोई नह:ं है । 4 फर अबशालोम यह भी कहा करता या, क भला होता क मE इस दे श म (यायी ठहराया जाता ! क 'जतने मुकXमावाले होते वे सब मेरे ह: पास आते, और मE उनका (याय चुकाता। 5 फर जब कोई उसे दणडवत ् करने को िनकट आता, तब वह हाथ बढ़ाकर उसको पकड़के चूम लेता या। 6 और 'जतने इॐाएली राजा के पास अपना मुकXमा तै करने को आते उन सभHसे अबशालोम ऐसा ह: eयवहार कया करता या; इस ूकार अबशालोम ने इॐाएली मनुंयHके मन को हर िलया। 7 चार वषO के बीतने पर अबशालोम ने राजा से कहा, मुझे हे ॄोन जाकर अप क उस म(नत को पूर: करने दे , जो मE ने यहोवा क मानी है । 8 तेरा दास तो जब आराम के गशूर म रहता या, तब यह

कहकर यहोवा क म(नत मानी, क यद यहोवा मुझे सचमुच यRशलेम को लौटा ले जाए, तो मE यहोवा क उपासना कRंगा। 9 राजा ने उस से कहा, कुशल झेम से जा। और वह चलकर हे ॄोन को गया। 10 तब अबशालोम ने इॐाएल के समःत गोऽ म यह कहने के िलथे भेदए भेजे, क जग नरिसंगे का शcद तुम को सुन पके, तब कहना, क अबशालोम हे ॄोन म राजा हुआ ! 11 और अबशालोम के संग दो सौ नेवतहार: यRशलेम से गए; वे सीधे मन से उसका भेद बना जाने गए। 12 फर जब अबशालोम का यW हुआ, तब उस ने गीलोवासी अह:तोपेल को, जो दाऊद का मंऽी या, बुलवा भेजा क वह अपके नगर गीलो से आए। और राजिोह क गोvी ने बल पकड़ा, यHक अबशालोम के पझ के लोग बराबर बढ़ते गए। 13 तब कसी ने दाऊद के पास जाकर यह समाचार दया, क इॐाएली मनुंयHके मन अबशालोम क ओर हो गए हE । 14 तब दाऊद ने अपके सब कमOचाgरयHसे जो यRशलेम म उसके संग थे कहा, आओ, हम भाग चल ; नह:ं तो हम म से कोहO भी अबशालोम से न बचेगा; इसिलथे फुतीं करते चले चलो, ऐसा न हो क वह फुतीं करके हम आ घेरे, और हमार: हािन करे , और इस नगर को तलवार से मार ले। 15 राजा के कमOचाgरयHने उस से कहा, जैसा हमारे ूभु राजा को अ.छा जान पके, वैसा ह: करने के िलथे तेरे दास तैयार हE । 16 तब राजा िनकल गया, और उसके पीछे उसका समःत घराना िनकला। और राजा दस रखेिलयHको भवन क चौकसी करने के िलथे छोड़ गया। 17 और राजा िनकल गया, और उसके पीछे सब लोग िनकले; और वे बेतमेहOक म ठहर गए। 18 और उसके सब कमOचार: उसके पास से होकर आगे गए; और सब करे ती, और सब पकेती, और सब गती, अयाOत ् जो छ: सौ पुdष गत से उसके पीछे हो िलए थे वे सब राजा के साSहने से

होकर आगे चले। 19 तब राजा ने गती इै से पूछा, हमारे संग तू यHचलता है ? लौटकर राजा के पास रह; यHक तू परदे शी और अपके दे श से दरू है , इसिलथे अपके ःयान को लौट जा। 20 तू तो कल ह: आया है , या मE आज तुझे अपके साय मारा मारा फराऊं? मE तो जहां जा समूग ं ा वहां जाऊंगा। तू लौट जा, और अपके भाइयHको भी लौटा दे ; ई_र क कdणा और य.चाई तेरे संग रहे । 21 इै ने राजा को उर दे कर कहा, यहोवा के जीवन क शपय, और मेरे ूभु राजा के जीवन क शपय, 'जस कसी ःयान म मेरा ूभु राजा रहे गा, चाहे मरने के िलथे हो चाहे जीवत रहने के िलथे, उसी ःयान म तेरा दास भी रहे गा। 22 तब दाऊद ने इै से कहा, पार चल। सो गती इै अपके समःत जनHऔर अपके साय के सब बाल-ब.चHसमेत पार हो गया। 23 सब रहनेवाले िच`ला िच`लाकर रोए; और सब लोग पार हुए, और राजा भी किोन नाम नाले के पार हुआ, और सब लोग नाले के पार जंगल के मागO क ओर पार होकर चल पके। 24 तब या दे खने म

आया, क सादोक भी और उसके संग सब लेवीय परमे र क वाचा का स(दक ू उठाए हुए हE ; और उ(हHने परमे र के स(दक ू को धर दया, तब एcयातार चढ़ा, और जब तक सब लोग नगर से न िनकले तब तक वह:ं रहा। 25 तब राजा ने सादोक से कहा, परमे र के स(दक ू को नगर म लौटा ले जा। यद यहोवा के अनुमह क l मुझ पर हो, तो वह मुझे लौटाकर उसको और अपके वासःयान को भी दखाएगा; 26 पर(तु यद वह मुझ से ऐसा कहे , क मE तुझ से ूस(न नह:ं, तौभी मE हा'जर हंू , जैसा उसको भाए वैसा ह: वह मेरे साय बाOव करे । 27 फर राजा ने सादोक याजक से कहा, या तू दशीं नह:ं है ? सो कुशल झेम से नगर म लौट जा, और तेरा पुऽ अह:मास, और एcयातार का पुऽ योनातन, दोनHतुSहारे

संग लौट । 28 सुनो, मE जंगल के घाट के पास तब तक ठहरा रहंू गा, जब तक तुम लोगHसे मुझे हाल का समाचार न िमले। 29 तब सादोक और एcयातार ने परमे र के स(दक ू को यRशलेम म लौटा दया; और आप वह: रहे । 30 तब दाऊद जलपाइसHके पहाड़ क चढ़ाई पर िसर ढांपे, नंगे पांव, रोता हुआ चढ़ने लगा; और 'जतने लोग उसके संग थे, वे भी िसर ढांपे रोते हुए चढ़ गए। 31 तब दाऊद को यह समाचार िमला, क अबशालोम के संगी राजिोहयHके साय अह:तोपे ल है । दाऊद ने कहा, हे यहोवा, अह:तोपे ल क सSमित को मूखOता बना दे । 32 जब दाऊद चोट: तक पहंु चा, जहां परमे र को दणडवत ् कया करते थे, तब एरे क हूशै अंगरखा फाड़े , िसर पर िम=ट: डाले हुए उस से िमलने को आया। 33 दाऊद ने उस से कहा, यद तू मेरे संग आगे जाए, तब तो मेरे िलथे भार ठहरे गा। 34 पर(तु यद तू नगर को लौटकर अबशालोम से कहने लगे, हे राजा, मE तेरा कमOचार: हंू गा; जैसा मE बहुत दन तेरे पता का कमOचार: रहा, वैसा ह: अब तेरा रहंू गा, तो तू मेरे हत के िलथे अह:तोपेल क सSमित को िनंफल कर सकेगा। 35 और या वहां ते रे संग सादोक और एcयातार याजक न रह गे? इसिलथे राजभवन म से जो हाल तुझे सुन पके, उसे सादोक और एcयातार याजकHको बताया करना। 36 उनके साय तो उनके दो पुऽ, अयाOत ् सादोक का पुऽ अह:मास, और एcयातार का पुऽ योनातन, वहां रह गे; तो जो समाचार तुम लोगHको िमले उसे मेरे पास उ(ह:ं के हाथ भेजा करना। 37 और दाऊद का िमऽ, हूश,ै नगर को गया, और अबशालोम भी यRशलेम म पहंु च गया। 2 शमूए ल 16

1 दाऊद चोट: पर से योड़: दरू बढ़ गया या, क मपीबोशेत का कमOचार: मीबा एक जोड़:, जीन बा(धे हुए गदहHपर दो सौ रोट:, कशिमश क एक सौ टकया, धूपकाल के फल क एक सौ टकया, और कु€पी भर दाखमधु, लादे हुए उस से आ िमला। 2 राजा ने सीबा से पूछा, इन से ते रा या ूयोजन है ? सीबा ने कहा, गदहे तो राजा के घराने क सवार: के िलथे हE , और रोट: और धूपकाल के फल जवानHके खाने के िलथे हE , और दाखमधु इसिलथे है क जो कोई जंगल म यक जाए वह उसे पीए। 3 राजा ने पूछा, फर ते रे ःवामी का बेटा कहां है ? सीबा ने राजा से कहा, वह तो यह कहकर यRशलेम म रह गया, क अब इॐाएल का घराना मुझे मेरे पता का राGय फेर दे गा। 4 राजा ने सीबा से कहा, जो कुछ मपीबोशेत का या वह सब तुझे िमल गया। सीबा ने कहा, ूणाम; हे मेरे ूभु, हे राजा, मुझ पर तेरे अनुमह क l बनी रहे । 5 जब दाऊद राजा बहूर:म तक पहंु चा, तब शाऊल का एक कुटु Sबी वहां से िनकला, वह गेरा का पुऽ िशमी नाम का या; और वह कोसता हुआ चला आया। 6 और दाऊद पर, और दाऊद राजा के सब कमOचाgरयHपर पयर फ कने लगा; और शूरवीरHसमेत सब लोग उसक दाहनी बाई दोनHओर थे। 7 और िशमी कोसता हुआ यHबकता गया, क दरू हो खूनी, दरू हो ओछे , िनकल जा, िनकल जा ! 8 यहोवा ने तुझ से शाऊल के घराने के खून का पूरा पलटा िलया है , 'जसके ःयान पर तू राजा बना है ; यहोवा ने राGय को ते रे पुऽ अबशालोम के हाथ कर दया है । और इसिलथे क तू खूनी है , तू अप क बुराई म आप फंस गया। 9 तब सRयाह के पुऽ अबीशै ने राजा से कहा, यह मरा हुआ कुा मेरे ूभु राजा को यHशाप दे ने पाए? मुझे उधर जाकर उसका िसर काटने दे । 10 राजा ने कहा, सRयाह के बेटो, मुझे तुम से या काम? वह जो

कोसता है , और यहोवा ने जो उस से कहा है , क दाऊद को शाप दे , तो उस से कौन पूछ सकता, क तू ने ऐसा यHकया? 11 फर दाऊद ने अबीशै और अपके सब कमOचाgरयHसे कहा, जब मेरा िनज पुऽ भी मेरे ूाण का खोजी है , तो यह ब(यामीनी अब ऐसा यHन कर ? उसको रहने दो, और शाप दे ने दो; यHक यहोवा ने उस से कहा है । 12 कदािचत ् यहोवा इस उपिव पर, जो मुझ पर हो रहा है , l करके आज के शाप क स(ती मुझे भला बदला दे । 13 तब दाऊद अपके जनHसमेत अपना मागO चला गया, और िशमी उसके साSहने के पहाड़ क अलंग पर से शाप दे ता, और उस पर पयर और धूिल फ कता हुआ चला गया। 14 िनदान राजा अपके संग के सब लोगHसमेत अपके ठकाने पर यका हुआ पहंु चा; और वहां वौम कया। 15 अबशालोम सब इॐाएली लोगHसमेत यRशलेम को आया, और उसके संग अह:तोपेल भी आया। 16 जब दाऊद का िमऽ एरे क हूशै अबशालोम के पास पहंु चा, तब हूशै ने अबशालोम से कहा, राजा िचरं जीव रहे ! राजा िचरं जीव रहे ! 17 अबशालोम ने उस से कहा, या यह तेर: ूीित है जो तू अपके िमऽ से रखता है ? तू अपके िमऽ के संग यHनह:ं गया? 18 हूशै ने अबशालोम से कहा, ऐसा नह:; 'जसको यहोवा और वे लोग, या वरन सब इॐाएली लोग चाह , उसी का मE हंू , और उसी के संग मE रहंू गा। 19 और फर मE कसक सेवा कRं? या उसके पुऽ के साSहने रहकर सेवा न कRं? जैसा मE तेरे पता के साSहने रहकर सेवा करता या, वैसा ह: तेरे साSहने रहकर सेवा कRंगा। 20 तब अबशालोम ने अह:तोपे ल से कहा, तुम लोग अप क सSमित दो, क या करना चाहथे? 21 अह:तोपेल ने अबशालोम से कहा, 'जन रखेिलयHको तेरा पता भवन क चौकसी करने को छोड़ गया, उनके पास तू जा; और जब सब

इॐाएली यह सुन गे, क अबशालोम का पता उस से िघन करता है , तब तेरे सब संगी हयाव बा(ध गे। 22 सो उसकेिलथे भवन क छत के ऊपर एक तSबू खड़ा कया गया, और अबशालोम समRत इॐाएल के दे खते अपके पता क रखेिलयHके पास गया। 23 उन दनHजो सSमित अह:तोपेल दे ता या, वह ऐसी होती यी क मानो कोई परमे र का वचन पूछलेता हो; अह:तोपेल चाहे दाऊद को चाहे अबशलोम को, जो जो सSमित दे ता वह ऐसी ह: होती यी। 2 शमूए ल 17 1 फर अह:तोपेल ने अबशालोम से कहा, मुझे बारह हजार पुdष छांटने दे , और मE उठकर आज ह: रात को दाऊद का पीछा कRंगा। 2 और जब वह यकत और िनबOल होगा, तब मE उसे पकड़ू ं गा, और डराऊंगा; और 'जतने लोग उसके साय हE सब भाग गे। और मE राजा ह: को माRंगा, 3 और मE सब लोगHको तेरे पास लौटा लाऊंगा; 'जस मनुंय का तू खोजी है उसके िमलने मे समःत ूजा का िमलना हो जाएगा, और समःत ूजा कुशल झेम से रहे गी। 4 यह बात अबशालोम और सब इॐाएली पुरिनयHको उिचत मालूम प क। 5 फर अबशालोम ने कहा, एरे क हूशै को भी बुला ला, और जो वह कहे गा हम उसे भी सुन । 6 जब हूशै अबशालोम के पास आया, तब अबशालोम ने उस से कहा, अह:तोपे ल ने तो इस ूकार क बात कह: है ; या हम उसक बात मान क नह:? सद नह:, तो तू कह दे । 7 हूशै ने अबशालोम से कहा, जो सSमित अह:तोपेल ने इस बार द: वह अ.छq नह:ं। 8 फर हूशै ने कहा, तू तो अपके पता और उसके जनHको जानता है क वे शूरवीर हE , और ब.चा छqनी हुई र:छनी के समान ृोिधत हHगे। और ते रा पता योaा है ;

और और लोगो के साय रात नह:ं बताता। 9 इस समय तो वह कसी गढ़हे , वा कसी दस ू रे ःयान म िछपा होगा। जब इन म से पहले पहले कोई कोई मारे जाएं, तब इसके सब सुननेवाले कहने लग गे, क अबशालोम के पझवाले हार गए। 10 तब वीर का ॑ृदय, जो िसंह का सा होता है , उसका भी हयाव छूट जाएगा, समःत इॐाएल तो जानता है क तेरा पता वीर है , और उसके संगी बड़े योaा हE । 11 इसिलथे मेर: सSमित यह है क दान से लेकर बेशब  ा तक रहनेवाले समःत इॐाएली तेरे पास समुितीर क बालू के कनकHके समान अक=ठे कए जाए, और तू आप ह: युa को जाए। 12 और जब हम उसको कसी न कसी ःयान म जहां वह िमले जा पकड़ गे, तब जैसे ओस भूिम पर िगरती है वैसे ह: हम उस पर टू ट पक गे; तब न तो वह बचेगा, और न उसके संिगयHम से कोई बचेगा। 13 और यद वह कसी नगर म घुसा हो, तो सब इॐाएली उस नगर के पास र'ःसयां ले आएंगे, और हम उसे नाले म खींच गे, यहां तक क उसका एक छोटा सा पयर भी न रह जाएगा। 14 तब अबशालोम और सब इॐाएली पुdषHने कहा, एरे क हूशै क बSमित अह:तोपेल क सSमित से उSतम है । सहोवा ने तो अह:तोपे ल क अ.छq सSमित को िनंफल करने के िलथे ठाना या, क यह अबशालोम ह: पर वप डाले। 15 तब हूशै ने सादोक और एcयातार याजकHसे कहा, अह:तोपेल ने तो अबशालोम और इॐाएली पुरिनयHको इस इस ूकार क सSमित द:; और मE ने इस इस ूकार क सSमित द: है । 16 इसिलथे अब फुतीं कर दाऊद के पास कहला भेजो, क आज रात जंगली घाट के पास न ठहरना, अवँय पार ह: हो जाना; ऐसा न हो क राजा और 'जतने लोग उसके संग हH, सब नाश हो जाएं। 17 योनातन और अह:माय एनरोगेल के पास ठहरे रहे ; और एक

लxड: जाकर उ(ह स(दे शा दे आती यी, और वे जाकर राजा दाऊद को स(दे शा दे ते थे; यHक वे कसी के दे खते नगर म नह: जा सकते थे। 18 एक छोकरे ने तो उ(ह दे खकर अबशालोम को बताया; पर(तु वे दोनHफुतीं से चले गए, और एक बहर:मवासी मनुंय के घर पहंु चकर 'जसके आंगन म कुंआ या उस म उतर गए। 19 तब उसक \ी ने कपड़ा लेकर कुंए के मुह ं पर बछाया, और उसके ऊपर दलर हुआ अ(न फैला दया; इसिलथे कुछ मालूम न पड़ा। 20 तब अबशालोम के सेवक उस घर म उस \ी के पास जाकर कहने लगे , अह:मास और योनातन कहां हE ? \ी ने उन से कहा, वे तो उस छोट: नद: के पार गए। तब उ(हHने उ(ह ढू ं ढा, और न पाकर यRशलेम को लौटे । 21 जब वे चले गए, तब थे कुंए म से िनकले, और जाकर दाऊद राजा को समाचार दया; और दाऊद से कहा, तुम लोग चलो, फुतीं करके नद: के पार हो जाओ; यHक अह:तोपे ल ने तुSहार: हािन क ऐसी ऐसी सSमित द: है । 22 तब दाऊद अपके सब संिगयHसमेत उठकर यरदन पार हो गया; और पह फटने तक उन म से एक भी न रह गया जो यरदन के पार न हो गया हो। 23 जब अह:तोपेल ने दे खा क मेर: सSमित के अनुसार काम नह:ं हुआ, तब उस ने अपके गदहे पर काठq कसी, और अपके नगर म जाकर अपके घर म

गया। और अपके घराने के वषय जो जो आWा दे नी यी वह दे कर अपके को फांसी लगा ली; और वह मर गया, और उसके पता के कॄःतान म उसे िम=ट: दे द: गई। 24 दाऊद तो महनैम म पहुंचा। और अबशालोम सब इॐाएली पुdषHसमेत यरदन के पार गया। 25 और अबशालोम ने अमासा को योआब के ःयान पर ूधान सेनापित ठहराया। यह अमासा एक पुdष का पुऽ या 'जसका नाम इॐाएली ियऽो या, और वह योआब क माता, सRयाह क बहन, अबीगल नाम

नाहाश क बेट: के संग सोया या। 26 और इॐाएिलयHने और अबशालोम ने िगलाद दे श म छावनी डाली। 27 जब दाऊद महनैम म आया, तब अSमोिनयHके रcबा के िनवासी नाहाश का पुऽ शोबी, और लोदबरवासी अSमीएल का पुऽ माकर, और रोगलीमवासी िगलाद: ब'ज`ल‹, 28 चारपाइयां, तसले िम=ट: के बतOन, गेहंू , जव, मैदा, लोबया, मसूर, चबेना, 29 मधु, म खन, भेड़बकgरयां, और गाय के दह: का प कर, दाऊद और उसके संिगयHके खाने को यह सोचकर ले आए, क जंगल म वे लोग भूखे €यासे और यके मांदे हHगे। 2 शमूए ल 18 1 तब दाऊद ने अपके संग के लोगHक िगनती ली, और उन पर सह\पित और शतपित ठहराए। 2 फर दाऊद ने लोगHक एक ितहाई तो योआब के, और एक ितहाई सRयाह के पुऽ योआब के भाई अबीशै के, और एक ितहाई गती इे◌ै के, अिध कारने म करके युa म भेज दया। और राजा ने लोगHसे कहा, मE भी अवँय तुSहारे साय चलूग ं ा। 3 लोगHने कहा, तू जाने न पाएगा। यHक चाहे हम भाग जाएं, तौभी वे हमार: िच(ता न कर गे; वरन चाहे हम म से आधे मारे भी जाएं, तौभी वे हमार: िच(ता न कर गे। यHक हमारे सर:खे दस हज़ार पुdष हE ; इसिलथे अ.छा यह है क तू नगर म से हमार: सहाथता करने को तैयार रहे । 4 राजा ने उन से कहा, जो कुछ तुSह भाए वह: मE कRंगा। और राजा ◌ॅफाटक क एक ओर खड़ा रहा, और सब लोग सौ सौ, और हज़ार, हज़ार करके िनकलने लगे । 5 और राजा ने योआब, अबीशै, और इे को आWा द:, क मेरे िनिम उस जवान, अयाOत ् अबशालोम से कोमलता करना। यह आWा राजा ने अबशालोम के

वषय सब ूधानHको सब लोगHके सुनते द:। 6 सो लोग इॐाएल का साSहला करने को मैदान म िनकले; और एूैम नाम वन म युa हुआ। 7 वहां इॐाएली लोग दाऊद के जनHसे हार गए, और उस दन ऐसा बड़ा संहार हुआ क बीस हजार खेत आए। 8 और युa उस समःत दे श म फैल गया; और उस दन 'जतने लोग तलवार से मारे गए, उन से भी अिधक वन के कारण मर गए। 9 संयोग से अबशालोम और दाऊद के जनHक भ ट हो गई। अबशालोम तो एक ख.चर पर चढ़ा हुआ जा रहा या, क ‡.चर एक बड़े बांज वृझ क घनी डािलयHके नीचे से गया, और उसका िसर उस बांज वृझ म अटक गया, और वह अधर म लटका रह गया, और उसका ‡.चर िनकल गया। 10 इसको दे खकर कसी मनुंय ने योआब को बताया, क मE ने अबशालोम को बांज वृझ म टं गा हुआ दे खा। 11 योआब ने बतानेवाले से कहा, तू ने यह दे खा ! फर यHउसे वह:ं मारके भूिम पर न िगरा दया? तो मE तुझे दस तुकड़े चांद: और एक कटब(द दे ता। 12 उस मनुंय ने योआब से कहा, चाहे मेरे हाथ म हज़ार टु कड़े चांद: तौलकर दए जाऐ, तौभी राजकुमार के वda हाथ न बढ़ाऊंगा; यHक हम लोगHके सुनते राजा ने तुझे और अबीशै और इै को यह आWा द:, क तुम म से कोई यHन हो उस जवान अयाOत ् अबशालोम को न छूए। 13 यद मE धोखा दे कर उसका ूाण लेता, तो तू आप मेरा वरोधी हो जाता, यHक राजा से कोई बात िछपी नह:ं रहती। 14 योआब ने कहा, मE तेरे संग यHह: ठहरा नह:ं रह सकता ! सो उस ने तीन लकड़: हाथ म लेकर अबशालोम के ॑ृदय म , जो बांज वृझ म जीवित लटका या, छे द डाला। 15 तब योआब के दस हिययार ढोनेवाले जवानHने अबशालोम को घेरके ऐसा मारा क वह मर गया। 16 फर योआब ने नरिसंगा फूंका, और लोग

इण ्◌्राएल का पीछा करने से लौटे ; यHक योआब ूजा को बचाना चाहता या। 17 तब लोगHने अबशालोम को उतारके उस वन के एक बड़े गड़हे म डाल दया, और उस पर पयरHका एक बहुत बड़ा ढे र लगा दया; और सब इॐाएली अपके अपके डे रे को भाग गए। 18 अपके जीते जी अबशालोम ने यह सोचकर क मेरे नाम का ःमरण करानेवाला कोई पुऽ मेरे नह:ं है , अपके िलथे वह लाठ खड़: कराई यी जो राजा क तराई म है ; और लाठ का अपना ह: नाम रखा, जो आज के दन तक अबशालोम क लाठ कहलाती है । 19 और सादोक के पुऽ अह:मास ने कहा, मुझे दौड़कर राजा को यह समाचार दे ने दे , क यहोवा ने (याय करके तुझे तेरे शऽुओं के हाथ से बचाया है । 20 योआब ने उस से कहा, तू आज के दन समाचार न दे ; दस ू रे दन समाचार दे ने पाएगा, पर(तु आज समाचार न दे , इसिलथे क राजकुमार मर गया है । 21 तब योआब ने एक कूशी से कहा जो कुछ तू ने दे खा है वह जाकर राजा को बता दे । तो वह कूशी योआब को दणडवत ् करके दौड़ गया। 22 फर सादोक के पुऽ अह:मास ने दस ू र: बार योआब से कहा, जो हो सो हो, पर(तु मुझे भी कूशी के पीछे दौड़ जाने दे । योआब ने कहा, हे मेरे बेटे, ते रे समाचार का कुछ बदला न िमलेगा, फर तू यHदौड़ जाना चाहता है ? 23 उस ने यह कहा, जो हो सो हो, पर(तु मुझे दौड़ जाने दे । उसने उस से कहा, दौड़। तब अह:मास दौड़ा, और तराई से होकर कूशी के आगे बढ़ गया। 24 दाऊद तो दो फाटकHके बीच बैठा या, क पहdआ जो फाटक क छत से होकर शहरपनाह पर चढ़ गया या, उस ने आंख उठाकर या दे खा, क एक मनुंय अकेला दौड़ा आता है । 25 जब पहdए ने पुकारके राजा को यह बता दया, तब राजा ने कहा, यद अकेला आता हो, तो स(दे शा लाता होगा। वह दौड़ते दौड़ते िनकल आया। 26 फर

पहdए ने एक और मनुंय को दौड़ते हुए दे ख फाटक के रखवाले को पुकारके कहा, सुन, एक और मनुंय अकेला दौड़ा आता है । राजा ने कहा, वह भी स(दे शा लाता होगा। 27 पहdए ने कहा, पुफे तो ऐसा दे ख पड़ता है क पहले का दौड़ना सादोक के पुऽ अह:मास का सा है । राजा ने कहा, वह तो भला मनुंय है , तो भला स(दे श लाता होगा। 28 तब अह:मास ने पुकारके राजा से कहा, क`याण। फर उस ने भूिम पर मुह ं के बल िगर राजा को दणडवत ् करके कहा, ते रा परमे र यहोवा ध(य है , 'जस ने मेरे ूभु राजा के वda हाथ उठानेवाले मनुंयHको तेरे वश म कर दया है ! 29 राजा ने पूछा, या उस जवान अबशालोम का क`याण है ? अह:मास ने कहा, जब योआब ने राजा के कमOचार: को और तेरे दास को भेज दया, तब मुझे बड़: भीड़ दे ख प क, पर(तु मालूम न हुआ क या हुआ या। 30 राजा ने कहा; हटकर यह:ं खड़ा रह। और वह हटकर खड़ा रहा। 31 तब कूशी भी आ गया; और कूशी कहने लगा, मेरे ूभु राजा के िलथे समाचार है । यहोवा ने आज (याय करके तुझे उन सभHके हाथ से बचाया है जो तेरे वda उठे थे। 32 राजा ने कूशी से पूछा, या वह जवान अयाOत ् अबशालोम क`याण से है ? कूशी ने कहा, मेरे ूभु राजा के शऽु, और 'जतने तेर: हािन के िलथे उठे हE , उनक दशा उस जवान क सी हो। 33 तब राजा बहुत घबराया, और फाटक के ऊपर क अटार: पर रोता हुआ चढ़ने लगा; और चलते चलते यHकहता गया, क हाथ मेरे बेटे अबशालोम ! मेरे बेटे, हाथ ! मेरे बेटे अबशालोम ! भला होता क मE आप तेर: स(ती मरता, हाथ ! अबशालोम ! मेरे बेटे, मेरे बेटे !! 2 शमूए ल 19

1 तब योआब को यह समाचार िमला, क राजा अबशालोम के िलथे रो रहा है और वलाप कर रहा है । 2 इसिलथे उस दन का वजय सब लोगHक समझ म वलाप ह: का कारण बन गया; यHक लोगHने उस दन सुना, क राजा अपके बे टे के िलथे खेदत है । 3 और उस दन लोग ऐसा मुह ं चुराकर नगर म घुसे, जैसा लोग युa से भाग आने से ल'Gजत होकर मुह ं चुराते हE । 4 और राजा मुह ं ढांपे हुए िच`ला िच`लाकर पुकारता रहा, क हाथ मेरे बेटे अबशालोम ! हाथ अबशालोम, मेरे बेटे, मेरे बेटे ! 5 तब योआब घर म राजा के पास जाकर कहने लगा, तेरे कमOचाgरयHने आज के दन तेरा, और तेरे बेटे-बेटयHका और तेर: प'^यHऔर रखेिलयHका ूाण तो बचाया है , पर(तु तू ते आज के दन उन सभHका मुह ं काला कया है ; 6 इसिलथे क तू अपके बैgरयHसे ूेम और अपके ूेिमयHसे बैर रखता है । तू ने आज यह ूगट कया क तुझे हाकमHऔर कमOचाgरयHक कुछ िच(ता नह:ं; वरन मE ने आज जान िलया, क यद हम सब आज मारे जाते और अबशालोम जीवत रहता, तो तू बहुत ूस(न होता। 7 इसिलथे अब उठकर बाहर जा, और अपके कमOचाgरयHको शा'(त दे ; तह:ं तो मE यहोवा क शपय खाकर कहता हूँ, क यद तू बाहर न जाएगा, तो आज रात को एक मनुंय भी तेरे संग न रहे गा; और तेरे बचपन से लेकर अब तक 'जतनी वपयां तुझ पर प क हE उन सब से यह वप बड़: होगी। 8 तब राजा उठकर फाटक म जा बैठा। और जब सब लोगHको यह बताया गया, क राजा फाटक म बैठा है ; तब सब लोग राजा के साSहने आए। और इॐाएली अपके अपके डे रे को भाग गए थे। 9 और इॐाएल के सब गोऽ म

सब लोग आपस म यह कहकर ढगड़ते थे, क राजा ने हम हमारे शऽुओं के हाथ से बचाया या, और पिल'ँतयHके हाथ से उसी ने हम छुड़ाया; पर(तु अब वह

अबशालोम के डर के मारे दे श छोड़कर भाग गया। 10 और अबशालोम 'जसको हम ने अपना राजा होने को अिभषेक कया या, वह युa म मर गया है । तो अब तुम यHचुप रहते ? और जाजा को लौटा ले अपके क चचाO यHनह:ं करते ? 11 तब राजा दाऊद ने सादोक और एcयातार याजकHके पास कहला भेजा, क यहूद: पुरिनयHसे कहो, क तुम लोग राजा को भवन पहंु चाने के िलथे सब से पीछे यHहोते हो जब क समःत इॐाएल क बातचीत राजा के सुनने म आई है , क उसको भवन म पहंु चाए? 12 तुम लोग तो मेरे भाई, वरन मेर: ह: ह]ड: और मांस हो; तो तुम राजा को लौटाने म सब के पीछे यHहोते हो? 13 फर अमासा से यह कहो, क या तू मेर: ह]ड: और मांस नह:ं है ? और यद तू योआब के ःयान पर सदा के िलथे सेनापित न ठहरे , तो परमे र मुझ से वैसा ह: वरन उस से भी अिधक करे । 14 इस ूकार उस ने सब यहूद: पुdषHके मन ऐसे अप क ओर खींच िलया क मानHएक ह: पुdष या; और उ(हHने राजा के पास कहला भेजा, क तू अपके सब कपOचाgरयHको संग लेकर लौट आ। 15 तब राजा लौटकर यरदन तक आ गया; और यहूद: लोग िगलगाल तक गए क उस से िमलकर उसे यरदन पार ले आए। 16 यहूदयHके संग गेरा का पुऽ ब(यामीनी िशमी भी जो बहूर:मी या फुतीं करके राजा दाऊद से भ ट करने को गया; 17 उसके संग हज़ार ब(यामीनी पुdष थे। और शाऊल के घराने का कमOचार: सीबा अपके प(िह पुऽHऔर बीस दासHसमेत या, और वे राजा के साSहने यरदन के पार पांव पैदल उतर गए। 18 और एक बेड़ा राजा के पgरवार को पार ले आने, और 'जस काम म

वह उसे लगाने चाहे उसी म लगने के िलथे पार गया। और जब राजा यरदन पार जाने पर या, तब गेरा का पुऽ िशमी उसके पावHपर िगरके, 19 राजा से कहने

लगा, मेरा ूभु मेरे दोष का लेखा न करे , और 'जस दन मेरा ूभु राजा यRशलेम को छोड़ आया, उस दन ते रे दास ने जो कुटल काम कया, उसे ऐसा ःमरण न कर क राजा उसे अपके ~यान म रखे। 20 यHक ते रा दास जानता है क मE ने पाप कया; दे ख, आज अपके ूभु राजा से भ ट करने के िलथे यूसफ ु के समःत याने म से मE ह: पहला आया हँू । 21 तब सRयाह के पुऽ अबीशै ने कहा, िशमी ने जो यहोवा के अिभषf को शाप दया या, इस कारण या उसको वध करना न चाहथे? 22 दाऊद ने कहा, हे सRयाह के बेटH, मुझे तुम से या काम, क तुम आज मेरे वरोधी ठहरे हो? आज या इॐाएल म कसी को ूाण दणड िमलेगा? या मE नह:ं जानता क आज मE इॐाएल का राजा हुआ हँू ? 23 फर राजा ने िशमी से कहा, तुझे ूाण दणड न िमलेगा। और राजा ने उस से शपय भी खाई। 24 तब शाऊल का पोता मपीबोशेत राजा से भ ट करने को आया; उस ने राजा के चले जाने के दन से उसके कुशल झेम से फर आने के दन तक न अपके पावHके नाखून काटे , और न अप क दाढ: बनवाई, और न अपके कपके धुलवाए थे। 25 तो जब यRशलेमी राजा से िमलने को गए, तब राजा ने उस से पूछा, हे मपीबोशेत, तू मेरे संग यHनह:ं गया या? 26 उस ने कहा, हे मेरे ूभु, हे राजा, मेरे कमOचार: ने मुझे धोखा दया या; तेरा दास जो पंगु है ; इसिलथे तेरे दास ने सोचा, क मE गदहे पर काठq कसवाकर उस पर चढ़ राजा के साय चला जाऊंगा। 27 और मेरे कमOचार: ने मेरे ूभु राजा के साSहने मेर: चुगली खाई। पर(तु मेरा ूभु राजा परमे र के दत ू के समान है ; और जो कुछ तुझे भाए वह: कर। 28 मेरे पता का समःत घराना तेर: ओर से ूाण दणड के योbय या; पर(तु तू ने अपके दास को अप क मेज पर खानेवालHम िगना है । मुझे या हक है क मE राजा क ओर

दोहाई दं ?ू 29 राजा ने उस से कहा, तू अप क बात क चचाO सHकरता रहता है ? मेर: आWा यह है , क उस भूिम को तुम और सीबा दोनHआपस म बांट लो। 30 मपीबोशेत ने राजा से कहा, मेरे ूभु राजा जो कुशल झेम से अपके घर आया है , इसिलथे सीबा ह: सब कुछ ले ले। 31 तब िगलाद: ब'ज`ल‹ रोगलीम से आया, और राजा के साय यरदन पार गया, क उसको यरदन के पार पहंु चाए। 32 ब'ज`ल‹ तो वृa पुdष या, अयाOत ् अःसी पषO क आयु का या जब तक राजा महनैम म रहता या तब तक वह उसका पालन पोषण करता रहा; यHक वह बहुत धनी या। 33 तब राजा ने ब'ज`ल‹ से कहा, मेरे संग पार चल, और मE तुझे यRशलेम म अपके पास रखकर तेरा पालन पोषण कRंगा। 34 ब'ज`ल‹ ने राजा से कहा, मुझे कतने दन जीवत रहना है , क मE राजा के संग यRशल म को जाऊं? 35 आज मE अःसी वषO का हँू ; या मE भले-बुरे का ववे क कर सकता हँू ? या तेरा दास जो कुछ खाता पीता है उसका ःवाद पहचान सकता है ? या मुझे गवैयHवा गाियकाओं का शcद अब सुन पड़ता है ? तेरा दास अब अपके ूभु राजा के िलथे यHबोफ का कारण हो? 36 तेरे दास राजा के संग यरदन पार ह: तक जाएगा। राजा इसका ऐसा बड़ा बदला मुझे यHदे ? 37 अपके दास को लौटने दे , क मE अपके ह: नगर म अपके माता पता के कॄःतान के पास मRं। पर(तु तेरा दास कSहाम उप'ःयत है ; मेरे ूभु राजा के संग वह पार जाए; और जैसा तुझे भाए वैया ह: उस से eयवहार करना। 38 राजा ने कहा, हां, कSहान मेरे संग पार चलेगा, और जैसा तुझे भाए वैसा ह: मE उस से eयवहार कRंगा वरन जो कुछ तू मुझ से चाहे गा वह मE ते रे िलथे कRंगा। 39 तब सब लोग यरदन पार गए, और राजा भी पार हुआ; तब राजा ने ब'ज`ल‹ को चूमकर आशीवाOद दया, और वह

अपके ःयान को लौट गया। 40 तब राजा िग`गाल क ओर पार गया, और उसके संग कSहाम पार हुआ; और सब सहूद: लोगHने और आधे इॐाएली लोगHने राजा को पार पहंु चाया। 41 तब सब इॐाएली पुdष राजा के पास आए, और राजा से कहने लगे, या कारण है क हमारे यहूद: भाई तुझे चोर: से ले आए, और पgरवार समेत राजा को और उसके सब जनHको भी यरदन पार ले आए हE ? 42 सब यहूद: पुdषHने इॐाएली पुdषHको उर दया, क कारण यह है क राजा हमारे गोऽ का है । तो तुम लोग इस बात से यHRठ गए हो? या हम ने राजा का दया हुआ कुछ खाया है ? वा उस ने हम कुछ दान दया है ? 43 इॐाएली पुdषHने यहूद: पुdषHको उर दया, राजा म दस अंश हमारे हE ; और दाऊद म हमारा भाग तुSहारे भाग से बड़ा है । तो फर तुम ने हम यHतु.छ जाना? या अपके राजा के लौटा ले आने क चचाO पहले हम ह: ने न क यी? और यहूद: पुdषHने इॐाएली पुdषHसे अिधक कड़: बात कह:ं। 2 शमूए ल 20 1 वहां संयोग से शेबा नाम एक ब(यामीनी या, वह ओछा पुdष बब का पुऽ या; वह नरिसंगा फूंककर कहने लगा, दाऊद म हमारा कुछ अंश नह:ं, और न ियशै के पुऽ म हमारा कोई भाग है ; हे इॐाएिलयो, अपके अपके डे रे को चले जाओ ! 2 इसिलथे सब इॐाएली पुdष दाऊद के पीछे चलना छोड़कर बब के पुऽ शेबा के पीछे हो िलए; पर(तु सब यहूद: पुdष यरदन से यRशलेम तक अपके राजा के संग लगे रहे । 3 तब दाऊद यRशलेम को अपके भवन म आया; और राजा ने उन दस रखेिलयHको, 'ज(ह वह भवन क चौकसी करने को छोड़ गया या, अलग एक

घर म रखा, और उनका पालन पोषण करता रहा, पर(तु उन से सहवास न कया। इसिलथे वे अप क अप क मृयु के दन तक वधवापन क सी दशा म

जीवत ह: ब(द रह:। 4 तब राजा ने अमासा से कहा, यहूद: पुdषHको तीन दन के भीतर मेरे पास बुला ला, और तू भी यहां उप'ःयत रहना। 5 तब अमासा यहूदयHको बुलाने गया; पर(तु उसके ठहराए हुए समय से अिधक रह गया। 6 तब दाऊद ने अबीशै से कहा, अब बब का पुऽ शेबा अबशालोम से भी हमार: अिधक हािन करे गा; इसिलथे तू अपके ूभु के लोगHको लेकर उसका पीछा कर, ऐसा न हो क वह गढ़वाले नगर पाकर हमार: l से िछप जाए। 7 तब योआब के जन, और करे ती और पकेती लोग, और सब शूरवीर उसके पीछे हो िलए; और बब के पुऽ शेबा का पीछे करने को यRशलेम से िनकले। 8 वे िगबोन म उस भार: पयर के पास पहंु चे ह: थे, क अमासा उन से आ िमला। योआब तो योaा का व\ फेटे से कसे हुए या, और उस फेटे म एक तलवार उसक कमर पर अप क Sयान म ब(धी हुई यी; और जब वह चला, तब वह िनकलकर िगर प क। 9 तो योआब ने अमासा से पूछा, हे मेरे भाई, या तू कुशल से है ? तब योआब ने अपना दाहना हाथ बढ़ाकर अमासा को चूमने के िलथे उसक दाढ़: पकड़:। 10 पर(तु अमासा ने उस तलवार क कुछ िच(ता न क जो याआब के हाथ म यी; और उस ने उसे अमासा के पेट म भHक द:, 'जस से उसक अ(तडय़ां िनकलकर धरती पर िगर प क, और उस ने उसको दस ू र: बार न मारा; और वह मर गया। तब योआब और उसका भाई अबीशै बब के पुऽ शेबा का पीछा करने को चले। 11 और उसके पास याआब का एक जवान खड़ा होकर कहने लगा, जो कोई योआब के पझ और दाऊद क ओर का हो वह योआब के पीछे हो ले। 12

अमासा तो सड़क के म~य अपके लोहू म लोट रहा या। तो जब उस मनुंय ने दे खा क सब लोग खड़े हो गए हE , तब अमासा को सड़क पर से मैदान म उठा ले गया, और जब दे खा क 'जतने उसके पास आते हE वे खड़े हो जाते हE , तब उस ने उसके ऊपर एक कपड़ा डाल दया। 13 उसके सड़क पर से सरकाए जाने पर, सब लोग बब के पुऽ शेबा का पीछे करने को योआब के पीछे हो िलए। 14 और वह सब इॐाएली गोऽ म होकर आबेल और बेतमाका और बेgरयHके दे श तक पहुंचा; और वे भी इक=ठे होकर उसके पीछे हो िलए। 15 तब उ(हHने उसको बेतमाका के आबेल म घेर िलया; और नगर के साSहने ऐसा दमदमा बा(धा क वह शहरपनाह से सट गया; और योआब के संग के सब लोग शहरपनाह को िगराने के िलथे ध का दे ने लगे। 16 तब एक बुaमान Rऽी ने नगर म से पुकारा, सुनो ! सुनो ! योआब से कहो, क यहां आए, ताक मE उस से कुछ बात कRं। 17 जब योआब उसके िनकट गया, तब \ी ने पूछा, या तू योआब है ? उस ने कहा, हां, मE वह: हँू । फर उस ने उस से कहा, अप क दासी के वचन सुन। उस ने कहा, मE तो सुन रहा हूँ। 18 वह कहने लगी, ूाचीनकाल म तो लोग कहा करते थे, क आबेल म पूछा जाए; और इस र:ित फगड़े को िनपटा दे ते थे। 19 मE तो मेलिमलापवाले और व ासयोbय इॐाएिलयHम से हँू ; पर(तु तू एक ूधन नगर नाश करने का य^ करता है ; तू यहोवा के भाग को यHिनगल जाएगा? 20 योआब ने उर दे कर कहा, यह मुझ से दरू हो, दरू , क मE िनगल जाऊं वा नाश कRं ! 21 बात ऐसी नह:ं है । शेबा नाम एूैम के पहाड़: दे श का एक पुdष जो बब का पुऽ है , उस ने दाऊद राजा के वda हाथ उठा◌ाया है ; तो तुम लोग केवल उसी को सxप दो, तब मE नगर को छोड़कर चला जाऊंगा। \ी ने योआब से कहा, उसका िसर शहरपनाह

पर से तेरे पास फ क दया जाएगा। 22 तब \ी अप क बुaमानी से सब लोगHके पास गई। तब उ(हHने बब के पुऽ शेबा का िसर काटकर योआब के पास फ क दया। तब योआब ने नरिसंगा फूंका, और सब लोग नगर के पास से अलग अलग होकर अपके अपके डे रे को गए। और योआब यRशलेम को राजा के पास लौट गया। 23 योआब तो समःत इॐाएली सेना के ऊपर ूधान रहा; और यहोयादा का मुऽ बनायाह करे ितयHऔर पकेितयHके ऊपर या; 24 और अदोराम बे गारHके ऊपर या; और अह:लूद का पुऽ यहोशापात इितहास का लेखक या; 25 और शया मंऽी या; और सादोक और एcयातार याजक थे; 26 और याईर: ईरा भी दाऊद का एक मंऽी या। 2 शमूए ल 21 1 दाऊद के दनHम लगातार तीन बरस तक अकाल पड़ा; तो दाऊद ने यहोवा से ूायOना क। यहोवा ने कहा, यह शाऊल और उसके खूनी घराने के कारण हुआ, यHक उस ने िगबोिनयHको मरवा डाला या। 2 तब राजा ने िगबोिनयो को बुलाकर उन से बात कं। िगबोनी लोग तो इॐाएिलयHम से नह:ं थे, वे बचे हुए एमोgरयो म से थे; और इॐाएिलयHने उनके साय शपय खाई यी, पर(तु शाऊल को जो इॐाएिलयHऔर यहूदयHके दथे जलन हुई यी, इस से उस ने उ(ह मार डासने के िलथे य^ कया या। 3 तब दाऊद ने िगबोिनयHसे पूछा, मE तुSहारे िलथे या कRं? और या करके ऐसा ूाय'_त कRं, क तुम यहोवा के िनज भाग को आशीवाOद दे सको? 4 िगबोिनयHने उस से कहा, हमारे और शाऊल वा उसके घराने के म~य dपके पैसे का कुछ फगड़ा नह:ं; और न हमारा काम है क कसी

इॐाएली को मार डाल । उस ने कहा, जो कुछ तुम कहो, वह: मE तुSहारे िलथे कRंगा। 5 उ(हHने राजा से कहा, 'जस पुdष ने हम को नाश कर दया, और हमारे वda ऐसी युf द: क हम ऐसे सयानाश हो जाएं, क इॐाएल के दे श म आगे को न रह सक , 6 उसके वंश के सात जन हम सxप दए जाएं, और हम उ(ह

यहोवा के िलथे यहोवा के चुने हुए शाऊल क िगबा नाम बःती म फांसी द गे। राजा ने कहा, मE उनको सxप दं ग ू ा। 7 पर(तु दाऊद ने और शाऊल के पुऽ योनातन ने आपस म यहोवा क शपय खाई यी, इस कारण राजा ने योनातन के पुऽ मपीबोशेत को जो शाऊल का पोता या बचा रखा। 8 पर(तु अमॉनी और मपीबोशेत नाम, अया क बेट: gरःपा के दोनHपुऽ जो शाऊल से उप(न हुए थे; और हा◌ाऊल क बेट: मीकल के पांचHबेटे, जो वह महोलवासी ब'ज`ल‹ के पुऽ अि:एल क ओर से थे, इनको राजा ने पकड़वाकर 9 िगबोिनयHके हाथ सxप दया, और उ(हHने उ(ह पहाड़ पर यहोवा के साSहने फांसी द:, और सातHएक साय नाश हुए। उनका मार डाला जाना तो कटनी के पहले दनHम , अयाOत ् जब क कटनी के आरSभ म हुआ। 10 तब अया क बेट: gरःपा ने टाट लेकर, कटनी के आरSभ से लेकर जब तक आकाश से उन पर अय(त वृ न प क, तब तक च=टान पर उसे अपके नीचे बछाथे रह:; और न तो दन म आकाश के प'झयHको, और न रात म बनैले पशुओं को उ(ह छूने दया। 11 जब अया क बीट: शाऊल क रखेली gरःपा के इस काम का समाचार आऊद को िमला, 12 तब दाऊद ने जाकर शाऊल और उसके पुऽ योनातन क ह']डयHको िगलाद: याबेश के लोगHसे ले िलया, 'ज(हHने उ(ह बेतशान के उस चौक से चुरा िलया या, जहां पिल'ँतयHने उ(ह उस दन टांगा या, जब उ(हHने शाऊल को िग`बो पहाड़ पर मार डाला या;

13 तो वह वहां से शाऊल और उसके पुऽ योनातन क ह']डयHको ले आया; और फांयी पाए हुओं क ह']डयां भी इक=ठq क गई। 14 और शाऊल और उसके पुऽ योनातन क ह']डयां ब(यामीन के दे श के जेला म शाऊल के पता कश के क़ॄःतान गाड़: गई; और दाऊद क सब आWाओं के अनुसार काम हुआ। और उसके बाद परमे र ने दे श के िलथे ूानाO सुन ली। 15 पिल'ँतयHने दॐाएल से फर युa कया, और दाऊद अपके जनHसमेत जाकर पिल'ँतयHसे लड़ने लगा; पर(तु दाऊद यक गया। 16 तब ियशबोबनोब, जो रपाई के वंश का या, और उसके भाले का फल तौल म तीन सौ शेकेल पीतल का या, और वह नई तलवार बा(धे हुए या, उस ने दाऊद को मारने को ठाना। 17 पर(तु सRयाह के पुऽ अबीशै ने दाऊद क सहाथता करके उस पिलँती को एसा मारा क वह मर गया। तब दाऊद के जनHने शपय खाकर उस से कहा, तू फर हमारे संग युa को जाने न पाएगा, ऐसा न हो क तेरे मरने से इॐाएल का दय बुफ जाए। 18 इसके बाद पिल'ँतयHके साय गोब म फर युa हुआ; उस समय हूशाई िसcबकै ने रपाईवंशी सप को मारा। 19 और गोब म पिल'ँतयHके साय फर युa हुआ; उस म बेतलेहेम वासी यारयोरगीम के पुऽ ए`हनान ने गती गो`यत को मार डाला, 'जसके बछ

क छड़ जोलाहे क डHगी के समान यी। 20 फर गत म भी युa हुआ, और वहां एक बड़: ड:ल का रपाईवंशी पुdष या, 'जसके एक एक हाथ पांव म , छ: छ: उं गली, अयाOत ् िगनती म चौबीस उं गिलयां यीं। 21 जब उस ने इॐाएल को ललकारा, तब दाऊद के भाई िशमा के पुऽ यहोनातान ने उसे मारा। 22 थे ह: चार गत म उस रपाई से उप(न हुए थे; और वे दाऊद और उसके जनHसे मार डाले गए।

2 शमूए ल 22 1 और 'जस समय यहोवा ने दाऊद को उसके सब शऽुओं और शाऊल के हाथ से बचाया या, तब उस ने यहोवा के िलथे इस गीत के वचन गाए; 2 उस ने कहा, यहोवा मेर: च=टान, और मेरा गढ़, मेरा छुड़ानेवाला, 3 मेरा च=टानRपी परमे र है , 'जसका मE शरणागत हँू , मेर: ढाल, मेरा बचानेवाला सींग, मेरा ऊंचा गढ़, और मेरा शरणःयान है , हे मेरे उaार काO, तू उपिव से मेरा उaार कया करता है । 4 मE यहोवा को जो ःतुित के योbय है पुकाRंगा, और अपके शऽुओं से बचाया जाऊंगा। 5 मृयु के तरं गHने तो मेरे चारHओर घेरा डाला, ना'ःतकपन क धाराओं ने मुझ को घबड़ा दया या; 6 अधोलोक क र'ःसयां मेरे चारHओर यीं, मृयु के फ(दे मेरे साSहने थे। 7 अपके संकट म मE ने यहोवा को पुकारा; और अपके परमे र के सSमुख िच`लाया। औ ंर उस ने मेर: बात को अपके म'(दर म से सुन िलया, और मेर: दोहाई उसके कानHम पहुंची। 8 तब पृवी हल गई और डोल उठq; और आकाश क नेव कांपकर बहुत ह: हल गई, यHक वह अित बोिधत हुआ या। 9 उसके नयनHसे धुआ ं िनकला, और उसके मुह ं से आग िनकलकर भःम करने लगी; 'जस से कोयले दहक उठे । 10 और वह ःवगO को फुकाकर नीचे उतर आया; और उसके पांवHके तले घोर अंधकार छाया या। 11 और वह कRब पर सवार होकर उड़ा, और पवन के पंखHपर चढ़कर दखाई दया। 12 और उस ने अपके चारHओर के अंिध कारने को, मेघHके समूह, और आकाश क काली घटाओं को अपना मणडप बनाया। 13 उसके सSमुख क फलक तो उसके आगे आगे यी, आग के कोयले दहक उठे । 14 यहोवा आकाश म से गरजा, और परमूधान ने अप क वाणी सुनाई। 15 उस ने तीर चला चलाकर मेरे शऽुओं को िततर बतर

कर दया, और बजली िगरा िगराकर उसको पराःत कर दया। 16 तब समुि क याह दखाई दे ने लगी, और जगत क नेव खुल गई, यह तो यहोवा क डांट से, और उसके नयनHक सांस क फHक से हुआ। 17 उस ने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे यांम िलया, और मुझे गहरे जल म से खींचकर बाहर िनकाला। 18 उस ने मुझे मेरे बलव(त शऽु से, और मेरे बैgरयHसे, जो मुझ से अिधक सामयीं थे, मुझे छुड़ा िलया। 19 उ(हHने मेर: वप के दन मेरा साSहना तो कया; पर(तु यहोवा मेरा आnय या। 20 और उस ने मुझे िनकालकर चौड़े ःयान म पहंु चाया; उस ने मुझ को छुड़ाया, यHक वह मुझ से ूस(न या। 21 यहोवा ने मुझ से मेरे धमO के अनुसार eयवहार कया; मेरे कामHक शुaता के अनुसार उस ने मुझे बदला दया। 22 यHक मE यहोवा के मागॉं पर चलता रहा, और अपके परमे र से मुह ं मोड़कर द ु न बना। 23 उसके सब िनयम तो मेरे साSहने बने रहे , और मE उसक विधयHसे हट न गया। 24 और मE उसके साय खरा बना रहा, और अधमO से अपके को बचाए रहा, 'जस म मेरे फंसने का डर या। 25 इसिलथे यहोवा ने मुझे मेरे धमO के अनुसार बदला दया, मेर: उस शुaता के अनुसार 'जसे वह दे खता या। 26 दयाव(त के साय तू अपके को दयाव(त दखाता; खरे पुdष के साय तू अपके को खरा दखाता है ; 27 शुa के साय तू अपके को शुa दखाता; और टे ढ़े के साय तू ितरछा बनता है । 28 और द:न लोगHको तो तू बचाता है , पर(तु अिभमािनयHपर l करके उ(ह नीचा करता है । 29 हे यहोवा, तू ह: मेरा द:पक है , और यहोवा मेरे अ'(ध कारने को दरू करके उ'जयाला कर दे ता है । 30 तेर: सहाथता से मE दल पर धावा करता, अपके परमे र क सहाथता से मE शहरपनाह को फांद जाता हँू । 31 ई र क गित खर: है ; यहोवा का वचन ताया हुआ है ; वह अपके सब

शरणागतHक ढाल है । 32 यहोवा को छोड़ या कोई ई र है ? हमारे परमे र को छोड़ या और कोई च=टान है ? 33 यह वह: ई र है , जो मेरा अित lढ़ क़ला है , वह खरे मनुंय को अपके मागO म िलए चलता है । 34 वह मेरे पैरHको हgर'णयHके से बना दे ता है , और मुझे ऊंचे ःयानHपर खड़ा करता है । 35 वह मेरे हाथHको युa करना िसखाता है , यहां तक क मेर: बांह पीतल के धनुष को फुका दे ती हE । 36 और तू ने मुझ को अपके उaार क ढाल द: है , और तेर: नॆता मुझे बढ़ाती है । 37 तू मेरे पैरHके िलथे ःयान चौड़ा करता है , और मेरे पैर नह:ं फसले। 38 मE ने अपके शऽुओं का पीछा करके उ(ह सयानाश कर दया, और जब तक उनका अ(त न कया तब तक न लौटा। 39 और मE ने उनका अ(त कया; और उ(ह

ऐसा छे द डाला है क वे उठ नह:ं सकते; वरन वे तो मेरे पांवHके नीचे िगरे पके हE । 40 और तू ने युa के िलथे मेर: कमर बलव(त क; और मेरे वरोिधयHको मेरे ह: साSहने पराःत कर दया। 41 और तू ने मेरे शऽुओं क पीठ मुझे दखाई, ताक मE अपके बैgरयHको काट डालू।ं 42 उ(हHने बाट तो जोह:, पर(तु कोई बचानेवाला न िमला; उ(हHने यहोवा क भी बाट जोह:, पर(तु उस ने उनको कोई उर न दया। 43 तब मE ने उनको कूट कूटकर भूिम क धूिल के समान कर दया, मE ने उ(ह सड़कHऔर गली कूचHक कचड़ के समान पटककर चारHओर फैला दया। 44 फर तू ने मुझे ूजा के फगड़Hसे छुड़ाकर अ(य जाितयHका ूधान होने के िलथे मेर: रझा क; 'जन लोगHको मE न जानता या वे भी मेरे आधीन हो जाएंगे। 45 परदे शी मेर: चापलूसी कर गे; वे मेरा नाम सुनते ह: मेरे वश म आएंगे। 46 परदे शी मुफाOएंगे, और अपके कोठHम से यरयराते हुए िनकल गे। 47 यहोवा जीवत है ; मेर: च=टान ध(य है , और परमे र जो मेरे उaार क च=टान है , उसक महमा

हो। 48 ध(य है मेरा पलटा लेनेवाला ई र, जो दे श दे श के लोगHको मेरे वश म

कर दे ता है , 49 और मुझे मेरे शऽुओं के बीच से िनकालता है ; हां, तू मुझे मेरे वरोिधयHसे ऊंचा करता है , और उपिवी पुdष से बचाता है । 50 इस कारण, हे यहोवा, मE जाित जाित के साSहने तेरा ध(यवाद कRंगा, और तेरे नाम का भजन गाऊंगा। 51 वह अपके ठहराए हुए राजा का बड़ा उaार करता है , वह अपके अिभषf दाऊद, और उसके वंश पर युगानुयग ु कdणा करता रहे गा। 2 शमूए ल 23 1 दाऊद के अ'(तम वचन थे हE : ियशै के पुऽ क यह वाणी है , उस पुdष क वाणी है जो ऊंचे पर खड़ा कया गया, और याकूब के परमे र का अिभषf, और इॐाएल का मधुर भजन गानेवाला है : 2 यहोवा का आमा मुझ म होकर बोला, और उसी का वचन मेरे मुह ं म आया। 3 इॐाएल के परमे र ने कहा है , इॐाएल क च=टान ने मुझ से बात क है , क मनुंयHम ूभुता करनेवाला एक धमीं होगा, जो परमे र का भय मानता हुआ ूभुता करे गा, 4 वह मानो भोर का ूकाश होगा जब सूयO िनकलता है , ऐसा भोर 'जस म बादल न हH, जैसा वषाO के बाद िनमOल ूकाश के कारण भूिम से हर: हर: घास उगती है । 5 या मेरा घराना ई र क l म ऐसा नह:ं है ? उस ने तो मेरे साय सदा क एक ऐसी वाचा बा(धी है , जो सब बातHम ठqक क हुई और अटल भी है । यHक चाहे वह उसको ूगट न करे , तौभी मेरा पूणO उaार और पूणO अिभलाषा का वषय वह: है । 6 पर(तु ओछे लोग सब के सब िनकSमी फाडय़Hके समान हE जो हाथ से पकड़: नह:ं जातीं; 7 और जो पुdष उनको छूए उसे लोहे और भाले क छड़ से सुस'Gजत होना चाहथे। इसिलथे वे

अपके ह: ःयान म आग से भःम कर दए जाएंगे। 8 दाऊद के शूरवीरHके नाम थे हE : अयाOत ् तहकमोनी योँशेcयँशेबेत, जो सरदारHम मु‡य या; वह एःनी अद:नो भी कहलाता या; 'जस ने एक ह: समय म आठ सौ पुdष मार डाले। 9 उसके बाद अहोह: दोदै का पुऽ एलीआज़र या। वह उस समय दाऊद के संग के तीनHवीरHम से या, जब क उ(हHने युa के िलथे एकऽत हुए पिल'ँतयHको ललकारा, और इॐाएली पुdष चले गए थे। 10 वह कमर बा(धकर पिल'ँतयHको तब तक मारता रहा जब तक उसका हाथ यक न गया, और तलवार हाथ से िचपट न गई; और उस दन यहोवा ने बड़: वजय कराई; और जो लोग उसके पीछे हो िलए वे केवल लूटने ह: के िलथे उसके पीछे हो िलए। 11 उसके बाद आगे नाम एक पहाड़: का पुऽ शSमा या। पिल'ँतयHने इक=ठे होकर एक ःयान म दल बा(धा, जहां मसूर का एक खेत या; और लोग उनके डर के मारे भागे। 12 तब उस ने खेत के म~य म

खड़े होकर उसे बचाया, और पिल'ँतयHको मार िलया; और यहोवा ने बड़: वजय दलाई। 13 फर तीसHमु‡य सरदारHम से तीन जन कटनी के दनHम दाऊद के पास अद` ु लाम नाम गुफ़ा म आए, और पिल'ँतयHका दल रपाईम नाम तराई म

छावनी कए हुए या। 14 उस समय दाऊद गढ़ म या; और उस समय पिल'ँतयHक चौक बे तलेहेम म यी। 15 तब दाऊद ने बड़: अिभलाषा के साय कहा, कौन मुझे बे तलेहेम के फाटक के पास के कुएं का पानी पलाएगा? 16 तो वे तीनHवीर पिल'ँतयHक छावनी म टू ट पके, और बेतलेहेम के फाटक के कुंए से पानी भरके दाऊद के पास ले आए। पर(तु उस ने पीने से इनकार कया, और यहोवा के साSहने अधO करके उणडे ला, 17 और कहा, हे यहोवा, मुझ से ऐसा काम दरू रहे । या मE उन मनुंयHका लोहू पीऊं जो अपके ूाणHपर खेलकर गए थे?

इसिलथे उस ने उस पानी को पीने से इनकार कया। इन तीन वीरHने तो थे ह: काम कए। 18 और अबीशै जो सRयाह के पुऽ योआब का भाई या, वह तीनHसे मु‡य या। उस ने अपना भाला चलाकर तीन सौ को मार डाला, और तीनHम नामी हो गया। 19 या वह तीनHसे अिधक ूितvत न या? और इसी से वह उनका ूधान हो गया; पर(तु मु‡य तीनHके पद को न पहंु चा। 20 फर यहोयादा का पुऽ बनायाह या, जो कबसेलवासी एक बड़े काम करनेवाले वीर का पुऽ या; उस ने िसंह सर:खे दो मोआबयHको मार डाला। और बफO के समय उस ने एक गड़हे म

उतरके एक िसंह को मार डाला। 21 फर उस ने एक Rपवान ् िमॐी पुdष को मार डाला। िमॐी तो हाथ म भाला िलए हुए या; पर(तु बनायाह एक लाठq ह: िलए हुए उसके पास गया, और िमॐी के हाथ से भाला को छqनकर उसी के भाले से उसे घात कया। 22 ऐसे ऐसे काम करके यहोयादा का पुऽ बनायाह उन तीनHवीरHम

नामी हो गया। 23 वह तीसHसे अिधक ूितvत तो या, पर(तु मु‡य तीनHके पद को न पहंु चा। उसको दाऊद ने अप क िनज सभा का सभासद िनयुf कया। 24 फर तीसHम योआब का भाई असाहे ल; बेतलेहेमी दोदो का पुऽ ए`हानान, 25 हे रोद: शSमा, और एलीका, पेलेती हे लेस, 26 तकोई इ केश का पुऽ ईरा, 27 अनातोती अबीएज़ेर, हूशाई मबु(ने, 28 अहोह: स`मोन, नतोपाह: महरै , 29 एक और नतोपाह: बाना का पुऽ हे लेब, ब(यामीिनयHके िगबा नगर के र:बै का पुऽ हुै, 30 परातोनी, बनायाह, गाश के नालHके पास रहनेवाला हXै , 31 अराबा का अबीअ`बोन, बहूर:मी अजमावे त, 32 शालबोनी ए`यहबा, याशेन के वंश म से योनातन, 33 पहाड़: शSमा, अरार: शारार का पुऽ अह:आम, 34 अहसबै का पुऽ एलीपेले माका दे श का, गीलोई अह:तोपेल का पुऽ एलीआम, 35 कSम ली हे ॐो,

अराबी पारै 36 सोबाई नातान का पुऽ ियगाल, गाद: बानी, 37 अSमोनी सेलेक, बे रोती नहरै को सRयाह के पुऽ योआब का हिययार ढोनेवाला या, 38 थेतेर: ईरा, और गारे ब, 39 और ही ऊgरयाह या: सब िमलाकर सै◌ै◌ंतीस थे। 2 शमूए ल 24 1 और यहोवा का कोप इॐाएिलयHपर फर भड़का, और उस ने दाऊद को इनक हािन के िलथे यह कहकर उभारा, क इॐाएल और यहूदा क िगनती ले। 2 सो राजा ने योआब सेनापित से जो उसके पास या कहा, तू दान से बेशब ॅ ा तक रहनेवाले सब इॐाएली गोऽ म इधर उधर घूम, और तुम लोग ूजा क िगनती लो, ताक मE जान लूं क ूजा क कतनी िगनती है । 3 योआब ने राजा से कहा, ूजा के लोग कतने ह: यHन हH, तेरा परमे र यहोवा उनको सौगुणा बढ़ा दे , और मेरा ूभु राजा इसे अप क आंखHसे दे खने भी पाए; पर(तु, हे मेरे ूभु, हे राजा, यह बात तू यHचाहता है ? 4 तौभी राजा क आWा योआब और सेनापितयHपर ूबल हुई। सो योआब और सेनापित राजा के सSमुख से इॐाएली ूजा क िगनती लेने को िनकल गए। 5 उ(हHने यरदन पार जाकर अरोएर नगर क दाहनी ओर डे रे खड़े कए, जो गाद के नाले के म~य म और याजेर क ओर है । 6 तब वे िगलाद म और तहतीSहोदशी नाम दे श म गए, फर दा(यान को गए, और च कर लगाकर सीदोन म पहंु चे; 7 तब वे सोर नाम lढ़ गढ़, और ह'cबयHऔर कनािनयHके सब नगरHम गए; और उ(हHने यहूदा दे श क द' खन दशा म बेश बा म दौरा िनपटाया। 8 और सब दे श म इधर उधर घूम घूमकर वे नौ मह:ने और बीस दन के बीतने पर यRशलेम को आए। 9 तब योआब ने ूजा क

िगनती का जोड़ राजा को सुनाया; और तलवार चलानेवाले योaा इॐाएल के तो आठ लाख, और यहूदा के पांच नाख िनकले। 10 ूजा क गणना करने के बाद दाऊद का मन eयाकुल हुआ। और दाऊद ने यहोवा से कहा, यह काम जो मE ने कया वह महापाप है । तो अब, हे यहोवा, अपके दास का अधमO दरू कर; यHक मुझ से बड़: मूखOता हुई है । 11 बहान को जब दाऊद उठा, तब यहोवा का यह वचन गाद नाम नबी के पास जो दाऊद का दशीं या पहुंचा, 12 क जाकर दाऊद से कह, क यहोवा यHकहता है , क मE तुझ को तीन वपयां दखाता हँू ; उन म से एक को चुन ले, क मE उसे तुझ पर डालू।ं 13 सो गाद ने दाऊद के पास जाकर इसका समाचार दया, और उस से पूछा, या तेरे दे श म सात वषO का अकाल पके? वा तीन मह:ने तक तेरे शऽु तेरा पीछा करते रह और तू उन से भागता रहे ? वा ते रे दे श म तीन दन तक मर: फैली रहे ? अब सोच वचार कर, क मE अपके भेजनेवाले को या उर दं ।ू 14 दाऊद ने गाद से कहा, मै बड़े संकट म हँू ; हम यहोवा के हाथ म पक , यHक उसक दया बड़: है ; पर(तु मनुंय के हाथ म मE न पडू ं गा। 15 तब यहोवा इॐाएिलयHम बहान से ले ठहराए हुए समय तक मर: फैलाए रहा; और दान से लेकर बेशब ॅ ा तक रहनेवाली ूजा म से सर हज़ार पुdष मर गए। 16 पर(तु जब दत ू ने यRशलेम का नाश करने को उस पर अपना हाथ बढ़ाया, तब यहोवा वह वप डालकर शोकत हुआ, और ूजा के नाश करनेवाले दत ू से कहा, बस कर; अब अपना हाथ खींच। और यहोवा का दत ू उस समय अरौना नाम एक यबूसी के खिलहान के पास या। 17 तो जब ूजा का नाश करनेवाला दत ू दाऊद को दखाई पड़ा, तब उस ने यहोवा से कहा, दे ख, पाप तो मE ह: ने कया, और कुटलता मE ह: ने क है ; पर(तु इन भेड़Hने या कया है ? सो

तेरा हाथ मेरे और मेरे पता के घराने के वda हो। 18 उसी दन गाद ने दाऊद के पास आकर उस से कहा, जाकर अरौना यबूसी के खिलहान म यहोवा क एक वेद: बनवा। 19 सो दाऊद यहोवा क आWा के अनुसार गाद का वह वचन मानकर वहां गया। 20 जब अरौना ने l कर दाऊद को कमOचाgरयो समेत अप क ओर आते दे खा, तब अरौना ने िनकलकर भूिम पर मुह के बल िगर राजा को दणडवत ् क। 21 और अरौना ने कहा, मेरा ूभु राजा अपके दास के पास यHपधारा है ? आऊद ने कहा, तुझ से यह खिलहान मोल लेने आया हँू , क यहोवा क एक बेद: बनवाऊं, इसिलथे क यह eयािध ूजा पर से दरू क जाए। 22 अरौनर ने दाऊद से कहा, मेरा ूभु राजा जो कुछ उसे अ.छा लगे सो लेकर चढ़ाए; दे ख, होमबिल के िलथे तो बैल हE , और दांचने के हिययार, और बैलHका सामान ईधन का काम द गे। 23 यह सब अरौना ने राजा को दे दया। फर अरौना ने राजा से कहा, तेरा परमे र यहोवा तुझ से ूस(न होए। 24 राजा ने अरौना से कहा, ऐसा नह:ं, मै थे वःतुएं तुझ से अवँय दाम दे कर लूग ं ा; मE अपके परमे र यहोवा को स तम त के होमबिल नह:ं चढ़ाने का। सो दाऊद ने खिलहान और बैलHको चांद: के पचास शेकेल प मोल िलया। 25 और दाऊद ने वहां यहोवा क एक बेद: बनवाकर होमबिल और मेलबिल चढ़ाए। और यहोवा ने दे श के िनिम बनती सुन ली, तब वह eयािध इॐाएल पर से दरू हो गई। 1 राजा 1 1 दाऊद राजा बूढ़ा वरन बहुत पुरिनया हुआ; और यrप उसको कपके ओढ़ाथे जाते थे, तौभी वह गमO न होता या। 2 सो उसके कमOचाgरयHने उस से कहा, हमारे

ूभु राजा के िलथे कोई जवान कुंवार: ढू ं ढ़: जाए, जो राजा के सSमुख रहकर उसक सेवा कया करे और ते रे पास लेटा करे , क हमारे ूभु राजा को गमीं पहंु चे। 3 तब उ(हHने समःत इॐाएली दे श म सु(दर कुंवार: ढू ं ढ़ते ढू ं ढ़ते अबीशग नाम एक शूनेिमन को पाया, और राजा के पास ले आए। 4 वह क(या बहुत ह: सु(दर यी; और वह राजा क दासी होकर उसक सेवा करती रह:; पर(तु राजा उस से सहबास न हुआ। 5 तब हbगीत का पुऽ अदोिनयाह िसर ऊंचा करके कहने लगा क मE राजा हंू गा; सो उस ने रय और सवार और अपके आगे आगे दौड़ने को पचास पुdष रख िलए। 6 उसके पता ने तो ज(म से लेकर उसे कभी यह कहकर उदास न कया या क तू ने ऐसा यHकया। वह बहुत Rपवान या, और अबशालोम के पीछे उसका ज(म हुआ या। 7 और उस ने सRयाह के पुऽ योआब से और एcयातार याजक से बातचीत क, और उ(हHने उसके पीछे होकर उसक सहाथता क। 8 पर(तु सादोक याजक यहोयादा का पुऽ बनायाह, नातान नबी, िशमी रे ई, और दाऊद के शूरवीरHने अदोिनयाह का साय न दया। 9 और अदोिनयाह ने जोहे लेत नाम पे के पास जो एनरोगेल के िनकट है , भेड़-बैल और तैयार कए हुए पशू बिल कए, और अपके भाई सब राजकुमारHको, और राजा के सब यहूद: कमOचाgरयHको बुला िलया। 10 पर(तु नातान नबी, और बनायाह और शूरवीरHको और अपके भाई सुलम ै ान को उस ने न बुलाया। 11 तब नातान ने सुलम ै ान क माता बतशेबा से कहा, या तू ने सुना है क हbगीत का पुऽ अदोिनयाह राजा बन बैठा है और हमारा ूभु दाऊद हसे नह:ं जानता? 12 इसिलथे अब आ, मE तुझे ऐसी सSमित दे ता हँू , 'जस से तू अपना और अपके पुऽ सुलम ै ान का ूाण बचाए। 13 तू दाऊद राजा के पास जाकर, उस से यHपूछ, क हे

मेरे ूभु ! हे राजा ! या तू ने शपय खाकर अप क दासी से नह:ं कहा, क तेरा पुऽ सुलम ै ान मेरे पीछे राजा होगा, और वह मेर: राजगX: पर वराजे गा? फर अदोिनयाह यHराजा बन बैठा है ? 14 और जब तू वहां राजा से ऐसी बात करती रहे गी, तब मE तेरे पीछे आकर, तेर: बातHको पु कRंगा। 15 तब बतशेबा राजा के पास कोठर: म गई; राजा तो बहुत बूढ़ा या, और उसक सेवा टहल शूनेिमन अबीशग करती यी। 16 और बतशेबा ने फुककर राजा को दणडवत ् क, और राजा ने पूछा, तू या चाहती है ? 17 उस ने उर दया, हे मेरे ूभु, तू ने तो अपके परमे र यहोवा क शपय खाकर अप क दासी से कहा या क तेरा पुऽ सुलम ै ान मेरे पीछे राजा होगा और वह मेर: गX: पर वराजेगा। 18 अब दे ख अदोिनयाह राजा बन बैठा है , और अब तक मेरा ूभु राजा इसे नह:ं जानता। 19 और उस ने बहुत से बैल तैयार कए, पशु और भेड़ बिल कं, और सब राजकुमारHक और एcयातार याजक और योआब सेनापित को बुलाया है , पर(तु तेरे दास सुलम ै ान को नह:ं बुलाया। 20 और हे मेरे ूभु ! जे राजा ! सब इसाएली तुझे ताक रहे हE क तू उन से कहे , क हमारे ूभु राजा क गX: पर उसके पीछे कौन बैठेगा। 21 नह:ं तो जब हमारा ूभु राजा, अपके पुरखाओं के संग सोएगा, तब मE और मेरा पुऽ सुलम ै ान दोनHअपराधी िगने जाएंगे। 22 यHबतशेबा राजा से बात कर ह: रह: यी, क नातान नबी भी आ गया। 23 और राजा से कहा गया क नातान नबी हा'ज़र है ; तब वह राजा के सSमुख आया, और मुह के बल िगरकर राजा को दणडवत ् क। 24 और नातान कहने लगा, हे मेरे पभु, हे राजा ! या तू ने कहा है , क अदोिनयाह मेरे पीछे राजा होगा और वह मेर: गX: पर वराजेगा? 25 दे ख उस ने आज नीचे जाकर बहुत से बैल, तैयार कए हुए पशु और भेड़ बिल क हE , और सब

राजकुमारHऔर सेनापितयHको और एcयातार याजक को भी बुलािलया है ; और वे उसके सSमुख खाते पीते हुए कह रहे हE क अदोिनयाह राजा जीवत रहे । 26 पर(तु मुझ तेरे दास को, और सादोक याजक और यहोयादा के पुऽ बनायाह, और तेरे दास सुलम ै ान को उस ने नह:ं बुलाया। 27 या यह मेरे ूभु राजा क ओर से हुआ? तू ने तो अपके दास को यह नह:ं जताया है , क ूभु राजा क गX: पर कौन उसके पीछे वराजेगा। 28 दाऊद राजा ने कहा, बतशेबा को मेरे पास बुला लाओ। तब वह राजा के पास आकर उसके साSहने खड़: हुई। 29 राजा ने शपय खाकर कहा, यहोवा जो मेरा ूाण सब जो'खमHसे बचाता आया है , 30 उसके जीवन क शपय, जैसा मE ने तुझ से इॐाएल के परमे र यहोवा क शपय खाकर कहा या, क तेरा पुऽ सुलम ै ान मेरे पीछे राजा होगा, और वह मेरे बदले मेर: गX: पर वराजेगा, वैसा ह: मE िन_य आज के दन कRंगा। 31 तब बतशेबा ने भूिम पर मुह ं के बल िगर राजा को दणडवत ् करके कहा, मेरा ूभु राजा दाऊद सदा तक जीवत रहे ! 32 तब दाऊद राजा ने कहा, मेरे पास सादोक याजक नातान नबी, अहोयादा के पुऽ बनायाह को बुला लाओ। सो वे राजा के साSहने आए। 33 राजा ने उन से कहा, अपके ूभु के कमOचाgरयो को साय लेकर मेरे पुऽ सुलम ै ान को मेरे िनज ख.चर पर चढ़ाओ; और गीहोन को ले जाओ; 34 और वहां सादोक याजक और नातान नबी इॐाएल का राजा होने को उसका अिभषेक कर ; तुब तुम सब नरिसंगा फूंककर कहना, राजा सुलम ै ान जीवत रहे । 35 और तुम उसके पीछे पीछे इधर आना, और वह उाकर मेरे िसंहासन पर वराजे, यHक मेरे बदले म

वह: राजा होगा; और उसी को मE ने इॐाएल और यहूदा का ूधान होने को ठहराया है । 36 तब यहोयादा के पुऽ बनायाह ने कहा, आमीन ! मेरे ूभु राजा का

परमे र यहोवा भी ऐसा ह: कहे । 37 'जस र:ित यहोवा मेरे ूभु राजा के संग रहा, उसी र:ित वह सुलम ै ान के भी संग रहे , और उसका राGय मेरे ूभु दाऊद राजा के राGय से भी अिधक बढ़ाए। 38 तब सादोक याजक और नातान नबी और यहोयादा का पुऽ बनायाह करे ितयHऔर पकेितयHको संग िलए हुए नीचे गए, और सुलम ै ान को राजा दाऊद के ख.चर पर चढ़ाकर गीहोन को ले चले। 39 तब सादोक याजक ने यहोवा के तSबू म से तेल भरा हुआ सींग िनकाला, और सुलम ै ान का राGयािभषेक कया। और वे नरिसंगे फूंकने लगे; और सब लोग बोल उठे , राजा सुलम ै ान जीवन रहे । 40 तब सब लोग उसके पीछे पीछे बांसल ु ी बजाते और इतना बड़ा आन(द करते हुए ऊपर गए, क उनक ~विन से पृवी डोल उठq। 41 जब अदोिनयाह और उसके सब नेवतहर: खा चुके थे, तब यह ~विन उनको सुनाई प क। और योआब ने नरिसंगे का शcद सुनकर पूछा, नगर म

हलचल और िच`लाहट का शcद यHहो रहा है ? 42 वह यह कहता ह: या, क एcयातार याजक का पुऽ योनातन आया और अदोिनयाह ने उस से कहा, भीतर आ; तू तो भला मनुंय है , और भला समाचार भी लाया होगा। 43 योनातन ने अदोिनयाह से कहा, सचमुच हमारे ूभु राजा दाऊद ने सुलम ै ान को राजा बना दया। 44 और राजा ने सादोक याजक, नातान नबी और यहोयादा के पुऽ बनायाह और करे ितयHऔर पकेितयHको उसके संग भेज दया, और उ(हHने उसको राजा के ख.चर पर चढ़ाया है । 45 और सादोक याजक, और नातान नबी ने गीहोन म उसका राGयािभषेक कया है ; और वे वहां से ऐसा आन(द करते हुए ऊपर गए हE क नगर म हलचल मच गई, और जो शcद तुम को सुनाई पड़ रहा है वह: है । 46 सुलम ै ान राजगX: पर वराज भी रहा है । 47 फर राजा के कमOचार:

हमारे ूभु दाऊद राजा को यह कहकर ध(य कहने आए, क तेरा परमे र, सुलम ै ान का नाम, तेरे नाम से भी महान करे , और उसका राGय तेरे राGय से भी अिधक बढ़ाए; और राजा ने अपके पलंग पर दणडवत ् क। 48 फर राजा ने यह भी कहा, क इॐाएल का परमे र यहोवा ध(य है , 'जस ने आज मेरे दे खते एक को मेर: गX: पर वराजमान कया है । 49 तब 'जतने नेवतहर: अदोिनयाह के संग थे वे सब यरयरा गए, और उठकर अपना अपना मागO िलया। 50 और अदोिनयाह सुलम ै ान से डर कर अठा, और जाकर वेद: के सींगHको पकड़ िलया। 51 तब सुलम ै ान को यह समाचार िमला क अदोिनयाह सुलम ै ान राजा से ऐसा डर गया है क उस ने वेद: के सींगHको यह कहकर पकड़ िलया है , क आज राजा सुलम ै ान शपय खाए क अपके दास को तलवार से न मार डालेगा। 52 सुलम ै ान ने कहा, यद वह भलमनसी दखाए तो उसका एक बाल भी भूिम पर िगरने न पाएगा, पर(तु यद उस म द ु ता पाई जाए, तो वह मारा जाएगा। 53 तब राजा सुलम ै ान ने लोगHको भेज दया जो उसको वेद: के पास से उतार ले आए तब उस ने आकर राजा सुलम ै ान को दणडवत ् क और सुल◌ ै ेमान ने उस से कहा, अपके घर चला जा। 1 राजा 2 1 जब दाऊद के मरने का समय िनकट आया, तब उस ने अपके पुऽ सुलम ै ान से कहा, 2 क मE लोक क र:ित पर कूच करनेवाला हूँ इसिलथे तू हयाब बांधकर पुdषायO दखा। 3 और जो कुछ तेरे परमे र यहोवा ने तुझे सxपा है , उसक रझा करके उसके मागॉं पर चला करना और जैसा मूसा क eयवःया म िलखा है , वैसा

ह: उसक विधयHतया आWाओं, और िनयमH, और िचतौिनयHका पालन करते रहना; 'जस से जो कुछ तू करे और जहां कह:ं तू जाए, उस म तू सफल होए; 4 और यहोवा अपना वह वचन पूरा करे जो उस ने मेरे वषय म कहा या, क यद तेर: स(तान अप क चाल के वषय म ऐसे सावधान रह , क अपके सSपूणO ॑ृदय और सSपूणO ूाण से स.चाई के साय िनत मेरे सSमुख चलते रह तब तो इॐाएल क राजगX: पर वराजनेवाले क, ते रे कुल पgरवार म घट: कभी न होगी। 5 फर तू ःवयं जानता है , क सRयाह के पुऽ योआब ने मुझ से या या कया ! अयाOत ् उस ने नेर के पुऽ अcनेर, और थेतेर के पुऽ अमासा, इॐाएल के इन दो सेनापितयHसे या या कया। उस ने उन दोनHको घात कया, और मेल के सपय युa का लोहू बहाकर उस से अप क कमर का कमरब(द और अपके पावHक जूितयां िभगो द:ं। 6 इसिलथे तू अप क बुa से काम लेना और उस प के बालवाले को अधोलोक म शांित से उतरने न दे ना। 7 फर िगलाद: ब'ज`ल‹ के पुऽHपर कृपा रखना, और वे तेर: मेज पर खानेवालHम रह , यHक जब मE तेरे भाई अबशालोम के साSहने से भागा जा रहा या, तब उ(हHने मेरे पास आकर वैसा ह: कया या। 8 फर सुन, तेरे पास ब(यामीनी गेरा का पुऽ बहूर:मी िशमी रहता है , 'जस दन मE महनैम को जाता या उस दन उस ने मुझे कड़ाई से शाप दया या पर जब वह मेर: भ ट के िलथे यरदन को आया, तब मE ने उस से यहोवा क यह शपय खाई, क मE तु◌ुफे तलवार से न मार डालूग ं ा। 9 पर(तु अब तू इसे िनदॉष न ठहराना, तू तो बुaमान पुdष है ; तुझे मालूम होगा क उसके साय या करना चाहथे, और उस प के बालवाले का लोहू बहाकर उसे अधोलोक म उतार दे ना। 10 तब दाऊद अपके पुरखाओं के संग सो गया और दाऊदमुर म उसे िम=ट: द:

गई। 11 दाऊद ने इॐाएल पर चालीस वषO राGय कया, सात वषO तो उस ने हॄोन म और तEतीस वषO यRशलेम म राGय कया या। 12 तब सुलम ै ान अपके पता दाऊद क गX: पर वराजमान हुआ और उसका राGय बहुत lढ़ हुआ। 13 और हbगीत का पुऽ अदोिनयाह, सुलम ै ान क माता बतशेबा के पास आया, और बतशेबा ने पूछा, या तू िमऽभाव से आता है ? 14 उस ने उर दया, हां, िमऽभाव से ! फर वह कहने लगा, मुझे तुझ से एक बात कहनी है । उस ने कहा, कह ! 15 उस ने कहा, तुझे तो मालूम है क राGय मेरा हो गया या, और समःत इॐाएली मेर: ओर मुह ं कए थे, क मE राGय कRं; पर(तु अब राGय पलटकर मेरे भाई का हो गया है , यHक वह यहोवा क ओर से उसको िमला है । 16 इसिलथे अब मE तुझ से एक बात मांगता हूँ, मुझ से नाह: न करना उस ने कहा, कहे जा। 17 उस ने कहा, राजा सुलम ै ान तुझ से नाह: न करे गा; इसिलथे उस से कह, क वह मुझे शूनेिमन अबीशग को cयाह दे । 18 बतशेबा ने कहा, अ.छा, मE तेरे िलथे राजा से कहंू गी। 19 तब बतशेबा अदोिनयाह के िलथे राजा सुलम ै ान से बातचीत करने को उसके पास गई, और राजा उसक भ ट के िलथे उठा, और उसे दणडवत ् करके अपके िसंहासन पर बैठ गया: फर राजा ने अप क माता के िलथे एक िसंहासन रख दया, और वह उसक दाहनी ओर बैठ गई। 20 तब वह कहने लगी, मE तुझ से एक छोटा सा वरदान मांगती हँू इसिलथे पुफ से नाह: न करना, राजा ने कहा, हे माता मांग; मE तुझ से नाह: न कRंगा। 21 उस ने कहा, वह शूनेिमन अबीशग तेरे भाई अदोिनयाह को cयाह द: जाए। 22 राजा सुलम ै ान ने अप क माता को उर दया, तू अदोिनयाह के िलथे शूनेिमन अबीशग ह: को यो मांगती है ? उसके िलथे राGय भी मांग, यHक वह तो मेरा बड़ा भाई है , और उसी के िलथे

या ! एcयातार याजक और सRयाह के पुऽ योआब के िलथे भी मांग। 23 और राजा सुलम ै ान ने यहोवा क शपय खाकर कहा, यद अदोिनयाह ने यह बात अपके ूाण पर खेलकर न कह: हो तो परमे र मुझ से वैसा ह: या वरन उस से भी अिधक करे । 24 अब यहोवा 'जस ने पुफे 'ःयर कया, और मेरे पता दाऊद क राजगX: पर वराजमान कया है और अपके वचन के अनुसार मेरे घर बसाया है , उसके जीपन क शपय आज ह: अदोिनयाह मार डाला जाएगा। 25 और राजा सुलम ै ान ने यहोयादा के पुऽ बनायाह को भेज दया और उस ने जाकर, उसको ऐसा मारा क वह मर गया। 26 और एcयातार याजक से राजा ने कहा, अनातोत म अप क भूिम को जा; यHक तू भी ूाणदणड के योbय है । आज के दन तो मE तुझे न मार डालूग ं ा, यHक तू मेरे पता दाऊद के साSहने ूभु यहोवा का स(दक ू उठाया करता या; और उन सब द:ु खHम जो मेरे पता पर पके थे तू भी द:ु खी या। 27 और सुलम ै ान ने एcयातार को यहोवा के याजक होने के पद से उतार दया, इसिलथे क जो वचन यहोवा ने एली के वंश के वषय म शीलो म कहा या, वह पूरा हो जाए। 28 इसका समाचार योआब तक पहुंचा; योआब अबशालोम के पीछे तो नह:ं हो िलया या, पर(तु अदोिनयाह के पीछे हो िलया या। तब योआब यहोवा के तSबू को भाग गया, और वेद: के सींगHको पकड़ िलया। 29 जब राजा सुलम ै ान को यह समाचार िमला, क योआब यहोवा के तSबू को भाग गया है , और वह वेद: के पास है , तब सुलम ै ान ने यहोयादा के पुऽ बनायाह को यह कहकर भेज दया, क तू जाकर उसे मार डाल। 30 तब बनायाह ने यहोवा के तSबू के पास जाकर उससे कहा, राजा क यह आWा है , क िनकल आ। उस ने कहा, नह:ं, मE यह:ं मर जाऊंगा। तब बनायाह ने लौटकर यह स(दे श राजा को दया क

योआब ने मुझे यह उर दया। 31 राजा ने उस से कहा, उसके कहने के अनुसार उसको मार डाल, और उसे िम=ट: दे ; ऐसा करके िनदॉषHका जो खून योआब ने कया है , उसका दोष तू मुझ पर से और मेरे पता के घराने पर से दरू करे गा। 32 और यहोवा उसके िसर वह खून लौटा दे गा यHक उस ने मेरे पता दाऊद के बना जाने अपके से अिधक धमीं और भले दो पुdषHपर, अयाOत ् इॐाएल के ूधान सेनापित नेर के पुऽ अcनेर और यहूदा के ूधान सेनापित थेतेर के पुऽ अमासा पर टू टकर उनको तलवार से मार डाला या। 33 यHयोआब के िसर पर और उसक स(तान के िसर पर खून सदा तक रहे गा, पर(तु दाऊद और उसके वंश और उसके घराने और उसके राGय पर यहोवा क ओर से शांित सदै व तक रहे गी। 34 तब यहोयादा के पुऽ बनायाह ने जाकर योआब को मार डाला; और उसको जंगल म उसी के घर म िम=ट: द: गई। 35 तब राजा ने उसके ःयान पर यहोयादा के पुऽ बनायाह को ूधान सेनापित ठहराया; और एcयातार के ःयान पर सादोक याजक को ठहराया। 36 और राजा ने िशमी को बुलवा भेजा, और उस से कहा, तू यRशलेम म अपना एक घर बनाकर वह:ं रहना: और नगर से बाहर कह:ं न जाना। 37 तू िन_य जान रख क 'जस दन तू िनकलकर किोन नाले के पार उतरे , उसी दन तू िन:स(दे ह मार डाला जाएगा, और तेरा लोहू ते रे ह: िसर पर पकेगा। 38 िशमी ने राजा से कहा, बात अ.छq है ; जैसा मेरे ूभु राजा ने कहा है , वैसा ह: तेरा दास करे गा। तब िशमी बहुत दन यRशलेम म रहा। 39 पर(तु तीन वषO के eयतीत होने पर िशमी के दो दास, गत नगर के राजा माका के पुऽ आकश के पास भाग गए, और िशमी को यह समाचार िमला, क तेरे दास गत म हE । 40 तब िशमी उठकर अपके गदहे पर काठq कसकर, अपके दास को ढू ं ढ़ने के िलथे

गत को आकश के पास गया, और अपके दासHको गत से ले आया। 41 जब सुलम ै ान राजा को इसका समाचार िमला, क िशमी यRशलेम से गत को गया, और फर लौट आया है , 42 तब उस ने िशमी को बुलवा भेजा, और उस से कहा, या मE ने तुझे यहोवा क शपय न 'खलाई यी? और तुझ से िचताकर न कहा या, क यह िन_य जान रख क 'जस दन तू िनकलकर कह:ं चला जाए, उसी दन तू िन:स(दे ह मार डाला जाएगा? और या तू ने मुझ से न कहा या, क जो बात मE ने सुनी, वह अ.छq है ? 43 फर तू ने यहोवा क शपय और मेर: lढ़ आWा यHनह:ं मानी? 44 और राजा ने िशमी से कहा, क तू आप ह: अपके मन म उस सब द ु ता को जानता है , जो तू ने मेरे पता दाऊद से क यी? इसिलथे यहोवा तेरे िसर पर तेर: द ै ान ध(य रहे गा, और दाऊद का ु ता लौटा दे गा। 45 पर(तु राजा सुलम राGय यहोवा के साSहने सदै व lढ़ रहे गा। 46 तब राजा ने यहोयादा के पुऽ बनायाह को आWा द:, और उस ने बाहर जाकर, उसको ऐसा मारा क वह भी मर गया। और सुलम ै ान के हाथ मे राGय lढ़ हो गया। 1 राजा 3 1 फर राजा सुलम ै ान िमॐ के राजा फ़रौन क बेट: को cयाह कर उसका दामाद बन गया, और उसको दाऊदपुर म लाकर जब नक अपना भवन और यहोवा का भवन और यRशलेम के चारHओर क शहरपनाह न बनवा चुका, तब तक उसको वह:ं रखा। 2 यHक ूजा के लोग तो ऊंचे ःयानHपर बिल चढ़ाते थे और उन दनHतक यहोवा के नाम का कोई भपन नह:ं बना या। 3 सुलम ै ान यहोवा से ूेम रखता या और अपके पता दाऊद क विधयHपर चलता तो रहा, पर(तु वह ऊंचे

ःयानHपर भी बिल चढ़ाया और धूप जलाया करता या। 4 और राजा िगबोन को बिल चढ़ाने गया, यHक मु‡य ऊंचा ःयान वह: या, तब वहां क वेद: पर सुलम ै ान ने एक हज़ार होमबिल चढ़ाए। 5 िगबोन म यहोवा ने रात को ःव€न के kारा सुलम ै ान को दशOन दे कर कहा, जो कुछ तू चाहे क मE तुझे दं ,ू वह मांग। 6 सुलम ै ान ने कहा, तू अपके दास मेरे पता दाऊद पर बड़: कdणा करता रहा, यHक वह अपके को तेरे सSमुख जानकर तेरे साय स.चाई और धमO और मनक सीधाई से चलता रहा; और तू ने यहां तक उस पर कdणा क यी क उसे उसक गX: पर बराजनेवाला एक पुऽ दया है , जैसा क आज वतOमान है । 7 और अब हे मेरे परमे र यहोवा ! तूने अपके दास को मेरे पता दाऊद के ःयान पर राजा कया है , पर(तु मE छोटा लड़का सा हूँ जो भीतर बाहर आना जाना नह:ं जानता। 8 फर तेरा दास ते र: चुनी हुई ूजा के बहुत से लोगHके म~य म है , 'जनक िगनती बहुतायत के मारे नह:ं हो सकती। 9 तू अपके दास को अप क ूजा का (याय करने के िलथे समझने क ऐसी शf दे , क मE भले बुरे को परख सकूं; यHक कौन ऐसा है क तेर: इतनी बड़: ूजा का (याय कर सके? 10 इस बात से ूभु ूस(न हुआ, क सुलम ै ान ने ऐसा वरदान मांगा है । 11 तब परमे र ने उस से कहा, इसिलथे क तू ने यह वरदान मांगा है , और न तो द:धOयु और न धन और न अपके शऽुओं का नाश मांगा है , पर(तु सपफने के ववेक का वरदान मांगा है इसिलथे सुन, 12 मE तेरे वचन के अनुसार करता हूँ, तुझे बुa और ववेक से भरा मन दे ता हँू , यहा तक क तेरे समान न तो तुझ से पहले कोई कभी हुआ, और न बाद म कोई कभी होगा। 13 फर जो तू ने नह:ं मांगा, अयाOत ् धन और महमा, वह भी मE तुझे यहां तक दे ता हँू , क तेरे जीवन भर कोई राजा तेरे तु`य

न होगा। 14 फर यद तू अपके पता दाऊद क नाई मेरे मागॉं म चलता हुआ, मेर: विधयHऔर आWाओं को मानता रहे गा तो मE तेर: आयु को बढ़ाऊंगा। 15 तब सुलम ै ान जाग उठा; और दे खा क यह ःव€न या; फर वह यRशलेम को गया, और यहोवा क वाचा के स(दक ू के साSहने खड़ा होकर, होमबिल और मेलबिल चढ़ाए, और अपके सब कमOचाgरयHके िलथे जेवनार क। 16 उस समय दो वेँयाएं राजा के पास आकर उसके सSमुख खड़: हुई। 17 उन म से एक \ी कहने लगी, हे मेरे ूभु ! मE और यह \ी दोनHएक ह: घर म रहती हE ; और इसके संग घर म रहते हुए मेरे एक ब.चा हुआ। 18 फर मेरे ज़.चा के तीन दन के बाद ऐसा हुआ क यह \ी भी ज.चा हो गई; हम तो संग ह: संग यीं, हम दोनHको छोड़कर घर म और कोई भी न या। 19 और रात म इस \ी का बालक इसके नीचे दबकर मर गया। 20 तब इस ने आधी रात को उठकर, जब तेर: दासी सो ह: रह: यी, तब मेरा लड़का मेरे पास से लेकर अप क छाती म रखा, और अपना मरा हुआ बालक मेर: छाती म िलटा दया। 21 भोर को जब मE अपना बालक दध ू पलाने को उठq, तब उसे मरा हुआ पाया; पर(तु भोर को मE ने ~यान से यह दे खा, क वह मेरा पुऽ नह: है । 22 तब दस ू र: \ी ने कहा, नह:ं जीवत पुऽ मेरा है , और मरा पुऽ तेरा है । पर(तु वह कहती रह:, नह:ं मरा हुआ तेरा पुऽ है और जीवत मेरा पुऽ है , यHवे राजा के साSहने बात करती रह:। 23 राजा ने कहा, एक तो कहती है जो जीवत है , वह: मेरा पुऽ है , और मरा हुआ तेरा पुऽ है ; और दस ू र: कहती है , नह:ं, जो मरा है वह: तेरा पुऽ है , और जो जीवत है , वह मेरा पुऽ है । 24 फर राजा ने कहा, मेरे पास तलवार ले आओ; सो एक तलवार राजा के साSहने लाई गई। 25 तब राजा बोला, जीवते बालक को दो टु कड़े करके आधा इसको

और आधा उसको दो। 26 तब जीवत बालक क माता का मन अपके बेटे के ःनेह से भर आया, और उस ने राजा से कहा, हे मेरे ूभु ! जीवत बालक उसी को दे ; पर(तु उसको कसी भांित न मार। दस ू र: \ी ने कहा, वह न तो मेरा हो और न तेरा, वह दो टु कड़े कया जाए। 27 तब राजा ने कहा, पहली को जीवत बालक दो; कसी भांित उसको न पारो; यHक उसक माता वह: है । 28 जो (याय राजा ने चुकाया या, उसका समाचार समःत इॐाएल को िमला, और उ(हHने राजा का भय माना, यHक उ(हHने यह दे खा, क उसके मन म (याय करने के िलथे परमे र क बुa है । 1 राजा 4 1 राजा सुलम ै ान तो समःत इॐाएल के ऊपर राजा िनयुf हुआ या। 2 और उसके हाकम थे थे, अयाOत ् सादोक का पुऽ अजयाOह याजक, और शीशा के पुऽ एलीहोरोप और अहयाह ोधान मंऽी थे। 3 अह:लूद का पुऽ यहोशापात, इितहास का लेखक या। 4 फर यहोयादा का पुऽ बनायाह ूधान सेनापित या, और सादोक और एcयातार याजक थे ! 5 और नातान का पुऽ अजयाOह भणडाgरयHके ऊपर या, और नातान का पुऽ जाबूद याजक, और राजा का िमऽ भी या। 6 और अह:शार राजपgरवार के ऊपर या, और अcदा का पुऽ अदोनीराम बे गारHके ऊपर मु'खया या। 7 और सुलम ै ान के बारह भणडार: थे, जो समःत इॐाएिलयHके अिध कारनेी होकर राजा और उसके घराने के िलथे भोजन का ूब(ध करते थे। एक एक पुdष ूित वषO अपके अपके िनयुf मह:ने म ूब(ध करता या। 8 और उनके नाम थे थे, अयाOत ् एूैम के पहाड़: अेश म बे(हूर। 9 और

माकस, शा`बीम बेतशेमेश और एलोनबेयानान म बे(दे केर या। 10 अdcबोत म

बे (हे सेद 'जसके अिध कारने म सौको और हे पेर का समःत दे श या। 11 दोर के समःत ऊंचे दे श म बेनबीनादाब 'जसक \ी सुलम ै ान क बे ट: नापत यी। 12 और अह:लूद का पुऽ बाना 'जसके अिध कारने म तानाक, मिगXो और बे तशान का वह सब दे श या, जो सारतान के पास और ियळेल के नीचे और ूे तशान से ले आबेलमहोला तक अयाOत ् योकमाम क परली ओर तक है । 13 और िगला के रामोत म बेनगेबेर या, 'जसके अिध कारने म मनँशेई याईर के िगलाद के गांव थे, अयाOत ् इसी के अिध कारने म बाशान के अगॉब का दे श या, 'जस म

शहरपनाह और पीतल के बेड़ेवाले साठ बड़े बड़े नगर थे। 14 और इXा के पुऽ अह:नादाब के हाथ म महनैम या। 15 नTाली म अह:मास या, 'जस ने सुलम ै ान क बासमत नाम बेट: को cयाह िलया या। 16 और आशेर और आलोत म हूशै का पुऽ बाना, 17 इःसाकार म पाdह का पुऽ यहोशापात, 18 और ब(यामीन म एला का पुऽ िशमी या। 19 ऊर: का पुऽ गेबेर िगलाद म अयाOत ् एमोgरयHके राजा सीहान और बाशान के राजा ओग के दे श म या, इस समःत दे श म वह: भणडार: या। 20 यहूदा और इॐाएल के लोग बहुत थे, वे समुि के तीर पर क बालू के कनकHके समान बहुत थे, और खाते-पीते और आन(द करते रहे । 21 सुलम ै ान तो महानद से लेकर पिल'ँतयHके दे श, और िमॐ के िसवाने तक के सब राGयHके ऊपर ूभुता करता या और अनके लोग सुलम ै ान के जीवत भर भ ट लाते, और उसके अधीन रहते थे। 22 और सुलम ै ान क एक दन क रसोई म इतना उठता या, अयाOत ् तीस कोर मैदा, 23 साठ कोर आटा, दस तैयार कए हुए बैल और चराइयHम से बीस बैल और सौ भेड़-बकर: और इनको छोड़ 24 हgरन, िचकारे ,

यखमूर और तैयार कए हुए प क यHक महानद के इस पार के समःत दे श पर अयाOत ् ित€सह से लेकर अGजा तक 'जतने राजा थे, उन सभHपर सुलम ै ान ूभुता करता, और अपके चारHओर के सब रहनेवालHसे मेल रखता या। 25 और दान से बेशब ॅ ा तक के सब यहूद: और इॐाएली अप क अप क दाखलता और अंजीर के वृझ तले सुलम ै ान के जीवन भर िनडर रहते थे। 26 फर उसके रय के घोड़Hके िलथे सुलम ै ान के चालीस हज़ार यान थे, और उसके बारह हज़ार सवार थे। 27 और वे भणडार: अपके अपके मह:ने म राजा सुलम ै ान के िलथे और 'जतने उसक मेज़ पर आते थे, उन सभHके िलथे भोजन का ूब(ध करते थे, कसी वःतु क घट: होने नह:ं पाती यी। 28 और घोड़Hऔर वेग चलनेवाले घोड़Hके िलथे जव और पुआल जहां ूयोजन पड़ता या वहां आWा के अनुसार एक एक जन पहुंचाया करता या। 29 और परमे र ने सुलम ै ान को बुa द:, और उसक समझ बहुत ह: बढ़ाई, और उसके ॑ृदय म समुि तट क बरलू के कनकHके तु`य अनिगिनत गुण दए। 30 और सुलम ै ान क बुa पूवO दे श के सब िनवािसयHऔर िमिॐयHक भी बुa से बढ़कर बुa यी। 31 वह तो और सब मनुंयHसे वरन एतान, एळेह: और हे मान, और माहोल के पुऽ कलकोल, और ददाO से भी अिधक बुaमान या: और उसक कर ् चारHओर क सब जाितयHम फैल गई। 32 उस ने तीन हज़ार नीितवचन कहे , और उसके एक हज़ार पांच गीत भी है । 33 फर उस ने लबानोन के दे वदाdओं से लेकर भीत म से उगते हु जूफा तक के सब पे ड़Hक चचाO और पशुओं प'झयHऔर र गनेवाले ज(तुओं और मछिलयHक चचाO क। 34 और दे श दे श के लोग पृवी के सब राजाओं क ओर से 'ज(हHने सुलम ै ान क बुa क कर ् सुनी यी, उसक बुa क बात सुनने को आया करते थे।

1 राजा 5 1 और सोर नगर के ह:राम राजा ने अपके दत ै ान के पास भेजे, यHक उस ू सुलम ने सुना या, क वह अिभषf होकर अपके पता के ःयान पर राजा हुआ है : और दाऊद के जीवन भर ह:राम उसका िमऽ बना रहा। 2 और सुलम ै ान ने ह:राम के पास यHकहला भेजा, क नुफे मालूम है , 3 क मेरा पता दाऊद अपके परमे र यहोवा के नाम का एक भवन इसिलथे न बनवा सका क वह चारHओर लड़ाइयHम

तब तक बफा रहा, जब नक यहोवा ने उसके शऽुओं को उसके पांव तल न कर दया। 4 पर(तु अब मेरे परमे र यहोवा ने मुझे चारHओर से वौम दया है और न तो कोई वरोधी है , और न कुछ वप दे ख पड़ती है । 5 मE ने अपके परमे र यहोवा के नाम का एक भवन बनवाने को ठाना है अयाOत ् उस बान के अनुसार जो यहोवा ने मेरे पता दाऊद से कह: यी; क तेरा पुऽ 'जसे मE तेरे ःयान म गX: पर बैठाऊंगा, वह: मेरे नाम का भवन बनवाएगा। 6 इसिलथे अब तू मेरे िलथे लबानोन पर से दे वदाd काटने क आWा दे , और मेरे दास तेरे दासHके संग रह गे, और जो कुछ मज़दरू : तू ठहराए, वह: मE तुझे तेरे दासHके िलथे दं ग ू ा, तुझे मालूम तो है , क सीदोिनयHके बराबर लमड़: काटने का भेद हम लोगHम से कोई भी नह:ं जानता। 7 सुलम ै ान क थे बात सुनकर, ह:राम बहुत आन'(दत हुआ, और कहा, आज यहोवा ध(य है , 'जस ने दाऊद को उस बड़: जाित पर राGय करने के िलथे एक बुaमान पुऽ दया है । 8 तब ह:राम ने सुलप ै ान के पास यHकहला भेजा क जो तू ने मेरे पास कहला भेजा है वह मेर: समझ म आ गया, दे वदाR और सनोवर क लकड़: के वषय जो कुछ तू चाहे , वह: मE कRंगा। 9 मेरे दास लकड़: को लबानोन से समुि तक पहंु चाएंगे, फर मE उनके बे ड़े बनवाकर, जो ःयान तू मेरे

िलथे ठहराए, वह:ं पर समुि के मागO से उनको पहंु चवा अूग ं ा : वहां मE उनको खोलकर डलवा दं ग ू ा, और तू उ(ह ले लेना : और तू मेरे पgरवार के िलथे भोजन दे कर, मेर: भी इ.छा पूर: करना। 10 इस ूकार ह:राम सुलम ै ान क इ.छा के अनुसार उसको दे वदाR और सनोवर क लकड़: दे ने लगा। 11 और सुलम ै ान ने ह:राम के पgरवार के खाने के िलथे उसे बीस हज़ार कोर गेहंू और बीस कोर पे रा हुआ तेल दया; इस ूकार सुलम ै ान ह:राम को ूित वषO दया करता या। 12 और यहोवा ने सुलम ै ान को अपके वचन के अनुसार बुa द:, और ह:राम और सुलम ै ान के बीच मेल बना रहा वरन उन दोनHने आपस म वाचा भी बा(ध ली। 13 और राजा सुलम ै ान ने पूरे इॐाएल म से तीन हज़ार पुdष बे गार लगाए, 14 और उ(ह

लबानोन पहाड़ पर पार: पार: करके, मह:ने मह:ने दस हज़ार भेज दया करता या और एक मह:ना तो वे लबानोन पर, और दो मह:ने घर पर रहा करते थे; और बे गाgरयHके ऊपर अदोनीराम ठहराया गया। 15 और सुलम ै ान के सर हज़ार बोफ ढोनेवाले और पहाड़ पर अःसी हज़ार वृझ काटनेवाले और पयर िनकालनेवाले थे। 16 इनको छोड़ सुलम ै ान के तीन हज़ार तीन सौ मु'खथे थे, जो काम करनेवालHके ऊपर थे। 17 फर राजा क आWा से बड़े बड़े अनमोल पयर इसिलथे खोदकर िनकाले गए क भवन क नेव, गढ़े हुए पयरHसे डाली जाए। 18 और सुलम ै ान के कार:गरHऔर ह:राम के कार:गरHऔर गबािलयHने उनको गढ़ा, और भवन के बनाने के िलथे लकड़: और पे तैयार कए। 1 राजा 6 1 इॐाएिलयHके िमॐ दे श से िनकलने के चार सौ अःसीव वषO के बाद जो

सुलम ै ान के इॐाएल पर राGय करने का चौया वषO या, उसके जीव नाम दस ू रे मह:ने म वह यहोवा का भवन बनाने लगा। 2 और जो भवन राजा सुलम ै ान ने यहोवा के िलथे बनाया उसक लSबाई साठ हाथ, चौड़ाई बीस हाथ और ऊंचाई तीस हाथ क यी। 3 और भवन के म'(दर के साSहने के ओसारे क लSबाई बीस हाथ क यी, अयाOत ् भवन क चौड़ाई के बराबर यी, और ओसारे क चौड़ाई जो भवन के साSहने यी, वह दस हाथ क यी। 4 फर उस ने भवन म 'ःयर फलिमलीदार 'खड़कयां बनाई। 5 और उस ने भवन के आसपास क भीतHसे सटे हुए अयाOत ् म'(दर और दशOन-ःयान दोनHभीतHके आसपास उस ने मं'जल

और कोठgरयां बनाई। 6 सब से नीचेवाली मं'जल क चौड़ाई पांच हाथ, और बीचवाली क छ : हाथ, और ऊपरवाली क सात हाथ क यी, यHक उस ने भवन के आसपास भीत को बाहर क ओर कुसींदार बनाया या इसिलथे क कडय़ां भवन क भीतHको पकड़े हुए न हH। 7 और बनते समय भपन ऐसे पयरHका बनाया गया, जो वहां ले आने से पहले गढ़कर ठqक कए गए थे, और भवन के बनते समय हयैड़े वसूली वा और कसी ूकार के लोहे के औजार का शcद कभी सुनाई नह:ं पड़ा। 8 बाहर क बीचवाली कोठgरयHका kार भवन क दाहनी अलंग म या, और लोग च करदार सीढय़Hपर होकर बीचवाली कोठgरयHम जाते, और उन से ऊपरवाली कोठgरयHपर जाया करते थे। 9 उस ने भवन को बनाकर पूरा कया, और उसक छत दे वदाd क कडय़Hऔर त‡तHसे बनी यी। 10 और पूरे भवन से लगी हुई जो मं'ज़ल उस ने बनाई वह पांच हाथ ऊंची थीं, और वे दे वदाd क कड़यH kारा भवन से िमलाई गई यीं। 11 तब यहोवा का यह वचन सुलम ै ान के पास पहंु चा, क यह भवन जो नू बना रहा है , 12 यद तू मेर: विधयHपर

चलेगा, और मेरे िनयमHको मानेगा, और मेर: सब आWाओं पर चलता हुआ उनका पालन करता रहे गा, तो जो वचन मE ने तेरे वषय म ते रे पता दाऊद को दया या उसको मE पूरा कRंगा। 13 और मE इॐाएिलयHके म~य म िनवास कRंगा, और अप क इॐाएली ूजा को न तजूंगा। 14 सो सुलम ै ान ने भवन को बनाकर पूरा कया। 15 और उस ने भवन क भीतHपर भीतरवार दे वदाd क त‡ताबंद: क; और भवन के फ़शO से छत तक भीतHम भीतरवार लकड़: क त‡ताबंद: क, और भवन के फ़शO को उस ने सनोवर के त‡तHसे बनाया। 16 और भवन क पछली अलंग म भी उस ने बीस हाथ क दरू : पर फ़शO से ले भीतHके ऊपर तक दे वदाd क त‡ताबंद: क; इस ूकार उस ने परमपवऽ ःयान के िलथे भवन क एक भीतर: कोठर: बनाई। 17 उसके साSहने का भवन अयाOत ् म'(दर क लSबाई चालीस हाथ क यी। 18 और भवन क भीतHपर भीतरवार दे वदाd क लकड़: क त‡ताबंद: यी, और उस म इिायन और 'खले हुए फूल खुदे थे, सब दे वदाd ह: या : पभर कुछ नह:ं दखाई पड़ता या। 19 भवन के भीतर उस ते एक दशOन ःयान यहोवा क वाचा का स(दक ू रखने के िलथे तैयार कया। 20 और उस दशOन-ःयान क लSबाई चौड़ाई और ऊंचाई बीस बीस हाथ क यी; और उस ने उस पर चोखा सोना मढ़वाया और वेद: क त‡ताबंद: दे वदाd से क। 21 फर सुलम ै ान ने भवन को भीतर भीतर चोखे सोने से मढ़वाया, और दशOन-ःयान के साSहने सोने क सांकल लगाई; और उसको भी सोने से मढ़वाया। 22 और उस ने पूरे भवन को सोने से मढ़वाकर उसका पूरा काम िनपटा दया। और दशOन-ःयान क पूर: वेद: को भी उस ने सोने से मढ़वाया। 23 दशOन-ःयान म उस ने दस दस हाथ ऊंचे जलपाई क लकड़: के दो कRब बना रखे। 24 एक कRब का एक पंख

पांच हाथ का या, और उसका दस ू रा पंख भी पांच हाथ का या, एक पंख के िस के से, दस ू रे पंख के िस के तक दस हाथ थे। 25 और दस ू रा कRब भी दस हाथ का या; दोनHकRब एक ह: नाप और एक ह: आकार के थे। 26 एक कRब क ऊंचाई दस हाथ क, और दस ू रे क भी इतनी ह: यी। 27 और उस ने कRबHको भीतरवाले ःयान म धरवा दया; और कRबHके पंख ऐसे फैले थे, क एक कRब का एक पंख, एक भीत से, और दस ू रे का दस ू रा पंख, दस ू र: भीत से लगा हुआ या, फर उनके दस ू रे दो पंख भवन के म~य म एक दस ू रे से लगे हुए थे। 28 और कRबHको उस ने सोने से मढ़वाया। 29 और उस ने भवन क भीतHम बाहर और भीतर चारHओर कRब, खजूर और 'खले हुए फूल खुदवाए। 30 और भवन के भीतर और बाहरवाले फशO उस ने सोने से मढ़वाए। 31 और दशOन-ःयान के kार पर उस ने जलपाई क लकड़: के कवाड़ लगाए और चौखट के िसरहाने और बाजुओं क का पांचवां भाग यी। 32 दोनHकवाड़ जलपाई क लकड़: के थे, और उस ने उन म

कRब, खजूर के वृझ और 'खले हुए फूल खुदवाए और सोने से मढ़ा और कRबHऔर खजूरHके ऊपर सोना मढ़वा दया गया। 33 असी क र:ित उस ने म'(दर के kार के िलथे भी जलपाई क लकड़: के चौखट के बाजू बनाए और वह भवन क चौड़ाई क चौयाई यी। 34 दोनHकवाड़ सनोवर क लकड़: के थे, 'जन म

से एक कवाड़ के दो प`ले थे; और दस ू रे कवाड़ के दो प`ले थे जो पलटकर दहु र जाते थे। 35 और उन पर भी उस ने कRब और खजूर के वृझ और 'खले हुए फूल खुदवाए और खुदे हुए काम पर उस ने सोना मढ़वाया। 36 और उस ने भीतरवाले आंगन के घेरे को गढ़े हुए पयरHके तीन रXे , और एक परत दे वदाR क कडय़ां लगा कर बनाया। 37 चौथे वषO के जीव नाम मह:ने म यहोवा के भवन क नेव

डाली गई। 38 और bयारहव वषO के बूल नाम आठव मह:ने म , वह भवन उस सब समेत जो उस म उिचत समझा गया बन चुका : इस र:ित सुलम ै ान को उसके बनाने म सात वषO लगे। 1 राजा 7 1 और सुलम ै ान ने अपके महल को बनाया, और उसके पूरा करने म तेरह वषO लगे। 2 और उस ने लबानोनी वन नाम महल बनाया 'जसक लSबाई सौ हाथ, चौड़ाई पचास हाथ और ऊंचाई तीस हाथ क यी; वह तो दे वदाd के खSभHक चार पांित पर बना और खSभHपर दे वदाd क कडय़ां धर: गई। 3 और खSभHके ऊपर दे वदाd क छतवाली पEतालीस कोठgरयां अयाOत ् एक एक महल म प(िह कोठgरयां बनीं। 4 तीनHमहलHम कडय़ां धर: गई, और तीनHम 'खड़कयां आSहने साSहने बनीं। 5 और सब kार और बाजुओं क कडय़ां भी चौकोर यी, और तीनHमहलHम 'खड़कयां आSहने साSहने बनीं। 6 और उस ने एक खSभेवाला ओसारा भी बनाया 'जसक लSबाई पचास हाथ और चौड़ाई तीस हाथ क यी, और इन खSभHके साSहने एक खSभेवाला ओसारा और उसके साSहने डे वढ़: बनाई। 7 फर उस ने (याय के िसंहासन के िलथे भी एक ओसारा बनाया, जो (याय का ओसारा कहलाया; और उस म ऐक फ़शO से दस ू रे फ़शO तक दे वदाd क त‡ताब(द: यी। 8 और उसी के रहने का भवन जो उस ओसारे के भीतर के एक और आंगन म बना, वह भी उसी ढब से बना। फर उसी ओसारे के ढब से सुलम ै ान ने फ़रौन क बेट: के िलथे 'जसको उस ने cयाह िलया या, एक और भवन बनाया। 9 थे सब घर बाहर भीतर तेव से मुढ ं े र तक ऐसे अनमोल और गढ़े

हुए पयरHके बने जो नापकर, और आरHसे चीरकर तैयार कथे गए थे और बाहर के आंगन से ले बड़े आंगन तक लगाए गए। 10 उसक नेव तो बड़े मोल के बड़े बड़े अयाOत ् दस दस और आठ आठ हाथ के पयरHक डाली गई यी। 11 और ऊपर भी बड़े मोल के पयर थे, जो नाप से गढ़े हुए थे, और दे वदाd क लकड़: भी यी। 12 और बड़े आंगन के चारHओर के घेरे म गढ़े हुए पेHके तीन रXे , और दे वदाd क कडय़Hका एक परत या, जैसे क यहोवा के भवन के भीतरवाले आंगन और भवन के ओसारे म लगे थे। 13 फर राजा सुलम ै ान ने सोर से ह:राम को बुलवा भेजा। 14 वह नTाली के गोऽ क कसी वधवा का बेटा या, और उसका पता एक सोरवासी ठठे रा या, और वह पीतल क सब ूकार क का◌ी'◌गर: म पूर: बुa, िनमुणता और समझ रखता या। सो वह राजा सुलम ै ान के पास आकर उसका सब काम करने लगा। 15 उस ने पीतल ढालकर अठारह अठाह: हाथ ऊंचे दो खSभे बनाए, और एक एक का घेरा बारह हाथ के सूत का या। 16 और उस ने खSभHके िसरHपर लगाने को पीतल ढालकर दो कंगनी बनाई; एक एक कंगनी क ऊंचाई, पांच पांच हाथ क यी। 17 और खSभHके िसरHपर क कंगिनयHके िलथे चारखाने क सात सात जािलयां, और सांकलHक सात सात फालर बनीं। 18 और उस ने खSभHको भी इस ूकार बनाया; क खSभHके िसरHपर क एक एक कंगनी के ढांपके को चारHउा◌ोर जािलयHक एक एक पांित पर अनारHक दो पांितयां हH। 19 और जो कंगिनयां ओसारHम खSभो के िसरHपर बनीं, उन म चार चार हाथ ऊंचे सोसन के फूल बने हुए थे। 20 और एक एक खSभे के िस के पर, उस गोलाई के पास जो जाली से लगी यी, एक और कंगनी बनी, और एक एक कंगनी पर जो अनार चारHओर पांित पांित करके बने थे वह दो सौ थे। 21 उन खSभHको उस ने

म'(दर के ओसारे के पास खड़ा कया, और दाहनी ओर के खSभे को खड़ा करके उसका नाम याकन रखा; फर बाई ओर के खSभे को झड़ा करके उसका नाम बोआज़ रखा। 22 और खSभHके िसरHपर सोसन के फूल का काम बना या खSभHका काम इसी र:ित हुआ। 23 फर उस ने एक ढाला हुआ एक बड़ा हौज़ बनाया, जो एक छोर से दस ू र: छोर तक दस हाथ चौड़ा या, उसका आकार गोल या, और उसक ऊंचाई पांच हाथ क यी, और उसके चारHओर का घेरा तीस हाथ के सूत के बराबर या। 24 और उसके चारHओर मोहड़े के नीचे एक एक हाथ म दस दस इ(िायन बने, जो हौज को घेरे यीं; जब वह ढाला गया; तब थे इ(िायन भी दो पांित करके ढाले गए। 25 और वह बारह बने हुए बैलHपर रखा गया 'जन म से तीन उर, तीन प'_म, तीन द' खन, और तीन पूवO क ओर मुह ं कए हुए थे; और उन ह: के ऊपर हौज या, और उन सभHका पछला अंग भीतर क ओर या। 26 और उसका दल चौबा भर का या, और उसका मोहड़ा कटोरे के मोहड़े क नाई सोसन के फूलो के काम से बना या, और उस म दो हज़ार बत क समाई यी। 27 फर उस ने पीतल के दस पाथे बनाए, एक एक पाथे क लSबाई चार हाथ, चौड़ाई भी चार हाथ और ऊंचाई तीन हाथ क यी। 28 उन पायHक बनावट इस ूकार यी; अनके पटgरयां यीं, और पटgरयHके बीचHबीच जोड़ भी थे। 29 और जोड़Hके बीचHबीच क पटgरयHपर िसंह, बैल, और कRब बने थे और जोड़Hके ऊपर भी एक एक और पाया बना और िसंहHऔर बैलHके नीचे लटकते हुए हार बने थे। 30 और एक एक पाथे के िलथे पीतल के चार पहथे और पीतल क धुgरयां बनी; और एक एक के चारHकोनHसे लगे हुए कंधे भी ढालकर बनाए गए जो हौद: के नीचे तक पहंु चते थे, और एक एक कंधे के पास हार बने हुए थे। 31 औा हौद: का मोहड़ा जो

पाथे क कंगनी के भीतर और ऊपर भी या वह एक हाथ ऊंचा या, और पाथे का मोहड़ा 'जसक चौड़ाई डे ढ़ हाथ क यी, वह पाथे क बनावट के समान गोल बना; और पाथे के उसी मोहड़े पर भी कुछ खुदा हुआ काम या और उनक पटgरयां गोल नह:ं, चौकोर यीं। 32 और चारHपहथे, पटgरयो के नीचे थे, और एक एक पाथे के पहयHम धुgरयां भी यीं; और एक एक पहथे क ऊंचाई डे ढ़ हाथ क यी। 33 पहयHक बनावट, रय के पहथे क सी यी, और उनक धुgरयां, पु'=ठयां, आरे , और नाभ सब ढाली हुअO यीं। 34 और एक एक पाथे के चारHकोनHपर चार कंधे थे, और कंधे और पाथे दोनHएक ह: टु कड़े के बने थे। 35 और एक एक पाथे के िस के पर आध हाथ ऊंची चारHओर गोलाई यी, और पाथे के िस के पर क टे क और पटgरयां पाथे से जुड़े हुए एक ह: टु कड़े के बने थे। 36 और टे कHके पाटHऔर पटgरयHपर 'जतनी जगह 'जस पर यी, उस म उस ने कRब, और िसंह, और खजूर के वृझ खोद कर भर दथे, और चारHओर हार भी बनाए। 37 इसी ूकार से उस ने दसHपायHको बनाया; सभHका एक ह: सांचा और एक ह: नाप, और एक ह: आकार या। 38 और उस ने पीतल क दस हौद: बनाई। एक एक हौद: म चालीस चालीस बत क समाई यी; और एक एक, चार चार हाथ चौड़: यी, और दसHपायHम

से एक एक पर, एक एक हौद: यी। 39 और उस ने पांच हौद: षवन क द' खन क ओर, और पांच उसक उर क ओर रख द:ं; और हौज़ को भवन क दाहनी ओर अयाOत ् पूवO क ओर, और द' खन के साSहने धर दया। 40 और ह:राम ने हौदयH, फावडय़H, और कटोरHको भी बनाया। सो ह:राम ने राजा सुलम ै ान के िलथे यहोवा के भवन म 'जतना काम करना या, वह सब िनपटा दया, 41 अयाOत ् दो खSभे, और उन कंगिनयHक गोलाइयां जो दोनHखSभHके िस के पर यीं, और

दोनHखSभHके िसरHपर क गोलाइयHके ढांपके को दो दो जािलयां, और दोनHजािलयHके िलय चार चार सौ अनार, 42 अयाOत ् खSभHके िसरHपर जो गोलाइयां यीं, उनके ढांपके के िलथे अयाOत ् एक एक जाली के िलथे अनारHक दो दो पांित; 43 दस पाथे और इन पर क दस हौद:, 44 एक हौज़ और उसके नीचे के बारह बैल, और हं डे, फावडय़ां, 45 और कटोरे बने। थे सब पाऽ 'ज(ह ह:राम ने यहोवा के भवन के िनिम राजा सुलम ै ान के िलथे बनाया, वह फलकाथे हुए पीतल के बने। 46 राजा ने उनको यरदन क तराई म अयाOत ् सु कोत और सारतान के म~य क िचकनी िम=टवाली भूिम म ढाला। 47 और सुलम ै ान ने सब पाऽHको बहुत अिधक होने के कारण बना तौले छोड़ दया, पीतल के तौल का वज़न मालूम न हो सका। 48 यहोवा के भवन के 'जतने पाऽ थे सुलम ै ान ने सब बनाए, अयाOत ् सोने क वेद:, और सोने क वह मेज़ 'जस पर भ ट क रोट: रखी जाती यी, 49 और चोखे सोने क द:वट जो भीतर: कोठर: के आगे पांच तो द' खन क ओर, और पांच उर क ओर रखी गई; और सोने के फूल, 50 द:पक और िचमटे , और चोखे सोने के तसले, कEिचयां, कटोरे , धूपदान, और करछे और भीतरवाला भवन जो परमपवऽ ःयान कहलाता है , और भवन जो म'(दर कहलाता है , दोनHके कवाड़Hके िलथे सोने के कcजे बने। 51 िनदान जो जो काम राजा सुलम ै ान ने यहोवा के भवन के िलथे कया, वह सब पूरा कया गया। तब सुलम ै ान ने अपके पता दाऊद के पवऽ कए हुए सोने चांद: और पाऽHको भीतर पहंु चा कर यहोवा के भवन के भणडारHम रख दया। 1 राजा 8

1 तब सुलम ै ान ने इॐाएली पुरिनयHको और गोऽHके सब मु‡य पुdष जो इॐाएिलयHके पूवOजHके घरानHके ूधान थे,उनको भी यRशलेम म अपके पास इस मनसा से इक=ठा कया, क वे यहोवा क वाचा का स(दक ू दाऊदपुर अयाOत ् िसयोन से ऊपर ले आएं। 2 सो सब इॐाएली पुdष एतानीम नाम सातव मह:ने क

पवO के समय राजा सुलम ै ान के पास इक=ठे हुए। 3 जब सब इॐाएली पुरिनथे आए, तब याजकHने स(दक ू को उठा िलया। 4 और यहोवा का स(दक ू , और िमलाप का तSबू, और 'जतने पवऽ पाऽ उस तSबू म थे, उन सभHयाजक और लेबीय लोग ऊपर ले गए। 5 और राजा सुलम ै ान और समःत इॐाएली मंडली, जो उसके पास इा=ठq हुई यी, वे dब स(दक ू के साSहने इतनी भेड़ और बैल बिल कर रहे थे, 'जनक िगनती कसी र:ित से नह:ं हो सकती यी। 6 तब याजकHने यहोवा क वाचा का स(दक ू उसके ःयान को अयाOत ् भवन के दशOन-ःयान म , जो परमपवऽ ःयान है , पहंु चाकर कRबHके पंखHके तले रख दया। 7 कRब तो स(दक ू के ःयान के ऊपर पंख ऐसे फैलाए हुए थे, क वे ऊपर से स(दक ू और उसके डं डHको ढांके थे। 8 डं डे तो ऐसे लSबे थे, क उनके िस के उस पवऽ ःयान से जो दशOन-ःयान के साSहने या दखाई पड़ते थे पर(तु बाहर से वे दखाई नह:ं पड़ते थे। वे आज के दन तक यह:ं वतमपान हE । 9 स(दक ू म कुछ नह:ं या, उन दो पटgरयHको छोड़ जो मूसा ने होरे ब म उसके भीतर उस समय रखीं, जब यहोवा ने इॐाएिलयHके िमॐ से िनकलने पर उनके साय वाचा बा(धी यी। 10 जब याजक पवऽःयान से िनकले, तब यहोवा के भवन म बादल भर आया। 11 और बादल के कारण याजक सेवा टहल करने को खड़े न रह सके, यHक यहोवा का तेज यहोवा के भवन म भर गया या। 12 तब सुलम ै ान कहने लगा, यहोवा ने कहा

या, क मE घोर अंधकार म वास कए रहंू गा। 13 सचमुच मE ने तेरे िलथे एक वासःयान, वरन ऐसा lढ़ ःयान बनाया है , 'जस म तू युगानुयग ु बना रहे । 14 और राजा ने इॐाएल क पूर: सभा क ओर मुह ं फेरकर उसको आशीवाOद दया; और पूर: सभा खड़: रह:। 15 और उस ने कहा, ध(य है इॐाएल का परमे र यहोवा ! 'जस ने अपके मुह ं से मेरे पता दाऊद को यह वचन दया या, और अपके हाथ से उसे पूरा कया है , 16 क 'जस दन से मE अप क ूजा इॐाएल को िमॐ से िनकाल लाया, तब से मE ने कसी इॐाएली गोऽ का कोई नगर नह:ं चुना, 'जस म मेरे नाम के िनवास के िलथे भवन बनाया जाए; पर(तु मE ने दाऊद को चुन िलया, क वह मेर: ूजा इॐाएल का अिध कारनेी हो। 17 मेरे पता दाऊद क यह मनसा तो यी क इॐाएल के परमे र यहोवा के नाम का एक भवन बनाए। 18 पर(तु यहोवा ने मेरे पता दाऊद से कहा, यह जो तेर: मनसा है , क यहोवा के नाम का एक भवन बनाए, ऐसी मनसा करके तू ने भला तो कया; 19 तौभी तू उस भवन को न बनाएगा; तेरा जो िनज पुऽ होगा, वह: मेरे नाम का भवन बनाएगा। 20 यह जो वचन यहोवा ने कहा या, उसे उस ने पूरा भी कया है , और मE अपके पता दाऊद के ःयान पर उठकर, यहोवा के वचन के अनुसार इॐाएल क गX: पर वराजमान हँू , और इॐाएल के परमे र यहोवा के नाम से इस भवन को बनाया है । 21 और इस म मE ने एक ःयान उस स(दक ू के िलथे ठहराया है , 'जस म यहोवा क वह वाचा है , जो उस ने हमारे पुरखाओं को िमॐ दे श से िनकालने के समय उन से बा(धी यी। 22 तब सुलम ै ान इॐाएल क पूर: सभा के दे खते यहोवा क वेद: के साSहने खड़ा हुआ, और अपके हाथ ःवगO क ओर फैलाकर कहा, हे यहोवा ! 23 हे इॐाएल के परमे र ! तेरे समान न तो ऊपर

ःवगO म , और न नीचे पृवी पर कोई ई र है : तेरे जो दास अपके सSपूणO मन से अपके को तेरे सSमुख जानकर चलते हE , उनके िलथे तू अप क वाचा मूर: करता, और कdणा करता रहता है । 24 जो वचन तू ने मेरे पता दाऊद को दया या, उसका तू ने पालन कया है , जैसा तू ने अपके मुह ं से कहा या, वैसा ह: अपके हाथ से उसको पूरा कया है , जैसा आज है । 25 इसिलथे अब हे इॐाएल के परमे र यहोवा ! इस वचन को भी पूरा कर, जो तू ने अपके दास मेरे पता दाऊद को दया या, क तेरे कुल म , मेरे साSहने इॐाएल क गX: पर वराजनेवाले सदै व बने रह गे : इतना हो क जैसे तू ःवयं मुझे सSमुख जानकर चलता रहा, वैसे ह: तेरे वंश के लोग अप क चालचलन म ऐसी ह: वौकसी कर । 26 इसिलथे अब हे इॐाएल के परमे र अपना जो वचन तू ने अपके दास मेरे पता दाऊद को दया या उसे स.चा िसa कर। 27 या परमे र सचमुच पृवी पर वास करे गा, ःवगO म वरन सब से ऊंचे ःवगO म भी तू नह:ं समाता, फर मेरे बनाए हुए इस भवन म

यHकर समाएगा। 28 तौभी हे मेरे परमे र यहोवा ! अपके दास क ूायOना और िगड़िगड़ाहट क ओर कान लगाकर, मेर: िच`लाहट और यह ूायOना सुन ! जो मE आज तेरे साSहने कर रहा हँू ; 29 क तेर: आंख इस भवन क ओर अयाOत ् इसी ःयान क ओर 'जसके वषय तू ने कहा है , क मेरा नाम वहां रहे गा, रात दन खुली रह : और जो ूायOना तेरा दास इस ःयान क ओर करे , उसे तू सुन ले। 30 और तू अपके दास, और अप क ूजा इॐाएल क ूायOना 'जसको वे इस ःयान क ओर िगड़िगड़ा के कर उसे सुनना, वरद ःवगO। म से जो तेरा िनवासःयान है सुन लेना, और सुनकर झमा करना। 31 जब कोई कसी दस ू रे का अपराध करे , और उसको शपय 'खलाई जाए, और वह आकर इस भवन म तेर: वेद: के साSहने

शपय खाए, 32 तब तू ःवगO म सुन कर, अयाOत ् अपके दासHका (याय करके द ु को द ु ठहरा और उसक चाल उसी के िसर लौटा दे , और िनदॉष को िनदॉष ठहराकर, उसके धमO के अनुसार उसको फल दे ना। 33 फर जब नेर: ूजा इॐाएल ते रे वda पाप करने के कारण अपके शऽुओं से हार जाए, और तेर: ओर फरकर तेरा नाम ले और इस भवन म तुझ से िगड़िगड़ाहट के साय ूायOना करे , 34 तब तू ःवगO म से सुनकर अप क ूजा इॐाएल का पाप झमा करना : और उ(ह इस दे श म लौटा ले आना, जो तू ने उनके पुdखाओं को दया या। 35 जब वे तेरे वda पाप कर , और इस कारण आकाश ब(द हो जाए, क वषाO न होए, ऐसे समय यद वे इस ःयान क ओर ूायOना करके तेरे नाम को मान जब तू उ(ह

द:ु ख दे ता है , और अपके पाप से फर , तो तू ःवगO म से सुनकर झमा करना, 36 और अपके दासH, अप क ूजा इॐाएल के पाप को ˆमा करना; तू जो उनको वह भला मागO दखाता है , 'जस पर उ(ह चलना चाहथे, इसिलथे अपके इस दे श पर, जो तू ने अप क ूजा का भाग कर दया है , पानी बरसा दे ना। 37 जब इस दे श म

काल वा मर: वा फुलस हो वा गेdई वा ट']डयां वा कड़े लग वा उनके शऽु उनके दे श के फाटकHम उ(ह घेर रख , अयवा कोई वप वा रोग यHन हH, 38 तब यद कोई मनुंय वा तेर: ूजा इॐाएल अपके अपके मन का द:ु ख जान ल , और िगड़िगड़ाहट के साय ूायOना करके अपके हाथ इस भवन क ओर फैलाएं; 39 तो तू अपके ःवगींय िनवासःयान म से सुनकर झमा कdना, और ऐसा करना, क एक एक के मन को जानकर उसक समःत चाल के अनुसार उसको फल दे ना : तू ह: तो सब आदिमयHके मन के भेदHका जानने वाला है । 40 तब वे 'जतने दन इस दे श म रह , जो तू ने उनके पुरखाओं को दया या, उतने दन तक तेरा भय मानते

रह । 41 फर परदे शी भी जो तेर: ूजा इॐाएल का न हो, जब वह तेरा नाम सुनकर, दरू दे श से आए, 42 वह तो तेरे बड़े ताम और बलव(त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा का समाचार पाए; इसिलथे जब ऐसा कोई आकर इस भवन क ओर ूायOना कर , 43 तब तू अपके ःवगींय िनवासःयान म से सुन, और 'जस बात के िलथे ऐसा परदे शी तुझे पुकारे , उसी के अनुसार eयवहार करना 'जस से पृवी के सब दे शHके लोग तेरा नाम जानकर तेर: ूजा इॐाएल क नाई ते रा भय मान , और िन_य जान , क यह भवन 'जसे मE ने बनाया है , वह तेरा ह: कहलाता है । 44 जब तेर: ूजा के लोग जहां कह:ं तू उ(ह भेजे, वहां अपके शऽुओं से लड़ाई करने को िनकल जाएं, और इस नगर क ओर 'जसे तू ने चुना है , और इस भवन क ओर 'जसे मE ने तेरे नाम पर बनाया है , यहोवा से ूायOना कर , 45 तब तू ःवगO म

से उनक ूायOना और िगड़िगड़ाहट सुनकर उनका (याय कर। 46 िनंपाप तो कोई मनुंय नह:ं है : यद थे भी तेरे वda पाप कर , और तू उन पर कोप करके उ(ह शऽओं के हाथ कर दे , और वे उनको ब(धुआ करके अपके दे श को चाहे वह दरू हो, चाहे िनकट ले जवएं, 47 तो यद वे ब(धुआई के दे श म सोच वचार कर , और फरकर अपके ब(धुआ करनेवालHके दे श म तुझ से िगड़िगड़ाकर कह क हम ने पाप कया, और कुटलता ओर द ु ता क है ; 48 और यद वे अपके उन शऽुओं के दे श म जो उ(ह ब(धुआ करके ले गए हH, अपके सSपूणO मन और सSपूणO ूाण से तेर: ओर फर और अपके इस दे श क ओर जो तू ने उनके पुdखाओं को दया या, और इस नगर क ओर 'जसे तू ने चुना है , और इस भवन क ओर 'जसे मE ने तेरे नाम का बनाया है , तुझ से ूायOना कर , 49 तो तू अपके ःवगींय िनवासःयान म से उनक ूायOना और िगड़िगड़ाहट सुनना; और उनका

(याय करना, 50 और जो पाप तेर: ूजा के लोग तेरे वda कर गे, और 'जतने अपराध वे तेरे वda कर गे, सब को झमा करके, उनके ब(धुआ करनेवालHके मन म ऐसी दया उपजाना क वे उन पर दया कर । 51 यHक वे तो तेर: ूजा और तेरा िनज भाग हE 'ज(ह तू लोहे के भ=ठे के म~य म से अयाOत ् िमॐ से िनकाल लाया है । 52 इसिलथे तेर: आंख तेरे दाय क िगड़िगड़ाहट और तेर: ूजा इॐाएल क िगड़िगड़ाहट क ओर ऐसी खुली रह , क जब जब वे तुझे पुकार , तब तब तू उनक सुन ले; 53 यHक हे ूभु यहोवा अपके उस वचन के अनुसार, जो तू ने हमारे पुरखाओं को िमॐ से िनकालने के समय अपके दास मूसा के kारा दया या, तू ने इन लोगHको अपना िनज भाग होने के िलथे पृवी क सब जाितयHसे अलग कया है । 54 जब सुलम ै ान यहोवा से यह सब ूायOना िगड़िगड़ाहट के साय कर चुका, तब वह जो घुटने टे के और आकाश क ओर हाथ फैलाए हुए या, सो यहोवा क वेद: के साSहने से उठा, 55 और खड़ा हो, समःत इॐाएली सभा को ऊंचे ःवर से यह कहकर आशीवाOद दया, क ध(य है यहोवा, 56 'जस ने ठqक अपके कयन के अनुसार अप क ूजा इॐाएल को वौम दया है , 'जतनी भलाई क बात

उसने अपके दास मूसा के kारा कह: यीं,उन म से एक भी बना पूर: हुए नह:ं रह:। 57 हमारा परमे र यहोवा जैसे हमारे पुरखाओं के संग रहता या, वैसे ह: हमारे संग भी रहे , वह हम को याग न दे और न हम को छोड़ दे । 58 वह हमारे मन अप क ओर ऐसा फराए रखे, क हम उसके सब मागॉं पर चला कर , और उसक आWाएं और विधयां और िनयम 'ज(ह उसने हमारे पुरखाओं को दया या, िनत माना कर । 59 और मेर: थे बात 'जनक मE ने यहोवा के साSहने बनती क है , वह दन और रात हमारे परमे र यहोवा के मन म बनी रह , और जैसा

दन दन ूयोजन हो वैसा ह: वह अपके दास का और अप क ूजा इॐाएल का भी (याय कया करे , 60 और इस से पृवी क सब जाितयां यह जान ल , क यहोवा ह: परमे र है ; और कोई दस ू रा नह:ं। 61 तो तुSहारा मन हमारे परमे र यहोवा क ओर ऐसी पूर: र:ित से लगा रहे , क आज क नाई उसक विधयHपर चलते और उसक आWाएं मानते रहो। 62 तब राजा समःत इॐाएल समेत यहोवा के सSमुख मेलबिल चढ़ाने लगा। 63 और जो पशु सुलम ै ान ने मेलबिल म

यहोवा को चढ़ाए, सो बाईस हजार बैल और एक लाख बीस हजार भेड़ यीं। इस र:ित राजा ने सब इॐाएिलयHसमेत यहोवा के भवन क ूितvा क। 64 उस दन राजा ने यहोवा के भवन के साSहनेवाले आंगन के म~य भी एक ःयान पवऽ कया और होमबिल, और अ(नबिल और मेलबिलयHक चरबी वह:ं चढ़ाई; यHक जो पीतल क वेद: यहोवा के साSहने यी, वह उनके िलथे छोट: यी। 65 और सुलम ै ान ने और उसके संग समःत इॐाएल क एक बड़: सभा ने जो हमात क घाट: से लेकर िमॐ के नाले तक के सब दे शHसे इा=ठq हुई यी, दो सTाह तक अयाOत ् चौदह दन तक हमारे परमे र यहोवा के साSहने पवO को माना। फर आठव दन उस ने ूजा के लोगHको वदा कया। 66 और वे राजा को ध(य, ध(य, कहकर उस सब भलाई के कारण जो यहोवा ने अपके दास दाऊद और अप क ूजा इॐाएल से क यी, आन'(दत और मगन होकर अपके अपके डे रे को चले गए। 1 राजा 9 1 जब सुलम ै ान यहोवा के भवन और राजभवन को बना चुका, और जो कुछ उस

ने करना चाहा या, उसे कर चुका, 2 तब यहोवा ने जैसे िगबोन म उसको दशOन दया या, वैसे ह: दस ू र: बार भी उसे दशOन दया। 3 और यहोवा ने उस से कहा, जो ूायOना िगड़िगड़ाहट के साय तू ने मुझ से क है , उसको मE ने सुना है , यह जो भवन तू ने बनाया है , उस म मE ने अपना नाम सदा के िलथे रखकर उसे पवऽ कया है ; और मेर: आंख और मेरा मन िनय वह:ं लगे रह गे। 4 और यादे तू अपके पता दाऊद क नाई मन क खराई और िसधाई से अपके को मेरे साSहने जानकर चलता रहे , और मेर: सब अपWाओं के अनुसार कया करे , और मेर: विधयHऔर िनयमHको मानता रहे , तो मE तेरा राGय इॐाएल के ऊपर सदा के िलथे ःय ्'◌र कRंगा; 5 जैसे क मE ने तेरे पता दाऊद को वचन दया या, क तेरे कुल म इॐाएल क गX: पर वराजनेवाले सदा बने रह गे। 6 पर(तु यद तुम लोग वा तुSहारे वंश के लोग मेरे पीछे चलना छोड़ द ; और मेर: उन आWाओं और विधयHको जो मE ने तुम को द: हE , न मान , और जाकर पराथे दे वताओं क उपासना करे और उ(ह दणडवत करने लग , 7 तो मE इॐाएल को इस दे श म से जो मE ने उनको दया है , काट डालूग ं ा और इस भवन को जो मE ने अपके नाम के िलथे पवऽ कया है , अप क l से उतार दं ग ू ा; और सब दे शHके लोगHम

इॐाएल क उपमा द: जाथेगी और उसका lा(त चलेगा। 8 और यह भवन जो ऊंचे पर रहे गा, तो जो कोई इसके पास होकर चलेगा, वह चकत होगा, और ताली बजाएगा और वे पूछ गे, क यहोवा ने इस दे श और इस भवन के साय यHऐसा कया है ; 9 तब लोग कह गे, क उ(हHने अपके परमे र यहोवा को जो उनके पुरखाओं को िमॐ दे श से िनकाल लाया या। तजकर पराथे दे वताओं को पकड़ िलया, और उनको दणडवत क और उनक उपासना क इस कारण यहोवा ने यह

सब वप उन पर डाल द:। 10 सुलम ै ान को तो यहोवा के भवन और राजभवन दोनHके बनाने म बीस वषO लग गए। 11 तब सुलम ै ान ने सोर के राजा ह:राम को 'जस ने उसके मनमाने दे वदाR और सनोवर क लकड़: और सोना दया या, गलील दे श के बीस नगर दए। 12 जब ह:राम ने सोर से जाकर उन नगरHको दे खा, जो सुलम ै ान ने उसको दए थे, तब वे उसको अ.छे न लगे। 13 तब उस ने कहा, हे मेरे भाई, थे नगर या तू ने मुझे दए हE ? और उस ने उनका नाम कबूल दे श रखा। 14 और यह: नाम आज के दन तक पड़ा है । फर ह:राम ने राजा के पास साठ क कार सोना भेज दया। 15 राजा सुलम ै ान ने लोगHको जो बे गार: म

रखा, इसका ूयोजन यह या, क यहोवा का और अपना भवन बनाए, और िम`लो और यRशलेम क शहरपनाह और हासोर, मिगXो और गेजेर नगरHको lढ़ करे । 16 गे जेर पर तो िमॐ के राजा फ़रौन ने चढ़ाई करके उसे ले िलया और आग लगाकर फूंक दया, और उस नगर म रहनेवाले कनािनयHको मार डालकर, उसे अप क बेट: सुलम ै ान क रानी का िनज भाग करके दया या, 17 सो सुलम ै ान ने गे जेर और नीचेवाले बयोरे न, 18 बालात और तामार को जो जंगल म

हE , lढ़ कया, थे तो दे श म हE । 19 फर सुलम ै ान के 'जतने भणडार के नगर थे, और उसके रयHऔर सवारHके नगर, उनको वरन जो कुछ सुलम ै ान ने यRशलेम, लबानोन और अपके राGय के सब दे शHम बनाना चाहा, उन सब को उस ने lढ़ कया। 20 एमोर:, ही, पgरGजी, हcबी और यबूसी जो रह गए थे, जो इॐाएिलयHम के न थे, 21 उनके वंश जो उनके बाद दे श म रह गए, और उनको इॐाएली सयानाश न कर सके, उनको तो सुलम ै ान ने दास कर के बेगार: म

रखा, और आज तक उनको वह: दशा है । 22 पर(तु इॐाएिलयHम से सुलम ै ान ने

कसी को दास न बनाया; वे तो योaा और उसके कमOचार:, उसके हाकम, उसके सरदार, और उसके रयH, और सवारHके ूधान हुए। 23 जो मु‡य हाकम सुलम ै ान के कामHके ऊपर ठहर के काम करनेवालHपर ूभुता करते थे, थे पांच सौ पचास थे। 24 जब फ़रौन क बेट: दाऊदपुर म से अपके उस भवन को आ गई, जो उस ने उसके िलथे बनाया या तब उस ने िम`लो को बनाया। 25 और सुलम ै ान उस वे द: पर जो उस ने यहोवा के िलथे बनाई यी, ूित वषO म तीन बार होमबिल और मेलबिल चढ़ाया करता या और साय ह: उस वेद: पर जो यहोवा के सSमुख यी, धूप जलाया करता या, इस ूकार उस ने उस भवन को तैयार कर दया। 26 फर राजा सुलम ै ान ने एःयोनगेबेर म जो एदोम दे श मे लाल समुि के तीर एलोत के पास है , जहाज बनाए। 27 और जहाजHम ह:राम ने अपके अिध कारने के म`लाहHको, जो समुि से जानकार: रखते थे, सुलम ै ान के सेवकHके संग भेज दया। 28 उ(हHने ओपोर को जाकर वहां से चार सौ बीस क कार सोना, राजा सुलम ै ान को लाकर दया। 1 राजा 10 1 जब शीबा क रानी ने यहोवा के नाम के वषय सुलम ै ान क कं सुनी, तब वह कठन कठन ूoHसे उसक प कझा करने को चल प क। 2 वह तो बहुत भार: दल, और मसालH, और बहुत सोने, और म'ण से लदे ऊंट साय िलथे हुए यRशलेम को आई; और सुलम ै ान के पास पहुंचकर अपके मन क सब बातHके वषय म उस से बात करने लगी। 3 सुलम ै ान ने उसके सब ूoHका उर दया, कोई बात राजा क बुa से ऐसी बाहर न रह: क वह उसको न बता सका। 4 जब

शीबा क रानी ने सुलम ै ान क सब बुaमानी और उसका बनाया हुआ भवन, और उसक मेज पर का भोजन दे खा, 5 और उसके कमOचार: कस र:ित बैठते, और उसके टहं लए ु कस र:ित खड़े रहते, और कैसे कैसे कपके पहने रहते हE , और उसके पलानेवाले कैसे हE , और वह कैसी चढ़ाई है , 'जस से वह यहोवा के भवन को जाया करता है , यह सब जब उस ने दे खा, तब वह चकत हो गई। 6 तब उस ने राजा से कहा, तेरे कामHऔर बुaमानी क जो कं मE ने अपके दे श म सुनी यी वह सच ह: है । 7 पर(तु जब तक मE ने आप ह: आकर अप क आंखHसे यह न दे खा, तब तक मE ने उन बातHक ूतीत न क, पर(तु इसका आधा भी मुझे न बताया गया या; तेर: बुaमानी और क`याण उस कं से भी बढ़कर है , जो मE ने सुनी यी। 8 ध(य हE तेरे जन ! ध(य हE तेरे थे सेवक ! जो िनय तेरे सSमुख उप'ःयत रहकर तेर: बुa क बात सुनते हE । 9 ध(य है ते रा परमे र यहोवा ! जो तुझ से ऐसा ूस(न हुआ क तुझे इॐाएल क राजगX: पर वराजमान कया : यहोवा इॐाएल से सदा ूेम रखता है , इस कारण उस ने तुझे (याय और धमO करने को राजा बना दया है । 10 और उस ने राजा को एक सौ बीस क कार सोना, बहुत सा सुग(ध िय, और म'ण दया; 'जतना सुग(ध िय शीबा क रानी ने राजा सुलम ै ान को दया, उतना फर कभी नह:ं आया। 11 फर ह:राम के जहाज भी जो ओपीर से सोना लाते थे, वह बहुत सी च(दन क लकड़: और म'ण भी लाए। 12 और राजा ने च(दन क लकड़: से यहोवा के भवन और राजभवन के िलथे जंगले और गवैयHके िलथे वीणा और सारं िगयां बनवाई ; ऐसी च(दन क लकड़: आज तक फर नह:ं आई, और न दखाई प क है । 13 और शीबा क रानी ने जो कुछ चाहा, वह: राजा सुलम ै ान ने उसक इ.छा के अनुसार उसको दया,

फर राजा सुलम ै ान ने उसको अप क उदारता से बहुत कुछ दया, तब वह अपके जनHसमेत अपके दे श को लौट गई। 14 जो सोना ूित वषO सुलम ै ान के पास पहुंचा करता या, उसका तौल छ:सौ िछयासठ क कार या। 15 इस से अिधक सौदागरHसे, और योपाgरयHके लेन दे न से, और दोगली जाितयHके सब राजाओं, और अपके दे श के गवनOरो से भी बहुत कुछ िमलता या। 16 और राजा सुलम ै ान ने सोना गढ़बाकर दो सौ बड़: बड़: ढाल बनवाई; एक एक ढाल म छ: छ: सौ शेकेल सोना लगा। 17 फर उस ने सोना गढ़वाकर तीन सौ छोट: ढाल भी बनवाई; एक एक छोट: ढाल म , तीन माने सोना लगा; और राजा ने उनको लबानोनी वन नाम भवन म रखवा दया। 18 और राजा ने हाथीदांत का एक बड़ा िसंहासन बनवाया, और उम कु(दन से मढ़वाया। 19 उस िसंहासन म छ: सीढय़ां यीं; और िसंहासन का िसरहाना पछाड़: क ओर गोल या, और बैठने के ःयान क दोनHअलग टे क लगी यीं, और दोनHटे कHके पास एक एक िसंह खड़ा हुआ बना या। 20 और छहHसीढय़Hक दोनHअलंग एक एक िसंह खड़ा हुआ बना या, कुल बारह हुए। कसी राGय म ऐसा कभी नह:ं बना; 21 और राजा सुलम ै ान के पीने के सब पाऽ सोने के बने थे, और लबानोनी बन नाम भवन के सब पाऽ भी चोखे सोने के थे, चांद: का कोई भी न या। सुलम ै ान के दनHम उसका कुछ लेखा न या। 22 यHक समुि पर ह:राम के जहाजHके साय राजा भी तशींश के जहाज रखता या, ओर तीन तीन वषO पर तशींश के जहाज सोना, चांद:, हाथीदांत, ब(दर और मयूर ले आते थे। 23 इस ूकार राजा सुलम ै ान, धन और बुa म पृवी के सब राजाओं से बढ़कर हो गया। 24 और समःत पृवी के लोग उसक बुa क बात सुनने को जो परमे र ने मन म उप(न क यीं, सुलम ै ान का दशOन पाना चाहते थे। 25

और वे ूित वषO अप क अप क भ ट, अयाOत ् चांद: और सोने के पाऽ, व\, श\, सुग(ध िय, घोड़े , और ख.चर ले आते थे। 26 और सुलम ै ान ने रय और सवार इक=ठे कर िलए, तो उसके चौदह सौ रय, और बारह हजार सवार हुए, और उनको उस ने रयHके नगरHम , और यRशलेम म राजा के पास ठहरा रखा। 27 और राजा ने बहुतायत के कारण, यRशलेम म चांद: को तो ऐसा कर दया जैसे पयर और दे वदाR को जैसे नीचे के दे श के गूलर। 28 और जो घोड़े सुलम ै ान रखता या, वे िमॐ से आते थे, और राजा के eयोपार: उ(ह फुणड फुणड करके ठहराए हुए दाम पर िलया करते थे। 29 एक रय तो छ: सौ शेकेल चांद: पर, और एक घोड़ा डे ढ़ सौ शेकेल पर, िमॐ से आता या, और इसी दाम पर वे हयHऔर अराम के सब राजाओं के िलथे भी eयोपाgरयHके kारा आते थे। 1 राजा 11 1 पर(तु राजा सुलम ै ान फ़रौन क बेट:, और बहुतेर: और पराथे '\यHसे, जो मोआबी, अSमोनी, एदोमी, सीदोती, और ही यीं, ूीित करने लगा। 2 वे उन जाितयHक यीं, 'जनके वषय म यहोवा ने इॐाएिलयHसे कहा या, क तुम उनके म~य म न जाना, और न वे तुSहारे म~य म आने पाएं, वे तुSहारा मन अपके दे वताओं क ओर िन:स(दे ह फेर गी; उ(ह:ं क ूीित म सुलम ै ान िलT हो गया। 3 और उसके सात सौ रािनयां, और तीन सौ रखेिलयां हो गई यीं और उसक इन '\यHने उसका मन बहका दया। 4 सो जब सुलम ै ान बूढ़ा हुआ, तब उसक '\यHने उसका मन पराथे दे वताओं क ओर बहका दया, और उसका मन अपके पता दाऊद क नाई अपके परमे र यहोवा पर पूर: र:ित से लगा न रहा। 5

सुलम ै ान तो सीदोिनयHक अशतोरे त नाम दे वी, और अSमोिनयHके िम`कोम नाम घृ'णत दे वता के पीछे चला। 6 और सुलम ै ान ने वह कया जो यहोवा क l म बुरा है , और यहोवा के पीछे अपके पता दाऊद क नाई पूर: र:ित से न चला। 7 उन दनHसुलम ै ान ने यRशलेम के साSहने के पहाड़ पर मोआबयHके कमोश नाम घृ'णत दे वता के िलथे और अSमोिनयHके मोलेक नाम घृ'णत दे वता के िलथे एक एक ऊंचा ःयान बनाया। 8 और अप क सब पराथे '\यHके िलथे भी जो अपके अपके दे वताओं को धूप जलातीं और बिलदान करती यीं, उस ने ऐसा ह: कया। 9 तब यहोवा ने सुलम ै ान पर बोध कया, यHक उसका मन इॐाएल के परमे र यहोवा से फर गया या 'जस ने दो बार उसको दशOन दया या। 10 और उस ने इसी बात के वषय म आWा द: यी, क पराथे दे वताओं के पीछे न हो लेना, तौभी उस ने यहोवा क आWा न मानी। 11 और यहोवा ने सुलम ै ान से कहा, तुझ से जो ऐसा काम हुआ है , और मेर: ब(धाई हुई वाचा और द: हुई वीिध तू ने पूर: नह:ं क, इस कारण मE जाGय को िन_य तूफ से छqनकर तेरे एक कमOचार: को दे दं ग ू ा। 12 तौभी तेरे पता दाऊद के कारण तेरे दनो म तो ऐसा न कRंगा; पर(तु तेरे पुऽ के हाथ से राGय छqन लूग ं ा। 13 फर भी मE पूणO राGय तो न छqन लूग ं ा, पर(तु अपके दास दाऊद के कारण, और अपके चुने हुए यRशलेम के कारण, मE तेरे पुऽ के हाथ म एक गोऽ छोड़ दं ग ू ा। 14 सो यहोवा ने एदोमी हदद को जो एदोमी राजवंश का या, सुलम ै ान का शऽु बना दया। 15 यHक जब दाऊद एदोम म या, और योआब सेनापित मारे हुओं को िम=ट दे ने गया, 16 ( योआब तो समःत इॐाएल समेत वहां छ: मह:ने रहा, जब तक क उस ने एदोम के सब मुdषHको नाश न कर दया) 17 तब हदद जो छोटा लड़का या, अपके पता के कई एक

एदोमी सेवकHके संग िमॐ को जाने क मनसा से भागा। 18 और वे िमrान से होकर परान को आए, और परान म से कई पुdषHको संग लेकर िमॐ म फ़रौन राजा के पास गए, और फ़रौन ने उसको घर दया, और उसको भोजन िमलने क आWा द: और कुछ भूिम भी द:। 19 और हदद पर फ़रौन क बड़े अनुमह क l हुई, और उस ने उसको अप क साली अयाOत ् तहपकेस रानी क बहन cयाह द:। 20 और तहपकेस क बहन से गनूबत उप(न हुआ और इसका दध ू तहपकेस ने फ़रौन के भवन म छुड़ाया; तब बनूबत फ़रौन के भवन म उसी के पुऽHके साय रहता या। 21 जब हदद ने िमॐ म रहते यह सुना, क दाऊद अपके पुरखाओं के संग सो गया, और योआब सेनापित भी मर गया है , तब उस ने फ़रौन से कहा, मुझे आWा दे क मE अपके दे श को जाऊं ! 22 फ़रौन ने उस से कहा, यH? मेरे यहां तुझे या घट: हुई क तू अपके दे श को जला जाना चाहता है ? उस ने उर दया, कुछ नह:ं हुई, तौभी मुझे अपँय जाने दे । 23 फर परमे र ने उसका एक और शऽु कर दया, अयाOत ् ए`यादा के पुऽ रजोन को, वह तो अपके ःवामी सोबा के राजा हददे जेर के पास से भागा या; 24 और जब दाऊद ने सोबा के जनHको घात कया, तब रजोन अपके पास कई पुdषHको इक=ठे करके, एक दल का ूधान हो गया, और वह दिमँक को जाकर वह:ं रहने और राGय करने लगा। 25 और उस हािन को छोड़ जो हदद ने क, रजोन भी, सुलम ै ान के जीवन भर अॐाएल का शऽु बना रहा; और वह इॐाएल से घृणा रखता हुआ अराम पर राGय करता या 26 फर नबात का और सRआह नाम एक वधवा का पुऽ यारोबाम नाम एक एूैमी सरे दाबासी जो सुलम ै ान का कमOचार: या, उस ने भी राजा के वda िसर उठाया। 27 उसका राजा के वda िसर अठाने का यह कारण हुआ, क सुलम ै ान िम`लो

को बना रहा या ओर अपके पता दाऊद के नगर के दरार ब(द कर रहा या। 28 यारोबाम बड़ा हा◌ूरवीर या, और जब सुलम ै ान ने जवान को दे खा, क यह पgरnमी ह; तब उस ने उसको यूसफ ु के घराने के सब काम पर मु'खया ठहराया। 29 उ(ह:ं दनHम यारोबाम यRशलेम से िनकलकर जा रहा या, क शीलोबासी अहयाह नबी, नई चXर ओढ़े हुए मागO पर उस से िमला; और केवल वे ह: दोनHमैदान म थे। 30 अपैर अहयाह ने अप क उस नई चXर को ले िलया, और उसे फाड़कर बारह टु कड़े कर दए। 31 तब उस ने यारोबाम से कहा, दस टु कड़े ले ले; यHक, इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , क सुन, मE राGय को सुलम ै ान के हाथ से छqन कर दस गोऽ तेरे हाथ म कर दं ग ू ा। 32 पर(तु मेरे दास दाऊद के कारण और यRशलेम के कारण जो मE ने इॐाएल के सब गोऽHम से चुना है , उसका एक गोऽ बना रहे गा। 33 इसका कारण यह है क उ(हHने मुझे याग कर सीदोिनयHक दे वी अँतोरे त और मोआबयHके दे वता कमोश, और अSमोिनयHके दे वता िम`कोम को दणडवत क, और मेरे मागॉं पर नह:ं चले : और जो मेर: l म ठqक है , वह नह:ं कया, और मेर: वेिधयHऔर िनयमHको नह:ं माना जैसा क उसके पता दाऊद ने कया। 34 तौभी मE उसके हाथ से पूणO राGय न ले लूग ं ा, पर(तु मेरा चुना हुआ दास दाऊद जो मेर: आWाएं और विधयां मानता रहा, उसके कारण मE उसको जीवन भर ूधान ठहराए रखूंगा। 35 पर(तु उसके पुऽ के हाथ से मE राGय अयाOत ् दस गोऽ लेकर तुझे दे दं ग ू ा। 36 और उसके पुऽ को मE एक गोऽ दं ग ू ा, इसिलथे क यRँसलेम अयाOत ् उस नगर म 'जसे अपना नाम रखने को मE ने चुना है , मेरे दास दाऊद का द:पक मेरे साSहने सदै व बना रहे । 37 पर(तु तुझे मE ठहरा लूग ं ा, और तू अप क इ.छा भर इॐाएल पर

राGय करे गा। 38 और यद तू मेरे दास दाऊद क नाई मेर: सब आWाएं, और मेरे मागॉं पर चले, और जो काम मेर: l म ठqक है , वह: करे , और मेर: विधयां और आा◌ाएं मानता रहे , तो मE तेरे संग रहंू गा, और 'जस तनह मE ने दाऊद का घराना बनाए रखा है , वैसे ह: ते रा भी घराना बनाए रखूंगा, और ते रे हाथ इॐाएल को दं ग ू ा। 39 इस पाप के कारण मE दाऊद के वंश को द:ु ख दं ग ू ा, तौभी सदा तक नह:ं। 40 और सुलम ै ान ने यारोबाम को मार डालना चाहा, पर(तु यारोबाम िमॐ के राजा शीशक के पास भाग गया, और सुलम ै ान के मरने नक वह:ं रहा। 41 सुलम ै ान क और सब बात और उसके सब काम और उसक बुaमानी का वणOन, या सुलम ै ान के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 42 सुलम ै ान को यRशलेम म सब इॐाएल पर राGय करते हुए चालीस वषO बीते। 43 और सुलम ै ान अपके पुरखाओं के संग सोया, और उसको उसके पता दाऊद के नगर म िम=ट: द: गई, और उसका पुऽ रहूबयाम उसके ःयान पर राजा हुआ। 1 राजा 12 1 रहूबयाम तो शकेम को गया, यHक सब इॐाएली उसको राजा बनाने के िलथे वह:ं गए थे। 2 और जब नबात के पुऽ यारोबाम ने यह सुना, ( जो अब तक िमॐ म रहता या, यHक यारोबाम सुलम ै ान राजा के डर के मारे भगकर िमॐ म रहता या। 3 सो उन लोगHने उसको बुलवा भेजा ) तब यारोबाम और इॐाएल क समःत सभा रहूबयाम के पास जाकर यHकहने लगी, 4 क तेरे पता ने तो हम लोगHपर भार: जूआ डाल रखा या, तो अब तू अपके पता क कठन सेवा को, और उस भार: जूए को, जो उस ने हम पर डाल रखा है , कुछ हलका कर; तब हम तेरे

अधीन रह गे। 5 उस ने कहा, उभी तो जाओ, और तीन दन के बाद मेरे पास फर आना। तब वे चले गए। 6 तब राजा रहूबयाम ने उन बूढ़Hसे जो उसके पता सुलम ै ान के जीवन भर उसके साSहने उप'ःयत रहा करते थे सSमित ली, क इस ूजा को कैसा उर दे ना उिचत है , इस म तुम या सSमित दे ते हो? 7 उ(हHने उसको यह उर दया, क यद तू अभी ूजा के लोगHका दास बनकर उनके अधीन हो और उन से मधुर बात कहे , तो वे सदै व तेरे अधीन बने रह गे। 8 रहूबयाम ने उस सSमित को छोड़ दया, जो बूढ़Hने उसको द: यी,और उन जवानHसे सSमित ली, जो उसके संग बड़े हुए थे, और उसके सSमुख उप'ःयत रहा करते थे। 9 उन से उस ने पूछा, मE ूजा के लोगHको कैसा उर दं ?ू उस म तुम या सSमित दे ते हो? उ(हो ने तो मुझ से कहा है , क जो जूआ तेरे पता ने हम पर डाल रखा है , उसे तू हलका कर। 10 जवानHने जो उसके संग बड़े हुए थे उसको यह उर दया, क उन लोगHने तुझ से कहा है , क तेरे पता ने हमारा जूआ भार: कया या, पर(तु तू उसे हमारे िलऐ हलका कर; तू उन से यHकहना, क मेर: िछं गुिलया मेरे पता क कमर से भी मोट: है । 11 मेरे पता ने तुम पर जो भार: जूआ रखा या, उसे मE और भी भार: कRंगा; मेरा पता तो तुम को कोड़Hसे ताड़ना दे ता या, पर(तु मE ब.छुओं से दं ग ू ा। 12 तीसरे दन, जैसे राजा ने ठहराया या, क तीसरे दन मेरे पास फर आना, वैसे ह: यारोबाम और समःत ूजागण रहूबयाम के पास उप'ःयत हुए। 13 तब राजा ने ूजा से कड़: बात कं, 14 और बूढ़Hक द: हुई सSमित छोड़कर, जवानHक सSमित के अनुसार उन से कहा, क मेरे पता ने तो तुSहारा जूआ भार: कर दया, पर(तु मE उसे और भी भार: कर दं ग ू ा : मेरे पता ने तो कोड़Hसे तुम को ताड़ना द:, पर(तु मE तुम को ब.छुओं से

ताड़ना दं ग ू ा। 15 सो राजा ने ूजा क बान नह:ं मानी, इसका कारण यह है , क जो वचन यहोवा ने शीलोवासी अहयाह के kारा नबात के पुऽ यारोबाम से कहा या, उसको पूरा करने के िलथे उस ने ऐसा ह: ठहराया या। 16 जब सब इॐाएल ने दे खा क राजा हमार: नह:ं सुनता, तब वे बोले, क दाऊद के साय हमारा या अंश? हमारा तो ियशै के पुऽ म कोई भाग नह:ं ! हे इॐाएल अपके अपके डे रे को चले जाओ : अब हे दाऊद, अपके ह: घराने क िच(ता कर। 17 सो इॐाएल अपके अपके डे रे को चले गए। केवल 'जतने इॐाएली यहूदा के नगरHम बसे हुए थे उन पर रहूबयाम राGय करता रहा। 18 तब राजा रहूबयाम ने अदोराम को जो सब बे गारHपर अिध कारनेी या, भेज दया, और सब इॐाएिलयHने असको पेवाह कया, और वह मर गया : तब रहूबयाम फुतीं से अपके रय पर चढ़कर यRशलेम को भाग गया। 19 और इॐाएल दाऊद के घराने से फर गया, और आज तक फरा जुआ है । 20 यह सुनकर क यारोबाम लौट आया है , समःत इॐाएल ने उसको मणडली म बुलवा भेजकर, पूणO इॐाएल के ऊपर राजा िनयुf कया, और यहूदा के गोऽ को छोड़कर दाऊद के घाराने से कोई िमला न रहा। 21 जब रइूबयाम यRशलेम को आया, तब उस ने यहूदा के पूणO घराने को, और ब(यामीन के गोऽ को, जो िमलकर एक लाख अःसी हजार अ.छे योaा थे, इक=ठा कया, क वे इॐाएल के घराने के साय लड़कर सुलम ै ान के पुऽ रहूबयाम के वश म फर राGय कर द । 22 तब परमे न का यह वचन परमे र के जन शमायाह के पास पहंु चा क यहूदा के राजा सुलम ै ान के पु,◌ा रहूबयाम से, 23 और यहूदा और ब(यामीन के सब घराने से, और सब लोगHसे कह, यहोवा यHकहता है , 24 क अपके भाई इॐाएिलयHपर चढ़ाई करके युa न करो; तुम

अपके अपके घर लौट जाओ, यHक यह बात मेर: ह: ओर से हुई है । यहोवा का यह वचन मानकर उ(हHने उसके अनुसार लौट जाने को अपना अपना मागO िलया। 25 तब यारोबाम एूैम के पहाड़: दे श के शकेम नगर को lढ़ करके उस म

रहने लगा; फर वहांसे िनकलकर पनूएल को भी lढ़ कया। 26 तब यारोबाम सोचने लगा, क अब राGय दाऊद के घराने का हो जाएगा। 27 यद ूजा के लोग यRशलेम म बिल करने को जाएं, तो उनका मन अपके ःवामी यहूदा के राजा रहूिगयाम क ओर फरे गा, और वे मुझे घात करके यहूदा के राजा रहूबयाम के हो जाएंगे। 28 तो राजा ने सSमित लेकर सोने के दो बछड़े बनाए और लोगHसे कहा, यRशलेम को जाना तुSहार: शf से बाहर है इसिलथे हे इॐाएल अपके दे वताओं को दे खो, जो नुSह िमॐ दे श से दकाल लाए हE । 29 तो उस ने एक बछड़े को बेतेल, और दस ू रे को दान म ःयपत कया। 30 और यह बात पाप का कारण हुई; यHक लोग उस एक के साSहने दणडवत करने को दान तक जाने लगे। 31 और उस ने ऊंचे ःयानHके भवन बनाए, और सब ूकार के लोगHम से जो लेवीवंशी न थे, याजक ठहराए। 32 फर यारोबाम ने आठव मह:ने के प(िहव दन यहूदा के पवO के समान एक पवO इहरा दया, और वेद: पर बिल चढ़ाने लगा; इस र:ित उस ने बेतेल म अपके बनाए हुए बछड़Hके िलथे वेद: पर, बिल कया, और अपके बनाए हुए ऊंचे ःयनHके याजकHको बे तेल म ठहरा दया। 33 और 'जस मह:ने क उस ने अपके मन म क`पना क यी अयाOत ् आठव मह:ने के प(िहव दन को वह बे तेल म अप क बनाई हुई वेद: के पास चढ़ गया। उस ने इॐाएिलयHके िलथे एक पcवO ठहरा दया, और धूप जलाने को वेद: के पास चढ़ गया। 1 राजा 13

1 तब यहोवा से वचन पाकर परमे र का बक जन यहूदा से बेतेल को आया, और यारोबाम धूप जलाने के िलथे वेद: के पास खड़ा या। 2 उस जन ने यहोवा से वचन पाकर वेद: के वda यHपुकारा, क वेद:, हे वेद: ! यहोवा यHकहता है , क सुन, दाऊद के कुल म योिशयाह नाम एक लड़का उप(न होगा, वह उन ऊंचे ःयनHके याजकHको जो तुझ पर धूप जलाते हE , तुझ पर बिल कर दे गा; और तुझ पर पनुंयHक ह']डयां जलाई जाएंगी। 3 और उस ने, उसी दन यह कहकर उस बात का एक िच॑ृ भी बताया, क यह वचन जो यहोवा ने कहा है , इसका िच॑ृ यह है क यह वेद: फट जाएगी, और इस पर क राख िगर जाएगी। 4 तब ऐसा हुआ क परमे र के जन का यह वचन सुनकर जो उस ने बे तेल के वda पुकार कर कहा, यारोबाम ने वेद: के पास से हाथ बढ़ाकर कहा, उसको पाड़ लो : तब उसका हाथ जो उसक ओर बढ़ाया गया या, सूख गया और वह उसे अप क ओर खींच न सका। 5 और वेद: फट गई, और उस पर क राख िगर गई; सो वह िच॑ृ पूरा हुआ, जो परमे र के जन ने यहोवा से वचन पाकर कहा या। 6 तब राजा ने परमे र के जन से कहा, अपके परमे र यहोवा को मना और मेरे िलथे ूायOना कर, क मेरा हाथ GयHका यो हो जाए : तब परमे र के जन ने यहोवा को मनाया और राजा का हाथ फर GयHका यHहो गया। 7 तब राजा ने परमे र के जन से कहा, मेरे संग घर चलकर अपना ूाण ठं डा कर, और मE तुझे दान भी दं ग ू ा। 8 परमे र के जन ने राजा से कहा, चाहे नू मुझे अपना आधा घर भी दे , तौभी ते रे घर न चलूग ं ा; और इस ःयन म मE न तो रोट: खाऊंगा और न पानी पीऊंगा। 9 यHक यहोवा के वचन के kारा मुझे यHआWा िमली है , क न तो रोट: खाना, और न पानी पीना, और न उस मागO से लौटना 'जस से तू जाएगा। 10 इसिलथे वह उस मागO से 'जसे

बे तेल को गया या न लौटकर, दस ू रे मागO से चला गया। 11 बेतेल म एक बूढ़ा नबी रहता या, और उसके एक बेटे ने आकर उस से उन सब कामHका वणOन कया जो परमे र के जन ने उस दन बे तेल म कए थे; और जो बात उस ने राजा से कह: थीं, उनको भी उस ने अपके पता से कह सुनाया। 12 उसके बेटHने तो यह दे खा या, क परमे र का वह जन जो यहूदा से आया या, कस मागO से चला गया, सो उनके पता ने उन से पूछा, वह कस मागO से चला गया? 13 और उस ने अपके बे टHसे कहा, मेरे िलथे गदहे पर काठq बा(धो्र; तब अ(हHने गदहे पर काठq बा(धी, और वह उस पर चढ़ा, 14 और परमे र के जन के पीछे जाकर उसे एक बांजवृझ के तले बैठा हुआ पाया; और उस से मूछा, परमे र का जो जन यहूदा से आया या, या तू वह: है ? 15 उस ने कहा हां, वह: हूँ◌ू◌ू। उस ने उस से कहा, मेरे संग घर चलकर भोजन कर। 16 उस ने उस से कहा, मE न तो ते रे संग लौट सकता, और न ते रे संग घर म जा सकता हँू और न मE इस ःयान म तेरे संग रोट: खाऊंगा, वा पानी पीऊंगा। 17 यHक यहोवा के वचन के kारा मुझे यह आWा िमली है , क वहां न तो रोट: खाना और न पानी पीना, और 'जस मागO से तू जाएगा उस से न लौटना। 18 उस ने कहा, जैसा तू नबी है वैसा ह: मE भी नबी हँू ; और मुझ से एक दत ू ने यहोवा से वचन पाकर कहा, क उस पुdष को अपके संग अपके घर लौटा ले आ, क वह रोट: खाए, और पानी पीए। यह उस ने उस से फूठ कहा। 19 अतएव वह उसके संग लौट गया और उसके घर म रोट: खाई और मानी पीया। 20 और जब वे मेज पर बैठे ह: थे, क यहोवा का वचन उस नबी के पास पहंु चा, जो दस ू रे को लौटा ले आया या। 21 और उस ने परमे र के उस जन को जो यहूदा से आया या, पुकार के कहा, यहोवा यHकहता है इसिलथे क तू ने यहोवा

का वचन न माना, और जो आWा तेरे परमे र यहोवा ने तुझे द: यी उसे भी नह:ं माना; 22 पर(तु 'जस ःयान के वषय उस ने तुझ से कहा या, क उस म न तो रोट: खाना और न पानी पीना, उसी म तू ने लौट कर रोट: खाई, और पानी भी पया है इस कारण तूफे अपके पुरखाओं के कॄःतान म िम=ट: नह:ं द: जाएगी। 23 जब यह खा पी चुका, तब उस ने परमे र के उस जन के िलथे 'जसको वह लौटा ले आया या गदहे पर काठq ब(धाई। 24 जब वह मागO म चल रहा या, तो एक िसंह उसे िमला, और उसको मार डाला, और उसक लोय मागO पर प क रह:, और गदहा उसके पास खड़ा रहा और िसंह भी लोय के पास खड़ा रहा। 25 जो लोग उधर से चले आ रहे थे उ(हHने यह दे ख कर क मागO पर एक लोय प क है , और उसके पास िसंह खड़ा है , उस नगर म जाकर जहां वह बूढ़ा नबी रहता या यह समाचार सुनाया। 26 यह सुनकर उस नबी ने जो उसको मागO पर से लौटा ले आया या, कहा, परमे र का वह: जन होगा, 'जस ने यहोवा के वचन के वda कया या, इस कारण यहोवा ने उसको िसंह के पंजे म पड़ने दया; और यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उस ने उस से कहा या, िसंह ने उसे फाड़कर मार डाला होगा। 27 तब उस ने अपके बेटHसे कहा, मेरे िलथे गदहे पर काठq बा(धो; जब उ(हHने काठq बा(धी, 28 तब उस ने जाकर उस जन क लोय मागO पर प क हुई, और गदहे , और िसंह दोनHको लोय के पास खड़े हुए पाया, और यह भी क िसंह ने न तो लौय को खाया, और न बदहे को फाड़ा है । 29 तब उस बूढ़े नबी ने परमे र के जन क लोय उठाकर गदहे पर लाद ली, और उसके िलथे छाती पीटने लगा, और उसे िम=ट: दे ने को अपके नगर म लौटा ले गया। 30 और उस ने उसक लोय को अपके कॄःतान म रखा, और लोग हाथ, मेरे भाई ! यह कहकर छाती पीटने

लगे। 31 फर उसे िम=ट: दे कर उस ने अपके बेटHसे कहा, जब मE मर जाऊंगा तब मुझे इसी कॄःतान म रखना, 'जस म परमे र का यह जन रखा गया है , और मेर: ह']डयां उसी क ह']डयHके पास धर दे ना। 32 यHक जो वचन उस ने यहोवा से पाकर बेतेल क वेद: और शHमरोन के नगरHके सब ऊंचे ःयानHके भवनHके वda पुकार के कहा है , वह िन_य पूरा हो जाएगा। 33 इसके बाद यारोबाम अप क बुर: चाल से न फरा। उस ने फर सब ूकार के लोगो म से ऊंचे ःयानHके याजक बनाए, वरन जो कोई चाहता या, उसका संःकार करके, वह उसको ऊंचे ःयानHका याजक होने को ठहरा दे ता या। 34 और यह बात यारोबाम के घराने का पाप ठहर:, इस कारण उसका वनाश हुआ, और वह धरती पर से नाश कया गया। 1 राजा 14 1 उस समय यारोबाम का बेटा अबयाह रोगी हुआ। 2 तब यारोबाम ने अप क \ी से कहा, ऐसा भेष बना क कोई तुझे पहचान न सके क यह यारोबाम क \ी है , और शीलो को च क जा, वहां तो अहयाह नबी रहता है 'जस ने मुझ से कहा या क तू इस ूजा का राजा हो जाएगा। 3 उसके पास तू दस रोट:, और पपडय़ां और एक कु€पी मधु िलथे हुए जा, और वह तुझे बताएगा क लड़के को या होगा। 4 यारोबाम क \ी ने वैसा ह: कया, और चलकर हा◌ीलो को पहंु ची और अहयाह के घर पर आई : अहयाह को तो कुछ सूफ न पड़ता या, यHक बुढ़ापे के कारण उसक आंख धु(धली पड़ गई यीं। 5 और यहोवा ने अहयाह से कहा, सुन यारोबाम क \ी तुझ से अपके बेटे के वषय म जो रोगी है कुछ पूछने

को आती है , तू उस से थे थे बात कहना; वह तो आकर अपके को दस ू र: औरत बनाएगी। 6 जब अहयाह ने kार म आते हुए उसके पांव क आहट सुनी तब कहा, हे यारोबाम क \ी ! भीतर आ; तू अपके को यHदस ू र: \ी बनाती है ? मुझे तेरे िलथे भार: स(दे श िमला है । 7 तू जाकर यारोबाम से कह क इॐाएल का परमे र यहोवा तुझ से यHकहता है , क मE ने तो तुझ को ूजा म से बढ़ाकर अप क ूजा इॐाएल पर ूधान कया, 8 और दाऊद के घराने से राGय छqनकर तुझ को दया, पर(तु तू मेरे दास दाऊद के समान न हुआ जो मेर: आWाओं को मानता, और अपके पूणO मन से मेरे पीछे पीछे चलता, और केवल वह: करता या जो मेर: l म ठqक है । 9 तू ने उन सभHसे बढ़कर जो तुझ से पहले थे बुराई, क है , और जाकर पराथे दे वता क उपासना क और मूरत ढालकर बनाई, 'जस से मुझे बोिधत कर दया और मुझे तो पीठ के पीछे फ क दया है । 10 इस कारण मE यारोबाम के घराने पर वप डालूग ं ा, वरन मE यारोबाम के कुल म से हर एक लड़के को ओर या ब(धुए, या ःवाधीन इॐाएल के म~य हर बक रहनेवाले को भी न कर डालूग ं ा : और जैसा कोई गोबर को तब तक उठाता रहता है जब तक वह सब उठा तह:ं िलया जाता, वैसे ह: मE यारोबाम के घराने क सफाई कर दं ग ू ा। 11 यारोबाम के घराने का जो कोई नगर म मर जाए, उसको कुे खाएंगे; और जो मैदान म मरे , उसको आकाश के प क खा जाएंगे; यHक यहोवा ने यह कहा है ! 12 इसिलथे तू उठ और अपके घर जा, और नगर के भीतर तेरे पांव पड़ते ह: वह बालक तर जाएगा। 13 उसे तो समःत इॐाएली छाती पीटकर िम=ट: द गे; यारोबाम के स(तानHम से केवल उसी को कबर िमलेगी, यHक यारोबाम के घराने म से उसी म कुछ पाया जाता है जो यहोवा इॐाएल के ूभु क द म भला

है । 14 फर यहोवा इॐाएल के िलथे एक ऐसा राजा खड़ा करे गा जो उसी दन यारोबाम के घराने को नाश कर डालेगा, पर(तु कब? 15 यह अभी होगा। यHक यहोवा इॐाएल को ऐसा मारे गा, जैसा जल क धारा से नरकट हलाया जाता है , और वह उनको इस अ.छq भूिम म से जो उस ने उनके पुरखाओं को द: यी उखाड़कर महानद के पार ितर-बर करे गा; यHक उ(हHने अशेरा ताम मूरत

अपके िलथे बनाकर यहोवा को बोध दलाया है । 16 और उन पापHके कारण जो यारोबाम ने कए और इॐाएल से कराए थे, यहोवा इॐाएल को याग दे गा। 17 तब यारोबाम क \ी बदा होकर च क और ितरज़ा को आई, और वह भवन क डे वढ़: पर जैसे ह: पहंु ची क वह बालक मर गया। 18 तब यहोवा के वचन के अनुसार जो उस ने अपके दास अहयाह नबी से कहलाया या, समःत इॐाएल ने उसको िम=ट: दे कर उसके िलथे शोक मनाया। 19 यारोबाम के और काम अयाOत ् उस ने कैसा कैसा युa कया, और कैसा राGय कया, यह सब इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म िलखा है । 20 यारोबाम बाईस वषO तक राGय करके अपके पुरखाओं के साय सो गया और नादाब नाम उसका पुऽ उसके ःयान पर राजा हुआ। 21 और सुलम ै ान का पुऽ रहूबयाम यहूदा म राGय करने लगा। रहूबयाम इकतालीस वषO का होकर राGय करने लगा; और यRशलेम 'जसको यहोवा ने सारे इॐाएली गोऽHम से अपना नाम रखने के िलथे चुन िलया या, उस नगर म वह सऽह वषO तक राGय करता रहा; और उसक माता का नाम नामा या जो अSमोनी \ी यी। 22 और यहूद: लोग वह करने लगे जो यहोवा क l म

बुरा है , और अपके पुरखाओं से भी अिधक पाप काके उसक जलन भड़काई। 23 उ(हHने तो सब ऊंचे ट:लHपर, और सब हरे वृझHके तले, ऊंचे ःयान, और लाठ ,

और अशेरा नाम मूरत बना लीं । 24 और उनके दे श म पुdषगामी भी थे; िनदान वे उन जाितयHके से सब िघनौने काम करते थे 'ज(ह यहोवा ने इॐाएिलयHके साSहने से िनकाल दया या। 25 राजा सहूबयाम के पांचव वषO म िमॐ का राजा शीशक, यRशलेम पर चढ़ाई करके, 26 यहोवा के भवन क अनमोल वःतुएं और राजभवन क अनमोल वःतुए,ं सब क सब उठा ले गया; और सोने क जो ढाल

सुलम ै ान ने बनाई थीं सब को वह ले गया। 27 इसिलथे राजा रहूबयाम ने उनके बदले पीतल क ढाल बनवाई और उ(ह पहdओं के ूधानHके हाथ सxप दया जो राजभवन के kार क रखवाली करते थे। 28 और जब जब राजा यहोवा के भवन म जाता या तब तब पहdए उ(ह उठा ले चलते, और फर अप क कोठर: म

लौटाकर रख दे ते थे। 29 रहूबयाम के और सब काम जो उस ने कए वह या यहूदा के राजाओ के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखे हE ? 30 रहूबयाम और यारोबाम म तो सदा लड़ाई होती रह:। 31 और रहूबयाम 'जसक माता नामा नाम एक अSमोिनन यी, अपके पुरखाओं के साय सो गया; और उ(ह:ं के पास दाऊदपुर म उसको िम=ट: द: गई : और उसका पुऽ अबयाम उसके ःयान पर राGय करने लगा। 1 राजा 15 1 नाबात के पुऽ यारोबाम के राGय के अठारहव वषO म अबयाम यहूदा पर राGय करने लगा। 2 और वह तीन वषO तक यRशलेम म राGय करता रहा। उसक माता का नाम माका या जो अबशालोम क पुऽी यी : 3 वह वैसे ह: पापHक लीक पर चलता रहा जैसे उसके पता ने उस से पहले कए थे और उसका मन

अपके परमे र यहोवा क ओर अपके परदादा दाऊद क नाई पूर: र:ित से िसa न या; 4 तौभी दाऊद के कारण उसके परमे र यहोवा ने यRशलेम म उसे एक द:पक दया अयाOत ् उसके पुऽ को उसके बाद ठहराया और यRशलेम को बनाए रखा। 5 यHक दाऊद वह कया करता या जो यहोवा क l म ठqक या और ही ऊgरयाह क बात के िसवाय और कसी बात म यहोवा क कसी आWा से जीवन भर कभी न मुड़ा। 6 रहूबयाम के जीवन भर तो उसके और यारोबाम के बीच लड़ाई होती रह:। 7 अबयाम के और सब काम जो उस ने कए, या वे यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखे हE ? और अबयाम क यारोबाम के साय लड़ाई होती रह:। 8 िनदान अबयाम अपके पुरखाओं के संग सोया, और उसको दाऊदपुर म िम=ट: द: गई, और उसका पुऽ आसा उसके ःयान पर राGय करने लगा। 9 इॐाएल के राजा यारोबाम के बीसव वषO म आसा यहूदा पर राGय करने लगा; 10 और यRशलेम म इकतालीस वषO तक राGय करता रहा, और उसक माता अबशालोम क पुऽी माका यी। 11 और आसा ने अपके मूलपुdष दाऊद क नाई वह: कया जो यहोवा क l म ठqक या। 12 उस ने तो पुdषगािमयHको दे श से िनकाल दया, और 'जतनी मूरत उसके पुरखाओं ने बनाई यी उन सभHको उस ने दरू कर दया। 13 वरन उसक माता माका 'जस ने अशेरा के िलथे एक िघनौनी मूरत बनाई यी उसको उस ने राजमाता के पद से उतार दया, और आसा ने उसक मूरत को काट डाला और किोन के नाले म

फूंक दया। 14 पर(तु ऊंचे ःयान तो ढाए न गए; तौभी आसा का मन जीवन भर यहोवा क ओर पूर: र:ित से लगा रहा। 15 और जो सोना चांद: और पाऽ उसके पता ने अपOण कए थे, और जो उसने ःवयं अपOण कए थे, उन सभHको उस ने

यहोवा के भवन म पहंु चा दया। 16 और आसा और इॐाएल के राजा बाशा के बीच उनके जीवन भर युa होता रहा 17 और इॐाएल के राजा बाशा ने यहूदा पर चढ़ाई क, और रामा को इसिलथे lढ़ कया क कोई यहूदा के राजा आसा के पास आने जाने न पाए। 18 तब आसा ने 'जतना सोना चांद: यहोवा के भवन और राजभवन के भणडारHम रह गया या उस सब को िनकाल अपके कमOचाgरयHके हाथ सHपकर, दिमँकवासी अराम के राजा बे(हदद के पास जो हे Gयोन का पोता और तॄSमोन का पुऽ या भेजकर यह कहा, क जैसा मेरे और तेरे पता के म~य म वैसा ह: मेरे और तेरे म~य भी वाचा बा(धी जाए : 19 दे ख, मE तेरे पास चांद: सोने क भ ट भेजता हँू , इसिलथे आ, इॐाएल के राजा बाशा के साय क अप क वाचा को टाल दे , क वह मेरे पास से चला जाए। 20 राजा आसा क यह बात मानकर बे(हदद ने अपके दलHके ूधानHसे इॐाएली नगरHपर चढ़ाई करवाकर इयोन, दान, आबे`वेमाका और समःत क(नेरेत को और नTाली के समःत दे श को पूरा जीत िलया। 21 यह सुनकर बाशा ने रामा को lढ़ करना छोड़ दया, और ितसाO म रहने लगा। 22 तब राजा आसा ने सारे यहूदा म ूचार करवाया और कोई अनसुना न रहा, तब वे रामा के पेHउौर लकड़: को 'जन से बासा उसे lढ़ करता या उठा ले गए, और उन से राजा आसा ने ब(यामीन के गेबा और िमःपा को lढ़ कया। 23 आसा के और काम और उसक वीरता और जो कुछ उस ने कया, और जो नगर उस ने lढ़ कए, यह सब या यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 24 पर(तु उसके बुढ़ापे म तो उसे पांवHका रोग लग गया। िनदान आसा अपके पुरखाओं के संग सो गया, और उसे उसके मूलपुdष दाऊद के नगर म उ(ह:ं के पास प=ट: द: गई और उसका पुऽ यहोशापात उसके

ःयान पर राGय करने लगा। 25 यहूदा के राजा आसा के दस ू रे वषO म यारोबाम का पुऽ नादाब इॐाएल पर राGय करने लगा; और दो वषO तक राGय करता रहा। 26 उस ने वह काम कया जो यहोवा क l म बुरा या और अपके पता के मागO पर वह: पाप करता हुआ चलता रहा जो उस ने इॐाएल से करवाया या। 27 नादाब सब इॐाएल समेत पिल'ँतयHके दे श के िगcबतोन नगर को घेरे या। और उःसाकार के गोऽ के अहयाह के पुऽ बाशा ने उसके वda राजिोह क गोvी करके िगcबतोन के पास उसको मार डाला। 28 और यहूदा के राजा आसा के तीसरे वषO म बाशा ने नादाब को मार डाला, और उसके ःयान पर राजा बन गया। 29 राजा होते ह: बाशा ने यारोबाम के समःत घराने को मार डाला; उस ने यारोबाम के वंश को यहां तक न कया क एक भी जीवत न रहा। यह सब यहोवा के उस वचन के अनुसार हुआ जो उस ने अपके दास शीलोवासी अहयाह से कहवाया या। 30 यह इस कारण हुआ क यारोबाम ने ःवयं पाप कए, और इॐाएल से भी करवाए थे, और उस ने इॐाएल के परमे र यहोवा को बोिधत कया या। 31 नादाब के और सब काम जो उस ने कए, वह या इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक प नह:ं िलखे हE ? 32 आसा और इॐाएल के राजा बाशा के म~य म तो उनके जीवन भर युa होता रहा। 33 यहूदा के राजा आसा के तीसरे वषO म अहयाह का पुऽ बाशा, ितसाO म समःत इॐाएल पर राGय करने लगा, और चौबीस वषO तक राGय करता रहा। 34 और उस ने वह कया, जो यहोवा क l म बुरा या, और यारोबाम के मागO पर वह: पाप करता रहा 'जसे उस ने हॐाएल से करवाया या। 1 राजा 16

1 और बाशा के वषय यहोवा का यह वचन हनानी के पुऽ थेहू के पास पहंु चा, 2 क मE ने तुझ को िम=ट: पर से उठाकर अप क ूजा इॐाएल का ूधान कया, पर(तु तू यारोबाम क सी चाल चलता और मेर: ूजा इॐाएल से ऐसे पाप कराता आया है 'जन से वे मुझे बोध दलाते हE । 3 सुन, मE बाशा और उसके घराने क पूर: र:ित से सफाई कर दं ग ू ा और ते रे घराने को नबात के पुऽ यारोबाम के समान कर दं ग ू ा। 4 बाशा के घर का जो कोई नगर म मर जाए, उसको कुे खा डाल गे, और उसका जो कोई मैदान म मर जाए, उसको आकाश के प क खा डाल गे। 5 बाशा के और सब काम जो उस ने कए, और उसक वीरता यह सब या इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 6 िनदान बाशा अपके पुरखाओं के संग सो गया और ितसाO म उसे िम=ट: द: गई, और उसका पुऽ एला उसके ःयान पर राGय करने लगा। 7 यहोवा का जो वचन हनानी के पुऽ थेहू के kारा बाशा और उसके घराने के वda आया, वह न केवल उन सब बुराइयHके कारण आया जो उस ने यारोबाम के घराने के समान होकर यहोवा क l म

कया या और अपके कामHसे उसको बोिधत कया, वरन इस कारण भी आया, क उस ने उसको मार डाला या। 8 यहूदा के राजा आसा के छcबीसवे वषO म बाशा का पुऽ एला ितसाO म इॐाएल पर राGय करने लगा, और दो वषO तक राGय करता रहा। 9 जब वह ितसाO म असाO नाम भणडार: के घर म जो उसके ितसाOवाले भवन का ूधान या, दाR पीकर मतवाला हो गया या, तब उसके 'जॆी नाम एक कमOचार: ने जो उसके आधे रयHका ूधान या, 10 राजिोह क गोvी क और भीतर जाकर उसको मार डाला, और उसके ःयान पर राजा बन गया। यह यहूदा के राजा आसा के साइसव वषO म हुआ। 11 और जब वह राGय करने लगा, तब

गX: पर बैठते ह: उस ने बाशा के पूरे घराने को मार डाला, वरन उस ने न तो उसके कुटु 'SबयHउौर न उसके िमऽHम से एक लड़के को भी जीवत छोड़ा। 12 इस र:ित यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उस ने थेहू नबी के kारा बाशा के वda कहा या, 'जॆी ने बाशा का समःत घराना न कर दया। 13 इसका कारण बाशा के सब पाप और उसके पुऽ एला के भी पाप थे, जो उ(हHने ःवयं आप करके और इॐाएल से भी करवा के इॐाएल के परमे र यहोवा को ययO बातHसे बोध दलाया या। 14 एला के उा◌ौर सब काम जो उस ने कए, वह या इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह: िलखे हE । 15 यहूदा के राजा आसा के साईसव वषO म 'जॆी ितसाO म राGय करने लगा, और ितसाO म सात दन तक राGय करता रहा। उस समय लोग पिल'ँतयHके दे श िगcबतोन के वda डे रे कए हुए थे। 16 तो जब उन डे रे लगाए हुए लोगHने सुना, क 'जॆी ने राजिोह क गोvी करके राजा को मार डाला, तब उसी दन समःत इॐाएल ने ओॆी नाम ूधान सेनापित को छावनी म इॐाएल का राजा बनाया। 17 तब ओॆी ने समःत इॐाएल को संग ले िगcबतोन को छोड़कर ितसाO को घेर िलया। 18 जब 'जॆी ने दे खा, क नगर ले िलया गया है , तब राजभवन के गुSमट म जाकर राजभवन म

आग लगा द:, और उसी म ःवयं जल मरा। 19 यह उसके पापHके कारण हुआ यHक उस ने वह कया जो यहोवा क l म बुरा या, योक वह यारोबाम क सी चाल और उसके कए हूए और इॐाएल से करवाए हुए पाप क लीक पर चला। 20 'जॆी के और काम और जो राजिोह क गोvी उस ने क, यह सब या इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 21 तब इॐाएली ूजा के दो भाग कए गए, ूजा के आधे लोग तो ितcनी नाम गीनत के पुऽ को

राजा करने के िलथे उसी के पीछे हो िलए, और आधे ओॆी के पीछे हो िलए। 22 अ(त म जो लोग ओॆी के पीछे हुए थे वे उन पर ूबल हुए जो गीनत के पुऽ ितcनी के पीछे हो िलए थे, इसिलथे ितcनी मारा गया और ओॆी राजा बन गया। 23 यहूदा के राजा आशा के इकतीसव वषO म ओॆी इॐाएल पर राGय करने लगा, और बारह वषO तक राGय करता रहा; उसने छ:वषO तो ितसाO म राGय कया। 24 और उस ने शमेर से शोमरोन पहाड़ को दो क कार चांद: म मोल लेकर, उस पर एक नगर बसाया; और अपके बसाए हुए नगर का नाम पहाड़ के मािलक शेमेर के नाम पर शोमरोन रखा। 25 और उोॆी ने वह कया जो यहोवा क l म बुरा या वरन उन सभHसे भी जो उससे पहले थे अिधक बुराई क। 26 वह नबात के पुऽ यारोबाम क सी सब चाल चला, और उसके सब पापHके अनुसार जो उस ने इॐाएल से करवाए थे 'जसके कारण इॐाएल के परमे र यहोवा को उ(हHने अपके ययO कमॉंसे बोध दलाया या। 27 ओॆी के और काम जो उस ने कए, और जो वीरता उस ने दखाई, यह सब या इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 28 िनदान ओॆी अपके पुरखाओं के संग सो गया और शोमरोन म उसको िम=ट: द: गई, और उसका पुऽ अहाब उसके ःयान पर राGय करने लगा। 29 यहूदा के राजा आसा के अड़तीसव वषO म ओॆी का पुऽ अहाब इॐाएल पर राGय करने लगा, और इॐाएल पर शोमरोन म बाईस पषO तक राGय करता रहा। 30 और ओॆी के पुऽ अहाब ने उन सब से अिधक जो उस से पहले थे, वह कमO कए जो यहोवा क l म बुरे थे। 31 उस ने तो नबात के पुऽ यारोबाम के पापHम चलना हलक सी बात जानकर, सीदोिनयHके राजा एतबाल क बेट: ईजेबेल को cयाह कर बाल दे वता क उपासना क और उसको दणडवत

कया। 32 और उस ने बाल का एक भवन शोमरोन म बनाकर उस म बाल क एक वेद: बनाई। 33 और अहाब ने एक अशेरा भी बनाया, वरन उस ने उन सब इॐाएली राजाओं से बढ़कर जो उस से पहले थे इॐाएल के परमे र यहोवा को बोध दलाने के काम कए। 34 उसके दनHम बे तेलवासी ह:एल ने यर:हो को फर बसाया; जब उस ने उसक नेव डाली तब उसका जेठा पुऽ अबीराम मर गया, और जब उस ने उसके फाटक खड़े कए तब उसका लहुरा पुऽ सगूब मर गया, यह यहोवा के उस वचन के अनुसार हुआ, जो उस ने नून के पुऽ यहोशू के kारा कहलवाया या। 1 राजा 17 1 और ितशबी एिलयाह जो िगलाद के परXे िसयHम से या उस ने अहाब से कहा, इॐाएल का परमे ा यहोवा 'जसके सSमुख मE उपःय ्'◌त रहता हँू , उसके जीवन क शपय इन वषॉं म मेरे बना कहे , न तो म ह बरसेगा, और न ओस पकेगी। 2 तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहंु चा, 3 क यहां से चलकर पूरब ओर मुख करके कर:त नाम नाले प जो यरदन के साSहने है िछप जा। 4 उसी नाले का पानी तू पया कर, और मE ने कौवHको आWा द: है क वे तूफे वहां 'खलाएं। 5 यहोवा का यह वचन मानकर वह यरदन के साSहने के कर:त नाम नाले म जाकर िछपा रहा। 6 और सबेरे और सांफ को कौवे उसके पास रोट: और मांस लाया करते थे और वह नाले का पानी पया करता या। 7 कुछ दनHके बाद उस दे श म वषाO न होने के कारण नाला सूख गया। 8 तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहंु चा, 9 क चलकर सीदोन के सारपत नगर म जाकर वह:ं रह : सुन, मE ने वहां क एक

वधवा को तेरे 'खलाने क आWा द: है । 10 सो वह वहां से चल दया, और सारपत को गया; नगर के फाटक के पास पहुंचकर उस ने या दे खा क, एक वधवा लकड़: बीन रह: है , उसको बुलाकर उस ने कहा, कसी पाऽ म मेरे पीने को योड़ा पानी ले आ। 11 जब वह लेने जा रह: यी, तो उस ने उसे पुकार के कहा अपके हाथ म एक टु कड़ा रोट: भी मेरे पास लेती आ। 12 उस ने कहा, तेरे परमे र यहोवा के जीवन क शपय मेरे पास एक भी रोट: नह:ं है केवल घड़े म

मु=ठq भर मैदा और कु€पी म योड़ा सा तेल है , और मE दो एक लकड़: बीनकर िलए जाती हँू क अपके और अपके बे टे के िलथे उसे पकाऊं, और हम उसे खाएं, फर मर जाएं। 13 एिलयाह ने उस से कहा, मत डर; जाकर अप क बात के अनुसार कर, पर(तु पहले मेरे िलथे एक छोट: सी रोट: बनाकर मेरे पास ले आ, फर इसके बाद अपके और अपके बेटे के िलथे बनाना। 14 यHक इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , क जब तक यहोवा भूिम पर म ह न बरसाएगा तब तक न तो उस घड़े का मैदा चुकेगा, और न उस कु€पी का तेल घटे गा। 15 तब वह च क गई, और एिलयाह के वचन के अनुसार कया, तब से वह और \ी और उसका घराना बहुत दन तक खाते रहे । 16 यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उस ने एिलयाह के kारा कहा या, न तो उस घड़े का मैदा चुका, और न उस कु€पी का ते ल घट गया। 17 इन बातHके बाद उस \ी का बे टा जो घर क ःवािमनी यी, रोगी हुआ, और उसका रोग यहां तक बढ़ा क उसका सांस लेना ब(द हो गया। 18 तब वह एिलयाह से कहने लगी, हे परमे र के जन ! मेरा तुझ से या काम? या तू इसिलथे मेरे यहां आया है क मेरे बेटे क मृयु का कारण हो और मेरे पाप का ःमरण दलाए ? 19 उस ने उस से कहा अपना बेटा मुझे दे ; तब वह उसे

उसक गोद से लेकर उस अटार: पर ले गया जहां वह ःवयं रहता या, और अप क खाट पर िलटा दया। 20 तब उस ने यहोवा को पुकारकर कहा, हे मेरे परमे र यहोवा ! या तू इस वधवा का बेटा मार डालकर 'जसके यहां मE टका हंू , इस पर भी वप ले आया है ? 21 तब वह बालक पर तीन बार पसर गया और यहोवा को पुकारकर कहा, हे मेरे परमे र यहोवा ! इस बालक का ूाण इस म

फर डाल दे । 22 एिलयाह क यह बात यहोवा ने सुन ली, और बालक का ूाण उस म फर आ गया और वह जी उठा। 23 तब एिलयाह बालक को अटार: पर से नीचे घर म ले गया, और एिलयाह ने यह कहकर उसक माता के हाथ म सxप दया, क दे ख तेरा बेटा जीवत है । 24 \ी ने एिलयाह से कहा, अब मुझे िन_य हो गया है क तू परमे र का जन है , और यहोवा का जो वचन तेरे मुह ं से िनकलता है , वह सच होता है । 1 राजा 18 1 बहुत दनHके बाद, तीसरे वषO म यहोवा का यह वचन एिलयाह के पास पहंु चा, क जाकर अपके अपप को अहाब को दखा, और मE भूिम पर म ह बरसा दं ग ू ा। 2 तब एिलयाह अपके आप को अहाब को दखाने गया। उस समय शोमरोन म

अकाल भार: या। 3 इसिलथे अहाब ने ओबrाह को जो उसके घराने का द:वान या बुलवाया। 4 ओबrाह तो यहोवा का भय यहां तक मानता या क जब हे ज़ेबेल यहोवा के नबयHको नाश करती यी, तब ओबrाह ने एक सौ नबयHको लेकर पचास-पचास करके गुफाओं म िछपा रखा; और अ(न जल दे कर उनका पालन-पोषण करता रहा। 5 और अहाब ने ओबrाह से कहा, क दे श म जल के

सब सोतHऔर सब नदयHके पास जा, कदािचत इतनी घास िमले क हम घेड़Hऔर ख.चरHको जीवत बचा सक , 6 और हमारे सब पशु न मर जाएं। और उ(हHने आपस म दे श बांटा क उस म होकर चल ; एक ओर अहाब और दस ू र: ओर ओबrाह चला। 7 ओबrाह मागO म या, क एिलयाह उसको िमला; उसे चर(ह कर वह मुह ं के बल िगरा, और कहा, हे मेरे ूभु एिलयह, या तू है ? 8 उस ने कहा हां मE ह: हूँ : जाकर अपके ःवामी से कह, क एिलयाह िमला है । 9 उस ने कहा, मE ने ऐसा या पाप कया है क तू मुझे मरवा डालने के िलथे अहाब के हाथ करना चाहता है ? 10 तेरे परमे र यहोवा के जीवन क शपय कोई ऐसी जाित वा राGय नह:ं, 'जस म मेरे ःवामी ने तुझे ढू ं ढ़ने को न भेजा हो, और जब उन लोगHने कहा, क वह यहां नह:ं है , तब उस ने उस राGय वा जाित को इसक शपय 'खलाई क एिलयाह नह:ं िमला। 11 और अब तू कहता है क जाकर अपके ःवामी से कह, क एिलयाह िमला ! 12 फर GयHह: मE तेरे पास से चला जाऊंगा, यHह: यहोवा का आमा तुझे न जाने कहां उठा ले जाएगा, सो जब मE जाकर अहाब को बताऊंगा, और तू उसे न िमलेगा, तब वह मुझे मार डालेगा : पर(तु मE तेरा दास अपके लड़कपन से यहोवा का भय मानता आया हँू ! 13 या मेरे ूभु को यह नह:ं बताया गया, क जब हे ज़ेबेल यहोवा के नबयHको घात करती यी तब मE ने या कया? क यहोवा के नबयHम से एक सौ लेकर पचाय-पचाय करके गुफाओं म िछपा रखा, और उ(ह अ(न जल दे कर पालता रहा। 14 फर अब तू कहता है , जाकर अपके ःवामी से कह, क एिलयाह िमला है ! तब वह मुझे घात करे गा। 15 एिलयाह ने कहा, सेनाओं का यहोवा 'जसके साSहने मE रहता हँू , उसके जीवन क शपय आज मE अपके अप को उसे

दखाऊंगा। 16 तब ओबrाह अहाब से िमलने गया, और उसको बता दया, सो अहाब एिलयाह से िमलने चला। 17 एिलयाह को दे खते ह: अहाब ने कहा, हे इॐाएल के सतानेवाले या तू ह: है ? 18 उस ने कहा, मE ने इॐाएल को क नह:ं दया, पर(तु तू ह: ने और तेरे पता के घराने ने दया है ; यHक तुम यहोवा क आWाओ को टालकर बाल दे वताओं क उपासना करने लगे। 19 अब दत ू भेजकर सारे इॐाएल को और बाल के साढ़े चार सौ नबयHऔर अशेरा के चार सौ नबयHको जो हे ज़ेबेल क मेज पर खाते हE , मेरे पास कSमल पवOत पर इक=ठा कर ले। 20 तब अहाब ने सारे इॐाएिलयHको बुला भेजा और नबयHको कSमल पवOत पर इक=ठा कया। 21 और एिलयाह सब लोगHके पास आकर कहने लगा, तुम कब तक दो वचारHम लटके रहोगे, यद यहोवा परमे र हो, तो उसके पीछे हो लेओ; और यद बाल हो, तो उसके पीछे हो लेओ। लोगHने उसके उर म एक भी बात न कह:। 22 तब एिलयाह ने लोगHसे कहा, यहोवा के नबयHम से केवल मE ह: रह गया हँू ; और बाल के नबी साढ़े चार सौ मनुंय हE । 23 इसिलथे दो बछड़े लाकर हम दए जाएं, और वे एक अपके िलथे चुनकर उसे टु कड़े टु कड़े काटकर लकड़: पर रख द , और कुछ आग न लगाएं; और मE दस ू रे बछड़े को तैयार करके लकड़: पर रखूंगा, और कुछ आग न लगाऊंगा। 24 तब तुम तो अपके दवता से ूायOना करना, और मE यहोवा से ूायOना कRंगा, और जो आग िगराकर उर दे वह: परमे र ठहरे । तब सब लोग बोल उठे , अ.छq बात। 25 और एिलयाह ने बाल के नबयHसे कहा, पहले तुम एक बछड़ा चुनकर तैयार कर लो, यHक तुम तो बहुत हो; तब अपके दे वता से ूायOना करना, पर(तु आग न लगाना। 26 तब उ(हHने उस बछड़े को जो उ(ह दया गया या लेकर तैयार कया, और भोर से

लेकर दोपहर तक वह यह कहकर बाल से ूायOना करते रहे , क हे बाल हमार: सुन, हे बाल हमार: सुन ! पर(तु न कोई शcद और न कोई उर दे नेवाला हुआ। तब वे अप क बनाई हुई वेद: पर उछलने कूदने लगे । 27 दोपहर को एिलयाह ने यह कहकर उनका ठ=ठा कया, क ऊंचे शcद से पुकारो, वह तो दे वता है ; वह तो ~यान लगाए होगा, वा कह:ं गया होगा वा याऽा म होगा, वा हो सकता है क सोता हो और उसे जगाना चाहए। 28 और उ(हHने बड़े शcद से पुकार पुकार के अप क र:ित के अनुसार छुgरयHऔर बिछयJसे अपके अपके को यहां तक घायल कया क लोहू लुहान हो गए। 29 वे दोपहर भर ह: या, वरन भ ट चढ़ाने के समय तक नबूवत करते रहे , पर(तु कोई शcद सुन न पड़ा; और न तो कसी ने उर दया और न कान लगाया। 30 तब एिलयाह ने सब लोगHसे कहा, मेरे िनकट आओ; और सब लोग उसके िनकट आए। तब उस ने यहोवा क वेद: क जो िगराई गई यी मरSमत क। 31 फर एिलयाह ने याकूब के पुऽHक िगनती के अनुसार 'जसके पास यहोवा का यह पचन आया या, 32 क ते रा नाम इॐाएल होगा, बारह पे छांटे, और उन पयरHसे यहोवा के नाम क एक वेद: बनाई; और उसके चारHओर इतना बड़ा एक गड़हा खोद दया, क उस म दो सआ बीज समा सके। 33 तब उस ने वेद: पर लकड़: को सजाया, और बछड़े को टु कड़े टु कड़े काटकर लकड़: पर धर दया, और कहा, चार घड़े पानी भर के होमबिल, पशु और लकड़: पर उणडे ल दो। 34 तब उस ने कहा, दस ू र: बार वैसा ह: करो; तब लोगHने दस ू र: बार वैसा ह: कया। फर उस ने कहा, तीसर: बार करो; तब लोगHने तीसर: बार भी वैसा ह: कया। 35 और जल वेद: के चारHओर बह गया, और गड़हे को भी उस ने जल से भर दया। 36 फर भ ट चढ़ाने के समय एिलयाह नबी समीप

जाकर कहने लगा, हे इॄाह:म, इसहाक और इॐाएल के परमे र यहोवा ! आज यह ूगट कर क इॐाएल म तू ह: परमे र है , और मE तेरा दास हूँ, और मE ने थे सब काम तफ से वचन पाकर कए हE । 37 हे यहावा ! मेर: सुन, मेर: सुन, क थे लोग जान ल क हे यहोवा, तू ह: परमे र है , और तू ह: उनका मन लौटा लेता है । 38 तब यहोवा क आग आकाश से ूगट हुई और होमबिल को लकड़: और पेHऔर धूिल समेत भःम कर दया, और गड़हे म का जल भी सुखा दया। 39 यह दे ख सब लोग मुह ं के बल िगरकर बोल उठे , यहोवा ह: परमे र है , यहोवा ह: परमे र है ; 40 एिलयाह ने उन से कहा, बाल के नबयHको पकड़ लो, उन म से एक भी छूटते न पाए; तब उ(हHने उनको पकड़ िलया, और एिलयाह ने उ(ह

नीचे कशोन के नाले म ले जाकर मार डाला। 41 फर एिलयाह ने अहाब से कहा, उठकर खा पी, यHक भार: वषाO क सनसनाहट सुन पडती है । 42 तब अहाब खाने पीने चला गया, और एिलयाह कSमल क चोट: पर चढ़ गया, और भूिम पर िगर कर अपना मुह ं घुटनHके बीच कया। 43 और उस ने अपके सेवक से कहा, चढ़कर समुि क ओर l कर दे ख, तब उस ने चढ़कर दे खा और लौटकर कहा, कुछ नह:ं द:खता। एिलयाह ने कहा, फर सात बार जा। 44 सातवीं बार उस ने कहा, दे ख समुि म से मनुंय का हाथ सा एक छोटा आदल उठ रहा है । एिलयाह ने कहा, अहाब के पास जाकर कह, क रय जुतवा कर नीचे जा, कह:ं ऐसा न हो क नू वषाO के कारण dक जाए। 45 योड़: ह: दे र म आकाश वायु से उड़ाई हुई घटाओं, और आ(धी से काला हो गया और भर: वषाO होने लगी; और अहाब सवार होकर ियळेल को चला। 46 तब यहोवा क शf एिलयाह पर ऐसी हुई; क वह कमर बा(धकर अहाब के आगे आगे ियळेल तक दौड़ता चला गया।

1 राजा 19 1 तब अहाब ने हे ज़ेबेल को एिलयाह के सब काम वःतार से बताए क उस ने सब नबयHको तलवार से कस ूकार मार डाला। 2 तब हे ज़ेबेल ने एिलयाह के पास एक दत ू के kारा कहला भेजा, क यद मE कल इसी समय तक तेरा ूाण उनका सा न कर डालूं तो दे वता मेरे साय वैसा ह: वरन उस से भी अिधक कर । 3 यह दे ख एिलयाह अपना ूाण लेकर भागा, और यहूदा के बेशब ॅ ा को पहंु चकर अपके सेवक को वह:ं छोड़ दया। 4 और आप जंगल म एक दन के मागO पर जाकर एक फाऊ के पेड़ के तले बैठ गया, वहां उस ने यह कह कर अप क मृयु मांगी क हे यहोवा बस है , अब मेरा ूाण ले ले, यHक मE अपके पुरखाओं से अ.छा नह:ं हँू । 5 चह फाऊ के पे ड़ तले लेटकर सो गया और दे खो एक दत ू ने उसे छूकर कहा, उठकर खा। 6 उस ने l करके या दे खा क मेरे िसरहाने पयरHपर पको ऊई एक रोट:, और एक सुराह: पानी धरा है ; तब उस ने खाया और पया और फर लेट गया। 7 दस ू र: बार यहोवा का दत ू आया और उसे छूकर कहा, उठकर खा, यHक तुझे बहुत भार: याऽा करनी है । 8 तब उस ने उठकर खाया पया; और उसी भोजन से बल पाकर चालीस दन रात चलते चलते परमे र के पवOत होरे ब को पहुंचा। 9 वहां वह एक गुफा म जाकर टका और यहोवा का यह वचन उसके पास पहंु चा, क हे एिलयाह तेरा यहां या काम? 10 उन ने उर दया सेनाओं के परमे र यहोवा के िनिम मुझे बड़: जलन हुई है , योक इॐाएिलयHने तेर: वाचा आल द:, ते र: बेदयHको िगरा दया, और तेरे नबयHको तलवार से घात कया है , और मE ह: अकेला रह गया हूँ; और वे मेरे ूाणHके भी खोजी हE । 11 उस ने कहा, िनकलकर यहोवा के सSमुख पवOत पर

खड़ा हो। और यहोवा पास से होकर चला, और यहोवा के साSहने एक बड़: ूचणड आ(धी से पहाड़ फटने और च=टान टू टने लगीं, तौभी यहोवा उस आ(धी म न या; फर आ(धी के बाद भूई ं डोल हूआ, तौभी यहोवा उस भूई ं डोल म न या। 12 फर भूई ं डोल के बाद आग दखाई द:, तौभी यहोवा उस आग म न या; फर आग के बाद एक दबा हुआ धीमा शcद सुनाई दया। 13 यह सुनते ह: एिलयाह ने अपना मुह ं चXर से ढांपा, और बाहर जाकर गुफा के kार पर खड़ा हुआ। फर एक शcद उसे सुनाई दया, क हे एिलयाह तेरा यहां या काम? 14 उस ने कहा, मुझे सेनाऔ ं के परमे र यहोवा के िनिम बड़: जलन हुई, यHक इॐाएिलयHने तेर: वाचा टाल द:, और ते र: वेदयHको िगरा दया है और तेरे नबयHको तलवार से घात कया है ; और मE ह: अकेला रह गया हूँ; और वे मेरे ूाणHके भी खोजी हE । 15 यहोवा ने उस से कहा, लौटकर दिमँक के जंगल को जा, और वहां पहंु चकर अराम का राजा होने के िलथे हजाएल का, 16 और इॐाएल का राजा होने को िनमशी के पोते थेहू का, और अपके ःयान पर नबी होने के िलथे आबेलमहोला के शापात के पुऽ एलीशा का अिभषेक करना। 17 और हजाएल क तलवार से जो कोई बच जाए उसको थेहू मार डालेगा; और जो कोई थेहू क तलवार से बच जाए उसको एलीशा मार डालेगा। 18 तौभी मE सात हजार इॐाएिलयHको बचा रखूंगा। थे तो वे सब हE , 'ज(हHने न तो बाल के आगे घुटने टे के, और न मुह ं से उसे चूमा है । 19 तब वह वहां से चल दया, और शापात का पुऽ एलीशा उसे िमला जो बारह जोड़: बैल अपके आगे कए हुए आप बारहवीं के साय होकर हल जोत रहा य। उसके पास जाकर एिलयाह ने अप क चXर उस पर डाल द:। 20 तब वह बैलHको छोड़कर एिलयाह के पीछे दौड़ा, और कहने लगा, मुझे अपके माता-पता

को चूमने दे , तब मE तेरे पीछे चलूग ं ा। उस ने कहा, लौट जा, मE ने तुझ से या कया है ? 21 तब वह उसके पीछे से लौट गया, और एक जोड़: बैल लेकर बिल कए, और बैलHका सामान जलाकर उनका मांस पका के अपके लोगHको दे दया, और उ(हHने खाया; तब वह कमर बा(धकर एिलयाह के पीछे चला, और उसक सेवा टहल करने लगा। 1 राजा 20 1 और अराम के राजा बे(हदद ने अप क सार: सेना इक=ठq क, और उसके साय बीस राजा और घोड़े और रय थे; उ(ह संग लेकर उस ने शोमरोन पर चढ़ाई क, और उसे घेर के उसके वda लड़ा। 2 और उस ने नगर म इॐाएल के राजा अहाब के पास दत ू Hको यह कहने के िलथे भेजा, क बे(हदद तुझ से यHकहता है , 3 क तेरा चा(द: सोना मेरा है , और तेर: '\यHऔर लड़केबालHम जो जो उम हE वह भी सब मेरे हE । 4 इॐाएल के राजा ने उसके पास कहला भेजा, हे मेरे ूभु ! हे राजा ! तेरे वचन के अनुसार मE और मेरा जो कुछ है , सब तेरा है । 5 उ(ह:ं दत ू Hने फर आकर कहा बे(हदद तुझ से यHकहता है , क मE ने तेरे पास यह कहला भेजा या क तुझे अप क चा(द: सोना और '\यां और बालक भी मुझे दे ने पक गे। 6 पर(तु कल इसी समय मE अपके कमOचाgरयHको तेरे पास भेजूंगा और वे ते रे और तेरे कमOचाgरयHके धरHम ढू ं ढ़-ढांढ़ कर गे, और तेर: जो जो मनभावनी वःतुएं िनकाल उ(ह वे अपके अपके हाथ म लेकर आएंगे। 7 तब इॐाएल के राजा ने अपके दे श के सब पुरिनयHको बुलवाकर कहा, सोच वचार करो, क वह मनुंय हमार: हािन ह: का अिभलाषी है ; उस ने मुझ से मेर: '\यां, बालक, चा(द: सोना

मंगा भेजा है , और मE ने इ(कार न कया। 8 तब सब पुरिनयHने और सब साधारण लोगHने उस से कहा, उसक न सुनना; और न मानना। 9 तब राजा ने बे (हदद के दत ू Hसे कहा, मेरे ूभु राजा से मेर: ओर से कहो, जो कु◌ुछ तू ने पहले अपके दास से चाहा या वह तो मE कRंगा, पर(तु यह मुझ से न होगा। तब बे(हदद के दत ू Hने जाकर उसे यह उर सुना दया। 10 तब बे(हदद ने अहाब के पास कहला भेजा, यद शोमरोन म इतनी धूिल िनकले क मेरे सब पीछे चलनेहारHक मु=ठq भर कर अट जाए तो दे वता मेरे साय ऐसा ह: वरन इस से भी अिधक कर । 11 इॐाएल के राजा ने उर दे कर कहा, उस से कहो, क जो हिययार बा(धता हो वह उसक नाई न फूले जो उ(ह उतारता हो। 12 यह वचन सुनते ह: वह जो और राजाओं समेत डे रHम पी रहा या, उस ने अपके कमOचाgरयHसे कहा, पांित बा(धो, तब उ(हHने नगर के वda पांित बा(धी। 13 तब एक नबी ते इॐाएल के राजा अहाब के पास जाकर कहा, यहोवा तुझ से यHकहता है , यह बड़: भीड़ जो तू ने दे खी है , उस सब को मE आज ते रे हाथ म कर दं ग ू ा, इस से तू जान लेगा, क मE यहोवा हूँ। 14 अहाब ने पूछा, कस के kारा? उस ने कहा यहोवा यHकहता है , क ूदे शHके हाकमHके सेवकHके kारा ! फर उस ने पूछा, युa को कौन आरSभ करे ? उस ने उर दया, तू ह:। 15 तब उस ने ूदे शHके हाकमHके सेवकHक िगनती ली, और वे दो सौ बीस िनकले; और उनके बाद उस ने सब इॐाएली लोगHक िगनती ली, और वे सात हजार िनकले। 16 थे दोपहर को िनकल गए, उस समय बे(हदद अपके सहाथक बीसHराजाओं समेत डे रHम दाR पीकर मतवाला हो रहा या। 17 ूदे शHके हाकमHके सेवक पहले िनकले। तब बे(हदद ने दत ू भेजे, और उ(हHने उस से कहा, शोमरोन से कुछ मनुंय िनकले आते हE । 18 उस ने कहा, चाहे वे मेल

करने को िनकले हH, चाहे लड़ने को, तौभी उ(ह जीवत ह: पकड़ लाओ। 19 तब ूदे शHके हाकमHके सेवक और उनके पीछे क सेना के िसपाह: नगर से िनकले। 20 तौर वे अपके अपके साSहने के पुdष को पारने लगे; और अरामी भागे, और इॐाएल ने उनका पीछा कया, और अराम का राजा बे(हदद, सवारHके संग घोड़े पर चढ़ा, और भागकर बच गया। 21 तब इॐाएल के राजा ने भी िनकलकर घोड़Hऔर रयHको मारा, और अरािमयHको बड़: मार से मारा। 22 तब उस नबी ने इॐाएल के राजा के पास जाकर कहा, जाकर लड़ाई के िलथे अपके को lढ़ कर, और सचेत होकर सोच, क या करना है , यHक नथे वषO के लगते ह: अराम का राजा फर तुझ पर चढ़ाई करे गा। 23 तब अराम के राजा के कमOचाgरयHने उस से कहा, उन लोगHका दे वता पहाड़: दे वता है , इस कारण वे हम पर ूबल हुए; इसिलथे हम उन से चौरस भूिम पर लड़ तो िन_य हम उन पर ूबल हो जाएंगे। 24 और यह भी काम कर, अयाOत ् सब राजाओं का पद ले ले, और उनके ःयान पर सेनापितयHको ठहरा दे । 25 फर एक और सेना जो तेर: उस सेना के बराबर हो जो न हो गई है , घोड़े के बदले घोड़ा, और रय के बदले रय, अपके िलथे िगन ले; तब हम चौरस भूिम पर उन से लड़ , और िन_य उन पर ूबल हो जाएंगे। उनक यह सSमित मानकर बे(हदद ने वैसा ह: कया। 26 और नथे वषO के लगते ह: बे (हदद ने अरािमयHको इक=ठा कया, और इॐाएल से लड़ने के िलथे अपेक को गया। 27 और इॐाएली भी इक=ठे कए गए, और उनके भोजन क तैयार: हुई; तब वे उनका साSहना करने को गए, और इॐाएली उनके साSहने डे रे डालकर बकgरयHके दो छोटे फुणड से दे ख पके, पर(तु अरािमयHसे दे श भर गया। 28 तब परमे र के उसी जन ने इॐाएल के राजा के पास जाकर कहा, यहोवा यHकहता है ,

अरािमयHने यह कहा है , क यहोवा पहाड़: दे वता है , पर(तु नीची भूिम का नह:ं है ; इस कारण मE उस बड़: भीड़ को तेरे हाथ म कर दं ग ू ा, तब तुSह बोध हो जाएगा क मE यहोवा हँू । 29 और वे सात दन आSहने साSहने डे रे डाले पके रहे ; तब सातव

दन युa िछड़ गया; और एक दन म इॐाएिलयHने एक लाख अरामी पयादे मार डाले। 30 जो बच गए, वह अपेक को भागकर नगर म घुसे, और वहां उन बचे हुए लोगHम से साईस हजार पुdष ँहरपनाह क द:वाल के िगरने से दब कर मर गए। बे(हदद भी भाग गया और नगर क एक भीतर: कोठर: म गया। 31 तब उसके कमOचाgरयHने उस से कहा, सुन, हम ने तो सुना है , क इॐाएल के घराने के राजा दयालु राजा होते हE , इसदथे हम कमर म टाट और िसर पर र'ःसयां बा(धे हुए इॐाएल के राजा के पास जाने दे , सSभव है क वह तेरा ूाण बचा ले। 32 तब वे कमर म टाट और िसर पर र'ःसयां बा(ध कर इॐाएल के राजा के पास जाकर कहने लगे, तेरा दास बे(हदद तुझ से कहता है , कृपा कर के मुझे जीवत रहने दे । राजा ने उर दया, या वह अब तक जीवत है ? वह तो मेरा भाई है । 33 उन लोगHने इसे शुभ शकुन जानकर, फुतीं से बूफ लेने का य^ कया क यह उसके मन क बात है क नह:ं, और कहा, हां तेरा भाई बे(हदद। राजा ने कहा, जाकर उसको ले आओ। तब बे(हदद उसके पास िनकल आया, और उस ने उसे अपके रय पर चढ़ा िलया। 34 तब बे(हदद ने उस से कहा, जो नगर मेरे पीता ने ते रे पता से ले िलए थे, उनको मE फेर दं ग ू ा; और जैसे मेरे पता ने शोमरोन म अपके िलथे सड़क बनवाई, वैसे ह: तू दिमँक म सड़क बनवाना। अहाब ने कहा, मE इसी वाचा पर तुझे छोड़ दे ता हँू , तब उस ने बे(हदद से वाचा बा(धकर, उसे ःवत(ऽ कर दया। 35 इसके बाद नबयHके चेलHम से एक जन ने यहोवा से वचन पाकर

अपके संगी से कहा, मुझे मार, जब उस मनुंय ने उसे मारने से इनकार कया, 36 तब उस ने उस से कहा, तू ने यहोवा का वचन नह:ं माना, इस कारण सुन, GयHह: तू मेरे पास से चला जाएगा, यHह: िसंह से मार डाला जाएगा। तब GयHह: वह उसके पास से चला गया, GयHह: उसे एक िसंह िमला, और उसको मार डाला। 37 फर उसको दस ू रा मनुंय िमला, और उस से भी उस ने कहा, मुझे मार। और उस ने उसको ऐसा मारा क वह घायल हुआ। 38 तब वह नबी चला गया, और आंखHको पगड़: से ढांपकर राजा क बाट जोहता हुआ मागO पर खड़ा रहा। 39 जब राजा पास होकर जा रहा या, तब उस ने उसक दोहाई दे कर कहा, क जब तेरा दास युa झेऽ म गया या तब कोइ मनुंय मेर: ओर मुड़कर कसी मनुंय को मेरे पास ले आया, और मुझ से कहा, इस पतुंय क चौकसी कर; यद यह कसी र:ित छूट जाए, तो उसके ूाण के बदले तुझे अपना ूाण दे ना होगा; नह:ं तो क कार भर चा(द: दे ना पकेगा। 40 उसके बाद तेरा दास इधर उधर काम म फंस गया, फर वह न िमला। इॐाएल के राजा ने उस से कहा, तेरा ऐसा ह: (याय होगा; तू ने आप अपना (याय कया है । 41 नबी ने फट अप क आंखHसे पगड़: उठाई, तब इॐाएल के राजा ने उसे पहचान िलया, क वह कोई नबी है । 42 तब उस ने राजा से कहा, यहोवा तुझ से यHकहता है , इसिलथे क तू ने अपके हाथ से ऐसे ऐक मनुंय को जाने दया, 'जसे मE ने सयानाश हो जाने को ठहराया या, तुझे उसके ूाण क स(ती अपना ूाण और उसक ूजा क स(ती, अप क ूजा दे नी पकेगी। 43 तब इॐाएल का राजा उदास और अूस(न होकर घर क ओर जला, और शोमरोन को आया। 1 राजा 21

1 नाबोत नाम एक ियळेली क एक दाख क बार: शोमरोन के राजा अहाब के राजम'(दर के पास ियळेल म यी। 2 इन बातHके बाद अी◌ाब ने नाबोत से कहा, तेर: दाख क बार: मेरे घर के पास है , तू उसे मुझे दे क मE उस म साग पात क बार: लगाऊं; और मE उसके बदले तुझे उस से अ.छq एक बाटका दं ग ू ा, नह:ं तो तेर: इ.छा हो तो मE तुझे उसका मू`य दे दं ग ू ा। 3 नाबोत ने यहाब से कहा, यहोवा न करे क मE अपके पुरखाओं का िनज भाग तुझे दं ू ! 4 ियळे ली नाबोत के इस वचन के कारण क मE तुझे अपके पुरखाओं का िनज भाग न दं ग ू ा, अहाब उदास और अूस(न होकर अपके घर गया, और बछौने पर लेट गया और मुह ं फेर िलया, और कुछ भेजन न कया। 5 तब उसक प^ी हे ज़ेबेल ने उसके पास आकर पूछा, तेरा मन यHऐसा उदास है क तू कुछ भोजन नह:ं करता? 6 उस ने कहा, कारण यह है , क मE ने ियळेली नाबोत से कहा क dपया लेकर मुझे अप क दाख क बार: दे , नह:ं तो यद नू चाहे तो मE उसक स(ती दस ू र: दाख क बार: दं ग ू ा; और उसने कहा, मE अप क दाख क बार: तुझे न दं ग ू ा। 7 उसक प^ी हे ज़ेबेल ने उस से कहा, या तू इॐाएल पर राGय करता है क नह:ं? उठकर भोजन कर; और तेरा मन आन'(दत हो; ियळेली नाबोत क दाख क बार: मE तुझे दलवा दं ग ू ी। 8 तब उस ने अहाब के नाम से िच=ठq िलखकर उसक अंगूठq क छाप लगाकर, उन पुरिनयHऔर रईसHके पास भेज द: जो उसी नगर म नाबोत के पड़ोस म रहते थे। 9 उस िच=ठq म उस ने यHिलखा, क उपवास का ूचार करो, और नाबोत को लोगHके साSहने ऊंचे ःयान पर बैठाना। 10 तब दो नीच जनHको उसके साSहने बैठाना जो साझी दे कर उस से कह , तू ने परमे र और राजा दोनHक िन(दा क। नब नुम लोग उसे बाहर ले जाकर उसको पयरवाह करना,

क वह मर जाए। 11 हे ज़ेबेल क िच=ठq म क आWा के अनुसार नगर म

रहनेवाले पुरिनयHऔर रईसHने उपवास का ूचार कया, 12 और नाबोत को लोगHके साSहने ऊंचे ःयान पर बैठाया। 13 तब दो नीच जन आकर उसके सSमुख बैठ गए; और उन नीच जनHने लोगHलोगHके साSहने नाबोत के वSa यह साझी द:, क नाबोत ने परमे र और राजा दोनHक िन(दा क। इस पर उ(हHने उसे नगर से बाहर ले जाकर उसको पयरवाह कया, और वह मर गया। 14 तब उ(हHने हे ज़ेबेल के पास यह कहला भेजा क नाबोत पयरवाह करके मार डाला गया है । 15 यह सुनते ह: क नाबोत पयरवाह करके मारडाला गया है , हे ज़ेबेल ने अहाब से कहा, उठकर ियळेली नाबोत क दाख क बार: को 'जसे उस ने तुझे dपया लेकर दे ने से भी इनकार कया या अपके अिध कारने म ले, यHक नाबोत जीवत नह:ं पर(तु वह मर गया है । 16 ियळेली नाबोत क मृयु का समाचार पाते ह: अहाब उसक दाख क बार: अपके अिध कारने म लेने के िलथे वहां जाने को उठ खड़ा हुआ। 17 तब यहोवा का यह वचन िनशबी एिलयह के पास पहुंचा, क चल, 18 शोमरोन म रहनेवाले इॐाएल के राजा अहाब से िमलने को जा; वह तो नाबोत क दाख क बार: म है , उसे अपके अिध कारने म

लेने को वह वहां गया है । 19 और उस से यह कहना, क यहोवा यHकहता है , क या तू ने घात कया, और अिध कारनेी भी बन बैटा? फर तू उस से यह भी कहना, क यहोवा यHकहता है , क 'जस ःयान पर कुHने नाबोत का लोहू चाटा, उसी ःयान पर कुे तेरा भी लोहू चाट गे। 20 एिलयाह को दे खकर अहाब ने कहा, हे मेरे शऽु ! या तू ने मेरा पता लगाया है ? उस ने कहा हां, लगाया तो है ; और इसका कारण यह है , क जो यहोवा क l म बुरा है , उसे करने के िलथे तू ने

अपके को बेच डाला है । 21 मE तुझ पर ऐसी वप डालूग ं ा, क तुझे पूर: र:ित से िमटा डालूग ं ा; और अहाब के घर के एक एक लड़के को उौर या ब(धुए, या ःवाधीन इॐाएल म हर एक रहनेवाले को भी नाश कर डालूग ं ा। 22 और मE तेरा घराना नबात के पुऽ यारोबाम, और अहयाह के पुऽ बाशा का सा कर दं ग ू ा; इसिलथे क तू ने मुझे बोिधत कया है , और इॐाएल से पाप करवाया है । 23 और हे ज़ेबेल के वषय म यहोवा यह कहता है , क ियळेल के कले के पास कुे हे ज़ेबेल को खा डाल गे। 24 अहाब का जो काई नगर म मर जाएगा उसको कुे खा ल गे; उौर जो कोई मैदान म मर जाएगा उसको आकाश के प क खा जाएंगे। 25 सचमुच अहाब के तु`य और कोई न या 'जसने अप क प^ी हे ज़ेबेल के उसकाने पर वह काम करने को जो यहोवा क l म बुरा है , अपके को बेच डाला या। 26 वह तो उन एमोgरयHक नाई 'जनको यहोवा ने इॐाएिलयHके साSहने से दे श से िनकाला या बहुत ह: िघनौने काम करता या, अयाOत ् मूरतHक उपासना करने लगा या। 27 एिलयाह के थे वचन सुनकर अहाब ने अपके व\ फाड़े , और अप क दे ह पर टाट लपेटकर उपवास करने और टाट ह: ओढ़े पड़ा रहने लगा, और दबे पांवHचलने लगा। 28 और यहोवा का यह वचन ितशबी एिलयाह के पास पहंु चा, 29 क या तू ने दे खा है क अहाब मेरे साSहने नॆ बन गया है ? इस कारण क वह मेरे साSहने नॆ बन गया है मE वह वप उसके जीते जी उस पर न डालूग ं ा पर(तू उसके पुऽ के दनHम मE उसके घराने पर वह पप भेजूंगा। 1 राजा 22 1 और तीन वषO तक अरामी और इॐाएली बना युa रहे । 2 तीसरे वषO म यहूदा

का राजा यहोशापात इॐाएल के राजा के पास गया। 3 तब इॐाएल के राजा ने अपके कमOचाgरयHसे कहा, या तुम को मालूम है , क िगलाद का रामोत हमारा है ? फर हम यHचुपचाप रहते और उसे अराम के राजा के हाथ से यHनह:ं छqन लेते हE ? 4 और उस ने यहोशापात से पूछा, या तू मेरे संग िगलाद के रामोत से लड़ने के िलथे जाएगा? यहोशापात ने इॐाएल के राजा को उर दया, जैसा तू है वैसा मE भी हूँ। जैसी तेर: ूजा है वैसी ह: मेर: भी ूजा है , और जैसे तेरे घोड़े हE वैसे ह: मेरे भी घोड़े हE । 5 फर यहोशापात ने इॐाएल के राजा से कहा, 6 क आज यहोवा क इ.छा मालूम कर ले, नब इॐाएल के राजा ने नबयHको जो कोई चार सौ पुdष थे इक=ठा करके उन से पूछा, या मE िगलाद के रामोत से युa करने के िलथे चढ़ाई कRं, वा dका रहूं? उ(हHने उर दया, चढ़ाई कर : यHक ूभु उसको राजा के हाथ म कर दे गा। 7 पर(तु यहोशापात ने पूछा, या यहां यहोवा का और भी कोई नबी नह:ं है 'जस से हम पूछ ल ? 8 इॐाएल के राजा ने यहोशापात से कहा, हां, ियSला का पुऽ मीकायाह एक पुdष और है 'जसके kारा हम यहोवा से पूछ सकते हE ? पर(तु मE उस से घृणा रखता हूँ, यHक वह मेरे वंय क`याण क नह:ं वरन हािन ह: क भवंयkाणी करता है । 9 यहोशापात ने कहा, राजा ऐसा न कहे । तब दॐाएल के राजा ने एक हाकम को बुलवा कर कहा, ियSला के पुऽ मीकायाह को फुतीं से ले आ। 10 इॐाएल का राजा और यहूदा का राजा यहोशापात, अपके अपके राजव\ पहने हुए शोमरोन के फाटक म एक खुले ःयान म अपके अपके िसंहासन पर वराजमान थे और सब भवंयkfा उनके सSमुख भवंयkाणी कर रहे थे। 11 तब कनाना के पुऽ िसदकयाह ने लोहे के सींग बनाकर कहा, यहोवा यHकहता है , क इन से तू अरािमयHको मारते मारते

नाश कर डालेगा। 12 और सब नबयHने इसी आशय क भवंयkाणी करके कहा, िगलाद के रामोत पर चढ़ाई कर और तू कृतायO हो; यHक यहोवा उसे राजा के हाथ म कर दे गा। 13 और जो दत ू मीकायाह को बुलाने गया या उस ने उस से कहा, सुन, भवंयkfा एक ह: मुह ं से राजा के वषय शुभ वचन कहते हE तो तेर: बात उनक सी हH; तू भी शुभ वचन कहना। 14 मीकायाह ने कहा, यहोवा के जीवन क शपय जो कुछ यहोवा मुझ से कहे , वह: मE कहूंगा। 15 जब वह राजा के पास आया, तब राजा ने उस से पूछा, हे मीकायाह ! या हम िगलाद के रामोत से युa करने के िलथे चढ़ाई कर वा dके रह ? उस ने उसको उर दया हां, चढ़ाई कर और तू कृ तायO हो; और यहोवा उसको राजा के हाथ म कर दे । 16 राजा ने उस से कहा, मुझे कतनी बार तुझे शपय धराकर िचताना होगा, क तू यहोवा का ःमरण करके मुझ से सच ह: कह। 17 मीकायाह ने कहा मुझे समःत इॐाएल बना चरपाहे क भेड़बकgरयHक नाई पहाड़Hपर; ितर बर दे ख पड़ा, और यहोवा का यह वचन आया, क वे तो अनाय हE ; अतएव वे अपके अपके घर कुशल झेम से लौट जाएं। 18 तब इॐाएल के राजा ने यहोशापात से कहा, या मE ने तुझ से न कहा या, क वह मेरे वषय क`याण क नह:ं हािन ह: क भवंयkाणी करे गा। 19 मीकायाह ने कहा इस कारण तू यहोवा का यह वचन सुन ! मुझे िसंहासन पर वराजमान यहोवा और उसके पास दाहने बांथ खड़: इुई ःवगO क समःत सेना दखाई द: है । 20 तब यहोवा ने पूछा, अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा, क वह िगलाद के रामो पर चढ़ाई करके खेत आए तब कसी ते कुछ, और कसी ने कुछ कहा। 21 िनदान एक आमा पास आकर यहोव के सSमुख खड़: हुई, और कहने लगी, मE उसको वहकाऊंगी : यहोवा ने पूछा, कस उपाय से? 22 उस ने कहा, मE

जाकर उसके सब भवंयkfाओं म पैठकर उन से फूठ बुलवाऊंगी। यहोवा ने कहा, तेरा उसको बहकाना सुफल होगा, जाकर ऐसा ह: कर। 23 तो अब सुन यहोवा ने तेरे इन सब भवंयkfाओं के मुह ं म एक फूठ बोलनेवाली आमा पैठाई है , और यहोवा ने तेरे वंय हािन क बात कह: है । 24 तब कनाना के पुऽ िसदकGयाह ने मीकायाह के िनकट जा, उसके गाल पर यपेड़ा मार कर पूछा, यहोवा का आ(मा मुझे छोड़कर तूफ से बात करने को कधर गया? 25 मीकायाह ने कहा, 'जस दन तू िछपके के िलथे कोठर: से कोठर: म भगेगा, तब तूफे बोधा होगा। 26 तब इॐाएल के राजा ने कहा, मीकायाह को नगर के हाकम आमोन और योआश राजकुमार के पास ले जा; 27 और उन से कह, राजा यHकहता है , क इसको ब(द:गृह म डालो, और जब तक मE कुशल से न आऊं, तब तक इसे द:ु ख क रोट: और पानी दया करो। 28 और मीकायाह ने कहा, यद तू कभी कुशल से लौटे , तो जान क यहोवा ने मेरे kारा नह:ं कहा। फर उस ने कहा, हे लोगो तुम सब के सब सुन लो। 29 तब इॐाएल के राजा और यहूदा के राजा यहोशापात दोनHने िगलाद के रामोत पर चढ़ाई क। 30 और इॐाएल के राजा ने यहोशापात से कहा, मE तो भेष बदलकर युa झे ऽ म जाऊंगा, पर(तु तू अपके ह: व\ पहने रहना। तब इॐाएल का राजा भेष बदलकर युa झे ऽ म गया। 31 और अराम के राजा ने तो अपके रयHके बीसHूधानHको आWा द: यी, क न तो छोटे से लड़ो और न बड़े से, केवल इॐाएल के राजा से यूa करो। 32 तो जब रयHके ूधानHने यहोशापात को दे खा, तब कहा, िन_य इॐाएल का राजा वह: है । और वे उसी से युa करने को मुड़े; तब यहोशपात िच`ला उठा। 33 यह दे खाकर क वह इॐाएल का राजा नह:ं है , रयHके ूधान उसका पीछा छोड़कर लौट गए। 34 तब कसी ने

अटकल से एक तीर चलाया और वह इॐाएल के राजा के फलम और िनचले व\ के बीच छे दकर लगा; तब उसने अपके सारयी से कहा, मE घायल हो गया हूँ इसिलथे बागडोर फेर कर मुझे सेना म से बाहर िनकाल ले चल। 35 और उस दन युa बढ़ता गया और राजा अपके रय म औरHके सहारे अरािमयHके सSमुख खड़ा रहा, और सांफ को मर गया; और उसके घाव का लोहू बहकर रय के पौदान म भर गया। 36 सूयO डू बते हुए सेना म यह पुकार हुई, क हर एक अपके नगर और अपके दे श को लौट जाए। 37 जब राजा मर गया, तब शोमरोन को पहंु चाया गया और शोमरोन म उसे िम=ट: द: गई। 38 और यहोवा के वचन के अनुसार जब उसका रय शोमरोन के पोखरे म धोया गया, तब कुHने उसका लोहू चाट िलया, और वेँयाएं यह:ं ःनान करती यीं। 39 अहाब के और सब काम जो उस ने कए, और हाथीदांत का जो भवन उस ने बनाया, और जो जो नगर उस ने बसाए थे, यह सब या इॐाएली राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 40 िनदान अहाब अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसका पुऽ अहGयाह उसके ःयान पर राGय करने लगा। 41 इॐाएल के राजा अहाब के चौथे वषO म आसा का पुऽ यहोशापात यहूदा पर राGय करने लगा। 42 जब यहोशापात राGय करने लगा, तब वह पEतीस वषO का या। और प कस पषO तक यRशलेम म राGय करता रहा। और उसक माता का नाम अजूबा या, जो िश`ह: क बेट: यी। 43 और उसक चाल सब ूकार से उसके पता आसा क सी यी, अयाOत जो यहोवा क l म

ठqक है वह: वह करता रहा, और उस से कुछ न मुड़ा। तौभी ऊंचे ःयान ढाए न गए, ूजा के लोग ऊंचे ःयानHपर उस समय भी बिल कया करते थे और धूप भी जलाया करते थे। 44 यहोशापात ने इॐाएल के राजा से मेल कया। 45 और

यहोशापात के काम और जो वीरता उस ने दखाई, और उस ने जो जो लड़ाइयां कं, यह सब या यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 46 पुdषगािमयHम से जो उसके पता आसा के दनHम रह गए थे, उनको उस ने दे श म से नाश कया। 47 उस समय एदाम म कोई राजा न या; एक नायब राजकाज का काम करता या। 48 फर यहोशापात ने तशींश के जहाज सोना लाने के िलथे ओपीर जाने को बनवा िलए, पर(तु वे एँयोनगेबेर म टू ट गए, असिलथे वहां न जा सके। 49 तब अहाब के पुऽ अहGयाह ने यहोशापात से कहा, मेरे जहा'जयHको अपके जहा'जयHके संग, जहाजHम जाने दे , पर(तु यहोशापात ने इनकार कया। 50 िनदान यहोशापात अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसको उसके पुरखाओं के साय उसके मूलपुdष दाऊद के नबर म िम=ट: द: गई। और उसका पुऽ यहोराम उसके ःयान पर राGय करने लगा। 51 यहूदा के राजा यहोशापत के सऽहव वषO म अहाब का पुऽ अहGयाह शोमरोन म इॐाएल पर राGय करने लगा और दो वषO तक इॐाएल पर राGय करता रहा। 52 और उस ने वह कया, जो यहोवा क l म बुरा या। और उसक चाज उसके माता पता, और नबात के पुऽ यारोबाम क सी यी 'जस ने इॐाएल से पाप करवाया या। 53 जैसे उसका पता बाल क उपासने और उसे दणडवत करने से इॐाएल के परमे र यहोवा को बोिधत करता रहा वैसे ह: अहGयाह भी करता रहा। 2 राजा 1 1 अहाब के मरने के बाद मोआब इॐाएल के वda हो गया। 2 और अहGयाह एक फलिमलीदार 'खड़क म से, जो शोमरोन म उसक अटार: म यी, िगर पड़ा,

और बीमार हो गया। तब उस ने दत ू Hको यह कहकर भेजा, क तुम जाकर एबोन के बालजबूब नाम दे वता से यह पूछ आओ, क या मE इस बीमार: से बचूग ं ा क नह:ं? 3 तब यहोवा के दत ू ने ितशबी एिलयाह से कहा, उठकर शोमरोन के राजा के दत ू Hसे िमलने को जा, और उन से कह, या इॐाएल म कोई परमे र नह:ं जो तुम एबोन के बालजबूब दे वता से पूछने जाते हो? 4 इसिलथे अब यहोवा तुझ से यHकहता है , क 'जस पलंग पर तू पड़ा है , उस पर से कभी न उठे गा, पर(तु मर ह: जाएगा। तब एिलयाह चला गया। 5 जब अहGयाह के दत ू उसके पास लौट आए, तब उस ने उन से पूछा, तुम यHलौट आए हो? 6 उ(हHने उस से कहा, क एक मनुंय हम से िमलने को आया, और कहा, क 'जस राजा ने तुम को भेजा उसके पास लौटकर कहो, यहोवा यHकहता है , क या इॐाएल म कोई परमे र नह:ं जो तू एबोन के बालजबूब दे वता से पूछने को भेजता है ? इस कारण 'जस पलंग पर तू पड़ा है , उस पर से कभी न उठे गा, पर(तु मर ह: जाएगा। 7 उस ने उन से पूछा, जो मनुंय तुम से िमलने को आया, और तुम से थे बात कह:ं, उसका कैसा रं ग-Rप या? 8 उ(हHने उसको उर दया, वह तो रHआर मनुंय या और अप क कमर म चमड़े का फ टा बा(धे हुए या। उस ने कहा, वह ितशबी एिलयाह होगा। 9 तब उस ने उसके पास पचास िसपाहयHके एक ूधान को उसके पचासHिसपाहयHसमेत भेजा। ूधान ने उसके पास जाकर या दे खा क वह पहाड़ क चोट: पर बैठा है । और उस ने उस से कहा, हे परमे र के भf राजा ने कहा है , क तू उतर आ। 10 एिलयाह ने उस पचास िसपाहयHके ूधान से कहा, यद मE परमे र का भf हँू तो आकाश से आग िगरकर तुझे तेरे पचासHसमेत भःम कर डाले। तब आकाश से आग उतर: और उसे उसके

पचासHसमेत भःम कर दया। 11 फर राजा ने उसके पास पचास िसपाहयHके एक और ूधान को, पचासHिसपाहयHसमेत भेज दया। ूधान ने उस से कहा हे परमे र के भf राजा ने कहा है , क फुतीं से तू उतर आ। 12 एिलयाह ने उर दे कर उन से कहा, यद मE परमे र का भf हँू तो आकाश से आग िगरकर तुझे, तेरे पचासHसमेत भःम कर डाले; तब आकाश से परमे र क आग उतर: और उसे उसके पचासHसमेत भःम कर दया। 13 फर राजा ने तीसर: बार पचास िसपाहयHके एक और ूधान को, पचासHिसपाहयHसमेत भेज दया, और पचास का वह तीसरा ूधान चढ़कर, एिलयाह के साSहने घुटनHके बल िगरा, और िगड़िगड़ा कर उस से कहने लगा, हे परमे र के भf मेरा ूाण और तेरे इन पचास दासHके ूाण ते र: l म अनमोल ठहर । 14 पचास पचास िसपाहयHके जो दो ूधान अपके अपके पचासHसमेत पहले आए थे, उनको तो आग ने आकाश से िगरकर भःम कर डाला, पर(तु अब मेरा ूाण तेर: l म अनमोल ठहरे । 15 तब यहोवा के दत ू ने उिलयाह से कहा, उसके संग नीचे जा, उस से पत डर। तब एिलयाह उठकर उसके संग राजा के पास नीचे गया। 16 और उस से कहा, यहोवा यHकहता है , क तू ने तो एबोन के बालजबूब दे वता से पूछने को दत ू भेजे थे तो या इॐाएल म कोई परमे र नह:ं क 'जस से तू पूछ सके? इस कारण तू 'जस पलंग पर पड़ा है , उस पर से कभी न उठे गा, पर(तु मर ह: जाएगा। 17 यहोवा के इस वचन के अनुसार जो एिलयाह ने कहा या, वह मर गया। और उसके स(तान न होने के कारण यहोराम उसके ःयान पर यहूदा के राजा यहोशापात के पुऽ यहोराम के दस ू रे वषO म राGय करने लगा। 18 अहGयाह के और काम जो उस ने कए वह या इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म

नह:ं िलखे हE ? 2 राजा 2 1 जब यहोवा एिलयाह को बवंडर के kारा ःवगO म उठा लेने को या, तब एिलयाह और एलीशा दोनHसंग संग िगलगाल से चले। 2 एिलयाह ने एलीशा से कहा, यहोवा मुझे बेतेल तक भेजता है इसिलथे तू यह:ं ठहरा रह। एलीशा ने कहा, यहोवा के और तेरे जीवन क शपय मE तुझे नह:ं छोड़ने का; इसिलथे वे बेतेल को चले गए। 3 और बे तेलवासी भवंयkfाओं के चेले एलीशा के पास आकर कहने लगे, या तुझे मालूम है क आज यहोवा ते रे ःवामी को ते रे ऊपर से उठा लेने पर है ? उस ने कहा, हां, मुझे भी यह मालूम है , तुम चुप रहो। 4 और एिलयाह ने उस से कहा, हे एलीशा, यहोवा मुझे यर:हो को भेजता है ; इसिलथे तू यह:ं ठहरा रह : उस ने कहा, यहोवा के और ते रे जीवन क शपय मE तुझे नह:ं छोड़ने का; सो वे यर:हो को आए। 5 और यर:होवासी भवंयkfाओं के चेले एलीशा के पास आकर कहने लगे, या तुझे मालूम है क आज यहोवा तेरे ःवामी को तेरे ऊपर से उठा लेने पर है ? उस ने उर दया, हां मुझे भी मालूम है , तुम चुप रहो। 6 फर एिलयाह ने उस से कहा, यहोवा मुझे यरदन तक भेजता है , सो तू यह:ं ठहरा रह; उस ने कहा, यहोवा के और ते रे जीवन क शपय मE तुझे नह:ं छोड़नेका; सो वे दोनHआगे चने। 7 और भवंयkfाओं के चेलHम से पचास जन जाकर उनके साSहने दरू खड़े हुए, और वे दोनHयरदन के तीर खड़े हुए। 8 तब एिलयाह ने अप क चXर पकड़कर ऐंठ ली, और जल पर मारा, तब वह इधर उधर दो भाग हो गया; और वे दोनHःयल ह: ःयल पार उतर गए। 9 उनके पार पहंु चने पर

एिलयाह ने एलीशा से कहा, उस से पहले क मE ते रे पास से उठा िलथे जाऊं जो कुछ तू चाहे क मE ते रे िलथे कRं वह मांग; एलीशा ने कहा, तुझ म जो आमा है , उसका दन ू ा भाग मुझे िमल जाए। 10 एिलयाह ने कहा, तू ने कठन बात मांगी है , तौभी यद तू मुझे उठा िलथे जाने के बाद दे खने पाए तो तेरे िलथे ऐसा ह: होगा; नह:ं तो न होगा। 11 वे चलते चलते बात कर रहे थे, क अचानक एक अ'bन मय रय और अ'bनमय धोड़Hने उनको अलग अलग कया, और एिलयाह बवंडर म होकर ःवगO पर चढ़ गया। 12 और उसे एलीशा दे खता और मुकारता रहा, हं ◌ाय मेरे पता ! हाथ मेरे पता ! हाथ इॐाएल के रय और सवारो ! जब वह उसको फर दे ख न पड़ा, तब उस ने अपके व\ पाड़े और फाड़कर दो भाग कर दए। 13 फर उस ने एिलयाह क चXर उठाई जो उस पर से िगर: यी, और वह लौट गया, और यरदन के तीर पर खड़ा हुआ। 14 और उस ने एिलयाह क वह चXर जो उस पर से िगर: यी, पकड़ कर जल पर मार: और कहा, एिलयाह का परमे र यहोवा कहां है ? जब उस ने जल पर मारा, तब वह इधर उधर दो भाग हो गया और एलीशा पार हो गया। 15 उसे दे खकर भवंयkfाओं के चेले जो यर:हो म उसके साSहने थे, कहने लगे, एिलयाह म जो आमा यी, वह: एलीशा पर ठहर गई है ; सो वे उस से िमलने को आए और उसके साSहने भूिम तक फुककर दणडवत क। 16 तब उ(हHने उस से कहा, सुन, ते रे दासHके पास पचास बलवान पुdष हE , वे जाकर तेरे ःवामी को ढू ढ , सSभव है क या जाने यहोवा के आमा ने उसको उठाकर कसीं पहाड़ पर वा कसी तराई म डाल दया हो; उस ने कहा, मत भेजो। 17 जब उ(हHने उसको यहां तक दबाया क वह ल'Gजत हो गया, तब उस ने कहा, भेज दो; सो उ(हHने पचास पुdष भेज दए, और वे उसे तीन दन तक

ढू ं ढ़ते रहे पर(तु न पाया। 18 उस समय तक वह यर:हो म ठहरा रहा, सो जब वे उसके पास लौट आए, तब उस ने उन से कहा, या मE ने तुम से न कहा या, क मत जाओ? 19 उस नगर के िनवािसयHने एलीशा से कहा, दे ख, यह नगर मनभावने ःयान पर बसा है , जैसा मेरा ूभु दे खता है पर(तु पानी बुरा है ; और भूिम गभO िगरानेवाली है । 20 उस ने कहा, एक नथे €याले म नमक डालकर मेरे पास ले आओ; वे उसे उसके पास ले आए। 21 तब वह जल के सोते के पास िनकल गया, और उस म नमक डालकर कहा, यहोवा यHकहता है , क मE यह पानी ठqक कर दे ता हँू , 'जस से वह फर कभी मृयु वा गभO िगरने का कारण न होगा। 22 एलीशा के इस वचन के अनुसार पानी ठqक हो गया, और आज तक ऐसा ह: है । 23 वहां से वह बेतेल को चला, और मागO क चढ़ाई म चल रहा या क नगर से छोटे लड़के िनकलकर उसका ठ=ठा करके कहने लगे, हे च(दए ु चढ़ जा, हे च(दए ु चढ़ जा। 24 तब उस ने पीछे क ओर फर कर उन पर l क और यहोवा के नाम से उनको शाप दया, तब जंगल म से दो र:िछिनयHने िनकलकर उन म से बयालीस लड़के फाड़ डाले। 25 वहां से वह कSमल को गया, और फर वहां से शोमरोन को लौट गया। 2 राजा 3 1 यहूदा के राजा यहोशापात के अठारहव वषO म अहाब का पुऽ यहोराम िशमरोन म राGय करने लगा, और बारह पषO तक राGय करता रहा। 2 उस ने वह कया जो यहोवा क l म बुरा है नौभी उस ने अपके माता-पता के बराबर नह:ं कया वरन अपके पता क बनवाई हुई बाल क लाठ को दरू कया। 3 तौभी वह नबात

के पुऽ यारोबाम के ऐसे पापHम जैसे उस ने इॐाएल से भी कराए िलपटा रहा और उन से न फरा। 4 मोआब का राजा मेशा बहुत सी भेड़-बकgरयां रखता या, और इॐाएल के राजा को एक लाख ब.चे और एक लाख मेढ़Hका ऊन कर क र:ित से दया करता या। 5 जब अहाब मर गया, तब मोआब के राजा ने इॐाएल के राजा से बलवा कया। 6 उस समय राजा यहोराम ने शोमरोन से िनकलकर सारे इॐाएल क िगनती ली। 7 और उस ने जाकर यहूदा के राजा यहोशापात के पास यHकहला भेजा, क मोआब के राजा ने मुझ से बलवा कया है , या तू मेरे संग मोआब से लड़ने को चलेगा? उस ने कहा, हां मE चलूग ं ा, जैसा तू वैसा मE, जैसी ते र: ूजा वैसी मेर: ूजा, और जैसे तेरे धोड़े वैसे मेरे भी घोड़े हE । 8 फर उस ने पूछा, हम कस मागO से जाएं? उस ने उर दया, एदोम के जंगल से होकर। 9 तब इॐाएल का राजा, और यहूदा का राजा, और एदोम का राजा चले और जब सात दन तक धूमकर चल चुके, तब सेना और उसके पीछे पीछे चलनेवाले पशुओं के िलथे कुछ पानी न िमला। 10 और इॐाएल के राजा ने कहा, हाथ ! यहोवा ने इन तीन राजाओं को इसिलथे इक=ठा कया, क उनको मोआब के हाथ म कर दे । 11 पर(तु सहोशापात ने कहा, या यहां यहोवा का कोई नबी नह:ं है , 'जसके kारा हम यहोवा से पूछ ? इॐाएल के राजा के कसी कमOचार: ने उर दे कर कहा, हां, शापात का पुऽ एलीशा जो एिलयाह के हाथHको धुलाया करता या वह तो यहां है । 12 तब यहोशापात ने कहा, उसके पास यहोवा का वचन पहुंचा करता है । तब इॐाएल का राजा और यहोशापात और एदोम का राजा उसके पास गए। 13 तब एलीशा ने इॐाएल के राजा से कहा, मेरा तुझ से या काम है ? अपके पता के भवंयkfाओं और अप क माता के नबयHके पास जा। इॐाएल के राजा ने

उस से कहा, ऐसा न कह, यHक यहोवा ने इन तीनHराजाओं को इसिलथे इक=ठा कया, क इनको मोआब के हाथ म कर दे । 14 एलीशा ने कहा, सेनाओं का यहोवा 'जसके सSमुख मE उप'ःयत रहा करता हँू , उसके जीवन क शपय यद मE यहूदा के राजा यहोशापात का आदर मान न करता, तो मE न तो तेर: ओर मुह करता और न तुझ पर l करता । 15 अब कोई बजवैया मेरे पास ले आओ। जब बजवैया बजाने लगा, तब यहोवा क शf एलीशा पर इुई। 16 और उस ने कहा, इस नाले म तुम लोग इतना खोदो, क इस म गड़हे ह: गड़हे हो जाएं। 17 यHक यहोवा यHकहता है , क तुSहारे साSहने न तो वायु चलेगी, और न वषाO होगी; तौभी यह नाला पानी से भर जाएगा; और अपके गाय बैलHऔर पशुओं समेत तुम पीने पाओगे। 18 और इसको हलक सी बात जानकर यहोवा मोआब को भी तुSहारे हाथ म कर दे गा। 19 तब तुम सब गढ़वाले और उम नगरHको नाश करना, और सब अ.छे वृझHको काट डालना, और जल के सब खेतHको भर दे ना, और सब अ.छे खेतHम पयर फ ककर उ(ह बगाड़ दे ना। 20 वहान को अ(नबिल चढ़ाने के समय एदोम क ओर से जल बह आया, और दे श जल से भर गया। 21 यह सुनकर क राजाओं ने हम से युa करते के िलथे चढ़ाई क है , 'जतने मोआबयHक अवःया हिययार बा(धने योbय यी, वे सब बुलाकर इक=ठे कए गए, और िसवाने पर खड़े हुए। 22 बहान को जब वे उठे उस समय सूयO क करणHउस जल पर ऐसी प कं क वह मोआबयHक परली ओर से लोहू सा लाल दखाई पड़ा। 23 तो वे कहने लगे वह तो लोहू होगा, िन:स(दे ह वे राजा एक दस ू रे को मारकर नाश हो गए हE , इसिलथे अब हे मोआबयो लूट लेने को जाओ; 24 और जब वे इॐाएल क छावनी के पास आए ह: थे, क इॐाएली उठकर

मोआबयHको मारने लगे और वे उनके साSहने से भाग गए; और वे मोआब को मारते मारते उनके दे श म पहुंच गए। 25 और उ(हHने नगरHको ढा दया, और सब अ.छे खेतHम एक एक पुdष ने अपना अपना मयर डाल कर उ(हHभर दया; और जल के सब सोतHको भर दया; और सब अ.छे अ.छे वृझHको काट डाला, यहां तक क कहO रेशेत के पे तो रह गए, पर(तु उसको भी चारHओर गोफन चलानेवालHने जाकर मारा। 26 यह दे खकर क हम युa म हार चले, मोआब के राजा ने सात सौ तलवार रखनेवाले पुdष संग लेकर एदोम के राजा तक पांित चीरकर पहंु चने का य^ कया पर(तु पहंु च न सका। 27 तब उस ने अपके जे ठे पुऽ को जो उसके ःयान म राGय करनेवाला या पकड़कर शहरपनाह पर होमबिल चढ़ाया। इस कारण इॐाएल पर बड़ा ह: बोध हुआ, सो वे उसे छोड़कर अपके दे श को लौट गए। 2 राजा 4 1 भवंयkfाओं के चेलHक प'^यHम से एक \ी ने एलीशा क दोहाई दे कर कहा, तेरा दास मेरा पित मर गया, और तू जानता है क वह यहोवा का भय पाननेवाला या, और 'जसका वह कजOदार या वह आया है क मेरे दोनHपुऽHको अपके दाय बनाने के िलथे ले जाए। 2 एलीशा ने उस से पूछा, मE तेरे िलथे या कRं? मुझ से कह, क तेरे घर म या है ? उस ने कहा, तेर: दासी के घर म एक हांड़: तेल को छोड़ और कुछ तह:ं है । 3 उस ने कहा, तू बाहर जाकर अप क सब पड़ोिस कH खाली बरतन मांग ले आ, और योड़े बरतन न लाना। 4 फर तू अपके बेटHसमेत अपके घर म जा, और kार ब(द करक उन सब बरतनHम ते ल उणडे ल दे ना, और

जो भर जाए उ(ह अलग रखना। 5 तब वह उसके पास से च क गई, और अपके बे टHसमेत अपके घर जाकर kार ब(द कया; तब वे तो उसके पास बरतन लाते गए और वह उणडे लती गई। 6 जब बरतन भर गए, तब उस ने अपके बेटे से कहा, मेरे पास एक और भी ले आ, उस ने उस से कहा, और बरतन तो नह:ं रहा। तब तेल यम गया। 7 तब उस ने जाकर परमे र के भf को यह बता दया। ओर उस ने कहा, जा तेल बेचकर ऋण भर दे ; और जो रह जाए, उस से तू अपके पुऽHसहत अपना िनवाOह करना। 8 फर एक दन क बात है क एलीशा शूनेम को गया, जहां एक कुलीन \ी यी, और उस ने उसे रोट: खाने के िलथे बनती करके ववश कया। और जब जब वह उधर से जाता, तब तब वह वहां रोट: खाने को उतरता या। 9 और उस \ी ने अपके पित से कहा, सुन यह जो बार बार हमारे यहां से होकर जाया करता है वह मुझे परमे र का कोई पवऽ भf जान पड़ता है । 10 तो हम भीत पर एक छोट: उपरौठq कोठर: बनाएं, और उस म उसके िलथे एक खाट, एक मेज, एक कुसीं और एक द:वट रख , क जब जब वह हमारे यहां आए, तब तब उसी म टका करे । 11 एक दन क बात है , क वह वहां जाकर उस उपरौठq कोठर: म टका और उसी म लेट गया। 12 और उस ने अपके सेवक गेहजी से कहा, उस शुनेिमन को बुला ले। उसके बुलाने से वह उसके साSहने खड़: हुई। 13 तब उस ने गेहजी से कहा, इस से कह, क तू ने हमारे िलथे ऐसी बड़: िच(ता क है , तो तेरे िलथे या कया जाए? या तेर: चचाO राजा, वा ूधान सेनापित से क जाए? उस ने उर दया मE तो अपके ह: लोगHम रहती हँू । 14 फर उस ने कहा, तो इसके िलथे या कया जाए? गेहजी ने उर दया, िन_य उसके कोई लड़का नह:ं, और उसका पित बूढ़ा है । 15 उस ने कहा, उसको बुला ले। और

जब उस ने उसे बुलाया, तब वह kार म खड़: हुई। 16 तब उस ने कहा, बस(त ऋतु म दन पूरे होने पर तू एक बेटा छाती से लगाएगी। \ी ने कहा, हे मेरे ूभु ! हे परमे र के भf ऐसा नह:ं, अप क दासी को धोखा न दे । 17 और \ी को गभO रहा, और वस(त ऋतु का जो समय एलीशा ने उस से कहा या, उसी समय जब दन पूरे हुए, तब उसके पुऽ उप(न हुआ। 18 और जब लड़का बड़ा हो गया, तब एक दन वह अपके पता के पास लवनेवालHके िनकट िनकल गया। 19 और उस ने अपके पता से कहा, आह ! मेरा िसर, आह ! मेरा िसर। तब पता ने अपके सेवक से कहा, इसको इसक माता के पास ले जा। 20 वह उसे उठाकर उसक माता के पास ले गया, फर वह दोपहर तक उसके घुटनHपर बैठा रहा, तब मर गया। 21 तब उस ने चढ़कर उसको परमे र के भf क खाट पर िलटा दया, और िनकलकर कवाड़ ब(द कया, तब उतर गई। 22 और उस ने अपके पित से पुकारकर कहा, मेरे पास एक सेवक और एक गदह: तुर(त भेज दे क मE परमे र के भf के यहां फट पट हो आऊं। 23 उस ने कहा, आज तू उसके यहां यHजाएगी? आज न तो नथे चांद का, और न वौम का दन है ; उस ने कहा, क`याण होगा। 24 तब उस \ी ने गदह: पर काठq बा(ध कर अपके सेवक से कहा, हांके चल; और मेरे कहे बना हांकने म ढलाई न करना। 25 तो वह चलते चलते कमल पवOत को परमे र के भf के िनकट पहंु ची। उसे दरू से दे खकर परमे र के भf ने अपके सेवक गेहजी से कहा, दे ख, उधर तो वह शूनेिमन है । 26 अब उस से िमलने को दौड़ जा, और उस से पूछ, क तू कुशल से है ? तेरा पित भी कुशल से है ? और लड़का भी कुशल से है ? पूछने पर \ी ने उर दया, हां, कुशल से हE । 27 वह पहाड़ पर परमे र के भf के पास पहंु ची, और उसके पांव

पकड़ने लगी, तब गेहजी उसके पास गया, क उसे ध का दे कर हटाए, पर(तु परमे र के भf ने कहा, उसे छोड़ दे , उसका मन याकुल है ; पर(तु यहोवा ने मुझ को नह:ं बताया, िछपा ह: रखा है । 28 तब वह कहने लगी, या मE ने अपके ूभु से पुऽ का वर मांगा या? या मE ने न कहा या मुझे धोखा न दे ? 29 तब एलीशा ने गेहजी से कहा, अप क कमर बा(ध, और मेर: छड़: हाथ म लेकर चला जा, मागO म यद कोई तुझे िमले तो उसका कुशल न पूछना, और कोई तेरा कुशल पूछे, तो उसको उर न दे ना, और मेर: यह छड़: उस लड़के के मुह ं पर धर दे ना। 30 तब लड़के क मां ने एलीशा से कहा, यहोवा के और तेरे जीवन क शपय मE तुझे न छोड़ू ं गी। तो वह उठकर उसके पीछे पीछे चला। 31 उन से पहले पहंु चकर गेहजी ने छड़: को उस लड़के के मुह ं पर रखा, पर(तु कोई शcद न सुन पड़ा, और न उस ने कान लगाया, तब वह एलीशा से िमलने को लौट आया, और उसको बतलादया दया, क लड़का नह:ं जागा। 32 जब एलीशा घर म आया, तब या दे खा, क लड़का मरा हुआ उसक खाट पर पड़ा है । 33 तब उस ने अकेला भीतर जाकर कवाड़ ब(द कया, और यहोवा से ूायOना क। 34 तब वह चढ़कर लड़के पर इस र:ित से लेट गया क अपना मुह ं उसके मुह ं से और अप क आंख उसक आंखHसे और अपके हाथ उसके हाथHसे िमला दथे और वह लड़के पर पसर गया, तब लड़के क दे ह गमO होने लगी। 35 और वह उसे छोड़कर घर म इधर उधर टहलने लगा, और फर चढ़कर लड़के पर पसर गया; तब लड़के ने सात बार छqंका, और अप क आंख खोलीं। 36 तब एलीशा ने गेहजी को बुलाकर कहा, शूनेिमन को बुला ले। जब उसके बुलाने से वह उसके पास आई, तब उस ने कहा, अपके बेटे को उठा ले। 37 वह भीतर बई, और उसके पावHपर िगर भूिम तक

फुककर दणडवत कया; फर अपके बेटे को उठाकर िनकल गई। 38 तब एलीशा िगलगाल को लौट गया। उस समय दे श म अकाल या, और भवंयkfाओं के चेले उसके साSहने बैटे हुए थे, और उस ने अपके सेवक से कहा, ह+डा चढ़ाकर भवंयkfाओं के चेलHके िलथे कुछ पका। 39 तब कोई मैदान म साग तोड़ने गया, और कोई जंगली लता पाकर अप क अंकवार भर इ(िायण तोड़ ले आया, और फांक फांक करके पकने के िलथे ह+डे म डाल दया, और वे उसको न पहचानते थे। 40 तब उ(हHने उन मनुंयHके खाने के िलथे ह+डे म से परोसा। खाते समय वे िच`लाकर बोल उठे , हे परमे र के भf ह+डे म माहुर है , और वे उस म से खा न सके। 41 तब एलीशा ने कहा, अ.छा, कुछ मैदा ले आओ, तब उस ने उसे ह+डे म डाल कर कहा, उन लोगHके खाने के िलथे परोस दे , फर ह+डे म कुछ हािन क वःतु न रह:। 42 और कोई पतुंय बालशालीशा से , पहले उपके हुए जव क बीस रोटयां, और अप क बोर: म हर: बाल परमे र के भf के पास ले आया; तो एलीशा ने कहा, उन लोगHको खाने के िलथे दे । 43 उसके टहलुए ने कहा, या मE सौ मनुंयHके साSहने इतना ह: रख दं ?ू उस ने कहा, लोगHको दे दे क खएं, यHक यहोवा यHकहता है , उनके खाने के बाद कुछ बच भी जाएगा। 44 तब उस ने उनके आगे धर दया, और यहोवा के वचन के अनुसार उनके खाने के बाद कुछ बच भी गया। 2 राजा 5 1 अराम के राजा का नामान नाम सेनापित अपके ःवामी क l म बड़ा और ूितvत पुSष या, यHक यहोवा ने उसके kारा अरािमयHको वजयी कया या,

और यह शूरवीर या, पर(तु कोढ़: या। 2 अरामी लोग दल बा(धकर इॐाएल के दे श म जाकर वहां से एक छोट: लड़क ब(धुवाई म ले आए थे और वह नामान क प^ी क सेवा करती यी। 3 उस ने अप क ःवािमन से कहा, जो मेरा ःवामी शोमरोन के भवंयkfा के पास होता, तो या ह: अ.छा होता ! यHक वह उसको कोढ़ से चंगा कर दे ता। 4 तो कसी ने उसके ूभु के पास जाकर कह दया, क इॐाएली लड़क इस ूकार कहती है । 5 अराम के राजा ने कहा, तू जा, मE इॐाएल के राजा के पास एक पऽ भेजूंगा; तब वह दस क कार चा(द: और छ:हजार टु कड़े सोना, और दस जोड़े कपके साय लेकर रवाना हो गया। 6 और वह इॐाएल के राजा के पास वह पऽ ले गया 'जस म यह िलखा या, क जब यह पऽ तुझे िमले, तब जानना क मE ने नामान नाम अपके एक कमOचार: को तेरे पास इसिलथे भेजा है , क तू उसका कोढ़ दरू कर दे । 7 इस पऽ के पढ़ने पर इॐाएल का राजा अपके व\ फाड़कर बोला, या मE मारनेवाला और 'जलानेवाला परमे र हँू क उस पुdष ने मेरे पास कसी को इसिलथे भेजा है क मE उसका कोढ दरू कRं? सोच वचार तो करो, वह मुझ से फगड़े का कारण ढू ं ढ़ता होगा। 8 यह सुनकर क इॐाएल के राजा ने अपके व\ फाड़े हE , परमे र के भf एलीशा ने राजा के पास कहला भेजा, तू ने यHअपके व\ फाड़े हE ? वह मेरे पास आए, तब जान लेगा, क इॐाएल म भवंयkfा तो है । 9 तब नामान धोड़Hऔर रयHसमेत एलीशा के kार पर आकर खड़ा हुआ। 10 तब एलीशा ने एक दत ू से उसके पास यह कहला भेजा, क तू जाकर यरदन म सात बार डु बक मार, तब तेरा शर:र GयHका यHहो जाएगा, और तू शुa होगा। 11 पर(तु नामान बोिधत हो यह कहता हुआ चला गया, क मE ने तो सोचा या, क अवँय वह मेरे पास बाहर

आएगा, और खड़ा होकर अपके परमे र यहोवा से ूायOना करके कोढ़ के ःयान पर अपना हाथ फेरकर कोढ़ को दरू करे गा ! 12 या दिमँक क अबाना और पपOर नदयां इॐाएल के सब जलाशयHसे अम नह:ं हE ? या मE उन म ःनान करके शुa नह:ं हो सकता हँू ? इसिलथे वह जलजलाहट से भरा हुआ लौटकर चला गया। 13 तब उसके सेवक पास आकर कहने लगे, हे हमारे पता यद भवंयkfा तुझे कोई भार: काम करने क आWा दे ता, तो या तू उसे न करता? फर जब वह कहता है , क ःनान करके शुa हो जा, तो कतना अिधक इसे मानना चाहथे। 14 तब उस ने परमे र के भf के वचन के अनुसार यरदन को जाकर उस म सात बार डु बक मार:, और उसका शर:र छोटे लड़के का सा हो गया; उौर वह शुa हो गया। 15 तब वह अपके सब दल बल समेत परमे र के भf के यहां लौट आया, और उसके सSमुख खड़ा होकर कहने लगा सुन, अब मE ने जान िलया है , क समःत पृवी म इॐाएल को छोड़ और कह:ं परमे र नह:ं है । इसिलथे अब अपके दास क भ ट महण कर। 16 एलीशा ने कहा, यहोवा 'जसके सSमुख मE उप'ःयत रहता हूँ उसके जीवन क शपय मE कुछ भ ट न लूग ं ा, और जब उस ने उसको बहुत ववश कया क भ ट को महण करे , तब भी वह इनकार ह: करता रहा। 17 तब नामान ने कहा, अ.छा, तो तेरे दास को दो ख.चर िम=ट: िमले, यHक आगे को तेरा दास यहोवा को छोड़ और कसी ई र को होमबिल वा मेलबिल न चढ़ाएगा। 18 एक बात तो यहोवा तेरे दास के िलथे झमा करे , क जब मेरा ःवामी gरSमोन के भवन म दणडवत करने को जाए, और वह मेरे हाथ का सहारा ले, और यHमुझे भी gरSमोन के भवन म दणडवत करनी पके, तब यहोवा तेरे दास का यह काम झमा करे क मE gरSमोन के भवन म दणडवत कRं। 19

उस ने उस से कहा, कुशल से बदा हो। 20 वह उसके यहां से योड़: दरू जला गया या, क परमे र के भf एलीशा का सेवक गेहजी सोचने लगा, क मेरे ःवामी ने तो उस अरामी नामान को ऐसा ह: छोड़ दया है क जो वह ले आया या उसको उस ने न िलया, पर(तु यहोवा के जीवन क शपय मE उसके पीछे दौड़कर उस से कुछ न कुछ ले लूग ं ा। 21 तब गेहजी नामान के पीछे दौड़ा, और नामान कसी को अपके पीछे दौड़ता हूआ दे खकर, उस से िमलने को रय से उतर पड़ा, और पूछा, सब कुशल झेम तो है ? 22 उस ने कहा, हां, सब कुशल है ; पर(तु मेरे ःवामी ने मुझे यह कहने को भेजा है , क एूैम के पहाड़: दे श से भवंयkfाओं के चेलHम

से दो जवान मेरे यहां अभी आए हE , इसदथे उनके िलथे एक क कार चा(द: और दो जोड़े व\ दे । 23 नामान ने कहा, दो क कार लेने को ूस(न हो, तब उस ने उस से बहुत बनती करके दो क कार ख(द: अलग यैिलयHम बा(धकर, दो जोड़े व\ समेत अपके दो सेवकHपर लाद दया, और वे उ(ह उसके आगे आगे ले चले। 24 जब वह ट:ले के पास पहंु चा, तब उस ने उन वःतुओं को उन से लेकर घर म

रख दया, और उन मनुंयHको बदा कया, और वे चले गए। 25 और वह भीतर जाकर, अपके ःवामी के साSहने खड़ा हुआ। एलीशा ने उस से पूछा, हे गेहजी तू कहां से आता है ? उस ने कहा, तेरा दास तो कह:ं नह:ं गया, 26 उस ने उस से कहा, जब वह पुdष इधर मुह ं फेरकर तुझ से िमलने को अपके रय पर से उतरा, तब वह पूरा हाल मुझे मालूम या; या यह समय चा(द: वा व\ वा जलपाई वा दाख क बाgरयां, भेड़-बकgरयां, गायबैल और दास-दासी लेने का है ? 27 इस कारण से नामान का कोढ़ तुझे और तेरे वंश को सदा लगा रहे गा। तब वह हम सा ेत कोढ़: होकर उसके साSहने से चला गया।

2 राजा 6 1 और '•वंयkfाओं के चेलHम से कसी ने एलीशा से कहा, यह ःयान 'जस म

हम तेरे साSहने रहते हE , वह हमारे िलथे सकेत है । 2 इसिलथे हम यरदन तक जाएं, और वहां से एक एक ब`ली लेकर, यहां अपके रहने के िलथे एक ःयान बना ल ; उस ने कहा, अ.छा जाओ। 3 तब कसी ने कहा, अपके दासHके संग चलने को ूस(न हो, उस ने कहा, चलता हँू । 4 तो वह उनके संग चला और वे यरदन के तीर पहंु चकर लकड़: काटने लगे। 5 पर(तु जब एक जन ब`ली काट रहा या, तो कु`हाड़: ब ट से िनकलकर जल म िगर गई; सो वह िच`लाकर कहने लगा, हाथ ! मेरे ूभु, वह तो मंगनी क यी। 6 परमे र के भf ने पूछा, वह कहां िगर:? जब उस ने ःयान दखाया, तब उस ने एक लकड़: काटकर वहां डाल द:, और वह लाहा पानी पर तैरने लगा। 7 उस ने कहा, उसे उठा ले, तब उस ने हाथ बढ़ाकर उसे ले िलया। 8 ओैर अराम का जाजा इॐाएल से युa कर रहा या, और सSमित करके अपके कमOचाgरयHसे कहा, क अमुक ःयान पर मेर: छावनी होगी। 9 तब परमे र के भf ने इॐाएल के राजा के पास कहला भेजा, क चौकसी कर और अमुक ःयान से होकर न जाना यHक वहां अरामी चढ़ाई करनेवाले हE । 10 तब इॐाएल के राजा ने उस ःयान को, 'जसक चचाO करके परमे र के भf ने उसे िचताया या, भेजकर, अप क रझा क; और उस ूकार एक दो बार नह:ं वरन बहुत बार हुआ। 11 इस कारण अराम के राजा का मन बहुत घबरा गया; सो उस ने अपके कमOचाgरयHको बुलाकर उन से पूछा, या तुम मुझे न बताओगे क हम लोगHम से कौन इॐाएल के राजा क ओर का है ? उसके एक कमOचार: ने कहा, हे मेरे ूभु ! हे राजा ! ऐसा नह:ं, 12 एलीशा जो इॐाएल म

भवंयkfा है , वह इॐाएल के राजा को वे बात भी बताया करता है , जो तू शयन क कोठर: म बोलता है । 13 राजा ने कहा, जाकर दे खो क वह कहां है , तब मE भेजकर उसे पहड़वा मंगाऊंगा। और उसको यह समाचार िमला क वह दोतान म

है । 14 तब उस ने वहां घोड़Hऔर रयHसमेत एक भार: दल भेजा, और उ(हHने रात को आकर नगर को घेर िलया। 15 भोर को परमे र के भf का टहलुआ उठा और िनकलकर या दे खता है क घोड़Hऔर रयHसमेत एक दल नगर को घेरे हुए पड़ा है । और उसके सेवक ने उस से कहा, हाथ ! मेरे ःवामी, हम या कर ? 16 उस ने कहा, मत डर; यHक जो हमार: ओर हE , वह उन से अिधक हE , जो उनक ओर हE । 17 तब एलीशा ने यह ूायOना क, हे यहोवा, इसक आंख खोल दे क यह दे ख सके। तब यहोवा ने सेवक क आंख खोल द:ं, और जब वह दे ख सका, तब या दे खा, क एलीशा के चारHओर का पहाड़ अ'bनमय घोड़Hऔर रयHसे भरा हुआ है । 18 जब अरामी उसके पास आए, तब एलीशा ने यहोवा से ूायOना क क इस दल को अ(धा कर डाल। एलीशा के इस वचन के अनुसार उस ने उ(ह अ(धा कर दया। 19 तब एलीशा ने उन से कहा, यह तो मागO नह:ं है , और न यह नगर है , मेरे पीछे हो लो; मE तुSह उस पनुंय के पास 'जसे तुम ढू ं ढ़ रहे हो पहंु चाऊंगा। तब उस ने उ(ह शोमरोन को पहंु चा दया। 20 जब वे शोमरोन म आ गए, तब एलीशा ने कहा, हे यहोवा, इन लोगHक आंख खोल क दे ख सक । तब यहोवा ने उनक आंख खोलीं, और जब वे दे खने लगे तब या दे खा क हम शोमरोन के म~य म

हE । 21 उनको दे खकर इॐाएल के राजा ने एलीशा से कहा, हे मेरे पता, या मE इनको मार लू?ं मE उनको मार लू?ं 22 उस ने उर दया, मत मार। या तू उनको मार दया करता है , 'जनको तू तलवार और धनुष से ब(धुआ बना लेता है ? तू

उनको अ(न जल दे , क खा पीकर अपके ःवामी के पास चले जाएं। 23 तब उस ने उनके िलथे बड़: जे वनार क, और जब वे खा पी चुके, तब उस ने उ(ह बदा कया, और वे अपके ःवामी के पास चले गए। इसके बाद अराम के दल इॐाएल के दे श म फर न आए। 24 पर(तु इसके बाद अराम के राजा ब (हदद ने अप क समःत सेना इक=ठq करके, शोमरोन पर चढ़ाई कर द: और उसको घेर िलया। 25 तब शोमरोन म बड़ा अकाल पड़ा और वह ऐसा िघरा रहा, क अ(त म एक गदहे का िसर चा(द: के अःसी टु कड़Hम और कब क चौयाई भर कबूतर क बीट पांच टु कड़े चा(द: तक बकने लगी। 26 और इॐाएल का राजा शहरपनाह पर टहल रहा या, क एक \ी ने पुकार के उस से कहा, हे ूभु, हे राजा, बचा। 27 उस ने कहा, यद यहोवा तुझे न बचाए, तो मE कहां से तुझे बचाऊं? या खिलहान म

से, वा दाखरस के कु+ड म से? 28 फर राजा ने उस से पूछा, तुझे या हुआ? उस ने उर दया, इस \ी ने मुझ से कहा या, मुझे अपना बेटा दे , क हम आज उसे खा ल , फर कल मE अपना बेटा दं ग ू ी, और हम उसे भी खाएंगी। 29 तब मेरे बेटे को पकाकर हम ने खा िलया, फर दस ू रे दन जब मE ने इस से कहा क अपना बे टा दे क हम उसे खा ल , तब इस ने अपके बेटे को िछपा रखा। 30 उस \ी क थे बात सुनते ह:, राजा ने अपके व\ फाड़े ( वह तो शहरपनाह पर टहल रहा या ), जब लोगHने दे खा, तब उनको यह दे ख पड़ा क वह भीतर अप क दे ह पर टाट पहने है । 31 तब वह बोल उठा, यद मE शापात के वुऽ एलीशा का िसर आज उसके घड़ पर रहने दं ,ू तो परमे र मेरे साय ऐसा ह: वरन इस से भी अिधक करे । 32 एलीशा अपके घर म बैठा हुआ या, और पुरिनथे भी उसके संग बैठे थे। सो जब राजा ने अपके पास से एब जन भेजा, तब उस दत ू के पहंु चने से पहले उस ने

पुरिनयHसे कहा, दे खो, इस खूनी के बेटे ने कसी को मेरा िसर काटते को भेजा है ; इसिलथे जब वह दत ू आए, तब कवाड़ ब(द करके रोके रहना। या उसके ःवामी के पांव क आहट उसके पीछे नह:ं सुन पड़ती? 33 वह उन से यHबात कर ह: रहा या क दत ू उसके पास आ पहंु चा। और राजा कहने लगा, यह वप यहोवा क ओर से है , अब मE आगे को यहोवा क बाट यHजोहता रहंू ? 2 राजा 7 1 तब एलीशा ने कहा, यहोवा का वचन सुनो, यहोवा यHकहता है , क कल इसी समय शोमरोन के फाटक म सआ भर मैदा एक शेकेल म और दो सआ जव भी एक शेकेल म बकेगा। 2 तब उस सरदार ने 'जसके हाथ पर राजा तकया करता य, परमे र के भf को उर दे कर कहा, सुन, चाहे यहोवा आकाश के फरोखे खोले, तौभी या ऐसी बात हो सकेगी? उस ने कहा, सुन, तू यह अप क आंखHसे तो दे खेगा, पर(तु उस अ(न म से कुछ खाने न पाएगा। 3 और चार कोढ़: फाटक के बाहर थे; वे आपस म कहने लगे, हम यHयहां बैठे बैठे मर जाएं? 4 यद हम कह , क नगर म जाएं, तो वहां मर जाएंगे; यHक वहां मंहगी प क है , और जो हम यह:ं बैठे रह , तौभी मर ह: जाएंगे। तो आओ हम अराम क सेना म पकड़े जाएं; यद वे हम को 'जलाए रख तो हम जीवत रह गे, और यद वे हम को मार डाल , तौभी हम को मरना ह: है । 5 तब वे सांफ को अराम क छावनी म जाने को चले, और अराम क छावनी क छोर पर पहुंचकर या दे खा, क वहां कोई नह:ं है । 6 यHक ूभु ने अराम क सेना को रयHऔर घोड़Hक और भार: सेना क सी आहट सुनाई यी, और वे आपस म कहने लगे थे क, सुनो, इॐाएल के राजा ने

ही और िमॐी राजाओं को बेतन पर बुलवाया है क हम पर चढ़ाई कर । 7 इसिलथे वे सांफ को उठकर ऐसे भाग गए, क अपके डे रे, घोड़े , गदहे , और छावनी जैसी क तैसी छोड़-छाड़ अपना अपना ूाण लेकर भाग गए। 8 तो जब वे कोढ़: छावनी क छोर के डे रHके पास पहंु चे, तब एक डे रे म घुसकर खाया पया, और उस म से चा(द:, सोना और व\ ले जाकर िछपा रखा; फर लौटकर दस ू रे डे रे म घुस गए और उस म से भी ले जाकर िछपा रखा। 9 तब वे आपस म कहने लगे, जो हम कर रहे हE वह अ.छा काम नह:ं है , यह आन(द के समाचार का दन है , पर(तु हम कसी को नह:ं बताते। जो हम पह फटने तक ठहरे रह तो हम को दणड िमलेगा; सो अब आओ हम राजा के घराने के पास जाकर यह बात बतला द । 10 तब वे चले और नगर के चौकदारHको बुलाकर बताया, क हम जो अराम क छावनी म गए, तो या दे खा, क वहां कोई नह:ं है , और मनुंय क कुछ आहट नह:ं है , केवल ब(धे हूए घोड़े और गदहे हE , और डे रे जैसे के तैसे हE । 11 तब चौकदारHने पुकार के राजभवन के भीतर समाचार दया। 12 और राजा रात ह: को उठा, और अपके कमOचाgरयHसे कहा, मE तुSह बताता हूँ क अरािमयHने हम से या कया है ? वे जानते हE , क हम लोग भूखे हE इस कारण वे छावनी म से मैदान म िछपके को यह कहकर गए हE , क जब वे नगर से िनकल गे, तब हम उनको जीवत ह: पकड़कर नगर म घुसने पाएंगे। 13 पर(तु राजा के कसी कमOचार: ने उर दे कर कहा, क जो घोड़े तगर म बच रहे हE उन म से लोग पांच घोड़े ल , और उनको भेजकर हम हाल जान ल । ( वे तो इॐाएल क सब भीड़ के समान हE जो नगर म रह गए हE वरन इॐाएल क जो भीड़ मर िमट गई है वे उसी के समान हE । ) 14 सो उ(हHने दो रय और उनके घोड़े िलथे, और राजा ने उनको अराम क सेना

के पीछे भेजा; और कहा, जाओ, दे खो। 15 तब वे यरदन तक उनके पीछे चले गए, और या दे खा, क पूरा मागO व\Hऔर पाऽHसे भरा पड़ा है , 'ज(ह अरािमयHने उतावली के मारे फ क दया या; तब दत ू लौट आए, और राजा से यह कह सुनाया। 16 तब लोगHने िनकलकर अराम के डे रHको लूट िलया; और यहोवा के वचन के अनुसार एक सआ मैदा एक शेकेल म , और दो सआ जव एक शेकेल म बकने लगा। 17 और राजा ने उस सरदार को 'जसके हाथ पर वह तकया करता या फाटक का अिध कारनेी ठहराया; तब वह फाटक म लोगHके पावHके नीचे दबकर मर गया। यह परमे र के भf के उस वचन के अनुसार हुआ जो उस ने राजा से उसके यहां आने के यमय कहा या। 18 परमे र के भf ने जैसा राजा से यह कहा या, क कल इसी समय शोमरोन के फाटक म दो सआ जव एक शेकेल म , और एक सआ मैदा एक शेकेल म बकेगा, वैसा ह: हुआ। 19 और उस सरदार ने परमे र के भf को, उर दे कर कहा या, क सुन चाहे यहोवा आकाश म फरोखे खोले तौभ ्◌ी या ऐसी बात हो सकेगी? और उस ने कहा या, सुन, तू यह अप क आंखHसे तो दे खेगा, पर(तु उस अ(न म से खाने न पाएगा। 20 सो उसके साय ठqक वैसा ह: हुआ, अतएव वह फाटक म लोगHके पांवHके नीचे दबकर मर गया। 2 राजा 8 1 'जस \ी के बेटे को एलीशा ने 'जलाया या, उस से उस ने कहा या क अपके घराने समेत यहां से जाकर जहां कह:ं तू रह सके वहां रह; यHक यहोवा क इ.छा है क अकाल पके, और वह इस दे श म सात वषO तक बना रहे गा। 2 परमे र के भf के इस वचन के अनुसार वह \ी अपके घराने समेत

पिल'ँतयHके दे श म जाकर सात वषO रह:। 3 सात वषO के बीतने पर वह पिल'ँतयHके दे श से लौट आई, और अपके घर और भूिम के िलथे दोहाई दे ने को राजा के पास गई। 4 राजा परमे र के भf के सेवक गेहजी से बात कर रहा या, और उस ने कहा क जो बड़े बड़े काम एलीशा ने कथे हE उनह मुझ से वणOन कर। 5 जब वह राजा से यह वणOन कर ह: रहा या क एलीशा ने एक मुद को 'जलाया, तब 'जस \ी के बेटे को उस ने 'जलाया या वह: आकर अपके घर और भूिम के िलथे दोहाई दे ने लगी। तब गेहजी ने कहा, हे मेरे ूभु ! हे राजा ! यह वह: \ी है और यह: उसका बेटा है 'जसे एलीशा ने 'जलाया या। 6 जब राजा ने \ी से मूछा, तब उस ने उस से सब कह दया। तब राजा ने एक हाकम को यह कहकर उसके साय कर दया क लो कुछ इसका या वरन जब से इस ने दे श को छोड़ दया तब से इसके खे त क 'जतनी आमदनी अब तक हुई हो सब इसे फेर दे । 7 और एलीशा दिमशक को गया। और जब अराम के राजा बे(हदद को जो रोगी या यह समाचार िमला, क परमे र का भf यहां भी आया है , 8 तब उस ने हजाएल से कहा, भ ट लेकर परमे र के भf से िमलने को जा, और उसके kारा यहोवा से यह पूछ, क या बे(हदद जो रोगी है वह बचेगा क नह:ं? 9 तब हजाएल भ ट के िलथे दिमँक क सब उम उम वःतुओं से चालीस ऊंट लदवाकर, उस से िमलने को चला, और उसके सSमुख खड़ा होकर कहने लगा, तेरे पुऽ अराम के राजा बे (हदद ने मुझे तुझ से यह पूछने को भेजा है , क या मE जो रोगी हूँ तो बचूग ं ा क नह:ं? 10 एलीशा ने उस से कहा, जाकर कह, तू िन_य बच सकता, तौभी यहोवा ने मुझ पर ूगट कया है , क तू िन:स(दे ह मर जाएगा। 11 और वह उसक ओर टकटक बा(ध कर दे खता रहा, यहां तक क वह ल'Gजत हुआ। और परमे र

का भf रोने लगा। 12 तब हजाएल ने पूछा, मेरा ूभु यHरोता है ? उस ने उर दया, इसिलथे क मुझे मालूम है क नू इॐाएिलयHपर या या उपिव करे गा; उनके गढ़वाले तगरHको तू फूंक दे गा; उनके जवानHको तू तलवार से घात करे गा, उनके बालब.चHको तू पटक दे गा, और उनक गभOवती '\यHको तू चीर डालेगा। 13 हजाएल ने कहा, तेरा दास जो कुे सर:खा है , वह या है क ऐसा बड़ा काम करे ? एलीशा ने कहा, यहोवा ने मुझ पर यह ूगट कया है क तू अराम का राजा हो जाएगा। 14 तब वह एलीशा से बदा होकर अपके ःवामी के पास गया, और उस ने उस से पूछा, एलीशा ने तुझ से या कहा? उस ने उर दया, उस ने मुझ से कहा क बे(हदद िन:स(दे ह बचेगा। 15 दस ू रे दन उस ने राजाई को लेकर जल से िभगो दया, और उसको उसके मुह ं पर ऐसा ओढ़ा दया क वह मर गया। तब हजाएल उसके ःयान पर राGय करने लगा। 16 इॐाएल के राजा अहाब के पुऽ योराम के पांचव वषO म , जब यहूदा का राजा यहोशापात जीवत या, तब यहोशापात का पुऽ यहोराम यहूदा पर राGय करने लगा। 17 जब वह राजा हुआ, तब बीस वषO का या, और आठ वषO तक यRशलेम म राGय करता रहा। 18 वह इॐाएल के राजाओं क सी चाल चला, जैसे अहाब का घराना चलता या, यHक उसक \ी अहाब क बेट: यी; और वह उस काम को करता या जो यहोवा क l म बुरा है । 19 तौभ ्◌ी यहोवा ने यहूदा को नाश करना न चाहा, यह उसके दास दाऊद के कारण हुआ, यHक उस ने उसको वचन दया या, क तेरे वंश के िनिम मE सदा तेरे िलथे एक द:पक जलता हुआ रखूंगा। 20 उसके दनHम एदोम ने यहूदा क अधीनता छोड़कर अपना एक राजा बना िलया। 21 तब योराम अपके सब रय साय िलथे हुए साईर को गया, ओर रात को उठकर उन एदोिमयHको जो

उसे घेरे हुए थे, और रयHके ूधानHको भी मारा; उा◌ौर लोग अपके अपके डे रे को भाग गए। 22 यHएदोम यहूदा के वश से छूट गया, और आज तक वैसा ह: है । उस समय िलcना ने भी यहूदा क अधीनता छोड़ द:। 23 योराम के और सब काम और जो कुछ उस ने कया, वह या यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म

नह:ं िलखा है ? 24 िनदान योराम अपके पुरखाओं के संग सो गया और उनके बीच दाऊदपुर म उसे िम=ट: द: गई; और उसका पुऽ अहGजाह उसके ःयान पर राGय करने लगा। 25 अहाब के पुऽ इॐाएल के राजा योराम के बारहव वषO म यहूदा के राजा यहोराम का पुऽ अहGयाह राGय करने लगा। 26 जब अहGयाह राजा बना, तब बाईस वषO का या, और यRशलेम म एक ह: वषO राGय कया। और उसक माता का नाम अत`याह या, जो इॐाएल के राजा ओॆी क पोती यी। 27 वह अहाब के घराने क सी चाल चला, और अहाब के घराने क नाई वह काम करता या, जो यहोवा क l म बुरा है , यHक वह अहाब के घराने का दामाद या। 28 और वह अहाब के पुऽ योराम के संग िगलाद के रामोत म अराम के राजा हजाएल से लड़ने को गया, और अरािमयHने योराम को घायल कया। 29 सो राजा योराम इसिलथे लौट गया, क ियळैल म उन घावHका इलाज कराए, जो उसको अरािमयHके हाथ से उस समय लगे, जब वह हजाएल के साय लड़ रहा या। और अहाब का पुऽ योराम तो ियळैल म रोगी रहा, इस कारण यहूदा के राजा यहोराम का पुऽ अहजयाह उसको दे खने गया। 2 राजा 9 1 तब एलीशा भवंयkfा ने भवंयkfाओं के चेलHम से एक को बुलाकर उस से

कहा, कमर बा(ध, और हाथ म तेल क यह कु€पी लेकर िगलाद के रामोत को जा। 2 और वहां पहूंचकर थेहू को जो यहोशापात का पुऽ और िनमशी का पोता है , ढू ं ढ़ लेना; तब भीतर जा, उसक खड़ा कराकर उसके भइयHसे अलग एक भीतर: कोठर: म ले जाना। 3 तब तेल क यह कु€पी लेकर तेल को उसके िसर पर यह कह कर डालना, यहोवा यHकहता है , क मE इॐाएल का राजा होने के िलथे तेरा अिभषेक कर दे ता हूँ। तब kार खोलकर भागना, वलSह न करना। 4 तब वह जवान भवंयkfा िगलाद के रामोत को गया। 5 वहां पहंु चकर उस ने या दे खा, क सेनापित बैठे हए हE ; तब उस ने कहा, हे सेनापित, मुझे तुझ से कुछ कहना है । थेहू ने पूछा, हम सभHम कस से ? उस ने कहा हे सेनापित, तुझी से ! 6 तब वह उठकर घर म गया; और उस ने यह कहकर उसके िसर पर तेल डाला क इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , मE अप क ूजा इॐाएल पर राजा होने के िलथे तेरा अिभषेक कर दे ता हँू । 7 तो तू अपके ःवामी अहाब के घराने को मार डालना, 'जस से मुझे अपके दास भवंयkfाओं के वरन अपके सब दासHके खून का जो हे ज़ेबेल ने बहाथा, पलटा िमले। 8 यHक अहाब का समःत घराना नाश हो जाएगा, और मE अहाब के वंश के हर बक लड़के को और इॐाएल म के या ब(धुए, या ःवाधीन, हर एक को नाश कर डालूग ं ा। 9 और मE अहाब का घराना नबात के पुऽ यारोबाम का सा, और अहयाह के पुऽ बाशा का सा कर दं ग ू ा। 10 और हे ज़ेबेल को ियळैल क भ ्◌ूिम म कुे खाएंगे, और उसको िम=ट: दे नेवाला कोई न होगा। तब वह kार खोलकर भाग गया। 11 तब थेहू अपके ःवामी के कमOचाgरयHके पास िनकल आया, और एक ने उस से पूछा, या कुशल है , वह बावला यHतेरे पास आया या? उस ने उन से कहा, तुम को मालूम होगा क वह

कौन है और उस से या बातचीत हुई। 12 उ(हHने कहा फूठ है , हम बता दे । उस ने कहा, उस ने मुझ से कहा तो बहुत, पर(तु मतलब यह है क यहोवा यHकहता है क मE इॐाएल का राजा होने के िलथे तेरा अिभषेक कर दे ता हँू । 13 तब उ(हHने फट अपना अपना व\ उतार कर उसके तीचे सीढ़: ह: पर बछाया, और नरिसंगे फूंककर कहने लगे, थेहू राजा है । 14 यHथेहू जो िनमशी का पोता और यहोशापात का पुऽ या, उस ने योराम से राजिोह क गोvी क। ( योराम तो सब इॐाएल समेत अराम के राजा हजाएल के कराण िगलाद के रामोत क रझा कर रहा या; 15 पर(तु राजा योराम आप अपके घाव का जो अराम के राजा हजाएल से युa करने के समय उसको अरािमयHसे लगे थे, उनका इलाज कराने के िलथे ियळैल को लौठ गया या। ) तब थेहू ने कहा, यद तुSहारा ऐसा मन हो, तो इस नगर म से कोई िनकल कर ियळैल म सुनाने को न जाने पाए। 16 तब थेहू रय पर चढ़कर, ियळैल को चला जहां योराम पड़ा हुआ या; और यहूदा का राजा अहGयाह योराम के दे खने को वहां आया या। 17 ियळैल के गुSमट पर, जो पहdआ खड़ा या, उस ने थेहू के संग आते हुए दल को दे खकर कहा, मुझे एक दल द:खता है ; योराम ने कहा, एक सवार को बुलाकर उन लोगHसे िमलने को भेज और वह उन से पूछे, या कुशल है ? 18 तब बक सवार उस से िमलने को गया, और उस से कहा, राजा पूछता है , या कुशल है ? थेहू ने कहा, कुशल से तेरा या काम? हटकर मेरे पीछे चल। तब पहdए ने कहा, वह दत ू उनके पास पहुंचा तो या, पर(तु लौटकर नह:ं आया। 19 तब उसने दस ू रा सवार भेजा, और उस ने उनके पास पहंु चकर कहा, राजा पूछता है , या कुशल है ? थेहू ने कहा, कुशल से तेरा या काम? हटकर मेरे पीछे चल। 20 तब पहdए ने कहा, वह भी उनके पास पहंु चा तो या, पर(तु

लौटकर नह:ं आया। हांकना िनमशी के पोते थेहू का सा है ; वह तो बौड़हे क नाई हांकता है । 21 योराम ने कहा, मेरा रय जुतवा। जब उसका रय जुत गया, तब इॐाएल का राजा योराम और यहूदा का राजा अहGयाह, दोनो अपके अपके रय पर चढ़कर िनकल गए, और थेहू से िमलने को बाहर जाकर ियळैल नाबोत क भूिम म उस से भ ट क। 22 थेहू को दे खते ह: योराम ने पूछा, हे थेहू या कुशल है , थेहू ने उर दया, जब तक तेर: माता हे ज़ेबेल िछनालपन और टोना करती रहे , तब तक कुशल कहां? 23 तब याराम रास फेर के, और अहGयाह से यह कहकर क हे अहGयाह व ासघात है , भाग चल। 24 तब थेहू ने धनुष को कान तक खींचकर योराम के पखौड़Hके बीच ऐसा तीर मारा, क वह उसका ॑ृदय फोड़कर िनकल गया, और वह अपके रय म फुककर िगर पड़ा। 25 तब थेहू ने बदकर नाम अपके एक सरदार से कहा, उसे उठाकर ियळैली नाबोत क भूिम म फ क दे ; ःमरण तो कर, क जब मE और तू, हम दोनो एक संग सवार होकर उसके पता अहाब के पीछे पीछे चल रहे थे तब यहोवा ने उस से यह भर: वचन कहवाया या, क यहोवा क यह वाणी है , 26 क नाबोत और उसके पुऽHका जो खून हुआ, उसे मE ने दे खा है , और यहोवा क यह वाण ्एी है , क मE उसी भूिम म तुझे बदला दं ग ू ा। तो अब यहोवा के उस वचन के अनुसार इसे उठाकर उसी भूिम म फ क दे । 27 यह दे खकर यहूदा का राजा अहGयाह बार: के भवन के मागO से भाग चला। और थेहू ने उसका पीछा करके कहा, उसे भी रय ह: पर मारो; तो वह भी ियबलाम के पास क गूर क चढ़ाई पर मारा गया, और मिगXो तक भगकर मर गया। 28 तब उसके कमOचाgरयHने उसे रय पर यRशलेम को पहंु चाकर दाऊदपुर म उसके पुरखाओं के बीच िम=ट: द:। 29 अहGयाह तो अहाब के पुऽ योराम के bयारहव

वषO म यहूदा पर राGय करने लगा या। 30 जब थेहू ियळैल को आया, तब हे ज़ेबेल यह सुन अप क आंखHम सुमाO लगा, अपना िसर संवारकर, 'खड़क म से फांकने लगी। 31 जब थेहू फाटक म होकर आ रहा या तब उस ने कहा, हे अपके ःवामी के घात करने वाले 'जॆी, या कुशल है ? 32 तब उस ने 'खड़क क ओर मुह ं उठाकर पूछा, मेर: ओर कौन है ? कौन? इस पर दो तीन खोजHने उसक ओर फांका। 33 तब उस ने कहा, उसे नीचे िगरा दो। सो उ(हHने उसको नीचे िगरा दया, और उसके लोहू के कुछ छqंटे भीत पर और कुछ घोड़Hपर पके, और उ(हHने उसको पांव से लताड़ दया। 34 तब वह भीतर जाकर खाने पीने लगा; और कहा, जाओ उस ॐापत \ी को दे ख लो, और उसे िम=ट: दो; वह तो राजा क बेट: है । 35 जब वे उसे िम=ट: दे ने गए, तब उसक खोप क पांवHऔर हथेिलयHको छोड़कर उसका और कुछ न पाया। 36 सो उ(हHने लौटकर उस से कह दया; तब उस ने कहा, यह यहोवा का वह वचन है , जो उस ने अपके दास ितशबी एिलयाह से कहलवाया या, क हे ज़ेबेल का मांस ियळैल क भूिम म कुHसे खाया जाएगा। 37 और हे ज़ेबेल क लोय ियळैल क भूिम पर खाद क नाई प क रहे गी, यहां तक क कोई न कहे गा, यह हे ज़ेबेल है । 2 राजा 10 1 अहाब के तो सर बेटे, पोते, शोमरोन म रहते थे। सो थेहू ने शोमरोन म उन पुरिनयHके पास, और जो ियळैल के हाकम थे, और जो अहाब के लड़केवालHके पालनेवाले थे, उनके पास पऽ िलखकर भेजे, 2 क तुSहारे ःवामी के बेटे, पोते तो तुSहारे पास रहते हE , और तुSहारे रय, और धेड़े भी हE , और तुSहारे एक गढ़वाला

नगर, और हिययार भी हE ; तो इस पऽ के हाथ लगते ह:, 3 अपके ःवामी के बेटHम

से जो सब से अ.छा और योbय हो, उसको छांटकर, उसके पता क गX: पर बैठाओ, और अपके ःवामी के घराने के िलथे लड़ो। 4 परं तु वे िनपट डर गए, और कहने लगे, उसके साSहने दो राजा भी ठहर न सके, फर हम कहां ठहर सक गे ? 5 तब जो राज घराने के काम पर या, और जो नगर के ऊपर या, उ(हHने और पुरिनयHऔर लड़केबालHके पालनेवालHने थेहू के पास यHकहला भेजा, क हम ते रे दास हE , जो कुछ तू हम से कहे , उसे हम कर गे; हम कसी को राजा न बनाएंगे, जो तुझे भाए वह:ं कर। 6 तब उस ने दस ू रा पऽ िलखकर उनके पास भेजा, क यद तुम मेर: ओर के हो और मेर: मानो, तो अपके ःवामी के बे टHपोतHके िसर कटवाकर कल इसी समय तक मेरे पास ियळैल म हा'जर होना। राजपुऽ तो जो सर मतुंय थे, वे उस नगर के रईसHके पास पलते थे। 7 यह पऽ उनके हाथ लगते ह:, उ(हHने उन सरHराजपुऽHको पकड़कर मार डाला, और उनके िसर टोकgरयHम रखकर ियळैल को उसके पास भेज दए। 8 और एक दत ू ने उसके पास जाकर बता दया, क राजकुमारHके िसर आगए हE । तब उस ने कहा, उ(ह

फाटक म दो ढे र करके बहान तक रखो। 9 बहान को उस ने बाहर जा खड़े होकर सब लोगHसे कहा, तुम तो िनदॉष हो, मE ने अपके ःवामी से राजिोह क गोvी करके उसे घात कया, पर(तु इन सभHको कस ने मार डाला? 10 अब जान लो क जो वचन यहोवा ने अपके दास एिलयाह के kारा कहा या, उसे उस ने पूरा कया है ; जो वचन यहोवा ने अहाब के घराने के वषय कहा, उस म से एक भी बात बना पूर: हुए न रहे गी। 11 तब अहाब के घराने के 'जतने लोग ियळैल म रह गए, उन सभHको और उसके 'जतने ूधान पुdष और िमऽ और याजक थे, उन

सभHको थेहू ने मार डाला, यहां तक क उस ने कसी को जीवत न छोड़ा। 12 तब वह वहां से चलकर शोमरोन को गया। और मागO म चरवाहHके ऊन कतरने के ःयान पर पहंु चा ह: या, 13 क यहूदा के राजा अहयाह के भई थेहू से िमले और जब उस ने पूछा, तुम कौन हो? तब उ(हHने उर दया, हम अहGयाह के भाई हE , और राजमुऽHऔर राजमाता के बेटHका कुशलझेम पूछने को जाते हE । 14 तब उस ने कहा, इ(ह जीवत पकड़ो। सो उ(हHने उनको जो बयालीस पुdष थे, जीवत पकड़ा, और ऊन कतरते के ःयान क बाबली पर मार डाला, उस ने उन म से कसी को न छोड़ा। 15 जब वह वहां से चला, तब रे काब का पुऽ यहोनादाब साSहने से आता हुआ उसको िमला। उसका कशल उस ने पूछकर कहा, मेरा मन तो तेर: ओर िनंकपट है सो या तेरा मन भी वैसा ह: है ? यहोनादाब ने कहा, हां, ऐसा ह: है । फर उस ने कहा, ऐसा हो, तो अपना हाथ मुझे दे । उस ने अपना हाथ उसे दया, और वह यह कहकर उसे अपके पास रय पर चढ़ाने लगा, 16 क मेरे संग चल। और दे ख, क मुझे यहोवा के िनिम कैसी जलन रहती है । तब वह उसके रय पर चढ़ा दया गया। 17 शोमरोन को पहुंचकर उस ने यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उस ने एिलयाह से कहा या, अहाब के 'जतने शोमरोन म

बचे रहे , उन सभHको मार के वनाश कया। 18 तब थेहू ने सब लोगHको इक=ठा करके कहा, अहाब ने तो बाल क योड़: ह: उपासना क यी, अब थेहू उसक अपासना बढ़के करे गा। 19 इसिलथे अब बाल के सब नबयH, सब उपासकHऔर सब याजकHको मेरे पास बुला लाओ, उन म से कोई भी न रह जाए; यHक बाल के िलथे मेरा एक बड़ा यW होनेवाला है ; जो कोई न आए वह जीवत न बचेगा। थेहू ने यह काम कमट करके बाल के सब उपासकHको नाश करने के िलथे कया।

20 तब थेहू ने कहा, बाल क एक पवऽ महासभा का ूचार करो। और लोगHने ूचार कया। 21 और थेहू ने सारे इॐाएल म दत ू भेजे; तब वाल के सब उपासक आए, यहां तक क ऐसा कोई न रह गया जो न आया हो। और वे बाल के भवन म

इतने आए, क वह एक िस के से दस ू रे िस के तक भर गया। 22 तब उस ने उस मनुंय से जो व\ के घर का अिध कारनेी या, कहा, बाल के सब उपासकHके िलथे व\ िनकाल ले आ; सो वह उनके िलथे व\ िनकाल ले आया। 23 तब थेहू रे काब के पुऽ यहोनादाब को संग लेकर बाल के भपन म गया, और बाल के उपासकHसे कहा, ढू ं ढ़कर दे खो, क यहां तुSहारे संग यहोवा का कोई उपासक तो नह:ं है , केवल बाल ह: के उपासक हE । 24 तब वे मेलबिल और होमबिल चढ़ाने को भीतर गए। थेहू ने तो अःसी पुdष बाहर ठहरा कर उन से कहा या, यद उन मनुंयHम से 'ज(ह मE तुSहारे हाथ कर दं ,ू कोठO भी बचने पाए, तो जो उसे जाने दे गा उसका ूाण, उसके ूाण क स(ती जाएगा। 25 फर जब होमबिल चढ़ चुका, तब संहू ने पहdओं उौर सरदारHसे कहा, भीतर जाकर उ(ह मार डालो; कोई िनकलने न पाए। तब उ(हHने उ(ह तलवार से मारा और पहdए और सरदार उनको बाहर फ ककर बाल के भवन के नगर को गए। 26 और उ(हHने बाल के भवन म क लाठ िनकालकर फूंक द:ं। 27 और बाल क लाठ को उ(हHने तोड़ डाला; और बाल के भवन को ढाकर पायखाना बना दया; और वह आज तक ऐसा ह: है । 28 यHथेहू ने बाल को इॐाएल म से नाश करके दरू कया। 29 ◌ैतौभी नबात के पुऽ यारोबाम, 'जस ने इॐाएल से पाप कराया या, उसके पापHके अनुसार करने, अयाOत ् बे तेल और दान म के सोने के बछड़Hक पूजा, उस से थेहू अलग न हुआ। 30 और यहोवा ने थेहू से कहा, इसिलथे क नू ने वह कया, जो

मेर: l म ठqक है , और अहाब के घराने से मेर: इ.छा के अनुसार बताOव कया है , तेरे परपोते के पुऽ तक तेर: स(तान इॐाएल क गX: पर बराजती रहे गी। 31 पर(तु थेहू ने इॐाएल के परमे र यहोवा क यवःया पर पूणO मन से चलने क चौकसी न क, वरन यारोबाम 'जस ने इॐाएल से पाप कराया या, उसके पापHके अनुसार करने से वह अलग न हुआ। 32 उन दनHयहोवा इॐाएल को घटाने लगा, इसिलथे हजाएल ने इॐाएल के उन सारे दे शHम उनको मारा : 33 यरदन से पूरब क ओर िगलाद का सारा दे श, और गाद: और Rबेनी और मनँशेई का दे श अयाOत ् अरोएर से लेकर जो अनॉन क तराई के पास है , िगलाद और बाशान तक। 34 थेहू के और सब काम और जो कुछ उस ने कया, और उसक पूणOर ् वीरता, यह सब या इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 35 िनदान थेहू अपके पुरखाओं के संग सो गया, और शोमरोन म उसको िम=ट: द: गई, और उसका पुऽ यहोआहाज उसके ःयान पर राजा बन गया। 36 थेहू के शोमरोन म

इॐाएल पर राGय करने का समय तो अ=ठाईस वषO का या। 2 राजा 11 1 जब अहGयाह क माता अत`याह ने दे खा, क मेरा पुऽ मर गया, तब उस ने पूरे राजवंश को नाश कर डाला। 2 पर(तु यहोशेबा जो राजा योराम क बेट:, और अहGयाह क बहन यी, उस ने अहGयाह के पुऽ योआश को घात होनेवाले राजकुमारHके बीच म से चुराकर धाई समेत बछौने रखने क कोठर: म िछपा दया। और उ(हHने उसे अत`याह से ऐसा िछपा रखा, क वह मारा न गया। 3 और वह उसके पास यहोवा के भवन म छ:वषO िछपा रहा, और अत`याह दे श पर

राGय करती रह:। 4 सातव वषO म यहोयादा ने ज`लादHऔर पहdओं के शतपितयHको बुला भेजा, और उनको यहोवा के भवन म अपके पास ले आया; और उन से वाचा बा(धी और यहोवा के भवन म उनको शपय 'खलाकर, उनको राजपुऽ दखाया। 5 और उस ने उ(ह आWा द:, क एक काम करो : अयाOत ् तुम म

से एक ितहाई लोग जो वौमदन को आनेवाले हH, वह राजभवन के पहरे क चौकसी कर । 6 और एक ितहाई लोग सूर नाम फाटक म ठहरे रह , और एक ितहाई लोग पहdओं के पीछे के फाटक म रह ; यHतुम भवन क चौकसी करके लोगHको रोके रहना। 7 और तुSहारे दो दल अयाOत ् 'जतने वौम दन को बाहर जानेवाले हHवह राजा के आसपास होकर यहोवा के भवन क चौकसी कर । 8 और तुम अपके अपके हाथ म हिययार िलथे हुए राजा के चारHओर रहना, और जो कोई पांितयHके भीतर घुसना चाहे वह मार डाला जाए, और तुम राजा के आते-जाते समय उसके संग रहना। 9 यहाथादा याजक क इन सब आWाओं के अनुसार शतपितयHने कया। वे वौमदन को आनेवाले और जानेवाले दोनHदलHके अपके अपके जनHको संग लेकर यहोयादा याजक के पास गए। 10 तब याजक ने शतपितयHको राजा दाऊद के बछ , और ढाल जो यहोवा के भवन म यीं दे द:ं। 11 इसिलथे वे पहdए अपके अपके हाथ म हिययार िलए हुए भवन के द' खनी कोने से लेकर उर: कोने तक वेद: और भवन के पास राजा के चारHओर उसक आड़ करके खड़े हुए। 12 तब उस ने राजकुमार को बाहर लाकर उसके िसर पर मुकुट, और साझीपऽ धर दया; तब लोगHने उसका अिभषेक करके उसको राजा बनाया; फर ताली बजा बजाकर बोल उठे , राजा जीवत रहे । 13 जब अत`याह को पहdओं और लोगHका हलचल सुन पड़ा, तब वह उनके पास यहोवा के भवन म

गई। 14 और उस ने या दे खा क राजा र:ित के अनुसार खSभे के पास खड़ा है , और राजा के पास ूधान और तुरह: बजानेवाले खड़े हE । और लोग आन(द करते और तुरहयां बजा रहे हE । तब अत`याह अपके व\ फाड़कर राजिोह राजिोह यHपुकारने लगी। 15 तब यहोयादा याजक ने दल के अिध कारनेी शतपितयHको आWा द: क उसे अप क पांितयHके बीच से िनकाल ले जाओ; और जो कोई उसके पीछे चले उसे तलवार से मार डालो। यHक याजक ने कहा, क वह यहोवा के भवन म न मार डाली जाए। 16 इसिलथे उ(हHने दोनHओर से उसको जगह द:, और वह उस मागO के बीच से च क गई, 'जस से घोड़े राजभवन म जाया करते थे; और वहां वह मार डाली गई। 17 तब यहोयादा ने यहोवा के, और राजा-ूजा के बीच यहोवा क ूजा होने क वाचा ब(धाई, और उस ने राजा और ूजा के म~य भी वाचा ब(धाई। 18 तब सब लोगHने बाल के भवन को जाकर ढा दया, और उसक वेदयां और मूरत भली भंित तोड़ द:ं; और मतान नाम बाल के याजक को वे दयHके साSहने ह: घात कया। और याजक ने यहोवा के भवन पर अिध कारनेी ठहरा दए। 19 तब वह शतपितयH, ज`लादHऔर पहdओं और सब लोगHको साय लेकर राजा को यहोवा के भवन से नीचे ले गया, और पहdओं के फाटक के मागO से राजभवन को पहंु चा दया। और राजा राजगX: पर वराजमान हुआ। 20 तब सब लोग आन'(दत हुए, और नगर म शा'(त हुई। अत`याह तो राजभवन के पास तलवार से मार डाली गई यी। 21 जब योआश राजा हुआ, उस समय वह सात पषO का या। 2 राजा 12

1 थेहू के सातव वषO म योआश राGय करने लगा, और यRशलेम म चालीस वषO तक राGय करता रहा। उसक माता का नाम िसcया या जो बेशब ॅ ा क यी। 2 और जब तक यहोयादा याजक योआश को िशझा दे ता रहा, तब तक वह वह: काम करता रहा जो यहोवा क l म ठqक है । 3 तौभी ऊंचे ःयान िगराए न गए; ूजा के लोग तब भी ऊंचे ःयान पर बिल चढ़ाते और धूप जलाते रहे । 4 और योआश ने याजकHसे कहा, पवऽ क हुई वःतुओं का 'जतना dपया यहोवा के भवन म

पहंु चाया जाए, अयाOत ् िगने हुए लोगHका dपया और 'जतने dपके के जो कोई योbय ठहराया जाए, और 'जतना dपया 'जसक इ.छा यहोवा के भवन म ले आने क हो, 5 इन सब को याजक लोग अप क जान पहचान के लोगHसे िलया कर और भवन म जो कुछ टू टा फूटा हो उसको सुधार द । 6 तौभी याजकHने भवन म जो टू टा फूटा या, उसे योआश राजा के तेईसव वषO तक नह:ं सुधारा या। 7 इसिलथे राजा योआश ने यहोयादा याजक, और और याजकHको बुलवाकर पूछा, भवन म जो कुछ टू टा फूटा है , उसे तुम यHनह:ं सुधारते? अब से अप क जान पहचान के लोगHसे और dपया न लेना, और जो तुSह िमले, उसे भवन के सुधारने के िलथे दे दे ना। 8 तब याजकHने मानिलया क न तो हम ूजा से और dपया ल

और न भवन को सुधार । 9 तब यहोयादा याजक ने एक स(दक ू ले, असके ढकने म छे द करके उसको यहोवा के भवन म आनेवालHके दाहने हाथ पर वेद: के पास धर दया; और kार क रखवाली करनेवाले याजक उस म वह सब dपया डालते लगे जो यहोवा के भवन म लाया जाता या। 10 जब उ(हHने दे खा, क स(दक ू म

बहुत dपया है , तब राजा के ूधान और महाथाजक ने आकर उसे यैिलयHम बा(ध दया, और यहोवा के भवन म पाए हुए dपके को िगन िलया। 11 तब उ(हHने उस

तौले हुए dपके को उन काम करानेवालHके हाथ म दया, जो यहोवा के भवन म

अिध कारनेी थे; और इ(हHने उसे यहोवा के भवन के बनानेवाले बढ़इयH, राजH, और संगतराशHको दथे। 12 और लकड़: और गढ़े हुए पयर मोल लेने म , वरन जो कुछ भवन के टू टे फूटे क मरSमत म खचO होता या, उस म लगाया। 13 मर(तु जो dपया यहोवा के भवन म आता या, उस से चा(द: के तसले, िचमटे , कटोरे , तुरहयां आद सोने वा चा(द: के कसी ूकार के पाऽ न बने। 14 पर(तु वह काम करनेवाले को दया गया, और उ(हHने उसे लेकर यहोवा के भवन क मरSमत क। 15 और 'जनके हाथ म काम करनेवालHको दे ने के िलथे dपया दया जाता या, उन से कुछ हसाब न िलया जाता या, यHक वे स.चाई से काम करते थे। 16 जो dपया दोषबिलयHऔर पापबिलयHके िलथे दया जाता या, यह तो यहोवा के भवन म न लगाया गया, वह याजकHको िमलता या। 17 तब अराम के राजा हजाएल ने गत नगर पर चढ़ाई क, और उस से लड़ाई करके उसे ले िलया। तब उस ने यRशलेम पर भी चढ़ाई करने को अपना मुह ं कया। 18 तब यहूदा के राजा योआश ने उन सब पवऽ वःतुओं को 'ज(ह उसके पुरखा यहोशापात यहोराम और अहGयाह नाम यहूदा के राजाओं ने पवऽ कया या, और अप क पवऽ क हुई वःतुओं को भी और 'जतना सोना यहोवा के भवन के भणडारHम

और राजभवन म िमला, उस सब को लेकर अराम के राजा हजाएल के पास भेज दया; और वह यRशलेम के पास से चला गया। 19 योआश के और सब काम जो उस ने कया, वह या यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखे हE ? 20 योआश के कमOचाgरयHने राजिोह क गोvी करके, उसको िम`लो के भवन म

जो िस`ला क उतराई पर या, मार डाला। 21 अयाOत ् िशमात का पुऽ योजाकार

और शोमेर का पुऽ यहोजाबाद, जो उसके कमOचार: थे, उ(हHने उसे ऐसा मारा, क वह मर गया। तब उसे उसके पुरखाओं के बीच दाऊदपुर म िम=ट: द:, और उसका पुऽ अमःयाह उसके ःयान पर राGय करने लगा। 2 राजा 13 1 अहGयाह के पुऽ यहूदा के राजा योआश के तेईसव वषO म यंहू का मुऽ यहोआहाज शोमरोन म इॐाएल पर राGय करने लगा, और सऽह वषO तक राGय करता रहा। 2 और उस ने वह कया, जो यहोवा क l म बुरा या अयाOत ् नबात के पुऽ यारोबाम 'जस ने इॐाएल से पाप कराया या, उसके पापHके अनुसार वह करता रहा, और उनको छोड़ न दया। 3 इसिलथे यहोवा का बोध इॐाएिलयHके वda भड़क उठा, और उस ने उनको अराम के राजा हजाएल, और उसके पुऽ बे (हदद के अधीन कर दया। 4 तब यहोआहाज यहोवा के साSहने िगड़िगड़ाया और यहोवा ने उसक सुन ली; यHक उस ने इॐाएल पर अ(धेर दे खा क अराम का राजा उन पर कैसा अ(धेर करता या। 5 इसिलथे यहोवा ने इॐाएल को एक छुड़ानेवाला दया और वे अराम के वश से छूट गए; और इॐाएली अगले दनHक नाई फर अपके अपके डे रे म रहने लगे। 6 तौभी वे ऐसे पापHसे न फरे , जैसे यारोबाम के घराने ने कया, और 'जनके अनुसार उस ने इॐाएल से पाप कराए थे : पर(तु उन म चलते रहे , और शोमरोन म अशेरा भी खड़: रह:। 7 अराम के राजा ने तो यहोआहाज क सेना म से केवल पचास सवार, दस रय, और दस हजार €यादे छोड़ दए थे; यHक उस ने उनको नाश कया, और रxद रxदकर के धूिल म

िमला दया या। 8 यहोआहाज के और सब काम जो उस ने कए, और उसक

वीरता, यह सब या इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 9 िनदान यहोआहाज अपके पुरखाओं के संग सो गया और शोमरोन म उसे िमX: द: बई; और उसका पुऽ योआश उसके ःयान पर राGय करने लगा। 10 यहूदा के राजा योआश के राGय के सEतीसव वषO म यहोआहाज का पुऽ यहोआश शोमरोन म इॐाएल पर राGय करते लगा, और सोलह वषO तक राGय करता रहा। 11 और उस ने वह कया जो यहोवा क l म बुरा या, अयाOत ् नबात का पुऽ यारोबाम 'जस ने इॐाएल से पाप कराया या, उसके पापो के अनुसार वह करता रहा, और उन से अलग न हुआ। 12 योआश के और सब काम जो उस ने कए, और '‡स वीरता से वह सहूदा के राजा अमःयाह से लड़ा, यह सब या इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 13 िनदान योआश अपके पुरखाओं के संग सो गया और यारोबाम उसक गX: पर वराजमान हुआ; और योआश को शोमरोन म इेाएल के राजाओं के बीच िम=ट: द: गई। 14 और एलीशा को वह रोग लग गया 'जस से वह मरने पर या, तब इॐाएल का राजा योआश उसके पास गया, और उसके ऊपर रोकर कहने लगा, हाथ मेरे पता ! हाथ मेरे पता ! हाथ इॐाएल के रय और सवारो ! एलीश ने उस से कहा, धनुष और तीर ले आ। 15 वह उसके पास धनुष और तीर ले आया। 16 तब उस ने इॐाएल के राजा से कहा, धनुष पर अपना हाथ लगा। जब उस ने अपना हाथ लगाया, तब एलीशा ने अपके हाथ राजा के हाथHपर धर दए। 17 तब उस ने कहा, पूवO क 'खड़क खोल। जब उस ने उसे खोल दया, तब एलीशा ने कहा, तीर छोड़ दे ; उस ने तीर छोड़ा। और एलीशा ने कहा, यह तीर यहोवा क ओर से छुटकारे अयाOत ् अराम से छुटकारे का िच॑ृ है , इसिलथे तू अपे क म अराम को यहां तक मार लेगा क उनका अ(त कर

डालेगा। 18 फर उस ने कहा, तीरHको ले; और जब उस ने उ(ह िलया, तब उस ने इॐाएल के राजा से कहा, भूिम पर मार; तब वह तीन बार मार कर ठहर गया। 19 और परमे र के जन ने उस पर बोिधत होकर कहा, तुझे तो पांच छ: बार मारना चाहथे या। ऐसा करते से तो तू अराम को यहां तक मारता क उनका अ(त कर डालता, पर(तु अब तू उ(ह तीन ह: बार मारे गा। 20 तब एलीशा मर गया, और उसे िम=ट: द: गई। एक वषO के बाद मोआब के दल दे श म आए। 21 लोग कसी मनुंय को िम=ठq दे रहे थे, क एक दल उ(ह दे ख पड़ा तब उ(हHने उस लोय को एलीशा क कबर म डाल दया, और एलीशा क ह']ढयHके छूते ह: वह जी उठा, और अपके पावHके बल खड़ा हो गया। 22 यहोआहाज के जीवन भर अराम का राजा हजाएल इॐाएल पर अ(धेर ह: करता रहा। 23 पर(तु यहोवा ने उन पर अनुमह कया, और उन पर दया करके अप क उस वाचा के कारण जो उस ने इॄाह:म, इसहाक और याकूब से बा(धी यी, उन पर कृ पा l क, और न तो उ(ह नाश कया, और न अपके साSहने से िनकाल दया। 24 तब अराम का राजा हजाएल मर गया, और उसका पुऽ बे(हदद उसके ःयान पर राजा बन गया। 25 और यहोआहाज के पुऽ यहोआश ने हजाएल के पुऽ बे (हदद के हाथ से वे नगर फर ले िलए, 'ज(ह उस ने युa करके उसके पता यहोआहाज के हाथ से छqन िलया या। योआश ने उसको तीन बार जीतकर इॐाएल के नगर फर ले िलए। 2 राजा 14 1 इॐाएल के राजा यहोआहाज के पुऽ सोआश के दस ू रे वषO म यहूदा के राजा योआश का मुऽ असःयाह राजा हुआ। 2 जब वह राGय करने लगा। तब वह

प कस वषO का या, और यRशलेम म उनतीस वषO राGय करता रहा। और उसक माता का नाम यहोअX:न या, जो यRशलेम क यी। 3 उस ने वह कया जो यहोवा क l म ठqक या तौभी अपके मूल पुdष दाऊद क नाई न कया; उस ने ठqक अपके पता योआश के से काम कए। 4 उसके दनHम ऊंचे ःयान िगराए न गए; लोग तब भी उन पर बिल चढ़ाते, और धूप जलाते रहे । 5 जब राGय उसके हाथ म

'ःयर हो गया, तब उस ने अपके उन कमOचाgरयHको मार डाला, 'ज(हHने उसके पता राजा को मार डाला या। 6 पर(तु उन खूिनयHके लड़केवालHको उस ने न मार डाला, यHक यहोवा क यह आWा मूसा क यवःया क पुःतक म िलखी है , क पुऽ के कारण पता न मार डाला जाए, और पता के कारण पुऽ न मार डाला जाए : 'जस ने पाप कया हो, वह: उस पाप के कारण मार डाला जाए। 7 उसी अमःयाह ने लोन क तराई म दस हजार एदोमी पुdष मार डाले, और सेला नगर से युa करके उसे ले िलया, और उसका नाम योfेल रखा, और वह नाम आज तक चलता है । 8 तब अमःयाह ने इॐाएल के राजा योआश के पास जो थेहू का पोता और यहोआहाज का पुऽ या दत ू Hसे कहला भेजा, क आ हम एक दस ू रे का साSहना कर । 9 इॐाएल के राजा योआश ने यहूदा के राजा अमःयाह के पास यHकहला भेजा, क लबानोन पर क एक फड़बेर: ने लबानोन के एक दे वदाd के पास कहला भेजा, क अप क बेट: मेरे बेटे को cयाह दे ; इतने म लबानोन म का एक बनपशु पास से चला गया और उस फड़बेर: को रxद डाला। 10 तू ने एदोिमयHको जीता तो है इसिलथे तू फूल उठा है । उसी पर बड़ाई पारता हुआ घर रह जा; तू अप क हािन के िलथे यहां यHहाथ उठाता है , 'जस से तू या वरन यहूदा भी तीचा खाएगा ? 11 पर(तु अमःसाह ने न माना। तब इॐाएल के राजा

योआश ने चढाई क, और उस ने और यहूदा के राजा अमःयाह ने यहूदा दे श के बे तशेमेश म एक दस ू रे का सामहना कया। 12 और यहूदा इॐाएल से हार गया, और एक एक अपके अपके डे रे को भागा। 13 तब इॐाएल के राजा योआश ने यहूदा के राजा अमःयाह को जो अहGयाह का पोता, और योआश का पुऽ या, बे तशेमेश म पकड़ िलया, और यRशलेम को गया, और यRशलेम क शहरपनाह म से बूैमी फाटक से कोनेवाले फाटक तक चार सौ हाथ िगरा दए। 14 और 'जतना सोना, चा(द: और 'जतने पाऽ यहोवा के भवन म और राजभवन के भणडारHम िमले, उन सब को और ब(धक लोगHको भी लेकर वह शोमरोन को लौट गया। 15 योआश के और काम जो उस ने कए, ओर उसक वीरता और उस ने कस र:ित यहूदा के राजा अमःयाह से युa कया, यह सब या इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 16 िनदान योआश अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसे इॐाएल के राजाओं के बीच शोमरोन म

िम=ट: द: गई; और उसका पुऽ यारोबाम उसके ःयान पर राGय करने लगा। 17 यहोआहाज के पुऽ इॐाएल के राजा यहोआश के मरने के बाद योआश का पुऽ यहूदा का राजा अमःयाह प(िह वषO जीवत रहा। 18 अमःयाह के और काम या यहूदा के रजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखे हE ? 19 जब यRशलेम म उसके वda राजिोह क गोvी क गई, तब वह लाकश को भाग गया। सो उ(हHने लाकश तक उसका पीछा करके उसको वहां मार डाला। 20 तब वह घोड़Hपर रखकर यRशलेम म पहंु चाया गया, और वहां उसके पुरखाओं के बीच उसको दाऊदपुर म िम=ट: द: गई। 21 तब सरर: यहूद: ूजा ने अजयाOह को लेकर, जो सोलह वषO का या, उसके पता अमःयाह के ःयान पर राजा िनयुf

कर दया। 22 जब राजा अमःयाह अपके पुरखाओं के संग सो गया, उसके बाद अजयाOह ने एलत को lढ़ करके यहूदा के वश म फर कर िलया। 23 यहूदा के राजा योआश के पुऽ अमःयाह के राGय के प(िहव वषO म इॐाएल के राजा योआश का पुऽ यारोबाम शोमरोन म राGय करने लगा, और एकतालीस वषO राGय करता रहा। 24 उस ने वह कया, जो यहोवा क l म बुरा या; अयाOत ् नबात के पुऽ यारोबाम 'जस ने इॐाएल से पाप कराया या, उसके पापHके अनुसार वह करता रहा, और उन से वह अलग न हुआ। 25 उस ने इॐाएल का िसवाना हमात क घाट: से ले अराबा के ताल तक GयHका यHकर दया, जैसा क इॐाएल के परमे र यहोवा ने अिमै के पुऽ अपके दास गथेपेरवासी योना भवंयkfा के kारा कहा या। 26 यHक यहोवा ने इॐाएल का द:ु ख दे खा क बहुत ह: कठन है , वरन या ब(धुआ या ःवाधीन कोई भी बचा न रहा, और न इॐाएल के िलथे कोई सहाथक या। 27 यहोवा ने नह:ं कहा या, क मE इॐाएल का नाम घरती पर से िमटा डालूग ं ा। सो उस ने योआश के पुऽ यारोबाम के kारा उनको छूटकारा दया। 28 यारोबाम के उौर सब काम जो उस ने कए, और कैसे पराबम के साय उस ने युa कया, और दिमँक और हमात को जो पहले यहूदा के राGय म थे इॐाएल के वश म फर िमला िलया, यह सब या इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 29 िनदान यारोबाम अपके पुरखाओं के संग जो इॐाएल के राजा थे सो गया, और उसका पुऽ जकयाOह उसके ःयान पर राGय करने लगा। 2 राजा 15 1 इॐाएल के राजा यारोबाम के सताईसव वषO म यहूदा के राजा अमःयाह का पुऽ

अजयाOह राजा हुआ। 2 जब वह राGय करने लगा, तब सोलह वषO का या, और यRशलेम म बावन वषO राGय करता रहा। उसक माता का नाम यको`याह या, जो यRशलेम क यी। 3 जैसे उसका पता अमःयाह कया करता या जो यहोवा क l म ठqक या, वैसे ह: वह भी करता या। 4 तौभी ऊंचे ःयान िगराए न गए; ूजा के लोग उस समय भी उन पर बिल चढ़ाते, और धूप जलाते रहे । 5 और यहोवा ने उस राजा को ऐसा मारा, क वह मरने के दन तक कोढ़: रहा, और अलग एक घर म रहता या। और योताम नाम राजपुऽ उसके घराने के काम पर अिध कारनेी होकर दे श के लोगHका (याय करता या। 6 अजयाOह के और सब काम जो उस ने कए, वह या यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म तह:ं िलखे हE ? 7 िनदान अजयाOह अपके पुरखाओं के संग सो गया और असको दाऊदपु◌ुर म उसके पुरखाओं के बीच िम=ट: द: गई, और उसका पुऽ योताम उसके ःयान पर राGय करने लगा। 8 यहूदा के राजा अजयाOह के अड़तीसव वषO म

यारोबाम का पुऽ जकयाOह इॐाएल पर शोमरोन म राGय करने लगा, और छ: मह:ने राGय कया। 9 उस ने अपके पुरखाओं क नाई वह कया, जो यहोवा क l म बुरा है , अयाOत ् नबात के पुऽ यारोबाम 'जस ने इॐाएल से पाप कराया य, उसके पापHके अनुसार वह करता रहा, और उन से वह अलग न हुआ। 10 और याबेश के पुऽ श`लूम ने उस से राजिोह क गोvी करके उसको ूजा के साSहने मारा, और उसका घात करके उसके ःयान पर राजा हुआ। 11 जकयाOह के और काम इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म िलखे हE । 12 यHयहोवा का वह वचन पूरा हुआ, जो उस ने थेहू से कहा या, क तेरे परपोते के पुऽ तक तेर: स(तान इॐाएल क गX: पर बैठती जाएगी। और वैसा ह: हुआ। 13 यहूदा के

राजा उ'Gजयाह के उनतालीसव वषO म याबे श का पुऽ श`लूम राGय करने लगा, और मह:ने भर शोमरोन म राGय करता रहा। 14 यHक गाद: के पुऽ मनहे म ने, ितसाO से शोमरोन को जाकर याबेश के पुऽ श`लूम को वह:ं मारा, और उसे घात करके उसके ःयान पर राजा हुआ। 15 श`लूम के और काम और उस ने राजिोह क जो गोvी क, यह सब इॐाएल के राजाओं के इितहास क मुःतक म िलखा है । 16 तब मनहे म ने ितसाO से जाकर, सब िनवािसयHऔर आस पास के दे श समेत ित€सह को इस कारण मार िलया, क ित€सहयHने उसके िलथे फाटक न खेले थे, इस कारण उस ने उ(ह मार िलया, और उस म 'जतनी गभOवती '\यां यीं, उस सभHको चीर डाला। 17 यहूदा के राजा अजयाOह के उनतालीसव वषO म गाद: का पुऽ मनहे म इॐाएल पर राGय करने लगा, और दस वषO शोमरोन म राGय करता रहा। 18 उस ने वह कया, जो यहोवा क l म बुरा या, अयाOत ् नबात के पुऽ यारोबाम 'जस ने इॐाएल से पाप कराया या, उसके पापHके अनुसार वह करता रहा, और उन से वह जीवन भर अलग न हुआ। 19 अँशूर के राजा पूल ने दे श पर चढ़ाई क, और मनहे म ने उसको हजार क कार चा(द: इस इ.छा से द:, क वह उसका यहाथक होकर राGय को उसके हाथ म 'ःयर रखे । 20 यह चा(द: अँशूर के राजा को दे ने के िलथे मनहे म ने बड़े बड़े धनवान इॐाएिलयHसे ले ली, एक एक पुdष को पचास पचास शेकेल चा(द: दे नी प क; तब अँशूर का राजा दे श को छोड़कर लौट गया। 21 मनहे म के उौर काम जो उस ने कए, वे सब या इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखे हE ? 22 िनदान मनहे म अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसका पुऽ मकहयाह उसके ःयान पर राGय करने लगा। 23 यहूदा के राजा अजयाOह के पचासव वषO म मनहे म का पुऽ पकहयाह

शोमरोन म इॐाएल पर राGय करने लगा, और दो वषO तक राGय करता रहा। 24 उस ने वह कया जो यहोवा क l म बुरा या, अयाOत ् नबात के पुऽ यारोबाम 'जस ने इॐाएल से पाप रा'◌या या, उसके पापHके अनुसार वह करता रहा, और उन से वह अलग न हुआ। 25 उसके सरदार रम`याह के पुऽ पे कह ने उस से राजिोह क गोvी करके, शोमरोन के राजभवन के गुSमट म उसको और उसके संग अगॉब और अथ को मारा; और पे कह के संग पचास िगलाद: पुdष थे, और वह उसका घात करके उसके ःयान पर राजा बन गया। 26 पकहयाह के और सब काम जो उस ने कए, वह इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म िलखे हE । 27 यहूदा के राजा अजयाOह के बावनव वषO म रम`याह का पुऽ पेकह शोमरोन म

इॐाएल पर राGय करने लगा, और बीस वषO तक राGय करता रहा। 28 उस ने वह कया, जो यहोवा क l म बुरा या, अयाOत ् नबात के पुऽ यारोबाम, 'जस ने इॐाऐल से पाप कराया या, उसके पापHके अनुसार वह करता रहा, और उन से वह अलग न हुआ। 29 इॐाएल के राजा पेकह के दनHम अँशूर के राजा ितbल'पलेसेर ने आकर इयोन, अबे `बेमाका, यानोह, केदे श और हासोर नाम नगरHको और िगलाद और गालील, वरन नTाली के पूरे दे श को भी ले िलया, और उनके लोगHको ब(धुआ करके अँशूर को ले गया। 30 उ'जयाह के पुऽ योताम के बीसव वषO म एला के पुऽ होशे ने रम`याह के पुऽ पेकह से राजिोह क गोvी करके उसे मारा, और उसे घात करके उसके ःयान पर राजा बन गया। 31 पेकह के और सब काम जो उस ने कए वह इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म िलखे हE । 32 रम`याह के पुऽ इॐाएल के राजा पे कह के दस ू रे वषO म यहूदा के जाजा उ'जयाह का पुऽ योताम राजा हुआ। 33 जब वह राGय करने लगा, तब

प कस वषO का या, और यRशलेम म सोलह वषO तक राGय करता रहा। और उसक पाता का नाम यRशा या जो सादोक क बेट: यी। 34 उस ने वह कया जो यहोवा क l म ठqक या, अयाOत ् जैसा उसके पता उ'जयाह ने कया या, ठqक वैसा ह: उस ने भी कया। 35 तौभी ऊंचे ःयान िगराए न गए, ूजा के लोग उन पर उस समय भी बिल चढाते और धूम जलाते रहे । यहोवा के भवन के ऊंचे फाटक को इसी ने बनाया या। 36 योताम के और सब काम जो उस ने कए, वे या यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखे हE ? 37 उन दनHम

यहोवा अराम के राजा रसीन को, और रम`याह के पुऽ पेकह को, यहूदा के वda भेजने लगा। 38 िनदान योताम अपके पुरखाओं के संग सो गया और अपके मुलपुdष दाऊद के नगर म अपके पुरखाओं के बीच उसको िम=ट: द: गई, और उसका पुऽ आहाज उसके ःयान पर राGय करने लगा। 2 राजा 16 1 रम`याह के पुऽ पेकह के सऽहव वषO म यहूदा के राजा योताम का पुऽ आहाज राGय करने लगा। 2 जब आहाज राGय करने लगा, तब वह बीस पषO का या, और सोलह वषO तक यRशलेम म राGय करता रहा। और उस ने अपके मूलपुdष दाऊद का सा काम नह:ं कया, जो उसके परमे र यहोवा क l म ठqक या। 3 पर(तु वह इॐाएल के राजाओं क सी चाल चला, वरन उन जाितयHके िघनौने कामHके अनुसार, 'ज(ह यहोवा ने इॐाएिलयHके साSहने से दे श से िनकाल दया या, उस ने अपके बे टे को भी आग म होम कर दया। 4 और ऊंचे ःयानHपर, और पहाडय़Hपर, और सब हरे वृझHके तले, वह बिल चढ़ाया और धूम जलाया करता

या। 5 तब अराम के राजा रसीन, और रम`याह के पुऽ इॐाएल के राजा पेकह ने लड़ने के िलथे यRशलेम पर चढ़ाई क, और उ(हHने आहाज को घेर िलया, पर(तु युa करके उन से कुछ बन न पड़ा। 6 उस समय अराम के राजा रसीन ने, एलत को अराम के वश म करके, यहूदयHको वहां से िनकाल दया; तब अरामी लोग एलत को गए, और आज के दन तक वहां रहते हE । 7 और आहाज ने दत ू भेजकर अँशूर के राजा ितbल'पलेसेर के पास कहला भेजा क मुझे अपना दास, वरन बे टा जानकर चढ़ाई कर, और मुझे अराम के राजा और इॐाएल के राजा के हाथ से बचा जो मेरे वda उठे हE । 8 और आहाज ने यहोवा के भवन म और राजभवन के भणडारHम 'जतना सोना-चा(द: िमला उसे अँशूर के राजा के पास भ ट करके भेज दया। 9 उसक मानकर अँशूर के राजा ने दिमँक पर चढ़ाई क, और उसे लेकर उसके लोगHको ब(धुआ करके, कर को ले गया, और रसीन को मार डाला। 10 तब राजा आहाज अँशूर के राजा ितbल'पलेसेर से भ ट करने के िलथे दिमँक को गया, और वहां क वेद: दे खकर उसक सब बनावट के अनुसार उसका नकशा ऊgरयाह याजक के पास नमूना करके भेज दया। 11 और ठqक इसी नमूने के अनुसार 'जसे राजा आहाज ने दिमँक से भेजा या, ऊgरयाह याजक ने राजा आहाज के दिमँक से आने तक एक वेद: बना द:। 12 जब राजा दिमँक से आया तब उस ने उस वेद: को दे खा, और उसके िनकट जाकर उस पर बिल चढ़ाए। 13 उसी वेद: पर उस ने अपना होमबिल और अ(नबिल जलौया, और अधO दया और मेलबिलयHका लोहू िछड़क दया। 14 और पीतल क जो वेद: यहोवा के साSहने रहती यी उसको उस ने भवन के साSहने से अयाOत ् अप क वे द: और यहोवा के भवन के बीच से हटाकर, उस वे द: क उतर ओर रख दया।

15 तब राजा आहाज ने ऊgरयाह याजक को यह आWा द:, क भोर के होपबिल और सांफ के अ(नबिल, राजा के होमबिल और उसके अ(नबिल, और सब साधारण लोगHके होमबिल और अधO बड़: वेद: पर चढ़ाया कर, और होमबिलयHऔर मेलबिलयHका सब लोहू उस पर िछड़क; और पीतल क वेद: के वषय मE वचार कRंगा। 16 राजा आहाज क इस आWा के अनुसार ऊgरयाह याजक ने कया। 17 फर राजा आहाज ने कुिसयJक पटgरयHको काट डाला, और हौदयHको उन पर से उतार दया, और बड़े हौद को उन पीतल के बैलHपर से जो उसके तले थे उतारकर, पयरHके फशO पर धर दया। 18 और वौम के दन के िलथे जो छाया हुआ ःयान भवन म बना या, और राजा के बाहर के ूवेश करने का फाटक, उनको उस ने अँशूर के राजा के कारण यहोवा के भवन से अलग कर दया। 19 आहाज के और काम जो उस ने कए, वे या यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखे हE ? 20 िनदान आहाज अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसे उसके पुरखाओं के बीच दाऊदपुर म िम=ट: द: गई, और उसका पुऽ हजकयाह उसके ःयान पर राGय करने लगा। 2 राजा 17 1 यहूदा के राजा आहाज के बारहव वषO म एला का पुऽ होशे शोमरोन म , इॐाएल पर राGय करने लगा, और नौ वषO तक राGय करता रहा। 2 उस ने वह: कया जो यहोवा क l म बुरा या, पर(तु इॐाएल के उन राजाओं के बराबर नह:ं जो उस से पहले थे। 3 उस पर अँशूर के राजा श`मनेसेर ने चढ़ाई क, और होशे उसके अधीन होकर, उसको भ ट दे ने लगा। 4 पर(तु अँशूर के राजा ने होशे को राजिोह

क गोvी करनेवाला जान िलया, यHक उस ने “सो” नाम िमॐ के राजा के पास दत ू भेजे, और अँशूर के राजा के पास सािलयाना भ ट भेजनी छोड़ द:; इस कारण अँशूर के राजा ने उसको ब(द कया, और बेड़: डालकर ब(द:गृह म डाल दया। 5 तब अँशूर के राजा ने पूरे दे श पर चढ़ाई क, और शोमरोन को जाकर तीन वषO तक उसे घेरे रहा। 6 होशे के नौव वषO म अँशूर के राजा ने शोमरोन को ले िलया, और इॐाएल को अँशूर म ले जाकर, हलह म और गोजान क नद: हाबोर के पास और मादयHके नगरHम बसाया। 7 इसका यह कारण है , क यrप इॐाएिलयHका परमे र यहोवा उनको िमॐ के राजा फ़रौन के हाथ से छुड़ाकर िमॐ दे श से िनकाल लाया या, तौभी उ(हHने उसके वda पाप कया, और पराथे दे वताओं का भय माना। 8 और 'जन जाितयHको यहोवा ने इॐाएिलयHके साSहने से दे श से ितकाला या, उनक र:ित पर, और अपके राजाओं क चलाई हुई र:ितयHपर चलते थे। 9 और इॐाएिलयHने कपठ करके अपके परमे र यहोवा के वda अनुिचत काम कए, अयाOत पहdओं के गुSमट से लेकर गढ़वाले नगर तक अप क सार: ब'ःतयHम ऊंचे ःयान बना िलए; 10 और सब ऊंची पहाडय़Hपर, और सब हरे वुझHके तले लाठ और अशेरा खड़े कर िलए। 11 और ऐसे ऊंचे ःयानHम उन जाितयHक नाई 'जनको यहोवा ने उनके साSहने से िनकाल दया या, धूप जलाया, और यहोवा को बोध दलाने के योbय बुरे काम कए। 12 और मूरतHक उपासना क, 'जसके वषय यहोवा ने उन से कहा या क तुम यह काम न करना। 13 तौभी यहोवा ने सब भवंयkfाओं और सब दिशयJके kारा इॐाएल और यहूदा को यह कह कर िचताया या, क अप क बुर: चाल छोड़कर उस सार: यवःया के अनुसार जो मE ने तुSहारे पुरखाओं को द: यी, और अपके दास

भवंयkfाओं के हाथ तूSहारे पास पहंु चाई है , मेर: आWाओं और विधयHको माना करो। 14 पर(तु उ(हHने न माना, वरन अपके उन पुरखाओं क नाई, 'ज(हHने अपके परमे र यहोवा का व ास न कया या, वे भी हठqले बन गए। 15 और वे उसक विधयHऔर अपके पुरखाओं के साय उसक वाचा, और जो िचतौिनयां उस ने उ(ह द: यीं, उनको तु.छ जानकर, िनकSमी बातHके पीछे हो िलए; 'जस से वे आप िनकSमे हो गए, और अपके चारHओर क उन जाितयHके पीछे भी हो िलए 'जनके वषय यहोवा ने उ(ह आWा द: यी क उनके से काम न करना। 16 वरन उ(हHने अपके परमे र यहोवा क सब आWाओं को याग दया, और दो बछड़Hक मूरत ढालकर बनाई, और अशेरा भी बनाई; और आकाश के सारे गणHको दणडवत क, और बाल क उपासना क। 17 और अपके बे टे-बे टयHको आग म होम करके चढाया; और भावी कहनेवालHसे पूछने, और टोना करने लगे; और जो यहोवा क l म बुरा या 'जस से वह बोिधत भी होता है , उसके करने को अप क इ.छा से बक गए। 18 इस कारण यहोवा इॐाएल से अित बोिधत हुआ, और उ(ह अपके साSहने से दरू कर दया; यहूदा का गोऽ छोड़ और कोई बचा न रहा। 19 यहूदा ने भी अपके परमे र यहोवा क आWाएं न मानीं, वरन जो विधयां इॐाएल ने चलाई यीं, उन पर चलने लगे। 20 तब यहोवा ने इॐाएल क सार: स(तान को छोड़ कर, उनको द:ु ख दया, और लूटनेवालHके हाथ कर दया, और अ(त म उ(ह अपके साSहने से िनकाल दया। 21 उस ने इॐाएल को तो दाऊद के घराने के हाथ से छqन िलया, और उ(हHने नबात के पुऽ यारोबाम को अपना राजा बनाया; और यारोबाम ने इॐाएल को यहोवा के पीछे चलने से दरू खींचकर उन से बड़ा पाप कराया। 22 सो जैसे पाप यारोबाम ने कए

थे, वैसे ह: पाप इॐाएली भी करते रहे , और उन से अलग न हुए। 23 अ(त म

यहोवा ने इॐाएल को अपके साSहने से दरू कर दया, जैसे क उस ने अपके सब दास भवंयkfाओं के kारा कहा या। इस ूकार इॐाएल अपके दे श से िनकालकर अँशूर को पहं चाया गया, जहां वह आज के दन तक रहता है । 24 और अँशूर के राजा ने बाबेल, कूता, अcवा हमात और सपवEम नगरHसे लोगHको लाकर, इॐाएिलयHके ःयान पर शोमरोन के नगरHम बसाया; सो वे शोमरोन के अिध कारनेी होकर उसके नगरHम रहने लगे। 25 जब वे वहां पहले पहले रहने लगे, तब यहोवा का भय न मानते थे, इस कारण यहोवा ने उनके बीच िसंह भेजे, जो उनको मार डालने लगे। 26 इस कारण उ(हHने अँशूर के राजा के पास कहला भेजा क जो जाितयां तू ने उनके दे शHसे िनकालकर शोमरोन के नगरHम बसा द: हE , वे उस दे श के दे वता क र:ित नह:ं जानतीं, उस से उस ने उसके म~य िसंह भेजे हE जो उनको इसिलथे मार डालते हE क वे उस दे श के दे वता क र:ित नह:ं जानते। 27 तब अँशूर के राजा ने आWा द:, क 'जन याजकHको तुम उस दे श से ले आए, उन म से एक को वहां पहुंचा दो; और वह वहां जाकर रहे , और वह उनको उस दे श के दे वता क र:ित िसखाए। 28 तब जो याजक शोमरोन से िनकाले गए थे, उन म

से एक जाकर बेतेल म रहने लगा, और उनको िसखाने लगा क यहोवा का भय कस र:ित से मानना चाहथे। 29 तौभी एक एक जाित के लोगHने अपके अपके िनज दे वता बनाकर, अपके अपके बसाए हुए नगर म उन ऊंचे ःयानHके भवनHम

रखा जो शोमरोिनयHने बसाए थे। 30 बाबेल के मनुंयHने तो सु कोतबनोत को, कूत के पनुंयHने नेगOल को, हमात के मनुंयHने अशीमा को, 31 और अ'cवयHने िनभज, और ताOक को ःयापत कया; और सपवमी लोग अपके बेटHको

अिSमेलेक और अनSमेलेक नाम सपवEम के दे वताओं के िलथे होम करके चढ़ाने लगे। 32 यHवे यहावा का भय मानते तो थे, पर(तु सब ूकार के लोगHम से ऊंचे ःयानHके याजक भी ठहरा दे ते थे, जो ऊंचे ःयानHके भवनHम उनके िलथे बिल करते थे। 33 वे यहोवा का भय मानते तो थे, पर(तु उन जाितयHक र:ित पर, 'जनके बीच से वे िनकाले गए थे, अपके अपके दे वताओं क भी उपासना करते रहे । 34 आज के दन तक वे अप क पहली र:ितयHपर चलते हE , वे यहोवा का भय नह:ं मानते। 35 न तो उप क विधयHऔर िनयमHपर और न उस यवःया और आWा के अनुसार चलते हE , जो यहोवा ने याकूब क स(तान को द: यी, 'जसका नाम उस ने इॐाएल रखा या। उन से यहोवा ने बाचा बा(धकर उ(ह यह आWा द: यी, क तुम पाराथे दे वताओं का भय न मानना और न उ(ह दणडवत करना और न उनक उपासना करना और न उनको बिल चढ़ाना। 36 पर(तु यहोवा जो तुम को बड़े बल और बढ़ाई हुई भुजा के kारा िमे दे श से िनकाल ले आया, तुम उसी का भय मानना, उसी को दणडवत करना और उसी को बिल चढ़ाना। 37 और उस ने जो जो विधयां और िनयम और जो यवःया और आWाएं तुSहारे िलथे िलखीं, उ(ह तुम सदा चौकसी से मानते रहो; और पराथे दे वताओं का भय न मानना। 38 और जो वाचा मE ने तुSहारे साय बा(धी है , उसे न भूलना और पराथे दे वताओं का भय न मानना। 39 केवल अपके परमे र यहोवा का भय पानना, वह: तुम को तुSहारे सब शऽुओं के हाथ से बचाएगा। 40 तौभी उ(हHने न माना, पर(तु वे अप क पहली र:ित के अनुसार करते रहे । 41 अतएव वे जाितयां यहोवा का भय मानती तो यीं, पर(तु अप क खुद: हुई मूरतHक उपासना भी करती रह:ं, और जैसे वे करते थे वैसे ह: उनके बेटे पोते भी

आज के दन तक करते हE । 2 राजा 18 1 एला के पुऽ इॐाएल के राजा होशे के तीसरे वषO म यहूदा के राजा आहाज का पुऽ हजकयाह राजा हुआ। 2 जब वह राGय करने लगा तब प.चीस वषO का या, और उनतीस वषO तक यRशलेम म राGय करता रहा। और उसक माता का नाम अबी या, जो जकयाOह क बेट: यी। 3 जैसे उसके मूलपुdष दाऊद ने कया या जो यहोवा क l म ठqक है वैसा ह: उस ने भी कया। 4 उस ने ऊंचे ःयान िगरा दए, लाठHको तोड़ दया, अशेरा को काट डाला। और पीतल का जो सांप मूसा ने बनाया या, उसको उस ने इस कारण चूर चूर कर दया, क उन दनHतक इॐाएली उसके िलथे धूप जलाते थे; और उस ने उसका नाम नहुशतान रखा। 5 वह इॐाएल के परमे र यहोवा पर भरोसा रखता या, और उसके बाद यहूदा के सब राजाओं म कोई उसके बराबर न हुआ, और न उस से पहले भी ऐसा कोई हुआ या। 6 और वह यहोवा से िलपटा रहा और उसके पीछे चलना न छोड़ा; और जो आWाएं यहोवा ने मूसा को द: यीं, उनका वह पालन करता रहा। 7 इसिलथे यहोवा उसके संग रहा; और जहां कह:ं वह जाता या, वहां उसका काम सफल होता या। और उस ने अँशूर के राजा से बलवा करके, उसक अधीनता छोड़ द:। 8 उस ने पिल'ँतयHको राज़ा और उसके िसवानHतक, पहdओं के गुSमट और गढ़वाले नगर तक मारा। 9 राजा हजकयाह के चौथे वषO म जो एला के पुऽ इॐाएल के राजा होशे का सातवां वषO या, अँशूर के राजा श`मनेसेर ने शोमरोन पर चढ़ाई करके उसे घेर िलया। 10 और तीन वषO के बीतने पर उ(हHने उसको ले िलया। इस

ूकार हजकयाह के छठव वषO म जो इॐाएल के राजा होशे का नौवां वषO या, शोमरोन ले िलया गया। 11 तब अँशूर का राजा इॐाएल को ब(धुआ करके अँशूर म ले गया, और हलह म ओर गोजान क नद: हाबोर के पास और मादयHके नगरHम उसे बसा दया। 12 इसका कारण यह या, क उ(हHने अपके परमे र यहोवा क बात न मानी, वरन उसक वाचा को तोड़ा, और 'जतनी आWाएं यहोवा के दास मूसा ने द: यीं, उनको टाल दया और न उनको सुना और न उनके अनुसार कया। 13 हजकयाह राजा के चौदहव वषO म अँशूर के राजा स(हे र:ब ने यहूदा के सब गढ़वाले नगरHपर चढ़ाई करके उनको ले िलया। 14 तब यहूदा के राजा हजकयाह ने अँशूर के राजा के पास लाकश को कहला भेजा, क मुझ से अपराध हुआ, मेरे पास से लौट जा; और जो भर तू मुझ पर डालेगा उसको मE उठाऊंगा। तो अँशूर के राज ने यहूदा के राजा हजकयाह के िलथे तीन सौ क कार चा(द: और तीस क कार लोना ठहरा दया। 15 तब 'जतनी चा(द: यहोवा के भवन और राजभवन के भणडारHम िमली, उस सब को हजकयाह ने उसे दे दया। 16 उस समय हजकयाह ने यहोवा के म'(दर के कवाड़Hसे और उन खSभHसे भी 'जन पर यहूदा के राजा हजकयाह ने सोना मढ़ा या, सोने को छqलकर अँशूर के राजा को दे दया। 17 तौभी अँशूर के राजा ने ताOन, रबसार:स और रबशाके को बड़: सेना दे कर, लाकश से यRशलेम के पास हजकयाह राजा के वda भेज दया। सो वे यRशलेम को गए और वहां पहंु चकर ऊपर के पोखरे क नाली के पास धेबयHके खेत क सड़क पर जाकर खड़े हुए। 18 और जब उ(हHने राजा को पुकारा, तब हलकयाह का पुऽ ए`याकम जो राजघराने के काम पर या, और शेcना जो म(ऽी या और आसाप का पुऽ

योआह जो इितहास का िलखनेवाला या, थे तीनHउनके पास बाहर िनकल गए। 19 रबशाके ने उन से कहा, हजकयाह से कहो, क महाराजािधराज अयाOत ् अँशूर का राजा यHकहता है , क तू कस पर भरोसा करता है ? 20 तू जो कहता है , क मेरे यहां युa के िलथे युf और पराबम है , सो तो केवल बात ह: बात है । तू कस पर भरोसा रखता है क तू ने मुझ से बलवा कया है ? 21 सुन, तू तो उस कुचले हुए नरकट अयाOत ् िमॐ पर भरोसा रखता है , उस पर यद कोई टे क लगाए, तो वह उसके हाथ म चुभकर छे दे गा। िमॐ का राजा फ़रौन अपके सब भरोसा रखनेवालHके िलथे ऐसा ह: है । 22 फर यद तुम मुझ से कहो, क हमारा भरोसा अपके परमे र यहोवा पर है , तो या यह वह: नह:ं है 'जसके ऊंचे ःयानHऔर वेदयHको हजकयाह ने दरू करके यहूदा और यRशलेम से कहा, क तुम इसी वेद: के साSहने जो यRशलेम म है दणडवत करना? 23 तो अब मेरे ःवामी अँशूर के राजा के पास मुछ ब(धक रख, तब मE तुझे दो हाजार घोड़े दं ग ू ा, या तू उन पर सवार चढ़ा सकेगा क नह:ं? 24 फर तू मेरे ःवामी के छोटे से छोटे कमOचार: का भी कहा न मान कर यHरयHऔर सवारHके िलथे िमॐ पर भरोसा रखता है ? 25 या मE ने यहोवा के बना कहे , इस ःयान को उजाड़ने के िलथे चढ़ाई क है ? यहोवा ने मुझ से कहा है , क उस दे श पर चढ़ाई करके उसे उजाड़ दे । 26 तब हलकयाह के पुऽ ए`याकम और शेcना योआह ने रबशाके से कहा, अपके दासHसे अरामी भाषा म बात कर, यHक हम उसे समझते हE ; और हम से यहूद: भाषा म शहरपनाह पर बैठे हुए लोगHके सुनते बात न कर। 27 रबशाके ने उन से कहा, या मेरे ःवामी ने मुझे तुSहारे ःवामी ह: के, वा तुSहारे ह: पास थे बात कहने को भेजा है ? या उस ने मुझे उन लोगHके पास नह:ं भेजा,

जो शहरपनाह पर बैठे हE , ताक नुSहारे संग उनको भी अप क बvा खाना और अपना मूऽ पीना पके? 28 तब रबशाके ने खड़े हो, यहूद: भाषा म ऊंचे शcद से कहा, महाराजािधराज अयOत ् अँशूर के राजा क बात सुनो। 29 राजा यHकहता है , क हजकयाह तुम को भुलाने न पाए, यHक वह तुSह मेरे हाथ से बचा न सकेगा। 30 और वह तुम से यह कहकर यहोवा पर भरोसा कराने न पाए, क यहोवा िन_य हम को बचाएगा और यह नगर अँशूर के राजा के वश म न पकेगा। 31 हजकयाह क मत सुनो। अँशूर का राजा कहता है क भ ट भेजकर मुझे ूस(न करो और मेरे पास िनकल आओ, और ूथेक अप क अप क दाखलता और अंजीर के वृझ के फल खाता और अपके अपके कु+ड का पानी पीता रहे । 32 तब मE आकर तुम को ऐसे दे श म ले जाऊंगा, जो तुSहारे दे श के समान अनाज और नथे दाखमधु का दे श, रोट: और दा‡बाgरयHका दे श, जलपाइयHऔर मधु का दे श है , वहां तुम मरोगे नह:ं, जीवत रहोगे; तो जब हजकयाह यह कहकर तुम को बहकाए, क यहोवा हम को बचाएगा, तब उसक न सुनना। 33 या और जाितयHके दे वताओं ने अपके अपके दे श को अँशूर के राजा के हाथ से कभी बचाया है ? 34 हमात और अपाOद के दे वता कहां रहे ? सपवEम, हे ना और इवा के दे वता कहां रहे ? या उ(हHने शोमरोन को मेरे हाथ से बचाया है , 35 दे श दे श के सब दे वताओं म से ऐसा कौन है , 'जस ने अपके दे श को मेरे हाथ से बचाया हो? फर या यहोवा यRशलेम को मेरे हाथ से बचाएगा। 36 पर(तु सब लोग चुप रहे और उसके उर म एक बात भी न कह:, यHक राजा क ऐसी आWा यी, क उसको उर न दे ना। 37 तब हलकयाह का पुऽ ए`याकम जो राजघराने के काम पर या, और शेcना जो म(ऽी या, और

आसाप का पुऽ योआह जो इितहास का िलखनेवाला या, अपके व\ फाड़े हुए, हजकयाह के पास जाकर रबशाके क बात कह सुनाई। 2 राजा 19 1 जब हजकयाह राजा ने यह सुना, तब वह अपके व\ फाड़, टाट ओढ़कर यहोवा के भपन म गया। 2 और उस ने ए`याकम को जो राजघराने के काम पर या, और शेcना म(ऽी को, और याजकHके पुरिनयHको, जो सब टाट ओढ़े हुए थे, आमोस के पुऽ यशायाह भवंयkfा के पास भेज दया। 3 उ(हHने उस से कहा, हजकयाह यHकहता है , आज का दन संकट, और उलहने, और िन(दा का दन है ; ब.चे ज(मने पर हुए पर ज.चा को ज(म दे ने का बल न रहा। 4 कदािचत ते रा परमे र यहोवा रबशाके क सब बात सुने, 'जसे उसके ःवामी अँशूर के राजा ने जीवते परमे र क िन(दा करने को भेजा है , और जो बात तेरे परमे र यहावा ने सुनी हE उ(ह डपके; इसिलथे तू इन बचे हुओं के िलथे जो रह गए हE ूायOना कर। 5 जब हजकयाह राजा के कमOचार: यशायाह के पास आए, 6 तब यशायाह ने उन से कहा, अपके ःवामी से कहो, यहे वा यHकहता है , क जो वचन तू ने सुने हE , 'जनके kारा अँशूर के राजा के जनHने मेर: िन(दा क है , उनके कारण मत डर। 7 सुन, मE उसके मन म ूेरणा कRंगा, क वह कुछ समाचार सुनकर अपके दे श को लौट जाए, और मE उसको उसी के दे श म तलवार से मरवा डालूग ं ा। 8 तब रबशाके ने लौटकर अँशूर के राजा को िलcना नगर से युa करते पाया, यHक उस ने सुना या क वह लाकश के पास से उठ गया है । 9 और जब उस ने कूश के राजा ितहाOका के वंय यह सुना, क वह मुझ से लड़ने को िनकला है , तब उस ने

हजकयाह के पास दत ू Hको यह कह कर भेजा, 10 तुम यहूदा के राजा हजकयाह से यHकहना : तेरा परमे र 'जसका तू भरोसा करता है , यह कहकर तुझे धोखा न दे ने पाए, क यRशलेम अँशूर के राजा के वश म न पकेगा। 11 दे ख, तू ने तो सुना है अँशूर के राजाओं ने सब दे शHसे कैसा यवहार कया है उ(ह सयानाश कर दया है । फर या तू बचेगा? 12 गोजान उा◌ौर हारान और रे सेप और तलःसार म रहनेवाले एदे नी, 'जन जाितयHको मेरे पुरखाओं ने नाश कया, या उन म से कसी जाित के दे वताओं ने उसको बचा िलया? 13 हमात का राजा, और अपाOद का राजा, और समवEम नगर का राजा, और हे ना और इवा के राजा थे सब कहां रहे ? इस पऽी को हजकयाह ने दत ू Hके हाथ से लेकर पढ़ा। 14 तब यहोवा के भवन म जाकर उसको यहोवा के साSहने फैला दया। 15 और यहोवा से यह ूायOना क, क हे इॐाएल के परमे र यहोवा ! हे कRबHपर वराजनेवाले ! पृवी के सब राGयHके ऊपर केवल तू ह: परमे र है । आकाश और पृवी को तू ह: ने बनाया है । 16 हे यहोवा ! कान लगाकर सुन, हे यहोवा आंख खोलकर दे ख, और स(हे र:ब के वचनHको सुन ले, जो उस ने जीवते परमे र क िन(दा करने को कहला भेजे हE । 17 हे यहोवा, सच तो है , क अँशूर के राजाओं ने जाितयHको और उनके दे शHको उजाड़ा है । 18 और उनके दे वताओं को आग म

फ का है , यHक वे ई र न थे; वे मनुंयHके बनाए हुए काठ और पयर ह: के थे; इस कारण वे उनको नाश कर सके। 19 इसिलथे अब हे हमारे परमे र यहोवा तू हम उसके हाथ से बचा, क पृवी के राGय राGय के लोग जान ल क केवल तू ह: यहोवा है । 20 तब आमोस के पुऽ यशायाह ने हजकयाह के पास यह कहला भेजा, क इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , क जो ूायOना तू ने अँशूर के

राजा स(हे र:ब के वषय मुझ से क, उसे मE ने सुना है । 21 उसके वषय म यहोवा ने यह वचन कहा है , क िसयोन क कुमार: क(या तुझे तु.छ जानती और तुझे ठ=ठHम उड़ाती है , यRशलेम क पुऽी, तुझ पर िसर हलाती है । 22 तू ने जो नामधराई और िन(दा क है , वह कसक क है ? और तू ने जो बड़ा बोल बोला और घमणड कया है वह कसके वda कया है ? इॐाएल के पवऽ के वda तू ने कया है ! 23 अपके दत ू Hके kारा तू ने ूभु क िन(दा करके कहा है , क वहुत से रय लेकर मE पवOतHक चोटयHपर, वरन लबानोन के बीच तक चढ़ आया हँू , और मE उसके ऊंचे ऊंचे दे वदाdओं और अ.छे अ.छे सनोवरHको काट डालूग ं ा; और उस म जो सब से ऊंचा टकने का ःयान होगा उस म और उसके वन क फलदाई बाgरयHम ूवेश कRंगा। 24 मE ने तो खुदवाकर परदे श का पानी पया; और िमॐ क नहरHम पांव धरते ह: उ(ह सुखा डालूग ं ा। 25 या तू ने नह:ं सुना, क ूाचीनकाल से मE ने यह: ठहराया? और अगले दनHसे इसक तैयार: क यी, उ(ह

अब मE ने पूरा भी कया है , क तू गढ़वाले नगरHको खणडहर ह: खणडहर कर दे , 26 इसी कारण उनके रहनेवालHका बल घट गया; वे व'ःमत और ल'Gजत हुए; वे मैदान के छोटे छोटे पेड़Hऔर हर: घास और छत पर क घास, और ऐसे अनाज के समान हो गए, जो बढ़ने से पहले सूख जाता है । 27 मE तो तेरा बैठा रहना, और कूच करना, और लौट आना जानता हँू , और यह भी क तू मुझ पर अपना बोध भड़काता है । 28 इस कारण क तू मुझ पर अपना बोध भड़काता और तेरे अिभमान क बात मेरे कानHम प क हE ; मE तेर: नाक म अप क नकेल डालकर और ते रे मुह ं म अपना लगाम लगाकर, 'जस मागO से तू आया है , उसी से तुझे लोटा दं ग ू ा। 29 और ते रे िलथे यह िच(ह होगा, क इस वषO तो तुम उसे खाओगे

जो आप से आप उगे, और दस ू रे वषO उसे जो उप(न हो वह खाओगे; और तीसरे वषO बीज बोने और उसे लवने पाओगे, और दाख क बाgरयां लगाने और उनका फल खाने पाओगे। 30 और यहूदा के घराने के बचे हुए लोग फर जड़ पकड़ गे, और फल गे भी। 31 यHक यRशलेम म से बचे हुए और िसयोन पवOत के भागे हुए लोग िनकल गे। यहोवा यह काम अप क जलन के कारण करे गा। 32 इसिलथे यहोवा अँशूर के राजा के वषय म यHकहता है क वह इस नगर म

ूवेश करने, वरन इस पर एक तीर भी मारने न पाएगा, और न वह ढाल लेकर इसके साSहने आने, वा इसके वda दमदमा बनाने पाएगा। 33 'जस मागO से वह आया, उसी से वह लौट भी जाएगा, और इस नगर म ूवे श न करने पाएगा, यहोवा क यह: वाणी है । 34 और मE अपके िनिम और अपके दास दाऊद के िनिम इस नगर क रझा करके इसे बचाऊंगा। 35 उसी रात म या हुआ, क यहोवा के दत ू ने िनकलकर अँशूgरयHक छावनी म एक लाख पचासी हजार पुdषHको मारा, और भोर को जब लोग सबेरे उठे , तब दे खा, क लोय ह: लोय प क है । 36 तब अँशूर का राजा स(हे र:ब चल दया, और लौटकर नीनवे म

रहने लगा। 37 वहां वह अपके दे वता िनॐोक के म'(दर म दणडवत कर रहा या, क अदे Sमेलेक और सरे सेर ने उसको तलवार से मारा, और अरारात दे श म भाग गए। और उसी का पुऽ एसहO Xोन उसके ःयान पर राGय करने लगा। 2 राजा 20 1 उन दनHम हजकयाह ऐसा रोगी हुआ क मरते पर या, और आमोस के पुऽ यशायाह भवंयkfा ने उसके पास जाकर कहा, यहोवा यHकहता है , क अपके

घराने के वषय जो आWा दे नी हो वह दे ; यHक तू नह:ं बचेगा, मर जाएगा। 2 तब उस ने भीत क ओर मुह ं फेर, यहोवा से ूायOना करके कहा, हे यहोवा ! 3 मE ब(ती करता हँू , ःमरण कर, क मE स.चाई और खरे मन से अपके को तेरे सSमुख जानकर चलता आया हँू ; और जो तुझे अ.छा तगता है वह: मE करता आया हँू । तब हजकयाह बलक बलक कर रोया। 4 और ऐसा हुआ क यशायाह नगर के बीच तक जाने भी न पाया या क यहोवा का यह वचन उसके पास पहंु चा, 5 क लौटकर मेर: ूजा के ूधान हजकयाह से कह, क ते रे मूलपुdष दाऊद का परमे र यहोवा यHकहता है , क मE ने ते र: ूायOना सुनी और तेरे आंसू दे खे हE ; दे ख, मE तुझे चंगा करता हँू ; परसHतू यहोवा के भवन म जा सकेगा। 6 और मE ते र: आयू प(िह वषO और बढ़ा दं ग ू ा। और अँशूर के राजा के हाथ से तुझे और इस नगर को बचाऊंगा, और मE अपके िनिम और अपके दास दाऊद के िनिम इस नगर क रझा कRंगा। 7 तब यशायाह ने कहा, अंजीरHक एक टकया लो। जब उ(हHने उसे लेकर फोड़े पर बा(धा, तब वह चंगा हो गया। 8 हजकयाह ने यशायाह से पूछा, यहोवा जो मुझे चंगा करे गा और मE परसHयहोवा के भवन को जा सकूंगा, इसका या िच(ह होगा? 9 यशायाह ने कहा, यहोवा जो अपके कहे हुए वचन को पूरा करे गा, इस बात का यहोवा क ओर से तेरे िलथे यह िच(ह होगा, क धूपघड़: क छाया दस अंश आगे बढ़ जाएगी, व दस अंश घट जाएगी। 10 हजकयाह ने कहा, छाया का दस अंश आगे +ढ़ना तो हलक बात है , इसिलए ऐसा हो क छाया दस अंश पीछे लौट जाए। 11 तब यशायाह भवंयkfा ने यहोवा को पुकारा, और आहाज क घूपघड़: क छाया, जो दस अंश ढल चुक यी, यहोवा ने उसको पीछे क ओर लौटा दया। 12 उस समय

बलदान का पुऽ बरोदकबलदान जो बाबेल का राजा या, उस ने हजकयाह के रोगी होने क चचाO सुनकर, उसके पास पऽी और भ ट भेजी। 13 उनके लानेवालHक मानकर हजकयाह ने उनको अपके अनमोल पदायॉं का सब भणडार, और चा(द: और सोना और सुग(ध िय और उम तेल और अपके हिययारHका पूरा घर और अपके भणडारHम जो जो वःतुएं यीं, वे सब दखाई; हजकयाह के भवन और राGय भर म कोई ऐसी वःतु न रह:, जो उस ने उ(ह

न द‡खाई हो। 14 तब यशायाह भवंयkfा ने हजकयाह राजा के पास जाकर पुछा, वे मनुंय या कह गए? और कहां से तेरे पास आए थे? हजकयाह ने कहा, वे तो दरू दे श से अयाOत ् बाबेल से आए थे। 15 फर उस ने पूछा, तेरे भवन म उ(हHने या या दे खा है ? हजकयाह ने कहा, जो कुछ मेरे भवन म है , वह सब उ(हHने दे खा। मेरे भणडारHम कोई ऐसी वःतु नह:ं, जो मE ने उ(ह न दखाई हो। 16 यशायाह ने हजकयाह से कहा, यहोवा का वचन सुन ले। 17 ऐसे दन आनेवाले है , 'जन म जो कुछ तेरे भवन म हE , और जो कुछ तेरे मुरखाओं का रखा हुआ आज के दन तक भणडारHम है वह सब बाबे ल को उठ जाएगा; यहोवा यह कहता है , क कोई वःतु न बचेगी। 18 और जो पुऽ तेरे वंश म

उप(न हH, उन म से भी कतनHको वे ब(धुआई म ले जाएंगे; और वे खोजे बनकर बाबेल के राजभवन म रह गे। 19 हजकयाह ने यशायाह से कहा, यहोवा का वचन जो तू ने कहा है , वह भला ह: है , फर उस ने कहा, या मेरे दनHम शांित और स.चाई बनी न रह गी? 20 हजकयाह के और सब काम और उसक सार: वीरता और कस र:ित उस ने एक पोखरा और नाली खुदवाकर नगर म पानी पहंु चा दया, यह सग या यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा

है ? 21 िनदान हजकयाह अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसका पुऽ मनँशे उसके ःयान पर राGय करने लगा। 2 राजा 21 1 जब मनँशे राGय करने लगा, तब वह बारह वषO का या, और यRशलेम म

पचपन वषO तक राGय करता रहा; और उसक माता का नाम हे €सीबा या। 2 उस ने उन जाितयHके िघनौने कामHके अनुसार, 'जनको यहोवा ने इॐाएिलयHके साSहने दे श से िनकाल दया या, वह कया, जो यहोवा क l म बुरा या। 3 उस ने उन ऊंचे ःयानHको 'जनको उसके पता हजकयाह ने नाश कया या, फर बनाया, और इॐाएल के राजा अहाब क नाई बाल के िलथे वेदयां और एक अशेरा बनवाई, और आकाश के कुल गण को दणडवत और उनक उपासना करता रहा। 4 और उस ने यहोवा के उस भवन म वेदयां बनाई 'जसके वषय यहोवा ने कहा या, क यRशलेम म मE अपना नाम रखूंगा। 5 वरन यहोवा के भवन के दोनHआंगनHम भी उस ने आकाश के कुल गण के िलथे वेदयां बनाई। 6 फर उस ने अपके बेटे को आग म होम करके चढ़ाया; और शुभअशुभ मुहुॉंको मानता, और टोना करता, और ओफHऔर भूत िसaवालHसे यवहार करता या; वरन उस ने ऐसे बहुत से काम कए जो यहोवा क l म बुरे हE , और 'जन से वह बोिधत होता है । 7 और अशेरा क जो मूरत उस ने खुदवाई, उसको उस ने उस भवन म ःयापत कया, 'जसके वषय यहोवा ने दाऊद और उसके पुऽ सुलम ै ान से कहा या, क इस भवन म और यRशलेम म , 'जसको मE ने इॐाएल के सब गोऽHम से चुन िलया है , मE सदै व अपना नाम रखूंगा। 8 और यद वे मेर: सब

आWाओं के और मेरे दास मूसा क द: हुई पूर: यवःया के अनुसार करने क चौकसी कर , तो मE ऐसा न कRंगा क जो दे श मE ने इॐाएल के पुरखओं को दया या, उस से वे फर िनकलकर मारे मारे फर । 9 पर(तु उ(हHने न माना, बरन मनँशे ने उनको यहां तक भटका दया क उ(हHने उन जाितयHसे भी बढ़कर बुराई क 'ज(ह यहोवा ने इॐाएिलयHके साSहने से वनाश कया या। 10 इसिलथे यहोवा ने अपके दास भवंयkfाओं के kारा कहा, 11 क यहूदा के राजा मनँशे ने जो थे घृ'णत काम कए, और 'जतनी बुराइयां एमोgरयHने जो उस से पहले थे क यीं, उन से भी अिधक बुराइयां कं; और यहूदयHसे अप क बनाई हुई मूरतHक पूजा करवा के उ(ह पाप म फंसाया है । 12 इस कारण इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है क सुनो, मE यRशलेम और यहूदा पर ऐसी वप डालना चाहता हँू क जो कोई उसका समाचार सुनेगा वह बड़े स(नाटे म आ जाएगा। 13 और जो मापके क डोर: मE ने शोमरोन पर डाली है और जो साहुल मE ने अहाब के घराने पर लटकाया है वह: यRशलेम पर डालूग ं ा। और मE यRशलेम को ऐसा पोछूंगा जैसे कोई याली को पHछता है और उसे पHछकर उलट दे ता है । 14 और मE अपके िनज भाग के बचे हुओं को यागकर शऽुओं के हाथ कर दं ग ू ा और वे अपके सब शऽुओं के िलए लूट और धन बन जाएंगे। 15 इसका कारण यह है , क जब से उनके पुरखा िमॐ से िनकले तब से आज के दन तक वे वह काम करके जो मेर: l म बुरा है , मुझे gरस दलाते आ रहे हE । 16 मनँशे ने तो न केवल वह काम कराके यहूदयHसे पाप कराया, जो यहोवा क l म बुरा है , वरन िनदॉषHका खून बहुत बहाथा, यहां तक क उस ने यRशलेम को एक िस के से दस ू रे िस के तक खून से भर दया। 17 मनँशे के और सब काम जो उस ने कए,

और जो पाप उस ने कए, वह सब या यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 18 िनदान मनँशे अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसे उसके भवन क बार: म जो उGजर क बार: कहलाती यी िम=ट: द: गई; और उसका पुऽ आमोन उसके ःयान पर राजा हुआ। 19 जब आमोन राGय करने लगा, तब वह बाईस पषO का या, और यRशलेम म दो वषO तक राGय करता रहा; और उसक माता का नाम मशु`लेमेत या जो योबावासी हाRम क बेट: यी। 20 और उस ने अपके पता मनँशे क नाई वह कया, जो यहोवा क l म बुरा है । 21 और वह अपके पता के समान पूर: चाल चला, और 'जन मूरतHक उपासना उसका पता करता या, उनक वह भी उपासना करता, और उ(ह दणडवत करता या। 22 और उस ने अपके पतरHके परमे र यहोवा को याग दया, और यहोवा के मागO पर न चला। 23 और आमोन के कमOचाgरयHने िोह क गोvी करके राजा को उसी के भवन म मार डाला। 24 तब साधारण लोगHने उन सभHको मार डाला, 'ज(हHने राजा आमोन से िोह क गोvी क यी, और लोगHने उसके पुऽ योिशयाह को उसके ःयान पर राजा कया। 25 आमोन के और काम जो उस ने कए, वह या यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखे हE । 26 उसे भी उGजर क बार: म उसक िनज कबर म िम=ट: द: गई; और उसका पुऽ योिशयाह उसके ःयान पर राGय करने लगा। 2 राजा 22 1 जब योिशयाह राGय करने लगा, तब वह आठ वषO का या, और यRशलेम म

एकतीस वषO तक राGय करता रहा। और उसक माता का नाम यद:दा या जो

बोःकतवासी अदाया क बेट: यी। 2 उस ने वह कया, जो यहोवा क l म ठqक है और 'जस मागO पर उसका मूलपुdष दाऊद चला ठqक उसी पर वह भी चला, और उस से न तो दाहनी ओर और न बाई ओर मुड़ा। 3 अपके राGय के अठारहव

वषO म राजा योिशयाह ने अस`याह के पुऽ शापान मंऽी को जो मशु`लाम का पोता या, यहोवा के भवन म यह कहकर भेजा, क हलकयाह महाथाजक के पास जाकर कह, 4 क जो चा(द: यहोवा के भवन म लाई गई है , और kारपालHने ूजा से इक=ठq क है , 5 उसको जोड़कर, उन काम करानेवालHको सxप दे , जो यहोवा के भवन के काम पर मु'खथे हE ; फर वे उसको यहोवा के भवन म काम करनेवाले कार:गरHको द , इसिलथे क उस म जो कुछ टू टा फूटा हो उसक वे मरSमत कर । 6 अयाOत ् बढ़इयH, राजHऔर संगतराशHको द , और भवन क मरSमत के िलथे लकड़: और गढ़े हुए पयर मोल लेने म लगाएं। 7 पर(तु 'जनके हाथ म वह चा(द: सxपी गई, उन से हसाब न िलया गया, यHक वे स.चाई से काम करते थे। 8 और हलकयाह महाथाजक ने शापान मंऽी से कहा, मुझे यहोवा के भवन म यवःया क पुःतक िमली है ; तब हलकयाह ने शापान को वह पुःतक द:, और वह उसे पढ़ने लगा। 9 तब शापान मंऽी ने राजा के पास लौटकर यह स(दे श दया, क जो चानद: भवन म िमली, उसे तेरे कमOचाgरयो ने यैिलयHम डाल कर, उनको सxप दया जो यहोवा के भवन म काम करानेवाले हE । 10 फर शपान मंऽी ने राजा को यह भी बता दया, क हलकयाह याजक ने उसे एक पुःतक द: है । तब शपान उसे राजा को पढ़कर सुनाने लगा। 11 यवःया क उस पुःतक क बात सुनकर राजा ने अपके व\ फाड़े । 12 फर उस ने हलकयाह याजक, शापान के पुऽ अह:काम, मीकायाह के

पुऽ अकबोर, शापान मंऽी और असाया ताम अपके एक कमOचार: को आWा द:, 13 क यह पुःतक जो िमली है , उसक बातHके वंय तुम जाकर मेर: ओर ूजा क और सब सहूदयHक ओर से यहोवा से पूछो, यHक यहोवा क बड़: ह: जलजलाहट हम पर इस कारण भड़क है , क हमारे पुरखाओं ने इस पुःतक क बात न मानी क कुछ हमारे िलथे िलखा है , उसके अनुसार करते। 14 हलकयाह याजक और अह:काम, अकबोर, शापान और असाया ने हु`दा नबया के पास जाकर उस से बात क, वह उस श`लूम क प^ी यी जो ितकवा का पुऽ और हहO स का पोता और व\Hका रखवाला या, ( और वह \ी यRशलेम के नथे टोले म रहती यी ) । 15 उस ने उन से कहा, इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , क 'जस पुdष ने तुम को मेरे पास भेजा, उस से यह कहो, 16 यहोवा यHकहता है , क सुन, 'जस पुःतक को यहूदा के राजा ने पढ़ा है , उसक सब बातHके अनुसार मE इस ःयान और इसके िनवािसयHपर वप डाला चाहता हँू ।◌ं 17 उन लोगHने मुझे याग कर पराथे दे वताओं के िलथे धूप जलाया और अप क बनाई हुई सब वःतुओं के kारा मुझे बोध दलाया है , इस कारण मेर: जलजलाहट इस ःयान पर भड़केगी और फर शांत न होगी। 18 पर(तु यहूदा का राजा 'जस ने तुSह यहोवा से पूछने को भेजा है उस से तुम यHकहो, क इॐाएल का परमे र यहोवा कहता है । 19 इसिलथे क तू वे बात सुनकर द:न हुआ, और मेर: वे बात

सुनकर क इस ःयान और इसके िनवािस कH दे खकर लोग चकत हHगे, और शप दया कर गे, तू ने यहोवा के साSहने अपना िसर नवाया, और अपके व\ फाड़कर मेरे साSहने रोया है , इस कारण मE ने तेर: सुनी है , यहोवा क यह: वाणी है । 20 इसिलथे दे ख, मE ऐसा कRंगा, क तू अपके पुरखाओं के संग िमल जाएगा,

और तू शांित से अप क कबर को पहंु चाया जाएगा, और जो वप मE इस ःयान पर डाला चाहता हूँ, उस म से तुझे अप क ओखHसे कुछ भी दे खना न पकेगा। तब उ(हHने लौटकर राजा को यह: स(दे श दया। 2 राजा 23 1 राजा ने यहूदा और यRशलेम के सब पुरिनयHको अपके पास इक=ठा बुलवाया। 2 और राजा, यहूदा के सब लोगHऔर यRशलेम के सब िनवािसयHऔर याजकHऔर नबयHवरन छोटे बड़े सार: ूजा के लोगHको संग लेकर यहोवा के भवन म गया। तब उस ने जो वाचा क मुःतक यहोवा के भवन म िमली यी, उसक सब बात उनको पढ़कर सुनाई। 3 तब राजा ने खSभे के पास खड़ा होकर यहोवा से इस आशय क वाचा बा(धी, क मE यहोवा के पीछे पीछे चलूग ं ा, और अपके सारे मन और सारे ूाण से उसक आWाएं, िचतौिनयां और विधयHका िनत पालन कया कRंगा? और इस वाचा क बातHको जो इस पुःतक म िलखी है पूर: कRंगा। और सब ूजा वाचा म सSभागी हुई। 4 तब राजा ने हलकयाह महाथाजक और उसके नीचे के याजकHऔर kारपालHको आWा द: क 'जतने पाऽ बाल और अशेरा और आकाश के सब गण के िलथे बने हE , उन सभHको यहोवा के म'(दर म से िनकाल ले आओ। तब उस ने उनको यRशलेम के बाहर किोन के खेतHम फूंककर उनक राख बेतेल को पहंु चा द:। 5 और 'जन पुजाgरयHको यहूदा के राजाओं ने यहूदा के नगरHके ऊंचे ःयानHम और यRशलेम के आस पास के ःयानHम धूप जलाने के िलथे ठहराया या, उनको और जो बाल और सूय-O च(िमा, रािशचब और आकाश के कुल गण को धूप जलाते थे, उनको भी राजा ने दरू कर

दया। 6 और वह अशेरा को यहोवा के भवन म से िनकालकर यRशलेम के बाहर किोन नाले म िलवाले गया और वह:ं उसको फूंक दया, और पीसकर बुकनी कर दया। तब वह बुकनी साधारण लोगHक कबरHपर फ क द:। 7 फर पुdषगािमयHके घर जो यहोवा के भवन म थे, जहां '\यां अशेरा के िलथे पद बुना करती यीं, उनको उस ने ढा दया। 8 और उस ने यहूदा के सब नगरHसे याजकHको बुलवाकर गेबा से बेशब ॅ ा तक के उन ऊंचे ःयानHको, जहां उन याजकHने धूप जलाया या, अशुa कर दया; और फाटकHके ऊंचे ःयान अयाOत ् जो ःयान नगर के यहोशू नाम हाकम के फाटक पर थे, और नगर के फाटक के भीतर जानेवाले क बाई ओर थे, उनको उस ने ढा दया। 9 तौभी ऊंचे ःयानHके याजक यRशलेम म

यहोवा क बेद: के पास न आए, वे अखमीर: रोट: अपके भइयHके साय खाते थे। 10 फर उस ने तोपेत को जो ह(नोमवंिशयHक तराई म या, अशुa कर दया, ताक कोई अपके बे ठे वा बेट: को मोलोक के िलथे आग म होम करके न चढ़ाए। 11 और जो घोड़े यहूदा के राजाओं ने सूयO को अपOण करके, यहोवा के भवन के kार पर नत(मेलेक नाम खोजे क बाहर क कोठर: म रखे थे, उनको उस ने दरू कया, और सूयO के रयHको आग म फूंक दया। 12 और आहाज क अटार: क छत पर जो वेदयां यहूदा के राजाओं क बनाई हुई यीं, और जो वेदयां मनँशे ने यहोवा के भवन के दोनHआंगनHम बनाई यीं, उनको राजा ने ढाकर पीस डाला और उनक बुकनी किोन नाले म फ क द:। 13 और जो ऊंचे ःयान इॐाएल के राजा सुलम ै ान ने यRशलेम क पूवO ओर और वकार: नाम पहाड़: क द' खन अलंग, अँतोरे त नाम सीदोिनयHक िघनौनी दे वी, और कमोश नाम मोआबयHके िघनौने दे वता, और िम`कोम नाम अSमोिनयHके िघनौने दे वता के िलथे बनवाए थे,

उनको राजा ने अशुa कर दया। 14 और उस ने लाठHको तोड़ दया और अशेरHको काट डाला, और उनके ःयान मनुंयHक ह']डयHसे भर दए। 15 फर बे तेल म

जो वेद: यी, और जो ऊंचा ःयान नबात के पुऽ यारोबाम ने बनाया या, 'जस ने इॐाएल से पाप कराया या, उस वेद: और उस ऊंचे ःयान को उस ने ढा दया, और ऊंचे ःयान को फूंककर बुकनी कर दया और अशेरा को फूंक दया। 16 और योिशयाह ने फर कर वहां के पहाड़ क कबरHको दे खा, और लोगHको भेजकर उन कबरHसे ह']डयां िनकलवा द:ं और वे द: पर जलवाकर उसको अशुa कया। यह यहोवा के उस वचन के अनुसार हुआ, जो परमे र के उस भf ने पुकारकर कहा या 'जस ने इ(ह:ं बातHक चचाO क यी। 17 तब उस ने पूछा, जो खSभा मुझे दखाई पड़ता है , वह या है ? तब नगर के लोगHने उस से कहा, वह परमे र के उस भf जन क कबर है , 'जस ने यहूदा से आकर इसी काम क चचाO पुकारकर क जो तू ने बेतेल क वेद: से कया है । 18 तब उस ने कहा, उसको छोड़ दो; उसक ह']डयHको कोई न हटाए। तब उ(हHने उसक ह']डयां उस नबी क ह']डयHके संग जो शोमरोन से आया या, रहने द:। 19 फर ऊंचे ःयान के 'जतने भपन शोमरोन के नगरHम थे, 'जनको इॐाएल के राजाओं ने बनाकर यहोवा को gरस दलाई यी, उन सभHको योिशयाह ने िगरा दया; और जैसा जैसा उस ने बे तेल म कया या, वैसा वैसा उन से भी कया। 20 और उन ऊंचे ःयानHके 'जतने याजक वहां थे उन सभHको उस ने उ(ह: वेदयHपर बिल कया और उन पर मनुंयHक ह']डयां जलाकर यRशलेम को लौट गया। 21 और राजा ने सार: ूजा के लोगHको आWा द:, क इस वाचा क पुःतक म जो कुछ िलखा है , उसके अनुसार अपके परमे र यहोवा के िलथे फसह का पवO मानो। 22 िन_य ऐसा

फसह न तो (यािययHके दनHम माना गया या जो इॐाएल का (याय करते थे, और न इॐाएल वा यहूदा के राजाओं के दनHम माना गया या। 23 राजा योिशयाह के अठारहव वषO म यहोवा के िलथे यRशलेम म यह फसह माना गया। 24 फर ओफे, भूतिसaवाले, गृहदे वता, मूरत और 'जतनी िघनौनी वःतुएं यहूद दे श और यRशलेम म जहां कह:ं दखाई प कं, उन सभHको योिशयाह ने उस मनसा से नाश कया, क यवःया क जो बात उस पुःतक म िलखी यीं जो हलकयाह याजक को यहोवा के भवन म िमली यी, उनको वह पूर: करे । 25 और उसके तु`य न तो उस से पहले कोई ऐसा राजा हुआ और न उसके बाद ऐसा कोई राजा उठा, जो मूसा क पूर: यवःया के अनुसार अपके पूणO मन और मूणO ूाण और पूणO शf से यहोवा क ओर फरा हो। 26 तौभी यहोवा का भड़का हुआ बड़ा कोप शा(त न हुआ, जो इस कारण से यहूदा पर भड़का या, क मनँशे ने यहोवा को बोध पर बोध दलाया या। 27 और यहोवा ने कहा या जेसे मE ने इॐाएल को अपके साSहने से दरू कया, वैसे ह: सहूदा को भी दरू कRंगा; और इस यRशलेम नगर से 'जसे मE ने चुना और इस भवन से 'जसके वषय मE ने कहा, क यह मेरे नाम का िनवास होगा, मE हाथ उठाऊंगा। 28 योिशयाह के और सब काम जो उस ने कए, वह या यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखे हE ? 29 उसके दनHम फ़रौन-नको नाम िमॐ का राजा अँशूर के राजा के वda परात महानद तक गया तो योिशयाह राजा भी उसका साSहना करने को गया, और उस ने उसको दे खते ह: मिगXो म मार डाला। 30 तब उसके कमOचाgरयHने उसक लोय एक रय पर रख मिगXो से ले जाकर यRशलेम को पहंु चाई और उसक िनज कबर म रख द:। तब साधारण लोगHने योिशयाह के

पुऽ यहोआहाज को लेकर उसका अिभषेक करके, उसके पता के ःयान पर राजा िनयुf कया। 31 जब यहोआहाज राGय करने लगा, तब वह तेई–स वषO का या, और तीन मह:ने तक यRशलेम म राGय करता रहा; और उसक माता का नाम हमूतल या, जो िलcनावासी ियमOयाह क बेट: यी। 32 उस ने इीक अपके पुरखाओं क नाई वह: कया, जो यहोवा क l म बुरा है । 33 उसको फ़रौन-नको ने हमात दे श के gरबला नगर म बा(ध रखा, ताक वह यRशलेम म राGय न करने पाए, फर उस ने दे श पर सौ क कार चा(द: और क कार भर सोना जुरमाना कया। 34 तब फरौन-नको ने योिशयाह के पुऽ ए`याकम को उसके पता योिशयाह के ःयान पर राजा िनयुf कया, और उसका नाम बदलकर यहोयाकम रखा; और यहोआहाज को ले गया। सो यहोआहाज िमॐ म जाकर वह:ं मर गया। 35 यहोयाकम ने फ़रौन को वह चा(द: और सोना तो दया पर(तु दे श पर इसिलथे कर लगाया क फ़रौन क अWा के अनुसार उसे दे सके, अयाOत ् दे श के सब लोगHसे 'जतना 'जस पर लगान लगा, उतनी चा(द: और सोना उस से फ़रौन-नको को दे ने के िलथे ले िलया। 36 जब सहोयाकम राGय करने लगा, तब वह प कस पषO का या, और bयारह वषO तक यRशलेम म राGय करता रहा; और उसक माता का नाम जबीदा या जो Rमावासी अदायाह क बेट: यी। 37 उस ने ठqक अपके पुरखाओं क नाई वह कया जो यहोवा क l म बुरा है । 2 राजा 24 1 उसके दनHम बाबेल के राजा नबूकदनेःसर ने चढाई क और यहोयाकम तीन वषO तक उसके अधीन रहा; तब उस ने फर कर उस से बलवा कया। 2 तब

यहावा ने उसके वda और यहूदा को नाश करने के िलथे कसदयH, अरािमयH, मोआबयHऔर अSमोिनयHके दल भेजे, यह यहोवा के उस वचन के अनुसार हुआ, जो उस ने अपके दास भवंयkfाओं के kारा कहा या। 3 िन:स(दे ह यह यहूदा पर यहोवा क आWा से हुआ, ताक वह उनको अपके साSहने से दरू करे । यह मनँशे के सब पापHके कारण हुआ। 4 और िनदॉषHके उस खून के कारण जो उस ने कया या; यHक उस ने यRशलेम को िनदॉषHके खून से भर दया या, 'जसको यहोवा ने झमा करना न चाहा। 5 यहोयाकम के और सब काम जो उस ने कए, वह या यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखे हE ? 6 िनदान यहोयाकम अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसका पुऽ यहोयाकन उसके ःयान पर राजा हुआ। 7 और िमॐ का राजा अपके दे श से बाहर फर कभी न आया, यHक बाबेल के राजा ने िमॐ के नाले से लेकर परात महानद तक 'जतना दे श िमॐ के राजा का या, सब को अपके वश म कर िलया या। 8 जब यहोयाकन राGय करने लगा, तब वह अठारह वषO का या, और तीन मह:ने तक यRशलेम म राGय करता रहा; और उसक माता का नम तहुँता या, जो यRशलेम के एलनातान क बेट: यी। 9 उस ने ठqक अपके पता क नाई वह कया, जो यहोवा क l म बुरा है । 10 उसके दनHम बाबेल के राजा नबूकदनेःसर के कमOचाgरयHने यRशलेम पर चढ़ाई करके नगर को घेर िलया। 11 और जब बाबेल के राजा नबूकदनेःसर के कमOचार: नगर को घेरे हुए थे, तब वह आप वहां आ गया। 12 और यहूदा का राजा यहोयाकन अप क माता और कमOचाgरयH, हाकमHऔर खोजHको संग लेकर बाबेल के राजा के पास गया, और बाबेल के राजा ने अपके राGय के आठव वषO मे उनको पकड़ िलया। 13 तब उस

ने यहोवा के भवन म और राजभवन म रखा हुआ पूरा धन वहां से िनकाल िलया और सोने के जो पाऽ इॐाएल के राजा सुलम ै ान ने बनाकर यहोवा के म'(दर म

रखे थे, उन सभHको उस ने टु कड़े टु कड़े कर डाला, जैसा क यहोवा ने कहा या। 14 फर वह पूरे यRशलेम को अयाOत ् सब हाकमHऔर सब धनवानHको जो िमलकर दस हजार थे, और सब कार:गरHऔर लोहारHको ब(धुआ करके ले गया, यहां तक क साधारण लोगHम से कंगालHको छोड़ और कोई न रह गया। 15 और वह यहोयाकन को बाबेल म ले गया और उसक माता और '\यHऔर खोजHको और दे श के बड़े लोगHको वह ब(धुआ करके यRशलेम से बाबेल को ले गया। 16 और सब धनवान जो सात हजार थे, और कार:गर और लोहार जो िमलकर एक हजार थे, और वे सब वीर और युa के योbय थे, उ(ह बाबे ल का राजा ब(धुआ करके बाबेल को ले गया। 17 और बाबेल के राजा ने उसके ःयान पर उसके चाचा म(याह को राजा िनयुf कया और उसका नाम बदलकर िसदकयाह रखा। 18 जब िसदकयाह राGय करने लगा, तब वह इ कस वषO का या, और यRशलेम म bयारह वषO तक राGय करता रहा; और उसक माता का नाम हमूतल या, जो िलcनावासी ियमOयाह क बेट: यी। 19 उस ने ठqक यहोयाकम क लीक पर चलकर वह: कया जो यहोवा क l म बुरा है । 20 यHक यहोवा के कोप के कारण यRशलेम और यहूदा को ऐसी दशा हुई, क अ(त म उस ने उनको अपके साSहने से दरू कया। 2 राजा 25 1 और िसदकयाह ने बाबेल के राजा से बलवा कया। उसके राGय के नौव वषO

के दसव मह:ने के दसव दन को बाबेल के राजा नबूकदनेःसर ने अप क पूर: सेना लेकर यRशलेम पर चढ़ाई क, और उसके पास छावनी करके उसके चारHओर कोट बनाए। 2 और नगर िसदकयाह राजा के bयारहव वषO तक िघरा हुआ रहा। 3 चौथे मह:ने के नौव दन से नगर म महं गी यहां तक बढ़ गई, क दे श के लोगHके िलथे कुछ खाने को न रहा। 4 तब नगर क शहरपनाह म दरार क गई, और दोनHभीतHके बीच जो फाटक राजा क बार: के िनकट या उस मागO से सब योaा रात ह: रात िनकल भागे। कसद: तो नगर को घेरे हुए थे, पर(तु राजा ने अराबा का मागO िलया। 5 तब कसदयHक सेना ने राजा का पीछा कया, और उसको यर:हो के पास के अराबा म जा िलया, और उसक पूर: सेना उसके पास से िततर बतर हो गई। 6 तब वे राजा को पकड़कर gरबला म बाबेल के राजा के पास ले गए, और उसे दणड क आWा द: गई। 7 और उ(हHने िसदकयाह के पुऽHको उसके साSहने घात कया और िसदकयाह क आंख फोड़ डालीं और उसे पीतल क बेडय़Hसे जकड़कर बाबेल को ले गए। 8 बाबेल के राजा नबूकदनेःसर के उ(नीसव वषO के पांचव मह:ने के सातव दन को ज`लादHका ूधान नबूजरदान जो बाबेल के राजा का एक कमOचार: य, यRशलेम म आया। 9 और उस ने यहोवा के भवन और राजभवन और यRशलेम के सब घरHको अयाOत ् हर एक बड़े घर को आग लगाकर फूंक दया। 10 और यRशलेम के चारHओर क सब शहरपनाह को कसदयो क पूर: सेना ने जो ज`लादHके ूधान के संग यी ढा दया। 11 और जो लोग नगर म रह गए थे, और जो लोग बाबे ल के राजा के पास भाग गए थे, और साधारण लोग जो रह गए थे, इन सभ को ज`लादHका ूधान नबूजरदान ब(धुआ करके ले गया। 12 पर(तु ज`लादHके ूधान ने दे श के कंगालHम से कतनHको

दाख क बाgरयHक सेवा और काँतकार: करने को छोड़ दया। 13 और यहोवा के •वन म जो पीतल के खSभे थे और कुिसया{ और पीतल का हौद जो यहोवा के भवन म या, इनको कसद: तोड़कर उनका पीतल बाबेल को ले गए। 14 और ह'+डयH, फावडय़H, िचमटH, धूपदानHऔर पीतल के सब पाऽा◌ो◌ंको 'जन से सेवा टहल होती यी, वे ले गए। 15 और करछे और कटोgरयां जो सोने क यीं, और जो कुछ चा(द: का या, वह सब सोना, चा(द:, ज`लादHका ूधान ले गया। 16 दोनHखSभे, एक हौद और जो कुिसया{ सुलम ै ान ने यहोवा के भवन के िलथे बनाए थे, इन सब वःतुओं का पीतल तौल से बाहर या। 17 एक एक खSभे क ऊंचाई अठारह अठारह हाथ क यी और एक एक खSभे के ऊपर तीन तीन हाथ ऊंची पीतल क एक एक कंगनी यी, और एक एक कंगनी पर चारHओर जो जाली और अनार बने थे, वे सब पीतल के थे। 18 और ज`लादHके ूधान ने सरायाह महाथाजक और उसके नीचे के याजक सप(याह और तीनHkारपालHको पकड़ िलया। 19 और नगर म से उस ने एक हाकम को पकड़ा जो योkाओं के ऊपर या, और जो पुdष राजा के सSमुख रहा करते थे, उन म से पांच जन जो नगर म

िमले, और सेनापित का मु(शी जो लोगHको सेना म भरती कया करता या; और लोगHम से साठ पुdष जो नगर म िमले। 20 इनको ज`लादHका ूधान नबूजरदान पकड़कर gरबला के राजा के पास ले गया। 21 तब बाबे ल के राजा ने उ(ह हमात दे श के gरबला म ऐसा मारा क वे मर गए। यHयहूद: ब(धुआ बनके अपके दे श से ितकाल दए गए। 22 और जो लोग यहूदा दे श म रह गए, 'जनको बाबेल के राजा नबूकदनेःसर ने छोड़ दया, उन पर उस ने अह:काम के पुऽ गद`याह को जो शापान का पोता या अिध कारनेी ठहराया। 23 जब दलHके सब ूधानHने अयाOत ्

नत(याह के पुऽ इँमाएल कारे हू के पुऽ योहानान, नतोपाई, त(हूमेत के पुऽ सरायाह और कसी माकाई के पुऽ याज(याह ने और उनके जनHने यह सुना, क बाबेल के राजा ने गद`याह को अिध कारनेी ठहराया है , तब वे अपके अपके जनHसमेत िमःपा म गद`याह के पास आए। 24 और गद`याह ने उन से और उनके जनHसे शपय खाकर कहा, कसदयHके िसपाहयHसे न डरो, दे श म रहते हुए बाबेल के राजा के अधीन रहो, तब नुSहारा भला होगा। 25 पर(तु सातव मह:ने म

नत(याह का पुऽ इँमाएल, जो एलीशामा का पोता और राजवंश का या, उस ने दस जन संग ले गद`याह के पास जाकर उसे ऐसा मारा क वह मर गया, और जो यहूद: और कसद: उसके संग िमःपा म रहते थे, उनको भी मार डाला। 26 तब या छोटे या बड़े सार: ूजा के लोग और दलHके ूधान कसदयHके डर के मारे उठकर िमॐ म जाकर रहने लगे। 27 फर यहूदा के राजा यहोयाकन क ब(धुआई के तEतीसव वषO म अयाOत ् 'जस वषO म बाबेल का राजा एवी`मरोदक राजगX: पर वराजमान हुआ, उसी के बारहव मह:ने के साईसव दन को उस ने यहूदा के राजा यहोयाकन को ब(द:गृह से िनकालकर बड़ा पद दया। 28 और उस से मधुर मधुर वचन कहकर जो राजा उसके संग बाबे ल म ब(धुए थे उनके िसंहासनHसे उसके िसंहासन को अिधक ऊंचा कया, 29 और उसके ब(द:गृह के व\ बदल दए और उस ने जीवन भर िनय राजा के सSमुख भोजन कया। 30 और ूितदन के खचO के िलथे राजा के यहां से िनय का झचO ठहराया गया जो उसके जीवन भर लगातार उसे िमलता रहा। 1 इितहास 1

1 आदम,शेत, एनोश; 2 केनान, महललेल, थेरेद; 3 हनोक, मतूशेलह, लेमेक; 4 नूह, शेम, हाम और थेपेत । 5 थेपेत के पुऽ : गोमेर, मागोग, मादै , सावान, तूबल, मेशेक और तीरास हE । 6 और गोमेर के पुऽ : अशकनज, द:पत और तोगमाO हE । 7 और यावान के पुऽ : एलीशा, तशींश, और की और रोदानी लोग हE । 8 हाम के पुऽ : कुश, िमॐ, पूत और कनान हE । 9 और कूश के पुऽ : सबा, हबीला, सबाता, रामा और सcतका हE ; और रामा के पुऽ : शबा और ददान हE । 10 और कूश से िनॆोद उप(न हुआ; मृवी पर पहला वीर वह: हुआ। 11 और िमॐ से लूद:, अनामी, लहावी, नTह:। 12 पऽूसी, कसलूह: ( वहां से पिलँती िनकले ) और कTोर: उप(न हुए। 13 कनान से उसका जेठा सीदोन और ह। 14 और यबूसी, एमोर:, िगगाOशी। 15 हवी, अकं,सीनी। 16 अवOद:, समार: और हमाती उप(न हुए। 17 शेम के पुऽ : एलाम, अँशूर, अपOझद, लूद, अराम, ऊस, हूल, गेतेर और मेशेक हE । 18 और अपOझद से शेलह और शेलह से एबेर उप(न हुआ। 19 और एबेर के दो पुऽ उप(न हुए : एक का नाम पेलेग इस कारण रखा गया क उसके दनHम पृवी बांट: गई; और उसके भाई का नाम योfान या। 20 और योfान से अ`मोदाद, शुलेप, हसमाOवेत, थेरह। 21 हदोराम, ऊजाल, द ला। 22 एबाल, अबीमाएल, शबा, 23 ओपीर, हवीला और सोबाब उप(न हुए; थे ह: सब योfान के पुऽ हE । 24 शेम, अपOझद, शेलह। 25 एबेर, पेलेग, R। 26 सRग, नाहोर, तेरह, 27 अॄाम, वह: इॄाह:म भी कहलाता है । 28 इॄाह:म के पुऽ इसहाक और इँमाएल हE । 29 इनक वंशाविलयां थे हE । इँमाएल का जेठा नवायोत, फर केदार, अदवेल, िमबसाम। 30 िमँमा, दम ू ा, मःसा, हदद, तेमा। 31 यतूर, नापीश, केदमा। थे इँमाएल के पुऽ हुए। 32 फर कतूरा जो इॄाह:म क रखेली

यी, उसके थे पुऽ उप(न हुए, अयाOत ् उस से 'जॆान, योझान, मदान, िमrान, ियशबाक और शूह उप(न हुए। योझान के पुऽ : शबा और ददात। 33 और िमrान के पुऽ : एपा, एपेर, हनोक, अबीदा और एलदा, थे सब कतूरा के पुऽ हE । 34 इॄाह:म से इसहाक उप(न हुआ। इसहाक के पुऽ : एसाव और इॐाएल। 35 एसाव के पुऽ : एलीपज, Rएल, यूश, यालाम और कोरह हE । 36 एलीपज के थे पुऽ हE : तेमान, ओमार, सपी, गाताम, कनज, ितSना और अपालेक। 37 Rएल के पुऽ : नहत, जेरह, शSमा और िमGजा। 38 फर सेईर के पुऽ : लोतान, शोबाल, िसबोन, अना, द:शोन, एसेर और द:शान हE । 39 और लोतान के पुऽ : होर: और होमाम, और लोतान क बहन ितSना यीं। 40 शोबाल के पुऽ : अ`यान, मानहत, एबाल, शषी और ओनाम। 41 और िसबोन के पुऽ : अया, और अना। अना का पुऽ : द:शोन। और द:शोन के पुऽ : हॆान, एशबान, ियऽान और करान। 42 एसेर के पुऽ ब`हान, जाचान और याकान। और द:शान के पुऽ : ऊस और अरान हE । 43 जब कसी राजा ने इॐाएिलयHपर राGय न कया या, तब एदोम के दे श म थे राजा हुए : अयाOत ् बोर का पुऽ बे ला और उसक राजधानी का नाम द(हाबा या। 44 बेला के मरने पर, बोॐाई जेरह का पुऽ योबाब, उसके ःयान पर राजा हुआ। 45 और योबाब के मरने पर, तेमािनयHके दे श का हूशाम उसके ःयान पर राजा हुआ। 46 फर हूशाम के मरने पर, बदद का पुऽ हदद, उसके ःयान पर राजा हुआ : यह वह: है , 'जस ने िमrािनयHको मोआब के दे श म मार िलया; और उसक राजधानी का नाम अबीत या। 47 और हदद के मरने पर, मॐेकाई सSला उसके ःयान पर राजा हुआ। 48 फर सSला के मरने पर शाऊल, जो महानद के तट पर के रहोबोत नगर का या, वह उसके ःयान पर राजा हुआ। 49 और शाऊल के मरने

पर अकबोर का पुऽ बा`हानान उसके ःयान पर राजा हुआ। 50 और ब`हानान के मरने पर, हदद उसके ःयान पर राजा हुआ; और उसक राजधानी का नाम पाई या। और उसक प^ी का नाम महे तबेल या जो मेज़ाहाब क नाितनी और मऽेद क बेट: यी। और हदद मर गया। 51 फर एदोम के अिधपित थे थे : अयाOत ् अिधपित ितSना, अिधपित अ`या, अिधपित यतेत, अिधपित ओहोलीवामा, 52 अिधपित एला, अिधपित पीनोन, अिधपित कनज, 53 अिधपित ते मान, अिधपित िमबसार, अिधपित मbद:एल, अिधपित ईराम। 54 एदोम के थे अिधपित हुए। 1 इितहास 2 1 इॐाएल के थे पुऽ हुए; Rबेन, िशमोन, लेवी, सहूदा, इःसाकार, जबूलन ू , दान। 2 यूसफ ु , ब(यामीन, न(ताली, गाद और आशेर। 3 यहूदा के थे पुऽ हुए : एर, ओनान और शेला, उसके थे तीनHपुऽ, बतशू नाम एक कनानी \ी से उप(न हुए। और यहूदा का जेठा एर, यहोवा क l म बुरा या, इस कारण उस ने उसको मार डाला। 4 यहूदा क बहू तामार से पेरेस और जेरह उप(न हुए। यहूदा के सब पुऽ पांच हुए। 5 मेरेस के पुऽ : हे ॐोन और हामूल। 6 और जेरेह के पुऽ : 'जॆी, एतान, हे मान, कलकोल और दारा सब िमलकर पांच। 7 फर कमीं का पुऽ : आकार जो अपOण क हुई पःतु के वषय म व ासघात करके इॐाएिलयHका क दे नेवाला हुआ। 8 और एतान का पुऽ : अजयाOह। 9 हे ॐोन के जो पुऽ उप(न हुए : यरेल, राम और कलूबै। 10 और राम से अSमीनादाब और अSमीनादाब से नहशोन उप(न हुआ जो यहूदयHका ूधान बना। 11 और नहशोन से स`मा

और स`मा से बोअज, 12 और बोअज से ओबेद और ओबेद से ियशै उप(न हुआ। 13 और ियशै से उसका जेठा एलीआब और दस ू रा अबीनादाब तीसरा िशमा। 14 चौया नतनेल और पांचवां रXE । छठा ओसेम और सातवां दाऊद उप(न हुआ। 15 इनक बहन सRयाह ओर अबीगैल यीं। 16 और सRयाह के पुऽ अबीशै, योआब और असाहे ल थे तीन थे। 17 और अबीगैल से अमासा उप(न हुआ, और अमासा का पता इँमाएली थेतेर या। 18 हे ॐोन के पुऽ कालेब के अजूबा नाम एक \ी से, और यर:ओत से, बे टे उप(न हुए; और इसके पुऽ थे हूए अयाOत ् थेशेर, शेबाब और अदॉन। 19 जब अजूबा मर गई, सब कालेब ने एूात को cयाह िलया; और 'जससे हूर उप(न हुआ। 20 और हूर से ऊर: और ऊर: से बसलेल उप(न हुआ। 21 इसके बाद हे ॐोन िगलाद के पता माकर क बे ट: के पास गया, 'जसे उस ने तब cयाह िलया, जब वह साठ वषO का या; और उस से सगूब उप(न हुआ। 22 और सगूब से याईर ज(मा, 'जसके िगलाद दे श म तेईस नगर थे। 23 और गशूर और अराम ने याईर क ब'ःतयHको और गांवHसमेत कनत को, उन से ले िलया; थे सब नगर िमलकर साठ थे। थे सब िगलाद के पता माकर के पुऽ हुए। 24 और जब हे ॐोन कालेबेूाता म मर गया, तब उसक अबयाह नाम \ी से अशहूर उप(न हुआ जो तको का पता हुआ। 25 और हे ॐोन के जे ठे यरेल के थे पुऽ हुए : अयाOत ् राम जो उसका जे ठा या; और बूना, ओरे न, ओसेम और यहयाह। 26 और यरेल क एक और प^ी यी, 'जसका नाम अतारा या; वह ओनाम क माता यी। 27 और यरेल के जेठे राम के थे पुऽ हुए, अयाOत ् मास, यामीन और एकेर। 28 और ओनाम के पुऽ शSमै और यादा हुए। और शSमै के पुऽ नादाब और अबीशूर हुए। 29 और अबीशूर क प^ी

का नाम अबीहै ल या, और उस से अहबान और मोलीद उप(न हुए। 30 और नादाब के पुऽ सेलेद और अपैम हुए; सेलेद तो िन:स(तान मर गया। और अैम का पुऽ ियशी। 31 और ियशी का पुऽ शेशान और शेशान का पुऽ : अहलै। 32 फर शSमै के भाई यादा के पुऽ : थेतेर और योनातान हुए; थेतेर तो िन:स(तान मर गया। 33 यानातान के पुऽ पे लेत और जाजा; यरेल के पुऽ थे हुए। 34 शेशान के तो बे टा न हुआ, केवल बेटयां हुई। शेशान के पास यहाO नाम एक िमॐी दास या। 35 और शेशान ने उसको अप क बेट: cयाह द:, और उस से अै उप(न हुआ। 36 और अै से नातान, नातान से जाबाद। 37 जाबाद से एपलाल, एपलाल से ओबेद। 38 ओबेद से थेहू, थेहू से अजयाOह। 39 अजयाOह से हे लस ै , हे लस ै से एलासा। 40 एलासा से िसःमै, िसःमै से श`लूम। 41 श`लूम से यकSयाह और यकSयाह से एलीशामा उप(न हुए। 42 फर यरेल के भाई कालेब के थे पुऽ हुए : अयाOत ् उसका जेठा मेशा जो जीप का पता हुआ। और मारे शा का पुऽ हे ॄोन भी उसी के वंश म हुआ। 43 और हे ॄोन के पुऽ कोरह, त€पूह, रे केम और शेमा। 44 और शेमा से योकाOम का पता रहम और रे केम से शSमै उप(न हुआ या। 45 और शSमै का पुऽ माओन हुआ; और माओन बेसूर का पता हुआ। 46 फर एपा जो कालेब क रखेली यी, उस से हारान, मोसा और गाजेज उप(न हुए; और हारान से गाजेज उप(न हुआ। 47 फर याहदै के पुऽ रे गेम, योताम, गेशान, पे लेत, एपा और शाप। 48 और माका जो कालेब क रखेली यी, उस से शेबेर और ितहाOना उप(न हुए। 49 फर उस से मदम(ना का पता शाप और मकबेना और िगबा का पता शबा उप(न हुए। और कालेब क बेट: अकसा यी। कालेब के पुऽ थ हुए। 50 एूाता के जेठे हूर का पुऽ कयOयार:म का पता शोबाल। 51 बेतलेहेम

का पता स`मा और बे तगादे र का पता हारे प। 52 और कयOयार:म के पता शोबाल के वंश म हारोए आधे मनुहोतवासी, 53 और कयOयार:म के कुल अयाOत ् ियऽी, पूती, शूमाती और िमौई और इन से सोराई और एँताओली िनकले। 54 फर स`मा के वंश म बेतलेहेम और नतोपाई, अऽोतबे योआब और आधे मानहती, सोर:। 55 फर याबेस म रहनेवाले लेखकHके कुल अयाOत ् ितराती, िशमाती और सूकाती हुए। थे रे काब के घराने के मूलपुdष हSमन के वंशवाले केनी हE । 1 इितहास 3 1 दाऊद के पुऽ जो हे ॄोन म उस से उप(न हुए वे थे हE : जेठा अSनोन जो ियळेली अह:नोआम से, दस ू रा दािनथेल जो कमली अबीगैल से उप(न हुआ। 2 तीसरा अबशालोम जो गशूर के राजा त`मै क बेट: माका का मुऽ या, चौया ओदािनयाह जो हरगीत का पुऽ या। 3 पांचवां शपयाह जो अबीतल से, और छठवां ियऽाम जो उसक \ी एbला से उप(न हुआ। 4 दाऊद से हे ॄोन म छ: पुऽ उप(न हुए, और वहां उस ने साढ़े सात वषO राGय कया; और यRशलेम म

तEतीस वषO राGय कया। 5 और यRशलेम म उसके थे पुऽ उप(न हुए अयाOत ् िशमा, शोबाब, तातान और सुलम ै ान, थे चारो अSमीएल क बेट: बतशू से उप(न हुए। 6 और ियभार, एलीशामा एलीपेलेत। 7 नेगाह, नेपेग, यापी। 8 एलीशामा, ए`यादा और एलीमेलेत, थे नौ पुऽ थे, थे सब दाऊद के पुऽ थे। 9 और इनको छोड़ रखेिलयHके भी पुऽ थे, और इनक बहन तामार यी। 10 फर सुलम ै ान का पुऽ रहबाम उप(न हुआ; रहबाम का अबयाह का आसा, आसा

का यहोशापात। 11 यहोशपात का योराम, योराम का अहGयाह, अहGयाह का योआश। 12 योआश का अमःयाह, अमःयाह का अजयाOह, अजयाOह का योताम। 13 योताम का आहाज, आहाज का हजकयाह, हजकयाह का मनँशे। 14 मनँशे का आमोन, और आमोन का योिशयाह पुऽ हुआ। 15 और योिशयाह के पुऽ उसका जेइा योहानान, दस ू रा यहोयाकम; तीसरा िसदकयाह, चौ◌ैया श`लूम। 16 और यहोयाकम का पुऽ यको(याह, इसका पुऽ िसदकयाह। 17 ओर यको(याह का पुऽ अःसीर, उसका पुऽ शालतीएल। 18 और म`कराम, पदायाह, शेनःसर, यकSयाह, होशामा और नदcयाह। 19 और पदायाह के पुऽ जdcबाबे ल और िशमी हुए; और जdcबाबेल के पुऽ मशु`लाम और हन(याह, 'जनक बह:न शलोमीत यी। 20 और हशूबा, ओहे ल, बेरे याह, हसrाह और यूशमेसेद, पांच। 21 और हन(याह के पुऽ पलयाह और यशायाह। और रपायाह के पुऽ अनाOन के पुऽ ओबrाह के पुऽ और शक(याह के पुऽ। 22 और तक(याह का पुऽ शमायाह। और शमायाह के पुऽ हूश और ियगाल, बार:ह, नायाOह और शपात, छ: । 23 और नायाOह के पुऽ ए`योएनै, हजकयाह और अळीकाम, तीन। 24 और ए`योएनै के पुऽ होदcयाह, ए`याशीब, पलायाह, अककूब, योहानान, दलायाह और अनानी, सात। 1 इितहास 4 1 यहूदा के पुऽ : पेरेस, हे ॐोन, कमीं, हूर और शोबाल। 2 और शोबाल के पुऽ : रायाह से यहत और यहत से अहूमै और लहद उप(न हुए, थे सोराई कुल हE । 3 और एताम के पता के थे पुऽ हुए : अयाOत ् ियळेल, ियँमा और ियkाश, 'जनक

बहन का नाम हःसलेलपोनी या। 4 और गदोर का पता पनूएल, और Rशा का पता एजेर। थे एूाता के जेठे हूर के स(तान हE , जो बेतलेहेम का पता हुआ। 5 और तको के पता अशहूर के हे बा और नारा नाम दो '\यां यीं। 6 और नारा से अहुGजाम, हे पेर, तेमनी और हाहशतार: उप(न हुए, नारा के थे ह: पुऽ, हुए। 7 और हे ला के पुऽ, सेरेत, ियसहर और एSनान। 8 फर कोस से आनूब और सोबेवा उप(न हुए और उसेक वंश म हाRन के पुऽ अहह ल के कुल भी उप(न हुए। 9 और याबेस अपके भइयHसे अिधक ूितvत हुआ, और उसक माता ने यह कहकर उसका नाम याबेस रखा, क मE ने इसे पीड़त होकर उप(न कया। 10 और याबेस ने इॐाएल के परमे र को यह कहकर पुकारा, क भला होता, क तू मुझे सचमुच आशीष दे ता, और मेरा दे श बढाता, और ते रा हाथ मेरे साय रहता, और तू मुझे बुराई से ऐसा बचा रखता क मE उस से पीड़त त होता ! और जो कुछ उस ने मांगा, वह परमे र ने उसे दया। 11 फर शूहा के भाई कलूब से एशतोन का पता मह:र उप(न हुआ। 12 और एशतोन के वंश म रामा का घराना, और पासेह और ईनाOहाश का पता तह(ना उप(न हुए, रे का के लोग थे ह: हE । 13 और कनज के पुऽ, ओ^ीएल और सरायाह, और ओ^ीएल का पुऽ हतत। 14 मोनोतै से ओूा और सरायाह से योआब जो गेहराशीम का पता हुआ; वे कार:गर थे। 15 और यपु(ने के पुऽ कालेब के पुऽ एला और नाम, और एला के पुऽ कनज। 16 और यह`लेल के पुऽ, जीप, जीपा, तीरया और असरे ल। 17 और एळा के पुऽ थेतेर, मेरेद, एपेर और यालोन, और उसक \ी से िमयाOम, शSमै और एशतमो का पता ियशबह उप(न हुए। 18 और उसक यहूदन \ी से गदोर का पता थेरेद, सोको के पता हे बेर और जानोह के पता यकूतीएल उप(न हुए, थे फ़रौन

क बेट: बया के पुऽ थे 'जसे मेरेद ने cयाह िलया या। 19 और होदयाह क \ी जो नहम क बहन यी, उसके पुऽ कला का पता एक गे रेमी और एशतमो का पता एक माकाई। 20 और शीमोन के पुऽ अSनोन, gर(ना, बे(हानान और तोलोन और ियशी के पुऽ जोहे त और बेनजोहे त। 21 यहूदा के पुऽ शेला के पुऽ लेका का पता एर, मारे शा का पता लादा और अशबे के घराने के कुल 'जस म

सन के कपके का काम होता या। 22 और योकम और कोजे बा के मनुंय और योआश और साराप जो मोआब म ूभुता करते थे और याशूब, लेहेम इनका वृा(त ूाचीन है । 23 थे कुSहार थे, और नताईम और गदे रा म रहते थे जहां वे राजा का कामकाज करते हुए उसके पास रहते थे। 24 िशमोन के पुऽ नमूएल, यामीन, यार:ब, जेरह और शाऊल। 25 और शाऊल का पुऽ श`लूम, श`लूम का पुऽ िमबसाम और िमबसाम का िमँमा हुआ। 26 और िमँमा का पुऽ हSमूएल, उसका पुऽ ज कूर, और उसका पुऽ िशमी। 27 िशमी के सोलह बेटे और छ: बे टयां हुई पर(तु उसके भाइयHके बहुत बेटे न हुए; और उनका सारा कुल यहूदयHके बराबर न बढ़ा। 28 वे बेशब O ा, मोलादा, हसशूआ O ल। 29 ब`हा, एसेम, तोलाद। 30 बतूएल, होमाO, िस`कग, 31 बेतमकाOबोत, हससूस O ीम, बेतबर: और शारै म म बस गए; दाऊद के राजय के समय तक उनके थे ह: नगर रहे । 32 और उनके गांव एताम, ऐन, gरSमोन, तोकेन और आशान नाम पांच नगर। 33 और बाल तक 'जतने गांव इन नगरHके आसपास थे, उनके बसने के ःयान थे ह: थे, और यह उनक वंशावली हE । 34 फर मशोबाब और यSलेक और अपःयाह का पुऽ योशा। 35 और योएल और योिशcयाह का पुऽ थेहू, जो सरायाह का पोता, और असीएल का परमोता या। 36 और ए`योएनै और याकोबा, यशोहाथाह और

असायाह और अद:एल और यसीमीएल और बनायाह। 37 और िशपी का पुऽ जीजा जो अ`लोन का पुऽ, यह यदायाह का पुऽ, यह िशॆी का पुऽ, यह शमायाह का पुऽ या। 38 थे 'जनके नाम िलख हुए हE , अपके अपके कुल म ूधान थे; और उनके पतरHके घराने बहुत बढ़ गए। 39 थे अप क भेड़-बकgरयHके िलथे चराई ढू ं ढ़ने को गदोर क घाट: क तराई क पूवO ओर तक गए। 40 और उनको उम से उम चराई िमली, और दे श लSबा-चौड़ा, चैत और शांित का या; यHक वहां के पहले रहनेवाले हाम के वंश के थे। 41 और 'जनके नाम ऊपर िलखे हE , उ(हHने यहूदा के राजा हजकयाह के दनHम वहां आकर जो मूनी वहां िमले, उनको डे रHसमेत मारकर ऐसा सयानाश कर डाला क आह तक उनका पता नह:ं है , और वे उनके ःयान म रहने लगे, यHक वहां उनक भेड़-बकgरयHके िलथे चराई यीं। 42 और उन म से अयाOत ् िशमोिनयHम से पाच सौ पुdष अपके ऊपर पलयाह, नायाOह, रपायाह और उGजीएल नाम ियशी के पुऽHको अपके ूधान ठहराया; 43 तब वे सेईद पहाड़ को गए, और जो अमेलेक बचकर रह गए थे उनको मारा, और आज के दन तब वहां रहते हE । 1 इितहास 5 1 इॐाएल का जेठा तो Rबेन या, पर(तु उस ने जो अपके पता के बछौने को अशुk कया, इस कारण जेठे का अिध कारने इॐाएल के पुऽ यूसफ ु के पुऽHको दया गया। वंशावली जेठे के अिध कारने के अनुसार नह:ं ठहर:। 2 योक यहूदा अपके भइयHपर ूबल हो गया, और ूधान उसके वंश से हुआ पर(तु जेठे का अिध कारने यूसफ ु का या। 3 इॐाएल के जेठे पुऽ Rबेन के पुऽ थे हुए, अयाOत ्

हनोक, प`लू, हे ॐोन और कमीं। 4 और योएल के पुऽ शमायाह, शमायाह का गोग, गोग का िशमी। 5 िशमी का मीका, मीका का रायाह, रायाह का बाल। 6 और बाल का पुऽ बेरा, इसको अँशूर का राजा ितलगतपलनेसेर ब(धुआई म ले गया; और वह Rबे िनयो का ूधान या। 7 और उसके भाइयHक चंशवली के िलखते यमय वे अपके अपके कुल के अनुसार थे ठहरे , अयाOत ् मु‡य तो यीएल, फर जकयाOह। 8 और अजाज का पुऽ बेला जो शेमा का पोता और योएल का परपोता या, वह अरोएर म और नबो और बा`मोन तक रहता या। 9 और पूवO ओर वह उस जंगल के िसवाने तक रहा जो परात महानद तक महंु चाता है , यHक उनके पशु िगलाद दे श म बढ़ गए थे। 10 और शऊल के दनHम उ(हHने हिमयHसे युa कया, और हमी उनके हाथ से मारे गए; तब वे िगलाद क सार: पूरबी अलंग म अपके डे रHम रहने लगे । 11 गाद: उनके साSहने स`का तक बाशान दे श म रहते थे। 12 अयाOत ् मु‡य तो योएल और दस ू रा शापाम फर यानै और शापात, थे बाशान म

रहते थे। 13 और उनके भाई अपके अपके पतरHके घरानHके अनुसार मीकाएल, मशु`लाम, शेबा, योरै , याकान, जी और एबेर, सात थे। 14 थे अबीहै ल के पुऽ थे, जो हूर: का पुऽ या, यह योराह का पुऽ, यह िगलाद का पुऽ, यह िमकाएल का पुऽ, यह यशीशै का पुऽ, यह यहदो का पुऽ, यह बूज का पुऽ या। 15 इनके पतरHके घरानHका मु‡य पूdष अcद:एल का पुऽ, और गूनी का पोता अह: या। 16 थे लोग बाशान म , िगलाद और उसके गांवHम , और शारोन क सब चराइयHम उसक परली ओर तक रहते थे। 17 इन सभHक वंशावली यहूदा के राजा योनातन के दनHऔर इॐाएल के राजा यारोबाम के दनHम िलखी गई। 18 Rबे िनयH, गादयHऔर मनँश के आधे गोऽ के योaा जो ढाल बा(धने, तलवार चलाने, और

धनुष के तीर छोड़ने के योbय और युa करना सीखे हुए थे, वे चौवालीस हजार सात सौ साठ थे, जो युa म जाने के योbय थे। 19 इ(हHने हिमयHऔर यतूर नापीश और नोदाब से युa कया या। 20 उनके वda इनको सहाथता िमली, और अमी उन सब समेत जो उनके साय थे उनके हाथ म कर दए गए, यHक युa म इ(हHने परमे र क दोहाई द: यी और उस ने उनक बनती इस कारण सुनी, क इ(हHने उस पर भरोसा रखा या। 21 और इ(हHने उनके पशु हर िलए, अयाO◌ात ् ऊंट तो पचास हजार, भेड़-बकर: अढ़ाई लाख, गदहे दो हजार, और मनुंय एक लाख ब(धुए करके ले गए। 22 और बहुत से मरे पके थे यHक वह लड़ाई परमे र क ओर से हुई। और थे उनके ःयान म ब(शुआई के समय तक बसे रहे । 23 फर मनँशे के आधे गोऽ क स(तान उस दे श म बसे, और वे बाशान से ले बा`हे मॉन, और सनीर और हे मॉन पवOत तक फैल गए। 24 और उनके पतरHके घरानHके मु‡य पुdष थे थे, अयाOत ् एपे र, ियशी, एलीएल, अळीएल, ियमOयाह, होदयाह और यहद:एल, थे बड़े वीर और नामी और अपके पतरHके घरानHके मु‡य पुdष थे। 25 और उ(हHने अपके पतरHके परमे र से व ासघात कया, और उस दे श के लोग 'जनको परमे र ने उनके साSहने से वनाश कया या, उनके दे वताओं के पीछे यिभचाgरन क नाई हो िलए। 26 इसिलथे इॐाएल के परमे र ने अँशूर के राजा पूल और अँशूर के राजा ितलग'पलनेसेर का मन उभारा, और इ(हHने उ(ह अयाOत ् RबेिनयH, गादयHऔर मनँशे के आधे गोऽ के लोगHको ब(धुआ करके हलह, हाबोर और हारा और गोजान नद: के पास पहंु चा दया; और वे आज के दन तक वह:ं रहते हE ।

1 इितहास 6 1 लेवी के पुऽ गेशॉन, कहात और मरार:। 2 और कहात के पुऽ, अॆाम, ियसहार, हे ॄोन और उGजीएल। 3 और अॆाम क स(तान हाRन, मूसा और मgरयंम, और हाRन के पुऽ, नादाब, अबीहू, एलीआज़र और ईतामार। 4 एलीआज़र से पीनहास, पीनहास से अबीशू। 5 अबीशू से बु क, बु क से उGजी। 6 उGजी से जर—ाह, जर—ाह से मरायोत। 7 मरायोत से अमयाOह, अमयाOह से अह:तूब। 8 अह:तूब से सादोक, सादोक से अह:मास। 9 अह:मास से अजयाOह, अजयाOह से योहानान। 10 और योहानान से अजयाOह, उप(न हुआ ( जो सुलम ै ान के यRशलेम म बनाए हुए भवन म याजक का काम करता या ) 11 फर अजयाOह से अमयाOह, अमयाOह से यह:तूब। 12 यह:तूब से सादोक, सादोक से श`लूम। 13 श`लूम से हलकयाह, हलकयाह से अजयाOह। 14 अजयाOह से सरायाह, और सरायाह से यहोसादाक उप(न हुआ। 15 और जब यहोवा, यहूदा और यRशलेम को नबूकदनेःसर के kारा ब(धुआ करके ले गया, तब यहोसादाक भी ब(धुआ होकर गया। 16 लेवी के पुऽ गेशॉम, कहात और मरार:। 17 और गेशॉम के पुऽHके नाम थे थे, अयाOत ् िलcनी और िशमी। 18 और कहात के पुऽ अॆाम, ियसहार, हे ॄोन और उGजीएल। 19 और मरार: के पुऽ महली और मूशी और अपके अपके पतरHके घरानHके अनुसार लेवयHके कुल थे हुए। 20 अयाOत,् गेशॉन का पुऽ िलcनी हुआ, िलcनी का यहत, यहत का 'जSमा। 21 'जSमा का योआह, योआह का इXो, इXो का जेरह, और जेरह का पुऽ यातरै हुआ। 22 फर कहात का पुऽ अSमीनादाब हुआ, अSमीनादाब का कोरह, कोरह का अःसीर। 23 अःसीर का ए`काना, ए`काना का एcयासाप, एcयासाप का अःसीर। 24 अःसीर का तहत, तहत का

ऊर:एल, ऊर:एल का उ'Gजयाह और उ'Gजयाह का पुऽ शाऊल हुआ। 25 फर ए`काना के पुऽ अमासै और अह:मोत। 26 ए`काना का पुऽ सोपै, सोपै का नहत। 27 नहत का एलीआब, एलीआब का यरोहाम, और यरोहाम का पुऽ ए`काना हुआ। 28 और शमूएल के पुऽ, उसका जेठा योएल और दस ू रा अबयाह हुआ। 29 फर मरार: का पुऽ महली, महली का िलcनी, िलcनी का िशमी, िशमी का उGजा। 30 उGजा का िशमा; िशमा का ह'bगयाह और ह'bगयाह का पुऽ असायाह हुआ। 31 फर 'जनको दाऊद ने स(दक ू के ठकाना पाने के बाद यहोवा के भवन म गाने के अिध कारनेी ठहरा दयया वे थे हE । 32 जब तब सुलम ै ान यRशलेम म

यहोवा के भवन को बनवा न चुका, तब तक वे िमलापवाले तSबू के िनवास के साSहने गाने के kारा सेवा करते थे; और इस सेवा म िनयम के अनुसार उप'ःयत हुआ करते थे। 33 जो अपके अपके पुऽHसमेत उप'ःयत हुआ करते थे वे थे हE , अयाOत ् कहाितयHम से हे मान गवैया जो योएल का पुऽ या, और योएल शमुएल का। 34 शमूएल ए`काना का, ए`काना यरोहाम का, यरोहाम एलीएल का, एलीएल तोह का। 35 तोह सूप का, सूप ए`काना का, ए`काना महत का, महत अमासै का। 36 अमासै ए`काना का, ए`काना योएल का, योएल अजयाOह का, अजयाOह सप(याह का। 37 सम(याह तहत का, तहत अःसीर का, अःसीर एcयासाप का, एटयासाप कोरह का। 38 कोरह ियसहार का, ियसहार कहात का, कहात लेवी का और लेवी इॐाएल का पुऽ या। 39 और उसका भाई असाप जो उसके दाहने खड़ा हुआ करता या वह बेरे याह का पुऽ या, और बेरे याह िशमा का। 40 िशमा मीकाएल का, मीकाएल बासेयाह का, बासेयाह म'`मयाह का। 41 म'`कयाह ए^ी का, ए^ी जे रह का, जेरह अदायाह का। 42 अदायाह एतान का,

एतान 'जSमा का, 'जSमा िशमी का। 43 िशमी यहत का, यहत गेशॉम का, गेशॉम लेवी का पुऽ या। 44 और बाई ओर उनके भाई मरार: खड़े होते थे, अयाOत ् एताव जो कशी का पुऽ या, और कशी अcद: का, अcद: म`लूक का। 45 म`लूक हशcयाह का, हशcयाह अमःया◌ाह का, अमःयाह हलकयाह का। 46 हलकयाह अमसी का, अमसी बानी का, बानी शेमेर का। 47 शेमेर महली का, महली मूशी का, मूशी मरार: का, और मरार: लेवी का पुऽ या। 48 और इनके भाई जो लेवीय थे वह परमे र के भवन के िनवास क सब ूकार क सेवा के िलथे अपOण कए हुए थे। 49 पर(तु हाRन और उसके पुऽ होपबिल क वेद:, और धूप क वेद: दोनHपर बिलदान चढ़ाते, और परम पवऽःयान का सब काम करते , और इॐाएिलयHके िलथे ूाय'_त करते थे, जैसे क परमे र के दास मूसा ने आWा◌ाएं द: यीं। 50 और हाRन के वंश म थे हुए, अयाOत ् उसका पुऽ एलीआजर हुआ, और एलीआजर का पीनहास, पीनहास का अबीशू। 51 अबीशू का बु क, बु क का उGजी, उGजी का जर—ाह। 52 जर—ाह का मरायोत, मरायोत का अमयाOह, अमयाOह का अह:तूब। 53 अह:तूब का सादोक और सादोक का अह:मास पुऽ हुआ। 54 और उनके भागHम उनक छाविनयHके अनुसार उनक ब'ःतयां थे हE , अयाOत ् कहात के कुलHम से पहली िच=ठq जो हाRन क स(तान के नाम पर िनकली। 55 अयाOत ् चारHओर क चराइयHसमेत यहूदा दे श का हे ॄोन उ(ह िमला। 56 पर(तु उस नगर के खे त और गांव यपु(ने के पुऽ कालेब को दए गए। 57 और हाRन क स(तान को शरणनगर हे ॄोन, और चराइयHसमेत िलcना, 58 और यीर और अप क अप क चराइयHसमेत एशतमो। ह:लेन, दबीर। 59 आशान और बेतशेमेश। 60 और ब(यामीन के गोऽ म से अप क अप क

चराइयHसमेत गे बा, अ`लेमेत और अनातोत दए गए। उनके घरानHके सब नगर तेरह थे। 61 और शेष कहाितयHके गोऽ के कुल, अयाOत ् मनँशे के आधे गोऽ म से िच=ठq डालकर दस नगर दए गए। 62 और गेशॉिमयHके कुलHके अनुसार उ(ह

इःसाकार, आशेर और नTाली के गोऽ, और बाशान म रहनेवाले मनँशे के गोऽ म से ते रह नगर िमले। 63 मराgरयHके कुलHके अनुसार उ(ह Rबेन, गाद और जबूलन ू के गोऽ म से िच=ठq डालकर बारह नगर दए गए। 64 और इॐाएिलयHने लेवयHको थे नगर चराइयHसमेत दए। 65 और उ(हHने यहूदयH, िशमोिनयHऔर ब(यामीिनयHके गोऽHम से वे नगर दए, 'जनके नाम ऊपर दए गए हE । 66 और कहाितयHके कई कुलHको उनके भाग के नगर एूैम के गोऽ म से िमले। 67 सो उनको अप क अप क चराइयHसमेत एूैम के पहाड़: दे श का शकेम जो शरण नगर या, फर गेजेर। 68 योकमाम, बेथेरोन। 69 अयालोन और गऽSमोन। 70 और मनँशे के आधे गोऽ म से अप क अप क चराइयHसमेत आनेर और बलाम शेष कहाितयHके कुल को िमले। 71 फर गेशॉिमयHको मनँशे के आधे गोऽ के कुल म से तो अप क अप क चराइयHसमेत बाशान का गोलान और अशतारोत। 72 और इःसाकार के गोऽ म से अप क अप क चराइयHसमेत केदे श, दाबरात। 73 रामोत और आनेम, 74 और आशेर के गोऽ म से अप क अप क चराइयHसमेत माशाल, अcदोन। 75 हूकोक और रहोब। 76 और नTाली के गोऽ म से अप क अप क चराइयHसमेत गालील का केदे श हSमोन और कयाOतैम िमले। 77 फर शेष लेवयHअयाOत ् मराgरयHको जबूलन ू के गोऽ म से तो अप क अप क चराइयHसमेत िशSमोन और ताबोर। 78 और यर:हो के पास क यरदन नद: क पूवO और Rबे न के गोऽ म से तो अप क अप क

चराइयHसमेत जंगल का बेसेर, यहसा। 79 कदे मोत और मेपाता। 80 और गाद के गोऽ म से अप क अप क चराइयHसमेत िगलाद का रामोत महनैम, 81 हे शोबोन और याजे र दए गए। 1 इितहास 7 1 इःसाकार के पुऽ तोला, पूआ, याशूब और िशॆोन, चार थे। 2 और तोला के पुऽ उGजी, रपायाह, यर:एल, यहमै, ियबसाम और शमूएल, थे अपके अपके पतरHके घरानHअयाOत ् तोला क स(तान के मु‡य पुdष और बड़े वीर थे, और दाऊद के दनHम उनके वंश क िगनती बाईस हजार छ: सौ यी। 3 और उGजी का पुऽ ियळ—ाह, और ियळ—ाह के पुऽ मीकाएल, ओबrाह, योएल और िय'ँशयह पांच थे; थे सब मु‡य पुdष थे। 4 और उनके साय उनक वंशाविलयHऔर पतरHके घरानHके अनुसार सेना के दलHके छीस हजार योaा थे; यHक उनके बहुत '\यां और पुऽ थे। 5 और उनके भाई जो इःसाकार के सब कुलHम से थे, वे सासी हजार बड़े वीर थे, जो अप क अप क वंशावली के अनुसार िगने गए। 6 ब(यामीन के पुऽ बेला, बेकेर और यद:एल थे तीन थे। 7 बे ला के पुऽ : एसबोन, उGजी, उGजीएल, यर:मोत और ईर: थे पांच थे। थे अपके अपके पतरHके घरातHके मु‡य पुdष और बड़े वीर थे, और अप क अप क वंशाबली के अनुसार उनक िगनती बाईस हजार चxतीस यी। 8 और बेकेर के पुऽ : जमीरा, योआश, बलीएजेर, ए`योएनै, ओॆी, यरे मोत, अबयाह, अनातोत और आलेमेत थे सब बेकेर के पुऽ थे। 9 थे जो अपके अपके पतरHके घरानHके मु‡य पुdष और बड़े वीर थे, इनके वंश क िगनती अप क अप क वंशावली के

अनुसार बीस हजार दो सौ यी। 10 और यद:एल का पुऽ ब`हान, और ब`हान के पुऽ, यूश, ब(यामीन, एहूद, कनाना, जेतान, तशींश और अह:शहर थे। 11 थे सब जो यद:एल क स(तान और अपके अपके पतरHके घरानHम मु‡य पुdष और बड़े वीर थे, इनके वंश से सेना म युa करने के याbय सऽह हजार दो सौ पुdष थे। 12 और ईर के पुऽ शु€पीम और हु€पीम और अहे र के पुऽ हूशी थे। 13 नTाली के पुऽ, एहसीएल, गूनी, थेसेर और श`लूम थे, थे ब`हा के पोते थे। 14 मनँशे के पुऽ, अॐीएल जो उसक अरामी रखेली \ी से उप(न हुआ या; और उस अरामी \ी ने िगलाद के पता माकर को भी ज(म दया। 15 और माकर ( जसक बहन का नाम माका या ) उस ने हु€पीम और शु€पीम के िलथे '\यां cयाह लीं, और दस ू रे का नाम सलोफाद या, और सलोफाद के बे टयां हुई। 16 फर माकर क \ी माका के एक पुऽ उप(न हुआ और उसका नाम पेरेश रखा; और उसके भाई का नाम शेरेश या; और इसके पुऽ ऊलाम और राकेम थे। 17 और ऊलाम का पुऽ बदान। थे िगलाद क स(तान थे जो माकर का पुऽ और मनँशे का पोता या। 18 फर उसक बहन हSमोलेकेत ने ईशहोद, अबीएजेर और महला को ज(म दया। 19 और शमीदा के पुऽ अ—ान, शेकेम, िलखी और अनीआम थे। 20 और एूैम के पुऽ शूतेलह और शूतेलह का बे रेद, बे रेद का तहत, तहत का एलादा, एलादा का तहत। 21 तहत का जाबाद और जाबाद का पुऽ शूतेलह हुआ, और थेजेर और एलाद भी 'ज(ह गत के मनुंयHने जो उस दे श म उप(न हुए थे इसिलथे घात कया, क वे उनके पशु हर लेने को उतर आए थे। 22 सो उनका पता एूैम उनके िलथे बहुत दन शोक करता रहा, और उसके भाई उसे शांित दे ने को आए। 23 और वह अप क प^ी के पास गया, और उस ने गभOवती होकर एक पुऽ को

ज(म दया और बूैम ने उसका नाम इस कारण बर:आ रखा, क उसके घराने म

वप प क यी। 24 (और उसक पुऽी शेरा यी, 'जस ने िनचले और ऊपरवाले दोनHबेयोरान नाम नगरHको और उGजे नशेरा को lढ कराया। ) 25 उौर उसका पुऽ रे पा या, और रे शेप भी, और उसका पुऽ ते लह, तेलह का तहन, तहन का लादान, 26 लादान का अSमीहूद, अSमीहूद का एलीशामा। 27 एलीशमा का नून, और नून का पुऽ यहोशू या। 28 और उनक िनज भूिम और ब'ःतयां गांवHसमेत बे तेल और पूवO क ओर नारान और प'_म क ओर गांवHसमेत गे जेर, फर गांवHसमेत शकेम, और गांवHसमेत अGजा यीं। 29 और मनँशेइयHके िसवाने के पास अपके अपके गांवHसमेत बेतशान, तानाक, मिगXो और दोर। इन म इॐाएल के पुऽ युसफ ु क स(तान के लोग रहते थे। 30 आशेर के पुऽ, ियSना, िय ा, िय ी और बdीआ, और उनक बहन सेरह हुई। 31 और बर:आ के पुऽ, हे बेर और म`कएल और यह बजॉत का पता हुआ। 32 और हे बेर ने यपकेत, शोमेर, होताम और उनक बहन शूआ को ज(म दया। 33 और यपकेत के पुऽ पासक बSहाल और अ ात। यपकेत के थे ह: पुऽ थे। 34 और शेमेर के पुऽ, अह:, रोहगा, यहुcबा और अराम थे। 35 और उसके भाई हे लेम के पुऽ सोपह, ियSना, शेलेश और आमाल थे। 36 और सोपह के पुऽ, सूह, हनपेर, शूआल, वेर:, इॆा। 37 बेसेर, होद, शSमा, िशलसा, ियऽान और बेरा थे।। 38 और थेतेर के पुऽ, यपु(ने, पःपा और अरा। 39 और उ`ला के पुऽ, आरह, ह(नीएल और gरःया। 40 थे सब आशेर के वुश म

हुए, और अपके अपके पतरHके घरानHम मु‡य पुdष और बड़े से बड़े वीर थे और ूधानHम मु‡य थे। और थे जो अप क अप क वंशावली के अनुसार सेना म

युa करने के िलथे िगने गए, इनक िगनती छcबीस हजार यी।

1 इितहास 8 1 ब(यामीन से उसका जेठा बेला, दस ू रा अशबे ल, तीसरा अ॑ृह, 2 चौया नोहा और पांचवां रापा उप(न हुआ। 3 और बेला के पुऽ, अXार, गेरा, अबीहूद। 4 अबीशू, नामान, अहोह, 5 गेरा, शपूपान और हूराम थे। 6 और एहूद के पुऽ थे हुए ( गे बा के िनवािसयHके पतरHके घरानHम मु‡य पुdष थे थे, 'ज(ह ब(धुआई म

मानहत को ले गए थे ) । 7 और नामान, अहयाह और गेरा ( इ(ह भी ब(धुआ करके मानहत को ले गए थे ), और उस ने उGजा और अहलूद को ज(म दया। 8 और शहरै म से हशीम और बारा नाम अप क '\यHको छोड़ दे ने के बाद मोआब दे श म लड़के उप(न हुए। 9 और उसक अप क \ा◌ी होदे श से योआब, िसcया, मेशा, म`काम, यूस, सो या, 10 और िममाO उप(न हुए उसके थे पुऽ अपके अपके पतरHके घरानHम मु‡य पुdष थे। 11 और हूशीम से अबीतूब और ए`पाल का ज(म हुआ। 12 ए`पाल के पुऽ एबेर, िमशाम और शेमेर, इसी ने ओनो और गांवHसमेत लोद को बसाया। 13 फर वर:आ और शेमा जो अयालोन के िनवािसयHके पतरHके घरानHम मु‡य पुdष थे, और 'ज(हHने गत के िनवािस कH भगा दया। 14 और अ—ो, हा◌ासक, यरमोत। 15 जबrाह, अराद, एदे र। 16 मीकाएल, ियःपा, योहा, जो बी'◌आ के पुऽ थे। 17 जबrाह, मशु`लाम, हजक, हे बर। 18 ियशमरै , ियजलीआ, योबाब, जो ए`पाल के पुऽ थे। 19 और याकम, 'जब, जcद:। 20 एलीएनै, िस`लतै, एलीएल। 21 अदायाह, बरायाह और िशॆात जो िशमी के पुऽ थे। 22 और ियशपान, यबेर, एलीएल। 23 अcदोन, 'जब,हानान। 24 हन(याह, एलाम, अ(तोितयाह। 25 ियपदयाह और पनूएल जो शाशक के पुऽ थे। 26 और शमशरै , शहयाOह, अत`याह। 27 योरे ँयाह,

एिलयाह और 'जब जो यरोहाम के पुऽ थे। 28 थे अप क अप क पीढ़: म

अपके अपके पतरHके घरानHम मु‡य पुdष और ूधान थे, थे यRशलेम म रहते थे। 29 और िगबोन म िगबोन का पता रहता या, 'जसक प^ी का ताम माका या। 30 और उसका जेठा पुऽ अcदोन या, फर शूर, कश, बाल, नादाब। 31 गदोर; अ—ो और जेकेर हुए। 32 और िमकोत से िशमा उप(न हुआ। और थे भी अपके भइयHके साSहने यRशलेम म रहते थे, अपके भाइयHह: के साय। 33 और नेर से कश उप(न हुआ, कश से शाऊल, और शाऊल से योनातान, मलकश, अबीनादाब, और एशबाल उप(न हुआ। 34 और योनातन का पुऽ मर:cबाल हुआ, और मर:cबाल से मीका उप(न हुआ। 35 और मीका के पुऽ पीतोन, मेलेक, तारे और आहाज। 36 और आहाज से यहोअXा उप(न हुआ। और यहोअXा से आलेमेत, अजमावे त और 'जॆी; और 'जॆी से मोसा। 37 मोसा से बना उप(न हुआ। और इसका पुऽ रापा हुआ, रापा का एलासा और एलासा का पुऽ आसेल हुआ। 38 और आसेल के छ: पुऽ हुए 'जनके थे नाम थे, अयाOत ् अळीकाम, बोकR, ियँमाएल, शायाOह, ओबrाह, और हानान। थे ह: सब आसेल के पुऽ थे। 39 ओर उसके भाई एशेक के थे पुऽ हुए, अयाOत ् उसका जेठा ऊलाम, दस ू रा यूशा, तीसरा एलीपेलेत। 40 और ऊलाम के पुऽ शूरवीर और धनुधाOर: हुए, और उनके बहुत बेटे-पोते अयाOत ् डे ढ़ सौ हुए। थे ह: सब ब(यामीन के वंश के थे। 1 इितहास 9 1 इस ूकार सब इॐाएली अप क अप क वंशावली के अनुसार, जो इॐाएल के राजाओं के वृा(त क पुःतक म िलखी हE , िगने गए। और यहूद: अपके

व ासघात के कारण ब(धुआई म बाबुल को पहंु चाए गए। 2 जो लोग अप क अप क िनज भूिम अयाOत ् अपके नगरHम रहते थे, वह इॐाएली, याजक, लेवीय और नतीन थे। 3 और यRशलेम म कुछ यहूद:; कुछ ब(यामीन, और कुछ एूैमी, और मनँशेई, रहते थे : 4 अयाOत ् यहूदा के पुऽ पेरेस के वंश म से अSमीहूद का पुऽ ऊतै, जो ओॆी का पुऽ, और इॆी का पोता, और बानी का परपोता या। 5 और शीलोइयHम से उसका जे ठा पुऽ असायाह और उसके पुऽ। 6 और जेरह के वंश म से यूएल, और इनके भई, थे छ: सौ नcबे हुए। 7 फर ब(यामीन के वंश म से स`लू जो मशु`लाम का पुऽ, होदयाह का पोता, और हःसनूआ का परपोता या। 8 और ियॄयाह जो यरोहाम का पुऽ या, एला जो उGजी का पुऽ, और िमब का पोता या, और मशु`लाम जो शपयाह का पुऽ, Rएल का पोता, और िय'cनयाह का परपोता या; 9 और इनके भाई जो अप क अप क वंशावली के अनुसार िमलकर नौ सौ छ€पन। थे सब पुdष अपके अपके पतरHके घरानHके अनुसार पतरHके घरानHम मु‡य थे। 10 और याजकHम से यदायाह, यहोयार:ब और याकन, 11 और अजयाOह जो परमे र के भवन का ूधान और हलकयाह का पुऽ या, यह पशु`लाम का पुऽ, यह सादोक का पुऽ, यह मरायोत का पुऽ, यह अह:तूब का पुऽ या। 12 और अदायाह जो यरोहाम का पुऽ या, यह पशहूर का पुऽ, यह म'`कयाह का पुऽ, यह मासै का पुऽ, यह अदोएल का पुऽ, यह जेरा का पुऽ, यह पशु`लाम का पुऽ, यह मिश`लीत का पुऽ, यह इSमेर का पुऽ या। 13 और उनके भाई थे, जो अपके अपके पतरHके घरानHम

सऽह सौ साठ मु‡य पुdष थे, वे परमे र के भवन क सेवा के काम म बहुत िनपुण पुdष थे। 14 फर लेवयHम से मरार: के वंश म से शमायाह जो हँशूव का

पुऽ, अळीकाम का पोता, और हशयाह का परपोता या। 15 और बकब कर, हे रेश और गालाल और आसाप के वंश म से म(याह जो मीका का पुऽ, और 'जब का पोता या। 16 और ओबrाह जो शमायाह का पुऽ, गालाल का पोता और यदत ू ून का परपोता या, और बेरे याह जो आसा का पुऽ, और ए`काना का पोता या, जो नतोपाइयHके गांवHम रहता या। 17 ओर kारपालHम से अपके अपके भइयHसहत श`लूम, अ कूब, त`मोन और अह:मान, उन म से मु‡य तो श`लूम या। 18 और वह अब तक पूवO ओर राजा के फाटक के पास kारपाली करता या। लेवयHक छावनी के kारपाल थे ह: थे। 19 और श`लूम जो कोरे का पुऽ, एcयासाप का पोता, और कोरह का परपोता या, और उसके भाई जो उसके मूलपुdष के घराने के अयाOत ् कोरह: थे, वह इस काम के अिध कारनेी थे, क वे तSबू के kारपाल हH। उनके पुरखा तो यहोवा क छावनी के अिध कारनेी, और पैठाव के रवावाले थे। 20 और अगले समय म एलीआज़र का पुऽ पीनहास 'जसके संग यहोवा रहता या वह उनका ूधान या। 21 मेशेलेSयाह का पुऽ जकयाOह िमलापवाले तSबू का kारपाल या। 22 थे सब जो kारपाल होने को चुने गए, वह दो सौ बारह थे। थे 'जनके पुरखाओं को दाऊद और शमूएल दशीं ने व ासयोbय जानकर ठहराया या, वह अपके अपके गांव म अप क अप क वंशावली के अनुसार िगने गए। 23 सो वे और उनक स(तान यहोवा के भवन अयाOत ् तSबू के भवन के फाटकHका अिध कारने बार: बार: रखते थे। 24 kारपाल पूव,O प'_म, उर, द' खन, चारHदशा क ओर चौक दे ते थे। 25 ओर उनके भाई जो गांवHम रहते थे, उनको सात सात दन के बाद बार: बार: से उनके संग रहने के िलथे आना पड़ता या। 26 यHक चारHूधान kारपाल जो लेवीय थे, वे

व ासयोbय जानकर परमे र के भवन क कोठgरयHऔर भ+डारHके अिध कारनेी ठहराए गए थे। 27 और वे परमे र के भवन के आसपास इसिलथे रात बताते थे, क उसक रझा उ(ह सxपी गई यी, और भोर-भोर को उसे खोलना उ(ह:ं का काम या। 28 और उन म से कुछ उपासना के पाऽHके अिध कारनेी थे, यHक थे िगनकर भीतर पहंु चाए, और िगनकर बाहर ितकाले भी जाते थे। 29 और उन म से कुछ सामान के, और पवऽःयान के पाऽHके, और मैदे, दाखमधु, तेल, लोबान और सुग(धियHके अिध कारनेी ठहराए गए थे। 30 और याजकHके पुऽHम से कुछ सुग(धियHम गंधी का काम करते थे। 31 और मितयाह नाम एक लेवीय जो कोरह: श`लूम का जेठा या उसे ब ासयोbय जानकर तवHपर बनाई हुई वःतुओं का अिध कारनेी िनयुf कया या। 32 और उसके भइयHअयाOत कहाितयHम से कुछ तो भंटवाली रोट: के अिध कारनेी थे, क हर एक वौमदन को उसे तैयार कया कर । 33 और थे गवैथे थे जो लेवीय पतरHके घरानHम मु‡य थे, और कोठgरयHम रहते, और उा◌ौर काम से छूटे थे; यHक वे रात-दन अपके काम म लगे रहते थे। 34 थे ह: अप क अप क पीढ़: म लेवयHके पतरHके घरानHम मु‡य पुdष थे, थे यRशलेम म रहते थे। 35 और िगबोन म िगबोन का पता यीएल रहता या, 'जसक प^ी का नाम माका य। 36 उसका जेठा पुऽ अcदोन हुआ, फर सुर, कश, बाल, नेर, नादाब। 37 गदोर, अ—ो, जकयाOह और िम`कोत। 38 और िम`कोत से िशमाम उप(न हुआ और थे भी अपके भइयHके साSहने अपके भइयHके संग यRशलेम म रहते थे। 39 और नेर से कश, कश से शाऊल, और शाऊल से योनातान, म`कश, अबीनादाब और एशबाल उप(न हुए। 40 और योनातान का पुऽ मर:cबाल हुआ, और मर:cबाल

से मीका उप(न हुआ। 41 और मीका के पुऽ पीतोन, मेलेक, त॑े और अहाज थे। 42 और अहाज से यारा और यारा से आलेमेत, अजमावे त और 'जॆी, और 'जॆी से मोसा। 43 और मोसा से बना उप(न हुआ और बना का पुऽ रपायाह हुआ, रपायाह का एलासा, और एलासा का पुऽ आसेल हुआ। 44 और आसेल के छ: पुऽ हुए 'जनके थे नाम थे, अयाOत ् अळीकाम, बोकR, ियँमाएल, शायाOह, ओबrाह और हतान; आसेल के थे ह: पुऽ हुए। 1 इितहास 10 1 पिलँती इॐाएिलयHसे लड़े ; और इॐाएली पिल'ँतयHके साSहने से भागे, और िगलबो नाम पहाड़ पर मारे गए। 2 और पिलँती शाऊल और उसके पुऽHके पीछे लगे रहे , और पिल'ँतयHने शाऊल के पुऽ योनातान, अबीनादाब और म`कशू को मार डाला। 3 और शाऊल के साय धमासान युa होता रहा और धनुधाOgरयHने उसे जा िलया, और वह उनके कारण याकुल हो गया। 4 तब शाऊल ने अपके हिययार ढोनेवाले से कहा, अप क तलवार खींचकर मुझे फHक दे , कह:ं ऐसा न हो क वे खतनारहत लोग आकर मेर: ठ=ठा कर , पर(तु उसके हया'◌र ढोनेवाले ने भयभीत होकर ऐसा करने से इनकार कया, तब शाऊल अप क तलवार खड़: करके उस पर िगर पड़ा। 5 यह दे खकर क शाऊल मर गया है उसका हिययार ढोनेपसल भी अप क तलवार पर आप िगरकर मर गया। 6 यHशाऊल और उसके तीनHपुऽ, और उसके घराने के सब लोग एक संग मर गए। 7 यह दे खकर क वे भाग गए, और शाऊल और उसके पुऽ मर गए, उस तराई म

रहनेवाले सब इॐाएली मनुंय अपके अपके नगर को छोड़कर भाग गए; और

पिलँती आकर उन म रहने लगे। 8 दस ू रे दन जब पिलँती मारे हुओं के माल को लूटने आए, तब उनको शाऊल और उसके पुऽ िगलबो पहाड़ पर पके हुए िमले। 9 तब उ(हHने उसके व\ को उतार उसका िसर और हिययार ले िलया और पिल'ँतयHके दे श के सब ःयानHम दत ू Hको इसिलथे भेजा क उनके दे वताओं और साधारण लोगHम यह शुभ समाचार दे ते जाएं। 10 तब उ(हHने उसके हिययार अपके दे वालय म रखे , और उसक खोप क को दागोन के म'(दर म लटका दया। 11 जब िगलाद के याबेश के सब लोगHने सुना क पिल'ँतयHने शाऊल से या या कया है । 12 तब सब शूरवीर चले और शाऊल और उसके पुऽHक लोथ

उठाकर याबेश म ले आए, और उनक ह']डयHको याबेश म एक बांज वृझ के तले गाड़ दया और सात दन तक अनशन कया। 13 यHशाऊल उस व ासघात के कारण मर गया, जो उस ने यहोवा से कया या; यHक उस ने यहोवा का वचन टाल दया या, फर उस ने भूतिसa करनेवाली से पूछकर सSमित ली यी। 14 उस ने यहोवा से न पूछा या, इसिलथे यहोवा ने उसे मारकर राGय को ियशै के पुऽ दाऊद को दे दया। 1 इितहास 11 1 तब सब इॐाएली दाऊद के पास हे ॄोन म इक=ठे होकर कहने लगे, सुन, हम लोग और तू एक ह: ह]ड: और मांस हE । 2 अगले दनHम जब शाऊल राजा या, तब भी इॐाएिलयHका अगुआ तू ह: या, और तेरे परमे र यहोवा ने तुझ से कहा, क मेर: ूजा इॐाएल का चरवाहा, और मेर: ूजा इॐाएल का ूधान, तू ह: होगा। 3 इसिलथे सब इॐाएली पुरिनथे हे ॄोन म राजा के पास उाए, और दाऊद ने उनके

साय हे ॄोन म यहोवा के साSहने वाचा बा(धी; और उ(हHने यहोवा के वचन के अनुसार, जो उस ने शमूएल से कहा या, इॐाएल का राजा होने के िलथे दाऊद का अिभषेक कया। 4 तब सब इॐाएिलयHसमेत दाऊद यRशलेम गया, जो यबूस भी कहलाता या, और वहां यबूसी नाम उस दे श के िनवासी रहते थे। 5 तब यबूस के िनवािसयHने दाऊद से कहा, तू यहां आने नह:ं पाएगा। तौभी दाऊद ने िसयोन नाम गढ़ को ले िलया, वह: दाऊदपुर भी कहलाता है । 6 और दाऊद ने कहा, जो कोई यबूिस कH सब से पहले मारे गा, वह मु‡य सेनापित होगा, तब सRयाह का पुऽ योआब सब से पहले चढ़ गया, और सेनापित बन गया। 7 और दाऊद उस गढ़ म रहने लगा, इसिलथे उसका नाम दाऊदपुर पड़ा। 8 और उस ने नगर के चारHओर, अयाOत ् िम`लो से लेकर चारHओर शहरपनाश ् बनवाई, और योआब ने शेष नगर के खंडहरHको फर बसाया। 9 और दाऊद क ूितvा अिधक बढ़ती गई और सेनाओं का यहोवा उसके संग या। 10 यहोवा ने इॐाएल के वंय जो वचन कहा या, उसके अनुसार दाऊद के 'जन शूरवीरHने सब इॐाएिलयHसमेत उसके राGय म उसके पझ म होकर, उसे राजा बनाने को ज़ोर दया, उन म से मु‡य पुdष थे हE । 11 दाऊद के शूरवीरHक नामावली यह है , अयाOत ् कसी ह मोनी का पुऽ याशोबाम जो तीसHम मुखय य, उस ने तीन सै पुdषHपर भाला चला कर, उ(ह एक ह: समय म मार डाला। 12 उसके बाद अहोह: दोदो का पुऽ एलीआज़र जो तीनHमहान वीरHम से एक या। 13 वह पसदSमीम म जहां जव का एक खेत या, दाऊद के संग रहा जब पिलँती वहां युa करने को इा=ठे हुए थे, और लोग पिल'ँतयHके साSहने से भाग गए। 14 तब उ(हHने उस खे त के बीच म

खड़े होकर उसक रझा क, और पिल'ँतयHको मारा, और यहोवा ने उनका बड़ा

उaार कया। 15 और तीसHमु‡य पुdषHम से तीन दाऊद के पास च=टान को, अयाOत ् अद` ु लाम नाम गुफा म गए, और पिल'ँतयHक छावनॉं रपाईम नाम तराई म प क इुई यी। 16 उस समय दाऊद गढ़ म या, और उस समय पिल'ँतयHक एक चौक बेतलेहेम म यी। 17 तब दाऊद ने बड़: अिभलाषा के साय कहा, कौन मुझे बेतलेहेम के फाटक के पास के कुएं का पानी पलाएगा। 18 तब वे तीनHजन पिल'ँतयHक छावनी म टू ट पके और बेतलेहेम के फाटक के कुएं से पानी भरकर दाऊद के पास ले आए; पर(तु दाऊद ने पीने से इनकार कया और यहोवा के साSहने अधO करके उ+डे ला। 19 और उस ने कहा, मेरा परमे र मुझ से ऐसा करना दरू रखे; या मE इन मनुंयHका लोहू पीऊं 'ज(हHने अपके ूाणHपर खेला है ? थे तो अपके ूाण पर खेलकर उसे ले आए हE । इसिलथे उस ने वह पानी पीने से इनकार कया। इन तीन वीरHने थे ह: काम कए। 20 और अबीशै जो योआब का भाई या, वह तीनHम मु‡य या। और उस ने अपना भाला चलाकर तीन सौ को मार डाला और तीनHम नामी हो गया। 21 दस ू र: ौ ्◌ेणी के तीनHम वह अिधक ूितvत या, और उनका ूधान हो गया, पर(तु मु‡य तीनHका पद को न पहंु चा। 22 यहोयादा का पुऽ बनायाह या, जो कबजेल के एक वीर का पुऽ या, 'जस ने बड़े बड़े काम कए थे, उस ने िसंह समान दो मोआबयHको मार डाला, और हमऋतु म उस ने एक गड़हे म उतर के एक िसंह को मार डाला। 23 फर उस ने एक ड:लवाले अयाOत ् पांच हाथ लSबे िमॐी पुdष को मार डाला, वह िमॐी हाथ म जुलाहHका ढे का का एक भाला िलए हुए या, पर(तु बनायाह एक लाठq ह: िलए हुए उसके पास गया, और िमॐी के हाथ से भाले को छqनकर उसी के भाले से उसे घात कया। 24 ऐसे ऐसे काम करके

यहोयादा का पुऽ बनायाह उन तीनHवीरHम नामी हो गया। 25 वह तो तीसHसे अिधक ूितvत या, पर(तु मु‡य तीनHके पद को न पहुंचा। उसको दाऊद ने अप क िनज सभा म सभासद कया। 26 फर दलHके वीर थे थे, अयाOत ् योआब का भाई असाहे ल, बेतलेहेमी दोदो का पुऽ ए`हानान। 27 हरोर: शSमोत, पलोनी हे लेस। 28 तकोई इ केश का पुऽ ईरा, अनातोती अबीएजेर। 29 िसcबके होसाती, अहोह: ईलै। 30 महरै नतोपाई, एक और नतोपाई बाना का पुऽ हे लेद। 31 ब(यामीिनयHके िगबा नगरवासी र:बै का पुऽ इतै, परातोनी बनायाह। 32 गाशके नालHके पास रहनेवाला हूरै, अराबावासी अबीएल। 33 बहूर:मी अजमावेत, श`बोनी ए`यहबा। 34 गीजोई हाशेम के पुऽ, फर हरार: शागे का पुऽ योनातान। 35 हरार: सकार का पुऽ अह:आम, ऊर का पुऽ एलीपाल। 36 मकेराई हे पेर, पलोनी अहयाह। 37 कमली हे ॐो, एGबै का पुऽ नारै । 38 नातान का भाई योएल, हमी का पुऽ िमभार। 39 मSमोनी सेलेक, बेरोती नहरै जो सRयाह के पुऽ योआब का हिययार ढोनेवाला या। 40 थेतेर: ईरा और गारे ब। 41 ही ऊgरयाह, अहलै का पुऽ जाबाद। 42 तीस पुdषHसमेत Rबेनी शीजा का पुऽ अद:ना जो RबेिनयHका मु'खया या। 43 माका का पुऽ हानान, मेतेनी योशापात। 44 अशतारोती उ'Gजयाह, अरोएर: होताम के पुऽ शामा और यीएल। 45 िशॆी का पुऽ यद:एल और उसका भाई तीसी, योहा। 46 महवीमी एलीएल, एलनाम के पुऽ यर:बै और योशयाह, 47 मोआबी ियमा, एलीएल, ओबेद और मसोबाई यासीएल। 1 इितहास 12

1 जब दाऊद िसकलग म कश के पुऽ शाऊल के डर के मारे िछपा रहता या, तब थे उसके पास वहां आए, और थे उन वीरHम से थे जो युa म उसके सहाथक थे। 2 थे धनुधाOर: थे, जो दाहने-बाथ , दोनHहाथHसे गोफन के पयर और धनुष के तीर चला सकते थे; और थे शाऊल के भाइयHम से ब(यामीनी थे। 3 मु‡य तो अह:एजेर और दस ू रा योआश या जो िगबावासी शमाआ का पुऽ या; फर अजमावेत के पुऽ यजीएल और पेलेत, फर बराका और अनातोती थेहू। 4 और िगबोनी ियशमायाह जो तीसHम से एक वीर और उनके ऊपर भी या; फर ियमOयाह, यहजीएल, योहानान, गदे रावासी योजाबाद। 5 एलूजै, यर:मोत, बा`याह, शमयाOह, हाRपी शपयाह। 6 ए`काना, ियिशयाह, अजरे ल, योएजेर, याशोबाम, जो सब कोरहवंशी थे। 7 और गदोरवासी यरोहाम के पुऽ योएला और जबrाह। 8 फर जब दाऊद जंबल के गढ़ म रहता या, तब थे गाद: जो शूरवीर थे, और युa वrा सीखे हुए और ढाल और भाला काम म लानेवाले थे, और उनके मुह िसंह के से और वे पहाड़: मृग के समान वेग से दौड़नेवाले थे, थे और गादयHसे अलग होकर उसके पास आए। 9 अयाOत ् मु‡य तो एजेर, दस ू रा ओबrाह, तीसरा एलीआब। 10 चौया िमँम(ना, पांचपां ियमOयाह। 11 छठा अै, सातवां एलीएल। 12 आठवां योहानान, नौवां एलजाबाद। 13 दसवां ियमOयाह और bयारहवां मकब(नै या। 14 थे गाद: मु‡य योaा थे, उन म से जो सब से छोटा या वह तो एक सौ के ऊपर, और जो सब से बड़ा या, वह हजार के ऊपर या। 15 थे ह: वे हE , जो पहले मह:ने म जब यरदन नद: सब कड़ाड़Hके ऊपर ऊपर बहती यी, तब उसके पार उतरे ; और पूवO और प'_म दानHओर के सब तराई के रहनेवालHको भगा दया। 16 और कई एक ब(यामीनी और यहूद: भी दाऊद के पास गढ़ म

आए। 17 उन से िमलने को दाऊद िनकला और उन से कहा, यद तुम मेरे पास िमऽभाव से मेर: सहाथता करने को आए हो, तब तो मेरा मन तुम से लगा रहे गा; पर(तु जो तुम मुझे धोखा दे कर मेरे शऽुओं के हाथ पकड़वाने आए हो, तो हमारे पतरHका परमे र इस पर l करके डांटे, यHक मेरे हाथ से कोई उपिव नह:ं हुआ। 18 अब आमा अमासै म समाया, जो तीसHवीरHम मु‡य या, और उस ने कहा, हे दाऊद ! हम तेरे हE ; हे ियशै के पुऽ ! हम ते र: ओर के हE , ते रा कुशल ह: कुशल हो और तेरे सहाथकHका कुशल हो, यHक तेरा परमे र तेर: सहाथता कया करता है । इसिलथे दाऊद ने उनको रख िलया, और अपके दल के मु'खथे ठहरा दए। 19 फर कुछ मनँशेई भी उस समय दाऊद के पास भाग गए, जब वह पिल'ँतयHके साय होकर शाऊल से लड़ने को गया, पर(तु उसक कुछ सहाथता न क, यHक पिल'ँतयHके सरदारHने सSमित लेने पर वह कहकर उसे बदा कया, क वह हमारे िसर कटवाकर अपके ःवामी शाऊल से फर िमल जाएगा। 20 जब वह िस लग को जा रहा या, तब थे मनँशेई उसके पास भाग गए; अयाOत ् अदना, योजाबाद, यद:एल, मीकाएल, योजाबाद, एलीहू और िस`लतै जो मनँशे के हजारHके मु'खथे थे। 21 इ(हHने लुटेरHके दल के वda दाऊद क सहाथता क, यHक थे सब शूरवीर थे, और सेना के ूधान भी बन गए। 22 वरन ूितदन लोग दाऊद क सहाथता करने को उसके पास आते रहे , यहां तक क परमे र क सेना के समान एक बड़: सेना बन गई। 23 फर लोग लड़ने के िलथे हिययार बा(धे हुए होॄोन म दाऊद के पास इसिलथे आए क यहोवा के वचन के अनुसार शाऊल का राGय उसके हाथ म कर द : उनके मु'खयHक िगनती यह है । 24 यहूदा के ढाल और भाला िलए हुए छ: हजार आठ सौ हिययारब(ध लड़ने को

बाए। 25 िशमोनी सात हजार एक सौ तैयार शूरवीर लड़ने को आए। 26 लेवीय चार हजार छ: सौ आए। 27 और हाRन के घराने का ूधान यहोयादा या, और उसके साय तीन हजार सात सौ आए। 28 और सादोक नाम एक जवान वीर भी आया, और उसके पता के घराने के बाईस ूधान आए। 29 और शाऊल के भाई ब(यामीिनयHम से तीन हजार आए, यHक उस समय तक आधे ब(यामीिनयHसे अिधक शाऊल के घराने का पझ करते रहे । 30 फर एूैिमयHम

से बड़े वीर और अपके अपके पतरHके घरानHम नामी पुdष बीस हजार आठ सौ आए। 31 और मनँशे के आधे गोऽ म से दाऊद को राजा बनाने के िलथे अठारह हजार आए, 'जनके नाम बताए गए थे। 32 और इःसाकाgरयHम से जो समय को पहचानते थे, क इॐाएल को या करना उिचत है , उनके ूधान दो सौ थे; और उनके सब भाई उनक आWा म रहते थे। 33 फर जबूलन ू म से युa के सब ूकार के हिययार िलए हुए लड़ने को पांित बा(धनेवाले योaा पचास हजार आए, वे पांित बा(~नेवाले थे : और चंचल न थे। 34 फर नTाली म से ूधान तो एक हजार, और उनके संग ढाल और भाला िलए सEतीस हजार आए। 35 और दािनयHम से लड़ने के िलथे पांित बा(धनेवाले अठाईस हजार छ: सौ आए। 36 और आशेर म से लड़ने को पांित बा(धनेवाले चालीस हजार योaा आए। 37 और यरदन पार रहनेवाले Rबेनी, गाद: और मनँशे के आधे गोऽयHम से युa के सब ूकार के हिययार िलए हुए एक लाख बीस हजार आए। 38 थे सब युa के िलथे पांित बा(धनेवाले दाऊद को सारे इॐाएल का राजा बनाने के िलथे हे ॄोन म स.चे मन से आए, और और सब इॐाएली भी दाऊद को राजा बनाने के िलथे सहमत थे। 39 और वे वहां तीन दन दाऊद के संग खाते पीते रहे , यHक उनक भाइयHने

उनके िलथे तैयार: क यी। 40 और जो उनके िनकट वरन इःसाकार, जबूलन ू और नTाली तक रहते थे, वे भी गदहH, ऊंटH, ख.चरHऔर बैलHपर मैदा, अंजीरHऔर कशिमश क टकयां, दाखमधु और तेल आद भोजनवःतु लादकर लाए, और बैल और भेड़-बकgरयां बहुतायत से लाए; यHक इॐाएल म आन(द मनाया जारहा या। 1 इितहास 13 1 और दाऊद ने सह\पितयH, शतपितयHऔर सब ूधानHसे सSमित ली। 2 तब दाऊद ने इॐाएल क सार: म+डली से कहा, यद यह तुम को अ.छा लगे और हमारे परमे र क इ.छा हो, तो इॐाएल के सब दे शHम जो हमारे भाई रह गए हE और उनके साय जो याजक और लेवीय अपके अपके चराईवाले नगरHम रहते हE , उनके पास भी यह कहला भेज क हमारे पास इक=ठे हो जाओ। 3 और हम अपके परमे र के स(दमक को अपके यहां ले आएं; यHक शाऊल के दनHम

हम उसके समीप नह:ं जाते थे। 4 और समःत म+डली ने कहा, हम ऐसा ह: कर गे, यHक यह बात उन सब लोगHक l म उिचत मालूम हुई। 5 तब दाऊद ने िमॐ के शीहोर से ले हमात क घाट: तब के सब इॐाएिलयHको इसिलथे इक=ठा कया, क परमे र के स(दक ू को कयOयार:म से ले आए। 6 तब दाऊद सब इॐाएिलयHको संग लेकर बाला को गया, जो कयOयार:म भी कहलाता और यहूदा के भाग म या, क परमे र यहोवा का स(दक ू वहां से ले आए; वह तो कRबHपर वराजनेवाला है , और उसका नाम भी यह: िलया जाता है । 7 तब उ(हHने परमे र का स(दक ू एक नई गाड़: पर चढ़ाकर, अबीनादाब के घर से

िनकाला, और उGजा और अ—ो उस गाड़: को हांकने लगे । 8 और दाऊद और सारे इॐाएली परमे र के साSहने तन मन से गीत गाते और बीणा, सारं गी, डफ, फांफ और तुरहयां बजाते थे। 9 जब वे कदोन के खिलहान तक आए, तब उGजा ने अपना हाथ स(दक ू यामने को बढ़ाया, यHक बैलHने ठोकर खाई यी। 10 तब यहोवा का कोप उGजा पर भड़क उठा; और उस ने उस को मारा यHक उस ने स(दक ू पर हाथ लगाया या; वह वह:ं परमे र के साSहने मर गया। 11 तब दाऊद अूस(न हुआ, इसिलथे क यहोवा उGजा पर टू ट पड़ा या; और उस ने उस ःयान का नाम पे रेसG ु जा रखा, यह नाम आज तक बना है । 12 और उस दन दाऊद परमे र से डरकर कहने लगा, मE परमे र के स(दक ू को अपके यहां कैसे ले आऊं? 13 तब दाऊद ने स(दक ू को अपके यहां दाऊदपुर म न लाया, पर(तु ओबेदेदोम नाम गती के यहां ले गया। 14 और परमे र का स(दक ू ओबेदेदोम के यहां उसके घराने के पास तीन मह:ने तक रहा, और यहोवा ने ओबेदेदोम के घराने पर और जो कुछ उसका या उस पर भी आशीष द:। 1 इितहास 14 1 और सोर के राजा ह:राम ने दाऊद के पास दत ू भेजे, और उसका भवन बनाने को दे वदाd क लकड़: और राज और बढ़ई भेजे। 2 और दाऊद को िन_य हो गया क यहोवा ने मुझे इॐाएल का राजा करके 'ःयर कया, यHक उसक ूजा इॐाएल के िनिम उसका राGय अय(त बढ़ गया या। 3 और यRशलेम म

दाऊद ने और '\यां cयाह लीं, और उन से और बेटे-बेटयां उप(न हुई। 4 उसके जो स(तान यRशलेम म उप(न हुए, उनके नाम थे हE : अयाOत ् शSमू,शोबाब,

नातान, सुलम ै ान; 5 ियभार, एलीशू, एलपेलेत; 6 नोगह, नेपेग, यापी, एलीशामा, 7 बे`यादा और एलीपेलेद। 8 जब पिल'ँतयHने सुना क पूरे इॐाएल का राजा होने के िलथे दाऊद का अिभषेक हुआ, तब सब पिल'ँतयHने दाऊद क खोज म

चढ़ाई क; यह सुनकर दाऊद उनका साSहना करने को िनकल गया। 9 और पिलँती आए और रपाईम नाम तराई म धावा मारा। 10 तब दाऊद ने परमे र से पूछा, या मE पिल'ँतयHपर चढ़ाई कRं? और कया तू उ(ह मेरे हाथ म कर दे गा? यहोवा ने उस से कहा, चढ़ाई कर, यHक मE उ(ह तेरे हाथ म कर दं ग ू ा। 11 इसिलथे जब वे बालपरासीम को आए, तब दाऊद ने उन को वह:ं मार िलया; तब दाऊद ने कहा, परमे र मेरे kारा मेरे शऽुओं पर जल क धारा क नाई टू ट पड़ा है । इस कारण उस ःयान का नाम बालपरासीम रखा गया। 12 वहां वे अपके दे वताओं को छोड़ गए, और दाऊद को आWा से वे आग लगाकर फूंक दए गए। 13 फर दस ू र: बार पिल'ँतयHने उसी ता'◌ई म धावा मारा। 14 तब दाऊद ने परमे र से फर पूछा, और परमे र ने उस से कहा, उनका पीछा मत कर; उन से मुड़कर तूत के वृझHके साSहने से उन पर छापा मार। 15 और जब तूत के वृझHक फुनिगयHम से सेना के चलने क सी आहट तुझे सुन पके, तब यह जानकर युa करने को िनकल जाना क परमे र पिल'ँतयHक सेना को मारने के िलथे तेरे आगे जा रहा है । 16 परमे र क इस आWा के अनुसार दाऊद ने कया, और इॐाएिलयHने पिल'ँतयHक सेना को िगबोन से लेकर गे जेर तक मार िलया। 17 तब दाऊद क कर ् सब दे शHम फैल गई, और यहोवा ने सब जाितयHके मन म

उसका भय भर दया। 1 इितहास 15

1 तब दाऊद ने दाऊदपुर म भवन बनवाए, और परमे र के स(दक ू के िलथे एक ःयान तैयार करके एक तSबू खड़ा कया। 2 तब दाऊद ने कहा, लेवयHको छोड़ और कसी को परमे र का स(दक ू उठाना नह:ं चाहथे, यHक यहोवा ने उनको इसी िलथे चुना है क वे परमे र का स(दक ू उठाएं और उसक सेवा टहल सदा कया कर । 3 तब दाऊद ने सब इॐाएिलयHको यRशलेम म इसिलथे इा=ठा कया क यहोवा का स(दक ू उस ःयान पर पहुंचाएं, 'जसे उस ने उसके िलथे तैयार कया या। 4 इसिलथे दाऊद ने हाRन के स(तानHऔर लेवयHको इक=ठा कया : 5 अयाOत ् कहाितयHम से ऊर:एल नाम ूधान को और उसके एक सौ बीस भाइयHको; 6 मराgरयHम से असायाह नाम ूधान को और उसके दो सौ बीस भाइयHको; 7 गेशॉिमयHम से योएल नाम ूधान को और उसके एक सौ तीस भाइयHको; 8 एलीसापािनयHम से शमायाह नाम ूधान को और उसके दो सौ भाइयHको; 9 हे ॄोिनयHम से एलीएल नाम ूधान को और उसके अःसी भाइयHको; 10 और उGजीएिलयHम से अSमीनादाब नाम ूधान को और उसके एक सौ बारह भाइयHको। 11 तब दाऊद ने सादोक और एcयातार नाम याजकHको, और ऊर:एल, असायाह, योएल, शमायाह, एलीएल और अSमीनादाब नाम लेवयHको बुलवाकर उन से कहा, 12 तुम तो लेवीय पतरHके घरानHम मु‡य पुdष हो; इसिलथे अपके भाइयHसमेत अपके अपके को पवऽ करो, क तुम इॐाएल के परमे र यहोवा का स(दक ू उस ःयान पर पहुंचा सको 'जसको मE ने उसके िलथे तैयार कया है । 13 यHक पहली बार तुम ने उसको न उठाया इस कारण हमारा परमे र यहोवा हम पर टू ट पड़ा, यHक हम उसक खोज म िनयम के अनुसार न लगे थे। 14 तब याजकHऔर लेवयHने अपके अपके को पवऽ कया, क

इॐाएल के परमे र यहोवा का स(दक ू ले जा सक । 15 तब उस आWा के अनुसार जो मूसा ने यहोवा का वचन सुनकर द: यी, लेवयHने स(दक ू को डं डHके बल अपके कंधHपर उठा िलया। 16 और दाऊद ने ूधान लेवयHको आWा द:, क अपके भाई गवैयHको बाजे अयाOत ् सारं गी, वीणा और फांफ दे कर बजाने और आन(द के साय ऊंचे ःवर से गाने के िलथे िनयुf कर । 17 तब लेवयHने योएल के पुऽ हे मान को, और उसके भाइयHम से बेरे याह के पुऽ आसाप को, और अपके भाई मराgरयHम से कूशायाह के पुऽ एतान को ठहराया। 18 और उनके साय उ(हHने दस ू रे पद के अपके भाइयHको अयाOत ् जकयाOह, बेन, याजीएल, शमीरामोत, यह:एल, उ(नी, एलीआब, बनायाह, मासेयाह, मयाह, एलीपकेह, िमकनेयाह, और ओबेदेदोम और पीएल को जो kारपाल थे ठहराया। 19 यHहे मान, आसाप और एतान नाम के गवैथे तो पीतल क फांफ बजा बजाकर राग चलाने को; 20 और जकयाOह, अजीएल, शमीरामोत, यह:एल, उ(नी, एलीआब, मासेयाह, और बनायाह, अलामोत, नाम राग म सारं गी बजाने को; 21 और मयाह, एलीपकेह, िमकनेयाह ओबेदेदोम, यीएल और अजGयाह वीणा खजO म छे ड़ने को ठहराए गए। 22 और राग उठाने का अिध कारनेी कन(याह नाम लेवयHका ूधान या, वह राग उठाने के वषय िशझा दे ता या, यHक वह िनपुण या। 23 और बेरे याह और एलकाना स(दक ू के kारपाल थे। 24 और शब(याह, योशापात, नतनेल, अमासै, जकयाOह, बनायाह और एलीएजेर नाम याजक परमे र के स(दक ू के आगे आगे तुरहयां बजाते हुए चले, और ओबेदेदोम और यहयाह उसके kारपाल थे। 25 और दाऊद और इॐाएिलयHके पुरिनथे और सह\पित सब िमलकर यहोवा क वाचा का स(दक ू ओबेदेदोम के घर से आन(द

के साय ले आने के िलए गए। 26 जब परमे र ने लेवयHक सहाथता क जो यहोवा क वाचा का स(दक ू उठानेवाले थे, तब उ(हHने सात बैल और सात मेढ़े बिल कए। 27 दाऊद, और यहोवा क वाचा का स(दक ू उठानेवाले सब लेवीय और गानेवाले और गानेवालHके साय राग उठानेवाले का ूधान कन(याह, थे सब तो सन के कपके के बागे पहने थे, और दाऊद सन के कपके का एपोद पहने या। 28 इस ूकार सब इॐाएली यहोवा क वाचा के स(दक ू को जयजयकार करते, और नरिसंगे, तुरहयां और फांफ बजाते और सारं िगयां और वीणा बजाते हुए ले चले। 29 जब यहोवा क वाचा का स(दक ू दाऊदपुर म पहंु चा तब शाऊल क बेट: मीकल ने 'खड़क म से फांककर दाऊद राजा को कूदते और खेलते हुए दे खा, और उसे मन ह: मन तू.छ जाना। 1 इितहास 16 1 तब परमे र का स(दक ू ले आकर उस तSहू म रखा गया जो दाऊद ने उसके िलथे खड़ा कराया या; और परमे र के साSहने होमबिल और मेलबिल चढ़ाए गए। 2 जब दाऊद होमबिल और मेलबिल चढ़ा जूका, तब उस ने यहोवा के नाम से ूजा को आशीवाOद दया। 3 और उस ने या पुdष, या \ी, सब इॐाएिलयHको एक एक रोट: और एक एक टु कड़ा मांस और कशिमश क एक एक टकया बंटवा द:। 4 तब उस ने कई लेवयHको इसिलथे ठहरा दया, क यहोवा के सदक ू के साSहने सेवा टहल कया कर , और इॐाएल के परमे र यहोवा क चचाO और उसका ध(यवाद और ःतुित कया कर । 5 उनका मु'खया तो आसाप या, और उसके नीचे जकयाOह या, फर यीएल, शमीरामोत, यह:एल,

मयाह, एलीआब बनायाह, ओबेदेदोम और यीएल थे; थे तो सारं िगयां और वीणाएं िलथे हुए थे, और आसाप फांफ पर राग बजाता या। 6 और बनायाह और यहजीएल नाम याजक परमे र क वाचा के स(दक ू के साSहने िनय तुरहयां बजाने के िलए िनयुf कए गए। 7 तब उसी दन दाऊद ने यहोवा का ध(यवाद करने का काम आसाम और उसके भाइयHको सxप दया। 8 यहोवा का ध(यवाद करो, उस से ूायOना करो; दे श दे श म उसके कामHका ूचार करो। 9 उसका गीत गाओ, उसका भजन करो, उसके सब आ_यO-कमॉं का ~यान करो। 10 उसके पवऽ नाम पर घपंड करो; यहोवा के खो'जयHका ॑ृदय आन'(दत हो। 11 यहोवा और उसक सामयO क खोज करो; उसके दशOन के िलए लगातार खोज करो। 12 उसेक कए हुए आn‡यकमO, उसके चमकार और (यायवचन ःमरण करो। 13 हे उसके दास इॐाएल के वंश, हे याकूब क स(तान तुम जो उसके चुने हुए हो ! 14 वह: हमारा परमे र यहोवा है , उसके (याय के काम पृवी भर म होते हE । 15 उसक वाचा को सदा ःमरण रखो, यह वह: वचन है जो उस ने हजार पीढय़Hके िलथे ठहरा दया। 16 वह वाचा उस ने इॄाह:म के साय बा(धी, उौर उसी के वषय उस ने इसहाक से शपय खाई, 17 और उसी को उस ने याकूब के िलथे विध करके और इॐाएल के िलथे सदा क वाचा बा(धकर यह कहकर lढ़ कया, क 18 मE कनान दे श तुझी को दं ग ू ा, वह बांट म तुSहारा िनज भाग होगा। 19 उस समय तो तुम िगनती म योड़े थे, वरन बहुत ह: योड़े और उस दे श म परदे शी थे। 20 और वे एक जाित से दस ू र: जाित म , और एक जाGय से दस ू रे म फरते तो रहे , 21 पर(तु उस ने कसी पनुंय को उन पर अ(धेर करने न दया; और वह राजाओं को उनके िनिम यह धमक दे ता या, क 22 मेरे अिभषfHको मत छुओ, और न मेरे

नबयHक हािन करो। 23 हे समःत पृवी के लोगो यहोवा का गीत गाओ। ूितदन उसके कए हुए उaार का शुभ समाचार सुनाते रहो। 24 अ(यजाितयHम

उसक महमा का, और दे श दे श के लोगHम उसके आ_यO-कमॉ ं का वणOन करो। 25 यHक यहोवा महान और ःतुित के अित योbय है , वह तो सब दे वताओं से अिधक भययोbय है । 26 यHक दे श दे श के सब दे वता मूितया{ ह: हE ; पर(तु यहोवा ह: ने ःवगO को बनाया है । 27 उसके चारHओर वभव और ऐ यO है ; उसके ःयान म सामयO और आन(द है । 28 हे दे श दे श के कुलो, यहोवा का गुणानुवाद करो, यहोवा क महमा और सामयO को मानो। 29 यहोवा के नाम क महमा ऐसी मानो जो उसके नाम के योbय है । भ ट लेकर उसके सSमुख आाओ, पवऽता से शोभायमान होकर यहोवा को दणडवत करो। 30 हे सार: पृवी के लोगो उसके साSहने यरयराओ ! जगत ऐसा 'ःयर है , क वह टलने का नह:ं। 31 आकाश आन(द करे और पृवी मगन हो, और जाित जाित म लोग कह , क यहोवा राजा 32 हुआ है । समुि और उस म क सब वःतुएं गरज उठ , मैदान और जो कुछ उस म है सो ूफु'`लत हH। 33 उसी समय वन के वृझ यहोवा के साSहने जयजयकार कर , यHक वह पृवी का (याय करने को आनेवाला है । 34 यहोवा का ध(यवाद करो, यHक वह भला है ; उसक कdणा सदा क है । 35 और यह कहो, क हे हमारे उaार करनेवाले परमे र हमारा उaार कर, और हम को इक=ठा करके अ(यजाितयHसे छुड़ा, क हम तेरे पवऽ नाम का ध(यवाद कर , और तेर: ःतुित करते हुए तेरे वषय बड़ाई कर । 36 अनादकाल से अन(तकाल तक इॐाएल का परमे र यहोवा ध(य है । तब सब ूजा ने आमीन कहा : और यहोवा क ःतुित क। 37 तब उस ने वहां अयाOत ् यहोवा क वाचा के स(दक ू के साSहने आसाप

और उसके भाइयHको छोड़ दया, क ूितदन के ूयोजन के अनुसार वे स(दक ू के साSहने िनय सेवा टहल कया कर ! 38 और अड़सठ भाइयHसमेत ओबेदेदोम को, और kारपालHके िलथे यदत ू ून के पुऽ ओबेदेदोम और होसा को छोड़ दया। 39 फर उस ने सादोक याजक और उसके भाई याजकHको यहोवा के िनवास के साSहने, जो िगबोन के ऊंचे ःयान म या, ठहरा दया, 40 क वे िनय सवेरे और सांफ को होमबिल क वेद: पर यहोवा को होमबिल चढ़ाया कर , और उन सब के अनुसार कया कर , जो यहोवा क यवःया म िलखा है , 'जसे उस ने इॐाएल को दया या। 41 और उनके संग उस ने हे मान और यदत ू ून और दस ू रHको भी जो नाम लेकर चुने गए थे ठहरा दया, क यहोवा क सदा क कdणा के कारण उसका ध(यवाद कर । 42 और उनके संग उस ने हे मान और यदत ू ून को बजानेवालHके िलथे तुरहयां और फांफ और परमे र के गीत गाने के िलथे बाजे दए, और यदत ू ून के बेटHको फाटक क रखवाली करने को ठहरा दया। 43 िनदान ूजा के सब लोग अपके अपके घर चले गए, और दाऊद अपके घराने को आशीवाOद दे ने लौट गया। 1 इितहास 17 1 जब दाऊद अपके भवन म रहने लगा, तब दाऊद ने नातान नबी से कहा, दे ख, मE तो दे वदाd के बने हुए घर म रहता हँू , पर(तु यहोवा क वाचा का स(दक ू तSबू म रहता है । 2 नातान ने दाऊद से कहा, जो कुछ तेरे मन म हो उसे कर, यHक परमे र तेरे संग है । 3 उसी दन रात को परमे र का यह वचन नातान के पास पहंु चा, जाकर मेरे दास दाऊद से कह, 4 यहोवा यHकहता है , क मेरे िनवास के

िलथे तू घर बनवाने न पाएगा। 5 यHक 'जस दन से मE इॐाएिलयHको िमॐ से ले आया, आज के दन तक मE कभी घर म नह:ं रहा; पर(तु एक तSबू से दस ू रे तSबू को ओर एक िनवास से दस ू रे िनवास को आया जाया करता हँू । 6 जहां जहां मE ने सब इॐाएिलयHके बीच आना जाना कया, या मE ने इॐाएल के (यािययHम

से 'जनको मE ने अप क ूजा क चरवाह: करने को ठहराया या, कसी से ऐसी बात कभी कह:ं, क तुम लोगHने मेरे िलथे दे वदाd का घर यHनह:ं बनवाया? 7 सो अब तू मेरे दास दाऊद से ऐसा कह, क सेनाओं का यहोवा यHकहता है , क मE ने तो तुझ को भेड़शाला से और भेड़-बाgरयHके पीछे पीछे फरने से इस मनसा से बुला िलया, क तू मेर: ूजा इॐाएल का ूधान हो जाए; 8 और जहां कह:ं तू आया और गया, वहां मE तेरे संग रहा, और तेरे सब शऽुओं को तेरे साSहने से न कया है । अब मE तेरे नाम को पृवी के बड़े बड़े लोगHके नामो के समान बड़ा कर दं ग ू ा। 9 और मE अप क ूजा इॐाएल के िलथे एक ःयान ठहराऊंगा, और उसको 'ःयर कRंगा क वह अपके ह: ःयान म बसी रहे और कभी चलायमान न हो; और कुटल लोग उनको नाश न करने पाएंगे, जैसे क पहले दनHम करते थे; 10 उस समय भी जब मE अप क ूजा इॐाएल के ऊपर (यायी ठहराता या; सो मE तेरे सब शऽुओं को दबा दं ग ू ा। फर मE तुझे यह भी बताता हँू , क यहोवा तेरा घर बनाथे रखे गा। 11 जब ते र: आयु पूर: हो जाथेगी और तुझे अपके पतरHके संग जाना पकेगा, तब मE तेरे बाद ते रे वंश को जो तेरे पुऽHम से होगा, खड़ा करके उसके राGय को 'ःयर कRंगा। 12 मेरे िलए एक घर वह: बनाएगा, और मE उसक राजगX: को सदै व 'ःयर रखूंगा। 13 मE उसका पता ठहRंगा और वह मेरा पुऽ ठहरे गा; और जैसे मE ने अप क कdणा उस पर से जो तुझ से पहले या हटाई,

वैसे मE उस पर से न हटाऊंगा, 14 वरन मE उसको अपके घर और अपके राGय म

सदै व 'ःयर यखूंगा और उसक राजगX: सदै व अटल रहे गी। 15 इन सब बातHऔर इस दशOन के अनुसार नातान ने दाऊद को समझा दया। 16 तब दाऊद राजा भीतर जाकर यहोवा के सSमुख बैठा, और कहने लगा, हे यहोवा परमे र ! मE या हँू ? और मेरा घराना या है ? क तू ने मुझे यहां तक पहंु चाया है ? 17 और हे परमे र ! यह तेर: l म छोट: सी बात हुई, यHक तू ने अपके दास के घराने के वषय भवंय के बहुत दनHतक क चचाO क है , और हे यहोवा परमे र ! तू ने मुझे ऊंचे पद का मतुंय सा जाना है । 18 जो महमा तेरे दास पर दखाई गई है , उसके वषय दाऊद तुझ से और या कह सकता है ? तू तो अपके दास को जानता है । 19 हे यहोवा ! तू ने अपके दास के िनिम और अपके मन के अनुसार यह बड़ा काम कया है , क तेरा दास उसको जान ले। 20 हे यहोवा ! जो कुछ हम ने अपके कानHसे सुना है , उसके अनुसार तेरे तु`य कोई नह:ं, और न तुझे छोड़ और कोई परमे र है । 21 फर ते र: ूजा इॐाएल के भी तु`य कौन है ? वह तो पृवी भर म

एक ह: जाित है , उसे परमे र ने जाकर अप क िनज ूजा करने को छुड़ाया, इसिलथे क तू बड़े और डरावने काम करके अपना नाम करे , और अप क ूजा के साSहने से जो तू ने िमॐ से छुड़ा ली यी, जाित जाित के लोगHको िनकाल दे । 22 यHक तू ने अप क ूजा इॐाएल को अप क सदा क ूजा होने के िलथे ठहराया, और हे यहोवा ! तू आप उसका परमे र ठहरा। 23 इसिलथे, अब हे यहोवा, तू ने जो वचन अपके दास के और उसके घराने के वषय दया है , वह सदै व अटल रहे , और अपके वचन के अनुसार ह: कर। 24 और ते रा नाम सदै व अटल रहे , और यह कहकर ते र: बड़ाई सदा क जाए, क सेनाओं का यहोवा

इॐाएल का परमे र है , वरन वह इॐाएल ह: के िलथे परमे र है , और तेरा दास दाऊद का घराना तेरे साSहने 'ःयर रहे । 25 यHक हे मेरे परमे र, तू ने यह कहकर अपके दास पर ूगट कया है क मE तेरा घर बनाए रखूंगा, इस कारण तेरे दास को तेरे सSमुख ूायOना करने का हयाब हुआ है । 26 और अब हे यहोवा तू ह: परमे र है , और तू ने अपके दास को यह भलाई करने का वचन दया है । 27 और अब तू ने ूस(न होकर, अपके दास के घराने पर ऐसी आशीष द: है , क वह तेरे सSमुख सदै व बना रहे , यHक हे यहोवा, तू आशीष दे चुका है , इसिलथे वह सदै व आशीषत बना रहे । 1 इितहास 18 1 इसके बाद दाऊद ने पिल'ँतयHको जीतकर अपके अधीन कर िलया, और गांवHसमेत गत नगर को पिल'ँतयHके हाथ से छqन िलया। 2 फर उस ने मोआबयHका भी जीत िलया, और मोआबी दाऊद के अधीन होकर भ ट लाने लगे। 3 फर जब सोबा का राजा हदरे जेर परात महानद के पास अपके राGय 'ःयर करने को जा रहा या, तब दाऊद ने उसको हमात के पास जीत िलया। 4 और दाऊद ने उससे एक हजार रय, सात हजार सवार, और बीस हजार पयादे हर िलए, और दाऊद ने सब रयवाले घेड़Hके सुम क नस कटवाई, पर(तु एक सौ रयवाले धेड़े बचा रखे। 5 और जब दिमँक के अरामी, सोबा के राजा हदरे जेर क सहाथता करने को आए, तब दाऊद ने अरािमयHम से बाईस हजार पुdष मारे । 6 तब दाऊद ने दिमंक के अराम म िसपाहयHक चौकयां बैठाई; सो अरामी दाऊद के अधीन होकर भ ट ले आने लगे। और जहां जहां दाऊद जाता, वहां वहां यहोवा

उसको जय दलाता या। 7 और हदरे जेर के कमOचाgरयHके पास सोने क जो ढाल

यीं, उ(ह दाऊद लेकर यRशलेम को आया। 8 और हदरे जेर के ितभत और कून नाम नगरHसे दाऊद बहुत सा पीतल ले आया; और उसी से सुलेमान ने पीतल के हौद और खSभHऔर पीतल के पाऽHको बनवाया। 9 जब हमात के राजा तोऊ ने सुना, क दाऊद ने सोबा के राजा हदरे जेर क समःत सेना को जीत िलया है , 10 तब उस ने हदोराम नाम अपके पुऽ को दाऊद राजा के पास उसका कुशल झेम पूछने और उसे बधाई दे ने को भेजा, इसिलथे क उस ने हदरे जेर से लड़कर उसे जीत िलया या; ( यHक हदरे जेर तोऊ से लड़ा करता या ) और हदोराम सोने चांद: और पीतल के सब ूकार के पाऽ िलथे हुए आया। 11 इनको दाऊद राजा ने यहोवा के िलथे पवऽ करके रखा, और वैसा ह: उस सोने-चांद: से भी कया 'जसे सब जाितयो से, अयाOत ् एदोिमयHमोआबयH, अSमोिनयH, पिल'ँतयH, और अमालेकयHसे ूाT कया या। 12 फर यRयाह के पुऽ अबीशै ने लान क तराई म

अठारह हजार एदोिमयHको मार िलया। 13 तब उस ने एदोम म िसपाहयHक चौकयां बैठाई; और सब एदोमी दाऊद के अधीन हो गए। और दाऊद जहां जहां जाता या वहां वहां यहोवा उसको जय दलाता या। 14 दाऊद तो सारे इॐाएल पर राGय करता या, और वह अप क सब ूजा के साय (याय और धमO के काम करता या। 15 और ूधान सेनापित सRयाह का पुऽ योआब या; इितहास का िलखनेवाला अह:लूद का पुऽ यहोशापात या। 16 ूधान याजक, अह:तूब का पुऽ सादोक और एcयातार का पुऽ अबीमेलेक थे; मंऽी शबशा या। 17 करे ितयHऔर पकेितयHका ूधान यहोयादा का पुऽ बनायाह या; और दाऊद के पुऽ राजा के पास मु'खथे होकर रहते थे।

1 इितहास 19 1 इसके बाद अSमोिनयHका राजा नाहाश मर गया, और उसका पुऽ उसके ःयान पर राजा हुआ। 2 तब दाऊद ने यह सोचा, क हानून के पता नाहाश ने जो मुझ पर ूीित दखाई यी, इसिलथे मE भी उस पर ूीित दखाऊंगा। तब दाऊद ने उसके पता के वषय शांित दे ने के िलथे दत ू भेजे। और दाऊद के कपOचार: अSमोिनयHके दे श म हानून के पास उसे शांित दे ने को आए। 3 पर(तु अSमोिनयHके हाकम हानून से कहने लगे, दाऊद ने जो तेरे पास शांित दे नेवाले भेजे हE , वह या तेर: समझ म तेरे पता का आदर करने क मनसा से भेजे हE ? या उसके कमOचार: इसी मनसा से तेरे पास नह:ं आए, क ढू ं ढ़-ढांढ़ कर और न कर , और दे श का भेद ल ? 4 तब हानून ने दाऊद के कमOचाgरयHको पकड़ा, और उनके बाल मुड़वाए, और आधे व\ अयाOत ् िनतSब तक कटवाकर उनको जाने दया। 5 तब कतनHने जाकर दाऊद को बता दया, क उन पुdषHके साय कैसा बताOव कया गया, सो उस ने लोगHको उन से िमलने के िलथे भेजा यHक वे पुdष बहुत लजाते थे। और राजा ने कहा, जब तक तुSहार: दाढय़ां बढ़ न जाएं, तब तक यर:हो म ठहरे रहो, और बाद को लौट आना। 6 जब अSमोिनयHने दे खा, क हम दाऊद को िघनौने लगते हE , तब हानून और अSमोिनयHने एक हजार क कार चांद:, अरSनहरै म और अरSमाका और सोबा को भेजी, क रय और सवार कराथे पर बुलाएं। 7 सो उ(हHने बीस हजार रय, और माका के राजा और उसक सेना को कराथे पर बुलाया, और इ(हHने आकर मेदबा के साSहने, अपके डे रे खड़े कए। और अSमोनी अपके अपके नगर म से इक=ठे होकर लड़ने को आए। 8 यह सुनकर दाऊद ने योआब और शूरवीरHक पूर: सेना को भेजा। 9 तब

अSमोनी िनकले और नगर के फाटक के पास पांित बा(धी, और जो राजा आए थे, वे उन से अलग मैदान म थे। 10 यह दे खकर क आगे पीछे दोनHओर हमारे वda पांित ब(धी हE , योआब ने सब बड़े बड़े इॐाएली वीरHम से कततHको छांटकर अरािमयHके साSहने उनक पांित ब(धाई; 11 और शेष लोगHको अपके भाई अबीशै के हाथ सxप दया, और उ(हHने अSमोिनयHके साSहने पांित बा(धी। 12 और उस ने कहा, यद अरामी मुझ पर ूबल होने लग , तो तू मेर: सहाथता करना; और यद अSमोनी तुझ पर ूबल होने लग , तो मE तेर: सहाथता कRंगा। 13 तू हयाब बा(ध और हम सब अपके लोगHऔर अपके परमे र के नगरHके िनिम पुdषायO कर ; और यहोवा जैसा उसको अ.छा लगे, वैसा ह: करे गा। 14 तब योआब और जो लोग उसके साय थे, अरािमयHसे युa करने को उनके साSहने गए, और वे उसके साSहने से भागे । 15 यह दे खकर क अरामी भाग गए हE , अSमोनी भी उसके भाई अबीशै के साSहने से भागकर नगर के भीतर घुसे। तब योआब यRशलेम को लौट आया। 16 फर यह दे खकर क वे इॐाएिलयHसे हार गए हE अरािमयHने दत ू भेजकर महानद के पार के अरािमयHको बुलवाया, और हदरे जेर के सेनापित शोपक को अपना ूधान बनाया। 17 इसका समाचार पाकर दाऊद ने सब इॐाएिलयHको इक=ठा कया, और यरदन पार होकर उन पर चढ़ाई क और उनके वda पांित ब(धाई, तब वे उस से लड़ने लगे। 18 पर(तु अरामी इॐाएिलयHसे भागे, और दाऊद ने उन म से सात हजार रिययHऔर चालीस हजार €यादHको मार डाला, और शोपक सेनापित को भी मार डाला। 19 यह दे खकर क वे इॐाएिलयHसे हार गए हE , हदरे जेर के कमOचाgरयHने दाऊद से संिध क और उसके अधीन हो गए; और अरािमयHने अSमोिनयHक सहाथता फर करनी न

चाह:। 1 इितहास 20 1 फर नथे वषO के आरSभ म जब राजा लोग युa करने को िनकला करते हE , तब योआब ने भार: सेना संग ले जाकर अSमोिनयHका दे श उजाड़ दया और आकर रcबा को घेर िलया; पर(तु दाऊद यRशलेम म रह गया; और योआब ने रcबा को जीतकर ढा दया। 2 तब दाऊद ने उनके राजा का मुकुट उसके िसर से उतारकर या दे खा, क उसका तौल क कार भर सोने का है , और उस म म'ण भी जड़े थे; और वह दाऊद के िसर पर रखा गया। फर उस ने उस नगर से बहुत सामान लूट म पाया। 3 और उस ने उसके रहनेवालHको िनकालकर आरHऔर लोहे के ह गHऔर कु`हाडय़Hसे कटवाया; और अSमोिनयHके सब नगरHके साय भी दाऊद ने वैसा ह: कया। तब दाऊद सब लोगHसमेत यRशलेम को लौट गया। 4 इसके बाद गेजेर म

पिल'ँतयHके साय युa हुआ; उस समय हूशाई िसcबकै ने िस€पै को, जो रापा क स(तान या, मार डाला; और वे दब गए। 5 और पिल'ँतयHके साय फर युa हुआ; उस म याईर के पुऽ ए`हानान ने गती गो`यत के भाई लहमी को मार डाला, 'जसके बछ क छड़, जुलाहे क डHगी के समान यी। 6 फर गत म भी युa हुआ, और वहां एक बड़े ड:ल का पुdष या, जो रापा क स(तान या, और उसके एक एक हाथ पांव म छ: छ: उं गिलयां अयाOत ् सब िमलाकर चौबीस उं गिलयां यीं। 7 जब उस ने इॐाएिलयHको ललकारा, तब दाऊद के भाई िशमा के पुऽ योनातान ने उसको मारा। 8 थे ह: गत म रापा से उप(न हुए थे, और वे दाऊद और उसके सेवकHके हाथ से मार डाले गए।

1 इितहास 21 1 और शैतान ने इॐाएल के वda उठकर, दाऊद को उसकाया क इॐाएिलयHक िगनती ले। 2 तब दाऊद ने योआब और ूजा के हाकमHसे कहा, तुम जाकर बशबा से ले दान तक के इॐाएल क िगनती लेकर मुझे बताओ, क मE जान लूं क वे कतने हE । 3 योआब ने कहा, यहोवा क ूजा के कतने ह: यHन हH, वह उनको सौ गुना बढ़ा दे ; पर(तु हे मेरे ूभु ! हे राजा ! या वे सब राजा के अधीन नह:ं हE ? मेरा ूभु ऐसी बात यHचाहता है ? वह इॐाएल पर दोष लगने का कारण यHबने? 4 तौभी राजा क आWा योआब पर ूबल हुई। तब योआब वदा होकर सारे इॐाएल म धूमकर यRशलेम को लौट आया। 5 तब योआब ने ूजा क िगनती का जोड़, दाऊद को सुनाया और सब तलवाgरथे पुdष इॐाएल के तो bयारह लाख, और यहूदा के चार लाख सर हजार ठहरे । 6 पर(तु उन म योआब ने लेवी और ब(यामीन को न िगना, यHक वह राजा क आWा से घुणा करता या 7 और यह बात परमे र को बुर: लगी, इसिलथे उस ने इॐाएल को मारा। 8 और दाऊद ने परमे र से कहा, यह काम जो मE ने कया, वह महापाप है । पर(तु अब अपके दास का अधमO दरू कर; मुझ से तो बड़: मूखOता हुई है । 9 तब यहोवा ने दाऊद के दशीं गाद से कहा, 10 जाकर दाऊद से कह, क यहोवा यHकहता है , क मE तुझ को तीन वपयां दखाता हँू , उन म से एक को चुन ले, क मE उसे तुझ पर डालू।ं 11 तब गाद ने दाऊद के पास जाकर उस से कहा, यहोवा यHकहता है , क 'जसको तू चाहे उसे चुन ले : 12 या तो तीन वषO का काल पके; वा तीन मह:ने तक तेरे वरोधी तुझे नाश करते रह , और तेरे शऽुऔ ं क तलवार तुझ पर चलती रहे ; वा तीन दन तक यहोवा क तलवार चले, अयाOत ् मर: दे श म फैले और

यहोवा का दत ू इॐाएली दे श म चारHओर वनाश करता रहे । अब सोच, क मE अपके भेजनेवाले को या उर दं ।ू 13 दाऊद ने गाद से कहा, मE बड़े संकट म पड़ा हँू ; मE यहोवा के हाथ म पड़ू ं , यHक उसक दया बहुत बड़: है ; पर(तु मनुंय के हाथ म मुझे पड़ना न पके। 14 तब यहोवा ने इॐाएल म मर: फैलाई, और इॐाएल म सर हजार पुdष मर िमटे । 15 फर परमे र ने एक दत ू यRशलेम को भी उसे नाश करने को भेजा; और वह नाश करने ह: पर या, क यहोवा द:ु ख दे ने से खे दत हुआ, और नाश करनेवाले दत ू से कहा, बस कर; अब अपना हाथ खींच ले। और यहोवा का दत ू यबूसी ओनाOन के खिलहान के पास खड़ा या। 16 और दाऊद ने आंख उठाकर दे खा, क यहोवा का दत ू हाथ म खींची हुई और यRशलेम के ऊपर बढ़ाई हुई एक तलवार िलथे हुए आकाश के बीच खड़ा है , तब दाऊद और पुरिनथे टाट पहने हुए मुह ं के बल िगरे । 17 तब दाऊद ने परमे र से कहा, 'जस ने ूजा क िगनती लेने क आWा द: यी, वह या मE नह:ं हँू ? हां, 'जस ने पाप कया और बहुत बुराई क है , वह तो मE ह: हँू । पर(तु इन भेड़-बकgरयHने या कया है ? इसिलथे हे मेरे परमे र यहोवा ! तेरा हाथ मेरे पता के घराने के वda हो, पर(तु तेर: ूजा के वda न हो, क वे मारे जाएं। 18 तब यहोवा के दत ू ने गाद को दाऊद से यह कहने क आWा द:, क दाऊद चढ़कर यबूसी ओनाOन के खिलहान म

यहोवा क एक वे द: बनाए। 19 गाद के इस वचन के अनुसार जो उस ने यहोवा के नाम से कहा या, दाऊद चढ़ गया। 20 तब ओनाOन ने पीछे फर के दत ू को दे खा, और उसके चारHबेटे जो उसके संग थे िछप गए, ओनाOन तो गे हंू दांवता या। 21 जब दाऊद ओनाOन के पास आया, तब ओनाOन ने l करके दाऊद को दे खा और खिलहान से बाहर जाकर भूिम तक फुककर दाऊद को दणडवत कया। 22 तब

दाऊद ने ओनाOन से कहा, उस खिलहान का ःयान मुझे दे दे , क मE उस पर यहोवा को एक वेद: बनाऊं, उसका पूरा दाम लेकर उसे पुफ को दे , क यह वप ूजा पर से दरू क जाए। 23 ओनाOन ने दाऊद से कहा, इसे ले ले, और मेरे ूभु राजा को जो कुछ भाए वह वह: करे ; सुन, मE तुझे होमबिल के िलथे बैल और ईधन के िलथे दांबने के हिययार और अ(नबिल के िलथे गेहंू , यह सब मE दे ता हँू । 24 राजा दाऊद ने ओनाOन से कहा, सो नह:ं, मE अवँय इसका पूरा दाम ह: दे कर इसे मोल लूग ं ा; जो ते रा है , उसे मE यहोवा के िलथे नह:ं लूग ं ा, और न स तम त का होमबिल चढ़ाऊंगा। 25 तब दाऊद ने उस ःयान के िलथे ओनाOन को छ: सौ शेकेल सोना तौलकर दया। 26 तब दाऊद ने वहां यहोवा क एक वेद: बनाई और होमबिल और मेलबिल चढ़ाकर यहोवा से ूायOना क, और उस ने होपबिल क वेद: पर ःवगO से आग िगराकर उसक सुन ली। 27 तब यहोवा ने दत ू को आWा द:; और उस ने अप क तलवार फर Sयान म कर ली। 28 यह दे खकर क यहोवा ने यबूसी ओनाOन के खिलहान म मेर: सुन ली है , दाऊद ने उसी समय वहां बिलदान कया। 29 यहोवा का िनवास जो मूसा ने जंगल म बनाया या, और होमबिल क वे द:, थे दोनHउस समय िगबोन के ऊंचे ःयान पर थे। 30 पर(तु दाऊद परमे र के पास उसके साSहने न जा सका, यHक वह यहोवा के दत ू क तलवार से डर गया या। 1 इितहास 22 1 तब दाऊद कहने लगा, यहोवा परमे र का भवन यह: है , और इॐाएल के िलथे होमबिल क वेद: यह: है । 2 तब दाऊद ने इॐाएल के दे श म जो परदे शी थे उनको

इक=ठा करने क आWा द:, और परमे र का भवन बनाने को पयर गढ़ने के िलथे राज ठहरा दए। 3 फर दाऊद ने फाटकHके कवाड़Hक कलHऔर जोड़Hके िलथे बहुत सा लोहा, और तौल से बाहर बहुत पीतल, 4 और िगनती से बाहर दे वदार के पेड़ इक=ठे कए; यHक सीदोन और सोर के लोग दाऊद के पास बहुत से दे वदार के पेड़ लाए थे। 5 और दाऊद ने कहा, मेरा पुऽ सुलम ै ान सुकुमार और लड़का है , और जो भवन यहोवा के िलथे बनाना है , उसे अय(त तेजोमय और सब दे शHम ूिसa और शोभायमान होना चाहथे; इसिलथे मE उसके िलथे तैयार: कRंगा। सो दाऊद ने मरने से पहले बहुत तैयार: क। 6 फर उस ने अपके पुऽ सुलम ै ान को बुलाकर इॐाएल के परमे र यहोवा के िलथे भवन बनाने क आWा द:। 7 दाऊद ने अपके पुऽ सुलम ै ान से कहा, मेर: मनसा तो यी, क अपके परमे र यहोवा के नाम का एक भवन बनाऊं। 8 पर(तु यहोवा का यह वचन मेरे पास पहंु चा, क तू ने लोहू बहुत बहाथा और बढ़े बड़े युa कए हE , सो तू मेरे नाम का भवन न बनाने पाएगा, यHक तू ने भूिम पर मेर: l म बहुत लोहू बहाथा है । 9 दे ख, तुझ से एक पुऽ उप(न होगा, जो शा(त पुdष होगा; और मE उसको चारHओर के शऽुऔ ं से शा'(त दं ग ै ान होगा, और उसके ू ा; उसका नाम तो सुलम दनHम मE इॐाएल को शा'(त और चैन दं ग ू ा। 10 वह: मेरे नाम का भवन बनाएगा। और वह: मेरा पुऽ ठहरे गा और मE उसका पता ठहRंगा, और उसक राजगX: को मE इॐाएल के ऊपर सदा के िलथे 'ःयर रखूंगा। 11 अब हे मेरे पुऽ, यहोवा तेरे संग रहे , और तू कृ तायO होकर उस वचन के अनुसार जो तेरे परमे र यहोवा ने तेरे वषय कहा है , उसका भवन बनाना। 12 अब यहोवा तुझे बुa और समझ दे और इॐाएल का अिध कारनेी ठहरा दे , और तू अपके परमे र यहोवा

क यवःया को मानता रहे । 13 तू तब ह: कृ तायO होगा जब उन विधयHऔर िनयमHपर चलने क चौकसी करे गा, 'जनक आWा यहोवा ने इॐाएल के िलथे मूसा को द: यी। हयाब बा(ध और lढ़ हो। मत डर; और तेरा मन क.चा न हो। 14 सुन, मE ने अपके लेश के समय यहोवा के भवन के िलथे एक लाख क कार सोना, और दस लाख क कार चा(द:, और पीतल और लोहा इतना इक=ठा कया है , क बहुतायत के कारण तौल से बाहर है ; और लकड़: और पयर मE ने इक=ठे कए हE , और तू उनको बढ़ा सकेगा। 15 और तेरे पास बहुत कार:गर हE , अयाOत ् पयर और लकड़: के काटने और गढ़नेवाले वरन सब भांित के काम के िलथे सब ूकार के ूवीण पुdष हE । 16 सोना, चा(द:, पीतल और लोहे क तो कुछ िगनती नह:ं है , सो तू उस काम म लग जा ! यहोवा तेरे संग िनत रहे । 17 फर दाऊद ने इॐाएल के सब हाकमHको अपके पुऽ सुलम ै ान क सहाथता करने क आWा◌ा यह कहकर द:, 18 क या तुSहारा परमे र यहोवा तुSहारे संग नह:ं है ? या उस ने नुSह चारHओर से वौम नह:ं दया? उस ने तो दे श के िनवािस कH मेरे वश म कर दया है ; और दे श यहोवा और उसक ूजा के साSहने दबा हुआ है । 19 सब तन मन से अपके परमे र यहोवा के पास जाया करो, और जी लगाकर यहोवा परमे र का पवऽःयान बनाना, क तुम यहोवा क वाचा का स(दक ू और परमे र के पवऽ पाऽ उस भवन म लाओ जो यहोवा के नाम का बननेवाला है । 1 इितहास 23 1 दाऊद तो बूढ़ा वरन बहुत बूढा हो गया या, इसिलथे उस ने अपके पुऽ सुलम ै ान

को इसगाएल पर राजा िनयुf कर दया। 2 तब उस ने इॐाएल के सब हाकमHऔर याजकHऔर लेिमयHको इक=ठा कया। 3 और 'जतने लेवीय तीस वषO के और उस से अिधक अवःया के थे, वे िगने एए, और एक एक पुdष के िगनने से उनक िगनती अड़तीस हजार हुई। 4 इन म से चौबीस हजार तो यहोवा के भवन का काम चलाने के िलथे िनयुf हुए, और छ: हजार सरदार और (यायी। 5 और चार हजार kारपाल िनयुf हुए, और चार हजार उन बाजHसे यहोवा क ःतुित करने के िलथे ठहराए गए जो दाऊद ने ःतुित करने के िलथे बनाए थे। 6 फर दाऊद ने उनको गेशॉन, कहात और मरार: नाम लेवी के पुऽHके अनुसार दलHम अलग अलग कर दया। 7 गेशॉिनयHम से तो लादान और िशमी थे। 8 और लादान के पुऽ : सरदार यह:एल, फर जेताम और योएल थे तीन थे। 9 और िशमी के पुऽ : शलेमीत, हजीएल और हारान से तीन थे। लादान के कुल के पूवOजHके घरानHके मु‡य पुdष थे ह: थे। 10 फर िशमी के पुऽ : यहत, जीना, यूश, और वर:आ के पुऽ िशमी यह: चार थे। 11 यहत मु‡य या, और जीजा दस ू रा; यूश और बर:आ के वहुत बेटे न हुए, इस कारण वे सब िमलकर पतरHका एक ह: घराना ठहरे । 12 कहात के पुऽ : अॆाम, ियसहार, हे ॄोन और उGजीएल चार। अॆाम के पुऽ : हाRन और मूसा। 13 हाRन तो इसिलथे अलग कया गया, क वह और उसके स(तान सदा परमपवऽ वःतुओं को पवऽ ठहराएं, और सदा यहोवा के सSमुख धूप जलाया कर और उसक सेवा टहल कर , और उसके नाम से आशीवाOद दया कर । 14 पर(तु परमे र के भf मूसा के पुऽHके नाम लेवी के गोऽ के बीच िगने गए। 15 मूसा के पुऽ, गेशॉम और एलीएजेर। 16 और गेशॉम का पुऽ शबूएल मु‡य या। 17 और एलीएजेर के पुऽ : रहcयाह मु‡य; और एलीएजेर के

और कोई पुऽ न हुआ, पर(तु रहcयाह के बहुत से बेटे हुए। 18 ियसहार के पुऽ म

से शलोमीत मु‡य ठहरा। 19 हे ॄोन के पुऽ : यर:याह मु‡य, दस ू रा अमयाOह, तीसरा यहजीएल, और चौया यकमाम या। 20 उGजीएल के पुऽ म से मु‡य तो मीका और दस ू रा िय'ँशयाह या। 21 मरार: के पुऽ : महली और मूशी। महली के पुऽ : एलीआजर और कश थे। 22 एलीआजर पुऽह:न मर गया, उसके केवल बे टयां हुई; सो कश के पुऽHने जो उनके भाई थे उ(ह cयाह िलया। 23 मूशी के पुऽ : महली; एदोर और यरे मोत यह तीन थे। 24 लेवीय पतरHके घरानHके मु‡य पुdष थे ह: थे, थे नाम ले लेकर, एक एक पुdष करके िगने गए, और बीस वषO क वा उस से अिधक अवःया के थे और यहोवा के भवन म सेवा टहल करते थे। 25 यHक दाऊद ने कहा, इॐाएल के परमे र यहोवा ने अप क ूजा को वौम दया है , और वह तो यRशलेम म सदा के िलथे बस गया है । 26 और लेवयHको िनवास और उस क उपासना का सामान फर उठाना न पकेगा । 27 यHक दाऊद क पछली आWाओं के अनुसार बीस वषO वा उस से अिधक अवःया के लेवीय िगने गए। 28 यHक उनका काम तो हाRन क स(तान क सेवा टहल करना या, अयाOत यह क वे आंगनHऔर कोठgरयHम , और सब पवऽ वःतुओं के शुa करने म और परमे र के भवन क उपासना के सब कामHम सेवा टहल कर । 29 और भ ट क रोट: का, अ(नबिलयHके मैदे का, और अखमीर: पपडय़Hका, और तवे पर बनाए हुए और सने हुए का, और मापके और तौलने के सब ूकार का काम कर । 30 और ूित भोर और ूित सांफ को यहोवा का ध(यवाद और उसक ःतुित करने के िलथे खड़े रहा कर । 31 और वौमदनHऔर नथे चा(द के दनH, और िनयत पवॉ ं म िगनती के िनयम के अनुसार िनय यहोवा के सब

होपबिलयHको बढ़ाएं। 32 और यहोवा के भवन क उपासना के वषय िमलापवाले नSबू और पवऽःयान क रझा कर , और अपके भाई हाRिनयHके सxपे हुए काम को चौकसी से कर । 1 इितहास 24 1 फर हाRन क स(तान के दल थे थे। हाRन के पुऽ तो नादाब, अबीहू, एलीआजर और ईतामार थे। 2 पर(तु नादाब और अबीहू अपके पता के साSहने पुऽह:न मर गए, इस िलथे याजक का काम एलीआजर और ईतामार करते थे। 3 और दाऊद ने एलीआजर के वंश के सादोक और ईतामार के वंश के अहांमेलेक क सहाथता से उनको अप क अप क सेवा के अनुसार दल दल करके बांट दया। 4 और एलीआजर के वंश के मु‡य पुdष, ईतामार के वंश के मु‡य पुdषHसे अिधक थे, और वे यHबांटे गए अयाOत ् एलीआजर के वंश के पतरHके घरानHके सोलह, और ईतामार के वंश के पतरHके घरानHके आठ मु‡य पुdष थे। 5 तब वे िच=ठq डालकर बराबर बराबर बांटे गए, यHक एलीआजर और ईतामार दोनHके वंशHम पवऽःयान के हाकम और परमे र के हाकम िनयुf हुए थे। 6 और नतनेल के पुऽ शमायाह ने जो लेवीय या, उनके नाम राजा और हाकमHऔर सादोक याजक, और एcयातार के पुऽ अह:मेलेक और याजकHऔर लेवयHके पतरHके घरानHके मु‡य पुdषHके साSहने िलखे ; अयाOत ् पतरHका एक घराना तो एलीआजर के वंश म से और एक ईतामार के वंश म से िलया गया। 7 पहली िच=ठq तो यहोयार:ब के, और दस ू र: यदायाह, 8 तीसर: हार:म के, चौयी सोर:म के, 9 पांच कं म'`कयाह के, छठवीं िमयामीन के, 10 सातवीं ह कोस के,

आठवीं अबयाह के, 11 नौवीं थेशू के, दसवीं शक(याह के, 12 bयारहवीं ए`याशीब के, बारहवीं याकम के, 13 तेरहवीं हु€पा के, चौदहवीं थेसेबाब के, 14 प(िहवीं ब`गा के, लोलहवीं इSमेर के, 15 सतरहवीं हे जीर के, अठारहवीं ह'€पसेस के, 16 उ(नीसवीं पत—ाह के, बीसवीं यहे जकेल के, 17 इ कसवीं याकन के, बाईसवीं गामूल के, 18 तेईसवीं दलायाह के, और चौबीसवीं साGयाह के नाम पर िनकलीं। 19 उनक सेवकाई के िलथे उनका यह: िनयम ठहराया गया क वे अपके उस िनयम के अनुसार जो इॐाएल के परमे र यहोवा क आWा के अनुसार उनके मूलपुdष हाRन ने चलाया या, यहोवा के भवन म जाया कर । 20 बचे हुए लेवयHम से अॆाम के वंश म से शूबाएल, शूबाएल के वंश म से थेहदयाह। 21 बचा रहcयाह, सोरहcयाह, के वंश म से िय'ँशयाह मु‡य या। 22 इसहाgरयHम से शलोमोत और हालोमोत के वंश म से यहत। 23 और हे ॄोन के वंश म से मु‡य तो यgरयाह, दस ू रा अमयाOह, तीसरा यहजीएल, और चौया यकमाम। 24 उGजीएल के वंश म से मीका और मीका के वंश म से शामीर। 25 मीका का भाई िय'ँशयाह, िय'ँशयाह के वंश म से जकयाOह। 26 मरार: के पुऽ महली और मूशी और या'जयाह का पुऽ बनो या। 27 मरार: के पुऽ : या'जयाह से बनो और शोहम, ज कू और इॄी थे। 28 महली से, एलीआजर 'जसके कोई पुऽ न या। 29 कश से कश के वंश म यर—ोल। 30 और मूशी के पुऽ, महली, एदे र और यर:मोत। अपके अपके पतरो के घरानHके अनुसार थे ह: लेवीय स(तान के थे। 31 इ(हHने भी अपके भाई हाRन क स(तानHक नाई दाऊद राजा और सादोक और अह:मेलेक और याजकHऔर लेवयHके पतरHके घरानHके मु‡य पुdषHके साSहने िच'=ठयां डालीं, अयाOत ् मु‡य पुdष के पतरHका घराना उसके

छोटे भाई के पतरHके घराने के बराबर ठहरा। 1 इितहास 25 1 फर दाऊद और सेनापितयHने आसाप, हे मान और यदत ू ून के कतने पुऽHको सेवकाई के िलथे अलग कया क वे वीणा, सारं गी और फांफ बजा बजाकर नबूवत कर । और इस सेवकाई के काम करनेवाले मनुंयHक िगनती यह यी : 2 अयाOत ् आसाप के पुऽHम से तो ज कूर, योसेप, नत(याह और अशरे ला, आसाप के थे पुऽ आसाप ह: क आWा म थे, जो राजा क आWा के अनुसार नबूवत करता या। 3 फर यदत ू ून के पुऽHम से गद`याह, सर:यशायाह, हसcयाह, मयाह, थे ह: छ: अपके पता यदत ू ून क आWा म होकर जो यहोवा का ध(यवाद और ःतुित कर करके नबूवत करता या, वीणा बजाते थे। 4 और हे मान के पुऽHम से, मु' कयाह, म(याह, लGजीएल, शबूएल, यर:मोत, हन(याह, हनानी, एलीआता, िगXलती, रोममतीएजेर, योशबकाशा, म`लोती, होतीर और महजीओत। 5 परमे र क ूितWानुकूल जो उसका नाम बढ़ाने क यी, थे सब हे मान के पुऽ थे जो राजा का दशीं या; यHक परमे र ने हे मान को चौदह बे टे और तीन बेटयां द:ं यीं। 6 थे सब यहोवा के भवन म गाने के िलथे अपके अपके पता के अधीन रहकर, परमे र के भवन, क सेवकाई म फांफ, सारं गी और वीणा बजाते थे। और आसाप, यदत ू ून और हे मान राजा के अधीन रहते थे। 7 इन सभHक िगनती भाइयHसमेत जो यहोवा के गीत सीखे हुए और सब ूकार से िनपुण थे, दो सौ अठासी यी। 8 और उ(हHने या बड़ा, या छोटा, या गुR, या चेला, अप क अप क बार: के िलथे िच=ठq डाली। 9 और पहली िच=ठq

आसाप के बेटHम से योसेप के नाम पर िनकली, दस ू र: गद`याह के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 10 तीसर: ज कूर के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 11 चौयी ियॐी के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 12 पांच कं नत(याह के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 13 छठqं बु' कयाह के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 14 सातवीं यसरे ला के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 15 आठवीं यशायाह के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 16 नौवीं मत(याह के नाम पर िनकली, 'जसके पुऽ और भाई समेत बारह थे। 17 दसवीं िशमी के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 18 bयारहवीं अजरे ल के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 19 बारहवीं हशcयाह के नाम पर िनकली, 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 20 तेरहवी शूबाएल के नाम पर िनकली, 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 21 चौदहवीं मयाह के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 22 प(िहवीं यरे मोत के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 23 सोलहवीं हन(याह के नाम पर िनकली, 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 24 सऽहवीं योशबकाशा के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 25 अठारहवीं हरानी के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 26 उ(नीसवीं म`लोती के नाम पर िनकली, 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 27 बीसवीं इिलयाता के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 28 इ कसवीं होतीर के नाम

पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 29 बाईसवीं िगXलती के नाम पर ितकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 30 तेईसवीं महजीओत के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 31 और चौबीसवीं िच=ठq रोममतीएजे र के नाम पर िनकली 'जसके पुऽ और भाई उस समेत बारह थे। 1 इितहास 26 1 फर kारपालHके दल थे थे : कोरहयHम से तो मशेलेSयाह, जो कोरे का पुऽ और आसाप के स(तानHम से या। 2 और मशेलेSयाह के पुऽ हुए, अयाOत ् उसका जेठा जकयाOह दस ू रा यद:एल, तीसरा जवrाह, 3 चौया यतीएल, पांचवां एलाम, छठवां यहोहानान और सातवां ए`यहोएनै। 4 फर ओबेदेदोम के भी पुऽ हुए, उसका जे ठा शमायाह, दस ू रा यहोजाबाद, तीसरा योआह, चौया साकार, पांचवां नतनेल, 5 छठवां अSमीएल, सातवां इःसाकार और आठवां पु`लतै, यHक परमे र ने उसे आशीष द: यी। 6 और उसके पुऽ शमायाह के भी पुऽ उप(न हुए, जो शूरवीर होने के कारण अपके पता के घराने पर ूभुता करते थे। 7 शमायाह के पुऽ थे थे, अयाOत ् ओती, रपाएल, ओबेद, एलजाबाद और उनके भाई एलीहू और सम याह बलवान पुdष थे। 8 थे सब आबेदेदोम क स(तान म से थे, वे और उनके पुऽ और भाई इस सेवकाई के िलथे बलवान और शfमान थे; थे ओबेदेदोमी बासठ थे। 9 और मशेलेSयाह के पुऽ और भाई अठारह थे, जो बलवान थे। 10 फर मरार: के वंश म से होसा के भी पुऽ थे, अयाOत ् मु‡य तो िशॆी ( 'जसको जेठा न होने पर भी उसके पता ने मु‡य ठहराया ), 11 दस ू रा ह'`कयाह, तीसरा तब`याह और

चौया जकयाOह या; होसा के सब पुऽ और भाई िमलकर तेरह थे। 12 kारपालHके दल इन मु‡य पुdषHके थे, थे अपके भाइयHके बराबर ह: यहोवा के भवन म सेवा टहल करते थे। 13 इ(हHने या छोटे , या बड़े , अपके अपके पतरHके घरानHके अनुसार एक एक फाटक के िलथे िच=ठq डाली। 14 पूवO क ओर क िच=ठq शेलेSयाह के नाम पर िनकली। तब उ(हHने उसके पुऽ जकयाOह के नाम क िच=ठq डाली ( वह बुaमान मंऽी या ) और िच=ठq उर क ओर के िलथे िनकली। 15 द' खन क ओर के िलथे ओबोदे दोम के नाम पर िच=ठq िनकली, और उसके बेटHके नाम पर खजाने क कोठर: के िलथे। 16 फर शु€पीम और होसा के नामHक िच=ठq प'_म क ओर के िलथे िनकली, क वे श`लेकेत नाम फाटक के पास चढ़ाई क सड़क पर आSहने साSहने चौकदार: कया कर । 17 पूवO ओर जो छ: लेवीय थे, उर क ओर ूितदन चार, द' खन क ओर ूितदन चार, और खजाने क कोठर: के पास दो ठहरे । 18 प'_म ओर के पबाOर नाम ःयान पर ऊंची सड़क के पास तो चार और पबाOर के पास दो रहे । 19 थे kारपालHके दल थे, 'जन म से कतने तो कोरह के थे और कतने मरार: के वंश के थे। 20 फर लेवयHम से अहयाह परमे र के भवन और पवऽ क हुई वःतुओं, दोनHके भ+डारHका अिध कारनेी िनयुf हुआ। 21 थे लादान क स(तान के थे, अयाOत ् गेशि नयHक स(तान जो लादान के कुल के थे, अयाOत ् लादान और गेशन  ी के पतरHके घरानHके मु‡य पुdष थे, अयाOत ् यहोएली । 22 यहोएली के पुऽ थे थे, अयाOत ् जेताम और उसका भाई योएल जो यहोवा के भवन के खजाने के अिध कारनेी थे। 23 अॆािमयH, ियसहाgरयH, हे ॄोिनयHऔर उGजीएिलयHम से। 24 और शबूएल जो मूसा के पुऽ गेशम  के वंश का या, वह खजानHका मु‡य

अिध कारनेी या। 25 और उसके भाइयHका वृा(त यह है : एलीआजर के कुल म

उसका पुऽ रहcयाह, रहcयाह का पुऽ यशायाह, यशायाह का पुऽ योराम, योराम का पुऽ 'जब, और 'जब का पुऽ शलोमोत या। 26 यह: शलोमोत अपके भाइयHसमेत उन सब पवऽ क हुई पःतुओं के भ+डारHका अिध कारनेी या, जो राजा दाऊद और पतरHके घरानHके मु‡य मु‡य पुdषHऔर सहॐपितयHऔर शतपितयHऔर मु‡य सेनापितयHने पवऽ क यीं। 27 जो लूट लड़ाइयHम िमलती यी, उस म से उ(हHने यहोवा का भवन lढ़ करने के िलथे कुछ पवऽ कया। 28 वरन 'जतना शमूएल दशीं, कश के पुऽ शाऊल, नेर के पुऽ अcनेर, और सRयाह के पुऽ योआब ने पवऽ कया या, और जो कुछ 'जस कसी ने पवऽ कर रखा या, वह सब शलोमोत और उसके भाइयHके अिध कारने म या। 29 ियसहाgरयHम से कन(याह और उसके पुऽ, इॐाएल के दे श का काम अयाOत ् सरदार और (यायी का काम करने के िलथे िनयुf हुए। 30 और हे ॄोिनयHम से हशयाह और उसके भाई जो सऽह सौ बलवान पुdष थे, वे यहोवा के सब काम और राजा क सेवा के वषय यरदन क प'_म ओर रहनेवाले इॐाएिलयHके अ'णकार: ठहरे । 31 हे ॄोिनयHम

से यgरयाह मु‡य या, अयाOत ् हे ॄोिनयHक पीढ़: पीढ़: के पतरHके घरानHके अनुसार दाऊद के राGय के चालीसव वषO म वे ढू ं ढ़े गए, और उन म से कई शूरवीर िगलाद के याजेर म िमले। 32 और उसके भाई जो वीर थे, पतरHके घरानHके दो हाजार सात सौ मु‡य पुdष थे, इनको दाऊद राजा ने परमे र के सब वषयHऔर राजा के वषय म RबेिनयH, गादयHऔर मनँशेके आधे गोऽ का अिध कारनेी ठहराया। 1 इितहास 27

1 इॐाएिलयो क िगनती, अयाOत ् िमतरHके घरानHके मु‡य मु‡य पुdषHऔर यहॐपितयHऔर शतपितयHऔर उनके सरदारHक िगनती जो वषO भर के मह:ने मह:ने उप'ःयत होने और छु=ट: पानेवाले दलHके सब वषयHम राजा क सेवा टहल करते थे, एक एक दल म चौबीस हजार थे। 2 पहले मह:ने के िलथे पहले दल का अिध कारनेी जcद:एल का पुऽ याशोबाम िनयुf हुआ; और उसके दल म

चौबीस हजार थे। 3 वह पेरेस के वंश का या और पहले मह:ने म सब सेनापितयHका अिध कारनेी या। 4 और दस ू रे मह:ने के दल का अिध कारनेी दोदै नाम एक अहोह: या, और उसके दल का ूधान िम लोत या, और उसके दल म चौबीस हजार थे। 5 तीसरे मह:ने के िलथे तीसरा सेनापित यहोयादा याजक का पुऽ बनायाह या और उसके दल म चौबीस हजार थे। 6 यह वह: बनायाह है , जो तीसHशूरHम वीर, और तीसHम ौे भी या; और उसके दल म उसका पुऽ अSमीजाबाद या। 7 चौथे मह:ने के िलथे चौया सेनापित योआब का भाई असाहे ल या, और उसके बाद उसका पुऽ जबrाह या और उसके दल म चौबीस हजार थे। 8 पांचव मह:ने के िलथे पांचवां सेनापित ियळाह: शSहूत या और उसके दल म

चौबीस हजार थे। 9 छठव मह:ने के िलथे छठवां सेनापित तकोई इ केश का पुऽ ईरा या और उसके दल म चौबीस हजार थे। 10 सातव मह:ने के िलथे सातवां सेनापित एूैम के वंश का हे लेस पलोनी या और उसके दल म चौबीस हजार थे। 11 आठव मह:ने के िलथे आठवां सेनापित जेरह के वंश म से हूशाई िसcबकै या और उसके दल म चौबीस हजार थे। 12 नौव मह:ने के िलथे नौवां सेनापित ब(यामीनी अबीएजेर अनातोतवासी या और उसके दल म चौबीस हजार थे। 13 दसव मह:ने के िलथे दसवां सेनापित जे रह: महरै नतोपावासी या और उसके दल

म चौबीस हजार थे। 14 bयारहव मह:ने के िलथे bयारहवां सेनापित एूैम के वंश का बनायाह परातोनवासी या और उसके दल म चौबीस हजार थे। 15 बारहव

मह:ने के िलथे बारहवां सेनापित ओ^ीएल के वंश का हे `दै नतोपावासी या और उसके दल म चौबीस हजार थे। 16 फर इॐाएली गोऽ के थे अिध कारनेी थे : अयाOत ् RबेिनयHका ूधान 'जब का पुऽ एलीआज़र; िशमोिनयHसे माका का पुऽ शपयाह। 17 लेवी से कमूएल का पुऽ हशcयाह; हाRन क स(तान का सादोक। 18 यहूदा का एलीहू नाम दाऊद का एक भाई, इःसाकार से मीकाएल का पुऽ ओSनी। 19 जबूलन ू से ओबrाह का पुऽ ियशमायाह, नTाली से अळीएल का पुऽ यर:मोत। 20 एूैम से अजGयाह का पुऽ होशे, मनँशे से आधे गोऽ का, फ़दायाह का पुऽ योएल। 21 िगलाद म आधे गोऽ मनँशे से जकयाOह का पुऽ इXो, ब(यामीन से अcनेर का पुऽ यासीएल, 22 और दान से यारोहाम का पुऽ अजरे ल, ठहरा। थे ह: इॐाएल के गोऽHके हाकम थे। 23 पर(तु दाऊद ने उनक िगनती बीस वषO क अवःया के तीचे न क, यHक यहोवा ने इॐाएल क िगनती आकाश के तारHके बराबर बढ़ाने के िलथे कहा या। 24 सRयाह का पुऽ योआब िगनती लेने लगा, पर िनपटा न सका यHक ई र का बोध इॐाएल पर भड़का, और यह िगनती राजा दाऊद के इितहास म नह:ं िलखी गई। 25 फर अद:एल का पुऽ अजमावेत राज भ+डारHका अिध कारनेी या, और दे हात और नगरHऔर गांवHऔर गढ़Hके भ+डारHका अ'णकार: उ'Gजयाह का पुऽ यहोनातान या। 26 और जो भूिम को जोतकर बोकर खेती करते थे, उनका अिध कारनेी कलूब का पुऽ एळी या। 27 और दाख क बाgरयHका अिध कारनेी रामाई िशमी और दाख क बाgरयHक उपज जो दाखमधु के भ+डारHम रखने के िलथे यी, उसका

अिध कारनेी शापामी जcद: या। 28 ओर नीचे के दे श के जलपाई और गूलर के वृझHका अिध कारनेी गदे र: बा`हानान या और तेल के भ+डारHका अिध कारनेी योआश या। 29 और शारोन म चरनेवाले गाय-बैलHका अिध कारनेी शारोनी िशऽै या और तराइयHके गाय-बैलHका अिध कारनेी अदलै का पुऽ शापात या। 30 और ऊंटHका अिध कारनेी इँमाएली ओबील और गदहयHका अिध कारनेी मेरोनोतवासी थेहदयाह। 31 और भैड़-बकgरयHका अिध कारनेी हमी याजीज या। थे ह: सब राजा दाऊद के धन सSम के अिध कारनेी थे। 32 और दाऊद का भतीजा योनातान एक समझदार मंऽी और शा\ी या, और कसी ह मोनी का पुऽ एह:एल राजपुऽHके संग रहा करता या। 33 और अह:तोपेल राजा का मंऽी या, और एरे क हूशै राजा का िमऽ या। 34 और यह:तोपेल के बाद बनायाह का पुऽ यहोयादा और एयातार मंऽी ठहराए गए। और राजा का ूधान सेनापित योआब या। 1 इितहास 28 1 और दाऊद ने इॐाएल के सब हाकमHको अयाOत ् गोऽHके हाकमHऔर राजा क सेवा टहल करनेवाले दलHके हाकमHको और सहॐपितयHऔर शतपितयHऔर राजा और उसके पुऽHके पशु आद सब धन सSप के अिध कारने'◌यH, सरदारHऔर वीरHऔर सब शूरवीरHको यRशलेम म बुलवाया। 2 तब दाऊद राजा खड़ा होकर कहने लगा, हे मेरे भाइयH! और हे मेर: ूजा के लोगो ! मेर: सुनो, मेर: मनसा तो यी क यहोवा क वाचा के स(दक ू के िलथे और हम लोगHके परमे र के चरणHक पीढ़: के िलथे वौम का एक भवन बनाऊं, और मE ने उसके बनाने

क तैयार: क यी। 3 पर(तु परमे र ने मुझ से कहा, तू मेरे नाम का भवन बनाने न पाएगा, यHक तू युa करनेवाला है और तू ने लोहू बहाथा है । 4 तौभी इॐाएल के परमे र यहोवा ने मेरे पता के सारे घराने म से मुझी को चुन िलया, क इॐाएल का राजा सदा बना रहंू : अयाOत ् उस ने यहूदा को ूधान होने के िलथे और यहूदा के घराने म से मेरे पता के घराने को चुन िलया और मेरे पता के पुऽHम से वह मुझी को सारे इॐाएल का राजा बनाने के िलथे ूस(न हुआ। 5 और मेरे सब पुऽHम से ( यहोवा ने तो मुझे बहुत पुऽ दए हE ) उस ने मेरे पुऽ सुलम ै ान को चुन िलया है , क वह इॐाएल के ऊपर यहोवा के राGय क गX: पर वराजे। 6 और उस ने मुझ से कहा, क तेरा पुऽ सुलम ै ान ह: मेरे भवन और आंगनHको बनाएगा, यHक मE ने उसको चुन िलया है क मेरा पुऽ ठहरे , और मE उसका पता ठहRंगा। 7 और सद वह मेर: आWाओं और िनयमHके मानने म आज कल क नाई lढ़ रहे , तो मE उसका राGय सदा 'ःयर रखूंगा। 8 इसिलथे अब इॐाएल के दे खते अयाOतयहोवा ् क म+डली के दे खते, और अपके परमे र के साSहने, अपके परमे र यहोवा क सब आWाओं को मानो और उन पर ~यान करते रहो; ताक तुम इस अ.छे दे श के अिध कारनेी बने रहो, और इसे अपके बाद अपके वंश का सदा का भाग होने के िलथे छोड़ जाओ। 9 और हे मेरे पुऽ सुलम ै ान ! तू अपके पता के परमे र का Wान रख, और खरे मन और ूस(न जीव से उसक सेवा करता रह; यHक यहोवा मन को जांचता और वचार म जो कुछ उप(न होता है उसे समझता है । यद तू उसक खोज म रहे , तो वह तुझ को िमलेगा; पर(तु यद तू उसको याग दे तो वह सदा के िलथे तुझ को छोड़ दे गा। 10 अब चौकस रह, यहोवा ने तुझे एक ऐसा भवन बनाने को चुन िलया है , जो पवऽःयान ठहरे गा,

हयाव बा(धकर इस काम म लग जा। 11 तब दाऊद ने अपके पुऽ सुलम ै ान को म'(दर के ओसारे , कोठgरयH, भ+डारHअटाgरयH, भीतर: कोठgरयH, और ूाय'_त के ढकने से ःयान का नमूना, 12 और यहोवा के भवन के आंगनHऔर चारHओर क कोठgरयH, और परमे र के भवन के भ+डारHऔर ववऽ क हुई वःतुओं के भ+डारHके, जो जो नमूने ई र के आमा क ूेरणा से उसको िमले थे, वे सब दे दए। 13 फर याजकHऔर लेबयHके दलH, और यहोवा के भवन क सेवा के सब कामH, और यहोवा के भवन क सेवा के सब सामान, 14 अयाOतसब ् ूकार क सेवा के िलथे सोने के पाऽHके िनिम सोना तौलकर, और सब ूकार क सेवा के िलथे चा(द: के पाऽ के िनिम चा(द: तौलकर, 15 और सोने क द:वटHके िलथे, और उनके द:पकHके िलथे ूित एक एक द:वट, और उसके द:पकHका सोना तौलकर और चा(द: के द:वटHके िलथे एक एक द:वट, और उसके द:पक क चा(द:, ूित एक एक द:वट के काम के अनुसार तौलकर, 16 ओर भ ट क रोट: क मेजHके िलथे एक एक मेज का सोना तौलकर, और जा(द: क मेजHके िलथे चा(द:, 17 और चोखे सोने के कांटH, कटोरHऔर €यालHऔर सोने क कटोgरयHके िलथे एक एक कटोर: का सोना तौलकर, और चा(द: क कटोgरयHके िलथे एक एक कटोर: क चा(द: तौलकर, 18 और धूप क वेद: के िलथे तपाया हुआ सोना तौलकर, और रय अयOत ् यहोवा क वाचा का स(दक ू ढांकनेवाले और पंख फैलाए हुए कRबHके नमूने के िलथे सोना दे दया। 19 मE ने यहोवा क शf से जो मुझ को िमली, यह सब कुछ बफकर िलख दया है । 20 फर दाऊद ने अपके पुऽ सुलम ै ान से कहा, हयाव बा(ध और lढ़ होकर इस काम म लग जा। मत डर, और ते रा मन क.चा न हो, यHक यहोवा परमे र जो मेरा परमे र है , वह तेरे

संग है ; और जब तक यहोवा के भवन म 'जतना काम करना हो वह न हो चुके, तब तक वह न तो तुझे धोखा दे गा और न तुझे यागेगा। 21 और दे ख परमे र के भवन के सब काम के िलथे जाजकHऔर लेवयHके दल ठहराए गए हE , और सब ूकार क सेवा के िलथे सब ूकार के काम ूस(नता से करनेवाले बुaमान पुdष भी तेरा साय द गे; और हाकम और सार: ूजा के लोग भी जो कुछ तू कहे गा वह: कर गे। 1 इितहास 29 1 फर राजा दाऊद ने सार: सभा से कहा, मेरा पुऽ सुलम ै ान सुकुमार लड़का है , और केवल उसी को परमे र ने चुना है ; काम तो भार: है , यHक यह भवन मनुंय के िलथे नह:ं, यहोवा परमे र के िलथे बनेगा। 2 मE ने तो अप क शf भर, अपके परमे र के भवन के िनिम सोने क वःतुओं के िलथे सोना, चा(द: क वःतुओं के िलथे चान ्◌ी, पीतल क वःतुओं के िलथे पीतल, लोहे क वःतुओं के िलथे लोहा, और लकड़: क वःतुओं के िलथे लकड़:, और सुलम ै ानी पयर, और जड़ने के योbय म'ण, और प.ची के काम के िलथे रड़ग रड़ग के नग, और सब भांित के म'ण और बहुत संगममOर इक=ठा कया है । 3 फर मेरा मन अपके परमे र के भवन म लगा है , इस कारण जो कुछ मE ने पवऽ भवन के िलथे इक=ठा कया है , उस सब से अिधक मE अपना िनज धन भी जो सोना चा(द: के Rप म मेरे पास है , अपके परमे र के भवन के िलथे दे दे ता हूँ। 4 अयाOत ् तीन हजार क कार ओपीर का सोना, और सात हजार क कार तपाई हुई चा(द:, 'जस से कोठgरयHक भीत मढ़: जाएं। 5 और सोने क वःतुओं के िलथे सोना,

और चा(द: क वःतुओं के िलथे चा(द:, और कार:गरHसे बनानेवाले सब ूकार के काम के िलथे मE उसे दे ता हूँ। और कौन अप क इ.छा से यहोवा के िलथे अपके को अपOण कर दे ता है ? 6 तब पतरHके घरानHके ूधानHऔर इॐाएल के गोऽHके हाकमHऔर सहॐपितयHऔर शतपितयHऔर राजा के काम के अिध कारने'◌यHने अप क अप क इ.छा से, 7 परमे र के भवन के काम के िलथे पांच हजार क कार और दस हजार दकOनोन सोना, दस हजार क कार चा(द:, अठारह हजार क कार पीतल, और एक लाख क कार लोहा दे दया। 8 और 'जनके पास म'ण थे, उ(हHने उ(ह यहोवा के भवन के खजाने के िलथे गेशॉनी यह:एल के हाथा म दे दया। 9 तब ूजा के लोग आन'(दत हुए, यHक हाकमHने ूस(न होकर खरे मन और अप क अप क इ.छा से यहोवा के िलथे भ ट द: यी; और दाऊद राजा बहुत ह: आन'(दत हुआ। 10 तब दाऊद ने सार: सभा के सSमुख यहोवा का ध(यवाद कया, और दाऊद ने कहा, हे यहोवा ! हे हमारे मूल पुdष इॐाएल के परमे र ! अनादकाल से अन(तकाल तक तू ध(य है । 11 हे यहोवा ! महमा, पराबम, शोभा, सामयO और वभव, तेरा ह: है ; यHक अकाश और पृवी म जो कुछ है , वह तेरा ह: है ; हे यहोवा ! राGय तेरा है , और तू सभHके ऊपर मु‡य और महान ठहरा है । 12 धन और महमा तेर: ओर से िमलती हE , और तू सभHके ऊपर ूभुता करता है । सामयO और पराबम तेरे ह: हाथ म हE , और सब लोगHको बढ़ाना इौर बल दे ना तेरे हाथ म है । 13 इसिलथे अब हे हमारे परमे र ! हम तेरा ~(यवाद और ते रे महमायुf नाम क ःतुित करते हE । 14 मE या हँू ? और मेर: ूजा या है ? क हम को इस र:ित से अप क इ.छा से तुझे भ ट दे ने क शf िमले? तुझी से तो सब कुछ िमलता है , और हम ने तेरे हाथ से

पाकर तुझे दया है । 15 तेर: l म हम तो अपके सब पुरखाओं क नाई पराए और परदे शी हE ; पृवी पर हमारे दन छाया क नाई बीते जाते हE , और हमारा कुछ ठकाना नह:ं। 16 हे हमारे परमे र यहोवा ! वह जो बड़ा संचय हम ने तेरे पवऽ नाम का एक भवन बनाने के िलथे कया है , वह तेरे ह: हाथ से हमे िमला या, और सब तेरा ह: है । 17 और हे मेरे परमे र ! मE जानता हँू क तू मन को जांचता है और िसधाई से ूस(न रहता है ; मE ने तो यह सब कुछ मन क िसधाई और अप क इ.छा से दया है ; और अब मE ने आन(द से दे खा है , क ते र: ूजा के लोग जो यहां उप'ःयत हE , वह अप क इ.छा से तेरे िलथे भ ट दे ते हE । 18 हे यहोवा ! हे हमारे पुरखा इॄाह:म, इसहाक और इॐाएल के परमे र ! अप क ूजा के मन के वचारHम यह बात बनाए रख और उनके मन अप क ओर लगाए रख। 19 और मेरे पुऽ सुलम ै ान का मन ऐसा खरा कर दे क वह तेर: आWाओं िचतौिनयHऔर विधयHको मानता रहे और यह सब कुछ करे , और उस भवन को बनाए, 'जसक तैयार: मE ने क है । 20 तब दाऊद ने सार: सभा से कहा, तुम अपके परमे र यहोवा का ध(यवाद करो। तब सभा के सब लोगHने अपके पतरHके परमे र यहोवा का ध(यवाद कया, और अपना अपना िसर फुकाकर यहोवा को और राजा को द+डवत कया। 21 और दस ू रे दन उ(हHने यहोवा के िलथे बिलदान कए, अयाOत ् अधॉं समेत एक हजार बैल, एक हजार मेढ़े और एक हजार भेड़ के ब.चे होमबिल करके चढ़ाए, और सब इॐाएल के िलथे बहुत से मेलबिल चढ़ाए। उसी दन यहोवा के साSहने उ(हHने बड़े आन(द से खाया और पया। 22 फर उ(हHने दाऊद के पुऽ सुलम ै ान को दस ू र: बार राजा ठहराकर यहोवा क ओर से ूधान होने के िलथे उसका और याजक होने के िलथे सादोक

का अिभषेक कया। 23 तब सुलम ै ान अपके पता दाऊद के ःयान पर राजा होकर यहोवा के िसंहासन पर वराजने लगा और भाbयवान हुआ, और इॐाएल उसके अधीन हुआ। 24 और सब हाकमHऔर शूरवीरHऔर राजा दाऊद के सब पुऽHने सुलम ै ान राजा क अधीनता अंगीकार क। 25 और यहोवा ने सुलम ै ान को सब इॐाएल के दे खते बहुत बढ़ाया, और उसे ऐसा राजकय ऐ यO दया, जैसा उस से पहले इॐाएल के कसी राजा का न हुआ या। 26 इस ूकार ियहौ के पुऽ दाऊद ने सारे इॐाएल के ऊपर राGय कया। 27 और उसके इॐाएल पर राGय करने का समय चालीस वषO का या; उस ने सात वषO तो हे ॄोन म और तEतीस वषO यRशलेम म राGय कया। 28 और वह पूरे बूढ़ापे क अवःया म द:घाOयु होकर और धन और वभव, मनमाना भोगकर मर गया; और उसका पुऽ सुलम ै ान उसके ःयान पर राजा हुआ। 29 आाद से अ(त तक राजा दाऊद के सब कामHका वृा(त, 30 और उसके सब राGय और पराबम का, और उस पर और इॐाएल पर, वरन दे श दे श के सब राGयHपर जो कुछ बीता, इसका भी वृा(त शमूएल दशीं और नातान नबी और गाद दशीं क पुःतकHम िलखा हुआ है । 2 इितहास 1 1 दाऊद का पुऽ सुलम ै ान राGय म 'ःयर हो गया, और उसका परमे र यहोवा उसके संग रहा और उसको बहुत ह: बढ़ाया। 2 और सुलम ै ान ने सारे इॐाएल से, अयाOत ् सहॐपितयH, शतपितयH, (यािययHऔर इॐाएल के सब रईसHसे जो पतरHके घरानHके मु‡य मु‡य पुdष थे, बात कं। 3 और सुलम ै ान पूर: म+डली समेत िगबोन के ऊंचे ःयान पर गया, यHक परमे र का िमलापवाला तSबू,

'जसे यहोवा के दास मूसा ने जंगल म बनाया या, वह वह:ं पर या। 4 पर(तु परमे र के स(दक ू को दाऊद कयOयार:म से उस ःयान पर ले आया या 'जसे उस ने उसके िलथे तैयार कया या, उस ने तो उसके िलथे यRशलेम म एक तSबू खड़ा कराया या। 5 और पीतल क जो वेद: ऊर: के पुऽ बसलेल ने, जो हूर का पोता या, बनाई यी, वह िगबोन म यहोवा के िनवास के साSहने यी। इसिलथे सुलम ै ान म+डली समेत उसके पास गया। 6 और सुलम ै ान ने वह:ं उस पीतल क वे द: के पास जाकर, जो यहोवा के साSहने िमलापवाले तSबू के पास यी, उस पर एक हजार होमबिल चड़ाए। 7 उसी दन रात को परमे र ने सुलम ै ान को दशOन दे कर उस से कहा, जो कुछ तू चाहे क मE तुझे दं ,ू वह मांग। 8 सुलम ै ान ने परमे र से कहा, तू मेरे पता दाऊद पर बड़: कdणा करता रहा और मुझ को उसके ःयान पर राजा बनाया है । 9 अब हे यहोवा परमे र ! जो बचन तू ने मेरे पता दाऊद को दया या, वह पूरा हो; तू ने तो मुझे ऐसी ूजा का राजा बनाया है जो भूिम क धूिल के कनकHके समान बहुत है । 10 अब मुझे ऐसी बुa और Wान दे , क मE इस ूजा के साSहने अ(दर- बाहर आना-जाना कर सकूं, यHक कौन ऐसा है क तेर: इतनी बड़: ूजा का (याय कर सके? 11 परमे र ने सुलम ै ान से कहा, तेर: जो ऐसी ह: मनसा हुई, अयाOत तू ने न तो धन सSप मांगी है , न ऐ यऔर ्O न अपके बैgरयHका ूाण और न अप क द:घाOयु मांगी, केवल बुa और Wान का वर मांगा है , 'जस से तू मेर: ूजा का 'जसके ऊपर मE ने तुझे राजा िनयुf कया है , (याय कर सके, 12 इस कारण बुa और Wान तुझे दया जाता है । और मE तुझे इतना धन सSप और ऐ यO दं ग ू ा, 'जतना न तो तुझ से पहले कसी राजा को, िमला और न ते रे बाद कसी राजा को िमलेगा। 13 तब सुलम ै ान

िगबोन के ऊंचे ःयान से, अयाOत ् िमलापवाले तSबू के साSहने से यRशलेम को आया और वहां इॐाएल पर राGय करने लगा। 14 फर सुलम ै ान ने रय और सवार इक=ठे कर िलथे; और उसके चौदह सौ रय और बारह हजार सवार थे, और उनको उस ने रयHके नगरHम , और यRशलेम म राजा के पास ठहरा रखा। 15 और राजा ने ऐसा कया, क यRशलेम म सोने-चा(द: का मू`य बहुतायत के कारण पयरHका सा, और दे वदारHका मू`य नीचे के दे श के गूलरHका सा बना दया। 16 और जो घोड़े सुलम ै ान रखता या, वे िमॐ से आते थे, और राजा के यापार: उ(ह

फुणड के फुणड ठहराए हुए दाम पर िलया करते थे। 17 एक रय तो छ: सौ शेकेल चा(द: पर, और एक घोड़ा डे ढ़ सौ शेकेल पर िमॐ से आता या; और इसी दाम पर वे हयHके सब राजाओं और अराम के राजाओं के िलथे उ(ह:ं के kारा लाया करते थे। 2 इितहास 2 1 और सुलम ै ान ने यहोवा के नाम का एक भवन और अपना राजभवन बनाने का वचार कया। 2 इसिलए सुलम ै ान ने सर हजार बोफथे और अःसी हजार पहाड़ से पयर काटनेवाले और वृझ काटनेवाले, और इन पर तीन हजार छ: सौ मु'खथे िगनती करके ठहराए। 3 तब सुलम ै ान ने सोर के राजा हूराम के पास कहला भेजा, क जैसा तू ने मेरे पता दाऊद से बाOव कया, अयाOत ् उसके रहने का भवन बनाने को दे वदार भेजे थे, पैसा ह: अब मुझ से भी बाOव कर। 4 दे ख, मE अपके परमे र यहोवा के नाम का एक भवन बनाने पर हँू , क उसे उसके िलथे पवऽ कRं और उसके सSमुख सुग'(धत धूम जलाऊं, और िनय भ ट क रोट: उस म

रखी जाए; और ूितदन सबे रे और सांफ को, और वौम और नथे चांद के दनHम और हमारे परमे र यहोवा के सब िनयत पcबॉं म होमबिल चढ़ाया जाए। इॐाएल के िलथे ऐसी ह: सदा क विध है । 5 और जो भवन मE बनाने पर हंू , वह महान होगा; यHक हमारा परमे र सब दे वताओं म महान है । 6 पर(तु कस क इतनी शf है , क उसके िलथे भवन बनाए, वह तो ःवगO म वरन सब से ऊंचे ःवगO म भी नह:ं समाता? मE या हूँ क उसके साSहने धूप जलाने को छोड़ और कसी मनसा से उसका भवन बनाऊं? 7 सो अब तू मेरे पास एक ऐसा मनुंय भेज दे , जो सोने, चा(द:, पीतल, लोहे और बEजनी, लाल और नीले कपके क कार:गर: म िनपुण हो और न काशी भी जानता हो, क वह मेरे पता दाऊद के ठहराए हुए िनपुण पनुंयHके साय होकर जो मेरे पास यहूदा और यRशलेम म रहते हE , काम करे । 8 फर लबानोन से मेरे पास दे वदार, सनोवर और चंदन क लकड़: भेजना, यHक मE जानता हँू क तेरे दास लबानोन म वृझ काटना जानते हE , और तेरे दासHके संग मेरे दास भी रहकर, 9 मेरे िलथे बहुत सी लकड़: तैयार कर गे, यHक जो भवन मE बनाना चाहता हूँ, वह बड़ा और अचSभे के योbय होगा। 10 और तेरे दास जो लकड़: काट गे, उनको मE बीस हजार कोर कूटा हुआ गंहंू , बीस हजार कोर जव, बीस हजार बत दाखमधु और बीस हजार बत तेल दं ग ू ा। 11 तब सोर के राजा हूराम ने िच=ठq िलखकर सुलम ै ान के पास भेजी, क यहोवा अप क ूजा से ूेम रखता है , इस से उस ने तुझे उनका राजा कर दया। 12 फर हूराम ने यह भी िलखा क ध(य है इॐाएल का परमे र यहोवा, जो आकाश और पृवी का सृजनहार है , और उस ने दाऊद राजा को एक बुaमान, चतुर और समझदार पुऽ दया है , ताक वह यहोवा का एक भवन और अपना राजभवन भी बनाए। 13

इसिलथे अब मE एक बुaमान और समझदार पुdष को, अयाOत ् हूराम-अबी को भेजता हूँ, 14 जो एक दानी \ी का बेटा है , और उसका पता सोर का या। और वह सोने, चा(द:, पीतल, लोहे , पयर, लकड़:, बEजनी और नीले और लाल और सूˆम सन के कपके का काम, और सब ूकार क न काशी को जानता और सब भांित क कार:गर: बना सकता है : सो तेरे चतुर मनुंया◌ो◌ंके संग, और मेरे ूभु तेरे पता दाऊद के चतुर मनुंयHके संग, उसको भी काम िमले। 15 और मेरे ूभु ने जो गेहंू , जव, तेल और दाखमधु भेजने क चचाO क है , उसे अपके दासHके पास '•जवा दे । 16 और हम लोग 'जतनी लकड़: का तुझे ूयोजन हो उतनी लबानोन पर से काट गे, और बेड़े बनवाकर समुि के मागO से जापा को पहुचाएंगे, और तू उसे यRशलेम को ले जाना। 17 तब सुलम ै ान ने इॐाएली दे श के सब परदे िशयHक िगनती ली, यह उस िगनती के बाद हुई जो उसके पता दाऊद ने ली यी; और वे डे ढ़ लाख तीन हजार छ: सौ पुdष िनकले। 18 उन म से उस ने सर हजार बोफथे, अःसी हजार पहाड़ पर पयर काटनेवाले और वृझ काटनेवाले और तीन हजार छ: सौ उन लोगHसे काम करानेवाले मु'खथे िनयुf कए। 2 इितहास 3 1 तब सुलम ै ान ने यRशलेम म मोgरयाह नाम पहाड़ पर उसी ःयान म यहोवा का भवन बनाना आरSभ कया, 'जसे उसके पता दाऊद ने दशOन पाकर यबूसी ओनाOन के खिलहान म तैयार कया या : 2 उस ने अपके राGय के चौथे वषO के दस ू रे मह:ने के, दस ू रे दन को बनाना आरSभ कया। 3 परमे र का जो भवन सुलम ै ान ने बनाया, उसका यह ढव है , अयाOत ् उसक लSबाई तो ूाचीन काल क

नाप के अनुसार साठ हाथ, और उसक चौड़ाई बीस हाथ ् क यी। 4 और भवन के साSहने के ओसारे क लSबाई तो भवन क चौड़ाई के बराबर बीस हाथ क; और उसक ऊंचाई एक सौ बीस हाथ क थी। सुलम ै ान ने उसको भीतर चोखे सोने से मढ़वाया। 5 और भवन के बड़े भाग क छत उस ने सनोवर क लकड़: से पटवाई, और उसको अ.छे सोने से मढ़वाया, और उस पर खजूर के वृझ क और सांकलHक न काशी कराई। 6 फर शोभा दे ने के िलथे उस ने भवन म म'ण जड़वाए। और यह सोना पवEम का या। 7 और उस ने भवन को, अयाOत ् उसक कडय़H, डे वढय़H, भीतHऔर कवाडHको सोने से मढ़वाया, और भीतHपर कRब खुदवाए। 8 फर उस ने भवन के परमपवऽ ःयान को बनाया; उसक लSबाई तो भवन क चौड़ाई के बराबर बीस हाथ क यी, और उसक चौड़ाई बीस हाथ क यी; और उस ने उसे छ: सौ क कार चोखे सोने से मढ़वाया। 9 और सोने क कलHका तौल पचास शेकेल या। और उस ने अटाgरयHको भी सोने से मढ़वाया। 10 फर भवन के परमपवऽ ःयान म उसने न काशी के काम के दो कRब बनवाए और वे सोने से मढ़वाए गए। 11 कRबHके पंख तो सब िमलकर बीस हाथ लSबे थे, अयाOत ् एक कRब का एक पंख पांच हाथ का और भवन क भीत तक पहंु चा हुआ या; और उसका दस ू रा पंख पांच हाथ का या और दस ू रे कRब के पंख से िमला हुआ या। 12 और दस ू रे कRब का भी एक पंख पांच हाथ का और भवन क दस ू र: भीत तक पहुंचा या, और दस ू रा पंख पांच हाथ का और पहले कRब के पंख से सटा हुआ या। 13 इन कRबHके पंख बीस हाथ फैले हुए थे; और वे अपके अपके पांवHके बल खड़े थे, और अपना अपना मुख भीतर क ओर कए हुए थे। 14 फर उस ने बीचवाले पद को नीले, बEजनी और लाल रं ग के सन के कपके का बनवाया,

और उस पर कRब कढ़वाए। 15 और भवन के साSहने उस ने पEतीस पEतीस हाथ ऊंचे दो खSभे बनवाए, और जो कंगनी एक एक के ऊपर यी वह पांच पांच हाथ क यी। 16 फर उस ने भीतर: कोठर: म सांकल बनवाकर खSभHके ऊपर लगाई, और एक सौ अनार भी बनाकर सांकलHपर लटकाए। 17 उस ने इन ‡SभHको म'(दर के साSहने, एक तो उसक दाहनी ओर और दस ू रा बाई ओर खड़ा कराया; और दाहने खSभे का नाम याकन और बाथ खSभे का नाम बोअज़ रखा। 2 इितहास 4 1 फर उस ने पीतल क एक वेद: बनाई, उसक लSबाई और चौड़ाई बीस बीस हाथ क और ऊंचाई दस हाथ क यी। 2 फर उस ने एक ढाला हुआ हौद बनवाया; जो छोर से छोर तक दस हाथ तक चौड़ा या, उसका आकार गोल या, और उसक ऊंचाई पांच हाथ क यी, और उसके चारHओर का घेर तीस हाथ के नाप का या। 3 और उसके तले, उसके चारHओर, एक एक हाथ म दस दस बैलHक ूितमाएं बनी यीं, जो हौद को घेरे यीं; जब वह ढाला गया, तब थे बैल भी दो पांित करके ढाले गए। 4 और वह बारह बने हुए बैलHपर धरा गया, 'जन म से तीन उर, तीन प'_म, तीन द' खन और तीन पूवO क ओर मुह ं कए हुए थे; और इनके ऊपर हौद घरा या, और उन सभHके पछले अंग भीतर: भाग म पड़ते थे। 5 और हौद क मोटाई चौवा भर क यी, और उसका मोहड़ा कटोरे के मोहड़े क नाई, सोसन के फूलHके काम से बना या, और उस म तीन हजार बत भरकर समाता या। 6 फर उस ने धोने के िलथे दस हौद: बनवाकर, पांच दाहनी और पांच बाई ओर रख द:ं। उन म होमबिल क वःतुएं धोई जाती यीं, पर(तु याजकHके धोने के िललथे बड़ा

हौद या। 7 फर उस ने सोने क दस द:वट विध के अनुसार बनवाई, और पांच दाहनी ओर और पांच बाई ओर म'(दर म रखवा द:ं। 8 फर उस ने दस मेज बनवाकर पांच दाहनी ओर और पाच बाई ओर म'(दर म रखवा द:ं। और उस ने सोने के एक सौ कटोरे बनवाए। 9 फर उस ने याजकHके आंगन और बड़े आंगन को बनवाया, और इस आंगन म फाटक बनवाकर उनके कवाड़Hपर पीतल मढ़वाया। 10 और उस ने हौद को भवन क दाहनी ओर अयाOत ् पूवO और द' खन के कोने क ओर रखवा दया। 11 और हूराम ने ह+डH, फावडय़H, और कटोरHको बनाया। और हूराम ने राजा सुलम ै ान के िलथे परमे र के भवन म जो काम करना या उसे िनपटा दया : 12 अयाOत ् दो खSभे और गोलHसमेत वे कंगिनयां जो खSभHके िसरHपर यीं, और खSभHके िसरHपर के गोलHको ढांपके के िलए जािलयHक दो दो पांित; 13 और दोनHजािलयHके िलथे चार सौ अनार और जो गोले खSभHके िसरHपर थे, उनको ढांपकेवाली एक एक जाली के िलथे अनारHक दो दो पांित बनाई। 14 फर उस न कुिसया{ और कुिसयJपर क हौदयां, 15 और उनके नीचे के बारह बैल बनाए। 16 फर हूराम-अबी ने ह+डH, फावडय़H, कांटHऔर इनके सब सामान को यहोवा के भवन के िलथे राजा सुलम ै ान क आWा से फलकाए हुए पीतल के बनवाए। 17 राजा ने उसको यरदन क तराई म अयाOत ् सु कोत और सारतान के बीच क िचकनी िम=ट:वाली भूिम म ढलवाया। 18 सुलम ै ान ने थे सब पाऽ बहुत बनवाए, यहां तक क पीतल के तौल का हसाब न या। 19 और सुलम ै ान ने परमे र के भवन के सब पाऽ, सोने क वेद:, और वे मेज 'जन पर भ ट क रोट: रखी जाती यीं, 20 और द:पकHसमेत चोखे सोने क द:वट , जो विध के अनुसार भीतर: कोठर: के साSहने जला करतीं यीं। 21 और सोने

बरन िनरे सोने के फूल, द:पक और िचमटे ; 22 और चोखे सोने क कEिचयां, कटोरे , धूपदान और करछे बनवाए। फर भवन के kार और परम पवऽ ःयान के भीतर: कवाड़ और भवन अयाOत ् म'(दर के कवाड़ सोने के बने। 2 इितहास 5 1 इस ूकार सुलम ै ान ने यहोवा के भवन के िलथे जो जो काम बनवाया वह सब िनपट गया। तब सुलम ै ान ने अपके पता दाऊद के पवऽ कए हुए सोने, चा(द: और सब पाऽHको भीतर पहंु चाकर परमे र के भवन के भएाडारHम रखवा दया। 2 तब सुलम ै ान ने इॐाएल के पुरिनयHको और गोऽHके सब मुखय पुdष, जो इॐाएिलयHके पतरHके घरानHके ूधान थे, उनको भी यRशलेम म इस मनसा से इक=ठा कया, क वे यहोवा क वाचा का स(दक ू दाऊदपुर से अयाOत ् िसयोन से ऊपर िलवा ले आएं। 3 सब इॐाएली पुdष सातव मह:ने के पवO के समय राजा के पास इक=ठे हुए। 4 जब इॐाएल के सब पुरिनथे आए, तब लेवयHने स(दक ू को उठा िलया। 5 और लेवीय याजक स(दक ू और िमलाप का तSबू और 'जतने पवऽ पाऽ उस तSबू म थे उन सभHको ऊपर ले गए। 6 और राजा सुलम ै ान और सब इॐाएली म+डली के लोग जो उसके पास इक=ठे हुए थे, उ(हHने स(दक ू के साSहने इतनी भेड़ और बैल बिल कए, 'जनक िगनती और हसाब बहुतायत के कारण न हो सकती यी। 7 तब याजकHने यहोवा क वाचा का सनदक ू उसके ःयान म , अयाOत ् भवन क भीतर: कोठर: म जो परमपवऽ ःयान है , पहं चाकर, कRबHके पंखHके तले रख दया। 8 स(दक ू के ःयान के ऊपर कRब तो पंख फैलाए हुए थे, 'जससे वे ऊपर से स(दक ू और उसके डणडHको ढांपे थे। 9 डणडे तो इतने

लSबे थे, क उनके िस के स(दक ू से िनकले हुए भीतर: कोठर: के साSहने दे ख पड़ते थे, पर(तु बाहर से वे दखई न पड़ते थे। वे आज के दन तक वह:ं हE । 10 स(दक ू म पे क उन दो पटयाओं को छोड़ कुछ न या, 'ज(ह मूसा ने होरे ब म

उसके भीतर उस समय रखा, जब यहोवा ने इॐाएिलयHके िमॐ से िनकलने के बाद उनके साय वाचा बा(धी यी। 11 जब याजक पवऽःयान से िनकले ( 'जतने याजक उप'ःयत थे, उन सभHने तो अपके अपके को पवऽ कया या, और अलग अलग दलHम होकर सेवा न करते थे; 12 और 'जतने लेवीय गवैथे थे, वे सब के सब अयाOत ् मुऽHऔर भइयHसमेत आसाप, हे मान और यदत ू ून सन के व\ पहने फांफ, सारं िगयां और वीणाएं िलथे हुए, वेद: के पूवO अलंग म खड़े थे, और उनके साय एक सौ बीस याजक तुरहयां बजा रहे थे।) 13 तो जब तुरहयां बजानेवाले और गानेवाले एक ःवर से यहोवा क ःतुित और ध(यवाद करने लगे, और तुरहयां, फांफ आद बाजे बजाते हुए यहोवा क यह ःतुित ऊंचे शcद से करने लगे, क वह भला है और उसक कdणा सदा क है , तब यहोवा के भवन मे बादल छा गया, 14 और बादल के कारण याजक लोग सेवा-टहल करने को खड़े न रह सके, यHक यहोवा का तेज परमे र के भवन म भर गया या। 2 इितहास 6 1 तब सुलम ै ान कहने लगा, यहोवा ने कहा या, क मE घोर अंधकार मE वास कए रहूंगा। 2 पर(तु मE ने तेरे िलथे एक वासःयान वरन ऐसा lढ़ ःयान बनाया है , 'जस म तू युग युग रहे । 3 और राजा ने इॐाएल क पूर: सभा क ओर मुह ं फेरकर उसको आशीवाOद दया, और इॐाएल क पूर: सभा खड़: रह:। 4 और उस ने कहा,

ध(य है इॐाएल का परमे र यहोवा, 'जस ने अपके मुह ं से मेरे पता दाऊद को यह वचन दया या, और अपके हाथHसे इसे पूरा कया है , 5 क 'जस दन से मE अप क ूजा को िमॐ दे श से िनकाल लाया, तब से मE ने न तो इॐाएल के कसी गोऽ का कोई नगर चुना 'जस म मेरे नाम के िनवास के िलथे भवन बनाया जाए, और न कोई मनुंय चुना क वह मेर: ूजा इॐाएल पर ूधान हो। 6 पर(तु मE ने यRशलेम को इसिलथे चुना है , क मेरा नाम वहां हो, और दाऊद को चुन िलया है क वह मेर: ूजा इॐाएल पर ूधान हो। 7 मेरे पता दाऊद क यह मनसा यी क इॐाएल के परमे र यहोवा के नाम का एक भवन बनवाए। 8 पर(तु यहोवा ने मेरे पता दाऊद से कहा, तेर: जो मनसा है क यहोवा के नाम का एक भवन बनाए, ऐसी मनसा करके नू ने भला तो कया; 9 तौभी तू उस भवन को बनाने न पाएगा : तेरा जो िनज पुऽ होगा, वह: मेरे नाम का भवन बनाएगा। 10 यह वचन जो यहोवा ने कहा या, उसे उस ने पूरा भी कया है ; ओर मE अपके पता दाऊद के ःयान पर उठकर यहोवा के वचन के अनुसार इॐाएल क गX: पर वराजमान हँू , और इॐाएल के परमे र यहोवा के नाम के इस भवन को बनाया है । 11 और इस म मE ने उस स(दक ू को रख दया है , 'जस म यहोवा क वह वाचा है , जो उस ने इॐाएिलयHसे बा(धी यी। 12 तब वह इॐाएल क सार: सभा के दे खते यहोवा क वे द: के साSहने खड़ा हुआ और अपके हाथ फैलाए। 13 सुलम ै ान ने पांच हाथ लSबी, पांच हाथ चौड़: और तीन हाथ ऊंची पीतल क एक चौक बनाकर आंगन के बीच रखवाई यी; उसी पर खड़े होकर उस ने सारे इॐाएल क सभा के सामने घुटने टे ककर ःवगO क ओर हाथ फैलाए हुए कहा, 14 हे यहोवा, हे इॐाएल के परमे र, तेरे समान न तो ःवगO म और न पृवी पर कोई ई र है : ते रे जो दास

अपके सारे मन से अपके को तेरे सSमुख जानकर जलते हE , उनके िलथे तू अप क वाचा पूर: करता और कdणा करता रहता है । 15 तू ने जो वचन मेरे पता दाऊद को दया या, उसका तू ने पालन कया है ; जैसा तू ने अपके मुह ं से कहा या, वैसा ह: अपके हाथ से उसको हमार: आंखHके साSहने पूरा भी कया है । 16 इसिलथे अब हे इॐाएल के परमे र यहोवा इस वचन को भी मूरा कर, जो तू ने अपके दास मेरे पता दाऊद को दया या, क तेरे कुल म मेरे साSहने इॐाएल क गX: पर वराजनेवाले सदा बने रह गे, यह हो क जैसे तू अपके को मेरे सSमुख जानकर चलता रहा, वैसे ह: तेरे वंश के लोग अप क चाल चलन म ऐसी चौकसी कर , क मेर: यवःया पर चल । 17 अब हे इॐाएल के परमे र यहोवा जो वचन तू ने अपके दास दाऊद को दया य, वह सeचा कया जाए। 18 पर(तु या परमे र सचमुच मनुंयHके संग पुवी पर वास करे गा? ःवगO म वरन सब से ऊंचे ःवगO म भी तू नह:ं समाता, फर मेरे बनाए हुए इस भवन म तू यHकर समाएगा? 19 तौभी हे मेरे परमे र यहोवा, अपके दास क ूायOना और िगड़िगड़ाहट क ओर ~यान दे और मेर: पुकार और यह ूायOना सुन, जो मE ते रे साSहने कर रहा हँू । 20 वह यह है क तेर: आंख इस भवन क ओर, अयOत ् इसी ःयान क ओर 'जसके वषय म तू ने कहा है क मE उस म अपना नाम रखूंगा, रात दन खुली रह , और जो ूायOना ते रा दास इस ःयान क ओर करे , उसे तू सुन ले। 21 और अपके दास, और अप क ूजा इॐाएल क ूायOना 'जसको वे इस ःयान क ओर मुह ं कए हुए िगड़िगड़ाकर कर , उसे सुन लेना; ःवगO म से जो तेरा िनवासःयान है , सुन लेना; और सुनकर झमा करना। 22 जब कोई कसी दस ू रे का अपराध करे और उसको शपय 'खलाई जाए, और वह आकर इस भवन म

तेर: वेद: के साSहने शपय खाए, 23 तब तू ःवगO म से सुनना और मानना, और अपके दासHका (याय करके द ु को बदला दे ना, और उसक चाल उसी के िसर लैटा दे ना, और िनदॉष को िनदॉष ठहराकर, उसके धमO के अनुसार उसको फल दे ना। 24 फर यद तेर: ूजा इॐाएल तेरे वda पाप करने के कारण अपके शऽुओं से हार जाएं, और तेर: ओर फरका ते रा नाम मान , और इस भवन म तुझ से ूायOना और िगड़िगड़ाहट कर , 25 तो तू ःवगO म से सुनना; और अप क ूजा इॐाएल का पाप झमा करना, और उ(ह इस दे श म लौटा ले आना 'जसे तू ने उनको और उनके पुरखाओं को दया है । 26 जब वे तेरे वda पाप कर , और इस कारण आकाश इतना ब(द हो जाए क वषाO न हो, ऐसे समय यद वे इस ःयान क ओर ूायOना करके तेरे नाम को मान , और तू जो उ(ह द:ु ख दे ता है , इस कारण वे अपके पाप से फर , 27 तो तू ःवगO म से सुनना, और अपके दासHऔर अप क ूजा इॐाएल के पाप को झमा करना; तू जो उनको वह भला मागO दखाता है 'जस पर उ(ह चलना चाहथे, इसिलथे अपके इस दे श पर 'जसे तू ने अप क ूजा का भाग करके दया है , पानी बरसा दे ना। 28 जब इस दे श म काल वा मर: वा फुलस हो वा गे dई वा ट']डयां वा कड़े लग , वा उनके शऽु उनके दे श के फाटकHम उ(ह घेर रख , वा कोई वप वा रोग हो; 29 तब यद कोई मनुंय वा तेर: सार: ूजा इॐाएल जो अपना अपना द:ु ख और अपना अपना खे द जान कर और िगड़िगड़ाहट के साय ूायOना करके अपके हाथ इस भवन क ओर फैलाए; 30 जो तू अपके ःवगींय िनवासःयान से सुनकर झमा करना, और एक एक के मन क जानकर उसक चाल के अनुसार उसे फल दे ना; (तू ह: तो आदिमयHके मन का जाननेवाला है ); 31 क वे 'जतने दन इस दे श म रह , 'जसे तू ने उनके पुरखाओं

को दया या, उतने दन तक तेरा भय मानते हुए तेरे मागॉं पर चनते रह । 32 फर परदे शी भी जो तेर: ूजा इॐाएल का न हो, जब वह तेरे बड़े नाम और बलव(त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा के कारण दरू दे श से आए, और आकर इस भवन क ओर मुह ं कए हुए ूायOना करे , 33 तब तू अपके ःवगींय िनवासःयान म से सुने, और 'जस बात के िलथे ऐसा परदे शी तुझे पुकारे , उसके अनुसार करना; 'जस से पुवी के सब दे शHके लोग तेरा नाम जानकर, तेर: ूजा इॐाएल क नाई तेरा भय मान ; और िन_य कर , क यह भवन जो मE ने बनाया है , वह ते रा ह: कहलाता हE । 34 जब तेर: ूजा के लोग जहां कह:ं तू उ(ह भेजे वहां अपके शऽुओं से लड़ाई करने को िनकल जाएं, और इस नगर क ओर 'जसे तू ने चुना है , और इस भवन क ओर 'जसे मE ने तेरे नाम का बनाया है , मुह ं कए हुए तुझ से ूायOना कर , 35 तब तू ःवगO म से उनक ूायOना और िगड़िगड़ाहट सुनना, और उनका (याय करना। 36 िनंपाप तो कोई मनुंय नह:ं है , यद वे भी तेरे वda पाप कर और तू उन पर कोप करके उ(ह शऽुओं के हाथ कर दे , और वे उ(ह ब(धुआ करके कसी दे श को, चाहे वह दरू हो, चाहे िनकट, ले जाएं, 37 तो यद वे ब(धुआई के दे श म

सोच वचर कर , और फरकर अप क ब(धुआई करनेवालHके दे श म तुझ से िगड़िगड़ाकर कह , क हम ने पाप कया, और कुटलता और द ू ता क है ; 38 सो यद वे अप क ब(धुआई के दे श म जहां वे उ(ह ब(धुआ करके ले गए हHअपके पूरे मन और सारे जीव से तेर: ओर फर , और अपके इस दे श क ओर जो तू ने उनके पुरखाओं को दया या, और इस नगर क ओर 'जसे तू ने चुना है , और इस भवन क ओर 'जसे मE ने तेरे नाम का बनाया है , मुह ं कए हुए तुझ से ूायOना कर , 39 तो तू अपके ःवगींय िनवासःयान म से उनक ूायOना और िगड़िगड़ाहट

सुनना, और उनका (याय करना और जो पाप तेर: ूजा के लोग तेरे वda कर , उ(ह झमा करना। 40 और हे मेरे परमे र ! जो ूायOना इस ःयान म क जाए उसक ओर अप क आंख खोले रह और अपके कान लगाए रख। 41 अब हे यहोवा परमे र, उठकर अपके सामयO के स(दक ू समेत अपके वौमःयान म

आ, हे यहोवा परमे र ते रे याजक उaारRपी व\ पहने रह , और तेरे भf लोग भलाई के कारण आन(द करते रह । 42 हे यहोवा परमे र, अपके अिभिशf क ूायOना को अनसुनी न कर, तू अपके दास दाऊद पर क गई कdणा के काम ःमरण रख। 2 इितहास 7 1 जब सुलम ै ान यह ूायOना काजुका, तब ःवगO से आग ने िगरकर होमबिलयHतया और बिलयHको भःम कया, और यहोवा का ते ज भवन म भर गया। 2 और याजक यहोवा के भवन म ूवेश न कर सके, यHक यहोवा का तेज यहोवा के भवन म भर गया या। 3 और जब आग िगर: और यहोवा का तेज भवन पर छा गया, तब सब इॐाएली दे खते रहे , और फशO पर फुककर अपना अपना मुह ं भूिम क ओर कए हुए दणडवत कया, और यHकहकर यहोवा का ध(यवाद कया क, वह भला है , उसक कdणा सदा क है । 4 तब सब ूजा समेत राजा ने यहोवा को बिल चढ़ाई। 5 और राजा सुलम ै ान ने बाईस हजार बैल और एक लाख बीस हजार भेड़ -बकgरयां चढ़ाई। यHपूर: ूजा समेत राजा ने यहोवा के भवन क ूितvा क। 6 और याजक अपना अपना कायO करने को खड़े रहे , और लेवीय भी यहोवा के गीत के गाने के िलथे बाजे िलथे हूए खड़े थे, 'ज(ह दाऊद राजा ने

यहोवा क सदा क कdणा के कारण उसका ध(यवाद करने को बनाकर उनके kारा ःतुित कराई यी; और इनके साSहने याजक लोग तुरहयां बजाते रहे ; और सब इॐाएली झड़े रहे । 7 फर सुलम ै ान ने यहोवा के भवन के साSहने आंगन के बीच एक ःयान ववऽ करके होमबिल और मेलबिलयHक च कं वह:ं चढ़ाई, यHक सुलम ै ान क बनाई इुई पीतल क बेद: होमबिल और अ(नबिल और च कं के िलथे छोट: यी। 8 उसी समय सुलम ै ान ने और उसके संग हमात क घाट: से लेकर िमॐ के नाले तक के सारे इॐाएल क एक बहुत बड़: सभा ने सात दन तक पवO को माना। 9 और आठव दन को उ(हHने महासभा क, उ(हHने वेद: क ूितvा सात दन क; और पवॉं को भी सात दन माना। 10 िनदान सातव

मह:ने के तेइसव दन को उस ने ूजा के लोगHको वदा कया, क वे अपके अपके डे रे को जाएं, और वे उस भलाई के कारण जो यहोवा ने दाऊद और सुलम ै ान और अप क ूजा इॐाएल पर क यी आन'(दत थे। 11 यHसुलम ै ान यहोवा के भवन और राजभवन को बना चुका, और यहोवा के भवन म और अपके भवन म जो कुछ उस ने बनाना चाहा, उस म उसका मनोरय पूरा हुआ। 12 तब यहोवा ने रात म उसको दशOन दे कर उस से कहा, मE ने तेर: ूायाOना सुनी और इस ःयान को यW के भवन के िलथे अपनाया है । 13 यद मE आकाश को ऐसा ब(द कRं, क वषाO न हो, वा टडयHको दे श उजाड़ने क आWा दं ,ू वा अप क ूजा म मर: फैलाऊं, 14 तब यद मेर: ूजा के लोग जो मेरे कहलाते हE , द:न होकर ूायOना कर और मेरे दशOन के खोजी होकर अप क बुर: चाल से फर , तो मE ःवगO म से सुनकर उनका पाप झमा कRंगा और उनके दे श को GयHका यHकर दं ग ू ा। 15 अब से जो ूायOना इस ःयान म क जाएगी, उस पर मेर: आंख खुली और मेरे कान लगे रह गे। 16

और अब मE ने इस भवन को अपनाया और पवऽ कया है क मेरा नाम सदा के िलथे इस म बना रहे ; मेर: आंख और मेरा मन दोनHिनय यह:ं लगे रह गे। 17 और यद तू अपके पता दाऊद क नाई अपके को मेरे सSमुख जानकर चलता रहे और मेर: सब आWाओं के अनुसार कया करे , और मेर: विधयHऔर िनयमHको मानता रहे , 18 तो मE ते र: राजगX: को 'ःयर रखूंगा; जैसे क मE ने तेरे पता दाऊद के साय वाचा बा(धी यी, क ते रे कुल म इॐाएल पर ूभुता करनेवाला सदा बना रहे गा। 19 पर(तु यद तुम लोग फरो, और मेर: विधयHऔर आWाओं को जो मE ने तुम को द: हE यागो, और जाकर पराथे दे वताओं क उपासना करो और उ(ह दणडवत करो, 20 तो मE उनको अपके दे श म से जो मE ने उनको दया है , जड़ से उखाडू ं गा; और इस भवन को जो मE ने अपके नाम के िलथे पवऽ कया है , अप क l से दरू कRंगा; और ऐसा कRंगा क दे श दे श के लोगHके बीच उसक उपमा और नामधराई चलेगी। 21 और यह भवन जो इतना वशाल है , उसके पास से आने जानेवाले चकत होकर पूछ गे क यहोवा ने इस दे श और इस भवन से ऐसा यHकया है । 22 तब लोग कह गे, क उन लोगHने अपके पतरHके परमे र यहोवा को जो उनको िमॐ दे श से िनकाल लाया या, यागकर पराथे दे वताओं को महण कया, और उ(ह दफाडवत क और उनक उपासना क, इस कारण उस ने यह सब वप उन पर डाली है । 2 इितहास 8 1 सुलम ै ान को यहोवा के भवन और अपके भवन के बनाने म बीस वषO लगे। 2 तब जो नगर हूराम ने सुलम ै ान को दए थे, उ(ह सुलम ै ान ने lढ़ करके उन म

इॐाएिलयHको बसाया। 3 तब सुलम ै ान सोबा के हमात को जाकर, उस पर जयव(त हुआ। 4 और उस ने तदमोर को जो जंगल म है , और हमात के सब भणडार नगरHको lढ़ कया। 5 फर उस ने ऊपरवाले और नीचेवाले दोनHबेयोरोन को शहरपनाह और फाटकHऔर बेड़Hसे lढ़ कया। 6 और उस ने बालात को और सुलम ै ान के 'जतने भणडार नगर थे और उसके रयHऔर सवारHके 'जतने नगर थे उनको, और जो कुछ सुलम ै ान ने यRशलेम, लबानोन और अपके राGय के सब दे श म बनाना चाहा, उन सब को बनाया। 7 हयH, एमोgरयH, पgर'GजयH, ह'वयHऔर यबूिसयHके बचे हुए लोग जो इॐाएल के न थे, 8 उनके वंश जो उनके बाद दे श म रह गए, और 'जनका इॐाएिलयHने अ(त न कया या, उन म

से तो कतनHको सुलम ै ान ने बे गार म रखा और आज तक उनक वह: दशा है । 9 पर(तु इॐाएिलयHम से सुलम ै ान ने अपके काम के िलथे कसी को दास न बनाया, वे तो योaा और उसके हाकम, उसके सरदार और उसके रथ और सवारHके ूधान हुए। 10 और सुलम ै ान के सरदारHके ूधान जो ूजा के लोगHपर ूभुता करनेवाले थे, वे अढ़ाई सौ थे। 11 फर सुलम ै ान फ़रौन क बेट: को दाऊदपुर म से उस भवन म ले आया जो उस ने उसके िलथे बनाया या, यHक उस ने कहा, क 'जस 'जस ःयान म यहोवा का स(दक ू आया है , वह पवऽ है , इसिलथे मेर: रानी इॐाएल के राजा दाऊद के भवन म न रहने पाएगी। 12 तब सुलम ै ान ने यहोवा क उस वे द: पर जो उस ने ओसारे के आगे बनाई यी, यहोवा को होमबिल चढ़ाई। 13 वह मूसा क आWा के और दन दन के ूयोजन के अनुसार, अयाOत ् वौम और नथे चांद और ूित वषO तीन बार ठहराए हुए पवॉ ं अयाOत ् अखमीर: रोट: के पवO, और अठवारHके पवO, और फोपडय़Hके पवO म बिल चढ़ाया करता या। 14

और उस ने अपके पता दाऊद के िनयम के अनुसार याजकHक सेवकाई के िलथे उनके दल ठहराए, और लेवयHको उनके कामHपर ठहराया, क हर एक दन के ूयोजन के अनुसार वे यहोवा क ःतुित और याजकHके साSहने सेवा-टहल कया कर , और एक एक फाटक के पास kारपालHको दल दल करके ठहरा दया; यHक परमे र के भf दाऊद ने ऐसी आWा द: यी। 15 और राजा ने भणडारHया कसी और बात म याजकHऔर लेवयHके िलथे जो जो आWा द: यी, उ(हHने न टाला। 16 और सुलम ै ान का सब काम जो उस ने यहोवा के •वन क नेव डालने से लेकर उसके पूरा करने तक कया वह ठqक हुआ। िनदान यहोवा का भवन पूरा हुआ। 17 तब सुलम ै ान एःयोनगेबेर और एलोत को गया, जो एदोम के दे श म समुि के तीर पर हE । 18 और हूराम ने उसके पास अपके जहा'जयHके kारा जहाज और समुि के जानकार म`लाह भेज दए, और उ(हHने सुलम ै ान के जहा'जयHके संग ओपीर को जाकर वहां से साढ़े चार सौ क कार सोना राजा सुलम ै ान को ला दया। 2 इितहास 9 1 जब शीबा क रानी ने सुलम ै ान क कर ् सुनी, तब वह कठन कठन ूoHसे उसक प कझा करने के िलथे यRशलेम को च क । वह बहुत भार: दल और मसालHऔर बहुत सोने और म'ण से लदे ऊंट साय िलथे हुए आई, और सुलम ै ान के पास पहंु चकर उससे अपके मन क सब बातHके वषय बात कं। 2 सुलम ै ान ने उसके सब ूoHका उर दया, कोई बात सुलम ै ान क बुa से ऐसी बाहर न रह: क वह उसे न बता सके। 3 जब शीबा क रानी ने सुलम ै ान क बुaमानी और उसका बनाया हुआ भवन 4 और उसक मेज पर का भोजन दे खा, और उसके

कमOचार: कस र:ित बैठते और उसके ठहलुए कस र:ित खड़े रहते और कैसे कैसे कपके पहने रहते हE , और उसके पलानेवाले कैसे हE , और वे कैसे कपके पहने हE , और वह कैसी चढ़ाई है 'जस से वह यहोवा के भवन को जाया करता है , जब उस ने यह सब दे खा, तब वह चकत हो गई। 5 तब उस ने राजा से कहा, मE ने ते रे कामHऔर बुaमानी क जो कर ् अपके दे श म सुनी वह सच ह: है । 6 पर(तु जब तक मE ने आप ह: आकर अप क आंखHसे यह न दे खा, तब तक मE ने उनक ूतीित न क; पर(तु तेर: बुa क आधी बड़ाई भी मुझे न बताई गई यी; तू उस कर ् से बढ़कर है जो मE ने सुनी यी। 7 ध(य हE तेरे जन, ध(य हE ते रे थे सेवक, जो िनय तेरे सSमुख उप'ःयत रहकर तेर: बुa क बात सुनते हE । 8 ध(य है तेरा परमे र यहोवा, जो तुझ से ऐसा ूस(न हुआ, क तुझे अप क राजगX: पर इसिलथे वराजमान कया क तू अपके परमे र यहोवा क ओर से राGय करे ; तेरा परमे र जो इॐाएल से ूे म करके उ(ह सदा के िलथे ःय ्'◌र करना जाहता य, उसी कारण उस ने तुझे (याय और धमO करने को उनका राजा बना दया। 9 और उस ने राजा को एक सौ बीस क कार सोना, बहुत सा सुग(ध िय, और म'ण दए; जैसे सुग(धिय शीबा क रानी ने राजा सुलम ै ान को दए, वैसे दे खने म नह:ं आए। 10 फर हूराम और सुलम ै ान दोनHके जहाजी जो ओषीर से सोना लाते थे, वे च(दन क लकड़: और म'ण भी लाते थे। 11 और राजा ने च(दन क लकड़: से यहोवा के भवन और राजभवन के िलथे चबूतरे और गवैयHके िलथे वीणाएं और सारं िगयां बनवाई; ऐसी वःतुएं उस से पहले यहूदा दे श म न दे ख प क यीं 12 और शीबा क रानी ने जो कुछ चाहा वह: राजा सुलम ै ान ने उसको उसक इ.छा के अनुसार दया; यह उस से अिधक या, जो वह राजा के पास ले

आई यी। तब वह अपके जनHसमेत अपके दे श को लौट गई। 13 जो सोना ूित वषO सुलम ै ान के पास पहुचा करता या, उसका तौल छ: सौ िछयासठ क कार या। 14 यह उस से अिधक या जो सौदागर और यापार: लाते थे; और अरब दे श के सब राजा और दे श के अिधपित भी सुलम ै ान के पास सोना चा(द: लाते थे। 15 और राजा सुलम ै ान ने सोना गढ़ाकर दो सौ बड़: बड़: ढाल बनवाई; एक एक ढाल म छ:छ:सौ शेकेल गढ़ा हुआ सोना लगा। 16 फर उस ने सोना गढ़ाकर तीन सौ छोट: ढाल और भी बनवाई; एक एक छोट: ढाल मे तीन सौ शेकेल सोना लगा, और राजा ने उनको लबानोनी बन नामक भवन म रखा दया। 17 और राजा ने हाथीदांत का एक बड़ा िसंहासन बनाया और चोखे सोने से मढ़ाया। 18 उस िसंहासन म छ: सीढयां और सोने का एक पावदान या; थे सब िसंहासन से जुड़े थे, और बैठने के ःयान क दोनHअलंग टे क लगी यी और दोनHटे कHके पास एक एक िसंह खड़ा हुआ बना या। 19 और छहHसीढय़Hक दोनHअलंग म एक एक िसंह खड़ा हुउा बना या, वे सब बारह हुए। कसी राGय म ऐसा कभी न बना। 20 और रजा सुलम ै ान के पीने के सब पाऽ सोने के थे, और लबानोनी बन नामक भवन के सब पाऽ भी चोखे सोने के थे; सुलम ै ान के दनHम चा(द: का कुछ हसाब न या। 21 यHक हूराम के जहा'जयHके संग राजा के तशींश को जानेवाले जहाज थे, और तीन तीन वषO के बाद वे तशींश के जहाज सोना, चा(द:, हाथीदांत, ब(दर और मोर ले आते थे। 22 यHराजा सुलम ै ान धन और बुa म पृवी के सब राजाओं से बढ़कर हो गया। 23 और पृवी के सब राजा सुलम ै ान क उस बुa क बात

सुनने को जो परमे र ने उसके मन म उपजाई यीं उसका दशOन करना चाहते थे। 24 और वे ूित वषO अप क अप क भ ट अयाOत ् चा(द: और सोने के पाऽ, व\-

श\, सुग(धिय, घोड़े और ख.चर ले आते थे। 25 और अपके घेड़Hऔर रयHके िलथे सुलम ै ान के चार हजार यान और बारह हजार सवार भी थे, 'जनको उस ने रयHके नगरHम और यRशलेम म राजा के पास ठहरा रखा। 26 और वह महानद से ले पिल'ँतयHके दे श और िमॐ के िसवाने तक के सब राजाओं पर ूभुता करता या। 27 और राजा ने ऐसा कया, क बहुतायत के कारण यRशलेम म

चा(द: का मू`य पयरHका और दे वदार का मू`य नीचे के दे श के गूलरHका सा हो गया। 28 और लोग िमॐ से और और सब दे शHसे सुलम ै ान के िलथे घोड़े लाते थे। 29 आद से अ(त तक सुलम ै ान के और सब काम या नातान नबी क पुःतक म , और शीलोवासी अहयाह क तबूवत क पुःतक म , और नबात के पुऽ यारोबाम के वषय इXो दशीं के दशOन क पुःतक म नह:ं िलखे हE ? 30 सुलम ै ान ने यRशलेम म सारे इॐाएल पर चालीस वषO तक राGय कया। 31 और सुलम ै ान अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसको उसके पता दाऊद के नगर म

िम=ट: द: गई; और उसका पुऽ रहूबयाम उसके ःयान पर राजा हुआ। 2 इितहास 10 1 रहूबयाम शकेम को गया, यHक सारे इॐाएली उसको राजा बनाने के िलथे वह:ं गए थे। 2 और नबात के पुऽ यारोबाम ने यह सुना (वह तो िमॐ म रहता या, जहां वह सुलम ै ान राजा के डर के मारे भाग गया या), और यारोबाम िमॐ से लौट आया। 3 तब उ(हHने उसको बुलवप भेजा; सो यारोबाम और सब इॐाएली आकर रहूबयाम से कहने लगे, 4 तेरे पता ने तो हम लोगHपर भार: जूआ डाल रखा या, इसिलथे अब तू अपके पता क कठन सेवा को और उस भार: जूए को 'जसे उस

ने हम पर डाल रखा है कुछ हलका कर, तब हम तेरे अधीन रह गे। 5 उस ने उन से कहा, तीन दन के उपरा(त मेरे पास फर आना, तो वे चले गए। 6 तब राजा रहूबयाम ने उन बूढ़Hसे जो उसके पता सुलम ै ान के जीवन भर उसके साSहने अपःय ्'◌त रहा करते थे, यह कहकर सSमित ली, क इस ूजा को कैसा उर दे ना उिचत है , इस म तुम या सSमित दे ते हो? 7 उ(हHने उसको यह उर दया, क यद तू इस ूजा के लोगHसे अ.छा बाOव करके उ(ह ूस(न करे और उन से मधुर बात कहे , तो वे सदा तेरे अधीन बने रह गे। 8 पर(तु उस ने उस सSमित को जो बूढ़Hने उसको द: यी छोड़ दया और उन जवानHसे सSमित ली, जो उसके संग बड़े हुए थे और उसके सSमुख उप'ःयत रहा करते थे। 9 उन से उस ने पूछा, मE ूजा के लोगHको कैसा उर दं ,ू इस म तुम या सSमित दे ते हो? उ(हHने तो मुझ से कहा है , क जो जूआ तेरे पता ने हम पर डाल रखा है , उसे तू हलका कर। 10 जवानHने जो उस के संग बड़े हुए थे उसको यह उर दया, क उन लागHने तुझ से कहा है , क तेरे पता ने हमारा जूआ भार: कया या, पर(तु उसे हमारे िलथे हलका कर; तू उन से यHकहना, क मेर: िछं गुिलया मेरे पता क कट से भी मोट: ठहरे गी। 11 मेरे िमता ने तुम पर जो भार: जूआ रखा या, उसे मE और भी भार: कRंगा; मेरा पता तो तूम को कोड़Hसे ताड़ना दे ता या, पर(तु मE ब.छुओं से दं ग ू ा। 12 तीसरे दन जैसे राजा ने ठहराया या, क तीसरे दन मेरे पास फर आना, वैसे ह: यारोबाम और सार: ूजा रहूबयाम के पास उप'ःयत हुई। 13 तब राजा ने उस से कड़: बात कं, और रहूबयाम राजा ने बूढ़Hक द: हुई सSमित छोड़कर 14 जवानHक सSमित के अनुसार उन से कहा, मेरे पता ने तो तुSहारा जूआ भार: कर दया, पर(तु मE उसे और भी कठन कर दं ग ू ा; मेरे पता ने तो तुम को कोड़Hसे

ताड़ना द:, पर(तु मE ब.छुओं से ताड़ना दं ग ू ा। 15 इस ूकार राजा ने ूजा क बनती न मानी; इसका कारण यह है , क जो वचन यहोवा ने शीलोवासी अहयाह के kारा नबात के पुऽ यारोबाम से कहा या, उसको पूरा करने के िलथे परमे र ने ऐसा ह: ठहराया या। 16 जब सब इॐाएिलयHने दे खा क राजा हमार: नह:ं सुनता, तब वे बोले क दाऊद के साय हमारा या अंश? हमारा तो ियशै के पुऽ म कोई भाग नह:ं है । हे इॐाएिलयो, अपके अपके डे रे को चले जाओ। अब हे दाऊद, अपके ह: घराने क िच(ता कर। 17 तब सब इॐाएली अपके डे रे को चले गए। केवल 'जतने इॐाएली यहूदा के नगरHम बसे हुए थे, उ(ह:ं पर रहूबयाम राGय करता रहा। 18 तब राजा रहूबयाम ने हदोराम को जो सब बेगारHपर अिध कारनेी या भेज दया, और इॐाएिलयHने उसको पेवाह कया और वह मर गया। तब रहूबयाम फुतीं से अपके रय पर चढ़कर, यRशलेम को भाग गया। 19 यHइॐाएल दाऊद के घराने से फर गया और आज तक फरा हुआ है । 2 इितहास 11 1 जब रहूबयाम यRशलेम को आया, तब उस ने यहूदा और ब(यामीन के घराने को जो िमलकर एक लाख अःसी हजार अ.छे योaा थे इक=ठा कया, क इॐाएल के साय युa कर 'जस से राGय रहूबयाम के वश म फर आ जाए। 2 तब यहोवा का यह वचन परमे र के भf शमायाह के पास पहंु चा, 3 क यहूदा के राजा सुलम ै ान के पुऽ रहूबयाम से और यहूदा और ब(यामीन के सब इॐाएिलयHसे कह, 4 यहोवा यHकहता है , क अपके भाइयHपर चढ़ाई करके युa न करो। तुम अपके अपके घर लौट जाओ, यHक यह बात मेर: ह: ओर से हुई है ।

यहोवा के थे वचन मानकर, वे यारोबाम पर बना चढ़ाई कए लौट गए। 5 सो रहूबयाम यRशलेम म रहने लगा, और यहूदा म बचाव के िलथे थे नगर lढ़ कए, 6 अयाOत ् बेतलेहेम, एताम, तकोआ, 7 बेसूर, सोको, अद` ु लाम। 8 गत, मारे शा, जीप। 9 अदोरै म, लाकश, अजेका। 10 सोरा, अयालोत और हे ॄोन जो यहूदा और ब(यामीन म हE , lढ़ कया। 11 और उस ने lढ़ नगरHको और भी lढ़ करके उन म ूधान ठहराए, और भोजन वःतु और तेल और दाखमधु के भणडार रखवा दए। 12 फर एक एक नगर म उस ने ढाल और भाले रखवाकर उनको अय(त lढ़ कर दया। यहूदा और ब(यामीन तो उसके थे। 13 और सारे इॐाएल के याजक और लेवीय भी अपके सब दे श से उठकर उसके पास गए। 14 यHलेवीय अप क चराइयHऔर िनज भूिम छोड़कर, यहूदा और यRशलेम म

आए, यHक यारोबाम और उसके पुऽHने उनको िनकाल दया या क वे यहोवा के िलथे याजक का काम न कर । 15 और उस ने ऊंचे ःयानHऔर बकरHऔर अपके बनाए हुए बछड़Hके िलथे, अप क ओर से याजक ठहरा िलए। 16 और लेवयHके बाद इॐाएल के सब गोऽHम से 'जतने मन लगाकर इॐाएल के परमे र यहोवा के खोजी थे वे अपके पतरHके परमे र यहोवा को बिल चढ़ाने के िलथे यRशलेम को आए। 17 और उ(हHने यहूदा का राGय 'ःयर कया और सुलम ै ान के पुऽ रहूबयाम को तीन वषO तक lढ़ कराया, यHक तीन वषO तक वे दाऊद और सुलम ै ान क लीक पर चलते रहे । 18 और रहूबयाम ने एक \ी को cयाह िलया, अयाOत ् महलत को 'जसका पता दाऊद का पुऽ यर:मोत और माता ियशै के पुऽ एलीआब क बेट: अबीहै ल यी। 19 और उस से यूश, शमयाOह और जाहम नाम पुऽ उप(न हुए। 20 और उसके बाद उस ने अबशलोम क बे ट: माका को cयाह

िलया, और उस से अबयाह, अे, जीजा और शलोमीत उप(न हुए। 21 रहूबयाम ने अठारह रािनयां cयाह लीं और साठ रखेिलयां रखीं, और उसके अठाईस बेटे और साठ बेटयां उप(न हुई। अबशलोम क नितनी माका से वह अप क सब रािनयHऔर रखेिलयHसे अिधक ूेम रखता या; 22 सो रहूबयाम ने माका के बेटे अबयाह को मु‡य और सब भाइयHम ूधान इस मनसा से ठहरा दया, क उसे राजा बनाए। 23 और वह समझ बूफकर काम करता या, और उस ने अपके सब पुऽHको अलग अलग करके यहूदा और ब(यामीन के सब दाशHके सब गढ़वाले नगरHम ठहरा दया; और उ(ह भोजन वःतु बहुतायत से द:, और उनके िलथे बहुत सी '\यां ढू ं ढ़:। 2 इितहास 12 1 पर(तु जब रहूबयाम का राGय lढ़ हो गया, और वह आप 'ःयर हो गया, तब उस ने और उसके साय सारे इॐाएल ने यहोवा क यवःया को याग दया। 2 उ(हHने जो यहोवा से व ासघात कया, उस कारण राजा रहूबयाम के पांचप वषO म िमॐ के राजा शीशक ने, 3 बारह सौ रय और साठ हजार सवार िलथे हुए यRशलेम पर चढ़ाई क, और जो लोग उसके संग िमॐ से आए, अयाOत ् लूबी, सु' कयी, कूशी, थे अनिगनत थे। 4 और उस ने यहूदा के गढ़वाले नगरHको ले िलया, और यRशलेम तक आया। 5 तब शमायाह नबी रहूबयाम और यहूदा के हाकमHके पास जो शीशक के डर के मारे यRशलेम म इा=ठे हुए थे, आकर कहने लगा, यहोवा यHकहता है , क तुम ने मुझ को छोड़ दया है , इसिलथे मE ने तुम को छोड़कर शीशक के हाथ म कर दया है । 6 तब इॐाएल के हाकम और राजा द:न

हो गए, और कहा, यहोवा धमीं है । 7 जब यहोवा ने दे खा क वे द:न हुए हE , तब यहोवा का यह वचन शमायाह के पास पहुंचा क वे द:न हो गए हE , मE उनको न न कRंगा; मE उनका कुछ बचाव कRंगा, और मेर: जलजलाहट शीशक के kारा यRशलेम पर न भड़केगी। 8 तौभी वे उसके अधीन तो रह गे, ताक वे मेर: और दे श दे श के राGयHक भी सेवा जान ल । 9 तब िमॐ का राजा शीशक यRशलेम पर चढ़ाई करके यहोवा के भवन क अनमोल वःतुएं और राजभवन क अनमोल वःतुएं उठा ले गया। वह सब कुछ उठा ले गया, और सोने क जो फgरयां सुलम ै ान ने बनाई यीं, उनको भी वह ले गया। 10 तब राजा रहूबयाम ने उनके बदले पीतल क ढाल बनावाई और उ(ह पहdओं के ूधानHके हाथ सxप दया, जो राजभवन के kार क रखवाली करते थे। 11 और जब जब राजा यहोवा के भवन म जाता, तब तब पहdए आकर उ(ह उठा ले चलते, और फर पहdओं क कोठर: म लौटाकर रख दे ते थे। 12 जब रहूबयाम द:न हुआ, तब यहोवा का बोध उस पर से उतर गया, और उस ने उसका पूरा वनाश न कया; और यहूदा म अ.छे गुण भी थे। 13 सो राजा रहूबयाम यRशलेम म lढ़ होकर राGय करता रहा। जब रहूबयाम राGय करने लगा, तब एकनालीस वषO क आयु का या, और यRशलेम म अयाOत ् उस नगर म , 'जसे यहोवा ने अपना नाम बनाए रखने के िलथे इॐाएल के सारे गोऽ म से चुन िलया या, सऽह वषO तक राGय करता रहा। उसक माता का नाम नामा या, जो अSमोनी \ी यी। 14 उस ने वह कमO कया जो बुरा है , अयाOत ् उस ने अपके मन को यहोवा क खोज म न लगाया। 15 आाद से अ(त तक रहूबयाम के काम या शमायाह नबी और इXो दशीं क पुःतकHम वंशाविलयHक र:ित पर नह:ं िलखे हE ? रहूबयाम और यारोबाम के बीच तो लड़ाई सदा होती रह:। 16 और

रहूबयाम अपके पुरखाओं के संग सो गया और दाऊदपुर म उसको िम=ट: द: गई। और उसका पुऽ अबयाह उसके ःयान पर राGय करने लगा। 2 इितहास 13 1 यारोबाम के अठारहव वषO म अबयाह यहूदा पर राGय करने लगा। 2 वह तीन वषO तक यRशलेम म राGय करता रहा, और उसक माता का नाम मीकायाह या; जो िगबावासी ऊर:एल क बेट: यी। और अबयाह और यारोबाम के बीच म

लड़ाई हई। 3 अबयाह ने तो बड़े योaाओं का दल, अयाOत ् चार लाख छं टे हुए पुdष लेकर लड़ने के िलथे पांित ब(धाई, और यारोबाम ने आठ लाख छं टे हुए पुdष जो एड़े शूरवीर थे, लेकर उसके वda पांित ब(धाई। 4 तब अबयाह समारै म नाम पहाड़ पर, जो एूैम के पहाड़: दे श म है , खड़ा होकर कहने लगा, हे यारोबाम, हे सब इॐाएिलयो, मेर: सुनो। 5 या तुम को न जानना चाहए, क इॐाएल के परमे र यहोवा ने लोनवाली वाचा बा(धकर दाऊद को और उसके वंश को इॐाएल का राGय सदा के िलथे दे दया है । 6 तौभी नबात का पुऽ यारोबाम जो दाऊद के पुऽ सुलम ै ान का कमOचार: या, वह अपके ःवामी के वda उठा है । 7 और उसके पास हलके और ओछे मनुंय इक=ठा हो गए हE और जब सुलम ै ान का पुऽ रहूबयाम लड़का और अ`हड़ मन का या और उनका साSहना न कर सकता या, तब वे उसके वda सामयीं हो गए। 8 और अब तुम सोचते हो क हम यहोवा के राGय का साSहना कर गे, जो दाऊद क स(तान के हाथ म है , यHक तुम सब िमलकर बड़ा समाज बन गए हो और तुSहारे पास वे सोने के बछड़े भी हE 'ज(ह यारोबाम ने तुSहारे दे वता होने के िलथे बनवाया। 9 या तुम

ने यहोवा के याजकHको, अयाOत ् हाRन क स(तान और लेवयHको िनकालकर दे श दे श के लोगHक नाई याजक िनयुf नह:ं कर िलए? जो कोई एक बछड़ा और सात मेढ़े अपना संःकार कराने को ले आता, तो उनका याजक हो जाता है जो ई र नह:ं है । 10 पर(तु हम लोगHका परमे र यहोवा है और हम ने उसको नह:ं यागा, और हमारे पास यहोवा क सेवा टहल करनेवाले याजक हाRन क स(तान और अपके अपके काम म लगे हुए लेवीय हE । 11 और वे िनय सवेरे और सांफ को यहोवा के िलथे होमबिल और सुग(धिय का धूप जलाते हE , और शूa मेज पर भ ट क रोट: सजाते और सोने क द:वट और उसके द:पक सांफ-सांफ को जलाते हE ; हम तो अपके परमे र यहोवा क आWाओं को मानते रहते हE , पर(तु तुम ने उसको याग दया है । 12 और दे खो, हमारे संग हमारा ूधान परमे र है , और उसके याजक तुSहारे वda सांस वा(धकर फूंकने को तुरहयां िलथे हुए भी हमारे साय हE । हे इॐाएिलयो अपके पूवOजHके परमे र यहोवा से मत लड़ो, यHक तुम कृतायO न होगे। 13 पर(तु यारोबाम ने घातकHको उनके पीछे भेज दया, वे तो यहूदा के साSहने थे, और घातक उनके पीछे थे। 14 और जब यहूदयHने पीछे को मुह ं फेरा, तो दे खा क हमारे आगे और पीछे दोनHओर से लड़ाई होनेवाली है ; तब उ(हHने यहोवा क दोहाई द:, और याजक तुरहयHको फूंकने लगे। 15 तब यहूद: पुdषHने जय जयकार कया, और जब यहूद: पुdषHने जय जयकार कया, तब परमे र ने अबयाह और यहूदा के साSहने, यारोबाम और सारे इॐाएिलयHको मारा। 16 और इॐाएली यहूदा के साSहने से भागे, और परमे र ने उ(ह उनके हाथ म कर दया। 17 और अबयाह और उसक ूजा ने उ(ह बड़: मार से मारा, यहां तक क इॐाएल म से पांच लाख छं टे हुए पुdष मारे गए। 18 उस समय तो

इॐाएली दब गए, और यहूद: इस कारण ूबल हुए क उ(हHने अपके पतरHके परमे र यहोवा पर भरोसा रखा या। 19 तब अबयाह ने यारोबाम का पीछा करके उस से बेतेल, यशाना और एूोन नगरHऔर उनके गांवHको ले िलया। 20 और अबयाह के जीवन भर यारोबाम फर सामथीं न हुआ; िनदान यहोवा ने उसको ऐसा मारा क वह मर गया। 21 पर(तु अबयाह और भी सामयीं हो गया और चौदह '\यां cयाह लीं 'जन से बाइस बेटे और सोलह बेटयां उप(न हुई। 22 और अबयाह के काम और उसक चाल चलन, और उसके वचन, इXो नबी क कया म िलखे हE । 2 इितहास 14 1 िनदान अबयाह अपके पुरखाओं के संग सो गया, और उसको दाऊदपुर म

िम=ट: द: गई; और उसका पुऽ आसा उसके ःयान पर राGय करने लगा। इसके दनHम दस वषO तक दे श म चैन रहा। 2 और आसा ने वह: कया जो उसके परमे र यहोवा क l म अ.छा और ठqक या। 3 उस ने तो पराई वे दयHको और ऊंचे ःयानHको दरू कया, और लाठHको तुड़वा डाला, और अशेरा नाम मूरतHको तोड़ डाला। 4 और यहूदयHको आWा द: क अपके पूवOजHके परमे र यहोवा क खोज कर और यवःया और आWा को मानH। 5 और उस ने ऊंचे ःयानHऔर सूयO क ूितमाओं को यहूदा के सब नगरHम से दरू कया, और उसके साSहने राGय म चैन रहा। 6 और उस ने यहूदा म गढ़वाले नगर बसाए, यHक दे श म चैन रहा। और उन बरसHम उसे कसी से लड़ाई न करनी प क यHक यहोवा ने उसे वौम दया या। 7 उस ने यहूदयHसे कहा, आओ हम इन नगरHको

बसाएं और उनके चारHओर शहरपनाह, गढ़ और फाटकHके प`ले और बेड़े बनाएं; दे श अब तक हमारे साSहने पड़ा है , यHक हम ने, अपके परमे र यहोवा क खोज क है हमने उसक खोज क और उस ने हमको चारHओर से वौम दया है । तब उ(हHने उन नगरHको बसाया और कृ तायO हुए। 8 फर आसा के पास ढाल और बछqं रखनेवालHक एक सेना थी, अयाOत ् यहूदा म से तो तीन लाख पुdष और ब(यामीन म से फर: रखनेवाले और धनुधाOर: दो लाख अःसी हजार थे सब शूरवीर थे। 9 और उनके वda दस लाख पुdषHक सेना और तीन सौ रय िलथे हुए जेरह नाम एक कूशी िनकला और मारे शा तक आ गया। 10 तब आसा उसका साSहना करने को चला और मारे शा के िनकट सापता नाम तराई म युa क पांित बा(धी गई। 11 तब आसा ने अपके परमे र यहोवा क यHदोहाई द:, क हे यहोवा ! जैसे तू सामयीं क सहाथता कर सकता है , वैसे ह: शfह:न क भी; हे हमारे परमे र यहोवा ! हमार: सहाथता कर, यHक हमारा भरोसा तुझी पर है और तेरे नाम का भरोसा करके हम इस भीड़ के वda आए हE । हे यहोवा, तू हमारा परमे र है ; मनुंय तुझ पर ूबल न होने पाएगा। 12 तब यहोवा ने कूिशयHको आसा और यहूदयHके साSहने मारा और कूशी भाग गए। 13 और आसा और उसके संग के लोगHने उनका पीछा गरार तक कया, और इतने कूशी मारे गए, क वे फर िसर न उठा सके यHक वे यहोवा और उसक सेना से हार गए, और यहूद: बहुत सा लूट ले गए। 14 और उ(हHने गरार के आस पास के सब नगरHको मार िलया, यHक यहोवा का भय उनके रहनेवालHके मन म समा गया और उ(हHने उन नगरHको लूट िलया, यHक उन म बहुत सा धन या। 15 फर पशु-शालाओं को जीतकर बहुत सी भेड़- बकgरयां और ऊंट लूटकर यRशलेम को

लौटे । 2 इितहास 15 1 तब परमे र का आमा ओदे द के पुऽ अजयाOह म समा गया, 2 और वह आसा से भ ट करने िनकला, और उस से कहा, हे आसा, और हे सारे यहूदा और ब(यामीन मेर: सुनो, जब तक तुम यहोवा के संग रहोगे तब तक वह तुSहारे संग रहे गा; और यद तुम उसक खोज म लगे रहो, तब तो वह तुम से िमला करे गा, पर(तु यद तुम उसको याग दोगे तो वह भी तुम को याग दे गा। 3 बहुत दन इॐाएल बना सय परमे र के और बना िसखानेवाले याजक के और बना cयवःया के रहा। 4 पर(तु जब जब वे संकट म पड़कर इॐाएल के परमे र यहोवा क ओर फरे और उसको ढू ं ढ़ा, तब तब वह उनको िमला। 5 उस समय न तो जानेवाले को कुछ शांित होती यी, और न आनेवाले को, वरन सारे दे श के सब िनवािसयHम बड़ा ह: कोलाहल होता या। 6 और जाित से जाित और तगर से नगर चूर कए जाते थे, यHक परमे र नाना ूकार का क दे कर उ(ह घबरा दे ता या। 7 पर(तु तुम लोग हयाब बा(धो और तुSहारे हाथ ढ:ले न पक , यHक तुSहारे काम का बदला िमलेगा। 8 जब आसा ने थे वचन और ओदे द नबी क नबूवत सुनी, तब उस ने हयाब बा(धकर यहूदा और ब(यामीन के सारे दे श म

से, और उन नगरHम से भी जो उस ने एूैम के पहाड़: दे श म ले िलथे थे, सब िघनौनी वःतुएं दरू कं, और यहोवा क जो वेद: यहोवा के ओसारे के साSहने यी, उसको नथे िस के से बनाया। 9 और उस ने सारे यहूदा और ब(यामीन को, और एूैम, मनँशे और िशमोन म से जो लोग उसके संग रहते थे, उनको इक=ठा

कया, यHक वे यह दे खकर क उसका परमे र यहोवा उसके संग रहता है , इॐाएल म से उसके पास बहुत से चले आए थे। 10 आसा के राGय के प(िहव

वषO के तीसरे मह:ने म वे यRशलेम म इा=ठे हुए। 11 और उसी समय उ(हHने उस लूट म से जो वे ले आए थे, सात सौ बैल और सात हजार भेड़-बकgरयां, यहोवा को बिल करके चढ़ाई। 12 और उ(हHने वाचा बा(धी क हम अपके पूरे मन और सारे जीव से अपके पूवOजHके परमे र यहोवा क खोज कर गे। 13 और या बड़ा, या छोटा, या \ी, या पुdष, जो कोई इॐाएल के परमे र यहोवा क खोज न करे , वह मार डाला जाएगा। 14 और उ(हHने जय जयकार के साय तुरहयां और नरिसंगे बजाते हुए ऊंचे शcद से यहोवा क शपय खाई। 15 और यह शपय खाकर सब यहूद: आन'(दत हुए, यHक उ(हHने अपके सारे मन से शपया खाई और बड: अिभलाषा से उसको ढू ं ढ़ा और वह उनको िमला, और यहोवा ने चारHओर से उ(ह वौम दया। 16 बरन आसा राजा क माता माका 'जस ने अशेरा के पास रखने के िलए एक िघनौनी मूरत बनाई, उसको उस ने राजमाता के पद से उतार दया, और आसा ने उसक मूरत काटकर पीस डाली और किोन नाले म फूंक द:। 17 ऊंचे ःयान तो इॐाएिलयHम से न ढाए गए, तौभी आसा का मन जीवन भर ितंकपट रहा। 18 और उस ने जो सोना चा(द:, और पाऽ उसके पता ने अपOण कए थे, और जो उस ने आप अपOण कए थे, उनको परमे र के भवन म

पहं चा दया। 19 और राजा आसा के राGय के पEतीसव वषO तक फर लड़ाई न हुई। 2 इितहास 16 1 आसा के राGय के छीसव वषO म इॐाएल के राजा बाशा ने यहूदा पर चढ़ाई क

और रामा को इसिलथे lढ़ कया, क यहूदा के राजा आसा के पास कोई आने जाने न पाए। 2 तब आस ने यहोवा के भवन और राजभवन के भणडारHम से चा(द:-सोना िनकाल दिमँकवासी अराम के राजा बे (हदद के पास दत ू भेजकर यह कहा, 3 क जैसे मेरे-तेरे पता के बीच वैसे ह: मेरे-तेरे बीच भी वाचा ब(धे; दे ख मE तेरे पास चा(द:-सोना भेजता हंू , इसिलथे आ, इॐाएल के राजा बाशा के साय क अप क वाचा को तोड़ दे , ताक वह मुझ से दरू हो। 4 बे(हदद ने राजा आसा क यह बात मानकर, अपके दलHके ूधानHसे इॐाएली नगरHपर चढ़ाई करवाकर इयोन, दान, आबे `मैम और नTाली के सब भणडारवाले नगरHको जीत िलया। 5 यह सुनकर बाशा ने रामा को lढ़ करना छोड़ दया, और अपना वह काम ब(द करा दया। 6 तब राजा आसा ने पूरे यहूदा दे श को साय िलया और रामा के पयरHऔर लकड़: को, 'जन से बासा काम करता या, उठा ले गया, और उन से उस ने गेवा, और िमःपा को lढ़ कया। 7 उस समय हनानी दशीं यहूदा के राजा आसा के पास जाकर कहने लगा, तू ने जो अपके परमे र यहोवा पर भरोसा नह: रखा वरन अराम के राजा ह: पर भरोसा रखा है , इस कारण अराम के राजा क सेना तेरे हाथ से बच गई है । 8 या कूिशयHऔर लूबयHक सेना बड़: न यी, और या उस म बहुत ह: रय, और सवार न थे? तौभी तू ने यहोवा पर भरोसा रखा या, इस कारण उस ने उनको तेरे हाथ म कर दया। 9 दे ख, यहोवा क l सार: पृवी पर इसिलथे फरती रहती है क 'जनका मन उसक ओर िनंकमट रहता है , उनक सहाथता म वह अपना सामयO दखाए। तूने यह काम मूखOता से कया है , इसिलथे अब से तू लड़ाइयHमे फंसा रहे गा। 10 तब आसा दशीं पर बोिधत हुआ और उसे काठ म ठHकवा दया, यHक वहउसक ऐसी बात के

कारण उस पर बोिधत या। और उसी समय से आसा ूजा के कुछ लोगHको पीसने भी लगा। 11 आद से लेकर अ(त तक आसा के काम यहूदा औ इॐाएल के राजाओं के वृा(त म िलखे हE । 12 अपके राGय के उनतीसव वषO म आसा को पांव का रोग हुआ, और वह रोग अय(त बढ़ गया, तौभी उस ने रोगी होकर यहोवा क नह:ं वैrHह: क शरण ली। 13 िनदान आसा अपके राGय के एकतालीसव वषO म मरके अपके पुरखाओं के साय सो गया। 14 तब उसको उसी क कॄ म जो उस ने दाऊदपुर म खुदवा ली यी, िम=ट: द: गई; और वह सुग(धियHऔर गंधी के काम के भांित भांित के मसालHसे भरे हुए एक बछौने पर िलटा दया गया, और बहुत सा सुग(धिय उसके िलथे जलाया गया। 2 इितहास 17 1 और उसका पुऽ यहोशापात उसके ःयान पर राGय करने लगा, और इॐाएल के वda अपना बल बढ़ाया। 2 और उस ने यहूदा के सब गढ़वाले नगरHम

िसपाहयHके दल ठहरा दए, और यहूदा के दे श म और एूैम के उन नगरHम भी जो उसके पता आसा ने ले िलथे थे, िसपाहयHक चौकयां बैठा द:ं। 3 और यहोवा यहोशापात के संग रहा, यHक वह अपके मूलपुdष दाऊद क ूाचीन चाल सी चाल चला और बाल दे वताओं क खोज म न लगा। 4 वरन वह अपके पता के परमे र क खोज म लगा रहता या और उसी क आWाओं पर चलता या, और इॐाएल के से काम नह:ं करता या। 5 इस कारएा यहोवा ने रGय को उसके हाथ म

lढ़ कया, और सारे यहूद: उसके पास भ ट लाया करते थे, और उसके पास बहुत धन और उसका वभव बढ़ गया। 6 और यहोवा के मागॉं पर चलते चलते उसका

मन मगन हो गया; फर उस ने यहूदा से ऊंचे ःयान और अशेरा नाम मूरत दरू कर द:ं। 7 और उस ने अपके राGय के तीसरे वषO म बे(है ल, ओबrाह, जकयाOह, नतनेल और मीकायाह नामक अपके हाकमHको यहूदा के नगरHम िशझा दे ने को भेज दया। 8 और उनके साय शमायाह, नत(याह, जबrाह, असाहे ल, शमीरामोत, यहोनातान, अदोिनयाह, तोबयाह और तोबदोिनयाह, नाम लेवीय और उनके संग एलीशामा और यहोराम नामक याजक थे। 9 सो उ(हHने यहोवा क यवःया क पुःतक अपके साय िलथे हुए यहूदा म िशझा द:, वरन वे यहूदा के सब नगरHम ूजा को िसखाते हुए घूमे। 10 और यहूदा के आस पास के दे शHके राGय राGय म यहोवा का ऐसा डर समा गया, क उ(हHने यहोशापात से युa न कया। 11 वरन कनते पिलँती यहोशपात के पास भ ट और कर समझकर चा(द: लाए; और अरबी लोग भी सात हजार सात सौ मेढ़े और सात हजार सात सौ बकरे ले आए। 12 और यहोशापात बहुत ह: बढ़ता गया और उस ने यहूदा म कले और भ+डार के नगर तैयार कए। 13 और यहूदा के नगरHम

उसका बहुत काम होता या, और यRशलेम म उसके योaा अयाOत ् शूरवीर रहते थे। 14 और इनके पतरHके घरानHके अनुसार इनक यह िगनती यी, अयाOत ् यहूद: सहॐपित तो थे थे, ूधान अदना 'जसके साय तीन लाख शूरवीर थे, 15 और उसके बाद ूधान यहोहानान 'जसके साय दो लाख अःसी हजार पुdष थे। 16 और इसके बाद 'जब का पुऽ अमःयाह, 'जस ने अपके को अप क ह: इ.छा से यहोवा को अपOण कया या, उसके साय दो लाख शूरवीर थे। 17 फर ब(यामीन म से ए`यादा नामक एक शूरवीर 'जसके साय ढाल रखनेवाले दो लाख धनुधाOर: थे। 18 और उसके नीचे यहोजाबाद 'जसके साय युa के हिययार बा(धे हुए एक

लाख अःसी हजार पुdष थे। 19 वे थे हE , जो राजा क सेवा म लवलीन थे। और थे उन से अलग थे 'ज(ह राजा ने सारे यहूदा के गढ़वाले नगरHम ठहरा दया। 2 इितहास 18 1 यहोशपात बड़ा धनवान और ऐ यOवान हो गया; और उस ने अहाब के साय समिधयाना कया। 2 कुछ वषO के बाद वह शोमरोन म अहाब के पास गया, तब अहाब ने उसके और उसके संिगयHके िलथे बहुत सी भेड़-बकgरयां और गाय-बैल काटकर, उसे िगलाद के रामोत पर चढ़ाई करने को उसकाया। 3 और इॐाएल के राजा अहाब ने यहूदा के राजा यहोशापात से कहा, या तू मेरे साय िगलाद के रामोत पर चढ़ाई करे गा? उस ने उसे उर दया, जैसा तू वैसा मE भी हँू , और जैसी तेर: ूजा, वैसी मेर: भी ूजा है । हम लोग युa म तेरा साय द गे। 4 फर यहोशापात ते इॐाएल के राजा से कहा, आज यहोवा क आWा ले। 5 तब इॐाएल के राजा ने नबयHको जो चार सौ पुdष थे, इक=ठा करके उन से पूछा, या हम िगलाद के रामोत पर युa करने को चढ़ाई कर , अयवा मE dका रहंू ? उ(हHने उर दया चढ़ाई कर, यHक परमे र उसको राजा के हाथ कर दे गा। 6 पर(तु यहोशापात ने पूछा, या यहHयहोवा का और भी कोई नबी नह:ं है 'जस से हम पूछ ल ? 7 इॐाएल के राजा ने यहोशापात से कहा, हां, एक पुdष और है , 'जसके kारा हम यहोवा से पूछ सकते हE ; पर(तु मE उस से घृणा करता हँू ; यHक वह मेरे वंय कभी क`याण क नह:ं, सदा हािन ह: क नबूवत करता है । वह ियSला का पुऽ मीकायाह है । यहोशापात ने कहा, राजा ऐसा न कहे । 8 तब इॐाएल के राजा ने एक हाकम को बुलवाकर कहा, ियSला के पुऽ मीकायाह को फुतीं से ले आ। 9

इॐाएल का राजा और यहूदा का राजा यहोशापात अपके अपके राजव\ पहने हुए, अपके अपके िसंहासन पर बैठे हुए थे; वे शोमरोन के फाटक म एक खुले ःयान म बैठे थे और सब नबी उनके साSहने नबूवत कर रहे थे। 10 तब कनाना के पुऽ िसदकयाह ने लोहे के सींग बनवाकर कहा, यहोवा यHकहता है , क इन से तू अरािमयHको मारते मारते नाश कर डालेगा। 11 और सब नबयHने इसी आशय क नबूवत करके कहा, क िगलाद के रामोत पर चढ़ाई कर और तू कृतायO होवे; यHक यहोवा उसे राजा के हाथ कर दे गा। 12 और जो दत ू मीकायाह को बुलाने गया या, उस ने उस से कहा, सुन, नबी लोग एक ह: मुह ं से राजा के वषय हा◌ुभ वचन कहते हE ; सो तेर: बात उनक सी हो, तू भी शुभ वचन कहना। 13 मीकायाह ने कहा, यहोवा के जीवन क सxह, जो कुछ मेरा परमे र कहे वह: मE भी कहंू गा। 14 जब वह राजा के पास आया, तब राजा ने उस से पूछा, हे मीकायाह, या हम िगलाद के रामोत पर युa करने को चढ़ाई कर अयवा मE dका रहंू ? उस ने कहा, हां, तुम लोग चढ़ाई करो, और कृ तायO होओ; और वे तुSहारे हाथ म कर दए जाएंगे। 15 राजा ने उस से कहा, मुझे कतनी बार तुझे शपय धराकर िचताना होगा, क तू यहोवा का ःमरण करके मुझ से सच ह: कह। 16 मीकायाह ने कहा, मुझे सारा इॐाएल बना चरवाहे क भ ड़-बकgरयHक नाई पहाड़Hपर िततर बतर दखाई पड़ा, और यहोवा का वचन आया क वे तो अनाय हE , इसिलथे हर एक अपके अपके घर कुशल झेम से लौट जाएं। 17 तब इॐाएल के राजा ने यहोशापात से कहा, या मE ने तुझ से न कहा या, क वह मेरे वषय क`याण क नह:ं, हािन ह: क नबूवत करे गा? 18 मीकायाह ने कहा, इस कारण तुम लोग यहोवा का यह वचन सुनो : मुझे िसंहासन पर वराजमान यहोवा और

उसके दाहने बाएं खड़: हुई ःवगO क सार: सेना दखाई प क। 19 तब यहोवा ने पूछा, इॐाएल के राजा अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा, क वह िगलाद के रामोत पर चढ़ाई करके खे त आए, तब कसी ने कुछ और कसी ने कुछ कहा। 20 िनदान एक आमा पास आकर यहोवा के सSमुख खड़: हुई, और कहने लगी, मE उसको बहकाऊंगी। 21 यहोवा ने पूछा, कस उपाय से? उस ने कहा, मE जाकर उसके सब नबयHम पैठ के उन से फूठ बुलवाऊंगी। यहोवा ने कहा, तेरा उसको बहकाना सफल होगा, जाकर ऐसा ह: कर। 22 इसिलथे तुन अब यहोवा ने ते रे इन नबयHके मुह ं म एक फूठ बोलनेवाली आमा पैठाई है , और यहोवा ने तेरे वषय हािन क बात कह: है । 23 तब कनाना के पुऽ िसदकयाह ने िनकट जा, मीकायाह के गाल पर य€पड़ मारकर पूछा, यहोवा का आमा मुझे छोड़कर तुझ से बात करने को कधर गया। 24 उस ने कहा, 'जस दन तू िछपके के िलथे कोठर: से कोठर: म भागेगा, तब जान लेगा। 25 इस पर इॐाएल के राजा ने कहा, क मीकायाह को नगर के हाकम आमोन और राजकुमार योआश के पास लौटाकर, 26 उन से कहो, राजा यHकहता है , क इसको ब(द:गृह म डालो, और जब तक मE कुशल से न आऊं, तब तक इसे द:ु ख क रोट: और पानी दया करो। 27 तब मीकायाह ने कहा, यद तू कभी कुशल से लौटे , तो जान, क यहोवा ने मेरे kारा नह:ं कहा। फर उस ने कहा, हे लोगो, तुम सब के सब सुनं लो। 28 तब इॐाएल के राजा और यहूदा के राजा यहोशापात दोनHने िगलाद के रामोत पर चढ़ाई क। 29 और इॐाएल के राजा ने यहोशापात से कहा, मE तो भेष बदलकर युa म जाऊंगा, पर(तु तू अपके ह: व\ पहने रह। इॐाएल के राजा ने भेष बदला और वे दोनHयुa म गए। 30 अराम के राजा ने तो अपके रयHके ूधानHको आWा

द: यी, क न तो छोटे से लड़ो और न बड़े से, केवल इॐाएल के राजा से लड़ो। 31 सो जब रयHके ूधानHने यहोशापात को दे खा, तब कहा इॐाएल का राजा वह: है , और वे उसी से लड़ने को मुड़े। इस पर यहोशापात िच`ला उठा, तब यहोवा ने उसक सहाथता क। और परमे र ने उनको उसके पास से फर जाने क ूेरणा क। 32 सो यह दे खकर क वह इॐाएल का राजा नह: है , रयHके ूधान उसका पीछा छोड़ के लौट गए। 33 तब कसी ने अटकल से एक तीर चलाया, और वह इॐाएल के राजा के फलम और िनचले व\ के बीच छे दकर लगा; तब उस ने अपके सारयी से कहा, मE घायल हुआ, इसिलथे लगाम फेरके मुझे सेना म से बाहर ले चल। 34 और उस दन युa बढ़ता गया और इॐाएल का राजा अपके रय म अरािमयHके सSमुख सांफ तक खड़ा रहा, पर(तु सूयO अःत होते-होते वह मर गया। 2 इितहास 19 1 और यहूदा का राजा यहोशापात यRशलेम को अपके भवन म कुशल से लौट गया। 2 तब हनानी नाम दशीं का पुऽ थेहू यहोशापात राजा से भ ट करने को िनकला और उस से कहने लगा, या द ु Hक सहाथता करनी और यहोवा के बैgरयHसे ूेम रखना चाहथे? इस काम के कारण यहोवा क ओर से तुझ पर बोध भड़का है । 3 तौभी तुझ म कुछ अ.छq बात पाई जाती हE । तू ने तो दे श म से अशेरHको नाश कया और उपके मन को परमे र क खोज म लगाया है । 4 यहोशापात यRशलेम म रहता या, और उस ने बेशब  ा से लेकर बूैम के पहाड़: दे श तक अप क ूजा म फर दौरा करके, उनको उनके पतरHके परमे र

यहोवा क ओर फेर दया। 5 फर उस ने यहूदा के एक एक गढ़वाले नगर म

(यायी ठहराया। 6 और उस ने (यािययHसे कहा, सोचो क या करते हो, यHक तुम जो (याय करोगे, वह मनुंय के िलथे नह:ं, यहोवा के िलथे करोगे; और वह (याय करते समय तुSहारे साय रहे गा। 7 अब यहोवा का भय तुम म बना रहे ; चौकसी से काम करना, यHक हमारे परमे र यहोवा म कुछ कुटलता नह:ं है , और न वह कसी का पझ करता और न घूस लेता है । 8 और यRशलेम म भी यहोशापात ने लेवयHऔर याजकHऔर इॐाएल के पतरHके घरानHके कुछ मु‡य पुdषHको यहोवा क ओर से (याय करने और मुकXमHको जांचने के िलथे ठहराया। 9 और वे यRशलेम को लौटे । और उस ने उनको आWा द:, क यहोवा का भय मानकर, स.चाई और िनंकपट मन से ऐसा करना। 10 तुSहारे भाई जो अपके अपके नगर म रहते हE , उन म से 'जसका कोई मुकXमा तुSहारे साSहने आए, चाहे वह खून का हो, चाहे यवःया, अयवा कसी आWा या विध वा िनयम के वषय हो, उनको िचता दे ना, क यहोवा के वषय दोषी न होओ। बेसा न हो क तुम पर और तुSहारे भाइयHपर उसका बोध भड़के। ऐसा करो तो तुम दोषी न ठहरोगे । 11 और दे खो, यहोवा के वंय के सब मुकXमHम तो अमयाOह महाथाजक और राजा के वषय के सब मुकXमHम यहूदा के घराने का ूधान इँमाएल का पुऽ जबrाह तुSहारे ऊपर अिध कारनेी है ; और लेवीय तुSहारे साSहने सरदारHका काम कर गे। इसिलथे हयाब बा(धकर काम करो और भले मनुंय के साय यहोवा रहे गा। 2 इितहास 20

1 इसके बाद मोआबयHऔर अSमोिनयHने और उनके साय कई मूिनयHने युa करने के िलथे यहोशा◌ात पर चढ़ाई क। 2 तब लोगHने आकर यहोशापात को बता दया, क ताल के पार से एदोम दे श क ओर से एक बड़: भीड़ तुझ पर चढ़ाई कर रह: है ; और दे ख, वह हसासो(तामार तक जो एनगद: भी कहलाता है , पहंु च गई है । 3 तब यहोशपात डर गया और यहोवा क खोज म लग गया, और पूरे यहूदा म उपवास का ूचार करवाया। 4 सो यहूद: यहोवा से सहाथता मांगने के िलथे इक=ठे हुए, वरन वे यहूदा के सब नगरHसे यहोवा से भ ट करते को आए। 5 तब यहोशपात यहोवा के भवन म नथे आंगन के साSहने यहूदयHऔर यRशलेिमयHक म+डली म खड़ा होकर 6 यह कहने लगा, क हे हमारे पतरHके परमे र यहोवा ! या तू ःवगO म परमे र नह:ं है ? और या तू जाित जाित के सब राGयHके ऊपर ूभुता नह:ं करता? और या तेरे हाथ म ऐसा बल और पराबम नह:ं है क ते रा साSहना कोई नह:ं कर सकता? 7 हे हमारे परमे र ! या तू ने इस दे श के िनवािस कH अप क ूजा इॐाएल के साSहने से िनकालकर इ(ह अपके िमऽ इॄाह:म के वंश को सदा के िलथे नह:ं दे दया? 8 वे इस म बस गए और इस म तेरे नाम का एक पवऽःयान बनाकर कहा, 9 क यद तलवार या मर: अयवा अकाल वा और कोई वप हम पर पके, तौभी हम इसी भवन के साSहने और तेरे साSहने (तेरा नाम तो इस भवन म बसा है ) खड़े होकर, अपके लेश के कारण तेर: दोहाई द गे और तू सुनकर बचाएगा। 10 और अब अSमोनी और मोआबी और सेईर के पहाड़: दे श के लोग 'जन पर तू ने इॐाएल को िमॐ दे श से आते समय चढ़ाई करने न दया, और वे उनक ओर से मुड़ गए और उनको वनाश न कया, 11 दे ख, वे ह: लोग तेरे दए हुए अिध कारने के इस दे श

म से 'जसका अिध कारने तू ने हम दया है , हम को िनकालकर कैसा बदला हम

दे रहे हE । 12 हे हमारे परमे र, या तू उनका (याय न करे गा? यह जो बड़: भीड़ हम पर चढ़ाई कर रह: है , उसके साSहने हमारा तो बस नह:ं चलता और हम हुछ सूफता नह:ं क या करना चाहथे? पर(तु हमार: आंख ते र: ओर लगी हE । 13 और सब यहूद: अपके अपके बालब.चH, '\ीयHऔर पुऽHसमेत यहोवा के सSमुख खड़े रहे । 14 तब आसाप के वंश म से यहजीएल नाम एक लेवीय जो जकयाOह का पुऽ और बनायाह का पोता और म(याह के पुऽ यीएल का परपोता या, उस म

म+डली के बीच यहोवा का आमा समाया। 15 और वह कहने लगा, हे सब यहूदयो, हे यRशलेम के रहनेवालो, हे राजा यहोशापात, तुम सब ~यान दो; यहोवा तुम से यHकहता है , तुम इस बड़: भीड़ से मत डरो और तुSहारा मन क.चा न हो; यHक युa तुSहारा नह:ं, परमे र का है । 16 कल उनका साSहना करने को जाना। दे खो वे सीस क चढ़ाई पर चढ़े आते हE और यRएल नाम जंगल के साSहने नाले के िस के पर तुSह िमल गे। 17 इस लड़ाई म तुSह लड़ना न होगा; हे यहूदा, और हे यRशलेम, ठहरे रहना, और खड़े रहकर यहोवा क ओर से अपना बचाव दे खना। मत डरो, और तुSहारा मन क.चा न हो; कल उनका साSहना करने को चलना और यहोवा तुSहारे साय रहे गा। 18 तब यहोशापात भूिम क ओर मुह ं करके भुका और सब यहूदयHऔर यRशलेम के िनवािसयHने यहोवा के साSहने िगरके यहोवा को द+डवत कया। 19 और कहाितयHऔर कोरहयHम से कुछ लेवीय खड़े होकर इॐाएल के परमे र यहोवा क ःतुित अय(त ऊंचे ःवर से करने लगे। 20 बहान को वे सबेरे उठकर तकोआ के जंगल क ओर िनकल गए; और चलते समय यहोशापात ने खड़े होकर कहा, हे यहूदयो, हे यRशलेम के

िनवािसयो, मेर: सु◌ुनो, अपके परमे र यहोवा पर व ास रखो, तब तुम 'ःयर रहोगे; उसके नबयHक ूतीत करो, तब तुम कृ तायO हो जाओगे। 21 तब उस ने ूजा के साय सSमित करके कतनHको ठहराया, जो क पवऽता से शोभायमान होकर हिययारब(दHके आगे आगे चलते हुए यहोवा के गीत गाएं, और यह कहते हुए उसक ःतुित कर , क यहोवा का ध(यवाद करो, यHक उसक कdणा सदा क है । 22 'जस समय वे गाकर ःतुित करने लगे, उसी समय यहोवा ने अSमोिनयHमोआबयHऔर सेईर के पहाड़: दे श के लोगHपर जो यहूदा के वda आ रहे थे, घातकHको बैठा दया और वे मारे गए। 23 यHक अSमोिनयHऔर मोआबयHने सेईर के पहाड़: दे श के िनवािस कH डराने और सयानाश करने के िलथे उन पर चढ़ाई क, और जब वे सेईर के पहाड़: दे श के िनवािसयHका अ(त कर चुके, तब उन सभHने एक दस ू रे के नाश करने म हाथ लगाया। 24 सो जब यहूदयHने जंगल क चौक पर पहंु चकर उस भीड़ क ओर l क, तब या दे ख क वे भूिम पर प क हुई लोय हE ; और कोई नह:ं बचा। 25 तब यहोशापात और उसक ूजा लूट लेने को गए और लोयHके बीचा बहुत सी सSम और मनभावने गहने िमले; उ(हHने इतने गहने उतार िलथे क उनको न ले जा सके, वरन लूट इतनी िमली, क बटोरते बटोरते तीन दन बीत गए। 26 चौथे दन वे बराका नाम तराई म इक=ठे हुए और वहां यहोवा का ध(यवाद कया; इस कारण उस ःयान का नाम बराका क ता'◌ई पड़ा, जो आज तक है । 27 तब वे, अयाOत ् यहूदा और यRशलेम नगर के सब पुdष और उनके आगे आगे यहोशापात, आन(द के साय यRशलेम लौटे यHक यहोवा ने उ(ह शऽुओं पर आन'(दत कया या। 28 सो वे सारं िगयां, वीणाएं और तुरहयां बजाते हुए यRशलेम म यहोवा के भवन को

आए। 29 और जब दे श दे श के सब राGयHके लोगHने सुना क इॐाएल के शऽुओं से यहोवा लड़ा, तब उनके मन म परमे र का डर समा गया। 30 और यहोशापात के राGय को चैन िमला, यHक उसके परमे र ने उसको चारHओर से वौम दया। 31 यHयहोशापात ने यहूदा पर राGय कया। जब वह राGय करने लगा तब वह पEतीस वषO का या, और प.चीस वषO तक यRशलेम म राGय करता रहा। और उसक माता का नाम अजूबा या, जो िश`ह: क बेट: यी। 32 और वह अपके पता आसा क लीक पर चला ओर उस से न मुड़ा, अयाOत ् जो यहोवा क l म ठqक है वह: वह करता रहा। 33 तौभी ऊंचे ःयान ढाए न गए, वरन अब तक ूजा के लोगHने अपना मन अपके पतरHके परमे र क ओर न लगाया या। 34 और आद से अ(त तक यहोशापात के और काम, हनानी के पुऽ थेहू के वषय उस वृा(त म िलखे हE , जो इॐाएल के राजाओं के वृा(त म पाया जाता हE । 35 इसके बाद यहूद के राजा यहोशापात ने इॐाएल का राजा अहGयाह से जो बड़: द ु ता करता या, मेल कया। 36 अयाOत ् उस ने उसके साय इसिलथे मेल कया क तशींश जाने को जहाज बनवाए, और उ(हHने ऐसे जहाज एःयोनगेबेर म

बनवाए। 37 तब दोदावाह के पुऽ मारे शावासी एलीआजर ने यहोशापात के वd◌ृa यह नबूवत कह:, क तू ने जो अहGयाह से मेल कया, इस कारण यहोवा तेर: बनवाई हुई वःतुओं को तोड़ डालेगा। सो जहरज टू ट गए और तशींश को न जा सके। 2 इितहास 21 1 िनदान यहोशापात अपके पुरखाओं के संग सो गया, और उसको उसके

पुरखाओं के बीच दाऊदपुर म िम=ट: द: गई; और उसका पुऽ यहोराम उसके ःयान पर राGय करने लगा। 2 इसके भाई जो यहोशापात के पुऽ थे, थे थे, अयाOत ् अजयाOह, यह:एल, जकयाOह, अजयाOह, मीकाएल और शपयाह; थे सब इॐाएल के राजा यहोशापात के पुऽ थे। 3 और उनके पता ने उ(हे चा(द: सोना और अनमोल वःतुएं और बड़े बड़े दान और यहूदा म गढ़वाले नगर दए थे, पर(तु यहोराम को उस ने राGय दे दया, यHक वह जेठा या। 4 जब यहोराम अपके पता के राGय पर िनयुf हुआ और बलव(त भी हो गया, तब उसने अपके सब भाइयHको और इॐाएल के कुछ हाकमHको भी तलवार से घात कया। 5 जब यहोराम राजा हुआ, तब वह बीस वषO का या, और वह आठ वषO तक यRशलेम म राGय करता रहा। 6 वह इॐाएल के राजाओं क सी चाल चला, जैसे अहाब का घराना चलता या, यHक उसक प^ी अहाब क बेट: यी। और वह उस काम को करता या, जो यहोवा क l म बुरा है । 7 तौभी यहोवा ने दाऊद के घराने को नाश करना न चाहा, यह उस वाचा के कारण या, जो उसने दाऊद से बा(धी यी। और उस वचन के अनुसार या, जो उस ने उसको दया या, क म ऐसा कRंगा क तेरा और तेरे वंश का द:पक कभी न बुफेगा। 8 उसके दनHम एदोम ने यहूदा क अधीनता छोड़कर अपके ऊपर एक राजा बना िलया। 9 सो यहोराम अपके हाकमHऔर अपके सब रयHको साय लेकर उधर गया, और रयHके ूधानHको मारा। 10 यHएदोम यहूदा के वश से छूट गया और आज तक वैसा ह: है । उसी समय िलcना ने भी उसक अधीनता छोड़ द:, यह इस कारण हुआ, क उस ने अपके पतरHके परमे र यहोवा को याग दया या। 11 और उस ने यहूदा के पहाड़Hपर ऊंचे ःयान बनाए और यRशलेम के िनवािस कH यिभचार कराया,

और यहूदा को बहका दया। 12 तब एिलयाह नबी का एक पऽ उसके पास आया, क तेरे मूलपुdष दाऊद का परमे र यहोवा यHकहता है , क तू जो न तो अपके पता यहोशापात क लीक पर चला है और न यहूदा के राजा आसा क लीक पर, 13 वरन इॐाएल के राजाओं क लीक पर चला है , और अहाब के घराने क नाई यहूिलयHऔर यRशलेम के िनवािस कH यिभचार कराया है और अपके पता के घराने म से अपके भाइयHको जो तुझ से अ.छे थे, घात कया है , 14 इस कारण यहोवा तेर: ूजा, पुऽH, '\यHऔर सार: सSम को बड़: मार से मारे गा। 15 और तू अंतडय़Hके रोग से बहुत पीड़त हो जाएगा, यहां तक क उस रोग के कारण तेर: अंतडय़ां ूितदन िनकलती जाएंगी। 16 और यहोवा ने पिल'ँतयHको और कूिशयHके पास रहनेवाले अरबयHको, यहोराम के वda उभारा। 17 और वे यहूदा पर चढ़ाई करके उस पर टू ट पके, और राजभवन म

'जतनी सSप िमली, उस सब को और राजा के पुऽHऔर '\यHको भी ले गए, यहां तक क उसके लहुरे बेटे यहोआहाज को छोड़, उसके पास कोई भी पुऽ न रहा। 18 इन सब के बाद यहोवा ने उसे अंतडय़Hके असा~यरोग से पीड़त कर दया। 19 और कुछ समय के बाद अयाOत ् दो वषO के अ(त म उस रोग के कारण उसक अंतडय़ां िनकल प कं, ओर वह अय(त पीड़त होकर मर गया। और उसक ूजा ने जैसे उसके पुरखाओं के िलथे सुग(धिय जलाया या, वैसा उसके िलथे कुछ न जलाया। 20 वह जब रGय करने लगा, तब बीस वषO का या, और यRशलेम म आठ वषO तक राGय करता रहा; और सब को अूय होकर जाता रहा। और उसको दाऊदपुर म िम=ट: द: गई, पर(तु राजाओं के कॄःतान म

नह:ं।

2 इितहास 22 1 तब यRशलेम के िनवािसयHने उसके लहुरे पुऽ अहGयाह को उसके ःयान पर राजा बनाया; यHक जो दल अरबयHके संग छावनी म आया या, उस ने उसके सब बड़े बड़े बेटHको घात कया या सो यहूदा के राजा यहोराम का पुऽ अहGयाह राजा हुआ। 2 जब अहGयाह राजा हुआ, तब वह बयालीस वषO का या, और यRशलेम म बक ह: वषO राGय कया, और उसक माता का ताम अत`याह या, जो ओॆी क पोती यी। 3 वह अहाब के घराने क सी चाल चला, यHक उसक माता उसे द ु ता करने क सSमित दे ती यी। 4 और वह अहाब के घराने क नाई वह काम करता या जो यहोवा क l म बुरा है , यHक उसके पता क मृयु के बाद वे उसको ऐसी सSमित दे ते थे, 'जस से उसका वनाश हुआ। 5 और वह उनक सSमित के अनुसार चलता या, और इॐाएल के राजा अहाब के पुऽ यहोराम के संग िगलाद के रामोत म अराम के राजा हजाएल से लड़ने को गया और अरािमयHने यहोराम को घायल कया। 6 सो राजा यहोराम इसिलथे लौट गया क ियळे ल म उन घावHका इताज कराए जो उसको अरािमयHके हाथ से उस समय लगे थे जब वह हजाएल के साय लड़ रहा या। और अहाब का पुऽ यहोराम जो ियळेल म रोगी या, इस कारण से यहूदा के राजा यहोराम का पुऽ अहGयाह उसको दे खने गया। 7 और अहGयाह का वनाश यहोवा क ओर से हुआ, यHक वह यहोराम के पास गया या। और जब वह वहां पहंु चा, तब यहोराम के संग िनमशी के पुऽ थेहू का साSहना करने को िनकल गया, 'जसका अिभषेक यहोवा ने इसिलथे कराया या क वह अहाब के घराने को नाश करे । 8 और जब थेहू अहाब के घराने को दणड दे रहा या, तब उसको यहूदा के हाकम और अहGयाह

के भतीजे जो अहGयाह के टहलुए थे, िमले, और उस ने उनको घात कया। 9 तब उस ने अहGयाह को ढू ं ढ़ा। वह शोमरोन म िछपा या, सो लोगHने उसको पकड़ िलया और थेहू के पास पहंु चाकर उसको मार डाला। तब यह कहकर उसको िम=ट: द:, क यह यहोशपात का पोता है , जो अपके पूरे मन से यहोवा क खोज करता या। और अहGयाह के घराने म राGय करने के योbय कोई न रहा। 10 जब अहGयाह क माता अत`याह ने दे ख क मेरा पुऽ मर गया, तब उस ने उठकर यहूदा के घराने के सारे राजवंश को नाश कया। 11 पर(तु यहोशवत जो राजा क बे ट: यी, उस ने अहGयाह के पुऽ योआश को घात होनेवाले राजकुमारHके बीच से चुराकर धाई समेत बछौने रखने क कोठर: म िछपा दया। इस ूकार राजा यहोराम क बेट: यहोशवत जो यहोयादा याजक क \ी और अहGयाह क बहन यी, उस ने योआश को अत`याह से ऐसा िछपा रखा क वह उसे मार डालने न पाई। 12 और वह उसके पास परमे र के भवन म छ: वषO िछपा रहा, इतने दनHतक अत`याह दे श पर राGय करती रह:। 2 इितहास 23 1 सातव वषO म यहोयादा ने हयाब बा(धकर यरोहाम के पुऽ अजयाOह, यहोहानान के पुऽ इ ाएल, ओबेद के पुऽ अजयाOह, अदायाह के पुऽ मासेयाह और 'जब के पुऽ बलीशपात, इन शतपितयHसे वाचा बा(धी। 2 तब वे यहूदा म घूमकर यहूदा के सब नगरHम से लेवयHको और इॐाएल के पतरHके घरानHके मु‡य मु‡य पुdषHको इक=ठा करके यRशलेम को ले आए। 3 और उस सार: मएडली ने परमे र के भवन म राजा के साय वाचा बा(धी, और यहोयादा ने उन से कहा,

सुनो, यह राजकुमार राGय करे गा जैसे क यहोवा ने दाऊद के वंश के वषय कहा है । 4 तो तुम एक काम करो, अयाOत ् तुम याजकHऔर लेवयHक एक ितहाई लोग जो वौमदन को आनेवाले हो, वे kारपाली कर , 5 और एक ितहाई लोग राजभवन म रह और एक ितहाई लोग नेव के फाटक के पास रह ; और सब लोग यहोवा के भवन के आंगनHम रह । 6 पर(तु याजकHऔर सेवा टहल करनेवाले लेवयHको छोड़ और कोई यहोवा के भवन के भीतर न आने पाए; वे तो भीतर आएं, यHक वे पवऽ हE पर(तु सब लोग यहोवा के भवन क चौकसी कर । 7 और लेवीय लोग अपके अपके हाथ म हिययार िलथे हुए राजा के चारHओर रह

और जो कोई भवन के भीतर घुसे, वह मार डाला जाए। और तुम राजा के आते जाते उसके साय रहना। 8 यहोयादा याजक क इन सब आWाओं के अनुसार लेवयHऔर सब यहूदयHने कया। उ(हHने वौमदन को आनेवाले और वौमदन को जानेवाले दोनHदलHके, अपके अपके जनHको अपके साय कर िलया, यHक यहोयादा याजक ने कसी दल के लेवयHको वदा न कया य। 9 तब यहोयादा याजक ने शतपितयHको राजा दाऊद के बछ और भाले और ढाल जो परमे र के भवन म यीं, दे द:ं। 10 फर उस ने उन सब लोगHको अपके अपके हाथ म हिययार िलथे हुए भवन के द' खनी कोने से लेकर, उर: कोने तक वेद: और भवन के पास राजा के चारHओर उसक आड़ करके खड़ा कर दया। 11 तब उ(हHने राजकुमार को बाहर ला, उसके िसर पर मुकुट रखा और साझीपऽ दे कर उसे राजा बनाया; और यहोयादा और उसके पुऽHने उसका अिभषेक कया, और लोग बोल उठे , राजा जीवत रहे । 12 जब अत`याह को उन लोगHका ह`ला, जो दौड़ते और राजा को सराहते थे सुन पड़ा, तब वह लोगHके पास यहोवा के भवन म

गई। 13 और उस ने या दे खा, क राजा kार के िनकट खSभे के पास खड़ा है और राजा के पास ूधान और तुरह: बजानेवाले खड़े हE , और सब लोग आन(द कर रहे हE और तुरहयां बजा रहे हE और गाने बजानेवाले बाजे बजाते और ःतुित करते हE । तब अत`याह अपके व\ फाड़कर पुकारने लगी, राजिोह, राजिोह ! 14 तब यहोयादा याजक ने दल के अिध कारनेी शतपितयHको बाहर लाकर उन से कहा, क उसे अप क पांितयHके बीच से िनकाल ले जाओ; और जो कोई उसके पीछे चले, वह तलवार से मार डाला जाए। याजक ने कहा, क उसे यहोवा के भवन म न मार डालो। 15 तब उ(हHने दोनHओर से उसको जगह द:, और वह राजभवन के घोड़ाफाटक के kार तक गई, और वहां उ(हHने उसको मार डाला। 16 तब यहोयादा ने अपके और सार: ूजा के और राजा के बीच यहोवा क ूजा होने क वाचा ब(धवाई। 17 तब सब लोगHने बाल के भवन को जाकर ढा दया; और उसक वेदयHऔर मूरतHको टु कड़े टु कड़े कया, और मान नाम बाल के याजक को वेदयHके साSहने ह: घात कया। 18 तब यहोयादा ने यहोवा के भवन क सेवा के िलथे उन लेवीय याजकHको ठहरा दया, 'ज(ह दाऊद ने यहोवा के भवन पर दल दल करके इसिलथे ठहराया या, क जैसे मूसा क यवःया म िलखा है , वैसे ह: वे यहोवा को होमबिल चढ़ाया कर , और दाऊद क चलाई हुई विध के अनुसार आन(द कर और गाएं। 19 और उस ने यहोवा के भवन के फाटकHपर kारपालHको इसिलथे खड़ा कया, क जो कसी र:ित से अशुa हो, वह भीतर जाने न पाए। 20 और वह शतपितयHऔर रईसHऔर ूजा पर ूभुता करनेवालHऔर दे श के सब लोगHको साय करके राजा को यहोवा के भवन से नीचे ले गया और ऊंचे फाटक से होकर राजभवन म आया, और राजा को राजगX: पर बैठाया। 21 तब सब लोग

आन'(दत हुए और नगर म शा'(त हुई। अत`याह तो तलवार से मार ह: डाली गई यी। 2 इितहास 24 1 जब योआश राजा हुआ, तब वह सात वषO का या, और यRशलेम म चालीस वषO तक राGय करता रहा; उसक माता का नाम िसcया या, जो बेशब  ा क यी। 2 और जब तक यहोयादा याजक जीवत रहा, तब तक योआश वह काम करता रहा जो यहोवा क l म ठqक है । 3 और यहसेयादा ने उसके दो cयाह कराए और उस से बे टे-बे टयां उप(न हुई। 4 इसके बाद योआश के मन म यहोवा के भवन क मरSमत करने क मनसा उप क। 5 तब उस ने याजकHऔर लेवयHको इक=ठा करके कहा, ूित वषO यहूदा के नगरHम जा जाकर सब इॐाएिलयHसे dपके िलया करो 'जस से तुSहारे परमे र के भवन क मरSमत हो; दे खो इसकाम म फुतीं करो। तौभी लेवयHने कुछ फुतीं न क। 6 तब राजा ने यहोयादा महाथाजक को बुलवा कर पूछा, या कारण है क तू ने लेवयHको lढ़ आWा नह:ं द: क वे यहूदा और यRशलेम से उस च(दे के dपए ले आएं 'जसका िनयम यहोवा के दास मूसा और इॐाएल क म+डली ने साझीपऽ के तSबू के िनिम चलाया या। 7 उस द ु \ी अत`याह के बेटHने तो परमे र के भवन को तोड़ दया और यहोवा के भवन क सब पवऽ क हुई वःतुएं बाल दे वताओं को दे द: यीं। 8 और राजा ने एक स(दक ू बनाने क आWा द: और वह यहोवा के भवन के फाटक के पास बाहर रखा गया। 9 तब यहूदा और यRशलेम म यह ूचार कया गया क 'जस च(दे का िनयम परमे र के दास मूसा ने जंगल म इॐाएल म चलाया या, उसके dपए

यहोवा के िनिम ले आओ। 10 तो सब हाकम और ूजा के सब लोग आन'(दत हो dपए लाकर जब तक च(दा पूरा न हुआ तब तक स(दक ू म डालते गए। 11 और जब जब वह स(दक ू लेवयHके हाथ से राजा के ूधानHके पास पहंु चाया जाता और यह जान पड़ता या क उस म dपए बहुत हE , तब तब राजा के ूधान और महाथाजक का नाइब आकर स(दक ू को खाली करते और तब उसे फर उसके ःयान पर रख दे ते थे। उ(हHने ूितदन ऐसा कया और बहुत dपए इा=ठा कए। 12 तब राजा और यहोयादा ने वह dपए यहोवा के भवन म काम करनेवालHको दे दए, और उ(हHने राजHऔर बढ़इयHको यहोवा के भवन के सुधारने के िलथे, और लोहारHऔर ठठे रHको यहोवा के भवन क मरSमत करने के िलथे मजदरू : पर रखा। 13 और कार:गर काम करते गए और काम पूरा होता गया और उ(हHने परमे र का भवन जैसा का तैसा बनाकर lढ़ कर दया। 14 जब उ(हHने वह काम िनपटा दया, तब वे शेष dपए राजा और यहोयादा के पास ले गए, और उन से यहोवा के भवन के िलथे पाऽ बनाए गए, अयाOत ् सेवा टहल करने और होमबिल चढ़ाने के पाऽ और धूपदान आद सोने चा(द: के पाऽ। और जब तक यहोयादा जीवत रहा, तब तक यहोवा के भवन म होमबिल िनय चढ़ाए जाते थे। 15 पर(तु यहोयादा बूढ़ा हो गया और द:घाOयु होकर मर गया। जब वह मर गया तब एक सौ तीस वषO का या। 16 और दाऊदपुर म राजाओं के बीच उसको िम=ट: द: गई, यHक उस ने इॐाएल म और परमे र के और उसके भवन के वषय म

भला कया या। 17 यहोयादा के मरने के बाद यहूदा के हाकमHने राजा के पास जाकर उसे दणडवत क, और राजा ने उनक मानी। 18 तब वे अपके पतरHके परमे र यहोवा का भवन छोड़कर अशेरHऔर मूरतHक उपासना करने लगे। सो

उनके ऐसे दोषी होने के कारण परमे र का बोध यहूदा और यRशलेम पर भड़का। 19 तौभी उस ने उनके पास नबी भेजे क उनको यहोवा के पास फेर लाएं; और इ(हHने उ(ह िचता दया, पर(तु उ(हHने कान न लगाया। 20 और परमे र का आमा यहोयादा याजक के पुऽ जकयाOह म समा गया, और वह ऊंचे ःयन पर खड़ा होकर लोगHसे कहने लगा, परमे र यHकहता है , क तुम यहोवा क आWाओं को यHटालते हो? ऐसा करके तुम भाbयवान नह:ं हो सकते, दे खो, तुम ने तो यहोवा को याग दया है , इस कारण उस ने भी तुम को याग दया। 21 तब लोगHने उस से िोह क गोvी करके, राजा क आWा से यहोवा के भवन के आंगन म उसको पयरवाह कया। 22 यHराजा योआश ने वह ूीित भूलकर जो यहोयादा ने उस से क यी, उसके पुऽ को घात कया। और मरते समय उस ने कहा यहोवा इस पर l करके इसका लेखा ले। 23 तथे वषO के लगते अरािमयHक सेना ने उस पर चढ़ाई क, और यहूदा ओर यRशलेम आकर ूजा म से सब हाकमHको नाश कया और उनका सब धन लूटकर दिमँक के राजा के पास भेजा। 24 अरािमयHक सेना थेड़े ह: पुdषHक तो आई, प(तु यहोवा ने एक बहुत बड़: सेना उनके हाथ कर द:, यHक उ(हHने अपके पतरो के परमे ा को याग दया य। और योआश को भी उ(हHने दणड दया। 25 और जब वे उसे बहुत ह: रोगी छोड़ गए, तब उसके कमOचाgरयHने यहोयादा याजक के पुऽHके खून के कारण उस से िोह क गोvी करके, उसे उसके बछौने पर ह: ऐसा मारा, क वह मर गया; और उ(हHने उसको दाऊद पुर म िम=ट: द:, पर(तु राजाओं के कॄःतान म नह:ं। 26 'ज(हHने उस से राजिोह क गोvी क, वे थे थे, अयाOत ् अSमोिनन, िशमात का पुऽ जाबाद और िशिॆत, मोआबन का पुऽ यहोजाबाद। 27 उसके बे टHके वषय और

उसके वda, जो बड़े दणड क तबूवत हुई, उसके और परमे र के भवन के बनने के वषय थे सब बात राजाओं के वृा(त क पुःतक म िलखी हE । और उसका पुऽ अमःयाह उसके ःयान पर राजा हुआ। 2 इितहास 25 1 जब अमःयाह राGय करने लगा तब वह वचीस वषO का या, और यRशलेम म

उनतीस वषO तक राGय करता रहा; और उसक माता का नाम यहोअXान या, जो यRशलेम क यी। 2 उस ने वह कया जो यहोवा क l म ठqक है , पर(तु खरे मन से न कया। 3 जब राGय उसके हाथ म 'ःयर हो गया, तब उस ने अपके उन कमOचाgरयHको मार डाला 'ज(हHने उसके पता राजा को मार डाला या। 4 पर(तु उस ने उनके लड़केवालHको न मारा यHक उस ने यहोवा क उस आWा के अनुसार कया, जो मूसा क यवःया क पुःतक म िलखी है , क पुऽ के कारण पता न मार डाला जाए, और न पता के कारण पुऽ मार डाला जाए, 'जस ने पाप कया हो वह: उस पाप के कारण मार डाला जाए। 5 और अमःयाह ने यहूदा को वरन सारे यहूदयHऔर ब(यामीिनयHको इक=ठा करके उनको, पतरHके घरानHके अनुसार सहॐपितयHऔर शतपितयHके अिध कारने म ठहराया; और उन म से 'जतनHक अवःया बीस वषO क अयवा उस से अिधक यी, उनक िगनती करके तीन लाख भाला चलानेवाले और ढाल उठानेवाले बड़े बड़े योaा पाए। 6 फर उस ने एक लाख इॐाएली शूरवीरHको भी एक सौ क कार चा(द: दे कर बुलवा रखा। 7 पर(तु परमे र के एक जन ने उसके पास आकर कहा, हे राजा इॐाएल क सेना ते रे साय जाने न पाए; यHक यहोवा इॐाएल अयाOत ्

एूैम क कुल स(तान के संग नह:ं रहता। 8 यद तू जाकर पुdषायO करे ; और युa के िलथे हयाव वा(धे, तौभी परमे र तुझे शऽुओं के साSहने िगराएगा, यHक सहाथता करने और िगरा दे ने दोनHम परमे र सामयीं है । 9 अमःयाह ने परमे र के भf से पूछा, फर जो सौ क कार चा(द: मE इॐाएली दल को दे चुका हँू , उसके वषय या कRं? परमे र के भf ने उर दया, यहोवा तुझे इस से भी बहुत अिधक दे सकता है । 10 तब अमःयाह ने उ(ह अयाOत ् उस दल को जो एूैम क ओर से उसके पास आया या, अलग कर दया, क वे अपके ःयान को लौट जाएं। तब उनका बोध यहूदयो पर बहुत भड़क उठा, और वे अय(त बोिधत होकर अपके ःयान को लौट गए। 11 पर(तु अमःयाह हयाब बा(धकर अपके लोगHको ले चला, और लोन क तराई म जाकर, दस हजार सेईgरयHको मार डाला। 12 और यहूिलयHने दस हजार को ब(धुआ करके च=टान क चोट: पर ले गथे, और च=टान क चोट: पर से िगरा दया, सो वे सब चूर चूर हो गए। 13 पर(तु उस दल के पुdष 'जसे अमःयाह ने लौटा दया क वे उसके साय युa करने को न जाएं, शेमरोन से बेथेरोन तक यहूदा के सब नगरHपर टू ट पके, और उनके तीन हजार िनवासी मार डाले और बहुत लूट ले ली। 14 जब अमःयाह एदोिनयHका संहार करके लौट आया, तब उस ने सेईgरयHके दे वताओं को ले आकर अपके दे वता करके खड़ा कया, और उ(ह:ं के साSहने दणडवत करने, और उ(ह:ं के िलथे धूप जलाने लगा। 15 तब यहोवा का बोध अमःयाह पर भड़क उठा और उस ने उसके पास एक नबी भेजा 'जस ने उस से कहा, जो दे वता अपके लोगHको तेरे हाथ से बचा न सके, उनक खोज म तू यHलगा है ? 16 वह उस से कह ह: रहा या क उस ने उस से पूछा, या हम ने तुझे राजम(ऽी ठहरा दया है ? चुप रह !

या तू मार खाना चाहता है ? तब वह नबी यह कहकर चुप हो गया, क मुझे मालूम है क परमे र ने तुझे नाश करने को ठाना है , यHक तू ने ऐसा कया है और मेर: सSमित नह:ं मानी। 17 तब यहूदा के राजा अमःयाह ने सSमित लेकर, इॐाएल के राजा योआश के पास, जो थेहू का पोता और यहोआहाज का पुऽ या, यHकहला भेजा, क आ हम एक दस ू रे का साSहना कर । 18 इॐाएल के राजा योआश ने यहूदा के राजा अमःयाह के पास यHकहला भेजा, क लबानोन पर क एक फड़बेर: ने लबानोन के एक दे वदार के पास कहला भेजा, क अप क बेट: मेरे बेटे को cयाह दे ; इतने म लबानोन का कोई वन पशु पास से चला गया और उस फड़बेर: को दxद डाला। 19 तू कहता है , क मE ने एदोिमयHको जीत िलया है ; इस कारण तू फूल उठा और बड़ाई मारता है ! अपके घर म रह जा; तू अप क हािन के िलथे यहां यHहाथ डालता है , इस से तू या, वरन यहूदा भी नीचा खाएगा। 20 पर(तु अमःयाह ने न माना। यह तो परमे र क ओर से हुआ, क वह उ(ह उनके शऽुओं के हाथ कर दे , यHक वे एदोम के दे वताओं क खोज म

लग गए थे। 21 तब इॐाएल के राजा योआश ने चढ़ाई क और उस ने और यहूदा के राजा अमःयाह ने यहूदा दे श के बेतशेमेश म एक दस ू रे का साSहना कया। 22 और यहूदा इॐाएल से हार गया, और हर एक अपके अपके डे रे को भागा। 23 तब इॐाएल के राजा योआश ने यहूदा के राजा अमःयाह को, जो यहोआहाज का पोता और योआश का पुऽ या, बेतशेमेश म पकड़ा और यRशलेम को ले गया और यRशलेम क शहरपनाह म से बूैमी फाटक से कोनेवाले फाटक तक चार सौ हाथ िगरा दए। 24 और 'जतना सोना चा(द: और 'जतने पाऽ परमे र के भवन म

ओबेदेदोम के पास िमले, और राजभवन म 'जतना खजाना या, उस सब को और

ब(धक लोगHको भी लेकर वह शोमरोन को लोट गया। 25 यहोआहाज के पुऽ इॐाएल के राजा योआश के मरने के बाद योआश का पुऽ यहूदा का राजा अमःयाह प(िह वषO तक जीवत रहा। 26 आद से अ(त तक अमःयाह के और काम, या यहूदा और इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखे हE ? 27 'जस समय अपःयाह यहोवा के पीछे चलना छोड़कर फर गया या उस समय से यRशलेम म उसके वda िोह क गोvी होने लगी, और वह लाकश को भाग गया। सो दत ू Hने लाकश तक उसका पीछा कर के, उसको वह:ं मार डाला। 28 तब वह घोड़Hपर रखकर पहंु चाया गया और उसे उसके पुरखाओं के बीच यहूदा के नगर म िम=ट: द: गई। 2 इितहास 26 1 तब सब यहूद: ूजा ने उ'Gजयाह को लेकर जो सोलह वषO का या, उसके पता अमःयाह के ःयान पर राजा बनाया। 2 जब राजा अमःयाह अपके पुरखाओं के संग सो गया तब उ'Gजयाह ने एलोत नगर को lढ़ कर के यहूदा म फर िमला िलया। 3 जब उ'Gजयाह राGय करने लगा, तब वह सोलह वषO का या। और यRशलेम म बावन वषO तक राGय करता रहा, और उसक माता का नाम यक`याह या, जो यRशलेम क यी। 4 जैसे उसका पता अमःयाह, कया करता या वैसा ह: उसने भी कया जो यहोवा क l म ठqक या। 5 और जकयाOह के दनHम जो परमे र के दशOन के वषय समझ रखता या, वह परमे र क खोज म लगा रहता या; और जब तक वह यहोवा क खोज म लगा रहा, तब तक परमे र उसको भाbयवान कए रहा। 6 तब उस ने जाकर पिल'ँतयHसे युa

कया, और गत, यcने और अशदोद क शहरपनाह िगरा द:ं, और अशदोद के आसपास और पिल'ँतयHके बीच म नगर बसाए। 7 और परमे र ने पिल'ँतयHऔर गूबाOलवासी, अरबयHऔर मूिनयHके वda उसक सहाथता क। 8 और अSमोनी उ'Gजयाह को भ ट दे ने लगे, वरन उसक कर ् िमॐ के िसवाने तक भी फैल गई–, यHक वह अय(त सामयीं हो गया या। 9 फर उ'Gजयाह ने यRशलेम म कोने के फाटक और तराई के फाटक और शहरपनाह के मोड़ पर गुSमट बनवाकर lढ़ कए। 10 और उसके बहुत जानवर थे इसिलथे उस ने जंगल म और नीचे के दे श और चौरस दे श म गुSमट बनवाए और बहुत से हौद खुदवाए, और पहाड़Hपर और कSमल म उसके कसान और दाख क बाgरयHके माली थे, यHक वह खे ती कसानी करनेवाला या। 11 फर उ'Gजयाह के योaाओं क एक सेना यी 'जनक िगनती यीएल मुश ं ी और मासेयाह सरदार, हन(याह नामक राजा के एक हाकम क आWा से करते थे, और उसके अनुसार वह दल बा(धकर लड़ने को जाती यी। 12 पतरHके घरानHके मु‡य मु‡य पुdष जो शूरवीर थे, उनक पूर: िगनती दो हजार छ: सौ यी। 13 और उनके अिध कारने म तीन लाख साढ़े सात हजार क एक बड़: बड़: सेना यी, जो शऽुओं के वda राजा क सहाथता करने को बड़े बल से युa करनेवाले थे। 14 इनके िलथे अयाOत ् पूर: सेना के िलथे उ'Gजयाह ने ढाल , भाले, टोप, फलम, धनुष और गोफन के पयर तैयार कए। 15 फर उस ने यRशलेम म

गुSमटHऔर कंगूरHपर रखने को चतुर पुdषHके िनकाले हुए य(ऽ भी बनवाए 'जनके kारा तीर और बड़े बड़े पयर फ के जाते थे। और उसक कर ् दरू दरू तक फैल गई, यHक उसे अदभुत यहाथता यहां तक िमली क वह सामयीं हो

गया। 16 पर(तु जब वह सामयीं हो गया, तब उसका मन फूल उठा; और उस ने बगड़कर अपके परमे र यहोवा का व ासघात कया, अयाOत ् वह धूप क वे द: पर धूम जलाने को यहोवा के म'(दर म घुस गया। 17 और अजयाOह याजक उसके बाद भीतर गया, और उसके संग यहोवा के अःसी याजक भी जो वीर थे गए। 18 और उ(हHने उ'Gजयाह राजा का साSहना करके उस से कहा, हे उ'Gजयाह यहोवा के िलथे धूप जलाना ते रा काम नह:ं, हाRन क स(तान अयाOत ् उन याजकHह: का काम है , जो धूप जलाने को पवऽ कए गए हE । तू पवऽःयान से िनकल जा; तू ने व ासघात कया है , यहोवा परमे र क ओर से यह तेर: महमा का कारण न होगा। 19 तब उ'Gजयाह धूप जलाने को धूपदान हाथ म

िलथे हुए फुंफला उठा। और वह याजकHपर फुंफला रहा या, क याजकHके दे खते दे खते यहोवा के भवन म धूप क वे द: के पास ह: उसके माथे पर कोढ़ ूगट हुआ। 20 और अजयाOह महाथाजक और सब याजकHने उस पर l क, और या दे खा क उसके माथे पर कोढ़ िनकला है ! तब उहHने उसको वहां से फटपट िनकाल दया, वरन यह जानकर क यहोवा ने मुझे कोढ़: कर दया है , उस ने आप बाहर जाने को उतावली क। 21 और उ'Gजयाह राजा मरने के दन तक कोढ़: रहा, और कोढ़ के कारण अलग एक घर म रहता या, वह तो यहोवा के भवन म जाने न पाता या। और उसका पुऽ योताम राजघराने के काम पर िनयुf कया गया और वह लोगHका (याय भी करता या। 22 आद से अ(त तक उ'Gजयाह के और कामHका वणOन तो आमोस के पुऽ यशायाह नबी ने िलखा है । 23 िनदान उ'Gजयाह अपके पुरखाओं के संग सो गया, और उसको उसके पुरखाओं के िनकट राजाओं के िम=ट: दे ने के खेत म िम=ट: द: गई यHक उ(हHने कहा, क

वह कोढ़: है । और उसका पुऽ योताम उसके ःयान पर राGय करने लगा। 2 इितहास 27 1 जब योताम राGय करने लगा तब वह प कस वषO का या, और यRशलेम म

सोलह वषO तक राGय करता रहा। और उसक माता का नाम यRशा या, जो सादोक क बेठq यी। 2 उस ने वह कया, जो यहोवा क l म ठqक है , अयाOत ् जैसा उसके पता उ'Gजयाह ने कया या, ठqक वैसा ह: उस ने भी कया : तौभी वह यहोवा के म'(दर म न घुसा। और ूजा के लोग तब भी बगड़: चाल चलते थे। 3 उसी ने यहोवा के भवन के ऊपरवाले फाटक को बनाया, और ओपेल क शहरपनाह पर बहुत कुछ बनवाया। 4 फर उस ने यहूदा के पहाड़: दे श म कई नगर lढ़ कए, और जंगलHम गढ़ और गुSमट बनाए। 5 और वह अSमोिनयHके राजा से युa करके उन पर ूबल हो गया। उसी वषO अSमोिनयHने उसको सौ क कार चांद:, और दस दस हजार कोर गेहंू और जव दया। और फर दस ू रे और तीसरे वषO म भी उ(हHने उसे उतना ह: दया। 6 यHयोताम सामयीं हो गया, यHक वह अपके आप को अपके परमे र यहोवा के सSमुख जानकर सीधी चाल चलता या। 7 योताम के और काम और उसके सब युa और उसक चाल चलन, इन सब बातHका वणOन इॐाएल और यहूदा के राजाओं के इितहास म

िलखा है । 8 जब वह राजा हुआ, तब प कस वषO का या; और वह यRशलेम म

सोलह वषO तक राGय करता रहा। 9 िनदान योताम अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसे दाऊदपुर म िम=ट: द: गई। और उसका पुऽ आहाज उसके ःयान पर राGय करने लगा।

2 इितहास 28 1 जब आहाज राGय करने लगा तब वह बीस वषO का या, और सोलह वषO तक यRशलेम म राGय करता रहा। और अपके मूलपुdष दाऊद के समान काम नह:ं कया, जो यहोवा क l म ठqक या, 2 पर(तु वह इॐाएल के राजाओं क सी चाल चला, और बाल दे वताओं क मूितया{ ढलवाकर बनाई; 3 और ह(नोम के बे टे क तराई म धू◌ूप जलाया, और उन जाितयHके िघनौने कामHके अनुसार 'ज(ह यहोवा ने इॐाएिलयHके साSहने से दे श से िनकाल दया या, अपके लड़केबालHको आग म होम कर दया। 4 और ऊंचे ःयानHपर, और पहाडय़Hपर, और सब हरे वृझHके तले वह बिल चढ़ाया और धूम जलाया करता या। 5 इसिलथे उसके परमे र यहोवा ने उसको अरािमयHके राजा के हाथ कर दया, और वे उसको जीतकर, उसके बहुत से लोगHको ब(धुआ बनाके दिमँक को ले गए। और वह इॐाएल के राजा के वश म कर दया गया, 'जस ने उसे बड़: मार से मारा। 6 और रम`याह के पुऽ पेकह ने, यहूदा म एक ह: दन म एक लाख बीस हजार लोगHको जो सब के सब वीर थे, घात कया, यHक उ(हHने अपके पतरHके परमे र यहोवा को याग दया या। 7 और 'जब नामक एक एूैमी वीर ने मासेयाह नामक एक राजपुऽ को, और राजभवन के ूधान अळीकाम को, और एलकाना को, जो राजा का मंऽी या, मार डाला। 8 और इॐाएली अपके भाइयHम

से ऽयH, बेटHऔर बे टयHको िमलाकर दो लाख लोगHको ब(धुआ बनाके, और उनक बहुत लूट भी छqनकर शोमरोन क ओर ले चले। 9 पर(तु वहां ओदे द नामक यहोवा का एक नबी या; वह शोमरोन को आनेवाली सेना से िमलकर उन से कहने लगा, सुनो, तुSहारे पतरHके परमे र यहोवा ने यहूदयHपर फुंफलाकर

उनको तुSहारे हाथ कर दया है , और तुम ने उनको ऐसा बोध करके घात कया 'जसक िच`लाहट ःवगO को पहुंच गई है । 10 और अब तुम ने ठाना है क यहूदयHऔर यRशलेिमयHको अपके दास-दासी बनाकर दबाए रखो। या तुम भी अपके परमे र यहोवा के यहां दाषी नह:ं हो? 11 इसिलथे अब मेर: सुनो और इन ब(धुओं को 'ज(ह तुम अपके भाइयHम से ब(धुआ बनाके ले आए हो, लौटा दो, यहोवा का बोध तो तुम पर भड़का है । 12 तब एूैिमयHके कतने मु‡य पुdष अयाOत ् योहानान का पुऽ अजयाOह, मिश`लेमोत का पुऽ बेरे याह, श`लूम का पुऽ यहजकयाह, और हदलै का पुऽ अमासा, लड़ाई से आनेवालHका साSहना करके, उन से कहने लगे। 13 तुम इन ब(धुओं को यहां मत लाओ; यHक तुम ने वह बात ठानी है 'जसके कारण हम यहोवा के यहां दोषी हो जाएंगे, और उस से हमारा पाप और दोष बढ़ जाएगा, हमारा दोष तो बड़ा है और इॐाएल पर बहुत बोध भड़का है । 14 तब उन हिययार ब(धHने ब(धुओं और लूट को हाकमHऔर सार: सभा के साSहने छोड़ दया। 15 तब 'जन पुdषHके नाम ऊपर िलखे हE , उ(हHने उठकर ब(धुओं को ले िलया, और लूट म से सब नंगे लोगHको कपके, और जूितयां पहनाई; और खाना 'खलाया, और पानी पलाया, और तेल मला; और तब िनबOल लोगHको गदहHपर चढ़ाकर, यर:हो को जो खजूर का नगर कहलाता है , उनके भाइयHके पास पहंु चा दया। तब वे शोमरोन को लौट आए। 16 उस समय राजा आहाज ने अँशूर के राजाओं के पास दत ू भेजकर सहाथता मांगी। 17 यHक एदोिमयHने यहूदा म आकर उसको मारा, और ब(धुओं को ले गए थे। 18 और पिलँतयHने नीचे के दे श और यहूदा के द' खन दे श के नगरHपर चढ़ाई करके, बेतशेमेश, अयालोन और गदे रोत को, और अपके अपके गांवHसमेत

सोको, ितSना, और िगमजो को ले िलया; और उन म रहने लगे थे। 19 यHयहोवा ने इॐाएल के राजा आहाज के कारण यहूदा को दबा दया, यHक वह िनरं कुश होकर चला, और यहोवा से बड़ा व ासघात कया। 20 तब अँशूर का राजा ितलगतपलनेसेर उसके वda आया, और उसको क दया; lढ़ नह:ं कया। 21 आहाज ने तो यहोवा के भवन और राजभवन और हाकमHके घरHम से धन िनकालकर अँशूर के राजा को दया, पर(तु इससे उसक कुछ सहाथता न हुई। 22 और लेश के समय राजा आहाज ने यहोवा से और भी व ासघात कया। 23 और उस ने दिमँक के दे वताओं के िलथे 'ज(हHने उसको मारा या, बिल चढ़ाया; यHक उस ने यह सोचा, क आरामी राजाओं के दे वताओं ने उनक यहाथता क, तो मE उनके िलथे बिल चढ़ाऊंगा क वे मेर: सहाथता कर । पर(तु वे उसके और सारे इॐाएल के पतन का कारण हुए। 24 फर आहाज ने परमे र के भवन के पाऽ बटोरकर तुड़वा डाले, और यहोवा के भवन के kारHको ब(द कर दया; और यRशलेम के सब कोनHम वेदयां बनाई। 25 और यहूदा के एक एक नगर म उस ने पराथे दे वताओं को धूप जलाने के िलथे ऊंचे ःयान बनाए, और अपके िमतरHके परमे र यहोवा को gरस दलाई। 26 और उसके और कामH, और आद से अ(त तक उसक पूर: चाल चलन का वणOन यहूदा और इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म िलखा है । 27 िनदान आहाज अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसको यRशलेम नगर म िम=ट: द: गई, पर(तु वह इॐाएल के राजाओं के कॄःतान म पहंु चाया न गया। और उसका पुऽ हजकयाह उसके ःयान पर राGय करने लगा। 2 इितहास 29

1 जब हजकयाह राGय करने लगा तब वह प कस वषO का या, और उनतीस वषO तक यRशलेम म राGय करता रहा। और उसक माता का ताम अबयाह या, जो जकयाOह क बे ट: यी। 2 जैसे उसके मूलपुdष दाऊद ने कया या अयाOत ् जो यहोवा क l म ठqक या वैसा ह: उस ने भी कया। 3 अपके राGय के पहले वषO के पहले मह:ने म उस ने यहोवा के भवन के kार खुलवा दए, और उनक मरSमत भी कराई। 4 तब उस ने याजकHऔर लेवयHको ले आकर पूवO के चौक म

इक=ठा कया। 5 और उन से कहने लगा, हे लेवयो मेर: सुनो ! अब अपके अपके को पवऽ करो, और अपके पूवOजHके परमे र यहोवा के भवन को पवऽ करो, और पवऽःयान म से मैल िनकालो। 6 दे खो हमारे पुरखाओं ने व ासघात करके वह कमO कया या, जो हमारे परमे र यहोवा क l म बुरा है और उसको तज करके यहोवा के िनवास से मुह ं फेरकर उसको पीठ दखाई यी। 7 फर उ(हHने ओसारे के kार ब(द कए, और द:पकHको बुफा दया या; और पवऽ ःयान म इॐाएल के परमे र के िलथे न तो धूप जलाया और न होमबिल चढ़ाया या। 8 इसिलथे यहोवा का बोध यहूदा और यRशलेम पर भड़का है , और उस ने ऐसा कया, क वे मारे मारे फर और चकत होने और ताली बजाने का कारण हो जाएं, जैसे क तुम अप क आंखHसे दे ख रहे हो। 9 दे खो, अस कारण हमारे बाप तलवार से मारे गए, और हमारे बेटे-बेटयां और '\यां ब(धुआई म च क गई हE । 10 अब मेरे मन ने यह िनणOय कया है क इॐाएल के परमे र यहोवा से वाचा बा(धू,ं इसिलथे क उसका भड़का हुआ बोध हम पर से दरू हो जाए। 11 हे मेरे बेटो, ढलाई न करो दे खो, यहोवा ने अपके सSमुख खड़े रहने, और अप क सेवा टहल करने, और अपके टहलुए और धूप जलानेवाले का काम करने के िलथे

तुSह:ं को चुन िलया है । 12 तब लेवीय उठ खड़े हुए, अयाOत ् कहाितयHम से अमासै का पुऽ महत, और अजयाOह का पुऽ योएल, और मराgरयHम से अcद: का पुऽ कश, और यह`लेलेल का पुऽ अजयाOह, और गेशॉिनयHम से 'जSमा का पुऽ योआह, और योआह का पुऽ एदे न। 13 और एलीसापान क स(तान म से िशॆी, और यूएल और आसाप क स(तान म से जकयाOह और म(याह। 14 और हे मान क स(तान म से यहूएल और िशमी, और यदत ू ून क स(तान म से शमायाह और उGजीएल। 15 इ(हHने अपके भाइयHको इक=ठा कया और अपके अपके को पवऽ करके राजा क उस आWा के अनुसार जो उस ने यहोवा से वचन पाकर द: यी, यहोवा के भवन के शुa करने के िलथे भीतर गए। 16 तब याजक यहोवा के भवन के भीतर: भाग को शुa करने के िलथे उस म जाकर यहोवा के म'(दर म

'जतनी अशुa वःतुएं िमीं उन सब को िनकालकर यहोवा के भवन के आंगन म

ले गए, और लेवयHने उ(ह उठाकर बाहर किोन के नाले म पहंु चा दया। 17 पहले मह:ने के पहले दन को उ(हHने पवऽ करने का काम आरSभ कया, और उसी मह:ने के आठव दन को वे यहोवा के ओसारे तक आ गए। इस ूकार उ(हHने यहोवा के भवन को आठ दन म पवऽ कया, और पहले मह:ने के सोलहव दन को उ(हHने उस काम को पूरा कया। 18 तब उ(हHने राजा हजकयाह के पास भीतर जाकर कहा, हम यहोवा के पूरे भवन को और पाऽHसमेत होमबिल क वेद: और भ ट क रोट: क मेज को भी शुa कर चुके। 19 और 'जतने पाऽ राजा आहाज ने अपके राGय म व ासघात करके फ क दए थे, उनको भी हम ने ठqक करके पवऽ कया है ; और वे यहोवा क वेद: के साSहने रखे हुए हE । 20 तब राजा हजकयाह सबे रे उठकर नगर के हाकमHको इक=ठा

करके, यहोवा के भवन को गया। 21 तब वे राGय और पवऽःयान और यहूदा के िनिम सात बछड़े , सात मेढ़े, सात भेड़ के ब.चे, और पापबिल के िलथे सात बकरे ले आए, और उस ने हाRन क स(तान के लेवयHको आWा द: क इन सब को यहोवा क वेद: पर चढ़ाएं। 22 तब उ(हHने बछड़े बिल कए, और याजकHने उनका लोहू लेकर वेद: पर िछड़क दया; तब उ(हHने मेढ़े बिल कए, और उनका लोहू भी वे द: पर िछड़क दया। और भेड़ के ब.चे बिल कए, और उनका भी लोहू वे द: पर िछडक दया। 23 तब वे पापबिल के बकरHको राजा और म+डली के समीप ले आए और उन पर अपके अपके हाथ रखे । 24 तब याजकHने उनको बिल करके, उनका लोहू वे द: पर िछड़क कर पापबिल कया, 'जस से सारे इॐाएल के िलथे ूाय'_ कया जाए। यHक राजा ने सारे इॐाएल के िलथे होमबिल और पापबिल कए जाने क आWा द: यी। 25 फर उस ने दाऊद और राजा के दशीं गाद, और नातान नबी क आWा के अनुसार जो यहोवा क ओर से उसके नबयHके kारा आई यी, फांफ, सारं िगयां और वीणाएं िलए हुए लेवयHको यहोवा के भवन म खड़ा कया। 26 तब लेवीय दाऊद के चलाए बाजे िलए हुए, और याजक तुरहयां िलए हुए खड़े हुए। 27 तब हजकयाह ने वे द: पर होमबिल चढ़ाने क आWा द:, और जब होमबिल चढ़ने लगी, तब यहोवा का गीत आरSभ हुआ, और तुरहयां और इॐाएल के राजा दाऊद के बाजे बजने लगे। 28 और म+डली के सब लोग दणडवत करते और गानेवाले गाते और तुरह: फूंकनेवाले फूंकते रहे ; यह सब तब तक होता रहा, जब तक होमबिल चढ़ न चुक। 29 और जब बिल चढ़ चुक, तब राजा और 'जतने उसके संग वहां थे, उन सभHने िसर फुकाकर दणडवत कया। 30 और राजा हजकयाह और हाकमHने लेवयHको

आWा द:, क दाऊद और आसाप दशीं के भजन गाकर यहोवा क ःतुित कर । और उ(हHने आन(द के साय ःतुित क और िसर नवाकर दणडवत कया। 31 तब हजकयाह कहने लगा, अब तुम ने यहोवा के िनिम अपना अपOण कया है ; इसिलथे समीप आकर यहोवा के भवन म मेलबिल और ध(यवादबिल पहंु चाओ। तब म+डली के लोगHने मेलबिल और ध(यवादबिल पहंु चा दए, और 'जतने अप क इ.छा से दे ना चाहते थे उ(हHने भी होमबिल पहुंचाए। 32 जो होमबिल पशु म+डली के लाग ले आए, उनक िगनती यह यी; सर बैल, एक सौ मेढ़े, और दो सौ भेड़ के ब.चे; थे सब यहोवा के िनिम होमबिल के काम म आए। 33 और पवऽ कए हुए पशु, छ: सौ बैल और तीन हजार भेड़-बकgरयां यी। 34 पर(तु याजक ऐसे थेड़े थे, क वे सब होमबिल पशुओं क खाल न उतार सके, तब उनके भाई लेवीय उस समय तक उनक सहाथता करते रहे जब तक वह काम िनपट न गया, और याजकHने अपके को पवऽ न कया; यHक लेवीय अपके को पवऽ करने के िलथे पवऽ याजकHसे अिधक सीधे मन के थे। 35 और फर होमबिल पशु बहुत थे, और मेलबिल पशुओं क च कं भी बहुत यी, और एक एक होमबिल के साय अधO भी दे ना पड़ा। यHयहोवा के भवन म क उपासना ठqक क गई। 36 तब हजकयाह और सार: ूजा के लोग उस काम के कारण आन'(दत हुए, जो यहोवा ने अप क ूजा के िलथे तैयार कया या; यHक वह काम एकाएक हो गया या। 2 इितहास 30 1 फर हजकयाह ने सारे इॐाएल और यहूदा म कहला भेजा, और एूैम और

मनँशे के पास इस आशय के पऽ िलख भेजे, क तुम यRशलेम को यहोवा के भवन म इॐाएल के परमे र यहोवा के िलथे फसह मनाने को आओ। 2 राजा और उसके हाकमHऔर यRशलेम क मणडली ने सSमित क यी क फसह को दस ू रे मह:ने म मनाएं। 3 वे उसे उस समय इस कारण न मना सकते थे, यHक योड़े ह: याजकHने अपके अपके को पवऽ कया या, और ूजा के लोग यRशलेम म इक=ठे न हुए थे। 4 और यह बात राजा और सार: मणडली को अ.छq लगी। 5 तब उ(हHने यह ठहरा दया, क बेशब  ा से लेकर दान के सारे इॐाएिलयHम यह ूचार कया जाय, क यRशलेम म इॐाएल के परमे र यहोवा के िलथे फसह मनाने को चले आओ; यHक उ(हHने इतनी बड़: सं‡या म उसको इस ूकार न मनाया या जैसा क िलखा है । 6 इसिलथे हरकारे राजा और उसके हाकमHसे िच'=ठयां लेकर, राजा क आWा के अनुसार सारे इॐाएल और यहूदा म घूमे, और यह कहते गए, क हे इॐाएिलयो ! इॄाह:म, इसहाक और इॐाएल के परमे र यहोवा क ओर फरो, क वह अँशूर के राजाओं के हाथ से बचे हुए तुम लोगा◌ो◌ंक ओर फरे । 7 और अपके पुरखाओं और भाइयHके समान मत बनो, 'ज(हHने अपके पूवOजHके परमे र यहोवा से व ासघात कया या, और उस ने उ(ह चकत होने का कारण कर दया, जैसा क तुम ःवयं दे ख रहे हो। 8 अब अपके पुरखाओं क नाई हठ न करो, वरन यहोवा के अधीन होकर उसके उस पवऽःयान म आओ 'जसे उस ने सदा के िलथे पवऽ कया है , और अपके परमे र यहोवा क उपासना करो, क उसका भड़का हुआ बोध तुम पर से दरू हो जाए। 9 यद तुम यहोवा क ओर फरोगे तो जो तुSहारे भाइयHऔर लड़केबालHको ब(धुआ बनाके ले गए हE , वे उन पर दया कर गे, और वे इस दे श म लौट सक गे

यHक तुSहारा परमे र यहोवा अनुमहकार: और दयालु है , और यद तुम उसक ओर फरोगे तो वह अपना मुह ं तुम से न मोड़े गा। 10 इस ूकार हरकारे एूैम और मनँशे के दे श म नगर नगर होते हुए जबूलन ू तक गए; पर(तु उ(हHने उनक हं सी क, और उ(ह ठ=ठHम उड़ाया। 11 तौभी आशेर, मनँशे और जबूलन ू म से कुछ लोग द:न होकर यRशलेम को आए। 12 और यहूदा म भी परमे र क ऐसी शf हुई, क वे एक मन होकर, जो आWा राजा और हाकमHने यहोवा के वचन के अनुसार द: यी, उसे मानने को तैयार हुए। 13 इस ूकार अिधक लोग यRशलेम म इसिलथे इक=ठे हुए, क दस ू रे मह:ने म अखमीर: रोट: का पeवO मान । और बहुत बड़: सभा इक=ठq हो गई। 14 और उ(हHने उठकर, यRशलेम क वेदयHऔर धूम जलाने के सब ःयानHको उठाकर किोन नाले म फ क दया। 15 तब दस ू रे मह:ने के चौदहव दन को उ(हHने फसह के पशु बिल कए तब याजक और लेवीय ल'Gजत हुए और अपके को पवऽ करके होमबिलयHको यहोवा के भवन म ले आए। 16 और वे अपके िनयम के अनु◌ुसार, अयाOत ् परमे र के जन मूसा क eयवःया के अनुसार, अपके अपके ःयान पर खड़े हुए, और याजकHने रf को लेवयHके हाथ से लेकर िछड़क दया। 17 यHक सभा म

बहुते ऐसे थे 'ज(हHने अपके को पवऽ न कया या; इसिलथे सब अशुa लोगHके फसह के पशुओं को बिल करने का अिध कारने लेवयHको दया गया, क उनको यहोवा के िलथे पवऽ कर । 18 बहुत से लोगHने अयाOत ् एूैम, मनँशे, इःसाकार और जबूलन ू म से बहुतHने अपके को शुa नह:ं कया या, तौभी वे फसह के पशु का मांस िलखी हुई विध के वda खाते थे। यHक हजकयाह ने उनके िलथे यह ूायOना क यी, क यहोवा जो भला है , वह उन सभHके पाप ढांप दे ; 19 जो

परमे र क अयाOत ् अपके पूवOजHके परमे र यहोवा क खोज म मन लगाए हुए हE , चाहे वे पवऽःयान क विध के अनुसार शुa न भी हH। 20 और यहोवा ने हजकयाह क यह ूायOन सुनकर लोगHको चंगा कया। 21 और जो इॐाएली यRशलेम म उप'ःयत थे, वे सात दन तक अखमीर: रोट: का पeवO बड़े आन(द से मनाते रहे ; और ूितदन लेवीय और याजक ऊंचे शcद के बाजे यहोवा के िलथे बजाकर यहोवा क ःतुित करते रहे । 22 और 'जतने लेवीय यहोवा का भजन बुaमानी के साय करते थे, उनको हजकयाह ने शा'(त के वचन कहे । इस ूकार वे मेलबिल चढ़ाकर और अपके पुवOजHके परमे र यहोवा के सSमुख पापांगीकार करते रहे और उस िनयत पeवO के सातHदन तक खाते रहे । 23 तब सार: सभा ने सSमित क क हम और सात दन ववO मान गे; सो उ(हHने और सात दन आन(द से पeवO मनाया। 24 यHक यहूदा के राजा हजकयाह ने सभा को एक हजार बछड़े और सात हजार भेड़-बकgरयां दे द:ं, और हाकमHने सभा को एक हजार बछड़े और दस हजार भेड़-बकgरयां द:ं, और बहुत से याजकHने अपके को पवऽ कया। 25 तब याजकHऔर लेवयHसमेत यहूदा क सार: सभा, और इॐाएल से आए हुओं क सभा, और इॐाएल के दे श से आए हुए, और यहूदा म रहनेवाले परदे शी, इन सभHने आन(द कया। 26 सो यRशलेम म

बड़ा आन(द हुआ, यHक दाऊद के पुऽ इॐाएल के राजा सुलम ै ान के दनHसे ऐसी बात यRशलेम म न हुई यी। 27 अ(त म लेवीय याजकHने खड़े होकर ूजा को आशीवाOद दया, और उनक सुनी गई, और उनक ूायOना उसके पपऽ धाम तक अयाOत ् ःवगO तक पहंु ची। 2 इितहास 31

1 जब यह सब हो चुका, तब 'जतने इॐाएली अप'ःयत थे, उन सभHने यहूदा के नगरHम जाकर, सारे यहूदा और ब(यामीन और एूेम और मनँशे म क लाठHको तोड़ दया, अशेरHको काट डाला, और ऊंचे ःयानHऔर वेदयHको िगरा दया; और उ(हHने उन सब का अ(त कर दया। तब सब इॐाएली अपके अपके नगर को लौटकर, अप क अप क िनज भूिम म पहंु चे। 2 और हजकयाह ने याजकHके दलHको और लेवयHको वरन याजकHऔर लेवयHदोनHको, ूित दल के अनुसार और एक एक मतुंय को उसक सेवकाई के अनुसार इसिलथे ठहरा दया, क वे यहोवा क छावनी के kारHके भीतर होमबिल, मेलबिल, सेवा टहल, ध(यवाद और ःतुित कया कर । 3 फर उस ने अप क सSप म से राजभाषा को होमबिलयHके िलथे ठहरा दया; अयOत ् सबेरे और सांफ क होमबिल और वौम और नथे चांद के दनHऔर िनयत समयHक होमबिल के िलथे जैसा क यहोवा क eयवःया म िलखा है । 4 और उस ने यRशलेम म रहनेवालHको याजकHऔर लेवयHको उनका भाग दे ने क आWा द:, ताक वे यहोवा क eयवःया के काम मन लगाकर कर सक । 5 यह आWा सुनते ह: इॐाएली अ(न, नया दाखमधु, टटका तेल, मधु आाद खेती क सब भांित क पहली उपज बहुतायत से दे ने, और सब वःतुओं का दशमांश अिधक माऽा म लाने लगे। 6 और जो इॐाएली और यहूद:, यहूदा के नगरHम रहते थे, वे भी बैलHऔर भेड़-बकgरयHका दशमांश, और उन पवऽ वःतुओं का दशमांश, जो उनके परमे र यहोवा के िनिम पवऽ क गई यीं, लाकर ढे र ढे र करके रखने लगे। 7 इस ूकार ढे र का लगाना उ(हHने तीसरे मह:ने म आरSभ कया और सातव

मह:ने म पूरा कया। 8 जब हजकयाह और हाकमHने आकर उन ढे रHको दे खा,

तब यहोवा को और उसक ूजा इॐाएल को ध(य ध(य कहा। 9 तब हजकयाह ने याजकHऔर लेवयHसे उन ढे रHके वषय पूछा। 10 और अजयाOह महाथाजक ने जो सादोक के घराने का या, उस से कहा, जब से लोग यहोवा के भवन म उठाई हुई भ ट लाने लगे हE , तब से हम लोग पेट भर खाने को पाते हE , वरन बहुत बचा भी करता है ; यHक यहोवा ने अप क ूजा को आशीष द: है , और जो शेष रह गया है , उसी का यह बड़ा ढे र है । 11 तब हजकयाह ने यहोवा के भवन म कोठgरयां तैयार करने क आWा द:, और वे तैयार क गई। 12 तब लोगHने उठाई हुई भ ट , दशमांश और पवऽ क हुई वःतुए,ं स.चाई से पहंु चाई और उनके मु‡य अिध कारनेी तो कोन(याह नाम एक लेवीय और इूसरा उसका भाई िशमी नायब या। 13 और कोन(याह और उसके भाई िशमी के नीचे, हजकयाह राजा और परमे र के भवन के ूधान अजयाOह दोनHक आWा से अह:एल, अजGयाह, नहत, असाहे ल, यर:मेत, योजाबाद, एलीएल, ियःम याह, महत और बनायाह अिध कारनेी थे। 14 और परमे र के िलथे ःवे.छाबिलयHका अिध कारनेी ियSना लेवीय का पुऽ कोरे या, जो पूवO फाटक का kारापाल या, क वह यहोवा क उठाई हुई भ ट , और परमपवऽ वःतुएं बांटा करे । 15 और उसके अिध कारने म एदे न, िम(यामीन, थेश,ू शमायाह, अमयाOह और शक(याह याजकHके नगरHम रहते थे, क वे या बड़े , या छोटे , अपके भाइयHको उनके दलHके अनुसार स.चाई से दया कर , 16 और उनके अलावा उनको भी द , जो पुdषHक वंशावली के अनुसार िगने जाकर तीन वषO क अवःया के वा उस से अिधक आयु के थे, और अपके अपके दल के अनुसार अप क अप क सेवकाई िनबाहने को दन दन के काम के अनुसार यहोवा के भवन म जाया करते थे। 17

और उन याजकHको भी द , 'जनक वंशावली उनके पतरHके घरानHके अनुसार क गई, और उन लेवयHको भी जो बीस वषO क अवःया से ले आगे को अपके अपके दल के अनुसार, अपके अपके काम िनबाहते थे। 18 और सार: सभा म उनके बालब.चH, '\यH, बे टHऔर बेटयHको भी द , 'जनक वंशवली यी, यHक वे स.चाई से अपके को पवऽ करते थे। 19 फर हाRन क स(तान के याजकHको भी जो अपके अपके नगरHके चराईवाले मैदान म रहते थे, दे ने के िलथे वे पुdष िनयुf कए गए थे 'जनके नाम ऊपर िलखे हुए थे क वे याजकHके सब पुdषHऔर उन सब लेवयHको भी उनका भाग दया कर 'जनक वंशावली यी। 20 और सारे यहूदा म भी हजकयाह ने ऐसा ह: ूब(ध कया, और जो कुछ उसके परमे र यहोवा क l म भला ओर ठqक और स.चाई का या, उसे वह करता या। 21 और जो जो काम उस ने परमे र के भवन क उपासना और eयवःया और आWा के वषय अपके परमे र क खोज म कया, वह उस ने अपना सारा मन लगाकर कया और उस म कृ तायO भी हुआ। 2 इितहास 32 1 इन बातHऔर ऐसे ूब(ध के बाद अँशूर का राजा स(हे र:ब ने आकर यहूदा म

ूवेश कर ओर गढ़वाले नगरHके वda डे रे डालकर उनको अपके लाभ के िलथे लेना चाहा। 2 यह दे खकर क स(हे र:ब िनकट आया है और यRशलेम से लड़ने क मनसा करता है , 3 हजकयाह ने अपके हाकमHऔर वीरHके साय यह सSमित क, क नगर के बाहर के सोतHको पठवा द ; और उ(हHने उसक सहाथता क। 4 इस पर बहुत से लोग इक=ठे हुए, और यह कहकर, क अँशूर के राजा

यHयहां आएं, और आकर बहुत पानी पाएं, उ(हHने सब सोतHको पाट दया और उस नद: को सुखा दया जो दे श के म~य होकर बहती यी। 5 फर हजकयाह ने हयाव बा(धकर शहरपनाह जहां कह:ं टू ट: यी, वहां वहां उसको बनवाया, और उसे गुSमटHके बराबर ऊंचा कया और बाहर एक और शहरपनाह बनवाई, और दाऊदपुर म िम`लो को lढ़ कया। और बहुत से तीर और ढाल भी बनवाई। 6 तब उस ने ूजा के ऊपर सेनापित िनयुf कए और उनको नगर के फाटक के चौक म

इक=ठा कया, और यह कहकर उनको धीरज दया, 7 क हयाव बा(धो और lढ हो तुम न तो अँशूर के राजा से डरो और न उसके संग क सार: भीड़ से, और न तुSहारा मन क.चा हो; यHक जो हमारे साय है , वह उसके संिगयHसे बड़ा है । 8 अयाOत ् उसका सहारा तो मतुंय ह: है पर(तु हमारे साय, हमार: सहाथता और हमार: ओर से युa करने को हमारा परमे र यहोवा है । इसिलथे ूजा के लोग यहूदा के राजा हजकयाह क बातHपर भरोसा कए रहे । 9 इसके बाद अँशूर का राजा स(हे र:ब जो सार: सेना समेत लाकश के साSहने पड़ा या, उस ने अपके कमOचाgरयHको यRशलेम म यहूदा के राजा हजकयाह और उन सब यहूदयHसे जो यRशलेम म थे यHकहने के िलथे भेजा, 10 क अँशूर का राजा स(हे र:ब कहता है , क तुSह कस का भरोसा है 'जससे क तुम घेरे हुए यRशलेम म बैठे हो? 11 या हजकयाह तुम से यह कहकर क हमारा परमे र यहोवा हम को अँशूर के राजा के पंजे से बचाएगा तुSह नह:ं भरमाता है क तुम को भूखH€यासHमारे ? 12 या उसी हजकयाह ने उसके ऊंचे ःयान और वेदयो दरू करके यहूदा और यRशलेम को आWा नह:ं द:, क तुम एक ह: वेद: के साSहने दणडवत करना और उसी पर धूप जलाना? 13 या तुम को मालूम नह:ं, क मE ने

और मेरे पुरखाओं ने दे श दे श के सब लोगHसे या या कया है ? या उन दे श क जाितयHके दे वता कसी भी उपाय से अपके दे श को मेरे हाथ से बचा सके? 14 'जतनी जाितयHका मेरे पुरखाओं ने सयानाश कया है उनके सब दे वताओं म से ऐसा कौन या जो अप क ूजा को मेरे हाथ से बचा सका हो? फर तुSहारा दे वता तुम को मेरे हाथ से कैसे बचा सकेगा? 15 अब हजकयाह तुम को इस र:ित भुलाने अयवा बहकाने न पाए, और तुम उसक ूतीित न करो, यHक कसी जाित या राGय का कोई दे वता अप क ूजा को न तो मेरे हाथ से और न मेरे पुरखाओं के हाथ से बचा सका। यह िन_य है क तुSहारा दे वता तुम को मेरे हाथ से नह:ं बचा सकेगा। 16 इस से भी अिधक उसके कमOचाgरयHने यहोवा परमे र क, और उसके दास हजकयाह क िन(दा क। 17 फर उस ने ऐसा एक पऽ भेजा, 'जस म इॐाएल के परमे र यहोवा क िन(दा क थे बात िलखी यीं, क जैसे दे श दे श क जाितयHके दे वताओं ने अप क अप क ूजा को मेरे हाथ से नह:ं बचाया वैसे ह: हजकयाह का दे वता भी अप क ूजा को मेरे हाथ से नह:ं बचा सकेगा। 18 और उ(हHने ऊंचे शcद से उन यRशलेिमयHको जो शहरपनाह पर बैठे थे, यहूद: बोली म पुकारा, क उनको डराकर घबराहट म डाल द 'जस से नगर को ले ल । 19 और उ(हHने यRशलेम के परमे र क ऐसी चचाO क, क मानो पृवी के दे श दे श के लोगHके दे वताओं के बराबर हो, जो मनुंयHके बनाए हुए हE । 20 तब इन घटनाओं के कारण राजा हजकयाह और आमोस के पुऽ यशायाह नबी दोनHने ूायOना क और ःवगO क ओर दोहाई द:। 21 तब यहोवा ने एक दत ू भेज दया, 'जस ने अँशूर के राजा क छावनी म सब शूरवीरH, ूधानHऔर सेनापितयHको नाश कया। और वह ल'Gजत होकर, आने दे श को

लौट गया। और जब वह अपके दे वता के भवन म या, तब उसके िनज पुऽHने वह:ं उसे तलवार से मार डाला। 22 यHयहोवा ने हजकयाह और यRशलेम के िनवािस कH अँशूर के राजा स(हे र:ब और अपके सब शऽुओं के हाथ से बचाया, और चारHओर उनक अगुवाई क। 23 और बहुत लोग यRशलेम को यहोवा के िलथे भ ट और यहूदा के राजा हजकयाह के िलथे अनमोल वःतुएं ले आने लगे, और उस समय से वह सब जाितयHक l म महान ठहरा। 24 उन दनHहजकयाह ऐसा रोगी हुआ, क वह मरा चाहता या, तब उस ने यहोवा से ूायOना क; और उस ने उस से बात करके उसके िलथे एक चमकार दखाया। 25 पर(तु हजकयाह ने उस उपकार का बदला न दया, यHक उसका मन फूल उठा या। इस कारण उसका कोप उस पर और यहूदा और यRशलेम पर भड़का। 26 तब हजकयाह यRशलेम के िनवािसयHसमेत अपके मन के फूलने के कारण द:न हो गया, इसिलथे यहोवा का बोध उन पर हजकयाह के दनHम न भड़का। 27 और हजकयाह को बहुत ह: धन और वभव िमला; और उस ने चा(द:, सोने, म'णयH, सुग(धिeय, ढालHऔर सब ूकार के मनभावने पाऽHके िलथे भणडार बनवाए। 28 फर उस ने अ(न, नया दाखमधु, और टटका लेल के िलथे भणडार, और सब भांित के पशुओं के िलथे यान, और भेड़-बकgरयHके िलथे भेड़शालाएं बनवाई। 29 और उस ने नगर बसाए, और बहुत ह: भेड़-बकgरयHऔर गाय-बैलHक सSप इक=ठा कर ली, यHक परमे र ने उसे बहुत ह: धन दया या। 30 उसी हजकयाह ने गीहोन नाम नद: के ऊपर के सोते को पाटकर उस नद: को नीचे क ओर दाऊदपुर क प'.छम अलंग को सीधा पहंु चाया, और हजकयाह अपके सब कामHम कृतायO होता या। 31 तौभी जब बाबे ल के

हाकमHने उसके पास उसके दे श म कए हुए चमकार के वषय पूछने को दत ू भेजे तब परमे र ने उसको इसिलथे छोड़ दया, क उसको परख कर उसके मन का सारा भेद जान ले। 32 हजकयाह के और काम, ओर उसके भf के काम आमोस के पुऽ यशायाह नबी के दशOन नाम पुःतक म , और यहूदा और इॐाएल के राजाओं के इितहास क पुःतक म िलखे हE । 33 अ(त म हजकयाह अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसको दाऊद क स(तान के कॄःतान क चढाई पर िम=ट: द: गई, और सब यहूदयHऔर यRशलेम के िनवािसयHने उसक मृयु पर उसका आदरमान कया। और उसका पुऽ मनँशे उसके ःयान पर राGय करने लगा। 2 इितहास 33 1 जब मनँशे राGय करने लगा तब वह बारह वषO का या, और यRशलेम म

पचपन वषO तक राGय करता रहा। 2 उस ने वह कया, जो यहोवा क l म बुरा या, अयाOत ् उन जाितयHके िघनौने कामHके अनुसार 'जनको यहोवा ने इॐाएिलयHके साSहने से दे श से ितकाल दया या। 3 उस ने उन ऊंचे ःयानHको 'ज(ह उसके पता हजकयाह ने तोड़ दया या, फर बनाया, और बाल नाम दे वताओं के िलथे वेदयां ओर अशेरा नाम मूरत बनाई, और आकाश के सारे गण को दणडवत करता, और उनक उपासना करता रहा। 4 और उस ने यहोवा के उस भवन मे वेदयां बनाई 'जसके वषय यहोवा ने कहा या क यRशलेम म मेरा नाम सदा बना रहे गा। 5 वरन यहोवा के भवन के दोनHआंगनHम भी उस ने आकाश के सारे गण के िलथे वेदयां बनाई। 6 फर उस ने ह(नोम के बेटे क

तराई म अपके लड़केबालHको होम करके चढ़ाया, और शुभ-अशुभ मुहूतॉं को मानता, और टोना और तंऽ-मंऽ करता, और ओफHऔर भूतिसaवालHसे eयवहार करता या। वरन उस ने ऐसे बहुत से काम कए, जो यहोवा क l म बुरे हE और 'जन से वह अूस(न होता है । 7 और उस ने अप क खुदवाई हुई मूर ् परमे र के उस भवन म ःयापन क 'जसके वषय परमे र ने दाऊद और उसके पुऽ सुलम ै ान से कहा या, क इस भवन म , और यRशलेम म , 'जसको मE ने इॐाएल के सब गोऽHम से चुन िलया है मE आना नाम सवOदा रखूंगा, 8 और मE ऐसा न कRंगा क जो दे श मE ने तुSहारे पुरखाओं को दया या, उस म से इॐाएल फर मारा मारा फरे ; इतना अवँय हो क वे मेर: सब आWाओं को अयाOत ् मूसा क द: हुई सार: eयवःया और विधयHऔर िनयमHको पालन करने क चौकसी कर । 9 और मनँशे ने यहूदा और यRशलेम के िनवािस कH यहां तक भटका दया क उ(हHने उन जाितयHसे भी बढ़कर बुराई क, 'ज(ह यहोवा ने इॐाएिलयHके साSहने से वनाश कया या। 10 और यहोवा ने मनँशे और उसक ूजा से बात कं, पर(तु उ(हHने कुछ ~यान नह:ं दया। 11 तब यहोवा ने उन पर अँशूर के सेनापितयHसे चढ़ाई कराई, और थे मनँशे को नकेल डालकर, और पीतल क बेडय़ां जकड़कर, उसे बाबेल को ले गए। 12 तब संकट म पड़कर वह अपके परमे र यहोवा को मानने लगा, और अपके पूवOजHके परमे र के साSहने बहुत द:न हुआ, और उस से ूायOना क। 13 तब उस ने ूस(न होकर उसक बनती सुनी, और उसको यRशलेम म पहंु चाकर उसका राGय लौटा दया। तब मनँशे को िन_य हो गया क यहोवा ह: परमे र है । 14 इसके बाद उस ने दाऊदमुर से बाहर गीहोन के प'_म क ओर नाले म म.छली फाटक तक एक

शहरपनाह बनवाई, फर ओपेल को घेरकर बहुत ऊंचा कर दया; और यहूदा के सब गढ़वाले नगरHम सेनापित ठहरा दए। 15 फर उस ने पराथे दे वताओं को और यहोवा के भवन म क मूर ् को, और 'जतनी वे दयां उस ने यहोवा के भवन के पवOत पर, और यRशलेम म बनवाई यीं, उन सब को दरू करके नगर से बाहर फ कवा दया। 16 तब उस ने यहोवा क वेद: क मरSमत क, और उस पर मेलबिल और ध(यवादबिल चढ़ाने लगा, और यहूदयHको इॐाएल के परमे र यहोवा क उपासना करते क आWा द:। 17 तौभी ूजा के लोग ऊंचे ःयानHपर बिलदान करते रहे , पर(तु केवल अपके परमे र यहोवा के िलथे। 18 मनँशे के ओर काम, और उस ने जो ूायOना अपके परमे र से क, और उन दिशयJके वचन जो इॐाएल के परमे र यहोवा के नाम से उस से बात करते थे, यह सब इॐाएल के राजाओं के इितहास म िलखा हुआ है । 19 और उसक ूायOना और वह कैसे सुनी गई, और उसका सारा पाप और व ासघात और उस ने द:न होने से पहले कहां कहां ऊंचे ःयान बनवाए, और अशेरा नाम और खुद: हुई मूया{ खड़: कराई, यह सब होशे के वचनHम 'जखा है । 20 िनदान मनँशे अपके पुरखाओं के संग सो गया और उसे उसी के घर म िम=ट: द: गई; और उसका पुऽ आमोन उसके ःयान पर राGय करने लगा। 21 जब आमोन राGय करने लगा, तब वह बाईस वषO का या, और यRशलेम म दो वषO तक राGय करता रहा। 22 और उस ने अपके पता मनँशे क नाई वह कया जो यहोवा क l म बुरा है । और 'जतनी मूया{ उसके पता मनँशे ने खोदकर बनवाई यीं, वह भी उन सभHके साSहने बिलदान करता और उन सभHक उपासना भी करता या। 23 और जैसे उसका पता मनँशे यहोवा के साSहने द:न हुआ, वैसे वह द:न न हुआ, वरन आमोन अिधक दोषी

होता गया। 24 और उसके कमOचाgरयHने िोह क गोvी करके, उसको उसी के भवन म मार डाला। 25 तब साधारण लोगHने उन सभHको मार डाला, 'ज(हHने राजा आमोन से िोह क गोvी क यी; और लोगHने उसके पुऽ योिशयाह को उसके ःयान पर राजा बनाया। 2 इितहास 34 1 जब योिशयाह राGय करने लगा तब वह आठ वषO का या, और यRशलेम म

इकतीस वषO तक राGय करता रहा। 2 उस ने वह कया जो यहोवा क l म

ठqक है , और 'जन मागॉ ं पर उसका मूलपुdष दाऊद चलता रहा, उ(ह:ं पर वह भी चला करता या और उस से न तो दाहनी ओर मूड़ा, और न बाL ओर। 3 वह लड़का ह: या, अयाOत उसको गX: पर बैठे आठ वषO पूरे भी न हुए थे क अपके मूलमुdष दाऊद के परमे र क खोज करने लगा, और बारहव वषO म वह ऊंचे ःयानHऔर अश ्◌ेरा नाम मूरतHको और खुद: और ढली हुई मूरतHको दरू करके, यहूदा और यRशलेम को शुa करने लगा। 4 और बालदे वताओं क वेदयां उसके साSहने तोड़ डाली गई, और सूयO क ूितमाथ जो उनके ऊपर ऊंचे पर यी, उस ने काट डालीं, और अशेरा नाम, और खुद: और ढली हुई मूरतHको उस ने तोड़कर पीस डाला, और उनक बुकनी उन लोगHक कबरHपर िछतरा द:, जो उनको बिल चढ़ाते थे। 5 और पुजाgरयHक ह']डयां उस ने उ(ह:ं क वे दयHपर जलाई। यHउस ने यहूदा और यRशलेम को शुa कया। 6 फर मनँशे, एूैम और िशमोन के बरन नTाली तक के नगरHके खणडहरHम , उस ने वेदयHको तोड़ डाला, 7 और अशेरा नाम और खुद: हुई मूरतHको पीसकर बुकनी कर डाला, और इॐाएल के

सारे दे श क सूयO क सब ूितमाओं को काटकर यRशलेम को लौट गया। 8 फर अपके राGय के अठारहव वषO म जब वह दे श और भवन दोनHको शुa कर चुका, तब उस ने अस`याह के पुऽ शापान और नगर के हाकम मासेयाह और योआहाज के पुऽ इितहास के लेखक योआह को अपके परमे र यहोवा के भवन क मरSमत कराने के िलथे भेज दया। 9 सो उ(हHने ह'`कयाह महाथाजक के पास जाकर जो dपया परमे र के भवन म लाया गया या, अयाOत ् जो लेवीय दरबानHने मन'ँशयH, एूैिमयHऔर सब बचे हुए इॐाएिलयHसे और सब यहूदयHऔर ब(यामीिनयHसे और यRशलेम के िनवािसयHके हाथ से लेकर इक=ठा कया या, उसको सxप दया। 10 अयाOत ् उ(हHने उसे उन काम करनेवालHके हाथ सxप दया जो यहोवा के भवन के काम पर मु'खथे थे, और यहोवा के भवन के उन काम करनेवालHने उसे भवन म जो कुछ टू टा फूटा या, उसक मरSमत करने म लगाया। 11 अयाOत ् उ(हHने उसे बढ़इयHऔर राजHको दया क वे गढ़े हुए पयर और जोड़Hके िलथे लकड़: मोल ल , और उन घरHको पाट जो यहूदा के राजाओं ने नाश कर दए थे। 12 और वे मनुंय स.चाई से काम करते थे, और उनके अिध कारनेी मरार:य, यहत और ओबrाह, लेवीय और कहाती, जकयाOह और मशु`लाम काम चलानेवाले और गाने-बजाने का भेद सब जाननेवाले लेवीय भी थे। 13 फर वे बोफयHके अिध कारनेी थे और भांित भांित क सेवकाई और काम चलानेवाले थे, और कुछ लेवीय मुश ं ी सरदार और दरबान थे। 14 जब वे उस dपके को जो यहोवा के भवन म पहंु चाया गया या, िनकाल रहे थे, तब ह'`कयाह याजक को मूसा के kारा द: हुई यहोवा क eयवःया क पुःतक िमली। 15 तब ह'`कयाह ने शापान मंऽी से कहा, मुझे यहोवा के भवन

म eयवःया क पुःतक िमली है ; तब ह'`कयाह ने शापान को वह पुःतक द:। 16 तब शापान उस पुःतक को राजा के पास ले गया, और यह स(दे श दया, क जो जो काम तेरे कमOचाgरयHको सxपा गया या उसे वे कर रहे हE । 17 और जो dपया यहोवा के भवन म िमला, उसको उ(हHने उणडे लकर मु'खयHऔर कार:गरHके हाथHम सxप दया है । 18 फर शापान मंऽी ने राजा को यह भी बता दया क ह'`कयाह याजक ने मुझे एक पुःतक द: है तब शपान ने उस म से राजा को पढ़कर सुनाया। 19 eयवःया क वे बात सुनकर राजा ने अपके व\ फाढ़े । 20 फर राजा ने ह'`कयाह शापान के पुऽ अह:काम, मीका के पुऽ अcदोन, शापान मंऽी और असायाह नाम अपके कमOचार: को आWा द:, 21 क तुम जाकर मेर: ओर से और इॐाएल और यहूदा म रहनेवालHक ओर से इस पाई हुई पुःतक के वचनHके वंय यहोवा से पूछो; यHक यहोवा क बड़: ह: जलजलाहट हम पर इसिलथे भड़क है क हमारे पुरखाओं ने यहोवा का वचन नह:ं माना, और इस पुःतक म िलखी हुई सब आWाओं का पालन नह:ं कया। 22 तब ह`कयाह ने राजा के और और दत ू Hसमेत हु`दा नबया के पास जाकर उस से उसी बात के अनुसार बात क, वह तो उस श`लूम क \ी यी जो तोखत का पुऽ और हॐा का पोता और व\ालय का रखवाला या : और वह \ी यRशलेम के नथे टोले म रहती यी। 23 उस ने उन से कहा, इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , क 'जस पुdष ने तुम को मेरे पास भेजा, उस से यह कहो, 24 क यहोवा यHकहता है , क सुन, मE इस ःयान और इस के िनवािसयHपर वप डालकर यहूदा के राजा के साSहने जो पुःतक प क गई, उस म 'जतने शाप िलखे हE उन सभHको पूरा कRंगा। 25 उन लोगHने मुझे यागकर पराथे दे वताओं के िलथे धूप जलाया है

और अप क बनाई हुई सब वःतुओं के kारा मुझे gरस दलाई है , इस कारण मेर: जलजलाहट इस ःयान पर भड़क उठq है , और शा(त न होगी। 26 पर(तु यहूदा का राजा 'जस ने तुSह यहोवा के पूछने को भेज दया है उस से तुम यHकहो, क इॐाएल का परमे र यहोवा यHकहता है , 27 क इसिलथे क तू वे बात सुनकर द:न हुआ, और परमे र के साSहने अपना िसर नवाया, और उसक बात सुनकर जो उसने इस ःयान और इस के िनवािसयHके वda कह:ं, तू ने मेरे साSहने अपना िसर नवाया, और व\ फाड़कर मेरे साSहने रोया है , इस कारण मE ने ते र: सुनी है ; यहोवा क यह: बाणी है । 28 सुन, मE तुझे ते रे पुरखाओं के संग ऐसा िमलाऊंगा क तू शांित से अप क कॄ को पहंु चाया जायगा; और जो वप मE इस ःयान पर, और इसके िनवािसयHपर डालना चाहता हूँ, उस म से तुझे अप क आंखHसे कुछ भी दे खना न पकेगा। तब उन लोगHने लौटकर राजा को यह: स(दे श दया। 29 तब राजा ने सहूदा और यRशलेम के सब पुरिनयHको इक=ठे होने को बचलवा भेजा। 30 और राजा यहूदा के सब लोगHऔर यRशलेम के सब िनवािसयHऔर याजकHऔर लेवयHवरन छोटे बड़े सार: ूजा के लोगHको संग लेकर यहोवा के भवन को गया; तब उस न जो वाचा क पुःतक यहोवा के भवन म िमली या◌ी उस म क सार: बात उनको पढ़कर सुनाई। 31 तब राजा ने अपके ःयान पर खड़ा होकर, यहोवा से इस आशय क वाचा बा(धी क मE यहोवा के पीछे पीछे चलूग ं ा, और अपके पूणO मन और पूणO जीव से उसक आWाएं, िचतौिनयHऔर विधयHका पालन कRंगा, और इन वाचा क बातHको जो इस पुःतक म िलखी हE , पूर: कRंगा। 32 और उस ने उन सभHसे जो यRशलेम म और ब(यामीन म थे वैसी ह: वाचा ब(धाई। और यRशलेम के िनवासी, परमे र जो

उनके पतरHका परमे र या, उसक वाचा के अनुसार करने लगे। 33 और योिशयाह ने इॐाएिलयHके सब दे शHम से सब िघनौनी वःतुओं को दरू करके 'जतने इॐाएल म िमले, उन सभHसे उपासना कराई; अयाOत ् उनके परमे र सहोवा क उपासना कराई। और उसके जीवन भर उ(हHने अपके पूवजHके परमे र यहोवा के पीछे चलना न छोड़ा। 2 इितहास 35 1 और योिशयाह ने यRशलेम म यहोवा के िलथे फसह पवO माना और पहले मह:ने के चौदहव दन को फसह का पशु बिल कया गया। 2 और उस ने याजकHको अपके अपके काम म ठहराया, और यहोवा के भवन म क सेवा करने को उनका हयाब ब(धाया। 3 फर लेवीय जो सब इॐाएल िलयHको िसखाते और यहोवा के िलथे पवऽ ठहरे थे, उन से उस ने कहा, तुम पवऽ स(दक ू को उस भवन म रखो जो दाऊद के पुऽ इॐाएल के राजा सुलम ै ान ने बनवाया या; अब तुम को क(धHपर बोफ उठाना न होगा। अब अपके परमे र यहोवा क और उसक ूजा इॐाएल क सेवा करो। 4 और इॐाएल के राजा दाऊद और उसके पुऽ सुलम ै ान दोनHक िलखी हुई विधयHके अनुसार, अपके अपके पतरHके अनुसार, अपके अपके दल म तैयार रहो। 5 और तुSहारे भाई लोगHके पतरHके घरानHके भागHके अनुसार पवऽःयान म खड़े रहो, अयाOत ् उनके एक भाग के िलथे लेवयHके एक एक पतर के घराने का एक भाग हो। 6 और फसह के पशुओं को बिल करो, और अपके अपके को पवऽ करके अपके भाइयHके िलथे तैयार: करो क वे यहोवा के उस वचन के अनुसार कर सक , जो उस ने मूसा के kारा कहा या।

7 फर योिशयाह ने सब लोगHको जो वहां उप'ःयत थे, तीस हजार भेड़Hऔर बकgरयHके ब.चे और तीन हजार बैल दए थे; थे सब फसह के बिलदानHके िलथे राजा क सSप म से दए गए थे। 8 और उसके हाकमHने ूजा के लोगH, याजकHऔर लेवयHको ःवे.छा -बिलयHके िलथे पशु दए। और ह'`कयाह, जकयाOह और यह:एल नाम परमे र के भवन के ूधानHने याजकHको दो हजार छ:सौ भेड �-बकgरयां। और तीन सौ बैल फसह के बिलदानHके िलए दए। 9 और कोन(याह ने और शमायाह और नतनेल जो उसके भाई थे, और हसcयाह, यीएल और योजाबाद नामक लेवयHके ूधानHने लेवयHको पांच हजार भेड़-बकgरयां, और पांच सौ बैल फसह के बिलदानHके िलथे दए। 10 इस ूकार उपासना क तैयार: हो गई, और राजा क आWा के अनुसार याजक अपके अपके ःयान पर, और लेवीय अपके अपके दल म खड़े हुऐ। 11 तब फसह के पशु बिल कए गए, और याजक बिल करनेवालHके हाथ से लोहू को लेकर िछड़क दे ते और लेवीय उनक खाल उतारते गए। 12 तब उ(हHने होमबिल के पशु इसिलथे अलग कए क उ(ह लोगHके पतरHके घरानHके भागHके अनुसार द , क वे उ(ह यहोवा के िलथे चढ़वा द जैसा क मूसा क पुःतक म िलखा है ; और बैलHको भी उ(हHने वैसा ह: कया। 13 तब उ(हHने फसह के पशुओं का मांस विध के अनुसार आग म

भूज ं ा, और पवऽ वःतुए,ं हं डयHऔर हं डHऔर यािलयHम िसफा कर फूतीं से लोगHको पहंु चा दया। 14 तब उ(हHने अपके िलथे और याजकHके िलथे तैयार: क, यHक हाRन क स(तान के याजक होमबिल के पशु और चरबी रात तक चढ़ाते रहे , इस कारण लेवयHने अपके िलथे और हाRन क स(तान के याजकHके िलथे तैयार: क। 15 और आसाप के वंश के गवैथे, दाऊद, आसाप, हे मान और

राजा के दशीं यदत ू ून क आWा के अनुसार अपके अपके ःयान पर रहे , और kारपाल एक एक फाटक पर रहे । उ(ह अपना अपना काम छोड़ना न पड़ा, यHक उनके भई लेवयHने उनके िलथे तैयार: क। 16 यHउसी दन राजा योिशयाह क आWा के अनुसार फसह मनाने और यहोवा क बेद: पर होमबिल चढ़ाने के िलथे यहोवा क सार: अपासना क तैयार: क गई। 17 जो इॐाएली वहां उप'ःयत थे उ(हHने फसह को उसी समय और अखमीर: रोट: के पवO को सात दन तक माना। 18 इस फसह के बराबर शमूएल नबी के दनHसे इॐाएल म कोई फसह मनाया न गया या, और न इॐाएल के कसी राजा ने ऐसा मनाया, जैसा योिशयाह और याजकH, लेवयHऔर 'जतने यहूद: और इॐाएली उप'ःयत थे, उनहHने और यRशलेम के िनवािसयHने मनाया। 19 यह फसह योिशयाह के राGय के अठारहव वषO म मनाया गया। 20 इसके बाद जब योिशयाह भवन को तैयार कर चुका, तब िमॐ के राजा नको ने परात के पास के कुकOमीश नगर से लड़ने को चढ़ाई क और योिशयाह उसका साSहना करने को गया। 21 पर(तु उस ने उसके पास दत ू Hसे कहला भेजा, क हे यहूदा के राजा मेरा तुझ से या काम ! आज मE तुझ पर नह:ं उसी कुल पर चढ़ाई कर रहा हँू , 'जसके साय मE युa करता हँू ; फर परमे र ने मुझ से फुतीं करने को कहा है । इसिलथे परमे र जो मेरे संग है , उससे अलग रह, कह:ं ऐसा न हो क वह तुझे नाश करे । 22 पर(तु योिशयाह ने उस से मुह ं न मोड़ा, वरन उस से लड़ने के िलथे भेष बदला, और नको के उन वचनHको न माना जो उस ने परमे र क ओर से कहे थे, और मिगXो क तराई म

उस से युa करने को गया। 23 तब धनुधाOgरयHने राजा योिशयाह क ओर तीर छोड़े ; और राजा ने अपके सेवकHसे कहा, मE तो बहुत घायल हुआ, इसिलथे मुझे

यहां से ले जाओ। 24 तब उसके सेवकHने उसको रय पर से उतार कर उसके दस ू रे रय पर चढ़ाया, और यRशलेम ले गथे। और वह मर गया और उसके पुरखाओं के कॄःतान म उसको िम=ट: द: गई। और यहूदयHऔर यRशलेिमयHने योिशयाह के िलए वलाप कया। 25 और ियमOयाह ने योिशयाह के िलथे वलाप का गीत बनाया और सब गानेवाले और गानेवािलयां अपके वलाप के गीतHम योिशयाह क चचाO आज तक करती हE । और इनका गाना इॐाएल म

एक विध के तु`य ठहराया गया और थे बात वलाप कतHम िलखी हुई हE । 26 योिशयाह के और काम और भf के जो काम उस ने उसी के अनुसार कए जो यहोवा क eयवःया म िलखा हुआ है । 27 और आद से अ(त तक उसके सब काम इॐाएल और यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म िलखे हुए हE । 2 इितहास 36 1 तब दे श के लोगHने योिशयाह के पुऽ यहोआहाज को लेकर उसके पता के ःयान पर यRशलेम म राजा बनाया। 2 जब यहोआहाज राGय करने लगा, तब वह तेईस वषO का या, और तीन मह:ने तक यRशलेम म राGय करता रहा। 3 तब िमॐ के राजा ने उसको यRशलेम म राजगX: से उनार दया, और दे श पर सौ क कार चा(द: और क कार भर लोना जुरमाने म दणड लगाया। 4 तब िमॐ के राजा ने उसके भाई ए`याकम को यहूदा और यRशलेम का राजा बनाया और उसका नाम बदलकर यहोयाकम रखा। और नको उसके भाई यहोआहाज को िमॐ म ले गया। 5 जब यहोयाकम राGय करने लगा, तब वह प कस वषO का या, और bयारह वषO तक यRशलेम म राGय करता रहा। और उस ने वह काम

कया, जो उसके परमे र यहोवा क l म बुरा है । 6 उस पर बाबे ल के राजा नबूकदनेःसर ने चढ़ाई क, और बाबेल ले जाने के िलथे उसको बे डय़ां पहना द:ं। 7 फर नबूकदनेःसर ने यहोवा के भवन के कुछ पाऽ बाबेल ले जाकर, अपके म'(दर म जो बाबेल म या, रख दए। 8 यहोयाकम के और काम और उस ने जो जो िघनौने काम कए, और उस म जो जो बुराइयां पाई गई, वह इॐाएल और यहूदा के राजाओं के इितहास क पुःतक म िलखी हE । और उसका पुऽ यहोयाकन उसके ःयान पर राGय करने लगा। 9 जब यहोयाकन राGय करने लगा, तब वह आठ वषO का या, और तीन मह:ने और दस दन तक यRशलेम म राGय करता रहा। और उस ने वह कया, जो परमे र यहोवा क दु  म बुरा है । 10 नथे वषO के लगते ह: नबूकदनेःसर ने लोगHको भेजकर, उसे और यहोवा के भवन के मनभावने पाऽHको बाबेल म मंगवा िलया, और उसके भाई िसदकयाह को यहूदा और यRशलेम पर राजा िनयुf कया। 11 जब िसदकयाह राGय करने लगा, तब वह इ कस वषO का या, और यRशलेम म bयारह वषO तक राGय करता रहा। 12 और उस ने वह: कया, जो उसके परमे र यहोवा क l म बुरा है । यrाप ियमOयाह नबी यहोवा क ओर से बात कहता या, तौभी वह उसके साSहने द:न न हुआ। 13 फर नबूकदनेःसर 'जस ने उसे परमे र क शपय 'खलाई यी, उस से उस ने बलवा कया, और उस ने हठ कया और अपना मन कठोर कया, क वह इॐाएल के परमे र यहोवा क ओर न फरे । 14 वरन सब ूधान याजकHने और लोगHने भी अ(य जाितयHके से िघनौने काम करके बहुत बड़ा व ासघात कया, और यहोवा के भवन को जो उस ने यRशलेम म पवऽ कया या, अशुa कर डाला। 15 और उनके पूवOजHके परमे र यहोवा ने बड़ा य^ करके

अपके दत ू Hसे उनके पास कहला भेजा, यHक वह अप क ूजा और अपके धाम पर तरस खाता या; 16 पर(तु वे परमे र के दत ू Hको ठ=ठHम उड़ाते, उसके वचनHको तु.छ जानते , और उसके नबयHक हं सी करते थे। िनदान यहोवा अप क ूजा पर ऐसा फुंफला उठा, क बचने का कोई उपाय न रहा। 17 तब उस ने उन पर कसदयHके राजा से चढ़ाई करवाई, और इस ने उनके जवानHको उनके पवऽ भवन ह: म तलवार से मार डाला। और या जवान, या कुंवार:, या बूढ़े, या प के बालवाले, कसी पर भी कोमलता न क; यहोवा ने सभHको उसके हाथ म कर दया। 18 और या छोटे , या बड़े , परमे र के भवन के सब पाऽ और यहोवा के भवन, और राजा, और उसके हाकमHके खजाने, इन सभHको वह बाबेल म ले गया। 19 और कसदयो ने परमे र का भवन फूंक दया, और यRशलेम क शहरपनाह को तोड़ ड़ाला, और आग लगा कर उसके सब भवनHको जलाया, और उस म का सारा बहुम` ू य सामान न कर दया। 20 और जो तलवार से बच गए, उ(ह वह बाबेल को ले गया, और फारस के राGय के ूबल होने तक वे उसके और उसके बे टH-पोतHके आधीन रहे । 21 यह सब इसिलथे हुआ क यहोवा का जो वचन ियमOयाह के मुह ं से िनकला या, वह पूरा हो, क दे श अपके वौम कालHम

मुख भोगता रहे । इसिलथे जब तक वह सूना पड़ा रहा तब तक अयाOत ् सर वषO के पूरे होने तक उसको वौम िमला। 22 फारस के राजा कूॐू के पहले वषO म

यहोवा ने उसके मन को उभारा क जो वचन ियमOयाह के मुह ं से िनकला या, वह पूरा हो। इसिलथे उस ने अपके समःत राGय म यह ूचार करवाया, और इस आशय क िच'=ठयां िलखवाई, 23 क फारस का राजा कू्रॐू कहता है , क ःवगO के परमे र यहोवा ने पृवी भर का राGय मुझे दया है , और उसी ने मुझे आWा

द: है क यRशलेम जो यहूदा म है उस म मेरा एक भवन बनवा; इसिलथे हे उसक ूजा के सब लोगो, तुम म से जो कोई चाहे क उसका परमे र यहोवा उसके साय रहे , तो वह वहां रवाना हो जाए। एळा 1 1 फारस के राजा कुॐू के पहले वषO म यहोवा ने फारस के राजा कुॐू का मन उभारा क यहोवा का जो वचन ियमOयाह के मुह ं से िनकला या वह पूरा हो जाए, इसिलथे उस ने अपके समःत राGय म यह ूचार करवाया और िलखवा भी दया: 2 क फारस का राजा कुॐू यHकहता है : क ःवगO के परमे र यहोवा ने पृवी भर का राGय मुझे दया है , और उस ने मुझे आWा द:, क यहूदा के यRशलेम म मेरा एक भवन बनवा। 3 उसक समःत ूजा के लोगHम से तुSहारे म~य जो कोई हो, उसका परमे र उसके साय रहे , और वह यहूदा के यRशलेम को जाकर इॐाएल के परमे र यहोवा का भवन बनाए - जो यRशलेम म है वह: परमे र है । 4 और जो कोई कसी ःयान म रह गया हो, जहां वह रहता हो, उस ःयान के मनुंय चा(द:, सोना, धन और पशु दे कर उसक सहाथता कर और इस से अिधक परमे र के यRशलेम के भवन के िलथे अप क अप क इ.छा से भी भ ट चढ़ाएं।। 5 तब यहूदा और ब(यामीन के 'जतने पतरHके घरानHके मु‡य पुRषHऔर याजकHओर लेवयHका मन परमे र ने उभारा या क जाकर यRशलेम म यहोवा के भवन को बनाएं, वे सब उठ खड़े हुए; 6 और उनके आसपास सब रहनेवालHने चा(द: के पाऽ, सोना, धन, पशु और अनमोल वःतुएं दे कर, उनक सहाथता क; यह उन सब से अिधक या, जो लोगHने अप क अप क इ.छा से

दया। 7 फर यहोवा ने भवन के जो पाऽ नबूकदनेःसर ने यRशलेम से िनकालकर अपके दे वता के भवन म रखे थे, 8 उनको कुॐू राजा ने, िमयूदान खजांची से िनकलवा कर, यहूदयHके शेशबःसर नाम ूधान को िगनकर सxप दया। 9 उनक िगनती यह यी, अयाOत ् सोने के तीस और चा(द: के एक हजार परात और उनतीस छुर:, 10 सोने के तीस और म˜यम ूकार के चा(द: के चार सौ दस कटोरे तया और ूकार के पाऽ एक हजार। 11 सोने चा(द: के पाऽ सब िमलकर पांच हजार चार सौ थे। इन सभHको शेशबःसर उस समय ले आया जब ब(धुए बाबेल से यRशलेम को आए।। एळा 2 1 'जनको बाबेल का राजा नबूकदनेःसर बाबेल को ब(धुआ करके ले गया या, उन म से ूा(त के जो लोग ब(धुआई से छूटकर यRशलेम और यहूदा को अपके अपके नगर म लौटे वे थे हE । 2 थे जRcबाबेल, थेश,ू नहे Sयाह, सरायाह, रे लायाह, मौदO कै, बलशान, िमःपार, बगवै, रहूम और बाना के साय आए। इॐाएली ूजा के मनुंयHक िगनती यह है , अयाOत ् 3 परोश क स(तान दो हजार एक सौ बहर, 4 शपयाह क स(तान तीन सौ बहर, 5 आरह क स(तान सात सौ पछहर, 6 पहमोआब क स(तान थेशू और योआब क स(तान म से दो हजार आठ सौ बारह, 7 एलाम क स(तान बारह सौ चौवन, 8 जू क स(तान नौ सौ पEतालीस, 9 ज कै क स(तान सात सौ पEतालीस, 10 बानी क स(तान छ: सौ बयालीस 11 बे बै क स(तान छ: सौ तेईस, 12 अजगाद क स(तान बारह सौ बाईस, 13 अदोनीकाम क स(तान छ: सौ िछयासठ, 14 बbवै क स(तान दो हजार छ€पन,

15 आद:न क स(तान चार सौ चौवन, 16 यहजकयाह क स(तान आतेर क स(तान म से अ=ठानवे, 17 बेसै क स(तान तीन सौ तेईस, 18 योरा के लोग एक सौ बारह, 19 हाशूम के लोग दो सौ ते ईस, 20 िगcबार के लोग पंचानवे , 21 बे तलेहेम के लोग एक सौ तेईस, 22 नतोपा के मनुंय छ€पन; 23 अनातोत के मनुंय एक सौ अ=ठाईस, 24 अGमावेत के लोग बयालीस, 25 कयOतार:म कपीरा और बेरोत के लोग सात सौ तैतालीस, 26 रामा और गेबा के लोग छ: सौ इ कस, 27 िमकमास के मनुंय एक सौ बाईस, 28 बेतेल और ऐ के मनुंय दो सौ तेईस, 29 नबो के लोग बावन, 30 मbबीस क स(तान एक सौ छ€पन, 31 दस ू रे एलाम क स(तान बारह सौ चौवन, 32 हार:म क स(तान तीन सौ बीस, 33 लोद, हाद:द और ओनो के लोग सात सौ प कस, 34 यर:हो के लोग तीन सौ पैतालीस, 35 सना के लोग तीन हजार छ: सौ तीस।। 36 फर याजकHअयाOत ् थेशू के घराने म से यदायाह क स(तान नौ सौ ितहर, 37 इSमेर क स(तान एक हजार बावन, 38 पशहूर क स(तान बारह सौ सEतालीस, 39 हार:म क स(तान एक हजार सतरह। 40 फर लेवीय, अयाOत ् थेशू क स(तान और कदिमएल क स(तान होदcयाह क स(तान म से चौहर। 41 फर गवैयHम से आसाप क स(तान एक सौ अ=ठाईस। 42 फर दरबानHक स(तान, श`लूम क स(तान, आतेर क स(तान, त`मोन क स(तान, अ कूब क स(तान, हतीता क स(तान, और शोबै क स(तान, थे सब िमलकर एक सौ उनतालीस हुए। 43 फर नतीन क स(तान, सीहा क स(तान, हसूपा क स(तान, तcबाओत क स(तान। 44 केरोस क स(तान, सीअहा क स(तान, पादोन क स(तान, 45 लवाना क स(तान, हगबा क स(तान, अ कूब क स(तान, 46 हागाब क स(तान, शमलै

क स(तान, हानान क स(तान, 47 िगXल क स(तान, गहर क स(तान, रायाह क स(तान, 48 रसीन क स(तान, नकोदा क स(तान, गGजाम क स(तान, 49 उGजा क स(तान, पासेह क स(तान, बेसै क स(तान, 50 अःना क स(तान, मूनीम क स(तान, नपीसीम क स(तान, 51 बकबूक क स(तान, हकूपा क स(तान, हहOू र क स(तान। 52 बसलूत क स(तान, मह:दा क स(तान, हशाO क स(तान, 53 बकzस क स(तान, सीसरा क स(तान, तेमह क स(तान, 54 नसीह क स(तान, और हतीपा क स(तान।। 55 फर सुलम ै ान के दासHक स(तान, सोतै क स(तान, हःसोपेरेत क स(तान, पRदा क स(तान, 56 याला क स(तान, दकzन क स(तान, िगXे ल क स(तान, 57 शपयाह क स(तान, हील क स(तान, पोकरे तसबायीम क स(तान, और आमी क स(तान। 58 सब नतीन और सुलम ै ान के दासHक स(तान, तीन सौ बानवे थे।। 59 फर जो ते`मेलह, तेलहशाO, कRब, अXान और इSमेर से आए, पर(तु वे अपके अपके पतरHके घराने और वंशावली न बता सके क वे इॐाएल के हE , वे थे हE : 60 अयाOत ् दलायाह क स(तान, तोबयाह क स(तान और नकोदा क स(तान, जो िमलकर छ: सौ बावन थे। 61 और याजकHक स(तान म से हबायाह क स(तान, ह कोस क स(तान और ब'ज`ल‹ क स(तान, 'जस ने िगलाद: ब'ज`ल क एक बे ट: को cयाह िलया और उसी का नाम रख िलया या। 62 इन सभHने अप क अप क वंशावली का पऽ औरHक वंशावली क पोिययHम ढू ं ढ़ा, पर(तु वे न िमले, इसिलथे वे अशुa ठहराकर याजकपद से िनकाले गए। 63 और अिधपित ने उन से कहा, क जब तक ऊर:म और तुSमीम धारण करनेवाला कोई याजक न हो, तब तक कोई परमपवऽ वःतु खाने न पाए।। 64 समःत म+डली िमलकर

बयालीस हजार तीन सौ साठ क यी। 65 इनको छोड़ इनके सात हजार तीन सौ सEतीस दास-दािसयां और दो सौ गानवाले और गानेवािलयां यीं। 66 उन के घोड़े सात सौ छीस, ख.चर दो सौ पEतालीस, ऊंट चार सौ पEतीस, 67 और गदहे छ: हजार सात सौ बीस थे। 68 और पतरHके घरानHके कुछ मु‡य मु‡य पुRषHने जब यहोवा के भसन को जो यRशलेम म है , आए, तब परमे र के भवन को उसी के ःयान पर खड़ा करने के िलथे अप क अप क इ.छा से कुछ दया। 69 उ(हHने अप क अप क पूंजी के अनुसार इकसठ हजार दकOमोन सोना और पांच हजार माने चा(द: और याजकHके योbय एक सौ अंगरखे अप क अप क इ.छा से उस काम के खजाने म दे दए। 70 तब याजक और लेवीय और लोगHम से कुछ और गवैथे और kारपाल और नतीन लोग अपके नगर म और सब इॐाएली अपके अपके नगर म फर बस गए।। एळा 3 1 जब सातवां मह:ना आया, और इॐाएली अपके अपके नगर म बस गए, तो लोग यRशलेम म एक मन होकर इक=ठे हुए। 2 तब योसादाक के पुऽ थेशू ने अपके भाई याजकHसमेत और शालतीएल के पुऽ जRcबाबेल ने अपके भाइयHसमेत कमर बा(धकर इॐाएल के परमे र क वेद: को बनाया क उस पर होमबिल चढ़ाएं, जैसे क परमे र के भf मूसा क eयवःया म िलखा है । 3 तब उ(हHने वे द: को उसके ःयान पर खड़ा कया यHक उ(ह उस ओर के दे शHके लोगHका भय रहा, और वे उस पर यहोवा के िलथे होमबिल अयाOत ् ूितदन सबेरे और सांफ के होमबिल चढ़ाने लगे। 4 और उ(हHने फोपडय़Hके पवO को माना, जैसे

क िलखा है , और ूितदन के होमबिल एक एक दन क िगनती और िनयम के अनुसार चढ़ाए। 5 और उसके बाद िनय होमबिल और नथे नथे चा(द और यहोवा के पवऽ कए हुए सब िनयत पवॉं के बिल और अप क अप क इ.छा से यहोवा के िलथे सब ःवे.छाबिल हर एक के िलथे बिल चढ़ाए। 6 सातव मह:ने के पहले दन से वे यहोवा को होमबिल चढ़ाने लगे। पर(तु यहोवा के म'(दर क नेव तब तक न डाली गई यी। 7 तब उ(हHने पे गढ़नेवालHऔर कार:गरHको dपया, और सीदोनी और सोर: लोगHको खने-पीने क वःतुएं और तेल दया, क वे फारस के राजा कुॐू के पऽ के अनुसार दे वदार क लकड़: लबानोन से जापा के पास के समुि म पहंु चाएं। 8 उनके परमे र के भवन म , जो यRशलेम म है , अपके के दस ू रे वषO के दस ू रे मह:ने म , शालतीएल के पुऽ जdcबाबे ल ने और योसादाक के पुऽ थेशू ने और उनके और भाइयHने जो याजक और लेवीय थे, और 'जतने ब(धुआई से यRशलेम म आए थे उ(हHने भी काम को आरSभ कया, और बीस वषO अयवा उससे अिधक अवःया के लेवयHको यहोवा के भवन का काम चलाने के िलथे िनयुf कया। 9 तो सेशू और उसके बे टे और भाई और कदमीएल और उसके बेटे, जो यहूदा क स(तान थे, और हे नादाद कं स(तान और उनके बे टे परमे र के भवन म कार:गरHका काम चलाने को खड़े हुए। 10 और जब राजHने यहोवा के म'(दर क नेव डाली तब अपके व\ पहने हुए, और तुरहयां िलथे हुए याजक, और फांफ िलथे हुए आसाप के वंश के लेवीय इसिलथे िनयुf कए गए क इॐाएिलयHके राजा दाऊद क चलाई हुई र:ित के अनुसार यहोवा क ःतुित कर । 11 सो वे यह गा गाकर यहोवा क ःतुित और ध(यवाद करने लगे , क वह भला है , और उसक कdणा इॐाएल पर सदै व बनी है । और जब वे यहोवा

क ःतुित करने लगे तब सब लोगHने यह जानकर क यहोवा के भवन क नेब अब पड़ रह: है , ऊंचे शcद से जय जयकार कया। 12 पर(तु बहुतेरे याजक और लेवीय और पूवOजHके घरानHके मु‡य पुdष, अयाOत ् वे बूढ़े 'ज(हHने पहला भवन दे खा या, जब इस भवन क नेव उनक आंखHके साSहने प क तब फूट फूटकर रोने लगे, और बहुतेरे आन(द के मारे ऊंचे शcद से जय जयकार कर रहे थे। 13 इसिलथे लोग, आन(द के जय जयकार का शcद, लोगHके रोने के शcद से अलग पहचान न सके, यHक लोग ऊंचे शcद से जय जयकार कर रहे थे, और वह शcद दरू तक सुनाई दे ता या। एळा 4 1 जब यहूदा और ब(यामीन के शऽुओं ने यह सुना क ब(धुआई से छूटे हुए लोग इॐाएल के परमे र यहोवा के िलथे म'(दर बना रहे हE , 2 तब वे जdcबाबे ल और पूवOजHके घरानHके मु‡य मु‡य पुdषHके पास आकर उन से कहने लगे, हम भी अपके संग बनाने दो; यHक तुSहार: नाई हम भी तुSहारे परमे र क खोज म

लगे हुए हE , और अँशूर का राजा एसहO Xोन 'जस ने हम यहां पहुंचाया, उसके दनHसे हम उसी को बिल चढ़ाते भी हE । 3 जdcबाबेल, थेशू और इॐाएल के पतरHके घरानHके मु‡य पुdषHने उन से कहा, हमारे परमे र के िलथे भवन बनाने म तुम को हम से कुछ काम नह:ं; हम ह: लोग एक संग िमलकर फारस के राजा कुॐू क आWा के अनुसार इॐाएल के परमे र यहोवा के िलथे उसे बनाएंगे। 4 तब उस दे श के लोग यहूदयHके हाथ ढ:ला करने और उ(ह डराकर म'(दर बनाने म dकावट डालने लगे। 5 और फारस के राजा कुॐू के जीवन भर

वरन फारस के राजा kारा के राGय के समय तक उनके मनोरय को िनंफल करने के िलथे वकलHको dपया दे ते रहे । 6 ौयषO के राGय के पहले दनHम

उ(हHने यहूदा और यRशलेम के िनवािसयHका दोषपऽ उसे िलख भेजा। 7 फर अतOnऽ के दनHम बशलाम, िमयदात और ताबेल ने और उसके सहचgरयHने फारस के राजा अतOnऽ को िच=ठq िलखी, और िच=ठq अरामी अौ–Hऔर अरामी भाषा म िलखी गई। 8 अयाOत ् रहूम राजमंऽी और िशलशै मंऽी ने यRशलेम के वda राजा अतOnऽ को इस आशय क िच=ठq िलखी। 9 उस समय रहूम राजमंऽी और िशमशै मंऽी और उनके और सहचgरयHने , अयाOत ् द:नी, अपसOतक, तपO क, अफ़ारसी, एरे क, बाबे ली, शूशनी, दे हवी, एलामी, 10 आद जाितयHने 'ज(ह महान और ूधान ओःन€पर ने पार ले आकर शोमरोन नगर म और महानद के इस पार के शेष दे श म बसाया या, एक िच=ठq िलखी। 11 जो िच=ठq उ(हHने अतOnऽ राजा को िलखी, उसक यह नकल है ---तेरे दास जो महानद के पार के मनुंय हE , इयाद। 12 राजा को यह वदत हो, क जो यहूद: तेरे पास से चले आए, वे हमारे पास यRशलेम को पहुंचे हE । वे उस दं गैत और िघनौने नगर को बसा रहे हE ; वरन उसक शहरपनाह को खड़ा कर चुके हE और उसक नेव को जोड़ चुके हE । 13 अब राजा को वदत हो क यद वह नगर बस गया और उसक शहरपनाह बन चुक, तब तो वे लोग कर, चुग ं ी और राहदार: फर न द गे, और अ(त म राजाओं क हािन होगी। 14 हम लोग तो राजम'(दर का नमक खाते हE और उिचत नह:ं क राजा का अनादर हमारे दे खते हो, इस कारण हम यह िच=ठq भेजकर राजा को िचता दे ते हE । 15 तेरे पुरखाओं के इितहास क पुःतक म खोज क जाए; तब इितहास क पुःतक म तू यह पाकर जान लेगा क वह नगर बलवा

करनेवाला और राजाओं और ूा(तHक हािन करनेवाला है , और ूाचीन काल से उस म बलवा मचता आया है । और इसी कारण वह नगर न भी कया गया या। 16 हम राजा को िन_य करा दे ते हE क यद वह नगर बसाया जाए और उसक शहरपनाह बन चुके, तब इसके कारण महानद के इस पार तेरा कोई भाग न रह जाएगा। 17 तब राजा ने रहूम राजमंऽी और िशमशै मंऽी और शोमरोन और महानद के इस पार रहनेवाले उनके और सहचgरयHके पास यह उर भेजा, कुशल, इयाद। 18 जो िच=ठq तुम लोगHने हमारे पास भेजी वह मेरे साSहने पढ़ कर साफ साफ सुनाई गई। 19 और मेर: आWा से खोज कथे जाने पर जान पड़ा है , क वह नगर ूाचीनकाल से राजाओं के वda िसर उठाता आया है और उसम

दं गा और बलवा होता आया है । 20 यRशलेम के सामयीं राजा भी हुए जो महानद के पार से समःत दे श पर राGय करते थे, और कर, चुग ं ी और राहदार: उनको द: जाती यी। 21 इसिलथे अब इस आWा का ूचार कर क वे मनुंय रोके जाएं और जब तक मेर: ओर से आWा न िमले, तब तक वह नगर बनाया न जाए। 22 और चौकस रहो, क इस बात म ढ:ले न होना; राजाओं क हािन करनेवाली वह बुराई यHबढ़ने पाए? 23 जब राजा अतOnऽ क यह िच=ठq रहूम और िशमशै मंऽी और उनके सहचgरयHको पढ़कर सुनाई गई, तब वे उतावली करके यRशलेम को यहूदयHके पास गए और भुजबल और बgरयाई से उनको रोक दया। 24 तब परमे र के भवन का काम जो यRशलेम म है , dक गया; और फारस के राजा दारा के राGय के दस ू रे वषO तक dका रहा। एळा 5

1 तब हाbगै नामक नबी और इXो का पोता जकयाOह यहूदा और यRशलेम के यहूदयHसे नबूवत करने लगे, उ(हHने इॐाएल के परमे र के नाम से उन से नबूवत क। 2 तब शालतीएल का पुऽ जdcबाबेल और योसादाक का पुऽ थेश,ू कमर बा(धकर परमे र के भवन को जो यRशलेम म है बनाने लगे; और परमे र के वे नबी उनका साय दे ते रहे । 3 उसी समय महानद के इस पार का तनै नाम अिधपित और शतबॉजनै अपके सहचgरयHसमेत उनके पास जाकर यHपूछने लगे, क इस भवन के बनाने और इस शहरपनाह के खड़े करने क कस ने तुम को आWा द: है ? 4 तब हम लोगHसे यह कहा, क इस भवन के बनानेवालHके या या नाम हE ? 5 पर(तु यहूदयHके पुरिनयHके परमे र क l उन पर रह:, इसिलथे जब तक इस बात क चचाO दारा से न क गई और इसके वषय िच=ठq के kारा उर न िमला, तब तक उ(हHने इनको न रोका। 6 जो िच=ठq महानद के इस पार के अिधपित तनै और शतबॉजनै और महानद के इस पार के उनके सहच क अपासOकयHने राजा दाना के पास भेजी उसक नकल यह है ; 7 उ(हHने उसको एक िच=ठq िलखी, 'जस म यह िलखा या : क राजा दारा का कुशल झेम सब ूकार से हो। 8 राजा को वदत हो, क हम लोग यहूदा नाम ूा(त म महान परमे र के भवन के पास गए थे, वह बड़े बड़े पेHसे बन रहा है , और उसक भीतHम कडय़ां जुड़ रह: हE ; और यह काम उन लोगHसे फुतीं के साय हो रहा है , और सुफल भी होता जाता है । 9 इसिलथे हम ने उन पुरिनयHसे यHपूछा, क यह भवन बनवाने, और यह शहरपनाह खड़: करने क आाWा कस ने तुSह

द:? 10 और हम ने उनके नाम भी पूछे, क हम उनके मु‡य पुdषHके नाम िलखकर तुझ को जता सक । 11 और उ(हHने हम यHउर दया, क हम तो

शकाश और पृवी के परमे र के दास हE , और 'जस भवन को बहुत वषO हुए इॐाएिलयHके एक बड़े राजा ने बनाकर तैयार कया या, उसी को हम बना रहे हE । 12 जब हमारे पुरखाओं ने ःवगO के परमे र को gरस दलाई यी, तब उस ने उ(ह

बाबेल के कसद: राजा नबूकदनेःसर के हाथ म कर दया या, और उस ने इस भवन को नाश कया और लोगHको ब(धुआ करके बाबेल को ले गया। 13 पर(तु बाबेल के राजा कुॐू के पहले वषO म उसी कुॐू राजा ने परमे र के इस भवन के बनाने क आWा द: 14 और परमे र के भवन के जो सोने और चा(द: के पाऽ नबूकदनेःसर यRशलेम के म'(दर म से िनकलवाकर बाबेल के म'(दर म ले गया या, उनको राजा कुॐू ने बाबे ल के म'(दर म से िनकलवाकर शेशबःसर नामक एक पुdष को 'जसे उस ने अिधपित ठहरा दया या, सxप दया। 15 और उस ने उससे कहा, थे पाऽ ले जाकर यRशलेम के म'(दर म रख, और परमे र का वह भवन अपके ःयान पर बनाया जाए। 16 तब उसी शेशबःसर ने आकर परमे र के भवन क जो यRशलेम म है नेव डाली; और तब से अब तक यह बन रहा है , पर(तु अब तक नह:ं बन पाया। 17 अब यद राजा को अ.छा लगे तो बाबेल के राजभणडार म इस बात क खोज क जाए, क राजा कुॐू ने सचमुच परमे र के भवन के जो यRशलेम म है बनवाने क आWा द: यी, या नह:ं। तब राजा इस वषय म अप क इ.छा हम को बताए। एळा 6 1 तब राजा दारा क आWा से बाबेल के पुःतकालय म जहां खजाना भी रहता या, खोज क गई। 2 और मादे नाम ूा(त के अहमता नगर के राजगढ़ म एक

पुःतक िमली, 'जस म यह वृा(त िलखा या : 3 क राजा कुॐू के पहले वषO म

उसी कुॐू राजा ने यह आWा द:, क परमे र के भवन के वंय जो यRशलेम म

है , अयाOत ् वह भवन 'जस म बिलदान कए जाते थे, वह बनाया जाए और उसक नेव lढ़ता से डाली जाए, उसक ऊंचाई और चौड़ाई साठ साठ हाथ क हH; 4 उस म तीन रXे भार: भार: पेHके हH, और एक परत नई लकड़: का हो; और इनक लागत राजभवन म से द: जाए। 5 और परमे र के भवन के जो सोने ओर चा(द: के पाऽ नबूकदनेःसर ने यRशलेम के म'(दर म से िनकलवाकर बाबेल को पहंु चा दए थे वह लौटाकर यRशलेम के म'(दर म अपके अपके ःयान पर पहंु चाए जाएं, और तू उ(ह परमे र के भवन म रख दे ना। 6 अब हे महानद के पार के अिधपित तनै ! हे शतबॉजनै ! तुम अपके सहच क महानद के पार के अपासOकयHसमेत वहां से अलग रहो; 7 परमे र के उस भवन के काम को रहने दो; यहूदयHका अिधपित और यहूदयHके पुरिनथे परमे र के उस भवन को उसी के ःयान पर बनाएं। 8 वरन मE आWा दे ता हंू क तुSह यहूदयHके उन पुरिनयHसे ऐसा बताOव करना होगा, क परमे र का वह भवन बनाया जाए; अयाOत ् राजा के धन म से, महानद के पार के कर म से, उन पुdषHका फुतीं के साय खचाO दया जाए; ऐसा न हो क उनको dकना पके। 9 और या बछड़े ! या मेढ़े ! या मेSने ! ःवगO के परमे र के होमबिलयHके िलथे 'जस 'जस वःतु का उ(ह ूयोजन हो, और 'जतना गेहूं, नमक, दाखमधु और तेल यRशलेम के याजक कह , वह सब उ(ह बना भूल चूक ूितदन दया जाए, 10 इसिलथे क वे ःवगO के परमे र को सुखदायक सुग(धवाले बिल चढ़ाकर, राजा और राजकुमारHके द:धाOयु के िलथे ूायOना कया कर । 11 फर मE ने आWा द: है , क जो कोई यह आWा टाले, उसके

घर म से कड़: िनकाली जाए, और उस पर वह ःवयं चढ़ाकर जकड़ा जाए, और उसका घर इस अपराध के कारण घूरा बनाया जाए। 12 और परमे र 'जस ने वहां अपके नाम का िनवास ठहराया है , वह या राजा या ूजा, उन सभHको जो यह आWा टालने और परमे र के भवन को जो यRशलेम म है नाश करने के िलथे हाथ बढ़ाएं, न कर । मुझ दारा ने यह आWा द: है फुतीं से ऐसा ह: करना। 13 तब महानद के इस पार के अिधपित तनै और शतबॉजनै और उनके सहचgरयHने दारा राजा के िच=ठq भेजने के कारण, उसी के अनुसार फुतीं से काम कया। 14 तब यहूद: पुरिनथे, हाbगै नबी और इXो के पोते जकयाOह के नबूवत करने से म'(दर को बनाते रहे , और कृ तायO भी हुए। ओर इॐाएल के परमे र क आWा के अनुसार और फारस के राजा कुॐू, दारा और अतOझऽ क आWाओं के अनुसार बनाते बनाते उसे पूरा कर िलया। 15 इस ूकार वह भवन राजा दारा के राGय के छठव वषO म अदार मह:ने के तीसरे दन को बनकर समाT हुआ। 16 इॐाएली, अयाOत ् याजक लेवीय और और 'जतने ब(धुआई से आए थे उ(हHने परमे र के उस भवन क ूितvा उसव के साय क। 17 और उस भवन क ूितvा म उ(हHने एक सौ बैल और दो सौ मेढ़े और चार सौ मेSने और फर सब इॐाएल के िनिम पापबिल करके इॐाएल के गोऽ क िगनती के अनुसार बारह बकरे चढ़ाए। 18 तब जैसे मूसा क पुःतक म िलखा है , वैसे ह: उ(हHने परमे र क आराधना के िलथे जो यRशलेम म है , बार: बार: से शजकHऔर दल दल के लेवयHको िनयुf कर दया। 19 फर पहले मह:ने के चौदहव दन को ब(धुआई से आए हुए लोगHने फसह माना। 20 यHक याजकHऔर लेवयHने एक मन होकर, अपके अपके को शुa कया या; इसिलथे वे सब के सब शुa थे। और

उ(हHने ब(धुआई से आए हुए सब लोगHऔर अपके भाई याजकHके िलथे और अपके अपके िलथे फसह के पशु बिल कए। 21 तब ब(धुआई से लौटे हुए इॐाएली और 'जतने और दे श क अ(य जाितयHक अशुaता से इसिलथे अलग हो गए थे क इॐाएल के परमे र यहोवा क खोज कर , उन सभHने भोजन कया। 22 और अखमीर: रोट: का ववO सात दन तक आन(द के साय मनाते रहे ; यHक यहोवा ने उ(ह आन'(दत कया या, और अँशूर के राजा का मन उनक ओर ऐसा फेर दया क वह परमे र अयाOत ् इॐाएल के परमे र के भवन के काम म

उनक सहाथता करे । एळा 7 1 इन बातHके बाद अयाOत ् फारस के राजा अतOझऽ के दनHम , एळा बाबेल से यRशलेम को गया। वह सरायाह का पुऽ या। और सरायाह अजयाOह का पुऽ या, अजयाOह ह'`कयाह का, 2 ह'`कयाह श`लूम का, श`लूम सादोक का, शदोक 3 अह:तूब का, अह:तूब अमयाOह का, अमयाOह अजयाOह का, अजयाOह मरायोत का, 4 मरायोत जर—ाह का, जर—ाह उGजी का, उGजी बु क का, 5 बु क अबीशू का, अबीशू पीनहास का, पीनहास एलीआज़र का और एलीआज़र हाRन महाथाजक का पुऽ या। 6 यह: एळा मूसा क eयवःया के वंय 'जसे इॐाएल के परमे र यहोवा ने द: यी, िनपुण शा\ी या। और उसके परमे र यहोवा क कृपाl जो उस पर रह:, इसके कारण राजा ने उसका मुह ं मांगा वर दे दया। 7 और कतने इॐाएली, और याजक लेवीय, गवैथे, और kारपाल और नतीन के कुछ लोग अतOझऽ राजा के सातव वषO म यRशलेम को ले गए। 8 और वह राजा

के सातव वषO के पांचव मह:ने म यRशलेम को पहंु चा। 9 पहले मह:ने के पहले दन को वह बाबेल से चल दया, और उसके परमे र क कृपाl उस पर रह:, इस कारएा पांचव मह:ने के पहले दन वह यRशलेम को पहंु चा। 10 यHक एळा ने यहोवा क eयवःया का अयO बूफ लेने, और उसके अनुसार चलने, और इॐाएल म विध और िनयम िसखाने के िलथे अपना मन लगाया या। 11 जो िच=ठq राजा अतOझख ने एळा याजक और शा\ी को द: यी जो यहोवा क आWाओं के वचनHका, और उसक इॐाएिलयHम चलाई हुई विधयHका शा\ी या, उसक तकल यह है ; 12 अयाOत,् एळा याजक जो ःवगO के परमे र क eयवःया का पूणO शा\ी है , उसको अतOझऽ महाराजािधराज क ओर से, इयाद। 13 मE यह आWा दे ता हूँ, क मेरे राGय म 'जतने इॐाएली और उनके याजक और लेवीय अप क इ.छा से यRशलेम जाना चाह , वे तेरे साय जाने पाएं। 14 तू तो राजा और उसके सातHमंऽयHक ओर से इसिलथे भेजा जाता है , क अपके परमे र क eयवःया के वषय जो तेरे पास है , यहूदा और यRशलेम क दशा बूफ ले, 15 और जो चा(द:-सोना, राजा और उसके मऽयHने इॐाएल के परमे र को 'जसका िनवास यRशलेम म है , अप क इ.छा से दया है , 16 और 'जतना चा(द:-सोना कुल बाबेल ूा(त म तुझे िमलेगा, और जो कुछ लोग और याजक अप क इ.छा से अपके परमे र के भवन के िलथे जो यRशलेम म हE द गे, उसको ले जाए। 17 इस कारण तू उस dपके से फुतीं के साय बैल, मेढ़े और मेSने उनके योbय अ(नबिल और अधO क वःतुओं समेत मोल लेना और उस वेद: पर चढ़ाना, जो तुSहारे परमे र के यRशलेमवाले भवन म है । 18 और जो चा(द:-सोना बचा रहे , उस से जो कुछ तुझे और ते रे भाइयHको उिचत जान पके, वह: अपके परमे र क इ.छा

के अनुसार करना। 19 और तेरे परमे र के भवन क उपासना के िलथे जो पाऽ तुझे सौपे जातो हE , उ(ह यRशलेम के परमे र के साSहने दे दे ना। 20 और इन से अिधक जो कुछ तुझे अपके परमे र के भवन के िलथे आवँयक जानकर दे ना पके, वह राजखजाने म से दे दे ना। 21 मE अतOझऽ राजा यह आWा दे ता हँू , क तुम महानद के पार के सब खजांिचयHसे जो कुछ बळा याजक, जो ःवगO के परमे र क eयवःया का शा\ी है , तुम लोगHसे चाहे , वह फुतीं के साय कया जाए। 22 अयOत ् सौ क कार तक चा(द:, सौ कोर तक गेहंू , सौ बत तक दाखमधु, सौ बत तक तेल और नमक 'जतना चाहथे उतना दया जाए। 23 जो जो आWा ःवगO के परमे र क ओर से िमले, ठqक उसी के अनुसार ःवगO के परमे र के भवन के िलथे कया जाय, राजा और राजकुमारHके राGय पर परमे र का बोध यHभड़कने पाए। 24 फर हम तुम को िचता दे ते हE , क परमे र के उस भवन के कसी याजक, लेवीय, गवैथे, kारपाल, नतीन या और कसी सेवक से कर, चुग ं ी, अयवा राहदार: लेने क आWा नह:ं है । 25 फर हे एळा ! तेरे परमे र से िमली हुई बुa के अनुसार जो तुझ म है , (यािययHऔर वचार करनेवालHको िनयुf कर जो महानद के पार रहनेवाले उन सब लोगHम जो तेरे परमे र क eयवःया जानते हH(याय कया कर ; और जो जो उ(ह न जानते हH, उनको तुम िसखाया करो। 26 और जो कोई तेरे परमे र क eयवःया और राजा क eयवःया न माने, उसको फुतीं से दणड दया जाए, चाहे ूाणदणड, चाहे दे शिनकाला, चाहे माल जT कया जाना, चाहे केद करना। 27 ध(य है हमारे पतरHका परमे र यहोवा, 'जस ने ऐसी मनसा राजा के मन म उप(न क है , क यहोवा के यRशलेम के भवन को संवारे , 28 और मूफ पर राजा और उसके मंऽयHऔर राजा के सब बड़े हाकमHको

दयालु कया। मेरे परमे र यहोवा क कृपाl जो मुझ पर हुई, इसके अनुसार म™ ने हयाव बा(धा, और इॐाएल म से मु‡य पुdषHको इक=ठा कया, क वे मेरे संग चल । एळा 8 1 उनके पूवOजHके घरानHके मु‡य मु‡य पुdष थे हE , और जो लोग राजा अतOझऽ के राGय म बाबेल से मेरे संग यRशलेम को गए उनक वंशावली यह है : 2 अयाOत ् पीनहास के वंश म से गेशॉम, ईतामार के वंश म से दािनथेल, दाऊद के वंश म

से हूस। 3 शक(याह के वंश के परोश के गोऽ म से जकयाOह, 'जसके संग डे ढ़ सौ पुdष क वंशावली हुई। 4 पहमोआब के वंश म से जर—ाह का पुऽ ए`यहोएनै, 'जसके संग दो सौ पुdष थे। 5 शक(याह के वंश म से यहजीएल का पुऽ, 'जसके संग तीन सौ पुdष थे। 6 आद:न के वंश म से योनातान का पुऽ एबेद, 'जसके संग पचास पुdष थे। 7 एलाम के वंश म से अत`याह का पुऽ यशायाह, 'जसके संग सर पुdष थे। 8 शपयाह के वंश म से मीकाएल का पुऽ जबrाह, 'जसके संग अःसी पुdष थे। 9 योआब के वंश म से यह:एल का पुऽ ओबrाह, 'जसके संग दो सौ अठारह पुdष थे। 10 शलोमीत के वंश म से योिसcयाह का पुऽ, 'जसके संग एक सौ साठ पुdष थे। 11 बेबै के वंश म से बेबै का पुऽ जकयाOह, 'जसके संग अ=ठाईस पुdष थे। 12 अजगाद के वंश म से ह कातान का पुऽ योहानान, 'जसके संग एक सौ दस पुdष थे। 13 अदोनीकाम के वंश म से जो पीछे गएं उनके थे नाम हE : अयाOत ् एलीपेलेत, यीएल, और समायाह, और उनके संग साठ पुdष थे। 14 और बगवै के वंश म से ऊतै और जcबूद थे, और उनके संग सर

पुdष थे। 15 इनको मE ने उस नद: के पास जो अहवा क ओर बहती है इक=ठा कर िलया, और वहां हम लोग तीन दन डे रे डाले रहे , और मE ने वहां लोगHऔर याजकHको दे ख िलया पर(तु कसी लेवीय को न पाया। 16 मE ने एलीएजे र, अर:एल, शमायाह, एलनातान, यार:ब, एलनातान, नातान, जकयाOह और मशू`लाम को जो मु‡य पुdष थे, और योयार:ब और एलनातान को जो बुaमान थे 17 बुलवाकर, इXो के पास जो कािस€या नाम ःयान का ूधान या, भेज दया; और उनको समझा दया, क कािस€या ःयान म इXो और उसके भाई नतीन लोगHसे या या कहना, क वे हमारे पास हमारे परमे र के भवन के िलथे सेवा टहल करनेवालHको ले आएं। 18 और हमारे परमे र क कृपाl जो हम पर हुई इसके अनुसार वे हमारे पास ईँशेकेल के जो इॐाएल के परपोता और लेवी के पोता महली के वंश म से या, और शेरेcयाह को, और उसके पुऽHऔर भाइयHको, अयाOत ् अठारह जनHको; 19 और हशcयाह को, और उसके संग मरार: के वंश म से यशायाह को, और उसके पुऽHऔर भाइयHको, अयाOत ् बीस जनHको; 20 और नतीन लोगHम से 'ज(ह दाऊद और हाकमHने लेवयHक सेवा करने को ठहराया या दो सौ बीस नितनHको ले आए। इन सभHके नाम िलखे हुए थे। 21 तब मE ने वहां अयाOत ् अहवा नद: के तीर पर उपवास का ूचार इस आशय से कया, क हम परमे र के साSहने द:न हH; और उस से अपके और अपके बालब.चHऔर अप क समःत सSप के िलथे सरल याऽा मांग । 22 यHक मE मागO के शऽुओं से वचने के िलथे िसपाहयHका दल और सवार राजा से मांगने से लजाता य, यHक हम राजा से यह कह चुके थे क हमारा परमे र अपके सब खो'जयHपर, भलाई के िलथे कृपाl रखता है और जो उसे याग दे ते हE , उसका बल और कोप

उनके वda है । 23 इसी वषय पर हम ने उपवास करके अपके परमे र से ूायOना क, और उस ने हमार: सुनी। 24 तब मE ने मु‡य याजकHम से बारह पुdषHको, अयाOत ् शेरेcयाह, हशcयाह और इनके दस भाइयHको अलग करके, जो चा(द:, सोना और पाऽ, 25 राजा और उसके मंऽयHऔर उसके हाकमHऔर 'जतने इॐाएली अप'ःयत थे उ(हHने हमारे परमे र के भवन के िलथे भ ट दए थे, उ(हHतौलकर उनको दया। 26 अयाOत ् मE ने उनके हाथ म साढ़े छ: सौ क कार चा(द:, सौ क कार चा(द: के पाऽ, 27 सौ क कार सोना, हाजार दकOमोन के सोने के बीस कटोरे , और सोने सर:खे अनमोल चोखे चमकनेवाले पीतल के दो पाऽ लौलकर दे दथे। 28 और मE ने उन से कहा, तुम तो यहोवा के िलथे पवऽ हो, और थे पाऽ भी पवऽ हE ; और यह चा(द: और सोना भ ट का है , जो तुSहारे पतरHके परमे र यहोवा के िलथे ूस(नता से द: गई। 29 इसिलथे जागते रहो, और जब तक तुम इ(ह यRशलेम म ूधान याजकHऔर लेवयHऔर इॐाएल के पतरHके घरानHके ूधानHके साSहने यहोवा के भवन क कोठgरयHम

तौलकर न दो, तब तक इनक रझा करते रहो। 30 तब याजकHऔर लेवयHने चा(द:, सोने और पाऽHको तौलकर ले िलया क उ(ह यRशलेम को हमारे परमे र के भवन म पहंु चाएं। 31 पहले मह:ने के बारहव दन को हम ने अहवा नद: से कूच करके यRशलेम का मागO िलया, और हमारे परमे र क कृपाl हम पर रह:; और उस ने हम को शऽुओं और मागO पर घात लगानेवालHके हाथ से बचाया। 32 िनदान हम यRशलेम को पहंु चे और वहां तीन दन रहे । 33 फर चौथे दन वह वा(द:-सोना और पाऽ हमारे परमे र के भवन म ऊर:याह के पुऽ मरे मोत याजक के हाथ म तौलकर दए गए। और उसके संग पीनहास का पुऽ एलीआजर या,

और उनके साय थेशू का पुऽ योजाबाद लेवीय और ब`नूई का पुऽ नोअrाह लेवीय थे। 34 वे सब वःतुएं िगनी और तौली गई, और उनका तौल उसी समय िलखा गया। 35 जो ब(धुआई से आए थे, उ(हHने इॐाएल के परमे र के िलथे होमबिल चढ़ाए; अयाOत ् समःत इॐाएल के िनिम बारह बछड़े , िछयानवे मेढ़े और सतहर मेSने और पापबिल के िलथे बारह बकरे ; यह सब यहोवा के िलथे होमबिल या। 36 तब उ(हHने राजा क आWाएं महानद के इस पार के अिध कारने'◌यHऔर अिधपितयHको द:; और उ(हHने इॐाएली लोगHऔर परमे र के भवन के काम म सहाथता क। एळा 9 1 तब थे काम हो चुके, तब हाकम मेरे पास आकर कहने लगे, न तो इॐाएली लोग, न याजक, न लेवीय इस ओर के दे शHके लोगHसे अलग हुए; वरन उनके से, अयाOत ् कनािनयH, हयH, पgर'GजयH, यबूिसयH, अSमोिनयH, मोआबयH, िमिॐयHऔर एमोgरयHके से िघनौने काम करते हE । 2 यHक उ(हHने उनक बे टयHम से अपके और अपके बेटHके िलथे '\यां कर ली हE ; और पवऽ वंश इस ओर के दे शHके लोगHम िमल गया है । वरन हाकम और सरदार इस व ासघात म मु‡य हुए हE । 3 यह बात सुनकर मE ने अपके व\ और बागे को फाड़ा, और अपके िसर और दाढ़: के बाल नोचे, और व'ःमत होकर बैठा रहा। 4 तब 'जतने लोग इॐाएल के परमे र के वचन सुनकर ब(धुआई से आए हुए लोगHके व ासघात के कारण यरयराते थे, सब मेरे पास इक=ठे हुए, और मE सांफ क भ ट के समय तक व'ःमत होकर बैठा रहा। 5 पर(तु सांफ क भ ट के समय मE

व\ और बागा फाड़े हुए उपवास क दशा म उठा, फर घुटनHके बल फुका, और अपके हाथ अपके परमे र यहोवा क ओर फैलाकर कहा, 6 हे मेरे परमे र ! मुझे तेर: ओर अपना मुह ं उठाते लाज आती है , और हे मेरे परमे र ! मेरा मुह ं काला है ; यHक हम लोगHके अधमO के काम हमारे िसर पर बढ़ गए हE , और हमारा दोष बढते आकाश तक पहंु चा है 7 अपके पुरखाओं के दनHसे लेकर आज के दन तक हम बड़े दोषी हE , और अपके अधमO के कामHके कारण हम अपके राजाओं और याजकHसमेत दे श दे श के राजाओं के हाथ म कए गए क तलवार, ब(धुआई, लूटे जाने, और मुह ं काला हो जाने क वपयHम पक जैसे क आज हमार: दशा है । 8 और अब योड़े दन से हमारे परमे र यहोवा का अनुमह हम पर हुआ है , क हम म से कोई कोई बच िनकले, और हम को उसके पवऽ ःयान म एक खूंट: िमले, और हमारा परमे र हमार: आंखHम जयोित आने दे , और दासव म हम को कुछ वौ'(त िमले। 9 हम दास तो हE ह:, पर(तु हमारे दासव म हमारे परमे र ने हम को नह:ं छोड़ दया, बरन फारस के राजाओं को हम पर ऐसे कृपालु कया, क हम नया जीवन पाकर अपके परमे र के भवन को उठाने, और इसके खंडहरHको सुधारने पाए, और हम यहूदा और यRशलेम म आड़ िमली। 10 और अब हे हमारे परमे र इसके बाद हम या कह , यह: क हम ने तेर: उन आWाओं को तोड़ दया है , 11 जो तू ने यह कहकर अपके दास नबयHके kारा द:ं, क 'जस दे श के अिध कारनेी होने को तुम जाने पर हो, वह तो दे श दे श के लोगHक अशुaता के कारण और उनके िघनौने कामHके कारण अशुa दे श है , अ(हHने उसे एक िसवाने से दस ू रे िसवाने तक अप क अशुaता से भर दया है । 12 इसिलथे अब तू न तो अप क बेठयां उनके बेटHको cयाह दे ना और न उनक बे टयHसे अपके बेटHका

cयाह करना, और न कभी उनका कुशल झेम चाहना, इसिलथे क तुम बलवान बनो और उस दे श के अ.छे अ.छे पदायO खाने पाओ, और उसे ऐसा छोड़ जाओ, क वह तुSहारे वंश के अिध कारने म सदै व बना रहे । 13 और उस सब के बाद जो हमारे बुरे कामHऔर बड़े दोष के कारण हम पर बीता है , जब क हे हमारे परमे र तू ने हमारे अधमO के बराबर हम दणड नह:ं दया, वरन हम म से कतनHको बचा रखा है , 14 तो या हम तेर: आWाओं को फर से उ`लंघन करके इन िघनौने काम करनेवाले लोगHसे समिधयाना का सSब(ध कर ? या तू हम पर यहां तक कोप न करे गा िलस से हम िमट जाएं और न तो कोई बचे और न कोई रह जाए? 15 हे इॐाएल के परमे र यहोवा ! तू तो धमीं है , हम बचकर मुf हुए हE जैसे क आज वतOमान हE । दे ख, हम तेरे साSहने दोषी हE , इस कारण कोई तेरे साSहने खड़ा नह:ं रह सकता। एळा 10 1 जब एळा परमे र के भवन के साSहने पड़ा, रोता हुआ ूायOना और पाप का अंगीकार कर रहा या, तब इॐाएल म से पुdषH, '\यHऔर लड़केवालHक एक बहुत बड़: मणडली उसके पास इक=ठq हुई; और लोग बलक बलक कर रो रहे थे। 2 तब यह:एल का पुऽ शक(याह जो एलाम के वुश म का या, एळा से कहने लगा, हम लोगHने इस दे श के लोगHम से अ(यजाित '\यां cयाह कर अपके परमे र का व ासघात तो कया है , पर(तु इस दशा म भी इॐाएल के िलथे आश है । 3 अब हम अपके परमे र से यह वाचा बा(ध , क हम अपके ूभुक सSमित और अपके परमे र क आWा सुनकर यरयरानेवालHक सSमित के

अनुसार ऐसी सब '\यHको और उनके लड़केवालHको दरू कर ; और eयवःया के अनुसार काम कया जाए। 4 तू उठ, यHक यह काम ते रा ह: है , और हम तेरे साय है ; इसिलथे हयाव बा(धकर इस काम म लग जा। 5 तब एळा उठा, और याजकH, लेवयHऔर सब इॐाएिलयHके ूधानHको यह शपय 'खलाई क हम इसी वचन के अनुसार कर गे; और उ(हHने वैसी ह: शपय खाई। 6 तब बळा परमे र के भवन के साSहने से उठा, और ए`याशीब के पुऽ योहानान क कोठर: म गया, और वहां पहंु चकर न तो रोट: खाई, न पानी पया, यHक वह ब(धुआई म से िनकल आए हुओं के व ासघात के कारण शोक करता रहा। 7 तब उ(हHने यहूदा और यRशलेम म रहनेवाले ब(धुआई म से आए हुए सब लोगHम यह ूचार कराया, क तुम यRशलेम म इा=ठे हो; 8 और जो कोई हाकमHऔर पुरिनयHक सSमित न मानेगा और तीन दन के भीतर न आए तो उसक समःत धन-सSप न क जाएगी और वह आप ब(धुआई से आए हुओं क सभा से अलग कया जाएगा। 9 तब यहूदा और ब(यामीन के सब मनुंय तीन दन के भीतर यRशलेम म इक=ठे हुए; यह नौव मह:ने के बीसव दन म हुआ; और सब लोग परमे र के भवन के चौक म उस वषय के कारण और फड़: के मारे कांपके हुए बैठे रहे । 10 तब एळा याजक खड़ा होकर उन से कहने लगा, तुम लोगHने व ासघात करके अ(यजाित-'\यां cयाह लीं, और इस से इॐाएल का दोष बढ़ गया है । 11 सो अब अपके पतरHके परमे र यहोवा के साSहने अपना पाप मान लो, और उसक इ.छा पूर: करो, और इस दे श के लोगHसे और अ(यजाित'\यHसे (यारे हो जाओ। 12 तब पूर: मणडली के लोगHने ऊंचे शcद से कहा, जैसा तू ने कहा है , वैसा ह: हम करना उिचत है । 13 पर(तु लोग बहुत हE , और फड़: का समय

है , और हम बाहर खड़े नह:ं रह सकते, और यह दो एक दन का काम नह:ं है , यHक हम ने इस बात म बड़ा अपराध कया है । 14 समःत मणडली क ओर से हमारे हाकम िनयुf कए जाएं; और जब तक हमारे परमे र का भड़का हुआ कोप हम से दरू न हो, और यह काम िनपट न जाए, तब तक हमारे नगरHके 'जतने िनवािसयHने अ(यजाित-'\यां cयाह ली हH, वे िनयत समयHपर आया कर , और उनके संग एक नगर के पुरिनथे और (यायी आएं। 15 इसके वda केवल असाहे ल के पुऽ योनातान और ितकवा के पुऽ यहजयाह खड़े हुए, और मशु`लाम और शcबतै लेवयHने उनक सहाथता क। 16 पर(तु ब(धुआई से आए हुए लोगHने वैसा ह: कया। तब एळा याजक और पतरHके घरानHके कतने मु‡य पुdष अपके अपके पतरHके घराने के अनुसार अपके सब नाम िलखाकर अलग कए गए, और दसव मह:ने के पहले दन को इस बात क तहककात के िलथे बैठे। 17 और पहले मह:ने के पहले दन तक उ(हHने उन सब पुdषHक बात िनपटा द:, 'ज(हHने अ(यजाित-'\यHको cयाह िलया या। 18 और याजकHक स(तान म से; थे जन पाए गए 'ज(हHने अ(यजाित-'\यHको cयाह िलया या, अयाOत ् थेशू के पुऽ, योसादाक के पुऽ, और उसके भाई मासेयाह, एलीआज़र, यार:ब और गद`याह। 19 इ(हHने हाथ मारकर वचन दया, क हम अप क '\यHको िनकाल द गे, और उ(हHने दोषी ठहरकर, अपके अपके दोष के कारण एक एक मेढ़ा बिल कया। 20 और इSमेर क स(तान म से; हनानी और जबrाह, 21 और हार:म क स(तान म से; मासेयाह, एलीयाह, शमायाह, यह:एल और उ'Gजयाह। 22 और पशहूर क स(तान म से; उ`योएनै, मासेयाह, इशमाएल, नतनेल, योजाबाद और एलासा। 23 फर लेवयHम से; योजाबाद,

िशमी, केलायाह जो कलीता कहलाता है , पत—ाह, यहूदा और एलीआज़र। 24 और गवैयHम से; ए`याशीव और kारपालHम से श`लूम, तेलेम और ऊर:। 25 और इॐाएल म से; परोश क स(तान म रSयाह, िय'Gजयाह, म'`कयाह, िमयामीन, एलीआज़र, म'`कयाह और बनायाह। 26 और एलाम क स(तान म से; म(याह, जकयाOह, यह:एल अcद:, यरे मोत और एिलयाह। 27 और जतू क स(तान म से; ए`योएनै, ए`याशीब, स(याह, यरे मोत, जाबाद और अजीजा। 28 और बेबै क स(तान म से; यहोहानान, हन(याह, जcबै और अतलै। 29 और बानी क स(तान म से; मशु`लाम, म`लूक, अदायाह, याशूब, शाल और यरामोत। 30 और पहतमोआब क स(तान म से; अदना, कलाल, बनायाह, मासेयाह, म(याह, बसलेल, ब(नूई और मनँशे। 31 और हार:म क स(तान म से; एलीआज़र, िय'ँशयाह, म'`कयाह, शमायाह, िशमोन; 32 ब(यामीन, म`लूक और शमयाOह। 33 और हाशूम क स(तान म से; मनै, मा, जाबाद, एलीपेलेत, यरे म,ै मनँशे और िशमी। 34 और बानी क स(तान म से; मादै , अॆाम, ऊएल; 35 बनायाह, बेदयाह, कलूह:; 36 ब(याह, मरे मोत, ए`याशीब; 37 म(याह, मनै, यासू; 38 वानी, व(नूई, िशमी; 39 शेलेSयाह, नातान, अदायाह; 40 म नदबै, शाशै, शारै ; 41 अजरे ल, शेलेSयाह, शेमयाOह; 42 श`लूम, अमयाOह और योसेफ। 43 और नबो क स(तान म से; यीएल, म(याह, जाबाद, जबीना, यXो, योएल और बनायाह। 44 इन सभHने अ(यजाित-'\यां cयाह ली यीं, और कतनHक \ ्'◌यHसे लड़के भी उप(न हुए थे। नहे मायाह 1

1 हक`याह के पुऽ नहे मायाह के वचन। बीसव वषO के कसलवे नाम मह:ने म , जब मE शूशन नाम राजगढ़ म रहता या, 2 तब हनानी नाम मेरा एक भाई और यहूदा से आए हुए कई एक पुdष आए; तब मE ने उन से उन बचे हुए यहूदयHके वषय जो ब(धुआई से छूट गए थे, और यRशलेम के वंय म पूछा। 3 उ(हHने मुझ से कहा, जो बचे हुए लोग ब(धुआई से छूटकर उस ूा(त म रहते हE , वे बड़: दद ु O शा म पके हE , और उनक िन(दा होती है ; यHक यRशलेम क शहरपनाह टू ट: हुई, और उसके फाटक जले हुए हE । 4 थे बात सुनते ह: मE बैठकर रोने लगा और कतने दन तक वलाप करता; और ःवगO के परमे र के सSमुख उपवास करता और यह कहकर ूायOना करता रहा। 5 हे ःवगO के परमे र यहोवा, हे महान और भययोbय ई र ! तू जो अपके ूे म रखनेवाले और आWा माननेवाले के वंय अप क वाचा पालता और उन पर कdणा करता है ; 6 तू कान लगाए और आंख खोले रह, क जो ूायOना मE ते रा दास इस समय ते रे दास इॐाएिलयHके िलथे दन रात करता रहता हँू , उसे तू सुन ले। मE इॐाएिलयHके पापHको जो हम लोगHने तेरे वda कए हE , मान लेता हूँ। मE और मेरे पता के घराने दोनHने पाप कया है । 7 हम ने तेरे साSहने बहुत बुराई क है , और जो आWाएं, विधयां और िनयम तू ने अपके दास मूसा को दए थे, उनको हम ने नह:ं माना। 8 उस वचन क सुिध ले, जो तू ने अपके दास मूसा से कहा या, क यद तुम लोग व ासघात करो, तो मE तुम को दे श दे श के लोगHम िततर बतर कRंगा। 9 पर(तु यद तुम मेर: ओर फरो, और मेर: आWाएं मानो, और उन पर चलो, तो चाहे तुम म से िनकाले हुए लोग आकाश क छोर म भी हH, तौभी मE उनको वहां से इक=ठा करके उस ःयान म पहंु चाऊंगा, 'जसे मE ने अपके नाम के िनवास के िलथे चुन िलया है ।

10 अब वे तेरे दास और तेर: ूजा के लोग हE 'जनको तू ने अप क बड़: सामयO और बलव(त हाथ के kारा छुड़ा िलया है । 11 हे ूभु बनती यह है , क तू अपके दास क ूायOना पर, और अपके उन दासHक ूायOना पर, जो तेरे नाम का भय मानना चाहते हE , कान लगा, और आज अपके दास का काम सुफल कर, और उस पुdष को उस पर दयालु कर। (मE तो राजा का पयाऊ या।) नहे मायाह 2 1 अतOझऽ राजा के बीसव वषO के नीसान नाम मह:ने म , जब उसके साSहने दाखमधु या, तब मE ने दाखमधु उठाकर राजा को दया। इस से पहले मE उसके साSहने कभी उदास न हुआ या। 2 तब राजा ने मुझ से पूछा, तू तो रे गी नह:ं है , फर तेरा मुह ं यHउतरा है ? यह तो मन ह: क उदासी होगी। 3 तब मE अय(त डर गया। और राजा से कहा, राजा सदा जीवत रहे ! जब वह नगर 'जस म मेरे पुरखाओं क कबर हE , उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हE , तो मेरा मुह ं यHन उतरे ? 4 राजा ने मुझ से पूछा, फर तू या मांगता है ? तब मE ने ःवगO के परमे र से ूायOना करके, राजा से कहा; 5 यद राजा को भाए, और तू अपके दास से ूस(न हो, तो मुझे यहूदा और मेरे पुरखाओं क कबरHके नगर को भेज, ताक मE उसे बनाऊं। 6 तब राजा ने 'जसके पास रानी भी बैठq यी, मुझ से पूछा, तू कतने दन तक याऽा म रहे गा? और कब लैटेगा? सो राजा मुझे भेजने को ूस(न हुआ; और मE ने उसके िलथे एक समय िनयुf कया। 7 फर मE ने राजा से कहा, यद राजा को भाए, तो महानद के पार के अिधपितयHके िलथे इस आशय क िच'=ठयां मुझे द: जाएं क जब तक मE यहूदा को न महंु च,ूं तब तक वे मुझे

अपके अपके दे श म से होकर जाने द । 8 और सरकार: जंगल के रखवाले आसाप के िलथे भी इस आशय क िच=ठq मुझे द: जाए ताक वह मुझे भवन से लगे हुए राजगढ़ क कडय़Hके िलथे, और शहरपनाह के, और उस घर के िलथे, 'जस म मE जाकर रहंू गा, लकड़: दे । मेरे परमे र क कृ पाl मुझ पर यी, इसिलथे राजा ने यह बनती महण कया। 9 तब मE ने महानद के पार के अिधपितयHके पास जाकर उ(ह राजा क िच'=ठयां द:ं। राजा ने मेरे संग सेनापित और सवार भी भेजे थे। 10 यह सुनकर क एक मनुंय इॐाएिलयHके क`याण का उपाय करने को आया है , होरोनी सSब`लत और तोबयाह नाम कमOचार: जो अSमोनी या, उन दोनHको बहुत बुरा लगा। 11 जब मE यRशलेम पहंु च गया, तब वहां तीन दन रहा। 12 तब मE योड़े पुdषHको लेकर रात को उठा; मE ने कसी को नह:ं बताया क मेरे परमे र ने यRशलेम के हत के िलथे मेरे मन म या उपजाया या। और अप क सवार: के पशु को छोड़ कोई पशु मेरे संग न या। 13 मE रात को तराई के फाटक म होकर िनकला और अजगर के सोते क ओर, और कूड़ाफाटक के पास गया, और यRशलेम क टू ट: प क हुई शहरपनाह और जले फाटकHको दे खा। 14 तब मE आगे बढ़कर सोते के फाटक और राजा के कुणड के पास गया; पर(तु मेर: सवार: के पशु के िलथे आगे जाने को ःयान न या। 15 तब मE रात ह: रात नाले से होकर शहरपनाह को दे खता हुआ चढ़ गया; फर घूमकर ता'◌ई के फाटक से भीतर आया, और इस ूकार लौट आया। 16 और हाकम न जानते थे क मE कहां गया और या करता या; वरन मE ने तब तक न तो यहूदयHको कुछ बताया या और न याजकHऔर न रईसHऔर न हाकमHऔर न दस ू रे काम करनेवालHको। 17 तब मE ने उन से कहा, तुम तो आप दे खते हो क हम कैसी दद ु O शा म हE , क

यRशलेम उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हE । तो आओ, हम यRशलेम क शहरपनाह को बनाएं, क भवंय म हमार: नामधराई न रहे । 18 फर मE ने उनको बतलाया, क मेरे परमे र क कृ पाl मुझ पर कैसी हुई और राजा ने मुझ से या या बात कह: यीं। तब उ(हHने कहा, आओ हम कमर बा(धकर बनाने लग । और उ(हHने इस भले काम को करने के िलथे हयाव बा(ध िलया। 19 यह सुनकर होरोनी सSब`लत और तोबयाह नाम कमOचार: जो अSमोनी या, और गेशेम नाम एक अरबी, हमे◌े◌ं ठ=ठHम उड़ाने लगे; और हम तु.छ जानकर कहन लगे, यह तुम या काम करते हो। 20 या तुम राजा के वda बलवा करोगे? तब मE ने उनको उर दे कर उन से कहा, ःवगO का परमे र हमारा काम सुफल करे गा, इसिलथे हम उसके दास कमर बा(धकर बनाएंगे; पर(तु यRशलेम म तुSहारा न तो कोई भाग, न ह क, न ःमारक है । नहे मायाह 3 1 तब ए`याशीब महाथाजक ने अपके भाई याजकHसमेत कमर बा(धकर भेड़फाटक को बनाया। उ(हHने उसक ूितvा क, और उसके प`लHको भी लगाया; और हSमेआ नाम गुSमट तक वरन हननेल के गुSमट के पास तक उ(हHने शहरपनाह क ूितvा क। 2 उस से आगे यर:हो के मनुंयHने बनाया। और इन से आगे इॆी के पुऽ ज कूर ने बनाया । 3 फर मछलीफाटक को हःसना के बेटHने बनाया; उ(हHने उसक कडय़ां लगाई, और उसके प`ले, ताले और ब ड़े लगाए। 4 और उन से आगे मरे मोत ने जो ह कोस का पोता और ऊgरयाह का पुऽ या, मरSमत क। और इन से आगे मशु`लाम ने जो मशेजबेल

का पोता, और बरे याह का पुऽ या, मरSमत क। और इस से आगे बाना के पुऽ सादोक ने मरSमत क। 5 और इन से आगे तकोइयHने मरSमत क; पर(तु उनके रईसHने अपके ूभु क सेवा का जूआ अप क गदO न पर न िलया। 6 फर पुराने फाटक क मरSमत पासेह के पुऽ योयादा और बसोदयाह के पुऽ मशु`लाम ने क; उ(हHने उसक कडय़ां लगाई, और उसके प`ले, ताले और ब ड़े लगाए। 7 और उन से आगे िगबोनी मलयाह और मेरोनोती यादोन ने और िगबोन और िमःपा के मनुंयHने महानद के पार के अिधपित के िसंहासन क ओर से मरSमत क। 8 उन से आगे हहO याह के पुऽ उजीएल ने और और सुनारHने मरSमत क। और इस से आगे हन(याह ने, जो ग'(धयHके समाज का या, मरSमत क; और उ(हHने चौड़: शहरपनाह तक यRशलेम को lढ़ कया। 9 और उन से आगे हूर के पुऽ रपायाह ने, जो यRशलेम के आधे 'जले का हाकम या, मरSमत क। 10 और उन से आगे हdमप के पुऽ यदायाह ने अपके ह: घर के साSहने मरSमत क; और इस से आगे हशcनयाह के पुऽ हूश ने मरSमत क। 11 हार:म के पुऽ म'`कयाह और पहोआब के पुऽ हँशूब ने एक और भाग क, और भ=टHके गुSमट क मरSमत क। 12 इस से आगे यRशलेम के आधे 'जले के हाकम ह`लोहे श के पुऽ श`लूम ने अप क बेटयHसमेत मरSमत क। 13 तराई के फाटक क मरSमत हानून और जानोह के िनवािसयHने क; उ(हHने उसको बनाया, और उसके ताले, ब ड़े और प`ले लगाए, और हजार हाथ क शहरपनाह को भी अयाOत ् कूड़ाफाटक तक बनाया। 14 और कूड़ाफाटक क मरSमत रे काब के पुऽ म'`कयाह ने क, जो बेय केरे म के 'जले का हाकम या; उसी ने उसको बनाया, और उसके ताले, ब ड़े और प`ले लगाए। 15 और

सोताफाटक क मरSमत को`होजे के पुऽ श`लूम ने क, जो िमःपा के 'जले का हाकम या; उसी ने उसको बनाया और पाटा, और उसके ताले, ब ड़े और प`ले लगाए; और उसी ने राजा क बार: के पास के शेलह नाम कुणड क शहरपनाह को भी दाऊदपुर से उतरनेवाली सीढ़: तक बनाया। 16 उसके बाद अज अजबूक के पुऽ नहे मायाह ने जो बेतसूर के आधे 'जले का हाकम या, दाऊद के कॄःतान के साSहने तक और बनाए हुए पोखरे तक, वरन वीरHके घर तक भी मरSमत क। 17 इसके बाद बानी के पुऽ रहूम ने कतने लेवयHसमेत मरSमत क। इस से आगे कला के आधे 'जले के हाकम हशcयाह ने अपके 'जले क ओर से मरSमत क। 18 उसके बाद उनके भाइयHसमेत कला के आधे 'जले के हाकम हे नादाद के पुऽ बeवै ने मरSमत क। 19 उस से आगे एक और भाग क मरSमत जो शहरपनाह के मोड़ के पास श\ के घर क चढ़ाई के साSहने है , थेशु के पुऽ एज़ेर ने क, जो िमःपा का हाकम या। 20 फर एक और भाग क अयाOत ् उसी मोड़ से ले ए`याशीब महाथाजक के घर के kार तक क मरSमत जcबै के पुऽ बाRक ने तन मन से क। 21 इसके बाद एक और भाग क अयाOत ् ए`याशीब के घर के kार से ले उसी घर के िस के तक क मरSमत, मरे मोत ने क, जो ह कोस का पोता और ऊgरयाह का पुऽ या। 22 उसके बाद उन याजकHने मरSमत क जो तराई के मनुंय थे। 23 उनके बाद ब(यामीन और हँशूब ने अपके घर के साSहने मरSमत क; और इनके पीछे अजयाOह ने जो मासेयाह का पुऽ और अन(याह का पोता या अपके घर के पास मरSमत क। 24 तब एक और भाग क, अयाOत ् अजयाOह के घर से लेकर शहरपनाह के मोड़ तक वरन उसके कोने तक क मरSमत हे नादाद के पुऽ ब(नूई ने क। 25 फर उसी मोड़ के साSहने जो ऊंचा

गुSमट राजभवन से बाहर िनकला हुआ ब(द:गृह के आंगन के पास है , उसके साSहने ऊजै के पुऽ पालाल ने मरSमत क। इसके बाद परोश के पुऽ पदायाह ने मरSमत क। 26 नतीन लोग तो ओपे ल म पूरब क ओर जलफाटक के साSहने तक और बाहर िनकले हुए गुSमट तक रहते थे। 27 पदायाह के बाद तकोइयHने एक और भाग क मरSमत क, जो बाहर ितकले हुए बड़े गुSमट के साSहने और ओबेल क शहरपनाह तक है । 28 फर घोड़ाफाटक के ऊपर याजकHने अपके अपके घर के साSहने मरSमत क। 29 इनके बाद इSमेर के पुऽ सादोक ने अपके घर के साSहने मरSमत क; और तब पूरवी फाटक के रखवाले शक(याह के पुऽ समयाह ने मरSमत क। 30 इसके बाद शेलेSयाह के पुऽ हन(याह और सालाप के छठव पुऽ हानून ने एक और भाग क मरSमत क। तब बेरे याह के पुऽ मशु`लाम ने अप क कोठर: के साSहने मरSमत क। 31 उसके बाद म'`कयाह ने जो सुनार या नितनHऔर eयापाgरयHके ःयान तक ठहराए हुए ःयान के फाटक के साSहने और कोने के कोठे तक मरSमत क। 32 और कोनेवाले कोठे से लेकर भेड़फाटक तक सुनारHऔर eयापाgरयHने मरSमत क। नहे मायाह 4 1 जब सSब`लत ने सुना क यहूद: लोग शहरपनाह को बना रहे हE , तब उस ने बुरा माना, और बहुत gरिसयाकर यहूदयHको ठ=ठHम उड़ाने लगा। 2 वह अपके भाइयHके और शोमरोन क सेना के साSहने यHकहने लगा, वे िनबOल यहूद: या कया चाहते हE ? या वे वह काम अपके बल से कर गे? या वे अपना ःयान lढ़ कर गे? या वे यW कर गे? या वे आज ह: सब काम िनपटा डाल गे? या वे

िम=ट:के ढे रHम के जले हुए पेHको फर नथे िस के से बनाएंगे? 3 उसके पास तो अSमोनी तोबयाह या, और वह कहने लगा, जो कुछ वे बना रहे हE , यद कोई गीदड़ भी उस पर चढ़े , तो वह उनक बनाई हुई पयर क शहरपनाह को तोड़ दे गा। 4 हे हमारे परमे र सुन ले, क हमारा अपमान हो रहा है ; और उनका कया हुआ अपमान उ(ह:ं के िसर पर लौटा दे , और उ(ह ब(धुआई के दे श म लुटवा दे । 5 और उनका अधमO तू न ढांप, और न उनका पाप तेरे सSमुख से िमटाया जाए; यHक उ(हHने तुझे शहरपनाह बनानेवालHके साSहने बोध दलाया है । 6 और हम लोगHने शहरपनाह को बनाया; और सार: शहरपनाह आधी ऊंचाई तक जुड़ गई। यHक लोगHका मन उस काम म िनत लगा रहा। 7 जब सSब`लत और तोबयाह और अरबयH, अSमोिनयHऔर अशदोदयHने सुना, क यRशलेम क शहरपनाह क मरSमत होती जाती है , और उस म के नाके ब(द होने लगे हE , तब उ(हHने बहुत ह: बुरा माना; 8 और सभHने एक मन से गोvी क, क जाकर यRशलेम से लड़ , और उस म गड़बड़: डाल । 9 पर(तु हम लोगHने अपके परमे र से ूायOना क, और उनके डर के मारे उनके वda दन रात के पहdए ठहरा दए। 10 और यहूद: कहने लगे, ढोनेवालHका बल घट गया, और िम=ट: बहुत प क है , इसिलथे शहरपनाह हम से नह:ं बन सकती। 11 और हमारे शऽु कहने लगे, क जब तक हम उनके बीच म न महंु चे, और उ(ह घात करके वह काम ब(द न कर , तब तक उनको न कुछ मालूम होगा, और न कुछ दखाई पकेगा। 12 फर जो यहूद: उनके आस पास रहते थे, उ(हHने सब ःयानHसे दस बार आ आकर, हम लोगHसे कहा, तुम को हमारे पास लौट आना चाहथे। 13 इस कारण मE ने लोगHको तलवार , बिछया{ और धनुष दे कर शहरपनाह के पीछे सब से नीचे के खुले

ःयानHम घराने घराने के अनुसार बैठा दया। 14 तब मE दे खकर उठा, और रईसHऔर हाकमHऔर और सब लोगHसे कहा, उन से मत डरो; ूभु जो महान और भययोbय है , उसी को ःमरण करके, अपके भाइयH, बे टH, बेटयH, '\यHऔर घरHके िलथे युa करना। 15 जब हमारे शऽुओं ने सुना, क यह बात हम को मालूम हो गई है और परमे र ने उनक युf िनंफल क है , तब हम सब के सब शहरपनाह के पास अपके अपके काम पर लौट गए। 16 और उस दन से मेरे आधे सेवक तो उस काम मे लगे रहे और आधे बिछयJ, तलवारH, धनुषHऔर फलमHको धारण कए रहते थे; और यहूदा के सारे धराने के पीछे हाकम रहा करते थे। 17 शहरपनाह के बनानेवाले और बोफ के ढोनेवाले दोनHभार उठाते थे, अयOत ् एक हाथ से काम करते थे और दस ू रे हाथ से हिययार पकड़े रहते थे। 18 और राज अप क अप क जांघ पर तलवार लटकाए हुए बनाते थे। और नरिसंगे का फूंकनेवाला मेरे पास रहता या। 19 इसिलथे मE ने रईसH, हाकमHऔर सब लोगHसे कहा, काम तो बड़ा और फैला हुआ है , और हम लोग शहरपनाह पर अलग अलग एक दस ू रे से दरू रहते हE । 20 इसिलथे 'जधर से नरिसंगा तुSह

सुनाई दे , उधर ह: हमारे पास इक=ठे हो जाना। हमारा परमे र हमार: ओर से लड़े गा। 21 यHहम काम म लगे रहे , और उन म आधे, पौ फटने से तारHके िनकलने तक बिछया{ िलथे रहते थे। 22 फर उसी समय मE ने लोगHसे यह भी कहा, क एक एक मनुंय अपके दास समेत यRशलेम के भीतर रात बताया करे , क वे रात को तो हमार: रखवाली कर , और दन को काम म लगे रह । 23 और न तो मE अपके कपके उतारता या, और न मेरे भाई, न मेरे सेवक, न वे पहdए जो मेरे अनुचर थे, अपके कपके उतारते थे; सब कोई पानी के पास हिययार िलथे हुए

जागते थे। नहे मायाह 5 1 तब लोग और उनक '\यHक ओर से उनके भाई यहूदयHके कda बड़: िच`लाहट मची। 2 कतने तो कहते थे, हम अपके बेटे-बेटयHसमेत बहुत ूाणी हE , इसिलथे हम अ(न िमलना चाहथे क उसे खाकर जीवत रह । 3 और कतने कहते थे, क हम अपके अपके खेतH, दाख क बाgरयHऔर घरHको महं गी के कारण ब(धक रखते हE , क हम अ(न िमले। 4 फर कतने यह कहते थे, क हम ने राजा के कर के िलथे अपके अपके खे तHऔर दाख क बाgरयHपर dपया उधार िलया। 5 पर(तु हमारा और हमारे भाइयHका शर:र और हमारे और उनके लड़केबाले एक ह: समान हE , तौभी हम अपके बे टे-बे टयHको दास बनाते हE ; वरन हमार: कोई कोई बे ट: दासी भी हो चुक हE ; और हमारा कुछ बस नह:ं जलता, यHक हमारे खेत और दाख क बाgरयां औरHके हाथ प क हE । 6 यह िच`लाहट ओर थे बात सुनकर मE बहुत बोिधत हुआ। 7 तब अपके मन म सोच वचार करके मE ने रईसHऔर हाकमHको घुड़ककर कहा, तुम अपके अपके भाई से cयाज लेते हो। तब मE ने उनके वda एक बड़: सभा क। 8 और मE ने उन से कहा, हम लोगHने तो अप क शf भर अपके यहूद: भाइयHको जो अ(यजाितयHके हाथ बक गए थे, दाम दे कर छुड़ाया है , फर या तुम अपके भाइयHको बेचोगे? या वे हमारे हाथ बक गे? तब वे चुप रहे और कुछ न कह सके। 9 फर मE कहता गया, जो काम तुम करते हो वह अ.छा नह:ं है ; या तुम को इस कारण हमारे परमे र का भय मानकर चलना न चाहथे क हमारे शऽु जो अ(यजाित हE , वे हमार:

नामधराई न कर ? 10 मE भी और मेरे भाई और सेवक उनको dपया और अनाज उधार दे ते हE , पर(तु हम इसका cयाज छोड़ द । 11 आज ह: अनको उनके खे त, और दाख, और जलपाई क बाgरयां, और घर फेर दो; और जो dपया, अ(न, नया दाखमधु, और टटका तेल तुम उन से ले लेते हो, उसका सौवां भाग फेर दो? 12 अ(हHने कहा, हम उ(ह फेर द गे, और उन से कुछ न ल गे; जैसा तू कहता है , वैसा ह: हम कर गे। तब मE ने याजकHको बुलाकर उन लोगHको यह शपय 'खलाई, क वे इसी वचन के अनुसार कर गे। 13 फर मE ने अपके कपके क छोर फाड़कर कहा, इसी र:ित से जो कोई इस वचन को पूरा न करे , उसको परमे र फाड़कर, उसका घर और कमाई उस से छुड़ाए, और इसी र:ित से वह फाड़ा जाए, और छूछा हो जाए। तब सार: सभा ने कहा, आमेन ! और यहोवा क ःतुित क। और लोगHने इस वचन के अनुसार काम कया। 14 फर जब से मE यहूदा दे श म उनका अिधपित ठहराया गया, अयाOत ् राजा अतOझऽ के बीसव वषO से ले उसके बीसव

वषO तक, अयाOत ् बारह वषO तक मE और मेरे भाई अिधपित के हक का भोजन खाते रहे । 15 पर(तु पहले अिधपित जो मुझ से आगे थे, वह ूजा पर भार डालते थे, और उन से रोट:, और दाखमधु, और इस से अिधक चालीस शेकेल चा(द: लेते थे, वरन उनके सेवक भी ूजा के ऊपर अिध कारने जताते थे; पर(तु मE ऐसा नह:ं करता या, यHक मE यहोवा का भय मानता या। 16 फर मE शहरपनाह के काम म िलपटा रहा, और हम लोगHने कुछ भूिम मोल न ली; और मेरे सब सेवक काम करने के िलथे वहां इक=ठे रहते थे। 17 फर मेर: मेज पर खानेवाले एक सौ पचास यहूद: और हाकम और वे भी थे, जो चारHओर क अ(यजाितयHम से हमारे पास आए थे। 18 और जो ूितदन के िलथे तैयार कया जाता या वह एक

बैल, छ: अ.छq अ.छq भेड़ व बकgरयां यीं, और मेरे िलथे िचडय़ भी तैयार क जाती यीं; दस दस दन के बाद भांित भांित का बहुत दाखमधु भी तैयार कया जाता या; पर(तु तौभी मE ने अिधपित के हक का भोज नह:ं िलया, 19 यHक काम का भार ूजा पर भार: या। हे मेरे परमे र ! जो कुछ मE ने इस ूजा के िलथे कया है , उसे तू मेरे हत के िलथे ःमरण रख। नहे मायाह 6 1 जब सSब`लत, तोबयाह और अरबी गेशेम और हमारे और शऽुओं को यह समाचार िमला, क मE शहरपनाह को बनवा चुका; और यrप उस समय तक भी मE फाटकHम प`ले न लगा चुका या, तौभी शहरपनाह म कोई दरार न रह गया या। 2 तब सSब`लत और गेशेम ने मेरे पास यHकहला भेजा, क आ, हम ओनो के मैदान के कसी गांव म एक दस ू रे से भ ट कर । पर(तु वे मेर: हािन करने क इ.छा करते थे। 3 पर(तु मE ने उनके पास दत ू Hसे कहला भेजा, क मE तो भार: काम म लगा हँू , वहां नह:ं जा सकता; मेरे इसे छोड़कर तुSहारे पास जाने से वह काम यHब(द रहे ? 4 फर उ(हHने चार बार मेरे पास वैसी ह: बात कहला भेजी, और मE ने उनको वैसा ह: उर दया। 5 तब पांच क बार सSब`लत ने अपके सेवक को खुली हुई िच=ठq दे कर मेरे पास भेजा, 6 'जस म यHिलखा या, क जाित जाित के लोगHम यह कहा जाता है , और गेशेम भी यह: बात कहता है , क तुSहार: और यहूदयHक मनसा बलवा करने क है , और इस कारण तू उस शहरपनाह को बनवाता है ; और तू इन बातHके अनुसार उनका राजा बनना चाहता है । 7 और तू ने यRशलेम म नबी ठहराए हE , जो यह कहकर तेरे वषय ूचार कर , क

यहूदयHम एक राजा है । अब ऐसा ह: समाचार राजा को दया जाएगा। इसिलथे अब आ, हम एक साय सSमित कर । 8 तब मE ने उसके पास कहला भेजा क जैसा तू कहता है , वैसा तो कुछ भी नह:ं हुआ, तू थे बात अपके मन से गढ़ता है । 9 वे सब लोग यह सोचकर हम डराना चाहते थे, क उनके हाथ ढ:ले पक , और काम ब(द हो जाए। पर(तु अब हे परमे र तू मुझे हयाव दे । 10 और मE शमायाह के घर म गया, जो दलायाह का पुऽ और महे तबेल का पोता या, वह तो ब(द घर म

या; उस ने कहा, आ, हम परमे र के भवन अयाOत ् म'(दर के भीतर आपस म

भ ट कर , और म'(दर के kार ब(द कर ; यHक वे लोग तुझे घात करने आएंगे, रात ह: को वे तुझे घात करने आएंगे। 11 पर(तु मE ने कहा, या मुझ ऐसा मनुंय भागे? और तुझ ऐसा कौन है जो अपना ूाण बचाने को म'(दर म घुसे? मE नह:ं जाने का। 12 फर मE ने जान िलया क वह परमे र का भेजा नह:ं है पर(तु उस ने हर बात ई र का वचन कहकर मेर: हािन के िलथे कह:, यHक तोबयाह और सSब`लत ने उसे dपया दे रखा या। 13 उ(हHने उसे इस कारण dपया दे रखा या क मE डर जाऊं, और वैसा ह: काम करके पापी ठहRं, और उनको अपवाद लगाने का अवसर िमले और वे मेर: नामधराई कर सक । 14 हे मेरे रपरमे र ! तोबयाह, सSब`लत, और नोअrाह, नबया और और िततने नबी मुझे डराना चाहते थे, उन सब के ऐसे ऐसे कामHक सुिध रख। 15 एलूल मह:ने के प कसव

दन को अयाOत ् बावन दन के भीतर शहरपनाह बन चुक। 16 जब हमारे सब शऽुओं ने यह सुना, तब हमारे चारHओर रहनेवाले सब अ(यजाित डर गए, और बहुत ल'Gजत हुए; यHक उ(हHने जान िलया क यह काम हमारे परमे र क ओर से हुआ। 17 उन दनHम भी यहूद: रईसHऔर तोबयाह के बीच िच=ठ बहुत

आया जाया करती यी। 18 यHक वह आरह के पुऽ शकSयाह का दामाद या, और उसके पुऽ यहोहानान ने बेरे याह के पुऽ मशु`लाम क बेट: क cयाह िलया या; इस कारण बहुत से यहूद: उसका पझ करने क शपय खाए हुए थे। 19 और वे मेरे सुनते उसके भले कामHक चचाO कया करते , और मेर: बात भी उसको सुनाया करते थे। और तोबयाह मुझे डराने के िलथे िच'=ठयां भेजा करता या। नहे मायाह 7 1 जब शहरपनाह बन गई, और मE ने उसके फाटक खड़े कए, और kारपाल, और गवैथे, और लेवीय लोग ठहराथे गए, 2 तब मE ने अपके भाई हनानी और राजगढ़ के हाकम हन(याह को यRशलेम का अिध कारनेी ठहराया, यHक यह स.चा पुdष और बहुतेरHसे अिधक परमे र का भय माननेवाला या। 3 और मE ने उन से कहा, जब तक घाम कड़ा न हो, तब तक यRशलेम के फाटक न खोले जाएं और जब पहdए पहरा दे ते रह , तब ह: फाटक ब(द कए जाएं और बेड़े लगाए जाएं। फर यRशलेम के िनवािसयHम से तू रखवाले ठहरा जो अपना अपना पहरा अपके अपके घर के साSहने दया कर । 4 नगर तो लSबा चौड़ा या, पर(तु उस म लोग योड़े थे, और घर नह:ं बने थे। 5 तब मेरे परमे र ने मेरे मन म यह उपजाया क रईसH, हाकमHऔर ूजा के लोगHको इसिलथे इक=ठे कRं, क वे अप क अप क वंशावली के अनुसार िगने जाएं। और मुझे पहले पहल यRशलेम को आए हुओं का वंशावलीपऽ िमला, और उस म मE ने यHिलख हुआ पाया: 6 'जनको बाबेल का राजा, नबूकदनेःसर ब(धुआ करके ले गया या, उन म से ूा(त के जो लोग ब(धुआई से छूटकर, यRशलेम और यहूदा के अपके अपके नगर को आए।

7 वे जdcबाबेल, थेश,ू नहे मायाह, अजयाOह, राSयाह, नहमानी, मोदO कै, बलशान, िमःपेरेत, वbवै, नहूम और बाना के संग आए। 8 इॐाएली ूजा के लोगHक िगनती यह है : अयाOत ् परोश क स(तान दो हजार एक सौ बहर, 9 सपयाह क स(तान तीन सौ बहर, आाह क स(तान छ: सौ बावन। 10 पहमोआब क स(तान याने थेशू और योआब क स(तान, 11 दो हजार आठ सौ अठारह। 12 एलाम क स(तान बारह सौ चौवन, 13 जू क स(तान आठ सौ पEतालीस। 14 जवकै क स(तान सात सौ साठ। 15 ब(नूई क स(तान छ:सौ अड़तालीस। 16 बे बै क स(तान छ:सौ अ=ठाईस। 17 अजगाद क स(तान दो हजार तीन सौ बाईस। 18 अदोनीकाम क स(तान छ:सौ सड़सठ। 19 बbबै क स(तान दो हजार सड़सठ। 20 आद:न क स(तान छ:सौ पचपन। 21 हचकयाह क स(तान आतेर के वंश म से अ=ठानवे । 22 हाशम क स(तान तीन सौ अ=ठाईस। 23 बैसै क स(तान तीन सौ चौबीस। 24 हार:प क स(तान एक सौ बारह। 25 िगबोन के लोग पचानवे। 26 बेतलेहेम और नतोपा के मनुंय एक सौ अ=ठासी। 27 अनातोत के मनुंय एक सौ अ=ठाईस। 28 बेतजमावत के मनुंय बयालीस। 29 कयOयार:म, कपीर, और बेरोत के मनुंय सात सौ तEतालीस। 30 रामा और गेबा के मनुंय छ:सौ इ कस। 31 िमकपास के मनुंय एक सौ बाईस। 32 बेतेल और ऐ के मनुंय एक सौ ते ईस। 33 दस ू रे नबो के मनुंय बावन। 34 दस ू रे एलाम क स(तान बारह सौ चौवन। 35 हार:म क स(तान तीन सौ बीस। 36 यर:हो के लोग तीन सौ पEतालीस। 37 लोद हाद:द और ओनHके लोग सात सौ इ कस। 38 सना के लोग तीन हजार नौ सौ तीस। 39 फर याजक अयाOत ् थेशू के घराने म से यदायाह क स(तान नौ सौ ितहर। 40 इSमेर क स(तान एक

हजार बावन। 41 पशहूर क स(तान बारह सौ सEतालीस। 42 हार:म क स(तान एक हजार सऽह। 43 फर लेवीय थे थे: अयाOत ् होदवा के दं श म से कदमीएल क स(तान थेशू क स(तान चौहर। 44 फर गवैथे थे थे: अयाOत ् आसाप क स(तान एक सौ अड़तालीस। 45 फर kारपाल थे थे: अयाOत ् श`लूम क स(तान, आतेर क स(तान, त`मोन क स(तान, अ कूब क स(तान, हतीता क स(तान, और शोबै क स(तान, जो सब िमलकर एक सौ अड़तीस हुए। 46 फर नतीन अयOत ् सीहा क स(तान, हसूपा क स(तान, तcबाओत क स(तान, 47 केरोस क स(तान, सीआ क स(तान, पादोन क स(तान, 48 लबाना क स(तान, हगावा क स(तान, श`मै क स(तान। 49 हानान क स(तान, िगXे ल क स(तान, गहर क स(तान, 50 राया क स(तान, रसीन क स(तान, नकोदा क स(तान, 51 गGजाम क स(तान, उGजा क स(तान, पासेह क स(तान, 52 बे सै क स(तान, मूनीम क स(तान, नमूशस क स(तान, 53 बकबूक क स(तान, हकूपा क स(तान, हहOू र क स(तान, 54 बसलीत क स(तान, मह:दा क स(तान, हशाO क स(तान, 55 बकॉस क स(तान, सीसरा क स(तान, तेमेह क स(तान, 56 नसीह क स(तान, और हतीपा क स(तान। 57 फर सुलम ै ान के दासHक स(तान, अयाOत ् सोतै क स(तान, सोपे रेत क स(तान, प कदा क स(तान, 58 याला क स(तान, दकॉन क स(तान, िगXे ल क स(तान, 59 शपयाह क स(तान, हील क स(तान, पोकेरे त सवायीम क स(तान, और आमोन क स(तान। 60 नतीन और सुलम ै ान के दासHक स(तान िमलकर तीन सौ बानवे थे। 61 और थे वे हE , जो तेलमेलह, तेलहशाO, कRब, अXोन, और इSमेर से यRशलेम को गए, पर(तु अपके अपके पतरHके घराने और वंशावली न बता

सके, क इॐाएल के हE , वा नह:ं : 62 अयाOत ् दलायाह क स(तान, तोबयाह क स(तान, और दकोदा क स(तान, जो सब िमलकर छ: सौ बयालीस थे। 63 और याजकHम से होबायाह क स(तान, ह कोस क स(तान, और ब'ज`ल‹ क स(तान, 'जस ने िगलाद: ब'ज`ल‹ क बेटयHम से एक को cयाह िलया, और उ(ह:ं का नाम रख िलया या। 64 इ(हHने अपना अपना वंशावलीपऽ और और वंशावलीपऽHम दं ढ़ ू ा, पर(तु न पाया, इसिलथे वे अशुa ठहरकर याजकपद से िनकालेगए। 65 और अिधपित ने उन से कहा, क जब तक ऊर:म और तुSमीम धारण करनेवाला कोई याजक न उठे , तब तक तुम कोई परमपवऽ वःतु खाने न पाओगे । 66 पूर: मणडली के लोग िमलकर बयालीस हजार तीन सौ साठ ठहरे । 67 इनको छोड़ उनके सात हजार तीन सौ सEतीस दास-दािसयां, और दो सौ पEतालीस गानेवाले और गानेवािलयां यीं। 68 उनके घोड़े सात सौ छीस, ‡.चर दो सौ पEतालीस, 69 ऊंट चार सौ पEतीस और गदहे छ: हजार सात सौ बीस थे। 70 और पतरHके घरानHके कई एक मु‡य पुdषHने काम के िलथे दया। अिधपित ने तो च(दे म हजार दकOमोन सोना, पचास कटोरे और पांच सौ तीस याजकHके अंगरखे दए। 71 और पतरHके घरानHके कई मु‡य मु‡य पुdषHने उस काम के च(दे म बीस हजार दकOमोन सोना और दो हजार दो सौ माने चा(द: द:। 72 और शेष ूजा ने जो दया, वह बीस हजार दकOमोन सोना, दो हजार माने चा(द: और सड़सठ याजकHके अंगरखे हुए। 73 इस ूकार याजक, लेवीय, kारपाल, गवैथे, ूजा के कुछ लोग और नतीन और सब इॐाएली अपके अपके नगर म बस गए। नहे मायाह 8

1 जब सातवां मह:ना िनकट आया, उस समय सब इॐाएली अपके अपके नगर म थे। तब उन सब लोगHने एक मन होकर, जलफाटक के साSहने के चौक म

इक=ठे होकर, बळा शा\ी से कहा, क मूसा क जो eयवःया यहोवा ने इॐाएल को द: यी, उसक पुःतक ले आ। 2 तब एळा याजक सातव मह:ने के पहले दन को या \ी, या पुdष, 'जतने सुनकर समझ सकते थे, उन सभHके साSहने eयवःया को ले आया। 3 और वह उसक बात भोर से दो पहर तक उस चौक के साSहने जो जलफाटक के साSहने या, या \ी, या पुdष और सब समझने वालHको पढ़कर सुनाता रहा; और लोग eयवःया क पुःतक पर कान लगाए रहे । 4 एळा शा\ी, काठ के एक मचान पर जो इसी काम के िलथे बना या, ‡ड़ा हो गयां; और उसक दाहनी अलंग मयाह, शेमा, अनायाह, ऊgरयाह, ह'`कयाह और मासेयाह; और बाई अलंग, पदायाह, मीशाएल, म'`कयाह, हाशूम, हँबXाना,जकयाOह और मशु`लाम खड़े हुए। 5 तब एळा ने जो सब लोगHसे ऊंचे पर या, सभHके दे खते उस पुःतक को खोल दया; और जब उस ने उसको खोला, तब सब लोग उठ खाड़े हुए। 6 तब एळा ने महान परमे र यहोवा को ध(य कहा; और सब लोगHने अपके अपके हाथ उठाकर आमेन, आमेन, कहा; और िसर फुकाकर अपना अपना माया भूिम पर टे क कर यहोवा को दणडवत कया। 7 और थेश,ू बानी, शेरेcयाह, यामीन, अ कूब, शcबतै, होदयाह, मासेयाह, कलीता, अजयाOह, योजाबाद, हानान और पलायाह नाम लेवीय, लोगHको eयवःया समझाते गए, और लोग अपके अपके ःयान पर खड़े रहे । 8 और उ(हHने परमे र क eयवःया क पुःतक से पढ़कर अयO समझा दया; और लोगHने पाठ को समझ िलया। 9 तब नहे मायाह जो अिधपित या, और एळा जो

याजक और शा\ी या, और जो लेवीय लोगHको समझा रहे थे, उ(हHने सब लोगHसे कहा, आज का दन तुSहारे परमे र यहोवा के िलथे पवऽ है ; इसिलथे वलाप न करो और न रोओ। यHक सब लोग eयवःया के वचन सुनकर रोते रहे । 10 फर उस ने उन से कहा, क जाकर िचकना िचकना भोजन करो और मीठा मीठा रस पयो, और 'जनके िलथे कुछ तैयार नह:ं हुआ उनके पास बैना भेजो; यHक आज का दन हमारे ूभु के िलथे पवऽ है ; और उदास मत रहो, यHक यहोवा का आन(द तुSहारा lढ़ गढ़ है । 11 यHलेवयHने सब लोगHको यह कहकर चुप करा दया, क चुप रहो यHक आज का दन पवऽ है ; और उदास मत रहो। 12 तब सब लोग खाने, पीने, बैना भेजने और बड़ा आन(द मनाने को चले गए, यHक जो वचन उनको समझाए गए थे, उ(ह वे समझ गए थे। 13 और दस ू रे दन को भी समःत ूजा के पतरHके घराने के मु‡य मु‡य पुdष और याजक और लेवीय लोग, एळा शा\ी के पास eयवःया के वचन ~यान से सुनने के िलथे इक=टे हुए। 14 और उ(ह eयवःया म यह िलखा हुआ िमला, क यहोवा ने मूसा से यह आWा दलाई यी, क इॐाएली सातव मह:ने के पवO के समय फोपडय़Hम रहा कर , 15 और अपके सब नगरHऔर यRशलेम म यह सुनाया और ूचार कया जाए, क पहाड़ पर जाकर जलपाई, तैलवृझ, म हद:, खजूर और घने घने वृझHक डािलयां ले आकर फोपडय़ां बनाओ, जैसे क िलखा है । 16 सो सब लोग बाहर जाकर डािलयां ले आए, और अपके अपके घर क छत पर, और अपके आंगनHम , और परमे र के भवन के आंगनHम , और जलफाटक के चौक म , और एूैम के फाटक के चौक म , फHपडय़ां बना लीं। 17 वरन सब मणडली के लोग 'जतने ब(धुआई से छूटकर लौट आए थे, फHपडय़ां बना कर उन म टके। नून के

पुऽ यहोशू के दनHसे लेकर उस दन तक इॐाएिलयHने ऐसा नह:ं कया या। और उस समय बहुत बड़ा आन(द हुआ। 18 फर प कले दन से पछले दन तक एळा ने ूितदन परमे र क eयवःया क पुःतक म से पढ़ पढ़कर सुनाया। यHवे सात दन तक पवO को मानते रहे , और साठव दन िनयम के अनुसार महासभा हुई। नहे मायाह 9 1 फर उसी मह:ने के चौबीसव दन को इॐाएली उपवास का टाट पहने और िसर पर धूल डाले हुए, इक=ठे हो गए। 2 तब इॐाएल के वंश के लोग सब अ(यजाित लोगHसे अलग हो गए, और खड़े होकर, अपके अपके पापHऔर अपके पुरखाओं के अधमO के कामHको मान िलया। 3 तब उ(हHने अपके अपके ःयान पर खड़े होकर दन के एक पहर तक अपके परमे र यहोवा क eयवःया क पुःतक पढ़ते, और एक और पहर अपके पापHको मानते, और अपके परमे र यहोवा को दणडवत करते रहे । 4 और थेश,ू बानी, कदमीएल, शब(याह, बु(नी, शेरेcयाह, बानी और कनानी ने लेवयHक सीढ़: पर खड़े होकर ऊंचे ःवर से अपके परमे र यहोवा क दोहाई द:। 5 फर थेश,ू कदमीएल, बानी, हशcनयाह, शेरेcयाह, होदयाह, शब(याह, और पत—ाह नाम लेवयHने कहा, खड़े हो; अपके परमे र यहोवा को अनादकाल से अन(तकाल तक ध(य कहो। ते रा महमायुf नाम ध(य कहा जाए, जो सब ध(यवाद और ःतुित से पके है । 6 तू ह: अकेला यहोवा है ; ःवगO वरन सब से ऊंचे ःवगO और उसके सब गण, और पृवी और जो कुछ उस म है , और समुि और जो कुछ उस म है , सभHको तू ह: ने बनाया, और सभHक रझा तू

ह: करता है ; और ःवगO क समःत सेना तुझी को दणडवत करती हE । 7 हे यहोवा ! तू वह: परमे र है , जो अॄाहाम को चुनकर कसदयHके ऊर नगर म से िनकाल लाया, और उसका नाम इॄाह:म रखा; 8 और उसके मन को अपके साय स.चा पाकर, उस से वाचा बा(धी, क मE तेरे वंश को कनािनयH, हयH, एमोgरयH, पgर'GजयH, यबूिसयH, और िगगाOिशयHका दे श दं ग ू ा; और तू ने अपना वह वचन पूरा भी कया, यHक तू धमीं है । 9 फर तू ने िमॐ म हमारे पुरखाओं के द:ु ख पर l क; और लाल समुि के तट पर उनक दोहाई सुनी। 10 और फ़रौन और उसके सब कमOचार: वरन उसके दे श के सब लोगHको दणड दे ने के िलथे िच(ह और चमकार दखाए; यHक तू जानता या क वे उन से अिभमान करते हE ; और तू ने अपना ऐसा बड़ा नाम कया, जैसा आज तक वतOमान है । 11 और तू ने उनके आगे समुि को ऐसा दो भाग कया, क वे समुि के बीच ःयल ह: ःयल चलकर पार हो गए; और जो उनके पीछे पके थे, उनको तू ने गहरे ःयानHम ऐसा डाल दया, जैसा पे महाजलरािश म डाला जाए। 12 फर तू ने दन को बादल के खSभे म होकर और रात को आग के खSभे म होकर उनक अगुआई क, क 'जस मागO पर उ(ह चलना या, उस म उनको उ'जयाला िमले। 13 फर तू ने सीनै पवOत पर उतरकर आकाश म से उनके साय बात क, और उनको सीधे िनयम, स.ची eयवःया, और अ.छq विधयां, और आWाएं द:ं। 14 और उ(ह अपके पवऽ वौम दन का Wान दया, और अपके दास मूसा के kारा आWाएं और विधयां और eयवःया द:ं। 15 और उनक भूख िमटाने को आकाश से उ(ह

भोजन दया और उनक €यास बुफाने को च=टान म से उनके िलथे पानी िनकाला, और उ(ह आWा द: क 'जस दे श को तुSह दे ने क मE ने शपय खाई है

उसके अिध कारनेी होने को तुम उस म जाओ। 16 पर(तु उ(हHने और हमारे पुरखाओं ने अिभमान कया, और हठqले बने और तेर: आWाएं न मानी; 17 और आWा मनने से इनकार कया, और जो आ_यOकमO तू ने उनके बीच कए थे, उनका ःमरण न कया, वरन हठ करके यहां तक बलवा करनेवाले बने, क एक ूधान ठहराया, क अपके दासव क दशा म लौटे । पर(तु तू झमा करनेवाला अनुमहकार: और दयालु, वलSब से कोप करनेवाला, और अितकdणामय ई र है , तू ने उनको न यागा। 18 वरन जब द(हHने बछड़ा ढालकर कहा, क तुSहारा परमे र जो तुSह िमॐ दे श से छुड़ा लाया है , वह यह: है , और तेरा बहुत ितरःकार कया, 19 तब भी तू जो अित दयालु है , उनको जंगल म न यागा; न तो दन को अगुआई करनेवाला बादल का खSभा उन पर से हटा, और न रात को उ'जयाला दे नेवाला और उनका मागO दखानेवाला आग का खSभा। 20 वरन तू ने उ(ह समझाने के िलथे अपके आमा को जो भला है दया, और अपना मा(ना उ(ह 'खलाना न छोड़ा, और उनक €यास बुफाने को पानी दे ता रहा। 21 चालीस वषO तक तू जंगल म उनका ऐसा पालन पोषण करता रहा, क उनको कुछ घट: न हुई; न तो उनके व\ पुराने हुए और न उनके पांव म सूजन हुई। 22 फर तू ने राGय राGय और दे श दे श के लोगHको उनके वश म कर दया, और दशा दशा म

उनको बांट दया; यHवे हे शबोन के राजा सीहोन और बाशान के राजा ओग दोनHके दे शHके अिध कारनेी हो गए। 23 फर तू ने उनक स(तान को आकाश के तारHके समान बढ़ाकर उ(ह उस दे श म पहंु चा दया, 'जसके वषय तू ने उनके पूवOजHसे कहा या; क वे उस म जाकर उसके अिध कारनेी हो जाएंगे। 24 सो यह स(तान जाकर उसक अिध कारने'◌न हो गई, और तू ने उनके kारा दे श के िनवासी

कनािनयHको दबाया, और राजाओं और दे श के लोगHसमेत उनको, उनके हाथ म

कर दया, क वे उन से जो चाह सो कर । 25 और उ(हHने गढ़वाले नगर और उपजाऊ भूिम ले ली, और सब भांित क अ.छq वःतुओं से भरे हुए घरHके, और खुदे हुए हौदHके, और दाख और जलपाई बाgरयHके, और खाने के फलवाले बहुत से वृझHके अिध कारनेी हो गए; वे उसे खा खाकर तृT हुए, और ॑ृ-पु हो गए, और ते र: बड़: भलाई के कारण सुख भोगते रहे । 26 पर(तु वे तुझ से फरकर बलवा करनेवाले बन गए और तेर: eयवःया को याग दया, और तेरे जो नबी तेर: ओर उ(ह फेरने के िलथे उनको िचताते रहे उनको उ(हHने घात कया, और तेरा बहुत ितरःकार कया। 27 इस कारण तू ने उनको उनके शऽुओं के हाथ म

कर दया, और उ(हHने उनको संकट म डाल दया; तौभी जब जब वे संकट म

पड़कर तेर: दोहाई दे ते रहे तब तब तू ःवगO से उनक सुनता रहा; और तू जो अितदयालु है , इसिलथे उनके छुड़ानेवाले को भेजता रहा जो उनको शऽुओं के हाथ से छुड़ाते थे। 28 पर(तु जब जब उनको चैन िमला, तब तब वे फर तेरे साSहने बुराई करते थे, इस कारण तू उनको शऽुओं के हाथ म कर दे ता या, और वे उन पर ूभुता करते थे; तौभी जब वे फरकर तेर: दोहाई दे ते, तब तू ःवगO से उनक सुनता और तू जो दयालु है , इसिलथे बार बार उनको छुड़ाता, 29 और उनको 'जताता या क उनको फर अप क eयवःया के अधीन कर दे । पर(तु वे अिभमान करते रहे और तेर: आWाएं नह:ं मानते थे, और ते रे िनयम, 'जनको यद मनुंय माने, तो उनके कारण जीवत रहे , उनके वda पाप करते, और हठ करके अपना क(धा हटाते और न सुनते थे। 30 तू तो बहुत वषO तक उनक सहता रहा, और अपके आमा से नबयHके kारा उ(ह िचताता रहा, पर(तु वे कान नह:ं

लगाते थे, इसिलथे तू ने उ(ह दे श दे श के लोगHके हाथ म कर दया। 31 तौभी तू ने जो अितदयालु है , उनका अ(त नह:ं कर डाला और न उनको याग दया, यHक तू अनुमहकार: और दयालु ई र है । 32 अब तो हे हमारे परमे र ! हे महान पराबमी और भययोbय ई र ! जो अप क वाचा पालता और कdणा करता रहा है , जो बड़ा क, अँशूर के राजाओं के दनHसे ले आज के दन तक हम

और हमारे राजाओं, हाकमH, याजकH, नबयH, पुरखाओं, वरन तेर: समःत ूजा को भोगना पड़ा है , वह तेर: l म योड़ा न ठहरे । 33 तौभी जो कुछ हम पर बीता है उसके वंय तू तो धमीं है ; तू ने तो स.चाई से काम कया है , पर(तु हम ने द ु ता क है । 34 और हमारे राजाओं और हाकमH, याजकHऔर पुरखाओं ने, न तो तेर: eयवःया को माना है और न तेर: आWाओं और िचतौिनयHक ओर ~यान दया है 'जन से तू ने उनको िचताया या। 35 उ(हHने अपके राGय म , और उस बड़े क`याण के समय जो तू ने उ(ह दया या, और इस लSबे चौड़े और उपजाऊ दे श म ◌ं तेर: सेवा नह:ं क; और न अपके बुरे कामHसे प_ाताप कया। 36 दे ख, हम आज कल दास हE ; जो दे श तू ने हमारे पतरHको दया या क उसक उम उपज खाएं, इसी म हम दास हE । 37 इसक उपज से उन राजाओं को 'ज(ह तू ने हमारे पापHके कारण हमारे ऊपर ठहराया है , बहुत धन िमलता है ; और वे हमारे शर:रHऔर हमारे पशुओं पर अप क अप क इ.छा के अनुसार ूभुता जताते हE , इसिलथे हम बड़े संकट म पके हE । 38 इस सब के कारण, हम स.चई के साय वाचा बा(धते, और िलख भी दे ते हE , और हमारे हाकम, लेवीय और याजक उस पर छाप लगाते हE । नहे मायाह 10

1 'ज(हHने छाप लगाई वे थे हE , अयाOत ् हक`याह का पुऽ नहे मायाह जो अिधपित या, और िसदकयाह; 2 मरायाह, अजयाOह, ियमOयाह; 3 पशहूर, अमयाOह, म'`कयाह; 4 हतूश, शब(याह, म`लूक; 5 हार:म, मरे योत, ओबrाह; 6 दािनथेल, िग(नतोन, बाRक; 7 मशु`लाम, अबयाह, िमयामीन; 8 माGयाह, बलगै और शमायाह; थे ह: तो याजक थे। 9 और लेवी थे थे : आज(याह का पुऽ थेश,ू हे नादाद क स(तान म से ब(नई और कदमीएल; 10 और उनके भाई शब(याह, होदयाह, कलीता, पलायाह, हानान; 11 मीका, रहोब, हशcयाह; 12 ज कूर, शेरेcयाह, शब(याह। 13 होदयाह, बानी और बनीन; 14 फर ूजा के ूधान थे थे : परोश, पहमोआब, एलाम, जू, बानी; 15 बुनी, अजगाद, बेब;ै 16 अदोिनयाह, बbवै, आद:न; 17 आते र, हजकयाह, मGजूर; 18 होदयाह, हाशूम, बेस;ै 19 हार:फ, अनातोत, नोबै; 20 मbपीआश, मशु`लाम, हे जीर; 21 मशेजबेल, सादोक, यX;ू 22 पलयाह, हानान, अनायाह; 23 होशे, हन(याह, हँशूब; 24 ह`लोहे श, प`हा, शोबेक; 25 रहूम, हशcना, माशेयाह; 26 अहयाह, हानान, आनान; 27 म`लूक, हार:म और बाना। 28 शेष लोग अयाOत ् याजक, लेवीय, kारपाल, गवैथे और नतीन लोग, िनदान 'जतने परमे र क eयवःया मानने के िलथे दे श दे श के लोगHसे अलग हुए थे, उन सभ ने अप क '\यHऔर उन बे ट -बे टयHसमेत जो समझनेवाले थे, 29 अपके भाई रईसHसे िमलकर शपय खाई, क हम परमे र क उस eयवःया पर चल गे जो उसके दास मूसा के kारा द: गई है , और अपके ूभु यहोवा क सब आWाएं, िनयम और विधयां मानने म

चौकसी कर गे। 30 और हम न तो अप क बे टयां इस दे श के लोगHको cयाह द गे, और न अपके बेटHके िलथे उनक बेटयां cयाह ल गे। 31 और जब इस दे श के

लोग वौमदन को अ(न वा और बकाऊ वःतुएं बेचने को ले आथ गे तब हम उन से न तो वौमदन को न कसी पवऽ दन को कुछ ल गे; और सातव वषO म

भूिम प क रहने द गे, और अपके अपके ॠण क वसूली छोड़ द गे। 32 फर हम लोगHने ऐसा िनयम बा(ध िलया 'जस से हम को अपके परमे र के भवन क उपासना के िलथे एक एक ितहाई शेकेल दे ना पकेगा: 33 अयाOत ् भ ट क रोट: और िनय अ(नबिल और िनय होमबिल के िलथे, और वौमदनHऔर नथे चा(द और िनयत पcबॉं के बिलदानHऔर और पवऽ भ टHऔर इॐाएल के ूाय'_ के िनिम पाप बिलयHके िलथे, िनदान अपके परमे र के भवन के सारे काम के िलथे। 34 फर या याजक, या लेवीय, या साधारण लोग, हम सभHने इस बात के ठहराने के िलथे िच'=ठयां डालीं, क अपके पतरHके घरानHके अनुसार ूित वषO म ठहराए हुए समयHपर लकड़: क भ ट eयवःया म िलखी हुई बात के अनुसार हम अपके परमे र यहोवा क वेद: पर जलाने के िलथे अपके परमे र के भवन म लाया कर गे। 35 और अप क अप क भूिम क पहली उपज और सब भांित के वृझHके पहले फल ूित वषO यहोवा के भवन म ले आएंगे। 36 और eयवःया म िलखी हुई बात के अनुसार, अपके अपके पहलौठे बेटHऔर पशुओं, अयाOत ् पहलौठे बछड़Hऔर मेSनHको अपके परमे र के भवन म उन याजकHके पास लाया कर गे, जो हमारे परमे र के भवन म सेवा टहल करते हE । 37 और अपना पहला गूंधा हुआ आटा, और उठाई हुई भ टे, और सब ूकार के वृझHके फल, और नया दाखमधु, और टटका तेल, अपके परमे र के भवन क कोठgरयHम याजकHके पास, और अप क अप क भूिम क उपज का दशमांश लेवयHके पास लाया कर गे; यHक वे लेवीय हE , जो हमार: खेती के सब नगरHम

दशमांश लेते हE । 38 और जब जब लेवीय दशमांश ल , तब तब उनके संग हाRन क स(तान का कोई याजक रहा करे ; और लेवीय दशमांशHका दशमांश हमारे परमे र के भवन क कोठgरयHम अयाOत ् भणडार म पहंु चाया कर गे। 39 यHक 'जन कोठgरयHम पवऽ ःयान के पाऽ और सेवा टहल करनेवाले याजक और kारपाल और गवैथे रहते हE , उन म इॐाएली और लेवीय, अनाज, नथे दाखपधु, और टटके तेल क उठाई हुई भ टे पहुंचाएंगे। िनदान हम अपके परमे र के भवन को न छोड़ गे। नहे मायाह 11 1 ूजा के हाकम तो यRशलेम म रहते थे, और शेष लोगHने यह ठहराने के िलथे िच'=ठयां डालीं, क दस म से एक मनुंय यRशलेम म , जो पवऽ नगर है , बस जाएं; और नौ मनुंय और और नगरHम बस । 2 और 'ज(हHने अप क ह: इ.छा से यRशलेम म वास करना चाहा उन सभHको लोगHने आिशवाOद दया। 3 उस ूा(त के मु‡य मु‡य पुdष जो यRशलेम म रहते थे, वे थे हE ; (पर(तु यहूदा के नगरHम एक एक मनुंय अप क िनज भूिम म रहता या; अयाOत ् इॐाएली, याजक, लेवीय, नतीन और सुलम ै ान के दासHके स(तान ) 4 यRशलेम म तो कुछ यहूद: और ब(यामीनी रहते थे। यहूदयHम से तो थेरेस के वंश का अतायाह जो अ'Gजयाह का पुऽ या, यह जकयाOह का पुऽ, यह अमयाOह का पुऽ, यह शपयाह का पुऽ, यह महललेल का पुऽ या। 5 और मासेयाह जो बाRक का पुऽ या, यह कोलहोजे का पुऽ, यह हजायाह का पुऽ, यह अदायाह का पुऽ, यह योयार:ब का पुऽ, यह जकयाOह का पुऽ, यह और यह शीलोई का पुऽ या। 6 पेरेस के वंश के जो

यRशलेम म रहते थे, वह सब िमलाकर चार सौ अड़सठ शूरवीर थे। 7 और ब(यामीिनयHम से स`लू जो मशु`लाम का पुऽ या, यह योएद का पुऽ, यह पदायाह का पुऽ या, यह कोलायाह का पुऽ यह मासेयाह का पुऽ, यह इतीएह का पुऽ, यह यशायाह का पुऽ या। 8 और उसके बाद गcयै स`लै 'जनके साय नौ सौ अ=ठाईस पुdष थे। 9 इनका रखवाल 'जब का पुऽ योएल या, और हःसनूआ का पुऽ यहूदा नगर के ूधान का नायब या। 10 फर याजकHम से योयार:ब का पुऽ यदायाह और याकन। 11 और सरायाह जो परमे र के भवन का ूधान और ह'`कयाह का पुऽ या, यह मशु`लाम का पुऽ, यह सादोक का पुऽ, यह मरायोत का पुऽ, यह अह:तूब का पुऽ या। 12 और इनके आठ सौ बाईस भाई जो उस भवन का काम करते थे; और अदायाह, जो यरोहाम का पुऽ या, यह पल`याह का वुऽ, यह अSसी का पुऽ, यह जकयाOह का पुऽ, यह पशहूर का पुऽ, यह म'`कयाह का पुऽ या। 13 और इसके दो सौ बयालीस भाई जो पतरHके घरानHके ूधान थे; और अमशै जो अजरे ल का पुऽ या, यह अहजै का पुऽ, यह मिश`लेमोत का पुऽ, यह इSमेर का पुऽ या। 14 और इनके एक सौ अ=ठाईस शूरवीर भाई थे और इनका रखवाल हbगदोलीम का पुऽ जcद:एल या। 15 फर लेवयHम से शमायाह जो हँशूब का पुऽ या, यह अळीकाम का पुऽ, यह हुशcयाह का पुऽ, यह बु(नी का पुऽ या। 16 ओर शcबत और योजाबाद मु‡य लेवयHम से परमे र के भवन के बाहर: काम पर ठहरे थे। 17 और म(याह जो मीका का पुऽ और जcद: का पोता, और आसाप का परपोता या; वह ूायOना म ध(यवाद करनेवालHका मु'खया या, और बकबु याह अपके भाइयHम दस ू रा पद रखता या; और अcदा जो शSमू का पुऽ, और गालाल का पोता, और यदत ू ून का परपोता या। 18 जो लेवीय पवऽ नगर म

रहते थे, वह सब िमलाकर दो सौ चौरासी थे। 19 और अ कूब और त`मोन नाम kारपाल और उनके भाई जो फाटकHके रखवाले थे, एक सौ बहर थे। 20 और शेष इॐाएली याजक और लेवीय, यहूदा के सब नगरHम अपके अपके भाग पर रहते थे। 21 और नतीन लोग ओपेल म रहते; और नितनHके ऊपर सीहा, और िगँपा ठहराए गए थे। 22 और जो लेवीय यRशलेम म रहकर परमे र के भवन के काम म लगे रहते थे, उनका मु'खया आसाप के वंश के गवैयHम का उGजी या, जो बानी का पुऽ या, यह हशcयाह का पुऽ, यह म(याह का पुऽ और यह हशcयाह का पुऽ या। 23 यHक उनके वषय राजा क आWा यी, और गवैयHके ूितदन के ूयोजन के अनुसार ठqक ूब(ध या। 24 और ूजा के सब काम के िलथे मशेजबेल का पुऽ पत—ाह जो यहूदा के पुऽ जेरह के वंश म या, वह राजा के पास रहता या। 25 बच गए गांव और उनके खेत, सो कुछ यहूद: कयOतबाO, और उनके गांव म , कुछ द:बोन, और उसके गांवHम , कुछ यकcसेल और उसके गांवHम

रहते थे। 26 फर थेश,ू मोलादा, बेपे लेत; 27 हमशूआ O ल, और बेशब  ा और और उसके गांवHम ; 28 और िसकलग और मकोना और उनके गांवHम ; 29 ए'(नSमोन, सोरा, यमूत O , 30 जानोह और अद` ू लाम और उनके गांवHम , लाकश, और उसके खे तHम अजेका, और उसके गांवHम वे बे शब  ा से ले ह(नोम क तराई तक डे रे डाले हुए रहते थे। 31 और ब(यामीनी गेबा से लेकर िमकमश, अया और बेतेल और उसके गांवHम ; 32 अनातोत, नोब, अन(याह, 33 हासोर, रामा, िगैम, 34 हाद:द, सबोईम, नब`लत, 35 लोद, ओनो और कार:गरHक तराई तक रहते थे। 36 और कतने लेवयHके दल यहूदा और ब(यामीन के ूा(तHम बस गए।

नहे मायाह 12 1 जो याजक और लेवीय शालतीएल के पुऽ जdcबाबेल और थेशू के संग यRशलेम को गए थे, वे थे थे : अयाOत ् सरायाह, ियमOयाह, एळा, 2 अमयाOह, म`लूक, हूश, 3 शक(याह, रहूम, मरे मोत, 4 इXो, िग(नतोई, अबयाह, 5 मीयामीन, माrाह, बलगा, 6 शमायाह, योआर:ब, यदायाह, 7 स`लू, आमोक, ह'`कयाह और यदायाह। थेशू के दनHम याजकHऔर उनके भाइयHके मु‡य मु‡य पुdष, थे ह: थे। 8 फर थे लेवीय गए : अयाOत ् थेश,ू ब(नूई, कदमीएल, शेरेcयाह, यहूदा और वह म(याह जो अपके भाइयHसमेत ध(यवाद के काम पर ठहराया गया या। 9 और उनके भाई बकबु याह और उ(नो उनके साSहने अप क अप क सेवकाई म लगे रहते थे। 10 और थेशू से योयाकम उप(न हुआ और योयाकम से ए`याशीब और ए`याशीब से योयादा, 11 और योयादा से योनातान और योनातान से यX उप(न हुआ। 12 और योयाकम के दनHम थे याजक अपके अपके पतरHके घराने के मु‡य पुdष थे, अयाOत ् शरायाह का तो मरायाह; ियमOयाह का हन(याह। 13 एळा का मशु`लाम; अमयाOह का यहोहानान। 14 म`लूक का योनातान; शब(याह का योसेप। 15 हार:म का अदना; मरायोत का हे लकै। 16 इXो का जकयाOह; िग(नतोन का मशु`लाम। 17 अबयाह का 'जब; िम(यामीन के मोअrाह का पलतै। 18 बलगा का शSमू; शामायह का यहोनातान। 19 योयार:ब का मनै; यदायाह का उGजी। 20 स`लै का क`लै; आमोक का एबेर। 21 ह'`कयाह का हशcयाह; और यदायाह का नतनेल। 22 ए`याशीब, योयादा, योहानान और यX के दनHम लेवीय पतरHके घरानHके मु‡य पुdषHके नाम िलखे जाते थे, और दारा फारसी के राGय म

याजकHके भी नाम िलखे जाते थे। 23 जो लेवीय पतरHके घरानHके मु‡य पुdष थे, उनके नाम ए`याशीब के पुऽ योहानान के दनHतक इितहास क पुःतक म िलखे जाते थे। 24 और लेवयHके मु‡य पुdष थे थे : अयाOत ् हसcयाह, शेरेcयाह और कदमीएल का पुऽ थेश;ू और उनके साSहने उनके भाई परमे र के भf दाऊद क आWा के अनुसार आSहने-साSहने ःतुित और ध(यवाद करने पर िनयुf थे। 25 म(याह, बकबु याह, ओबrाह, मशु`लाम, त`मोन और अ कूब फाटकHके पास के भणडारHका पहरा दे नेवाले kारपाल थे। 26 योयाकम के दनHम जो योसादाक का पोता और थेशू का पुऽ या, और नहे मायाह अिधपित और एळा याजक और शा\ी के दनHम थे ह: थे। 27 और यRशलेम क शहरपनाह क ूितvा के समय लेवीय अपके सब ःयानHम ढू ं ढ़े गए, क यRशलेम को पहुंचाए जाएं, 'जस से आन(द और ध(यवाद करके और फांफ, सारं गी और वीणा बजाकर, और गाकर उसक ूितvा कर । 28 तो गवैयHके स(तान यRशलेम के चारHओर के दे श से और नतोपाितयHके गांवHसे, 29 और बेतिगलगाल से, और गेबा और अGमाबेत के खेतHसे इक=ठे हुए; यHक गवैयHने यRशलेम के आस-पास गांव बसा िलथे थे। 30 तब याहकHऔर लेवयHने अपके अपके को शुa कया; और उ(हHने ूजा को, और फाटकHऔर शहरपनाह को भी शुa कया। 31 तब मE ने यहूद: हाकमHको शहरपनाह पर चढ़ाकर दो बड़े दल ठहराए, जो ध(यवाद करते हुए धूमधाम के साय चलते थे। इनम से एक दल तो द' खन ओर, अयाOत ् कूड़ाफाटक क ओर शहरपनाह के ऊपर ऊपर से चला; 32 और उसके पीछे पीछे थे चले, अयाOत ् होशयाह और यहूदा के आधे हाकम, 33 और अजयाOह, एळा, मशु`लाम, 34 यहूदा, ब(यामीन, शमायाह, और ियमOयाह, 35

और याजकHके कतने पुऽ तुरहयां िलथे हुए : अयाOत ् जकयाOह जो योहानान का पुऽ या, यह शमायाह का पुऽ, यह म(याह का पुऽ, यह मीकायाह का पुऽ, यह ज कूर का पुऽ, यह आसाप का पुऽ या। 36 और उसके भाई शमायाह, अजरे ल, िमललै, िगललै, माऐ, नतनेल, यहूदा और हनानी परमे र के भf दाऊद के बाजे िलथे हुए थे; और उनके आगे आगे एळा शा\ी चला। 37 थे सेताफाटक से हो सीधे दाऊदपुर क सीढ़: पर चढ़, शहरपनाह क ऊंचाई पर से चलकर, दाऊद के भवन के ऊपर से होकर, पूरब क ओर जलफाटक तक पहंु चे। 38 और ध(यवाद करने और धूमधाम से चलनेवालHका दस ू रा दल, और उनके पीछे पीछे मE, और आधे लोग उन से िमलने को शहरपनाह के ऊपर ऊपर से भ=ठHके गुSमट के पास से चौड़: शहरपनाह तक। 39 और एूैम के फाटक और पुराने फाटक, और मछलीफाटक, और हननेल के गुSमट, और हSमेआ नाम गुSमट के पास से होकर भेड़ फाटक तक चले, और पहdओं के फाटक के पास खड़े हो गए। 40 तब ध(यवाद करने वालHके दोनHदल और मE और मेरे साय आधे हाकम परमे र के भवन म खड़े हो गए। 41 और ए`याकम, मासेयाह, िम(यामीन, मीकायाह, ए`योएनै, जकयाOह और हन(याह नाम याजक तुरहयां िलथे हुए थे। 42 और मासेयाह, शमायाह, एलीआजर, उGजी, यहोहानान, म'`कयाह, एलाम, ओर एजेर (खड़े हुए थे) और गवैथे 'जनका मु'खया ियळ—ाह या, वह ऊंचे ःवर से गाते बजाते रहे । 43 उसी दन लोगHने बड़े बड़े मेलबिल चढ़ाए, और आन(द िलया; यHक परमे र ने उनको बहुत ह: आन'(दत कया या; '\यHने और बालब.चHने भी आन(द कया। और यRशलेम के आन(द क ~विन दरू दरू तक फैल गई। 44 उसी दन खज़ानH के, उठाई हुई भ टHके, पहली पहली उपज के,

और दशमांशHक कोठgरयHके अिध कारनेी ठहराए गए, क उन म नगर नगर के खेतHके अनुसार उन वःतुओं को जमा कर , जो eयवःया के अनुसार याजकHऔर लेवयHके भाग म क यी; यHक यहूद: उपःय ्'◌त याजकHऔर लेवयHके कारण आन'(दत थे। 45 इसिलथे वे अपके परमे र के काम और शुaता के वषय चौकसी करते रहे ; और गवैथे ओर kारपाल भी दाऊद और उसके पुऽ सुलम ै ान क आWा के अनुसार वैसा ह: करते रहे । 46 ूाचीनकाल, अयाOत ् दाऊद और आसाप के दनHम तो गवैयHके ूधान थे, और परमे र क ःतुित और ध(यवाद के गीत गाए जाते थे। 47 और जdcबाबेल और नहे मायाह के दनHम सारे इॐाएली, गवैयHऔर kारपालHके ूितदन का भाग दे ते रहे ; और वे लेवयHके अंश पवऽ करके दे ते थे; और लेवीय हाRन क स(तान के अंश पवऽ करके दे ते थे। नहे मायाह 13 1 उसी दन मूसा क पुःतक लोगHको पढ़कर सुनाई गई; और उस म यह िलखा हुआ िमला, क कोई अSमोनी वा मोआबी परमे र क सभा म कभी न आने पाए; 2 यHक उ(हHने अ(न जल लेकर इॐाएिलयHसे भ ट नह:ं क, वरन बलाम को उ(ह शाप दे ने के िलथे द'झणा दे कर बुलवाया या--तौभी हमारे परमे र ने उस शाप को आशीष से बदल दया। 3 यह eयवःया सुनकर, उ(हHने इॐाएल म

से िमली जुली भीड़ को अलग अलग कर दया। 4 इस से पहले ए`याशीब याजक जो हमारे परमे र के भवन क कोठgरयHका अिध कारनेी और तोबयाह का सSब(धी या। 5 उस ने तोबयाह के िलथे एक बड़: कोठर: तैयार क यी 'जस म

पहले अ(नबिल का सामान और लोबान और पाऽ और अनाज, नथे दाखमधु

और टटके तेल के दशमांश, 'ज(ह लेवयH, गवैयHऔर kारपालHको दे ने क आWा यी, रखी हुई यी; और याजकHके िलथे उठाई हुई भ ट भी रखी जाती यीं। 6 पर(तु मE इस समय यRशलेम म नह:ं या, यHक बाबेल के राजा अतOझऽ के बीसव

वषO म मE राजा के पास चला गया। फर कतने दनHके बाद राजा से छु=ट: मांगी, 7 और मE यRशलेम को आया, तब मE ने जान िलया, क ए`याशीब ने तोबयाह के िलथे परमे र के भवन के आंगनHम एक कोठर: तैयार कर, या ह: बुराई क है । 8 इसे मE ने बहुत बुरा माना, और तोबयाह का सारा घरे लू सामान उस कोठर: म से फ क दया। 9 तब मेर: आWा से वे कोठgरयां शुa क गई, और मE ने परमे र के भवन के पाऽ और अ(नबिल का सामान और लोबान उन म फर से रखवा दया। 10 फर मुझे मालूम हुआ क लेवयHका भाग उ(ह नह:ं दया गया है ; और इस कारण काम करनेवाले लेवीय और गवैथे अपके अपके खेत को भाग गए हE । 11 तब मE ने हाकमHको डांटकर कहा, परमे र का भवन यHयागा गया है ? फर मE ने उनको इक=ठा करके, एक एक को उसके ःयान पर िनयुf कया। 12 तब से सब यहूद: अनाज, नथे दाखमधु और टटके तेल के दशमांश भणडारHम

लाने लगे। 13 और मE ने भणडारHके अिध कारनेी शेलेSयाह याजक और सादोक मुश ं ी को, और लेवयHम से पदायाह को, और उनके नीचे हानान को, जो म(याह का पोता और ज कूर का पुऽ या, िनयुf कया; वे तो व ासयोbय िगने जाते थे, और अपके भाइयHके मय बांटना उनका काम या। 14 हे मेरे परमे र ! मेरा यह काम मेरे हत के िलथे ःमरण रख, और जो जो सुकमO मE ने अपके परमे र के भवन और उस म क आराधना के वषय कए हE उ(हे िमटा न डाल। 15 उ(ह:ं दनHम मE ने यहूदा म कतनHको दे खा जो वौमदन को है दHम दाख रxदते, और

पूिलयHको ले आते, और गदहHपर लादते थे; वैसे ह: वे दाखमधु, दाख, अंजीर और भांित भांित के बोफ वौमदन को यRशलेम म लाते थे; तब 'जस दन वे भोजनवःतु बेचते थे, उसी दन मE ने उनको िचता दया। 16 फर उस म सोर: लोग रहकर मछली और भांित भांित का सौदा ले आकर, यहूदयHके हाथ यRशलेम म वौमदन को बेचा करते थे। 17 तब मE ने यहूदा के रईसHको डांटकर कहा, तुम लोग यह या बुराई करते हो, जो वौमदन को अपवऽ करते हो? 18 या तुSहारे पुरखा ऐसा नह:ं करते थे? और या हमारे परमे र ने यह सब वप हम पर और इस नगर पर न डाली? तौभी तुम वौमदन को अपवऽ करने से इॐाएल पर परमे र का बोध और भी भड़काते जाते हो। 19 सो जब वौमवार के पहले दन को यRशलेम के फाटकHके आस-पास अ(ध ्◌ेरा होने लगा, तब मE ने आWा द:, क उनके प`ले ब(द कए जाएं, और यह भी आWा द:, क वे वौमवार के पूरे होने तक खोले न जाएं। तब मE ने अपके कतने सेवकHको फाटकHका अिध कारनेी ठहरा दया, क वौमवार को कोई बोफ भीतर आने न पाए। 20 इसिलथे eयोपार: और भांित भांित के सौदे के बेचनेवाले यRशलेम के बाहर दो एक बेर टके। 21 तब मE ने उनको िचताकर कहा, तुम लोग शहरपनाह के साSहने यHटकते हो? यद तुम फर ऐसा करोगे तो मE तुम पर हाथ बढ़ाऊंगा। इसिलथे उस समय से वे फर वौमबार को नह:ं आए। 22 तब मE ने लेवयHको आWा द:, क अपके अपके को शुa करके फाटकHक रखवाली करने के िलथे आया करो, ताक वौमदन पवऽ माना जाए। हे मेरे परमे र ! मेरे हत के िलथे यह भी ःमरण रख और अप क बड़: कdणा के अनुसार मुझ पर तरस खा। 23 फर उ(ह:ं दनHम मुझ को ऐसे यहूद: दखाई पके, 'ज(हHने अशदोद:,

अSमोनी और मोआबी '\यां cयाह ली यीं। 24 और उनके लड़केबालHक आधी बोली अशदोद: थी, और वे यहूद: बोली न बोल सकते थे, दोनHजाित क बोली बोलते थे। 25 तब मE ने उनको डांटा और कोसा, और उन म से कतनHको पटवा दया और उनके बाल नुचवाए; और उनको परमे र क यह शपय 'खलाई, क हम अप क बे टयां उनके बेटHके साय cयाह म न द गे और न अपके िलथे वा अपके बेटHके िलथे उनक बेटयां cयाह म ल गे। 26 या इॐाएल का राजा सुलम ै ान इसी ूकार के पाप म न फंसा य? बहुतेर: जाितयHम उसके तु`य कोई राजा नह:ं हुआ, और वह अपके परमे र का ूय भी या, और परमे र ने उसे सारे इॐाएल के ऊपर राजा िनयुf कया; पर(तु उसको भी अ(यजाित '\यHने पाप म फंसाया। 27 तो या हम तुSहार: सुनकर, ऐसी बड़: बुराई कर क अ(यजाित क '\यां cयाह कर अपके परमे र के वda पाप कर ? 28 और ए`याशीब महाथाजक के पुऽ योयादा का एक पुऽ, होरोनी सSब`लत का दामाद या, इसिलथे मE ने उसको अपके पास से भगा दया। 29 हे मेरे परमे र उनक हािन के िलथे याजकपद और याजकHओर लेवयHक वाचा का तोड़ा जाना ःमरण रख। 30 इस ूकार मE ने उनको सब अ(यजाितयHसे शुa कया, और एक एक याजक और लेवीय क बार: और काम ठहरा दया। 31 फर मE ने लकड़: क भ ट ले आने के वशेष समय ठहरा दए, और पहली पहली उपज के दे ने का ूब(ध भी कया। हे मेरे परमे र ! मेरे हत के िलथे मुझे ःमरण कर। एःते र 1 1 झयषO नाम राजा के दनHम थे बात हुई :यह वह: झयषO है , जो एक सौ सताईस

ूा(तHपर, अयाOत ् ह(दः ु तान से लेकर कूश दे श तक राGय करता या। 2 उ(ह:ं दनHम जब झयषO राजा अप क उस राजगX: पर वराजमान या जो शूशन नाम राजगढ़ म यी। 3 वहां उस ने अपके राGय के तीसरे वषO म अपके सब हाकमHऔर कमOचाgरयHक जेवनार क। फ़ारस और मादै के सेनापित और ूा(त- ूा(त के ूधान और हाकम उसके सSमुख आ गए। 4 और वह उ(ह

बहुत दन वरन एक सौ अःसी दन तक अपके राजवभव का धन और अपके माहाSय के अनमोल पदायO दखाता रहा। 5 इतने दनHके बीतने पर राजा ने या छोटे य बड़े उन सभHक भी जो शूशन नाम राजगढ़ म इक=ठे हुए थे, राजभवन क बार: के आंगन म सात दन तक जेवनार क। 6 वहां के पद ेत और नीले सूत के थे, और सन और बEजनी रं ग क डोgरयHसे चा(द: के छ`लHम , संगममOर के खSभHसे लगे हुए थे; और वहां क चौकयां सोने-चा(द: क यीं; और लाल और ेत और पीले और काले संगममOर के बने हुए फ़शO पर धर: हुई यीं। 7 उस जेवनार म राजा के योbय दाखमधु िभ(न िभ(न Rप के सोने के पाऽ म

डालकर राजा क उदारता से बहुतायत के साय पलाया जाता या। 8 पीना तो िनयम के अनुसार होता या, कसी को बरबस नह:ं पलाया जाता या; यHक राजा ने तो अपके भवन के सब भणडाgरयHको आWा द: यी, क जो पाहुन जैसा चाहे उसके साय वैसा ह: बताOव करना। 9 रानी बशती ने भी राजा झयषO के भवन म \ ्'◌यHक जेवनार क। 10 सातव दन, जब राजा का मन दाखमधु म मbन या, तब उस ने महूमान, बजता, हबॉना, बगता, अबगता, जेतेर और ककOस नाम सातHखे जHको जो झयषO राजा के सSमुख सेवा टहल कया करते थे, आाWा द:, 11 क रानी वशती को राजमुकुट धारण कए हुए राजा के सSमुख ले आओ;

'जस से क दे श दे श के लोगHऔर हाकमHपर उसक सु(दरता ूगट हो जाए; यHक वह दे खने म सु(दर यी। 12 खोजHके kारा राजा क यह आWा पाकर रानी वशती ने आने से इनकार कया। इस पर राजा बड़े बोध से जलने लगा। 13 तब राजा ने समय समय का भेद जाननेवाले प'णडतHसे पुछा (राजा तो नीित और (याय के सब WािनयHसे ऐसा ह: कया करता या। 14 और उसके पास कशOना, शेतार, अदमाता, तशींश, मेरेस, मसOना, और ममूकान नाम फ़ारस, और मादै के सातHखेजे थे, जो राजा का दशOन करते, और राGय म मु‡य मु‡य पदHपर िनयुf कए गए थे। ) 15 राजा ने पूछा क रानी वशती ने राजा झयषO क खोजHkारा दलाई हुई आWा का उलंघन कया, तो नीित के अनुसार उसके साय या कया जाए? 16 तब ममूकान ने राजा और हाकमHक उप'ःयित म उर दया, रानी वशती ने जो अनुिचत काम कया है , वह न केवल राजा से पर(तु सब हाकमHसे और उन सब दे शHके लोगHसे भी जो राजा झयषO के सब ूा(तHम रहते हE । 17 यHक रानी के इस काम क चचाO सब '\यHम होगी और जब यह कहा जाएगा, क राजा झयषO ने रानी वशती को अपके साSहने ले आने क आWा द: पर(तु वह न आई, तब वे भी अपके अपके पित को तु.छ जानने लग गी। 18 और आज के दन फ़ारसी और माद: हाकमHक '\यां 'ज(हHने रानी क यह बात सुनी है तो वे भी राजा के सब हाकमHसे ऐसा ह: कहने लग गी; इस ूकार बहुत ह: घृणा और बोध उप(न होगा। 19 यद राजा को ःवीकार हो, तो यह आWा िनकाले, और फािसयJऔर मादयHके कानून म िलखी भी जाए, 'जस से कभी बदल न सके, क रानी वशती राजा झयषO के सSमुख फर कभी आने न पाए, और राजा पटरानी का पद कसी दस ू र: को दे दे जो उस से अ.छq हो। 20 और जब राजा क यह

आWा उसके सारे राGय म सुनाई जाएगी, तब सब प'^यां छोटे , बड़े , अपके अपके पित का आदरमान करती रह गी। 21 यह बात राजा और हाकमHको पस(द आई और राजा ने ममूकान क सSमित मान ली और अपके राGय म , 22 अयOत ् ूथेक ूा(त के अझरHम और ूथेक जाित क भाषा म िच'=ठयां भेजीं, क सब पुdष अपके अपके घर म अिध कारने चलाएं, और अप क जाित क भाषा बोला कर । एःते र 2 1 इन बातHके बाद जब राजा झयषO क जलजलाहट ठं ड: हो गई, तब उस ने रानी वशती क, और जो काम उस ने कया या, और जो उसके वषय म आWा िनकली यी उसक भी सुिध ली। 2 तब राजा के सेवक जो उसके टहलुए थे, कहने लगे , राजा के िलथे सु(दर तया युवती कुंवाgरयां ढू ं ढ: जाएं। 3 और राजा ने अपके राGय के सब ूा(तHम लोगHको इसिलथे िनयुf कया क वे सब सु(दर युवती कुंवाgरयHको शूशन गढ़ के रनवास म इक=ठा कर और '\यHके रखवाले हे गे को जो राजा का खोजा या सौप द ; और शुa करने के योbय वःतुएं उ(ह द: जाएं। 4 तब उन म से जो कुंवार: राजा क l म उम ठहरे , वह रानी वशती के ःयान पर पटरानी बनाई जाए। यह बात राजा को पस(द आई और उस ने ऐसा ह: कया। 5 शूशन गढ़ म मोदO कै नाम एक यहूद: रहता या, जो कश नाम के एक ब(यामीनी का परपोता, िशमी का पोता, और याईर का पुऽ या। 6 वह उन ब(धुओं के साय यRशलेम से ब(धुआई म गया या, 'ज(ह बाबेल का राजा नबूकदनेःसर, यहूदा के राजा यको(याह के संग ब(धुआ करके ले गया या। 7

उस ने हदःसा नाम अप क चचेर: बहन को, जो एःतेर भी कहलाती यी, पाला-पोसा या; यHक उसके माता-िमता कोई न थे, और वह लड़क सु(दर और Rपवती यी, और जब उसके माता-पता मर गए, तब मोदO कै ने उसको अप क बे ट: करके पाला। 8 जब राजा क आWा और िनयम सुनाए गए, और बहुत सी युवती '\यां, शूशन गढ़ म हे गे के अिध कारने म इक=ठq क गई, तब एःतेर भी राजभवन म '\यHके रखवाले हे गे के अिध कारने म सxपी गई। 9 और वह युवती \ी उसक l म अ.छq लगी; और वह उस से ूस(न हुआ, तब उस ने बना वलSब उसे राजभवन म से शुa करने क वःतुए,ं और उसका भोजन, और उसके िलथे चुनी हुई सात सहे िलयां भी द:ं, और उसको और उसक सहे िलयHको रनवास म सब से अ.छा रहने का ःयान दया। 10 एःतेर ने न अप क जाित बताई यी, न अपना कुल; यHक मोदO कै ने उसको आWा द: यी, क उसे न बताना। 11 मोदO कै तो ूितदन रनवास के आंगन के साSहने टहलता या ताक जाने क एःतेर कैसी है और उसके साय या होगा? 12 जब एक एक क(या क बार: हुई, क वह झयषO राजा के पास जाए, ( और यह उस समय हुउा जब उसके साय '\यHके िलथे ठहराए हुए िनयम के अनुसार बारह माह तक eयवहार कया गया या; अयाOत ् उनके शुa करने के दन इस र:ित से बीत गए, क छ: माह तक ग(धरस का तेल लगाया जाता या, और छ: माह तक सुग(धदeय, और '\यHके शुa करने का और और सामान लगाया जाता या ) । 13 इस ूकार से वह क(या जब राजा के पास जाती यी, तब जो कुछ वह चाहती क रनवास से राजभवन म

ले जाए, वह उसको दया जाता या। 14 सांफ को तो वह जाती यी और बहान को वह लौटकर रनवास के दस ू रे घर म जाकर रखेिलयHके रखवाले राजा के खोजे

शाशगज के अिध कारने म हो जाती यी, और राजा के पास फर नह:ं जाती यी। और यद राजा उस से ूस(न हो जाता या, तब वह नाम लेकर बुलाई जाती यी। 15 जब मोदO कै के चाचा अबीहै ल क बेट: एःतेर, 'जसको मोदO कै ने बेट: मानकर रखा या, उसक बार: आई क राजा के पास जाए, तब जो कुछ '\यHके रखवाले राजा के खोजे हे गे ने उसके िलथे ठहराया या, उस से अिधक उस ने और कुछ न मांगा। और 'जतनHने एःतेर को दे खा, वे सब उस से ूस(न हुए। 16 यHएःतेर राजभवन म राजा झयषO के पास उसके राGय के सातव वषO के तेबेत नाम दसव

मह:ने म पहंु चाई गई। 17 और राजा ने एःतेर को और सब '\यHसे अिधक €यार कया, और और सब कुंवाgरयHसे अिधक उसके अनुमह और कृपा क l उसी पर हुई, इस कारण उस ने उसके िसर पर राजमुकुट रखा और उसको वशती के ःयान पर रानी बनाया। 18 तब राजा ने अपके सब हाकमHऔर कमOचाgरयHक बड़: जे वनार करके, उसे एःतेर क जेवनार कहा; और ूा(तHम छु=ट: दलाई, और अप क उदारता के योbय इनाम भी बांटे। 19 जब कुंवाgरयां दस ू र: बार इक=ठq क गई, तब मोदO कै राजभवन के फाटक म बैठा या। 20 और एःतेर ने अप क जाित और कुल का पता नह:ं दया या, यHक मोदO कै ने उसको ऐसी आWा द: यी क न बताए; और एःतेर मोदO कै क बात ऐसी मानती यी जैसे क उसके यहां अपके पालन पोषण के समय मानती यी। 21 उ(ह:ं दनHम जब मोदO कै राजा के राजभवन के फाटक म बैठा करता या, तब राजा के खोजे जो kारपाल भी थे, उन म से बकतान और तेरेश नाम दो जनHने राजा झयषO से Rठकर उस पर हाथ चलाने क युf क। 22 यह बात मोदO कै को मालूम हुई, और उस ने एःतेर रानी को यह बात बताई, और एःतेर ने मोदO कै का नाम लेकर राजा

को िचतौनी द:। 23 तब जांच पड़ताल होने पर यह बात सच िनकली और वे दोनHवृझ पर लटका दए गए, और यह वृा(त राजा के साSहने इितहास क पुःतक म िलख िलया गया। एःते र 3 1 इन बातHके बाद राजा झयषO ने अगामी हSमदाता के पुऽ हामान को उ(च पद दया, और उसको महव दे कर उसके िलथे उसके सायी हाकमHके िसंहासनHसे ऊंचा िसंहासन ठहराया। 2 और राजा के सब कमOचार: जो राजभवन के फाटक म

रहा करते थे, वे हामान के साSहने फुककर दणडवत कया करते थे यHक राजा ने उसके वषय ऐसी ह: आWा द: यी; पर(तु मोदO कै न तो फुकता या और न उसको दणडवत करता या। 3 तब राजा के कमOचार: जो राजभवन के फाटक म

रहा करते थे, उ(हHने मोदO कै से पूछा, 4 तू राजा क आWा यHउलंघन करता है ? जब वे उस से ूितदन ऐसा ह: कहते रहे , और उस ने उनक एक न मानी, तब उ(हHने यह दे खने क इ.छा से क मोदO कै क यह बात चलेगी क नह:ं, हामान को बता दया; उस ने तो उनको बता दया या क मE यहूद: हूँ। 5 जब हामान ने दे खा, क मोदO कै नह:ं फुकता, और न मुझ को दणडवत करता है , तब हामान बहुत ह: बोिधत हुआ। 6 उस ने केवल मोदO कै पर हाथ चलाना अप क मयाOदा के नीचे जाना। यHक उ(हHने हामान को यह बता दया या, क मोदO कै कस जाित का है , इसिलथे हामान ने झयषO के साॆाGय म रहनेवाले सारे यहूदयHको भी मोदO कै क जाित जानकर, वनाश कर डालने क युf िनकाली। 7 राजा झयषO के बारहव वषO के नीसान नाम पहले मह:ने म , हामान ने अदार नाम बारहव मह:ने

तक के एक एक दन और एक एक मह:ने के िलथे “पूर” अयाOत ् िच=ठq अपके साSहने डलवाई। 8 और हामान ने राजा झयषO से कहा, ते रे राGय के सब ूा(तHम

रहनेवाले दे श दे श के लोगHके म~य म िततर बतर और िछटक हुई एक जाित है , 'जसके िनयम और सब लोगHके िनयमHसे िभ(न हE ; और वे राजा के कानून पर नह:ं चलते, इसिलथे उ(ह रहने दे ना राजा को लाभदायक नह:ं है । 9 यद राजा को ःवीकार हो तो उ(ह न करने क आWा िलखी जाए, और मE राज के भणडाgरयHके हाथ म राजभणडार म पहंु चाने के िललथे, दस हजार क कार चा(द: दं ग ू ा। 10 तब राजा ने अप क अंगूठq अपके हाथ से उतारकर अगागी हSमदाता के पुऽ हामान को, जो यहूदयHका वैर: या दे द:। 11 और राजा ने हामान से कहा, वह चा(द: तुझे द: गई है , और वे लोग भी, ताक तू उन से जैसा तेरा जी चाहे वैसा ह: eयवहार करे । 12 यHउसी पहले मह:ने के ते रहव दन को राजा के लेखक बुलाए गए, और हामान क आWा के अनुसार राजा के सब अिधपितयH, और सब ूा(तHके ूधानH, और दे श दे श के लोगHके हाकमHके िलथे िच'=ठयां, एक एक ूा(त के अझरHम , और एक एक दे श के लोगHक भाषा म

राजा झयषO के नाम से िलखी गई; और उन म राजा क अंगूठq क छाप लगाई गई। 13 और राGय के सब ूा(तHम इस आशय क िच'=ठयां हर डाकयHके kारा भेजी गई क एक ह: दन म , अयाOत ् अदार नाम बारहव मह:ने के ते रहव दन को, या जवान, या बूढ़ा, या \ी, या बालक, सब यहूद: व~वंसघात और नाश कए जाएं; और उनक धन सSम लूट ली जाए। 14 उस आWा के लेख क नकल सब ूा(तHम खुली हुई भेजी गई क सब दे शHके लोग उस दन के िलथे तैयार हो जाएं। 15 यह आWा शूशन गढ़ म द: गई, और डाकए राजा क आWा से

तुर(त िनकल गए। और राजा और हामान तो जेवनार म बैठ गए; पर(तु शूशन नगर म घबराहट फैल गई। एःते र 4 1 जब मोदO कै ने जान िलया क या या कया गया है तब मोदO कै व\ फाड़, टाट पहन, राख डालकर, नगर के म~य जाकर ऊंचे और दख ु भरे शcद से िच`लाने लगा; 2 और वह राजभवन के फाटक के साSहने पहुंचा, पर(तु टाट पहने हुए राजभवन के फाटक के भीतर तो कसी के जाने क आWा न यी। 3 और एक एक ूा(त म , जहां जहां राजा क आWा और िनयम पहंु चा, वहां वहां यहूद: बड़ा वलाप करने और उपवास करने और रोने पीटने लगे; वरन बहुतेरे टाट पहने और राख डाले हुए पके रहे । 4 और एःतेर रानी क सहे िलयHऔर खोजHने जाकर उसको बता दया, तब रानी शोक से भर गई; और मोदO कै के पास व\ भेजकर यह कहलाया क टाट उतारकर इ(ह पहन ले, पर(तु उस ने उ(ह न िलया। 5 तब एःतेर ने राजा के खोजHम से हताक को 'जसे राजा ने उसके पास रहने को ठहराया या, बुलवाकर आWा द:, क मोदO कै के पास जाकर मालूम कर ले, क या बात है और इसका या कारण है । 6 तब हताक नगर के उस चौक म , जो राजभवन के फाटक के साSहने या, मोदO कै के पास िनकल गया। 7 मोदO कै ने उसको सब कुछ बता दया क मेरे ऊपर या या बीता है , और हामान ने यहूदयHके नाश करने क अनुमित पाने के िलथे राजभणडार म कतनी चा(द: भर दे ने का वचन दया है , यह भी ठqक ठqक बतला दया। 8 फर यहूदयHको वनाश करने क जो आWा शूशन म द: गई थी, उसक एक नकल भी उस ने

हताक के हाथ म , एःतेर को दखाने के िलथे द:, और उसे सब हाल बताने, और यह आWा दे ने को कहा, क भीतर राजा के पास जाकर अपके लोगHके िलथे िगड़िगड़ाकर बनती करे । 9 तब हताक ने एःतेर के पास जाकर मोदO कै क बात

कह सुनाई। 10 तब एःतेर ने हताक को मोदO कै से यह कहने क आWा द:, 11 क राजा के सब कमOचाgरयH, वरन राजा के ूा(तHके सब लोगHको भी मालूम है , क या पुdष या \ी कोई यHन हो, जो आWा बना पाए भीतर: आंगन म राजा के पास जाएगा उसके मार डालने ह: क आWा है ; केवल 'जसक ओर राजा सोने का राजदणड बढ़ाए वह: बचता है । पर(तु मE अब तीस दन से राजा के पास नह:ं बुलाई गई हँू । 12 एःतेर क थे बात मोदO कै को सुनाई गई। 13 तब मोदO कै ने एःतेर के पास यह कहला भेजा, क तू मन ह: मन यह वचार न कर, क मE ह: राजभवन म रहने के कारण और सब यहूदयHम से बची रहंू गी। 14 यHक जो तू इस समय चुपचाप रहे , तो और कसी न कसी उपाय से यहूदयHका छुटकारा और उaार हो जाएगा, पर(तु तू अपके पता के घराने समेत नाश होगी। फर या जाने तुझे ऐसे ह: कठन समय के िलथे राजपद िमल गया हो? 15 तब एःतेर ने मोदO कै के पास यह कहला भेजा, 16 क तू जाकर शूशन के सब यहूदयHको इक=ठा कर, और तुम सब िमलकर मेरे िनिम उपवास करो, तीन दन रात न तो कुछ खाओ, और न कुछ पीओ। और मE भी अप क सहे िलयHसहत उसी र:ित उपवास कRंगी। और ऐसी ह: दशा म मE िनयम के वda राजा के पास भीतर जाऊंगी; और यद नाश हो गई तो हो गई। 17 तब मोदO कै चला गया और एःतेर क आWा के अनुसार ह: उस ने कया। एःते र 5

1 तीसरे दन एःते र अपके राजकय व\ पहनकर राजभवन के भीतर: आंगन म जाकर, राजभवन के साSहने खड़: हो गई। राजा तो राजभवन म राजगX: पर भवन के kार के साSहने वराजमान या; 2 और जब राजा ने एःतेर रानी को आंगन म खड़: हुई– दे खा, तब उस से ूस(न होकर सोने का राजदणड जो उसके हाथ म या उसक ओर बढ़ाया। तब एःतेर ने िनकट जाकर राजदणड क लोक छुई। 3 तब राजा ने उस से पूछा, हे एसतेर रानी, तुझे या चाहथे? और तू य मांगती है ? मांग और तुझे आधा राGय तक दया जाएगा। 4 एःतेर ने कहा, यद राजा को ःवीकार हो, तो आज हामान को साय लेकर उस जे वनार म आए, जो मE ने राजा के िलथे तैयार क है । 5 तब राजा ने आWा द: क हामान को तुर(त ले आओ, क एःतेर का िनमंऽण महण कया जाए। सो राजा और हामान एःतेर क तैयार क हुई जेवनार म आए। 6 जेवनार के समय जब दाखमधु पया जाता या, तब राजा ने एःतेर से कहा, तेरा या िनवे दन है ? वह पूरा कया जाएगा। और तू या मांगती है ? मांग, ओर आधा राGय तक तुझे दया जाएगा। 7 एःतेर ने उर दया, मेरा िनवेदन और जो मE मांगती हूँ वह यह है , 8 क यद राजा मुझ पर ूस(न है और मेरा िनवेदन सुनना और जो वरदान मE मांगूं वह: दे ना राजा को ःवीकार हो, तो राजा और हामान कल उस जेवनार म आएं 'जसे मE उनके िलथे कRंगी, और कल मE राजा के इस वचन के अनुसार कRंगी। 9 उस दन हामान आन'(दत ओर मन म ूस(न होकर बाहर गया। पर(तु जब उस ने मोदO कै को राजभवन के फाटक म दे खा, क वह उसके साSहने न तो खड़ा हुआ, और न हटा, तब वह मोदO कै के वda बोध से भर गया। 10 तौभी वह अपके को रोककर अपके घर गया; और अपके िमऽHऔर अप क \ी जेरेश को बुलवा भेजा। 11 तब

हामान ने, उन से अपके धन का वभव, और अपके लड़के-बालHक बढ़ती और राजा ने उसको कैसे कैसे बढ़ाया, और और सब हाकमHऔर अपके और सब कमOचाgरयHसे ऊंचा पद दया या, इन सब का वणOन कया। 12 हामान ने यह भी कहा, क एःते र रानी ने भी मुझे छोड़ और कसी को राजा के संग, अप क क हुई जेवनार म आने न दया; और कल के िलथे भी राजा के संग उस ने मुझी को नेवता दया है । 13 तौभी जब जब मुझे वह यहूद: मोदO कै राजभवन के फाटक म

बैठा हुआ दखाई पड़ता है , तब तब यह सब मेर: l म eययO है । 14 उसक प^ी जे रेश और उसके सब िमऽHने उस से कहा, पचास हाथ ऊंचा फांसी का एक खSभा, बनाया जाए, और बहान को राजा से कहना, क उस पर मोदO कै लटका दया जाए; तब राजा के संग आन(द से जेवनार म जाना। इस बात से ूस(न होकर हामान ने बैसा ह: फांसी का एक खSभा बनवाया। एःते र 6 1 उस रात राजा को नींद नह:ं आई, इसिलथे उसक आWा से इितहास क पुःतक लाई गई, और पढ़कर राजा को सुनाई गई। 2 और यह िलखा हुआ िमला, क जब राजा झयषO के हाकम जो kारपाल भी थे, उन म से बगताना और तेरेश नाम दो जनHने उस पर हाथ चलाने क युf क यी उसे मोदO कै ने ूगट कया या। 3 तब राजा ने पूछा, इसके बदले मोदO कै क या ूितvा और बड़ाई क गई? राजा के जो सेवक उसक सेवा टहल कर रहे थे, उ(हHने उसको उर दया, उसके िलथे कुछ भी नह:ं कया गया। 4 राजा ने पूछा, आंगन म कौन है ? उसी समय तो हामान राजा के भवन से बाहर: आंगन म इस मनसा से आया या, क जो खSभा उस ने

मोदO कै के िलथे तैयार कराया या, उस पर उसको लटका दे ने क चचाO राजा से करे । 5 तब राजा के सेवकHने उस से कहा, आंगन म तो हामान खड़ा है । राजा ने कहा, उसे भीतर बुलवा लाओ। 6 जब हामान भीतर आया, तब राजा ने उस से पूछा, 'जस मनुंय क ूितvा राजा करना चाहता हो तो उसके िलथे या करना उिचत होगा? हामान ने यह सोचकर, क मुझ से अिधक राजा कस क ूितvा करना चाहता होगा? 7 राजा को उर दया, 'जस मनुंय क ूितvा राजा करना चाहे , 8 तो उसके िलथे राजकय व\ लाया जाए, जो राजा पहनता है , और एक घेड़ा भी, 'जस पर राजा सवार होता है , ओर उसके िसर पर जो राजकय मुकुट धरा जाता है वह भी लाया जाए। 9 फर वह व\, और वह घेड़ा राजा के कसी बड़े हाकम को सxपा जाए, और 'जसक ूितvा राजा करना चाहता हो, उसको वह व\ पहनाया जाए, और उस घोड़े पर सवार करके, नगर के चौक म उसे फराया जाए; और उसके आगे आगे यह ूचार कया जाए, क 'जसक ूितvा राजा करना चाहता है , उसके साय ऐसा ह: कया जाएगा। 10 राजा ने हामान से कहा, फुतीं करके अपके कहने के अनुसार उस व\ और उस घोड़े को लेकर, उस यहूद: मोदO कै से जो राजभवन के फाटक म बैठा करता है , वैसा ह: कर। जैसा तू ने कहा है उस म कुछ भी कमी होने न पाए। 11 तब हामान ने उस व\, और उस घोड़े को लेकर, मोदO कै को पहनाया, और उसे घोड़े पर चढ़ाकर, नगर के चौक म इस ूकार पुकारता हुआ घुमाया क 'जसक ूितvा राजा करना चाहता है उसके साय ऐसा ह: कया जाएगा। 12 तब मोदO कै तो राजभवन के फाटक म लौट गया पर(तु हामान शोक करता हुआ और िसर ढांपे हुए फट अपके घर को गया। 13 और हामान ने अप क पी जे रेश और अपके सब िमऽHसे सब कुछ जो उस पर बीता

या वणOन कया। 14 तब उसके बुaमान िमऽHऔर उसकेी प^ी जेरेश ने उस से कहा, मोदO कै 'जसे तू नीचा दखना चाहता है , यद वह यहूदयHके वंश म का है , तो तू उस पर ूबल न होने पाएगा उस से पूर: र:ित नीचा ह: खएगा। वे उस से बात कर ह: रहे थे, क राजा के खोजे आकर, हामान को एःतेर क क हुई जेवनार म फुतीं से िलवा ले गए। एःते र 7 1 सो राजा और हामान एःतेर रानी क जेवनार म आगए। 2 और राजा ने दस ू रे दन दाखमधु पीते-पीते एःते र से फर पूछा, हे एःतेर रानी ! तेरा या िनवे दन है ? वह पूरा कया जाएगा। और तू या मांगती है ? मांग, और आधा राGय तक तुझे दया जाएगा। 3 एःतेर रानी ने उर दया, हे राजा ! यद तू मुझ पर ूस(न है , और राजा को यह ःवीकार हो, तो मेरे िनवे दन से मुझे, और मेरे मांगने से मेरे लोगHको ूाणदान िमले। 4 यHक मE उा◌ौर मेर: जाित के लोग बेच डाले गए हE , और हम सब व~वंसघात और नाश कए जानेवाले हE । यद हम केवल दास-दासी हो जाने के िलथे बे च डाले जाते, तो मE चुप रहती; चाहे उस दशा म भी वह वरोधी राजा क हािन भर न सकता। 5 तब राजा झयषO ने एःतेर रानी से पूछा, वह कौन है ? और कहां है 'जस ने ऐसा करने क मनसा क है ? 6 एःते र ने उर दया है क वह वरोधी और शऽु यह: द ु हामान है । तब हामान राजा-रानी के साSहते भयभीत हो गया। 7 राजा तो जलजलाहट म आ, मधु पीने से उठकर, राजभवन क बार: म िनकल गया; और हामान यह दे खकर क राजा ने मेर: हािन ठानी होगी, एःते र रानी से ूाणदान मांगने को खड़ा हुआ। 8 जब राजा राजभवन क

बार: से दाखमधु पीने के ःयान म लौट आया तब या दे खा, क हामान उसी चौक पर 'जस पर एःतेर बैठq है पड़ा है ; और राजा ने कहा, या यह घर ह: म

मेरे साSहने ह: रानी से बरबस करना चाहता है ? राजा के मुह ं से यह वचन िनकला ह: या, क सेवकHने हामान का मुह ं ढांप दया। 9 तब राजा के साSहने उपःय ्'◌त रहनेवाले खोजHम से हवॉना नाम एक ने राजा से कहा, हामान को यहां पचास हाथ ऊंचा फांसी का एक खSभा खड़ा है , जो उस ने मोदO कै के िलथे बनवाया है , 'जस ने राजा के हत क बात कह: यी। राजा ने कहा, उसको उसी पर लटका दो। 10 तब हामान उसी खSभे पर जो उस ने मोदO कै के िलथे तैयार कराया या, लटका दया गया। इस पर राजा क जलजलाहट ठं ड: हो गई। एःते र 8 1 उसी दन राजा झयषO ने यहूदयHके वरोधी हामान का घरबार एःतेर रानी को दे दया। और मोदO कै राजा के साSहने आया, यHक एःते र ने राजा को बताया या, क उस से उसका या नाता या 2 तब राजा ने अप क वह अंगूठq जो उस ने हामान से ले ली यी, उतार कर, मोदO कै को दे द:। और एसतेर ने मोदO कै को हामान के घरबार पर अिध कारनेी िनयुf कर दया। 3 फर एःतेर दस ू र: बार राजा से बोली; और उसके पांव पर िगर, आंसू बहा बहाकर उस से िगड़िगड़ाकर ब(ती क, क अगागी हामान क बुराई और यहूदयHक हािन क उसक युf िनंफल क जाए। 4 तब राजा ने एःतेर क ओर सोने का राजदणड बढ़ाया। 5 तब एःते र उठकर राजा के साSहने खड़: हुई; और कहने लगी क यद राजा को ःवीकार हो और वह मुझ से ूस(न है और यह बात उसको ठqक जान पके, और मE भी उसको

अ.छq लगती हँू , तो जो िच'=ठयां हSमदाता अगागी के पुऽ हामान ने राजा के सब ूा(तHके यहूदयHको नाश करने क युf करके िलखाई यीं, उनको पलटने के िलथे िलखा जाए। 6 यHक मE अपके जाित के लोगHपर पड़नेवाली उस वप को कस र:ित से दे ख सकूंगी? और मE अपके भाइयHके वनाश को यHकर दे ख सकूंगी? 7 तब राजा झयषO ने एःतेर रानी से और मोदO कै यहूद: से कहा, मE हामान का घरबार तो एःतेर को दे चुका हूँ, और वह फांसी के खSभे पर लटका दया गया है , इसिलथे क उस ने यहूदयHपर हाथ बढ़ाया या। 8 सो तुम अप क समझ के अनुसार राजा के नाम से यहूदयHके नाम पर िलखो, और राजा क अंगूठq क छाप भी लगाओ; यHक जो िच=ठq राजा के नाम से िलखी जाए, और उस पर उसक अंगूठq क छाप लगाई जाए, उसको कोई भी पलट नह:ं सकता। 9 सो उसी समय अयाOत ् सीवान नाम तीसरे मह:ने के ते ईसव दन को राजा के लेखक बुलवाए गए और 'जस 'जस बात क आWा मोदO कै ने उ(ह द: यी उसे यहूदयHऔर अिधपितयHऔर ह(दः ु तान से लेकर कूश तक, जो एक सौ साईस ूा(त हE , उन सभHके अिधपितयHऔर हाकमHको एक एक ूा(त के अझरHम और एक एक दे श के लोगHक भाषा म , और यहूदयHको उनके अझरHऔर भाषा म

िलखी गई। 10 मोदO कै ने राजा झयषO के नाम से िच'=ठयां िलखाकर, और उन पर राजा क अंगूठq क छाप लगाकर, वेग चलनेवाले सरकार: घोड़H, ख.चरHऔर सांड़िनयHक डाक लगाकर, हरकारHके हाथ भेज द:ं। 11 इन िच'=ठयHम सब नगरHके यहूदयHको राजा क ओर से अनुमित द: गई, क वे इक=ठे हHऔर अपना अपना ूाण बचाने के िलथे तैयार होकर, 'जस जाित वा ूा(त से लोग अ(याय करके उनको वा उनक '\यHऔर बालब.चHको द:ु ख दे ना चाह , उनको

व~वंसघात और नाश कर , और उनक धन सSम लूट ल । 12 और यह राजा झयषO के सब ूा(तHम एक ह: दन म कया जाए, अयाOत ् अदार नाम बारहव

मह:ने के तेरहव दन को। 13 इस आWा के लेख क नकल , समःत ूा(तHम सब दे श के लोगHके पास खुली हुई भेजी गई; ताक यहूद: उस दन अपके शऽुओं से पलटा लेने को तैयार रह । 14 सो हरकारे वेग चलनेवाले सरकार: घोड़Hपर सवार होकर, राजा क आWा से फुतीं करके ज`द: चले गए, और यह आWा शूशन राजगढ़ म द: गई यी। 15 तब मोदO कै नीले और ेत रं ग के राजकय व\ पहने और िसर पर सोने का बड़ा मुमट ु धरे हुए और सूˆमसन और बEजनी रं ग का बागा पहने हुए, राजा के सSमुख से िनकला, और शूशन नगर के लोग आन(द के मारे ललकार उठे । 16 और यहूदयHको आन(द और हषO हुआ और उनक बड़: ूितvा हुई। 17 और 'जस 'जस ूा(त, और 'जस 'जस नगर म , जहां कह:ं राजा क आWा और िनयम पहंु चे, वहां वहां यहूदयHको आन(द और हषO हुआ, और उ(हHने जे वनार करके उस दन को खुशी का दन माना। और उस दे श के लोगHम

से बहुत लोग यहूद: बन गए, यHक उनके मन म यहूदयHका डर समा गया या। एःते र 9 1 अदार नाम बारहव मह:ने के तेरहव दन को, 'जस दन राजा क आWा और िनयम पूरे होने को थे, और यहूदयHके शऽु उन पर ूबल होने क आशा रखते थे, पर(तु इसके उलटे यहूद: अपके वैgरयHपर ूबल हुए, उस दन, 2 यहूद: लोग राजा झयषO के सब ूा(तHम अपके अपके नगर म इक=ठे हुए, क जो उनक हािन करने का य^ करे , उन पर हाथ चलाए। और कोई उनका साSहना न कर

सका, यHक उनका भय दे श दे श के सब लोगHके मन म समा गया या। 3 वरन ूा(तHके सब हाकमHऔर अिधपितयHऔर ूधानHऔर राजा के कमOचाgरयHने यहूदयHक सहाथता क, यHक उनके मन म मोदO कै का भय समा गया या। 4 मोदO कै तो राजा के यहां बहुत ूितvत या, और उसक कर ् सब ूा(तHम फैल गई; वरन उस पुdष मोदO कै क महमा बढ़ती च क गई। 5 और यहूदयHने अपके सब शऽुओं को तलवार से मारकर और घात करके नाश कर डाला, और अपके वैgरयHसे अप क इ.छा के अनुसार बताOव कया। 6 और शूशन राजगढ़ म

यहूदयHने पांच सौ मनुंयHको घात करके नाश कया। 7 और उ(हHने पशO(दाता, द`पोन, अःपाता, 8 पोराता, अद`या, अर:दाता, 9 पमOशता, अर:सै, अर:दै और वैजाता, 10 अयाOत ् हSमदाता के पुऽ यहूदयHके वरोधी हामान के दसHपुऽHको भी घात कया; पर(तु उनके धन को न लूटा। 11 उसी दन शूशन राजगढ़ म घात कए हुओं क िगनती राजा को सुनाई गई। 12 तब राजा ने एःते र रानी से कहा, यहूदयHने शूशन राजगढ़ ह: म पांच सौ मनुंय और हामान के दसHपुऽHको भी घात करके नाश कया है ; फर राGय के और और ूा(तHम उ(हHने न जाने या या कया होगा ! अब इस से अिधक तेरा िनवे दन या है ? वह भी पूरा कया जाएगा। और तू या मांगती है ? वह भी तुझे दया जाएगा। 13 एःते र ने कहा, यद राजा को ःवीकार हो तो शूशन के यहूदयHको आज क नाई कल भी करने क आWा द: जाए, और हामान के दसHपुऽ फांसी के खSभ पर लटकाए जाएं। 14 राजा ने कहा, ऐसा कया जाए; यह आWा शूशन म द: गई, और हामान के दसHपुऽ लटकाए गए। 15 और शूशन के यहूदयHने अदार मह:ने के चौदहव दन को भी इक=ठे होकर शूशन म तीन सौ पुdषHको घात कया, पर(तु धन को न

लूटा। 16 राGय के और और ूा(तHके यहूद: इक=ठे होकर अपना अपना ूाण बचाने के िलथे खड़े हुए, और अपके वैgरयHम से पचहर हजार मनुंयHको घात करके अपके शऽुओं से वौम पाया; पर(तु धन को न लूटा। 17 यह अदार मह:ने के तेरहव दन को कया गया, और चौदहव दन को उ(हHने वौम करके जेवनार क और आन(द का दन ठहराया। 18 पर(तु शूशन के यहूद: अदार मह:ने के तेरहव दन को, और उसी मह:ने के चौदहव दन को इक=ठे हुए, और उसी मह:ने के प(िहव दन को उ(हHने वौम करके जेवनार का और आन(द का दन ठहराया। 19 इस कारण दे हाती यहूद: जो बना शहरपनाह क ब'ःतयHम रहते हE , वे अदार मह:ने के चौदहव दन को आन(द ओर जेवनार और खुशी और आपस म बैना भेजने का दन िनयुf करके मानते हE । 20 इन बातHका वृा(त िलखकर, मोदO कै ने राजा झयषO के सब ूा(तHम , या िनकट या दरू रहनेवाले सारे यहूदयHके पास िच'=ठयां भेजीं, 21 और यह आWा द:, क अदार मह:ने के चौदहव और उसी मह:ने के प(िहव दन को ूित वषO माना कर । 22 'जन म

यहूदयHने अपके शऽुओं से वौम पाया, और यह मह:ना 'जस म शोक आन(द से, और वलाप खुशी से बदला गया; (माना कर ) और उनको जेवनार और आन(द और एक दस ू रे के पास बैना भेजने ओर कंगालHको दान दे ने के दन मान । 23 और यहूदयHने जैसा आरSभ कया या, और जैसा मोदO कै ने उ(ह

िलखा, वैसा ह: करने का िन_य कर िलया। 24 यHक हSमदाता अगागी का पुऽ हामान जो सब यहूदयHका वरोधी या, उस ने यहूदयHके नाश करने क युf क, और उ(ह िमटा डालने और नाश करने के िलथे पूर अयाOत ् िच=ठq डाली यी। 25 पर(तु जब राजा ने यह जान िलया, तब उस ने आWा द: और िलखवाई क जो

द ु युf हामान ने यहूदयHके वda क यी वह उसी के िसर पर पलट आए, तब वह और उसके पुऽ फांसी के झSभHपर लटकाए गए। 26 इस कारण उन दनHका नाम पूर शcद से पूर:म रखा गया। इस िच=ठq क सब बातHके कारण, और जो कुछ उ(हHने इस वषय म दे खा और जो कुछ उन पर बीता या, उसके कारण भी 27 यहूदयHने अपके अपके िलथे और अप क स(तान के िलथे, और उन सभHके िलथे भी जो उन म िमल गए थे यह अटल ूण कया, क उस लेख के अनुसार ूित वषO उसके ठहराए हुए समय म वे थे दो दन मान । 28 और पीढ़: पीढ़:, कुल कुल, ूा(त ूा(त, नगर नगर म थे दन ःमरण कए और माने जाएंगे। और पूर:म नाम के दन यहूदयHम कभी न िमट गे और उनका ःमरण उनके वंश से जाता न रहे गा। 29 फर अबीहै ल क बेट: एःतेर रानी, और मोदO कै यहूद: ने, पूर:म के वषय यह दस ू र: िच=ठq बड़े अिध कारने के साय िलखी। 30 इसक नकल मोदO कै ने झयषO के राGय के, एक सौ साईसHूा(तHके सब यहूदयHके पास शा'(त दे नेवाली और स.ची बातHके साय इस आशय से भेजीं, 31 क पूर:म के उन दनHके वशेष ठहराए हुए समयHम मोदO कै यहूद: और एःतेर रानी क आWा के अनुसार, और जो यहूदयHने अपके और अप क स(तान के िलथे ठान िलया या, उसके अनुसार भी उपवास और वलाप कए जाएं। 32 और पूर:म के वंय का यह िनयम एःतेर क आWा से भी 'ःयर कया गया, और उनक चचाO पुःतक म िलखी गई। एःते र 10 1 और राजा झयषO ने दे श और समुि के टापू दोनHपर कर लगाया। 2 और उसके

माहाSय और पराबम के कामH, और मोदO कै क उस बड़ाई का पूरा cयोरा, जो राजा ने उसक क यी, या वह मादै और फारस के राजाओं के इितहास क पुःतक म नह:ं िलखा है ? 3 िनदान यहूद: मोदO कै, झयषO राजा ह: के नीचे या, और यहूदयHक l म बड़ा या, और उसके सब भाई उस से ूस(न थे, यHक वह अपके लोगHक भलाई क खोज म रहा करता या और अपके सब लोगHसे शा'(त क बात कहा करता या। अयूब 1 1 ऊज़ दे श म अयूब नाम एक पुdष या; वह खरा और सीधा या और परमे र का भय मानता और बुराई से पके रहता या। 2 उसके सात बेटे और तीन बेटयां उप(न हुई। 3 फर उसके सात हजार भेड़-बकgरयां, तीन हजार ऊंट, पांच सौ जोड़: बैल, और पांच सौ गदहयां, और बहुत ह: दास-दािसयां यीं; वरन उसके इतनी सSप यी, क पूरबयHम वह सब से बड़ा या। 4 उसके बेटे उपके अपके दन पर एक दस ू रे के घर म खाने-पीने को जाया करते थे; और अप क तीनHबहनHको अपके संग खाने-पीने के िलथे बुलवा भेजते थे। 5 और जब जब जे वनार के दन पूरे हो जाते , तब तब अयूब उ(ह बुलवाकर पवऽ करता, और बड़: भोर उठकर उनक िगनती के अनुसार होमबिल चढ़ाता या; यHक अयूब सोचता या, क कदािचत ् मेरे लड़कHने पाप करके परमे र को छोड़ दया हो। इसी र:ित अयूब सदै व कया करता या। 6 एक दन यहोवा परमे र के पुऽ उसके साSहने उप'ःयत हुए, और उनके बीच शैतान भी आया। 7 यहोवा ने शैतान से पूछा, तू कहां से आता है ? शैतान ने यहोवा को उर दया, क पृवी पर

इधर-उधर घूमते-फरते और डोलते-डालते आया हँू । 8 यहोवा ने शैतान से पूछा, या तू ने मेरे दास अयूब पर ~यान दया है ? यHक उसके तु`य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दरू रहनेवाला मनुंय और कोई नह:ं है । 9 शैतान ने यहोवा को उर दया, या अयूब परमे र का भय बना लाभ के मानता है ? 10 या तू ने उसक, और उसके घर क, और जो कुछ उसका है उसके चारHओर बाड़ा नह:ं बा(धा? तू ने तो उसके काम पर आशीष द: है , और उसक सSप दे श भर म फैल गई है । 11 पर(तु अब अपना हाथ बढ़ाकर जो कुछ उसका है , उसे छू; तब वह तेरे मुह ं पर तेर: िन(दा करे गा। 12 यहोवा ने शैतान से कहा, सुन, जो कुछ उसका है , वह सब तेरे हाथ म है ; केवल उसके शर:र पर हाथ न लगाना। तब शैतान यहोवा के साSहने से चला गया। 13 एक दन अयूब के बेटे-बेटयां बड़े भाई के घर म खाते और दाखमधु पी रहे थे; 14 तब एक दत ू अयूब के पास आकर कहने लगा, हम तो बैलHसे हल जोत रहे थे, और गदहयां उनके पास चर रह: यी, 15 क शबा के लोग धावा करके उनको ले गए, और तलवार से तेरे सेवकHको मार डाला; और मE ह: अकेला बचकर तुझे समाचार दे ने को आया हँू । 16 वह अभी यह कह ह: रहा या क दस ू रा भी आकर कहने लगा, क परमे र क आग आकाश से िगर: और उस से भेड़-बकgरयां और सेवक जलकर भःम हो गए; और मE ह: अकेला बचकर तुझे समाचार दे ने को आया हँू । 17 वह अभी यह कह ह: रहा या, क एक और भी आकर कहने लगा, क कसद: लोग तीन गोल बा(धकर ऊंटHपर धावा करके उ(ह ले गए, और तलवार से तेरे सेवकHको मार डाला; और मE ह: अकेला बचकर तुझे समाचार दे ने को आया हँू । 18 वह अभी यह कह ह: रहा या, क एक और भी आकर कहने लगा, तेरे बेट-बेटयां

बड़े भाई के घर म खाते और दाखमधु पीते थे, 19 क जंगल क ओर से बड़: ूचणड वायु च क, और घर के चारHकोनHको ऐसा फHका मारा, क वह जवानHपर िगर पड़ा और वे मर गए; और मE ह: अकेला बचकर तुझे समाचार दे ने को आया हँू । 20 तब अयूब उठा, और बागा फाड़, िसर मुड़ ं ाकर भूिम पर िगरा और दणडवत ् करके कहा, 21 मE अप क मां के पेट से नंगा िनकला और वह:ं नंगा लौट जाऊंगा; यहोवा ने दया और यहोवा ह: ने िलया; यहोवा का नाम ध(य है । 22 इन सब बातHम भी अयूब ने न तो पाप कया, और न परमे र पर मूखOता से दोष लगाया। अयूब 2 1 फर एक और दन यहोवा परमे र के पुऽ उसके साSहने उप'ःयत हुए, और उनके बीच शैतान भी उसके साSहने उप'ःयत हुआ। 2 यहोवा ने शैतान से पूछा, तू कहां से आता है ? शैतान ने यहोवा को उर दया, क इधर-उधर घूमते-फरते और डोलते-डालते आया हँू । 3 यहोवा ने शैतान से पूछा, या तू ने मेरे दास अयूब पर ~यान दया है क पृवी पर उसके तु`य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दरू रहनेवाला मनुंय और कोई नह:ं है ? और यrाप तू ने मुझे उसको बना कारण सयानाश करते को उभारा, तौभी वह अब तक अप क खराई पर बना है । 4 शैतान ने यहोवा को उर दया, खाल के बदले खाल, पर(तु ूाण के बदले मनुंय अपना सब कुछ दे दे ता है । 5 सो केवल अपना हाथ बढ़ाकर उसक ह']डयां और मांस छू, तब वह तेरे मुह ं पर ते र: िन(दा करे गा। 6 यहोवा ने शैतान से कहा, सुन, वह तेरे हाथ म है , केवल उसका ूाण

छोड़ दे ना। 7 तब शैतान यहोवा के साSहने से िनकला, और अयूब को पांव के तलवे से ले िसर क चोट: तक बड़े बड़े फोड़Hसे पीड़त कया। 8 तब अयूब खुजलाने के िलथे एक ठqकरा लेकर राख पर बैठ गया। 9 तब उसक \ी उस से कहने लगी, या तू अब भी अप क खराई पर बना है ? परमे र क िन(दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा। 10 उस ने उस से कहा, तू एक मूढ़ \ी क सी बात

करती है , या हम जो परमे र के हाथ से सुख लेते हE , द:ु ख न ल ? इन सब बातHम भी अयूब ने अपके मुह ं से कोई पाप नह:ं कया। 11 जब तेमानी एलीपज, और शूह: बलदद, और नामाती सोपर, अयूब के इन तीन िमऽHने इस सब वप का समाचार पाया जो उस पर प क यीं, तब वे आपस म यह ठानकर क हम अयूब के पास जाकर उसके संग वलाप कर गे, और उसको शा'(त द गे, अपके अपके यहां से उसके पास चले। 12 जब उ(हHने दरू से आंख उठाकर अयूब को दे खा और उसे न ची(ह सके, तब िच`लाकर रो उठे ; और अपना अपना बागा फाड़ा, और आकाश क ओर धूिल उड़ाकर अपके अपके िसर पर डाली। 13 तब वे सात दन और सात रात उसके संग भूिम पर बैठे रहे , पर(तु उसका द:ु ख बहुत ह: बड़ा जान कर कसी ने उस से एक भी बात न कह:। अयूब 3 1 इसके बाद अयूब मुह ं खोलकर अपके ज(मदन को िधSमारने 2 और कहने लगा, 3 वह दन जल जाए 'जस म मE उप(न हुआ, और वह रात भी 'जस म

कहा गया, क बेटे का गभO रहा। 4 वह दन अ'(ध कारनेा हो जाए ! ऊपर से ई र उसक सुिध न ले, और न उस म ूकाश होए। 5 अ'(ध कारनेा और मृयु

क छाया उस पर रहे । बादल उस पर छाए रह ; और दन को अ(धेरा कर दे नेवाली चीजHउसे डराएं। 6 घोर अ(धकार उस रात को पकड़े ; वषO के दनHके बीच वह आन(द न करने पाए, और न मह:नHम उसक िगनती क जाए। 7 सुनो, वह रात बांफ हो जाए; उस म गाने का शcद न सुन पके 8 जो लोग कसी दन को िध कारते हE , और िलcयातान को छे ड़ने म िनपुण हE , उसे ~क् '◌कार । 9 उसक सं~या के तारे ूकाश न द ; वह उ'जयाले क बाट जोहे पर वह उसे न िमले, वह भोर क पलकHको भी दे खने न पाए; 10 यHक उस ने मेर: माता क कोख को ब(द न कया और क को मेर: l से न िछपाया। 11 मE गभO ह: म यHन मर गया? मE पेट से िनकलते ह: मेरा ूाण यHन छूटा? 12 मE घुटनHपर यHिलया गया? मE छाितयHको यHपीने पाया? 13 ऐसा न होता तो मE चुपचाप पड़ा रहता, मE सोता रहता और वौम करता, 14 और मE पृवी के उन राजाओं और म'(ऽयHके साय होता 'ज(हHने अपके िलथे सुनसान ःयान बनवा िलए, 15 वा मE उन राजकुमारHके साय होता 'जनके पास सोना या 'ज(हHने अपके घरHको चा(द: से भर िलया या; 16 वा मE असमय िगरे हुए गभO क नाई हुआ होता, वा ऐसे ब.चHके समान होता 'ज(हHने उ'जयाले को कभी दे खा ह: न हो। 17 उस दशा म द ु लोग फर द:ु ख नह:ं दे ते, और यके मांदे वौम पाते हE । 18 उस म ब(धुए एक संग सुख से रहते हE ; और पgरnम करानेवाले का शcद नह:ं सुनते। 19 उस म छोटे बड़े सब रहते हE , और दास अपके ःवामी से ःवत(ऽ रहता है । 20 द:ु 'खयHको उ'जयाला, और उदास मनवालHको जीवन यHदया जाता है ? 21 वे मृयु क बाट जोहते हE पर वह आती नह:ं; और गड़े हुए धन से अिधक उसक खोज करते हE ; 22 वे क़ॄ को पहंु चकर आन'(दत और अय(त मगन होते हE । 23 उ'जयाला उस

पुdष क यHिमलता है 'जसका मागO िछपा है , 'जसके चारHओर ई र ने घेरा बा(ध दया है ? 24 मुझे तो रोट: खाने क स(ती लSबी लSबी सांस आती हE , और मेरा वलाप धारा क नाई बहता रहता है । 25 यHक 'जस डरावनी बात से मE डरता हँू , वह: मुझ पर आ पड़ती है , और 'जस बात से मE भय खाता हँू वह: मुझ पर आ जाती है । 26 मुझे न तो चैन, न शा'(त, न वौम िमलता है ; पर(तु द:ु ख ह: आता है । अयूब 4 1 तब ते मानी एलीपज ने कहा, 2 यद कोई तुझ से कुछ कहने लगे, तो या तुझे बुरा लगेगा? पर(तु बोले बना कौन रह सकता है ? 3 सुन, तू ने बहुतHको िशझा द: है , और िनबOल लोगHको बलव(त कया है । 4 िगरते हुओं को तू ने अप क बातHसे सSभाल िलया, और लड़खड़ाते हुए लोगHको तू ने बलव(त कया। 5 पर(तु अब वप तो तुझी पर आ प क, और तू िनराश हुआ जाता है ; उस ने तुझे छुआ और तू घबरा उठा। 6 या परमे र का भय ह: ते रा आसरा नह:ं? और या तेर: चालचलन जो खर: है तेर: आशा नह:ं? 7 या तुझे मालूम है क कोई िनदॉष भी कभी नाश हुआ है ? या कह:ं सGजन भी काट डाले गए? 8 मेरे दे खने म

तो जो पाप को जोतते और द:ु ख बोते हE , वह: उसको काटते हE । 9 वे तो ई र क

ास से नाश होते, और उसके बोध के फोके से भःम होते हE । 10 िसंह का गरजना और हं सक िसंह का दहाड़ना ब(द हो आता है । और जवान िसंहHके दांत तोड़े जाते हE । 11 िशकार न पाकर बूढ़ा िसंह मर जाता है , और िसंहनी के व.चे िततर बतर हो जाते हE । 12 एक बात चुपके से मेरे पास पहंु चाई गई, और उसक

कुछ भनक मेरे कान म प क। 13 रात के ःव€नHक िच(ताओं के बीच जब मनुंय गहर: िनिा म रहते हE , 14 मुझे ऐसी यरयराहट और कंपकंपी लगी क मेर: सब ह']डयां तक हल उठqं। 15 तब एक आमा मेरे साSहने से होकर च क; और मेर: दे ह के रोएं खड़े हो गए। 16 वह चुपचाप ठहर गई और मE उसक आकृ ित को पहचान न सका। पर(तु मेर: आंखHके साSहने कोई dप या; पहले स(नाटा छाया रहा, फर मुझे एक शcद सुन पड़ा, 17 या नाशमान मनुंय ई र से अिधक (यायी होगा? या मनुंय अपके सृजनहार से अिधक पवऽ हो सकता है ? 18 दे ख, वह अपके सेवकHपर भरोसा नह:ं रखता, और अपके ःवगOदत ू Hको मूखO ठहराता है ; 19 फर जो िम=ट: के घरHम रहते हE , और 'जनक नेव िम=ट: म

डाली गई है , और जो पतंगे क नाई पस जाते हE , उनक या गणना। 20 वे भोर से सांफ तक नाश कए जाते हE , वे सदा के िलथे िमट जाते हE , और कोई उनका वचार भी नह:ं करता। 21 या उनके डे रे क डोर: उनके अ(दर ह: अ(दर नह:ं कट जाती? वे बना बुa के ह: मर जाते हE ! अयूब 5 1 पुकार कर दे ख; या कोई है जो तुझे उर दे गा? और पवऽHम से तू कस क ओर फरे गा? 2 यHक मूढ़ तो खेद करते करते नाश हो जाता है , और भोला जलते जलते मर िमटता है । 3 मE ने मूढ़ को जड़ माड़ते दे खा है ; पर(तु अचानक मE ने उसके वासःयान को िध कारा। 4 उसके लड़केबाले उaार से दरू हE , और वे फाटक म पीसे जाते हE , और कोई नह:ं है जो उ(ह छुड़ाए। 5 उसके खेत क उपज भूखे लोग खा लेते हE , वरन कट:ली बाड़ म से भी िनकाल लेते हE ; और €यासा

उनके धन के िलथे फ(दा लगाता है । 6 यHक वप धूल से उप(न नह:ं होती, और न क भूिम म से उगता है ; 7 पर(तु जैसे िचंगाgरयां ऊपर ह: ऊपर को उड़ जाती हE ,वैसे ह: मनुंय क ह: भोगने के िलथे उप(न हुआ है । 8 पर(तु मE तो ई र ह: को खोजता रहंू गा और अपना मुक़Xमा परमे र पर छोड़ दं ग ू ा। 9 वह तो एसे बड़े काम करता है 'जनक याह नह:ं लगती, और इतने आ_यOकमO करता है , जो िगने नह:ं जाते । 10 वह: पृवी के ऊपर वषाO करता, और खेतHपर जल बरसाता है । 11 इसी र:ित वह नॆ लोगHको ऊंचे ःयान पर बठाता है , और शोक का पहरावा पहने हुए लोग ऊंचे पर पहुचकर बचते हE । 12 वह तो धूO लोगHक क`पनाएं eययO कर दे ता है , और उनके हाथHसे कुछ भी बन नह:ं पड़ता। 13 वह बुaमानHको उनक धूOता ह: म फंसाता है ; और कुटल लोगHक युf दरू क जाती है । 14 उन पर दन को अ(धेरा छा जाता है , और दन दप ु हर: म वे रात क नाई टटोलते फरते हE । 15 पर(तु वह दgरिHको उनके वचनdपी तलवार से और बलवानHके हाथ से बचाता है । 16 इसिलथे कंगालHको आशा होती है , और कुटल मनुंयHका मुह ं ब(द हो जाता है । 17 दे ख, या ह: ध(य वह मनुंय, 'जसको ई र ताड़ना दे ता है ; इसिलथे तू सवOशfमान क ताड़ना को तु.छ मत जान। 18 यHक वह: घायल करता, और वह: प=ट: भी बा(धता है ; वह: मारता है , और वह: अपके हाथHसे चंगा भी करता है । 19 वह तुझे छ:वपयHसे छुड़ाएगा; वरन सात से भी तेर: कुछ हािन न होने पाएगी। 20 अकाल म वह तुझे मुयु से, और युa म तलवार क धार से बचा लेगा। 21 तू वचनRपी कोड़े से बचा रहे गा और जब वनाश आए, तब भी तुझे भय न होगा। 22 तू उजाड़ और अकाल के दनHम

हँ समुख रहे गा, और तुझे बनैले ज(तुओं से डर न लगेगा। 23 वरन मैदान के

पयर भी तुझ से वाचा बा(धे रह गे, और वनपशु तुझ से मेल रख गे। 24 और तुझे िन_य होगा, क तेरा डे रा कुशल से है , और जब तू अपके िनवास म दे खे तब कोई वःतु खे ई न होगी। 25 तुझे यह भी िन'_त होगा, क मेरे बहुत वंश हHगे। और मेरे स(तान पृवी क घास के तु`य बहुत हHगे। 26 जैसे पूिलयHका ढे र समय पर खिलहान म रखा जाता है , वैसे ह: तू पूर: अवःया का होकर क़ॄ को पहंु चेगा। 27 दे ख, हम ने खोज खोजकर ऐसा ह: पाया है ; इसे तू सुन, और अपके लाभ के िलथे ~यान म रख। अयूब 6 1 फर अयूब ने कहा, 2 भला होता क मेरा खेद तौला जाता, और मेर: सार: वप तुला म धर: जाती ! 3 यHक वह समुि क बालू से भी भार: ठहरती; इसी कारण मेर: बात उतावली से हूई हE । 4 यHक सवOशfमान के तीर मेरे अ(दर चुभे हE ; और उनका वष मेर: आमा म वैठ गया है ;ई र क भयंकर बात मेरे वda पांित बा(धे हE । 5 जब बनैले गदहे को घास िमलती, तब या वह र कता है ? और बैल चारा पाकर या डकारता है ? 6 जो फका है वह या बना नमक खाया जाता है ? या अणडे क सफेद: म भी कुछ ःवाद होता है ? 7 'जन वःतुओं को मE छूना भी नह:ं चाहता वह: मानो मेरे िलथे िघनौना आहार ठहर: हE । 8 भला होता क मुझे मुह ं मांगा वर िमलता और 'जस बात क मE आशा करता हँू वह ई र मुझे दे दे ता ! 9 क ई र ूस(न होकर मुझे कुचल डालता, और हाथ बढ़ाकर मुझे काट डालता ! 10 यह: मेर: शा'(त का कारण; वरन भार: पीड़ा म भी मE इस कारण से उछल पड़ता; यHक मE ने उस पवऽ के वचनHका कभी इनकार नह:ं

कया। 11 मुझ म बल ह: या है क मE आशा रखूं? और मेरा अ(त ह: या होगा, क मE धीरज धRं? 12 या मेर: lढ़ता पयरHक सी है ? या मेरा शर:र पीतल का है ? 13 या मE िनराधार नह:ं हँू ? या काम करने क शf मुझ से दरू नह:ं हो गई? 14 जो पड़ोसी पर कृ पा नह:ं करता वह सवOशfमान का भय मानना छोड़ दे ता है । 15 मेरे भाई नाले के समान व ासघाती हो गए हE , वरन उन नालHके समान 'जनक धार सूख जाती है ; 16 और वे बरफ के कारण काले से हो जाते हE , और उन म हम िछपा रहता है । 17 पर(तु जब गरमी होने लगती तब उनक धाराएं लोप हो जाती हE , और जब कड़: धूप पड़ती है तब वे अप क जगह से उड़ जाते हE 18 वे घूमते घूमते सूख जातीं, और सुनसान ःयान म बहकर नाश होती हE । 19 तेमा के बनजारे दे खते रहे और शबा के काफलेवालHने उनका राःता दे खा। 20 वे ल'Gजत हुए यHक उ(हHने भरोसा रखा या और वहां पहुचकर उनके मुह ं सूख गए। 21 उसी ूकार अब तुम भी कुछ न रहे ; मेर: वप दे खकर तुम डर गए हो। 22 या मE ने तुम से कहा या, क मुझे कुछ दो? वा उप क सSप म से मेरे िलथे घूस दो? 23 वा मुझे सतानेवाले के हाथ से बचाओ? वा उपिव करनेवालHके वश से छुड़ा लो? 24 मुझे िशझा दो और मE चुप रहंू गा; और मुझे समझाओ, क मE ने कस बान म चूक क है । 25 स.चाई के वचनHम कतना ूभाव होता है , पर(तु तुSहारे ववाद से या लाभ होता है ? 26 या तुम बात

पकड़ने क क`पना करते हो? िनराश जन क बात तो वायु क सी हE । 27 तुम अनायHपर िच=ठq डालते, और अपके िमऽ को बेचकर लाभ उठानेवाले हो। 28 इसिलथे अब कृ पा करके मुझे दे खो; िन_य मE तुSहारे साSहने कदाप फूठ न बोलूग ं ा। 29 फर कुछ अ(याय न होने पाए; फर इस मुक़Xमे म मेरा धमO GयHका

यHबना है , मE सय पर हँू । 30 या मेरे वचनHम कुछ कुटलता है ? या मE द ु ता नह:ं पहचान सकता? अयूब 7 1 या मनुंय को पृवी पर कठन सेवा करनी नह:ं पड़ती? या उसके दन मजदरू के से नह:ं होते? 2 जैसा कोई दास छाया क अिभलाषा करे , वा मजदरू अप क मजदरू : क आशा रखे; 3 वैसा ह: मE अनयO के मह:नHका ःवामी बनाया गया हँू , और मेरे िलथे लेश से भर: रात ठहराई गई हE । 4 जब मE लेट लाता, तब कहता हँू , मE कब उठू ं गा? और रात कब बीतेगी? और पौ फटने तक छटपटाते छटपटाते उकता जाता हँू । 5 मेर: दे ह कड़Hऔर और िम=ट: के ढे लHसे ढक हुई है ; मेरा चमड़ा िसमट जाता, और फर गल जाता है । 6 मेरे दन जुलाहे क धड़क से अिधक फुतीं से चलनेवाले हE और िनराशा म बीते जाते हE । 7 याद कर क मेरा जीवन वायु ह: है ; और मE अप क आंखHसे क`याण फर न दे खूंगा। 8 जो मुझे अब दे खता है उसे मE फर दखाई न दं ग ू ा; तेर: आंख मेर: ओर हHगी पर(तु मE न िमलूग ं ा। 9 जैसे बादल छटकर लोप हो जाता है , वैसे ह: अधोलोक म उतरनेवाला फर वहां से नह:ं लौट सकता; 10 वह अपके घर को फर लौट न आएगा, और न अपके ःयान म फर िमलेगा। 11 इसिलथे मE अपना मुह ं ब(द न रखूंगा; अपके मन का खेद खोलकर कहंू गा; और अपके जीव क कड़ु वाहट के कारण कुड़कुड़ाता रहूंगा। 12 या मE समुि हूँ, वा मगरम.छ हूँ, क तू मुझ पर पहरा बैठाता है ? 13 जब जब मE सोचता हंू क मुझे खाट पर शा'(त िमलेगी, और बछौने पर मेरा खेद कुछ हलका होगा; 14 तब तब तू मुझे ःव€नHसे घबरा दे ता, और दशOनHसे

भयभीत कर दे ता है ; 15 यहां तक क मेरा जी फांसी को, और जीवन से मृयु को अिधक चाहता है । 16 मुझे अपके जीवन से घृणा आती है ; मE सवOदा जीवत रहना नह:ं चाहता। मेरा जीवनकाल सांस सा है , इसिलथे मुझे छोड़ दे । 17 मनुंय या है , क तू उसे महव दे , और अपना मन उस पर लगाए, 18 और ूित भोर को उसक सुिध ले, और ूित झण उसे जांचता रहे ? 19 तू कब तक मेर: ओर आंख लगाए रहे गा, और इतनी दे र के िलथे भी मुझे न छोड़े गा क मE अपना यूक िनगल लू?ं 20 हे मनुंयHके ताकनेवाले, मE ने पाप तो कया होगा, तो मE ने तेरा या बगाड़ा? तू ने यHमुझ को अपना िनशाना बना िलया है , यहां तक क मE अपके ऊपर आप क बोफ हुआ हँू ? 21 और तू यHमेरा अपराध झमा नह:ं करता? और मेरा अधमO यHदरू नह:ं करता? अब तो मE िम=ट: म सो जाऊंगा, और तू मुझे य^ से ढू ं ढ़ेगा पर मेरा पता नह:ं िमलेगा। अयूब 8 1 तब शूह: बलदद ने कहा, 2 तू कब तक ऐसी ऐसी बात करता रहे गा? और तेरे मुह ं क बात कब तक ूचणड वायु सी रहे गी? 3 या ई र अ(याय करता है ? और या सवOशfमान धमO को उलटा करता है ? 4 यद तेरे लड़केबालHने उसके वda पाप कया है , तो उस ने उनको उनके अपराध का फल भुगताया है । 5 तौभी यद तू आप ई र को य^ से ढू ं ढ़ता, और सवOशfमान से िगड़िगड़ाकर बनती करता, 6 और यद तू िनमOल और धमीं रहता, तो िन_य वह तेरे िलथे जागता; और ते र: धिमकOता का िनवास फर GयHका यHकर दे ता। 7 चाहे तेरा भाग पहले छोटा ह: रहा हो पर(तु अ(त म तेर: बहुत बढती होती। 8 अगली पीढ़: के लोगHसे

तो पूछ, और जो कुछ उनके पुरखाओं ने जांच पड़ताल क है उस पर ~यान दे । 9 यHक हम तो कल ह: के हE , और कुछ नह:ं जानते; और पृवी पर हमारे दन छाया क नाई बीतते जाते हE । 10 या वे लोग तुझ से िशझा क बात न कह गे? या वे अपके मन से बात न िनकाल गे? 11 या कछार क घास पानी बना बढ़ सकती है ? या सरकणडा कच बना बढ़ता है ? 12 चाहे वह हर: हो, और काट: भी न गई हो, तौभी वह और सब भांित क घास से पहले ह: सूख जाती है । 13 ई र के सब बसरानेवालHक गित ऐसी ह: होती है और भfह:न क आशा टू ट जाती है । 14 उसक आश का मूल कट जाता है ; और 'जसका वह भरोसा करता है , वह मकड़: का जाला ठहराता है । 15 चाहे वह अपके घर पर टे क लगाए पर(तु वह न ठहरे गा; वह उसे lढ़ता से यांभेगा पर(तु वह ःय ्'◌र न रहे गा। 16 वह चूप पाकर हरा भरा हो जाता है , और उसक डािलयां बगीचे म चारHओर फैलती हE । 17 उसक जड़ कंकरHके ढे र म िलप क हुई रहती है , और वह पऽ के ःयान को दे ख लेता है । 18 पर(तु जब वह अपके ःयान पर से नाश कया जाए, तब वह ःयान उस से यह कहकर मुह ं मोड़ लेगा क मE ने उसे कभी दे खा ह: नह:ं। 19 दे ख, उसक आन(द भर: चाल यह: है ; फर उसी िम=ट: म से दस ू रे उग गे। 20 दे ख, ई र न तो खरे मनुंय को िनकSमा जानकर छोड़ दे ता है , और न बुराई करतेवालHको संभालता है । 21 वह तो तुझे हं समुख करे गा; और तुझ से जयजयकार कराएगा। 22 तेरे वैर: लGजा का व\ पहन गे, और द ु Hका डे रा कह:ं रहने न पाएगा। अयूब 9 1 तब अयूब ने कहा, 2 मE िन_य जानता हंू , क बात ऐसी ह: है ; पर(तु मनुंय

ई र क l म यHकर धमीं ठहर सकता है ? 3 चाहे वह उस से मुक़Xमा लड़ना भी चाहे तौभी मनुंय हजार बातHम से एक का भी उर न दे सकेगा। 4 वह बुaमान और अित सामयीं है : उसके वरोध म हठ करके कौन कभी ूबल हुआ है ? 5 वह तो पवOतHको अचानक हटा दे ता है और उ(ह पता भी नह:ं लगता, वह बोध म आकर उ(ह उलट पुलट कर दे ता है । 6 वह पृवी को हलाकर उसके ःयान से अलग करता है , और उसके खSभे कांपके लगते हE । 7 उसक आWा बना सूयO उदय होता ह: नह:ं; और वह तारHपर मुहर लगाता है ; 8 वह आकाशमणडल को अकेला ह: फैलाता है , और समुि क ऊंची ऊंची लहरHपर चलता है ; 9 वह सTषर,् मृगिशरा और कचपिचया और द' खन के नझऽHका बनानेवाला है । 10 वह तो ऐसे बड़े कमO करता है , 'जनक याह नह:ं लगती; और इतने आ_यOकमO करता है , जो िगने नह:ं जा सकते । 11 दे खो, वह मेरे साSहने से होकर तो चलता है पर(तु मुझको नह:ं दखाई पड़ता; और आगे को बढ़ जाता है , पर(तु मुझे सूफ ह: नह:ं पड़ता है । 12 दे खो, जब वह छqनने लगे, तब उसको कौन रोकेगा? कोन उस से कह सकता है क तू यह या करता है ? 13 ई र अपना बोध ठं डा नह:ं करता। अिभमानी के सहाथकHको उसके पांव तले फुकना पड़ता है । 14 फर मE या हंू , जो उसे उर दं ,ू और बात छांट छांटकर उस से ववाद कRं? 15 चाहे मE िनदॉष भी होता पर(तु उसको उर न दे सकता; मE अपके मुXई से िगड़िगड़ाकर बनती करता। 16 चाहे मेरे पुकारने से वह उर भी दे ता, तौभी मE इस बात क ूतीित न करता, क वह मेर: बात सुनता है । 17 वह तो आंधी चलाकर मुझे तोड़ डालता है , और बना कारण मेरे चोट पर चोट लगाता है । 18 वह मुझे सांस भी लेने नह:ं दे ता है , और मुझे कड़वाहट से भरता है । 19 जो

सामयO क चचाO हो, तो दे खो, वह बलवान है : और यद (याय क चचाO हो, तो वह कहे गा मुझ से कौन मुक़Xमा लड़े गा? 20 चाहे मE िनदॉष ह: यHन हूँ, पर(तु अपके ह: मुह ं से दोषी ठहRंगा; खरा होने पर भी वह मुझे कुटल ठहराएगा। 21 मE खरा तो हँू , पर(तु अपना भेद नह:ं जानता; अपके जीवन से मुझे घृण आती है । 22 बात तो एक ह: है , इस से मE यह कहता हँू क ई र खरे और द ु दोनHको नाश करता है । 23 जब लोग वप से अचानक मरने लगते हE तब वह िनदॉष लोगHके जांचे जाने पर हं सता है । 24 दे श द ु Hके हाथ म दया गया है । वह उसके (यािययHक आंखHको मू(द दे ता है ; इसका करनेवाला वह: न हो तो कौन है ? 25 मेरे दन हरकारे से भी अिधक वेग से चले जाते हE ; वे भागे जाते हE और उनको क`याण कुछ भी दखाई नह:ं दे ता। 26 वे वेग चाल से नावHक नाई चले जाते हE , वा अहे र पर फपटते हुए उक़ाब क नाई। 27 जो मE कहंू , क वलाप करना फूल जाऊंगा, और उदासी छोड़कर अपना मन ूफु'`लत कर दं ग ू ा, 28 तब मE अपके सब दख ु Hसे डरता हँू । मE तो जानता हँू , क तू मुझे िनदॉष न ठहराएगा। 29 मE तो दोषी ठहRंगा; फर eययO यHपgरnम कRं? 30 चाहे मE हम के जल म ःनान कRं, और अपके हाथ खार से िनमOल कRं, 31 तैभी तू मुझे गड़हे म डाल ह: दे गा, और मेरे व\ भी मुझ से िघनाएंगे। 32 यHक वह मेरे तु`य मनुंय नह:ं है क मE उस से वादववाद कर सकूं, और हम दोनHएक दस ू रे से मुक़Xमा लड़ सक । 33 हम दोनHके बीच कोई बचवई नह:ं है , जो हम दHनHपर अपना हाथ रखे। 34 वह अपना सHटा मुझ पर से दरू करे और उसक भय दे नेवाली बात मुझे न घबराए। 35 तब मE उस से िनडर होकर कुछ कह सकूंगा, यHक मE अप क l म ऐसा नह:ं हँू ।

अयूब 10 1 मेरा ूाण जीवत रहने से उकताता है ; मE ःवतंऽता पूवOक कुड़कुड़ाऊंगा; और मE अपके मन क कड़वाहट के मारे बात कRंगा। 2 मै ई र से कहंू गा, मुझे दोषी न ठहरा; मुझे बता दे , क तू कस कारण मूफ से मुक़Xमा लड़ता है ? 3 या तुझे अ(धेर करना, और द ु Hक युf को सुफल करके अपके हाथHके बनाए हुए को िनकSमा जानना भला लगता है ? 4 या तेर: दे ँधाgरयHक सी बांख है ? और या तेरा दे खना मनुंय का सा है ? 5 या तेरे दन मनुंय के दन के समान हE , वा तेरे वषO पुdष के समयHके तु`य हE , 6 क तू मेरा अधमO ढू ं ढ़ता, और मेरा पाप पूछता है ? 7 तुझे तो मालूम ह: है , क मE द ु नह:ं हँू , और तेरे हाथ से कोई छुड़ानेवाला नह:ं ! 8 तू ने अपके हाथHसे मुझे ठqक रचा है और जोड़कर बनाया है ; तौभी मुझे नाश कए डालता है । 9 ःमरण कर, क तू ने मुझ को गू(धी हुई िम=ट: क नाई बनाया, या तू मुझे फर धूल म िमलाएगा? 10 या तू ने मुझे दध ू क नाई उं डे लकर, और दह: के समान जमाकर नह:ं बनाया? 11 फर तू ने मुझ पर चमड़ा और मांस चढ़ाया और ह']डयां और नस गूंयकर मुझे बनाया है । 12 तू ने मुझे जीवन दया, और मुझ पर कdणा क है ; और तेर: चौकसी से मेरे ूाण क रझा हई है । 13 तौभी तू ने ऐसी बातHको अपके मन म िछपा रखा; मE तो जान गया, क तू ने ऐसा ह: करने को ठाना या। 14 जो मE पाप कRं, तो तू उसका लेखा लेगा; और अधमO करने पर मुझे िनदॉष न ठहराएगा। 15 जो मE द ु ता कRं तो मुझ पर हाथ ! और जो मE धमीं बनूं तौभी मE िसर न उठाऊंगा, यHक मE अपमान से भरा हुआ हूं और अपके द:ु ख पर ~यान रखता हूँ। 16 और चाहे िसर उठाऊं तौभी तू िसंह क नाई मेरा अहे र करता है , और फर मेरे वda आ_यOकमO करता है । 17

तू मेरे साSहने अपके नथे नथे साझी ले आता है , और मुझ पर अपना बोध बढ़ाता है ; और मुझ पर सेना पर सेना चढ़ाई करती है । 18 तू ने मुझे गभO से यHिनकाला? नह:ं तो मE वह:ं ूाण छोड़ता, और कोई मुझे दे खने भी न पाता। 19 मेरा होना न होने के समान होता, और पेट ह: से क़ॄ को पहंु चाया जाता। 20 या मेरे दन योड़े नह:ं? मुझे छोड़ दे , और मेर: ओर से मुह ं फेर ले, क मेरा मन योड़ा शा(त हो जाए 21 इस से पहले क मE वहां जाऊं, जहां से फर न लौटू ं गा, अयाOत ् अ'(ध कारने और धोर अ(धकार के दे श म , जहां अ(धकार ह: अ(धकार है ; 22 और मृयु के अ(धकार का दे श 'जस म सब कुछ गड़बड़ है ; और जहां ूकाश भी ऐसा है जैसा अ(धकार। अयूब 11 1 तब नामाती सोपर ने कहा: 2 बहुत सी बात जो कह: गई हE , या उनका उर दे ना न चाहथे? या बकवाद: मनुंय धमीं ठहराया जाए? 3 या तेरे बड़े बोल के कारण लोग चुप रह ? और जब तू ठ=ठा करता है , तो या कोई तुझे ल'Gजत न करे ? 4 तू तो यह कहता है क मेरा िसaा(त शुa है और मE ई र क l म पवऽ हँू । 5 पर(तु भला हो, क ई र ःवयं बात कर , और तेरे वda मुह ं खोले, 6 और तुझ पर बुa क गुT बात ूगट करे , क उनका ममO तेर: बुa से बढ़कर है । इसिलथे जान ले, क ई र तेरे अधमO म से बहुत कुछ भूल जाता है । 7 या तू ई र का गूढ़ भेद पा सकता है ? और या तू सवOशfमान का ममO पूर: र:ित से चांच सकता है ? 8 वह आकाश सा ऊंचा है ; तू या कर सकता है ? वह अधोलोक से गहरा है , तू कहां समझ सकता है ? 9 उसक माप पृवी से भी लSबी है और

समुि से चौड़: है । 10 जब ई र बीच से गुजरकर ब(द कर दे और अदालत म

बुलाए, तो कौन उसको रोक सकता है । 11 यHक वह पाखणड: मनुंयHका भेद जानता है , और अनयO काम को बना सोच वचार कए भी जान लेता है । 12 पन(तु मनुंय छूछा और िनबुOa होता है ; यHक मनुंय ज(म ह: से जंगली गदहे के ब.चे के समान होता है । 13 यद तू अपना मन शुa करे , और ई र क ओर अपके हाथ फैलाए, 14 और जो कोई अनयO काम तुझ से होता हो उसे दरू करे , और अपके डे रHम कोई कुटलता न रहने दे , 15 तब तो तू िन_य अपना मुह ं िनंकलंक दखा सकेगा; और तू ःय ्'◌र होकर कभी न डरे गा। 16 तब तू अपना द:ु ख भूल जाएगा, तू उसे उस पानी के समान ःमरण करे गा जो बह गया हो। 17 और ते रा जीवन दोपहर से भी अिधक ूकाशमान होगा; और चाहे अ(धेरा भी हो तौभी वह भोर सा हो जाएगा। 18 और तुझे आशा होगी, इस कारण तू िनभOय रहे गा; और अपके चारHओर दे ख दे खकर तू िनभOय वौम कर सकेगा। 19 और जब तू लेटेगा, तब कोई तुझे डराएगा नह:ं; और बहुतेरे तुझे ूस(न करते का य^ कर गे। 20 पर(तु द ु लोगHक आंख रह जाएंगी, और उ(ह कोई शdण ःयान न िमलेगा और उनक आशा यह: होगी क ूाण िनकल जाए। अयूब 12 1 तब अयूब ने कहा; 2 िन:स(दे ह मनुंय तो तुम ह: हो और जब तुम मरोगे तब बुa भी जाती रहे गी। 3 पर(तु तुSहार: नाई मुझ म भी समझ है , मE तुम लोगHसे कुछ तीचा नह:ं हँू कौन ऐसा है जो ऐसी बात न जानता हो? 4 मE ई र से ूायOना करता या, और वह मेर: सुन दया करता या; पर(तु अब मेरे पड़ोसी मुझ पर

हं सते हE ; जो धमीं और खरा मनुंय है , वह हं सी का कारण हो गया है । 5 द:ु खी लोग तो सु'खयHक समझ म तु.छ जाने जाते हE ; और 'जनके पांव फसला चाहते हE उनका अपमान अवँय ह: होता है । 6 डाकुओं के डे रे कुशल झेम से रहते हE , और जो ई र को बोध दलाते हE , वह बहुत ह: िनडर रहते हE ; और उनके हाथ म

ई र बहुत दे ता है । 7 पशुओं से तो पूछ और वे तुझे दखाएंगे; और आकाश के प'झयHसे, और वे तुझे बता द गे। 8 पृवी पर ~यान दे , तब उस से तुझे िशझा िमलेगी; ओर समुि क मछिलयां भी तुझ से वणOन कर गी। 9 कौन इन बातHको नह:ं जानता, क यहोवा ह: ने अपके हाथ से इस संसार को बनाया है । 10 उसके हाथ म एक एक जीवधार: का ूाण, और एक एक दे हधार: मनुंय क आमा भी रहती है । 11 जैसे जीभ से भोजन चखा जाता है , या वैसे ह: कान से वचन नह:ं परखे जाते? 12 बूढ़ां म बुa पाई जाती है , और लSबी आयुवालHम समझ होती तो है । 13 ई र म पूर: बुa और पराबम पाए जाते हE ; युf और समझ उसी म हE । 14 दे खो, 'जसको वह ढा दे , वह फर बनाया नह:ं जाता; 'जस मनुंय को वह ब(द करे , वह फर खोला नह:ं जाता। 15 दे खो, जब वह वषाO को रोक रखता है तो जल सूख जाता है ; फर जब वह जल छोड़ दे ता है तब पृवी उलट जाती है । 16 उस म सामयO और खर: बुa पाई जाती है ; धोख दे नेवाला और धोखा खानेवाला दोनHउसी के हE । 17 वह मंऽयHको लूटकर ब(धुआई म ले जाता, और (यािययHको मूखO बना दे ता है । 18 वह राजाओं का अिध कारने तोड़ दे ता है ; और उनक कमर पर ब(धन ब(धवाता है । 19 वह याजकHको लूटकर ब(धुआई म ले जाता और सामिययJको उलट दे ता है । 20 वह व ासयोbय पुdषHसे बोलने क शf और पुरिनयHसे ववेक क शf हर लेता है । 21 वह हाकमHको अपमान से लादता,

और बलवानHके हाथ ढ:ले कर दे ता है । 22 वह अ'(ध कारने क गहर: बात ूगट करता, और मृयु क छाया को भी ूकाश म ले आता है । 23 वह जाितयHको बढ़ाता, और उनको नाश करता है ; वह उनको फैलाता, और ब(धुआई म ले जाता है । 24 वह पृवी के मु‡य लोगHक बुa उड़ा दे ता, और उनको िनजOन ःयानHम

जहां राःता नह:ं है , भटकाता है । 25 वे बन उ'जयाले के अ(धेरे म टटोलते फरते हE ; और वह उ(ह ऐसा बना दे ता है क वे मतवाले क नाई डगमगाते हुए चलते हE । अयूब 13 1 सुनो, मE यह सब कुछ अप क आंख से दे ख चुका, और अपके कान से सुन चुका, और समझ भी चुका हँू । 2 जो कुछ तुम जानते हो वह मE भी जानता हँू ; मE तुम लोगHसे कुछ कम नह:ं हूँ। 3 मE तो सवOशfमान से बात कRंगा, और मेर: अिभलाषा ई र से वादववाद करने क है । 4 पर(तु तुम लोग फूठq बात के गढ़नेवाले हो; तुम सबके सब िनकSमे वैr हो। 5 भला होता, क तुम बलकुल चुप रहते, और इस से तुम बुaमान ठहरते। 6 मेरा ववाद सुनो, और मेर: बहस क बातHपर कान लगाओ। 7 या तुम ई र के िनिम टे ढ़: बात कहोगे, और उसके पझ म कपट से बोलोगे? 8 या तुम उसका पझपात करोगे? और ई र के िलथे मुकXमा चलाओगे। 9 या यह भला होगा, क वह तुम को जांचे? या जैसा कोई मनुंय को धोखा दे , वैसा ह: तुम या उसको भी धेखा दोगे? 10 जो तुम िछपकर पझपात करो, तो वह िन_य तुम को डांटेगा। 11 या तुम उसके माहाSय से भय न खाओगे? या उसका डर तुSहारे मन म न समाएगा? 12 तुSहारे ःमरणयोbय नीितवचन राख के समान हE ; तुSहारे कोट िम=ट: ह: के

ठहरे हE : 13 मुझ से बात करना छोड़ो, क मE भी कुछ कहने पाऊं; फर मुझ पर जो चाहे वह आ पके। 14 मE यHअपना मांस अपके दांतHसे चबाऊं? और यHअपना ूाण हथेली पर रखूं? 15 वह मुझे घात करे गा, मुझे कुछ आशा नह:ं; तौभी मE अप क चाल चलन का पझ लूग ं ा। 16 और यह भी मेरे बचाव का कारण होगा, क भfह:न जन उसके साSहने नह:ं जा सकता। 17 िच लगाकर मेर: बात सुनो, और मेर: बनती तुSहारे कान म पके। 18 दे खो, मE ने अपके बहस क पूर: तैयार: क है ; मुझे िन_य है क मE िनदॉष ठहRंगा। 19 कौन है जो मुझ से मुकXमा लड़ सकेगा? ऐसा कोई पाया जाए, तो मE चुप होकर ूाण छोडू ं गा। 20 दो ह: काम मुझ से न कर, तब मE तुझ से नह:ं िछपूंगा: 21 अप क ताड़ना मुझ से दरू कर ले, और अपके भय से मुझे भयभीत न कर। 22 तब तेरे बुलाने पर मE बोलूग ं ा; नह:ं तो मE ूo कRंगा, और तू मुझे उर दे । 23 मुझ से कतने अधमO के काम और पाप हुए हE ? मेरे अपराध और पाप मुझे जता दे । 24 तू कस कारण अपना मुह ं फेर लेता है , और मुझे अपना शऽु िगनता है ? 25 या तू उड़ते हुए पे को भी कंपाएगा? और सूखे डं ठल के पीछे पकेगा? 26 तू मेरे िलथे कठन द:ु खHक आWा दे ता है , और मेर: जवानी के अधमO का फल मुझे भुगता दे ता है । 27 और मेरे पांवHको काठ म ठHकता, और मेर: सार: चाल चलन दे खता रहता है ; और मेरे पांवHक चारHओर सीमा बा(ध लेता है । 28 और मE सड़: गली वःतु के तु`य हंू जो नाश हो जाती है , और कड़ा खाए कपके के तु`य हूँ। अयूब 14 1 मनुंय जो \ी से उम(न होता है , वह थेड़े दनHका और दख ु से भरा रहता है ।

2 वह फूल क नाई 'खलता, फर तोड़ा जाता हे ; वह छाया क र:ित पर ढल जाता, और कह:ं ठहरता नह:ं। 3 फर या तू ऐसे पर l लगाता है ? या तू मुझे अपके साय कचहर: म घसीटता है ? 4 अशुa वःतु से शुa वःतु को कौन िनकाल सकता है ? कोई नह:ं। 5 मनुंय के दन िनयुf कए गए हE , और उसके मह:नHक िगनती तेरे पास िलखी है , और तू ने उसके िलथे ऐसा िसवाना बा(धा है 'जसे वह पार नह:ं कर सकता, 6 इस कारण उस से अपना मुह ं फेर ले, क वह आराम करे , जब तक क वह मजदरू क नाई अपना दन पूरा न कर ले। 7 वुझ क तो आशा रहती है , क चाहे वह काट डाला भी जाए, तौभी फर पनपेगा और उस से नमO नमO डािलयां िनकलती ह: रह गी। 8 चाहे उसक जड़ भूिम म पुरानी भी हो जाए, और उसका ठू ं ठ िम=ट: म सूख भी जाए, 9 तौभी वषाO क ग(ध पाकर वह फर पनपेगा, और पौधे क नाई उस से शाखाएं फूट गी। 10 पर(तु पुdष मर जाता, और पड़ा रहता है ; जब उसका ूाण छूट गया, तब वह कहां रहा? 11 जैसे नील नद: का जल घट जाता है , और जैसे महानद का जल सूखते सूखते सूख जाता है , 12 वैसे ह: मनुंय लेट जाता और फर नह:ं उठता; जब तक आकाश बना रहे गा तब तक वह न जागे गा, और न उसक नींद टू टे गी। 13 भला होता क तू मुझे अधोलोक म िछपा लेता, और जब तक तेरा कोप ठं ढा न हो जाए तब तक मुझे िछपाए रखता, और मेरे िलथे समय िनयुf करके फर मेर: सुिध लेता। 14 यद मनुंय मर जाए तो या वह फर जीवत होगा? जब तक मेरा छूटकारा न होता तब तक मE अप क कठन सेवा के सारे दन आशा लगाए रहता। 15 तू मुझे बुलाता, और मE बोलता; तुझे अपके हाथ के बनाए हुए काम क अिभलाषा होती। 16 पर(तु अब तू मेरे पग पग को िगनता है , या तू मेरे पाप क ताक म लगा

नह:ं रहता? 17 मेरे अपराध छाप लगी हुई यैली म हE , और तू ने मेरे अधमO को सी रखा है । 18 और िन_य पहाड़ भी िगरते िगरते नाश हो जाता है , और च=टान अपके ःयान से हट जाती है ; 19 और पयर जल से िघस जाते हE , और भूिम क धूिल उसक बाढ़ से बहाई जाती है ; उसी ूकार तू मनुंय क आशा को िमटा दे ता है । 20 तू सदा उस पर ूबल होता, और वह जाता रहता है ; तू उसका िचहरा बगाड़कर उसे िनकाल दे ता है । 21 उसके पुऽHक बड़ाई होती है , और यह उसे नह:ं सूफता; और उनक घट: होती है , पर(तु वह उनका हाल नह:ं जानता। 22 केवल अपके ह: कारण उसक दे ी को द:ु ख होता है ; और अपके ह: कारण उसका ूाण अ(दर ह: अ(दर शोकत रहता है । अयूब 15 1 तब ते मानी एलीपज ने कहा, 2 या बुaमान को उिचत है क अWानता के साय उर दे , वा उपके अ(त:करण को पूरबी पवन से भरे ? 3 या वह िनंफल वचनHसे, वा eययO बातHसे वादववाद करे ? 4 वरन तू भय मानना छोड़ दे ता, और ई र का ~यान करना औरHसे छुड़ाता है । 5 तू अपके मुह ं से अपना अधमO ूगट करता है , और धूO लोगHके बोलने क र:ित पर बोलता है । 6 मE तो नह:ं पर(तु ते रा मुह ं ह: तुझे दोषी ठहराता है ; और तेरे ह: वचन तेरे वda साझी दे ते हE । 7 या पहला मतुंय तू ह: उप(न हुआ? या तेर: उप पहाड़Hसे भी पहले हुई? 8 या तू ई र क सभा म बैठा सुनता या? या बुa का ठqका तू ह: ने ले रखा है ? 9 तू ऐसा या जानता है 'जसे हम नह:ं जानते? तुझ म ऐसी कौन सी समझ है जो हम म नह:ं? 10 हम लोगHम तो प के बालवाले और अित पुरिनथे मनुंय हE ,

जो ते रे पता से भी बहुत आयु के हE । 11 ई र क शा'(तदायक बात , और जो वचन तेरे िलथे कोमल हE , या थे ते र: l म तु.छ हE ? 12 तेरा मन यHतुझे खींच ले जाता है ? और तू आंख से यHसैन करता है ? 13 तू भी अप क आमा ई र के वda करता है , और अपके मुह ं से eययO बात िनकलने दे ता है । 14 मनुंय है या क वह िनंकलंक हो? और जो \ी से उप(न हुआ वह है या क िनदॉष हो सके? 15 दे ख, वह अपके पवऽHपर भी व ास नह:ं करता, और ःवगO भी उसक l म िनमOल नह:ं है । 16 फर मनुंय अिधक िघनौना और मलीन है जो कुटलता को पानी क नाई पीता है । 17 मE तुझे समझा दं ग ू ा, इसिलथे मेर: सुन ले, जो मE ने दे खा है , उसी का वणOन मE करता हँू । 18 (वे ह: बात जो बुaमानHने अपके पुरखाओं से सुनकर बना िछपाए बताया है । 19 केवल उ(ह:ं को दे श दया गया या, और उनके म~य म कोई वदे शी आता जाता नह:ं या।) 20 द ु जन जीवन भर पीड़ा से तड़पता है , और बलाकार: के वषॉं क िगनती ठहराई हुई है । 21 उसके कान म डरावना शcद गूंजता रहता है , कुशल के समय भी नाशक उस पर आ पड़ता है । 22 उसे अ'(ध कारने म से फर िनकलने क कुछ आशा नह:ं होती, और तलवार उसक घात म रहती है । 23 वह रोट: के िलथे मारा मारा फरता है , क कहां िमलेगी। उसे िन_य रहता है , क अ(धकार का दन मेरे पास ह: है । 24 संकट और दघ O ना से असको डर लगता रहता है , ऐसे राजा क ु ट नाई जो युa के िलथे तैयार हो, वे उस पर ूबल होते हE । 25 उस ने तो ई र के वda हाथ बढ़ाया है , और सवOशfमान के वda वह ताल ठHकता है , 26 और िसर उठाकर और अप क मोट: मोट: ढाल दखाता हुआ घमणड से उस पर धावा करता है ; 27 इसिलथे क उसके मुह ं पर िचकनाई छा गई है , और उसक

कमर म च कं जमी है । 28 और वह उजाड़े हुए नगरHम बस गया है , और जो घर रहने योbय नह:ं, और खणडहर होने को छोड़े गए हE , उन म बस गया है । 29 वह धनी न रहे गा, और न उसक सSप बनी रहे गी, और ऐसे लोगHके खेत क उपज भूिम क ओर न भुकने पाएगी। 30 वह अ'(ध कारने से कभी न िनकलेगा, और उसक डािलयां आग क लपट से फुलस जाएंगी, और ई र के मुह ं क ास से वह उड़ जाएगा। 31 वह अपके को धोखा दे कर eययO बातHका भरोसा न करे , यHक उसका बदला धोखा ह: होगा। 32 वह उसके िनयत दन से पहले पूरा हो जाएगा; उसक डािलयां हर: न रह गी। 33 दाख क नाई उसके क.चे फल फड़ जाएंगे, और उसके फूल जलपाई के वृझ के से िगर गे। 34 यHक भfह:न के पgरवार से कुछ बन न पकेगा, और जो घूस लेते हE , उनके तSबू आग से जल जाएंगे। 35 उनके उपिव का पेट रहता, और अनयO उप(न होता है : और वे अपके अ(त:करण म छल क बात गढ़ते हE । अयूब 16 1 तब अयूब ने कहा, 2 ऐसी बहुत सी बात मE सुन चुका हूँ, तुम सब के सब िनकSमे शा'(तदाता हो। 3 या eययO बातHका अ(त कभी होगा? तू कौन सी बात से फड़ककर उर दे ता। 4 जो तुSहार: दशा मेर: सी होती, तो मE भी तुSहार: सी बात कर सकता; मE भी तुSहारे वda बात जोड़ सकता, और तुSहारे वda िसर हला सकता। 5 वरन मE अपके वचनHसे तुम को हयाव दलाता, और बातHसे शा'(त दे कर तुSहारा शोक घटा दे ता। 6 चाहे मE बोलूं तौभी मेरा शोक न घटे गा, चाहे मE चुप रहंू , तौभी मेरा द:ु ख कुछ कम न होगा। 7 पर(तु अब उस ने पुफे

उकता दया है ; उस ने मेरे सारे पgरवार को उजाड़ डाला है । 8 और उस ने जो मेरे शर:र को सुखा डाला है , वह मेरे वda साझी ठहरा है , और मेरा दब ु लापन मेरे वda खड़ा होकर मेरे साSहने साझी दे ता है । 9 उस ने बोध म आकर मुझ को फाड़ा और मेरे पीछे पड़ा है ; वह मेरे वda दांत पीसता; और मेरा वैर: मुझ को आंख दखाता है । 10 अब लोग मुझ पर मुह ं पसारते हE , और मेर: नामधराई करके मेरे गाल पर यपेड़ा मारते, और मेरे वda भीड़ लगाते हE । 11 ई र ने मुझे कुटलHके वश म कर दया, और द ु लोगHके हाथ म फ क दया है । 12 मE सुख से रहता या, और उस ने मुझे चूर चूर कर डाला; उस ने मेर: गदO न पकड़कर मुझे टु कड़े टु कड़े कर दया; फर उस ने पुफे अपना िनशाना बनाकर खड़ा कया है । 13 उसके तीर मेरे चारHओर उड़ रहे हE , वह िनदO य होकर मेरे गुदॉं को बेधता है , और मेरा िम भूिम पर बहाता है । 14 वह शूर क नाई मुझ पर धावा करके मुझे चोट पर चोट पहंु चाकर घायल करता है । 15 मE ने अप क खाल पर टाट को सी िलया है , और अपना सींग िम=ट: म मैला कर दया है । 16 रोते रोते मेरा मुह ं सूज गया है , और मेर: आंखHपर घोर अ(धकार छा गया है ; 17 तौभी मुझ से कोई उपिव नह:ं हुआ है , और मेर: ूायOना पवऽ है । 18 हे पृवी, तू मेरे लोहू को न ढांपना, और मेर: दोहाई कह:ं न dके। 19 अब भी ःवगO म मेरा साझी है , और मेरा गवाह ऊपर है । 20 मेरे िमऽ मुझ से घृणा करते हE , पर(तु मE ई र के साSहने आंसू बहाता हूँ, 21 क कोई ई र के वda सGजन का, और आदमी का मुक़Xमा उसके पड़ोसी के वda लड़े । 22 यHक योड़े ह: वषॉं के बीतने पर मE उस मागO से चला जाऊंगा, 'जस से मE फर वापस न लौटू ं गा। अयूब 17

1 मेरा ूाण नाश हुआ चाहता है , मेरे दन पूरे हो चुके हE ; मेरे िलथे कॄ तैयार है । 2 िन_य जो मेरे संग हE वह ठ=ठा करनेवाले हE , और उनका फगड़ा रगड़ा मुझे लगातार दखाई दे ता है । 3 जमानत दे अपके और मेरे बीच म तू ह: जािमन हो; कौन है जो मेरे हाथ पर हाथ मारे ? 4 तू ने इनका मन समझने से रोका है , इस कारण तू इनको ूबल न करे गा। 5 जो अपके िमऽHको चुगली खाकर लूटा दे ता, उसके लड़कHक आंख रह जाएंगी। 6 उस ने ऐसा कया क सब लोग मेर: उपमा दे ते हE ; और लोग मेरे मुह ं पर यूकते हE । 7 खेद के मारे मेर: आंखHम घुघ ं लापन छा गया है , और मेरे सब अंग छाया क नाई हो गए हE । 8 इसे दे खकर सीधे लोग चकत होते हE , और जो िनदॉष हE , वह भfह:न के वda उभरते हE । 9 तौभी धमीं लोग अपना मागO पकड़े रह गे, और शुa काम करनेवाले सामयO पर सामयO पाते जाएंगे। 10 तुम सब के सब मेरे पास आओ तो आओ, पर(तु मुझे तुम लोगHम

एक भी बुaमान न िमलेगा। 11 मेरे दन तो बीत चुके, और मेर: मनसाएं िमट गई, और जो मेरे मन म या, वह नाश हुआ है । 12 वे रात को दन ठहराते; वे कहते हE , अ'(ध कारने के िनकट उ'जयाला है । 13 यद मेर: आश यह हो क अधोलोक मेरा धाम होगा, यद मE ने अ'(ध कारने म अपना बछौना बछा िलया है , 14 यद मE ने सड़ाहट से कहा क तू मेरा पता है , और कड़े से, क तू मेर: मां, और मेर: बहन है , 15 तो मेर: आशा कहां रह:? और मेर: आशा कस के दे खने म आएगी? 16 वह तो अधोलोक म उतर जाएगी, और उस समेत मुझे भी िम=ट: म वौम िमलेगा। अयूब 18

1 तब शूह: ब`दद ने कहा, 2 तुम कब तक फ(दे लगा लगाकर वचन पकड़ते रहोगे? िच लगाओ, तब हम बोल गे। 3 हम लोग तुSहार: l म यHपशु के तु`य समझे जाते, और अशुa ठहरे हE । 4 हे अपके को बोध म फाड़नेवाले या तेरे िनिम पृवी उजड़ जाएगी, और च=टान अपके ःयान से हट जाएगी? 5 तौभी द ु Hका द:पक बुफ जाएगा, और उसक आग क लौ न चमकेगी। 6 उसके डे रे म का उ'जयाला अ(धेरा हो जाएगा, और उसके ऊपर का दया बुफ जाएगा। 7 उसके बड़े बड़े फाल छोटे हो जाएंगे और वह अप क ह: युf के kारा िगरे गा। 8 वह अपना ह: पांव जाल म फंसाएगा, वह फ(दHपर चलता है । 9 उसक एड़: फ(दे म फंस जाएगी, और वह जाल म पकड़ा जाएगा। 10 फ(दे क र'ःसयां उसके िलथे भूिम म , और जाल राःते म िछपा दया गया है । 11 चारHओर से डरावनी वःतुएं उसे डराएंगी और उसके पीछे पड़कर उसको भगाएंगी। 12 उसका बल द:ु ख से घट जाएगा, और वप उसके पास ह: तैयार रहे गी। 13 वह उसके अंग को खा जाएगी, वरन काल का पहलौठा उसके अंगHको खा लेगा। 14 अपके 'जस डे रे का भरोसा वह करता है , उस से वह छqन िलया जाएगा; और वह भयंकरता के राजा के पास पहंु चाया जाएगा। 15 जो उसके यहां का नह:ं है वह उसके डे रे म

वास करे गा, और उसके घर पर ग(धक िछतराई जाएगी। 16 उसक जड़ तो सूख जाएगी, और डािलयां कट जाएंगी। 17 पृवी पर से उसका ःमरण िमट जाएगा, और बाज़ार म उसका नाम कभी न सुन पकेगा। 18 वह उ'जयाले से अ'(ध कारने म ढकेल दया जाएगा, और जगत म से भी भगाया जाएगा। 19 उसके कुटु 'SबयHम उसके कोई पुऽपौऽ न रहे गा, और जहां वह रहता या, वहां कोई बचा न रहे गा। 20 उसका दन दे खकर पूरबी लोग चकत हHगे, और प'_म

के िनवािसयHके रोएं खड़े हो जाएंगे। 21 िन:स(दे ह कुटल लोगHके िनवास ऐसे हो जाते हE , और 'जसको ई र का Wान नह:ं रहता उसका ःयान ऐसा ह: हो जाता है । अयूब 19 1 तब अयूब ने कहा, 2 तुम कब तक मेरे ूाण को द:ु ख दे ते रहोगे; और बातHसे मुझे चूर चूर करोगे? 3 इन दसHबार तुम लोग मेर: िन(दा ह: करते रहे , तुSह

लGजा नह:ं आती, क तुम मेरे साय कठोरता का बरताव करते हो? 4 मान िलया क मुझ से भूल हुई, तौभी वह भूल तो मेरे ह: िसर पर रहे गी। 5 यद तुम सचमुच मेरे वda अप क बड़ाई करते हो और ूमाण दे कर मेर: ित(दा करते हो, 6 तो यह जान लो क ई र ने मुझे िगरा दया है , और मुझे अपके जाल म फंसा िलया है । 7 दे खो, मE उपिव ! उपिव ! यHिच`लाता रहता हूँ, पर(तु कोई नह:ं सुनता; मE सहाथता के िलथे दोहाई दे ता रहता हँू , पर(तु कोई (याय नह:ं करता। 8 उस ने मेरे मागO को ऐसा Rंधा है क मE आगे चल नह:ं सकता, और मेर: डगर अ(धेर: कर द: हE । 9 मेरा वभव उस ने हर िलया है , और मेरे िसर पर से मुकुट उतार दया है । 10 उस ने चारHओर से मुझे तोड़ दया, बस मE जाता रहा, और मेरा आसरा उस ने वृझ क नाई उखाड़ डाला है । 11 उस ने मुझ पर अपना बोध भड़काया है और अपके शऽुओं म मुझे िगनता है । 12 उसके दल इक=ठे होकर मेरे वda मोचाO बा(धते हE , और मेरे डे रे के चारHओर छावनी डालते हE । 13 उस ने मेरे भाइयHको मुझ से दरू कया है , और जो मेर: जान पहचान के थे, वे बलकुल अनजान हो गए हE । 14 मेरे कुटु ं बी मुझे छोड़ गए हE , और जो मुझे जानते थे वह मुझे भूल गए हE । 15 जो मेरे घर म रहा करते थे, वे , वरन मेर: दािसयां भी मुझे

अनजाना िगनने लगीं हE ; उनक l म मE परदे शी हो गया हँू । 16 जब मE अपके दास को बुलाता हूँ, तब वह नह:ं बोलता; मुझे उस से िगड़िगड़ाना पड़ता है । 17 मेर: सांस मेर: \ी को और मेर: ग(ध मेरे भाइयHक l म िघनौनी लगती है । 18 लड़के भी मुझे तु.छ जानते हE ; और जब मE उठने लगता, तब वे मेरे वda बोलते हE । 19 मेरे सब परम िमऽ मुझ से kे ष रखते हE , और 'जन से मE ने ूेम कया सो पलटकर मेरे वरोधी हो गए हE । 20 मेर: खाल और मांस मेर: ह']डयHसे सट गए हE , और मE बाल बाल बच गया हंू । 21 हे मेरे िमऽो ! मुझ पर दया करो, दया, यHक ई र ने मुझे मारा है । 22 तुम ई र क नाई यHमेरे पीछे पके हो? और मेरे मांस से यHतृT नह:ं हुए? 23 भला होता, क मेर: बात िलखी जातीं; भला होता, क वे पुःतक म िलखी जातीं, 24 और लोहे क टांक और शीशे से वे सदा के िलथे च=टान पर खोद: जातीं। 25 मुझे तो िन_य है , क मेरा छुड़ानेवाला जीवत है , और वह अ(त म पृवी पर खड़ा होगा। 26 और अप क खाल के इस ूकार नाश हो जाने के बाद भी, मE शर:र म होकर ई र का दशOन पाऊंगा। 27 उसका दशOन मE आप अप क आंखHसे अपके िलथे कRंगा, और न कोई दस ू रा। यrप मेरा ॑ृदय अ(दर ह: अ(दर चूर चूर भी हो जाए, 28 तौभी मुझ म तो धमO का मूल पाया जाता है ! और तुम जो कहते हो हम इसको यHकर सताएं ! 29 तो तुम तलवार से डरो, यHक जलजलाहट से तलवार का दणड िमलता है , 'जस से तुम जान लो क (याय होता है । अयूब 20 1 तब नामाती सोपर ने कहा, 2 मेरा जी चाहता है क उर दं ,ू और इसिलथे

बोलने म फुतीं करता हँू । 3 मE ने ऐसी िचतौनी सुनी 'जस से मेर: िन(दा हुई, और मेर: आमा अप क समझ के अनुसार तुझे उर दे ती है । 4 या तू यह िनयम नह:ं जानता जो ूाचीन और उस समय का है , जब मनुंय पृवी पर बसाया गया, 5 क द ु Hका ताली बजाना ज`द: ब(द हो जाता और भfह:नHका आन(द पल भर का होता है ? 6 चाहे ऐसे मनुंय का माहाSय आकाश तक पहंु च जाए, और उसका िसर बादलHतक पहुंचे, 7 तौभी वह अप क वvा क नाई सदा के िलथे नाश हो जाएगा; और जो उसको दे खते थे वे पूछ गे क वह कहां रहा? 8 वह ःव€न क नाई लोप हो जाएगा और कसी को फर न िमलेगा; रात म दे खे हुए Rप क नाई वह रहने न पाएगा। 9 'जस ने उसको दे खा हो फर उसे न दे खेगा, और अपके ःयान पर उसका कुछ पता न रहे गा। 10 उसके लड़केबाले कंगालHसे भी बनती कर गे, और वह अपना छqना हुआ माल फेर दे गा। 11 उसक ह']डयHम

जवानी का बल भरा हुआ है पर(तु वह उसी के साय िम=ट: म िमल जाएगा। 12 चाहे बुराई उसको मीठq लगे, और वह उसे अप क जीभ के नीचे िछपा रखे , 13 और वह उसे बचा रखे और न छोड़े , वरन उसे अपके तालू के बीच दबा रखे, 14 तौभी उसका भोजन उसके पेट म पलटे गा, वह उसके अ(दर नाग का सा वष बन जाएगा। 15 उस ने जो धन िनगल िलया है उसे वह फर उगल दे गा; ई र उसे उसके पे ट म से िनकाल दे गा। 16 वह नागHका वष चूस लेगा, वह करै त के डसने से मर जाएगा। 17 वह नदयHअयाOत ् मधु और दह: क नदयHको दे खने न पाएगा। 18 'जसके िलथे उस ने पgरnम कया, उसको उसे लौटा दे ना पकेगा, और वह उसे िनगलने न पाएगा; उसक मोल ली हुई वःतुओं से 'जतना आन(द होना चाहथे, उतना तो उसे न िमलेगा। 19 यHक उस ने कंगालHको पीसकर छोड़

दया, उस ने घर को छqन िलया, उसको वह बढ़ाने न पाएगा। 20 लालसा के मारे उसको कभी शा'(त नह:ं िमलती यी, इसिलथे वह अप क कोई मनभावनी वःतु बचा न सकेगा। 21 कोई वःतु उसका कौर बना हुए न बच क यी; इसिलथे उसका कुशल बना न रहे गा 22 पूर: सSप रहते भी वह सकेती म पकेगा; तब सब द:ु 'खयHके हाथ उस पर उठ गे। 23 ऐसा होगा, क उसका पेट भरने के िलथे ई र अपना बोध उस पर भड़काएगा, और रोट: खाने के समय वह उस पर पकेगा। 24 वह लोहे के हिययार से भागे गा, और पीतल के धनुष से मारा जाएगा। 25 वह उस तीर को खींचकर अपके पे ट से िनकालेगा, उसक चमकली नHक उसके पे से होकर िनकलेगी, भय उस म समाएगा। 26 उसके गड़े हुए धन पर घोर अ(धकार छा जाएगा। वह ऐसी आग से भःम होगा, जो मनुंय क फूंक हुई न हो; और उसी से उसके डे रे म जो बचा हो वह भी भःम हो जाएगा। 27 आकाश उसका अयमO ूगट करे गा, और पृवी उसके वda खड़: होगी। 28 उसके घर क बढ़ती जाती रहे गी, वह उसके बोध के दन बह जाएगी। 29 परमे र क ओर से द ु मनुंय का अंश, और उसके िलथे ई र का ठहराया हुआ भाग यह: है । अयूब 21 1 तब अयूब ने कहा, 2 िच लगाकर मेर: बात सुनो; और तुSहार: शा'(त यह: ठहरे । 3 मेर: कुछ तो सहो, क मE भी बात कRं; और जब मE बात कर चुकूं, तब पीछे ठ=ठा करना। 4 या मE कसी मनुंय क दोहाई दे ता हूँ? फर मE अधीर यHन होऊं? 5 मेर: ओर िच लगाकर चकत हो, और अप क अप क उं गली दांत तले दबाओ। 6 जब मE ःमरण करता तब मE घबरा जाता हँू , और मेर: दे ह म

कंपकंपी लगती है । 7 या कारण है क द ु लोग जीवत रहते हE , वरन बूढ़े भी हो जाते, और उनका धन बढ़ता जाता है ? 8 उनक स(तान उनके संग, और उनके बालब.चे उनक आंखHके साSहने बने रहते हE । 9 उनके घर म भयरहत कुशल रहता है , और ई र क छड़: उन पर नह:ं पड़ती। 10 उनका सांड़ गािभन करता और चूकता नह:ं, उनक गाथ बयाती हE और ब.चा कभी नह:ं िगरातीं। 11 वे अपके लड़कHको फुणड के फुणड बाहर जाने दे ते हE , और उनके ब.चे नाचते हE । 12 वे डफ और वीणा बजाते हुए गाते, और बांसरु : के शcद से आन'(दत होते हE । 13 वे अपके दन सुख से बताते , और पल भर ह: म अधोलोक म उतर जाते हE । 14 तौभी वे ई र से कहते थे, क हम से दरू हो ! तेर: गित जानने क हम को इ.छा नह:ं रहती। 15 सवOशfमान या है , क हम उसक सेवा कर ? और जो हम उस से बनती भी कर तो हम या लाभ होगा? 16 दे खो, उनका कुशल उनके हाथ म नह:ं रहती, द ु लोगHका वचार मुझ से दरू रहे । 17 कतनी बार द ु Hका द:पक बुफ जाता है , और उन पर वप आ पड़ती है ; और ई र बोध करके उनके बांट म शोक दे ता है , 18 और वे वायु से उड़ाए हुए भूसे क, और बवणडर से उड़ाई हुई भूसी क नाई होते हE । 19 ई र उसके अधमO का दणड उसके लड़केबालHके िलथे रख छोड़ता है , वह उसका बदला उसी को दे , ताक वह जान ले। 20 द ु अपना नाश अप क ह: आंखHसे दे खे, और सवOशfमान क जलजलाहट म से आप पी ले। 21 यHक जब उसके मह:नHक िगनती कट चुक, तो अपके बादवाले घराने से उसका या काम रहा। 22 या ई र को कोई Wान िसखाएगा? वह तो ऊंचे पद पर रहनेवालHका भी (याय करता है । 23 कोई तो अपके पूरे बल म बड़े चैन और सुख से रहता हुआ मर जाता है । 24 उसक

दोहिनयां दध ू से और उसक ह']डयां गूदे से भर: रहती हE । 25 और कोई अपके जीव म कुढ़ कुढ़कर बना सुख भोगे मर जाता है । 26 वे दोनHबराबर िम=ट: म

िमल जाते हE , और कड़े उ(ह ढांक लेते हE । 27 दे खो, मE तुSहार: क`पनाएं जानता हँू , और उन युfयHको भी, जो तुम मेरे वषय म अ(याय से करते हो। 28 तुम कहते तो हो क रईस का घर कहां रहा? द ु Hके िनवास के डे रे कहां रहे ? 29 पर(तु या तुम ने बटोहयHसे कभी नह:ं पूछा? या तुम उनके इस वषय के ूमाणHसे अनजान हो, 30 क वप के दन के िलथे दज ु Oन रखा जाता है ; और महाूलय के समय के िलथे ऐसे लोग बचाए जाते हE ? 31 उसक चाल उसके मुह ं पर कौन कहे गा? और उस ने जो कया है , उसका पलटा कौन दे गा? 32 तौभी वह क़ॄ को पहुंचाया जाता है , और लोग उस क़ॄ क रखवाली gरते रहते हE । 33 नाले के ढे ले उसको सुखदायक लगते हE ; और जैसे पूवOकाल के लोग अनिगिनत जा चुके, वैसे ह: सब मनुंय उसके बाद भी चले जाएंगे। 34 तुSहारे उरHम तो फूठ ह: पाया जाता है , इसिलथे तुम यHमुझे eययO शा'(त दे ते हो? अयूब 22 1 तब ते मानी एलीपज ने कहा, 2 या पुdष से ई र को लाभ पहंु च सकता है ? जो बुaमान है , वह अपके ह: लाभ का कारण होता है । 3 या ते रे धमीं होने से सवOशfमान सुख पा सकता है ? तेर: चाल क खराई से या उसे कुछ लाभ हो सकता है ? 4 वह तो तुझे डांटता है , और तुझ से मुकXमा लड़ता है , तो या इस दशा म ते र: भf हो सकती है ? 5 या तेर: बुराई बहुत नह:ं? तेरे अधमO के कामHका कुछ अ(त नह:ं। 6 तू ने तो अपके भाई का ब(धक अकारण रख िलया

है , और नंगे के व\ उतार िलथे हE । 7 यके हुए को तू ने पानी न पलाया, और भूखे को रोट: दे ने से इनकार कया। 8 जो बलवान या उसी को भूिम िमली, और 'जस पुdष क ूितvा हुई यी, वह: उस म बस गया। 9 तू ने वधवाओं को छूछे हाथ लौटा दया। और अनायHक बाह तोड़ डाली गई। 10 इस कारण तेरे चारHओर फ(दे लगे हE , और अचानक डर के मारे तू घगरा रहा है । 11 या तू अ'(ध कारने को नह:ं दे खता, और उस बाढ़ को 'जस म तू डू ब रहा है ? 12 या ई र ःवगO के ऊंचे ःयान म नह:ं है ? ऊंचे से ऊंचे तारHको दे ख क वे कतने ऊंचे हE ।। 13 फर तू कहता है क ई र या जानता है ? या वह घोर अ(धकार क आड़ म होकर (याय करे गा? 14 काली घटाओं से वह ऐसा िछपा रहता है क वह कुछ नह:ं दे ख सकता, वह तो आकाशमणडल ह: के ऊपर चलता फरता है । 15 या तू उस पुराने राःते को पकड़े रहे गा, 'जस पर वे अनयO करनेवाले चलते हE ? 16 वे अपके समय से पहले उठा िलए गए और उनके घर क नेव नद: बहा ले गई। 17 उ(हHने ई र से कहा या, हम से दरू हो जा; और यह क सवOशfमान हमारा या कर सकता है ? 18 तौभी उस ने उनके घर अ.छे अ.छे पदायॉ ंसे भर दए-- पर(तु द ु लोगHका वचार मुझ से दरू रहे । 19 धमीं लेग दे खकर आन'(दत होते हE ; और िनदॉष लोग उनक हं सी करते हE , क 20 जो हमारे वda उठे थे, िन:स(दे ह िमट गए और उनका बड़ा धन आग का कौर हो गया है । 21 उस से मेलिमलाप कर तब तुझे शा'(त िमलेगी; और इस से ते र: भलाई होगी। 22 उसके मुह ं से िशझा सुन ले, और उसके वचन अपके मन म रख। 23 यद तू सवOशfमान क ओर फरके समीप जाए, और अपके डे रे से कुटल काम दरू करे , तो तू बन जाएगा। 24 तू अप क अनमोल वःतुओं को धूिल पर, वरन ओपीर का कु(दन भी नालHके

पयरHम डाल दे , 25 तब सवOशfमान आप तेर: अनमोल वःतु और तेरे िलथे चमकली चा(द: होगा। 26 तब तू सवOशfमान से सुख पाएगा, और ई र क ओर अपना मुह ं बेखटके उठा सकेगा। 27 और तू उस से ूायOना करे गा, और वह तेर: सुनेगा; और तू अप क म(नतHको पूर: करे गा। 28 जो बात तू ठाने वह तुझ से बन भी पकेगी, और तेरे मागॉं पर ूकाश रहे गा। 29 चाहे दभ ु ाObय हो तौभी तू कहे गा क सुभाbय होगा, यHक वह नॆ मनुंय को बचाता है । 30 वरन जो िनदॉष न हो उसको भी वह बचाता है ; तेरे शुa कामHके कारण तू छुड़ाया जाएगा। अयूब 23 1 तब अयूब ने कहा, 2 मेर: कुड़कुड़ाहट अब भी नह:ं dक सकती, मेर: मार मेरे कराहने से भार: है । 3 भला होता, क मE जानता क वह कहां िमल सकता है , तब मE उसके वराजने के ःयान तक जा सकता ! 4 मE उसके साSहने अपना मुक़Xमा पे श करता, और बहुत से ूमाण दे ता। 5 मE जान लेता क वह मुझ से उर म

या कह सकता है , और जो कुछ वह मुझ से कहता वह मE समझ लेता। 6 या वह अपना बड़ा बल दखाकर मुझ से मुक़Xमा लड़ता? नह:ं, वह मुझ पर ~यान दे ता। 7 सGजन उस से ववाद कर सकते , और इस र:ित मE अपके (यायी के हाथ से सदा के िलथे छूट जाता। 8 दे खो, मE आगे जाता हँू पर(तु वह नह:ं िमलता; मE पीछे हटता हँू , पर(तु वह दखाई नह:ं पड़ता; 9 जब वह बाई ओर काम करता है तब वह मुझे दखाई नह:ं दे ता; वह तो दहनी ओर ऐसा िछप जाता है , क मुझे वह दखाई ह: नह:ं पड़ता। 10 पर(तु वह जानता है , क मE कैसी चाल चला हँू ; और जब वह मुझे ता लेगा तब मE सोने के समान िनकलूग ं ा। 11 मेरे पैर उसके

मागॉं म 'ःयर रहे ; और मE उसी का मागO बना मुड़े यामे रहा। 12 उसक आWा का पालन करने से मE न हटा, और मE ने उसके वचन अप क इ.छा से कह:ं अिधक काम के जानकर सुर'झत रखे। 13 पर(तु वह एक ह: बात पर अड़ा रहता है , और कौन उसको उस से फरा सकता है ? जो कुछ उसका जी चाहता है वह: वह करता है । 14 जो कुछ मेरे िलथे उस ने ठाना है , उसी को वह पूरा करता है ; और उसके मन म ऐसी ऐसी बहुत सी बात हE । 15 इस कारण मE उसके सSमुख घबरा जाता हँू ; जब मE सोचता हँू तब उस से यरयरा उठता हँू । 16 यHक मेरा मन ई र ह: ने क.चा कर दया, और सवOशfमान ह: ने मुझ को असमंजस म डाल दया है । 17 इसिलथे क मE इस अ(धयारे से पहले काट डाला न गया, और उस ने घोर अ(धकार को मेरे साSहने से न िछपाया। अयूब 24 1 सवOशfमान ने समय यHनह:ं ठहराया, और जो लोग उसका Wान रखते हE वे उसके दन यHदे खने नह:ं पाते ? 2 कुछ लोग भूिम क सीमा को बढ़ाते , और भेड़ बकgरयां छqनकर चराते हE । 3 वे अनायHका गदहा हांक ले जाते, और वधवा का बैल क(धक कर रखते हE । 4 वे दgरि लोगHको मागO से हटा दे ते, और दे श के द:नHको इक=ठे िछपना पड़ता है । 5 दे खो, वे जंगली गदहHक नाई अपके काम को और कुछ भोजन य^ से ढू ं ढ़ने को िनकल जाते हE ; उनके लड़केबालHका भोजन उनको जंगल से िमलता है । 6 उनको खेत म चारा काटना, और द ु Hक बची बचाई दाख बटोरना पड़ता है । 7 रात को उ(ह बना व\ नंगे पके रहना और जाड़े के समय बना ओढ़े पके रहना पड़ता है । 8 वे पहाड़Hपर क फडय़Hसे भीगे रहते,

और शरण न पाकर च=टान से िलपट जाते हE । 9 कुछ लोग अनाय बालक को मा क छाती पर से छqन लेते हE , और द:न लोगHसे ब(धक लेते हE । 10 'जस से वे बना व\ नंगे फरते हE ; और भूख के मारे , पूिलयां ढोते हE । 11 वे उनक भीतHके भीतर तेल पे रते और उनके कुणडHम दाख रxदते हुए भी €यासे रहते हE । 12 वे बड़े नगर म कराहते हE , और घायल कए हुओं का जी दोहाई दे ता है ; पर(तु ई र मूखOता का हसाब नह:ं लेता। 13 फर कुछ लोग उ'जयाले से बैर रखते, वे उसके मागॉं को नह:ं पहचानते , और न उसके मागॉं म बने रहते हE । 14 खूनी, पह फटते ह: उठकर द:न दgरि मनुंय को घात करता, और रात को चोर बन जाता है । 15 eयिभचार: यह सोचकर क कोई मुझ को दे खने न पाए, दन डू बने क राह दे खता रहता है , और वह अपना मुह ं िछपाए भी रखता है । 16 वे अ'(ध कारने के समय घरHम स ध मारते और दन को िछपे रहते हE ; वे उ'जयाले को जानते भी नह:ं। 17 इसिलथे उन सभHको भोर का ूकाश घोर अ(धकार सा जान पड़ता है , यHक घोर अ(धकार का भय वे जानते हE । 18 वे जल के ऊपर हलक वःतु के सर:खे हE , उनके भाग को पृवी के रहनेवाले कोसते हE , और वे अप क दाख क बाgरयHम

लौटने नह:ं पाते। 19 जैसे सूखे और घाम से हम का जल सूख जाता है वैसे ह: पापी लोग अधोलोक म सूख जाते हE । 20 माता भी उसको भूल जाती, और कड़े उसे चूसते ह , भवींय म उसका ःमरण न रहे गा; इस र:ित टे ढ़ा काम करनेवाला वृझ क राई कट जाता है । 21 वह बांफ \ी को जो कभी नह:ं जनी लूटता, और वधवा से भलाई करना नह:ं चाहता है । 22 बलाकाgरयHको भी ई र अप क शf से खींच लेता है , जो जीवत रहने क आशा नह:ं रखता, वह भी फर उठ बैठता है । 23 उ(ह ऐसे बेखटके कर दे ता है , क वे सSभले रहते हE ; उौर उसक

कृपाl उनक चाल पर लगी रहती है । 24 वे बढ़ते हE , तब योड़: बेर म जाते रहते हE , वे दबाए जाते और सभHक नाई रख िलथे जाते हE , और अनाज क बाल क नाई काटे जाते हE । 25 या यह सब सच नह:ं ! कौन मुझे फुठलाएगा? कौन मेर: बात िनकSमी ठहराएगा? अयूब 25 1 तब शूह: ब`दद ने कहा, 2 ूभुता करना और डराना यह उसी का काम है ; वह अपके ऊंचे ऊंचे ःयानHम शा'(त रखता है । 3 या उसक सेनाओं क िगनती हो सकती? और कौन है 'जस पर उसका ूकाश नह:ं पड़ता? 4 फर मनुंय ई र क l म धमीं यHकर ठहर सकता है ? और जो \ी से उप(न हुआ है वह यHकर िनमOल हो सकता है ? 5 दे ख, उसक l म च(िमा भी अ(धेरा ठहरता, और तारे भी िनमOल नह:ं ठहरते । 6 फर मनुंय क या िगनती जो कड़ा है , और आदमी कहां रहा जो क चुआ है ! अयूब 26 1 तब अयूब ने कहा, 2 िनबOल जन क तू ने या ह: बड़: सहाथता क, और 'जसक बांह म सामयO नह:ं, उसको तू ने कैसे सSभाला है ? 3 िनबुOa मनुंय को तू ने या ह: अ.छq सSमित द:, और अप क खर: बुa कैसी भली भांित ूगट क है ? 4 तू ने कसके हत के िलथे बात कह:? और कसके मन क बात तेरे मुह ं से िनकलीं? 5 बहुत दन के मरे हुए लोग भी जलिनिध और उसके िनवािसयHके तले तड़पके हE । 6 अधोलोक उसके साSहने उधड़ा रहता है , और वनाश का ःयान

ढं प नह:ं सकता। 7 वह उर दशा को िनराधार फैलाए रहता है , और बना अेक पृवी को लटकाए रखता है । 8 वह जल को अप क काली घटाओं म बा(ध रखता, और बादल उसके बोफ से नह:ं फटता। 9 वह अपके िसंहासन के साSहने बादल फैलाकर उसको िछपाए रखता है । 10 उ'जयाले और अ'(ध कारने के बीच जहां िसवाना बंधा है , वहां तक उस ने जलिनिध का िसवाना ठहरा रखा है । 11 उसक घुड़क से आकाश के खSभे यरयराकर चकत होते हE । 12 वह अपके बल से समुि को उछालता, और अप क बुa से घपणड को छे द दे ता है । 13 उसक आमा से आकाशमणडल ःव.छ हो जाता है , वह अपके हाथ से वेग भागनेवाले नाग को मार दे ता है । 14 दे खो, थे तो उसक गित के कनारे ह: हE ; और उसक आहट फुसफुसाहट ह: सी तो सुन पड़ती है , फर उसके पराबम के गरजने का भेद कौन समझ सकता है ? अयूब 27 1 अयूब ने और भी अप क गूढ़ बात उठाई और कहा, 2 मE ई र के जीवन क शपय खाता हूँ 'जस ने मेरा (याय बगाड़ दया, अयाOत ् उस सवOशfमान के जीवन क 'जस ने मेरा ूाण कड़ु आ कर दया। 3 यHक अब तक मेर: सांस बराबर आती है , और ई र का आमा मेरे नयुनHम बना है । 4 मE यह कहता हँू क मेरे मुह ं से कोई कुटल बात न िनकलेगी, और न मE कपट क बात बोलूग ं ा। 5 ई र न करे क मE तुम लोगHको स.चा ठहराऊं, जब तक मेरा ूाण न छूटे तब तक मE अप क खराई से न हटू ं गा। 6 मE अपना धमO पकड़े हुए हँू और उसको हाथ से जाने न दं ग ू ा; यHक मेरा मन जीवन भर मुझे दोषी नह:ं ठहराएगा। 7 मेरा

शऽु द ु Hके समान, और जो मेरे वda उठता है वह कुटलHके तु`य ठहरे । 8 जब ई र भfह:न मनुंय का ूाण ले ले, तब यrप उस ने धन भी ूाT कया हो, तौभी उसक या आशा रहे गी? 9 जब वह संकट म पके, तब या ई र उसक दोहाई सुनेगा? 10 या वह सवOशfमान म सुख पा सकेगा, और हर समय ई र को पुकार सकेगा? 11 मE तुSह ई र के काम के वषय िशझा दं ग ू ा, और सवOशfमान क बात मE न िछपाऊंगा 12 दे खो, तुम लोग सब के सब उसे ःवयं दे ख चुके हो, फर तुम eययO वचार यHपकड़े रहते हो? 13 द ु पनुंय का भाग ई र क ओर से यह है , और बलाकाgरयHका अंश जो वे सवOशfमान के हाथ से पाते हE , वह यह है , क 14 चाहे उसके लड़केबाले िगनती म बढ़ भी जाएं, तौभी तलवार ह: के िलथे बढ़ गे, और उसक स(तान पेट भर रोट: न खाने पाएगी। 15 उसके जो लोग बच जाएं वे मरकर क़ॄ को पहंु च गे; और उसके यहां क वधवाएं न रोएंगी। 16 चाहे वह dपया धूिल के समान बटोर रखे और व\ िम=ट: के कनकHके तु`य अनिगिनत तैयार कराए, 17 वह उ(ह तैयार कराए तो सह:, पर(तु धमीं उ(ह पहन लेगा, और उसका dपया िनदॉष लोग आपस म बांट गे। 18 उस ने अपना घर कड़े का सा बनाया, और खेत के रखवाले को फोप क क नाई बनाया। 19 वह धनी होकर लेट जाए पर(तु वह गाड़ा न जाएगा; आंख खोलते ह: वह जाता रहे गा। 20 भय क धाराएं उसे बहा ले जाएंगी, रात को बवणडर उसको उड़ा ले जाएगा। 21 पुरवाई उसे ऐसा उड़ा ले जाएगी, और वह जाता रहे गा और उसको उसके ःयान से उड़ा ले जाएगी। 22 यHक ई र उस पर वपयां बना तरस खाए डाल दे गा, उसके हाथ से वह भाग जाने चाहे गा। लोग उस पर ताली बजाएंगे, 23 और उस पर ऐसी सुसकाgरयां भर गे क वह अपके

ःयान पर न रह सकेगा। अयूब 28 1 चांद: क खािन तो होती है , और सोने के िलथे भी ःयान होता है जहां लोग ताते हE । 2 जोहा िम=ट: म से िनकाला जाता और पयर पघलाकर पीतल बनाया जाता है 3 मनुंय अ'(ध कारने को दरू कर, दरू दरू तक खोद खोद कर, अ'(ध कारने ओर घोर अ(धकार म पयर ढू ं ढ़ते हE । 4 जहां लोग रहते हE वहां से दरू वे खािन खोदते हE वहां पृवी पर चलनेवालHके भूले बसरे हुए वे मनुंयHसे दरू लटके हुए फूलते रहते हE । 5 यह भूिम जो है , इस से रोट: तो िमलती है , पर(तु उसके नीचे के ःयान मानो आग से उलट दए जाते हE । 6 उसके पे नीलम'ण का ःयान हE , और उसी म सोने क धूिल भी है । 7 उसका मागO कोई मांसाहार: प क नह:ं जानता, और कसी िगa क l उस पर नह:ं प क। 8 उस पर अिभमानी पशुओं ने पांव नह:ं धरा, और न उस से होकर कोई िसंह कभी गया है । 9 वह चकमक के पयर पर हाथ लगाता, और पहाड़Hको जड़ ह: से उलट दे ता है । 10 वह च=टान खोदकर नािलयां बनाता, और उसक आंखHको हर एक अनमोल वःतु दखाई पड़ती है । 11 वह नदयHको ऐसा रोक दे ता है , क उन से एक बूंद भी पानी नह:ं टपकता और जो कुछ िछपा है उसे वह उ'जयाले म िनकालता है । 12 पर(तु बुa कहां िमल सकती है ? और समझ का ःयान कहां है ? 13 उसका मोल मनुंय को मालूम नह:ं, जीवनलोक म वह कह:ं नह:ं िमलती ! 14 अयाह सागर कहता है , वह मुझ म नह:ं है , और समुि भी कहता है , वह मेरे पास नह:ं है । 15 चोखे सोने से वह मोल िलया नह:ं जाता। और न उसके दाम के िलथे चा(द: तौली

जाती है । 16 न तो उसके साय ओपीर के कु(दन क बराबर: हो सकती है ; और न अनमोल सुलम ै ानी पयर वा नीलम'ण क। 17 न सोना, न कांच उसके बराबर ठहर सकता है , कु(दन के गहने के बदले भी वह नह:ं िमलती। 18 मूग ं े उौर ःफटकम'ण क उसके आगे या चचाO ! बुa का मोल मा'णक से भी अिधक है । 19 कूश दे श के प|क़राग उसके तु`य नह:ं ठहर सकते; और न उस से चोखे कु(दन क बराबर: हो सकती है । 20 फर बुa कहां िमल सकती है ? और समझ का ःयान कहां? 21 वह सब ूा'णयHक आंखHसे िछपी है , और आकाश के प'झयHके दे खने म नह:ं आती। 22 वनाश ओर मृयु कहती हE , क हमने उसक चचाO सुनी है । 23 पर(तु परमे र उसका मागO समझता है , और उसका ःयान उसको मालूम है । 24 वह तो पृवी क छोर तक ताकता रहता है , और सारे आकाशमणडल के तले दे खता भालता है । 25 जब उस ने वायु का तौल ठहराया, और जल को नपुए म नापा, 26 और म ह के िलथे विध और गजOन और बजली के िलथे मागO ठहराया, 27 तब उस ने बुa को दे खकर उसका बखान भी कया, और उसको िसa करके उसका पूरा भेद बूफ िलया। 28 तब उस न मनुंय से कहा, दे ख, ूभु का भय मानना यह: बुa है : और बुराई से दरू रहना यह: समझ है । अयूब 29 1 अयूब ने और भी अप क गूढ़ बात उठाई और कहा, 2 भला होता, क मेर: दशा बीते हुए मह:नHक सी होती, 'जन दनHम ई र मेर: रझा करता या, 3 जब उसके द:पक का ूकाश मेरे िसर पर रहता या, और उस से उ'जयाला पाकर मE

अ(धेरे म चलता या। 4 वे तो मेर: जवानी के दन थे, जब ई र क िमऽता मेरे डे रे पर ूगट होती यी। 5 उस समय तक तो सवOशfमान मेरे संग रहता या, और मेरे लड़केबाले मेरे चारHओर रहते थे। 6 तब मE अपके पगHको मलाई से धोता या और मेरे पास क च=टानHसे तेल क धाराएं बहा करती यीं। 7 जब जब मE नगर के फाटक क ओर चलकर खुले ःयान म अपके बैठने का ःयान तैयार करता या, 8 तब तब जवान मुझे दे खकर िछप जाते, और पुरिनथे उठकर खड़े हो जाते थे। 9 हाकम लोग भी बोलने से dक जाते , और हाथ से मुह ं मूद ं े रहते थे। 10 ूधान लोग चुप रहते थे और उनक जीभ तालू से सट जाती यी। 11 यHक जब कोई मेरा समाचार सुनता, तब वह मुझे ध(य कहता या, और जब कोई मुझे दे खता, तब मेरे वषय साझी दे ता या; 12 यHक मE दोहाई दे नेवाले द:न जन को, और असहाथ अनाय को भी छुड़ाता या। 13 जो नाश होने पर या मुझे आशीवाOद दे ता या, और मेरे कारण वधवा आन(द के मारे गाती यी। 14 मE धमO को पहने रहा, और वह मुझे ढांके रहा; मेरा (याय का काम मेरे िलथे बागे और सु(दर पगड़: का काम दे ता या। 15 मE अ(धHके िलथे आंख , और लंगड़Hके िलथे पांव ठहरता या। 16 दgरि लोगHका मE पता ठहरता या, और जो मेर: पहचान का न या उसके मुक़Xमे का हाल मE पूछताछ करके जान लेता या। 17 मE कुटल मनुंयHक डाढ़ तोड़ डालता, और उनका िशकार उनके मुह ं से छqनकर बचा लेता या। 18 तब मE सोचता या, क मेरे दन बालू के कनकHके समान अनिगनत हHगे, और अपके ह: बसेरे म मेरा ूाण छूटे गा। 19 मेर: जड़ जल क ओर फैली, और मेर: डाली पर ओस रात भर प क, 20 मेर: महमा GयHक यHबनी रहे गी, और मेरा धनुष मेरे हाथ म सदा नया होता जाएगा। 21 लोग मेर: ह: ओर कान लगाकर ठहरे रहते थे

और मेर: सSमित सुनकर चुप रहते थे। 22 जब मE बोल चुकता या, तब वे और कुछ न बोलते थे, मेर: बात उन पर म ह क ताई बरसा करती यीं। 23 जैसे लोग बरसात क वैसे ह: मेर: भी बाट दे खते थे; और जैसे बरसात के अ(त क वषाO के िलथे वैसे ह: वे मुह ं पसारे रहते थे। 24 जब उनको कुछ आशा न रहती यी तब मE हं सकर उनको ूस(न करता या; और कोई मेरे मुह ं को बगाड़ न सकता या। 25 मE उनका मागO चुन लेता, और उन म मु‡य ठहरकर बैठा करता या, और जैसा सेना म राजा वा वलाप करनेवालHके बीच शा'(तदाता, वैसा ह: मE रहता या। अयूब 30 1 पर(तु अब 'जनक अवःया मुझ से कम है , वे मेर: हं सी करते हE , वे 'जनके पताओं को मE अप क भेड़ बकgरयHके कुHके काम के योbय भी न जानता या। 2 उनके भुजबल से मुझे या लाभ हो सकता या? उनका पौdष तो जाता रहा। 3 वे दgरिता और काल के मारे दब ु ले पके हुए हE , वे अ(धेरे और सुनसान ःयानHम

सुखी धूल फांकते हE । 4 वे फाड़: के आसपास का लोिनया साग तोड़ लेते, और फाऊ क जड़ खाते हE । 5 वे मनुंयHके बीच म से िनकाले जाते हE , उनके पीछे ऐसी पुकार होती है , जैसी जोर के पीछे । 6 डरावने नालHम , भूिम के बलHम , और च=टानHम , उ(ह रहना पड़ता है । 7 वे फाडय़Hके बीच र कते, और ब.छू पौधHके नीचे इक=ठे पके रहते हE । 8 वे मूढ़Hऔर नीच लोगHके वंश हE जो मार मार के इस दे श से िनकाले गए थे। 9 ऐसे ह: लोग अब मुझ पर लगते गीत गाते, और मुझ पर ताना मारते हE । 10 वे मुझ से िघन खाकर दरू रहते, वा मेरे मुह ं पर यूकने से भी नह:ं डरते। 11 ई र ने जो मेर: रःसी खोलकर मुझे द:ख दया है , इसिलथे वे

मेरे साSहने मुह ं म लगाम नह:ं रखते। 12 मेर: दहनी अलंग पर बजाR लोग उठ खड़े होते हE , वे मेरे पांव सरका दे ते हE , और मेरे नाश के िलथे अपके उपाय बा(धते हE । 13 'जनके कोई सहाथक नह:ं, वे भी मेरे राःतHको बगाड़ते, और मेर: वप को बढ़ाते हE । 14 मानो बड़े नाके से घुसकर वे आ पड़ते हE , और उजाड़ के बीच म

होकर मुझ पर धावा करते हE । 15 मु◌ुफ म घबराहट छा गई है , और मेरा रईसपन मानो वायु से उड़ाया गया है , और मेरा कुशल बादल क नाई जाता रहा। 16 और अब मE शोकसागर म डू बा जाता हँू ; द:ु ख के दनHने मुझे जकड़ िलया है । 17 रात को मेर: ह']डयां मेरे अ(दर िछद जाती हE और मेर: नसHम चैन नह:ं पड़ती 18 मेर: बीमार: क बहुतायत से मेरे व\ का Rप बदल गया है ; वह मेरे कु के गले क नाई मुझ से िलप क हुई है । 19 उस ने मुझ को कचड़ म फ क दया है , और मE िम=ट: और राख के तु`य हो गया हँू । 20 मE तेर: दोहाई दे ता हँू , पर(तु तू नह:ं सुनता; मE खड़ा होता हँू पर(तु तू मेर: ओर घूरने लगता है । 21 तू बदलकर मुझ पर कठोर हो गया है ; और अपके बली हाथ से मुझे सताता हे । 22 तू मुझे वायु पर सवार करके उड़ाता है , और आंधी के पानी म मुझे गला दे ता है । 23 हां, मुझे िन_य है , क तू मुझे मृयु के वश म कर दे गा, और उस घर म पहंु चाएगा, जो सब जीवत ूा'णयHके िलथे ठहराया गया है । 24 तौभी या कोई िगरते समय हाथ न बढ़ाएगा? और या कोई वप के समय दोहाई न दे गा? 25 या मE उसके िलथे रोता नह:ं या, 'जसके दु दनO आते थे? और या दgरि जन के कारण मE ूाण म द'ु खत न होता या? 26 जब मE कुशल का मागO जोहता या, तब वप आ प क; और जब मE उ'जयाले का आसरा लगाए या, तब अ(धकार छा गया। 27 मेर: अ(तडय़ां िनर(तर उबलती रहती हE और आराम नह:ं पातीं; मेरे द:ु ख के

दन आ गए हE । 28 मE शोक का पहरावा पहने हुए मानो बना सूयO क गमीं के काला हो गया हूँ। और सभा म खड़ा होकर सहाथता के िलथे दोहाई दे ता हूँ। 29 मE गीदड़Hका भाई और शुतुमग ुO ॉं का संगी हो गया हँू । 30 मेरा चमड़ा काला होकर मुझ पर से िगरता जाता है , और तप के मारे मेर: ह']डयां जल गई हE । 31 इस कारण मेर: वीणा से वलाप और मेर: बांसरु : से रोने क ~विन िनकलती है । अयूब 31 1 मE ने अप क आंखHके वषय वाचा बा(धी है , फर मE कसी कुंवार: पर यHकर आंख लगाऊं? 2 यHक ई र ःवगO से कौन सा अंश और सवOशfमान ऊपर से कौन सी सSप बांटता है ? 3 या वह कुटल मनुंयHके िलथे वप और अनयO काम करनेवालHके िलथे सयानाश का कारण नह:ं है ? 4 या वह मेर: गित नह:ं दे खता और या वह मेरे पग पग नह:ं िगनता? 5 यद मE eययO चाल चालता हंू , वा कपट करने के िलथे मेरे पैर दौड़े हH; 6 (तो मE धमO के तराजू म तौला जाऊं, ताक ई र मेर: खराई को जान ले)। 7 यद मेरे पग मागO से बहक गए हH, और मेरा मन मेर: आंखो क दे खी चाल चला हो, वा मेरे हाथHको कुछ कलंक लगा हो; 8 तो मE बीज बोऊं, पर(तु दस ू रा खाए; वरन मेरे खेत क उपज उखाड़ डाली जाए। 9 यद मेरा ॑ृदय कसी \ी पर मोहत हो गया है , और मE अपके पड़ोसी के kार पर घात म बैठा हँू ; 10 तो मेर: \ी दस ू रे के िलथे पीसे, और पराए पुdष उसको ॅ कर । 11 यHक वह तो महापाप होता; और (यािययHसे दणड पाने के योbय अधमO का काम होता; 12 यHक वह ऐसी आग है जो जलाकर भःम कर दे ती है , और वह मेर: सार: उपज को जड़ से नाश कर दे ती है । 13 जब मेरे दास वा दासी ने

मुझ से फगड़ा कया, तब यद मE ने उनका हक मार दया हो; 14 तो जब ई र उठ खड़ा होगा, तब मE या कRंगा? और जब वह आएगा तब मE या उर दं ग ू ा? 15 या वह उसका बनानेवाला नह:ं 'जस ने मुझे गभO म बनाया? या एक ह: ने हम दोनHक सूरत गभO म न रची यी? 16 यद मE ने कंगालHक इ.छा पूर: न क हो, वा मेरे कारण वधवा क आंख कभी रह गई हH, 17 वा मE ने अपना टु कड़ा अकेला खाया हो, और उस म से अनाय न खाने पाए हH, 18 (पर(तु वह मेरे लड़कपन ह: से मेरे साय इस ूकार पला 'जस ूकार पता के साय, और मE ज(म ह: से वधवा को पालता आया हँू ); 19 यद मE ने कसी को व\ह:न मरते हुए दे खा, वा कसी दgरि को 'जसके पास ओढ़ने को न या 20 और उसको अप क भेड़Hक ऊन के कपके न दए हH, और उस ने गमO होकर मुझे आशीवाOद न दया हो; 21 वा यद मE ने फाटक म अपके सहाथक दे खकर अनायHके मारने को अपना हाथ उठाया हो, 22 तो मेर: बांह पखौड़े से उखड़कर िगर पके, और मेर: भुजा क ह]ड: टू ट जाए। 23 यHक ई र के ूताप के कारण मE ऐसा नह:ं कर सकता या, यHक उसक ओर क वप के कारण मE भयभीत होकर यरयराता या। 24 यद मE ने सोने का भरोसा कया होता, वा कु(दन को अपना आसरा कहा होता, 25 वा अपके बहुत से धन वा अप क बड़: कमाई के कारण आन(द कया होता, 26 वा सूयO को चमकते वा च(िमा को महाशोभा से चलते हुए दे खकर 27 मE मन ह: मन मोहत हो गया होता, और अपके मुह ं से अपना हाथ चूम िलया होता; 28 तो यह भी (यािययHसे दणड पाने के योbय अधमO का काम होता; यHक ऐसा करके मE ने सवOौ े ई र का इनकार कया होता। 29 यद मE अपके बैर: के नाश से आन'(दत होता, वा जब उस पर वप प क तब उस पर हं सा होता; 30

(पर(तु मE ने न तो उसक शाप दे ते हुए, और न उसके ूाणदणड क ूायOना करते हुए अपके मुह ं से पाप कया है ); 31 यद मेरे डे रे के रहनेवालHने यह न कहा होता, क ऐसा कोई कहां िमलेगा, जो इसके यहां का मांस खाकर तृT न हुआ हो? 32 (परदे शी को सड़क पर टकना न पड़ता या; मE बटोह: के िलथे अपना kार खुला रखता या); 33 यद मE ने आदम क नाई अपना अपराध िछपाकर अपके अधमO को ढांप िलया हो, 34 इस कारण क मE बड़: भीड़ से भय खाता या, वा कुलीनHसे तु.छ कए जाने से डर गया यहां तक क मE kार से बाहर न िनकला--- 35 भला होता क मेरा कोई सुननेवाला होता ! (सवOशfमान अभी मेरा याय चुकाए ! दे खो मेरा दःतखत यह: है )। भला होता क जो िशकायतनामा मेरे मुXई ने िलखा है वह मेरे पास होता ! 36 िन_य मE उसको अपके क(धे पर उठाए फरता; और सु(दर पगड़: जानकर अपके िसर म बा(धे रहता। 37 मE उसको अपके पग पग का हसाब दे ता; मE उसके िनकट ूधान क नाई िनडर जाता। 38 यद मेर: भूिम मेरे वda दोहाई दे ती हो, और उसक रे घाgरयां िमलकर रोती हH; 39 यद मE ने अप क भूिम क उपज बना मजूर: दए खई, वा उसके मािलक का ूाण िलया हो; 40 तो गेहंू के बदले फड़बेड़:, और जव के बदले जंगली घास उग ! अयूब के वचन पूरे हुए हE । अयूब 32 1 तब उन तीनHपुdषHने यह दे खकर क अयूब अप क l म िनदॉष है उसको उर दे ना छोड़ दया। 2 और बूजी बारकेल का पुऽ एलीहू जो राम के कुल का या, उसका बोध भड़क उठा। अयूब पर उसका बोध इसिलथे भड़क उठा, क उस ने

परमे र को नह:ं, अपके ह: को िनदॉष ठहराया। 3 फर अयूब के तीनHिमऽHके वda भी उसका बोध इस कारण भड़का, क वे अयूब को उर न दे सके, तौभी उसको दोषी ठहराया। 4 एलीहू तो अपके को उन से छोटा जानकर अयूब क बातHके अ(त क बाट जोहता रहा। 5 पर(तु जब एलीहू ने दे खा क थे तीनHपुdष कुछ उर नह:ं दे ते, तब उसका बोध भड़क उठा। 6 तब बूजी बारकेल का पुऽ एलीहू कहने लगा, क मE तो जवान हूँ, और तुम बहुत बूढ़े हो; इस कारण मE dका रहा, और अपना वचार तुम को बताने से डरता या। 7 मE सोचता या, क जो आयु म बड़े हE वे ह: बात कर , और जो बहुत वषO के हE , वे ह: बुa िसखाएं। 8 पर(तु मनुंय म आमा तो है ह:, और सवOशfमान अप क द: हुई सांस से उ(ह

समझने क शf दे ता है । 9 जो बुaमान हE वे बड़े बड़े लोग ह: नह:ं और (याय के समझनेवाले बूढ़े ह: नह:ं होते। 10 इसिलथे मE कहता हंू , क मेर: भी सुनो; मE भी अपना वचार बताऊंगा। 11 मE तो तुSहार: बात सुनने को ठहरा रहा, मE तुSहारे ूमाण सुनने के िलथे ठहरा रहा; जब क तुम कहने के िलथे शcद ढू ढ़ते रहे । 12 मE िच लगाकर तुSहार: सुनता रहा। पर(तु कसी ने अयूब के पझ का खणडन नह:ं कया, और न उसक बातHका उर दया। 13 तुम लोग मत समझो क हम को ऐसी बुa िमली है , क उसका खणडन मनुंय नह:ं ई र ह: कर सकता है । 14 जो बात उस ने कह:ं वह मेरे वda तो नह:ं कह:ं, और न मE तुSहार: सी बातHसे उसको उर दं ग ू ा। 15 वे व'ःमत हुए, और फर कुछ उर नह:ं दया; उ(हHने बात करना छोड़ दया। 16 इसिलथे क वे कुछ नह:ं बोलते और चुपचाप खड़े हE , या इस कारण मE ठहरा रहंू ? 17 पर(तु अब मE भी कुछ कहंू गा मE भी अपना वचार ूगट कRंगा। 18 यHक मेरे मन म बात भर: हE , और मेर: आमा मुझे

उभार रह: है । 19 मेरा मन उस दाखमधु के समान है , जो खोला न गया हो; वह नई कु'€पयHक नाई फटा चाहता है । 20 शा'(त पाने के िलथे मE बोलूग ं ा; मE मुह ं खोलकर उर दं ग ू ा। 21 न मE कसी आदमी का पझ कRंगा, और न मE कसी मनुंय को चापलूसी क पदवी दं ग ू ा। 22 यHक मुझे तो चापलूसी करना आता ह: नह:ं नह:ं तो मेरा िसरजनहार झण भर म मुझे उठा लेता। अयूब 33 1 तौभी हे अयूब ! मेर: बात सुन ले, और मेरे सब वचनHपर कान लगा। 2 मE ने तो अपना मुह ं खोला है , और मेर: जीभ मुह ं म चुलबुला रह: है । 3 मेर: बात मेरे मन क िसधाई ूगट कर गी; जो Wान मE रखता हंू उसे खराई के साय कहंू गा। 4 मुझे ई र क आमा ने बनाया है , और सवOशfमान क सांस से मुझे जीवन िमलता है । 5 यद तू मुझे उर दे सके, तो दे ; मेरे साSहने अप क बात बम से रचकर खड़ा हो जा। 6 दे ख मE ई र के स(मुख तेरे तु`य हँू ; मE भी िम=ट: का बना हुआ हँू । 7 सुन, तुझे मेरे डर के मारे घबराना न पकेगा, और न तू मेरे बोफ से दबेगा। 8 िन:स(दे ह तेर: ऐसी बात मेरे कानHम प क है और मE ने तेरे वचन सुने हE , क 9 मE तो पवऽ और िनरपराध और िनंकलंक हँू ; और मुझ म अ~मO नह:ं है । 10 दे ख, वह मुझ से फगड़ने के दांव ढू ं ढ़ता है , और मुझे अपना शऽु समझता है ; 11 वह मेरे दोनHपांवHको काठ म ठHक दे ता है , और मेर: सार: चाल क दे खभाल करता है । 12 दे ख, मE तुझे उर दे ता हूँ, इस बात म तू स.चा नह:ं है । यHक ई र मनुंय से बड़ा है । 13 तू उस से यHफगड़ता है ? यHक वह अप क कसी बात का लेखा नह:ं दे ता। 14 यHक ई र तो एक या वरन दो बार बोलता है ,

पर(तु लोग उस पर िच नह:ं लगाते । 15 ःव€न म , वा रात को दए हुए दशOन म , जब मनुंय घोर िनिा म पके रहते हE , वा बछौने पर सोते समय, 16 तब वह मनुंयHके कान खोलता है , और उनक िशझा पर मुहर लगाता है , 17 'जस से वह मनुंय को उसके संक`प से रोके और गवO को मनुंय म से दरू करे । 18 वह उसके ूाण को गढ़हे से बचाता है , और उसके जीवन को खड़ग क मार से बचाता हे । 19 उसे ताड़ना भी हे ती है , क वह अपके बछौने पर पड़ा पड़ा तड़पता है , और उसक ह]ड: ह]ड: म लगातार फगड़ा होता है 20 यहां तक क उसका ूाण रोट: से, और उसका मन ःवाद भोजन से घृणा करने लगता है । 21 उसका मांस ऐसा सूख जाता है क दखाई नह:ं दे ता; और उसक ह']डयां जो पहले दखाई नह:ं दे ती यीं िनकल आती हE । 22 िनदान वह कबर के िनकट पहुंचता है , और उसका जीवन नाश करनेवालHके वश म हो जाता है । 23 यद उसके िलथे कोई बचवई ःवगO दत ू िमले, जो हजार म से एक ह: हो, जो भावी कहे । और जो मनुंय को बताए क उसके िलथे या ठqक है । 24 तो वह उस पर अनुमह करके कहता है , क उसे गढ़हे म जाने से वचा ले, मुझे छुड़ौती िमली है । 25 तब उस मनुंय क दे ह बालक क दे ह से अिधक ःवःय और कोमल हो जाएगी; उसक जवानी के दन फर लौट आएंगे। 26 वह ई र से बनती करे गा, और वह उस से ूस(न होगा, वह आन(द से ई र का दशOन करे गा, और ई र मनुंय को GयHका यHधमीं कर दे गा। 27 वह मनुंयHके साSहने गाने ओर कहने लगता है , क मE ने पाप कया, और स.चाई को उलट पुलट कर दया, पर(तु उसका बदला मुझे दया नह:ं गया। 28 उस ने मेरे ूाण क़ॄ म पड़ने से बचाया है , मेरा जीवन उ'जयाले को दे खेगा। 29 दे ख, ऐसे ऐसे सब काम ई र पुdष के साय दो बार या वरन तीन बार भी

करता है , 30 'जस से उसको क़ॄ से बचाए, और वह जीवनलोक के उ'जयाले का ूकाश पाए। 31 हे अयूब ! कान लगाकर मेर: सुन; चुप रह, मE और बोलूग ं ा। 32 यद तुझे बात कहनी हो, तो मुझे उर दे ; बोल, यHक मE तुझे िनदॉष ठहराना चाहता हँू । 33 यद नह:ं, तो तु मेर: सुन; चुप रह, मE तुझे बुa क बात िसखाऊंगा। अयूब 34 1 फर एलीहू यHकहता गया; 2 हे बुaमानो ! मेर: बात सुनो, और हे Wािनयो ! मेर: बातHपर कान लगाओ; 3 यHक जैसे जीभ से चखा जाता है , वैसे ह: वचन कान से परखे जाते हE । 4 जो कुछ ठqक है , हम अपके िलथे चुन ल ; जो भला है , हम आपस म समझ बूफ ल । 5 यHक अयूब ने कहा है , क मE िनदॉष हूँ, और ई र ने मेरा हक़ मार दया है । 6 यrप मE स.चाई पर हंू , तौभी फूठा ठहरता हँू , मE िनरपराध हँू , पर(तु मेरा घाव असा~य है । 7 अयूब के तु`य कौन शूरवीर है , जो ई र क िन(दा पानी क नाई पीता है , 8 जो अनयO करनेवालHका साय दे ता, और द ु मनुंयHक संगित रखता है ? 9 उस ने तो कहा है , क मनुंय को इस से कुछ लाभ नह:ं क वह आन(द से परमे र क संगित रखे। 10 इसिलऐ हे समझवालो ! मेर: सुनो, यह सSभव नह:ं क ई र द ु ता का काम करे , और सवOशकतमान बुराई करे । 11 वह मनुंय क करनी का फल दे ता है , और ूथेक को अप क अप क चाल का फल भुगताता है । 12 िन:स(दे ह ई र द ु ता नह:ं करता और न सवOशfमान अ(याय करता है । 13 कस ने पृवी को उसके हाथ म सxप दया? वा कस ने सारे जगत का ूब(ध कया? 14 यद वह मनुंय से

अपना मन हटाथे और अपना आमा और ास अपके ह: म समेट ले, 15 तो सब दे हधार: एक संग नाश हो जाएंगे, और मनुंय फर िम=ट: म िमल जाएगा। 16 इसिलथे इसको सुनकर समझ रख, और मेर: इन बातHपर कान लगा। 17 जो (याय का बैर: हो, या वह शासन करे ? जो पूणO धमीं है , या तू उसे द ु ठहराएगा? 18 वह राजा से कहता है क तू नीच है ; और ूधानHसे, क तुम द ु हो। 19 ई र तो हाकमHका पझ नह:ं करता और धनी और कंगाल दोनHको अपके बनाए हुए जानकर उन म कुछ भेद नह:ं करता। 20 आधी रात को पल भर म वे मर जाते हE , और ूजा के लोग हलाए जाते और जाते रहते हE । और ूतापी लोग बना हाथ लगाए उठा िलए जाते हE । 21 यHक ई र क आंख मनुंय क चालचलन पर लगी रहती हE , और वह उसक सार: चाल को दे खता रहता है । 22 ऐसा अ'(ध कारनेा वा घोर अ(धकार कह:ं नह:ं है 'जस म अनयO करनेवाले िछप सक । 23 यHक उस ने मनुंय का कुछ समय नह:ं ठहराया ताक वह ई र के सSमुख अदालत म जाए। 24 वह बड़े बड़े बलवानHको बना मुछपाछ के चूर चूर करता है , और उनके ःयान पर औरHको खड़ा कर दे ता है । 25 इसिलथे क वह उनके कामHको भली भांित जानता है , वह उ(ह रात म ऐसा उलट दे ता है क वे चूर चूर हो जाते हE । 26 वह उ(ह द ु जानकर सभHके दे खते मारता है , 27 यHक उ(हHने उसके पीछे चलना छोड़ दया है , और उसके कसी मागO पर िच न लगाया, 28 यहां तक क उनके कारण कंगालHक दोहाई उस तक पहुंची और उस ने द:न लोगHक दोहाई सुनी। 29 जब वह चैन दे ता तो उसे कौन दोषी ठहरा सकता है ? और जब वह मुह ं फेर ले, तब कौन उसका दशOन पा सकता है ? जाित भर के साय और अकेले मनुंय, दोनHके साय उसका बराबर eयवहार है 30 ताक

भfह:न राGय करता न रहे , और ूजा फ(दे म फंसाई न जाए। 31 या कसी ने कभी ई र से कहा, क मE ने दणड सहा, अब मE भवंय म बुराई न कRंगा, 32 जो कुछ मुझे नह:ं सूफ पड़ता, वह तू मुझे िसखा दे ; और यद मE ने टे ढ़ा काम कया हो, तो भवंय म वैसा न कRंगा? 33 या वह ते रे ह: मन के अनुसार बदला पाए यHक तू उस से अूस(न है ? यHक तुझे िनणOय करना है , न क मुझे; इस कारण जो कुछ तुझे समझ पड़ता है , वह कह दे । 34 सब Wानी पुdष वरन 'जतले बुaमान मेर: सुनते हE वे मुझ से कह गे, क 35 अयूब Wान क बात नह:ं कहता, और न उसके वचन समझ के साय होते हE । 36 भला होता, क अयूब अ(त तब प कझा म रहता, यHक उस ने अनिययJके से उर दए हE । 37 और वह अपके पाप म वरोध बढ़ाता है ; ओर हमारे बीच ताली बजाता है , और ई र के पda बहुत सी बात बनाता है । अयूब 35 1 फर एलीहू इस ूकार और भी कहता गया, 2 क या तू इसे अपना हक़ समझता है ? या तू दावा करता है क तेरा धमO ई र के धमO से अिधक है ? 3 जो तू कहता है क मुझे इस से या लाभ? और मुझे पापी होने म और न होने म

कौन सा अिधक अ(तर है ? 4 मE तुझे और तेरे सािययHको भी एक संग उर दे ता हँू । 5 आकाश क ओर l करके दे ख; और आकाशमणडल को ताक, जो तुझ से ऊंचा है । 6 यद तू ने पाप कया है तो ई र का या बगड़ता है ? यद तेरे अपराध बहुत ह: बढ़ जाएं तौभी तू उसके साय या करता है ? 7 यद तू धमीं है तो उसको या दे दे ता है ; वा उसे ते रे हाथ से या िमल जाता है ? 8 तेर: द ु ता का फल तुझ

ऐसे ह: पुdष के िलथे है , और तेरे धमO का फल भी मनुंय माऽ के िलथे है । 9 बहुत अ(धेर होने के कारण वे िच`लाते हE ; और बलवान के बाहुबल के कारण वे दोहाई दे ते हE । 10 तौभी कोई यह नह:ं कहता, क मेरा सृजनेवाला ई र कहां है , जो रात म भी गीत गवाता है , 11 और हम पृवी के पशुओं से अिधक िशझा दे ता, और आकाश के प'झयHसे अिधक बुa दे ता है ? 12 वे दोहाई दे ते हE पर(तु कोई उर नह:ं दे ता, यह बुरे लोगHके घमणड के कारण होता है । 13 िन_य ई र eययO बात

कभी नह:ं सुनता, और न सवOशfमान उन पर िच लगाता है । 14 तो तू यHकहता है , क वह मुझे दशOन नह:ं दे ता, क यह मुक़Xमा उसके साSहने है , और तू उसक बाट जोहता हुआ ठहरा है ? 15 पर(तु अभी तो उस ने बोध करके दणड नह:ं दया है , और अिभमान पर िच बहुत नह:ं लगाया; 16 इस कारण अयूब eययO मुह ं खोलकर अWानता क बात बहुत बनाता है । अयूब 36 1 फर एलीहू ने यह भी कहा, 2 कुछ ठहरा रह, और मE तुझ को समझाऊंगा, यHक ई र के पझ म मुझे कुछ और भी कहना है । 3 मE अपके Wान क बात दरू से ले आऊंगा, और अपके िसरजनहार को धमीं ठहराऊंगा। 4 िन_य मेर: बात

फूठq न हHगी, वह जो ते रे संग है वह पूरा Wानी है । 5 दे ख, ई र सामयीं है , और कसी को तु.छ नह:ं जानता; वह समझने क शf म समयO है । 6 वह द ु Hको 'जलाए नह:ं रखता, और द:नHको उनका हक दे ता है । 7 वह धिमयJसे अप क आंख नह:ं फेरता, वरन उनको राजाओं के संग सदा के िलथे िसंहासन पर बैठाता है , और वे ऊंचे पद को ूाT करते हE । 8 ओर चाहे वे बेडय़Hम जकड़े जाएं और

द:ु ख क र'ःस कH बा(धे जाए, 9 तौभी ई र उन पर उनके काम, और उनका यह अपराध ूगट करता है , क उ(हHने गवO कया है । 10 वह उनके कान िशझा सुनने के िलथे खोलता है , और आWा दे ता है क वे बुराई से पके रह । 11 यद वे सुनकर उसक सेवा कर , तो वे अपके दन क`याण से, और अपके वषO सुख से पूरे करते हE । 12 पर(तु यद वे न सुन , तो वे खड़ग से नाश हो जाते हE , और अWानता म मरते हE । 13 पर(तु वे जो मन ह: मन भfह:न होकर बोध बढ़ाते, और जब वह उनको बा(धता है , तब भी दोहाई नह:ं दे ते, 14 वे जवानी म मर जाते हE और उनका जीवन लू.चHके बीच म नाश होता है । 15 वह द‡ ु यथ को उनके द:ु ख से छुड़ाता है , और उपिव म उनका कान खोलता है । 16 पर(तु वह तुझ को भी लेश के मुह ं म से िनकालकर ऐसे चौड़े ःयान म जहां सकेती नह:ं है , पहुचा दे ता है , और िचकना िचकना भोजन तेर: मेज पर परोसता है । 17 पर(तु तू ने द ु Hका सा िनणOय कया है इसिलथे िनणOय और (याय तुझ से िलपके रहते है । 18 दे ख, तू जलजलाहट से उभर के ठ=ठा मत कर, और न ूाय'_ को अिधक बड़ा जानकर मागO से मुड़। 19 या तेरा रोना वा तेरा बल तुझे द:ु ख से छुटकारा दे गा? 20 उस रात क अिभलाषा न कर, 'जस म दे श दे श के लोग अपके अपके ःयान से िमटाए जाते हE । 21 चौकस रह, अनयO काम क ओर मत फर, तू ने तो द:ख से अिधक इसी को चुन िलया है । 22 दे ख, ई र अपके साम~यO से बड़े बड़े काम करता है , उसके समान िशझक कौन है ? 23 कस ने उसके चलने का मागO ठहराया है ? और कौन उस से कह सकता है , क तू ने अनुिचत काम कया है ? 24 उसके कामHक महमा और ूशंसा करने को ःमरण रख, 'जसक ूशंसा का गीत मनुंय गाते चले आए हE । 25 सब मनुंय उसको ~यान से दे खते आए हE ,

और मनुंय उसे दरू दरू से दे खता है । 26 दे ख, ई र महान और हमारे Wान से कह:ं पके है , और उसके वषO क िगनती अन(त है । 27 यHक वह तो जल क बूंद

ऊपर को खींच लेता है वे कुहरे से म ह होकर टपकती हE , 28 वे ऊंचे ऊंचे बादल उं डे लते हE और मनुंयHके ऊपर बहुतायत से बरसाते हE । 29 फर या कोई बादलHका फैलना और उसके मणडल म का गरजना समझ सकता है ? 30 दे ख, वह अपके उ'जयाले को चहुँओर फैलाता है , और समुि क याह को ढांपता है । 31 यHक वह दे श दे श के लोगHका (याय इ(ह:ं से करता है , और भोजनवःतुएं बहुतायत से दे ता है । 32 वह बजली को अपके हाथ म लेकर उसे आWा दे ता है क दँु मन पर िगरे । 33 इसक कड़क उसी का समाचार दे ती है पशु भी ूगट करते हE क अ(धड़ चढ़ा आता है । अयूब 37 1 फर इस बात पर भी मेरा ॑ृदय कांपता है , और अपके ःयान से उछल पड़ता है । 2 उसके बोलने का शcद तो सुनो, और उस शcद को जो उसके मुह ं से िनकलता है सुनो। 3 वह उसको सारे आकाश के तले, और अप क बजली को पृवी क छोर तक भेजता है । 4 उसके पीछे गरजने का शcद होता है ; वह अपके ूतापी शcद से गरजता है , और जब उसका शcद सुनाई दे ता है तब बजली लगातार चमकने लगती है । 5 ई र गरजकर अपना शcद अ›त ू र:ित से सुनाता है , और बड़े बड़े काम करता है 'जनको हम नह:ं समझते । 6 वह तो हम से कहता है , पृवी पर िगर, और इसी ूकार म ह को भी और मूसलाधार वषाO को भी ऐसी ह: आWा दे ता है । 7 वह सब मनुंयHके हाथ पर मुहर कर दे ता है , 'जस से उसके बनाए हुए सब

मनुंय उसको पहचान । 8 तब वनपशु गुफाओं म घुस जाते, और अप क अप क मांदHम रहते हE । 9 द' खन दशा से बवणडर और उतरहया से जाड़ा आता है । 10 ई र क ास क फूंक से बरफ पड़ता है , तब जलाशयHका पाट जम जाता है । 11 फर वह घटाओं को भाफ़ से लादता, और अप क बजली से भरे हुए उ'जयाले का बादल दरू तक फैलाता है । 12 वे उसक बुa क युf से इधर उधर फराए जाते हE , इसिलथे क जो आWा वह उनको दे , उसी को वे बसाई हुई पृवी के ऊपर पूर: कर । 13 चाहे ताड़ना दे ने के िलथे, चाहे अप क पृवी क भलाई के िलथे वा मनुंयHपर कdणा करने के िलथे वह उसे भेजे। 14 हे अयूब ! इस पर कान लगा और सुन ले; चुपचाप खड़ा रह, और ई र के आ_यOकमॉं का वचार कर। 15 या तू जानता है , क ई र यHकर अपके बादलHको आWा दे ता, और अपके बादल क बजली को चमकाता है ? 16 या तू घटाओं का तौलना, वा सवOWानी के आ_यOकमO जानता है ? 17 जब पृवी पर द' खनी हवा ह: के कारण से स(नाटा रहता है तब तेरे व\ गमO हो जाते हE ? 18 फर या तू उसके साय आकाशमणडल को तान सकता है , जो ढाले हुए दपOण के तु`य lढ़ है ? 19 तू हम

यह िसखा क उस से या कहना चाहथे? यHक हम अ'(ध कारने के कारण अपना eया‡यान ठqक नह:ं रच सकते। 20 या उसको बनाया जाए क मE बोलना चाहता हँू ? या कोई अपना सयानाश चाहता है ? 21 अभी तो आकाशमणडल म

का बड़ा ूकाश दे खा नह:ं जाता जब वायु चलकर उसको शुa करती है । 22 उर दशा से सुनहली Gयोित आती है ई र भययोbय तेज से आभूषत है । 23 सवOशfमान जो अित सामयीं है , और 'जसका भेद हम पा नह:ं सकते, वह (याय और पूणO धमO को छोड़ अयाचार नह:ं कर सकता। 24 इसी कारण सGजन

उसका भय मानते हE , और जो अप क l म बुaमान हE , उन पर वह l नह:ं करता। अयूब 38 1 तब यहोवा ने अयूब को आँधी म से यूं उर दया, 2 यह कौन है जो अWानता क बात कहकर युf को बगाड़ना चाहता है ? 3 पुdष क नाई अप क कमर बा(ध ले, यHक मE तुझ से ूo करता हूँ, और तू मुझे उर दे । 4 जब मE ने पृवी क नेव डाली, तब तू कहां या? यद तू समझदार हो तो उर दे । 5 उसक नाप कस ने ठहराई, या तू जानता है उस पर कस ने सूत खींचा? 6 उसक नेव कौन सी वःतु पर रखी गई, वा कस ने उसके कोने का पयर िलठाया, 7 जब क भोर के तारे एक संग आन(द से गाते थे और परमे र के सब पुऽ जयजयकार करते थे? 8 फर जब समुि ऐसा फूट िनकला मानो वह गभO से फूट िनकला, तब कस ने kार मूद ं कर उसको रोक दया; 9 जब क मE ने उसको बादल पहनाया और घोर अ(धकार म लमेट दया, 10 और उसके िलथे िसवाना बा(धा और यह कहकर ब ड़े और कवाड़े लगा दए, क 11 यह:ं तक आ, और आगे न बढ़, और तेर: उमंडनेवाली लहर यह:ं यम जाएं? 12 या तू ने जीवन भर म कभी भोर को आWा द:, और पौ को उसका ःयान जताया है , 13 ताक वह पृवी क छोरHको वश म

करे , और द ु लोग उस म से फाड़ दए जाएं? 14 वह ऐसा बदलता है जैसा मोहर के नीचे िचकनी िम=ट: बदलती है , और सब वःतुएं मानो व\ पहने हुए दखाई दे ती हE । 15 द ु Hसे उनका उ'जयाला रोक िलया जाता है , और उनक बढ़ाई हुई बांह तोड़: जाती है । 16 या तू कभी समुि के सोतHतक पहंु चा है , वा गहरे सागर

क याह म कभी चला फरा है ? 17 या मृयु के फाटक तुझ पर ूगट हुए, या तू घोर अ(धकार के फाटकHको कभी दे खन पाया है ? 18 या तू ने पृवी क चौड़ाई को पूर: र:ित से समझ िलया है ? यद तू यह सब जानता है , तो बतला दे । 19 उ'जयाले के िनवास का मागO कहां है , और अ'(ध कारने का ःयान कहां है ? 20 या तू उसे उसके िसवाने तक हटा सकता है , और उसके घर क डगर पहचान सकता है ? 21 िन:स(दे ह तू यह सब कुछ जानता होगा ! यHक तू तो उस समय उप(न हुआ या, और तू बहुत आयु का है । 22 फर या तू कभी हम के भणडार म पैठा, वा कभी ओलHके भणडार को तू ने दे खा है , 23 'जसको मE ने संकट के समय और युa और लड़ाई के दन के िलथे रख छोड़ा है ? 24 कस मागO से उ'जयाला फैलाया जाता है , ओर पुरवाई पृवी पर बहाई जाती है ? 25 महावृ के िलथे कस ने नाला काटा, और कड़कनेवाली बजली के िलथे मागO बनाया है , 26 क िनजOन दे श म और जंगल म जहां कोई मनुंय नह:ं रहता म ह बरसाकर, 27 उजाड़ ह: उजाड़ दे श को सींचे, और हर: घास उगाए? 28 या म ह का कोई पता है , और ओस क बूंद कस ने उप(न क? 29 कस के गभO से बफO िनकला है , और आकाश से िगरे हुए पाले को कौन उप(न करता है ? 30 जल पयर के समान जम जाता है , और गहरे पानी के ऊपर जमावट होती है । 31 या तू कचपिचया का गु.छा गूंय सकता वा मृगिशरा के ब(धन खोल सकता है ? 32 या तू रािशयHको ठqक ठqक समय पर उदय कर सकता, वा सTषर ् को सािययHसमेत िलए चल सकता है ? 33 या तू आकाशमणडल क विधयां जानता और पृवी पर उनका अिध कारने ठहरा सकता है ? 34 या तू बादलHतक अप क वाणी पहंु चा सकता है ताक बहुत जल बरस कर तुझे िछपा

ले? 35 या तू बजली को आWा दे सकता है , क वह जाए, और तुझ से कहे , मE उप'ःयत हूँ? 36 कस ने अ(त:करण म बुa उपजाई, और मन म समझने क शf कस ने द: है ? 37 कौन बुa से बादलHको िगन सकता है ? और कौन आकाश के कु€पHको उणडे ल सकता है , 38 जब धूिल जम जाती है , और ढे ले एक दस ू रे से सट जाते हE ? 39 या तू िसंहनी के िलथे अहे र पकड़ सकता, और जवान िसंहHका पेट भर सकता है , 40 जब वे मांद म बैठे हHऔर आड़ म घात लगाए दबक कर बैठे हH? 41 फर जब कौवे के ब.चे ई र क दोहाई दे ते हुए िनराहार उड़ते फरते हE , तब उनको आहार कौन दे ता है ? अयूब 39 1 या तू जानता है क पहाड़ पर क जंगली बकgरयां कब ब.चे दे ती हE ? वा जब हgर'णयां बयाती हE , तब या तू दे खता रहता है ? 2 या तू उनके मह:ने िगन सकता है , या तू उनके बयाने का समय जानता है ? 3 जब वे बैठकर अपके ब.चHको जनतीं, वे अप क पीड़Hसे छूट जाती हE ? 4 उनके ब.चे ॑ृपु होकर मैदान म बढ़ जाते हE ; वे िनकल जाते और फर नह:ं लौटते । 5 कस ने बनैले गदहे को ःवाधीन करके छोड़ दया है ? कस ने उसके ब(धन खोले हE ? 6 उसका घर मE ने िनजOल दे श को, और उसका िनवास लोिनया भूिम को ठहराया है । 7 वह नगर के कोलाहल पर हं सता, और हांकनेवाले क हांक सुनता भी नह:ं। 8 पहाड़Hपर जो कुछ िमलता है उसे वह चरता वह सब भांित क हgरयाली ढू ं ढ़ता फरता है । 9 या जंगली सांढ़ तेरा काम करने को ूस(न होगा? या वह तेर: चरनी के पास रहे गा? 10 या तू जंगली सांढ़ को रःसे से बा(धकर रे घाgरयHम

चला सकता है ? या वह नालHम तेरे पीछे पीछे ह गा फेरे गा? 11 या तू उसके बड़े बल के कारण उस पर भरोसा करे गा? वा जो पgरnम का काम तेरा हो, या तू उसे उस पर छोड़े गा? 12 या तू उसका व ास करे गा, क वह तेरा अनाज घर ले आए, और ते रे खिलहान का अ(न इक=ठा करे ? 13 फर शुतुरमुगीं अपके पंखHको आन(द से फुलाती है , पर(तु या थे पंख और पर ःनेह को ूगट करते हE ? 14 यHक वह तो अपके अणडे भूिम पर छोड़ दे ती और धूिल म उ(ह गमO करती है ; 15 और इसक सुिध नह:ं रखती, क वे पांव से कुचले जाएंगे, वा कोई वनपशु उनको कुचल डालेगा। 16 वह अपके ब.चHसे ऐसी कठोरता करती है क मानो उसके नह:ं हE ; यrप उसका क अकारय होता है , तौभी वह िन'_(त रहती है ; 17 यHक ई र ने उसको बुaरहत बनाया, और उसे समझने क शf नह:ं द:। 18 'जस समय वह सीधी होकर अपके पंख फैलाती है , तब घोड़े और उसके सवार दोनHको कुछ नह:ं समझती है । 19 या तू ने घोड़े को उसका बल दया है ? या तू ने उसक गदO न म फहराती हुई अयाल जमाई है ? 20 या उसको ट]ड: क सी उछलने क शf तू दे ता है ? उसके कुं कारने का शcद डरावना होता है । 21 वह तराई म टाप मारता है और अपके बल से हषतO रहता है , वह हिययारब(दHका साSहना करने को िनकल पड़ता है । 22 वह डर क बात पर हं सता, और नह:ं घबराता; और तलवार से पीछे नह:ं हटता। 23 तकOश और चमकता हुआ सांग ओर भाला उस पर खड़खड़ाता है । 24 वह gरस और बोध के मारे भूिम को िनगलता है ; जब नरिसंगे का शcद सुनाई दे ता है तब वह dकता नह:ं। 25 जब जब नरिसंगा बजता तब तब वह हन हन करता है , और लड़ाई और अफसरHक ललकार और जय-जयकार को दरू से सूध ं लेता हे । 26 या तेरे

समझाने से बाज़ उड़ता है , और द' खन क ओर उड़ने को अपके पंख फैलाता है ? 27 या उकाब तेर: आWा से ऊपर चढ़ जाता है , और ऊंचे ःयान पर अपना घHसला बनाता है ? 28 वह च=टान पर रहता और च=टान क चोट: और lढ़ःयान पर बसेरा करता है । 29 वह अप क आंखHसे दरू तक दे खता है , वहां से वह अपके अहे र को ताक लेता है । 30 उसके ब.चे भी लोहू चूसते हE ; और जहां घात कए हुए लोग होते वहां वह भी होता है । अयूब 40 1 फर यहोवा ने अयूब से यह भी कहा: 2 या जो बकवास करता है वह सवOशfमान से फगड़ा करे ? जो ई र से ववाद करता है वह इसका उर दे । 3 तब अयूब ते यहोवा को उर दया: 4 दे ख, मE तो तु.छ हूँ, मE तुझे या उर दं ?ू मE अप क अंगुली दांत तले दबाता हँू । 5 एक बार तो मE कह चुका, पर(तु और कुछ न कहंू गा: हां दो बार भी मE कह चुका, पर(तु अब कुछ और आगे न बढ़ू ं गा। 6 तब यहोवा ने अयूब को आँधी म से यह उर दया: 7 पुdष क नाई अप क कमर बा(ध ले, मE तुझ से ूo करता हूँ, और तू मुझे बता। 8 या तू मेरा (याय भी eययO ठहराएगा? या तू आप िनदॉष ठहरने क मनसा से मुझ को दोषी ठहराएगा? 9 या तेरा बाहुबल ई र के तु`य है ? या तू उसके समान शcद से गरज सकता है ? 10 अब अपके को महमा और ूताप से संवार और ऐ यO और तेज के व\ पहन ले। 11 अपके अित बोध क बाढ़ को बहा दे , और एक एक घमणड: को दे खते ह: उसे नीचा कर। 12 हर एक घमणड: को दे खकर फुका दे , और द ु लोगHको जहां खड़े हHवहां से िगरा दे । 13 उनको एक संग िम=ट: म िमला

दे , और उस गुT ःयान म उनके मुह ं बा(ध दे । 14 तब मE भी तेरे वषय म मान लूग ं ा, क तेरा ह: दहना हाथ तेरा उkार कर सकता है । 15 उस जलगज को दे ख, 'जसको मE ने तेरे साय बनाया है , वह बैल क नाई घास खाता है । 16 दे ख उसक कट म बल है , और उसके पेट के प=ठHम उसक सामयO रहती है । 17 वह अप क पूंछ को दे वदार क नाई हलाता है ; उसक जांधHक नस एक दस ू रे से िमली हुई हE । 18 उसक ह'=टयां मानो पीतल क निलयां हE , उसक पसुिलयां मानो लोहे के ब ड़े हE । 19 वह ई र का मु‡य कायO है ; जो उसका िसरजनहार हो उसके िनकट तलवार लेकर आए ! 20 िन_य पहाड़Hपर उसका चारा िमलता है , जहां और सब वनपशु कालोल करते हE । 21 वह छतनार वृझHके तले नरकटHक आड़ म और कच पर लेटा करता है 22 छतनार वृझ उस पर छाया करते हE , वह नाले के ब त के वृझHसे िघरा रहता है । 23 चाहे नद: क बाढ़ भी हो तौभी वह न घबराएगा, चाहे यरदन भी बढ़कर उसके मुह ं तक आए पर(तु वह िनभOय रहे गा। 24 जब वह चौकस हो तब या कोई उसको पकड़ सकेगा, वा फ(दे लगाकर उसको नाय सकेगा? अयूब 41 1 फर या तू िलcयातान अयवा मगर को बंसी के kारा खींच सकता है , वा डोर: से उसक जीभ दबा सकता है ? 2 या तू उसक नाक म नकेल लगा सकता वा उसका जबड़ा कल से बे ध सकता है ? 3 या वह तुझ से बहुत िगड़िगड़ाहट करे गा, वा तुझ से मीठq बात बोलेगा? 4 या वह तुझ से वाचा बा(ध ्◌ेगा क वह सदा तेरा दास रहे ? 5 या तू उस से ऐसे खेलेगा जैसे िचडय़ा से, वा अप क

लड़कयHका जी बहलाने को उसे बा(ध रखेगा? 6 या मछुओं के दल उसे बकाऊ माल समझ गे? या वह उसे eयोपाgरयHम बांट द गे? 7 या तू उसका चमड़ा भाले से, वा उसका िसर मछुवे के ितरशूलHसे भर सकता है ? 8 तू उस पर अपना हाथ ह: धरे , तो लड़ाई को कभी न भूलेगा, और भवंय म कभी ऐसा न करे गा। 9 दे ख, उसे पकड़ने क आशा िनंफल रहती है ; उसके दे खने ह: से मन क.चा पड़ जाता है । 10 कोई ऐसा साहसी नह:ं, जो उसको भड़काए; फर ऐसा कौन है जो मेरे साSहने ठहर सके? 11 कस ने पुफे पहले दया है , 'जसका बदला मुझे दे ना पके ! दे ख, जो कुछ सार: धरती पर है सो मेरा है । 12 मE उसके अंगHके वषय, और उसके बड़े बल और उसक बनावट क शोभा के वषय चुप न रहंू गा। 13 उसके ऊपर के पहरावे को कौन उतार सकता है ? उसके दांतHक दोनHपांितयHके अयाOत ् जबड़Hके बीच कौन आएगा? 14 उसके मुख के दोनHकवाड़ कौन खोल सकता है ? उसके दांत चारHओर से डरावने हE । 15 उसके िछलकHक रे खाएं घम+ड का कारण हE ; वे मानो कड़: छाप से ब(द कए हुए हE । 16 वे एक दस ू रे से ऐसे जुड़े हुए हE , क उन म कुछ वायु भी नह:ं पैठ सकती। 17 वे आपस म िमले हुए और ऐसे सटे हुए हE , क अलग अलग नह:ं हो सकते। 18 फर उसके छqंकने से उ'जयाला चमक उठता है , और उसक आंख भोर क पलकHके समान हE । 19 उसके मुह ं से जलते हुए प कते िनकलते हE , और आग क िचनगाgरयां छूटती हE । 20 उसके नय ्◌ु◌ानHसे ऐसा धुआं िनकलता है , जैसा खौलती हुई हांड़: और जलते हुए नरकटHसे। 21 उसक सांस से कोयले सुलगते, और उसके मुह ं से आग क लौ िनकलती है । 22 उसक गदO न म सामयO बनी रहती है , और उसके साSहने डर नाचता रहता है । 23 उसके मांस पर मांस चढ़ा हुआ है , और ऐसा आपस म सटा

हुआ है जो हल नह:ं सकता। 24 उसका ॑ृदय पयर सा lढ़ है , वरन च क के िनचले पाट के समान lढ़ है । 25 जब वह उठने लगता है , तब सामयीं भी डर जाते हE , और डर के मारे उनक सुध बुध लोप हो जाती है । 26 यद कोई उस पर तलवार चलाए, तो उस से कुछ न बन पकेगा; और न भाले और न बछqं और न तीर से। 27 वह लोहे को पुआल सा, और पीतल को सड़: लकड़: सा जानता है । 28 वह तीर से भगाया नह:ं जाता, गोफन के पयर उसके िलथे भूसे से ठहरते हE । 29 लाठयां भी भूसे के समान िगनी जाती हE ; वह बछqं के चलने पर हं सता है । 30 उसके िनचले भाग पैने ठqकरे के समान हE , कच पर मानो वह ह गा फेरता है । 31 वह गहरे जल को हं डे क नाई मता है : उसके कारण नील नद: मरहम क हांड: के समान होती है । 32 वह अपके पीछे चमकली लीक छोड़ता जाता है । गहरा जल मानो ेत दखाई दे ने लगता है । 33 धरती पर उसके तु`य और कोई नह:ं है , जो ऐसा िनभOय बनाया गया है । 34 जो कुछ ऊंचा है , उसे वह ताकता ह: रहता है , वह सब घम'णडयHके ऊपर राजा है । अयूब 42 1 तब अयूब यहोवा को उर दया; 2 मE जानता हँू क तू सब कुछ कर सकता है , और ते र: युfयHम से कोई dक नह:ं सकती। 3 तू कौन है जो Wान रहत होकर युf पर परदा डालता है ? पर(तु मE ने तो जो नह:ं समझता या वह: कहा, अयाOत ् जो बात मेरे िलथे अिधक कठन और मेर: समझ से बाहर यीं 'जनको मE जानता भी नह:ं या। 4 मE िनवेदन करता हंू सुन, मE कुछ कहंू गा, मE तुझ से ूo करता हँू , तू मुझे बता दे । 5 मE कानHसे तेरा समाचार सुना या, पर(तु अब मेर: आंख तुझे

दे खती हE ; 6 इसिलथे मुझे अपके ऊपर घृणा आती है , और मE धूिल और राख म

प_ााप करता हूँ। 7 और ऐसा हुआ क जब यहोवा थे बात अयूब से कह चुका, तब उस ने तेमानी एलीपज से कहा, मेरा बोध तेरे और तेरे दोनHिमऽHपर भड़का है , यHक जैसी ठqक बात मेरे दास अयूब ने मेरे वषय कह: है , वैसी तुम लोगHने नह:ं कह:। 8 इसिलथे अब तुम सात बैल और सात मेढ़े छांटकर मेरे दास अयूब के पास जाकर अपके िनिम होमबिल चढ़ाओ, तब मेरा दास अयूब तुSहारे िलथे ूायOना करे गा, यHक उसी क मE महण कRंगा; और नह:ं, तो मE तुम से तुSहार: मूढ़ता के योbय बताOव कRंगा, यHक तुम लोगHने मेरे वषय मेरे दास अयूब क सी ठqक बात नह:ं कह:। 9 यह सुन तेमानी एलीपज, शूह: ब`दद और नामाती सोपर ने जाकर यहोवा क आाWा के अनुसार कया, और यहोवा ने अयूब क ूायOना महण क। 10 जब अयूब ने अपके िमऽHके िलथे ूायOना क, तब यहोरवा ने उसका सारा द:ु ख दरू कया, और 'जतना अयूब का पहले या, उसका दग ु ना यहोवा ने उसे दे दया। 11 तब उसके सब भाई, और सब बहन , और 'जतने पहले उसको जानते पहचानते थे, उन सभHने आकर उसके यहां उसके संग भोजन कया; और 'जतनी वप यहोवा ने उस पर डाली यी, उस सब के वषय उ(हHने वलाप कया, और उसे शा'(त द:; और उसे एक एक िस का ओर सोने क एक एक बाली द:। 12 और यहोवा ने अयूब के पछले दनHम उसको अगले दनHसे अिधक आशीष द:; और उसके चौदह हजार भ ड़ बकgरयां, छ:हजार ऊंट, हजार जोड़: बैल, और हजार गदहयां हो गई। 13 और उसके सात बेटे ओर तीन बेटयां भी उप(न हुई। 14 इन म से उस ने जेठq बेट: का नाम तो यमीमा, दस ू र: का कसीआ और तीसर: का केरे (ह€पूक रखा। 15 और

उस सारे दे श म एंसी '\यां कह:ं न यीं, जो अयूब क बेटयHके समान सु(दर हH, और उनके पता ने उनको उनके भाइयHके संग ह: सSप द:। 16 इसके बाद अयूब एक सौ चालीस वषO जीवत रहा, और चार पीढ़: तक अपना वंश दे खने पाया। 17 िनदान अयूब वृaावःया म द:घाOयु होकर मर गया। भजन संहता 1 1 या ह: ध(य है वह पुRष जो द ु Hक युf पर नह:ं चलता, और न पापयHके मागO म खड़ा होता; और न ठ=ठा करनेवालHक म+डली म बैठता है ! 2 पर(तु वह तो यहोवा क eयवःथा से ूस(न रहता; और उसक eयवःथा पर रात दन ~यान करता रहता है । 3 वह उस वृœ के समान है , जो बहती नािलयHके कनारे लगाया गया है । और अप क ऋतु म फलता है , और 'जसके पे कभी मुरझाते नह:ं। इसिलथे जो कुछ वह पुRष करे वह सफल होता है ।। 4 द ु लोग ऐसे नह:ं होते, वे उस भूसी के समान होते हE , जो पवन से उड़ाई जाती है । 5 इस कारण द ु लोग अदालत म 'ःथर न रह सक गे, और न पापी धिमOयHक म+डली म ठहर गे; 6 यHक यहोवा धिमOयHका मागO जानता है , पर(तु द ु Hका मागO नाश हो जाएगा।। भजन संहता 2 1 जाित जाित के लोग यHहु`लड़ मचाते हE , और दे श दे श के लोग eयथO बात

यHसोच रहे हE ? 2 यहोवा के और उसके अिभषf के वRa पृवी के राजा िमलकर, और हाकम आपस म सSमित करके कहते हE , क 3 आओ, हम उनके ब(धन तोड़ डाल , और उनक र'ःस कH अपके ऊपर से उतार फ के।। 4 वह जो

ःवगO म वराजमान है , हं सेगा, ूभु उनको ठ=ठHम उड़ाएगा। 5 तब वह उन से बोध करके बात करे गा, और बोध म कहकर उ(ह घबरा दे गा, क 6 मE तो अपके ठहराए हुए राजा को अपके पवऽा पवOत िसरयोन क राजगX: पर बैठा चुका हंू । 7 मE उस वचन का ूचार कRंगा: जो यहोवा ने मुझ से कहा, तू मेरा पुऽा है , आज तू मुझ से उप(न हुआ। 8 मुझ से मांग, और मE जाित जाित के लोगHको तेर: सSप होने के िलथे, और दरू दरू के दे शHको तेर: िनज भूिम बनने के िलथे दे दं ग ू ा। 9 तू उ(ह लोहे के ड+डे से टु कड़े टु कड़े करे गा। तू कुSहार के बतOन क नाL उ(ह चकना चूर कर डालेगा।। 10 इसिलथे अब, हे राजाओं, बुaमान बनो; हे पृवी के (यािययH, यह उपकेश महण करो। 11 डरते हुए यहोवा क उपासना करो, और कांपके हुए मगन हो। 12 पुऽा को चूमो ऐसा न हो क वह बोध करे , और तुम मागO ह: म नाश हो जाओ; यHक œण भर म उसका बोध भड़कने को है ।। ध(य है वे 'जनका भरोसा उस पर है ।। भजन संहता 3 1 हे यहोवा मेरे सतानेवाले कतने बढ़ गए हE ! वह जो मेरे वRa उठते हE बहुत हE । 2 बहुत से मेरे ूाण के वषय म कहते हE , क उसका बचाव परमे र क आरे से नह:ं हो सकता। 3 पर(तु हे यहोवा, तू तो मेरे चारHओर मेर: ढ़ाल है , तू मेर: महमा और मेरे म'ःतंक का ऊंचा करनेवाला है । 4 मE ऊंचे शcद से यहोवा को पुकारता हूं, और वह अपके पवऽा पवOत पर से मुझे उर दे ता है । 5 मE लेटकर सो गया; फर जाग उठा, यHक यहोवा मुझे सSहालता है । 6 मE उन दस हजार मनुंयHसे नह:ं डरता, जो मेरे वRa चारHओर पांित बा(धे खड़े हE ।। 7 उठ, हे

यहोवा! हे मेरे परमे र मुझे बचा ले! यHक तू ने मेरे सब शऽुओं के जबड़Hपर मारा है और तू ने द ु Hके दांत तोड़ डाले हE ।। 8 उaार यहोवा ह: क ओर से होता है ; हे यहोवा तेर: आशीष तेर: ूजा पर हो।। भजन संहता 4 1 हे मेरे धमOमय परमे र, जब मE पुकाRं तब तू मुझे उर दे ; जब मE सकेती म

पड़ा तब तू ने मुझे वःतार दया। मुझ पर अनुमह कर और मेर: ूाथOना सुन ले।। 2 हे मनुंयHके पुऽH, कब तक मेर: महमा के बदले अनादर होता रहे गा? तुम कब तक eयथO बातHसे ूीित रखोगे और झूठq युf क खोज म रहोगे? 3 यह जान रखो क यहोवा ने भf को अपके िलथे अलग कर रखा है ; जब मE यहोवा को पुकाRंगा तब वह सुन लेगा।। 4 कांपके रहो और पाप मत करो; अपके अपके बछौने पर मन ह: मन सोचो और चुपचाप रहो। 5 धमO के बिलदान चढ़ाओ, और यहोवा पर भरोसा रखो।। 6 बहुत से हE जो कहते हE , क कौन हम को कुछ भलाई दखाएगा? हे यहोवा तू अपके मुख का ूकाश हम पर चमका! 7 तू ने मेरे मन म

उस से कह:ं अिधक आन(द भर दया है , जो उनको अ(न और दाखमधु क बढ़ती से होती थी। 8 मE शा'(त से लेट जाऊंगा और सो जाऊंगा; यHक, हे यहोवा, केवल तू ह: मुझ को एका(त म िन'_(त रहने दे ता है ।। भजन संहता 5 1 हे यहोवा, मेरे वचनHपर कान लगा; मेरे ~यान करने क ओर मन लगा। 2 हे मेरे राजा, हे मेरे परमे र, मेर: दोहाई पर ~यान दे , यHक मE तुझी से ूाथOना करता

हंू । 3 हे यहोवा, भोर को मेर: वाणी तुझे सुनाई दे गी, मE भोर को ूाथOना करके ते र: बाट जोहूंगा। 4 यHक तू ऐसा ई र नह:ं जो द ु ता से ूस(न हो; बुराई तेरे साथ नह:ं रह सकती। 5 घमंड: ते रे सSमुख खड़े होने न पांएगे; तुझे सब अनथOकाgरयHसे घृणा है । 6 तू उनको जो झूठ बोलते हE नाश करे गा; यहोवा तो हयारे और छली मनुंय से घृणा करता है । 7 पर(तु मE तो तेर: अपार कRणा के कारण तेरे भवन म आऊंगा, मE तेरा भय मानकर ते रे पवऽा म'(दर क ओर द+डवत ् कRंगा। 8 हे यहोवा, मेरे शऽुओं के कारण अपके धमO के मागO म मेर: अगुवाई कर; मेरे आगे आगे अपके सीधे मागO को दखा। 9 यHक उनके मुह ं म

कोई स.चाई नह:ं; उनके मन म िनर: द ु ता है । उनका गला खुली हुई कॄ है , वे अप क जीभ से िचकनी चुपड़: बात करते हE । 10 हे परमे र तू उनको दोषी ठहरा; वे अप क ह: युfयHसे आप ह: िगर जाएं; उनको उनके अपराधHक अिधकाई के कारण िनकाल बाहर कर, यHक उ(हHने तुझ से बलवा कया है ।। 11 पर(तु 'जतने तुझ पर भरोसा रखते हE वे सब आन(द कर , वे सवOदा ऊंचे ःवर से गाते रह ; यHक तू उनक रœा करता है , और जो तेरे नाम के ूेमी हE तुझ म

ूफु'`लत हH। 12 यHक तू धमh को आिशष दे गा; हे यहोवा, तू उसको अपके अनुमहRपी ढाल से घेरे रहे गा।। भजन संहता 6 1 हे यहोवा, तू मुझे अपके बोध म न डांट, और न झुंझलाहट म मुझे ताड़ना दे । 2 हे यहोवा, मुझ पर अनुमह कर, यHक मE कुSहला गया हंू ; हे यहोवा, मुझे चंगा कर, यHक मेर: ह‰डयHम बेचन ै ी है । 3 मेरा ूाण भी बहुत खेदत है । और तू, हे

यहोवा, कब तक? 4 लौट आ, हे यहोवा, और मेरे ूाण बचा अप क कRणा के िनिम मेरा उaार कर। 5 यHक मृयु के बाद तेरा ःमरण नह:ं होता; अधोलोक म कौन तेरा ध(यवाद करे गा? 6 मE कराहते कराहते थक गया; मE अप क खाट आंसओ ु ं से िभगोता हंू ; ूित रात मेरा बछौना भीगता है । 7 मेर: आंख शोक से बैठq जाती हE , और मेरे सब सतानेवालHके कारण वे धु(धला गई हE ।। 8 हे सब अनथOकाgरयो मेरे पास से दरू हो; यHक यहोवा ने मेरे रोने का शcद सुन िलया है । 9 यहोवा ने मेरा िगड़िगड़ाना सुना है ; यहोवा मेर: ूाथOना को महण भी करे गा। 10 मेरे सब शऽु ल'Gजत हHगे और बहुत घबराएंगे; वे लौट जाएंगे, और एकाएक ल'Gजत हHगे।। भजन संहता 7 1 हे मेरे परमे र यहोवा, मेरा भरोसा तुझ पर है ; सब पीछा करनेवालHसे मुझे बचा और छुटकारा दे , 2 ऐसा न हो क वे मुझ को िसंह क नाई फाड़कर टु कड़े टु कड़े कर डाल ; और कोई मेरा छुड़ानेवाला न हो।। 3 हे मेरे परमे र यहोवा, यद मE ने यह कया हो, यद मेरे हाथHसे कुटल काम हुआ हो, 4 यद मE ने अपके मेल रखनेवालHसे भलाई के बदले बुराई क हो, (वरन मE ने उसको जो अकारण मेरा बैर: था बचाया है ) 5 तो शऽु मेरे ूाण का पीछा करके मुझे आ पकड़े , वरन मेरे ूाण को भूिम पर रxदे , और मेर: महमा को िम=ट: म िमला दे ।। 6 हे यहोवा बोध करके उठ; मेरे बोधभरे सतानेवाले के वRa तू खड़ा हो जा; मेरे िलथे जाग! तू ने (याय क आWा तो दे द: है । 7 दे श दे श के लोगHक म+डली तेरे चारHओर हो; और तू उनके ऊपर से होकर ऊंचे ःथानHपर लौट जा। 8 यहोवा समाज समाज का

(याय करता है ; यहोवा मेरे धमO और खराई के अनुसार मेरा (याय चुका दे ।। 9 भला हो क द ु Hक बुराई का अ(त हो जाए, पर(तु धमO को तू 'ःथर कर; यHक धमh परमे र मन और ममO का Wाता है । 10 मेर: ढाल परमे र के हाथ म है , वह सीधे मनवालHको बचाता है ।। 11 परमे र धमh और (यायी है , वरन ऐसा ई र है जो ूित दन बोध करता है ।। 12 यद मनुंय न फरे तो वह अप क तलवार पर सान चढ़ाएगा; वह अपना धनुष चढ़ाकर तीर स(धान चुका है । 13 और उस मनुंय के िलथे उस ने मृयु के हिथयार तैयार कर िलए हE : वह अपके तीरHको अ'bनबाण बनाता है । 14 दे ख द ु को अनथO काम क पीड़ाएं हो रह: हE , उसको उपात का गभO है , और उस से झूठ उप(न हुआ। उस ने गड़हा खोदकर उसे गहरा कया, 15 और जो खाई उस ने बनाई थी उस म वह आप ह: िगरा। 16 उसका उपात पलट कर उसी के िसर पर पकेगा; और उसका उपिव उसी के माथे पर पकेगा।। 17 मE यहोवा के धमO के अनुसार उसका ध(यवाद कRंगा, और परमूधान यहोवा के नाम का भजन गाऊंगा।। भजन संहता 8 1 हे यहोवा हमारे ूभु, तेरा नाम सार: पृवी पर या ह: ूतापमय है ! तू ने अपना वभव ःवगO पर दखाया है । 2 तू ने अपके बैgरयHके कारण ब.चHऔर दध ू पउवHके kारा सामयO क नेव डाली है , ताक तू शऽु और पलटा लेनेवालHको रोक रखे। 3 जब मE आकाश को, जो तेरे हाथHका कायO है , और चंिमा और तरागण को जो तू ने िनयुf कए हE , दे खता हंू ; 4 तो फर मनुंय या है क तू उसका ःमरण रखे, और आदमी या है क तू उसक सुिध ले? 5 यHक तू ने उसको परमे र

से थोड़ा ह: कम बनाया है , और महमा और ूताप का मुकुट उसके िसर पर रखा है । 6 तू ने उसे अपके हाथHके कायJपर ूभुता द: है ; तू ने उसके पांव तले सब कुछ कर दया है । 7 सब भेड़- बकर: और गाय- बैल और 'जतने वनपशु हE , 8 आकाश के पœी और समुि क मछिलयां, और 'जतने जीव- ज(तु समुिHम चलते फरते हE । 9 हे यहोवा, हे हमारे ूभु, तेरा नाम सार: पृवी पर या ह: ूतापमय है ।। भजन संहता 9 1 हे यहोवा परमे र मE अपके पूणO मन से तेरा ध(यवाद कRंगा; मE तेरे सब आ_यO कमJका वणOन कRंगा। 2 मE तेरे कारण आन'(दत और ूफु'`लत होऊंगा, हे परमूधान, मE तेरे नाम का भजन गाऊंगा।। 3 जब मेरे शऽु पीछे हटते हE , तो वे तेरे साSहने से ठोकर खाकर नाश होते हE । 4 यHक तू ने मेरा (याय और मुक मा चुकाया है ; तू ने िसंहासन पर वराजमान होकर धमO से (याय कया। 5 तू ने अ(यजाितयHको 'झड़का और द ु को नाश कया है ; तू ने उनका नाम अन(तकाल के िलथे िमटा दया है । 6 शऽु जो है , वह मर गए, वे अन(तकाल के िलथे उजड़ गए हE ; और 'जन नगरHको तू ने ढा दया, उनका नाम वा िनशान भी िमट गया है । 7 पर(तु यहोवा सदै व िसंहासन पर वराजमान है , उस ने अपना िसंहासन (याय के िलथे िसa कया है ; 8 और वह आप ह: जगत का (याय धमO से करे गा, वह दे श दे श के लोगHका मुक मा खराई से िनपटाएगा।। 9 यहोवा पसे हुओं के िलथे ऊंचा गढ़ ठहरे गा, वह संकट के समय के िलथे भी ऊंचा गढ़ ठहरे गा। 10 और तेरे नाम के जाननेवाले तुझ पर भरोसा रख गे, यHक हे यहोवा तू ने अपके खो'जयHको याग नह:ं दया।। 11 यहोवा जो िसरयोन म वराजमान है ,

उसका भजन गाओ! जाित जाित के लोगHके बीच म उसके महाकमJका ूचार करो! 12 यHक खून का पलटा लेनेवाला उनको ःमरण करता है ; वह द:न लोगHक दोहाई को भूलता।। 13 हे यहोवा, मुझ पर अनुमह कर। तू जो मुझे मृयु के फाटकHके पास से उठाता है , मेरे द:ु ख को दे ख जो मेरे बैर: मुझे दे रहे हE ; 14 ताक मE िसरयोन के फाटकHके पास तेरे सब गुणHका वणOन कRं, और ते रे कए हुए उaार से मगन होऊं।। 15 अ(य जाितवालHने जो गड़हा खोदा था, उसी म वे आप िगर पके; जो जाल उ(हHने लगाया था, उस म उ(ह:ं का पांव फंस गया। 16 यहोवा ने अपके को ूगट कया, उस ने (याय कया है ; द ु अपके कए हुए कामHम फंस जाता है । 17 द ु अधोलोक म लौट जाएंगे, तथा वे सब जाितयां भी जा परमे र को भूल जाती है । 18 यHक दgरि लोग अन(तकाल तक बसरे हुए न रह गे, और न तो नॆ लोगHक आशा सवOदा के िलथे नाश होगी। 19 उठ, हे परमे र, मनुंय ूबल न होने पाए! जाितयHका (याय तेरे सSमुख कया जाए। 20 हे परमे र, उनको भय दला! जाितयां अपके को मनुंयमाऽा ह: जान । भजन संहता 10 1 हे यहोवा तू यHदरू खड़ा रहता है ? संकट के समय म यHिछपा रहता है ? 2 द ु Hके अहं कार के कारण द: मनुंय खदे ड़े जाते हE ; वे अप क ह: िनकाली हुई युfयHम फंस जाएं।। 3 यHक द ु अप क अिभलाषा पर घम+ड करता है , और लोभी परमे र को याग दे ता है और उसका ितरःकार करता है ।। 4 द ु अपके अिभमान के कारण कहता है क वह लेखा नह:ं लेने का; उसका पूरा वचार यह: है क कोई परमे र है ह: नह:ं।। 5 वह अपके मागO पर lढ़ता से बना रहता

है ; तेरे (याय के वचार ऐसे ऊंचे पर होते हE , क उसक l वहां तक नह:ं पहुंच क; 'जतने उसके वरोधी हE उन पर वह फुंकारता है । 6 वह अपके मन म

कहता है क मE कभी टलने का नह:ं: मE पीढ़: से पीढ़: तक द:ु ख से बचा रहंू गा।। 7 उसका मुह ं शाप और छल और अ(धेर से भरा है ; उपात और अनथO क बात

उसके मुह ं म हE । 8 वह गांवHके घतHम बैठा करता है , और गुT ःथानHम िनदzष को घात करता है , उसक आंखे लाचार क घात म लगी रहती है । 9 जैसा िसंह अप क झाड़: म वैसा ह: वह भी िछपकर घात म बैठा करता है ; वह द:न को पकड़ने के िलथे घात लगाए रहता है , 10 वह द:न को अपके जाल म फंसाकर घसीट लाता है , तब उसे पकड़ लेता है । 11 वह झुक जाता है और वह दबक कर बैठता है ; और लाचार लोग उसके महाबली हाथHसे पटके जाते हE । 12 वह अपके मन म सोचता है , क ई र भूल गया, वह अपना मुह ं िछपाता है ; वह कभी नह:ं दे खेगा।। 13 उठ, हे यहोवा; हे ई र, अपना हाथ बढ़ा; और द:नHको न भूल। 14 परमे र को द ु यHतु.छ जानता है , और अपके मन म कहता है क तू लेखा न लेगा? 15 तू ने दे ख िलया है , यHक तू उपात और कलपाने पर दु  रखता है , ताक उसका पलटा अपके हाथ म रखे; लाचार अपके को तेरे हाथ म सxपता है ; अनाथHका तू ह: सहाथक रहा है । द ु क भुजा को तोड़ डाल; 16 यहोवा अन(तकाल के िलथे महाराज है ; उसके दे श म से अ(यजाित लोग नाश हो गए हE ।। 17 हे यहोवा, तू ने नॆ लोगHक अिभलाषा सुनी है ; तू उनका मन तैयार करे गा, तू कान लगाकर सुनेगा 18 क अनाथ और पसे हुए का (याय करे , ताक मनुंय जो िम=ट: से बना है फर भय दखाने न पाए।। भजन संहता 11

1 मेरा भरोसा परमे र पर है ; तुम यHक मेरे ूाण से कहते हो क पœी क नाई अपके पहाड़ पर उड़ जा? 2 यHक दे खो, द ु अपना धनुष चढ़ाते हE , और अपना तीर धनुष क डोर: पर रखते हE , क सीधे मनवालHपर अ'(ध कारने म तीर चलाएं। 3 यद नेव ढ़ा द: जाएं तो धमh या कर सकता है ? 4 परमे र अपके पवऽा भवन म है ; परमे र का िसंहासन ःवगO म है ; उसक आंख मनुंय क स(तान को िनत दे खती रहती हE और उसक पलक उनको जांच क हE । 5 यहोवा धमž को परखता है , पर(तु वह उन से जो द ु हE और उपिव से ूीित रखते हE अप क आमा म घृणा करता है । 6 वह द ु Hपर फ(दे बरसाएगा; आग और ग(धक और ूच+ड लूह उनके कटोरHम बांट द: जाएंगी। 7 यHक यहोवा धमh है , वह धमO के ह: कामHसे ूस(न रहता है ; धमhजन उसका दशOन पाएंगे।। भजन संहता 12 1 हे परमे र बचा ले, यHक एक भी भf नह:ं रहा; मनुंयHम से व ासयोbय लाग मर िमटे हE । 2 उन म से ूथेक अपके पड़ोसी से झूठq बात कहता है ; वे चापलूसी के ओठHसे दो रं गी बात करते हE ।। 3 ूभु सब चापलूस ओठHको और उस जीभ को 'जस से बड़ा बोल िनकलता है काट डालेगा। 4 वे कहते हE क हम अप क जीभ ह: से जीत गे, हमारे ओंठ हमारे ह: वश म हE ; हमार ूभु कौन है ? 5 द: लोगHके लुट जाने, और दgरिHके कराहने के कारण, परमे र कहता है , अब मE उठू ं गा, 'जस पर वे फुंकारते हE उसे मE चैन वौाम दं ग ू ा। 6 परमे र का वचन पवऽा है , उस चा'(द के समान जो भ=ट: म िम=ट: पर ताई गई, और सात बार िनमOल क गई हो।। 7 तू ह: हे परमे र उनक रœा करे गा, उनको इस काल के

लोगHसे सवOदा के िलथे बचाए रखेगा। 8 जब मनुंयHम नीचपन का आदर होता है , तब द ु लोग चारHओर अकड़ते फरते हE ।। भजन संहता 13 1 हे परमे र तू कब तक? या सदै व मुझे भूला रहे गा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझ से िछपाए रहे गा? 2 मE कब तक अपके मन ह: मन म युfयां करता रहंू , और दन भर अपके Ÿदय म द'ु खत रहा कRं, कब तक मेरा शऽु मुझ पर ूबल रहे गा? 3 हे मेरे परमे र यहोवा मेर: ओर ~यान दे और मुझे उर दे , मेर: आंखHम Gयोित आने दे , नह:ं तो मुझे मृयु क नींद आ जाएगी; 4 ऐसा न हो क मेरा शऽु कहे , क मE उस पर ूबल हो गया; और ऐसा न हो क जब मE डगमगाने लगूं तो मेरे शऽु मगन हH।। 5 पर(तु मE ने तो तेर: कRणा पर भरोसा रखा है ; मेरा Ÿदय तेरे उaार से मगन होगा। 6 मE परमे र के नाम का भजन गाऊंगा, यHक उस ने मेर: भलाई क है ।। भजन संहता 14 1 मूखO ने अपके मन म कहा है , कोई परमे र है ह: नह:ं। वे बगड़ गए, उ(हHने िघनौने काम कए हE , कोई सुकमh नह:ं। 2 परमे र ने ःवगO म से मनुंयHपर l क है , क दे खे क कोई बुaमान, कोई परमे र का खोजी है या नह:ं। 3 वे सब के सब भटक गए, वे सब ॅ हो गए; कोई सुकमh नह:ं, एक भी नह:ं। 4 या कसी अनथOकार: को कुछ भी Wान नह:ं रहता, जो मेरे लोगHको ऐसे खा जाते हE जैसे रोट:, और परमे र का नाम नह:ं लेते? 5 वहां उन पर भय छा गया, यHक

परमे र धमh लोगHके बीच म िनर(तर रहता है । 6 तुम तो द:न क युf क हं सी उड़ाते हो इसिलथे क यहोवा उसका शरणःथान है । 7 भला हो क इॐाएल का उaार िसरयोन से ूगट होता! जब यहोवा अप क ूजा को दासव से लौटा ले आएगा, तब याकूब मगन और इॐाएल आन'(दत होगा।। भजन संहता 15 1 हे परमे र तेरे तSबू म कौन रहे गा? ते रे पवऽा पवOत पर कौन बसने पाएगा? 2 वह जो खराई से चलता और धमO के काम करता है , और Ÿदय से सच बोलता है ; 3 जो अप क जीभ से िन(दा नह:ं करता, और न अपके िमऽा क बुराई करता, और न अपके पड़ोसी क िन(दा सुनता है ; 4 वह 'जसक l म िनकSमा मनुंय तु.छ है , और जो यहोवा के डरवैयHका आदर करता है , जो शपथ खाकर बदलता नह:ं चाहे हािन उठाना पके; 5 जो अपना Rपया cयाज पर नह:ं दे ता, और िनदzष क हािन करने के िलथे घूस नह:ं लेता है । जो कोई ऐसी चाल चलता है वह कभी न डगमगाएगा।। भजन संहता 16 1 हे ई र मेर: रœा कर, यHक मE तेरा ह: शरणागत हंू । 2 मE ने परमे र से कहा है , क तू ह: मेरा ूभु है ; तेरे िसवाए मेर: भलाई कह:ं नह:ं। 3 पृवी पर जो पवऽा लोग हE , वे ह: आदर के योbय हE , और उ(ह:ं से मE ूस(न हंू । 4 जो पराए दे वता के पीछे भागते हE उनका द:ु ख बढ़ जाएगा; मE उनके लोहूवाले तपावन नह:ं तपाऊंगा और उनका नाम अपके ओठHसे नह:ं लूग ं ा।। 5 यहोवा मेरा भाग और मेरे कटोरे

का हःसा है ; मेरे बांट को तू 'ःथर रखता है । 6 मेरे िलथे माप क डोर: मनभावने ःथान म पड़:, और मेरा भाग मनभावना है ।। 7 मE यहोवा को ध(य कहता हूं, यHक उस ने मुझे सSम द: है ; वरन मेरा मन भी रात म मुझे िशœा दे ता है । 8 मE ने यहोवा को िनर(तर अपके सSमुख रखा है : इसिलथे क वह मेरे दहने हाथ रहता है मE कभी न डगमगाऊंगा।। 9 इस कारण मेरा Ÿदय आन'(दत और मेर: आमा मगन हुई; मेरा शर:र भी चैन से रहे गा। 10 यHक तू मेरे ूाण को अधोलोक म न छोड़े गा, न अपके पवऽा भf को सड़ने दे गा।। 11 तू मुझे जीवन का राःता दखाएगा; ते रे िनकट आन(द क भरपूर: है , ते रे दहने हाथ म सुख सवOदा बना रहता है ।। भजन संहता 17 1 हे यहोवा परमे र स.चाई के वचन सुन, मेर: पुकार क ओर ~यान दे । मेर: ूाथOना क ओर जो िनंकपट मुह ं से िनकलती है कान लगा। 2 मेरे मुक म का िनणOय तेरे सSमुख हो! तेर: आंख (याय पर लगी रह ! 3 तू ने मेरे Ÿदय को जांचा है ; तू ने रात को मेर: दे खभाल क, तू ने मुझे परखा पर(तु कुछ भी खोटापन नह:ं पाया; मE ने ठान िलया है क मेरे मुह ं से अपराध क बात नह:ं िनकलेगी। 4 मानवी कामHम मE तेरे मुह ं के वचन के kारा बूरHक सी चाल से अपके को बचाए रहा। 5 मेरे पांव तेरे पथHम 'ःथर रहे , फसले नह:ं।। 6 हे ई र, मE ने तुझ से ूाथOना क है , यHक तू मुझे उर दे गा। अपना कान मेर: ओर लगाकर मेर: बनती सुन ले। 7 तू जो अपके दहने हाथ के kारा अपके शरणगतHको उनके वरोिधयHसे बचाता है , अप क अ›त ु कRणा दखा। 8 अपके आंखो क पुतली

क नाई सुर'œत रख; अपके पंखHके तले मुझे िछपा रख, 9 उन द ु Hसे जो मुझ पर अयाचार करते हE , मेरे ूाण के शऽुओं से जो मुझे घेरे हुए हE ।। 10 उ(हHने अपके ŸदयHको कठोर कया है ; उनके मुह ं से घमंड क बात िनकलती हE । 11 उ(हHने पग पग पर हमको घेरा है ; वे हमको भूिम पर पटक दे ने के िलथे घात लगाए हुए हE । 12 वह उस िसंह क नाई है जो अपके िशकार क लालसा करता है , और जवान िसंह क नाई घात लगाने के ःथानHम बैठा रहता है ।। 13 उठ, हे यहोवा उसका सामना कर और उसे पटक दे ! अप क तलवार के बल से मेरे ूाण को द ु से बचा ले। 14 अपना हाथ बढ़ाकर हे यहोवा, मुझे मनुंयHसे बचा, अथाOत ् संसार: मनुंयHसे 'जनका भाग इसी जीवन म है , और 'जनका पे ट तू अपके भ+डार से भरता है । वे बालब.चHसे स(तु हE ; और शेष सSपित अपके ब.चHके िलथे छोड़ जाते हE ।। 15 पर(तु मE तो धमh होकर तेरे मुख का दशOन कRंगा जब मE जानूग ं ा तब तेरे ःवRप से स(तु हंू गा।। भजन संहता 18 1 हे परमे र, हे मेरे बल, मE तुझ से ूेम करता हूं। 2 यहोवा मेर: च=टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ानेवाला है ; मेरा ई र, मेर: च=टान है , 'जसका मE शरणागत हंू , वह मेर: ढ़ाल और मेर: मुf का गढ़ है । 3 मE यहोवा को जो ःतुित के योbय है पुकाRंगा; इस ूकार मE अपके शऽुओं से बचाया जाऊंगा।। 4 मृयु क र'ःस कH मE चारो ओर से िघर गया हूं, और अधमO क बाढ़ ने मुझ को भयभीत कर दया; 5 पाताल क र'ःसयां मेरे चारो ओर थीं, और मृयु के फ(दे मुझ पर आए थे। 6 अपके संकट म मE ने यहोवा परमे र को पुकारा; मE ने अपके परमे र

को दोहाई द:। और उस ने अपके म'(दर म से मेर: बात सुनी। और मेर: दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानHम पड़:।। 7 तब पृवी हल गई, और कांप उठq और पहाड़Hक नेवे कंपत होकर हल गई यHक वह अित बोिधत हुआ था। 8 उसके नथनHसे धुआं िनकला, और उसके मुह ं से आग िनकलकर भःम करने लगी; 'जस से कोएले दहक उठे । 9 और वह ःवगO को नीचे झुकाकर उतर आया; और उसके पांवHतले घोर अ(धकार था। 10 और वह कRब पर सवार होकर उड़ा, वरन पवन के पंखHपर सवार: करके वेग से उड़ा। 11 उस ने अ'(ध कारने को अपके िछपके का ःथान और अपके चारHओर मेघHके अ(धकार और आकाश क काली घटाओं का म+डप बनाया। 12 उसक उप'ःथित क झलक से उसक काली घटाएं फट गई; ओले और अंगारे । 13 तब यहोवा आकाश म गरजा, और परमूधान ने अप क वाणी सुनाई, ओले ओर अंगारे ।। 14 उस ने अपके तीर चला चलाकर उनको िततर बतर कया; वरन बजिलयां िगरा िगराकर उनको पराःत कया। 15 तब जल के नाले दे ख पके, और जगत क नेव ूगट हुई, यह तो यहोवा तेर: डांट से, और तेरे नथनHक सांस क झHक से हुआ।। 16 उस ने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थांम िलया, और गहरे जल म से खींच िलया। 17 उस ने मेरे बलव(त शऽु से, और उन से जो मुझ से घृणा करते थे मुझे छुड़ाया; यHक वे अिधक सामथh थे। 18 मेर: वप के दन वे मुझ पर आ पके। पर(तु यहोवा मेरा आौय था। 19 और उस ने मुझे िनकालकर चौड़े ःथान म पहुंचाया, उस ने मुझ को छुड़ाया, यHक वह मुझ से ूस(न था। 20 यहोवा ने मुझ से मेरे धमO के अनुसार eयवहार कया; और मेरे हाथHक शुaता के अनुसार उस ने मुझे बदला दया। 21 यHक मE यहोवा के मागJपर चलता रहा, और द ु ता के कारण

अपके परमे र से दरू न हुआ। 22 यHक उसके सारे िनणOय मेरे सSमुख बने रहे और मE ने उसक विधयHको न यागा। 23 और मE उसके सSमुख िसa बना रहा, और अधमO से अपके को बचाए रहा। 24 यहोवा ने मुझे मेरे धमO के अनुसार बदला दया, और मेरे हाथHक उस शुaता के अनुसार 'जसे वह दे खता था।। 25 दयाव(त के साथ तू अपके को दयाव(त दखाता; और खरे पुRष के साथ तू अपके को खरा दखाता है । 26 शुa के साथ तू अपके को शुa दखाता, और टे ढ़े के साथ तू ितछाO बनता है । 27 यHक तू द: लोगHको तो बचाता है ; पर(तु घम+ड भर: आंखHको नीची करता है । 28 हां, तू ह: मेरे द:पक को जलाता है ; मेरा परमे र यहोवा मेरे अ'(ध कारने को उ'जयाला कर दे ता है । 29 यHक तेर: सहाथता से मE सेना पर धावा करता हूं; और अपके परमे र क सहाथता से शहरपनाह को लांघ जाता हंू । 30 ई र का मागO स.चाई; यहोवा का वचन ताया हुआ है ; वह अपके सब शरणागतHक ढाल है ।। 31 यहोवा को छोड़ या कोई ई र है ? हमारे परमे र को छोड़ या और कोई च=टान है ? 32 यह वह: ई र है , जो सामथO से मेरा कटब(ध बा(धता है , और मेरे मागO को िसa करता है । 33 वह: मेरे पैरHको हgर'णयHके पैरHके समान बनाता है , और मुझे मेरे ऊंचे ःथानHपर खड़ा करता है । 34 वह मेरे हाथHको युa करना िसखाता है , इसिलथे मेर: बाहHसे पीतल का धनुष झुक जाता है । 35 तू ने मुझ को अपके बचाव क ढाल द: है , तू अपके दहने हाथ से मुझे सSभाले हुए है , और मेर: नॆता ने महव दया है । 36 तू ने मेरे पैरHके िलथे ःथान चौड़ा कर दया, और मेरे पैर नह:ं फसले। 37 मE अपके शऽुओं का पीछा करके उ(ह पकड़ लूग ं ा; और जब तब उनका अ(त न कRं तब तक न लौटू ं गा। 38 मE उ(ह ऐसा बेधग ूं ा क वे उठ न सक गे; वे मेरे पांवHके नीचे िगर

पक गे। 39 यHक तू ने युa के िलथे मेर: कमर म शf का पटु का बा(धा है ; और मेरे वरोिधयHको मेरे सSमुख नीचा कर दया। 40 तू ने मेरे शऽुओं क पीठ मेर: ओर फेर द:, ताक मE उनको काट डालूं जो मुझ से kे ष रखते हE । 41 उ(हHने दोहाई तो द: पर(तु उ(ह कोई भी बचानेवाला न िमला, उ(हHने यहोवा क भी दोहाई द:, पर(तु उस ने भी उनको उर न दया। 42 तब मE ने उनको कूट कूटकर पवन से उड़ाई हुई धूिल के समान कर दया; मE ने उनको गली कूचHक कचड़ के समान िनकाल फ का।। 43 तू ने मुझे ूजा के झगड़Hसे भी छुड़ाया; तू ने मुझे अ(यजाितयHका ूधान बनाया है ; 'जन लोगHको मE जानता भी न था वे मेरे अधीन हो गथे। 44 मेरा नाम सुनते ह: वे मेर: आWा का पालन कर गे; परदे शी मेरे वश म हो जाएंगे। 45 परदे शी मुझाO जाएंगे, और अपके कलHम से थरथराते हुए िनकल गे।। 46 यहोवा परमे र जीवत है ; मेर: च=टान ध(य है ; और मेरे मुfदाता परमे र क बड़ाई हो। 47 ध(य है मेरा पलटा लेनेवाला ई र! 'जस ने दे श दे श के लोगHको मेरे वंश म कर दया है ; 48 और मुझे मेरे शऽुओं से छुड़ाया है ; तू मुझ को मेरे वरोिधयHसे ऊंचा करता, और उपिवी पुRष से बचाता है ।। 49 इस कारण मE जाित जाित के साSहने ते रा ध(यवाद कRंगा, और तेरे नाम का भजन गाऊंगा। 50 वह अपके ठहराए हुए राजा का बड़ा उaार करता है , वह अपके अिभषf दाऊद पर और उसके वंश पर युगानुयग ु कRणा करता रहे गा।। भजन संहता 19 1 आकाश ई र क महमा वणOन कर रहा है ; और आकशम+डल उसक हःतकला को ूगट कर रहा है । 2 दन से दन बात करता है , और रात को रात

Wान िसखाती है । 3 न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शcद सुनाई नह:ं दे ता है । 4 उनका ःवर सार: पृवी पर गूंज गया है , और उनके वचन जगत क छोर तक पहंु च गए हE । उन म उस ने सूरयO के िलथे एक म+डप खड़ा कया है , 5 जो द` ु हे के समान अपके महल से िनकलता है । वह शूरवीर क नाई अप क दौड़ दौड़ने को हषOत होता है । 6 वह आकाश क एक छोर से िनकलता है , और वह उसक दस ू र: छोर तक च कर मारता है ; और उसक गमh सबको पहुंच क है ।। 7 यहोवा क eयवःथा खर: है , वह ूाण को बहाल कर दे ती है ; यहोवा के िनयम व ासयोbय हE , साधारण लोगHको बुaमान बना दे ते हE ; 8 यहोवा के उपकेश िसa हE , Ÿदय को आन'(दत कर दे ते हE ; यहोवा क आWा िनमOल है , वह आंखHम

Gयोित ले आती है ; 9 यहोवा का भय पवऽा है , वह अन(तकाल तक 'ःथर रहता है ; यहोवा के िनयम सय और पूर: र:ित से धमOमय हE । 10 वे तो सोने से और बहुत कु(दन से भी बढ़कर मनोहर हE ; वे मधु से और टपकनेवाले छे से भी बढ़कर मधुर हE । 11 और उ(ह:ं से तेरा दास िचताया जाता है ; उनके पालन करने से बड़ा ह: ूितफल िमलता है । 12 अप क भूलचूक को कौन समझ सकता है ? मेरे गुT पापHसे तू मुझे पवऽा कर। 13 तू अपके दास को ढठाई के पापHसे भी बचाए रख; वह मुझ पर ूभुता करने न पाएं! तब मE िसa हो जाऊंगा, और बड़े अपराधHसे बचा रहंू गा।। 14 मेरे मुह ं के वचन और मेरे Ÿदय का ~यान तेरे सSमुख महण योbय हH, हे यहोवा परमे र, मेर: च=टान और मेरे उaार करनेवाले! भजन संहता 20

1 संकट के दन यहोवा तेर: सुन ले! याकूब के परमे र का नाम तुझे ऊंचे ःथान पर िनयुf करे ! 2 वह पवऽाःथान से ते र: सहाथता करे , और िसरयोन से तुझे सSभाल ले! 3 वह तेरे सब अ(नबिलयHको ःमरण करे , और तेरे होमबिल को महण करे । 4 वह तेरे मन क इ.छा को पूर: करे , और तेर: सार: युf को सुफल करे ! 5 तब हम ते रे उaार के कारण ऊंचे ःवर से हषOत होकर गाएंगे, और अपके परमे र के नाम से झ+डे खड़े कर गे। यहोवा तुझे मुह ं मांगा बरदान दे ् 6 अब मE जान गया क यहोवा अपके अिभषf का उaार करता है ; वह अपके दहने हाथ के उaार करनेवाले पराबम से अपके पवऽा ःवगO पर से सुनकर उसे उर दे गा। 7 कसी को रथHको, और कसी को घोड़Hका भरोसा है , पर(तु हम तो अपके परमे र यहोवा ह: का नाम ल गे। 8 वे तो झुक गए और िगर पके पर(तु हम उठे और सीधे खड़े हE ।। 9 हे यहोवा, बचा ले; 'जस दन हम पुकार तो महाराजा हम

उर दे ।। भजन संहता 21 1 हे यहोवा तेर: सामयO से राजा आन'(दत होगा; और तेरे कए हुए उaार से वह अित मगन होगा। 2 तू ने उसके मनोरथ को पूरा कया है , और उसके मुह ं क बनती को तू ने अःवीकार नह:ं कया। 3 यHक तू उम आशीष दे ता हुआ उस से िमलता है और तू उसके िसर पर कु(दन का मुकुट पहनाता है । 4 उस ने तुझ से जीवन मांगा, ओर तू ने जीवनदान दया; तू ने उसको युगानुयग ु का जीवन दया है । 5 तेरे उaार के कारण उसक महमा अिधक है ; तू उसको वभव और ऐ यO से आभूषत कर दे ता है । 6 यHक तू ने उसको सवOदा के िलथे आशीषत

कया है ; तू अपके सSमुख उसको हषO और आन(द से भर दे ता है । 7 यHक राजा का भरोसा यहोवा के ऊपर है ; और परमूधान क कRणा से वह कभी नह:ं टलने का।। 8 तेरा हाथ तेरे सब शऽुओं को ढू ं ढ़ िनकालेगा, तेरा दहना हाथ तेरे सब बैgरयHका पता लगा लेगा। 9 तू अपके मुख के सSमुख उ(ह जलते हुए भ=टे क नाई जलाएगा। यहोवा अपके बोध म उ(ह िनगल जाएगा, और आग उनको भःम कर डालेगी। 10 तू उनके फलHको पृवी पर से, और उनके वंश को मनुंयHम से न करे गा। 11 यHक उ(हHने तेर: हाित ठानी है , उ(हHने ऐसी युf िनकाली है 'जसे वे पूर: न कर सक गे। 12 यHक तू अपना धुनष उनके वRa चढ़ाएगा, और वे पीठ दखाकर भाग गे।। 13 हे यहोवा, अप क सामयO म

महान हो! और हम गा गाकर तेरे पराबम का भजन सुनाएंगे।। भजन संहता 22 1 हे मेरे परमे र, हे मेरे परमे र, तू ने मुझे यHछोड़ दया? तू मेर: पुकार से और मेर: सहाथत करने से यHदरू रहता है ? मेरा उaार कहां है ? 2 हे मेरे परमे र, मE दन को पुकारता हूं पर(तु तू उर नह:ं दे ता; और रात को भी मE चुप नह:ं रहता। 3 पर(तु हे तू जो इॐाएल क ःतुित के िसहांसन पर वराजमान है , तू तो पवऽा है । 4 हमारे पुरखा तुझी पर भरोसा रखते थे; वे भरोसा रखते थे, और तू उ(ह छुड़ाता था। 5 उ(हHने तेर: दोहाई द: और तू ने उनको छुड़ाया वे तुझी पर भरोसा रखते थे और कभी ल'Gजत न हुए।। 6 पर(तु मE तो कड़ा हूं, मनुंय नह:ं; मनुंयHम मेर: नामधराई है , और लोगHम मेरा अपमान होता है । 7 वह सब जो मुझे दे खते हE मेरा ठ=ठा करते हE , और ओंठ बचकाते और यह कहते हुए िसर

हलाते हE , 8 क अपके को यहोवा के वश म कर दे वह: उसको छुड़ाए, वह उसको उबारे यHक वह उस से ूस(न है । 9 पर(तु तू ह: ने मुझे गभO से िनकाला; जब मE दध ू पउवा ब.च था, तब ह: से तू ने मुझे भरोसा रखना िसखलाया। 10 मE ज(मते ह: तुझी पर छोड़ दया गया, माता के गभO ह: से तू मेरा ई र है । 11 मुझ से दरू न हो यHक संकट िनकट है , और कोई सहाथक नह:ं। 12 बहुत से सांढ़Hने मुझे घेर िलया है , बाशान के बलव(त सांढ़ मेरे चारHओर मुझे घेरे हुए है । 13 वह फाड़ने और गरजनेवाले िसंह क नाL मुझ पर अपना मुह ं पसारे हुए है ।। 14 मE जल क नाL बह गया, और मेर: सब ह‰डयHके जोड़ उखड़ गए: मेरा Ÿदय मोम हो गया, वह मेर: दे ह के भीतर पघल गया। 15 मेरा बल टू ट गया, मE ठqकरा हो गया; और मेर: जीभ मेरे तालू से िचपक गई; और तू मुझे मारकर िम=ट: म

िमला दे ता है । 16 यHक कुHने मुझे घेर िलया है ; कुकिमOयHक म+डली मेर: चरHओर मुझे घेरे हुए है ; वह मेरे हाथ और मेरे पैर छे दते हE । 17 मE अप क सब ह‰डयां िगन सकता हंू ; वे मुझे दे खते और िनहारते हE ; 18 वे मेरे व\ा आपस म

बांटते हE , और मेरे पहरावे पर िच=ठq डालते हE । 19 पर(तु हे यहोवा तू दरू न रह! हे मेरे सहाथक, मेर: सहाथता के िलथे फुतh कर! 20 मेरे ूाण को तलवार से बचा, मेरे ूाण को कुे के पंजे से बचा ले! 21 मुझे िसंह के मुह ं से बचा, हां, जंगती सांढ़Hके सींगो म से तू ने मुझे बचा िलया है ।। 22 मE अपन भाइयHके साSहने तेरे नाम का ूचार कRंगा; सभा के बीच म तेर: ूशंसा कRंगा। 23 हे यहोवा के डरवैयHउसक ःतुित करो! हे याकूब के वंश, तुम उसका भय मानो! 24 यHक उस ने द:ु खी को तु.छ नह:ं जाना और न उस से घृणा करता है , ओर न उस से अपना मुख िछपाता है ; पर जब उस ने उसक दोहाई द:, तब उसक सुन ली।। 25

बड़: सभा म मेरा ःतुित करना तेर: ह: ओर से होता है ; मE अपके ूण को उस से भय रखनेवालHके साSहने पूरा कRंगा 26 नॆ लोग भोजन करके तृT हHगे; जो यहोवा के खोजी हE , वे उसक ःतुित कर गे। तुSहारे ूाण सवOदा जीवत रह ! 27 पृवी के सब दरू दरू दे शHके लोग उसको ःमरण कर गे और उसक ओर फर गे; और जाित जाित के सब कुल तेरे साSहने द+डवत ् कर गे। 28 यHक राGय यहोवा क का है , और सब जाितयHपर वह: ूभुता करता है ।। 29 पृवी के सब Ÿपु लोग भोजन करके द+डवत ् कर गे; वह सब 'जतने िम=ट: म िमल जाते हE और अपना अपना ूाण नह:ं बचा सकते, वे सब उसी के साSहने घुटने टे क गे। 30 एक वंश उसक सेवा करे गा; दस ू रा पीढ़: से ूभु का वणOन कया जाएगा। 31 वह आएंगे और उसके धमO के कामHको एक वंश पर जो उप(न होगा यह कहकर ूगट कर गे क उस ने ऐसे ऐसे अ›त ु काम कए।। भजन संहता 23 1 यहोवा मेरा चरवाहा है , मुझे कुछ घट: न होगी। 2 वह मुझे हर: हर: चराइयHम

बैठाता है ; वह मुझे सुखदाई जल के झरने के पास ले चलता है ; 3 वह मेरे जी म

जी ले आता है । धमO के मागz म वह अपके नाम के िनिम अगुवाई करता है । 4 चाहे मE घोर अ(धकार से भर: हुई तराई म होकर चलू,ं तौभी हािन से न डRंगा, यHक तू मेरे साथ रहता है ; तेरे सHटे और तेर: लाठq से मुझे शा'(त िमलती है ।। 5 तू मेरे सतानेवालHके साSहने मेरे िलथे मेज बछाता है ; तू ने मेरे िसर पर तेल मला है , मेरा कटोरा उम+ड रहा है । 6 िन_य भलाई और कRणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रह गी; और मE यहोवा के धाम म सवOदा वास कRंगा।।

भजन संहता 24 1 पृवी और जो कुछ उस म है यहोवा ह: का है ; जगत और उस म िनवास करनेवाले भी। 2 यHक उसी ने उसक नींव समुिHके ऊपर lढ़ करके रखी, और महानदHके ऊपर 'ःथर कया है ।। 3 यहोवा के पवOत पर कौन चढ़ सकता है ? और उसके पवऽाःथान म कौन खड़ा हो सकता है ? 4 'जसके काम िनदzष और Ÿदय शुa है , 'जस ने अपके मन को eयथO बात क ओर नह:ं लगाया, और न कपट से शपथ खाई है । 5 वह यहोवा क ओर से आशीष पाएगा, और अपके उaार करनेवाले परमे र क ओर से धमh ठहरे गा। 6 ऐसे ह: लोग उसके खोजी है , वे तेरे दशOन के खोजी याकूबवंशी हE ।। 7 हे फाटकH, अपके िसर ऊंचे करो। हे सनातन के kारH, ऊंचे हो जाओ। यHक ूतापी राजा ूवेश करे गा। 8 वह ूतापी राजा कौन है ? परमे र जो सामथh और पराबमी है , परमे र जो युa म पराबमी है ! 9 हे फाटकH, अपके िसर ऊंचे करो हे सनातन के kारHतुम भी खुल जाओ! यHक ूतापी राजा ूवेश करे गा! 10 वह ूतापी राजा कौन है ? सेनाओं का यहोवा, वह: ूतापी राजा है ।। भजन संहता 25 1 हे यहोवा मE अपके मन को ते र: ओर उठाता हूं। 2 हे मेरे परमे र, मE ने तुझी पर भरोसा रखा है , मुझे ल'Gजत होने न दे ; मेरे शऽु मुझ पर जयजयकार करने न पाएं। 3 वरन 'जतने तेर: बाट जोहते हE उन म से कोई ल'Gजत न होगा; पर(तु जो अकारण व ासघाती हE वे ह: ल'Gजत हHगे।। 4 हे यहोवा अपके मागO मुझ को दखला; अपना पथ मुझे बता दे । 5 मुझे अपके सय पर चला और िशœा दे ,

यHक तू मेरा उkार करनेवाला परमे र है ; मE दन भर तेर: ह: बाट जाहता रहता हूं। 6 हे यहोवा अप क दया और कRणा के कामHको ःमरण कर; यHक वे तो अन(तकाल से होते आए हE । 7 हे यहोवा अप क भलाई के कारण मेर: जवानी के पापHऔर मेरे अपराधHको ःमरण न कर; अप क कRणा ह: के अनुसार तू मुझे ःमरण कर।। 8 यहोवा भला और सीधा है ; इसिलथे वह पापयHको अपना मागO दखलाएगा। 9 वह नॆ लोगHको (याय क िशœा दे ता, हां वह नॆ लोगHको अपना मागO दखलाएगा। 10 जो यहोवा क वाचा और िचतौिनयHको मानते हE , उनके िलथे उसके सब मागO कRणा और स.चाई हE ।। 11 हे यहोवा अपके नाम के िनिम मेरे अधमO को जो बहुत हE œमा कर।। 12 वह कौन है जो यहोवा का भय मानता है ? यहोवा उसको उसी मागO पर 'जस से वह ूस(न होता है चलाएगा। 13 वह कुशल से टका रहे गा, और उसका वंश पृवी पर अिध कारनेी होगा। 14 यहोवा के भेद को वह: जानते हE जो उस से डरते हE , और वह अप क वाचा उन पर ूगट करे गा। 15 मेर: आंखे सदै व यहोवा पर टकटक लगाए रहती हE , यHक वह: मेरे पांवHको जाल म से छुड़ाएगा।। 16 हे यहोवा मेर: ओर फरकर मुझ पर अनुमह कर; यHक मE अकेला और द:न हंू । 17 मेरे Ÿदय का लेश बढ़ गया है , तू मुझ को मेरे द:ु खHसे छुड़ा ले। 18 तू मेरे द:ु ख और क पर l कर, और मेरे सब पापHको œमा कर।। 19 मेरे शऽुओं को दे ख क वे कैसे बढ़ गए हE , और मुझ से बड़ा बैर रखते हE । 20 मेरे ूाण क रœा कर, और मुझे छुड़ा; मुझे ल'Gजत न होने दे , यHक मE तेरा शरणागत हंू । 21 खराई और सीधाई मुझे सुर'œत रख , यHक मुझे तेरे ह: आशा है ।। 22 हे परमे र इॐाएल को उसके सारे संकटHसे छुड़ा ले।।

भजन संहता 26 1 हे यहोवा, मेरा (याय कर, यHक मE खराई से चलता रहा हंू , और मेरा भरोसा यहोवा पर अटल बना है । 2 हे यहोवा, मुझ को जांच और परख; मेरे मन और Ÿदय को परख। 3 यHक तेर: कRणा तो मेर: आंखHके साSहने है , और मE तेरे सय मागO पर चलता रहा हंू ।। 4 मE िनकSमी चाल चलनेवालHके संग नह:ं बैठा, और न मE कपटयHके साथ कह:ं जाऊंगा; 5 मE कुकिमOयHक संगित से घृणा रखता हंू , और द ु Hके संग न बैठूंगा।। 6 मE अपके हाथHको िनदzषता के जल से धोऊंगा, तब हे यहोवा मE तेर: वेद: क ूद'œणा कRंगा, 7 ताक मेरा ध(यवाद ऊंचे शcद से कRं, 8 और तेरे सब आ_यOकमJका वणOन कRं।। हे यहोवा, मE तेरे धाम से तेर: महमा के िनवासःथान से ूीित रखता हंू । 9 मेरे ूाण को पापयHके साथ, और मेरे जीवन को हयारHके साथ न िमला। 10 वे तो ओछापन करने म लगे रहते हE , और उनका दहना हाथ घूस से भरा रहता है ।। 11 पर(तु मE तो खराई से चलता रहंू गा। तू मुझे छुड़ा ले, और मुझ पर अनुमह कर। 12 मेरे पांव चौरस ःथान म

'ःथर है ; सभाओं म मE यहोवा को ध(य कहा कRंगा।। भजन संहता 27 1 यहोवा परमे र मेर: Gयोित और मेरा उaार है ; मE कस से डRं? यहोवा मेरे जीवन का lढ़ गढ़ ठहरा है , मE कस का भय खाऊं? 2 जब कुकिमOयHने जो मुझे सताते और मुझी से बैर रखते थे, मुझे खा डालने के िलथे मुझ पर चढ़ाई क, तब वे ह: ठोकर खाकर िगर पक ।। 3 चाहे सेना भी मेरे वRa छावनी डाले, तौभी मE न डRंगा; चाहे मेरे वRa लड़ाई ठन जाए, उस दशा म भी मE हयाव बा(धे

िनिश'जत रहंू गा।। 4 एक वर मE ने यहोवा से मांगा है , उसी के य^ म लगा रहंू गा; क मE जीवन भर यहोवा के भवन म रहने पाऊं, 'जस से यहोवा क मनोहरता पर l लगाए रहंू , और उसके म'(दर म ~यान कया कRं।। 5 यHक वह तो मुझे वप के दन म अपके म+डप म िछपा रखेगा; अपके तSबू के गुTःथान म वह मुझे िछपा लेगा, और च=टान पर चढ़ाएगा। 6 अब मेरा िसर मेरे चारHओर के शऽुओं से ऊंचा होगा; और मE यहोवा के तSबू म जयजयकार के साथ बिलदान चढ़ाऊंगा; और उसका भजन गाऊंगा।। 7 हे यहोवा, मेरा शcद सुन, मE पुकारता हंू , तू मुझ पर अनुमह कर और मुझे उर दे । 8 तू ने कहा है , क मेरे दशOन के खोजी हो। इसिलथे मेरा मन तुझ से कहता है , क हे यहोवा, तेरे दशOन का मE खोजी रहूंगा। 9 अपना मुख मुझ से न िछपा।। अपके दास को बोध करके न हटा, तू मेरा सहाथक बना है । हे मेरे उaार करनेवाले परमे र मुझे याग न दे , और मुझे छोड़ न दे ! 10 मेरे माता पता ने तो मुझे छोड़ दया है , पर(तु यहोवा मुझे सSभाल लेगा।। 11 हे यहोवा, अपके मागO म मेर: अगुवाई कर, और मेरे िोहयHके कारण मुण ् को चौरस राःते पर ले चल। 12 मुझ को मेरे सतानेवालHक इ.छा पर न छोड़, यHक झूठे साœी जो उपिव करने क धुन म हE मेरे वRa उठे हE ।। 13 यद मुझे व ास न होता क जीवतHक पृवी पर यहोवा क भलाई को दे खूंगा, तो मE मू'.छत हो जाता। 14 यहोवा क बाट जोहता रह; हयाव बा(ध और ते रा Ÿदय lढ़ रहे ; हां, यहोवा ह: क बाट जोहता रह! भजन संहता 28 1 हे यहोवा, मE तुझी को पुकाRंगा; हे मेर: च=टान, मेर: सुनी अनसुनी न कर, ऐसा

न हो क तेरे चुप रहने से मE कॄ म पके हुओं के समान हो जाऊं जो पाताल म

चले जाते हE । 2 जब मE तेर: दोहाई दं ,ू और तेरे पवऽाःथान क भीतर: कोठर: क ओर अपके हाथ उठाऊं, तब मेर: िगड़िगड़ाहट क बात सुन ले। 3 उन द ु Hऔर अनथOकाgरयHके संग मुझे न घसीट; जो अपके पड़ोिस कH बात तो मेल क बोलते हE पर(तु Ÿदय म बुराई रखते हE । 4 उनके कामHके और उनक करनी क बुराई के अनुसार उन से बताOव कर, उनके हाथHके काम के अनुसार उ(ह बदला दे ; उनके कामHका पलटा उ(ह दे । 5 वे यहोवा के कामHपर और उसके हाथHके कामHपर ~यान नह:ं करते, इसिलथे वह उ(ह पछाड़े गा और फर न उठाएगा।। 6 यहोवा ध(य है ; यHक उस ने मेर: िगड़िगड़ाहट को सुना है । 7 यहोवा मेरा बल और मेर: ढ़ाल है ; उस पर भरोसा रखने से मेरे मन को सहाथता िमली है ; इसिलथे मेरा Ÿदय ूफु'`लत है ; और मE गीत गाकर उसका ध(यवाद कRंगा। 8 यहोवा उनका बल है , वह अपके अिभषf के िलथे उaार का lढ़ गढ़ है । 9 हे यहोवा अप क ूजा का उaार कर, और अपके िनज भाग के लोगHको आशीष दे ; और उनक चरवाह: कर और सदै व उ(ह सSभाले रह।। भजन संहता 29 1 हे परमे र के पुऽHयहोवा का, हां यहोवा क का गुणानुवाद करो, यहोवा क महमा और सामथO को सराहो। 2 यहोवा के नाम क महमा करो; पवऽाता से शोभायमान होकर यहोवा को द+डवत ् करो। 3 यहोवा क वाणी मेघHके ऊपर सुन पड़ती है ; ूतामी ई र गरजता है , यहोवा घने मेघHके ऊपर रहता है । 4 यहोवा क वाणी शfशाली है , यहोवा क वाणी ूतापमय है । 5 यहोवा क वाणी दे वदारHको

तोड़ डालती है ; यहोवा लबानोन के दे वदारHको भी तोड़ डालता है । 6 वह उ(ह

बछड़े क नाई और लबानोन और िशयzन को जंगली बछड़े के समान उछालता है ।। 7 यहोवा क वाणी आग क लपटHको चीरती है । 8 यहोवा क वाणी वन को हला दे ती है , यहोवा कादे श के वन को भी कंपाता है ।। 9 यहोवा क वाणी से हgर'णयHका गभOपात हो जाता है । और अर+य म पतझड़ होती है ; और उसके म'(दर म सब कोई महमा ह: महमा बोलता रहता है ।। 10 जलूलय के समय यहोवा वराजमान था; और यहोवा सवOदा के िलथे राजा होकर वराजमान रहता है । 11 यहोवा अप क ूजा को बल दे गा; यहोवा अप क ूजा को शा'(त क आशीष दे गा।। भजन संहता 30 1 हे यहोवा मE तुझे सराहंू गा, यHक तू ने मुझे खींचकर िनकाला है , और मेरे शऽुओं को मुझ पर आन(द करने नह:ं दया। 2 हे मेरे परमे र यहोवा, मE ने तेर: दोहाई द: और तू ने मुझे चंगा कया है । 3 हे यहोवा, तू ने मेरा ूाण अधोलोक म

से िनकाला है , तू ने मुझ को जीवत रखा और कॄ म पड़ने से बचाया है ।। 4 हे यहोवा के भfH, उसका भजन गाओ, और 'जस पवऽा नाम से उसका ःमरण होता है , उसका ध(यवाद करो। 5 यHक उसका बोध, तो œण भर का होता है , पर(तु उसक ूस(नता जीवन भर क होती है । कदािचत ् रात को रोना पके, पर(तु सबेरे आन(द पहुंचेगा।। 6 मE ने तो चैन के समय कहा था, क मE कभी नह:ं टलने का। 7 हे यहोवा अप क ूस(नता से तू ने मेरे पहाड़ को lढ़ और 'ःथर कया था; जब तू ने अपना मुख फेर िलया तब मE घबरा गया।। 8 हे यहोवा

मE ने तुझी को पुकारा; और यहोवा से िगड़िगड़ाकर यह बनती क, क 9 जब मE कॄ म चला जाऊंगा तब मेरे लोहू से या लाभ होगा? या िम=ट: तेरा ध(यवाद कर सकती है ? या वह ते र: स.चाई का ूचार कर सकती है ? 10 हे यहोवा, सुन, मुझ पर अनुमह कर; हे यहोवा, तू मेरा सहाथक हो।। 11 तू ने मेरे िलथे वलाप को नृय म बदल डाला, तू ने मेरा टाट उतरवाकर मेर: कमर म आन(द का पटु का बा(धा है ; 12 ताक मेर: आमा तेरा भजन गाती रहे और कभी चुप न हो। हे मेरे परमे र यहोवा, मE सवOदा तेरा ध(यवाद करता रहंू गा।। भजन संहता 31 1 हे यहोवा मेरा भरोसा तुझ पर है ; मुझे कभी ल'Gजत होना न पके; तू अपके धमh होने के कारण मुझै छुड़ा ले! 2 अपना कान मेर: ओर लगाकर तुर(त मुझे छुड़ा ले! 3 यHक तू ने मेरे िलथे च=टान और मेरा गढ़ है ; इसिलथे अपके नाम के िनिम मेर: अगुवाई कर, और मुझे आगे ले चल। 4 जो जाल उ(हHने मेरे िलथे बछाया है उस से तू मुझ को छुड़ा ले, यHक तू ह: मेरा lढ़ गढ़ है । 5 मE अप क आमा को तेरे ह: हाथ म सxप दे ता हूं; हे यहोवा, हे सयवाद: ई र, तू ने मुझे मोल लेकर मुf कया है ।। 6 जो eयथO वःतुओं पर मन लगाते हE , उन से मE घृणा करता हंू ; पर(तु मेरा भरोसा यहोवा ह: पर है । 7 मE ते र: कRणा से मगन और आन'(दत हंू , यHक तू ने मेरे द:ु ख पर l क है , मेरे क के समय तू ने मेर: सुिध ली है , 8 और तू ने मुझे शऽु के हाथ म पड़ने नह:ं दया; तू ने मेरे पांवHको चौड़े ःथान म खड़ा कया है ।। 9 हे यहोवा, मुझ पर अनुमह कर यHक मE संकट म हंू ; मेर: आंखे वरन मेरा ूाण और शर:र सब शोक के मारे घुले जाते हE । 10 मेरा

जीवन शोक के मारे और मेर: अवःथा कराहते कराहते घट च क है ; मेरा बल मेरे अधमO के कारण जाता रह, ओर मेर: ह‰डयां घुल गई।। 11 अपके सब वरोिधयHके कारण मेरे पड़ोिसयHम मेर: नामधराई हुई है , अपके जानपहचानवालHके िलथे डर का कारण हंू ; जो मुझ को सड़क पर दे खते है वह मुझ से दरू भाग जाते हE । 12 मE मृतक क नाई लोगHके मन से बसर गया; मE टू टे बासन के समान हो गया हूं। 13 मE ने बहुतHके मुह ं से अपना अपवाद सुना, चारHओर भय ह: भय है ! जब उ(हHने मेरे वRa आपस म सSमित क तब मेरे ूाण लेने क युf क।। 14 पर(तु हे यहोवा मE ने तो तुझी पर भरोसा रखा है , मE ने कहा, तू मेरा परमे र है । 15 मेरे दन तेरे हाथ म है ; तू मुझे मेरे शऽुओं और मेरे सतानेवालHके हाथ से छुड़ा। 16 अपके दास पर अपके मुह ं का ूकाश चमका; अप क कRणा से मेरा उaार कर।। 17 हे यहोवा, मुझे ल'Gजत न होने दे यHक मE ने तुझ को पुकारा है ; द ु ल'Gजत हHऔर वे पाताल म चुपचाप पके रह । 18 जो अंहकार और अपमान से धमh क िन(दा करते हE , उनके झूठ बोलनेवाले मुह ं ब(द कए जाएं।। 19 आहा, तेर: भलाई या ह: बड़: है जो तू ने अपके डरवैयHके िलथे रख छोड़: है , और अपके शरणागतHके िलथे मनुंयHके साSहने ूगट भी क है ! 20 तू उ(ह दशOन दे ने के गुTःथान म मनुंयHक बुर: गोvी से गुT रखेगा; तू उनको अपके म+डप म झगड़े - रगड़े से िछपा रखे गा।। 21 यहोवा ध(य है , यHक उस ने मुझे गढ़वाले नगर म रखकर मुझ पर अaभुत कRणा क है । 22 मE ने तो घबराकर कहा था क मE यहोवा क l से दरू हो गया। तौभी जब मE ने तेर: दोहाई द:, तब तू ने मेर: िगड़िगड़ाहट को सुन िलया।। 23 हे यहोवा के सब भfHउस से ूे म रखो! यहोवा स.चे लोगHक तो रœा करता है ,

पर(तु जो अहं कार करता है , उसको वह भली भांित बदला दे ता है । 24 हे यहोवा पर आशा रखनेवालHहयाव बा(धHऔर तुSहारे Ÿदय lढ़ रह ! भजन संहता 32 1 या ह: ध(य है वह 'जसका अपराध œमा कया गया, और 'जसका पाप ढ़ापा गया हो। 2 या ह: ध(य है वह मनुंय 'जसके अधमO का यहोवा लेखा न ले, और 'जसक आमा म कपट न हो।। 3 जब मE चुप रहा तक दन भर कहरते कहरते मेर: ह‰डयां पघल गई। 4 यHक रात दन मE तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेर: तरावट धूप काल क सी झुराOहट बनती गई।। 5 जब मE ने अपना पाप तुझ पर ूगट कया और अपना अधमO न िछपाया, और कहा, मE यहोवा के साSहने अपके अपराधHको मान लूग ं ा; तब तू ने मेरे अधमO और पाप को œमा कर दया।। 6 इस कारण हर एक भf तुझ से ऐसे समय म ूाथOना करे जब क तू िमल सकता है । िन_य जब जल क बड़: बाढ़ आए तौभी उस भf के पास न पहंु चेगी। 7 तू मेरे िछपके का ःथान है ; तू संकट से मेर: रœा करे गा; तू मुझे चारHओर से छुटकारे के गीतHसे घेर लेगा।। 8 मE तुझे बुa दं ग ू ा, और 'जस मागO म तुझे चलना होगा उस म तेर: अगुवाई कRंगा; मE तुझ पर कृ पाl रखूंगा और सSम दया कRंगा। 9 तुम घोड़े और ख.चर के समान न बनो जो समझ नह:ं रखते, उनक उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है , नह:ं तो वे तेरे वश म नह:ं अपके के।। 10 द ु को तो बहुत पीड़ा होगी; पर(तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह कRणा से िघरा रहे गा। 11 हे धिमOयHयहोवा के कारण आन'(दत और मगन हो, और हे सब सीधे मनवालHआन(द से जयजयकार करो!

भजन संहता 33 1 हे धिमOयHयहोवा के कारण जयजयकार करो् यHक धमh लोगHको ःतुित करनी सोहती है । 2 वीणा बजा बजाकर यहोवा का ध(यवाद करो, दस तारवाली सारं गी बजा बजाकर उसका भजन गाओ। 3 उसके िलथे नया गीत गाओ, जयजयकार के साथ भली भांित बजाओ।। 4 यHक यहोवा का वचन सीधा है ; और उसका सब काम स.चाई से होता है । 5 वह धमO और (याय से ूीित रखता है ; यहोवा क कRणा से पृवी भरपूर है ।। 6 आकाशम+डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुह ं ह: ास से बने। 7 वह समुि का जल ढे र क नाई इक=ठा करता; वह गहरे सागर को अपके भ+डार म रखता है ।। 8 सार: पृवी के लोग यहोवा से डर , जगत के सब िनवासी उसका भय मान ! 9 यHक जब उस ने कहा, तब हो गया; जब उस ने आWा द:, तब वाःतव म वैसा ह: हो गया।। 10 यहोवा अ(यअ(यजािथयो क युf को eयथO कर दे ता है ; वह दे श दे श के लोगHक क`पनाओं को िनंफल करता है । 11 यहोवा क युf सवOदा 'ःथर रहे गी, उसके मन क क`पनाएं पीढ़: से पीढ़: तक बनी रह गी। 12 या ह: ध(य है वह जाित 'जसका परमे र यहोवा है , और वह समाज 'जसे उस ने अपना िनज भाग होने के िलथे चुन िलया हो! 13 यहोवा ःवगO से l करता है , वह सब मनुंयHको िनहारता है ; 14 अपके िनवास के ःथान से वह पृवी के सब रहनेवालHको दे खता है , 15 वह: जो उन सभHके ŸदयHको गढ़ता, और उनके सब कामHका वचार करता है । 16 कोई ऐसा राजा नह:ं, जो सेना क बहुतायत के कारण बच सके; वीर अप क बड़: शf के कारण छूट नह:ं जाता। 17 बच िनकलने के िलथे घोड़ा eयथO है , वह अपके बड़े बल के kारा कसी को नह:ं बचा सकता है ।। 18 दे खो,

यहोवा क l उसके डरवैयHपर और उन पर जो उसक कRणा क आशा रखते हE बनी रहती है , 19 क वह उनके ूाण को मृयु से बचाए, और अकाल के समय उनको जीवत रखे।। 20 हम यहोवा का आसरा दे खते आए हE ; वह हमारा सहाथक और हमार: ढाल ठहरा है । 21 हमारा Ÿदय उसके कारण आन'(दत होगा, यHक हम ने उसके पवऽा नाम का भरोसा रखा है । 22 हे यहोवा जैसी तुझ पर हमार: आशा है , वैसी ह: तेर: कRणा भी हम पर हो।। भजन संहता 34 1 मE हर समय यहोवा को ध(य कहा कRंगा; उसक ःतुित िनर(तर मेरे मुख से होती रहे गी। 2 मE यहोवा पर घम+ड कRंगा; नॆ लोग यह सुनकर आन'(दत हHगे। 3 मेरे साथ यहोवा क बड़ाई करो, और आओ हम िमलकर उसके नाम क ःतुित कर । 4 मE यहोवा के पास गया, तब उस ने मेर: सुन ली, और मुझे पूर: र:ित से िनभOय कया। 5 'ज(हHने उसक ओर l क उ(हHने Gयोित पाई; और उनका मुह ं कभी काला न होने पाया। 6 इस द:न जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन िलया, और उसको उसके सब कHसे छुड़ा िलया।। 7 यहोवा के डरवैयHके चारHओर उसका दत ू छावनी कए हुए उनको बचाता है । 8 परखकर दे खो क यहोवा कैसा भला है ! या ह: ध(य है वह पुRष जो उसक शरण लेता है । 9 हे यहोवा के पवऽा लोगो, उसका भय मानो, यHक उसके डरवैयHको कसी बात क घट: नह:ं होती! 10 जवान िस कH तो घट: होती और वे भूखे भी रह जाते हE ; पर(तु यहोवा के खो'जयHको कसी भली वःतु क घट: न होवेगी।। 11 हे लड़कH, आओ, मेर: सुनो, मE तुम को यहोवा का भय मानना िसखाऊंगा। 12 वह कौन मनुंय है जो जीवन

क इ.छा रखता, और द:घाOयु चाहता है ताक भलाई दे खे? 13 अप क जीभ को बुराई से रोक रख, और अपके मुह ं क चौकसी कर क उस से छल क बात न िनकले। 14 बुराई को छोड़ और भलाई कर; मेल को ढू ं ढ और उसी का पीछा कर।। 15 यहोवा क आंखे धिमOयHपर लगी रहती हE , और उसके कान भी उसक दोहाई क ओर लगे रहते हE । 16 यहोवा बुराई करनेवालHके वमुख रहता है , ताक उनका ःमरण पृवी पर से िमटा डाले। 17 धमh दोहाई दे ते हE और यहोवा सुनता है , और उनको सब वपयHसे छुड़ाता है । 18 यहोवा टू टे मनवालHके समीप रहता है , और पसे हुओं का उkार करता है ।। 19 धमh पर बहुत सी वपयां पड़ती तो हE , पर(त यहोवा उसको उन सब से मुf करता है । 20 वह उसक ह]ड: ह]ड: क रœा करता है ; और उन म से एक भी टू टने नह:ं पाती। 21 द ु अप क बुराई के kारा मारा जाएगा; और धमh के बैर: दोषी ठहर गे। 22 यहोवा अपके दासHका ूाण मोल लेकर बचा लेता है ; और 'जतने उसके शरणागत हE उन म से कोई भी दोषी न ठहरे गा।। भजन संहता 35 1 हे यहोवा जो मेरे साथ मुक मा लड़ते हE , उनके साथ तू भी मुक मा लड़; जो मुझ से युk करते हE , उन से तू युk कर। 2 ढाल और भाला लेकर मेर: सहाथता करने को खड़ा हो। 3 बछŽ को खींच और मेरा पीछा करनेवालHके साSहने आकर उनको रोक; और मुझ से कह, क मE तेरा उkार हूं।। 4 जो मेरे ूाण के माहक हE वे ल'Gजत और िनरादर हH! जो मेर: हाित क क`पना करते हE , वह पीछे हटाए जाएं और उनका मुह ं काला हो! 5 वे वायु से उड़ जानेवाली भूसी के समान हH, और

यहोवा का दत ू उ(ह हांकता जाए! 6 उनका मागO अ'(ध कारनेा और फसलाहा हो, और यहोवा का दत ू उनको खदे ड़ता जाए।। 7 यHक अकारण उ(हHने मेरे िलथे अपना जाल गड़हे म बछाया; अकारण ह: उ(हHने मेरा ूाण लेने के िलथे गड़हा खोदा है । 8 अचानक उन पर वप आ पके! और जो जाल उ(हHने बछाया है उसी म वे आप ह: फंसे; और उसी वप म वे आप ह: पक ! 9 पर(तु मE यहोवा के कारण अपके मन म मगन होऊंगा, मE उसके कए हुए उkार से हषOत होऊंगा। 10 मेर: ह]ड: ह]ड: कह गी, हे यहोवा तेरे तु`य कौन है , जो द: को बड़े बड़े बलव(तHसे बचाता है , और लुटेरHसे द:न दgरि लोगHक रœा करता है ? 11 झूठे साœी खड़े होते हE ; और जो बात मE नह:ं जानता, वह: मुझ से पूछते हE । 12 वे मुझ से भलाई के बदले बुराई करते हE ; यहां तक क मेरा ूाण ऊब जाता है । 13 जब वे रोगी थे तब तो मE टाट पहने रहा, और उपवास कर करके द:ु ख उठाता रहा; और मेर: ूाथOना का फल मेर: गोद म लौट आया। 14 मE ऐसा भाव रखता था क मानो वे मेरे संगी वा भाई हE ; जैसा कोई माता के िलथे वलाप करता हो, वैसा ह: मE ने शोक का पहरावा पहने हुए िसर झुकाकर शोक कया।। 15 पर(तु जब मE लंगड़ाने लगा तब वे लोग आन'(दत होकर इक=ठे हुए, नीच लोग और 'ज(ह

मE जानता भी न था वे मेरे वRk इक=ठे हुए; वे मुझे लगातार फाड़ते रहे ; 16 उन पाख+ड: भांड़Hक नाई जो पे ट के िलथे उपहास करते हE , वे भी मुझ पर दांत पीसते हE ।। 17 हे ूभु तू कब तक दे खता रहे गा? इस वप से, 'जस म उ(हHने मुझे डाला है मुझ को छुड़ा! जवान िस कH मेरे ूाण को बचा ले! 18 मE बड़: सभा म

तेरा ध(यवाद कRंगा; बहुतेरे लोगHके बीच म तेर: ःतुित कRंगा।। 19 मेरे झूठ बोलनेवाले शऽु मेरे वRk आन(द न करने पाएं, जो अकारण मेरे बैर: हE , वे

आपस म नैन से सैन न करने पांए। 20 यHक वे मेल क बात नह:ं बोलते, पर(तु दे श म जो चुपचाप रहते हE , उनके वRk छल क क`पनाएं करते हE । 21 और उ(हHने मेरे वRk मुह ं पसारके कहा; आहा, आहा, हम ने अप क आंखHसे दे खा है ! 22 हे यहोवा, तू ने तो दे खा है ; चुप न रह! हे ूभु, मुझ से दरू न रह! 23 उठ, मेरे (याय के िलथे जाग, हे मेरे परमे र, हे मेरे ूभु, मेरे मुक मा िनपटाने के िलथे आ! 24 हे मेरे परमे र यहोवा, तू अपके धमO के अनुसार मेरा (याय चुका; ओौ उ(ह मेरे वRk आन(द करने न दे ! 25 वे मन म न कहने पाएं, क आहा! हमार: तो इ.छा पूर: हुई! वह यह न कह क हम उसे िनगल गए हE ।। 26 जो मेर: हाित से आन'(दत होते हE उनके मुह ं लGजा के मारे एक साथ काले हH! जो मेरे वRa बड़ाई मारते हE वह लGजा और अनादर से ढ़ं प जाएं! 27 जो मेरे धमO से ूस(न रहते हE , वह जयजयकार और आन(द कर , और िनर(तर करते रह , यहोवा क बड़ाई हो, जो अपके दास के कुशल से ूस(न होता है ! 28 तब मेरे मुह ं से तेरे धमO क चचाO होगी, और दन भर तेर: ःतुित िनकलेगी।। भजन संहता 36 1 द ु जन का अपराण मेरे Ÿदय के भीतर यह कहता है क परमे र का भय उसक l म नह:ं है । 2 वह अपके अधमO के ूगट होने और घृ'णत ठहरने के वषय अपके मन म िचकनी चुपड़: बात वचारता है । 3 उसक बात अनथO और छल क हE ; उस ने बुa और भलाई के काम करने से हाथ उठाया है । 4 वह अपके बछौने पर पके पके अनथO क क`पना करता है ; वह अपके कुमागO पर lढ़ता से बना रहता है ; बुराई से वह हाथ नह:ं उठाता।। 5 हे यहोवा तेर: कRणा ःवगO म है ,

तेर: स.चाई आकाशम+डल तक पहंु ची है । 6 ते रा धमO ऊंचे पवOतHके समान है , तेरे िनयम अथाह सागर ठहरे हE ; हे यहोवा तू मनुंय और पशु दोनHक रœा करता है ।। 7 हे परमे र तेर: कRणा, कैसी अनमोल है ! मनुंय तेरे पंखो के तले शरण लेते हE । 8 वे तेरे भवन के िचकने भोजन से तृT हHगे, और तू अप क सुख क नद: म से उ(ह पलाएगा। 9 यHक जीवन का सोता तेरे ह: पास है ; तेरे ूकाश के kारा हम ूकाश पाएंगे।। 10 अपके जाननेवालHपर कRणा करता रह, और अपके धमO के काम सीधे मनवालHम करता रह! 11 अहं कार: मुझ पर लात उठाने न पाए, और न द ु अपके हाथ के बल से मुझे भगाने पाए। 12 वहां अनथOकार: िगर पके हE ; वे ढकेल दए गए, और फर उठ न सक गे।। भजन संहता 37 1 कुकिमOयHके कारण मत कुढ़, कुटल काम करनेवालHके वषय डाह न कर! 2 यHक वे घास क नाई झट कट जाएंगे, और हर: घास क नाई मुझाO जाएंगे। 3 यहोवा पर भरोसा रख, और भला कर; दे श म बसा रह, और स.चाई म मन लगाए रह। 4 यहोवा को अपके सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथHको मूरा करे गा।। 5 अपके मागO क िच(ता यहोवा पर छोड़; और उस पर भरोसा रख, वह: पूरा करे गा। 6 और वह तेरा धमO Gयोित क नाई, और तेरा (याय दोपहर के उ'जयाले क नाई ूगट करे गा।। 7 यहोवा के साSहने चुपचाप रह, और धीरज से उसका आ\ा रख; उस मनुंय के कारण न कुढ़, 'जसके काम सुफल होते हE , और वह कुर: युfयHको िनकालता है ! 8 बोध से पके रह, और जलजलाहट को छोड़ दे ! मत कुढ़, उस से बुराई ह: िनकलेगी। 9 यHक कुकमh लोग काट डाले जाएंगे;

और जो यहोवा क बाट जोहते हE , वह: पृवी के अिध कारनेी हHगे। 10 थोड़े दन के बीतने पर द ु रहे गा ह: नह:ं; और तू उसके ःथान को भलीं भांित दे खने पर भी उसको न पाएगा। 11 पर(तु नॆ लोग पृवी के अिध कारनेी हHगे, और बड़: शा'(त के कारण आन(द मनाएंगे। 12 द ु धमh के वRa बुर: युf िनकालता है , और उस पर दांत पीसता है ; 13 पर(तु ूभु उस पर हं सेगा, यHक वह दे खता है क उसका दन आनेवाला है ।। 14 द ु लोग तलवार खींचे और धनुष बढ़ाए हुए हE , ताक द:न दgरि को िगरा द , और सीधी चाल चलनेवालHको वध कर । 15 उनक तलवारHसे उ(ह:ं के Ÿदय िछद गे, और उनके धनुष तोड़े जाएंगे।। 16 धमh को थोड़ा से माल द ु Hके बहुत से धन से उम है । 17 यHक द ु Hक भुजाएं तो तोड़: जाएंगी; पर(तु यहोवा धिमOयHको सSभालता है ।। 18 यहोवा खरे लोगHक आयु क सुिध रखता है , और उनका भाग सदै व बना रहे गा। 19 वप के समय, उनक आशा न टू टे गी और न वे ल'Gजत हHगे, और अकाल के दनHम वे तृT रह गे।। 20 द ु लोग नाश हो जाएंगे; और यहोवा के शऽु खेत क सुथर: घास क नाई नाश हHगे , वे धूएं क नाई बलाय जाएंगे।। 21 द ु ऋण लेता है , और भरता नह:ं परनतु धमž अनुमह करके दान दे ता है ; 22 यHक जो उस से आशीष पाते हE वे तो पृवी के अिध कारनेी हHगे, पर(तु जो उस से शापत होते हE , वे नाश को जाएंगे।। 23 मनुंय क गित यहोवा क ओर से lढ़ होती है , और उसके चलन से वह ूस(न रहता है ; 24 चाहे वह िगरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, यHक यहोवा उसका हाथ थांभे रहता है ।। 25 मE लड़कपन से लेकर बुढ़ापे तक दे खता आया हंू ; पर(तु न तो कभी धमh को यागा हुआ, और न उसके वंश को टु कड़े मांगते दे खा है । 26 वह तो दन भर अनुमह कर करके ऋण दे ता है , और उसके वंश पर

आशीष फलती रहती है ।। 27 बुराई को छोड़ भलाई कर; और तू सवOदा बना रहे गा। 28 यHक यहोवा (याय से ूीित रखता; और अपके भfHको न तजे गा। उनक तो रœा सदा होती है , पर(तु द ु Hका वंश काट डाला जाएगा। 29 धमh लोग पृवी के अिध कारनेी हHगे, और उस म सदा बसे रह गे।। 30 धमh अपके मुह ं से बुa क बात करता, और (याय का वचन कहता है । 31 उसके परमे र क eयवःथा उसके Ÿदय म बनी रहती है , उसके पैर नह:ं फसलते।। 32 द ु धमh क ताक म रहता है । और उसके मार डालने का य^ करता है । 33 यहोवा उसको उसके हाथ म न छोड़े गा, और जब उसका वचार कया जाए तब वह उसे दोषी न ठहराएगा।। 34 यहोवा क बाट जोहता रह, और उसके मागO पर बना रह, और वह तुझे बढ़ाकर पृवी का अिध कारनेी कर दे गा; जब द ु काट डाले जाएंगे, तब तू दे खेगा।। 35 मE ने द ु को बड़ा पराबमी और ऐसा फैलता हुए दे खा, जैसा कोई हरा पे ड़ अपके िनज भूिम म फैलता है । 36 पर(तु जब कोई उधर से गया तो दे खा क वह वहां है ह: नह:ं; और मE ने भी उसे ढू ं ढ़ा, पर(तु कह:ं न पाया।। 37 खरे मनुंय पर l कर और धमh को दे ख, यHक मेल से रहनेवाले पुRष का अ(तफल अ.छा है । 38 पर(तु अपराधी एक साथ सयानाश कए जाएंगे; द ु Hका अ(तफल सवOनाश है ।। 39 धिमOयHक मुf यहोवा क ओर से होती है ; संकट के समय वह उनका lढ़ गढ़ है । 40 और यहोवा उनक सहाथता करके उनको बचाता है ; वह उनको द ु Hसे छुड़ाकर उनका उkार करता है , इसिलथे क उ(हHने उस म

अप क शरण ली है ।। भजन संहता 38

1 हे यहोवा बोध म आकर मुझे 'झड़क न दे , और न जलजलाहट म आकर मेर: ताड़ना कर! 2 यHक तेरे तीर मुझ म लगे हE , और मE तेरे हाथ के नीचे दबा हूं। 3 तेरे बोध के कारण मेरे शर:र म कुछ भी आरोbयता नह:ं; और मेरे पाप के कारण मेर: ह‰डयHम कुछ भी चैन नह:ं। 4 यHक मेरे अधमO के कामHम मेरा िसर डू ब गया, और वे भार: बोझ क नाई मेरे सहने से बाहर हो गए हE ।। 5 मेर: मूढ़ता के कारण से मेरे कोड़े खाने के घाव बसाते हE और सड़ गए हE । 6 मE बहुत दख ु ी हूं और झूक गया हंू ; दन भर मE शौक का पहरावा पहने हुए चलता फरता हंू । 7 यHक मेर: कमर म जलन है , और मेरे शर:र म आरोbयता नह:ं। 8 मE िनबOल और बहुत ह: चूर हो गया हंू ; मE अपके मन क घबराहट से कराहता हंू ।। 9 हे ूभु मेर: सार: अिभलाषा तेरे सSमुख है , और मेरा कराहना तुझ से िछपा नह:ं। 10 मेरा Ÿदय धड़कता है , मेरा बल घटता जाता है ; और मेर: आंखHक Gयोित भी मुझ से जाती रह:। 11 मेरे िमऽा और मेरे संगी मेर: वप म अलग हो गए, और मेरे कुटु Sबी भी दरू जा खड़े हुए।। 12 मेरे ूाण के माहक मेरे िलथे जाल बछाते हE , और मेर: हाित के य^ करनेवाले द ु ता क बात बोलते , और दन भर छल क युf सोचते हE । 13 पर(तु मE बहरे क नाई सुनता ह: नह:ं, और मE गूंगे के समान मूह ं नह:ं खोलता। 14 वरन मE ऐसे मनुंय के तु`य हंू जो कुछ नह:ं सुनता, और 'जसके मुह ं से ववाद क कोई बात नह:ं िनकलती।। 15 पर(तु हे यहोवा, मE ने तुझ ह: पर अप क आशा लगाई है ; हे ूभु, मेरे परमे र, तू ह: उर दे गा। 16 यHक मE ने कहा, ऐसा न हो क वे मुझ पर आन(द कर ; जो, जब मेरा पांव फसल जाता है , तब मुझ पर अप क बड़ाई मारते हE ।। 17 यHक मE तो अब िगरने ह: पर हंू , और मेरा शोक िनर(तर मेरे साSहने है । 18 इसिलथे क मE तो अपके अधमO को

ूगट कRंगा, और अपके पाप के कारण खेदत रहंू गा। 19 पर(तु मेरे शऽु फुतhले और सामथh हE , और मेरे वरोधी बैर: बहुत हो गए हE । 20 जो भलाई के बदले म

बुराई करते हE , वह भी मेरे भलाई के पीछे चलने के कारण मुझ से वरोध करते हE ।। 21 हे यहोवा, मुझे छोड़ न दे ! हे मेरे परमे र, मुझ से दरू न हो! 22 हे यहोवा, हे मेरे उkारकाO, मेर: सहाथता के िलथे फुतh कर! भजन संहता 39 1 मE ने कहा, मE अप क चालचलन म चौकसी कRंगा, ताक मेर: जीभ से पाप न हो; जब तक द ं ब(द कए ु मेरे साSहने है , तब तक मE लगाम लगाए अपना मुह रहंू गा। 2 मE मौन धारण कर गूंगा बन गया, और भलाई क ओर से भी चु€पी साधे रहा; और मेर: पीड़ा बढ़ गई, 3 मेरा Ÿदय अ(दर ह: अ(दर जल रहा था। सोचते सोचते आग भड़क उठq; तब मE अप क जीभ से बोल उठा; 4 हे यहोवा ऐसा कर क मेरा अ(त मुझे मालुम हो जाए, और यह भी क मेर: आयु के दन कतने हE ; 'जस से मE जान लूं क कैसा अिनय हंू ! 5 दे ख, तू ने मेरे आयु बािलँत भर क रखी है , और मेर: अवःथा तेर: l म कुछ है ह: नह:ं। सचमुच सब मनुंय कैसे ह: 'ःथर यHन हHतौभी eयथO ठहरे हE । 6 सचमुच मनुंय छाया सा चलता फरता है ; सचमुच वे eयथO घबराते हE ; वह धन का संचय तो करता है पर(तु नह:ं जानता क उसे कौन लेगा! 7 और अब हे ूभु, मE कस बात क बाट जोहंू ? मेर: आशा तो तेर: ओर लगी है । 8 मुझे मेरे सब अपराधHके ब(धन से छुड़ा ले। मूढ़ मेर: िन(दा न करने पाए। 9 मE गूंगा बन गया और मुह ं न खोला; यHक यह काम तू ह: ने कया है । 10 तू ने जो वप मुझ पर डाली है उसे मुझ से दरू कर दे , यHक मE

तो तरे हाथ क मार से भःम हुआ जाता हंू । 11 जब तू मनुंय को अधमO के कारण दपट दपटकर ताड़ना दे ता है ; तब तू उसक सु(दरता को पितंगे क नाई नाश करता है ; सचमुच सब मनुंय वृथािभमान करते हE ।। 12 हे यहोवा, मेर: ूाथOना सुन, और मेर: दोहाई पर कान लगा; मेरा रोना सुनकर शांत न रह! यHक मE तेरे संग एक परदे शी याऽी क नाई रहता हंू , और अपके सब पुरखाओं के समान परदे शी हूं। 13 आह! इस से पहले क मE यहां से चला जाऊं और न रह जाऊं, मुझे बचा ले 'जस से मE ूद:T जीवन ूाT कRं! भजन संहता 40 1 मE धीरज से यहोवा क बाट जोहता रहा; और उस ने मेर: ओर झुककर मेर: दोहाई सुनी। 2 उस ने मुझे सयानाश के गड़हे और दलदल क कच म से उबारा, और मुझ को च=टान पर खड़ा करके मेरे पैरHको lढ़ कया है । 3 और उस ने मुझे एक नया गीत िसखाया जो हमारे परमे र क ःतुित का है । बहुतेरे यह दे खकर डर गे, और यहोवा पर भरोसा रख गे।। 4 या ह: ध(य है वह पुRष, जो यहोवा पर भरोसा करता है , और अिभमािनयHऔर िमया क ओर मुड़नेवालHक ओर मुह ं न फेरता हो। 5 हे मेरे परमे र यहोवा, तू ने बहुत से काम कए हE ! जो आ_यOकमO और क`पनाएं तू हमारे िलथे करता है वह बहुत सी हE ; तेरे तु`य कोई नह:ं! मE तो चाहता हंू क खोलकर उनक चचाO कRं, पर(तु उनक िगनती नह:ं हो सकती।। 6 मेलबिल और अ(नबिल से तू ूस(न नह:ं होता तू ने मेरे कान खोदकर खोले हE । होमबिल और पापबिल तू ने नह:ं चाहा। 7 तब मE ने कहा, दे ख, मE आया हंू ; यHक पुःतक म मेरे वषय ऐसा ह: िलखा हुआ है । 8 हे मेरे परमे र मE ते र:

इ.छा पूर: करने से ूस(न हंू ; और तेर: eयवःथा मेरे अ(त:करण म बनी है ।। 9 मE ने बड़: सभा म धमO के शुभ समाचार का ूचार कया है ; दे ख, मE ने अपना मुह ं ब(द नह:ं कया हे यहोवा, तू इसे जानता है । 10 मE ने तेरा धमO मन ह: म नह:ं रखा; मE ने ते र: स.चाई और तेरे कए हुए उधार क चचाO क है ; मE ने ते र: कRणा और सयता बड़: सभा से गुT नह:ं रखी।। 11 हे यहोवा, तू भी अप क बड़: दया मुझ पर से न हटा ले, तेर: कRणा और सयता से िनर(तर मेर: रœा होती रहे ! 12 यHक मE अनिगनत बुराइयHसे िघरा हुआ हंू ; मेरे अधमO के कामHने मुझे आ पकड़ा और मE l नह:ं उठा सकता; वे िगनती म मेरे िसर के बालHसे भी अिधक हE ; इसिलथे मेरा Ÿदय टू ट गया।। 13 हे यहोवा, कृ पा करके मुझे छुड़ा ले! हे यहोवा, मेर: सहाथता के िलथे फुतh कर! 14 जो मेरे ूाण क खोज म हE , वे सब ल'Gजत हH; और उनके मुह ं काले हHऔर वे पीछे हटाए और िनरादर कए जाएं जो मेर: हाित से ूस(न होते हE । 15 जो मुझ से आहा, आहा, कहते हE , वे अप क लGजा के मारे व'ःमत हH।। 16 पर(तु 'जतने तुझे ढू ं ढ़ते हE , वह सब तेरे कारण हषOत औौ आन'(दत हH; जो तेरा कया हुआ उaार चाहते हE , वे िनर(तर कहते रह , यहोवा क बड़ाई हो! 17 मE तो द:न और दgरि हंू , तौभी ूभु मेर: िच(ता करता है । तू मेरा सहाथक और छुड़ानेवाला है ; हे मेरे परमे र वलSब न कर।। भजन संहता 41 1 या ह: ध(य है वह, जो कंगाल क सुिध रखता है ! वप के दन यहोवा उसको बचाएगा। 2 यहोवा उसक रœा करके उसको जीवत रखेगा, और वह पृवी पर भाbयवान होगा। तू उसको शऽुओं क इ.छा पर न छोड़। 3 जब वह

eयािध के मारे सेज पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सSभालेगा; तू रोग म उसके पूरे बछौने को उलटकर ठqक करे गा।। 4 मE ने कहा, हे यहोवा, मुझ पर अनुमह कर; मुझ को चंगा कर, यHक मE ने तो तेरे वRa पाप कया है ! 5 मेरे शऽु यह कहकर मेर: बुराई करते हE : वह कब मरे गा, और उसका नाम कब िमटे गा? 6 और जब वह मुझ से िमलने को आता है , तब वह eयथO बात बकता है , जब क उसका मन अपके अ(दर अधमO क बातं! संचय करता है ; और बाहर जाकर उनक चचाO करता है । 7 मेरे सब बैर: िमलकर मेरे वRa कानाफूसी करते हE ; मे मेरे वRa होकर मेर: हािन क क`पना करते हE ।। 8 वे कहते हE क इसे तो कोई बुरा रोग लग गया है ; अब जो यह पड़ा है , तो फर कभी उठने का नह:ं। 9 मेरा परम िमऽा 'जस पर मE भरोसा रखता था, जो मेर: रोट: खाता था, उस ने भी मेरे वRa लात उठाई है । 10 पर(तु हे यहोवा, तु मुझ पर अनुमह करके मुझ को उठा ले क मE उनको बदला दं !ू 11 मेरा शऽु जो मुझ पर जयव(त नह:ं हो पाता, इस से मE ने जान िलया है क तू मुझ से ूस(न है । 12 और मुझे तो तू खराई से सSभालता, और सवOदा के िलथे अपके सSमुख 'ःथर करता है ।। 13 इॐाएल का परमे र यहोवा आद से अन(तकाल तक ध(य है आमीन, फर आमीन।। भजन संहता 42 1 जैसे हgरणी नद: के जल के िलथे हांफती है , वैसे ह:, हे परमे र, मE तेरे िलथे हांफता हूं। 2 जीवते ई र परमे र का मE €यासा हूं, मE कब जाकर परमे र को अपना मुह ं दखाऊंगा? 3 मेरे आंसू दन और रात मेरा आहार हुए हE ; और लोग दन भर मुझ से कहते रहते हE , ते रा परमे र कहां है ? 4 मE भीड़ के संग जाया

करता था, मE जयजयकार और ध(यवाद के साथ उसव करनेवाली भीड़ के बीच म परमे र के भवन को धीरे धीरे जाया करता था; यह ःमरण करके मेरा ूाण शोकत हो जाता है । 5 हे मेरे ूाण, तू यHिगरा जाता है ? और तू अ(दर ह: अ(दर यHeयाकुल है ? परमे र पर आशा लगाए रह; यHक मE उसके दशOन से उaार पाकर फर उसका ध(यवाद कRंगा।। 6 हे मेरे परमे र; मेरा ूाण मेरे भीतर िगरा जाता है , इसिलथे मE यदO न के पास के दे श से और हमzन के पहाड़Hऔर िमसगार क पहाड़: के ऊपर से तुझे ःमरण करता हंू । 7 तेर: जलधाराओं का शcद सुनकर जल, जल को पुकारता है ; तेर: सार: तरं गHऔर लहरHम मE डू ब गया हंू । 8 तौभी दन को यहोवा अप क शf और कRणा ूगट करे गा; और रात को भी मE उसका गीत गाऊंगा, और अपके जीवनदाता ई र से ूाथOना कRंगा।। 9 मE ई र से जो मेर: च=टान है कहंू गा, तू मुझे यHभूल गया? मE शऽु के अ(धेर के मारे यHशोक का पहरावा पहने हुए चलता फरता हंू ? 10 मेरे सतानेवाले जो मेर: िन(दा करते हE मानो उस म मेर: ह‰डयां चूर चूर होती हE , मानो कटार से िछद: जाती हE , यHक वे दन भर मुझ से कहते रहते हE , ते रा परमे र कहां है ? 11 हे मेरे ूाण तू यHिगरा जाता है ? तू अ(दर ह: अ(दर यHeयाकुल है ? परमे र पर भरोसा रख; यHक वह मेरे मुख क चमक और मेरा परमे र है , मE फर उसका ध(यवाद कRंगा।। भजन संहता 43 1 हे परमे र, मेरा (याय चुका और वधमh जाित से मेरा मुक मा लड़; मुझ को छली और कुटल पुRष से बचा। 2 यHक हे परमे र, तू ह: मेर: शरण है , तू ने

यHमुझे याग दया है ? मE शऽु के अ(धेर के मारे शोक का पहरावा पहने हुए यHफरता रहूं? 3 अपके ूकाश और अप क स.चाई को भेज; वे मेर: अगुवाई कर , वे ह: मुझ को तेरे पवऽा पवOत पर और तेरे िनवास ःथान म पहंु चाए! 4 तब मE परमे र क वेद: के पास जाऊंगा, उस ई र के पास जो मेरे अित आन(द का कु+ड है ; और हे परमे र, हे मेरे परमे र मE वीणा बजा बजाकर तेरा ध(यवाद कRंगा।। 5 हे मेरे ूाण तू यHिगरा जाता है ? तू अ(दर ह: अ(दर यHeयाकुल है ? परमे र पर भरोसा रख, यHक वह मेरे मुख क चमक और मेरा परमे र है ; मE फर उसका ध(यवाद कRंगा।। भजन संहता 44 1 हे परमे र हम ने अपके कानHसे सुना, हमारे बापदादHने हम से वणOन कया है , क तू ने उनके दनHम और ूाचीनकाल म या या काम कए हE । 2 तू ने अपके हाथ से जाितयHको िनकाल दया, और इनको बसाया; तू ने दे श दे श के लोगHको द:ु ख दया, और इनको चारHओर फैला दया; 3 यHक वे न तो अप क तलवार के बल से इस दे श के अिध कारनेी हुए, और न अपके बाहुबल से; पर(तु तेरे दहने हाथ और तेर: भुजा और तेरे ूस(न मुख के कारण जयव(त हुए; यHक तू उनको चाहता था।। 4 हे परमे र, तू ह: हमारा महाराजा है , तू याकूब के उaार क आWा दे ता है । 5 तेरे सहारे से हम अपके िोहयHको ढकेलकर िगरा द गे; तेरे नाम के ूताप से हम अपके वरोिधयHको रxद गे। 6 यHक मE अपके धनुष पर भरोसा न रखूंगा, और न अप क तलवार के बल से बचूगा। 7 पर(तु तू ह: ने हम को िोहयHसे बचाया है , और हमारे बैgरयHको िनराश और ल'Gजत कया है । 8

हम परमे र क बड़ाई दन भर करते रहते हE , और सदै व तेरे नाम का ध(यवाद करते रह गे।। 9 तौभी तू ने अब हम को याग दया और हमारा अनादर कया है , और हमारे दलHके साथ आगे नह:ं जाता। 10 तू हम को शऽु के साSहने से हटा दे ता है , और हमारे बैर: मनमाने लूट मार करते हE । 11 तू ने हम कसाई क भेडHके समान कर दया है , और हम को अ(य जाितयHम ितर बर कया है । 12 तू अप क ूजा को स तम त बे च डालता है , पर(तु उनके मोल से तू धनी नह:ं होता।। 13 तू हमारे पड़ोिस कH हमार: नामधराई कराता है , और हमारे चारHओर से रहनेवाले हम से हं सी ठ=ठा करते हE । 14 तू हम को अ(यजाितयHके बीच म

उपमा ठहराता है , और दे श दे श के लेग हमारे कारण िसर हलाते हE । दन भर हम

ितरःकार सहना पड़ता है , 15 और कलंक लगाने और िन(दा करनेवाले के बोल से, 16 और शऽु और बदला लेनेवालHके कारण, बुरा- भला कहनेवालHऔर िन(दा करनेवालHके कारण। 17 यह सब कुछ हम पर बीता तौभी हम तुझे नह:ं भूले, न तेर: वाचा के वषय व ासघात कया है । 18 हमारे मन न बहके, न हमारे पैर तर: बाट से मुड़े; 19 तौभी तू ने हम गीदड़Hके ःथान म पीस डाला, और हम को घोर अ(धकार म िछपा दया है ।। 20 यद हम अपके परमे र का नाम भूल जाते, वा कसी पराए दे वता क ओर अपके हाथ फैलाते, 21 तो या परमे र इसका वचार न करता? यHक वह तो मन क गुT बातHको जानता है । 22 पर(तु हम दन भर तेरे िनिम मार डाले जाते हE , और उन भेड़Hके समान समझे जाते हE जो वध होने पर हE ।। 23 हे ूभु, जाग! तू यHसोता है ? उठ! हम को सदा के िलथे याग न दे ! 24 तू यHअपना मुह ं िछपा लेता है ? और हमारा द:ु ख और सताया जाना भूल जाता है ? 25 हमारा ूाण िम=ट: से लग गया; हमारा पेट भूिम

से सट गया है । 26 हमार: सहाथता के िलथे उठ खड़ा हो! और अप क कRणा के िनिम हम को छुड़ा ले।। भजन संहता 45 1 मेरा Ÿदय एक सु(दर वषय क उमंग से उम+ड रहा है , जो बात मE ने राजा के वषय रची है उसको सुनाता हंू ; मेर: जीभ िनपुण लेखक क लेखनी बनी है । 2 तू मनुंय क स(तानHम परम सु(दर है ; तेरे ओठHम अनुमह भरा हुआ है ; इसिलथे परमे र ने तुझे सदा के िलथे आशीष द: है । 3 हे वीर, तू अप क तलवार को जो तेरा वभव और ूताप है अप क कट पर बा(ध! 4 सयता, नॆता और धमO के िनिम अपके ऐ यO और ूताप पर सफलता से सवार हो; ते रा दहना हाथ तुझे भयानक काम िसखलाए! 5 तेरे तीर तो ते ज हE , तेरे साSहने दे श दे श के लोग िगर गे; राजा के शऽुओं के Ÿदय उन से िछद गे।। 6 हे परमे र, तेरा िसंहासन सदा सवOदा बना रहे गा; तेरा राजद+ड (याय का है । 7 तू ने धमO से ूीित और द ु ता से बैर रखा है । इस कारण परमे र ने हां तेरे परमे र ने तुझ को तेरे सािथयHसे अिधक हषO के तेल से अिभषे क कया है । 8 तेरे सारे व\ा, ग(धरस, अगर, और तेल से सुग'(धत हE , तू हाथीदांत के म'(दरHम तारवाले बाजHके कारण आन'(दत हुआ है । 9 तेर: ूितvत '\यHम राजकुमाgरयां भी हE ; तेर: दहनी ओर पटरानी, ओपीर के कु(दन से वभूषत खड़: है ।। 10 हे राजकुमार: सुन, और कान लगाकर ~यान दे ; अपके लोगHऔर अपके पता के घर को भूल जा; 11 और राजा तेरे Rप क चाह करे गा। यHक वह तो तेरा ूभु है , तू उसे द+डवत ् कर। 12 सोर क राजकुमार: भी भ ट करने के िलथे उप'ःथत होगी, ूजा के धनवान लोग तुझे

ूस(न करने का य^ कर गे।। 13 राजकुमार: महल म अित शोभायमान है , उसके व\ा म सुनहले बूटे कढ़े हुए हE ; 14 वह बूटेदार व\ा पहने हुए राजा के पास पहंु चाई जाएगी। जो कुमाgरयां उसक सहे िलयां हE , वे उसके पीछे पीछे चलती हुई तेरे पास पहंु चाई जाएंगी। 15 वे आन'(दत और मगन होकर पहंु चाई जाएंगी, और वे राजा के महल म ूवे श कर गी।। 16 ते रे पतरHके ःथान पर ते रे पुऽा हHगे; 'जनको तू सार: पृवी पर हाकम ठहराएगा। 17 मE ऐसा कRंगा, क तेर: नाम क चचाO पीढ़: से पीढ़: तक होती रहे गी; इस कारण दे श दे श के लोग सदा सवOदा तेरा ध(यवाद करते रह गे।। भजन संहता 46 1 परमे र हमारा शरणःथान और बल है , संकट म अित सहज से िमलनेवाला सहाथक। 2 इस कारण हम को कोई भय नह:ं चाहे पृवी उलट जाए, और पहाड़ समुि के बीच म डाल दए जाएं; 3 चाहे समुि गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसक बाढ़ से कांप उठे ।। 4 एक नद: है 'जसक नहरHसे परमे र के नगर म

अथाOत ् परमूधान के पवऽा िनवास भवन म आन(द होता है । 5 परमे र उस नगर के बीच म है , वह कभी टलने का नह:ं; पौ फटते ह: परमे र उसक सहाथता करता है । 6 जाित जाित के लोग झ`ला उठे , राGय राGय के लोग डगमगाने लगे ; वह बोल उठा, और पृवी पघल गई। 7 सेनाओं का यहोवा हमारे संगे है ; याकूब का परमे र हमारा ऊंचा गढ़ है ।। 8 आओ, यहोवा के महाकमO दे खो, क उस ने पृवी पर कैसा कैसा उजाड़ कया है । 9 वह पृवी क छोर तक लड़ाइयHको िमटाता है ; वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टु कड़े कर डालता है , और

रथHको आग म झHक दे ता है ! 10 चुप हो जाओ, और जान लो, क मE ह: परमे र हूं। मE जाितयHम महान ् हूं, मE पृवी भर म महान ् हूं! 11 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है ; याकूब का परमे र हमारा ऊंचा गढ़ है ।। भजन संहता 47 1 हे दे श दे श के सब लोगH, तािलयHबजाओ! ऊंचे शcद से परमे र के िलथे जयजयकार करो! 2 यHक यहोवा परमूधान और भययोbय है , वह सार: पृवी के ऊपर महाराजा है । 3 वह दे श के लोगHको हमारे सSमुख नीचा करता, और अ(यजाितयHको हमारे पांवHके नीचे कर दे ता है । 4 वह हमारे िलथे उम भाग चुन लेगा, जो उसके ूय याकूब के घम+ड का कारण है ।। 5 परमे र जयजयकार सहत, यहोवा नरिसंगे के शcद के साथ ऊपर गया है । 6 परमे र का भजन गाओ, भजन गाओ! हमारे महाराजा का भजन गाओ, भजन गाओ! 7 यHक परमे र सार: पृवी का महाराजा है ; समझ बूझकर बुa से भजन गाओ 8 परमे र जाित जाित पर राGय करता है ; परमे र अपके पवऽा िसंहासन पर वराजमान है । 9 राGय राGय के रईस इॄाह:म के परमे र क ूजा होने के िलथे इक=ठे हुए हE । यHक पृवी क ढाल परमे र के वश म हE , वह तो िशरोम'ण है ! भजन संहता 48 1 हमारे परमे र के नगर म , और अपके पवऽा पवOत पर यहोवा महान ् और अित ःतुित के योbय है ! 2 िसरयोन पवOत ऊंचाई म सु(दर और सार: पृवी के हषO का कारण है , राजािधराज का नगर उर:य िस के पर है । 3 उसके महलHम

परमे र ऊंचा गढ़ माना गया है । 4 यHक दे खो, राजा लोग इक=ठे हुए, वे एक संग आगे बढ़ गए। 5 उ(हHने आप ह: दे खा और दे खते ह: व'ःमत हुए, वे घबराकर भाग गए। 6 वहां कपकपी ने उनको आ पकड़ा, और ज.चा क सी पीड़ाएं उ(ह होने लगीं। 7 तू पूवh वायु से तशhश के जहाजHको तोड़ डालता है । 8 सेनाओं के यहोवा के नगर म , अपके परमे र के नगर म , जैसा हम ने सुना था, वैसा दे खा भी है ; परमे र उसको सदा lढ़ और 'ःथर रखेगा।। 9 हे परमे र हम ने तेरे म'(दर के भीतर तेर: कRणा पर ~यान कया है । 10 हे परमे र तेरे नाम के योbय तेर: ःतुित पृवी क छोर तक होती है । तेरा दहना हाथ धमO से भरा है ; 11 तेरे (याय के कामHके कारण िसरयोन पवOत आन(द करे , और यहूदा के नगर क पुऽयां मगन हH! 12 िसरयोन के चारHओर चलो, और उसक पgरबमा करो, उसके गुSमटHको िगन लो, 13 उसक शहरपनाह पर l लगाओ, उसके महलHको ~यान से दे खो; 'जस से क तुम आनेवाली पीढ़: के लोगHसे इस बात का वणOन कर सको। 14 यHक वह परमे र सदा सवOदा हमारा परमे र है , वह मृयु तक हमार: अगुवाई करे गा।। भजन संहता 49 1 हे दे श दे श के सब लोगHयह सुनो! हे संसार के सब िनवािसयH, कान लगाओ! 2 या ऊंच, या नीच या धनी, या दgरि, कान लगाओ! 3 मेरे मुह ं से बुa क बात िनकल गी; और मेरे Ÿदय क बात समझ क हHगी। 4 मE नीितवचन क ओर अपना कान लगाऊंगा, मE वीणा बजाते हुए अप क गुT बात ूकािशत कRंगा।। 5 वप के दनHम जब मE अपके अड़ं गा मारनेवालHक बुराइयHसे िघRं, तब मE

यHडRं? 6 जो अप क सSप पर भरोसा रखते, और अपके धन क बहुतायत पर फूलते हE , 7 उन म से कोई अपके भाई को कसी भांित छुड़ा नह:ं सकता है ; और न परमे र को उसक स(ती ूाय'_ म कुछ दे सकता है , 8 ( यHक उनके ूाण क छुड़ौती भार: है वह अ(त तक कभी न चुका सक गे )। 9 कोई ऐसा नह:ं जो सदै व जीवत रहे , और कॄ को न दे खे।। 10 यHक दे खने म आता है , क बुaमान भी मरते हE , और मूखO और पशु सर:खे मनुंय भी दोनHनाश होते हE , और अप क सSप औरHके िलथे छोड़ जाते हE । 11 वे मन ह: मन यह सोचते हE , क उनका घर सदा 'ःथर रहे गा, और उनके िनवास पीढ़: से पीढ़: तक बने रह गे; इसिलथे वे अप क अप क भूिम का नाम अपके अपके नाम पर रखते हE । 12 पर(तु मनुंय ूितvा पाकर भी 'ःथर नह:ं रहता, वह पशुओं के समान होता है , जो मर िमटते हE ।। 13 उनक यह चाल उनक मूखOता है , तौभी उनके बाद लोग उनक बातHसे ूस(न होते हE । 14 वे अधोलोक क मानHभेड़- बकgरयां ठहराए गए हE ; मृयु उनका गड़े gरया ठहर:; और बहान को सीधे लोग उन पर ूभुता कर गे; और उनका सु(दर Rप अधोलोक का कौर हो जाएगा और उनका कोई आधार न रहे गा। 15 पर(तु परमे र मेरे ूाण को अधोलोक के वश से छुड़ा लेगा, यHक वह: मुझे महण कर अपनाएगा।। 16 जब कोई धनी हो जाए और उसके घर का वभव बढ़ जाए, तब तू भय न खाना। 17 यHक वह मर कर कुछ भी साथ न ले जाएगा; न उसका वभव उसके साथ कॄ म जाएगा। 18 चाहे वह जीते जी अपके आप को ध(य कहता रहे , (जब तू अप क भलाई करता है , तब वे लोग तेर: ूशंसा करते हE ) 19 तौभी वह अपके पुरखाओं के समाज म िमलाया जाएगा, जो कभी उ'जयाला न दे ख गे। 20 मनुंय चाहे ूितvत भी हHपर(तु यद वे समझ

नह:ं रखते, तो वे पशुओं के समान हE जो मर िमटते हE ।। भजन संहता 50 1 ई र परमे र यहोवा ने कहा है , और उदयाचल से लेकर अःताचल तक पृवी के लोगHको बुलाया है । 2 िसरयोन से, जो परम सु(दर है , परमे र ने अपना तेज दखाया है । 3 हमारा परमे र आएगा और चुपचाप न रहे गा, आग उसके आगे आगे भःम करती जाएगी; और उसके चारHओर बड़: आंधी चलेगी। 4 वह अप क ूजा का (याय करने के िलथे ऊपर से आकाश को और पृवी को भी पुकारे गा: 5 मेरे भfHको मेरे पास इक=ठा करो, 'ज(हHने बिलदान चढ़ाकर मुझ से वाचा बा(धी है ! 6 और ःवगO उसके धमh होने का ूचार करे गा यHक परमे र तो आप ह: (यायी है ।। 7 हे मेर: ूजा, सुन, मE बोलता हूं, और हे इॐाएल, मE तेरे वषय साœी दे ता हंू । परमे र तेरा परमे र मE ह: हंू । 8 मE तुझ पर तेरे मेलबिलयHके वषय दोष नह:ं लगाता, तेरे होमबिल तो िनय मेरे िलथे चढ़ते हE । 9 मE न तो तेरे घर से बैल न तेरे पशुशालHसे बकरे ले लूग ं ा। 10 यHक वन के सारे जीवज(तु और हजारHपहाड़Hके जानवर मेरे ह: हE । 11 पहाड़Hके सब प'œयHको मE जानता हंू , और मैदान पर चलने फरनेवाले जानवार मेरे ह: हE ।। 12 यद मE भूखा होता तो तुझ से न कहता; यHक जगत ् और जो कुछ उस म है वह मेरा है । 13 या मE बैल का मांस खाऊं, वा बकरHका लोहू पीऊं? 14 परमे र को ध(यवाद ह: का बिलदान चढ़ा, और परमूधान के िलथे अप क म(नत पूर: कर; 15 और संकट के दन मुझे पुकार; मE तुझे छुड़ाऊंगा, और तू मेर: महमा करने पाएगा।। 16 पर(तु द ु से परमे र कहता है : तुझे मेर: विधयHका वणOन करने से या

काम? तू मर: वाचा क चचाO यHकरता है ? 17 तू तो िशœा से बैर करता, और मेरे वचनHको तु.छ जातना है । 18 जब तू ने चोर को दे खा, तब उसक संगित से ूस(न हुआ; और पर\ीगािमयHके साथ भागी हुआ।। 19 तू ने अपना मुह ं बुराई करने के िलथे खोला, और तेर: जीभ छल क बात गढ़ती है । 20 तू बैठा हुआ अपके भाई के वRa बोलता; और अपके सगे भाई क चुगली खाता है । 21 यह काम तू ने कया, और मE चुप रहा; इसिलथे तू ने समझ िलया क परमे र बलकुल मेरे साSहने है । पर(तु मE तुझे समझाऊंगा, और तेर: आंखHके साSहने सब कुछ अलग अलग दखाऊंगा।। 22 हे ई र को भूलनेवालो यह बात भली भांित समझ लो, कह:ं ऐसा न हो क मE तुSह फाड़ डालू,ं और कोई छुड़ानेवाला न हो! 23 ध(यवाद के बिलदान का चढ़ानेवाला मेर: महमा करता है ; और जो अपना चgरऽा उम रखता है उसको मE परमे र का कया हुआ उaार दखाऊंगा! भजन संहता 51 1 हे परमे र, अप क कRणा के अनुसार मुझ पर अनुमह कर; अप क बड़: दया के अनुसार मेरे अपराधHको िमटा दे । 2 मुझे भलीं भांित धोकर मेरा अधमO दरू कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुa कर! 3 मE तो अपके अपराधHकHजानता हंू , और मेरा पाप िनर(तर मेर: l म रहता है । 4 मE ने केवल ते रे ह: वRa पाप कया, और जो तेर: l म बुरा है , वह: कया है , ताक तू बोलने म धमh और (याय करने म िनंकलंक ठहरे । 5 दे ख, मE अधमO के साथ उप(न हुआ, और पाप के साथ अप क माता के गभO म पड़ा।। 6 दे ख, तू Ÿदय क स.चाई से ूस(न होता है ; और मेरे मन ह: म Wान िसखाएगा। 7 जूफा से मुझे शुa कर, तो मE

पवऽा हो जाऊंगा; मुझे धो, और मE हम से भी अिधक ेत बनूग ं ा। 8 मुझे हषO और आन(द क बात सुना, 'जस से जो ह‰डयां तू ने तोड़ डाली हE वह मगन हो जाएं। 9 अपना मुख मेरे पापHक ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधमO के कामHको िमटा डाल।। 10 हे परमे र, मेरे अ(दर शुa मन उप(न कर, और मेरे भीतर 'ःथर आमा नथे िस के से उप(न कर। 11 मुझे अपके साSहने से िनकाल न दे , और अपके पवऽा आमा को मुझ से अलग न कर। 12 अपके कए हुए उaार का हषO मुझे फर से दे , और उदार आमा दे कर मुझे सSभाल।। 13 जब मE अपरािधयHको तेरा मागO िसखाऊंगा, और पापी तेर: ओर फर गे। 14 हे परमे र, हे मेरे उaारकताO परमे र, मुझे हया के अपराध से छुड़ा ले, तब मE तेरे धमO का जयजयकार करने पाऊंगा।। 15 हे ूभु, मेरा मुह ं खोल दे तब मE तेरा गुणानुवाद कर सकूंगा। 16 योक तू मेलबिल म ूस(न नह:ं होता, नह:ं तो मE दे ता; होमबिल से भी तू ूस(न नह:ं होता। 17 टू टा मन परमे र के योbय बिलदान है ; हे परमे र, तू टू टे और पसे हुए मन को तु.छ नह:ं जानता।। 18 ूस(न होकर िसरयोन क भलाई कर, यRशलेम क शहरपनाह को तू बना, 19 तब तू धमO के बिलदानHसे अथाOत ् सवा{ग पशुओं के होमबिल से ूस(न होगा; तब लोग तेर: वेद: पर बैल चढ़ाएंगे।। भजन संहता 52 1 हे वीर, तू बुराई करने पर यHघम+ड करता है ? ई र क कRणा तो अन(त है । 2 तेर: जीभ केवल द ु ता गढ़ती है ; सारे धरे हुए अःतुरे क नाL वह छल का काम करती है । 3 तू भलाई से बढ़कर बुराई म और अधमO क बात से बढ़कर झूठ से

ूीित रखता है । 4 हे छली जीभ तू सब वनाश करनेवाली बातHसे ूस(न रहती है ।। 5 हे ई र तुझे सदा के िलथे नाश कर दे गा; वह तुझे पकड़कर तेरे डे रे से िनकाल दे गा; और जीवतHके लोक म तुझे उखाड़ डालेगा। 6 तब धमh लोग इस घटना को दे खकर डर जाएंगे, और यह कहकर उस पर हं स गे, क 7 दे खो, यह वह: पुRष है 'जस ने परमे र को अप क शरण नह:ं माना, पर(तु अपके धन क बहुतायत पर भरोसा रखता था, और अपके को द ु ता म lढ़ करता रहा! 8 पर(तु मE तो परमे र के भवन म हरे जलपाई के वृœ के समान हंू । मE ने परमे र क कRणा पर सदा सवOदा के िलथे भरोसा रखा है । 9 मE तेरा ध(यवाद सवOदा करता रहंू गा, यHक तू ह: ने यह काम कया है । मE तेरे ह: नाम क बाट जोहता रहंू गा, यHक यह तेरे पवऽा भfHके साSहने उम है ।। भजन संहता 53 1 मूढ़ ने अपके मन म कहा है , क कोई परमे र है ह: नह:ं। वे बगड़ गए, उ(हHने कुटलता के िघनौने काम कए हE ; कोई सुकमh नह:ं।। 2 परमे र ने ःवगO पर से मनुंयHके ऊपर l क ताक दे खे क कोई बुa से चलनेवाला वा परमे र को पूछनेवाला है क नह:ं।। 3 वे सब के सब हट गए; सब एक साथ बगड़ गए; कोई सुकमh नह:ं, एक भी नह:ं।। या उन सब अनथOकाgरयHको कुछ भी Wान नह:ं 4 जो मेरे लोगHको ऐसे खाते हE जैसे रोट: और परमे र का नाम नह:ं लेते? 5 वहां उन पर भय छा गया जहां भय का कोई कारण न था। यHक यहोवा न उनक ह‰डयHको, जो तेरे वRa छावनी डाले पके थे, िततर बतर कर दया; तू ने तो उ(ह ल'Gजत कर दया इसिलथे क परमे र ने उनको िनकSमा ठहराया है ।। 6

भला होता क इॐाएल का पूरा उaार िसरयोन से िनकलता! जब परमे र अप क ूजा को ब(धुवाई से लौटा ले आएगा तब याकूब मगन और इॐाएल आन'(दत होगा।। भजन संहता 54 1 हे परमे र अपके नाम के kारा मेरा उkार कर, और अपके पराबम से मेरा (याय कर। 2 हे परमे र, मेर: ूाथOना सुन ले; मेरे मुह ं के वचनHक ओर कान लगा।। 3 यHक परदे शी मेरे वRk उठे हE , और बलाकार: मेरे ूाण के माहक हुए हE ; उ(हHने परमे र को अपके सSमुख नह:ं जाना।। 4 दे खो, परमे र मेरा सहाथक है ; ूभु मेरे ूाण के सSभालनेवालHके संग है । 5 वह मेरे िोहयHक बुराई को उ(ह:ं पर लौटा दे गा; हे परमे र, अप क स.चाई के कारण उ(ह वनाश कर।। 6 मE तुझे ःवे.छाबिल चढ़ाऊंगा; हे यहोवा, मE ते रे नाम का ध(यवाद कRंगा, यHक यह उम है । 7 यHक तू ने मुझे सब दख ु Hसे छुड़ाया है , और मE अपके शऽुओं पर l करके स(तु हुआ हंू ।। भजन संहता 55 1 हे परमे र, मेर: ूाथOना क ओर कान लगा; और मेर: िगड़िगड़ाहट से मुह ं न मोड़! 2 मेर: ओर ~यान दे कर, मुझे उर दे ; मE िच(ता के मारे छटपटाता हंू और eयाकुल रहता हंू । 3 यHक शऽु कोलाहल और द ु उपिव कर रह हE ; वे मुझ पर दोषारोपण करते हE , और बोध म आकर मुझे सताते हE ।। 4 मेरा मन भीतर ह: भीतर संकट म है , और मृयु का भय मुझ म समा गया है । 5 भय और कंपकपी

ने मुझे पकड़ िलया है , और भय के कारण मेरे रHए रHए खड़े हो गए हE । 6 और मE ने कहा, भला होता क मेरे कबूतर के से पंख होते तो मE उड़ जाता और वौाम पाता! 7 दे खो, फर तो मE उड़ते उड़ते दरू िनकल जाता और जंगल म बसेरा लेता, 8 मE ूच+ड बयार और आ(धी के झHके से बचकर कसी शरण ःथान म भाग जाता।। 9 हे ूभु, उनको सयानाश कर, और उनक भाषा म गड़बड़: डाल दे ; यHक मE ने नगर म उपिव और झगड़ा दे खा है । 10 रात दन वे उसक शहरपनाह पर चढ़कर चारHओर घूमते हE ; और उसके भीतर द ु ता और उपात होता है । 11 उसके भीतर द ु ता ने बसेरा डाला है ; और अ(धेर, अयाचार और छल उसके चौक से दरू नह:ं होते।। 12 जो मेर: नामधराई करता है वह शऽु नह:ं था, नह:ं तो मE उसको सह लेता; जो मेरे वRk बड़ाई मारता है वह मेरा बैर: नह:ं है , नह:ं तो मE उस से िछप जाता। 13 पर(तु वह तो तू ह: था जो मेर: बराबर: का मनुंय मेरा परमिमऽा और मेर: जान पहचान का था। 14 हम दोनHआपस म

कैसी मीठq मीठq बात करते थे; हम भीड़ के साथ परमे र के भवन को जाते थे। 15 उनको मृयु अचानक आ दबाए; वे जीवत ह: अधोलोक म उतर जाएं; यHक उनके घर और मन दोनHम बुराइयां और उपात भरा है ।। 16 पर(तु मE तो परमे र को पुकाRंगा; और यहोवा मुझे बचा लेगा। 17 सांझ को, भोर को, दोपहर को, तीनHपहर मE दोहाई दं ग ू ा और कराहता रहंू गा। और वह मेरा शcद सुन लेगा। 18 जो लड़ाई मेरे वRk मची थी उस से उस ने मुझे कुशल के साथ बचा िलया है । उ(हHने तो बहुतHको संग लेकर मेरा साSहना कया था। 19 ई र जो आद से वराजमान है यह सुनकर उनको उर दे गा। थे वे है 'जन म कोई पgरवतOन नह:ं और उन म परमे र का भय है ह: नह:ं।। 20 उस ने अपके मेल

रखनेवालHपर भी हाथ छोड़ा है , उस ने अप क वाचा को तोड़ दया है । 21 उसके मुह ं क बात तो म खन सी िचकनी थी पर(तु उसके मन म लड़ाई क बात थीं; उसके वचन तेल से अिधक नरम तो थे पर(तु नंगी तलवार थीं।। 22 अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सSभालेगा; वह धमh को कभी टलने न दे गा।। 23 पर(तु हे परमे र, तू उन लोगHको वनाश के गड़हे म िगरा दे गा; हयारे और छली मनुंय अप क आधी आयु तक भी जीवत न रह गे। पर(तु मE तुझ पर भरोसा रखे रहंू गा।। भजन संहता 56 1 हे परमे र, मुझ पर अनुमह कर, यHक मनुंय मुझे िनगलना चाहते हE । वे दन भर लड़कर मुझे सताते हE । 2 मेरे िोह: दन भर मुझे िनगलना चाहते हE , यHक जो लोग अिभमान करके मुझ से लड़ते हE वे बहुत हE । 3 'जस समय मुझे डल लगे गा, मE तुझ पर भरोसा रखूंगा। 4 परमे र क सहाथता से मE उसके वचन क ूशंसा कRंगा, परमे र पर मE ने भरोसा रखा है , मE नह:ं डRंगा। कोई ूाणी मेरा या कर सकता है ? 5 वे दन भर मेरे वचनHको, उलटा अथO लगा लगाकर मरोड़ते रहते हE a उनक सार: क`पनाएं मेर: ह: बुराई करने क होती है । 6 वे सब िमलकर इक=ठे होते हE और िछपकर बैठते हE ; वे मेरे कदमHको दे खते भालते हE मानHवे मेरे ूाणHक घात म ताक लगाए बैठ हH। 7 या वे बुराई करके भी बच जाएंगे? हे परमे र, अपके बोध से दे श दे श के लोगHको िगरा दे ! 8 तू मेरे मारे मारे फरने का हसाब रखता है ; तू मेरे आंसओ ु ं को अप क कु€पी म रख ले! या उनक चचाO तेर: पुःतक म नह:ं है ? 9 जब 'जस समय मE पुकाRंगा, उसी

समय मेरे शऽु उलटे फर गे। यह मE जानता हंू , क परमे र मेर: ओर है । 10 परमे र क सहाथता से मE उसके वचन क ूशंसा कRंगा, यहोवा क सहाथता से मE उसके वचन क ूशंसा कRंगा। 11 मE ने परमे र पर भरोसा रखा है , मE न डRंगा। मनुंय मेरा या कर सकता है ? 12 हे परमे र, तेर: म(नतHका भरा मुझ पर बना है ; मE तुझ को ध(यवाद बिल चढ़ाऊंगा। 13 यHक तू ने मुझ को मृयु से बचाया है ; तू ने मेरे पैरHको भी फसलने से न बचाया, ताक मE ई र के साSहने जीवतHके उ'जयाले म चलूं फRं? भजन संहता 57 1 हे परमे र, मुझ पर अनुमह कर, मुझ पर अनुमह कर, यHक मE तेरा शरणागत हूं; और जब तक थे आपयां िनकल न जाएं, तब तक मE तेरे पंखHके तले शरण िलए रहंू गा। 2 मE परम ूधान परमे र को पुकाRंगा, ई र को जो मेरे िलथे सब कुछ िसa करता है । 3 ई र ःवगO से भेजकर मुझे बचा लेगा, जब मेरा िनगलनेवाला िन(दा कर रहा हो। परमे र अप क कRणा और स.चाई ूगट करे गा।। 4 मेरा ूाण िसंहHके बीच म है , मुझे जलते हुओं के बीच म लेटना पड़ता है , अथाOत ् ऐसे मनुंयHके बीच म 'जन के दांत बछŽ और तीर हE , और 'जनक जीभ तेज तलवार है ।। 5 हे परमे र तू ःवगO के ऊपर अित महान और तेजोमय है , तेर: महमा सार: पृवी के ऊपर फैल जाए! 6 उ(हHने मेरे पैरHके िलथे जाल लगाया है ; मेरा ूाण ढला जाता है । उ(हHने मेरे आगे गड़हा खोदा, पर(तु आप ह: उस म िगर पके।। 7 हे परमे र, मेरा मन 'ःथर है , मेरा मन 'ःथर है ; मE गाऊंगा वरन भजन कतOन कRंगा। 8 हे मेर: आमा जाग जा! हे सारं गी और वीणा जाग

जाओ। मE भी पौ फटते ह: जाग उठूं गा। 9 हे ूभु, मE दे श के लोगHके बीच तेरा ध(यवाद कRंगा; मE राGय राGय के लोगHके बीच म तेरा भजन गाऊंगा। 10 यHक तेर: कRणा ःवगO तक बड़: है , और तेर: स.चाई आकाशम+डल तक पहंु च क है ।। 11 हे परमे र, तू ःवगO के ऊपर अित महान है ! तेर: महमा सार: पृवी के ऊपर फैल जाए! भजन संहता 58 1 हे मनुंयH, या तुम सचमुच धमO क बात बोलते हो? और हे मनुंयवंिशयH या तुम सीधाई से (याय करते हो? 2 नह:ं, तुम मन ह: मन म कुटल काम करते हो; तुम दे श भर म उपिव करते जाते हो।। 3 द ु लोग ज(मते ह: पराए हो जाते हE , वे पे ट से िनकलते ह: झूठ बालते हुए भटक जाते हE । 4 उन म सपO का सा वष है ; वे उस नाम के समान ह , जो सुनना नह:ं चाहता; 5 और सपेरा कैसी ह: िनपुणता से यHन मंऽा पढ़े , तौभी उसक नह:ं सुनता।। 6 हे परमे र, उनके मुह ं म से दांतHको तोड़ दे ; हे यहोवा उन जवान िसंहHक दाढ़Hको उखाड़ डाल! 7 वे घुलकर बहते हुए पानी के समान हो जाएं; जब वे अपके तीर चढ़ाएं, तब तीर मानHदो टु कड़े हो जाएं। 8 वे घHघे के समान हो जाएं जो घुलकर नाश हो जाता है , और \ी के िगरे हुए गभO के समान हो 'जस ने सूरज को दे खा ह: नह:ं। 9 उस से पहले क तुSहार: हांबयHम कांटHक आंच लगे, हरे व जले, दोनHको वह बवंडर से उड़ा ले जाएगा।। 10 धमh ऐसा पलटा दे खकर आन'(दत होगा; वह अपके पांव द ु के लोहू म धोएगा।। 11 तब मनुंय कहने लग गे, िन_य धमh के िलथे फल है ; िन_य परमे र है , जो पृवी पर (याय करता है ।।

भजन संहता 59 1 हे मेरे परमे र, मुझ को शऽुओं से बचा, मुझे ऊंचे ःथान पर रखकर मेरे वरोिधयHसे बचा, 2 मुझ को बुराई करनेवालHके हाथ से बचा, और हयारHसे मेरा उkार कर।। 3 यHक दे ख, वे मेर: घात म लगे हE ; हे यहोवा, मेरा कोई दोष वा पाप नह:ं है , तौभी बलव(त लोग मेरे वRa इक=ठे होते हE । 4 वह मुझ िनदzष पर दौड़े दौड़कर लड़ने को तैयार हो जाते हE ।। मुझ से िमलने के िलथे जाग उठ, और यह दे ख! 5 हे सेनाओं के परमे र यहोवा, हे इॐाएल के परमे र सब अ(यजाितवालHको द+ड दे ने के िलथे जाग; कसी व ासघाती अयाचार: पर अनुमह न कर।। 6 वे लागे सांझ को लौटकर कुे क नाL गुराOते हE , और नगर के चारHओर घूमते हE । दे ख वे डकारते हE , 7 उनके मुह ं के भीतर तलवार हE , यHक वे कहते हE , कौन सुनता है ? 8 पर(तु हे यहोवा, तू उन पर हं सेगा; तू सब अ(य जाितयHको ठ=ठां म उड़ाएगा। 9 हे मेरे बल, मुझे ते र: ह: आस होगी; यHक परमे र मेरा ऊंचा गढ़ है ।। 10 परमे र कRणा करता हुआ मुझ से िमलेगा; परमे र मेरे िोहयHके वषय मेर: इ.छा पूर: कर दे गा।। 11 उ(ह घात न कर, न हो क मेर: ूजा भूल जाए; हे ूभु, हे हमार: ढाल! अप क शf के उ(ह िततर बतर कर, उ(ह दबा दे । 12 वह अपके मुह ं के पाप, और ओठHके वचन, और शाप दे ने, और झूठ बोलने के कारण, अिभमान म फंसे हुए पकड़े जाएं। 13 जलजलाहट म आकर उनका अ(त कर, उनका अ(त कर दे ताक वे न हो जाएं तब लोग जान गे क परमे र याकूब पर, वरन पृवी क छोर तक ूभुता करता है ।। 14 वे सांझ को लौटकर कुे क नाL गुराOए,ं और नगर के चारHओर घूम । 15 वे टु कड़े के िलथे मारे मारे फर , और तृT न होन पर रात भर वह:ं ठहरे रह ।। 16

पर(तु मE तेर: सामयO का यश गाऊंगा, और भोर को तेर: कRणा का जय जयकार कRंगा। यHक तू मेरा ऊंचा गढ़ है , और संकट के समय मेरा शरणःथान ठहरा है । 17 हे मेरे बल, मE तेरा भजन गाऊंगा, यHक हे परमे र, तू मेरा ऊंचा गढ़ और मेरा कRणामय परमे र है ।। भजन संहता 60 1 हे परमे र तू ने हम को याग दया, और हम को तोड़ डाला है ; तू बोिधत हुआ; फर हम को GयHका यHकर दे । 2 तू ने भूिम को कंपाया और फाड़ डाला है ; उसके दरारHको भर दे , यHक वह डगमगा रह: है । 3 तू ने अप क ूजा को कठन द:ु ख भुगताया; तू ने हम लड़खड़ा दे नेवाला दाखमधु पलाया है ।। 4 तू ने अपके डरवैयHको झ+डा दया है , क वह स.चाई के कारण फहराया जाए। 5 तू अपके दहने हाथ से बचा, और हमार: सुन ले क तेरे ूय छुड़ाए जाएं।। 6 परमे र पवऽाता के साथ बोला है मE ूफु'`लत हंू गा; मE शकेम को बांट लूग ं ा, और सु कोत क तराई को नपवाऊंगा। 7 िगलाद मेरा है ; मनँशे भी मेरा है ; और एूैम मेरे िसर का टोप, यहूदा मेरा राजद+ड है । 8 मोआब मेरे धोने का पाऽा है ; मE एदोम पर अपना जूता फ कूंबा; हे पिलँतीन मेरे ह: कारण जयजयकार कर।। 9 मुझे गढ़वाले नगर म कौन पहंु चाएगा? एदोम तक मेर: अगुवाई कस ने क है ? 10 हे परमे र, या तू ने हम को याग नह: दया? हे परमे र, तू हमार: सेना के साथ नह:ं जाता। 11 िोह: के वRa हमार: सहाथता कर, यHक मनुंय का कया हुआ छुटकारा eयथO होता है । 12 परमे र क सहाथता से हम वीरता दखाएंगे, यHक हमारे िोहयHको वह: रxदे गा।।

भजन संहता 61 1 हे परमे र, मेरा िच`लाना सुन, मेर: ूाथOना क ओर ˜यान दे । 2 मूछाO खाते समय मE पृवी क छोर से भी तुझे पुकाRंगा, जो च=टान मेरे िलथे ऊंची है , उस पर मुझ को ले चला; 3 यHक तू मेरा शरणःथान है , और शऽु से बचने के िलथे ऊंचा गढ़ है ।। 4 मै तेरे तSबू म युगानुयग ु बना रहंू गा। 5 यHक हे परमे र, तू ने मेर: म(नत सुनीं, जो ते रे नाम के डरवैथे हE , उनका सा भाग तू ने मुझे दया है ।। 6 तू राजा क आयु को बहुत बढ़ाएगा; उसके वषO पीढ़: पीढ़: के बराबर हHगे। 7 वह परमे र के सSमुख सदा बना रहे गा; तू अप क कRणा और स.चाई को उसक रœा के िलथे ठहरा रख। 8 और मE सवOदा तेरे नाम का भजन गा गाकर अप क म(नत हर दन पूर: कया कRंगा।। भजन संहता 62 1 सचमुच मE चुपचाप होकर परमेर र क ओर मन लगाए हूं; मेरा उaार उसी से होता है । 2 सचमुच वह:, मेर: च=टान और मेरा उaार है , वह मेरा गढ़ है ; मE बहुत न डगूंगा।। 3 तुम कब तक एक पुRष पर धावा करते रहोगे, क सब िमलकर उसका घात करो? वह तो झुक हुई भीत वा िगरते हुए बाड़े के समान है । 4 सचमुच वे उसको, उसके ऊंचे पद से िगराने क सSमित करते हE ; वे झूठ से ूस(न रहते हE । मुह ं से तो वे आशीवाOद दे ते पर मन म कोसते हE ।। 5 हे मेरे मन, परमे र के साSहने चुपचाप रह, यHक मेर: आशा उसी से है । 6 सचमुच वह: मेर: च=टान, और मेरा उaार है , वह मेरा गढ़ है ; इसिलथे मE न डगूंगा। 7 मेरा उaार और मेर: महमा का आधार परमे र है ; मेर: lढ़ च=टान, और मेरा

शरणःथान परमे र है । 8 हे लोगो, हर समय उस पर भरोसा रखो; उस से अपके अपके मन क बात खोलकर कहो; परमे र हमारा शरणःथान है । 9 सचमुच नीच लोग तो अःथाई, और बड़े लोग िमया ह: हE ; तौल म वे हलके िनकलते हE ; वे सब के सब सांस से भी हलके हE । 10 अ(धेर करने पर भरोसा मत रखो, और लूट पाट करने पर मत फूलो; चाहे धन सSपित बढ़े , तौभी उस पर मन न लगाना।। 11 परमे र ने एक बार कहा है ; और दो बार मE ने यह सुना है : क सामयO परमे र का है । 12 और हे ूभु, कRणा भी ते र: है । यHक तू एक एक जन को उसके काम के अनुसार फल दे ता है ।। भजन संहता 63 1 हे परमे र, तू मेरा ई र है , मE तुझे य^ से ढू ं ढूंगा; सूखी और िनजOल ऊसर भूिम पर, मेरा मन तेरा €यासा है , मेरा शर:र तेरा अित अिभलाषी है । 2 इस ूकार से मE ने पवऽाःथान म तुझ पर l क, क तेर: सामयO और महमा को दे खूं। 3 यHक तेर: कRणा जीवन से भी उम है मE तेर: ूशंसा कRंगा। 4 इसी ूकार मE जीवन भर तुझे ध(य कहता रहूंगा; और तेरा नाम लेकर अपके हाथ उठाऊंगा।। 5 मेरा जीव मानो चबh और िचकने भोजन से तृT होगा, और मE जयजयकार करके तेर: ःतुित कRंगा। 6 जब मE बछौने पर पड़ा तेरा ःमरण कRंगा, तब रात के एक एक पहर म तुझ पर ~यान कRंगा; 7 यHक तू मेरा सहाथक बना है , इसिलथे मE तेरे पंखHक छाया म जयजयकार कRंगा। 8 मेरा मन ते रे पीछे पीछे लगा चलता है ; और मुझे तो तू अपके दहने हाथ से थाम रखता है ।। 9 पर(तु जो मेरे ूाण के खोजी हE , वे पृवी के नीचे ःथानHम जा पक गे; 10 वे तलवार से मारे जाएंगे, और

गीदड़Hका आहार हो जाएंगे। 11 पर(तु राजा परमे र के कारण आन'(दत होगा; जो कोई ई र क शपथ खाए, वह बड़ाई करने पाएगा; पर(तु झूठ बोलनेवालHका मुह ं ब(द कया जाएगा।। भजन संहता 64 1 हे परमे र, जब मE तेर: दोहाई दं ,ू तब मेर: सुन; शऽु के उपजाए हुए भय के समय मेरे ूाण क रœा कर। 2 कुकिमOयHक गोvी से, और अनथOकाgरयHके हु`लड़ से मेर: आड़ हो। 3 उ(हHने अप क जीभ को तलवार क नाL तेज कया है , और अपके कड़वे बचनHके तीरHको चढ़ाया है ; 4 ताक िछपकर खरे मनुंय को मार ; वे िनडर होकर उसको अचानक मारते भी हE । 5 वे बुरे काम करने को हयाव बा(धते हE ; वे फ(दे लगने के वषय बातचीत करते हE ; और कहते हE , क हम को कौन दे खेगा? 6 वे कुटलता क युf िनकालते हE ; और कहते हE , क हम ने प क युf खोजकर िनकाली है । यHक मनुंय का मन और Ÿदय अथाह हE ! 7 पर(तु परमे र उन पर तीर चलाएगा; वे अचानक घायल हो जाएंगे। 8 वे अपके ह: वचनHके कारण ठोकर खाकर िगर पक गे; 'जतने उन पर l कर गे वे सब अपके अपके िसर हलाएंगे 9 तब सारे लोग डर जाएंगे; और परमे र के कामHका बखान करं गे, और उसके कायOबम को भली भांित समझ गे।। 10 धमh तो यहोवा के कारण आन'(दत होकर उसका शरणागत होगा, और सब सीधे मनवाले बड़ाई कर गे।। भजन संहता 65

1 हे परमे र, िसरयोन म ःतुित तेर: बाट जोहती है ; और तेरे िलथे म(नत पूर: क जाएंगी। 2 हे ूाथOना के सुननेवाले! सब ूाणी ते रे ह: पास आएंगे। 3 अधOम के काम मुझ पर ूबल हुए हE ; हमारे अपराधHको तू ढांप दे गा। 4 या ह: ध(य है वह; 'जसको तू चुनकर अपके समीप आने दे ता है , क वह तेरे आंगनHम बास करे ! हम तेरे भवन के, अथाOत ् तेरे पवऽा म'(दर के उम उम पदाथJसे तृT हHगे।। 5 हे हमारे उaारकताO परमे र, हे पृवी के सब दरू दरू दे शHके और दरू के समुि पर के रहनेवालHके आधार, तू धमO से कए हुए भयानक कामHके kारा हमारा मुह ं मांगा वर दे गा; 6 तू जो पराबम का फ टा कसे हुए, अप क सामयO के पवOतHको 'ःथर करता है ; 7 तू जो समुि का महाशcद, उसक तरं गो का महाशcद, और दे श दे श के लोगHका कोलाहल श(त करता है ; 8 इसिलथे दरू दरू दे शHके रहनेवाले ते रे िच(ह दे खकर डर गए हE ; तू उदयाचल और अःताचल दोनHसे जयजयकार कराता है ।। 9 तू भूिम क सुिध लेकर उसको सींचता हE , तू उसको बहुत फलदायक करता है ; परमे र क नहर जल से भर: रहती है ; तू पृवी को तैयार करके मनुंयHके िलथे अ(न को तैयार करता है । 10 तू रे घाgरयHको भली भांित सींचता है , और उनके बीच क िम=ट: को बैठाता है , तू भूिम को म ह से नरम करता है , और उसक उपज पर आशीष दे ता है । 11 अप क भलाई से भरे हुए वषO पर तू ने मानो मुकुट धर दया है ; तेरे मागJम उम उम पदाथO पाए जाते हE । 12 वे जंगल क चराइयHम पाए जाते हE ; और पहाड़यां हषO का फ टा बा(धे हुए है ।। 13 चराइयां भेड़- बकgरयHसे भर: हुई हE ; और तराइयां अ(न से ढं पी हुई हE , वे जयजयकार करतीं और गाती भी हE ।। भजन संहता 66

1 हे सार: पृवी के लोगH, परमे र के िलथे जयजयकार करो; 2 उसके नाम क महमा का भजन गाओ; उसक ःतुित करते हुए, उसक महमा करो। 3 परमे र से कहो, क तेरे काम या ह: भयानक हE ! तेर: महासामयO के कारण तेरे शऽु ते र: चापलूसी कर गे। 4 सार: पृवी के लोग तुझे द+डवत ् कर गे, और तेरा भजन गाएंगे; वे ते रे नाम का भजन गाएंगे।। 5 आओ परमे र के कामHको दखो; वह अपके कायJके कारण मनुंयHको भययोbय दे ख पड़ता है । 6 उस ने समुि को सूखी भूिम कर डाला; वे महानद म से पांव पावं पार उतरे । वहां हम उसके कारण आन'(दत हुए, 7 जो पराबम से सवOदा ूभुता करता है , और अप क आंखHसे जाित जाित को ताकता है । हठqले अपके िसर न उठाएं।। 8 हे दे श दे श के लोगो, हमारे परमे र को ध(य कहो, और उसक ःतुित म राग उठाओ, 9 जो हम को जीवत रखता है ; और हमारे पांव को टलने नह:ं दे ता। 10 यHक हे परमे र तू ने हम को जांचा; तू ने हम चा(द: क नाL ताया था। 11 तू ने हम को जाल म

फंसाया; और हमार: कट पर भार: बोझ बा(धा था; 12 तू ने घुड़चढ़Hको हमारे िसरHके ऊपर से चलाया, हम आग और जल से होकर गए; पर(तु तू ने हम को उबार के सुख से भर दया है ।। 13 मE होमबिल लेकर तेरे भवन म आंऊंगा मE उन म(नतHको ते रे िलथे पूर: कRंगा, 14 जो मE ने मुह ं खोलकर मानीं, और संकट के समय कह: थीं। 15 मE तुझे मोटे पशुओं के होमबिल, म ढ़Hक चबh के धूप समेत चढ़ऊंगा; मE बकरHसमेत बैल चढ़ाऊंगा।। 16 हे परमे र के सब डरवैयHआकर सुनो, मE बताऊंगा क उस ने मेरे िलथे या या कया है । 17 मE ने उसको पुकारा, और उसी का गुणानुवाद मुझ से हुआ। 18 यद मE मन म अनथO बात सोचता तो ूभु मेर: न सुनता। 19 पर(तु परमे र ने तो सुना है ; उस ने मेर: ूाथOना क ओर

~यान दया है ।। 20 ध(य है परमे र, 'जस ने न तो मेर: ूाथOना अनसुनी क, और न मुझ से अप क कRणा दरू कर द: है ! भजन संहता 67 1 परमे र हम पर अनुमह करे और हम को आशीष दे ; वह हम पर अपके मुख को ूकाश चमकाए 2 'जस से तेर: गित €वी पर, और तेरा कया हुआ उkार सार: जाितयHम जाना जाए। 3 हे परमे र, दे श दे श के लोग तेरा ध(यवाद कर ; दे श दे श के सब लोग तेरा ध(यवाद कर ।। 4 राGय राGय के लोग आन(द कर , और जयजयकार कर , यHक तू दे श दे श के लHगHका (याय धमO से करे गा, और पृवी के राGय राGय के लोगHक अगुवाई करे गा।। 5 हे परमे र, दे श दे श के लोग तेरा ध(यवाद कर ; दे श दे श के सब लोग तेरा ध(यवाद कर ।। 6 भूिम ने अप क उपज द: है , परमे र जो हमारा परमे र है , उस ने हम आशीष द: है । 7 परमे र हम को आशीष दे गा; और पृवी के दरू दरू दे शHके सब लोग उसका भय मान गे।। भजन संहता 68 1 परमे र उठे , उसके शऽु ितर बतर हH; और उसके बैर: उसके साSहने से भाग जाएं। 2 जैसे धुआं उड़ जाता है , वैसे ह: तू उनको उड़ा दे ; जैसे मोम आग क आंच से पघल जाता है , वैसे ह: द ु लोग परमे र क उप'ःथित से नाश हH। 3 पर(तु धमh आन'(दत हH; वे परमे र के साSहने ूफु'`लत हH; वे आन(द से मगन हH! 4 परमे र का गीत गाओ, उसके नाम का भजन गाओ; जो िनजOल दे शHम सवार

होकर चलता है , उसके िलथे सड़क बनाओ; उसका नाम याह है , इसिलथे तुम उसके साSहने ूफु'`लत हो! 5 परमे र अपके पवऽा धाम म , अनाथHका पता और वधवाओं का (यायी है । 6 परमे र अनाथHका घर बसाता है ; और ब(धुओं को छुड़ाकर भाbयवान करता है ; पर(तु हठqलHको सूखी भूिम पर रहना पड़ता है ।। 7 हे परमे र, जब तू अप क ूजा के आगे आगे चलता था, जब तू िनजOल भूिम म सेना समेत चला, 8 तब पृवी कांप उठq, और आकाश भी परमे र के साSहने टपकने लगा, उधर सीनै पवOत परमे र, हां इॐाएल के परमे र के साSहने कांप उठा। 9 हे परमे र, तू ने बहुत से वरदान बरसाए; तेरा िनज भाग तो बहुत सूखा था, पर(तू तू ने उसको हरा भरा कया है ; 10 तेरा झु+ड उस म बसने लगा; हे परमे र तू ने अप क भलाई से द:न जन के िलथे तैयार: क है । 11 ूभु आWा दे ता है , तब शुभ समाचार सुनानेवािलयHक बड़: सेना हो जाती है । 12 अप क अप क सेना समेत राजा भागे चले जाते हE , और गृह'ःथन लूट को बांट लेती है । 13 या तुम भेड़शालHके बीच लेट जाओगे? और ऐसी कबूतर: के समान होगे 'जसके पंख चा(द: से और 'जसके पर पीले सोने से मढ़े हुए हH? 14 जब सवOशfमान ने उस म राजाओं को ितर बतर कया, तब मानो स`मोन पवOत पर हम पड़ा।। 15 बाशान का पहाड़ परमे र का पहाड़ है ; बाशान का पहाड़ बहुत िशखरवाला पहाड़ है । 16 पर(तु हे िशखरवाले पहाड़H, तुम यHउस पवOत को घूरते हो, 'जसे परमे र ने अपके वास के िलथे चाहा है , और जहां यहोवा सदा वास कए रहे गा? 17 परमे र के रथ बीस हजार, वरन हजारHहजार हE ; ूभु उनके बीच म है , जैसे वह सीनै पवऽाःथान म है । 18 तू ऊंचे पर चढ़ा, तू लोगHको ब(धुवाई म ले गया; तू ने मनुंयHसे, वरन हठqले मनुंयHसे भी भ ट लीं, 'जस से याह

परमे र उन म वास करे ।। 19 ध(य है ूभु, जो ूित दन हमारा बोझ उठाता है ; वह: हमारा उaारकताO ई र है । 20 वह: हमारे िलथे बचानेवाला ई र ठहरा; यहोवा ूभु मृयु से भी बचाता है ।। 21 िन_य परमे र अपके शऽुओं के िसर पर, और जो अधमO के माOग पर चलता रहता है , उसके बाल भरे चHड पर मार मार के उसे चूर करे गा। 22 ूभु ने कहा है , क मE उ(ह बाशान से िनकाल लाऊंगा, मE उनको गहरे सागर के तल से भी फेर ले आऊंगा, 23 क तू अपके पांव को लोहू म

डु बोए, और तेरे शऽु तेरे कुHका भाग ठहर ।। 24 हे परमशॆवर तेर: गित दे खी गई, मेरे ई र, मेरे राजा क गित पवऽाःथान म दखाई द: है ; 25 गानेवाले आगे आगे और तारवाले बाजHके बजानेवाले पीछे पीछे गए, चारHओर कुमाgरयां डफ बजाती थीं। 26 सभाओं म परमे र का, हे इॐाएल के सोते से िनकले हुए लोगH, ूभु का ध(यवाद करो। 27 वहां उनको अ~यœ छोटा ब(यामीन है , वहां यहूदा के हाकम अपके अनुचरHसमेत हE , वहां जबूलन ू और नTाली के भी हाकम हE ।। 28 तेरे परमे र ने आWा द:, क तुझे सामयO िमले; हे परमे र जो कुछ तू ने हमारे िलथे कया है , उसे lढ़ कर। 29 तेरे म'(दर के कारण जो यRशलेम म हE , राजा तेरे िलथे भ ट ले आएंगे। 30 नरकटHम रहनेवाले बनैले पशुओं को, सांड़Hके झु+ड को और दे श दे श के बछड़Hको 'झड़क दे । वे चा(द: के टु कड़े िलथे हुए ूणाम कर गे; जो लोगे युa से ूस(न रहते हE , उनको उस ने िततर बतर कया है । 31 िम से रईस आएंगे; कूशी अपके हाथHको परमे र क ओर फुतh से फैलाएंगे।। 32 हे पृवी पर के राGय राGय के लोगHपरमे र का गीत गाओ; ूभु का भजन गाओ, 33 जो सब से ऊंचे सनातन ःवगO म सवार होकर चलता है ; दे खो वह अप क वाणी सुनाता है , वह गSभीर वाणी शfशाली है । 34 परमशॆवर क

सामयO क ःतुित करो, उसका ूताप इॐाएल पर छाया हुआ है , और उसक सामयO आकाशम+डल म है । 35 हे परमे र, तू अपके पवऽाःथानHम भययोbय है , इॐाएल का ई र ह: अप क ूजा को सामयO और शf का दे नेवाला है । परमे र ध(य है ।। भजन संहता 69 1 हे परमे र, मेरा उaार कर, मE जल म डू बा जाता हूं। 2 मE बड़े दलदल म धसा जाता हंू , और मेरे पैर कह:ं नह:ं Rकते ; मE गहरे जल म आ गया, और धारा म

डू बा जाता हंू । 3 मE पुकारते पुकारते थक गया, मेरा गला सूख गया है ; अपके परमे र क बाट जोहते जोहते, मेर: आंखे रह गई हE ।। 4 जो अकारण मेरे बैर: हE , वे िगनती म मेरे िसर के बालHसे अिधक हE ; मेरे वनाश करनेवाले जो eयथO मेरे शऽु हE , वे सामथž हE , इसिलथे जो मE ने लूटा नह:ं वह भी मुझ को दे ना पड़ा है । 5 हे परमे र, तू तो मेर: मूढ़ता को जानता है , और मेरे दोष तुझ से िछपे नह:ं हE ।। 6 हे ूभु, हे सेनाओं के यहोवा, जो तेर: बाट जोहते हE , उनक आशा मेरे कारण न टू टे ; हे इॐाएल के परमे र, जो तुझे ढू ं ढते हE उनका मुह ं मेरे कारण काला न हो। 7 तेरे ह: कारण मेर: िन(दा हुई है , और मेरा मुह ं लGजा से ढं पा है । 8 मE अपके भाइयHके साSहने अजनबी हुआ, और अपके सगे भाइयHक l म परदे शी ठहरा हंू ।। 9 यHक मE तेरे भवन के िनिम जलते जलते भःम हुआ, और जो िन(दा वे तेर: करते हE , वह: िन(दा मुझ को सहनी पड़: है । 10 जब मE रोकर और उपवास करके द:ु ख उठाता था, तब उस से भी मेर: नामधराई ह: हुई। 11 और जब मE टाट का व\ा पहने था, तब मेरा lा(त उन म चलता था। 12 फाटक के पास बैठनेवाले

मेरे वषय बातचीत करते हE , और मदरा पीनेवाले मुझ पर लगता हुआ गीत गाते हE । 13 पर(तु हे यहोवा, मेर: ूाथOना तो तेर: ूस(नता के समय म हो रह: है ; हे परमे र अप क कRणा क बहुतायात से, और बचाने क अप क स.ची ूितWा के अनुसार मेर: सुन ले। 14 मुझ को दलदल म से उबार, क मE धंस न जाऊं; मE अपके बैgरयHसे, और गहरे जल म से बच जाऊं। 15 मE धारा म डू ब न जाऊं, और न मE गहरे जल म डू ब मRं, और न पाताल का मुह ं मेरे ऊपर ब(द हो।। 16 हे यहोवा, मेर: सुन ले, यHक तेर: कRणा उम है ; अप क दया क बहुतायत के अनुसार मेर: ओर ~यान दे । 17 अपके दास से अपना मुह ं न मोड़; यHक मE संकट म हंू , फुतh से मेर: सुन ले। 18 मेरे िनकट आकर मुझे छुड़ा ले, मेरे शऽुओं से मुझ को छुटकारा दे ।। 19 मेर: नामधराई और लGजा और अनादर को तू जानता है : मेरे सब िोह: तेरे साSहने हE । 20 मेरा Ÿदय नामधराई के कारण फट गया, और मE बहुत उदास हंू । मE ने कसी तरस खानेवाले क आशा तो क, पर(तु कसी को न पाया, और शा'(त दे नेवाले ढू ं ढ़ता तो रहा, पर(तु कोई न िमला। 21 और लोगHने मेरे खाने के िलथे इ(िायन दया, और मेर: €यास बुझाने के िलथे मुझे िसरका पलाया।। 22 उनको भोजन उनके िलथे फ(दा हो जाए; और उनके सुख के समय जाल बन जाए। 23 उनक आंखHपर अ(धेरा छा जाए, ताक वे दे ख न सक ; और तू उनक कट को िनर(तर कंपाता रह। 24 उनके ऊपर अपना रोष भड़का, और तेरे बोध क आंच उनको लगे। 25 उनक छावनी उजड़ जाए, उनके डे रHम कोई न रहे । 26 यHक 'जसको तू ने मारा, वे उसके पीछे पके हE , और 'जनको तू ने घायल कया, वे उनक पीड़ा क चचाO करते हE । 27 उनके अधमO पर अधमO बढ़ा; और वे तेरे धमO को ूाT न कर । 28 उनका नाम जीवन क

पुःतक म से काटा जाए, और धिमOयHके संग िलखा न जाए।। 29 पर(तु मE तो द:ु खी और पीड़त हूं, इसिलथे हे परमे र तू मेरा उaार करके मुझे ऊंचे ःथान पर बैठा। 30 मE गीत गाकर तेरे नाम क ःतुित कRंगा, और ध(यवाद करता हुआ तेर: बड़ाई कRंगा। 31 यह यहोवा को बैल से अिधक, वरन सींग और खुरवाले बैल से भी अिधक भाएगा। 32 नॆ लोग इसे दे खकर आन'(दत हHगे, हे परमे र के खो'जयHतुSहारा मन हरा हो जाए। 33 यHक यहोवा दgरिHक ओर कान लगाता है , और अपके लोगHको जो ब(धुए हE तु.छ नह: जानता।। 34 ःवगO और पृवी उसक ःतुित कर , और समुि अपके सब जीव ज(तुओं समेत उसक ःतुित करे । 35 यHक परमे र िसरयोन का उaार करे गा, और यहूदा के नगरHको फर बसाएगा; और लोग फर वहां बसकर उसके अिध कारनेी हो जाएंगे। 36 उसके दासHको वंश उसको अपके भाग म पाएगा, और उसके नाम के ूे मी उस म वास कर गे।। भजन संहता 70 1 हे परमे र मुझे छुड़ाने के िलथे, हे यहोवा मेर: सहाथता करने के िलथे फुतh कर! 2 जो मेरे ूाण के खोजी हE , उनक आशा टू टे , और मुह ं काला हो जाए! जो मेर: हािन से ूस(न होते हE , वे पीछे हटाए और िनरादर कए जाएं। 3 जो कहते हE , आहा, आहा, वे अप क लGजा के मारे उलटे फेरे जाएं।। 4 'जतने तुझे ढू ं ढ़ते हE , वे सब तेरे कारण हषOत और आन'(दत हH! और जो तेरा उaार चाहते हE , वे िनर(तर कहते रह , क परमे र क बड़ाई हो। 5 मE तो द:न और दgरि हंू ; हे परमे र मेरे िलथे फुतh कर! तू मेरा सहाथक और छुड़ानेवाला है ; हे यहोवा

वलSब न कर! भजन संहता 71 1 हे यहोवा मE ते रा शरणागत हंू ; मेर: आशा कभी टू टने न पाए! 2 तू तो धमh है , मुझे छुड़ा और मेरा उaार कर; मेर: ओर कान लगा, और मेरा उaार कर! 3 मेरे िलथे सनातन काल क च=टान का धाम बन, 'जस म मE िनय जा सकूं; तू ने मेरे उaार क आWा तो द: है , यHक तू मेर: च=टान और मेरा गढ़ ठहरा है ।। 4 हे मेरे परमे र द ु के, और कुटल और बूर मनुंय के हाथ से मेर: रœा कर। 5 यHक हे ूभु यहोवा, मE तेर: ह: बाट जोहता आया हंू ; बचपन से मेरा आधार तू है । 6 मE गभO से िनकलते ह:, तुझ से सSभाला गया; मुझे मां क कोख से तू ह: ने िनकाला; इसिलथे मE िनय ते र: ःतुित करता रहूंगा।। 7 मE बहुतHके िलथे चमकार बना हूं; पर(तु तू मेरा lढ़ शरणःथान है । 8 मेरे मुह ं से तेरे गुणानुवाद, और दन भर तेर: शोभा का वणOन बहुत हुआ करे । 9 बुढ़ापे के समय मेरा याग न कर; जब मेरा बल घटे तब मुझ को छोड़ न दे । 10 यHक मेरे शऽु मेरे वषय बात करते हE , और जो मेरे ूाण क ताक म हE , वे आपस म यह सSमित करते हE , क 11 परमे र ने उसको छोड़ दया है ; उसका पीछा करके उसे पकड़ लो, यHक उसका कोई छुड़ानेवाला नह:ं।। 12 हे परमे र, मुझ से दरू न रह; हे मेरे परमे र, मेर: सहाथता के िलथे फुतh कर! 13 जो मेरे ूाण के वरोधी हE , उनक आशा टू टे और उनका अ(त हो जाए; जो मेर: हािन के अिभलाषी हE , वे नामधराई और अनादर म

गड़ जाएं। 14 मE तो िनर(तर आशा लगाए रहंू गा, और ते र: ःतुित अिधक अिधक करता जाऊंगा। 15 मE अपके मुह ं से तेरे धमO का, और ते रे कए हुए उaार का

वणOन दन भर करता रहंू गा, पर(तु उनका पूरा cयोरा जाना भी नह:ं जाता। 16 मE ूभु यहोवा के पराबम के कामHका वणOन करता हुआ आऊंगा, मE केवल तेरे ह: धमO क चचाO कया कRंगा।। 17 हे परमे र, तू तो मुझ को बचपन ह: से िसखाता आया है , और अब तक मE तेरे आ_यO कमJका ूचार करता आया हंू । 18 इसिलथे हे परमे र जब मE बूढ़ा हो जाऊं और मेरे बाल पक जाएं, तब भी तू मुझे न छोड़, जब तक मE आनेवाली पीढ़: के लोगHको ते रा बाहुबल और सब उप(न होनेवालHको तेरा पराबम सुनाऊं। 19 और हे परमे र, तेरा धमO अित महान है ।। तू 'जस ने महाकायO कए हE , हे परमेवर तेरे तु`य कौन है ? 20 तू ने तो हम को बहुत से कठन क दखाए हE पर(तु अब तू फर से हम को 'जलाएगा; और पृवी के गहरे गड़हे म से उबार लेगा। 21 तू मेर: बड़ाई को बढ़ाएगा, और फरकर मुझे शा'(त दे गा।। 22 हे मेरे परमे र, मE भी तेर: स.चाई को ध(यवाद सारं गी बजाकर गाऊंगा; हे इॐाएल के पवऽा मE वीणा बजाकर तेरा भजन गाऊंगा। 23 जब मE तेरा भजन गाऊंगा, तब अपके मुह ं से और अपके ूाण से भी जो तू ने बचा िलया है , जयजयकार कRंगा। 24 और मE तेरे धमO क चचाO दन भर करता रहंू गा; यHक जो मेर: हािन के अिभलाषी थे, उनक आशा टू ट गई और मुह ं काले हो गए हE ।। भजन संहता 72 1 हे परमे र, राजा को अपना िनयम बता, राजपुऽा को अपना धमO िसखला! 2 वह तेर: ूजा का (याय धमO से, और तेरे द: लोगHका (याय ठqक ठqक चुकाएगा। 3 पहाडHऔर पहाड़यHसे ूजा के िलथे, धमO के kारा शा'(त िमला करे गी 4 वह

ूजा के द:न लोगHका (याय करे गा, और दgरि लोगHको बचाएगा; और अ(धेर करनेवालHको चूर करे गा।। 5 जब तक सूयO और च(िमा बने रह गे तब तक लोग पीढ़:- पीढ़: तेरा भय मानते रह गे। 6 वह घास क खूंट: पर बरसनेवाले म ह, और भूिम सींचनेवाली झाड़यHके समान होगा। 7 उसके दनHम धमh फूले फल गे, और जब तक च(िमा बना रहे गा, तब तक शा'(त बहुत रहे गी।। 8 वह समुि से समुि तक और महानद से पृवी क छोर तक ूभुता करे गा। 9 उसके साSहने जंगल के रहनेवाले घुटने टे क गे, और उसके शऽु िम=ट: चाट गे। 10 तशhश और k:प k:प के राजा भ ट ले आएंगे, शेबा और सबा दोनHके राजा िeय पहंु चाएंगे। 11 सब राजा उसको द+डवत ् कर गे, जाित जाित के लोग उसके अधीन हो जाएंगे।। 12 यHक वह दोहाई दे नेवाले दgरि को, और द:ु खी और असहाथ मनुंय का उaार करे गा। 13 वह कंगाल और दgरि पर तरस खाएगा, और दgरिHके ूाणो को बचाएगा। 14 वह उनके ूाणHको अ(धेर और उपिव से छुड़ा लेगा; और उनका लोहू उसक l म अनमोल ठहरे गा।। 15 वह तो जीवत रहे गा और शेबा के सोने म से उसको दया जाएगा। लोग उसके िलथे िनय ूाथOना कर गे; और दन भर उसको ध(य कहते हर गे। 16 दे श म पहाड़Hक चोटयHपर बहुत से अ(न होगा; 'जसक बाल

लबानोन के दे वदाRओं क नाL झूम गी; और नगर के लोग घास क नाई लहलहाएंगे। 17 उसका नाम सदा सवOदा बना रहे गा; जब तक सूयO बना रहे गा, तब तक उसका नाम िनय नया होता रहे गा, और लोग अपके को उसके कारण ध(य िगन गे, सार: जाितयां उसको भाbयवान कह गी।। 18 ध(य है , यहोवा परमे र जो इॐाएल का परमे र है ; आ_यO कमO केवल वह: करता है । 19 उसका महमायुf नाम सवOदा ध(य रहे गा; और सार: पृवी उसक महमा से पgरपूणO

होगी। आमीन फर आमीन।। 20 ियशै के पुऽा दाऊद क ूाथOना समाT हुई।। भजन संहता 73 1 सचमुच इ\ाएल के िलथे अथाOत ् शुa मनवालHके िलथे परमे र भला है । 2 मेरे डग तो उखड़ना चाहते थे, मेरे डग फसलने ह: पर थे। 3 यHक जब मE द ु Hका कुशल दे खता था, तब उन घम'+डयHके वषय डाह करता था।। 4 यHक उनक मृयु म बेधनाएं नह:ं होतीं, पर(तु उनका बल अटू ट रहता है । 5 उनको दस ू रे मनुंयHक नाL क नह:ं होता; और और मनुंयHके समान उन पर वप नह:ं पड़ती। 6 इस कारण अहं कार उनके गले का हार बना है ; उनका ओढ़ना उपिव है । 7 उनक आंख चबž से झलकती हE , उनके मन क भवनाएं उम+डती हE । 8 वे ठ=ठा मारते हE , और द ु ता से अ(धेर क बात बोलते हE ; 9 वे ड:ंग मारते हE । वे मानHःवगO म बैठे हुए बोलते हE , और वे पृवी म बोलते फरते हE ।। 10 तौभी उसक ूजा इधर लौट आएगी, और उनको भरे हुए €याले का जल िमलेगा। 11 फर वे कहते हE , ई र कैसे जानता है ? या परमूधान को कुछ Wान है ? 12 दे खो, थे तो द ु लोग हE ; तौभी सदा सुभागी रहकर, धन सSप बटोरते रहते हE । 13 िन_य, मE ने अपके Ÿदय को eयथO शुa कया और अपके हाथHको िनदzषता म धोया है ; 14 यHक मE दन भर मार खाता आया हंू और ूित भोर को मेर: ताड़ना होती आई है ।। 15 यद मE ने कहा होता क मE ऐसा ह: कहंू गा, तो दे ख मE तेरे लड़कHक स(तान के साथ बूरता का eयवहार करता, 16 जब मE सोचने लगा क इसे मE कैसे समझूं, तो यह मेर: l म अित कठन समःया थी, 17 जब तक क मE ने ई र के पवऽा ःथान म जाकर उन लोगHके पgरणाम को न सोचा। 18

िन_य तू उ(ह फसलनेवाले ःथानHम रखता है ; और िगराकर सयानाश कर दे ता है । 19 अहा, वे œण भर म कैसे उजड़ गए हE ! वे िमट गए, वे घबराते घबराते नाश हो गए हE । 20 जैसे जागनेहारा ःव€न को तु.छ जानता है , वैसे ह: हे ूभु जब तू उठे गा, तब उनको छाया से समझकर तु.छ जानेगा।। 21 मेरा मन तो िचड़िचड़ा हो गया, मेरा अ(त:करण िछद गया था, 22 मE तो पशु सर:खा था, और समझता न था, मE ते रे संग रहकर भी, पशु बन गया था। 23 तौभी मE िनर(तर तेरे संग ह: था; तू ने मेरे दहने हाथ को पकड़ रखा। 24 तू सSमित दे ता हुआ, मेर: अगुवाई करे गा, और तब मेर: महमा करके मुझ को अपके पास रखेगा। 25 ःवगO म मेरा और कौन है ? ते रे संग रहते हुए मE पृवी पर और कुछ नह:ं चाहता। 26 मेरे Ÿदय और मन दोनHतो हार गए हE , पर(तु परमे र सवOदा के िलथे मेरा भाग और मेरे Ÿदय क च=टान बना है ।। 27 जो तुझ से दरू रहते हE वे तो नाश हHगे; जो कोई तेरे वRa eयिभचार करता है , उसको तू वनाश करता है । 28 पर(तु परमे र के समीप रहना, यह: मेरे िलथे भला है ; मE ने ूभु यहोवा को अपना शरणःथान माना है , 'जस से मE तेरे सब कामHको वणOन कRं।। भजन संहता 74 1 हे परमे र, तू ने हम यHसदा के िलथे छोड़ दया है ? तेर: कोपा'bन का धुआं तेर: चराई क भ ड़Hके वRa यHउठ रहा है ? 2 अप क म+डली को 'जसे तू ने ूाचीनकाल म मोल िलया था, और अपके िनज भाग का गोऽा होने के िलथे छुड़ा िलया था, और इस िसरयोन पवOत को भी, 'जस पर तू ने वास कया था, ःमारण कर! 3 अपके डग सनातन क खंडहर क ओर बढ़ा; अथाOत ् उन सब बुराइयHक

ओर जो शऽा◌ृ ने पवऽाःथान म कए हE ।। 4 तेरे िोह: तेरे सभाःथान के बीच गरजते रहे हE ; उ(हHने अप क ह: ~वजाओं को िच(ह ठहराया है । वे उन मनुंयHके समान थे 5 जो घने वन के पे ड़Hपर कु`हाड़े चलाते हE । 6 और अब वे उस भवन क न काशी को, कु`हाडयHऔर हथौड़Hसे बलकुल तोड़े डालते हE । 7 उ(हHने तेरे पवऽाःथान को आग म झHक दया है , और ते रे नाम के िनवास को िगराकर अशुa कर डाला है । 8 उ(हHने मन म कहा है क हम इनको एकदक दबा द ; उ(हHने इस दे श म ई र के सब सभाःथानHकHफूंक दया है ।। 9 हम को हमारे िनशान नह:ं दे ख पड़ते; अब कोई नबी नह:ं रहा, न हमारे बीच कोई जानता है क कब तक यह दशा रहे गी। 10 हे परमे र िोह: कब तक नामधराई करता रहे गा? या शऽु, ते रे नाम क िन(दा सदा करता रहे गा? 11 तू अपना दहना हाथ यHरोके रहता है ? उसे अपके पांजर से िनकाल कर उनका अ(त कर दे ।। 12 परमे र तो ूाचीनकाल से मेरा राजा है , वह पृवी पर उaार के काम करता आया है । 13 तू ने अप क शf से समुि को दो भाग कर दया; तू ने जल म

मगरम.छHके िस कH फोड़ दया। 14 तू ने तो िलeयातानHके िसर टु कड़े टु कड़े करके जंगली ज(तुओं को 'खला दए। 15 तू ने तो सोता खोलकर जल क धारा बहाई, तू ने तो बारहमासी नदयHको सुखा डाला। 16 दन तेरा है रात भी तेर: है ; सूयO और च(िमा को तू ने 'ःथर कया है । 17 तू ने तो पृवी के सब िसवानHको ठहराया; धूपकाल और जाड़ा दोनHतू ने ठहराए हE ।। 18 हे यहोवा ःमरण कर, क शऽु ने नामधराई ह: है , और मूढ़ लोगHने ते रे नाम क िन(दा क है । 19 अप क प+डु क के ूाण को वनपशु के वश म न कर; अपके द: जनHको सदा के िलथे न भूल 20 अप क वाचा क सुिध ले; यHक दे श के अ(धेरे ःथान अयाचार के

घरHसे भरपूर हE । 21 पसे हुए जन को िनरादर होकर लौटना न पके; द:न दgरि लोग तेरे नाम क ःतुित करने पाएं।। 22 हे परमे र उठ, अपना मुक मा आप ह: लड़; ते र: जो नामधराई मूढ़ से दन भर होती रहती है , उसे ःमरण कर। 23 अपके िोहयHका बड़ा बोल न भूल, तेरे वरोिधयHको कोलाहल तो िनर(तर उठता रहता है । भजन संहता 75 1 हे परमे र हम तेरा ध(यवाद करते, हम तेरा नाम ध(यवाद करते हE ; यHक तेरा नाम ूगट हुआ है , तेरे आ_यOकमJका वणOन हो रहा है ।। 2 जब ठqक समय आएगा तब मE आप ह: ठqक ठqक (याय कRंगा। 3 पृवी अपके सब रहनेवालHसमेत गल रह: है , मE ने उसके खSभHको 'ःथर कर दया है । 4 मE ने घमंडयHसे कहा, घमंड मत करो, और द ु Hसे, क सींग ऊंचा मत करो; 5 अपना सींग बहुत ऊंचा मत करो, न िसर उठाकर ढठाई क बात बोलो।। 6 यHक बढ़ती न तो पूरब से न प'.छम से, और न जंगल क ओर से आती है ; 7 पर(तु परमे र ह: (यायी है , वह एक को घटाता और दस ू रे को बढ़ाता है । 8 यहोवा के हाथ म एक कटोरा है , 'जस म का दाखमधु झागवाला है ; उस म मसाला िमला है , और वह उस म से उं डे लता है , िन_य उसक तलछट तक पृवी के सब l लोग पी जाएंगे।। 9 पर(तु मE तो सदा ूचार करता रहंू गा, मE याकूब के परमे र का भजन गांऊगा। 10 द ं ा, पर(तु धमh के सींग ऊंचे ु Hके सब सींगHको मE काट डालूग कए जाएंगे। भजन संहता 76

1 परमे र यहूदा म जाना गया है , उसका नाम इॐाएल म महान हुआ है । 2 और उसका म+डप शालेम म , और उसका धाम िसरयोन म है । 3 वहां उस ने चमचमाते तीरHको, और ढाल ओर तलवार को तोड़कर, िनदान लड़ाई ह: को तोड़ डाला है ।। 4 हे परमे र तू तो Gयोितमय है ; तू अहे र से भरे हुए पहाड़Hसे अिधक उम और महान है । 5 lढ़ मनवाले लुट गए, और भर: नींद म पके हE ; 6 और शूरवीरHम से कसी का हाथ न चला। हे याकूब के परमे र, ते र: घुड़क से, रथHसमेत घोड़े भार: नींद म पके हE । 7 केवल तू ह: भययोbय है ; और जब तू बोध करने लगे, तब ते रे साSहने कौन खड़ा रह सकेगा? 8 तू ने ःवगO से िनणOय सुनाया है ; पृवी उस समय सुनकर डर गई, और चुप रह:, 9 जब परमे र (याय करने को, और पृवी के सब नॆ लोगHका उaार करने को उठा।। 10 िन_य मनुंय क जलजलाहट तेर: ःतुित का कारण हो जाएगी, और जो जलजलाहट रह जाए, उसको तू रोकेगा। 11 अपके परमे र यहोवा क म(नत मानो, और पूर: भी करो; वह जो भय के योbय है , उसके आस पास के सब उसके िलथे भ ट ले आएं। 12 वह तो ूधानHका अिभमान िमटा दे गा; वह पृवी के राजाओं को भययोbय जान पड़ता है ।। भजन संहता 77 1 मE परमे र क दोहाई िच`ला िच`लाकर दं ग ू ा, मE परमे र क दोहाई दं ग ू ा, और वह मेर: ओर कान लगाएगा। 2 संकट के दन मE ूभु क खोज म लगा रहा; रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढ:ला न हुआ, मुझ म शांित आई ह: नह:ं। 3 मE परमे र का ःमरण कर करके कहरता हंू ; मE िच(ता करते करते मूिछO त हो चला

हंू । (सेला) 4 तू मुझे झप क लगने नह:ं दे ता; मE ऐसा घबराया हंू क मेरे मुह ं से बात नह:ं िनकलती।। 5 मE ूाचीनकाल के दनHको, और युग युग के वषJको सोचा है । 6 मE रात के समय अपके गीत को ःमरण करता; और मन म ~यान करता हंू , और मन म भली भांित वचार करता हंू : 7 या ूभु युग युग के िलथे छोड़ दे गा; और फर कभी ूस(न न होगा? 8 या उसक कRणा सदा के िलथे जाती रह:? या उसका वचन पीढ़: पीढ़: के िलथे िनंफल हो गया है ? 9 या ई र अनुमह करना भूल गया? या उस ने बोध करके अप क सब दया को रोक रखा है ? (सेला) 10 मैने कहा यह तो मेर: दब ु Oलता ह: है , पर(तु मE परमूधान के दहने हाथ के वषJको वचारता हंू ।। 11 मE याह के बड़े कामHक चचाO कRंगा; िन_य मE तेरे ूाचीनकालवाले अ›त ु कामHको ःमरण कRंगा। 12 मE तेरे सब कामHपर ~यान कRंगा, और तेरे बड़े कामHको सोचूग ं ा। 13 हे परमे र ते र: गित पवऽाता क है । कौन सा दे वता परमे र के तु`य बड़ा है ? 14 अ›त ु काम करनेवाला ई र तू ह: है , तू ने अपके दे श दे श के लोगHपर अप क शf ूगट क है । 15 तू ने अपके भुजबल से अप क ूजा, याकूब और यूसफ ु के वंश को छुड़ा िलया है ।। (सेला) 16 हे परमे र समुि ने तुझे दे खा, समुि तुझे दे खकर ड़र गया, गहरा सागर भी कांप उठा। 17 मेघHसे बड़: वषाO हुई; आकाश से शcद हुआ; फर ते रे तीर इधर उधर चले। 18 बवणडर म तेरे गरजने का शcद सुन पड़ा था; जगत बजली से ूकािशत हुआ; पृवी कांपी और हल गई। 19 तेरे मागO समुि म है , और तेरा राःता गहरे जल म हुआ; और तेरे पांवHके िच(ह मालम नह:ं होते। 20 तू ने मूसा और हाRन के aारा, अप क ूजा क अगुवाई भेड़Hक सी क।। भजन संहता 78

1 हे मेरे लागो, मेर: िशœा सुनो; मेरे वचनHक ओर कान लगाओ! 2 मE अपना मूह ं नीितवचन कहने के िलथे खोलूग ं ा; मE ूाचीकाल क गुT बात कहूंगा, 3 'जन बातHको हम ने सुना, ओर जान िलया, और हमारे बाप दादHने हम से वणOन कया है । 4 उ(हे हम उनक स(तान से गुT न रख ग , पर(तु होनहार पीढ़: के लोगHसे, यहोवा का गुणानुवाद और उसक सामथO और आ_यOकमJका वणOन कर ग ।। 5 उस ने तो याकूब म एक िचतौनी ठहराई, और इ\ाएल म एक eयवःथा चलाई, 'जसके वषय उस ने हमारे पतरHको आWा द:, क तुम इ(हे अपके अपके लड़केवालHको बताना; 6 क आनेवाली पीढ़: के लोग, अथाOत जो लड़केवाले उप(न होनेवाले हE , वे इ(हे जान ; और अपके अपके लड़केवालHसे इनका बखान करने म उrत हH, 'जस से वे परमे र का आ\ा रख , 7 और ई र के बड़े कामHको भूल न जाएं, पर(तु उसक आWाओं का पालन करते रह ; 8 और अपके पतरHके समान न हH, यHक उस पीढ़: के लोग तो हठqले और झगड़ालू थे, और उ(हHने अपना मन 'ःथर न कया था, और न उनक आमा ई र क ओर स.ची रह:।। 9 एूेमयHने तो श\ाधार: और धनुधाOर: होने पर भी, यु¡ठ के समय पीठ दखा द:। 10 उ(हो ने परमे र क वाचा पूर: नह:ं क, और उसक eयवःथा पर चलने से इनकार कया। 11 उ(हो ने उसके बड़े कामHको और जो आ_यOकमO उस ने उनके साSहने कए थे, उनको भुला दया। 12 उस ने तो उनके बापदादHके सSमुख िम\ा दे श के सोअन के मैदान म अ›त ु कमO कए थे। 13 उस ने समुि को दो भाग करके उ(हे पार कर दया, और जल को ढ़े र क नाई खड़ा कर दया। 14 और उस ने दन को बादल के खSभHसे और रात भर अ'bन के ूकाश के aारा उनक अगुवाई क। 15 वह जंगल म च=टान फाड़कर, उनको मानो गहरे

जलाशयHसे मनमाने पलाता था। 16 उस ने च=टान से भी धाराएं िनकालीं और नदयHका सा जल बहाथा।। 17 तौभी वे फर उसके वRa अिघक पाप करते गए, और िनजOल दे श म परमूधान के वRa उठते रहे । 18 और अप क चाह के अनुसार भोजन मांगकर मन ह: मन ई र क प कœा क। 19 वे परमे र के वRa बोले, और कहने लगे, या ई र जंगल म मेज लगा सकता है ? 20 उस ने च=टान पर मारके जल बहा तो दया, और धाराएं उम+ड़ च क, पर(तु या वह रोट: भी दे सकता है ? या वह अप क ूजा के िलथे मांस भी तैयार कर सकता? 21 यहोवा सुनकर बोध से भर गया, तब याकूब के बीच आग लगी, और इ\ाएल के वRa बोध भड़का; 22 इसिलए क उ(हHने परमे र पर व ास नह:ं रखा था, न उसक उ¡ठार करने क शf पर भरोसा कया। 23 तौभी उस ने आकाश को आWा द:, और ःवगO के ¡ठारHको खोला; 24 और उनके िलथे खाने को मान बरसाया, और उ(हे ःवगO का अ(न दया। 25 उनको शूरवीरHक सी रोट: िमली; उस ने उनको मनमाना भोजन दया। 26 उस ने आकाश म पुरवाई को चलाया, और अप क शf से द' खनी बहाई; 27 और उनके िलथे मांस धूिल क नाई बहुत बरसाया, और समुि के बालू के समान अनिगिनत पœी भेजे; 28 और उनक छावनी के बीच म , उनके िनवासHके चारHओर िगराए। 29 और वे खाकर अित तृT हुए, और उस ने उनक कामना पूर: क। 30 उनक कामना बनी ह: रह:, उनका भोजन उनके मुह ं ह: म था, 31 क परमे र का बोध उन पर भड़का, और उस ने उनके हपुHको घात कया, और इ\ाएल के जवानHको िगरा दया।। 32 इतने पर भी वे और अिधक पाप करते गए; और परमे र के आ_यOकमJक ूतीित न क। 33 तब उस ने उनके दनHको eयथO ौम म , और उनके वषJको

धबराहट म कटवाया। 34 जब जब वह उ(हे घात करने लगता, तब तब वे उसको पूछते थे; और फरकर ई र को य^ से खोजते थे। 35 और उनको ःमरण होता था क परमे र हमार: च=टान है , और परमूधान ई र हमारा छुड़ानेवाला है । 36 तौभी उ(हHने उस से चापलूसी क; वे उस से झूठ बोले। 37 यHक उनका —दय उसक ओर lढ़ न था; न वे उसक वाचा के वषय स.चे थे। 38 पर(तु वह जो दयालु है , वह अधमO को ढांपता, और नाश नह:ं करता; वह बारबार अपके बोध को ठ+डा करता है , और अप क जलजलाहट को पूर: र:ित से भड़कने नह:ं दे ता। 39 उसको ःमरण हुआ क थे नाशमान हE , थे वायु के समान हE जो च क जाती और लौट नह:ं आती। 40 उ(हHने कतनी ह: बार जंगल म उस से बलवा कया, और िनजOल दे श म उसको उदास कया! 41 वे बारबार ई र क प कœा करते थे, और इ\ाएल के पवऽा को खेदत करते थे। 42 उ(होने न तो उसका भुजबल ःमरण कया, न वह दन जब उस ने उनको िोह: के वश से छुड़ाया था; 43 क उस ने यHकर अपके िच(ह िम\ा म , और अपके चमकार सोअन के मैदान म

कए थे। 44 उस ने तो िम'\यHक नहरHको लोहू बना डाला, और वे अप क नदयHका जल पी न सके। 45 उस ने उनके बीच म डांस भेजे 'ज(हHने उ(हे काट खाया, और म ढक भी भेजे, 'ज(हHने उनका बगाड़ कया। 46 उस ने उनक भूिम क उपज कड़Hको, और उनक खेतीबार: ट]डयHको 'खला द: थी। 47 उस ने उनक दाखलताओं को ओेलHसे, और उनके गूलर के पेड़Hको बड़े बड़े पा बरसाकर नाश कया। 48 उस ने उनके पशुओं को ओलHसे, और उनके ढोरHको बजिलयHसे िमटा दया। 49 उस ने उनके ऊपर अपना ूचणड बोध और रोष भड़काया, और उ(हे संकट म डाला, और दख ु दाई दत ू Hका दल भेजा। 50 उस ने

अपके बोध का मागO खोला, और उनके ूाणHको मृयु से न बचाया, पर(तु उनको मर: के वश म कर दया। 51 उस ने िम\ा के सब पहलौठHको मारा, जो हाम के डे रHम पौRष के पहले फल थे; 52 पर(तु अप क ूजा को भेड़- बकgरयHक नाई पयान कराया, और जंगल म उनक अगुवाई पशुओं के झु+ड क सी क। 53 तब वे उसके चलाने से बेखटके चले और उनको कुछ भय न हुआ, पर(तु उनके शऽु समुि म डू ब गए। 54 और उस ने उनको अपके पवऽा दे श के िसवाने तक, इसी पहाड़: दे श म पहंु चाया, जो उस ने अपके दहने हाथ से ूाT कया था। 55 उस ने उनके साSहने से अ(यजाितयHको भगा दया; और उनक भूिम को डोर: से माप मापकर बांट दया; और इ\ाएल के गोऽHको उनके डे रHम बसाया।। 56 तौभी उ(होने परमूधान परमे र क प कœा क और उस से बलवा कया, और उसक िचतौिनयHको न माना, 57 और मुड़कर अपके पुरखाओं क नाई व ासघात कया; उ(हHने िनकSमे धनुष क नाई धोखा दया। 58 यHक उ(हHने ऊंचे ःथान बनाकर उसको gरस दलाई, और खुद: हुई मुितOयHके kारा उस म जलन उपजाई। 59 परमे र सुनकर रोष से भर गया, और उस ने इ\ाएल को बलकुल तज दया। 60 उस ने शीलो के िनवास, अथाOत ् उस तSबु को जो उस ने मनुंयHके बीच खडा कया था, याग दया, 61 और अप क सामथO को ब(धुआई म जाने दया, और अप क शोभा को िोह: के वश म कर दया। 62 उस ने अप क ूजा को तलवार से मरवा दया, और अपके िनज भाग के लोगHपर रोष से भर गया। 63 उन के जवान आग से भःम हुए, और उनक कुमाgरयHके ववाह के गीत न गाए गए। 64 उनके याजक तलवार से मारे गए, और उनक वधवाएं रोने न पाई। 65 तब ूभु मानो नींद से चxक उठा, और ऐसे

वीर के समान उठा जो दाखमधु पीकर ललकारता हो। 66 और उस ने अपके िोहयHको मारकर पीछे हटा दया; और उनक सदा क नामधराई कराई।। 67 फर उस ने यूसफ ु के त€बु को तज दया; और एूैम के गोऽा को न चुना; 68 पर(तु यहूदा ह: के गोऽा को, और अपके ूय िसरयोन पवOत को चुन िलया। 69 उस ने अपके पवऽाःथान को बहुत ऊंचा बना दया, और पृवी के समान 'ःथर बनाया, 'जसक नेव उस ने सदा के िलथे डाली है । 70 फर उसने अपके दास दाऊद को चुनकर भेड़शालाओं म से ले िलया; 71 वह उसको ब.चेवाली भेड़Hके पीछे पीछे फरने से ले आया क वह उसक ूजा याकूब क अथाOत उसके िनज भाग इ\ाएल क चरवाह: करे । 72 तब उस ने खरे मन से उनक चरवाह: क, और अपके हाथ क कुशलता से उनक अगुवाई क।। भजन संहता 79 1 हे परमे र अ(यजाितयां तेरे िनज भग म घुस आई; उ(हHने ते◌ेरे पवऽा म'(दर को अशु¡ठ कया; और यRशलेम को खंडहर कर दया है । 2 उ(हHने तेरे दासHक लोथHको आकाश के प'œयHका आहार कर दया, और तेरे भfHका मांस वनपशुओ को 'खला दया है । 3 उ(हHने उनका लोहू यRशलेम के चारHओर जल क नाई बहाथा, और उनको िम=ट: दे नेवाला कोई न था। 4 पड़ोिसयHके बीच हमार: नामधराई हुई; चारHओर के रहनेवाले हम पर हं सते , और ठ=ठा करते हE ।। 5 हे यहोवा, तू कब तक लगातार बोध करता रहे गा? तुझ म आग क सी जलन कब तक भड़कती रहे गी? 6 जो जाितयां तुझ को नह:ं जानती, और 'जन राGयHके लोग तुझ से ूाथOना नह:ं करते, उ(ह: पर अप क सब जलजलाहट भड़का! 7

यHक उ(हHने याकूब को िनगल िलया, और उसके वासःथान को उजाड़ दया है । 8 हमार: हािन के िलथे हमारे पुरखाओं के अधमO के कामHको ःमरण न कर; तेर: दया हम पर शीय हो, यHक हम बड़: दद ु O शा म पके हE । 9 हे हमारे उ¡ठारकाO परमे र, अपके नाम क महमा के िनिमत हमार: सहाथता कर; और अपके नाम के िनिमत हम को छुड़ाकर हमारे पापHको ढांप दे । 10 अनयजाितयां यHकहने पाएं क उनका परमे र कहां रहा? अ(यजाितयHके बीच तेरे दासHके खून का पलटा लेना हमारे दे खते उ(ह मालूम हो जाए।। 11 ब(धुओं का कराहना तेरे कान तक पहंु चे; घात होनेवालHको अपके भुजबल के kारा बचा। 12 और हे ूभु, हमारे पड़ोिसयHने जो तेर: िन(दा क है , उसका सातगुणा बदला उनको दे ! 13 तब हम जो तेर: ूजा और तेर: चराई क भेड़ हE , ते रा ध(यवाद सदा करते रह गे; और पीढ़: से पीढ़: तक तेरा गुणानुवाद करते रह ग ।। भजन संहता 80 1 हे इ\ाएल के चरवाहे , तू जो यूसफ ु क अगुवाई भेड़Hक सी करता है , कान लगा! तू जो कRबHपर वराजमान है , अपना ते ज दखा! 2 एूैम, ब(यामीन, और मनँशे के साSहने अपना पराबम दखाकर, हमारा उ¡ठार करने को आ! 3 हे परमे र, हम को GयHके यHकर दे ; और अपके मुख का ूकाश चमका, तब हमारा उ¡ठार हो जाएगा! 4 हे सेनाओं के परमे र यहोवा, तू कब तक अप क ूजा क ूाथOना पर बोिधत रहे गा? 5 तू ने आंसओ ु ं को उनका आहार कर दया, और मटके भर भरके उ(ह आंसु पलाए हE । 6 तू हम हमारे पड़ोिसयHके झगड़ने का कारण कर दे ता है ; और हमारे शऽु मनमाने ठ=ठा करते हE ।। 7 हे सेनाओं के

परमे र, हम को GयHके यHकर दे ; और अपके मुख का ूकाश हम पर चमका, तब हमारा उ¡ठार हो जाएगा।। 8 तू िम से एक दाखलता ले आया; और अ(यजाितयHको िनकालकर उसे लगा दया। 9 तू ने उसके िलथे ःथान तैयार कया है ; और उस ने जड़ पकड़: और फैलकर दे श को भर दया। 10 उसक छाया पहाड़Hपर फैल गई, और उसक डािलयां ई र के दे वदारHके समान हुई; 11 उसक शाखाएं समुि तक बढ़ गई, और उसके अंकुर महानद तक फैल गए। 12 फर तू ने उसके बाड़Hको यHिगरा दया, क सब बटोह: उसके फलHको तोड़ते है ? 13 वनसूअर उसको नाश कए डालता है , और मैदान के सब पशु उसे चर जाते हE ।। 14 हे सेनाओं के परमे र, फर आ! ःवगO से ~यान दे कर दे ख, और इस दाखलता क सुिध ले, 15 थे पौधा तू ने अपके दहने हाथ से लगाया, और जो लता क शाखा तू ने अपके िलथे lढ़ क है । 16 वह जल गई, वह कट गई है ; तेर: घुड़क से वे नाश होते हE । 17 ते रे दहने हाथ के सSभाले हुअ पुRष पर तेरा हाथ रखा रहे , उस आदमी पर, 'जसे तू ने अपके िलथे lढ़ कया है । 18 तब हम लोग तुझ से न मुड़ गे: तू हम को 'जला, और हम तुझ से ूाथOना कर सक गे। 19 हे सेनाओं के परमे र यहोवा, हम को GयHका यHकर दे ! और अपके मुख का ूकाश हम पर चमका, तब हमारा उ¡ठार हो जाएगा! भजन संहता 81 1 परमे र जो हमारा बल है , उसका गीत आन(द से गाओ; याकूब के परमे र का जयजयकार करो! 2 भजन उठाओ, डफ और मधुर बजनेवाली वीणा और सारं गी को ले आओ। 3 नथे चाँद के दन, और पूणमासी को हमारे पवO के दन

नरिसंगा फुको। 4 यHक यह इ\ाएल के िलथे विध, और याकूब के परमे र का ठहराया हुआ िनयम है । 5 इसको उस ने यूसफ ु म िचतौनी क र:ित पर उस समय चलाया, जब वह िम\ दे श के वRa चला।। वहां मE ने एक अनजानी भाषा सुनी; 6 मE ने उनके क(धHपर से बोझ को उतार दया; उनका टोकर: ढोना छुट गया। 7 तू ने संकट म पड़कर पुकारा, तब मE ने तुझे छुड़ाया; बादल गरजने के गुT ःथान म से मE ने तेर: सुनी, और मर:बा नाम सोते के पास ते र: प कœा क। (सेला) 8 हे मेर: ूजा, सुन, मE तुझे िचता दे ता हंू ! हे इ\ाएल भला हो क तू मेर: सुने! 9 तेरे बीच म पराया ई र न हो; और न तू कसी पराए दे वता को दणडवत ् करना! 10 तेरा परमे र यहोवा मE हंू , जो तुझे िम\ दे श से िनकाल लाया है । तू अपना मुह ं पसार, मE उसे भर दं ग ू ा।। 11 पर(तु मेर: ूजा ने मेर: न सुनी; इ\ाएल ने मुझ को न चाहा। 12 इसिलथे मE ने उसको उसके मन के हठ पर छोड़ दया, क वह अप क ह: युfयHके अनुसार चले। 13 यद मेर: ूजा मेर: सुने, यद इ\ाएल मेरे मागJपर चले, 14 तो œण भर म उनके शऽुओं को दबाऊं, और अपना हाथ उनके िोहयHके वRa चलाऊं। 15 यहोवा के बैर: तो उस के वश म हो जाते, और वे सदाकाल बने रहते हE । 16 और वह उनको उम से उम गे हंू 'खलाता, और मE च=टान म के मधु से उनको तृT कRं।। भजन संहता 82 1 परमे र क सभा म परमे र ह: खड़ा है ; वह ई रHके बीच म (याय करता है । 2 तुम लोग कब तक टे ढ़ा (याय करते और द ु Hका पœ लेते रहोगे? 3 कंगाल और अनाथHका (याय चुकाओ, द:न दgरि का वचार धमO से करो। 4 कंगाल और

िनधOन को बचा लो; द ु Hके हाथ से उ(ह छुड़ाओ।। 5 वे न तो कुछ समझते और न कुछ बूझते हE , पर(तु अ(धेरे म चलते फरते रहते हE ; पृवी क पूर: नीव हल जाती है ।। 6 मE ने कहा था क तुम ई र हो, और सब के सब परमूधान के पुऽा हो; 7 तौभी तुम मनुंयHक नाई मरोगे, और कसी ूधान के समान िगर जाओगे ।। 8 हे परमे र उठ, पृवी का (याय कर; यHक तू ह: सब जाितयHको अपके भाग म लेगा! भजन संहता 83 1 हे परमे र मौन न रह; हे ई र चुप न रह, और न शांत रह! 2 यHक दे ख तेरे शऽु धूम मचा रहे हE ; और तेरे बैgरयHने िसर उठाया है । 3 वे चतुराई से ते र: ूजा क हािन क सSमित करते, और तेरे र'œत लोगHके वRa युfयां िनकालते हE । 4 उ(हHने कहा, आओ, हम उनको ऐसा नाश कर क राGय भी िमट जाए; और इ\ाएल का नाम आगे को ःमरण न रहे । 5 उ(हHने एक मन होकर युf िनकाली है , और तेरे ह: वRa वाचा बा(धी है । 6 थे तो एदोम के तSबूवाले और इँमाइली, मोआबी और हुमी, 7 गबाली, अSमोनी, अमालेक, और सोर समेत पिलँती हE । 8 इनके संग अँशूर: भी िमल गए हE ; उन से भी लोतवंिशयHको सहारा िमला है । 9 इन से ऐसा कर जैसा िमrािनयHसे, और कशोन नाले म

सीसरा और याबीन से कया था, जो ए(दोर म नाश हुए, 10 और भूिम के िलथे खाद बन गए। 11 इनके रईसHको ओरे ब और जाएब सर:खे, और इनके सब ूधानHको जेबह और स`मु(ना के समान कर दे , 12 'ज(हHने कहा था, क हम परमे र क चराइयHके अिध कारनेी आप ह: हो जाएं।। 13 हे मेरे परमे र

इनको बव(डर क धूिल, वा पवन से उड़ाए हुए भूसे के समान कर दे । 14 उस आग क नाई जो वन को भःम करती है , और उस लौ क नाई जो पहाड़Hको जला दे ती है , 15 तू इ(हे अप क आंधी से भाग दे , और अपके बव(डर से घबरा दे ! 16 इनके मुह ं को अित ल'Gजत कर, क हे यहोवा थे तेरे नाम को ढू ं ढ़ । 17 थे सदा के िलथे ल'Gजत और घबराए रह इनके मुह ं काले हH, और इनका नाश हो जाए, 18 'जस से यह जान क केवल तू 'जसका नाम यहोवा है , सार: पृवी के ऊपर परमूधान है ।। भजन संहता 84 1 हे सेनाओं के यहोवा, तेरे िनवास या ह: ूय हE ! 2 मेरा ूाण यहोवा के आंगनHक अिभलाषा करते करते मू'£छO त हो चला; मेरा तन मन दHनो जीवते ई र को पुकार रहे ।। 3 हे सेनाओं के यहोवा, हे मेरे राजा, और मेरे परमे र, तेर: वे दयHमे गौरै या ने अपना बसेरा और शूपाबेनी ने घHसला बना िलया है 'जस म

वह अपके ब.चे रखे। 4 या ह: ध(य हE वे, जो तेरे भवन म रहते हE ; वे तेर: ःतुित िनर(तर करते रह गे।। 5 या ह: ध(य है , वह मनुंय जो तुझ से शf पाता है , और वे 'जनको िसरयोन क सड़क क सुिध रहती है । 6 व रोने क तराई म जाते हुए उसको सोतHका ःथान बनाते हE ; फर बरसात क अगली वृ उसम आशीष ह: आशीष उपजाती है । 7 वे बल पर बल पाते जाते हE ; उन म से हर एक जन िसरयोन म परमे र को अपना मुह ं दखाएगा।। 8 हे सेनाओं के परमे र यहोवा, मेर: ूाथOना सुन, हे याकूब के परमे र, कान लगा! 9 हे परमे र, हे हमार: ढ़ाल, l कर; और अपके अिभषf का मुख दे ख! 10 यHक तेरे आंगनHम का एक

दन और कह:ं के हजार दन से उम है । द ु Hके डे रHम वास करने से अपके परमे र के भवन क डे वढ़: पर खड़ा रहना ह: मुझे अिधक भावता है । 11 यHक यहोवा परमे र सूयO और ढाल है ; यहोवा अनुमह करे गा, और महमा दे गा; और जो लोग खर: चाल चलते हE ; उन से वह कोई अ.छा पदाथO रख न छोड़े गा। 12 हे सेनाओं के यहोवा, या ह: ध(य वह मनुंय है , जो तुझ पर भरोसा रखता है ! भजन संहता 85 1 हे यहोवा, तू अपके दे श पर ूस(न हुआ, याकूब को ब(धुआई से लौटा ले आया है । 2 तू ने अप क ूजा के अधमO को œमा कया है ; और उसके सब पापHको ढांप दया है । 3 तू ने अपके रोष को शा(त कया है ; और अपके भड़के हुए कोप को दरू कया है ।। 4 हे हमारे उ¡ठारकाO परमे र हम को फेर, और अपना बोध हम पर से दरू कर! 5 या तू हम पर सदा कोपत रहे गा? या तू पीढ़: से पीढ़: तक कोप करता रहे गा? 6 या तू हम को फर न 'जलाएगा, क तेर: ूजा तुझ म आन(द करे ? 7 हे यहोवा अप क कRणा हम दखा, और तू हमारा उ¡ठार कर।। 8 मE कान लगाए रहूंगा, क ई र यहोवा या कहता है , वह तो अप क ूजा से जो उसके भf है , शा'(त क बात कहे गा; पर(तु वे फरके मूखOता न करने लग । 9 िन_य उसके डरवैयHके उ¡ठार का समय िनकट है , तब हमारे दे श म महमा का िनवास होगा।। 10 कRणा और स.चाई आपस म िमल गई हE ; धमO और मेल ने आपस म चुSबन कया हE । 11 पृवी म से स.चाई उगती और ःवगO से धमO झुकता है । 12 फर यहोवा उम पदाथO दे गा, और हमार: भूिम अप क उपज दे गी। 13 धमO उसके आगे आगे चलेगा, और उसके पांवHके िच(हHको हमारे िलथे

मागO बनाएगा।। भजन संहता 86 1 हे यहोवा कान लगाकर मेर: सुन ले, यHक मE द:न और दgरि हंू । 2 मेरे ूाण क रœा कर, यHक मE भf हंू ; तू मेरा परमे र है , इसिलथे अपके दास का, 'जसका भरोसा तुझ पर है , उ¡ठार कर। 3 हे ूभु मुझ पर अनुमह कर, यHक मE तुझी को लगातार पुकारता रहता हूं। 4 अपके दास के मन को आन'(दत कर, यHक हे ूभु, मE अपना मन तेर: ह: ओर लगाता हंू । 5 यHक हे ूभु, तू भला और œमा करनेवाला है , और 'जतने तुझे पुकारते हE उन सभHके िलथे तू अित कRणामय है । 6 हे यहोवा मेर: ूाथOना क ओर कान लगा, और मेरे िगड़िगड़ाने को ~यान से सुन। 7 संकट के दन मE तुझ को पुकाRंगा, यHक तू मेर: सुन लेगा।। 8 हे ूभु दे वताओं म से कोई भी तेरे तु`य नह:ं, और ने कसी के काम तेरे कामHके बराबर हE । 9 हे ूभु 'जतनी जाितयHको तू ने बनाया है , सब आकर तेरे साSहने दणडवत ् कर गी, और तेरे नाम क महमा कर गी। 10 यHक तू महान ् और आ_यOकमO करनेवाला है , केवल तू ह: परमे र है । 11 हे यहोवा अपना मागO मुझे दखा, तब मE ते रे सय मागO पर चलूग ं ा, मुझ को एक िच कर क मE तेरे नाम का भय मानू।ं 12 हे ूभु हे मेरे परमे र मE अपके सSपूणO मन से तेरा ध(यवाद कRंगा, और तेरे नाम क महमा सदा करता रहंू गा। 13 यHक तेर: कRणा मेरे ऊपर बड़: है ; और तू ने मुझ को अधोलोक क तह म जाने से बचा िलया है ।। 14 हे परमे र अिभमानी लोग तो मेरे वRa उठे हE , और बलाकाgरयHका समाज मेरे ूाण का खोजी हुआ है , और वे तेरा कुछ वचार नह:ं

रखते। 15 पर(तु ूभु दयालु और अनुमहकार: ई र है , तू वलSब से कोप करनेवाला और अित कRणामय है । 16 मेर: ओर फरकर मुझ पर अनुमह कर; अपके दास को तू शf दे , और अप क दासी के पुऽा का उ¡ठार कर।। 17 मुझे भलाई का कोई लœण दखा, 'जसे दे खकर मेरे बैर: िनराश हH, यHक हे यहोवा तू ने आप मेर: सहाथता क और मुझे शा'(त द: है ।। भजन संहता 87 1 उसक नेव पवऽा पवOतHम है ; 2 और यहोवा िसरयोन के फाटकHको याकूब के सारे िनवासHसे बढ़कर ूीित रखता है । 3 हे परमे र के नगर, तेरे वषय महमा क बात कह: गई हE । 4 मE अपके जान- पहचानवालHसे रहब और बाबेल क भी चचाO कRंगा; पिलँत, सोर और कूश को दे खो, यह वहां उप(न हुआ था। 5 और िसरयोन के वषय म यह कहा जाएगा, क अमुक अमुक मनुंय उस म उप(न हुआ था; और परमूधान आप ह: उसको 'ःथर रखेगा। 6 यहो◌ेवा जब दे श दे श के लोगHके नाम िलखकर िगन लेगा, तब यह कहे गा, क यह वहां उप(न हुआ था।। 7 गवैथे और नृतक दोनHकह गे क हमारे सब सोते तुझी म पाए जाते हE ।। भजन संहता 88 1 हे मेरे उ¡ठारकाO परमे र यहोवा, मE दन को और रात को तेरे आगे िच`लाता आया हंू । 2 मेर: ूाथOना तुझ तक पहंु चे, मेरे िच`लाने क ओर कान लगा! 3 यHक मेरा ूाण लेश म भरा हुआ है , और मेरा ूाण अधोलोक के िनकट पहुंचा है । 4 मE कबर म पड़नेवालHम िगना गया हंू ; मE बलह:न पुRष के समान हो गया

हंू । 5 मE मुदJके बीच छोड़ा गया हंू , और जो घात होकर कबर म पके हE , 'जनको तू फर ःमरण नह:ं करता और वे तेर: सहाथता रहत हE , उनके समान मE हो गया हंू । 6 तू ने मुझे गड़हे के तल ह: म , अ(धेरे और गहरे ःथान म रखा है । 7 तेर: जलजलाहट मुझी पर बनी हुई है , और तू ने अपके सब तरं गHसे मुझे द:ु ख दया है ; 8 तू ने मेरे पहचानवालHको मुझ से दरू कया है ; और मुझ को उनक l म

िघनौना कया है । मE ब(द: हूं और िनकल नह: सकता; 9 द:ु ख भोगते भोगते मेर: आंखे धु(धला गई। हे यहोवा मE लगातार तुझे पुकारता और अपके हाथ तेर: ओर फैलाता आया हंू । 10 या तू मुदJके िलथे अदभुत ् काम करे गा? या मरे लोग उठकर तेरा ध(यवाद कर गे? 11 या कबर म तेर: कRणा का, और वनाश क दशा म ते र: स.चाई का वणOन कया जाएगा? 12 या ते रे अदभुत ् काम अ(धकार म , वा तेरा धमO व ासघात क दशा म जाना जाएगा? 13 पर(तु हे यहोवा, मE ने तेर: दोहाई द: है ; और भोर को मेर: ूाथOना तुझ तक पहंु चेगी। 14 हे यहोवा, तू मुझ को यHछोड़ता है ? तू अपना मुख मुझ से यHिछपाता रहता है ? 15 मE बचपन ह: से द:ु खी वरन अधमुआ हूं, तुझ से भय खाते मE अित eयाकुल हो गया हंू । 16 तेरा बोध मुझ पर पड़ा है ; उस भय से मE िमट गया हंू । 17 वह दन भर जल क नाई मुझे घेरे रहता है ; वह मेरे चारHओर दखाई दे ता है । 18 तू ने िमऽा और भाईब(धु दोनHको मुझ से दरू कया है ; और मेरे जान- पहचानवालHको अ(धकार म डाल दया है ।। भजन संहता 89 1 मE यहोवा क सार: कRणा के वषय सदा गाता रहंू गा; मE तेर: स.चाई पीढ़:

पीढ़: तक जताता रहंू गा। 2 यHक मE ने कहा है , तेर: कRणा सदा बनी रहे गी, तू ःवगO म अप क स.चाई को 'ःथर रखेगा। 3 मE ने अपके चुने हुए से वाचा बा(धी है , मE ने अपके दास दाऊद से शपथ खाई है , 4 क मE तेरे वंश को सदा 'ःथर रखूंगा; और तेर: राजगX: को पीढ़: पीढ़: तक बनाए रखूंगा। 5 हे यहोवा, ःवगO म ते रे अ›त ु काम क, और पवऽHक सभा म तेर: स.चाई क ूशंसा होगी। 6 यHक आकाशम+डल म यहोवा के तु`य कौन ठहरे गा? बलव(तHके पुऽHम से कौन है 'जसके साथ यहोवा क उपमा द: जाएगी? 7 ई र पवऽHक गोvी म अय(त ूितvा के योbय, और अपके चारHओर सब रहनेवालHसे अिधक भययोbय है । 8 हे सेनाओं के परमे र यहोवा, हे याह, तेरे तु`य कौन सामथh है ? तेर: स.चाई तो तेरे चारHओर है ! 9 समुि के गवO को तू ह: तोड़ता है ; जब उसके तरं ग उठते हE , तब तू उनको शा(त कर दे ता है । 10 तू ने रहब को घात कए हुए के समान कुचल डाला, और अपके शऽुओं को अपके बाहुबल से िततर बतर कया है । 11 आकाश ते रा है , पृवी भी तेर: है ; जगत और जो कुछ उस म है , उसे तू ह: ने 'ःथर कया है । 12 उर और द' खन को तू ह: ने िसरजा; ताबोर और हे मzन ते रे नाम का जयजयकार करते हE । 13 ते र: भुजा बलव(त है ; तेरा हाथ शfमान और तेरा दहना हाथ ूबल है । 14 तेरे िसंहासन का मूल, धमO और (याय है ; कRणा और स.चाई ते रे आगे आगे चलती है । 15 या ह: ध(य है वह समाज जो आन(द के ललकार को पहचानता है ; हे हयोवा वे लोग मेरे मुख के ूकाश म चलते हE , 16 वे तेरे नाम के हे तु दन भर मगन रहते हE , और तेरे धमO के कारण महान हो जाते हE । 17 यHक तू उनके बल क शोभा है , और अप क ूस(नता से हमारे सींग को ऊंचा करे गा। 18 यHक हमार: ढाल यहोवा क ओर

से है हमारा राजा इॐाएल के पवऽा क ओर से है ।। 19 एक समय तू ने अपके भf को दशOन दे कर बात क; और कहा, मE ने सहाथता करने का भार एक वीर पर रखा है , और ूजा म से एक को चुनकर बढ़ाया है । 20 मE ने अपके दास दाऊद को लेकर, अपके पवऽा तेल से उसका अिभषे क कया है । 21 मेरा हाथ उसके साथ बना रहे गा, और मेर: भुजा उसे lढ़ रखेगी। 22 शऽु उसको तंग करने न पाएगा, और न कुटल जल उसको द:ु ख दे ने पाएगा। 23 मE उसके िोहयHको उसके साSहने से नाश कRंगा, और उसके बैgरयHपर वप डालूग ं ा। 24 पर(तु मेर: स.चाई और कRणा उस पर बनी रह गी, और मेरे नाम के kारा उसका सींग ऊंचा हो जाएगा। 25 मE समुि को उसके हाथ के नीचे और महानदHको उसके दहने हाथ के नीचे कर दं ग ू ा। 26 वह मुझे पुकारके कहे गा, क तू मेरा पता है , मेरा ई र और मेरे बचने क च=टान है । 27 फर मE उसको अपना पहलौठा, और पृवी के राजाओं पर ूधान ठहराऊंगा। 28 मE अप क कRणा उस पर सदा बनाए रहंू गा, और मेर: वाचा उसके िलथे अटल रहे गी। 29 मE उसके वंश को सदा बनाए रखूंगा, और उसक राजगX: ःवगO के समान सवOदा बनी रहे गी। 30 यद उसके वंश के लोग मेर: eयवःथा को छोड़ और मेरे िनयमHके अनुसार न चल , 31 यद वे मेर: विधयHका उ`लंघन कर , और मेर: आWाओं को न मान , 32 तो मE उनके अपराध का द+ड सHट से, और उनके अधमO का द+ड कोड़Hसे दं ग ू ा। 33 पर(तु मE अप क कRणा उस पर से हटाऊंगा, और न स.चाई यागकर झूठा ठहRंगा। 34 मE अप क वाचा न तोडू ं गा, और जो मेरे मुह ं से िनकल चुका है , उसे न बदलूग ं ा। 35 एक बार मE अप क पवऽाता क शपथ खा चुका हंू ; मE दाऊद को कभी धोखा न दं ग ू ा। 36 उसका वंश सवOदा रहे गा, और उसक राजगX: सूयO क नाई मेरे सSमुख

ठहर: रहे गी। 37 वह च(िमा क नाL, और आकाशम+डल के व ासयोbय साœी क नाई सदा बना रहे गा। 38 तौभी तू ने अपके अिभषf को छोड़ा और उसे तज दया, और उस पर अित बोध कया है । 39 तू अपके दास के साथ क वाचा से िघनाया, और उसके मुकुट को भूिम पर िगराकर अशुa कया है । 40 तू ने उसके सब बाड़Hको तेड़ डाला है , और उसके गढ़Hको उजाड़ दया है । 41 सब बटोह: उसको लूट लेते हE , और उसके पड़ोिस कH उसक नामधराई होती है । 42 तू ने उसके िोहयHको ूबल कया; और उसके सब शऽुओं को आन'(दत कया; और उसके सब शऽुओं को आन'(दत कया है । 43 फर तू उसक तलवार क धार को मोड़ दे ता है , और युa म उसके पांव जमने नह:ं दे ता। 44 तू ने उसका ते ज हर िलया है और उसके िसंहासन को भूिम पर पटक दया है । 45 तू ने उसक जवानी को घटाया, और उसको लGजा से ढांप दया है ।। 46 हे यहोवा तू कब तक लगातार मूह ं फेरे रहे गा, तेर: जलजलाहट कब तक आग क नाL भड़क रहे गी।। 47 मेरा ःमरण कर, क मE कैसा अिनय हंू , तू ने सब मनुंयHको यHeयथO िसरजा है ? 48 कौन पुRष सदा अमर रहे गा? या कोई अपके ूाण को अधोलोक से बचा सकता है ? 49 हे ूभु तेर: ूाचीनकाल क कRणा कहां रह:, 'जसके वषय म तू ने अप क स.चाई क शपथ दाऊद से खाई थी? 50 हे ूभु अपके दासHक नामधराई क सुिध कर; मE तो सब सामथh जाितयHका बोझ िलए रहता हंू । 51 तेरे उन शऽुओं ने तो हे यहोवा तेरे अिभषf के पीछे पड़कर उसक नामधराई क है ।। 52 यहोवा सवOदा ध(य रहे गा! आमीन फर आमीन।। भजन संहता 90

1 हे ूभु, तू पीढ़: से पीढ़: तक हमारे िलथे धाम बना है । 2 इस से पहले क पहाड़ उप(न हुए, वा तू ने पृवी और जगत क रचना क, वरन अनादकाल से अन(तकाल तक तू ह: ई र है ।। 3 तू मनुंय को लौटाकर चूर करता है , और कहता है , क हे आदिमयH, लौट आओ! 4 यHक हजार वषO तेर: l म ऐसे हE , जैसा कल का दन जो बीत गया, वा रात का एक पहर।। 5 तू मनुंयHको धारा म

बहा दे ता है ; वे ःव€न से ठहरते हE , वे भोर को बढ़नेवाली घास के समान होते हE । 6 वह भोर को फूलती और बढ़ती है , और सांझ तक काटकर मुझाO जाती है ।। 7 यHक हम तेरे बोध से नाश हुए हE ; और तेर: जलजलाहट से घबरा गए हE । 8 तू ने हमारे अधमO के कामHसे अपके सSमुख, और हमारे िछपे हुए पापHको अपके मुख क Gयोित म रखा है ।। 9 यHक हमारे सब दन तेरे बोध म बीत जाते हE , हम अपके वषO शcद क नाई बताते हE । 10 हमार: आयु के वषO सर तो होते हE , और चाहे बल के कारण अःसी वषO के भी हो जाएं, तौभी उनका घम+ड केवल न और शोक ह: शोक है ; यHक वह ज`द: कट जाती है , और हम जाते रहते हE । 11 तेरे बोध क शf को और ते रे भय के योbय रोष को कौन समझता है ? 12 हम को अपके दन िगनने क समझ दे क हम बुaमान हो जाएं।। 13 हे यहोवा लौट आ! कब तक? और अपके दासHपर तरस खा! 14 भोर को हम अप क कRणा से तृT कर, क हम जीवन भर जयजयकार और आन(द करते रह । 15 'जतने दन तू ने हम द:ु ख दे ता आया, और 'जतने वषO हम लेश भोगते आए हE उतने ह: वषO हम को आन(द दे । 16 तेर: काम तेरे दासHको, और तेरा ूताप उनक स(तान पर ूगट हो। 17 और हमारे परमे र यहोवा क मनोहरता हम पर ूगट हो, तू हमारे हाथHका काम हमारे िलथे lढ़ कर, हमारे हाथHके काम को lढ़ कर।।

भजन संहता 91 1 जो परमूधान के छाए हुए ःथान म बैठा रहे , वह सवOशfमान क छाया म

ठकाना पाएगा। 2 मE यहोवा के वषय कहंू गा, क वह मेरा शरणःथान और गढ़ है ; वह मेरा परमे र है , मE उस पर भरोसा रखूंगा। 3 वह तो मुझे बहे िलथे के जाल से, और महामार: से बचाएगा; 4 वह तुझे अपके पंखHक आड़ म ले लेगा, और तू उसके पैरHके नीचे शरण पाएगा; उसक स.चाई तेरे िलथे ढाल और 'झलम ठहरे गी। 5 तू न रात के भय से डरे गा, और न उस तीर से जो दन को उड़ता है , 6 न उस मर: से जो अ(धेरे म फैलती है , और न उस महारोग से जो दन दप ु हर: म

उजाड़ता है ।। 7 तेरे िनकट हजार, और तेर: दहनी ओर दस हजार िगर गे; पर(तु वह तेरे पास न आएगा। 8 परनतु तू अप क आंखHक l करे गा और द ु Hके अ(त को दे खेगा।। 9 हे यहोवा, तू मेरा शरणःथान ठहरा है । तू ने जो परमूधान को अपना धाम मान िलया है , 10 इसिलथे कोई वप तुझ पर न पकेगी, न कोई द:ु ख तेरे डे रे के िनकट आएगा।। 11 यHक वह अपके दत ू Hको तेरे िनिम आWा दे गा, क जहां कह:ं तू जाए वे तेर: रœा कर । 12 वे तुझ को हाथHहाथ उठा ल गे, ऐसा न हो क तेरे पांवHम पथर से ठे स लगे। 13 तू िसंह और नाग को कुचलेगा, तू जवान िसंह और अजगर को लताड़े गा। 14 उस ने जो मुझ से ःनेह कया है , इसिलथे मE उसको छुड़ाऊंगा; मE उसको ऊंचे ःथान पर रखूंगा, यHक उस ने मेरे नाम को जान िलया है । 15 जब वह मुझ को पुकारे , तब मE उसक सुनग ूं ा; संकट म मE उसके संग रहंू गा, मE उसको बचाकर उसक महमा बढ़ाऊंगा। 16 मE उसको द:घाOयु से तृT कRंगा, और अपके कए हुए उaार का दशOन दखाऊंगा।।

भजन संहता 92 1 यहोवा का ध(यवाद करना भला है , हे परमूधान, ते रे नाम का भजन गाना; 2 ूात:काल को तेर: कRणा, और ूित रात तेर: स.चाई का ूचार करना, 3 दस तारवाले बाजे और सारं गी पर, और वीणा पर गSभीर ःवर से गाना भला है । 4 यHक, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपके काम से आन'(दत कया है ; और मE तेरे हाथHके कामHके कारण जयजयकार कRंगा।। 5 हे यहोवा, तेरे काम या ह: बड़े है ! ते र: क`पनाएं बहुत गSभीर है ! 6 पशु समान मनुंय इसको नह:ं समझता, और मूखO इसका वचार नह:ं करता: 7 क द ु जो घास क नाL फूलते- फलते हE , और सब अनथOकार: जो ूफु'`लत होते हE , यह इसिलथे होता है , क वे सवOदा के िलथे नाश हो जाएं, 8 पर(तु हे यहोवा, तू सदा वराजमान रहे गा। 9 यHक थे यहोवा, तेरे शऽु, हां तेरे शऽु नाश हHगे; सब अनथOकार: िततर बतर हHगे।। 10 पर(तु मेरा सींग तू ने जंगली सांढ़ का सा ऊंचा कया है ; मE टटके तेल से चुपड़ा गया हंू । 11 और मE अपके िोहयHपर l करके, और उन कुकिमOयHका हाल मेरे वRa उठे थे, सुनकर स(तु हुआ हंू ।। 12 धमh लोग खजूर क नाई फूले फल गे, और लबानोन के दे वदार क नाई बढ़ते रह गे। 13 वे यहोवा के भवन म रोपे जाकर, हमारे परमे र के आंगनHम फूले फल गे। 14 वे पुराने होने पर भी फलते रह गे, और रस भरे और लहलहाते रह गे, 15 'जस से यह ूगट हो, क यहोवा सीधा है ; वह मेर: च=टान है , और उस म कुटलता कुछ भी नह:ं।। भजन संहता 93 1 यहोवा राजा है ; उस ने माहाSय का पहरावा पहना है ; यहोवा पहरावा पहने

हुए, और सामयO का फेटा बा(धे है । इस कारण जगत 'ःथर है , वह नह:ं टलने का। 2 हे यहोवा, तेर: राजगX: अनादकाल से 'ःथर है , तू सवOदा से है ।। 3 हे यहोवा, महानदHका कोलाहल हो रहा है , महानदHका बड़ा शcद हो रहा है , महानद गरजते हE । 4 महासागर के शcद से, और समुि क महातरं गHसे, वराजमान यहोवा अिधक महान है ।। 5 तेर: िचतौिनयां अित व ासयोbय हE ; हे यहोवा तेरे भवन को युग युग पवऽाता ह: शोभा दे ती है ।। भजन संहता 94 1 हे यहोवा, हे पलटा लेनेवाले ई र, हे पलटा लेनेवाले ई र, अपना तेज दखा! 2 हे पृवी के (यायी उठ; और घम'+ड़यHको बदला दे ! 3 हे यहोवा, द ु लोग कब तक, द ु लोग कब तक ड:ंग मारते रह गे? 4 वे बकते और ढ़ठाई क बात बोलते हE , सब अनथOकार: बड़ाई मारते हE । 5 हे यहोवा, वे तेर: ूजा को पीस डालते हE , वे तेरे िनज भाग को द:ु ख दे ते हE । 6 वे वधवा और परदे शी का घात करते, और बपमूओं को मार डालते हE ; 7 और कहते हE , क याह न दे खेगा, याकूब का परमे र वचार न करे गा।। 8 तुम जो ूजा म पशु सर:खे हो, वचार करो; और हे मूखJतुम कब तक बुaमान हो जाओगे? 9 'जस ने कान दया, या वह आप नह:ं सुनता? 'जस ने आंख रची, या वह आप नह:ं दे खता? 10 जो जाित जाित को ताड़ना दे ता, और मनुंय को Wान िसखाता है , या वह न समझाएगा? 11 यहोवा मनुंय क क`पनाओं को तो जानता है क वे िमया हE ।। 12 हे यहा, या ह: ध(य है वह पुRष 'जसको तू ताड़ना दे ता है , और अप क eयवःथा िसखाता है , 13 यHक तू उसको वप के दनHम उस समय तक चैन दे ता रहता है , जब तक द ु Hके िलथे

गड़हा नह:ं खोदा जाता। 14 यHक यहोवा अप क ूजा को न तजेगा, वह अपके िनज भाग को न छोड़े गा; 15 पर(तु (याय फर धमO के अनुसार कया जाएगा, और सारे सीधे मनवाले उसके पीछे पीछे हो ल गे।। 16 कुकिमOयHके वRa मेर: ओर कौन खड़ा होगा? मेर: ओर से अनथOकाgरयHका कौन साSहना करे गा? 17 यद यहोवा मेरा सहाथक न होता, तो œण भर म मुझे चुपचाप होकर रहना पड़ता। 18 जब मE ने कहा, क मेरा पांव फसलने लगा है , तब हे यहोवा, तेर: कRणा ने मुझे थाम िलया। 19 जब मेरे मन म बहुत सी िच(ताएं होती हE , तब हे यहोवा, तेर: द: हुई शा'(त से मुझ को सुख होता है । 20 या तेरे और द ु Hके िसंसाहन के बीच स'(ध होगी, जो कानून क आड़ म उपात मचाते हE ? 21 वे धमh का ूाण लेने को दल बा(धते हE , और िनदzष को ूाणद+ड दे ते हE । 22 पर(तु यहोवा मेरा गढ़, और मेरा परमे र मेर: शरण क च=टान ठहरा है । 23 और उस ने उनका अनथO काम उ(ह:ं पर लौटाया है , और वह उ(ह उ(ह:ं क बुराई के kारा स(यानाश करे गा; हमारा परमे र यहोवा उनको सयानाश करे गा।। भजन संहता 95 1 आओ हम यहोवा के िलथे ऊंचे ःवर से गाएं, अपके उaार क च=टान का जयजयकार कर ! 2 हम ध(यवाद करते हुए उसके सSमुख आएं, और भजन गाते हुए उसका जयजयकार कर ! 3 यHक यहोवा महान ई र है , और सब दे वताओं के ऊपर महान राजा है । 4 पृवी के गहरे ःथान उसी के हाथ म हE ; और पहाड़Hक चोटयां भी उसी क हE । 5 समुि उसका है , और उसी ने उसको बनाया, और ःथल भी उसी के हाथ का रख है ।। 6 आओ हम झुककर द+डवत ् कर , और अपके कताO

यहोवा के साSहने घुटने टे क ! 7 यHक वह: हमारा परमे र है , और हम उसक चराई क ूजा, और उसके हाथ क भेड़ हE ।। भला होता, क आज तुम उसक बात सुनते! 8 अपना अपना Ÿदय ऐसा कठोर मत करो, जैसा मर:बा म , वा मःसा के दन जंगल म हुआ था, 9 जब तुSहारे पुरखाओं ने मुझे परखा, उ(हHने मुझ को जांचा और मेरे काम को भी दे खा। 10 चालीस वषO तक मE उस पीढ़: के लोगHसे Rठा रहा, और मE ने कहा, थे तो भरमनेवाले मन के हE , और इ(हHने मेरे मागJको नह:ं पहचाना। 11 इस कारण मE ने बोध म आकर शपथ खाई क थे मेरे वौामःथान म कभी ूवेश न करने पाएंगे।। भजन संहता 96 1 यहोवा के िलथे एक नया गीत गाओ, हे सार: पृवी के लोगHयहोवा के िलथे गाओ! 2 यहोवा के िलथे गाओ, उसके नाम को ध(य कहो; दन दन उसके कए हुए उaार का शुभसमाचार सुनाते रहो। 3 अ(य जाितयHम उसक महमा का, और दे श दे श के लोगHम उसके आ_यOकमJका वणOन करो। 4 यHक यहोवा महान और अित ःतुित के योbय है ; वह तो सब दे वताओं से अिधक भययोbय है । 5 यHक दे श दे श के सब दे वता तो मूरत ह: हE ; पर(तु यहोवा ह: ने ःवगO को बनाया है । 6 उसके चारHऔर वभव और ऐ यO है ; उसके पवऽाःथान म सामयO और शोभा है । 7 हे दे श दे श के कुलH, यहोवा का गुणानुवाद करो, यहोवा क महमा और सामयO को मानो! 8 यहोवा के नाम क ऐसी महमा करो जो उसके योbय है ; भ ट लेकर उसके आंगनHम आओ! 9 पवऽाता से शोभायमान होकर यहोवा को द+डवत करो; हे सार: पृवी के लोगHउसके साSहने कांपके रहो! 10

जाित जाित म कहो, यहोवा राजा हुआ है ! और जगत ऐसा 'ःथर है , क वह टलने का नह:ं; वह दे श दे श के लोगHका (याय सीधाई से करे गा।। 11 आकाश आन(द करे , और पृवी मगन हो; समुि और उस म क सब वःतुएं गरज उठ ; 12 मैदान और जो कुछ उस म है , वह ूफु'`लत हो; उसी समय वन के सारे वृœ जयजयकार कर गे। 13 यह यहोवा के साSहने हो, यHक वह आनेवाला है । वह पृवी का (याय करने को आने वाला है , वह धमO से जगत का, और स.चाई से दे श दे श के लोगHका (याय करे गा।। भजन संहता 97 1 यहोवा राजा हुआ है , पृवी मगन हो; और k:प जो बहुतेरे हE , वह भी आन(द कर ! 2 बादल और अ(धकार उसके चारHओर हE ; उसके िसंहासन का मूल धमO और (याय है । 3 उसके आगे आगे आग चलती हुइ उसके िोहयHको चारHओर भःम करती है । 4 उसक बजिलयHसे जगल ूकािशत हुआ, पृवी दे खकर थरथरा गई है ! 5 पहाड़ यहोवा के साSहने, मोम क नाई पघल गए, अथाOत ् सार: पृवी के परमे र के साSहने।। 6 आकाश ने उसके धमO क साœी द:; और दे श दे श के सब लोगHने उसक महमा दे खी है । 7 'जतने खुद: हुई मूयHक उपासना करते और मूरतHपर फूलते हE , वे ल'Gजत हH; हे सब दे वताओं तुम उसी को द+डवत ् करो। 8 िसरयोन सुनकर आन'(दत हुई, और यहूदा क बेटयां मगन हुई; हे यहोवा, यह तेरे िनयमHके कारण हुआ। 9 यHक हे यहोवा, तू सार: पृवी के ऊपर परमूधान है ; तू सारे दे वताओं से अिधक महान ठहरा है । 10 हे यहोवा के ूे िमयH, बुराई से घृणा करो; वह अपके भfHके ूाणो क रœा करता, और उ(ह

द ु Hके हाथ से बचाना है । 11 धमh के िलथे Gयोित, और सीधे मनवालHके िलथे आन(द बोया गया है । 12 हे धिमOयHयहोवा के कारण आन'(दत हो; और 'जस पवऽा नाम से उसका ःमरण होता है , उसका ध(यवाद करो! भजन संहता 98 1 यहोवा के िलथे एक नया गीत गाओ, यHक उस ने आ_यOकमO कए है ! उसके दहने हाथ और पवऽा भुजा ने उसके िलथे उaार कया है ! 2 यहोवा ने अपना कया हुआ उaार ूकािशत कया, उस ने अ(यजाितयHक l म अपना धमO ूगट कया है । 3 उस ने इॐाएल के घराने पर क अप क कRणा और स.चाई क सुिध ली, और पृवी के सब दरू दरू दे शHने हमारे परमे र का कया हुआ उaार दे खा है ।। 4 हे सार: पृवी के लोगHयहोवा का जयजयकार करो; उसाहपूवOक जयजयकार करो, और भजन गाओ! 5 वीणा बजाकर यहोवा का भजन गाओ, वीणा बजाकर भजन का ःवर सुनाओं। 6 तुरहयां और नरिसंगे फूंक फूंककर यहोवा राजा का जयजयकार करो।। 7 समुि औौ उस म क सब वःतुएं गरज उठ ; जगत और उसके िनवासी महाशcद कर ! 8 नदयां तािलयां बजाएं; पहाड़ िमलकर जयजयकार कर । 9 यह यहोवा के साSहने हो, यHक वह पृवी का (याय करने को आनेवाला है । वह धमO से जगत का, और सीधाई से दे श दे श के लोगHका (याय करे गा।। भजन संहता 99 1 यहोवा राजा हुआ है ; दे श दे श के लोग कांप उठ ! वह कRबHपर वराजमान है ;

पृवी डोल उठे ! 2 यहोवा िसरयोन म महान है ; और वह दे श दे श के लोगHके ऊपर ूधान है । 3 वे तेरे महान और भययोbय नाम का ध(यवाद कर ! वह तो पवऽा है । 4 राजा क सामयO (याय से मेल रखती है , तू ह: ने सीधाई को ःथापत कया; (याय और धमO को याकूब म तू ह: ने चालू कया है । 5 हमारे परमे र यहोवा को सराहो; और उसके चरणHक चौक के साSहने द+डवत ् करो! वह पवऽा है ! 6 उसके याजकHम मूसा और हाRन, और उसके ूाथOना करनेवालHम से शमूएल यहोवा को पुकारते थे, और वह उनक सुन लेता था। 7 वह बादल के खSभे म

होकर उन से बात करता था; और वे उसी िचतौिनयHऔर उसक द: हुई विधयHपर चलते थे।। 8 हे हमारे परमे र यहोवा तू उनक सुन लेता था; तू उनके कामHका पलटा तो लेता था तौभी उनके िलथे œमा करनेवाला ई र था। 9 हमारे परमे र यहोवा को सराहो, और उसके पवऽा पवOत पर द+डवत ् करो; यHक हमारा परमे र यहोवा पवऽा है ! भजन संहता 100 1 हे सार: पृवी के लोगHयहोवा का जयजयकार करो! 2 आन(द से यहोवा क आराधना करो! जयजयकार के साथ उसके सSमुख आओ! 3 िन_य जानो, क यहोवा क परमे र है । उसी ने हम को बनाया, और हम उसी के हE ; हम उसक ूजा, और उसक चराई क भेड़ हE ।। 4 उसके फाटकHसे ध(यवाद, और उसके आंगनHम ःतुित करते हुए ूवेश करो, उसका ध(यवाद करो, और उसके नाम को ध(य कहो! 5 यHक यहोवा भला है , उसक कRणा सदा के िलथे, और उसक स.चाई पीढ़: से पीढ़: तक बनी रहती है ।।

भजन संहता 101 1 मE कRणा और (याय के वषय गाऊंगा; हे यहोवा, मE ते रा ह: भजन गाऊंगा। 2 मE बुaमानी से खरे मागO म चलूग ं ा। तू मेरे पास कब आएगा! मE अपके घर म मन क खराई के साथ अप क चाल चलूग ं ा; 3 मE कसी आछे काम पर िच न लगाऊंगा।। मE कुमागO पर चलनेवालHके काम से िघन रखता हंू ; ऐसे काम म मE न लगूंगा। 4 टे ढ़ा ःवभाव मुझ से दरू रहे गा; मE बुराई को जानूग ं ा भी नह:ं।। 5 जो िछपकर अपके पड़ोसी क चुगली खाए, उसको मE सयानाश कRंगा; 'जसक आंख चढ़: हHऔर 'जसका मन घम+ड: है , उसक मE न सहूंगा।। 6 मेर: आंख दे श के व ासयोbय लोगHपर लगी रह गी क वे मेरे संग रह ; जो खरे मागO पर चलता है वह: मेरा टहलुआ होगा।। 7 जो छल करता है वह मेरे घर के भीतर न रहने पाएगा; जो झूठ बोलता है वह मेरे साSहने बना न रहे गा।। 8 भोर ह: भोर को मE दे श के सब द ु Hको सयानाश कया कRंगा, इसिलथे क यहोवा के नगर के सब अनथOकाgरयHको नाश कRं।। भजन संहता 102 1 हे यहोवा, मेर: ूाथOना सुन; मेर: दोहाई तुझ तक पहंु चे! 2 मेरे संकट के दन अपना मुख मुझ से न िछपा ले; अपना कान मेर: ओर लगा; 'जस समय मE पुकाRं, उसी समय फुतh से मेर: सुन ले! 3 यHक मेरे दन धुएं क नाL उड़े जाते हE , और मेर: ह‰डयां लुकट: के समान जल गई हE । 4 मेरा मन झुलसी हुई घास क नाL सूख गया है ; और मE अप क रोट: खाना भूल जाता हंू । 5 कहरते कहरते मेरा चमड़ा ह‰डयHम सट गया है । 6 मE जंगल के धनेश के समान हो गया हूं, मE

उजड़े ःथानHके उ`लू के समान बन गया हंू । 7 मE पड़ा पड़ा जागता रहता हंू और गौरे के समान हो गया हूं जो छत के ऊपर अकेला बैठता है । 8 मेरे शऽु लगातार मेर: नामधराई करते हE , जो मेरे वराध क धुन म बावले हो रहे हE , वे मेरा नाम लेकर शपथ खाते हE । 9 यHक मE ने रोट: क नाL राख खाL और आंसू िमलाकर पानी पीता हंू । 10 यह तेरे बोध और कोप के कारण हुआ है , यHक तू ने मुझे उठाया, और फर फ क दया है । 11 मेर: आयु ढलती हुई छाया के समान है ; और मE आप घास क नाL सूख चला हंू ।। 12 पर(तु हे यहोवा, तू सदै व वराजमान रहे गा; और 'जस नाम से तेरा ःमरण होता है , वह पीढ़: से पीढ़: तक बना रहे गा। 13 तू उठकर िसरयोन पर दया करे गा; यHक उस पर अनुमह करने का ठहराया हुअ समय आ पहुंचा है । 14 यHक तेरे दास उसके पथरHको चाहते हE , और उसक धूिल पर तरस खाते हE । 15 इसिलथे अ(यजाितयां यहोवा के नाम का भय मान गी, और पृवी के सब राजा तेरे ूताप से डर गे। 16 यHक यहोवा ने िसरयोन को फर बसाया है , और वह अप क महमा के साथ दखाई दे ता है ; 17 वह लाचार क ूाथOना क ओर मुह ं करता है , और उनक ूाथOना को तु.छ नह:ं जानता। 18 यह बात आनेवाली पीढ़: के िलथे िलखी जाएगी, और एक जाित जो िसरजी जाएगी वह: याह क ःतुित करे गी। 19 यHक यहोवा ने अपके ऊंचे और पवऽा ःथान से l करके ःवगO से पृवी क ओर दे खा है , 20 ताक ब(धुओं का कराहना सुने, और घात होनवालHके ब(धन खोले; 21 और िसरयोन म यहोवा के नाम का वणOन कया जाए, और यRशलेम म उसक ःतुित क जाए; 22 यह उस समय होगा जब दे श दे श, और राGय राGय के लोग यहोवा क उपासना करने को इक=ठे हHगे।। 23 उस ने मुझे जीवन याऽा म द:ु ख दे कर, मेरे बल और आयु को

घटाया। 24 मE ने कहा, हे मेरे ई र, मुझे आधी आयु म न उठा ले, मेरे वषO पीढ़: से पीढ़: तक बने रह गे! 25 आद म तू ने पृवी क नेव डाली, और आकाश तेरे हाथHका बनाया हुआ है । 26 वह तो नाश होगा, पर(तु तू बना रहे गा; और वह सब कपके के समान पुराना हो जाएगा। तू उसको व\ा क नाई बदलेगा, और वह तो बदल जाएगा; 27 पर(तु तू वह:ं है , और ते रे वषJका अ(त नह:ं होने का। 28 तेरे दासHक स(तान बनी रहे गी; और उनका वंश तेरे साSहने 'ःथर रहे गा।। भजन संहता 103 1 हे मेरे मन, यहोवा को ध(य कह; और जो कुछ मुझ म है , वह उसके पवऽा नाम को ध(य कहे ! 2 हे मेरे मन, यहोवा को ध(य कह, और उसके कसी उपकार को न भूलना। 3 वह: तो तेरे सब अधमO को œमा करता, और ते रे सब रोगHको चंगा करता है , 4 वह: तो ते रे ूाण को नाश होने से बचा लेता है , और तेरे िसर पर कRणा और दया का मुकुट बा(धता है , 5 वह: तो तेर: लालसा को उम पदाथJसे तृT करता है , 'जस से तेर: जवानी उकाब क नाL नई हो जाती है ।। 6 यहोवा सब पसे हुओं के िलथे धमO और (याय के काम करता है । 7 उस ने मूसा को अप क गित, और इॐाएिलयHपर अपके काम ूगट कए। 8 यहोवा दयालु और अनुमहकर:, वलSब से कोप करनेवाला और अित कRणामय है । 9 वह सवOदा वादववाद करता न रहे गा, न उसका बोध सदा के िलथे भड़का रहे गा। 10 उस ने हमारे पापHके अनुसार हम से eयवहार नह:ं कया, और न हमारे अधमO के कामHके अनुसार हम को बदला दया है । 11 जैसे आकाश पृवी के ऊपर ऊंचा है , वैसे ह: उसक कRणा उसके डरवैयHके ऊपर ूबल है । 12 उदयाचल अःताचल से 'जतनी

दरू है , उस ने हमारे अपराधHको हम से उतनी ह: दरू कर दया है । 13 जैसे पता अपके बालकHपर दया करता है , वैसे ह: यहोवा अपके डरवैयHपर दया करता है । 14 यHक वह हमार: सृ जानता है ; और उसको ःमरण रहता है क मनुंय िम=ट: ह: है ।। 15 मनुंय क आयु घास के समान होती है , वह मैदान के फूल क नाL फूलता है , 16 जो पवन लगते ह: ठहर नह:ं सकता, और न वह अपके ःथान म फर िमलता है । 17 पर(तु यहोवा क कRणा उसके डरवैयHपर युग युग, और उसका धमO उनके नाती- पोतHपर भी ूगट होता रहता है , 18 अथाOत ् उन पर जो उसक वाचा का पालन करते और उसके उपकेशHको ःमरण करके उन पर चलते हE ।। 19 यहोवा ने तो अपना िसंहासन ःवगO म 'ःथर कया है , और उसका राGय पूर: सृ पर है । 20 हे यहोवा के दत ू H, तुम जो बड़े वीर हो, और उसके वचन के मानने से उसको पूरा करते हो उसको ध(य कहो! 21 हे यहोवा क सार: सेनाओं, हे उसके टहलुओं, तुम जो उसक इ.छा पूर: करते हो, उसको ध(य कहो! 22 हे यहोवा क सार: सृ, उसके राGय के सब ःथानHम उसको ध(य कहो। हे मेरे मन, तू यहोवा को ध(य कह! भजन संहता 104 1 हे मेरे मन, तू यहोवा को ध(य कह! हे मेरे परमे र यहोवा, तू अय(त महान है ! तू वभव और ऐ यO का व\ा पहने हुए है , 2 जो उ'जयाले को चादर क नाई ओढ़े रहता है , और आकाश को तSबू के समान ताने रहता है , 3 जो अप क अटाgरयHक कड़यां जल म धरता है , और मेघHको अपना रथ बनाता है , और पवन के पंखHपर चलता है , 4 जो पवनHको अपके दत ू , और धधकती आग को

अपके टहलुए बनाता है ।। 5 तू ने पृवी को उसक नीव पर 'ःथर कया है , ताक वह कभी न डगमगाए। 6 तू ने उसको गहरे सागर से ढांप दया है जैसे व\ा से; जल पहाड़Hके ऊपर ठहर गया। 7 तेर: घुड़क से वह भाग गया; तेरे गरजने का शcद सुनते ह:, वह उतावली करके बह गया। 8 वह पहाड़Hपर चढ़ गया, और तराईयHके मागO से उस ःथान म उतर गया 'जसे तू ने उसके िलथे तैयार कया था। 9 तू ने एक िसवाना ठहराया 'जसको वह नह:ं लांघ सकता है , और न फरकर ःथल को ढांप सकता है ।। 10 तू नालHम सोतHको बहाता है ; वे पहाड़Hके बीच से बहते हE , 11 उन से मैदान के सब जीव- ज(तु जल पीते हE ; जंगली गदहे भी अप क €यास बुझा लेते हE । 12 उनके पास आकाश के पœी बसेरा करते, और डािलयHके बीच म से बोलते हE । 13 तू अप क अटाgरयHम से पहाड़Hको सींचता है तेरे कामHके फल से पृवी तृT रहती है ।। 14 तू पशुओं के िलथे घास, और मनुंयHके काम के िलथे अ(नाद उपजाता है , और इस र:ित भूिम से वह भोजनवःतुएं उप(न करता है , 15 और दाखमधु 'जस से मनुंय का मन आन'(दत होता है , और तेल 'जस से उसका मुख चमकता है , और अ(न 'जस से वह सSभल जाता है । 16 यहोवा के वृœ तृT रहते हE , अथाOत ् लबानोन के दे वदार जो उसी के लगाए हुए हE । 17 उन म िचड़यां अपके घHसले बनाती हE ; लगलग का बसेरा सनौवर के वृœHम होता है । 18 ऊंचे पहाड़ जंगली बकरHके िलथे हE ; और च=टान शापानHके शरणःथान हE । 19 उस ने िनयत समयHके िलथे च(िमा को बनाया है ; सूयO अपके अःत होने का समय जानता है । 20 तू अ(धकार करता है , तब रात हो जाती है ; 'जस म वन के सब जीव ज(तु घूमते फरते हE । 21 जवान िसंह अहे र के िलथे गरजते हE , और ई र से अपना आहार मांगते हE । 22 सूयO उदय

होते ह: वे चले जाते हE और अप क मांदHम जा बैठते हE । 23 तब मनुंय अपके काम के िलथे और स(~या तक पgरौम करने के िलथे िनकलता है । 24 हे यहोवा तेरे काम अनिगिनत हE ! इन सब वःतुओं को तू ने बुa से बनाया है ; पृवी तेर: सSप से पgरपूणO है । 25 इसी ूकार समुि बड़ा और बहुत ह: चौड़ा है , और उस म अनिगिनत जलच क जीव- ज(तु, या छोटे , या बड़े भरे पके हE । 26 उस म

जहाज भी आते जाते हE , और िलcयातान भी 'जसे तू ने वहां खेलने के िलथे बनाया है ।। 27 इन सब को तेरा ह: आसरा है , क तू उनका आहार समय पर दया करे । 28 तू उ(ह दे ता हे , वे चुन लेते हE ; तू अप क मु=ठq खोलता है और वे उम पदाथJसे तृT होते हE । 29 तू मुख फेर लेता है , और वे घबरा जाते हE ; तू उनक सांस ले लेता है , और उनके ूाण छूट जाते हE और िम=ट: म फर िमल जाते हE । 30 फर तू अप क ओर से सांस भेजता है , और वे िसरजे जाते हE ; और तू धरती को नया कर दे ता है ।। 31 यहोवा क महमा सदा काल बनी रहे , यहोवा अपके कामHसे आ'(दत होवे ! 32 उसक l ह: से पृवी कांप उठती है , और उसके छूते ह: पहाड़Hसे धुआं िनकलता है । 33 मE जीवन भर यहोवा का गीत गाता रहूंगा; जब तक मE बना रहंू गा तब तक अपके परमे र का भजन गाता रहंू गा। 34 मेरा ~यान करना, उसको ूय लगे, यHक मE तो याहे वा के कारण आन'(दत रहंू गा। 35 पापी लोग पृवी पर से िमट जाएं, और द ु लोग आगे को न रह ! हे मेरे मन यहोवा को ध(य कह! याह क ःतुित करो! भजन संहता 105 1 यहोवा का ध(यवाद करो, उस से ूाथOना करो, दे श दे श के लोगHम उसके

कामHका ूचार करो! 2 उसके िलथे गीत गाओ, उसके िलथे भजन गाओ, उसके सब आ_यOकमJपर ~यान करो! 3 उसके पवऽा नाम क बढ़ाई करो; यहोवा के खो'जयHका Ÿदय आन'(दत हो! 4 यहोवा और उसक सामथO को खोजो, उसके दशOन के लगातार खोजी बने रहो! 5 उसके कए हु आ_यOकमO ःमरण करो, उसके चमकार और िनणOय ःमरण करो! 6 हे उसके दास इॄाह:म के वंश, हे याकूब क स(तान, तुम तो उसके चुने हुए हो! 7 वह: हमारा परमे र यहोवा है ; पृवी भर म

उसके िनणOय होते हE । 8 वह अप क वाचा को सदा ःमरण रखता आया है , यह वह: वचन है जो उस ने हजार पीढ़:यHके िलथे ठहराया है ; 9 वह: वाचा जो उस ने इॄाह:म के साथ बा(धी, और उसके वषय म उस ने इसहाक से शपथ खाई, 10 और उसी को उस ने याकूब के िलथे विध करके, और इॐाएल के िलथे यह कहकर सदा क वाचा करके lढ़ कया, 11 क मE कनान दे श को तुझी को दं ग ू ा, वह बांट म तुSहारा िनज भाग होगा।। 12 उस समय तो वे िगनती म थोड़े थे, वरन बहुत ह: थोड़े , और उस दे श म परदे शी थे। 13 वे एक जाित से दस ू र: जाित म , और एक राGय से दस ू रे राGय म फरते रहे ; 14 पर(तु उस ने कसी मनुंय को उन पर अ(धेर करने न दया; और वह राजाओं को उनके िनिम यह धमक दे ता था, 15 क मेरे अिभषfHको मत छुओं, और न मेरे नबयHक हािन करो! 16 फर उस ने उस दे श म अकाल भेजा, और अ(न के सब आधार को दरू कर दया। 17 उस ने यूसफ ु नाम एक पुRष को उन से पहले भेजा था, जो दास होने के िलथे बे चा गया था। 18 लHगHने उसके पैरHम बे ड़यां डालकर उसे द:ु ख दया; वह लोहे क सांकलHसे जकड़ा गया; 19 जब तक क उसक बात पूर: न हुई तब तक यहोवा का वचन उसे कसौट: पर कसता रहा। 20 तब राजा के दत ू भेजकर उसे

िनकलवा िलया, और दे श दे श के लोगHके ःवामी ने उसके ब(धन खुलवाए; 21 उस ने उसको अपके भवन का ूधान और अप क पूर: सSप का अिध कारनेी ठहराया, 22 क वह उसके हाकमHको अप क इ.छा के अनुसार कैद करे और पुरिनयHको Wान िसखाए।। 23 फर इॐाएल िम म आया; और याकूब हाम के दे श म पकेदशी रहा। 24 तब उस ने अप क ूजा को िगनती म

बहुत बढ़ाया, और उसके िोहयो से अिधक बलव(त कया। 25 उस ने िम'\यHके मन को ऐसा फेर दया, क वे उसक ूजा से बैर रखने, और उसके दासHसे छल करने लगे ।। 26 उस ने अपके दास मूसा को, और अपके चुने हुए हाRन को भेजा। 27 उ(हHने उनके बीच उसक ओर से भांित भांित के िच(ह, और हाम के दे श म चमकार दखाए। 28 उस ने अ(धकार कर दया, और अ'(ध कारनेा हो गया; और उ(हHने उसक बातHको न टाला। 29 उस ने िम'\यHके जल को लोहू कर डाला, और मछिलयHको मार डाला। 30 म ढक उनक भूिम म वरन उनके राजा क कोठgरयHम भी भर गए। 31 उस ने आWा द:, तब डांस आ गए, और उनके सारे दे श म कुटकयां आ गL। 32 उस ने उनके िलथे जलवृ क स(ती ओले, और उनके दे श म धधकती आग बरसाई। 33 और उस ने उनक दाखलताओं और अंजीर के वृœHको वरन उनके दे श के सब पेड़Hको तोड़ डाला। 34 उस ने आWा द: तब अनिगनत ट‰डयां, और कड़े आए, 35 और उ(हHने उनके दे श के सब अ(नाद को खा डाला; औौ उनक भूिम के सब फलHको चट कर गए। 36 उस ने उनके दे श के सब पहलौठHको, उनके पौRष के सब पहले फल को नाश कया।। 37 तब वह अपके गोऽयHको सोना चांद: दलाकर िनकाल लाया, और उन म से कोई िनबOल न था। 38 उनके जाने से

िम'\ आन'(दत हुए, यHक उनका डर उन म समा गया था। 39 उस ने छाया के िलथे बादल फैलाया, और रात को ूकाश दे ने के िलथे आग ूगट क। 40 उ(हHने मांगा तब उस ने बटे र पहंु चाई, और उनको ःवगhय भोजन से तृT कया। 41 उस ने च=टान फाड़: तब पानी बह िनकला; और िनजOल भूिम पर नद: बहने लगी। 42 यHक उस ने अपके पवऽा वचन और अपके दास इॄाह:म को ःमरण कया।। 43 वह अप क ूजा को हषOत करके और अपके चुने हुओं से जयजयकार करोके िनकाल लाया। 44 और उनको अ(यजाितयHके दे श दए; और वे और लोगHके ौम के फल के अिध कारनेी कए गए, 45 क वे उसक विधयHको मान , और उसक eयवःथा को पूर: कर । याह क ःतुित करो! भजन संहता 106 1 याह क ःतुित करो! यहोवा का ध(यवाद करो, यHक वह भला है ; और उसक कRणा सदा क है ! 2 यहोवा के पराबम के कामHका वणOन कौन कर सकता है , न उसका पूरा गुणानुवाद कौन सुना सकता? 3 या ह: ध(य हE वे जो (याय पर चलते, और हर समय धमO के काम करते हE ! 4 हे यहोवा, अप क ूजा पर क ूस(नता के अनुसार मुझे ःमरण कर, मेरे उaार के िलथे मेर: सुिध ले, 5 क मE तेरे चुने हुओं का क`याण दे खूं, और तेर: ूजा के आन(द म आन'(दत हो जाऊं; और ते रे िनज भाग के संग बड़ाई करने पाऊं।। 6 हम ने तो अपके पुरखाओं क नाL पाप कया है ; हम ने कुटलता क, हम ने द ु ता क है ! 7 िम म हमारे पुरखाओं ने तेरे आ_यOकमJपर मन नह:ं लगाया, न ते र: अपार कRणा को ःमरण रखा; उ(हHने समुि के तीर पर, अथाOत ् लाल समुि के तीर पर बलवा

कया। 8 तौभी उस ने अपके नाम के िनिम उनका उaार कया, 'जस से वह अपके पराबम को ूगट करे । 9 तब उस ने लाल समुि को घुड़का और वह सूख गया; और वह उ(ह गहरे जल के बीच से मानHजंगल म से िनकाल ले गया। 10 उस ने उ(ह बैर: के हाथ से उबारा, और शऽु के हाथ से छुड़ा िलया। 11 और उनके िोह: जल म डू ब गए; उन म से एक भी न बचा। 12 तब उनहHने उसके वचनHका व ास कया; और उसक ःतुित गाने लगे।। 13 पर(तु वे झट उसके कामHको भूल गए; और उसक युf के िलथे न ठहरे । 14 उ(हHने जंगल म अित लालसा क और िनजOल ःथान म ई र क प कœा क। 15 तब उस ने उ(ह मुह ं मांगा वर तो दया, पर(तु उनके ूाण को सुखा दया।। 16 उ(हHने छावनी म मूसा के, और यहोवा के पवऽा जन हाRन के वषय म डाह क, 17 भूिम फट कर दातान को िनगल गई, और अबीराम के झु+ड को मस िलया। 18 और उनके झु+ड म

आग भड़क उठq; और द ु लोग लौ से भःम हो गए।। 19 उ(हHने होरब म बछड़ा बनाया, और ढली हुई मू को द+डवत ् क। 20 यHउ(हHने अप क महमा अथाOत ् ई र को घास खानेवाले बैल क ूितमा से बदल डाला। 21 वे अपके उaारकताO ई र को भूल गए, 'जस ने िम म बड़े बड़े काम कए थे। 22 उस ने तो हाम के दे श म आ_यOकमO और लाल समुि के तीर पर भयंकर काम कए थे। 23 इसिलथे उस ने कहा, क मE इ(ह सयानाश कर डालता यद मेरा चुना हुआ मूसा जो'खम के ःथान म उनके िलथे खड़ा न होता ताक मेर: जलजलाहट को ठ+डा करे कह:ं ऐसा न हो क मE उ(ह नाश कर डालू।ं । 24 उ(हHने मनभावने दे श को िनकSमा जाना, और उसके वचन क ूतीित न क। 25 वे अपके तSबुओं म

कुड़कुड़ाए, और यहोवा का कहा न माना। 26 तब उस ने उनके वषय म शपथ

खाई क मE इनको जंगल म नाश कRंगा, 27 और इनके वंश को अ(यजाितयHके सSमुख िगरा दं ग ू ा, और दे श दे श म िततर बतर कRंगा।। 28 वे पोरवाले बाल दे वता को पूजने लगे और मुदJको चढ़ाए हुए पशुओं का मांस खाने लगे। 29 यHउ(हHने अपके कामHसे उसको बोध दलाया और मर: उन म फूट पड़:। 30 तब पीहास ने उठकर (यायद+ड दया, 'जस से मर: थम गई। 31 और यह उसके लेखे पीढ़: से पीढ़: तक सवOदा के िलथे धमO िगना गया।। 32 उ(हHने मर:बा के सोते के पास भी यहोवा का बोध भड़काया, और उनके कारण मूसा क हािन हुई; 33 यHक उ(हHने उसक आमा से बलवा कया, तब मूसा बन सोचे बोल उठा। 34 'जन लोगHके वषय यहोवा ने उ(ह आWा द: थी, उनको उ(हHने सयानाश न कया, 35 वरन उ(ह:ं जाितयHसे हलिमल गए और उनके eयवहारHको सीख िलया; 36 और उनक मूयHक पूजा करने लगे, और वे उनके िलथे फ(दा बन गई। 37 वरन उ(हHने अपके बेटे- बे टयHको पशाचHके िलथे बिलदान कया; 38 और अपके िनदzष बेटे- बेटयHका लोहू बहाथा 'ज(ह उ(हHने कनान क मूयHपर बिल कया, इसिलथे दे श खून से अपवऽा हो गया। 39 और वे आप अपके कामHके kारा अशुa हो गए, और अपके कायJके kारा eयिभचार: भी बन गए।। 40 तब यहोवा का बोध अप क ूजा पर भड़का, और उसको अपके िनज भाग से घृणा आई; 41 तब उस ने उनको अ(यजाितयHके वश म कर दया, और उनके बैgरयो ने उन पर ूभुता क। 42 उनके शऽुओं ने उन पर अ(धेर कया, और वे उनके हाथ तले दब गए। 43 बारSबार उस ने उ(ह छुड़ाया, पर(तु वे उसके वRa युf करते गए, और अपके अधमO के कारण दबते गए। 44 तौभी जब जब उनका िच`लाना उसके कान म पड़ा, तब तब उस ने उनके संकट पर l क! 45

और उनके हत अप क वाचा को ःमरण करके अप क अपार कRणा के अनुसार तरस खाया, 46 औौ जो उ(ह ब(धुए करके ले गए थे उन सब से उन पर दया कराई।। 47 हे हमारे परमे र यहोवा, हमारा उaार कर, और हम

अ(यजाितयHम से इक=ठा कर ले, क हम तेरे पवऽा नाम का ध(यवाद कर , और ते र: ःतुित करते हुए तेरे वषय म बड़ाई कर ।। 48 इॐाएल का परमे र यहोवा अनादकाल से अन(तकाल तक ध(य है ! और सार: ूजा कहे आमीन! याह क ःतुित करो।। भजन संहता 107 1 यहोवा का ध(यवाद करो, यHक वह भला है ; और उसक कRणा सदा क है ! 2 यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ह: कह , 'ज(ह उस ने िोह: के हाथ से दाम दे कर छुड़ा िलया है , 3 और उ(ह दे श दे श से पूरब- प'_म, उर और द' खन से इक=ठा कया है ।। 4 वे जंगल म मRभूिम के मागO पर भटकते फरे , और कोई बसा हुआ नगर न पाया; 5 भूख और €यास के मारे , वे वकल हो गए। 6 तब उ(हHने संकट म यहोवा क दोहाई द:, और उस ने उनको सकेती से छुड़ाया; 7 और उनको ठqक मागO पर चलाया, ताक वे बसने के िलथे कसी नगर को जा पहंु चे। 8 लोग यहोवा क कRणा के कारण, और उन आ_यOकमJके कारण, जो वह मनुंयHके िलथे करता है , उसका ध(यवाद कर ! 9 यHक वह अिभलाषी जीव को स(तु करता है , और भूखे को उम पदाथJसे तृT करता है ।। 10 जो अ'(ध कारने और मृयु क छाया म बैठे, और द:ु ख म पके और बेड़यHसे जकड़े हुए थे, 11 इसिलथे क वे ई र के वचनHके वRa चले, और परमूधान क सSमित को तु.छ जाना। 12

तब उसने उनको क के kारा दबाया; वे ठोकर खाकर िगर पके, और उनको कोई सहाथक न िमला। 13 तब उ(हHने संकट म यहोवा क दोहाई द:, और उस न सकेती से उनका उaार कया; 14 उस ने उनको अ'(ध कारने और मृयु क छाया म से िनकाल िलया; और उनके ब(धनHको तोड़ डाला। 15 लोग यहोवा क कRणा के कारण, और उन आ_यOकमJके कारण जो वह मनुंयHके िलथे करता है , उसका ध(यवाद कर ! 16 यHक उस ने पीतल के फाटकHको तोड़ा, और लोहे के बे+डHको टु कड़े टु कड़े कया।। 17 मूढ़ अप क कुचाल, और अधमO के कामHके कारण अित द:ु 'खत होते हE । 18 उनका जी सब भांित के भोजन से िमचलाता है , और वे मृयु के फाटक तक पहंु चते हE । 19 तब वे संकट म यहोवा क दोहाई दे ते हE , और व सकेती से उनका उaार करता है ; 20 वह अपके वचन के kारा उनको चंगा करता और 'जस गड़हे म वे पके हE , उस से िनकालता है । 21 लोग यहोवा क कRणा के कारण और उन आ_यOकमJके कारण जो वह मनुंयHके िलथे करता है , उसका ध(यवाद कर ! 22 और वे ध(यवादबिल चढ़ाएं, और जयजयकार करते हुए, उसके कामHका वणOन कर ।। 23 जो लोग जहाजHम समुि पर चलते हE , और महासागर पर होकर eयोपार करते हE ; 24 वे यहोवा के कामHको, और उन आ_यOकमJको जो वह गहरे समुि म करता है , दे खते हE । 25 यHक वह आWा दे ता है , वह ूच+ड बयार उठकर तरं गHको उठाती है । 26 वे आकाश तक चढ़ जाते, फर गहराई म उतर आते हE ; और लेश के मारे उनके जी म जी नह:ं रहता; 27 वे च कर खाते, और मतवाले क नाई लड़खड़ाते हE , और उनक सार: बुa मार: जाती है । 28 तब वे संकट म यहोवा क दोहाई दे ते हE , और वह उनको सकेती से िनकालता है । 29 वह आंधी को थाम दे ता है और तरं ग बैठ जाती हE । 30 तब वे

उनके बैठने से आन'(दत होते हE , और वह उनको मन चाहे ब(दर ःथान म पहंु चा दे ता है । 31 लोग यहोवा क कRणा के कारण, और वह उन आ_यOकमJके कारण जो वह मनुंयHके िलथे करता है , उसका ध(यवाद कर । 32 और सभा म उसको सराह , और पुरितयHके बैठक म उसक ःतुित कर ।। 33 वह नदयHको जंगल बना डालता है , और जल के सोतHको सूखी भूिम कर दे ता है । 34 वह फलव(त भूिम को नोनी करता है , यह वहां के रहनेवालHक द ु ता के कारण होता है । 35 वह जंगल को जल का ताल, और िनजOल दे श को जल के सोते कर दे ता है । 36 और वहां वह भूखHको बसाता है , क वे बसने के िलथे नगर तैयार कर ; 37 और खेती कर , और दाख क बाgरयां लगाएं, और भांित भांित के फल उपजा ल । 38 और वह उनको ऐसी आशीष दे ता है क वे बहुत बढ़ जाते हE , और उनके पशुओं को भी वह घटने नह:ं दे ता।। 39 फर अ(धेर, वप और शोक के कारण, वे घटते और दब जाते हE । 40 और वह हाकमHको अपमान से लादकर मागO रहत जंगल म भटकाता है ; 41 वह दgरिHको द:ु ख से छुड़ाकर ऊंचे पर रखता है , और उनको भेड़Hके झुंड सा पgरवार दे ता है । 42 सीधे लोग दे खकर आन'(दत होते हE ; और सब कुटल लोग अपके मुह ं ब(द करते हE । 43 जो कोई बुaमान हो, वह इन बातHपर ~यान करे गा; और यहोवा क कRणा के कामHपर ~यान करे गा।। भजन संहता 108 1 हे परमे र, मेरा Ÿदय 'ःा है ; मE गाऊंगा, मE अप क आमा से भी भजन गाऊंगा। 2 हे सारं गी और वीणा जागो! मE आप पौ फटते जाग उठूं गा! 3 हे यहोवा, मE दे श दे श के लोगHके म~य म तेरा ध(यवाद कRंगा, और राGय राGय के

लोगHके म~य म ते रा भजन गाऊंगा। 4 यHक तेर: कRणा आकाश से भी ऊंची है , और तेर: स.चाई आकाशम+डल तक है ।। 5 हे परमे र, तू ःवगO के ऊपर हो! और ते र: महमा सार: पृवी के ऊपर हो! 6 इसिलथे क तेरे ूय छुड़ाए जाएं, तू अपके दहने हाथ से बचा ले और हमार: बनती सुन ले! 7 परमे र ने अप क पवऽाता म होकर कहा है , मE ूफु'`लत होकर शेकेम को बांट लूग ं ा, और सु कोत क तराई को नपवाऊंगा। 8 िगलाद मेरा है , मनँशे भी मेरा है ; और एूैम मेरे िसर का टोप है ; यहूदा मेरा राजद+ड है । 9 मोआब मेरे धोने का पाऽा है , मE एदोम पर अपना जूता फ कूंगा, पिलँत पर मE जयजयकार कRंगा।। 10 मुझे गढ़वाले नगर म कौन पहंु चाएगा? ऐदोम तक मेर: अगुवाई कस ने क हE ? 11 हे परमे र, या तू ने हम को नह:ं याग दया, और हे परमे र, तू हमार: सेना के साथ पयान नह:ं करता। 12 िोहयHके वRa हमार: सहाथता कर, यHक मनुंय का कया हुआ छुटकारा eयथO है ! 13 परमे र क सहाथता से हम वीरता दखाएंगे, हमारे िोहयHको वह: रxदे गा।। भजन संहता 109 1 हे परमे र तू 'जसक मE ःतुित करता हंू , चुप न रह। 2 यHक द ु और कप क मनुंयHने मेरे वRa मुह ं खोला है , वे मेरे वषय म झूठ बोलते हE । 3 और उ(हHने बैर के वचनHसे मुझे चारHओर घेर िलया है , और eयथO मुझ से लड़ते हE । 4 मेरे ूेम के बदले म वे मुझ से वरोध करते हE , पर(तु म तो ूाथOना म लवलीन रहता हंू । 5 उ(हHने भलाई के पलटे म मुझ से बुराई क और मेरे ूेम के बदले मुझ से बैर कया है ।। 6 तू उसको कसी द ु के अिध कारने म रख, और कोई

वरोधी उसक दहनी ओर खड़ा रहे । 7 जब उसका (याय कया जाए, तब वह दोषी िनकले, और उसक ूाथOना पाप िगनी जाए! 8 उसके दन थोड़े हH, और उसके पद को दस ू रा ले! 9 उसक लड़केबाले अनाथ हो जाएं और उसक \ी वधवा हो जाए! 10 और उसके लड़के मारे मारे फर , और भीख मांगा करे ; उनको उनके उजड़े हुए घर से दरू जाकर टु कड़े मांगना पके! 11 महाजन फ(दा लगाकर, उसका सवOःव ले ले; और परदे शी उसक कमाई को लूट ल ! 12 कोई न हो जो उस पर कRणा करता रहे , और उसके अनाथ बालकHपर कोई अनुमह न करे ! 13 उसका वंश नाश हो जाए, दस ू र: पीढ़: म उसका नाम िमट जाए! 14 उसके पतरHका अधमO यहोवा को ःमरण रहे , और उसक माता का पाप न िमटे ! 15 वह िनर(तर यहोवा के सSमुख रहे , क वह उनका नाम पृवी पर से िमटा डाले! 16 यHक वह द ु , कृपा करना भूल गया वरन द: और दgरि को सताता था और मार डालने क इ.छा से खे दत मनवालHके पीछे पड़ा रहता था।। 17 वह शाप दे ने म ूीित रखता था, और शाप उस पर आ पड़ा; वह आशीवाOद दे ने से ूस(न न होता था, सो आशhवाद उस से दरू रहा। 18 वह शाप दे ना व\ा क नाई पहनता था, और वह उसके पेट म जल क नाई और उसक ह‰डयHम तेल क नाई समा गया। 19 वह उसके िलथे ओढ़ने का काम दे , और फ टे क नाL उसक कट म

िनय कसा रहे ।। 20 यहोवा क ओर से मेरे वरोिधयHको, और मेरे वRa बुरा कहनेवालHको यह: बदला िमले! 21 पर(तु मुझ से हे यहोवा ूभु, तू अपके नाम के िनिम बताOव कर; तेर: कRणा तो बड़: है , सो तू मुझे छुटकारा दे ! 22 यHक मE द: और दgरि हंू , और मेरा Ÿदय घायल हुआ है । 23 मE ढलती हुई छाया क नाई जाता रहा हंू ; मE ट]ड: के समान उड़ा दया गया हंू । 24 उपवास करते करते मेरे

घुटने िनबOल हो गए; और मुझ म चबh न रहने से मE सूख गया हंू । 25 मेर: तो उन लोगHसे नामधराई होती है ; जब वे मुझे दे खते, तब िसर हलाते हE ।। 26 हे मेरे परमे र यहोवा, मेर: सहाथता कर! अप क कRणा के अनुसार मेरा उaार कर! 27 'जस से वे जाने क यह तेरा काम है , और हे यहोवा, तू ह: ने यह कया है ! 28 वे कोसते तो रह , पर(तु तू आशीष दे ! वे तो उठते ह: ल'Gजत हH, पर(तु ते रा दास आन'(दत हो! 29 मेरे वरोिधयHको अनादरRपी व\ा पहनाया जाए, और वे अप क लGजा को कSबल क नाL ओढ़ ! 30 मE यहोवा का बहुत ध(यवाद कRंगा, और बहुत लोगHके बीच म उसक ःतुित कRंगा। 31 यHक वह दgरि क दहनी ओर खड़ा रहे गा, क उसको घात करनेवाले (यािययHसे बचाए।। भजन संहता 110 1 मेरे ूभु से यहोवा क वाणी यह है , क तू मेरे दहने हाथ बैठ, जब तक मE तेरे शऽुओं को तेरे चरणHक चौक न कर दं ।ू । 2 तेरे पराबम का राजद+ड यहोवा िसरयोन से बढ़ाएगा। तू अपके शऽुओं के बीच म शासन कर। 3 तेर: ूजा के लोगर तेरे पराबम के दन ःवे.छाबिल बनते हE ; ते रे जवान लोग पवऽाता से शोभायमान, और भोर के गभO से ज(मी हुई ओस के समान ते रे पास हE । 4 यहोवा ने शपथ खाई और न पछताएगा, क तू मे`कसेदेक क र:ित पर सवOदा का याजक है ।। 5 ूभु तेर: दहनी ओर होकर अपके बोध के दन राजाओं को चूर कर दे गा। 6 वह जाित जाित म (याय चुकाएगा, रणभूिम लोथHसे भर जाएगी; वह लSबे चौड़े दे श के ूधान को चूर चूर कर दे गा। 7 वह मागO म चलता हुआ नद: का जल पीएगा इस कारण वह िसर को ऊंचा करे गा।।

भजन संहता 111 1 याह क ःतुित करो। मE सीधे लोगHक गोvी म और म+डली म भी सSपूणO मन से यहोवा का ध(यवाद कRंगा। 2 यहोवा के काम बड़े हE , 'जतने उन से ूस(न रहते हE , वे उन पर ~यान लगाते हE । 3 उसके काम का वभवमय और ऐ रयOमय होते हE , और उसका धन सदा तक बना रहे गा। 4 उस ने अपके आ_यOकमJका ःमरण कराया है ; यहोवा अनुमहकार: और दयाव(त है । 5 उस ने अपके डरवैयHको आहार दया है ; वह अप क वाचा को सदा तक ःमरण रखेगा। 6 उस ने अप क ूजा को अ(यजाितयHका भाग दे ने के िलथे, अपके कामHका ूताप दखाया है । 7 स.चाई और (याय उसके हाथHके काम हE ; उसके सब उपकेश व ासयोbय हE , 8 वे सदा सवOदा अटल रह गे, वे स.चाई और िसधाई से कए हुए हE । 9 उस ने अप क ूजा का उaार कया है ; उस ने अप क वाचा को सदा के िलथे ठहराया है । उसका नाम पवऽा और भययोbय है । 10 बुa का मूल यहोवा का भय है ; 'जतने उसक आWाओं को मानते हE , उनक बुa अ.छq होती है । उसक ःतुित सदा बनी रहे गी।। भजन संहता 112 1 याह क ःतुित करो। या ह: ध(य है वह पुRष जो यहोवा का भय मानता है , और उसक आWाओं से अित ूस(न रहता है ! 2 उसका वंश पृवी पर पराबमी होगा; सीधे लोगHक स(तान आशीष पाएगी। 3 उसके घर म धन सSप रहती है ; और उसका धमO सदा बना रहे गा। 4 सीधे लोगHके िलथे अ(धकार के बीच म

Gयोित उदय होती है ; वह अनुमहकार:, दयाव(त और धमh होता है । 5 जो पुRष

अनुमह करता और उधार दे ता है , उसका क`याण होता है , वह (याय म अपके मुक म को जीतेगा। 6 वह तो सदा तक अटल रहे गा; धमh का ःमरण सदा तक बना रहे गा। 7 वह बुरे समाचार से नह:ं डरता; उसका Ÿदय यहोवा पर भरोसा रखने से 'ःथर रहता है । 8 उसका Ÿदय सSभला हुआ है , इसिलथे वह न डरे गा, वरन अपके िोहयHपर l करके स(तु होगा। 9 उस ने उदारता से दgरिHको दान दया, उसका धमO सदा बना रहे गा और उसका सींग महमा के साथ ऊंचा कया जाएगा। 10 द ु उसे दे खकर कुढे गा; वह दांत पीस- पीसकर गल जाएगा; द ु Hक लालसा पूर: न होगी।। भजन संहता 113 1 याह क ःतुित करो हे यहोवा के दासHःतुित करो, यहोवा के नाम क ःतुित करो! 2 यहोवा का नाम अब से लेकर सवOदा तक ध(य कहा जाय! 3 उदयाचल से लेकर अःताचल तक, यहोवा का नाम ःतुित के योbय है । 4 यहोवा सार: जाितयHके ऊपर महान है , और उसक महमा आकाश से भी ऊंची है ।। 5 हमारे परमे र यहोवा के तु`य कौन है ? वह तो ऊंचे पर वराजमान है , 6 और आकाश और पृवी पर भी, l करने के िलथे झुकता है । 7 वह कंगाल को िम=ट: पर से, और दgरि को घूरे पर से उठाकर ऊंचा करता है , 8 क उसको ूधानHके संग, अथाOत ् अप क ूजा के ूधानHके संग बैठाए। 9 वह बांझ को घर म लड़कHक आन(द करनेवाली माता बनाता है । याह क ःतुित करो! भजन संहता 114

1 जब इॐाएल ने िम से, अथाOत ् याकूब के घराने ने अ(य भाषावालHके बीच म

कूच कया, 2 तब यहूदा यहोवा का पवऽाःथान और इॐाएल उसके राGय के लोग हो गए।। 3 समुि दे खकर भागा, यदO न नद: उलट: बह:। 4 पहाड़ मेढ़Hक नाL उछलने लगे, और पहाड़यां भेड़- बकgरयHके ब.चHक नाL उछलने लगीं।। 5 हे समुि, तुझे या हुआ, क तू भागा? और हे यदO न तुझे या हुआ, क तू उलठq बह:? 6 हे पहाड़HतुSह या हुआ, क तुम भेड़Hक नाL, और हे पहाड़यHतुSह या हुआ, क तुम भेड़- बकgरयHके ब.चHक नाL उछलीं? 7 हे पृवी ूभु के साSहने, हां याकूब के परमे र के साSहने थरथरा। 8 वह च=टान को जल का ताल, चकमक के पथर को जल का सोता बना डालता है ।। भजन संहता 115 1 हे यहोवा, हमार: नह:ं, हमार: नह:ं, वरन अपके ह: नाम क महमा, अप क कRणा और स.चाई के िनिम कर। 2 जाित जाित के लोग यHकहने पांए, क उनका परमे र कहां रहा? 3 हमारा परमे र तो ःवगO म हE ; उस ने जो चाहा वह: कया है । 4 उन लोगHक मूरत सोने चा(द: ह: क तो हE , वे मनुंयHके हाथ क बनाई हुई हE । 5 उनक मुह ं तो रहता है पर(तु वे बोल नह:ं सकती; उनके आंख तो रहती हE पर(तु वे दे ख नह:ं सकतीं। 6 उनके कान तो रहते हE , पर(तु वे सुन नह:ं सकतीं; उनके नाक तो रहती हE , पर(तु वे सूघ ं नह:ं सकतीं। 7 उनके हाथ तो रहते हE , पर(तु वे ःपशO नह:ं कर सकतीं; उनके पांव तो रहते हE , पर(तु वे चल नह:ं सकतीं; और उनके क+ठ से कुछ भी शcद नह:ं िनकाल सकतीं। 8 जैसी वे हE वैसे ह: उनके बनानेवाले हE ; और उन पर भरोसा रखनेवाले भी वैसे ह: हो जाएंगे।। 9 हे

इॐाएल यहोवा पर भरोसा रख! तेरा सहाथक और ढाल वह: है । 10 हे हाRन के घराने यहोवा पर भरोसा रख! तेरा सहाथक और ढाल वह: है । 11 हे यहोवा के डरवैयो, यहोवा पर भरोसा रखो! तुSहारा सहाथक और ढाल वह: है ।। 12 यहोवा ने हम को ःमरण कया है ; वह आशीष दे गा; वह इॐाएल के घराने को आशीष दे गा; वह हाRन के घराने को आशीष दे गा। 13 या छोटे या बड़े 'जतने यहोवा के डरवैथे हE , वह उ(ह आशीष दे गा।। 14 यहोवा तुम को और तुSहारे लड़कHको भी अिधक बढ़ाता जाए! 15 यहोवा जो आकाश और पृवी का कताO है , उसक ओर से तुम अशीष पाए हो।। 16 ःवगO तो यहोवा का है , पर(तु पृवी उस ने मनुंयHको द: है । 17 मृतक 'जतने चुपचाप पके हE , वे तो याह क ःतुित नह:ं कर सकते, 18 पर(तु हम लोग याह को अब से लेकर सवOदा तक ध(य कहते रह गे। याह क ःतुित करो! भजन संहता 116 1 मE ूेम रखता हंू , इसिलथे क यहोवा ने मेरे िगड़िगड़ाने को सुना है । 2 उस ने जो मेर: ओर कान लगाया है , इसिलथे मE जीवन भर उसको पुकारा कRंगा। 3 मृयु क र'ःसयां मेरे चारHओर थीं; मE अधोलोक क सकेती म पड़ा था; मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा। 4 तब मE ने यहोवा से ूाथOना क, क हे यहोवा बनती सुनकर मेरे ूाण को बचा ले! 5 यहोवा अनुमहकार: और धमh है ; और हमारा परमे र दया करनेवाला है । 6 यहोवा भोलHक रœा करता है ; जब मE बलह:न हो गया था, उस ने मेरा उaार कया। 7 हे मेरे ूाण तू अपके वौामःथान म लौट आ; यHक यहोवा ने तेरा उपकार कया है ।। 8 तू ने तो मेरे ूाण को मृयु से, मेर: आंख को

आंसू बहाने से, और मेरे पांव को ठोकर खाने से बचाया है । 9 मE जीवत रहते हुए, अपके को यहोवा के साSहने जानकर िनत चलता रहूंगा। 10 मE ने जो ऐसा कहा है , इसे व ास क कसौट: पर कस कर कहा है , क मE तो बहुत क द:ु 'खत हुआ; 11 मE ने उतावली से कहा, क सब मनुंय झूठ हE ।। 12 यहोवा ने मेरे 'जतने उपकार कए हE , उनका बदला मE उसको या दं ?ू 13 मE उaार का कटोरा उठाकर, यहोवा से ूाथOना कRंगा, 14 मE यहोवा के िलथे अप क म(नत सभHक l म

ूगट Rप म उसक सार: ूजा के साSहने पूर: कRंगा। 15 यहोवा के भfHक मृयु, उसक l म अनमोल है । 16 हे यहोवा, सुन, मE तो तेरा दास हंू ; मE तेरा दास, और तेर: दासी का पुऽा हंू । तू ने मेरे ब(धन खोल दए हE । 17 मE तुझ को ध(यवादबिल चढ़ाऊंगा, और यहोवा से ूाथOना कRंगा। 18 मE यहोवा के िलथे अप क म(नत , ूगट म उसक सार: ूजा के साSहने 19 यहोवा के भवन के आंगनHम , हे यRशलेम, तेरे भीतर पूर: कRंगा। याह क ःतुित करो! भजन संहता 117 1 हे जाित जाित के सब लोगHयहोवा क ःतुित करो! हे राGय राGय के सब लोगो, उसक ूशंसा करो! 2 यHक उसक कRणा हमारे ऊपर ूबल हुई है ; और यहोवा क स.चाई सदा क है याह क ःतुित करो! भजन संहता 118 1 यहोवा का ध(यवाद करो, यHक वह भला है ; और उसक कRणा सदा क है ! 2 इॐाएल कहे , उसक कRणा सदा क है । 3 हाRन का घराना कहे , उसक कRणा

सदा क है । 4 यहोवा के डरवैथे कहे , उसक कRणा सदा क है । 5 मE ने सकेती म

परमे र को पुकारा, परमे र ने मेर: सुनकर, मुझे चौड़े ःथान म पहुंचाया। 6 यहोवा मेर: ओर है , मE न डRंगा। मनुंय मेरा या कर सकता है ? 7 यहोवा मेर: ओर मेरे सहाथकHम है ; मE अपके बैgरयHपर l कर स(तु हंू गा। 8 यहोवा क शरण लेनी, मनुंय पर भरोसा रखने से उम है । 9 यहोवा क शरण लेनी, ूधानHपर भी भरोसा रखने से उम है ।। 10 सब जाितयHने मुझ को घेर िलया है ; पर(तु यहोवा के नाम से मE िन_य उ(ह नाश कर डालूग ं ा! 11 उ(हHने मुझ को घेर िलया है , िन:स(दे ह घेर िलया है ; पर(तु यहोवा के नाम से मE िन_य उ(ह नाश कर डालूग ं ा! 12 उ(हHने मुझे मधुम' खयHक नाL घेर िलया है , पर(तु कांटHक आग क नाL वे बुझ गए; यहोवा के नाम से मE िन_य उ(ह नाश कर डालूग ं ा! 13 तू ने मुझे बड़ा ध का दया तो था, क मE िगर पडू ं पर(तु यहोवा ने मेर: सहाथता क। 14 परमे र मेरा बल और भजन का वषय है ; वह मेरा उaार ठहरा है ।। 15 धिमOयHके तSबुओं म जयजयकार और उaार क ~विन हो रह: है , यहोवा के दहने हाथ से पराबम का काम होता है , 16 यहोवा का दहना हाथ महान हुआ है , यहोवा के दहने हाथ से पराबम का काम होता है ! 17 मE न मRंगा वरन जीवत रहंू गा, और परमे र परमे र के कामHका वणOन करता रहंू गा। 18 परमे र ने मेर: बड़: ताड़ना तो क है पर(तु मुझे मृयु के वश म नह:ं कया।। 19 मेरे िलथे धमO के kार खोलो, मE उन से ूवेश करके याह का ध(यवाद कRंगा।। 20 यहोवा का kार यह: है , इस से धमh ूवेश करने पाएंगे।। 21 हे यहोवा मE तेरा ध(यवाद कRंगा, यHक तू ने मेर: सुन ली है और मेरा उaार ठहर गया है । 22 राजिम'\यHने 'जस पथर को िनकSमा ठहराया था वह: कोने का िसरा हो गया

है । 23 यह तो यहोवा क ओर से हुआ है , यह हमार: l म अ›त ु है । 24 आज वह दन है जो यहोवा ने बनाया है ; हम इस म मगन और आन'(दत हH। 25 हे यहोवा, बनती सुन, उaार कर! हे यहोवा, बनती सुन, सफलता दे ! 26 ध(य है वह जो यहोवा के नाम से आता है ! हम ने तुम को यहोवा के घर से आशीवाOद दया है । 27 यहोवा ई र है , और उस ने हम को ूकाश दया है । यWपशु को वेद: के सींगHसे र'ःस कH बा(धो! 28 हे यहोवा, तू मेरा ई र है , मE तेरा ध(यवाद कRंगा; तू मेरा परमे र है , मE तुझ को सराहंू गा।। 29 यहोवा का ध(यवाद करो, यHक वह भला है ; और उसक कRणा सदा बनी रहे गी! भजन संहता 119 1 या ह: ध(य हE वे जो चाल के खरे हE , और यहोवा क eयवःथा पर चलते हE ! 2 या ह: ध(य हE वे जो उसक िचतौिनयHको मानते हE , और पूणO मन से उसके पास आते हE ! 3 फर वे कुटलता का काम नह:ं करते, वे उसके मागJम चलते हE । 4 तू ने अपके उपकेश इसिलथे दए हE , क वे य^ से माने जाएं। 5 भला होता क तेर: विधयHके मानने के िलथे मेर: चालचलन lढ़ हो जाए! 6 तब मE तेर: सब आWाओं क ओर िच लगाए रहंू गा, और मेर: आशा न टू टे गी। 7 जब मE तेरे धमOमय िनयमHको सीखूंगा, तब तेरा ध(यवाद सीधे मन से कRंगा। 8 मE तेर: विधयHको मानूग ं ा: मुझे पूर: र:ित से न तज! 9 जवान अप क चाल को कस उपाय से शुa रखे ? ते रे वचन के अनुसार सावधान रहने से। 10 मE पूरे मन से तेर: खोज मे लगा हंू ; मुझे तेर: आWाओं क बाट से भटकने न दे ! 11 मE ने तेरे वचन को अपके Ÿदय म रख छोड़ा है , क ते रे वRa पाप न कRं। 12 हे यहोवा, तू ध(य

है ; मुझे अप क विधयां िसखा! 13 तेरे सब कहे हुए िनयमHका वणOन, मE ने अपके मुह ं से कया है । 14 मE ते र: िचतौिनयHके मागO से, मानHसब ूकार के धन से हषOत हुआ हंू । 15 मE तेरे उपकेशHपर ~यान कRंगा, और तेरे मागJक ओर l रखूंगा। 16 मE तेर: विधयHसे सुख पाऊंगा; और तेरे वचन को न भूलग ूं ा।। 17 अपके दास का उपकार कर, क मE जीवत रहंू , और तेरे वचन पर चलता रहंू । 18 मेर: आंख खोल दे , क मE ते र: eयवःथा क अ›त ु बात दे ख सकूं। 19 मE तो पृवी पर परदे शी हंू ; अप क आWाओं को मुझ से िछपाए न रख! 20 मेरा मन तेरे िनयमHक अिभलाषा के कारण हर समय खेदत रहता है । 21 तू ने अिभमािनयHको, जो शापत हE , घुड़का है , वे तेर: आWाओं क बाट से भटके हुए हE । 22 मेर: नामधराई और अपमान दरू कर, यHक मE तेर: िचतौिनयHको पकड़े हंू । 23 हाकम भी बैठे हुए आपास म मेरे वRa बात करते थे, पर(तु तेरा दास तेर: विधयHपर ~यान करता रहा। 24 तेर: िचतौिनयां मेरा सुखमूल और मेरे म(ऽी हE ।। 25 मE धूल म पड़ा हंू ; तू अपके वचन के अनुसार मुझ को 'जला! 26 मE ने अप क चालचलन का तुझ से वणOन कया है और तू ने मेर: बात मान ली है ; तू मुझ को अप क विधयां िसखा! 27 अपके उपकेशHका मागO मुझे बता, तब मE तेरे आँयचOकमJपर ~यान कRंगा। 28 मेरा जीवन उदासी के मारे गल चला है ; तू अपके वचन के अनुसार मुझे सSभल! 29 मुझ को झूठ के मागO से दरू कर; और कRणा करके अप क eयवःथा मुझे दे । 30 मE ने स.चाई का मागO चुन िलया है , तेरे िनयमHक ओर मE िच लगाए रहता हंू । 31 मE तेर: िचतौिनयHम लवलीन हंू , हे यहोवा, मेर: आशा न तोड़! 32 जब तू मेरा हयाव बढ़ाएगा, तब मE तेर: आWाओ के मागO म दौडू ं गा।। 33 हे यहोवा, मुझे अप क विधयHका मागO दखा दे ; तब मE

उसे अ(त तक पकड़े रहंू गा। 34 मुझे समझ दे , तब मE तेर: eयवःथा को पकड़े रहूंगा और पूणO मन से उस पर चलूग ं ा। 35 अप क आWाओं के पथ म मुझ को चला, यHक मE उसी से ूस(न हंू । 36 मेरे मन को लोभ क ओर नह:ं, अप क िचतौिनयHह: क ओर फेर दे । 37 मेर: आंखHको eयथO वःतुओं क ओर से फेर दे ; तू अपके मागO म मुझे 'जला। 38 तेरा वचन जो तेरे भय माननेवालHके िलथे है , उसको अपके दास के िनिम भी पूरा कर। 39 'जस नामधराई से मE डरता हूं, उसे दरू कर; यHक ते रे िनयम उम हE । 40 दे ख, मE तेरे उपकेशHका अिभलाषी हंू ; अपके धमO के कारण मुझ को 'जला। 41 हे यहोवा, तेर: कRणा और तेरा कया हुआ उaार, तेरे वचन के अनुसार, मुझ को भी िमले; 42 तब मE अप क नामधराई करनेवालHको कुछ उर दे सकूंगा, यHक मेरा भरोसा, तेरे वचन पर है । 43 मुझे अपके सय वचन कहने से न रोक यHक मेर: आशा तेरे िनयमHपर है । 44 तब मE तेर: eयवःथा पर लगातार, सदा सवOदा चलता रहंू गा; 45 और मE चोड़े ःथान म चला फरा कRंगा, यHक मE ने ते रे उपकेशHक सुिध रखी है । 46 और मE तेर: िचतौिनयHक चचाO राजाओं के साSहने भी कRंगा, और संकोच न कRंगा; 47 यHक मE तेर: आWाओं के कारण सुखी हंू , और मE उन से ूीित रखता हंू । 48 मE ते र: आWाओं क ओर 'जन म मE ूीित रखता हंू , हाथ फैलाऊंगा और तेर: विधयHपर ~यान कRंगा।। 49 जो वचन तू ने अपके दास को दया है , उसे ःमरण कर, यHक तू ने मुझे आशा द: है । 50 मेरे द:ु ख म मुझे शा'(त उसी से हुई है , यHक तेरे वचन के kारा मE ने जीवन पाया है । 51 अिभमािनयHने मुझे अय(त ठ=ठे म उड़ाया है , तौभी मE तेर: eयवःथा से नह:ं हटा। 52 हे यहोवा, मE ने तेरे ूाचीन िनयमHको ःमरण करके शा'(त पाई है । 53 जो द ु ते र: eयवःथा

को छोड़े हुए हE , उनके कारण मE स(ताप से जलता हंू । 54 जहां मE परदे शी होकर रहता हूं, वहां तेर: विधयां, मेरे गीत गाने का वषय बनी हE । 55 हे यहोवा, मE ने रात को तेरा नाम ःमरण कया और तेर: eयवःथा पर चला हंू । 56 यह मुझ से इस कारण हुआ, क मE तेरे उपकेशHको पकड़े हुए था।। 57 यहोवा मेरा भाग है ; मE ने तेरे वचनHके अनुसार चलने का िन_य कया है । 58 मE ने पूरे मन से तुझे मनाया है ; इसिलथे अपके वचन के अनुसार मुझ पर अनुमह कर। 59 मE ने अप क चालचलन को सोचा, और ते र: िचतौिनयHका मागO िलया। 60 मE ने तेर: आWाओं के मानने म वलSब नह:ं, फुतh क है । 61 मE द ु Hक र'ःस कH ब(ध गया हंू , तौभी मE तेर: eयवःथा को नह:ं भूला। 62 ते रे धमOमय िनयमHके कारण मE आधी रात को तेरा ध(यवाद करने को उठू ं गा। 63 'जतने तेरा भय मानते और तेरे उपकेशHपर चलते हE , उनका मE संगी हंू । 64 हे यहोवा, तेर: कRणा पृवी म भर: हुई है ; तू मुझे अप क विधयां िसखा! 65 हे यहोवा, तू ने अपके वचन के अनुसार अपके दास के संग भलाई क है । 66 मुझे भली ववेक- शf और Wान दे , यHक मE ने तेर: आWाओं का व ास कया है । 67 उस से पहले क मE द:ु 'खत हुआ, मE भटकता था; पर(तु अब मE तेरे वचन को मानता हंू । 68 तू भला है , और भला करता भी है ; मुझे अप क विधयां िसखा। 69 अिभमािनयHने तो मेरे वRa झूठ बात गढ़: है , पर(तु मE तेरे उपकेशHको पूरे मन से पकड़े रहंू गा। 70 उनका मन मोटा हो गया है , पर(तु मE तेर: eयवःथा के कारण सुखी हूं। 71 मुझे जो द:ु ख हुआ वह मेरे िलथे भला ह: हुआ है , 'जस से मE तेर: विधयHको सीख सकूं। 72 तेर: द: हुई eयवःथा मेरे िलथे हजारHRपयHऔर मुहरHसे भी उम है ।। 73 तेरे हाथHसे मE बनाया और रचा गया हंू ; मुझे समझ दे क मE तेर: आWाओं को

सीखूं। 74 तेरे डरवैथे मुझे दे खकर आन'(दत हHगे, यHक मE ने तेरे वचन पर आशा लगाई है । 75 हे यहोवा, मE जान गया क तेरे िनयम धमOमय हE , और तू ने अपके स.चाई के अनुसार मुझे द:ु ख दया है । 76 मुझे अप क कRणा से शा'(त दे , यHक तू ने अपके दास को ऐसा ह: वचन दया है । 77 ते र: दया मुझ पर हो, तब मE जीवत रहंू गा; यHक मE तेर: eयवःथा से सुखी हंू । 78 अिभमािनयHक आशा टू टे , यHक उ(हHने मुझे झूठ के kारा िगरा दया है ; पर(तु मE ते रे उपकेशHपर ~यान कRंगा। 79 जो तेरा भय मानते हE , वह मेर: ओर फर , तब वे तेर: िचतौिनयHको समझ ल गे। 80 मेरा मन तेर: विधयHके मानने म िसa हो, ऐसा न हो क मुझे ल'Gजत होना पके।। 81 मेरा ूाण ते रे उaार के िलथे बैचेन है ; पर(तु मुझे तेरे वचन पर आशा रहती है । 82 मेर: आंख तेरे वचन के पूरे होने क बाट जोहते जोहते रह गL है ; और मE कहता हंू क तू मुझे कब शा'(त दे गा? 83 यHक मE धूएं म क कु€पी के समान हो गया हंू , तौभी तेर: विधयHको नह:ं भूला। 84 तेरे दास के कतने दन रह गए हE ? तू मेरे पीछे पके हुओं को द+ड कब दे गा? 85 अिभमानी जो तर: eयवःथा के अनुसार नह:ं चलते, उ(हHने मेरे िलथे गड़हे खोदे हE । 86 तेर: सब आWाएं व ासयोbय हE ; वे लोग झूठ बोलते हुए मेरे पीछे पके हE ; तू मेर: सहाथता कर! 87 वे मुझ को पृवी पर से िमटा डालने ह: पर थे, पर(तु मE ने तेरे उपकेशHको नह:ं छोड़ा। 88 अप क कRणा के अनुसार मुझ को 'जला, तब मE तेर: द: हुई िचतौनी को मानूग ं ा।। 89 हे यहोवा, तेरा वचन, आकाश म सदा तक 'ःथर रहता है । 90 ते र: स.चाई पीढ़: से पीढ़: तक बनी रहती है ; तू ने पृवी को 'ःथर कया, इसिलथे वह बनी है । 91 वे आज के दन तक तेरे िनयमHके अनुसार ठहरे हE ; यHक सार: सृ तेरे अधीन है । 92 यद मE तेर:

eयवःथा से सुखी न होता, तो मE द:ु ख के समय नाश हो जाता। 93 मE तेरे उपकेशHको कभी न भूलग ूं ा; यHक उ(ह:ं के kारा तू ने मुझे 'जलाया है । 94 मE तेरा ह: हंू , तू मेरा उaार कर; यHक मE तेरे उपकेशHक सुिध रखता हंू । 95 द ु मेरा नाश करने के िलथे मेर: घात म लगे हE ; पर(तु मE तेर: िचतौिनयHपर ~यान करता हंू । 96 'जतनी बात पूर: जान पड़ती हE , उन सब को तो मE ने अधूर: पाया है , पर(तु तेर: आWा का वःतार बड़ा है ।। 97 अहा! मE ते र: eयवःथा म कैसी ूीित रखता हंू ! दन भर मेरा ~यान उसी पर लगा रहता है । 98 तू अप क आWाओं के kारा मुझे अपके शऽुओं से अिधक बुaमान करता है , यHक वे सदा मेरे मन म

रहती हE । 99 मE अपके सब िशœकHसे भी अिधक समझ रखता हंू , यHक मेरा ~यान तेर: िचतौिनयHपर लगा है । 100 मE पुरिनयHसे भी समझदार हूं, यHक मE तेरे उपकेशHको पकड़े हुए हंू । 101 मE ने अपके पांवHको हर एक बुरे राःते से रोक रखा है , 'जस से मE तेरे वचन के अनुसार चलू।ं 102 मE ते रे िनयमHसे नह:ं हटा, यHक तू ह: ने मुझे िशœा द: है । 103 ते रे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हE , वे मेरे मुह ं म मधु से भी मीठे हE ! 104 तेरे उपकेशHके कारण मE समझदार हो जाता हूं, इसिलथे मE सब िमया मागJसे बैर रखता हंू ।। 105 तेरा वचन मेरे पांव के िलथे द:पक, और मेरे मागO के िलथे उ'जयाला है । 106 मE ने शपथ खाई, और ठाना भी है क मE ते रे धमOपय िनयमHके अनुसार चलूग ं ा। 107 मE अय(त द:ु ख म पड़ा हंू ; हे यहोवा, अपके वचन के अनुसार मुझे 'जला। 108 हे यहोवा, मेरे वचनHको ःवे.छाबिल जानकर महण कर, और अपके िनयमHको मुझे िसखा। 109 मेरा ूाण िनर(तर मेर: हथेली पर रहता है , तौभी मE तेर: eयवःथा को भूल नह:ं गया। 110 द ु Hने मेरे िलथे फ(दा लगाया है , पर(तु मE तेरे उपकेशHके मागO से नह:ं

भटका। 111 मE ने तेर: िचतौिनयHको सदा के िलथे अपना िनज भाग कर िलया है , यHक वे मेरे Ÿदय के हषO का कारण है । 112 मE ने अपके मन को इस बात पर लगाया है , क अ(त तक तेर: विधयHपर सदा चलता रहंू । 113 मE दिु चHसे तो बैर रखता हंू , पर(तु तेर: eयवःथा से ूीित रखता हंू । 114 तू मेर: आड़ और ढ़ाल है ; मेर: आशा तेरे वचन पर है । 115 हे कुकिमOयH, मुझ से दरू हो जाओ, क मE अपके परमे र क आWाओं को पकड़े रहूं। 116 हे यहोवा, अपके वचन के अनुसार मुझे सSभाल, क मE जीवत रहंू , और मेर: आशा को न तोड़! 117 मुझे थांभ रख, तब मE बचा रहंू गा, और िनर(तर तेर: विधयHक ओर िच लगाए रहंू गा! 118 'जतने ते र: विधयHके मागO से भटक जाते हE , उन सब को तू तु.छ जानता है , यHक उनक चतुराई झूठ है । 119 तू ने पृवी के सब द ु Hको धातु के मैल के समान दरू कया है ; इस कारण मE तेर: िचतौिनयHम ूीित रखता हंू । 120 तेरे भय से मेरा शर:र कांप उठता है , और मE ते रे िनयमHसे डरता हंू ।। 121 मE ने तो (याय और धमO का काम कया है ; तू मुझे अ(धेर करनेवालHके हाथ म न छोड़। 122 अपके दास क भलाई के िलथे जािमन हो, ताक अिभमानी मुझ पर अ(धेर न करने पांए। 123 मेर: आंख तुझ से उaार पाने, और तेरे धमOमय वचन के पूरे होने क बाट जोहते जोहते रह गई हE । 124 अपके दास के संग अप क कRणा के अनुसार बताOव कर, और अप क विधयां मुझे िसखा। 125 मE तेरा दास हंू , तू मुझे समझ दे क मE तेर: िचतौिनयHको समझूं। 126 वह समय आया है , क यहोवा काम करे , यHक लोगHने तेर: eयवःथा को तोड़ दया है । 127 इस कारण मE तेर: आWाओं को सोने से वरन कु(दन से भी अिधक ूय मानता हंू । 128 इसी कारण मE तेरे सब उपकेशHको सब वषयHम ठqक जानता हंू ; और सब िमया

मागJसे बैर रखता हंू ।। 129 तेर: िचतौिनयां अनूप हE , इस कारण मE उ(ह अपके जी से पकड़े हुए हूं। 130 तेर: बातHके खुलने से ूाकाश होता है ; उस से भोले लोग समझ ूाT करते हE । 131 मE मुह ं खोलकर हांफने लगा, यHक मE तेर: आWाओं का €यासा था। 132 जैसी तेर: र:ित अपके नाम क ूीित रखनेवालHसे है , वैसे ह: मेर: ओर भी फरकर मुझ पर अनुमह कर। 133 मेरे पैरHको अपके वचन के मागO पर 'ःथर कर, और कसी अनथO बात को मुझ पर ूभुता न करने दे । 134 मुझे मनुंयHके अ(धेर से छुड़ा ले, तब मE तेरे उपकेशHको मानूग ं ा। 135 अपके दास पर अपके मुख का ूकाश चमका दे , और अप क विधयां मुझे िसखा। 136 मेर: आंखHसे जल क धारा बहती रहती है , यHक लोग ते र: eयवःथा को नह:ं मानते।। 137 हे यहोवा तू धमh है , और तेरे िनयम सीधे हE । 138 तू ने अप क िचतौिनयHको धमO और पूर: सयता से कहा है । 139 मE तेर: धुन म भःम हो रहा हंू , यHक मेरे सतानेवाले तेरे वचनHको भूल गए हE । 140 तेरा वचन पूर: र:ित से ताया हुआ है , इसिलथे तेरा दास उस म ूीित रखता है । 141 मE छोटा और तु.छ हूं, तौभी मE तेरे उपकेशHको नह: भूलता। 142 ते रा धमO सदा का धमO है , और तेर: eयवःथा सय है । 143 मE संकट और सकेती म फंसा हंू , पर(तु मE तेर: आWाओं से सुखी हंू । 144 तेर: िचतौिनयां सदा धमOमय हE ; तू मुझ को समझ दे क मE जीवत रहंू ।। 145 मE ने सारे मन से ूाथOना क है , हे यहोवा मेर: सुन लेना! मE तेर: विधयHको पकड़े रहूंगा। 146 मE ने तुझ से ूाथOना क है , तू मेरा उaार कर, और मE तेर: िचतौिनयHको माना कRंगा। 147 मE ने पौ फटने से पहले दोहाई द:; मेर: आशा ते रे वचनHपर थी। 148 मेर: आंख रात के एक एक पहर से पहले खुल गL, क मE तेरे वचन पर ~यान कRं। 149 अप क कRणा के अनुसार मेर: सुन ले; हे

यहोवा, अप क र:ित के अनुसार मुझे जीवत कर। 150 जो द ु ता म धुन लगाते हE , वे िनकट आ गए हE ; वे ते र: eयवःथा से दरू हE । 151 हे यहोवा, तू िनकट है , और ते र: सब आWाएं सय हE । 152 बहुत काल से मE ते र: िचतौिनयHको जानता हंू , क तू ने उनक नेव सदा के िलथे डाली है ।। 153 मेरे द:ु ख को दे खकर मुझे छुड़ा ले, यHक मE तेर: eयवःथा को भूल नह:ं गया। 154 मेरा मुक मा लड़, और मुझे छुड़ा ले; अपके वचन के अनुसार मुझ को 'जला। 155 द ु Hको उaार िमलना कठन है , यHक वे ते र: विधयHक सुिध नह:ं रखते। 156 हे यहोवा, तेर: दया तो बड़: है ; इसिलथे अपके िनयमHके अनुसार मुझे 'जला। 157 मेरा पीछा करनेवाले और मेरे सतानेवाले बहुत हE , पर(तु मE तेर: िचतौिनयHसे नह:ं हटता। 158 मE व ासघाितयHको दे खकर उदास हुआ, यHक वे ते रे वचन को नह:ं मानते। 159 दे ख, मE तेरे िनयमHसे कैसी ूीित रखता हंू ! हे यहोवा, अप क कRणा के अनुसार मुझ को 'जला। 160 तेरा सारा वचन सय ह: है ; और तेरा एक एक धमOमय िनयम सदा काल तक अटल है ।। 161 हाकम eयथO मेरे पीछे पके हE , पर(तु मेरा Ÿदय तेरे वचनHका भय मानता है । 162 जैसे कोई बड़: लूट पाकर हषOत होता है , वैसे ह: मE ते रे वचन के कारण हषOत हंू । 163 झूठ से तो मE बैर और घृणा रखता हंू , पर(तु तेर: eयवःथा से ूीित रखता हंू । 164 तेरे धमOमय िनयमHके कारण मE ूितदन सात बेर ते र: ःतुित करता हंू । 165 ते र: eयवःथा से ूीित रखनेवालHको बड़: शा'(त होती है ; और उनको कुछ ठोकर नह:ं लगती। 166 हे यहोवा, मE तुझ से उaार पाने क आशा रखता हंू ; और तेर: आWाओं पर चलता आया हंू । 167 मE तेर: िचतौिनयHको जी से मानता हंू , और उन से बहुत ूीित रखता आया हंू । 168 मE तेरे उपकेशHऔर िचतौिनयHको मानता आया हंू , यHक मेर: सार: चालचलन

तेरे सSमुख ूगट है ।। 169 हे यहोवा, मेर: दोहाई तुझ तक पहंु चे; तू अपके वचन के अनुसार मुझे समझ दे ! 170 मेरा िगड़िगड़ाना तुझ तक पहुंचे; तू अपके वचन के अनुसार मुझे छुड़ा ले। 171 मेरे मुह ं से ःतुित िनकला करे , यHक तू मुझे अप क विधयां िसखाता है । 172 मE ते रे वचन का गीत गाऊंगा, यHक तेर: सब आWाएं धमOमय हE । 173 तेरा हाथ मेर: सहाथता करने को तैयार रहता है , यHक मE ने तेरे उपकेशHको अपनाया है । 174 हे यहोवा, मE तुझ से उaार पाने क अिभलाषा करता हंू , मE तेर: eयवःथा से सुखी हंू । 175 मुझे 'जला, और मE तेर: ःतुित कRंगा, तेरे िनयमHसे मेर: सहाथता हो। 176 मE खोई हुई भेड़ क नाL भटका हंू ; तू अपके दास को ढू ं ढ़ ले, यHक मE तेर: आWाओं को भूल नह:ं गया।। भजन संहता 120 1 संकट के समय मE ने यहोवा को पुकारा, और उस ने मेर: सुन ली। 2 हे यहोवा, झूठ बोलनेवाले मुह ं से और छली जीभ से मेर: रœा कर।। 3 हे छली जीभ, तुझ को या िमले? और ते रे साथ और या अिधक कया जाए? 4 वीर के नोकले तीर और झाऊ के अंगारे ! 5 हाथ, हाथ, यHक मुझे मेशेक म परदे शी होकर रहना पड़ा और केदार के तSबुओं म बसना पड़ा है ! 6 बहुत काल से मुझ को मेल के बैgरयHके साथ बसना पड़ा है । 7 मE तो मेल चाहता हंू ; पर(तु मेरे बोलते ह:, वे लड़ना चाहते हE ! भजन संहता 121 1 मE अप क आंख पवOतHक ओर लगाऊंगा। मुझे सहाथता कहां से िमलेगी? 2

मुझे सहाथता यहोवा क ओर से िमलती है , जो आकाश और पृवी का काO है ।। 3 वह तेरे पांव को टलने न दे गा, तेरा रœक कभी न ऊंघे। 4 सुन, इॐाएल का रœक, न ऊंघेगा और न सोएगा।। 5 यहोवा तेरा रœक है ; यहोवा तेर: दहनी ओर तेर: आड़ है । 6 न तो दन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेर: कुछ हाित होगी।। 7 यहोवा सार: वप से तेर: रœा करे गा; यह तेरे ूाण क रœा करे गा। 8 यहोवा तेरे आने जाने म तेर: रœा अब से लेकर सदा तक करता रहे गा।। भजन संहता 122 1 जब लोगHने मुझ से कहा, क हम यहोवा के भवन को चल , तब मE आन'(दत हुआ। 2 हे यRशलेम, तेरे फाटकHके भीतर, हम खड़े हो गए हE ! 3 हे यRशलेम, तू ऐसे नगर के समान बना है , 'जसके घर एक दस ू रे से िमले हुए हE । 4 वहां याह के गोऽा गोऽा के लोग यहोवा के नाम का ध(यवाद करने को जाते हE ; यह इॐाएल के िलथे साœी है । 5 वहां तो (याय के िसंहासन, दाऊद के घराने के िलथे धरे हुए हE ।। 6 यRशलेम क शा'(त का वरदान मांगो, तेरे ूेमी कुशल से रह ! 7 तेर: शहरपनाह के भीतर शा'(त, और तेरे महलHम कुशल होवे! 8 अपके भाइयHऔर संिगयHके िनिम, मE कहंू गा क तुझ म शा'(त होवे! 9 अपके परमे र यहोवा के भवन के िनिम, मE तेर: भलाई का य^ कRंगा।। भजन संहता 123 1 हे ःवगO म वराजमान मE अप क आंख तेर: ओर लगाता हूं! 2 दे ख, जैसे दासHक आंख अपके ःवािमयHके हाथ क ओर, और जैसे दािसयHक आंख

अप क ःवािमनी के हाथ क ओर लगी रहती है , वैसे ह: हमार: आंख हमारे परमे र यहोवा क ओर उस समय तक लगी रह गी, जब तक वह हम पर अनुमह न करे ।। 3 हम पर अनुमह कर, हे यहोवा, हम पर अनुमह कर, यHक हम अपमान से बहुत ह: भर गए हE । 4 हमारा जीव सुखी लोगHके ठ=ठHसे, और अहं काgरयHके अपमान से बहुत ह: भर गया है ।। भजन संहता 124 1 इॐाएल यह कहे , क यद हमार: ओर यहोवा न होता, 2 यद यहोवा उस समय हमार: ओर न होता जब मनुंयHने हम पर चढ़ाई क, 3 तो वे हम को उसी समय जीवत िनगल जाते, जब उनका बोध हम पर भड़का था, 4 हम उसी समय जल म डू ब जाते और धारा म बह जाते ; 5 उमड़ते जल म हम उसी समय ह: बह जाते।। 6 ध(य है यहोवा, 'जस ने हम को उनके दातHतले जाने न दया! 7 हमार जीव पœी क नाL िचड़:मार के जाल से छूट गया; जाल फट गया, हम बच िनकले! 8 यहोवा जो आकाश और पृवी का काO है , हमार: सहाथता उसी के नाम से होती है । भजन संहता 125 1 जो यहोवा पर भरोसा रखते हE , वे िसरयोन पवOत के समान हE , जो टलता नह:ं, वरन सदा बना रहता है । 2 'जस ूकार यRशलेम के चारHओर पहाड़ हE , उसी ूकार यहोवा अप क ूजा के चारHओर अब से लेकर सवOदा तक बना रहे गा। 3 यHक द ु Hका राजद+ड धिमOयHके भाग पर बना न रहे गा, ऐसा न हो क धमh

अपके हाथ कुटल काम क ओर बढ़ाएं।। 4 हे यहोवा, भलHका, और सीधे मनवालHका भला कर! 5 पर(तु जो मुड़कर टे ढ़े मागJम चलते हE , उनको यहोवा अनथOकाgरयHके संग िनकाल दे गा! इॐाएल को शा'(त िमले! भजन संहता 126 1 जब यहोवा िसरयोन से लौअनेवालHको लौटा ले आया, तब हम ःवT दे खनेवाले से हो गए। 2 तब हम आन(द से हं सने और जयजयकार करने लगे; तब जाित जाित के बीच म कहा जाता था, क यहोवा ने, इनके साथ बड़े बड़े काम कए हE । 3 यहोवा ने हमारे साथ बड़े बड़े काम कए हE ; और इस से हम आन'(दत हE ।। 4 हे यहोवा, द' खन दे श के नालHक नाL, हमारे ब(धुओं को लौटा ले आ! 5 जो आंसू बहाते हुए बोते हE , वे जयजयकार करते हुए लवने पाएंगे। 6 चाहे बोनेवाला बीज लेकर रोता हुआ चला जाए, पर(तु वह फर पूिलयां िलए जयजयकार करता हुआ िन_य लौट आएगा।। भजन संहता 127 1 यद घर को यहोवा न बानाए, तो उसके बनानेवालHको पgरौम eयथO होगा। यद नगर क रœा यहोवा न करे , तो रखवाले का जागना eयथO ह: होगा। 2 तुम जो सवे रे उठते और दे र करके वौाम करते और द:ु ख भर: रोट: खाते हो, यह सब तुSहारे िलथे eयथO ह: है ; यHक वह अपके ूयHको यHह: नींद दान करता है ।। 3 दे खे, लड़के यहोवा के दए हुए भाग हE , गभO का फल उसक ओर से ूितफल है । 4 जैसे वीर के हाथ म तीर, वैसे ह: जवानी के लड़के होते हE । 5 या ह: ध(य है वह

पुRष 'जस ने अपके तकOश को उन से भर िलया हो! वह फाटक के पास शऽुओं से बात करते संकोच न करे गा।। भजन संहता 128 1 या ह: ध(य है हर एक जो यहोवा का भय मानता है , और उसके मागJपर चलता है ! 2 तू अप क कमाई को िन_य खाने पाएगा; तू ध(य होगा, और तेरा भला ह: होगा।। 3 तेरे घर के भीतर तेर: \ी फलव(त दाखलता सी होगी; तेर: मेज के चारHओर तेरे बालक जलपाई के पौधे से हHगे। 4 सुन, जो पुRष यहोवा का भय मानता हो, वह ऐसी ह: आशीष पाएगा।। 5 यहोवा तुझे िसरयोन से आशीष दे वे, और तू जीवन भर यRशलेम का कुशल दे खता रहे ! 6 वरन तू अपके नातीपोतHको भी दे खने पाए! इॐाएल को शा'(त िमले! भजन संहता 129 1 इॐाएल अब यह कहे , क मेरे बचपन से लोग मुझे बार बार लेश दे ते आए हE , 2 मेरे बचपन से वे मुझ को बार बार लेश दे ते तो आए हE , पर(तु मुझ पर ूबल नह:ं हुए। 3 हलवाहHने मेर: पीठ के ऊपर हल चलाया, और लSबी लSबी रे खाएं कं। 4 यहोवा धमh है ; उस ने द ु Hके फ(दHको काट डाला है । 5 'जतने िसरयोन से बैर रखते हE , उन सभHक आशा टू टे , ओर उनको पीछे हटना पके! 6 वे छत पर क घास के समान हH, जो बढ़ने से पहले सूख जाती है ; 7 'जस से कोई लवैया अप क मु=ठq नह:ं भरता, न पूिलयHका कोई बा(धनेवाला अप क अंकवार भर पाता है , 8 और न आने जानेवाले यह कहते हE , क यहोवा क आशीष तुम पर

होवे! हम तुम को यहोवा के नाम से आशीवाOद दे ते हE ! भजन संहता 130 1 हे यहोवा, मE ने गहरे ःथानHम से तुझ को पुकारा है ! 2 हे ूभु, मेर: सुन! तेरे कान मेरे िगड़िगड़ाने क ओर ~यान से लगे रह ! 3 हे याह, यद तू अधमO के कामHका लेखा ले, तो हे ूभु कौन खड़ा रह सकेगा? 4 पर(तु तू œमा करनेवाला है ? 'जस से तेरा भय माना जाए। 5 मE यहोवा क बाट जोहता हूं, मE जी से उसक बाट जोहता हंू , और मेर: आशा उसके वचन पर है ; 6 पहRए 'जतना भोर को चाहते हE , हां, पहRए 'जतना भोर को चाहते हE , उस से भी अिधक मE यहोवा को अपके ूाणHसे चाहता हंू ।। 7 इॐाएल यहोवा पर आशा लगाए रहे ! यHक यहोवा कRणा करनेवाला और पूरा छुटकारा दे नेवाला है । 8 इॐाएल को उसके सारे अधमO के कामHसे वह: छुटकारा दे गा।। भजन संहता 131 1 हे यहोवा, न तो मेरा मन गवO से और न मेर: l घम+ड से भर: है ; और जो बात बड़: और मेरे िलथे अिधक कठन हE , उन से मE काम नह:ं रखता। 2 िन_य मE ने अपके मन को शा(त और चुप कर दया है , जैसे दध ू छुड़ाया हुआ लड़का अप क मां क गोद म रहता है , वैसे ह: दध ू छुड़ाए हुए लड़के के समान मेरा मन भी रहता है ।। 3 हे इॐाएल, अब से लेकर सदा सवOदा यहोवा ह: पर आशा लगाए रह! भजन संहता 132

1 हे यहोवा, दाऊद के िलथे उसक सार: दद ु O शा को ःमरण कर; 2 उस ने यहोवा से शपथ खाई, और याकूब के सवOशfमान क म(नत मानी है , 3 क िन_य मE उस समय तक अपके घर म ूवेश न कRंगा, और ने अपके पलंग पर चढू ं गा; 4 न अप क आंखHम नींद, और न अप क पलकHम झप क आने दं ग ू ा, 5 जब तक मE यहोवा के िलथे एक ःथान, अथाOत ् याकूब के सवOशfमान के िलथे िनवास ःथान न पाऊं।। 6 दे खो, हम ने एूाता म इसक चचाO सुनी है , हम ने इसको वन के खेतHम पाया है । 7 आओ, हम उसके िनवास म ूवेश कर , हम उसके चरणHक चौक के आगे द+डवत ् कर ! 8 हे यहोवा, उठकर अपके वौामःथान म अप क सामयO के स(दक ू समेत आ। 9 तेरे याजक धमO के व\ा पहने रह , और तेरे भf लोग जयजयकार कर । 10 अपके दास दाऊद के िलथे अपके अिभषf क ूाथOना क अनसुनी न कर।। 11 यहोवा ने दाऊद से स.ची शपथ खाई है और वह उस से न मुकरे गा: क मE तेर: गX: पर तेरे एक िनज पुऽा को बैठाऊंगा। 12 यद ते रे वंश के लोग मेर: वाचा का पालन कर और जो िचतौनी मE उ(ह िसखाऊंगा, उस पर चल , तो उनके वंश के लोग भी ते र: गX: पर युग युग बैठते चले जाएंगे। 13 यHक यहोवा ने िसरयोन को अपनाया है , और उसे अपके िनवास के िलथे चाहा है ।। 14 यह तो युग युग के िलथे मेरा वौामःथान हE ; यह:ं मE रहंू गा, यHक मE ने इसका चाहा है । 15 मE इस म क भोजनवःतुओं पर अित आशीष दं ग ू ा; और इसके दgरिHको रोट: से तृT कRंगा। 16 इसके याजकHको मE उaार का व\ा पहनाऊंगा, और इसके भf लोग ऊंचे ःवर से जयजयकार कर गे। 17 वहां मE दाऊद के एक सींग उगाऊंगा; मE ने अपके अिभषf के िलथे एक द:पक तैयार कर रखा है । 18 मE उसे शऽुओं को तो लGजा का व\ा पहनाऊंगा, पर(तु उसी के

िसर पर उसका मुकुट शोभायमान रहे गा।। भजन संहता 133 1 दे खो, यह या ह: भली और मनोहर बात है क भाई लोग आपस म िमले रह ! 2 यह तो उस उम तेल के समान है , जो हाRन के िसर पर डाला गया था, और उसक दाढ़: पर बहकर, उसके व\ा क छोर तक पहंु च गया। 3 वह हे मzन ् क उस ओस के समान है , जो िसरयोन के पहाड़Hपर िगरती है ! यहोवा ने तो वह:ं सदा के जीवन क आशीष ठहराई है ।। भजन संहता 134 1 हे यहोवा के सब सेवको, सुनो, तुम जो रात रात को यहोवा के भवन म खड़े रहते हो, यहोवा को ध(य कहो। 2 अपके हाथ पवऽाःथान म उठाकर, यहोवा को ध(य कहो। 3 यहोवा जो आकाश और पृवी का कताO है , वह िसरयोन म से तुझे आशीष दे वे।। भजन संहता 135 1 याह क ःतुित करो, यहोवा के नाम क ःतुित करो, हे यहोवा के सेवको तुम ःतुित करो, 2 तुम जो यहोवा के भवन म , अथाOत ् हमारे परमे र के भवन के आंगनHम खड़े रहते हो! 3 याह क ःतुित करो, यHक यहोवा भला है ; उसके नाम का भजन गाओ, यHक यह मनभाऊ है ! 4 याह ने तो याकूब को अपके िलथे चुना है , अथाOत ् इॐाएल को अपके िनज धन होने के िलथे चुन िलया है । 5 मE तो

जानता हंू क हमारा ूभु यहोवा सब दे वताओं से महान है । 6 जो कुछ यहोवा ने चाहा उसे उस ने आकाश और पृवी और समुि और सब गहरे ःथानHम कया है । 7 वह पृवी क छोर से कुहरे उठाता है , और वषाO के िलथे बजली बनाता है , और पवन को अपके भ+डार म से िनकालता है । 8 उस ने िम म या मनुंय या पशु, सब के पहलौठHको मार डाला! 9 हे िम , उस ने तेरे बीच म फरौन और उसके सब कमOचाgरयHके बीच िच(ह और चमकार कए। 10 उस ने बहुत सी जाितयां नाश क, और सामथh राजाओं को, 11 अथाOत ् एमोgरयHके राजा सीहोन को, और बाशान के राजा ओग को, और कनान के सब राजाओं को घात कया; 12 और उनके दे श को बांटकर, अप क ूजा इॐाएल के भाग होने के िलथे दे दया।। 13 हे यहोवा, ते रा नाम सदा 'ःथर है , हे यहोवा 'जस नाम से ते रा ःमरण होता है , वह पीढ़:- पीढ़: बना रहे गा। 14 यहोवा तो अप क ूजा का (याय चुकाएगा, और अपके दासHक दद ु O शा दे खकर तरस खाएगा। 15 अ(यजाितयHक मूरत सोना- चा(द: ह: हE , वे मनुंयHक बनाई हुई हE । 16 उनके मुह ं तो रहता है , पर(तु वे बोल नह:ं सकतीं, उनके आंख तो रहती हE , पर(तु वे दे ख नह:ं सकतीं, 17 उनके कान तो रहते हE , पर(तु वे सुन नह:ं सकतीं, न उनके कुछ भी सांस चलती है । 18 जैसी वे हE वैसे ह: उनके बनानेवाले भी हE ; और उन पर सब भरोसा रखनेवाले भी वैसे ह: हो जाएंगे! 19 हे इॐाएल के घराने यहोवा को ध(य कह! हे हाRन के घराने यहोवा को ध(य कह! 20 हे लेवी के घराने यहोवा को ध(य कह! हे यहोवा के डरवैयो यहोवा को ध(य कहो! 21 यहोवा जो यRशलेम म वास करता है , उसे िसरयोन म ध(य कहा जावे! याह क ःतुित करो! भजन संहता 136

1 यहोवा का ध(यवाद करो, यHक वह भला है , और उसक कRणा सदा क है । 2 जो ई रHका परमे र है , उसका ध(यवाद करो, उसक कRणा सदा क है । 3 जो ूभुओं का ूभु है , उसका ध(यवाद करो, उसक कRणा सदा क है ।। 4 उसको छोड़कर कोई बड़े बड़े अशचयOकमO नह:ं करता, उसक कRणा सदा क है । 5 उस ने अप क बुa से आकाश बनाया, उसक कRणा सदा क है । 6 उस ने पृवी को जल के ऊपर फैलाया है , उसक कRणा सदा क है । 7 उस ने बड़: बड़: GयोितयHबनाL, उसक कRणा सदा क है । 8 दन पर ूभुता करने के िलथे सूयO को बनाया, उसक कRणा सदा क है । 9 और रात पर ूभुता करने के िलथे च(िमा और तारागण को बनाया, उसक कRणा सदा क है । 10 उस ने िम'\यHके पहलौठHको मारा, उसक कRणा सदा क है ।। 11 और उनके बीच से इॐाएिलयHको िनकाला, उसक कRणा सदा क है । 12 बलव(त हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से िनकाल लाया, उसक कRणा सदा क है । 13 उस ने लाल समुि को ख+ड ख+ड कर दया, उसक कRणा सदा क है । 14 और इॐाएल को उसके बीच से पार कर दया, उसक कRणा सदा क है । 15 और फरौन को सेना समेत लाल समुि म डाल दया, उसक कRणा सदा क है । 16 वह अप क ूजा को जंगल म

ले चला, उसक कRणा सदा क है । 17 उस ने बड़े बड़े राजा मारे , उसक कRणा सदा क है । 18 उस ने ूतापी राजाओं को भी मारा, उसक कRणा सदा क है । 19 एमोgरयHके राजा सीहोन को, उसक कRणा सदा क है । 20 और बाशान के राजा ओग को घात कया, उसक कRणा सदा क है । 21 और उनके दे श को भाग होने के िलथे, उसक कRणा सदा क है । 22 अपके दास इॐाएिलयHके भाग होने के िलथे दे दया, उसक कRणा सदा क है । 23 उस ने हमार: दद ु O शा म हमार: सुिध

ली, उसक कRणा सदा क है । 24 और हम को िोहयHसे छुड़ाया है , उसक कRणा सदा क है । 25 वह सब ूा'णयHको आहार दे ता है , उसक कRणा सदा क है । 26 ःवगO के परमे र का ध(यवाद करो, उसक कRणा सदा क है । भजन संहता 137 1 बाबुल क नहरHके कनारे हम लोग बैठ गए, और िसरयोन को ःमरण करके रो पके! 2 उसके बीच के मजनू वœJपर हम ने अप क वीणाओं को टांग दया; 3 यHक जो हम को ब(धुए करके ले गए थे, उ(हHने वहां हम से गीत गवाना चाहा, और हमारे RलानेवलHने हम से आन(द चाहकर कहा, िसरयोन के गीतHम से हमारे िलथे कोई गीत गाओ! 4 हम यहोवा के गीत को, पराए दे श म यHकर गाएं? 5 हे यRशलेम, यद मE तुझे भूल जाऊं, तो मेरा दहना हाथ झूठा हो जाए! 6 यद मE तुझे ःमरण न रखूं, यद मE यRशलेम को अपके सब आन(द से ौेv न जानू,ं तो मेर: जीभ तालू से िचपट जाए! 7 हे यहोवा, यRशलेम के दन को एदोिमयHके वRa ःमरण कर, क वे यHकर कहते थे, ढाओ! उसको नेव से ढा दो। 8 हे बाबुल तू जो उजड़नेवाली है , या ह: ध(य वह होगा, जो तुझ से ऐसा बताOव करे गा जैसा तू ने हम से कया है ! 9 या ह: ध(य वह होगा, जो तेरे ब.चHको पकड़कर, च=टान पर पटक दे गा! भजन संहता 138 1 मE पूरे मन से तेरा ध(यवाद कRंगा; दे वताओं के साSहने भी मE तेरा भजन गाऊंगा। 2 मE तेरे पवऽा म'(दर क ओर द+डवत ् कRंगा, और तेर: कRणा और

स.चाई के कारण ते रे नाम का ध(यवाद कRंगा; यHक तू ने अपके वचन को अपके बड़े नाम से अिधक महव दया है । 3 'जस दन मE ने पुकारा, उसी दन तू ने मेर: सुन ली, और मुझ म बल दे कर हयाव ब(धाया।। 4 हे यहोवा, पृवी के सब राजा तेरा ध(यवाद कर गे, यHक उ(हHने तेरे वचन सुने हE ; 5 और वे यहोवा क गित के वषय म गाएंगे, यHक यहोवा क महमा बड़: है । 6 यrप यहोवा महान है , तौभी वह नॆ मनुंय क ओर l करता है ; पर(तु अहं कार: को दरू ह: से पहचानता है ।। 7 चाहे मE संकट के बीच म रहंू तौभी तू मुझे 'जलाएगा, तू मेरे बोिधत शऽुओं के वRa हाथ बढ़ाएगा, और अपके दहने हाथ से मेरा उaार करे गा। 8 यहोवा मेरे िलथे सब कुछ पूरा करे गा; हे यहोवा, तेर: कRणा सदा क है । तू अपके हाथHके कायJको याग न दे ।। भजन संहता 139 1 हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान िलया है ।। 2 तू मेरा उठना बैठना जानता है ; और मेरे वचारHको दरू ह: से समझ लेता है । 3 मेरे चलने और लेटने क तू भली भांित छानबीन करता है , और मेर: पूर: चालचलन का भेद जानता है । 4 हे यहोवा, मेरे मुह ं म ऐसी कोई बात नह:ं 'जसे तू पूर: र:ित से न जानता हो। 5 तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है , और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है । 6 यह Wान मेरे िलथे बहुत कठन है ; यह गSभीर और मेर: समझ से बाहर है ।। 7 मE तेरे आमा से भागकर कधर जाऊं? वा तेरे साSहने से कधर भागूं? 8 यद मE आकाश पर चढू ं , तो तू वहां है ! यद मE अपना बछौना अधोलोक म बछाऊं तो वहां भी तू है ! 9 यद मE भोर क करणHपर चढ़कर समुि के पार जा बसू,ं 10 तो वहां भी तू अपके

हाथ से मेर: अगुवाई करे गा, और अपके दहने हाथ से मुझे पकड़े रहे गा। 11 यद मE कहूं क अ(धकार म तो मE िछप जाऊंगा, और मेरे चारHओर का उ'जयाला रात का अ(धेरा हो जाएगा, 12 तौभी अ(धकार तुझ से न िछपाएगा, रात तो दन के तु`य ूकाश दे गी; यHक तेरे िलथे अ'(ध कारनेा और उ'जयाला दोनHएक समान हE ।। 13 मेरे मन का ःवामी तो तू है ; तू ने मुझे माता के गभO म रचा। 14 मE तेरा ध(यवाद कRंगा, इसिलथे क मE भयानक और अ›त ु र:ित से रचा गया हूं। तेरे काम तो आ_यO के हE , और मE इसे भली भांित जानता हंू । 15 जब मE गुT म

बनाया जाता, और पृवी के नीचे ःथानHम रचा जाता था, तब मेर: ह‰डयां तुझ से िछपी न थीं। 16 ते र: आंखHने मेरे बेड़ौल तव को दे खा; और मेरे सब अंग जो दन दन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहले तेर: पुःतक म िलखे हुए थे। 17 और मेरे िलथे तो हे ई र, तेरे वचार या ह: बहुम` ू य हE ! उनक सं‡या का जोड़ कैसा बड़ा है ।। 18 यद मE उनको िगनता तो वे बालू के कनकHसे भी अिधक ठहरते। जब मE जाग उठता हंू , तब भी ते रे संग रहता हंू ।। 19 हे ई र िन_य तू द ु को घात करे गा! हे हयारH, मुझ से दरू हो जाओ। 20 यHक वे तेर: चचाO चतुराई से करते हE ; तेरे िोह: तेरा नाम झूठq बात पर लेते हE । 21 हे यहोवा, या मE तेरे बैgरयHसे बैर न रखूं, और तेरे वरोिधयHसे Rठ न जाऊं? 22 हां, मE उन से पूणO बैर रखता हंू ; मE उनको अपना शऽु समझता हंू । 23 हे ई र, मुझे जांचकर जान ले! मुझे परखकर मेर: िच(ताओं को जान ले! 24 और दे ख क मुझ म कोई बुर: चाल है क नह:ं, और अन(त के मागO म मेर: अगुवाई कर! भजन संहता 140

1 हे यहोवा, मुझ को बुरे मनुंय से बचा ले; उपिवी पुRष से मेर: रœा कर, 2 यHक उ(हHने मन म बुर: क`पनाएं क हE ; वे लगातार लड़ाइयां मचाते हE । 3 उनका बोलना सांप का काटना सा है , उनके मुह ं म नाग का सा वष रहता है ।। 4 हे यहोवा, मुझे द ु के हाथHसे बचा ले; उपिवी पुRष से मेर: रœा कर, यHक उ(हHने मेरे पैरHके उखाड़ने क युf क है । 5 घम'+डयHने मेरे िलथे फ(दा और पासे लगाए, और पथ के कनारे जाल बछाया है ; उ(हHने मेरे िलथे फ(दे लगा रखे हE ।। 6 हे यहोवा, मE ने तुझ से कहा है क तू मेरा ई र है ; हे यहोवा, मेरे िगड़गड़ाने क ओर कान लगा! 7 हे यहोवा ूभु, हे मेरे सामथh उaारकताO, तू ने युa के दन मेरे िसर क रœा क है । 8 हे यहोवा द ु क इ.छा को पूर: न होने दे , उसक बुर: युf को सफल न कर, नह:ं तो वह घम+ड करे गा।। 9 मेरे घेरनेवालHके िसर पर उ(ह:ं का वचारा हुआ उपात पके! 10 उन पर अंगारे डाले जाएं! वे आग म िगरा दए जाएं! और ऐसे गड़हHम िगर , क वे फर उठ न सक ! 11 बकवाद: पृवी पर 'ःथर नह:ं होने का; उपिवी पुRष को िगराने के िलथे बुराई उसका पीछा करे गी।। 12 हे यहोवा, मुझे िन_य है क तू द:न जन का और दgरिHका (याय चुकाएगा। 13 िन:स(दे ह धमh तेरे नाम का ध(यवाद करने पाएंगे; सीधे लोग तेरे सSमुख वास कर गे।। भजन संहता 141 1 हे यहोवा, मE ने तुझे पुकारा है ; मेरे िलथे फुतh कर! जब मE तुझ को पुकाRं, तब मेर: ओर कान लगा! 2 मेर: ूाथOना तेरे साSहने सुग(ध धूप, और मेरा हाथ फैलाना, सं~याकाल का अ(नबिल ठहरे ! 3 हे हयोवा, मेरे मुख का पहरा बैठा, मेरे

हाठHके kार पर रखवाली कर! 4 मेरा मन कसी बुर: बात क ओर फरने न दे ; मE अनथOकार: पुRषHके संग, द ु कामHम न लगूं, और मै उनके ःवाद भोजनवःतुओं म से कुछ न खाऊं! 5 धमh मुझ को मारे तो यह कुपा मानी जाएगी, और वह मुझे ताड़ना दे , तो यह मेरे िसर पर का लेत ठहरे गा; मेरा िसर उस से इ(कार न करे गा।। लोगHके बुरे काम करने पर भी मE ूाथOना म लवलीन रहूंगा। 6 जब उनके (यायी च=टान के पास िगराए गए, तब उ(हHने मेरे वचन सुन िलए; यHक वे मधुर हE । 7 जैसे भूिम म हल चलने से ढे ले फूटते हE , वैसे ह: हमार: ह‰डयां अधोलोक के मुह ं पर िछतराई हुई हE ।। 8 पर(तु हे यहोवा, ूभु, मेर: आंखे तेर: ह: ओर लगी हE ; मE तेरा शरणागत हंू ; तू मेरे ूाण जाने न दे ! 9 मुझे उस फ(दे से, जो उ(हHने मेरे िलथे लगाया है , और अनथOकाgरयHके जाल से मेर: रœा कर! 10 द ु लोग अपके जालHम आप ह: फंस , और मE बच िनकलू।ं । भजन संहता 142 1 मE यहोवा क दोहाई दे ता, मE यहोवा से िगड़िगड़ाता हंू , 2 मE अपके शोक क बात

उस से खोलकर कहता, मE अपना संकट उसके आगे ूगट करता हूं। 3 जब मेर: आमा मेरे भीतर से eयाकुल हो रह: थी, तब तू मेर: दशा को जानता था! 'जस राःते से मE जानेवाला था, उसी म उ(हHने मेरे िलथे फ(दा लगाया। 4 मE ने दहनी ओर दे खा, पर(तु कोई मुझे नह:ं दे खता है । मेरे िलथे शरण कह:ं नह:ं रह:, न मुझ को कोई पूछता है ।। 5 हे यहोवा, मE ने तेर: दोहाई द: है ; मE ने कहा, तू मेरा शरणःथान है , मेरे जीते ह: तू मेरा भाग है । 6 मेर: िच`लाहट को ~यान दे कर सुन, यHक मेर: बड़: दद ु O शा हो गई है ! जो मेरे पीछे पके हE , उन से मुझे बचा ले;

यHक वे मुझ से अिधक सामथh हE । 7 मुझ को ब(द:गृह से िनकाल क मE तेरे नाम का ध(यवाद कRं! धमh लोग मेरे चारHओर आएंगे; यHक तू मेरा उपकार करे गा।। भजन संहता 143 1 हे यहोवा मेर: ूाथOना सुन; मेरे िगड़िगड़ाने क ओर कान लगा! तू जो स.चा और धमh है , सो मेर: सुन ले, 2 और अपके दास से मुक मा न चला! यHक कोई ूाणी तेर: l म िनदzष नह:ं ठहर सकता।। 3 शऽु तो मेरे ूाण का गाहक हुआ है ; उस ने मुझे चूर करके िम=ट: म िमलाया है , और मुझे ढे र दन के मरे हुओं के समान अ(धेरे ःथान म डाल दया है । 4 मेर: आमा भीतर से eयाकुल हो रह: है मेरा मन वकल है ।। 5 मुझे ूाचीनकाल के दन ःमरण आते हE , मE तेरे सब अ›त ु कामHपर ~यान करता हंू , और तेरे काम को सोचता हंू । 6 मE तेर: ओर अपके हाथ फैलाए हूए हंू ; सूखी भूिम क नाL मE ते रा €यासा हंू ।। 7 हे यहोवा, फुतh करके मेर: सुन ले; यHक मेरे ूाण िनकलने ह: पर हE मुझ से अपना मुह ं न िछपा, ऐसा न हो क मE कबर म पके हुओं के समान हो जाऊं। 8 अप क कRणा क बात मुझे शीय सुना, यHक मE ने तुझी पर भरोसा रखा है । 'जस मागO से मुझे चलना है , वह मुझ को बता दे , यHक मE अपना मन तेर: ह: ओर लगाता हंू ।। 9 हे हयोवा, मुझे शऽुओं से बचा ले; मE तेर: ह: आड़ म आ िछपा हंू । 10 मुझ को यह िसखा, क मE तेर: इ.छा यHकर पूर: कRं, यHक मेरा परमे र तू ह: है ! तेरा भला आमा मुझ को धमO के मागO म ले चले! 11 हे यहोवा, मुझे अपके नाम के िनिम 'जला! तू जो धमh है , मुझ को संकट से छुड़ा ले! 12 और कRणा करके

मेरे शऽुओं को सयानाश कर, और मेरे सब सतानेवालHका नाश कर डाल, यHक मE तेरा दास हूं।। भजन संहता 144 1 ध(य है यहोवा, जो मेर: च=टान है , वह मेरे हाथHको लड़ने, और युa करने के िलथे तैयार करता है । 2 वह मेरे िलथे कRणािनधान और गढ़, ऊंचा ःथान और छुड़ानेवाला है , वह मेर: ढ़ाल और शरणःथान है , जो मेर: ूजा को मेरे वश म कर दे ता है ।। 3 हे यहोवा, मनुंय या है क तू उसक सुिध लेता है , या आदमी या है , क तू उसक कुछ िच(ता करता है ? 4 मनुंय तो सांस के समान है ; उसके दन ढलती हुई छाया के समान हE ।। 5 हे यहोवा, अपके ःवगO को नीचा करके उतर आ! पहाड़Hको छू तब उन से धुआ ं ं उठ गा! 6 बजली कड़काकर उनके िततर बतर कर दे , अपके तीर चलाकर उनको घबरा दे ! 7 अपके हाथ ऊपर से बढ़ाकर मुझे महासागर से उबार, अथाOत ् परदे िशयHके वश से छुड़ा। 8 उनके मुह ं से तो eयथO बात िनकलती हE , और उनके दहने हाथ से धोखे के काम होते हE ।। 9 हे परमे र, मE तेर: ःतुित का नया गीत गाऊंगा; मE दस तारवाली सारं गी बजाकर ते रा भजन गाऊंगा। 10 तू राजाओं का उaार करता है , और अपके दास दाऊद को तलवार क मार से बचाता है । 11 तू मुझ को उबार और परदे िशयHके वश से छुड़ा ले, 'जन के मुह ं से eयथO बात िनकलती हE , और 'जनका दहना हाथ झूठ का दहना हाथ है ।। 12 जब हमारे बेटे जवानी के समय पौधHक नाL बढ़े हुए हH, और हमार: बेटयां उन कोनेवाले पथरHके समान हH, जो म'(दर के पथरHक नाL बनाए जाएं; 13 जब हमारे खे भरे रह , और उन म भांित भांित का अ(न धरा जाए, और हमार:

भेड़- बकgरयHहमारे मैदानHम हजारHहजार ब.चे जन ; 14 जब हमारे बैल खूब लदे हुए हH; जब हम न व~न हो और न हमारा कह:ं जाना हो, और न हमारे चौकHम

रोना- पीटना हो, 15 तो इस दशा म जो राGय हो वह या ह: ध(य होगा! 'जस राGय का परमे र यहोवा है , वह या ह: ध(य है ! भजन संहता 145 1 हे मेरे परमे र, हे राजा, मE तुझे सराहूंगा, और तेरे नाम को सदा सवOदा ध(य कहता रहंू गा। 2 ूित दन मE तुझ को ध(य कहा कRंगा, और तेरे नाम क ःतुित सदा सवOदा करता रहंू गा। 3 यहोवा महान और अित ःतुित के योbय है , और उसक बड़ाई अगम है ।। 4 तेरे कामHक ूशंसा और तेरे पराबम के कामHका वणOन, पीढ़: पीढ़: होता चला जाएगा। 5 मE तेरे ऐ यO क महमा के ूताप पर और ते रे भांित भांित के आ_यOकमJपर ~यान कRंगा। 6 लोग तेरे भयानक कामHक शf क चचाO कर गे, और मE तेरे बड़े बड़े कामHका वणOन कRंगा। 7 लोग तेर: बड़: भलाई का ःमरण करके उसक चचाO कर गे, और तेरे धमO का जयजयकार कर गे।। 8 यहोवा अनुमहकार: और दयालु, वलSब से बोध करनेवाला और अित कRणामय है । 9 यहोवा सभHके िलथे भला है , और उसक दया उसक सार: सृ पर है ।। 10 हे यहोवा, तेर: सार: सृ तेरा ध(यवाद करे गी, और ते रे भf लाग तुझे ध(य कहा कर गे! 11 वे तेरे राGय क महमा क चचाO कर गे, और तेरे पराबम के वषय म बात कर गे; 12 क वे आदिमयHपर तेरे पराबम के काम और तेरे राGय के ूताप क महमा ूगट कर । 13 तेरा राGय युग युग का और ते र: ूभुता सब पीढ़यHतक बनी रहे गी।। 14 यहोवा सब िगरते

हुओं को संभालता है , और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है । 15 सभHक आंख तेर: ओर लगी रहती हE , और तू उनको आहार समय पर दे ता है । 16 तू अप क मु=ठq खोलकर, सब ूा'णयHको आहार से तृT करता है । 17 यहोवा अप क सब गित म धमh और अपके सब कामHमे कRणामय है । 18 'जनते यहोवा को पुकारते हE , अथाOत ् 'जतने उसको स.चाई से पुकारते ह ; उन सभHके वह िनकट रहता है । 19 वह अपके डरवैयHक इ.छा पूर: करता है , ओर उनक दोहाई सुनकर उनका उaार करता है । 20 यहोवा अपके सब ूेिमयHक तो रœा करता, पर(तु सब द ु Hको सयानाश करता है ।। 21 मE यहोवा क ःतुित कRंगा, और सारे ूाणी उसके पवऽा नाम को सदा सवOदा ध(य कहते रह ।। भजन संहता 146 1 याह क ःतुित करो। हे मेरे मन यहोवा क ःतुित कर! 2 मE जीवन भर यहोवा क ःतुित करता रहंू गा; जब तक मE बना रहंू गा, तब तक मE अपके परमे र का भजन गाता रहंू गा।। 3 तुम ूधानHपर भरोसा न रखना, न कसी आदमी पर, यHक उस म उaार करने क भी शf नह:ं। 4 उसका भी ूाण िनकलेगा, वह: भी िम=ट: म िमल जाएगा; उसी दन उसक सब क`पनाएं नाश हो जाएंगी।। 5 या ह: ध(य वह है , 'जसका सहाथक याकूब का ई र है , और 'जसका भरोसा अपके परमे र यहोवा पर है । 6 वह आकाश और पृवी और समुि और उन म

जो कुछ है , सब का कताO है ; और वह अपना वचन सदा के िलथे पूरा करता रहे गा। 7 वह पसे हुओं का (याय चुकाता है ; और भूखHको रोट: दे ता है ।। यहोवा ब(धुओं को छुड़ाता है ; 8 यहोवा अ(धHको आंख दे ता है । यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा

करता है ; यहोवा धिमOयHसे ूे म रखता है । 9 यहोवा परदे िशयHक रœा करता है ; और अनाथHऔर वधवा को तो सSभालता है ; पर(तु द ु Hके मागO को टे ढ़ा मेढ़ा करता है ।। 10 हे िसरयोन, यहोवा सदा के िलथे, तेरा परमे र पीढ़: पीढ़: राGय करता रहे गा। याह क ःतुित करो! भजन संहता 147 1 याह क ःतुित करो! यHक अपके परमे र का भजन गाना अ.छा है ; यHक वह मनभावना है , उसक ःतुित करनी मनभावनी है । 2 यहोवा यRशलेम को बसा रहा है ; वह िनकाले हुए इॐाएिलयHको इक=ठा कर रहा है । 3 वह खेदत मनवालHको चंगा करता है , और उनके शोक पर मरहम- प=ट: बा(धता है । 4 वह तारHको िगनता, और उन म से एक एक का नाम रखता है । 5 हमारा ूभु महान और अित सामथh है ; उसक बुa अपरSपार है । 6 यहोवा नॆ लोगHको सSभलता है , और द ु Hको भूिम पर िगरा दे ता है ।। 7 ध(यवाद करते हुए यहोवा का गीत गाओ; वीणा बजाते हुए हमारे परमे र का भजन गाओ। 8 वह आकाश को मेघHसे छा दे ता है , और पृवी के िलथे म ह क तैयार: करता है , और पहाड़Hपर घास उगाता है । 9 वह पशुओं को और कौवे के ब.चHको जो पुकारते हE , आहार दे ता है । 10 न तो वह घोड़े के बल को चाहता है , और न पुRष के पैरHसे ूस(न होता है ; 11 यहोवा अपके डरवैयHह: से ूस(न होता है , अथाOत ् उन से जो उसक कRणा क आशा लगाए रहते हE ।। 12 हे यRशलेम, यहोवा क ूशंसा कर! हे िसरयोन, अपके परमे र क ःतुित कर! 13 यHक उस ने तेरे फाटकHके खSभHको lढ़ कया है ; और तेरे लड़के बालHको आशीष द: है । 14 और तेरे

िसवानHम शा'(त दे ता है , और तुझ को उम से उम गेहंू से तृT करता है । 15 वह पृवी पर अप क आWा का ूचार करता है , उसका वचन अित वेग से दौड़ता है । 16 वह ऊन के समान हम को िगराता है , और राख क नाL पाला बखेरता है । 17 वह बफO के टु कड़े िगराता है , उसक क हुई ठ+ड को कौन सह सकता है ? 18 वह आWा दे कर उ(ह गलाता है ; वह वायु बहाता है , तब जल बहने लगता है । 19 वह याकूब को अपना वचन, और इॐाएल को अप क विधयां और िनयम बताता है । 20 कसी और जाित से उस ने ऐसा बताOव नह:ं कया; और उसके िनयमHको औरHने नह:ं जाता।। याह क ःतुित करो। भजन संहता 148 1 याह क ःतुित करो! यहोवा क ःतुित ःवगO म से करो, उसक ःतुित ऊंचे ःथानHम करो! 2 हे उसके सब दत ू H, उसक ःतुित करो: हे उसक सब सेना उसक ःतुित कर! 3 हे सूयO और च(िमा उसक ःतुित करो, हे सब Gयोितमय तारागण उसक ःतुित करो! 4 हे सब से ऊंचे आकाश, और हे आकाश के ऊपरवाले जल, तुम दोनHउसक ःतुित करो। 5 वे यहोवा के नाम क ःतुित कर , यHक उसी ने आWा द: और थे िसरजे गए। 6 और उस ने उनको सदा सवOदा के िलथे 'ःथर कया है ; और ऐसी विध ठहराई है , जो टलने क नह:ं।। 7 पृवी म से यहोवा क ःतुित करो, हे मगरम.छHऔर गहरे सागर, 8 हे अ'bन और ओलो, हे हम और कुहरे , हे उसका वचन माननेवाली ूच+ड बयार! 9 हे पहाड़Hऔर सब ट:लो, हे फलदाई वृœHऔर सब दे वदारH! 10 हे वन- पशुओं और सब घरै लू पशुओं, हे र गनेवाले ज(तुओं और हे प'œयH! 11 हे पृवी के राजाओं, और राGय राGय के

सब लोगH, हे हाकमHऔर पृवी के सब (यािययH! 12 हे जवनHऔर कुमाgरयH, हे पुरिनयHऔर बालकH! 13 यहोवा के नाम क ःतुित करो, यHक केवल उसक का नाम महान है ; उसका ऐ यO पृवी और आकाश के ऊपर है । 14 और उस ने अप क ूजा के िलथे एक सींग ऊंचा कया है ; यह उसके सब भfHके िलथे अथाOत ् इॐाएिलयHके िलथे और उसके समीप रहनेवाली ूजा के िलथे ःतुित करने का वषय है । याह क ःतुित करो। भजन संहता 149 1 याह क ःतुित करो! यहोवा के िलथे नया गीत गाओ, भfHक सभा म उसक ःतुित गाओ! 2 इॐाएल अपके काO के कारण आन'(दत को, िसरयोन के िनवासी अपके राजा के कारण मगन हH! 3 वे नाचते हुए उसके नाम क ःतुित कर , और डफ और वीणा बजाते हुए उसका भजन गाएं! 4 यHक यहोवा अप क ूजा से ूस(न रहता है ; वह नॆ लोगHका उaार करके उ(ह शोभायमान करे गा। 5 भf लोग महमा के कारण ूफु'`लत हH; और अपके बछौनHपर भी पके पके जयजयकार कर । 6 उनके क+ठ से ई र क ूशंसा हो, और उनके हाथHम दोधार: तलवार रह , 7 क वे अ(यजाितयHसे पलटा ले सक ; और राGय राGय के लोगHको ताड़ना द , 8 और उनके राजाओं को सांकलHसे, और उनके ूितvत पुRषHको लोहे क बेड़यHसे जकड़ रख , 9 और उनको ठहराया हुआ द+ड द ! उसके सब भfHक ऐसी ह: ूितvा होगी। याह क ःतुित करो। भजन संहता 150

1 याह क ःतुित करो! ई र के पवऽाःथान म उसक ःतुित करो; उसक सामयO से भरे हुए आकाशम+डल म उसी क ःतुित करो! 2 उसके पराबम के कामHके कारण उसक ःतुित करो; उसक अय(त बड़ाई के अनुसार उसक ःतुित करो! 3 नरिसंगा फूंकते हुए उसक ःतुित करो; सारं गी और वीणा बजाते हुए उसक ःतुित करो! 4 डफ बजाते और नाचते हुए उसक ःतुित करो; तारवाले बाजे और बांसल ु ी बजाते हुए उसक ःतुित करो! 5 ऊंचे शcदवाली झांझ बाजाते हुए उसक ःतुित करो; आन(द के महाशcदवाली झांझ बजाते हुए उसक ःतुित करो! 6 'जते ूाणी हE सब के सब याह क ःतुित कर ! याह क ःतुित करो! नीितवचन 1 1 दाऊद के पुऽ इॐाएल के राजा सुलम ै ान के नीितवचन: 2 इनके kारा पढ़नेवाला बुa और िशझा ूाT करे , और समझ क बात समझे , 3 और काम करने म

ूवीणता, और धमO, (याय और सीधाई क िशझा पाए; 4 क भोलHको चतुराई, और जवान को Wान और ववेक िमले; 5 क बुaमान सुनकर अप क वrा बढ़ाए, और समझदार बुa का उपकेश पाए, 6 'जस से वे िनितवचन और lा(त को, और बुaमानHके वचन और उनके रहःयHको समझ ।। 7 यहोवा का भय मानना बुa का मूल है ; बुa और िशझ को मूढ़ ह: लोग तु.छ जानते हE ।। 8 हे मेरे पुऽ, अपके पता क िशझा पर कान लगा, और अप क माता क िशझा को न तज; 9 यHक वे मानो ते रे िसर के िलथे शोभायमान मुकुट, और ते रे गले के िलथे क(ठ माला होगी। 10 हे मेरे पुऽ, यद पापी लोग तुझे फुसलाए, तो उनक बात न मानना। 11 यद वे कह , हमारे संग चल क, हम हया करने के

िलथे घात जगाएं हम िनदzषHक ताक म रह ; 12 हम अधोलोक क नाL उनको जीवता, कबर म पके हुओं के समान समूचा िनगल जाएं; 13 हम को सब ूकार के अनमोल पदायO िमल गे, हम अपके घरHको लूट से भर ल गे; 14 तू हमारा साफ हो जा, हम सभHका एक ह: बटु आ हो, 15 तो, हे मेरे पुऽ तू उनके संग मागO म न चलना, वरन उनक डगर म पांव भी न धरना; 16 यHक वे बुराई क करने को दौड़ते हE , और हया करने को फुतh करते हE । 17 यHक प क के दे खते हुए जाल फैलाना eययO होता है ; 18 और थे लोग तो अप क ह: हया करने के िलथे घात लगाते हE , और अपके ह: ूाणHक घात क ताक म रहते हE । 19 सब लालिचयHक चाल ऐसी ह: होती है ; उनका ूाण लालच ह: के कारण नाश हो जाता है ।। 20 बुa सड़क म ऊंचे ःवर से बोलती है ; और चौकHम ूचार करती है ; 21 वह बाजारHक भीड़ म पुकारती है ; वह फाटकHके बीच म और नगर के भीतर भी थे बात बोलती है : 22 हे भोले लोगो, तुम कब तक भोलेपन से ूीित रखोगे? और हे ठ=ठा करनेवालो, तुम कब तक ठ=ठा करने से ूस(न रहोगे? और हे मूखJ, तुम कब तक Wान से बैर रखोगे? 23 तुम मेर: डांट सुनकर मन फराओ; सुनो, मE अप क आमा तुSहारे िलथे उ+डे ल दं ग ू ी; मE तुम को अपके वचन बताऊंगी। 24 मE ने तो पुकारा पर(तु तुम ने इनकार कया, और मE ने हाथ फैलाया, पर(तु कसी ने ~यान न दया, 25 वरन तुम ने मेर: सार: सSमित को अनसुनी कया, और मेर: ताड़ना का मू`य न जाना; 26 इसिलथे मE भी तुSहार: वप के समय हं सग ूं ी; और जब तुम पर भय आ पकेगा, 27 वरन आंधी क नाई तुम पर भय आ पकेगा, और वप बव+डर के समान आ पकेगी, और तुम संकट और सकेती म फंसोगे, तब मE ठ=ठा कRंगी। 28 उस समय वे मुझे पुकार गे, और मE न सुनग ूं ी; वे मुझे

य^ से तो ढू ं ढ़ गे, पर(तु न पाएंगे। 29 यHक उ(हHने Wान से बैर कया, और यहोवा का भय मानना उनको न भाया। 30 उ(हHने मेर: सSप न चाह: वरन मेर: सब ताड़नाओं को तु.छ जाना। 31 इसिलथे वे अप क करनी का फल आप भोग गे, और अप क युfयHके फल से अघा जाएंगे। 32 यHक भोले लोगHका भटक जाना, उनके घात कए जाने का कारण होगा, और िन'_(त रहने के कारण मूढ़ लोग नाश हHगे; 33 पर(तु जो मेर: सुनेगा, वह िनडर बसा रहे गा, और बे खटके सुख से रहे गा।। नीितवचन 2 1 हे मेरे पुऽ, यद तू मेरे वचन महण करे , और मेर: आWाओं को अपके ॑ृदय म

रख छोड़े , 2 और बुa क बात ~यान से सुने, और समझ क बात मन लगाकर सोचे; 3 और ूवीणता और समझ के िलथे अित य^ से पुकारे , 4 ओर उसको चा(द: क नाL ढू ं ढ़े, और गुT धन के समान उसी खोज म लगा रहे ; 5 तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमे र का Wान तुझे ूाT होगा। 6 यHक बुa यहोवा ह: दे ता है ; Wान और समझ क बात उसी के मुह ं से िनकलती हE । 7 वह सीधे लोगHके िलथे खर: बुa रख छोड़ता है ; जो खराई से चलते हE , उनके िलथे वह ढाल ठहरता है । 8 वह (याय के पयHक दे ख भाल करता, और अपके भfHके मागO क रझा करता है । 9 तब तू धमO और (याय, और सीधाई को, िनदान सब भली-भली चाल समझ सकेगा; 10 यHक बुa तो तेरे ॑ृदय म ूवेश करे गी, और Wान तुझे मनभाऊ लगेगा; 11 ववेक तुझे सुर'झत रखेगा; और समझ ते र: रझक होगी; 12 ताक तुझे बुराई के मागO से, और उलट फेर क बातHके कहने

वालHसे बचाए, 13 जो सीधाई के मागO को छोड़ दे ते हE , ताक अ(धेरे मागO म चल ; 14 जो बुराई करने से आन'(दत होते हE , और द ु जन क उलट फेर क बातHम

मगन रहते हE ; 15 'जनक चालचलन टे ढ़: मेढ़: और 'जनके मागO बगड़े हुए हE ।। 16 तब तू पराई \ी से भी बचेगा, जो िचकनी चुप क बात बोलती है , 17 और अप क जवानी के सायी को छोड़ दे ती, और जो अपके परमे र क वाचा को भूल जाती है । 18 उसका घर मृयु क ढलान पर है , और उसी डगर मरे हुओं के बीच पहंु चाती हE ; 19 जो उसके पास जाते हE , उन म से कोई भी लौटकर नह:ं आता; और न वे जीवन का मागO पाते हE ।। 20 तू भले मनुंयHके मागO म चल, और धिमयJक बाट को पकड़े रह। 21 यHक धमh लोग दे श म बसे रह गे, और खरे लोग ह: उस म बने रह गे। 22 द ु लोग दे श म से नाश हHगे, और व ासघाती उस म से उखाड़े जाएंगे।। नीितवचन 3 1 हे मेरे पुऽ, मेर: िशझा को न भूलना; अपके ॑ृदय म मेर: आWाओं को रखे रहना; 2 यHक ऐसा करने से तेर: आयु बढ़े गी, और तू अिधक कुशल से रहे गा। 3 कृ पा और स.चाई तुझ से अलग न होने पाएं; वरन उनको अपके गले का हार बनाना, और अप क ॑ृदयRपी पटया पर िलखना। 4 और तू परमे र और मनुंय दोनHका अनुमह पाएगा, तू अित बुaमान होगा।। 5 तू अप क समझ का सहारा न लेना, वरन सSपूणO मन से यहोवा पर भरोसा रखना। 6 उसी को ःमरण करके सब काम करना, तब वे तेरे िलथे सीधा मागO िनकालेगा। 7 अप क l म बुaमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना। 8

ऐसा करने से तेरा शर:र भला चंगा, और तेर: ह']डयां पु रह गी। 9 अप क संप के kारा और अप क भूिम क पहली उपज दे दे कर यहोवा क ूितvा करना; 10 इस ूकार तेरे खे भरे और पूरे रह गे, और तेरे रसकु+डHसे नया दाखमधु उम+डता रहे गा।। 11 हे मेरे पुऽ, यहोवा क िशझा से मुह ं न मोड़ना, और जब वह तुझे डांटे, तब तू बुरा न मानना, 12 यHक यहोवा 'जस से ूेम रखता है उसको डांटता है , जैसे क बाप उस बेटे को 'जसे वह अिधक चाहता है ।। 13 या ह: ध(य है वह मनुंय जो बुa पाए, और वह मनुंय जो समझ ूाT करे , 14 यHक बुa क ूािT चा(द: क ूािT से बड़:, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उम है । 15 वह मूग ं े से अिधक अनमोल है , और 'जतनी वःतुओं क तू लालसा करता है , उन म से कोई भी उसके तु`य न ठहरे गी। 16 उसके दहने हाथ म द:घाOय,ु और उसके बाएं हाथ म धन और महमा है । 17 उसके मागO मनभाऊ हE , और उसके सब मागO कुशल के हE । 18 जो बुa को महण कर लेते हE , उनके िलथे वह जीवन का वृझ बनती है ; और जो उसको पकड़े रहते हE , वह ध(य हE ।। 19 यहोवा ने पृवी क नेव बुa ह: से डाली; और ःवगO को समझ ह: के kारा 'ःयर कया। 20 उसी के Wान के kारा गहरे सागर फूट िनकले, और आकाशम+डल से ओस टपकती है ।। 21 हे मेरे पुऽ, थे बात ते र: l क ओट न हाने पाएं; खर: बुa और ववेक क रझा कर, 22 तब इन से तुझे जीवन िमलेगा, और थे तेरे गले का हार बन गे। 23 और तू अपके मागO पर िनडर चलेगा, और तेरे पांव म ठे स न लगेगी। 24 जब तू लेटेगा, तब भय न खाएगा, जब तू लेटेगा, तब सुख क नींद आएगी। 25 अचानक आनेवाले भय से न डरना, और जब द ु Hपर वप आ पके, तब न घबराना; 26 यHक यहोवा तुझे सहारा दया करे गा, और

तेरे पांव को फ(दे म फंसने न दे गा। 27 'जनका भला करना चाहथे, यद तुझ म

शf रहे , तो उनका भला करने से न Rकना।। 28 यद ते रे पास दे ने को कुछ हो, तो अपके पड़ोसी से न कहना क जा कल फर आना, कल मE तुझे दं ग ू ा। 29 जब तेरा पड़ोसी ते रे पास बे खटके रहता है , तब उसके वRa बुर: युf न बा(धना। 30 'जस मनुंय ने तुझ से बुरा eयवहार न कया हो, उस से अकारण मुकXमा खड़ा न करना। 31 उपिवी पुRष के वषय म डाह न करना, न उसक सी चाल चलना; 32 यHक यहोवा कुटल से घृणा करता है , पर(तु वह अपना भेद सीधे लोगHपर खोलता है ।। 33 द ु के घर पर यहोवा का शाप और धिमयJके वासःयान पर उसक आशीष होती है । 34 ठ=ठा करनेवालHसे वह िन_य ठ=ठा करता है और द:नHपर अनुमह करता है । 35 बुaमान महमा को पाएंगे, और मूखJक बढ़ती अपमान ह: क होगी।। नीितवचन 4 1 हे मेरे पुऽो, पता क िशझा सुनो, और समझ ूाT करने म मन लगाओ। 2 यHक मE ने तुम को उम िशझा द: है ; मेर: िशझा को न छोड़ो। 3 दे खो, मE भी अपके पता का पुऽ या, और माता का अकेला दल ु ारा या, 4 और मेरा पता मुझे यह कहकर िसखाता या, क तेरा मन मेरे वचन पर लगा रहे ; तू मेर: आWाओं का पालन कर, तब जीवत रहे गा। 5 बुa को ूाT कर, समझ को भी ूाT कर; उनको भूल न जाना, न मेर: बातHको छोड़ना। 6 बुa को न छोड़, वह तेर: रझा करे गी; उस से ूीित रख, वह तेरा पहरा दे गी। 7 बुa ौे है इसिलथे उसक ूािT के िलथे य^ कर; जो कुछ तू ूाT करे उसे ूाT तो कर पर(तु समझ क ूािT का

य^ घटने न पाए। 8 उसक बड़ाई कर, वह तुझ को बढ़ाएगी; जब तू उस से िलपट जाए, तब वह तेर: महमा करे गी। 9 वह तेरे िसर पर शोभायमान भूषण बा(धेगी; और तुझे सु(दर मुकुट दे गी।। 10 हे मेरे पुऽ, मेर: बात सुनकर महण कर, तब तू बहुत वषO तब जीवत रहे गा। 11 मE ने तुझे बुa का मागO बताया है ; और सीधाई के पय पर चलाया है । 12 चलने म तुझे रोक टोक न होगी, और चाहे तू दौड़े , तौभी ठोकर न खाएगा। 13 िशझा को पकड़े रह, उसे छोड़ न दे ; उसक रझा कर, यHक वह: ते रा जीवन है । 14 द ु Hक बाट म पांव न धरना, और न बुरे लोगHके मागO पर चलना। 15 उसे छोड़ दे , उसके पास से भी न चल, उसके िनकट से मुड़कर आगे बढ़ जा। 16 यHक द ु लोग यद बुराई न कर , तो उनको नींद नह:ं आती; और जब तक वे कसी को ठोकर न 'खलाएं, तब तक उ(ह नींद नह:ं िमलती। 17 वे तो द ु ता से कमाई हुई रोट: खाते, और उपिव के kारा पाया हुआ दाखमधु पीते हE । 18 पर(तु धिमयJक चाल उस चमकती हुई Gयोित के समान है , 'जसका ूकाश दोपहर तक अिधक अिधक बढ़ता रहता है । 19 द ु Hका मागO घोर अ(धकारमय है ; वे नह:ं जानते क वे कस से ठोकर खाते हE ।। 20 हे मेरे पुऽ मेरे वचन ~यान धरके सुन, और अपना कान मेर: बातHपर लगा। 21 इनको अप क आंखHक ओट न होने दे ; वरन अपके मन म धारण कर। 22 यHक 'जनकHवे ूाT होती हE , वे उनके जीवत रहने का, और उनके सारे शर:र के चंगे रहने का कारण होती हE । 23 सब से अिधक अपके मन क रझा कर; यHक जीवन का मूल ॐोत वह: है । 24 टे ढ़: बात अपके मुह ं से मत बोल, और चालबाजी क बात कहना तुझ से दरू रहे । 25 तेर: आंख साSहने ह: क ओर लगी रह , और तेर: पलक आगे क ओर खुली रह । 26 अपके पांव धरने के िलथे मागO को समयर

कर, और तेरे सब मागO ठqक रह । 27 न तो दहनी ओर मुढ़ना, और न बाL ओर; अपके पांव को बुराई के मागO पर चलने से हटा ले।। नीितवचन 5 1 हे मेरे पुऽ, मेर: बुa क बातHपर ~यान दे , मेर: समझ क ओर कान लगा; 2 'जस से तेरा ववेक सुर'झत बना रहे , और तू Wान के वचनHको याम रहे । 3 यHक पराई \ी के ओठHसे मधु टपकता है , और उसक बात तेल से भी अिधक िचकनी होती हE ; 4 पर(तु इसका पgरणाम नागदौना सा कडु वा और दोधार: तलवार सा पैना होता है । 5 उसके पांव मृयु क ओर बढ़ते हE ; और उसके पग अधोलोक तक पहंु चते हE ।। 6 इसिलथे उसे जीवन का समयर पय नह:ं िमल पाता; उसके चालचलन म चंचलता है , पर(तु उसे वह आप नह:ं जानती।। 7 इसिलथे अब हे मेरे पुऽH, मेर: सुनो, और मेर: बातHसे मुह ं न मोड़ो। 8 ऐसी \ी से दरू ह: रह, और उसक डे वढ़: के पास भी न जाना; 9 कह:ं ऐसा न हो क तू अपना यश औरHके हाथ, और अपना जीवन बूर जन के वश म कर दे ; 10 या पराए तेर: कमाई से अपना पेट भर , और पकेदशी मनुंय ते रे पgरnम का फल अपके घर म

रख ; 11 और तू अपके अ'(तम समय म जब क तेरा शर:र झीण हो जाए तब यह कहकर हाथ मारने लगे, क 12 मE ने िशझा से कैसा बैर कया, और डांटनेवाले का कैसा ितरःकार कया! 13 मE ने अपके गुRओं क बात न मानी और अपके िसखानेवालHक ओर ~यान न लगाया। 14 मE सभा और म+डली के बीच म

ूाय: सब बुराइयHम जा पड़ा।। 15 तू अपके ह: कु+ड से पानी, और अपके ह: कूंए से सोते का जल पया करना। 16 या तेरे सोतHका पानी सड़क म , और तेरे जल

क धारा चौकHम बह जाने पाए? 17 यह केवल तेरे ह: िलथे रहे , और ते रे संग औरHके िलथे न हो। 18 तेरा सोता ध(य रहे ; और अप क जवानी क प^ी के साय आन'(दत रह, 19 ूय हgरणी वा सु(दर सांभरनी के समान उसके ःतन सवOदा तुझे संतु रखे, और उसी का ूेम िनय तुझे आकषतO करता रहे । 20 हे मेरे पुऽ, तू अपgरिचत \ी पर यHमोहत हो, और पराई को यHछाती से लगाए? 21 यHक मनुंय के मागO यहोवा क l से िछपे नह:ं हE , और वह उसके सब मागJपर ~यान करता है । 22 द ु अपके ह: अधमO के कमJसे फंसेगा, और अपके ह: पाप के ब(धनHम ब(धा रहे गा। 23 वह िशझा ूाT कए बना मर जाएगा, और अप क ह: मूखOता के कारण भटकता रहे गा।। नीितवचन 6 1 हे मरे पुऽ, यद तू अपके पड़ोसी का उरदायी हुआ हो, अयवा परदे शी के िलथे हाथ पर हाथ मार कर उरदायी हुआ हो, 2 तो तू अपके ह: मूह ं के वचनHसे फंसा, और अपके ह: मुह ं क बातHसे पकड़ा गया। 3 इसिलथे हे मेरे पुऽ, एक काम कर, अयाOत ् तू जो अपके पड़ोसी के हाथ म पड़ चुका है , तो जा, उसको साांग ूणाम करके मना ले। 4 तू ने तो अप क आखHम नींद, और न अप क पलकHम

झप क आने दे ; 5 और अपके आप को हgरणी के समान िशकार: के हाथ से, और िचडय़ा के समान िचडक़ार के हाथ से छुड़ा।। 6 हे आलसी, .यूं टयHके पास जा; उनके काम पर ~यान दे , और बुaमान हो। 7 उनके न तो कोई (यायी होता है , न ूधान, और न ूभुता करनेवाला, 8 तौभी वे अपना आहार धूपकाल म

संचय करती हE , और कटनी के समय अप क भोजनवःतु बटोरती हE । 9 हे

आलसी, तू कब तक सोता रहे गा? ते र: नींद कब टू टे गी? 10 कुछ और सो लेना, योड़: सी नींद, एक और झप क, योड़ा और छाती पर हाथ रखे लेटे रहना, 11 तब तेरा कंगालपन बटमार क नाई और ते र: घट: हिययारब(द के समान आ पकेगी।। 12 ओछे और अनयOकार: को दे खो, वह टे ढ़: टे ढ़: बात बकता फरता है , 13 वह नैन से सैन और पांव से इशारा, और अप क अगुंिलयHसे सक त करता है , 14 उसके मन म उलट फेर क बात रहतीं, वह लगातार बुराई गढ़ता है और फगड़ा रगड़ा उप(न करता है । 15 इस कारण उस पर वप अचानक आ पकेगी, वह पल भर म ऐसा नाश हो जाएगा, क बचने का कोई उपाय न रहे गा।। 16 छ: वःतुओं से यहोवा बैर रखता है , वरन सात हE 'जन से उसको धृणा है 17 अयाOत ् घम+ड से च क हुई आंख , फूठ बोलनेवाली जीभ, और िनदzष का लोहू बहानेवाले हाथ, 18 अनयO क`पना गढ़नेवाला मन, बुराई करने को वे ग दौड़नेवाले पांव, 19 फूठ बोलनेवाला साझी और भाइयHके बीच म फगड़ा उप(न करनेवाला मनुंय। 20 हे मेरे पुऽ, मेर: आWा को मान, और अप क माता क िशझा का न तज। 21 इन को अपके ॑ृदय म सदा गांठ बा(धे रख; और अपके गले का हार बना ले। 22 वह तेरे चलने म तेर: अगुवाई, और सोते समय तेर: रझा, और जागते समय तुझ से बात करे गी। 23 आWा तो द:पक है और िशझा Gयोित, और िसखानेवाले क डांट जीवन का मागO है , 24 ताक तुझ को बुर: \ी से बचाए और पराई \ी क िचकनी चुप क बातHसे बचाए। 25 उसक सु(दरता दे खकर अपके मन म उसक अिभलाषा न कर; वह तुझे अपके कटाœ से फंसाने न पाए; 26 यHक वेँयागमन के कारण मनुंय टु कड़Hका िभखार: हो जाता है , पर(तु eयिभचाgरणी अनमोल जीवन का अहे र कर लेती है । 27 या हो सकता है

क कोई अप क छाती पर आग रख ले; और उसके कपके न जल ? 28 या हो सकता है क कोई अंगारे पर चले, और उसके पांव न फुलस ? 29 जो पराई \ी के पास जाता है , उसक दशा ऐसी है ; वरन जो कोई उसको छूएगा वह द+ड से न बचेगा। 30 जो चारे भूख के मारे अपना पेट भरने के िलथे चोर: करे , उसके तो लोग तु.छ नह:ं जानते; 31 तौभी यद वह पकड़ा जाए, तो उसको सातगुणा भर दे ना पकेगा; वरन अपके घर का सारा धन दे ना पकेगा। 32 परनतु जो पर\ीगमन करता है वह िनरा िनबुOa है ; जो अपके ूाणHको नाश करना चाहता है , वह ऐसा करता है ।। 33 उसको घायल और अपमािनत होना पकेगा, और उसक नामधराई कभी न िमटे गी। 34 यHक जलन से पुRष बहुत ह: बोिधत हो जाता है , और पलटा लेने के दन वह कुछ कोमलता नह:ं दखाता। 35 वह घूस पर l न करे गा, और चाहे तू उसको बहुत कुछ दे , तौभी वह न मानेगा।। नीितवचन 7 1 हे मेरे पुऽ, मेर: बातHको माना कर, और मेर: आWाओं को अपके मन म रख छोड़। 2 मेर: आWाओं को मान, इस से तू जीवत रहे गा, और मेर: िशझा को अप क आंख क पुतली जान; 3 उनको अप क उं गिलयHम बा(ध, और अपके ॑ृदय क पटया पर िलख ले। 4 बुa से कह क, तू मेर: बहन है , और समझ को अप क साियन बना; 5 तब तू पराई \ी से बचेगा, जो िचकनी चुप क बात

बोलती है ।। 6 मE ने एक दन अपके घर क 'खड़क से, अयाOत ् अपके फरोखे से फांका, 7 तब मE ने भोले लोगHम से एक िनबुOa जवान को दे खा; 8 वह उस \ी के घर के कोने के पास क सड़क पर चला जाता या, और उस ने उसके घर का मागO

िलया। 9 उस समय दन ढल गया, और सं~याकाल आ गया या, वरन रात का घोर अ(धकार छा गया या। 10 और उस से एक \ी िमली, 'जस का भेष वेँया का सा या, और वह बड़: धूतO यी। 11 वह शा'(तरहत और चंचल यी, और अपके घर म न ठहरती यी; 12 कभी वह सड़क म , कभी चौक म पाई जाती यी, और एक एक कोने पर वह बाट जोहती यी। 13 तब उस ने उस जवान को पकड़कर चूमा, और िनलOGजता क चेा करके उस से कहा, 14 मुझे मेलबिल चढ़ाने थे, और मE ने अप क म(नते आज ह: पूर: क हE ; 15 इसी कारण मE तुझ से भ ट करने को िनकली, मE तेरे दशOन क खोजी यी, सो अभी पाया है । 16 मE ने अपके पलंग के बछौने पर िमॐ के बेलबूटेवाले कपके बछाए हE ; 17 मE ने अपके बछौने पर ग(घरस, अगर और दालचीनी िछड़क है । 18 इसिलथे अब चल हम ूेम से भोर तक जी बहलाते रह ; हम परःपर क ूीित से आन'(दत रह । 19 यHक मेरा पित घर म नह:ं है ; वह दरू दे श को चला गया है ; 20 वह चा(द: क यैली ले गया है ; और पूणOमासी को लौट आएगा।। 21 ऐसी ह: बात कह कहकर, उस ने उसको अप क ूबल माया म फंसा िलया; और अप क िचकनी चुप क बातHसे उसको अपके वश म कर िलया। 22 वह तुर(त उसके पीछे हो िलया, और बैल कसाई-खाने को, वा जौसे बेड़: पहने हुए कोई मूढ़ ताड़ना पाने को जाता है । 23 अ(त म उस जवान का कलेजा तीर से बेधा जाएगा; वह उस िचडय़ा के समान है जो फ(दे क ओर वेग से उड़े और न जानती हो क उस म मेरे ूाण जाएंगे।। 24 अब हे मेरे पुऽH, मेर: सुनो, और मेर: बातHपर मन लगाओ। 25 तेरा मन ऐसी \ी के मागO क ओर न फरे , और उसक डगरHम भूल कर न जाना; 26 यHक बहुत लोग उस से मारे पके हE ; उसके घात कए हुओं क एक बड़: सं‡या होगी। 27

उसका घर अधोलोक का मागO है , वह मृयु के घर म पहंु चाता है ।। नीितवचन 8 1 या बुa नह:ं पुकारती है , या समझ ऊंचे शcद से नह:ं बोलती है ? 2 वह तो ऊंचे ःयानHपर मागO क एक ओर ओर ितमुह O ािनयHम खड़: होती है ; 3 फाटकHके पास नगर के पैठाव म , और kारHह: म वह ऊंचे ःवर से कहती है , 4 हे मनुंयH, मE तुम को पुकारती हूं, और मेर: बात सब आदिमयHके िलथे है । 5 हे भोलो, चतुराई सीखो; और हे मूखJ, अपके मन म समझ लH 6 सुनो, यHक मE उम बात

कहंू गी, और जब मुह ं खोलूग ं ी, तब उस से सीधी बात िनकल गी; 7 यHक मुझ से स.चाई क बातHका वणOन होगा; द ु ता क बातHसे मुझ को घृणा आती है ।। 8 मेरे मुह ं क सब बात धमO क होती हE , उन म से कोई टे ढ़: वा उलट फेर क बात नह:ं िनकलती है । 9 समझवाले के िलथे वे सब सहज, और Wान के ूाT करनेवालHके िलथे अित सीधी हE । 10 चा(द: नह:ं, मेर: िशझा ह: को लो, और उम कु(दन से बढ़कर Wान को महण करो। 11 यHक बुa, मूग ं े से भी अ.छq है , और सार: मनभावनी वःतुओं म कोई भी उसके तु`य नह:ं है । 12 मE जो बुa हूं, सो चतुराई म वास करती हंू , और Wान और ववेक को ूाT करती हंू । 13 यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है । घम+ड, अंहकार, और बुर: चाल से, और उलट फेर क बात से भी मE बैर रखती हंू । 14 उम युf, और खर: बुa मेर: ह: है , मE तो समझ हूं, और पराबम भी मेरा है । 15 मेरे ह: kारा राजा राGय करते हE , और अिध कारनेी धमO से वचार करते हE ; 16 मेरे ह: kारा राजा हाकम और रईस, और पृवी के सब (यायी शासन करते हE । 17 जो मुझ से ूेम रखते हE , उन से मE

भी ूेम रखती हंू , और जो मुझ को य^ से तड़के उठकर खोजते हE , वे मुझे पाते हE । 18 धन और ूितvा मेरे पास है , वरन ठहरनेवाला धन और धमO भी हE । 19 मेरा फल चोखे सोने से, वरन कु(दन से भी उम है , और मेर: उपज उम चा(द: से अ.छq है । 20 मE धमO क बाट म , और (याय क डगरHके बीच म चलती हंू , 21 'जस से मE अपके ूेिमयHको परमायO के भागी कRं, और उनके भ+डारHको भर दं ।ू 22 यहोवा ने मुझे काम करते के आरSभ म , वरन अपके ूाचीनकाल के कामHसे भी पहले उप(न कया। 23 मE सदा से वरन आद ह: से पृवी क सृ के पहले ह: से ठहराई गई हंू । 24 जब न तो गहरा सागर या, और न जल के सोते थे तब ह: से मE उप(न हुई। 25 जब पहाड़ वा पहाडय़ां 'ःयर न क गई यीं, 26 जब यहोवा ने न तो पृवी और न मैदान, न जगत क धूिल के परमाणु बनाए थे, इन से पहले मE उप(न हुई। 27 जब उस ने अकाश को 'ःयर कया, तब मE वहां यी, जब उस ने गहरे सागर के ऊपर आकाशम+डल ठहराया, 28 जब उस ने आकाशम+डल को ऊपर से 'ःयर कया, और गहरे सागर के सोते फूटने लगे, 29 जब उस ने समुि का िसवाना ठहराया, क जल उसक आWा का उ`लंघन न कर सके, और जब वह पृवी क नेव क डोर: लगाता या, 30 तब मE कार:गर सी उसके पास यी; और ूित दन मE उसक ूस(नता यी, और हस समय उसके साSहने आन'(दत रहती यी। 31 मE उसक बसाई हुई पृवी से ूस(न यी और मेरा सुख मनुंयHक संगित से होता या।। 32 इसिलथे अब हे मेरे पुऽH, मेर: सुनो; या ह: ध(य हE वे जो मेरे मागO को पकड़े रहते हE । 33 िशझा को सुनो, और बुaमान हो जाओ, उसके वषय म अनसुनी न करो। 34 या ह: ध(य है वह मनुंय जो मेर: सुनता, वरन मेर: डे वढ़: पर ूित दन खड़ा रहता, और मेरे kारHके

खंभHके पास l लगाए रहता है । 35 यHक जो मुझे पाता है , वह जीवन को पाता है , और यहोवा उस से ूस(न होता है । 36 पर(तु जो मेरा अपराध करता है , वह अपके ह: पर उपिव करता है ; 'जतने मुझ से बैर रखते वे मृयु से ूीित रखते हE ।। नीितवचन 9 1 बुa ने अपना घर बनाया और उसके सातHखंभे गढ़े हुए हE । 2 उस ने अपके पशु वध करके, अपके दाखमधु म मसाला िमलाया है , और अप क मेज़ लगाई है । 3 उस ने अप क सहे िलयां, सब को बुलाने के िलथे भेजी है ; वह नगर के ऊंचे ःयानHक चोट: पर पुकारती है , 4 जो कोई भोला हे वह मुड़कर यह:ं आए! और जो िनबुOa है , उस से वह कहती है , 5 आओ, मेर: रोट: खाओ, और मेरे मसाला िमलाए हुए दाखमधु को पीओ। 6 भोलHका संग छोड़ो, और जीवत रहो, समझ के मागO म सीधे चलो। 7 जो ठ=ठा करनेवाले को िशझा दे ता है , सो अपमािनत होता है , और जो द ु जन को डांटता है वह कलंकत होता है ।। 8 ठ=ठा करनेवाले को न डांट ऐसा न हो क वह तुझ से बैर रखे, बुaमान को डांट, वह तो तुझ से ूे म रखेगा। 9 बुaमान को िशझा दे , वह अिधक बुaमान होगा; धमh को िचता दे , वह अप क वrा बढ़ाएगा। 10 यहोवा का भय मानना बुa का आरSभ है , और परमपवऽ ई र को जानना ह: समझ है । 11 मेरे kारा तो तेर: आयु बढ़े गी, और तेरे जीवन के वषO अिधक हHगे। 12 यद तू बुaमान हो, ते बुa का फल तू ह: भोगेगा; और यद तू ठ=ठा करे , तो द+ड केवल तू ह: भोगेगा।। 13 मूखOताRपी \ी हौरा मचानेवाली है ; वह तो भोली है , और कुछ नह:ं जानती। 14 वह अपके घर

के kार म , और नगर के ऊंचे ःयानHम मिचया पर बैठq हुई 15 जो बटोह: अपना अपना मागO पकड़े हुए सीधे चले जाते हE , उनको यह कह कहकर पुकारती है , 16 जो कोई भोला है , वह मुड़कर यह:ं आए; जो िनबुOa है , उस से वह कहती है , 17 चोर: का पानी मीठा होता है , और लुके िछपे क रोट: अ.छq लगती है । 18 और वह नह:ं जानता है , क वहां मरे हुए पके हE , और उस \ी के नेवतहार: अधोलोक के िनचले ःयानHम पहुंचे हE ।। नीितवचन 10 1 सुलम ै ान के नीितवचन।। बुaमान पुऽ से पता आन'(दत होता है , पर(तु मूखO पुऽ के कारण माता उदास रहती है । 2 द ु Hके रखे हुए धन से लाभ नह: होता, पर(तु धमO के कारण मृयु से बचाव होता है । 3 धमh को यहोवा भूखHमरने नह:ं दे ता, पर(तु द ु Hक अिभलाषा वह पूर: होने नह:ं दे ता। 4 जो काम म ढलाई करता है , वह िनधOन हो जाता है , पर(तु काममाजु लोग अपके हाथHके kारा धनी होते हE । 5 जो बेटा धूपकाल म बटोरता है वह बुa से काम करनेवाला है , पर(तु जो बेटा कटनी के समय भार: नींद म पड़ा रहता है , वह लGजा का कारण होता है । 6 धमh पर बहुत से आशhवाद होते हE , पर(तु उपिव द ं छा लेता है । 7 ु Hका मुह धमh को ःमरण करके लोग आशीवाOद दे ते हE , पर(तु द ु Hका नाम िमट जाता है । 8 जो बुaमान है , वह आWाओं को ःवीकार करता है , पर(तु जो बकवाद: और मूढ़ है , वह पछाड़ खाता है । 9 जो खराई से चलता है वह िनडर चलता है , पर(तु जो टे ढ़: चाल चलता है उसक चाल ूगट हो जाती है । 10 जो नैन से सैन करता है उस से औरHको दख ु िमलता है , और जो बकवाद: और मूढ़ है , वह पछाड़ खाता है ।

11 धमh का मुह ं तो जीवन का सोता है , पर(तु उपिव द ं छा लेता है । 12 ु Hका मुह बैर से तो फगड़े उप(न होते हE , पर(तु ूेम से सब अपराध ढं प जाते हE । 13 समझवालHके वचनHम बुa पाई जाती है , पर(तु िनबुOa क पीठ के िलथे कोड़ा है । 14 बुaमान लोग Wान को रख छोड़ते हE , पर(तु मूढ़ के बोलने से वनाश िनकट आता है । 15 धनी का धन उसका lढ़ नगर है , पर(तु कंगाल लोग िनधOन होने के कारण वनाश होते हE । 16 धमh का पgरnम जीवन के िलथे होता है , पर(तु द ु के लाभ से पाप होता है । 17 जो िशझा पर चलता वह जीवन के मागO पर है , पर(तु जो डांट से मुह ं मोड़ता, वह भटकता है । 18 जो बैर को िछपा रखता है , वह फूठ बोलता है , और जो अपवाद फैलाता है , वह मूखO है । 19 जहां बहुत बात होती हE , वहां अपराध भी होता है , पर(तु जो अपके मुह ं को ब(द रखता है वह बुa से काम करता है । 20 धमh के वचन तो उम चा(द: हE ; पर(तु द ु Hका मन बहुत हलका होता है । 21 धमh के वचनHसे बहुतHका पालनपोषण होता है , पर(तु मूढ़ लोग िनबुOa होने के ◌ारण मर जाते हE । 22 धन यहोवा क आशीष ह: से िमलता है , और वह उसके साय द:ु ख नह:ं िमलाता। 23 मूखO को तो महापाप करना हं सी क बात जान पड़ती है , पर(तु समझवाले पुRष म बुa रहती है । 24 द ु जन 'जस वप से डरता है , वह उस पर आ पड़ती है , पर(तु धिमयJक लालसा पूर: होती है । 25 बव+डर िनकल जाते ह: द ु जन लोप हो जाता है , पर(तु धमh सदा लH'ःयर है । 26 जैसे दांत को िसरका, और आंख को धूआ ं , वैसे आलसी उनको लगात है जो उसको कह:ं भेजते हE । 27 यहोवा के भय मानने से आयु बढ़ती है , पर(तु द ु Hका जीवन योड़े ह: दनHका होता है । 28 धिमयJको आशा रखने म

आन(द िमलता है , पर(तु द ु Hक आशा टू ट जाती है । 29 यहोवा खरे मनुंय का

गढ़ ठहरता है , पर(तु अनयOकाgरयHका वनाश होता है । 30 धमh सदा अटल रहे गा, पर(तु द ं से बुa टपकती है , ु पृवी पर बसने न पाएंगे। 31 धमh के मुह पर उलट फेर क बात कहने वाले क जीभ काट: जाथेगी। 32 धमh गहणयोbय बात समझ कर बोलता है , पर(तु द ं से उलट फेर क बात िनकलती हE ।। ु Hके मुह नीितवचन 11 1 छल के तराजू से यहोवा को घृणा आती है , पर(तु वह पूरे बटखरे से ूस(न होता है । 2 जब अिभमान होता, तब अपमान भी होता है , पर(तु नॆ लोगHम बुa होती है । 3 सीधे लोग अप क खराई से अगुवाई पाते हE , पर(तु व ासघाती अपके कपट से वनाश होते हE । 4 कोप के दन धन से तो कुछ लाभ नह:ं होता, पर(तु धमO मृयु से भी बचाता है । 5 खरे मनुंय का मागO धमO के कारण सीधा होता है , पर(तु द ु अप क द ु ता के कारण िगर जाता है । 6 सीधे लोगHको बचाव उनके धमO के कारण होता है , पर(तु व ासघाती लोग अप क ह: द ु ता म फंसते हE । 7 जब द ु मरता, तब उसक आशा टू ट जाती है , और अधमh क आशा eययO होती है । 8 धमh वप से छूट जाता है , पर(तु द ु उसी वप म

पड़ जाता है । 9 भfह:न जन अपके पड़ोसी को अपके मुह ं क बात से बगाड़ता है , पर(तु धमh लोग Wान के kारा बचते हE । 10 जब धिमयJका क`याण होता है , तब नगर के लोग ूस(न होते हE , पर(तु जब द ु नाश होते, तब जय-जयकार होता है । 11 सीधे लोगHके आशीवाOद से नगर क बढ़ती होती है , पर(तु द ं ु Hके मुह क बात से वह ढाया जाता है । 12 जो अपके पड़ोसी को तु.छ जानता है , वह िनबुOa है , पर(तु समझदार पुRष चुपचाप रहता है । 13 जो लुतराई करता फरता

वह भेद ूगट करता है , पर(तु व ासयोbय मनुंय बात को िछपा रखता है । 14 जहां बुa क युf नह:ं, वहां ूजा वप म पड़ती है ; पर(तु सSमित दे नेवालHक बहुतायत के कारण बचाव होता है । 15 जो परदे शी का उरदायी होता है , वह बड़ा द:ु ख उठाता है , पर(तु जो उरदाियव से घृणा करता, वह िनडर रहता है । 16 अनुमह करनेवाली \ी ूितvा नह:ं खोती है , और बलाकार: लाग धन को नह:ं खोते। 17 कृपालु मनुंय अपना ह: भला करता है , पर(तु जो बूर है , वह अप क ह: दे ह को द:ु ख दे ता है । 18 द ु िमया कमाई कमाता है , पर(तु जो धमO का बीज बोता, उसको िन_य फल िमलता है । 19 जो धमO म lढ़ रहता, वह जीवन पाता है , पर(तु जो बुराई का पीछा करता, वह मृयु का कौर हो जाता है । 20 जो मन के टे ढ़े है , उन से यहोवा को घृणा आती है , पर(तु वह खर: चालवालHसे ूस(न रहता है । 21 मE lढ़ता के साय कहता हंू , बुरा मनुंय िनदzष न ठहरे गा, पर(तु धमh का वंश बचाया जाएगा। 22 जो सु(दर \ी ववेक नह:ं रखती, वह यूयन म सोने क नय पहने हुए सूअर के समान है । 23 धिमयJक लालसा तो केवल भलाई क होती है ; पर(तु द ु Hक आशा का फल बोध ह: होता है । 24 ऐसे हE , जो िछतरा दे ते हE , तौभी उनक बढ़ती ह: होती है ; और ऐसे भी हE जो ययाOय से कम दे ते हE , और इस से उनक घटती ह: होती है । 25 उदार ूाणी ॑ृ पु हो जाता है , और जो औरHक खेती सींचता है , उसक भी सींची जाएगी। 26 जो अपना अनाज रख छोड़ता है , उसक लोग शाप दे ते हE , पर(तु जो उसे बे च दे ता है , उसको आशीवाOद दया जाता है । 27 जो य^ से भलाई करता है वह औरHक ूस(नता खोजता है , पर(तु जो दस ू रे क बुराई का खोजी होता है , उसी पर बुराई आ पड़ती है । 28 जो अपके धन पर भरोसा रखता है वह िगर जाता है , पर(तु धमh लोग नथे

पे क नाई लहलहाते हE । 29 जो अपके घराने को द:ु ख दे ता, उसका भाग वायु ह: होगा, और मूढ़ बुaमान का दास हो जाता है । 30 धमh का ूितफल जीवन का वृझ होता है , और बुaमान मनुंय लोगHके मन को मोह लेता है । 31 दे ख, धमh को पृवी पर फल िमलेगा, तो िन_य है क द ु और पापी को भी िमलेगा।। नीितवचन 12 1 जो िशझा पाने म ूीित रखता है वह Wान से ूीित रखता है , पर(तु जो डांट से बैर रखता, वह पशु सर:खा है । 2 भले मनुंय से तो यहोवा ूस(न होता है , पर(तु बुर: युf करनेवाले को वह दोषी ठहराता है । 3 कोई मनुंय द ु ता के कारण 'ःयर नह:ं होता, पर(तु धिमयJक जड़ उखड़ने क नह:ं। 4 भली \ी अपके पित का मुकुट है , पर(तु जो लGजा के काम करती वह मानो उसक ह']डयHके सड़ने का कारण होती है । 5 धिमयJक क`पनाएं (याय ह: क होती हE , पर(तु द ु Hक युfयां छल क हE । 6 द ु Hक बातचीत हया करने के िलथे घात लगाने के वषय म होती है , पर(तु सीधे लोग अपके मुह ं क बात के kारा छुड़ानेवाले होते हE । 7 जब द ु लोग उलटे जाते हE तब वे रहते ह: नह:ं, पर(तु धिमयJका घर 'ःयर रहता है । 8 मनुंय क बुa के अनुसार उसक ूशंसा होती है , पर(तु कुटल तु.छ जाना जाता है । 9 जो रोट: क आस लगाए रहता है , और बड़ाई मारता है , उस से दास रखनेवाला तु.छ मनुंय भी उम है । 10 धमh अपके पशु के भी ूाण क सुिध रखता है , पर(तु द ु Hक दया भी िनदO यता है । 11 जो अप क भूिम को जोतता, वह पेट भर खाता है , पर(तु जो िनकSमHक संगित करता, वह िनबुOa ठहरता है । 12 द ु जन बुरे लोगHके जाल क अिभलाषा करते हE , पर(तु धिमयJक

जड़ हर: भर: रहती है । 13 बुरा मनुंय अपके दव ु OचनHके कारण फ(दे म फंसता है , पर(तु धमh संकट से िनकास पाता है । 14 सGजन अपके वचनHके फल के kारा भलाई से तृT होता है , और जैसी 'जसक करनी वैसी उसक भरनी होती है । 15 मूढ़ को अप क ह: चाल सीधी जान पड़ती है , पर(तु जो सSमित मानता, वह बुaमान है । 16 मूढ़ क gरस उसी दन ूगट हो जाती है , पर(तु चतुर अपमान को िछपा रखता है । 17 जो सच बोलता है , वह धमO ूगट करता है , पर(तु जो फूठq साझी दे ता, वह छल ूगट करता है । 18 ऐसे लोग हE 'जनका बना सोचवचार का बोलना तलवार क नाई चुभता है , पर(तु बुaमान के बोलने से लोग चंगे होते हE । 19 स.चाई सदा बनी रहे गी, पर(तु फूढ पल ह: भर का होता है । 20 पुर: युf करनेवालHके मन म छल रहता है , पर(तु मेल क युf करनेवालHको आन(द होता है । 21 धमh को हािन नह:ं होती है , पर(तु द ु लोग सार: वप म डू ब जाते हE । 22 फूठHसे यहोवा को घृणा आती है पर(तु जो व ास से काम करते हE , उन से वह ूस(न होता है । 23 चतुर मनुंय Wान को ूगट नह:ं करता है , पर(तु मूढ़ अपके मन क मूढ़ता ऊंचे शcद से ूचार करता है । 24 कामकाजी लोग ूभुता करते हE , पर(तु आलसी बगार: म पकड़े जाते हE । 25 उदास मन दब जाता है , पर(तु भली बात से वह आन'(दत होता है । 26 धमh अपके पड़ोसी क अगुवाई करता है , पर(तु द ु लोग अप क ह: चाल के कारण भटक जाते हE । 27 आलसी अहे र का पीछा नह:ं करता, पर(तु कामकाजी को अनमोल वःतु िमलती है । 28 धमO क बाट म जीवन िमलता है , और उसके पय म मृयु का पता भी नह:ं।। नीितवचन 13

1 बुaमान पुऽा पता क िशœा सुनता है , पर(तु ठ=ठा करनेवाला घुड़क को भी नह:ं सुनता। 2 सGजन अप क बातHके कारण उम वःतु खाने पाता है , पर(तु व ासघाती लोगHका पेट उपिव से भरता है । 3 जो अपके मुह ं क चौकसी करता है , वह अपके ूाण क रœा करता है , पर(तु जो गाल बजाता उसका वनाश जो जाता है । 4 आलसी का ूाण लालसा तो करता है , और उसको कुछ नह:ं िमलता, पर(तु कामकाजी Ÿ पु हो जाते हE । 5 धमh झूठे वचन से बैर रखता है , पर(तु द ु लGजा का कारण और ल'Gजत हो जाता है । 6 धमO खर: चाल चलनेवाली क रœा करता है , पर(तु पापी अप क द ु ता के कारण उलट जाता है । 7 कोई तो धन बटोरता, पर(तु उसके पास कुछ नह:ं रहता, और कोई धन उड़ा दे ता, तौभी उसके पास बहुत रहता है । 8 ूाण क छुड़ौती मनुंय का धन है , पर(तु िनधOन घुड़क को सुनता भी नह:ं। 9 धिमOयHक Gयोित आन(द के साथ रहती है , पर(तु द ु Hका दया बुझ जाता है । 10 झगड़े रगड़े केवल अंहकार ह: से होते हE , पर(तु जो लोग सSमित मानते हE , उनके पास बुa रहती है । 11 िनधOन के पास माल नह:ं रहता, पर(तु जो अपके पgरौम से बटोरता, उसक बढ़ती होती है । 12 जब आशा पूर: होने से वलSब होता है , तो मन िशिथल होता है , पर(तु जब लालसा पूर: होती है , तब जीवन का वृœ लगता है । 13 जो वचन को तु.छ जानता, वह नाश हो जाता है , पर(तु आWा के डरवैथे को अ.छा फल िमलता है । 14 बुaमान क िशœा का जीवन का सोता है , और उसके kारा लोग मृयु के फ(दHसे बच सकते हE । 15 सुबुa के कारण अनुमह होता है , पर(तु व ासघाितयHका मागO कड़ा होता है । 16 सब चतुर तो Wान से काम करते हE , पर(तु मूखO अप क मूढ़ता फैलाता है । 17 द ु दत ू बुराई म फंसता है , पर(तु व ासयोbय दत ू से कुशलœेम

होता है । 18 जो िशœा को सुनी- अनसुनी करता वह िनधOन होता और अपमान पाता है , पर(तु जो डांट को मानता, उसक महमा होती है । 19 लालसा का पूरा होना तो ूाण को मीठा लगता है , पर(तु बुराई से हटना, मूखJके ूाण को बुरा लगता है । 20 बुaमानHक संगित कर, तब तू भी बुaमान हो जाएगा, पर(तु मूखJका साथी नाश हो जाएगा। 21 बुराई पापयHके पीछे पड़ती है , पर(तु धिमOयHको अ.छा फल िमलता है । 22 भला मनुंय अपके नाती- पोतHके िलथे भाग छोड़ जाता है , पर(तु पापी क सSप धमh के िलथे रखी जाती है । 23 िनबOल लोगHको खेती बार: से बहुत भोजनवःतु िमलती है , पर(तु ऐसे लोग भी हE जो अ(याय के कारण िमट जाते हE । 24 जो बेटे पर छड़: नह:ं चलाता वह उसका बैर: है , पर(तु जो उस से ूेम रखता, वह य^ से उसको िशœा दे ता है । 25 धमh पे ट भर खाते पाता है , पर(तु द ु भूखे ह: रहते हE ।। नीितवचन 14 1 हर बुaमान \ी अपके घर को बनाती है , पर मूढ़ \ी उसको अपके ह: हाथHसे ढा दे ती है । 2 जो सीधाई से चलता वह यहोवा का भय माननेवाला है , पर(तु जो टे ढ़: चाल चलता वह उसको तु.छ जाननेवाला ठहरता है । 3 मूढ़ के मुह ं म गवO का अंकुर है , पर(तु बुaमान लोग अपके वचनHके kारा रझा पाते हE । 4 जहां बैल नह:ं, वहां गौशाला िनमOल तो रहती है , पर(तु बैल के बल से अनाज क बढ़ती हाती है । 5 स.चा साझी फूठ नह:ं बोलता, पर(तु फूठा साझी फूठq बात उड़ाता है । 6 ठ=ठा करनेवाला बुa को ढू ं ढ़ता, पर(तु नह:ं पाता, पर(तु समझवाले को Wान सहज से िमलता है । 7 मूखO से अलग हो जा, तू उस से Wान क बात न पाएगा। 8

चतुर क बुa अप क चाल का जानना है , पर(तु मूखJक मूढ़ता छल करना है । 9 मूढ़ लोग दोषी होने को ठ=ठा जानते हE , पर(तु सीधे लोगHके बीच अनुमह होता है । 10 मन अपना ह: द:ु ख जानता है , और परदे शी उसके आन(द म हाथ नह:ं डाल सकता। 11 द ु Hको घर वनाश हो जाता है , पर(तु सीधे लोगHके तSबू म

आबाद: होती है । 12 ऐसा मागO है , जो मनुंय को ठqक दे ख पड़ता है , पर(तु उसके अ(त म मृयु ह: िमलती है । 13 हं सी के समय भी मन उदास होता है , और आन(द के अ(त म शोक होता है । 14 'जसका मन ई र क ओर से हट जाता है , वह अप क चालचलन का फल भोगता है , पर(तु भला मनुंय आप ह: आप स(तु होता है । 15 भोला तो हर एक बात को सच मानता है , पर(तु चतुर मनुंय समझ बूफकर चलता है । 16 बुaमान डरकर बुराई से हटता है , पर(तु मूखO ढ:ठ होकर िनडर रहता है । 17 जो फट बोध करे , वह मूढ़ता का काम भी करे गा, और जो बुर: युfयां िनकालता है , उस से लोग बैर रखते हE । 18 भोलHका भाग मूढ़ता ह: होता है , पर(तु चतुरHको WानRपी मुकुट बा(धा जाता है । 19 बुरे लोग भलHके सSमुख, और द ु लोग धमh के फाटक पर द+डवत ् करते हE । 20 िनधOन का पड़ोसी भी उस से घृणा करता है , पर(तु धनी के बहुतेरे ूेमी होते हE । 21 जो अपके पड़ोसी को तु.छ जानता, वह पाप करता है , पर(तु जो द:न लोगHपर अनुमह करता, वह ध(य होता है । 22 जो बुर: युf िनकालते हE , या वे ॅम म नह:ं पड़ते? पर(तु भली युf िनकालनेवालHसे कRणा और स.चाई का eयवहार कया जाता है । 23 पgरnम से सदा लाभ होता है , पर(तु बकवाद करने से केवल घटती होती है । 24 बुaमानHका धन उनका मुकुट ठहरता है , पर(तु मूखJक मूढ़ता िनर: मूढ़ता है । 25 स.चा साझी बहुतHके ूाण बचाता है , पर(तु जो फूठq बात उड़ाया

करता है उस से धोखा ह: होता है । 26 यहोवा के भय मानने से lढ़ भरोसा होता है , और उसके पुऽHको शरणःयान िमलता है । 27 यहोवा का भय मानना, जीवन का सोता है , और उसके kारा लोग मृयु के फ(दHसे बच जाते हE । 28 राजा क महमा ूजा क बहुतायत से होती है , पर(तु जहां ूजा नह:ं, वहां हाकम नाश हो जाता है । 29 जो वलSब से बोध करनेवाला है वह बड़ा समझवाला है , पर(तु जो अधीर है , वह मूढ़ता क बढ़ती करता है । 30 शा(त मन, तन का जीवन है , पर(तु मन के जलने से ह']डयां भी जल जाती हE । 31 जो कंगाल पर अंधेर करता, वह उसके कताO क िन(द करता है , पर(तु जो दgरि पर अनुमह करता, वह उसक महमा करता है । 32 द ु मनुंय बुराई करता हुआ नाश हो जाता है , पर(तु धमh को मृयु के समय भी शरण िमलती है । 33 समझवाले के मन म बुa वास कए रहती है , पर(तु मूखJके अ(त:काल म जो कुछ है वह ूगट हो जाता है । 34 जाित क बढ़ती धमO ह: से होती है , पर(तु पाप से दे श के लोगHका अपमान होता है । 35 जो कमOचार: बुa से काम करता है उस पर राजा ूस(न होता है , पर(तु जो लGजा के काम करता, उस पर वह रोष करता है ।। नीितवचन 15 1 कोमल उर सुनने से जलजलाहट ठ+ड: होती है , पर(तु कटु वचन से बोध धधक उठता है । 2 बुaमान Wान का ठqक बखान करते हE , पर(तु मूखJके मुह ं से मूढ़ता उबल आती है । 3 यहोवा क आंख सब ःयानHम लगी रहती हE , वह बुरे भले दोनHको दे खती रहती हE । 4 शा'(त दे नेवाली बात जीवन-वृझ है , पर(तु उलट फेर क बात से आमा द:ु 'खत होती है । 5 मूढ़ अपके पता क िशझा का ितरःकार

करता है , पर(तु जो डांट को मानता, वह चतुर हो जाता है । 6 धमh के घर म बहुत धन रहता है , पर(तु द ु के उपाजOन म द:ु ख रहता है । 7 बुaमान लोग बात करने से Wान को फैलाते हE , पर(तु मूखJका मन ठqक नह:ं रहता। 8 द ु लोगHके बिलदान से यहोवा धृणा करता है , पर(तु वह सीधे लोगHक ूायOना से ूस(न होता है । 9 द ु के चालचलन से यहोवा को घृणा आती है , पर(तु जो धमO का पीछा करता उस से वह ूेम रखता है । 10 जो मागO को छोड़ दे ता, उसको बड़: ताड़ना िमलती है , और जो डांट से बैर रखता, वह अवँय मर जाता है । 11 जब क अधोलोक और वनाशलोक यहोवा के साSहने खुले रहते हE , तो िन_य मनुंयHके मन भी। 12 ठ=ठा करनेवाला डांटे जाने से ूस(न नह:ं होता, और न वह बुaमानHके पास जाता है । 13 मन आन'(दत होने से मुख पर भी ूस(नता छा जाती है , पर(तु मन के द:ु ख से आमा िनराश होती है । 14 समझनेवाले का मन Wान क खोज म रहता है , पर(तु मूखO लोग मूढ़ता से पेट भरते हE । 15 द'ु खया के सब दन द:ु ख भरे रहते हE , पर(तु 'जसका मन ूस(न रहता है , वह मानो िनय भोज म जाता है । 16 घबराहट के साय बहुत रखे हुए धन से, यहोवा के भय के साय योड़ा ह: धन उम है , 17 ूेम वाले घर म सागपात का भोजन, बैर वाले घर म पाले हुए बैल का मांस खाने से उम है । 18 बोधी पुRष फगड़ा मचाता है , पर(तु जो वलSब से बोध करनेवाला है , वह मुकXमHको दबा दे ता है । 19 आलसी का मागO कांटHसे R(धा हुआ होता है , पर(तु सीधे लोगHका मागO राजमागO ठहरता है । 20 बुaमान पुऽ से पता आन'(दत होता है , पर(तु मूखO अप क माता को तु.छ जानता है । 21 िनबुOa को मूढ़ता से आन(द होता है , पर(तु समझवाला मनुंय सीधी चाल चलता है । 22 बना सSमित क क`पनाएं िनंफल हुआ

करती हE , पर(तु बहुत से मंऽयHक सSम से बात ठहरती है । 23 सGजन उर दे ने से आन'(दत होता है , और अवसर पर कहा हुआ वचन या ह: भला होता है ! 24 बुaमान के िलथे जीवन का मागO ऊपर क ओर जाता है , इस र:ित से वह अधोलोक म पड़ने से बच जाता है । 25 यहोवा अहं काgरयHके घर को ढा दे ता है , पर(तु वधवा के िसवाने को अटल रखता है । 26 बुर: क`पनाएं यहोवा को िघनौनी लगती हE , पर(तु शुa जन के वचन मनभावने हE । 27 लालची अपके घराने को द:ु ख दे ता है , पर(तु घूस से घृणा करनेवाला जीवत रहता है । 28 धमh मन म सोचता है क या उर दं ,ू पर(तु द ं से बुर: बात उबल आती हE । ु Hके मुह 29 यहोवा द ु Hसे दरू रहता है , पर(तु धिमयJक ूायOना सुनता है । 30 आंखHक चमक से मन को आन(द होता है , और अ.छे समाचार से ह']डयां पु होती हE । 31 जो जीवनदायी डांट कान लगाकर सुनता है , वह बुaमानHके संग ठकाना पाता है । 32 जो िशझा को सुनी-अनसुनी करता, वह अपके ूाण को तु.छ जानता है , पर(तु जो डांट को सुनता, वह बुa ूाT करता है । 33 यहोवा के भय मानने से िशझा ूाT होती है , और महमा से पहले नॆता होती है ।। नीितवचन 16 1 मन क युf मनुंय के वश म रहती है , पर(तु मुह ं से कहना यहोवा क ओर से होता है । 2 मनुंय का सारा चालचलन अप क l म पवऽ ठहरता है , पर(तु यहोवा मन को तौलता है । 3 अपके कामHको यहोवा पर डाल दे , इस से तेर: क`पनाएं िसa हHगी। 4 यहोवा ने सब वःतुएं वशेष उXे ँय के िलथे बनाई हE , वरन द ु को भी वप भोगने के िलथे बनाया है । 5 सब मन के घम'+डयHसे

यहोवा घृणा करता है करता है ; मE lढ़ता से कहता हंू , ऐसे लोग िनदzष न ठहर गे। 6 अधमO का ूाय'_त कृ पा, और स.चाई से होता है , और यहोवा के भय मानने के kारा मनुंय बुराई करने से बच जाते हE । 7 जब कसी का चालचलन यहोवा को भवता है , तब वह उसके शऽुओं का भी उस से मेल कराता है । 8 अ(याय के बड़े लाभ से, (याय से योड़ा ह: ूाT करना उम है । 9 मनुंय मन म अपके मागO पर वचार करता है , पर(तु यहोवा ह: उसके पैरHको 'ःयर करता है । 10 राजा के मुह ं से दै वीवाणी िनकलती है , (याय करने म उस से चूक नह:ं होती। 11 स.चा तराजू और पलड़े यहोवा क ओर से होते हE , यैली म 'जतने बटखरे हE , सब उसी के बनवाए हुए हE । 12 द ु ता करना राजाओं के िलथे घृ'णत काम है , यHक उनक गX: धमO ह: से 'ःयर रहती है । 13 धमO क बात बोलनेवालHसे राजा ूस(न होता है , और जो सीधी बात बोलता है , उस से वह ूेम रखता है । 14 राजा का बोध मृयु के दत ू के समान है , पर(तु बुaमान मनुंय उसको ठ+डा करता है । 15 राजा के मुख क चमक म जीवन रहता है , और उसक ूस(नता बरसात के अ(त क घटा के समान होती है । 16 बुa क ूािT चोखे सोने से या ह: उम है ! और समझ क ूािT चा(द: से अित योbय है । 17 बुराई से हटना सीधे लोगHके िलथे राजमागO है , जो अपके चालचलन क चौकसी करता, वह अपके ूाण क भी रझा करता है । 18 वनाश से पहले गवO, और ठोकर खाने से पहले घम+ड होता है । 19 घम'+डयHके संग लूट बांट लने से, द:न लोगHके संग नॆ भाव से रहना उम है । 20 जो वचन पर मन लगाता, वह क`याण पाता है , और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह ध(य होता है । 21 'जसके ॑ृदय म बुa है , वह समझवाला कहलाता है , और मधुर वाणी के kारा Wान बढ़ता है । 22 'जसके बुa है , उसके

िलथे वह जीवन का सोता है , पर(तु मूढ़Hको िशझा दे ना मूढ़ता ह: होती है । 23 बुaमान का मन उसके मुह ं पर भी बुaमानी ूगट करता है , और उसके वचन म

वrा रहती है । 24 मनभावने वचन मधुभरे छते क नाL ूाणHको मीठे लगते, और ह']डयHको हर:-भर: करते हE । 25 ऐसा भी मागO है , जो मनुंय को सीधा दे ख पड़ता है , पर(तु उसके अ(त म मृयु ह: िमलती है । 26 पgरnमी क लालसा उसके िलथे पgरnम करती है , उसक भूख तो उसको उभारती रहती है । 27 अधमh मनुंय बुराई क युf िनकालता है , और उसके वचनHसे आग लगा जाती है । 28 टे ढ़ा मनुंय बहुत फगड़े को उठाता है , और कानाफूसी करनेवाला परम िमऽHम भी फूट करा दे ता है । 29 उपिवी मनुंय अपके पड़ोसी को फुसलाकर कुमागO पर चलाता है । 30 आंख मूद ं नेवाला छल क क`पनाएं करता है , और ओंठ दबानेवाला बुराई करता है । 31 प के बाल शोभायमान मुकुट ठहरते हE ; वे धमO के मागO पर चलने से ूाT होते हE । 32 वलSब से बोध करना वीरता से, और अपके मन को वश म रखना, नगर के जीत लेने से उम है । 33 िच=ठq डाली जाती तो है , पर(तु उसका िनकलना यहोवा ह: क ओर से होता है । नीितवचन 17 1 चैन के साय सूखा टु कड़ा, उस घर क अपे झा उम है जो मेलबिल-पशुओं से भरा हो, पर(तु उस म फगड़े रगड़े हH। 2 बुa से चलनेवाला दास अपके ःवामी के उस पुऽ पर जो लGजा का कारण होता है ूभुता करे गा, और उस पुऽ के भाइयHके बीच भागी होगा। 3 चा(द: के िलथे कुठाली, और सोने के िलथे भ=ठq हाती है , पर(तु मनHको यहोवा जांचता है । 4 कुकमh अनयO बात को ~यान दे कर सुनता है ,

और फूठा मनुंय द ु ता क बात क ओर कान लगाता है । 5 जो िनधOन को ठ=ठHम उड़ाता है , वह उसके काO क िन(दा करता है ; और जो कसी क वप पर हं सता, वह िनदzष नह:ं ठहरे गा। 6 बूढ़Hक शोभा उनके नाती पोते हE ; और बाल-ब.चHक शोभा उनके माता-पता हE । 7 मूढ़ तो उम बात फबती नह:ं, और अिधक करके ूधान को फूठq बात नह:ं फबती। 8 दे नेवाले के हाथ म घूस मोह लेनेवाले म'ण का काम दे ता है ; 'जधर ऐसा पुRष फरता, उधर ह: उसका काम सुफल होता है । 9 जो दस ू रे के अपराध को ढांप दे ता, वह ूेम का खोजी ठहरता है , पर(तु जो बात क चचाO बार बार करता है , वह परम िमऽHम भी फूट करा दे ता है । 10 एक घुड़क समझनेवाले के मन म 'जतनी गड़ जाती है , उतना सौ बार मार खाना मूखO के मन म नह:ं गड़ता। 11 बुरा मनुंय दं गे ह: का य^ करता है , इसिलथे उसके पास बूर दत ू भेजा जाएगा। 12 ब.चा-छqनी-हुई-र:छनी से िमलना तो भला है , पर(तु मूढ़ता म डू बे हुए मूखO से िमलना भला नह:ं। 13 जो कोई भलाई के बदले म बुराई करे , उसके घर से बुराई दरू न होगी। 14 फगड़े का आरSभ बा(ध के छे द के समान है , फगड़ा बढ़ने से पहले उसको छोड़ दे ता उिचत है । 15 जो दोषी को िनदzष, और जो िनदzष को दोषी ठहराता है , उन दोनHसे यहोवा घृणा करता है । 16 बुa मोल लेने के िलथे मूखO अपके हाथ म दाम यHिलए हE ? वह उसे चाहता ह: नह:ं। 17 िमऽ सब समयHम ूेम रखता है , और वप के दन भाई बन जाता है । 18 िनबुOa मनुंय हाथ पर हाथ मारता है , और अपके पड़ोसी के सामने उरदायी होता है । 19 जो फगड़े -रगड़े म ूीित रखता, वह अपराण करने म भी ूीित रखता है , और जो अपके फाटक को बड़ा करता, वह अपके वनाश के िलथे य^ करता है । 20 जो मन का टे ढ़ा है , उसका क`याण

नह:ं होता, और उलट-फेर क बात करनेवाला वप म पड़ता है । 21 जो मूखO को ज(माता है वह उस से द:ु ख ह: पाता है ; और मूढ़ के पता को आन(द नह:ं होता। 22 मन का आन(द अ.छq औषिध है , पर(तु मन के टू टने से ह']डयां सूख जाती हE । 23 द ु जन (याय बगाड़ने के िलथे, अप क गांठ से घूस िनकालता है । 24 बुa समझनेवाले के साSहने ह: रहती है , पर(तु मूखO क आंखे पृवी के दरू दरू दे शHम लगी रहती है । 25 मूखO पुऽ से पता उदास होता है , और जननी को शोक होता है । 26 फर धमh से द+ड लेना, और ूधानHको िसधाई के कारण पटवाना, दोनHकाम अ.छे नह:ं हE । 27 जो संभलकर बोलता है , वह: Wानी ठहरता है ; और 'जसी आमा शा(त रहती है , सोई समझवाला पुRष ठहरता है । 28 मूढ़ भी जब चुप रहता है , तब बुaमान िगना जाता है ; और जो अपना मुह ं ब(द रखता वह समझवाला िगना जाता है ।। नीितवचन 18 1 जो औरHसे अलग हो जाता है , वह अप क ह: इ.छा पूर: करने के िलथे ऐसा करता है , 2 और सब ूकार क खर: बुa से बैर करता है । मूखO का मन समझ क बातHम नह:ं लगता, वह केवल अपके मन क बात ूगट करना चाहता है । 3 जहां द ु आता, वहां अपमान भी आता है ; और िन'(दत काम के साय नामधराई होती है । 4 मनुंय के मुह ं के वचन गहरा जल, वा उम+डनेवाली नद: वा बुa के सोते हE । 5 द ु का पझ करना, और धमh का हक मारना, अ.छा नह:ं है । 6 बात बढ़ाने से मूखO मुकXमा खड़ा करता है , और अपके को मार खाने के योbय दखाता है । 7 मूखO का वनाश उसक बातHसे होता है , और उसके वचन उसके ूाण के िलथे

फ(दे होते हE । 8 कानाफूसी करनेवाले के वचन ःवाद भोजन क नाL लगते हE ; वे पेट म पच जाते हE । 9 जो काम म आलस करता है , वह खोनेवाले का भाई ठहरता है । 10 यहोवा का नाम lढ़ कोट है ; धमh उस म भागकर सब दघ O नाओं ु ट से बचता है । 11 धनी का धन उसक l म गढ़वाला नगर, और ऊंचे पर बनी हुई शहरपनाह है । 12 नाश होने से पहले मनुंय के मन म घम+ड, और महमा पाने से पहले नॆता होती है । 13 जो बना बात सुने उर दे ता है , वह मूढ़ ठहरता है , और उसका अनादर होता है । 14 रोग म मनुंय अप क आमा से सSभलता है ; पर(तु जब आमा हार जाती है तब इसे कौन सह सकता है ? 15 समझवाले का मन Wान ूाT करता है ; और बुaमान Wान क बात क खोज म रहते हE । 16 भ ट मनुंय के िलथे मागO खोल दे ती है , और उसे बड़े लोगHके साSहने पहुंचाती है । 17 मुकXम म जो पहले बोलता, वह: धमh जान पड़ता है , पर(तु पीछे दस ू रा पझवाला आका उसे खोज लेता है । 18 िच=ठq डालने से फगड़े ब(द होते हE , और बलव(तHक लड़ाई का अ(त होता है । 19 िचढ़े हुए भाई को मनाना lढ़ नगर के ले लेने से कठन होता है , और फगड़े राजभवन के बे+डHके समान हE । 20 मनुंय का पे ट मुह ं क बातHके फल से भरता है ; और बोलने से जो कुछ ूाT होता है उस से वह तृT होता है । 21 जीभ के वश म मृयु और जीवन दोनHहोते हE , और जो उसे काम म लाना जानता है वह उसका फल भोगेगा। 22 'जस ने \ी cयाह ली, उस ने उम पदायO पाया, और यहोवा का अनुमह उस पर हुआ है । 23 िनधOन िगड़िगड़ाकर बोलता है । पर(तु धनी कड़ा उर दे ता है । 24 िमऽHके बढ़ाने से तो नाश होता है , पर(तु ऐसा िमऽ होता है , जो भाई से भी अिधक िमला रहता है । नीितवचन 19

1 जो िनधOन खराई से चलता है , वह उस मूखO से उम है जो टे ढ़: बात बोलता है । 2 मनुंय का Wानरहत रहना अ.छा नह:ं, और जो उतावली से दौड़ता है वह चूक जाता है । 3 मूढ़ता के कारण मनुंय का मागO टे ढ़ा होता है , और वह मन ह: मन यहोवा से िचढ़ने लगता है । 4 धनी के तो बहुत िमऽ हो जाते हE , पर(तु कंगाल के िमऽ उस से अलग हो जाते हE । 5 फूठा साझी िनदzष नह:ं ठहरता, और जो फूठ बोला करता है , वह न बचेगा। 6 उदार मनुंय को बहुत से लोग मना लेते हE , और दानी पुRष का िमऽ सब कोई बनता है । 7 जब िनधOन के सब भाई उस से बैर रखते हE , तो िन_य है क उसके िमऽ उस से दरू हो जाएं। वह बात करते हुए उनका पीछा करता है , पर(तु उनको नह:ं पाता। 8 जो बुa ूाT करता, वह अपके ूाण को ूेमी ठहरता है ; और जो समझ को धरे रहता है उसका क`याण होता है । 9 फूठा साझी िनदzष नह:ं ठहरता, और जो फूठ बोला करता है , वह नाश होता है । 10 जब सुख म रहना मूखO को नह:ं फबता, तो हाकमHपर दास का ूभुता करना कैसे फबे! 11 जो मनुंय बुa से चलता है वह वलSब से बोध करता है , और अपराध को फुलाना उसको सोहता है । 12 राजा का बोध िसंह क गरजन के समान है , पर(तु उसक ूस(नता घास पर क ओस के तु`य होती है । 13 मूखO पुऽ पता के िलथे वप ठहरता है , और प^ी के फगड़े -रगड़े सदा टपकने के समान है । 14 घर और धन पुरखाओं के भाग म , पर(तु बुaमती प^ी यहोवा ह: से िमलती है । 15 आलस से भार: नींद आ जाती है , और जो ूाणी ढलाई से काम करता, वह भूखा ह: रहता है । 16 जो आWा को मानता, वह अपके ूाण क रझा करता है , पर(तु जो अपके चालचलन के वषय म िन'_(त रहता है , वह मर जाता है । 17 जो कंगाल पर अनुमह करता है , वह यहोवा को उधार दे ता है , और

वह अपके इस काम का ूितफल पाएगा। 18 जबतक आशा है तो अपके पुऽ को ताड़ना कर, जान बूफकर उसका मार न डाल। 19 जो बड़ा बोधी है , उसे द+ड उठाने दे ; यHक यद तू उसे बचाए, तो बारSबार बचाना पकेगा। 20 सSमित को सुन ले, और िशझा को महण कर, क तू अ(तकाल म बुaमान ठहरे । 21 मनुंय के मन म बहुत सी क`पनाएं होती हE , पर(तु जो युf यहोवा करता है , वह: 'ःयर रहती है । 22 मनुंय कृ पा करने के अनुसार चाहने योbय होता है , और िनधOन जन फूठ बोलनेवाले से उम है । 23 यहोवा का भय मानने से जीवन बढ़ता है ; और उसका भय माननेवाला ठकाना पाकर सुखी रहता है ; उस पर वपी नह:ं पड़ने क। 24 आलसी अपना हाथ याली म डालता है , पर(तु अपके मुह ं तक कौर नह:ं उठाता। 25 ठ=ठा करनेवाले को मार, इस से भोला मनुंय समझदार हो जाएगा; और समझवाले को डांट, तब वह अिधक Wान पाएगा। 26 जो पुऽ अपके बाप को उजाड़ता, और अप क मां को भगा दे ता है , वह अपमान और लGजा का कारण होगा। 27 हे मेरे पुऽ, यद तू भटकना चाहता है , तो िशझा का सुनना छोड़ दे । 28 अधम साझी (याय को ठ=ठHम उड़ाता है , और द ु लोग अनयO काम िनगल लेते हE । 29 ठ=ठा करनेवालHके िलथे द+ड ठहराया जाता है , और मूखJक पीठ के िलथे कोड़े हE । नीितवचन 20 1 दाखमधु ठ=ठा करनेवाला और मदरा ह`ला मचानेवाली है ; जो कोई उसके कारण चूक करता है , वह बुaमान नह:ं। 2 राजा का भय दखाना, िसंह का गरजना है ; जो उस पर रोष करता, वह अपके ूाण का अपराधी होता है । 3

मुकXम से हाथ उठाना, पुRष क महमा ठहरती है ; पर(तु सब मूढ़ फगड़ने को तैयार होते हE । 4 आलसी मनुंय शीत के कारण हल नह:ं जोतता; इसिलथे कटनी के समय वह भीष मांगता, और कुछ नह:ं पाता। 5 मनुंय के मन क युf अयाह तो है , तौभी समझवाला मनुंय उसको िनकाल लेता है । 6 बहुत से मनुंय अप क कृपा का ूचार करते हE ; पर(तु स.चा पुRष कौन पा सकता है ? 7 धमh जो खराई से चलता रहता है , उसके पीछे उसके लड़केबाले ध(य होते हE । 8 राजा जो (याय के िसंहासन पर बैठा करता है , वह अप क l ह: से सब बुराई को उड़ा दे ता है । 9 कौन सह सकता है क मE ने अपके ॑ृदय को पवऽ कया; अयवा मE पाप से शुa हुआ हंू ? 10 घटती-बढ़ती बटखरे और घटते-बढ़ते नपुए इन दोनHसे यहोवा घृणा करता है । 11 लड़का भी अपके कामHसे पहचाना जाता है , क उसका काम पवऽ और सीधा है , वा नह:ं। 12 सुनने के िलथे कान और दे खने के िलथे जो आंख हE , उन दोनHको यहोवा ने बनाया है । 13 नींद से ूीित न रख, नह:ं तो दgरि हो जाएगा; आंख खोल तब तू रोट: से तृT होगा। 14 मोल लेने के समय माहक तु.छ तु.छ कहता है ; पर(तु चले जाने पर बढ़ाई करता है । 15 सोना और बहुत से मूग ं े तो हE ; पर(तु Wान क बात अनमोल मणी ठहर: हE । 16 जो अनजाने का उरदायी हुआ उसका कपड़ा, और जो पराए का उरदायी हुआ उस से बंघक क वःतु ले रख। 17 चोर:-िछपे क रोट: मनुंय को मीठq तो लगती है , पर(तु पीछे उसका मुह ं कंकड़ से भर जाता है । 18 सब क`पनाएं सSम ह: से 'ःयर होती हE ; और युf के साय युa करना चाहथे। 19 जो लुतराई करता फरता है वह भेद ूगट करता है ; इसिलथे बकवाद: से मेल जोल न रखना। 20 जो अपके माता-पता को कोसता, उसका दया बुफ जाता, और घोर अ(धकार हो जाता है ।

21 जो भाग पहले उतावली से िमलता है , अ(त म उस पर आशीष नह:ं होती। 22 मत कह, क मE बुराई का पलटा लूग ं ा; वरन यहोवा क बाट जोहता रह, वह तुझ को छुड़ाएगा। 23 घटती बढ़ती बटखरHसे यहोवा घृणा करता है , और छल का तराजू अ.छा नह:ं। 24 मनुंय का मागO यहोवा क ओर से ठहराया जाता है ; आदमी यHकर अपना चलना समझ सके? 25 जो मनुंय बना वचारे कसी वःतु को पवऽ ठहराए, और जो म(नत मानकर पूछपाछ करने लगे, वह फ(दे म फंसेगा। 26 बुaमान राजा द ु Hको फटकता है , ओर उन पर दावने का पहया चलवाता है । 27 मनुंय क आमा यहोवा का द:पक है ; वह मन क सब बातHक खोज करता है । 28 राजा क रझा कृ पा और स.चाई के कारण होती है , और कृपा करने से उसक गX: संभलती है । 29 जवानHका गौरव उनका बल है , पर(तु बूढ़Hक शोभा उनके प के बाल हE । 30 चोट लगने से जो घाव होते हE , वह बुराई दरू करते हE ; और मार खाने से ॑ृदय िनमOल हो जाता है ।। नीितवचन 21 1 राजा का मन नािलयHके जल क नाई यहोवा के हाथ म रहता है , 'जधर वह चाहता उधर उसको फेर दे ता है । 2 मनुंय का सारा चालचलन अप क l म

तो ठqक होता है , पर(तु यहोवा मन को जांचता है , 3 धमO और (याय करना, यहोवा को बिलदान से अिधक अ.छा लगता है । 4 च क आंख , घम+ड: मन, और द ु Hक खेती, तीनHपापमय हE । 5 कामकाजी क क`पनाओं से केवल लाभ होता है , पर(तु उतावली करनेवाले को केवल घटती होती है । 6 जो धन फूठ के kारा ूाT हो, वह वायु से उड़ जानेवाला कुहरा है , उसके ढू ं ढ़नेवाले मृयु ह: को

ढू ं ढ़ते हE । 7 जो उपिव द ु लोग करते हE , उस से उ(ह:ं का नाश होता है , यHक वे (याय का काम करने से इनकार करते हE । 8 पाप से लदे हुए मनुंय का मागO बहुत ह: टे ढ़ा होता है , पर(तु जो पवऽ है , उसका कमO सीधा होता है । 9 लSबे-चौड़े घर म फगड़ालू प^ी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उम है । 10 द ु जन बुराई क लालसा जी से करता है , वह अपके पड़ोसी पर अनुमह क l नह: करता। 11 जब ठ=ठा करनेवाले को द+ड दया जाता है , तब भोला बुaमान हो जाता है ; और जब बुaमान को उपकेश दया जाता है , तब वह Wान ूाT करता है । 12 धमh जन द ु Hके घराने पर बुaमानी से वचार करता है ; ई र द ु Hको बुराइयHम उलट दे ता है । 13 जो कंगाल क दोहाई पर कान न दे , वह आप पुकारे गा और उसक सुनी न जाएगी। 14 गुT म द: हुई भ ट से बोध ठ+डा होता है , और चुपके से द: हुई घूस से बड़: जलजलाहट भी यामती है । 15 (याय का काम, करना धमh को तो आन(द, पर(तु अनयOकाgरयHको वनाश ह: का कारण जान पड़ता है । 16 जो मनुंय बुa के मागO से भटक जाए, उसका ठकाना मरे हुओं के बीच म होगा। 17 जो रागरं ग से ूीित रखता है , वह कंगाल होता है ; और दो दाखमधु पीने और तेल लगाने से ूीित रखता है , वह धनी नह:ं होता। 18 द ु जन धमh क छुडौती ठहरता है , और व ासघाती सीधे लोगHक स(ती द+ड भोगते हE । 19 फगड़ालू और िचढ़नेवाली प^ी के संग रहने से जंगल म रहना उम है । 20 बुaमान के घर म उम धन और ते ल पाए जाते हE , पर(तु मूखO उनको उड़ा डालता है । 21 जो धमO और कृ पा का पीछा पकड़ता है , वह जीवन, धमO और महमा भी पाता है । 22 बुaमान शूरवीरHके नगर पर चढ़कर, उनके बल को 'जस पर वे भरोसा करते हE , नाश करता है । 23 जो अपके मुह ं को वश म रखता है

वह अपके ूाण को वपयHसे बचाता है । 24 जो अिभमन से रोष म आकर काम करता है , उसका नाम अिभमानी, और अंहकार: ठ=ठा करनेवाला पड़ता है । 25 आलसी अप क लालसा ह: म मर जाता है , यHक उसके हाथ काम करने से इ(कार करते हE । 26 कोई ऐसा है , जो दन भर लालसा ह: कया करता है , पर(तु धमh लगातार दान करता रहता है । 27 द ु Hका बिलदान घृ'णत लगता है ; वशेष करके जब वह महापाप के िनिम चढ़ाता है । 28 फूठा साझी नाश होता है , 'जस ने जो सुना है , वह: कहता हुआ 'ःयर रहे गा। 29 द ु मनुंय कठोर मुख का होता है , और जो सीधा है , वह अप क चाल सीधी करता है । 30 यहोवा के वRa न तो कुछ बुa, और न कुछ समझ, न कोई युf चलती है । 31 युa के दन के िलथे घोड़ा तैयार तो होता है , पर(तु जय यहोवा ह: से िमलती है ।। नीितवचन 22 1 बड़े धन से अ.छा नाम अिधक चाहने योbय है , और सोने चा(द: से औरHक ूस(नता उम है । 2 धनी और िनधOन दोनHएक दस ू रे से िमलते हE ; यहोवा उन दोनHका काO है । 3 चतुर मनुंय वप को आते दे खकर िछप जाता है ; पर(तु भोले लोग आगे बढ़कर द+ड भोगते हE । 4 नॆता और यहोवा के भय मानने का फल धन, महमा और जीवन होता है । 5 टे ढ़े मनुंय के मागO म कांटे और फ(दे रहते हE ; पर(तु जो अपके ूाणHक रझा करता, वह उन से दरू रहता है । 6 लड़के को िशझा उसी मागO क दे 'जस म उसको चलना चाहथे, और वह बुढ़ापे म भी उस से न हटे गा। 7 धनी, िनधOन लोगHपर ूभुता करता है , और उधार लेनेवाला उधार दे नेवाले का दास होता है । 8 जो कुटलता का बीज बोता है , वह अनयO ह:

काटे गा, और उसके रोष का सHटा टू टे गा। 9 दया करनेवाले पर आशीष फलती है , यHक वह कंगाल को अप क रोट: म से दे ता है । 10 ठ=ठा करनेवाले को िनकाल दे , तब फगड़ा िमट जाएगा, और वाद-ववाद और अपमान दोनHटू ट जाएंगे। 11 जो मन क शुaता से ूीित रखता है , और 'जसके वचन मनोहर होते हE , राजा उसका िमऽ होता है । 12 यहोवा Wानी पर l करके, उसक रझा करता है , पर(तु व ासघाती क बात उलट दे ता है । 13 आलसी कहता है , बाहर तो िसंह होगा! मE चौक के बीच घात कया जाऊंगा। 14 पराई '\यHका मुह ं गहरा गड़हा है ; 'जस से यहोवा बोिधत होता, सोई उस म िगरता है । 15 लड़के के मन म मूढ़त ब(धी रहती है , पर(तु छड़: क ताड़ना के kारा वह उस से दरू क जाती है । 16 जो अपके लाभ के िनिम कंगाल पर अ(धेर करता है , और जो धनी को भ ट दे ता, वे दोनो केवल हािन ह: उठाते हE ।। 17 कान लगाकर बुaमानHके वचन सुन, और मेर: Wान क बातHक ओर मन लगा; 18 यद तू उसको अपके मन म रखे, और वे सब ते रे मुह ं से िनकला भी कर , तो यह मनभावनी बात होगी। 19 मE आज इसिलथे थे बात तुझ को जता दे ता हूं, क तेरा भरोसा यहोवा पर हो। 20 मE बहुत दनHसे ते रे हत के उपकेश और Wान क बात िलखता आया हंू , 21 क मE तुझे सय वचनHका िन_य करा दं ,ू 'जस से जो तुझे काम म लगाएं, उनको स.चा उर दे सके।। 22 कंगाल पर इस कारण अ(धेर न करता क वह कंगाल है , और न द:न जन को कचहर: म पीसना; 23 यHक यहोवा उनका मुकXमा लड़े गा, और जो लोग उनका धन हर लेते हE , उनका ूाण भी वह हर लेगा। 24 बोधी मनुंय का िमऽ न होना, और फट बोध करनेवाले के संग न चलना, 25 कह:ं ऐसा न हो क तू उसक चाल सीखे, और तेरा ूाण फ(दे म फंस जाए। 26 जो लोग

हाथ पर हाथ मारते , और ऋ'णयHके उरदायी होते हE , उन म तू न होना। 27 यद भर दे ने के िलथे ते रे पास कुछ न हो, तो वह यHतेरे नीचे से खाट खींच ले जाए? 28 जो िसवाना तेरे पुरखाओं ने बा(धा हो, उस पुराने िसवाने को न बढ़ाना। 29 यद तू ऐसा पुRष दे खे जो कामकाज म िनपुण हो, तो वह राजाओं के सSमुख खड़ा होगा; छोटे लोगHके सSमुख नह:ं।। नीितवचन 23 1 जब तू कसी हाकम के संग भोजन करने को बैठे, तब इस बात को मन लगाकर सोचना क मेरे साSहने कौन है ? 2 और यद तू खाऊ हो, तो योड़ा खाकर भूखा उठ जाना। 3 उसक ःवाद भोजनवःतुओं क लालसा न करना, यHक वह धोखे का भोजन है । 4 धनी होने के िलथे पgरnम न करना; अप क समझ का भरोसा छोड़ना। 5 या तू अप क l उस वःतु पर लगाएगा, जो है ह: नह:ं? वह उकाब प क क नाL पंख लगाकर, िन:स(दे ह आकाश क ओर उड़ जाता है । 6 जो डाह से दे खता है , उसक रोट: न खाना, और न उसक ःवाद भोजनवःतुओं क लालसा करना; 7 यHक जैसा वह अपके मन म वचार करता है , वैसा वह आप है । वह तुझ से कहता तो है , खा पी, पर(तु उसका मन तुझ से लगा नह:ं। 8 जो कौर तू ने खाया हो, उसे उगलना पकेगा, और तू अप क मीठq बातHका फल खोएगा। 9 मूखO के साSहने न बोलना, नह:ं तो वह ते रे बुa के वचनHको तु.छ जानेगा। 10 पुराने िसवानHको न बढ़ाना, और न अनायHके खेत म

घुसना; 11 यHक उनका छुड़ानेवाला सामयh है ; उनका मुकXमा तेरे संग वह: लड़े गा। 12 अपना ॑ृदय िशझा क ओर, और अपके कान Wान क बातHक ओर

लगाना। 13 लड़के क ताड़ना न छोड़ना; यHक यद तू उसका छड़: से मारे , तो वह न मरे गा। 14 तू उसका छड़: से मारकर उसका ूाण अधोलोक से बचाएगा। 15 हे मेरे पुऽ, यद तू बुaमान हो, तो वशेष करके मेरा ह: मन आन'(दत होगा। 16 और जब तू सीधी बात बोले, तब मेरा मन ूस(न होगा। 17 तू पापयHके वषय मन म डाह न करना, दन भर यहोवा का भय मानते रहना। 18 यHक अ(त म फल होगा, और तेर: आशा न टू टे गी। 19 हे मेरे पुऽ, तू सुनकर बुaमान हो, और अपना मन सुमागO म सीधा चला। 20 दाखमधु के पीनेवालHम न होना, न मांस के अिधक खानेवालHक संगित करना; 21 यHक पय कड़ और खाऊ अपना भाग खोते हE , और पीनकवाले को िचयड़े पहनने पड़ते हE । 22 अपके ज(मानेवाले क सुनना, और जब ते र: माता बुढय़ा हो जाए, तब भी उसे तु.छ न जानना। 23 स.चाई को मोल लेना, बेचना नह:ं; और बुa और िशझा और समझ को भी मोल लेना। 24 धमh का पता बहुत मगन होता है ; और बुaमान का ज(मानेवाला उसके कारण आन'(दत होता है । 25 तेरे कारण माता-पता आन'(दत और तेर: जननी मगन होए।। 26 हे मेरे पुऽ, अपना मन मेर: ओर लगा, और ते र: l मेरे चालचलन पर लगी रहे । 27 वेँया गहरा गड़हा ठहरती है ; और पराई \ी सकेत कुंए के समान है । 28 वह डाकू क नाई घात लगाती है , और बहुत से मनुंयHको व ासघाती कर दे ती है ।। 29 कौन कहता है , हाथ? कौन कहता है , हाथ हाथ? कौन फगड़े रगड़े म फंसता है ? कौन बक बक करता है ? कसके अकारण घाव होते हE ? कसक आंख लाल हो जाती हE ? 30 उनक जो दाखमधु दे र तक पीते हE , और जो मसाला िमला हुआ दाखमधु ढू ं ढ़ने को जाते हE । 31 जब दाखमधु लाल दखाई दे ता है , और कटोरे म उसका सु(दर रं ग होता है ,

और जब वह धार के साय उ+डे ला जाता है , तब उसको न दे खना। 32 यHक अ(त म वह सपO क नाई डसता है , और करै त के समान काटता है । 33 तू विचऽ वःतुएं दे खेगा, और उ`ट:-सीधी बात बकता रहे गा। 34 और तू समुि के बीच लेटनेवाले वा मःतूल के िस के पर सोनेवाले के समान रहे गा। 35 तू कहे गा क मE ने मान तो खाई, पर(तु द:ु 'खत न हुआ; मE पट तो गया, पर(तु मुझे कुछ सुिध न यी। मE होश म कब आऊं? मE तो फर मदरा ढू ं ढूंगा।। नीितवचन 24 1 बुरे लोगHके वषय म डाह न करना, और न उसक संगित क चाह रखना; 2 यHक वे उपिव सोचते रहते हE , और उनके मुह ं से द ु ता क बात िनकलती है । 3 घर बुa से बनता है , और समझ के kारा 'ःयर होता है । 4 Wान के kारा कोठgरयां सब ूकार क बहुम` ू य और मनभाऊ वःतुओं से भर जाती हE । 5 बुaमान पुRष बलवान ् भी होता है , और Wानी जन अिधक शfमान ् होता है । 6 इसिलथे जब तू युa करे , तब युf के साय करना, वजय बहुत से म'(ऽयHके kारा ूाT होती है । 7 बुa इतने ऊंचे पर है क मूढ़ उसे पा नह:ं सकता; वह सभा म अपना मुह ं खोल नह:ं सकता।। 8 जो सोच वचार के बुराई करता है , उसको लोग द ु कहते हE । 9 मूखOता का वचार भी पाप है , और ठ=ठा करनेवाले से मनुंय घृणा करते हE ।। 10 यद तू वप के समय साहस छोड़ दे , तो तेर: शf बहुत कम है । 11 जो मार डाले जाने के िलथे घसीटे जाते हE उनको छुड़ा; और जो घात कए जाने को हE उ(ह

मत पकड़ा। 12 यद तू कहे , क दे ख मE इसको जानता न या, तो या मन का जांचनेवाला इसे नह:ं समझता? और या तेरे ूाणHका रझक इसे नह:ं जानता?

और या वह हर एक मनुंय के काम का फल उसे न दे गा? 13 हे मेरे पुऽ तू मधु खा, यHक वह अ.छा है , और मधु का छा भी, यHक वह तेरे मुह ं म मीठा लगेगा। 14 इसी र:ित बुa भी तुझे वैसी ह: मीठq लगेगी; यद तू उसे पा जाए तो अ(त म उसका फल भी िमलेगा, और तेर: आशा न टू टे गी।। 15 हे द ु , तू धमh के िनवास को नाश करने के िलथे घात को न बैठ; ओर उसके वौमःयान को मत उजाड़; 16 यHक धमh चाहे सात बार िगरे तौभी उठ खड़ा होता है ; पर(तु द ु लोग वप म िगरकर पके ह: रहते हE । 17 जब तेरा शऽु िगर जाए तब तू आन'(दत न हो, और जब वह ठोकर खाए, तब तेरा मन मगन न हो। 18 कह:ं ऐसा न हो क यहोवा यह दे खकर अूस(न हो और अपना बोध उस पर से हटा ले।। 19 कुकिमयJके कारण मत कुढ़ द ु लोगHके कारण डाह न कर; 20 यHक बुरे मनुंय को अ(त म कुछ फल न िमलेगा, द ु Hका दया बुफा दया जाएगा।। 21 हे मेरे पुऽ, यहोवा और राजा दोनHका भय मानना; और बलवा करनेवालHके साय न िमलना; 22 यHक उन पर वप अचानक आ पकेगी, और दोनHक ओर से आनेवाली आप को कौन जानता है ? 23 बुaमानHके वचन यह भी हE ।। (याय म पझपात करना, कसी र:ित भी अ.छा नह:ं। 24 जो द ु से कहता है क तू िनदzष है , उसको तो हर समाज के लोग शाप दे ते और जाित जाित के लोग धमी दे ते हE ; 25 पर(तु जो लोग द ु को डांटते हE उनका भला होता है , और उम से उम आशीवाOद उन पर आता है । 26 जो सीधा उर दे ता है , वह होठHको चूमता है ।। 27 अपना बाहर का कामकाज ठqक करना, और खेत म उसे तैयार कर लेना; उसके बाद अपना घर बनाना।। 28 eययO अपके पड़ोसी के वRa साझी न दे ना, और न उसको फुसलाना। 29 मत कह, क जैसा उस ने मेरे साय कया वैसा ह: मE

भी उसके साय कRंगा; और उसको उसके काम के अनुसा पलटा दं ग ू ा।। 30 मE आलसी के खेत के पास से और िनबुOa मनुंय क दाख क बार: के पास होकर जाता या, 31 तो या दे खा, क वहां सब कह:ं कट:ले पे ड़ भर गए हE ; और वह ब.छू पे ड़Hसे ढं प गई है , और उसके पयर का बाड़ा िगर गया है । 32 तब मE ने दे खा और उस पर ~यानपूवOक वचार कया; हां मE ने दे खकर िशझा ूाT क। 33 छोट: सी नींद, एक और झप क, योड़: दे र हाथ पर हाथ रख के और लेटे रहना, 34 तब ते रा कंगालपन डाकू क नाई, और तेर: घट: हिययारब(द के समान आ पकेगी।। नीितवचन 25 1 सुलम ै ान के नीितवचन थे भी हE ; 'ज(ह यहूदा के राजा हजकयाह के जनHने नकल क यी।। 2 परमे र क महमा, गुT रखने म है पर(तु राजाओं क महमा गुT बात के पता लगाने से होती है । 3 ःवगO क ऊंचाई और पृवी क गहराई और राजाओं का मन, इन तीनHका अ(त नह:ं िमलता। 4 चा(द: म से मैल दरू करने पर सुनार के िलथे एक पाऽ हो जाता है । 5 राजा के साSहने से द ु को िनकाल दे ने पर उसक गX: धमO के कारण 'ःयर होगी। 6 राजा के साSहने अप क बड़ाई न करना और बड़े लोगHके ःयान म खड़ा न होना; 7 यHक 'जस ूधान का तू ने दशOन कया हो उसके साSहने तेरा अपमान न हो, वरन तुझ से यह कहा जाए, आगे बढ़कर वराज।। 8 फगड़ा करने म ज`द: न करना नह:ं तो अ(त म जब तेरा पड़ोसी ते रा मुह ं काला करे तब तू या कर सकेगा? 9 अपके पडोसी के साय वादववाद एका(त म करना और पराथे का भेद न खोलना; 10 ऐसा न हो क

सुननेवाला तेर: भी िन(दा करे , और ते रा अपवाद बना रहे ।। 11 जैसे चा(द: क टोकgरयHम सोनहले सेब हHवैसे ह: ठqक समय पर कहा हुआ वचन होता है । 12 जैसे सोने का नय और कु(दन का जेवन अ.छा लगता है , वैसे ह: माननेवाले के कान म बुaमान क डांट भी अ.छq लगती है । 13 जैसे कटनी के समय बफO क ठ+ड से, वैसे ह: व ासयोbय दत ू से भी, भेजनेवालHका जी ठ+डा होता है । 14 जैसे बादल और पवन बना l िनलाOभ होते हE , वैसे ह: फूठ-मूठ दान दे नेवाले का बड़ाई मारना होता है ।। 15 धीरज धरने से (यायी मनाया जाता है , और कोमल वचन ह]ड: को भी तोड़ डालता है । 16 या तू ने मधु पाया? तो 'जतना तेरे िलथे ठqक हो उतना ह: खाना, ऐसा न हो क अिधक खाकर उसे उगल दे । 17 अपके पड़ोसी के घर म बारSबार जाने से अपके पांव हो रोक ऐसा न हो क वह 'ख(न होकर घृणा करने लगे । 18 जो कसी के वRa फूठq साझी दे ता है , वह मानो हयौड़ा और तलवार और पैना तीर है । 19 वप के समय व ासघाती का भरोसा टू टे हुए दांत वा उखड़े पांव के समान है । 20 जैसा जाड़े के दनHम कसी का व\ उतारना वा सGजी पर िसरका डालना होता है , वैसा ह: उदास मनवाले के साSहने गीत गाना होता है । 21 यद तेरा बैर: भूखा हो तो उसको रोट: 'खलाना; और यद वह €यासा हो तो उसे पानी पलाना; 22 यHक इस र:ित तू उसके िसर पर अंगारे डालेगा, और यहोवा तुझे इसका फल दे गा। 23 जैसे उर:य वायु वषाO को लाती है , वैसे ह: चुगली करने से मुख पर बोध छा जाता है । 24 लSबे चौड़े घर म फगड़ालू प^ी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उम है । 25 जैसा यके मा(दे के ूाणHके िलथे ठ+डा पानी होता है , वैसा ह: दरू दे श से आया हुआ शुभ समाचार भी होता है । 26 जो धमh द ु के कहने म आता है , वह गंदले सोते और

बगड़े हुए कु+ड के समान है । 27 बहुत मधु खाना अ.छा नह:ं, पर(तु कठन बातHक पूछताछ महमा का कारण होता है । 28 'जसक आमा वश म नह:ं वह ऐसे नगर के समान है 'जसक शहरपनाह नाका करके तोड़ द: गई हो।। नीितवचन 26 1 जैसा धूपकाल म हम का, और कटनी के समय जल का पड़ना, वैसा ह: मूखO क महमा भी ठqक नह:ं होती। 2 जैसे गौgरया घूमते घूमते और सूपाबेनी उड़ते-उड़ते नह:ं बैठती, वैसे ह: eययO शाप नह:ं पड़ता। 3 घोड़े के िलथे कोड़ा, गदहे के िलथे बाग, और मूखJक पीठ के िलथे छड़: है । 4 मूखO को उसको मूखOता के अनुसार उर न दे ना ऐसा न हो क तू भी उसके तु`य ठहरे । 5 मूखO को उसक मूढ़ता के अनुसार उर न दे ना, ऐसा न हो क वह अपके लेखे बुaमान ठहरे । 6 जो मूखO के हाथ से संदेशा भेजता है , वह मानो अपके पांव म कु`हाड़ा मारता और वष पीता है । 7 जैसे लंगड़े के पांव लड़खड़ाते हE , वैसे ह: मूखJके मुह ं म नीितवचन होता है । 8 जैसे पयरHके ढे र म म'णयHक यैली, वैसे ह: मूखO को महमा दे नी होती है । 9 जैसे मतवाले के हाथ म कांटा गड़ता है , वैसे ह: मूखJका कहा हुआ नीितवचन भी द:ु खदाई होता है । 10 जैसा कोई तीर(दाज जो अकारण सब को मारता हो, वैसा ह: मूखJवा बटोहयHका मजदरू : म लगानेवाला भी होता है । 11 जैसे कुा अप क छाँट को चाटता है , वैसे ह: मूखO अप क मूखOता को दहु राता है । 12 यद तू ऐसा मनुंय दे खे जो अप क l म बुaमान बनता हो, तो उस से अिधक आशा मूखO ह: से है । 13 आलसी कहता है , क मागO म िसंह है , चौक म

िसंह है ! 14 जैसे कवाड़ अप क चूल पर घूमता है , वैसे ह: आलसी अप क खाट

पर करवट लेता है । 15 आलसी अपना हाथ याली म तो डालता है , पर(तु आलःय के कारण कौर मुह ं तक नह:ं उठाता। 16 आलसी अपके को ठqक उर दे नेवाले सात मनुंयHसे भी अिधक बुaमान समझता है । 17 जो मागO पर चलते हुए पराथे फगड़े म व˜न डालता है , सो वह उसके समान है , जो कुे को कानHसे पकड़ता है । 18 जैसा एक पागल जो जंगली लकडय़ां और मृयु के तीर फ कता है , 19 वैसा ह: वह भी होता है जो अपके पड़ोसी को धोखा दे कर कहता है , क मE तो ठ=ठा कर रहा या। 20 जैसे लकड़: न होने से आग बुफती है , उसी ूकार जहां कानाफूसी करनेवाला नह:ं वहां फगड़ा िमट जाता है । 21 जैसा अंगारHम कोयला और आग म

लकड़: होती है , वैसा ह: फगड़े के बढ़ाने के िलथे फगडालू होता है । 22 कानाफूसी करनेवाले के वचन, ःवाद भोजन के समान भीतर उतर जाते हE । 23 जैसा कोई चा(द: का पानी चढ़ाया हुअ िम=ट: का बतOन हो, वैसा ह: बुरे मनवाले के ूेम भरे वचन होते हE । 24 जो बैर: बात से तो अपके को भोला बनाता है , पर(तु अपके भीतर छल रखता है , 25 उसक मीठq-मीठq बात ूतीित न करना, यHक उसके मन म सात िघनौनी वःतुएं रहती हE ; 26 चाहे उसका बैर छल के कारण िछप भी जाए, तौभी उसक बुराई सभा के बीच ूगट हो जाएगी। 27 जो गड़हा खोदे , वह: उसी म िगरे गा, और जो पयर लुढ़काए, वह उलटकर उसी पर लुढ़क आएगा। 28 'जस ने कसी को फूठq बातHसे घायल कया हो वह उस से बैर रखता है , और िचकनी चुप क बात बोलनेवाला वनाश का कारण होता है ।। नीितवचन 27 1 कल के दन के वषय म मत फूल, यHक तू नह:ं जानता क दन भर म या

होगा। 2 तेर: ूशंसा और लोग कर तो कर , पर(तु तू आप न करना; दस ू रा तूफे सराहे तो सराहे , पर(तु तू अप क सराहना न करना। 3 पयर तो भार: है और बालू म बोफ है , पर(तु मूढ का बोध उन दोनHसे भी भार: है । 4 बोध तो बूर, और ूकोप धारा के समान होता है , पर(तु जब कोई जल उठता है , तब कौन ठहर सकता है ? 5 खुली हुई डांट गुT ूेम से उम है । 6 जो घाव िमऽ के हाथ से लग

वह व ासयोbय है पर(तु बैर: अिधक चुSबन करता है । 7 स(तु होने पर मधु का छा भी फका लगता है , पर(तु भूखे को सब कड़वी वःतुएं भी मीठq जान पड़ती हE । 8 ःयान छोड़कर घूमनेवाला मनुंय उस िचडय़ा के समान है , जो घHसला छोड़कर उड़ती फरती है । 9 जैसे तेल और सुग(ध से, वैसे ह: िमऽ के ॑ृदय क मनोहर सSमित से मन आन'(दत होता है । 10 जो तेरा और तेरे पता का भी िमऽ हो उसे न छोड़ना; और अप क वप के दन अपके भाई के घर न जाना। ूेम करनेवाला पड़ोसी, दरू रहनेवाले भाई से कह:ं उम है । 11 हे मेरे पुऽ, बुaमान होकर मेरा मन आन'(दत कर, तब मE अपके िन(दा करनेवाले को उर दे सकूंगा। 12 बुaमान मनुंय वप को आती दे खकर िछप जाता है ; पर(तु भोले लोग आगे बढ़े चले जाते और हािन उठाते हE । 13 जो पराए का उरदायी हो उसका कपड़ा, और जो अनजान का उरदायी हो उस से ब(धक क वःतु ले ले। 14 जो भोर को उठकर अपके पड़ोसी को ऊंचे शcद से आशीवाOद दे ता है , उसके िलथे यह शाप िगना जाता है । 15 फड़: के दन पानी का लगातार टपकना, और फगडालू प^ी दोनHएक से हE ; 16 जो उसको रोक रखे, वह वायु को भी रोक रखेगा और दहने हाथ से वह ते ल पकड़े गा। 17 जैसे लोहा लोहे को चमका दे ता है , वैसे ह: मनुंय का मुख अपके िमऽ क संगित से चमकदार हो जाता है । 18 जो अंजीर

के पेड़ क रझा करता है वह उसका फल खाता है , इसी र:ित से जो अपके ःवामी क सेवा करता उसक महमा होती है । 19 जैसे जल म मुख क परछाई सुख से िमलती है , वैसे ह: एक मनुंय का मन दस ू रे मनुंय के मन से िमलता है । 20 जैसे अधोलोक और वनाशलोक, वैसे ह: मनुंय क आंख भी तृT नह:ं होती। 21 जैसे चा(द: के िलथे कुठाई और सोने के िलथे भ=ठq हE , वैसे ह: मनुंय के िलथे उसक ूशंसा है । 22 चाहे तू मूखO को अनाज के बीच ओखली म डालकर मूसल से कूटे , तौभी उसक मूखOता नह:ं जाने क। 23 अप क भेड़-बकgरयHक दशा भली-भांित मन लगाकर जान ले, और अपके सब पशुओं के फु+डHक दे खभाल उिचत र:ित से कर; 24 यHक सSप सदा नह:ं ठहरती; और या राजमुकुट पीढ़:-पीढ़: चला जाता है ? 25 कट: हुई घास उठ गई, नई घास दखाई दे ती हE , पहाड़Hक हgरयाली काटकर इक=ठq क गई है ; 26 भेड़Hके ब.चे तेरे व\ के िलथे हE , और बकरHके kारा खेत का मू`य दया जाएगा; 27 और बकgरयHका इतना दध ू होगा क तू अपके घराने समेत पेट भरके पया करे गा, और तेर: लौण ्'उयHका भी जीवन िनवाOह होता रहे गा।। नीितवचन 28 1 द ु लोग जब कोई पीछा नह:ं करता तब भी भागते हE , पर(तु धमh लोग जवान िसहHके समान िनडर रहते हE । 2 दे श म पाप होन के कारण उसके हाकम बदलते जाते हE ; पर(तु समझदार और Wानी मनुंय के kारा सुूब(ध बहुत दन के िलथे बना रहे गा। 3 जो िनधOन पुRष कंगालHपर अ(धेर करता है , वह ऐसी भार: वषाO के समान है । जो कुछ भोजनवःतु नह:ं छोड़ती। 4 जो लोग eयवःया को छोड़ दे ते हE ,

वे द ु क ूशंसा करते हE , पर(तु eयवःया पर चलनेवाले उन से लड़ते हE । 5 बुरे लोग (याय को नह:ं समझ सकते, पर(तु यहोवा को ढू ं ढनेवाले सब कुछ समझते हE । 6 टे ढ़: चाल चलनेवाले धनी मनुंय से खराई से चलनेवाला िनधOन पुRष ह: उम है । 7 जो eयवःया का पालन करता वह समझदार सुपूत होता है , पर(तु उड़ाऊ का संगी अपके पता का मुह ं काला करता है । 8 जो अपना धन cयाज आद बढ़ती से बढ़ाता है , वह उसके िलथे बटोरता है जो कंगालHपर अनुमह करता है । 9 जो अपना कान eयवःया सुनने से फेर लेता है , उसक ूायOना घृ'णत ठहरती है । 10 जो सीधे लोगHको भटकाकर कुमागO म ले जाता है वह अपके खोदे हुए गड़हे म

आप ह: िगरता है ; पर(तु खरे लोग क`याण के भागी होते हE । 11 धनी पुRष अप क l म बुaमान होता है , पर(तु समझदार कंगाल उसका ममO बूफ लेता है । 12 जब धमh लोग जयव(त होते हE , तब बड़: शोभा होती है ; पर(तु जब द ु लोग ूबल होते हE , तब मनुंय अपके आप को िछपाता है । 13 जो अपके अपराध िछपा रखता है , उसका कायO सुफल नह:ं होता, पर(तु जो उनको मान लेता और छोड़ भी दे ता है , उस पर दया क जाथेगी। 14 जो मनुंय िनर(तर ूभु का भय मानता रहता है वह ध(य है ; पर(तु जो अपना मन कठोर कर लेता है वह वप म पड़ता है । 15 कंगाल ूजा पर ूभुता करनेवाला द ु गरजनेवाले िसंह और घूमनेवाले र:छ के समान है । 16 जो ूधान म(दबुa का होता है , वह: बहुत अ(धेर करता है ; और जो लालच का बैर: होता है वह द:घाOयु होता है । 17 जो कसी ूाणी क हया का अपराधी हो, वह भागकर गड़हे म िगरे गा; कोई उसको न रोकेगा। 18 जो सीधाई से चलता है वह बचाया जाता है , पर(तु जो टे ढ़: चाल चलता है वह अचानक िगर पड़ता है । 19 जो अप क भूिम को जोता-बोया करता

है , उसका तो पेट भरता है , पर(तु जो िनकSमे लोगHक संगित करता है वह कंगालपन से िघरा रहता है । 20 स.चे मनुंय पर बहुत आशीवाOद होते रहते हE , पर(तु जो धनी होन से उतावली करता है , वह िनदzष नह:ं ठहरता। 21 पझपात करना अ.छा नह:ं; और यह भी अ.छा नह:ं क पुRष एक टु कड़े रोट: के िलथे अपराध करे । 22 लोभी जन धन ूाT करने म उतावली करता है , और नह:ं जानता क वह घट: म पकेगा। 23 जो कसी मनुंय को डांटता है वह अ(त म

चापलूसी करनेवाले से अिधक €यारा हो जाता है । 24 जो अपके मां-बाप को लूटकर कहता है क कुछ अपराध नह:ं, वह नाश करनेवाले का संगी ठहरता है । 25 लालची मनुंय फगड़ा मचाता है , और जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ॑ृपु हो जाता है । 26 जो अपके ऊपर भरोसा रखता है , वह मूखO है ; और जो बुa से चलता है , वह बचता है । 27 जो िनधOन को दान दे ता है उसे घट: नह:ं होती, पर(तु जो उस से दु  फेर लेता है वह शाप पर शाप पाता है । 28 जब द ु लोग ूबल होते हE तब तो मनुंय ढू ं ढ़े नह:ं िमलते, पर(तु जब वे नाश हो जाते हE , तब धमh उ(नित करते हE ।। नीितवचन 29 1 जो बार बार डांटे जाने पर भी हठ करता है , वह अचानक नाश हो जाएगा और उसका कोई भी उपाय काम न आएगा। 2 जब धमh लोग िशरोम'ण होते हE , तब ूजा आन'(दत होती है ; पर(तु जब द ु ूभुता करता है तब ूजा हाथ मारती है । 3 जो पुRष बुa से ूीित रखता है , अपके पता को आन'(दत करता है , पर(तु वे ँयाओं क संगित करनेवाला धन को उड़ा दे ता है । 4 राजा (याय से दे श को

'ःयर करता है , पर(तु जो बहुत घूस लेता है उसको उलट दे ता है । 5 जो पुRष कसी से िचकनी चुप क बात करता है , वह उसके पैरHके िलथे जाल लगाता है । 6 बुरे मनुंय का अपराध फ(दा होता है , पर(तु धमh आन'(दत होकर जयजयकार करता है । 7 धमh पुRष कंगालHके मुकXम म मन लगाता है ; पर(तु द ु जन उसे जानने क समझ नह:ं रखता। 8 ठ=ठा करनेवाले लोग नगर को फूंक दे ते हE , पर(तु बुaमान लोग बोध को ठ+डा करते हE । 9 जब बुaमान मूढ़ के साय वादववाद करता है , तब वह मूढ़ बोिधत होता और ठ=ठा करता है , और वहां शा'(त नह:ं रहती। 10 हयारे लोग खरे पुRष से बैर रखते हE , और सीधे लोगHके ूाण क खोज करते हE । 11 मूखO अपके सारे मन क बात खोल दे ता है , पर(तु बुaमान अपके मन को रोकता, और शा(त कर दे ता है । 12 जब हाकम फूठq बात क ओर कान लगाता है , तब उसके सब सेवक द ु हो जाते हE । 13 िनधOन और अ(धेर करनेवाला पुRष एक समान है ; और यहोवा दोनHक आंखHम Gयोित दे ता है । 14 जो राजा कंगालHका (याय स.चाई से चुकाता है , उसक गX: सदै व 'ःयर रहती है । 15 छड़: और डांट से बुa ूाT होती है , पर(तु जो लड़का यHइी छोड़ा जाता है वह अप क माता क लGजा का कारण होता है । 16 द ु Hके बड़ने से अपराध भी बढ़ता है ; पर(तु अ(त म धमh लोग उनका िगरना दे ख लेते हE । 17 अपके बेटे क ताड़ना कर, तब उस से तुझे चैन िमलेगा; और तेरा मन सुखी हो जाएगा। 18 जहां दशOन क बात नह:ं होती, वहां लोग िनरं कुश हो जाते हE , और जो eयवःया को मानता है वह ध(य होता है । 19 दास बातHह: के kारा सुधारा नह:ं जाता, यHक वह समझदार भी नह:ं मानता। 20 या तू बात करने म उतावली करनेवाले मनुंय को दे खता है ? उस से अिधक तो मूखO ह: से आशा है । 21 जो

अपके दास को उसके लड़कपन से सुकुमारपन म पालता है , वह दास अ(त म

उसका बेटा बन बैठता है । 22 बोध करनेवाला मनुंय फगड़ा मचाता है और अय(त बोध करनेवाला अपराधी होता है । 23 मनुंय गवO के कारण नीचा खाता है , पर(तु नॆ आमावाला महमा का अिध कारनेी होता है । 24 जो चोर क संगित करता है वह अपके ूाण का बैर: होता है ; शपय खाने पर भी वह बात को ूगट नह:ं करता। 25 मनुंय का भय खाना फ(दा हो जाता है , पर(तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे ःयान पर चढ़ाया जाता है । 26 हाकम से भ ट करना बहुत लोग चाहते हE , पर(तु मनुंय का (याय यहोवा क करता है । 27 धमh लोग कुटल मनुंय से घृणा करते हE और द ु जन भी सीधी चाल चलनेवाले से घृणा करता है ।। नीितवचन 30 1 याके के पुऽ आगूर के ूभावशाली वचन।। उस पुRष ने ईतीएल और उ काल से यह कहा, 2 िन_य मE पशु सर:खा हंू , वरन मनुंय कहलाने के योbय भी नह:ं; और मनुंय क समझ मुझ म नह:ं है । 3 न मE ने बुa ूाT क है , और न परमपवऽ का Wान मुझे िमला है । 4 कौन ःवगO म चढ़कर फर उतर अया? कस ने वायु को अप क मु=ठq म बटोर रखा है ? कस ने महासागर को अपके व\ म

बा(ध िलया है ? कस ने पृवी के िसवनHको ठहराया है ? उसका नाम या है ? और उसके पुऽ का नाम या है ? यद तू जानता हो तो बता! 5 ई र का एक एक वचन ताया हुआ है ; वह अपके शरणागतHक ढाल ठहरा है । 6 उसके वचनHम कुछ मत बढ़ा, ऐसा न हो क वह तुझे डांटे और तू फूठा ठहरे ।। 7 मE ने तुझ से दो वर मांगे

हE , इसिलथे मेरे मरने से पहले उ(ह मुझे दे ने से मुह ं न मोड़: 8 अयाOत eययO और फूठq बात मुझ से दरू रख; मुझे न तो िनधOन कर और न धनी बना; ूितदन क रोट: मुझे 'खलाया कर। 9 ऐसा न हो, क जब मेरा पेट भर जाए, तब मE इ(कार करके कहंू क यहोवा कौन है ? वा अपना भाग खोकर चोर: कRं, और अपके परमे र का नाम अनुिचत र:ित से लू।ं 10 कसी दास क, उसके ःवामी से चुगली न करना, ऐसा न हो क वह तुझे शाप दे , और तू दोषी ठहराया जाए।। 11 ऐसे लोग हE , जो अपके पता को शाप दे ते और अप क माता को ध(य नह:ं कहते। 12 ऐसे लोग हE जो अप क l म शुa हE , तौभी उनका मैल धोया नह:ं गया। 13 एक पीढ़: के लोग ऐसे हE उनक l या ह: घम+ड से भर: रहती है , और उनक आंख कैसी च क हुई रहती हE । 14 एक पीढ़: के लोग ऐसे हE , 'जनके दांत तलवार और उनक दाढ़ छुgरयां हE , 'जन से वे द:न लोगHको पृवी पर से, और दgरिHको मनुंयHम से िमटा डाल ।। 15 जैसे जHक क दो बेिछयां होती हE , जो कहती हE दे , दे , वैसे ह: तीन वःतुएं हE , जो तृT नह:ं होतीं; वरन चार हE , जो कभी नह:ं कहतीं, बस। 16 अधोलोक और बांफ क कोख, भूिम जो जल पी पीकर तृT नह:ं होती, और आग जो कभी नह:ं कहती, बस।। 17 'जस आंख से कोई अपके पता पर अनादर क l करे , और अपमान के साय अप क माता क आWा न माने, उस आंख को तराई के कौवे खोद खोदकर िनकाल गे, और उकाब के ब.चे खा डाल गे।। 18 तीन बात मेरे िलथे अिधक कठन है , वरन चार हE , जो मेर: समझ से पके हE : 19 आकाश म उकाब प क का मागO, च=टान पर सपO क चाल, समुि म जहाज क चाल, और क(या के संग पुRष क चाल।। 20 eयिभचाgरणी क चाल भी वैसी ह: है ; वह भोजन करके मुह ं पHछती, और कहती है , मE ने कोई

अनयO काम नह:ं कया।। 21 तीन बातHके कारण पृवी कांप क है ; वरन चार है , जो उस से सह: नह:ं जातीं: 22 दास का राजा हो जाना, मूढ़ का पेट भरना 23 िघनौनी \ी का cयाहा जाना, और दासी का अप क ःवािमन क वाgरस होना।। 24 पृवी पर चार छोटे ज(तु हE , जो अय(त बुaमान हE : 25 .यूटयां िनबOल जाित तो हE , पर(तु धूपकाल म अप क भोजनवःतु बटोरती हE ; 26 शापान बली जाित नह:ं, तौभी उनक मा(द पहाड़Hपर होती हE ; 27 ट']डयHके राजा तो नह:ं होता, तौभी वे सब क सब दल बा(ध बा(धकर पयान करती हE ; 28 और िछपकली हाथ से पकड़: तो जाती है , तौभी राजभवनHम रहती है ।। 29 तीन सु(दर चलनेवाले ूाणी हE ; वरन चार हE , 'जन क चाल सु(दर है : 30 िसंह जो सब पशुओं म पराबमी हE , और कसी के डर से नह:ं हटता; 31 िशकार: कुा और बकरा, और अप क सेना समेत राजा। 32 यद तू ने अप क बढ़ाई करने क मूढ़ता क, वा कोई बुर: युf बा(धी हो, तो अपके मुह ं पर हाथ धर। 33 यHक जैसे दध ू के मयने से म खन और नाक के मरोड़ने से लोहू िनकलता है , वैसे ह: बोध के भड़काने से फगड़ा उप(न होता है ।। नीितवचन 31 1 लमूएल राजा के ूभावशाली वचन, जो उसक माता ने उसे िसखाए।। 2 हे मेरे पुऽ, हे मेरे िनज पुऽ! हे मेर: म(नतHके पुऽ! 3 अपना बल '\यHको न दे ना, न अपना जीवन उनके वश कर दे ता जो राजाओं का पौRष खो दे ती हE । 4 हे लमूएल, राजाओं का दाखमघु पीना उनको शोभा नह:ं दे ता, और मदरा चाहना, रईयHको नह:ं फबता; 5 ऐसा न हो क वे पीकर eयवःया को भूल जाएं और कसी द:ु खी के

हक को मार । 6 मदरा उसको पलाओ जो मरने पर है , और दाखमधु उदास मनवालHको ह: दे ना; 7 'जस से वे पीकर अप क दgरिता को भूल जाएं और अपके कठन nम फर ःमरण न कर । 8 गूंगे के िलथे अपना मुह ं खोल, और सब अनायHका (याय उिचत र:ित से कया कर। 9 अपना मुह ं खोल और धमO से (याय कर, और द:न दgरिHका (याय कर। 10 भली प^ी कौन पा सकता है ? यHक उसका मू`य मूग ं Hसे भी बहुत अिधक है । उसके पित के मन म उसके ूित व ास है । 11 और उसे लाभ क घट: नह:ं होती। 12 वह अपके जीवन के सारे दनHम उस से बुरा नह:ं, वरन भला ह: eयवहार करती है । 13 वह ऊन और सन ढू ं ढ़ ढू ं ढ़कर, अपके हाथHसे ूस(नता के साय काम करती है । 14 वह eयोपार के जहाजHक नाई अप क भोजनवःतुएं दरू से मंगवाती हE । 15 वह रात ह: को उठ बैठती है , और अपके घराने को भोजन 'खलाती है और अप क लौ'+डयHको अलग अलग काम दे ती है । 16 वह कसी खेत के वषय म सोच वचार करती है और उसे मोल ले लेती है ; और अपके पgरnम के फल से दाख क बार: लगाती है । 17 वह अप क कट को बल के फ टे से कसती है , और अप क बाहHको lढ़ बनाती है । 18 वह परख लेती है क मेरा eयोपार लाभदायक है । रात को उसका दया नह:ं बुफता। 19 वह अटे रन म हाथ लगाती है , और चरखा पकड़ती है । 20 वह द:न के िलथे मु=ठq खोलती है , और दgरि के संभालने को हाथ बढ़ाती है । 21 वह अपके घराने के िलथे हम से नह:ं डरती, यHक उसके घर के सब लोग लाल कपके पहनते हE । 22 वह तकथे बना लेती है ; उसके व\ सूˆम सन और बEजनी रं ग के होते हE । 23 जब उसका पित सभा म दे श के पुरिनयHके संग बैठता है , तब उसका स(मान होता है । 24 वह सन के व\ बनाकर बेच क है ; और eयोपार: को

कमरब(द दे ती है । 25 वह बल और ूताप का पहरावा पहने रहती है , और आनेवाले काल के वषय पर हं सती है । 26 वह बुa क बात बोलती है , और उसके वचन कृ पा क िशझा के अनुसार होते हE । 27 वह अपके घराने के चालचलन को ~यान से दे खती है , और अप क रोट: बना पgरnम नह:ं खाती। 28 उसके पुऽ उठ उठकर उसको ध(य कहते हE , उनका पित भी उठकर उसक ऐसी ूशंसा करता है : 29 बहुत सी '\यHने अ.छे अ.छे काम तो कए हE पर(तु तू उन सभHम

ौे है । 30 शोभा तो फूठq और सु(दरता eययO है , पर(तु जो \ी यहोवा का भय मानती है , उसक ूशंसा क जाएगी। 31 उसके हाथHके पgरnम का फल उसे दो, और उसके कायJसे सभा म उसक ूशंसा होगी।। सभोपदे शक 1 1 यRशलेम के राजा, दाऊद के पुऽ और उपकेशक के वचन। 2 उपकेशक का यह वचन है , क eययO ह: eययO, eययO ह: eययO! सब कुछ eययO है । 3 उस सब पgरnम से 'जसे मनुंय धरती पर करता है , उसको या लाभ ूाT होता है ? 4 एक पीढ़: जाती है , और दस ू र: पीढ़: आती है , पर(तु पृवी सवOदा बनी रहती है । 5 सूयO उदय होकर अःत भी होता है , और अपके उदय क दशा को वेग से चला जाता है । 6 वायु द' खन क ओर बहती है , और उर क ओर घूमती जाती है ; वह घूमती और बहती रहती है , और अपके च करHम लौट आती है । 7 सब नदयां समुि म

जा िमलती हE , तौभी समुि भर नह:ं जाता; 'जस ःयान से नदयां िनकलती हE ; उधर ह: को वे फर जाती हE । 8 सब बात पgरnम से भर: हE ; मनुंय इसका वणOन नह:ं कर सकता; न तो आंख दे खने से तृT होती हE , और न कान सुनने से भरते हE ।

9 जो कुछ हुआ या, वह: फर होगा, और जो कुछ बन चुका है वह: फर बनाया जाएगा; और सूयO के नीचे कोई बात नई नह:ं है । 10 या ऐसी कोई बात है 'जसके वषय म लोग कह सक क दे ख यह नई है ? यह तो ूाचीन युगHम वतOमान यी। 11 ूाचीन बातHका कुछ ःमरण नह:ं रहा, और होनेवाली बातHका भी ःमरण उनके बाद होनेवालHको न रहे गा।। 12 मE उपकेशक यRशलेम म इॐाएल का राजा या। 13 और मE ने अपना मन लगाया क जो कुछ सूयO के नीचे कया जाता है , उसका भेद बुa से सोच सोचकर मालूम कRं; यह बड़े द:ु ख का काम है जो परमे र ने मनुंयHके िलथे ठहराया है क वे उस म लग । 14 मE ने उन सब कामHको दे खा जो सूयO के नीचे कए जाते हE ; दे खो वे सब eययO और मानो वायु को पकड़ना है । 15 जो टे ढ़ा है , वह सीधा नह:ं हो सकता, और 'जतनी वःतुओं म घट: है , वे िगनी नह:ं जातीं।। 16 मE ने मन म कहा, दे ख, 'जतने यRशलेम म मुझ से पहले थे, उन सभHसे मE ने बहुत अिधक बुa ूाT क है ; और मुझ को बहुत बुa और Wान िमल गया है । 17 और मE ने अपना मन लगाया क बुa का भेद लूं और बावलेपन और मूखOता को भी जान लू।ं मुझे जान पड़ा क यह भी वायु को पकड़ना है ।। 18 यHक बहुत बुa के साय बहुत खेद भी होता है , और जो अपना Wान बढ़ाता है वह अपना द:ु ख भी बढ़ाता है ।। सभोपदे शक 2 1 मE ने अपके मन से कहा, चल, मE तुझ को आन(द के kारा जांचग ूं ा; इसिलथे आन'(दत और मगन हो। पर(तु दे खो, यह भी eययO है । 2 मE ने हं सी के वषय म

कहा, यह तो बावलापन है , और आन(द के वषय म , उस से या ूाT होता है ? 3

मE ने मन म सोचा क कस ूकार से मेर: बुa बनी रहे और मE अपके ूाण को दाखमधु पीने से यHकर बहलाऊं और यHकर मूखOता को यामे रहूं, जब तक मालूम न कRं क वह अ.छा काम कौन सा है 'जसे मनुंय जीवन भर करता रहे । 4 मE ने बड़े बड़े काम कए; मE ने अपके िलथे घर बनवा िलए और अपके िलथे दाख क बाgरयां लगवाई; 5 मE ने अपके िलथे बाgरयां और बाग लगावा िलए, और उन म भांित भांित के फलदाई वृझ लगाए। 6 मE ने अपके िलथे कु+ड खुदवा िलए क उन से वह वन सींचा जाए 'जस म पौधे लगाए जाते थे। 7 मE ने दास और दािसयां मोल लीं, और मेरे घर म दास भी उप(न हुए; और 'जतने मुझ से पहले यRशलेम म थे उस ने कह:ं अिधक गाय-बैल और भेड़-बकgरयHका मE ःवामी या। 8 मE ने चा(द: और सोना और राजाओं और ूा(तHके बहुम` ू य पदायJका भी संमह कया; मE ने अपके िलथे गवैयHऔर गानेवािलयHको रखा, और बहुत सी कािमिनयां भी, 'जन से मनुंय सुख पाते हE , अप क कर लीं।। 9 इस ूकार मE अपके से पहले के सब यRशलेमवािस कH अिधक महान और धनाढय हो गया; तौभी मेर: बुa ठकाने रह:। 10 और 'जतनी वःतुओं के दे खने क मE ने लालसा क, उन सभHको दे खने से मE न Rका; मE ने अपना मन कसी ूकार का आन(द भोगने से न रोका यHक मेरा मन मेरे सब पgरnम के कारण आन'(दत हुआ; और मेरे सब पgरnम से मुझे यह: भाग िमला। 11 तब मE ने फर से अपके हाथHके सब कामHको, और अपके सब पgरnम को दे खा, तो या दे खा क सब कुछ eययO और वायु को पकड़ना है , और संसार म कोई लाभ नह:ं।। 12 फर मE ने अपके मन को फेरा क बुa और बावलेपन और मूखOता के कायJको दे खूं; यHक जो मनुंय राजा के पीछे आएगा, वह या करे गा? केवल वह: जो होता चला आया है । 13 तब

मE ने दे खा क उ'जयाला अंिध कारने से 'जतना उम है , उतना बुa भी मूखOता से उम है । 14 जो बुaमान है , उसके िसर म आंख रहती हE , पर(तु मूखO अंिध कारने म चलता है ; तौभी मE ने जान िलया क दोनHक दशा एक सी होती है । 15 तब मE ने मन म कहा, जैसी मूखO क दशा होगी, वैसी ह: मेर: भी होगी; फर मE यHअिधक बुaमान हुआ? और मE ने मन म कहा, यह भी eययO ह: है । 16 यHक ने तो बुaमान का और न मूखO का ःमरण सवOदा बना रहे गा, पर(तु भवंय म सब कुछ बसर जाएगा। 17 बुaमान यHकर मूखO के समान मरता है ! इसिलथे मE ने अपके जीवन से घृणा क, यHक जो काम संसार म कया जाता है मुझे बुरा मालूम हुआ; यHक सब कुछ eययO और वायु को पकड़ना है । 18 मE ने अपके सारे पgरnम के ूितफल से 'जसे मE ने धरती पर कया या घृणा क, यHक अवँय है क मE उसका फल उस मनुंय के िलथे छोड़ जाऊं जो मेरे बाद आएगा। 19 यह कौन जानता है क वह मनुंय बुaमान होगा वा मूखO? तौभी धरती पर 'जतना पgरnम मE ने कया, और उसके िलथे बुa ूयोग क उस सब का वह: अिध कारनेी होगा। यह भी eययO ह: है । 20 तब मE अपके मन म उस सारे पgरnम के वषय जो मE ने धरती पर कया या िनराश हुआ, 21 यHक ऐसा मनुंय भी है , 'जसका कायO पgरnम और बुa और Wान से होता है और सफल भी होता है , तौभी उसको ऐसे मनुंय के िलथे छोड़ जाना पड़ता है , 'जस ने उस म

कुछ भी पgरnम न कया हो। यह भी eययO और बहुत ह: बुरा है । 22 मनुंय जो धरती पर मन लगा लगाकर पgरnम करता है उस से उसको या लाभ होता है ? 23 उसके सब दन तो द:ु खHसे भरे रहते हE , और उसका काम खेद के साय होता है ; रात को भी उसका मन चैन नह:ं पाता। यह भी eययO ह: है । 24 मनुंय के िलथे

खाने-पीने और पgरnम करते हुए अपके जीव को सुखी रखने के िसवाय और कुछ भी अ.छा नह:ं। मE ने दे खा क यह भी परमे र क ओर से िमलता है । 25 यHक खाने-पीने और सुख भोगने म मुझ से अिधक समयO कौन है ? 26 जो मनुंय परमे र क l म अ.छा है , उसको वह बुa और Wान और आन(द दे ता है ; पर(तु पापी को वह द:ु खभरा काम ह: दे ता है क वह उसका दे ने के िलथे संचय करके ढे र लगाए जो परमे र क l म अ.छा हो। यह भी eययO और वायु को पकड़ना है ।। 1 हर एक बात का एक अवसर और ूथेक काम का, जो आकाश के नीचे होता है , एक समय है । 2 ज(म का समय, और मरन का भी समय; बोने का समय; और बोए हुए को उखाड़ने का भी समय है ; 3 घात करने का समय, और चंगा करने का भी समय; ढा दे ने का समय, और बनाने का भी समय है ; 4 रोने का समय, और हं सने का भी समय; छाती पीटने का समय, और नाचने का भी समय है ; 5 पयर फ कने का समय, और पयर बटोरने का भी समय; गल लगाने का समय, और गल लगाने से Rकने का भी समय है ; 6 ढू ं ढ़ने का समय, और खो दे ने का भी समय; बचा रखने का समय, और फ क दे ने का भी समय है ; 7 फाड़ने का समय, और सीने का भी समय; चुप रहने का समय, और बोलने का भी समय है ; 8 ूेम का समय, और बैर करने का भी समय; लड़ाई का समय, और मेल का भी समय है । 9 काम करनेवाले को अिधक पgरnम से या लाभ होता है ? 10 मE ने उस द:ु खभरे काम को दे खा है जो परमे र ने मनुंयHके िलथे ठहराया है क वे उस म

लगे रह । 11 उस ने सब कुछ ऐसा बनाया क अपके अपके समय पर वे सु(दर होते है ; फर उस ने मनुंयHके मन म अनाद-अन(त काल का Wान उप(न

कया है , तौभी काल का Wान उप(न कया है , वह आद से अ(त तक मनुंय बूफ नह:ं सकता। 12 मE ने जान िलया है क मनुंयHके िलथे आन(द करने और जीवन भर भलाई करने के िसयाव, और कुछ भी अ.छा नह:ं; 13 और यह भी परमे र का दान है क मनुंय खाए-पीए और अपेन सब पgरnम म सुखी रहे । 14 मE जानता हंू क जो कुछ परमे र करता है वह सदा 'ःयर रहे गा; न तो उस म

कुछ बढ़ाया जा सकता है और न कुछ घटाया जा सकता है ; परमे र एसा इसिलथे करता है क लोग उसका भय मान । 15 जो कुछ हुआ वह इस से पहले भी हो चुका; जो होनेवाला है , वह हो भी चुका है ; और परमे र बीती हुई बात को फर पूछता है । 16 फर मE ने संसार म या दे खा क (याय के ःयान म द ु ता होती है , और धमO के ःयान म भी द ु ता होती है । 17 मE ने मन म कहा, परमे र धमh और द ु दोनHका (याय करे गा, यHक उसके यहां एक एक वषय और एक एक काम का समय है । 18 मE ने मन म कहा क यह इसिलथे होता है क परमे र मनुंयHको जांचे और क वे दे ख सक क वे पशु-समान हE । 19 यHक जैसी मनुंयHक वैसी ह: पशुओं क भी दशा होती है ; दोनHक वह: दशा होती है , जैसे एक मरता वैसे ह: दस ू रा भी मरता है । सभHक ःवांस एक सी है , और मनुंय पशु से कुछ बढ़कर नह:ं; सब कुछ eययO ह: है । 20 सब एक ःयान मे जाते हE ; सब िम=ट: से बने हE , और सब िम=ट: म फर िमल जाते हE । 21 या मनुंय का ूाण ऊपर क ओर चढ़ता है और पशुओं का ूाण नीचे क ओर जाकर िम=ट: म िमल जाता है ? कौन जानता है ? 22 सो मE ने यह दे खा क इस से अिधक कुछ अ.छा नह:ं क मनुंय अपके कामHके आन'(दत रहे , यHक उसका भाbय यह: है ; कौन उसके पीछे होनेवाली बातHको दे खने के िलथे उसको लौटा लाएगा?

सभोपदे शक 4 1 तब मE ने वह सब अ(धेर दे खा जो संसार म होता है । और या दे खा, क अ(धेर सहनेवालHके आंसू बह रहे हE , और उनको कोई शा'(त दे नेवाला नह:ं! अ(धेरे करनेवालHके हाथ म शf यी, पर(तु उनको कोई शा'(त दे नेवाला नह:ं या। 2 इसिलथे मE ने मरे हुओं को जो मर चुके हE , उन जीवतHसे जो अब तक जीवत हE अिधक सराहा; 3 वरन उन दोनHसे अिधकर सुभागी वह है जो अब तक हुआ ह: नह:ं, न थे बुरे काम दे खे जो संसार म होते हE ।। 4 तब म ने सब पgरnम के काम और सब सफल कामHको दे खा जो लोग अपके पड़ोसी से जलन के कारण करते हE । यह भी eययO और मन का कुढ़ना है ।। 5 मूखO छाती पर हाथ रखे रहता और अपना मांस खाता है । 6 चैन के साय एक मु=ठर एप उसे मु'=ठयHसे अ.छा है , 'जनके साय पgरnम और मन का कुढ़ना हो।। 7 फर मE ने धरती पर यह भी eययO बात दे खी। 8 कोई अकेला रहता और उसका कोई नह:ं है ; न उसके बेटा है , न भाई है , तौभी उसके पgरnम का अ(त नह:ं होता; न उसक आंख धन से स(तु होती हE , और न वह कहता है , मE कस के िलथे पgरnम करता और अपके जीवन को सुखरहत रखता हंू ? यह भी eययO और िनरा द:ु खभरा काम है । 9 एक से दो अ.छे हE , यHक उनके पgरnम का अ.छा फल िमलता है । 10 यHक यद उन म से एक िगरे , तो दस ू रा उसको उठाएगा; पर(तु हाथ उस पर जो अकेला होकर िगरे और उसका कोई उठानेवाला न हो। 11 फर यद दो जन एक संग सोए तो वे गमO रह गे, पर(तु कोई अकेला यHकर गमO हो सकता है ? 12 यद कोई अकेले पर ूबल हो तो हो, पर(तु दो उसका साSहना कर सक गे। जो डोर: तीन तागे से बट: हो वह ज`द: नह:ं टू टती।। 13 बुaमान लड़का दgरि होन पर भी ऐसे बूढ़े और

मूखO राजा से अिधक उम है जो फर सSमित महण न करे , 14 चाहे वह उसके राGय म धनह:न उप(न हुआ या ब(द:गृह से िनकलकर राजा हुआ हो। 15 मE ने सब जीवतHको जो धरती पर चलते फरते हE दे खा क वे उस दस ू रे लड़के के संग हो िलथे हE जो उनका ःयान लेने के िलथे खड़ा हुआ। 16 वे सब लोग अनिगिनत थे 'जन पर वह ूधान हुआ या। तौभी भवंय म होनेवाले लोग उसके कारण आन'(दत न हHगे। िन:स(दे ह यह भी eययO और मन का कुढ़ना है ।। सभोपदे शक 5 1 जब तू परमे र के भवन म जाए, तब सावधानी से चलना; सुनने के िलथे समीप जाना मूखJके बिलदान चढ़ाने से अ.छा है ; यHक वे नह:ं जानते क बुरा करते हE । 2 बात करने म उतावली न करना, और न अपके मन से कोई बात उतावली से परमे र के साSहने िनकालना, यHक परमे र ःवगO म हE और तू पृवी पर है ; इसिलथे तेरे वचन योड़े ह: हH।। 3 यHक जैसे कायO क अिधकता के कारण ःव€न दे खा जाता है , वैसे ह: बहुत सी बातHका बोलनेवाला मूखO ठहरता है । 4 जब तू परमे र के िलथे म(नत माने, तब उसके पूरा करने म वलSब न करना; यांक वह मूखJसे ूस(न नह:ं होता। जो म(नत तू ने मानी हो उसे पूर: करना। 5 म(नत मानकर पूर: न करने से म(नत का न मानना ह: अ.छा है । 6 कोई वचन कहकर अपके को पाप म ने फंसाना, और न ई र के दत ू के साSहने कहना क यह भूल से हुआ; परमे र यHतेरा बोल सुनकर अूस(न हो, और तेरे हाथ के कायJको न करे ? 7 यHक ःव€नHक अिधकता से eययO बातHक बहुतायत होती है : पर(तु तू परमे र को भय मानना।। 8 यद तू कसी ूा(त म

िनधOनHपर अ(धेर और (याय और धमO को बगड़ता दे खे, तो इस से चकत न होना; यHक एक अिध कारनेी से बड़ा दस ू रा रहता है 'जसे इन बातHक सुिध रहती है , और उन से भी ओर अिधक बड़े रहते हE । 9 भूिम क उपज सब के िलथे है , वरन खेती से राजा का भी काम िनकलता है । 10 जो Rपके से ूीित रखता है वह Rपके से तृT न होगा; और न जो बहुत धन से ूीित रखता है , लाभ से: यह भी eययO है । 11 जब सSप बढ़ती है , तो उसके खानेवाले भी बढ़ते हE , तब उसके ःवामी को इसे छोड़ और या लाभ होता है क उस सSप को अप क आंखHसे दे खे? 12 पgरnम करनेवाला चाहे योड़ा खाए, या बहुत, तौभी उसक नींद सुखदाई होती है ; पर(तु धनी के धन के बढ़ने के कारण उसको नींद नह:ं आती। 13 मE ने धरती पर एक बड़: बुर: बला दे खी है ; अयाOत ् वह धन 'जसे उसके मािलक ने अप क ह: हािन के िलथे रखा हो, 14 और वह कसी बुरे काम म उड़ जाता है ; और उसके घर म बेटा उप(न होता है पर(तु उसके हाथ मे कुछ नह: रहता। 15 जैसा वह मां के पे ट से िनकला वैसा ह: लौट जाएगा; नंगा ह:, जैसा आया या, और अपके पgरnम के बदले कुछ भी न पाएगा 'जसे वह अपके हाथ म ले जा सके। 16 यह भी एक बड़: बला है क जैसा वह आया, ठqक वैसा ह: वह जाएगा; उसे उस eययO पgरnम से और या लाभ है ? 17 केवल इसके क उस ने जीवन भर बेचन ै ी से भोजन कया, और बहुत ह: द:ु 'खत और रोगी रहा और बोध भी करता रहा? 18 सुन, जो भली बात मE ने दे खी है , वरन जो उिचत है , वह यह क मनुंय खाए और पीए और अपके पgरnम से जो वह धरती पर gरता है , अप क सार: आयु भर जो परमे र ने उसे द: है , सुखी रहे : यHक उसका भाग यह: है । 19 वरन हर एक मनुंय 'जसे परमे र ने धन सSप द: हो, और उन से आन(द भोगने और

उस म से अपना भाग लेने और पgरnम करते हुए आन(द करने को शf भी द: हो- यह परमे र का वरदान है । 20 इस जीवन के दन उसे बहुत ःमरण न रह गे, यHक परमे र उसक सुन सुनकर उसके मन को आन(दमय रखता है ।। सभोपदे शक 6 1 एक बुराई जो मE ने धरती पर दे खी है , वह मनुंयHको बहुत भार: लगती है : 2 कसी मनुंय को परमे र धन सSप और ूितvा यहां तक दे ता है क जो कुछ उसका मन चाहता है उसे उसक कुछ भी घट: नह:ं होती, तौभी परमश ्◌ेवर उसको उस म से खाने नह:ं दे ता, कोई दस ू रा क उसे खाता है ; यह eययO और भयानक द:ु ख है । 3 यद कसी पुRष के सौ पुऽ हH, और वह बहुत वषO जीवत रहे और उसक आयु बढ़ जाए, पर(तु न उसको ूाण ूस(न रहे और न उसक अ'(तम बया क जाए, तो मE कहता हंू क ऐसे मनुंय से अधूरे समय का ज(मा हुआ ब.चा उम है । 4 यHक वह eययO ह: आया और अ(धेरे म चला गया, ओर उसका नाम भी अ(धेरे म िछप गया; 5 और न सूयO को दे खा, न कसी चीज को जानने पाया; तौभी इसको उस मनुंय से अिधक चैन िमला। 6 हां चाहे वह दो हजार वषO जीवत रहे , और कुछ सुख भोगने न पाए, तो उसे या? या सब के सब एक ह: ःयान म नह:ं जाते? 7 मनुंय का सारा पgरnम उसके पेट के िलथे होता है तौभी उसका मन नह:ं भरता। 8 जो बुaमान है वह मूखO से कस बात म

बढ़कर है ? और कंगाल जो यह जानता है क इस जीवन म कस ूकार से चलना चाहथे, वह भी उस से कस बात म बढ़कर है ? 9 आंखHसे दे ख लेना मन क चंचलता से उम है : यह भी eययO और मन का कुढना है । 10 जो कुछ हुआ है

उसका नाम युग के आरSभ से रखा गया है , और यह ूगट है क वह आदमी है , क वह उस से जो उस से अिधक शfमान है फगड़ा नह:ं कर सकता है । 11 बहुत सी ऐसी बात हE 'जनके कारण जीवन और भी eययO होता है तो फर मनुंय को या लाभ? 12 यHक मनुंय के झ'णक eययO जीवन म जो वह परछाई क नाई बताता है कौन जानता है क उसके िलथे अ.छा या है ? यHक मनुंय को कौन बता सकता है क उसके बाद दिु नया म या होगा? सभोपदे शक 7 1 अ.छा नाम अनमोल इऽ से और मृयु का दन ज(म के दन से उम है । 2 जे वनार के घर जाने से शोक ह: के घर जाना उम है ; यHक सब मनुंयHका अ(त यह: है , और जो जीवत है वह मन लगाकर इस पर सोचेगा। 3 हं सी से खेद उम है , यHक मुह ं पर के शोक से मन सुधरता है । 4 बुaमानHका मन शोक करनेवालHके घर क ओर लगा रहता है पर(तु मूखJका मन आन(द करनेवालHके घर लगा रहता है । 5 मूखJके गीत सुनने से बुaमान क घुड़क सुनना उम है । 6 यHक मूखO क हं सी हांड: के नीचे जलते हुए कांटो ह: चरचराहट के समान होती है ; यह भी eययO है । 7 िन_य अ(धेर से बुaमान बावला हो जाता है ; और घूस से बुa नाश होती है । 8 कसी काम के आरSभ से उसका अ(त उम है ; और धीरजव(त पुRष गवh से उम है । 9 अपके मन म उतावली से बोिधत न हो, यHक बोध मूखJह: के ॑ृदय म रहता है । 10 यह न कहना, बीते दन इस से यHउम थे? यHक यह तू बुaमानी से नह:ं पूछता। 11 बुa बपौती के साय अ.छq होती है , वरन जीवत रहनेवालHके िलथे लाभकार: है । 12 यHक बुa क

आड़ Rपके क आड़ का काम दे ता है ; पर(तु Wान क ौेता यह है क बुa से उसके रखनेवालHके ूाण क रझा होती है । 13 परमे र के काम पर l कर; 'जस वःतु को उस ने टे ढ़ा कया हो उसे कौन सीधा कर सकता है ? 14 सुख के दन सुख मान, और द:ु ख के दन सोच; यHक परमे र ने दोनHको एक ह: संग रखा है , 'जस से मनुंय अपके बाद होनेवाली कसी बात को न बूफ सके। 15 अपके eययO जीवन म मE ने यह सब कुछ दे खा है ; कोई धमh अपके धमO का काम करते हुए नाश हो जाता है , और द ु बुराई करते हुए द:घाOयु होता है । 16 अपके को बहुत धमh न बना, और न अपके को अिधक बुaमान बना; तू यHअपके क नाश का कारण हो? 17 अय(त द ु भी न बन, और न मूखO हो; तू यHअपके समय से पहले मरे ? 18 यह अ.छा है क तू इस बात को पकड़े रहे ; ओर उस बात पर से भी हाथ न उठाए; यHक जो परमे र का भय मानता है वह इन सब कठनाइयHसे पार जो जाएगा।। 19 बुa ह: से नगर के दस हाकमHक अपेझा बुaमान को अिधक सामयO ूाT होती है । 20 िन:स(दे ह पृवी पर कोई ऐसा धमh मनुंय नह:ं जो भलाई ह: करे और 'जस से पाप न हुआ हो।। 21 'जतनी बात

कह: जाएं सब पर कान न लगाना, ऐसा न हो क तू सुने क ते रा दास तुझी को शाप दे ता है ; 22 यHक तू आप जानता है क तू ने भी बहुत बेर औरHको शाप दया है ।। 23 यह सब मE ने बुa से जांच िलया है ; मE ने कहा, मE बुaमान हो जाऊंगा; पर(तु यह मुझ से दरू रहा। 24 वह जो दरू और अय(त गहरा है , उसका भेद कौन पा सकता है ? 25 मE ने अपना मन लगाया क बुa के वषय म

जान लू;ं क खोज िनकालूं और उसका भेद जानू,ं और क द ु ता क मूखOता और मूखOता जो िनरा बावलापन है जानू।ं 26 और मE ने मृयु से भी अिधक l:खदाई

एक वःतु पाई, अयाOत ् वह \ी 'जसका मन फ(दा और जाल है और 'जसके हाथ हयकडय़ां है ; ('जस पुRष से परमे र ूस(न है वह: उस से बचेगा, पर(तु पापी उसका िशकाल होगा) 27 दे ख, उपकेशक कहता है , मE ने Wान के िलथे अलग अलग बात िमलाकर जांचीं, और यह बात िनकाली, 28 'जसे मेरा मन अब तक ढू ं ढ़ रहा है , पर(तु नह:ं पाया। हजार म से मE ने एक पुRष को पाया, पर(तु उन म

एक भी \ी नह:ं पाई। 29 दे खो, मE ने केवल यह बात पाई है , क परमे र ने मनुंय को सीधा बनाया, पर(तु उ(हHने बहुत सी युfयां िनकाली हE ।। सभोपदे शक 8 1 बुaमान के तु`य कौन है ? और कसी बात का अयO कौन लगा सकता है ? मनुंय क बुa के कारण उसका मुख चमकता, और उसके मुचा क कठोरता दरू हो जाती है । 2 मE तुझे सSमित दे ता हंू क परमे र क शपय के कारण राजा क आWा मान। 3 राजा के साSहने से उतावली के साय न लौटना और न बुर: बात पर हठ करना, यHक वह जो कुछ चाहता है करता है । 4 यHक राजा के वचन म तो सामयO रहती है , और कौन उस से कह सकता है क तू या करता है ? 5 जो आWा को मानता है , वह जो'खम से बचेगा, और बुaमान का मन समय और (याय का भेद जानता है । 6 यHक हर एक वषय का समय और िनयम होता है , यिrप मनुंय का द:ु ख उसके िलथे बहुत भार: होता है । 7 वह नह:ं जानता क या होनेवाला है , और कब होगा? यह उसको कौन बता सकता है ? 8 ऐसा कोई मनुंय नह:ं 'जसका वश ूाण पर चले क वह उसे िनकलते समय रोक ले, और न कोई मृयु के दन पर अिध कारनेी होता है ; और न उसे लड़ाई से छृ=ट: िमल

सकती है , और न द ु लोग अप क द ु ता के कारण बच सकते हE । 9 'जतने काम धरती पर कए जाते हE उन सब को ~यानपूवOक दे खने म यह सब कुछ मE ने दे खा, और यह भी दे खा क एक मनुंय दस ू रे मनुंय पर अिध कारनेी होकर अपके ऊपर हािन लाता है ।। 10 तब मE ने द ु Hको गाढ़े जाते दे खा; अयाOत ् उनक तो कॄ बनी, पर(तु 'ज(हHने ठqक काम कया या वे पवऽःयान से िनकल गए और उनका ःमरण भी नगर म न रहा; यह भी eययO ह: है । 11 बुरे काम के द+ड क आWा फुतh से नह:ं द: जाती; इस कारण मनुंयHका मन बुरा काम करने क इ.छा से भरा रहता है । 12 चाहे पापी सौ बार पाप करे अपके दन भी बढ़ाए, तौभी मुझे िन_य है क जो परमे र से डरते हE और अपके तई उसको सSमुख जानकर भय से चलते हE , उनका भला ह: होगा; 13 पर(तु द ु का भला नह:ं होने का, और न उसक जीवनRपी छाया लSबी होने पाएगी, यHक वह परमे र का भय नह:ं मानता।। 14 एक eययO बात पृवी पर होती है , अयाOत ् ऐसे धमh हE 'जनक वह दशा होती है जो द ु Hक होनी चाहथे, और ऐसे द ु हE 'जनक वह दशा होती है हो धिमयJक होनी चाहथे। मE ने कह क यह भी eययO ह: है । 15 तब मE ने आन(द को सराहा, यHक सूयO के नीचे मनुंय के िलथे खाने-पीने और आन(द करने को छोड़ और कुछ भी अ.छा नह:ं, यHक यह: उसके जीवन भर जो परमे र उसके िलथे धरती पर ठहराए, उसके पgरnम म उसके संग बना रहे गा।। 16 जब मE ने बुa ूाT करने और सब काम दे खने के िलथे जो पृवी पर कए जाते हE अपना मन लगाया, क कैसे मनुंय रात-दन जागते रहते हE ; 17 तब मE ने परमे र का सारा काम दे खा जो सूयO के नीचे कया जाता है , उसक याह मनुंय नह:ं पा सकता। चाहे मनुंय उसक खोज म कतना भी पgरnम करे ,

तौभी उसको न जान पाएगा; और यिrप बुaमान कहे भी क मE उसे समझूंगा, तौभी वह उसे न पा सकेगा।। सभोपदे शक 9 1 यह सब कुछ मE ने मन लगाकर वचारा क इन सब बातHका भेद पाऊं, क कस ूकार धमh और बुaमान लाग और उनके काम परमे र के हाथ म हE ; मनुंय के आगे सब ूकार क बात हE पर(तु वह नह:ं जानता क वह ूेम है व बैर। 2 सब बात सभHको एक समान होती है , धमh हो या द ु , भले, शुa या अशुa, यW करने और न करनेवाले, सभHक दशा एक ह: सी होती है । जैसी भले मनुंय क दशा, वैसी ह: पापी क दशा; जैसी शपय खानेवाले क दशा, वैसी ह: उसक जो शपय खाने से डरता है । 3 जो कुछ सूयO के नीचे कया जाता है उस म यह एक दोष है क सब लोगHक एक सी दशा होती है ; और मनुंयHके मनHम बुराई भर: हुई है , और जब तक वे जीवत रहते हE उनके मन म बावलापन रहता है , और उसके बाद वे मरे हुओं म जा िमलते हE । 4 उसको पर(तु जो सब जीवतHम है , उसे आशा है , यHक जीवता कुा मरे हुए िसंह से बढ़कर है । 5 यHक जीवते तो इतना जानते हE क वे मर गे, पर(तु मरे हुए कुछ भी नह:ं जानते, और न उनको कुछ और बदला िमल सकता है , यHक उनका ःमरण िमट गया है । 6 उनका ूेम और उनका बैर और उनक डाह नाश हो चुक, और अब जो कुछ सूयO के नीचे कया जाता है उस म सदा के िलथे उनका और कोई भाग न होगा।। 7 अपके मागO पर चला जा, अप क रोट: आन(द से खाया कर, और मन म सुख मानकर अपना दाखमधु पया कर; यHक परमे र तेरे कामHसे ूस(न हो चुका है ।। 8 ते रे व\

सदा उजले रह , और ते रे िसर पर तेल क घट: न हो।। 9 अपके eययO जीवन के सारे दन जो उस ने सूयO के नीचे ते रे िलथे ठहराए हE अप क €यार: प^ी के संग म बताना, यHक ते रे जीवन और तेरे पgरnम म जो तू सूयO के नीचे करता है तेरा यह: भाग है । 10 जो काम तुझे िमले उसे अप क शf भर करना, यHक अधोलोक म जहां तू जानेवाला है , न काम न युf न Wान और न बुa है ।। 11 फर मE ने धरती पर दे खा क न तो दौड़ म वेग दौड़नेवाले और न युa म शूरवीर जीतते; न बुaमान लोग रोट: पाते न समझवाले धन, और न ूवीणHपर अनुमह होता है , वे सब समय और संयोग के वश म है । 12 यHक मनुंय अपना समय नह:ं जानता। जैसे मछिलयां दख ु दाई जाल म बफती और िचडय़े फ(दे म फंसती हE , वैसे ह: मनुंय दख ु दाई समय म जो उन पर अचानक आ पड़ता है , फंस जाते हE ।। 13 मE ने सूयO के नीचे इस ूकार क बुa क बात भी दे खी है , जो मुझे बड़: जान प क। 14 एक छोटा सा नगर या, 'जस म योड़े ह: लोग थे; और कसी बड़े राजा ने उस पर चढ़ाई करके उसे घेर िलया, और उसके वRa बड़े बड़े घुस बनवाए। 15 पर(तु उस म एक दgरि बुaमान पुRष पाया गया, और उस ने उस नगर को अप क बुa के kारा बचाया। तौभी कसी ने उस दgरि का ःमरण न रखा। 16 तब मE ने कहा, यrप दgरि क बुa तु.छ समझी जाती है और उसका वचन कोई नह:ं सुनता तौभी पराबम से बुa उम है । 17 बुaमानHके वचन जो धीमे धीमे कहे जाते हE वे मूखJके बीच ूभुता करनेवाले के िच`ला िच`लाकर कहने से अिधक सुने जाते हE । 18 लड़ाई के हिययारHसे बुa उम है , पर(तु एक पापी बहुत भलाई नाश करता है ।। सभोपदे शक 10

1 मार हुई म' खयHके कारण ग(धी का तेल सड़ने और बसाने लगता है ; और योड़: सी मूखOता बुa और ूितvा को घटा दे ती है । 2 बुaमान का मन उिचत बात क ओर रहता है पर(तु मूखO का मन उसके वप कत रहता है । 3 वरन जब मूखO मागO पर चलता है , तब उसक समझ काम नह:ं दे ती, अैर वह सब से कहता है , मE मूखO हंू ।। 4 यद हाकम का बोध तुझ पर भड़के, तो अपना ःयान न छोड़ना, यHक धीरज धरने से बड़े बड़े पाप Rकते हE ।। 5 एक बुराई है जो मE ने सूयO के नीचे दे खी, वह हाकम क भूल से होती है : 6 अयाOत ् मूखO बड़: ूितvा के ःयानHम ठहराए जाते हE , और धनवाल लोग नीचे बैठते हE । 7 मE ने दासHको घोड़Hपर चढ़े , और रईसHको दासHक नाई भूिम पर चलते हुए दे खा है ।। 8 जो गड़हा खोदे वह उस म िगरे गा और जो बाड़ा तोड़े उसको सपO डसेगा। 9 जो पयर फोड़े , वह उन से घायल होगा, और जो लकड़: काटे , उसे उसी से डर होगा। 10 यद कु`हाड़ा योया हो और मनुंय उसक धार को पैनी न करे , तो अिधक बल लगाना पकेगा; पर(तु सफल होने के िलथे बुa से लाभ होता है । 11 यद मंऽ से पहले सपO डसे, तो मंऽ पढ़नेवाले को कुछ भी लाभ नह:ं।। 12 बुaमान के वचनHके कारण अनुमह होता है , पर(तु मूखO अपके वचनHके kारा नाश होते हE । 13 उसक बात का आरSभ मूखOता का, और उनका अ(त दख ु दाई बावलापन होता है । 14 मूखO बहुत बात बढ़ाकर बोलता है , तौभी कोई मनुंय नह:ं जानता क या होगा, और कौन बता सकता है क उसके बाद या होनेवाला है ? 15 मूखO को पgरnम से यकावट ह: होती है , यहां तक क वह नह:ं जानता क नगर को कैसे जाए।। 16 हे दे श, तुझ पर हाथ जब ते रा राजा लड़का है और तेरे हाकम ूात:काल भोज करते हE ! 17 हे दे श, तू ध(य है जब तेरा राजा कुलीन है ; और ते रे हाकम समय पर भोज

करते हE , और वह भी मतवाले होने को नह:ं, वर(त बल बढ़ाने के िलथे! 18 आलःय के कारण छत क कडय़ां दब जाती हE , और हाथHक सुःती से घर चूता है । 19 भोज हं सी खुशी के िलथे कया जाता है , और दाखमधु से जीवन को आन(द िमलता है ; और RपयHसे सब कुछ ूाT होता है । 20 राजा को मन म भी शाप न दे ना, न धनवान को अपके शयन क कोठर: म शाप दे ना; यHक कोई आकाश का प क तेर: वाणी को ले जाएगा, और कोई उड़ानेवाला ज(तु उस बात को ूगट कर दे गा।। सभोपदे शक 11 1 अप क रोट: जल के ऊपर डाल दे , यHक बहुत दन के बाद तू उसे फर पाएगा। 2 सात वरन आठ जनHको भी भाग दे , यHक तू नह:ं जानता क पृवी पर या वप आ पकेगी। 3 यद बादल जल भरे हE , तब उसका भूिम पर उ+डे ल दे ते हE ; और वृझ चाहे द' खन क ओर िगरे या उर क ओर, तौभी 'जस ःयान पर वृझ िगरे गा, वह:ं पड़ा रहे गा। 4 जो वायु को ताकता रहे गा वह बीज बोने न पाएगा; और जो बादलHको दे खता रहे गा वह लवने न पाएगा। 5 जैसे तू वायु के चलने का मागO नह:ं जानता और कस र:ित से गभOवती के पेट म ह']डयां बढ़ती हE , वैसे ह: तू परमे र का काम नह:ं जानता जो सब कुछ करता है ।। 6 भोर को अपना बीज बो, और सांफ को भी अपना हाथ न रोक; यHक तू नह:ं जानता क कौन सुफल होगा, यह वा वह वा दोनHके दोनHअ.छे िनकल गे। 7 उ'जयाला मनभावना होता है , और धूप के दे खने से आंखHको सुख होता है । 8 यद मनुंय बहुत वषO जीवत रहे , तो उन सभHम आन'(दत रहे ; पर(तु यह ःमरण रखे क

अ'(ध कारने से दन भी बहुत हHगे । जो कुछ होता है वह eययO है ।। 9 हे जवान, अप क जवानी म आन(द कर, और अप क जवानी के दनHके मगन रह; अप क मनमानी कर और अप क आंखHक l के अनुसार चल। पर(तु यह जान रख क इन सब बातHके वषय म परमे र ते रा (याय करे गा।। 10 अपके मन से खे द और अप क दे ह से द:ु ख दरू कर, यHक लड़कपन और जवानी दोनो eययO है । सभोपदे शक 12 1 अप क जवानी के दनHम अपके सृजनहार को ःमरण रख, इस से पहले क वप के दन और वे वषO आएं, 'जन म तू कहे क मेरा मन इन म नह:ं लगाता। 2 इस से पहले क सूयO और ूकाश और च(िमा और तारागण अंधेरे हो जाएं, और वषाO होने के बादल फर िघर जाएं; 3 उस समय घर के पहRथे कांप गे, और बलव(त फुक जायंगे, और पसनहाgरयां योड़: रहने के कारण काम छोड़ द गी, और फरोखHम से दे खनेवािलयां अ(धी हो जाएगी, 4 और सड़क क ओर के कवाड़ ब(द हHगे, और च क पीसने का शcद धीमा होगा, और तड़के िचडय़ा बोलते ह: एक उठ जाएगा, और सब गानेवािलयHका शcद धीमा हो जाएगा। 5 फर जो ऊंचा हो उस से भय खाया जाएगा, और मागO म डरावनी वःतुएं मानी जाएंगी; और बादाम का पेड़ फूलेगा, और ट]ड: भी भार: लगेगी, और भूख बढ़ानेवाला फल फर काम न दे गा; यHक मनुंय अपके सदा के घर को जाथेगा, और रोने पीटनेवाले सड़क सड़क फर गे। 6 उस समय चा(द: का तार दो टू कड़े हो जाएगा और सोने का कटोरा टू टे गा; और सोते के पास घड़ा फूटे गा, और कु+ड के

पास रहट टू ट जाएगा, 7 जब िम=ट: GयHक यHिम=ट: म िमल जाएगी, और आमा परमे र के पास 'जस ने उसे दया लौट जाएगी। 8 उपकेशक कहता है , सब eययO ह: eययO; सब कुछ eययO है । 9 उपकेशक जो बुaमान या, वह ूजा को Wान भी िसखाता रहा, और ~यान लगाकर और पूछपाछ करके बहुत से नीितवचन बम से रखता या। 10 उपकेशक ने मनभावने शcद खोजे और सीधाई से थे स.ची बात िलख द:ं।। 11 बुaमानHके वचन पैनHके समान होते हE , और सभाओं के ूधानHके वचन गाड़: हुई कलHके समान हE , यHक एक ह: चरवाहे क ओर से िमलते हE । 12 हे मेरे पुऽ, इ(ह: म चौकसी सीख। बहुत पुःतकHक रचना का अ(त नह:ं होता, और बहुत पढ़ना दे ह को यका दे ता है ।। 13 सब कुछ सुना गया; अ(त क बात यह है क परमे र का भय मान और उसक आWाओं का पालन कर; यHक मनुंय का सSपूणO कOeय यह: है । 14 यHक परमे र सब कामHऔर सब गुT बातHका, चाहे वे भली हHया बुर:, (याय करे गा।। ौेv गीत 1 1 ौेगीत जो सुलम ै ान का है ।। 2 वह अपके मुह ं के चुSबनHसे मुझे चूमे! यHक तेरा ूेम दाखमधु से उम है , 3 तेरे भांित भांित के इऽHका सुग(ध उम है , तेरा नाम उं डे ले हुए इऽ के तु`य है ; इसीिलथे कुमाgरयां तुझ से ूेम रखती हE 4 मुझे खींच ले; हम ते रे पीछे दौड़ गे राजा मुझे अपके महल म ले आया है । हम तुझ म

मगन और आन'(दत हHगे; हम दाखमधु से अिधक तेरे ूेम क चचाO कर गे; वे ठqक ह: तुझ से ूेम रखती हE ।। 5 हे यRशलेम क पुऽयH, मE काली तो हंू पर(तु सु(दर हंू , केदार के तSबुओं के और सुलम ै ान के पदJके तु`य हंू । 6 मुझे इसिलथे

न घूर क मE साँवली हंू , यHक मE धूप से फुलस गई। मेर: माता के पुऽ मुझ से अूस(न थे, उ(हHने मुझ को दाख क बाgरयHक रखवािलन बनाया; पर(तु मE ने अप क िनज दाख क बार: क रखवाली नह:ं क! 7 हे मेरे ूाणूय मुझे बता, तू अप क भेड़-बकgरयां कहां चराता है , दोपहर को तू उ(ह कहां बैठाता है ; मE यHतेरे संिगयHक भेड़-बकgरयHके पास घूघ ं ट काढ़े हुए भटकती फRं? 8 हे '\यHम सु(दर:, यद तू यह न जानती हो तो भेड़-बकgरयHके खुरHके िच(हHपर चल और चरावाहHके तSबुओं के पास अप क बकgरयHके ब.चHको चरा।। 9 हे मेर: ूय मE ने तेर: तुलना फरौन के रयHम जुती हुई घोड़: से क है । 10 तेरे गाल केशHके लटHके बीच या ह: सु(दर हE , और तेरा क+ठ ह:रHक लड़Hके बीच। 11 हम तेरे िलथे चा(द: के फूलदार सोने के आभूषण बनाएंगे। 12 जब राजा अप क मेज के पास बैठा या मेर: जटामासी क सुग(ध फैल रह: यी। 13 मेरा ूे मी मेरे िलथे लोबान क यैली के समान है जो मेर: छाितयHके बीच म प क रहती है ।। 14 मेरा ूमी मेरे िलथे म हद: के फूलHके गु.छे के समान है , जो एनगद: क दाख क बाgरयHम होता है ।। 15 तू सु(दर: है , हे मेर: ूय, तू सु(दर: है ; तेर: आंख

कबूतर: क सी हE । 16 हे मेर: ूय तू सु(दर और मनभावनी है । और हमारा बछौना भी हरा है ; 17 हमारे घर के बरगे दे वदार हE और हमार: छत क कडय़ां सनौवर हE ।। ौेv गीत 2 1 मE शारोन दे श का गुलाब और तराइयHम का सोसन फूल हंू ।। 2 जैसे सोसन फूल कट:ले पेड़Hके बीच वैसे ह: मेर: ूय युवितयHके बीच म है ।। 3 जैसे सेब के वृझ

जंगल के वृझHके बीच म , वैसे ह: मेरा ू–ेमी जवानHके बीच म है । मE उसक छाया म हषतO होकर बैठ गई, और उसका फल मुझे खाने मे मीठा लगा। 4 वह मुझे भोज के घर म ले आया, और उसका जो फ(डा मेरे ऊपर फहराता या वह ूेम या। 5 मुझे सूखी दाखHसे संभालो, सेब 'खलाकर बल दो: यHक मE ूेम म रोगी हू◌ू◌ं। 6 काश, उसका बायां हाथ मेरे िसर के नीचे होता, और अपके दहने हाथ से वह मेरा आिलंगन करता! 7 हे यRशलेम क पुऽयH, मE तुम से िचकाgरयHऔर मैदान क हgर'णयHक शपय धराकर कहती हंू , क जब तक ूेम आप से न उठे , तब तक उसको न उसकाओ न जगाओ।। 8 मेरे ूे मी का शcद सुन पड़ता है ! दे खो, वह पहाड़Hको फा(दता हुआ आता है । 9 मेरा ूेमी िचकारे वा जवान हgरण के समान है । दे खो, वह हमार: भीत के पीछे खड़ा है , और 'खड़कयHक ओर ताक रहा है , और फंफर: म से दे ख रहा है । 10 मेरा ूेमी मुझ से कह रहा है , हे मेर: ूय, हे मेर: सु(दर:, उठकर च क आ; 11 यHक दे ख, जाड़ा जाता रहा; वषाO भी हो चुक और जाती रह: है । 12 पृवी पर फूल दखाई दे ते हE , िचडय़Hके गाने का समय आ पहुंचा है , और हमारे दे श म प(डु क का शcद सुनाई दे ता है । 13 अंजीर पकने लगे हE , और दाखलताएं फूल रह: हE ; वे सुग(ध दे रह: हE । हे मेर: ूय, हे मेर: सु(दर:, उठकर च क आ। 14 हे मेर: कबूतर:, पहाड़ क दरारHम और ट:लHके कुGज म तेरा मुख मुझे दे खने दे , तेरा बोल मुझे सुनने दे , यHक तेरा बोल मीठा, और तेरा मुख अित सु(दर है । 15 जो छोट: लोमडय़ां दाख क बाgरयHको बगाड़ती हE , उ(ह पकड़ ले, यHक हमार: दाख क बाgरयHम फूल लगे हE ।। 16 मेरा ूमी मेरा है और मE उसक हंू , वह अप क भेड़-बकgरयHसोसन फूलHके बीच म चराता है । 17 जब तक दन ठ+डा न हो और छाया लSबी होते

होते िमट न जाए, तब तक हे मेरे ूेमी उस िचकारे वा जवान हgरण के समान बन जो बेतेर के पहाड़Hपर फरता है । ौेv गीत 3 1 रात के समय म अपके पलंग पर अपके ूाणूय को ढू ं ढ़ती रह:; मE उसे ढू ं ढ़ती तो रह:, पर(तु उसे न पाया; मE ने कहा, मE अब उठकर नगर म , 2 और सड़कHऔर चौकHम घूमकर अपके ूाणूय को ढू ं ढूंगी। मE उसे ढू ं ढती तो रह:, पर(तु उसे न पाया। 3 जो पहRए नगर म घूमते थे, वे मुझे िमले, मE ने उन से पूछा, या तुम ने मेरे ूाणूय को दे खा है ? 4 मुझ को उनके पास से आगे बढ़े योड़े ह: दे र हुई यी क मेरा ूाणूय मुझे िमल गया। मE ने उसको पकड़ िलया, और उसको जाने न दया जब तक उसे अप क मात के घर अयाOत ् अप क जननी क कोठर: म न ले आई।। 5 हे यRशलेम क पुऽयH, मE तुम से िचकाgरयHऔर मैदान क हgर'णयHक शपय धराकर कहती हंू , क जब तक ूेम आप से न उठे , तब तक उसको न उसकाओ और न जगाओ।। 6 यह या है जो धूएं के खSभे के समान, ग(धरस और लोबान से सुग'(धत, और eयोपार: क सब भांित क बुकनी लगाए हुए जंगल से िनकला आता है ? 7 दे खो, यह सुलम ै ान क पालक है ! उसके चारHओर इॐाएल के शूरवीरHम के साठ वीर चल रहे हE । 8 वे सब के सब तलवार बा(धनेवाले और युa वrा म िनपुण हE । ूथेक पुRष रात के डर से जांघ पर तलवार लटकाए रहता है । 9 सुलम ै ान राजा ने अपके िलथे लबानोन के काठ क एक बड़: पालक बनावा ली। 10 उस ने उसके खSभे चा(द: के, उसका िसरहाना सोने का, और गX: अगOवानी रं ग क बनवाई हे ; और उसके बीच का ःयान

यRशलेम क पुऽयHक ओर से बड़े ूेम से जड़ा गया है । 11 हे िसयोन क पुऽयHिनकलकर सुलम ै ान राजा पर l डालो, दे खो, वह वह: मुकुट पहने हुए है 'जसे उसक माता ने उसके ववाह के दन और उसके मन के आन(द के दन, उसके िसर पर रखा या।। ौेv गीत 4 1 हे मेर: ूय तू सु(दर है , तू सु(दर है ! तेर: आंख तेर: लटHके बीच म कबूतरHक सी दखाई दे ती है । तेरे बाल उन बकgरयHके फु+ड के समान हE जो िगलाद पहाड़ के ढाल पर लेट: हुई हH। 2 तेरे दा(त उन ऊन कतर: हुई भेड़Hके फु+ड के समान हE , जो नहाकर ऊपर आL हH, उन म हर एक के दो दो जुड़वा ब.चे होते हE । और उन म से कसी का साझी नह:ं मरा। 3 तेरे हHठ लाल रं ग क डोर: के समान हE , और तेरा मुह ं मनोहर है , तेरे कपोल तेर: लटHके नीचे अनार क फाँक से दे ख पड़ते हE । 4 तेरा गला दाऊद के गुSमट के समान है , जो अ\-श\ के िलथे बना हो, और 'जस पर हजार ढाल टं गी हुई हH, वे सब ढाल शूरवीरHक हE । 5 तेर: दोनHछाितयां मृग के दो जुड़वे ब.चHके तु`य हE , जो सोसन फूलHके बीच म चरते हH। 6 जब तक दन ठ+डा न हो, और छाया लSबी होते होते िमट न जाए, तब तक मE शीयता से ग(धरस के पहाड़ और लोबान क पहाड़: पर चला जाऊंगा। 7 हे मेर: ूय तू सवा{ग सु(दर: है ; तुझ म कोई दोष नह:ं। 8 हे मेर: द'ु `हन, तू मेरे संग लबानोन से, मेरे संग लबानोन से च क आ। तू आमाना क चोट: पर से, शनीर और हे मzन क चोट: पर से, िसहHक गुफाओं से, िचतHके पहाड़Hपर से l कर। 9 हे मेर: बहन, हे मेर: द'ु `हन, तू ने मेरा मन मोह िलया है , तू ने अप क आंखHक

एक ह: िचतवन से, और अपके गले के एक ह: ह:रे से मेरा ॑ृदय मोह िलया है । 10 हे मेर: बहन, हे मेर: द'ु `हन, तेरा ूेम या ह: मनोहर है ! ते रा ूेम दाखमधु से या ह: उम है , और तेरे इऽHका सुग(ध इस ूकार के मसालHके सुग(ध से! 11 हे मेर: द'ु `हन, तेरे होठHसे मधु टपकता है ; ते र: जीभ के नीचे मधु ओर दध ू रहता है ; तेर: जीभ के नीचे मधु और दध ू रहता है ; तेरे व\Hका सुग(ध लबानोन का सा है । 12 मेर: बहन, मेर: द'ु `हन, कवाड़ लगाई हुई बार: के समान, कवाड़ ब(द कया हुआ सोता, ओर छाप लगाया हुआ फरना है । 13 तेरे अंकुर उम फलवाली अनार क बार: के तु`य है , 'जस म म हद: और सुSबुल, 14 जटामासी और केसर, लोबान के सब भांित के पेड़, मुँक और दालचीनी, ग(धरस, अगर, आद सब मु‡य मु‡य सुग(धिeय होते हE । 15 तू बाgरयHका सोता है , फूटते हुए जल का कुआँ, और लबानोन से बहती हुई धाराएं हE ।। 16 हे उर वायु जाग, और हे द' खनी वायु च क आ! मेर: बार: पर बह, 'जस से उसका सुग(ध फैले। मेरा ूे मी अप क बार: म आथे, और उसके उम उम फल खाए।। ौेv गीत 5 1 हे मेर: बहन, हे मेर: द'ु `हन, मE अप क बार: म आया हंू , मE ने अपना ग(धरस और बलसान चुन िलया; मE ने मधु समेत छा खा िलया, मE ने दध ू और दाखमधु भी िलया।। हे िमऽH, तुम भी खाओ, हे €यारH, पयो, मनमाना पयो! 2 मE मोती यी, पर(तु मेरा मन जागता या। सुन! मेरा ूे मी खटखटाता है , और कहता है , हे मेर: बहन, हे मेर: ूय, हे मेर: कबूतर:, हे मेर: िनमOल, मेरे िलथे kार खोल; यHक मेरा िसर ओस से भरा है , और मेर: लट रात म िगर: हुई बू(दHसे

भीगी हE । 3 मE अपना व\ उतार चुक यी मE उसे फर कैसे पहनू?ं मE तो अपके पांव धो चुक यी अब उनको कैसे मैला कRं? 4 मेरे ूेमी ने अपना हाथ कवाड़ के छे द से भीतर डाल दया, तब मेरा ॑ृदय उसके िलथे उभर उठा। 5 मE अपके ूेमी के िलथे kार खोलने को उठq, और मेरे हाथHसे ग(धरस टपका, और मेर: अंगुिलयHपर से टपकता हुआ ग(धरस बे+डे क मूठHपर पड़ा। 6 मE ने अपके ूेमी के िलथे kार तो खोला पर(तु मेरा ूेमी मुड़कर चला गया या। जब वह बोल रहा या, तब मेरा ूाण घबरा गया या मE ने उसको ढू ं ढ़ा, पर(तु न पाया; मE ने उसको पुकारा, पर(तु उस ने कुछ उर न दया। 7 पहरे वाले जो नगर म घूमते थे, मुझे िमले, उ(हHने मुझे मारा और घायल कया; शहरपनाह के पहRओं ने मेर: चXर मुझ से छqन ली। 8 हे यRशलेम क पुऽयH, मE तुम को शपय धराकर कहती हूं, यद मेरा ूे मी तुमको िमल जाए, तो उस से कह दे ना क म ूेम म रोगी हंू । 9 हे '\यHम परम सु(दर: तेरा ूेमी और ूेिमयHसे कस बात म उम है ? तू यHहम को ऐसी शपय धराती है ? 10 मेरा ूेमी गोरा और लाल सा है , वह दस हजार म

उम है । 11 उसका िसर चोखा कु(दन है ; उसक लटकती हुई लट कौवHक नाई काली हE । 12 उसक आंख उन कबूतरHके समान हE जो दध ु म नहाकर नद: के कनारे अपके फु+ड म एक कतार से बैठे हुए हH। 13 उसके गाल फूलHक फुलवार: और बलसान क उभर: हुई याgरयां हE । उसके हHठ सोसन फूल हE 'जन से पघला हुआ ग(धरस टपकता है ।। 14 उसके हाथ फरोजा जड़े हुए सोने के कवाड़ हE । उसका शर:र नीलम के फूलHसे जड़े हुए हाथीदांत का काम है । 15 उसके पांव कु(दन पर बैठाथे हुए संगममOर के खSभे हE । वह दे खने म लबानोन और सु(दरता म दे वदार के वृझHके समान मनोहर है । 16 उसक वाणी अित

मधुर है , हां वह परम सु(दर है । हे यRशलेम क पुऽयो, यह: मेरा ूेमी और यह: मेरा िमऽ है ।। ौेv गीत 6 1 हे '\यHम परम सु(दर:, ते रा ूेमी कहां गया? तेरा ूे मी कहां चला गया क हम तेरे संग उसको ढू ं ढने िनकल ? 2 मेरा ूेमी अप क बार: म अयाOत ् बलसान क याgरयHक ओर गया है , क बार: म अप क भेड़-बकgरयां चराए और सोसन फूल बटोरे । 3 मE अपके ूेमी क हंू और मेरा ूेमी मरा है , वह अप क भेड़-बकgरयां सोसन फूलHके बीच चराता है । 4 हे मेर: ूय, तू ितसाO क नाई सु(दर: है तू यRशलेम के समान Rपवान है , और पताका फहराती हुई सेना के तु`य भयंकर है । 5 अप क आंख मेर: ओर से फेर ले, यHक मE उन से घबराता हंू ; तेरे बाल ऐसी बकgरयHके फु+ड के समान हE , जो िगलाद क ढलान पर लेट: हुई दे ख पड़ती हH। 6 तेरे दांत ऐसी भेड़Hके फु+ड के समान हE 'ज(ह ःनान कराया गया हो, उन म ूथेक दो दो जुड़वा ब.चे दे ती हE , 'जन म से कसी का सायी नह:ं मरा। 7 तेरे कपोल तेर: लटHके नीचे अनार क फाँक से दे ख पड़ते हE । 8 वहां साठ रािनयां और अःसी रखेिलयां और असं‡य कुमाgरयां भी हE । 9 पर(तु मेर: कबूतर:, मेर: िनमOल, अkै त है अप क माता क एकलौती अप क जननी क दल ु ार: है । पुऽयHने उसे दे खा और ध(य कहा; रािनयHऔर रखेिलयHने दे खकर उसक ूशंसा क। 10 यह कौन है 'जसक शोभा भोर के तु`य है , जो सु(दरता म

च(िमा और िनमOलता म सूयO और पताका फहराती हुई सेना के तु`य भयंकर दखाई पड़ती है ? 11 मE अखरोट क बार: म उर गई, क तराई के फूल दे खूं, और

दे खूं क दाखलता म किलथ लगीं, और अनारHके फूल 'खले क नह:ं। 12 मुझे पता भी न या क मेर: क`पना ने मुझे अपके राजकुमार के रय पर चढ़ा दया।। 13 लौट आ, लौट आ, हे शूल'Sमन, लौट आ, लौट आ, क हम तुझ पर l कर ।। या तुम शूले'Sमन को इस ूकार दे खोगे जैसा महनैम के नृय को दे खते हो? ौेv गीत 7 1 हे कुलीन क पुऽी, ते रे पांव जूितयHम या ह: सु(दर हE ! तेर: जांघHक गोलाई ऐसे गहनHके समान है , 'जसको कसी िनपुण कार:गर ने रचा हो। 2 ते र: नािभ गोल कटोरा है , जो मसाला िमले हुए दाखमधु से पूणO हो तेरा पे ट गेहंू के ढे र के समान है 'जसके चहुँओर सोसन फूल हH। 3 तेर: दोनHछाितयां मृगनी के दो जुड़वे ब.चHके समान हE । 4 तेरा गला हाथीदांत का गुSमट है । ते र: आंख हे शबोन के उन कु(डHके समान हE , जो बऽcबीम के फाटक के पास हE । तेर: नाक लबानोन के गुSमट के तु`य है , 'जसका मुख दिमँक क ओर है । 5 ते रा िसर तुझ पर कमल के समान शोभायमान है , और तेरे सर क लट अगOवानी रं ग के व\ के तु`य है ; राजा उन लआओं म बंधआ ु हो गया है । 6 हे ूय और मनभावनी कुमार:, तू कैसी सु(दर और कैसी मनोहर है ! 7 ते रा ड:ल डौल खजूर के समान शानदार है और तेर: छाितयां अंगूर के गु.छHके समान हE ।। 8 मE ने कहा, मE इस खजूर पर चढ़कर उसक डािलयHको पकडू ं गा। तेर: छाितयां अंगूर के गु.छे हो, और तेर: ास का सुग(ध सेबHके समान हो, 9 और ते रे चुSबन उम दाखमधु के समान हE जो सरलता से ओठHपर से धीरे धीरे बह जाती है ।। 10 मE अप क ूेमी क हंू । और

उसक लालसा मेर: ओर िनत बनी रहती है । 11 हे मेरे ूेमी, आ, हम खेतHम

िनकल जाएं और गांवHम रह ; 12 फर सबेरे उठकर दाख क बाgरयHम चल , और दे ख क दाखलता म किलथ लगी हE क नह:ं, क दाख के फूल 'खल हE या नह:ं, और अनार फूले हE वा नह:ं वहां मE तुझ को अपना ूेम दखाऊंगी। 13 दोदाफलHसे सुग(ध आ रह: है , और हमारे kारHपर सब भांित के उम फल हE , नथे और पुराने भी, जो, हे मेरे ूेमी, मE ने तेरे िलथे इक=ठे कर रखे हE ।। ौेv गीत 8 1 भला होता क तू मेरे भाई के समान होता, 'जस ने मेर: माता क छाितयHसे दध ू पया! तब मE तुझे बाहर पाकर तेरा चुSबन लेती, और कोई मेर: िन(दा न करता। 2 मE तुझ को अप क माता के घर ले चलती, और वह मुझ को िसखाती, और मE तुझे मसाला िमला हुआ दाखमघु, और अपके अनारHका रस पलाती। 3 काश, उसका बायां हाथ मेरे िसर के नीचे होता, और अपके दहने हाथ से वह मेरा आिलंगन करता! 4 हे यRशलेम क पुऽयH, मE तुम को शपय धराती हंू , क तुम मेरे ूेमी को न जगाना जब तक वह ःवयं न उठना चाहे ।। 5 यह कौन है जो अपके ूेमी पर टे क लगाथे हुए जंगल से च क आती है ? सेब के पेड़ के नीचे मE ने तुझे जगया। वहां तेर: माता ने तुझे ज(म दया वहां तेर: माता को पीड़ाएं उठqं।। 6 मुझे नगीने क नाL अपके ॑ृदय पर लगा रख, और ताबीज क नाई अप क बांह पर रख; यHक ूेम मृयु के तु`य सामयh है , और ईषाO कॄ के समान िनदO यी है । उसक Gवाला अ'bन क दमक है वरन परमे र ह: क Gवाला है । 7 पानी क बाढ़ से भी ूेम नह:ं बुफ सकता, और न महानदHसे डू ब सकता है । यद

कोई अपके घर क सार: सSप ूेम क स(ती दे दे तौभी वह अय(त तु.छ ठहरे गी।। 8 हमार: एक छोट: बहन है , 'जसक छाितयां अभी नह:ं उभर:। 'जस दन हमार: बहन के cयाह क बात लगे, उस दन हम उसके िलथे या कर ? 9 यद वह शहरपनाह हो तो हम उस पर चा(द: का कंगूरा बनाएंगे; और यद वह फाटक का कवाड़ हो, तो हम उस पर दे वदाR क लकड़: के पटरे लगाएंगे।। 10 मE शहरपनाह यी और मेर: छाितयां उसके गुSमट; तब मE अपके ूेमी क l म

शा'(त लानेवाले के नाL यी।। 11 बा`हामोन म सुलम ै ान क एक दाख क बार: यी; उस ने वह दाख क बार: रखवालHको सxप द:; हर एक रखवाले को उसके फलHके िलथे चा(द: के हजार हजार टु कड़े दे ने थे। 12 मेर: िनज दाख क बार: मेरे ह: िलथे है ; हे सुलम ै ान, हजार तुझी को और फल के रखवालHको दो सौ िमल ।। 13 तू जो बाgरयHम रहती है , मेरे िमऽ ते रा बोल सुनना चाहते हE ; उसे मुझे भी सुनने दे ।। 14 हे मेरे ूे मी, शीयता कर, और सुग(धिeयHके पहाड़Hपर िचकारे वा जवान हgरण के नाई बन जा।। यशायाह 1 1 आमोस के पुऽ यशायाह का दशOन, 'जसको उस ने यहूदा और यRशलेम के वषय म उ'Gजयाह, योताम, आहाज, और हजकयाह नाम यहूदा के राजाओं के दनHम पाया। 2 हे ःवगO सुन, और हे पृवी कान लगा; यHक यहोवा कहता है : मE ने बालब.चHका पालन पोषण कया, और उनको बढ़ाया भी, पर(तु उ(हHने मुझ से बलवा कया। 3 बैल तो अपके मािलक को और गदहा अपके ःवामी क चरनी को पहचानता है , पर(तु इॐाएल मुझ नह:ं जानता, मेर: ूजा वचार नह:ं

करती।। 4 हाथ, यह जाित पाप से कैसी भर: है ! यह समाज अधमO से कैसा लदा हुआ है ! इस वंश के लोग कैसे कुकमh हE , थे लड़केबाले कैसे बगड़े हुए हE ! उ(हHने यहोवा को छोड़ दया, उ(हHने इॐाएल के पवऽ को तु.छ जाना है ! वे पराए बनकर दरू हो गए हE ।। 5 तुम बलवा कर करके यHअिधक मार खाना चाहते हो? तुSहारा िसर घावHसे भर गया, और तुSहारा ॑ृदय द:ु ख से भरा है । 6 नख से िसर तक कह:ं भी कुछ आरोbयता नह:ं, केवल चोट और कोड़े क मार के िच(ह और सड़े हुए घाव हE जो न दबाथे गए, न बा(धे गए, न तेल लगाकर नरमाथे गए हE ।। 7 तुSहारा दे श उजड़ा पड़ा है , तुSहारे नगर भःम हो गए हE ; तुSहारे खेतHको परदे शी लोग तुSहारे दे खते ह: िनगल रहे हE ; वह परदे ँयथ से नाश कए हुए दे श के समान उजाड़ है । 8 और िसयोन क बेट: दाख क बार: म क फोप क क नाL छोड़ द: गई है , वा ककड़: के खे त म क छपgरया या िघरे हुए नगर के समान अकेली खड़: है । 9 यद सेनाओं का यहोवा हमारे योड़े से लोगHको न बचा रखता, तो हम सदोम के समान हो जाते , और अमोरा के समान ठहरते।। 10 हे सदोम के (याइयH, यहोवा का वचन सुनो! हे अमोरा क ूजा, हमारे परमे र क िशझा पर कान लगा। 11 यहोवा यह कहता है , तुSहारे बहुत से मेलबिल मेरे कस काम के हE ? मE तो मेढ़Hके होमबिलयHसे और पाले हुए पशुओं क चबh से अघा गया हंू ; 12 मE बछड़Hवा भेड़ के ब.चHवा बकरHके लोहू से ूस(न नह:ं होता।। तुम जब अपके मुह ं मुझे दखाने के िलथे आते हो, तब यह कौन चाहता है क तुम मेरे आंगनHको पांव से रxदो? 13 eययO अ(नबिल फर मत लाओ; धूप से मुझे घृणा है । नथे चांद और वौमदन का मानना, और सभाओं का ूचार करना, यह मुझे बुरा लगता है । महासभा के साय ह: साय अनयO काम करना मुझ से सहा नह:ं जाता। 14

तुSहारे नथे चांदHऔर िनयत पवJके मानने से मE जी से बैर रखता हंू ; वे सब मुझे बोफ से जान पड़ते हE , मE उनको सहते सहते उकता गया हूं। 15 जब तुम मेर: ओर हाथ फैलाओ, तब मE तुम से मुह ं फेर लूग ं ा; तुम कतनी ह: ूायOना यHन करो, तौभी मE तुSहार: न सुनग ूं ा; यHक तुSहारे हाथ खून से भरे हE । 16 अपके को धोकर पवऽ करो: मेर: आंखHके साSहने से अपके बुरे कामHको दरू करो; भवंय म बुराई करता छोड़ दो, 17 भलाई करना सीखो; य^ से (याय करो, उपिवी को सुधारो; अनाय का (याय चुकाओ, वधवा का मुकXमा लड़ो।। 18 यहोवा कहता है , आओ, हम आपस म वादववाद कर : तुSहारे पाप चाहे लाल रं ग के हH, तौभी वे हम क नाL उजले हो जाएंगे; और चाहे अगOवानी रं ग के हH, तौभी वे ऊन के समान ेत हो जाएंगे। 19 यद तुम आWाकार: होकर मेर: मानो, 20 तो इस दे श के उम से उम पदायै खाओगे; और यद तुम ने मानो और बलवा करो, तो तलवार से मारे जाओगे; यहोवा का यह: वचन है ।। 21 जो नगर: सती यी सो यHकर eयिभचाgरन हो गई! वह (याय से भर: यी और उस म धमO पाया जाता या, पर(तु अब उस म हयारे ह: पाए जाते हE । तेर: चा(द: घातु का मैल हो गई, 22 तेरे दाखमधु म पानी िमल गया है । 23 तेरे हाकम हठqले और चोरHसे िमले हE । वे सब के सब घूस खानेवाले और भ ट के लालची हE । वे अनाय का (याय नह:ं करते, और न वधवा का मुकXमा अपके पास आने दे ते हE । 24 इस कारण ूभु सेनाओं के यहोवा, इॐाएल के शfमान क यह वाणी है : सुनो, मE अपके शऽुओं को दरू करके शा'(त पाऊंगा, और अपके बैgरयHसे पलटा लूग ं ा। 25 और मE तुम पर हाथ बढ़ाकर तुSहारा धातु का मैल पूर: र:ित से दरू कRंगा। 26 और मE तुम म

पहले क नाL (यायी और आद काल के समान मंऽी फर िनयुf कRंगा। उसके

बाद तू धॆपुर: और सती नगर: कहलाएगी।। 27 िसयोन (याय के kारा, और जो उस म फर गे वे धमO के kारा छुड़ा िलए जाएंगे। 28 पर(तु बलवाइयHऔर पापयHका एक संग नाश होगा, और 'ज(हHने यहोवा को (यागा है , उनका अ(त हो जाएगा। 29 यHक 'जन बांजवृझHसे तुम ूीित रखते थे, उन से वे ल'Gजत हHगे, और 'जन बाgरयHसे तुम ूस(न रहते थे, उसके कारण तुSहारे मुह ं काले हHगे। 30 यHक तुम पे मुफाOए हुए बांजवृझ के, और बना जल क बार: के समान हो जाओगे । 31 और बलवान तो सन और उसका काम िचंगार: बनेगा, और दोनHएक साय जल गे, और कोई बुफानेवाला न होगा।। यशायाह 2 1 आमोस के पुऽ यशायाह का वचन, जो उस ने यहूदा और यRशलेम के वषय म

दशOन म पाया।। 2 अ(त के दनHम ऐसा होगा क यहोवा के भवन का पवOत सब पहाड़Hपर lढ़ कया जाएगा, और सब पहाडय़Hसे अिधक ऊंचा कया जाएगा; और हर जाित के लागे धारा क नाई उसक ओर चल ग । 3 और बहुत दे शHके लागे आएंगे, और आपस म कह गे: आओ, हम यहोवा के पवOत पर चढ़कर, याकूब के परमे र के भवन म जाएं; तब वह हमको अपके मागO िसखाएगा, और हम उसके पयHपर चल गे। यHक यहोवा क eयवःया िसयोन से, और उसका वचन यRशलेम से िनकलेगा। 4 वह जाित जाित का (याय करे गा, और दे श दे श के लोगHके फगड़Hको िमटाएगा; और वे अप क तलवार पीटकर हल के फाल और अपके भालHको हं िसया बनाएंगे; तब एक जाित दस ू र: जाित के वRa फर तलवार न चलाएगी, न लोग भवंय म युa क वrा सीख गे।। 5 हे याकूब के

घराने, आ, हम यहोवा के ूकाश म चल ।। 6 तू ने अप क ूजा याकूब के घराने को याग दया है , यHक वे पूवयJके eयवहार पर तन मन से चलते और पिल'ँतयHक नाई टोना करते हE , और परदे िशयHके साय हाथ िमलाते हE । 7 उनका दे श चा(द: और सोने से भरपूर है , और उनके रय अनिगिनत हE । 8 उनका दे श मूरतHसे भरा है ; वे अपके हाथHक बनाई हुई वःतुओं को 'ज(ह उनहHने अप क उं गिलयHसे संवारा है , द+डवत ् करते हE । 9 इस से मनुंय फुकते, और बड़े मनुंय ूणाम करते हE , इस कारण उनको झमा न कर! 10 यहोवा के भय के कारण और उसके ूताप के मारे च=टान म घुस जा, और िम=ट: म िछप जा। 11 यHक आदिमयHक घम+ड भर: आंख नीची क जाएंगी और मनुंयHका घम+ड दरू कया जाएगा; और उस दन केवल यहोवा ह: ऊंचे पर वराजमान रहे गा।। 12 यHक सेनाओं के यहोवा का दन सब घम'+डयHऔर ऊंची गदO नवालHपर और उ(नित से फूलनेवालHपर आएगा; और वे फुकाए जाएंगे; 13 और लबानोन के सब दे वदारHपर जो ऊंचे और बड़ हE ; 14 बासान के सब बांजवृझHपर; और सब ऊंचे पहाड़Hऔर सब ऊंची पहाडय़Hपर; 15 सब ऊंचे गुSमटHऔर सब lढ़ शहरपनाहHपर; 16 तशhश के सब जहाजHऔर सब सु(दर िचऽकार: पर वह दन आता है । 17 और मनुंय का गवO िमटाया जाएगा, और मनुंयHका घम+ड नीचा कया जाएगा; और उस दन केवल यहोवा ह: ऊंचे पर वराजमान रहे गा। 18 और मूरत सब क सब न हो जाएंगी। 19 और जब यहोवा पृवी के क'Sपत करने के िलथे उठे गा, तब उसके भय के कारण और उसके ूताप के मारे लोग च=टानHक गुफाओं और भूिम के बलHम जा घुस गे।। 20 उस दन लोग अप क चा(द:-सोने क मूरतHको 'ज(ह उ(हHने द+डवत ् करने के िलथे बनाया या, छछू(दरHऔर

चमगीदड़Hके आगे फ क गे, 21 और जब यहोवा पृवी को क'Sपत करने के िलथे उठे गा तब वे उसके भय के कारण और उसके ूताप के मारे च=टानHक दरारHओर पहाडय़Hके छे दHम घुस गे। 22 सो तुम मनुंय से पके रहो 'जसक ास उसके नयनHम है , यHक उसका मू`य है ह: या? यशायाह 3 1 सुनH, ूभु सेनाओं का यहोवा यRशलेम और यहूदा का सब ूकार का सहारा और िसरहाना अयाOत ् अ(न का सारा आधार, और जल का सारा आधार दरू कर दे गा; 2 और वी और योaा को, (यायी और नबी को, भावी वfा और वृa को, पचास िसपाहयHके सरदार और ूितvत पुRष को, 3 म(ऽी और चतुर कार:गर को, और िनपुण टो(हे को भी दरू कर दे गा। 4 और मE लड़कHको उनके हाकम कर दं ग ू ा, और ब.चे उन पर ूभुता कर गे। 5 और ूजा के लागे आपस म एक दस ू रे पर, और हर एक अपके पड़ोसी पर अंधेर कर गे; और जवान वृa जनHसे और नीच जन माननीय लोगHसे अस•यता का eयवहार कर गे।। 6 उस समय जब कोई पुRष अपके पता के घर म अपके भाई को पकड़कर कहे गा क ते रे पास तो व\ है , आ हमारा (यायी हो जा और इस उजड़े दे श को अपके वश म कर ले; 7 तब वह शपय खाकर कहे गा, मE चंगा करनेहारा न हंू गा; यHक मेरे घर म न तो रोट: है और न कपके; इसिलथे तुम मुझे ूजा का (यायी नह:ं िनयुf कर सकोगे। 8 यRशलेम तो डगमगाया और यहूदा िगर गया है ; यHक उनके वचन औौ ् उनके काम यहोवा के वRa हE , जो उसक तेजोमय आंखHके साSहने बलवा करनेवाले ठहरे हE ।। 9 उनका िचहरा भी उनके वRa साझी दे ता है ; वे सदोिमयHक नाई

अपके आप को आप ह: बखानते और नह:ं िछपाते हE । उन पर हाथ! यHक उ(हHने अप क हािन आप ह: क है । 10 धिमयJसे कहो क उनका भला होगा, यHक उसके कामHका फल उसको िमलेगा। 11 द ु पर हाय!उसका बुरा होगा, यHक उसके कामH का फल उसको िमलेगा। 12 मेर: ूजा पर ब.चे अंधेर करते और '\यां उन पर ूभुता करती हE । हे मेर: ूजा, ते रे अगुव तुझे भटकाते हE , और तेरे चलने का मागO भुला दे ते हE ।। 13 यहोवा दे श दे श के लोगHसे मुकXमा लड़ने और उनका (याय करने के िलथे खड़ा है । 14 यहोवा अप क ूजा के वृa और हाकमHके साय यह ववाद करता है , तुम ह: ने बार: क दाख खा डाली है , और द:न लोगHका धन लूटकर तुम ने अपके घरHम रखा है । 15 सेनाओं के ूभु यहोवा क यह वाणी है , तुम यHमेर: ूजा को दलते, और द:न लोगHको पीस डालते हो! 16 यहोवा ने यह भी कहा है , यHक िसयोन क '\यां घम+ड करतीं और िसर ऊंचे कथे आंख मटकातीं और घुघ ं R ु ओं को छमछमाती हुई ठु मुक ठु मुक चलती हE , 17 इसिलथे ूभु यहोवा उनके िसर को गंजा करे गा, और उनके तन को उघरवाएगा।। 18 उस समय ूभु घुघ ं R ु ओं, जािलयH, 19 चंिहारH, फुमकH, कड़H, घूघ ं टH, 20 पगडय़H, पैकgरयH, पटु कH, सुग(धपाऽH, ग+डH, 21 अंगूठयH, नयH, 22 सु(दर वH, कुयH, चXरH, बटु ओं, 23 दपOणH, मलमल के वH, बु'(दयH, दप ु =टHइन सभHक शोभा को दरू करे गा। 24 और सुग(ध क स(ती सड़ाहट, सु(दर कघOनी क स(ती ब(धन क रःसी, गुंथ हुए बालHक स(ती गंजापन, सु(दर पटु के क स(ती टाट क पेट:, और सु(दरता क स(ती दाग हHगे। 25 तेरे पुRष तलवार से, और शूरवीर युa मे मारे जाएंगे। 26 और उसके फाटकHम सांस भरना और वलाप करना होगा; और भूिम पर अकेली बैठq रहे गी।

यशायाह 4 1 उस समय सात '\यां एक पुRष को पकड़कर कह गी क रोट: तो हम अप क ह: खाएंगी, और व\ अपके ह: पहन गी, केवल हम तेर: कहलाएं; हमार: नामधराई को दरू कर।। 2 उस समय इॐाएल के बचे हुओं के िलथे यहोवा का प`लव, भूषण और महमा ठहरे गा, और भूिम क उपज, बड़ाई और शोभा ठहरे गी। 3 और जो कोई िसयोन म बचा रहे , और यRशलेम म रहे , अयाOत ् यRशलेम म 'जतनHके नाम जीवनपऽ म िलखे हH, वे पवऽ कहलाएंगे। 4 यह तब होगा, जब ूभु (याय करनेवाली और भःम करनेवाली आमा के aारा िसयोन क '\यHके मल को धो चुकेगा और यRशलेम के खून को दरू कर चुकेगा। 5 तब यहोवा िसयोन पवOत के एक एक घर के ऊपर, और उसके सभाःयनHके ऊपर, दन को तो धूए ं का बादल, और रात को धधकती आग का ूकाश िसरजेगा, और समःत वभव के ऊपर एक म+डप छाया रहे गा। 6 वह दन को घाम से बचाने के िलथे और आंधी-पानी और फड़: म एक शरण और आड़ होगा।। यशायाह 5 1 अब मE अपके ूय के िलथे और उसक दाख क बार: के वषय म गीत गाऊंगा: एक अित उपजाऊ ट:ले पर मेरे ूय क एक दाख क बर: यी। 2 उस ने उसक िम=ट: खोद: और उसके पयर बीनकर उस म उम जाित क एक दाखलता लगाई; उसके बीच म उस ने एक गुSमट बनाया, और दाखरस के िलथे एक कु+ड भी खोदा; तब उस ने दाख क आशा क, पर(तु उस म िनकSमी दाख ह: लगीं।।

3 अब हे यRशलेम के िनवािसयHऔर हे यहूदा के मनुंयH, मेरे और मेर: दाख क बार: के बीच (याय करो। 4 मेर: दाख क बार: के िलथे और या करना रह गया जो मE ने उसके िलथे न कया हो? फर या कारण है क जब मE ने दाख क आशा क तब उस म िनकSमी दाख लगीं? 5 अब मE तुम को जताता हंू क अप क दाख क बार: से या कRंगा। मE उसके कांटेवाले बाड़े को उखाड़ दं ग ू ा क वह चट क जाए, और उसक भीत को ढा दं ग ू ा क वह रxद: जाए। 6 मE उसे उजाड़ दं ग ू ा; वह न तो फर छांट: और न खोद: जाएगी और उस म भांित भांित के कट:ले पेड़ उग गे; मE मेघHको भी आWा दं ग ू ा क उस पर जल न बरसाएं।। 7 यHक सेनाओं के यहोवा क दाख क बार: इॐाएल का घराना, और उसका मनभाऊ पौधा यहूदा के लोग है ; और उस ने उन म (याय क आशा क पर(तु अ(याय दे ख पड़ा; उस ने धमO क आशा क, पर(तु उसे िच`लाहट ह: सुन प क! 8 हाथ उन पर जो घर से घर, और खेत से खे त यहां तक िमलाते जाते हE क कुछ ःयान नह:ं बचता, क तुम दे श के बीच अकेले रह जाओ। 9 सेनाओं के यहोवा ने मेरे सुनते कहा है : िन_य बहुत से घर सुनसान हो जाएंगे, और बड़ बड़े और सु(दर घर िनजOन हो जाएंगे। 10 यHक दस बीघे क दाख क बार: से एक ह: बत दाखमधु िमलेगा, और होमेर भर के बीच से एक ह: एपा अ(न उप(न होगा।। 11 हाथ उन पर जो बड़े तड़के उठकर मदरा पीने लगते हE और बड़: रात तक दाखमधु पीते रहते हE जब तक उनको गमh न चढ़ जाए! 12 उनक जेवनारHम वीणा, सारं गी, डफ, बांसली और दाखमधु, थे सब पाथे जाते हE ; पर(तु वे यहोवा के कायO क ओर l नह:ं करते, और उसके हाथHके काम को नह:ं दे खते ।। 13 इसिलथे अWानता के कारण मेर: ूजा बंधआ ु ई म जाती है , उसके ूितvत पुRष भूखHमरते और

साधारण लोग €यास से cयाकुल होते हE । 14 इसिलथे अधोलोक ने अय(त लालसा करके अपना मुह ं बेपgरमाण पसारा है , और उनका वभव और भीड़ भाड़ और आन(द करनेवाले सब के सब उसके मुह ं म जा पड़ते हE । 15 साधारण मनुंय दबाए जाते और बड़े मनुंय नीचे कए जाते हE , और अिभमािनयHक आंख नीची क जाती हE । 16 पर(तु सेनाओं का यहोवा (याय करने के कारण महान ठहरता, और पवऽ परमे र धमh होने के कारण पवऽ ठहरता है ! 17 तब भेड़Hके ब.चे मानो अपके खेत म चर गे, पर(तु ॑ृपुHके उजड़े ःयान परदे िशयHको चराई के िलथे िमल गे।। 18 हाथ उन पर जो अधमO को अनयO क र'ःस कH और पाप को मानो गाड़: के रःसे से खींच ले आते हE , 19 जो कहते हE , वह फुतh करे और अपके काम को शीय करे क हम उसको दे ख ; और इॐाएल के पवऽ क युf ूगट हो, वह िनकट आए क हम उसको समझ ! 20 हाथ उन पर जो बुरे को भला और भले को बुरा कहते, जो अंिध कारने को उ'जयाला और उ'जयाले को अंिध कारनेा ठहराते, और कडु वे को मीठा और मीठे को कड़वा करके मानते हE ! 21 हाथ उन पर जो अप क l म Wानी और अपके लेखे बुaमान हE ! 22 हाथ उन पर जो दाखमधु पीने म वीर और मदरा को तेज बनाने म बहादरु हE , 23 जो घूस लेकर द ु Hको िनदzष, और िनदzषHको दोषी ठहराते हE ! 24 इस कारण जैसे अ'bन क लौ से खूंट: भःम होती है और सूखी घास जलकर बैठ जाती है , वैसे ह: उनक जड़ सड़ जाएगी और उनके फूल धूल होकर उड़ जाएंगे; यHक उ(हHने सेनाओं के यहोवा क eयवःया को िनकSमी जाना, और इॐाएल के पवऽ के वचन को तु.छ जाना है । 25 इस कारण यहोवा का बोध अप क ूजा पर भड़का है , और उस ने उनके वRa हाथ बढ़ाकर उनको मारा है ,

और पहाड़ कांप उठे ; और लोगHक लोथ सड़कHके बीच कूड़ा सी प क हE । इतने पर भी उसका बोध शा(त नह:ं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है ।। 26 वह दरू दरू क जाितयHके िलथे फ+डा खड़ा करे गा, और सींट: बजाकर उनको पृवी क छोर से बुलाएगा; दे खो, वे फुतh करके वेग से आएंगे! 27 उन म कोई यका नह:ं न कोई ठोकर खाता है ; कोई ऊंघने वा सोनेवाला नह:ं, कसी का फ टा नह:ं खुला, और कसी के जूतHका ब(धन नह:ं टू टा; 28 उनके तीर चोखे और धनुष चढ़ाए हुए हE , उनके घोड़Hके खुर वळ के से और रयHके पहथे बव+डर सर:खे हE । 29 वे िसंह वा जवान िसंह क नाई गरजते हE ; वे गुराOकर अहे र को पकड़ लेते और उसको ले भागते हE , और कोई उसे उन से नह:ं छुड़ा सकता। 30 उस समय वे उन पर समुि के गजOन क नाई गजगे और यद कोई दे श क ओर दे खे, तो उसे अ(धकार और संकट दे ख पकेगा और Gयोित मेघHसे िछप जाएगी।। यशायाह 6 1 'जस वषO उ'Gजयाह राजा मरा, मE ने ूभु को बहुत ह: ऊंचे िसंहासन पर वराजमान दे खा; और उसके व\ के घेर से म'(दर भर गया। 2 उस से ऊंचे पर साराप दखाई दए; उनके छ: छ: पंख थे; दो पंखHसे वे अपके मुह ं को ढांपे थे और दो से अपके पांवHको, और दो से उड़ रहे थे। 3 और वे एक दस ू रे से पुकार पुकारकर कह रहे थे: सेनाओं का यहोवा पवऽ, पवऽ, पवऽ है ; सार: पृवी उसके तेज से भरपूर है । 4 और पुकारनेवाले के शcद से डे वढय़Hक नेव डोल उठqं, और भवन धूए ं से भर गया। 5 तब मE ने कहा, हाथ! हाथ! मE नाश हूआ; यHक मE अशुa हHठवाला मनुंय हंू , और अशुa हHठवाले मनुंयHके बीच म रहता हंू ; यHक मE ने

सेनाओं के यहोवा महाराजािधराज को अप क आंखHसे दे खा है ! 6 तब एक साराप हाथ म अंगारा िलए हुए, 'जसे उस ने िचमटे से वेद: पर से उठा िलया या, मेरे पास उड़ कर आया। 7 और उस ने उस से मेरे मुह ं को छूकर कहा, दे ख, इस ने तेरे हHठHको छू िलया है , इसिलय तेरा अधमO दरू हो गया और ते रे पाप झमा हो गए। 8 तब मE ने ूभु का यह वचन सुना, मE कस को भ जूं, और हमार: ओर से कौन जाएगा? तब मE ने कहा, मE यहां हूं! मुझे भेज 9 उस ने कहा, जा, और इन लोगHसे कह, सुनते ह: रहो, पर(तु न समझो; दे खते ह: रहो, पर(तु न बूफो। 10 तू इन लोगHके मन को मोटे और उनके कानHको भार: कर, और उनक आंखHको ब(द कर; ऐसा न हो क वे आंखHसे दे ख , और कानHसे सुन , और मन से बूफ , और मन फराव और चंगे हो जाएं। 11 तब मE ने पूछा, हे ूभु कब तक? उस ने कहा, जब तक नगर न उजड़े और उन म कोई रह न जाए, और घरHम कोई मनुंय न रह जाए, और दे श उजाड़ और सुनसान हो जाए, 12 और यहोवा मनुंयHको उस म

से दरू कर दे , और दे श के बहुत से ःयान िनजOन हो जाएं। 13 चाहे उसके िनवािसयHका दसवां अंश भी रह जाए, तौभी वह नाश कया जाएगा, परनतु जैसे छोटे वा बड़े बांजवृझ को काट डालने पर भी उसका ठूं ठ बना रहता है , वैसे ह: पवऽ वंश उसका ठूं ठ ठहरे गा।। यशायाह 7 1 यहूदा का राजा आहाज जो योताम का पुऽ और उ'Gजयाह का पोता या, उसके दनHम आराम के राजा रसीन और इॐाएल के राजा रम`याह के पुऽ पेकह ने यRशलेम से लड़ने के िलथे चढ़ाई क, पर(तु युa करके उन से कुछ बन न पड़ा 2

जब दाऊद के घराने को यह समाचार िमला क अरािमयHने एूैिमयHसे स'(ध क है , तब उसका और ूजा का भी मन ऐसा कांप उठा जैसे वन के वृझ वायु चलने से कांप जाते हE । 3 तब यहोवा ने यशायाह से कहा, अपके पुऽ शायाOशब ू को लेकर धोबयHके खेत क सड़क से ऊपरली पोखरे क नाली के िस के पर आहाज से भ ट करने के िलथे जा, 4 और उस से कह, सावधान और शा(त हो; और उन दोनHधूआ ं ं िनकलती लुकटयHसे अयाOत ् रसीन और अरािमयHके भड़के हुए कोप से, और रम`याह के पुऽ से मत डर, और न तेरा मन क.चा हो। 5 यांक अरािमयHऔर रम`याह के पुऽ समेत एूैिमयHने यह कहकर तेरे वRa बुर: युf ठानी है क आओ, 6 हम यहूदा पर चढ़ाई करके उसको घबरा द , और उसको अपके वश म

लाकर ताबेल के पुऽ को राजा िनयुf कर द । 7 इसिलथे ूभु यहोवा ने यह कहा है क यह युf न तो सफल होगी और न पूर:। 8 यHक आराम का िसर दिमँक, ओर दिमँक का िसर रसीन है । फर एूैम का िसर शोमरोन और शोमरोन का िसर रम`याह का पुऽ है । 9 पEसठ वषO के भीतर एूैम का बल इतना टू ट जाएगा क वह जाित बनी न रहे गी। यद तुम लोग इस बात क ूतीित न करो; तो िन_य तुम 'ःयर न रहोगे।। 10 फर यहोवा ने आहाज से कहा, 11 अपके परमे र यहोवा से कोई िच(ह मांग; चाहे वह गहरे ःयान का हो, वा ऊपर आसमान का हो। 12 आहाज ने कहा, मE नह:ं मांगने का, और मE यहोवा क प कझा नह:ं कRंगा। 13 तब उस ने कहा, हे दाऊद के घराने सुनो! या तुम मनुंयHको उकता दे ना छोट: बात समझकर अब मेरे परमे र को भी उकता दोगे? 14 इस कारण ूभु आप ह: तुम को एक िच(ह दे गा। सुनो, एक कुमार: गभOवती होगी और पुऽ जनेगी, और उसका नाम इSमानूएल रखेगी। 15 और जब

तक वह बुरे को यागना और भले को महण करना न जाने तब तक वह म खन और मधु खाएगा। 16 यHक उस से पहले क वह लड़का बुरे को यागना और भले को महण करना जाने, वह दे श 'जसके दोनHराजाओं से तू घबरा रहा है िनजOन हो जाएगा। 17 यहोवा तुझ पर, तेर: ूजा पर और ते रे पता के घराने पर ऐसे दनHको ले आएगा क जब से एूैम यहूदा से अलग हो गया, तब वे वैसे दन कभी नह:ं आए -- अयाOत ् अँशूर के राजा के दन ।। 18 उस समय यहोवा उन म' खयHको जो िमॐ क नदयHके िसरHपर रहती हE , और उन मधुम' खयHको जो अँशूर दे श म रहती हE , सीट: बजाकर बुलाएगा। 19 और वे सब क सब आकर इस दे श के पहाड़: नालHम , और च=टानHक दरारHम , और सब भटकटै यHऔर सब चराइयHपर बैठ जाएंगी।। 20 उसी समय ूभु महानद के पारवाले अँशूर के राजाRपी भाड़े के छूरे से िसर और पांवHके रHएं मूड़ ं े गा, उस से दाढ़: भी पूर: मुड़ ं जाएगी।। 21 उस समय ऐसा होगा क मनुंय केवल एक कलोर और दो भेड़Hको पालेगा; 22 और वे इतना दध ू द गी क वह म खन खाया करे गा; यHक 'जतने इस दे श म रह जाएंगे वह सब म खन और मधु खाया कर गे।। 23 उस समय 'जन 'जन ःयान म हजार टु कड़े चा(द: क हजार दाखलताएं हE , उन सब ःयान म कट:ले ह: कट:ले पेड़ हHगे । 24 तीर और धनुष लेकर लोग वहां जाया कर गे, यHक सरे दे श म कट:ले पेड़ हो जाएंगे; और 'जतने पहाड़ कुदाल से खोदे जाते हE , 25 उन सभHपर कट:ले पेड़Hके डर के मारे कोई न जाएगा, वे गाथे बैलHके चरने के, और भेड़ बकgरयHके रxदने के िलथे हHगे ।। यशायाह 8

1 फर यहोवा ने मुझ से कहा, एक बड़: पटया लेकर उस पर साधारण अझरHसे यह िलख: महे शाOला`हाशबज के िलथे। 2 और मE व ासयोbय पुRषHको अयाOत ् ऊgरयाह याजक और जेबेरे याह के पुऽ जकयाOह को इस बात क साझी कRंगा। 3 और मE अप क प^ी के पास गया, और वह गभOवती हुई और उसके पुऽ उप(न हुआ। तब यहोवा ने मुझ से कहा, उसका नाम महे शाOला`हाशबज रख; 4 यHक इस से पहले क वह लड़का बापू और माँ पुकारण जाने, दिमँक और शोमरोन दोनHक धन-सSप लूटकर अँशूर का राजा अपके दे श को भेजेगा।। 5 यहोवा ने फर मुझ से दस ू र: बार कहा, 6 इसिलथे क लोग शीलोह के धीरे धीरे बहनेवाले सोते को िनकSमा जानते हE , और रसीन और रम`याह के पुऽ के संग एका करके आन(द करते हE , 7 इस कारण सुन, ूभु उन पर उस ूबल और गहरे महानद को, अयाOत ् अँशूर के राजा को उसके सारे ूताप के साय चढ़ा लाएगा; और वह उनके सब नालHको भर दे गा और सारे कड़ाड़Hसे छलककर बहे गा; 8 और वह यहूदा पर भी चढ़ आएगा, और बढ़ते बढ़ते उस पर चढ़े गा और गले तक पहुंचेगा; और हे इSमानुएल, तेरा समःत दे श उसके पंखHके फैलने से ढं प जाएगा।। 9 हे लोगH, ह`ला करो तो करो, पर(तु तुSहारा सयानाश हो जाएगा। हे पृवी के दरू दरू दे श के सब लोगHकान लगाकर सुनो, अप क अप क कमर कसो तो कसो, पर(तु तुSहारे टु कड़े टु कड़े कए जाएंगे; अप क कमर कसो तो कसो, पर(तु तुSहारा सयानाश हो जाएगा। 10 तुम युf करो तो करो, पर(तु वह िनंफल हो जाएगी, तुम कुछ भी कहो, पर(तु तुSहारा कहा हुआ ठहरे गा नह:ं, यHक परमे र हमारे संग है ।। 11 यHक यहोवा lढ़ता के साय मुझ से बोला और इन लोगHक सी चाल चलने को मुझे मना कया, 12 और कहा, 'जस बात

को यह लोग राजिोह कह , उसको तुम राजिोह न कहना, और 'जस बात से वे डरते हE उस से तुम न डरना और न भय खाना। 13 सेनाओं के यहोवा ह: को पवऽ जानना; उसी का डर मानना, और उसी का भय रखना। 14 और वह शरणःयान होगा, पर(तु इॐाएल के दोनो घरानHके िलथे ठोकर का पयर और ठे स क च=टान, और यRशलेम के िनवािसयHके िलथे फ(दा और जाल होगा। 15 और बहुत से लोग ठोकर खाएंगे; वे िगर गे और चकनाचूर हHगे ; वे फ(दे म फस गे और पकड़े जाएंगे। 16 िचतौनी का पऽ ब(द कर दो, मेरे चेलHके बीच िशझा पर छाप लगा दो। 17 मE उस यहोवा क बाट जोहता रहंू गा जो अपके मुख ं को याकूब के घराने से िछपाथे है , और मE उसी पर आशा लगाए रहंू गा। 18 दे ख, मE और जो लड़के यहोवा ने मुझे सxपे हE , उसी सेनाओं के यहोवा क ओर से जो िसयोन पवOत पर िनवास कए रहता है इॐाएिलयHके िलथे िच(ह और चमकार हE । 19 जब लोग तुम से कह क ओफाओं और टो(हHके पास जाकर पूछो जो गुनगुनाते और फुसफुसाते हE , तब तुम यह कहना क या ूजा को अपके परमे र ह: के पास जाकर न पूछना चाहथे? या जीवतHके िलथे मुदJसे पूछना चाहथे? 20 eयवःया और िचतौनी ह: क चचाO कया करो! यद वे लोग इस वचनHके अनुसार न बोल तो िन_य उनके िलथे पौ न फटे गी 21 वे इस दे श म लेिशत और भूखे फरते रह गे; और जब वे भूखे हHगे , तब वे बोध म आकर अपके राजा और अपके परमे र को शाप द गे, और अपना मुख ऊपर आकाश क ओर उठाएंगे; 22 तब वे पृवी क ओर l कर गे पर(तु उ(ह सकेती और अ'(ध कारनेा अयाOत ् संकट भरा अ(धकार ह: दे ख पकेगा; और वे घोर अ(धकार म ढकेल दए जाएंगे।। यशायाह 9

1 तौभी संकट-भरा अ(धकार जाता रहे गा। पहले तो उस ने जबूलन ू और नTाली के दे शHका अपमान कया, पर(तु अ'(तम दनHम ताल क ओर यरदन के पार क अ(यजाितयHके गलील को महमा दे गा। 2 जो लोग अ'(ध कारने म चल रहे थे उ(हHने बड़ा उ'जयाला दे खा; और जो लोग घोर अ(धकार से भरे हुए मृयु के दे श म रहते थे, उन पर Gयोित चमक। 3 तू ने जाित को बढ़ाया, तू ने उसको बहुत आन(द दया; वे तेरे साSहने कटनी के समय का सा आन(द करते हE , और ऐसे मगन हE जैसे लोग लूट बांटने के समय मगन रहते हE । 4 यHक तू ने उसक गदO न पर के भार: जूए और उसके बहं गे के बांस, उस पर अंधेर करनेवाले क लाठq, इन सभHको ऐसा तोड़ दया है जेसे िमrािनयHके दन म कया या। 5 यHक युa म लड़नेवाले िसपाहयHके जूते और लोहू म लयड़े हुए कपके सब आग का कौर हो जाएंगे। 6 यHक हमारे िलथे एक बालक उप(न हुआ, हम

एक पुऽ दया गया है ; और ूभुता उसके कांधे पर होगी, और उसका नाम अmभुत युf करनेवाला पराबमी परमे र, अन(तकाल का पता, और शा'(त का राजकुमार रखा जाएगा। 7 उसक ूभुता सवOदा बढ़ती रहे गी, और उसक शा'(त का अ(त न होगा, इसिलथे व उसको दाऊद क राजगX:पर इस समय से लेकर सवOदा के िलथे (याय और धमO के kारा 'ःयर कए ओर संभाले रहे गा। सेनाओं के यहोवा क धुन के kारा यह हो जाएगा।। 8 ूभु ने याकूब के पास एक संदेश भेजा है , और वह इॐाएल पर ूगट हुआ है ; 9 और सार: ूजा को, एूैिमयHऔर शोमरोनवािस कH मालूम हो जाएगा जो गवO और कठोरता से बोलते हE : Lट तो िगर गई हE , 10 पर(तु हम गढ़ हुए पयरHसे घर बनाएंगे; गूलर के वृझ तो कट गए हE पर(तु हम उनक स(ती दे वदारHसे काम ल गे। 11 इस कारण यहोवा उन

पर रसीन के बैgरयHको ूबल करे गा, 12 और उनके शऽुओं को अयाOत ् पहले आराम को और तब पिल'ँतयHको उभारे गा, और वे मुह ं खोलकर इॐाएिलयHको िनगल ल गे। इतने पर भी उसका बोध शा(त नह:ं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है ।। 13 तौभी थे लोग अपके मारनेवाले क ओर नह:ं फरे और न सेनाओं के यहोवा क खोज करते हE । 14 इस कारण यहोवा इॐाएल म से िसर और पूंछ को, खजूर क डािलयHऔर सरकंडे को, एक ह: दन म काट डालेगा। 15 पुरिनया और ूितvत पुRष तो िसर हE , और फूठq बात िसखानेवाला नबी पूंछ है ; 16 यHक जो इन लोगHक अगुवाई करते हE वे इनको भटका दे ते हE , और 'जनक अगुवाई होती है वे नाश हो जाते हE । 17 इस कारण ूभु न तो इनके जवानHसे ूस(न होगा, और न इनके अनाय बालकHऔर वधवाओं पर दया करे गा; यHक हर एक के मुख से मूखOता क बात िनकलती हE । इतने पर भी उसका बोध शा(त नह:ं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है ।। 18 यHक द ु ता आग क नाई धधकती है , वह ऊंटकटारHऔर कांटHको भःम करती है , वरन वह घने वन क फाडय़Hम आग लगाती है और वह धुआ ं म चकरा चकराकर ऊपर क ओर उठती है । 19 सेनाओं के यहोवा के रोष के मारे यह दे श जलाया गया है , और थे लोग आग क Lधन के समान हE ; वे आपस म एक दस ू रे से दया का eयवहार नह:ं करते। 20 वे दहनी ओर से भोजनवःतु छqनकर भी भूखे रहते, और बाथ ओर से खाकर भी तृT नह:ं होते; उन म से ूथेक मनुंय अप क अप क बांहHका मांस खाता है , 21 मनँशे एूैम को और एूैम मनँशे को खाता है , और वे दोनHिमलकर यहूदा के वRa हE इतने पर भी उसका बोध शा(त नह:ं हुआ, और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है ।।

यशायाह 10 1 हाथ उन पर जो द ु ता से (याय करते, और उन पर जो उपात करने क आWा िलख दे ते हE , 2 क वे कंगालHका (याय बगाड़ और मेर: ूजा के द: लोगHका हक मार , क वे वधवाओं को लूट और अनायHका माल अपना ल ! 3 तुम द+ड के दन और उस आप के दन जो दरू से आएगी या करोगे ? तुम सहाथता के िलथे कसके पास भाग कर जाओगे? और तुम अपके वभव को कहां रख छोड़ोगे?4 वे केवल बंधओ ु ं के पैरHके पास िगर पक गे और मरे हुओं के नीचे दबे पके रह गे। इतने पर भी उसका बोध शा(त नह:ं हुआ और उसका हाथ अब तक बढ़ा हुआ है ।। 5 अँशूर पर हाथ, जो मेरे बोध का लठ और मेरे हाथ म का सHटा है ! वह मेरा बोध है । 6 मE उसको एक भfह:न जाित के वRa भेजूंगा, और 'जन लोगHपर मेरा रोष भड़का है उनके वRa उसको आWा दं ग ू ा क छqन छान करे और लूट ले, और उनको सड़कHक कच के समान लताड़े । 7 पर(तु उसक ऐसी मनसा न होगी, न उसके मन म यह: है क मE बहुत सी जाितयHका नाश और अ(त कर डालू।ं 8 कयHक वह कहता है , या मेरे सब हाकम राजा के तु`य नह:ं है ? 9 या कलनो ककOमीश के समान नह:ं है ? या हमात अपOद के और शोमरोन दिमँक के समान नह:ं? 10 'जस ूकार मेरा हाथ मूरतHसे भरे हुए उन राGयHपर पहुंचा 'जनक मूरत यRशलेम और शोमरोन क मूरतHसे बढ़कर यीं, और 'जस ूकार मE ने शोमरोन और उसक मूरतHसे कया, 11 या उसी ूकार मE यRशलेम से और उसक मूरतHसे भी न कRं? 12 इस कारण जब ूभु िसयोन पवOत पर और यRशलेम म अपना सब काम का चुकेगा, तब मE अँशूर के राजा के गवO क बातHका, और उसक घम+ड भर: आंखHका पलटा दं ग ू ा। 13 उस ने कहा है , अपके

ह: बाहुबल और बुa से मE ने यह काम कया है , यHक मE चतुर हंू ; मE ने दे श दे श के िसवानHको हटा दया, और उनके रखे हुए धन को लूअ िलया; मE ने वीर क नाई गX: पर वराजनेहारHको उतार दया है । 14 दे श दे श के लोगHक धनसSप, िचडय़Hके घHसलHक नाL, मेरे हाथ आई है , और जैसे कोई छोड़े हुए अ+डHको बटोर ले वैसे ह: मE ने सार: पृवी को बटोर िलया है ; और कोई पंख फड़फड़ाने वा चHच खोलने वा चीं चीं करनेवाला न या।। 15 या कु`हाड़ा उसक वRa जो उस से काटता हो ड:ंग मारे , वा आर: उसके वRa जो उसे खींचता हो बड़ाई करे ? या सHटा अपके चलानेवाले को चलाए वा छड़: उसे उठाए जो काठ नह:ं है ! 16 इस कारण ूभु अयाOत ् सेनाओं का ूभु उस राजा के ॑ृपु योaाओं को दब ु ला कर दे गा, और उसके ऐ यO के नीचे आग क सी जलन होगी। 17 इॐाएल क Gयोित तो आग ठहरे गी, और इॐाएल का पवऽ Gवाला ठहरे गा; और वह उसके फाड़ फंखार को एक ह: द:न म भःम करे गा। 18 और जैसे रोगी के झीण हो जाने पर उसक दशा होती है वैसी ह: वह उसके वन और फलदाई बार: क शोभा पूर: र:ित से नाश करे गा। 19 उस वन के वृझ इतने योड़े रह जाएंगे क लड़का भी उनको िगन कर िलख लेगा।। 20 उस समय इॐाएल के बचे हुए लोग और याकूब के घराने के भागे हुए, अपके मारनेवाले पर फर कभी भरोसा न रख गे, पर(तु यहोवा जो इॐाएल का पवऽ है , उसी पर वे स.चाई से भरोसा रख गे। 21 याकूब म से बचे हुए लोग पराबमी परमे र क ओर फर गे। 22 यHक हे इॐाएल, चाहे तेरे लोग समुि क बालू के कनकHके समान भी बहुत हH, तौभी िन_य है क उन म से केवल बचे लोग भी लौट गे। सयानाश तो पूरे (याय के साय ठाना गया है । 23 यHक ूभु सेनाओं के यहोवा ने सारे दे श का सयानाश कर दे ना ठाना है ।।

24 इसिलथे ूभु सेनाओं का यहोवा यHकहता है , हे िसयोन म रहनेवालHमेर: ूजा, अँशूर से मत डर; चाहे वह सHट से तुझे मारे और िमॐ क नाई तेरे ऊपर छड़: उठाएं। 25 यHक अब योड़: ह: दे र है क मेर: जलन और बोध उनका सयानाश करके शा(त होगा 26 और सेनाओं का यहोवा उसके वRa कोड़ा उठाकर उसको ऐसा मारे गा जैसा उस ने ओरे ब नाम च=टान पर िमrािनयHको मारा या; और जेया उस ने िमिॐयHके वRa समुि पर लाठq बढ़ाई, वैसा ह: उसक ओर भी बढ़ाएगा। 27 उस समय ऐसा होगा क उसका बोफ तेरे कंधे पर से और उसका जूआ ते र: गदO न पर से उठा िलया जाएगा, और अिभषे क के कारण वह जूआ तोड़ डाला जाएगा।। 28 वह अयात ् म आया है , और िममोन म से होकर आगे बढ़ गया है ; िमकमाश म उस ने अपना सामान रखा है । 29 वे घाट: से पार हो गए, उ(हHने गेबा म रात काट:; रामा यरयरा उठा है , शाऊल का िगबा भाग िनकला है । 30 हे ग`लीम क बेट: िच`ला! हे लैशा के लागHकान लगाओ! हाथ बे चारा अनातोत! 31 मदमेना मारा मारा फरता है , गेबीम के िनवासी भागने के िलथे अपना अपना समान इक=टा कर रहे हE । 32 आज ह: के दन वह नोब म

टकेगा; तब वह िसयोन पहाड़ पर, और यRशलेम क पहाड़: पर हाथ उठाकर घमाकएगा। 33 दे खो, ूभु सेनाओं का यहोवा पेड़Hको भयानक Rप से छांट डालेगा; ऊँचे ऊँचे वृझ काटे जाएंगे, और जो ऊँचे हE सो नीचे कए जाएंगे। 34 वह घने वन को लोहे से काट डालेगा और लबानोन एक ूतापी के हाथ से नाश कया जाएगा।। यशायाह 11

1 तब ियशै के ठू ं ठ म से एक डाली फूट िनकलेगी और उसक जड़ म से एक शाखा िनकलकर फलव(त होगी। 2 और यहोवा क आमा, बुa और समझ क आमा, युf और पराबम क आमा, और Wान और यहोवा के भय क आमा उस पर ठहर: रहे गी। 3 ओर उसको यहोवा का भय सुग(ध सा भाएगा।। वह मुह ं दे खा (याय न करे गा और न अपके कानHके सुनने के अनुसार िनणOय करे गा; 4 पर(तु वह कंगालHका (याय धमO से, और पृवी के नॆ लोगHका िनणOय खाराई से करे गा; और वह पृवी को अपके वचन के सHटे से मारे गा, और अपके फूंक के फHके से द ु को िमटा डालेगा। 5 उसक कट का फ टा धमO और उसक कमर का फ टा स.चाई होगी।। 6 तब भेडय़ा भेड़ के ब.चे के संग रहा करे गा, और चीता बकर: के ब.चे के साय बैठा रहे गा, और बछड़ा और जवान िसंह और पाला पोसा हुआ बैल तीनHइक=ठे रह गे, और एक छोटा लड़का उनक अगुवाई करे गा। 7 गाय और र:छनी िमलकर चर गी, और उनके ब.चे इक=ठे बैठ गे; और िसंह बैल क नाL भूसा खाया करे गा। 8 दध ू पउवा ब.चा करै त के बल पर खेलेगा, और दध ू छुड़ाया हुआ लड़का नाग के बल म हाथ डालेगा। 9 मेरे सारे पवऽ पवOत पर न तो कोई द:ु ख दे गा और न हािन करे गा; यHक पृवी यहोवा के Wान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुि म भरा रहता है ।। 10 उस समय ियशै क जड़ दे श दे श के लोगHके िलथे एक फ+ड़ा होगी; सब राGयHके लोग उसे ढू ं ढ़ ग , और उसका वौमःयान तेजोमय होगा।। 11 उस समय ूभु अपना हाथ दस ू र: बार बढ़ाकर बचे हुओं को, जो उसक ूजा के रह गए हE , अँशूर से, िमॐ से, पऽोस से, कूश से, एलाम से, िशनार से, हमात से, और समुि के k:पHसे मोल लेकर छुड़ाएगा। 12 वह अ(यजाितयHके िलथे फ+ड़ा खड़ा करके इॐाएल के सब िनकाले हुओं को,

और यहूदा के सब बखरे हुओं को पृवी क चारHदशाओं से इक=ठा करे गा। 13 एूैम फर डाह न करे गा और यहूदा के तंग करनेवाले काट डाले जाएंगे; न तो एूैम यहूदा से डाह करे गा और न यहूदा एूैम को तंग करे गा। 14 पर(तु वे प'_म क ओर पिल'ँतयHके कंधे पर फप=टा मार गे, और िमलकर पूवयJको लूट गे। वे एदोम और मोआब पर हाथ बढ़ाएंगे, और अSमोनी उनके अधीन हो जाएंगे। 15 और यहोवा िमॐ के समुि क खाड़: को सुखा डालेगा, और महानद पर अपना हाथ बढ़ाकर ूच+ड लू से ऐसा सुखाएगा क वह सात धार हो जाएगा, और लोग लूता पहने हुए भी पार हो जाएंगे। 16 और उसक ूजा के बचे हुओं के िलथे अँशूर से एक ऐसा राज-मागO होगा जैसा िमॐ दे श से चले आने के समय इॐाएल के िलथे हुआ या।। यशायाह 12 1 उस दन तू कहे गा, हे यहोवा, मE तेरा ध(यवाद करता हंू , यHक यिrप तू मुझ पर बोिधत हुआ या, पर(तु अब तेरा बोध शा(त हुआ, और तू ने मुझे शा'(त द: है ।। 2 परमे र मेरा उaार है , मE भरोसा रखूंगा और न यरयराऊंगा; यHक ूभु यहोवा मेरा बल और मेरे भजन का वषय है , और वह मेरा उaारकताO हो गया है ।। 3 तुम आन(दपूवOक उaार के सोतHसे जल भरोगे । 4 और उस दन तुम कहोगे , यहोवा क ःतुित करो, उस से ूायOना करो; सब जाितयHम उसके बड़े कामHका ूचार करो, और कहो क उसका नाम महान है ।। 5 यहोवा का भजन गाओ, यHक उस ने ूतापमय काम कए हE , इसे सार: पृवी पर ूगट करो। 6 हे िसयोन म बसनेवाली तू जयजयकार कर और ऊंचे ःवर से गा, यHक इॐाएल

का पवऽ तुझ म महान है ।। यशायाह 13 1 बाबुल के वषय क भार: भवंयवाणी 'जसको आमोस के पुऽ यशायाह ने दशOन म पाया। 2 मुड़ ं े पहाड़ पर एक फंडा खड़ा करो, हाथ से सैन करो और और उन से ऊंचे ःवर से पुकारो क वे सरदारHके फाटकHम ूवे श कर । 3 मE ने ःवयं अपके पवऽ कए हुओं को आWा द: है , मE ने अपके बोध के िलथे अपके वीरHको बुलाया है जो मेरे ूताप के कारण ूस(न हE ।। 4 पहाड़Hपर एक बड़: भीड़ का सा कोलाहल हो रहा है , मानो एक बड़: फौज क हलचल हH। राGय राजय क इक=ठq क हुई जाितयां हलचल मचा रह: हE । सेनाओं का यहोवा युa के िलथे अप क सेना इक=ठq कर रहा है । 5 वे दरू दे श से, आकाश के छोर से आए हE , हाँ, यहोवा अपके बोध के हिययारHसमेत सारे दे श को नाश करने के िलथे आया है ।। 6 हाथ-हाथ करो, यHक यहोवा का दन समीप है ; वह सवOशfमान ् क ओर से मानो सयानाश करने के िलथे आता है । 7 इस कारण सब के हाथ ढ़:ले पक गे, और हर एक मनुंय का ॑ृदय पघल जाएगा, 8 और वे घबरा जाएग । उनको पीड़ा और शोक होगा; उनको ज.चा क सी पीड़ाएं उठ गी। वे चकत होकर एक दस ू रे को ताक गे; उनके मुह ं जल जाथ गे।। 9 दे खो, यहोवा का वह दन रोष और बोध और िनदO यता के साय आता है क वह पृवी को उजाड़ डाले और पापयHको उस म से नाश करे । 10 यHक आकाश के तारागण और बड़े बड़े नझऽ अपना ूकाश न द गे, और सूयO उदय होते होते अ(धेरा हो जाएगा, और च(िमा अपना ूकाश न दे गा। 11 मE जगत के लोगHको उनक बुराई के कारण, और द ु Hको उनके

अधमO का द+ड दं ग ू ा; मE अिभमािनयHके अिभमान को नाश कRंगाए और उपिव करनेवालHके घम+ड को तोडू ं गा। 12 मE मनुंय को कु(दन से, और आदमी को ओपीर के सोने से भी अिधक महं गा कRंगा। 13 इसिलथे मE आकाश को कंपाऊंगा, और पृवी अपके ःयान से टल जाएगी; यह सेनाओं के यहोवा के रोष के कारण और उसके भड़के हुए बोध के दन होगा। 14 और वे खदे ड़े हुए हgरण, वा बन चरवाहे क भेड़Hक नाL अपके अपके लोगHक ओर फर गे, और अपके अपके दे श को भाग जाएंगे। 15 जो कोई िमले सो बेधा जाएगा, और जो कोई पकड़ा जाए, वह तलवार से मार डाला जाएगा। 16 उनके बाल-ब.चे उनके साSहने पटक दए जाएंगे; और उनके घर लूटे जाएंगे, और उनक '\यां ॅ क जाएंगी।। 17 दे खो, मE उनके वRa माद: लोगHको उभाRंगा जो न तो चा(द: का कुछ वचार कर गे और न सोने का लालच कर गे। 18 वे तीरHसे जवानHको मार गे, और ब.चHपर कुछ दया न कर गे, वे लड़कHपर कुछ तरस न खाएंगे। 19 और बाबुल जो सब राGयHका िशरोम'ण है , और 'जसक शोभा पर कसद: लोग फूलते हE , वह ऐसा हो जाएगा जैसे सदोम और अमोरा, जब परमे र ने उ(ह उलट दया या। 20 वह फर कभी न बसेगा और युग युग उस म कोई वास न करे गा; अरबी लोग भी उस म डे रा खड़ा न कर गे, और न चरवाहे उस म अपके पशु बैठाएंगे। 21 वहां जंगली ज(तु बैठ गे, और उ`लू उनके घरHम भरे रह गे; वहां शुतुमग ुO O बस गे, और छगलमानस वहां नाच गे। उस नगर के राज-भवनHम हुंडार, 22 और उसके सुख-वलास के म'(दरHम गीदड़ बोला कर गे; उसके नाश होने का समय िनकट आ गया है , और उसके दन अब बहुत नह:ं रहे ।। यशायाह 14

1 यहोवा याकूब पर दया करे गा, और इॐाएल को फर अपनाकर, उ(ह:ं के दे श म

बसाएगा, और परदे शी उन से िमल जाएंगे और अपके अपके को याकूब के घराने से िमला ल गे। 2 और दे श दे श के लोग उनको उ(ह:ं के ःयान म पहंु चाएंगे, और इॐाएल का घराना यहोवा क भूिम पर उनका अिध कारनेी होकर उनको दास और दािसयां बनाएगा; यHक वे अपके बंधव ु ाई म ले जानेवालHको बंधआ ु कर गे, और जो उन पर अयाचार करते थे उन पर वे शासन कर गे।। 3 और 'जस दन यहोवा तुझे तेरे स(ताप और घबराहट से, और उस कठन nम से जो तुझ से िलया गया वौम दे गा, 4 उस दन तू बाबुल के राजा पर ताना मारकर कहे गा क पgरnम करानेवाला कैसा नाश हो गया है , सुनहले म'(दरHसे भर: नगर: कैसी नाश हो गई है ! 5 यहोवा ने द ु Hके सHटे को और अ(याय से शासन करनेवालHके लठ को तोड़ दया है , 6 'जस से वे मनुंयHको लगातार रोष से मारते रहते थे, और जाित जाित पर बोध से ूभुता करते और लगातार उनके पीछे पके रहते थे। 7 अब सार: पृवी को वौम िमला है , वह चैन से है ; लोग ऊंचे ःवर से गा उठे हE । 8 सनौवर और लबानोन के दे वदार भी तुझ पर आन(द करके कहते हE , जब से तू िगराया गया तब से कोई हम काटने को नह:ं आया। 9 पाताल के नीचे अधोलो म

तुझ से िमलने के िलथे हलचल हो रह: है ; वह तेरे िलथे मुदJको अयाOतपृ ् वी के सब सरदारHको जगाता है , और वह जाित जाित से सब राजाओं को उनके िसंहासन पर से उठा खड़ा करता है । 10 वे सब तुझ से कह गे, या तू भी हमार: नाई िनबOल हो गया है ? या तू हमारे समान ह: बन गया? 11 ते रा वभव और तेर: सारं िगयHको शcद अधोलोक म उतारा गया है ; कड़े तेरा बछौना और केचुए तेरा ओढ़ना हE ।। 12 हे भोर के चमकनेवाले तारे तू यHकर आकाश से िगर पड़ा

है ? तू जो जाित जाित को हरा दे ता या, तू अब कैसे काटकर भूिम पर िगराया गया है ? 13 तू मन म कहता तो या क मE ःवगO पर चढू ं गा; मE अपके िसंहासन को ई र के तारागण से अिधक ऊंचा कRंगा; और उर दशा क छोर पर सभा के पवOत पर बराजूंगा; 14 मE मेघHसे भी ऊंचे ऊंचे ःयानHके ऊपर चढू ं गा, मE परमूधान के तु`य हो जाऊंगा। 15 पर(तु तू अधोलोक म उस गड़हे क तह तक उतारा जाएगा। 16 जो तुझे दे ख गे तुझ को ताकते हुए ते रे वषय म सोच सोचकर कह गे, या यह वह: पुRष है जो पृवी को चैन से रहने न दे ता या और राGय राGय म

घबराहट डWल दे ता या; 17 जो जगत को जंगल बनाता और उसके नगरHको ढा दे ता या, और अपके बंधओ ु ं को घर जाने नह:ं दे ता या? 18 जाित जाित के सब राजा अपके अपके घर पर महमा के साय आराम से पके हE ; 19 पर(तु तू िनकSमी शाख क नाL अप क कबर म से फ का गया; तू उन मारे हुओं क लोयHसे िघरा है जो तलवार से बधकर गड़हे म पयरHके बीच म लताड़: हुई लोय के समान पके है । 20 तू उनके साय कॄ म न गाड़ा जाएगा, यHक तू ने अपके दे श को उजाड़ दया, और अप क ूजा का घात कया है । कुकिमयJके वंश का नाम भी कभी न िलया जाएगा। 21 उनके पूवOजHके अधमO के कारण पुऽHके घात क तैयार: करो, ऐसा न हो क वे फर उठकर पृवी के अिध कारनेी हो जाएं, और जगत म बहुत से नगर बसाएं।। 22 सेनाओं के यहोवा क यह वाणी है क मE उनके वRa उठूं गा, और बाबुल का नाम और िनशान िमटा डालूग ं ा, और बेटHपोतHको काट डालूग ं ा, यहोवा क यह: वाणी है । 23 मE उसको साह: क मा(द और जल क फल कर दं ग ं ा, सेनाओं के ू ा, और मE उसे सयानाश के फाडू से फाड़ डालूग यहोवा क यह: वाणी है ।। 24 सेनाओं के यहोवा ने यह शपय खाई है , िन:स(दे ह

जैसा मE ने ठाना है , वैसा ह: हो जाएगा, और जैसी मE ने युf क है , वैसी ह: पूर: होगी, 25 क मE अँशूर को अपके ह: दे श म तोड़ दं ग ू ा, और अपके पहाड़Hपर उसे कुचल डालूग ं ा; तब उसका जूआ उनक गदO नHपर से और उसका बोफ उनके कंधHपर से उतर जाएगा। 26 यह: युf सार: पृवी के िलथे ठहराई गई है ; और यह वह: हाथ है जो सब जाितयHपर बढ़ा हुआ है । 27 यHक सेनाओं के यहोवा ने युf क है और कौन उसका टाल सकता है ? उसका हाथ बढ़ाया गया है , उसे कौन रोक सकता है ? 28 'जस वषO म आहाज राजा मर गया उसी वषO यह भार: भवंयkाणी हुई: 29 हे सारे पिलँतीन तू इसिलथे आन(द न कर, क ते रे मारनेवाले क लाठq टू ट गई, यHक सपO क जड़ से एक काला नाग उप(न होगा, और उसका फल एक उड़नेवाला और तेज वषवाला अ'bनसपO होगा। 30 तब कंगालHके जेठे खाएंगे और दgरि लोग िनडर बैठने पाएंगे, पर(तु मE तेरे वंश को भूख से मार डालूग ं ा, और तेरे बचे हुए लोग घात कए जाएंगे। 31 हे फाटक, तू हाथ हाथ कर; हे नगर, तू िच`ला; हे पिलँतीन तू सब का सब पघल जा! यHक उर से एक धूआं उठे गा और उसक सेना म से कोई पीछे न रहे गा।। 32 तब अ(यजाितयHके दत ू Hको या उर दया जाएगा? यह क यहोवा ने िसयोन क नेव डाली है , और उसक ूजा के द:न लोग उस म शरण ल गे।। यशायाह 15 1 मोआब के वषय भार: भवंयkाणी। िन_य मोआब का आर नगर एक ह: रात म उजाड़ और नाश हो गया है ; िन_य मोआब का कर नगर एक ह: रात म उजाड़ और नाश हो गया है । 2 बैत और द:बोन ऊंचे ःयानHपर रोने के िलथे चढ़ गए हE ;

नबो और मेदबा के ऊपर मोआब हाथ हाथ करता है । उन सभHके िसर मुड़े हुए, और सभHक दाढय़ां मुढ़ ं : हुई हE ; 3 सड़कHम लोग टाट पहने हE ; छतHपर और चौकHम सब कोई आंसू बहाते हुए हाथ हाथ करते हE । 4 हे शबोन और एलाले िच`ला रहे हE , उनका शcद यहस तक सुनाई पड़ता है ; इस कारण मोआब के हिययारब(द िच`ला रहे हE ; उसका जी अित उदास है । 5 मेरा मन मोआब के िलथे दोहाई दे ता है ; उसके रईस सोअर और एbलतशलीिशया तक भागे जाते हE । दे खो, लूह:त क चढ़ाई पर वे रोते हुए चढ़ रहे हE ; सुनो, होर:नैम के मागO म वे नाश होने क िच`लाहट मचा रहे हE । 6 िनॆीम का जल सूख गया; घास कुSहला गई और हgरयाली मुफाO गई, और नमी कुछ भी नह:ं रह:। 7 इसिलथे जो धन उ(हHने बचा रखा, और जो कुद उ(हHने इक=ठा कया है , उस सब को वे उस नाले के पार िलथे जा रहे हE 'जस म मजनूवझ ृ हE । 8 इस कारण मोआब के चारHओर के िसवाने म िच`लाहट हो रह: है , उस म का हाहाकार एगलैम और बे रेलीम म भी सुन पड़ता है । 9 यHक द:मोन का सोता लोहू से भरा हुआ है ; तौभी मE द:मोन पर और द:ु ख डालूग ं ा, मE बचे हुए मोआबयHऔर उनके दे श से भागे हुओं के वRa िसंह भेजूंगा।। यशायाह 16 1 जंगल क ओर से सेला नगर से िसयोन क बेट: के पवOत पर दे श के हाकम के िलथे भेड़Hके ब.चHको भेजो। 2 मोआब क बेटयां अनzन के घाट पर उजाड़े हुए ब.चHके समान हE । 3 सSमित करो, (याय चुकाओ; दोपहर ह: म अप क छाया को रात के समान करो; घर से िनकाले हुओं को िछपा रखो, जो मारे मारे फरते हE

उनको मत पकड़वाओ। 4 मेरे लोग जो िनकाले हुए हE वे तेरे बीच म रह ; नाश करनेवाले से मोआब को बचाओ। पीसनेवाला नह:ं रहा, लूट पाट फर न होगी; यHक दे श म से अ(धेर करनेवाले नाश हो गए हE । 5 तब दया के साय एक िसंहासन 'ःयर कया जाएगा और उस पर दाऊद के तSबू म स.चाई के साय एक वराजमान होगा जो सोच वचार कर स.चा (याय करे गा और धमO के काम पर तपर रहे गा।। 6 हम ने मोआब के गवO के वषय सुना है क वह अय(त अिभमानी या; उसके अिभमान और गवO और रोष के सSब(ध म भी सुना है पर(तु उसका बड़ा बोल eययO है । 7 यHक मोआब हाथ हाथ करे गा; सब के सब मोआब के िलथे हाहाकार कर गे। करहरासत क दाख क टकयHके िलथे वे अित िनराश होकर लSबी लSबी सांस िलया कर गे।। 8 यHक हे शबोन के खेत और िसबमा क दाख लताएं मुफाO गL; अ(यजाितयHके अिध कारने'◌यHने उनक उम उम लताओं को काट काटकर िगरा दया है , थे याजेर तक पहंु ची और जंगल म भी फैलती गL; और बढ़ते बढ़ते ताल के पार दरू तक बढ़ गई यीं। 9 मE याजेर के साय िसबमा क दाखलताओं के िलथे भी रोऊंगा; हे हे शबोन और एलाले, मE तुSह अपके आंसओ ु ं से सींचग ूं ा; यHक तुSहारे धूपकाल के फलHके और अनाज क कटनी के समय क ललकार सुनाई प क है । 10 और फलदाई बाgरयHम से आन(द और मगनता जाती रह:; दाख क बाgरयHम गीत न गाया जाएगा, न हषO का शcद सुनाई दे गा; और दाखरस के कु+डHम कोई दाख न रxदे गा, यHक मE उनके हषO के शcद को ब(द कRंगा। 11 इसिलथे मेरा मन मोआब के कारण और मेरा ॑ृदय करहै रेस के कारण वीणा का सा ब(दन करता है ।। 12 और जब मोआब ऊंचे ःयान पर मुह ं दखाते दखाते यक जाए, और ूायOना करने

को अपके पवऽ ःयान म आए, तो उसे कुछ लाभ न होगा। 13 यह: वह बात है जो यहोवा ने इस से पहले मोआब के वषय म कह: यी। 14 पर(तु अब यहोवा ने यHकहा है क मजदरू Hके वषJके समान ती वषO के भीतर मोआब का वभव और उसक भीड़-भाड़ सब तु.छ ठहरे गी; और योड़े जो बच गे उनका कोई बल न होगा।। यशायाह 17 1 दिमँक के वषय भार: भवंयवाणी। दे खो, दिमँक नगर न रहे गा, वह खंडहर ह: खंडहर हो जाएगा। 2 अरोएर के नगर िनजOन हो जाएंगे, वे पशुओं के फु+ड़Hक चराई बन गे; पशु उन म बैठ गे और उनका कोई भगानेवाला न होगा। 3 एूैम के गढ़वाले नगर, और दिमँक का राGय और बचे हुए अरामी, तीनHभवंय म न रह गे; और जो दशा इॐाएिलयHके वभव क हुई वह: उनक होगी; सेनाओं के यहोवा क यह: वाणी है ।। 4 और उस समय याकूब का वभव घट जाएगा, और उसक मोट: दे ह दब ु ली हो जाएगी। 5 और ऐसा होगा जैसा लवनेवाला अनाज काटकर बालHको अप क अंकवार म समेटे वा रपाईम नाम तराई म कोई िसला बीनता हो। 6 तौभी जैसे जलपाई वृझ के फाड़ते समय कुछ फल रह जाते हE , अयाOत ् फुनगी पर दो-तीन फल, और फलव(त डािलयHम कह:ं कह:ं चार-पांच फल रह जाते हE , वैसे ह: उन म िसला बनाई होगी, इॐाएल के परमे र यहोवा क यह: वाणी है ।। 7 उस समय मनुंय अपके कताO क ओर l करे गा, और उसक आंख

इॐाएल के पवऽ क ओर लगी रह गी; 8 वह अप क बनाई हुई वेदयHक ओर l न करे गा, और न अप क बनाई हुई अशेरा नाम मूरतHवा सूयO क ूितमाओं

क ओर दे खेगा। 9 उस समय उनके गढ़वाले नगर घने वन, और उनके िनजOन ःयान पहाड़Hक चोटयHके समान हHगे जो इॐाएिलयHके डर के मारे छोड़ दए गए थे, और वे उजाड़ पके रह गे।। 10 यHक तू अपके उaारकताO परमे र को भूल गया और अप क lढ़ च=टान का ःमरण नह:ं रखा; इस कारण चाहे तू मनभावने पौधे लगाथे और वदे शी कलम जमाथे, 11 चाहे रोपके के दन तू अपके चारHऔर बाड़ा बा(धे, और बहान ह: को उन म फूल 'खलने लग , तौभी स(ताप और असा~य द:ु ख के दन उसका फल नाश हो जाथेगा।। 12 हाथ, हाथ! दे श दे श के बहुत से लोगHका कैसा नाद हो रहा है , वे समुि क लहरHक नाL गरजते हE । राGय राGय के लोगHका कैसा गजOन हो रहा है , वे ूच+ड धारा के समान नाद करते हE ! 13 राGय राGय के लोग बाढ़ के बहुत से जल क नाई नाद करते हE , पर(तु वह उनको घुड़केगा, और वे दरू भाग जाएंगे, और ऐसे उड़ाए जाएंगे जैसे पहाड़Hपर क भूसी वायु से, और धूिल बव+डर से घुमाकर उड़ाई जाती है । 14 सांफ को, दे खो, घबराहट है ! और भोर से पहले, वे लोप हो गथे हE ! हमारे नाश करनेवालHको भाग और हमारे लूटनेवाले क यह: दशा होगी।। यशायाह 18 1 हाथ, पंखHक फड़फड़ाहट से भरे हुए दे श, तू जो कूश क नदयHके पके है ; 2 और समुि पर दत ू Hको नरकट क नावHम बैठाकर जल के मागO से यह कहके भेजता है , हे फुतhले दत ू ो, उस जाित के पास जाओ 'जसके लोग बिल और सु(दर हE , जो आद से अब तक डरावने हE , जो मापके और रxदनेवाला भी हE , और 'जनका दे श नदयHसे वभा'जत कया हुआ है ।। 3 हे जगत के सब रहनेवालH,

और पृवी के सब िनवािसयH, जब फंड़ा पहाड़Hपर खड़ा कया जाए, उसे दे खो! जब नरिसंगा फूंका जाए, तब सुनो! 4 यHक यहोवा ने मुझ से यHकहा है , धूप क तेज गमh वा कटनी के समय के ओसवाले बादल क नाL मE शा(त होकर िनहाRंगा। 5 यHक दाख तोड़ने के समय से पहले जब फूल फूल चुक , और दाख के गु.छे पकने लग , तब वह टहिनयHको हं सओ ु ं से काट डालेगा, और फैली हुई डािलयHको तोड़ तोड़कर अलग फ क दे गा। 6 वे पहाड़Hके मांसाहार: प'झयHऔर वन-पशुओं के िलथे इक=ठे पके रह गे। और मांसाहार: प क तो उनको नोचते नोचते धूपकाल बताएंगे, और सब भांित के वनपशु उनको खाते खाते जाड़ा काट गे। 7 उस समय 'जस जाित के लोग बिल और सु(दर हE , और जो आद ह: से डरावने होते आए हE , और मापके और रxदनेवाले हE , और 'जनका दे श नदयHसे वभा'जत कया हुआ है , उस जाित से सेनाओं के यहोवा के नाम के ःयान िसयोन पवOत पर सेनाओं के यहोवा के पास भ ट पहंु चाई जाएगी।। यशायाह 19 1 िमॐ के वषय म भार: भवंयवाणी। दे खो, यहोवा शीय उड़नेवाले बादल पर सवार होकर िमॐ म आ रहा है ; 2 और िमॐ क मूरत उसके आने से यरयरा उठ गी, और िमिॐयHका ॑ृदय पानी-पानी हो जाएगा। और मE िमिॐयHको एक दस ू रे के वRa उभाRंगा, और वे आपस म लड़ गे, ूथेक अपके भाई से और हर एक अपके पड़ोसी से लड़े गा, नगर नगर म और राGय राGय म युa िछड़ गा; 3 और िमिॐयHक बुa मार: जाएगी और मE उनक युfयHको eययO कर दं ग ू ा; और वे अप क मूरतHके पास और ओफHऔर फुसफुसानेवाले टो(हHके पास जा जाकर

उन से पूछ गे; 4 पर(तु मE िमिॐयHको एक कठोर ःवामी के हाथ म कर दं ग ू ा; और एक बूर राजा उन पर ूभुता करे गा, ूभु सेनाओं के यहोवा क यह: वाणी है ।। 5 और समुि का जल सूख जाएगा, और महानद: सूख कर खाली हो जाएगी; 6 और नाले बसाने लग गे, और िमॐ क नहर भी सूख जाएंगी, और नरकट और हूगले कुSहला जाएंगे। 7 नील नद: के तीर पर के कछार क घास, और जो कुछ नील नद: के पास बोया जाएगा वह सूखकर न हो जाएगा, और उसका पता तक न लगेगा। 8 सब मछुवे 'जतने नील नद: म बंसी डालते हE वलाप कर गे और लSबी लSबी सास ल गे, और जो जल के ऊपर जाल फ कते हE वे िनबOल हो जाएंगे। 9 फर जो लोग धुने हुए सन से काम करते हE और जो सूत से बुनते हE उनक आशा टू ट जाएगी। 10 िमॐ के रईस तो िनराश और उसके सब मजदरू उदास हो जाएंगे।। 11 िन_य सोअन के सब हाकम मूखO हE ; और फरौन के बुaमान म'(ऽयHक युf पशु क सी ठहर:। फर तुम फरौन से कैसे कह सकते हो क मE बुaमानHका पुऽ और ूाचीन राजाओं क स(तान हंू ? 12 अब तेरे बुaमान कहां है ? सेनाओं के यहोवा ने िमॐ के वषय जो युf क है , उसको यद वे जानते हHतो तुझे बताएं। 13 सोअन के हाकम मूढ़ बन गए हE , नोप के हाकमHने धोखा खाया है ; और 'जन पर िमॐ के गोऽHके ूधान लोगHका भरोसा या उ(हHने िमॐ को भरमा दया है । 14 यहोवा ने उस म ॅमता उप(न क है ; उ(हHने िमॐ को उसके सारे कामHम वमन करते हुए मतवाले क नाई डगमगा दया है । 15 और िमॐ के िलथे कोई ऐसा काम न रहे गा जो िसर वा पूंछ से अयवा ूधान वा साधारण से हो सके।। 16 उस समय िमॐी, '\यHके समान हो जाएंगे, और सेनाओं का यहोवा जो अपना हाथ उन पर बढ़ाएगा उसके डर के मारे वे

यरयराएंगे और कांप उठ गे। 17 ओर यहूदा का दे श िमॐ के िलथे यहां तक भय का कारण होगा क जो कोई उसक चचाO सुनेगा वह यरयरा उठे गा; सेनाओं के यहोवा क उस युf का यह: फल होगा जो वह िमॐ के वRa करता है ।। 18 उस समय िमॐ दे श म पांच नगर हHगे 'जनके लोग कनान क भाषा बोल गे और यहोवा क शपय खाथ गे। उन म से एक का नाम नाशनगर रखा जाएगा।। 19 उस समय िमॐ दे श के बीच म यहोवा के िलथे एक वेद: होगी, और उसके िसवाने के पास यहोवा के िलथे एक खंभा खड़ा होगा। 20 वह िमॐ दे श म सेनाओं के यहोवा के िलथे िच(ह और साझी ठहरे गा; और जब वे अंधेर करनेवाले के कारण यहोवा क दोहाई द गे, तब वह उनके पास एक उaारकताO और रझक भेजेगा, और उ(ह

मुf करे गा। 21 तब यहोवा अपके आप को िमिॐयHपर ूगट करे गा; और िमॐी उस समय यहोवा को पहचान गे और मेलबिल और अ(नबिल चढ़ाकर उसक उपासना कर गे, और यहोवा के िलथे म(नत मानकर पूर: भी कर गे। 22 और यहोवा िमिॐयHको मारे गा, और मारे गा और चंगा भी करे गा, और वे यहोवा क ओर फर गे और वह उनक बनती सुनकर उनको चंगा करे गा।। 23 उस समय िमॐ से अँशूर जाने का एक राजमागO होगा, और अँशूर: िमॐ म आएंगे और िमॐी लोग अँशूर को जाएंगे, और िमॐी अँशूgरयHके संग िमलकर आराधना कर गे।। 24 उस समय इॐाएल, िमॐ और अँशूर तीनHिमलकर पृवी के िलथे आशीष का कारण हHगे। 25 यHक सेनाओं का यहोवा उन तीनHको यह कहकर आशीष दे गा, ध(य हो मेर: ूजा िमॐ, और मेरा रख हुआ अँशूर, और मेरा िनज भाग इॐाएल।। यशायाह 20

1 'जस वषO म अँशूर के राजा सगzन क आWा से तताOन ने अशदोद आकर उस से युa कया और उसको ले भी िलया, 2 उसी वषO यहोवा ने आमोस के पुऽ यशायाह से कहा, जाकर अप क कमर का टाट खोल और अप क जूितयां उतार; सो उस ने वैसा ह: कया, और वह नंगा और नंगे पांव घूमता फरता या। 3 और यहोवा ने कहा, 'जस ूकार मेरा दास यशायाह तीन वषO से उघाड़ा और नंगे पांव चलता आया है , क िमॐ और कूश के िलथे िच(ह और चमकार हो, 4 उसी ूकार अँशूर का राजा िमॐी और कूश के लोगHको बंधआ ु करके दे श-िनकाल करे गा, या लड़के या बूढ़े, सभHको बंधए ु करके उघाड़े और नंगे पांव और िनतSब खुले ले जाएगा, 'जस से िमॐ ल'Gजत हो। 5 तब वे कूश के कारण 'जस पर उनक आशा यी, और िमॐ के हे तु 'जस पर वे फूलते थे eयाकुल और ल'Gजत हो जाएंगे। 6 और समुि के इस पार के बसनेवाले उस समय यह कह गे, दे खो, 'जन पर हम आशा रखते थे ओर 'जनके पास हम अँशूर के राजा से बचने के िलथे भागने को थे उनक ऐसी दशा हो गई है । तो फर हम लोग कैसे बच गे? यशायाह 21 1 समुि के पास के जंगल के वषय भार: वचन। जैसे द' खनी ूच+ड बव+डर चला आता है , वह जंगल से अयाOत ् डरावने दे श से िनकट आ रहा है । 2 क क बातHका मुझे दशOन दखाया गया है ; व ासघाती व ासघात करता है , और नाशक नाश करता है । हे एलाम, चढ़ाई कर, हे मादै , घेर ले; उसका सब कराहना मE ब(द करता हंू । 3 इस कारण मेर: कट म कठन पीड़ा है ; मुझ को मानो ज.चा पीड हो रह: है ; मE ऐसे संकट म पडऽ ् गया हंू क कुछ सुनाई नह:ं दे ता, मE एसा

घबरा गया हंू क कुछ दखाई नह:ं दं ता। 4 मेरा ॑ृदय धड़कता है , मE अय(त भयभीत हूं, 'जस सांफ क मE बाट जोहता या उसे उस ने मेर: यरयराहट का कारण कर दया है । 5 भोजन क तैयार: हो रह: है , पहRए बैठाए जा रहे हE , खाना-पीना हो रहा है । हे हाकमो, उठो, ढाल म तेल मलो! 6 यHक ूभु ने मुझ से यHकहा है , जाकर एक पहRआ खड़ा कर दे , और वह जो कुछ दे खे उसे बताए। 7 जब वह सवार दे खे जो दो-दो करके आते हH, और गदहHऔर ऊंटHके सवार, तब बहुत ह: ~यान दे कर सुने। 8 और उस ने िसंह के से शcद से पुकारा, हे ूभु मE दन भर खड़ा पहरा दे ता रहा और मE ने पूर: रात पहरे पर काटा। 9 और या दे खता हंू क मनुंयHका दल और दो-दो करके सवा चले आ रहे हE ! और वह बोल उठा, िगर पड़ा, बाबुल िगर पड़ा; और उसके दे वताओं के सब खुद: हुई मूरत भूिम पर चकनाचूर कर डाली गई हE । 10 हे मेरे दाएं हुए, और मेरे खिलहान के अ(न, जो बात मE ने इॐाएल के परमे र सेनाओं के यहोवा से सुनी है , उनको मE ने तुSह

जता दया है । 11 दम ू ा के वषय भार: वचन। सेईर म से कोई मुझे पुकार रहा है , हे पहRए, रात का या समाचार है ? हे पहRए, रात क या खबर है ? 12 पहRए ने कहा, भोर होती है और रात भी। यद तुम पूछना चाहते हो तो पूछो; फर लौटकर आना।। 13 अरब के वRa भार: वचन। हे ददानी बटोहयH, तुम को अरब के जंगल म रात बतानी पकेगी। 14 वे €यासे के पास जल लाए, तेमा दे श के रहनेवाले रोट: लेकर भागनेवाले से िमलने के िलथे िनकल आ रहे हE । 15 यHक वे तलवारHके साSहने से वरन नंगी तलवार से और ताने हुए धनुष से और घोर युa से भागे हE । 16 यHक ूभु ने मुझ से यHकहा है , मजदरू के वषJके अनुसार एक वषO म केदार का सारा वभव िमटाया जाएगा; 17 और केदार के

धनुधाOर: शूरवीरHम से योड़े ह: रह जाएंगे; यHक इॐाएल के परमे र यहोवा ने ऐसा कहा है ।। यशायाह 22 1 दशOन क तराई के वषय म भार: वचन। तुSह या हुआ क तुम सब के सब छतHपर चढ़ गए हो, 2 हे कोलाहल और ऊधम से भर: ूस(न नगर:? तुझ म जो मारे गए हE वे न तो तलवार से और न लड़ाई म मारे गए हE । 3 तेरे सब (यायी एक संग भाग गए और धनुधाOgरयHसे बा(धे गए हE । और ते रे 'जतने शेष पाए गए वे एक संग बा(धे गए, वे दरू भागे थे। 4 इस कारण मE ने कहा, मेर: ओर से मुह ं फेर लो क मE बलक बलककर रोऊं; मेरे नगर सयनाश होने के शोक म मुझे शा'(त दे ने का य^ मत करो।। 5 यHक सेनाओं के ूभु यहोवा का ठहराया हुआ दन होगा, जब दशOन क तराई म कोलाहल और रxदा जाना और बेचन ै ी होगी; शहरपनाह म सुरंग लगाई जाएगी और दोहाई का शcद पहाड़Hतक पहंु चेगा। 6 और एलाम पैदलHके दल और सवारHसमेत तकOश बा(धे हुए है , और कर ढाल खोले हुए है । 7 ते र: उम उम तराइयां रयHसे भर: हुई हHगी और सवार फाटक के साSहने पांित बा(ध गे। उस ने यहूदा का घूघ ं ट खोल दया है । 8 उस दन तू ने वन नाम भवन के अ\-श\ का ःमरण कया, 9 और तू ने दाऊदपुर क शहरपनाह क दरारHको दे खा क वे बहुत हE , और तू ने िनचले पोखरे के जल को इक=ठा कया। 10 और यRशलेम के घरHको िगनकर शहरपनाह के lढ़ करने के िलथे घरHको ढा दया। 11 तू ने दोनHभीतHके बीच पुराने पोखरे के जल के िलथे एक कुंड खोदा। पर(तु तू ने उसके कताO को ःमरण नह:ं कया, 'जस ने

ूाचीनकाल से उसको ठहरा रखा या, और न उसक ओर तू ने l क।। 12 उस समय सेनाओं के ूभु यहोवा ने रोने-पीटने, िसर मुड ं ाने और टाट पहनने के िलथे कहा या; 13 पर(तु या दे खा क हषO और आन(द मनाया जा रहा है , गाय-बैल का घात और भेड़-बकर: का वध कया जा रहा है , मांस खाया और दाखमधु पीया जा रहा है । और कहते हE , आओ खाएं-पीएं, यHक कल तो हम मरना है । 14 सेनाओं के यहोवा ने मेरे कान म कहा और अपके मन क बात ूगट क, िन_य तुम लोगHके इस अधमO का कुछ भी ूाय'_ तुSहार: मृयु तक न हो सकेगा, सेनाओं के ूभु यहोवा का यह: कहना है । 15 सेनाओं का ूभु यहोवा यHकहता है , शेबना नाम उस भ+डार: के पास जो राजघराने के काम पर िनयुf है जाकर कह, यहां तू या करता है ? 16 और यहां तेरा कौन है क तू ने अप क कबर यहां खुदवाई है ? तू अप क कबर ऊंचे ःयान म खुदवाता और अपके रहने का ःयान च=टान म खुदवाता है ? 17 दे ख, यहोवा तुझ को बड़: शf से पकड़कर बहुत दरू फ क दे गा। 18 वह तुझे मरोड़कर गे (द क नाई लSबे चौड़े दे श म फ क दे गा; हे अपके ःवामी के घराने को ल'Gजत करनेवाले वहां तू मरे गा और तेरे वभव के रय वह:ं रह जाएंगे। 19 मE तुझ को तेरे ःयान पर से ढकेल दं ग ू ा, और तू अपके पद से उतार दया जाथेगा। 20 उस समय मE ह'`कयाह के पुऽ अपके दास ए`याकम को बुलाकर, उसे ते रा अंगरखा पहनाऊंगा, 21 और उसक कमर म

तेर: पेट: कसकर बा(धूग ं ा, और तेर: ूभुता उसके हाथ म दं ग ू ा। और वह यRशलेम के रहनेवालHऔर यहूदा के घराने का पता ठहरे गा। 22 और मE दाऊद के घराने क कुंजी उसके कंधे पर रखूंगा, और वह खोलेगा और कोई ब(द न कर सकेगा; वह ब(द करे गा और कोई खोल न सकेगा। 23 और मE उसको lढ़ ःयान

म खूंट: क नाL गाडू ं गा, और वह अपके पता के घराने के िलथे वभव का कारण होगा। 24 और उसके पता से घराने का सारा वभव, वंश और स(तान, सब छोटे -छोटे पाऽ, या कटोरे या सुराहयां, सब उस पर टांगी जाएंगी। 25 सेनाओं के यहोवा क यह वाणी है क उस समय वह खूंट: जो lढ़ ःयान म गाड़: गई यी, वह ढ:ली हो जाएगी, और काटकर िगराई जाएगी; और उस का बोफ िगर जाएगा, यHक यहोवा ने यह कहा है । यशायाह 23 1 सोर के वषय भार: वचन। हे तशhश के जहाजHहाथ, हाथ, करो; यHक वह उजड़ गया; वहां न तो कोई घर और न कोई शरण का ःयान है ! यह बात उनको कयHके दे श म से ूगट क गई है । 2 हे समुि के तीर के रहनेवालH, 'जनको समुि के पार जानेवाले सीदोनी eयापाgरयHने धन से भर दया है , चुप रहो! 3 शीहोर का अ(न, और नील नद: के पास क उपज महासागर के मागO से उसको िमनती यी, यHक वह और जाितयHके िलथे eयोपार का ःयान या। 4 हे सीदोन, ल'Gजत हो, यHक समुि ने अयाOत ् समुि के lढ़ ःथान ने यह कहा है , मE ने न तो कभी ज(माने क पीड़ा जानी और न बालक को ज(म दया, और न बेटHको पाला और न बेटयHको पोसा है । 5 जब सोर का समाचार िमॐ म पहंु चे, तब वे सुनकर संकट म पक गे । 6 हे समुि के तीर के रहनेवालHहाथ, हाथ, करो! पार होकर तशhश को जाओ। 7 या यह तुSहार: ूस(नता से भर: हुई नगर: है जो ूाचीनकाल से बसी यी, 'जसके पांव उसे बसने को दरू ले जाते थे? 8 सोर जो राजाओं क गX: पर बैठाती यी, 'जसके eयोपार: हाकम थे, और 'जसके महाजन

पृवी भर म ूितvत थे, उसके वRa कस ने ऐसी युf क है ? 9 सेनाओं के यहोवा ह: ने ऐसी युf क है क समःत गौरव के घम+ड को तु.छ कर दे और पृवी के ूितvतHका अपमान करवाए। 10 हे तशhश के िनवािसयHनील नद: क नाई अपके दे श म फैल जाओ; अब कुछ ब(धन नह:ं रहा। 11 उस ने अपना हाथ समुि पर बढ़ाकर राGयHको हला दया है ; यहोवा ने कनान के lढ़ कलHके नाश करने क आWा द: है । 12 और उस ने कहा है , हे सीदोन, हे ॅ क हुई कुमार:, तू फर ूस(न होने क नह:ं; उठ, पार होकर कयHके पास जा, पर(तु वहां भी तुझे चैन न िमलेगा।। 13 कसदयHके दे श को दे खो, वह जाित अब न रह:; अँशूर ने उस दे श को जंगली ज(तुओं का ःयान बनाया। उ(हHने अपके गुSमट उठाए और राजभवनHको ढ़ा दया, और उसको ख+डहर कर दया। 14 हे तशhश के जहाजH, हाथ, हाथ, करो, यHक तुSहारा lढ़ःयान उजड़ गया है । 15 उस समय एक राजा के दनHके अनुसार सर वषO के बीतने पर सोर वेँया क नाL गीत गाने लगे गा। 16 हे बसर: हुई वेँया, वीणा लेकर नगर म घूम, भली भांित बजा, बहुत गीत गा, 'जस से लोग फर तुझे याद कर । 17 सर वषO के बीतने पर यहोवा सोर क सुिध लेगा, और वह फर िछनाले क कमाई पर मन लगाकर धरती भर के सब राGयHके संग िछनाला कर गी। 18 उसके eयोपार क ूािT, और उसके िछनाले क कमाई, यहोवा के िलथे पवऽ क जाएगी; वह न भ+डार म

रखी जाएगी न संचय क जाएगी, यHक उसके eयोपार क ूािT उ(ह:ं के काम म आएगी जो यहोवा के साSहने रहा कर गे, क उनको भरपूर भोजन और चमकला व\ िमले।। यशायाह 24

1 सुनH, यहोवा पृवी को िनजOन और सुनसान करने पर है , वह उसको उलटकर उसके रहनेवालHको िततर बतर करे ग। 2 और जैसी यजमान क वैसी याजक क; जैसी दास क वैसी ःवमी क; जैसी दासी क वैसी ःवािमनी क; जैसी लेनेवाले क वैसी बे चनेवाले क; जैसी उधार दे नेवाले क वैसी उधार लेनेवाले क; जैसी cयाज लेनेवाले क वैसी cयाज दे नेवाले क; सभHक एक ह: दशा होगी। 3 पृवी शू(य और सयानाश हो जाएगी; यHक यहोवा ह: ने यह कहा है ।। 4 पृवी वलाप करे गी और मुफाOएगी, जगत कुSहलाएगा और मुफाO जाएगा; पृवी के महान लोग भी कुSहला जाएंगे। 5 पृवी अपके रहनेवालHके कारण अशुa हो गई है , यHक उ(हHने eयवःया का उ`लंघन कया और विध को पलट डाला, और सनातन वाचा को तोड़ दया है । 6 इस कारण पृवी को शाप मसेगा और उस म रहनेवाले दोषी ठहर गे; और इसी कारण पृवी के िनवासी भःम हHगे और योड़े ह: मनुंय रह जाएंगे। 7 नया दाखमधु जाता रहे गा, दाखलता मुफाO जाएगी, और 'जतने मन म आन(द करते हE सब लSबी लSबी सांस ल गे। 8 डफ का सुखदाई शcद ब(द हो जाएगा, वीणा का सुखदाई शcद शा(त हो जाएगा। 9 वे गाकर फर दाखमधु न पीएंगे; पीनेवाले को मदरा कड़ु क लगेगी। 10 गड़बड़: मचानेवाली नगर: नाश होगी, उसका हर एक घर ऐसा ब(द कया जाएगा क कोई पैठ न सकेगा। 11 सड़कHम लोग दाखमधु के िलथे िच`लाएंगे; आन(द िमट जाएगा: दे श का सारा हषO जाता रहे गा। 12 नगर उजाड़ ह: उजाड़ रहे गा, और उसके फाटक तोड़कर नाश कए जाएंगे। 13 यHक पृवी पर दे श दे श के लोगHम ऐसा होगा जैसा क जलपाइयHके फाड़ने के समय, वा दाख तोड़ने के बाद कोई कोई फल रह जाते हE ।। 14 वे लोग गला खोलकर जयजयकार कर गे, और यहोवा के महाSय

को दे खकर समुि से ललकार गे। 15 इस कारण पूवO म यहोवा क महमा करो, और समुि के k:पHम इॐाएल के परमे र यहोवा के नाम का गुणानुवाद करो। 16 पृवी क छोर से हम ऐसे गीत क ~विन सुन पड़ती है , क धमh क महमा और बड़ाई हो। पर(तु मE ने कहा, हाथ, हाथ! मE नाश हो गया, नाश! यHक व ासघाती व ासघात करते, वे बड़ा ह: व ासघात करते हE ।। 17 हे पृवी के रहनेवालHतुSहारे िलथे भय और गड़हा और फ(दा है ! 18 जो कोई भय के शcद से भागे वह गड़हे म िगरे गा, और जो कोई गड़हे म से िनकले वह फ(दे म फंसेगा। यHक आकाश के फरोखे खुल जाएंगे, और पृवी क नेव डोल उठे गी। पृवी अय(त कSपायमान होगी। 19 वह मतवाले क नाL बहुत डगमगाएगी 20 और मचान क नाई डोलेगी; वह अपके पाप के बोफ से दबकर िगरे गी और फर न उठे गी।। 21 उस समय ऐसा होगा क यहोवा आकाश क सेना को आकाश म और पृवी के राजाओं को पृवी ह: पर द+ड दे गा। 22 वे बंधओ ु ं क नाई गड़हे म

इक=ठे कए जाएंगे और ब(द:गृह म ब(द कए जाएंगे; और बहुत दनHके बाद उनक सुिध ली जाएगी। 23 तब च(िमा संकुिचत हो जाएगा और सूयO ल'Gजत होगा; यHक सेनाओं का यहोवा िसयोन पवOत पर और यRशलेम म अप क ूजा के पुरिनयHके साSहने ूताप के साय राGय करे गा।। यशायाह 25 1 हे यहोवा, तू मेरा परमे र है ; मE तुझे सराहूंगा, मE तेरे नाम का ध(यवाद कRंगा; यHक तू ने आ_यOकमO कए हE , तू ने ूाचीनकाल से पूर: स.चाई के साय युfयां क हE । 2 तू ने नगर को ड:ह, और उस गढ़वाले नगर को ख+डहर कर

डाला है ; तू ने परदे िशयHक राजपुर: को ऐसा उजाड़ा क वह नगर नह:ं रहा; वह फर कभी बसाया न जाएगा। 3 इस कारण बलव(त राGय के लोग तेर: महमा कर गे; भयंकर अ(यजाितयHके नगरHम तेरा भय माना जाएगा। 4 यHक तू संकट म द:नHके िलथे गढ़, और जब भयानक लोगHका फHका भीत पर बौछार के समान होता या, तब तू दgरिHके िलथे उनक शरण, और तपन म छाया का ःयान हुआ। 5 जैसे िनजOल दे श म बादल क छाया से तपन ठ+ड: होती है वैसे ह: तू परदे िशयHका कोलाहल और बूर लोगHको जयजयकार ब(द करता है ।। 6 सेनाओं का यहोवा इसी पवOत पर सब दे शHके लोगHके िलथे ऐसी जेवनार करे गा 'जस म

भांित भांित का िचकना भोजन और िनयरा हुआ दाखमधु होगा; उम से उम िचकना भोजन और बहुत ह: िनयरा हुआ दाखमधु होगा। 7 और जो पदाO सब दे शHके लोगHपर पड़ा है , जो घूघ ं ट सब अ(यजाितयHपर लटका हुआ है , उसे वह इसी पवOत पर नाश करे गा। 8 वह मृयु को सदा के िलथे नाश करे गा, और ूभु यहोवा सभHके मुख पर से आंसू पHछ डालेगा, और अप क ूजा क नामधराई सार: पृवी पर से दरू करे गा; यHक यहोवा ने ऐसा कहा है ।। 9 और उस समय यह कहा जाएगा, दे खो, हमारा परमे र यह: है ; हम इसी क बाट जोहते आए हE , क वह हमारा उaार करे । यहोवा यह: है ; हम उसक बाट जोहते आए हE । हम उस से उaार पाकर मगन और आन'(दत हHगे। 10 यHक इस पवOत पर यहोवा का हाथ सवOदा बना रहे गा और मोआब अपके ह: ःयान म ऐसा लताड़ा जाएगा जैसा घूरे म पुआल लताड़ा जाता है । 11 और वह उस म अपके हाथ इस ूकार फैलाएगा, जैसे कोई तैरते हुए फैलाए; पर(तु वह उसके गवO को तोड़े गा; और उसक चतुराई को िनंफल कर दे गा। 12 और उसक ऊंची ऊंची औौ ् lढ़

शहरपनाहHको वह फुकाएगा और नीचा करे गा, वरन भूिम पर िगराकर िम=ट: म

िमला दे गा।। यशायाह 26 1 उस समय यहूदा दे श म यह गीत गाया जाएगा, हमारा एक lढ़ नगर है ; उaार का काम दे ने के िलथे वह उसक शहरपनाह और गढ़ को िनयुf करता है । 2 फाटकHको खोलो क स.चाई का पालन करनेवाली एक धमh जाित ूवेश करे । 3 'जसका मन तुझ म धीरज धरे हुए हE , उसक तू पूणO शा'(त के साय रझा करता है , यHक वह तुझ पर भरोसा रखता है । 4 यहोवा पर सदा भरोसा रख, यHक ूभु यहोवा सनातन च=टान है । 5 वह ऊंचे पदवाले को फुका दे ता, जो नगर ऊंचे पर बसा है उसको वह नीचे कर दे ता। वह उसको भूिम पर िगराकर िम=ट: म

िमला दे ता है । 6 वह पांवHसे, वरन दgरिHके पैरHसे रxदा जाएगा।। 7 धमh का मागO स.चाई है ; तू जो ःवयं स.चाई है , तू धमh क अगुवाई करता है । 8 हे यहोवा, तेरे (याय के मागO म हम लोग तेर: बाट जोहते आए हE ; तेरे नाम के ःमरण क हमारे ूाणHम लालसा बनी रहती है । 9 रात के समय मE जी से तर: लालसा करता हूं, मेरा सSपूणO मन से य^ के साय तुझे ढू ं ढ़ता है । यHक जब तेरे (याय के काम पृवी पर ूगट होते हE , तब जगत के रहनेवाले धमO क सीखते हE । 10 द ु पर चाहे दया भी क जाए तौभी वह धमO को न सीखे गा; धमOराGय म भी वह कुटलता करे गा, और यहोवा को महाSय उसे सूफ न पकेगा।। 11 हे यहोवा, तेरा हाथ बढ़ा हुआ है , पर वे नह:ं दे खते। पर(तु वे जान गे क तुझे ूजा के िलथे कैसी जलन है , और लजाएंगे। 12 तेरे बैर: आग से भःम हHगे। हे यहोवा, तू हमारे िलथे शा'(त

ठहराएगा, हम ने जो कुछ कया है उसे तू ह: ने हमारे िलथे कया है । 13 हे हमारे परमे र यहोवा, तेरे िसवाय और ःवामी भी हम पर ूभुता करते थे, पर(तु ते र: कृपा से हम केवल तेरे ह: नाम का गुणानुवाद कर गे। 14 वे मर गए हE , फर कभी जीवत नह:ं हHगे; उनको मरे बहुत दन हुए, वे फर नह:ं उठने के; तू ने उनका वचार करके उनको ऐसा नाश कया क वे फर ःमरण म न आएंगे। 15 पर(तु तू ने जाित को बढ़ाया; हे यहोवा, तू ने जाित को बढ़ाया है ; तू ने अप क महमा दखाई है और उस दे श के सब िसवानHको तू ने बढ़ाया है ।। 16 हे यहोवा, द:ु ख म

वे तुझे ःमरण करते थे, जब तू उ(ह ताड़ना दे ता या तब वे दबे ःवर से अपके मन क बात तुझ पर ूगट करते थे। 17 जैसे गभOवती \ी जनने के समय ऐंठती और पीड़Hके कारण िच`ला उठती है , हम लोग भी, हे यहोवा, तेरे साSहने वैसे ह: हो गए हE । 18 हम भी गभOवती हुए, हम भी ऐंठ , हम ने मानो वायु ह: को ज(म दया। हम ने दे श के िलथे कोई उaार का काम नह:ं कया, और न जगत के रहनेवाले उप(न हुए। 19 तेरे मरे हुए लोग जीवत हHगे , मुद उठ खड़े हHगे । हे िम=ट: म बसनेवालो, जागकर जयजयकार करो! यHक तेर: ओस Gयोित से उप(न होती है , और पृवी मुदz को लौटा दे गी।। 20 हे मेरे लोगH, आओ, अप क अप क कोठर: म ूवे श करके कवाड़Hको ब(द करो; योड़: दे र तक जब तक बोध शा(त न हो तब तक अपके को िछपा रखो। 21 यHक दे खो, यहोवा पृवी िनवािस कH अधमO का द+ड दे ने के िलथे अपके ःयान से चला आता है , और पृवी अपना खून ूगट करे गी और घात कए हुओं को और अिधक न िछपा रखेगी।। यशायाह 27

1 उस समय यहोवा अप क कड़:, बड़:, और पोड़ तलवार से िलeयातान नाम वे ग और टे ढ़े चलनेवाले सपO को द+ड दे गा, और जो अजगर समुि म रहता है उसको भी घात करे गा।। 2 उस समय एक सु(दर दाख क बार: होगी, तुम उसका यश गाना! 3 मE यहोवा उसक रझा करता हंू ; मE झण झण उसको सींचता रहंू गा। ऐसा न हो क कोई उसक हाित करे । 4 मेरे मन म जलजलाहट नह:ं है । यद कोई भांित भांित के कट:ले पे ड़ मुझ से लड़ने को खड़े करता, तो मE उन पर पांव बढ़ाकर उनको पूर: र:ित से भःम कर दे ता। 5 वा मेरे साय मेल करने को वे मेर: शरण ल , वे मेरे साय मेल कर ल ।। 6 भवंय म याकूब जड़ पकड़े गा, और इॐाएल फूल-फलेगा, और उसके फलHसे जगत भर जाएगा।। 7 या उस ने उसे मारा जैसा उस ने उसके मारनेवालHको मारा या? या वह घात कया गया जैसे उसके घात कए हुए घात हुए? 8 जब तू ने उसे िनकाला, तब सोच-वचार कर उसको द:ु ख दया : उसे ने पुरवाई के दन उसको ूच+ड वायु से उड़ा दया है । 9 इस से याकूब के अधमO का ूाय'_त कया जाएगा और उसके पाप के दरू होने का ूितफल यह होगा क वे वेद: के सब पयरHको चूना बनाने के पयरHके समान चकनाचूर कर गे, और अशेरा और सूयO क ूितमाएं फर खड़: न रह गी। 10 यHक गढ़वाला नगर िनजOन हुआ है , वह छोड़: हुई बःती के समान िनजOन और जंगल हो गया है ; वहां बछड़े चर गे और वह:ं बैठ गे, और पे ड़Hक डािलयHक फुनगी को खो ल गे। 11 जब उसक शाखाएं सूख जाएं तब तोड़: जाएंगी; और '\यां आकर उनको तोड़कर जला द गी। यHक थे लोग िनबुOa हE ; इसिलथे उनका कताO उन पर दया न करे गा, और उनका रचनेवाला उन पर अनुमह न करे गा।। 12 उस समय यहोवा महानद से लेकर िमॐ के नाले तक अपके अ(न

को फटकेगा, और हे इॐाएिलयHतुम एक एक करके इक=ठे कए जाओगे। 13 उस समय बड़ा नरिसंगा◌ा फूंका जाएगा, और जो अँशूर दे श म नाश हो रहे थे और जो िमॐ दे श म बरबस बसाए हुए थे वे यRशलेम म आकर पवऽ पवOत पर यहोवा को द+डवत ् कर गे।। यशायाह 28 1 घम+ड के मुकुट पर हाथ! जो एूैम के मतवालHका है , और उनक भड़कली सु(दरता पर जो मुफाOनेवाला फूल है , जो अित उपजाऊ तराई के िस के पर दाखमधु से मतवालHक है । 2 दे खो, ूभु के पास एक बलव(त और समयh है जो ओले क वषाO वा उजाड़नेवाली आंधी या बाढ़ क ूच+ड धार क नाई है वह उसको कठोरता से भूिम पर िगरा दे गा। 3 एूैमी मतवालHके घम+ड का मुकुट पांव से लताड़ा जाएगा; 4 और उनक भड़कली सु(दरता का मुफाOनेवाला फूल जो अित उपजाऊ तराई के िस के पर है , वह मींमकाल से पहले पके अंजीर के समान होगा, 'जसे दे खनेवाला दे खते ह: हाथ म ले और िनगल जाए।। 5 उस समय सेनाओं का यहोवा ःवयं अप क ूजा के बचे हुओं के िलथे सु(दर और ूतापी मुकुट ठहरे गा; 6 और जो (याय करने को बैठते हE उनके िलथे (याय करनेवाली आमा और जो चढ़ाई करते हुए शऽुओं को नगर के फाटक से हटा दे ते हE , उनके िलथे वह बल ठहरे गा।। 7 थे भी दाखमधु के कारण डगमगाते और मदरा से लड़खड़ाते हE ; याजक और नबी भी मदरा के कारण डगमगाते हE , दाखमधु ने उनको भुला दया है , वे मदरा के कारण लड़खड़ाते और दशOन पाते हुए भटके जाते, और (याय म भूल करते हE । 8 यHक सब भोजन आसन वमन और मल

से भरे हE , कोई शुa ःयान नह:ं बचा।। 9 वह कसको Wान िसखाएगा, और कसको अपके समाचार का अयO समझाएगा? या उनको जो दध ू छुड़ाए हुए और ःतन से अलगाए हुए हE ? यHक आWा पर आWा, आWा पर आWा, 10 िनयम पर िनयम, िनयम पर िनयम योड़ा यहां, योड़ा वहां।। 11 वह तो इन लोगHसे परदे शी हHठHऔर वदे शी भाषावालHके kारा बात करे गा; 12 'जन से उस ने कहा, वौम इसी से िमलेगा; इसी के kारा यके हुए को वौम दो; पर(तु उ(हHने सुनना न चाहा। 13 इसिलथे यहोवा का वचन उनके पास आWा पर आWा, आWा पर आWा, िनयम पर िनयम, िनयम पर िनयम है , योड़ा यहां, योड़ा वहां, 'जस से वे ठोकर खाकर िच िगर और घायल हो जाएं, और फंदे म फंसकर पकड़े जाएं।। 14 इस कारण हे ठ=ठा करनेवालो, यRशलेमवासी ूजा के हाकमH, यहोवा का वचन सुनो! 15 तुम ने कहा है क हम ने मृयु से वाचा बा(धी और अधोलोक से ूितWा कराई है ; इस कारण वप जब बाढ़ क नाई बढ़ आए तब हमारे पास न आएगी; यHक हम ने फूठ क शरण ली और िमया क आड़ म िछपे हुए हE । 16 इसिलथे ूभु यहोवा यHकहता है , दे खो, मE ने िसयोन म नेव का पयर रखा है , एक परखा हुआ पयर, कोने का अनमोल और अित lढ़ नेव के योbय पयर: और जो कोई व ास रखे वह उतावली न करे गा। 17 और मE (याय क डोर: और धमO को साहुल ठहराऊंगा; और तुSहारा फूठ का शरणःयान ओलHसे बह जाएगा, और तुSहारे िछपके का ःयान जल से डू ब जाएगा। 18 तब जो वाचा तुम ने मृयु से बा(धी है वह टू ट जाएगी, और जो ूितWा तुम ने अधोलोक से कराई वह न ठहरे गी; जब वप बाढ़ क नाई बढ़ आए, तब तुम उस म डू ब ह: जाओगे। 19 जब जब वह बढ़ आए, तब तब वह तुम को ले जाएगी; वह ूित दन वरन रात

दन बढ़ा कर गी; और इस समाचार का सुनना ह: eयाकुल होने का कारण होगा। 20 यHक बछौना टांग फैलाने के िलथे छोटा, और ओढ़ना ओढ़ने के िलथे सकरा है ।। 21 यHक यहोवा ऐसा उठ खड़ा होगा जैसा वह पराजीम नाम पवOत पर खड़ा हुआ और जैसा िगबोन क तराई म उस ने बोध दखाया या; वह अब फर बोध दखाएगा, 'जस से वह अपना काम करे , जो अच'Sभत काम है , और वह कायO करे जो अनोखा है । 22 इसिलथे अब तुम ठ=ठा मत करो, नह:ं तो तुSहारे ब(धन कसे जाएंगे; यHक मE ने सेनाओं के ूभु यहोवा से यह सुना है क सारे दे श का सयानाश ठाना गया है ।। 23 कान लगाकर मेर: सुनो, ~यान धरकर मेरा वचन सुनो। 24 या हल जोतनेवाला बीज बोने के िलथे लगातार जोतता रहता है ? या वह सदा धरती को चीरता और ह गाता रहता है ? 25 या वह उसको चौरस करके सxफ को नह:ं िछतराता, जीरे को नह:ं बखेरता और गेहंू को पांित पांित करके और जब को उसके िनज ःयान पर, और कठथे गेहंू को खे त क छोर पर नह:ं बोता? 26 यHक उसका परमे र उसको ठqक ठqक काम करना िसखलाता और बतलाता है ।। 27 दांवने क गाड़: से तो सxफ दाई नह:ं जाती, और गाड़: का पहया जीरे के ऊपर नह:ं चलाया जाता; पर(तु सxफ छड़: से, और जीरा सHट से फाड़ा जाता है । 28 रोट: के अ(न पर दाथ क जाती है , पर(तु कोई उसको सदा दांवता नह:ं रहता; और न गाड़: के पहथे न घोड़े उस पर चलाता है , वह उसे चूर चूर नह:ं करता। 29 यह भी सेनाओं के यहोवा क ओर से िनयुf हुआ है , वह अmभुत युfवाला और महाबुaमान है ।। यशायाह 29

1 हाथ, अर:एल, अर:एल, हाथ उस नगर पर 'जस म दाऊद छावनी कए हुए रहा! वषO पर वषO जाड़ते जाओ, उसव के पवO अपके अपके समय पर मनाते जाओ। 2 तौभी मE तो अर:एल को सकेती म डालूग ं ा, वहां रोना पीटना रहे गा, और वह मेर: l म सचमुच अर:एल सा ठहरे गा। 3 और मE चारHओर तेरे वRa छावनी करके तुझे कोटHसे घेर लूग ं ा, और तेरे वRa गढ़ भी बनाऊंगा। 4 तब तू िगराकर भूिम म डाला जाएगा, और धूल पर से बोलेगा, और तेर: बात भूिम से धीमी धीमी सुनाई दे गी; तेरा बोल भूिम पर से ूेत का सा होगा, और तू धूल से गुनगुनाकर बोलेगा।। 5 तब तेरे परदे शी बैgरयHक भीड़ सूˆम धूिल क नाL, और उन भयानक लो◌ागHक भीड़ भूसे क नाई उड़ाL जाएगी। 6 और सेनाओं का यहोवा अचानक बादल गरजाता, भूिम को कSपाता, और महा~वि